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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
कोमल ने पानी चलाकर टब के अंदर अपना पैर रखा। जब उसने अपने पीछे सजल को आते न देखा तो आवाज़ दी कि वो अब देर न करे।
नंगा लड़का बाथरूम में घुसा। कोमल उसे देखकर समझ गई कि वह क्यों शर्मा रहा था। उसका लण्ड ताड़ की तरह अपनी पूरी दस इंची लम्बाई तक तनकर खड़ा था। सजल ने अपनी इस हालत के लिये क्षमा मांगने को मुँह खोलना चाहा।
“तो क्या तुम इसलिये इतने शर्मा रहे थे…” कोमल ने हँसते हुए कहा- “इसमें कुछ गलत नहीं है बच्चे… इससे सिर्फ़ यह सिद्ध होता है कि तुम एक स्वस्थ लड़के हो। मुझे इसलिये भी खुशी है कि शायद यह मेरे कारण है… “आओ अंदर, पानी तुम्हारी पसंद का है, हल्का गुनगुना…” कोमल ने अपना हाथ बढ़ाकर सजल को टब में खींच लिया। उसने सजल को साबुन देकर कहा कि वो उसकी पीठ पर मले। “जोर से घिसना…”
सजल का लण्ड नीचे उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था। ऊपर से उसकी मम्मी की नंगी पीठ का स्पर्श उसे और उत्तेजित कर रहा था। उसका लम्बा लण्ड उचक-उचक कर उसकी मम्मी की गाण्ड को छूने की कोशिश कर रहा था।
“ऊँहुं… मुझे कुछ लगा…” कोमल खिलखिलाई जब सजल के लण्ड ने अपने परिश्रम में सफ़लता पाई और अपने लक्ष्य को छू लिया। वो थोड़ा पीछे सरकी जिससे कि उसे दोबारा यह सुख मिले।
“माफ़ करना मम्मी…” लड़का सकपकाकर बोला और थोड़ा पीछे हटा।
“क्यों, तुम्हारे शरीर का कोई हिस्सा मेरे शरीर को छुए तो इसमें क्या गलत है… मुझे साबुन दो, मैं तुम्हारी पीठ पे लगा दूँ…” पहले कोमल ने सजल की पीठ पर साबुन लगाया और फ़िर छाती पर और कहा- “अब मेरी छाती पर साबुन लगाने की तुम्हारी बारी है…”
“शर्माओ मत… मुझे छुओ…” कहते हुए उसने सजल के हाथ अपने मम्मों पर लगा दिये। इसके बाद कोमल ने अब तक की सबसे साहसी हरकत की- “तुम्हें अपने शरीर के हर हिस्से को अच्छे से साफ़ करना होगा, इसे भी…” कहते हुए उसने सजल का भरपूर लौड़ा अपने हाथ में भर लिया।
“ओह मम्मी…”
“मैं जानती थी कि तेरा लौड़ा ऐसा ही शानदार होगा…” कोमल उसे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। उसने अपने चेहरे को झुकाया।
“नहीं, मम्मी हम ऐसा… पापा…” लड़का हकलाने लगा पर उसने अपनी मम्मी को रोका नहीं।
“हमें करना ही होगा… मुझे तुम्हारी इतनी ज़रूरत है कि मैं रुक नहीं सकती… अब बहुत देर हो चुकी है… अपनी मम्मी को स्वयं को खुश कर लेने दो मेरे बेटे…” कहते हुए उसने वो मूसल अपने मुँह में भर लिया।
“आआआह… मम्मी, तुम्हारा मुंह…”
“ऊँह ऊँह…” कोमल तो अब उस महान हथियार का स्वाद लेने में जुटी थी। वह हुमक-हुमक कर लौड़े को चूस रही थी। इस समय उसकी तुलना गर्मी में आई हुई बिल्ली से की जा सकती थी।
