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RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
"आईईईईई !! चूस बेटा. पूरा चूस डाल अपनी आंटी को" हाहाकार करती नीमा ज़ोर से चीखती है. निकुंज की इस प्राणघातक क्रिया ने उसके रोंगटे खड़े कर दिए थे और वह मदहोशी में अपने नुकीले दांतो से अपने कोमल होंठ काटने लगी थी, उन्हें चबाने लगी थी.
अपनी यौवन से भरपूर आंटी की चूत को अपने होंठो के दरमियाँ ताक़त से भींचने के साथ ही निकुंज अपनी दोनो उंगलियों से उसकी सन्कीर्न परतें अत्यंत बेरहमी से चोदना शुरू कर देता है. वह अपनी लंबी लपलपाटी जीभ को नीमा के गीले ओर सुंगंधित छेद में पूरी गहराई तक ठेल रहा था और जो छेद के भीतर उमड़ते गाढ़े रस को खीचते हुए बाहर ला कर, उसके होंठो के सुपुर्द कर रही थी.
"उन्न्ह उन्न्ह" नीमा की आँखें नातियाने लगती हैं. वह पूर्व से ही बहुत ज़्यादा कामोउत्तेजित थी और अभी उसकी दोस्त का बेटा निकुंज मात्र अपनी जीभ और होंठो के इस्तेमाल से ही उसकी संकुचित चूत को और भी ज़्यादा कुलबुला रहा था. तो जब उसका विशाल लंड उसकी चूत में घुसेगा तब नीमा की क्या हालत होगी. वह यह सोच-सोच कर सिहर्ती जा रही थी.
निकुंज ने कहीं सुना था. एक निश्चित उम्र के पार निकलने के उपरांत भारतीय नारी अपनी चूत पर उगने वाले बालो की सफाई करना छोड़ देती है. या तो अपनी अधेड़ उम्र का ख़याल कर वह इसे उचित नही समझती या फिर अपनी काम-इक्षाओं के घटने की वहज से उसका ध्यान इस ओर नही जा पाता.
"मगर नीमा आंटी की चूत इस वक़्त बिल्कुल चिकनी है. ऐसा क्यों ?" चूत चाटने में व्यस्त निकुंज का मन इस बात पर भी विचार कर रहा था "उनके पति तो बरसो से विदेश में रह रहे हैं. लौट कर आते होंगे तो भी दोनो मिया-बीवियों के बीच संतुष्टि-पूर्वक चुदाई का होना संभव नही हो पाता होगा. फिर क्यों आंटी अपनी झान्टे बना कर रखती हैं. इन का कहीं और लफडा तो नही चल रहा. मों कह भी रही थी कि नीमा नॉर्मल नही है और मैं उसके जैसी नही बन सकती" निकुंज की सोच के घोड़े किसी भी नतीजे पर नही पहुच पाते हैं "मोम से ही पुछुन्गा और इसी बहाने उनके साथ वक़्त बिताने का मौका भी मिल जाएगा" ऐसा ख़याल मन में आते ही वह वापस चूत चूसने पर अपना ध्यान केंद्रित कर देता है.
"आंटी !! इतनी कोमल चूत तो मैने आज तक नही चूसी" तारीफ़ करने के बाद निकुंज उस गुलाबी चूत के ऊपर-नीचे, अंदर-बाहर, दाएँ-बाएँ लगभग हर जगह अपनी खुरदूरी जीभ को तेज़ी से रगड़ता है "चाट-ते हुए ऐसा लग रहा है जैसे मक्खन की टिकिया पर मैं अपनी जीभ घुमा रहा हूँ" वह चूत की फांको के ऊपर उभर आए भंगूर को हसरत भरी निगाहों से देख कर कहता है.
"ओह्ह्ह बेटा !! चूत तो हर औरत की एक-समान ही होती है बस रंग का अंतर उन्हे एक दूसरे से अलग करता है" निकुंज द्वारा मिली अपनी चूत की प्रशन्शा से नीमा गदगद हो उठी.
