Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
06-25-2017, 12:28 PM,
#1
Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
हाई मेरा नाम जया है. मैं सूरत की रहने वाली हू. मेरी सर नेम मे काफ़ी ट्विस्ट है. मेरे पापा हिंदू है और उनका नाम संजय पटेल है. मेरी मा मुस्लिम है और उनका नाम नाज़ गोडिल है. उनकी लव मेरीज हुई है. . बात मेरे सर नेम की तो मेरा सर नेम गोडिल है. मेरा पूरा नाम जया संजय गोडिल है. 

अब मैं अपने बारे मे कुछ बताती हू. मेरा बर्तडे है 01/05/83, गुजरात स्टेट का जनम दिवस और मेरी उमर 28 साल की है. मेरा जनम सूरत मे नही . महसाना जिले(डिस्ट्रिक्ट) के एक छोटे से गौव मे हुआ था. मैने 12थ, BBआ, MBआ किया है. मेरी शादी हो चुकी है और मे मेरे पति के साथ सूरत मे रह रही हू और मेरा मयका भी सूरत मे ही है. मेरा रंग गोरा है (मम्मी की तरह). मेरी हाइट 5फ्ट 3इंच है. मेरे बाल . तक लंबे, काले और बहुत ज़्यादा घने है. 

अब मे आपको मेरी पिछली ज़िंदगी के बारे मे बताती हू. ये कहानी उस वक़्त की है जब मे 12थ स्ट्ड ख़तम कर के कॉलेज के पहले साल मे पढ़ती थी. हम मेरे नेटिव प्लेस से सूरत रहने आए थे. बजाह थी पापा की जॉब जो कि हज़ीरा मे ट्रान्स्फर हुई थी. हमे हज़ीरा के क्वॉर्टर्स मे रहने को मिला था. लेकिन मेरा कॉलेज जो कि गुजराती कॉलेज था उसकी बजाह से हमे रंदर मे घर किराए पे लेना पड़ा. 

मुझे सीधे ही उस घर मे शिफ्ट हो ना था क्यूंकी पापा ने खुद ही वो घर सेलेक्ट कर लिया था. ., 1स्ट जून को हम वाहा शिफ्ट हो गये. वो दो मज़िला घर था, हमे दूसरी मज़िल मे रहना था. उसमे 2 रूम और 1 हॉल कम किचन था. दोनो रूम मास्टर बेडरूम थे. एक मेरे लिए और एक मम्मी-पापा के लिए. मे बहुत खुस थी अपने नये घर मे आके. पापा ने हमे बताया था कि नीचे वाले घर मे एक अंकल रहते है जो इस बंगलो के मालिक है. मेने और मम्मी ने उन्हे अभी तक नही देखा था और उनके बारे मे हमे कोई जानकारी भी नही थी. 

डेट 17-जून-2000 हल्की सी बारिस हो रही थी. मेने अपने जिस्म को खुद अच्छी तरह से साफ कर के कॉलेज ड्रेस पहन लिया. हमारी कॉलेज मे ड्रेस पहनना है, उपर एक शर्ट और नीचे एक लहँगा या पयज़ामा. जब मे सुबह कॉलेज जाने के लिए नीचे सीडिया उतर के पहले माले से जा रही थी तभी एक हाथ पीछे से आके मेरी गर्दन पे आया और मुझे उसकी और खीच लिया, और मेरे नाज़ुक होंठो को चूमने लगे. मेरे एक हाथ मे कॉलेज बॅग थी जिसे मेने बहुत ज़ोर से पकड़ा हुआ था और एक हाथ मे छाता था उसे भी मेने ज़ोर से पकड़ लिया क्यूंकी मे काफ़ी डर चुकी थी. मेने अपनी आखे बंद कर रखी थी क्यूंकी मुझे पता नही था वो कौन है इंसान या कोई भूत.वो मेरे होंठो को हल्के से चूस रहे थे, मे कोई विरोध नही कर रही थी, मे डरी हुई थी. वो पहले मेरे उपर के होठ को चूम के उसके रस को चूस रहे थे और उसके साथ लेफ्ट हाथ मेरी गर्देन पे था और राइट हाथ मेरी कमर पे. फिर वो मेरे नीचे के होठ को चूमने लगे और उसका भी रस पी लिया.वो मुझे करीब 10 मिनट तक मेरे दोनो होंठो को बारी बारी चूम ते रहे. इस दोरान मेने अपनी आँखो को थोड़ा सा खोल के देखा, वो एक इंसान का मूह था, मे थोड़ा सा शांत हुई क्यूंकी ये कोई भूत नही है, उनके चेहरे मे एक अजीब सा आकर्षण था, उनके बाल सफेद थे, आँखे बड़ी थी, उनके पूरा चेहरा गोरा था. मेने सोचा ये नीचे वाले अंकल ही होंगे जो इस घर के मालिक है. मुझे बहुत अजीब और अच्छा सा महसूस हो रहा था, क्यूंकी हल्की बारिश से मौसम भी थोड़ा भीना हो गया था और ठंडी हवाए चल रही थी, ये मेरी जिंदगी का पहला अनुभव था जब मेरे होंठो को किसी ने होंठो से चूमा था, उस वक़्त कोई खुले आम कुछ नही करता था इसलिए मुझे सेक्स और लव और किस की कोई पता नही थी (राइट टू इन्फर्मेशन) और हमे मम्मी-पापा भी कुछ बताते नही थे, और मेने कभी मेरे जिस्म के साथ कुछ प्यार भरा अनुभव नही किया था, और मेरे लिए वो चुंबन का पहला शारीरिक(फिज़िकल) अनुभव था.10 मिनट के बाद उन्होने मुझे छोड़ दिया और मे ने कुछ पीछे कदम लेते हुए आँख खोल के देखा. वो एक प्रौढ़ आदमी थे तकरीबन 41 यियर्ज़ की उमर के, वो काफ़ी हत्ते कत्ते लग रहे थे, उन्होने उपर कुछ पहना नही था और इनका सीना काफ़ी चौड़ा था और उनकी छाती पे सफेद बाल भी थे, नीचे एक पेंट था और वो मुझे देख के मुस्करा रहे थे. मे भी मुस्करा कर वाहा से कॉलेज चली गयी. 

