Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
08-30-2020, 03:24 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
90 यौवन का संचार

इस पूरे घटनाक्रम के दौरान, रजनी जी अपने कंठ के भीतर ही भीतर किसी लाचार घायल प्राणी के जैसे कराह और बिलबिला रही थीं, जैसे जय उनकी कुलबुलाती काँपती योनि को चूसता और चाटता जाता था, वे इस रीति में सिसक-सिसक कर अपने दैहिक आनन्द की अभिव्यक्ति कर रही थीं।

ओहहह, मजा आ गया !”, वे चिल्लायिं, ... बड़वे की जीभ से चटकर मजा आ गया! चूस मुझे माँ के बड़वे ! : : चाट मुझे, जय! मेरी भीगी लिसलिसी चूत को चाट मादरचोद :: :: ऊ ऊ ऊ ऊ, शाबाश , चाट ले .. चोंचले को भी चाट ::: अपने बाप का लन्ड समझ कर चूस मेरे चोंचले कोः : ' या ऊपर वाले! और अंदर घुसा माँ के बड़वे! ::: मुझे चोद अपनी जीब से, बेटा! ... आँह ... ऊहह ऊपर वाले तेरे लन्ड को बरकत दे ... बेटा तेरी माँ के बदन पर ग्राहक खूब पैसे लुटायें! अँह ::: ऊँह :: अँह अँह अँहहह” जब जय के होठों ने उनके चोंचले को अपने बीच में लपेटकर उसके चूसते गरम मुँह में चूस कर खींचा, तो रजनी जी की सम्पूर्ण देह स्पंदित होकर थरथराने लगी।

“ओह, ऊपर वाले! • चः ‘चोद! :: शाबाश, मेरा चोंचला, बेटा! : चूस इस हराम की जड़ को! शाबाश ऐसे ही! माँ के बड़वे, चोंचले को ऐसे चूस रहा है, जैसे तेरी माँ के ग्राहक का लौड़ा हो, ..• अँहहह ... ऊँह ::: अँह :: अँह अँह अँहहह ... बोल साले , ' अँह ... चुदने के बाद तेरी माँ तुझसे अपने ग्राहकों का लन्ड इसी तरह से चुसवाकर फिर खड़ा करवाती है ?? आँह • आँह मादरचोद !”

रजनी जी कामोन्माद में बेसुध होकर इस अपनी अति विकृत मनोवृत्ति से पनपी हुई ऐसी अने बातें कहे जा रही थीं! नवयुवक जय के मैथुन कौशल होंठ और जिह्वा उन्हें पागल करे देते थे' :: अपनी कामोत्तेजित योनि पर उसका मुख मैथुन इतना प्रभावकारी था, कि अब उन्हें किसी भी सैकन्ड चरम यौनानन्द प्राप्त होने वाला था।

“या ऊपर वाले, जय! ::: मैं झड़ने वाली हूँ जानेमन! ::: मैं तेरे मादरचोद मुँह में झड़ने वाली हूँ! अँहहहह! तू आँटी को अपने मुँह में झड़ाना चाहता है, है ना बेटा, बोल ?”

रजनी जी उसके सर के ऊपर ऐसा तीव्र दबाव डाल रही थीं, कि जय लाख चेष्टा करता तो भी अपने मुख को उनके पेड़ में से मुक्त करा कर उनके प्रश्न का उत्तर देने की स्थिति में नहीं था। उसने स्वीकृति के रूप में केवल अपना सर भर हिलाया। उसने अपने मुंह को रजनी जी के मोटे-मोटे रोमयुक्त योनि कोपलों पर अब भी कस के चिपटा रखा था।

“चल मेरे पट्ठे, तैयार होजा पहलवान !”, वे चीखीं, “आ आँहह! दम लगाकर चूस, जय! आँटी की चूत को पूरा जोर लगाकर चूस! चूस मेरी चूत को अपने मुंह में, बेटा, और फिर देख मेरी चूत तुझे कैसे जन्नत का मजा चखाती है ! | रजनी जी ने अपने पेड़ को उसके चेहरे पर फुदका - फुदका कर दबाया और जय अपने खुले होठों को उनकी योनि पर चिपकाये हुए चूसता रहा, अपनी जिह्वा द्वारा उनके चोंचले पर क्रमवार दंश करता रहा, और अन्त में उसके टटोलते सिरे को उनकी टाइट भीगी योनि की गहनता में भोंक डाला।

रजनी जी को उसी क्षण परम यौनानन्द की प्राप्ति हो गयी! । “ओहहह! ऊपर वाले! ::: अहहह, अहहह, अहहहहह! :: : ऊपर वाले, शाबाश ! ::: ऊँह ऊ ऊहहह! मैं झड़ रही हूँ जय! :: : चूस इसे , माँ के बड़वे ! :: : चूस निकाल मेरी चूत से! ::: एक एक बून्द को चाट कर पी जा! :: आहहहह आँहह आँहहह ::: आँहहह ::: अपनी माँ के चूत चाटने वाले मादरचोद बड़वे !”

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08-30-2020, 03:24 PM,
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रजनी जी के स्नायुओं में जबरदस्त विस्फोट हुआ, वे रॉकेट जैसी झड़ी थीं। उनके कूल्हे एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ उचक रहे थे, और उनकी योनि को उनके युवा प्रेमी के मुख पर बार-बार कुचले जा रहे थे। जय दोनो हाथों के प्रयोग से किसी तरह उनके तूफ़ानी अंदाज में फटकते नितम्बों पर अपनी पकड़ बनाये रहा, और अत्यंत कठिनायी से अपने मुख को रजनी जी की कुलबुलाती योनि पर दबा कर चस्पाये रहा। परन्तु जय ने उनके योनि द्रवों की एक भी बून्द को व्यय न होने दिया, उसे पौष्टिक बलवर्धक पराग मानकर निगलता ही चला गया था वो।

सहसा, वो अपने सर को एक बाजू से दूसरी बाजू हिलाने लगा, और उनके योनि द्वार को फैला कर खोल दिया, जिससे उसका पूरा चेहरा उनकी कसमसाती योनि में नाक से लेकर ठोड़ी तक गड़ गया। रजनी जी को सम्पूर्ण जीवन में इस प्रकार का अनुभव कभी नहीं हुआ था, यौनानन्द ऐसा तीव्र था, के वे लगभग मूर्छित ही हो गयीं। | कामानन्द की चरम शिखर के समय वे श्वास लेने को छटपटा रही थीं, तभी उनके कुत्सित अन्तःकरण में अचानक एक बेसरपैर का विचार कौंध उठा। ‘साला अंदर घुसा हुआ साँस ले कैसे पा रहा है ?'