"निकुंज !! मैने तुम्हे बचपन से ले कर तुम्हारी जवानी तक बढ़ता देखा है. तुम्हे कभी पराया नही समझा, बेनाम रिश्ते की एक डोर हमारे बीच बँधी थी लेकिन आज हम दोनो वे सारी मर्यादें लाँघ कर बिल्कुल नंगे हैं, अभी तुम मेरी चूत चाट रहे हो, मैने भी कुच्छ देर पहले तुम्हारा लंड चूसा था. यह बात हमेशा याद रखना कि जिन रिश्तो के तुम सबसे ज़्यादा क्लोज़ होगे, उनके संग ऐसे पल बिताने से ज़्यादा मज़ा तुम्हे कहीं और नही मिल पाएगा. उसने जुड़ी हर चीज़, हर बात तुम्हे पसंद आएगी, अत्यधिक रोमांच महसूस होगा और शायद यही वह वजह है कि तुम्हारी आंटी की चूत तुम्हे अब तक की सबसे अच्छी चूत लगी" इतना कह कर नीमा चुप हो जाती है, उसके कथन में जो ग़ूढ रहस्य छुपा था वह निकुंज कयि दिनो से महसूस कर रहा था और उसे फॉरन समझ आ जाता है कि क्यों वह अपनी सग़ी मा और बहेन के बारे में सोच कर हर पल उत्तेजित बना रहता है मगर वह नीमा पर अपनी मंशा ज़ाहिर नही होने देता और सब कुच्छ भूल कर पुनः अपनी मंज़िल की ओर प्रस्थान कर लेता है.
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RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
"आप बहुत समझदार हो आंटी" बस इतना सा जवाब दे कर वह अपनी जीभ को नीमा की चूत की लकीर के ऊपरी हिस्से पर फेरने लगा. वह जानता था कि हर स्त्री का भज्नासा उसके चरम का केन्द्र-बिंदु होता है, इसके पश्चात ही वह किसी अनुभवी व्यक्ति की तरह उसके सूजे व मोटे भंगूर को अपनी जीभ से बड़ी कोमलता के साथ चाटने लगता है, उसे अविलंब छेड़ने लगता है और फॉरन सोफे पर नंगी बैठी उसकी आंटी अपने ह्रष्ट-पुष्ट चूतड़ हवा में उच्छालते हुए अपनी चूत उसके मूँह पर रगड़ने लगती है, अपनी चूत से उसका मूँह चोदने लगती है.
"तुम .. ओह्ह्ह हां .. तुम भी बहुत समझदार हो निकुंज !! मेरे बेटे समान हो, खेलो मेरे भंगूर से, खा जाओ उसे .. खा जाओ बेटे" निकुंज की जीभ का तरल स्पर्श, उसकी त्रिकन अपने अति-संवेदनशील भज्नासे पर झेलना नीमा के बस के बाहर हो गया और वह चिल्लाने लगती है. निकुंज को अपनी आंटी की आहों से कहीं ज़्यादा आनंद उनकी अश्लील बातें सुन कर आ रहा था, जिस में वे कथन तो ख़ासे पसंद आते जिस में माँ शब्द का जिकर होता.
"ज़रूर आंटी" चूत को चूम कर निकुंज ने कहा और फॉरन उसकी चुसाई बेहद प्रचंडता से करने लगता है. उसकी गीली जीभ से तर नीमा का मोटा एवं सूजा भंगूर चमक रहा था और निकुंज उसे अपने होंठो के बीच दबा कर चूसने में अपना संपूर्ण बल झोंक देता है, साथ ही चूत की चिपकी अती-संकीर्ण परतों के भीतर उसकी दोनो उंगलियाँ भी तेज़ी से अंदर बाहर होती जा रही थी.
"उफफफ्फ़ निकुंज !! बेटा .. मैं .. मैं झड़ने वाली हूँ, रुकना नही" नीमा के जिस्म में कपकपि दौड़ने लगी, चूत की गहराई में ऐन्ठन बढ़ने के प्रभाव से कामरस बहने की मात्रा में अचानक वृद्धि हो गयी और जिसका एक भी कतरा निकुंज व्यर्थ नही जाने दे रहा था. अपने एक हाथ से निकुंज का सर थामे व दूसरे से अपनी दाईं चूची की गुंडी मसलती हुई नीमा जल्द ही सोफे पर पसर जाती है.
"आहह निकुंज !! मैं गयी .. चूसो मुझे मेरे बेटे .. मेरे लाल चूस डालो" नीमा की गान्ड का छेद सिकुड गया, उसकी दोनो टांगे निकुंज की कमर से लिपट गयी और वह तेज़ी से झड़ने लगती है. उसके जिस्म में झटके लग रहे थे, अजीब सी खलबली मच गयी थी.