सजल भी अब चुप नहीं रहा। जब उसने यह जान लिया कि उसकी मम्मी अब रुकने वाली नहीं है, तो उसने भी अपनी मम्मी को पूरा आनंद देने का निर्णय लिया। उसने अपने हाथ बढ़ाकर उसकी चूचियों पर रखे और धीरे-धीरे मसलने लगा।
“उन्हें खींचो और उमेठो…” कोमल ने सीत्कार भरी। वह समझ नहीं पा रही थी कि इस जवान लण्ड का स्वाद लिये बगैर वो अभी तक जीवित कैसे थी… उसके मुँह से तो वो छूट ही नहीं पा रहा था। हालांकि उसकी चूत उबल रही थी, पर उस प्यासी मम्मी ने पहले अपने पुत्र को पहला सम्पूर्णानंद देने का वचन लिया। वह दिखाना चाहती थी वह उसके लिये क्या कुछ कर सकती थी।
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“तुम मेरे मुँह में झड़ सकते हो, मेरे राजा बेटे…” उसने अपनी जीभ को लण्ड के द्वार पर लगाए रखा।
“क्या तुम सच कह रही हो मम्मी…” सजल अब रुक नहीं पा रहा था। उसने पूरा दम लगाकर अपनी मम्मी के विशाल मम्मों को खींचा।
“मुझे इस समय दुनिया में और कुछ नहीं चाहिये…”
“तो फ़िर लो… यह मेरा पहली बार है किसी औरत के मुँह में झड़ने की…”
“आ जाओ बेटे, तुम्हारी मम्मी का मुँह तुम्हारे रस को पीने के लिये बेचैन और प्यासा है…”
सजल यही सुनना चाहता था। उसने कोमल के मम्मों को और जोर से भींच डाला। कोमल की चीख निकल गयी। पर अगले ही पल उसको अपनी जीभ पर अमृत की पहली बूंद का स्वाद महसूस हुआ।
“पियो मम्मी…” कहते हुये सजल ने जो पिचकारी मारनी शुरू की तो कोमल का पूरा मुँह वीर्य से भर गया।
यह सोचकर कि कोई बूंद बाहर न गिर जाये कोमल ने वापस अपना मुँह सजल के तने लण्ड पर कस दिया। इस प्रक्रिया में कोमल को लगा कि कुछ हो रहा है जो उसकी समझ के बाहर है… पर क्या… फ़िर उसने जाना कि वो भी तेज़ी के साथ झड़ रही थी, बिना चुदे, बिना अपनी चूत को छुए… और ऐसे बह रही थी कि बस…
“चोद मेरे मुँह को, मेरे लाल… मैं भी झड़ रही हूँ…” जब वासना का ज्वर समाप्त हुआ तो कोमल ने अपने बेटे को अपनी बाहों में भर लिया और सिसकने लगी।
“मम्मी, क्या तुम ठीक हो…”
मम्मी ने अपने बेटे का एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया- “मैं इससे ज्यादा संतुष्ट कभी नहीं हुई, मेरे लाल…”
सजल ने उसकी एक चूची को कचोट कर पूछा- “मम्मी क्या तुम समझती हो कि जो हुआ वो सही था…”
“अब वापस जाने के लिये बहुत देर हो चुकी है… और मैं सोचती हूँ कि जो हुआ अच्छा हुआ। तुम क्या सोचते हो…”
“मुझे इस बारे में कुछ अजीब सा लग रहा है… पर था बहुत अच्छा… बहुत… पर मैं अब पापा से मिलने में थोड़ा परेशान होऊँगा…”
कोमल की मुश्कुराहट गायब हो गई- “हाँ ये दिक्कत रहेगी… पर हम उन्हें बता नहीं सकते। हमें ध्यान देना होगा कि हमारे आचरण से उन्हें कोई शक न हो…”
जब सजल ने हामी भरी तो कोमल बोली- “हमारे पास पूरी रात पड़ी है, प्यारे… और अभी तक मैनें तुम्हारा यह मूसल जैसा लौड़ा अपनी चूत में महसूस नहीं किया है…”
“यहाँ… टब में…” सजल ने पूछा।