कॉलेज मे रिसेस के टाइम पे सोच ने लगी अंकल ने मेरे होंठो को जिस तरह चूम लिया था उसे मे याद कर रही थी. मेने जब उनकी तरफ देखा था उस वक़्त उनका थोड़ा सा हस्ता हुआ चेहरा मेरे सामने आ गया, मे उनके लाल होंठो को देख रही थी, वो भी मेरी तरह गोरे ही थे. अंकल के मेरे होंठो को चूम ने से मुझे काफ़ी शरम आ रही थी और मेरे दिल मे कुछ हो रहा था. मेरा दिमाग़ बस उस चुंबन को ही याद कर रहा था और जो मे सोच रही थी कि वो इंसान है या भूत उस पे हंस रही थी. मेरे लिए ज़िंदगी का पहला अनुभव है, अंकल ने मेरे नाज़ुक होंठो बहुत ही प्यार से चूमा था. यही सोचते रिसेस ख़तम हो गयी और जल्दी छुट्टी मिली थी क्यूंकी सुरू के दिनो मे कॉलेज मे ज़्यादा पढ़ाते नही है और मे घर के लिए चल पड़ी. 

मेने घर आके देखा कि नीचे का कमरा बंद था. जैसे ही सीडियो से उपर जाने लगी कि मुझे सुबह वाला चुंबन का किस्सा याद आ गया और मे मुस्काराके उपर चली गयी. मे घर जाते मम्मी से ये सब बात करने वाली थी, क्यूंकी मेरे साथ ऐसा पहले कभी नही हुवा था, वैसे तो मेरे मम्मी - पापा मुझे ज़्यादा प्यार नही करते, क्यूंकी लव मॅरेज के बाद वो दोनो काफ़ी लड़ते थे और उनका वक़्त सिर्फ़ उसमे ही निकल जाता था. मे ने घर मे जाके के देखा के मम्मी के रिस्तेदार जो कि सूरत मे रंदर मे रहते है वो उनसे मिलने आए थे और उनकी बजह से सारा घर भरा हुआ था क्यूंकी वो एक दो तो होते नही है एक ही घर मे टोटल 20 लोग होगे और ऐसे दो रिस्तेदार के घर वाले आए थे जो कि 40 लोग थे. उनमे से काफ़ी सारे छोटे बच्चे भी थे. सो मे उसमे से एक बच्चे को नीचे घुमाने ले के गयी क्यूंकी उपर गर्मी की परेसानी से वो रो रहा था. मेने नीचे जाते ही देखा कि अंकल के रूम मे लाइट ऑन थी, मे थोड़ा सा डर गयी कही अंकल मुझे फिरसे ना पकड़ ले. वो बच्चे की रोने की आवाज़ से बाहर आए और उन्होने मुझे देखा कि वो बच्चा मेरे से चुप नही हो रहा था. सो अंकल मेरे आगे आए और बच्चा मेरे पास से ले लिया और अंदर चले गये मे भी उनके पीछे चली गयी. उन्होने बच्चे को फॅन के पास सोफे पे लिटा दिया, और वो बच्चा भी तुरंत फॅन की हवा से सो चुप हो गया और उसे नींद आने लगी. 
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मे जैसे ही अंकल के हॉल कम किचन मे गयी तो मे अंदर की सजावट को देखती ही रह गयी. बड़े और आलिसन सोफे, माचिल घर, कलातंक और डॅन्स करती हुई मूर्तिया, बड़ा सा टीवी, उपर की दीवाल पे डिज़ाइन, नीचे मार्बल लगे हुए थे. जब अंकल ने उस बच्चे को सुला दिया तो उन्होने मुझे सर से पाव तक देखा. मेने उस समय पे वाइट कलर की फ्रोक पहनी हुई थी. अंकल खड़े हो के दरवाजा बंद करने गये. अंकल ने एक दो कदम बढ़ते ही मुझे पीछे से पकड़ लिया, मे थोड़ा डर सी गयी. अंकल ने मेरा मूह उनकी ओर करते हुए मेरी कमर को अपने कड़क हाथो से घुमाया. मेरी नज़र नीचे थी और सुबह की तरह ही उन्होने उपर कुछ नही पहना था. उन्होने मुझे अपनी ओर काफ़ी ज़ोर से खिच के पकड़ा हुआ था, उससे मेरा पूरा जिस्म उनके जिस्म से पूरी तरह लग गया था, मानो हवा भी हमारे बीच नही थी. सबसे ज़्यादा ज़ोर मेरी छाती पे था क्यूंकी उनकी छाती काफ़ी बड़ी थी और उनका घाटीला बदन, जो मुझे ज़ोर से पकड़ के रखा हुआ था. अंकल के दोनो हाथ मेरी कमर पे थे और मेरे दोनो हाथ नीचे की ओर थे. फिर अंकल ने अपना राइट हॅंड मेरी कमर से हटा के मेरी गर्दन की और बढ़ाया और मेरे चेहरे को उपर किया. लेकिन मेने आँख बंद कर ली थी शरम और डर के मारे. फिर अंकल ने अपना लेफ्ट हॅंड जो मेरी कमर पे था उसे मेरी गर्दन पे रख दिया और तुरंत ही राइट हॅंड से मेरी कमर पकड़ ली और मुझे अपने जिश्म से दबाते हुए मेरे उपर के होठ को अपने दोनो होंठो के बीच मे रखा के हल्के से चूमने लगे. मेरा पूरा ध्यान सिर्फ़ मेरे होंठो पर ही रहा इस नये अनुभव के आनंद मे डूबा हुवा था. करीब 5 मिनट उपर के होठ को चूमने के बाद उन्होने मुझे थोड़ा सा ढीला छोड़ दिया, मेरी आँखे अब भी बंद थी और मे अपने होंठो पे आए पानी को अपने राइट हाथ से पोछने वाली थी कि अंकल ने मेरा राइट हाथ अपने गर्दन पे रख दिया और लेफ्ट हाथ को उनकी कमर के पीछे के साइड पे रख दिया और मुझे अपनी और नज़दीक करते हुए मेरे नीचे के होठ को अपने दोनो होंठो के बिचमे रखते हुए चूमने लगे, मेरे दोनो हाथ उनके जिश्म पे थे और उनका जिस्म उपर से नंगा था और ये पहली बार था का मे किसी इंसान को इस तरह से पकड़ रही थी, मेरे दिल को ये बहुत अच्छा लग रहा था. मेरी ज़िंदगी का ये पहला सरिरिक(फिज़िकल) अनुभव था और वो एक अंजान आदमी के साथ. सो अंकल की और से किए गये इस चुंबन से मे काफ़ी अच्छा महसूस कर रही थी और मेरा दिल भी ज़ोरो से धड़क रहा था. करीब 20 मिनट मेरे होंठो को चूमने के बाद उन्होनो ने मुझे छोड़ दिया. 

