Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 10:44 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
भैया ने एक ज़ोर की साँस ली, और मैने भी अपनी सासों पर काबू रखने का प्रयास किया. उनके हिप्स एक इंच उपर की तरफ उठे, और उनका लंड बॉक्सर का और उँचा टेंट बनाने लगा. भैया के मूँह से आवाज़ निकली, "उहमम्म्मम," और ये सुन कर मैं मानो एक पल को उछल पड़ी. लेकिन मैं वहीं पर खड़े होकर देखने लगी.

"म्म्म्मम उहह—," उनकी कराहने की आवाज़ आती और फिर बंद हो जाती. भैया का शरीर अकड़ने लगा था. उनके हिप्स उपर की तरफ हो कर स्थिर हो गये थे. भैया का एक हाथ ने अब तकिये को ज़ोर से कस कर पकड़ रखा था, और उनका मूँह आधा खुला हुआ था.

भैया बस होने ही वाले थे—"ऊऊओह," वो एकदम कराह उठते, और मैं भी चौंक गयी. उनका लंड ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहा था. "उहंंनणणन्," उनके कराहने की आवाज़ लगातार आ रही थी. मेरी चूत भी गीली हो गयी थी, और मैने अपनी दोनो टाँगों को कस कर एक दूसरे से चिपका लिया. "म्म्म्ममम," भैया धीरे से कराहे. मुझे लगा मैं बहुत ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही हूँ, मैने अपनी सासों पर काबू करने का प्रयास किया. और तभी मैने एक चीज़ पर गौर किया.

उनके बॉक्सर्स पर एक गोल गीला निशान बन गया था, और वो टीवी की दूधिया रोशनी में चमक रहा था. जैसे ही मैं उस गोल गीले निशान को घूरने लगी, उसका साइज़ बड़ा होने लगा. भैया का लंड अभी भी झटके मार रहा था, और मुझे पानी निकलने की हल्की हल्की पिच पिच की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी. 

मुझसे अब और ज़्यादा बर्दाश्त करना मुश्किल था. मैं भैया के रूम से जल्दी से बाहर निकल गयी, और अपने रूम में पहुँच कर, डोर को लॉक कर लिया. और डोर के सहारे खड़े होकर, ज़ोर ज़ोर से साँसें लेने लगी. मेरी साँस फूल गयी थी. मुझे यथार्थ में आने में कुछ समय लगा, और मुझे एहसास हुआ कि मैं बहुत ज़्यादा गरम हो चुकी हूँ. लेकिन मेरी कुछ समझ में नही आ रहा था.

इसलिए मैं अपने आप को समझाने लगी. किसी का भी किसी दूसरे को नींद में झडते हुए देख कर एग्ज़ाइटेड या गरम हो जाना स्वाभाविक है. ये किसी पॉर्न मूवी देखना जैसा ही था. तो फिर मैने क्या ग़लत किया था? क्या भैया को इस तरफ छुप कर देखना ग़लत था? मैने अभी अभी भैया को नींद में झड्कर पानी निकालते हुए देखा था.

और वो सब देख कर मेरी चूत गीली हो गयी थी. 

मैने अपनी गर्दन हिलाई, और डोर से हट कर खड़ी हो गयी, और फिर अपने बेड पर जाकर, कंबल ओढकर लेट गयी. मैने अपनी आँखें बंद कर ली. मेरी आँखों में अभी भी, बॉक्सर के उपर बना वो गोल गीला निशान घूम रहा था, जो धीरे धीरे बड़ा होता जा रहा था. मेरे दिमाग़ में भैया की कमर और लंड ही घूम रहे था. बहुत मज़ा आ रहा था.

मैने अपने होंठों पर जीभ फिराई, और होंठों को चाटा. मुझे लगा कि कहीं मैं अपनी चूत में उंगली ना करने लगूँ, बस ये ख्याल आते ही, मेरा शरीर काँपने लगा. मेरे पूरे शरीर में एक तरंग सी दौड़ गयी. मुझे अपने हाथ साइड में रखने में थोड़ा प्रयास करना पड़ा. नही... मैं भैया के झड्ने की कल्पना करते हुए अपनी चूत में उंगली नही कर सकती.

मैं वैसे ही बेड पर एक घंटे लेटी रही, और अपने उपर नियंत्रण करने की कोशिश करती रही, और सोने का प्रयास करती रही. कुछ देर बाद मेरे दिमाग़ में कुछ और ख्याल आने लगे, और फिर मैं नींद के आगोश में डूब कर सो गयी, और अपनी निज़ी जिंदगी के सपने देखने लगी.
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ये सब बताते हुए, मुझे और दीदी को टाइम का पता ही नही चला, जब मैने घड़ी की तरफ देखा, तो सुबह के तीन बज रहे थे. मैने पूछा, दीदी ये तो ठीक है, लेकिन आपने संध्या से पूछा नही, कि उन दोनो भाई बेहन के बीच ये सब शुरू कैसे हुआ?
दीदी ने धीरज की तरफ देखा, और बोली हां, उसकी भी एक रोचक कहानी है, जो मुझे संध्या ने सुनाई थी... संध्या और धीरज की कहानी संध्या की ज़ुबानी....कंटिन्यूड...
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03-31-2019, 10:44 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं वैसे ही बेड पर एक घंटे लेटी रही, और अपने उपर नियंत्रण करने की कोशिश करती रही, और सोने का प्रयास करती रही. कुछ देर बाद मेरे दिमाग़ में कुछ और ख्याल आने लगे, और फिर मैं नींद के आगोश में डूब कर सो गयी, और अपनी निज़ी जिंदगी के सपने देखने लगी.

अगले दिन जब मैं सो कर उठी, तो मैने घड़ी देखी , 11 बज चुके थे, और मैने सोचा शायद मम्मी पापा अपने अपने काम पर चले गये होंगे. मैं टाय्लेट से फ्रेश होकर जब अपने रूम में लौटी, तो मुझे अपने आर्म्पाइट्स के बालों को सॉफ करने का ख्याल आया जो कि काफ़ी बढ़ गये थे. 

मैने टी-शर्ट को उतार कर, आल्मिराह से हेर रिमूविंग क्रीम निकालकर, उसको अपने सीधे हाथ से लेफ्ट आर्म पिट पर लगा कर, उसको रिमूव करने से पहले 2-3 मिनिट का इंतेजार करने लगी. तभी भैया मेरे रूम में डोर नॉक कर के अंदर घुस आए, उन्होने सिर्फ़ बॉक्सर्स पहन रखे थे. मुझे उस अवस्था में देख कर वो थोड़ा तिठके, लेकिन फिर मुझे अपनी तरफ देखता पाकर, उनको थोड़ा कॉन्फिडेन्स आ गया. भैया को सिर्फ़ बॉक्सर्स में देख कर मैं भी थोड़ा एग्ज़ाइटेड फील कर रही थी. मेरे शरीर में एक लहर सी दौड़ गयी, मुझे थोड़ा अलग सा महसूस हो रहा था.

भैया मेरे पास आ कर बैठ गये, और मुझे अपनी लेफ्ट आर्म्पाइट के हेर रिमूव करते हुए देखने लगे. मुझे इस तरह उनका देखना बहुत अच्छा लग रहा था, मेरा शरीर गरम होने लगा था. भैया खिसक कर मेरे पास आ गये, जैसे ही उनके शरीर ने मेरे शरीर को छुआ, मेरे को मानो करेंट लग गया हो. मैं भी थोड़ा मुस्कुराइ और भैया से चिपक कर बैठ गयी. जैसे ही हमारा शरीर एक दूसरे को छूता, मेरे को 440 वॉल्ट का झटका सा लग जाता, मुझ पर अपने आप पर काबू नही हो रहा था. मैं मानो कोई मूवी देख रही थी, बस मेरे आँखे और कान काम कर रहे थे. मैने उस हेर रिमूविंग क्रीम की बॉटल को उठा कर टेबल पर रख दिया, और एक एक कर अपने कपड़े उतारने लगी, भैया मुझे एक तक देख रहे थे, उन्होने भी अपना बॉक्सर नीचे सरका दिया.

भैया ने मेरे मुस्कुराते हुए मेरे गालों को छुआ, मैं तो मानो काँप ही गयी. फिर थोड़ी देर हम दोनो वैसे ही बैठे रहे, और फिर हम दोनो एक दूसरे को किस करने लगे. ये मैं क्या कर रही थी, अपने सगे भैया को ही किस कर रही थी. लेकिन मुझे भैया को किस कर के बहुत अच्छा लग रहा था.

जो कुछ मैं देख रही थी, मुझे अपने आप पर विश्वास नही हो रहा था. मैं भैया का लंड देख कर बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो गयी थी. मैं भैया को चूमते हुए ज़ोर ज़ोर से आवाज़ें निकालना चाहती थी. भैया की जीभ मेरे मूँह में घुसी हुई थी. मैं भैया की हरकतों को बढ़ावा दे रही थी, मैने भैया के गले में अपनी बाहें डाल रखी थी. फिर मैने अपनी टाँगें फैला कर भैया को अपने उपर खींच लिया, और खुद बेड पर लेट गयी. भैया अब भी मुझे मुझे किस करते हुए कराह रहे थे. जैसे ही मैने भैया को अपनी टाँगों के बीच महसूस किया, मेरी भी एक कराह निकल गयी.

