XXX Kahani नंबर वन माल
06-30-2017, 11:24 AM,
#1
XXX Kahani नंबर वन माल
नंबर वन माल 

मैरा नाम शाकिर अली है. मेरी उमर 22 साल है और में लाहोर में रहता हूँ. जो वाक़िया आज आप को सुनाने जा रहा हूँ बिल्कुल सच्चा है और आज से 6 साल पहले पेश आया था. मेरे घर में माँ बाप के अलावा एक बहन और एक भाई हैं. मै सब से बड़ा हूँ. ये 2006 की बात है जब में दसवीं जमात में पढ़ता था. मै उन दिनों अपनी खाला जिन का नाम अम्बरीन है को बहुत पसंद करता था. खाला अम्बरीन मेरी अम्मी से दो साल छोटी थीं और उनकी उमर उस वक़्त क़रीबन 36 बरस थी. वो शादी शुदा थीं और उनके दो बेटे थे. उनका बड़ा बेटा राशिद तक़रीबन मेरा हम- उम्र ही था और हम दोनो अच्छे दोस्त थे. खाला अम्बरीन के शौहर नॉवज़ हूसेन की लाहोर की एक माशूर मार्केट में जूतों की दुकान थी.

खाला अम्बरीन बड़ी खूबसूरत और दिलकश औरत थीं . तीखे नैन नक़्श और दूध की तरह सफ़ेद रंग. उनके लंबे और घने बाल हल्के ब्राउन रंग के और आँखें भी हल्की ब्राउन थीं . उनका क़द दरमियाना था और बदन बड़ा गुन्दाज़ और सेहतमंद था. कंधे चौड़े और फारबा थे. मम्मे बहुत मोटे और गोल थे जिन का साइज़ 40/42 इंच से तो किसी तरह भी कम नही होगा और गांड़ गोल, चौड़ी, मोटी और गोश्त से भरपूर थी. गर्मियों के मौसम में जब खाला अम्बरीन पतले कपड़े पहनतीं तो उनका गोरा, सेहतमंद और गदराया हुआ बदन कपड़ों से झाँकता रहता था.

में गर्मियों में उनके घर बहुत ज़ियादा जाया करता था ताके उनके मोटे मम्मों और भारी भरकम चूतड़ों का नज़ारा कर सकूँ. खाला होने के नाते वो मेरे सामने दुपट्टा ओढ़ने का तकलूफ नही करती थीं इस लिये मुझे उनके मम्मे और गांड़ देखने का खूब मोक़ा मिलता था. कभी कभी उन्हे ब्रा के बगैर भी देखने का इतिफ़ाक़ हो जाता था. पतली क़मीज़ में उनके भारी मम्मे बड़ी क़यामत ढाते थे. काम काज करते वक़्त उनके मोटे ताज़े मम्मे अपनी तमाम तर गोलाइयों समैट मुझे साफ़ नज़र आते थे. उनके मम्मों के निप्पल भी मोटे और बड़े थे और अगर उन्होने ब्रा ना पहना होता तो क़मीज़ के ऊपर से बाहर निकले हुए साफ़ दिखाई देते थे. ऐसे मोक़ों पर में आगे से और साइड से उनके मोम्मों का अच्छी तरह जाइज़ा लेटा रहता था. साइड से खाला अम्बरीन के मम्मों के निप्पल और भी लंबे नज़र आते थे. यों समझिये के मैंने तक़रीबन उनके मम्मे नंगे देख ही लिये थे. मम्मों की मुनासबत से उनके चूतड़ भी बहुत मोटे और चौड़े थे. अक्सर जब वो नीचे झुक कर कुछ उठातीं तो उनकी क़मीज़ उनके चूतरों के बीच वाली दर्ज़ में फँस जाती और जब चलतीं तो दोनो गोल और जानदार चूतड़ अलहदा अलहदा हिलते नज़र आते. उस वक़्त मेरे जैसे कम-उमर और सेक्स से ना-वाक़िफ़ लड़के के लिये इस क़िसम की सेहतमंद और शानदार गांड़ का नज़ारा पागल कर देने वाला होता था.

खाला अम्बरीन के बदन को इतने क़रीब से देखने के बाद मेरे दिल में उनके बदन को हाथ लगाने का खन्नास समा गया. मेरी उमर भी ऐसी थी के सेक्स ने मुझे पागल किया हुआ था. रफ़्ता रफ़्ता खाला अम्बरीन के बदन को छूने का शोक़् उनकी चूत मारने की खाहिश में बदल गया. जब उन्हे हाथ लगाने में मुझे कोई ख़ास कामयाबी ना मिल सकी तो मेरा पागल-पन और बढ़ गया और में सुबह शाम उन्हे चोदने के सपने देखने लगा. इस सिलसिले में कुछ करने की मुझ में हिम्मत नही थी और में महज़ खाबों में ही उनकी चूत के अंदर घस्से मार मार कर उस का कचूमर निकाला करता था. फिर एक ऐसा वाक़िया पेश आया जिस के बारे में मैंने कभी सोचा भी नही था.

मेरी बड़ी खाला के बेटे इमरान की शादी पिंडी में हमारे रिश्त्यदारों में होना तय हुई. बारात ने लाहोर से पिंडी जाना था. खालू ने जो फौज से रिटाइर हुए थे पिंडी के आर्मी मेस में खानदान के ख़ास ख़ास लोगों को ठहराने का बंदोबस्त किया था. बाक़ी लोगों ने होटेलों में क़याम करना था. हम ने 2 बस और 2 वैन किराए पर ली थीं . बस को शादी की मुनासबत से बहुत अच्छी तरह सजाया गया था. बस के अंदर लड़कियों का सारे रास्ते शादी के गीत गाने का प्रोग्राम था जिस की वजह से खानदान के सभी बचे और नोजवान बसों में ही बैठे थे. मैंने देख लिया था के खाला अम्बरीन एक वैन में बैठ रही थीं . मेरे लिये ये अच्छा मोक़ा था.

में भी अम्मी को बता कर उसी वैन में सवार हो गया ताके खाला अम्बरीन के क़रीब रह सकूँ. उनके शौहर माल खरीदने दुबई गए हुए थे लहाज़ा वो अकेली ही थीं . उनके दोनो बेटे उनके माना करने के बावजूद अपनी माँ को छोड़ कर हल्ला गुल्ला करने बस में ही बैठे थे. वैन भारी हुई थी और खाला अम्बरीन सब से पिछली सीट पर खिड़की के साथ बैठी थीं . जब में हिस्से में दाखिल हुआ तो मेरी कोशिश थी के किसी तरह खाला अम्बरीन के साथ बैठ सकूँ. वैन के अंदर आ कर मैंने उनकी तरफ देखा. मै उन से काफ़ी क़रीब था और मेरा उनके घर भी बहुत आना जाना था इस लिये उन्होने मुझे देख कर अपने साथ बैठने का इशारा किया. मै फॉरन ही जगह बनाता हुआ उनके साथ चिपक कर बैठ गया. 

खाला अम्बरीन के बदन को इतने क़रीब से देखने के बाद मेरे दिल में उनके बदन को हाथ लगाने का खन्नास समा गया. मेरी उमर भी ऐसी थी के सेक्स ने मुझे पागल किया हुआ था. रफ़्ता रफ़्ता खाला अम्बरीन के बदन को छूने का शोक़् उनकी चूत मारने की खाहिश में बदल गया. जब उन्हे हाथ लगाने में मुझे कोई ख़ास कामयाबी ना मिल सकी तो मेरा पागल-पन और बढ़ गया और में सुबह शाम उन्हे चोदने के सपने देखने लगा. इस सिलसिले में कुछ करने की मुझ में हिम्मत नही थी और में महज़ खाबों में ही उनकी चूत के अंदर घस्से मार मार कर उस का कचूमर निकाला करता था. फिर एक ऐसा वाक़िया पेश आया जिस के बारे में मैंने कभी सोचा भी नही था.

मेरी बड़ी खाला के बेटे इमरान की शादी पिंडी में हमारे रिश्त्यदारों में होना तय हुई. बारात ने लाहोर से पिंडी जाना था. खालू ने जो फौज से रिटाइर हुए थे पिंडी के आर्मी मेस में खानदान के ख़ास ख़ास लोगों को ठहराने का बंदोबस्त किया था. बाक़ी लोगों ने होटेलों में क़याम करना था. हम ने 2 बस और 2 वैन किराए पर ली थीं . बस को शादी की मुनासबत से बहुत अच्छी तरह सजाया गया था. बस के अंदर लड़कियों का सारे रास्ते शादी के गीत गाने का प्रोग्राम था जिस की वजह से खानदान के सभी बचे और नोजवान बसों में ही बैठे थे. मैंने देख लिया था के खाला अम्बरीन एक वैन में बैठ रही थीं . मेरे लिये ये अच्छा मोक़ा था.

में भी अम्मी को बता कर उसी वैन में सवार हो गया ताके खाला अम्बरीन के क़रीब रह सकूँ. उनके शौहर माल खरीदने दुबई गए हुए थे लहाज़ा वो अकेली ही थीं . उनके दोनो बेटे उनके माना करने के बावजूद अपनी माँ को छोड़ कर हल्ला गुल्ला करने बस में ही बैठे थे. वैन भारी हुई थी और खाला अम्बरीन सब से पिछली सीट पर खिड़की के साथ बैठी थीं . जब में हिस्से में दाखिल हुआ तो मेरी कोशिश थी के किसी तरह खाला अम्बरीन के साथ बैठ सकूँ. वैन के अंदर आ कर मैंने उनकी तरफ देखा. मै उन से काफ़ी क़रीब था और मेरा उनके घर भी बहुत आना जाना था इस लिये उन्होने मुझे देख कर अपने साथ बैठने का इशारा किया. मै फॉरन ही जगह बनाता हुआ उनके साथ चिपक कर बैठ गया. 

खाला अम्बरीन शादी के लिये खूब बन संवर कर घर से निकली थीं . उन्होने सब्ज़ रंग के रेशमी कपड़े पहन रखे थे जिन में उनका गोरा गदराया हुआ बदन दावत-ए-नज़ारा दे रहा था. बैठे हुए भी उनके मोटे मम्मों के उभार अपनी पूरी आब-ओ-ताब के साथ नज़र आ रहे थे. कुछ देर में हम लाहोर शहर से निकल कर मोटरवे पर चढ़े और अपनी मंज़िल की तरफ रवाना हो गए. मै खाला अम्बरीन के साथ खूब चिपक कर बैठा था. मेरी रान उनकी रान के साथ लगी हुई थी जब के मेरा बाज़ू उनके बाज़ू से चिपका हुआ था. उन्होने आधी आस्तीनो वाली क़मीज़ पहन रखी थी और उनके गोरे सिडोल बाज़ू नंगे नज़र आ रहे थे. खाला अम्बरीन के नरम गरम बदन को महसूस करते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने फॉरन अपने हाथ आगे रख कर अपने तने हुए लंड को छुपा लिया.

खाला अम्बरीन ने कहा के में राशिद को समझाऊं के मेट्रिक के इम्तिहान की तय्यारी दिल लगा कर करे क्योंके दिन थोड़े रह गए हैं. मैंने उनकी तवजो हासिल करने लिये उन्हे बताया के राशिद एक लड़की के इश्क़ में मुब्तला है और इसी वजह से पढने में दिलचस्पी नही लेटा. वो बहुत सीख-पा हुईं और कहा के में उस की हरकतें उनके ईलम में लाऊँ. इस तरह में ना सिरफ़ उनका राज़दार बन गया बल्के उनके साथ मर्द और औरत के ता’अलुक़ात पर भी बात करने लगा. वो बहुत दिलचस्पी से मेरी बातें सुनती रहीं. उन्होने मुँह बना कर कहा के आज कल की लड़कियों को वक़्त से पहले शलवार उतारने का शोक़् होता है. ये ऐसी कुतिया हैं जिन को गर्मी चढ़ी हो. ये बातें मुझे गरम कर रही थीं . मैंने बातों बातों में बिल्कुल क़ुदरती अंदाज़ में उनकी मोटी रान के ऊपर हाथ रख दिया. उन्होने क़िस्सी क़िसम का कोई रद्द-ए-अमल ज़ाहिर नही किया और में उनके बदन का मज़ा लेटा रहा.

बिल-आख़िर साढ़े चार घंटे बाद हम पिंडी पुहँच गए. मै खाला अम्बरीन के साथ ही रहा. अम्मी, नानी जान और और कुछ और लोग मेस में चले गए. खाला अम्बरीन के दोनो बेटे भी मेस में ही रहना चाहते थे. मैंने खाला अम्बरीन से कहा के कियों ना हम होटेल में रहें. कमरे में और लोग भी नही हूँ गे, बाथरूम इस्तेमाल करने का मसला भी नही हो गा और अगले दिन बारात के लिये तय्यारी भी आसानी से हो जायेगी. खाला अम्बरीन को ये बात पसंद आई. उन्होने अपने बेटों को कुछ हिदायात दीं और मेरे साथ मुर्री रोड पर वाक़िया एक होटल में आ गईं जहाँ खानदान के कुछ और लोग भी ठहर रहे थे. मैंने अम्मी को बता दिया था के खाला अम्बरीन अकेली हैं में उनके साथ ही ठहर जाऊं गा. उन्होने बा-खुशी इजाज़त दे दी. 

होटल दरमियाना सा था. कमरे छोटे मगर साफ़ सुथरे थे. उस में 2 बेड थे. खाला अम्बरीन काफ़ी तक चुकी थीं . उनके बदन में दर्द भी हो रहा था. फिर हम ने कपडे तब्दील किये. खाला अम्बरीन ने घर वाला पतली सी लॉन का जोड़ा पहन लिया जिस में से हमेशा की तरह उनका गोरा बदन नज़र आ रहा था. कपड़े बदलने के बावजूद उन्होने अपना ब्रा नही उतारा था. मुझे थोड़ी मायूसी हुई क्योंके बगैर ब्रा के में उनके मम्मों को ज़ियादा बेहतर तरीक़े से देख सकता था. खैर खाला अम्बरीन को अपने साथ एक कमरे में बिल्कुल तन्हा पा कर मेरे दिल में उन्हे चोदने की खाहिश ने फिर सर उठाया. लेकिन में ये कैसे करता? वो भला मुझे कहाँ अपनी चूत लेने देतीं. मै दिमाग लड़ाने लगा.

मैंने कुछ अरसे पहले एक फिल्म देखी थी जिस में एक आदमी एक औरत को शराब पीला कर चोद देता है. शराब की वजह से वो औरत नशे में होती है और उस आदमी से चुदवा लेतीं है. मगर में वहाँ शराब कहाँ से लता. फिर मैंने सोचा शायद होटेल का कोई मुलाज़िम मेरी मदद कर सके. मुझे दर भी लग रहा था लेकिन इस मोक़े से फायदा भी उठाना चाहता था.

बहरहाल में किसी बहाने से बाहर निकला तो 40/45 साल का एक काला सा आदमी जो होटेल का मुलाज़िम ही था मिल गया. वो बहुत छोटे क़द का और बदसूरत था. छोटी छोटी आँखें और अजीब सा फैला हुआ चौड़ा नाक. थोड़ी पर दाढ़ी के चन्द बाल थे और मूंछें भी बहुत छिडड़ी और हल्की थीं . वो हर तरह से एक गलीज़ शख्स लगता था.
में उस के साथ सीढियां उतर कर नीचे आया और उससे बताया के मुझे शराब की बोतल कहाँ मिल सके गी. उस ने पहले तो मुझे गौर से देखा और फिर कहने लगा के कौन सी शराब चाहिये. मुझे किसी ख़ास शराब का नाम नही आता था इस लिये मैंने कहा के कोई भी चल जाए गी. हम लोग शादी पर आए हैं ज़रा मोज मस्ती करना चाहते हैं. उससने शायद मुझे और खाला अम्बरीन को कमरे में जाते देखा था. कहने लगा के तुम तो अपनी माँ के साथ हो कमरे में शराब कैसे पियो गे. मै ये सुन कर घबरा गया मगर खुद को संभालते हुए उससे बताया के में अपनी खाला के साथ हूँ और उनके सो जाने के बाद पीना चाहता हूँ. उस ने मुझ से 1600 रुपय लिये और कहा के आधे घंटे तक शराब ले आए गा में उस का इंतिज़ार करूँ. उस ने अपना नाम नज़ीर बताया.

में कमरे में वापस आ गया. मेरा दिल धक धक कर रहा था. मै दर रहा था के नज़ीर कहीं पैसे ले कर भाग ही ना जाए मगर वो आध घंटे से पहले ही शराब की बोतल ले आया. बोतल के ऊपर वोड्का लिखा हुआ था और उस में पानी जैसी रंग की शराब थी. मुझे ईलम नही के वो वाक़ई वोड्का थी या किसी देसी शराब को वोड्का की बोतल में डाला गया था. खैर मैंने बोतल ले कर फॉरन अपने नैयफ़े में छुपा ली. उस ने कहा के बाथरूम के तौलिये चेक करने हैं. मै उससे ले कर कमरे के अंदर आ गया. उस ने बाथरूम जाते हुए खाला अम्बरीन को अजीब सी नज़रों से देखा. मै समझ नही पाया के उस की आखों में किया था. वो कुछ देर बाद चला गया. 

मैंने अपने और खाला अम्बरीन के लिये 7-UP की बोतलें मँगवाईं जो नज़ीर ही ले कर आया. इस दफ़ा भी उस ने मुझे और खाला अम्बरीन को बड़े गौर से देखा. उस के जाने के बाद में उठ कर कोने में पड़ी हुई मेज़ तक आया और खाला अम्बरीन की तरफ पीठ कर के उनकी बोतल में से तीन चोथाई सेवेन उप ग्लास में डाली और उस की जगह वोड्का डाल दी. मैंने वो बोतल उनको दे दी. उन्होने बोतल से चन्द घूँट लिये और बुरा सा मुँह बना कर कहा के ये तो बड़ी कड़वी है बिल्कुल दवाई की तरह. ये पीने वाली नही. मेरा दिल बैठ गया के कहीं वो पीने से इनकार ही ना कर दें. मैंने कहा के उन्हे बोतल पी लानी चाहिये क्योंके इस से उनका दिल अच्छा हो जाए गा. वो इनकार करती रहीं मगर मेरे इसरार पर आख़िर पी ली.

रात के कोई साढ़े बरा बजे का वक़्त होगा. खाला अम्बरीन की हालत बदलने लगी थी. उनका चेहरा थोड़ा सा लाल हो गया था और आँखें भारी होने लगी थीं . वो मेरी बातों को ठीक से समझ नही पा रही थीं और बगैर सोचे समझे बोलने लगती थीं . उनकी आवाज़ में हल्की सी लरज़िश भी आ गई थी. वो वाज़ेह तौर पर अपने ऊपर कंट्रोल खोती जा रही थीं . कभी वो खामोश हो जातीं और कभी अचानक बिला वजह बोलने लगतीं. नशा उन पर असर कर रहा था. उन्होने ज़िंदगी में पहली दफ़ा शराब पी थी इस लिये उस का असर भी ज़ियादा हुआ था. उन्होने कहा के अब वो सोना चाहती हैं. वो एक कुर्सी पर बैठी हुई थीं . जब उठने लगीं तो लररखड़ा गईं. मैंने फॉरन आगे बढ़ कर उन्हे बाज़ून से पकड़ लिया. उनके गोरे, मोटे और नरम बाज़ू पहली दफ़ा मेरे हाथों में आये थे.

में उस वक़्त बहुत घबराया हुआ था मगर फिर भी उनके बदन के लांस से मेरा लंड खड़ा हो गया. मै उन्हे ले कर बेड की तरफ चल पारा. मैंने उनका दुपट्टा उनके गले से उतार दिया और उन से चिपक गया. फिर मैंने अपना एक हाथ उनके मोटे चूतड़ों से ज़रा ऊपर रख दिया और उन्हे बेड तक ले आया. मेरी उंगलियों को उनके तवाना चूतड़ों की आगे पीछे हरकत महसूस हो रही थी. मेरे सबर का पैमाना लब्राइज़ हो रहा था. मैंने अचानक अपना हाथ उनके मोटे और उभरे हुए चूतड़ के दरमियाँ में रख कर उससे आहिस्ता से टटोला. उन्होने कुछ नही कहा. इस पर मैंने उनके एक भारी चूतड़ को थोड़ा सा दबाया. बड़ी मज़बूत और ताक़तवर गांड़ थी खाला अम्बरीन की. उन्होने अपने चूतड़ पर मेरे हाथ का दबाव महसूस किया तो मेरे हाथ को जो उनके चूतड़ के ऊपर था पकड़ कर अपनी कमर की तरफ ले आईं लेकिन कहा कुछ नही.

उन्हे बेड पर बिठाने के बाद मैंने उन से कहा के वो बहुत तक गई हैं इसी लिये तबीयत खराब हो रही है में उनके कपड़े बदल देता हूँ ताके वो आराम से सो सकैं. उनके मुँह से अजीब सी भारी आवाज़ निकली. शायद वो समझ ही नही सकी थीं के में किया कह रहा हूँ. मैंने उनकी क़मीज़ पेट और कमर पर से ऊपर उठाई और उनका एक बाज़ू उठा कर उससे बड़ी मुश्किल से क़मीज़ की आस्तीन में से निकाल लिया. अब उनका एक मोटा और सूजा हुआ मम्मा सफ़ेद रंग के ब्रा में बंद मेरी आँखों के सामने था. उनका दूसरा मम्मा अब भी क़मीज़ के नीचे ही छुपा हुआ था. मैंने उनके मम्मे के नीचे हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही उससे पकड़ लिया. खाला अम्बरीन का मम्मा भारी भरकम था और उससे हाथ लगा कर मुझे अजीब तरह का मज़ा आ रहा था. फिर मैंने दूसरे बाज़ू से भी क़मीज़ निकाल कर उन्हे ऊपर से बिल्कुल नंगा कर दिया. उनके दोनो मम्मे ब्रा में मेरे सामने आ गए. मैंने जल्दी से पीछे आ कर उनके ब्रा का हुक खोला और उससे उनके बदन से अलग कर के उनके मम्मों को बिल्कुल नंगा कर दिया. 

ये मेरी ज़िंदगी का सब से हसीन लम्हा था. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. खाला अम्बरीन के मम्मे बे-पनाह मोटे, गोल और बाहर निकले हुए थे. उनके दोनो मम्मों के ऊपर और साइड में ब्रा की वजह से हल्की लकीरें पड़ी हुई थीं . सुर्खी मा'आइल गुलाबी रंग के खूबसूरत निप्पल बड़े बड़े और बाहर निकले हुए थे. निपल्स के साथ वाला हिस्सा काफ़ी बड़ा और बिल्कुल गोल था जिस पर छोटे छोटे दाने उभरे हुए थे. मैंने उनका एक मम्मा हाथ में ले कर दबाया तो उस का निप्पल मेरी हतैली में धँस कर दब गया. उन्होने मेरा हाथ अपने मम्मे से डोर किया और दोनो मम्मों के दरमियाँ में हाथ रख कर अजीब अंदाज़ से हंस पड़ीं. शायद नशे ने उनकी सोचने समझने की सलाहियत पर असर डाला था.

मैंने अब उनके दूसरे मम्मे को हाथ में लिया और उस के मुख्तलीफ़ हिस्सों को आहिस्ता आहिस्ता दबाता रहा. मैंने ज़िंदगी में कभी किसी औरत के मम्मों को हाथ नही लगाया था. खाला अम्बरीन के मम्मे अब मेरे हाथ में थे और मेरी जेहनी कैफियत बड़ी अजीब थी. मेरे दिल में खौफ भी था और ज़बरदस्त खुशी भी के खाला अम्बरीन मेरे सामने अपने मम्मे नंगे किये बैठी थीं और में उनके मम्मों से खेल रहा था. उन्होने उंगली उठा कर हिलाई के में ऐसा ना करूँ. उनका हाथ ऊपर की तरफ आया तो शलवार में अकड़े हुए मेरे लंड से टकराया लेकिन शायद उन्हे एहसास नही हुआ के में उनकी चूत में अपना लंड डालने को बेताब था. मै उसी तरह खाला अम्बरीन के मम्मों को हाथों में ले कर उनका लुत्फ़ उठाता रहा.
अचानक कमरे का दरवाज़ा जो मैंने लॉक किया था एक हल्की सी आवाज़ के साथ खुला और नज़ीर अंदर आ गया.



नज़ीर ने फॉरन दरवाज़ा लॉक कर दिया. उस के हाथ में मोबाइल फोन था जिस से उस ने मेरी और खाला अम्बरीन की उसी हालत में तस्वीर बना ली. ये सब पलक झपकते हो गया. मै *फॉरन खाला अम्बरीन के पास से हट गया और उनकी क़मीज़ उठा कर उनके कंधों पर डाल दी ताके उनके मम्मे छुप जायें. नज़ीर के बदनुमा चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी. उस ने अपनी जेब से 6/7 इंच लंबा चाक़ू निकाल लिया मगर उससे खोला नही. खौफ से मेरी टांगें काँपने लगीं. नज़ीर ने कहा के वो जानता था मुझे शराब क्यों चाहिये थी मगर में फ़िक्र ना करूँ वो किसी से कुछ नही कहे गा. उससे सिर्फ़ अपना हिस्सा चाहिये. हन अगर हम ने उस की बात ना मानी तो वो होटेल मॅनेजर को बताय गा जो पोलीस को खबर करे गा और आगे फिर जो होगा हम सोच सकते हैं. उस ने कहा के शराब पीना भी जुर्म है और अपनी खाला को चोदना तो उस भी बड़ा जुर्म है. मुझ से कोई जवाब ना बन पड़ा. खाला अम्बरीन नशे में *थीं *मगर अब खौफ उनके नशे पर हावी हो रहा था और वो हालात को समझ रही *थीं . मेरा दिल भी सीने में ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था.

