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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
सड़क पर रश बढ़ता जा रहा था | "तुम अच्छे से सीधे होकर बैठो.... हम लोग अब मंडी में हैं" सलोनी राहुल को सीधे होकर बैठने के लिए कहती है और खुद भी सीधी होकर सामने देखती ध्यान से गाड़ी चलाने लगती है |
"माद्रचोद ......अपनी साली किस्मत ही खराब है" राहुल अपनी किस्मत को कोसता है | कार मंडी के सामने पहुँच चुकी थी और सलोनी उसे बिल्कुल कम स्पीड पर चलाती किसी सेफ पार्किंग को तलाश रही थी | कार पार्क करने के पशचात सलोनी अपना पर्स बाहर निकालती है और अपना दुपट्टा कार में ही छोड़ देती है | राहुल भी अपनी मम्मी के पीछे निकल पड़ता है | वो जैसे ही सलोनी के पीछे जाने लगता है, सलोनी उसे रोक देती है और उसे कार की कीस देती कहती है,
"इस तरह जाओगे मंडी में, हालत देखी है अपनी" राहुल अपनी मम्मी की बात समझ नही पाता और उसे स्वालिया नज़रों से देखता है | "अपनी पेंट में बने तंबू को तो देखो ....... लोग हँसेंगे तुम पर" राहुल मायूस सा होकर अपनी मम्मी के हाथ से चाभी ले लेता है और कार की तरफ मुड़ जाता है | वो खुद जानता था इस हालत में वो मंडी नही जा सकता |
"अब यह चेहरा मत लटकाओ .... जब यह शैतान बैठ जायेगा तो आ जाना" सलोनी की बात से राहुल को थोड़ी हिम्मत बंधती है | असल में सलोनी के दुपट्टा ना पहनने से वो थोड़ा सा परेशान हो उठा था | हालांकि सलोनी ने दुपट्टा नही पहना था और उसका कुर्ता भी थोड़ा ढीला सा था मगर सलोनी के मुम्मे इतने मोटे और तने हुए थे कि कुर्ते में से उनका रूप छलक रहा था | उसकी गोरी रंगत शाम की हल्की धूप में चमक रही थी और उपर से उसने बाल भी खुले रख छोड़े थे |
राहुल का परेशान होना बिल्कुल वाजिब था | जिसकी भी नज़र सलोनी पर पडती वो पहले उसके चेहरे और फिर उसके सिने को घूर कर देखता | सलोनी अपनी और घूरती निगाहों से बाखूवी वाकिफ़ थी, उसे इन निगाहों की कॉलेज के दिनों से आदत थी | वो एक एक दुकान पर जाकर सब्जियाँ खरीदने लगी | दुकान वाले सलोनी के रूप पर मोहित उसकी कामुक काया को अपनी आँखो से नंगी करके चोद रहे थे | जब भी वो झुकती उसकी गांड पर उसका कुर्ता उँचा हो जाता और टाइट जीन्स से छलक कर बाहर आने को बेताब उसके गोल मटोल नितंब देख लोगो की साँस रुक जाती | ऊपर से उसके दमकते चेहरे पर उसकी नाक की बाली उसकी देह की कामुकता को कई गुना बढ़ा रही थी | सलोनी के पास आठ दस बैग भर चुके थे, तभी उसे राहुल अपनी और आता दिखाई दिया | वो अपनी मम्मी पर पड़नी वाली नज़रों को देख रहा था | सलोनी अपने पर्स से पैसे निकाल रही थी और दुकान वाला उसे घूर रहा था | जब राहुल सलोनी के पास आ गया तो पहले तो दुकान वाले ने उसकी और कोई ध्यान नही दिया मगर जब सलोनी ने राहुल को "आ गये बेटा" कहकर बोला तो दुकान वाले ने उसकी और देखा | राहुल के गुस्से से जलती लाल आँखे देख कर दुकान वाले ने तुरन्त अपनी नज़रें फेर ली और फिर दोबारा सलोनी को घूर कर नही देखा | वो राहुल की आँखो से बरसते अंगारों से बाखूबी अंदाज़ा लगा सकता था कि वो छोकरा उसे क्यों घूर रहा था |
"राहुल तू जा, यह बैग गाड़ी में रख और मैं आती हूँ.... बस एक बैंगन रह गये हैं ... इधर नही मिले... किसी दूसरी दुकान पर देखती हूँ" सलोनी राहुल के हाथों में बैग थमाती बोलती है |
"नही मम्मी, आप बैंगन खरीद लीजिए, हम इकट्ठे चलते हैं" राहुल अपनी मम्मी को उन भूखे भेड़ियों के बीच छोड़ कर नही जाना चाहता था |
"अरे तो क्या इतना भार उठाए मेरे साथ घूमता रहेगा ... तू जा इसे गाड़ी में रख .... मैं अभी आती हूँ"
"रहने दीजिए मम्मी, छोड़िए बैंगन लेने को.... मुझे वैसे भी बैंगन की सब्ज़ी पसंद नही है" राहुल अपनी मम्मी को वहाँ हरगिज़ भी अकेला नही छोड़ना चाहता था |
"मगर मुझे बहुत पसंद है ...... और अब कोई स्वाल ज्वाब नही ........ अभी समान गाड़ी की डिक्की में रखो मैं आती हूँ" सलोनी राहुल को हुक्म देती है | राहुल के पास अब अपनी मम्मी की बात मानने के सिवा कोई और चारा नही था | वो तेज़ तेज़ कदमो से गाड़ी की और बढ़ता है जो कुछ दूरी पर खड़ी थी | राहुल गाड़ी की और जाता पीछे मुड़ मुड़ कर सलोनी की और देख रहा था | सलोनी कुछ देर एक जगह खड़ी दुकानों का जायजा लेती है और फिर उसे एक कोने में एक दुकान दिखाई देती है जो और दुकानों से थोड़ा सा हटकर थी | सलोनी उस दुकान की और बढ़ जाती है |
राहुल जब पीछे मुड़कर अपनी मम्मी को एक तरफ़ बढ़ते हुए देखता है तो वो चलना छोड़ भागना शुरू कर देता है | सब्जियों के बैग बहुत पतली प्लास्टिक के बने हुए थे जो उसके भागने और ज़्यादा वजन के कारण कभी भी फट सकते थे और सब्जियाँ बिखर सकती थी मगर इस बार राहुल की किस्मत ने उसे धोखा नही दिया और वो गाड़ी तक बिना कुछ गिराए पहुँच गया | राहुल कार की डिक्की खोल कर उसमें तेज़ी से सब्जियाँ डालने लगता है |
उधर सलोनी उस दुकान पर जाती है जो थोड़ा सा हट कर थी और उस पर कोई और ग्राहक भी नही था | दुकानदार कोई 40-45 साल का हट्टा कट्टा मर्द था | सलोनी को अपनी दुकान की और बढ़ता देख वो उठ कर खड़ा हो जाता है और सलोनी को आवाज़ देने लगता है |
"आइए बहनजी .... आइए.... बिल्कुल ताज़ी सब्जियाँ हैं.... देखिए पूरी मंडी में से आपको ऐसी सब्जियाँ नही मिलेंगी" | सलोनी जैसे जैसे सब्ज़ी वाले के पास पहुँच रही थी उसकी आँखो की चमक उतनी ही बढ़ती जा रही थी | जैसे जैसे सलोनी की मादक काया और उसके कामुक उभार और कटाव सब्ज़ीवाले की आँखो के पास आ रहे थे उसके चेहर की मुस्कान, आँखो की लाली बढ़ती जा रही थी |
"आइए बहनजी आइए.... क्या लेंगी केला, मूली, बैंगन.......या फिर लौकी" सलोनी के दुकान पर पहुँचते ही सब्ज़ी वाला उससे पूछता है | सलोनी सब्ज़ीवाले की आवाज़ में चिपकी कामुकता, उसकी नज़रों और उसके दोबारा इस्तेमाल की कुछ खास सब्ज़ियों के नाम से जान गयी थी कि यह कोई बहुत बिगड़ा हुआ बदतमीज़ था | कोई भी सब्ज़ीवाला ऐसे सीधे सीधे छेड़खानी करने की हिमाकत नही कर सकता था, लगता था वो कुछ ज़्यादा ही होशियार था या खुद को होशयार समझता था |
"भैया मुझे बैंगन लेने हैं ......... क्या भाव है" सलोनी उसे नज़र अंदाज़ करते हुए बोलती है | उसे दूर से राहुल अपनी और भागा भागा आता दिखाई देता है और उसके होंठो पर मुस्कान आ जाती है | सब्ज़ीवाला उसकी मुस्कान का ग़लत मतलब लगता है | उसे लगता है कि बड़े घर की वो इतनी सुंदर, सेक्सी औरत उसको लाइन दे रही है | वो बहुत खुश हो जाता है | उसकी लुंगी में उसके लिंग में तनाव आने लगता है |
"अरे बहन जी अब आपसे क्या पैसा लेना है ...... आपकी दुकान है ..... जो चाहिए ले जाइए ........ हर चीज़ का मोल भाव कोई पैसे से थोड़े ही किया जाता है"
"क्या मतलब?" सलोनी थोड़े तीखे अंदाज़ में पूछती है |