भैया का लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ था. 

हम दोनो भावनाओं में बह रहे थे. मैं भैया के होंठों को अपने होंठों पर महसूस कर रही थी, और उनके शरीर की गर्मी उपर से आते हुए महसूस कर रही थी. मुझ पर एक तरह का जुनून सवार हो गया था. भैया का लंड मेरी चूत से बस कुछ ही इंच दूर था. मैं भैया के लंड को अपनी चूत में अंदर लेना चाहती थी. ये मैं क्या सोच रही थी? 

तभी भैया ने मेरे को अपनी बाहों में भर लिया, और मेरे उपर हाथ फिराकार, मेरी मसाज करने लगे. मेरी चूत बेहद गीली हो चुकी थी. भैया ने अपने हाथों से मेरे हिप्स को कस कर दबोच लिया. और मुझे अपनी तरफ खींचने लगे, मैं भी भैया की किसी हरकत का विरोध नही कर रही थी.

मैं भैया के हिप्स को अपनी तरफ आते हुए महसूस कर रही थी. और तभी, मेरी दोनो टाँगों के बीच एक अजीब सी अनुभूति हुई. मुझे लगा भैया के लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के दाने को घिस रहा है, और मैं अपनी कमर उपर उँचकाने लगी. मैं इस वासना की आग में बिल्कुल अंधी हो चुकी थी. 

तभी मेरी आँख खुल गयी, और मैने अपने आप को अपने बेड में लेटा हुआ पाया. मैने अपना हाथ नीचे ले जा कर चेक किया, मैं नंगी नही थी. मैने वो ही कपड़े पहन रखे थे, जिनको मैं पहन कर सोई थी. भगवान का लाख लाख शुक्र था.

मैं बेड पर वैसे ही बहुत देर तक लेटी रही, और होश में आने की कोशिश करती रही. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत अभी भी गीली थी, मैं सामान्य से थोड़ा तेज़ी से साँस ले रही थी. मैने अपने सिर को हिलाकर, होश में आने की कोशिश की, सुबह के 8 बज रहे थे.

मैं उठकर बाथरूम चली गयी, मुझे होश में आने के लिए ठंडे पानी से नहाने की सख़्त ज़रूरत थी. मैने शवर चालू किया, और अपनी टी-शर्ट उतार दी. पानी बहुत ठंडा था, मैने गरम पानी के नल को भी थोड़ा खोल कर, पानी को गुनगुना करने की कोशिश की. मैने अपने बाकी सारे कपड़े भी उतार दिए, और फिर शवर के नीचे आ कर, कर्टन को खींच लिया. वो कर्टन टाय्लेट सीट, और बाथरूम के बीच था, जिस से शवर का पानी टाय्लेट सीट वाले एरिया को गीला नही होने देता था. 

गुनगुना पानी मेरे शरीर की त्वचा पर बहने लगा, और मुझे अच्छा महसूस हो रहा था. मैं शवर से निकलना नही चाहती थी, लेकिन शायद भैया जाग गये थे, और टाय्लेट के पास आ गये थे, उन्होने बाथरूम के डोर को नॉक किया, और बोला कि वो अंदर आ रहे हैं. हम दोनो में बचपन से ही ये समझौता था, कि अगर हम दोनो में से एक बीच का परदा डाल कर शवर ले रहा है, तो दूसरा टाय्लेट सीट को यूज़ कर सकता था. शवर का कर्टन गहरे ब्राउन कलर का था, और इस अरेंज्मेंट से, एक बाथरूम होने के बावजूद, हम दोनो को बचपन से अब तक कोई दिक्कत नही हुई थी. मुझे तो वैसे भी कोई फरक नही पड़ता था.

लेकिन वो कल रात से पहले की बात थी. 

"मॉर्निंग," भैया ने कर्टन की दूसरी तरफ से कहा.

मैने भी किसी तरह अपनी आवाज़ को संयत करते हुए कहा, “गुड मॉर्निंग भैया."
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03-31-2019, 10:44 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
कुछ सेकेंड्स के बाद, मुझे भैया के सूसू करने की आवाज़ सुनाई दी. मैने अपनी आँखें बंद कर ली, और भैया के लंड के बारे में मेरे दिमाग़ में आ रहे विचारों को दूर करने की कोशिश करने लगी. “कल रात में नींद में ना जाने मैने कैसे कैसे सपने देखे,” भैया एक मिनिट बाद बोले.

मैने खास कर अपने गला सॉफ किया, और शवर के पानी से कुल्ला किया. भैया को कैसे पता चला कि मैने कैसे कैसे सपने देखे हैं, लेकिन तभी मेरी समझ में आया कि वो अपने सपनों की बात कर रहे हैं. मैं सोचने लगी, ना जाने हम दोनो में से किस के सपने ज़्यादा खराब थे. किसी तरह हिम्मत कर के मैने पूछा, “ऐसा क्या देख लिया सपने में?”

“सच कहूँ, तो मुझे भी पता नही, बस ये ही याद है, कि कुछ अजीब तरह का सपना था, और उस सपने में तुम भी थी, संध्या,” भैया ने कूल रहते हुए जवाब दिया.

मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा, मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया. मुझे कुछ सूझ ही नही रहा था, कि भैया की बात का क्या जवाब दूं. लेकिन कुछ बोलना तो ज़रूरी था, मैने किसी तरह से कहा, “अच्छा भैया.” 

भैया हंसते हुए बोले, "हां. मुझे अब भी कुछ तस्वीरें याद हैं, लेकिन ज़्यादा डीटेल याद नही."

"ठीक है, अगर याद आ जाए तो डीटेल भी बता देना," मैने सभ्य रहते हुए जवाब दिया, मेरा सिर अब भी घूम रहा था.

"संध्या, शवर को चालू ही रहने देना, तुम्हारे बाद मैं भी शवर ले ही लेता हूँ,” भैया ने बाहर निकलते हुए कहा.

मैने शवर करने के बाद, भैया के लिए उसको चालू ही छोड़ दिया, और तौलिया लपेट कर अपने रूम में भाग आई. मैने अपने रूम में आकर, डोर को लॉक कर दिया, और कुछ देर तक अपनी साँसों को नॉर्मल करने की कोशिश करने लगी, और फिर कॉलेज जाने के लिए ड्रेस पहनने लगी.

जब मैं तय्यार होकर, किचन में पहुँची, तब तक भैया तय्यार होकर, बाहर जाने की लिए, वहाँ पहले ही पहुँच चुके थे. भैया की कार रिपेर होने गयी थी, और मेरे पास मेरी 800 थी. भैया को मुझे ही उनके ऑफीस छोड़ते हुए अपने कॉलेज जाना था. हम दोनो ने एक एक कप चाइ पी, और फिर साथ ही बाहर निकल गये. जब हम बाहर निकले, तब जाकर मुझे पता चला, कि बाहर तो बारिश हो रही है.

भैया ने आसमान की तरफ देखते हुए बोला, “चलो अब इन टीवी वालों की प्रिडिक्षन सही निकलने लगी है.”

मैने भी आसमान की तरफ देखते हुए कहा, “लगता है ये बारिश तो देर तक चलेगी, कार धीरे धीरे चलाकर, चलते ही हैं, आप लाते हो जाओगे थोड़ा.”

हम दोनो मेरी 800 में बैठ कर चल दिए. मेरे दिमाग़ में अभी भी जो कुछ कल रात हुआ ता, वो चल रहा था, और वो सोच सोच कर मैं गरम होती जा रही थी. मैं भैया की तरफ ना देखने की बार बार नाकाम कोशिश कर रही थी. थोड़ी देर बाद भैया ने पूछा, कॉलेज से घर कितने बजे आ जाओगी?

थोड़ी देर बाद भैया ने पूछा, कॉलेज से घर कितने बजे आ जाओगी? 

मैने भैया की तरफ देखते हुए जवाब दिया, “दोपहर 2 बजे तक.”

मैने भैया की तरफ देखा, मैने उनको मेरी तरफ घूरते हुए पाया. थोड़ी देर बाब भैया का ऑफीस आ गया, भैया ने उस दिन कार से बाहर निकलने से पहले मुझे किस किया, ऐसा वो जनरली करते नही थे. मैं कार में बैठकर, उनको दूर जाते देखती रही.

भैया का बदन एक दम गठीला था, भैया मेरे से बस कुछ ही इंच ज़्यादा लंबे होंगे, और उनके भी मेरी तरह काले घने बाल थे. हालाँकि वो उनको फ़ौजी कट में रखते थे, और वो मुझ से थोड़ा ज़्यादा साँवले थे. भैया की आँखों में एक अजीब सी कशिश और गहराई थी. सब कुछ मिला कर वो बेहद हॅंडसम थे. 

भैया को उनके ऑफीस छोड़कर मैं अपने कॉलेज चली गयी, और क्लास ओवर होने के बाद, मैं घर का खाने पीने का थोड़ा सामान बिग बाज़ार से लेकर शाम को 4 बजे घर वापस आ गयी. भैया के ऑफीस से लौटने में अभी बहुत टाइम था, और करीब 2-3 घंटे मेरे पास अकेले में, अपनी तरह से बिताने के लिए मैं फ्री थी. 