मुझे सिर्फ़ पोलीस के आने का खौफ ही नही था. होटेल में खानदान के और लोग भी ठहरे हुए थे और अगर उन्हे पता चलता के में खाला अम्बरीन को शराब पीला कर चोदना चाहता था तो किया होता? खाला अम्बरीन की कितनी बदनामी होती. खालू नॉवज़ किया सोचते? उनका बेटा राशिद मेरा दोस्त था. उस पर किया गुज़रती अगर उससे पता चलता के में उस की माँ की चूत मारना चाहता था? मेरे अब्बू ने सुबह पिंडी पुहँचना था. उन्हे पता चलता तो किया बनता? बड़ी खाला के बेटे की शादी अलग खराब होती. मेरा दिल डूबने लगा. खाला अम्बरीन ने हल्की सी लड़खड़ाई हुई आवाज़ में कुछ कहा. नज़ीर उनकी तरफ मुड़ा और उन्हे मुखातिब कर के बड़ी बे-बाकी से बोला के अगर वो उससे अपनी चूत मारने दें तो कोई मसला नही हो गा लेकिन अगर उन्होने इनकार किया तो पोलीस ज़रूर आए गी. खाला अम्बरीन चुप रहीं मगर उनके चेहरे का रंग ज़र्द पड़ गया. उन्होने अपनी क़मीज़ अपने नंगे ऊपरी बदन पर डाली हुई थी.*




नज़ीर ने मुझ से पूछा के किया मैंने पहले कभी किसी औरत को चोदा है. मैंने कहा नही. वो बोला के औरत नशे में हो तो उससे चोदने का मज़ा नही आता. वो खाला अम्बरीन के लिये तेज़ कॉफी ले कर आता है जिससे पी कर उनका नशा कम हो जाए गा और चूत मरवाते हुए वो मज़ा दें गी भी और लेंगीं भी. उस ने अपना मोबाइल जेब में डाला और तेज़ तेज़ क़दम उठाता हुआ कमरे से निकल गया. खाला अम्बरीन ने उस के जाते ही अपनी क़मीज़ ब्रा के बगैर ही पहन ली.*




जब उन्होने क़मीज़ पहन’ने के लिये अपने हाथों को हरकत दी तो उनके मोटे मोटे मम्मे बुरी तरह हिलने लगे. लेकिन इन हालात में मेरे सर से उन्हे चोदने का भूत उतार चुका था और उनके हिलते हुए नंगे मम्मों को देख कर भी मुझे कुछ महसूस नही हुआ. उनके नशे पर भी खौफ घालिब आ रहा था. उन्होने कहा के शाकिर तुम ने ये किया कर दिया? अब किया हो गा? ये कमीना तो मुझे बे-आबरू करना चाहता है. उनकी परैशानी बजा थी. अगर हम नज़ीर को रोकते तो वो हमें जान से भी मार सकता था या कोई और नुक़सान पुहँचा सकता था. अगर हम होटेल में मोजूद अपने रिश्त्यदारों को खबर करते तो हुमारे लिये ही मुसीबत बनती क्योंके नज़ीर के फोन में हुमारी तस्वीर थी. मैंने खाला अम्बरीन से अपनी हरकत की माफी माँगी. वो कुछ ना बोलीं. **
कुछ देर में नज़ीर एक बरे से मग में कॉफी ले आया जो खाला अम्बरीन ने पी ली. उनका नशा कॉफी से वाक़ई कम हो गया और वो बड़ी हद तक नॉर्मल नज़र आने लगीं. नज़ीर ने मुझे कहा के में आज तुम्हे भी मज़े कराओं गा क्योंके तुम अपनी खाला पर गरम हो. वैसे तुम्हारी खाला है नंबर वन माल. इस कुतिया का नाम किया है? मुझे उस की बकवास सुन कर गुस्सा तो आया मगर किया करता. मैंने कहा - अम्बरीन. उस ने होठों पर ज़बान फेर कर खाला अम्बरीन की तरफ देखा. वो अपना ब्रा उठा कर *बाथरूम चली गईं. जब वापस आईं तो उन्होने अपना ब्रा पहन रखा था. उनके आते ही नज़ीर ने अपने कपड़े उतारे और अलिफ नंगा हो गया.*
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06-30-2017, 11:24 AM,
#2
RE: XXX Kahani नंबर वन माल
नंबर वन माल--2

उस का क़द बहुत छोटा था मगर जिसम बड़ा घुटा हुआ और मज़बूत था. उस का लंड इन्तहाई मोटा था जो उस वक़्त भी आधा खड़ा हुआ निसफ दायरे की तरह उस के टट्टों पर झुका हुआ था. उस के लंड का सर छ्होटा था मगर पीछे की तरफ इन्तहाई मोटा हो जाता था. उस की झांतों के बाल घने थे और उन के अलावा उस के जिसम पर कहीं बाल नही थे. टटटे बहुत मोटे मोटे थे जिन की वजह से उस का लंड और भी बड़ा लगता था. खाला अम्बरीन नज़ीर के लंड को देख कर हैरान रह गईं. वो एक घरैलू औरत *थीं *और उन्होने इतनो मोटा लंड पहले कभी नही देखा था. मुझे यक़ीन था के अपने शौहर के अलावा उन्हे कभी किसी ने नही चोदा था.*




नज़ीर ने जान लिया के खाला अम्बरीन उस के लंड को हैरत से देख रही हैं. उस ने अपना लंड हाथ में ले कर उससे ऊपर नीचे हरकत दी और मुस्कुरा कर खाला अम्बरीन से पूछा के किया उन्हे उस का लंड पसंद आया? वो खामोश रहीं. वो फिर बोला के अब ये लंड तेरी फुद्दी मारे गा और तुझे बहुत मज़ा दे गा. खाला अम्बरीन ने जल्दी से अपनी नज़रें झुका लीं. नज़ीर ने अपना फोन और चाक़ू बेड के साथ पड़ी हुई छोटी सी मेज़ पर रखे और मुझे भी कपड़े उतारने को कहा. मै *खौफ के आलम में सेक्स का कैसे सोच सकता था. मैंने इनकार कर दिया.*




वो खाला अम्बरीन के पास गया और उनका हाथ पकड़ कर उन्हे बेड से उठाने लगा. उन्होने अपना हाथ छुड़ाना चाहा तो नज़ीर उन्हे गलीज़ गालियाँ देने लगा. कहने लगा तेरी चूत मारूं कुतिया अब शरीफ बनती है. तारे फुडे में लंड दूँ हरामजादी, कंजड़ी, बहनचोद. तेरी बहन को चोदुं अभी कुछ देर पहले तू अपने भानजे से चुदवा रही थी और अब नायक बन रही है. इस बे-इज़्ज़ती पर खाला अम्बरीन का चेहरा लाल हो गया और आँखों में बे-साख्ता आँसू आ गए. मै *भी अंदर से हिल कर रह गया. उस वक़्त मुझे एहसास हुआ के में नादानी में किया गज़ब कर बैठा था. *




नज़ीर ने खाला अम्बरीन को खड़ा किया और उन से लिपट गया. उस का क़द खाला अम्बरीन से 2 इंच छोटा तो ज़रूर होगा. वो उनके दिलकश चेहरे को चपड़ *चपड़ *चूमने लगा. उस का लंड अब पूरी तरह खड़ा हुआ था और खाला अम्बरीन की चूत से नीचे उनकी रानों में घुस रहा था. मै *जो थोड़ी देर पहले तक खाला अम्बरीन को चोदने के लिये बे-ताब था अब खौफ और पशहाईमानी की वजह से सूब कुछ भूल चुका * था. मुझे अपना दिल पसलियों में धक धक करता महसूस हो रहा था.

नज़ीर ने खाला अम्बरीन के होठों को मुँह में ले कर चूसा तो उन्होने अपना मुँह कुछ ऐसे दूसरी तरफ फेरा जैसे उन्हे घिन आ रही हो. इस पर नज़ीर ने उनकी शलवार के ऊपर से ही उनकी चूत को हाथ में पकड़ लिया और कहा बाज़ आ जा तेरी फुद्दी मारूं. कुतिया अगर मुझे रोका तो तेरी इस मोटी फुद्दी के बाल नोच लूं गा. खाला अम्बरीन तक़लीफ़ में *थीं जिस *का मतलब था के नज़ीर ने वाक़ई उनकी चूत के बाल अपनी मुट्ठी में पकड़ रखे थे. उन्होने फॉरन अपना चेहरा उस की तरफ कर लिया. नज़ीर ने दोबारा अपने होंठ उनके होठों पर जमा दिये. उस का काला बदसूरत चेहरा खाला अम्बरीन के गोरे हसीन चेहरे के साथ चिपका हुआ अजीब लग रहा था.


नज़ीर उनका मुँह चूमते हुए कपड़ों के ऊपर से ही उनके मोटे मम्मों को मसलने लगा. कुछ देर बाद उस ने मेरी तरफ देखा और कहा के इधर आ चूतिया मादरचोद अपनी खाला की क़मीज़ उतार और इस की बाड़ी खोल. वो ब्रा को बाड़ी कह रहा था. मैंने फिर इनकार कर दिया. सिर्फ़ एक घंटा पहले में खाला अम्बरीन के मम्मों की एक झलक देखने के लिये बे-ताब था मगर अब बिल्कुल ठंडा पड़ चुका * था.*


मेरे इनकार पर नज़ीर खाला अम्बरीन को छोड़ कर मेरी तरफ आया. क़रीब आ कर उस ने अचानक एक ज़ोरदार थप्पड़ मेरे मुँह पर रसीद कर दिया. मै *इस के लिये तय्यार नही था. मेरा सर घूम गया. उस ने एक और तमाचा मेरे मुँह पर लगाया. मेरा निचला होंठ थोड़ा सा फॅट गया और मुझे अपनी ज़बान पर खून का ज़ा’इक़ा महसूस हुआ. खाला अम्बरीन घबरा गईं और नज़ीर से कहा के इससे मत मारो बस जो करना है करो और यहाँ से चले जाओ. नज़ीर गुस्से में उनकी जानिब पलटा और कहा चुप तेरी बहन की चूत मारूं रंडी. अभी तो मुझे तेरी फुद्दी का पानी निकालना है. फिर मुझे देख कर कहने लगा तेरी माँ की चूत में लंड दूँ तू अब नायक बन रहा है. मै *तेरी हरकतें देख चुका * हूँ. तेरी माँ को अपने लंड पर बिताऊँ वो भी तेरी इस गश्ती खाला ही की तरह फिट माल हो गी. चल बता किया नाम है तेरी माँ का? में चुप रहा तो उस ने एक घूँसा मेरी गर्दन पर मारा.*




इस पर खाला अम्बरीन बोलीं के इस की माँ का नाम यासमीन है. नज़ीर ने कहा के में इस की माँ को भी चोदुं गा. मैंने बे-बसी से उस की तरफ देखा तो कहने लगा के तेरी माँ यासमीन की चूत में भी ज़रूर अपनी मनी डालूँगा कुतिया के बच्चे. उस की वो फुद्दी जिस से तू निकला है तारे सामने ही मेरा ये मोटा लंड ले गी. चल जो कह रहा हूँ वो कर वरना मार मार कर हड्डियाँ तोड़ दूँ गा. तेरी यासमीन का फुड़दा मारूं. मुझे बाद में एहसास हुआ के नज़ीर गाली गलोच और मार पीट से मुझे और खाला अम्बरीन को डरा रहा था ताके हम उस की हर बात मान लें. ये नफ्सीयाती हर्बा बड़ा कामयाब भी था क्योंके हम दोनो वाक़ई डर गए थे. उस ने फिर मुझे कपड़े उतारने को कहा. मै *इल्तिज़ा-आमीज़ लहजे में बोला के मेरा दिल नही है में सेक्स नही करना चाहता. लेकिन वो बा-ज़िद रहा के में वोही करूँ जो वो कह रहा है. मुझे डर था के कहीं वो फिर मेरी और खाला अम्बरीन की और नंगी तस्वीरें ना ले ले.

वो खाला अम्बरीन को ले कर बेड पर चढ़ गया और उनके होठों के बोसे लेने लगा. वो भूकों की तरह उनका गदराये हुए बदन को अपने हाथों में ले ले कर टटोल रहा था. उस ने मुझे घूर कर देखा और अपनी तरफ बुलाया. मै *बेड पर चढ़ कर खाला अम्बरीन के पीछे आया तो वो सीधी हो कर बैठ गईं. मैंने उनकी क़मीज़ को दोनो तरफ से ऊपर उठा कर सर से उतार दिया.*




उनके लंबे बाल उनकी गोरी कमर पर पड़े थे जिन के नीचे उनके ब्रा का हुक था. मैंने उनके बाल कमर पर से हटा कर ब्रा का हुक खोला और उससे उनके मम्मों से अलग कर दिया. नज़ीर ने फिर कहा के में कपड़े उतारून. मैंने जवाब दिया के में सेक्स नही कर पाऊंगा वो मेहरबानी कर के मुझे कुछ ना कहे. वो ज़ोर से हंसा और कहा जा मादरचोद नमार्द तू भला किया किसी औरत को चोदेगा. चल जा वहाँ बैठ और देख में तेरी खाला को कैसे चोदता हूँ. मै *सख़्त शर्मिंदगी के आलम में बेड से उतरा और सामने पड़ी हुई एक कुर्सी पर जा बैठा.




नज़ीर खाला अम्बरीन के मोटे मोटे नंगे मम्मों पर टूट पड़ा. उस ने उनका एक मम्मा हाथ में पकड़ कर मुँह में लिया और उससे ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. कमरे में लपर लपर की आवाजें गूंजने लगीं. खाला अम्बरीन होंठ भींच कर नाक से तेज़ तेज़ साँस लेने लगीं. उनका चेहरा सुर्ख हो गया. मम्मे चुसवाने से वो गरम हो गई *थीं . उनके भारी मम्मे चूसते चूसते नज़ीर की साँस भी उखड़ गई मगर वो उनके मम्मों से चिपका ही रहा उन्हे चूसने के दोरान उन्हे मसलता रहा. उस ने खाला अम्बरीन को कहा के वो उस के लंड पर हाथ फेरें. उन्होने उस का लंड हाथ में लिया और *अपने मम्मे चुस्वाते हुए उस पर हाथ फेरने लगीं. उनकी हालत अब और ज़ियादा खराब हो गई थी. मै *ये सब कुछ देख रहा था.*




नज़ीर ने कहला अम्बरीन के दोनो मम्मों को चूस चूस कर बिल्कुल गीला कर दिया था. फिर उस ने खाला अम्बरीन को शलवार उतारने को कहा. उन्होने अपनी शलवार का नाड़ा खोला और उसे उतार दिया. मुझे उनकी चूत नज़र आई जिस पर हल्के सियाह बाल थे. नज़ीर ने उनकी नंगी चूत पर अपना हाथ फेरा. कई दफ़ा उनकी चूत को सहलाने के बाद उस ने उन्हे बेड की तरफ धकेल दिया. जब वो बेड पर लेट गईं तो नज़ीर उन से फिर लिपट गया और उनके पूरे बदन पर हाथ फेरने लगा. उस ने उनकी कमर, चूतड़ों, पेट और रानों को मुठियों में भर भर कर टटोला. फिर उनकी मज़बूत टांगें खोल कर उनकी चूत पर अपना मुँह रख दिया.

मैंने देखा के वो अपनी ज़बान खाला अम्बरीन की चूत पर फेर रहा था. उस ने दोनो हाथ नीचे कर के उनके चूतड़ों को पकड़ लिया और उनकी चूत चाटने लगा. खाला अम्बरीन क़ाबू से बाहर हो रही *थीं *और उनके मोटे चूतड़ बार बार अकड़ जाते थे. वो नज़ीर के जिसम को हाथ नही लगाना चाहती *थीं *इस लिये उन्होने अपने हाथ सर से पीछे बेड पर रखे हुए थे. नज़ीर ने उनकी चूत से मुँह उठाया और कहा के तेरा भोसड़ा मारूं अभी ना खलास हो जाना मेरा लंड अपनी चूत में ले कर खलास होना. खाला अम्बरीन शर्मिंदा सी हो गईं. वो ये छुपाना चाहती *थीं *के अपनी चूत पर नज़ीर की फिरती हुई ज़बान उन्हे मज़ा दे रही थी. मगर वो इंसान *थीं *और मज़ा तो उन्हे बहरहाल आ रहा था.*




इसी तरह कुछ देर उनकी चूत चाटने के बाद नज़ीर सीधा लेट गया और खाला अम्बरीन से कहा के वो उस का लंड चूसें. उस का मोटा लंड किसी डंडे की तरह सीधा खड़ा हुआ था. खाला अम्बरीन ने कहा के वो लंड चूसना नही जानतीं. नज़ीर हंस कर बोला के ये कौन सा मुश्किल काम है तुझ जैसी औरतें तो होती ही चुदवाने के लिये हैं. तुझे तो कोई मसला नही होना चाहिये लंड चूसने में. उस ने उनके हाथ की बड़ी उंगली अपने मुँह में डाली और उससे चूस कर उन्हे लंड चूसने का तरीक़ा बताया. फिर अपना लंड उनके मुँह की तरफ बढ़ा दिया. खाला अम्बरीन ने झुक कर उस का लंड अपने मुँह में ले लिया और उससे चूसने लगीं. उन्हे इतने मोटे लंड को मुँह के अंदर कर के चूसने में दुश्वारी हो रही थी. उनके दाँत नज़ीर के लंड को चुभ रहे थे जिस पर उस ने उन्हे कहा वो उस के लंड पर ज़बान फेरें दाँत ना मारें. वो उस का लंड चूसती रहीं.*




लेकिन जब दोबारा खाला अम्बरीन ने उस के लंड को दाँत लगये तो उस ने नीचे से उनका एक मम्मा हाथ में पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया. खाला अम्बरीन ने तेज़ सिसकी ली. नज़ीर ने कहा के अगर तू मेरे लंड को दुखायेगी तो में तेरे मम्मे को दुखाओंगा. इस के बाद हैरत-अंगैज़ तौर पर खाला अम्बरीन नज़ीर का लंड बड़ी एहतियात और सलीक़े से चूसने लगीं. नज़ीर ने अपनी टांगें फैला दीं और वो उस के लंड को हाथ में ले कर चूसती रहीं. मुझे उनके मोटे सेहतमंद मम्मे दिखाई दे रहे थे जिन्हे नज़ीर मुसलसल मसल रहा था.

देर तक यही सिलसिला चलता रहा. फिर नज़ीर ने खाला अम्बरीन को कमर के बल लिटा दिया और खुद ऊपर आ कर अपना लंड हाथ में ले कर उनकी मोटी चूत के अंदर डालने लगा. मेरे दिल की धडकनें तेज़ हो गई. जब नज़ीर के लंड का अगला हिस्सा खाला अम्बरीन की चूत में घुसा तो उनके मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली. नज़ीर ने कहा के तेरी चूत तो बड़ी टाइट है बेहेंचोद और उनके होठों पर अपना मुँह रख दिया. कुछ लम्हो तक वो इसी हालत में अपने जिसम की बॅलेन्स करता रहा रहा और फिर अचानक उनकी चूत में पूरी ताक़त से घस्सा मारा. उस का अकड़ा और फूला हुआ लंड खाला अम्बरीन की चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया. खाला अम्बरीन ने ज़ोर से आऐईई….. कहा और उनका पूरा बदन ज़ोर से लरज़ कर रह गया. अब उस ने फॉरन ही तावातूर के साथ उनकी चूत में घस्से मारने शुरू किये. कुछ ही देर बाद वो खाला अम्बरीन को बड़ी महारत से चोदने लगा. उस के मोटे लंड ने खाला अम्बरीन की चूत को फैला दिया था और जब भी घस्सों के दोरान वो अपना लंड उनके अंदर करता तो उनकी चूत जैसे चिर जाती.




हर घस्से के साथ नज़ीर के भारी टट्टे उनकी गांड़ के सुराख से टकराते. खाला अम्बरीन की टांगें नज़ीर की कमर के दोनो तरफ थीं और उनके पांव मेरी जानिब थे. उनकी चूत से पानी निकल रहा था और उस के आस पास का सारा हिस्सा अच्छा ख़ासा गीला हो चुका था. चूत देते हुए उन के मुँह से मुसलसल ऊऊऊंं….. ऊओनह…….ऊऊन्न्नह की आवाजें निकल रही थीं . उनकी आँखें बंद थीं . खाला अम्बरीन की चूत में बड़े ज़ोरदार और ताबड़ तोड़ घस्से मारते हुए नज़ीर ने अपने दोनो हाथों में उनके हिलते हुए मम्मे दबोच लिये और अपने घस्सों की रफ़्तार और भी बढ़ा दी. खाला अम्बरीन ने अपनी आँखें खोल कर नज़ीर की तरफ अजीब तरह की हैरानगी से देखा. उनका मुँह लाल सुर्ख हो रहा था.




अचानक खाला अम्बरीन ने अच्छी ख़ासी तेज़ आवाज़ में आऊओ….आअहह……..आऊ…..आआहह…….आऊ…..आआहह की करना शुरू कर दिया. लगता था जैसे वो अपने आप को ऐसा करने से रोक ना पा रही थीं . वो अपने भारी चूतड़ों को ऊपर उठा कर नज़ीर के घस्सों का जवाब देने लगी थीं और उनके मोटे ताज़े चूतड़ों की हरकत में तेज़ी आती जा रही थी. नज़ीर समझ गया के खाला अम्बरीन खलास होने वाली हैं. वो उन्हे चोदते हुए कहता रहा के चल अब निकाल अपनी चूत का पानी मेरी जान शाबाश निकाल….हाँ हाँ ……….चल मेरी कुतिया खलास हो जा…..तेरा फुदा मारूं…..ये ले…..ये ले. कोई एक मिनिट बाद खाला अम्बरीन के बदन को ज़बरदस्त झटके लगने लगे और वो खलास हो गईं. मुझे नीचे से उनकी चूत में घुसा हुआ नज़ीर का लंड दिखाई दे रहा था. जब वो छूटने लगीं तो उनकी चूत से और ज़ियादा गाढ़ा पानी निकला जो उनकी गांड़ के सुराख ती तरफ बहने लगा. खाला अम्बरीन ने अपना मुँह सख्ती से बंद कर लिया और उनका बदन ऐंठ गया. मै समझ गया के खलास हो कर उन्हे बहुत मज़ा आया था.

खाला अम्बरीन के खलास हो जाने के बाद भी नज़ीर इसी तरह उनकी चूत में घस्से मारता रहा. अभी कुछ ही देर गुज़री थी के खाला अम्बरीन ने बेड की चादर को अपनी दोनो मुठियों में पकड़ लिया और फिर निहायत तेज़ी से अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे हरकत देने लगीं. ये देख कर नज़ीर ने उनकी चूत में अपने घस्सों की रफ़्तार कम कर दी. जब उस ने घस्से मारना तक़रीबन रोक ही दिये तो खाला अम्बरीन खुद नीचे से काफ़ी ज़ोरदार घस्से मारने लगीं. वो एक बार फिर खलास हो रही थीं और चाहती थीं के नज़ीर उनकी चूत में घस्से मारना बंद ना करे. वो बिल्कुल पागलों की तरह नज़ीर के लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे कर रही थीं .




नज़ीर ने अब उनका मम्मा हाथ में ले लिया. उन्होने अपना एक हाथ नज़ीर के उसी हाथ पर रखा जिस में उनका मम्मा दबा हुआ था और दूसरा हाथ अपने पेट पर ले आईं. फिर उनके बदन ने तीन चार झटके लिये और वो दोबारा खलास होने लगीं. चंद सेकेंड तक वो इसी हालत में रहीं. नज़ीर ने उनके मम्मे पर ज़बान फेरी और पूछा के किया उन्हे चुदने का मज़ा आया. खाला अम्बरीन की साँसें बे-रब्त और उखड़ी हुई थीं . वो चुप रहीं. नज़ीर ने एक झटके से अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाल लिया. मैंने देखा के खाला अम्बरीन की चूत से निकालने वाला गाढ़ा पानी उस के सारे लंड पर लगा हुआ था और वो रोशनी में चमक रहा था.

फिर वो बेड पर लेट गया और खाला अम्बरीन को अपने लंड के ऊपर बैठने को कहा. खाला अम्बरीन अपने मोटे मम्मे हिलाते हुए बेड से उतर गईं. उन्होने नज़ीर के लंड को हाथ में पकड़ा और उस पर बैठने लगीं तो उनकी नज़रें मुझ से मिलीं. मैंने महसूस किया के ये नज़रें पहली वाली खाला अम्बरीन की नही थीं . आज के वहशत-नाक तजरबे ने मेरे और उनके दरमियाँ एक नया ता’अलूक़ कायम कर दिया था. शायद अब हम भी पहले वाले खाला भानजे नही बन सकते थे. खैर खाला अम्बरीन ने नज़ीर के लंड पर अपनी फुद्दी रख दी और उस का लंड अपने अंदर ले लिया. उस ने खाला अम्बरीन को कमर से पकड़ कर अपने ऊपर झुकाया और अपनी मज़बूत रानों को उठा उठा कर उनकी फुद्दी में घस्से मारने लगा. खाला अम्बरीन की मोटी और चौड़ी गांड़ अब मेरी तरफ थी.

नज़ीर की रानें बड़ी वर्ज़िशी और ताक़तवर थीं और वो खाला अम्बरीन की चूत में नीचे से भरपूर घस्से मार रहा था. फिर उस ने उनके मोटे और भारी चूतड़ों को दोनो हाथों से गिरफ्त में ले लिया और उन्हे पूरी तरह क़ाबू कर के चोदने लगा. उस के हलक़ से अजीब आवाजें निकल रही थीं . खाला अम्बरीन बड़ी खूबसूरत औरत थीं . मुझे यक़ीन था के नज़ीर जैसे आदमी ने कभी उन जैसी किसी औरत को नही चोदा होगा. उस के चेहरे के नाक़ूश बिगड़ गए थे. वो अब शायद छूटने वाला था.
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06-30-2017, 11:24 AM,
#3
RE: XXX Kahani नंबर वन माल
उस ने खाला अम्बरीन को अपने लंड से नीचे उतारा और दोबारा उन्हे कमर के बाल लिटा कर उनकी चूत में अपना लंड घुसा दिया. अब उस के घस्से बहुत तेज़ थे और वो बड़ी बे-रहमी से उनकी चूत ले रहा था. हर घस्से के साथ उस के चूतड़ों के पाट अकड़ते और फैलते थे. उस ने खाला अम्बरीन के मम्मों में अपना मुँह दे दिया और उस का लंड तेज़ी से उनकी चूत के अंदर बाहर होने लगा. कोई एक मिनिट के बाद नज़ीर किसी पागल भैंसे की तरह डकराने लगा और उस ने खाला अम्बरीन की चूत में खलास होना शुरू कर दिया.

इस दफ़ा खाला अम्बरीन उस के घस्सों का जवाब नही दे रही थीं मगर जब उस की मनी उनकी चूत के अंदर जाने लगी तो शायद वो खुद पर कंट्रोल ना रख सकीं और फिर उस का साथ देनें लगीं. नज़ीर ने अपनी सारी मनी उनकी चूत के अंदर छोड़ दी. मुझे उनके चूतड़ों की हरकत से लगा के खाला अम्बरीन भी एक दफ़ा फिर खलास हुई थीं .

थोड़ी देर बाद वो खाला अम्बरीन के ऊपर से हटा और बेड से उतार आया. खाला अम्बरीन ने जल्दी से अपने कपड़े उठाये और बाथरूम की जानिब चल पड़ीं. उनका ब्रेसियर वहीं बेड पर रह गया. नज़ीर ने उनका ब्रा उठाया और उस से अपने लंड को जिस पर खाला अम्बरीन की चूत का पानी और उस की अपनी मनी लगी हुई थी साफ़ किया. फिर ब्रा उनकी तरफ फैंक दिया लेकिन वो रुकी नहीं और बाथरूम में चली गईं. मेरा खून खोल गया.

नज़ीर भी कपड़े पहन’ने लगा. कुछ देर बाद खाला अम्बरीन ने बाथरूम से बाहर आ कर अपना ब्रा एक चुटकी में उठा कर साइड पर रख दिया. नज़ीर ने हंस कर उन से कहा के अभी तो तुम्हारी चूत ने मेरे लंड की सारी मनी पी है और अब तुम नखरे कर रही हो. फिर मेरी तरफ देख कर कहने लगा के यार तुम्हारी खाला को चोद कर बड़ा मज़ा आया. तुम ठीक इस कुतिया पर गरम थे क्योंके ये तो माल ही चोदने वाला है. अब बताओ के तुम लोग कब तक यहाँ हो? में बेवकूफों की तरह खड़ा उस की बातें सुन रहा था. लेकिन मेरे ज़हन में चूँके खाला अम्बरीन की ज़बरदस्त चुदाई और उनकी बे-इज़ती के मंज़र घूम रहे थे इस लिये में उससे फॉरन कोई जवाब नही दे सका. इस पर वो बोला के मुँह से कुछ फूटो ना गांडू तुम्हारी माँ को चोदुं चूतियों की तरह चुप क्यों खड़े हो. मैंने कहा हम कल वापस चले जायेंगे. वो बोला के में तुम्हारी माँ यासमीन से मिलना चाहता हूँ कैसे मिलवओ गे? उस की तो गांड़ भी मार कर दिखाओं गा तुम्हे. मज़े करवा सकता हूँ तुम्हे अगर तुम अपनी माँ के दल्ले बनना क़बूल करो.

में पिछले 2 घंटे से ज़िल्लत बर्दाश्त कर रहा था. नज़ीर की मार पीट, गालियों और तंज़िया बातों ने मुझे इंताहै मुश्ता’इल कर दिया था. मेरे सामने उस ने खाला अम्बरीन की चूत ज़बरदस्ती ली थी और अब अम्मी को चोदने की बात कर रहा था. उन के बारे में उस का ये जुमला सुन कर में होश-ओ-हवास खो बैठा और मेरे खौफ पर गुस्सा घालिब आ गया. मैंने आओ देखा ना ताओ सामने मेज़ पर पारा हुआ शीशे का जग उठाया और पूरी ताक़त से उस के मनहूस सर पर दे मारा. जग का निचला मोटा हिस्सा नज़ीर के सर से टकराया और धाब की तेज़ आवाज़ निकली. खाला अम्बरीन के मुँह से हल्की सी चीख निकल गई. नज़ीर किसी मुर्दा छिपकली की तरह फ़रश पर गिरा और उस के सर से खून बहने लगा.

मैंने फॉरन उस का मोबाइल फोन और चाक़ू उठाये और फिर उस के मुँह पर एक ज़ोरदार लात रसीद की. नज़ीर के मुँह से गूं गूं की आवाज़ बरामद हुई और उस ने अपना सर अपने सीने पर झुका लिया. मैंने चाक़ू खोला तो खाला अम्बरीन ने मुझे रोक दिया और कहा के इस कुत्ते को यहाँ से दफ़ा हो जाने दो. उन्होने नज़ीर से कहा के वो चला जाए वरना में उसे मार डालूं गा. वो मुझ से कहीं ज़ियादा ताक़तवर था लेकिन शायद सर की चोट ने उससे हवास-बाख्ता कर दिया था. मेरे हाथ में चाक़ू और आँखों में खून उतरा देख कर उस ने इसी में आफियत जानी के वहाँ से चला जाए. वो करहता हुआ उठा और अपने सर के ज़ख़्म पर हाथ रख कर कमरे से निकल गया.