"अरे मेरा मतलब था कि अभी मैने आपको बहनजी बोला है और अपने मुझे भाई कहकर बुलाया था ना तो कोई भाई बहन से पैसा लेता अच्छा नही लगता है ना......." वो बहुत बड़ा चलाक था और जल्दी घबराने वाला भी नही था | सलोनी समझ गयी कि यह आदमी कुछ ज़्यादा ही कमीना है | तब तक राहुल भी वहाँ पहुँच चुका था | उसकी साँस फूली हुई थी | माथे पे पसीने की बूंदे चमक रही थी | सलोनी का ध्यान दुकान वाले की तरफ़ था | राहुल दुकान वाले को घूरता है जो उसकी और देखता भी नही | वो सीधा सीधा सलोनी के सीने की और देखकर अपने होंठो पर जीभ फेर रहा था और हंस रहा था | राहुल की नसें फड़कने लगती है |
"ठीक है, ठीक है.... ज़्यादा बातें मत बनायो.... एक किलो बैंगन तोल दो" सलोनी रूखेपन से दुकानवाले को बोलती है |
"अभी लीजिए बहनजी, जितना आपने कहा उतना ही ही डाल देता हूँ.... "
सलोनी दुकान वाले की तरफ़ कोई ध्यान नही देती और राहुल की और मुडती है |
"क्या ज़रूरत थी इतना भागने की, बोला था ना वहीं रुकने के लिए.... कितना पसीना पसीना हो गया है" सलोनी बेटे को डांटती है | दुकान वाला प्लास्टिक बैग में बैंगन डालता राहुल की और देखता है | राहुल का गुस्सा और भी भड़क उठता है | दुकानवाले की नज़र उपहास से भरी हुई थी, राहुल को लगता है जैसे वो दुकानवाला उसके उपर हंस रहा हो |
"यह लीजिए बहनजी आपके बैंगन.. जितना आपने कहा था बिल्कुल उतना ही डाला है मैने, अगर आपको और चाहिए तो बोलिए मैं और डाल देता हूँ.... अभी मेरे पास बहुत बाकी पड़ा है", दुकानवाला बिना सलोनी के चेहरे की और नज़र उठाए उसके मुम्मो को घूरता हुआ बोलता है | वो बिना किसी डर के उसके मुम्मो को घूर रहा था | उसकी इतनी हिम्मत देख सलोनी दंग रह गयी थी |
"ज़्यादा बकवास ना करो... पैसे काटो जल्दी से" सलोनी खीझ कर बोल उठती है | उसे राहुल को यह सब सुनाने पर दुख महसूस हो रहा था जिसकी मुट्ठियाँ भींच गयी थी और लगता था अगर वो कुछ देर वहीं खड़ा रहा तो दुकान वाले की खैर नही थी |
"अरे बहनजी पैसे तो मैने आपसे कहा था कि रहने देती.... अब आप जैसी बहन हो तो आदमी पैसा लेता अच्छा नही लगता.... खैर अब आप इतनी खुशी से दे रही हैं तो ले लेता हूँ" | दुकानवाला बहुत आराम आराम से पैसे पकड़ता है | फिर वो अपनी पॉकेट में इधर उधर कुछ ढूंढने लगता है |
"अब क्या बात है?" सलोनी गुस्से से तमतमा रही थी |
"अरे बहनजी मेरे पास छुट्टा नही है? अब पाँच रुपया काटना है और आपने इतना बड़ा नोट दे दिया है" वो पुन्य सलोनी के मुम्मो पर अपनी नज़र गढ़ा देता है |
"मेरे पास छुट्टा है तुम यह पाँच रुपये लो और वो नोट वापस करो" दुकान वाला बेशर्मी से हंसता हुआ सलोनी को पहले वाला नोट देता है और उससे छुट्टा ले लेता है | सलोनी छुट्टा लेकर राहुल को चलने के लिए कहती है जो उस दुकान वाले को जान से मार देना चाहता था |
"बहनजी आती जाती रहिएगा......आप ही की दुकान है....और हाँ देखना मेरे बैंगन का स्वाद आपको बहुत पसंद आएगा... मेरे बैंगन जितना लंबा मोटा बैंगन आपको इस बाज़ार से तो क्या और कहीं से नही मिलेगा" दुकानवाला पीछे से सलोनी की गांड को घूरता हुआ उसे बोलता है | सलोनी अभी मुश्किल से दो कदम चली थी जब उस दूकानवाले ने उसे पीछे से वो बात कही थी | सलोनी ठिठक पड़ती है | उसके कदम जहाँ के तहाँ रुक जाते हैं | राहुल भी रुक जाता है वो पीछे मूड कर दुकानवाले की और कदम बढ़ता है जो हंस रहा था | सलोनी राहुल का हाथ कस कर पकड़ लेती है और उसे रोक देती है | वो बैंगन का बैग राहुल को पकड़ा देती है और मुस्कराती हुई दुकानवाले की तरफ़ बढ़ती है | राहुल भी अपनी मम्मी के साथ आगे बढ़ता है |
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
"ओह तो तुम्हें लगता है तुम्हारा बैंगन सबसे ज़्यादा लंबा मोटा है" सलोनी दुकानवाले के पास आकर मुस्कराते हुए बिल्कुल नरम स्वर में पूछती है |
"लगता क्या है बहनजी सच में है.... हम साबित कर सकते हैं..... आपको सबूत चाहिए तो बोलिए हम आपको सबूत दिखा देंगे अच्छे से" दुकानवाला सलोनी की और देखकर अपनी धोती में झटके मार रहे अपने लौड़े को मसलता है |
"तुम्हारे इस बैंगन से बड़ा तो मेरे बेटे का केला है, और इसका सबूत मैं खुद हूँ" सलोनी दुकानवाले की आँखो में देखती बोलती है | दुकानवाले को झटका सा लगता है, और राहुल को भी | जहाँ एक तरफ़ वो दुकानवाले को पीटने वाला था अब उसके दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी | उसके दिल में, उसकी आत्मा में दर्द की तेज़ लहरें उठ रही थी | दुकानवाले की अश्लील बातें और उसकी मम्मी उपर से उससे मुस्करा कर बात का रही थी | राहुल का मन बहुत बैचेन होता जा रहा था |
सलोनी की बात सुनकर दुकानवाला कुछ पलों के लिए राहुल को घूरता है जैसे उसे यकीन नही हो रहा था | "क्या आपने सच में ...... आपने बेटे का केला देखा है" दुकानवाला आश्चर्य से पूछता है |
"देखा क्या है, मैने खाया है" सलोनी उसी तरह मुस्कराती हुई बोलती है |
"मगर ई तो बच्चा है अभी बहनजी ...... आप हमारे जैसे मर्द का केला खाएँगी तो आपको मालूम चलेगा बड़ा केला किसे कहते हैं" दुकानवाला मूँछ मरोड़ता बोलता है | इस बार राहुल का सर थोड़ा झुक जाता है | अगर उसकी मम्मी उस दुकानवाले से इस तरह मुस्करा कर बात नही करती तो वो कब का पीट चुका होता | मगर जब खुद उसकी मम्मी ..... वह वहाँ से चले जाना चाहता था ..... उस दुकानवाले की बातें उसके कानो में पिघले शीशे की तरह पड़ रही थी | मगर वो चाह कर भी वहाँ से जा नही सका | वो अपनी मम्मी को अकेले कैसे छोड़ सकता था .......
"तुझे किसने बोला है तेरा केला बड़ा है .... तेरे मन का वहम है" सलोनी उस दुकानवाले से ऐसे बात कर रही थी जैसे वो दोनो बहुत साधारण विषय पर बात कर रहे थे | मगर दुकानवाले की हालत बिगड़ चुकी थी | सलोनी की मुस्कराहट और उसका इस तरह खुल कर आराम से उससे बातचीत करना उसे लगा कि वो औरत अब लाइन पर है |
"अरे हमर बीवी बोलती है ..... हमारा केला खाए बिना उसे नींद नही आती" दुकानवाला सलोनी को आँख मार कर कहता है | राहुल का दिल रो रहा था |
"तुम्हारी बीवी कहती है ......" सलोनी हंस पड़ती है | "उसे कैसे मालूम तुम्हारा केला सबसे बड़ा है... लगता है उसने कोई और केला खाया ही नही है"
"अब आपको कैसे यकीन दिलाए हम बहनजी ....... अब जब आपसे सब बातें खुल ही चुकी हैं तो आपको सच्चाई बता ही देते हैं..... देखिए किसी से कहिएगा नही" सलोनी हाँ में सर हिलाती है | दुकानवाला आस पास देखकर बहुत धीमे से बोलता है "हमर बिटिया भी यही कहती है"
"अच्छा ... तो तुमने अपना केला अपनी बेटी को भी खिलाया है ..." सलोनी थोड़े आश्चर्य से बोलती है |
"हाँ बहनजी ..... एक नही दो दो बिटिया को केला खिलाया है ...... एक अभी स्कूल में पड़ती है, वो तो सुबह शाम हमारा केला खाती है और दूसरी का व्याह हो चुका है ..... अरे बहनजी हमारी बड़ी बिटिया तो जब भी मौका मिलता है घर पर आकर हमारा केला खाती है ..... बोलती है उसके मर्द का केला कुछ भी नही है ....... हमारे केले की तुलना में ...... देख लीजिए बाप का केला खाए बिना उसको मज़ा नही आता ...... अब आप ही अंदाज़ा लगा लीजिए हमारा केला कितना बड़ा है ...... अरे मैं तो कहता हूँ आप अंदाज़ा लगाना छोड़िए एक बार आप भी हमारा केला खाकर देखिए ........ आप गुलाम हो जाएँगी हमारे केले की" दुकानवाला अभिमान से बोलता है | उसकी आँखे उत्तेजना के मारे चमक रही थी |
