06-26-2019, 02:56 PM,
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
एग्ज़िट से बाहर जाते समय राहुल बार बार दाएँ बाएँ देख रहा था | सलोनी उसकी साइड में चल रही थी, भीड़ ज़्यादा होने की वजह से लोगों के आपस में कंधे से कंधे टकरा रहे थे | सलोनी की नज़र अपने बेटे पर जाती है, वो कुछ परेशान सा इधर उधर देख रहा था | जब दोनो माँ बेटे की आँखे मिलती हैं तो सलोनी भवें उठाकर "क्या हुआ?" पूछती है | राहुल अपनी आँखे झुकाकर नीचे की और इशारा करता है | सलोनी की नज़र नीची होती है तो वो देखती है कि राहुल का लंड अकड़ा होने के कारण उसकी पेंट के सामने एक बड़ा सा तंबू बन गया था |
सलोनी लोगों के बीच से होती हुई राहुल के आगे चली जाती है | राहुल के एकदम सामने पहुँचकर वो पीछे मुड़कर राहुल को पास आने का इशारा करती है | राहुल समझ जाता है और अपनी मम्मी के पीछे लगभग चिपक जाता है | अब उसका लंड दिखाई नही दे रहा था बल्कि सलोनी की गांड को उसकी जीन्स के उपर से रगड़ रहा था | हालांकि इतनी भीड़ में यह बहुत मुश्किल था कि किसी का ध्यान राहुल की तरफ़ चला जाता मगर फिर भी बेटे का मज़ाक बनने का रिस्क वो नही लेना चाहती थी, सिनेमा में तरह तरह के लोग आते हैं खास कर शाम के शो पर | खैर इसी तरह चलते चलते वो गेट के पास पहुँच गये जहाँ कार पार्किंग थी | वहाँ भीड़ नही थी, इसलिए राहुल अपनी मम्मी के पीछे छिपकर नही चल सकता था | मगर उसकी किस्मत अच्छी थी उनकी कार गेट के पास ही में पार्क थी | राहुल लगभग भागता हुआ गाड़ी के पास पहुँचा, सलोनी ने हंसते हुए गाड़ी को दूर से रिमोट से अनलॉक कर दिया | राहुल गाड़ी के अंदर बैठ चैन की साँस लेता है | सलोनी गाड़ी में बैठ उसे स्टार्ट करती है |
शो अभी खत्म होने के कारण पार्किंग से रोड तक जाम लगा हुआ था | गाड़ियों के हॉर्न का शोर चारों तरफ़ से आ रहा था | सलोनी ने कुछ देर वेट करना उचित समझा |
"अभी पाँच मिनिट रुक कर चलते हैं, थोड़ा ट्रैफिक कम हो जाएगा" सलोनी राहुल की और मुड़ कर कहती है मगर राहुल को देखने से लग रहा था जैसे वो अभी भी परेशानी में था |
"अब क्या बात है?"
"वो मम्मी दुख रहा है?" राहुल उभार के ऊपर से अपने लंड को सहलाता हुआ बोला |
"तो तेरे को कौन कहता है इसको हर वक़त अकड़ा कर रखने के लिए .... जब देखो खंबे की तरह खड़ा कर लेता है .... ऐसा कर तू इसे बाहर निकाल ले"
"बाहर, जहाँ ... कोई भी देख सकता है मम्मी" राहुल इधर उधर देख कर बोलता है |
"तो क्या हुआ" सलोनी एक ड्रॉयर को खोलती है | उसमें से एक मैगज़ीन निकाल कर राहुल की और फेंकती है | "इससे ढँक लेना"
राहुल को यह स्कीम पसंद आती है | वो मैगज़ीन पेंट के उभार के उपर रखकर अपनी ज़िपर खोलता है और अपना लंड बाहर निकालता है | लंड के बाहर निकलते ही राहुल "ओह" करके चैन की साँस लेता है | उसके चेहरे से फ़ौरन राहत झलकती है | सलोनी उसे देखकर मुस्करा उठती है |
"ज़रा दिखा तो मुझे."
"अभी जहाँ ... नही-नही मम्मी" राहुल घबराता सा बोल उठता है |
"क्यों, अभी कौनसा इसे कोई देख लेगा? ज़रा मेरी और से थोड़ी सी मैगज़ीन उठा दे, मैं देख लूँगी" सलोनी राहुल को ज़ोर देते हुए कहती है |
"ठीक है मैं दिखाता हूँ, लेकिन पहले आपको वायदा करना होगा आप इसे टच नही करोगे और ना ही कोई ऐसी वैसी हरकत करोगे, आपने पहले ही मेरी हालत बहुत खराब कर दी है" राहुल अपनी मम्मी के आगे शर्त रखता है |
"ओह ......... तू तो लड़कियों की तरह नखरे दिखा रहा है ... उउन्न्नह मैं नही दिखायुंगी, सिर्फ देखना छूना नही ........ धीरे धीरे करो ना ... दर्द होता है ....... राहुल तू भी बस किसी नयी लड़की की तरह है ... अगर मैं कुछ करती हूँ तो तुझे प्राब्लम है अगर नही करती हूँ तो तुझे प्राब्लम है, मुझे तो यही समझ में नही आता तू चाहता क्या है"
सलोनी राहुल को तीखी नज़रों से घूरती है, राहुल अपनी मम्मी को आहत भाव से देखता है |
"चल ठीक है बाबा मैं कोई ऐसी वैसी हरकत नही करूँगी ...... अब दिखा भी दे" सलोनी थोड़ा मुस्करा कर कहती है |
राहुल एक बार आस पास नज़र डालता है खास करके अपनी मम्मी की तरफ़ | फिर वो अपनी तरफ़ से मैगज़ीन दबाकर सलोनी की तरफ़ वाला हिस्सा उपर उठाता है | सलोनी की नज़र राहुल के लंड पर पड़ती है, वो कुछ लम्हे लंड को बड़े ध्यान से देखती है | लंड इस कदर अकड़ा हुआ था कि वो झटका भी नही खा रहा था, एकदम पत्थर की तरह सख्त था | उसके उपर नसें उभर आई थी, सूपाड़ा इतना गहरा सुर्ख लाल दिख रहा था जैसे खून में डुबोया हो | एक तो लंड की लंबाई चौड़ाई पहले से ही ज़्यादा थी और उपर से वो इस कदर सख्त हो चुका था कि वो विकराल लंड देखने में ही बहुत भयानक दिख रहा था | यही लंड जब उसकी चूत में घुसेगा तो क्या धमाल मचाएगा ..... यह सोचते ही एक बार फिर से सलोनी की चूत गीली हो जाती है |
"उफफफफफफ्फ़ ..... आदमी की जगह घोड़े का लंड लगा कर घूमेगा तो वो पेंट में कैसे घुसेगा ...... दर्द तो होगा ही ना ........ उपर से अकड़ा कैसे रखा है ....... ऐसा लंड किसी लड़की की चूत में डालेगा तो बेचारी मर ही जाएगी ........ तुझे किसने कहा था इसे इतना लंबा मोटा करने के लिए ........."