फिर मेरी कमर मे हाथ डालके अंकल ने मुझे सोफे पे बिठा दिया और मेरे बाजू मे राइट साइड मे बैठ गये. अंकल का लेफ्ट हाथ मेरे गर्दन पर था और राइट हाथ से उन्होने मेरे राइट हाथ को पकड़ लिया और अपनी हाथो की उंगलिया को मेरी हाथो की उंगलिया को ज़ोर से दबा दिया. मेरी आँखे अभी भी बंद थी ये सब मे अपने जिस्म पे चल रहे उनके हाथो को महसूस कर के सोच रही थी और मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. अंकल मुझे अपनी ओर नज़दीक करते हुए मेरे होंठो को चूमने लगे. इस पोज़िशन मे मेरी गर्दन और मेरा राइट हाथ ही उनसे दबा हुवा था और बाकी का जिस्म आज़ाद था, सो मे काफ़ी अच्छा महसूस कर रही थी. इस बार मेरे होंठो मे आए मेरे रस को अंकल काफ़ी ज़ोर से होंठो को खिच के चूम रहे थे, इस से मेरा गला सुख रहा था. मेने ज़ोर से सास लेते हुए अंकल के होंठो को चूम लिया, और तभी मेरे पूरे जिस्म मे जैसे एक करेंट सा लगा हो वो पूरा काँपने लगा. में उस वक़्त अंकल की सासो को अपने मूह के पास गरम गरम महसूस कर रही थी. मेने भी अंकल के होंठो कई बार सास लेने की और गला सुख जाने की बजह चूम लिया. मुझे नही पता मे क्या कर रही थी लेकिन मेरे दिल को बहुत अच्छा लग रहा था और मेरे गले की प्यास भी भुज रही थी. अंकल मुझे और ज़ोर से अपने करीब लाते हुए मेरी गर्दन और मेरे हाथो पर दबाव बढ़ाने लगे, मेरा पूरा जिस्म अकड़ रहा था. ये देखते ही अंकल ने मुझे सोफे पे पीछे की ओर झुकाते हुए मुझे आराम से चूमने लगे, इसके साथ ही उन्होने मेरा राइट हाथ छोड़ दिया और उसे अपनी कमर के पीछे अपनी पीठ पर रख दिया और मेरे लेफ्ट हाथ को अपने गर्दन पे रख दिया और अपना राइट हाथ मेरी कमर के उपर के भाग से और मेरी छाती की नीचे से मेरी पीठ पे ले के मुझे ज़ोर से दबोच लिया. इसके साथ ही उनकी बड़ी सी छाती से मेरी नाज़ुक सी छाती दब सी गयी. मेने पहली बार अपने छाती को और मेरे छोटे से स्तन दबते हुए महशुस कर रही थी, क्यूंकी इस से पहले मेरा सिर्फ़ चुंबन पर ही ध्यान था. मेरे छाती दबने से मुझे काफ़ी गुदगुदी सी होने लगी और मेरा दिल जोकि जोरो से धड़क रहा था और साँसे तेज चल रही थी उसके बजह से मेरी छाती जोरो से उपर नीचे हो रही थी लेकिन अंकल की छाती से जोरो से दबने से वो और उपर नीचे नही हो सकी और दबने के बाद मेरी छाती उनकी छाती मे जेसे समा गयी हो, ऐसा सोचते ही मुझे काफ़ी शरम सी आ गयी और में अंकल को अपने राइट हाथ से उनकी पीठ पर घुमाने लगी. 

मेरे राइट हाथ को अंकल की पीठ पे घुमाने से उन्होने उनका राइट लेग मेरी दोनो लेग के बिचमे दबाने लगे, मेने उनकी सहायता करते अपने लेफ्ट लेग को थोड़ा सा उपर उठाके उनकी जाँघो पर रख दिया, अब वो और आज़ाद लग रहे थे और वो मेरे पूरे जिस्म पे ज़ोर से दबाव बढ़ाने लगे. मे एक चिड़िया की तरह उनके गिरफ्तमे थी. फिर ऐसे ही करीब 30 मिनट कब बीत गये पता ही नही चला. उन्होने एक मोड़ पर मुझे छोड़ दिया, तब मेने देखा के वो काफ़ी थके हुए लग रहे थे और उनका जिस्म फॅन चालू हो ने के बबजूद पूरा पसीने से भरा था. मेरा राइट हाथ जो कि उनकी पीठ पर था वो भी उनके पीठ पे घुमाने से पूरा भीग गया था, मेरी छाती भी भीग गयी थी, और मेरे चेहरे पे उनके पसीने की बूँद गिर रही थी. मेने अपनी आँख खोलते हुए देखा कि अंकल का पूरा जिस्म पसीने से पानी पानी हो रहा था. उन्होने एक बड़े रुमाल से अपने आपको साफ किया और फिर मेरे चेहरे को साफ कर के मेरे हाथो को साफ कर दिया. उसी दौरान मेरा एक कज़िन भाई जो की 2न्ड मे पढ़ता है वो नीचे मुझे ढूढ़ने आया था क्यूंकी वो लोग जाने वाले थे, उसने मुझे बाहर ढूँढा लेकिन नही मिलने पर उसने अंकल के रूम के पास आके मुझे आवाज़ लगाई “ जया दीदी क्या आप अंदर हो” , और मे उस छोटे बच्चा के साथ उसके साथ अपने घर चली गयी. वाहा जाके मेने उस छोटे बच्चे को उसकी मा को दे दिया और अपनी मम्मी के पास चली गयी. मम्मी ने मुझे बताया कि हम सब उनके रिस्तेदार के घर जा रहे है. जब मे उन लोगो के साथ नीचे उतर रही थी मेने अंकल के घर का डोर बंद पाया और हम चले गये. हम रात को काफ़ी देर से घर आए. मेने देखा के अंकल के घर की लाइट ऑफ थी तो मे समझ गयी की अंकल सो गये होंगे. मे घर मे आते ही अपनी मम्मी को सब बताने वाली थी क्यूंकी मे उन्हे अकेले मे मिल नही पाई थी, लेकिन मम्मी पूरे दिन की थकान से लोट पोट होके सोने चली गयी. मे भी अपने कमरे आके दोपहर को जो हुआ था उसे याद करके मीठे सपनो मे सो गयी. 