मैंने उस के मोबाइल से अपनी और खाला अम्बरीन की तस्वीर डिलीट की और फिर उस की सिम निकाल ली. अब वो हरामी हमें ब्लॅकमेल नही कर सकता था. मुझे अफ़सोस हुआ के मैंने खाला अम्बरीन के चुदने से पहले ही ये हिम्मत क्यों ना कर की. लेकिन वो खुश थीं . उन्होने मुझे शाबाश दी और कहा के मैंने बड़ी बहादुरी दिखाई. मैंने कहा के ये सब कुछ मेरी वजह से ही हुआ है जिस के लिये में बहुत शर्मिंदा हूँ. वो कहने लगीं के बस अब किसी को इस बात का पता ना चले और जो हुआ वो सिर्फ़ हम दोनो तक ही रहना चाहिये. मैंने कहा में पागल तो नही हूँ जो किसी को कुछ बताओं गा.

उन्होने जल्दी जल्दी कमरे के क़ालीन पर गिरा हुआ नज़ीर का खून अच्छी तरह धो कर साफ़ कर दिया और दोबारा बाथरूम में चली गईं. मै हैरान था के मैंने उनके साथ इतनी बुरी हरकत की जिस का नतीजा बड़ा खौफनाक निकला था मगर उन्होने मुझे कुछ नही कहा. मैंने बाहर निकल कर इधर उधर नज़र दौड़ाई लेकिन नज़ीर का कोई पता नही था. मै वापस कमरे में आ गया. जब खाला अम्बरीन बाथरूम से निकल आईं तो हम सोने के लिये लेट गए.

सुबह मैंने होटेल के रिसेप्शनिस्ट से पूछा के मुझ से रात को होटेल का एक छोटे से क़द का मुलाज़िम दवा लाने के लिये पैसे ले गया था मगर वापस नही आया. उस ने मेज़रात की और बताया के उस का नाम नज़ीर था और वो रात को काम छोड़ कर भाग गया. था तो वो पंजाब का मगर सारी उमर कराची में रहा था. शायद वहीं चला गया हो. मैंने सुख का साँस लिया.

शादी की तक़रीब में मेरा और खाला अम्बरीन का आमना सामना नही हुआ. हम उसी दिन बारात ले कर लाहोर रवाना हुए. वापसी पर में अब्बू की कार में बैठा और खाला अम्बरीन से कोई बात ना हो सकी. रास्ते में हम लोग भेरा इंटरचेंज पर रुके तो वो मुझे मिलीं और कहा के में कल स्कूल से छुट्टी करूँ और उनके घर आ’ओं लेकिन इस का ज़िक्र अम्मी से ना करूँ. मैंने हामी भर ली. उनके चेहरे पर कोई बहुत ज़ियादा परैशानी के आसार नही थे. वो अच्छे मज़बूत आसाब की औरत साबित हुई थीं वरना इतना बड़ा वाक़िया हो जाने के बाद किसी के लिये भी नॉर्मल रहना मुश्किल था. लेकिन शायद उन्हे इस वक़िये को सब से छुपाना था और इस के लिये ज़रूरी था के वो अपने आप पर क़ाबू रक्खें. जब उन्होने मुझे अपने घर आने का कहा तो में डरा भी के ऐसा ना हो खाला अम्बरीन अब मेरी हरकत पर गुस्से का इज़हार करें. लेकिन अगर वो ऐसा करतीं भी तो इस में हक़-बा-जानिब होतीं. मैंने सोचा अब जो हो गा कल देखा जाए गा.

रात को में सोने के लिये लेटा तो मेरे ज़हन में हलचल मची हुई थी. खाला अम्बरीन के साथ नज़ीर ने जो कुछ किया उस ने मुझे हिला कर रख दिया था और में जैसे एक ही रात में नौ-उमर लड़के से एक तजर्बा-कार मर्द बन गया था. बाज़ तजरबात इंसान को वक़्त से पहले ही बड़ा कर देते हैं. खाला अम्बरीन वाला वाक़िया भी मेरे लिये कुछ ऐसा ही था. मुझे भी अब दुनिया बड़ी मुख्तलीफ़ नज़र आने लगी थी.

उस रात जब नज़ीर खाला अम्बरीन को चोद रहा था तो मैंने फैसला किया था के अब कभी उनके बारे में कोई गलत बात नही सोकचों गा. मै इस फैसला पर कायम रहना चाहता था. मैंने बहुत ब्लू फिल्म्स देखी थीं लेकिन नज़ीर को खाला अम्बरीन की चूत लेते हुए देखना एक नया ही तजर्बा था जिस ने मुझे बहुत कुछ सिखाया था. अब अगर में किसी औरत को चोदता तो शायद मुझे इस में कोई ज़ियादा मुश्किल पेश ना आती. सब से बढ़ कर ये के नज़ीर ने जिस नंगे अंदाज़ में मेरी अम्मी का ज़िक्र किया था उस ने मुझे अम्मी के बारे में एक बिल्कुल मुख्तलीफ़ अंदाज़ में सोचने पर मजबूर कर दिया था.

ये तो में जानता ही था के अम्मी भी खाला अम्बरीन की तरह एक खूबसूरत औरत थीं लेकिन मैंने हमेशा उनके बारे में इस तरह सोचने से गुरेज़ किया था. आख़िर वो मेरी माँ थीं और में उन पर बुरी नज़र नही डाल सकता था. लेकिन ये भी सच था के अम्मी और खाला अम्बरीन में जिस्मानी ऐतेबार से कोई ऐसा ख़ास फ़र्क़ नही था. बल्के अम्मी खाला अम्बरीन से थोड़ी बेहतर ही थीं . उनकी उमर 38 साल थी और वो भी बहुत मज़बूत, भरे हुए और भरपूर बदन की मालिक थीं .

उनका बदन बड़ा जोबन वाला, मोटा ताज़ा और कसा हुआ था. इस उमर में औरतें जिस्मानी तौर पर भारी हो जाती हैं और उनका बदन लटक जाता है लेकिन अम्मी का बदन तंदुरस्त और तवाना होने के साथ साथ बड़ा कसा हुआ भी था. अम्मी के मम्मे मोटे और बड़े बड़े गोल उभारों वाले थे जो खाला अम्बरीन के मम्मों से भी एक आध इंच मोटे ही हूँ गे. अपने मोटे और भारी मम्मों को अम्मी रात दिन ब्रा में छुपा कर रखती थीं . वो अपने मम्मों पर बड़ा टाइट ब्रा पहनती थीं जो उनके मोटे मम्मों को अच्छी तरह बाँध कर रखता था और उन्हे हिलने नही देता था. मैंने उनके बाथरूम में बहुत मर्तबा उनके सफ़ेद और काले ब्रेसियर देखे थे.

चूँके वो कभी अपना ब्रा नही उतारती थीं इस लिये उनके साथ रहने के बावजूद मुझे उनके नंगे मम्मे देखने का इतिफ़ाक़ कम ही हुआ था. जब में 12 साल का था तो मैंने उनके बदन का ऊपरी हिस्सा नंगा देखा था. एक दिन में अचानक ही बेडरूम में दाखिल हो गया था जहाँ अम्मी कपड़े बदल रही थीं . उन्होने शलवार पहनी हुई थी मगर ऊपर से बिल्कुल नंगी थीं . उनके हाथ में एक काले रंग का झालर वाला ब्रा था जिससे वो उलट पुलट कर देख रही थीं . शायद वो उस ब्रा को पहनने वाली थीं .

मेरी नज़र उनके मोटे ताज़े मम्मों पर पड़ी जो उनके हाथों की हरकत की वजह से आहिस्ता आहिस्ता हिल रहे थे. मुझे देख कर उन्होने फॉरन अपनी पुष्ट मेरी तरफ कर ली और कहा के में कपड़े बदल रही हूँ. मै फॉरन उल्टे क़दमों बेडरूम से बाहर आ गया. वैसे भी वो अपने बदन के बारे में बड़ी हस्सास थीं और ख़ास तौर पर बाहर के लोगों के सामने हमेशा दुपट्टा या चादर ओढ़े रखती थीं . अम्मी की गांड़ मोटी लेकिन टाइट थी. चूतड़ भारी, काफ़ी चौड़े और गोश्त से भरे हुए थे. अम्मी की कमर हैरत-अंगैज़ तौर पर पतली थी और ये बात उनके बदन को सेक्स के लिये गैर-मामूली तौर पर पूर-कशिश बनती थी.

मुझे अचानक एहसास हुआ के अम्मी के बारे में सोचते हुए मेरा लंड खड़ा हो गया है. मैंने फॉरन अपने ज़हन से इन गंदे ख़यालात को झटक दिया और सोने की कोशिश करने लगा. मुझे अगले दिन खाला अम्बरीन ने घर बुलाया था मगर में नदमत और खौफ की वजह से अभी उनका सामना नही करना चाहता था. मैंने सुबह स्कूल जाने से पहले उन्हे फोन कर के बताया के स्कूल में मेरा टेस्ट है में आज उनके घर नही आ सकता.

स्कूल में मुझे खाला अम्बरीन का बेटा राशिद मिला. वो भी दसवीं में ही पढ़ता था मगर उस का सेक्शन दूसरा था. उस से मिल कर मेरा एहसास-ए-जुर्म और भी बढ़ गया. वो मेरा कज़िन भी था और दोस्त भी लेकिन मैंने उस की माँ को चोदने की कोशिश की थी. मेरी इस ज़लील हरकत की वजह से ही नज़ीर जैसे घटिया आदमी ने उस की माँ की चूत ली थी. खैर अब जो होना था हो चुका था.

उस दिन मेरी जेहनी हालत ठीक नही थी लहाज़ा मैंने आधी छुट्टी में ही घर जाने का फ़ैसला किया. हम दसवीं के लड़के सब से सीनियर थे और हमें स्कूल से निकलने में कोई मसला नही होता था. मै खामोशी से स्कूल से निकल कर घर की तरफ चल पड़ा. घर पुहँच कर मैंने बेल बजाई मगर काफ़ी देर तक किसी ने दरवाज़ा नही खोला. तक़रीबन 11/30 का वक़्त था और उस वक़्त घर में सिरफ़ अम्मी होती थीं . अब्बू सरकारी मुलाज़िम थे और उनकी वापसी शाम पाँच बजे होती थी. मेरे छोटे बहन भाई तीन बजे स्कूल से आते थे. खैर कोई 6/7 मिनिट के बाद अम्मी ने दरवाज़ा खोला तो में अंदर गया.

अम्मी मुझे देख कर कुछ हैरान भी लग रही थीं और बद-हवास भी. लेकिन एक चीज़ जिस का एहसास मुझे फॉरन ही हो गया ये थी के उस वक़्त अम्मी ने ब्रा नही पहना हुआ था. जब हम दोनो दरवाज़े से अंदर की तरफ आने लगे तो मैंने अम्मी के दोपटे के नीचे उनके भारी मम्मों को हिलते हुए देखा. जब वो ब्रा पहने होती थीं तो उनके मम्मे कभी नही हिलते थे. ऐसा भी कभी नही होता था के वो ब्रा ना पहनें. मैंने सोचा हो सकता है अम्मी नहाने की तय्यारी कर रही हूँ. खैर मैंने उन्हे बताया के मेरी तबीयत खराब थी इस लिये जल्दी घर आ गया.

अभी में ये बात कर ही रहा था के एक कमरे से राशिद निकल आया. अब हैरानगी की मेरी बारी थी. मै तो उससे स्कूल छोड़ कर आया था और वो यहाँ मोजूद था. उस ने कहा के वो खाला अम्बरीन के कपड़े लेने आया था. उस का हमारे घर आना कोई नई बात नही थी. वो हफ्ते में तीन चार बार ज़रूर आता था. मै उससे ले कर अपने कमरे में आ गया जहाँ अम्मी कुछ देर बाद चाय ले कर आ गईं. मैंने देखा के अब उन्होने ब्रा पहन रखा था और उनके मोटे मम्मे हमेशा की तरह कोई हरकत नही कर रहे थे. मुझे ये बात भी कुछ समझ नही आई. कोई आध घंटे बाद राशिद चला गया.

मुझे ये सब बड़ा अजीब लगा. राशिद का स्कूल से आधी छुट्टी में यों हमारे घर आना और मेरे आने पर अम्मी का परेशां होना. और फिर उनका बगैर ब्रा के होना. वो तो शदीद गर्मी में भी कभी अपने मम्मों को खुला नही रखती थीं लेकिन आज राशिद के घर में होते हुए भी उन्होने ब्रा उतारा हुआ था. पता नही किया मामला था. मुझे ख़याल आया के कहीं राशिद अम्मी की फुद्दी तो नही लेना चाहता. आख़िर में भी तो खाला अम्बरीन पर गरम था बल्के उन्हे चोदने की कोशिश भी कर चुका था. वो भी अपनी खाला यानी मेरी अम्मी पर गरम हो सकता था. मगर अम्मी ने अपने मम्मों को खुला क्यों छोड़ रक्खा था? किया वो राशिद को अपनी मर्ज़ी से चूत दे रही थीं ? मेरे ज़हन में कई सावालात गर्दिश कर रहे थे.

लेकिन फिर मैंने सोचा के चूँके में खुद खाला अम्बरीन को चोदना चाहता था और मेरे अपने ज़हन में घिलज़ात भारी हुई थी इस लिये राशिद के बारे में ऐसी बातें सोच रहा था. मुझे यक़ीन था के अगर वो अम्मी पर हाथ डालता भी तो वो कभी उससे अपनी चूत देने पर राज़ी ना होतीं. वो बड़े मज़बूत किरदार की औरत थीं . मै ये सोच कर कुछ पूर-सकूँ हो गया लेकिन मेरे ज़हन में शक ने जड़ पकड़ ली थी. मैंने सोचा के अब राशिद पर नज़र रखूं गा.

हमारे घर मैं बड़े दरवाज़े के अलावा एक दरवाज़ा और भी था जो ड्रॉयिंग रूम से बाहर गली में खुलता था. यहाँ से मेहमानों को घर के अंदर लाया जा सकता था. मैंने इस दरवाज़े के लॉक की चाबी की नक़ल बनवा कर रख ली. स्कूल में अब में राशिद की निगरानी करने लगा. कोई चार दिन के बाद मुझे पता चला के राशिद आज स्कूल नही आया. मेरा माथा ठनका और में फॉरन अपने घर पुहँचा. ड्रॉयिंग रूम के रास्ते अंदर जाने में मुझे कोई मुश्किल पेश नही आई. अंदर अम्मी और राशिद के बोलने की हल्की हल्की आवाजें आ रही थीं . वो दोनो बेडरूम में थे. मै दबे पांव चलता हुआ बेडरूम की खिड़की के नीचे आ गया जिस पर अंदर की तरफ पर्दे लगे थे लेकिन बीच में से परदा थोड़ा सा खुला था और तक़रीबन दो इंच की दराज़ से अंदर देखा जा सकता था. मैंने बड़ी एहतियात से अंदर झाँका.

मैंने देखा के राशिद बेडरूम में पड़ी हुई एक कुर्सी पर बैठा हुआ था और चाय पी रहा था. वो स्कूल के बारे में कुछ कह रहा था. अम्मी सामने दीवार वाली अलमारी से कुछ निकाल रही थीं . उनकी पतली कमर के मुक़ाबले में मोटे मोटे चूतड़ बड़े नुमायाँ नज़र आ रहे थे. उनका तौर तरीक़ा उस वक़्त काफ़ी मुख्तलीफ़ था. वो अपने दोपटे को हमेशा अपने मम्मों पर फैला कर रखती थीं लेकिन उस वक़्त उनका दुपट्टा गर्दन में पारा हुआ था और उनके मोटे उभरे हुए मम्मे साफ़ नज़र आ रहे थे जिन की उन्हे कोई परवा नही थी. वो अपने मम्मों को छुपाने की कोई कोशिश नही कर रही थीं . उनके चेहरे पर भी वो ता’असूरात नही थे जो मैंने हमेशा देखे थे.

कुछ देर इधर उधर की बातों के बाद राशिद ने कहा के खाला जान अब तो मुझे चोद लेने दें मैंने स्कूल वापस भी जाना है. अम्मी ने जवाब दिया के राशिद आज वक़्त नही है अभी शाकिर की फूफी ने आना है और उस के साथ और औरतें भी हैं. तुम कल आ जाना सकूँ से सब कुछ कर लें गे. राशिद बोला के खाला जान अभी तो घर में कोई नही है हम क्यों वक़्त ज़ाया कर रहे हैं. मै आज जल्दी जल्दी खलास हो जाऊं गा.

ये बातें मेरे कानो में पहुँचीं तो मेरे दिल-ओ-दिमाग पे जैसे बिजली गिर पड़ी. इन बातों का मतलूब बिल्कुल साफ़ था. राशिद ना सिरफ़ मेरी अम्मी को चोद रहा था बल्के इस में अम्मी की पूरी मर्ज़ी भी शामिल थी. वो अपने भानजे से चुदवा रही थीं जो उन से उमर में 22 साल छोटा था और जिससे उन्होने गोदों में खिलाया था. अम्मी और खाला अम्बरीन की शादी एक ही दिन हुई थी और मेरी और राशिद की पैदाइश का साल भी एक ही था. फिर भी अम्मी अपने भानजे से चूत मरवा रही थीं जो उनके बेटे की उमर का था. मै बेडरूम की दीवार के साथ ज़मीन पर बैठ गया. हैरत, गुस्से, शर्मिंदगी और नफ़रत के मारे मेरी आँखों में आँसू आ गए. मै कुछ देर दीवार के साथ इसी तरह सर झुकाय बैठा रहा. फिर मैंने हिम्मत कर के दोबारा अंदर झाँका.

उस वक़्त राशिद कुर्सी से उठ कर अम्मी के क़रीब पुहँच चुका था जो बेड के साथ पड़ी हुई छोटी मेज़ साफ़ कर रही थीं . उस ने पीछे से अम्मी की गांड़ के साथ अपना जिसम लगा लिया और आगे से उनके मम्मों और पेट पर हाथ फेरने लगा. अम्मी ने मेज़ साफ़ करनी बंद कर दी एर मेज़ पर अपने दोनो हाथ रख दिये. फिर पाशिद एक हाथ से अम्मी के मम्मों को दबाने लगा जबके दूसरा हाथ उस ने उनके मोटे चूतड़ों पर फैरना शुरू कर दिया.

अम्मी ने गर्दन मोड़ कर उस की तरफ देखा. उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी जैसे उन्हे ये सब बड़ा सकूँ और लुत्फ़ दे रहा हो. वो थोड़ा सा खिसक कर साइड पर हो गईं और बेड की तरफ आ कर उस के ऊपर दोनो हाथ रख दिये. राशिद उनके मम्मों और गांड़ से खेलता रहा. अम्मी ने अपना हाथ पीछे कर के राशिद के लंड को पतलून के ऊपर से ही पकड़ लिया. साफ़ नज़र आ रहा था के ये सब कुछ उन्हे अच्छा लग रहा था.

राशिद ने अम्मी के मम्मों और कमर पर हाथ फेरते फेरते शलवार के ऊपर से ही उनके चूतड़ों के बीच में अपनी उंगली डाल कर आगे पीछे हिलाई. अम्मी के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली. राशिद ने पतलून के बावजूद खड़े खड़े ही अम्मी की गांड़ के ऊपर दो चार घस्से लगाइय और उन्हे अपनी तरफ मोड़ कर चूमने लगा. अम्मी कुछ देर पूरी तरह उस का साथ देती रहीं. वो अपना मुँह खोल खोल कर राशिद के होंठ चूस रही थीं . लेकिन फिर उन्होने अपना मुँह पीछे कर लिया और बोलीं के राशिद ज़ियादा मस्ती का वक़्त नही है बस अब अपना बे-क़ाबू लंड जल्दी अंदर करो और फटा-फट फ़ारिग़ होने की कोशिश करो. अम्मी को इस अंदाज़ में बात चीत करते सुन कर में हैरान रह गया.

अम्मी के लहजे में थोड़ी सी सख्ती थी जिससे महसूस कर के राशिद ने अपनी पतलून खोल कर नीचे की और अंडरवेर में से उस का अकड़ा हुआ लंड एक दम बाहर आ गया. उस का लंड पतला मगर अच्छा ख़ासा लंबा था. उस के लंड का टोपा सुर्खी-माइल था और मुझे साफ़ नज़र आ रहा था. अम्मी ने उस के लंड की तरफ देखा और उससे हाथ में ले लिया. राशिद उनकी क़मीज़ का दामन उठा कर मम्मों तक ले गया और फिर उनका ब्रा बगैर खोले ही ज़ोर लगा कर उनके मम्मों से ऊपर कर दिया. अम्मी के मोटे मोटे और सुर्ख-ओ-सफ़ेद मम्मे उछल कर बाहर आ गए. उनके निप्पल तीर की तरह सीधे खड़े हुए थे जिस से अंदाज़ा लगाया जा सकता था के वो कितनी गरम हो चुकी हैं.

राशिद ने अम्मी के मोटे ताज़े मम्मे हाथों में ले लिया और उन्हे चूसने लगा. अम्मी ने अपनी आँखें बंद कर के गर्दन एक तरफ मोड़ ली और राशिद के कंधे पर हाथ रख दिया. राशिद उनके मम्मों को हाथों में भर भर कर चूसता रहा. वो जज़्बात में जैसे होश-ओ-हवास खो बैठा था. दुनिया से बे-खबर किसी प्यासे कुत्ते की तरह मेरी अम्मी के खूबसूरत मम्मों को नोंच नोंच कर और चूस चूस कर उन से मज़े ले रहा था. कुछ देर बाद अम्मी ने राशिद को ज़बरदस्ती अपने मम्मों से अलग किया और एक बार फिर उससे कहा के वो जल्दी करे मेहमान आते ही हूँ गे.

राशिद बेड पर लेट गया और अम्मी को हाथ से पकड़ कर अपनी तरफ खैंचा. अम्मी उस के साथ बेड बैठ गईं तो उस ने उन्हे अपना लंड चूसने का कहा. अम्मी ने जवाब दिया के आज लंड चूसने का वक़्त नही है तुम बस जल्दी फ़ारिग़ हो जाओ. राशिद अपनी पतलून और अंडरवेर उतारते हुए बोला के खाला जान बस दो मिनिट चूस लें मुझे मज़ा भी आए गा और आप की चूत के अंदर करने में भी आसानी हो गी. ये सुन कर अम्मी झुक कर उस का लंड जल्दी जल्दी चूसने लगीं. राशिद ने हाथ नीचे कर के उन का दायां मम्मा हाथ में ले लिया और उससे मसलने लगा.
Reply
06-30-2017, 11:24 AM,
#4
RE: XXX Kahani नंबर वन माल
नंबर वन माल--4

कुछ देर उस का लंड चूसने के बाद अम्मी ने फिर कहा के राशिद देर ना करो. राशिद फॉरन बेड से उतरा और अम्मी को भी खड़ा कर दिया. फिर उस ने हाथ बढ़ा कर अम्मी की शलवार का नाड़ा खोल दिया. अम्मी की शलवार उनके पैरों में गिर गई. वो फुर्ती से अम्मी के पीछे आया और उनके चूतड़ों के ऊपर से क़मीज़ उठा कर उनकी कमर तक ऊँची कर दी. अम्मी के मोटे और चौड़े चूतड़ नज़र आने लगे. राशिद ने अपना लंड अम्मी की चूत के अंदर करने की कोशिश की मगर कामयाब नही हुआ. उस ने अपने लंड पर ऊपर नीचे दो तीन दफ़ा हाथ फेरा और उस का टोपा अम्मी के चूतड़ों के अंदर ले गया. फिर अपने लंड को अम्मी की गांड़ के बीचों बीच रख कर हल्का सा घस्सा मारा.

कोशिश के बावजूद राशिद के लंड को इस दफ़ा भी अम्मी की चूत का सुराख ना मिल सका. अम्मी ने कहा के अपना लंड गीला करो ऐसे अंदर नही जाए गा. उन्होने अपने पैरों में पड़ी शलवार से टांगें बाहर निकलीं और एक पैर की त्तोकर से उससे थोड़ा डोर खिसका दिया. फिर वो सामने बेड पर हाथ रख कर थोड़ा सा और नीचे झुक गईं ताके राशिद का लंड उनकी चूत के अंदर जा सके. राशिद ने अपने हाथ पर ज़ोर से थूका और अम्मी की टांगें खोल कर पीछे से उनकी चूत पर अपना थूक लगा दिया. राशिद का हाथ उनकी चूत से लगा तो अम्मी के मुँह से ऊ.. ऊ.. की आवाज़ निकली और उनके चूतड़ थरथरा कर रह गए.

राशिद ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और उनकी चूत के अंदर डाल दिया. अम्मी ने थोड़ा सा आगे हो कर उस का लंड अपनी चूत में ले लिया. थोड़ी और कोशिश के बाद राशिद अपना लंड पूरी तरह अम्मी की चूत के अंदर ले जाने में कामयाब हो गया. अम्मी ने आँखें बंद कर लीं. अब राशिद ने उनकी चूत में घस्से मारने शुरू किये.

चुदवाते हुए अम्मी का मुँह हल्का सा खुला हुआ था और राशिद के घस्सों की वजह से उनका पूरा बदन हिल रहा था. मुझे अम्मी के भारी चूतड़ आगे पीछे होते नज़र आ रहे थे. हर घस्से के साथ राशिद की रानों का ऊपरी हिसा अम्मी के चूतड़ों से टकराता और उनके खूबसूरत बदन को एक झटका लगता. क़मीज़ के ऊपर से भी उनके मोटे मम्मे ज़ोर ज़ोर से हिलते हुए नज़र आ रहे थे. राशिद ने आगे से क़मीज़ के अंदर हाथ डाल कर अम्मी के बे-क़ाबू मम्मे पकड़ लिये और अपना लंड उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगा.

मुझे ना जाने क्यों उस वक़्त नज़ीर का ख़याल आया. मैंने अपना मोबाइल जेब से निकाला और अम्मी और राशिद की चुदाई करते हुए कई तस्वीरें ले लीं. राशिद सेक्स के मामले में नज़ीर की तरह तजरबे-कार नही था. वो चंद मिनिट के घस्सों के बाद ही बे-क़ाबू होने लगा. उस ने अम्मी की कमर को पकड़ लिया और उनकी चूत के अंदर ही खलास होने लगा. अम्मी ने अपने चूतड़ों को आहिस्ता आहिस्ता तीन चार दफ़ा गोलाई में हरकत दी और राशिद की सारी मनी अपनी चूत में ले ली.

जब राशिद पूरी तरह छूट गया और उस का लंड अम्मी की चूत से बाहर निकल आया तो उन्होने फ़रश से अपनी शलवार उठाई और बेड की चादर हटा कर फोम पर बैठ गईं. वो राशिद की मनी और अपनी चूत से निकालने वाले पानी का दाग बेडशीट पर नही लगाना चाहती थीं . राशिद ने अपनी पतलून अठाई और बाथरूम में घुस गया. मै खामोशी से उठा और ड्रॉयिंग रूम के रास्ते घर से बाहर निकल गया.

वहाँ से निकल कर में सड़कों पर आवारगार्दी करता रहा. एक बार फिर में शदीद जेहनी उलझन का शिकार था. इस दफ़ा तो मामला खाला अम्बरीन वाले वाकये से भी ज़ियादा संगीन था. अम्मी और राशिद के ता’अलुक़ात का ईलम होने के बाद मेरी समझ में नही आ रहा था के मुझे किया करना चाहिये. किया अबू से अम्मी की इस हरकत के बारे में बात करूँ? किया अम्मी को बता दूँ के मैंने उन्हे राशिद से चुदवाते हुए देख लिया है? किया खाला अम्बरीन के ईलम में लाऊं के उनका बेटा अपनी खाला यानी उनकी सग़ी बहन को चोद रहा है? किया राशिद का गिरेबां पकडूं के वो क्यों मेरी माँ को चोद रहा था? मेरे पास फिलहाल किसी सवाल का जवाब नही था.