सलोनी के चेहरे पर ऐसे भाव थे कि राहुल को पता लग रहा था कि वो मज़ाक कर रही है जा गंभीरता से बोल रही है | बहरहाल चाहे उसने वो अल्फ़ाज़ मज़ाक में कहे थे मगर राहुल के लंड को बहुत अच्छे लगे थे जो खुशी से थोड़ा और फूल गया था | वो कुछ कहना चाहता था मगर उसे सुझ नही रहा था वो कहे भी तो क्या कहे | अंत-तहा उसनें चुप रहना ही बेहतर समझा | सलोनी गाड़ी को पार्किंग से निकालने लगती है | राहुल फिर से मैगज़ीन को वापस अपनी जाँघो पर दबा लेता है | गेट के पास अभी भी थोड़ा रश था मगर उन्हे वहाँ से बाहर निकालने में ज़्यादा समय नही लगा |
रोड पर गाड़ी चलाते हुए सलोनी बीच बीच में राहुल को देख रही थी और मुस्करा रही थी | राहुल ने अपनी तरफ़ से गाड़ी का शीशा थोड़ा नीचे कर लिया था जिससे ठंडी हवा के झोंके अंदर आ रहे थे और राहुल मैगज़ीन को थोड़ा सा उपर उठाकर अपने लंड को ठंडी हवा लगवा रहा था जैसे उसकी अकड़ाहट कम पड़ने लगी थी और वो नरम पड़ने लगा था | राहुल ने वैसे तो अभी भी लंड को थोड़ा उपर करके मैगज़ीन रखी हुई थी मगर उसको अब गाड़ी चलती होने की वजह से किसी द्वारा देखे जाने का डर नही था |
तकरीबन बीस मिनिट की ड्राइव के बाद सलोनी ने गाड़ी को एक महँगे रेस्तराँ के सामने रोका | राहुल अपनी मम्मी की तरफ़ देखता है |
"अब इस वक़्त घर जाकर मुझसे तो खाना पकाया नही जाएगा वैसे भी मुझे भूख बहुत लगी है, तुझे भी लगी होगी ना" सलोनी के पूछने पर राहुल सहमति में सर हिलाता है | सच में उसे बहुत भूख लगी थी | पहले उसे खड़े लंड ने परेशान करके रखा था इसलिए उसका ध्यान भूख की तरफ़ नही था मगर अब जब लंड ढीला पड़ गया था तो उसे भी भूख महसुस होने लगी थी |
रेस्तराँ एक आलीशान होटल के ग्राउंड फ्लोर पर बना हुआ था | सामने एक बहुत बड़ी पार्किंग थी | सलोनी का पति महीने में एक दो बार उसे वहाँ लाया करता था |
"मुझे थोड़ा मेकअप सेट करना है, फिर चलते हैं ... तू भी अपने शेर को अपनी पेंट में घुसा ले और इसे अच्छी तरह से समझा दे कि रेस्तराँ के अंदर ज़्यादा उछल कूद ना मचाए" सलोनी बैग से छोटा आईना निकालकर होंठो पर लिपस्टिक लगाने लगती है |
कोई दस मिनिट बाद सलोनी और राहुल रेस्तराँ के अंदर बैठे थे | किस्मत से रेस्तराँ में ज़्यादा भीड़ नही थी | इसलिए सलोनी को खाली टेबल्स में से अपनी पसंद की टेबल मिल गयी | वो कॉर्नर की टेबल थी | सलोनी की पीठ दीवार की तरफ़ थी जबकि राहुल उसके सामने बैठा था और उसकी पीठ पीछे काउंटर की तरफ़ थी | अब सलोनी दीवार के पास बैठे होने के कारण रेस्तराँ का पूरा नज़ारा देख सकती थी जबकि राहुल रेस्तराँ के बाहर का | टेबल पर बैठते ही सलोनी ने और राहुल ने पानी पिया | सलोनी ने अपना बैग टेबल पर रखा और राहुल की और देखकर बहुत ही भोलेपन से मुसकराई | राहुल के कान खड़े हो गये | उसे लगने लगा कि उसकी मम्मी जहाँ भी कोई ना कोई शरारत करेगी |
राहुल का शक़ बिल्कुल सही निकला | अभी उन्हें टेबल पर बैठे कुछ पल भी नही गुज़रे थे कि राहुल को अपनी टांग से सलोनी का पाँव घिसता हुआ महसूस हुआ | सलोनी अपने पाँव से उसके घुटने तक उसकी टांग को सहला रही थी, बड़े ही मादक अंदाज़ में उसका अंगूठा बेटे की टांग पर रेखाएँ खींच रहा था | राहुल सलोनी की तरफ़ देखता है उसकी नज़र में चेतावनी थी | सलोनी ज्वाब में अपने कंधे झटका देती है | राहुल आस पास देखता है |
"अपनी कुर्सी आगे खीँचो ... पूरी जितनी आगे तक खींच सकते हो" सलोनी का पाँव राहुल के घुटने को सहला रहा था |
"मम्ममम्मी......." राहुल अपनी मम्मी से एतराज़ जताना चाहता था |
"मैने कहा अपनी कुर्सी आगे खीँचो" सलोनी का पाँव अब घुटने के उपर राहुल की जाँघ को सहला रहा था | राहुल का लंड आधा सख्त भी हो चुका था |
सलोनी की टोन रिक्वेस्ट की नही बल्कि ऑर्डर देने की थी | राहुल ठंडी साँस लेकर अपनी कुर्सी जितना हो सकता था आगे बढ़ा लेता है | सलोनी झट से अपना पाँव बेटे की जाँघ से उठाकर उसकी गोद में रख देती है और तेज़ी से सर उठा रहे उसके लंड को अपनी एड़ी से रगडती है | राहुल घबरा कर इधर उधर देखता है कि कोई उसकी और तो नही देख रहा और फिर टेबल के नीचे की और | टेबल पर सिर्फ कुर्सियों के पास खाली जगह थी बाकी पूरी गोलाई में टेबल के उपर से कपड़ा लटक रहा था जिससे टेबल के घेरे में एक परदा बन गया था और कुर्सी की खाली जगह पर खुद राहुल बैठा हुआ था | अब राहुल समझ गया कि उस लटकते हुए कपड़े के कारण कोई भी यह नही जान सकता था कि टेबल के नीचे क्या चल रहा है | सलोनी एक हाथ से टेबल को थपथपा रही थी जबकि दूसरा हाथ उसने कोहनी से मोड़कर अपनी ठोड़ी के नीचे रखा हुआ था और अपनी कोहनी टेबल पर टिकाई हुई थी | उसे देखने से कोई कतई अंदाज़ा नही लगा सकता था कि टेबल के अंदर वो क्या कर रही है | राहुल का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था | तभी राहुल को अपना लंड एक गिरफ़्त में महसूस होता है | सलोनी ने अपने दोनो पाँव उसकी गोद में रख जीन्स के उपर से उसके लंड को पकड़ लिया था | उसका लंड अब फिर से दर्द कर रहा था |
"मम्मी प्लीज़ ......... यहाँ नही" राहुल सलोनी को मिन्नत की नज़र से देखता कहता है |
"यहाँ नही....क्यों यहाँ क्यों नही" सलोनी उसी तरह कोहनी पर हाथ टिकाए बेटे से कहती है |
"कोई देख लेगा मम्मी........ प्लीज़ यहाँ मत कीजिए ........" राहुल फिर से मिन्नत करता है |
तभी सलोनी राहुल की पीठ पीछे वेटर को अपनी तरफ़ आते हुए देखती है | वेटर टेबल पर जूस के ग्लास रखता है और सलोनी से मुखातिब होता है और उसे ऑर्डर के लिए पूछता है | सलोनी मेनू पर टिक्क करके उसे पकड़ा देती है | इस सारे समय दौरान उसने राहुल के लंड को रगड़ना नही छोड़ा था | फिर वेटर राहुल की और मुड़ता है जिसने टेबल पर कुहनियाँ रखकर अपने चेहरे पर हाथ रखे हुए थे | वो अति उत्तेजित था | उसका चेहरा तमतमाया हुआ था | वो नही चाहता था कि वेटर उसके चेहरे को देखे |
"राहुल अपना ऑर्डर दो" सलोनी बेटे को आवाज़ देती है जो वेटर की वहाँ मोजूदगी से भली भाँति परिचित था | कोई चारा ना देख राहुल चेहरे से हाथ हटाता है और वेटर के हाथ से मेनू ले लेता है | वो वेटर से आँख नही मिलाता और सर झुकाए जल्दी जल्दी मेनू पर टिक्क कर देता है | वेटर सलोनी को मुस्कराकर बताता है कि ऑर्डर सर्व करने में पँद्रह मिनिट लग जाएँगे और इसके बाद वो वहाँ से चला जाता है |
सलोनी जूस का ग्लास पकड़ कर राहुल की और देखती है और उसके लंड को ज़ोर से अपने पाँव में दबा मसलती है |
"मम्मी दर्द हो रहा है" राहुल अपनी मम्मी की तरफ़ देख फिर से आँखो ही आँखो में मिन्नत करता है |
