XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
07-22-2018, 12:30 PM,
#1
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जवानी की मिठास--1

written by RKS

सावधान-
दोस्तो ये कहानी मा और बहन की चुदाई पर आधारित है जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने मे अरुचि होती है कृपया वो इस कहानी को ना पढ़े


विजय अपनी मोटरबिक पर 70 की रफ़्तार मे उड़ा जा रहा था, तभी अचानक तीन-चार पोलीस वालों ने दूर से विजय की बाइक को

हाथ देकर रोक लिया और विजय ने अपनी बाइक की रफ़्तार कम करके एक तरफ खड़ी करली,

विजय- क्या हुआ साहब

पोलीस- गाड़ी के पेपर और लाइसेन्स दिखाओ,

विजय ने अपनी जेब से लाइसेन्स निकाल कर दिया तब पोलीस वाले ने पेपर माँगे तब विजय ने कहा गाड़ी के पेपर तो उसके घर

पर ही रह गये है, पोलीस वालो ने विजय को गाड़ी एक ओर लगाने को कहा और तभी एक सिपाही जिसका नाम लखन सिंग था ने

साहेब से कहा अरे साहेब यह हमरे गाँव का है इसे जाने दो, और साहेब आप कहो तो मैं भी गाँव तक इसके साथ चला जाउ बड़ा ज़रूरी काम है.

विजय- अरे धन्यवाद लखन तुम ना आते तो पता नही मुझे कितनी देर परेशान होना पड़ता

लखन- अरे नही विजय भैया हमरे रहते आप कैसे परेशान होगे, पर यह बताओ आज गाँव की तरफ कैसे चल दिए

विजय- अरे लखन भैया मेरी नौकरी शहर मे है और वाहा से गाँव 50-60 क्म पड़ता है तो मैं हर सनडे गाँव आ

जाता हू आख़िर मा और गुड़िया से भी तो मिलना पड़ता है ना.

लखन-अच्छा चलो मुझे भी गाँव तक चलना है, मैं तुम्हारे साथ ही चला चलता हू साहेब से भी छुट्टी माँग ली है

विजय- क्यो नही लखन बैठो

विजय लखन को लेकर गाँव की ओर चल देता है, विजय एक 30 साल का हॅटा-कॅटा जवान था और शहर मे सरकारी नौकरी

करता था और अपना पूरा नाम विजय सिंग ठाकुर लिखता था, गाँव मे उसकी मा रुक्मणी और बहन गुड़िया रहते थे,

रुक्मणी करीब 48 साल की एक भरे बदन की औरत थी और करीब 10 साल पहले ही उसके पति की मौत हो चुकी थी उसे लोग गाँव

मैं ठकुराइन के नाम से ही पुकारते थे, विजय की बहन गुड़िया अब 25 बरस की हो चली थी, लेकिन अभी तक दोनो भाई बहन

मैं से किसी की शादी नही हुई थी, लेकिन सभी की कामनाए दबी हुई थी,

लखन- विजय भैया कहो तो आज थोड़ा मदिरापान हो जाए, कहो तो एक बोतल ले लू गाँव के हरे भरे पेड़ो के नीचे बैठ

कर पीने का मज़ा ही कुछ और आता है.

विजय जानता था कि लखन एक रंगीन मिज़ाज का आदमी है और विजय एक दो बार पहले भी लखन और एक दो लोगो के साथ बैठ कर

पी चुका था, उसने सोचा चलो अब शाम भी हो रही है और गाँव भी 10 किमी होगा थोड़ा मूड फ्रेश कर ही लिया जाए

लखन और विजय गाँव से 3-4 किमी दूर एक तालाब के किनारे लगे पेड़ो के नीचे बैठ कर पीना शुरू कर देते है,

लखन- अच्छा विजय भैया कोई माल वग़ैरह पटाया है कि नही शहर मे या ऐसे ही नीरस जिंदगी जी रहे हो,

विजय- अरे बिना औरत के क्या जिंदगी नीरस रहती है,

लखन- अरे और नही तो क्या, अब हमको ही देख लो तुमसे 2 साल छोटे है पर जबसे हमारी शादी हुई है तब से हम को

अपनी औरत को चोदे बिना नींद ही नही आती है,

विजय को लखन की बातो मैं बड़ा मज़ा आ रहा था और उसका नशा चढ़ता ही जा रहा था, उधर लखन की यह कमज़ोरी थी

कि वह पीने के बाद सिर्फ़ और सिर्फ़ चूत और चुदाई की ही बाते करता था,

विजय- तो क्या तुम अपनी औरत को रोज चोद्ते हो

लखन- शराब का बड़ा सा घूँट गटकते हुए, हा भैया मुझे तो बिना अपनी औरत की चूत मारे नींद ही नही आती है,

विजय- लगता है तेरी बीबी बहुत सुंदर है

लखन- सुंदर तो है भैया लेकिन जैसे माल की हमे चाहत थी वैसा माल नही है,

विजय- क्यो तुझे कैसे माल की चाहत थी

लखन- अब क्या बताउ भैया मुझे लोंदियो को चोदने मे उतना मज़ा नही आता है जितना मज़ा बड़ी उमर की औरतो को

चोदने मैं आता है,

विजय- बड़ी उमर की मतलब, किस तरह की औरत

लखन- भैया मुझे तो अपनी मा की उमर की औरतो को चोदने मे मज़ा आता है,

विजय- क्यो मा की उमर की औरतो मे कुछ खास बात होती है क्या

लखन- अच्छा पहले यह बताओ तुमने कभी अपनी मा की उमर की औरत को पूरी नंगी देखा है,

विजय- नही देखा क्यो

लखन- अगर देखा होता तो जानते, मैं तो शादी के पहले ऐसी ही औरतो को सोच-सोच कर खूब अपना लंड हिलाता था,

विजय- अच्छा, तो क्या तूने किसी को पूरी नंगी भी देखा था

लखन- नशे मैं मुस्कुराते हुए, देखो भैया तुमसे बता रहा हू क्यो कि तुम मेरे भाई जैसे हो पर यह बात कही और

ना करना,

विजय- लखन क्या तुझे मुझ पर भरोसा नही है

लखन- भरोसा है तभी तो बता रहा हू भैया, एक बार मैंने अपनी अम्मा को पूरी नंगी देखा था, क्या बताउ भैया

इतनी भरे बदन की है मेरी अम्मा की उसकी गदराई उफान खाती जवानी देख कर मेरा लंड किसी डंडे की तरह तन गया था,

बस तब से ही भैया मुझे अपनी अम्मा जैसी औरते ही अच्छी लगती है और जब भी मैं अपनी औरत को चोदता हू तो मुझे

ऐसा लगता है जैसे मैं अपनी अम्मा को पूरी नंगी करके चोद रहा हू,
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07-22-2018, 12:30 PM,
#2
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
विजय- लखन की बात सुन कर हैरान रह जाता है लेकिन उसका लंड उसके पेंट मे पूरी तरह तना हुआ था,

विजय- पर तूने अपनी अम्मा को पूरी नंगी कैसे देख लिया

लखन- अरे विजय भैया तुम इन औरतो को नही जानते इनकी उमर जितनी बढ़ती जाती है उनकी जवानी और उठने लगती है, मेरी

अम्मा को चूत मे खूब खुजली मची होगी इसीलिए वह पूरी नंगी होकर घर के आँगन मे नहा रही थी और मैं चुपचाप

छुप कर उसकी गदराई जवानी देख रहा था,

विजय- तब तो तू रोज अपनी अम्मा को नंगी देखता होगा,

लखन- अब भैया घर मे ऐसा छोड़ने लायक माल हो तो उसे पूरी नंगी देखे बिना रहा भी तो नही जाता, पता नही तुम

30 बरस के हो चले हो और तुम्हारा मन क्यो नही होता है, जबकि तुम्हारी मा तो..............