मुझे अम्मी को राशिद के साथ देख कर दुख हुआ था बल्के सख़्त गुस्सा भी आया हुआ था. लेकिन इस से भी ज़ियादा में हसद की भड़कती हुई आग में जल रहा था. आख़िर राशिद में ऐसी किया बात थी के मेरी अम्मी जैसी हसीन और शानदार औरत ने जो उस की सग़ी खाला भी थी उससे अपनी चूत देने का फ़ैसला किया था? वो एक आम सा लड़का था जिस में कोई ख़ास बात नही थी. लेकिन इस के बावजूद वो किस अंदाज़ में अम्मी से गुफ्तगू कर रहा था? लग रहा था जैसे अम्मी पूरी तरह उस के कंट्रोल में हूँ. मै उनका बेटा होते हुए भी उन से बहुत ज़ियादा फ्री नही था. हम तीनो बहन भाई अब्बू से ज़ियादा अम्मी के गुस्से से घबराते थे. मगर राशिद का तो उनके साथ कोई और ही रिश्ता बन गया था और यही बात मेरी बर्दाश्त से बाहर थी.

मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मेरी कोई बहुत क़ीमती चीज़ किसी ने छीन ली हो. आख़िर ये सब कुछ कैसे हुआ? अम्मी को राशिद में किया नज़र आया था? अम्मी और अबू के ता’अलुक़ात भी बहुत अच्छे थे. उनका आपस में कोई लड़ाई झगड़ा भी नही था और वो एक खुश-ओ-खुर्रम ज़िंदगी गुज़ार रहे थे. फिर अम्मी ने अपने भानजे के साथ जिस्मानी ता’अलुक़ात क्यों कायम किये? ये सब बातें सोच कर मेरा दिमाग फटने लगा. मै घर वापस आया लेकिन अम्मी पर ये ज़ाहिर नही होने दिया के में उनका राज़ जान चुका हूँ. मगर फिर चंद घंटों के अंदर ही मेरे ज़हन पर छा जाने वाली धुंध छंटने लगी और मैंने फ़ैसला कर लिया के मुझे इन हालात में किया करना है.



मैंने फ़ैसला किया था के मुझे खुद ही इन सारे मामलात को सुलझाना होगा. किसी को ये बताना के राशिद अम्मी की चूत मार रहा था पूरे खानदान के लिये तबाही का मंज़र बनता. अगर में राशिद से इंतिक़ाम लेता भी तो अम्मी ज़रूर उस की ज़द में आतीं और मुझे अपने तमाम तर गुस्से के बावजूद ये मंज़ूर नही था. मुझे अम्मी से बहुत पियार था और उनकी बद-किरदारी के बावजूद मेरे दिल में उनके लिये नफ़रत पैदा नही हो सकी थी. हाँ ये ज़रूर था के रद-ए-अमल के तौर पर अब में अम्मी की चूत मारना बिल्कुल जायज़ समझता था.

हैरत की बात ये थी के मुझे ऐसा सोचते हुए कोई एहसास-ए-गुनाह नही था. मैंने पहले भी ज़िक्र किया है के बाज़ हौलनाक वाकेयात इंसान को बहुत कम वक़्त में बहुत कुछ सीखा देते हैं. मेरे साथ तो 2 ऐसे वाकेयात हुए थे जिन्हो ने मुझे एक बिल्कुल मुख्तलीफ़ इंसान बना दिया था. खाला अम्बरीन का नज़ीर के हाथों चुद जाना और और फिर राशिद का अम्मी की चूत लेना दोनो ने ही मेरी ज़िंदगी को बदल कर रख दिया था. इसी लिये शायद मुझे अब अम्मी की फुद्दी मारने में कोई बुराई नज़र नही आ रही थी. मेरी कमीनगी अपनी जगह लेकिन अम्मी को चोदने की इस खाहिश में हालात का सितम भी शामिल था. मामलात को संभालने के लिये ये बहुत ज़रूरी था के में कुछ ऐसा करूँ के राशिद और अम्मी का ता’अलूक़ हमेशा के लिये ख़तम हो जाए. इस का बेहतरीन तरीक़ा यही था के में अम्मी की ज़िंदगी में राशिद की जगह ले लूं. मुझे यक़ीन था के में ऐसा करने में कामयाब हो जाऊं गा.

ये बात तो साफ़ थी के राशिद अम्मी को चोद कर यक़ीनन उनकी कोई जिस्मानी ज़रूरत पूरी कर रहा और ये ज़रूरत ऐसी थी के अम्मी अपने शौहर के होते हुए अपने बेटे की उमर के भानजे से अपनी चूत मरवा रही थीं . उनकी ये ज़रूरत अब में पूरी करना चाहता था. मै फिर कहूँ गा के बिला-शुबा इस फ़ैसले में मेरे अपने ज़हन की कमीनगी भी शामिल थी क्योंके में बहरहाल अम्मी को चोदना चाहता था मगर ये भी तो सही था के उन्होने राशिद से चुदवा कर मेरे दिल से गुनाह के एहसास को मिटा दिया था. अगर वो राशिद से चूत मरवा सकती थीं तो मुझ से चुदवाते हुए उन्हे किया मसला हो सकता था? इस तरह राशिद भी उनकी ज़िंदगी से निकल जाता और में उन्हे चोद भी लेता.

मैंने ये भी सोच लिया था के अब मेरे लिये खाला अम्बरीन की चूत लेना भी ज़रूरी था. आख़िर राशिद हरामी ने भी तो मेरी अम्मी को चोदा था. फिर में उस की माँ को क्यों ना चोदता. खाला अम्बरीन को इस सारे मामले में लाये बगैर वैसे भी हालात ठीक नही हो सकते थे. वो ना-सिरफ़ राशिद को रोक सकती थीं बल्के इस बात को भी यक़ीनी बना सकती थीं के ये राज़ हमेशा राज़ ही रहे. लेकिन अम्मी को चोदना बाहर-सूरत एक मुश्किल काम था. मेरे मोबाइल में उनकी और राशिद की तस्वीरें मोजूद थीं मगर में उन्हे ब्लॅकमेल कर के उनकी चूत नही मारना चाहता था बल्के मेरी कोशिश थी के वो अपनी मर्ज़ी और खुशी से मुझे अपनी चूत लेने दें. इस के लिये ज़रूरी था के में उनके और ज़ियादा क़रीब होने की कोशिश करूँ.

मैंने उस दिन से अम्मी को बहलाना फुसलाना शुरू कर दिया. उनका बेटा होने की वजह से में उनके क़रीब तो पहले ही था मगर अब में उनके साथ और ज़ियादा वक़्त गुज़ारने लगा और घरैलू काम काज में उनकी भरपूर मदद करने लगा. मै उनके कहने पर फॉरन सोडा सुलफा ले आता और पहले की तरह मुँह नही बनाता था. मै हर रोज़ किसी ना किसी वजह से उनकी तारीफ करता जिससे सुन कर वो बहुत खुश होती थीं . पता नही उन्होने मेरे बदले हुए रवय्ये को महसूस किया या नही मगर चन्द हफ्तों के अंदर ही में उनके बे-हद क़रीब आ गया और वो हर बात मुझ से शेयर करने लगीं. फिर सालाना इम्तिहानात की वजह से स्कूल की छुट्टियाँ हो गईं और में ज़ियादा वक़्त घर में गुज़ारने लगा. शायद इसी लिये राशिद का हमारे घर आना जाना बिल्कुल ख़तम हो गया. मुझे बड़ी खुशी थी के कम-आज़-कम इन छुट्टियों में वो अम्मी को चोद नही सकता था.

एक दिन मेरे दोनो बहन भाई नाना जान के घर गए हुए थे और घर में सिरफ़ अम्मी और में ही थे. उस दिन हफ़्ता था और हर हफ्ते को हमारे घर कपड़े ढोने वाली मासी आती थी और अम्मी उस के साथ कपड़े धुलवाया करती थीं . दोपहर साढ़े तीन बजे के क़रीब अम्मी ने घर का सारा काम ख़तम किया और नहाने ढोने के लिये बेडरूम में चली गईं. मासी पहले ही जा चुकी थी. मै भी कुछ देर बाद उनके पीछे बेडरूम में आ गया. वो नहाने के बाद बड़ी निखरी निखरी लग रही थीं लेकिन उनके चेहरे पर थकान के आसार अब भी मोजूद थे. मैंने उन्हे कहा के वो बहुत ज़ियादा काम करती हैं और आराम बिल्कुल नही करतीं. मैंने उनकी तारीफ भी की के घर को संभालने में उनका कोई सांई नही. वो अपनी तारीफ सुन कर मुस्कुराईं और बोलीं के घर के काम काज में थकान तो हो ही जाती है लेकिन किया किया जाए घर तो संभालना तो पड़ता ही है.

उनके लंबे बाल अब भी हल्के गीले थे और उनका गोरा सेहतमंद बदन बड़ा शानदार लग रहा था. वो बिस्तर पर बैठ गईं. मैंने कहा के आज तो वो बहुत थकी होई लग रही हैं में उन्हे दबा देता हूँ. वो फॉरन मान गईं और कहा के उनकी कमर में बहुत दर्द है. इस में कोई नई बात नही थी क्योंके में बचपन से ही अम्मी को दबाया करता था. उन्होने अपना दुपट्टा उतारा और बेड पर उल्टी हो कर लेट गईं. लेट कर उन्होने अपने भारी चूतड़ों के ऊपर अपनी क़मीज़ को ठीक किया. क़मीज़ अपने तंदूरस्त बदन के नीचे से निकालने के लिये उन्होने अपने मोटे चूतड़ों को ऊपर उठाया और फिर हाथ पीछे ले जा कर उन्हे क़मीज़ के दामन से धक लिया. अम्मी के भारी चूतड़ों की हरकत ने मेरा खून गरमा दिया. यही वो वक़्त था जब मैंने सोचा के आज अम्मी को चोदने की कोशिश कर ही लानी चाहिये.


अम्मी के लेट जाने के बाद मैंने आहिस्ता आहिस्ता उनकी मज़बूत कमर को दबाना शुरू कर दिया. मेरे हाथों के नीचे अम्मी की कमर का गोश्त बड़ा गुन्दाज़ महसूस हो रहा था. मेरी हथेलियों ने अम्मी के सफ़ेद ब्रा के स्ट्रॅप्स को महसूस किया जो उनकी क़मीज़ में से झाँक रहा था. मेरा लंड खड़ा होने लगा. मैंने अम्मी के गोल कंधों को दोनो हाथों में पकड़ लिया और उन्हे होले होले दबाने लगा. कंधों के थोड़ा ही नीचे उनके मोटे मोटे मम्मे उनके बदन के वज़न तले दबे हुए थे. मै अपनी उंगलियों को अम्मी के कंधों से कुछ नीचे ले गया और उनके मम्मों का ऊपरी नरम नरम हिस्सा मेरी उंगलियों से टकराया. उनको अब सरूर आने लगा था और वो आँखें बंद किये अपना बदन दबवा रही थीं . कमर से नीचे आते हुए मैंने बिल्कुल गैर महसूस अंदाज़ में अम्मी के चौड़े और मोटे चूतड़ों पर हाथ रख कर उन्हे दबाया और जल्दी से उनकी गोरी पिंदलियों की तरफ आ गया. मैंने पहली दफ़ा अम्मी की गांड़ को हाथ लगाया था. उनके चूतड़ों का लांस बड़ा अजीब और मदहोश कर देने वाला था. मेरे जिसम में सनसनाहट सी होने लगी. मुझे अपने लंड पर क़ाबू रखना मुश्किल हो गया.

मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को अम्मी की मोटी गांड़ के सुराख में उंगली देने से रोका. मैंने इस से पहले कभी अम्मी को दबाते हुए उनके चूतड़ों को हाथ नही लगाया था इस लिये मुझे डर था के कहीं वो बुरा ना मान जाएं मगर वो चुप चाप लेतीं रहीं और में इसी तरह उन्हे दबाता रहा. मेरा लंड अकड़ कर पठार बन चुका था. तीन चार दफ़ा अम्मी की गांड़ का इसी तरह लुत्फ़ लेने के बाद मैंने एक क़दम और आगे बढ़ने का इरादा किया. मै अपना हाथ उनकी बगल की तरफ ले गया और साइड से उनके एक मोटे ताज़े मम्मे को आहिस्ता से दबाया. पहले तो उन्होने किसी क़िसम का रिऐक्शन ज़ाहिर नही किया लेकिन जब मैंने दोबारा ज़रा बे-बाकी से उनके मम्मे को हाथ में लेने की कोशिश की तो वो एक दम सीधी हो कर बैठ गईं और बड़े गुस्से से बोलीं के ये तुम किया कर रहे हो शाकिर. तुम्हे शरम आनी चाहिये में तुम्हारी माँ हूँ. पहले तुम ने मेरी पीठ को टटोला और अब सीने को हाथ लगा रहे हो. उनका चेहरा गुस्से से लाल हो गया था.

अगरचे मुझे पहले ही तवक़ो थी के वो इस तरह का रद-ए-अमल ज़ाहिर करें गी और में जानता था के मुझे इस के बाद किया करना था लेकिन फिर भी उन्हे गुस्से में देख कर मेरा दिल लरज़ कर रह गया. मैंने कहा के मैंने कुछ गलत नही किया में तो आप को दबा रहा था. उन्होने जवाब दिया के में उनके सीने को टटोल रहा था जो बड़ी बे-शर्मी की बात है. ये कह कर वो गुस्से में बिस्तर से नीचे उतरने लगीं. अब मेरे पास इस के एलावा कोई चारा नही था के में उन्हे बता देता के में उनकी शरम-ओ-हया से बड़ी अच्छी तरह वाक़िफ़ हूँ. मैंने कहा के अम्मी जुब आप राशिद को अपनी चूत देती हैं उस वक़्त तो आप को कोई शरम महसूस नही होती मगर मैंने आप के मम्मे को ज़रा सा हाथ लगा लिया तो आप इतना शोर कर रही हैं. मेरे मुँह से इस क़िसम के जुमले सुन कर अम्मी जैसे सन्नाटे में आ गईं. उनका चेहरे के ता’औरात फॉरन बदल गए और मुँह खुला का खुला रह गया. बिस्तर से नीचे लटकी हुई उनकी टांगें लटकती ही रहीं और वो वहीं बैठी रह गईं.

मेरे इस ज़बरदस्त हमले ने उन्हे संभलने का मोक़ा नही दिया था. उनकी हालत देख कर मेरा खौफ अचानक बिल्कुल ख़तम हो गया. इस से पहले के वो कोई जवाब देतीं मैंने कहा के अम्मी मेहरबानी कर के अब झूठ ना बोलिये गा के आप का और राशिद का कोई ता’अलूक़ नही है क्योंके में अपनी आँखों से उसे आप को चोदते हुए देख चुका हूँ और मेरे पास इस का सबूत भी है. मैंने जल्दी से अपना मोबाइल निकाल कर उन्हे उनकी और राशिद की तस्वीरें दिखाईं. 

तस्वीरें अगरचे दूर से ली गई थीं और थोड़ी धुंधली थीं मगर अम्मी और राशिद को साफ़ पहचाना जा सकता था. राशिद ने पीछे से अम्मी की चूत में अपना लंड डाला हुआ था और अम्मी बेड पर हाथ रखे नीचे झुकी हुई उस से अपनी चूत मरवा रही थीं . तस्वीरें देख कर अम्मी का चेहरा हल्दी की तरह ज़र्द हो गया और एक लम्हे में उनके चेहरे से सारा गुस्सा यक्सर गायब हो गया. अब उनकी आँखों में खौफ और खजालत के आसार थे. ऐसा महसूस होता था जैसे उन्होने कोई बड़ी खौफनाक बाला देख ली हो. उनकी आँखों से खौफ झलक रहा था.

उन्होने कुछ देर सर नीचे झुकाय रखा और फिर बोलीं के राशिद ने उन्हे बरगला कर उनके साथ ये सब किया है और वो अपनी हरकत पर बहुत शर्मिंदा हैं. वाक़ई उन से बहुत बड़ी गलती होई है. फिर अचानक ही उन्होने रोना शुरू कर दिया. मै जानता था के वो सफ़ेद झूठ बोल रही हैं. किसी औरत को उस की मर्ज़ी के बगैर नही चोदा जा सकता और अम्मी को तो मैंने अपनी आँखों से राशिद से चुदवाते हुए देखा था. वो जो कुछ कर रही थीं अपनी मर्ज़ी से और बड़ी खुशी से कर रही थीं . ये रोना धोना इस लिये था के उनका राज़ फ़ाश हो गया था.

में अम्मी के पास बेड पर बैठ गया और उनके बदन के गिर्द अपने बाज़ू डाल कर उन्हे अपनी तरफ खैंचा. उन्होने कोई मुज़ाहीमत तो नही की लेकिन और ज़ियादा शिद्दत से रोने लगीं. मै थोड़ा सा परेशां हुआ के अब किया करूँ. मैंने अम्मी से कहा के वो फिकर ना करें में उनके और राशिद के बारे में किसी से कुछ नही कहूँ गा. ये राज़ हमेशा हमेशा के लिये मेरे सीने में ही दफ़न रहे गा. ये सुनना था के अम्मी ने रोना बंद कर दिया और बड़ी हैरत से मेरी तरफ देखा. मैंने फिर कहा के अम्मी जो होना था वो हो चुका है. मै अपना मुँह बंद रखूं गा मगर आप ये वादा करें के आ’इन्दा कभी राशिद को अपने क़रीब नही आने दें गी. उन्होने जल्दी से जवाब दिया के बिल्कुल ऐसा ही होगा.

अगरचे अब अम्मी इस पोज़िशन में नही थीं के मेरी किसी बात को टाल सकतीं और में उन से हर क़िसम का मुतालबा कर सकता था मगर ना जाने क्यों मतलब की बात ज़बान पर लाते हुए अब भी में घबरा रहा था. बहरहाल मैंने दिल मज़बूत कर के अम्मी के गाल को चूम लिया. उन्होने मेरी गिरफ्त से निकालने की कोशिश नही की मगर बिल्कुल ना-महसूस तरीक़े से अपने बदन को सिमटा लिया. मैंने कहा के अम्मी में आप के साथ वोही कुछ करना चाहता हूँ जो राशिद कर रहा था मगर मे आप को आप की मर्ज़ी से चोदना चाहता हूँ. अगर आप को मुझ से चुदवाना क़बूल नही तो में आप को मजबूर नही करूँ गा बस मेरी यही दरखास्त होगी के राशिद कभी आप के क़रीब नज़र ना आए. मेरी बात सुन कर अम्मी कुछ सोचने लगीं. उन्होने किसी क़िसम का रद-ए-अमल ज़ाहिर नही किया जो मेरे लिये हैरानगी का मंज़र था.

कुछ देर सोच में डूबे रहने के बाद अम्मी ने कहा के तुम कब इतने बड़े हो गए मुझे अंदाज़ा ही नही हो सका. वैसे में कई हफ्तों से तुम्हारे अंदर एक अजीब सी तब्दीली महसूस कर रही थी और मुझे शक था के तुम्हारी नज़रें बदली हुई हैं. ये बात भी मेरे लिये हैरान-कन थी के अम्मी को अंदाज़ा हो गया था के में उन्हे चोदने का खाहिसमंद था. मैंने पूछा के उन्हे कैसे इस बात का पता चला. उन्होने जवाब दिया के औरत को मर्द की आँख का फॉरन पता चल जाता है चाहे वो मर्द उस का बेटा ही क्यों ना हो. मैंने उन्हे अपनी गिरफ्त से आज़ाद किया और कहा के अब इन बातों को छोड़ें और मुझे ये बताईं के किया आप मुझे चूत दें गी. अम्मी अब काफ़ी हद तक संभाल चुकी थीं . उन्होने कहा के शाकिर तुम जो करना चाहते हो उस के बाद मेरा और तुम्हारा रिश्ता हमेशा के लिये बदल जाए गा. इस लिये अच्छी तरह सोच लो.

मैंने जवाब दिया के अम्मी आप राशिद से भी चुदवा रही थीं आप का और उस का रिश्ता तो नही बदला. वो जब भी यहाँ आता था तो आप दोनो को देख कर कोई ये नही कह सकता था के आप का भांजा आप को चोद रहा है फिर भला हुमारा रिश्ता कैसे बदल जाए गा. मै आप की चूत ले कर भी हमेशा आप का बेटा रहूं गा. मेरे और आप के जिस्मानी रिश्ते के बारे में किसी को कभी कुछ पता नही चले गा. सब कुछ वैसा ही रहे गा जैसा था. उनके पास इस दलील का जवाब नही था.
वो कुछ देर और सोचती रहीं फिर ठंडी साँस ले कर बोलीं के शाकिर हम बहुत बड़ा गुनाह करने जा रहे हैं मगर लगता है मेरे पास तुम्हारी खाहिश को पूरा करने के एलवा कोई चारा नही. मेरे दिल में फुलझर्रियाँ छूटनें लगीं. मैंने अपना एक हाथ आगे कर के अम्मी का एक मोटा मम्मा पकड़ लिया. उन्होने सर मोड़ कर मेरी तरफ देखा और कहा के अभी तो मेरी जेहनी हालत बहुत खराब है किया तुम कल तक सबर नही कर सकते. मैंने कहा के कल छोटे भाई बहन यहाँ हूँगे क्योंके स्कूल बंद हैं. अम्मी ने जवाब दिया के उन्हे दोबारा नाना के घर भेज दें गी वैसे भी वो वहाँ जाने की हमेशा ज़िद करते हैं.

मैंने कहा ठीक है मगर अम्मी ये तो बताएं के आख़िर आप राशिद से चुदवाने पर क्यों राज़ी हुईं? किया अब्बू आप की जिस्मानी ज़रूरियात पूरी नही करते? अम्मी मेरे सावालात सुन कर थोड़ी परेशां हो गईं. फिर कहने लगीं के शाकिर ये बातें कोई माँ अपने बेटे से नही करती मगर में तुम्हे बता ही देती हूँ के सेक्स मर्दों की तरह औरतों की ज़रूरत भी होती है. पिछले कई सालों से तुम्हारे अब्बू ने मुझ में दिलचस्पी लेना बहुत कम कर दी है. इस लिये मैंने राशिद के साथ इतना बुरा काम कर लिया जो मुझे नही करना चाहिये था. पहल उस की तरफ से हुई थी और मुझे उसी वक़्त उससे रोक देना चाहिये था. वो वाज़ेह तौर पर शर्मिंदा नज़र आ रही थीं और इस गुफ्तगू से दामन बचाना चाहती थीं . मैंने भी उन्हे मज़ीद परेशां करना मुनासिब नही समझा और चुप हो रहा. अम्मी कुछ देर बाद उठ कर बेडरूम से बाहर चली गईं. मै बे-सबरी से अगले दिन का इंतिज़ार करने लगा.

में अम्मी के कहने पर उस वक़्त तो खामोश हो गया लेकिन अगले दिन तक सबर करना मुझे बड़ा मुश्किल लग रहा था. मै वक़्त ज़ाया किये बगैर फॉरी तौर पर अम्मी की चूत मारना चाहता था. हर गुज़रते मिनिट के साथ मेरी ये खाहिश बढ़ती ही जा रही थी. शाम को मेरे भाई बहन घर वापस आ गए. मोक़ा मिला तो मैंने अलहड़गी में अम्मी से कहा के अगर वो रात को मेरे कमरे में आ जाएं तो में वहाँ उन्हे चोद लूं गा. मेरे कमरे मे किसी तो किसी के भी आने का कोई इंकान नही है.

अम्मी और मेरे दोनो छोटे बहन भाई एक कमरे में सोते थे जबके उन के बिल्कुल साथ वाला कमरा मेरा था. अबू घर की ऊपर वाली मंज़िल में एक अलहदा बेडरूम में सोया करते थे. रात के पिछले पहर सब के सो जाने के बाद अम्मी खामोशी से मेरे कमरे में आ सकती थीं और में उन्हे आराम से चोद सकता था. किसी को कानो कान खबर ना होती.

मेरी बात सुन कर अम्मी कुछ सोचने लगीं और फिर बोलीं के ठीक है में तुम से बाद में बात करती हूँ. अबू क़रीबन 10 या 10 ½ बजे सो जाया करते थे क्योंके उन्हे अगली सुबह 8 बजे दफ़्तर पुहँचना होता था. उस रात भी वो 10 बजे के क़रीब अपने कमरे में चले गए. उनके जाने के बाद अम्मी ने आहिस्ता से मेरे कान में कहा के वो रात 12 बजे के बाद मेरे कमरे में आएँगी. दोनो बहन भाई भी कोई आध घंटे तक सो गए और में अपने कमरे में चला आया.
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06-30-2017, 11:25 AM,
#5
RE: XXX Kahani नंबर वन माल
नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी. आज की रात मेरी ज़िंदगी की बड़ी ख़ास रात थी. मुझे आज रात अपनी अम्मी को चोदना था जो अगरचे मेरी सग़ी माँ थीं मगर एक बड़ी खूबसूरत और भरपूर औरत भी थीं . दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग हूँ गे जिन्हो ने ज़िंदगी में सब से पहले जिस औरत को चोदा वो उनकी अपनी माँ थी. अपनी अम्मी की चूत लेने का ख़याल मेरे जज़्बात को बड़ी बुरी तरह भड़का रहा था और में मुसलसल सोच रहा था के जब मेरा लंड अम्मी की चूत के अंदर जाए गा और में उनकी चूत में घस्से मारूं गा तो कैसा महसूस होगा. मुझे अपने जिसम में खून की गर्दिश तेज़ होती महसूस हो रही थी.

पता नही कितनी ही फिल्मों के मंज़र बड़ी तेज़ी से मेरे दिमाग में घूम रहे थे. यही सब कुछ सोचते हुए मेरा लंड अकड़ चुका था और मुझे अब ये खौफ लाहक़ हो गया था के कहीं अम्मी के आने और उनकी चूत लेने से पहले ही में खलास ना हो जाऊं. फिर तो सारा मज़ा किरकिरा हो जाता. मै बड़ी बे-सबरी से 12 बजने का इंतिज़ार करने लगा. ना-जाने मैंने वो वक़्त किस तरह गुज़ारा. फिर मालूम नही कब मेरी आँख लग गई.

कोई 12 ½ बजे अम्मी कमरे में दाखिल हुईं और दरवाज़े की चटखनी बंद करने लगीं तो उस की आवाज़ से में जाग गया. उन्होने दुपट्टा नही ओढ़ा हुआ था और उनके भारी मम्मे अपनी पूरी उठान के साथ तने हुए नज़र आ रहे थे. वो सीधी आ कर मेरे बेड पर बैठ गईं. उनके चेहरे पर किसी क़िसम का कोई ता’असुर नही था. ना खुशी ना गम, ना गुस्सा ना प्यार. उस वक़्त वो बिल्कुल बदली हुई लग रही थीं . ऐसा लगता था जैसे वो अम्मी ना हूँ बल्के कोई और औरत हों . पता नही ये उनका कौन सा रूप था. शायद चूत मरवाने से पहले वो हमेशा ही ऐसी हो जाती हूँ या शायद मुझे चूत देने की वजह से उके अंदाज़ बदले हुए थे. मै कुछ कह नही सकता था. हम दोनो ही थोड़ी देर खामोश रहे. मुझे तो समझ ही नही आ रही थी के उन से किया बात करूँ.

बिल-आख़िर मैंने हिम्मत कर के अम्मी का एक बाज़ू पकड़ कर उन्हे अपनी तरफ खैंचा. उन्होने मुझे रोका नही और उनका बदन मेरे ऊपर झुक गया. मैंने एक हाथ उनके गले में डाला और उनके होठों को चूमते हुए दूसरे हाथ से उनके मम्मों को मसलने लगा. अम्मी के मम्मे बड़े मोटे मोटे और वज़नी थे और ब्रा के अंदर होने के बावजूद मुझे उन्हे मसलते हुए ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उनके नंगे मम्मों को हाथों में पकड़ रखा हो. उनका ब्रा शायद ज़ियादा मोटे कपड़े से नही बना था. मैंने उनके मम्मों को ज़रा ज़ोर से दबाया तो उनके मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गई. उन्होने अपने मम्मों पर से मेरे हाथ हटाया और मेरे कान के पास मुँह ला कर पूछा के किया मैंने पहले कभी सेक्स किया है?

