Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
07-03-2018, 11:21 AM,
#21
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
"नहीं अम्मा, एक दो दिन अलग लगता है, फ़िर रोज शेव करनी पड़ेगी नहीं तो वे जरा जरा से कांटे और चुभते हैं. मैं काट दूंगा कल कैंची से, वैसे तेरी झांटें हैं बहुत शानदार, रेशमी और मुलायम, मजा आता है उनमें मुंह डाल के, बस थोड़ी छोटी हों. अब जरा खोल ना चूत, वो झांटें भी बाजू में कर, देख कितना रस बह रहा है, इतनी मस्त महक आ रही है, जरा चाटने तो दे ठीक से"

"ले मेरे लाल, चाट. अब ठीक है ना? आह ऽ बेटे, बहुत अच्छा लगता है रे, कैसा चाटता है रे ऽ जादू कर देता है अपनी मां पर. ओह ऽ ओह ऽ हां मेरे लाल अं ऽ अं ऽ और चाट मेरे बच्चे ... मेरे राजा ... कैसा लग रहा है रे ... बोल ना!!"

"अम्मा जरा सुकून से चाटने दे ना ..... बात करूंगा तो चाटूंगा कैसे ... हां अब ठीक है, कितनी चू रही है अम्मा, बस टपकने को है. वैसे क्या बात है अम्मा आज तो बिलकुल घी निकल रहा है तेरे छेद से .... स्वाद आ रहा है मस्त, सौंधा सौंधा!"

"अरे सुबह से नहीं झड़ी हूं ... तू रोज की तरह सुबह जल्दी भाग गया ऑफ़िस को, बिना अपनी अम्मा को चोदे या चूसे. आज कल लेट आता है और थक कर देर तक सोता है. आज मुठ्ठ भी नहीं मार पायी, वो पड़ोस वाली दादी आ बैठी दिन भर मेरा दिमाग चाटा, तेरी याद आती थी तो मन मार कर रह जाती थी, बीच में लगा कि बाथरूम जाकर मुठ्ठ मार लूं पर मुझे ऐसे जल्दबाजी में मुठ्ठ मारने में मजा नहीं आता बेटे. जरा आराम से लेट कर तेरे को याद करके ... दिन भर ये बुर रानी बस मन मारे बैठी है"

"तभी मैं कहूं आज इतनी गाढ़ी क्यों है तेरी रज .... अम्मा तेरी रज याने पकवान है पकवान अम्मा ...... अब जरा और खोल ना चूत ... जीभ अंदर डालनी है."


ले बेटे पूरी खोल देती हूं... अब ठीक है? .... हाय ऽ रे ऽ जीभ अंदर डालता है तो मजा आता है बेटे ... और अंदर डाल ना ... ओह ऽ ओह ऽ उई ऽ मां ऽ ... गुदगुदी होती है ना!"

"अम्मा, तू बार बार अपनी चूत छोड़ कर मेरा सिर पकड़ लेती है, चूत पर दबा लेती है, ऐसे में मैं कैसे चाटूंगा ऽ मेरी मां की बुर का अमरित?"


"अरे तो चूस ले ना ... चाटना बाद में ... हाय तुझे नहीं पता कि बेटा तेरे को बुर से दबा कर कैसा लगता है ... लगता है तेरे को पूरा फ़िर से अपने अंदर घुसेड़ लूं"

"जादू सीख ले अम्मा, मेरे को बित्ते भर का गुड्डा बनाकर अपनी चूत में घुसेड़ कर रख, दिन भर वहीं रहा करूंगा. पर अब चल चाटने दे जरा, देख कैसी बह रही है"

"बेटा ... हाथ बार बार हिल जाता है ... इसलिये खोल कर नहीं रख पाती बुर तेरे लिये"


"तो अम्मा ... ऐसा कर, अपनी टांगें उठा और कुरसी के हथ्थे पर रख ले."


"दुखता है बेटे ... मैं अब जवान कहां रही पहले सी ... टांगें इतनी फ़ैलायेगा तो कमर टूट जायेगी मेरी ... चल अब सिर नहीं पकड़ूंगी तेरा पर मेरे लाल तू इतना अच्छा चाटता है रे ऽ सच में लगता है कि तू इत्ता सा होता तो तेरे को पूरा अंदर घुसेड़ कर तेरे बदन से ही मुठ्ठ मारती"


"अम्मा नखरे मत कर, रख टांगें ऊपर, ले मैं मदद करता हूं."


"ओह ... आह ऽ .... आह ऽ.... ओह ऽ ... ले हो गया तेरे मन जैसा? रख लीं टांगें ऊपर मैंने."


"अब देख अम्मा, कैसे मस्त खुल गयी है तेरी बुर ... अब सही भोसड़ा लग रहा है गुफ़ा जैसा .... अब आयेगा मजा चाटने का ... अब तो जीभ क्या ... मेरा पूरा मुंह ठुड्डी समेत चला जायेगा अंदर"


"आह ऽ ओह ऽ ... हां बेटे ऐसा ऽ आ ऽ ह ऽ ओह ऽ ओह ऽ हा ऽ य ऽ रे .... अं ऽ अं ऽ ... अरे ऽ उई ऽ मां ऽ ऽ ऽ ........."


"हां अम्मा ... बस ऐसे ही ... और पानी छोड़ अपना ... ये बात हुई .... मजा आ गया अम्मा ... अब लगाई है तूने रस की फुहार ... नहीं तो बूंद बूंद चाट कर मन नहीं भरता अम्मा ऽ अब जरा मुंह लगाना पड़ेगा नहीं तो .... बह जायेगा ये अमरित ... अम्मा ... ओ ऽ अम्मा .... लगता है कि मुंह में भर लूं तेरी ... बुर और चबा चबा कर खा ... जाऊं ... देख ऐसे ..."


"ओह ... ओह ... अरे .... ओह ... कैसा करता है रे ... उई मां ऽ ... आह ... ओह ... ओह .... हा ऽ य ... मैं मरी ...ओह ... ओह ....उईईई ऽ उईई ऽ आह .... आह .... आह .... बस .... आह"


"अब झड़ी ना मस्त? ... अब जरा दो चार घूंट रस मिला है मेरे को .... और कितना गाढ़ा है अम्मा .... शहद जैसा .... चिपचिपा ..."



"कैसा आम जैसा चूसता है रे .... निहाल कर दिया मेरे बच्चे ... अब जरा शांति मिली दिन भर की प्यास के बाद .... कितना अच्छा झड़ाता है तू बेटे ..... बहुत अच्छा लग रहा है मेरे लाल... अरे अब नहीं कर ... थोड़ा आराम तो करने दे ... अभी अभी झड़ी हूं ... मेरे दाने को अब न छेड़ बेटे .... सहन नहीं होता रे मेरे ला ऽ ल ..."


"अम्मा नखरा मत कर, पूरा पानी निकाल तो लूं पहले तेरी चूत से. कल बोल रही थी ना कि बेटे, निचोड़ ले मेरी चूत, सब पानी निकाल ले और पी जा. तो आज निचोड़ता हूं तुझे. अभी तो एक बार झड़ाया है, आज तो घंटा भर चूसूंगा."


"चूस ना ... मैं कहां मना करती हूं ... बस दम तो लेने दे मेरे राजा ... तुझे बुर का पानी पिला कर मेरा मन खिल जाता है बेटे, तेरे लिये ही तो बहती है मेरी चूत ... हा ऽ य बेटे मत कर इतनी जोर से... ओह ... अच्छा भी लगता है मेरे लाल और सहन भी नहीं होता रे .... मैं तो मर ही जाऊंगी एक घंटे में ... उ ऽ ई ऽ उ ऽ ई ऽ कैसे करता है रे? मेरे दाने को ऐसा बेहरमी से रगड़ता है जैसे मार डालना चाहता है मुझे .... उई ऽ मां ... ओह ऽ ... ओह ऽऽऽ.
"बस बेटे छोड़ दे अब ... बहुत हो गया रे ... जान ही नहीं है अब मेरे बदन में .... तुझे मेरी कसम मेरे राजा .... लगता है तीन चार घंटे हो गये तुझे मेरी बुर से मुंह लगाकर .... सब रस खतम हो गया ... अब तो छोड़ ना मेरे लाल! दस बार तो झड़ा चुका रे .... अब दुखता है रे ... दाना सनसनाता है.... कैसा तो भी होता है"

"कहां अम्मा, एक घंटा भी नहीं हुआ होगा .... इतने में थक गयी? खैर चल, छोड़ता हूं तुझे पर अम्मा, बता तो ... मजा आया?"

"हां ऽ आं ऽ बेटे .... कितनी मीठी गुदगुदी होती है रे मेरी बुर में जब तू उसे प्यार करता है ऐसे ...कितना सुख देता है रे अपनी अम्मा को .... मार डालेगा किसी दिन मुझे ....."

"नहीं अम्मा तुझे तो बहुत दिन जिंदा रखूंगा, बुढ़िया हो जायेगी तो कुछ कर भी नहीं पायेगी मेरे को ... और जोर से बिना रोक टोक चोदा करूंगा. अब चल बिस्तर पर, चोद डालता हूं तुझे .... ये देख मेरा लौड़ा? मरा जा रहा है तेरी चूत के लिये"

"अरे ये मुस्टंडा मुझे खतम कर देगा ... मुझसे नहीं सहा जायेगा बेटे ... चूत ऐसी कर दी है तूने चूस चूस कर कि लगता है कि रेती से रगड़ी हो .... अब उसपे ये जुलम न कर ... उई ऽ मां ऽ देखा राजा मुझसे तो चला भी नहीं जा रहा है"

"तो उठा कर ले चलता हूं अम्मा"

"अरे क्यों उठाता है रे, मेरा वजन कोई कम नहीं है ... अच्छी खासी मोटी हूं"

"कहां अम्मा, मुझे तो फ़ूल सी लगती है तू, तेरा यह गुदाज गोरा गोरा बदन किसी दुल्हन से कम थोड़े है! .... और रोज तो उठाता हूं तुझे, आज क्या नयी बात है? चल आ जा ... ऐसे ... मेरी गरदन में बांहें डाल दे दुल्हन जैसे ..... बस हो गया .... आ गया बिस्तर .... ले अब लेट जा और टांगें फ़ैला दे"

"मत चोद राजा ... सुन अपनी अम्मा की बात ... आ चूस देती हूं इसे ... तेरे इस सिर उठाकर खड़े सोंटे की मलाई खाने दे मुझे"

"आज नहीं अम्मा, कल तूने बस चूसा ही चूसा था मुझे, एक बार भी अपने बुर में नहीं लिया इसे, आज तो चोदूंगा तुझे और ऐसा चोदूंगा कि देख लेना तू ही"

"मत चोद रे ... छोड़ दे मेरे बच्चे ... आज मेरी चूत बहुत थक गयी है रे, छूने से भी दुखती है, चुदवाऊंगी तो मर ही जाऊंगी!"

