Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
09-01-2018, 12:10 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--33

शाम के करीब 5 बज रहे थे. राधिका राहुल से मिलकर घर लौट रही थी. मौसम का भी मिज़ाज़ आज कुछ बदला बदला सा था. आसमान में गहरे घने बदल छाए हुए थे और बीच बीच में बिजली भी कड़क रही थी. थोड़े देर के बाद तेज़ बारिश शुरू हो गयी. ये जुलाइ महीने की पहली बारिश थी. राधिका घर आते आते पूरी तरह से भीग गयी थी. थोड़ी देर में कृष्णा भी घर आता हैं और वो भी पूरी तरह से भीग चुका था.

कृष्णा राधिका पर एक नज़र डालता हैं और फिर उसके नज़दीक आकर उसके अपने गोद में उठा लेता हैं और वो घर के पीछे आँगन में राधिका को उठा कर ले जाता हैं. बाहर बारिश बहुत तेज़ से हो रही थी.

राधिका- ये क्या कर रहे हो भैया. मैं पहले से ही भीग चुकी हूँ और आप फिर से मुझे बारिश में भीगा रहे हो.

कृष्णा- यही तो मज़ा हैं राधिका बारिश में भीगने का. मुझे बारिश में भीगना बहुत पसंद हैं.

राधिका- अच्छा तो आपको बारिश में भीगना पसंद हैं तो मुझे क्यों भिगो रहे हो.

कृष्णा कुछ बोलता नहीं और धीरे से राधिका को अपने गोद से उतार देता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रखकर उसे बड़े प्यार से चूसने लगता हैं. राधिका भी मुस्कुरा कर कृष्णा का पूरा समर्थन करती हैं. पीछे की बाउंड्री चारो तरफ से घिरी हुई थी और इतनी उँची थी कि कोई बाहर का व्यक्ति नहीं देख सकता था.

कृष्णा धीरे धीरे बारिश में भीगते हुए राधिका के लिप्स को चूसे जा रहा था. राधिका के होंठों का स्वाद और बारिश की बूँदें दोनो के जिस्म में आग लगा रही थी. राधिका का दिल फिर से तेज़ी से धड़कने लगता हैं. कृष्णा एक हाथ धीरे से सरकते हुए वो राधिका के सीने पर रख देता हैं और अपनी उंगली से उसके निपल्स को धीरे धीरे मसल्ने लगता हैं. कृष्णा तो वैसे ही आग लगा चुका था और उपर से ये बारिश रही सही कसर पूरा कर रही थी.

राधिका की आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी. वो इस वक़्त पूरी मदहोशी में थी. कृष्णा फिर राधिका के पीछे आकर अपने होंठ राधिका के कंधे पर रखकर बड़े हौले हौले से चूसना शुरू करता हैं. राधिका अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और कृष्णा ऐसे ही धीरे धीरे बढ़ते हुए अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं . फिर वो एक हाथ नीचे लेजा कर वो राधिका की चूत को अपनी मुट्ठी में पकड़ का ज़ोर से भीच देता हैं. राधिका के मूह से लगातार सिसकारी निकल रही थी. कृष्णा द्वारा अपनी चूत को ज़ोर से भीचने पर वो ज़ोर से सिसक पड़ती हैं. वो इस वक़्त पूरी तरह से बेचैन थी. वो भी अपना एक हाथ कृष्णा के हाथ पर रखकर अपनी चूत पर दबाव देती हैं. फिर कृष्णा उसकी गर्देन पर जीभ फिराते हुए उसके कान तक जाता हैं और फिर से वही प्रक्रिया दोहराता हैं.

कृष्णा फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर वो उसकी लग्गि को धीरे धीरे सरकाते हुए उसके बदन से अलग करने लगता हैं. राधिका भी झुककर अपनी लग्गि उतार देती हैं. फिर वो अपना एक हाथ लेजा कर राधिका की पैंटी पर रख देता हैं और फिर धीरे धीरे वो अपनी एक उंगली उसकी पैंटी के अंदर ले जाता हैं. और फिर धीरे धीरे उसको भी सरकने लगता हैं. और कुछ देर के बाद राधिका की पैंटी भी उसके बदन से अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका सिर्फ़ सूट में थी. और कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी.

कृष्णा- आज तो इस बारिश ने और आग लगा दिया हैं. जी तो कर रहा हैं राधिका की आज मैं हद्द से गुजर जाऊ.

राधिका- आपको किसने रोका हैं. जो आपका दिल करे मेरे साथ कीजिए मैं आपको किसी भी बात के लिए मना थोड़ी ही ना करूँगी.

कृष्णा फिर धीरे से राधिका का सूट भी सरका कर उपर से निकलने लगता हैं और थोड़ी देर में बस राधिका के जिस्म में सिर्फ़ ब्रा बचा हैं. कृष्णा फिर झट से वो ब्रा का स्ट्रॅप्स भी खोल कर उसे भी अलग कर देता हैं. इस वक़्त राधिका खुले मौसम में बाहर बरामदे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी कृष्णा के सामने.

कृष्णा- आज तू मेरे कपड़े खुद उतारेगी. मैं आज हाथ भी नही लगाने वाला.
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09-01-2018, 12:11 PM,
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राधिका मुस्कुराते हुए- ठीक हैं जैसी आपकी मर्ज़ी फिर राधिका अपने होंठ कृष्णा की गर्देन पर रख देती हैं और वैसे ही वो भी अपनी जीभ धीरे धीरे फिराती हैं. और एक हाथ से धीरे धीरे कृष्णा के शर्ट का बटन को खोलना शुरू करती हैं. फिर नीचे अपने कोमल हाथों को लेजा कर पेंट के उपर से ही कृष्णा का लंड को पकड़ लेती हैं और अपने लिप्स कृष्णा के लिप्स पर रखकर उसे चूसना शुरू करती हैं. फिर वो कृष्णा का पेंट उतार देती हैं और उसके बाद बनियान . अब कृष्णा इस वक़्त सिर्फ़ अंडरवेर में था और उसके अंडरवेर में मानो टेंट बना हुआ था. राधिका ये देखकर मुस्कुराती हैं और अपना जीभ अंडरवेर के उपर से ही फिराती हैं. अंडरवेर तो पहले से ही बारिश में भीग कर गीला हो चुका था वो अपना मूह पूरा खोलकर अंडरवेर सहित कृष्णा का लंड अपने मूह में लेकर चूसना शुरू करती हैं. कृष्णा तो मानो पागल हो जाता हैं.

थोड़े देर के बाद वो अपनी एक उंगली अंडरवेर में फँसा कर उसको भी नीचे सरका देती हैं. अब कृष्णा भी एक दम नंगा राधिका के सामने खड़ा रहता हैं.

कृष्णा- राधिका मेरे लौडे को आज शांत कर दे ना. पता नहीं क्यों आज सुबेह से ही बहुत मचल रहा हैं.

राधिका मुस्कुराती हैं और वो वही घुटनों के बल बैठकर कृष्णा का लंड बड़े गौर से देखने लगती हैं. फिर अपनी जीभ धीरे से निकाल कर उसके टॉप को हौले हौले चूसना शुरू करती हैं. कृष्णा एकदम से बेचैन हो जाता हैं फिर वो राधिका को अपनी पीठ के बल लेटने को कहता हैं. राधिका वही कृष्णा के लंड के नीचे अपना सिर रख देती हैं और कृष्णा राधिका के सिर को अपनी दोनो हाथों से कसकर पकड़ लेता हैं और अपना लंड राधिका के मूह में डालना शुरू करता हैं. राधिका भी पूरा अपना मूह खोल कर कृष्णा का समर्थन करती हैं. इस वक़्त अगर राधिका की ये पोज़िशन थी कि वो कृष्णा को मना तो दूर वो पूरे उसके रहमो करम पर थी जैसे कृष्णा उसे चाहे वैसे उसे चोदे.

कृष्णा पहले तो धीरे धीरे फिर बहुत तेज़ी के साथ अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता हैं और राधिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं. धीरे धीरे कृष्णा का लंड राधिका के मूह से होते हुए गले की ओर जाने लगता हैं. अब राधिका भी इस चीज़ की आदि हो गयी थी. उसे भी ये सब अच्छा लगने लगा था. कृष्णा अपने लंड पर उसी तरह से प्रेशर बनाए रखता हैं और अब कृष्णा का लंड राधिका के हलक तक पहुँच जाती हैं और वो उसी अवस्था में अपने लंड पर दबाव बनाए रखता हैं. राधिका की साँसें फूलना शुरू हो जाती हैं और आँखों से आँसू भी निकलने लगते हैं मगर वो एक भी बार कृष्णा को मना नहीं करती बल्कि उसका पूरा साथ देती हैं.

कृष्णा का लंड जब पूरा राधिका के हलक में पहुँच जाता हैं तो वो उसी तरह से अपने लंड को राधिका के गले में डाले रहता हैं. हालाँकि वो जानता था कि राधिका की इस वक़्त क्या हालत हो रही होगी मगर आज उसके सिर पर हवस चढ़ कर बोल रही थी. वो आज राधिका को तकलीफ़ में देखकर उसके मज़ा आ रहा था. करीब 30 सेकेंड तक वो ऐसे ही अपना लंड राधिका के हलक में रखता हैं और फिर एक झटके से अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं. राधिका वहीं ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं. उसकी साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी और चेहरा पूरा लाल पढ़ चुका था. उपर से ये बारिश में अभी भी ये दोनो भीग रहे थे. थोड़ी देर के बाद कृष्णा फिर से राधिका के बाल को पकड़कर एक झटके में अपना लंड राधिका के गले में पहुँचा देता हैं और इस बार तब तक अपना लंड राधिका के गले से नहीं निकलता जब तक उसका वीर्य राधिका के गले के नीचे नहीं उतर जाता. करीब 1 मिनिट तक वो अपना लंड राधिका के हलक में फँसाए रहता हैं और आख़िरकार उसका धैर्य टूट जाता हैं राधिका भी मानो एक लाश की तरह वहीं धम से गिर पड़ती हैं..

