XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
07-22-2018, 12:33 PM,
#11
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
गुड़िया अपने भैया के मोटे लंड से अपनी चूत को बार-बार आगे पीछे करके रगड़ने

लगती है,

विजय- बोल मेरी बहाना आज कहाँ तुझे दर्द हो रहा है, गुड़िया अपने भाई के मोटे लंड को पकड़ कर कहती है जहाँ आपका

यह मोटा डंडा मुझे चुभ रहा है, गुड़िया की बात सुन कर विजय उसे बेड पर लेटा देता है और गुड़िया अपनी दोनो टाँगे

फैला कर उसे अपनी गुलाबी कसी हुई चूत दिखा कर कहती है भैया देखो ने यहा आज बहुत दर्द हो रहा है देखो कैसी

लाल हो गई है, विजय अपनी बहन की गुलाबी रस से भरी चूत देख कर उसकी दोनो फांको को खूब कस कर फैला देता है और फिर अपनी जीभ अपनी बहन की रसीली चूत की फांको के बीच बहते गुलाबी छेद मैं डाल कर पागलो की तरह अपनी जवान बहन की चूत का रस पीने लग जाता है,

गुड़िया- ओह भैया आह आह हॅ भीया यही दर्द है बहुत दर्द है और ज़ोर से चतो भैया आह आह, विजय पागलो की तरह

गुड़िया की चूत की फूली हुई फांको को फैला कर उसकी गुलाबी चूत चाटने लगता है, गुड़िया खूब सिसकिया लेती हुई अपनी मोटी गंद उठा-उठा कर अपने भैया के मूह मे मारने लग जाती है, कुछ देर तक विजय अपनी बहन की चूत चाट-चाट कर पूरी लाल कर देता है, उसके बाद गुड़िया अपने भैया से पूरी चिपक जाती है,

विजय- उसका घाघरा और चोली उतार कर पूरी नंगी करके उसकी चूत को अपने हाथो से सहलाता रहता है

गुड़िया- भैया तुम मम्मी को भी ऐसे ही नंगी करके प्यार करना चाहते हो ना

विजय- गुड़िया के मोटे-मोटे दूध को दबाता हुआ हा मेरी बहना मैं मम्मी को बहुत प्यार करता हू और इसी तरह

मम्मी को पूरी नंगी करके उनकी मालिश करना चाहता हू,

गुड़िया- भैया आपका ये तो बहुत मोटा है

विजय- तू इसे चतेगी तो तुझे बहुत अच्छा लगेगा,

गुड़िया- भैया आप भी मेरी चॅटो ना मैं आपका ये मोटा डंडा चुस्ती हू और फिर दोनो भाई बहन एक दूसरे के लंड और

चूत को पागलो की तरह तब तक चूस्ते है जब तक कि एक दूसरे का सारा रस चूस-चूस कर पी नही जाते,

गुड़िया- हान्फ्ते हुए, अपने भैया से बुरी तरह से लिपट जाती है और ओह भैया कितना मज़ा आता है, आपका डंडा चूसने मे

तो बहुत मज़ा आता है भैया मुझे और चूसना है भैया,

विजय- हा मेरी बहना तेरा जितना मन करे चूस लेना पर पहले एक बार तू इस डंडे के उपर अच्छे से बैठ जा मैं तुझे और

भी मज़ा देना चाहता हू,

गुड़िया- ओह भैया मुझे ऐसे नही तुम खड़े होकर फिर मुझे अपने डंडे पर चढ़ा लो,

विजय- गुड़िया की बात सुन कर उसकी दोनो जाँघो से उसे दबोच कर उसकी दोनो जाँघो को अपनी कमर के इर्द गिर्द लपेट कर उसकी कसी चूत को अपने लंड से भिड़ा कर जब पीछे से उसकी गंद को दबोच कर एक तगड़ा झटका मारता है और उसका मोटा लंड गुड़िया की चूत को फाड़ता हुआ पूरा अंदर तक फँस जाता है और गुड़िया एक ज़ोर की चीख के साथ अपने भैया के मोटे लंड मे अपनी चूत फसाए उससे बुरी तरह चिपक जाती है,

गुड़िया- ओह भैया मर गई भैया ये क्या कर रहे हो भैया,

विजय- अपने लंड के तगड़े झटके अपनी बहन की चूत मे मारता हुआ, मेरी रानी मैं अपनी बहन को चोद रहा हू और फिर

विजय गुड़िया को बेड पर लिटा कर उसकी चूत मे अपने मोटे लंड के खूब तगड़े धक्के मारने लगता है, लगभग 10 मिनिट

तक जब विजय अपनी बहन की टाइट चूत मे अपना लंड खूब पेल -पेल कर चोदता है तब कही जाकर गुड़िया भी अपनी मोटी गंद अपने भैया के लंड पर मारने लगती है, ओह भैया फाड़ दो और छोड़ो अपनी बहन को आह आह भैया कितना मज़ा आता है चोदने मे खूब चोदो भैया,

विजय की रफ़्तार पूरी तरह तेज हो जाती है और फिर वह कुछ जोरदार धक्के मार कर अपनी

बहन की चूत मे अपना पानी गिरा देता है, दोनो भाई बहन अपने चूत और लंड को खूब एकदुसरे मे कसे हुए पड़े

रहते है,

कुछ देर बाद विजय गुड़िया को उठा कर अपने उपर लिटा लेता है और उसे चूमते हुए उसकी गदराई गंद को सहलाने लगता है

कहो गुड़िया तुम्हे मज़ा आया कि नही

गुड़िया- ओह भैया आज तो आप ने वो मज़ा दिया है जो कभी नही भूलेगा, मुझे क्या पता था भैया इसको चोदना कहते