स्खलन-स्वरूप नीमा की चूत की फूली फांको से बाहर आती गाढ़े सुगंधित रस की लंबी-लंबी फुहारे सीधे निकुंज अपने कड़क होंठो के ज़रिए, सुड़ाक कर अपने गले से नीचे उतारता रहा. रस के स्वादिष्ट ज़ायके की प्रशन्शा तो वह पहले ही अपनी आंटी से कर चुका था और वह तब तक उसे तत्परता से चूस्ता है, चाट-ता है, जब तक चूत का बहाव पूरी तरह से रुक नही गया. अंत-तह निकुंज फर्श से उठ कर खड़ा हो जाता है.
सोफे पर अध-लेटी पड़ी नीमा की आँखों में अखंड सनुष्ति की खुशी झलक रही थी, शायद इससे बढ़िया और लंबा स्खलन आख़िरी बार अपने बीते जीवन में उसने तब मेशसूस किया था जब वह अपने पति से बिच्छाद रही थी. विदेश जाने से पूर्व का वह पूरा साप्ताह वे दोनो नंगे ही रहे थे और उस दौरान उन्होने जी भर कर अनगीनती चुदाई की थी.
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RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
"उफफफ्फ़ !! मान जाओ निकुंज" नीमा ने गुदगुदाते हुए कहा तो बदले में निकुंज उसे छेड़ने के उद्देश्य से वह छिद्र अपने कड़क होंठो की मदद से चूसने लगता है.
"आईईईई" एक बार फिर नीमा के जिस्म में कपकपि दौड़ गयी और वह निकुंज से रहम की मिन्नतें करने पर मजबूर हो जाती है.
"बस आंटी !! थोड़ी देर और. आप का आस होल तो कमाल का है." निकुंज रोमांच में भर कर कहता है. यकीन से परे की क्यों वह उस गंदे छेद को इतना आनंदतीरेक हो कर चाट रहा है वह खुद हैरान था. अजीब सी गंध, कसैला सा स्वाद और साथ ही उसकी गतिविधियों के प्रभाव से थिरकते उसकी आंटी के सुडोल चूतड़, कमरे में गूँजती उनकी दर्ज़नो सिसकियाँ. सब कुच्छ उसके बढ़ते कौतूहल के मुख्य विषय बनते जा रहे थे.
"ब.. बेटा !! मत सता अपनी आंटी को, मैं .. प.. पागल हो जाउन्गि" नीमा सोफे की दोनो पुष्ट को अपने हाथो में जाकड़ कर कहती है. उसकी चूत जो कुछ लम्हे पहले ही शांत हुई थी दोबारा कामरस से लबालब भर चुकी थी "झाड़ जाउन्गि निकुंज !! अब छोड़ .. छोड़ अपनी आंटी को. पेल दे अपना विशाल लंड मेरी चूत में" वह चीख कर उससे विनती करती है.
"ठीक है !! मगर अगली बार मैं आप की बिल्कुल नही सुनूँगा. जो मेरा मन चाहेगा, आप को भी वही करना होगा" नीमा से प्रण लेने हेतु निकुंज बोला "हां मेरे लाल !! जैसा तू कहेगा, तेरी आंटी वही करेगी. बस अब बुझा दे मेरी चूत की सारी अगन" अत्यंत सिहरन से काँपते नीमा के लफ्ज़ सुन कर निकुंज के चेहरे पर मुस्कान च्छा गयी, उसकी आंटी उसके इशारों पर नाचने जो लगी थी.
निकुंज अपना विकराल लंड जो तन कर उसके पेट से चिपका हुआ था, अपने दाहिने हाथ से पकड़ कर नीमा की चूत के गीले मुख पर उसका फूला सुपाडा रगड़ने लगता है और नीमा फॉरन उसके सुपाडे को राह दिखाने के उद्देश्य से अपनी टाँगो की जड़ को थोड़ा और चौड़ाती है, उसकी इस इस्थिति में उसकी चूत की सूजी फाँकें स्पष्ट-रूप से निकुंज की आँखों के सामने आ जाती हैं और वह उन फांकों के मध्य अपना सुपाडा पूरी तरह स्थापित कर लेता है.
"ओह्ह्ह निकुंज" नीमा ने अपने निचले होंठ को अपने दांतो के बीच भर लिया जब निकुंज के लंड का मोटा सुपाडा उसकी कोमल चूत के चीरे को फैलाते हुए उसके अंदर प्रवेश करता है. दोनो के जिस्म एक साथ झुलस उठते हैं, अनुमान लगाना कठिन है कि किसका बदन ज़्यादा तप रहा था.