कृष्णा - तू ठीक तो हैं ना राधिका. पता नहीं मुझे आज क्या हो गया था.

राधिका मुस्कुराती है और धीरे से कहती हैं- भैया क्या आप भी ........लगता हैं कि आप आज मेरी जान लेने के पीछे पड़े हुए हो. भला कोई इतनी देर तक अपना लंड मेरे गले में डालता हैं क्या. ऐसा लग रहा था कि मेरा गला फट जाएगा. अगर आप थोड़ी देर तक और नहीं निकलते अपना लंड तो सच में मेरा गला फट गया होता.

कृष्णा- तू ही तो है जो मेरा इतना ख्याल रखती हैं. चल अपनी टाँगें पूरा फैलाकर बैठ जा मैं तेरी चूत चाटूँगा. राधिका मुस्कुरा कर अपनी दोनो टाँगें फैला देती है और कृष्णा वहीं झुक कर अपना होंठ राधिका की चूत पर रख देता हैं. राधिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो भी अपने दोनो हाथों को कृष्णा के सिर पर फिराती हैं और अपनी दोनो टाँगें फैलाकर अपनी चूत चटवाती हैं. कृष्णा एक उंगली से उसकी चूत के लिप्स की फांकों को अलग करता हैं फिर अपना जीभ आयेज बढ़कर उसे धीरे धीरे चलाने लगता हैं. राधिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं वो भी ज़ोर ज़ोर से अपने निपल्स को अपने दोनो उंगलियों से मसलने लगती हैं.

कृष्णा फिर अपनी दो उंगली उसकी चूत में डाल देता हैं और नीचे झुक कर राधिका की गान्ड के छेद पर अपनी जीभ रख देता हैं. इस हमले से राधिका मानो उछल पड़ती हैं.

राधिका- भैया ये क्या कर रहे हो. भला कोई गान्ड भी चाहता हैं क्या. आपको घिंन नहीं आती.

कृष्णा- तुझे क्या मालूम चुदाई में कुछ भी गंदा नहीं होता.

फिर वो तेज़ी से अपने दोनो उंगलियो को राधिका की चूत में आगे पीछे चलने लगता हैं और उतनी ही तेज़ी से राधिका की गान्ड भी चाटने लगता है. राधिका के मूह से लगातार....आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............एयेए.ऊओ...ह.ई.ऊवूऊवूवाह्ह्फह....आह्ह्ह्ह्ह.आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह. की आवज़ें आ रही थी. वो भी थोड़ी देर तक कृष्णा का सामना कर पाती हैं फिर चिल्लाते हुए तेज़ी से झरने लगती हैं.
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09-01-2018, 12:11 PM,
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कृष्णा अपनी दोनो उंगलियों को आगे बढ़कर राधिका के होंठो पर रख देता हैं राधिका बिना कोई सवाल जवाब के कृष्णा की दोनो उंगली को चूसने लगती हैं. फिर वो अपना एक उंगली राधिका की गान्ड में पेल देता हैं और फिर तेज़ी से उसकी गान्ड में आगे पीछे अपनी उंगली को चलाने लगता हैं. फिर से वो अपनी उंगली को राधिका के मूह में डाल कर उससे चूस्वाता हैं..

काफ़ी देर तक बारिश में भीगने के बाद कृष्णा वही राधिका को फर्श पर सुला कर अपना लॉडा सीधा राधिका की चूत में एक झटके में पूरा डाल देता हैं. राधिका के मूह से आउच................की तेज़ आवाज़ आती हैं और फिर कृष्णा तेज़ी से अपना लंड आगे पीछे करने शुरू करता हैं. थोड़ी देर में कृष्णा का पूरा लंड राधिका की चूत के पानी से भीग जाता हैं. कृष्णा आगे बढ़कर अपना लंड फिर से राधिका से चुस्वाता हैं और फिर जब कृष्णा के लंड पर लगा राधिका की चूत का पानी पूरा सॉफ हो जाता हैं तो वो फिर एक झटके में अपना पूरा लंड राधिका की चूत में पेल देता हैं. ऐसे ही बीच बीच में वो राधिका से कई बार अपना लंड चुस्वाता हैं. और फिर करीब 45 मिनिट तक वो राधिका की चूत मारता हैं और आख़िरकार वो अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में ही निकल देता हैं. वो वही राधिका के उपर पसर जाता हैं.

बारिश भी अब कम हो गयी थी. वो दोनो वही पर काफ़ी देर तक ऐसे ही बारिश में नंगे एक दूसरे से लिपटे रहते हैं फिर कृष्णा उठता हैं और राधिका को अपनी गोद में उठाकर अपने बेडरूम में लेकर आता हैं फिर वो टवल से अपना जिस्म और राधिका के बदन को अच्छे से पोछता हैं.

थोड़ी देर के बाद वो दोनो खाना खाते हैं फिर कृष्णा राधिका की गान्ड के साथ खेलना शुरू कर देता हैं

राधिका- क्या भैया लगता हैं आज आप पूरी रात मुझे सोने नहीं देंगे.

कृष्णा- राधिका आज फिर से तेरी गान्ड मारने का मन कर रहा हैं.

राधिका- तो मार लो ना मैने कब मना किया हैं मगर धीरे धीरे अपना लंड डालना. वहाँ पर तकलीफ़ होती हैं.

कृष्णा मुस्कुरा देता हैं और बिस्तेर पर पीठ के बल सो जाता हैं. राधिका जब अपने भैया को सोया हुआ देखती हैं तो वो सवालियों भरे नज़रो से कृष्णा को देखने लगती हैं.

राधिका- अब क्या हुआ. अभी कुछ देर पहले तो मेरी गान्ड मारने वाले थे. क्यों इतनी जल्दी ठंडा पड़ गये क्या.

कृष्णा- आज मैं तेरी गान्ड नहीं मारूँगा बल्कि तू खुद अपनी गान्ड मुझसे मरवाएगी. आज मैं तेरे उपर नहीं बल्कि तू खुद मेरे उपर चढ़ कर मेरे लंड को अपने गान्ड में लेगी मगर मेरी एक शर्त हैं.

राधिका हैरत से कृष्णा की ओर देखने लगती हैं- शर्त कैसी शर्त..

कृष्णा- आज मैं तुझे एक साथ डबल चुदाई का मज़ा देना चाहता हूँ.

राधिका को कृष्णा की बातें कुछ समझ नहीं आती और वो सवाल भरे नज़रों से कृष्णा को देखने लगती हैं- डबल चुदाई से क्या मतलब हैं. कहीं आप ये तो नहीं चाहते कि मैं और किसी के साथ ये सब......

कृष्णा- क्या राधिका तुम भी ना. ये देखो मेरे हाथ में क्या हैं.

राधिका- जब एक नज़र कृष्णा की हाथों के तरफ देखती हैं तो वो भी समझ जाती हैं कि कृष्णा क्या चाहता हैं. कृष्णा के हाथ में एक मूली था जो करीब 3 इंच मोटा और 8 इंच बड़ा था.

कृष्णा- अब मैं अपना लंड तेरी गान्ड में डालूँगा और तू ये मूली अपनी चूत में डालेगी. जितनी तेज़ी से मैं तेरी गान्ड मारूँगा उतनी ही तेज़ी से तू अपना ये हाथ चलाएगी.

राधिका कुछ बोल नही पाती और इशारे में अपना सिर हिला देती हैं. फिर कृष्णा वही बिस्तेर पर लेट जाता हैं और राधिका को भी पीठ के बल अपने उपर सुला लेता हैं. फिर वो अपने हाथ में रखा मूली को राधिका की चूत के पास ले जाता हैं और जवाब में राधिका अपनी चूत को अपने दोनो हाथों से पूरा फैला देती हैं. कृष्णा धीरे धीरे वो मूली पर दबाव बनाता हैं और धीरे धीरे राधिका की चूत में डालना शुरू कर देता हैं. थोड़ी देर के बाद वो मूली राधिका की चूत में पूरा चला जाता हैं. फिर कृष्णा अपना लंड राधिका की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं.

ऐसा पहला मौका था जब एक साथ राधिका की चूत और गान्ड में एक तरफ़ मूली तो दूसरी तरफ लंड घुसने वाला था. वो भी बहुत रोमांचित थी. उसे तो पता भी नहीं था कि एक साथ दो लंड से भी चुदाई होती हैं. कृष्णा अपने लंड पर दबाव बढ़ाते जा रहा था आज राधिका की गान्ड कुछ ज़्यादा टाइट लग रही थी क्यों कि चूत में पहले से ही मूली था. वो थोड़ा दबाव देता हैं और लंड करीब 4 इंच तक राधिका की गान्ड में समा जाता हैं. राधिका की चीख निकल जाती हैं..

राधिका- भैया प्लीज़ अपना लंड निकाल लो ना मुझसे ये नहीं होगा. बहुत दर्द हो रहा हैं.

