09-18-2017, 12:17 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
मा मेरी ओर देखती रही उसकी आँखों मे बड़ा दुलार और वासना थी जब उसने देखा कि मैं सच मे उसका मूत पीना चाहता हूँ तो वह मुझे बाहों मे भर कर बेतहाशा चूमने लगी "चल मेरे लाल, मेरे बच्चे, तेरी ये इच्छा पूरी कर देती हूँ बोल कैसे पिएगा? गिलास मे दूं?"
मैं मचल कर बोला "नहीं अम्मा, मैं तो आपकी बुर से सीधे पीऊँगा औरतें बैठ कर मूतती हैं वैसे मेरे सिर पर बैठकर मूतो चलो ना बाथरूम मे"
मा को हाथ से पकडकर खींचता हुआ मैं बाथरूम ले गया वह हँसती हुई मेरे पीछे पीछे खिंची चली आई उसे बहुत अच्छा लग रहा था कि उसका लाड़ला उसके मूत का इतना दीवाना हो गया है बाथरूम मे मैं तुरंत ज़मीन पर लेट गया और मा को खींचकर बोला "जल्दी आओ मा, बैठो मेरे मुँह पर"
मा बड़ा नखरा करते हुए आराम से मेरे सिर के दोनों और पैर जमा कर बैठ गयी उसकी बुर अब मेरे मुँह के उपर लहरा रही थी बुर मे से रस टपक रहा था, अम्मा बहुत मस्ती मे आ गयी थी "मंजू और रघू भी ऐसे ही पीते हैं कभी कभी उन्हें खड़े खड़े भी पिलाती हूँ तुझे बाद मे पिलाऊन्गि वैसे मुझे उसमे ज़्यादा मज़ा आता है लगता है जैसे मैं कोई देवी या रानी हूँ और अपने भक्त को सामने बिठा कर अपना प्रसाद दे रही हूँ चल मुँह खोल अब, इतना मुतुँगी तेरे मुँह मे कि तुझसे पिया नहीं जाएगा और गिराना नहीं नहीं तो फिर कभी नहीं पिलाऊन्गि"
"मा, मैं एक बूँद भी नहीं गिरने दूँगा आपके शरबत की" कहकर मैने मुँह खोला और मा बड़ी सावधानी से निशाना लेकर उसमे मूतने लगी खलखलाती एक तेज धार मेरे मुँह मे गिरने लगी मैने मूत मुँह मे ही भर लिया मा ने मूतना बंद कर दिया झल्ला कर बोली "अब निगलता क्यों नहीं मूरख? गुटक जा जल्दी से"
मैने मुँह बंद किया और मा के उस खारे कुनकुने मूत का स्वाद लेने लगा मेरा लंड ऐसे उछल रहा था जैसे झड जाएगा स्वाद ले कर आख़िर मैने मूत निगला और मा को बोला "जल्दी नहीं करो अम्मा, मैं मन लगाकर चख कर पीऊँगा आपका मूत"
मा हँसने लगी "बिलकुल मंजू जैसा करता है तू वह भी कभी कभी आधा घंटा लगा देती है मेरा मूत पीने मे ठीक है, आज धीरे पिलाती हूँ पर समझ ले मेरे लाल, अब से मेरा मूत तुझे ही पिलाऊन्गि मंजू तो कभी कभी पीती है, पर तू तो मेरे साथ ही रहेगा जब पिशाब लगेगी, तेरे मुँह मे करूँगी बोल है मंजूर?"
मैं तो खुशी से उछल पड़ा मा ने अगले दस मिनिट मुझे बहुत प्यार से अपना मूत पिलाया बीच मे वह थक कर उठ कर दीवाल से टिक कर खडी हो गयी "पैर दुख रहे हैं बेटे आज अब खड़े खड़े पिलाती हूँ आ जा मेरी टाँगों के बीच बैठ जा और मुँह उपर करके मेरी बुर से सटा दे देख कैसे मस्त पिलाती हूँ और अब ज़रा जल्दी जल्दी पी, मैं ज़ोर से मुतुँगी अब"
|
|
09-18-2017, 12:17 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
मैं मा की टाँगों के बीच पालती मार कर बैठ गया और उसकी टाँगें पकडकर अपना चेहरा उपर करके मा की बुर को मुँह मे ले लिया मेरे सिर को कसकर अपनी बुर पर दबा कर मा मूतने लगी अब वह ज़ोर से मूत रही थी और उसकी धार सीधे मेरे गले के नीचे उतर रही थी मैं भी गटागट पी रहा था मा अब इतना उत्तेजित हो गयी थी कि मूतना खतम होने पर भी मुझे नहीं छोड़ा और खड़े खड़े ही उपर नीचे होकर उसने मेरे मुँह पर मुठ्ठ मार ली
हम बाथरूम के बाहर निकले तो मंजू सामने थी झाडू लगा रहा थी साली हमे देखते ही समझ गयी खिलखिलाकर हँसते हुए बोली "चलो, आख़िर बेटे को भी अपना प्रसाद पिला दिया मालकिन मेरा भी ख़याल रखना, नहीं तो मुझे प्यासा रखोगी आप"
मा बोली "तू चुप रह, बहुत शरबत है मेरे पास सारे खानदान को पिला सकती हूँ तुझे भी पिलाऊन्गि पर अब मुन्ना का हक पहले है हैं ना मेरे राजा?" कहकर लाड से उसने मुझे चूम लिया फिर मेरे लंड को पकडकर मुझे वापस अपने कमरे मे ले गयी बोली "इतना मस्त खड़ा हो गया मुन्ना तेरा फिर से? लगता है मेरे मूत का असर है ऐसी बात है तो अब तुझसे चाहे जितना चुदा सकती हूँ मैं जब तू लस्त पड़ेगा तो अपना यह गरमागरम शरबत पिलाऊन्गि और मस्त कर दूँगी तुझे चल अब मैं फिर चुदा लूँ एक बार अपने राजा बेटा से!"
