vasna kahani चाहत हवस की
12-20-2018, 01:24 AM,
#21
RE: vasna kahani चाहत हवस की
''तो अजय ने कौन से मेरी चूत कभी चाटी है, वो तो बस अपना लण्ड चुसवाता है, और फ़िर एक झटके में मेरी चूत में घुसा देता है, मेरा भी ये पहला एक्स्पीरियेंस होगा, चलो एक साथ सीखेंगे,'' दीदी ने समझाते हुए कहा। 

''ओके ठीक है, लेकिन आप कहाँ करवाना चाहोगी?"

''मेरे रूम में,'' दीदी ने जवाब दिया, और फ़िर खड़े होकर अपने रूम की तरफ़ चल दीं। मैं दीदी के पीछे पीछे चल दिया, मेरा लण्ड बॉक्सर में फ़ुँकार मार रहा था। 

जैसे ही हम दोनों दीदी के रूम में पहुँचे, दीदी ने मुझे कपड़े उतारकर बैड पर लेट जाने को कहा। मैं तो जैसे दिवास्वप्न में था, मैंने झट से अपने कपड़े उतार दिये, मैं नहीं चाहता था कि कहीं दीदी का मूड चेंज हो जाये। 

दीदी ने बैड पर चढते हुए अपने भाई के मोटे लम्बे लण्ड को देखा, और फ़िर मेरे पैरों के बीच आ कर बैठ गयी। फ़िर मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर, थोड़ा झुकते हुए मेरे लण्ड के सुपाड़े को चाटने लगी। दीदी ने जैसे ही लण्ड चूसना शुरू किया, मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी। मैं दीदी को अपना पूरा मुँह खोलते हुए मेरे लण्ड का सुपाड़ा अंदर ले जाते हुए देख रहा था। दीदी किसी भूखी शेरनी की तरह मेरे लण्ड के सुपाड़े को चूस रही थी, और मेरे पूरे बदन में आनंद की लहर सी दौड़ रही थी। 

दीदी थोड़ा और झुकते हुए लण्ड को और ज्यादा अपने मुँह में अंदर लेने का प्रयास करने लगी। दीदी का पूरा मुँह मेरे लण्ड से भरा हुआ था, लेकिन फ़िर भी दीदी को लण्ड का निचला हिस्सा पकड़ने के लिये काफ़ी हिस्सा बचा हुआ था। दीदी उसको पकड़ कर हिला रही थी, और मैंने दीदी के मुँह में झटके मारने शुरू कर दिये थे। मेरे लण्ड का सुपाड़ा दीदी के गले से जाकर टकरा रहा था। दीदी के गले में घुटन हो रही थी, दीदी ने एक पल के लिये लण्ड को बाहर निकाल दिया, और मेरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक अपने हाथ से थूक से गीला और चिकना करने लगी। 

''विशाल तुम्हारा लण्ड वाकई में बहुत बड़ा है,'' दीदी ने मुझसे कहा। ''इसको तो कोई भी लड़की पूरा अपने मुँह में नहीं ले सकती।''

दीदी ने फ़िर से सुपाड़े पर जीभ फ़िराते हुए, मेरे लण्ड के निचले हिस्से को चूसना शुरू कर दिया। हर झटके के साथ मेरा लण्ड दीदी के मुँह में और अंदर चला जाता। 

दीदी अपने थूक से मेरे लण्ड की पूरी लम्बाई तक गीला कर रही थी, और एक हाथ से उसकी मुट्ठ भी मार रही थी।कुछ देर बाद मैं गुर्राने और कराहने लगा, मैंने अपने लण्ड को दीदी के मुँह मे एक बार जोर से पेला और मेरे वीर्य के पानी का ज्वालामुखी दीदी के मुँह में फ़ूट गया। 


मेरे लण्ड ने इतना सारा वीर्य का पानी निकाला था कि गिफ़्टी दीदी का पूरा मुँह गले तक भर गया, और बाहर निकल कर दीदी की ठोड़ी पर टपकने लगा। जैसे ही दीदी ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में से बाहर निकाला, मेरे लण्ड की अगली पिचकारी दीदी के माथे पर गिरी, और फ़िर अगली उनकी ठोड़ी पर, और दीदी के हाथ पर होते हुए वीर्य मेरे लण्ड पर टपकने लगा। जितना वीर्य का पानी दीदी के मुँह में था दीदी ने एक घूँट में अंदर निगल लिया। 

दीदी हँसते हुए बोली, ''ये सब क्या है, विशाल, इतना सारा पानी?" मैंने दीदी से पूछा, ''आप ठीक तो हो ना दीदी?" दीदी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ''मुझे अंदाजा नहीं था कि तुम मेरा पूरा मुँह ही पानी से भर दोगे, चलो अब मैं बाथरूम में साफ़ कर के आती हूँ, उसके बाद तुम मेरी चाट लेना।'' दीदी भाग कर बाथरूम में घुस गयी, और बाथरूम के शीशे में अपने चेहरे को मेरे वीर्य के पानी से पूरी तरह गीला हुआ देखकर ये सोचकर हँसने लगी कि अगर मम्मी उसको इस हाल में अपने छोटे भाई के वीर्य के पानी से भीगा हुए देख लें तो वो क्या कहेंगी। दीदी फ़टाफ़ट अपना चेहरा फ़ेसवॉश से, और अपनी चूत पानी से धोकर जल्दी से अपने कमरे में आ गयी। 

कमरे में आते ही दीदी ने अपने सारे कपड़े उतार दिये, और मादरजात नंगी होकर बैड पर लेट गयी। मेरी नजर दीदी का पीछा कर रही थी, दीदी ने बैड पर लेटकर अपनी टाँग़ें चौड़ी कर के फ़ैला दीं। मैं अचरज से दीदी की चूत के खजाने को देख रहा था। दीदी अपनी चूत अपने छोटे भाई के सामने खोल के बैड पर लेटे हुए मुझे प्रदर्शित कर रही थी, और मैं दीदी के यौनांगों को निहार रहा था। मैंने दीदी की चूत के छेद पर एक ऊँगली ऊपर से नीचे तक फ़िरायी, और फ़िर उस ऊँगली को दीदी की चूत के रस में भोगोकर, उस उँग़ली को अपने होंठों पर लाकर टेस्ट करने लगा। 

मुझे ऐसा करते हुए देखकर दीदी ने पूछा, ''अच्छा लगा विशाल?"

मैंने मुस्कुराते हुए हामी में गर्दन हिला दी, और दीदी की चूत को जीभ से चाटने के लिये नीचे झुकने लगा। 

''हाँ चलो अब शुरू हो जाओ,'' दीदी ने आदेशात्मक लहजे में कहा। जब मैं दीदी की चूत पर जीभ फ़िरा रहा था तो दीदी मुझे बताती जा रही थी कि कहाँ उनको मजा आ रहा था और कहाँ नहीं। मैंने दीदी की चूत के छेद में जीभ घुसा दी और फ़िर जीभ को अंदर घुमाने लगा, और चूत के हर अंदरूनी हिस्से को चूसने चाटने लगा, और उत्तेजित होकर दीदी की चूत से मस्त लिसलिसा पानी बाहर बहने लगा। 

दीदी ने अपने दोनों हाथों से चूत की फ़ाँकों को अलग कर अपने छोटे भाई के सामने खोलते हुए, ऊपरी हिस्से पर चूत के दाने को दिखाते हुए बोली, ''यहाँ पर इसको चाटो,'' और जैसे ही मैंने अपनी जीभ दीदी की चूत के दाने पर रखी, दीदी चिहुँकते हुए बोली, ''हाँ ऐसे ही इसको ऊपर से, और आस पास ऐसे ही चाटते रहो।''

जैसा दीदी कह रही थी, मैं उनके हर आदेश का पालन कर रहा था, और अपनी जीभ से दीदी ने जो चूत का का जो मस्त दाना दिखाया था उसको चूस और चाट रहा था। कुछ ही समय बाद दीदी मस्त होकर कराहते हुए सिसकने लगी, और झड़ने के करीब पहुँचते हुए बैड पर लेटे हुए मचलने लगी। 

''ओह, विशाल जोर से, और जोर से करो, यहीं पर और जोर से, हे भगवान, हाँ ऐसे ही!" गिफ़्टी दीदी झड़ते हुए बड़बड़ाये जा रही थी। और फ़िर दीदी ने मेरे सिर को धक्का मार के दूर कर दिया, क्योंकि मैं उनकी चूत को चाटे ही जा रहा था। दीदी निढाल होकर बैड पर लेटी हुई थी, और इतना अच्छी तरह झड़ने के लिये अपने छोटे भाई को थैन्क्स बोल रही थी। इतनी अच्छी तरह तो अजय जीजू ने कभी उनकी चूत को नहीं चाटा था। जब मैं उनके रूम से बाहर जाने लगा, तो उन्होने मुझे अपनी पैण्टी उठाकर देने को कहा, और वेट करने को कहा। मैंने जमीन पर पड़ी उनकी पैण्टी को उठाकर उनकी तरफ़ फ़ेंक दिया। 

गिफ़्टी दीदी ने बैड से उतरकर खड़े होकर, और कॉटन की पैण्टी को पहनते हुए ऊपर खींचना शुरु कर दिया। और दीदी ने पैण्टी को इस कदर ऊपर टाईट खींच लिया कि उनकी पैण्टी से चूत का कैमल-टो साफ़ नजर आ रहा था। पैण्टी के कपड़े ने उसकी चूत की फ़ाँकों को कस कर जकड़ रखा था। दीदी की पैण्टी में कसी उनकी चूत को देखकर मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा होना शुरू हो गया था। और फ़िर दीदी ने अपना एक हाथ अपनी चूत पर ले जाकर उसकी एक उँगली अपनी गीली चूत में घुसा ली।


मैं अपने लण्ड को पकड़ कर हिलाने लगा, गिफ़्टी दीदी मुस्कुराई और फ़िर उन्होने फ़िर से अपनी पैण्टी को उतार दिया। मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, तभी दीदी ने पैण्टी को मेरी तरफ़ फ़ेंक दिया। 

''तुम मेरे छोटे भाई हो, तुमको अब हैम्पर से मेरी पैण्टी उठाने की कोई जरूरत नहीं है, अपने रूम में जाकर मजे करो अपनी दीदी की पैण्टी के साथ। चाहे जो कर लेना लेकिन अपने पानी से पैण्टी को गंदा मत करना। ये कहते हुए दीदी ने ड्रॉवर से एक नयी पैण्टी और जीन्स निकाल कर पहन ली, और मुझे वहाँ से दफ़ा होने का इशारा किया। 


रात में खाना खाने के बाद, अपने कमरे में बैड पर लेटे हुए गिफ़्टी दीदी दोपहर में अपने छोटे भाई के साथ जो मजे किये थे, उसके बारे में सोच रही थीं। दीदी फ़िर से चुदासी हो गयी थी, और उनका फ़िर थोड़ा और मजा करने का मूड बन गया। दीदी ने घड़ी की तरफ़ देखा रात का एक बज रहा था। उन्होने सोचा कि अब तक तो बाकी सब सो गये होंगे, और वो अपने बैड से उठकर सीधे अपने छोटे भाई के रूम की तरफ़ चल दी। दीदी ने मेरे रूम में घुसकर उसके डोर को सटकनी लगा कर बंद कर लिया, और मेरे बैड के पास आ गयी। मैं अपने पेट के बल औंधा सो रहा था, दीदी ने मेरे ओढे हुए चादर को मेरे पैरों और बॉक्सर के ऊपर से हल्के से हटा दिया, वो नहीं चाहती थी कि मैं जाग जाऊँ। मैं थोड़ा कसमसाया लेकिन जागा नहीं था। दीदी ने बॉक्सर के बटन खोलकर मेरे लण्ड को धीमे से बाहर निकाल लिया, और बैड का सहारा लेकर झुकते हुए मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरकर चूसने लगी। जैसे ही मेरा लण्ड खड़ा होने लगा, मैं नींद में ही कराहने लगा। 

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12-20-2018, 01:24 AM,
#22
RE: vasna kahani चाहत हवस की
उस वक्त फ़िर मैं नींद से जाग गया, और अपनी कमर के निचले हिस्से में आनंद की अनुभूति मेहसूस होने लगी। अधखुली आँखों से मैंने देखने का प्रयास किया कि आखिर हो क्या रहा है, फ़िर कुछ देर बार मैं समझा कि गिफ़्टी दीदी मेरे रूम में आकर मेरा लण्ड चूस रही थी! मैं बिना कुछ बोले चुपचाप मजे लेने लगा। 

गिफ़्टी दीदी अपने सिर को ऊपर नीचे कर रही थी, और मेरे लण्ड को थूक लगाकर चिकना कर रही थी, और दोपहर की तरह जैसे मैंने ओरल सैक्स किया था, उस की कल्पना कर रही थी। दीदी ने मेरे टट्टों को एक हाथ में भर लिया, और दूसरे हाथ से लण्ड को पूरी लम्बाई से पकड़कर मुठियाते हुए मुझे झाड़ने का प्रयत्न करने लगी। और जब मेरे लण्ड से पानी निकला, तो दीदी ने पुरा उसको चाट कर साफ़ कर दिया, और अपने मुँह के अंदर निगल गयी। 