राहुल दुकानवाले की बात सुनकर घबरा जाता है | वो उसकी मम्मी को कुछ ऑफर कर रहा था और अगर कहीं उसकी मम्मी ने ... नही नही ..... उसकी मम्मी ऐसा नही कर सकती ....... राहुल के दिल की धड़कने दुगनी रफ़्तार पकड़ लेती है और वो अपनी माँ की तरफ़ देखता है जिसके चेहरे के भवों में कुछ ज़्यादा अंतर नही आया था |
"ओह तो तुम्हारी बीवी और तुम्हारी बिटिया बोलती है कि तुम्हारा केला बहुत बड़ा है" सलोनी दुकानवाले से आराम से पूछती है |
"जी बहनजी ..... मइया की सौगंध .... हम झूठ नही बोलते ..... हमर बीवी और दोनो बिटिया सच में कहती है कि हमर केला बहुत बड़ा है ... " दुकानवाला सलोनी को यकीन दिलाने का भरसक प्रयत्न करता बोलता है |
"झूठ बोलती हैं तीनो......." सलोनी अचानक तीखे स्वर में बोल उठती है | उसके चेहरे से, उसके होंठो से मुस्कराहट गायब हो जाती है और उसकी जगह गुस्सा ले लेता है |
"जी बहनजी ..... हम झूठ नही बोलते" दुकानवाला सलोनी के एकदम तेवर बदल लेने से चोंक तो उठा था मगर घबराया नही था |
"तुम्हाई बीवी और तुम्हारी बेटियाँ बिल्कुल झूठ बोलती हैं जा फिर उनके मन में बहुत बड़ी ग़लतफहमी है... . उन्हे मेरे बेटे के पास भेजना आज रात को फिर देखना जब वो मेरे बेटे का केला खाएँगी तो उन्हे मालूम चलेगा कि असली केला क्या होता है क्यों राहुल?" सलोनी अचानक अपने बेटे की तरफ़ घूम कर उससे बोलती है | राहुल को ऐसे लगता है जैसे उसके निर्जीव शरीर में प्राण लौट आए हों | एकाएक उसकी आत्मा में प्रसन्नता लौट आती है |
"बिल्कुल मम्मी ........ इसके दिमाग़ में बहुत बड़ी ग़लतफहमी है.... अगर आप कहे तो मैं अपने दोस्तों को भी बुला लेता हूँ फिर इसकी बीवी और दोनो बेटियों को खूब केला खिलाएंगे , उन्हे मालूम चलेगा कि केला होता कैसा है" दुकानवाला कभी सलोनी को देख रहा था तो कभी राहुल को | उसको यकीन नही हो रहा था वो औरत एकदम से इस तरह पैंतरा बदल सकती है | वो अब भी नही घबराता मगर जब उसके बेटे ने अपने दोस्तों को बुलाने की बात की तो उसे पसीना आने लगा |
"तुम्हारे दोस्तों को रहने दो, मैं तो कहती हूँ तुम्हारे डैडी को पोलीस स्टेशन में फोन लगाओ .... वो एकदिन बोल रहे थे कि उनके सिपाहियों को काफ़ी दिनों से कोई खुराक नही मिली... कितने सिपाही हैं तुम्हारे डैडी के थाने में" सलोनी याद करते बोलती है |
"नौ मम्मी नौ हैं....." राहुल अपनी मम्मी का इशारा समझ झट से उसे ज्वाब देता है | उधर दुकानवाले का लंड बैठ चुका था | उसका पूरा जिस्म पसीने से तर हो चुका था | थाना, पोलीस की बात सुनकर उसकी पूरी हेकड़ी निकल चुकी थी | जिस तरह सलोनी इतने समय से उससे आराम से बिना किसी शर्म और भय के बात कर रही थी, दुकानवाले को उससे पक्का यकीन हो गया था कि वो वाकई किसी पोलिसवाले की बीवी है | उसकी धोती गीली होने वाली थी | वो अभी से खुद को थाने में नंगा देख रहा था और उस पर चार पाँच पुलिसिये डंडे बरसा रहे थे |
"नौ जाने ....... ओह तब तो ठीक हैं, इसकी एक बीवी और दोनो बेटियाँ मिलकर तीन हुई यानी तीन पोलीस वालों के हिस्से में एक आएगी .... अच्छा है पहले तेरे डॅडी मज़ा करेंगे बाद में रात भर पुलिसिये इसकी बीवी और बेटियों को अपना केला खिलाएँगे .... उन्हे भी केला खाने का बहुत शोक है... तू अपने डॅडी को फोन करके यहाँ बुला" | राहुल "जी मम्मी" बोलकर अपनी पॉकेट में हाथ डाल कर अपना मोबाइल निकालता है और जैसे ही नंबर पंच करने लगता है, दुकानवाले की हिम्मत टूट जाती है |
"नही नही बहनजी .... ऐसा मत कीजिएगा ..... हम ग़रीब आदमी मर जाएँगेम .... ऐसा जुल्म मत कीजीये" दुकानवाला सलोनी के आगे हाथ जोड़ता है |
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
"क्यों क्या हुआ... अभी मुझे अपना केला नही खिलाओगे ..... अभी तो इतनी डींगे हांक रहे थे, अब क्या हुआ ..... तू नंबर लगा वैसे भी तेरे डॅडी को स्कूल में पड़ने वाली लड़कियाँ बहुत पसंद हैं .... तू नंबर लगा राहुल" सलोनी दुकानवाले को गुस्से से घूरती बोलती है |
"मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी...... हमर बिटिया बहुत छोटी है ...... मासूम है दया कीजये बहनजी ...... माफ़ कर दिए" दुकानवाले की आँखो में आँसू आ गये थे |
"क्यों मुझे तो केला खिलाने के लिए बहुत तड़फ रहा था अब जब अपनी बेटियों की बात आई तो दम निकल गया ....... दूसरो की बहन बेटिओं को तुम रंडियां समझते हो" सलोनी इतने गुस्से से बोली थी कि दुकानवाला कांप उठा |
"गंगा मैया की सौगंध, हम दोबार कभी ऐसी ग़लती नही करेंगे ..... इस बार माफ़ कर दीजिए" दुकानवाले का जिस्म कांप रहा था और उपर से उसने हाथ भी जोड़े हुए थे | कुछ लोग दूर से इधर ही देख रहे थे |
"इस बार माफ़ कर देती हूँ मगर याद रखना अगर ऐसी ग़लती दोबारा की तो ....... जानते हो ना पोलीस की मार को ........ सारी उमर चल भी नही पाओगे" सलोनी आख़िरी बार उस दुकानवाले को डांटती है |
"कभी नही, कभी नही ...... भूल कर भी ऐसी हिमाकत नही करूँगा" सलोनी राहुल की बाँह पकड़ते उसे वहाँ से ले जाने लगती है | दोनो चल पड़ते हैं | जब वो पास की दुकान से गुज़र रही थी तो कुछ लोग उसे देख रहे थे | सलोनी गंभीर चेहरा लिए सामने की और देखती बढ़ती जा रही थी जबकि राहुल को अपनी हँसी छिपाने के लिए बहुत मुश्किल हो रही थी | उसे याद नही था आख़िरी बार वो इतना खुश कब हुआ था |
"लगता है मेडम ने खूब खिंचाई की है ...... अच्छा हुआ ऐसा ही होना चाहिए था इस हरामी के साथ" सलोनी को पीछे किसी की आवाज़ सुनाई देती है | सलोनी और राहुल आख़िरकार अपनी गाड़ी तक पहुँच जाते हैं | राहुल बैंगन का बैग डिक्की में रखता है और अपनी तरफ के डोर के पास खड़ा होकर सलोनी को गाड़ी के उपर से चाभी देता है जो दूसरी तरफ ड्राइवर सीट के दरवाजे के पास खड़ी थी | सलोनी उससे चाभी पकड़ लेती है | दोनो माँ बेटा एक दूसरे की आँखो में देखते हैं | राहुल अपनी हँसी रोक नही पाता और खुलकर हँसने लग जाता है | सलोनी उसे घूरकर देखती है और फिर खुद भी ज़ोर से हंस पड़ती है | दोनो कार में सवार होते हैं | सलोनी गाड़ी स्टार्ट करती है और राहुल को आँख मार कर हँसते हुए कहती है
"देखा कैसा मज़ा चखाया उस हरामी को ..... सारी उमर याद रखेग" माँ-बेटे की हँसी रुक नही रही थी |
सलोनी मुस्कराती हुई कार चला रही थी जबकि राहुल अभी भी हंस रहा था | वो खूब हँसने के बाद थोड़ी देर के लिए शान्त पड़ जाता मगर कुछ ही पलों के बाद वो फिर से हाथ पर हाथ मार कर ज़ोर से हंस पड़ता | सलोनी भी उसकी और देख कर मुस्करा देती |
"और ..... और जब अपने कहा लगाओ अपने पापा को कोतवाली में फोन ........ हहहहहहाहा .... उसका चेहरा कैसे फक्क पड़ गया ........ कैसे बच्चों की तरह रोने लग गया"
"और तूने कौनसा कम एक्टिंग की ....... मम्मी अपने दोस्तों को बुला लूँ ....... और फिर क्या कहा था ...... हाँ मम्मी पापा की कोतवाली में नौ पॉलिसीए हैं ...... सभी मिलकर इसकी बीवी और बेटी को चोदेंगे .......... ओह माय गॉड!!!!!!!!!! बेचारा कितना डर गया था" सलोनी भी बेटे की होशियारी की दाद दे रही थी |
