05-07-2021, 11:59 AM,
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desiaks
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
नमिता नीचे घुटनों के बल बैठ गई और मेरी चूत पर अपने मुंह को लगा लिया। चूंकि उसे चूत चाटने का तो कोई अनुभव नहीं था, फिर भी वो चूत चाट रही थी। मैं नमिता के साथ काफी देर से खेल रही थी तो मेरे अन्दर का माल भी बाहर आने को तैयार था, अगर नमिता मेरी चूत न चाटती तो मैं नहा कर कमरे में जाकर उंगली करके अपने माल को बाहर निकालती। नमिता मेरी चूत चाटे जा रही थी और एक क्षण ऐसा भी आया कि नमिता के मुंह में मैं खलास हो गई। जैसे ही मेरा नमकीन पानी नमिता के मुंह में गया,
वो मुंह बनाते हुए बोली- ये क्या भाभी, ये क्या किया आपने?
मैं - 'मैंने क्या किया?'
नमिता - 'मेरे मुंह में आपने पेशाब कर दिया!'
मैं - 'नहीं, यह पेशाब नहीं है, इसको रज बोलते हैं। मेरे मुंह में भी तुमने यही किया था।'
फिर हम दोनों नंगी नहाने लगी और थोड़ी देर बाद मैं ऑफिस के लिये तैयार होकर आ गई।
जैसे ही हम लोग नाश्ते के लिये बैठे वैसे ही अमित आ गया, अमित को देखकर नमिता अमित के लिये भी नाश्ता लेने चली गई। नमिता के जाते ही अमित घुटने के बल नीचे बैठ गया और
मुझसे बोला- भाभी, मैं आपके खुले हुस्न का दीदार करना चाहता हूँ, एक बार अपने हुस्न के दीदार करा दो, फिर ये अमित आपका गुलाम हो जायेगा।
तभी नमिता नाश्ता लाते हुए दिखाई पड़ी तो मैंने अमित को सीधे बैठने के लिये कहा। नाश्ता करने के बाद मैं ऑफिस जाने लगी तो नमिता अमित से मुझको ऑफिस ड्रॉप करने के लिये बोली, अमित की तो मानो मन की मुराद पूरी हो गई, वो सहर्ष तैयार हो गया। फिर मेरा भी मना करने का सवाल ही नहीं उठता था, मैं अमित के साथ चल पड़ी। रास्ते में एक रेस्टोरेन्ट पर अमित ने अपनी गाड़ी रोकी और मुझसे दस मिनट उसके साथ रहने के लिये रिक्वेस्ट करने लगा।
मेरे पास ऑफिस पहुँचने का भरपूर टाईम था तो मैं उसके साथ रेस्टोरेन्ट चली गई।
वहां पर अमित एक बार फिर रिक्वेस्ट करने लगा तो
मैंने कहा- ठीक है, आज रात मेरा दरवाजा तुम्हारे लिये खुला रहेगा, लेकिन एक शर्त है कि तुम मेरी कोई बात काटोगे नहीं।
अमित - 'नहीं भाभी... बिल्कुल नही!' निःसंकोच अमित ने मेरा हाथ चूमा और बोला- भाभी, आज से आपका यह जीजा आपका गुलाम ही रहेगा।
मैं - 'वो तो ठीक है लेकिन आज रात के बाद फिर कभी नहीं कहोगे और न ही मुझे ब्लैक मेल करोगे।'
अमित - 'बिल्कुल नहीं भाभी... ये बन्दा आज से आपका गुलाम है, जब आप चाहोगी तब ये गुलाम सदा आपकी सेवा में रहेगा।'
इसके बाद अमित ने मुझे मेरे ऑफिस ड्रॉप कर दिया।
ऑफिस पहुँचे एक घण्टा भी नहीं हुआ था कि नमिता का फोन आ गया, फोन पर ही वो बोलने लगी- भाभी, आज मेरा मन लग नहीं रहा है, मुझे आपसे बहुत सी बातें करनी है।
मैं समझ चुकी थी कि वो मुझसे किस टॉपिक पर बात करना चाहती है तो मैंने बॉस से परमिशन ले ली। मेरा बॉस जो एक 40 वर्षीय था उसने मुझे इस शर्त पर परमिशन दे दी कि अगर उसे कोई ऑफिस का काम पड़ेगा तो उसे फिर ओवर टाईम करना पड़ेगा, मैंने भी एक मुस्कुराहट के साथ हाँ मैं अपने सर को हिला दिया। मैं घर आ गई।
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