यही सवाल मुझ से नज़ीर ने भी किया था जब वो पिंडी में खाला अम्बरीन की चूत मार रहा था. मुझे अपनी ना-तजर्बकारी पर बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई मगर मैंने बहरहाल नफी में सर हिला दिया. अम्मी ने कहा के में उनके मम्मे आहिस्ता दबाऊं क्योंके ज़ोर से दबाने से तक़लीफ़ होती है मज़ा नही आता. ये सुन कर मैंने दोबारा अम्मी के तने हुए भरपूर मम्मों की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन उन्होने फिर मुझे रोक दिया और कहा के हमें कमरे की लाईट बुझा देनी चाहिये. फिर वो खुद ही उठीं और लाईट ऑफ कर दी. कमरे में अब भी अम्मी के बेडरूम की तरफ खुलने वाले रोशनदान में से काफ़ी रोशनी आ रही थी और में अम्मी को बिल्कुल साफ़ तौर से देख सकता था.

अम्मी वापस बेड के क़रीब आईं ओर खड़े खड़े ही अपनी क़मीज़ उतारने लगीं. क़मीज़ उनके मम्मों के ऊपर से होती हुई सर पर आई जिससे उतार कर उन्होने पहले सीधा किया और फिर एहतियात से बेड पर एक तरफ रख दिया. उनका गोरा बदन हल्की ज़र्द रोशनी में इंताहै खूबसूरत लग रहा था. मोटे और उभरे हुए मम्मे सफ़ेद रंग के ब्रा में से काफ़ी हद तक नंगे नज़र आ रहे थे और यों लग रहा था जैसे दो सफ़ेद तोपों ने अपने दहाने मेरी तरफ कर रखे हूँ. अम्मी के मम्मे बड़े और भारी होने के साथ साथ काफ़ी चौड़े भी थे और ऐसा लगता था जैसे उनके दोनो मम्मों के दरमियाँ बिल्कुल कोई फासला नही था. अम्मी का बे-दाग पेट और बिकुल गोल नाफ़ भी दिखाई दे रहे थे. उनके मज़बूत कंधे जिन पर ब्रा के स्ट्रॅप चढ़े हुए थे चौड़े और सेहतमंद थे. मैंने सोचा के किया अबू का दिमाग खराब है जो अम्मी जैसी खूबसूरत और सेक्सी औरत को चोदना नही चाहते? ऐसा कौन सा मर्द हो गा जो अम्मी की चूत नही लेना चाहे गा?

अम्मी चलती हुई मेरे बेड के पास आ गईं. अब उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी. उन्होने देख लिया था के में उनके बदन को ललचाई हुई नज़रों से देख रहा था. वो ब्रा और शलवार उतारे बगैर ही बेड पर चढ़ कर मेरे साथ लेट गईं. मै हज़ारों दफ़ा अपनी अम्मी के साथ एक ही बेड पर लेटा था मगर आज की रात मामला ज़रा मुख्तलीफ़ था.

मैंने भी फॉरन अपने कपड़े उतार दिये और बिल्कुल नंगा हो कर अम्मी की तरफ करवट ली और उन से लिपट गया. जैसे ही मेरा नंगा बदन उन के आधे नंगे बदन से टकराया मुझे लगा जैसे मेरे लंड में आग सी लग गई हो. अम्मी का बदन नर्म-ओ-मुलायम और हल्का सा गरम था. मेरा लंड फॉरन ही खड़ा होने लगा. अम्मी ने अपनी रानों के पास मेरे लंड का दबाव महसूस किया और मेरी तरफ देखा. उनकी आँखों में किसी क़िसम की ताश्वीश या शर्मिंदगी नही थी.




उसी वक़्त मेरे ज़हन में एक बहुत ही परेशां-कन ख़याल आया. मैंने फिल्मों में सेक्स का बहुत मुशाहिदा किया था और या फिर नज़ीर को खाला अम्बरीन की फुद्दी लेते हुए देखा था. लेकिन आज तक मुझे किसी औरत को चोदने का इत्तेफ़ाक़ नही हुआ था. मेरे दिल में अचानक ये खौफ पैदा हुआ के कहीं ऐसा ना हो में अम्मी को अपनी ना-तजर्बकारी की वजह से ठीक तरह चोद ना सकूँ. फिर किया हो गा? में इस एहसास-ए-कमतरी का भी शिकार था के राशिद सेक्स में मुझ से ज़ियादा बेहतर था. मैंने खुद अपनी आँखों से उससे अम्मी को चोद कर उनकी फुद्दी में अपनी मनी छोड़ते हुए देखा था. उस ने यक़ीनन और भी कई दफ़ा अम्मी की फुद्दी मारी थी और मुझे ये भी एहसास था के राशिद उन्हे चोद कर ठंडा करता था क्योंके अगर ऐसा ना होता तो अम्मी उससे क्यों अपनी फुद्दी मारने देतीं. आज अगर में अम्मी को चोदते हुए राशिद जैसा मज़ा ना दे सका तो किया हो गा? अम्मी ने मुझे बताया था के अब्बू उन्हे अब कभी कभार ही चोदा करते थे और मुझ से भी मज़ा ना मिलने पर वो अपना वादा तोड़ कर दोबारा राशिद से चुदवाना भी शुरू कर सकती थीं . ये बात मुझे हर गिज़ क़बूल नही थी. मुझे हर सूरत में एक तजर्बकार मर्द की तरह अम्मी की चूत मार कर उनकी तमाम जिस्मानी ज़रोरियात पूरी करनी थीं .




अम्मी मेरे चेहरे से भाँप गईं के मुझे कोई परेशानी लहक़ है. उन्होने पूछा के शाकिर किया बात है किया सोच रहे हो? में कुछ सटपटा सा गया मगर फिर उन्हे बता ही दिया के अम्मी आज मेरी सेक्स करने की पहली दफ़ा है और में डर रहा हूँ के कहीं आप को मुझे अपनी चूत दे कर मायूसी ना हो. मै जल्दी खलास होने से डरता हूँ और इसी वजह से कुछ परेशां हूँ.

अम्मी हंस पड़ीं और कहा के पहली दफ़ा सब को ही परैशानी होती है. तुम फिकर ना करो सेक्स इंसान की फ़ितरत है रफ़्ता रफ़्ता खुद-बखुद ही सब कुछ समझ आ जाता है. मै उनकी बात गौर से सुन रहा था. फिर उन्होने कहा के तुम तो कम-उमर लड़के हो तुम से चुदवा कर तो हर औरत खुश हो गी. कुछ ही दिनों में तुम इस काम में माहिर हो जाओ गे. और हाँ तुम राशिद को भूल जाओ तुम मेरे बेटे हो में उस पर लानत भेजती हूँ. तुम्हारा और उस का कोई मुक़ाबला नही. आज के बाद में जो भी करूँ गी सिर्फ़ तुम्हारे साथ करूँ गी. हमारे दरमियाँ जो होना है शायद वो क़िस्मत का लिखा है इस लिये उस पर अफ़सोस करने की ज़रूरत नही.




मुझे उनकी बातों में सचाई नज़र आई. मै ये भी महसूस कर रहा था के मेरे साथ अब अम्मी का रवय्या और बात चीत का अंदाज़ रिवायती माओं जैसा नही था. अब वो मेरे साथ वैसे ही पेश आ रही थीं जैसे मैंने उन्हे राशिद के साथ पेश आते देखा था. मै पूर-सकूँ हो गया और मेरी जेहनी उलझन बड़ी हद तक कम हो गई.




मैंने अपने ज़हन में सर उठाते हुए खौफ से तवजो हटाने की कोशिश की और अम्मी का चेहरा अपनी तरफ फेर कर उनके गालों को ज़ोर ज़ोर से चूमने लगा. उन्होने भी मेरा पूरा साथ दिया और अपने मज़बूत बाज़ू मेरी कमर के गिर्द लपेट कर मुझे अपने ऊपर आने दिया. मैंने अपने दोनो बाज़ू उनकी गर्दन में डाले और उन से पूरी तरह चिपक कर उन्हे चूमने लगा. मैंने अम्मी के होठों, गालों, थोड़ी, आँखों, गर्दन और माथे को चूम चूम कर और चाट चाट कर उनका पूरा चेहरा अपने थूकों से गीला कर दिया. वो इस चूमा चाटी से मज़ा ले रही थीं .




फिर मैंने उनके मुँह के अंदर अपनी ज़बान डाली तो उन्होने मुझे अपनी ज़बान चूसने दी. मैंने उनकी ज़बान होठों में पकड़ी और उससे चूसने लगा. अम्मी के मुँह के अंदर मेरी और उनकी ज़बानें आपस में टकरतीं तो अजीब तरह का मज़ा महसूस होता. तजर्बा ना होने की वजह से अगर उनकी ज़बान चूसते चूसते मेरे होठों से निकल जाती तो वो फॉरन ही उससे दोबारा मेरे होठों में दे देतीं. हम दोनो के मुँह थूक से भर चुके थे मगर मुझे अम्मी की ज़बान चूसने में गज़ब का लुत्फ़ आ रहा था. मेरा लंड अम्मी के नरम पेट से नीचे उनकी शलवार में घुसा हुआ था.

अम्मी के चेहरे के ता’असूरात से साफ़ पता चल रहा था के उन्हे भी ये सब कुछ बहुत ज़ियादा मज़ा दे रहा है. ये देख कर मुझे बड़ी खुशी हुई और मेरी हिम्मत बढ़ गई. कम-अज़-कम अब तक तो में ठीक ही जा रहा था. मै अम्मी से बुरी तरह चिपटा हुआ उन्हे चूमता रहा और वो भरपूर तरीक़े से मेरे ताबड़ तोड़ चुम्मियों का जवाब देती रहीं. हमारी साँस चढ़ गई थी और अम्मी अब वाज़ेह तौर पर गरम होने लगी थीं . उनका बदन जैसे हल्के बुखार की कैफियत में था. अपनी सग़ी माँ को चोदने का हैजान और जोश ही मुझे पागल किये दे रहा था. मेरे ज़हन से अब जल्दी खलास होने का डर भी बिल्कुल निकल चुका था. मैंने सोचा के फिल्मों से सीखी हुई चीजें कामयाबी से कर के अम्मी को इंप्रेस करने का यही वक़्त है.




में अम्मी के ऊपर से उठ गया और उन्हे करवट दिला कर साइड पर कर दिया. फिर मैंने कमर पर से उनका ब्रा खोला और उससे उनके बदन से जुदा कर दिया. इस पर अम्मी ने खुद ही अपनी शलवार उतार कर टाँगों से निकाल ली. अब वो बिल्कुल नंगी हो गई थीं . मैंने उन्हे सीधा करने के लिये आगे हाथ ले जा कर उनके मोटे मोटे नंगे मम्मों को हाथों में दबोच लिया और उन्हे अपनी जानिब खैंचा. उन्होने अपने खूबसूरत और सेहतमंद बदन को संभालते हुए मेरी तरफ करवट बदल ली. मैंने उनके मोटे दूधिया मम्मों को पागलों की तरह चूसना शुरू कर दिया. मेरी नज़र में मम्मे औरत के बदन का सब से शानदार हिस्सा थे और मेरी अम्मी के मम्मों की तो बात ही कुछ और थी. मै एक अरसे से छुप छुप कर अम्मी के मम्मों का नज़ारा किया करता था. आज क़िस्मत से ये मोक़ा भी मिल गया था के में उनके नंगे मम्मों को अपने मुँह में डाल कर चूस सकूँ. ये सोच कर मुझे हल्का सा चक्कर आ गया. अहर्हाई मैंने अम्मी के दोनो मम्मों को बारी बारी इस बुरी तरह चूसा और चाटा के उनका रंग लाल हो गया और वो मेरे थूकों से भर गए. अम्मी के निपल्स को मैंने इतना चूसा था के वो अकड़ कर बिल्कुल सीधे खड़े हो गए थे.




में उनकी ये बात बिल्कुल भूल चुका था के मम्मों को नर्मी और एहतियात से हाथ लगाना चाहिये. कई दफ़ा जब मैंने उनके मम्मे ज़ोर से चूसे या दबाइ तो वो बे-साख्ता कराह उठीं लेकिन उन्होने मुझे रोका नही. अपने मम्मे चुसवाने के दोरान अम्मी काफ़ी मचल रही थीं और मुसलसल अपना सर इधर उधर घुमा रही थीं . जब में उनके मम्मों के निप्पल मुँह में ले कर उन पर ज़बान फेरता तो वो बे-क़ाबू होने लगतीं और मुझे उनके जिस्मानी रद्द-ए-अमल से महसूस होता जैसे वो अपने मोटे मम्मे मेरे मुँह में घुसा देना चाहती हैं. उनके मम्मों के मोटे, गोल और काफ़ी लंबे निप्पल थे भी बे-इंतिहा खूबसूरत. पता नही औरत के निपल्स में ऐसी किया बात है के उन्हे चूसने में ऐसा ज़बरदस्त मज़ा आता है? मेरे लंड की भी बुरी हालत थी. मैंने अम्मी का हाथ अपने अकड़े हुए लंड पर रखा जिससे उन्होने पकड़ लिया और बड़ी नर्मी से उस पर ऊपर नीचे हाथ फेरने लगीं. जब उन्होने मेरा लंड अपने हाथ में लिया तो मुझे अपने टट्टों में अजीब क़िसम का खिचाओ महसूस होने लगा.

बहुत देर तक अम्मी के दोनो मम्मों को चूसने के बाद में सिरक़ कर उनकी टाँगों की तरफ आया और उन्हे घुटनो से पकड़ कर खोल दिया. अब अम्मी की मोटी और सूजी हुई चूत पूरी तरह मेरे सामने आ गई. अम्मी की चूत पर हल्के हल्के लेकिन बड़े घने काले बाल थे और मोटी होने के बावजूद उनकी चूत सख्ती से बंद नज़र आ रही थी. मैंने उनकी चूत पर हाथ फेरा तो उन्होने शायद गैर-इरादि तौर पर अपनी टांगें बंद करने की कोशिश की मगर में अपने सर को नीचे कर के उनकी टाँगों के बीच में ले आया और उनकी चूत पर मुँह रख दिया. यहाँ भी फिल्म्स ही मेरे काम आ’ईं. मैंने अम्मी की चूत पर ज़बान फेरी और उससे ज़ोरदार तरीक़े से चाटने लगा. चूत चाटने की ये मेरी दफ़ा थी मगर जल्द हो में जान गया के मुझे किया करना है. अम्मी की टांगें अकड़ गई थीं और उनका एक हाथ मुसलसल मुझे अपने सर को सहलाता हुआ महसूस हो रहा था. उनके मुँह से वक़फे वक़फे से कराहने की बिल्कुल हल्की सी आवाज़ आ रही थी. मैंने अपनी ज़बान उनकी चूत पर फेरते फेरते नीचे की तरफ से उनके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो मुझे अचानक उनकी गांड़ का सुराख मिल गया. मैंने फॉरन सर झुका कर उससे भी चाट लिया. गांड़ चाटने से मुझे भी बहुत मज़ा आया और अम्मी ने भी बड़ा एंजाय किया. थोड़ी देर में ही अम्मी की चूत ने पानी छोड़ दिया जिस का नमकीन सा ज़ायक़ा मुझे अपनी ज़बान पर महसूस हुआ.




फिर में बेड पर लेट गया और अम्मी से कहा के अब वो मेरा लंड चूसें. मैंने फिल्मों में भी यही होते देखा था और नज़ीर ने खाला अम्बरीन के साथ भी ऐसा ही किया था. अम्मी पहले तो थोड़ा सा झिझकीं मगर फिर घुटनो के ज़ोर पर बेड पर बैठ गईं और मेरे ऊपर झुक कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मेरे लंड का टोपा अम्मी के मुँह के अंदर चला गया और वो उस पर अपनी ज़बान फेरने लगीं. मैंने अम्मी को राशिद का लंड चूसते हुए देखा था और इस बात से वाक़िफ़ था के वो लंड चूसना जानती हैं. उस वक़्त उन्होने काफ़ी जल्दी में राशिद के लंड के टोपे को चूसा था मगर मेरे लंड को वो बड़ी महारत और आराम से चूस रही थीं .




उन्होने पहले तो मेरे लंड के गोल टोपे पर अच्छी तरह अपनी ज़बान फेर कर उससे गीला कर दिया और फिर लंड के निचले हिस्से को चाटने लगीं. फिर इसी तरह मेरे लंड पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर उनकी ज़बान गर्दिश करती रही. लंड चूसते चूसते अम्मी की ज़बान बहुत गीली हो चुकी थी और जब वो मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर करतीं तो ऐसे लगता जैसे मेरा लंड पानी के ग्लास के अंदर चला गया हो. कुछ ही देर में मेरा लंड टोपे से ले कर टट्टों तक अम्मी के थूक से भर गया. उनका मुँह में भी बार बार थूक भर जाता था लेकिन वो एक लम्हे के लिये रुक कर उससे निगल लेतीं और फिर मेरा लंड चूसने लगतीं.

यकायक् अम्मी ने बड़ी तेज़ी से मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया. उनका चेहरा लाल हो चुका था. मेरे टोपे को उन्होने होठों में ले कर ज़ोर ज़ोर से चूसा तो मेरे लंड में तेज़ सनसनाहट होने लगी और मेरे टट्टे सख़्त होने लगे. मुझे लगा जैसे में खलास हो जाऊं गा. मैंने अम्मी को रोकना चाहा मगर उन्होने नही सुना. फिर मैंने देखा के उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रखा हुआ था और बड़ी उंगली अपनी चूत के अंदर डाल कर उससे तेज़ी से अंदर बाहर कर रही थीं .




में समझ गया के उन से बर्दाश्त नही हो रहा और वो खलास होने के क़रीब हैं. अम्मी को अपनी चूत में उंगली करते देख कर में भी सबर ना कर सका और उनके मुँह में ही मेरे लंड से झटकों के साथ मनी निकालने लगी. अपने मुँह के अंदर मेरी मनी को महसूस कर के अम्मी ने मेरा लंड अपने मुँह से बाहर निकाला और मेरे टट्टों को मुट्ठी में नर्मी से पकड़ कर दबाने लगीं. मेरी कुछ मनी उनके मुँह में चली गई जबके कुछ उनके होठों और गालों पर गिरी. वो खुद भी तेज़ तेज़ साँसें लेतीं हुई खलास होने लगीं. उनका मुँह खुल गया और आँखें बंद हो गईं. मैंने जल्दी से हवा में झूलता हुआ उनका एक मोटा और गोल मम्मा मुट्ठी में जकड लिया और अपना लंड फिर उनके मुँह में देने की कोशिश की मगर उन्होने ज़बान से ही मेरे टोपे पर लगी हुई मनी चाट ली.




इस के बाद हम दोनो उसी तरह नंगे ही बेड पर लेट गए. अम्मी के ओसान बहाल हुए तो मैंने कहा के मुझे तो मज़ा नही आया क्योंके में उनकी चूत नही ले सका और यों ही खलास हो गया. उन्होने हंस कर जवाब दिया के अभी तो रात का एक बजा है वो घंटे डेढ़ घंटे तक दोबारा मेरे पास आएँगी तब में दिल की मुराद पूरी कर लूं. मैंने कहा ठीक है मगर वो वादा करें के वापस आएँगी. उन्होने कहा के किया वो 12 बजे नही आई थीं ? में फिकर ना करूँ अब भी वो ज़रूर आएँगी. वो उठीं और बेड पर पड़े हुए अपने कपड़े समैट कर अपने बेडरूम में चली गईं. मै फिर इंतिज़ार करने लगा. मुझे यक़ीन था के अब मुझे नींद नही आये गी. ऐसा ही हुआ.

अम्मी ने भी वाक़ई अपना वायेदा पूरा किया और कोई 2 बजे के बाद किसी वक़्त मेरे कमरे में आ गईं. वो शायद नहा कर आई थीं क्योंके अब उन्होने पहले से मुख्तलीफ़ कपड़े पहने हुए थे. उस वक़्त उन्होने अपना ब्रा भी नही पहना हुआ था और चलते हुए उनके वज़नी मम्मे बड़ी बे-बाकी से हिल रहे थे. वो मेरे बेड पर आ गईं और हम दोनो अपने कपड़े उतार कर पूरी तरह नंगे हो गए.




में अम्मी के नंगे होते ही उनके ऊपर चढ़ गया और उनके बदन को चूमने चाटने लगा. मेरा लंड फॉरन ही खड़ा हो गया. मै उस वक़्त दुनिया जहाँ से बे-खबर था और सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी अम्मी के सेहतमंद और गदराये हुए बदन से पूरी तरह लुत्फ़ अंदोज़ होना चाहता था. शायद क़यामत भी आ जाती तो मुझे पता ना चलता. मै उनके ऊपर लेट कर उनका एक मम्मा पकडे हुए उनकी गर्दन के बोसे ले रहा था के अचानक अम्मी ने अपनी टांगें पूरी तरह खोल दीं और मेरा ताना हुआ लंड उनकी गोरी और मोटी चूत के बालों में धँस गया. जब मेरे लंड का टोपा अम्मी की फुद्दी के ऊपरी हिसे से टकराया तो मैंने महसूस किया के उन्होने आहिस्ता से अपने बदन को ऊपर की तरफ़ उठाया और अपनी फुद्दी से मेरे लंड पर दबाव डाला.




में बे-खुद सा हो गया और अपना एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी फुद्दी को बड़ी तेज़ी और बे-दरदी से मसलने लगा. अम्मी की फुद्दी पूरी तरह गीली हो चुकी थी. वो अब बहुत ज़ियादा गरम हो रही थीं और उन्होने बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकियों को मुँह में दबाया हुआ था. मै थोड़ा सा पीछे हटा और अपने जिसम को उन से अलग कर के अपना लंड उनके हाथ में पकड़ा दिया. उन्होने फॉरन मेरा लंड अपनी मुट्ठी में ले लिया और उससे दबाने लगीं. मैंने सर नीचे कर के उनके दोनो मम्मों को हाथों में कस कर पकड़ लिया और उन्हे चूसना शुरू कर दिया. अम्मी बहुत गरम हो चुकी थीं और उनके तपते हुए बदन की गर्मी मुझे अपने जिसम पर महसूस हो रही थी. अब अपनी सग़ी माँ की चूत में लंड डालने का वक़्त आन पुहँचा था.




उस वक़्त भी अम्मी कमर के बल बेड पर लेतीं हुई थीं . मैंने उनकी तंदूरस्त-ओ-तवाना रानें खोल कर उनकी मोटी ताज़ी चूत के ऊपर अपना लंड रख दिया. मैंने लंड को अम्मी की चूत के अंदर डालने की कोशिश की मगर मुझे उनकी चूत का सुराख ना मिल सका. अभी में अम्मी की चूत में अपना टोपा घुसाने की कोशिश कर ही रहा था के उन्होने अपना हाथ नीचे किया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के अंदर धकेल दिया. उनकी चूत अंदर से नरम और गीली थी. अगरचे मेरा लंड बड़ी आसानी से अम्मी की चूत के अंदर घुसा था मगर इस में कोई शक नही था के उनकी चूत काफ़ी टाइट थी.
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06-30-2017, 11:25 AM,
#6
RE: XXX Kahani नंबर वन माल
नंबर वन माल--6

जैसे ही मेरा लंड अम्मी के अंदर गया उनकी चूत मुझे आहिस्ता आहिस्ता खुलती हुई महसूस हुई और मेरा लंड टट्टों तक उस के अंदर गायब हो गया. उन्होने हल्की सी सिसकी ली और अपने दोनो हाथ मेरे बाजुओं पर रख कर अपने चूतड़ों को थोड़ा सा आगे पीछे हिलाया ताके मेरा लंड अच्छी तरह उनकी चूत में अपनी जगह बना ले. मेरे लंड के इर्द गिर्द अम्मी की चूत का दबाव ही कुछ इस क़िसम का था के मैंने बे-साख्ता घस्से मरने के लिये अपने जिस्म को आगे पीछे करना शुरू कर दिया. ये बिल्कुल क़ुदरती तौर पर हुआ था. अम्मी ने एक हाथ लंबा कर के मेरे चूतड़ पर रखा और ज़ोर दे कर मेरा लंड अपनी गरम चूत में लेने लगीं. उनकी चूत के बाल मेरे लंड को लग रहे थे. कुछ घस्सों के बाद ही मेरा लंड आसानी से अम्मी की चूत के अंदर बाहर होने लगा.




अम्मी ने फॉरन ही मेरे घस्सों का जवाब अपने घस्सों की सूरत में देना शुरू कर दिया और अपने मोटे मोटे चूतड़ों को ऊपर नीचे हिलाने लगीं. मुझे खाला अम्बरीन याद आईं जिन्होंने नज़ीर से चुदवाते हुए इसी तरह अपनी मोटी गांड़ हिला हिला कर उस के घस्सों का जवाब दिया था. अम्मी ने पहले तो मेरे घस्सों के जवाब में घस्से मारते हुए मुँह से कोई आवाज़ ना निकाली लेकिन जब मेरे लंड के झटके उनकी चूत में ज़रा तेज़ हो गए तो उन्होने दबी आवाज़ में ऊऊनहूँ……. ऊऊऊहूओन….. ऊऊऊं करना शुरू कर दिया. अपनी सग़ी माँ को चोदते हुए में पहले ही मज़े के एक गहरे समंदर में ग़र्क था लेकिन उनके मुँह से निकालने वाली ये आवाजें मुझे और भी पागल करने लगीं.




सच पूछिये तो इन आवाज़ों ने मेरे दिल को बड़ा सकूँ बख्शा और मेरे अह्तेमाद में इज़ाफ़ा हुआ क्योंके उनकी इस हूँ... हा..आँ... का मतलब यही था के अम्मी को मुझ से चुदने में मज़ा आ रहा था. कुछ देर के बाद अम्मी की साँसें तेज़ हो गईं और उन्होने नीचे लेटे लेटे अपनी गांड़ को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया. मै समझ ना पाया के वो ये क्यों कर रही थीं . फिर अचानक ही अम्मी ने मेरा सर नीचे कर के मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये और खूब कस कर मुझे चूमने लगीं. उनके हाथों में बाला की ताक़त थी.




मेरे नीचे उनके भारी चूतड़ों की हरकत भी तेज़ हो गई. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे अम्मी की चूत ने मेरे लंड को सख्ती से अपनी गिरफ्त में जकड लिया हो. अब में समझ गया के अम्मी खलास होने वाली थीं और उनकी चूत का टाइट होना इसी बात की निशानी थी. मुझे ये देख कर बड़ी खुशी हुई और मैंने उनकी चूत में ज़ियादा रफ़्तार से घस्से मारने की कोशिश की. मै इस क़ाबिल तो हो ही गया था के अपनी अम्मी को चोद कर खलास कर रहा था. अम्मी की चूत से अब बहुत सारा पानी निकल रहा था और उनके बदन को झटके लग रही थे. जज़्बात को पागल कर देनी वाली इस हालत में मेरे लिये अपने आप को संभालना मुश्किल हो रहा था. मैंने बिला सोचे समझे अपना लंड अम्मी की पानी से भारी हुई चूत में से निकाल लिया और उनके साथ लेट गया.

अम्मी चंद लम्हे ऐसे ही लेतीं रहीं. फिर उन्होने अपनी साँसें क़ाबू में करते हुए मुझ से पूछा के किया हुआ. मैंने कहा के मुझे खलास होने का डर था इस लिये घस्से मारना बंद कर दिये क्योंके में अभी और मज़े लेना चाहता था. वो एक बार फिर हंस पड़ीं और बोलीं के शाकिर तुम घंटा पहले ही खलास हुए हो. मर्द एक दफ़ा छूटने के बाद इतनी जल्दी दोबारा नही छूट सकता. इस लिये इस दफ़ा तुम खलास होने में ज़ियादा वक़्त लो गे. परेशां मत हो रफ़्ता रफ़्ता सब कुछ समझ जाओ गे बस तुम्हे थोड़े तजरबे की ज़रूरत है. चलो आओ और अपने आप को डिसचार्ज करो ताके इस काम का मज़ा तो ले सको.




मैंने उन से पूछा के किया उन्हे मज़ा आया तो उन्होने कहा के हाँ अगर उन्हे मज़ा ना आता तो तो वो दो दफ़ा खलास कैसे होतीं. मैंने कहा के अम्मी में अब पीछे से आप को चोदना चाहता हूँ. ये सुन कर वो बोलीं के तुम मुझे चोद रहे हो और जिस तरह भी चाहो करो मुझ से इजाज़त मत माँगो बल्के कभी भी किसी औरत से इजाज़त मत माँगना. फिर वो उठीं और अपनी दोनो कुहनियों के सहारे बेड पर उल्टी हो कर अपने मोटे और भारी चूतड़ों को ऊपर उठा दिया. इस तरह अम्मी ने अपनी मोटी ताज़ी गांड़ का रुख़ मेरी तरफ कर दिया. उन्होने अपनी टांगें भी फैला लीं.




