Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
06-25-2017, 12:31 PM,
#11
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
मेने कॉलेज से आते ही देखा के मम्मी घर पे ही थी, मे कॉलेज आते समय मेहन्दी के पॅकेट लेके आई थी. सो मेने हाथ मूह धोके, मम्मी से कहा 
“ मेरे हाथो और पैरो पे मेहन्दी रचानी है, मुझे अपने नये घर मे आके बहुत अच्छा लगा इस लिए” मम्मी ने कहा “ बेटी तुमने बहुत जल्दी यहा के महॉल को अपना बना दिया, मे बहुत खुस हू, मे तुम्हारे आज बढ़िया मेहन्दी रचा दूँगी, जैसे शादी मे रचा ते है, लेकिन तुम अभी छोटी हो, वरना मे तुम्हारे पति का नाम इस्पे लिख देती और तुम जब अपने पति से मिलो तो उसे अपना नाम कहा लिखा है वो ढूँढ ना पड़ता” मेने कहा “ मम्मी अभी तो शादी नही लेकिन तुम मेरे लेफ्ट हाथ पे “आर” बनाना और राइट हाथ पे “एस” बनाना, कुयंकि आर फॉर रियल और एस फॉर शमा याने के रियल शमा” मम्मी की इंग्लीश वीक थी सो उन्होने मुझे उसका मतलब नही पूछा और कहा “ हा ठीक है”. में अपने हाथो और पैरो मे मेहन्दी रचा ने के बाद अपने कमरे मे आके सो गयी और मेने मम्मी को बोला था कि मे रात को खाना नही खाउन्गी. मे ने घड़ी मे रात के 12 बजे का अलार्म लगा दिया था. मे ने सपने मे देखा कि कैसे अंकल मेरे हाथो की मेहन्दी को चूम रहे थे कि अलार्म बज गया और मेने अपने हाथो और पैरो को अच्छी तरह धो दिया. मेने अपने बालो मे मम्मी से तेल भी लगवाया था, क्यूंकी अंकल उन्हे हर वक़्त बहुत ज़ोर से खिच ते थे. मेने बाथरूम जाके अपने सारे बालो को अच्छे से धोके और मेरे पूरे जिस्म को साबुन से धो दिया. मेने सुबह के अपने बालो को गीला ही रहने दिया. फिर अपने हाथो की मेहन्दी को देखा और उसमे “आर” और “एस” को देख के मुस्करा रही थी, और सोच रही थी अगर राज अंकल मेरे पति बन जाए तो मुझे हर वक़्त अपने पास ही रख ते, क्यूंकी उनकी कॉलेज मे काफ़ी जान पहचान थी, सो मुझे कॉलेज भी जाना ना पड़े और मैं हर दिन उनकी बाहो मे ही लिपटी रहू. ये सब सोच के मेरी चूत मे गुद गुडी सी होने लगी. 


डेट 23-जून-96. रात के ठीक 12:05 मिनट पे अपने भीगे बालो और हाथ – पैर मे लगाई हुई मेहन्दी को लेके अंकल के घर मे आ गयी और दरवाजा बंद करके अंकल के सामने खड़ी हो गयी. अंकल मुझे पूरी नंगी और मेरे भीगे बालो और मेरे हाथ-पैर मे लगाई हुई मेहन्दी को देख रहे थे. मुझे अपने जिस्म से लगाते हुए मेरे भीगे ने बालो मे हाथ घुमा के मुझे हल्के से चूम रहे थे. फिर अंकल ने मुझे एक बॅग दिया और कहा “ जया इस बॅग मे कुछ कपड़े है जो आज तुम्हे पहनने है और मेने हर कपड़े को कैसे और कहा पहनना वो इस कागज मे लिखा है.” मुझे आसन वाले रूम भेज दिया. मेने वाहा जाके बॅग को टेबल पे रखा के उस मे से सारे कपड़े निकाल दिए, वो सारे लाल रंग के थे, हर कपड़े पे नंबर लिखा था. फिर मेने उस कागज को पढ़ा उसमे हर नंबर के साथ कुछ लिखा था. सब से पहले नंबर पे चड्डी थी, मेने चड्डी देखी और कागज मे से पढ़ा “ जया ये तुम्हारी चूत को मेरे लंड को इस मे रख ने के लिए”, मेने उस चड्डी को देखा कि वो एक छोटी रस्सी जैसी थी, आगे मेरी चूत को ढक सके उतना ही कपड़ा था और बाकी सब एक पतली सी रस्सी जैसा था, उसमे लेफ्ट बाजू का भाग खुला था, वाहा मुझे रस्सी को बांधना था, मेने वैसे करके चड्डी को पहन लिया. अब दूसरे नांबेर पे लहँगा था, मेने देखा कि वो मखमल जैसा नरम था और कागज मे देख के पढ़ा “ जया ये तुम्हारे लंबे और नाज़ुक से पैरो को लिए”, मेने उसे पहन लिया. फिर नंबर था चोली का, उस कागज मे लिखा था “ जया ये तुम्हारे छोटे छोटे स्तनो के लिए”, मेने देखा कि उस चोली मे आगे की ओर बटन की जगह छोटी छोटी डोर थी , मेने उसे पहन ते हुए सभी डॉरो को एक दूसरे के साथ बाँध दिया, वो मेरे स्तनो पे दबाव बना रहे थे, वो बहुत टाइट थी. अब नंबर था पैरो की पायल का और उस के साथ लिखा था “ जया ये जब तुम पेहन्के चलोगि तो सारे घर मे एक संगीत जैसा बजने लगेगा”, वो सोने की पायल थी और उस पे बहुत सारे घुंगूरू थे, जब दोनो पायल पहन के मैं उस रूम मे चल रही थी तो रूम पायल को आवाज़ से गूँज उठा. अब नंबर था हाथ की चूड़ियो का और लिखा था “ जया ये तुम्हारे रेशम जैसे हाथो की कलाईयो के लिए”, मेने बारी बारी दोनो हाथो मे वो चूड़िया पहन ली और वो भी आवाज़ कर रही थी. अब नंबर था कान के झुमके और नाक की नथ्नि का और माँग टीके का और लिखा था “ जया ये तुम्हारे कान और नाक के लिए जिसे पह्न के तुम और भी खूबसूरत लगोगी, और ये माँग टीके को अपने सिर के बीच मे रखना” , मेने वो पहन लिए और माँग टीके को मेरे सिर मे बालो के साथ लगा दिया.. लास्ट मे बड़ी सी चुनरी थी और लिखा था “ जया इसे अपने सिर के उपर रख के तुम मेरे पास चली आना”, मैं उसे सिर पे डाल के हॉल मे अंकल के पास चली गयी. अंकल ने मुझे उन कपड़ो मे देखा और वो देख ते ही रह गये, मेने अंकल से पूछा “ राज अंकल ये सारे कपड़े तो एक लड़की जब उसकी शादी होती है उस वक़्त पहनती है”, अंकल ने बीच मे बोले “ हा जया मे आज तुमसे शादी करने वाला हू, मैं तुम्हारे मम्मी पापा से बात करके तुम्हारा हाथ माँगने वाला था, लेकिन इस समय मे ये सब मुमकिन नही है और तुम्हारी उमर भी अभी 18 साल नही हुई है , सो आज हम चुपके से शादी करके हमेशा के लिए एक दूसरे के हो जाएँगे”. 


मैं अंकल की बात को समझ नही पाई और पूछा “ अंकल, हम शादी करके भी एक दूसरे के साथ नही रह सकते जब तक हम मेरे मम्मी पापा को ना बता दे “ अंकल ने कहा “ जया रानी इसलिए तो मेने इस घर की चावी दी है के आज के बाद तुम्हारा जब भी मन करे तुम यहा चली आना “ मेने शरमाते हुए कहा “ अंकल आप चाहते है कि मैं रोज सुबह, दोपहर और रात को आपके पास आऊ ताकि हम दोनो अपने जिस्म की प्यास को मिटा सके, तो यही ठीक है कि हम आज रात को ही शादी करले और किसी को पता भी नही चलेगा”. राज अंकल मेरी बात से खुस थे और उन्होने किचन से पंडित जी को बुलाया जो कि उनका दोस्त था. मैं पंडित को देख के बहुत खुस हो रही थी क्यूंकी आज मेरी सच मे राज अंकल से शादी होनी वाली थी. पंडित जी ने हॉल मे आते ही शादी का समान हॉल के बीच मे रख दिया, दो छोटे से तकिया पे मुझे और अंकल को बैठने को कहा. पंडित जी के सामने हम दोनो पैरो को मोड के बैठ गये. अंकल ने पंडित को पहले ही बता दिया था कि मेरी उमर कितनी है और क्यो मुझसे शादी करना चाहते थे और कुछ रुपेये देके उनका मूह बंद कर दिया था. पंडित जी ने सबसे पहले कुछ मंत्रो चार करके हवन कुंड मे कुछ डाला, पंडित जी ने हम दोनो को एक लकड़ी देके कहा “ आप दोनो इसे एक साथ अपने राइट हाथ से पकड़ लो और मैं जैसा कहु वैसा कीजये गा”, पंदिट जी ने कुछ मंत्रो को पढ़ के कहा “ अब आप दोनो इस थाली मे रखी सभी चीज़ो पर ये लकड़ी रख के इसे हवन कुंड के पास ले जाए”, हम दोनो ने उस लकड़ी को पकड़ के थाली मे रखी सभी चीज़ो मे रख के हवन के पास ले जाने लगे कि, तभी मेरे हाथ वाहा तक नही पहुच रहे थे, तो पंडित जी ने कहा “ बिटिया अगर कष्ट हो रहा हो तो अपने होने वाले पति की गोद मे बैठ जाओ”, मैं कई बार अंकल की गोद मे बैठी थी लेकिन पंडित जी के सामने मुझे शरम आ रही थी. राज अंकल बोले “ जया रानी बैठ जाओ क्यूंकी शादी के पूजन मे काफ़ी वक़्त लगता है और पंडित जी से शरमाओ मत”. मैं अपनी जगह से उठ के अंकल याने कि मेरे होने वाले पति राज शर्मा की गोद मे बैठ गयी, मेरे स्तन के बाजू मे से अंकल ने हाथ निकाल के मेरे हाथो को पकड़ लिया और हवन के पास ले गये. पंडित जी ने कहा “ बिटिया अभी से राज अंकल तुम्हारे होने वाले पति देव जी है, तो उन्हे हिंदू शास्त्रो के अनुसार नाम लेके नही बुलाते, तुम उन्हे सिर्फ़ पति जी ही कहना”, मेने हा मे सिर हिला दिया.
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पंडित जी ने कहा “ अब मैं जो बोलू उसे आप दोनो बोलना”, और पंडित जी संस्कृत मे मंत्रो को पढ़ ने लगे. मे आज बहुत खुस थी कि मेरी शादी एक हिंदू आदमी से हो रही थी. पंडित जी बोले “ बिटिया इस चम्मच से उस थाली मे रखी दही को पी लो और अपने पति जी को भी पिलाओ.” मेने उस चम्मच से थाली मे रखे दही को लेके पहले पी लिया और अपने पति जी को भी पिला दिया. पंडित जी बोले “ बिटिया अब सिर्फ़ पति जी ही पूजा करेंगे और तुम उनकी गोद मे बैठे हुए दोनो हाथो को जोड़के अपने मन मे पति जी का चेहरा याद करो”. मैं हाथ जोड़के बैठी थी और पति जी को याद कर रही थी. पंडित जी बोले “ राज भाई अब आप ये गुलाब को लेके अपनी पत्नी के होंठो के पास रख के अपने होंठो को भी उस गुलाब पे रख दीजिए. पति जी ने गुलाब को मेरे होंठो के पास रख दिया और अपने होठ भी उसे पे रख दिए, वो गुलाब पानी मे भीगा हुवा था, और मेरे होंठो को पानी पानी कर रहा था, पंडित जी कुछ मंत्रो के बाद बोले “ राज भाई अब उसे इस हवन मे रख दीजिए और अपनी पत्नी के होंठो पे लगे पानी को अपने होंठो से पी लीजये ,” पति जी ने मेरे होंठो को चूम के पूरा पानी पी लिया. फिर और कुछ मंत्रो चार के पंडित जी ने हवन मे आग जला दी. पंडित जी बोले “ अब आप दोनो खड़े हो जाए”. फिर पंडित जी ने मेरी चुनरी को पति जी के कुर्ते के साथ बाँध दिया और हमे उस हवन के पास से गोल घुमा के कुछ मंत्रो चार करने लगे. इस तरह हम दोनो ने 7 बार हवन के गोल चक्कर लगाए. पंडित जी बोले “ राज भाई इस सिंदूर को अपनी होने वाली पत्नी के माथे पे लगा दीजिए.” पति जी ने मेरे माँग टीके को बाजू मे करके मेरी माँग सिंदूर से भर दी. पंडित जी बोले “ राज भाई अब ये मंगल सुत्र को अपनी होने वाली पत्नी के गले पहना दीजिए.” पति जी ने मेरे पीछे आके मेरे बालो को बाजू मे करके मेरे गले मे मंगल सुत्र को पहना दिया. पंडित जी बोले “ आज से तुम दोनो हिंदू शास्त्रो के अनुसार पति पत्नी हो गये, बिटिया आज से तुम राज भाई की पत्नी हो और इस घर की लक्ष्मी हो और आज से तुम्हारा हर सुख दुख का ख़याल वोही रखेंगे और तुम सिर्फ़ वोही करोगी जो तुम्हारे पति चाह ते हो और उनकी कोई भी बात का विरोध और गुस्सा नही करना”. फिर हमने पंडित जी के पैर च्छुए, पंडित जी हमे आशीर्वाद दे के चले गये. समय था रात के 01:00, ऐसा ही एक दिन था 01/05/1983 रात के 01:00 मेरा जन्म हुवा था, और ठीक आज से 13 साल बाद मेरा और एक जन्म हुवा है राज अंकल की पत्नी के रूप मे. 