जीजा साली दोनों ब्रेकफास्ट के लिए चले गए। ऋतू दीदी ने मुझे पहले नहाने को बोल दिया। ऋतू दीदी को देख मैं रात की घटना इमेजिन कर रहा था की वो कैसे ऊपर चढ़ कर जीजाजी को चोद रही थी। मुझे लगा की रात की चुदाई के बाद उनको नहाने की ज्यादा जरुरत है। इसलिए मैंने उनको पहले जाने को बोल दिया। वो कुछ मिनट्स में ही नहा कर बाहर आ गयी, क्यों की उनको बाल नहीं धोने थे। ऋतू दीदी के बाहर आते ही मैं जल्दी से वॉशरूम में अन्दर गया। वाशरूम में उनके बदन की सौंधी महक आ रही थी। कपडे रखने की जगह पर ऋतू दीदी का ब्रा और पैंटी पड़ी थी जो उन्होंने शायद कल रात पहनी थी।
मै तो वैसे ही ऋतू दीदी के नए रूप का दीवाना हो चुका था तो उनकी पैंटी और ब्रा उठा कर मैंने सूँघ ली और जैसे नशा सा चढ़ गया। मैंने अपना शॉर्ट्स नीचे किया और ऋतू दीदी की पैंटी को अपने लण्ड पर रगड़ कर अपनी थोड़ी इच्छा शांत की। इसके बाद मैं नहाने चला गया। बाहर आया तो ऋतू दीदी ने बोला की
“तुम अन्दर चले गए, मेरे कुछ कपडे अन्दर ही रह गए थे”।
मैंने अनजान बनने का नाटक किया जैसे मैंने उनके कपडे देखे ही नहीं था। हम तैयार हो ही रहे थे की जीजाजी और निरु ब्रेकफास्ट करके आ गए थे। निरु के चेहरे पर हंसी थी पर मुझे देखते ही वो उदासी में बदल गयी। ऋतू दीदी ऑलमोस्ट तैयार थे ब्रेकफास्ट पर जाने के लिए तो मैंने रूम की चाबी जेब में रख ली।
कल सुबह मेरे और निरु के ब्रेकफास्ट पर जाने के बाद जिस तरह जीजाजी वॉशरूम में ऋतू दीदी को चोद रहे थे, मुझे डर लगा की अभी मेरे और ऋतू दीदी के जाने के बाद वो अकेले में निरु को वॉशरूम में न चोद दे। ऋतू दीदी अब ब्रेक फ़ास्ट पर जाने को रेडी थी और निरु बैग से कपडे निकाल नहाने के लिए रेडी थी। मैंने ऋतू दीदी को कुछ बहाना बना कर आगे चलने को कहा की मैं थोड़ी देर में आता हूँ। नीरु अब वॉशरूम में नहाने चली गयी और मैं अपने मोबाइल पर कुछ चेक करने के बहाने बैठा रहा।
जीजाजी कमरे में इधर उधर टहल रहे थे। मुझे पता था जीजाजी कितने बेचैन हो रहे होंगे की मैं वहाँ से जाउ और वो वॉशरूम में घुस कर निरु के साथ कुछ गन्दी हरकत कर सके। उन्होंने मुझसे एक बार ब्रेकफास्ट के लिए जाने का भी याद दिलाया पर मैं भी २मिनट बोल कर बिजी होने की एक्टिंग करता रहा। कुछ मिनट के बाद निरु नहा कर बाहर आ गयी थी। नहाने के बाद मेरी निरु और भी खिल उठी थी, पर वो मुझसे नाराज थी।
जीजाजी अब वॉशरूम में चले गए। कहि निरु ने अपने ब्रा और पैंटी बाथरूम में तो नहीं छोड़ दिए, वार्ना जीजाजी भी मेरी तरह ब्रा पैंटी सूँघने के मजे लेंगे। मैंने निरु से पूछा उसके ब्रा पैंटी बाथरूम में तो नहीं छूट गए। उसने मुझे कोई जवाब नहीं दिया।
मुझे लगा अब निरु सेफ है। मैं रूम से बाहर निकल कर ब्रेकफास्ट के लिए गया। वह पंहुचा तो ऋतू दीदी अपना ब्रेकफास्ट ख़त्म कर चुकी थी। मेरे लिए अच्छा था की ऋतू दीदी रूम में जाएंगे तो जीजाजी की हिम्मत नहीं होगी निरु को हाथ लगाने की। ऋतू दीदी रूम की तरफ चले गए और मैं अब आराम से ब्रेकफास्ट करने लाग। आज तो मुझे खाने से रोकने के लिए निरु भी नहीं थी। पर सच पूछो तो मुझे बुरा भी लग रहा था, निरु की वो टोका टाकी मैं मिस कर रहा था।