उनकी विचित्र कुंठा पल भर में ही विलुप्त हो गयी, उनके अंग-अंग में उमड़ते काम उन्माद की लहरों में कहीं गायब हो गयी। उस क्षण तो रजनी जी को रत्ती भर भी परवाह नहीं थी कि जय साँस ले पा रहा था भी या नहीं, बशर्ते वो उनके फड़कते चोंचले को चूसना न थामे। उनके विचारों में केवल एक ही विशय का प्राधिपत्य था, जय का मुंह और जिह्वा उनकी विकराल रूप से उत्तेजित योनि में कैसा अविश्वस्नीय आनन्द संचरित कर रहे थे। उनका मुख खुला और रजनी जी हर्ष के मारे चीख पड़ीं।
आहहह आँहहह ऊँह आँहैंह! ओह मादरचोद! ओह, मेरे ऊपर वाले!::ओहहहह! ओहहहहह ! ऊ ऊहह ऊहहह !” ।

अपनी हर गतिविधि से लड़के का मुँह उनकी कंपकंपाती योनि को रोमांच के नये शिखर पर उड़ा ले जाता था, और हर बार वे यौनानन्द की नयी सीमा को लांघ कर असीम संतुष्टि का अनुभव करती जाती थीं।

जैसे अनेक छोटे ऑरगैस्म उनके उचकते पेड़ में से उत्पन्न होकर अंग अंग में संचरित होते जाते, जय को रजनी जी की देह अनेकों बार अकड़ कर थरथराती हुई प्रतीत होती। रजनी जी पीठ को ताने हुए बड़ी कठिनाई से जैकूजी के किनारे का सहारे लिये अपनी स्थिति बनायी हुई थी। वे अपनी योनि को जय के चटोरे मुंह पर, और अपने आगे को उभरे हुए स्तनों को उसके हाथों में दबाये हुए, अपने बदन में थमती हुई अंतिम यौन तृप्ति की अनुभूतियों का आस्वादन कर रही थीं।

अह म्म्म! ओह, बेटा, मजा आ गया!”, रजनी जी ने आह भरी, और अपने पेडू को उसके चेहरे से नीचे हटाया। अपनी टाँगों को उसके तन के दोनो तरफ़ चौड़ा पसार कर, रजनी जी ने अपनी योनि को उसके सीने पर नीचे फिसलने दिया, जब तक उनके नितम्ब जय की जंघाओं पर नहीं बैठ गये, वे उसके ठोस लिंग को दोनो बदनों के बीच में फंसा कर, उनके गुप्तांगों पर आतुरता से दस्तक करता हुआ अनुभव कर पा रही थीं।

किशोर जय एकटक रजनी जी के तमतमाये हुए चेहरे को देख रहा था। उनकी सूरत में उसे एक विशेष अनूठापन दीखता था, फिर अचानक जय को यह ज्ञान हुआ कि यौन तृप्ति का अद्वितीय तेज उनके मुख को ज्योतिर्मय कर उनके नैन-नक्श से यौवन का विलक्षण प्रकाश बिखेर दे रहा था।

बहुत खूब , रजनी आंटी, बहुत खूब!”, वह धीमे स्वर में बोला।
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08-30-2020, 03:24 PM,
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91 तारीफ़


रजनी जी आगे की तरफ़ गिरीं और अपने सर को उसके कन्धे का सहारा देकर जय की बाँहों में सिमटने लगीं। उनके स्तनों के दोनो निप्पल किशोर जय के मजबूत सीने के पुट्ठों में गड़ रहे थे।

“तू भी खासा अच्छा चोद रहा था, जय मादरचोद !”, रजनी जी ने उत्तर दिया, वे जय की बात का अर्थ ठीक प्रकार से समझी नहीं थीं, “अम्म्म्म :: अपनी माँ को चोद - चोद कर तुझे बड़ी उमर की औरतों को खुश कराने के सारे गुरों में उस्तादी हासिल हो गयी है!” ।

सैक्स पश्चात तृप्ति के आनन्द में विलिप्त होकर वे जय के बदन से लिपटती जा रही थीं, और अपनी योनि को उसके फड़कते युवा लिंग पर कसमसाती जा रही थीं।

“मेरा मतलब है कि आप गजब की सैक्सी लग रही हैं !”, वो अपने चेहरे को उनके चेहरे के एकदम करीब लाकर बोला। “सच रजनी आंटी, आप इस वक़्त अपनी उमर से कहीं ज्यादा जवाँ लग रहीं हैं। आपको ऐसा बला का खूबसूरत मैंने पहले तो कभी नहीं देखा।”

रजनी जी उसे देख कर मुस्कुरायीं।। “अरे मुस्टंडे, आज से पहले तूने मुझे कभी चोदा भी है?”

“चोदा तो पहले कभी नहीं पर ... पर उम्मीद करता हूँ आगे भी ऐसी सेवा का मौक़ा मिलता रहेगा !”, उसने पूछा।

“क्यों नहीं बेटा, पब्लिक का माल है, जब दिल करे बेधड़क होकर मेरी चूत को चूस लेना, ठीक है ना ?”

