09-24-2019, 02:03 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"शीला फिर तुम मम्मी के साथ सो जाओ" नरेश ने परेशान होते हुए कहा।
"नरेश ऐसा करते हैं मैं कंचन के साथ जाकर लेट जाता हूँ और तुम शीला को यहीं पर लेटने दो" अचानक विजय ने बीच में बोलते हुए कहा ।
"हाँ भैया आईडिया बुरा नहीं है" शीला ने भी विजय की बात को सुनकर कहा।
"बात तो ठीक है मगर किसी को पता चल गया तो वह गलत सोचेंगे" नरेश ने अपने सर को खुजाते हुए कहा।
"अरे किसी को की पता चलेगा, मैं सुबह को सवेरे आकर यहीं पर लेट जाऊँगा और शीला दीदी को अपनी बहन के कमरे में भेज दूंगा" विजय ने फिर से जल्दी से कहा।
"ठीक है भाई जैसे आपको अच्छा लगे करो" नरेश ने भी हार मानते हुए कहा।
"थैंक्स दीदी" विजय ने जल्दी से उठते हुए शीला को देखते हुए कहा और वहाँ से निकल कर अपनी दीदी के कमरे में आ गया । विजय ने अपनी दीदी के कमरे में आते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया ।
कंचन नाइटी में बेड पर लेटी हुयी थी, अपने भाई के कमरे में दाखिल होते ही उसका दिल ज़ोर से धडकने लगा और उसने नाटक करते हुए अपनी आंखें बंद कर दी।
"दीदी में आ गया हूँ" विजय ने अपनी बहन के क़रीब आते ही बेड पर बैठते हुए कहा।
कंचन ने अपने भाई का कोई जवाब नहीं दिया, वह सीधा लेटी हुयी थी और उसकी सांसों के साथ उसकी चुचियां बुहत ज़ोर से हील रही थी।
"दीदी उठो न क्यों सता रही हो" विजय ने अपना हाथ अपनी बहन के लम्बे बालों में ड़ालकर उसे सहलाते हुए कहा । कंचन फिर भी चुप रही और अपने भाई को कोई जवाब नहीं दिया ।
"वाह हमारी दीदी कितनी सूंदर है । शायद दुनिया की सब से ख़ूबसूरत लडकी, सोते हुए भी कितनी प्यारी लग रही है" विजय समझ गया की उसकी बहन सोने का नाटक कर रही है।उसने अपने हाथ से अपनी बहन के बालों को सहलाते हुए उसकी तारीफ करते हुए कहा।
विजय ने अब अपना हाथ अपनी बहन के बालों से निकालते हुए उसके गोर गालों को सहलाते हुए उसके गुलाबी होंठो पर अपने होंठ रख दिये । अपनी बहन के नरन नरम गुलाबी होंठो पर अपना हाथ पड़ते ही विजय का लंड उसकी पेण्ट को फाड़ने के लिए उतावला होने लगा ।
कंचन वैसे ही सोने का नाटक कर रही थी, विजय अपनी बहन के होंठो पर अपने हाथ फिराने के बाद नीचे होता हुआ अपना हाथ उसके काँधे से नीचे ले जाते हुए अपनी बहन की चुचियों की तरफ बढ़ने लगा।
कंचन अपने छोटे भाई के हाथ से बुहत ज़्यादा उत्तेजित हो चुकी थी । उसकी साँसें बुहत तेज़ चल रही थी और उसकी चूत उत्तेजना के मारे पानी टपकाने शुरू कर दिया था । विजय अपना हाथ धीरे धीरे नीचे कर रहा था, अब उसका हाथ अपनी बहन की चुचियों के ऊपर बने क्लीवेज तक पुहंच चूका था ।
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