घर आने के बाद, मैने माल से खरीदे हुए सामान को टेबल पर रखा, और सोफे पर लेट गयी. 
टीवी ऑन कर के बहुत सारे चॅनेल ट्राइ किए, लेकिन कुछ भी इंट्रेस्टिंग नही मिला, मैने हार कर एमटीवी लगा लिया, और आँखे बंद कर आराम से गाने सुनने लगी, और सोने की कोशिश करने लगी. मैं थका हुआ महसूस कर रही थी, मैने फ्रिड्ज में से निकाल कर कोल्ड ड्रिंक पी, और फिर से सोफे पर लेट गयी. थोड़ी देर बाद जब फिर भी नींद नही आई, तो इस सब से बोर होकर, मैने सोने से पहले चूत को ठंडा कर, उसमे से पानी निकालकर झड्ने के बाद, हमेशा अच्छी नींद आने के सफल प्रयोग को अपनाने का फ़ैसला किया.

मैने अपने बेडरूम में आकर, सबसे नीचे वाली ड्रॉयर को खोला. मैं जो ढूँढ रही थी, वो चीज़ मुझे नही मिली, मुझे याद भी नही आ रहा था कि लास्ट टाइम मैं कब झडि थी. मुझे झुंझलाहट होने लगी. मुझे लगा जब तक भैया घर लौटें, उस से पहले मुझे मज़ा कर लेना चाहिए.

मैं मन ही मन खुश होते हुए, गुनगुनाने लगी, और अपनी सारी ड्रॉयर्स को खंगालाने लगी. और आख़िर में मुझे वो चीज़ मिल ही गयी जिसकी मुझे तलाश थी, वो रब्बर का वाइब्रटर वाला लंड. 

इसमे अलग से छोटा सा रब्बर का लंड निकला हुआ था, और वो भी वाइब्रट करता था. डिल्डो में तो वायब्रेटर लगा ही था, जो कि चूत के अंदर मज़ा देने के लिए था. ये एक सेक्स टॉय था, जो मेरी एक सहेली ने मुझे गिफ्ट दिया था.
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03-31-2019, 10:45 PM,
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मैने बेड पर चढ़ने से पहले घड़ी देखी. अभी भी बस 4 ही बजे थे, यानी कि अभी भी करीब 2 घंटे से पहले भैया नही आने वाले थे. इसलिए मैने अपने रूम का डोर भी बंद नही किया.

मैने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और पूरी तरह नंगी हो गयी. मैने सारे कपड़ों का फर्श पर एक ढेर बना दिया. हालाँकि मौसम थोड़ा सर्द था, लेकिन बेड पर लेट कर, कंबल ओढ़ने के बाद अच्छा लग रहा था. मैने वाइब्रटर को दोनो हथेलियों से पकड़ा, जिस से वो भी थोड़ा गरम हो जाए, अभी वो पकड़ने पर ठंडा लग रहा था.

जैसे जैसे मेरे शरीर में गर्माहट आने लगी, मैं एक हाथ से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. दूसरा हाथ अभी भी वाइब्रटर को पकड़े हुए उसकी ठंड दूर कर रहा था. मुझे महसूस हुआ, कि अगर मैं थोड़ी देर अपनी चूत को और सहला लूँ, तो फिर वाइब्रटर को चिकना करने की ज़रूरत नही पड़ेगी. मेरी उंगलियाँ मेरी चूत को सहलाते हुए उसके साथ छेड़खानी कर रही थी. मैं अपने हाथ को अपने पेट पर फिराती हुई, अपनी चूंचियों तक ले आई. मैं अंगूठे से निपल के चारों तरफ गोल गोल घुमाने लगी, ऐसा करने से मेरे शरीर में आनंद की लहर दौड़ गयी.

जैसे ही मैं दोनो निपल्स को मसलना शुरू किया, मेरी दोनो टाँगों के बीच अजीब सी मस्ती छाने लगी. अब वाइब्रटर गरम हो चुका था, मैने उसको अपनी छाती के पास लाकर उसे स्विच ऑन कर लिया. तुरंत उसके वाइब्रेशन्स से मेरी चूंचियाँ हिल गयी, और मेरे मूँह से आहह निकल गयी. मैं बेड पर लेटे हुए ही कराहने लगी, और मेरी चूत पनियाने लगी. मैने अपनी दोनो टाँगों को आपस में चिपका लिया, और एक अजीब से आनंद की अनुभूति का मज़ा लेने लगी.

इस फोरप्ले का मज़ा लेते हुए, मैं बहुत ज़्यादा गरम हो चुकी थी. मैं उस वाइब्रटर को नीचे अपने पेट के पास और फिर नीचे अपनी टाँगों के बीच ले गयी, ऐसा करते हुए मैं थोड़ा घबराई. जैसे ही मैने उसके आगे वाले हिस्से को अपने अंदर घुसाया, मेरी मानों साँस ही रुक गयी. मैने दूसरे हाथ से अपने निपल्स को सहलाना जारी रखा, और उस रब्बर के लंड को अपनी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी. 

"ऊऊहह," मैं ज़ोर से कराही, जैसे ही उस डिल्डो के अग्र भाग ने मेरी चूत को चौड़ा करते हुए अंदर घुसने का प्रयास किया. दर्द तो कुछ ज़्यादा नही हुआ, हालाँकि वो डिल्डो अच्छा ख़ासा मोटा और लंबा था, और मैने वैसे भी उसको शायद पिछले एक साल से यूज़ नही किया था. 


अभी डिल्डो मेरी चूत में आधा ही घुसा था, तभी मुझसे उसका दूसरा बटन दब गया. और वो मेरी चूत में गोल गोल रोटेट करने लगा. इस अचानक मिले आनंद की वजह से मूँह से चीख निकल गयी. हे भगवान... क्या मज़ा आ रहा था. "म्म्म्मम... ऊऊऊहह,” मैने कराहते हुए अपने आप से कहा. उस डिल्डो का आगे का आधा हिस्सा मेरी चूत में हलचल मचा रहा था. और हर रोटेशन के साथ, वो मेरी चूत की उपर वाले हिस्से को छू जाता, जिस की वजह से मेरा मज़ा दो गुना हो जाता. 

मैं दुविधा में ही, कि इतना जल्दी झड आऊँ या फिर ऐसे ही मज़े लेती रहों, लेकिन वासना ने मेरी दुविधा को आसान कर दिया. मैं झड्ना चाहती थी, मुझसे और इंतेजार बर्दाश्त नही हो रहा था. मैने वाइब्रटर का एक और बटन दबाया, जिस से वो बाहर वाला छोटा सा लंड भी वाइब्रट करने लगा, और डिल्डो को अपनी चूत में और अंदर तक घुसा लिया. जैसे ही उसका अगला हिस्सा मेरी चूत में और अंदर घुसा, मेरी आअहह निकल गयी, और मेरे पेट तक आनंद की एक लहर सी दौड़ गयी.

मैने वाइब्रटर को और अंदर तक घुसा लिया. मैं ह्म्म्म्म की आवाज़ सुन पा रही थी, जो कि उस छोटे वाले लंड के मेरे चूत के दाने को छूने की वजह से आ रही थी. मैने अपने होंठों पर जीभ फिराई, और फिर उसको और अंदर घुसा लिया. मेरी गान्ड अपने आप उपर चलने लगी थी. मुझे लगा कि मैं बस अब झड्ने ही वाली हूँ. मुझे मालूम था कि बस कुछ ही देर में मैं झड जाउन्गि. मैं ज़ोर ज़ोर से तेज तेज साँसें ले रही थी, और मेरे दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी. मैने डिल्डो को और अंदर घुसाया और फिर एक ज़ोर की साँस ली.

मेरी चूत में घूमता हुआ वो डिल्डो मेरे पूरे बदन में आनंद के लहरें पैदा कर रहा था. मेरी आँखें खुल ही नही रही थी. अपने आप मेरे मूँह से कराहें निकल रही थी, लेकिन मुझे इस बात की तसल्ली थी, कि मेरी आवाज़ों को कोई सुन नही रहा है, क्यूंकी पूरे घर में मैं अकेली थी. मैने डिल्डो को फिर से अपनी चूत में अंदर घुसाया, और फिर वो आराम से पूरा मेरी चूत में घुस गया. "उहह अहह," मेरे मूँह से एक दबी हुई आवाज़ निकली. और उस छोटे से बहार निकले हुए लंड ने मेरी चूत के दाने को च्छेड़ना शुरू कर दिया. मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच चुकी थी, वो मेरी चूत के दाने को कभी उपर नीचे कभी गोल गोल करके मसल्ते हुए छेड़ रहा था. मेरे सारे शरीर में एक झुरजुरी सी दौड़ गयी. मेरे चेहरे पर खुशी की एक मुस्कान फेल गयी, और मूँह से कराह निकल गयी. मुझे मालूम था, और मुझे महसूस भी हो रहा था कि, मैं झड्ने के बेहद करीब पहुँच चुकी थी. मैने डिल्डो को थोड़ा उपर किया, जिससे उस चूत वाले हिस्से ने मेरी चूत के दाने को और ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया. मेरे मूँह से एक हल्की सी चीख निकल गयी.

मेरे शरीर में एक गरम सी लहर सी दौड़ गयी. मैं हाँफ रही थी, और काँप रही थी. मैं बस झड्ने ही वाली थी. बहुत मज़ा आ रहा था. मैने अपनी साँस को रकते हुए डिल्डो को अंदर तक अपनी चूत में घुसाया.