मैने आराम से ब्रेकफास्ट फिनिश कर फिर रूम की तरफ बढ़। जेब में हाथ डाला तो रूम की चाबी मेरे पास ही रह गयी थी। मैं सीधा रूम का दरवाजा खोल अन्दर गया। वाशरूम से एक बार फ्री सिसकियों की आवाज आ रही थी। अन्दर कल की तरह फिर चुदाई चल रही थी। आज तो मुझे रोकने के लिए निरु भी वह नहीं थी। मैं रूम का दरवाजा बंद कर वॉशरूम की तरफ बढ़। अन्दर से लड़की की चुदाई से निकलती सिसकियों के साथ जीजाजी की क्लियर आवाज आ रही थी जिसे सुन मेरा माथा फट गया
“ओह्ह्ह निरु, ई विल फ़क यू। तुम्हारा क्या फिगर हैं निरु, ओह तुम्हारे बूब्स, मजा आ गया, ओह्ह्ह निरु तुम्हे चोदने का क्या मजा हैं, आअह्ह्ह आअह्ह्, ओह निरु डार्लिंग, तुम्हारी चूत क्या गरम हैं, ले लो मेरा लण्ड, निरु अपनी चूत चुदवा … ायी, ओह निरु…”
मेरा दिमाग उस वक़्त शून्य सा हो गया। जोर से चीखने की इच्छा हो रही थी पर आवाज नहीं निकल रही थी। अन्दर ही अन्दर मैं रो रहा था। ऊपर से निरु की आती वो सिसकिया बता रही थी की वो खुद कितना अपने जीजा से चुदाई को एन्जॉय कर रही थी।
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05-07-2021, 11:59 AM,
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
मैने इधर उधर देखा कोई चीज मिल जाए जिसे मैं उठा कर वॉशरूम के दरवाजे पर पटक कर दरवाजा तोड़ द, पर एक कुर्सी तक नहीं थी उस रूम मे। मैं वंही सर पकड़ कर जमीं पर बैठ गया और लगभग रो पड़ा था। मुझे यक़ीन नहीं हो रहा था की निरु ऐसा कर सकती है। क्या वो मुझसे इतना नाराज हो गयी की बदला लेने को अपने जीजाजी से ही चुदवा रही थी। जरुर इमोशनली वीक देख कर जीजाजी ने निरु का फायदा उठाया होगा।
मेरी ही गलती हैं जो मैंने निरु को नाराज किया। मगर ऋतू दीदी कहा हैं? वो तो ब्रेकफास्ट करके रूम की तरफ ही निकले थे। कहि उन्होंने भी तो यह सुन नहीं लिया और प्रेशर में आकर वो कही कुछ गलत कदम ना उठा ले। मैं रूम बंद कर अपनी आँखों में जमा आंसू पोंछ कर बाहर की तरफ भागा।
पैंट्री में पंहुचा वह ऋतू दीदी नहीं थे। फिर स्वीमिंग पूल और उसके पास बने लॉन में देख। वह भी ऋतू दीदी नहीं थे। लॉन के एन्ड में एक बेंच पड़ी थी जिस पर खुले बालों में एक लड़की बैठि थी। पीछे से सिर्फ उसका सर दिख रहा था। वो ऋतू दीदी लग नहीं रही थी पर ऋतू दीदी के इतने रंग देख लिए थे तो मैं चेक करने उसी तरफ बढ़। बेंच के आगे आकर चुपके से देख। मेरा कलेजा मुँह को आ गया, वहाँ पर घुटनों तक की ब्लू और वाइट ड्रेस में निरु बैठि थी।
हम दोनों की नजरे मिली और उसने दूसरी तरफ देखना शुरू कर दिया। मैं उस वक़्त बता नहीं सकता मुझे कितनी ख़ुशी मिली थी। इतनि ख़ुशी तो मुझे निरु के साथ अपनी सुहागरात मनाने पर भी नहीं मिली थी। फिर सोचा की अगर निरु यहाँ हैं तो जीजाजी किस लड़की को चोद रहे हैं और वो भी निरु का नाम लेकर। भले ही वो निरु ना हो पर जीजाजी के मन में तो निरु को चोदने की इच्छा हैं, यह बात साफ़ हो चुकी थी।
मै निरु के पास बैठ गया और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया। निरु ने अपना हाथ झटक लिया और मेरी तरफ गुस्से में देख चीखने ही वाली थी की रुक गयी।
नीरु: “क्या हुआ! तुम रो रहे हो?”