मैं तो मा के मूत का दीवाना हो गया मा ने वायदे के अनुसार मुझे रोज पिलाना शुरू कर दिया जब भी मूड मे होती और मैं घर मे होता तो मुझे पास बुलाकर बाथरूम मे ले जाती कुछ दिन बाद तो मैं इस सफाई से पीने लगा कि बाथरूम जाने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती थी कहीं भी मा की बुर से मुँह लगा लेता और वेहा उसमे मूत देती मंजू को चिढाने को वह जानबूझकर उसके सामने मेरे मुँह मे मूतती
अब जब सामूहिक चुदाई होती तो हमसब एक साथ बाथरूम जाते बहुत मज़ा आता था मा मंजू के मुँह पर मूतने बैठ जाती थी और रघू मेरा लंड मुँह मे लेकर मेरा मूत पी लेता था
बाद मे अक्सर हम अदल बदल कर लेते थे मा रघू के मुँह मे मूतती और मैं मंजू के मुँह मे पहले मुझे बहुत अटपटा लगा मंजू बाई नौकरानी भले ही हो, पर औरत थी और वह भी मस्त चुदैल औरत जिसने मुझे बहुत सुख दिया था उसके मुँह मे मूतना मुझे ठीक नहीं लग रहा था पर उसीने मुझे समझाया "शरमा मत मुन्ना, तू इतना प्यारा है, एकदमा गुड्डे जैसा तेरा मूत तो मेरे लिए तेरी मा के मूत जैसा ही मजेदार है मूत ना राजा, पिला दे इस नौकरानी को उसके हक का शरबत!"
आख़िर मा ने भी समझाया और मैने मंजू के मुँह मे मूता मंजू ने भी बड़े चाव से उसे निगला मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि मंजू जिस प्यार और दुलार से मेरा मूत पीती थी उससे मैं समझ गया था कि मेरे और मा के प्रति उसकी वासना कितनी गहरी थी अब कई बार वह मेरा मूत चुपचाप पी लेती बहुत बार तो जब मुझे नींद से जगाने आती, तो मेरा लंड चूस कर मेरा मूत पी कर ही मुझे जगाती और फिर उठने देती
बाद मे एक बार जब मा बाहर गयी थी और मैं और मन्जुबाई घर मे अकेले थे, मैने उसका मूत पीने की बहुत ज़िद की मन्जुबाई के कसे साँवले शरीर और उसकी बुर के रस का तो मैं दीवाना था ही, सोचा जहाँ से इतना मस्त शहद निकलता है वहाँ का शरबत भी मादक होगा ही इसलिए उसका मूत पी कर देखने की मुझे बहुत इच्छा थी
वह पहले तैयार नहीं हो रही थी, कह रही थी कि ये तो पाप होगा पर इस कल्पना से कि वह अपनी मालकिन के बेटे, अपने छोटे मालिक को अपना मूत पिलाए, वह कितनी उत्तेजित थी यहा मुझे तब पता चला जब आख़िर मेरे खूब गिडगिडाने और मिन्नत करने पर कि मा को नहीं बताऊन्गा, वह आख़िर मेरे मुँह मे मूतने को तैयार हो गयी साली की बुर इतनी चू रही थी कि जांघों पर रस बह कर टपक रहा था पहले तो मुझे लगा कि उसने शायद पिशाब कर दी हो पर फिर पता चला कि वह उसकी चूत का पानी था
|
|
09-18-2017, 12:17 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
साली को मेरे खुले मुँह को अपनी बुर से चिपका कर उसमे मूतने मे बहुत मज़ा आया, ऐसी गरम हो गयी थी कि मूतना खतम होते ही मेरे मुँह पर सवार होकर मुठ्ठ मारने लगी मुझे भी मंजू बाई के मूत का स्वाद उत्तेजक लगा, मा के मूत से अलग था, ज़्यादा खारा सा था पर मजेदार था
बाद मे मैं यह कई बार करने लगा मा को नहीं बताया कि वह नाराज़ ना हो जाए मंजू तो फिदा हो गयी थी मुझपर, जब भी मैं कहता हाजिर हो जाती उसने भी यह बात रघू से छुपा कर रखी मेरे मुँह मे मूतना उसके लिए इतना मस्त काम था कि वह यह उसे पूरा गुप्त रखना चाहती थी
हमारी चुदाई अब सधे ढंग से चलने लगी थी, जैसे आम बात हो हमारी टाइम टेबल जैसा भी बन गया था अक्सर हम तरह तरह के खेल खेलते कभी कभी सिर्फ़ गान्ड मराई होती रात भर हमारी रंडी माएँ एक दूसरी की बुर चुसतीं और हम दोनों बेटे उनपर चढकर उनकी गान्ड मारते कभी कभी 'एक एक पर तीन तीन' खेल होता इसमे किसी एक को निशाना बनाकर बाकी तीनों उसपर चढ जाते और तीनों ओर से याने चूत या लंड, गान्ड और मुँह मे से एक साथ चोदते मा या मंजू पर चढते समय मैं और रघू आगे पीछे से दोनों छेदो से उन्हें एक साथ चोदते और मुँह मे बची हुई औरत की चूत होती मैं या रघू जब निशाना बनाते तो गान्ड मे लंड होता और मुँह और लंड पर मा या मंजू बाई होती
हम लोगों के इस मस्त जीवन मे अगला मोड करीब एक साल बाद आया और वह भी ऐसा मोड जिसके अतिशय विकृत पर मादक आनंद की मैने कभी कल्पना भी नहीं की थी
|
|
09-18-2017, 12:17 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
"बस बस आ गया राजा हमारा मुकाम, ज़रा सब्र कर." रघु बड़े दुलार से मोती को बोला. मुझे लगने लगा कि कुछ गड़बड़ ज़रूर है. अचानक मेरी नज़र मोटी के लंड पर पड़ी. वैसे उस घोड़े का लंड मैने बहुत बार देखा था. सात आठ इंच लंबा भूरा मोटा लंड हमेशा लटका रहता और ख़ास ध्यान देने जैसी कोई बात उसमें मैने नहीं देखी थी. पर अब उसे देखकर मेरी साँस ज़ोर से चलने लगी. मोती का लंड खड़ा होने लगा था. उस भूरे लंड मे से लाल रंग का एक सुपाड़ा और डंडा अब धीरे धीरे बाहर आ रहा था. मोटी मस्ती से अब रघु से चिपटने की कोशिश कर रहा था.