"ह्म्म्म" नीमा सोफे की पुष्ट को अपने दोनो हाथो की मजबूती से पकड़ अपना होंठ चबती है. तत-पश्चात निकुंज भी अपनी कमर को झटके देना आरंभ कर देता है और धीरे धीरे उसका विशाल लंड चूत के अति-संकीर्ण चिपके मार्ग पर फिसल कर उसकी गहराई को नापने लगता है. चूत की कसी परतें तो जैसे स्वयं उसके लंड को जाकड़ रही थी और पिछे की ओर ज़ोर लगाती नीमा भी अपनी दोस्त के बेटे की मदद करते हुए अपनी तड़पति चूत लगातार उसके विशाल लंड पर धकेलने का प्रयत्न करती है.
"निकुंज तुम .. तुम बहुत अच्छे से कर रहे हो बेटे" नीमा की फूली सांसो के मद्देनज़र उसके अल्फ़ाज़ रुक रुक कर उसके गले से बाहर आते हैं "सच कहती हूँ, मेरी खुश-नसीबी है जो मुझे तुम्हारे विशाल लंड से चुदने का मौका मिला और मेरी तरह हर वह स्त्री यही कहेगी जो भविश्य में तुम्हारे मूसल को झेलेगी !! चोदो निकुंज .. फाड़ डालो अपनी आंटी की चूत को" उसका व्यभिचारपण अब खुल कर निकुंज से सामने आ चुका था.
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RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
पापी परिवार--62
निकुंज अपने शरीर का पूरा भार अपनी नीमा आंटी की पीठ पर डाले ज़ोर-ज़ोर से हाँप रहा है, स्वयं नीमा अपनी चढ़ि सांसो को अंश मात्र भी काबू में नही कर पाई थी. दोनो के दिलों की बढ़ी धड़कने ताल से ताल मिला कर कोई नयी धुन बनाने की रिहर्सल में जुटी थी और उनके तंन और मन दोनो की असहनीय पीड़ा से वे अब पूर्णा रूप से मुक्त हो चुके थे.
दोनो नंगे प्राणियों के हालात जल्द ही सुधरे और निकुंज का विशाल लंड सिकुड कर नीमा की स्थिर चूत से खुद ब खुद बाहर आ गया, साथ ही चूत की गहराई में बचे दोनो के पापी संसर्ग का सबूत भी बह कर सोफे पर गिरने लगा.
"अब उठो भी निकुंज !! कितने भारी हो तुम, कम से कम अब तो अपनी आंटी पर रहम खाओ" नीमा ने टोका तो निकुंज उसके बदन से हट कर फर्श पर खड़ा हो जाता है और उसके बाद वह भी सोफे से नीचे उतर गयी.
"छोटा हो कर कितना भोला बॅन रहा है चाहे कुच्छ देर पहले सिर्फ़ शरारत ही शरारत की हों" नीमा बड़े लाड से निकुंज के शुषुप्त लंड को अपने हाथ की मुट्ठी में भींच कर उसे पुच्कार्ति है.
"आप ने ही इसकी यह हालत की है !! पहले अपने मूँह से और फिर अपनी चूत से" बदले में निकुंज भी हँसने लगता है.
दोनो अपनी-अपनी बातों में मशगूल थे और तभी निकुंज का सेल बजने लगा, उसने रिंग-टोन की आवाज़ आती दिशा में अपना सर घुमाया तो फॉरन उसे याद आ गया कि सोफे से कुच्छ दूर ज़मीन पर पड़े उसके लोवर में उसका सेल रखा हुआ है.
"एक मिनिट आंटी !! मेरा सेल मेरे लोवर में है" वह बोला तो नीमा ने उसके लंड को छोड़ दिया "मैं चाइ बना कर लाती हूँ, तुम रिलॅक्स करो" इतना कह कर वह नंगी ही किचन में चली जाती है.
"ह्म्म्म !! मुझे पता था घर से ही होगा" सेल की स्क्रीन पर आते नाम को देख कर निकुंज ने खुद से कहा.
"हेलो"
लाइन की दूसरी तरफ उसकी मा कम्मो थी.
"निकुंज !! कहाँ हो तुम और सुबह-सुबह अकेले बिना किसी को बाताय क्यों चले गये ?" कम्मो उसे डाँट-ते हुए बोली.