और फ़िर खड़े होकर बाहर जाने से पहले वो मेरे सिरहाने के पास आयी, और उन्होने बस ''गुडनाईट विशाल,'' बोला और बाहर निकल गयी। 


जब दीदी मेरे बैडरूम से बाहर निकल अपने रुम की तरफ़ जा रही थी, तो मैं धीमे से बोला, ''ये तो वाकई में गुडनाईट है।'' मैं बैड पर लेटे लेटे दीदी की इस हरकत के बारे में सोचकर अचम्भित हो रहा था। मैं सोच भी नहीं सकता था कि दीदी ऐसा रण्डीपना भी कर सकती है, और वो भी जब कि वो शादीशुदा थी और अजय जीजू का लण्ड अनेकों बार चूस चुकी होंगी।

अगली दोपहर जब घर पर कोई नहीं था, तब दीदी ने मेरे रूम का डोर खटखटाया, और मेरे कहने पर अंदर आ गयी। उस वक्त मैं डैस्क्टॉप कम्प्यूटर पर बैठा हुआ था, दीदी ने मुझसे पूछा कि मैं क्या कर रहा हूँ। 

''बस वैसे ही टाईमपास नैट सर्फ़िंग कर रहा हूँ,'' मैंने जवाब दिया। 

''कुछ इन्टेरेस्टिंग मिला क्या?" दीदी मेरे पास आते हुए बोली, उनकी नजर मेरे बॉक्सर में बने तम्बू पर थी। उन्होने पास आते हुए, कम्प्यूटर पर एक मैसेज विन्डो खुली हुई देखी। 

''कुछ नही, बस कुछ पॉर्न,'' मैं हँसते हुए शर्माकर बोला।

''ये हॉर्नीलेडी कौन है?" जैसे ही मैंने विन्डो बंद की, दीदी ने पूछा।

''कुछ नहीं किसी औरत ने कल रात मुझे मैसेज किया था।''

''ओह, कोई औरत? और नाम भी ऐसा हॉर्नीलेडी? वो क्या तुम्हारा हथियार देखना चाह रही थी?"

''हाँ, और उसने देख भी लिया।''

''सचमुच तुमने उसको दिखा दिया?" गिफ़्टी दीदी ने पुछा। मैंने झेंपकर हँसते हुए हामी भर दी। 

''वो तो तुम्हारा इतना बड़ा लण्ड देखकर इम्प्रेस हो गयी होगी?" दीदी ने पुछा, और फ़िर मेरी चेयर के पास घुटनों के बल बैठकर मेरे लण्ड को बॉक्सर के ऊपर से ही सहलाने लगी। 

''हाँ, सही में वो तो मेरा पानी निकलता हुआ भी देखना चाहती थी।''

''और क्या?"

''तो फ़िर मैंने भी लण्ड हिलाकर उसको दिखाते हुए पानी निकाल दिया,'' जब मैं दीदी को ये बता रहा था तो दीदी मेरे बॉक्सर को नीचे खिसका कर लण्ड बाहर निकाल रही थी। दीदी ने लण्ड को मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगी। 

''उसमें मेरे से चुसवाने जैसा मजा तो नहीं आया होगा, क्यों?" दीदी ने मेरे लण्ड के सुपाड़े पर जीभ फ़िराते हुए पूछा। 

''इसका तो मुकाबला ही नहीं है दीदी,'' मैं गुर्राते हुए बोला। 

''तो फ़िर तुमने ऐसा किया क्यों?"

''बस वैसे ही थोड़ा मस्ती के लिये… और वैसे उसने भी तो अपनी चिकनी शेव की हुई चूत दिखाई थी,'' मैंने कहा। 

''क्या सचमुच उसकी शेव की हुई चिकनी चूत थी? थोड़े बहुत भी बाल नहीं थे?"

''एक भी बाल नहीं था,'' मैंने जवाब दिया, और दीदी ने मेरा लण्ड जितना उनके मुँह के अंदर जा सकता था, उतना अंदर ले लिया, और फ़िर उसको पूरी लम्बाई को धीरे धीरे चाटते हुए चूसने लगी। साथ साथ दीदी एक हाथ से लण्ड को मुठिया भी रही थी। 

''तो क्या तुमको उसकी चूत मेरी चूत से ज्यादा अच्छी लगी। लगता है अब तुम मेरी झाँटों वाली चूत को कभी नहीं चाटना चाहोगे, क्यों?"

"अरे नहीं दीदी, मैं तो जब चाहो तब आपकी चूत चाटने को तैयार हूँ,'' मैं दीदी को भरोसा दिलाते हुए बोला। 

''चलो तो फ़िर ठीक है, मेरा भी चूत चटवाने का मन कर रहा था,'' दीदी ने कहा और एक झटके में अपना लोअर और पैण्टी एक साथ उतार दी। और फ़िर मेरे बैड पर मेरे सामने अपनी टाँगें चौड़ी फ़ैला कर बैठ गयी। 

''आजा मेरे भाई, ले चाट ले अपनी दीदी की चूत,'' गिफ़्टी दीदी ने मुझसे होंठों पर जीभ फ़िराते हुए, और चूत के दाने को मसलते हुए कहा। मैं तुरंत हाथों और घुटनों के बल दीदी के सामने बैठ गया, और दीदी की चूत के छेद पर हर जगह अपनी जीभ से चाटने लगा, कभी चूत की फ़ांकों को मुँह में भर लेता, तो कभी छेद में जीभ घुसा देता। 

''स्स्स इस चूत के दाने को चाटो, पानी निकाल दे मेरी चूत का,'' गिफ़्टी दीदी ने अपने छोटे भाई से चूत चटवाते हुए विनती भरे अंदाज में कहा। मैंने दीदी की बात मानते हुए अपनी जीभ के अग्र भाग को नुकीला कर उनकी चूत के दाने को सहलाते हुए चाटने लगा। और ऐसा तब तक करता रहा जब तक कि दीदी का बदन ऐंठने ना लगा, और वो काँपते हुए झड़ कर चीखने ना लगी। 

''हाय राम, मजा आ गया,'' गिफ़्टी दीदी ने मुझसे कहा। ''थैंकयू, लाओ अब एक बार फ़िर से अपना पानी मेरी चूँचियों पर निकाल दो।'' जैसे ही मैं बैड से नीचे उतरकर नीचे खड़ा हुआ, दीदी मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गयी, और मेरे लण्ड को चूसने लगी, और फ़िर बीच में बस कुछ देर रूककर अपनी टी-शर्ट और ब्रा उतार दी। 

मैं हँसते हुए बोला, ''बहनचोद, मैंने सोचा भी नहीं था, आप तो बिल्कुल रण्डी जैसे बिहेव कर रही हो दीदी।''

''हाँ तुम बोलते रहो,'' दीदी ने लण्ड को मुँह में अंदर लेते हुए कहा। जब दीदी मेरे लण्ड को चूस रही थी, उसी बीच दीदी ने अपनी पैण्टी उठाकर उसको अपनी चूत पर कुछ देर घिसा और फ़िर उसको मेरे हाथों में पकड़ा दिया। 

''ये ले अपनी रण्डी दीदी की पैण्टी और चाट ले चूत वाली जगह को, जब मैं तुम्हारे लण्ड को चाट रही हूँ तो मैं तुमको मेरी पैण्टी चाटते हुए देखना चाहती हूँ!" मैंने उनकी पैण्टी को उठाकर अपने चेहरे के पास लाकर, पैण्टी के कपड़े में कैद उनकी चूत की मादक गन्ध को सूँघ कर मस्त होने लगा। 

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12-20-2018, 01:24 AM,
#23
RE: vasna kahani चाहत हवस की
मैंने दीदी की पैण्टी को अंदर बाहर पूरा उलट लिया, और फ़िर पैण्टी की बीच की पट्टी को अपनी जीभ से चाटने लगा, मैं कनखियों से दीदी को अपना मुँह मेरे लण्ड के सुपाड़े के गिर्द लिपटा हुआ देख रहा था, धीरे धीरे जब मेरा लण्ड दीदी के मुँह के अंदर बाहर हो रहा था, तब दीदी मुझे उनकी पैण्टी को चाटते हुए देख रही थी। 

दीदी की आँखों से झलक रही वासना और साथ में उनकी पैण्टी पर चिपके चूत के रस का रसपान मुझे झड़ने पर मजबूर कर रहा था। मैंने दीदी को कहा कि मैं झड़ने ही वाला हूँ तो दीदी ने मेरा लण्ड अपने मुँह से बाहर निकाल लिया, और उसको मुठियाने लगी, और लण्ड का निशाना अपनी चूँचियों पर कर दिया। मैंने अपने सारे वीर्य का लावा दीदी की चूँचियों पर निकाल दिया, दीदी ने सारे वीर्य के पानी को अपनी चूँचियों पर फ़ैला लिया, और अपने निप्पलों को मेरे वीर्य से भीगी ऊँगलियों से मींजने लगी। 

''म्म्म्म्म मजा आ गया विशाल, थैन्क यू, चलो मैं अब मम्मी के आने से पहले नहा लेती हूँ। मुझे लगता है उस इन्टरनैट वाली हॉर्नीलेडी से तो ज्यादा ही मजा आया होगा, क्यों,'' दीदी ने हँसकर कहा, और फ़िर रूम से बाहर निकल गयी। मैं मन ही मन सोचने लगा, कि हाँ मजा तो बहुत आया लेकिन बिना झाँटो वाली चिकनी चूत का अपना ही मजा है। 

अजय जीजू का फ़ोन आ गया था कि वो अगले दो महिने ऑफ़िस में अधिक काम की वजह से भारत नहीं आ पायेंगे, जब मुझे ये बात पता चली तो मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ, क्योंकि अब अगले दो महीनों तक मुझे गिफ़्टी दीदी से अपना लण्ड चुसवाने का और साथ ही साथ दीदी की चूत को चाटने का बेरोकटोक मौका मिलने वाला था।

अगले वीकेन्ड पर हमारी मौसी की बड़ी बेटी अर्चना का बर्थ डे था, एक थ्री स्टार होटल की उस बर्थ डे पार्टी में मौसी की छोटी बेटी मिनी की गिफ़्टी दीदी से बहुत देर तक बातचीत हुई। मिनी दीदी को बता रही थी कि मैं उसको कितना ज्यादा अच्छा और स्मार्ट लगता था, और यदि विशाल यानि कि मैं उसका कजिन भाई नहीं होता तो वो मुझे अपना बॉयफ़्रेंड बना लेती। 

मिनी और गिफ़्टी दीदी करीब एक ही उम्र की थीं और दोनों दिल्ली युनिवर्सिटी के एक ही कॉलेज की पढी हुई थीं, दोनों की आपस में बहुत पटती थी। दोनों एक साथ मूवीज भी देखने जाया करती थीं। मिनी की हाईट अच्छी थी 5 फ़ुट नौ ईन्च और एक दम इकहरा बदन था, मस्त लम्बी टाँगें, वो साईकिल बहुत चलाती थीं, शायद इसी वजह से उनकी गाँड़ कुछ ज्यादा ही उभरी हुई थी। वो अपने कन्धे तक लम्बे बालों को हमेशा खुला रखती थीं, मिनी दीदी की चूँचियाँ छोटी छोटी थीं लेकिन उनके निप्पल उभरे हुए थे, जो कभी जब वो घर पर टी-शर्ट के अंदर ब्रा नहीं पहनती थीं तो उसके निप्पल टॉप का कपड़ा फ़ाड़ कर बाहर निकलने को बेताब रहते। 

''अजय जीजू जब इन्डिया आते हैं तब तो तुम रोज सैक्स करते होंगे?" मिनी दीदी ने गिफ़्टी दीदी से पूछा।

''हाँ कई बार तो दिन में दो तीन बार''

''सच में सैक्स करने में बहुत मजा आता होगा ना, जीजू तो आपके इन बड़े बड़े बूब्स के दीवाने होंगे?" मिनी दीदी ने पूछा, अपने किसी करीबी जिस के साथ वो ऐसी बात कर सकती थी, उसको अपनी जिज्ञासा शांत करने में बहुत मजा आ रहा था। 

''हाँ मिनी, मुझे तो बहुत मजा आता है,'' गिफ़्टी दीदी ने हँसते हुए कहा, ''तुम्हारा भी तो कोई बॉयफ़्रेंड होगा मिनी, इतनी हॉट बॉडी के तो बहुत से लड़के दीवाने होंगे?"

''हुह, गिफ़्टी सब के सब लड़के लफ़न्डर होते हैं, किसी पब में दो बीयर पिलाने के बाद बस सोचते हैं कि बस लड़की नंगी हो जाये और फ़्री में चोदने को मिल जाये?" मिनी दीदी ने गिफ़्टी दीदी से कहा। 

''तो क्या सचमुच तुम्हार कोई बॉयफ़्रेंड नहीं है मिनी?" गिफ़्टी दीदी ने मिनी दीदी से पुछा।

''हाल फ़िलहाल तो कोई नहीं है, लेकिन कई बार तो चुदाई करवाने का इतना ज्यादा मन करता है ना कि मैं बता नहीं सकती गिफ़्टी, मन करता है कि क्या ना घुसा लूँ अपनी चूत में!" मिनी ने हँसते हुए कहा। ''अभी तो पहले अर्चना दीदी की शादी होगी, मेरी शादी होने में तो अभी दो चार साल लग जायेंगे, मुझे लगता है तब तक चुदाई का कोई तो जुगाड़ जल्दी ही ढूँढना पड़ेगा।


"चुदाई का जुगाड़?"

