Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 03:17 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
उस दिन दोपहर में मेरे कुछ दोस्त घर पर मुझसे मिलने आए, हमने टीवी देखा और बातें की, मौसी जब किचन में हमारे लिए खाना बना रही थी. मैं जब मौसी से किसी प्रकार की हेल्प करने के लिए पूछने के लिए किचन में पहुँचा, तो मैने देखा, मौसी मेरी मम्मी से मोबाइल पर बात कर रही थी. मैं वहीं पर खड़ा होकर उनकी बातें सुनने लगा. मम्मी ने बताया कि हो सकता है उनको लौटने में थोड़े दिन और लग जायें, वो मौसी से रुकने की रिक्वेस्ट कर रही थी, और मेरे बारे में पूछ रही थी.
“राज को नहलाने में अब तो कोई दिक्कत नही हो रही?” मम्मी ने पूछा.

“ओह... नही दीदी,” सब ठीक चल रहा है, और वो हमारे बीच जो चल रहा था, उस को छिपा गयी.

अगले दिन सुबह 9 बजे, मैं और मौसी जब डॉक्टर के पास गये, तो डॉक्टर ने मेरे हाथों को एग्ज़ॅमिन करने के बाद, रिकवरी की प्रोग्रेस पर संतोष जताया, और मेरी बॅंडेजस छोटी कर दी, और एक दो दिन में पूरी तरह खोलने के बारे में बताया.

इस बार जो बॅंडेज बाँधी उसमे मेरी उंगलियाँ खुली हुई थी. मौसी मेरी उंगलियाँ खुली देख खुश हो गयी, और शायद सोचने लगी कि अब मैं अपने आप नहा सकूँगा.

लौट कर उमा मौसी किचन में ब्रेकफास्ट बनाने लगी, और फिर हम दोनो जब डाइनिंग टेबल पर बैठ कर शांति से ब्रेकफास्ट खा रहे थे, और एक दूसरे की तरफ देख भी नही रहे थे. ब्रेकफास्ट करने के बाद मैं अपने रूम में चला गया.

करीब एक घंटे जब मैं अपने रूम से निकला, तो मैने बस शॉर्ट ही पहना हुआ था, और मेरे हाथों में तौलिया थी.

मौसी ने जब मुझे ऐसे देखा, तो मानो एक बार को चौंक गयी, और शायद समझ गयी कि मुझे क्या चाहिए. 

“उः…मौसी… मुझे नहला दो ना प्लीज़, फिर मैं अपने दोस्त के घर जाउन्गा,” मैने मौसी की मनुहार करते हुए कहा.

“हां... बेटा, अभी चेंज करके नहलाती हूँ, तुम बाथरूम में चलो...” मौसी बोली.

कुछ देर बाद मैं शवर चालू करके, मौसी का बाथरूम में वेट करने लगा, मौसी थोड़ी देर बाद सिर्फ़ वाइट कलर की चड्डी पहने मुझे नहलाने के लिए बाथरूम में दाखिल हुई. वो आज थोड़ा घबरा रही थी, अंदर घुसते समय उन्होने एक गहरी लंबी साँस ली. मेरी पीठ मौसी की तरफ थी, और मैं अपना चेहरा उपर कर के शवर के पानी को अपने चेहरे पर गिरने दे रहा था, मुझे एहसास हुआ कि मौसी मेरी गान्ड को निहार रही है, जैसे ही मैने गर्दन घुमा कर देखा, मौसी दूसरी तरफ देखने लगी.

मौसी ने अपने हाथों में साबुन मलना शुरू कर दिया, और मैं उनको ऐसे करता देखने लगा. जैसे ही मौसी ने मुझे साबुन लगाने के लिए मेरी बाहों को छुआ, मेरा शरीर में कुछ कुछ होने लगा, और वो अकड़ने लगा. मौसी जल्दी जल्दी मेरी बाहों और छाती पर साबुन मलने लगी, मौसी के हाथ भी थोड़ा काँप रहे थे, और उनकी साँसें भी उखड़ने लगी थी. मौसी ने मेरी पीठ और फिर टाँगों पर साबुन लगाते हुए, उपर आते हुए मेरी गान्ड पर भी साबुन लगा दिया.

“उः…राज... अब घूम जाओ और अपनी पीठ को धो लो,” मौसी बोली.

जैसे ही मैं मौसी की तरफ घूमा, मेरा खड़ा हुआ लंड मौसी के पेट से जा टकराया. मेरे लंड के छूते ही मौसी थोड़ा अचकचाई. मैं अपनी पीठ पर लगे साबुन को शवर के पानी से धो रहा था, ऐसे करते हुए कई बार मेरी छाती मौसी के मम्मों को छू जाती, और उनके निपल्स मेरी छाती से दब जाते, मौसी मेरे खड़े लंड के दबाव को अपने पेट पर महसूस कर रही थी.

मौसी के निपल्स अब कड़े होने लगे थे, और उनको कुछ समझ में नही आ रहा था. मैं मौसी के मस्त मम्मों को निहार रहा था. फिर मैने अपने हाथ बढ़ा कर हल्के से उनके दोनो मम्मों को छूआ, और निपल्स के उपर अपनी उंगली गोल गोल घुमाने लगा.

“रुक जाओ, राज,” मौसी धीरे से बोली, उनकी साँसें उखड़ रही थी, और उन्होने अपने हाथ, मेरे हाथों के उपर रख दिए.

मैने मौसी की आँखों में आँखे डाल कर देखा, मेरी आँखों में हवस भरी हुई थी. और फिर थोड़ा आगे बढ़कर और थोड़ा झुक कर मौसी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. मौसी थोड़ा कसमासाई, और अपने उपर काबू करने का प्रयास करने लगी. मैने उन्हे प्यार से चूमा, और उनके गुलाबी होंठो पर अपने होंठ फिराने लगा, और उनके और थोड़ा पास आ गया. मौसी की चल रही तेज साँसों को मैं अपनी छाती पर महसूस कर रहा था, मैने मौसी को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा, ऐसे करने से मेरा लंड ने उनके पेट पर एक घिस्सा मार गया.

मौसी का शरीर अब वासना के तूफान में बहकर, जवाब देने लगा था, और वो भी वासना के दलदल में फँसती जा रही थी. उनके दिमाग़ में जो अंतर्द्वंद चल रहा था, उसके बावजूद वो मेरी किस का जवाब देते हुए, अपने होंठों का दबाव मेरे होंठों पर बढ़ाने लगी थी. मैने उनकी कमर को जकड़ते हुए, उनको और ज़ोर से चूमना शुरू कर दिया, मेरी जीभ मौसी के होंठों के उपर हरकत कर रही थी, और मौसी ने बिना को विरोध किए, अपने दोनो होंठों को खोल दिया, जिस से मेरी जीभ अब अंदर घुस कर, मौसी की जीभ से अठखेलियाँ करने लगी, हम दोनो के मूँह आपस में बेतहाशा चिपके हुए थे.

मौसी ने अब विरोध करना बिल्कुल बंद कर दिया था, और वो पूरी तरह वासना की गिरफ़्त में आ चुकी थी. उन्होने अपनी बाँहें मेरी कंधे पर डाल दी, और मुझे ज़ोर ज़ोर से किस करने लगी, और अपने होंठों को मेरे होंठों पर घिसने लगी. हमारे भीगे हुए शरीर एक दूसरे से चिपके हुए थे, और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे, पूरे बाथरूम में हमारी वासना भरी आवाज़ें गूँज रही थी.

मैं और मौसी दोनो ही वासना की एक ऐसी लहर में बहते जा रहे थे, जिसका अनुभव हमने पहले कभी नही किया था. मेरे शरीर की हर एक नस में आग लगी हुई थी, और मैं मौसी को इस तरह से किस किए जा रहा था, जिस से उनका अपने उपर से नियंत्रण समाप्त हो चुका था. मौसी की चूत में भी आग लग चुकी थी, और वो पनियाने लगी थी.
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03-31-2019, 03:18 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मेरे हाथ मौसी की पीठ को सहला रहे थे, और मेरा खड़ा हुआ लंड मौसी के पेट पर दस्तक मार रहा था. मेरे हाथ उनकी पीठ को सहलाते हुए, उनकी पैंटी तक जा पहुँचे, और उसके अंदर घुस कर, उनकी गोलाईयों पर जम गये. मेरी उंगलियाँ उनकी गान्ड की गोलाईयों को दबाने लगी, उनको मसलने लगी, और हल्के हल्के अपनी तरफ खींचने लगी. मेरा फन्फनाता हुआ लंड, मानो मौसी के पेट में छेद करने को तय्यार था, और ज़ोर ज़ोर से उस से टकरा रहा था. मौसी ने स्वतः ही अपना सीधा पैर उठा कर मेरे पाएर के गिर्द लपेट लिया, और मेरा लंड अब पैंटी के उपर से ही उनकी चूत के सीधे संपर्क में आ गया.

जैसे ही मेरे लंड ने उनकी चूत के बाहरी होंठों को पैंटी के उपर से छुआ, मौसी के निचले शरीर में मानो करेंट दौड़ गया. और वो लंड के उपर अपने आप को घिसने लगी, और उनका पूरा ध्यान, अब निचले हिस्से पर केंद्रित हो गया. जैसे ही मैने मौसी की पैंटी में उंगलियाँ फँसा कर उसको नीचे खिसकाया, मौसी ने अपना पैर सीधा कर लिया, जिस से पैंटी आसानी से नीचे उतर सके, मैने पैंटी को थोड़ा और नीचे किया, उसके बाद वो अपने आप नीचे गिर पड़ी. हम दोनो ये बात जानते थे कि जो कुछ भी हम कर रहे हैं, वो ग़लत है, लेकिन वासना ने सही ग़लत सोचने की शक्ति को समाप्त कर दिया था. जैसे ही पैंटी के ज़मीन पर गिरने की आवाज़ आई, हम दोनो के शरीर के निचले भाग फिर एक दूसरे से चिपक गये. मेरे लंड का मौसी की चूत को छूने का एहसास, मेरे लंड को फऩफनाने पर मजबूर कर रहा था, और मौसी की चूत पानी छोड़ कर गीली हुए जा रही थी, हम दोनो के शरीरों में आग लगी हुई थी.

हम दोनो अब भी किस कर रहे हे, एक बार फिर से मौसी ने अपना दायां पैर उठा कर मेरे उपर लपेट लिया. और मेरे फन्फनाते हुए लंड को अपने हाथ से पकड़ते हुए, मौसी ने उसे अपनी पनिया रही गीली चूत के मुहाने पर रख दिया. एक बार को मौसी के हाथ काँप गये, जैसे ही मेरे लंड ने उनकी चूत की गीली फांकों को अलग अलग किया, और अंदर घुसने का प्रयास किया. हम दोनो वासना के इस खेल में अंधे हो चुके थे, और अपने शरीर में लगी आग को भुजाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तयार थे. मौसी ने फिर से मेरे लंड को अपनी गीली चूत पर फिट किया, और मेरे लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के द्वार को चीरता हुआ सुरंग में अंदर घुस गया. 