"अपनी ज़िपर खोल कर इसे बाहर निकालो" सलोनी उसकी बिनती की कोई परवाह ना करती कहती है |
"मम्मी प्लीज़ जहाँ नही......कोई देख लेगा......घर चलकर जैसे चाहे कर लीजिएगा"
"मैने भी सिनेमा हॉल में तेरी ऐसी ही मिन्नत की थी याद है? तूमे मेरी बात मानी थी" सलोनी पलटवार करती है |
"आई एम सॉरी मम्मी आगे से आपकी हर बात मानूँगा ....... प्लीज़ अब नही करिए"
"मैने कहा अपनी ज़िपर खोलो" सलोनी राहुल की मिन्नत मनाल को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करते बोलती है |
राहुल रुआंसा सा मुँह करके टेबल के नीचे अपने हाथ ले जाता है और अपने लंड को बाहर निकाल लेता है | वो बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहा था | उसे लग रहा था जैसे पुरे रेस्तराँ में उन सब लोगों के बीच वो अकेला नंगा बैठा हो | सलोनी लंड को आराम आराम से अपने पंजो के बीच कस कर दबाती है, सहलाती है, रगडती है | राहुल अपनी सिसकियाँ दबाने के लिए अपने होंठो पर अपने हाथ रख लेता है |
"मज़ा आ रहा है ना" सलोनी राहुल की तकलीफ़ का आनंद उठाती कहती है | राहुल कुछ नही बोलता बल्कि अपनी मम्मी को खा जाने वाली नज़रों से देखता है | हालांकि सलोनी की बात बिल्कुल सही थी | उसे सच में बेहद्द मज़ा आ रहा था | मगर सलोनी जिस तरह उसकी आग को हवा देकर भड़का रही थी उससे उसे डर था कहीं वो बेकाबू ना हो जाए | जो डर सलोनी को सिनेमा हॉल में सता रहा था वही अब राहुल को सता रहा था |
स्लोनी अपने अंगूठे के नाख़ून से लंड की कोमल त्वचा को कुरेद रही थी जबकि दूसरे पाँव का अंगूठा लंड के सुपाड़े को मसल रहा था | कुछ ही पलों में राहुल को अपने टटों में वीर्य उबलता महसूस होने लगा | वो अभी सलोनी को कहने ही वाला था कि वो छुटने के करीब है कि तभी उसकी रक्षा करने हेतु वेटर वहाँ पहुँच गया | वेटर खाना सर्व करने लगा | राहुल ने अपना सर झुकाए रखा और अपनी सांसो के शोर को दबाने का प्रयत्न करने लगा |
"अपना खाना खाओ" वेटर के जाते ही सलोनी राहुल को बोलती है जो खाने की तरफ़ देख भी नही रहा था | सलोनी उसके लंड से पाँव हटा लेती है और अपना खाना खाने लगती है | राहुल चैन की साँस लेता है | उसका लंड लगभग पिचकारी मारने के करीब पहुँच चुका था | दोनो माँ बेटा खाना खाने लगते हैं | खामोशी से खाना खाते हुए सलोनी बेटे को बीच बीच में देखती रहती है और मुस्कराती रहती है |
खाना खत्म होते ही सलोनी के पाँव फिर से राहुल की गोद में पहुँच जाते हैं | वो फिर से राहुल का लंड मसलने लग जाती है जो खाने के बाद भी ज्यों का त्यों सख्त था | इससे पहले राहुल अपनी मम्मी को कुछ कह पाता फिर से वेटर वहाँ पहुँच गया | सलोनी ने उसे बिल और उन दोनो के लिए आइस्क्रीम लाने के लिए कह दिया | वेटर के जाते ही सलोनी ने अपनी दोनो एडियाँ राहुल के लंड पर कस दी और तेज़ी से अपने दोनो पाँव उपर नीचे करने लगी |
"मम्मी प्लीज़.......ओह गॉड ...... मम्म्ममी" राहुल सिसक उठता है |
"मज़े लूट ले बेटा ... ऐसा मज़ा तुझे सिर्फ तेरी मम्मी दे सकती है" सलोनी के पाँव और भी तेज़ होते जा रहे थे |
"मम्मी मेरा निकलने वाला है ......" राहुल को लगा किसी भी पल उसके लंड से वीर्य फूट पड़ेगा |
"कंट्रोल कर .... यहाँ नही गिरना ... मुझे तेरा रस पीना है" सलोनी बेटे को देखती अपने होंठो पर जीभ फेरती है | उसका सीना भी कुछ कूछ उपर नीचे होने लगा था |
"फिर आप अपने पाँव हटा लीजिए .... वरना मुझसे नही होगा .... मेरा निकल जाएगा मम्मी" राहुल सिसक रहा था और बुरी बात यह थी कि उसे अपनी सिसकियाँ दबानी पड़ रही थी |
"खबरदार ...... मैने कहा ना मुझे तेरा रस पीना है ........ अगर तूने अपना माल यहाँ गिराया तो तुझे मेरी गांड क्या चूत भी मारने को नही मिलेगी | मैं आज के बाद कभी तुझे अपनी मारने नही दूँगी ........ मारने क्या हाथ भी नही लगाने दूँगी ... अगर मेरी चूत चाहिए तो कंट्रोल कर" सलोनी फुसफुसा कर बेटे के आगे शर्त रख देती है |
"उउउफफफफ्फ़ मम्म्ममी .................." राहुल का जिस्म कांप रहा था | लंड ने झटके मारने शुरू कर दिए थे | राहुल टेबल के सिरों को कस कर पकड़ लेता है | वो बहुत गहरी गहरी साँसे ले रहा था | अपनी पूरी मनोशक्ति का इस्तेमाल कर वो खुद को झड़ने से रोकने का प्रयत्न कर रहा था | जितनी वो कोशिश कर रहा था उतनी ही सलोनी भी कोशिश कर रही थी | राहुल ने होंठ भींच लिए, अपनी आँखे बंद करली, मुट्ठियाँ भींच ली, वो गिनती करने लगा कि अब कितने सेकेंड तक वो खुद को रोक सकता है ....... एक ..... दो...... तीन .... चार ...... पाँच ....... अचानक उसका लंड एक ज़ोर का झटका ख़ाता है क्योंकि सलोनी ने अपने पाँव की गिरफ़्त से उसे आज़ाद कर दिया था | राहुल अपनी आँखे खोल देता है | टेबल के पास वेटर खड़ा था | सलोनी पर्स से पैसे निकाल उसे देती है और वेटर आइसक्रीम रख कर वहाँ से निकल जाता है | राहुल को अब भी लग रहा था जैसे उसका लंड वीर्य छोड़ देगा | मगर सलोनी आराम से बिना कोई हरकत किए आइस्क्रीम खाने लगती है | थोड़ा सा संभल कर राहुल भी आइस्क्रीम ख़ाता है | आइस्क्रीम की ठंडक उसके पेट में तो शीतलता प्रदान कर देती है मगर उसके लंड का सूपाड़ा जल रहा था |
"इसे पेंट में डाल और चल ... घर चलते हैं ... जल्दी कर" सलोनी की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी | उसके निप्पल अकड़े हुए थे वो खुद उस समय चूदने को बेकरार हो उठी थी |
"अंदर कैसे डालूं, यह पेंट में नही घुसेगा अब" अब राहुल को नयी चिंता सता रही थी |
"पेंट को खोल कर इसके उपर बाँध ले ... जल्दी कर" सलोनी टेबल से अपना पर्स उठाती है और कार पार्किंग के लिए निकलती है |
मरता क्या ना करता, राहुल पेंट को खोलता है और उसे लंड के उपर बाँध लेता है | वो अपने लंड को तो छुपाने में सफल हो गया था मगर पेंट टाइट होने की वजह से और उपर से उसका लंड बुरी तरह फूला होने के कारण उसके लंड में दर्द महसूस हो रहा था और उपर से चलने के समय उसका लंड उसके पेट से घिसने लगा | राहुल अभी भी बहुत उत्तेजित था उसे लगने लगा कि कार तक पहुंचने से पहले ही उसका वीर्य निकल जाएगा | वो बहुत संभल कर कदम रख रहा था मगर फिर भी लंड का पेट पर घर्सन तो हो ही रहा था | राहुल हर कदम पर भगवान से प्रार्थना कर रहा था | उसके लिए तो गाड़ी तक पहुँचना भी भयानक यातना हो गयी थी | मगर अब किसी द्वारा देखे जाने का भय नही था क्योंकि पार्किंग में अंधेरा था मगर फिर भी उसे अपनी मम्मी के बोल याद थे | पार्किंग में उस समय कोई भी नही था | सलोनी आगे चलती गाड़ी के पास खड़ी हो जाती है | राहुल हल्का हल्का लंगड़ा रहा था | राहुल जैसे ही गाड़ी के पास जाकर ड़ोर खोलने के लिए हाथ आगे बढ़ाता है तो सलोनी उसका हाथ पकड़ लेती है | वो राहुल को अपनी तरफ़ घूमाती है और नीचे बैठ जाती है |