और फिर वो यकायक रुक गया

ये क्या हुआ? मेरे दिमाग़ को समझने में थोड़ा टाइम लगा, मैने किसी तरह अपनी आँखें खोली, और आसपास देखा. रूम मे सब कुछ पहले जैसा ही था. फिर मैने अपनी टाँगों के बीच नज़र दौड़ाई, वहाँ डिल्डो मेरी चूत में अभी भी फँसा हुआ था, लेकिन वो वाइब्रट नही कर रहा था. बॅटरीस ख़तम हो गयी थी. हां! 

निराश होकर मैने वाइब्रटर को अपनी चूत में से बाहर निकाला, और उसके बॅटरी के उपर वाले कॅप को खोला. ट्रिपल आ बॅटरीस. मैने उसको पिल्लोस के उपर फेंका और अपने रूम से निकल कर किचन की तरफ चल दी. मुझे मालूम था एक्सट्रा बॅटरीस कहाँ रखी हुई हैं. मैने किचन की उपर वाली ड्रॉयर को खोल कर उसमे से 4 बॅटरीस निकाल ली. मैं मुस्कुराते हुए अपने बेडरूम की तरफ चल दी. 

तभी, घर का मैन डोर ओपन हुआ और धीरज भैया अंदर घुस आए. मेरे मूँह से एक चीख निकल गयी, और वो मुझे चौंक कर घूर कर देखने लगे. मैं पूरी नंगी थी. मैं घबराहट में हिल भी नही पा रही थी. और भैया की नज़रें मेरी चूंचियों पर से हट ही नही रही थी.

आख़िर में, वो थोड़ा हँसे और बोले, "मुझे नही मालूम था कि घर में मेरी छोटी बहना की पार्टी चल रही है!" और फिर भैया अपनी जीन्स का बटन को खोलने का प्रयास करने लगे.
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03-31-2019, 10:45 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मुझे थोड़ा होश आया, तो मैं भाग कर अपने बेडरूम में पहुँच गयी, और डोर को पीछे से बंद कर दिया. कुछ मिनिट्स के बाद, भैया की आवाज़ मेरे रूम के डोर के पास से सुनाई दी, “हे, संध्या मैं तो मज़ाक कर रहा था, हां डिन्नर के लिए तुमने क्या बनाया है?”

मैं बहुत घबराई हुई थी, और शर्मिंदा भी थी. लेकिन भैया के मजाकिया अंदाज ने फिर से माहौल थोड़ा हल्क कर दिया था. मैने भी मजाकिया लहजे में कहा, "इट'स आ सर्प्राइज़, लेकिन वो तुमको नंगे होकर ही खाना पड़ेगा."

"ओह,मेरी प्यारी बहना, तो फिर ये वो वाली पार्टी है!" भैया हंसते हुए बोले.

मैं भी हंस पड़ी. मेरी शर्मिंदगी थोड़ी कम हो रही थी. मैने वाइब्रटर में नयी बॅटरी डाली, और जल्दी से उसको चेक किया, और फिर उठा कर रख दिया. मैने फिर जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहने, और डोर की तरफ बढ़ चली. डोर को खोलने से पहले मैं थोड़ा रुकी, एक गहरी साँस ली. झडने के इतना करीब पहुँचने की वजह से अब भी मेरे पेट और चूत में अजीब सी खुजली हो रही थी. 

कुछ सेकेंड्स के बाद, मैने डोर खोला, और ड्रॉयिंग रूम में आ गयी, और चुपचाप खड़ी हो गयी. भैया सोफे पर अध लेटे होकर टीवी देख रहे थे, उन्होने अपने पैर सेंटर टेबल पर रखे हुए थे. उन्होने मेरी तरफ देखा, और आँख मार दी, और फिर से टीवी देखने लगे. भैया एक दम नंगे थे, पूरे नंगे. 

मैं अपनी नज़रें वहाँ से हटा ही नही पा रही थी. मैने धीरज भैया को इस तरह नंगा पहले कभी नही देखा था, बचपन के बाद कभी नही. लेकिन उस गठीले शरीर के 19 साल के नव युवक को सोफे पर पूरा नंगा होकर सोफे पर बैठा देखना, मेरे लिए किसी आश्चर्य से कम नही था. मैं भैया की बाहों के डोले देख रही थी, और उनके पेट पर सलमान ख़ान की तरह उभरे हुए 3 पॅक्स. भैया का शरीर मेरी उमीद से कहीं ज़्यादा गठीला था. शायद भैया 6 पॅक्स बनाने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन भैया के पूरा नंगा होने के बाद भी यदि मैं उनके पेट को घूरती, तो इसका कोई सेन्स नही था.

मेरी आँखें अपने आप भैया के लंड पर खिसक आई. वो वाकई में काफ़ी बड़ा था, और एक दम पर्फेक्ट. अभी जब कि वो खड़ा हुआ नही था, फिर भी मैने जितने बॉय फ्रेंड्स के जब तक लंड चूसे थे, उन सब से बड़ा था. हे भगवान, भैया ने मेरी तरफ देखा, और मुझे अपने लंड को घूरता हुआ पाकर मुस्कुरा दिए. मैं अपने मूँह में आए पानी को अंदर सटक लिया.

"उः, ये सब क्या है भैया?" मैने किसी तरह पूछा. लेकिन मेरी आँखें अभी भी उनके लंड पर ही जमी हुई थी. जैसे ही मेरी तरफ़ देखने को थोड़ा सा घूमे, मेरी नज़रें उनकी दोनो टाँगो के बीच पहुँच गयी.

भैया कुटिल मुस्कान के साथ बोले, “मैने सोचा, जब मैने तुमको नंगा देख लिया है, तो मैने सोचा हिसाब बराबर करने के लिए तुम भी मुझको नंगा देख ही लो. अब तुमको शर्मिंदगी नही होगी.”

मैने हां में सिर हिलाते हुए बोला, “उः, थॅंक्स भैया.चलो अब जल्दी से कपड़े पहन लो, मैं तो मज़ाक कर रही थी, आप ने तो सीरियस्ली ले लिया.” मैं अपनी नज़रें किसी तरह वहाँ से हटा कर किचन में आ गयी. मुझे एक एक कदम उठाने में बहुत कोशिश करनी पड़ रही थी. जब तक मैं गॅस बरनर तक पहुँची, मेरी साँस फूल चुकी थी.


कुछ मिनूटों के बाद भैया भी किचन में आ गये. मैने एक गहरी ठंडी साँस ली, जब मैने देखा कि वो अपने पूरे कपड़े पहने हुए हैं. मैने भैया के कंधे पर एक हल्का सा चपत लगाया, और भैया मेरे को देख कर हंस पड़े. भैया ने फ्रिज में से 2 लीटर की कोक की प्लास्टिक बॉटल निकाली और उसको दो ग्लासस में भर लिया, उन्होने मुझसे पूछा भी नही कि मुझे पीनी है या नही. जब उन्होने कोक का एक ग्लास मेरी तरफ बढ़ाया, तो मैने उस ग्लास को पकड़ते हुए कहा, थॅंक्स भैया.

कोक को पीने के बाद हम दोनो ही थोड़ा रिलॅक्स नज़र आए. और हम पहले की तरह बात करने लगे, हँसने और मज़ाक करने लगे. भैया एक नयी मूवी की डीवीडी लाए थे, उसको उन्होने डीवीडी प्लेयर में लगाया और हम दोनो सोफे पर बैठकर मूवी देखने लगे. उसके बाद मैं किचन में डिन्नर बनाने लगी. भैया जोक्स सुना सुना कर मुझे बहुत हंसा रहे थे. 

जब हम दोनो डाइनिंग टेबल पर डिन्नर करने के लिए बैठे, तो भैया ने यकायक पूछा, “हे, संध्या, वैसे ही एक बात बताओ, जब मैं शाम को घर आया था तो तुम नंगी होकर क्या कर रही थी?”

ये सुनकर मैं तो शरम से लाल हो गयी. मैं मन ही मन कोई बहाना सोचने लगी. लेकिन इस से पहले की मैं कोई जवाब देती, भैया बोले, “और वो बॅटरीस लेकर कहाँ जा रही थी?”

मेरा मूँह खुला का खुला ही रह गया, और उसमे से कोई आवाज़ नही निकली. मुझे मालूम नही था कि भैया वो बॅटरीस मेरे हाथ में देख चुके हैं. मेरा चेहरा लाल हो चुका था, और मेरी शर्मिंदगी बयान कर रहा था. हम दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा, और भैया ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे. "ओह माँ, ओह माँ, ओह माँ," बोलते हुए वो बहुत देर तक हंसते रहे.

मैने भैया की बाँह पर फिर से एक चपत लगाई और बोली, “सुधर जाओ भैया!”

वो फिर से हंसते हुए बोले, "मैने तुमको अपना वाइब्रटर रीचार्ज करते हुए पकड़ लिया, इसलिए तुमको मुझपर गुस्सा आ रहा है उः... ? या इसलिए कि मैने तुम्हारे उस वाइब्रटर के साथ वाले प्लान में खलल डाल दिया इसलिए?"

उनकी उस कुटिल मुस्कान देख कर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन मैं कुछ कर नही सकती थी, इसलिए मैं भी खिसियाकर हँसने लगी. मैने चालाकी से जवाब दिया, “ दोनो वजह से.”