तभी मैने मौसी के चुतड़ों को ज़ोर से दबाते हुए उनको अपनी तरफ खींचा, जिस से मेरा लंड उनकी चूत की और ज़्यादा गहराई तक अंदर घुस गया, और मौसी की चूत की दीवार को जब तक चौड़ाता रहा, जब तक कि पूरा अंदर नही घुस गया, मेरी टट्टों की गोलियाँ मौसी की गान्ड को चुने लगी. मैं मौसी की चूत को अपने लंड पर सिंकूड़ता और फैलता हुआ महसूस कर रहा था, हम दोनो को चुदाई का असली मज़ा आ रहा था.

जिस तरह की पोज़िशन में हम दोनो थे, उस स्थिति में ज़्यादा हिलना डुलना संभव नही था, और यदि कुछ करते भी, तो गिरने या चोट लगने का ख़तरा बहुत ज़्यादा था. मौसी ने अपना दूसरा पैर भी उठा लिया और मेरे गिर्द लपेट लिया, और अपने आप को ज़मीन से उपर उठा लिया. मैने पीछे होकर दीवार का सहारा लिया, और मौसी की चूत में अपने लंड से ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. हालाँकि मैं मौसी की चूत में ज़्यादा अच्छे से घिस्से नही मार पा रहा था, लेकिन फिर भी बस ये ही सोच कर कि हम दोनो जो कर रहे हैं वो ग़लत काम है, हम दोनो बेहद उत्तेजित हो चुके थे, और मौसी बस झड्ने ही वाली थी. मौसी ने अपनी चूत को मेरे लंड के उपर घिसा, और चूत की दीवार पर मेरे लंड को घिसते हुए महसूस करने लगी. मैने किस को तोड़ते हुए, थोड़ा नीचे झुक कर मौसी की मम्मों के निपल्स को चूसना शुरू किया.

मौसी की चूत का दाना मेरे लंड के सुपाडे पर पर घिस रहा था, इस की वजह से मौसी उत्तेजना की नयी उँचाइयों पर पहुँचती जा रही थी. जैसे ही मौसी की चूत ने झड्ते हुए पानी की धार छोड़ी, सारा बाथरूम उनकी आहों से गूँज उठा. मौसी का शरीर अकड़ गया, और वो निढाल होकर मुझसे चिपक गयी.

“ऊऊऊओह हह!!!!!!! !!!!!!! मौसी कराही, जैसे ही वो बार बार झड कर चूत से पानी की धार छोड़ने लगी.

मेरा फन्फनाता हुआ लंड मौसी की चूत को घिस रहा था, और फिर उसने वीर्य के पानी की धार से मौसी की चूत की दीवारों को वीर्य के पानी से गीला कर दिया. हम दोनो अब भी एक दूसरे से चिपके हुए थे, और काँप रहे थे, और एक साथ झड्ने के परम सुख के आनंद का एहसास कर रहे थे.

जैसे जैसे मेरे लंड ने और मौसी की चूत ने पानी छोड़ना बंद किया हम दोनो होश में आने लगे, और फिर असलियत में आते हुए सोचने लगे, ये हम दोनो क्या कर बैठे थे.

मौसी ने धीरे से अपने दोनो पैर, जो मेरे गिर्द लपेटे हुए थे, उनको उतारकर नीचे रखा. मैने मौसी की चूत में से अपने लंड को बाहर निकलते हुए महसूस किया, और जैसे ही वो पूरा बाहर निकला, एक हल्की सी प्लॉप की आवाज़ सुनाई दी. हम दोनो वहाँ पर वैसे ही एक पल को अजीब सिचुयेशन में खड़े रहे, और एक दूसरे से दूर होने लगे.

“उः..राज... तुम...जाकर टवल से पोंछ लो और कपड़े पहन लो...:” मौसी बिना मेरी तरफ देखे हुए फुसफुसाते हुए बोली.

“हां” मैने भी छोटा सा जवाब दिया.

मैं जल्दी से अपने आप को टवल से पोछा और बाथरूम से निकल कर अपने रूम में आ गया. मुझे बहुत आत्म ग्लानि हो रही थी, जिस चीज़ के लिए मम्मी मना कर के गयी थी, वो ही ग़लत काम मैं अपनी मौसी के साथ कर चुका था. मैं उस दिन सारे टाइम अपने रूम में ही रहा. मैं मौसी के साथ सेक्स करके, आज बहुत दिनों बाद ढंग से झडा था, और मुझे थकान भी हो रही थी, और जो कुछ हुआ था उसके कारण क्या कुछ हो सकता है... इसी सोच में डूबकर बेड पर लेटा हुआ सोच रहा था....

अगली सुबह उठकर मैं सबसे पहले डॉक्टर के पास अपनी बॅंडेज खुलवा कर जब वापस घर आया, तो मेर हाथों को बिना बॅंडेजस के देख कर मौसी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी, शायद वो भी इस सब से फ्री होकर, अपनी पुरानी दुनिया में, गाओं वापस लौटना चाहती थी. 

मम्मी पापा एक दिन बाद वापस आने वाले थे, और जो कुछ मेरे और मौसी के बीच हुआ था, उसके बाद हम दोनो अभी भी पश्चाताप से उबर नही पाए थे, लेकिन जिस आनंद की प्राप्ति हम दोनो को हुई थी वो अविश्वसनीय थी. मैने डिसाइड किया, कि अब इस बारे में मौसी से बात कर ही लेनी चाहिए, और जो कुछ हुआ उसको भूलकर आगे सोचना चाहिए. हो सकता है हम दोनो कुछ दिनों के बाद इस घटना को भूल जायें. लेकिन क्या ये इतना आसान था?

मौसी किचन में ब्रेकफास्ट बना रही थी, मैं ड्रॉयिंग हॉल में सोफे पर बैठ कर न्यूसपेपर पढ़ने लगा, तभी मौसी वाइट पिंक फूलों वाला गाउन पहने हुए, किचन से निकल कर मेरे पास आई और दूसरे सोफे पर बैठते हुए पूछा, “डॉक्टर को दिखा आए, कैसा रहा?”

मैने अपने दोनो हाथों को बिना बॅंडेजस के दिखाते हुए बोला, “अब सब ठीक हो गया मौसी, देखो.” मेरी नज़र मौसी के गाउन पर टिकी हुई थी, मुझे इस तरह देख, मौसी थोड़ा शरमा गयी.
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03-31-2019, 03:18 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैने अपने दोनो हाथों को बिना बॅंडेजस के दिखाते हुए बोला, “अब सब ठीक हो गया मौसी, देखो.” मेरी नज़र मौसी के गाउन पर टिकी हुई थी, मुझे इस तरह देख, मौसी थोड़ा शरमा गयी.

हम दोनो वहाँ सोफे पर कुछ देर बिना कुछ बोले, वैसे ही बैठे रहे.

फिर मौसी थोड़ा झिझकते हुए बोली, “मैं नहा कर आती हूँ, फिर तुम से कुछ बात करनी है.”

मौसी अपने रूम में जाकर, अपने कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गयी, और मुझे पानी की आवाज़ से पता चल गया कि वो अब नहा चुकी हैं, और शायद अब वो अपने आप को टवल से पोंछ रही होंगी. मैं सोफे से उठा, अपने कपड़े उतारे, और सिर्फ़ बॉक्सर पहन कर, बाथरूम का डोर खोलकर बाथरूम में अंदर घुस गया.

“राज ! ये तुम क्या कर रहे हो??!!!” मौसी ने अपने नंगेपन को मुझसे छुपाते हुए, ज़ोर से चीखकर बोला, उन्होने अपना एक हाथ अपने मम्मों पर रख लिया, और दूसरे हाथ से चूत के उपर बने झान्टो के त्रिकोण को छुपाने का प्रयास करने लगी.

“आप…..आप..मुझसे बात करना चाहती थी ना” मैं घबराते हुए बोला.

मौसी ने अपना एक हाथ उस झान्टो के त्रिकोण पर से हटाया और, शवर को ठीक से बंद कर दिया, जिस से उस से पानी का टपकना बंद हो गया.

“मैने यहाँ बाथरूम में बात करने को तो नही कहा था!” मौसी ने डाँटते हुए कहा. 

मैने थोड़ा घबराते हुए उनकी तरफ देखा, और हम दोनो के शरीर के पास आने के कारण निकलती हुई गर्माहट को महसूस करने लगा. 

“तुमने क्या सोचा था?” मौसी ने पूछा.

“उः….मैने.... सोचा……उः….” मैं हकलाते हुए बोलने की कोशिश करने लगा, और मौसी की आँखों में मुझे समझने की प्रतिक्रिया का इंतेजार करने लगा.

शायद मौसी समझ चुकी थी, कि मैं क्या सोच रहा हूँ, लेकिन वो समझने का प्रयास नही करना चाहती थी. वो मुझे शब्दों के जाल में फँसता हुआ देख रही थी.

तभी अचानक मैने आगे झुककर मौसी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए !

“म्म्म्ममममममफ़!!!” मौसी के मूँह से आवाज़ निकली, उन्होने इस किस की कल्पना भी नही की थी, और वो मुझसे दूर होने का प्रयास करने लगी, और अभी भी अपने हाथों से मम्मों और झान्टो के उपर रखे हुए, उनको छुपाने कर प्रयत्न करती रही.

मैने किस करते हुए, अपने होंठों का दबाव बढ़ा दिया, और ज़ोर ज़ोर से अपने सिर को उपर नीचे करते हुए मौसी के होंठों को चूसने लगा. मौसी पर भी मेरे किस का जादू चलने लगा था, उनके शरीर में भी अजीब सी लहर दौड़ गयी. उनका प्रतिरोध अब धीमा होने लगा, और ना चाहते हुए भी वो मेरी किस का किस से जवाब देने लगी.

फिर एक दम ज़ोर से मौसी ने किस तोड़ते हुए मुझे दूर करने के लिए एक धक्का दिया.

“प्लीज़…प्लीज़ राज, चले जाओ यहाँ से , हम मेरे रूम में बात करेंगे,” मौसी ने हान्फते हुए कहा.

मैं बेमन से बाथरूम से बाहर निकल आया, और वहाँ पर टॅंगी टवल को पोछने के लिए अपने साथ मौसी के रूम में ले आया. उधर बाथरूम में जब मौसी को टवल नही मिली, तो वो अपना पुराना वाइट गाउन पहन कर ही, अपने बालों में कंघी करते हुए अपने रूम में आ गयी, उनका वो विल्टी गाउन गीला होकर उनके शरीर से चिपक गया था, और उसमे से उनके शरीर के उभार सॉफ दिखाई दे रहे थे, और निपल्स का तो कहना ही क्या. मौसी को मेरे से बात करने आने के लिए और कोई ऑप्षन भी नही था.

जैसे ही मौसी अपने रूम में दाखिल हुई, उन्होने मुझे अपनी कमर पर तौलिया बाँध कर खड़ा हुआ पाया. मैं मौसी को उस रूप में देखता ही रह गया, और मेरी आँखें फाड़ फाड़ कर उनको उस गीले गाउन में, जो उनके शरीर से चिपका हुआ था, देखने लगा. 

“हमको इस बारे में बात करनी होगी राज” मौसी ने बोलना शुरू किया. “ये सब कुछ नही चल सकता.”

“मौसी…आइ’म सॉरी, लेकिन क्या करूँ, मुझे अपने आप पर कंट्रोल ही नही होता” मैं बोला. “मैं कल से बस इसी के बारे में सोच रहा हूँ!”