"हाँ, कोई ऐसा दोस्त, जिसके साथ चुदाई कर के अपने जिस्म की आग तो बुझा लो, लेकिन वो बेवजह गले ना पड़े।"

***

जब गिफ़्टी दीदी और मिनी दीदी बर्थडे पार्टी में आपस में बातचीत कर रहीं थीं, तभी मैं भी उनके पास पहुंच गया। 

"हाय मिनी दी कैसी हो?"*

"सब मजे में तुम सुनाओ विशाल, कैसी चल रही है तुम्हारी पढाई लिखाई, दिन पर दिन और ज्यादा हैण्डसम होते जा रहे हो, कॉलेज में तो बहुत सी लड़कियाँ दीवानी होंगी तुम्हारी?"

''हुह, ऐसी हमारी किस्मत कहाँ दी,'' मैंने आँख मारते हुए कहा। 

''तुम भी ना विशाल, कब सुधरेगा,'' मिनी दी ने हँसते हुए कहा। 

''तो क्या बातें हो रही थीं, तुम दोनों के बीच?" मैंने पुछा

''बस वो ही हमेशा की तरह, लड़कों की, ब्लोजॉब की, सैक्स की… और कैसे मिनी चाहती है कि यदि तुम उसके कजिन ना होते तो वो तुम्हारे साथ तो सैक्स कर लेती,'' गिफ़्टी दीदी ने हँसते हुए कहा, तभी मिनी दी ने गिफ़्टी दीदी के गाल पर प्यार में एक चपत लगाते हुए उनको शांत रहने की हिदायत देते हुए, शट अप कहा। 


''ओह हो तो ये बात है,'' मैंने शर्माते हुए कहा, लेकिनऽपनी कजिन मिनी दी के मन की बात सुनकर मेरे लण्ड में हलचल होने लगी।

''तुम ना गिफ़्टी कुछ भी,'' मिनी दी ने कहा, लेकिन मैंने नोट किया किया कि उन्होने गिफ़्टी दीदी की सैक्स करने की इच्छा वाली बात को झूठा नहीं ठहराया। 

''मैं तो स्कॉच पी रहा हूँ, तुम दोनों के लिये बीयर लाऊँ क्या?" मैंने पूछा, दोनों ही बीयर पीने को सहमत हो गयीं, मैं जब उनके लिये बीयर लेने चला गया, तो वो फ़िर से आपस में बातें करने लगीं। जब मैं लौट कर आया तो दोनों आपस में खुसुर पुसुर कर रहीं थीं, और मिनी दी अविश्वास में अचम्भित होकर गिफ़्टी दीदी की तरफ़ देख रहीं थीं। 

''ओफ़्फ़ो, अब क्या हुआ?" मैंने पूछा, अता नहीं शायद मैं जवान सुनने के लिये तैयार भी था या नहीं। मैंने दोनों को उनके बीयर के मग पकड़ा दिये, और गिफ़्टी दीदी के पार में बैठ गया। 

''हाँ तो…'' गिफ़्टी दीदी ने बोलना शुरु किया, और कनखियों से मिनी को देखने लगीं, शायद वो मिनी दीदी को रियेक्ट करते हुए देखना चाहती थीं। ''हम दोनों बात कर रहे थे कि किसी लड़के का औजार ज्यादा से ज्यादा कितना बड़ा हो सकता है, मैंने बताया कि मैंने तो नौ इन्च का देखा है, अब इसको विश्वास ही नहीं हो रहा कि मैंने किसी का नौ इन्च का भी देखा हो सकता है, इसको लगता है कि ऐसा तो बस पॉर्न मूवीज में किसी पॉर्न स्टार का ही हो सकता है।''

मैं गिफ़्टी दीदी को गौर से देख रहा था, और सोच रहा था कि उन्होने क्या कुछ बताया होगा। मिनी दी मेरे रियेक्शन के लिये मेरी तरफ़ देख रहीं थीं और उसी तरह मैं भी उन दोनों को। 

''मैं इसको समझा रही थी कि मैंने सचमुच असलियत में जीता जागता देखा है, और वो भी अजय का नहीं बल्कि उसका जिसको मिनी अच्छी तरह जानती है। मिनी मुझ से पूछ रही थी कि क्या उसको भी देखने का मौका मिल सकता है क्या, मैं अब ये ही सोच रही हूँ कि इसको हाँ में जवाब दूँ या ना में।''

''ओह, अब इस बारे में मैं क्या बता सकता हूँ…'' मैंने धीमे से जवाब दिया। 

''ओह कम ऑन गिफ़्टी अब बता भी दो,'' मिनी दी ने मिन्नत करते हुए कहा, और फ़िर हँसते हुए बोलीं ''वैसे भी अगर मुझे पता चल भी गया तो तुमको उस से क्या फ़र्क पड़ेगा, तुमको तो अब अजय जीजू के औजार से ही जिंदगी भर काम चलाना है, हम जैसी कुँवारियों का कुछ जरूर भला हो सकता है।''

''अच्छा, थोड़ी देर मुझे सोचने दो,'' गिफ़्टी दीदी ने कहा, ''लेकिन अगर मैंने तुमको बता दिया तो तुमको प्रॉमिस करना होगा कि तुम किसी और को नहीं बताओगी।''

''प्रॉमिस, मैं तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूँ, अब बता भी दो।''

''अगर मैंने तुमको बता दिया, और अगर दिखा भी दिया तो फ़िर प्रॉमिस करो कि तुम उसको मेरे सामने चूस कर दिखाओगी?" ये सुनकर मैं स्कॉच का सिप लेते हुए यकायक रुक गया, और मुझे जोर से खाँसी आ गयी, और मिनी दी हँसने लगीं। 

''ओह गॉड, गिफ़्टी दिमाग खराब हो गया है क्या? तुम्हारे सामने कैसे चूस सकती हूँ, लेकिन एक बार बताओ तो सही, ऐसा कौन है जिसको मैं भी जानती हूँ। लेकिन केवल नौ इन्च का देखने के लिये मैं किसी ऐरे गैरे का तो नहीं चूसने वाली। पर पहले एक बार नाम तो बताओ, पता तो चले वो है कौन!"

"एक बार देख लोगी तो तुम्हारा मन मचलने लगेगा,'' गिफ़्टी दीदी हँसते हुए बोलीं। 

''मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि तुम दोनों मेरे सामने ऐसी बातें कर रही हो!" मैं वहाँ से उठकर जाने लगा। गिफ़्टी दीदी ने नोटिस किया कि जब मैं उठकर खड़ा हुआ, तो मैंने अपने खड़े लण्ड को अपनी पैण्ट में एडजस्ट करना पड़ा। गिफ़्टी दीदी ने उस समय भी मेरे हाव भाव को नोटिस किया था, जब मैं मिनी दी को देखते हुए उनके पास आ रहा था, और फ़िर जब मैं मिनी दी की क्लिवेज और मिनी स्कर्ट से झाँकती मिनी दी की गोरी लम्बी टाँगों को निहार रहा था, और जब भी वो अपनी टाँगों को क्रॉस अनक्रॉस करतीं तो मैं उनकी पैण्टी का दीदार करने का प्रयास करता। गिफ़्टी दीदी सब कुछ नोटिस कर रही थीं। 


जब मैं वहाँ से चला गया, तो उन दोनों का वार्तालाप जारी रहा। 

''चलो अब सीरियसली बताओ!" मिनी दी ने गम्भीर होते हुए पूछा
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12-20-2018, 01:24 AM,
#24
RE: vasna kahani चाहत हवस की
''चलो बता देती हूँ, तुम उसको चूसोगी या नहीं ये तुम सोच लेना, लेकिन एक शर्त तो माननी पड़ेगी कि तुम जब उसके औजार को देखोगी तो मैं वहीं पर रहूँगी। और वो भी शायद इसलिये कि वो जो भी है, उसको मैं कैसे जानती हूँ या फ़िर…''

''ओके बाबा, चलो ठीक है, अब बता भी दो, प्लीज्ज्ज्ज?"

''तुमको विश्वास नहीं होगा, लेकिन उसका नाम है, विशाल।''

''विशाल, कौन विशाल?"

''विशाल, मेरा भाई विशाल, और कौन?"

''नहीं, मुझे तुम्हारी बात पर भरोसा नहीं हो रहा, तुम मुझको पागल बना रही हो, और वैसे भी ये तुमको कैसे पता?" मिनी अविश्वास भरे अंदाज में बोली। 

गिफ़्टी दीदी ने मिनी दी को बताया कि कैसे उन्होने मुझे एक बार नहाते हुए बाथरूम में नंगा देख लिया था, और कैसे एक बार जब वो अचानक से मेरे रूम में आयी थी तब मुझको मुट्ठ मारते हुए पकड़ लिया था। उन्होने मिनी दी को मेरे लण्ड को चूसने या मेरे लण्ड का पानी अपनी चूँचियों पर निकालने के बारे में कुछ नहीं बताया। 

''तो फ़िर आपको कैसे लगता है कि विशाल मुझे दिखाने को तैयार हो जायेगा,'' मिनी दी ने पूछा। 

''जिस तरह से वो तुमको अभी देख रहा था, और वो भी समझ रहा था कि उसी के लण्ड के बारे में बातें हो रही थी, उसको तुम्हे दिखाने में बहुत मजा आयेगा… तुम उसकी कजिन हो, इस बात का उसको कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा। तुम चाहो तो मैं सब सैटिंग कर सकती हूँ।''

''उम्म्म, ठीक है, कर दो।''

''तो फ़िर ठीक है, हम दोनों तुम्हारे रूम में आ जायेंगे, ओके?"

''तुम्हारा मतलब आज रात को?"

''हाँ और क्या, इतने दिनों बाद तो आज मिले हैं, ना जाने फ़िर कब मौका मिले, क्यों?"

"हाँ ये ओ तुम सही कह रही हो, तो फ़िर मेरे रूम में ही ठीक रहेगा,'' मिनी ने बीयर का एक बड़ा सा घूँट मारते हुए कहा, वो थोड़ा नर्वस हो रही थी। 

गिफ़्टी दीदी मुझे पार्टी में आये लोगों के बीच ढूँढने लगी, उन्होने मुझे अर्चना दीदी की कुछ गर्ल फ़्रेन्ड्स से बात करते हुए देखा। वो कुछ देर इन्तजार करती रहीं, और जैसे ही मौका मिला वो मुझे वहाँ से खींचकर दूसरी तरफ़ ले गयीं। 

''मिनी तुम्हारा लण्ड देखना चाहती है, क्या तुम उसको दिखाओगे?"

''मुझे उसको दिखाकर क्या मिलेगा?" मैंने उस्त्सुकतावश पूछा। 

''मैंने उससे ये तो नहीं पूछा, लेकिन शायद मेरी तरह वो भी उसको चूसे बिना ना रह पाये… नहीं तो छू कर तो जरूर देखेगी, तुमको तो इतने में ही मजा आ जायेगा। वो बहुत चालू किस्म की लड़की है, जरूर कई बार चुदवा चुकी होगी, तो उसको मेरे से तो बेहतर ही चूसना आता होगा।''

''वो मुझे नंगी तो होकर दिखायेगी ना?"

''पता नहीं, तुम खुद ही उससे पूछ लेना, मैंने तो बस सब कुछ सैट करने की गारंटी ली है और मैं भी वहीं पर रहूँगी जब तुम उसको दिखा रहे होगे, बस।''

''ह्म्म, पता नहीं लेकिन अभी जिन दो लड़कियों से बात कर रहा था, वो अर्चना दीदी की फ़्रेन्ड्स थी, वहाँ भी कुछ जुगाड़ बनती सी दीख रही थी।''

''चलो अगर मैं प्रोमिस करूँ कि चाहे जो हो, लेकिन मैं तुम्हारा आज रात को चूस लूँगी, फ़िर तो ठीक है ना?"