"अब किरकिर करेगी तो गांड मार लूंगा अम्मा, फ़िर न कहना"
Reply
07-03-2018, 11:22 AM,
#22
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
"नहीं नहीं बेटे .... गांड मत मार .... दुखता है रे ... तेरा यह मूसल तो फ़ाड़ देता है मेरी ... तू गांड खोलता है मेरी तो दिल धक धक करने लगता है रे बेटा डर के मारे ..."

"क्या अम्मा तुम भी ... कितना नखरा कर रही है आज ... इतने दिन से गांड मरा रही है और फ़िर भी कहती है कि दुखता है... सच बोल हफ़्ते में दो तीन बार नहीं मरवाती तू?"

"सच में दुखता है रे ... तू नहीं समझेगा .... मैं कहां मरवाती हूं, तू ही मार लेता है जिद करके .... गांड मत मार राजा ... ले मैंने चूत खोल दी तेरे लिये ... चोद ही ले पर गांड मत मार!"

"ये बात हुई ना, अब आई रास्ते पर. जरा और फ़ैला टांगें, रखने दे लंड तेरी चूत के दरवाजे पर .... ये ऽ ये घुसा अंदर ऽ ... अम्मा तू फ़ालतू में किरकिर कर रही है पर तेरी चूत कितनी पसीज रही है देख ... एक झटके में अंदर चला गया मेरा लौड़ा देख!"

"हां बेटे मैं क्या करूं ... तू आगोश में होता है तो पागल हो जाती है ये ... रस छोड़ती रहती है ... आह ऽ ... धीरे धीरे बेटे ... हौले हौले चोद ना .... चुम्मा दे ना बेटे ... चुम्मा ले लेकर चोद ... जरा प्यार से चोद ना अपनी मां को ... ऐसे रंडी के माफ़िक ना चोद"

"ठीक है मां ... धीरे धीरे चोदता हूं पर वायदा नहीं करता ... मेरा लंड बहुत मस्ती में है तेरी चूत का भूसा बनाना चाहता है ... असल में मां तू किसी रंडी से कम नहीं ... तेरे को देखते ही लंड खड़े हो जाते हैं लोगों के ... मेरे को मालूम है ... ले ... ऐसे ठीक है" ... चुम्मा दे ... तेरा चुम्मा बहुत मीठा है अम्मा .... जरा जीभ दे न चूसने को"

"ऊं ऽ अंम ऽ म ऽ चुम्म ऽ अं ऽ अं ऽ मं ऽ चप ऽ अरे जीभ क्यों चबाता है मेरी, खा जायेगा क्या ऽ ?"

"हां अम्मा चमचम है चमचम रसीली मीठी, चूसने दे जरा सप ऽ सुर्र ऽ अं ऽ ..... अम्मा तेरे मम्मे क्या नरम नरम हैं, रबर के बंपर जैसे लगते हैं छाती पर, भोंपू हैं भोंपू ऽ."

"हां राजा तभी तू ये भोंपू बजाता रहता है ना? ले और बजा, दबा ना और ऽ ... बहुत अच्छा लगता है रे .... हां ऐसे ही .... ओह ऽ कितना अच्छा चूसता है रे ... चूस मेरे लाल .... चूस .... चूस ले मेरे निपल मेरे राजा ... पी जा मां का दूध .... हाय ऽ ओह ऽ अरे काट मत ... कैसा करता है? ... हां ऐसे ही चूस ... और ... और जोर से .... हाय चोद ना अब"

"अम्मा, अब देख कैसे चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवा रही है .... अभी कह रही थी कि धीरे धीरे बेटे .... रंडी जैसे ना चोद ... अब खुद रंडी जैसी चूतड़ उछाल कर मेरा लौड़ा खा रही है"

"अरे तू नहीं समझेगा मेरे लाल एक मां के दिल की हालत जब उसका जवान बेटा उसकी चूंचियां चूसता हुआ उसे चोद रहा हो ... चोद बेटे चोद ... और जोर से चोद ... तोड़ दे मेरी कमर ... मैं कुछ न बोलूंगी ... चोद चोद कर अधमरी कर दे मुझे ... चोद मेरे लाल .... और जोर से चोद ... जोर से धक्का लगा ना .... पेल दे मेरे लाल लाल ... पूरा पेल दे अंदर ... ओह ऽ ओह ऽ ... हाय ऽ ... ऐसे ही मेरे बेटे .... और जोर से मार .... लगा जोर से ... घुस जा अपनी मां की बुर में ऽ ... उई ऽ मां ऽ आह आह उई मां ऽ ऽ ऽ ऽ चोद चोद कर मार डाल मेरे बेटे ... खतम कर दे रे मुझे ऽ ऽ इस रंडी से पैसा वसूल कर ले रे चोद चोद के ... मैं सच में तेरी रंडी हूं मेरे राजा बेटा ..."

"ले अम्मा ऽ ... ले ... चोद डालता हूं तुझे आज ... ले ... और जोर से मारूं ऽ ? .. ये ले ... और ये ले ... तेरी चूत का आज भुजिया ऽ बना ऽ दे ऽ ता ऽ हूं ऽ ये ले ऽ आया मजा? ऽ नहीं आया ? ऽ तो ये ले .... ओह ऽ ओह ऽ आह ऽ आह ऽ ओह अम्मा ऽ ऽ ओह ऽ आह ऽ आह आ ऽ आ ऽ आ ऽ आह ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ"

..... कुछ देर के बाद ....

"मेरे राजा ऽ मेरे लाल ऽ थक गया ना? बहुत मेहनत की है तूने रे बेटे आज .... अपनी मां को पूरा सुखी कर दिया बेटे ... भगवान तुझे लंबी उमर दे ... ले चूस मेरी चूंची जैसा बचपन में करता था और सो जा अब ... रात बहुत हो गयी है."

"अम्मा ऽ बहुत मजा आया अम्मा ... तू कितनी मस्त है ... रूप की खान है ... अम्मा .... तेरा दूध पीने का मन करता है अम्मा."

"अब दूध कहां से आयेगा मेरे लाल ... मेरी उमर हो गयी है ... जवान होती तो कहती कि बेटे चोद चोद कर मेरे से बच्चा पैदा कर दे और पी मेरा दूध. अच्छा ऐसा कर बहू ले आ ... शादी कर ले ... फ़िर बहू का दूध पीना."

"मुझे नहीं करनी शादी अम्मा ... तेरे से ज्यादा रूपवती कौन होगी ... तेरे ये मोटे मोटे पपीते से मम्मे ... ये रसीली लाल लाल चूत .... ये मतवाली पहाड़ सी गांड ... ये मोटे मोटे चिकने पैर ... ये गोरी फ़ूली रान .... तेरा ये गोरा गोरा थुलथुला बदन .... माल है अम्मा .... असल माल है .... खोवा है खोवा ... मावा... मुझे शादी की क्या जरूरत है?"

"पगला है रे तू पगला ! .... बिलकुल मां का दीवाना है. अच्छा चल सो जा."
..... दूसरे दिन ....


"आ गया बेटे, आज फ़िर से देर हो गयी आफ़िस में?"

"हां अम्मा, क्या करूं बहुत काम था, चल मैं आता हूं नहा कर, बहुत भूख लगी है"

"मैं हूं ना मेरे लाल तेरी भूख मिटाने को. चल आ जा जल्दी"

"जानता हूं अम्मा, सिर्फ़ तू ही है जो मेरी भूख मिटाती है. अभी आता हूं"

"ठीक है, वैसे पराठे बना रही हूं आज, तेरी ही राह देख रही थी."

..... कुछ देर के बाद ....

"आ गया मेरा राजा बेटा! अरे ये क्या कर रहा है? कैसा चिकना लग रहा है नहा धो के!"

"चिकनी अम्मा का चिकना बेटा, है ना अम्मा? जरा ऐसे सरक ... बस ठीक है"

"अरे ये क्या कर रहा है मेरे पीछे बैठ कर ... और साड़ी क्यों उठा रहा है रे नालायक?"

"चुप कर अम्मा. और तू भी इसी की राह देख रही थी ना? तभी अंदर चड्डी नहीं पहनी, तुझे मालूम है मेरी चाहत"

"अरे ... अरे भूख लगी है ना? ... मुझे पराठे बनाने तो दे"

"तू बेल ना अम्मा, तेरे हाथ थोड़े पकड़ रहा हूं. मुझे तो बस मन कर रहा है इन गोरे गोरे तरबूजों में मुंह मारने का ... अं ... अं ... हं .."

"छोड़ ना, हमेशा करता है ऐसा, मैं यहां रसोई में रोटी बनाती हूं तो पीछे से मेरी साड़ी उठा कर मेरी गांड चूसने लगता है ... अरे छोड़ ... उई ऽ जीभ क्यों डालता है रे अंदर ... गुदगुदी होती है ना"

"चूसने दे अम्मा, मजा आता है ... स्वाद भी मस्त है ... सौंधा सौंधा मेरे लंड को भी भाता है ... आज उसे भी चखाऊंगा"

"हाय ऽ गांड मारेगा मेरी? परसों ही तो मारी थी रे ... आज मत मार ना ऽ."

"मेरा बस चले तो रोज मारूं अम्मा. पर तू कहां मारने देती है! अब नखरा मत कर. मुझे जरा वो घी का डिब्बा दे, तेरी गांड में चुपड़ दूं."
Reply
07-03-2018, 11:22 AM,
#23
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
"अरे ... रुक ना ... मत मार मेरे लाल .... पिछले हफ़्ते मैं रोटी बना रही थी तब कैसा चिपक गया था मेरे से ... तेरे धक्कों से एक रोटी नहीं बनी मेरी आधे घंटे, एक दो बनाई वो सब टूट गई ... देख ... तेरे को ही खाने में देर लगेगी ..."