क्रमशः........
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06-25-2017, 12:28 PM,
#3
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
गतान्क से आगे...... 
डेट 18-जून-2000. सुबह उठ ते ही मेने फ़ैसला कर दिया के मे मम्मी को अभी कुछ नही बताउन्गि क्यूंकी मुझे भी अजीब सा मज़ा आ रहा था और मे इसे रोकना नही चाहती थी. मम्मी को नही बताने की एक और बजह थी कि अंकल इस घर के मालिक है और अगर मेने उनके खिलाफ कुछ कहा तो मम्मी पापा मेरा विश्वास नही करेंगे, क्यूंकी वो मेरी किसी भी बात को कभी भी दिमाग़ पे नही लेते थे, क्यूंकी वो मुझे एक छ्होटी बच्ची ही समझ ते थे. मे बाथरूम मे नहा धोके फ्रेश हो कर अपना कॉलेज यूनिफॉर्म जोकि उपर एक शर्ट और नीचे पेंट, दोनो ही वाइट थे वो पहन्के और अपना कॉलेज बेग और छाता लेके कॉलेज जाने लगी. नीचे उतरते ही अंकल सामने खड़े थे कल वाली ड्रेस मे, मे नज़र झुकाते वाहा से आगे जाने लगी, अंकल ने मुझे पकड़ा के अपने जिस्म के साथ मुझे पूरा सटा दिया, लेफ्ट हाथ मेरे गर्दन पे और राइट हाथ मेरी कमर पे रख के मेरे होंठो को चूमने लगे. मेरे दोनो हाथो मे बॅग और छाता था. मेरे होंठो को 15 मिनट तब चूमने के बाद उन्होने मुझे छोड़ दिया. उन्होने मेरी दोनो बाजू को पकड़ कर मुझे उपर से नीचे देख रहे थे, मेरी नज़र नीचे की ओर थी. अंकल ने अपने पॉकेट मे से एक सोने की चैन निकाली और मेरी शर्ट की पॉकेट मे रख दी जोकि मेरे दिल के बहुत पास थी और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था उनके इस प्यार से के वो मुझे इतनी कीमती सोने की चैन दे रहे थे. फिर मे वाहा से कॉलेज जाने के लिए निकल गयी और एक बार अंकल की ओर देख कर उन्हे हल्की सी मुस्कुराहट दी. कॉलेज मे रिसेस के टाइम मे मेने वो चैन अपने शर्ट के पॉकेट से निकाल के देखा, वो एक भारी सोने की चैन थी, उसमे एक लॉकेट भी था जिस का शेप दिल जैसा था, मे उसे देख के बहुत ही ज़यादा शर्मा गयी और उस चैन को अपने दिल से लगा दिया और मन ही मन मे शरमाने लगी. मेने सोने की चैन को वापस अपने स्कूल के बेग मे रख दी ता कि कोई देख ना ले. और आज भी जल्दी छुट्टी मिली थी सो मे जल्दी ही अपने घर जाने के लिए चल पड़ी. 

मे जल्दी जल्दी चलके अपने घर पर जाना चाहती थी बलके आज जल्दी छुट्टी मिलने की बजह से मे अंकल के पास जाना चाहती थी. मे जैसे ही नीचे से गुज़री की अंकल वाहा खड़े थे शायद उन्हे मालूम था कि कॉलेज मे जल्दी छुट्टी मिलने वाली थी. मुझे वो उन्होने मेरी कमर पे हाथ रख के अपने घर मे ले गये. अंदर जाते ही उन्होने मेरे हाथो से कॉलेज बेग और छाता ले लिया और बाजू पे रख दिया. मे अंकल की छाती को देख रही थी जोकि ओपन थी और उन्होने नीचे आज पेंट की जगह एक बड़ी चढ्ढि पहनी हुई थी. उस वक़्त अंकल की निगाहे मेरी आँखे को देख रही थी वो देख रहे थे और जैसे ही मेने उपर की ओर देखा तो मेरी और उनकी नज़र एक हो गयी और मे शरम से लाल हो गयी और मेरा जिस्म कपने लगा मानो एक अजीब सी लहेर दौड़ रही हो पूरे जिस्म मे, और मेने आँखे नीचे झुका दी.अंकल ने डोर बंद कर दिया.हम दोनो सोफे की और बैठने के लिए बढ़े. अंकल ने अपना लेफ्ट हाथ मेरी गर्दन पर रख कर मुझे सोफे पे बिठा दिया और राइट हाथ मेरे छाती से तोड़ा नीचे ले जाके मेरी पीठ पे रख दिया और मेरे होंठो को चूमने लगे. फिर कल की ही तरह उन्होने अपना राइट लेग मेरी दोनो लेग के बीच मे रख दिया. मुझे आज कल से ज़्यादा मज़ा आ रहा था. उन्होने 15 मिनट मेरे होंठो को चूमने के बाद मुझे छोड़ दिया. अंकल ने अपना राइट हाथ जोकि मेरी पीठ पे था उसे मेरी गर्दन के पास लाके घुमाने लगे. मेरी नज़र उनके हाथ पे थी. फिर मे समझ गयी कि वो सोने की चैन ढूँढ रहे थे. मेने डरते और शरमाते हुए इशारो से बेग बताया और वो समझ गये कि सोने की चैन कॉलेज बेग मे है. वो उठ के बेग मे चैन ढूँढ रहे थे. मेरी हिम्मत नही हो रही थी के मे उन्हे वो चैन निकाल के दू. उन्हे मेरे कॉलेज बेग मे ज़्यादा बुक ना होने की बजह से वो सोने की चैन मिल गयी. अंकल वो चैन लेके मेरे पास आए और अपने घुटनो के बल बैठ के मेरी ओर देखने लगे, मे