है नही तो मैं कब की आप से अपनी चूत मरवा चुकी होती,

विजय- मेरी रानी मैं तो तुझे ना जाने कब से चोदना चाहता था,

गुड़िया- अपने भैया का मोटा लंड सहलाती हुई, भैया तो क्या तुम मम्मी को भी इसी तरह चोदना चाहते हो

अपनी मम्मी का नाम सुनते ही विजय का लंड फिर से झटके मारने लगता है,

विजय- हाँ गुड़िया मुझे मम्मी को पूरी नंगी करके चोदने का बड़ा मन करता है

गुड़िया- तो चोद दो ना भैया, तुम इतना अच्छा चोद्ते हो देखना मम्मी कभी मना नही करेगी

विजय- पर गुड़िया मैं यह भी तो नही जानता कि मम्मी मुझसे अपनी चूत मरवाना चाहती है या नही

गुड़िया- तुम्हारा मन क्या मम्मी की चूत देखने का करता है

विजय- नही गुड़िया मेरा मन मम्मी की चूत चाटने और उसे नंगी करके चोदने का करता है

गुड़िया- क्या तुमने मम्मी की चूत देखी है

विजय- नही रे अभी तक नही

गुड़िया- भैया मम्मी की चूत तो बहुत फूली हुई और बड़ी है बिल्कुल तुम्हारे मोटे लंड से चुदने के लायक है,

विजय- गुड़िया की चूत को सहलाता हुआ, गुड़िया क्या मम्मी भी ऐसा सोचती होगी कि वह मुझे अपनी चूत पर चढ़ा कर अपने बेटे का मोटा लंड अपनी चूत मे लेती होगी,

गुड़िया- एक आइडिया है भैया, अगर मम्मी तुम्हारे लंड से चुदवाने के लिए तड़प रही होगी तो वह यह बात जमुना काकी से

ज़रूर करेगी बस हमे उनकी बाते सुननी होगी, तभी पता चल पाएगा,

विजय- अच्छा गुड़िया ज़रा घोड़ी की तरह झुक कर मुझे अपनी मोटी गंद तो दिखा, गुड़िया जल्दी से अपनी गंद अपने भैया के मूह की ओर करके झुक जाती है और विजय अपने हाथो से गुड़िया की गंद का छेद सहलाते हुए

विजय- गुड़िया तूने मम्मी का यह गंद वाला छेद देखा है

गुड़िया- आह भैया मैंने तो नही देखा लेकिन जमुना काकी ने ज़रूर देखा होगा वह तो रोज ही मम्मी की चूत और गंद

अपने होंठो से खूब चुस्ती और चाटती है,

विजय- गुड़िया मुझे मम्मी का ये वाला छेद खूब कस कर चाटने और सूंघने का मन होता है

गुड़िया- भैया तुम मम्मी की मोटी गंद को नंगी देख लोगे तो उसकी गंद चाते बिना वैसे भी नही रह पाओगे

विजय गुड़िया की मोटी गंद से अपना मूह लगा कर उसे बड़े प्यार से चूत से लेकर गंद तक चाटना शुरू कर देता है और

फिर धीरे से वह अपना मोटा लंड गुड़िया की चूत मे पीछे से पेलना शुरू कर देता है, कुछ देर ऐसे ही चोद्ते हुए विजय

गुड़िया को एक साइड मे सुला कर पीछे से उसकी चूत मे लंड फसा कर आराम से चिपक कर धीरे-धीरे गुड़िया को चोद्ते

हुए उससे बाते करने लगता है, गुड़िया धीरे-धीरे अपनी चूत मे घुसते अपने भैया के मोटे लंड से आसमान मे उड़ने

लगती है,

गुड़िया- मैं कैसा चोदता हू

गुड़िया- ओह भैया आप बहुत अच्छा चोद्ते हो

विजय-गुड़िया एक बात कहु, कभी-कभी मेरा दिल करता है कि मैं तुझे और मम्मी को दोनो को पूरी नंगी करके एक साथ

पूरी रात चोदु,

गुड़िया- ओह भैया क्या ऐसा हो सकता है क्या मम्मी आपसे अपनी चूत मरवाने को राज़ी हो जाएगी

विजय- हाँ गुड़िया मैं कैसे भी करके मम्मी को इस बार ज़रूर चोदुन्गा

उस रात विजय सारी रात अपनी बहन को तबीयत से ठोकता रहा और फिर गुड़िया जितने दिन उसके पास रही वह दिन रात उसे जी भर कर चोदता था,

क्रमशः...............
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07-22-2018, 12:34 PM,
#12
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
जवानी की मिठास--5

सावधान-

दोस्तो ये कहानी मा और बहन की चुदाई पर आधारित है जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने मे अरुचि होती है कृपया वो इस कहानी को ना पढ़े

गतान्क से आगे................

करीब 15 दिनो के बाद विजय गुड़िया के लेकर गाँव गया, गुड़िया की मोटी गंद और दूध काफ़ी बढ़ गये थे उसे कोई भी

देखता तो यही कहता कि यह ज़रूर खूब चूत मरवा कर आ रही है, रुक्मणी ने जब गुड़िया को देखा तो तुरंत समझ गई

कि विजय ने गुड़िया कि इन 15 दिनो मे खूब तबीयत से चुदाई की है, पर उसकी आँखे तो अपने बेटे के लंड के लिए तरस रही थी उसने पहले गुड़िया को प्यार से अपने गले लगाया और फिर जब विजय को अपने सीने से लगाया तो उसका दिल करने लगा विजय अभी उसके भारी भरकम चूतादो को अपने हाथो मे खूब कस कर भर ले और खूब ज़ोर -ज़ोर से मसल डाले, वह ना जाने क्या सोचती हुई विजय से बहुत देर तक चिपकी रही और विजय अपने मोटे लंड को खड़ा किए हुए बड़े प्यार से अपनी गदराई मा के भारी चूतादो को सहलाता रहा.