"अभी नहीं मारूंगा अम्मा ... वैसे तेरी कसम, अगर जोर की भूख नहीं लगी होती तो यहीं रसोई में मार लेता तेरी इस प्लटफ़ॉर्म पे दबा के ... अभी बस घी लगा देता हूं ... बाद में फाल्तू टाइम बरबाद होगा"

"तू मानेगा नहीं..... आज घी से चिकनी कर रहा है मेरे भाग ... नहीं तो तू है बड़ा बेरहम, पिछली बार सूखी ही मार ली थी .... कितना दुखा था मुझे!

"कुछ दुखा वुखा नहीं था अम्मा, सब तेरा नखरा है, कैसे कमर हिला हिला कर मरवा रही थी परसों कि मार बेटे और जोर से मार."

"वो तो बेटा तू मेरे बदन से कहीं भी लगता है तो मुझसे रहा नहीं जाता ... पर दुखता है सच ... आह तेरी उंगली जाती है तो गुदगुदी होती है बेटे .... हां ऐसे ही ... और अंदर तक लगा ना ... ओह ... अरे ऽ दुखता है ना .... दो उंगलियां क्यों डालता है रे दुष्ट?"

"अम्मा दो ही तो हैं ... मेरा लंड कैसे ले लेती है? ... वो तो चार उंगली के बराबर है ... हां जरा अपनी साड़ी उठा कर पकड़, बीच में आती है और फ़ालतू पकर पकर मत कर, लगाने दे अंदर तक. चल हो गया"

"अरे ये उंगली क्या चाटता है ... गंदा कहीं का ... गांड में उंगली की था ना ... अब उसी को ... छी छी"

"घी लगा है अम्मा, उसे क्यों बरबाद करूं? और मां, तू जानती है कि तेरी कोई बात, तेरा कोई अंग मुझे गंदा नहीं लगता ... मेरा बस चले तो तेरी गांड में मिठाई भर दूं और फ़िर वहीं से खाऊं"

"छी छी ... दिमाग खराब हो गया है तेरा ..."

"छी छी कर रही है और अपनी जांघें घिस रही है ... मजा आ रहा है ना अम्मा मेरे को तेरी गांड का स्वाद लेता हुआ देख कर?"

"चल बदमाश ... अब खाना बनाने देगा या नहीं?"

"बना ना अम्मा, सच अब नहीं रहा जाता, फटाफट पराठे बना ले और फ़िर तू भी मेरे साथ बैठ जा खाने पे, नहीं तो फ़िर बाद में खायेगी, साफ़ सफ़ाई में आधा घंटा बरबाद करेगी और ये तेरा गुलाम, तेरे रूप का मतवाला बेटा लंड पकड़कर बैठा रह जायेगा"
"चल हो गया बेटा, आ जा और खा ले"

"मां ... तेरे मुंह से खाऊंगा आज"

"अरे ये क्या हो गया है तेरे को? भूख लगी है ना? तो खा ना हाथ से, वैसे देरी हो जायेगी बेटा"

"मैं खा रहा हूं अम्मा पर बीच बीच में एक एक निवाला दे ना तेरे मुंह से, तेरे मुंह के स्वाद से खाने का जायका दूना हो जाता है अम्मा"

"ठीक है मेरे लाल ... अं... अं .... ये ऽ ले ऽ "

"और चबा अम्मा, जरा मुंह का स्वाद लगने दे ..."

"अं ... क्यां ... नॉलॉ..यंक ... लं ... ड़का है ... अं अं .. ले"

"मजा आगया मां, बस हर दो मिनिट में एक निवाला देती जा .... आज मस्त पिक्चर लाया हूं ... बेडरूम चल और मेरी बाहों में आ, फ़िर दिखाता हूं, तुझे मजा आ जायेगा"

"सच बेटे? पिछले हफ़्ते वाली भी बहुत अच्छी थी ....वैसी ही है क्या?"

"थोड़ी अलग है अम्मा पर मजा आयेगा तुझे. पिछले वाले में लंड ही लंड थे, आज बस चूतें ही चूतें हैं."

"अं ... अं .... ले बें ... टा ... तें ...रा ... निवॉला ... फ़िर तेरी ज्यादा पसंद की है, मुझे क्यों दिखाना चाहता है?

"अम्मा नाटक मत कर, उस दिन जिस औरत को वो चार चार मर्द चोद रहे थे, उस औरत की गोरी गोरी चूत देख कर कैसे बोल रही थी कि बेटा कितनी प्यारी चूत है ... चूसने को मन करता है मेरा भी ..., और पिछले महने वाली पिक्चर देखते वक्त बोल रही थी कि वो औरत कैसे मस्त चूत चाट रही थी उस लड़की की, काश कोई औरत मेरी भी ऐसी चाटती"

"नालायक ... अम्मा की बात पकड़ कर रखता है तू ... अब मस्ती में तो कुछ भी मुंह से निकल जाता है रे ..."

"नहीं अम्मा, मस्ती में मन की बात होंठों पर आ जाती है. वैसे इसीलिये आज बस चूतें और बुरें दिखलाऊंगा तेरे को, तेरी हर खुशी में मेरी खुशी है. अच्छा ये बता मां, तेरा मन होता है और किसी से चुदवाने को? याने तू इतनी गरम है, मैं थक जाता हूं पर तेरी भूख नहीं मिटती, बोल तो इंतजाम करूं कूछ, तेरी जैसी मतवाली माल औरत को चोदने को तो कोई भी तैयार हो जायेगा खुशी से ... लाऊं आपने यार दोस्तों को? या नौकर रख लूं एकाध, दिन भर तुझे चोदा करेगा."

"बेटा ... क्यों अपनी अम्मा को ऐसे शब्द कह रहा है ... मुझसे नाराज है क्या ... बोल ना ... तेरे सिवा मैंने किसी की ओर आंख उठा कर भी नहीं देखा मेरे बच्चे और तू .... हं ..."

"अरे बुरा मत मान मां, मैं नाराज होकर नहीं कह रहा, सच कह रहा हूं, तुझे मैं हर खुशी देना चाहता हूं ... मैं जानता हूं कि तेरी तबियत कितनी गरम है ... अगर तेरे मन में और लंडों से चुदवाने का खयाल आता हो तो ये तेरा अधिकार है अम्मा .... अपने मन को मत मार"
Reply
07-03-2018, 11:23 AM,
#24
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
ये क्या कहता है बेटे ... तेरे सिवा किसी से चुदाने की मैं सोच भी नहीं सकती ... तू इतना प्यारा है ... मेरा लाड़ला बेटा है ... मेरी ही चूत से निकला है, खूबसूरत जवान है.... तुझसे चुदाने में जो मजा है वो और कहां मेरे लाल?"

"वो तो ठीक है अम्मा पर तू है बड़ी गरम, एक आदमी से तेरी ये गरमी ठंडी नहीं होगी. मेरे को मालूम है कि दिन में मैं नहीं होता तब तू तड़पती रहती है बदन की इस गरमी से, मेरा बस चलता तो दिन भर घर रहता पर मां ... नौकरी करना है ... और वैसे भी लंड आखिर कितनी बार खड़ा होगा ... मुझे कभी कभी लगता है मां के तेरे को कम से कम एक और लंड चाहिये"

"चल अब इस विषय की बात मत कर ... मैं देख लूंगी ... अरे मैं लाती हूं ना केले और ककड़ी ... तुझे तो मालूम ही है ... भले ही उनमें वो बात न हो जो ... और तू चूसता भी तो है मेरे लाल ... इतना अच्छा लगता है मुझे बुर चुसवा कर ... मेरी बुर पूरी खुश हो जाती है ... चल खाना हो गया ना, अब ले चल मुझे. साफ़ सफ़ाई सुबह उठ कर कर लूंगी"

"वा अम्मा अभी अभी नखरे कर रही थी और अब खुद ही बेताब है. .... क्या बात है ... चूत वाली पिक्चर के नाम से मजा आ रहा है लगता है."

"तू कुछ भी समझ पर चल ना अब."

"चल अम्मा, नंगी होकर आजा मेरे कमरे में, मैं तब तक पिक्चर लगाता हूं. आज ब्रा और पैंटी भी निकाल दे, पूरी नंगी हो जा, ब्रा पैंटी में तेरे से मुहब्बत करने का टाइम नहीं है, पिक्चर भी लंबी है."

..... कुछ देर के बाद ....

"अरे ये कुरसी में क्यों बैठा है, लेटे लेटे नहीं देखेगा पिछली दफ़ा जैसे?"

"वो उसमें ठीक से नाहीं दिखता अम्मा, गर्दन दुखती है"

"अरे पिछली बार तो मजे से देखी थी, याने मैं नीचे पट लेटी थी और तू मेरे ऊपर चढ़ कर ... बस हिल बहुत रहा था तू ... बार बार बस धक्के लगा रहा था."