ये जवाब सुनकर भैया चुप हो गये. एक मिनिट के लिए. फिर वो अपना गला सॉफ करते हुए खाँसते हुए बोले, “अगर तुम चाहो तो मैं कुछ देर के लिए बाहर चला जाता हूँ, जिस से तुम अपने उस ....... “दोस्त”.... के साथ थोड़ा टाइम बिता सको. 
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03-31-2019, 10:45 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैने भैया को घूरकर देखा. लेकिन मेरी नज़र उनकी लंड वाली जगह पर टिकी हुई थी. मैं ये देख कर खुश हो गयी कि उनका लंड खड़ा हो कर, उनकी पॅंट में बड़ा सा टेंट बना रहा था. भैया ने मेरी तरफ देखा, और फिर दूसरी तरफ देखते हुए फिर से खाँसकर अपना गला सॉफ किया.

“ये क्या है?” मैं ऐसा पूछने से अपने आप को रोक नही पाई.

"उः," थोड़ा शरमाते होते हुए वो बोले. अब भैया को परेशान करने की मेरी बारी थी. 

"उः हुह, कुछ तो बोलो?" मैने भैया को छेड़ते हुए कहा.

भैया ने अपनी गर्दन हिलाई, मैने फिर से नीचे देखा, और एक गहरी साँस ली. भैया का लंड और ज़्यादा तन कर बड़ा हो चुका था, और वो और ज़्यादा खड़ा हो रहा था. भैया ने पूरा शरीर घूमा कर दूसरी तरफ मूँह कर लिया, उनका चेहरा भी लाल हो रहा था. मैने उनको और ज़्यादा शर्मिंदा ना करना ही ठीक समझा, हालाँकि इस सब से मेरे शरीर में भी कुछ कुछ होने लगा था.

मैं खुद भी गरम होने लगी थी. हां, वो वाइब्रटर को अपनी चूत में घुसाकर बीच में ही रुकने और झड ना पाने की वजह से भी. मैने अपने सिर को हिलाया, और डिन्नर की प्लेट में से रोटी का एक और टुकड़ा तोडा. कुछ देर बाद हम दोनो डिन्नर कर लिया, और मैने कॉफी बना ली. कॉफी के मग लेकर हम दोनो ड्रॉयिंग रूम में सोफे पर बैठकर कॉफी पीने लगे. भैया ने कॉफी पीते हुए अपने एक हाथ से लंड के उभार को छुपा रहे थे. 

"तुम्हारा ये अभी भी खड़ा हुआ है ना?" मैने बेशरम होते हुए पूछा.

भैया थोड़ा हिचकिचाए और बोले, "हां, बैठ ही नही रहा."

मैने भैया की तरफ देखकर मूँह बनाया. मेरा दिमाग़ भैया के लंड से पानी छूटते हुए की तस्वीरों की कल्पना करना लगा, और मैने भी वहाँ से अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया. मेरा चेहरा बेहद गरम और लाल हो चुका था, मैने अपने चेहरे के सामने अपना हाथ हिला कर थोड़ी हवा की. फिर हिम्मत करके भैया से पूछा, “लास्ट टाइम, आपने किसी लड़की के साथ कब किया था?” 

भैया ने कॉफी की एक चुस्की लेते हुए बोला, “कॉलेज की एक लड़की के साथ, करीब 3 मैने पहले.”

"ओह, बहुत दिन हो गये. शायद मुझे ऐसा नही पूछना चाहिए था," मैं बोली.

भैया ने अपने कंधे उन्च्काये और बोले, “नही, इसमे ग़लत बात क्या है?”

मैं भी सब कुछ जानने को उत्सुक हो चुकी थी, और थोड़ा बिंदास महसूस कर रही थी, मैने पूछा, “क्या इस तरह हम दोनो का ऐसी बात करना नॉर्मल है, और उसको देखो?” मैने भैया के खड़े लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा.

"क्या संध्या, हम दोनो क्या सारी रात मेरे लंड के बारे में बात करके ही गुज़ार देंगे क्या?” भैया ने बड़े प्यार से बोला. शायद वो बहुत ज़्यादा शर्मा रहे थे.

"उः, आपने ही शुरुआत की थी, उसको मुझे शाम को दिखाकर," मैने उनको याद दिलाया.

"गुड पॉइंट," भैया बोले.

एक मिनिट के बाद, मैने पूछा, "तो तुम इसको लंड बोलते हो?"

भैया ने कंधे उँचकाते हुए कहा, "हां, कभी कभी. कभी मैं इसको लंड लंड बोलता हूँ. लेकिन ज़्यादातर मैं इसके बारे में बात करता ही नही हूँ, इसलिए कहना बड़ा मुश्किल है."

मैने अपना सिर हिलाकर भैया की बात से सहमति जताई, फिर मैने उनसे पूछा, “तो क्या ये नॉर्मल है?”

"क्या नॉर्मल है?" भैया ने पूछा. जैसे कि उनके समझ में ना आया हो कि मैं क्या पूछ रही हूँ. 

"वो," मैं बोली, मैने उनके पॅंट में बने टेंट की तरफ एक उंगली से इशारा करते हुए कहा. उन्होने वहाँ से अपना हाथ हटाया, और मैने उनके लंड के उभार का एक बार फिर से दीदार किया, जो पॅंट को फाड़ देने के लिए बेताब हो रहा था.

"नही ऐसा नही है," आख़िरकार वो बोल ही पड़े. भैया मेरी तरफ देखना अवाय्ड कर रहे थे. और मुझे इस वजह से उनके लंड को उभार को निहारने का भरपूर मौका मिल रहा था. कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ, कि मैं अपने सगे बड़े भाई के लंड को निहार रही हूँ. और वो भी लगातार निहारे जा रही हूँ. 

मैने भैया के चेहरे की तरफ देखा, वो मुझे ही देख रहे थे. मैने उनकी शरम को दूर करने के लिए थोड़ा मुस्कुरा दिया. मैने भैया की तरफ थोड़ा सो झुकता हुए पूछा, “लेकिन भैया ये अभी भी खड़ा क्यूँ हुआ है?”

"हे भगवान, संध्या ये तो मुझे भी पता नही है! शायद या तो कुछ गड़बड़ है, या फिर मैं कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड हो गया हूँ, मुझे भी नही पता!" भैया ने बिना मेरी तरफ देखे, अपना बचाव किया. 

मैने थोड़ा और आगे झुक कर भैया की जाँघ पर हाथ रखा, और फिर धीरे से बोला, “मैं आपको अपसेट नही करना चाहती, बस मैं तो ये जानने को उत्सुक थी.”
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03-31-2019, 10:46 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
ये सुनकर भैया थोड़ा रिलॅक्स हुए, और मेरी तरफ देखा. फिर उन्होने अपने कंधे उन्च्काये और दूसरी तरफ देखते हुए बोले, “मैं एक लड़का हूँ, और लड़कों के साथ ऐसा हो जाता है. हमेशा मेरा इस पर कंट्रोल नही रहता.”

मैने भैया के चेहरे की तरफ देखा, वो मुझे ही देख रहे थे. मैने उनकी शरम को दूर करने के लिए थोड़ा मुस्कुरा दिया. मैने भैया की तरफ थोड़ा सो झुकते हुए पूछा, “लेकिन भैया ये अभी भी खड़ा क्यूँ हुआ है?”

"ओह हो, संध्या ये तो मुझे भी पता नही है! शायद या तो कुछ गड़बड़ है, या फिर मैं कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड हो गया हूँ, मुझे भी नही पता!" भैया ने बिना मेरी तरफ देखे, अपना बचाव किया. 

मैने थोड़ा और आगे झुक कर भैया की जाँघ पर हाथ रखा, और फिर धीरे से बोला, “मैं आपको अपसेट नही करना चाहती, बस मैं तो ये जानना चाहती थी.”

ये सुनकर भैया थोड़ा रिलॅक्स हुए, और मेरी तरफ देखा. फिर उन्होने अपने कंधे उन्च्काये और दूसरी तरफ देखते हुए बोले, “मैं एक लड़का हूँ, और लड़कों के साथ ऐसा हो जाता है. हमेशा मेरा इस पर कंट्रोल नही रहता.” 

मैं थोड़ा पीछे हुई, और धीरे से बोली, “लेकिन और लड़कों के कंपॅरिज़न में आपका ये काफ़ी बड़ा है."

"क्या कह रही हो संध्या!" भैया धीरे से चीखते हुए बोले.

मैं खिलखिलाई और बोली, "सच में, मैं सीरीयस हूँ."

"ठीक है, संध्या लेकिन अगर हम बातों का टॉपिक चेंज कर लें, तो कैसा रहेगा?" धीरज भैया सुझाव देते हुए बोले.

"सॉरी. मैं कुछ ज़्यादा ही क्यूरियस हो गयी थी. आइ'म सॉरी," मैं धीरे से बोली.

भैया ने कंधे उँचकाते हुए कहा, "इट'स फाइन. आइ'म ओके."

"एक बात पूछूँ भैया?" मैने पूछा, कुछ बात जानने के लिए मैं कुछ ज़्यादा ही उत्सुक हो गयी थी.

भैया गुर्राते हुए बोले, "मुझे लगता है तुम मानोगी नही, चलो पूछ, क्या पूछना है."

"क्या उनको दर्द होता है?" मेरे मूँह से अपने आप निकल गया.