"मगर मम्मी मान गये आपको ........ क्या एक्टिंग की अपने ... ऐसा लगा जैसे सच में किसी थानेदार की बीवी है ........ बेचारे की तो लूँगी गीली कर दी आपने ........ हाहहहहहहहहा" राहुल दिल खोल कर हँसे जा रहा था |
"और जो तेरी पेंट गीली होने वाली थी, वो भूल गया ......" सलोनी की बात सुन कर राहुल की हँसी रुक जाती है |
"क्या मतलब ......" राहुल का दिल धड़क उठा | वो उन लम्हो को याद भी नही करना चाहता था | "मेरी भला पेंट क्यों गीली होने लगी" उसे लगा था शायद उसकी हालत के बारे में उसकी मम्मी को पता नही चला था |
"क्या मतलब ............... हुं ........ मुझे यह बताओ जब मैं उस सब्ज़ीवाले से हंस कर बातें कर रही थी तो तुम्हारा चेहरा क्यों सफेद पड़ गया था ..... तुम क्या समझते हो मुझे तुम्हारी हालत के बारे में मालूम नही था .... तुम्हे तो तगड़े होना चाहिए था जबकि तुम्हारी शकल ऐसी हो गयी थी कि जैसे अभी रो दोगे ..." सलोनी गाड़ी को एक मिनी माल के सामने रोक देती है |
राहुल चुप कर जाता है | उसके चेहरे पर फिर से उदासी छा जाती है | उसे सच में उस समय बहुत तकलीफ़ महसूस हुई थी | जिस तरह सलोनी और वो दुकानवाला हंस हंस कर आपस में अश्लील बातें कर रहे थे बेचारे का दिल टूट गया था | सलोनी गाड़ी को पार्क कर चुकी थी और अपनी सीट बेल्ट खोलकर वो राहुल की और मुड़ती है और उसे देखने लगती है | राहुल अपना चेहरा झुकाए बहुत उदास दिख रहा था | सलोनी का दिल बीँद जाता है और वो उसे अपनी बाहों में भरती उसे अपनी तरफ खींचती है | सलोनी राहुल के सर को अपने सिने पर दबाती है और उसके बालों में हाथ फेरती है | कुछ देर बाद जब वो राहुल का सर उपर उठती है तो उसकी आँखो से आँसू छलक रहे थे | सलोनी अपना चेहरा बेटे के चेहरे पर झुकाकर उसकी आँखो उसके गालों से आँसू पीने लग जाती है | वो उसके चेहरे पर चुंबन की बरसात कर देती है | कुछ देर बाद आख़िर राहुल की आँखो से आँसू निकलने बंद हो जाते हैं | सलोनी उसके होंठो पर एक गहरा चुंबन अंकित करती है |
"इस तरह घबराते नही है बेटा ......... कभी भी घबराते नही .... अपनी ज़िद्द के लिए अपने प्यार के लिए लड़ा जाता है उसे खामोशी से हाथ से निकल नही जाने दिया जाता ........ किस्मत के भरोसे कभी नही रहते ........ जानता है जब वो आदमी मुझसे बदतमीज़ी से बात कर रहा था तो तुझे उसी समय उसके मुँह पर एक चांटा मार देना चाहिए था ...... अगर तू ऐसा कर देता तो मैं क्या कोई भी औरत तेरी मर्दानगी की दीवानी हो जाती मगर तू वहाँ खड़ा मेरे इशारे का इंतज़ार करता रहा ........ ऐसे समय में तुझे खुद फ़ैसला करना चाहिए था ..... और तू क्या समझता है मैं उस घटिया नीच आदमी को अपने जिस्म को हाथ लगाने देती ....... मैं कोई रंडी नही हूँ ............ कोई मंदिर का प्रसाद नही हूँ जो हर किसी में बाँट दी जायूं ... अगर सच सुनना चाहता है तो सुन ...... आज तक मेरे जिस्म को तेरे बाप के सिवा किसी ने हाथ नही लगाया ना ही कोई लगा सकता है ............ तेरा भी कोई चान्स नही था .... वो तो तेरे बाप ने मुझे इतने समय से प्यासी रखा है और उपर से तू है ऐसा कि चाह कर भी खुद को रोक नही सकी ........ तू मेरा बेटा है शायद इसीलिए आज तू मेरे इतने करीब है जितना तेरा बाप भी कभी नही हुआ और शायद कभी होगा भी नही ............ इसलिए इस बात की तो तू चिंता छोड़ दे कि मैं किसी और के नीचे लेटूँगी ..... तेरे पिता के बाद तू वो आख़िरी इंसान है जो इस जिसम को भोग सकता है .... मगर मेरी बात याद रखना अगर कोई चीज़ प्यारी हो, कुछ चीज़ अपनी हो तो उसे हाथ से निकलने नही देना चाहिए, अपने प्यार अपने हक़ के लिए लड़ना चाहिए ........... इस तरह बैठ कर रोयोगे तो सारी उमर हाथ मलते रोते ही रह जयोगे ......... एक कुत्ता भी अपने मोहल्ले में किसी अजनबी कुत्ते को बर्दाशत नही कर सकता और तू तो जवान मर्द है......"
राहुल का सर झुका हुआ था | उसकी मम्मी की एक एक बात उसके दिल पर गहरा असर कर रही थी | उसे चाहे इस बात से बहुत राहत मिली थी कि उसकी मम्मी उसके बाप के बाद केवल उससे चुदी थी और किसी दूसरे से चूदना भी नही चाहती थी | मगर वो सच कहती थी उसको भी मर्द बनना चाहिए | उसे अपनी मम्मी पर अपने हक़ को बरकरार रखना है तो आगे से मर्द बनना होगा | उसे अपनी मम्मी का हक़दार बनकर दिखाना पड़ेगा |
"जो मैने कहा आगे से उसे याद रखना ........ चल अब अपना चेहरा ठीक कर ....... अंदर चलते हैं ........... ऐसे नही थोड़ा सा मुस्करा कर ... थोड़ा सा और ....... हाँ अब थोड़ा सही है ........." सलोनी बेटे को थोड़ा सा मुस्कराने पर मजबूर कर देती है | आख़िर दोनो कार से बाहर निकलते हैं और माल के अंदर शॉपिंग करने के लिए जाते हैं |
सलोनी अभी भी किचन के लिए कुछ सामान खरीद रही थी और उसके बाद वो मेकअप का कुछ सामान लेने लगी | राहूल उसके पीछे ट्रॉली घिसटता चला जा रहा था | उसका मूड अब कुछ कुछ सुधरने लगा था | सलोनी शॉपिंग करती उससे इधर उधर की बातें कर रही थी |
"बेटा यहाँ कोकनट आयल कहाँ है ढूँढ तो ज़रा.... मुझे मिल नही रहा"
राहुल कुछ देर माल के अलग अलग सेक्षन में इधर उधर चेक करता है फिर उसे कोकनट आयल मिल जाता है |
"यह लो मम्मी मगर आप इस का करेंगी क्या .... आप तो कोकनट आयल का इस्तेमाल नही करती?" राहुल अपनी मम्मी के पीछे बिलिंग स्टेशन की और जाता पूछता है |
"मैने सुना है इसमें सबसे ज़्यादा चिकनाहट होती है, इसलिए ले लिया" सलोनी एक तरफ काउंटर के पास खड़ी हो जाती है और राहुल समान निकाल कर बेल्ट पर रखने लगता है |
"मगर आप इसका इस्तेमाल कहाँ करेंगी ......... इसमे खाना तो नही पकाएँगी ना?" राहुल को कोकनट आयल में बना खाना पसंद नही था |
"खाने में नही बाबा ........" सलोनी काउंटर पर खड़ी लड़की को पैसे देती है और झुक कर राहुल के कान में फुसफुसाती है "पीछे लगाने के लिए ...... वहाँ कमर के नीचे ........ उउम्म्म्ममम ............. मेरे नितंबो के बीच ............" सलोनी बेटे को आँख मार कर शर्मीली सी हँसी हँसती है |
"वहाँ .... वहाँ किस लिए......" राहुल बैग उठाकर अपनी मम्मी के साथ साथ चलता उससे धीरे से पूछता है | वो अब माल से बाहर निकल रहे थे |
"किस लिए....... तुझे नही मालूम......." सलोनी सामने देखती मुस्कराती है |
"बताओ ना मम्मी .......... क्यों पहेलियाँ बुझा रही हो......" राहुल का लंड जो सोया हुआ था फिर से खड़ा होने लग गया था |
"उऊउम्म्म्मम ..... अब मैं कैसे कहूँ ........ मैं नही बोल सकती ........ मुझे शर्म आती है ....." सलोनी शरमाती है |
"उफफफ्फ़ मम्मी हम दोनो ही तो हैं .... बताओ ना किस लिए वहाँ तेल लगाओगी" राहुल का लंड अब आधा सख्त हो चूका था |
"अब तेल नही लगाउंगी तो तेरा वहाँ लूँगी कैसे .......... आगे तो खुद बा खुद गीली हो जाती है ....... मगर पीछे तो तेल ही लगाना पड़ेगा ना ........... एक तो मेरी पीछे वाली इतनी टाइट है और उपर से तेरा इतना मोटा है ......... बिना तेल के कैसे अंदर घुसेगा ....... हायईईए बिना तेल के तो मेरी फट ही जाएगी......"