“हम दोनो को कल की बात को भूल कर, आगे बढ़ना होगा, जो हुआ उसको भूल जाओ. जब तुम्हारी तान्या से शादी हो जाएगी तो तुम अपने आप ये सब भूल जाओगे” मौसी बोली. “जो कुछ हुआ वो सचमुच सही नही है!”

“नही, मौसी आप समझ नही रही हैं!” मैं उनको समझाते हुए बोला. “जो हमने किया वो ग़लत नही है. ये सब आप की वजह से हुआ है मौसी!”

“मैं.... मैं... कुछ समझी नही....” मौसी ने सवालिया नज़रों से मेरी तरफ देखते हुए कहा.

“मौसी, आप हो ही इतनी ज़्यादा सेक्सी!!” मैं उनके शरीर पर नज़रें फिराते हुए बोला. “मैं बस ये ही सोचता रहता हूँ कि आप के शरीर में से कितनी मादक खुश्बू आती है, आप कैसा दिखती हैं, आप की स्किन कितनी सॉफ्ट है और... और...”

“चुप हो जाओ,राज!!” मौसी ज़ोर से चीख कर बोली, और मुझसे दूर हट गयी. 

मौसी ने अपनी आँखें बंद कर ली, मानो इस से उनका सुनना बंद हो जाएगा, और जो कुछ मैं बोल रहा था उसको वो नही सुनेंगी. असलियत ये थी, कि मेरी बातों का उन पर असर होने लगा था. मेरे बोलने से उनकी चूत में खुजली मचनी शुरू हो गयी थी, और पूरे शरीर पर खुमारी चढ़नी शुरू हो गयी थी.

“मैं... मैं अपनी आँखें बंद करके सोचने लगता हूँ मानो हम दोनो बाथरूम में शवर के नीचे हैं,” मैने कहा. “मैं महसूस कर सकता हूँ कि आप मेरी बाहों में हो, और हम दोनो बेतहाशा एक दूसरे को किस कर रहे हैं, और हमारे शरीर एक दूसरे से चिपके हुए आपस में फिसल रहे हैं. फिर आप मेरा लंड पकड़ लेती हो, और फिर उसे चूत के मूँह पर अपने हाथ से लगाकर, अपने अंदर घुसा लेती हो! हे भगवान, मौसी, कितना मज़ा आया था!!”
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03-31-2019, 03:18 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मेरे शब्दों का मौसी पर जबरदस्त असर हो रहा था. वो मेरी बातों में फँस चुकी थी, वो कल के उन पलों को फिर से जीने लगी. उनका शरीर उनके दिमाग़ का साथ नही दे रहा था, और वो वासना के जाल में फँसती जा रही थी. मैं उस गीले गाउन में से उनके टाइट होते निपल्स को देख रहा था, और उनकी चूत भी गीली होने लगी थी. जैसे ही मौसी ने मेरी तरफ देखा, ऐसा लगा मानो वो इस दुनिया में ही ना हो. मौसी मेरे टवल को टेंट बना चुके लंड की तरफ देखने लगी. मौसी मानो हाइप्नोटॅयिज़्ड हो चुकी थी, उन्होने अपना गाउन उठाकर अपने गले में से निकाल कर फेंक दिया, और अपने भट्टी से तपते शरीर को ठंडी हवा देने के लिए, गाउन से आज़ाद कर दिया. मैं मौसी को ये सब करते हुए एक टक देखे जा रहा था, मौसी मेरे सामने बिल्कुल नंगी होकर खड़ी हुई थी!

मौसी मेरे पास आ गयी, और टवल के किनारे से पकड़ कर उसकी गाँठ हो खोल दिया, और टवल ढीली होकर ज़मीन पर गिर पड़ी! मौसी ने अपनी बाहें मेरे कंधे पर डाल दी, और मैने मौसी की कमर को दोनो हाथों से पकड़ के, मौसी के दोनो होंठों के बीच जीभ घुसाकर उनको किस करना शुरू कर दिया! जैसे ही हम दोनो के होंठ मिले, हमारे शरीर में मानो आग लग गयी, और वो किस एक जुनून में बदल गयी. हम दोनो एक दूसरे को भूखे जानवरों की तरह किस कर रहे थे, और एक दूसरे को हाथों से सहला भी रहे थे. उस जुनून में क्या सही है और क्या ग़लत, मैं और मौसी सब कुछ भूल चुके थे!

जैसे ही आलिंगंबद्ध रहते हुए, मौसी ने मुझे अपनी तरफ खींचा, उनका पैर बेड से जा टकराया. मौसी बेड पर चढ़ कर बैठ गयी, और मुझे भी अपने साथ बेड पर ले लिया, हम दोनो बेड पर खिसकने लगे, जब हम दोनो खिसकते हुए बेड के बीच में आ गये, मौसी मुझे अपने उपर लेते हुए बेड पर लेट गयी. मेरे शरीर का अपने शरीर से स्पर्श पाकर मौसी और ज़्यादा उत्तेजित हो गयी, और उन्होने अपनी दोनो टाँगें खोल दी, और मेरा फन्फनाता हुआ लंड उनकी गीली चूत के छेद को तलाश करने लगा. हम दोनो अब भी एक दूसरे को किस करने में मगन थे, हमारी जीभें एक दूसरे के साथ खेल रही थी, और हमारी कमर ने भी अब हरकतें शुरू कर दी थी.

मौसी एक पल को थोड़ा शांत हुई, मानो उनके दिमाग़ में कुछ ख्याल आया हो, कि ये वो क्या करने जा रही हैं, लेकिन फिर वो अपनी पुरानी फॉर्म में आ गयी, शायद वो समझ चुकी थी, कि उनके शरीर की भूख को अगर उनकी बेहन का बेटा, जिसकी वो मौसी हैं, अगर वो भी भुजा रहा है, और इस सब में, वासना में डूबकर, यदि उनको इतना ज़्यादा मज़ा आ रहा है, तो इसमे शायद कोई बुराई नही है. वो मेरे लंड को अपनी चूत में अंदर लेने के लिए बेकरार हो उठी.

मौसी ने अपनी गान्ड को गद्दे पर थोड़ा नीचे सरकाते हुए, इतनी जगह बना ली, कि मेरे लंड अब उनकी टाँगें चौड़ाने के बाद, आसानी से उनकी पनिया रही चूत में घुस सके. मौसी ने अपनी टाँगें मेरी कमर के गिर्द लपेट ली, और अपने पैरो के हील्स को मेरी गान्ड पर टिका दिया, और मेरे लंड को अपने अंदर धकेलने का प्रयास करने लगी. मैं तुरंत समझ गया, और अपने पागल होते लंड को मौसी की चूत में घुसाने लगा, मौसी की गीली चूत मेरे लंड को अपनी सुरंग में आसानी से रास्ता दे रही थी.

“ऊहह!!!!!!!!!!!!!!” मौसी के मूँह से आवाज़ निकल गयी, जैसे ही मेरा लंड जड़ तक उनकी चूत में घुसा. मौसी की साँस फूल रही थी, और उनकी चूत ऐसे मचल रही थी, मानो उनकी चूत और पूरे शरीर में दौरे पड़ रहे हो.

“ओह मौसी, आप के साथ बहुत मज़ा आ रहा है, आप बहुत बहुउउउउत अच्छी हो!!!!” मैने कराहते हुए कहा, और मौसी की चूत में छोटे छोटे झटके मारने लगा, मानो पिस्टन अंदर बाहर हो रहा हो.

मौसी बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो चुकी थी, और उनकी चूत की हरकतें इस बात को सॉफ बयान कर रही थी, वो अपनी टाँगें खोलकर और चौड़ा कर मेरे लंड को अपनी चूत में ज़्यादा से ज़्यादा अंदर तक घुसाने के लिए आमंत्रित कर रही थी.

मौसी मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गढ़ा रही थी, और में हर धक्के के साथ अपने हिप्स को छोटे से सर्कल में घुमा घुमा कर उनकी चुदाई कर रहा था. 

मौसे मेरे हर झटके का भरपूर आनंद ले रही थी, और वो चुदाई के इस खेल में मानो पागल हुए जा रही थी.

मौसी ने जब मेरी तरफ देखा, तो मेरी आँखों में प्यार और वासना भरी हुई थी, मैं मौसी के गुदाज शरीर और जवानी का जी भर के चोद कर, पूरा मज़ा ले रहा था.

मैं अपनी कोहानियों पर बोझ को लेता हुआ, आगे झुका, अब मेरा लंड उनकी चूत के दाने को और बेहतर तरीके से घिसने लगा.

“ओह... राज... तुम बहुत अच्छा चोदते हो!!!!!!!!!!!” मौसी ने कराहते हुए बोला, और अपनी गान्ड को जन्गलियो की तरह उछाल उछाल कर मेरे लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर लेने की कोशिश करने लगी. मैं समझ गया, कि मौसी अब झड्ने ही वाली हैं, और ये अब ज़रूरी हो चला था.

“ऊऊऊओह” मेरे मूँह से भी कराहने की आवाज़ निकली, और मैं लंड को और ज़्यादा तेज़ी से मौसी की चूत में अंदर बाहर करने लगा.

हम दोनो वासना में इस कदर डूब चुके थे, और चुदाई कर एक दूसरे को ज़्यादा से ज़्यादा संतुष्ट करने का प्रयत्न कर रहे थे.

“ओह राज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज!!!हाआँ!!हीय्यी भगवाआां!!!!!!!”मौसी के मूँह से तरह तरह के आवाज़ें निकल रही थी.

मौसी ने खींच कर मेरे सिर को नीचे झुकाया, और मुझे सेक्सी अंदाज में बेतहाशा चूमने लगी. मैने भी उनकी किस का भरपूर जवाब दिया, और अपने होंठों को पूरे दबाव के साथ मौसी के होंठों पर रगड़ने लगा. मौसी ने मेरी गान्ड की गोलाईयों को अपने हाथों में भर लिया, और मुझे अपनी तरफ खींचने लगी, और अपनी चूत के दाने को मेरे लंड पर ज़्यादा से ज़्यादा घिसने लगी. ऐसा लग रहा था, मानो ये कभी समाप्त ही ना हो, लेकिन मैं और मौसी बस अब झड्ने ही वाले थे.

मौसी अब झड्ने ही वाली थी, और उनका शरीर भी इस चीज़ के लिए तय्यार हो चुका था. 

“ऊहह हह!!!!!!!!” मौसी ज़ोर से चीखी, और उनकी चूत ने मेरे लंड को अपनी गिरफ़्त में लेते हुए, उसके उपर सिंकूड कर और फिर फैल कर, पानी छोड़ने लगी. मौसी का पूरा शरीर अकड़ गया, उनके रोंगटे खड़े हो गये, और वो इस कदर अच्छी तरह झडि, कि मौसी ने झड्ते हुए ढेर सारा पानी अपनी चूत में से छोड़ दिया, वहाँ पर सब गीला गीला हो गया.

तभी मेरा लंड भी अपना लावा उगलने को तयार हो चुका था, और मौसी की चूत में और ज़्यादा फूल गया था, मौसी शायद समझ गयी कि मैं पानी छोड़ने ही वाला हूँ, तभी मेरे लंड ने ढेर सारा गाढ़ा वीर्य, मौसी की चूत में धार मारते हुए छोड़ दिया. “ओओःःःःःःःःःःःह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!!” मैं कराहते हुए, वीर्य की पिचकारी पर पिचकारी मौसी की चूत में छोड़े जा रहा था, कुछ देर में मैने मौसी की चूत को तृप्त कर दिया.