"वो मोम !! रात में मेरे जूनियर का कॉल आया था और हम दोनो अभी ऑफीस के एक इंपॉर्टेंट अधूरे प्रॉजेक्ट को पूरा करने में लगे हुए हैं. मैं कपड़े साथ लाया हूँ और अब यहीं से ऑफीस चला जाउन्गा" चतुर निकुंज बेहद सफाई से अपनी मा को झुटि कहानी सुना देता है.
"लेकिन बता कर तो जाता बेटे !! निक्की तैयार बैठी है पार्क जाने को और आज से तो मैं खुद तुम दोनो के साथ जाने वाली थी" कम्मो फिकर के साथ घर के हालात से भी उसे रूबरू करवाती है.
निकुंज :- "सॉरी मोम !! सब सो रहे थे तो मैने जगाया नही, कल से पक्का साथ चलेंगे. आप निक्की से कह दीजिए कि वह अपने कॉलेज चली जाए, काफ़ी दिनो से नही गयी"
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10-03-2018, 04:16 PM,
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RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
"ठीक है कह दूँगी !! अगर वक़्त मिले तो लंच करने घर आ जाना वरना शाम तक भूखा बना रहेगा, बाहर तो तू कुच्छ खाने से रहा" कम्मो की आवाज़ में शुरू से अपने बेटे के लिए केर शामिल है और निकुंज भी स्पष्ट रूप से यह समझ रहा है. जब कि सच तो यह था अब कम्मो एक पल को भी निकुंज से दूर नही रह पा रही थी और उसकी लालसा-मई आँखें हमेशा अपने पुत्र को स्वयं के समीप देखने को तरसने लगी थी.
"कोशिश करूँगा मोम !! ओके रखता हूँ, लव यू" काफ़ी लंबे अरसे बाद निकुंज के मूँह से अपने लिए लव शब्द का उच्चारण सुन कर कम्मो का मन खुशी से झूम उठने को हुआ मगर सामने बैठी निक्की की वजह से वह खुद पर काबू कर लेती है "इंतज़ार करूँगी" बस इतना जवाब में कह कर वह मुस्कुरा दी.
"बेटा निकुंज !! इतनी मेहनत के बाद चाइ से बेटर दूध रहेगा, बोलो लाओ ?" अचानक नीमा किचन से चिल्लाती कर पुछ्ती है तो निकुंज के साथ उस जनाना आवाज़ के कुच्छ अंश कम्मो के कान से भी जा टकराते हैं और इसके पश्चात ही कॉल कट हो जाता है.
"उफ़फ्फ़ !! कहीं मोम ने ?" जहाँ आशंका से निकुंज घबरा गया "उम्म !! कॉन है ये निकुंज का जूनियर जिसके घर में मौजूद औरत की आवाज़ कुच्छ जानी-पहचानिसी लगी और फिर ऑफीस का प्रॉजेक्ट बनाने में कैसी मेहनत ?" वहीं कम्मो भी सोच में पड़ गयी.
"लो बेटा दूध पियो" नीमा किचन से बाहर आ कर कहती है "किसका कॉल था जो तुमने जवाब ही नही दिया ?" उसने पुच्छा.
"ऑफीस से था आंटी और मुझे निकलना होगा" निकुंज एक साँस में दूध का पूरा ग्लास खाली करते हुए झूठ बोलता है, उसे पता था उसकी नीमा आंटी स्वयं उसकी मा को कभी नही बताएँगी कि वा उनके घर आया था.
"इस हालत में ऑफीस जाओगे, रूको मैं अपने हाथो से तुम्हे नहला देती हूँ" नीमा ने उसके लोवर और टी-शर्ट की ओर इशारा किया. उसके कथन में बेहद कामुकता व्याप्त थी.
"फिर कभी नहा लूँगा आंटी और चाहो तो बदले में आप मेरे हाथो से नहा लेना" निकुंज मन मार कर कहता है. हलाकी नीचे पार्किंग में खड़ी उसकी कार में उसके ऑफीस वाले कपड़े पहले से मौजूद थे लेकिन फ्रेश होने के लिए अब वह अपने घर जाना चाहता था.
"हां क्यों नही बेटा !! मुझे बहुत खुशी होगी" इतना बोल कर नीमा उसकी बलिष्ठ नंगी छाति से लिपट जाती है और कुच्छ लम्हे के रसीले व गहरे चुंबन के उपरांत निकुंज फर्श पर बिखरे अपने कपड़े पहेन कर, अलविदा कहते हुए नीमा के फ्लॅट से बाहर निकल जाता है.
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