विजय-बोल-बोल क्या कह रहा था

लखन- माफ़ करना भैया ग़लती से मूह से निकल गया

विजय- उसकी बोतल लेकर एक सांस मे तीन-चार घूँट खिचते हुए, अरे बोल ना क्या कह रहा था मेरी मा के बारे मैं, जब

मैं तेरी मा के बारे मे सुन सकता हू तो अपनी मा के बारे मे भी सुन सकता हू, बोल तू क्या कहना चाहता है, तू मेरा दोस्त

है मैं तेरी बात का बुरा नही मानूँगा और अगर मुझे बात बुरी लगी तो मैं तुझे करने के लिए मना कर दूँगा, अब बोल भी

दे

लखन- विजय की बात सुन कर थोडा जोश मैं आ चुका था और भैया मैं तो यह कह रहा था की इस पूरे गाँव मैं अगर

सबसे गदराया बदन और नशीली जवानी अगर किसी की है तो वह है आपकी मा ठकुराइन की, क्या आपका लंड आपकी मा को

देख कर खड़ा नही होता है जब कि आप तो हमेशा उनके साथ घर पर ही रहते हो, ठकुराइन जब गाँव मे चलती है तो

अच्चो -अच्चो के लंड खड़े हो जाते है,

विजय- नशे मैं बहुत मस्त हो रहा था और जब उसने लखन के मूह से अपनी मा की गदराई ज्वानी की बात सुनी तो उसका मोटा

लॅंड झटके खाने लगा था, क्या इतनी मस्त लगती है मेरी मा

लखन- सच कहु विजय भैया अगर तुम्हारी जगह मैं ठकुराइन का बेटा होता तो दिन रात ठकुराइन को खूब कस-कस कर

चोदता, सच विजय भैया आपकी मा बहुत मालदार औरत है, कितने सालो से उन्होने कोई लंड भी नही लिया है उनकी चूत तो

पूरी कुँवारी लोंदियो जैसी हो गई होगी,

विजय- अच्छा तो एक बात बता लखन तूने कभी अपनी अम्मा को चोदने की कोशिश नही की,

लखन- अरे नही विजय भैया मेरी मा बहुत गरम मिज़ाज की औरत है और इसीलिए मेरी गंद फाटती है इन सब कामो से,

विजय- तूने ठीक ही किया है, कोई मा अपने बेटे से अपनी चूत थोड़े ही चुदवा लेगी,

लखन- हाँ वो तो है भैया पर जिस औरत को लंबे समय से लंड ना मिला हो वह औरत अगर किसी जवान लोंडे का मस्त लंड

देख ले तो उसकी चूत पिघल सकती है और जब औरत खूब चुदासि हो जाती है तो फिर वह किसी का भी लंड ले सकती है,

विजय बात लखन से कर रहा था लेकिन लखन की बातो के कारण उसके दिमाग़ मे सिर्फ़ उसकी मा रुक्मणी का ही ख्याल आ रहा

था और उसे कभी रुक्मणी की मोटी लहराती गंद कभी उसके मोटे-मोटे कसे हुए दूध और कभी उसके रसीले होंठ और

उभरा हुआ पेट ही नज़र आ रहा था,

विजय- अच्छा यह बता लखन और कौन औरत गाँव मे सबसे पताका लगती है तुझे.

लखन- अरे भैया हमे लगने से क्या होता है सच कहु तो असली माल तुम्हारे घर मे है और तुम हो कि एक दम नीरस

आदमी हो,

विजय- तो मुझे क्या करना चाहिए लखन

लखन- भैया औरत की दबी हुई आग अगर भड़का दो तो फिर तुम्हे कुछ करने की ज़रूरत नही पड़ेगी औरत खुद ही सब

कुछ कर लेगी,

विजय- तूने अपनी बीबी को अपनी अम्मा को नंगी देखने वाली बात बताई है कि नही

लखन- अरे वह तो सब जानती है, कई बार तो वह खुद कहती है कि मुझे अपनी अम्मा समझ कर चोदो, जब तुम मुझे अपनी

अम्मा समझ कर चोद्ते हो तो बहुत अच्छे से चोद्ते हो,

विजय- मुस्कुराता हुआ, साले अपनी औरत को भी पटा लिया है तूने

विजय- चल अब चलते है बहुत देर हो रही है,
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07-22-2018, 12:31 PM,
#3
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
लखन- फिर कभी बैठने का मूड हो भैया तो उसी नाके पर आ जाना जहा तुम्हारी गाड़ी रोकी थी मेरी ड्यूटी उसी चौकी पर

रहती है,

विजय- क्यो नही लखन अब तो तेरे साथ बैठना ही पड़ेगा, तेरी बाते पूरा मूड फ्रेश कर देती है,

लखन- अगर ऐसी बात है भैया तो अगली बार जब हम साथ बैठेंगे तब मैं तुम्हे और भी कई मस्त बाते बताउन्गा,

विजय- मुस्कुराते हुए किसके बारे मे अपनी अम्मा के बारे मे या मेरी मा के बारे मे

लखन- तुम जिसके बारे मे सुनना चाहोगे भैया उसके बारे मे बता दूँगा, पोलीस वाला हू सबकी खबर रखता हू, और

हा भैया आपसे एक बात कहना भूल गया, बुरा मत मानना पर मेरी सलाह है अपनी बहन गुड़िया को अपने साथ शहर मे

रखो यहा गाँव का महॉल बड़ा खराब रहता है, किसी दिन कुछ उन्च नीच ना हो जाए,

विजय- तू कुछ छुपा रहा है लखन, साफ-साफ बता क्या बात है

लखन- भैया बुरा मत मानना पर एक दिन मैंने देखा की मनोहर काका अपना लंड निकाल कर मूत रहा था और गुड़िया

झाड़ियो के पीछे छुप कर उसका मोटा लंड देख रही थी, अब वह बड़ी हो गई है, उसका भी मन अब इन चीज़ो की तरफ जाने लगा है,

विजय- अरे लखन तूने बहुत अच्छा किया जो मुझे पहले से ही इन बतो के बारे मे बता दिया मैं कल ही गुड़िया को यहा के महॉल से शहर ले जाता हू वाहा कुछ सिलाई बुनाई सीख लेगी तो ससुराल मे उसके काम आएगी, दोनो बाते करते हुए गाँव पहुच जाते है और फिर लखन अपने और विजय अपने घर की ओर आ जाता है,

विजय का लंड अभी-अभी बैठा ही था कि घाघरा चोली पहने गुड़िया दौड़ कर आती है और विजय के सीने से लग जाती है, विजय के सीने मे गुड़िया की पपीते जैसी बड़ी-बड़ी ठोस छातियाँ पूरी तरह से चुभने लगती है, विजय गुड़िया को पहली बार इस तरह महसूस कर रहा था और वह गुड़िया को अपने सीने से पूरी तरह कस कर उसके गालो को चूम लेता है,

गुड़िया उसके सीने से अलग होकर उसके सीने पर मुक्के मार कर हस्ती हुई,

गुड़िया-क्या भैया आपने तो कहा था कि दिन मे ही आ जाओगे और आप आधी रात को आ रहे हो मैं कब से आपका रास्ता देख रही थी. विजय शराब के नशे मे पूरी तरह मदहोश था और गुड़िया की गदराई जवानी को पहली बार इतनी गौर से देख रहा था, उसे गुड़िया के मोटे-मोटे दूध इतना मस्त कर रहे थे कि वह अपनी नज़रे अपनी बहन के दूध से हटा ही नही पा रहा था,

गुड़िया- अच्छा भैया मेरे लिए क्या लाए हो, विजय कुर्सी पर बैठता हुआ, पहले यह बता मा कहा है,

गुड़िया- मा तो जमुना काकी के यहा बैठी है,

विजय- देख मैं तेरे लिए ये पायल लेकर आया हू,

पायल देखते ही गुड़िया चहक कर विजय से लिपट जाती है और विजय भी कोई मोका छोड़ना नही चाहता था इसलिए वह गुड़िया को अपनी गोद मे बिठा कर अपने हाथ उसकी भरी हुई कठोर चूचियों पर ले जाकर धीरे-धीरे उसे सहलाता हुआ गुड़िया के गालो को चूमता हुआ, मेरी प्यारी बहना रानी अब तो खुश है अपने भैया से