मौसी ने आज चुदाई का भरपूर मज़ा लिया था, और अपनी बड़ी बेहन के बेटे के नीचे नंगी लेट कर, उस चुदाई के बाद वो जिस तरह से झडि थी, मानो वो उनका झड्ना बंद ही नही हो रहा था.

ओह राज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज बेटाआआआआआआअ!!!!!!!!!!!! मौसी ने परम सुख को प्राप्त करते हुए कराही और भावनाओं में बहकर उनकी आँखों से आँसू बह निकले.

हम दोनो अब भी एक दूसरे को जकड़े हुए थे, और झडने के कारण एक दूसरे के शरीर में आ रहे कंपन्न को महसूस कर रहे थे, हम दोनो उस अवस्था में तब तक बने रहे, जब तक दोनो पूरी तरह झड कर शांत नही पड़ गये.

मेरा लंड अब सिंकूड कर छोटा होने लगा था, और वो अपने आप प्लॉप की आवाज़ के साथ, मौसी की चूत से अपने आप बाहर निकल आया. हम दोनो वैसे ही उसी तरह, बहुत देर तक बने रहे, और अपनी साँसों के नॉर्मल होने का इंतेजार करने लगे, मौसी की चूत अभी भी फुदक रही थी. आख़िर में मैं मौसी के उपर से हटा कर, उनकी साइड में लेट गया. हम दोनो बेहद थक चुके थे... और मेरी आँख लग गयी.....
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03-31-2019, 05:31 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
जब मौसी को होश आया, तो उन्होने मुझे अपने पास लेता हुआ पाया. शायद मैं आधी नींद में था. मौसी उठकर मेरे पास बैठ कर, कुछ सोचने लगी, शायद वो जो कुछ हुआ उसके बारे में सोच रही थी, लेकिन अब उनको इस बात का कोई पश्चाताप नही था. उन्होने अपने जीवन की आज तक की सबसे अच्छी चुदाई का अनुभव किया था, और अब पश्चाताप करना, हम दोनो द्वारा किए गये प्रयासों पर पानी फेर देने जैसा होगा. शरीर की ज़रूरतें या हवस, सही और ग़लत के बारे में फ़ैसला करने के बीच बहुत बड़ी बाधा बन जाती हैं. अपने दिमाग़ में शायद ये सब सोचते हुए मौसी करवट लेकर बेड से उतर कर नीचे खड़े होने की तय्यारी करने गयी.

जैसे ही मौसी ने करवट ली, मैं भी थोड़ा नींद से जागा और फिर चुप चाप लेटा रहा!

मैने अपनी पलकें झपकाते हुए देखने की कोशिश की. फिर गौर से देखने पर मैने, मौसी को अपनी तरफ देखते हुए पाया, हम दोनो करवट लेकर एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे. 

“हाई” मौसी ने फुसफुसाते हुए कहा.

“हाई” मैने मौसी का जवाब दिया.

“मैं…मैं बस उठ ही रही थी.” मौसी बोली

“ओह. उः… मौसी, आप पागल हो गयी हो क्या?” मैने पूछा.

“उः..नही तो..... क्यूँ क्या हुआ” मौसी ने पूछा.

“अच्छा है” मैं मुस्कुराते हुए बोला. “आप लास्ट टाइम की तरह पागल ना ही हों तो बेहतर है.”

“अच्छा, जो कुछ हम दोनो कर चुके हैं, उसके लिए ऐसा कुछ नही है कि हमने कुछ हासिल कर लिया हो” मौसी बोली. “यदि सोचा जाए तो ये बहुत ही ग़लत है.”

“हो सकता है” मैं बोला, और मौसी की आँखों में आँखें डाल कर और मौसी की बाहों को अपनी उंगलियों से सहलाते हुए बोला.

मैने चादर का एक कोना पकड़ कर खेंच लिया, जिस से मौसी ने अपने आप को ढक रखा था, मौसी के मम्मे फिर से दिखने लगे. मौसी ने एक दम चौंक कर चादर को खींचाने का प्रयास किया, मैं मौसी के नग्न शरीर का लुफ्त ले रहा था, मानो उनके शरीर को स्कॅन कर रहा हूँ. मौसी ने जब देखा कि मैं उनके शरीर को निहार रहा हूँ ,तो वो भी रोमांचित हो उठी.

“मौसी, आप बहुत सेक्सी हो!” मैने मौसी के नंगे शरीर की प्रशंसा करते हुए कहा, मैने अपनी उंगलियाँ मौसी की बाहों से फिराते हुए उनकी छाती पर लाते हुए उनके मम्मों पर ले आया.

मौसी की बाहों पर हल्के हल्के बालों के रोंगटे खड़े होने शुरू हो गये थे, और मौसी की दोनो टाँगों के बीच सनसनी फैलने लगी थी. मैने आगे बढ़कर, मौसी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए, और धीरे से उनको चूम लिया, ऐसा करते हुए मौसी ने कोई प्रतिरोध नही किया. मौसी शायद सोच रही थी, कि वो कैसे अपनी इच्छाओं पर काबू करे और कैसे इस तरह की परिस्थितियों से बाहर निकले. लेकिन मेरी किस का जादू मौसी पर इस कदर हो चुका था, की मौसी बस वहाँ पर एक मूर्ति बनी हुई थी.

मैं थोड़ा पीछे हुआ, हमारे होंठ अलग हुए, और हम दोनो ने गहरी साँस ली.
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03-31-2019, 05:31 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
“मुझे.... मुझे अब यहाँ से जाना चाहिए... और कपड़े पहन लेने चाहिए.” मौसी ने मेरे होंठों पर नज़रें टिकाए हुए ही किसी तरह बोला.

“उः हा” मेरे मूँह से आवाज़ निकली और फिर से मैं अपना मूँह मौसी के मूँह के पास ले गया.
मौसी अब वहाँ से जाने का इरादा त्याग चुकी थी, और मौसी ने मेरे मूँह से अपने मूँह को मिलाते हुए, मेरी एक जोरदार किस ले ली. हम दोनो मे मूँह एक दूसरे से चिपक कर एक गहरी फ्रेंच किस लेने लगे., मौसी ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी, और अपनी टाँगें मेरे गिर्द लपेट ली, मैने मौसी को खींचते हुए अपने उपर ले लिया. हम दोनो के हाथ एक दूसरे के शरीर को सहलाने लगे, और किस करते हुए हमारी जीभ एक दूसरे में लिपटने लगी.

हम कुछ देर ऐसे ही प्यार करते रहे, और आलिंगंबध होकर एक दूसरे के शरीर के साथ खेलते रहे. मौसी का एक हाथ जो अब तक मेरी पीठ को सहला रहा था, अब मेरे पेट के निचले हिस्से की तरफ बढ़ने लगा. मौसी ने अपने हाथ की उंगलियों के फिंगर टिप से मेरे लंड को महसूस किया, और फिर मेरे लंड को मुट्ठी में भर लिया, और उसको धीरे धीरे हिलाने लगी. मैं भी अपना एक हाथ नीचे ले गया, और उंगलियों से मौसी की चूत के होंठों को सहलाने लगा. हम दोनो अब भी किस कर रहे थे, और हमारी साँसें उखड़ने लगी थी.

मौसी अपने हाथ से मेरे लंड के साथ खेल रही थी, अपनी उंगलियों के टिप्स से लंड को सहलाती, और फिर उस पर ग्रिप बनाते हुए लंड को उपर नीचे करती. मेरी दो उंगलियाँ, मौसी की चूत के द्वार को उपर से नीचे तक घिस रही थी, मौसी की चूत पनिया कर मेरी उंगलियों को चिकना करने लगी थी. मैने पहले एक और फिर दोनो उंगलियाँ मौसी की पनिया रही चूत में घुसा दी, और उनको अंदर बाहर करने लगा.

हम दोनो स्वर्ग का आनंद ले रहे थे, और बस चाहते थे कि बस इसका ऐसे ही मज़ा लेते रहें. मुझे वो दिन याद आ गये, जब मैं और दीदी बिना चुदाई किए, इसी तरह एक दूसरे का पानी निकाला करते थे. लेकिन आज मेरे पास नंगी लेटी हुई मेरी दीदी नही, बल्कि मेरी मौसी थी, जिसके साथ कुछ भी गड़बड़ ना करने के लिए मम्मी ने पहले से ही मुझे चेतावनी दे रखी थी.

हम दोनो एक दूसरे को ऐसे ही किस करते हुए, और एक दूसरे के चूत लंड से अपने हाथों से खेलते हुए, वहाँ पहुँच चुके थे, जहाँ से बिना चुदाई किए वापस लौटना अब असंभव था.

“ओह्ह्ह्ह, राज!!!” मौसी कराहते हुए बोली, उनकी चूत में लगी आग अब काबू से बाहर होने लगी थी.

मौसी ने अपनी दोनो टाँगें खोल रखी थी, मैं तुरंत मौसी की दोनो टाँगों के बीच आ गया. मेरा लंड मौसी की गीली चूत के एक दम सामने आकर, अपनी मंज़िल को निहार रहा था, मौसी की चूत में हलचल होने लगी थी. हम दोनो के शरीर, प्रकृति की ज़रूरत के अनुसार एक दूसरे को समझ रहे थे, और ताल से ताल मिला रहे थे, जैसे ही मैने अपनी गान्ड उठाई, मौसी ने अपनी गान्ड को बेड पर पीछे करते हुए, मेरे लंड को अपनी चूत के छेद के बिल्कुल सामने ले आई. मैने थोड़ा सा आगे बढ़कर, लंड के सुपाडे को मौसी की चूत में घुसा दिया, और फिर पूरे लंड को मौसी की चूत में पेल दिया.

हम दोनो धीरे धीरे, हल्के हल्के झटके मार कर शरीर के मिलन का आनंद लेने लगे. मैने लंड को बाहर खींचा, बस थोड़ा सा चूत में रहने दिया, और फिर धीरे से पूरा अंदर तक फिर से पेल दिया. मौसी मेरे झटकों का गान्ड को उछाल उछाल कर पूरा साथ दे रही थी. हम दोनो किसी जल्दबाज़ी मे नही थे, और इस धीमी चुदाई का पूरा मज़ा ले रहे थे. हम दोनो के मूँह फिर से मिल चुके थे, और एक दूसरे को चूम रहे थे, जीभें एक दूसरे को सहला रही थी, और मेरे लंड धीरे धीरे मौसी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था.

हमार पहली चुदाई में जो जल्दबाज़ी और हवस का उतावलापन था, वो इस बार नही था, अब जो हो रहा था वो सॉफ्ट, जेंटल और ऐसी चुदाई थी जो दो प्रेमी कर रहे थे. हम दोनो के दिल में, चुदाई करते हुए, विभिन्न प्रकार के भाव और विचार आ रहे थे. मैं बस ऐसे ही मौसी को चोदते रहना चाहता था. मौसी अब अपनी गान्ड ज़ोर ज़ोर से उपर की तरफ उछालने लगी थी, और अपनी गीली चूत की सुरंग में उसको ज़्यादा से ज़्यादा अंदर घुसाने का प्रयास करते हुए, चूत के दाने को घिस रही थी.