शाम को विजय घूमने निकल गया और घर मे जमुना काकी गुडया और रुक्मणी बैठी थी कुछ देर बाद गुड़िया यह कह

कर चल देती है कि मैं चंदा के यहा से आती हू और अपने भरी चूतादो को मटकाती हुई जाने लगती है,

रुक्मणी और जमुना दोनो गुड़िया के भारी भरकम चूतादो को मूह फाडे हुए देखती रह जाती है,

जमुना- हे राम यह जब से शहर से लॉटी है इसकी मोटी गंद और दूध कितना बढ़ गये है, रुक्मणी मुझे तो लगता है

तुम्हारे बेटे विजय ने तुम्हारी गुड़िया को तबीयत से चोदा है,

रुक्मणी- चुप कर कोई सुन लेगा तो क्या कहेगा

उन्हे पता नही था कि गुड़िया चुप कर उनकी बाते सुन रही है

जमुना- तेरा बेटा तो बड़ा छुपा रुष्टम निकला ना जाने कब से बहन पर नज़र गड़ाए बैठा होगा, सच बता रुक्मणी

क्या तुझे पहले से पता था कि वह गुड़िया को चोदना चाहता था

रुक्मणी- नही रे मुझे कुछ नही मालूम था, मैंने तो बस एक दिन विजय का.....

जमुना- क्या विजय का, कही तूने विजय का लंड तो नही देख लिया

रुक्मणी- हा जमुना मैंने एक दिन विजय का पूरा तना हुआ लंड देख लिया है तब से मुझे जब भी उसके मोटे डंडे का

ख्याल आता है मेरे बदन मे चीटियाँ रेंगने लगती है,

जमुना- क्या खूब मोटा और लंबा है तेरे बेटे का लंड

रुक्मणी- अब क्या बताउ जमुना उसका मोटा लंड तो हम औरतो को छोड़ने के लायक है, पता नही इस गुड़िया ने कैसे उसका लंड लिया होगा,

जमुना- हे रुक्मणी तूने तो अपने बेटे के लंड के बारे मे बता कर मेरी चूत से पानी च्छुड़वा दिया

जमुना- अच्छा रुक्मणी यह तो पता कर कि तेरे बेटे के मन मे तेरे लिए क्या है, कही ऐसा तो नही कि वह तुझे भी पूरी

नंगी करके चोदना चाहता हो

रुक्मणी- नही रे लगता तो नही है, और फिर मैं कैसे पता करू कि वह मुझे चोदना चाहता है या नही

जमुना- अरे रात को उससे अपने पेर दबवा कर उसे धीरे से अपनी फूली हुई चूत दिखा देना अगर उसके मन मे कुछ होगा तो वह तेरी भी तबीयत से मालिश कर देगा,

उनकी बातो से गुड़िया को यकीन हो जाता है कि उसकी अपनी मा भी उसके भाई का मोटा लंड देख चुकी है और उसे लेने के लिए तड़प रही है वह चहकति हुई चंदा के घर की ओर भाग जाती है.

चंदा से बाते करते हुए गुड़िया को अपनी मा के आने की आहट सुनाई देती है और वह अपनी मा को सुनाने के लिए ज़ोर-ज़ोर से बात करने लगती है,

चंदा जैसे तुझे तेरा भाई चोदता है ना वैसी ही एक बात मैं तुझे बताना चाहती हू

चंदा- क्या तेरे भैया ने तुझे भी चोद दिया है

रुक्मणी उन दोनो की बाते सुन कर एक दम से रुक कर दीवार के पीछे छुप कर उन दोनो की बाते सुनने लगती है,

गुड़िया- अरे चंदा अब तुझे क्या बताउ पूरे 15 दिनो तक मेरे भैया ने मुझे इस तबीयत से चोदा है कि पूरे रोम-रोम

मैं मस्ती भारी हुई है, तू अगर मेरे भैया का मोटा लंड देख ले तो तू भी उनसे चुदे बिना नही रह पाएगी

चंदा- क्या इतना मस्त लंड है तेरे भैया का

गुड़िया- हाँ बहुत ही मोटा और लंबा है उनका लंड सच कहु तो उनका लंड तेरे मेरे जैसी लोंदियो के लायक है ही नही

चंदा- तो फिर किसके लायक है

गुड़िया- उनका मोटा लंड तो मेरी मम्मी जैसी मजबूत और कसी हुई जवान औरतो के लायक है

चंदा- तो क्या तेरे भाई को तुझे चोद कर मज़ा नही आया

गुड़िया- अरे उन्हे तो बहुत मज़ा आया वह तो दिन भर मुझे घर मे नंगी ही रखते थे और खूब मेरी चूत मारते थे

चंदा- फिर तुझे कैसा लगा

गुड़िया- बहुत मज़ा आया बहुत लेकिन एक बात कहु चंदा मेरे भैया को मैंने कल अपनी मम्मी के मोटे-मोटे चूतादो

को अपना लंड मसल-मसल कर घूरते हुए देखा है,

चंदा- क्या कह रही है, कही ऐसा तो नही तेरे भैया तेरी मम्मी को भी चोदना चाहते हो

गुड़िया- मुझे भी ऐसा ही लगता है चंदा, मेरे भैया आजकल जब भी मम्मी को देखते है उनका मोटा लंड खड़ा हो