पति जी मुझे अपनी बाँहो मे उठा के, पहली बार मुझे उनके मास्टर बेडरूम मे लेके गये. मैं बेडरूम देख ते ही दंग रह गयी, उसमे एक आलीशान और बड़ा सा और मखमली गद्दे से बना हुवा बेड था, उसमे काफ़ी सारे नंगे लड़के लड़कियो के एक दूसरे को प्यार करते हुए तस्वीर थी, उसमे एसी भी था. मेने देखा कि पूरा बेड लाल गुलाबो से सज़ा हुवा था, हल्का सा संगीत बज रहा था, बहुत ही बढ़िया खुसबु आ रही थी. पति जी मुझे बेड के बीच मे बैठा ते हुए मेरे बाजू मे बैठ गये. पति जी ने कहा “ जया आज सच मे तुम एक रानी की तरह लग रही हो”.फिर पति जी ने मेरे होंठो को चूमते हुए कहा “ जया आज मे तुम्हारे साथ जो करूँगा उसे जिस्म की प्यास भुजाना कहते है और हम वही हर रोज करेंगे”. पति जी ने मेरे कान की बालिया चूमते हुए मेरे कान को हल्का सा काट दिया, मेरे गालो को चूमा. मेरे सिर पे रखी चुनरी को हाथो से उठा के उसे हवा मे उड़ा दिया, जो बेड के किनारे पे जा गिरी, और उनके सामने अब मैं सिर्फ़ चोली और लहँगे मे थी. वो मुझे बहुत कातिल नज़रो से देख रहे थे और मेरे बाजू मे बैठ के मेरे चेहरे को अपनी ओर करते हुए होंठो को चूमने लगे. मे नज़रे झुकाए बैठी थी और मेरे पूरे जिस्म मे ठंडी लहरे दौड़ रही थी. पति जी मेरे गले को चूमते हुए आगे की ओर आके मुझे पीठ के बल लिटा दिया और मेरे पेट को चूमने लगे, धीरे धीरे पति जी उपर आ रहे थे और मेरी चोली की डोर को अपने दांतो से खोल के उसे नंगा कर रहे थे. मे ये सब सहन नही कर पाई और मेने अपने हाथ पति जी के सिर पे रख के उनके बालो को खिच ने लगी, पति जी भी मेरे स्तनो को काट ने लगे. फिर पति जी ने लेटे हुए मुझे घुमा दिया और मे पेट के बल लेट गयी, और मेरी पीठ अब उनके सामने थी. पति ने जी मेरी चोली को पीछे से खीच के निकाल दिया, अब मेरी नंगी पीठ को चूमने लगे, अपने राइट हाथ मेरी छाती पे लाके स्तन को ज़ोर से दबा दिया और लेफ्ट हाथ से मेरे बालो को पकड़ के मेरी गर्दन पे काटने लगे. फिर पति जी ने मुझे छोड़ दिया और बाजू वाले टेबल से दूध ले के आए और हम दोनो ने उसे पी लिया. अब पति जी ने मुझे पीठ के बल लिटा के मेरे लहँगे को खोल के निकाल दिया और मेरे पैरो को चूमते हुए मेरी चड्डी के पास आए और मेरी चूत को अपने हाथो से दबाने लगे. फिर पति जी ने मेरी चड्डी निकाल दी और मेरी चूत को चाटने लगे और उनकी जीभ को अंदर डालने लगे. मे बहुत ज़्यादा रोमांचित हो गयी थी और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. अब पति जी मेरे पैरो के बीच मे आ गये और अपने लंड को मेरी चूत के मूह के पास रख दिया, और मुझे देख के बोले “ जया अब हम दोनो अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए मेरा ये लंड तुम्हारी चूत मे डाल के मज़े करेंगे, तुम्हे थोड़ा सा दर्द होगा, पहली बार हर लड़की को होता है, और हर लड़की की ज़िंदंगी मे पहले दर्द ही आता है और इसके बाद मे इतनी ख़ुसीया आती है कि उसकी ज़िंदंगी ही बदल जाती है.” ये सब बाते करते वक़्त पति जी ने अपना लंड कई बार मेरी चूत के मूह पर रखा था और अपने हाथो से चूत के मूह को खोलके लंड को चूत मे डाल ने की कोशिश कर रहे थे. मे अपने पति जी की बात को समझ रही थी कि कैसे मेरी ज़िंदंगी मे मेरे मम्मी पापा का सुख नही मिला और आज एक अंजान आदमी के साथ मेने शादी कर के उसके साथ अपने जीवन का हर सुख पाने के लिए आज अपने जिस्म को उनको समर्पित करके हमेशा के लिए उनकी पत्नी बन जाउन्गि. मैने आगे कुछ सोच के मेरी चूत मे एक ज़ोर का झटका लगाया और मे दर्द के काप उठी और अपने पैरो को छटपटाने लगी. पति जी ने मेरे होंठो को चूम के बंद कर दिया इस लिए मेरी मूह से सिर्फ़ उहह की आवाज़ निकल रही थी और मेरी आँखो मे आसू आ गये थे. मेने महसूस किया के पति जी का लंड मेरी चूत के मूह के थोड़ा अंदर घुस चुक्का था. फिर पति जी ने अपने लंड को बाहर निकाल के चूत के मूह पर रख दिया और मेने आँखो के इशारे से कहा बस और नही. पति जी ने मेरी बात को नज़र अंदाज करके होंठो को और ज़ोर से चूम ते हुए लंड को चूत के मूह मे डाल दिया, इस बार पति जी का लंड मेरी चूत मे पूरा घुस चुका था. मे ज़ोर ज़ोर से आहे भर रही थी और अपने हाथो से पति जी की पीठ को नाख़ून से ज़ोर से पकड़ लिया और अपने पैरो को पति जी की कमर पे रख के अपने आप को समर्पित कर दिया. फिर पति जी ने मुझे देखा और पूछा “ मेरी प्यारी पत्नी कैसा लग रहा है”, मेने कहा “ पति जी बहुत दुख रहा है और सहा नही जाता, लंड को निकाल दीजिए”, पति जी ने कहा “ पत्नी को अपने पति का हर दर्द बिना कुछ कहे सहना पड़ता है, पति जी की हर बात को अपने जीवन का उदेश्य मान के चलना है, ऐसे शिकायत नही करते”, मेने नज़र झुका के कहा “ पति जी मुझे माफ़ कर दीजिए, मुजसे ग़लती हो गयी, मैं पंडित जी की बात को भूल गयी थी, मेने पहले कभी इतना दर्द नही सहा है, लेकिन अब आप को कोई शिकायत का मौका नही दूँगी, आप जो चाहे करिए, आप हम दोनो की जिस्म की प्यास बुझा ने के लिए ही कर रहे हैं, जैसे मे दर्द सह रही हू वैसे आप को भी दर्द हो रहा होगा अपने लंड पर क्यूंकी वो इस छोटी सी चूत मे कैसे जा सकता है.” मेरी भोली सी बात को सुनके पति जी को यकीन हो गया थी अब मे कुछ नही कहूँगी और सब सहन कर लूँगी. पति जी ने फिर लंड को एक बार बाहर निकाला, तब मेने महसूस किया लंड बाहर निकाल ने के साथ पानी जैसा थोड़ा गढ़ा सा कुछ निकल रहा था. पति जी ने मेरे हाथ की उंगलियो को चूत के पास ले जाके चूत के मूह के पास रखा, मेरी उंगलिया गीली हो गयी और मेने उसे अपने चेहरे के पास ले जा के देखा कि मेरी सारी उंगलिया खून से लाल हो गयी थी. पति जी ने कहा “ किसी भी जवान लड़की की चूत मे जब लंड पहली बार जाता है तो चूत की झिल्ली टूट जाती है और वो उसे तोड़ने का हक सिर्फ़ उसके पति का ही होता है,क्यूंकी एक जवान लड़की की अमानत उस की चूत की झिल्ली ही होती है उसके पति के लिए और वो अपने पति से ये कहती है कि उसने अपने पति के सिवा कि सी और आदमी या मर्द या नौजवान को अपनी चूत मे लंड नही डाल ने दिया, जया आज तुमने मुझे सच मे मुझे पति जी का दर्जा दिया है, और आज से मैं ये कहता हू के मेरी पत्नी का जिस्म सिर्फ़ मेरा है और मैं उसकी किशी भी हद तब हिफ़ाज़त करूँगा.” मैने ये सब सुनके उनको अपने सही पति मान के उन्हे कहा “ हा पति जी आज से मेरा तन और मन सिर्फ़ आपका ही है, आप जैसा बोलेंगे, जैसा कहंगे और मेरे जीवन के हर पल मैं बस वोही करूँगी.” फिर पति जी मुझे बहुत दर्द देते हुए अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगे, मैं हर एक धक्के को झेल के उन्हे खुस कर रही थी, कही वो नाराज़ ना हो जाए. मेने उनके पूरे आगे पीछे के बदन को नोच दिया था और वो खून से पूरा लाल हो गया था.उधर मेरी चूत की हालत भी बहुत खराब थी, वो पति जी हर धक्के के साथ खून के आसू रो रही थी. मैं जब कभी कभी आँख खोल के देखती के वो धक्के लगाते लगाते बहुत खुस हो रहे थे. पति जी ने मुझे कहा “ मेरी रानी इस कमरे मे कई बरस बाद एक मीठा सा संगीत बज रहा है, ये जो तुम्हारी पायल और चूड़िया है वो बहुत ही अच्छी आवाज़ कर रही है, ऐसे ही आवाज़ गूँजी थी जब मेने पहली बार अपनी पत्नी की चूत की झिल्ली तोड़ी थी, आज तो तुमने मुझे मेरी पत्नी की याद दिला दी और हा आज तुम ही मेरी पत्नी हो, इस लिए मेरी बीती हुई ज़िंदगी के बारे मे कुछ मत पूछना और बस अपने आने वाले कल के बारे मे ही सोचना, अब तुम्हारा सिर्फ़ एक ही कर्म, धर्म और कर्तव्य है अपने पति की हर बात को मान के उन्हे हर पल अपने जिस्म से नंगा लगा के रखना और अपनी चूत मे हमेशा के लिए मेरे लंड के लिए जगह बना के रखना चाहे दिन हो या रात.” मे उनकी हर बात को नज़रे झुका के सुन रही थी और मन ही मन सोच रही थी के हर वक़्त कैसे नंगा रह के उनके जिस्म से लगी रहूंगी और मेरी इस नाज़ुक सी चूत मे उनका मोटा लंड कैसे रख पाउन्गी. पति जी थोड़ा रुक रुक के मुझे चोद रहे थे, चोदना किसे कहते ये भी मुझे पति जी ने ही बताया. फिर एक पल मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो पति जी के लंड के आजू बाजू लग गया, इस तरह से पति का लंड मेरी चूत मे और भी जल्दी अंदर बाहर होने लगा और मेरी चूत मे और गहराई तक जाने लगा. लंड ज़्यादा अंदर जाते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये और मे भी मस्ती से पति जी को चूम ने लगी, ये देख पति जी भी अपने लंड को जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगे और मेरी चूत मे पानी छोड़ दिया. पति जी का पानी मेरी पूरी चूत मे बहने लगा मानो कोई बाँध टूट के पानी जब बहुत ज़ोर से आता है वैसे ही उनके पानी ने मेरी चूत की हर जगह को भिगोना शुरू कर दिया. 
क्रमशः........ 
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06-25-2017, 12:31 PM,
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RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
गतान्क से आगे...... 
पति जी मेरे जिस्म के उपर गिर गये और मुझे पूरी तरह से दबा दिया. पति जी बहुत ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रहे थे और मेरी और देख के कहा “ मेरी प्यारी रानी तुम्हारा तो पूरा जिस्म बहुत ठंडा है” मेने कहा “ हा पति जी मेरे जिस्म मे कभी पसीना नही आता चाहे मैं कोई भी काम कर लू”. पति जी ने कहा ” जया तुम्हारा जिस्म काफ़ी ठंडा है और मेरा जिस्म काफ़ी गरम है, जिसे मैं तुम्हे अपने जिस्म की गरमी से गरम कर सकु और तुम जब मैं पसीने से गरम हो जाऊ तो तुम मुझे ठंडा कर देना.” मेने कहा “ जेसा आप कहो पति जी, मेरा पूरा जिस्म आपका है, आप जब चाहे मेरे जिस्म को अपने जिस्म से लगा देना के वो कही ज़्यादा ठंडा ना हो जाए और मे ये हमेशा चाहूँगी कि आपका जिस्म कभी भी गरम ना रहे.” फिर पति जी मेरे उपर लेटे ही मुझे चूम रहे थे और मे भी उनके जिस्म मे हर जगह चूम रही थी. जब मेने समय देखा तो रात के 3 बजे थे. पति जी ने कहा “ पत्नी जी आज से तुम एक लड़की से औरत बन गयी हो, एक कली से फूल बन गयी हो और आज से तुम मेरे घर की पत्नी भी बन गयी हो, आज से तुम्हे घर का हर काम सीख के अपने पति जी के लिए चाइ, नाश्ता और खाना बनाना और घर मे बर्तन और झाड़ू पोछा भी तुम्हे ही करना है.” मेने कहा “ पति जी मे ये सब करूँगी बस आप मुझे हर दिन यूही प्यार करना और जिस्म की प्यास को कम मत करना.” हम दोनो उही थोड़ी देर सोते रहे और पति जी मुझे चूम रहे थे और मेरे बालो मे उंगलिया घुमा रहे थे, अचानक उनका ध्यान मेरे हाथो की मेहन्दी पर गया. पति जी ने कहा “ जया रानी तुम्हारे जिस्म की प्यास को बुझाने मे मेरा ध्यान इन हाथो की मेहंदी पे तो गया ही नही, तुम्हारी मेहंदी काफ़ी अच्छी है, मम्मी ने पूछा नही कि मेहन्दी क्यू लगा रही हो?”. मेने कहा “ पति जी मम्मी ने तो पूछा था लेकिन मेने कितने दिनो से मेहंदी नही लगाई थी तो उन्होने लगा दी. पति जी मम्मी ने आज मुझे शादी वाली मेहंदी लगाई है, उसमे मेने आप का नाम भी लिखवाया है, आपको मुझे बताना है के वो कहा पे लिखा है, अगर आपने बता दिया तो मे हमेशा का लिए आपको कोई भी शिकायत का मौका नही दूँगी”. पति जी ने मेरे लेफ्ट हाथ को देखने लगे और उसमे से उन्होने “आर” को ढूँढ के उसे चूम लिया, फिर राइट हाथ मे “एस” को ढूँढ के चूम लिया. मेने कभी सोचा नही था के वो इतनी जल्दी ढूँढ लेंगे, मे शरम के मारे अपनी नज़र को नीची करके मन ही मन मुस्करा रही थी. पति जी ने कहा “ जया मे सिर्फ़ तुम्हारे जिस्म से ही नही बल्कि तुम्हारे दिल को प्यार करता हू, जो आज मेने तुम्हारे हाथो मे मेरे नाम को ढूँढ के मेने बता दिया, जया मेने तुम्हे अपनी पत्नी बना के कोई ग़लती नही की, क्यूंकी एक पत्नी ही अपने पति का नाम अपने हाथ मे लिखावती है, आज से मेरा तन, मन और धन सब कुछ तुम्हारा है. जया कुछ ही दिनो मे हम कोर्ट मॅरेज भी कर लेंगे, ताकि हम दोनो को कोई अलग ना कर सके. आइ लव यू जया”. मेने भी उन्हे अपने जिस्म से लगाते हुए कहा “ आइ लव यू पति जी”. 