रजनी जी ने किशोर जय को अपनी बाँहों में भरा और तन्मयता से चुम्बन लिया, उसके गरम जवाँ होठों से अपने स्वयं के योनि द्रवों के रोमांचक स्वाद का रसास्वादन किया। उन्होंने अपने स्तनों को उसके सीने पर दबाया, और जैसे जैसे उत्तेजना बढ़ी, शीघ्र ही उनके कोमल चुम्बन की तपन में वृद्धि होने लगी। जय अपनी सौन्दर्यवान सैक्सी पड़ोसन आँटी के साथ संभोग क्रिया करने की संभावना पाकर अविश्वस्नीय रूप से रोमांचित होकर सर से पैर तक कांपने लगा था। उसकी अनेक काम कल्पनाओं की नायिका थीं वे, और उनकी गरम टपकती योनि पर मुख मैथुन मात्र से उस कामुक किशोर लड़के की अतृप्त कामवासना तीव्र हो चली थी।

जय का युवा लिंग वज्र सा कठोर हो चला था, और रजनी जी की कुलबुलाती योनि पर पीड़ादायक रूप में फड़क - फड़क कर दस्तक कर रहा था। शीतल जल के अंदर भी, वो अपने लिंग पर उनकी योनि की ऊष्मा का अनुभव कर सकता था। जय ने अपने मुँह को उनके चिपटते नम होठों से जुदा करा और उनके रौशन नेत्रों में झाँक कर देखा। जय के आकर्षक युवा चेहरे पर वासना का स्पष्ट भाव तैर रहा था।

“रजनी आँटी, अब मैं आपको चोद सकता हूँ?, निर्भीकता से उसने पूछा। “आपने वादा किया था कि मुझे चोदने देंगी, और मेरा लन्ड ऐसा फूल गया है, कि बड़ा दर्द कर रहा है!::: देखिये, आप छू कर देखिये ना कैसा मोटा और सॉलिड हो चला है।” जय ने रजनी जी का हाथ अपने हाथों में लेकर जल के नीचे अपने लिंग पर दबा डाला।
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08-30-2020, 03:25 PM,
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हाय ऊपर वाले! ::: इसे कहते हैं लन्ड, बेटा!” रजनी जी के मुंह से सहसा निकला जब उन्होंने अपनी लम्बी पतली उंगलियों को किशोर जय के तने हुए लिंग पर पूरी तरह से लपेट लेने का विफल प्रयत्न किया।

वे उसके आकार को देख बड़ी विस्मित थीं। लगता था इन्सान का नहीं किसी मुए घोड़े का हो! जय उनके स्तनों की मालिश करने लगा।

“रजनी आँटी, मुझे चोदने का एक मौक़ा तो दीजिये !”, जय ने गुजारिश की। “बड़ा मस्त चोदता हूँ, दावे के साथ कह सकता हूँ आपको मेरे लन्ड सा मज़ा और कोई मर्द नहीं दे सकता! एक बार अपनी चूत में मेरे लन्ड को आने तो दीजिये :: बस एक बार, प्लीज? आप जो कहेंगी मैं करूंगा!::: जब कहेंगी, आपकी चूत चाटुंगा और ... और ... और आपकी इच्छा हो तो गाँड भी मार दूंगा! :: बस रजनी आँटी समझिये कि आपका जैसा हुक्म हुआ, मैं बजा लाउंगा !”

किशोर जय के शब्दों से जो विलक्षण और अश्लील छवियाँ उनके मस्तिष्क में उभर रही थीं, उनकी कल्पना कर के वे आनन्द के मारे कराह पड़ीं। किसी पिल्ले के समान उतावला हो रहा था जय, अपने ठोस किशोर लिंग को उनकी लिसलिसी टाइट योनि में घोंप डालने को कैसा आतुर हो रहा था। रजनी जी इस अनोखे विचार को सोच कर काँपीं, और उन्हें तुरन्त ज्ञात हुआ कि वे भी उसके जितनी ही कामातुर थीं। एक पल भी और प्रतीक्षा नहीं कर पा रही थीं कि उनका हट्टा-कट्टा जवान आशिक़ कब उनके हाथों में पड़े अपने दानवी माँसलता के स्तम्भ को उनकी तरसती योनि की गहनता में घोंप देगा।

ओहहह, हाँ, जय! ::: मेरे ऊपर वाले, हाँ बेटा !”, रजनी जी फुकार कर बोलीं, और फुर्ती से लपक कर उठ खड़ी हुईं।

वे मुड़ीं और जैकूजी के किनारे पर हाथ टेक कर आगे झुक गयीं, उनकी पीठ जय की ओर थी, और टाँगें अत्यंत बेहूदगी से पसारे हुए, किसी मस्त कुतिया के समान अपने तप्त, खुले प्रजननांगों को उसे भेंट स्वरूप प्रस्तुत किये हुए खड़ी थीं। जैसे जय खड़ा होकर उनके पीछे आ खड़ा हुआ, रजनी जी ने गर्दन घुमायी, और सर पीछे पलट कर अपने कंधों के ऊपर से ऊसकी ओर देखा।

| “मुझे चोद डार्लिंग! :: : मार अपना काला मोटा लन्ड मेरी भीगी चूत के अंदर और चोद इस रन्डी कोः .. आ देखती हूँ तेरे लन्ड में कितना दम है! माँ के बड़वे तुझे आज छठी का दूध याद दिला देंगी !” । ।

“माँ क़सम, आज इस सूअरनी की चूत नहीं बजा दी तो गाँड मरवा दूंगा!”, जय भी आत्मविश्वास से बोला और फुर्ती से उनके पीछे अपना आसन ग्रहण किया। उनकी योनि और गुदा को ऐसा हवा में उठा देखकर उसकी आँखें चमचमा रही थीं। उसने दोनों हाथों से उनके ठोस और गोलाकार नितम्बों को सहलाया, वो उस छरहरे माँस को तब तक दबाता और निचोड़ता रहा जब तक रजनी जी तड़प कर कराह उठीं।।
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08-30-2020, 03:30 PM,
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| “मुझे चोद डार्लिंग! :: : मार अपना काला मोटा लन्ड मेरी भीगी चूत के अंदर और चोद इस रन्डी कोः .. आ देखती हूँ तेरे लन्ड में कितना दम है! माँ के बड़वे तुझे आज छठी का दूध याद दिला देंगी !” । ।

“माँ क़सम, आज इस सूअरनी की चूत नहीं बजा दी तो गाँड मरवा दूंगा!”, जय भी आत्मविश्वास से बोला और फुर्ती से उनके पीछे अपना आसन ग्रहण किया। उनकी योनि और गुदा को ऐसा हवा में उठा देखकर उसकी आँखें चमचमा रही थीं। उसने दोनों हाथों से उनके ठोस और गोलाकार नितम्बों को सहलाया, वो उस छरहरे माँस को तब तक दबाता और निचोड़ता रहा जब तक रजनी जी तड़प कर कराह उठीं।।

छू कर देख, जय! मेरी चूत पर अपना हाथ रख और देख वो तेरे लन्ड के लिये कैसी तड़प रही है, बेटा !”