नीरु को वहाँ देख मेरी आँखें छलक आई थी। मैंने उसको एक स्माइल दी और उसका हाथ फिर से पकड़ लिया और इस बार उसने अपना हाथ पकडे रहने दिया।
प्रशांत: “निरु, मैं तुम्हे बता नहीं सकता की तुम्हे यहाँ देख कर मुझे कितनी ख़ुशी मिली हैं”
नीरु: “तुम मुझसे बात ही मत करो। कल रात तुमने क्या हरकत कि, पता हैं? ”
प्रशांत: "आ ऍम सोर्री, वो ऋतू दीदी को करता देख कर मुझे भी कंट्रोल नहीं हुआ”
नीरु: “तुम ऋतू दीदी को इस तरह देख रहे थे! तुम्हे शर्म नहीं आती। मैंने कल भी तुम्हे मन किया था, वो मेरी बहन हैं, उनके प्राइवेट मोमेंट्स देखते शर्म आनी चाहिए तुम्हे”
प्रशांत: “वो लोग हमारे सामने कर रहे थे, उनको शर्म नहीं आयी, और हमें शर्म करनी चाहिए!”
नीरु: “और अब मैं प्रेग्नेंट हो गयी तो?”
प्रशांत: “अरे नहीं होगी, मैंने अपना जूस बाहर निकाला था”
नीरु: “सच बोलो, थोड़ा सा भी जूस मेरे अन्दर नहीं डाला?”
प्रशांत: “सच मे, सिर्फ शुरू के २-४ बूंदें गयी थी, मेरी पिचकारी बाहर आकर ही छूटी थी”
नीरु: “मैंने तुम्हे पहले भी बताया हैं की बच्चा होने के लिए एक बून्द ही काफी हैं, सारा जूस अन्दर जाना जरुरी नहीं हैं”
प्रशांत: “तुम बिलकुल चिन्ता मात करॉ, मैं बोल रहा हूँ कुछ नहीं होगा”
नीरु: “तुम्हारे बोलने से नहीं होगा? थोड़े दिन में पता चलेगा तुमने कुछ किया या नहीं”
प्रशांत: “तुम्हे एक जरुरी बात बतानी हैं, तुम्हारे जीजा के बारे में”
नीरु: “जीजा क्या होता हैं! जीजाजी बोलो, वो हमसे बड़े हैं”
प्रशांत: “उनके काण्ड सुनोगी तो पता चलेगा की वो कितने छोटे हैं”
नीरु: “ऐसा क्या हो गया?”
प्रशांत: “वो वॉशरूम में किसी लड़की को चोद रहे हैं और…”
नीरु: “चुप करो, धीरे बोलो। वो ऋतू दीदी के साथ है। मैंने ही तो दीदी के लिए रूम का दरवाजा खोला था। उसके बाद ही मैं इधर आई हूँ, थोड़ा तन्हाई के लिए”
प्रशांत: “मगर मैंने अपने कानों से सुना हैं की जीजाजी तुम्हारा नाम लेकर चोद रहे थे…”
नीरु ने मेरी जाँघो पर एक तेज मुक्का मारा और मैं दर्द के मारे चुप हो गया। अभी वो बैठि हुयी थी तो आज का मुक्का और भी भारी था। उसकी हड्डिया मेरी जांघ पर चुभ कर मुझे दर्द दे गयी।
नीरु: “मजाक करो तो कुछ सोच समझ कर किया करो, जीजाजी के बारे में कुछ भी उल झुलुल बोल रहे हो। माना की उन्होंने वॉशरूम में दीदी के साथ सेक्स किया पर वो उनकी बीवी हैं, इच्छा हो गयी होगी। उनको बदनाम करने के लिए मुझे बीच में खींच कर कुछ भी बोलोगे!”
प्रशांत: “मेरा यक़ीन करो, मैं सच बोल रहा हूँ। तुम मेरे साथ रूम पर चलो और अपने कानों से सुनो”
नीरु: “ताकि दीदी और जीजाजी हमें वह देख शर्मिंदा हो?”