"रुक जा मेरी जान, लगता है तू समझ गया कि तेरा ये दीवाना तुझे मुहब्बत करने को यहाँ लाया है. अभी तुझे खुश करता हूँ पर ज़रा रुक तो, ऐसे मत मचल!" रघु ने हाथ बढ़ाकर मोती के लंड को सहलाते हुए कहा. अब वे दोनों झाड़ों के बीच झाड़ियों से घिरी एक सॉफ सपाट जगह पर पहुँच गये थे. वहाँ रघु रुक गया. मैं झाड़ी के पीछे बैठकर तामांशा देखने लगा.
मोती अब खड़ा खड़ा हिनहिनाते हुए अपने अगले खुर ज़मीन पर रगड़ रहा था. उसका लंड अब और बाहर निकल आया था. रघु जाकर उसके पेट के नीचे पालती मांर कर बैठ गया और दोनों हाथों मे उसका वह लाल लाल डंडा लेकर उसकी मांलीश करने लगा जैसे लाठी मे तेल लगा रहा हो. मोती अब उत्तेजना से थरथरा रहा था. रघु ने कहा "हाय मेरे यार. कुर्बान जाऊं तेरे इस लंड पर. क्या लौडा है रे तेरा, मेरे लिए तो स्वर्ग का टुकड़ा है." और मुन्ह लगाकर उस मतवाले लंड के डंडे कोचूमने लगा.
मेरा भी खड़ा हो गया था. उस खूबसूरत जानवर का वह महाकाय लंड बहुत ही सुंदर और लज़ीज़ दिख रहा था. करीब करीब एक फुट लंबा और आधाई तीन इंच मोटा वह लौडा किसी छोटी लौकी जैसा मोटा था. सुपाड़ा लंड के सामने छोटा लग रहा था पर था वह रघु के सुपाडे से भी काफ़ी बड़ा, करीब करीब एक छोटे सेव या अमरूद जितना होगा. रघु जिस तरह से मोती के लंड को रगड़ता हुआ बार बार चूम रहा था, मैं समझ गया अब जल्द ही वह आगे का काम करेगा. चूमने के साथ रघु जीभ निकालकर घोड़े के पूरे लंड को बीच बीच मे चाटने लगता.
रघु भी अब बेहद उत्तेजित था. बार बार ना रहकर वह एक हाथ हटाकर अपने लंड को मुठियाने लगता. मुझे लगा कि वह अब मोती की मूठ मांर देगा पर उसकी मन मे धधकती वासना का असली रूप अब मुझे समझ आया जब रघु बोला. "मोती राजा, चल अब अपना माल खिला दे, तेरे लंड के गाढ़े मलाईदार माल का तो मैं दीवाना हूँ राजा. पेट भर दे मेरा यार" कहकर उसने अपना मुन्ह पूरा खोला और हौले से मोटी के लंड का सुपाड़ा मुन्ह मे भर लिया. रघु के मुन्ह के अंदर सुपाड़ा
जाते ही मोती एकदम स्थिर हो गया, बस उसका बदन भर काँप रहा था.
वह सेव जैसा सुपाड़ा जिस आसानी से रघु ने मुन्ह मे ले लिया उससे यह पता चलता था कि वह पहली बार ये नहीं कर रहा है. अब आँखें बंद करके रघु मन लगाकर घोड़े का लंड चूस रहा था और अपने दोनों हाथों मे मोटी का लंड पकड़कर ज़ोर से उसे साडाका लगा रहा था. आगे पीछे करने से मोती का सुपाड़ा फूलता और सिकुड़ता और रघु के गाल भी उसके साथ फूलते और सिकुड़ते. अब रघु ने लंड को और निगलना शुरू किया. उसका गला फूल गया और लंड का लाल डंडा आधा धीरे धीरे रघु के मुन्ह मे समां गया. मैं अचंभे से ताकता रह गया. करीब करीब आठ नौ इंच लंड रघु ने निगल
लिया था. वैसे यह कोई नयी बात नहीं थी क्योंकि मैं भी रघु का आठ इंची लौडा पूरा निगलना सीख गया था. पर उस घोड़े का इतना मोटा लंड निगलना कोई आसान बात नहीं थी.
रघु अब मन लगाकर घोड़े का लंड चूस रहा था. बार बार लंड मुन्ह से निकालता और फिर निगल लेता, बिलकुल जैसे ब्लू फिल्म मे की रंडियाँ करती हैं. साथ ही मुन्ह के बाहर निकले लंड को वह लगातार हथेलियों मे लेकर रगड़ रहा था.