''हुह, अब मैं दीदी आप को तो ढंग से समझ चुका हूँ, आप भी पूरी छिनाल हो, मुझे पता है कि अगर आपने मेरा लण्ड चूस लिया तो फ़िर अपनी चूत चटवाये बिना नहीं मानोगी,'' मैंने गिफ़्टी दीदी को चिढाते हुए कहा। 

गिफ़्टी दीदी कुछ सोचने लगीं, और फ़िर इस नतीजे पर पहुंची कि मैं शायद सही कह रहा था। ''अच्छा चलो मैं अगर मैं प्रॉमिस करूँ कि आज तुम्हारे लिये कुछ नया करूँगी, तो फ़िर?" तुम अंदाजा लगाते रहो कि मैं क्या नया कर सकती हूँ… सैक्स को छोड़कर।'' मैं असमंजस में पड़कर सोचने लगा। गिफ़्टी दीदी की बिना झाँटो वाली साफ़ चिकनी मुलायम चूत का चित्र मेरे दिमाग में घूमने लगा, और मैं उनकी हर बात मानने के तैयार हो गया, मेरे दिमाग में एक अलग ही प्लान बन रहा था। 

''ओके ठीक है, आप मेरे लिये कुछ नया करो, और मैं आपके सामने अपना लण्ड मिनी दी को दिखा दुँगा।''

''तो फ़िर तुम मिनी के रूम में पहुँचो, मैं और मिनी थोड़ी देर में वहीं पर आते हैं।''

मैंने रूम का दरवाज खुलने की आवाज सुनी, और दो परछाईयाँ अंदर दाखिल हुई प्रतीत हुई। परछाईयों की बनावट से लग रहा था कि ये गिफ़्टी दीदी और मेरी कजिन मिनी दी ही हैं। उन दोनों ने अंदर आकर पीछे से दरवाजा बंद कर दिया, और खिलखिलाते हुए बैड के पास आ गयीं, जहाँ मैं पहले से बैठा था। 

रुम की लाईट ऑफ़ थी, और जो कुछ रोशनी आ रही थी वो बाहर गार्डन में चल रही पार्टी की जगमाहट से आ रही थी। उस मद्धम रोशनी में जब हम तीनों बैठे थे, तभी मिनी दी बोली, ''मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि तुम अपना लण्ड मुझे दिखाने वाले हो।''


''हाँ लेकिन ऐसा करने से पहले मरी भी एक शर्त है,'' मैंने कहा। 

''कैसी शर्त?" गिफ़्टी दीदी और मिनी दी, दोनों ने एक साथ पूछा। 

''तुम दोनों को अपने कपड़े उतारकर नंगा होना पड़ेगा।''

''सच में?" मिनी दी ने पूछा, शायद वो इसके लिये तैयार नहीं थीं। 

''ओह तो इसमें कौन सी बड़ी बात है, बचपन में हम सब एक साथ ही तो नहाया करते थे,'' गिफ़्टी दीदी ने हँसते हुए कहा, ''बेशक उस समय मेरे ये बाहर नहीं निकले थे।'' गिफ़्टी दीदी ने अपनी चूँचियों को पकड़कर मसलते हुए कहा, ''लेकिन शायद जब हम उसके लण्ड को देखें तो मेरा भाई भी देखना चाहता है कि हमारे जिस्म में कैसे बदलाव आ गये हैं। और वैसे भी जैसे मैं अजय के सामने नंगी हो जाती हूँ और मिनी तुम दूसरे लड़कों के सामने वैसे ही विशाल के सामने भी हो जाते हैं, क्या फ़र्क पड़ता है।'' 

''हाँ क्या फ़र्क पड़ता है,'' मिनी दी थोड़ा संजीदा होते हुए बोली, ''लेकिन पहले मैं तुम्हारा देखना चाहती हूँ।''

''ठीक है,'' मैंने सहमत होते हुए कहा। फ़िर मैं खड़ा होकर अपनी जीन्स उतारने लगा, मेरा अण्डरवियर भी जीन्स के साथ ही उतर गया। मेरा लण्ड फ़नफ़नाकर अटैन्शन पोजिशन मे पूरा खड़ा होकर स्प्रिंग की तरह बाहर निकल आया। मेरे इतने बड़े लण्ड को देखकर मिनी दी का मुँह खुला का खुला रह गया। 

''हाय राम, गिफ़्टी तू सही कह रही थी,'' मिनी दी ने गिफ़्टी दीदी से फ़ुसफ़ुसाते हुए कहा, गिफ़्टी दीदी अपने खिलौने को मजे से देख रही थीं। 

''ये तो सच में बहुत बड़ा है, क्यों?"

""ओह हां, मैं इसको छूकर देख लूँ?" मिनी दी ने मुझ से पूछा, शायद मिनी दी इस बात से थोड़ा कॉन्श्यिस हो रही थीं कि मैं उनका कजिन भाई था। 

''तुमको भी अपने सारे कपड़े उतारकर मेरे सामने नंगा होना है, याद है ना?" मैंने उनको हिन्ट दिया। 

''ओह हाँ,'' मिनी दी खिलखिलाकर हँस दी। फ़िर मिनी दी ने खड़े होकर अपना टॉप ऊपर उठाकर सिर के ऊपर से बाहर निकाल दिया। उन्होने अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी, उनकी छोटी छोटी नींबू के आकर की चूँचियाँ और मूँगफ़ली के दाने जैसे निप्पल बाहर निकल आये।
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12-20-2018, 01:24 AM,
#25
RE: vasna kahani चाहत हवस की
''म्म्म्म क्या मस्त हैं ये तो,'' मैंने कहा, मैं मिनी दी के बदन को निहारने में मगन हो रहा था, जब वो एक एक कर अपने सारे कपड़े उतार रही थीं। फ़िर उन्होने अपनी स्कर्ट को छिलके की मानिंद अपनी टाँगों से पैण्टी के साथ ही नीचे कर उतार दिया। मिनी दी ने अपनी झाँटों को साईड से साफ़ कर रखा था, ताकि बिकनी में से झाँटें बाहर ना दिखाई दें। हाँलांकि मुझे उनकी चूत तो नहीं दिखाई दे रही थी, लेकिन एक बात जरूर थी कि उनके जिस्म की बनावट किसी अप्सरा जैसी ही थी। 

''और गिफ़्टी दीदी आप?" मैंने अपनी दीदी से कहा। गिफ़्टी दीदी ने तुरंत अपने सारे कपड़े उतार दिये। जैसे गिफ़्टी दीदी के दोनों कबूतर कैद से आजाद होकर फ़ड़फ़ड़ाकर बाहर निकले, मैं और मिनी दी दोनों उनकी मस्त चूँचियों को निहारने लगे। मिनी दी एक बार फ़िर से उनके साइज की तारीफ़ करने लगीं, और कहने लगीं कि किस तरह हर लिहाज से उनको गिफ़्टी दीदी की चुँचियाँ एक दम परफ़ैक्ट लगती हैं। 

अपनी कजिन बहन द्वारा अपने जिस्म को निहारते हुए पाकर गिफ़्टी दीदी की चूत भी पनियाने लगी, और उस मद्धम रोशनी में भी उनके गाल सुर्ख दिखाई देने लगे। गिफ़्टी दीदी मन ही मन मिनी दी के इकहरे और छरहरे बदन जिस पर हर जगह सही अनुपात में मांस था, जो किसी भी मर्द को दीवाना कर दे, उसको सराह रही थीं। गिफ़्टी दीदी मन ही मन अपनी कजिन बहन के निप्पल चूसने की कल्पना करने लगीं और इस विचार ने उनके बदन में उत्तेजना की एक लहर सी दौड़ा दी। 

मिनी दी ने आगे बढ कर अपने कजिन भाई के लण्ड को अपने हाथ में लेकर उत्साह के साथ जकड़ लिया। मैं मिनी दी को ऐसा करते हुए प्रोत्साहित कर रहा था, और उनको बता रहा था कि वो नंगी होकर क्या मस्त गर्मा गर्म माल लग रही थीं, और उनके हाथ का मेरे लण्ड पर स्पर्ष कितना सुखदायिनी लग रहा था। 

''हे भगवान, मुझे तो अब भी यकीन नहीं हो रहा, कितना बड़ा है तुम्हारा विशाल, और कितना हार्ड है!" मेरे लण्ड को अपने हाथ में जकड़ते हुए मिनी दीदी ने कहा, ''जब तुम मुट्ठ मार कर झड़ते होगे तो इसमें से तो बहुत ढेर सारा पानी निकलता होगा, क्यों?" मिनी दी ने पूछा। 

''हाँ सो तो है,'' मैंने जवाब में कहा। 

''तुम मुझे दिखाओगे?"

''उम्म, ठीक है, लेकिन अगर तुम इसको चूसोगी तब ही,'' मैंने कहा। एक बारगी फ़िर से मिनी को एहसास हुआ कि वो किस से बात कर रही है, वो कहाँ है और फ़िर हिचकिचाते हुए सहम कर खड़ी हो गयी। 

''कम ऑन मिनी, तुम तो मुझे बता ही चुकी हो कि तुम सैक्स कर चुकी हो, तो फ़िर इसको चूसने में क्या परेशानी है?" गिफ़्टी दीदी ने मिनी दी के पास आते हुए कहा। गिफ़्टी दीदी ने मिनी दी के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर मेरे लण्ड को जकड़ लिया, और उसको फ़िर से हिलाने लगी। जब मिनी दी स्वतः मेरे लण्ड को हिलाने लगीं, तो गिफ़्टी दीदी ने अपने हाथ को मिनी दी के हाथ के नीचे से निकालकर थोड़ा और नीचे मेरे लण्ड को पकड़ लिया, और फ़िर दोनों मेरे लण्ड को मुठियाने लगीं। 

''मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा गिफ़्टी, तुम अपने भाई के लण्ड को पकड़ के हिला रही हो!"

''हर किसी के नसीब में नहीं होता ऐसा लण्ड मिलना, और कौन सा रोज मिलता है ऐसा लण्ड हिलाने को,'' गिफ़्टी दीदी ने अपने घुटनों पर बैठते हुए कहा। जब गिफ़्टी दीदी ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में लिया तो मिनी दी एकदम शॉक रह गयीं। मिनी और गिफ़्टी दीदी के नंगे बदन बहुत करीब थे और दोनों की टाँगें और चुतड़ एक दूसरे को छू रहे थे, उस स्पर्श को मेहसूस करते हुए, मिनी अपने कजिन भाई का लण्ड उसकी अपनी सगी बड़ी बहन के मुँह में घुसता हुआ देख रही थी। मिनी दी मन ही मन इसको विक्रति की नजर से देख रही थी। लेकिन मुझे और गिफ़्टी दीदी को उस अवस्था में देखकर मिनी दी को एहसास होने लगा कि उनकी चूत भी पनियाने लगी थी, और शायद उनका मन भी मेरा लण्ड चूसने का करने लगा था। मिनी दी भी अपनी कजिन सिस्टर के करीब घुटनों के बल बैठ गयी, गिफ़्टी दीदी ने अपने मुँह से मेरा लण्ड निकाल दिया, जिससे कि मिनी दी उसको चूस सकें। 


गिफ़्टी दीदी अपनी कजिन बहन को अपने भाई का लण्ड चूसते हुए देख रही थीं। जब मैं अपना लण्ड चुसवा रहा था, तब गिफ़्टी दीदी अपने हाथ को नीचे ले जाकर मेरे टट्टे सहलाने लगी। मेरा इतना बड़ा लण्ड जब मिनी दी के मुँह में घुसता हुआ देख कर मन ही मन गिफ़्टी दीदी इस दृश्य को सराह रही थी, और उनकी नजर मिनी दी के जिस्म का ऊपर से नीचे तक मुआयना कर रही थी, छोटी छोटी टाईट चूँचियाँ, समतल सपाट पेट, और मद्धम रोशनी में दिखाई देतीं काली घनी झाँटें। मिनी दी के निप्पल एक दम हार्ड हो चुके थे। गिफ़्टी दीदी ने अपने खुद के निप्पल को छू कर देखा, वो भी उत्तेजित होकर खड़े हो रखे थे, फ़िर शायद ये जानने के लिये कि किस के निप्पल ज्यादा हार्ड हो रहे थे, गिफ़्टी दीदी ने हाथ बढा कर मिनी दी की एक चूँची को अपने हाथ में भर लिया। 

मिनी दी की चूँची को हाथ में भरने का एहसास गिफ़्टी दीदी के लिये एकदम नया था, उनको आशचर्य हो रहा था कि किसी लड़की की चूँची को अपने हाथ में लेने इतना मजा आता है। मिनी दी की चूँची एक दम कड़क थी, निप्पल मूँगफ़ली के दाने की तरह सख्त, और मिनी दी की चूँची उतनी ज्यादा भारी भी नहीं थी, जितनी कि उनकी खुद की थी, लेकिन फ़िर भी किसी दूसरे की चूँची को इस तरह पकड़ने का एहसास उनको अच्छा लग रहा था। 

मैं अपनी कजिन बहन को मेरा लण्ड चूसता हुए और मेरी अपनी बड़ी बहन मिनी दी की चूँची दबाते हुए देख रहा था। इतना सब देखकर मेरे बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा था, और मेरे टट्टों में उफ़ान आना शुरू हो गया था, लावा किसी भी वक्त निकल सकता था। मिनी दी को इसका एहसास हो गया था, और वो इसके लिये तैयार हो गयीं, और जैसे ही ज्वालामुखी फ़ूटा, उन्होने मेरे लण्ड को पूरा अपने मुँह में अंदर तक ले लिया, मेरे वीर्य की धार ने उनके मुँह को भर दिया, और वो हर धार को बारम्बार अंदर निगलने लगी। मिनी दी जब सारा नहीं निगल पायीं तो बाकी का वीर्य उनकी ठोड़ी पर बहने लगा। मिनी दी ने साँस लेने के लिये मेरे लण्ड को मुँह से बाहर निकाल दिया, फ़िर उनकी थोड़ी जान में जान आयी। 

गिफ़्टी दीदी ने मेरे लण्ड को पकड़ लिया और बाकी के वीर्य को चाटकर मेरे लण्ड को साफ़ कर दिया। 