जय ने अपना एक हाथ नीचे की ओर, रजनी जी की चौड़ी पटी जाँघों के बीच , बढ़ाया और उनके आग्नेय योनिस्थल को हथेली में भरा, फिर हौले-हौले रगड़ने लगा, और रजनी जी की तप्त भीगी योनि को अपने हाथों में टपकता हुआ अनुभव करने लगा। “अम्म्म्म, गरम और रसीली! आँटी, ये चूत तो अलाव जैसी तप रही है, फिर भी इतनी लिसलिसी है !”

हाँ जय बेटा, मेरी चूत में आग लगी है. जबसे तेरे लम्बे और मोटे लौड़े को देखा है मेरी चूत सुलग रही है, मेरे आशिक़ ! देख ना, कैसे रिस रही है, कि कब तेरा काला लन्ड मेरी लाल चूत में हाजिरी दे, और कब अपने टट्टों से वीर्य उगल कर मेरी चूत की आग को शांत करे! देख मादरचोद, मेरी चूत अर्से से अकेले अपने बेटे के लन्ड से ही काम चला रही थी, अब रन्डियों का भला एक मर्द से पेट भरता है ? मुई रोज नवेले लौड़ों की माँग करती है !”
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08-30-2020, 03:30 PM,
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रजनी जी अब नियंत्रण खो चुकी थीं, उनके सामने खड़े युवक के सुविकसित लिंग के अपनी योनि में घुसने की अपेक्षा भर से वे वासना के मारे पागल हुई जाती थीं। वे अपने योनि स्थल को उसके हाथ पर कसमसाने लगीं, किसी भी तरह से उसकी उंगलियों को अपने तरसते कुलुबुलाते योनि मार्ग में घुसा लेना चाहती थीं।

“या ऊपर वाले, अब मुझे चोद ही डाल ! उंहह! अब और नहीं रुका जाता, जय! :: :: प्लीज मुझे चोद! ::: तुझे रब का वास्ता जय, अपने लन्ड को मेरे अंदर घुसेड़ और मुझे चोदः' इसी वक़्त !”, रजनी जी ने इस प्रकार तजवीज की, और वे दिल थाम कर प्रतीक्षा करने लगीं कि कब वो अपने लिंग को उनकी योनि में घुसेड़े और कामकला में अपने उस विलक्षण कौशल का प्रदर्शन करे, जिसका सामर्थ्य, रजनी जी विश्वास से कह सकती थीं, कि उस हट्टे-कट्टे नौजवान में अवश्य ही था।

जय ने रजनी जी के सुडौल नितम्बों को दबोचा और अपने भरपूर तने लिंग को उनकी लिसलिसी योनि की
खुली कोपलों के बीच साधा। जैसे जय ने अपने फूले हुए लिंग के सिरे से उन्हें छुआ, योनि के गरम माँसल झोल जैसे लिंग को अंदर की ओर चूसने लगे।

रजनी जी के खुले होठों से वासना की एक धीमी आवाज निकली।
“ओहहह, हाँ! ::: तगड़ा और काला! • और लम्बा ::: और मोटा !”, रजनी जी कराहीं, और अपने कूल्हों को उसकी ओर फटका कर बोलीं, “ऊपर वाले, बस ऐसे ही मेरी चूत को जवाँ-मर्दो के लन्ड बख्शता रहना !”

जय ने अपने सुपाड़े को रजनी जी की गुदा के द्वार पर ऊपर और नीचे कईं दफ़े रगड़ा, उनकी भीगी चूत से प्रारम्भ होकर, उनकी गुदा के द्वार पर और पीठ के निचले भाग तक रगड़ता रहा। रजनी जी ने अपनी कोहनियाँ मोड़ीं और अपने सर और कन्धों को जैकूजी के किनारे पर टेक दिया, इस तरह उनकी लुभावनी गुदा और भी ऊंची उठ गयी, गगन की दिशा में उन्मुख उनकी योनि किशोर जय के टटोलते लिंग को ग्रहण करने के लिये सर्वथा तैयार हो चुकी थी।

जय ने आगे की ओर धकेल कर अपने लिंग को उनके भीतर सावधानी से घुसाने का प्रयत्न किया, पर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ जब उसका विशालकाय स्तम्भ रजनी जी की तप्त लिसलिसी गहराइयों में बेहद सुगमता से फिसल गया। रजनी जी श्वास थामे हुए किशोर जय के मोटे, जवान लिंग की सम्पूर्ण लम्बाई को अपनी योनि में प्रविष्ट होते देख रही थीं। अपनी योनि में ढूंसे हुए ठोस पुरुष माँसलता के दैत्याकार स्तम्भ की मोटाई के आदी होने में उन्हें कुछ पलों का समय लगा।

“ऊ ऊ, मेरे पहलवान आशिक़ !::. जितना सोचा था, उससे कहीं ज्यादा मोटा-ताजा पाया, बेटा जय !”, रजनी जी धीमे से चीखीं, और अपने नितम्बों को पीछे की ओर झुलाया, जिससे उनकी तंग योनि के भीतर किशोर जय का धड़कता लिंग समाविष्ट होने लगा। ।

“उमम्म, म्म्म!::: वाक़ई बड़ा मज़ा आयेगा!::: देखा कैसे तेरा मादरचोद लन्ड आराम से आँटी की रन्डी चूत में घुस आया!::: ऊपर वाले! शाबाश बेटा, मजा आ रहा है ! ::: ऊ ऊ ऊ ऊ!” ।
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08-30-2020, 03:30 PM,
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“उमम्म, म्म्म!::: वाक़ई बड़ा मज़ा आयेगा!::: देखा कैसे तेरा मादरचोद लन्ड आराम से आँटी की रन्डी चूत में घुस आया!::: ऊपर वाले! शाबाश बेटा, मजा आ रहा है ! ::: ऊ ऊ ऊ ऊ!” ।