राहुल के पैर वहीं जम जाते हैं | राहुल को अपने कानो पर यकीन नही होता | उसकी मम्मी ने कोकनट आयल इस लिए लिया था कि वो उससे अपनी गांड मरवाने वाली थी ............... उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ....... एक ही झटके में राहुल का लौड़ा पूरा तन जाता है | वो अब सलोनी के साथ साथ नही बल्कि उसके पीछे पीछे चल रहा था | उसकी नज़र अपनी मम्मी के गोल मटोल उभरे नितंबो पर ज़मी हुई थी | वो कल्पना कर रहा था उन नर्म, कोमल नितंबो के बीच उसकी टाइट गांड मारने में कितना मज़ा आएगा | राहुल शायद सलोनी की गांड को ऐसे ही घूरता रहता मगर वो पार्किंग में पहुँच चुके थे और सलोनी गाड़ी में बैठ चुकी थी | उस शैतान माँ के होंठो पर बहुत ही शरारती सी हँसी चिपकी हुई थी |
"उफफफफफफ्फ़ ..... देखो तो तुमने इसे फिर से खड़ा कर लिया .... कोई देखेगा तो यही कहेगा कि मैं तुम्हारी वो हूँ ........... कि तुम बस मुझ पर चड़ने वाले हो .......... इसे कभी तो बैठा कर रखा करो" सलोनी राहुल के गाड़ी में बैठने के बाद उसको झूठ मूठ का डाँटती है |
"अब तुम मम्मी ऐसी बातें करोगी तो यह बेचारा क्या करेगा" राहुल अपना बचाव करता है |
"ओहो ..... तो मैं इसे जानबुझकर खड़ा करती हूँ .... तुम ही इतने टाइम से ज़िद्द कर रहे थे बताओ मम्मी कहाँ तेल लगाओगी ....... क्यों लगाओगी ......... अब जब बता दिया तो आपके इस महाशय ने अपना सर उठा लिया ........ इसका मतलब तो यह हुआ कि अगर मैं कुछ नही बताती हूँ तो भी तुम मेरा पीछा नही छोड़ते और अगर बताती हूँ तो तुम इसके खड़ा होने का दोष मेरे माथे पर मढ़ देते हो ...... यानी हर तरफ से मैं ही बुरी हुई ..... और यह बेचारा कब से हो गया ........ तुम्हारे इस बेचारे ने मेरी मार मार का सूजा दी है ........ पूरी सूजी हुई है ...... हाय दर्द भी कर रही है ........ लेकिन कोई बात नही घर चलो आज की रात इसकी अच्छे से खबर लूँगी ...... आज की रात इसकी खैर नही" सलोनी झुक कर राहुल के लंड को अपने हाथों में भर कर एक बार कस्स कर मसलती है | "आआहह" राहुल सिसक पड़ता है | लगता था उसके छूने से लौड़ा और भी सख्त हो गया था | फिर सलोनी गाड़ी को स्टार्ट करती है और पार्किंग से निकलती है |
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
"क्यों ना आज फिल्म देखने चलते हैं …. शाम का शो देखते हैं …. कितना टाइम हो गया है फिल्म देखे हुए …. और फिर खाना भी आज बाहर खाते हैं …. क्या कहते हो?" सलोनी गाड़ी को पार्किंग से निकालती बोलती है |
"मेरा बिल्कुल भी मूड नही है आज फिल्म देखने का .... फिर कभी जाएँगे फिल्म देखने मम्मी ... अभी तो घर चलते हैं" राहुल फट से बोल उठा |
"उउउम्म्म्ममम ..... सब समझती हूँ मैं ........ तुझे घर जाने की जल्दी क्यों है और तेरा मूड फिल्म देखने का क्यों नही है!"
"नही मम्मी, मैं तो ऐसे ही बोल रहा था .... आज सच मैं फिल्म देखने का दिल नही कर रहा"
"मुझे मालूम है तेरा दिल किस लिए मचल रहा है.......फिल्म देखने का दिल नही कर रहा......... वैसे तू हमेशा अपने डैडी का दिमाग़ ख़ाता है कि सिनेमा जाना है, सिनेमा जाना है और अब जब मैं तुझे लेकर जा रही हूँ तो तुझे नखरे आ रहे हैं...........तू तो बस चाहता है के जल्दी से जल्दी घर जाएँ और तू मेरा काम कर सके"
"ऊऊफफफफू मम्मी आप तो बात का बतंगड बना लेती हो. मैं ऐसा वैसा कुछ नही चाहता......... मैने सुबह से आराम नही किया , थक गया हूँ, मुझे नींद भी आ रही है"
"अभी थक गये हो ..... नींद भी आ रही है ...... और घर पहुँचते ही तुम्हारी नींद और थकान सब गायब हो जाएगी और तू सीधा मेरे कपड़े उतार कर मेरे उपर चढ़ जाएगा"
"मम्मी आप बहुत बुरी हो......"
"अच्छा सच में! अच्छा यह बता मैं झूठ बोल रही हूँ कि तू घर जाते ही मुझ पर टूट नही पड़ेगा और मुझे नंगी करके मेरे उपर नही चढ़ेगा"
"हाँ आप बिल्कुल झूठ बोल रही हैं ........ मैं .... मैं ...... आपके .... उपर नही .... नही चढ़ुंगा"
"यकीन नही होता .... मुझे लगता है तुम झूठ बोल रहे हों .... तुम बहुत चलाक हो राहुल ... अगर तुम मुझ पर नही चढ़ोगे तो ज़रूर तुम मुझे अपने ऊपर चढ़ा लोगे .... घर जाते ही अपने खड़े खंबे पर मुझे बैठाकर मुझसे उठक बैठक लगवाओगे ........ क्यों सच कह रही हूँ ना"
"आप सिनेमा ही चलिए ........ वैसे भी आपने फ़ैसला कर ही लिया है तो बदलेंगी थोड़े ना"
"नाराज़ क्यों होता है ....... अभी घर जाकर क्या करना है ...... और आज मेरा मूड भी नही है खाना बनाने का ...... पूरी रात पड़ी है जितना चाहे मज़ा लूट लेना मेरे बलमा ....... "
सलोनी राहुल को बलमा कह कर पुकरती है तो वो उसकी और देखता है | सलोनी भी उसकी और देख कर उसे आँख मारती है | राहुल के लाख रोकने पर भी उसके होंठो पर मुस्कराहट लौट आती है | वो अपना चेहरा घुमा कर कार की विंडो से बाहर देखने लग जाता है | सलोनी हंस पड़ती है |
"हायईई ........... क्या अदाएँ हैं जालिम की" सलोनी हँसती हुई कहती है |
जब सलोनी और राहुल सिनेमा पहुँचते हैं तो फिल्म स्टार्ट होने ही वाली थी | दोनो टिकेट्स लेकर बाल्कनी में जाते हैं | एक आक्षन फिल्म थी और उसका भी लास्ट वीक चल रहा था इसलिए सिनेमा में कुछ खास रश नही था | राहुल अपनी मम्मी के पीछे पीछे पोप कॉर्न पकड़े चल रहा था | रह रह कर उसका ध्यान अपनी मम्मी की गांड पर चला जाता जिसके उभरे होने के कारण सलोनी का कुर्ता पीछे से उपर को उठा हुआ था | सिनेमा में ज़्यादातर लोग बैठ चुके थे | ज़्यादातर जोड़े थे और सब एक दुसरे से दूर दूर ही बैठे थे | टिकेट चेकर ने उनसे कहा कि क्योंकि सिनेमा में रश नही है वो कहीं भी बैठ सकते हैं | सलोनी सर घूमा कर चारों और चेक करती है तो उसे एक तरफ़ कुछ सीट्स खाली दिखाई देती हैं | उन दोनो के बीच में बैठने के बाद भी दोनो तरफ की काफ़ी सीट्स खाली पड़ी थी | उनसे उपर की कतार में एक जोड़ा उनसे काफ़ी दूर दाएं और बैठा था जबकि उनसे दो कतार नीचे एक जोड़ा बाईं और को बैठा था और लगभग उनके सामने था |
हॉल में अंधेरा छा जाता है और फिल्म शुरू हो जाती है | कुछ ही पलों बाद जब सब कुछ सेट हो जाता है तो राहुल पोप कॉर्न का पैकेट खोल लेता है और उसे अपनी मम्मी की और बढ़ा देता है | दोनो माँ-बेटा पॉपकॉर्न खाते फिल्म देखने लगते हैं | फिल्म शुरू हुए अभी पाँच मिनिट ही बीते थे कि हॉल से कपड़ों की सरसराहट आने लगती है | चारों तरफ से, बिल्कुल धीमी धीमी आवाज़ें आनी लगती हैं | कुछ आवाज़ों को सुनकर राहुल को लगा जैसे कोई अपनी ज़िपर खोल रहा था | राहुल के दिल की धड़कने बढ़ने लगी थी | वो अच्छी तरह से जानता था कि हॉल सुरू कपड़ों के सरसराने, ज़िपर खुलने की आवाज़ों और फुसफुसाती आवाज़ों का क्या मतलब था | उसके जिस्म सुरू सिहरन सी दौड़ रही थी |
तभी अचानक स्क्रीन पर एक तेज़ रोशनी का सीन आता है और तेज़ रोशनी में अचानक राहुल का ध्यान अपने से नीचे बैठे जोड़े पर चला जाता है | लड़का अपना हाथ लड़की की गर्दन में लपेटे हुए था और उसका वो हाथ हल्का हल्का हिल रहा था | शायद वो उसके मुम्मे को मसल रहा होगा, राहुल सोचता है | उसकी पेंट में उसका लंड नाज़ाने कब का सख्त हो चुका था और उसकी गोद में बड़ा सा टेंट बना हुआ था |
राहुल ध्यान लगाकर अपने सामने बैठे लड़के लड़की को देखने लगता है | कुछ पलों तक तो उसे खास नज़र नही आता मगर जब उसकी आँखे अंधेरे में सेट हो जाती हैं तो वो उन्हे और उनकी हरकतों को बड़े अच्छे से देख और समझ सकता था | मगर इसके लिए अब उसे स्क्रीन से ध्यान हटाना था क्योंकि स्क्रीन पर नज़र मारने के बाद फिर से काफ़ी समय बाद जाकर उसकी आँखे अंधेरे में देखने काबिल होती थी |