''वॉव, मिनी दी, आपने तो मस्त चूसा मेरे लण्ड को,'' मैं बैड पर लेटते हुए बोला। 

''थैन्क्स, मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा, ये कितना बड़ा है!" मिनी दी ने अपने कपड़े उठाते हुए कहा। ''चलो अब सब पार्टी में चलकर खाना खा लेते हैं, नहीं तो भूखे ही रहना पड़ेगा। हम तीनों ने जल्दी से अपने अपने कपड़े पहने और फ़िर पार्टी में वापस चले गये। 

जब हम होटल से अपने घर वापस चलने को हुए, तो मिनी दी कर पार्किंग में मुझे खींचकर एक बड़ी गाड़ी के पीछे ले गयीं और मेरा सिर पकड़कर अपने पास ले आयीं, और मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसा दी। मैं अपनी कजिन बहन मिनी दी के इस प्रगाढ चुम्बन की गर्माहट में पिघलने लगा, और मेरे लण्ड में फ़िर से हरकत होने लगी।
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12-20-2018, 01:25 AM,
#26
RE: vasna kahani चाहत हवस की
"मुझे इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम मेरे कजिन हो, मुझे लगता है कि एक ना एक दिन मैं तुम्हारे उस बड़े से मूसल को चोद के रहूँगी, उससे मैं अपनी चूत फ़टवा के ही रहूँगी। तुम मेरे चोदू दोस्त बनोगे ना?" मिनी दी ने पूछा।

''हाँ दी, क्यों नहीं, बिल्कुल बनूँगा,'' किसी तरह मैंने कहा, मेरा दिमाग घूम रहा था। 

''येएएए!" और ऐसी आवाज निकाल कर मिनी दी ने मुझे धक्का देकर मेरे बाकी परिवार जो कि रोशनी में खड़े होकर बातें कर रहे थे, उनके साथ घर वापस जाने के लिये इशारा किया। जैसे ही मिनी दी की नजर मेरी पैण्ट में बने लण्ड के खड़े होने से बने तम्बू की तरफ़ गयी, वो खिलखिलाने लगी। 

जब मैं कर के पास पहुँचा तो गिफ़्टी दीदी की नजर भी मेरी पैण्ट में लण्ड के खड़े होने से बने तम्बू पर थी। 

मम्मी पापा कार में पिछली सीट पर बैठे थे, मैं ड्राईव कर रहा था, और गिफ़्टी दीदी मेरे साथ अगली सीट पर बैठी थीं। घर की तरफ़ ड्राईव करते हुए सारे रास्ते बस मिनी दी कि वो बात मेरे दिमाग में घूम रही थी कि वो मुझको चोद के रहेंगी… और गिफ़्टी दीदी की वो बात कि वो मेरे लिये कुछ एक चीज नयी करेंगी। मैं सोच रहा था कि गिफ़्टी दीदी का उस वक्त रियेक्शन कैसा रहेगा जब मैं उनको बोलूँगा कि मैं उनकी झाँटें शेव करना चाहता हूँ। 

अगले शनिवार को मुझे अपने प्लान को अमली जामा पहनाने का मौका मिला। मम्मी पापा किसी रिश्तेदार की शादी में गये थे, मैं और गिफ़्टी दीदी उस वीक-एण्ड पर घर पर अकेले रहने वाले थे। शाम को घर से एयर पोर्ट जाते हुए मम्मी पापा को जब हम दोनों विश कर रहे थे तो गिफ़्टी दीदी के दिमाग में उस रात कई बार मेरे लण्ड से वीर्य का पानी का पानी निकालने और अपनी चूत की आग ठण्डी करवाने की खुराफ़ात चल रही थी, लेकिन उनके हाव भाव से इसका कोई पता नहीं चल रहा था। मैंने भी मुस्कुराते हुए मम्मी पापा की मंगलमय यात्रा की कामना की।

डिनर के बाद गिफ़्टी दीदी का मुझे उकसाना चालू हो गया। वो मुझे किसी ना किसी बात पर परेशान करने लगीं। गिफ़्टी दीदी ने घर में बस एक टी-शर्ट, ब्रा और पैण्टी पहन रखी थी, ये जानते बूझते हुए कि उनके छोटे भाई को उनकी छोटी सी पैण्टी में कसी हुई गाँड़ का दर्शन करना कितना ज्यादा अच्छा लगता है। 


मैं गिफ़्टी दीदी के उकसाने को थोड़ा नजर अंदाज करते हुए टीवी देखने के लिये बैठ गया। गिफ़्टी दीदी सोफ़े पर मेरे पास बैठ गयीं, और फ़िर उस छेड़खानी के अंदाज को धता बताते हुए उन्होने एक झटके में अपनी टी-शर्ट और ब्रा उतार कर फ़ेंक दी, दीदी के दोनों बड़ी बड़ी गुदाज चूँचियाँ आजाद होकर बाहर आ गयीं। दीदी ने शॉर्ट के ऊपर से मेरे लण्ड को पकड़ते हुए कहा कि अब मेरे मूसल जैसे लण्ड का पानी निकालने का समय हो चुका है। 

जब दीदी शॉर्ट उतारते हुए मेरे लण्ड को बाहर निकाल रही थीं, तब मैंने दीदी से कहा, ''दीदी क्या आपको उस रात मिनी दी के रुम में की हुई वो प्रॉमिस वाली बात याद है?"

''हाँ, याद है ना,'' वो थोड़ा नर्वस होते हुए बोलीं।

''तो फ़िर आज रात आपको मेरी एक बात माननी पड़ेगी,'' मैंने कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा। 

''ठीक है, बताओ मुझे क्या करना होगा?" दीदी ने मुझसे पूछा, उनके पूछने में जो वाद किया वो निभाना पड़ेगा जैसा अंदाज था। 

''मैं चाहता हूँ कि आप मुझे आपकी चूत पर से झाँटें शेव करने दें।''

दीदी ने एक मिनट के लिये सोचा, फ़िर बोलीं, ''ओह हाँ, ठीक है, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।'' मैंन तुरंत उठक्र खड़ा हो गया, और दीदी को पकड़कर बाथरूम की तरफ़ खींचने लगा। वहाँ पहुँचकर मैंने दीदी को फ़र्श पर एक बड़ी तौलिया पर लिटा दिया, और उनकी पैण्टी उतारने लगा। जब मैं कैंची, शेविंग लोशन और नया रेजर लाने के लिये उठा तो मैं ये देखकर खुश था कि दीदी की चूत पनियाने लगी थी। 

जब मैं दीदी की झाँटों को कैंची से काटकर छोटा कर रहा था, उस समय दीदी पींठ के बल सीधे लेटे हुए मुझे सशंकित निगाहों से देख रही थी। शायद उनको इस बात क भय था कि उनका छोटा भाई अभी कुछ देर में रेजर से उनके गुप्तांगों के करीब शेव करने वाला था, कैंची की बाल काटने की हर खच्च की आवाज के साथ गिफ़्टी दीदी की चूत और ज्यादा पनिया जाती, एवं दीदी और ज्यादा चुदासी होती जा रही थीं। 

मैंने दीदी की चूत के उभार और चूत पर शेविंग फ़ोम रगड़ रगड़ कर लगा दिया। जैसे ही मैंने दीदी की चूत के होंठों के करीब पहुँच कर उन पर शेविंग फ़ोम मलना शुरू किया, दीदी सिसक उठीं। जैसे ही मैंने एक उँगली दीदी की चूत के छेद के अंदर घुसाई, दीदी मस्त होकर कसमसा उठी। फ़िर मैंने रेजर लेकर उनकी झाँटों को शेव करना शुरू कर दिया। शुरु में मैं रेजर को धीरे धीरे कम कम चला रहा था, लेकिन एक बार जब कॉन्फ़िडेन्स आ गया तो फ़िर मै बिंदास रेजर चलाते हुए चूत के उभार पर बने झाँटों के त्रिकोण को साफ़ करने लगा। ऐसा लग रहा था मानो दीदी की चूत पर से झाँटों के कपड़े उतारे जा रहे हों। 

जब दीदी के चूत के उभार बने झाँटों का त्रिकोण चिकना साफ़ हो गया तो मैं वही काम दीदी की चूत के होंठों पर करने के लिये आगे बढा। तब मुझे समझ आया कि वहाँ की झाटें शेव करने के लिये कितनी ज्यादा सावधानी और दक्षता की जरूरत थी। मैंने चूत की दोनों पंखुड़ियों को पहले एक तरफ़ कर के शेव किया और दोनों को दूसरी तरफ़ कर के शेव किया। दीदी की चूत के उन मुलायम पतले होंठों पर मेरी ऊँगलियाँ फ़िसल रही थीं, और दीदी इस बात का ख्याल रख रही थीं कि उनकी चूत को इस तरह बार बार छूने की वजह से वो तड़प कर ज्यादा हिलने ना लगें। 

और फ़िर मैंने दीदी की चूत को अपनी मनपसंद रूप में शेव कर चिकना साफ़ कर दिया। दीदी अपनी टाँगें फ़ैलाये लेटी हुई थीं, और मैं अपनी हस्तकला को निहार रहा था। 

''वॉव, क्या मस्त लग रही है, दीदी आपकी चूत, चलो दीदी अब नहा लो, नीचे से ढंग से धो लेना जिससे जो शेविंग क्रीम और छोटे छोटे बाल के टुकड़े रह गये हैं वो धुल जायेंगे, और फ़िर मैं आपकी चूत को चाट चाट कर उसका जी भर के पानी निकाल कर चूसूंगा!"

''मैं तो अब जब ही नहाऊँगी जब तुम्हारे उस खुशी से पागल हो रहे मूसल लण्ड को मेरे साथ लेकर नहाओगे।''

''हाँ, हाँ क्यों नहीं।''

गिफ़्टी दीदी उठ कर खड़ी हो गयीं, और फ़िर उन्होने एक नजर अपनी चूत की तरफ़ डाली। वहाँ अर एक भी झाँटों का बाल ना देखकर उने थोड़ा अजीब लगा, लेकिन फ़िर भी उन्होने एक अपनी चिकनी हुई नंगी चूत पर अपना एक हाथ फ़िराया। जब तक मैं कप्ड़े उतार रहा था तब तक दीदी ने शॉवर ऑन कर गर्म और ठण्डे पानी को उचित अनुपात में मिलना निश्चित किया। हम दोनों एक साथ शॉवर के नीचे आ गये, और तुरंत छू कर चिपकते हुए एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे। 

जब मैंने गिफ़्टी दीदी के चेहरे की तरफ़ देखा, उस वक्त दीदी मेरे लण्ड को देख रही थीं जिसे वो अपने साबुन से सने चिकने हाथ से सहला रही थी। दीदी के होंठ बहुत सुंदर और भरे हुए थे और बीच बीच में वो अपनी जीभ बाहर निकाल कर उनको चाट रही थीं। मैं मिनी दी के होंठों को चूसने वाली घटना के बारे में सोचने लगा, और मुझे दीदी से भी उसी आत्मियता और करीबीपन के एहसास की जरूरत मेहसूस होने लगी। दीदी मुझे अपनी तरफ़ देखता हुआ देख रही थीं, उन्होने मुस्कुराते हुए नजर उठा कर मेरी तरफ़ देखा। मैंने अपना चेहरा थोड़ा नीचे किया और दीदी के होंठ तुरंत खुल गये, और अपने छोटे भाई के चुंबन के आमत्रंण और प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर लिया। 

जब शॉवर का पानी हम दोनों के बदन के ऊपर गिर रहा था, उस वक्त हम दोनों के होंठ आपस में जकड़े हुए थे, और दोनों की जीभ दूसरे के मुँह में घुसी हुई थी। उस प्रग़ाढ चुंबन के अतिरेक में डूब कर जब हम हाँफ़ते हुए अलग हुए तो गिफ़्टी दीदी ने मुझसे उनकी चूत चाटने को कहा, ''मेरी इस प्यारी सी नई शेव हुई चिकनी चूत को प्यार करो ना,'' दीदी ने मुझसे कहा। 

तौलिया से अपने शरीर को पोंछ कर हम दोनों भाई बहन गिफ़्टी दीदी के रूम में चले गये, जहाँ दीदी बैड पर नंगी ही अपनी दोनों टाँगें चौड़ी फ़ैला कर लेट गयीं, और अपनी नयी नयी शेव की हुई चिकनी चूत को सहलाने लगीं, वो अपने को इस नये एहसास से अभ्यस्त कर रहीं थीं। 

मैं बैड के पैरों की तरफ़ खड़ा था और गिफ़्टी दीदी मेरे बदन से दूर तक बाहर खड़े लण्ड को देख मस्त हो रहीं थी। मैं थोड़ा आगे होते हुए झुका, और मैं अपनी जीभ और होंठो से दीदी की गोरी चिकनी जांघों को चूमते चाटते हुए उस खजाने की ओर बढने लगा जिसको मैं लूटना और दीदी लुटवाना चाहती थीं। जैसे ही चूमते चाटते हुए दीदी की चूत के करीब पहुँचा, मैंने अपनी जीभ को सपाट कर लिया और उससे चूत के होंठों को प्यार से धीमे धीमे नीचे से ऊपर की तरफ़ चाटते हूए, दीदी की चिकनी चूत के ऊपरी शेव किये हुए उभरे हुए हिस्से को प्यार से हल्के हल्के चूमने चाटने लगा, कुछ देर में ही दीदी गिड़गिड़ाते हुए मुझसे और ज्यादा ना परेशान करने की मिन्नत करने लगी, और बोलीं, '' विशाल अब तू बस जल्दी से बस मेरी चूत को चाट।'' दीदी ने मेरे सिर को अपने दोनों हाथों में जकड़ कर पकड़ लिया, और जब मैं दीदी की चूत की दोनों पखुड़ियों को अपनी उँगलियों से अलग करते हुए फ़ैला रहा था, तो दीदी मेरे सिर को अपनी चूत में अंदर की तरफ़ खींच कर धकेलने लगीं। 