गुड़िया- हा लेकिन यह पायल तुम्हे ही पहनानी होगी मेरे पैरो मैं,

विजय- उसे खड़ी करके, क्यो नही मेरी रानी बहना ला पैर उठा और फिर विजय अपनी बहन के पैरो को पकड़ कर अपनी जाँघो मे रख लेता है और दूसरे हाथ से उसका घाघरा उसके घटनो तक चढ़ा देता है जिससे एक पैर की गोरी पिंदलिया और दूसरे पैर की मोटी जंघे भी विजय को नज़र आने लगती है, विजय का लंड खड़ा हो जाता है और वह अपने लंड को अपनी पेंट मे अड्जस्ट करना चाहता है पर सोचता है कि गुड़िया देखेगी तो क्या सोचेगी, लेकिन फिर उसे याद आता है कि गुड़िया की चूत भी अब खुजलाने लगी है तभी तो मनोहर काका का लंड छुप कर देख रही थी, विजय उसे पायल पहनाते हुए अपने मोटे लंड को गुड़िया के सामने ही मसल देता है,

जब विजय उसे पायल पहना रहा था तब वह बीच-बीच मे गुड़िया की पिंडलियो और जाँघो का भी जयजा ले रहा था और

जब वह अपनी बहन की गदराई जाँघो को च्छू रहा था तो उसकी जाँघो के गुदज स्पर्श से उसका लंड भनभना चुका था,

गुड़िया अपने दोनो पैरो को नीचे करके अपने घाघरे को घुटनो तक उठा कर अपने भैया को दिखाती हुई,

गुड़िया- देखो भैया कैसी लग रही है मेरी पायल

विजय- बहुत अच्छी लग रही है तेरे पैरो मैं

गुड़िया- अब देखना भैया जब मैं इन्हे पहन कर चलूंगी तब कैसी लगती हू बताना, और फिर गुड़िया अपनी मोटी-मोटी गंद

को मतकती हुई जब पायल पहन कर चलती है तो विजय से रहा नही जाता है और वह उठ कर गुड़िया के पीछे से जाकर उससे कस कर चिपक जाता है और उसे अपनी गोद मे उठा लेता है, विजय अपने हाथो को अपनी जवान बहन की मसल गंद के नीचे दबाए हुए उसे अपनी गोद मे उठा कर जब उसके गालो को चूमने जाता है तभी गुड़िया अपना मूह उसके मूह की ओर कर देती है और विजय के होंठ अपनी बहन के रसीले होंठो से चिपक जाते है और विजय एक पल के लिए अपनी बहन के रस भरे होंठो का रस पीने लगता है, और गुड़िया उसके सीने से कस कर चिपक जाती है, लेकिन फिर अचानक विजय को ध्यान आता है और वह अपनी बहन को नीचे उतार देता है,

क्रमशः...............
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07-22-2018, 12:31 PM,
#4
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
जवानी की मिठास--2


गतान्क से आगे................

गुड़िया- भैया कितने दिन रुकोगे यहा

विजय- इस बार तो मैं दो दिन की छुट्टी लेकर आया हू पर एक बात और कहना थी तुझसे

गुड़िया- वह क्या

विजय- इस बार तू मेरे साथ शहर चलेगी, मुझे खाना बनाने मे बड़ा परेशन होना

पड़ता है और फिर तू भी शहर

का महॉल देख लेगी

गुड़िया- मैं तो तैयार हू भैया पर मा जाने दे तब ना,

विजय- तू फिकर ना कर मैं मा से बात कर लूँगा,

विजय- अब ज़रा अपने भैया को पानी भी पीला दो

गुड़िया- अभी लाई और गुड़िया अंदर चली जाती है तभी दरवाजे से रुक्मणी का

आना होता है,

रुक्मणी- आ गया बेटे

विजय- जैसे ही अपनी मा को देखता है, हर बार की तरह उसका नज़रिया कुछ अलग

था और उसकी नज़र सीधे इस बार अपनी मा के उठे हुए गहरी नाभि वाले पेट पर

पड़ती है और फिर बड़े-बड़े दूध और भरे-भरे गाल, रसीले होंठ, विजय अपने

मन मे सोचता है उसकी मा तो वाकई बहुत तगड़ा माल है, लखन ठीक ही कह रहा

था, मेरी मा पूरी नंगी कितनी जबरदस्त

नज़र आती होगी, कुछ ही पलो मे यह सब सोचते ही विजय का लंड पूरी तरह खड़ा

हो जाता है, और विजय आगे बढ़ कर

अपनी मा के पेर छुता है और फिर जैसे ही उसकी बड़ी-बड़ी कठोर चूचियों को

अपने सीने से लगाता है उसका लंड झटके

मारने लग जाता है,

रुक्मणी- विजय के चेहरे पर हाथ फेरती हुई, वाहा तुझे खाना पीना नही मिलता

है क्या कितना दुबला हो गया है

विजय- नही मा वह तो मैं तुम्हारी याद मे दुबला हो जाता हू

रुक्मणी- ऐसा होता तो मैं तो तुझे दिन रात याद करती हू पर देख मैं कितनी

मोटी होती जा रही हू,

विजय- अपनी गदराई मा के गोरे-गोरे उठे हुए पेट की खाल को अपने हाथो से

दबाता हुआ, नही मा तुम मोटी कहाँ हो,

तुम्हारे बदन पर तो यह हल्का फूलका मोटापा बहुत अच्छा लगता है, हा मा

मुझे दुनिया की हर औरत मे सबसे अच्छी

तुम ही लगती हो,

रुक्मणी- मुस्कुरकर अच्छा-अच्छा अब बाते बनाना बंद कर मैं तेरे लिए खाना

लेकर आती हू और फिर जैसे ही रुक्मणी

जाने लगती है विजय जब गौर से अपनी मा की भारी भरकम मोटी गंद की थिरकन

देखता है तो उसका लंड झटके पर झटके मारने लगता है और वह अपनी मम्मी को

पूरी नंगी देखने के ख्याल से ही पागल होने लग जाता है.

विजय उधर अपनी मा के सामने बैठ कर खाना खाने लगता है और दूसरी और गुड़िया

पड़ोस मे रहने वाली चंपा के पास

बाते करने पहुच जाती है,

गुड़िया देखा जाए तो विजय को बहुत सीधी सादी और भोली लगती होगी लेकिन

गुड़िया के दिमाग़ मे क्या चलता है इसका ख्याल विजय को नही था, और

गुड़िया का मन बदलने वाली कोई और नही चंपा ही थी, चंपा गुड़िया की ही

उम्र की लड़की थी और अपने बाप और भाई के साथ रहती थी, चंपा अपने भैया से

रोज रात को चुदवाती थी और अपने भैया के लंड की दीवानी थी, और यह सब बाते

उसने गुड़िया को भी बता रखी थी तब से ही गुड़िया उसकी बातो मे कुछ

ज़्यादा ही मज़ा लेने लग गई थी, इसी कारण गुड़िया को जब मोका मिलता वह

चंपा के पास चली जाती थी,

चंपा- क्या बात है आज बड़ी खुस लग रही है

गुड़िया- बात ही कुछ ऐसी है देख मेरे भैया मेरे लिए क्या लेकर आए है,

चंपा-गुड़िया की पायल देख कर अरे वाह बड़ी सुंदर पायल है, ऐसी पायल तो

लोग अपनी बीबी को भी नही देते है, कही तेरा

भाई तुझे अपनी बीबी तो नही बनाना चाहता है,

गुड़िया-तुनक कर मेरा भाई है, वह जो चाहे वह करे, मुझे अपनी बहन बनाए या

बीबी तुझे उससे क्या

चंपा- गुड़िया के दूध को कस कर दबाती हुई, हे मेरी बन्नो, लगता है बड़ा

मन कर रहा है अपने भैया का मोटा

लंड लेने का,
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07-22-2018, 12:31 PM,
#5
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
गुड़िया- मेरा कर रहा हो या नही तू तो अपने भाई का लंड ले चुकी है ना,