कृष्णा- थोड़ी देर और सब्र कर राधिका फिर देखना तुझे इतना मज़ा आएगा कि तू सब भूल जाएगी. फिर कृष्णा अपने लंड को बाहर निकालता हैं और एक तेज झटके के साथ पूरा अंदर पेल देता हैं.राधिका की तेज़ चीखें निकल जाती हैं. और अब कृष्णा रुकता नही है और धीरे धीरे वो अपना लंड राधिका की गान्ड में पूरा उतार देता हैं. राधिका की आँखों से आँसू निकल जाते हैं. उसे इतना दर्द हो रहा था मगर वो कृष्णा की वजह से चुप थी. थोड़ी देर के बाद वो भी मूली को अपनी चूत में आगे पीछे करना शुरू करती हैं और इधेर कृष्णा भी अपना लंड आगे पीछे करना शुरू करता हैं.
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09-01-2018, 12:34 PM,
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थोड़ी देर में राधिका की दर्द की जगह पर सिसकारी गूंजने लगती हैं. कृष्णा अपने दोनो हाथों से राधिका के बूब्स को पूरी ताक़त से मसल्ने लगता हैं जैसे कि वो आज पूरा दूध निकाल लेगा. और इधेर राधिका तेज़ी से अपने हाथ से मूली अपनी चूत में चला रही थी. मूली भी उसके चूत रस से पूरी तरह से भीग चुकी थी. और निरंतर उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. आज उसे इतना मज़ा आ रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि वो किसी जन्नत में हैं. इधेर कृष्णा तेज़ी से राधिका की गान्ड मारे जा रहा था. करीब 45 मिनिट तक धमाकेदार चुदाई के बाद कृष्णा अपना पूरा कम राधिका की गान्ड में निकाल देता हैं और राधिका भी एक लाश की तरह वही कृष्णा के उपर गिर जाती हैं. इस बीच राधिका आज 4 बार फारिघ् हुई थी. उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसके जिस्म में जान ही नहीं बची है. कमरे में दोनो की साँसें चलने की आवाज़ें आ रही थी और दोनो के शरीर भी पसीने के लथपथ थे. हालाँकि बारिश अभी भी हो रही थी मगर दोनो की प्यास अब बुझ चुकी थी.

राधिका बड़े प्यार से कृष्णा को देख रही थी जैसे कोई दो प्यासे एक दूसरे को देखते हैं. फिर वो कृष्णा के लिप्स चूम लेती हैं और अपना हाथ रखकर कृष्णा की बाहों में सो जाती हैं.
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09-01-2018, 12:34 PM,
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रात के करीब 9 बज रहे थे. कृष्णा और राधिका एक दूसरे की बाहों में बेख़बर सो रहे थे. राधिका के मन में हर बार की तरह राहुल के लिए आत्म-ग्लानि थी. वो तो खुद ऐसे मज़धार में फँसी हुई थी कि उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे.

उधेर बिहारी के घर पर...................

बिहारी की तो वैसे भी फटी पड़ी थी राहुल की वजह से. और वो जान गया था कि अगर अब वो अपना हुकुम का इक्का नहीं खोला तो अब बहुत देर हो जाएगी और कल तक राहुल उसकी गर्दन मरोड़ चुका होगा. ये सोचकर वो अपनी अगली चाल चलता हैं..

बिहारी- बिरजू मुझे तुमसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी थी. पर मुझे समझ में नही आ रहा कि मैं ये बात तुमसे कैसे कहूँ.??

बिरजू तो पहले बिहारी की बातें सोचने पर मज़बूर हो जाता हैं कि आख़िर बिहारी उससे कौन सी बात करना चाहता हैं पर वो अपने मालिक को निराश भी तो नहीं करना चाहता था. इसलिए वो इशारे में अपना सिर हां में हिला देता हैं.

बिरजू- कहिए मलिक. ऐसी कौन सी बात हैं जो आप इतना सोच रहे हैं??

बिहारी- क्या करें बिरजू बात ही कुछ ऐसी हैं. अगर नहीं कहा तो तेरे साथ ना-इंसाफी होगी और अगर कह दिया तो तू बुरा मान जाएगा.

बिरजू- आप तो मेरे मालिक हैं और मैं आपका वफ़ादार नौकर. मालिक की बातों का भला मैं कौन होता हूँ बुरा मानने वाला. आप बे-झीजक कहिए.

बिहारी कुछ देर सोचता हैं फिर कहना शुरू करता हैं- देख बिरजू बात बहुत ही गंभीर हैं. मैं नहीं चाहता कि तेरा परिवार बिखर जाए. मुझे तेरे बेटे कृष्णा की हरकतें कुछ ठीक नहीं लग रही.

बिरजू- क्या हुआ मलिक. कृष्णा ने कुछ कहा क्या आप से.

बिहारी- नहीं बिरजू हर बात कोई ज़रूरी थोड़ी ना हैं कि कहा ही जाए. तुझे पता भी हैं आज कल तेरे घर में क्या चल रहा हैं. तू तो दिन भर घर से गायब ही रहता हैं. और कृष्णा तेरी पीठ पीछे तेरी बेटी के साथ......................इतना बोलकर बिहारी खामोश हो जाता हैं.

बिरजू के चेहरे का रंग फीका पड़ जाता हैं- ऐसा क्या किया हैं कृष्णा ने मेरी बेटी के साथ. वो तो उसकी बहुत ख्याल रखता हैं. और आब तो कृष्णा राधिका को दिल-ओ-जान से चाहता हैं आख़िर वो उसकी एक-लौति बेहन जो हैं.

बिहारी- यही तो तू समझने की भूल कर रहा हैं. मैं ये नहीं कह रहा कि कृष्णा राधिका को दिल-ओ-जान से नहीं चाहता हैं मगर एक भाई बेहन के रूप में नहीं बल्कि अपनी प्रेमिका के रूप में.. अब तेरी बेटी हर रात कृष्णा का बिस्तेर गरम करती हैं और अब वो कृष्णा की रखैल बन चुकी हैं.

बिरजू- मालिक ज़ुबान संभाल का बात कीजिए. आप मालिक हैं इसका मतलब ये नहीं कि आप मेरी बेटी पर इतना गंदा इल्ज़ाम लगाएँगे. मैं ये कभी बर्दास्त नहीं करूँगा. बस आप चुप हो जाइए. मैं अब और अपनी बेटी के बारे में ये सब नहीं सुन सकता.

बिहारी- सच हमेशा कड़वा होता हैं बिरजू. मुझे पता था कि तुझे मेरी बातों का यकीन बिल्कुल नहीं होगा. पर मुझे क्या मिलेगा तुझसे झूट बोलकर. ये 100 आना सच हैं.

बिरजू- ऐसा कभी नहीं हो सकता. मेरी बेटी ऐसा घिनौना काम कभी नहीं कर सकती. और कृष्णा उसका भाई हैं भला वो कृष्णा के साथ ऐसा नीच काम कैसे कर सकती हैं. ये सरासर ग़लत हैं.

बिहारी- झूट बोलने का शौक मुझे भी नहीं है बिरजू. तुझे क्या लगता हैं कि मैं झूट बोल रहा हूँ. अगर तुझे मेरी बातों पर यकीन नहीं है तो जा इसी वक़्त अपने घर और जाकर अपनी आँखों से देख कि इस वक़्त कृष्णा तेरी भोली भाली बेटी की गान्ड मार रहा हैं कि नहीं. अगर मेरी बात झूट निकले तो बिहारी अपनी ज़ुबान कटवा देगा. ये बिहारी की ज़ुबान हैं.

बिरजू के चेहरे पूरा पीला पड़ गया था. वो ये बात आच्छे से जानता था कि बिहारी उससे ऐसा घिनोना मज़ाक कभी नहीं कर सकता. तो क्या ये सब सच हैं. क्या मेरी बेटी इस वक़्त कृष्णा के साथ ऐसा गंदा काम कर रही होगी................नहीं नहीं ये सच नहीं हो सकता. राधिका को मैं आच्छे से जानता हूँ. वो मर जाना पसंद करेगी मगर इतना गंदा काम कभी नहीं कर सकती.. बिरजू को ऐसे सोच में डूबा देखकर बिहारी मन ही मन बहुत खुस होता हैं..

बिहारी- देख बिरजू अब भी कुछ नहीं बिगाड़ा हैं. जा कर अपनी बेटी को समझा और अगर ये बात समाज़ में फैल गयी तो तू किसी को मूह दिखाने के लायक नहीं रहेगा. समझाना मेरा फ़र्ज़ था आगे तेरी मर्ज़ी.

बिरजू- ठीक हैं मालिक ईश्वार से मैं यही दुआ करूँगा कि आपकी बात सच ना हो. अगर ऐसा हुआ तो मैं आज के बाद आपके चौखट पर कभी अपना कदम नहीं रखूँगा. और अगर आपकी बात सच हुई तो मैं अपने इन्ही हाथों से अपनी बेटी का गला घोंट दूँगा.

बिहारी- तो फिर देर किस बात की हैं. इसी वक़्त घर जाकर देख ले कि तेरी बेटी कृष्णा की रातें रंगीन कर रही हैं कि नहीं. अगर मेरी बात ग़लत हुई तो तू बेशक़ मेरे चौखट पर अपने कदम मत रखना. और अगर मेरी बात सच हुई तो तू जो चाहे अपनी बेटी के साथ कर सकता हैं.

बिरजू वहाँ से थिरकते कदमों से वो अपने घर की तरफ़ निकल पड़ता हैं. बारिश आभी भी हल्की हल्की हो रही थी. आज बिरजू के माँ में हज़ार तरह के सवाल उठ रहे थे. उसे तो बिल्कुल याकीन नहीं हो रहा था कि उसकी अपनी बेटी अपने ही भाई से ऐसा गंदा काम भी कर सकती हैं. आख़िर राधिका की क्या मज़बूरी रही होगी क्या हवस में आदमी इतना नीचे भी गिर जाता हैं कि कौन उसका भाई हैं ये तक उसे दिखाई नहीं देता. ऐसे ही हज़ार तरह के सवाल इस वक़्त बिरजू के मन में उठ रहे थे.