मैंने दीदी का कहना मानते हुए उनकी चूत के दाने को कभी तेजी से, कभी धीरे धीरे, कभी बाँयें से तो कभी दाँये से, कभी जोर से चूमने और चाटेन लगा। दीदी कराहते हुए बोलीं, "हाँ, विशाल यहीं पर, यहीं पर विशाल, ऐसे ही!'' दीदी हिलते हुए काँप रहीं थीं, और जैसे ही दीदी चरम पर पहुँच कर झड़ीं तो उनका बदन थरथराने लगा। मैं थोड़ा पीछे होते हुए, दीदी को परम सुख की प्राप्ति पर, उनके जिस्म में दौड़ रही मस्ती की लहर को तब तक निहारता रहा, जब तक कि ज्वार भाटे की उफ़नती लहर शांत ना हो गयी। 

जब मैं और दीदी चिपक कर एक दूसरे को चूमते हुए बैड पर लेटे हुए थे, तब मैंने कहा, ''दीदी, मेरा आपकी चूँचियाँ को चोदने का मन कर रहा है।''

''उम्म, ओके,'' दीदी ने जवाब दिया। मैंने दीदी के रुम में रखी ड्रेसिंग टेबल पर से मॉइस्चराईजर उठाया और फ़िर से दीदी के पास बैड पर आ गया, अपनी एक टाँग को दीदी की कमर के दूसरी तरफ़ कर मैं दीदी की कमर पर सवार हो गया, मेरा फ़नफ़नाता हुआ लण्ड दीदी के पेट और चूँचियों को अटेन्शन पोजीशन में सलाम करने लगा। दीदी ने मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी तरफ़ नीचे किया, और उसको चूसने के लिये अपना सिर उठा लिया, मैं दीदी की चूँचियों के बीच मॉइस्चराईजर मलने लगा। दीदी ने मेरे लण्ड को छोड़ दिया और मैंने दीदी को अपनी दोनों चूँचियों को आपस में मिलाकर पकड़ने के लिए कहा। दीदी ने वैसा ही किया, और मैंने अपना लण्ड दीदी की मस्त चूँचियों के बीच घुसा दिया, और दीदी की मुलायम चिकनी बड़ी बड़ी कड़क यौवन से भरपूर चूँचियों और अपने लण्ड के बीच चिकनाहड़ यु्क्त निर्विघन घर्षण के मजे लने लगा। 

जैसे ही अपना लण्ड बाहर निकाल कर फ़िर से अंदर पेला तो मेरे मुँह से बरबस निकल गया, ''स्स्स्स, बहनचोद, मजा आ गया।''
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12-20-2018, 01:25 AM,
#27
RE: vasna kahani चाहत हवस की
गिफ़्टी दीदी ने जैसे ही मेरे लण्ड के अग्र भाग को अपनी दोनों चूँचियों के बीच से निकलते हुए देखा तो बोलीं, ''वॉव, ये अच्छा तरीका है।'' जैसे ही मेरे लण्ड का सुपाड़ा दीदी के मुँह के करीब पहुँचता दीदी उसको अपने मुँह में घुसाने को ललचा जातीं, लेकिन उस पर लगे मॉइस्चराईजर की वजह से वो रुक जातीं। मैं अपने लण्ड को दीदी की चूँचियों के बीच पेले जा रहा था, और दीदी ने अपनी दोनों चूँचियाँ को मेर लण्ड के गिर्द कस कर जकड़ रखा था, और बीच बीच में अपनी उँगलियों से वो अपने निप्पल को मसल रही थीं। मैं कराहते हुए ताबड़तोड़ लण्ड को पेले जा रहा था और और दीदी को एहसास हो चला था कि मैं झड़ने ही वाला हूँ, लेकिन फ़िर भी मैं झटके मारे जा रहा था। और जैसे ही मैं झड़ा तो मैंने दीदी के दोनों चूँचियों के बीच एक जोर का अंतिम झटका मार दिया, मेरा लण्ड से निकला वीर्य और मॉइस्चराईजर मिक्स हो गये। और अंतिम झ्टके के साथ दोनों चूँचियों की गिरफ़्त से जैसे ही मेरा लण्ड का शिश्न आगे बाहर निकला, उसमें से वीर्य की एक और पिचकारी निकल कर दीदी की ठोड़ी के नीचे जा गिरी, और मेरे वीर्य ने दीदी के गले पर से बहते हुए उनके बैड पर नीचे बिखरे बालों को गीला कर दिया। 

जब मैं थोड़ा शांत होकर संयत हुआ तो मैं बैड पर दीदी के बगल में लेट गया और बोला, ''थैन्क यू दीदी, मजा आ गया।''

''चलो अच्छा है, मजा ही आना चाहिये, चलो अब मैं नहा लेती हूँ,'' दीदी हँसते हुए बैड से उठकर बाथरूम की तरफ़ जाते हुए बोलीं।

जब दीदी बाथरूम से नहा कर आ गयीं, तो हम दोनों अन्डवियर पहने हुए ड्रॉईंगरूम में सोफ़े पर बैठकर टीवी देखने लगे, और देर रात तब तक एक दूसरे को छूते और सहलाते रहे, जब तक दोनों को नींद ना आने लगी। 

''आज मेरे साथ मम्मी पापा के बैड पर सोना चाहोगे?" दीदी मम्मी पापा के रुम में दाखिल होते हुए पूछा।

''सच में दीदी, साथ में सोना?"

''हाँ, सिर्फ़ सोना, समझे, एक साथ सोना नहीं बच्चू,'' दीदी ने कहा। 

''हाँ, दीदी क्यों नहीं,'' मैंने थोड़ा मायूस होते हुए कहा। हम दोनों मम्मी पापा के बैड में एक साथ चिपक कर लेट गये। कुछ देर में ही दोनों को एहसास हो चला कि इस तरह नंगे बदन चिपके हुए नींद आना असंभव था। 

''दीदी एक बार मेरे लण्ड को चूस कर इसका पानी निकाल दो ना प्लीज, नींद तब ही आयेगी,'' मैंने दीदी को किस करते हुए कहा। 

''उम्म्म, ठीक है, लेकिन तुमको भी मेरी चूत एक बार फ़िर से चाटनी पड़ेगी?" दीदी ने कहा। 

दीदी क्यों ना हम दोनों एक साथ करें?" मैंने सुझाव देते हुए कहा। दीदी तुरत तैयार हो गयीं, और हम दोनों 69 ट्राई करने पर सहमत हो गये। पहले जब मैंने ऊपर आकर दीदी की चूत को चाटना शुरू किया तो ना तो दीदी ही आसानी से मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले पा रही थीं और ना ही मैं उनके मुँह में अंदर तक ढंग से अपने लण्ड को पेल पा रहा था। इसलिये फ़िर दीदी पलट कर ऊपर आ गयीं जिससे उनकी चूत अपने छोटे भाई के चेहरे के सामने थी, और वो मजे से मेरे मोटे मूसल जैसे लण्ड को पकड़ कर चूस रही थीं। 

मैं दीदी की गाँड़ की दोनों गोलाईयों को दोनों हाथों से पकड़कर दूर करते हुए फ़ैला कर ज्यादा से ज्यादा चौड़ा कर रहा था, जिससे मेरी जीभ दीदी की चूत की अधिकतम गहराई तक अन्वेशण कर सके। दीदी मेरे लण्ड को मजे से हिलाते हुए चूसे चाटे जा रही थीं, जब मुझसे ना रहा गया तो मेरे लण्ड से वीर्य के लावे का ज्वालामुखी दीदी के मुँह में फ़ूट गया। मेरे वीर्य से मानो दीदी के मुंह में बाढ आ गयी, और दीदी भी ज्यादा देर बर्दाश्त ना कर सकीं और झ्ड़ते हुए उनकी चूत ने भी अपने छोटे भाई की जीभ पर ढेर सारा पानी निकाल दिया। 

उसके बाद हम दोनों अपनी अपनी जगह पर टाँग में टाँग फ़ँसा कर लेट गये, मेरा मुर्झाता हुआ लण्ड दीदी की 
गाँड़ की गोलाईयों के बीच की दरार पर दस्तक मार रहा था। 


''इसको मेरी दोनों जाँघों के बीच घुसा दो,'' दीदी ने फ़ुसफ़ुसाते हुए कहा। 

मैं दीदी की बात सुनकर थोड़ा चौंका और फ़िर मैंने एक्साईटेड होते हुए पूछा, ''सच में दीदी?"

''मेरी चूत में नहीं पागल, बस मेरी दोनों जाँघों के बीच समझे, जिससे कि बस ये मेरी चूत कि होंठों को छूता रहे,'' दीदी ने सफ़ाई देते हुए कहा। मैं तुम्हारी शादीशुदा बड़ी बहन हूँ, मेरी चूत पर सिर्फ़ मेरे पति अजय का हक है। लेकिन तुम चिंता मत करो, मैं अपने छोटे भाई के लिये किसी दूसरी चूत का जुगाड़ जरूर कर दूँगी। दीदी ने अपनी एक टाँग थोड़ा ऊपर उठा कर चौड़ी कर दीं और मैंने अपने लण्ड को हाथ से पकड़ कर दीदी की जाँघ के अंदरूनी हिस्से के ऊपर रख दिया, जो दीदी हाल में शेव की हुई चिकनी चूत को टच कर रहा था। दीदी ने फ़िर से अपनी वो टाँग नीचे कर दी, जिससे मेरा लण्ड दीदी की जाँघों के बीच कैद हो गया। दीदी थोड़ा सा कसमसाते हुए अपनी चूत के द्वार पर मेरे मोटे लण्ड की उपस्थिति का एहसास कर रही थीं। और ऐसे ही कुछ देर बाद हम दोनों भाई बहन नींद के आगोश में समा गये।

''ये लो तुम्हारे लिये फ़ोन है,'' गिफ़्टी दीदी ने अगले दिन सुबह मुझे उठाते हुए कहा, ''मिनी है लाईन पर,'' दीदी ने मुझे फ़ोने थमाते हुए कहा। मैंने नोट किया कि दीदी वहीं आसपास मंडरा रहीं थीं, उस रूम से बाहर नहीं जा रही थीं। 

''हैलो, मिनी दी, कैसी हो आप,'' मैंने गिफ़्टी दीदी से मुस्कुराते हुए फ़ोन लेकर बात करते हुए कहा। गिफ़्टी दीदी भी थोड़ा उत्सुक होकर मुस्कुरा दी, क्योंकि सामान्यतः मिनी दी मुझे कभी फ़ोन नहीं करती थीं, ज्यादातर वो गिफ़्टी दीदी से ही बात किया करती थीं। 

''हैलो विशाल, मुझे मेरी मम्मी से पता चला कि त्तुम्हारे मम्मी पापा कहीं बाहर गये हुए हैं, मैंने सोचा कहीं तुमको कम्पनी की जरूरत तो नहीं है?"

''उम्म, हाँ वैसे गिफ़्टी दीदी तो यहीं पर हैं, और मम्मी पापा भी आज दोपहर तक वापस आ जायेंगे, लेकिन फ़िर भी अगर तुम दो तीन घन्टों के लिये आना चाहो तो आ जाओ, मजा आयेगा, ठीक है ना?" मैंने इतना कहकर गिफ़्टी दीदी की तरफ़ देखा, कि वो क्या चाहती हैं। गिफ़्टी दीदी ने अपने कन्धे उँचकाते हुए ऐसे जताया कि मानो वो क्या जाने। मुझे लगा कि शायद मिनी दी एक बार फ़िर से मेरे साथ मजे करना चाहती हैं। 

''तो फ़िर ठीक है विशाल, मैं बस आधे घण्टे में एक्टिवा पर तुम्हारे यहाँ आती हूँ, ओके?"