जाता है मुझे तो लगता है मेरे भैया मम्मी को पूरी नंगी करके खूब कस-कस कर चोदना चाहते है

चंदा- तो फिर रुक्मणी काकी अपनी चूत उनसे मरवा क्यो नही लेती उन्हे तो तेरे भैया चोद-चोद कर मस्त कर देंगे,

गुड़िया- जब मैंने भैया से पूछा कि आज कल कुछ बैचन से रहते है तो उन्होने कहा कि एक बार मम्मी उनके साथ

शहर चली जाती तो उनका सारा काम बन जाता, तब मैंने भैया से कहा कि इसमे क्या है जब मर्ज़ी हो मम्मी को ले जाओ, तब भैया ने कहा जब मा खुद कहेगी तब ही उन्हे शहर घुमाने ले जाउन्गा, और मा जब जाएगी तो तू यही जमुना काकी के

पास ही रहेगी क्योकि वाहा एक ही छ्होटा सा कमरा है,

चंदा- मतलब तेरे भैया बस इस इंतजार मे है कि एक बार मा उनके साथ शहर चली जाए तो वाहा फिर वह पूरी तबीयत से तेरी मा को नंगी करके चोदेगे,

उनकी बाते सुन कर रुक्मणी की मखमली पाव रोटी जैसी फूली हुई चिकनी चूत पानी छोड़ने लगी, उसे उस एहसास ने अपनी फूली चूत मे इतनी चुदास पेदा कर दी कि वह अपनी फूली चूत को अपने हाथो से मसल्ते हुए बिना ना रह पाई

गुड़िया- अरे चंदा आज रात को जब मा सो जाएगी तो भैया को मा के बगल मे ही लिटा कर उनके उपर चढ़ जाउन्गि,

चंदा- और कही तेरी मा जाग गई तो

गुड़िया- अरे हम दोनो भाई बहन बिना किसी आवाज़ के एक दूसरे मे समा जाएगे या फिर मैं भैया से कह दूँगी कि मुझे

अपने मोटे लंड पर खड़े-खड़े उठा कर इधर उधर घूमते हुए ही चोद दो और आज मैं भैया से पुंछ भी लूँगी की

क्या वो मा को भी चोदने की नज़र से देखते है.

चंदा- अच्छा यह बता गुड़िया तेरा भाई अगर तेरे ही सामने तेरी मा को चोदेगा तो तुझे कैसा लगेगा

गुड़िया- मुझे लगेगा कि मैं भी अपनी मा के साथ अपने भाई के लंड पर चढ़ जाउ और खूब कस-कस के उससे चुदवाउ.

गुड़िया- पर एक बात तो है चंदा भैया मम्मी को पूरी नंगी करके खूब तबीयत से चोदना चाहते है.

चंदा- पर एक बात कहु गुड़िया, तेरी मा भी कम चुदासी नही है उसकी मस्तानी चूत के लिए तो तेरे भाई के घोड़े जैसे

लंड की ही ज़रूरत थी, तेरी मम्मी अगर तुम दोनो भाई बहनो की चुदाई देख लेगी तो खुद भी पूरी नंगी होकर तेरे भैया

के लंड के उपर चढ़ जाएगी,

वैसे गुड़िया तेरी मम्मी के चूतड़ है बड़े मोटे, पूरे गाँव का हर आदमी तेरी मम्मी की गंद का दीवाना है,

सच

मैं तेरा भाई तेरी मम्मी की नंगी गंद देखेगा तो अपना मूह सीधे तेरी मम्मी की मोटी गंद मे भर देगा.

रुक्मणी की चूत से पानी बह्बह कर उसकी जाँघो से रिसने लगा था उसकी चूत फूल कर कुप्पा हो गई थी उसकी नज़र के सामने उसके बेटे का मोटा लंड झूल रहा था

रुक्मणी वहाँ ना रुक सकी और पलट कर वापस घर आई और घर आते ही उसे सामने खाट पर लूँगी और बनियान पहनकर

बेटे अपने बेटे को देखा,

रुक्मणी- कब आया बेटे

विजय- बस अभी आकर बैठा ही हू मा

रुक्मणी खाना लगा दू

विजय- लगा दो मा
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07-22-2018, 12:34 PM,
#13
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
रुक्मणी अपने बेटे के लिए खाना लगाने के बाद उसके सामने घूम फिर कर काम करने लगती है, विजय अपनी मम्मी की

गदराई जवानी को घूरता हुआ खाना खाने लगा लेकिन जब रुक्मणी कुछ उठाने के लिए नीचे झुकती है तो विजय का मोटा

लंड अपनी मम्मी की गदराई चौड़ी गंद देख कर झटके मारने लग जाता है,

विजय का लंड उसकी लूँगी के अंदर पूरी तरह तन चुका था, रुक्मणी ने एक पतली सी साडी और ब्लाओज पहन रखा था उसके उभरे हुए पेट और गहरी नाभि का नगपन देख कर विजय का लंड झटके पे झटके ले रहा था,

विजय ने जैसे तैसे खाना खाया और फिर वह लेट गया, कुछ देर बाद मा उसके पास आकर बैठ गई,

रुक्मणी-बेटे आजकल तू मेरा बिल्कुल ख्याल नही रखता है

विजय - अपने हाथ से अपनी मा की नंगी कमर और उठा हुआ पेट सहलाते हुए, मा मैं तो तेरा हर तरह से ख्याल रखने को तैयार हू बस तू हाँ कह दे,