राहुल की आँखे फैल जाती हैं | वो तुरन्त आस पास देखता है मगर कोई नही था | सलोनी पेंट की हुक खोल देती है और लंड एक बार फिर से खुली हवा में लहरा उठता है | सलोनी लंड को पकड़ अपने घुटने ज़मीन पर टिका उँची होती है और झट से लंड के सुपाड़े को मुँह में भर लेती है | सलोनी के मुख की गर्माहट और जीभ का खुरदरापन अपना कमाल दिखाते हैं, राहुल का जिस्म कांपने लगता है | वो अपने हाथ अपनी मम्मी के सर पर रख अपना लंड उसके मुँह में पेल देता है और लंड से गर्म गर्म गाढ़े रस की पिचकारियाँ निकलने लगती हैं | वो नाज़ाने कब से खुद को रोके हुआ था मगर सलोनी के मुँह में लेने के बाद उसके लिए अपने लंड को झड़ने से रोकना नामुमकिन हो गया था |
"आअहह ........ मम्म्मममी .... गॉड ........ म्म्मम्म्मी .......... आअहह ............" राहुल सिसक रहा था | उसके लंड से वीर्य की फुहारें सलोनी के मुँह को बार बार भरती जा रही थी जो अपनी तरफ़ से भरसक प्रयत्न कर रही थी कि एक भी बूँद वीर्य की बाहर ना गिर जाए | दोनो ही बात को बिल्कुल भूल चुके थे कि वो कहाँ थे और क्या कर रहे थे | राहुल को ऐसा लग रहा था जैसे उसके जिस्म से वीर्य नही उर्जा निकल रही हो, उसमें से जिस्म की सारी ताक़त निकल रही हो | एक तरफ़ उसे पीड़ा अनुभव हो रही थी तो वहीं उसे जबरदस्त मज़ा भी आ रहा था | एक तरफ़ उसे अपनी रूह आत्मा में शांति फैलती महसूस हो रही थी और दूसरी तरफ़ उसके बदन में कमज़ोरी फैलती जा रही थी | उसके घुटने मुड़ने लगे थे | वो पीछे को गाड़ी के ड़ोर का सहारा लगा लेता है |
आख़िरकार राहुल का लंड पिचकारियाँ मारनी बंद कर देता है मगर सलोनी उसे लगातार जड़ से सिरे तक खूब दबा दबा कर निचोड़ती है और वीर्य की जो कुछ बूंदे उसके अंदर बच गयी थी उसे निकाल कर चुस्ती है | आख़िरकार लंड से वीर्य निकलना बंद हो जाता है | सलोनी पेंट की हुक लगाती है और उठकर खड़ी हो जाती है | वो कार का ड़ोर खोल कर राहुल को अंदर घुसने में मदद करती है | जो कार के ड़ोर का सहारा लिए खड़ा था और लगभग बेसूध था | अगर पीछे ड़ोर ना होता तो शायद वो नीचे गिर जाता | सलोनी घूमकर गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर बैठती है और गाड़ी को बाहर निकालती है |
राहुल अधमुंदी पलकों से अपनी मम्मी को देख रहा था | वो इस समय बिल्कुल शान्त था | उसे एक अलग ही किस्म का अनुभव हो रहा था | स्खलन के समय होने वाले आनंद में अभी भी उसका जिस्म झूम रहा था | सलोनी गाड़ी चलाती राहुल को देखती है और उसके चेहरे पर ऐसी संतुष्टि देखकर वो मुस्करा पड़ती है | वो राहुल के बालों में हाथ फेरती है |
"मेरा बच्चा ...... मेरा बेटा .......... मेरा लाल ........" सलोनी उसे दुलारती है |
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
घर तक गाड़ी पहुँचते पहुँचते राहुल में जान लौट आई थी | उसने इतने समय से अपने स्खलन को रोका हुआ था जबकि वो पिछले लगभग आठ घंटे से लगातार उत्तेजना की चरम सीमा पर था | और अन्त्तहा जब वो सखलित हुआ तो उसका स्खलन इतना तीव्र था कि उसे लगा जैसे उसके जिस्म से पूरी उर्जा ही निकल गयी थी | मगर अब उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था | जिस्म से बैचेनी निकल चुकी थी | बदन हल्का फुल्का हो गया था |
सलोनी और राहुल दोनो सामान निकाल किचन में ले जाते हैं | एक बार सामान काउंटर पर रखकर सलोनी राहुल की और मुड़ती है |
"कुछ खाना है ...... मुझे मालूम है तुम्हे भूख लग रही होगी"
"हूँ.... सच में भूख लग रही है मम्मी" राहुल पेट पर हाथ फेरता हुआ बोला |
"अब सारा माल तो मेरे मुँह में उडेल दिया, भूख तो लगेगी ना" सलोनी की बात पर राहुल शर्मा जाता है |
"ठीक है मैं कुछ लाइट सॅंडविच बना देती हूँ और साथ में दूध बना लेती हूँ ... अब तुम्हारी खुराक का पूरा ध्यान रखना पड़ेगा, दिन रात इतना ज़ोर जो लगा रहे हो" सलोनी मुस्करा कर राहुल के गाल पर हाथ फेरती है तो वो और शर्मा जाता है | सलोनी आगे बढ़कर उसके गाल पर एक ज़ोरदार किस करती है |
"दिल करता है खा जायूं तुम्हे" स्लोनी राहुल के निचले होंठ को अपने दांतो में चबाते बोली | फिर वो उसके होंठो को कई बार चूमती है और आख़िरकार ना चाहते हुए भी अपना रुख़ गैस स्टोव की और कर लेती है | राहुल का इतने प्यार दुलार से ही दिल खुश हो गया था, उसका लौड़ा भी जो पेंट में करवटें लेने लगा था कुछ ज्यादा ही खुश था | सलोनी दूध उबलना रखती है और उसमें कुछ और सामान डाल देती है | फिर वो दोबारा राहुल की और मुड़ती है |
"ज़रा रसोई के पर्दे तो बंद करदो" सलोनी राहुल से कहती है | राहुल पर्दे गिराकर जब वापस सलोनी की और घूमता है तो उसकी आँखे फैल जाती है, लेकिन अगले ही पल उसके होंठो पर मुस्कराहट आ जाती है | सलोनी अपना कुर्ता अपने बाजूयों से निकाल चुकी थी | अब वो ब्रा में थी | कुर्ता निकाल वो एक कुर्सी पर डाल देती है और राहुल की और देखकर मुस्करा उठती है | वो अपनी बाहें पीछे ले जाकर अपनी ब्रा के हुक खोलने लगती है तो राहुल आगे बढ़ता है और अपनी मम्मी की पीठ पीछे चला जाता है |
"हुन्न्ह ....... दिन पर दिन समझदार होते जा रहे हो" सलोनी चेहरा मोड़कर कंधो के उपर से राहुल को कहती है जो कि उसकी ब्रा का हुक खोल रहा था | राहुल हुक खोल देता है और सलोनी उसकी और घूम जाती है | ब्रा उसके मोटे मुम्मों पर ढीली हो चुकी थी मगर गिरती नही है | वो राहुल की आँखो में देखती है जिसकी निगाह उसके मुम्मों पर जमी हुई थी | राहुल नज़र उठाता है तो सलोनी की तीखी नजरों को अपने चेहरा पर जमे पाता है | वो शर्मीली सी मुस्कराहट के साथ अपने हाथ उपर उठाता है और धीरे से सलोनी के कंधो से ब्रा के स्ट्रेप पकड़ कर उसकी बाहों से निकालने लगता है | सलोनी बाहें आगे करके मुस्कराती हुई उसकी मदद करती है |
राहुल ब्रा को उसी कुर्सी पर डाल देता है जिस पर उसका कुर्ता पड़ा था | वो घूमता है और सलोनी के मुम्मों पर कोमलता से हाथ फेरता है | उसके कड़े निप्पल उसकी हथेलियों को रगड़ते हैं |
"उउम्म्मह.....क्या इरादा है जनाब का?" सलोनी अपनी नंगी कमर पर हाथ रखे बेटे को छेड़ती है | राहुल कोई ज्वाब नही देता और उसके लंबे कड़े निप्पलों को अपने अंगूठे और उंगलियों में मसलता है |
"उउउम्म्मह......रुक ज़रा...." सलोनी राहुल के हाथों पर अपने हाथ रख उसके हाथों को अपने मुम्मों से हटा देती है और उन्हे अपनी पेंट की हुक पर रख देती है | "पहले मेरी पेंट खोल......."