तिरछी नज़र से उन्हे देख रही थी, उन्होने चैन के लॉकेट को चूमा और मेरी तरफ आगे बढ़ गये. उन्होने बैठे बैठे ही अपने घुटनो के बल पे मेरे सामने आ गये. उनकी हाइट मेरे से 3 या 4 इंच ज़्यादा थी. उन्होने मेरी कमर पर हाथ रख के मुझे सोफे से उनकी और खिचा. उन्होने मेरे दोनो पाव को थोड़ा सा चौड़ा कर दिया और अपनी कमर के दोनो बाजू पे एक एक करके रख दिया. अंकल ने मेरे शर्ट का पहला बटन खोल दिया, मे बहुत ज़ोर्से काँप रही थी, फिर अंकल ने मेरे गर्दन के पीछे हाथ रहके वो चैन मेरे गले पे रख दिया. अंकल से चैन लॉक नही लग रहा था, वो उठ के जल्दी से सोफे पे आके मेरे पीछे बैठ गये और मेरे बालो को आगे करते हुए चैन का लॉक लगा दिया. उन्होने मुझे पीछे से मेरी कमर मे हाथ डाल के पकड़ लिया. मेरी पीठ उनकी छाती से लगी हुई थी और उनके हाथ मेरी कमर पे थे, उन्होने पहले मेरे राइट डाल को चूम लिया और फिर मेरे बालो को पीछे करते हुए मेरे लेफ्ट गाल को चूम लिया, इन दो नो चुंबन से मेरे दिल मे कुछ कुछ होने लगा और मैने शरम से अपना मूह अपने हाथो से छुपा लिया. अंकल पीछे से खड़े होके मेरे बाजू मे आके बैठ गये और कल की तरह अपने हाथ रख के और मेरे दोनो हाथ भी कल की जगह पे रख के मेरे होंठो को चूमने लगे. अंकल 5 मिनट के बाद मेरी गर्दन पे चूमने लगे जहा वो सोने की चैन लगी हुई थी, इससे मे काफ़ी कराह रही थी और मेने एक हाथ से उनके सिर को पकड़ लिया और उनके बालो मे हाथ फेरने लगी. अंकलने मेरा ये बर्ताव देख कर मेरी गर्दन पर हल्का सा काट दिया और मुझे छोड़ दिया. मेने अपनी शर्ट मे हाथ डाल के सोने की चैन के लॉकेट को अपने दिल के पास रख ते हुए पहला बटन बंद करके वही बैठी रही. फिर अंकल किचन मे चले गये और दो ग्लास जूस के बनाने लगे. अंकल हॉल मे आके मेरे हाथो को पकड़ कर मुझे किचन मे ले गये और डिन्निंग टेबल पे बिठा दिया और वो मेरे बाजू वाली चेअर पे बैठ गये. मेने किचन देखा वो भी हॉल की तरह बड़ा था और जो किचन मे होना चाहिए था वो सब कुछ था. 
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06-25-2017, 12:28 PM,
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RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
पहली बार मैं अंकल से थोड़ा दूर बैठी थी क्यूंकी इससे पहले तो हर बार की मुलाकात मे उन्होने सिर्फ़ मेरे होंठो को चूमा ही था और आज मुझे सोने की चैन पहना दी थी. पहली बार अंकल के साथ बातचीत हो रही थी ये इस तरह है. 
अंकल : “ मेरा नाम राज शर्मा है और मैं इस घर का मालिक हू. आपके पापा ने मुझे बताया था कि आपकी फॅमिली मे 3 मेंबर है. जब मेने सुना कि एक लड़की है जो कॉलेज मे पढ़ती है और इसका दाखिला करना है, तो मेने अपने ही कॉलेज मे तुम्हे दाखिला दिलवा दिया. हा मे तुम्हारी कॉलेज का रिटाइर्ड प्रोफेसर हू. तुम्हारा नाम जया है. जब मेने तुम्हे पहली बार देखा तो मे देखा ता रह गया क्यूंकी मेरी पूरी कॉलेज की लाइफ मे मेने तुम जैसी लड़की नही देखी थी. मे अकेला रह रहा हू सो मेने तुम्हे चुना है मेरा अकेला पन दूर करने के लिए और अपने दोनो के जिस्म की प्यास मिटाने के लिए. क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी ? मेरे साथ दोस्ती करोगी तो मे तुम्हे कॉलेज की सभी परेसानियो से बचा लूँगा और तुम्हे मुझे खुस करने पर हर वक़्त एक सर्प्राइज़ गिफ्ट भी मिलेगा. बोलो क्या सोच रही हो ?” 
मे उनकी सारी बात सुन रही थी लेकिन जिस्म की प्यास के बारे मे कुछ पता नही चला और मे सोच मे डूब गयी कि क्या वो मुझे हर रोज़ चूमेंगे ……… 
मेने कहा : “ मे आपका बहुत ज़्यादा सुकिरया करती हू के आपके कहने पर मुझे कॉलेज मे अड्मिशन मिला और आपने कहा कि आपके साथ दोस्ती कर लू तो कोई परेसानी नही होगी. लेकिन ये जिस्म की प्यास क्या है ? वो मुझे मालूम नही है शायद मे उसे नही मिटा सकी तो आप से दोस्ती भी टूट जाएगी और मेरी परेसानिया भी बढ़ सकती है.सो आप मुझे जिस्म की प्यास के बारे मे कुछ बातायँगे तो ठीक है क्यूंकी मे आपसे दोस्ती करना चाहती हू आपका अकेला पन भी दूर हो जाएगा और मेरा ट्यूशन भी लेना नही पड़ेगा.” 