चंपा- उसके दूध को दबाती हुई, अरे रानी ले चुकी हू और बड़ा मज़ा भी आता

है अपने भाई के मोटे लंड से चुदवाने मैं

इसीलिए तो तुझे भी कहती हू, एक बार अपने भैया के मोटे लंड पर बैठ जाएगी

ना तो फिर जिंदगी भर उठने का मन नही

करेगा,

गुड़िया- अपने घाघरे के अंदर हाथ डाल कर अपनी चूत को खुजलाती हुई, अरे

चंपा मेरी ऐसी किस्मत कहाँ

चंपा- गुड़िया के घाघरे से उसका हाथ निकालते हुए, अरे महरानी तुम क्यो

कष्ट कर रही हो जब तुम्हारी गुलाम तुम्हारे

पास बैठी है और फिर चंपा अपने हाथ से गुड़िया की चूत को सहलाते हुए, खूब

मन कर रहा है ना अपने भैया के

मोटे लंड को लेने का, लगता है यह पायल भी तेरे भैया ने ही तुझे पहनाई है,

गुड़िया- हा उन्होने अपने हाथो से मेरे पैरो मे पायल पहनाई है,

चंपा- तो थोड़ा घाघरा उठा कर उन्हे अपनी इस गुलाबी चूत के दर्शन भी करवा देती

गुड़िया- अरे कहाँ से करवा दू कही भैया गुस्सा हो गये तो

चंपा- लगता है तू अपने भैया से ज़्यादा चिपकती नही है, एक बार अपनी इस

गदराई जवानी का एहसास उन्हे करा दे, तेरी

जवानी की महक पाते ही देख लेना तेरे भैया का मोटा लंड खड़ा ना हो जाए तो फिर कहना,

गुड़िया- तुझे एक बात तो बताना भूल ही गई भैया मुझे अपने साथ शहर ले जाना चाहते है,

चंपा- मुस्कुरकर लगता है तेरे भैया को तेरी पकी जवानी की महक आ चुकी है

तभी तो वह तुझे शहर ले जाकर

आराम से चोदना चाहते है,

दोनो बाते मैं मगन थी तभी रुक्मणी की आवाज़ आई

गुड़िया ओ गुड़िया देख तेरे भैया बुला रहे है और फिर गुड़िया फुदक कर

अपने घर मे आ जाती है,

रुक्मणी- दोनो भाई बहन सो जाओ और मैं ज़रा पड़ोस मैं जमुना के यहा से हो कर आती हू,

अपनी मा के जाने के बाद विजय अपनी खटिया बिच्छा कर लेट जाता है और

गुड़िया उसके पास जाकर बैठ जाती है

विजय-गुड़िया की पीठ सहलाता हुआ, मेरी बहना अब बड़ी हो गई है, है ना

गुड़िया- अपना मूह फूला कर हा बड़ी हो गई हू इसीलिए आप मुझसे अब पहले

जैसा प्यार नही करते,

विजय- अरे किसने कहा मैं तुझे प्यार नही करता

गुड़िया- उसे आँखे दिखाती हुई और नही तो क्या पहले तो आप मुझे चाहे जब

अपनी गोद मे बैठा कर कितना मुझे चूमते

थे और कितनी देर तक मुझे सहलाते हुए प्यार करते थे लेकिन अब पता नही क्यो

मुझसे दूर-दूर रहते हो

विजय ने मन मे सोचा उसकी बहन कितनी भोली है क्यो ना मैं इसकी गदराई जवानी

का मज़ा ले लू और फिर उसकी ऐसी बाते सुन कर विजय का लंड अपनी लूँगी मे

खड़ा हो चुका था,

विजय- अच्छा भाई आज हम अपनी बहन को पहले जैसा ही प्यार करेगे, चल आजा मैं

तुझे अपनी गोद मे बैठा कर प्यार

करूँगा और फिर विजय अपने दोनो पेर चारपाई से नीचे झूला कर गुड़िया को

अपनी लूँगी मे खड़े लंड पर बैठा लेता है

और गुड़िया को जैसे ही अपनी मोटी गंद मे घाघरे के उपर से अपने भैया के

मोटे लंड का एहसास होता है उसकी चूत पानी

छ्चोड़ने लग जाती है और वह कस कर विजय से चिपक जाती है, विजय अपनी बहन के

रसीले होंठो और गालो को खूब ज़ोर-ज़ोर से चूमते हुए कभी उसके कसे हुए दूध

को हल्के हल्के दबाता है और कभी उसके चिकने पेट पर हाथ फेरता है, विजय का

मोटा लंड गुड़िया की गंद मे फसा रहता है और गुड़िया अपने भैया के लंड की

मोटाई और लंबाई का एहसास करते हुए उसके लंड पर इधर उधर अपनी गंद मारने

लगती है,

विजय- उसके गालो को चूमता हुआ एक हाथ से उसके मोटे-मोटे दूध को हल्के

हाथो से दबाते हुए, बोल गुड़िया चलेगी

मेरे साथ शहर

गुड़िया- हा भैया वैसे भी मुझे तुम्हारे बिना यहा अच्छा नही लगता है,

विजय- पर वहाँ जाकर तुझे इसी तरह रोज मेरी गोद मे बैठना पड़ेगा क्यो कि

वाहा लेजा कर मैं तुझे बहुत प्यार करूँगा

गुड़िया- मैं भी तो यही चाहती हू भैया कि तुम मुझे दिन भर अपनी गोद मे

बैठा कर प्यार करो, जानते हो जब तुम मुझे

अपनी गोद मे बैठा कर प्यार करते हो तो मुझे बहुत अच्छा लगता है और जहा भी

शरीर मे दर्द होता है वह ख़तम

हो जाता है,

विजय- अच्छा तुझे कहाँ पर ज़्यादा दर्द रहता है

गुड़िया- भोली बनते हुए अपने भैया का हाथ पकड़ कर अपने मोटे-मोटे कसे हुए

दूध पर रख कर, यहा बहुत दर्द

रहता है भैया,

विजय का लंड गुड़िया की बात सुन कर झटके मारने लगता है और, वह गुड़िया के

होंठो को चूमता हुआ, मेरी रानी मैं अभी

तेरा सारा दर्द दूर कर देता हू और फिर विजय बेफिकर होकर अपनी बहन के

मोटे-मोटे खूब कसे हुए दूध को पागलो की

तरह खूब कस-कस कर मसल्ने लगता है, गुड़िया पूरी मस्ती मे आकर ओह भैया ओह

भैया ऐसे ही आ हा भैया थोड़ा

धीरे आह ओह भैया बहुत अच्छा लग रहा है,

विजय अपनी बहन के दोनो दूध को पूरी तबीयत से मसलता रहता है, करीब आधे

घंटे तक गुड़िया के दूध को मसल-

मसल कर विजय लाल कर देता है तभी दरवाजे पर दस्तक होती है और गुड़िया

जल्दी से उठ कर दरवाजा खोलने के लिए जाती है और विजय चादर डाल कर चारपाई

पर लेट जाता है, कुछ देर बाद दोनो मा बेटी वही नीचे अपना बिस्तेर लगा कर

लेट जाती है
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07-22-2018, 12:31 PM,
#6
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
कमरे मे एक हल्की रोशनी वाला बल्ब जल रहा था और विजय की आँखो मे नींद नही

थी वह करवट लेकर लेटा हुआ था

और उसकी नज़रे अपनी मा के गदराए बदन पर टिकी हुई थी, रुक्मणी ने गर्मी

होने की वजह से केवल पेटिकोट और ब्लौज पहना हुआ था और हल्की रोशनी मे

विजय को अपनी मा की गदराई मोटी-मोटी जंघे उठा हुआ गहरी नाभि वाला पेट और

खूब चौड़े-चौड़े विशाल चूतड़ साफ नज़र आ रहे थे उसका लंड लोहे की तरह

अपनी मस्तानी मा के शरीर को देख-देख कर

तना हुआ था और उसका दिल कर रहा था कि वह अभी उठ कर अपनी मा के गदराए शरीर

के उपर चढ़ जाए और उसकी उफनती जवानी को खूब कस-कस कर चोदे.