''हाँ, ठीक है मिनी दी।''

''जल्दी से आती हूँ,'' मिनी दी ने खिलखिलाते हुए कहा।
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12-20-2018, 01:25 AM,
#28
RE: vasna kahani चाहत हवस की
मिनी दी यहाँ हमारे घर आ रही हैं,'' मैंने कुटिल मुस्कान के साथ गिफ़्टी दीदी को बताया। 

उफ़्ह,'' गिफ़्टी दीदी ने मेरी बाँह पर एक चपत लगाते हुए कहा। ''मुझे लगता है उसको भी तुम्हारे लम्बे मोटे लण्ड का चस्का लग गया है। और वैसे भी उसकी बेचारी की क्या गलती है, लेकिन पता नहीं मुझे समझ नहीं आ रहा कि तुमको शेयर कर के मैं खुश हूँ या नहीं…'' गिफ़्टी दीदी ने कहा। लेकिन दीदी को ज्यादा परेशान ना देखकर मैं खुश था। गिफ़्टी दीदी ने आगे बढकर अण्डर वियर के ऊपर से ही मेरे लण्ड को हिलाना शुरु कर दिया। ''उसके आने से पहले ही मैं तुम्हारा पानी निकाल देती हूँ, इससे उसका सारा मजा खराब हो जायेगा,'' दीदी ने मेरे लण्ड को छोड़कर अपनी एक उँगली मुँह मे लेकर चूसते हुए, और दूसरे हाथ से अपनी एक चूँची दबाते हुए कहा। 

''हुह, दीदी, आप ये क्यों कर रही हो,'' मैंने कहा। 

''तुम चुप रहो, तुमसे किसी ने पूछा क्या, बहुत मजा आयेगा,'' दीदी हँसते हुए बोलीं। लेकिन वो फ़िर पलट कर अपने रूम की तरफ़ जाने लगीं, और जात हुए उन्होने मेरी तरफ़ एक आँख मार दी, जिससे लगा कि सब कुछ ठीक है। 

मैं अपने कमरे में आकर बैड पर लेटे हुए लैपटॉप पर पॉर्न साइट्स सर्फ़ करने लगा, और लण्ड हिलाते हुए सोचने लगा कि हो सकता है जिंदगी में आज पहली बार किसी चूत में लण्ड घुसाने का मौका मिल जाये, जिससे मैं अपना कौमार्य खो सकूँ। 

जैसे ही डोरबैल बजी, मैंने तुरंत लैपटॉप बंद किया और अन्डर्वियर और शॉर्टस को ऊपर कर लिया, और अपने खड़े लण्ड को शॉर्ट्स में एड्जस्ट करते हुए मेन डोर खोल कर अपनी कजिन मिनी दी का स्वागत करने को बढ चला। 

जैसे ही मैंने मेन डोर खोला तो सामने मिनी दी को मुस्कुराते हुए खड़ा पाया, एक हाथ में उनके हैल्मेट था। मैंने उनको ऊपर से नीचे तक देखा, मिनी दी ने टाँगों से चिपकी हुई ब्लैक लैगिंग पहनी हुई थी और ऊपर केसरिया रंग का टाईट कुर्ता। कुर्ते में से उनके टाईट खड़े हुए निप्पल साफ़ नजर आ रहे थे, शायर कुर्ते के नीचे मिनी दी ने ब्रा नहीं पहनी थी। जब मैंने उनकी आँखों की तरफ़ देखा तो पाया कि उनकी नजर भी मेरे शॉर्ट में खड़े लण्ड के उभार पर थी। जैसे ही हमारी आँखें मिलीं हम दोनों एक दूसरे को देख कर हँस पड़े ये सोच कर कि हम दोनों एक दूसरे के बदन के किस हिस्से को निहार रहे थे। 

''हे विशाल लो इस हैल्मेट को पकड़ो,'' मिनी दी ने चुप्पी तोड़कर अंदर आते हुए कहा। 

''हाँ दी लाओ इसे मुझको दो, मैं रख देता हूँ,'' मैंने जवाब दिया। मिनी दी ने अपने जूते उतार कर शू-रैक पर रख दिये और फ़िर नंगे पैर ही अंदर आ गयीं। ड्रॉईंग रूम में उनके पीछे चलते हुए मैं अपनी कजिन मिनी दी की मोटी सुडौल गाँड़, पतली कमर और जिस्म के हर उभार को निहार रहा था। 

''गिफ़्टी कहाँ है?'' मिनी ने घूम कर मुझसे पूछा।

''शायद अपने रूम में ही होंगीं,'' मैंने कहा। 

''ओह, अच्छा,'' मिनी दी ने कहा और आगे बढकर मुझे मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच भरकर, एक गर्मागर्म भीगी हुई किस दे दी। ''आज तो मैं जब एक्टिवा चला कर आ रहीं थी ना, तो तुम विश्वास नहीं करोगे मैं कितनी ज्यादा चुदासी हो रही थी, मेरी चूत जब एक्टिवा की सीट पर घिस रही थी ना तो बस जान ही निकल रही थी। आज तो बस मेरी चूत की प्यास अपने मोटे लण्ड से बुझा ही दो विशाल, बुझाओगे ना?''

मिनी दी कि बातें सुनकर मेरा लण्ड फ़नफ़ना कर खड़ा हो गया। मुझे इसका अंदेशा तो था लेकिन इस बात की आशा नहीं थी कि मिनी दी आने के बाद सबसे पहले ये ही बात करेंगी! ''हाँ दी, कुछ अरेंजमेंट तो करना ही पड़ेगा,'' मैं किसी तरह अपनी खुशी को छिपाते हुए बोला, लेकिन फ़िर भी एक कुटिल मुस्कान तो मेरे चेहरे पर आ ही गयी। मैं मिनी दी का एक हाथ पकड़कर अपने रूम में खींच कर ले गया, और एक दूसरे की जीभ को चूमते चाटते हुए हम दोनों मेरे बैड पर भहराते हुए ढह गये। 

''आपके इस कुर्ते का तो बहुत पतला कपड़ा है,'' मैंने मिनी दी की चुँचियों को कुर्ते के ऊपर से दबाते हुए कहा। 

''मुझे कॉटन के हल्के कपड़े ही पसंद हैं, पता ही नहीं चलता कि कुछ पहन भी रखा है,'' मिनी दीदी ने मुझे बताया, ''और जब मैं एक्टिवा चलाती हूँ तो मुझे ओवर टेक करने के बाद जब लड़के पलट पलट कर मुझे देखते हैं, तो मुझे बहुत मजा आता है।''

''उन बेचारे लड़कों की क्या गलती, आपकी इन कुर्ते में से साफ़ उभरती चूँचियों के निप्पल और मस्त मोटी गाँड़ देखकर कोई भी पागल हो जायेगा!" जब हम बातें कर रहे थे तभी मैंने मिनी दी के कुर्ते के नीचे से हाथ घुसाकर उनकी चूँचियों को दबा कर मसलने लगा, और उनके कड़क निप्पल को मींजने लगा। मैं मन ही मन सोच रहा था कि ये काम तो लास्ट टाईम जब हम मिले थे तो गिफ़्टी दीदी ने किया था, ये सोचते हुए मेरा मूसल जैसा लण्ड एक दम टाईट होकर लक्कड़ हो गया। 

जब मैं मिनी दी की कड़क मस्त चूँचियों को दबाते हुए मसल रहा था, तब मिनी दी ने अपना एक हाथ मेरे शॉर्ट की तरफ़ बढाते हुए मेरे लण्ड को आजाद करने लगीं जिसको वो अपनी चूत में पिलवाने के लिये आज मेरे पास आयीं थीं। मिनी दी उस दिन अर्चना दीदी की बर्थ-डे पार्टी में जब मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसते हुए मेरे वीर्य को पिया था, उस दिन से बस वो मेरे लण्ड को अपनी चूत में लेने के बार में ही सोच रही थीं, और आज जब मेरे मम्मी पापा दोनों ही घर पर नहीं थे, तो इस से अच्छा कोई और मौका मिलना नामुमकिन था। मिनी दी ने मेरे लण्ड को बाहर निकालकर उसको अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया, और उसको ऊपर नीचे कर मुठियाते हुए हिलाने लगी, और मुझे कामवासना का आनंद देने लगीं।
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12-20-2018, 01:25 AM,
#29
RE: vasna kahani चाहत हवस की
मैंने मिनी दी के कन्धे और गले को चूमते हुए उनके कुर्ते को उनके गले में से ऊपर करते हुए उतार दिया। जैसे ही मिनी दी की चूँचियों का दीदार हुआ, मैंने उनको अपने मुँह में भर लिया, और जब तक मैं उनके कुर्ते को अपने हाथों से दूर फ़ेंकता, मैं मिनी दी की चूँचियों को बेतहाशा चूसने लगा। मिनी दी ने मुझे अपनी चूँचियों से दूर करते हुए मुझसे भी अपने कपड़े उतारने को कहा, जिससे वो भी मेरे लण्ड को चूस सकें। मैंने खुशी खुशी जल्दी से अपने कपड़े उतार दिये और नंगा होकर बैड पर बैठ गया। मिनी दी मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गयीं, और दोनों हाथों से मेरे लण्ड को पकड़ लिया, और मेरे लण्ड के सुपाड़े को चूसने लगीं, मैं मिनी दी के लण्ड चूसने का आभार जताते हुए और उनकी कुशलता को सराहते हुए कराहते हुए तरह तरह की आवाजें निकालने लगा। मिनी दी मेरे लण्ड के सुपाड़े की पूरी गोलाई पर जीभ फ़िराते हुए सुपाड़े के निचले अंदरूनी संवेदनशील भाग को चाटने लगीं। मैंने मिनी दी के निप्पल को मसलते हुए उनसे खड़े होने के लिये कहा। मिनी दी ने अपने मुँह में से मेरे लण्ड को बाहर निकाल दिया और मेरे सामने सिर्फ़ लैगिंग पहने हुए खड़ी हो गयीं, खुजुराहो की मूरत की तरह उनकी छोटी छोटी कड़क चूँचियों से खड़े होकर बाहर उभरे हुए निप्पल किसी भी जवान लड़के को उनको पटक कर चोदने पर मजबूर कर देते। 

मैंने आगे बढकर दोनों हाथों में मिनी दी के दोनों अमरूदों को भर लिया, और प्यार से धीरे धीरे उनको मसलने लगा, और अपनी जीभ से उनके समतल सपाट गोरे पेट को कमर के पास चाटने लगा, मिनी दी की स्किन धूप में एक्टिवा चलाने के कारण आये पसीने से थोड़ी नमकीन हो रही थी। मैंने अपने हाथों को उनकी चूँचियों से हटाते हुए और उनकी पंसलियों पर सहला कर नीचे उनके मस्त गोल नितम्बों पर ले आया, और फ़िर उनको दबा कर गूंथते हुए मसलने लगा। और फ़िर अपनी उँगलियों को मिनी दी कि कमर पर ले जा कर लैगिंग के इलास्टिक में फ़ंसाकर, उनकी टाँगों से चिपकी लैगिंग को केले के छिलके के मानिंद उतार दिया, फ़िर मिनी दी की गोरी लम्बी टाँगें और चिकनी सुडौल जाँघें नितांत नग्नाव्सथा में मेरे सामने थीं।

लैगिंग उतारने के बाद मैंने देखा मिनी दी ने एक हॉट पिन्क कलर की पैण्टी पहनी हुई थी, जो उनकी गोल गुदाज गाँड़ और मस्त चूत को छुपा रही थी। मैने मिनी दी को दूसरी तरफ़ घूमाकर खड़ा कर दिया, और उनसे झुककर अपने पैर के पजे छूने को कहा, जिससे मैं उनकी पैण्टी में छुपी हुई चूत को देख सकूँ, और जैसे ही मैंने अपनी उँगलियों से मिनी दी की चूत को पैण्टी के ऊपर से सहलाना शुरू किया, ये देखकर मैं अचंभित रह गया कि उनकी पनिया रही चूत ने किस कदर पैण्टी को गीला कर रखा था। मैने आगे बढकर मिनी दी की चूत को पैण्टि के ऊपर से चूम लिया, और फ़िर पैण्टी की इलास्टिक में ऊँगलियां फ़ँसाकर उस को भी नीचे खींचकर उतार दिया। मिनी दी ने अपनी झाँटें ट्रिम कर रखीं थीं, और उनके बीच से झाँकता उनकी चूत का गुलाबी छेद मस्त मादक द्रष्य प्रस्तुत कर रहा था। मैंने मिनी दी की चूत की दरार को जैसे ही चाटा, मिनी दी घूमकर पलट गयीं और अपने घुटनों के बल बैठते हुए फ़िर से मेरे लण्ड को चूसने लगीं, और फ़िर कुछ देर बाद बैड पर चढकर मेरे पास लेट गयीं। मिनी दी ने मुझे अपनी तरफ़ नीचे की ओर खींचा और मेरे होंठों को चूम लिया, और एक हाथ से मेरे लण्ड को जकड़ लिया, मैं मिनी दी की चूत की दोनों फ़ाँकों को अपनी उँगलियों से अलग अलग करते हुए उनकी पनिया रही चूत के छेद में अपनी उँगलियाँ घुसाने लगा। 

''हाँ, विशाल ऐसे ही, मेरी चूत को अपनी उँगलियों से चौड़ाकर के खोल लो, और तैयार कर दो इसको अपने मूसल को अंदर घुसाने के लिये, और अंदर घुसाओ ना,'' मैंने उस वक्त तो उँगलियाँ चूत में घुसा रखीं थीं, ये सुनकर मैंने एक तीसरी उँगली और उनकी चूत में घुसा दी, और फ़िर ज्यादा से ज्यादा उनको अंदर घुसाते हुए मिनी दी को चुदने के लिये तैयार करने के लिये अपनी अँगलियों को चूत के अंदर बाहर करने लगा। 

''विशाल मैं तुम्हारे लण्ड से चुदना चाहती हूँ, मैं अपनी चूत में तुम्हारे मोटे बड़े प्यारे लण्ड को अंदर घुसवाना चाहती हूँ, फ़ाड़ दो मेरी चूत को अपने मोटे लम्बे लण्द से विशाल, तुम मुझे चोदोगे ना विशाल?"