बिरजू तो रास्ते भर ये मना रहा था कि ये सब बातें जो बिहारी ने उससे कही थी वो सब ग़लत हो. उसके कदम भारी होते जा रहे थे जैसे जैसे उसका घर नज़दीक आ रहा था. थोड़े देर के बाद वो अपने घर के दरवाज़े के पास खड़ा होता हैं. वो भी इस वक़्त पूरा भीग चुका था. वैसे तो कितने सालों के बाद वो आज रात में अपने घर आया था. रात को तो वो कभी भी घर नहीं आता था. इस वजह से कृष्णा और राधिका बिरजू की तरफ से पूरी तरह बेख़बर थे. उन्हें क्या मालूम था की इस वक़्त बिरजू अपने घर के चौखट पर खड़ा है. इस वक़्त कृष्णा और राधिका एक दूसरे की बाहों में नंगे सोए हुए थे..


तभी उनके घर पर दस्तक होती हैं. दरवाज़े की खट-खटाहट सुनकर राधिका और कृष्णा की आँखें खुल जाती हैं और दोनो चौक कर उठ बैठते हैं.

कृष्णा- इस वक़्त कौन आ गया रात के 10 बजे. ऐसा कर राधिका फटा फट अपने कपड़े पहन ले मैं जाकर दरवाजा खोलता हूँ और कृष्णा अपने बदन पर लूँगी और बनियान डालकर वो दरवाज़े की तरफ बढ़ता हैं. उसके मन में भी कई तरह के सवाल थे. आख़िर इतनी रात में कौन आ सकता हैं. बापू तो नहीं होंगे उसे पूरा विश्वास था क्यों कि वो कितने सालों से उसके बापू रात में घर नहीं आते थे.

कृष्णा अपने ही सोच में डूबा हुआ वो दरवाजे की तरफ पल पल बढ़ रहा था और उधेर राधिका के दिल में भी दर जनम ले चुका था. वो भी फटाफट अपने कपड़े पहनती हैं मगर उसके कपड़े तो पूरे गीले थे. वो झट से अलमारी में से अपने सूट और सलवार निकाल कर जल्दी से पहनने लगती हैं. आख़िर कार कृष्णा दरवाजे के पास पहुँच जाता हैं और अपने बढ़ते कदमों को वहीं रोककर अपना एक हाथ आगे बढ़कर दरवाज़ा खोलने लगता हैं. उधेर बिरजू के मन में भी इसी तरह के सवाल चल रहे थे.

अंत में कृष्णा दरवाज़ा खोल देता हैं और जैसे ही दरवाज़े खुलता हैं कृष्णा की नज़र जब बिरजू पर पड़ती हैं तो कृष्णा के होश उड़ जाते हैं. कृष्णा ने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस वक़्त उसका बाप दरवाज़े पर खड़ा होगा.
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09-01-2018, 12:35 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा अभी भी हैरत से अपने बाप को देख रहा था. मानो एक पल के लिए तो उसके दिमाग़ का काम करना बंद हो गया हो.

कृष्णा- बापू.............त..अयू....तुम.

बिरजू- क्यों नहीं आ सकता क्या मैं इस वक़्त अपने घर पर. तू तो ऐसे देख रहा है जैसे मैं तेरा बाप नहीं कोई और हूँ.

कृष्णा- लेकिन....इतनी रात को........इस वक़्त..कैसे आना....हुआ. सब ......ठीक तो ...........हैं ना.

बिरजू- ये तेरी आवाज़ को क्या हुआ. तू इतना हकला क्यों रहा हैं. सब ठीक तो हैं ना. चल अंदर चलते हैं. और बिरजू अंदर आने के लिए अपने कदम बढ़ाता हैं और कृष्णा की मानो साँस अटक जाती हैं.

कृष्णा- नहीं..बापू.. मेरा मतलब......आप. थोड़ा सा......नहीं नहीं... नहीं बापू........आप ऐसे.....अंदर .....नहीं जा .सकते.

बिरजू- ये तू क्या अनाप-सनाप बके जा रहा हैं. तेरा दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया ना. मुझे क्या मेरे ही घर में क्या तेरी इजाज़त लेनी पड़ेगी अंदर जाने की .और बिरजू झट से घर के अंदर आ जाता हैं.

बिरजू- राधिका कहाँ हैं इस वक़्त कृष्णा..कहीं दिखाई नहीं दे रही.

कृष्णा- होगी .....अपने कमरे में. ..शायद......सो रही होगी.

बिरजू फिर अपने कदम बढ़ाते हुए सीधा राधिका के कमरे में चला जाता हैं और राधिका इस वक़्त अपने कपड़े पहन चुकी थी. उसको भी बड़ा झटका लगता है अपने बापू को ऐसे अचानक घर आया देखकर.

बिरजू की नज़र जब राधिका पर पड़ती हैं तब बिरजू बड़े गौर से राधिका को सिर से लेकर पाँव तक घूर घूर कर देखने लगता हैं. तभी पीछे से कृष्णा भी वहाँ आ जाता हैं. इस वक़्त राधिका भी अपने कपड़े सही ढंग से नहीं पहन पाई थी. उपर से उसकी जुल्फें खुली हुई थी और बिस्तेर भी अस्त-व्यस्त था. बिरजू कमरे को बड़े गौर से एक एक चीज़ देखने लगता हैं. और कमरे का नज़ारा देखकर उसको समझ में आ जाता हैं कि अभी थोड़े देर पहले यहाँ पर क्या चल रहा था. फिर वो कमरे से बाहर निकल कर अपने घर के एक एक चीज़ को गौर से देखने लगता हैं फिर वो पीछे बरामदे में जाता हैं और जब राधिका और कृष्णा के कपड़े उसे वहाँ मिलते हैं तब उसका शक़ पूरे यकीन में बदल जाता हैं और वो उन कपड़ों को उठा कर राधिका और कृष्णा के बीच लाकर रख देता हैं.

जब कृष्णा और राधिका की नज़र अपने कपड़ों पर पड़ती हैं तो उन्दोनो के होश उड़ जाते हैं.

बिरजू- ये सब क्या हैं राधिका. तेरे कपड़े और कृष्णा के कपड़े बाहर कैसे पड़े हुए हैं.

राधिका- वो मैं शाम को आई थी तो बारिश में मैं पूरी भीग गयी थी तो मैने वो कपड़े ...............................राधिका आगे कुछ बोल पाती इसी पहले बिरजू राधिका की बात काट देता हैं.

बिरजू- और तू क्या कहना चाहता हैं क्या तू भी वही कहेगा जो राधिका अभी अभी कही हैं. कृष्णा कुछ नहीं बोलता और हां में अपनी गर्दन हिला देता हैं.

बिरजू- चलो मान लिया कि तुम दोनो भीग गये थे तो तुम्हारे कपड़े तो बाथरूम में होने चाहिए थे ना. तो वो बाहर बरामदे में क्या कर रहे थे.

राधिका- वो मैं .........बाथरूम में रखने ही वाली थी.................इसी पहले राधिका आगे अपना शब्द पूरा कर पति बिरजू का एक ज़ोरदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ता हैं. और राधिका के आँख से आँसू छलक पड़ते हैं.

बिरजू- झूट.................झूट बोल रही हैं तू राधिका. ................सरसार झूट. सच तो ये हैं कि तू कृष्णा के साथ बारिश में उसका साथ अपनी हवस शांत करवा रही थी.

कृष्णा- बापू..ये तुम...........क्या बोल रहे हो.....ये झूट हैं....

बिरजू का एक ज़ोरदार थप्पड़ अब कृष्णा के गाल पर पड़ता हैं और कृष्णा अपना सिर झुका कर नीचे देखने लगता हैं.

बिरजू-क्यों मैं सही बोल रहा हूँ ना. राधिका तू इतना नीचे गिर जाएगी मैं कभी सपने में भी नहीं सोचा था. तुझे और कोई नहीं मिला अपनी हवस शांत करवाने के लिए. मिला भी तो तेरा अपना ही भाई.

राधिका नज़रें नीचे झुकाए अभी भी बिरजू के सामने खड़ी थी.

बिरजू- मैं तुझसे कुछ पूछ रहा हूँ राधिका. मेरे सवालों का जवाब मुझे चाहिए. इसी वक़्त.

राधिका- हां बापू आप जो समझ रहे हैं वो बिल्कुल सच हैं. मैं हर रात अपने भैया के साथ सोती हूँ.

बिरजू का एक और करारा थप्पड़ राधिका के गाल पर पड़ता हैं और इस बार राधिका के होंठों से खून निकल जाता हैं.

बिरजू- समझ में नहीं आता कि मैं तुझे क्या कहूँ.....एक रखैल........... या इस हरामी को ......बेहन्चोद. जिसे और कोई नहीं मिली चोदने के लिए. मिली भी तो अपनी ही बेहन. तुमने तो भाई बेहन के रिश्ते के मायने ही बदल कर रख दिए. कितना भरोसा था मुझे तुझ पर. मैं तो यही सोचता था कि मेरी बेटी कभी भी कोई ग़लत काम नहीं करेगी. मगर तूने तो मेरे विश्वास की धज़ियाँ उड़ा डाली. शरम आती हैं मुझे तुम जैसे औलाद को अपना औलाद कहते हुए. इससे अच्छा तो मैं तेरे पैदा होते ही तेरा गला घोंट देता. कम से कम आज तो ये दिन मुझे नहीं देखना पड़ता.