“नहीं पागल, मैं चाहती हूँ कि जब तुम मुझे चोदो तो खूब जगह हो जिससे कि मैं जितना घूमना चाहूं, घूम सकूं। मैं जानती हूँ कि जब तुम्हारा यह बल्लम मेरी चूत में घुसेगा तो मैं पागल हो जाऊँगी और तड़प-तड़पकर घूम-घूमकर चुदवाऊँगी… चलो बिस्तर पर चलो…”
उस चुदासी नंगी माँ ने अपने नंगे जवान बेटे का हाथ पकड़ा और सीधे बिस्तर की ओर बढ़ चली। उसने अपने शरीर को सुखाने के बारे में सोचा तक नहीं। बिस्तर पर जाकर पीठ के बल जा लेटी और अपनी टांगें चौड़ी करके बाहें फैलाकर बोली- “आ मेरे बच्चे, अब मुझे चोद…”
“तुमने मुझे चूसा था मम्मी, क्या मैं भी…” सजल ने कोमल की झाँटों में से झलकती, गुलाबी चूत को देखते हुए पूछा। उसने कभी चूत नहीं चाटी थी और वो भी अपनी मम्मी को अपने प्यार की गहराई दिखाना चाहता था।
“हाँ, मेरे प्यारे… तेरा लाख-लाख शुक्र यह सोचने के लिये…” कोमल हाँफ़ती हुई बोली और अपनी चूत की पंखुड़ियों को फ़ैलाने लगी। अंदर का हसीन नज़ारा दिखाते हुए बोली- “अपनी जीभ को यहाँ डाल मेरे लाड़ले…”
जब सजल ने अपना मुँह उसके नज़दीक किया तो चूत की तीखी गंध उसके नथुनों में आ समाई। कोमल ने अपनी चूत की मांस-पेशियों की फैलाया-सिकोड़ा जिससे कि गंध और बढ़ी। पर सजल रुका नहीं। उसने अपने यार-दोस्तों से सुना था कि चूत चाटना बेहद ही वाहियात काम है। पर उसके मन में अपनी मम्मी की फुदकती हुई चूत के लिये ऐसी कोई भावना नहीं थी। जब सजल की जीभ ने चूत की पंखुड़ियों को छुआ तो कोमल की तो जान ही निकल गई। उसने अपना सिर उठाया जिससे कि वह अपनी चुसाई देख सके।
“मेरे प्यारे बच्चे…” वो कुलबुलाई- “अपनी जीभ मेरी चूत में जहाँ तक डाल सकते हो डाल दो… हाँ तुम बहुत अच्छा कर रहे हो…” अगर वो इस रास्ते पर चल ही पड़े थे तो पूरा ही आनंद लिया जाये, उसने सोचा। उस भूखे लड़के को चूत की महक से नशा सा हो चला था। उसे आश्चर्य था कि वह चूत उसकी जीभ पर इतनी तंग क्यों लग रही थी। उसने अपने लण्ड को एक हाथ से पकड़कर रगड़ना शुरू कर दिया।
“चूसो जोर से…” जब सजल ने कोमल की चूत की क्लिट को चबाया तो वह बिल्कुल बेकाबू हो उठी।
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
फिर तो उस जवान लड़के ने आव देखा न ताव और अपने लण्ड से जबरदस्त पेलाई शुरू कर दी। गहरे, लम्बे धक्कों की ऐसी झड़ी लगाई कि कोमल के मुँह से चूं तक न निकल पाई। कोमल जब झड़ी तो उसे लगा कि वो शायद मर चुकी है। उसका अपने शरीर पर कोई जोर नहीं है। उसकी चमड़ी जैसे जल रही है। उसकी चूचियों में जैसे पिन घुसी हुई हों। उसकी चूत की तो हालत ही खस्ता थी। सजल के मोटे लौड़े की भीषण पेलाई ने जैसे उसे चीर दिया था। उसके बाद भी वो मादरचोद लड़का पिला हुआ था उसकी चूत की असीमतम गहराइयों को चूमने के लिये।
उसने अपने होश सम्भालते हुए गुहार की- “दे मुझे यह लौड़ा, पेल दे, पेल दे, पेल दे… भर दे मेरी चूत, भर दे… भर दे इसे अपने लौड़े के पानी से…”