रुक्मणी- अच्छा तो ये बता मुझे शहर कब ले चलेगा

विजय- उसकी मोटी जाँघो को सहलाता हुआ, तू जब कहे मा मैं तुझे ले चलने को तैयार हू,

रुक्मणी- तो फिर कल मैं तेरे साथ ही चलूंगी और दो तीन दिन तेरे साथ ही रहूंगी

विजय- अपनी मा के दोनो हाथ पकड़ लेता है और अपने मूह से उसके गालो को चूमते हुए, मा तुझे तो मैं जिंदगी भर

अपने साथ ही रखना चाहता हू,

रुक्मणी- खड़ी होकर तो ठीक है मैं कल तेरे साथ चलूंगी पर वाहा लेजा कर तू क्या देगा मुझे,

विजय- अपनी मा को अपने बाँहो मे भर कर, मा तुम्हे जिस चीज़ की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है वह दूँगा तुम्हे,

अपने बेटे द्वारा धीरे-धीरे अपने चूतड़ दब्वाने से रुक्मणी की चूत मे पानी आ गया था, तभी अचानक दरवाजा

खुला और गुड़िया अंदर आ गई, उसके आने के बाद विजय और रुक्मणी अलग हुए,

रुक्मणी- बेटी कल मैं तेरे भैया के साथ शहर जा रही हू, यहा तू अपना ख्याल रखना,

गुड़िया- तुम चिंता मत करो मा मैं अपना ध्यान रख लूँगी

रात को करीब 12 बजे विजय धीरे से उठ कर बैठ जाता है गुड़िया पहले से ही इंतजार मे थी, वही रुक्मणी की आँखो मे

नींद नही थी और वह एक पेटिकोट और ब्लौज पहने पड़ी हुई थी विजय धीरे से अपनी मा और गुड़िया के पैरो के पास आ जाता है,

विजय गुड़िया की गोरी टाँगो को सहलाने लगता है तो गुड़िया अपना पूरा घाघरा अपनी कमर तक उठा लेती है और अपने

भैया को अपने उपर चढ़ा लेती है, विजय अपनी बहन की चूत मे अपना लंड पेल कर सीधे उसके उपर लेट जाता है और

गुड़िया अपनी मा से बिल्कुल सॅट कर पड़ी हुई आह की आवाज़ इतनी ज़ोर से निकालती है कि रुक्मणी को बड़ी आसानी से सुनाई देती है,

रुक्मणी पड़े-पड़े उनकी आवाज़े सुनने लगती है,

गुड़िया- आह भैया कितना मोटा डंडा है तुम्हारा बहुत कसा हुआ जा रहा है

विजय- मेरी रानी इस मोटे डंडे का मन तो तुझसे भी बड़े-बड़े भोस्डे चोदने का करता है,

गुड़िया- आह मैं सब जानती हू तुम किसको नंगी करके चोदना चाहते हो,

विजय- एक करारा धक्का अपनी बहन की चूत मे मारते हुए, किसको चोदना चाहता हू

गुड़िया- आह मा को और किसको

गुड़िया की बात सुन कर रुक्मणी की चूत फूलने लगती है वह चुपचाप सोने का नाटक करती हुई पड़ी रहती है,

गुड़िया- भैया तुम्हे मम्मी मे सबसे ज़्यादा क्या पसंद है

विजय- मुझे मम्मी की यह मोटी गंद सबसे अच्छी लगती है

गुड़िया- तो एक बार अपनी मा की गंद अपनी बहन को चोद्ते हुए सहला लो ना और ऐसा सोचो जैसे तुम मा की ही मोटी गंद मार रहे हो,

विजय- पर कही मा जाग गई तो

गुड़िया- नही जागेगी वह पक्की नींद मे सोती है तुम एक बार मेरे सामने मम्मी की मोटी गंद चूम कर देखो ना पर हा

मम्मी का पेटिकोट उसकी मोटी गंद से उपर सरका दो,

विजय- ना बाबा मुझे डर लगता है

गुड़िया- अच्छा हटो मैं सरकाती हू और गुड़िया उठ कर अपनी मम्मी का पेटिकोट सरका कर उसकी गदराई गंद को पूरी नंगी

कर देती है, विजय अपनी मा के नंगे चूतादो को देख कर पागल हो जाता है और अपने दोनो हाथो से जब अपनी मा के भारी चताड़ो की गहराई को फैला-फैला कर देखता है तो उससे रहा नही जाता है और वह अपने मूह को अपनी मम्मी की मस्त गुदा मे भर कर चूम लेता है, उसकी इस हरकत से करवट लेकर सोई हुई रुक्मणी की चूत टनटना जाती है और वह अपने बेटे के लंड के लिए व्याकुल हो जाती है,

गुड़िया- अपने भैया का मोटा लंड बैठ कर सहलाती रहती है और भैया अच्छा यह बताओ तुम मा को शहर ले जाकर खूब

चोदने वाले हो ना,

विजय- अपनी मा की मोटी गंद को खूब कस-कस कर सहलाते हुए हा मेरी रानी बहना मैंने जब से अपनी मा की गदराई जवानी देखी है मैं उसे पूरी नंगी करके खूब चोदना चाहता हू पर अभी तो तू मेरे लंड पर चढ़ जा अब मैं तुझे अपने लंड

पर घुमा-घुमा कर चोदुन्गा,

विजय के कहते ही गुड़िया उसके मोटे लंड पर चढ़ा कर बैठ जाती है और विजय उसे

खड़े होकर अपनी गोद मे बैठा कर खूब कस-कस कर चोदने लगता है, रुक्मणी धीरे से अपनी आँखे खोल कर जब देखती

है तो उसके होश उड़ जाते है, उसकी बेटी गुड़िया उसके बेटे के मोटे लंड पर किसी बंदरिया की तरह चढ़ कर बैठी उसके

सीने से चिपकी हुई थी और उसका बेटा अपने मोटे लंड को उसकी गंद के नीचे से उसकी गुलाबी चूत मे कस-कस कर मार रहा था,

क्रमशः...............
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07-22-2018, 12:35 PM,
#14
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
जवानी की मिठास--6


गतान्क से आगे................