“ओह मौसी!!!!!!!आप बहुत अच्छा चुदवाती हो!!!!!!!!!” मैने कराहते हुए कहा. “मैं आपको रोजाना ऐसे ही चोदना चाहता हूँ!!!!!!!!”

“ओह राज!!!!!!हाआअंन्न! ओह बेटा!!!!!!!! मैं भी तुमसे ऐसे ही चुदते रहना चाहती हूँ!!!!!!” मौसी कराहते हुए बोली, और ये आवाज़ उनके दिल से निकली थी. हम दोनो अपने रिश्ते और उमर के अंतर को भूल कर हवस में पागल हो चुके थे.

हम वैसे ही एक दूसरे को कस कर पकड़े हुए, धीरे धीरे चुदाई करते रहे. जैसे ही झटके अपने आप तेज होने लगे, मौसी अपने चरम के करीब पहुँचने का एहसास कराने लगी, उनकी टाँगें अब अलग तरह से चौड़ी होकर खुल रही थी, और चरम पर पहुँचने की बेकरारी उनके पूरे शरीर में व्याप्त होने लगी थी. 

“ओःःःःःःःःःःःःह्ह्ह्ह्ह राज!!!!!!!!!! ई….मैं बस होने ही वाली हूँ!!!!!!!! ओह बेटा!!! तुम भी मेरे साथ ही हो जाओ!!!!!!! मौसी कराहते हुए बोली, वो बस झड्ने ही वाली थी.

“ऑश मौसी!!!!!!! मैं..मैं भी बस झड्ने ही वाला हूँ!!!!!!!!!! मैं ज़ोर से चीख कर बोला

“हाआंन्न!!!!!!! ज़ोर से बेटा!!!!!!! और ज़ोर से!!!!!!! मौसी ने गुर्राते हुए कहा, और हमारी चुदाई ने रफ़्तार पकड़ ली. मौसी अपनी गान्ड उछाल उछाल कर मेरे झटकों का साथ दे रही थी, और मैं उनकी बेहद गीली चूत में अपने लंड को अनादर बाहर करके उनकी चूत को ठप ठप की आवाज़ के साथ बजाए जा रहा था.

मौसी जैसे ही झडि, उन्होने अपनी उंगलियों के नाख़ून मेरी पीठ में गढ़ा दिए, और उनका शरीर अकड़ने लगा.

"ओह हह विशाााल्ल्ल!!!!!!!!!! मौसी चीखी, और फिर जबरदस्त तरीके से झड गयी, मौसी की चूत मेरे लंड को निचोड़ने लगी.

“आहह!!!!!!!!!!! मेरे मूँह से अपने आप आवाज़ निकली, जैसे ही मेरे लंड ने गरम और गाढ़े वीर्य की पहली पिचकारी मौसी की चूत के गहराई में अंदर तक जाते हुए छोड़ी. 

हम दोनो ऐसे ही एक दूसरे को जकड़े रहे, और मौसी की चूत मेरे लंड को निचोड़ती रही. मेरा लंड पिचकारी पर पिचकारी, मौसी की गरम चूत में मारे जा रहा था. जैसे ही हम एक साथ झडे, हम दोनो के शरीर में से मानो जान निकल गयी, और मैं निढाल होकर मौसी के उपर ही लेट गया.
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03-31-2019, 05:32 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
जब थोड़ा होश आया, तो हम दोनो ने एक दूसरे की आँखों में देखा, और झड्ने के उन अंतिम क्षणों के एहसास को एक दूसरे की आँखों में महसूस करने लगे. फिर होंठों को पास लाकर, दोनो ने एक गहरी, और लंबी प्यार और जज्बातों भरी किस ली. हमारे कमर के निचले हिस्से एक दूसरे के साथ चिपके हुए थे. हम वैसे ही करीब आधा घंटा वहीं पर लेटे रहे, एक दूसरे को किस करते हुए, सहलाते हुए, जब तक की मेरा लंड छोटा होकर, मौसी की चूत में से एक हल्की सी प्लॉप की आवाज़ के साथ बाहर नही निकल आया. 

हम दोनो ने मम्मी पापा के आने से पहले, उन दिनों में टोटल 7-8 बार घर के हर हिस्से में चुदाई की, मेरे रूम में, मौसी के रूम में, मम्मी पापा के रूम में, किचन में, सीढ़ियों पर हर संभव जगह. 

आज मम्मी पापा शाम को आने वाले थे, और कल मौसी गाँव चली जाएँगी, लेकिन जाने से पहले मौसी ने एक वादा किया, कि जब भी मौका मिलेगा, वो मुझसे ज़रूर चुद्वायेन्गि, और मुझसे भी जल्दी ही तान्या से शादी कर लेने का प्रॉमिस लिया.

और फिर 1 मैहीने बाद मेरी शादी भी तान्या के साथ हो ही गयी, डॉली दीदी शादी से एक हफ्ते पहले ही आ गयी थी. मेरी शादी खूब धूम धाम से संपन्न हुई, आज पापा ने शहर के सबसे महँगे 5 स्टार होटेल में रिसेप्षन रखा हुआ था. शहर के सभी बड़े बिज़्नेस मॅन अपनी फॅमिलीस के साथ, और हमारे सभी रिलेटिव्स रिसेप्षन को अटेंड करने वाले थे. ड्ज और डॅन्स फ्लोर का स्पेशल अरेंज्मेंट किया गया था. मम्मी पापा, मैं, तान्या, दीदी और धीरज, हम सभी शाम को 7 बजे बाकी सभी गेस्ट्स के पहुचने से पहले होटेल पहुँच गये. जब मुन्नी बुआ और उमा मौसी को मैने मम्मी पापा के साथ स्टेज पर फोटो के लिए आई, तो दोनो के चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी. 

मुन्नी बुआ ने तान्या के सामने ही मुझको देखते हुए मम्मी पापा से कहा, चलो अच्छा है, तुम्हारे दोनों बच्चों की शादी टाइम से हो गयी, राज की शादी जल्दी होनी बहुत ज़रूरी थी, और फिर खिलखिलाकर हँसने लगी. 

उमा मौसी स्टेज पर जब मेरे पीछे खड़ी थी, तो उन्होने मेरे कान में धीरे से बोला, अब तो भगवान ने रोजाना बजाने के लिए चूत का इंतज़ाम कर दिया है, लेकिन फिर भी कभी घर की दाल से मन भर जाए तो चिकन खाने आ जाना, और फिर मेरे गाल पर एक पप्पी ले ली.

धीरज तो होटेल पहुचने के साथ ही ब्लॅक लेबल के पेग लगाने लगा, और अपने दोस्तों के साथ दारू पार्टी में मशगूल हो गया. तान्या भी अपनी फ्रेंड्स और रिलेटिव्स को स्टेज पर रिसीव करने में बिज़ी हो गयी. करीब 1 घंटे के बाद मैं और तान्या भी स्टेज से उतरकर, बाकी सभी गेस्ट्स से उनकी टेबल्स पर उनके पास जाकर मिलने लगे.

तभी डॉली दीदी मेरेको हाथ पकड़ कर डॅन्स फ्लोर पर ले गयी, और मेरे कान में फुसफुसा कर बोली, “तान्या वाकई में किस्मत वाली है.” हम दोनो चिपक कर डॅन्स कर रहे थे, दीदी ने आगे बोला, “ धीरज बस वीक में दो ही बार करता है, मुझे मालूम है, तुम तो तान्या को रोज चोदोगे, अच्छी किस्मत लिखवा कर लाई है, तान्या.” 

डॅन्स फ्लोर पर रोशनी कम थी, इसका . उठाते हुए, दीदी ने मेरी गान्ड को कस कर पकड़ लिया, और मेरे कान में बोली, “धीरज और मेरी शादी को 6 महीने हो चुके हैं, और मुझे उसके बारे में अब सब कुछ पता चल चुका है, मैने उसके प्रति वफ़ादार रहने की जो कसम खाई थी, उसका कोई मतलब नही है.”

मैने दीदी से पूछा, “ऐसा क्या पता चल गया आपको, धीरज के बारे में?”

“चलो छोड़ो इन बातों को, कभी तसल्ली से बताउन्गि, बस आज जब तुम्हारी शादी हो रही है, तो मुझे पता नही ऐसा क्यों लग रहा है, कि एक ऐसी चीज़ जिस पर मेरे हक़ था, उसको तान्या अपने कब्ज़े में कर रही है,” दीदी थोड़ा मायूस होते हुए बोली.

“दीदी, मैं हमेशा सबसे पहले आप का था, आपका हूँ, और आपका ही रहूँगा, जो कुछ हम दोनो के बीच रहा है, वो मेरी जिंदगी के सबसे बेहतरीन दिन थे, आपने मेरे लिए जो किया है, वो दुनिया में कितनी बेहन अपने भाई के लिए करती होंगी?” मैं दीदी को भरोसा दिलाते हुए बोला.

हम दोनो डॅन्स फ्लोर से उतर कर रोशनी में सब लोगों के बीच आ गये. अब मेरी नज़र दीदी के घाघरे पर पड़ी, क्या मस्त ड्रेस थी दीदी की, चोली पीछे से बहुत बड़े गले की थी, उसकी नंगी पीठ का सब दीदार कर रहे थे, दीदी ने घाघरा भी बहुत नीचा बाँधा हुआ था, जिस से उनका गोरा समतल पेट भरपूर दिखाई दे रहा था. सब मर्दों की नज़रें दीदी पर थी, ये सब देख तान्या थोड़ी अपसेट नज़र आ रही थी. 

धीरज अपने दोस्तों के साथ दारू पीने में व्यस्त था, और इधर उसकी बीवी के शरीर पर सभी मर्द अपनी आँखें सेंक रहे थे.

"आप इस ड्रेस में कातिल लग रही हो दीदी, सब आपको ही देख रहे हैं," मैने दीदी के पास जाकर उनके कान में धीरे से कहा.

“तुम तो कम से कम आज तान्या पर ध्यान लगाओ, वो देखो, तान्या इधर ही आ रही है, उसको समझाना मैं कितनी कातिल लग रही हूँ इस ड्रेस मैं,” दीदी ने धीरे से कहा. तभी तान्या हम दोनो के पास आ गयी.

डॉली दीदी मुझसे थोड़ा दूर होकर खड़ी हो गयी, और मैने तान्या की एक बाँह में अपनी बाँह डाल दी. तान्या भी पिंक घाघरा चोली मे बेहद खूबसूरत लग रही थी, उसका आज स्पेशल मेकप भी हुआ था. तान्या के चेहरे पर वो ही चमक थी, जो किसी भी लड़की के चेहरे पर शादी वाले दिन होती है. तान्या जैसी बीवी को पाकर मैं अपने आप को किस्मतवाला समझ रहा था.

"ये लो!" तान्या खुशी से बोली, और मेरी बाँह में बाँह डालते हुए मेरे और करीब आ गयी.

फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर हर दृश्य को अपने कॅमरा में क़ैद कर रहे थे, सब गेस्ट्स के जाने के बाद हम सभी फॅमिली वालों ने एक साथ खाना खाया. धीरज ज़्यादा दारू पीकर आउट हो चक्का था, उसको होटेल के वेटर्स, पकड़ कर दीदी और उसके लिए बुक रूम में बेड पर लिटा आए थे. 