राधिका आगे बढ़कर बिरजू के दोनो हाथों को अपनी गर्दन पर रख देती हैं- लो बापू घोंट दो मेरा गला. कम से कम आपको मुझसे तो छुटकारा मिल ही जाएगा. मैं तो वैसे भी जीना नहीं चाहती.

कृष्णा आगे बढ़कर अपने बापू का हाथ छुड़ाता हैं- बापू मुझे जितना मारना हैं मार लो. मैं एक शब्द कुछ नहीं कहूँगा. जो कहना हैं मुझे कह लो. राधिका बिल्कुल बे-कसूर हैं.

बिरजू- तुझे क्या कहूँ एक बेहन का आशिक़ ...........या बेहन्चोद. इतना समझ ले मैं तेरी तरह बेहन्चोद नहीं हूँ जो अपनी ही बेहन चोद्ता हो. और ना ही मुझे शौक हैं कि तेरी तरह अपनी बेटी को चोदु. और मैं तेरी तरह बेटी चोद नहीं बनना चाहता. मैं मर जाना पसंद करूँगा मगर ऐसा नीच काम कभी नहीं करूँगा.

राधिका- बस कीजिए बापू. अब मुझसे ये सब और नहीं सुना जाएगा.

बिरजू फिर आगे बढ़कर राधिका के गाल पर तीन चार थप्पड़ जड़ देता हैं फिर उसके बालों को कसकर अपनी मुट्ठी में पकड़ लेता हैं- क्यों भाई के साथ रातें रंगीन करने पर शरम नहीं आई और अब ये सब सुनने में शरम आ रही हैं. और फिर से तीन चार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देता हैं. राधिका के चेहरे पर बिरजू के हाथों के निशान सॉफ दिखाई दे रहे थे. उसका चेहरा पूरी तरह से लाल पड़ गया था. और होंठो से खून भी बह रहा था. तभी कृष्णा आगे बढ़कर राधिका को छुड़ाता हैं.

कृष्णा- बस करो बापू. आज मार डालोगे क्या राधिका को.

बिरजू- जी तो कर रहा हैं कि इसकी आज जान ले लूँ. और बिरजू आकर वहीं फर्श पर बैठ जाता हैं.

राधिका आगे बढ़कर अपने बापू के पास जाती हैं- रुक क्यों गये बापू. मेरे लिए ये सौभाग्य की बात होगी कि मेरी मौत आपके हाथों हो. हां मैं मानती हूँ कि मैने भाई बेहन के रिश्ते को कलंकित किया हैं. मैं इन सब की कसूरवार हूँ. इसमें मेरे भैया का कोई दोष नहीं. मैने ही इन्हें मज़बूर किया था ये सब करने के लिए. मैं ही बहक गयी थी. मगर इन सब के पीछे वजह थी. आप ने तो बड़ी आसानी से मुझे ना जाने क्या क्या कह दिया पर मैं आपसे पूछ सकती हूँ कि आज तक आपने मेरे लिए क्या किया. आज तक आपने कभी भी अपने बाप होने का कोई भी फ़र्ज़ निभाया. क्या हमारी ज़रूरतें होती हैं कभी आपने सोचने की कोशिश की.

सिर्फ़ औलाद पैदा कर देने से वो बाप या मा नहीं कहलाता. बाप या मा का ये भी फ़र्ज़ होता हैं कि वो अपने औलाद का पालन पोषण करें. उसकी हर ज़रूरतो को पूरा करें. उसकी हर सुख दुख में बराबर का हिस्सेदार बने. मगर आपने तो मुझे पैदा करके छोड़ दिया. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आज तक आपने मेरे लिए क्या किया हैं. आप सिर्फ़ बाप कहलाने के हक़दार हो बाप नहीं हो............

बिरजू अब लगभग शांत हो चुका था और वो राधिका की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था.

राधिका- अगर बचपन से लेकर अब तक आपने बाप होने का फ़र्ज़ निभाया होता तो आज ये सब नौबत नहीं आती. कृष्णा भैया भी आपकी ही राहों पर चल रहें थे. दिन रात शराब सिग्रेट और रंडी बाज़ी ये सब इनका रोज़ का काम था. अगर मैने इन्हें सुधारने के लिए अपने आप को इनके हवाले किया तो क्या ग़लत किया.

अगर आज ये सब कुछ छोड़ कर एक अच्छा इंसान बन रहे हैं तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता हैं कि मैं इनकी खुशी के लिए इनका हर इच्छा पूरी करूँ चाहे वो इच्छा बीवी की क्यों ना हो. मैं तन मन से इनकी सेवा करूँ. क्या ये सब करके मैने ग़लत किया.

अगर बचपन में आपने मेरा दामन थाम लिया होता तो आज ये सब कभी नहीं होता. आज आपके अंदर भी ज़िमेदारी नाम की कोई चीज़ होती. अगर आपने इस घर की ज़िम्मेदारी नहीं उठाई और इस घर की पूरी ज़िम्मेदारी मैने अपने उपर ली तो क्या मैने ग़लत किया. मुझे जवाब दो क्या इन सब सवलों जवाब हैं आपके पास.

राधिका की ऐसी बातें सुनकर तो आज बिरजू की भी बोलती बंद हो गयी थी वो भी सोच में डूब जाता हैं और राधिका के एक एक शब्दों का जवाब ढूँढने की कोशिश करता हैं.
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09-01-2018, 12:35 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
कमरे में तीनों एक दम खामोश थे. अंत में बिरजू अपनी चुप्पी तोड़ता हैं.

बिरजू- राधिका तूने जो कहा हैं हो सकता हैं कि वो सारी बातें सच हो. मगर तुमने जो तरीका अपनाया हैं वो बिल्कुल ग़लत हैं. तूने तो ये भी नहीं सोचा कि ये सब करने से हमारे समाज में हमारी क्या इज़्ज़त रह जाएगा जब ये बात दुनियावालों को पता चलेगी. सब लोग हमपर हसेन्गे.

राधिका- मैं जानती हूँ बापू कि मैने जो किया हैं वो ग़लत हैं लेकिन मुझे इसका कोई पछतावा नहीं हैं. मुझे अपने भैया की ज़िंदगी ज़्यादा प्यारी हैं. अगर दुनिया हँसती हैं तो हँसे मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता. समझ का काम ही हैं हमेशा उंगली उठना.

बिरजू- या तो तेरा दिमाग़ खराब हो गया हैं या तो तू हवस में बिल्कुल आँधी हो चुकी हैं जो इतना भी नहीं समझती कि हम इसी समाज़ के ही इंसान हैं. अरे पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर. ये तो वही बात हो गयी ना.

राधिका- मुझे माफ़ कर दीजिए बापू मैं इस सिस्टम को अकेले नहीं बदल सकती. मैं इस समाज़ के चक्कर में अपने भैया की ज़िंदगी बर्बाद होता हुआ नहीं देख सकती. और राधिका उठ कर बाथरूम में चली जाती हैं. फिर कृष्णा आकर वही सोफे पर सो जाता हैं और बिरजू भी आकर कृष्णा के बिस्तेर पर सो जाता हैं. बिरजू जैसे ही वो बिस्तेर पर आकर लेट ता हैं उसके मन में राधिका की कही हुई सारी बातें घूमने लगती हैं. मगर बहुत सोचने के बाद भी वो कोई फ़ैसला नहीं ले पता हैं.

राधिका भी आकर बिस्तेर पर सो जाती हैं मगर उसकी आँखों में नींद कहाँ थी. वो भी बहुत डर तक इन्ही सब बातो में खोई हुई थी. आख़िर बिहारी को कैसे पता चला कि मेरे और भैया के बीच जिस्मानी संबंध हैं. मेरे भैया के रिश्ते के बारे में तो बस निशा ही जानती थी. और निशा तो बिहारी को जानती भी नहीं फिर ये बात बिहारी को कैसे पता लगी. इतना तो मैं यकीन से कह सकती हूँ कि भैया भी कभी इस बात की जीकर उससे क्या किसी से नहीं करेंगे. फिर उसे कैसे ये बात मालूम हैं. बहुत देर तक वो इन सब सवालों के जवाब ढूँढने की कोशिश करती हैं मगर उसे कुछ समझ नहीं आता.

फिर वो ऐसे ही ना जाने कितनी देर तक ये सब सोचती है और कब उसकी आँख लग जाती हैं उसे पता भी नहीं चलता. राधिका इन सब से बेख़बर थी उसे क्या मालूम था कि ये तो बस तूफान की शुरूवात हैं. जो तूफान अब उसकी ज़िंदगी में आने वाला था वो उसकी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदलने के लिए काफ़ी था. शायद भगवान भी उसका इम्तिहान ले रहा था. क्या था वो तूफान ये तो जल्दी ही पता चलने वाला था..

.......................................

सुबेह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो बिरजू उसके पास बैठा मिलता हैं. वो उसे बड़े प्यार से देख रहा था. राधिका की जब आँख खुलती हैं तो वो चौंक कर अपने बाप को देखने लगती हैं.

राधिका- बापू आप इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हैं.