रुक्मणी की हालत खराब हो चुकी थी और उससे बर्दस्त नही हो रहा था,

कुछ देर बाद विजय अपनी बहन को अपनी मा के बगल मे लेटा कर उसकी चूत मारते हुए एक बार अपने मा के चेहरे की ओर देखता है और उसकी मा अपनी आँखे बंद किए हुए पड़ी थी विजय धीरे से अपनी बहन की चूत मारते हुए अपनी मा के रसीले होंठो को चूम लेता है, विजय अपने हाथो से अपनी मा की गोरी मोटी गंद को सहलाता हुआ अपनी बहन गुड़िया की चूत खूब कस-कस कर चोदने लगता है, करीब 1 घंटे तक विजय अलग-अलग मुद्रा मे अपनी बहन को खूब कस कर चोदता है,

अगले दिन सुबह-सुबह विजय अपनी मा को लेकर शहर चला जाता है, शहर मे उसका एक ही रूम था और एक तरफ तो वह खाना बनाने का समान रखे था जहा एक गॅस स्टॅंड बना था और उसी पर गॅस रखी थी और दूसरी तरफ उसने ज़मीन पर सोने के लिए बिच्छा रखा था,

विजय अपनी मा को यह कह कर चला जाता है कि वह शाम तक लोटेगा, रुक्मणी एक दिन रुकने

के हिसाब से आई थी और कोई कपड़े साथ लाई नही थी काम करते हुए उसकी साडी और पेटिकोट पूरे गीले और गंदे हो गये थे

वह सोचने लगी अब पहनेगी क्या बहुत सोचने के बाद उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए और फिर विजय की लूँगी लपेट ली और उपर केवल अपना ब्लौज पहन लिया उसे थोड़ा अजीब भी लग रहा था कि विजय उसे इस छ्होटी सी लूँगी मे देखेगा तो क्या सोचेगा,

उसके भारी भरकम चूतड़ और मोटी गदराई जंघे लूँगी मे समा नही रही थी,

शाम को जब विजय वापस आ रहा था तो रास्ते मे उसने सोचा क्यो ना थोड़ी बेअर चढ़ा ली जाय आज रात मा को पूरी रात नंगी करके चोदने मे मज़ा आ जाएगा, तभी विजय ने सोचा क्यो ना आज मा को भी थोड़ी बेअर चखा दी जाय साली मस्त होकर अपनी चूत अपने बेटे से मराएगी, और फिर विजय ने दो बोत्तेल बेअर की ले ली और घर आ गया जैसे ही उसने दरवाजा बजाया

रुक्मणी को लूँगी और ब्लॉज मे देखते ही उसका मोटा लंड खड़ा हो गया,

विजय- अरे वाह मा तुम लूँगी मे बहुत अच्छी लग रही हो

रुक्मणी आगे चलती हुई अपने भारी चूतादो को छुपाने की कोशिश करती हुई, क्या करू बेटा काम करते हुए मेरे सब

कपड़े खराब हो गये और मैं कुछ ले कर भी नही आई,

विजय- कोई बात नही यहा तुम्हारे बेटे के अलावा और देखने वाला है ही कौन और फिर विजय अपनी मा के गले लग कर अपने दोनो हाथो को पीछे लेजाकार अपनी मा के भारी चूतादो को सहलाते हुए उसके गालो को चूम कर, उसके उठे हुए पेट पर हाथ फेर कर बहुत भूख लगी होगी मा,

रुक्मणी-मैंने खाना तैयार कर दिया है चल खा ले,

विजय- मा तुम उधर मूह करके खाना लगाओ मैं अपनी मा को बस ऐसे ही प्यार करते रहना चाहता हू, रुक्मणी दूसरी ओर

घूम कर खाना लगाने लगती है और विजय अपनी मा की मोटी गंद को अपने लंड से दबाने लगता है,

विजय- मा तुम्हारे लिए शरबत लेकर आया हू और फिर विजय बेअर की बोतटेल खोल कर एक ग्लश मे भर कर अपनी मा को देता है, रुक्मणी जैसे ही बेअर पीती है उसे उसका स्वाद अच्छा नही लगता और वह कहती है हे कितनी कड़वी है यह शरबत

विजय- अपनी मा के चूतादो को सहलाते हुए लाओ मैं तुम्हे अपने हाथो से पिलाउँगा और फिर विजय एक घूँट खुद लेता है

और एक घुट अपनी मा को देता है, एक ग्लश पीते ही रुक्मणी कहती है बेटे यह तो ऐसी शरबत है कि एक ग्लाश पीने के बाद इसका स्वाद अच्छा लगता है,

विजय आओ मा हम सारा खाना और शरबत नीचे रख कर आराम से बैठ कर खाते है और फिर

विजय अपनी मा के साथ नीचे आराम से बैठ जाता है और दोनो बाते करते हुए बेअर पीने लगते है जब एक बेअर पूरी ख़तम हो जाती है तो रुक्मणी की आँखो मे नशा चढ़ने लगता है और वह हस्ती हुई,