"अब लंड तेरी गांड में हो तो धक्के लगाने का मन तो होगा ही मां, इसीलिये आज तुझे गोद में बिठा कर दिखाऊंगा, चल जल्दी आ, ऐसे खड़े हो जा मेरे सामने... अरे ऐसे नहीं, मेरी ओर पीठ करके ... पिक्चर नहीं देखनी है क्या? चल लंड ले मेरा अपनी गांड में और बैठ गोद में"

"पिक्चर देखनी है बेटे पर तू ऐसे बैठता है तो तेरे ऊपर बैठ कर चोदने में बड़ा मजा आता है मेरे लाल. चोद लेने दे ना एक बार, तेरी कसम. एक बार लंड तूने पीछे डाला कि आगे की मेरी इस सौतन की तुझे सुध ही नहीं रहती "

"मां, अब उतावली न हो, तेरी इस जालिम सौतन की ... चूत के लिये भी इंतजाम किया है मां, ये देख"

"हाय, ये केले कहां से लाया रे? बहुत बड़े हैं, पिछले हफ़्ते तो छोटे वाले लाया था. पर बेटे, वो टूट जाते हैं बार बार. मजा नहीं आता, और बिना छिले तू डालता नहीं है"

"और क्या मां, बिना छिले डाले तो तेरी चूत का रस कैसे लगेगा उसमें. फ़िकर मत कर, ये आधे कच्चे हैं, टूटेंगे नहीं. वो आज आते आते ये केले दिख गये, मद्रासी केले, एक एक फ़ुट के, ये हैं तेरी चूत के लायक - नहीं तो वो छोटे वाले तो तेरी चूत ऐसे खा जाती है जैसे ..... अब बक बक मत कर और आ जा .... हां ऐसे .... लौड़ा तेरी गांड पर रखता हूं .. अरे चूतड़ पकड़कर खींच ना, जरा छेद खोल ... हां ऐसे ... अब बैठ जा मेरे लंड पर

"ओह ... उई मां ... दुखता है बेटे"

मां अभी तो बस सुपाड़ा अंदर गया है ... पूरी नीचे बैठ जा मेरी गोद में .... ये ... अब देख कैसे सप्प से अंदर गया .... आ जा चुम्मा दे मुझे ... तेरे मम्मे दबाने में मजा आता है अम्मा ऐसे गोद में बिठा कर गांड मारते वक्त. ले पिक्चर शुरू करता हूं"

जोर से दबा ना मम्मे ऽ हाऽ य ऽ कैसा खड़ा है रे तेरा .... दुखता है ... इतना मोटा है .... लगता है जैसे मेरे पेट में घुस गया है .... कैसा मेरी गांड के पीछे पड़ा रहता है रे नालायक, ओह ...."

"मां मैं तो तेरे पूरे बदन के पीछे दीवाना हूं और खास कर तेरी गांड का .... सच अम्मा, किसी बेटे को अपनी मां की गांड मारने में क्या आनंद आता है तू नहीं जानती ... लगता है कि कोई बड़ा बुरा गंदा सा ... हरामीपन का काम किया जा रहा है ... अब चपर चपर बंद कर और पिक्चर देख. देख उस जवान लड़की को, तू चपर चपर कर रही थी तब तक वो नंगी भी हो गयी देख"

"कितनी अच्छी लड़की है बेटे... बहुत खूबसूरत है .. देख कैसे मुठ्ठ मार रही है ... अकेली ही है ... तू कहता था कि और भी औरतें हैं इस पिक्चर में .... ये लड़की छोटी लगती है ना? लगता है स्कूल में है"

"छोटी वोटी कुछ नहीं अम्मा, बीस बाईस की होगी ... ये पिक्चर वाले बनी देते हैं उन्हें ऐसा ... स्कूल की लड़की जैसी चोटी बांध देते हैं ... अब देख उसकी मौसी आई ... देख कैसे भांजी को प्यार कर रही है .... अब देख पूरा पिक्चर ... अब कुछ देर में लड़की की मां भी आयेगी."

..... कुछ देर के बाद ....


"बेटे ... बेटे ... जोर से कर ना .... मन नहीं मानता रे ... झड़ा दे ना मुझको .... वो देख वो छिनाल औरत कैसे अपनी बेटी से जबरदस्ती चूत चुसवा रही है ... वो देख ... कैसे उसके बाल पकड़कर अपनी बुर पर उसका मुंह रगड़ रही है और वो दूसरी औरत .... उसकी मौसी ....हाय देख ना बेटे ... कैसे उस बच्ची की चूत पर पिल पड़ी है .... बेटे .... जोर से चोद ना मुझे केले से .... कितना जुल्मी है रे .... बस तरसाता जाता है .... मां की परवा नहीं है तुझे? ओह ऽ ओह ऽ"

....
....

"परवा कैसे नहीं है मां, तभी तो ये पिक्चर लाया हूं आज, मुझे पता था तुझे अच्छी लगेगी. अब ये केला अंदर बाहर तो कर रहा हूं, तू झड़ती नहीं है तो मेरा क्या कुसूर है, ये भी टूट जायेगा अगर ज्यादा जोर से किया तो, दो केले तो तोड़ चुकी है अब तक, देख कैसे यहां प्लेट पर पड़े हैं .... मां देखा ये केले कैसे लगते हैं ... जैसे घी और शहद में डुबोए हों ... मैं बाद में खाऊंगा मां मस्ती ले लेकर ..... ओह ऽ .... गांड सिकोड़ती है तो मजा आता है अम्मा.... और कर ना ... लगता है कि अभी तेरी कस के मार लूं, सच अम्मा .... तेरी गांड बहुत गरमा गरम है ... ले नीचे से ही तेरी मारता हूं ... ले .... ले .... ले ऽ"

...
...

ओह बेटे ... उई मां ... झड़ गयी रे मैं मेरे लाल ... ओह ऽ ओह ऽ कितना अच्छा लगता है रे ... ओह ... हाय ... पिक्चर खतम हो गयी रे ... उस लड़की पे क्या क्या करम किया उन दोनों छिनालों ने ... मैं होती तो और करती बेटे ... और लगा ना .... और पिक्चर नहीं है? ... ये वाला ही लगा दे ना फ़िर से .... वो देखा कैसे वो मौसी उस लड़की के मुंह में मूत भी रही थी ... और वो मुंहजली भी मजे लेकर पी रही थी जैसे शरबत हो ... तभी तूने झड़ा दिया ... ठीक से देख भी नहीं पाई ... लगा ना पिक्चर फ़िर से ...

"अब कल लगाऊंगा मां ... मेरे से सहन नहीं होता ... इन पिक्चरों में तो कुछ भी दिखाते हैं ... और गंदे गंदे करम होते हैं ... मैं और ले आऊंगा पर ओह ओह ऽ अब नीचे लिटा कर कायदे से तेरी मारता हूं .... मां कसम क्या गरम है तेरी गांड मां .... ले .. ये ले ... और जोर से पेलूं ... तेरी गां ऽ ड का ऽ ... कचू ऽ ...मर ... बना ऽ देता ऽ हूं आज ...ये ले ... ओह ... ओह .... ओह ... आह .... आह ऽ ऽ आह ऽ ऽ ऽ"

..... कुछ देर के बाद ....

"बेटे एक बात कहूं?"

"हां बोलो मां, हुकुम करो. आज तो मजा आ गया मां तेरी मारने में ... और वो केले भी क्या जायकेदार थे .... तेरी चूत का रस तो अमरित है मां अमरित. बोल क्या कह रही थी? और पिक्चर ले आऊं ऐसा ही? क्या बात है मां? चूतें भी भा गयीं आखिर तुझे."

"हां बेटे, कितनी खूबसूरत थी वो दोनो औरतें और वो लड़की तो सच में बहुत सुंदर थी. मुझे कमला की याद आ गयी बेटे."

"कौन कमला मां?"

"अरे वो मेरी चचेरी ननद की भांजी, बेचारी का कोई नहीं है, मां बाप बचपन में ही गुजर गये ना, वो उसकी मौसी ने ही पालपोसकर बड़ा किया है, वहीं रहती है, अब शादी की उमर हो गयी है करीब करीब."

"हां तो अम्मा? चाची शादी रचा रही है उसकी?"

"हां बेटे ... बोली नहीं पर लगता है मन में है उसके"

"चलो अच्छा है मां, लड़का देख तू भी उसके लिये"

"बेटे ... तू कर ले ना उससे शादी."

"मैं शादी वादी नहीं करने वाला अम्मा"

"अरे बहुत सुंदर लड़की है, जरा छोटी है, अभी उन्नीस की हुई होगी पर तू हां कहेगा तो मैं मना लूंगी सब को, आखिर मेरा बेटा भी तो जवान है, इतना कमाता है. वो लोग तो उछल पड़ेंगे, उनको भी कहां तुझसे अच्छा लड़का मिलेगा"

"अब मां, मैंने पहले ही कहा था कि शादी ब्याह की जरूरत नहीं है मुझे, तू जो है मेरी हर जरूरत पूरी करने को. और मैंने तेरे को वो मंगलसूत्र नहीं पहनाया था उस दिन?"

"अरे वो तो ऐसे ही ... बदमाश कहीं का ... मेरे को तेरा मंगलसूत्र पहना देख कर तेरा लंड ऐसा हो गया था जैसे लोहे की सलाख ... वो बात अलग है बेटा ... वो तो मेरे तेरे बीच की बात है"

"पर मां, मेरे लिये तो तू ही मां है, तू ही मेरी बीवी, लुगाई, सब कुछ. अब उस लड़की से शादी करके मैं क्या करूंगा?"

"अरे कर ले ना. सच में बड़ी रूपवती है. तुझे बहुत पसंद आयेगी. बहू घर में आये तो मुझे भी कुछ आराम मिलेगा."

"तो क्या मैं तुझे इतना रगड़ता हूं कि तेरे को मेरे से आराम चाहिये?"

"हंस रहा है ना, हंस, और हंस, तेरे को मालूम है कि तू मुझे चौबीस घंटे रगड़ेगा फ़िर भी मैं तेरे को आशिर्वाद ही दूंगे मेरे राजा. अरे घर का भी काम होता है, अब मेरी उमर हो चली है, घर के काम को तो जवान बहू चाहिये ना?"

"ऐसा बोल. पर अम्मा, घर में कमला हो ना हो, चोदूंगा तो मैं बस तुझे ही. अब वो बालिका घर में रहेगी तो उसे पता चल ही जायेगा कि ये बेटा अपनी मां के पीछे दीवाना है. तब वह हाय तोबा नहीं मचायेगी?"

"अरे मैं सब संभाल लूंगी. उसे बता भी दूंगी."
Reply
07-03-2018, 11:23 AM,
#25
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
"अच्छा अम्मा? वो शादी को तैयार हो जायेगी अगर उसे पता चलेगा कि हमारे यहां तो मां बेटे का इश्क चलता है?

"शादी के बाद बताऊंगी. तब बच के कहां जायेगी? उसकी सुनता कौन है बाद में? शादी के बाद तो ऐसे जाल में फ़ंसा दूंगी कि पर मारेगी तो भी उड़ नहीं पायेगी.

"अच्छी डांट डपट के रखेगी? उससे काम करवायेगी अम्मा?"