प्रशांत: “अरे मेरा यक़ीन करो, वो तुम्हारा नाम लेकर ही चोद…”
नीरु: “अब चुप हो जा, और इस बारे में बात भी मत करना, सुनने में ही इतनी गिन्न आ रही है। तुम पहले तो ऐसी बातें नहीं करते थे। अगर तुम मेरा मूड बनाने के लिए ऐसी बातें कर रहे हो तो सुन लो, मेरा मूड और ख़राब हो रहा हैं”
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05-07-2021, 11:59 AM,
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
प्रशांत: “मेरा यक़ीन करो, मैं सच बोल रहा हूँ। तुम मेरे साथ रूम पर चलो और अपने कानों से सुनो”
नीरु: “ताकि दीदी और जीजाजी हमें वह देख शर्मिंदा हो?”
प्रशांत: “अरे मेरा यक़ीन करो, वो तुम्हारा नाम लेकर ही चोद…”
नीरु: “अब चुप हो जा, और इस बारे में बात भी मत करना, सुनने में ही इतनी गिन्न आ रही है। तुम पहले तो ऐसी बातें नहीं करते थे। अगर तुम मेरा मूड बनाने के लिए ऐसी बातें कर रहे हो तो सुन लो, मेरा मूड और ख़राब हो रहा हैं”
नीरु मेरी बात का विश्वास करने को तैयार नहीं थी। काश उस वक़्त मैं ऑडियो रिकॉर्ड ही कर लेता। मगर उस वक़्त तो मेरा दिमाग ही सुन्न हो गया था। मुझे एक चीज की ख़ुशी थी की निरु अभी तक जीजाजी के जाल में नहीं फंसी थी। दूसरी तरफ मुझे जीजाजी का करैक्टर पता चल गया था की निरु के लिए उनकी नीयत कैसी है। सबसे बड़ा धक्का ऋतू दीदी के लिए लाग। जीजाजी जब निरु का नाम लेकर ऋतू दीदी को चोद रहे थे तो ऋतू दीदी ने उनको नहीं टक, उलटा वो खुद सिसकिया मार मजे ले रही थी।
नीरु ने मुझे १५ मिनट तक रोके रखा ताकी जीजाजी और ऋतू दीदी अपनी चुदाई को ख़त्म कर ले। उसके बाद मैं ही निरु को जबरदस्ती रूम की तरफ लाया। मेरे पास रूम की चाबी तो थी ही पर फिर निरु ने बोल दिया की हम नॉक करके ही अन्दर जाएंगे ताकी जीजाजी और दीदी को सँभालने का मौका मिल जाए, पता नहीं वो कैसी स्तिथि में होंगे। दरवाज ऋतू दीदी ने खोला था। मतलब वॉशरूम में जिस लड़की की चुदाई हो रही थी वो ऋतू दीदी ही थी। वो अपने पति का इलाज क्यों नहीं कर देती जो उनकी छोटी बहन पर ऐसी नजर रखता हैं। जीजजी की शकल देख मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था।
मैंने सोच लिया अब मैं उस जीजा को अपनी निरु के आस पास नहीं आने दूंगा। आज वैसे भी बीच पर नहीं जाना था, सिर्फ साइट सन करना था। आज और अगले दिन हम लोग दूसरे एरिया में घुमने वाले थे जो की यहाँ से २-३ घन्टे दुरी पर था। इसलिए जीजाजी ने उसी एरिया में एक दिन के लिए होटल बुक किया था और अभी हमें अपने इस होटल से चेकआउट करना था। हम लोग ने होटल से चेकआउट किया और दूसरी जगह पहुच कर नए होटल में चेक-इन किया।
वहाँ पर उन्होंने दो रूम बुक किये थे। यह सुन निरु बहुत खुश हुयी और मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया की आज रात वो अपना वादा निभा कर मुझे चोदने देगी। मै चुदाई से ज्यादा इस बात से खुश था की जीजाजी हमारे कमरे में नहीं होंगे। सामान रूम में रखते ही हम लोग कार में बैठ घुमने निकल गए। नीरु उस नी लेंथ ड्रेस में, हैट और गॉगल्स के साथ बहुत प्यारी लग रही थी, मैंने पुरे दिन उसका हाथ पकडे रखा और जीजाजी को उसके पास आने नहीं दिया।
जब भी जीजाजी निरु के पास आते मैं बीच में पहुच जाता। निरु को शायद थोड़ा अजीब भी लग रहा था मेरी हरकत देख कर पर वो खुश थी की हम घूमने आये थे और सुबह उसके उदास चेहरे के बाद अभी उसका खिलखिलाता चेहरा देख मुझे भी अच्छा लग रहा था। रात को डिनर के बाद हम होटल पहुचे। जीजाजी ने बोला की अभी सोने के लिए देर हैं तो हम लोग रूम में एक साथ थोड़ी देर टाइम पास करते है। मुझे पता था, जीजाजी निरु के साथ थोड़ा सा एक्स्ट्रा समय बिताने का कोई मौका नहीं छोडेंगे।
हम चारो जीजाजी -दीदी के रूम में गए। जैसे ही निरु बेड पर बैठि तो मैं उसके पास ही बैठ गया और ऋतू दीदी को निरु के दूसरी तरफ बैठा दिया, ताकी जीजाजी निरु से दूर रह। थोड़ी देर बातें करने के बाद जीजाजी ने अपना अगला तीर फ़ेंका।
जीजजी: “अरे निरु, मैं तुम्हे बताना ही भूल गया, यहाँ होटल में एक पेंटिंग गैलेरी भी हैं, तुम देखने चलोगी?”