सजल अब और न ठहर सका। और भरभरा कर अपनी मम्मी की चूत में झड़ गया। कोमल अपनी चूत को उसके लण्ड पर रगड़ती जा रही थी।
जब दोनों शांत हुए तो कोमल उसे चूमते हुए बोली- “मेरे शानदार चुदक्कड़ बेटे, काश हम लोग भाग सकते होते तो हम कहीं ऐसी जगह चले जाते जहाँ हम जितनी चाहते, चुदाई कर सकते…”
“तुमने अपना पर्स और सेल फोन रख लिये हैं न…” घर से बाहर निकलते हुए सजल से कोमल ने पूछा। सजल गर्मी की छुट्टियों में घर आया हुआ था। अभी वह अपने दोस्त से मिलने बाहर जा रहा था।
“चिंता मत करो मम्मी… मैं बच्चा थोड़ा ही हूँ…” सजल ने जवाब दिया।
“मेरा ख्याल है मैं तुम्हारा कुछ ज्यादा ही दुलार करती हूँ…” कोमल ने सजल को गले लगाते हुए कहा- “मुझे खुशी है कि तुम छुट्टियों में घर आ गये। मुझे तो लगा जैसे पिछले दो हफ्ते कटेंगे ही नहीं। मुझे यह भी खुशी है कि तुम अब यहीं रहकर इसी शहर में पढ़ोगे…” कोमल ने अपना शरीर सजल के शरीर से कस के सटा दिया। सजल के बड़े लण्ड का उभार कोमल की चूत पे चुभने लगा।
“मेरा ख्याल है कि मुझे अभी अपने दोस्त से मिलने नहीं जाना चाहिए…” सजल बोला जब उसे अपना लण्ड सख्त होता महसूस हुआ। कोमल के ब्लाउज़ के ऊपर के बटन खुले हुए थे और उसकी की चूचियों का नज़ारा सजल के टट्टों में खलबली मचाने लगा था।
“हुम्म्म… अब मुझे उकसाओ नहीं… फिर तुमने अपने दोस्त से मिलने का वादा भी तो किया है… चुदाई के लिये तो अब सारी गर्मियां हैं और अब तो तुम यहीं रहकर पढ़ोगे…” कोमल ने पीछे हटकर सजल को समझाया- “और इससे पहले कि मैं तुम्हें बिस्तर पे खींच लूँ… तुम चले जाओ…” कोमल ने हँसते हुए कामुक अदा से कहा।
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
सजल के जाने के बाद कोमल ने पिछले दो हफ्तों पर ध्यान दिया। इन दिनों में इतना कुछ हुआ था। उसने प्रेम, एक अजनबी से पहली बार अपनी गाण्ड मरवाई थी। और जिस दिन उसने सजल के साथ अपने नए रिश्ते की शुरूआत की थी, उस रात की बेरोक घनघोर चुदाई आज भी उसे याद थी। उसने सुनील को अब सजल को यहाँ लाने के लिये मना लिया था।
इसके लिये जो परिश्रम उसने किया था उससे उसकी चूत में अब दर्द सा होने लगा था। यही सब सोचते हुए वो नहाने के लिये चली गई। नहाने के बाद कोमल बाथरूम से बाहर आयी और खुद भी बाहर जाने के लिए तैयार होने लगी। हालांकि नहाने के बाद उसके बदन को ठंडक मिलनी चाहिए थी पर कम से कम उसके बदन के अंदर इसका उल्टा ही असर हुआ। उसके निप्पल और क्लिट पानी कि फुहार से उत्तेजित हो गये थे और उसकी चूत भी अंदर से जलने लगी थी।
कोमल को उत्तेजना अच्छी लग रही थी और उसने गर्मी में बाहर जाने का प्रोग्राम रद्द किया और अपनी साड़ी उतार फेंकी और फ्रिज़ में से एक ठंडी बीयर निकालकर सोफ़े पर बैठ गयी। कोमल ने अपने सैंडलयुक्त पैर सामने रखी मेज पर फैला दिये और बीयर पीते हुए एक हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी। कोमल बहुत उत्तेजित हो गयी थी और जल्दी ही सिसकते हुए अपनी तीन अँगुलियां चूत के अंदर-बाहर करने लगी। वोह झड़ने ही वाली थी कि उसे लगा शायद डोरबेल बजी है।