रुक्मणी- बेटे यह शरबत तो बहुत अच्छी है बड़ा मज़ा आ रहा है

विजय जब देखता है कि उसकी मा अब पूरी तरह मस्ताने लगी है वह दीवार से टिक कर अपनी मा को कहता है कि उसके पास आकर बैठ जाए, फिर विजय रुक्मणी से कहता है कि मा आज बहुत गर्मी है यह ब्लॉज उतार दो थोड़ी हवा लग जाएगी

रुक्मणी- हस्ते हुए लड़खड़ाती आवाज़ मे बेटे मैं तो बहुत थक गई हू तू ही उतार दे ना, विजय अपनी मा को अपने हाथो

से धीरे-धीरे खाना खिलाता हुआ उसके ब्लौज के एक-एक बॅटन को खोल देता है रुक्मणी खाने के बाद जब पानी मांगती है

तो विजय उसे बेअर भर कर दे देता है और रुक्मणी एक ही सांस मे गटक जाती है, विजय केवल चड्डी बनियान मे अपनी मा के पास सॅट कर बैठा था और उसने उसका ब्लौज उतार कर अलग रख दिया और एक दम से रुक्मणी के मोटे-मोटे दूध मे अपना मूह भर करकर उन्हे खूब कस-कस कर मसल्ने लगा, रुक्मणी पूरी तरह नशे मे मस्त हो चुकी थी और अपने

बेटे से अपने मोटे-मोटे कसे हुए दूध खूब कस-कस कर दब्वाते हुए अपने बेटे को चूमने लगती है,

जब बेअर और खाना ख़तम हो गया तब विजय ने अपनी मा को खड़ा किया और उसके रसीले होंठो को खूब ज़ोर-ज़ोर से चूमते हुए उसके मोटे-मोटे दूध को खूब ज़ोर-ज़ोर से मसल्ने लगा और फिर विजय ने अपनी मा की लूँगी को एक दम से खोल दिया,

रुक्मणी- बेटे यह क्या कर रहा है
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07-22-2018, 12:35 PM,
#15
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
विजय ने तुरंत अपना कच्छा उतार कर अपने मोटे लंड को अपनी मा के हाथो मे दे दिया अपने बेटे का मोटा लंड अपने

हाथ मे आते ही रुक्मणी की चूत फड़कने लगी और वह अपने बेटे के उपर अपने शरीर का भार देकर उसके मोटे लंड और

उसकी बड़ी-बड़ी गोटियो को अपने दोनो हाथो मे भर-भर कर दबाने लगी तब विजय ने अपनी मा को गॅस स्टॅंड पर चढ़ा

कर बैठा दिया और उसकी दोनो मोटी जाँघो को खूब फैला कर जब अपनी मा की मस्त फूली हुई चूत को देखा तो पागलो की तरह वह अपनी मा की चूत को चाटने लगा, रुक्मणी मस्ती से भरी हुई आह आह करती हुई अपने बेटे के सामने अपनी जाँघो को और फैला कर अपनी चूत उठा-उठा कर अपने बेटे के मूह से रगड़ने लगी, विजय ने अपने दोनो हाथो से अपनी मा की चूत की फांको को फैला कर उसके गुलाबी छेद को खूब चूसने लगा और एक हाथ से अपनी मा के मोटे-मोटे दूध को भी मसल्ने लगा,

लगभग 15 मिनिट तक विजय अपनी मा की चूत को चाटता रहा उसके बाद विजय ने अपनी मा को नीचे उतार कर उसे ज़मीन पर घोड़ी की तरह झुका दिया और उसकी मोटी गंद को उभार कर अपने मूह को सीधे अपनी मा की मोटी-मोटी गोरी गंद मे लगा कर अपनी मा की गुदा से लेकर चूत तक अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगा, विजय ने अपनी मा की गंद और चूत को चाट-चाट कर

लाल कर दिया, तभी अचानक रुक्मणी को ना जाने क्या हुआ और उसने पलट कर एक दम से अपने बेटे के मोटे लंड को अपने मूह मे भर कर पागलो की तरह चूसने लगी, रुक्मणी खूब कस-कस के अपने बेटे का लंड चूस रही थी और विजय अपने हाथो से अपनी मा की चूत को खुरेद रहा था, विजय ने अपनी मा की चूत मे दो तीन उंगलिया डाल कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया और रुक्मणी अपने बेटे के लंड को दोनो हाथो से खूब दबोच-दबोच कर चाट रही थी,

कुछ देर बाद

रुक्मणी-हान्फ्ते हुए बेटे कितना मस्त लंड है तेरा मैं कब से तेरे इस मोटे डंडे को चूसने के लिए तड़प रही थी आज मैं

इसे रात भर चुसुन्गि

विजय- अपनी मा के रसीले होंठो को चूस कर मा मैं भी तो तेरी इस रसीली चूत का रस पीने के लिए कब से तड़प रहा हू आज तू अपने बेटे का लंड चूस मैं अपनी मा की फूली हुई चूत का रस चूस्ता हू और फिर विजय ने लेट कर अपनी मा को उल्टा अपने उपर चढ़ा लिया और अपनी मा की मोटी गदराई गंद को अपने मूह की ओर खींच कर उसके गुलाबी रस से भरी चूत को अपने मूह से पीने लगा उधर रुक्मणी अपने बेटे के उपर चढ़ि-चढ़ि उसका मोटा लंड पीने लगी दोनो पागलो की तरह एक दूसरे के चूत और लंड को चूसने लगे दोनो ने एक दूसरे के चूत और लंड को चूस -चूस कर लाल कर दिया,

रुक्मणी एक दम से उठ कर अपने बेटे के लंड को अपने हाथो से पकड़ कर उस पर अपनी फटी चूत रख कर बैठ गई और