राहुल और खुश हो जाता है | वो जल्दी जल्दी झुक कर अपनी मम्मी की पेंट की हुक खोलने लग जाता है | सलोनी उसके बालों में हाथ घूमाती है | राहुल हुक खोल पेंट को नीचे खिसका देता है |
"कच्छी भी...... मेरी कच्छी भी निकाल दो" राहुल पेंट को घुटनो पर रोक सलोनी की भीगी कच्छी को नीचे खिसका देता है और फिर पेंट समेत उसके पाँव से निकाल देता है | वो अपने हाथ को सलोनी की चूत के उपर रखकर उसे सहलाता है | राहुल चूत की खुशबू को दूर से भी सूंघ सकता था | सलोनी उसके चेहरे को पकड़ उसे खड़ा होने का इशारा करती है | राहुल के खड़ा होते ही सलोनी उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर देती है |
"मेरी जांघें चिप चिप कर रही थी ...... कच्छी भी पूरी भीग गयी थी" सलोनी शर्ट को बाहों से निकालते बोलती है | शर्ट निकाल वो नीचे बैठ पेंट की बेल्ट खोलती है |
"मगर मम्मी मैने तो सिनेमा में अच्छे से साफ की थी" अब राहुल अपनी मम्मी के बालों में हाथ फेर रहा था और वो उसकी पेंट नीचे खिसका रही थी |
"उउउम्म्म्मह....... बाद में रेस्तराँ में खाने के समय जब तुम्हारा लंड मसल रही थी ........... और फिर जब पार्किंग में तेरा लंड चूसा था तो मेरी फिर से गीली हो गयी थी.... देखा ना तूने मेरी कच्छी कितनी भीगी हुई थी" सलोनी राहुल के अंडरवेयर को खींच कर नीचे करके उसके आठ इंच के लंबे मोटे लौड़े को नंगा कर देती है जो खुली हवा में आते ही बुरी तरह झटके खाने लगता है |
"आपने तो मुझे भी कितना परेशन कर दिया था .... एक तो आपने मेरा निकालने वाला कर दिया और फिर उपर से कहने लगी कि वहाँ छूटना भी नही चाहिए और फिर पार्किंग में ही चूसने लगी.... कहीं कोई देख लेता तो?" राहुल अपनी नाराज़गी जाहिर करता है | सलोनी हँसती हुई उसकी पेंट उतारती है | अब दोनो माँ बेटे नंगे थे | राहुल का लौड़ा पूरा तना हुआ झटके मार रहा था तो सलोनी की चूत भी पानी बहा रही थी |
"देख तो बेशर्म को फिर से सर उठा लिया है ........... कितनी बार एक दिन में मेरी लेगा कि यह ठंडा पड़ जाए" सलोनी लंड को खींचती है तो राहुल हल्का सा हंस पड़ता है | सलोनी उठ कर खड़ी होती है और दूध की तरफ़ देखती है और गैस को थोड़ा कम कर देती है और फिर से राहुल की और मुड़ती है |
"अच्छा तुझे अच्छा नही लगा जब पार्किंग में तेरा लौड़ा चूसा था मैने ........ मूझे लगा तुझे बहुत मज़ा आया होगा ........... माल तो तूने इतना निकाला था जितना तेरा बाप तीन बार में भी नही निकाल सकता .... हुं?" सलोनी पुरे लौड़े को हाथ से सहलाती खींचती बोलती है |
"मज़ा तो आया था ... मगर मम्मी ......." राहुल थोड़ा शर्माता सा बोला "मुझे डर लग रहा था कहीं कोई देख ना ले ......... मैं नही चाहता था आपको कोई नुकसान हो" राहुल के लिए अपनी चिंता देख सलोनी उसके लौड़े को छोड़ देती है और उसके गले में बाहें डाल देती है |
"हूँ सच में मेरी बेवकूफी थी ....... मगर क्या करती .... एक तो तेरी हालत खराब थी और उपर से मुझसे कंट्रोल नही हुआ ...... बस एकदम से तेरा रस पीने के लिए बेकरार सी हो उठी ..... दिल तो कर रहा था वहीं रेस्तराँ में उन सब लोगों के सामने तेरा लौड़ा चुसुं और उन सबके सामने तुझसे चुद्वायुं .......... कितना मज़ा आता ना" सलोनी और राहुल एक दूसरे के सामने खड़े थे | राहुल ने अपनी मम्मी की कमर पर हाथ रखे हुए थे जबकि सलोनी ने उसके गले में बाहें डाली हुई थी |
"सबके सामने वहाँ ......... आप मुझसे ....... करवाती .." राहुल कंपकँपाती आवाज़ में बोला | उसका लौड़ा अपनी मम्मी की अश्लील भद्दी बातों से खूब जोश में आकर ज़बरदस्त झटके मार रहा था |
"करवाती नही, चुदवाती तुझसे .... वहाँ उन सब लोगों के बीच तेरे लौड़े को अपनी चूत में डलवाती .... टेबल के साथ घोड़ी बनकर तुझसे अपनी चूत मरवाती या फिर टेबल पर लेटकर तेरे कंधो पर अपनी टाँगे रखकर तुझसे चुदवाती" राहुल से रहा नही जाता और वो अपनी मम्मी को खींच लेता है और अपनी बाहें उसकी पीठ पर कस देता है | सलोनी अपने पंजो के बल उँची उठती है और दोनो माँ बेटा बरसों के प्यासों की तरह एक दूसरे के होंठो पर अपने होंठ रख देते हैं | एक दूसरे के मुख में जीभ धकेल वो एक दूसरे के मुख रस को चखने लग जाते हैं | राहुल अपने हाथ अपनी मम्मी की पीठ से नीचे उसके नितम्बों पर रख देता है और उन्हे भींच कर उसकी गांड को अपने लौड़े पर दबाता है और अपनी कमर आगे धकेलता है | उसका लौड़ा सलोनी की चूत पर रगड़ता है | लंड चूत के होंठो को फैलाता सलोनी के दाने को सहला देता है | सलोनी "उउउन्न्नह" करके अपने बेटे के मुँह में सिसक पड़ती है | जैसे ही दोनो के होंठ जुदा होते हैं राहुल फिर से अपनी कमर हिलकार अपना लौड़ा अपनी मम्मी की चूत पर रगड़ता है |
"आआहह ........ जालिम ...........क्या कर दिया है तूने मुझे" सलोनी सिसक पड़ती है और दोनो के होंठ फिर से जुड़ जाते हैं | एक लंबा चुंबन चलने लग जाता है | दोनो माँ बेटा एक दूसरे की कमर पर अपनी कमर नचा रहे थे | इस बार जब दोनो के होंठ जुदा होते हैं तो सलोनी आराम से अपने नितंबो से राहुल के हाथ हटा देती है और दूध को देखती है जिसमें उबाल उठने शुरू हो चुके थे | सलोनी गैस को थोड़ा और कम कर देती है | राहुल के सामने अपनी मम्मी के गोल मटोल उभरे हुए नितंब थे, राहुल अपने हाथ से सलोनी की गांड सहलाता है | सलोनी उसकी और मुड़ती है |