नीरु: “हॉ, अभी चलो”
अब मैं आपको बता दु की निरु को शुरू से ही पेंटिंग का बहुत शौक है। शहर में जब भी कोई एक्जीबिशन लगता हैं तो वो मुझे जबरदस्ती पकड़ कर जरूर ले जाती हैं। मै उन पेंटिंग्स को देखकर बोर होता हूँ पर वो वह बहुत सारा टाइम लगा देती थी और मुझे पेंटिंग की बारीकियां समझती रहती थी। नीरु पेंटिंग गैलेरी देखने जाने के लिए खड़ी हो गयी। मुझे लग गया की यह जीजाजी की चाल हैं ताकी निरु को मुझसे दूर कर सके। मैं भी तुरन्त उठ खड़ा हुआ की निरु को जीजाजी के साथ अकेले नहीं जाने दूंगा।
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05-07-2021, 12:00 PM,
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
प्रशांत: “मैं भी चलूँगा”
नीरु: “प्रशांत, तुम और पेंटिंग गैलेरी! तुम्हे कब से शौक लग गया? जब लेकर जाती हूँ तो तुम हर पेंटिंग में बेतुकी कमिया निकल कर बुराई करते हो। तुम यही रहो, मैं जीजाजी के साथ ही जाउँगी ताकी कोई तो पेंटिंग का जानकार हो साथ में”
नीरु मेरी बात समझ ही नहीं रही थी। सुबह वॉशरूम में जीजाजी ने जो हरकत की थी उसके बाद मैं निरु को जीजा के साथ नहीं भेज सकता था। निरु ने मुझको फिर बिस्तर पर बैठा दिया। जीजजी ने निरु का हाथ पकड़ लिया और जाने लगे। मेरा खून खोल गया और मैं फिर उठने लगा पर तभी ऋतू दीदी ने मेरी कलाई पकड़ कर मुझे बैठे रहने को कहा। मै और ऋतू दीदी आज तक एक दूसरे की हर बात मानते हैं तो मैं बैठा रहा और जीजाजी निरु का हाथ पकडे दरवाजे के बाहर चले गये।
मैने सोचा की वैसे भी वो पेंटिंग गैलेरी में जा रहे थे तो वह पब्लिक प्लेस में जीजाजी मेरी निरु का क्या कर लेंगे। इतना तो निरु संभाल ही लेगी।
ऋतू दीदी: “प्रशांत, मैं तुम्हे खा थोड़े ही जाउंगी जो मुझसे दूर भाग रहे हो!”
प्रशांत: “नहीं दीद, वो बात नहीं हैं”
ऋतू दीदी: “तो फिर क्या बात हैं? मैं निरु जितनी सुंदर नहीं हूँ, फिगर भी उसके जैसा अच्छा नहीं हैं…”
प्रशांत: “नहीं, वो बात नहीं हैं, आप बहुत अच्छी दिखती हो। आपको किसी ने गलत बोल दिया हैं, आपका फिगर तो बहुत अच्छा हैं”
ऋतू दीदी: “निरु से भी अच्छा फिगर हैं?”
अब मैं हिचकिचाने लगा की ऋतू दीदी को अचानक क्या हो गया। उन्होंने इस तरह की बातें तो मेरे साथ कभी नहीं की थी।
ऋतू दीदी: “मैं तुम्हे अच्छी लगती हूँ न?”
प्रशांत: “आप क्या बोल रही हैं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हैं!”
ऋतू दीदी ने अपने दिल पर हाथ रख दिया और बोलना जारी रख।
ऋतू दीदी: “तुम ट्रैन में मेरे यहाँ छाती को देख रहे थे न?”