उनकी योनि की गुलाबी कोपलें जय के अतिक्रमी लिंग के चारों ओर कस के खिंचे हुए थे, और उसके लिंग पर फ़ौलादी पकड़ बनाये हुए थे, साथ ही उनके वक्राकार नितम्ब प्रेम से जय के बदन को छू रहे थे। जय का लिंग रजनी जी की रोमयुक्त योनि में गहरा :: बहुत गहरा उतरा हुआ था, उनकी योनि की सूजी हुई कोपलें चौड़ी खिंची हुई थीं, और उसके लिंग के तने और उनकी मक्खन सी चिकनी अन्दरूनी जाँघों के दरम्यान मसलती जा रही थीं। रजनी जी के नितम्ब थरथराये और वे कुलबुलाने लगीं। जय अपने गहरे गड़े लिंग को हौले-हौले आगे-पीछे हिलाने लगा।

“आहहहह, हाँ बेटा! ... शाबाश, ऐसे ही! ::. चोद अपने लन्ड को अन्दर, फिर बाहर, हाँ जय बेटा !”, रजनी जी कराहीं।

• • पर डार्लिंग शुरुआत धीमे-धीमे करना नहीं तो तेरा दो किलो का लन्ड मेरी बेचारी चुतिया को फाड़ ही डालेगा !” | पहले के कुछ ठेलों के पश्चात, रजनी जी ने प्रणय क्रीड़ा का नेतृत्व सम्भाला। उन्होंने अपने नितम्बों को आगे की ओर, जय के लिंग से दूर, खींचा, उनकी योनि की भिंची हुई कोपलें उसके लिंग को किसी चूसते मुँह के समान दबोचे हए थीं। जब केवल उसका सूजा सुपाड़ा योनि के भीतर रह गया, तो उन्होंने अपनी योनि को उसके सुपाड़े पर घुमा-घुमा कर फिर पीछे की ओर पटका। उनकी भूखी ज्वलन्त योनि आतुरता से फिर एक बार उसके रौन्दते लिंग की पूरी लम्बाई को निगल जाती।

“ओहहह, रजनी आँटी:: गजब के चटके मार रही है आपकी चूत !::: और माँ क़सम, मैने सपने में भी नहीं सोचा था इतनी ज्यादा .. ?

टईट होगी। है ना?”, वे मुस्कायीं, जय के वाक्य की पूर्ति उन्होंने कर दी थी। “म्म्म्म! हाँ रन्डी अहहहह, गजब की टाइट! ये मेरी हरामजादी बहन की चूत जितनी ही टाइट है!”, जय
ने अचम्भित होकर कहा, क्योंकि उसी समय रजनी जी अपनी योनि की माँसपेशियों द्वारा उसके गहरे घुपे हुए लिंग को निचोड़े जा रही थीं।

उसने अपेक्षा की थी की दो बच्चे जनने पैदा करने, और उनके बरसों के यौन अनुभव के उपरांत रजनी जी की योनि ढीली और विस्तृत हो चली होती, परन्तु ऐसी कोई बात नहीं थी! अलबत्ता, रजनी जी ने अपने पुश्तैनी हुनर का प्रयोग कर योनि की माँसपेशियों पर ऐसा अद्भुत नियंत्रण क़ायम कर लिया था, कि जो भी पुरुष उनसे संभोग करता, उनकी योनि की लोच और कसाव की प्रशंसा किये बिना नहीं रह पाता था। जय उनकी योनि के उत्कृष्ट कसाव से अचम्भित था, और जब भी अपने लिंग को उनकी लालची योनि के माँस में ठेलता, तो उसकी तरल ऊष्मा से आवृत होकर निहाल हो जाता।

“पसंद आयी ना जय डार्लिंग आयेगी क्यों नहीं, कड़ी मेहनत से जो मेनटेन करा हुआ है मैने ! हम लोगों का खानदानी राज है ये।”

जय ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर लिंग को रजनी जी की योनि के भीतर पटका, और रजनी जी अपने अति - संवदनशील चोंचले पर उसके फुले जवान अण्डकोषों के मजबूत प्रहारों का अनुभव कर के कराह उठीं।

ओहहह, जय! माँ के बड़वे, अगर ऐसे ही अपने टट्टे मेरे चोंचले पर मारता रहा तो दो मिनट में झड़ जाऊंगी !”
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08-30-2020, 03:30 PM,
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आशापूर्ति
जय निगाहें नीची कर के अत्यंत रोमांचित दशा में अपने लम्बे और मोटे लिंग को रजनी शर्मा के पटे हुए नितम्बों के नीचे अंदर और बाहर हरकत करते हुए देख रहा था। वह अपने वज्ञ से कठोर स्तम्भ को उनकी कस के जकड़ती योनि के भीतर और बाहर ठेलकर सम्भोग क्रीड़ा करता देख रहा था। उसके लिंग का वह भाग जो उनकी योनि के बाहर था, रजनी जी के प्रचुर द्रवों से सना हुआ चमचमा रहा था। जय अपने लिंग को रजनी जी की योनि को पीछे की ओर से भेदता हुआ देखकर बड़ा प्रसन्न हो रहा था,

अपने लिंग पर उनकी लिसलिसी योनि की सुखमय फिसलन और अपने पेड़ पर उनके सुडौल नितम्बों के प्रहारों का दिल भर कर आनन्द लूट रहा था वो। परन्तु इन सब से अधिक उत्तेजक तो वे धीमी कराहें और उन्माद भरी चीखें थीं, जिन्हें वो नग्न स्त्री उसके संग प्रणय लीला करते हुए अपने होठों से निकालती जा रही थी। जय बलपूर्वक उनके भीतर ठेल रहा था, हर बार जब वे पीछे को धकेलतीं तो वो प्रत्युत्तर में आगे को झुकता, और अपने लम्बे और पुखता लिंग को उनकी तप्त व चिपचिपी योनि में दे मारता: फिर एक बार लगातार • मारता ही जाता।

ओहहह, अर्से बाद आपकी चूत नसीब हुई आँटी !”, जय गुर्राया। “अब जोर से चोदना शुरू करू ?” ऊ ऊ ऊह, हाँ! अब कस के चोद मुझे! डार्लिंग, तेरे लन्ड में जितनी ताक़त है, लगा के चोद !”

