09-26-2019, 01:21 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
दोस्तों एक परिवार की कहानी खत्म हो चुकी है अब चलते है महेश के घर।जहाँ महेश अपनी बहु नीलम और बेटी ज्योति के साथ रहता है।उसका बेटा समीर ऑफिस चला गया है।
ज्योति बैंक के किसी काम से घर के बाहर गई है वह शाम तक शॉपिंग करके घर आने वाली थी। इधर नीलम रसोई में खाना बना रही है।पिछले कुछ दिनों से मासिक होने के कारण बहु और ससुर दोनों प्यासे थे अब बहु फ्री हो गई थी।
ज्योति को गए आधा घंटा बीत चुका था। महेश अपने कमरे में टीवी देख रहा था नीलम को टीवी की आवाज़ सुनाई दे रही थी। नीलम ने सब्जी को तड़का लगा कर जैसे ही आटा गूंथना शुरू किया, उसके ससुर ने उसे पीछे से जकड़ लिया वो सेल्फ पर झुकी हुई आटा गूँथ रही थी इसिलए खुद को महेश की पकड़ से छुड़ा भी न पाई; महेश ने उसके मम्मों को दबाना मसलना शुरू कर दिया।
नीलम- क्या कर रहे हैं पिताजी, छोड़िए न आटा गूँथने दो न!
महेश- तुम आटा गूंथो, मैं तुम्हारे ये मोटे-2 मम्में!
महेश ने अपनी बहु की बड़ी बड़ी चूचियों को मसलते हुए कहा।
वो अपनी बहू की चूचियों को बुरी तरह मसल रहा था, रौंद रहा था और इसके साथ ही वो उसकी गर्दन चेहरे को चूमता जा रहा था.नीलम की सिसकारियाँ निकल रही थी, वो आटा बनाते हुए “आह… ओह… माँ… ओह पिताजी… आह…” कहकर पागल सी होती जा रही थी।
महेश ने अपना एक हाथ नीलम की मैक्सी के अंदर डाल लिया। नीलम ने उसका हाथ बाहर निकालने की कोशिश की तो महेश ने उसका स्तन बेहद बेहरहमी से मसल दिया “आइ… आ… आ… मर गई”नीलम चीत्कार कर उठी।
महेश- बहू, तुम्हारा आटा बन गया, अब चपातियाँ बनाओ, बाकी सब मुझ पर छोड़ दो। बड़ी प्यारी चूत है तुहारी देखो कैसे फड़फड़ा रहा है तुम्हारी चूत का दाना… यह मुझे कह रहा है कि इसे लौड़ा चाहिए… बहू कस के शेल्फ पकड़ लो !
नीलम- पिताजी प्लीज नहीं…
वो एक आखिरी कोशिश कर रही थी, उसने न चाहते हुए भी शेल्फ को दोनों हाथों से पकड़ लिया। झुकने के कारण उसकी चूत ऊपर की तरफ हो गयी।वह अब घोड़ी बन चुकी थी।
महेश ने नीलम को कमर से पकड़ लिया और लन्ड को चूत पर सेट करके ज़ोर से धक्का लगाया।
“आ… आ… माँ मर गयी मैं…” नीलम को लगा जैसे लोहे का मोटा डंडा उसकी बुर में डाल दिया गया हो।
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
महेश-आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् सालीईईई रंडीईईईई
तेरी गांड कितनी मस्त है।बिलकुल किसी कुतिया की तरह गरम गांड है तेरी साली रंडी।
नीलम-आह्ह्ह्ह्ह्ह पिताजीईईईई फाड़ दो अपनी रांड की गांड।बहुत खुजली हो रही है इसमें।
5 मिनट की गांड चुदाई में नीलम को भी मजा आने लगता है चुकी नीलम की पूरी गांड मक्खन से भरी हुई है इसीलिए ज्यादा तकलीफ नहीं होती । और नीलम भी मस्ती में अपनी गांड मरवाने लगती है
10 मिनट तक नीलम की गांड मारने के बाद वह फिर से अपनी बहु नीलम के चूत में लंड पेल देता है और फिर से नीलम की चूत की चुदाई करने लगता है
पर कुदरत भी अजीब है, लन्ड और चुदाई कैसी भी क्यों न हो, औरत की चूत और गांड उसके हिसाब से एडजस्ट कर ही लेती है ताकि चर्म सुख का आनन्द ले सके!
और ऐसा ही नीलम के साथ भी हुआ और धीरे धीरे उसका दर्द आनन्द में बदलने लगा… चीखों की जगह कामुक आहों ने ले ली- आह… आह… आह… ओह… आह… उम्म… उफ्फ… ओह्ह… अअ अअअ अअ… हहहहहह!
एक लंबी आह के साथ उसका बदन अकड़ा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
महेश ने उसे अपनी पकड़ से आज़ाद कर दिया पर नीलम निढाल शेल्फ पर ही पड़ी रही… उसे परमानन्द का अनुभव हो रहा था, उसके ससुर का घोड़ा लन्ड अभी भी उसकी चूत में था पर अब वो उसे अपने ही बदन का हिस्सा लग रहा था… लन्ड की गर्मी उसे अच्छी लग रही थी।
महेश- बहू… आज तूने कमाल कर दिया?
नीलम- पिताजी आपने तो पीस कर रख दिया है मुझे, मैंने क्या कमाल किया है, कमाल का तो आपका यह शैतानी लन्ड है।
महेश- आज तो तूने इसे भी फेल कर दिया, दो बार झड़ा हूँ और तू बस एक बार, इतनी कसी हुई चूत और गांड है तेरी कि यकीन नहीं होता।
नीलम- इतनी जल्दी आप तीन बार झड़ गए?
महेश- साली जल्दी थोड़े ही है।पूरे 45 मिनट से चुदाई कर रहा था तेरी।
नीलम- इतना टाइम। पर मुझे तो लगा कि कुछ ही मिनट हुए हैं… अब निकालो अपने लन्ड को पिताजी। मुझे रोटियां बनानी हैं।
महेश- लन्ड निकालने की क्या ज़रूरत है तू रोटियां बना मैं हल्के हल्के धक्के लगाता रहूंगा…बेटी।
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