"यहाँ बैठ काउंटर पर........दूध में उबाल आने वाला है | राहुल ग्रेनाईट के ठंडे काउंटर पर गैस स्टोव के पास बैठ जाता है | अब सलोनी बेटे के साथ साथ दूध का भी ख़याल रख सकती थी | वो राहुल के लंड को अपने हाथ में पकड़ लेती है | राहुल अपनी मम्मी को मुम्मों को सहलाता है |
"मम्मी आप सच में इतने लोगों के बीच....मुझे....." राहुल को यकीन नही आ रहा था |
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
राहुल नहाकर बाथरूम से बाहर आता है और रिमोट उठाकर टीवी चैनल चेंज करने लगता है। एक म्यूजिक चैनल लगाकर वो आईने के सामने अपने बाल सँवारने लगता है। उसने कमर पर तौलिया लपेटा हुआ था। वो अभी सोच ही रहा था के के ऊपर जाकर अपने पहनने के लिए कपडे ले आये के तभी कमरे के दरवाजे पर नोकिंग होती है। राहुल दरवाजा खोलता है तोह सामने सलोनी दोनों हाथों में ढेर सारा सामान पकडे खड़ी थी। एक हाथ में गिलास और दूध और दूसरे में एक प्लेट में सैंडविच रखे हुए थे वो अभी भी पूरी नंगी थी।
"नहा लिया तुमने?" सलोनी बेड पर सामान रखते पूछती है। दोनों प्लेट्स और गिलास रखने के लिए उसे हल्का सा झुकना पढता है और राहुल जो उसके पीछे खड़ा था तरुंत अपनी निगाह सलोनी की हलकी सी चौड़ी टांगों के बिच उसकी चुत पर मारता है। सलोनी की चुत के होंठ एकदम बंद थे और उसकी चुत से उसका वीर्य बेहता हुआ निचे उसकी जांघो तक चला गया था। सलोनी ने अभी तक उसका वीर्य भी साफ़ नहीं किया था।
"मैंने केहा नाहा लिया तुमने" सलोनी सामान रखकर पीछे घुमति है और राहुल के चेहरे को देखकर उसे माजरा समज में आ जाता है।
"तुम मरद लोग भी न बस चुत के सिवा तुम्हे कुछ और नज़र ही नहीं आता" सलोनी रहल को डांटने के स्वर में केहती है और हाथ आगे बढाकर उसका तौलिया कमर से खींच लेती है। राहुल पूरा नंगा हो जाता है। उसका लौडा आधा सखत हो भी चुका था। सलोनी बेटे के लंड को देखति हताशा में सर घुमाति है।
"मैं नहाकर आती हुण। तुम सैंडविच खाओ गरमा गरम" सलोनी तेज़ी से बाथरूम की और बढ जाती है और राहुल की नज़र अपनी मम्मी की गण्ड का तब तक पीछा करती है जब तक के वो बाथरूम के अंदर दाखिल नहीं हो जाती। वो अपने तेज़ी से सखत हो रहे लंड को पकढ़ कर झटका देता है। उसे अब सैंडविच की भूख नहीं थी, उसे तोह अब बास एक ही चीज़ चाहिए थी जिससे उसकी भूख मिटने वाली थी और वो थी अपनी मम्मी की चुत।
सलोनी को बहुत ज्यादा समय नहीं लगा नहाने में। कोई दस् मिनट बाद वो बाथरूम से अपने बाल तौलीये से सुखाते हुए निकलती है। वो अब भी पूरी नंगी थी। वो रहल की और देखति है जो अपनी जांघो पर तकिया रखे बेड की पुशत से टेक लागए बैठा टीवी देख रहा था या फिर टीवी देखने की कोशिश कर रहा था। सलोनी के अंदर घुसते ही उसकी नज़र फिर से अपनी मम्मी के दूधिया, गुदाज़ बदन पर घुमने लग्ग जाती है। सलोनी बाहें ऊपर उठाये अपने बालों को तौलीये से रगढ रही थी, इस्लिये उसके मोठे मुम्मे भी कुछ ऊपर उठे हुए थे। और उसकी बाहें हिलने के कारन तेज़ी से ऊपर निचे उछाल रहे थे। राहुल अपनी मम्मी के उन रसीले मुम्मो को को यूँ उचलते देखता है तोह उसके मुंह में पाणी भर जाता है। सलोनी अपना मुख आईंने की और मोड कर खड़ी हो जाती है और झुक कर ड्रावर को खोलती है।
राहुल अपने सामने अपनी मम्मी की छूट और उसकी गण्ड का छेद साफ़ साफ़ देख सकता था। हालाँकि उसकी चुत के होंठ बंद थे मगर चुत का यूँ बेपरदा होना ही उसको तडपा देणे के लिए काफी था। मगर सलोनी ज्यादा समय तक्क झुकि नहीं रही और ड्रावर से हेयर ड्रायर निकाल कर अपने बाल सुखाने लगती है। राहुल के सामने अपनी माँ के गोल मटोल नितम्ब थे। बिलकुल कसी करारी गण्ड थी सलोनी कि, किसी भी मरद का देखते ही पाणी निकल जाए। उसकी गोरी पीठ से जेहा उसके नितम्ब सुरु होते थे बिलकुल वहा को गोलाकार कर्व में उसके नितम्ब उभरे हुए थे। राहुल उन्हें देखते याद करता है के उसके मम्मी ने कोकोनट आयल भी ख़रीदा है ताकि वो राहुल का लम्बा मोटा लौडा अपनी टाइट गण्ड में आसानी से ले सक। राहुल के दिमाग में जैसे ही वो विचार आता है और वो अपने मन में अपनी माँ की गण्ड में अपना लौडा घुसाने की कल्पना करता है तो उसका लौडा तकिये के निचे एक ज़ोरदार झटका मरता है। राहुल उत्तेजना में अपने लंड पर तकिया दबाकर उसे हलके से मसलता है।
सलोनी आईने में से बेड पर बैठे राहुल की हरकतों को देख रही थी। जब्ब वो ड्रायर उठाने के लिए निचे झुकि थी उसने सर उठकर राहुल को उसकी जंगो के बिच झाँकते देखा था। अब भी जब्ब वो इतने समय से उसके दूधिया नितम्बो को घूर रहा था और जब्ब राहुल लौडे पर तकिया दबाकर उसे मसलता है तोह सलोनी के होंठो पर मुस्कान खेल जाती है। उसके निप्पल्स में कुछ तनाव आने लगता है और वो अपनी चूत को भीगते महसूस करती है। वो समज सकती थी के तकिये के निचे राहुल का लंड कैसे फुंकार रहा होगा।
सलोनी ड्रायर को वापस ड्रावर में डाल अपने बालों पर एक रबड़ बांद डालती है और बेड पर चढ़ अपने बेटे के पास चलि जाती है। उसके बदन पर उस रबड़ बंद के शिव सके कानो के झुम्के और नाक की बलि थी। सारा सामान यूँ का यूँ पड़ा हुआ था। राहूल ने किसी चीज़ को हाथ तक्क नहीं लगया था। सलोनी भी बेड से पुशत लगाकर राहुल से एकदम सट कर बैठ जाती है। राहुल का लंड अपनी मम्मी के बदन की गर्मी और उसके जिसम से नहाने के बाद आ रही ताज़ी मेहक से और भी ज़ोरों से फड़कने लगता है। सलोनी हाथ आगे बढाकर खाने के सामान को अपने पास खींच लेती है।
" मैंने तुझे केहा था तू गरमा गरम सैंडविच खा लेना?"