“ओह नहीं… अभी नहीं…” कोमल कराही। वो घंटी की तरफ ध्यान न देती अगर वोह घंटी फिर से दो-तीन बार न बजती। दरवाजे पर जो भी था, उसे कोसती हुई कोमल उठी और जल्दी से अपने नंगे बदन पर रेशमी हाउस-कोट पहनकर गुस्से में अपनी ऊँची एंड़ी की सैंडल खटखटाती हुई दरवाज़े की ओर बढ़ी। अगर ये कोई सेल्समैन हुआ तो आज उसकी खैर नहीं।
“कर्नल मान…” कोमल अचिम्भत होकर बोली, जब उसने दरवाज़ा खोला और सजल के कालेज के प्रिंसिपल को सामने खड़े पाया।
कुछ बोलने से पहले कर्नल मान की आँखों ने कोमल के हुलिये का निरक्षण किया और उसे कोमल के मुँह से बीयर की गंध भी आ गयी।
“मैं क्षमा चाहता हूँ कोमल जी। मैंने अचानक आकर आपको परेशान किया… मुझे आने के पहले फोन कर लेना चाहिए था पर मैं एक मीटिंग के सिलसिले में इस शहर में आया हुआ था और यहाँ पास से ही गुज़र रहा था तो… मैं… मैंने सोचा…”
कोमल इस आदमी को अपने घर आया देखकर विश्मित थी, बोली- “पर हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि हम सजल को आपके कालेज से निकालकर इसी शहर में दाखिला दिला रहे हैं, कर्नल मान। फिर आपको हमसे क्या काम हो सकता है…”
कोमल को कर्नल मान आज हमेशा की तरह निडर और दिलेर नहीं लगा। कर्नल बेचैनी से अपनी टोपी को टटोलता हुआ बोला- “मैं दो मिनट के लिए अंदर आ सकता हूँ… कोमल जी…”
“ज़रूर कर्नल… मैं क्षमा चाहती हूँ… बस आपको अचानक देखकर अचंभित हो गयी थी… प्लीज़ आइये ना… बैठिये…” कोमल ने एक तरफ हटकर सोफ़े की तरफ इशारा करते हुए कहा।
कोमल ने जब कर्नल मान को सोफे की तरफ जाते हुए और बैठते हुए देखा तो वो सोचने लगी कि अपनी वर्दी के बगैर कर्नल का बदन कैसा लगेगा। कोमल का विश्वास था कि वर्दी के नीचे कर्नल का बदन संतुलित और गठीला होने के साथ-साथ किसी भी औरत को भरपूर आनंद देने में सक्षम था। कोमल उसके लौड़े के आकार के बारे में सोचती हुई बोली- “मैं बीयर पी रही थी… आप लेंगे…”
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
कर्नल ने सिसकते हुए कोमल के लंबे काले बाल उसके चेहरे से हटाये ताकि वो देख सके कि कोमल उसके लण्ड के साथ क्या कर रही है। कर्नल मान को विश्वास नहीं हो रहा था कि कोमल ने अपने छोटे से मुँह में इतना बड़ा लण्ड ले रखा था। जब कोमल ने उसके टट्टों को पकड़ा तो कर्नल ने उत्तेजना में अपने चूतड़ उठाकर अपना लण्ड कोमल के मुँह में ऊपर को पेल दिया।