राहुल का सारा ध्यान अपने सामने वाले जोड़े पर ही था | लड़का लड़की के मुँह को अपनी और खींच कर उसके होंठो को चूमने लगता है | कुछ देर बाद लड़की भी अपने आशिक़ के गले में बाहें डाल उसके चुंबन का ज्वाब ज़ोर शोर से देने लगती है | क्योंकि अब दोनो का रुख़ आमने सामने की और था इसलिए राहुल उनके बीच में देख सकता था | जब दोनो के मुँह अलग होते हैं तो राहुल साफ तौर पर लड़के को लड़की के दोनो मुम्मों को मसलते देख सकता था | जिस तरह वो दोनो किसी द्वारा देखे जाने की परवाह किए बगैर एक दूसरे को चूम चाट रहे थे लगता था वो काफ़ी समय से वहाँ आ रहे थे | बल्कि वहाँ लगभग सभी जोड़े ऐसे ही आपस में गुथमगुथा थे | शायद फिल्म देखना उनके लिए बहाना भर था | राहुल खुद भी उस जोड़े को बड़े गौर से देख रहा था, अंधेरे में उनकी एक एक हरकत को पड़ने की कोशिश कर रहा था |
लड़का लड़की काफ़ी देर ऐसे ही चूमा चाटी करते रहे | जब भी उनके चेहरे अलग होते तो लड़का लड़की के मुम्मों को मसलने लगता | इस बार जब उनका चुंबन टूटा तो लड़के ने लड़की का हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड पर रख दिया | लड़की तुरन्त उसे पेंट के ऊपर से सहलाने लगी | दोनो के बीच इसी तरह चूमा चाटी और एक दूसरे के अंगो को सहलाने का दौर चालू था | तभी राहुल देखता है लड़का लड़की के सीने पर सर झुकाता है और उसके मुम्मों को कपड़े के ऊपर से चूसने लगता है | राहुल अपनी आँखो का पूरा ध्यान लगा देता है और वो लड़की की शर्ट में लड़के का हाथ घुसता देख लेता है | शायद वो उसके मुम्मे को बाहर निकालने वाला था, नही नही वो ऐसा नही कर सकता था जा फिर उसे उसकी ब्रा के अंदर मसलने वाला था जा फिर हो सकता है उसकी ब्रा हटाकर उसके मुम्मे को चूसने वाला था | इससे उसके होंठो और लड़की के मुम्मों के बीच सिर्फ उसकी शर्ट का ही परदा रह जाता | खैर इससे पहले कि राहुल देख पता कि आगे क्या होने वाला है और वो जोड़ा क्या गुल खिलाने वाला है, सस्पेंस फिल्म की तरह सिनेमा की लाइट्स जल उठती हैं, इंटर्वल हो गया था | लड़का लड़की झटके से अलग होकर सामने को मुँह करके बैठ जाते हैं | सिनेमा में शोर मचने लग जाता है | राहुल बहुत निराश हो जाता है | वो देखना चाहता था कि लड़का लड़की आगे क्या करते हैं |
उसे सब्र नही हो रहा था मगर अब उसे इंतेज़ार करना ही था, जब तक इंटरवल खत्म ना हो जाता और सिनेमा की बत्तियां फिर से बुझ ना जाती | राहुल ठंडी आह भरता अपना सर घूमाता है |
उसकी नज़र सीधी सलोनी के चेहरे पर पड़ती है | वो कुर्सी की पीठ पर अपनी कुहनी रखकर उसकी तरफ़ मूडी हुई थी और बड़े गौर से बिना पल्क झपकाए उसे ही देख रही थी | राहुल को झटका सा लगता है | वो उस जोड़े की हरकतों में इस कदर खो गया था कि उसे अपनी मम्मी की मौजूदगी का एहसास ही नही रहा था | उसे यकीन नही हो रहा था कि वो भूल गया कि वो अपनी माँ के साथ आया था | सलोनी राहुल को देखती अपनी भवें नचाती है जैसे पूछ रही थी कि क्या हो रहा है | राहुल को कोई ज्वाब नही सूझता | तभी सलोनी की नज़र उसके चेहरे से होते हुए नीचे उसकी गोद में जाती है और वो अपना सर हिलाती है | राहुल तुरन्त अपनी गोद में देखता है | उसकी आँखे फैल जाती हैं | उसने अपने हाथ में अपना लंड पकड़ा हुआ था और उसे पेंट के उपर से मसल रहा था | राहुल का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है | वो तुरन्त अपने लंड से अपना हाथ हटा लेता है |
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
"बोल ना मेरे लाल ...... क्या डालना था तूने मेरे अंदर ….. हाए बोल भी अब ....क्यों तडपा रहा है मुझे.." सलोनी होंठ जुदा होने पर सिसकती है | वो राहुल के पेंट की ज़िपर खोलने लग जाती है |
"अपनी लुल्ली ..... अपनी लुल्ली ..... डालने वाला था तुम्हारे अंदर मम्मी......" सलोनी के हाथ का अपने लंड पर स्पर्श होते ही वो सिसक उठता है और उखड़ी सांसो के बीच सिसकते हुए बोलता है | सलोनी के ज़िपर खोलते ही लंड हवा में झटके मरने लगता है | एकदम पत्थर की तरह सख्त था राहुल का लंड | राहुल अपनी मम्मी के हाथ के स्पर्श से इतना उत्तेजित हो उठा था कि उसके मुम्मे को कस कर अपने हाथ में भींच देता है |
"हाईई ....... हाययईई ........." सलोनी अपने होंठ भींच लेती है | एक हल्की सी सिसकी जो सिर्फ राहुल के कानो तक पहुँच सकती थी उसके होंठो से फूट पड़ती है | "तू अपनी लुल्ली डालने वाला था अपनी मम्मी के अंदर ..... अपनी लुल्ली को ..... हाए कहाँ डालता तू अपनी लुल्ली को ....... आगे डालता जा पीछे..... " सलोनी लौड़े के उपर अपना हाथ चलाते हुए बोली |
"आगे मम्मी ...... आगे डालता ....." राहुल के लिए भी अपनी भावनाओं को रोकना मुश्किल हो रहा था |
"आगे कहाँ....आगे कहाँ डालता.....मेरे लाल..." सलोनी अपने कुर्ते के उपर मौजूद दोनो बटन को खोल देती है और राहुल का हाथ उठाकर अपने कुर्ते के गले में डाल देती है |
"तेरी चू...चूत में मम्मी...." राहुल का हाथ जैसे ही सलोनी अपने कुर्ते के गले में खिसकाती है वो झट से अपना हाथ आगे बढ़कर उसके ठोस मुम्मे को ब्रा के उपर से दबोच लेता है और कस कर दबा देता है |
"मेरी चूत में ...... तू मेरी चूत में अपनी लुल्ली घुसाता ..... आहह अपनी मम्मी की चूत में अपनी लुल्ली पेलता ...... हाइईए ...... तू अपनी लुल्ली से अपनी मम्मी की चूत मारता ......." सलोनी तड़प उठी थी | राहुल ने उसकी ब्रा नीचे करके उसके नंगे मुम्मे को दबोच लिया था और अब उसके निप्पल को मसल रहा था |
"उउउन्न्नन्ग्घह ......... हाँ मम्मी ..... मैं अपनी लुल्ली ..... को तुम्हारी चूत में पेल-पेल कर तुम्हारी चूत मारता......." राहुल निप्पल को छोड़ पुरे मुम्मे को मसलने लगा था | नंगे मुम्मे को दबाने मसलने का मज़ा ही कुछ और था |
"उउउफफफफफफ्फ़ .... तू अपनी लुल्ली से मुझे चोदता ... तू अपनी मम्मी की चूत मारता ........ हाए धीरे मसल जालिम ......... उउउन्न्न तू अपनी लुल्ली मेरी गांड में नही डालता ...... तुझे अपनी मम्मी की गांड अच्छी नही लगती ........ हुं .... दोपहर को तो इतने प्यार से मेरी गांड चाट रहा था" सलोनी राहुल के सर को अपने सिने पर झुकाती है बिल्कुल अपने मुम्मे के उपर | राहुल तुरन्त सलोनी के कुर्ते को जितना खोल सकता था खोलता है और उसे खिंच कर अपनी मम्मी के मुम्मे के उपर कर देता है | सिनेमा हॉल के अंधेरे में भी सलोनी के दूधिया मुम्मे चमक उठता है | वो कड़े निप्पल को चुटकी में मसलता है |
"हाए मम्मी तेरी गांड कैसे छोड़ देता ..... तेरी चूत मारने के बाद मेरी लुल्ली तेरी गांड में ही घुसने वाली थी" राहुल मुम्मे के उपर अपना मुँह झुकाता है और निप्पल को अपने होंठो में भर लेता है |
राहुल निप्पल के उपर अपनी जीभ रगड़ने लगता है तो सलोनी उसका लंड कस कर अपने हाथ में पकड़ लेती है | राहुल कुर्ते के गले से मुम्मे को दबाकर बाहर को निकालता है और अपनी मम्मी के निप्पल को दांतों में दबाता है, उन्हे धीरे धीरे काटता है |
"उउउम्म्म्म ....... धीरे ...... धीरे .... उउफफफफफफफ्फ़ ........ हाययईई" सलोनी राहुल के लंड को मसलती उसके कान में सिसकती है |
राहुल निप्पल को दांतों में भींच उसे थोड़ा सा उपर को खींचता है | निप्पल रबर की तरह खींचता चला जाता है और साथ ही उसके पीछे सलोनी का मुम्मा भी बाहर को खींच जाता है |
"आआहह ...... धीरे धीरे ....... आआककचह........ ऊऊऊहह बेटा ....." सलोनी राहुल के कान में सिसकियाँ ले रही थी मगर राहुल तो जैसे बदला लेने पर उतारू था | वो सलोनी की पेंट की ज़िपर खोलने लगता है | मगर सलोनी उसके हाथ को पकड़ लेती है |
"उन्न्नह ..... नही बेटा ..... यह मत करो ........ प्लीज़ यहाँ नही ....." सलोनी राहुल को रोकने का प्रयत्न करती है | मगर राहुल नही सुनता वो निप्पल को चूस्ता अपने हाथ से ज़िपर को खोलता है मगर सलोनी फिर से राहुल का हाथ पकड़ लेती है |