"हुह?" भैया ने कन्फ्यूज़ होकर पूछा.

"जब आप सेक्स करते हो, तो क्या आपकी गर्लफ्रेंड को दर्द नही होता?" मैने पूछा. मैं पता नही इतनी उस दिन इतना ज़्यादा बेशरम कैसे हो गयी थी, मैं बहुत ज़्यादा उत्सुकता जाहिर कर रही थी.

"उः, नही मुझे तो ऐसा नही लगता. और मैने कभी इस बारे में सोचा भी नही," भैया ने जवाब दिया.

ये सुन कर मैं थोडा खामोश हो गयी, और इस बारे में सोचने लगी. मेरे दिमाग़ में तरह तरह की तस्सीरें उभरने लगी, सारी शरारत भरी तस्वीरें.

"लेकिन संध्या तुमने ऐसा क्यूँ पूछा?" धीरज भैया ने सर्प्राइज़ होते हुए पूछा.

मैने अपने कंधे उन्च्काये और बोली, "मुझे लगता है उनको दर्द होता होगा, सीरियस्ली ये बहुत बड़ा है."

"तो मेरी बहना क्या मैं इसको कॉंप्लिमेंट समझू?" धीरज ने पूछा.

"हां कॉंप्लिमेंट ही दे रही हूँ भैया?" मैने बिना कुछ सोचे तुरंत जवाब दिया. 

"हम दोनो ने इस तरह की बातें पहले कभी नही की हैं," भैया बोले.

मेरा चेहरा भी शरम से लाल हो गया. "हां आप सही कह रहे हैं भैया" मैं धीरे से बोली.

"आइ डॉन'ट रियली माइंड," भैया बोले.

"डॉन'ट माइंड व्हाट?" मैने पूछा.

धीरज भैया ने मेरी तरफ देखा और बोले, "मुझे तुम्हारे साथ सेक्स की बातें करने में कोई शरम नही है और क्या.”

मुझे लगा कि भैया सही कह रहे हैं, मुझे भी उनके साथ सेक्स की बात करने में कोई शरम नही आ रही थी. हम दोनो के बीच शरम की दीवार टूट चुकी थी. मैं भी भैया से सेक्स की बातें कर के बहुत कंफर्टबल और रिलॅक्स महसूस कर रही थी. और जैसे जैसे हम दोनो सेक्स की बातें कर रहे थे, मैं गरम होती जा रही थी.

"मुझे भी नही है," मैं टीवी की तरफ देखते हुए फुसफुसाई, मुझे पता नही था, टीवी पर क्या प्रोग्राम चल रहा था.

"लास्ट टाइम तुमने सेक्स कब किया था?" धीरज भैया ने मेरे से पूछा.

"मुझे तो आप से भी ज़्यादा टाइम हो गया," मैने जवाब दिया. शायद 6 महीने से भी ज़्यादा हो गये हैं. ज़्यादातर मुझे कोई फरक नही पड़ता. लेकिन अब इस तरह उत्तेजित होने के बाद, इस बात का एहसास हो रहा था, कि मैने पिछले काफ़ी लंबे समय से सेक्स नही किया है.

"बहुत मुश्किल है, इतने दिनो तक रहना, मुझे तो ऐसा ही लगता है" भैया बोले.

मैने भी अपने कंधे उन्च्काये और बोईइ "सच कहूँ तो आज से पहले मैने भी कभी इस चीज़ पर इतना ज़्यादा ध्यान ही नही दिया." 

"ओह," भैया बोले. "और अब क्या तुमको इस चीज़ का एहसास हो रहा है?"

मैं ये सुनकर थोड़ा हिचकिचाई. मेरे दिमाग़ में एक बात चल रही थी कि हम दोनो की ये बातें ना जाने कहाँ जाकर ख़तम होंगी. लेकिन क्या इस प्रश्न का कोई मतलब था? क्या मुझको अपने सगे बड़े भाई से इस तरह की बातें करनी चाहिए थी? लेकिन मुझको लग रहा था कि ऐसा करने में कोई बुराई नही है. ये सब सोचकार मैने बोला, “हां थोड़ा थोड़ा.”
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03-31-2019, 10:46 PM,
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भैया कुछ नही बोले पूरे एक मिनिट बाद, मैने भैया की तरफ देखा और उनको मेरी तरफ देखता हुआ पाया. फिर वो बोले, “शायद इस सब की शुरूवात वहाँ से हुई है, जब से मैने तुमको नंगा देखा है.”

"हां, शायद. लेकिन वो सब मेरी ग़लती थी. आपका इस में कोई कुसूर नही है," मैने जवाब दिया. मुझ थोड़ी शर्मिंदगी तो हुई, लेकिन मैने उसको तुरंत अपने दिमाग़ से दूर कर दिया. 

"आइ डॉन'ट केर," भैया बोले. "मेरा मतलब आइ डॉन'ट केर कि मैने तुम को वो सब करते हुए देख लिया. मेरा मतलब मेरे को उस समाया वहाँ पर नही होना चाहिए था. तुम घर पर अकेली थी, मुझको इस तरह नही घुस कर आना चाहिए था, ये मेरी ही ग़लती थी."

मैं भैया को एकटक देखती रही. जिस तरह से वो बातें कर रहे थे, मुझे वो सब सुनकर बहुत अच्छा फील हो रहा था. हालाँकि मैं भैया के साथ हमेशा ही कंफर्टबल फील करती हूँ, लेकिन आज से पहले हम दोनो ने इस तरह की बातें पहले कभी नही की थी. आख़िर में मैने बोला, “आप बहुत अच्छे हो भैया.”

भैया मेरी तरफ देखकर मुस्कुराए, और फिर टीवी की तरफ देखने लगे, हालाँकि मुझे मालूम था कि वो टीवी सच में देख नही रहे हैं. कुछ मिनिट्स के बाद, भैया ने एक ऐसा सवाल पूछा , कि मुझे उनकी तरफ देखने के लिए बाध्य होना पड़ा. भैया ने पूछा, “क्या कभी तुमने कभी सपने में सेक्स किया है?”

अभी हाल ही में जो मैने सपना देखा था, वो मुझे याद आ गया. उस सपने में जो कुछ मैने देखा था, उसकी सारी डीटेल्स मेरे दिमाग़ में घूमने लगी, वो सब याद करके मेरी चूत गीली होने लगी, और मैने अपने दोनो टाँगों को आपस में चिपका लिया. मैने भैया के सवाल का तो कोई जवाब नही दिया. कुछ देर बाद भैया बोले, “तो मैं ना समझू या हां?”

"हूँ," मेरे मूँह से निकल गया.

भैया टीवी की तरफ देख रहे थे. लेकिन मेरी तरफ से कोई सॉफ जवाब ना मिलने से वो थोड़ा नाराज़ थे. उनको मालूम था कि मैं उनके सवाल को अवाय्ड कर रही हूँ. ऐसा अक्सर सगे भाई बेहन में होता है, तुमको अच्छा लगे या बुरा, लेकिन आप एक दूसरे को अच्छी तरह पहचानते हो. 

भैया शायद बिना पूछे मानने वाले नही थे. उन्होने पूछा, “तुमको अच्छा लगा?”

मैने नीचे फर्श की तरफ देखा, फिर सोफे को, फिर टीवी को, भैया को छोड़कर सब तरफ देखा. मैं इसका जवाब देने में असहज हो रही थी. मैं अपने सपने के बारे में सोचने लगी. मैने भैया के बारे में सपना देखा था, और हम दोनो सेक्स करने के बहुत नज़दीक पहुँच गये थे. मैं भैया के सुंदर चेहरे को निहारने लगी. मुझे लगा मेरा जवाब हां ही है, और मैं ये जवाब दे भी सकती थी. लेकिन मेरा जवाब हमारी बातों को किस दिशा में ले जाएगा, पता नही. मैं नर्वस हो रही थी. किसी तरह मैने धीरे से जवाब दिया, “हां.” 

भैया थोड़ा हिचकिचाए और फिर पूछा, "सपने में क्या हुआ था?"

मैं थोड़ा घबरा गयी. मैं भैया से झूठ नही बोलना चाहती थी. मैं ये सोच रही थी कि कैसे बिना झूठ बोले उनके इस सवाल का जवाब दूं. मैं सच बोलकर भी कुछ भी जाहिर नही करना चाहती थी. मैं मन ही मन अपने आप को समझाने लगी, संध्या, वो बस एक सपना था, ऐसा नही है कि तुमने अपने भैया के साथ वाकई में सेक्स किया हो, लेकिन मैं अपने आप को दिलासा नही दे पा रही थी.

आखिकार मैं उठ कर खड़ी हो गयी. भैया मेरी तरफ देखने लगे, मैं बोली, “मैं बहुत थक गयी हूँ, अब मैं सोने जा रही हूँ.”

भैया ने आँखों में नाराज़गी भरकर मुझे देखा, लेकिन मुझे रोका नही. मैं पहले बातरूम गयी, और फिर जल्दी से कपड़े चेंज कर के सोने के लिए तय्यार हो गयी. कुछ मिनिट्स के बाद, मैं बेड पर लेटी हुई, दिन भर जो कुछ हुआ उसके बारे में सोचने लगी.