हम सब जब खाना खा चुके थे तो मम्मी पापा ने मुझे और तान्या को भी रूम में जाने के लिए बोला. मैने और तान्या ने सभी बड़े बूढ़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया, जब मम्मी, मुन्नी बुआ और उमा मौसी के पैर छूए, तो मुझे लगा, ये मैं क्या कर रहा हूँ, फिर अपने आप दिमाग़ में ख्याल आया, गुरु के पैर तो छूने ही चाहिए.

मैं और तान्या उस एलिवेटर की तरफ चल पड़े, जो सीधा हनिमून सूयीट में ले जाता था, बाकी सब भी दूसरे एलिवेटर से अपने अपने रूम में चले गये.

रूम में पहुँच कर तान्या बेड पर जाकर लेट गयी, और उसने अपने घाघरे को पेटिकोट समेत अपनी कमर तक उपर कर लिया, उसने अंदर आज पैंटी नही पहन रखी थी, और वो झान्टे भी सॉफ कर के पूरी तय्यरी के साथ सुहागरात पर चुदने को तय्यार होकर आई थी. मैं भी उसकी दोनो टाँगों के बीच आ गया, और उसकी चिकनी चूत को चाटने लगा, मेरी जीभ उसकी मस्त चूत के दोनो होंठों को चूस चूस कर उसका स्वाद ले रही थी. तान्या ने मेरे बालों में अपने हाथों की उंगलियाँ फिरानी शुरू कर दी, और अपनी गान्ड उछाल कर, जो प्रभाव मेरे उसकी चूत को चूसने का उसके शरीर पर हो रहा था, उसको दर्शाने लगी, वो अपने हाथों से अपनी चूंचियों को दबाने लगी, और उसकी साँसें भी तेज़ी से चलने लगी.

तान्या बस झड्ने ही वाली थी, तभी उसका मोबाइल बज उठा. मैने तान्या से उसको उठाने के लिए मना किया, ना जाने कौन इस वक़्त हमारी सुहाआग रात में परेशान कर रहा था. लेकिन तान्या ने मुझे अपने से दूर हटाते हुए, बेड के साइड पर रखे फोन को उठा कर देखा, और कॉल को रिसीव कर, फोन पर बात करने लगी.

"हेलो? ओह, हां... हां.. ज़रूर. नो, नो इट'स नो प्राब्लम. मैं बस अभी पहुँचती हूँ.

मैने एक गहरी साँस ली, और सोचने लगा कि ऐसा क्या इंपॉर्टेंट काम हो सकता है?

"नीचे चाची मुझे ढूँढ रही हैं. वो जाने से पहले, मेरे साथ एक फोटो लेना चाहती हैं. प्लीज़ अगर मैं कुछ देर के लिए चली जाऊं, तो तुमको बुरा तो नही लगेगा राज?" 

मैं बस मुस्कुरा कर रह गया, कैसे कहता कि हां मुझे बहुत बुरा लग रहा है. मैने बस गर्दन हिलाते हुए अपनी हताशा व्यक्त की. तान्या ने मेरे गालों पर एक छोटी सी पप्पी ली, और सॅंडल पहन कर, रूम से बाहर चली गयी, डोर को खींच कर धीरे से बंद कर गयी.

मैं बेड के पास वहीं घुटनों पर कुछ पलों केलिए खामोश बैठा रहा, तभी किसी ने डोर खटकाया, मैने देखा तान्या रूम की चाबी छोड़ गयी थी, और ड्रेसिंग टेबल पर रखी चाबी को लेने के लिए वो वापस आई थी.

जैसे ही वो रूम से चाबी लेकर बाहर निकली, मैं अपने कपड़े ठीक करके डोर को लॉक करने के लिया जैसे ही डोर तक पहुँचा, मैने डॉली दीदी को डोर पर खड़े हुए पाया. मैने एक गहरी साँस ली, और दीदी की उस ड्रेस में सेक्सी फिगर को निहारने लगा.

"क्या हुआ दीदी?" मैने दीदी के साथ रूम में अंदर आते हुए पूछा, मेरी आवाज़ में थोड़ा कंपन्न था, शायद इसलिए क्योंकि तान्या कुछ ही मिनिट्स में वापस आने वाली थी. और मैं नही चाहता था कि सुहाग रात वाले दिन ही तान्या मेरे और दीदी के रिश्तों पर शक करने लगे. मैने धीरे से डरते हुए लहजे में बोला, “दीदी वो किसी भी वक़्त वापस आ जाएगी, इसलिए....”

"अच्छा, लेकिन वो गयी कहाँ है?" डॉली दीदी ने पूछा, अपने पीछे से डोर का लॅच लॉक लगाते हुए दीदी ने पूछा.

"वो अपनी चाची के साथ एक फोटो लेने के लिए नीचे गयी है," मैं दूसरी तरफ देखते हुए बोला.

"क्या अजीब बात है, तुमको नही लगता?" डॉली दीदी ने पूछा, और मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी, उनकी चूंचियाँ मेरी पीठ को दबा रही थी, दीदी के हाथ मेरी गान्ड की गोलाईयों पर घूम रहे थे, और हल्के हल्के दबा रहे थे, दीदी की उंगलियाँ अब आगे की तरफ बढ़ने लगी थी. “लेकिन वो अपने पति को इस तरह सुहागरात पर अकेला छोड़ कर एक फोटो लेने गयी है, बड़ी ही बेवकूफ़ लड़की है?"

"बस एक फोटो के लिए," मैं बोला, मुझे भी इस बात पर विश्वास नही हो रहा था, मैं दीदी के हाथों को हटाते हुए, उनसे दूर होते हुए बोला. “तान्या की चाची यूएस में रहती हैं, शायद उन दोनो की आज के बाद कब मुलाक़ात हो, हो सकता है इसलिए....”

"यदि मैं उसकी जगह होती, तो मैं तो अपने पति को सुहागरात पर अकेला छोड़ कर हरगिज़ नही जाती," डॉली दीदी घमंड के साथ बोली.


डॉली दीदी फिर से मेरे पीछे आ गयी, और अपनी बाहें मेरी बाहों के नीचे से निकालते हुए, मेरी छाती पर रख दी. उनकी उंगलियों के नाख़ून मेरी छाती को मेरी वाइट शर्ट के उपर से ही खरोंचने लगे. दीदी की चूंचियाँ मेरी पीठ को इस कदर दबा रही थी, कि बस इस की कल्पना कर के ही मेरी आँखें बंद हो गयी, दीदी के शरीर का सामीप्य मेरे शरीर में आग लगा रहा था. 
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03-31-2019, 05:32 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैने दीदी के हाथों को अपनी छाती से हटता हुआ महसूस किया, मेरा शरीर दीदी का सामीप्य अब भी चाह रहा था. मैं आँखें बंद किए हुए ही वहाँ पर खड़ा रहा, और दीदी के जाने के बाद डोर के खुलने और फिर लॉक होने की आवाज़ सुनता रहा.

कुछ देर बाद तान्या लौट आई, मेरा मूड ऑफ हो चुका था, मैने तान्या से बोला, “मैं बहुत थक गया हूँ, चलो कपड़े चेंज करते हैं, और सो जाते हैं, अब सब कुछ शांति से हनिमून पर थाइलॅंड में ही करेंगे.”

मैने कपड़े चेंज किए और बेड पर सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी. जब तान्या सो गयी तो मैं बेड से उठा, और अपने रूम को बाहर से लॉक करके दीदी के रूम की तरफ चल दिया. 

मैने दीदी के मोबाइल पर फोन किया, और उनको रूम का डोर खोलने के लिए बोला. जब मैं दीदी के रूम पर पहुँचा, तो दीदी डोर खोलकर मेरा इंतेजार कर रही थी.

मुझे देखते ही उन्होने पूछा, “क्या हुआ राज?”

मैं बोला, “कुछ नही दीदी, बस आपसे से बातें करने का मन कर रहा था.तान्या ने तो आज सारा मूड ही ऑफ कर दिया. सुहागरात की माँ चोद दी.”

रूम के अंदर घुसते हुए, मैने डोर को अंदर से लॉक कर दिया, और धीरज को बेसूध बेड पर जूते और सूट पहने हुए ही सोते हुए पाया.

हम दोनो सोफे पर बैठ गये, और मैने दीदी का चेहरा अपने हथेलियों में लेकर, उसको थोड़ा घुमाया और उपर किया, दीदी की आँखों में चमक थी, लेकिन वो थोड़ा कन्फ्यूज़ भी थी, मैने आगे बढ़ कर अपने होंठ दीदी के होंठों पर रख दिए. दीदी ने भी अपना मूँह खोलकर मेरे होंठों का स्वागत किया, और अपनी जीभ मेरे मूँह में घुसा दी, दीदी ने अपनी बाहें मेरे कंधे पर डाल दी, और मुझसे चिपक गयी.

डॉली दीदी को शायद दिल में ग्लानि हो रही थी, मानो वो चोरी कर रही हो, जो कुछ आज तान्या के साथ होना चाहिए था, वो आज दीदी मेरे साथ कर रही है. लेकिन शायद वो अगर अपने सगे छोटे भाई को जानती, जो कि वो शायद जानती थी, तो उसका छोटा भाई भी अपनी बीवी को आज रात चोद कर उतना खुश नही होता, जितना उनको चोद कर खुश होगा, वो तो हमेशा से अपनी दीदी को चोद्ना चाहता था. दीदी कुछ देर सोचने के बाद फिर से शुरू हो गयी.

धीरज बेड पर नशे में सो रहा था, हम दोनो को मालूम था, कि वो अभी 3-4 घंटे बेसूध होकर पड़ा रहेगा, उसने आज कुछ ज़्यादा ही पी ली थी.

दीदी ने मेरे पाजामे का नाडा खोल दिया, और अंडरवेर को पकड़ के नीचे खींच दिया, और मुझे एक सोफे पर धक्का देकर बैठा दिया. मैं ये देख कर हैरान रह गया, जब दीदी ने अपने घाघरे चोली के साथ कंधे पर डाले हुए दुपट्टे को नीचे फेंक दिया, और अपनी चोली के बटन आगे से खोल दिए, फिर अपनी ब्रा को पीछे से खोलने के बाद, उसको भी दोनो कंधों में से निकालने के बाद, मेरे चेहरे को पकड़ कर अपनी चूंचियों के बीच दबा लिया. मेरा मूँह खुला का खुला रह गया, और मैं दीदी की मुलायम चूंचियों के गोरे गोरे मस्त माँस को चूमने और चाटने लगा, दीदी की चूंचियों के निपल्स को अपने होंठों के बीच लेकर, स्वाद लेते हुए चूसने लगा. जैसे ही मैने निपल को अपने होंठों के बीच लिया, दीदी ने एक हल्की सी आहह भरी, और मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ लिया, मैं एक चूंची के निपल को चूस रहा था, और दूसरी चूंची को अपने हाथ से मसल रहा था.