कर्नल के लण्ड को और अंदर लेने के लिए कोमल अपने घुटनों पे बैठ गयी और उसने कर्नल की जांघें फैला दीं। कोमल ने उसका लण्ड सीधा करके पकड़ा और उसकी गोलियों को चूसने लगी और कोमल ने कर्नल को शामिल करने की कोशिश करते हुए पूछा- “अमृत-रस से भरी हुई हैं न मेरे लिए, कर्नल…” कोमल उसके औपचारिक मुखौटे को उतार फेंकना चाहती थी। कोमल उससे कबूल करवाना चाहती थी कि किसी औरत को चोदने की इच्छा के मामले में वो दूसरे मर्दों से अलग नहीं था।
“कैसा लग रहा है तुम्हें कर्नल…” कोमल ने उसके लण्ड को ऊपर सुपाड़े तक चाटा और फिर वापिस अपनी जीभ लौड़े से नीचे टट्टों तक फिरायी। कोमल ने अपनी मुट्ठी में उसके टट्टों को भींच दिया जिससे कर्नल एक मीठे से दर्द से कराह उठा।
“मुझे… उम्म्म बहुत अच्छा लग रहा है, कोमल जी…” कर्नल ने अपने दाँत भींचते हुए कहा।
“तुम कभी ये औपचारिकता और संकोच छोड़ते नहीं हो क्या… कर्नल, अच्छा होगा अगर तुम मुझे सिर्फ कोमल पुकारो और मुझे और भी खुशी होगी अगर तुम मुझे राँड, छिनाल या कुछ और गाली से पुकारो… खुलकर बताओ कि तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है… क्या तुम्हारा लण्ड मेरे मुँह में फिर से जाने के लिए नहीं तड़प रहा है… क्या तुम्हारे टट्टों में वीर्य उबाल नहीं खा रहा… कहो मुझसे अपने दिल की बात। मुझे एक रंडी समझो जिसे तुमने एक दिन के लिए खरीदा है…”
कोमल ने अपनी बात कहकर कर्नल का लौड़ा अपने मुँह में भर लिया। उसने अपना मुँह तब तक नीचे ढकेलना ज़ारी रखा जब तक कि कर्नल का लौड़ा उसके गले में नहीं टकराने लगा। कर्नल के पीड़ित टट्टे अभी भी कोमल मुट्ठी में बँद थे। कोमल ने कर्नल की नाज़ुक रग दबा दी थी।
कर्नल को लोगों पर अपनी हुकूमत चलाना पसंद था, खास करके औरतों को अपने काबू में रखना क्योंकी औरतों के सामने वो थोड़ी घबड़ाहट महसूस करता था। उसे औरतों की मौजूदगी में बेचैनी महसूस होती थी, इसलिए जब भी हो सके वो उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करता था। “चूस मेरा लौड़ा… साली कुतिया…” वो दहाड़ा और उसने अपने लण्ड पे कोमल के ऊपर-नीचे होते सिर को अपने लौड़े पे कस के नीचे दबा दिया- “खा जा मेरा लण्ड… चुदक्कड़ रांड…”
“उरररर…” कोमल गुरार्यी जब उसने कर्नल के मुँह से अपने लिये गालियां सुनीं। कोमल बड़े चाव से उसका लण्ड चूस रही थी और तरस रही थी कि कर्नल जी भरकर बेरहमी से जैसे चाहे उसका शरीर इश्तेमाल करे। कोमल का मुँह बड़ी लालसा से उस विशाल लण्ड की लंबाई पर ऊपर-नीचे चल रहा था और कर्नल के टट्टों को उबलता हुआ लण्ड-रस छोड़ने के लिये तैयार कर रहा था।
“साली… लण्ड चूसने वाली कुतिया…” कर्नल दहाड़ा और अपने हाथ नीचे लेजाकर उसने कोमल की झुलती हुई चूचियां जकड़ लीं। “खा जा मुझे… चूस ले मेरे लण्ड का शोरबा… साली… कुतिया… साली… रांड… अभी मिलेगा तुझे मेरा लण्ड-रस… ओहह साली कुतिया… रांड… ये आया… मैं झड़ा…” कर्नल इतने वेग से झड़ते हुए सोफ़े पर उछला कि कोमल के मुँह से उसका झड़ता लण्ड छूटते-छूटते बचा।
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