मोटी ने अचानक गर्दन हिलाकर अपनी नथुनो से एक फूंकार छोड़ी और उसका सारा बदन थरथराने लगा. उसका लंड भी अब फूल और सिकुड रहा था. मोटी शायद झाड़ गया था. रघु के गले की हलचल से लग रहा था कि वह अब फटाफट मोती का वीर्य निगल रहा था. घोड़े कितनी देर झाड़ते हैं यह मुझे आज पता चला. रघु बहुत देर मोती का वीर्य निगलता रहा. मेरी बड़ी इच्छा थी कि देखूं की मोती का वीर्य कैसा है पर रघु ने अब घोड़े के सुपाडे के साथ उसका आधा लंड फिर निगल लिया था और इस सफाई से उसका वीर्य चूस रहा था कि एक बूँद भी बाहर नहीं पड़ रही थी.
आख़िर अंत मे रघु का मुन्ह भी थक गया होगा. मोती का लंड अब शांत हो गया था. रघु ने लंड मुन्ह से निकाला और ज़ोर ज़ोर से साँस लेते हुए सुस्ताने लगा. मोटी का लंड अब तेज़ी से सिकुड रहा था. उसके लाल लाल
सुपाडे के छोर से अब एक हल्के पीले रंग के गाढ़े वीर्य का कतरा लटक रहा था. मोती का वीर्य कितना गाढ़ा होगा इसका अंदाज़ा मुझे इससे लग गया कि वो क़तरा वैसा ही लटकता रहा, टूट कर गिरा नहीं. रघु की साँस अब तक शांत हो गयी थी, उसने बड़े प्यार से जीभ निकालकर उस कतरे को चाट लिया.
"कुर्बान हो गया तेरे माल पर मेरे राजा, पेट भर दिया तूने अपने अमृत से मेरा. अब ज़रा मुझे भी मज़ा कर लेने दे मेरे यार" कहकर रघु अपने लंड को पकड़कर खड़ा हो गया. उसका लंड अब सूज कर लाल लाल हो गया था. मेरी गान्ड उसने अभी अभी मारी थी. फिर भी उसका लंड जिस तरह से खड़ा था उससे सॉफ जाहिर था कि रघु कितना कामोत्तेजित था.
मैं भी मस्ती मे था. जानवर के साथ संभोग कितना मादक हो सकता है इसका अहसास मुझे हो रहा था. बहुत मन कर रहा था कि भाग कर जाऊं और रघु का लौडा चूस लूँ या उससे गान्ड मारा लूँ. पर डर के मारे चुप रहा कि रघु को पता चल गया कि मैं घोड़े के साथ उसके संभोग को देख रहा हूँ तो ना जाने क्या कहे.
रघु जाकर एक बड़े पत्थर पर खड़ा हो गया. "आ जा मेरी जान, मेरे पास आ जा." उसके कहते ही मोती जो अब शांत हो गया था, एक बार हिनहिनाया जैसे रघु की बात समझ गया हो और पीछे खिसककर अपनी रान रघु के सटा कर खड़ा हो गया. लगता था वह बिलकुल जानता था कि रघु क्या करने वाला है और उसकी सहायता कर रहा था.
ऊँचाई पर खड़े होने के कारण रघु का लंड घोड़े की गान्ड के ही लेवल पर आ गया था.
|
|
09-18-2017, 12:17 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
"आ तेरी गान्ड मांर लूँ मेरे राजा, तेरे जितने बड़ा तो लंड नहीं है मेरा पर तुझे मज़ा आता है ये मुझे मालूम है." कहकर रघु ने मोती की पूंछ उठाई. घोड़े की गान्ड का भूरा छेद खुल और बंद हो रहा था जैसे बड़ी बेचैनी से रघु के लंड का इंतजार कर रहा हो. रघु ने अपना लंड घोड़े की गान्ड पर जमाया और पेलने लगा. मोती भी अपनी गर्दन इधर उधर हिलाता हुआ खुद ही पीछे खिसका जैसे अपने मालिक का लंड लेने की कोशिश कर रहा हो. नतीजा यह हुआ कि एक ही बार मे आराम से रघु का मोटा तगड़ा लंड मोटी की पूंछ के नीचे के छेद मे पक्क से समां गया. चट्टान पर खड़े खड़े रघु अब घोड़े की मजबूत रान पकड़कर उसकी गान्ड मांरने लगा. मोटी शांत खड़ा खड़ा मरवा रहा था, बीच मे ही वह थोडा आगे पीछे होता जैसे रघु का लंड और अंदर लेने की कोशिश कर रहा हो. रघु वासना से हांफ रहा था, उससे यह सुख सहन नहीं हो रहा था. बीच मे वह झुक कर मोटी की पीठ चूम लेता और फिर घचाघाच उसकी गान्ड मांरने लगता. मोती भी मज़ा ले रहा था, रघु के एकाध जोरदार धक्के से जब ज़्यादा मज़ा आता तो वह अपनी नाथनी से फूंकार देता.
रघु अब मस्ती मे पागल हो रहा था. ज़ोर ज़ोर से घोड़े के गान्ड मांरता हुआ बोला. "हाइईईईईईईईईईई या रे, मज़ा आ गया यार, तेरी गान्ड मारू साले खूबसूरत जानवर. अरे तू भी मेरी मांर रे किसी तरह, मैं मर जाऊं, मेरी गान्ड फट जाए पर तेरा ये लंड डाल राजा मेरी गान्ड में, अरे एकाध खूबसूरत घोड़ी भी दिलवा मुझे राजा चोदने को, अरे मर गया रे " कहकर रघु झाड़ गया और हान्फता हुआ मोती को चिपककर खड़ा रहा. मोती गर्दन मोड़ मोड़ कर रघु की ओर देख रहा था और दबे स्वर मे हिनहिना रहा था जैसे कहा रहा हो कि मज़ा आ गया. आख़िर अपना झाड़ा लंड घोड़े की गान्ड से निकालकर रघुने धोती से पोंच्छा और सुस्ताने को ज़मीन पर बैठ गया. मोती प्यार से उसकी गर्दन और कान चाट रहा था. लगता है दोनों की जोड़ी अच्छी जम गयी थी. मैं तो बुरी तरह उत्तेजित था, एक तो पहली बार मानव और जानवरा का संभोग देखा था, और
वह भी समलिंगी. क्या बात थी!