"हां बेटे, घर का काम भी करवाऊंगी और ... जरा अपनी भी सेवा करवाऊंगी."

"अच्छा ... अब समझा. अम्मा तू बड़ी चालू चीज है. बहू से सेवा करवायेगी, वो पिक्चर वाली सेवा? ओह अम्मा, क्या दिमाग पाया है तूने."

"अरे तो क्या हुआ? तू ही कह रहा था ना आज कि अम्मा किसी को ले आऊं क्या चोदने को अगर तेरा मन नहीं भरता. तो अब बहू ही ले आ, मैं उसी से मन बहला लूंगी."

"पर वो तो मैं किसी मर्द की बात कर रहा था, किसी तगड़े लंड वाले मर्द की. तेरी हवस क्या वो जरा सी छोकरी पूरी कर पायेगी? तेरे को चाहिये मस्त मूसल जैसा लौड़ा जो कभी ना झड़े"

"तेरा लंड क्या कम है? चूत में घुसता है तो स्वर्ग ले जाता है बेटे और गांड में ... उई मां ऽ ... हालत खराब कर देता है मेरी, तू नहीं जानता कि जब एक मां अपने बेटे का लंड पा लेती है तो उसे और कोई लंड नहीं भाता. तेरे बिना मैं किसी से नहीं चुदाऊंगी. हां कोई प्यारी सी लड़की मिल जाये तो बात और है. बहुत सुकून मिलेगा बेटे मुझे. तू नहीं जानता, तूने जो ये आग लगायी है मेरे बदन को वो बुझती नहीं है मेरे लाल. जब तू होता है तो अपनी अम्मा से चिपटा रहता है पर दोपहर को जब मैं अकेली होती हूं तो परेशान हो जाती हूं बेटे, मुठ्ठ मार कर भी आराम नहीं मिलता. वो केले, ककड़ी, गाजर - सब नाकारा हो जाते हैं. और जब तू काम से शहर के बाहर जाता है तो .... मैं पागल सी हो जाती हूं बेटे. ये जो पिक्चर तू लाता है ना, उन्हें देख देख कर अब मेरा भी मन होता है किसी औरत के बदन से बदन लगाने का. अगर बहू ले आये तो दोनों काम हो जायेंगे."

"चलो, मेरी अम्मा को और कोई तो मिला प्यास बुझाने को पर क्या हुआ अम्मा, एकदम से कमला कैसे खयाल में आ गयी तेरे? ऐसी क्या खास बात है उसमें? या तेरी बुर कुलबुलाती है उसकी कमसिन जवानी देख कर,अब मेरे को पता चला है कि तेरा कोई भरोसा नहीं मां"

"खास बात है ना उसमें. हमारे यहां बहू लानी हो तो जरा देख भाल कर चुननी पड़ेगी बेटे. और कमला में वो सब बातें हैं. वो सुंदर तो है ही, जरा चालू चीज भी है. मार खा चुकी है अपनी मौसी से कई बार. असल में एक दो बार पकड़ी गयी थी वहां की नौकरानी चंपा के साथ कुछ कर रही थी."

"अच्छा! अब समझा. तो कल जैसी पिक्चर में हीरोइन बनने लायक है?"

"और क्या? पिछली बार जब मेरी ननद ने पकड़ा तो छत पर के कमरे में चंपा की टांगों के बीच मुंह दे कर बैठी थी बदमाश. तेरी चाची तो हाथ पैर ही तोड़ देती उसके, मैंने ही मना लिया कि शुकर करो किसी लड़के या मर्द के साथ मुंह काला नहीं किया. तब छोड़ा उसे. फ़िर भी कस के दो चार जड़ ही दिये थे उसको. रो रही थी तब मैंने ननद को नीचे भेजा और कमला को मना कर चुप किया. मुझे लिपट कर सहम कर बैठी ती बेचारी. मैंने तब हौले हौले उसकी छाती भी टटोल ली बेटे, छोटे छोटे हैं मम्मे पर एकदम अमरूद जैसे सख्त हैं, दबाने में मजा आयेगा"

"तेरे को या मेरे को?"

"दोनों को मेरे लाल. मैंने बात करके ये भी जान लिया कि उसको औरतें बहुत पसंद हैं, खास कर उमर में बड़े औरतें. तभी तो उस अधेड़ चंपा को दिल दे बैठी. अब वो घर आयेगी तो उसे मनाने में कोई मुश्किल नहीं होगी बेटे. मेरी सेवा करने को आसानी से मान जायेगी वो छोकरी. और उसे भी तो मैं सुख दूंगी."

"हां अम्मा, तू इतनी खूबसूरत है, किसी का भी मन डोल जायेगा."

अरे यही चिंता है मेरे को कि कमला को मैं कैसी लगूंगी. मोटी हो गयी हूं, थुलथुला बदन हो गया है मेरा."

"तो वो चंपा कहां विश्व सुंदरी है! मैंने देखा था पिछले साल जब गांव गया था. गिट्टी सी है, ये बड़े बड़े मम्मे हैं उसके और खाया पिया बदन है. वही तो राज है अम्मा तेरे रूप का, क्या माल भरा है तेरे बदन में, ये मोटे मोटे मम्मे, लटकते हुए, ये गोरी गोरी मोटी टांगें, वो कमला तो निछावर हो जायेगी तुझ पर अम्मा."

"सच कहता है बेटे? फ़िर बात चलाऊं?"

"जैसा तू ठीक समझे मां. पर वो छोकरी क्या सिर्फ़ तुझसे इश्क करेगी? मेरी मतलब है अम्मा कि वैसे मुझे तेरे सिवा और किसी की जरूरत नहीं है पर अगर खूबसूरत माल घर में ही आ जाये और वो भी हक का तो ... फ़िर मुंह मारने का मन तो होगा ना. वो लड़की कमला अपने सैंया को, एक मरद को - मुझे - मुंह मारने का मौका देगी या नहीं?"

"क्या बात करता है बेटे. आखिर तू उसका पति होगा. तुझे कैसे मना करेगी? और आखिर तू भी तो इतना सजीला नौजवान है. वो लड़की इस तरह की है मेरा मतलब है औरतों वाली फ़िर भी उसको इतनी तो समझ होगी कि पति की सेज तो उसे सजाना ही है. मैं भी समझा दूंगी. फ़िर बेटे, हम दोनों मिलकर उसे चोदा करेंगे. ये ध्यान रख कि वो अकेली है और हम दो हैं, जैसा चाहेंगे उस लड़की को करना पड़ेगा, ना करके जायेगी किधर? और एक बात बेटे ...."

"क्या अम्मा?"

"तेरे को गांड मारने का शौक है ना? मुझे हमेशा कहता है ना कि मैं रोज नहीं मरवाती! तू उसकी गांड मार लिया कर, चाहे तो सुबह शाम. मुझे थोड़ी राहत मिलेगी उस मुस्टंडे लंड से ... मेरे को सच में दुखता है बेटे"

"तेरी तो मैं जरूर मारूंगा मां, भले हफ़्ते में एक बार, ऐसी मोटी डनलोपिलो की गांड थोड़े होगी उसकी, बाकी मेरी कमला रानी को मेरा शौक सहना पड़ेगा. पर अम्मा, वो तैयार हो जायेगी? नखरा भी कर सकती है, आखिर औरत औरत वाले इश्क में तो गांड का तो कोई रोल ही नहीं है ना"

"उससे तुझे क्या करना, मैं तैयार करूंगी उसे. बेटे ऐसी लड़कियां ... मेरा मतलब है औरतों पर मरने वाली लड़कियां ... चुदाने में नखरा करती हैं अक्सर ... बुर चुसवाने में ज्यादा मजा आता है उन्हें ... इसलिये मैं कह दूंगी कि अगर चुदाई से बचना है तो गांड मरवा लिया कर. अगर नहीं मानेगी तो हाथ पैर मुंह बांध कर तेरे सामने डाल दूंगी, मारना उसकी जोर से ... थोड़ा रोयेगी धोयेगी शुरू में फ़िर मान जायेगी .... अखिर अपने पसंद की ऐसी ससुराल उसे कहां मिलेगी जो उसके असले इश्क का खयाल रखती हो?"

"और अपने पसंद की ऐसी मस्त सास उसे और कहां मिलेगी, है ना अम्मा? ... सच, मजा आ जायेगा अम्मा .... पर तेरी गांड भी मैं मारूंगा अम्मा... उसे नहीं छोड़ सकता."

"कहा ना, कभी कभी मार लिया कर, पर ज्यादा उसकी मारा कर जब मन चाहे."

"अम्मा, तेरा ये बेटा और बहू मिलकर तेरी सेवा किया करेंगे. जरा कल्पना कर कि मैं तुझे चोद रहा हूं और वो तुझे अपनी बुर का पानी पिला रही है. या तेरा बेटा तेरी गांड मार रहा है - अच्छा अच्छा नाराज मत हो तूने अभी कहा था कि तेरी ज्यादा न मारा करूं ... समझ ले मैं तेरी चूंचियां दबा कर तेरे मुंह में लंड देकर चुसवा रहा हूं और तेरी बहू तेरे सामने लेटकर अपनी जीभ से सास की बुर से पानी निकाल रही है. या जब मैं उसकी गांड मारा करूं, तू अपनी बुर से उसका मुंह बंद कर दिया कर ...."

"कैसा करता है रे ... गंदी गंदी बातें सुनाकर फ़िर से मुझे पानी छूटने लगा."
Reply
07-03-2018, 11:24 AM,
#26
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
"तो क्या हुआ अम्मा, आ जा बैठ जा मेरे मुंह पर. और देख ले, तेरा पानी पी कर फ़िर से तेरी गांड मारूंगा आज. मरवा और अपनी बहू के बारे में सोच. चल आ जा अम्मा ........."

"आती हूं मेरे लाल, आज तो मैं बहुत खुश हूं, ऐसे मौके पर तो मुंह मीठा करना चाहिये, वो बर्फ़ी ले आऊं?"

"बर्फ़ी वर्फ़ी कुछ नहीं अम्मा, देना हो तो तेरा दूध दे दे"

"अरे बार बार वही कहता है, अब दूध कैसे पिलाऊं तेरे को, और बहू आ रही है ना! दूध पिला देगी एक साल बाद!"