मैं आँखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगी. बाहर से आती हुई टीवी की आवाज़ मुझे सुनाई दे रही थी, लेकिन कुछ समझ में नही आ रहा था. मेरे दिमाग़ में बहुत कुछ चल रहा था. जैसे ही मैं सोने की कोशिश करती, बहुत सारी तस्वीरें मेरे दिमाग़ में घूम जाती. भैया का वो सेक्स और सपने के बारे में पूछना, सेक्स और सपना. ऊओह. मैं टूटने लगी थी, फिर किसी तरह मुझे नींद आ ही गयी, और नींद भी कम रोचक नही थी.

मैने सपने में देखा, मैं एक सॉफ्ट गद्दे पर लेटी हुई हूँ. ठंडी ठंडी हवा चल रही है, चारों तरफ पहाड़ हैं और हरियाली के बीच वो कॉटेज बही हुई है. लेकिन मैं अकली नही हूँ, कोई है जो मेरे साथ है.

वो मेरे पास ही खड़ा है, उसकी पीठ मेरी तरफ है. मैं उसको जानती हूँ, और वो मुझे. मैं ये सोचकर मंद मंद मुस्कुरा रही हूँ, कि वो बस कुछ ही पलों में मेरे साथ बेड पर आ जाएगा. मैं उसके बदन को अपने शरीर के पास महसूस करना चाहती हूँ. मैं उसकी त्वचा की गर्माहट चाहती हूँ, उसकी वो बलिष्ठ बाहों में समा जाना चाहती हूँ.

वो मेरी तरफ घूमा. उसका नाम धीरज था, वो मेरा सगा बड़ा भाई था. मेरा प्यार. मैं कंबल के अंदर छटपटाने लगी, और अपने नंगे बदन को उस सॉफ्ट गद्दे पर मचलते हुए महसूस करने लगी. मैं चाहती थी कि वो मेरे पास आए, लेकिन मैं ऐसा ज़ोर से नही बोलना चाहती थी. ठीक भी था. लेकिन वो समझ रहा था. उसने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को देखता है.

मैने एक गहरी साँस ली, और उसके बदन से आ रही खुसबु को महसूस करने की कोशिश करने लगी. वो अभी भी मुझसे दूर था. मेरा दिल कह रहा था, मेरे पास आ जाओ. मैं उस से मेरे पास आने की भीख माँग रही थी, लेकिन बोल नही पा रही थी. उसने मेरी तरफ देखा, उसकी आँखों में वासना थी. फिर उसने अपना हाथ नीचे लेजाकर अपनी पॅंट के बटन को खोल दिया. मैं फिर से छटपटा उठी. उसने अपनी पॅंट अंडरवेर समेत नीचे सरका दी, मुझे उनका वो लंड दिखाई देने लगा, जिसके प्यार में ना जाने कब से थी. उनका लंड एक दम पर्फेक्ट था. मैं कराह उठी.


धीरज भैया धीरे से मेरी तरफ बढ़ने लगे, जैसे ही आगे बढ़े उनका लंड हिलने लगा. उनका लंड पहले से ही आधा खड़ा हुआ था. मेरी चूत गीली होने लगी थी, मैं वासना में डूब चुकी थी. मैं भैया के और पास आने का इंतेजार करने लगी. वो बेड के पास खड़े हो गये, मेरे से बस 2 फीट की दूरी पर. मेरी नज़रें उनकी दोनो टाँगों के बीच केंद्रित थी. मैं उनके लंड को पूरा खड़ा होते देख रही थी. फिर मैं उनके चेहरे की तरफ देखा. 

हां में गर्दन हिलाकर, धीरज भैया मेरे पास बेड पर आकर लेट गये. और अपने उपर कंबल को ओढ़ लिया, और मेरे पास आ गये. उनका शरीर गरम था, और जैसे ही हम दोनो के स्पर्श का एहसास हुआ, मेरे शरीर में कंपकपि सी दौड़ गयी. ये ठंड वाली कपकपी नही थी, लेकिन मेरा शरीर कह रहा था कि अब बर्दाश्त नही होता, जल्दी कुछ करो. मैं चाहती थी कि वो मुझे अपने हाथों से छूए. मैं चाहती थी कि वो मुझे खींच कर अपने से चिपका ले, मैं उसको महसूस करना चाहती थी.
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03-31-2019, 10:46 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
आख़िर में भैया ने अपना एक हाथ मेरे पेट पर रख दिया. उनके ऐसा करते ही, मेरे शरीर में तो जैसे आग ही लग गयी. मुझे मालूम था, मैं टाँगो के बीच गीली हो चुकी हूँ. उन्होने हल्के से अपना हाथ मेरे पेट पर फिराया, मेरे शरीर में तरंग सी दौड़ गयी, और आग बढ़ गयी. मैं कराहने लगी, और उनसे चिपकने की कोशिश करने लगी.

भैया मेरी नाभि के चारों तरफ गोल गोल हाथ फिराने लगे. उनकी ये हरकत मेरे शरीर में उत्तेजना पैदा कर रही थी. मैं उनके और ज़्यादा करीब खिसक आई. उन्होने अपना हाथ कुछ इंच उपर उठाया, और ऐसे करते ही उनका हाथ मेरी दोनो चूंचियों को छू गया. फिर उन्होने अपना सिर नीचे कर के मेरी छाती के पास ले आए, और अपने होंठों से मेरे निपल्स को जकड कर, उनको चूसना शुरू कर दिया. मेरी छाती गरम होने लगी. उनका ऐसा करते ही, मेरा शरीर अपने आप उपर उठ कर तीर कमान बन गया. 

उनके होंठों का मेरे निपल्स को चूसने का एहसास मुझे पागल कर रहा था. तभी वो अपनी जीभ से मेरे निपल्स के उपर फिराने लगे. मैं कराही, “ऊऊहह.” लेकिन वो नही रुके. उनके पैर मेरे हिप्स को दबाने लगे, और फिर वो मेरे उपर चढ़ आए. मैं उनके लंड को अपने हिप्स पर महसूस कर रही थी. उनका गरम गरम बड़ा लंड कड़क होकर खड़ा हुआ था, और मेरी दोनो टाँगों के बीच प्रेकुं से गीला कर रहा था, 

“मज़ा आ रहा है,” उन्होने पूछा. लेकिन ये कोई सवाल नही था.

“म्म्म्मम,” मैने जवाब दिया, और उनसे चिपक गयी. मैं चाहती थी कि वो मेरी चिकनी चूत के गीले पन का एहसास करें, लेकिन मुझे नही मालूम उन्होने इसकी तरफ ध्यान दिया था या नही. वो मेरी बाहों को अपने हाथों से सहलाने लगे. मुझे थोड़ी गुदगुदी हुई, लेकिन मैं हिली डुली बही. बहुत मज़ा आ रहा था. मैं उनकी बालिश्ट बाहों में पिघलने लगी, और मेरा शरीर गरम होने लगा. मैं उनको अपने अंदर महसूस करना चाहती थी.

धीरज भैया अपनी टाँगों से मेरी टाँगें सहलाने लगे. मैं काँप उठी. उनका लंड गरम हो चुका था, और मेरे चुतड़ों के उपर दबाव बना रहा था. मैं अपनी गान्ड को घुमाकर उसको अपने हिप्स से मसल्ने लगी, और महसूस करने लगी. वो बहुत गरम था. लेकिन मेरी समझ में नही आ रहा था कि अब आगे क्या करूँ. 

लेकिन भैया ने मेरी वो दुविधा भी दूर कर दी. जब मैं आगे क्या होने वाला है उसका इंतेजार कर रही थी, भैया मेरी दोनो टाँगों के बीच आ गये, उनका गरमा गरम लंड बीच में झूल रहा था, मैं उसकी गर्माहट को महसूस कर रही थी. मैं फिर से छटपटा उठी.

लेकिन भैया ने मेरी वो दुविधा भी दूर कर दी. जब मैं आगे क्या होने वाला है उसका इंतेजार कर रही थी, भैया मेरे दोनो टाँगों के बीच आ गये, उनका गरमा गरम लंड बीच में झूल रहा था, मैं उसकी गर्माहट को महसूस कर रही थी. मैं फिर से छटपटा उठी.

तभी किसी शोर की आवाज़ ने मेरा सपना तोड़ दिया. ये किस चीज़ की आवाज़ थी? मैने सिर उठा कर देखा, और नींद से जागने की कोशिश की. मैं उस कॉटेज की दुनिया से निकल कर अपने बेडरूम में आ गयी, और वास्तविकता को पहचानने लगी. वो आवाज़ फिर से सुनाई दी, वो किसी के कराहने की थी.

मैं मन ही मन मुस्कुराते हुए, बेड से उठ गयी. मैं धीरे से अपने रूम से बाहर निकली, और नीचे ड्रॉयिंग रूम की तरफ चल दी. मैने वहाँ भैया को सोफे पर देखा, टीवी अभी भी ओं था. टीवी की रोशनी में मैं भैया का चेहरा हल्का सा देख पा रही थी.