रघु बोला. "अब आ जा मुन्ना, क्यों छिपता है रे फालतू में, आ जा अपने रघु दादा के पास." मुझे लकवा सा मांर गया. याने रघु को मालूम था कि मैं देख रहा हूँ! पहले थोड़ा डरा कि रघु पिटाई ना करे पर उसकी आवाज़ मे भ्रयी मादकता से मेरी जान मे आन आई.
मैं झाड़ी के पीछे से निकला और रघु से लिपट गया. "रघु दादा, तुमको मालूम था मैं देख रहा हूँ? तुमको गुस्सा तो नहीं आया?"
मेरे खड़े लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाते हुए मुझे चूमता हुआ वह बोला. "अरे मैं तब से देख रहा हूँ जब से छुप छुप कर तू हमांरा पीछा कर रहा था. पहले सोचा तुझे डाँट कर भगा दूँ, नहीं तो तेरी माँ गुस्सा करेगी. ये जानवरों से चुदाई देखने को तू अभी छोटा है. पर फिर सोचा तुझे मज़ा आएगा तो दिखा ही दूँ तुझे भी यह जानवरों से रति वाली जन्नत. कैसी लगी मोती के साथ मेरी मस्ती?"
उसके मुन्ह से अजीब सी खुशबू आ रही थी. कुछ जानी पहचानी थी, आख़िर वीर्य ही था, भले ही घोड़े का हो, हाँ ज़्यादा महक वाला था. "बहुत मज़ा आया रघु दादा. और क्या गान्ड मारी तुमने मोती की! यह घोड़ा मरा लेता है चुपचाप, दुलत्ती नहीं झाड़ता? और तुम्हें गंदा नहीं लगा घोड़े की गान्ड मे लंड डालते समय?" मैने मोती का चिकना शरीर सहलाते हुए कहा. मोती की आँखों मे एक अजब तृप्ति थी, वह अपने थुथनी से बार बार मुझे और रघु को धकेल रहा था.
"मराने मे इसे बहुत मज़ा आता है. सिर्फ़ खुद किसीकी मांर नहीं पाया बेचारा, अब तक किसी को चोद भी नहीं पाया. पेट भर कर वीर्य ज़रूर पिलाता है ये अपने यार को. मैं कम से कम दो बार इसका लंड चूस देता हूँ, इससे यह फिदा हो गया है मुझपर. मालूम है मुन्ना, लोटा भर वीर्य निकलता है इसके लंड से. और इसकी गान्ड एकदम सॉफ रहती है. लीद करने के बाद मैं पाइप डालकर इसकी गान्ड अंदर से धोता हूँ, एकदम मखमल की नली जैसी मुलायम है. तेल भी रोज लगाता हूँ इसकी गान्ड के अंदर, इसे अच्छा लगता है, और गान्ड भी मुलायम रहती है"
रघु की बात से मैं समझ गया कि लोटा भर नहीं फिर भी बड़ी कटोरी भरकर वीर्य ज़रूर निकलता है इसके लंड से.
"कैसा लगता है रघु दादा इसके रस का स्वाद?" मैने साहस करके पूछा. जवाब मुझे मालूम था. "मस्त, एकदम मलाई जैसा गाढ़ा. थोड़ा छिपचिपा है घी जैसे, तार छूटते हैं. तू चखेगा मुन्ना?"
मैं क्या कहता? लंड कस कर खड़ा था. जानवरों के साथ इंसानों की रति इतनी उत्तेजक हो सकती है पहली बार मुझे इसका अहसास हो रहा था. दूसरे यह कि मोटी बड़ा सुंदर और सॉफ सुथरा घोड़ा था. मैने पूछा "रघु, इसकी गान्ड काफ़ी ढीली होगी, है ना? याने मेरी ओर माँ और मंजू बाई की तुलना मे तो बहुत बड़ी होगी. फिर तुम्हें मज़ा आता है ऐसी ढीली गांद मांरने में?"
"क्या बातें पूछता है मुन्ना, बहुत होशियार है!" रघु ने मुस्कराकर कहा. "हाँ ढीली है पर यार घोड़े की गान्ड है, बहुत
गहरी, मज़ा आता है कि घोड़े की मांर रहा हूँ. याने समझा ना तू? मैने घोड़ी नहीं खरीदी, नहीं तो घोड़ी ख़रीदकर भी चोद
सकता था. उसका लंड नहीं होता ना! असल मे लंड के लिए खरीदा है इसे, साथ ही एक छेद भी मिल जाता है चोदने को. और ढीली भले ही हो, पर बड़ी गरम है यार, तपती है."