मैंने उठ कर अम्मी के चूतड़ों में से झाँकते हुए उनकी गांड़ के छोटे से गोल सुराख पर उंगली फेरी तो मेरा लंड फिर अकड़ने लगा. अम्मी की चूत अब उनके भारी और उभरे हुए चूतड़ों के अंदर उनकी गांड़ के सुराख से ज़रा नीचे नज़र आ रही थी. मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रख कर उससे अपने टोपे के ज़रये महसूस किया. अम्मी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा सा पीछे किया और मैंने अपना लंड पीछे से ही उनकी चूत के अंदर घुसेड़ दिया. अम्मी की चूत अभी तक गीली थी इस लिये मेरे लंड को उस के अंदर दाखिल होते हुए कोई मुश्किल पेश ना आई. मैंने अम्मी के मोटे चूतड़ों को दोनो हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में घस्से मारने लगा.




मुझे ऊपर से अपना लंड अम्मी के गोरे चूतड़ों में से गुज़रता हुआ उनकी चूत में अंदर बाहर होता नज़र आ रहा था. वो भी मेरे लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे कर के रगड़ रही थीं . मेरा लंड अम्मी के मोटे और गदराये हुए चूतड़ों के अंदर छुपी हुई उनकी चूत को चोद रहा था. मैंने उनकी कमर पर हाथ रखे और उनकी चूत में घस्से पे घस्सा लगाने लगा. मुसलसल घस्सों की वजह से अम्मी के चूतरों में एक इरतीयाश की सी कैफियत पैदा हो रही थी और उनके चूतड़ लरज़ रहे थे. फिर मुझे अपने लंड पर एक अजीब क़िसम का लज्ज़त-आमीज़ दबाव महसूस होने लगा. मैंने गैर-इरादि तौर पर अम्मी की चूत में घस्सों की रफ़्तार बढ़ा दी.

अम्मी शायद जान गईं के में खलास होने वाला हूँ और उन्होने भी अपने मोटे मोटे चूतड़ों को बड़े नपे तुले अंदाज़ में मेरे लंड पर आगे पीछे करना शुरू कर दिया. इस के साथ ही मेरे लंड से झटकों में मनी निकलनी शुरू हुई और सीधी अम्मी की चूत के अंदर जाने लगी. अजीब-ओ-ग़रीब और मदहोश कर देने वाली लज्ज़त का एक तूफान था जो मेरी रग रग से उठ रहा था. बिल्कुल उसी वक़्त अम्मी की चूत ने एक दफ़ा फिर मेरे लंड को अपने शिकंजा में कस लिया और अम्मी भी मेरे साथ फिर खलास हो गईं. हम फ़ारिग़ हुए तो अम्मी ने उठ कर अपने कपड़े पहने और सोने चली गईं. मै भी खुशी और इमबिसात के आलम में बिस्तर पर लेटा और फॉरन ही मुझे नींद ने आ लिया.




इस वाकये के कोई तीन दिन बाद में घर के सहन में मेज़ कुर्सी डाले इम्तिहान की तैयारी कर रहा था के अंदर कमरे में फोन की घंटी बाजी. अम्मी ने आवाज़ दी के शाकिर ज़रा देखो किस का फोन है. मै उठ कर अंदर गया और फोन का रिसीवर उठा कर हेलो कहा. दूसरी तरफ़ से किसी आदमी ने हमारा फोन नंबर दुहराया और पूछा के किया ये शाकिर का घर है. मैंने कहा जी हाँ में शाकिर ही बोल रहा हूँ. वो आदमी अचानक हंस पडा और बोला मेरे गैरतमंद जवान मुझे नही पहचाना में नज़ीर बोल रहा हूँ पिंडी वाला नज़ीर. ये सुन कर मुझे तो जैसे करेंट लगा और मेरे जिसम से ठंडा पसीना फूट पड़ा.
नज़ीर से बात करते हुए मेरे ज़हन में हल्का सा खौफ तो ज़रूर था मगर इस से कहीं ज़ियादा मुझे गुस्से और नफ़रत ने मगलूब कर रखा था. मैंने उससे गंदी गालियाँ देते हुए कहा के अगर उस ने दोबारा यहाँ फोन किया तो में पोलीस से राबता करूँ गा. ये कह कर मैंने फोन का रिसीवर क्रेडल पर दे मारा.

में फोन बंद कर के पलटा तो अम्मी परैशानी के आलम में कमरे में दाखिल हो रही थीं . उन्होने पूछा के तुम किस से लड़ रहे थे? में कुछ कहना ही चाहता था के फोन फिर बज उठा. मैंने लपक कर रिसीवर उठाया तो दूसरी तरफ नज़ीर ही था. वो बोला के फोन बंद करने से पहले ये सुन लो के मेरे पास तुम्हारी और तुम्हारी खाला की नंगी वीडियो फिल्म है और अगर तुम ने मेरी बात ना सुनी तो में वो फिल्म तुम्हारे बाप को भेज दूँ गा.

मैंने अम्मी की तरफ देखा के उनकी मोजूदगी में नज़ीर से कैसे बात करूँ. फिर मैंने सोचा के अम्मी को चोद लेने के बाद मेरे और उनका रिश्ता वो नही रहा जो पहले था और अगर में उन्हे सारी बात बता भी देता तो इस में कोई हर्ज ना होता. मैंने नज़ीर से कहा के तुम बकवास करते हो बंद कमरे में किस ने फिल्म बना ली. नज़ीर बोला के होटेल में लोग औरतों को चोदने के लिये भी लाते थे इस लिये होटेल के कुछ मुलाज़िम कमरों में बेड के सामने टीवी ट्रॉली के अंदर छ्होटा कॅमरा ख़ुफ़िया तौर पर लगा देते थे ताके लोगों की चुदाई की फिल्म बना सकैं. तुम्हारी फिल्म भी ऐसे ही बनी थी. यक़ीन नही तो जहाँ कहो आ कर तुम्हे दिखा दूँ. मैंने सवाल किया के अगर फिल्म बन रही थी तो तुम ने मोबाइल से हमारी तस्वीरें क्यों लीं. उस ने जवाब दिया के फिल्म तो मुझे पता नही कितनी देर बाद मिलती और में तुम्हारी खाला को उसी वक़्त चोदना चाहता था. मेरा गुस्सा झाग की तरह बैठने लगा. मैंने कहा अभी बात नही हो सकती वो कुछ देर बाद फोन करे.

मैंने फोन रखा तो अम्मी फ़िकरमंद लहजे में बोलीं के शाकिर ये किया मामला है? किस का फोन था? मैंने कहा अम्मी एक बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गया हूँ और समझ नही पा रहा के किया करूँ. अम्मी ने कहा साफ़ साफ़ बताओ किया क़िस्सा है? तुम गुस्से में गालियाँ दे रहे थे और किसी फिल्म का ज़िकर भी था. आख़िर हुआ किया है?

मैंने अम्मी को अपने और खाला अम्बरीन के साथ पिंडी में पेश आने वाला वक़ीया तमाम तर तफ़सीलात के साथ बयान कर दिया. सारी बात सुन कर अम्मी जैसे सकते में आ गईं. लेकिन उन्होने मुझे खाला अम्बरीन को चोदने की कोशिश पर कुछ नही कहा. कहतीं भी कैसे वो तो खुद अपने भानजे को चूत देती रही थीं . कुछ देर गुम सूम रहने के बाद उन्होने कहा के नज़ीर को हमारे घर का नंबर कैसे मिला? मैंने कहा कमरों की बुकिंग के वक़्त होटेल के रिजिस्टर में हमारे घर का पता और फोन नंबर ज़रूर लिखवाया गया होगा. नज़ीर खुद तो उस रात नोकरी छोड़ कर भाग गया था मगर वहाँ उस के साथी तो हूँ गे जिन्हो ने उससे हमारा नंबर दे दिया होगा.

अम्मी ने सर हिलाया और कहा के किया वाक़ई होटेल वालों ने कोई फिल्म बनाई हो गी? मैंने कहा मुमकिन है नज़ीर झूठ ही बोल रहा हो. उन्होने कहा के तुम ने मोबाइल फोन वाली तस्वीरें तो ज़ाया कर दी थीं जिन के बगैर वो तुम्हे ब्लॅकमेल नही कर सकता लेकिन वो फिर भी यहाँ फोन कर रहा है जिस का मतलब है के उस के पास कुछ ना कुछ तो है.

अम्मी ठीक कह रही थीं . कुछ सोच कर वो बोलीं के में अम्बरीन से बात करती हूँ. नज़ीर ने अम्बरीन को चोदा था इस लिये अब भी वो उस से मिलना चाह रहा हो गा ताके फिर उसे चोद सके. मैंने उन्हे बताया के नज़ीर ने उनके बारे में भी उल्टी सीधी बातें की थीं . वो हैरत से बोलीं के नज़ीर ने तो उन्हे देखा ही नही वो उनके लिये यहाँ कैसे आ सकता है. मैंने कहा के उस ने खाला अम्बरीन को देख कर अंदाज़ा लगाया हो गा के उनकी बहन भी खूबसूरत हो गी. अम्मी ने एक गहरी साँस ली लेकिन खामोश रहीं.

हम दोनो गहरी सोच में ग़र्क थे. अचानक अम्मी ने पूछा के शाकिर किया तुम अम्बरीन को चोदने में कामयाब हुए? मैंने कहा नही अम्मी पिंडी से वापस आने के बाद अभी तक शर्मिंदगी के मारे में उन से मिला तक नही. अम्मी तंज़िया अंदाज़ में मुस्कुराईं और कहा के जब तुम ने अपनी सग़ी माँ को चोद लिया तो फिर खाला को चोदने की खाहिश पर क्यों इतने शर्मिंदा हो. मै ये सुन कर खिसियाना सा हो गया. वो कहने लगीं के हमें इस मसले का कोई हल निकालना है वरना बड़ी बर्बादी हो गी. अम्बरीन से बात करनी ही पड़े गी. मैंने उन से इतेफ़ाक़ किया.

उन्होने खाला अम्बरीन को फोन किया जो कुछ देर बाद हमारे घर आ गईं. अम्मी उन्हे अपने बेडरूम में ले गईं और मुझे भी वहीं बुला लिया. मै अंदर गया तो देखा के वो दोनो बेडरूम में पड़ी दो कुर्सियों पर साथ साथ बैठी थीं . नज़ीर के फोन की वजह से में परेशां था मगर फिर भी अम्मी और खाला अम्बरीन को यों इकट्ठे बैठा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मै दिल ही दिल में सर से पाओं तक दोनो बहनो का मुआयना करने लगा.

अम्मी और खाला अम्बरीन के खद्द-ओ-खाल एक दूसरे से बहुत मिलते थे. दोनो के बाल, आँखें, नाक, माथा और गालों की उभरी हुई हड्डियाँ बिल्कुल एक जैसी थीं . अलबाता अम्मी के होंठ खाला अम्बरीन के होठों से ज़रा पतले थे और दोनो की ठुद्दियाँ भी कुछ मुख्तलीफ़ थीं . मजमूई तौर पर दोनो बहनो के चेहरे देख कर गुमान होता था जैसे वो जुड़वाँ बहनें हूँ. और तो और खाला अम्बरीन अम्मी को नाम ले कर ही बुलाती थीं बाजी या आपा नही कहती थीं .

में अम्मी और खाला अम्बरीन को नंगा देख चुका था और जानता था के दोनो के बदन भी कम-ओ-बैश् एक जैसे ही थे. वो तक़रीबन एक ही क़द की थीं और दोनो ही के बदन गदराये हुए लेकिन बड़े मज़बूत और हट्टे कट्टे थे. अम्मी 38 साल की और खाला अम्बरीन 36 की थीं और अपनी उमर की वजह से उनके बदन पर बिल्कुल सही जगहों पर गोश्त हुआ चढ़ा था. उनके कंधे चौड़े चक्ले और तवाना थे. कमर चौड़ी और बिल्कुल सीधी थी जिस के बीच की लकीर कमर पर गोश्त होने की वजह से काफ़ी गहरी थी. इतने मज़बूत कंधे और चौड़ी चकली कमर शायद उनके बहुत ही मोटे मोटे और भारी मम्मों का वज़न उठाने के लिये ज़रूरी थे.

दोनो बहनो के मम्मे उनके बदन का नुमायाँ तरीन हिस्सा थे जिन पर हर एक की नज़र सब से पहले पड़ती थी. उनके मम्मे मोटे, भारी, तने हुए और बाक़ी बदन से गैर-मामूली तौर पर आगे निकले हुए थे. दोनो ने अपने बच्चों को ज़ियादा देर दूध नही पिलाया था और शायद इस लिये भी उनके मम्मे इतने मोटे और तने हुए थे. मैंने अम्मी के मम्मे उन्हे चोदते वक़्त बहुत चूसे थे जबके खाला अम्बरीन के मम्मों को पिंडी में खूब टटोला था. मुझे लगता था के अम्मी के मम्मे खाला अम्बरीन से एक आध इंच बड़े थे. लेकिन देखने में दोनो के मम्मे एक दूसरे से बड़ी हद तक मिलते थे. दोनो के सूजे हुए मम्मों के निप्पल काफ़ी बड़े साइज़ के थे. खाला अम्बरीन के निप्पल लंबाई में अम्मी के निपल्स से कुछ कम थे और उनके साथ वाला हिस्सा बहुत बड़ा था जबके अम्मी के निप्पल बहुत लंबे थे मगर उनके साथ का हिस्सा खाला अम्बरीन के मुक़ाबले में कुछ छोटा था.

अम्मी और खाला अम्बरीन के पेट भी नरम-ओ-गुन्दाज़ थे. खाला अम्बरीन का पेट मामूली सा निकला हुआ था लेकिन अम्मी का पेट तो था ही नही. हालंके अम्मी के तीन बचे थे और खाला अम्बरीन के दो. दोनो की चूतों में भी काफ़ी मुमासिलत थी. मैंने खाला अम्बरीन को नही चोदा था लेकिन अम्मी की चूत के हर अंग से वाक़िफ़ हो चुका था. दोनो की चूतें मोटी और सूजी हुई थीं और उन पर बाल भी थे. उनकी रानें भी बाक़ी बदन की मुनासीबत से मोटी और भारी थीं . मम्मों के बाद दोनो ही के बदन का बहुत ही ख़ास हिस्सा उनके मोटे और बड़े भारी चूतड़ थे जिनकी बनावट भी एक जैसी थी. औरतों के चूतड़ ज़रा भारी ही होते हैं लेकिन अम्मी और खाला अम्बरीन के चूतड़ गैर-मामूली मोटे और चौड़े थे.

में इन ख़यालों में डूबा हुआ था और अम्मी खाला अम्बरीन को बता रही थीं के उन्हे पिंडी वाले वक़िये का ईलम हो चुका है और ये के नज़ीर ने यहाँ फोन किया था. ये सुन कर खाला अम्बरीन के चेहरे का रंग अर गया. कहने लगीं बस यासमीन ये बे-इज़्ज़ती क़िस्मत में लिखी थी लेकिन उस कुत्ते को ये नंबर कैसे मिला? अम्मी ने उन्हे होटेल के रिजिस्टर के बारे में बताया और कहा के अब पुरानी बातें छोड़ो और ये सोचो के अगर नज़ीर के पास कोई नंगी फिल्म है तो वो उस से कैसे ली जाए. हम तीनो बातें कर रही थे के फोन की घंटी बाजी.
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06-30-2017, 11:25 AM,
#7
RE: XXX Kahani नंबर वन माल
नंबर वन माल--7

मैंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ राशिद था. उस ने खाला अम्बरीन का पूछा. उन्होने उस से बात की और उनके चेहरे पर हवाइयाँ उररने लगीं. वो राशिद को डांट कर बोलीं के वो घर ही रुके वो वापस आ रही हैं. फोन रख कर उन्होने रो देने वाले अंदाज़ में बताया के नज़ीर ने उनके घर फोन कर के राशिद से बात की और उनके बारे में पूछा. जब राशिद ने कहा के तुम कौन हो तो वो बोला के में तुम्हारी माँ का यार हूँ उस से मेरी बात करवाओ. राशिद ने उससे गालियाँ दीं और अब मुझ से लड़ रहा था. ये ख़तरनाक बात थी. मैंने राशिद को फोन किया और उससे कहा के वो अपने घर के फोन की तार निकाल दे और फॉरन यहाँ आ जाए. इस सूरत-ए-हाल में राशिद को सारी बात बताय बिना कोई चारा नही था.

कुछ देर बाद राशिद हमारे घर आया तो में उससे सीधा अपने कमरे में ले गया और बिला-झीजक बताया के मुझे मालूम है के वो अम्मी को चोदता रहा है. ये सुन कर उस पर जैसे बिजली गिर पड़ी. मैंने कहा वो परेशां ना हो मैंने भी उस की माँ को चोदने की कोशिश की थी. वो फटी फटी आँखों से मुझे देखता रहा. मैंने उससे पिंडी वाला वक़ीया सुनाया और कहा के हमें सोच समझ कर नज़ीर से निमटना होगा. मेरी बातें सुन कर वो कुछ संभला और कहने लगा के शाकिर तुम मुझ से नाराज़ नही हो. उस वक़्त मेरे ज़हन में एक शैतानी ख़याल आया. मैंने कहा के राशिद अगर में खाला अम्बरीन की चूत एक दफ़ा मार लूं तो मेरा तुम्हारा हिसाब बराबर हो जाए गा लेकिन इस के बाद में और तुम एक दूसरे की माओं को नही चोदेंगे. वो खामोश रहा.

फिर हम अम्मी और खाला अम्बरीन के पास आए जहाँ ये फ़ैसला हुआ के नज़ीर से फिल्म ले कर देखी जा’य और इस के बाद आगे का सोचा जाए. कुछ देर बाद नज़ीर का फोन आया. मैंने उससे कहा के वो पहले मुझे फिल्म दिखाए फिर बात हो गी. वो बोला के में जहाँ कहूँ वो आ जाए गा. मै और राशिद उससे दाता दरबार के पास एक होटेल में मिले. उस के साथ एक दुबला पतला सा लंबा लड़का भी था जिस की उमर 20/22 साल हो गी. वो भी नज़ीर ही की तबक़े का लग रहा था. नज़ीर ने उस का नाम करामात बताया. उस ने मुझे एक DVD दी और कहा के इस को देख कर में उस से राबता करूँ वो बताय गा के वो किया चाहता है. उस ने मुझे एक मोबाइल फोन का नंबर भी दिया.

हम वापस घर आए और वो फिल्म देखी तो वाक़ई उस में में खाला अम्बरीन की क़मीज़ उतार कर उनके मम्मे पकड़ रहा था. पहले तो हम चारों एक दूसरे से नज़रें चुराते रहे मगर फिर ये झिझक भी ख़तम हो गई. अम्मी ने कहा के ये तो बहुत गड़बड़ है अगर नज़ीर ने ये फिल्म किसी को भेज दी तो किया होगा. खाला अम्बरीन बोलीं के इस का मतलब है नज़ीर ने जो मेरे साथ किया उस की भी फिल्म बनी हो गी. मैंने कहा के ऐसी फिल्म तो उससे भी फँसा दे गी वो ये नही कर सकता. राशिद ने मुझ से इतिफ़ाक़ किया. फिर मैंने नज़ीर के दिये हुए नंबर पर फोन किया और पूछा के वो किया चाहता है. उस ने हंस कर कहा के वो खाला अम्बरीन और अम्मी से मिलना चाहता है और उससे 50,000 रुपय भी चाहिए. मैंने कहा के वो खाला अम्बरीन और अम्मी की बात छोड़ दे पैसों का इंतज़ाम हो जाए गा. उस ने कहा के वो अम्मी और खाला अम्बरीन को चोदे बगैर नही माने गा.
मैंने सब को ये बात बताई. राशिद कहने लगा के वो खाला यासमीन को भी चोदना चाहता है. मैंने भी कहा के हाँ वो खाला अम्बरीन के साथ साथ अब अम्मी की चूत भी लेना चाहता है. ये कह कर मुझे एहसास हुआ के हमारे हालात कुछ ऐसे हो गए थे के हम अपनी माओं के सामने उनकी चूतों की ज़िक्र कर रहे थे और ना उन्हे कोई शरम महसूस हो रही थी और ना हमें. आसमान भी कैसे कैसे रंग बदलता है.

खैर हम सोचते रहे के किया करें. आख़िर अम्मी ने कहा के हम कोई ख़तरा मोल नहीं ले सकते हमें हर सूरत वो फिल्म हासिल करनी है चाहे इस के लिये हमें अपनी इज़्ज़तों का सौदा ही क्यों ना करना पड़े. पैसों का तो हम बंदोबस्त कर लें गे लेकिन मसला ये है के उस कुत्ते को कहाँ मिला जाए. मैंने कहा के अम्मी नज़ीर गंदा आदमी है हमें उससे घर ही बुलाना चाहिये क्योंके हमारे लिये बाहर जाना ज़ियादा ख़तरनाक हो सकता है. सब ने इस बात से इतेफ़ाक़ किया. मैंने नज़ीर को फोन कर के अपने घर का पता बताया और कहा के वो कल सुबह दस बजे आ जाए. उस ने कहा के ज़िंदाबाद मैंने फिल्म अपने एक दोस्त को दी है जब में फ़ारिग़ हो कर तुम्हारे घर से निकलूं गा तो तुम मेरे साथ चलना और फिल्म ले लाना. हमारे पास उस की बात मान लेने के अलावा कोई रास्ता नही था. इस के बाद खाला अम्बरीन और राशिद अपने घर चले गए.

अगले दिन में, अम्मी, खाला अम्बरीन और राशिद घर पर मोजूद थे. अम्मी ने बच्चों को सुबह ही नाना के घर भेज दिया था. उन्होने 50,000 रुपय भी मेरे हवाले कर दिये थे. ठीक दस बजे दरवाज़े की घंटी बाजी. मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने नज़ीर और करामात खड़े थे. मै उन्हे ले कर ड्रॉयिंग रूम में आ गया. अम्मी और खाला अम्बरीन कुर्सियों पर बैठी थीं और बड़ी मुजतरीब लग रही थीं . अम्मी ने तो नज़ीर को गौर से देखा लेकिन खाला अम्बरीन उस से नज़रें चुरा रही थीं . नज़ीर ने दोनो बहनो को देखा तो उस की आँखों में चमक आ गई.

अम्मी को घूरते हुए कहने लगा के अच्छा तुम इस की बहन हो. तुम भी इसी की तरह मजेदार हो. इस की फुद्दी मैंने पिंडी में मारी थी और आज तक उस का सवाद नही भूला. रोज़ इस की चिकनी फुद्दी को याद कर के दूसरी औरतों को चोदता था और मूठ मारता था. अम्मी ने उस की बातों का जवाब नही दिया और कहा के तुम पैसे ले लो और यहाँ से चले जाओ. नज़ीर ने कहा के अब तो में तुम दोनो को चोद कर ही जाऊं गा. इस काम में मेरा ये दोस्त करामात मेरी मदद करे गा. फिर बोला के यहाँ मुझे मज़ा नही आए गा ऐसे कमरे में चलो जहाँ बेड हो. हम सब उठ कर अम्मी के बेडरूम में आ गए.

बेडरूम में नज़ीर ने फॉरन कपड़े उतार दिये और उस का अजीब-ओ-ग़रीब मोटा लंड सब के सामने आ गया. उस के मोटे मोटे टट्टे दूर ही से नज़र आ रहे थे. करामात खामोश एक तरफ खड़ा रहा. खाला अम्बरीन तो नज़ीर का लंड अपनी चूत में ले चुकी थीं मगर अम्मी उससे देख कर वाज़ेह तौर पर हैरान हुई थीं . अम्मी ने खाला अम्बरीन की तरफ मानी-खैीज़ नज़रों से देखा. शायद वो सोच रही थीं के खाला अम्बरीन ने इतना मोटा और बड़ा लंड कैसे अपनी चूत में लिया होगा. फिर नज़ीर के कहने पर करामात ने भी अपने कपड़े उतार दिये. उस का लंड भी कम जानदार नही था. उस का लंड नज़ीर से पतला था लेकिन बे-इंतहा लंबा था. मैंने सिरफ़ फिल्मों में ही इतना लंबा लंड देखा था. करामात का लंड देख कर समझ में आता था के वो और नज़ीर क्यों दोस्त थे. मैंने नज़ीर से कहा के में और राशिद दूसरे कमरे में चले जाते हैं कुछ देर बाद आ जायें गे. नज़ीर बोला के तुम हमें अपनी अपनी माओं को चोदते हुए देखो गे क्योंके मुझे इन को तुम्हारे सामने चोदने में ज़ियादा मज़ा आए गा. हम चुप रहे.

फिर खेल शुरू हो गया. नज़ीर ने अम्मी का हाथ पकड़ा और उन्हे खैंच कर सीने से लगा लिया. अम्मी उस से काफ़ी लंबी थीं . उस ने अपने हाथ उनकी मज़बूत कमर में डाले और उन्हे सख्ती से अपने साथ चिपटा लिया. फिर अम्मी का दुपट्टा उतार कर फ़रश पर फैंका और उनका चेहरा नीचे कर के उनके होठों पर अपने होंठ मज़बूती से जमा दिये. वो बड़े भरपूर तरीक़े से अम्मी के सुर्ख होठों को चूम रहा था. उस ने एक हाथ से अम्मी के मम्मे पकडे और उन्हे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. अम्मी के मुँह के बोसे लेते हुए नज़ीर का एक हाथ मुसलसल उनके मम्मों से खेल रहा था. अम्मी उस के चुम्मियों का जवाब नही दे रही थीं . उस ने एक सेकेंड के लिये अम्मी के होठों से अपना मुँह हटाया और खाला अम्बरीन को अपने पास बुलाया.

खाला अम्बरीन ने कन-अखियों से राशिद को देखा और कुर्सी से उठ कर नज़ीर के पास चली गईं. उस ने एक हाथ से उन्हे भी खैंच कर अपने क़रीब कर लिया. अब वो अम्मी और खाला अम्बरीन दोनो के साथ चिपका हुआ था. दो गोरी, सेहतमंद और खूबसूरत औरतों के दरमियाँ वो बद-शकल बोना अपने मोटे तने हुए लंड के साथ एक अजूबा लग रहा था. उस ने अपना एक एक हाथ अम्मी और खाला अम्बरीन की गर्दनों में डाला और बारी बारी दोनो के मुँह चूमने लगा. वो दोनो उस के चुम्मियों का जवाब नही दे रही थीं . मैंने राशिद की तरफ देखा जिस का चेहरा लाल हो रहा था लेकिन इस लाली की वजह शरम नही थी बल्के वो अम्मी और खाला अम्बरीन को नंगा और इस हालत में देख कर गरम हो गया था. इस दफ़ा मेरी हालत भी पिंडी जैसी नही थी और मुझे अपने लंड में गुदगुदी होती महसूस हो रही थी.

नज़ीर अम्मी और खाला अम्बरीन को बेड के क़रीब ले आया और खुद उस पर लेट गया. उस ने अपना मोटा ताज़ा अकड़ा हुआ लंड हाथ में पकड़ लिया और करामात से कहा के इन दोनो गश्तियों के कपड़े उतार दो ताके इन के फुद्दे तो नज़र आयें. करामात ने आगे बढ़ कर अम्मी की क़मीज़ उनके चूतड़ों पर से उठाई और सर से उतार दी. फिर उनकी शलवार का नाड़ा हाथ आगे ले जा कर खोला और उनकी शलवार उनके पैरों में गिर पड़ी. करामात ने झुक कर उनकी शलवार उनके पैरों से निकाल ली. उस ने खाला अम्बरीन के गुन्दाज़ बदन को भी कपड़ों से इसी तरह आज़ाद कर दिया. अम्मी और खाला अम्बरीन अब सिरफ़ ब्रा पहने खड़ी थीं . बा-क़ॉल नज़ीर उनके फुद्दे तो उस ही की तरफ थे लेकिन मोटे मोटे चूतड़ राशिद और मेरी जानिब थे.