साले, खुद को क्या समझता है, मोटा लन्ड लटका कर पहलवानी दिखाता है, देखू तेरी माँ ने तुझे रन्डी की आग बुझाना सिखाया है भी कि नहीं। मैं ख़ानदानी रन्डी हूँ, खानदानी, चूत में ऐसी गर्मी है की बड़े-बड़ों के लवड़े इसमें पिघल कर मोम हो जाते हैं !”

जय ने रजनी जी के लुभावने नितम्बों को और ऊपर उठाया और अपने पुट्ठों की पूरी शक्ति लगाकर अपने लिंग को उनकी टाइट और चिपचिपी योनि में ठेलने लगा।

अच्छा तो ले !”, जय चिल्लाया। ६ : '' ले झेल मेरे लन्ड की ताक़त को, रन्डी! आज तुझे दिखाता हूँ कि शर्मा खानदान के सुपूत पीढ़ियों से तेरी जैसी मोहल्ले की रन्डियों को चोद चोद कर कैसे चूत की गर्मी ठन्डी करते आये हैं और अपनी रखैल बनाते आये हैं !

जय पशु की भांति अपने लिंग को उनके भीतर घोंपने लगा, और हुंकारें भरता हुआ अपने दानवाकार लिंग से लक्ष्य पर प्रहार करता रहा। उसने पीठ को अकड़ा कर रजनी जी के कूल्हों को अपने हाथों में दबोच रखा था, और अपने हर ठेले के साथ लिंग पर उनकी योनि को कस के खींचता जा रहा था।

“चोद मुझे !”, कर्कष स्वर में उन्होंने चुनौती दी। “माई का लाल है तो चोद, चोद अपनी माँ की चूत समझ कर! :: : चोद, जय बेटा! :: : ऐसे चोद, जैसे इस रन्डी की चूत को आज तक किसी और मर्द ने न चोदा हो !”

रजनी जी की तरलता से लबालब योनि में उसके लिंग के छपाकों की आवाजों के बीच में एक अन्य प्रकार का स्वर उभरता था - रजनी जी के नितम्बों पर जय के पेट और जाँघों के लयबद्ध थपेड़े। इस प्रकार ऊर्जात्मक सैक्स क्रीड़ा की आवाजें उस जैकूजी वाले कमरे में गूंजने लगीं। दोनो इकट्ठे कराहते और आहें भरते हुए, अत्यंत वेगपूर्वक चरम यौनानन्द, जिसकी चेष्टा में वे जूझ रहे थे, की प्राप्ति के समीप आ रहे थे।

रजनी जी को पहले चरमानन्द की प्राप्ति हुई, वे कसाईख़ाने में कटती सूअरनी जैसी बिलबिलायीं , और जय ने भयानक दरिन्दगी से अपनी सम्भोग क्रीड़ा जारी रखी। वो अपने ठोस युवा लिंग को बार बार उनकी फुदकती कंपकंपाती योनि में पीटे जा रहा था। अपने रौन्दते लिंग पर रजनी जी की आह्लादित योनि की तरंगों ने उसे भी यौन आनन्द के शिखर पर पहुंचा दिया, और एक तीक्षण चीत्कार के साथ, किशोर जय अकड़ कर ऐंठा, उसका धड़कता लिंग उबलते मलाईदार वीर्य की बौछार पर बौछार रजनी जी की थरथराती योनि में उडेलने लगा।

“ओहो,” उनके पीछे से एक आवाज आयी, “तुम दोनो तो वाक़ई अच्छी तरह घुलमिल गये हो !”

रजनी जी और जय ने सर उठा कर देखा तो सोनिया को दरवाजे पर खड़ा हुआ पाया, उसके सुन्दर सलोने मुख पर एक मुस्कान फैली हुई थी।

“अन्दर आओ बेटा,” रजनी जी बोलीं, और जय की सशक्त भुजाओं को थपथपती हुई बोलीं, “तू एकदम सही बोलती थी, सोनिया, तेरे भाई का लन्ड तो सचमुच मस्त - तन्दुरुस्त है!”

जय भौचक्का होकर अपनी बहन के मुँह को ताकने लगा। “क्यों सोनिया ? तू आँटी को पहले ही सब कुछ बता चुकी है?”

“और नहीं तो क्या, सोनिया अपनी बिकीनी के टॉप को उतारती हुई बोली। “आँटी को हमारी पूरी कहानी मालूम है, बड़े भैया!” ।

“पूरी कहानी?”, जय ने घूट लिया। “मम्मी और डैडी के बारे में और ... )

“साहबजादे, अब छोटी सी बात से इतना हैरान ना होइये, जय की के पुट्ठों की मालिश करते हुए रजनी जी ने धीमे से कहा। “अब देखो, राज भी तो मुझे और डॉली को चोदता है।”

ग़लत आँटी, आपको, डॉली को ::: और साथ में मुझे भी!”, सोनिया ने खिलखिलाते हुए चहक कर बोला।
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08-30-2020, 03:32 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
क्या रन्डीपना मचा हुआ है भाई! यहाँ तो हर शख्स एक दूसरे को चोद रहा है! देख कर मेरे टट्टे तो फिर फुदकने लगे यार !”, जय एक वासना से लिप्त तथा कुटिल मुस्कान देता हुआ बोला।

“अबे बहनचोद फुदकेंगे क्यों नहीं, जानते जो हैं कि सामने खड़ी लड़की भी उसी चूत से पैदा हुई है जहाँ से ये !”, उसकी बहन भी ऐसा कह कर मुस्कुरायी। | सोनिया ने एक हाथ अपनी जाँघों के बीच में फिसलाया और अपनी भीगी योनि को बिकीनी की जाँघिया के पार से बड़ी कामुक शैली में रगड़ने लगी। उसके देखते-देखते रजनी जी भी अपनी ठुसी हुई योनि को उसके भाई के विकराल लिंग की बची-खुची तनतनाहट पर कसमसाने लगीं थीं।