मैं कुछ ना बोला और फिर रघु से आगे पूछने लगा. "रघु दादा, मोती को भी ऐसे इंसानों से चुदाई करने का आदत है लगता है. इसे किसने सिखाया ऐसा करना? तुमने?"
|
|
09-18-2017, 12:18 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
"अरे नहीं, ये बचपन से सीखा सिखाया है. इसे और उन दो कुत्तों और कुतिया को मैं शहर के पास की एक बाई से खरीद कर लाया हूँ. उस बाई का पेशा ही है, साली रंडी है, बहुत सी लड़कियाँ और लड़के पाल रखे हैं जो चाहे जैसी चुदाई करते हैं ग्राहकों के साथ. बहुत पैसे लेती है वह रंडी पर धंधा खूब चलता है उसका. पशुओं के साथ उन लड़के लड़कियों की चुदाई इस तरह के खेल भी दिखाती है उसके और ज़्यादा पैसे लेती है साली. सिखाकर कुत्ते, कुत्तिया, घोड़े आदि बेचती भी है. रसिक लोग जो पशुओं से चुदाई के शौकीन हैं, खरीद कर ले जाते हैं. मांजी ने पैसे दिए थे मुझे इन्हें खरीद लाने को. मोती
को बचपन से बस यही सिखाया गया है, बेचारे को मालूम भी नहीं होगा कि घोड़ी क्या होती है. यही हाल उन दो कुत्तों और कुतियो का है" रघु शैतानी से मेरी ओर देख कर मुस्करा रहा था.
मेरा सिर घूम गया. माँ इतनी चुदैल होगी मैं सोच भी नहीं सकता था. उसने रघु को इंसानों के साथ रति के लिए सिखाए जानवर खरीद लाने को कहा था. मेरे मन की बात भाँप कर रघु बोला. "तेरी माँ और मेरी माँ, साली महा चुदैल रंडिया हैं दोनों. नयी नयी चुदाई का रास्ता खोजती रहती हैं. अब हम दोनों बेटों के साथ तो उनकी मस्त चुदाई होती ही है. देखा कैसे मस्त रहती हैं अपने अपने बेटों से मरवाने से. अब कुछ और नया चाहिए उन्हें. और किसी को हम चारों मे शामिल करने को तो वे तैयार नहीं हैं. मेरी माँ साली महा चुदैल है. उसी ने यह रास्ता सोचा. बहुत पहले जब मैं छोटा था और उसे कोई चोदने वाला नहीं था तब एक दो बार कुत्ते से चुदवा चुकी है. बहुत मज़ा आया था उसे. इसीलिए जब एक दिन मालकिन बोली कि मंजू कुछ नया सोच तो उसने मालकिन को भी राज़ी कर लिया जानवर खरीद लाने को."
मैने पूछा. "तो अब क्या करती हैं दोनों उन कुत्तों के साथ?" मैं अपने लंड को पकड़कर मुठिया रहा था, मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
रघु मेरा हाथ पकड़कर बोला. "देखेगा? चल मेरे साथ, तुझे रास लीला दिखाता हूँ. वैसे दोनों मोती पर भी फिदा हैं पर डरती हैं उसके लंड से. बस एक दो बार मेरे साथ चूसने की कोशिश कर लेती हैं. हो जाएँगी तैयार जल्दी ही. और फिर मोती को चोदने को चूत मिल ही जाएगी, घोड़ी की ना सही पर इंसानी घोड़ी की, और ज़्यादा मस्त और टाइट. पर उन कुत्तों के साथ तो उनकी मस्त जमती है. तेरी माँ तो ख़ास मेहरबान है उनपर. तू चल और देख ले"
मैं अब लंड पैंट से निकाल कर मूठ मांर रहा था. रघु ने मुझे रोकने की कोशिश की पर जब मैं नहीं रुका तो बोला "मुन्ना, तू गरम गया है, मैं जानता हूँ, ये जानवरों से चुदाई की बात ही ऐसी है, मैं तुझे नहीं रोकूंगा झड़ने से पर ऐसे फालतू ना बहा अपना वीर्य, चल मेरी ही गान्ड मांर ले. चल एक नये तरीके से मरवाता हूँ तुझसे." उसने मुझे मोती पर बिठा दिया. फिर मोती के लंड से निकले वीर्य की एक दो बूँदें उंगली पर लेकर अपनी गुदा मे चुपड लीं और मेरा लंड चूस कर गीला किया. फिर वह उचक कर मेरे सामने मोटी की पीठ पर चढ़ गया. अपनी धोती पीछे से उठा कर बोला "घुसेड दे मुन्ना
मेरी गान्ड मे तेरा लौडा"
मैं तो फनफना रहा था. रघु की गान्ड मे लंड डाल दिया. पक्क से वह पूरा घुस गया. तब मुझे समझ मे आया कि घोड़े का वीर्य कितना चिकना और चिपचिपा था. मैं बैठा बैठा ही रघु की गान्ड मांरने की कोशिश करने लगा.
रघु बोला. "ऐसे नहीं मुन्ना, बस बैठा रहा और मुझे पकड़ ले. अब मोती भागेगा तो अपने आप तेरा लंड मेरी गान्ड मे अंदर बाहर होगा." उसने मोती को एड लगाई और मोती घर की ओर चल पड़ा. उसकी चाल से मैं ऊपर नीचे आगे पीछे हिलने लगा और मेरा लंड रघु की गान्ड मे फिसलने लगा. बहुत सुखद अनुभव था. "रघु दादा मज़ा आ गया" मैं बोला.
"अब मोती को सरपट भगाता हूँ, फिर देखना राजा" कहकर रघु ने मोती को इशारा किया और वह घोड़ा दौड़ने लगा. मैने आँखें बंद कर लीं और रघु की कमर मे हाथ डालकर पीछे से चिपट गया. घोड़ा ऊपर नीचे होता था तो रघु की गान्ड अपने आप इतनी मस्त मारी जा रही थी कि मैं दो मिनिट से ज़्यादा ना रुक सका और चिल्लाकर झाड़ गया.
|
|
09-18-2017, 12:18 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
ऐसा लगता था जैसे जान निकल गयी हो. थककर तृप्त होकर मैं निढाल हो
गया और रघु से चिपट कर सुसताने लगा.