''हाँ, क्यों नहीं मिनी दी,'' मैंने उत्साहित होते हुए जवाब दिया, मिनी दी अपनी टाँगें चौड़ीकर फ़ैलाते हुए बैड पर सीधी लेट गयीं। मैंने मिनी दी के ऊपर आते हुए, अपने हाथ से लण्ड के सुपाड़े को चूत के द्वार पर रख दिया, मिनी दी अपना मुंह खोलकर, मेरा साथ देते हुए बेकरारी से मेरे लण्ड का उनकी चूत के घुसने का इंतजार कर रही थीं। 

''अहिस्ता आहिस्ता करना विशाल, एक बार मैं एडजस्ट कर लूँ।''

''ओके, ठीक है।''

मैं अपनि कजिन सिस्टर मिनी दी की पनिया रही चिकनी चूत में अपना लण्ड घुसाने का प्रयास कर रहा था, और मिनी दी ने मेरे लण्ड को अपने एक हाथ से पकड़ रखा था, जिससे वो मेरी स्पीड को कण्ट्रोल कर सकें। जैसे ही मेरे लण्ड का सुपाड़ा मिनी दी की चूत में घुसा, उन्होने मुझे रोक दिया, और एक बार को थोड़ा बाहर निकालने के लिये कहा। और फ़िर मुझे फ़िर से अंदर घुसाने को कहा, इस बार मेरा लण्ड और ज्यादा अंदर तक घुस गया। ऐसे ही कुछ देर क्रते रहने के बाद, थोड़ा बाहर निकालकर फ़िर से अंदर और ज्यादा घुसाने का खेल चलता रहा। जब मेरा लण्ड करीब दो ईन्च मिनी दी की चूत के अंदर घुस गया, तब मिनी दी ने मुझे बताया कि किस तरह मेरे मोटे लण्ड ने उनकी चूत के छेद को पहली बार इस कदर चौड़ा किया था, और उनको कैसे पहली बार अपनी चूत पूरी तरह भरी हुई मेहसूस हो रही थी, और फ़िर मुझे और ज्यादा अंदर घुसाने को कहा। 

जब मेरा लण्ड दो तिहाई मिनी दी की चूत में घुस गया, तो मिनी दी ने हथियार डाल दिये, और बोलीं कि इस से ज्यादा वो बर्दाश्त नहीं कर पायेंगी, और फ़िर मुझे सावधानी से चोदने के लिये कहा। मुझे अपनी कजिन बहन की चूत में अपना लण्ड घुसाकर जो आनंद आ रहा था, ये सोचकर मुझे अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं हो रहा था। जब मैं मिनी दी की चूत में अपने लण्ड को अंदर बाहर करने लगा, तो मैं इतना ज्यादा कामोत्तेजित और चोदने को बेकरार पहले कभी नहीं हुआ था। मिनी दी की टाईट चूत को अपने मूसल जैसे लण्ड के गिर्द लिपटे होने के एहसास को संजोते हुए, मैं मिनी दी के निप्पल को चूसने और हल्के से काटने लगा, मिनी दी मुझे ऐसा करते रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहीं थीं।

''हे भगवान, स्स्स विशाल तुम्हारा कितना बड़ा है, चोद दो मेरी चूत को इससे, बहुत मजा आ रहा है!" जैसे ही मैंने मिनी दी की चूत में अपना लण्ड अंदर बाहर करते हुए चोदना शुरू किया, मिनी दी बड़बड़ाते हुए बोलीं। कुछ ही मिनट बाद मेरे सब्र का बाँध टूटने लगा, और मैं झड़ने के बेहद निकट पहुँच गया, इतना कि फ़िर कन्ट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। 

''मैं बस होने ही वाला हूँ, दी,'' मैंने मिनी दी को बोला। 

''मेरी चूत में ही निकाल दो विशाल, अपने लण्ड का पानी, चिंता मत करो मैंने गोली खा रखी है। मैं तो कब से चाह रही थी कि तुम मेरी चूत को अपने वीर्य के पानी से पुरी तरह लबालब कर के भर दो, विशाल।'' अपनी कजिन सिस्टर के मुँह से ऐसी गंदी गंदी बातें सुनकर मेरे से और ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और मेरे लण्ड का ज्वालामुखी मिनी दी की चूत के अंदर ही फ़ुट गया, और मेरे वीर्य के पानी की पिचकारियों ने मिनी दी की चूत में बाढ ला दी, मैं अभी भी अपने लण्ड के अंतिम झटके मिनी दी की चूत में अपने लण्ड को घुसाये हुए, ताबड़तोड़ लगाये जा रहा था। 

"ओह मिनी दी, थैन्क यू, मजा आ गया,'' मैं अपनी कजिन मिनी दी के ऊपर निढाल होकर लेटता हुआ बोला।
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12-20-2018, 01:25 AM,
#30
RE: vasna kahani चाहत हवस की
''थैन्क यू, विशाल,'' मिनी दी ने मुझसे मुस्कुरा कर मेरे होठों को किस करते हुए कहा। जैसे ही मिनी दी ने मुझे अपने ऊपर से हटा कर बैड पर लिटाया, उनकी चूत के वीर्य बाहर टपकने लगा। हम दोनों उसी अवस्था में कुछ देर लेटे रहे, कुछ देर बाद मिनी दी ने कहा कि उनको गिफ़्टी दीदी को कम सो कम हैलो तो बोल ही देना चाहिये, कहीं वो बुरा ना मान जायें कि हमारे घर में घुसकर उनके भाई से तो मिनी दी ने चुदवा लिया और उनसे हैलो भी नहीं बोला। 

मुझे भी मिनी दी की बात में दम दिखाई दिया, हम दोनों फ़टाफ़ट कपड़े पहनने लगे। 

उधर मेरे रूम के बाहर, गिफ़्टी दीदी जल्दी से अपना पाजामा सम्हालते हुए अपने रूम की तरफ़ बढने लगीं, उनकी शेव की हुई चिकनी चूत झड़ने के बाद पानी छोड़ रही थी, जैसे उन्होने अपने रूम का डोर हैन्डल अपनी गीली चिकनी उँगलियों से खोलने की कोशिश की उनकी उँगलियां उस पर फ़िसलने लगीं। 

गिफ़्टी दीदी को विश्वास नहीं हो रहा था कि मिनी दी ने अभी अभी उनके छोटे भाई विशाल से चुदाई करवाई हैं! गिफ़्टी दीदी ने सोचा था कि शायद मैं और मिनी दी ओरल सैक्स करेंगे, जैसा कि मैं और गिफ़्टी दीदी किया करते थे, और वो भी हम दोनों के साथ शामिल होने के लिये मेरे रूम में आ रहीं थीं। लेकिन जैसे ही वो मेरे रूम के डोर के पास पहुँचीं उन्होने मिनी दी को मेरा लण्ड उनकी चूत में घुसाने की रिक्वेस्ट करते हुए सुना। गिफ़्टी दीदी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, आखिर उनका छोटा भाई अपना कौमार्य खोने वाला था, कहीं ना कहीं उनको इस बात की थोड़ी जलन भी हो रही थी कि मिनी दी की जगह इस वक्त वो खुद क्यों नहीं हैं। लेकिन उस वक्त रूम में घुसना मुनासिब नहीं था। इसीलिये वो बाहर खड़े होकर अपनी कजिन मिनी की चूत में मोटे लण्ड के घुसने की वजह से चूत के फ़ैलने और चुत के पूरी तरह से भर जाने की बातें सुनकर उत्तेजित होते हुए अपनी चूत में तीन उँगलियाँ घुसा कर कल्पना कर रहीं थीं, मानो मेरा मोटा लम्बा लण्ड उनकी चूत में घुस रहा हो। 


अपने रूम में पहुँचकर गिफ़्टी दीदी ने जल्दी से अपनी पैण्टी को ठीक से पहनते हुए अपने कपड़े व्यवस्थित किये, और इस से पहले की मिनी दी उनके रूम डोर पर नॉक करतीं, वो नॉर्मल हो गयीं। 


"हाय गिफ़्टी, कैसी हो?" मिनी दी ने रूम में दाखिल होते हुए पूछा। 

''मैं तो ठीक हूँ, तुम कैसी हो, तुम्हारे गाल बड़े लाल हो रहें है, विशाल के साथ मस्ती कर रही थी क्या?" अपनी कजिन बहन को छेड़ते हुए गिफ़्टी दीदी ने पूछा। 


''ओह, हाँ, बड़ा मजा आया,'' मिनी दी ने थोड़ा शर्माते हुए कहा। ''आज का दिन तो विशाल जिंदगी भर याद रखेगा।

''कौन लड़का अपनी ऐसी हॉट कजिन से अपना लण्ड चुसवा कर भूल सकता है।'' गिफ़्टी दीदी ने कहा, वो मन ही मन सोच रहीं थीं कि क्या मिनी दी मेरा लण्ड चूसने से कहीं आगे जो कुछ मेरे रूम में कर के आयी हैं उस बात को स्वीकार करेंगी या नहीं। 

''हाँ, शायद आप सही कह रही हो, पर आप जो सोच रही हो उसके अलावा भी कई और वजहों से आज का दिन उसका यादगार रहेगा।''

''और क्या वजह हो सकती है? तुम दोनों ने कहीं चुदाई तो नहीं की ना?'' गिफ़्टी दीदी ने शॉक होते हुए पूछा। 

''चलो, ऐसा समझ लो कि मेरी दोनों टाँगों के बीच बह रहा सारा रस सिर्फ़ मेरे अकेले का नहीं है,'' मिनी दी अपनी लैगिंग के ऊपर से अपनी चूत पर हाथ फ़िराकर, शर्माकर हँसते हुए बोलीं। 

"ओह, मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि तुम विशाल से चुद कर आयी हो।''

''आप ने ही ओ सबसे पहले मुझे बताया था कि विशाल का लण्ड कितना बड़ा है, तो फ़िर अब सरप्राईज होने की क्या बात है।''

''हाँ, ये बात तो सही है कि मैंने ही तुमको विशाल के मोटे लम्बे लण्ड के बारे में बताया था, और हम दोनों ने मिलकर उसको चूसा भी था लेकिन मुझे ये पता नहीं था कि तुम उसकी इतनी दीवानी हो जाओगी और उसे अपनी चूत में घुसाकर चुदाई करवा लोगी!"

''आई एम सॉरी, लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि सबसे पहले या फ़िर मेरे से तुम विशाल से चुदवाना चाहती थीं?" गिफ़्टी दी के अनमने या अप्रत्याशित बर्ताव को देखकर मिनी दी ने पूछा। 

''हाँ, हो सकता है, मुझे नहीं पता, मैंने इस बार में कभी सोचा ही नहीं, और वैसे भी हे भगवान कितना बड़ा है उसका, शायद वो मेरी चूत में तो आ भी नहीं पाता, लेकिन फ़िर भी मुझे ये उम्मीद नहीं थी कि विशाल अपनी लाईफ़ में सबसे पहले जिस लड़की के साथ सैक्स करेगा, वो तुम होगी।'' गिफ़्टी दीदी ने थोड़ा शांत और संयत होते हुए कहा। ''हाँ कहीं ना कहीं इस बात का थोड़ा अफ़सोस तो जरूर है क्योंकि मैं मन ही मन सोचे बैठी थी कि विशाल जब भी पहले बार किसी के साथ सैक्स करेगा तो मेरे साथ। मैं थोड़ा आहत तो जरूर हुई हूँ, लेकिन इस में तुम्हारी कोई गलती नहीं है, तुम्हारी अभी शादी नहीं हुई है तब तक ये ठीक है, लेकिन मैं शादीशुदा हूँ और अब मुझे चोदने का अधिकार सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे पति को है।''

मिनी दी थोड़ा आगे बढकर गिफ़्टी दीदी के बगल में बैठ गयीं और उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया। 

''शायद मुझे भी विशाल के साथ सिर्फ़ ओरल सैक्स तक ही सीमित रहना चाहिये था, आई एक सॉरी फ़ोर दैट,'' मिनी दी ने कहा। ''लेकिन एक बात तो निश्चित है कि जैसे जैसे लड़कियों को मालूम चलता कि विशाल का लण्ड इतना बड़ा है तो फ़िर तुम्हारा विशाल पर हमारा एकाधिकार नहीं रहता, उसको हमसे अपना लण्ड चुसवाने की जगह, और लड़कियों की चूत में लण्ड पेलने में कहीं ज्यादा मजा आता, जो हुआ ठीक हुआ।''

''हाँ ये तो तुम सही कह रही हो। चलो एक बात की तो खुशी है कि सबसे पहले जिस लड़की ने विशाल का लण्ड चूसा था, वो मैं थी '' गिफ़्टी दीदी ने हँसते हुए मिनी दी की तरफ़ देखते हुए कहा।

मिनी दी ने गिफ़्टी दीदी की आँखों में देखा, तो उन आँखों में वो पहले वाली चमक लौट आयी थी, ये देखकर मिनी दी निश्चिंत हो गयीं कि गिफ़्टी दीदी के छोटे भाई विशाल से चुदवा कर जो खटास दोनों के रिश्तों में आ गयी थी, शायद अब वो दूर हो गयी थी, और उन दोनों की दोस्ती बरकरार थी।
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