सुबह के 6 बजे, हम दोनो एक दूसरे को कस के पकड़ के नंगे सोए हुए थे. पति जी ने 6 बजे का अलार्म रखा था क्यूंकी मुझे कॉलेज जाना था. पति जी अलार्म बजते ही उठ गये और मेरे नंगे जिस्म को देखने लगे, पति जी ने हल्के से आवाज़ लगाई “ जया उठो कॉलेज नही जाना क्या?”. मेने सोने का बहाना करके पति जी को अपने जिस्म से लगा दिया, मेरा सिर उनकी छाती मे था, मेरे स्तन उनके पेट से लगे हुए थे, मेरा लेफ्ट हाथ उनके बदन पे था और रिघ्त हाथ से लंड को पकड़ लिया. पति जी को पता चल गया के जाग गयी हू और वो काफ़ी खुस हुए और कहा “ जया तुम मुझे ऐसे ही प्यार करती रहना”. फिर पति जी लंड को मेरी चूत मे डालके मुझे चोदने लगे, मेरी चूत रात की चुदाई के बाद हम दोनो के वीर्य से चिपक गयी थी इसलिए मुझे काफ़ी दर्द हो रहा था. फिर करीब 10 मिनट के बाद हम दोनो ने साथ मे ही वीर्य निकाला और पति जी मुझे बेरहमी से चूम के काट रहे थे. फिर हम दोनो नंगे ही बाथरूम मे गये, वाहा पर हम दोनो ने एक दूसरे को ब्रश करवाया, हम दोनो शवर के नीचे चले गये, पति जी ने शवर को चालू करके खुद को भीगा लिया और मुझे उनकी ओर खिच के पूरा भिगो दिया. मेने पति जी के जिस्म को पूरे साबुन से साफ कर दिया और पति जी ने मुझे. फिर हम दोनो एक दूसरे को रुमाल से पोछ के बेडरूम मे आ गये. हम दोनो बेड पे लेट गये और एक दूसरे को चूम ने लगे, पति जी ने कहा “ जया आज से तुम मेरी पत्नी हो, इस लिए आज से तुम्हारा ख्याल रखना मेरी ज़िमेदारी है. जया हम दोनो अभी घर जाके तुम्हारे मम्मी-पापा के पैर च्छू के आशीर्वाद ले आते है”. हम दोनो बेड पे से नंगे ही उठ के मेरे घर को चल पड़े. मेने देखा कि पति जी का पहनाया हुवा मगल्सुत्र मेरे गले मे लटक रहा था और मेरे चल ने से मेरे स्तन से लग रहा था. पति जी ने मेरे कंधे पे हाथ रखा और मेने उनकी कमर मे हाथ डाल दिया. मे जब अपने घर मे गयी तो मेने देखा के मम्मी-पापा अभी भी सो रहे है. मेने और मेरे पति जी मम्मी-पापा के पैरो के पास गये और उन्हे च्छू दिया. मम्मी-पापा के पैरो को छुते ही दोनो ही जाग गये, मैने तुरंत एक चादर से अपने जिस्म के उपर लप्पेट दिया और पति जी झुक के बेड के नीचे छिप गये. मम्मी ने कहा “ जया क्या हुवा?”, मेने कहा “मम्मी-पापा आज से मे एक नयी ज़िंदंगी सू रु करने जा रही हू, इस घर को मेने अपना मान लिया है (क्यूंकी राज अंकल की पत्नी बनने के साथ मे इस पूरे घर की मालकिन भी बन गयी थी और मेरे मम्मी-पापा अब अपनी ही बेटीके घर मे किराए पे रह रहे है), तो सुबह उठ के आपसे आशीर्वाद लेने आई हू”. वैसे तो मम्मी-पापा मुझे इतना प्यार नही करते लेकिन सुबह सुबह मेरे इस प्यार से उन्होने मुझे दिल से आशीर्वाद दिया. पापा ने कहा “ जया तुम्हारे जीवन मे कभी कोई दुख ना आए, तुम्हे हर वक़्त बस ख़ुसीया ही नसीब हो”. मम्मी ने कहा “ जया तुम्हारा जीवन ख़ुसीयो से भर जाए, तुम्हे अच्छा जीवन साथी मिले और तुम 100 बच्चो की मम्मी बन जाओ”. मम्मी – पापा, मे और पति जी इस बात पे हंस दिए. फिर मम्मी पापा सो गये, पति जी अपने घुटनो के बल पे चल के बाहर निकल गये और में डोर बंद करके बाहर चली आई. 
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06-25-2017, 12:32 PM,
#14
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
बाहर आते ही पति जी ने मुझे गले लगा लिया और बोले “ जया तुम्हारे मम्मी पापा ने हमे बहुत अच्छे आशीर्वाद दिए, लेकिन मम्मी ने जो हस्ते हुए कहा वो हम तुम्हारी सारी पढ़ाई ख़तम हो जाए उसके बाद करेंगे, मे तुम्हे दिन-रात चोदना चाहता हू, तुम्हे चुदाई का हर सुख देना चाहता हू और हम दोनो की जिस्म की प्यास भी बुझ जाए”. मेने कहा “ जैसा आप ठीक समझे”. पति जी बोले “ जया अब हम तुम्हारे बेडरूम मे चले”. मेने पति जी से कहा “ अब ये सिर्फ़ मेरा बेडरूम नही बल्कि आपका भी है, आप जब चाहे यहा आके कुछ भी कर सकते हो”. फिर हम दोनो नंगे ही मेरे बेडरूम मे चले गये. मेने बेडरूम मे आते ही दरवाजा बंद कर दिया और पति जी लिपट गयी और उनको जी भर के चूम ने लगी. थोड़ी देर बाद पति जी ने कहा “ जया अब तुम्हारे कॉलेज का समय हो रहा है, आज से पहले तुम एक कुवारि लड़की की तरह कॉलेज जाती थी, लेकिन आज से तुम मेरी पत्नी के रूप मे कॉलेज मे जाना, मेरी यही इच्छा है के तुम खूब मन लगाके पढ़ो”. मेने कहा “ पति जी मे खूब मन लगा के पढ़ु गी और कुछ तकलीफ़ होगी तो आप को ही बताउन्गि, क्यूंकी आप कॉलेज के सभी टीचर्स को अच्छी तरह जानते हो”. पति जी ने कहा “ मेरी प्यारी पत्नी, पढ़ाई के साथ तुम्हे अपने पति जी को भी खुस रखना है, इसलिए तुम कॉलेज मे ही मन लगा के पढ़ना और कैसे भी करके होम वर्क भी वही ख़तम करके आना, क्यूंकी जब तुम कॉलेज से आओगी तुम्हे हम दोनो की जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए मेरे पास आना होगा”. मेने कहा “पति जी मे खूब मन लगा के पढ़ूंगी और रिसेस के दौरान अपना होमे वर्क भी ख़तम कर दूँगी, लेकिन दोपहर को मम्मी घर पे होती है तो मे हम दोनो की जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए कैसे आउन्गि”. पति जी ने कहा “ वो तुम सब मुझ पर छोड़ दो”. फिर मुझे चूम ते हुए पति जी बोले “ जया तुम्हारी कॉलेज ड्रेस कहा है”. मीना कहा “ उस अलमारी मे है”. पति जी ने अलमारी को खोलके मेरा कॉलेज ड्रेस निकाला. मेने कहा “ पति जी वाहा पर मेरी चड्डी भी है”. पति जी ने कहा “ पत्नी जी आज से तुम्हे मे जैसे कपड़े पसंद करू वैसे ही कपड़े पहेन्ने होंगे”. फिर पति जी ने मुझे शर्ट पहनाया और हर बटन को बंद करते करते मुझे नाभि से गले तक चूम ते गये. पति जी मेरे पीछे आके मेरी कमर के पास एक सिल्वर चैन बाँध दी और उसे मेरी नितंब के पास ले गये. उस सिल्वर चैन के आगे के हिस्से मे एक रब्बर जैसा, घने काले रंग का और छोटी सी मूली जैसा कुछ था, वो सीधे आके मेरी चूत के मूह के पास अटक गया. पति जी मेरे आगे आए और कहा “ पत्नी जी इसे रब्बर का लंड कहते है , ये बाहर के देशो मे मिलता है, मेने खास तुम्हारे लिए मेरे दोस्त से मँगवाया है. एक नयी शादी की हुई पत्नी को अपने पति की याद हर वक़्त आती है, जब तुम कॉलेज मे पढ़ रही होगी तो तुम्हे भी मेरी याद आएगी और इसे तुम्हारा ध्यान पढ़ने मे नही लगेगा और मे चाहता हू के तुम अच्छे से पढ़ो और मुझे याद ना करो. इस लिए आज से ये लंड तुम्हारी चूत मे कॉलेज के दौरान रहेगा, क्यूंकी बाकी के समय मे सिर्फ़ तुम मेरा लंड ही अपनी चूत मे लोगि, समझी”. मे पति जी की बात को सुन के बहुत ही शर्मा गयी और सोच ने लगी के जब मे घर से कॉलेज जाऊंगी को ये लंड मेरी चूत मे होगा, जब मे कॉलेज मे कुछ भी काम करूँगी तब भी ये लंड मेरी चूत मे होगा, मानो 24 घंटे मेरी चूत मे लंड तो रहेगा ही चाहे ये रब्बर का हो या मेरे पति जी का, मे मन ही मन मे हंस पड़ी. फिर पति जी ने मुझे लहनगा पहनाया बिना चड्डी के. मे कुछ बोल ना चाहती थी पर एक अच्छी पत्नी बनके लिए मुझे अपने पति की हर बात को मान के चलना है ये सोच के मे चुप रही. पति जी ने मुझे कहा “ जया अपने मंगल सूत्र को संभाल के छिपाके रखना के कोई देख ना ले”. 