"मम्मी मेरा अकेला खाने का मनन नहीं किया मैने सोचा आप आ जायो फिर एक्कठे खाते हैं।"
राहुल की बात पर सलोनी झटके से राहुल की गोद से तकिया पकड़ कर खींचती है और उसे अपनी पीथ पीछे लगा लेती है। सामने राहुल का लौडा पत्थर की तरह सखत होकर आसमाँ की तरफ मुंह उठाये खडा था। राहुल "मम्मी" कहकर अपना विरोध जताता है।
"मइने तुझे खाने के लिए कहा था और तू इसे फिर से खडा करने में लगा है?" सलोनी राहूल को डाँटती है।
"मइने कब्ब इसे खडा किया अब आप हो ही इतनी सुन्दर और ऊपर से यूँ नंगी होकर आगे पीछे घूमोगी तोह खडा ही होगा ना" राहुल भोलेपन से केहता है।
"बाते बहुत बनाने लगा है तु" सलोनी राहुल की और सैंडविच बढाती केहती है।
"यह मम्मी बातें नाहि, आप सच में इतनी सुन्दर हो के मेरा बैठने का नाम ही नहीं लेता" रहल सैंडविच लेकर खाने लगता है।
"चल चल, ज्यादा माखन न लगा। मझे मालूम है कितनी सुन्दर हुन मैं!" सलोनी मुस्कराते हुए खुद भी सैंडविच खाने लगती है। सैंडविच ख़तम होते ही वो दोनों गिलास में दूध डाल कर राहुल की और बढा देती है। राहुल गिलास पकड़ तेज़ी से दूध पिने लगता है। वो फ़टाफ़ट खाना ख़तम करने की कोशिश में था ताकि अपनी मम्मी के रसीले बदन का रस्स पि सके जिसके लिए वो तरसा हुआ था।
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
राहुल दूध का गिलास पीकर बेड के साथ छोटे टेबल पर रख देता है जबके सलोनी अभी भी दूध पि रही थी। राहुल पलट कर वापस अपनी मम्मी के साथ चिपक जाता है। दोनों का रुख टीवी की और था। राहुल अपनी मम्मी की बाँह उठकर अपने सर के पीछे से घुमकर अपने काँधे पर रख देता है और उसके बदन पर हल्का सा झुक जाता है।
राहुल का मुंह अपनी मम्मी के मुम्मे के बिलकुल पास में था। वो अपनी उँगलियों से उसके भरे फुले मुम्मे को प्यार से सहलाता है, बड़ी ही नाज़ुकता से उसके निप्पल से छेडछाड करता है। सलोनी उसके कांधे पर अपना हाथ फिराती अपना दूध पिती है और वो जो भी करता है उसे करने देती है। राहुल कुछ समय तक्क मुम्मे और निप्पल से यूँ ही खेलता रहता है। उसके खेल्ने से निप्पल कुछ ज्यादा ही सखत होकर तन गए थे। वो लम्बा गुलाबी निप्पल जैसे राहुल को पुकार रहा था जैसे उसे केह रहा हो मुझे अपने होंठो में भर लो।
राहुल अपने होंठो पर जीभ फेरते हुये ऊपर अपनी मम्मी की तरफ देखता है जो दूध पीकर अपना गिलास बेड पर रख चुकी थी। राहुल की नज़रों में वो इल्तेजाः देखकर वो अपना सर इंकार में हिला देती है। राहुल थोड़ा निराश सा होकर फिर से एक नज़र उस कड़क गुलाबी निप्पल पर ड़ालता है और सर उठाकर बड़े ही मासूम चेहरे के साथ आँखों में याचना का भाव लिए अपनी मम्मी की और देखता है। उसे देखकर सलोनी की हँसी निकल जाती है। उसने अपना चेहरा यूँ बना रखा था जैसे कोई छोटा सा पप्पी बनाता है। सलोनी राहुल के सर के पीछे वाले हाथ से उसके गाल को सेहलाती है और अपनी पल्कों को बंद करके उसे मौन सहमति दे देती है।
राहुल का चेहरा तरुंत ख़ुशी से खील उठता है। वो फ़ौरन आपना चेहरा निचे झुका कर अपनी मम्मी के कड़क गुलाबी निप्पल पर अपनी जिव्हा फेरता है। उसे अपनी जीव्हा की नोक से सेहलता है।
"म्मममहहहह्म्मम्........उउउउउम्मम्मम्म........." सलोनी के होंठो से मादक सिसकि फूट पड़ती है।
राहुल निप्पल को अपने होंठो में भर उसे चुस्ने लगता है। वो बड़े प्यार से अपनी मम्मी के मुम्मे को चुस चुस कर उसका रस्स पि रहा था। सलोनी उसके बालों में हाथ फेरती गहरी साँसे ले रही थी। राहुल का हाथ दूसरे मुम्मे को सेहलाने लगता है। वो मुम्मे को चूसता बिच बिच में नज़र उठाकर अपनी मम्मी के चेहरे को भी देख लेता था। सलोनी के चेहरे पर कामुकता के साथ उस पर सनेह और ममता की भी जबरदस्त छाप थी जो सिर्फ एक माँ के चेहरे पर अपने बेटे को अपना दूध पिलाते समय हो सकती है। सलोनी के लिए वो सिर्फ और सिर्फ उसका बेटा था, बड़ा छोटा, इससे उसे कोई फरक नहीं पढता था। उसे लगता था के एक बेटा होने के नाते राहुल को उसके जिसम के हर आंग पर पूरा अधिकार था, आखिरकार वो भी उसी जिसम का एक हिस्सा था।
मूममे चुसते चुसते राहुल शरारत से निप्पलों को अपने दाँतो से काटने लगता है। पहले तोह सलोनी उसे कुछ नहीं कहती मगर जब्ब वो कुछ जयादा ही ज़ोर से काटता है तोह सलोनी उसके कंधे पर चपट लगाती है।
"क्यों इतना ज़ोर ज़ोर से काट रहा है खून निकल आएगा तेरे बाप ने भी वापस आकर इन्हे चुसना है, उसे क्या जवाब दूंगी?" राहुल हंस पढता है।
चल अब बस कर।" सलोनी हल्का सा राहुल की और घुमति है और उसके खड़े लुंड को अपने हाथ में भर लेती है। "बस कर अब्ब बहुत दुधु पि लिया अपनी मम्मी का तूने..." सलोनी राहुल का लंड सहलाती केहती है मगर राहुल उसके मुम्मे से मुंह हटाकर दूसरे पर अपने होंठ जमा देता है और उसे अपने होंठो से और दाँतो से कुरेदने लगता है। अखिरकार जब्ब राहुल अपनी मम्मी के मुम्मो से मुंह उठाता है तोह उसके दूधिया मुम्मे लाल हो चुके थे, निप्पल और भी अकड चुके थे।
राहुल अपना चेहरा ऊपर उठाता है। उसके और सलोनी के होंठो के बिच कुछ ही फ़ासला था। सलोनी धीरे से अपना चेहरा राहुल के चेहरे पर झुकाती है और दोनों के होंठ मिल जाते है। दोनों पहले बड़े ही प्यार और कोमलता से एक दूसरे के होंठो को चुमते हैं मगर जलद ही दोनों एक दूसरे के होंठो को अपने होंठो में भरकर चुस्ने लगते है। वो भीगा चुम्बन लगातार लम्बा होता जाता है और दोनों की जीभे एक दूसरे के मुंह में घुस कर कोहराम मचाने लगती है। दोनों की उखड़ी साँसे पूरे कमरे में गूँज रही थी। अखिरकार सांस लेने के लिए दोनों के होंठ जुदा होते है। एक दो पल बाद फिर से उनके होंठ जूड्ड जाते है। वो दोनों एक दूसरे का मुखरस चख रहे थे। सलोनी का हाथ उत्तेजना बढ्ने के साथ साथ अपने बेटे के लौडे पर कस्ते जा रहा था। राहुल का हाथ भी अपनी मम्मी के मुम्मे से निचे उसके पेट् पर फिसलता उसकी चूत तक्क पहुँच जाता है। वो अपनी मम्मी के मुंह में जीभ घुमाता अपनी ऊँगली उसकी चुत के होंठो पर घुमाता है तोह सलोनी के जिसम को झटका सा लगता है। राहुल तरुंत अपनी ऊँगली उसकी चुत के अंदर ढकेलता है। सलोनी की चुत इतना रस्स बहा चुकी थी के ऊँगली फ़िसलती हुई उसकी चुत में घुस जाती