अपनी मस्ती से भरपूर रसीली मा को चोदने की कल्पना करते-करते ना जाने कब

विजय की नींद लग गई, लेकिन विजय को यह ध्यान नही रहा कि उसका मोटा लंड

उसके कछे से बाहर था और फिर रात को जब रुक्मणी को पेशाब लगी तो वह उठ कर

जैसे ही बैठती है उसकी नज़र अपने बेटे के खड़े मोटे लंड पर पड़ती है तो

उसकी आँखे खुली की खुली रह जाती है, इतना मोटा और विशाल लंड रुक्मणी ने

कभी नही देखा था उसकी चूत से पिशाब की जगह एक अलग ही तरह की चुदास लगने

लगती है,

वह, ना जाने कब अपनी चूत को मसल्ते हुए अपने बेटे के लंड के बिल्कुल पास

पहुच कर उसे बहुत प्यार से देखती है, कुछ देर अपनी चूत रगड़ने के बाद

रुक्मणी चुप चाप लेट जाती है लेकिन उसकी आँखो से नींद गायब हो जाती है,

तभी गुड़िया कसमसा कर करवट लेती है और रुक्मणी जल्दी से उठ कर विजय की

लूँगी उठा कर उसके खड़े लंड पर डाल कर उसे छुपा देती है,

रात भर रुक्मणी की आँखो के सामने उसके अपने बेटे का मोटा तगड़ा लंड घूम

रहा था और उसकी चिकनी चूत गीली हो गई थी, बड़ी मुश्किल मे रात गुजर पाई,

सुबह रुक्मणी और गुड़िया काम धाम मे जुट गई और विजय देर तक सोता रहा,

विजय जब सो कर उठा तो वह उठ कर बैठा ही था कि रुक्मणी हाथ मे चाइ का

प्याला लिए सामने से चली आ रही थी, शायद वह बाथरूम से कोई काम ख़तम करके

लॉट रही थी उसकी साडी उसके मोटे-मोटे दूध से अलग हट गई थी और उसका उभरा

हुआ गोरा मखमली पेट और उस पर एक बड़ी सी गहरी नाभि देखने भर की देर थी और

विजय का मोटा लंड अपनी मा के लिए तन कर खड़ा हो चुका था,

रुक्मणी- विजय के पास बैठते हुए, मुस्कुरकर ले बेटा चाइ पी ले

विजय- मुस्कुरकर चाइ पीते हुए, बहुत काम है क्या मा, मैं कुछ मदद करू

रुक्मणी अरे नही बेटे अब तू एक दो दिनो के लिए आया है तो आराम कर काम तो

चलता ही रहता है, रुक्मणी के मोटे-मोटे भरे हुए दूध उसके दो बटन खुले

होने की वजह से आधे से ज़्यादा बाहर आ रहे थे, रुक्मणी का ध्यान बार-बार

विजय की लूँगी के नीचे छुपे लंड की ओर जा रहा था और उसे ज़रा भी ख्याल

नही था कि वह अपना पल्लू हटाए अपने जवान बेटे के सामने अधनंगी बैठी थी,

विजय अपनी मम्मी के मोटे-मोटे दूध को बड़े प्यार से देखता हुआ चाइ पी रहा

था,

रुक्मणी- विजय के सर पर हाथ फेरते हुए, और वाहा टाइम से खाना खाया कर देख

कितना दुबला हो गया है

विजय- चाइ का प्याला रखते हुए मा तुम मुझे बिल्कुल बच्चो जैसे समझा रही

हो मैं सब टाइम पर कर लेता हू

रुक्मणी - विजय का मूह पकड़ कर तो क्या तू बहुत बड़ा हो गया है, मेरे लिए

तो अभी भी बच्चा ही है और मैं तुझे

हमेशा की तरह अपनी गोद मे बैठा कर प्यार कर सकती हू, और फिर रुक्मणी अपने

बेटे के मूह को अपने सीने से लगा लेती है और विजय अपनी मा के मस्ताने

शरीर की कामुक महक को सूंघते हुए अपनी मा के मोटे-मोटे दूध मे अपना मूह

भर देता है, दोनो मा बेटे चिपके होते है तभी दरवाजे पर जमुना काकी आ जाती है,

जमुना- क्या बात है दोनो मा बेटे बड़ा प्रेम कर रहे है,

रुक्मणी- आ जमुना अंदर आजा

विजय- मा मैं फ्रेश होकर आता हू

विजय वाहा से उठ कर बाथरूम मे घुस जाता है तभी उसका मन होता है कि बाहर

झाँक कर देखे मा और जमुना के

बीच क्या बात हो रही है,
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07-22-2018, 12:31 PM,
#7
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
जमुना- रुक्मणी की मोटी गंद मे चुटकी कटती हुई, क्यो रुक्मणी अपने जवान

बेटे को इस उमर मे अपना दूध पिलाते हुए

शरम नही आ रही थी,

रुक्मणी- चुप कर रंडी, ना जाने क्या-क्या बकती रहती है, वो तो मैं अपने

बेटे को प्यार कर रही थी

जमुना- रुक्मणी के दूध को एक दम से दबाती हुई, कोई बाहर का तुम दोनो मा

बेटे को एक साथ ऐसे देखे तो वह यही

सोचेगा कि विजय तेरा आदमी है इतना मुस्टंडा लगता है तेरा बेटा, और तू

कहती है कि तू उसे प्यार कर रही थी, ज़रूर तेरी चूत गीली होगी चल दिखा और

फिर जमुना अपना हाथ एक दम से रुक्मणी की साडी के अंदर चूत मे कर देती है

और अपना हाथ बाहर निकाल कर, हे राम तेरी चूत तो सचमुच बहुत गीली है, सच

बता अपने बेटे के जवान जिस्म से चिपकने से तेरी चूत गीली हुई है ना,

रुक्मणी- मुस्कुरकर मूह बनाते हुए चुप कर जमुना, कही विजय ना सुन ले

जमुना- अरे सुनता है तो सुने उसे भी तो पता चले कि जिस जवान मा के साथ वह

रहता है उसकी चिकनी चूत दिन रात खड़े लंड के लिए पानी छ्चोड़ती रहती है,

विजय का मोटा लंड उनकी बाते सुन कर पूरी तरह तना हुआ था और वहाँ से छुप

कर विजय अपनी मम्मी की गदराई जवानी को देख-देख कर अपना लंड मसल रहा था,

जमुना- अच्छा मैं अब जाती हू, दोपहर को तेरे पास आउन्गि, और हा यह अपना

पल्लू अपने मोटे थनो पर डाल कर रखा कर कही तेरा बेटा ही तुझ पर ना चढ़ने

लगे,

क्रमशः...............
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07-22-2018, 12:32 PM,
#8
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
जवानी की मिठास--3

सावधान-

दोस्तो ये कहानी मा और बहन की चुदाई पर आधारित है जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने मे अरुचि होती है कृपया वो इस कहानी को ना पढ़े

गतान्क से आगे................

रुक्मणी- मूह बना कर अरे मेरा बेटा मुझ पर चढ़ता भी है तो तू क्यो जली जा रही है

जमुना- अरे आज मैं तुझे दोपाःआऱ को एक बात बताउन्गि फिर देखना तेरा मन भी करेगा कि तेरा बेटा ही तुझ पर चढ़ कर तुझे चोद दे,

रुक्मणी-उसका हाथ पकड़ कर तो बना ना क्या बताने वाली है

जमुना- अरे बाद मैं बताउगि आराम से तुझे सहलाते हुए,

रुक्मणी- पर उस दिन जैसे मत करना उस दिन तूने सचमुच मेरा पानी निकाल दिया था

जमुना- चल मैं अब जा रही हू

विजय- जमुना की बात सुन कर सोचने लगता है यह जमुना काकी ना जाने मा को क्या बताने वाली है आज चुपके से इनकी बात सुनना चाहिए, कुछ देर बाद विजय नहा कर बाहर आता है और रुक्मणी बैठी-बैठी सब्जिया काट रही थी, लूँगी मे उसका मोटा लंड लटका हुआ था लेकिन उसकी मोटाई का उभार लूँगी के बाहर भी पता चल रहा था और रुक्मणी बार-बार अपने बेटे के मोटे लंड को देखने के लिए तरस रही थी.

मा ये गुड़िया सुबह-सुबह कहा चली गई है

रुक्मणी- बेटे वह पड़ोस के गाँव मे उसकी सहेली के यहाँ शादी है इसलिए वह दिन भर वही रहेगी शाम को वापस आ

जाएगी.