बिरजू- मुझे माफ़ कर दे बेटा मैने ना जाने तुझे क्या क्या कहा और तुझपर अपना हाथ उठाया. सच में तू अब बहुत बड़ी हो गयी है. तेरा दिल बहुत बड़ा हैं. आज के बाद इस घर की ज़िम्मेदारी तू नहीं बल्कि अब मैं इस घर को संभालूँगा. मेरी वजह से तूने बहुत दुख झेले हैं और आज के बाद मैं तुझे कोई तकलीफ़ नहीं दूँगा. और आज के बाद मैं उस बिहारी के पास भी नहीं जाउन्गा. बेटा हो सके तो तू मुझे माफ़ कर दे. वैसे तो मैं माफी के लायक नहीं हूँ अगर तू मुझे जो सज़ा देना चाहे दे सकती हैं. मैं खुशी खुशी तेरी हर सज़ा क़ुबूल कर लूँगा. और मेरी वजह से ही तो तेरा हँसता खेलता बचपन उजड़ गया. तेरी मा के मौत का भी मैं ही ज़िम्मेदार हूँ . जानता हूँ की मेरी ग़लती अब माफी के लायक नहीं हैं पर तू जो चाहे मुझे सज़ा दे सकती हैं. बिरजू राधिका के सामने अपने दोनो हाथ जोड़ते हुए बोला.

राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं खुशी के मारे- ये आप कैसी बातें कर रहे हैं बापू. जाने दीजिए जो हुआ वो मेरे बीता हुआ कल था. मैं उसे याद करना नहीं चाहती. मुझे अब आपसे कोई शिकवा गीला नहीं हैं. बस आप अब सिग्रेट शराब पीना छोड़ दीजिए. और अब एक अच्छे इंसान बन जाइए मुझे अब और कुछ नहीं चाहिए. बिरजू इतना सुनकर झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं. ऐसे ही ना जाने कितनी देर तक दोनो बाप बेटी एक दूसरे के गले लगे रहते हैं. आज ज़िंदगी में पहली बार राधिका आपने बाप के गले मिली थी. आज राधिका बेहद खुश थी मगर इस खुशी को जल्दी ही ग्रहण लगने वाला था..

थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी उठता हैं और जाकर अपने बाप के पास चुप चाप खड़ा हो जाता हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दो बापू आगे से ऐसा नहीं होगा.

बिरजू- मैने तुझे कब का माफ़ कर दिया हैं.

तभी घर का बेल बजता हैं. कृष्णा चौन्कर दरवाज़े की तरफ देखने लगता हैं फिर वो जाकर दरवाज़ा खोलता हैं. जब दरवाज़ा खुलता हैं तो सामने जिस शक्श पर कृष्णा की नज़र पड़ती हैं उसे देखकर उसके पाँव तले ज़मीन खिसक जाती हैं. सामने बिहारी था और उसके साथ उसके दो चमचे भी थे. वो हैरत से बिहारी की ओर देखने लगता हैं.

बिहारी झट से अंदर आता हैं और आकर वही सोफे पर बैठ जाता हैं. तभी बिरजू और राधिका भी आ जाते हैं और बिहारी को ऐसे बैठा देखकर लगभग दोनो चौंक जाते हैं.

राधिका- अब क्या लेने आए हो बिहारी. चले जाओ यहाँ से. आज के बाद यहाँ तुम्हारा कोई काम नहीं.

बिहारी पहले तो राधिका को सिर से लेकर पाँव तक घूर कर देखता हैं फिर बोलता हैं- चला जाउन्गा इतनी भी क्या जल्दी हैं. घर आए मेहमान से क्या कोई इस तरह से पेश आता हैं . और मेहमान को तो भगवान का दर्ज़ा दिया जाता हैं.

राधिका- तू भगवान नहीं इंसान की खाल में छुपा शैतान हैं. हमे तुमसे कोई रिस्ता नहीं रखना हैं और अब कोई ज़रूरत नहीं हैं कि तुम यहाँ पर आओं. अच्छा होगा कि तुम यहाँ से चले जाओं.

तभी बिरजू बीच में बोल पड़ता हैं.

बिरजू- मालिक मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ आप यहाँ से चले जाइए. अब मैं आपके यहाँ काम नहीं करूँगा.

बिहारी- मुझे हैरत हो रही है कि तू ये बात बोल रहा हैं. बरसों से मेरी गुलामी किया और आज इस लड़की ने तुझे क्या पाठ पढ़ा दिया कि तूने भी कृष्णा की तरह आज मुझसे मूह फेर लिया खैर कोई बात नहीं आज कल वफ़ादार नौकर इतनी आसानी से कहाँ मिलते हैं और वो भी तेरे जैसा. कोई बात नहीं मैं तुझे निराश नहीं करूँगा. भाई ज़िंदगी तेरी हैं तू जैसे चाहे जी .........जा आज के बाद बिहारी तुझे आज़ाद करता हैं. मगर एक बात मुझे तेरी बेटी से कहनी हैं अगर तू इसकी इज़ाज़ात दे तो मैं कहूँ..

बिरजू- मालिक ये आप कैसी बातें कर रहें हैं भला मैं कौन होता हूँ आप को इज़ाज़ात देने वाला. आप बेशक़ राधिका से जो पूछना हैं पूछ सकते हैं.

बिहारी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं - राधिका सोच क्या तुझे एक बहुत बड़ा सच बता दूँ जिसको सुनकर तुझे झटका तो लगेगा मगर तुझे नहीं बताया तो मेरे दिल को चैन नहीं मिलेगा. फिर बिहारी अपनी जेब में से एक फोटो निकाल कर राधिका को थमा देता हैं और जब राधिका वो फोटो देखती हैं तो वो हैरत से उस फोटो को देखने लगती हैं..फिर वो सवालियों नज़र से बिहारी की ओर देखने लगती हैं.
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09-01-2018, 12:35 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--35

राधिका बड़े गौर से उस फोटो को देख रही थी. वो फोटो पार्वती की थी.

बिहारी- तू तो इसको अच्छे से जानती होगी. पार्वती नाम हैं इसका. ये मेरी बीवी थी जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. उसका कुछ दिन पहले कतल हो गया था.

राधिका के चेहरे पर पसीने की कुछ बूँदें थी और दिल और दिमाग़ में कई सारे सवाल उठ रहे थे.- लेकिन ये सब तुम मुझे क्यों दिखा रहे हो. भला इस फोटो से मेरा क्या संबंध हैं.

बिहारी - संबंध हैं. बहुत गहरा संबंध हैं. मैं जानता हूँ कि जिस वक़्त मेरी बीवी का कतल हुआ उस वक़्त तू वहाँ पर मौजूद थी और उसका कतल होते हुए अपनी आँखों से भी देखा. और अब तू गवाह भी बनने वाली हैं. और तू चाहती है कि इसके गुनहगारों को इसकी किए की सज़ा मिले. मगर मैं नहीं चाहता कि तू पोलीस को जाकर कोई बयान दे. ये तेरे लिए ही अच्छा होगा.

राधिका- तुम मुझे धमकी दे रहे हो या चेतावनी मुझे इसी कोई फ़र्क नहीं पड़ता. मैं जानती हूँ कि तुमने ही अपनी बीवी को मरवाया हैं. इस लिए तुम कभी नहीं चाहोगे की मैं पोलीस को जाकर कोई भी बयान दूँ. मगर ये तुम्हारी भूल हैं मैं पोलीस को जाकर तुम्हारे खिलाफ बयान दूँगी और ये तुम्हारा बे-नक़ाब चेहरा इस दुनिया को दिखाउन्गि.

बिहारी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं- मैं जानता था कि तुम इतनी आसानी से मेरी बात नहीं मनोगी. खैर ये तो तुम जानती ही हो कि मैने ही अपनी बीवी को मरवाया हैं मगर क्या तुम उनके क़ातिलों से मिलना नहीं चाहोगी. जब तुम्हें पता लगेगा कि मेरी बीवी के कातिल कौन हैं तो हो सकता हैं तुम अपना बयान बदल लो.

बिहारी की ऐसी बातें सुनकर राधिका का दिल बहुत ज़ोरों से धड़कने लगता हैं और वो ज़ुबान लड़खड़ाने लगती हैं- कौन.............हैं....

बिहारी- बताउन्गा इतनी भी क्या जल्दी हैं. आभी तो तुझे एक और धमाकेदार खबर सुननी हैं.

राधिका- पहेलियाँ मत भुजाओं बिहारी. जो कहना हैं सॉफ सॉफ कहो.

बिहारी- ठीक हैं तो सीधा मुद्दे पर आते हैं. तू ये सोच रही होगी कि कृष्णा के साथ तेरी जिस्मानी ताल्लुक़ात मुझे कैसे पता लगे.

राधिका के चेहरे का रंग फीका पड़ चुका था वो बस बिहारी के आगे बोलने का इंतेज़ारक़र रही थी.

बिहारी- तुझे याद होगा कि एक तेरी नयी नयी दोस्त बनी हैं जिसका नाम हैं मोनिका उर्फ्फ़......तन्या. तू तो उसे अच्छे से जानती होगी. आज कल वो तुझसे मिलने अक्सर तेरे घर पर आती हैं. वो तेरी दोस्त नहीं बल्कि मेरा ही एक मोहरा हैं जो मेरे इशारों पर नाचती हैं. या यूँ कह ले कि मेरी वो रखैल हैं. जो तेरी सारी इन्फर्मेशन मुझ तक पहुँचाती हैं.

राधिका इतना सुनते ही उसके होश उड़ जाते हैं- धोका.............. इतना बड़ा विश्वासघात ?????

बिहारी- हां भाई हम तो दोस्तों पर भी उतनी ही नज़र रखते हैं जितना कि दुश्मन पर. और तेरे से कोई मेरी दुश्मनी थोड़ी ही ना हैं. तुझे तो मैं अपना दोस्त मानता हूँ.

राधिका- लेकिन ये बात तो मैने मोनिका को भी नहीं बताई थी कि मेरे भैया के बीच मेरे शारीरिक संबंध हैं. फिर वो कैसे जानती हैं ये बात.