राज अंकल: “ अरे जया बिटिया तुमने मेरी दोस्ती को कबूल कर लिया वोही मेरे लिए बहुत है. रही बात जिस्म की प्यास की वो तुम मुझ पे छोड़ दो. तुम आजसे बस वही करोगी जो मे चाहता हू. ठीक है.” मेने कहा : “ ठीक है”. राज अंकल बोले : “ आ जाओ मेरी जया रानी मेरी जाँघो पे बैठ जाओ और अपने इस प्यारे हाथो से मुझे जूस पिलाओ.” मैं शरम के मारे उठ के अंकल की जाँघो पे बैठ गयी और उन्हे जूस पिलाने लगी. फिर अंकल ने भी मुझे अपने ग्लास से जूस पिलाया. मेने पहली बार किसी का झूठा पिया होगा. उन्होने ग्लास नीचे रखते हुए कहा “ अपनी शर्ट का पहला बटन खोल दो” मेने अपनी शर्ट का पहला बटन खोल दिया और लज्जा से लाल हो गयी. उन्होने कहा “ जया मेने तुम्हे जो चैन पहनाई है वो मेने सिर्फ़ तुम्हारे लिए ही बनवाई है जिस मे लगा हुवा लॉकेट मेरा दिल है, वो लॉकेट मुझे दिख नही रहा, ज़रा उसे निकाल दो मे उसे चूमना चाहता हू, अपनी शर्ट का दूसरा बटन भी खोल दो ताकि वो मुझे साफ दिख सके और मे उसे चूम सकु.” मेने ये सुनते ही लाल हो गयी और जो लॉकेट उनका दिल था वो इस वक़्त मेरे दिल के पास था. मेने कहा “ आपका दिल मेरे दिल के पास सुरक्षित है, मुझे शरम आ रही है मेरा दूसरा बटन खोलते हुए, आपको उसे चूम ना है तो आप मेरी शर्ट के उपर से ही उसे महशुस करके उसे चूम लीजिए” इतना कहते ही राज अंकल ने मेरी लेफ्ट छाती को यानी के मेरे लेफ्ट स्तन पे हाथ रख दिया. मे ज़ोर से काँप गयी और उनकी जाँघो से नीचे गिरने ही वाली थी उन्होने मुझे गर्दन पे हाथ रख के अपने पास खिच लिया. फिर वो मेरे स्तन पे हाथ फेरते हुए वो लॉकेट यानी कि उनका दिल ढूँढ ने लगे और हल्के से दबाने भी लगे. मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था, मेरे स्तन पहली बार किसी जिंदा इंसान के हाथ से दब रहे थे, मेरे स्तन बहुत ही नरम थे कि राज अंकल का हाथ मानो मेरे दिल को छू रहा हो. राज अंकल को उनका दिल मिल गया जो कि मेरे स्तन के निपल के पास ही था. उन्होने अपना सिर मेरे स्तन के पास लाते हुए मेरे स्तन को चूम लिया और में अपना हाथ उनके बालो मे घुमाने लगी. फिर राज अंकल ने घड़ी मे टाइम देख ते कहा “ जया अब तुम जाओ और कल सुबह मे तुम्हारा इंतेजार करूँगा. और हा एक बात खास याद रखना कि मेरे दिल को अपने दिल से जुदा मत करना और अपनी मम्मी पापा को इस के बारे मे कुछ नही बताना नही तो वो तुम्हे कभी भी मेरे साथ दोस्ती नही करने को कहेंगे, क्यूंकी कोई भी मा बाप नही चाहते के उनकी लड़की किसी गैर इंसान के साथ कुछ संबंध रखे, हलाकि तुम्हारे पापा मुझे जानते है लेकिन वो विश्वास नही बना कि तुम मेरे साथ अकेले मे कुछ समय रहो और तुम्हारा जो डर था जिस्म की प्यास का वो मे तुम्हे कभी बता नही सकूँगा”. मेने कहा “ राज अंकल आअप ज़रा भी चिंता मत कीजिए मे ये दोस्ती की और जिस्म की प्यास की बात किसी से नही कहूँगी, मेरी मम्मी से भी नही, और मे ने पहले भी कहा है मे वही करूँगी जो आप चाहते हो और रही बात आपके दिल की तो मे उसे अपने दिल के पास ही रखूँगी हर वक़्त.” 


मे जैसे ही अपने घर मे आई तो मम्मी ने मुझे कहा “ बेटी आज थोड़ा देर से आई” मेने कहा “ हा मम्मी मुझे कुछ काम था बुक लेने को चली गयी थी”. और मे अपने कमरे आके अपना कॉलेज ड्रेस निकाल के अपने जिस्म पे सिर्फ़ मेरी कछि ही थी और नहाने चली गयी, नहाते वक़्त मेने अंकल के दिल को भी अच्छी तरह साफ किया और उसे मेरे लेफ्ट स्तन के निपल पे रख दिया, नहाने के बाद मे जब अपना जिस्म पोछ रही थी तभी मेने देखा की अंकल का दिल मेरे दोनो स्तन के बिचमे आ रहा था, मे उस वक़्त ब्रा नही पहनती थी क्यूंकी मेरे स्तन छोटे थे ऐसा मम्मी कह रही थी. मेने जल्दी से अपना पेंट पहना और उपर एक टी-शर्ट पहन लिया और राज अंकल के दिल को अपने दिल के पास रख दिया. फिर में पूरे दिन मे होमवर्क, खाना, प्ले ख़तम करके सो गयी. रात को मुझे सिर्फ़ राज अंकल के ही सपने आते थे वो मुझे मेरे जिस्म के हर जगह को चूम रहे थे और मे पूरी तरह से नगी थी. मे इस सपने से जाग गयी और शरम से लाल होके अपना चेहरा तकिये से छुपा के सो गयी.