मेने कहा “ आप चिंता मत कीजिए, मंगल सूत्र पारसी की नज़र नही पड़ने दूँगी, इसे हमेशा अपने जिस्म से लगा के रखूँगी”. फिर पति जी ने कहा “ आज हमारी सुहागरात थी इस लिए मे तुम्हे कोई काम नही दे रहा, इस लिए मे आज अपनी पत्नी के लिए नाश्ता बनाता हू, तो मे जाके नाश्ता बनाता हू तुम अपने मम्मी पापा को बाइ कर के मेरे पास आ जाना, ओके”. मेने कहा “ ओके”. पति जी को में घर के दरवाजे तक छोड़ ने गयी और जल्दी से दरवाजा बंद करके अपने मम्मी पापा के पास गयी और उन्हे कॉलेज जाने के लिए बाइ करके सीधे अपने पति जी के पास जा ने लगी. मेने सीढ़िया उतरते हुए सोचा कि आज से पहले मे जिसे अंकल कहती थी वोही मेरे पति बन जाएँगे ऐसा मेने सपने भी नही सोचा था और मेरा भी एक सपना था कि मे किसी अच्छे से लड़के से शादी करूँगी ना कि एक बुढ्ढे इंसान से शादी कर लूँगी और हमेशा के लिए उनकी हो जाउन्गी. मे जब पति जी के याने के मेरे ससुराल मे गयी तो पति जी पूरे नंगे ही खड़े थे और मुझे दरवाजे से ही उठा के सीधे रसोई के रूम ले जाके डिन्निंग टेबल पर सुला दिया, मेरे दोनो पैर हवा मे लटक रहे थे और दोनो हाथो से डिन्निंग टेबल की किनारियो के पकड़ लिया था ताकि मे गिर ना जाऊ. पति जी ने ये देखते ही मेरे दोनो पैरो को अपनी कमर पे लगा के मेरे बिचमे आके अपना नाज़ुक सा लंड मेरी चूत के पास रख दिया, पति जी ने मेरी चूत मे घुसे रब्बर के लंड को बाहर निकाल दिया और अपना गरम लोहे के जैसा लंड मेरी चूत मे डाल दिया. मेरी चूत मे रब्बर का लंड जाने से कब से पानी निकाल रहा था, सो पति जी का लंड आसानी से मेरी चूत मे एक ही झटके मे अंदर तक घुस गया. पति जी मेरे उपर झुक गये और मेने अपने दोनो हाथो को उनके गले मे डाल दिया, ऐसा करते ही मेरी गन्ड थोड़ी सी हवा मे आ गयी और पति का लंड अब और मेरे अंदर समा रहा हो ऐसा मुझे लग रहा था, मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था, पति जी के लंड को मे अपनी चूत मे और अंदर तक लेना चाहती थी. मुझे बहुत बहरहमी से चूम ते हुए पति जी ने अपने लंड को जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगे. कुछ ही समय मे मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और सीधा उनके लंड को भिगो के चूत से बाहर आने के लिए आगे बढ़ा लेकिन पति जी मुझे बहुत ज़ोर से दबोचते हुए लंड को चूत मे और गहराई तक ले गये और रुक गये, ऐसा करते ही मेरी चूत का पानी मेरे अंदर ही रह गया और पति जी ने लंड को उसे डूबा दिया. मानो एक ग्लास मे पानी भरा हो और उसमे बड़ा सा चमचा डाल दिया हो. मुझे डिन्निंग टेबल पे करीब 10 मिनट तक चोद ने के बाद पति जी ने अपना पानी मेरी चूत मे ही छोड़ दिया और तुरंत ही रब्बर के लंड को मेरी चूत मे डाल दिया ताकि हम दोनो का मिक्स हुवा पानी बाहर ना निकल जाए. फिर पति जी ने एक प्लेट आमलेट बनाई और हम दोनो ने उसे ब्रेड के साथ खा लिया. पति जी ने मुझे कहा “ जया मे आज तुम्हारे लिए नाश्ता नही बना सका, ये 100 रुपये रख लो और बाहर से नाश्ता कर लेना और जो पैसे बचे उसे अपने पास ही रख लेना और अपने जिस्म को और सुंदर करने के लिए इतेमाल करना, क्यूंकी अब तुम एक छोटी सी बच्ची मे से औरत बन गयी हो और हर औरत को अपने पति जी के लिए सजना सवरना बहुत अच्छा लगता है”. मेने ने कहा “ पति जी आज से मे अपने जिस्म का बहुत ही अच्छे से ख़याल रखूँगी, अब मे कॉलेज चलती हू मुझे देर हो रही है और वैसे भी कॉलेज से आते ही मे आपकी पत्नी बन जाऊंगी और अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए आप से लिपट के खूब मज़े करूँगी.” इतना कहने के बाद मे कॉलेज चली गयी. रास्ते मे चलते हुए पति का रब्बर का लंड मेरी चूत मे दब रहा था और मेरी चूत मे गुद गुडी हो रही थी, इसलिए मे थोड़ा सा अपने पैरो को फेला कर चल रही थी. मे जब कॉलेज मे पढ़ रही थी तब लंड चूत मे होने के बजह से मे ध्यान से पढ़ रही थी, क्यूंकी मे जब भी पति जी को याद करती तो मेरी चूत मे उतेज्ना बढ़ने से लंड मेरी चूत मे अंदर दबाव बढ़ा रहा था, सो मे लंड को और अंदर नही लेना चाहती थी, क्यूंकी मेरे मूह से हल्के सी सिसकारी निकल रही थी, मे और ज़्यादा उतेज़ित नही होना चाहती थी सो में पति को याद ना करके अपनी पढ़ाई मे ध्यान लगाने लगी. रिसेस के दौरान मेने पति जी के दिए हुए पैसो से नाश्ता किया. हमारी कॉलेज की रिसेस 10:00 से 10:30 बजे होती है. रिसेस के ख़तम होते ही कॉलेज के चपरासी ने मुझे बोला “ जया तुम्हारे घर से फोन आया था कि तुम्हारी मम्मी की तबीयत खराब हो गयी है तो तुम्हे अभी ही घर जाना होगा”. मैं ये बात सुनके अपने क्लास मे जाके कॉलेज बॅग और छाता लेके घर की ओर चल पड़ी. 

क्रमशः........ 
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06-25-2017, 12:32 PM,
#15
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
गतान्क से आगे...... 