बिहारी- यार तू सवाल बहुत पूछती हैं. जितनी तू खूबसूरत हैं तेरे दिमाग़ भी उतनी ही चलता हैं. थोड़ा धीरज रख बताता हूँ.

बिहारी- तुझे याद होगा एक बार जब मोनिका तेरे घर पर पहली बार आई थी तब वो तुझे कुछ प्रेज़ेंट दी थी. मेरे ख्याल से तुझे याद होगा. .........................एक टेडी बेर.

राधिका को झटके पर झटके लग रहे थे बिहारी की एक एक बातों को सुनकर- हां याद हैं. वो इस वक़्त मेरे पास ही हैं.

बिहारी- जानती हैं उस टेडी बेर में क्या है. वो कोई नॉर्मल टेडी बेर नहीं है बल्कि यू कह सकती हैं कि उसमें एक कॅमरा लगा हुआ हैं और साथ में सेन्सर भी. जब इंसान उसके संपर्क में आता हैं तो उसका कॅमरा ऑटोमॅटिक आक्टीवेट हो जाता हैं और उसके अंदर एक हार्ड डिस्क भी लगी हुई हैं जो तेरी सारी हरकतों को रेकॉर्ड करता हैं. एक वाइयरलेस पोर्ट भी हैं जिससे मैं जब चाहे तब उस टेडी बेर से कनेक्ट हो जाता हूँ और तेरी सारी करतूतों को रेकॉर्ड करता हूँ. जिस तरह से लोग आज कल इंटरनेट यूज़ करते हैं वाइर्ले नेटवर्क के ज़रिए उसी तरह से ये भी काम करता हैं. बस मैने तो अब तक की तेरी सारी ब्लू फिल्म भी तैयार कर रखी है. अगर तू चाहे तो मैं तुझे सबूत के तौर पर दिखा भी सकता हूँ.

बिहारी की बाते सुनकर कृष्णा और राधिका के होश उड़ जाते हैं.



राधिका- तुम ऐसा नहीं कर सकते. राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.

बिहारी- बिल्कुल कर सकता हूँ. तू ही सोच अगर तेरी ये ब्लू फिल्म मैं मार्केट में लॉंच कर दूं या फिर इंटरनेट पर डाल दूं तो तू जीते जी मर जाएगी. और सोच अगर तेरी ये ब्लू फिल्म अगर राहुल को पता लग गया तो ...............................बिहारी इतना बोलकर खामोश हो जाता हैं.

राधिका- मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ बिहारी. ऐसा मत करना. मैं जी नहीं पाउन्गि.

बिहारी- चिंता मत कर मैं तुझे ब्लॅकमेलिंग नहीं करूँगा और मैं ये नहीं चाहता राधिका कि तुझे कुछ हो. आख़िर मुझे भी तुझसे इश्क़ हो गया हैं. क्या करें ये दिल का मामला है और तू तो ये बात अच्छे से जानती होगी कि ये प्यार कितनी जालिम चीज़ हैं. हमेशा दर्द ही देता हैं.

राधिका वही नीचे फर्श पर बैठ जाती हैं.- तो क्या चाहते हो बिहारी इन सब के बदले. क्या मैं तुमसे शादी कर लूँ. अगर तुम्हारी यही इच्छा हैं तो मैं आब तुमसे शादी करने को तैयार हूँ.

बिहारी हंसते हुए- शादी और तुझसे..................अब तो तू एक रखैल बन चुकी हैं. और रखैल को कोई बीवी नहीं बनाता. और रखैल का भी ईमान धरम होता हैं वो कितना भी गिर जायें मगर अपने भाई और बाप के साथ बिस्तेर गरम नहीं करती. मगर तू तो उन सब से आगे हैं.रखैल की शोभा तो कोठे पर होती हैं. और तेरी जगह भी वही हैं. मगर मैं इतना निर्दयी नहीं हूँ. तेरी जैसी मस्त आइटम को मैं दिल के एक फीट नीचे बैठा कर हमेशा रखूँगा. बीवी तो ना सही पर ज़िंदगी भर मैं तेरे को अपनी पर्सनल रंडी बनाकर ज़रूर रखूँगा. बिहारी की ऐसी बातें सुनकर कृष्णा गुस्से से चिल्ला पड़ता हैं.

बिहारी- ज़ुबान को लगाम दे बिहारी. वरना तेरी ज़ुबान यही काट कर फेंक दूँगा.
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09-01-2018, 12:36 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
बिहारी कृष्णा के नज़दीक जाता हैं और जाकर एक घूसा कृष्णा के पेट पर मार देता हैं. कृष्णा वही दर्द से बैठ जाता हैं.- इस वक़्त मेरा पलड़ा भारी हैं. अगर ज़्यादा होशियारी दिखाई तो तेरी बेहन कोठे के लायक भी नहीं रहेगी. उसे ऐसे दरिंदो के बीच भेज दूँगा जहाँ उसकी हर रात बोटी बोटी नोची जाएगी और तेरी बेहन की ऐसी हालत होगी की ये ना जी पाएगी और ना ही मर पाएगी.

कृष्णा खामोश हो जाता और और चुप चाप बिहारी को देखने लगता हैं.

बिहारी- बोल बनेगी ना मेरी पर्सनल रंडी.

राधिका कुछ बोल नहीं पाती और अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं. उसके आँखों से आँसू अब भी बह रहे थे. आज राधिका खुद को इतना कमजोर महसूस कर रही थी कि आज वो बिहारी के सामने बिल्कुल बेबस थी.

राधिका- छोड दो मेरे भैया को. जो तुम चाहते हो वो मैं सब करने को तैयार हूँ. मगर इससे पहले मैं पार्वती के क़ातिलों के बारे में जानना चाहती हूँ. कौन हैं उसके कातिल.

बिहारी हंसते हुए- बताता हूँ मेरी जान थोड़ा सब्र तो कर. और अपने दिल को भी थोड़ा मज़बूत कर ले. मैं जानता हूँ की तू ये सच शायद बर्दास्त नहीं कर पाएगी.

राधिका- पहेलियाँ मत बुझाओ बिहारी. क्या हैं सच.???

बिहारी- तो सुन बताता हूँ. सच तो ये हैं कि पार्वती को मैने ही मरवाया हैं. वो मेरा सच जान गयी थी कि मैं अपनी राजनीति की आड़ में ड्रग्स और लड़कियों का धंधा करता हूँ. और उसने मुझे मोनिका के साथ सेक्स करते हुए पकड़ लिया था. वो मेरा सच जान गयी थी जिसके वजह से वो मुझसे डाइवोर्स चाहती थी. बस यही वजह थी कि मैने उसे अपने रास्ते से हटवा दिया. अगर मैं ऐसा नहीं करता तो वो जाकर पोलीस में सारी बातें बक देती.

राधिका हैरत से सारी बातें बिहारी के मूह से सुन रही थी. उसकी हर बात राधिका के दिमाग़ में बॉम्ब की तरह फट रहे थे.

बिहारी- ये मेरी किस्मत हैं या मेरी बदक़िस्मती पर जिस वक़्त मैने अपने दो आदमियों को भेजा था उसका मर्डर करवाने के लिए उस वक़्त तू वहाँ पर पहुँच गयी थी और पार्वती का खून होते तूने अपनी आँखो से देख लिया. मैने अपने एजेंट्स और प्राइवेट जासूस से ये पता करवाया कि वो तू ही हैं जिसने ये वारदात होते अपनी आँखों से देखा था. मैने तो ये सोच लिया था कि तुझे भी जान से मरवा दूँगा मगर मैं नहीं चाहता था कि तुझे कुछ हो. पर एक बात तूने कभी गौर नहीं किया कि रास्ता सूनसान था और उस वक़्त तू बिल्कुल अकेली थी और जो दोनो बदमाश थे उनके हाथों में हथियार थे फिर भी वो लोग तुझपर हमला नहीं किए और तुझे देखकर भाग गये. आख़िर क्यों.??? कभी सोचा हैं अगर वो चाहते तो तुझे वही बड़ी आसानी से मार सकते थे मगर उन दोनो ने ऐसा नहीं क्या. मैं बताता हूँ इसके पीछे क्या वजह हैं...

राधिका हैरत से सारी बातें बिहारी के मूह से सुन रही थी. उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले.

बिहारी- तो सुन जिन लोगों को तू अपने आँखों से कतल करते हुए देखी थी वो और कोई बल्कि तेरे अपने लोग हैं.

राधिका की दिल ज़ोरों से धड़कने लगता हैं बिहारी की ऐसी बातें सुनकर- अपने............लोग.....क्या ............मतलब.

बिहारी- हां मेरी बीवी के कातिल तेरे सामने मौजूद हैं ..........वो देख एक तो तेरा भाई.................और दूसरा तेरा बाप...........

राधिका इतना सकते ही वो वही धम्म से ज़मीन पर गिर जाती हैं और उसकी आँखों से आँसुओ का सैलाब निकल पड़ता हैं- ये नहीं हो सकता. तुम झूट बोल रहे हो.ऐसा कभी नहीं हो सकता मेरे भैया और बापू ऐसा कभी नहीं कर सकते. वो किसी का कतल नहीं कर सकते.

बिहारी- मैं जानता था कि तू सपने में भी मेरी बातें पर यकीन नहीं करेगी. इसलिए मैं पूरे सबूत अपने साथ लाया हूँ. फिर बिहारी अपने जेब में से फोटोग्रॅफ्स राधिका को थमा देता हैं.

राधिका एक एक कर सारे फोटोस को देखने लगती हैं. उसमें नक़ाब में उसके बापू और कृष्णा मौजूद थे. और एक आदमी से हाथ मिलाते हुए भी कुछ फोटोस थे. उस आदमी को राधिका ने कभी नहीं देखा था. और फिर उसके हाथ में एक बॅग भी था जो एक दिन कृष्णा अपने साथ घर पर लाया था. राधिका के मूह से वो बॅग वाला बात निकल पड़ता हैं.