रघु ने घोड़े की रफ़्तार कम की. "रघु मैं झाड़ गया, अब मा और
मन्जुबाई के यहाँ जाकर क्या करूँगा." मैं भूनभुनाया. मुझे
मज़ा आया था पर बुरा भी लग रहा था कि क्यों झाड़ गया. मस्ती मे
रहता तो कुत्तों के साथ की रासलीला देखने मे और मज़ा आता, ऐसा मैं
सोच रहा था.
"फिकर मत कर मुन्ना, वहाँ का जन्नत का नज़ारा देखकर तेरा ऐसा
खड़ा हो जाएगा जैसे झाड़ा ही ना हो." रघु ने समझाया.
"
रघु दादा, ऐसी घोड़े पर बिठा कर गान्ड मेरी भी मारो ना.
तुम्हारा मस्त मूसल मेरी गान्ड मे अंदर बाहर होगा जब मोती
भागेगा." मैने रघु से मचल कर कहा.
"ज़रूर मुन्ना, कल ही तुझे मोती पर बिठाकर जंगल मे घुमाने ले
चलूँगा गोद मे लेकर." रघु के आश्वासन से मुझे कुछ तसल्ली हुई.
दस मिनिट बाद हम रघु के घर मे पहुँचे. उसका घर खेतों के बीच
था. आस पास दूर दूर तक कोई और घर नही था. घर अच्छा छोटा सा बंगला
था और चारों ओर उँची चार दीवारी थी. घर के पहले ही रघु के कहने
पर हम नीचे उतर गये. "चुप चाप चलते हैं और देखते हैं कि दोनों
रंडिया क्या कर रही हैं?" रघु ने चुप रहने का इशारा करते हुए
मुस्कराकर कहा.
अंदर जाकर आँगन मे एक नये बने कमरे मे मोती को रघु ने बाँध दिया
और उसे पानी और दाना दे दिया. कमरा एकदम सॉफ सुथरा था जैसे
आदमियों के रहने के लिए बनाया गया हो. पास मे एक नीचा लंबा मुढा
था. चारे के बजाय रघु ने मोती को दाने मे, बादाम, अंगूर इत्यादि ऐसा
बढ़िया खाना दिया था. मैने रघु की ओर देखा तो मेरे कान मे वह फूस
फूसा कर बोला."अरे इसका वीर्य बढ़िया स्वादिष्ट बनाना है तो मस्त खाना
भी चाहिए ना?"
हम दबे पाँव मोती के कमरे से बाहर आए और बरामदे मे गये.
दरवाजा बंद था. रघु ने खिड़की थोड़ी खोल कर झाँका और फिर मुझे
चुप रहने का इशारा करते हुए बुलाया. मैं भी उसके पास खड़ा होकर
झाँकने लगा. अंदर का सीन देखा तो मज़ा आ गया. मेरी साँस चलने लगी
और चेहरा लाल हो गया.
मंजू बाई हाथों और घुटनों के बाल फर्श पर कुतिया जैसी झुक कर जमी हुई
थी. शेरू उसके पीछे से उसपर चढ़ा था. उसके आगे के पंजे मंजू की
कमर के इर्द गिर्द कसे हुए थे और पिछले दो पंजों पर खड़ा होकर वह
मंजू को कुतिया जैसा चोद रहा था. उसका लाल लाल लंड फ़चा फॅक मंजू की
गीली टपकती बुर मे अंदर बाहर हो रहा था.
|
|
09-18-2017, 12:18 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
मंजू दबे स्वर मे सिसकारिया भरते हुए 'अम' 'आम' 'आम' ऐसा कर रही थी.
कारण ये था कि उसका मूह भी टॉमी के लंड से भरा था. टॉमी सामने से
उसपर चढ़ा था और सामने के पंजे उसकी छाती के इर्द गिर्द लपेट कर दो
पैरों पर खड़ा सामने से मंजू बाई का मूह चोद रहा था. उसका लाल लंड
मंजू के मूह मे था. कभी लंड अंदर बाहर होता और कभी मंजू कस कर
उसे मूह मे पकड़कर चूसने लगती जिससे टॉमी मस्ती मे आकर भोंकने
लगता.
मंजू का शरीर कुत्तों के धक्कों से आगे पीछे हिल रहा था. उसकी
पथराई आँखों से सॉफ दिख रहा था कि वह काम वासना की चरम
उँचाई पर थी.
मेरा ध्यान अब मा की ओर गया और मेरा लंड फटाफट खड़ा होने लगा. मेरी
चुदैल मा मादर जात नंगी एक कुर्सी मे टांगे पसार कर बैठी थी. ज़िनी
कुतिया उसके सामने बैठ कर उसकी बुर उपर से नीचे तक अपनी लंबी जीभ
से चाट रही थी. बीच मे मा अपनी चूत उंगलियों से पकड़कर फैला देती
और ज़िनी अपनी जीभ उसके अंदर डाल कर उसे लंड जैसा इस्तेमाल करके
चोदने लगती. मा भी सिसक रही थी और बार बार ज़िनी के कान पकड़कर
उसका तूथनी अपनी बुर पर दबा लेती.
रघु को भी मज़ा आ रहा था. मेरा लंड सहलाते हुए मेरे कान मे बोला.
"देखा क्या मज़ा ले रही हैं दोनों चुदैले? तेरी मा अभी तो कुतिया से बुर
चटवा रही है पर अब वह चुदाने को मर रही होगी. देखना, अभी
चुदवा लेगी"
और दो मिनिट बाद ही मा से ना रहा गया. ज़िनी को बाजू मे करके वह उठ
बैठी और जाकर मंजू के पास बैठ गयी. "ओ हरामन, दो दो के साथ मज़ा
कर रही है तब से. चल अब एक कुत्ता मुझे दे. झाड़ गया तो मुझे घंटा भर
रुकना पड़ेगा."
