01-12-2019, 01:52 PM,
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sexstories
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RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
दूर गगन में बादल एक दूसरे में समाते और फिर अलग हो जाते एक नया ही रूप ले लेते. सुनील उन बादलों की लीला देख रहा था और उसे लग रहा था जैसे ये बादल अपना नया रूप ले रहे थे वो भी एक नया रूप लेने लगा है - पर वो नया रूप कैसा होगा ये अभी वो नही जानता था - क्यूंकी उस रूप की रचना फिर से उसकी माँ कर रही थी - जिसने उसे उसका पहला रूप दिया था.
सागर चैन की नींद सो चुका था उसे अपनी सुमन पे पूरा भरोसा था.
लेकिन सोनल जाग रही थी. अपने हाथों में सुनील की फोटो लिए लहरा रही थी अपने कमरे में मानो जैसे सुनील के साथ डॅन्स कर रही हो.
उसके लबों पे एक गीत था
ये समा, समा हैं ये प्यार का
किसी के इंतजार का
दिल ना चुरा ले कही मेरा, मौसम बहार का
बसने लगे आखों में कुच्छ ऐसे सपने
कोई बुलाए जैसे, नैनों से अपने
ये समा, समा हैं दीदार का, किसी के इंतजार का
मिल के ख़यालों में ही, अपने बलम से
नींद गवाई अपनी, मैने कसम से
ये समा, समा हैं खुमार का, किसी के इंतजार का
लहराती बलखाती गुनगुनाती सोनल बिस्तर पे लेट गयी - तकिये पे अपने सामने सुनील की फोटो को रख उसे निहारने लगी.
'कम से कम एक किस तो दे दे जालिम' बोलते हुए अपने तपते होंठ फोटो में सुनील के होंठों पे रख दिए. आँखें बंद हो गयी इस तस्सवुर में जैसे वाकयी में सुनील के होंठों को चूम रही हो.
सुनील बाल्कनी से अंदर आया तो बिस्तर पे सुमन को सोते हुए देखा - कितना मासूम और कितना प्यारा लग रहा था इस वक़्त सुमन का चेहरा.
मस्ट बी मिस्सिंग डॅड - सुनील के दिमाग़ में ये बात आ गयी जब गौर से उसने देखा किस तरहा सुमन ने तकिया दबाया हुआ था और उसके साथ लिपटी हुई थी.
सुनील की नज़र सुमन के मदमाते जिस्म पे पड़ी - आँखें उस योवन के रूप का रस पीना चाहती थी - पर सर झटक सुनील लिविंग हॉल में चला गया वाइन की बॉटल उठा कर.
अब ग्लास से काम नही चलने वाला था.
ये तीसरी बॉटल थी जिसका ढक्कन खोल सुनील ने होंठों से लगा लिया.
खिड़की से उसे खजुराहो के मंदिर नज़र आ रहे थे जहाँ इस वक़्त लाइट्स जल रही थी. एक बार उसने एक मॅग्ज़िन में खजुराहो के बारे में पढ़ा था और उसकी तस्वीरें उसकी आँखों के सामने लहराने लगी.
कहीं मोम मुझे वहाँ तो नही ले जाएगी - ये सोच के वो सिहर उठा और सुमन का मदमाता कामुक जिस्म फिर उसकी आँखों के सामने आ गया - उसे सेक्स का फर्स्ट लेसन याद आ गया और वो तड़पने लगा.
खटखट वाइन की बॉटल ख़तम कर डाली - नींद आँखों से गायब हो गयी थी रूम सर्विस को दो बॉटल का ऑर्डर और दे दिया.
रात के 11 बजने वाले थे बार बंद होने का टाइम हो चुका था फिर भी रूम सर्विस ने दो बॉटल सुनील के पास भिजवा दी .
एक बॉटल खोल सुनील ने होंठों से लगा ली और अब तक जो भी उसके साथ हुआ उसे सोचने लग गया.
वक़्त के पेट में क्या क्या छुपा हुआ है कोई नही जानता - तो सुनील कैसे जान लेता. ठंडी आँहें भरते हुए धीरे धीरे वाइन पीने लगा - रात धीरे धीरे सरक्ति रही और सुनील कब लिविंग हॉल में सोफे पे सो गया पता ही ना चला.
सुबह की पहली किरण के साथ अंगड़ाई लेते हुए सुमन उठी तो देखा साथ में कोई नही बिस्तर एक दम वैसे का वैसा - सुनील रात को बिस्तर पे नही सोया था. कहाँ गया वो --- सुमन घबरा के उठी और सीधा लिविंग हाल में गयी जहाँ सुनील एक सोफे पे लुड़का हुआ था वाइन की एक भरी बॉटल पड़ी थी और एक खाली.
उसने सुनील को डिस्टर्ब नही किया और फ्रेश होने चली गयी बाथरूम में
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