विजय- एक बात कहु मा

रुक्मणी-क्या

विजय- तुम कहो तो गुड़िया को कुछ दिन शहर मैं अपने पास रख लू, खाना बनाने मे सुबह बड़ी देर हो जाती है और ड्यूटी को अक्सर लेट हो जाता हू बस कुछ दिन और कट जाए फिर ऑफीस के पास ही एक घर का जुगाड़ करना पड़ेगा,

रुक्मणी- पर बेटे गुड़िया वहाँ रह लेगी अकेली

विजय- मा रह पाएगी तो ठीक है नही तो वापस पहुचा दूँगा.

रुक्मणी- मुस्कुराते हुए, कभी अपनी मा को भी घुमा ला शहर मे.

विजय- अपनी मा के पास नीचे उकड़ू बैठता हुआ उसे अपनी बाँहो मे भर कर चूमता है और उसके नीचे बैठने से उसका

मोटा लंड लूँगी से निकल आता है और रुक्मणी अपने बेटे से चिपकी हुई बिल्कुल करीब से उसके मोटे लंड को देख लेती है,

रुक्मणी की चूत पानी-पानी हो जाती है,

क्यो नही मा अगली बार तुम्हे भी अपने साथ सहर ले चलूँगा,

दोपहर को विजय खाना खाने के बाद अंदर कमरे मे सो रहा था और तभी जमुना काकी अंदर आकर रुक्मणी के पास बैठ

जाती है, विजय जमुना काकी की आवाज़ सुन कर चुपचाप दरवाजे के पास आकर अपने कान लगा लेता है.

जमुना- हो गया काम धंधा, और तेरा बेटा विजय कहाँ है, और फिर जमुना रुक्मणी की दोनो जाँघो को फैला कर उसकी

टाँगो के बीच झँकति हुई कही अंदर तो नही छुपा लिया तूने अपने बेटे को

रुक्मणी- मुस्कुरकर, कामिनी मेरा बेटा कोई बच्चा है जो अब इतनी सी जगह मे छुप जाएगा,

जमुना-हा हा उस मुस्टंडे के आने से ही तो तेरा ये भोसड़ा दिन भर भीगा रहता है

रुक्मणी- अच्छा ज़रा धीरे बोल और अब बता तू क्या बात बताने वाली थी, क्या फिर किसी को तूने चुद्ते हुए देखा है,

जमुना- नही रे मैं तो तुझे ऐसी बात बता रही हू कि तेरा पानी छूट जाएगा,

रुक्मणी- तो फिर जल्दी बता ना

जमुना- अरे मैं तुझसे यह बता रही थी कि तेरा 32 साल का बेटा भी तुझे उतना मज़ा नही देता होगा जितना आज कल कुछ दिनो से मेरा 16 साल का बेटा रिंकू दे रहा है,

रुक्मणी- आश्चर्या से रिंकू, भाल वह क्या मज़ा देता है तुझे,

जमुना- अरे कुछ दिनो से जब मैं रात को सो जाती हू तो वह मुझे सोया हुआ समझ कर धीरे- धीरे मेरी साडी मेरी कमर

तक चढ़ा देता है और फिर इतने प्यार से अपने हाथो से मेरी फूली हुई चूत को सहलाता है कि क्या बताउ,

रुक्मणी-यह तू क्या कह रही है,

जमुना- सच रुक्मणी, जब पहली बार मुझे लगा कि कोई मेरी चूत को बड़े प्यार से सहला रहा है तो मैंने चुपके से

आँखे खोल कर देखा तो मेरा बेटा रिंकू मेरे दोनो पैरो के पास बैठ कर बड़े प्यार से मेरी फूली हुई चूत पर हाथ फेर

रहा था,

रुक्मणी- तो तूने उसे डांता नही

जमुना- अरे मेरी डाँटने की हिम्मत ही कहाँ थी, उसका इस तरह से मेरी चूत सहलाना मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि क्या बताउ, और अब तो वह रोज जैसे ही मैं सोने का नाटक करती हू वह रात-रात भर बैठ कर मेरी फूली हुई चूत को बड़े प्यार से सहलाता है, और उसकी अब तो हिम्मत बढ़ती ही जा रही है, कभी-कभी तो वह मेरी फूली हुई चूत को अपनी मुत्ती मे दबोच भी लेता है, हाय रुक्मणी क्या बताउ उस समय कितना मज़ा आता है, और कल रात तो उसने मेरी फूली हुई चिकनी चूत पर सीधे अपना मूह रख कर अपने मूह से जब दबाया तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैं पानी छ्चोड़ दूँगी,

जमुना- सच रुक्मणी सोच जब मेरा छ्होटा सा बेटा अपनी मम्मी की चूत इतने प्यार से सहलाता है तो फिर अगर तेरा जवान बेटा तेरी इस गदराई चूत को अपने मूह से चुसेगा तो तुझे कितना मज़ा आएगा, और वैसे भी तू इतनी मस्त घोड़ी है कि तेरा बेटा एक बार तुझे पूरी नंगी देख लेगा तो अपनी मा की इस गदराई फूली हुई रसीली चूत को मारे बिना नही रह पाएगा,

जमुना की बात सुन कर विजय का मोटा लंड अपनी मा को चोदने के लिए बुरी तरह तन चुका था और वह अपनी मम्मी की गदराई जवानी का रस दरवाजे के पीछे छुपा हुआ अपनी आँखो से पी रहा था,

रुक्मणी- अरे तेरी किस्मत अच्छी है पर मेरा बेटा भला ऐसा क्यो करेगा,

जमुना- अरे तुझे क्या पता तेरे सोने के बाद तेरा बेटा भी तेरी चूत पर हाथ मार देता हो,

रुक्मणी- मुस्कुराते हुए चल हट मेरा बेटा ऐसा नही है

जमुना- चल शर्त लगा ले, जिसकी मा इतनी मालदार हो उसका बेटा उसकी चूत का प्यासा ना हो ऐसा हो ही नही सकता है, वह ज़रूर तुझे चोदने की फिराक मे रहता होगा पर तू ध्यान ही नही देती है,

रुक्मणी- अच्छा चल तेरी बात मान लेती हू पर यह कैसे पता लगेगा कि मेरा बेटा मुझे चोदना चाहता है

जमुना- अच्छा तू एक काम कर आज अपने बेटे से बात करते हुए इतना कहना बेटा मैं पहले से बहुत मोटी हो गई हू ना फिर देखना तेरा बेटा सबसे पहले तेरे मोटे-मोटे दूध उठा हुआ पेट और फिर तेरे भारी भरकम चूतादो को कैसे घूर कर

देखता है, और फिर देखना किसी बहाने से या तेरी तारीफ करके तुझसे कैसे चिपकने की कोशिश करेगा, देखना उसका मन

करेगा कि वह तुझे पूरी नंगी करके खड़े-खड़े अपने मोटे लंड पे चढ़ा ले,

जब काफ़ी देर बाद जमुना वहाँ से चली जाती है तब विजय आँख मलता हुआ बाहर अपनी मा के पास आकर बैठ जाता है
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07-22-2018, 12:32 PM,
#9
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
रुक्मणी-उठ गया बेटे

विजय- हाँ मा

रुक्मणी- अच्छा बेटे क्या मैं ज़्यादा मोटी हो गई हू

विजय- अपनी मा के मोटे-मोटे दूध उसका उठा हुआ मखमली पेट और फिर उसके भारी चूतादो को खा जाने वाली नज़रो से

देखता हुआ अरे नही मा तुम तो बहुत अच्छी दिखती हो,

रुक्मणी- क्या मैं तुझे बहुत अच्छी लगती हू

विजय- अपनी मा को अपनी बाँहो मे भर कर, अरे मा किस बेटे को अपनी मा अच्छी नही लगेगी

रुक्मणी- मुझे देख कर तेरा क्या मन करता है बेटा

विजय- अपनी मा का भरा हुआ चेहरा अपने हाथो मे थाम कर, मा मेरा दिल करता है अपनी मा को चूमता रहू और उसे

खूब प्यार करू और फिर विजय अपनी मा के गुलाबी गालो को चूमता हुआ अपने दोनो हाथो से उसके भारी चूतादो को सहलाने लगता है, रुक्मणी अपने बेटे से पूरी तरह चिपक जाती है, उस समय दोनो मा बेटे के लंड और चूत एक दूसरे मे समा जाने को मचल जाते है,