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
सलोनी बेटे के होंठ को काटति उसके मुंह में सिसकती है। राहुल एक और ऊँगली उसकी चुत में घूसा देता है और अपना हाथ आगे पीछे करता उसे चोदने लगता है। सलोनी बेटे को चुमना भूल खुले होंठो से सिसकने लगती है। राहुल कुछ लम्हे यूँ ही उसके होंठो को चूसता है और फिर अपना चेहरा निचे झुकता उसके सीने पर अपनी जीव्हा घुमाने लगता है।
सलोनी उसके बालों में हाथ फेरती है जबके वो उसके मुम्मो को चूमता चाटता है, फिर से एक बार दोनों निप्पलों को कुछ समय के लिए चूसता है। मगर इस बार राहुल ज्यादा देर नहीं लगाता उसकी जीव्हा तेज़ी से निचे जाती है, वो अपनी मुम्म के एकदम सपाट पेट् को चूमता उसकी नाभि में जीभ घुमता है और उसे अपने होंठो में भरकर चूसता है।
"मुम्मी तुम्हारे बदन से कितनी प्यारी मेहक आ रही है ऎसी सुन्दर महक तोह किसी फूल से भी नहीं आति" सलोनी बेटे की बात पर हवस में बुरी तरह दुबे होने के बावजूद मुसकरा देती है। राहुल के होंठ निचे जाते हैं जहान उसकी मम्मी की चूत थी। मगर अभी भी उसकी चुत और राहुल के होंटो के बिच हल्का सा फ़ासला था। राहुल चुत के ऊपर बिलकुल तिकोनी आकार में कटे छोटे छोटे बालों को चूमता उन पर अपना चेहरा रगडता है। उन कोमल बालों की रगढ का एह्सास उसे बहुत प्यारा लग्ग रहा था। अखिरकार राहुल अपना चेहरा और निचे ले जाता है, उसके होंठ अपनी मम्मी की चुत के होंठो के उपरी हिस्से को चुमते हैं राहुल पूछ पूछ करता उन्हें ऊपर से चूमता है। चुत से आती तीखी तेज़ सुंगंध उसे एहसास दिला रही थी के उसकी मम्मी कितनी उत्तेजित है। राहुल की जीव्हा बाहर आती है और वो चुत की लकीर में अपनी जीभ की सिर्फ हलकी सी नोंक घुसाता है और उसे लकीर में ऊपर से निचे फेरने लगता है।
आहः........राहुलल......मेरे लाल......ऊफ......." इतनी देर से अपनी सिसकि दबाये सलोनी से बर्दाशत नहीं होता और वो सिसक पड़ती है।
राहुल अपनी जीव्हा की नोंक चुत में आगे पीछे घुमाता जैसे सलोनी को तडपा रहा था। वो सिर्फ नोंक के अग्रभाग से चुत के होंठो के अंदरूनी हिस्से को रगड रहा था, चाट रहा था। वो अपने हाथों से चुत के होंठो को फैला देता है और अपनी जीव्हा की नोंक से अपनी मम्मी की चुत को कुरेदता है।
"राहुललललल.......गुड़ड़........
।हहहहहययययीीीे.....
क्यों तडपा रहा है मुझे इस तेरह।आआआअह्ह्ह्हह्ह्........बर्दाशत नहीं होता मुझसे.........
" सलोनी अपने निप्पलों को खींचती बोलती है।
मागर राहुल अपनी माँ की सीत्कारों की और कोई ध्यान नहीं देता और वो उसकी चुत के डेन को काफी देर तक कुरेदते रहता है। उसे जैसे कोई जल्दबाज़ी नहीं थी। अखिरकार राहुल अपनी जीव्हा चुत के अंदर गहरायी तक्क सलोनी की मीठी चुत के मिठे रस्स को चखने लगता है। सलोनी की आहें कराहें और भी ऊँची होने लगी थी। उसका बदन फिर से झटके खाने लगा था। कोमल मुलायम चुत के अंदर बेटे की खुर्दरी जीव्हा की रगढ उससे झेलि नहीं जा रही थी। वो अपने मुम्मो को मसल रही थी, कबी अपनी चुत पर अपने बेटे के सर को दबाने लगती थी।
बेटा......हैय्यी.......हयई......वहा मत काट.....उउउउफ्फ्फ्फ्फ़ दाँतो से मत काट...
आआह्ह्ह्ह राहुल मान जा..." जब्ब राहुल चुत के डेन को अपने होंठो में भर लेता है और उसे हल्का सा अपने दाँतो से काटता है तोह सलोनी चीख़ ही पड़ती है। वो बेड की चादर को अपनी मुट्ठियों में भींच रही थी। चुदाई में ऐंसी पीड़ा और आनंद का जबरदस्त एहसास उसे पहली बार हो रहा था। सलोनी अपने हाथ बेड पर रख एकदम से उठ जाती है और अपनी चुत से बेटे का मुंह हटा देती है।
"क्या मम्मी......इतना मज़ा आ रहा था.......चाटने दो न......." राहुल नाराज़ सा होता बोलता है।
"चाटने दी ना........हाईए मेरी जान निकल कर रख दि....उउउउउउफ्फ्फफ्फ्फ्.....कितनि बार बोलै है तुझसे वहां दांत से न काटा कर......." सलोनी का बदन अब्ब भी उत्तेजना से कांप रहा था।
"प्लेज़ मम्मी थोड़ा और चुस्ने दो न अपनी मीठी चुत को जब नहीं काटूंगा.....प्रोमिस....."
"मैं अच्छी तेरह से जानती हुन तेरा प्रॉमिस कितना पक्का होता है.........ईधर आ.......मेरे पास...." सलोनी अपनी बाहें फ़ैलाती राहुल को अपने पास बुलाती है। राहुल तरुंत आगे बढ़कर अपनी मम्मी की खुली बाँहों में समां जाता है, सलोनी बेटे को अपनी बाँहों में कस्स लेती है और उसके चेहरे को चूमने लगती है। उसके दोनों होंठो को अपने होंठो में भरकर चुमती-चाटती है। राहुल अपनी माँ की पिठ पर अपने हाथ फेरता अपनी मम्मी के ममतामयी प्यार की बरसात का आनंद उठा रहा था।
"तूझे सच मुच मम्मी की चुत इतनी मिठी लगती है......" सलोनी राहुल के चेहरे से अपनी चुत के रस्स को चाटते हुए बोली।
"हूँह्.....मुम्मी तुम्हारी चुत जैसी मिठी कोई चीज़ नहीं है......" सलोनी बेटे की बात सुन हंस पड़ती है।
"बाते बनाना तोह कोई तुझसे सिखे.......अभी दोपहर को चाटी थी न
दिल भर कर और ऊपर से अभी थोड़ी देर पहले किचन में भी......अभी भी दिल नहीं भरा तेरा .......हुँह?....." सलोनी राहुल के माथे को चूमती केहती है।
"नहि..........मुझे अभी और चुसनी है अछे से.......अभी तोह मुझे मज़ा आने सुरु ही हुआ था......" सलोनी फिर से हंस पड़ती है। वो एक बार फिर से राहुल के होंठो को अपने होंठो में भर कर चुस्ती है।
"और मेरे मज़े का क्या मुझे मज़ा नहीं चहिये........." सलोनी अपने पेट् पर ठोकर मार रहे बेटे के लौडे को अपने हाथों में भर लेती है।
"आपको भी मज़ा आ तोह रहा था.......आप कितना शोर मचा रही थी......." सलोनी राहुल के तर्क पर विस्मय से अपने मुंह पर हाथ रख लेती है या फिर वो यूँ ही नाटक कर रही थी।
"येह देख लो......में समझती थी अभी मेरा बेटा भोला भाला है और यह देख........." सलोनी राहुल का नाक पकडती बोलती है।
"उम्म्म्मम्ह्ह...........छोड़ो ना मम्मी .....फिरसे एक बार और चुस्ने दो ना........."
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