"प्लीज़ बेटा मान जाओ ........ उउन्न्नघह" राहुल सलोनी का ध्यान भटकाने के लिए उसके निप्पल को ज़ोरों से चूस्ता है | अपने हाथ से मुम्मे को दबाता है |
"ओह ...... बेटाआ....... आआआहह....." सलोनी अपने अकड़े हुए निप्पल पर राहुल की जीभ, उसके दांतों के प्रहार से मदहोश सी हो उठती है, राहुल के हाथ पर उसके हाथ की पकड़ ढीली पड़ जाती है | राहुल को इसी मौके का इंतज़ार था, वो एक झटके में बाकी की ज़िपर खोल देता है | सलोनी को होश आता है और वो अपने बेटे को रोकने का प्रयत्न करती है मगर इससे पहले कि वो उसके हाथ को रोक पाती राहुल अपना हाथ उसकी पेंट के खुली ज़िपर से अंदर घुसा चुका था |
"बेटा...... बेटाआ ............." जैसे ही राहुल का हाथ सलोनी की कच्छी के उपर से उसकी चूत पर पड़ता है वो सिसक पड़ती है | राहुल तुरन्त पूरी चूत को अपने हाथों में भरकर मसलने लगता है | सलोनी दो तरफा प्रहार से और भी उत्तेजित हो जाती है |
"मम्मी तुम्हारी कच्छी तो पूरी गीली है, लगता है तुम्हारी चूत को मेरी लुल्ली चाहिए" राहुल चूत को मसलते अपना मुँह उसके निप्पल से उठा कर बोला |
"बदमाश.......सब तेरी करनी का नतीजा है .... जहाँ देखता है शुरू हो जाता है ... मेरे इतने मना करने के बावजूद भी मेरी पेंट खोल ही दी ना" सलोनी राहुल के कंधे पर मुक्का मारती है तो वो हंस पड़ता है |
"तो क्या हुआ मम्मी, यहाँ कौनसा कोई हमें देख रहा है .... सब अपनी अपनी मस्ती में मस्त है ... और मैनें तुम्हारी पेंट कहाँ खोली है सिर्फ ज़िपर खोली है" राहुल चूत को फिर से मसलता बोलता है |
सालनी एक मिनिट के लिए इधर उधर को देखती है जैसे सुनिशचीत करना चाहती थी कि कोई उनकी और देख तो नही रहा | वाकई में राहुल की बात सच थी, सब अपनी अपनी मस्ती में मस्त थे, कोई किसी को नही देख रहा था | सलोनी निश्चिंत हो गयी और उसने राहुल के लंड से हाथ हटा लिया | राहुल एक पल के लिए अपनी मम्मी को देखता है कि वो क्या करने वाली है | सलोनी अपने हाथ नीचे लाती है और अपनी जीन्स के बटन को खोलती है | राहुल का दिल धक्क से रह जाता है |
"ले खोल दी पेंट कमीने ........ करले अपनी मनमानी........" राहुल तुरन्त चूत पर चारों और अपना हाथ रगड़ता है | हालांकि सलोनी की जीन्स काफ़ी टाइट थी मगर खुलने के बाद राहुल को कुछ आसानी हो गयी थी अब वो कुछ आराम से अपनी मम्मी की चूत के साथ खेल सकता था | राहुल अपनी उंगली को गीली कच्छी के उपर से चूत के होंठो की लकीर पर फेरता है | उसके होंठो के बीच दबाता है |
"अब जब पेंट खोल ही दी है तो अपनी टाँगे भी थोड़ी चौड़ी करलो मम्मी.......... मुझे चूत के अंदर उंगली घुसानी है" राहुल चूत के होंठो के बीच उंगली घुसाते हुए बोलता है | सलोनी कुर्सी के अंदर जितना संभव था अपनी टाँगे चौड़ी कर लेती है |
"अच्छा .... मम्मी तुम कितनी अच्छी हो ............." राहुल कच्छी को सामने से एक तरफ़ को खिसका कर सलोनी की चूत नंगी कर देता है |
"हूँ ........... अब तो अच्छी ही कहोगे ............ तुम्हे मनमानी जो करने दे रही हूँ ........... हहायय इतने लोगों के बीच तुम्हें मेरे दुधु चूसने को मिल रहे हैं, मेरी चूत खेलने को मिल रही है .... अब तो मम्मी अच्छी ही लगेगी ना ...." सलोनी राहुल के लंड को फिर से पकड़ लेती है | राहुल गीली चूत के अंदर उंगली डाल देता है |
"आअहह ........ उउफफफफफफफफफ्फ़" सलोनी सिसक उठती है | राहुल चूत के अंदर उंगली आगे पीछे करता है तो सलोनी को होंठ भींचने पड़ते हैं |
"उउउफफफफफफफफफफ्फ़......... मम्म्मी तुम्हारी चूत कितनी गरम है ........ कैसे तप रही है ...." राहुल एक पल के लिए रुकता है और फिर दूसरी उंगल भी चूत में घुसा देता है |
"उउउन्न्नह......" सलोनी चिहुंक पड़ती है | उसका खुद पर कंट्रोल खत्म होता जा रहा था | वो राहुल के मुँह को अपनी और खींचती है और उसके होंठो पर अपने होंठ रख देती है | माँ-बेटा एक गहरे कभी ना खत्म होने वाले चुंबन में डूब जाते हैं और आखिरकार जब उनके होंठ जुदा होते है तो सलोनी फट से राहुल का मुँह अपने मुम्मे पर झुका देती है | राहुल कुर्ते के खुले गले से जितना मुम्मा मुँह में भर सकता था भर लेता है और चूसने लगता है | उसका हाथ भी तेज़ी से अपनी मम्मी की चूत के उपर हिल रहा था | उसकी उंगलियाँ अपनी पूरी लंबाई तक चूत के अंदर घुस रही थीं | सलोनी राहुल के सर को अपने मुम्मे पर दबा रही थी और उसके लौड़े को ज़ोर ज़ोर से मसल रही थी |
"अगर आज जहाँ कुछ हो गया तो तू ज़िम्मेदार है, तेरा ही कसूर है जो तूने मेरा यह हाल कर दिया है ........." सलोनी सिसक सिसक कर बोल रही थी | जब भी राहुल का हाथ गति पकड़ता, उसकी उंगलियाँ तेज़ी से चूत के अंदर बाहर होने लगती और वो उसके मुम्मे को काटता तो सलोनी का बदन काँपने लगता | वो कुछ पलों के लिए सब कुछ भूल जाती, राहुल के लंड पर उसकी पकड़ ढीली पड़ जाती | राहुल भी अपने हाथ और मुँह का कमाल सलोनी की चूत और मुम्मों पर इतनी खूबसूरती से कर रहा था जैसे उसे औरतों के साथ का बहुत अनुभव रहा हो | जा फिर शायदद बेटा होने के कारण इस अनैतिक रिश्ते में सलोनी को कुछ ज़्यादा ही आनंद मिलता था |
"उउउफफफफ्फ़ ...... बेटा......... मेरे लाल ............. आआहह .... मैं मैं ......... राहुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल ........" सलोनी किसी तरह अपनी सिसकिओं को धीमे रखने का प्रयास कर रही थी |
"बोलो मम्मी ....... बोलो क्या चाहिए ........" राहुल मुम्मे से मुँह उठाकर बोला |
"मुझे .... मुझे ...... उउउफफफफफफफफ्फ़ ..... चूदना है ............. मुझे तुम्हारे लौड़े से चूदना है ....... हाययययए .......... मुझे तुम्हारी लुल्ली अपनी चूत में चाहिए ......." सलोनी बेटे के लंड को मसलते हुए बोली | वो अत्यधिक गरम हो चुकी थी | चूत से पानी बह बहकर बाहर आ रहा था |
"यहाँ चूदोगी .......... इन सब लोगों के बीच ........ इतने लोगों के बीच अपने बेटे का लंड अपनी चूत में लोगी ........." गरम सलोनी ही नही राहुल भी हो चुका था | राहुल चूत में उंगलियाँ पेलते हुए अपना उंगूठा भग्नासे पर रख देता है | जैसे ही वो उंगलियाँ पेलते हुए अपनी मम्मी की चूत के दाने को अंगूठे से सहलाता है तो सलोनी का बदन कांपने लग जाता है |
"आआहह .......... आआहह ..... राहुउऊउल्ल्ल्ल्ल्ल्ल ........" सलोनी राहुल के कंधे पर दाँत गड़ती सिसकती है | "हाँ हाँ मुझे यहीं चूदना है........यहीं चूदना है ...... इन सबके बीच ........ चोद मुझे ........ चोद ना बेटा ........ चोद अपनी मम्मी को ......... पेल दे अपनी लुल्ली अपनी मम्मी की चूत में” सलोनी मदहोश सी हो गयी थी | उसका जिस्म हल्के हल्के झटके खा रहा था |