म्म्म्म्म, और सोनिया बेटी, तुम्हारी बतायी दूसरी बात भी सोलह आने सच निकली,” रजनी जी मुस्कुरायीं।

“झड़ने के बाद इसका लन्ड राज से कहीं ज्यादा जल्दी फिर खड़ा हो उठता है। अँहहह, हाय ऊपर वाले! देख मेरे मुंह से बात निकली नहीं कि मुस्टंडा मेरी चूत के अंदर फिर से तनने लगा! ओहहह, भगवान! जय बेटा, मेरा बड़ा मन कर रहा है तू मुझे एक बार फिर चोदे! बोल बेटा, है तुझमें इतनी ताक़त ? कुछ बचा है तेरे टट्टों में शर्मा खानदान का जोशो-खरोश ?” ।

“बिलकुल है! अरे तेरे जैसी तो एक-के-बाद- एक पाँच-छह रन्डियाँ चोद दूं मैं। माँ का दूध पिया है मैने, यह टट्टे पुरे रन्डीखाने की चूतों की गर्मी ठंडी कर सकते हैं!” किशोर जय ने हुंकार कर ऐलान किया, और अपने चमचमाते कठोर लिंग को रजनी जी की वीर्य से छलकती योनि के भीतर आगे और पीछे क्रियाशील करने लगा।

सोनिया बढ़ते रोमांच के साथ अपनी वयस्का पड़ोसन को कराहते हुए अपनी योनि को जय के पुनर्जीवित लिंग पर झटकते हुए देखने लगी। कुटिलता से मुस्कुराती हुए, उस भोली सूरत वाली चालाक लड़की ने अपनी बिकीनी की सूक्ष्म जाँघिया को उतार लिया और अपनी टाँगों को पसार दिया।

“दो से भले तीन ! क्या ख़याल है ?”, सोनिया ने मुस्कुरा कर प्रस्ताव रखा।
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08-30-2020, 03:32 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
94 प्रतिवाद
जैसे ही दोनो फ़ार्महाउस के भीतर दाखिल हुए, राज ने टीना जी को अपनी बाँहों में भरा और तन्मयता से उनका चुम्बन लेने लगा। टीना जी उसके नौजवान बदन की कैद में सिमट कर जैसे पिघलने लगीं, और अपने बिकीनी की जाँघिया से ढके पेड़ को उसके वज्र से कठोर लिंग के उभार पर बेशर्मी से मसलने लगीं। राज उनके पुत्र जैसा ही था, जवान और कामेच्छुक। उसमें एक अद्भुत आकर्षण था जो उन्हें उसके संग सैक्स क्रीड़ा करने पर मजबूर किये दे रहा था!

उन्हें इस बात की तनिक भी चिंता नहीं थी कि उनके पतिदेव बाहर मौजूद थे। शर्मा कुटुम्ब के बीच नवस्थापित यौन -स्वातंत्र्य ने समाज के रूढ़ीवादी नियमों को दरकिनार कर दिया था। वैसे भी, मिस्टर शर्मा स्विमिंग पूल में जवान डॉली पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो रहे थे, टीना जी विश्वास से कह सकती थीं कि उनके कामातुर पतिदेव उस क्षण राज की जुड़वाँ बहन के साथ ऐसे ही रंगरेलियाँ मना रहे होंगे। और अपने पुत्र की काम प्रवृतियों का स्वयं अनुभव कर लेने के बाद उतने ही विश्वास के साथ कह सकती थीं कि राज की माँ और जय जैकूजी में सिर्फ स्नान करने के वास्ते नहीं गये थे।

उन्हें तो संशय था कि सब किया धरा सोनिया का ही था, पर जैसे-जैसे राज के हाथ दृढ़तापूर्वक उनके अंग-अंग पर घूमने लगे, टीना जी अन्य विचार त्याग कर अपना पूरा ध्यान केवल अपनी वासना भरी अनुभूतियों और अपनी भीगी योनि के भीतर उठती तीक्षण टीस पर केन्द्रित लगीं।

“राज !”, नाटकीय शैली में चिंता व्यक्त करती हुई वे बोलीं, “क्या इसका मतलब है कि तुम मुझे चाय-नमकीन परोसने में मदद नहीं करोगे, बेटा ?”

“ओहहह, टीना आँटी! चाय-नमकीन को छोड़िये! इस वक़्त तो मुझे आप ऐसी नमकीन लग रही हैं, कि मेरा दिल तो आपसे ही भर जायेगा !”

“म्म्म्म! बेटा नमकीन पसन्द है तो जरा इसका स्वाद भी चख कर देखना !”, टीना जी खिलखिलायीं, और नीचे की ओर संकेत करके अपने भीगे पेड़ को किशोर राज की आतुरता से सहलाती उंगलियों पर रगड़ने लगीं।

आपको शिकायत का मौक़ा नहीं दूंगा। बस देखते जाईये!”, वो मुस्कुराया। ऐसा कह कर, राज ने टीना जी को अपनी बाँहों में भर कर उठा लिया और उस रूपमती स्त्री को आत्मीयता से चूमता हुआ बैठक में उठा लाया। उसने सावधानीपूर्वक उन्हें सोफ़े पर लेटा दिया, और लपक कर अपना स्विमिंग टूक उतार निकाला। अपने जवान तन्दुरुस्त लिंग की प्रथम झलक पाकर टीना जी की फटी रह गयी आँखों को देखकर राज मुस्कुराने लगा।

उहहह हे भगवान राज ! तू तो राक्षस है! कटुवे लन्ड वाला राक्षस !”, टीना जी ने आह भरी, वे हड़बड़ाती हई अपनी बिकीनी के टॉप के हक को खोलने की चेष्टा कर रही थीं।

जैसे उनके स्तन विमुक्त होकर कूद कर बाहर निकले, राज कराहा और अपने सर को टीना जी के सुविकसित और परिपक्व स्तनों पर झुकाया, फिर भूखों की तरह उनके निप्पलों को अपने मुँह के भीतर चूसने लगा। ।