"उसकी तो फ़िर सोचूंगा, पर मां, सच में, मन नहीं मानता, तेरा दूध, तेरे बदन का ये रस पीने को इतना दिल करता है ... लंड साला पागल कर देता है"

"बेटा .... वो तू ... मेरा दूध पीने की बात करता है ना हरदम ? बुर का रस काफ़ी नहीं पड़ता तेरे को?"

"कहां अम्मा ... दूध पीने को मैं इसलिये बेताब हूं कि - बहुत मन होता है कि पेट भर के पियूं तेरे बदन का रस .... तेरी बुर का रस लाजवाब है पर बस दो तीन चम्मच ही मिलता है अम्मा. बस इसलिये बार बार दूध पिलाने को कहता हूं अम्मा "

"दूध अब कहां बेटे पर .... बेटे तुझे अपना .... मेरा मतलब है एक और बात है मेरे बदन में जो तुझे पेट भर के पिला सकती हूं...."

"क्या अम्मा, बोल ना ...."

"अरे कैसे बोलूं ... शरम आती है .... तुझे अच्छा ना लगे तो ... डर लगता है"

"अब बता ना अम्मा ... कुछ तो बोल"

"अरे अब क्या बोलूं ... इतनी देर देर तक कहां कहां मुंह लगाये रहता है मेरे बदन में ... उतनी देर में चाहे तो आरम से कई बार पेट भरके पी सकता है मेरा लाड़ला ..."

"मां ... तेरा मतलब वही है ना जो मैं समझ रहा हूं? तू यही कह रही है ना कि ..."

"हां बेटे .... मेरा मूत पियेगा?"

"अम्मा ... अम्मा तू सौ साल जिये ... तूने तो मेरे मन की बात कह दी .... एक दो हफ़्ते से मैं सोच रहा हूं, एक बार लगा कि जबरदस्ती तेरे साथ बाथरूम घुस जाऊं, फ़िर लगता था कि कैसे कहूं ... तुझे अटपटा ना लग जाये."

"बहुत आस है रे मेरे मन में .... हमेशा यही सोचती रहती हूं कि मेरा बेटा मां के बदन के रस के लिये तरस रहा है और मैं उसकी इतनी सी भी इच्छा पूरी नहीं कर सकती ... इतनी आस है तेरी कुछ पीने की अपने अम्मा के बदन से और .... और मैं कुछ नहीं कर रही हूं .... बोल बेटे .... पियेगा?"

"चल अम्मा, मूत दे मेरे मुंह में अभी यहीं पर .... आ जा अम्मा."
Reply
07-03-2018, 11:24 AM,
#27
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
"अरे पगला हो गया है क्या .... यहां नहीं ... छलक जायेगा .... पहली बार है ... चल बाथरूम में चल ... पर सोच ले मेरे लाल फ़िर से ... बाद में मौके पर पीछे हट जायेगा तो ... मैं नहीं सहन कर पाऊंगी बेटे"

"सोच लिया मां ... कब का सोच कर रखा है मैंने ... कर दे ना अम्मा यहीं पर, जल्दी पिला दे .... मुझसे नहीं रुका जाता अब"

"चल ना मेरे दिल के टुकड़े ... बाथरुम में, आज तो चल, अब तो हमेशा पिलाऊंगी बेटे, फ़िर कहीं भी पी लिया करना. तू नहीं जानता मेरे लाल, कितनी इच्छा होती है तुझे अपने बदन से .... तेरी हर प्यास बुझाने की मेरे बच्चे .....मैं तो निहाल हो जाऊंगी आज ..."

"चलो अम्मा .... और अम्मा आज मेरा यह लंड अब ऐसा खड़ा हो गया है कि रात भर मारूंगा आज तेरी ..... मां कसम .... तेरी कसम ... मार मार के आज फ़ुकला कर दूंगा तेरी गांड .... तेरे बदन का ये अमरित पी कर अम्मा .... ऐसा जोश चढे़आ है अम्मा मेरे लंड को सिर्फ़ उसके बारे में सोचने से ... तब जब पी लूंगा तो ये क्या करेगा .... आज तेरी गांड की खैर नहीं अम्मा"

"मार लेना बेटे ... कुछ महने की तो बात है, फ़िर बहू भी आ जायेगी मेरा दर्द कम करने को."

"मां ... एक बात तो बता . वो बहू को भी पिलायेगी क्या? वो पिक्चर जैसे?"

"और क्या? उसका भी तो हक है अपनी सास के बदन पर. मन में बात थी कब से मेरे, आज पिक्चर में देखा तो कल्पना करने लगी कि मेरी बहू है और मैं उसके मुंह में मूत रही हूं, बड़ा मजा आया बेटे, फ़िर सोचा कि सिर्फ़ बहू क्यों, मेरे बेटे को भी शायद मजा आये. इसलिये सोचा कि कह ही डालूं तुझे .... अब चल बेटे, तेरे मुंह में मूतूंगी तभी चैन आयेगा मुझे ... आ जा मेरे लाल .... आ जा."

"वो कमला पियेगी ना अम्मा?"

"पियेगी बेटा, झट से पियेगी, मैं पहचान गयी हूं उसको, बड़ी बदमाश छिनाल सी लड़की है, हर चीज करेगी वो ये मुझे यकीन है. और मान लो नहीं किया तो ... तो भी मैं इसे छोड़ने वाली नहीं बेटे ... मुश्कें बांध कर जबरदस्ती भी करनी पड़े तो करूंगी ... पर लगता है उसकी नौबत नहीं आयेगी"

"अम्मा, एक मेरे मन की भी बात सुन ले. ये तो शुरुआत है. तेरी गांड चूस रहा था ना अम्मा? बहुत मस्त स्वाद आता है अम्मा. उंगली से घी लगाने के बाद मैंने उंगली चूसी थी, मजा आ गया मां. अब सोच ले, सिर्फ़ पिलायेगी मुझे अपने बदन से या ...."

"या क्या बेटे? बोल ना?"

"खिलाने की नहीं सोची? सच मां, तेरे बदन से मैं खाना भी चाहता हूं."

"कैसी गंदी बात करता है रे .... नालायक ...."

"अब इसमें गंदा क्या है? आज मैंने नहीं कहा था कि लगता है तेरी गांड में मिठाई भर दूं और वहीं से खा लूं?"

"वो ... अच्छा उसकी बात कर रहा है ... मेरे को लगा ..."

"तुझे क्या लगा मां? बोल? बोल ना. अब गंदी बात कौन सोच रहा है?"

"चल बदमाश ... वैसे बुर में केला तो तू रोज डालता है और खाता है ..."

"बस वैसे ही केला गांड में डाल दूंगा ... वो पिछले हफ़्ते जब तू हलुआ बना रही थी मां ... और मैं वहीं खड़ा खड़ा तेरी गांड मार रहा था ... याद आया?"

"याद कैसे नहीं आयेगा मूरख ... वो कढ़ाई उलटते उलटते बची थी नालायक"

"बस उस दिन मन में आ गया कि अगर वो हलुआ तेरी गांड में भर दूं और वहां से खाऊं तो क्या मजा आयेगा"

"अच्छा ये बात है ... तभी एकदम से बीच में हुमक कर झड़ गया था ... मैं भी अचरज में पड़ गयी थी कि आज क्या हुआ नहीं तो आधे घंटे तक मारे बिना मेरे को नहीं छोड़ता कभी ... ओह ... ओह ... कैसी कैसी बातें करने लगा रे तू अब ... देख ये बुर फ़िर बहने लगी"

"बहेगी ही, आखिर मेरी चुदैल मां की बुर है! आखिर बेटे को खिलाने में किस मां को मजा नहीं आता मां? सोच ले, मैं इंतजार करूंगा मां."

"हां सोचूंगी मेरे लाल सोचूंगी, तू तो पागल है, पर अब चल ना, जल्दी चल बाथरूम में"

"चल अम्मा, उठा के ले चलता हूं."

समाप्त
Reply
07-03-2018, 11:24 AM,
#28
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
मेरी बहन की जवानी

दोस्तों मैं यानि राज शर्मा पेश कर रहा हूँ एक और नई कहानी मजा लीजिये
मेरी उमर इस समय १५ साल की हो गई थी, और मेरा भी सोलहवा साल चलने लगा था। गांव के स्कुल में ही पढाई-लिखाई चालु थी। हमारा एक छोटा सा खेत था। जीस पर पिताजी काम करते थे और मैं और मेरी बड़ी बहिन राखी ने कपडे साफ करने का काम संभाल रखा था। कुल मिला कर हम बहुत सुखी-संपन्न थे। और कीसी चीज की दिक्कत नही थी। मेरे से पहले कपडे साफ करने में, मेरी बड़ी बहिन का हाथ मेरी छोटी बहन बटाती थी। मगर अब मैं ये काम करता था। हम दोनो भाई बहिन हर हफ्ते में दो बार नदी पर जाते थे और सफाई करते थे। फिर घर आकर उन कपडो की ईस्त्री कर के, उन्हे गांव में वापस लौटा कर, फिर से पुराने, गन्दे कपडे इखट्टे कर लेते थे। हर बुधवार और शनिवार को सुबह ९ बजे के समय मैं और बहिन एक छोटे से गधे पर, पुराने कपडे लाद कर नदी की और निकल पडते। हम गांव के पास बहनेवाली नदी में कपडे ना धो कर गांव से थोडा दुर जा कर सुमसान जगह पर कपडे धोते थे। क्योंकि गांव के पास वाली नदी पर साफ पानी भी नही मिलता था, और डिस्टर्बन्स भी बहुत होता था।अब मैं जरा अपनी बहिन के बारे में बता दुं। वो ३४-३५ साल के उमर की एक बहुत सुंदर गोरी-चीट्टी औरत है। ज्यादा लंबी तो नही परंतु उसकी लंबाई ५ फूट ३ ईंच की है, और मेरी ५ फूट ७ ईंच की है। बहिन देखने मे बहुत सुंदर है।बहिन के सुंदर होने के कारण गांव के लोगो की नजर भी उसके उपर रहती होगी, ऐसा मैं समझता हुं। और शायद इसी कारण से वो कपडे धोने के लिये सुम-सान जगह पर जाना ज्यादा पसंद करती थी। सबसे आकर्षक उसके मोटे-मोटे चुतड और नारीयल के जैसे स्तन थे। जो की ऐसे लगते थे, जैसे की ब्लाउस को फाड के नीकल जायेन्गे और भाले की तरह से नुकिले थे। उसके चुतड भी कम सेक्षी नही थे। और जब वो चलती थी तो ऐसे मटकते थे की देखने वाले, उसकी हिलती गांड को देख कर हिल जाते थे। पर उस वक्त मुझे इन बातो का कम ही ग्यान था। फिर भी थोडा बहुत तो गांव के लडको के साथ रहने के कारण पता चल ही गया था। और जब भी मैं और बहिन कपडे धोने जाते तो मैं बडी खुशी के साथ कपडे धोने उसके साथ जाता था।