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#5
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
डेट 19-जून-2000. मेने जब नाहके अपना कॉलेज ड्रेस पहना मेने बड़े प्यार से राज अंकल का दिल अपने दिल के पास रख के कॉलेज जाने के लिए घर से निकल गयी. नीचे राज अंकल मेरा इंतेजार कर रहे थे. उन्होने 10 मिनट तक मेरे होंठो चूमा और उनके दिल को भी चूमा और कहा “ जया आज कॉलेज से रिसेस के टाइम पे ही सीधे मेरे घर आ जाना , मे तुम्हारा इंतेजार करूँगा”. मे हल्की सी स्माइल दे के कॉलेज चली गयी. मे रिसेस आते ही कॉलेज से राज अंकल के घर चली गयी. अंकल ने मुझे अंदर आते ही मेरी कॉलेज बेग और छाता बाजू मे रख के मुझे अपनी और खिचाते हुए अपने दोनो हाथ मेरे स्तन के बाजू मे से लेके मेरी पीठ पर रख दिया और मेरे दोनो हाथ उनकी गर्दन पे रख दिए और मेरे होंठो को चूमने लगे. 10 मिनट के बाद उन्होने मुझे छोड़ दिया और अपनी बाहो मे उठा के किचन मे ले जाके मुझे अपनी दोनो जाँघो के बीच मे बैठा के जूस पिलाने लगे, आज एक ही ग्लास मे जूस था, पहले अंकल ने मुझे जूस पिलाया और फिर मेने अंकल को. फिर अंकल मेरे होंठो पे लगे हुए जूस को चाटने लगे मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. उन्होने कहा “ जया अब तुम मेरे होंठो पे लगे जूस को अपने होंठो से चाट के साफ कर दो “ में उनके होंठो पे लगे जूसे को अपने होंठो से साफ करने लगी. होंठो को साफ करते समय में अंकल के उपर के होठ को मेरे दोनो होंठो के बीच मे रख के चूस रही थी कि अचानक मेरी जीभ ने अंकल के होठ को छू लिया, मेरे पूरे जिस्म मे रोज्ञटे खड़े हो गये ओर मे शरम से लाल हो गयी, मेने अंकल के नीचे वाले होठ को भी अंपनी जीभ से चाट के साफ कर दिया. राज अंकल बहुत खुस हो गये थे मेरे इस बर्ताव से. फिर उन्होने मेरे दोनो होंठो को बारी बारी चूमा और मुझे आज़ाद कर दिया. में टेबल पे रखे ग्लास को लेके धोने चली गयी. राज अंकल मेरे पीछे आ गये और मुझे पीछे से पकड़ लिया और अपना हाथ मेरे हाथ मे डालके दोनो ग्लास को धोने लगे. राज अंकल बोले “ जया तुम वाकई ही एक समझदार लड़की हो, तुम्हे घर के सारे काम आते है, और तुमने आज मेरे इस अकेले वीरान घर को अपना बना लिया है, आज से इस घर की हर चीज़ पर तुम्हारा अधिकार है, तुम जो चाहे वो इस घर मे कर सकती हो.” मेने अंकल से कहा “ आपका बहुत बहुत सुक्रिया के आपने मुझे आपना ही समझा वरना इस पूरी सोसाइटी मे मेरे साथ दोस्ती करने वाला कोई नही है, सो आज से हम एक बेस्ट फ्रेंड की तरह ही रहेंगे, लेकिन ये तो तब तक चलेगा जब तक कॉलेज से जल्दी छुट्टी मिल रही है उसके बाद क्या?” अंकल ने कहा “ तुम उसकी फिकर मत करो कॉलेज समय पे चालू बंद हो उसमे 15 दिन लग जाएँगे, सो तब तक तो तुम हर रोज़ रिसेस मे मेरे यानी कि अपने ही घर चली आना, आज से मे तुम्हे इस घर का हिस्सा बनाते हुए ये घर की चावी तुम्हे सोपता हू, तुम अपनी मम्मी से नज़र बचाते हुए यहा पर कभी आ जा सकती हो.” मैने बहुत खुस हो के कहा “ इस चावी से आपके घर मे कभी आ जा सकती हू जब आप घर पर ना हो तब भी, मे दोपहर को आ सकूँगी क्यूंकी मम्मी सो जाती है, लेकिन आप नही होते हो दोपहर को” उन्होने कहा “ कोई बात नही तुम अंदर आके जो करना चाहे वो करके चली जाना और एक काग़ज़ मे लिख देना के तुमने क्या किया है और मे उसे देख सकु और तुम्हे इनाम भी दे सकु.” फिर उन्होने मुझे अपनी बाहो मे उठाया और आगे हॉल मे जाके एक पुतले के पास खड़ा कर दिया. वो पुतला एक लड़की का था जो अपने दोनो हाथ उपर करके और एक पाव थोड़ा सा टेढ़ा करके खड़ी हुई थी, उसने उप्पेर एक चोली पहनी हुई थी और नीचे घोते दार लहनगा पहना हुवा था. राज अंकल ने कहा “ जया तुम्हारा जिस्म ऐसा होना चाहिए की मे तुम्हे जो भी पहनने को बोलू तुम उसमे सही तरीके से आ जाओ, इसके लिए तुम्हे मे कुछ आसन सीखा ता हू जिसे तुम रोज अपने खाली समय पे कर सकती हो या फिर सुबह जल्दी उठ के कर सकती हो” मेने कहा “ अंकल क्या आप रोज आसन करते हो “ उन्होने कहा “ हा मे रोज सुबह 5 बजे उठ के आसन करता हू” मेने कहा “ तो अंकल मे भी आपके साथ ही कल सुबह से आ जाउन्गी, क्यूंकी मम्मी तो 7 बजे और पापा 8 बजे सुबह उठ ते है, तो अगर मे 5 बजे आपके पास आ जाउ और 6 बजे वापिस चली जाउ तो उन्हे पता भी नही चलेगा और मेरा जिस्म