“ओहाहह, शाबाश बेटा! डार्लिंग, मेरे मम्मों को चूस! शिशु की तरह इन्हें चूस बेटा, अपनी माँ के मम्मों जैसा ही समझ ! जैसी रजनी के मम्मों से चूस चूस कर दूध पीया था, मेरे थनों को भी चूस !” ।

राज ने शीघ्रतापूर्वक आदेश का पालन किया, एक-एक करके लड़के के आतुर मुँह ने उनके अति - संवेदनशील निप्पलों को स्तनपान की रीति में चूसा, तो टीना जी मातृट्व बोध के मारे ऊंचे स्वर में अभूतपूर्व आनन्द का अनुभव करती हुई कराह पड़ीं। बड़ा मर्मस्पर्शी दृष्य था, राज किसी मासूम शिसु की तरह प्रेमपूर्वक उनके भरे-पूरे स्तनों का पान करता हुआ जैसे बलवर्धक दूध का संचय कर रहा हो। टीना जी भी अपने स्तनपान के दिनों को स्मरण कर के ममता से ओतप्रोत होकर तृप्ति प्राप्त कर रही थीं।

किशोर राज के होंठ उनके स्तनों से जुदा होकर जब नीचे की ओर बढ़े, तो टीना जी हलके से चीख उठीं। राज ने उनके नग्न पेट पर गरम और भीगे चुम्बनों की बरसात कर दी, जिससे उनकी योनि में कामोपेक्षा के अनेक बुलबुले फूटने लगे।

टीना जी अब अधिक समय धीरज नहीं धर सकती थीं। उन्होंने अपने अंगूठों को अपनी बिकीनी की जाँघिया के इलास्टिक में अटकाया और उन्हें नीचे खींच लिया। फिर अपेक्षापूर्वक भाव से अपने होठों पर जिह्वा को फेरते हुए, टीना जी आराम से लेटीं और अपनी मलाई सी चिकनी जाँघों को चौड़ा पाट दिया, जिससे उनकी रोमयुक्त योनि की खुली कोपलें राज की भूखी निगाहों के समक्ष अनावृत हो गयी।

ले खा नमकीन बेटा!”, वे फुकार कर बोलीं, और किशोर राज के सर को अपनी जाँघों के बीच खींच दिया। राज ने अपने पूरे मुंह को टीना जी की खुली, भीगी योनि पर दबा डाला और सुड़प - सुड़प कर चूसने लगा। टीना जी की योनि का स्वाद उसकी माँ जैसा ही कुछ था! अपनी माँ की योनि के स्वाद को चख कर राज की कामेन्द्रियाँ सदैव ही उदिक्त हो उठती थीं। उसका उतावला युवा लिंग शीघ्र ही कठोर होने लगा और फूल कर दैत्याकार का हो गया।

“ऊ ऊ ऊह, बहुत बढ़िया! चूस ले, राज !”, टीना जी हाँफ़ कर बोलीं, और अपने नितम्बों को सोफ़े से ऊपर उचकाने लगीं। उनकी खुला हुआ योनि-द्वार लड़के के चूसते मुख पर कस के चिपटा हुआ था, परन्तु टीना जी और अधिक घर्षण के लिये तड़प रही थीं।

दोनो हाथों में उनके नग्न नितम्बों को दबोचे हुए राज अपने मुँह को टीना जी की चौड़ी खुली हुई योनि में और गहरा गाड़ता जा रहा था। वे हर्ष के मारे कराहीं, और अपनी रिसती योनि को राज के चूसते मुख पर मसलने लगीं। राज भी अपने मुख को उनकी योनि के कोमल और नम माँस पर रगड़ता रहा। राज की सुलगती जिह्वा लपक लपक कर टटोल रही थी, और बार-बार टीना जी के चोंचले पर चाबुक से वार कर रही थी। टीना जी आह्लाद के मारे अपने नितम्बों को आगे और पीछे फटकती जा रही थीं। । “अंदर घुसा !”, टीना जी बिलबिलायीं। “मेरे अंदर डाल अपनी जीभ ! ::: मेरी चूत को अपनी जीभ से चोद, बेटा !”

राज ने अपना मुंह खोला, और अपनी जिह्वा को टीना जी की कुलबुलाती योनि में गहरा घोंप डाला। अपने पंजों से टीना जी के छरहरे चिकने नितम्बों को जकड़े हुए, वो उनके प्रचुरता से प्रवाहित होते योनि -दवों को ‘सड़प्प - चपड़ कर के चाटता जा रहा था। टीना जी मारे उन्माद के बिलबिलायीं और अपने नितम्बों को झटकने लगीं। वे इधर से उधर अपने बदन को ऐंठ- ऐंठ कर रगड़ाव कर रही थीं, और अपनी योनि से बहती तरलता को राज के आतुर युवा मुंह पर चुपड़े जा रही थीं। उन्होंने नीचे, अपने झूलते स्तनों के बीच राज के चेहरे को देखा, उनके योनि - रोमों के ऊपर केवल उसकी आँखें ही दीख रही थीं। टीना जी को अपनी योनि के भीतर किशोर राज की लम्बी और कड़ी जिह्वा बड़ी मनोरम प्रतीत हो रही थी। खासकर जीस तरह से वो उनके योनि द्वार की सम्पूर्ण लम्बाई को चाटता था, और फिर होठों से चूसता हुआ अपनी जिह्वा को उनकी कसमसाती योनि के भीतर गहरा घोंप डलता था।

“चाट मेरी चूत' ऊ ऊहह, चाट मादरचोद !”, वे बिलबिलायीं। “मेरी चूत को चूस, राज !’ उ ऊह, बेटा! :.. चूस मेरी चूत ! ::' चुद मुझे अपनी जीभ से ! ::' म्म्म्म्म्म्म , चूस, चूस इसे, चूस ! ::अपने चूत चाटते मुँह में मुझे झड़ा !” टीना जी अपने पतिदेव और पुत्र को पूऋनतय भुला चुकी थीं, उन्हें फ़िक्र थी तो सिर्फ अपनी क्षुधा-पीड़ित योनि के भीतर इस लड़के के सुखदायक मुख और जिह्वा की।
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