राधिका- ये तो वही बॅग हैं जो एक दिन भैया इसे अपने साथ लाए थे.

बिहारी अपने एक आदमी को इशारा करता हैं और वो जाकर कृष्णा के कमरे से वो बॅग उठा लता हैं और बिहारी के सामने रख देता हैं.
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09-01-2018, 12:36 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
बिहारी- ये वही बॅग हैं. फिर राधिका झट से उस बॅग को खोलती हैं और जब उसके अंदर जब उस समान पर नज़र पड़ती हैं तो उसे मानो ऐसा लगता हैं जैसे किसी ने उसके शरीर से से पूरा खून निकाल लिया हो. उस बॅग में वही नक़ाब और कपड़े रखे हुए थे. साथ में दो चाकू भी थे और उस पर थोड़े खून के निशान भी थे. और फिर अंत में उसे नोटों का बंड्ल मिलता हैं. 1000 के 10 गॅडी. यानी 10 लाख रुपये... 

राधिका की आँखों से अब भी आँसू बह रहे थे. उसे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके भैया और उसके बापू ऐसा काम भी कर सकते हैं.

बिहारी- अब विश्वास हो गया ना तुझे मेरी बातो पर. बोल अब भी तू क्या पोलीस को बयान देगी ये जानते हुए भी कि मेरी पत्नी के कातिल तेरे ही बाप और भाई हैं.

राधिका कुछ बोल नहीं पाती और अपनी गर्देन चुप चाप नीचे झुकाए रहती हैं.

बिहारी- अभी तो मैने तुझे आधी पिक्चर दिखाई हैं. बाकी के आधी पिक्चर भी तुझे बहुत जल्द दिखाउन्गा. हो सके तो तू अपना दिल मज़बूत किए रहना. और वैसे भी तू बहुत हिम्मत वाली लड़की हैं. कोई दूसरी होती तो ना जाने अब तक क्या कर बैठती. और हां अब तेरे परिवार की जान तेरी मुट्ठी में हैं. या तो तू इसे बचा सकती हैं या फिर चाहे तो मिटा सकती हैं. अब फ़ैसला तुझे ही करना हैं. मेरी तरफ से तू बे-फिकीर रह मैं कभी भी अपना मूह नहीं खोलूँगा. और बिहारी इतना बोलकर अपने आदमियों के साथ बाहर निकल जाता हैं.

राधिका चुप चाप वही फर्श पर बैठी हुई थी और उसकी आँखों में आँसू थे. वही सामने कृष्णा और बिरजू अपना सिर झुकाए चुप चाप खड़े थे. आज सुबेह राधिका कितनी खुश थी उसे लगा कि उसका बरसों का बिखरा परिवार आज एक हो गया मगर ये खुशी थी कुछ पल के लिए. उसे क्या पता था कि आज उसके ज़िंदगी में ऐसा तूफान आएगा कि उसकी सारी ख़ुसीयों को बहा कर ले जाएगा.

राधिका फिर उठकर कृष्णा के पास जाती हैं और एक नज़र अपने भैया को गौर से देखती हैं फिर एक ज़ोरदार थप्पड़ कृष्णा के गाल पर जड़ देती हैं. फिर एक के बाद लगातार तीन चार थप्पड़ और कृष्णा के दोनो गालों पर जड़ देती हैं. कृष्णा एक शब्द कुछ नहीं बोलता और चुप चाप अपनी गर्देन नीचे झुका लेता हैं.

राधिका- क्यों किया आपने ऐसा. मैं पूछती हूँ ............क्यों???? आख़िर क्या मज़बूरी थी जो आपको उस मासूम औरत को जान से मारना पड़ा. अरे कितनी विश्वास करने लगी थी मैं आप पर लेकिन आज फिर आपने मेरी विश्वास की धज़ियाँ उड़ा दी. निशा सही कहती थी काश मैने उसकी बात पहले ही मान ली होती तो आज मुझे ये दिन नहीं देखना पड़ता.

शरम आती हैं मुझे आप पर. इंसान कितना भी बदल जाए मगर अपनी फिदरत कभी नहीं बदल सकता. आज आपने ये बात भी साबित कर दी. और आज के बाद ये समझ लेना कि आपकी कोई बेहन नहीं हैं. मैं आज के बाद आपलोगों के लिए मर गयी हूँ. ना मेरा कोई इस दुनिया में बाप हैं और ना ही भाई. आज आप लोग की वजह से उस बिहारी ने मुझे ना जाने क्या क्या कहा. दुख मुझे उसकी बातो का नहीं हैं. दुख तो इस बात का हैं की मैं आपको पहचान नहीं पाई. मैं ही ग़लत थी. और राधिका वही फुट फुट कर रोने लगती हैं.

कृष्णा- राधिका मैं जानता हूँ कि मैने बहुत बड़ा गुनाह किया हैं. और मैं अब माफी के हक़दार भी नहीं हूँ. तू जो चाहे मुझे सज़ा दे सकती हैं. मैं अब कुछ नहीं कहूँगा.

राधिका- मुझे कुछ कहना लायक कहाँ छोड़ा हैं आपने. बस मैं इतना जानना चाहती हूँ कि कौन सी ऐसी मज़बूरी थी जो आपको उस मासूम का खून करना पड़ा. मुझे बस इसकी वजह बता दीजिए.

कृष्णा- मैने जो भी कुछ किया हैं तेरे लिए किया हैं. अब कुछ दिन में तेरी शादी होने वाली थी तो कहाँ से मैं इतने पैसों का इंतज़ाम करता. किसके सामने अपने हाथ फैलाता. और मैं चाहता था कि तू भी हँसी खुशी रहे. ऐसे ही मैं एक दिन सोच रहा था की कैसे भी करके मुझे 2 लाख रुपए का इंतज़ाम कहीं से कर लूँ फिर तेरी शादी धूम धाम से करूँगा. फिर एक दिन एक आदमी मेरे पास आया. शायद वो अच्छे से जानता था कि मुझे इस वक़्त पैसों की शख्त ज़रूरत हैं. उसने मेरे सामने पार्वती के मर्डर करने का प्रपोज़ल रखा. पहले तो मैने सॉफ इनकार कर दिया. फिर एक दिन बापू ने भी मुझसे वही बात कही और ये भी कहा कि वो इस काम के बदले मुझे 10 लाख रुपये देगा. मैने पैसों की वजह से हां कर दी. जब मैने पार्वती को जान से मार दिया तब मुझे पता लगा कि वो आदमी बिहारी का ही था. बाद में बिहारी ने मुझसे कहा कि मैं अपना सोर्स और पवर का इस्तेमाल करके तुझे जैल से रिहा करवा दूँगा. बस इस वजह से मैं भी चुप हो गया. मैने तुझे कई बार इस बारे में बात करने की हिम्मत जुटाई मगर मैं जानता था कि तू मेरी बातो को नहीं समझेगी. बस तुझे कभी भी किसी चीज़ का कोई तकलीफ़ ना हो. मैने जो कुछ भी किया हैं बस तेरी खुशी के लिए किया हैं.

राधिका- खुशी................एक मासूम की हत्या करके मुझे खुश रखना चाहते हो आप. जानते भी हैं आपकी इस बेवकूफी की नतीजा क्या होगा. शाया आपको इस बात का अंदाज़ा नहीं है मगर मैं जानती हूँ कि बिहारी अब मेरे से क्या चाहता हैं.वो इसका फ़ायदा उठाकर अब मुझे हासिल करना चाहता हैं और ये बात आप लोग अच्छे से जानते हो कि वो मुझे अपनी रखैल बनाकर रखेगा. आप ने तो मुझे कहीं का नहीं छोड़ा. भैया मैं बहुत खुस थी. हम ग़रीब थे मगर मैने कभी आप से किसी भी चीज़ का कभी कोई ज़िक्र नहीं किया. मैं जैसे भी थी खुस थी मगर आपको शायद मेरी वो खुशी भी देखी नहीं गयी. मैं आपको कभी माफ़ नहीं कर सकती. और राधिका कृष्णा के सीने पर मूक्‍के मारते मारते वही उसके कदमों में बैठ जाती हैं. कृष्णा की इतनी भी हिम्मत नही थी कि वो उसे उठाए.

राधिका फिर अपने आँसू पोछती हैं. मैं इसके किए की आपको सज़ा ज़रूर दिलवाउंगी. और फिर राधिका राहुल के पास फोन करती हैं.

राहुल- हां जान बोलो कैसे याद किया.

राधिका- तुम जाना चाहते थे ना पार्वती के क़ातिलों को बारे में . मैं जानती हूँ कौन हैं उसके कातिल. तुम यहाँ पर तुरंत आ जाओ इसी वक़्त.

राहुल के भी होश उड़ जाते हैं राधिका की ऐसी बातो को सुनकर- ऑल यू ऑलराइट. कभी कोई बुरा ख्वाब तो नहीं देखा ना. डॉन'ट माइन मैं अभी तुम्हारे घर पर आ रहा हूँ. और फिर राधिका फोन रख देती हैं.

कृष्णा- बस आखरी बार एक बात कहना चाहता हूँ राधिका कि मैं एक अच्छा भाई का फ़र्ज़ नहीं निभा सका हो सके तो मुझे भूल जाना और समझ लेना कि कृष्णा आज के बाद तेरे लिए मर गया हैं. राधिका कृष्णा की बातो को सुनकर फुट फुट कर रोने लगती हैं..
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