राहुल को एक पल के लिए चिंता होने लगी | उसने अपनी एक बाँह सलोनी के गले में डाल उसे अपनी तरफ़ खींच लिया और अपने होंठ पुरे ज़ोर से उसके होंठो पर दबा दिए ताकि कहीं वो ज़ोर से कराह ना उठे, उसकी सिसकियाँ लगातार उँची होती जा रही थी | सलोनी ने भी राहुल के चेहरे को थाम लिया और अपने होंठ उस पर दबा दिए दोनो की जिव्हा आपस में लड़ने लगी | अब राहुल थोड़ा निशचिंत था | उसने फिर से पूरी स्पीड पकड़ ली बल्कि पहले से भी ज़्यादा तेज़ी से वो अपनी मम्मी की चूत को अपनी उंगलियों से चोदने लगा | उसका अंगूठा अब सलोनी की चूत के दाने को सहला नही बल्कि रगड़ रहा था | सलोनी राहुल के हमले के बाद उसके चेहरे को और भी ज़ोर से अपनी तरफ़ खींचती है और उसकी जीभ को चुस्ती है | उसके जिस्म को लगने वाले झटके बहुत तेज़ हो चुके थे | चूत संकुचित होना शुरू हो चुकी थी | वो अपनी गांड उपर को उठा ज़्यादा से ज़्यादा राहुल की उंगलियाँ अपनी चूत में लेने का प्रयास करती है | बेटे की जिव्हा चूस्ते हुए वो उसके मुँह में सिसक रही थी | राहुल का अंगूठा दाने को पुरी तेज़ी से रगड़ रहा था | अचानक सलोनी ने अपनी पूरी गांड कुर्सी से एक दो इंच उपर उठा दी | उसने अपना मुँह अपने बेटे के मुँह पर इतने ज़ोर से दबाया कि राहुल को दर्द होने लगा | अगले ही पल सलोनी की गांड वापस कुर्सी पर गिर पड़ी | उसके हाथ अपने बेटे के चेहरे पर ढीले पड़ने लगे | राहुल ने तुरन्त भाँप लिया और इससे पहले कि सलोनी के होंठ राहुल के होंठो से जुदा होते और पुरे हॉल में उसकी सिसकियाँ सुनाई देने लगती, राहुल ने अपनी बाँह पूरी मज़बूती से उसकी गर्दन के पीछे बाँह रखकर वापस उसके चेहरे को अपने चेहरे पर दबा दिया | सलोनी बेटे के मुँह में उुउन्न्ञननननननगगगगगघ करते कराह रही थी, सिसक रही थी | उसकी सिसकियाँ, उसकी कराहें राहुल के मुँह में ही दम तोड़ रही थी | सलोनी की चूत से रस बहता उसकी जाँघो को गीला कर रहा था | वो अपना जिस्म ऐंठ रही थी | राहुल अब भी उसकी चूत में उंगलियाँ पेलता जा रहा था और उसके दाने को रगड़ता जा रहा था | वो चाहता था जल्द से जल्द सलोनी का सखलन समाप्त हो जाए क्योंकि अब उसकी साँस टूटने लगी थी | वो अपनी मम्मी के होंठ सील किए उसकी सिकियाँ रोकने में तो कामयाब हो गया मगर इतने समय से साँस ना लेने के कारण उसकी साँस फूलने लगी | वो ज़्यादा देर अपनी साँस रोके नही रख सकता था | उधर सलोनी का सखलन कुछ ज़्यादा ही लंबा हो गया था, लगता था जैसे वो हद से ज़्यादा कामौत्तेजित हो चुकी थी | और जब राहुल को लगा कि अब वो और ज़्यादा अपनी साँस रोक नही सकता तो सलोनी का बदन मंद पड़ने लगा | राहुल खुद को तसल्ली देने लगा | आख़िरकार सलोनी के बदन ने झटके खाने बंद कर दिए | हालांकि उसकी चूत में हल्का हल्का संकुचन अभी भी हो रहा था, मगर अब वो अपना बदन नही ऐंठ रही थी | उसका जिस्म शान्त पड़ता जा रहा था | आख़िरकार राहुल से जब बर्दाशत नही हुआ तो उसने धड़कते दिल के साथ अपने होंठ अपनी मम्मी के होंठो से हटा लिए | राहुल ने एक गहरी साँस खींची | उसे खाँसी आ रही थी जिसे वो किसी तरह कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था | वो नही चाहता था किसी और का ध्यान उनकी और जाए |
सलोनी ने भी होंठो के हटते ही एक तीखी साँस अंदर खींची मगर उसने कोई सीत्कार नही भरी जैसा राहुल को डर था | स्खलन की तीव्ररता से गहरी साँसे लेती वो बेसूध सी हो गयी थी | राहुल भी खुद को संभालने में लगा था | आख़िरकार जब राहुल की साँस कुछ ठिकाने आई तो उसने सलोनी की और देखा | वो अभी भी आँखे बंद किए गहरी साँसे ले रही थी | राहुल ने अपना चेहरा झुक कर उसके होंठो पर एक गहरा चुंबन लिया और फिर उसके कुर्ते के गले में हाथ डाल दिया | सलोनी ने अपनी आँखे खोल दी | वो राहुल की और देख रही थी मगर उसके जिस्म में कोई हरकत नही थी |
राहुल ने कुर्ते के अंदर हाथ घुसा सलोनी की ब्रा को खींचकर वापस उसके मुम्मे पर चढ़ा दिया | ब्रा को मुम्मे के उपर सही तरह करके उसने सलोनी के कुर्ते के बटन बंद कर दिए | कुर्ते को सही करने के पशचात राहुल ने अपनी पॉकेट से रुमाल निकाला और सालों की जाँघों और चूत को साफ करने लगा | उसकी चूत ने इतना रस बहाया था कि उसको साफ करते करते पूरा रुमाल भीग गया | राहुल ने उसकी कच्छी को वापस चूत के उपर रखा और पेंट के दोनो सिरों को पकड़ कर उसका बटन बंद करने लगा | ज़िपर लगाकर जब उसने सलोनी की और देखा तो वो उसे पहले की तरह अपलक देखे जा रही थी | राहुल अपनी मम्मी की और देखकर मुस्कराता है तो वो भी फीकी सी मुस्कान देती है | राहुल अपने खड़े लंड को पेंट के अंदर घुसाने का प्रयत्न करता है मगर तभी सलोनी उसके हाथ पर हाथ रख उसे रोक देती है | राहुल अपनी मम्मी की और देखता है |
"ज़रा रूको बेटा.......मैं अभी आती हूँ" सलोनी उठने लगती है |
"मगर मम्मी क्लाइमैक्स होने वाला है ... फिल्म जल्द ही खत्म हो जाएगी" राहुल घड़ी देखता बोलता है |
"मैं अभी बस पाँच मिनिट में आई" कहकर सलोनी उठकर काँपती टांगों से बाहर जाने लगती है | वो अपना पर्स और राहुल के हाथ से रुमाल भी ले लेती है | उसे चलने में परेशानी हो रही थी | अभी भी उसकी टाँगे कांप रही थी |
सलोनी के जाने के बाद राहुल अपनी आँखे बंद कर लेता है | आज उन दोनो ने सारी हदें पार कर दी थी | इतने लोगों के बीच उसने अपनी माँ के मुम्मे चूसे थे उसकी चूत को अपनी उंगलियों से चोदा था और उसे इतना ज़बरदस्त स्खलन करवाया था | अभी भी उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था जब उसे याद आता है कि किस तरह उसकी साँस टूट रही थी और वो अपनी मम्मी की सिसकियों को दबाने का प्रयत्न कर रहा था | उफ़फ्फ़ अगर कुछ पल वो खुद पर कंट्रोल ना कर पाता तो सारे सिनेमा हॉल में सलोनी की सिसकियाँ गूँज रहीं होतीं | तब क्या होता ...... यह सोचकर अभी उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था |
सलोनी ने सच में पाँच मिनिट से ज़्यादा वक़्त नही लगाया | वो आते ही राहुल के पास बैठ गयी और उसके लंड को मुट्ठी में भर लिया |
"मम्मी टाइम बिल्कुल भी नही है.......बस किसी भी समय लाइट्स ओन होने ही वाली हैं"
"बस एक बार .... थोड़ा सा स्वाद लेना है ..... देख ना उन्हे" सलोनी सामने की और इशारा करती है | राहुल की नज़र अपने सामने बैठे जोड़े पर जाती है जिसे वो लगभग भूल ही चुका था | लड़की लड़के की गोद में सर झुकाए कुछ कर रही थी | उसका सर उपर नीचे हो रहा था और लड़के ने उसके बाल पकड़े हुए थे | राहुल समझ गया कि लड़की लड़के का लंड चूस रही है मगर तभी उसे अपने लंड पर मुलायम सा एहसास होता है, फिर गीलेपन का और फिर उसके लंड को गर्माहट का एहसास होता है | वो अपना सर नीचे झुकाता है और देखता है उसकी मम्मी ने उसके लंड को मुँह में भर लिया था | वो उसके सुपाड़े को अपनी जीभ से रगड़ते उसके लंड को चूस रही थी |
"मम्मी ..... मम्मम्म्ममी ..... प्लीज़ ...... ओह गॉड ...... बस कीजये ..... देखिए ...... सब लोग ...... उउउफफफ्फ़ ........." राहुल सिसक पड़ता है | सलोनी लंड को मुँह में लिए उस पर तेज़ी से अपना मुख उपर नीचे करने लगती है | पुरे हॉल में कपड़े सरकने का शोर सा होने लगता है | सब लोग अपने कपड़े सेट कर रहे थे | लगता था लाइट कभी भी जलने वाली थी |
"मम्मी प्लीज़ .... लाइट ओन होने वाली है" राहुल आसपास देखता हुआ बोला | मगर सलोनी मुँह हटाने की वजाए और भी तेज़ी से अपना मुँह लंड पर उपर नीचे करने लगी | तभी उनके दूसरे सिरे की एक लाइट ओन हो गयी | सलोनी ने बिजली की रफ़्तार से अपना मुँह लंड से हटा लिया | उसने अपना दुपट्टा उठाकर राहुल की गोद में डाल दिया जो लंड को जल्दी से अंदर डालने के लिए कशमकश कर रहा था | लंड के अकड़ा होने के कारण वो ज़िपर से अंदर नही घुस रहा था | स्क्रीन पर अभी फिल्म का आख़िरी सीन चल रहा था |
"आराम से अंदर करो ... देखना कहीं फिर से ज़िपर में ना फँसा देना" सलोनी मुस्कराते हुए कहती है | राहुल आख़िरकार अपनी पेंट की हुक खोलता है और अपने लंड को अंदर करके उस पर पेंट की हुक वापस लगा देता है | वो ज़िपर को पकड़ता है जबकि उनकी तरफ़ की लाइट्स भी जलने लगती है | सामने बैठे लड़का लड़की भी अपने कपड़े दरुस्त कर रहे थे बल्कि कई जोड़े लाइट जलने के बाद ही होश में आए थे मगर किसी को कोई परवाह नही थी | लोग उठकर सिनेमा से बाहर जाने लगे थे |
"चलो उठो, फिल्म खत्म हो गयी" सलोनी मुस्कराते हुए उठती है | राहुल भी अपनी मम्मी के पीछे पीछे एग्ज़िट की और बढ़ता है |
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