शाम को गुड़िया जब लॉट आती है तो रुक्मणी अगले दिन उसके जाने की तैयारी करने लगती है, इधर विजय शाम को घूमने निकलता है तो उसकी मुलाकात लखन से हो जाती है और दोनो बाते करते-करते शराब लेकर एक आम के बाग मे जाकर बैठ जाते है, दोनो के बीच जाम पर जाम शुरू हो जाते है,

लखन- अच्छा विजय भैया एक बात पुंचू

विजय- एक नही दो पूछ लखन

लखन- भैया तुम्हारा कैसी औरत को चोदने का मन करता है

विजय- नशे मे मस्त हो रहा था, अरे लखन मेरा भी मन कुछ दिनो से ऐसी औरत को चोदने का करने लगा है जैसा

मन तेरा करता है,

लखन- नशे मे तुंन होकर मतलब भैया

विजय- अरे लखन जैसा मन तेरा अपनी मा को चोदने का करता है वैसा ही मेरा मन अपनी मा को चोदने का करने लगा है

लखन- सच भैया बुरा मत मानना पर तुम्हारी मम्मी बहुत जोरदार माल है

विजय- हाँ लखन मैं दो दिन से दिन रात अपनी मा की गदराई जवानी को ठोकने के लिए तरस रहा हू

लखन- क्या तुम्हे अपनी मा बहुत अच्छी लगती है

विजय- हा लखन तू सच कहता था मैं अपनी मा के भारी चूतादो को देख -देख कर पागल रहने लगा हू जब उसकी मोटी

गंद और जंघे इतनी चौड़ी नज़र आती है तो उसका गुलाबी फूला हुआ भोसड़ा कैसा होगा

लखन- भैया ठकुराइन को वैसे तुम्हारे जैसे मोटे लंड से ही मज़ा आएगा, सच भैया मैंने पूरे गाँव मे सुन

रखा है तुम्हारी मा बहुत चुदासी है उसे अपनी चूत मे मस्त लंड चाहिए, सारा गाँव उसकी गदराई जवानी को चोदने के

लिए तरस रहा है पर वह किसी को घास तक नही डालती है,

विजय- अरे लखन एक बार जब अपने बेटे का मोटा लंड देखेगी तो अपने बेटे के लंड पर चढ़े बिना नही रह पाएगी पर

यार लखन समझ मे नही आता अपनी मा को कैसे चोदु,

लखन- अरे भैया मैं भी एक समस्या से घिरा हू और उसका उपाय आ जाता तो आपकी समस्या भी हल हो जाती और आप आराम से अपनी मा की चूत चोद सकते थे.

विजय- वह क्या

लखन- भैया मैं तो जब भी अपनी बीबी को चोदता हू मुझे मेरी मा ही नज़र आती है जब अपनी बीबी की मस्त फूली हुई चूत देखता हू तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं अपनी मा की चूत को दबा और चूम रहा हू, सच पूछो तो जब मैं अपनी बीबी को अपनी मा समझ कर चोदता हू तो मुझे चुदाई करने मे बड़ा मज़ा आता है, पर क्या बताउ बस समझ नही आता की

कैसे अपनी मा की चूत चोदु.

विजय- एक आइडिया है मेरे मन मे लखन

लखन- वह क्या

विजय- तू अपनी मम्मी को अपनी बीबी की मदद से क्यो नही चोद लेता है, तेरी बीबी को पटा ले वह ज़रूर तेरी मा की चूत को गरम करके तेरे सामने परोस सकती है,

लखन- बात तो आप एक दम ठीक कह रहे हो भैया, मैं आज ही से अपनी बीबी को पटाना शुरू कर देता हू

विजय- अच्छा एक बात बता लखन , किसी कुँवारी लोंड़िया को चोदना हो तो कैसे चोदना चाहिए,

लखन- अरे क्या बताउ भैया कुँवारी लोंदियो को चोदने मैं भी बड़ा मज़ा मिलता है, ऐसा कसा हुआ लंड जाता है उनकी

चूत मे कि मज़ा आ जाता है, पर तुम कौन सी कुँवारी लोंड़िया को चोदने का सोच रहे हो

विजय- बस है यार एक जो नज़र मे चढ़ गई है, और फिर विजय अपने मोटे लंड को जो पूरी तरह तना हुआ था को मसल्ने लगता है

लखन- मुस्कुराता हुआ भैया बुरा ना मानो तो एक बात कहु

विजय-हाँ बोल ना

लखन- भैया वैसे मेरी नज़र मे एक बहुत ही मस्त लोंड़िया है और तुम उसे बड़ी आसानी से चोद सकते हो

विजय- कौन है वह

लखन- वही जिसके बारे मे सोच कर तुम्हारा लंड खड़ा हो गया है, तुम ज़रूर अपनी बहन गुड़िया को ही चोदने का सोच

रहे हो ना

विजय- उसे हैरत भरी निगाहो से देखता हुआ, हा लेकिन तूने कैसे अंदाज़ा लगाया लखन

लखन- मैं तो पहले ही समझ गया था जब तुमने कुवारि लोंड़िया को चोदने की बात की, अभी तुम्हारे घर के आस पास

गुड़िया से मस्त लोंड़िया है भी कौन,

विजय- हा लखन गुड़िया मुझे बहुत अच्छी लगती है मैं उसे चोदना चाहता हू,

लखन- अरे भैया अब मैं क्या कहु, गुड़िया को तुमने लगता है ठीक से देखा ही नही अगर उसकी गुलाबी चूत और कसी हुई

गदराई गंद देख लो तो तुम पागल हो जाओगे

विजय- क्या तूने गुड़िया की गंद और चूत देखी है,

लखन- हा भैया एक बार खेतो मे वह घाघरा उँचा करके मूतने बैठी थी और सामने पास ही के पेड़ के पीछे मैं दारू

पी रहा था तब मैंने गुड़िया को खूब अपनी चूत से खेलते हुए देखा था बड़ी गुलाबी चूत है भैया आपकी बहन की, एक

बार उसे अपने लंड पर बैठा कर देखो सारे जमाने का मज़ा दे देगी आपको

विजय- अपने लंड को मसलता हुआ, क्या गुड़िया की चूत बहुत गुलाबी है,

लखन-हा भैया तुम्हारी बहन तो एक दम पका हुआ माल है अब यही समय है कि उसे तुम खूब तबीयत से चोदो

विजय -अच्छा लखन तू तो हमेशा गाँव मे रहता है और कुछ बता ना अपने गाँव की औरतो के बारे मे,

लखन- भैया अभी तो गाँव मे बस तुम्हारी मा रुक्मणी का ही चर्चा रहता है कहो तो तुम्हारी मा की ही बाते बता दू

विजय- अपने मोटे लंड को मसल्ते हुए, क्यो क्या तूने मेरी मा की भी गंद और चूत देखी है, अगर देखी हो तो बता ना

लखन मेरी मा की फूली हुई चूत कैसी लगती है उसकी नंगी गंद कैसी नज़र आती है,

लखन- भैया मैंने तो नही देखी तुम्हारी मा को नंगी पर हा यह ज़रूर सुना है कि तुम्हारी मा और जमुना काकी दोनो

खूब एकदुसरे की चूत और गंद चाटती है, एक बार तो मेरी मा ने तुम्हारी मा और जमुना काकी को पूरी नंगी होकर एक दूसरे से चिपके हुए देखा था,

विजय- तो तुझे कैसे पता चला

लखन- मेरी मा जमुना काकी के घर गई थी और उनका दरवाजा खुला था जब मेरी मा ने उन्हे देखा तो वह दोनो जान

नही पाई कि मेरी मा ने उन दोनो को नंगी देखा है बस फिर यह बात मेरी मा ने मेरी बीबी को बता दी और मेरी बीबी ने

मुझे, सच विजय भैया तुम्हारी मा बहुत बड़ी चुदासी है उसे अपना मोटा लंड कैसे भी करके दे ही दो.

क्रमशः...............
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07-22-2018, 12:33 PM,
#10
RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
जवानी की मिठास--4

सावधान-
दोस्तो ये कहानी मा और बहन की चुदाई पर आधारित है जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने मे अरुचि होती है कृपया वो इस कहानी को ना पढ़े

गतान्क से आगे................