दीदी के हाथ ने नीचे आकर मेरे लंड को पकड़ लिया. दीदी मुझे चूंचियों का रस्पान कराते हुए, मेरे लंड को प्यार से सहलाने और आगे पीछे करने लगी. मेरे लंड का अपने हाथों में पकड़े हुए होने का एहसास, दीदी को पागल कर रहा था, और दीदी का शरीर भी अब काँपने लगा था. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था, और लंड फनफना रहा था, और दीदी की चूत में घुसने की तयारि करते हुए, सुपपडे के छेद में से प्रेकुं की बूँदें निकाल रहा था.

दीदी ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी, दीदी की मूँह से निकल रही ज़ोर ज़ोर की आहहों का एहसास शायद उनको तब तक नही हुआ था, जब तक मैने अपने हाथ की उंगलियाँ ले जाकर उनके मूँह को बंद करने का प्रयास नही किया. मेरा ऐसा करते ही, दीदी ने तुरंत बेड पर सो रहे धीरज की तरफ देखा, वो अब भी बेसूध सो रहा था, लेकिन फिर भी एहतियात बरतना ज़रूरी था.

"अब मुझसे और बर्दाश्त नही होता," डॉली दीदी गहरी साँस लेते हुए बोली. दीदी ने अपना घाघरा और पेटिकोट भी नाडा खोल कर उतार दिया, और फिर उनके नीचे पहनी हुई गहरे लाल रंग की पैंटी को भी उतार कर ज़मीन पर फेंक दिया.

रूम में ज़्यादा रोशनी नही थी, बस नाइट लॅंप ही जल रहे थे, लेकिन फिर भी मैं दीदी की मस्त गोरी गुदाज जांघों को जी भर के देखने लगा, और उनकी जांघों के बीच के खजाने से निकल रही मादक गंध, मुझे पागल कर रही थी. मैं ज़ोर ज़ोर से गहरी साँस लेकर अपनी दीदी की चूत की उस मादक गंध को ज़्यादा से ज़्यादा अपने अंदर सम्माहित करने की कोशिश करने लगा. मेरा लंड उपर नीचे होकर बेताब हो रहा था, और अपनी जान, अपनी दीदी को नंगा देखकर अपनी इतने दिनों से दबी हुई इच्छा को पूरा करने के लिए पागल हो रहा था.

डॉली दीदी मेरी दोनो जांघों के उपर चढ़ कर मेरी गोद में बैठ गयी, और मेरे लंड को अपनी चूत के छेद का, अपने हाथ से पकड़कर रास्ता बताने लगी. मेरे प्रेकुं से चिकने हुए सुपाडे ने दीदी की चूत के द्वार के होंठों को खोलते हुए, चूत के अंदर प्रवेश किया, और फिर थोड़ा और अंदर घुसते ही, दीदी की चूत की चिकनाहट ने मेरे लंड को अपने आगोश में ले लिया. दीदी धीरे धीरे अपना भार मुझ पर डाल रही थी, दीदी अपनी चूत में मेरे लंड को इस तरह अंदर घुसा रही थी, मानो कोई तलवार अपने म्यान में अंदर जा रही हो, और वो म्यान बस इसी तलवार के लिए बनी हो.

होटेल के उस कमरे में हमारी दबी हुई आहें ही सुनाई दे रही थी, गीली चूत में लंड के घुसने की आवाज़, और फिर चूत की सुरंग में से बाहर निकल कर फिर से अंदर घुसने की आवाज़. हम दोनो के होंठों से दबी हुई आहें निकल रही थी, और फिर दोनो होंठ पास आकर एक दूसरे को बेसब्री से किस करने लगे, दोनो की जीभ एक दूसरे के मूँह में कभी अंदर घुस के कभी बाहर निकल कर, एक दूसरे का स्वाद लेने लगी. मैने दीदी की गान्ड की गोलाईयों को अपनी हथेलियों में भरते हुए, मेरी उंगलियों के टिप्स, दीदी की भारी गान्ड के माँस में घुस गई, और फिर दीदी को चोदते हुए, उनको अपने लंड के उपर उछालने लगा. हम दोनो ने आज से पहले कभी ऐसे पोज़ में चुदाई नही की थी, जिसमे इतना मज़ा आया हो.

एक पल को मेरे मन में ये ख़याल आया, कि आज सुहाग रात को ही मैं तान्या के साथ बेवफ़ाई कर रहा हूँ, लेकिन दीदी के साथ इस चुदाई में आ रहे आनंद ने मन में आ रहे सभी ख्यालों पर एक परदा डाल दिया. दीदी की चुदाई करने में जो मज़ा आ रहा था, वो उस सभी से लाखों गुना ज़्यादा था, उस मज़े से जो मुन्नी बुआ, मम्मी या उमा मौसी को चोदते समय आया था. ऐसा लग रहा था, कि जैसे दीदी की चूत और मेरा लंड बने ही एक दूजे के लिए हैं. अगर बाद में कभी धीरज या तान्या को हमारे संबंधों के बारे में मालूम चलता भी है, तो हम दोनो को इस बात की कोई ज़्यादा फिकर नही थी. मैं तो सोच चुका था, कि जब भी मौका मिलेगा, और जब भी दीदी ने चोदने की अनुमति दी, तो मैं दीदी को ज़रूर चोदुन्गा. 

"हे भगवान, हे भगवान," डॉली दीदी कराह रही थी, और वो अपने नाखूनों को अपने छोटे भाई की पीठ में गढ़ा रही थी, और हवस की आग में जल रही थी. दीदी मेरी गोद में बैठ कर मेरे लंड पर उछल रही थी, दीदी की चूत का दाना, चूत के होंठों के दामन से निकल कर, मेरे लंड पर घिस्से मार रहा था. दीदी शायद अब झड रही थी, उनका शरीर ऐंठने और काँपने लगा था, दीदी अपने को अपने सगे भाई से चुद्वाने का एहसास और ज़्यादा उत्तेजित कर रहा था. 

दीदी जिस तरह मेर उपर चिपक कर बैठी थी, और उसके मूँह से निकल रही आँहे सुनकर मेरा लंड और ज़्यादा फूँकार मारने लगा. मैं दीदी की गान्ड को अपने लंड पर अपने हाथों से उछाल रहा था, और बस चरम पर पहुँचने ही वाला था. आज इतने दिनों के बाद दीदी की शरीर को भोगने का मौका मिला था, आज अपने आप पर कंट्रोल नही हो रहा था. दीदी को अपनी चुदाई की आर्ट किसी और दिन दिखाने का सोच कर, मैं दीदी की चूत में छूटने के लिए तयार हो गया, ये सोचते ही मैं झड्ना शुरू हो गया.

हम दोनो ने एक दूसरे को जकड लिया, और दोनो के बदन पर हल्का सा पसीना भी आ गया, हम दोनो इस कदर चिपके हुए थे, जैसे कोई बॉल अपने सहारे से चिपकी हो. मैं लंड से निकल रहे चिपचिपे वीर्य को दीदी की चूत में उंड़ेल रहा था, और उनकी चूत को अपने गरम पानी से भरते हुए, दीदी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव को देख रहा था. दीदी को मानो आज बहुत दिनों के बाद ऐसी तृप्ति मिली हो. मैं दीदी के चिपके हुए, उनके नंगे बदन का, हाथ फिराते हुए एक अजीब सी शांति में आनंद ले रहा था. और आज इंते दिनों बाद मिले मौके का भरपूर मज़ा ले रहा था.


"ओह राज, तुम्हारा अभी भी खड़ा हुआ है," डॉली दीदी कुछ देर बाद बोली. मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में ही घुसा हुआ था, और जैसे ही दीदी थोड़ा इधर उधर कर अपने भार को शिफ्ट करती, चूत में घुसा हुआ लंड, पानी में भीगने के बाद फॅक फॅक की आवाज़ करता. “दोबारा करोगे,” दीदी ने धीरे से पूछा. 

मैने हां में सिर हिलाया, और एक आँख मार दी, दीदी मेरे उपर से उठकर, टेबल पर अपनी कमर झुका कर खड़ी हो गयी, और मुझे अपना नंगा शरीर, चोदने के लिए प्रस्तुत कर दिया. नाइट लॅंप की रोशनी में दीदी का नग्न शरीर, किसी स्पोर्ट्स कार की मॉडेल तरह लग रहा था. दीदी की गान्ड की गोलाइयाँ, वो पतली कमर, सब कुछ एक दम पर्फेक्ट था, मानो किसी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहे कुंवारे लड़के के सपने की मूरत हो, जिसको दिमाग़ में रख कर वो मूठ मारता हो. मैं बिना कुछ बोले, दीदी के पीछे आया, और दीदी की चूत के आमंत्रित कर रहे चिकने होंठों के बीच अपना लंड पेल दिया. थोड़ा सा धक्का लगाते ही सुपाड़ा, चूत की सुरंग में अंदर घुस गया. 
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03-31-2019, 05:32 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
डॉली दीदी ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी. दीदी के शरीर में भी वो ही जानी पहचानी आग लगी थी, और वो भी बार बार थोड़ा थोड़ा झड रही थी. दीदी की चूत, झुकने के कारण, और ज़्यादा खुल गयी थी, और मेरे लंड का चूत में अंदर बाहर होकर, चूत के दाने को घिसने का एहसास, उनको अपार आनंद दे रहा था. 

स्लॅप - स्लॅप - स्लॅप, दीदी को चोदने की आवाज़ से रूम गूँज रहा था. जैसे ही मेरा लंड चूत के अंदर घुसता, डॉली दीदी की गान्ड मटका कर आगे पीछे होने लगती. मैं फिर से झड्ने को आतुर हो चुका था.

5 मिनिट तक दीदी की पीछे से चुदाई करने के बाद, मैं दोबारा झड गया, और दीदी की चूत में अपना सफेद सफेद पानी छोड़ दिया. मेरे मूँह से दबी हुई गुर्राने की आवाज़ निकली, ये सोचते हुए कि कहीं धीरज उठ ना जाए. डॉली दीदी ने भी एक गहरी साँस ली, और फिर मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा, उनकी आँखों में खुशी के आँसू थे.

आख़िर में, मैने दीदी की चूत में से जैसे ही अपना लंड निकाला, एक प्लॉप की आवाज़ हुई, और हम दोनो के शरीर अलग हो गये. दीदी की चूत की पंखुरियों में से ढेर सारा, वीर्य और पानी बह निकाला. डॉली दीदी ने सीधे खड़े होकर मुझे किस किया, ऐसा करते हुए दीदी की चूंचियों के मेरी छाती से दबने के एहसास का मैने भरपूर आनंद लिया, और दीदी को अपनी बाहों में भर लिया. हम दोनो ने बहुत देर तक किस किया, जब तक की एरकॉनडिशनर की ठंडक ने ये याद ना दिला दिया, कि इन दो काम में से एक काम करना ज़रूरी है, या तो चुदाई करो, या फिर कपड़े पहन लो.

हम दोनो कपड़े पहन कर फिर से सोफे पर ही बैठ गये. धीरज बेड पर अब ही बेसूध पड़ा हुआ था. उसको देखते हुए मैने दीदी से पूछा, “और आपकी मॅरीड लाइफ कैसी चल रही है, आप कुछ बताना चाह रही थी?”

“हां, राज सब ठीक है, लेकिन धीरज से शादी के बाद पिछले 6 महीने में, अपनी ससुराल में मैने जो कुछ होते हुए देखा है, उस सब को देख के लगता है कि इस दुनिया में क्या कुछ दबे छुपे, समाज से छुपाकर हो रहा है, हम सोच भी नही सकते, और हम दोनो बेकार में अपने संबंधों के लिए इतना गिल्टी फील किया करते थे,” दीदी एक ही साँस में बिना रुके बोलती चली गयी.