मै अब बुरी तरह झेप गया था। निरु ने मुझे बताया था की अगर कोई लड़कियों को बुरी नजर से देखते या घूरता हैं तो लड़कियों को पता चल जाता है। यह बात सच साबित हुयी थी।
ऋतू दीदी: “क्या देखना हैं तुम्हे, बताओ?”
प्रशांत: “नहीं दीदी कुछ नहीं। आपको कोई ग़लतफ़हमी हुयी होगी”
ऋतू दीदी: “वह बीच पर तुम जान बूझकर मेरी छाती पर पानी डाल गीला कर रहे थे और फिर मेरी छाती को दबा भी दिया था”
प्रशांत: “पानी तो जीजाजी भी डाल रहे थे। और वो हाथ तो एक्सीडेंटली लग गया था आपको संभालते वक़्त”
ऋतू दीदी: “दो बार सेम एक्सीडेंट हो गया था?”
प्रशांत: “हां सच मे, आपको फिर भी बुरा लगा हो तो सोर्री, मैं चलता हूँ”
ऋतू दीदी: “रुको, कुछ दिखती हूँ”
दीदी अपने बैग से कुछ निकाल लाए। मैंने देखा यह उनकी वोहि ब्रा और पैंटी थे जो सुबह वो वॉशरूम में भूल गए थे और मैंने सूँघा था और फिर उनकी पैंटी अपने लण्ड पर भी रगडी थी। उन्होंने वो पैंटी मुझे दिखायी।
ऋतू दीदी: “पहचाना?”
प्रशांत: “निरु की नहीं हैं यह”
ऋतू दीदी: “फिर भी तुमने इसको अपने कहा लगाया? यह देखो इस पर कैसे छोटे बाल लगे हैं”
मैने उनकी पैंटी को अपने लण्ड पर रगड़ा था और उसमे मेरे लण्ड के घुंगराले छोटे बाल लग गए थे।
प्रशांत: “मैंने कुछ नहीं किया, यह मेरे नहीं हैं, यह आपके…”
मैं तो यह भी कहना चाहता था की पैंटी पर लगे यह बाल दीदी की चूत के भी हो सकते हैं पर यह बात कैसे कहता!
ऋतू दीदी: “मेरे बाद तुम ही तो वॉशरूम में गए थे, और यह मेरे बाल नहीं हो सकते”
यह कह कर ऋतू दीदी ने एक झटके में अपनी केप्री और पैंटी नीचे खिसका दि। उनकी चूत मेरे सामने थी जो एक दम चिकनी साफ़ थी। यहाँ तक की निरु की चूत पर भी अधिकतर छोटे छोटे बाल होते ही हैं पर दीदी ने चिकनी चूत मेन्टेन की थी। एक तरफ मेरी बदमाशी पकड़ी गयी थी और मैं बुरी तरह फंस चुका था और दूसरी तरफ दीदी ने अपनी चूत दिखा कर मुझे हैरान कर दिया था।
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05-07-2021, 12:00 PM,
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
यह कह कर ऋतू दीदी ने एक झटके में अपनी केप्री और पैंटी नीचे खिसका दि। उनकी चूत मेरे सामने थी जो एक दम चिकनी साफ़ थी। यहाँ तक की निरु की चूत पर भी अधिकतर छोटे छोटे बाल होते ही हैं पर दीदी ने चिकनी चूत मेन्टेन की थी। एक तरफ मेरी बदमाशी पकड़ी गयी थी और मैं बुरी तरह फंस चुका था और दूसरी तरफ दीदी ने अपनी चूत दिखा कर मुझे हैरान कर दिया था।
हमेशा शांत, समझदार, शर्मो हया का ध्यान रखने वाली दीदी ने अपने कपडे कितनी आसानी से खोल कर अपने शरीर का सबसे संवेदनशील अंग दिखा दिया था। मुझे लगा वो अपने कपडे फिर पहन लेगी पर उन्होंने अपनी केप्री और पैंटी पूरी उतार नीचे से नंगी हो गयी। मेरी हालत ऐसी थी की काटो तो खून नहीं। मैं दीदी का कैसा अवतार देख रहा था।
फिर दीदी ने अपना टॉप निकाला और सिर्फ ब्रा में खड़ी थी। उनके ब्रा से उनके मम्मो का उभार बाहर निकल रहा था। इसका कुछ नजारा मैं ट्रैन में देख ही चुका था पर अब पूरा अच्छे से दिख रहा था। उन्होंने अब अपने ब्रा का हुक खोलने हाथ पीठ पर किये। मैं भी उस नज़ारे को देखने को आतुर था। कल बीच पर गीले टॉप में उनके मम्मो का साइज तो मैं नाप ही चुका था पर अब मुझे बिना कपड़ो के उनके मम्मो के असली दर्शन होने वाले थे।