शाम को विजय घूम फिर कर घर आ जाता है और उसे देखते ही गुड़िया उसके पास जाकर लिपट जाती है, विजय उसे अपनी बाँहो मैं भर कर चूमते हुए मेरी गुड़िया रानी सुबह से कहाँ गायब थी मैं तेरे लिए कितना बैचैन था,

गुड़िया- अपने भैया का हाथ पकड़ कर उसे खाट पर बैठते हुए भैया मैंने सब तैयारी कर ली है और कल से तुम्हारा

जब दिल करेगा अपनी बहन को अपनी गोद मे बैठा कर प्यार कर लेना,

विजय- मेरा दिल तो अभी अपनी बहन को प्यार करने का हो रहा है,

गुड़िया- अपने भाई के उपर चढ़ कर बैठ जाती है और विजय उसके पतले से घाघरे के उपर से उसके भारी चूतादो को

सहलाने लगता है, उसके भारी चूतादो को दबाते हुए, गुड़िया तू कितनी दुबली हो गई है,

गुड़िया अपने भाई के गालो से अपने गाल रगड़ते हुए भैया आप यहाँ रहते नही तो मुझे अच्छा नही लगता है ना

विजय- अच्छा अब तो तू मेरे साथ ही रहेगी और फिर गुड़िया की मोटी गंद को अपने हाथो से दबाते हुए देखना गुड़िया

मैं तुझे कितनी तंदुरुस्त कर दूँगा,

गुड़िया- हा भैया मेरा भी बदन बहुत दर्द करता है और जब तुम दबाते हो तो बहुत अच्छा लगता है

विजय- अच्छा मुझे बता तेरा बदन कहाँ-कहाँ दर्द करता है

गुड़िया- अपने भैया का एक हाथ पकड़ कर अपने मोटे-मोटे दूध के उपर रख लेती है और दूसरे हाथ को अपने भारी

चूतादो के उपर रख लेती है, विजय अपनी बहन को भोली समझ कर उसके मोटे-मोटे दूध और गदराई गंद को खूब कस-

कस कर मसल्ने लगता है, उसका लंड अपनी बहन के दूध और मोटी गंद मसल्ते हुए एक दम तन कर खड़ा हो जाता है

विजय- अब अच्छा लग रहा है

गुड़िया- हाँ भैया बहुत अच्छा लग रहा है पर मुझे अपनी गोद मे बैठा कर दोनो हाथो से मेरी छातियाँ मसलो ना

विजय गुड़िया को अपने लंड पर बैठा कर उसके दोनो मोटे-मोटे दूध को खूब कस-कस कर मसल्ने लगता है तभी

अचानक रुक्मणी घर के अंदर आ जाती है और विजय और गुड़िया का ध्यान उसकी ओर नही रहता है, वह गुड़िया को पागलो की तरह चूमता हुआ उसके मोटे-मोटे दूध को दोनो हाथो से खूब कस-कस कर मसलता रहता है, गुड़िया आह आह करती हुई हा भैया अब बहुत अच्छा लग रहा है ऐसे ही ऐसे ही करते रहो,

रुक्मणी दोनो को उस तरह देख कर गरम हो जाती है और चुपचाप दरवाजे के पीछे छुपकर उन दोनो को देखने लगती

है,

गुड़िया- भैया आपको इस तरह मालिश करना कहाँ से पता चला है आप बहुत अच्छे से मसल्ते हो दो मिनिट मे दर्द

ख़तम हो जाता है और मज़ा आने लगता है, क्या आप मम्मी की भी ऐसे ही मालिश करते हो

गुड़िया के मूह से ऐसी बात सुन कर रुक्मणी की चूत कुलबुलाने लगती है,

विजय- नही रे मम्मी की ऐसी मालिश करने को कहाँ मिलता है

गुड़िया- तो भैया मम्मी को भी मेरी तरह दर्द रहता होगा आप मम्मी को भी इसी तरह मसल कर मालिश कर दिया करो

ना,

विजय- गुड़िया की चोली खोल कर उसके दोनो मोटे-मोटे दूध अपने हाथो मे भरकर दबाते हुए, हे गुड़िया मम्मी

मुझसे ऐसी मालिश करवाती ही कहाँ है, मैं तो कब से मम्मी की मालिश करने के लिए तरस रहा हू

गुड़िया- आह तो क्या आपको भी भैया ऐसी मालिश करने मे मज़ा आता है

विजय- हाँ गुड़िया तभी विजय को ऐसा लगता है जैसे कोई छुपकर खड़ा है और विजय समझ जाता है कि उसकी मा रुक्मणी छुप कर खड़ी है, वह उसकी ओर बिना देखे पहले थोड़ा घबराता है लेकिन फिर उसका लंड झटके मारने लगता है और वह गुड़िया के दूध को दबाता हुआ, गुड़िया तू नही जानती मैं ऐसी मालिश करने के लिए कितना तरसता हू,

गुड़िया- क्या आपका मन मम्मी की भी मालिश करने को करता है

विजय- हाँ गुड़िया मेरा मान तो मम्मी को पूरी नंगी करके मालिश करने का करता है

गुड़िया- हस्ते हुए क्या भैया मम्मी कभी आपको नंगी करके मालिश करने देगी क्या

विजय- क्यो नही करने देगी मैंने तो सुना है मम्मी को पूरी नंगी होकर मालिश करवाने मे बहुत मज़ा आता है

गुड़िया- हाँ भैया लेकिन सिर्फ़ जमुना काकी के साथ

विजय- अच्छा चल अब अपनी चोली बाँध ले मा आती होगी

रुक्मणी थोड़ी देर बाद घर के अंदर आती है, रात को सभी खाना खा कर सो जाते है और सुबह जब गुड़िया बाहर बाइक के

पास समान लेकर खड़ी थी तब विजय अपनी मा से गले मिलने लगा

रुक्मणी- जल्दी आना बेटे तेरे बिना मन नही लगता है, वैसे भी तुझे मेरा बिल्कुल ख्याल नही है बस अपनी बहन का ही

ध्यान रहता है,

विजय- नही मा अब की बार आउन्गा तो तुम्हारी हर शिकायत दूर कर दूँगा

रुक्मणी- गुड़िया का ख्याल रखना अभी बहुत बचपाना है उसमे

विजय- तुम फिकर ना करो मा अब तुम्हारी बेटी बच्ची नही रहेगी उसे मैं तुम्हारी तरह समझदार बना दूँगा

विजय अपनी बहन को लेकर शहर आ जाता है और उसे घर छ्चोड़ कर ड्यूटी चला जाता है, शाम को विजय घर पहुच कर

जब दरवाजा बजाता है तब गुड़िया दरवाजा खोलती है वह सीधे विजय से लिपट जाती है, विजय उसे अपनी गोद मे उठा कर

अंदर ले आता है और फिर कभी उसके होंठो को कभी उसके गालो को चूमना शुरू कर देता है,

गुड़िया अपने मन मे सोचती है आज तो मैं अपने भैया के मोटे लंड को अपनी चूत मे भर कर उनसे खूब अपनी चूत मरवाउंगी, गुड़िया भैया अब अपनी बहन को चूमते ही रहोगे या उससे यह भी पूछोगे कि तुझे आज सबसे ज़्यादा दर्द कहाँ हो रहा है,

विजय- उसके रसीले होंठो को चूस कर बता मेरी प्यारी बहना आज तुझे सबसे ज़्यादा दर्द कहाँ पर हो रहा है

गुड़िया उसके उपर से उठती हुई पहले भैया अपना ये पेंट उतार कर हाथ मूह धो लो और लूँगी पहन लो फिर बताती हू, पेंट

मे आप अच्छे से मुझे अपनी गोद मे बैठा नही पाते है,

विजय जल्दी से अपने कपड़े उतार कर बाथरूम मे हाथ मुँह धोकर पूरा नंगा होकर केवल अपनी लूँगी पहन कर आ जाता है

और गुड़िया को पकड़ कर अपनी और उसका मूह करके उसे अपनी गोद मे चढ़ा लेता है गुड़िया का घाघरा पीछे सरक जाता

है और उसकी चूत सीधे अपने भैया के मोटे लंड से सत जाती है, विजय उसे पागलो की तरह चूमते हुए उसके मोटे-मोटे

दूध को बुरी तरह दबाने लगता है,
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