“ऐसा क्या हुआ दीदी,” मैने अचरज में पूछा. 

डॉली दीदी ने बताना शुरू किया
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03-31-2019, 05:32 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
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अब आगे की कहानी डॉली दीदी की ज़ुबानी
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जब मैं शादी के बाद ससुराल पहुँची, तो मुझे सभी परिवार वालों का, सास, ससुर, धीरज और उसकी छोटी बेहन संध्या का भरपूर सहयोग मिला. संध्या तो मानो मेरी सहेली बन गयी. हर समय मेरे साथ हँसी ठिठोली करती रहती. धीरज ने शादी के बाद 15 दिनों के लिए ऑफीस ना जाने का डिसाइड किया था. मेरे ससुर दीनानाथ जी ही बिज़्नेस देख रहे थे.

धीरज रोजाना दोपहर में लंच करने के बाद मुझे 2-3 घंटे तक पूरी तरह गरम करने के बाद अलग अलग पोज़ में चोदा करता था. रात में हम दोनो डिन्नर के बाद टाइम से सो जाया करते थे, दिन में जबरदस्त चुदाई के बाद मुझे जल्द ही गहरी नींद आ जाती.

ये तब की बात है, जब एक बार मेरे सास, ससुर किसी रिश्तेदार की शादी में 2-3 दिनों के लिए गये हुए थे.

रात के 1 बजे एक बजे जब मेरी नींद खुली, तो मैने धीरज को बेड से गायब पाया, शुरू में मैने सोचा, हो सकता है टाय्लेट गया हो, लेकिन जब वो बहुत देर तक नही लौटा तो मैं बेड से उठकर, रूम से बाहर जाकर चेक करने के लिए, रूम से बाहर निकल आई. मैने संध्या के रूम से कुछ आवाज़ें आती सुनी, तो उसी तरफ बढ़ चली. टाय्लेट में पानी की आवाज़ से ये कन्फर्म हो चुका था, कि धीरज तो टाय्लेट में ही है. संध्या के रूम का डोर पूरी तरह से बंद नही था, डोर और चौखट के बीच की दरार में से रूम के अंदर का सब कुछ सॉफ सॉफ दिखाई दे रहा था. रूम में से आ रही हवस और वासना से भरी कराहने की आवाज़ें मुझे पागल कर रही थी, मेरी भी छूट गीली होने लगी थी. मेरे दिमाग़ में चल रहा था, कि शायड धीरज तो टाय्लेट में है, और संध्या अपने रूम में अपनी चूत में उंगली डाल रही है. मेरी भी धीरज से चुदने की इच्छा बलवती होने लगी थी, मेरा हाथ मेरी चूत पर पहुँच कर पाजामे और पैंटी के उपर से ही चूत को सहलाने लगा था. मेरा एक हाथ चूत पर था, तो दूसरा मेरी चुचियों के निपल को मसल रहा था. मेरे सारे शरीर में आग लग चुकी थी, जो शरीर के हर भाग को जला रही थी.

मैं बहुत ज़्यादा गरम हो चुकी थी, लेकिन तभी मैने जब संध्या के रूम में अंदर झाँक कर देखा, संध्या नीचे से पूरी तरह नंगी होकर बेड पर लेटी पड़ी थी, उसने बस टी-शर्ट पहना हुआ था, और अपनी चूत में उंगली डाल कर अंदर बाहर कर रही थी. उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी, की उंगली के अंदर बाहर होने के आवाज़ मुझे बाहर तक सॉफ सुनाई दे रही थी. मुझे लगा कि धीरज अब टाय्लेट से निकलने ही वाला है, और कहीं वो अपनी बेहन को इस रूप में ना देख ले. 

मैने अपना मूँह डोर के अंदर घुसाते हुए कहा, “संध्या, रूम का डोर बंद कर के ये सब किया करो.”

संध्या के उपर मेरी बात का कोई असर नही हुआ, और वो चूत में उंगली डाल कर अपनी मस्ती में खोए हुए, हस्तमैथुन करती रही. इसके बाद उसने अपनी टी-शर्ट और फिर धीरे से अपनी ब्रा भी उतार दी, और पूरी तरह नंगी हो गयी. मेरा दिल भी उस कच्ची कली के नंगे बदन को देख कर ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. वो फिर से अपना हाथ अपनी चूत पर ले गयी, और चूत के दाने को सहलाने लगी. 

मैने गुस्से में कहा, “संध्या, जो तुम्हे करना है करो, लेकिन डोर तो बंद कर लिया करो, धीरज बाथरूम में है, उसने देख लिया तो?” संध्या अपने बेड पर इस तरह घूम गयी, और उसने अपनी टाँगें फैला दी, की अब उसकी बिना झान्टो वाली, शेव्ड चिकनी चूत बिल्कुल मेरे चेहरे के सामने थी. मेरी बात सुनकर, संध्या ने अपने पुर शरीर पर पिंक कलर का चादर ओढ़ लिया, और और चादर के अंदर, अपनी चूत के दाने को कराहने की आवाज़ों के साथ, सहलाने लगी. 

ये सब देख कर मैं भी बहुत ज़्यादा गरम हो चुकी थी, और मैने भी अपने पाजामे और पैंटी के अंदर हाथ घुसा के अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. संध्या के हाथ के चादर के अंदर चलते हुए देख कर, मुझ से अपने आप पर ज़्यादा देर तक कंट्रोल नही हुआ, और मेरी आँखें बंद हो गयी, और संध्या की चिकनी चूत मेरे दिमाग़ में घूमने लगी, और मैं जल्द ही झड गयी. 

जैसे ही मुझे होश आया, मुझे एहसास हुआ कि धीरज कभी भी टाय्लेट से बाहर आ सकता है, मैं तुरंत अपने रूम में जाकर, बेड पर लेट गयी. जब थोड़ी देर बाद टाय्लेट का डोर खुलने की आवाज़ आई, कुछ देर इंतेजार करने के बाद जब धीरज फिर भी हमारे रूम में नही आया, तो मैं दबे पाँव डोर खोल के बाहर झाँकने लगी. धीरज, संध्या के रूम की तरफ जा रहा था. जब वो अंदर घुस गया, तो मैं धीरे से डोर और चौखट की दरार में अंदर झाँक कर देखने लगी.


रूम के अंदर घुसते ही, धीरज ने संध्या की ओढी हुई चादर को हटा दिया, और वो पूरी तारह नंगी होकर, अपने भैया के सामने अपने बेड चूत में उंगली डाले हुए लेटी पड़ी थी. उसकी आँखे बंद थी.

और फिर धीरज ने अपना कुर्ता पाजामा उतारना शुरू कर दिया. नाइट लॅंप में संध्या का नग्न गोरा शरीर, संगमरमर की तरह चमक रहा था. धीरज अपनी सग़ी छोटी बेहन के सामने अपने कपड़े उतार रहा था. मैं वहीं, रूम के बाहर खड़े होकर, दरार में से झाँक कर रूम के अंदर देख रही थी, मुझे लग रहा था, मानो मैं कोई सपना देख रही हूँ. 

धीरज ने कुर्ता पाजामा उतारने के बाद,बनियान और अंडरवेर को भी एक झटके उतार फेंका. धीरज का गातीला शरीर, नाइट लॅंप की रोशनी में बहुत आकर्षक लग रहा था, और उसका लंड खड़ा होकर, उपर नीचे हो रहा था, मानो सलामी मार रहा हो. धीरज के लंड को तो मैं हर दोपहर में देख भी रही थी, और भोग भी रही थी, लेकिन इस परिस्थिति में सब कुछ कामुक और वासना से भरा हुआ लग रहा था. धीरज ने अपने सारे कपड़ों को फर्श पर ही पड़े रहने दिया, और उनको पैर से इकट्ठा कर दिया, और अपनी सग़ी छोटी बेहन संध्या के नंगे शरीर को निहारने लगा. इस समय धीरज का चेहरा तो मेरे सामने नही था, लेकिन जिस तरह से उसका लंड खड़ा होकर, उपर नीचे हो रहा था, इतना तो मेरे भी समझ में आ रहा था, कि वो अपनी सग़ी छोटी बेहन को चोदना चाहता है. ये सोचकर मैं भी उत्तेजित होने लगी, मेरे निपल्स भी खड़े हो गये, और मेरा हाथ भी पाजामे और पैंटी के अंदर मेरी चूत तक फिर से पहुँच गया. इस बार मैं भी बेशर्मी से बिना किसी डर के अपनी चूत पर उंगली घिसने लगी. क्योंकि घर में हम तीनों के सिवा और कोई नही था, और वो दोनो भाई बेहन अपनी काम क्रीड़ा में लगे हुए थे. 

धीरज कुछ देर वहीं बेड के पास खड़ा होकर, संध्या के नंगे शरीर को निहारता रहा, और फिर धीरे से संध्या के बेड पर चढ़ गया, अपने भाई को बेड पर चढ़ते देख, संध्या ने करवट ले ली और साइड से लेट गयी. संध्या अब भी अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी हुई थी, मानो सो रही हो. धीरज सावधानी के साथ, संध्या की पीठ से चिपक गया, और उसकी गोरी गोरी जांघों को अपने हाथ से सहलाने लगा. मैं इस सब को अचरज के साथ खड़ी हुई देख रही थी. धीरज ने संध्या को सीधा लिटाते हुए, उसकी दोनो टाँगों को पकड़ के चौड़ा कर फैला दिया, धीरज ऐसे सावधानी बरत रहा था, जैसे कि वो उसे नींद से उठाना ना चाहता हो. फिर धीरज ने नीचे आते हुए, संध्या की गोरी मुलायम जांघों को हल्के से किस करना शुरू कर दिया, हर किस के साथ, वो संध्या की जाँघ की अन्द्रुनि गहराई में, उसकी गुलाबी चूत के और पास घुसता जा रहा था. 

मुझे ये सब देखकर विश्वास ही नही हो रहा था, कि जो काम मैं अपने सगे भाई के साथ अपने मायके में किया करती थी, वो ही आज अपनी ससुराल में अपने पति और ननद के बीच होते देख रही हूँ. मुझे ये सब अभी भी एक सपने की ही तरह लग रहा था. ये तो मुझे पता था, कि संध्या जागी हुई है, उसने बस अपनी आँखें ही बंद कर रखी हैं, और इस सब में उसकी सहमति है, लेकिन मैं ये इस सोच रही थी, कि क्या मुझे कुछ बोलना चाहिए? क्या मुझे इस सब को रोकना चाहिए? लेकिन मेरा कुछ भी निर्णय लेने की शक्ति जवाब दे चुकी थी. मैं इस सब को देख कर, इतना ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो गयी थी, मुझे मेरे और तेरे बीच जो कुछ हुआ था, वो सब कुछ याद आने लगा था, मुझे थोड़ी शरम भी आ रही थी, कि मैं ना तो कुछ बोल ही पाई, और ना ही उन दोनो को रोक ही पाई. सब कुछ देखते हुए, मेरा हाथ अभी भी पैंटी के अंदर घुसा हुआ था, और मेरी चूत को सहला रहा था.....
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