घर पे आते ही जब मे सिदःईYआ चढ़ रही थी की तभी पति जी सामने आ गये और मेरे होंठो को चूम के मुझे बाँहो मे उठा लिया और मेरे ससुराल मे ले गये. पति जी ने मुझे घर के अंदर ले जाके सोफे पे बिठा दिया और खुद मेरे पैरो के बीच मे बैठ गये. फिर अपना पूरा जिस्म मेरे जिस्म से लगा दिया और मेरे होंठो को पागलो की तरह चूमने और काटने लगे. मेने उनसे अपने होंठो को छुड़ाने की काफ़ी कोशिश की लेकिन पति जी ने मुझे और भी बहरहमी से होंठो को चूमा और कटा. मेरी आँखो मे आसू भी आ गये थे. फिर 10 मिनट की लड़ाई के बाद उन्होने मुझे छोड़ दिया. मेने सिर को झुकाते हुए पति जी से पूछा “ पति जी कॉलेज मे मुझे बताया गया था कि मेरी मम्मी की तबीयत खराब है “. पति जी ने मुझे फिर से हल्के से चूमा और कहा “ पहले शांत हो जाओ, क्या तुम्हे मेरे उपर ज़रा सा भी विश्वास नही है, तुम्हारी मम्मी मेरी भी तो सास हुई ना, तो क्या मे अपनी प्यारी पत्नी की मम्मी को कुछ होने दूँगा”. फिर से मेरे होंठो को चूमते हुए मुझे बाँहो भर के मुझे बेडरूम ले गये और मुझे बेड पीठ के बल लिटा दिया. फिर पति जी पूरे नंगे हो गये और मेरे उपर लेट गये. पति जी ने मेरे पूरे जिस्म को चूमा और धीरे धीरे करके कॉलेज ड्रेस को निकाल दिया और अपनी अलमारी मे रख दिया. पति जी मेरे बाजू मे आके सो गये और मेरा सिर अपनी छाती के उपर रख दिया और अपने हाथो को मेरे बालो मे घुमाने लगे, मे भी उनकी छाती को चूमने लगी और निपल को चूस ने लगी. इस दौरान पति जी ने कहा “ जया मे आज सुबह तुम्हारे घर गया था, मे तुम्हारी मम्मी-पापा से बात कर रहा था, तुम्हारी मम्मी ने मुझे बताया कि “ भाई साहिब कोई छोटी सी नौकरी हो तो बताना क्यूंकी मे ज़्यादा पढ़ी लिखी नही हू और मेरा समय भी बीत जाए”. दर असल मे भी उन्हे कोई नौकरी करने के लिए ही कहने गया था ताकि हम दोनो पति पत्नी के जैसे रह सके और जिस्म की प्यास को बुझा सके. मे ने ये सुनते ही उनको कहा कि “मेरी पहचान काफ़ी कॉलेज मे है, अरे हा! नज़दीक मे ही एक मुस्लिम कॉलेज है और वाहा पर बच्चो का ख़याल रख सके ऐसी किसी औरत की ज़रूरत है, लेकिन उसमे एक दिक्कत है कि आपको ज़्यादा वक़्त देना पड़ेगा, आपको सुबह 9 बजे से सम को 6 बजे तक वाहा नौकरी करनी पड़ेगी, अगर आपके पति और आपको मंजूर हो तो मे उनसे अभी बात कर लेता हू”. मुस्लिम कॉलेज सुनते ही वो खुश हो गयी और तुरंत हा कर दिया. मेने भी मुस्लिम कॉलेज मे फोन करके तुम्हारी मम्मी की नौकरी पक्की कर दी. मेने कहा “ तो आज से ही आपको कॉलेज मे जाना है”. मेरी बात सुनते ही वो खुश हो गयी, तभी तुम्हारे पापा ने कहा “ अरे लेकिन जया को तो पता नही चलेगा और वो घर बंद देखे गी तो रोने लगेगी”. मेने कहा “ जया की चिंता आप मत कीजये, वो जब कॉलेज से आएगी तो मे उसे बता दूँगा के आप के साथ क्या हुवा है, वो भी इस बात को सुनके खुश हो जाएगी”. पूरी बात सुनके बाद मुझे पति जी के उपर बहुत प्यार आने लगा और मेरी आँखो मे से ख़ुसी के आसू भी आगये और मेने उनके होंठो को चूमने लगी. पति जी मेरे उपर आके अपने लंड को चूत मे डाल के मुझे चोदने लगे, काफ़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद पति जी अपने लंड को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगे और मेरे जिस्म को अपने हाथो से, मेरे चेहरे और गर्देन को अपने होंठो से काटने लगे. मे इस प्यार से काफ़ी उत्तेजित हो गयी त्ज और दोनो हाथो से पति जी के पीठ को नखुनो से नोच दिया और खून भी निकाल दिया. ऐसे ही करते हुए मे 3 बार पानी निकाल चुकी थी और पति जी 2 बार. फिर हम दोनो ऐसे ही थोड़ी देर के लिए सो गये. मुझे बहुत जोरो से भूक लगी थी इस लिए मेरी नींद टूट गयी. मेने घड़ी मे देखा की अभी 12 बजे थे. मेने देखा कि पति जी मेरे स्तन पे सिर रख के सो रहे थे, मेने उन्हे अपनी बाँहो मे भरते हुए उनके माथे को, आँखो को, गालो को और होंठो को चूम लिया. तुरंत ही नींद से जाग गये और मुझे अपनी बाँहो मे भरते हुयर् मुझे चूम ने लगे, मेरा चेहरा और गर्दन पूरे उनकी होंठो के पानी से भीग गये. फिर पति जी ने कहा “ जया आज से जब भी तुम अपने ससुराल मे होगी तब हम दोनो बिल्कुल नंगे ही होगे, हमारे जिस्म पे कोई कपड़ा नही होगा, हम दोनो जब चाहे तब एक दूसरे के जिस्म को पकड़ के अपना प्यार जाता सके, आइ लव यू जया”. मेने कहा “ पति जी वैसे भी मुझे बिना कपड़े रहना बहुत अच्छा लगता है, आइ लव यू पति जी”. फिट पति जी खड़े हुए और मुझे अपनी बाँहो मे उठा के किचन मे ले गये. किचन मे उन्होने मुझे चूल्‍हे के पास खड़ा किया और खुद भी बाजू मे खड़े हो गये. पति जी ने कहा “ जया अभी मे नाश्ता बनाता हू, तुम देखना के कैसे बनाता हू, क्यूंकी एक पत्नी का कर्तव्य है के वो उनके लिए खाना बनाए, उन्हे अपने हाथो से खिलाए और उनका ढेर सारा प्यार पाए”. मेने सिर झुकाते हुए कहा “ हा पति जी मैं भी यही चाहती हू के आपको और काम ना करना पड़े मैं ही सारा काम कर लूँगी, जैसे मम्मी करती है”. पति जी ने कहा “ वह मेरी जया रानी तुम ने तो मुझे बहुत खुस कर दिया, तुम्हारी बाते हमेशा मीठी ही होती है तुम्हारे होंठो की तरह”. इतना कहते उन्होने मुझे चूम लिया और मुझे चूल्‍हे के पास खड़ा किया और वो मेरे पीछे आ गये, मेरे पीछे आते ही उनका मोटा सा लंड मेरी गन्ड पे लगने लगा, मुझे थोड़ी सी उतेजना हो गयी और मेने भी अपनी गाड़ को थोड़ा सा पीछे ले जाके उनका लंड दबाया. पति जी मेरे इस बर्ताव को देख के मुझे और ज़ोर से पकड़ लिया और मेरी गर्देन को चूम ने लगे. फिर हम दोनो ने नाश्ता बनाया और साथ मे खा भी लिया. पति जी ने कहा “ जया रानी हम दोपहर को सिर्फ़ नाश्ता ही करेंगे, जब मे तुम्हे चोद रहा हुंगा तो तुम्हारा पेट खाली हो ने की बजाह से तुम्हे अच्छा लगेगा”. मेने कहा “ जैसा आप कहे, लेकिन पति जी मैं काफ़ी थक जाती हू, मम्मी कहती है कि थकान हो तो दूध पीना चाहिए”. पति जी ने कहा “ अरे वह जया ऐसे ही तुम अपने जिस्म का ख़याल रखना, रही बात दूध की फ़्रीज़ मे बहुत सारा दूध है तुम उसे पे लेना, ठीक है”. फिर नाश्ता और दूध के बाद हम दोनो हॉल मे सोफे पे जाके बैठ गये. पति जी मेरे बाजू मे अपने लेफ्ट हाथ को मेरी गर्दन मे डालते हुए मुझे चूमने लगे. मैं भी उन्हे चूमने लगी. मुझे बहुत ही अजीब सा लग रहा था के अब तक मैं जिस इंसान को जानती नही थी उसी के साथ नंगी बैठी हुई हू. पति जी मुझे 15 मिनट तक किस करते रहे. फिर उन्होने मुझे कहा “ जया तुम्हारे गले मे मंगलसूत्र बहुत अच्छा लग रहा है, खास करके जब वो तुम्हारे दोनो स्तन के बीच मे आता है, जया मैं चाहता हू कि तुम्हे और भी गहने पहनाऊ”. मेने कहा “ हा पति जी मुझे भी गहने पहनने काफ़ी शौक हे”. पति जी ने कहा “ अच्छा तो मैं अभी ही ज्वेलरी शॉप मे जाके तुम्हारे जिस्म को पूरा गहने से सज़ा दू ऐसे सारे गहने लेके आता हू, तुम इतनी देर मे अपना होमवर्क ख़तम कर दो”. 
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06-25-2017, 12:32 PM,
#16
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
फिर पति जी ज्वेलरी की शॉप मे मेरे लिए बहुत सारे गहने लेने के लिए चले गये.मे अपने ससुराल मे नंगी ही घूम रही थी. मे घर की हर चीज़ को देख रही थी.मेने हॉल मे और आसन वाले रूम मे बहुत सारी नंगी लड़कियो की तसबीर देखी, उसमे से ज़्यादातर पैंटिंग की हुई नंगी तस्वीरे थी. कई तो राजा महाराजे के सेक्स की तस्वीरे थी. मैं जब बेडरूम मे आई तो देखा की अलमारी की बाजू वाली दीवाल पर एक औरत की तस्वीर थी, वो काफ़ी खूबसुरुत थी, उसने अपने बाल खुले रखे थे और एक लाल रंग का कुर्ता पायजामा पहना था, उस तस्वीर के नीचे लिखा था “ स्वर्गीय कविता शर्मा”.मैं समझ गयी की ये मेरे पति जी की पहली पत्नी है, इसलिए मेने दोनो हाथो को जोड़ के उन्हे प्रणाम किया और हम दोनो के आने वाले कल के लिए आशीर्वाद भी माँगा.फिर मे उस कुर्ते को खोजने के लिए अलमारी को खोला. मेने देखा कि उसमे एक भाग मेरे लिए बना था और उस पर मेरा नाम “श्रीमती जया राज शर्मा” और एक भाग मेरे पति देव का था., मैं अपना नाम देख के काफ़ी शर्मा गयी. मेने मेरे भाग मे देखा कि उसमे सारे कपड़े जो बड़े घर की लड़किया पहनती है वैसे थे. जीन्स, टॉप, कुर्ता, पायजामा, लहनगा, चोली, छोटी छोटी चड्डी और ब्रा. मैं उस लाल रंग के कुर्ते पायजामा को खोजने लगी, वो मुझे मिल गया. मेने पहले एक पिंक रंग की चड्डी पहनी, फिर पायजामा पहना जो कि सिल्क का था और वो मेरे जिस्म को गुदगुदा रहा था.फिर मेने कुर्ता पहना, जिस का आगे की ओर का हिस्सा खुला हुवा था, जो मेरे स्तन के आधे हिस्से को बाहर रख रहा था. मेने भी कविता जी के फोटो की तरह खुद को सज़ा दिया और आगे हॉल मे जाके पति जी का इंतेजार करने लगी. 
करीब 1 घंटे के बाद पति जी डोर खोलके अंदर आए, मैं भाग के उनके पास चली गयी और उन्हे अपने जिस्म मे लप्पेट लिया.हम दोनो ने एक लंबी किस की. फिर पति जी ने मुझे उनसे थोड़ा दूर करते हुए मुझे सिर से पाव तक देखा और करीब दो मिनट तक देखते ही रहे….,. फिर मेने पति जी के पैरो को छुआ और उन्होने मेरे सिर पे हाथ रख के कहा “ सदा सुहागन रहो”. फिर मुझे अपनी बाँहो मे उठा के बेडरूम मे ले गये. 
बेडरूम मे मुझे कविता जी की तस्वीर के पास ले गये और तस्वीर को देख के कहने लगे “ कविता ये जया है मेरी पत्नी और तुम्हारी सोतन…. , कविता ये वही लड़की है जिसका जिकर मे तुम्हे कुछ दिनो से कर रहा था, और मेने तुम्हे वचन भी दिया था कि एक दिन इसे तुम्हारी सोतन बना के ही रहूँगा, तुम्हारे गुजर जाने के पहले हम दोनो अपने जिस्म की भूक को मिटा ते थे वैसे ही आज से मे “ राज शर्मा” अपनी छोटी उमर वाली, कमसिन जवानी से भरी, अपने जिस्म को सिर्फ़ मेरे लिए सजाने वाली, जो हर वक़्त मेरे ख़यालो मे खोने वाली “ श्रीमती जया राज शर्मा “ एक दूसरे की जिस्म की भूक को मिटाएँगे और शायद ये भूक कभी ख़तम ही ना हो”. 
मैं ये सब सुनके एक दम पागल सी हो गयी और ये सोचने लगी कि कविता जी और पति देव जी क्या क्या करते थे जिस्म की प्यास को मिटाने के लिए और शरम के मारे अपना मूह उनके गले मे छुपा दिया. पति जी ने ये देखा और बोले “ कविता ये मेरी पत्नी जो है वो बहुत ही शरमाती है बिल्कुल तुम्हारी तरह और मेरी हर बात को अपना कर्तव समझ कर खूब अच्छी तरह उसे निभाती है. सच मे कविता तुम्हारे जाने के बाद मुझे कोई अच्छा साथी नही मिला था, लेकिन अब मुझे मेरी ज़िंदगी मिल गयी है. मैं अपनी पत्नी के जिस्म की प्यास को कभी बुझने नही दूँगा और दिन रात इसके जिस्म को प्यार करूँगा. जया तुमने मेरी पहली पत्नी की जगह लेने की बहुत ही बढ़िया शुरुआत की है”. मेने कहा “ पति जी मेने कविता जी से अपने आने वाले कल के लिए बहुत सारी ख़ुसीया माँगी है”. पति जी मेरी इस बात से खुस हुए और मेरे होंठो को चूम दिया. 
पति जी ने मुझे बेड पे बिठा दिया और खुद मेरे पीछे आके बैठ गये और मुझे पीछे से कमर मे हाथ डाल के ज़ोर से पकड़ लिया, मेरा पूरा जिस्म काप गया. फिर उन्होने मेरे बालो को सिर के उपर से ज़ोर से पकड़ के अपने चेहरे की ओर घुमा दिया और मेरे होंठो को किस करने लगे. पहले धीरे धीरे मेरे होंठो को चूमा और फिर कुछ पल के बाद अपने लेफ्ट हाथ से बालो को ज़ोर से पकड़ के मेरे उपले होंठो अपने दोनो होंठो मे दबाते हुए बहुत ज़ोर से काट दिया., उस दोरान मैं काफ़ी तड़प रही थी और मेरे दोनो हाथो को पति जी के पीठ और बालो मे घुमाने लगी और अपनी हाथो की मुट्ठी से नोचने लगी. करीब पाँच या छे मिनट तक उन्होने मेरे दोनो होंठो को ऐसे ही काट दिया और मेने ने उन्हे नोच दिया. मैं बुरी तरह से हाफ़ रही थी क्यूंकी मेरी साँसे भारी हो रही थी. पति जी ने मुझे अपनी छाती से लगा कर मुझे शांत किया. फिर वो मेरे चेहरे को अपने हाथो मे रख के मेरी ओर देखने लगे, उस वक़्त मेरे बाल मेरे चेहरे के पास आ गये थे और मेरे दोनो होठ लाल हो चुके थे, मेने नज़रे नीचे कर ली थी. मेरे इस समर्पण को देखते हुए उन्होने मेरे दोनो होंठो को एक साथ अपने मूह मे ले लिया और हल्के से उनके उपर जीभ घुमाने लगे, मानो वो मेरे होंठो की मालिस कर रहे हो….,. पति जी मेरे लिए इतना सब करने के बाद मेरी नज़र मे सच मच के भगवान बन गये और मेने अपने दोनो हाथो के उनके पैरो के पास ले जाके उनके चरण सप्र्श किए. मेरे ऐसे करने से उन्होने मुझे सिर पे चूमा और मुझे अपनी बाहोमे भरते हुए उनके जिस्म से सटा दिया. 
पति जी ने कहा “ जया मे आज तुम्हारे लिए सोने की और चीज़े लाया हू, जैसे पहले मेने सोने की चैन दी थी वैसे ही और भी समय आते मैं तुम्हे पहनाउँगा”. पति जी ने पहले सोने के कंगन मेरे हाथो मे पहनाए, फिर पैरो मे सोने की पायल, कानो मे सोने के झुमके, कमर पे सोने का पट्टा, हाथो मे सोन के बजुबंद, सिर पे सोने का माँग टीका. अंत मे उन्होने एक बक्से मे से एक सोने की करीब 15 तोले की चैन निकाली, जिसके साथ एक लोकेट था, उस लोकेट के एक बाजू मे “ राज & जया “ लिखा था और दूसरी बाजू मे “ जिस्म की प्यास “ लिखा था, यानी ये साफ जाहिर था के हमारा रिस्ता एक दूसरे के जिस्म की प्यास को बुझाने के जिए ही बना है. मेने उस लोकेट की दोनो बाजू को चूमा और पति जी ने मेरे गले मे उसे पहना दिया. उसका वजन काफ़ी ज़्यादा था इस लिए मेरी गर्देन थोड़ी सी झुक गयी तो पति जी ने कहा “ जया पहले के जमाने मे औरत अपना सिर उठा के न चल सके इसलिए उसे भारी सोने की चैन पहना ते थे और ये हर औरत का पति धर्म भी होता है कि वो अपने पति देव की हर बात को सिर झुका कर माने और उस मे पूरा सहयोग दे”. 
पति जी ने मुझे बेड से खड़ा किया और मेरे सारे कपड़े जोकि मेने सिर्फ़ उनके लिए पहने थे उन्हे निकाल दिया और मुझे पूरा नंगा कर दिया. उन्होने मुझे बाँहो मे भरते हुए बेड पे पीठ के बल लिटा दिया और खुद मेरे दोनो पैरो के बीच मे आके मेरी चूत के पास अपना मोटा सा लंड सटा दिया. मेरी चूत ने कब पानी छोड़ दिया था मुझे पता ही नही चला, क्यूंकी मे सेक्स मे होती क्रिया से अंजान थी, क्यूंकी मैं अभी भी छोटी बच्ची जैसा ही व्यवहार करती थी. पति जी ने जान लिया था कि मेरी चूत गीली हो चुकी है इसलिए उन्होने मुझे झट से नंगा कर दिया. पति जी अपना मोटा सा लंड मेरी चूत मे डाल ने लगे और मेरे उपर झुक के मेरे होंठो को चूमने लगे. मेरी चूत मे उनका लंड, मोटा होने की बजाह से आसानी से घुस नही रहा था, उन्होने थोड़ा थोडा करते हुए लंड पूरी तरह से चूत मे डाल दिया, उस वक़्त उनके हर एक धक्के से मेरी चूत मे एक नया अहसास हो रहा था, मानो के वो कोई दुख देने वाला दर्द नही बल्कि एक मीठा दर्द करने वाले लंड के ज़रिए पति जी की जिस्म की प्यास बुझाने वाला था. मैं अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए पति जी को पूरा सहयोग दे रही थी. 
क्रमशः........ 
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06-25-2017, 12:32 PM,
#17
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
गतान्क से आगे...... 