जब राखी , कपडे को नदी के किनारे धोने के लिये बैठती थी, तब वो अपनी साडी और पेटिकोट को घुटनो तक उपर उठा लेती थी और फिर पिछे एक पत्थर पर बैठ कर आराम से दोनो टांगे फैला कर जैसा की औरते पेशाब करते वक्त करति है, कपडो को साफ करती थी। मैं भी अपनी लुन्गी को जांघ तक उठा कर कपडे साफ करता रहता था। इस स्थिति मे राखी की गोरी-गोरी टांगे, मुझे देखने को मिल जाती थी और उसकी साडी भी सिमट कर उसके ब्लाउस के बीच मे आ जाती थी और उसके मोटे-मोटे चुंचो के, ब्लाउस के पर से दर्शन होते रहते थे। कई बार उसकी साडी जांघो के उपर तक उठ जाती थी और ऐसे समय, मे उसकी गोरी-गोरी, मोटी-मोटी केले के तने जैसी चिकनी जांघो को देख कर मेरा लंड खडा हो जाता था। मेरे मन मे कई सवाल उठने लगते। फिर मैं अपना सिर झटक कर काम करने लगता था। मैं और बहिन कपडो की सफाई के साथ-साथ तरह-तरह की गांव भर की बाते भी करते जाते। कई बार हमे उस सुम-सान जगह पर ऐसा कुछ् दीख जाता था जीसको देख के हम दोनो एक दुसरे से अपना मुंह छुपाने लगते थे। कपडे धोने के बाद हम वहीं पर नहाते थे, और फिर साथ लाया हुआ खाना खा, नदी के किनारे सुखाये हुए कपडे को इकट्ठा कर के घर वापस लौट जाते थे। मैं तो खैर लुन्गी पहन कर नदी के अंदर कमर तक पानी में नहाता था, मगर राखी नदी के किनारे ही बैठ कर नहाती थी। नहाने के लिये राखी सबसे पहले अपनी साडी उतारती थी फिर अपने पेटिकोट के नाडे को खोल कर, पेटिकोट उपर को सरका कर अपने दांत से पकड लेती थी। इस तरीके से उसकी पीठ तो दिखती थी मगर आगे से ब्लाउस पुरा ढक जाता था। फिर वो पेटिकोट को दांत से पकडे हुए ही अंदर हाथ डाल कर अपने ब्लाउस को खोल कर उतारती थी और फिर पेटिकोट को छाती के उपर बांध देती थी। जीससे उसके चुंचे पुरी तरह से पेटिकोट से ढक जाते थे, कुछ भी नजर नही आता था, और घुटनो तक पुरा बदन ढक जाता था। फिर वो वहीं पर नदी के किनारे बैठ कर, एक बडे से जग से पानी भर-भर के पहले अपने पुरे बदन को रगड-रगड कर साफ करती थी और साबुन लगाती थी, फिर नदी में उतर कर नहाती थी। राखी की देखा-देखी, मैने भी पहले नदी के किनारे बैठ कर अपने बदन को साफ करना सुरु कर दीया, फिर मैं नदी में डुबकी लगा के नहाने लगा। मैं जब साबुन लगाता तो अपने हाथो को अपनी लुन्गी में घुसा के पुरे लंड और गांड पर चारो तरफ घुमा-घुमा के साबुन लगा के सफाई करता था। क्योंकि मैं भी राखी की तरह बहुत सफाई पसंद था। जब मैं ऐसा कर रहा होता तो मैने कई बार देखा की राखी बडे गौर से मुझे देखती रहती थी, और अपने पैर की एडीयां पत्थर पर धीरे-धीरे रगड के साफ करती होती। मैं सोचता था वो शायद इसलिये देखती है की, मैं ठीक से सफाई करता हुं या नही। इसलिये मैं भी बडे आराम से खूब दीखा-दीखा के साबुन लगाता था की कहीं डांट ना सुनने को मिल जाये की, ठीक से साफ-सफाई का ध्यान नही रखता हुं मैं। मैं अपनी लुन्गी के भितर पुरा हाथ डाल के अपने लौडे को अच्छे तरीके से साफ करता था। इस काम में मैने नोटिस किया की, कई बार मेरी लुन्गी भी इधर-उधर हो जाती थी। जीस से राखी को मेरे लंड की एक-आध झलक भी दीख जाती थी। जब पहली बार ऐसा हुआ, तो मुझे लगा की शायद राखी डांटेगी, मगर ऐसा कुछ नही हुआ। तब निश्चींत हो गया, और मजे से अपना पुरा ध्यान साफ सफाई पर लगाने लगा।
Reply
07-03-2018, 11:24 AM,
#29
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
राखी की सुंदरता देख कर मेरा भी मन कई बार ललचा जाता था। और मैं भी चाहता था की मैं उसे सफाई करते हुए देखुं। पर वो ज्यादा कुछ देखने नही देती थी और घुटनो तक की सफाई करती थी, और फिर बडी सावधानी से अपने हाथो को अपने पेटिकोट के अंदर ले जा कर अपनी छाती की सफाई करती। जैसे ही मैं उसकी ओर देखता तो, वो अपना हाथ छाती में से निकाल कर अपने हाथो की सफाई में जुट जाती थी। इसलिये मैं कुछ नही देख पाता था और चुंकि वो घुटनो को मोड के अपनी छाती से सटाये हुए होती थी, इसलिये पेटिकोट के उपर से छाती की झलक मिलनी चाहीए, वो भी नही मिल पाती थी। इसी तरह जब वो अपने पेटिकोट के अंदर हाथ घुसा कर अपनी जांघो और उसके बीच की सफाई करती थी। ये ध्यान रखती की मैं उसे देख रहा हुं या नही। जैसे ही मैं उसकी ओर घुमता, वो झट से अपना हाथ नीकाल लेती थी, और अपने बदन पर पानी डालने लगती थी। मैं मन-मसोस के रह जाता था। एक दिन सफाई करते-करते राखी का ध्यान शायद मेरी तरफ से हट गया था। और बडे आराम से अपने पेटिकोट को अपने जांघो तक उठा के सफाई कर रही थी। उसकी गोरी, चीकनी जांघो को देख कर मेरा लंड खडा होने लगा और मैं, जो की इस वक्त अपनी लुन्गी को ढीला कर के अपने हाथो को लुन्गी के अंदर डाल कर अपने लंड की सफाई कर रहा था, धीरे-धीरे अपने लंड को मसलने लगा। तभी अचानक राखी की नजर मेरे उपर गई, और उसने अपना हाथ नीकाल लिया और अपने बदन पर पानी डालती हुइ बोली,
" क्या कर रहा है ? जल्दी से नहा के काम खतम कर। "
मेरे तो होश ही उड गये, और मैं जल्दी से नदी में जाने के लिये उठ कर खडा हो गया, पर मुझे इस बात का तो ध्यान ही नही रहा की मेरी लुन्गी तो खुली हुइ है, और मेरी लुन्गी सरसराते हुए नीचे गीर गई। मेरा पुरा बदन नन्गा हो गया और मेरा ८।५ ईंच का लंड जो की पुरी तरह से खडा था, धूप की रोशनी में नजर आने लगा। मैने देखा की राखी एक पल के लिये चकित हो कर मेरे पुरे बदन और नन्गे लंड की ओर देखती रह गई। मैने जल्दी से अपनी लुन्गी उठाइ और चुप-चाप पानी में घुस गया। मुझे बडा डार लग रहा था की अब क्या होगा। अब तो पक्की डांट पडेगी। मैने कनखियों से आभा की ओर देखा तो पाया की वो अपने सिर को नीचे कीये हल्के-हल्के मुस्कुरा रही है। और अपने पैरो पर अपने हाथ चला के सफाई कर रही है। मैने राहत की सांस ली। और चुप-चाप नहाने लगा। उस दिन हम ज्यादातर चुप-चाप ही रहे। घर वापस लौटते वक्त भी राखी ज्यादा नही बोली। दुसरे दिन से मैने देखा की राखी , मेरे साथ कुछ ज्यादा ही खुल कर हंसी मजाक करती रहती थी, और हमारे बीच डबल मीनींग (दोहरे अर्थो) में भी बाते होने लगी थी। पता नही राखी को पता था या नही पर मुझे बडा मजा आ रहा था। मैने जब भी किसी के घर से कपडे ले कर वापस लौटता तो राखी बोलती,
"क्यों, रधिया के कपडे भी लाया है धोने के लिये, क्या ?"
तो मैं बोलता, "हां ।",
इस पर वो बोलती,
"ठीक है, तु धोना उसके कपडे बडा गन्दा करती है। उसकी सलवार तो मुझसे धोई नही जाती।"
फिर् पुछती थी,
"अंदर के कपडे भी धोने के लिये दिये है, क्या ?"
अंदर के कपडो से उसका मतलब पेन्टी और ब्रा या फिर अंगिया से होता था। मैं कहता, " नही. ", तो इस पर हसने लगती और कहती,
"तु लडका है ना, शायद इसलिये तुझे नही दिये होन्गे, देख अगली बार जब मैं मांगने जाउन्गी, तो जरुर देगी।"
फिर, अगली बार जब वो कपडे लाने जाती तो सच-मुच में, वो उसकी पेन्टी और अंगिया ले के आती थी और बोलती,
"देख, मैं ना कहती थी की, वो तुझे नही देगी और मुझे दे देगी, तु लडका है ना, तेरे को देने में शरमाती होगी, फिर तु तो अब जवान भी हो गया है।"
मैं अन्जान बना पुछता की क्या देने में शरमाती है रधिया, तो मुझे उसकी पेन्टी और ब्रा या अंगिया फैला कर दिखाती और मुस्कुराते हुए बोलती,
"ले, खुद ही देख ले।"
इस पर मैं शरमा जाता और कनखियों से देख कर मुंह घुमा लेता तो, वो बोलती,
"अरे, शरमाता क्यों है ?, ये भी तेरे को ही धोना पडेगा।",
कह के हसने लगती।