अपने बेटे के मोटे लंड पर कूदने लगी विजय आराम से लेटा अपनी मा के मोटे-मोटे दूध को चूसने लगा, करीब 10 मिनिट

बाद रुक्मणी एक तरफ लुढ़क कर हाफने लगती है तब विजय अपनी मा की दोनो जाँघो को उपर तक उठा कर मोड़ देता है और फिर उसकी उठी हुई चूत मे अपने लंड का एक ज़ोर दार झटका मरता है कि रुक्मणी के मूह से आह की सिसकारी निकल जाती है,

विजय अब तबाद तोड़ तरीके से अपनी मा की चूत कूटने लगता है, वह हर धक्का इतना ज़ोर से मारता है कि उसका लंड उसकी मा की बच्चेदानी से टकराने लगता है, रुक्मणी हे-हे करती हुई अपने भारी चूतादो को खूब उठाने लगती है और विजय अपनी मा की चूत मे सतसट अपने लंड को पेलने लगता है, बीच-बीच मे विजय जब अपनी मा की फूली हुई चूत देखता है तो अपने लंड को बाहर निकाल कर अपनी मा की चूत बुरी तरह चाटने लगता है,

करीब आधे घंटे तक विजय अपनी मा की चूत को कभी अपनी जीभ से चाटता है कभी अपने लंड से चोदता है, रुक्मणी

अपने बेटे की इस तरह की चुदाई से पानी-पानी होकर अपनी चूत से ढेर सारा पानी छ्चोड़ देती है,

विजय अपनी मा की चूत से अपने लंड को बाहर निकाल कर उसे अपनी मा के मूह मे दे देता है और रुक्मणी अपने बेटे का लंड फिर से पीने लगती है,

विजय पास मे रखा तेल उठा कर अपनी मा की गुदा मे उंगली डाल-डाल कर तेल लगाने लगता है और अपने होंठो से अपनी मा की चूत भी चूसने लगता है, विजय की पहले एक फिर दो उंगलिया तेल मे भीगी होने से सॅट से उसकी मा की मोटी गंद के छेद मे घुसने लगती है, अब विजय अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा कर अपने लंड को धीरे से अपनी मा की गुदा से लगा कर धीरे-धीरे अपनी मा की गंद मे पेलने लगता है,

रुक्मणी आह आह करती हुई अपनी गंद नाचने लगती है, विजय धीरे-धीरे

अपना आधा लंड अपनी मा की मोटी गंद मे फँसा देता है

आह बेटे ये क्या कर रहा है बहुत खुज़ला रही है मेरी गंद आह आह विजय थोड़ा लंड बाहर खीच कर उस पर और तेल लगा कर एक ज़ोर दार धक्का जब अपनी मा की मोटी गंद मे मारता है तो उसका पूरा लंड अपनी मा की गदराई गंद मे पूरा का पूरा घुस जाता है और रुक्मणी आह मर गई रे आह करते हुए सीसीयाने लगती है, विजय का लंड अपनी मा की गंद मे फसा हुआ और भी सख़्त होकर फूलने लगता है, विजय अपनी मा की गंद को चीर-चीर कर अपने मोटे लंड को सतसट अंदर पेलने लगता है और रुक्मणी ओह ओह करते हुए सीसियती रहती है, विजय धीरे-धीरे अपनी मा की गंद जितना हो सकता था अपने हाथो से फैला-फैला कर चोद रहा था,

उसे बहुत मज़ा आ रहा था और रुक्मणी भी मस्ती मे अपने बेटे के मोटे

लंड को अपनी मोटी गंद मे भरे हुए खूब कस-कस कर मरवा रही थी, कुछ देर बाद विजय ने अपनी मा की गंद पर

चढ़-चढ़ कर उसे चोदना शुरू कर दिया और इतना ज़ोर-ज़ोर से अपनी मा की गुदा को ठोंकने लगा कि पूरे कमरे मे उसके

द्वारा उसकी मा की गंद की ठुकाई की आवाज़ गूंजने लगी, रुक्मणी ने अपनी सारी जिंदगी मे इतनी तगड़ी मार अपनी गंद और चूत पर कभी नही खाई थी जितना तबीयत से आज उसका बेटा उसकी गंद को चोद रहा था,

तभी विजय के लंड का पानी रुक्मणी की गंद मे गहराई तक भर गया और रुक्मणी निढाल होकर पेट के बल लेट गई और विजय भी अपनी मा की गंद मे अपना लंड फसाए-फसाए ही उसकी गंद पर लेट गया, करीब 5 मिनिट तक विजय वैसे ही पड़ा रहा फिर विजय उठ कर एक तरफ लेट गया

और रुक्मणी नशे और चुदाई की मस्ती मे हाफ्ती हुई लेटी रही,

कुछ देर बाद विजय का लंड फिर से खड़ा हो गया और वह फिर से अपनी मा के उपर चढ़ा कर उसकी चूत मारने लगा, इस तरह विजय ने उस रात अपनी मा को पूरी रात नंगी करके चोदता रहा और रुक्मणी ने अच्छे से अपने बेटे से अपनी चूत की आग बुझवाई.

उसके बाद विजय ने करीब 6 दिनो तक अपनी मा को अपने पास रख कर उसकी खूब तबीयत से चुदाई की, फिर विजय उसे लेकर अपने गाँव आ गया, अब विजय बारी-बारी से कभी गुड़िया को और कभी अपनी मा को अपने साथ ले जाता था और उनकी वाहा लेजाकर जम कर चुदाई करता था,

दा एंड
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