भैया फिर से कराह उठे, मेरे टाँगों के बीच झुरजुरी दौड़ गयी. मुझे एहसास हुआ की मैं उठाने के बाद अभी भी गरम थी. मैं कामुक हो रही थी. जो सपना मैने देखा था, उसके बाद ऐसा होना लाजमी था. और वो सपना अभी भी मेरे दिमाग़ में ताज़ा था. भैया का इस तरह कहराहने की आवाज़ मुझे पागल कर रही थी.
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03-31-2019, 10:47 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैने देखा धीरज भैया का शरीर थोड़ा हिला और फिर रुक गया. मैं नही चाहती थी कि भैया मुझे उनको इस तरह चोरी से देखते हुए पकड़ें. मुझे नही मालूम था वो जाग रहे हैं या सो रहे हैं. लेकिन मैने सोचा कि अगर मैं यकायक वहाँ पहुच जाउन्गि तो यदि वो जाग रहे होंगे तो मैं कुछ कहने की स्थिति में होंगी. चुपचाप छुप कर देखने से पकड़े जाने का ख़तरा था.

थोड़ी सी हिम्मत कर के मैं ड्रॉयिंग रूम में अंदर आ गयी, और सोफे के पीछे रुक गयी. मैने भैया के चेहरे की तरफ देखा, उनकी आँखें बंद थी. टीवी की रोशनी में मैं उनके चेहरे पर आ रहे एक्सप्रेशन्स को देख पा रही थी. भैया सो रहे थे, और गहरी साँसें ले रहे थे, उनके होंठ खुले हुए थे.

मैं एक पल भैया के बदन को निहारती रही, उन्होने गर्दन तक कंबल ओढ़ रखा था, लेकिन ब्लंकेट में से उनके कुछ अंग बाहर निकले हुए थे. भैया का शरीर बहुत सेक्सी था, इस चीज़ पर मैने पहले कभी गौर नही किया था. लेकिन जिस तरह के सपने मैं पिछले कुछ दिनों में देख रही थी, मैं भैया को उन नज़रों से देखने लगी थी, जिस तरह पहले उनको कभी नही देखा था. जैसे क़ि वो मुझे अब आकर्षक लगने लगे थे, उनका सब कुछ आकर्षक था. इस वक़्त मैं इस बात को स्वीकार कर रही थी. 

धीरज भैया थोड़ा कराहे, मेरी नज़र फिर से उनके चेहरे की तरफ चली गयी. उनका मूँह अभी भी खुला हुआ था, और ऐसा लग रहा था, कि उनका सिर थोड़ा झुका हुआ है. मैने गौर से देखा, उनकी आँखें पूरी तरह बंद थी, और वो वैसे भी हिल डुल नही रहे थे. मैने अपनी नज़रें नीचे दौड़ाई, ये देखने को कि कहीं उनके हाथ नीचे तो नही हैं. तभी मेरी नज़र उनके खड़े होकर तने हुए लंड पर पड़ी, तो कंबल में टेंट बना रहा था. मेरा मूँह खुला का खुला ही रह गया, और मैने एक गहरी साँस ली. मेरी टाँगों के बीच भी कुछ कुछ अच्छा सा फील होने लगा.

तभी यकायक मेरे मन में भैया को झड्ते हुए देखने की इच्छा उत्पन्न हुई. मानो मैं किसी नशे में थी, और उस नशे की मुझे कल रात से लत लग चुकी थी. मैं वहीं पर चुप चाप खड़ी रही, और उनके बदन की हरकतों को निहारने लगी, और उन संकेतों को देखने लगी, जिन से ये लग रहा था कि भैया को आनंद मिल रहा है. वो फिर से कराहे, और मेरे शरीर ने भी रेस्पॉंड करना शुरू कर दिया. भैया के नग्न शरीर की तस्वीर मेरे दिमाग़ में घूमने लगी. मेरी टाँगों के बीच अजीब मस्ती चढ़ने लगी. मेर अंदर मुझे अपने आप को छूने की तीव्र इच्छा जागने लगी.

धीरज भैया के चेहरे पर नज़र पड़ते ही मुझे एहसास हुआ, कि उनके चेहरे पर अलग ही भाव थे, और थोड़ी शिकन भी आ रही थी. उनकी साँसें भी तेज तेज चल रही थी. वो फिर से कराहे, और उनके शरीर में भी कुछ हलचल हुई. उनकी कमर उपर की तरफ उठने लगी. मैं फिर से उनकी दोनो टाँगों के बीच बने टेंट को देखने लगी. मैं कल्पना करने लगी कि मैं उनका लंड देख रही हूँ, बस लंड का उपरी हिस्सा. जो उनके शरीर से बहुत इंच उपर उठा हुआ था. मैं एक बार फिर से भैया के लंड के साइज़ से मन्त्र मुग्ध हो गयी.

मुझे एहसास हुआ कि मेरी चूत से पानी टपकने लगा है. मैं अपने आप को टच करना चाहती थी. मैने अपनी दोनो जांघे चिपका ली, और उन दोनो को इस कदर भींच लिया, कि वो मेरी चूत के दाने को छूने लगी. मुझे एहसास हुआ कि मेरी साँसें बहुत तेज़ी से चल रही थी. भैया एक बार फिर से कराहे और मेरी नज़रें फिर से उनके चेहरे को देखने लगी. वो अब भी सो रहे थे. जैसे ही मैने उनको देखा , “उहह,” वो कराह उठे.उनका शरीर अकड़ने लगा था, और उनकी कमर उपर उठ कर तीर कमान बना रही थी. हां वो झड रहे थे, मैं छटपटा उठी. मैं बारी बारी उनके खड़े होकर तने हुए लंड और उनके चेहरे को देखने लगी. मैं देखना चाहती थी कि झड्ते समय उनके चेहरे पर कैसे भाव आते हैं, और मैं उनके लंड से निकलते हुए पानी को भी देखना चाहती थी. 

मैने अपना सिर हिलाया, मैं ये क्या कर रही थी. मैं अपने भैया के लंड से निकले पानी को देखना चाहती थी? मुझे अपने आप से घृणा होने लगी. लेकिन मेरी टाँगों के बीच जो आनंद मिल रहा था, वो मेरे इन सब सवालों को बेरहमी से दबा रहा था. भैया फिर से जो से कराह उठे, “ऊऊऊहह,”

मेरी टाँगों के बीच आनंद की लहर ने आग लगा रखी थी. अब मुझ से बर्दाश्त करना नामुमकिन था. मैं जल्दी से अपने बेडरूम में भाग कर आ गयी, और अपनी पॅंट उतारकर बेड पर फेंक दी. मैने बेड के नीचे से उस वाइब्रटर को निकाला. मुझे इस बात की प्रसन्नता हुई कि मैने उसकी बॅटरीस पहले ही चेंज कर दी थी. मुझे अब गरम होने के लिए कुछ भी करने की ज़रूरत नही थी. मैं उसको तुरंत ऑन करके चालू किया और अपने अंदर घुसा लिया. मैं तुरंत कराहने लगी, और अपने आप को झड्ता हुआ महसूस करने लगी, जिस उफान का मैं इंतेजार कर रही थी, वो उफान आ चुका था, जो बहुत देर से उबल रहा था. 

मैने उस छोटे लंड वाले वाइब्रटर को तो ऑन भी नही किया था. मुझे उसकी ज़रूरत भी नही पड़ी. मैं ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी, मेरा शरीर काँप रहा था. मैं उसको अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी, मेरी चूत आनंद में अपने आप खुल बंद हो रही थी. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था, और मैं हाँफ रही थी. मैं अपनी आवाज़ो और कराहों को धीमा निकालने का प्रयत्न कर रही थी, जिस से धीरज भैया कहीं सुन ना लें.

लेकिन वो जाग ही गये. “संध्या?” नीचे ड्रॉयिंग रूम में से उनकी आवाज़ आती हुई सुनाई दी. तभी मुझे एहसास होते ही मैने अपने रूम का दरवाजा खुला छोड़ दिया है. शिट, ये मैने क्या कर दिया, वाइब्रटर अभी भी मेरे अंदर घुसा हुआ था, और बज़्ज़ कर रहा था. वो तुरंत समझ जायेंगे कि मैं क्या कर रही थी. लेकिन शायद मुझे अब इस बात की परवाह नही थी. लेकिन मैं चाहती थी कि वो मेरे रूम से चले जायें. मैं झड्ने से बस कुछ सेकेंड्स ही डोर थी. शिट !

"संध्या?" उन्होने मेरे कमरे में दाखिल होने के बाद फिर से आवाज़ लगाई. 

आखिकार मैने पानी आँखें खोल ही दी, और हाथ नीचे लेजाकर वाइब्रटर को बटन से ऑफ कर दिया. उसको मैं अभी भी अपने अंदर महसूस कर रही थी. “क्या है? मैने पूछा. मेरी आवाज़ में तल्खी थी. 

वो एक मिनिट तक कुछ नही बोले. मैने देखा वो ड्रॉयिंग रूम की तरफ देख रहे थे. जब वो मेरी तरफ घूमे, फिर बोले, “मैं अभी एक सपना देख रहा था.”

ओह. "उः, ओके," मैने जवाब दिया. मेरे समझ में नही आया, कि मैं और क्या बोलूं. 

वो कुछ सेकेंड्स नीचे फर्श की तरफ देखते रहे फिर बोले, “क्या मैं तुमसे एक मिनिट बात कर सकता हूँ?”

मेरे शरीर को जो आनंद मिल रहा था उसकी वजह से मेरी आँखे बंद थी. मैं अपने शरीर में उठ रही उन लहरों के थमने तक करीब आधा मिनिट इंतेजार करती रही, और फिर से अपनी आँखें खोल दी. मैने धीरज भैया की तरफ देखा और बोली, “हां बताओ, क्या हुआ?”
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