करीब दस मिनट तक वो मुझे ऐसे ही चोद्ते रहे, हम दोनो के जिस्म से पसीना बह रहा था. मेरी इतनी हिम्मत नही थी की मैं पति जी को बोल सकु के अब बस कीजिए, लेकिन मेरे चेहरे के हावभाव से उन्हे लगता था कि मैं थक गयी हू, इसलिए वो थोड़ी देर के लिए लंड को चूत मे से बाहर ना निकालते हुए मेरे उपर ऐसे ही लेटे रहे. उन्होने मेरे चेहरे को देखा, जो कि पूरा पसीने से भीगा हुवा था और मेरे बाल चेहरे के उपर आ रहे थे, पति जी ने बालो को हल्के से हटाते हुए मेरे सिर पे हाथ घुमाने लगे और मेरे गालो पर किस करने लगे. मुझे आजतक इस तरहसे किसी ने प्यार नही किया था, सच कहते है अपने से बड़े इसान का प्यार जितना मिले उतना कम है, आज मुझे यकीन हो गया था बूढ़े इंसान ही छोटे बच्चो को सही प्यार दे सकते है, चाहे वो किसी भी रूप मे हो. मेने उन्हे अपनी बाँहो मे ज़ोर से दबा दिया और अपनी चूत मे अंदर तक गये हुए लंड को और अंदर ले ने के लिए अपने पैरो को पति जी की कमर पे दबाने लगी. 
मेरे ऐसे करने से उन्हे ग्रीन सिग्नल मिल गया और तुरंत अपने जिस्म को मेरे जिस्म के उपर सही तरह करते हुए अपने लंड को बाहर निकाला और फिर एक ही झटके मे पूरा का पूरा लंड मेरी चूत मे अंदर तक डाल दिया. इस बार हर धक्के पे लंड को पूरा बाहर निकालते और पूरा लंड चूत मे अंदर डालते थे. वो हर बार लंड चूत मे जानेके बाद मेरे चेहरे को देखते थे, मैं हर बार मेरे होंठो को दांतो तले दबाती थी क्यूंकी मुझे ये मीठा दर्द सहन नही हो रहा था. करीब दस या पंद्रह धक्के के बाद वो शांत हो गये और अपना वीर्य मेरी चूत मे छोड़ दिया, हालाकि मैं इसलिए भी थक गयी थी कि मेरी चूत ने पाँच या छे बार पानी छोड़ दिया था. फिर हम दोनो सो गये. 
शाम को 6 बजे पति जी ने मुझे एक हल्की किस करके उठाया और हम दोनो बाथरूम मे जाके फ्रेश हो गये. पति जी ने कहा “ जया अभी तुम्हे अपने मायके जाना पड़ेगा, मेरी सासू मा अभी 7 बजे आती ही होगी”. मैं अपने कॉलेज के कपड़े पहन्के, पति जी का आशीर्वाद लेके अपने घर पे आ गयी. घर मे आते ही मैं अपने बेडरूम गयी और अपना होमे वर्क पूरा करने बैठ गयी, क्यूंकी मुझे रात को अपने पति देव के साथ सोना था और सुबह मुझे वापस कॉलेज भी जाना था. करीब 7 बजे मम्मी और पापा दोनो घर पर आ गये, मुझे पढ़ता हुए देख के मुझे परेशान नही किया. मम्मी ने खाना बनाया और मुझे आवाज़ दी कि जया बिटिया खाना ख़ालो. जैसे ही मैं किचन मे गयी तो देखा कि मेरे पति जी भी वाहा पर बैठे थे, मम्मी ने बताया कि आज उनकी वजह से मुझे नौकरी मिली है तो मैने उन्हे खाने पे बुलाया है. मैं पति जी के बाजू मे बैठ गयी, हम नीचे बैठ के ही खाना खाते थे. मेरा राइट पैर पति जी के लेफ्ट पैर को लग रहा था, उन्होने मेरे पैर की उंगलियो मे अपने पैर की उंगलिया फँसा दी और दबाने लगे. मम्मी ने हम सब की थाली परोसी. खाते वक़्त पापा ने पूछा “ जया तुम्हे राज जी से चावी मिल गयी थी ?”, मेने कहा “ हा पापा और उन्होने ने ही मुझे बताया कि आज कितना ख़ुसी का दिन था मम्मी के लिए”. 
मेरी बात को बीच मे ही काट ते हुए पति जी ने कहा “ अरे संजय जी आपकी बिटिया तो बहुत होसियार है पढ़ने-लिखने मे और घर के काम मे भी. मैं ने जब उसे चावी दी और इसकी मम्मी की बात बताई तो उसने कहा “ आप मेरे घर आइए, मैं आपके लिए चाइ बनाती हू” तो मेने कहा “ जया तुम मेरी बेटी की तरह ही हो तुम मेरे इस घर को भी अपना ही घर समझ के यॅन्हा ही चाइ बना लो, हम दोनो साथ मे चाइ पी लेते हैं. चाइ पीते हुए हमने काफ़ी बाते की और तभी मेने जान लिया कि आपकी बिटिया बहुत तेज है, इस लिए मैं चाहता हू कि जया कॉलेज के आने के बाद मेरे साथ मेरे घर मे पढ़े और मैं भी पूरा दिन पढ़ता ही हू तो मुझे भी एक मित्र मिल जाएगा, और उसके कॉलेज की सारी किताबे मेरे पास है और मेने उसे बहुत ही अंदर तक पढ़ा है तो मैं उसे अच्चेसे पढ़ा भी सकूँगा और इसे कोई और ट्यूशन की भी ज़रूरत नही पड़ेगी, हा लेकिन फिस की जगह मैं आपकी पत्नी के हाथ का खाना ज़रूर खाना चाहूँगा”. 
पापा ने कहा “ अरे राज जी ये तो बहुत ही बढ़िया बात कही आपने. हम जबसे यहा आए है ये काफ़ी उदास रहती थी. अब आपके साथ रहेगी तो अपने आप को अकेला भी नही समझेगी और उसकी पढ़ाई भी अच्छी तरह से होगी”. पापा ने मुझ से पूछा “ क्यू जया जाएँगी ना राज जी के यहा”. मेने कहा “ हा पापा मे जाउन्गी और खूब अच्छी तरह से उन्हे खुस रखूँगी और इन्हे किसी भी बात की शिकायत का मौका भी नही दूँगी, वो जो कहेंगे वो मानूँगी और जैसा करने को कहेंगे वैसा ही करूँगी”. सब खुस हो गये थे मेरी बात को ले कर, मम्मी पाप को अब मेरी चिंता नही थी, मेरे पति जी भी मेरी उनकी हर बात को मानने वाली बात पर काफ़ी गर्व महसूस कर रहे थे, क्यूंकी एक पत्नी का यही पति धर्म होता है. 
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06-25-2017, 12:32 PM,
#18
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
मम्मी ने रसोई मे दो सब्जिया बनाई थी, गोभी की और आलू की. पति ने मम्मी से पूछा “ अरे नाज़ जी, ये आलू की सब्जी जया ने बनाई है, क्यूंकी इस मे वही मीठा पन है जैसा जया ने चाइ बनाते वक़्त डाला था”.उस पर मम्मी ने कहा “ नही भाई साहिब ये सब्जिया तो मैं ही बनाती हू, जया तो अक्सर पढ़ाई मे ही लगी रहती है. लेकिन अब मैं इसे खाना बनाना सीखा दूँगी ताकि कभी दोपहर मे आपको कुछ गरम खाने का मन करे तो जया आपके लिए बना सके”. मम्मी ने मेरी ऑर देखते हुए पूछा ” क्यू जया खाना बनाना सीखेंगी ना?, क्यूंकी आगे जाके तुम्हे भी अपने पति देव के लिए खाना तो बनाना ही पड़ेगा”. मम्मी की इस बात पर मैं शर्मा गयी और सब हंस रहे थे. मैं अपने पति की ओर देख रही थी और वो मेरे पैरो को बहुत ज़ोर से दबा रहे थे. मैं मन मे सोच के मुस्कुरा रही थी के मम्मी पापा को कहा पता था कि उनकी बेटी ने तो शादी कर ली है और वो अब सिर्फ़ अपने पति के आदेशो पर ही चल रही है. 