अम्मी और खाला अम्बरीन के चूतड़ों पर कई गहरे डिंपल नज़र आ रहे थे. मुझे उन दोनो के चूतड़ों के साइज़ में भी कोई फ़र्क़ महसूस नही हुआ. करामात ने अब बारी बारी अम्मी और खाला अम्बरीन के ब्रासियीस के हुक खोले और उनके मोटे मोटे मम्मों को नंगा कर दिया. फिर ना-जाने करामात को किया सूझी के उस ने अम्मी और खाला अम्बरीन के मोटे चूतड़ों पर अपना एक हाथ फेरा और उन्हे दबाने लगा जैसे चेक कर रहा हो. फिर वो अपना दूसरा हाथ आगे ले गया और शायद उनके मम्मों को मसला मगर ये हम देख नही सके.

ये सब कुछ हो रहा था और मेरी और राशिद की हालत खराब हो रही थी. मैंने अपनी अम्मी को सिरफ़ एक दफ़ा चोदा था जबके राशिद ने पता नही उनकी चूत कितनी बार ली थी. मैंने महसूस किया के उस वक़्त राशिद की सारी तवजो अपनी अलिफ नंगी माँ की तरफ थी जिससे उस ने अभी तक नही चोदा था. मै जान गया के वो खाला अम्बरीन को चोदना चाहता है. मै भी अम्मी और खाला अम्बरीन को नंगा देख कर बहुत गरम हो गया था लेकिन राशिद का हाल तो बहुत ही पतला था. वो अम्मी और खाला अम्बरीन को नंगा देख कर अपने ऊपर क़ाबू नही कर पा रहा था और उस का मुँह टमाटर की तरह लाल हो चुका था. अम्मी और खाला अम्बरीन के गोल और तवाना चूतड़ देख कर मेरा लंड टन गया था और उस में अजीब सी सनसनाहट हो रही थी.

फिर नज़ीर ने अम्मी और खाला अम्बरीन दोनो को कहा के वो उस का लंड चूसें. अम्मी अपनी हथेली से अपने होंठ साफ़ करती हुई बेड पर चढ़ी और नीचे झुक कर नज़ीर का लंड अपने मुँह में ले कर उस के टोपे पर ज़बान फेरने लगीं. खाला अम्बरीन भी अपने भारी मम्मों और चूतड़ों को हरकत देती हुई बेड पर चढ़ गईं. अम्मी की चौड़ी गांड़ का रुख़ मेरे और राशिद की तरफ था. खाला अम्बरीन ने घुटनो के बल बैठ कर अपना मुँह नज़ीर के काले सियाह लंड के क़रीब कर लिया जिससे अम्मी अपने गोरे हाथ में पकड़ कर चूस रही थीं . खाला अम्बरीन ने जान बूझ कर अपना चेहरा हमारी तरफ नही किया था ताके राशिद से उनकी आँखें चार ना हूँ. लेकिन इस तरह करने से उनकी मोटी गांड़ हमारी तरफ हो गई थी.

दोनो बहनो के चूतड़ों को जिन के बीच में उनकी मोटी चूतें और गांड़ के सुराख नज़र आ रहे थे इस तरह हवा में उठा देख कर मेरे जिसम में खून की गर्दिश बढ़ गई. नज़ीर सही कहता था दोनो ही ज़बरदस्त माल थीं .

जब अम्मी नज़ीर का मोटा लंड चूसते चूसते तक गईं तो उन्होने उससे अपने मुँह से निकाल लिया. अब खाला अम्बरीन ने उस का लंड मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया. नज़ीर ने अम्मी को बाज़ू से पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया और उनके मुँह में मुँह दे कर उनकी ज़बान चूसने लगा. उस का एक हाथ बड़ी बे-दरदी से अम्मी के मम्मों के नरम उभारों को मसल रहा था. मैंने देखा के अब अम्मी अपनी ज़बान नज़ीर के मुँह में डाल रही थीं जिस से ज़ाहिर होता था के वो गरम हो गई थीं .

जब नज़ीर ने ज़ोर से अम्मी के नंगे मम्मे पर चुटकी काटी तो उनके मुँह से हल्की सी चीख निकल गई. अम्मी कुछ शर्मिंदा सी हो गईं और सख्ती से अपने होठों को बंद कर लिया. नज़ीर हँसने लगा. खाला अम्बरीन ने अब उस का मोटा लंड अपने मुँह से निकाला और उस की तरफ देखा. नज़ीर भी शायद अम्मी और खाला अम्बरीन से अपना लंड चुस्वा चुस्वा कर बहुत गरम हो गया था. उस ने करामात को ईशारा किया.

करामात किसी पालतू कुत्ते की तरह बेड के पास आ गया. चलते हुए उस का बहुत लंबा लंड हवा में हिचकोले ले रहा था. नज़ीर ने अम्मी और खाला अम्बरीन से कहा के देखो ज़रा मेरे यार का लौड़ा. किया तुम ने कभी ऐसा लौड़ा देखा है? अम्मी और खाला अम्बरीन ने मुड़ कर करामात को देखा और फॉरन नज़रें फेर लीं.

नज़ीर ने अम्मी और खाला अम्बरीन को बेड पर सीधा लिटा दिया. फिर उस ने अम्मी की टांगें खोलीं और उनकी चूत चाटने लगा. उस की लंबी ज़बान चपा-चप मेरी अम्मी की मोटी और उभरी हुई चूत पर तेज़ी से चलने लगी. उस ने अपने दोनो हाथ अम्मी के चूतड़ों के नीचे रखे और उन्हे थोड़ा ऊपर उठा दिया. वो उनकी गांड़ के सुराख से ले कर उनकी चूत के ऊपरी हिस्से तक अपनी ज़बान फेर रहा था. अम्मी अपनी चूत और गांड़ के छेद पर नज़ीर की ज़बान बर्दाश्त ना कर सकीं और उनके मुँह से आवाजें निकलनी शुरू हो गईं. खाला अम्बरीन उनके साथ ही लेतीं रहीं. करामात शायद अम्मी की हालत देख कर बे-क़ाबू हो रहा था.

वो नज़ीर से पूछे बगैर बेड पर चढ़ा और खाला अम्बरीन के ऊपर लेट गया. उस ने खाला अम्बरीन के मुँह की ज़ोर ज़ोर से बहुत सी पपियाँ लीं और उनके मुलायम मम्मों को हाथों में ले कर बुरी तरह चूसने लगा. खाला अम्बरीन ने भी ऊऊं ऊऊओं शुरू कर दी और उनकी टांगें खुद-बा-खुद खुल गईं. करामात खाला अम्बरीन पर चढ़ा हुआ था और जब उनकी टांगें खुलीं तो वो अपने बदन के दरमियाने हिस्से को पूरी तरह उनकी चूत के ऊपर ले आया. उस का लंड खाला अम्बरीन की चूत और गांड़ के सुराख से टकराता हुआ बेड की चादर से थोड़ा ऊपर आ गया.

खाला अम्बरीन के मम्मे अच्छी तरह चूसने के बाद करामात नीचे की तरफ खिसका और उनकी चूत चाटने लगा. खाला अम्बरीन बेड पर कसमसाने लगीं और उनके मुँह से एक तावातूर के साथ आवाजें बरामद होने लगीं. करामात उनकी चूत के कुछ हिस्से को मुँह में लेता तो उनके जिसम में जैसे करेंट दौड़ जाता. दोनो बहनो के मुँह से निकलने वाली आवाजें एक दूसरे में मदगम हो रही थीं .

करामात ने फिर उठ कर खाला अम्बरीन के मुँह में अपना लंड दे दिया. वो उस का लंबा लंड पूरा अपने मुँह में नही ले सकती थीं लेकिन बहरहाल वो उस का टोपा और टोपे से नीचे का कुछ हिस्सा चूसती रहीं. करामात के टट्टे इस दोरान पेंडुलम की तरह हिलते रहे.

खाला अम्बरीन उस के लंड के टोपे को बड़ी अच्छी तरह चाट रही थीं और वो खूब मज़े ले रहा था. करामात ने ज़बरदस्ती अपने लंड को खाला अम्बरीन के मुँह के अंदर करने की कोशिश की. शायद उस के लंड का टोपा उनके हलक़ में लगा और वो बुर्री तरह खांसने लगीं. नज़ीर ने करामात से कहा के एहतियात करे. करामात मुस्कुरा दिया.

नज़ीर ने अब अम्मी को अपने लंड के ऊपर बैठने को कहा. अम्मी ने अपनी चढ़ी हुई साँसों को क़ाबू करने की कोशिश की और नज़ीर के पेट पर बैठ गईं. फिर उन्होने अपने मोटे चूतड़ ऊपर उठाये और नज़ीर के थूक में लिथड़ी हुई अपनी चूत उस के लंड के बिल्कुल ऊपर ले आ’ईं. नज़ीर ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और उससे अम्मी की चूत के अंदर करने लगा. उस के लंड का टोपा अम्मी की चूत को खोलता हुआ उस के अंदर घुस गया. अम्मी के चेहरे पर तक़लीफ़ नज़र आने लगी.

नज़ीर ने उनकी कमर को दोनो हाथों से पकड़ा और ज़ोर लगा कर उनके बदन को नीचे की तरफ दबाया. उस का लंड फँस फँस कर अम्मी की चूत में गायब हो गया. चंद सेकेंड रुक कर नज़ीर ने अम्मी की चूत में एक ज़बरदस्त घस्सा मारा. अम्मी के मुँह से ज़ोर की आवाज़ निकली. अब वो नज़ीर का पूरा लंड अपने अंदर ले चुकी थीं . नज़ीर ने अम्मी के मम्मे पकडे और उन्हे अपनी तरफ खैंचते हुए नीचे से उनकी चूत में घस्से मारने लगा. अम्मी उस के सीने पर झुक गईं और उस ने उनके होंठ अपने मुँह में ले लिये.

कुछ देर इस तरह अम्मी को चोदने के बाद नज़ीर ने अपने दोनो हाथ अम्मी के चूतड़ों के पीछे ला कर उन्हे मज़बूती से पकड़ लिया और उन्हे अपने लंड पर आगे पीछे करने लगा. अम्मी के गोरे चूतड़ों पर उस के काले हाथ ऐसे लग रहे थे जैसे दो सफ़ेद घर पर काले रंग से इंसानी हाथों के निशान बना दिये गए हूँ.

अम्मी भी मस्ती के आलम में नज़ीर के सीने पर हाथ रख कर अपने बदन को ऊपर उठा रही थीं ताके उस का लंड आसानी से उनकी चूत ले सके. नज़ीर के हर घस्से पर अम्मी का मुँह खुल जाता और वो ज़ोर ज़ोर से ऊऊं ऊऊं करने लगती थीं . नज़ीर ने कहा के तुम्हारी फुद्दी में भी बिल्कुल तुम्हारी बहन जैसा मज़ा है. अम्मी खामोशी से अपनी चूत मरवाती रहीं और कोई जवाब नही दिया. उनके लंबे और रेशमी बाल नज़ीर के एक कंधे पर पड़े हुए थे. कुछ ही देर में उस के लंड पर अम्मी के ताक़तवर चूतड़ों की उछल कूद तेज़ हो गई और वो अपने मोटे मम्मे हिला हिला कर ज़ोरदार आवाजें निकालते हुए खलास हो गईं. खलास होने की वजह से उनका सारा बदन थर्रा रहा था. रफ़्ता रफ़्ता नज़ीर के लंड पर उनके चूतड़ों की हरकत आहिस्ता होने लगी.

हमें अम्मी की गांड़ का सुराख साफ़ नज़र आ रहा था और उस से ज़रा नीचे नज़ीर का मोटा लंड भी जो आधा अम्मी की चूत के अंदर था. उस के लंड के ऊपर अम्मी की चूत से निकालने वाला पानी एक लकीर बनाता हुआ उस के टट्टों की तरफ आ रहा था. उस की बड़ी उंगली अम्मी की गांड़ के सुराख पर रखी हुई थी. कुछ देर अम्मी की चूत मारने के बाद नज़ीर ने रुक कर अपने लंड को एक हाथ में पकड़ा और दूसरे हाथ से अम्मी के चूतड़ों को हरकत देते हुए उससे उनकी चूत में सही जगह फिट कर के फिर घस्से मारने लगा. थोड़ी देर बाद उस ने अम्मी को सीधा लिटाया और अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया. अब उस का लंड फिर अम्मी की चूत को फाड़ रहा था. वो अम्मी को चोदते हुए उनके कान में कुछ कह भी रहा था लेकिन हम सुन नही सकते थे.

करामात ने इस आसन में खाला अम्बरीन के बदन को अच्छी तरह चूमने और चाटने के बाद उन्हे बेड पर लिटा दिया था. उस ने उनके ऊपर आ कर उनकी चूत के अंदर एक ऐसा घस्सा मारा के उस का पूरा लंड एक झटके से खाला अम्बरीन के अंदर चला गया. जुब उस का लंबा लंड खाला अम्बरीन की चूत में घुसा तो बे-साख्ता उनकी चीख निकल गई. अम्मी ने नज़ीर के नीचे लेते लेते खाला अम्बरीन की तरफ देखा और फिर अपनी आँखें बंद कर के उस के मोटे लंड का मज़ा लेने लगीं.

कुछ ही देर में खाला अम्बरीन की चूत करामात का लंड ज़रा सहूलत से लेने लगी और वो उन्हे तेज़-रफ़्तारी से चोदने लगा. उस ने अचानक अपने लंड को खाला अम्बरीन की चूत में गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया. खाला अम्बरीन का मुँह खुल गया और वो अपने चूतड़ों को ज़ोर ज़ोर से ऊपर उठाने लगीं. अब करामात और खाला अम्बरीन दोनो ही घस्से मार रहे थे. खाला अम्बरीन करामात के लंड पर घस्से मार रही थीं और करामात खाला अम्बरीन की चूत में घस्से लगा रहा था. एक मिनिट बाद ही खाला अम्बरीन छूट गईं और उनके मुँह से निकालने वाली आवाजें पहले कुछ और तेज़ हुईं और फिर दम थर्राने लगीं.

करामात उनके खलास होने से और बिफर गया और उस के घस्सों में शिद्दत आ गई. उस का लंड खाला अम्बरीन की पानी से भारी हुई चूत में चपड़ चपड़ की आवाज़ों के साथ आ जा रहा था. चंद लम्हों के अंदर ही खाला अम्बरीन ने एक बार फिर तेज़ तेज़ ऊऊं आआअंह शुरू की और बड़े खौफनाक तरीक़े से दूसरी दफ़ा खलास हो गईं. उनकी चूत से निकालने वाले पानी ने बेड की नीली चादर पर काफ़ी बड़ा गोल सा निशान बना दिया था. करामात उनकी हालत से बे-नियाज़ उसी तरह अपने लंड से उनकी चूत का सत्यानास करता रहा और उस के टट्टे खाला अम्बरीन की गांड़ के सुराख से ठप ठप टकराते रहे.

कुछ देर में नज़ीर ने अम्मी की चूत से अपना लंड निकाला और करामात से कहा के वो अब खाला अम्बरीन की फुद्दी मारना चाहता है. करामात फॉरन खाला अम्बरीन के ऊपर से उठ गया और आ कर अम्मी के मोटे मम्मे चूसने लगा. नज़ीर ने पहले तो खाला अम्बरीन के आठ दस बोसे लिये और फिर उनके मम्मे मसलते हुए उनको अपने लंड पर बिठा लिया. उन्होने इस दफ़ा नज़ीर का मोटा लंड बड़ी आसानी से अपने चूत में ले लिया और उस पर ऊपर नीचे होने लगीं. कुछ देर तक खाला अम्बरीन के मम्मे हाथों में पकड़ कर नज़ीर उन्हे इसी तरह चोदता रहा.

फिर उस ने खाला अम्बरीन को कुतिया बनाया और पीछे से उनकी चूत में अपना लंड घुसा दिया. उस के घस्सों के ज़ोरदार झटकों से खाला अम्बरीन के मोटे मम्मे बे-क़ाबू हो कर ज़ोर ज़ोर से झूलने लगे. कोई आठ दस मिनिट तक उन्हे पीछे से चोदने के बाद नज़ीर ने उनकी चूत की जान छोड़ी और दो तकिये सर के नीचे रख कर बेड पर लेट गया. खाला अम्बरीन भी वहीं अपनी टांगें बंद कर के लेतीं रहीं.
करामात उस वक़्त अम्मी के चूतड़ों को खोल कर उनकी चूत और गांड़ के सुराख को चाट रहा था. नज़ीर ने अम्मी से कहा के वो उस का लंड चूसें और अपनी बहन की चूत के पानी का मज़ा लें. उस ने हंस कर कहा के आज वो उन्हे लंडन की सैर किराए गा. अम्मी करामात के पास से हट गईं. वो एक लम्हे के लिये रुकीं लेकिन फिर उन्होने घुटनो के बल बैठ कर नज़ीर का गीला लंड मुँह में लिया और उससे चूसने लगीं. करामात ने भी अपना लंड उनके मुँह के सामने कर दिया और अम्मी बारी बारी उन दोनो के लंड चूसती रहीं.
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06-30-2017, 11:25 AM,
#8
RE: XXX Kahani नंबर वन माल
नंबर वन माल--8

थोड़ी देर तक अम्मी से अपना लंड चुसवाने के बाद करामात उनके चूतड़ों की तरफ आ गया और अपना लंबा लंड हाथ में पकड़ कर उनकी मोटी चूत में अपनी बड़ी उंगली डाल कर हिलाने लगा. अम्मी ने आहिस्ता से कहा के ऐसा मत करो अपना लंड अंदर डालो. इस पर करामात ने एक झटके से अपने लंड को अम्मी के अंदर घुसेड़ दिया. अम्मी उस वक़्त नज़ीर का लंड चूस रही थीं लेकिन जब करामात ने अपना लंड अचानक उनकी चूत में डाला तो नज़ीर का लंड उनके मुँह से निकल गया. करामात ने फॉरन ही अम्मी के चूतड़ों को पकड़ा और उनकी चूत में घस्से मारने लगा. उस का ताक़तवर लंड अम्मी की चूत को जैसे फाड़ता हुआ उस के अंदर जा रहा था. अम्मी के चेहरे पर शदीद तक़लीफ़ के आसार थे और वो अपनी चूत में लगने वाले हर घस्से पर आआआअ…..आआआ……..आआआ… …आआआअ…….आआआआआ कर रही थीं . करामात का लंड उनकी चूत में तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था. इसी तरह चीखें मारते मारते अम्मी फिर खलास हो गईं.

खाला अम्बरीन नज़ीर के बिल्कुल साथ जुड़ कर लेटी थीं और अम्मी की चीखें उन पर भी असर कर रही थीं . हम ने उनके मम्मों के निप्पल अकड़े हुए देखे. उन्होने अपने बाज़ू अपने नंगे मम्मों पर रख कर उन्हे छुपा लिया. वो लंड लेने के लिये बेताब दिखाई देती थीं लेकिन नज़ीर और करामात दोनो की तवजो अम्मी को चोदने पर मोरक़ूज़ थी. बिल-आख़िर नज़ीर ने अम्मी को करामात के हवाले किया और खाला अम्बरीन को अपने लंड पर बैठने को कहा. उन्होने वक़्त ज़ाया किये बगैर नज़ीर के ऊपर टाँग पलटाई और और उस का लंड अपनी चूत में ले लिया. दोनो बहनों को दो इंतिहा तजर्बकार मर्द बे-तहाशा चोद रहे थे.

खाला अम्बरीन नज़ीर के लंड पर बैठी ही थीं के फिर खलास हो गईं. नज़ीर हँसने लगा. उस ने खाला अम्बरीन को बेड पर लिटाया और खुद उनके ऊपर चढ़ गया. अभी उस ने उनकी चूत में दस घस्से ही लगाइय थे के उस के मुँह से अजीब भोंडी आवाजें निकालने लगीं. उस के काले चूतड़ अकड़ गए और उस ने खलास होते हुए खाला अम्बरीन की चूत में अपनी सारी मनी छोड़ दी. फिर उस ने अपना लंड उनके अंदर से निकाला और उनके साथ लेट गया.

जब नज़ीर और करामात ने अम्मी और खाला अम्बरीन को चोदने के बाद फ़ारिग़ किया तो उन्होने जल्दी जल्दी अपने कपड़े उठाये और बेडरूम से निकल गईं. मै और राशिद वहीं रहे.

अम्मी और खाला अम्बरीन को चोदने के बाद नज़ीर और करामात बारी बारी बाथरूम गए. मैंने नज़ीर को 50,000 रुपय दिये और कहा के अब वो फिल्म मुझे दे दे. उस ने कहा चलो. मैंने पूछा के इस की किया गरनटी है के उस ने फिल्म की और कॉपीस नही बना’ईं. वो बोला के वो मुल्क से बाहर जा रहा है उसे अब इस फिल्म की ज़रूरत नही है.

हम चारों घर से बाहर निकल कर सड़क पर आए तो नज़ीर ने अपनी क़मीज़ की साइड की जेब से एक DVD निकाल कर मुझे दी और कहा के ये लो मज़े करो. फिर वो और करामात एक रक्ष में बैठे और चलते बने. इस का मतलब था के फिल्म सारा वक़्त उस के पास थी लेकिन उस ने तुरप का ये पत्ता अपने पास ही रखा था. मै और राशिद बोझल क़दमों से घर वापस आ गए.

हम घर पुहँचे तो अम्मी और खाला अम्बरीन बेडरूम में उसी बेड की चादर बदल रही थीं जिस पर थोड़ी देर पहले नज़ीर और करामात ने उनकी फुद्दियों का हाशर नशर किया था. मै राशिद को ले कर अपने कमरे में आ गया. हम ने नज़ीर की दी हुई DVD को DVD प्लेयर में लगा कर चेक किया और फिर उससे तोड़ कर उस के कई टुकड़े कर दिये ताके वो दोबारा कभी इस्तेमाल ना हो सके.

एक बहुत बड़ा बोझ हमारे सर से उतर गया था. मेरे अन्दर की आवाज़ कह रही थी के नज़ीर अब हमारी ज़िंदगी से हमेशा के लिये निकल चुका है. अगर वो मुल्क से बाहर ना भी जाता तो बार बार यहाँ आ कर अपने आप को ख़तरे में नही डाल सकता था.

मुझे राशिद के चेहरे से अंदाज़ा हो रहा था के मेरी तरह उस के ज़हन में भी अम्मी और खाला अम्बरीन की चुदाई की फिल्म मुसलसल चल रही थी. वो भी शायद मेरी दिमागी कैफयत जान गया. कहने लगा के नज़ीर और करामात कैसे खौफनाक तरीक़े से अम्मी और खाला यासमीन को चोद रहे थे. काश हम भी कभी दो औरतों के साथ ऐसा कर सकैं. मेरा माथा ठनका. उस ने ये बात बगैर वजह के नही की थी. ज़रूर इस के पीछे कुछ था.

राशिद समझ रहा था के चूँके वो अम्मी को चोद रहा था इस लिए मैंने उस से बदला लेने की खातिर खाला अम्बरीन पर हाथ डाला जब के मुझे तो उस के और अम्मी के ता’अलूक़ का पता ही पिंडी से वापस आने के बाद चला था. लेकिन में उससे इस हक़ीक़त से क्यों आगाह करता. अगर उसे अपना आप गुनाह-गार लग रहा था तो ये अच्छी बात थी क्योंके में किसी ना किसी तरह बाहरहाल उस की माँ को चोदना चाहता था. मैंने कहा पिछली बातों को छोड़ो राशिद अब आगे का सोचो.

वो कुछ देर खामोश रहा और फिर बोला के शाकिर क्यों ना अम्मी और खाला यासमीन के साथ हम भी वोही करें जो नज़ीर और करामात ने किया. फिर खुद ही कहने लगा के वो कभी नही मानेंगीं. मुझे इसी बात का इंतिज़ार था. मैंने कहा अब ये इतना ना-मुमकिन भी नही है. उस ने मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखा.

मैंने कहा के हमारी माओं ने पिछल दिनों कई दफ़ा बड़ी ज़ोरदार चुदाई करवाई है और उनके साथ वो हुआ है वो इस से पहले यक़ीनन कभी ख्वाब में भी नही हुआ था. ये उनके लिये ज़िंदगी को हर तरह से और हमेशा के लिये बदलने वाला तजर्बा था. अब दुनिया उन्हे पहले के मुक़ाबले में बिल्कुल मुख्तलीफ़ नज़र आ रही होगी. वो अब वैसी नही रही हैं जैसी इन तजरबात से पहले थीं . जब में मर्द हो कर नज़ीर की वजह से कुछ ही दिन में 16 से 26 साल का हो गया तो इन दो औरतों का किया हाल हुआ हो गा? उनके ज़ह्नो में अब चूत देने के हवाले से ज़िल्लत और इज़्ज़त का वो एहसास नही हो सकता जो आम औरतों में होता है. वो दोनो अब बड़ी मुख्तलीफ़ औरतें हैं महज़ दो घरैलू जनानियाँ नही हैं.

रहा हम से चुदवाने का सवाल तो ये ना भूलो के उन्होने हमारे सामने दो गैर मर्दों से अपनी चूतें मरवाई हैं और हम ने उन्हे दो दो लंड अपने अंदर लेते हुए देखा है. इस लिये अब हमारे और उनके दरमियाँ बहुत से पर्दे नही रहे. हम से चुदवाना उनके लिये एक बड़ी बुरी बात तो ज़रूर है मगर कोई बहुत क़यामत नही.

मेरी बात राशिद के दिल को लगी. कहने लगा के शाकिर तुम बहुत बदल गए हो. मुझे बातें सुन कर लगता है जैसे कोई और बोल रहा हो. मै मुस्कुरा दिया. फिर उस ने पूछा के अगर वो दोनो मान गईं तो किया तुम मुझे खाला यासमीन को चोदने दो गे? मैंने हंस कर कहा के तुम इस से पहले किया मुझ से इजाज़त ले कर अम्मी की चूत ले रहे थे? वो बोला ये तो है मगर इस काम के लिये उन दोनो से बात कैसे करें? मैंने कहा के तुम अपनी अम्मी को राज़ी करो और में अपनी अम्मी को मानने की कोशिश करता हूँ फिर देखते हैं किया होता है.

कुछ देर बाद में, अम्मी, राशिद और खाला अम्बरीन बेडरूम में आ गए. खाला अम्बरीन के चेहरे पर खीफफत के आसार थे और राशिद के सामने वो कुछ शर्मिंदा लग रही थीं लेकिन अम्मी बिल्कुल नॉर्मल और हशाश बशाश थीं . मेरे लिये समझना मुश्किल नही था के दोनो के रवाइयों में ये फ़र्क़ क्यों था. मै अम्मी को चोद चुका था और आज के वाकये के बाद भी उन्हे मुझ से किसी क़िसम की शरम या खौफ महसूस करने की ज़रूरत नही थी लेकिन खाला अम्बरीन और राशिद में ऐसा कोई ता’अलूक़ नही था. खाला अम्बरीन को आज उनके बेटे के सामने दो अजनबी मर्दों को अपनी चूत देनी पड़ी थी और ज़ाहिर है ये बात उनके लिये नदामत का बा’आइस थी. और अगरचे वो एक कमज़ोर औरत नही थीं मगर फिर भी उन्हे इन वाकेयात के असर से निकलने के लिये कुछ वक़्त चाहिये था.

मैंने खाला अम्बरीन की दिल-जोई के लिये कहा के हम में से किसी को परेशां होने की ज़रूरत नही है. हम ने जो किया खानदान को एक बहुत बड़ी मुश्किल से निकालने के लिये किया. खाला अम्बरीन बोलीं के ये तो ठीक है मगर मेरी और यासमीन की इज़्ज़त भी तो लूटी है इस सारे मामले में. उन्हे अपनी इज़्ज़त का राग अलापने का बहुत शोक़् था. मै क़सम खा सकता था के अगर उन्हे दोबारा मोक़ा मिलता और उन पर कोई इल्ज़ाम ना आता तो वो ज़रूर नज़ीर और करामात से चूत मरवातीं. राशिद ने कहा के ऐसा बिल्कुल नही हुआ क्योंके किसी को कुछ पता नही है. हमें ऐसी बात सोकछनी भी नही चाहिये. ये सुन कर खाला अम्बरीन वाज़ेह तौर पर रिलॅक्स हो गईं.