हालांकि, सच में ऐसा कुछ नही होता और ज्यादातर मर्दो के कपडे मैं और औरतों के आभा ही धोया करती थी। क्योंकि, उस में ज्यादा मेहनत लगती थी। पर पता नहीं क्यों राखी , अब कुछ दिनो से इस तरह की बातों में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगी थी। मैं भी चुप-चाप उसकी बातें सुनता रहता और मजे से जवाब देता रहता था। जब हम नदी पर कपडे धोने जाते तब भी मैं देखता था की, मां, अब पहले से थोडी ज्यादा खुले तौर पर पेश आती थी। पहले वो मेरी तरफ पीठ करके अपने ब्लाउस को खोलती थी, और पेटिकोट को अपनी छाती पर बांधने के बाद ही मेरी तरफ घुमती थी। पर अब वो इस पर ध्यान नही देती, और मेरी तरफ घुम कर अपने ब्लाउस को खोलती और मेरे ही सामने बैठ कर मेरे साथ ही नहाने लगती। जबकि पहले वो मेरे नहाने तक इन्तेजार करती थी और जब मैं थोडा दूर जा के बैठ जाता, तब पुरा नहाती थी।
Reply
07-03-2018, 11:25 AM,
#30
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
मेरे नहाते वक्त उसका मुझे घुरना बा-दस्तूर जारी था। मुझ में भी अब हिम्मत आ गई थी और मैं भी, जब वो अपनी छातियों की सफाई कर रही होती तो उसे घुर कर देखता रहता। राखी भी मजे से अपने पेटिकोट को जांघो तक उठा कर, एक पत्थर पर बैठ जाती, और साबुन लगाती, और ऐसे एक्टींग करती जैसे मुझे देख ही नही रही है। उसके दोनो घुटने मुडे हुए होते थे, और एक पैर थोडा पहले आगे पसारती और उस पर पुरा जांघो तक साबुन लगाती थी। फिर पहले पैर को मोडे कर, दुसरे पैर को फैला कर साबुन लगाती। पुरा अंदर तक साबुन लगाने के लिये, वो अपने घुटने मोडे रखती और अपने बांये हाथ से अपने पेटिकोट को थोडा उठा के, या अलग कर के दाहिने हाथ को अंदर डाल के साबुन लगाती। मैं चुंकि थोडी दुर पर उसके बगल में बैठा होता, इसलिये मुझे पेटिकोट के अंदर का नजारा तो नही मिलता था। जीसके कारण से मैं मन-मसोस के रह जाता था कि, काश मैं सामने होता। पर इतने में ही मुझे गजब का मजा आ जाता था। उसकी नन्गी, चीकनी-चीकनी जांघे उपर तक दीख जाती थी। राखी अपने हाथ से साबुन लगाने के बाद बडे मग को उठा के उसका पानी सीधे अपने पेटिकोट के अंदर डाल देती और दुसरे हाथ से साथ ही साथ रगडती भी रहती थी। ये इतना जबरदस्त सीन होता था की मेरा तो लंड खडा हो के फुफकारने लगता और मैं वहीं नहाते-नहाते अपने लंड को मसलने लगता। जब मेरे से बरदास्त नही होता तो मैं सीधा नदी में, कमर तक पानी में उतर जाता और पानी के अंदर हाथ से अपने लंड को पकड कर खडा हो जाता, और राखी की तरफ घुम जाता। जब वो मुझे पानी में इस तरह से उसकी तरफ घुम कर नहाते देखती तो मुस्कुरा के मेरी तरफ् देखती हुई बोलती,
"ज्यादा दुर मत जाना, किनारे पर ही नहा ले। आगे पानी बहुत गहरा है।"
मैं कुछ नही बोलता और अपने हाथो से अपने लंड को मसलते हुए नहाने की एक्टींग करता रहता। इधर राखी मेरी तरफ देखती हुइ, अपने हाथो को उपर उठा-उठा के अपनी कांख की सफाई करती। कभी अपने हाथो को अपने पेटिकोट में घुसा के छाती को साफ करती, कभी जांघो के बीच हाथ घुसा के खुब तेजी से हाथ चलाने लगती, दुर से कोई देखे तो ऐसा लगेगा के मुठ मार रही है, और शायद मारती भी होगी। कभी-कभी, वो भी खडे हो नदी में उतर जाती और ऐसे में उसका पेटिकोट, जो की उसके बदन से चीपका हुआ होता था, गीला होने के कारण मेरी हालत और ज्यादा खराब कर देता था। पेटिकोट चीपकने के कारण उसकी बडी-बडी चुचियां नुमायां हो जाती थी। कपडे के उपर से उसके बडे-बडे, मोटे-मोटे निप्पल तक दीखने लगते थे। पेटिकोट उसके चुतडों से चीपक कर उसकी गांड की दरार में फसा हुआ होता था, और उसके बडे-बडे चुतड साफ-साफ दीखाई देते रहते थे। वो भी कमर तक पानी में मेरे ठीक सामने आ के खडी हो के डुबकी लगाने लगती और मुझे अपने चुचियों का नजारा करवाती जाती। मैं तो वहीं नदी में ही लंड मसल के मुठ मार लेता था। हालांकि मुठ मारना मेरी आदत नही थी। घर पर मैं ये काम कभी नही करता था, पर जब से राखी के स्वभाव में परिवर्तन आया था, नदी पर मेरी हालत ऐसी हो जाती थी की, मैं मजबुर हो जाता था। अब तो घर पर मैं जब भी ईस्त्री करने बैठता, तो मुझे बोलती,
"देख, ध्यान से ईस्त्री करियो। पिछली बार श्यामा बोल रही थी की, उसके ब्लाउस ठीक से ईस्त्री नही थे।"
मैं भी बोल पडता,
"ठीक है, कर दुन्गा। इतना छोटा-सा ब्लाउस तो पहनती है, ढंग से ईस्त्री भी नही हो पाती। पता नही कैसे काम चलाती है, इतने छोटे-से ब्लाउस में ?"
तो राखी बोलती,
"अरे, उसकी छातियां ज्यादा बडी थोडे ही है, जो वो बडा ब्लाउस पहनेगी, हां उसकी सांस के ब्लाउस बहुत बडे-बडे है। बुढीया की छाती पहाड जैसी है।"
कह कर आभा हसने लगती। फिर मेरे से बोलती,
"तु सबके ब्लाउस की लंबाई-चौडाई देखता रहता है, क्या ? या फिर ईस्त्री करता है।"
मैं क्या बोलता, चुप-चाप सिर झुका कर ईस्त्री करते हुए धीरे से बोलता,
"अरे, देखता कौन है ?, नजर चली जाती है, बस।"
ईस्त्री करते-करते मेरा पुरा बदन पसीने से नहा जाता था। मैं केवल लुन्गी पहने ईस्त्री कर रहा होता था। राखी मुझे पसीने से नहाये हुए देख कर बोलती,
"छोड अब तु कुछ आराम कर ले, तब तक मैं ईस्त्री करती हुं."
राखी ये काम करने लगती। थोडी ही देर में उसके माथे से भी पसीना चुने लगता और वो अपनी साडी खोल कर एक ओर फेंक देती और बोलती,
"बडी गरमी है रे, पता नही तु कैसे कर लेता है, इतने कपडो की ईस्त्री,,? मेरे से तो ये गरमी बरदास्त नही होती।"
इस पर मैं वहीं पास बैठा उसके नन्गे पेट, गहरी नाभी और मोटे चुंचो को देखता हुआ बोलता,
"ठंडी कर दुं, तुझे ?"
"कैसे करेगा ठंडी ?"
"डण्डेवाले पंखे से। मैं तुझे पंखा झाल देता हुं, फेन चलाने पर तो ईस्त्री ही ठंडी पड जायेगी।"
"रहने दे, तेरे डण्डेवाले पंखे से भी कुछ नही होगा, छोटा-सा तो पंखा है तेरा।",
कह कर अपने हाथ उपर उठा कर, माथे पर छलक आये पसीने को पोंछती तो मैं देखता की उसकी कांख पसीने से पुरी भीग गई है, और उसकी गरदन से बहता हुआ पसीना उसके ब्लाउस के अंदर, उसकी दोनो चुचियों के बीच की घाटी मे जा कर, उसके ब्लाउस को भीगा रहा होता।
घर के अंदर, वैसे भी वो ब्रा तो कभी पहनती नही थी। इस कारण से उसके पतले ब्लाउस को पसिना पुरी तरह से भीगा देता था और, उसकी चुचियां उसके ब्लाउस के उपर से नजर आती थी। कई बार जब वो हल्के रंग का ब्लाउस पहनी होती तो उसके मोटे-मोटे भुरे रंग के निप्पल नजर आने लगते। ये देख कर मेरा लंड खडा होने लगता था। कभी-कभी वो ईस्त्री को एक तरफ रख के, अपने पेटिकोट को उठा के पसीना पोंछने के लिये अपने सिर तक ले जाती और मैं ऐसे ही मौके के इन्तेजार में बैठा रहता था। क्योंकि इस वक्त उसकी आंखे तो पेटिकोट से ढक जाती थी, पर पेटिकोट उपर उठने के कारण उसकी टांगे पुरी जांघ तक नन्गी हो जाती थी, और मैं बिना अपनी नजरों को चुराये उसकी गोरी-चीट्टी, मखमली जांघो को तो जी भर के देखता था।
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,468,436 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 540,747 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,218,852 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 921,647 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,634,654 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,065,295 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,924,792 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,970,542 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,998,341 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,781 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 16 Guest(s)