डेट: 24-जून-96 ठीक रत के 12 बजे थे, मेरा अलार्म बज रहा था और मैं गहरी नींद मे थी, क्यूंकी कल से मैं एक पल के लिए भी ठीक से सो नही पाई थी. मेने हाथो की अंगड़ाया ली और अपने बेड पे से नंगी ही उठ के बाथरूम मे नहाने चली गयी. अपने पूरे बदन को मेने अच्छे से साफ किया और जिस्म के उपर एक छ्होटी सी रज़ाई लपेट के नीचे अपने पति जी के पास जाने के लिए निकल पड़ी. 

मैं सीढ़ियो से उतर के पति जी के घर के पास जाने लगी, तभी मेने देखा के पति जी मेरा दरवाजा खोल के और पूरे नंगे होकर मेरा इंतेजार कर रहे थे. मैं दौड़ के उनके पास पहोच गयी और उन्हे अपने आगोस मे कर लिया, पति जी ने मुझे कमर मे हाथ डाल के अपने जिस्म से सटाये हुए मुझे घर के अंदर ले लिया और दरवाजे को बंद कर दिया. मैं घर मे जाते ही उनसे दूर हुई और अपने घुटनो के बल बैठ के पति जी के पैरो के उपर अपने दोनो हाथो को रख दिया और अपना सिर भी उनके पैरो मे झुका दिया, ऐसा करते ही मेरी पीठ पे से मेरे बल हट के मेरे सिर के उपर आ गये और पति जी को मेरी नंगी पीठ का दर्शन हो गया. पति जी बहुत खुस थे, उन्होने मुझे सदा सुहागन होने का आशीर्वाद दिया. फिर उन्होने मेरे कंधो को अपने हाथो मे लेके मुझे खड़ा किया. मेने अपने दोनो हाथो को ज़ोर के उनके सामने एक नादान लड़की तरह खड़ी रही, मेरे बाल मेरे दोनो कंधो से होते हुए मेरे दोनो स्तनो के पास चले गये थे, मेरा सिर भी झुका हुवा था. 

पति जी ने मेरे सिर पे अपना राइट हाथ फेरा और अपने राइट हाथ को मेरी गर्दन के पास ले जाके मेरे बालो के साथ मेरी गर्दन को दबा दिया. फिर पति जी ने मुझे अपनी और खिचा और अपने नंगे जिस्म के साथ लगा दिया. मेरे स्तन के उपर जो बाल थे वो पति जी के छाती के बालो के साथ जुड़ गये और मेरे जिस्म मे जैसे गुद गुडी जैसी होने लगी, मैं हल्का सा मुस्करा उठी और अपना सिर पति जी की छाती मे छुपा लिया. पति जी ने मेरी पीठ पे लेफ्ट हाथ फेरा और मुझे अपने जिस्म से ज़ोर से सटा दिया. फिर पति जी ने मुझे अपने जिस्म से थोड़ा सा पीछे किया और मेरे चेहरे को उपर की ओर उठा के मुझे किस करने लगे, धीरे धीरे किस करते हुए पति जी ने मुझे अपनी ओर खिचा और मेरे जिस्म के उपर अपना हाथ चला ने लगे. मैं भी किस मे मदहोश हो गयी थी और पति जी के जिस्म के उपर अपने नाज़ुक हाथ घुमा रही थी. फिर पति जी किस को रोकते हुए, मेरी कमर मे हाथ डाल के, मुझे उठा के मेरे मास्टर बेडरूम ले गये. 

बेडरूम मे जाते ही मेने देखा कि आज बेड पे लाल रंग की चादर थी और उस पे पीले रंग के फूल थे. पति जी ने मुझे बेड पे लिटा दिया और वो खुद कुछ दूरी से मुझे बेड पे नंगी सोई हुई देख रहे थे. पति जी मेरी ओर आगे बढ़ने ही वाले थी कि मैं बेड से उठ के “स्वर्गीय कविता राज शर्मा” के फोटो के पास चली गयी. मैं वाहा पर हाथ जोड़ के खड़ी थी और पति जी मेरे पीछे आकर मेरे कंधो के उपर अपने हाथ रख के खड़े थे, उस वक़्त उनका लंड मेरी नंगी पीठ पर लग रहा था. 

मेने कविता जी और देखते हुए कहा “ मैं हमेशा भगवान से सिर्फ़ इतना ही माँगा था कि मुझे कोई बेहद प्यार करे, मेरी हर ज़रूरत को पूरा करे, मुझे कभी अकेला ना छोड़े, मेरे हर दुख दर्द और ख़ुसी मे वो मेरा साथ दे. मेने ये कभी नही सोचा था कि आपके पति देव ही मेरे पालनहार बनेंगे. शायद आपने ही मेरी बात भगवान से सुन ली होगी क्यूंकी आप भगवान के बहुत ज़्यादा नज़दीक हो, इसलिए आपने ही हम दोनो को मिलने के लिए मेरी ज़िंदजी मे जो कुछ हुवा वो आपके कारण ही हुवा है और मे इसके लिए आपका शुक्रिया करती हू.फिर पति जी ने कहा “ देखा कविता मेने कोई ग़लती नही की तुम्हारी जगह पर जया को अपनी पत्नी बना के”. 

फिर पति जी ने मुझे अपनी ओर करते हुए कहा “ जया अब तुम हर वक़्त अपने जिस्म की प्यास को बुझाने से पहले कविता से आशीर्वाद ले लेना और अपने पति को हर तरीके से खुस रख ने का आशीर्वाद माँगना”. पति जी ने मुझे बेड के पास ले जाके मुझे पीठ के बल लिटा दिया, वो खुद मेरे उपर आके मेरे दोनो पैरो के बीच मे, मेरी चूत के पास अपना लंड रख के, मेरे स्तन को अपनी छाती से ढक के, मेरे नाज़ुक होंठो को चूम ने लगे. किस करते हुए उन्होने मेरी चूत के पास अपना लेफ्ट हाथ ले जाके उसे खोल दिया और अपने मोटे लंड को उसे मे डाल ने लगे. मेरी चूत कब्से अंदर से गीली थी इसलिए मुझे सुरू मे लंड जब अंदर गया तब कोई दर्द नही हुवा. किस को और ज़ोर से करते हुए पति जी लंड को भी और अंदर तक डालने लगे. मैं उस वक़्त मस्ती मे थी और पति जी का साथ देते हुए उनके होंठो को काट रही थी, अपने हाथो को उनकी पीठ पे घुमा रही थी, उनके सिर के बालो को अपनी हाथो की मुट्ठी से पकड़ के खिच रही थी, क्यूंकी मुझसे और दर्द बर्दाश्त नही हो रहा था. उधर पति जी भी खूब उत्तेजित हो रहे थे और अपने लंड को मेरी चूत मे बहुत जल्दी जल्दी अंदर बाहर कर रहे थे. 
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06-25-2017, 12:33 PM,
#19
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
एक मोड़ पे मैं झाड़ ने ही वाली थी तभी पति जी को अहसास हो गया और मुझे ज़ोर से गर्दन मे हाथ डाल के पकड़ लिया और लंड को एक झटके मे अंदर तक जाके रख दिया और मेने अपना पानी छोड़ दिया, उस पानी ने गरम लंड को पूरा गीला कर के ठंडा कर दिया. पति जी मेरी चूत मे लंड को अंदर तक रख ते हुए, मेरी कमर पे हाथ रख के, मेरे दोनो पैरो के बिचमे बैठ गये. उनके जिस्म से पसीने की बूंदे मेरी कमर पे गिर रही थी और वो मुझे ठंडक दे रही थी. मेरे चेहरे पे बाल आए थे, उनको पति जी ने हटाते हुए मेरी ओर देख ने लगे. मेने हल्की सी मुस्कान देके उनको थॅंक्स कहा. पति जी मेरे हाथो को अपने हाथो मे लेके उनकी उंगलियो को चूम ने लगे और कहा “ जया अपने हाथ अपने सिर के उपर ले जाके रखो और मैं कुछ भी करू वो नीचे नही आने चाहिए”. मेने अपने हाथ सिर के उपर ले जाके रख दिए, ऐसा करते ही मेरे दोनो स्तन उपर की ओर उभर आए. पति जी मेरे उपर झुकते ही मेरे राइट को स्तन को चूमने लगे और लंड को अंदर बाहर कर ने लगे. जैसे जैसे लंड अंदर बाहर हो रहा था, पति जी मेरे स्तन पे ज़ोर से दबाव दे रहे थे. मेरे हाथ अपने आप ही नीचे आगाये और मेने पति जी के सिर के बालो को ज़ोर से पकड़ लिया. क्यूंकी पति जी मेरे स्तन पे बहुत ज़ोर से काट रहे थे और मे सहन नही कर पा रही थी. 

इतने मे ही पति जी रुक गये और मेरी ओर देख के कहा “ जया मेने कहा था अपने हाथ उपर ही रख ना”. मेने अपनी नज़र झुकाते हुए कहा “ पति जी मुझे से दर्द सहा नही गया और मेरे रोक ने पे भी मेरे हाथ रुके नही और वो नीचे आ गये”. पति जी ने कविता जी की ओर देखते हुए कहा“ कविता इसे थोड़ा सा सहारा दो ताकि ये मेरा दर्द सहे सके, जया जाओ और कविता से आशीर्वाद ले के आओ”. मैने बेड पे से उतर के, चल ने के लिए अपने लेफ्ट पैर को आगे किया और राइट पैर को आगे करने ही वाली थी की मैं वापस बेड पे बैठ गयी, क्यूंकी मुझे बहुत दर्द हो रहा था. मैं जैसे तैसे करके कविता जी के फोटो के पास गयी और उनसे आशीर्वाद माँगा कि “ कविता जी मुझे दर्द सहन करने की हिम्मत दो, ताकि मैं अपने पति जी को खुस रख के उनकी जिस्म की प्यास को बुझा ने मे समभागी हो सकु”. मैं मूड के बेड की ओर बढ़ने ही वाली कि मेने देखा कि पति जी ने बेड के किनारे पे बनाई हुए लकड़ी की डिज़ाइन मे एक रस्सी बाँध दी और उसका एक छोर बेड के उपर खुला रखा. 