मंजू चूत या मूह का लंड छोड़ने को तैयार नही थी. मा ने आख़िर शेरू को
पकड़कर खींचना शुरू किया तब मंजू टॉमी का लंड मूह मे से
निकालकर बोली. "शेरू को चोदने दो मालकिन, बहुत मस्त चोद रहा है, आप
टॉमी को ले लो. वैसे इसका रस पीने को मेरा मन कर रहा है पर बाद मे पी
लूँगी आपकी बुर से. आप टॉमी से चुद लो." और उसने टॉमी को अपने
सामने से धकेल कर उतार दिया.
टॉमी को मज़ा आ रहा था इसलिए वह गुर्राने लगा. पर मा ने उसे जब अपनी
ओर खींचा तो वह खुश होकर मंजू पर से उतर कर मा का मूह चाटता हुआ
उसपर चढ़ने की कोशिश करने लगा. मा ने हँसते हँसते उसे अपने
पीछे लिया और ज़मीन पर झुक कर बोली. "अरे मूरख, आ ठीक से पीछे से और
चोद मुझे. इस चुदैल का मूह तो तूने चोदा, अब मेरी गरमा गरम बुर देती
हूँ तुझे. याद रखेगा तू भी!"
|
|
09-18-2017, 12:18 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
टॉमी मा पर पीछे से चढ़ गया. उसका लाल लाल लंड थिरक रहा था.
करीब छः इंच लंबा गाजर जैसा वह लंड बहुत रसीला लग रहा था. एक
क्षण मुझे भी लगा कि इसे चूसने मे क्या मज़ा आएगा.
टॉमी का लंड अब मा के चुतडो पर घिस रहा था. वह उचक उचक कर आगे
खिसकता हुआ मा की बुर मे लंड डालने की कोशिश कर रहा था पर उसका
लंड मा के चुतडो के बीच फँस गया था. "अरे मूरख, गान्ड मार रहा है
या चोद रहा है रे? मंजू देख, इतनी बार चोद चुका पर अब तक ठीक छेद
पहचानना नही सीखा यह नालायक!" मा ने टॉमी को मीठी डाँट
लगाई. वह कम कम करके मा की पीठ चाटने लगा पर फिर से मा के
चुतडो के बीच ही लंड पेलने की कोशिश करने लगा.
मंजू और मा आमने सामने थे. मंजू मा का चुम्मा लेते हुए बोली.
"गान्ड ही मरा लो मालकिन, आपने पहले भी तो मराई है इन दोनों कुत्तों
से, रघु के सामने!"
"अरे नही, आज तो चुदाउन्गि, चूत बहुत खुजला रही है रे. नही चुदाउन्गि तो
ऐसे ही गरम रहेगी और मुझे पागल कर देगी. गान्ड बाद मे मरा लूँगी.
मेरा प्यारा बेटा है ना घरपे, अपनी अम्मा की गान्ड का मतवाला" कहकर
मा ने हाथ पीछे करके टॉमी का अपने नितंबों के बीच फँसा लंड
निकाला और बुर पर रखकर टॉमी को पुचकारने लगी. "ले ले टॉमी बेटे,
अब डाल मा की बुर मे अपना लौडा" और टॉमी ने तुरंत एक धक्के मे उसे मा
की बुर मे आधा गाढ दिया.
"हाय, क्या मस्त लंड है रे तेरा राजा, डाल ना पूरा!" कहकर मा ने अपने
चूतड़ पीछे की ओर धकेली और टॉमी ने एक और धक्के के साथ पूरा लॉडा
मेरी मा की चूत मे उतार दिया. फिर मा से चिपक कर वह मा की कमर को
अगले पंजों से पकड़ कर जीभ निकाल कर हान्फता हुआ मा को चोदने लगा.
"वारी जाउ रे तुझ पर मेरे राजा, क्या चोदता है. चोद राजा चोद, अपनी
कुतिया बना ले मुझे और चोद डाल मेरे भोसड़े को" ऐसे गंदे शब्द प्रयोग
करती हुई मा अपने चूतड़ आगे पीछे करती हुई चुदाने लगी. मंजू
खिसक कर शेरू को पीठ पर लिए लिए मा के और पास आ गयी और उससे जीभ
लड़ाते हुए शेरू से चुदाने लगी. दोनों रंडिया अब चूमा चाटी करते
हुए एक दूसरी की जीभ चुसते हुए मन लगाकर कुत्तों से चुद रही थी. ज़िनी
बेचारी अकेली पड़ गयी थी. वह कूम कूम करती हुई उन दोनों के पास आ गयी
और उनका मूह चाटने लगी.
मेरा अब बुरा हाल था. खून खौल रहा था और लंड ऐसे खड़ा था जैसे लोहे का
बना हो. मैने मचल कर रघु से कहा. "रघु चलो अंदर, मैं अपनी
चुदैल मा के मूह मे लंड पेल देता हू, देखो कैसी पागल हुई जा रही है,
मेरा लंड मूह मे लेकर मस्त हो जाएगी."
रघु ने मुझे रोका. "मुन्ना, जब मा की जानवरों के साथ चुदाई चल रही
हो तो उसमे खलल ना दे बेटे. जब हम इन कुत्ते कुतियों के साथ चुदाई करते
हैं तो भरसक यही कोशिश करते है कि आपस की चुदाई कम से कम करे. पर
कभी कभी सब एक साथ चोदते है तो कौन किसे चोद रहा है इसका भी
ख़याल नही रहता. अब तू भी अंदर चल, मैं तुझे भी मज़ा दिलवाता हू.
मुझे भी नही रहा जा रहा."
|
|
|