तनाओ कुछ कम हुआ तो में बोला के वैसे हमारी तो अभी शादियाँ नही हुई हैं मगर में ये ज़रूर चाहूं गा के औरतों के मामले में नज़ीर और करामात जितना तजर्बा हासिल कर सकूँ. अम्मी और खाला अम्बरीन ने ज़रा हैरत से एक दूसरे की तरफ देखा. राशिद ने कहा के खाला यासमीन आप को और अम्मी को प्रेग्नेंट होने का ख़तरा नही है. अम्मी ने जवाब दिया के नही हम दोनो प्रेग्नेन्सी रोकने वाली गोलियाँ लेतीं हैं.

गुफ्तगू अब काफ़ी खुल कर हो रही थी. मैंने कहा वैसे वो दोनो बड़े खुश-क़िस्मत हैं जो आप जैसी खूबसूरत औरतों को मुफ़्त में चोद लिया कहाँ आप दोनो और कहाँ वो गलियों के आवारा कुत्ते. अम्मी और खाला अम्बरीन ने इस बात का कोई जवाब नही दिया मगर ज़ाहिर है ये बात उन्हे बुरी तो नही लग सकती थी. खाला अम्बरीन ने कहा के तुम दोनो ने कुछ ज़ियादा पर पुर्ज़े नही निकाल लिये. पता नही तुम राशिद को सिखाते हो या ये तुम्हे सिखाता है. मैंने हंस कर कहा के खाला अम्बरीन में राशिद से साल बड़ा हूँ इस लिये में इस का उस्ताद हूँ. अम्मी बोलीं के तुम राशिद से चंद महीने ही बड़े हो लेकिन तुम दोनो की पदैश का साल एक ही हे. माहॉल ज़रा खुश-गवार हुआ तो मैंने सोचा के अब सीधी सीधी बात कर देनी चाहिये. मैंने कहा के किया आप दोनो एक दफ़ा मुझे और राशिद को अपनी चूत दे सकती हैं?

मेरी बात सुन कर अम्मी को तो कम हैरत हुई लेकिन खाला अम्बरीन का मुँह खुला का खुला रह गया. कहने लगीं शाकिर ये तुम किया कह रहे हो? यासमीन तुम्हारी माँ है और में तुम्हारी खाला. इसी तरह में राशिद की माँ हूँ और यासमीन उस की खाला. वो दोनो कमीने अभी अभी मेरी और तुम्हारी माँ की इज़्ज़त तार तार कर के गए हैं और तुम अब ये बात कर रहे हो. कुछ तो ख़याल करो. उन्होने राशिद की तरफ देखा और फिर अम्मी से कहा के यासमीन ये कैसी बातें कर रहा है. मैंने अम्मी को जवाब देने का मोक़ा नही दिया और कहा के खाला अम्बरीन आप जानती हैं के मैंने पिंडी में आप की फुद्दी तक़रीबन मार ही ली थी इस लिये मेरा आप को चोदने की खाहिश करना कोई ऐसी हैरत की बात नही है. रहा अम्मी का मामला तो…….. 

मैंने बात अधूरी छोड़ कर राशिद और अम्मी की जानिब मानी खैीज़ नज़रों से देखा. दोनो अचानक नर्वस नज़र आने लगे थे. उन्हे खौफ था के कहीं उनके आपस के ता’अलूक़ का राज़ खाला अम्बरीन पर खुल ना जाए. राशिद जल्दी से बोला के अम्मी में खाला यासमीन को चोदना चाहता हूँ. अम्मी ने ज़ोर से साँस ली. उनका राज़ फिलहाल महफूज़ था. अपनी परैशानी में वो ये भूल गईं के उनका भांजा अपनी माँ के सामने उन्हे चोदने की बात कर रहा था.

खाला अम्बरीन ने गुस्से से राशिद को घूरा और कहा के तुम होश में तो हो सूवर के बच्चे. राशिद का चेहरा बे-इज़्ज़ती के एहसास से सुर्ख हो गया. उस ने अपनी माँ की बात का कोई जवाब नही दिया और उठ कर बेडरूम से बाहर निकल गया. मैंने खाला अम्बरीन से कहा के ये आप ने किया गज़ब कर दिया राशिद को नाराज़ कर के हम सब मुसीबत में फँस सकते हैं. अगर उस ने नज़ीर के बारे में खालू को कुछ बता दिया तो किया हो गा? मेरी बात सुन कर खाला अम्बरीन की आँखों में खौफ के साइी लहराने लगे. अम्मी ने मुझे कहा के जेया’ओ उससे वापस ले कर आ’ओ.

में बाहर निकला तो राशिद घर के बड़े दरवाज़े के पास नज़र आया. मै उससे ठंडा कर के वापस बेडरूम में ले आया. हम अंदर पुहँचे तो अम्मी खाला अम्बरीन को दूसरे कमरे में ले गईं. वो यक़ीनन उन्हे समझाना चाह रही थीं . कोई आधे घंटे बाद अम्मी और खाला अम्बरीन वापस आ गईं. खाला अम्बरीन ने राशिद को गले से लगाते हुए कहा के ये सब बातें उनके लिये बड़ी खौफनाक हैं इस लिये वो समझ नही पा रहीं के किया करें. कुछ देर इधर उधर की बातों के बाद राशिद और खाला अम्बरीन अपने घर चले गए.

उनके जाने के बाद मैंने अम्मी से पूछा के उन्होने खाला अम्बरीन से किया बात की. वो कहने लगीं के मैंने उससे यही समझाया के वो अक़ल से काम ले और मामलात को खराब ना होने दे. मैंने कहा के किया खाला अम्बरीन राशिद से और मुझ से चुदवा लेंगीं. अम्मी बोलीं के जब सर पर पड़ती है तो हर ना-राव राव हो जाता है. मैंने फिर सवाल किया के किया खाला अम्बरीन आप के सामने ये सब कुछ कर लेंगीं? अम्मी ने कहा के अम्बरीन ने कल सुबह यहाँ आने का कहा है. अगर वो आ गई तो फिर सब कुछ हो जाए गा और अगर ना आई तो इस का मतलब हो गा के वो राज़ी नही है. उन्होने पूछा के तुम किस तरह राशिद को मेरे साथ देख सको गे. मैंने कहा अम्मी इस के साइवा और कोई चारा नही है क्योंके खाला अम्बरीन पर आप की गैर मोजूदगी में हाथ नही डाला जा सकता. जब तक इस हमाम में सब नंगे नही हूँ गे हालात ठीक नही हो सकते. और फिर राशिद जो कुछ यहाँ आ कर पहले करता रहा है एक बार और कर ले गा तो कौन सी क़यामत टूट पड़े गी. 

अम्मी के चेहरे का रंग एक लम्हे के लिये बदला लेकिन फिर कहने लगीं के शाकिर कुछ और हो ना हो तुम अम्बरीन की चूत ज़रूर लाना. मैंने पूछा अम्मी आप ऐसा क्यों चाहती हैं? उन्होने कहा के मैंने राशिद से ता’अलूक़ कायम कर के बहुत बड़ी गलती की थी और अगर इस बात का ईलम अम्बरीन को सो साल बाद भी हो गया तो में कहीं की नही रहूं गी. मैंने कहा आप फिकर ना करें ऐसा कभी नही होगा. फिर मैंने अम्मी से पूछा के किया में आज उन्हे चोद सकता हूँ तो उन्होने कहा के में रात को तुम्हारे पास आ जाऊं गी. आधी रात के बाद वो मेरे पास आ गईं और मुझ से बड़े अच्छे तरीक़े से अपनी फुद्दी मरवाई हालांके वो दिन को दो दो ताक़तवर लंड ले चुकी थीं . जब वो फ़ारिग़ हो कर अपने कमरे में चली गईं तो में बे-सबरी से अगले दिन का इंतिज़ार करने लगा.

दूसरी दिन खाला अम्बरीन और राशिद सुबह 9 ½ बजे आ गए. मै अभी सो कर ही उठा था. अम्मी के कहने पर में अपने दोनो छोटे भाई बहन को हस्ब-ए-साबिक़ नाना के घर छोड़ आया. कोई एक घंटे बाद हम चारों बेडरूम में आ गए और मैंने बेडरूम का दरवाज़ा लॉक कर दिया.

फिजा में आज फिर अजीब क़िसम का खींचाओ महसूस हो रहा था. हम चारों में से कोई भी पहल नही करना चाहता था. अम्मी बेड पर बैठी हुई थीं और खाला अम्बरीन कुर्सी पर. मै अम्मी के साथ बैठ गया और उनकी कमर में हाथ डाल कर उनका गाल चूम लिया. उन्होने मेरी रान पर अपना हाथ रख दिया. राशिद ने ये देखा तो हिम्मत पकड़ी और खाला अम्बरीन को ले कर बेड पर आ गया. मैंने अम्मी को आहिस्ता से धकेल कर बेड पर लिटाया और खुद उनके ऊपर झुक गया. उन्होने अपने मुँह पर मेरे होंठ महसूस किये तो बिला-झीजक अपने होंठ मेरे होठों के साथ चिपका दिये. मै उनके बोसे लेता रहा और वो अपने लिपस्टिक लगे होठों से जवाबन मुझे चूमती रहीं. मेरा लंड तन कर लोहा बन गया. उनके मुँह के बीसियों बोसे लेने के बाद में अम्मी के ऊपर से हटा और जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा ताके मेरा लंड बाहर आ सके.

राशिद मुझ से पहले ही नंगा हो चुका था और खाला अम्बरीन ने उस का लंड अपने हाथ में पकड़ा हुआ था. मै अम्मी के सामने खड़ा हो गया और अपना लंड उनके मुँह से क़रीब कर दिया. अम्मी ने मेरा लंड हाथ में थाम कर मुँह में ले लिया और उससे चूसने लगीं. बेडरूम में स्प्लिट A C की हल्की आवाज़ के बावजूद मेरा लंड चूसते हुए अम्मी के मुँह से सपड़ सपड़ की आवाजें सुनाई दे रही थीं . 

राशिद ने खाला अम्बरीन के कपड़े उतारने शुरू कर दिये. उन्होने अपनी क़मीज़ तो बेड पर बैठे बैठे ही उतार दी लेकिन शलवार उतारने के लिये उन्हे खड़ा होना पड़ा. शलवार उतरी तो खाला अम्बरीन के वज़नी चूतड़ मुझे नज़र आए. राशिद ने मुझे देखा और हाथ पीछे ले जा कर अपनी माँ के मोटे चूतड़ों को कस कस कर दबाने लगा. उस का लंड खाला अम्बरीन के पेट के नीचे टनटना रहा था. उस ने खाला अम्बरीन के दोनो चूतड़ों को अपने दोनो हाथों में ले कर खोला तो मुझे उनकी गांड़ का सुराख नज़र आया. राशिद ने बड़े वबाशाना अंदाज़ में अपनी माँ की गांड़ के सुराख पर उंगली फेरी.

ये देख कर अम्मी के मुँह के अंदर ही मेरे लंड में मज़े की मौजें उठने लगीं. राशिद ने खाला अम्बरीन का ब्रा भी उतारा और उनके मम्मों को दोनो हाथों में ले लिया. खाला अम्बरीन ने अपने होंठ दाँतों में दबा लिये. राशिद ने भी मेरी तरह वहीं खड़े खड़े अपना लंड अपनी माँ के मुँह में डाल दिया. खाला अम्बरीन अपने बेटे का लंड चूसने लगीं मगर उनके चेहरे पर ऐसा ता’असुर था जैसे ये सब कुछ उनके लिये ना-पसंदीदा हो.

मैंने अम्मी की क़मीज़ उनके पेट पर से ऊपर की और उस के अंदर हाथ डाल कर उनके मम्मे पकड़ने चाहे मगर क़मीज़ ब्रा से ऊपर नही गई और उनके मम्मे पूरी तरह मेरे हाथ में नही आ सके. अम्मी ने मेरा लंड मुँह से निकाला और खुद ही अपनी क़मीज़ उतार कर अपने बदन से अलहदा कर दी. फिर उन्होने अपनी शलवार भी उतार दी. मैंने उनका ब्रा खोल कर उनके मम्मों के ऊपर से हटाया और बेड पर लेट गया.

खाला अम्बरीन अब बेड पर दराज़ हो चुकी थीं और राशिद उन पर चढ़ा हुआ था. वो उनके मम्मों को बिल्कुल दीवानों की तरह मुँह में ले ले कर चूस रहा था. खाला अम्बरीन के मुँह से अब आवाजें निकलना शुरू हो गईं थीं और वो आहिस्ता आहिस्ता अपना सीना आगे पीछे कर रही थीं . ये मंज़र भी खून गरमा देने वाला था. राशिद और खाला अम्बरीन मुझ से क़रीब ही थे. जब राशिद खाला अम्बरीन का एक मम्मा चूस रहा था तो मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उनके दूसरे मम्मे को दबाना शुरू कर दिया. खाला अम्बरीन के मुँह से निकालने वाली आवाजें एक लम्हे के लिये बंद हुईं और फिर फॉरन ही उन्होने ज़ियादा तेज़ आवाज़ में कराहना शुरू कर दिया. मै भी अपना लंड आहिस्ता आहिस्ता अम्मी के मुँह के अंदर बाहर करने लगा. जब मेरा लंड अम्मी के मुँह में घुसता तो वो अपनी ज़बान नीचे कर लातीं और जब लंड उनके मुँह से बाहर निकलता तो वो उस के टोपे पर ज़बान फेरतीं.
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06-30-2017, 11:25 AM,
#9
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मैंने खाला अम्बरीन की मम्मे पर हाथ फेरा तो वो खिसक कर मज़ीद मेरे क़रीब आ गईं और में उनके उस मम्मे को मसलता रहा जो राशिद के मुँह में नही था. राशिद ने अपनी माँ में मेरी दिलचस्पी देखी तो उठ कर अम्मी के पास आया और अपना लंड उनके मुँह के आगे कर दिया. अम्मी ने मेरा लंड मुँह से निकाला और राशिद के लंड का टोपा चूसने लगीं. मैंने भी अपना लंड खाला अम्बरीन के मुँह में दाखिल कर दिया. मुझे अंदाज़ा हुआ के जब दो मर्द दो औरतों को एक साथ चोदते हैं तो दोनो एक दूसरे को देख कर एक जैसी हरकतें करने लगते हैं.

फिर राशिद ने अम्मी से कहा के खाला ज़रा अपनी गांड़ मेरी तरफ करें. अम्मी अपना थूक से भरा हुआ मुँह साफ़ करते हुए उठीं और अपने नंगे चूतड़ों को राशिद की तरफ कर दिया. राशिद ने उनके चूतड़ों को अपने हाथों की मदद से खोला और उनकी चूत और गांड़ चाटने लगा. अम्मी ने बेड की चादर पकड़ ली और ऊऊं ऊऊऊःन करने लगीं. मै भी खाला अम्बरीन के पीकछे आ गया और बिल्कुल राशिद की तरह उनके चूतड़ों को खोल कर उनकी चूत पर ज़बान फेरने लगा. खाला अम्बरीन भी अपनी चूत चटवाते हुए खुद पर क़ाबू ना रख सकीं और कराहने लगीं. दोनो एक दूसरे से चंद इंच के फ़ासले पर थीं .

मेरे लंड के टोपे से पानी की बूँदें निकल रही थीं . मैंने ज़रा ज़ोर से खाला अम्बरीन की चूत चाटी तो वो बे-खुदी के आलम में आगे हुईं और अम्मी के ऊपर झुक कर उनकी कमर का निचला हिस्सा चाटने लगीं. उन्होने अपने हाथ की उंगलियाँ राशिद के माथे के पास अम्मी की गांड़ के सुराख पर फैरना शुरू कर दीं. अम्मी ने अपनी कमर पर खाला अम्बरीन की ज़बान महसूस की तो और ज़ोर से अपनी गांड़ राशिद के मुँह में घुसा ने लगीं. वो दोनो अब अपने आप को संबाल नही पा रही थीं .

मैंने खाला अम्बरीन का हाथ पकड़ कर अम्मी के हिलते हुए मम्मों के क़रीब कर दिया. उन्होने अम्मी के मम्मों को पकड़ा और उन्हे दूध दोहने वाले अंदाज़ में नीचे की तरफ खैंचने लगीं. मैंने खाला अम्बरीन की चूत को चूमते हुए उनकी गांड़ के सुराख को देखा जो कभी खुल रहा था और कभी बंद हो रहा था. मैंने अपनी एक उंगली उनके गांड़ के सुराख पर रखी और उससे आहिस्ता से अंदर दबाया. खाला अम्बरीन ने एक तेज़ आवाज़ निकाली और अपना एक हाथ नीचे ला कर अपनी चूत को मसलने लगीं.

राशिद ने जब देखा के उस की माँ खलास हो गई है तो वो अम्मी को छोड़ कर खाला अम्बरीन के पास आ गया. चूँके कुछ देर पहले राशिद ने खाला अम्बरीन को मेरे लिये छोड़ा था इस लिये में भी उससे अम्मी की गांड़ के पीछे से उठते हुए देख कर वहाँ से हट गया. राशिद ने खाला अम्बरीन के चूतड़ों को अपने लंड की तरफ मोड़ा और अपना फूँकारता हुआ लंड अपनी माँ की चूत के अंदर डाल कर घस्से मारने लगा.

मैंने भी अम्मी को घुटनो के बल झुकाया और उनकी चूत में अपना लंड अंदर कर दिया. अम्मी की चूत राशिद ने काफ़ी देर चाटी थी और वो पूरी तरह खुल चुकी थी. मेरा लंड अम्मी की चूत में आसानी से रास्ता बनाता हुआ उस के अंदर घुस गया और मैंने उनके चूतड़ पकड़ कर घस्से मारने शुरू कर दिये. अब में और राशिद अपनी अपनी माओं को पीछे से चोद रहे थे.

हमारे लंड एक तावातूर से अम्मी और खाला अम्बरीन की फुद्दियों में अंदर बाहर हो रहे थे. वो दोनो भी अपने चूतड़ों को हिला हिला कर हमारा साथ दे रही थीं . दोनो के मम्मे हमारे झटकों की वजह से बुरी तरह हिल रहे थे. अम्मी और खाला अम्बरीन वक़फे वक़फे से एक दूसरे की तरफ देख लेतीं थीं . वो अब इस सारे खेल का मज़ा ले रही थीं और दोनो के चेहरों पर इतमीनान और सकूँ नज़र आ रहा था.

में सेक्स में इतना तजर्बकार नही था लेकिन फिर भी एक दम मुझे लगा के अम्मी की फुद्दी पानी छोड़ने वाली है. उन्होने तेज़ रफ़्तारी से मेरे लंड पर अपनी फुद्दी को आगे पीछे किया और छूटने लगीं. उनकी फुद्दी पूरी तरह पानी में भीग गई और वो सर झुका कर मुँह से बे-हंगम आवाजें निकालने लगीं. उन्होने खलास होने के बाद अपनी गांड़ नीचे की और पेट बेड के साथ लगा कर मेरे लंड को अपनी फुद्दी के अंदर ही रखते हुए उल्टी लेट गईं. मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला और इस तरह अम्मी की चूत मारता रहा. लेकिन अब मुझे अपना लंड उनकी फुद्दी के अंदर दूर तक पुहँचाने में मुश्किल हो रही थी. मैंने उनकी चूत से लंड बाहर निकाला और सीधा लेट कर उन्हे अपने लंड पर बिठा लिया. मेरा लंड अम्मी की चूत के अंदर गया और वो उस पर अपने सेहतमंद बदन को आहिस्ता आहिस्ता ऊपर नीचे करने लगीं. मैंने खाला अम्बरीन की तरफ सर घुमाया.

राशिद अब भी खाला अम्बरीन को पीछे से ही चोद रहा था. जब वो अपना लंड उनकी चूत में अंदर करता तो खाला अम्बरीन मुँह से उफफफफ्फ़ की आवाज़ निकलटीं लेकिन जब उस का लंड उनकी चूत से बाहर निकलता तो उनके चेहरे पर तक़लीफ़ के आसार आ जाते. राशिद की पतली रानें खाला अम्बरीन के भारी चूतड़ों से तकररा तकररा कर अजीब क़िसम की आवाजें पैदा कर रही थीं . उस ने खाला अम्बरीन के चूतड़ों पर दोनो हाथ फेरने शुरू कर दिये और अपने घस्सों में थोड़ी तेज़ी ले आया. कुछ देर खाला अम्बरीन को चोदने के बाद वो भी मेरी तरह लेट गया और अपनी माँ को अपने ऊपर ला कर उस की फुद्दी में लंड दे दिया. खाला अम्बरीन भी अब अम्मी की तरह अपने बेटे के लंड पर उछलने लगीं.

अभी तक मैंने अपने ऊपर काफ़ी क़ाबू रखा था और खलास नही हुआ था लेकिन जब अम्मी के मोटे और भारी चूतड़ों ने बार बार मेरे लंड पर वज़न डाला तो मुझे लगा के में खलास हो जाऊं गा. मै राशिद से पहले खलास नही होना चाहता था. मैंने जल्दी से अम्मी को मम्मों से पकड़ कर रोक दिया. वो मेरे चेहरे के ता’असूरात से समझ गईं के में खलास होने वाला हूँ. उन्होने अपने चूतड़ों की हरकत रोक दी और कुछ कहे बगैर मेरे ऊपर से उतर गईं. जैसे ही मेरा अकड़ा हुआ लंड अम्मी की चूत के दबाव से आज़ाद हुआ तो किसी स्प्रिंग की तरह बड़ी तेज़ी से दांयें बांया हरकत करने लगा. अम्मी ने फॉरन उससे अपने हाथ में पकड़ लिया.

वो जान गई थीं के में खलास नही होना चाहता और खामोशी से मेरी मदद कर रही थीं . मैंने अपनी साँसें दरुस्त कीं और एक हाथ से अम्मी का एक मम्मा पकड़ा और दूसरे हाथ में खाला अम्बरीन का उछलता हुआ मम्मा दबोच लिया जो अब भी राशिद के लंड पर बैठी हुई थीं . कुछ मिनिट बाद मेरी हालत ज़रा और बेहतर हुई तो में फिर खाला अम्बरीन की तरफ मुतवजेह हुआ. वो राशिद के लंड पर से उतार कर मेरे साथ लिपट गईं. अम्मी ने मुस्कुराती आँखों से मुझे देखा और चुप चाप राशिद के पास जा कर लेट गईं जो उन से फॉरन लिपट गया.

राशिद ने अम्मी के ऊपर लेट कर उनके होठों को अपने मुँह में लिया और दोनो हाथों से उनके मम्मे मसलने लगा जो अब मेरे और राशिद के चूसने और मसलने से खूब लाल हो चुके थे. अम्मी अपना मुँह खोल खोल कर उस का साथ दे रही थीं . दोनो बुरी तरह एक दूसरे को चूम चाट रहे थे. बेडरूम में चूमा चाटी की आवाजें हर तरफ फैली हुई थीं . मैंने खाला अम्बरीन को अपने नीचे किया और अपना लंड उनकी फुद्दी में डाल कर घस्से लगाने लगा. वो बेड पर अपने बदन को इधर उधर हरकत देती रहीं. वो होश में नही लग रही थीं .मै खाला अम्बरीन की चूत में आहिस्ता आहिस्ता घस्से मारता रहा. तेज़ साँस लेने की वजह से उनका सीना और मम्मे ऊपर नीचे हो रहे थे.

राशिद ने अपनी माँ को एक बार फिर खलास होते देखा तो अम्मी की टांगें उठा कर अपने कंधों पर रख लीं. अम्मी की चूत का मुँह ऊपर उठ कर उस के सामने आ गया. राशिद ने अपना लंड अम्मी की चूत के अंदर डाला और उस के कंधों पर रखी हुई अम्मी की टांगें उनके सीने की तरफ आ गईं. अम्मी ने ज़ोर से उफफफ्फ़ कहा और सर उठा कर अपने हाथों से राशिद को पीछे ढकैलने की कोशिश की. राशिद ने अपना पूरा वज़न डाल कर अम्मी के घुटने उनके पेट से मिला दिये और उनकी उभरी हुई चूत में घस्से मारने लगा. वो इतना ताक़तवर नज़र नही आता था मगर उस ने अम्मी जैसी सेहतमंद औरत को बड़ी अच्छी तरह क़ाबू किया हुआ था. अम्मी उस के हर घस्से पर बड़ी तेज़ आवाज़ में कराहती थीं . मैंने देखा के उनकी चूत से पानी काफ़ी मिक़दार में निकल रहा था.

फिर राशिद के चेहरे के नाक़ूश बिगड़ घैय. उस ने अपना लंड अम्मी की फुद्दी में से बाहर निकाला और तेज़ तेज़ मूठ मारने लगा. फॉरन ही उस की मनी उस के टोपे के सुराख से पिकचकार्यों की सूरत में बाहर निकल कर अम्मी के चूतड़ों पर गिरने लगी. अपनी सारी मनी अम्मी की गांड़ पर डाल कर राशिद बेड से उठ गया और सामने पड़ी हुई कुर्सी पर जा बैठा. अम्मी भी उठीं लेकिन बेड पर ही एक साइड पर नंगी ही बैठ गईं.

राशिद को खलास होते देख कर मुझे दिल ही दिल में खुशी हुई के में उस से पहले नही कछूटा. मैंने एक दफ़ा फिर खाला अम्बरीन की चूत में अपने घस्से तेज़ कर दिये. यों ही चंद मिनिट तक उनकी चूत लेने के बाद मैंने फिर उन्हे घुटनो और हाथों के बल कुतिया बनाया और पीछे से उनकी चूत मारने लगा. अब में उनकी चूत में खलास होने की नियत से घस्से मार रहा था. जल्द ही मुझे अपने लंड के टोपे पर हल्की हल्की गुदगुदी महसूस होने लगी और मैंने खाला अम्बरीन की चूत में जल्दी जल्दी घस्से लगाने शुरू कर दिये. वो अपने बदन की सारी ताक़त इस्तेमाल कर के पीछे की तरफ ज़ोर लगा रही थीं . फिर में खाला अम्बरीन के अंदर खलास होने लगा और मुझे अपनी मनी उनकी पहले से गीली चूत के अंदर जाती महसूस होने लगी. इस के बाद हम सब बारी बारी नहाए और फिर गप शप करने बैठ गए.

इस वक़िये को 6 साल बीत चुके हैं. उस दिन के बाद मैंने और राशिद ने ये फ़ैसला किया था के हम एक दूसरे की माओं को अलहदा अलहदा नही चोदेंगे और हम आज तक इस फ़ैसले पर कायम हैं. अगर मुझे खाला अम्बरीन को चोदना होता है तो राशिद भी उसी दिन या किसी और दिन अम्मी की चूत मारता है और अगर राशिद की खाहिश होती है के अम्मी को चोदे तो में भी खाला अम्बरीन की फुद्दी लेता हूँ. हम सब अपनी अपनी जगह पर खुश हैं और एक अच्छी ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं.

मेरे सर से अपनी अम्मी और खाला को चोदने का भूत आज तक नही उतार सका. लेकिन में अम्मी को उसी वक़्त चोदता हूँ जब मुझे उनकी तरफ से इस बात का कोई इशारा मिलता है के वो चुदवाना चाहती हैं. मुझे खुद इस सिलसिले में उन से बात करने की हिम्मत नही होती. मै उनकी चूत ज़रूर मारता हूँ मगर इस का मतलब ये नही है के वो मेरी माँ नही रहीं. हम अब भी पहले ही की तरह माँ और बेटे ही हैं.

जिन लोगों का ख़याल है के इन्सेस्ट से रिश्तों की नोआयत पूरी तरह बदल जाती है वो गलती पर हैं. ऐसा बिल्कुल नही होता. फ़र्क़ ज़रूर पड़ता है लेकिन अगर बेटा अपनी माँ को चोद ले तो फिर भी माँ माँ ही रहती है बीवी नही बन जाती. मेरे लिये ये आज भी मुमकिन नही है के खाविंद की तरह उन्हे इशारा करूँ और वो अपनी शलवार उतार दें. अगरचे में जानता हूँ के वो मुझे चूत देने से इनकार नही कर सकतीं मगर मुझे ये भी ईलम है के वो ऐसा अपनी रज़ामंदी से ही करती हैं ज़ोर ज़बरदस्ती से नही. अब भी में उनकी कोई बात नही टाल सकता और ना अपनी कोई बात उन से ज़बरदस्ती मनवा सकता हूँ. मै नही जानता के मुस्तक़बिल में किया हो गा मगर मेरी और राशिद की शादियों तक तो शायद सब कुछ ऐसा ही रहे. बाक़ी जो क़िस्मत में लिखा हो वो हो कर रहता है.
THE END
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