मैं सिर को नीचे झुकाते हुए पति जी के पास जाके खड़ी रही, उन्होने मुझे चूमा और कहा “ जया मैं कविता को भी ऐसे ही प्यार करता था और उसे कोई सीकायत नही होती थी”. मेने कहा “ आप क्या करते थे कविता जी के साथ”. इतना कहते ही उन्होने मुझे कमर से उठा के बेड पे लिटा दिया और खुद भी लंड को चूत के पास रख के मेरे हाथो को अपने हाथो मे लेके मेरे सिर के पीछे ले गये. सिर के उपर मेरे दोनो हाथो को उन्होने रस्सी से बंद दिया और धीरे धीरे अपने हाथो को मेरे बँधे हाथो के उपर से छूते हुए मेरे स्तन पे ले जाके उन्हे दबा दिया और लंड को मेरी चूत मे डाल दिया, मैं दर्द से कराह उठी. लंड हर बार अंदर करने पर वो मेरे स्तन को दबाते थे और बाहर करने पर छोड़ देते थे. फिर मेरे स्तन के नीचे से पीठ पे हाथ ले जाके मुझे ज़ोर से दबा दिया और अपने मूह को मेरे राइट स्तन पे रख के उसे चूस ने लगे और लंड के अंदर बाहर होने पर उसे ज़ोर से काटते थे और मेरे निपल को चूम थे और कई बार काट ते भी थे. मेरे हाथ बंदे होने की बजह से मैं हाथो से कुछ भी कर नही पा रही थी और मेरी टाँगे जो खुली हुई थी उसे पति जी की कमर पे ज़ोर से दबा रही थी, क्यूंकी मेरा विरोध करने का एक ही रास्ता खुला था, मैं पैरो को और खोल भी नही सकती थी क्यूंकी लंड तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था उसे रोक ने के लिए मैं उसे और अंदर कर रही थी, ताकि पति जी उसे और अंदर बाहर ना करे और मुझे थोड़ी सी चैन की सांस ले ने को मिले.करीब आधे घंटे तक वो मुझे ऐसे ही दर्द देते रहे और उनके लंड ने पानी छोड़ दिया, जो मेरी चूत मे अंदर तक फेल गया और चूत चारो और से गीला करके उसे ठंडा कर दिया. उधर पति जी भी मेरे उपर गिर पड़े और मैं उनके पसीने से पानी पानी हो गई. 
क्रमशः........ 
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06-25-2017, 12:33 PM,
#20
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
गतान्क से आगे...... 
पति जी ने मेरे उपर लेटे हुए थे और उन्होने कहा “ जया इसे कहते असली जिस्म की प्यास, तुम अभी छोटी हो इस लिए तुम्हारी जिस्म की प्यास कम है और मेरी ज़्यादा”. मेने कहा “ पति जी मैं आपकी हू और आप अपनी जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो. आपने ठीक कहा के मैं छोटी हू इसलिए मेने आपके साथ शादी की और मैं भी अपनी जिस्म की प्यास को बढ़ा स्कू और आपका साथ हमेशा दे सकु”. इतना कहते ही वो मेरे उपर हो गये और लंड को चूत मे डाल के मुझे ज़ोर से चोद ने लगे. इस बार मेरे हाथ खुले थे इसलिए मेने पति जी के जिस्म को अपने हाथो से खूब नोचा, उधर पति जी ने भी कोई कसर नही रखी मेरे जिस्म को दबोच ने की. करीब आधे घंटे के बाद हम दोनो साथ मे झाड़ गये और सो गये. 

सुबह के 5 बजे का अलार्म बजा और हम दोनो उठ गये पति जी ने बेड से उतर के मुझे अपने पास खिच लिया और अपने हाथो मे उठा के मुझे बाथरूम मे ले जाके नहला दिया और मेरे जिस्म को रुमाल से पोछ भी दिया. उनके इस बर्ताव से मैं काफ़ी खुस थी, क्यूंकी मेरी इतनी देख भाल अब तक किसी ने नही की थी. फिर मेने अपनी रज़ाई ओढ़ ली और पति जी के पैरो को छू के अपने मयके चली आई. मैं घर मे जाके थोड़ी देर के लिए सो गयी और 7 बजे मम्मी ने जगा दिया और मैने फ्रेश हो कर अपना कॉलेज ड्रेस पहना. मेने कॉलेज ड्रेस मे अपना मगल्सुत्र कोई देख ना इस तरह से छुपा लिया और बेग लेके कॉलेज की लिए घर से निकल ने को चल पड़ी. तभी मम्मी ने आवाज़ लगाई कि “ जया तुम्हारा नाश्ता लेके जाओ”. मेने कहा “ जी मम्मी आई”. में अपना नाश्ता बेग मे रख रही थी और मम्मी ने कहा “ जया बेटा अब तो मैं भी दोपाहर को घर मे नही रहूंगी तो तुम राज जी के यहा चली जाना और शाम को मैं जब वापस आउ तो तुम्हे आवाज़ लगा दूँगी, क्यूंकी बेटी अगर तुम घर पर अकेली रहो गी तो तुम बोर हो जाओगी, इसलिए तुम कॉलेज से आते ही राज जी के घर पे चली जाना और उनके घर के सारे काम अच्छे से करना और उन्हे सीकायत का एक भी मोका मत देना, मेरी प्यारी बिटिया रानी”. 

मैं मम्मी के पैर छू कर कॉलेज जाने के लिए घर से बाहर सीढ़िया उतर ने लगी और अपने पति जी के घर मे चली गयी. मेने देखा कि आगे के हॉल मे कोई नही था और मैं आगे चलके किचन मे चली गयी. वाहा मेने पति जी को नाश्ता बनाते हुए देखा और सीधे उनकी पीठ मे से हाथ निकाल के उन्हे पीछे से ज़ोर से पकड़ लिया, मेरे स्तन उनके पीठ लग गये और मेने कहा “ पति जी आप कितने अच्छे है, आप मेरे लिए नाश्ता बना रहे हो”, मेरे लिए इतना कुछ करते हुए देख मेरी आखो मे पानी आ गया. पति जी ने महसूस किया के मैं रो रही हू इसलिए तुरंत मुझे अपनी बाहो मे भरते हुए अपने दोनो हाथो को मेरे सिर पे रख के मुझे एक छोटी बच्ची की तरह शांत करने लगे. उन्होने मुझे चूमा और कहा “ जया मेरी रानी रोते नही, ये तो मेरा फर्ज़ है, तुम्हारी हर तरह से मदद करना, क्यूंकी तुम मेरी ख़ुसी और जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए बहुत दर्द सहती हो, इसलिए मुझे जब भी तुम्हारी सेवा करने का मोका मिलेगा मैं उसे ज़रूर निभाउँगा”. फिर उन्होने मुझे नाश्ते का बॉक्स दिया और मेरी बेग मे जो मम्मी का बनाया नाश्ता था वो ले लिया और मुझे से कहा “ जया आज से तुम सिर्फ़ मेरा बनाया हुवा नाश्ता लेके जावोंगी और कॉलेज से आते मेरे हाथ का बनाया हुवा लंच ही करोंगी, ये मेरा आदेश है”. मेने सिर को झुकाते हुए कहा “ जी पति जी, मैं आजसे आपका बनाया हुवा नाश्ता और लंच करूँगी”. मेने उनके पैर छुए और कॉलेज जाने के लिए चल पड़ी. 

मेने कॉलेज मे रिसेस के पहले सारे क्लास अटेंड किए और रिसेस मे अकेली ही नाश्ता करती हू इसलिए अकेले अपने नाश्ता के बॉक्स को खोला. मेने देखा कि उसमे पराठे थे और भिंडी की सब्जी थी, नाश्ता के हर नीवाले को खाते वक़्त मुझे सिर्फ़ अपने पति जी याद आती थी, उनका नंगा जिस्म मुझे दिख रहा था, उनका मुझे प्यार करना और दर्द देना मुझे याद रहा था. मेने नाश्ते को ख़तम किया और सीधे प्रिन्सिपल के पास जाके तबीयत ठीक ना होने का बहाना बना के घर जाने के लिए छुट्टी ले ली. 


मैं कॉलेज से सीधे ससुराल वाले घर पे चली गयी. मेने चावी से घर को खोला और अंदर जाके पति जी को ढूँढ ने लगी. मेने देखा कि वो आसन वाले रूम मे थे. पति जी पूरे नंगे थे और उठक बैठक कर रहे थे. जैसे ही उन्होने मुझे देखा वो मेरी और दौड़ के आ गये, मैं एक दम से चॉक उठी कि इतनी बड़ी उमर मे भी वो कितने हेल्ती है.फिर उन्होने मुझे गोद मे उठा के चूमा और लाल आसन पे लिटा दिया, वो खड़े रहे और मुझे गोर से देख ने लगे. फिर वो मेरे पैरो के पास आ कर घुटनो के बल बैठ गये और मेरे लेफ्ट पैर को हाथो मे लेके उसे चूमने और चाट ने लगे, मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी और एक हल्का सा नशा भी छा रहा था. फिर उन्होने दूसरे पैर को भी इसे तरह से चूमा और चाता और फिर धीरे धीरे मेरे पैरो से आगे बढ़ते हुए मेरे घुटनो को चूमा और फिर मेरी जाँघो के पास आके रुक गये. मेरी ज़िंदगी मे ये पहली बार हुवा था कि किसी ने मेरे पैरो को चूमा, मैं काफ़ी खुस थी और एक नये जीवन की शुरुआत मे मेरा इतना आदर होगा ये कभी सोचा ना था. 

फिर पति जी ने मेरी जाँघो को चूमना सुरू किया और चूमते चूमते वो मेरी चूत के पास आ गये. मेरी चूत के आगे वाले भाग को खोलके उसमे अपनी जीभ डाल ने लगे और दोनो हाथो से मेरी कमर पकड़ ली, उस से मेरी चूत मे उनकी जीभ और भी अंदर तक जाने लगी. मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं किसी ठंडी सैर पर निकली हू, क्यूंकी मेरी चूत मे पति जी की जीभ का थूक अंदर जाने से ठंड मिल रही थी और वो मेरी चूत की आग को ठंडा कर रहा था. थोड़ी देर ऐसा चल ने के बाद वो खड़े हो गये और मेरी बाजू मे आके सो गये. 
मेरी बाजू मे आके सो ते ही उन्होने मुझे अपने जिस्म के उपर ले लिया. मेरे पैर पति जी के पैरो के उपर थे और मेरा सिर उनकी छाती मे छुपा हुवा था और मेरे स्तन पति जी के पेट के पास थे और पति जी का लंड मेरे पेट के पास था. पति जी का लंड काफ़ी उभरा हुवा था और वो मेरे पेट की नाभि के छेद मे जाने के लिए उतावला हो रहा था. मैं ये सब महसूस करके काफ़ी खुस हो रही थी और मेरे जिस्म बिजली के झटके जैसे हल्के हल्के झटके लग रहे थे. 

पति जी ने मेरे सिर के बालो से मुझे सहलाते हुए और ज़ोर से पकड़ के खिचते हुए मेरे चेहरे को उनके चेहरे के उपर ले लिया और मेरे होंठो को अपने होंठो से चूमने और काट ने लगे, मेने पति जी के जिस्म से गिर ना जाउ इस बजह से मेरे हाथो को उनकी गर्दन मे डाल दिया और उनके बालो को सहलाने लगी. जब भी वो मेरे होंठो को काट ते मैं उनके बालो को ज़ोर से पकड़ लेती और वो और ज़ोर से उत्तेजित होके मेरे होंठो को बहुत ज़ोर से काट ते थे. 

पति जी ने मेरे होंठो को अपने दांतो से काट के उसका रस पी लिया.फिर उन्होने मुझे मेरे कंधो के बल पकड़ के अपनी कमर के उपर बैठ ने का इशारा किया. मैं उनकी कमर के उपर बैठ गयी और मेरे बाल जोकि मेरे सिर के उपर थे वो मेरे दोनो स्तन के उपर आ गये और मेरा चेहरा खुला हो गया, पति जी का लंड मेरी पीठ के पीछे मेरी गन्ड पे लग रहा था. मैं नज़र झुका के बैठी थी और मेरे हाथ पति जी की छाती के पास थे.
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