ऋतू दीदी अब मेरे सामने पूरे नंगे खड़े थे और मैं उनके मम्मो पहली बार नंगे देख खुश हुआ। ट्रेन में उनके क्लीवेज देख जो तड़प जागी थी वो आखिर शांत हुयी। अभी मैं ना बोल पा रहा था, न हील पा रहा था और न वहाँ से जा पा रहा था। कुछ समझ नहीं आया की क्या करू ? सामने एक खूबसूरत औरत नंगी खड़ी हो मुझे इन्वाइट कर रही थी। ऋतू दीदी के मम्मो के निप्पल एक काले अंगूर की तरह मुझे चुसने को बुला रहे थे। मैंने तो आज तक निरु के निप्पल ही चखे थे जो एक किसमिस की तरह थे, यह अंगूर कैसे टेस्ट करेंगे ये जानना था।
ऋतू दीदी: “अब अच्छे से देख लो। छु कर भी देख लो, कल शायद टॉप के ऊपर से छूने का मजा नहीं आया होगा तुम्हे”
मै अब बुरी तरह शर्मा गया। ऋतू दीदी ने कपडे तो खुद के उतारे थे पर इज्जत मेरी उतार रही थी की मैंने अपनी ही बीवी की बड़ी बहन के कपड़ो में जानने की कोशिश की थी और छुआ था।
मैने डरते हुए सिर्फ “सॉरी” बोला और वहाँ से जाने लगा। ऋतू दीदी आगे आकर मेरे और रूम के दरवाजे के बीच खड़ी हो गयी।
ऋतू दीदी: “क्या हुआ, देख कर मजा नहीं आया? कल रात को तो मुझे नीरज के साथ चोदता देख इतने मजे ले रहे थे की निरु को भी जबरदस्ती चोद दिया था”
यह सुन मुझे और भी झटका लगा। ऋतू दीदी को सब कुछ पता था। फिर तो उनको यह भी पता होगा की उनके पति अपनी साली के साथ क्या कर रहे है। उन्होंने अपने पति से चुदते वक़्त उनको निरु का नाम लेने से क्यों नहीं रोका ? अगर मैं गलत हूँ तो उनके पति और वो खुद भी तो गलत ही है। सवाल कई थे मगर पुछ नहीं पा रहा था क्यों की मैं ऋतू दीदी को इस तरह देख अवाक रह गया था। ऋतू दीदी ने आगे बढ़ाकर मेरा टीशर्ट जबरदस्ती निकाल दिया और अपनी उंगलिया मेरे सीने पर फिराते हुए मेरे फिगर की तारीफ़ करने लगी।
फिर वो मुझे धकेलते हुए बिस्तर तक ले आई और बिस्तर पर गिरा दिया। मुझे कही न कही अच्छा लग रहा था पर ऋतू दीदी से यह उम्मीद नहीं थी। उन्होंने अब मेरे शॉर्ट्स के बटन और चेन खोल कर मुझे नीचे से नँगा कर दिया। इतना सब कुछ देखने के बाद मेरा लण्ड तो वैसे ही कड़क होकर सर उठाये खड़ा था। ऋतू दीदी की नाजुक उंगलियो ने मेरे लण्ड को अपने में लपेट लिया। फिर वो मेरे लण्ड को रगडने लगी। मै मुँह खोल कर तेज साँसें ले रहा था। ऋतू दीदी की उंगलियो में वैसा ही जादू था जैसा निरु की उंगलियो में था।
मैंने आँखें बंद कर ली और अगले ही पल मेरे लण्ड को मुँह की गर्मी लगी। मैने आँखें खोली तो ऋतू दीदी मेरा लण्ड अपने मुँह में ले चुस रही थी। मैंने सोचा नहीं था की २ दिन के अन्दर हम दोनों के रिश्ते इतने बदल कर यहाँ तक पहुच जाएंगे। ऋतू दीदी अब मेरे लण्ड पर बैठ गयी थी और उनकी चूत की नर्माहट मेरे कड़क लण्ड को ठंडक दे रही थी। ऋतू दीदी अब मेरे ऊपर झुक गए और उनके मम्मे मेरे ऊपर लटक गए। नीरु और ऋतू दीदि, दोनों के मम्मे बड़े है।
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