भी एक दम अच्छा रहेगा.” राज अंकल बोले “ वेरी गुड आइडिया बेटी, मुझे तुम पे बहुत नाज़ है के तुम एक अच्छी औरत बन ने जा रही हो” ऐसा कहते ही उन्होने मुझे सिर, गालो, होंठो और गर्दन पर चूम लिया. फिर उन्होने मुझे उस पुतले के जैसे खड़े रहने को बोला. मे अपने दोनो हाथो को उपर करके और पाव को थोड़ा सा टेढ़ा करके खड़ी रही. राज अंकल मुझे देखते रहे गये और बोले “ जया तुम्हे बस थोड़ी सी कसरत की ज़रूरत है”. अंकल मेरे पीछे आते हुए मेरी कमर पर हाथ रख के धीरे धीरे उपर की ओर आने लगे और मेरे सतन को हल्का सा छूते हुए मेरे हाथो के पीछे अपने हाथ रख दिए और पाव को मेरी तरह ही करके मेरे साथ उसी पुतले की तरह खड़े हो गये. इस से मेरा पूरा पीछे का बदन उनसे लग रहा था और मेरे बाल जो मेरे पीछे थे अंकल ने उन्हे पकड़ ते हुए उनके पीछे रख दिए ताकि उनकी खुली छाती अब मेरी पीठ से लगा सके. वैसे ही थोड़ी देर खड़े रहने के बाद उन्होने मेरे हाथो को नीचे करने के बाद वो मेरी खुली गर्दन पे पीछे से चूमने लगे और उनकी भारी साँसे मुझे गरम कर रही थी और मेने भी अंकल को सहयता देते हुए मेरा जिस्म और थोड़ा पीछे करके उनके जिस्म से लड़ा दिया. फिर अंकल ने मुझे थोड़ा सा कमर पे हाथ रख के आगे की और झुका दिया, मेरे बाल जोकि अंकल की पीठ पे थे वो मेरे सिर से उपर आके मेरे पैरो तक पहुच गये. अंकल पीछे से काफ़ी ज़ोर से दबाते हुए मुझे मेरी गर्दन और पीठ पे चूम रहे थे. इस बार मेने महसूस किया के अंकल का पेट के नीचे का भाग मेरे पेट के नीचे के भाग लगा हुआ था. फिर कल की ही तरह अंकल के सारे जिस्म मे पसीना आने लगा और इस बार मेने ही बड़े रुमाल से उन्हे साफ कर दिया. ये मेरा अधिकार था इस घर के लिए सो मेने उसे कर दिया. अंकल बोले “ जया अब तुम जाओ और सुबह ठीक 5 बजे आ जाना.” मेने कहा “ ठीक है अंकल” और अपना कॉलेज बेग और छाता लेके जाने लगी. तभी अंकल ने आवाज़ लगाई “ जया थोड़ा सा रूको आज का तुम्हारा इनाम बाकी है.“ फिर अंकल ने अपने कमरे मे जाके एक बंद बॉक्स, जोकि उपर से सिल्वर पेपर से ढका हुवा था मुझे दिया और कहा “ जया उसमे जो है वो तुम सुबह ही खोलना और अपने साथ लेके आना.” मेने कहा “ जी अंकल” और एक चुंबन उनके होंठो पे देके अपने घर चली गयी. मैं अपना सारा काम ख़तम करके और 4:30 बजे का अलाराम. रख के सो गयी. 

क्रमशः........ 
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#6
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
मेरी बेकाबू जवानी--3 


गतान्क से आगे...... 
डेट 20-जून-2000. अलार्म की घंटी बजी और मे उठ गयी. मे नहा धोके अपना रुमाल जिस्म से लपेट के राज अंकल ने जो इनाम दिया था उसे लेके बेड पे बैठ गयी. मेने धीरे से वो सिल्वर पेपर निकाल कर बाजू मे रखा और बॉक्स खोलके देखा की उसमे एक कछि है, वो काले रंग की थी, उस की आगे की बाजू एक छोटा सा कपड़ा जैसा था और पीछे की बाजू एक छोटी सी रस्सी जैसा था . मेने उसे पहन्के देखा तो वो आगे मेरी छूट को ही ढक पा रहा था और पीछे वो रस्सी मेरी गन्ड मे घुस गयी ऐसा मुझे लग रहा था. उस बॉक्स मे एक लेटर भी था जो में हाथ मे उठा के पढ़ ने लगी “ 

मेरी प्यारी जया 

मे ने जबसे तुम्हे देखा है मे बस तुम्हारे ख़यालो मे डूबा हुवा हू, मे सुबह होते ही तुम्हारे नाज़ुक होंठो को चूमने की राह देख रहा होता हू, जब मुझे तुम अपने होंठो को चूमने देती हो तो मुझे तुम पर बड़ा नाज़ आता है कि मेने तुम्हारी थोड़ी सी मदद की उसका फल मुझे तुम दे रही हो. जब तुम कॉलेज से घर आती हो तो मे बस यही सोचता हू बस अब मे तुम्हे कभी अपने से दूर नही करूँगा. मे मेरी जया को खुद नींद से जगाउ, उसे कॉलेज ड्रेस पहनाउ, जब कॉलेज से वापस आए तो उसे होमवर्क मे मदद करू, और फिर जब मे उसे जिस्म की प्यास के बारे मे बताउ. वो दिन भी दूर नही जब ये सब मुमकिन होगा बस जया मुझे सिर्फ़ तुम्हारा साथ चाहिए. आज तुम्हे जो इनाम दिया था वो अपने साथ लेके आओ और ज़्यादा खुलते कपड़े पहन्के आना ताकि आसान मे कोई तकलीफ़ ना हो. 
तुम्हारा प्यारा दोस्त 
राज अंकल 
“ 
मेने ये खत पढ़ते ही मन मे शरमाने लगी और सोचने लगी जब राज अंकल मुझे पूरे दिन और रात अपने पास रखेंगे तो मेरे साथ …..? यही सोच रही थी कि मेरी नज़र ने देखा कि 4:50 हो गये है. सो मेने एक शर्ट जोकि थोड़ा ढीला था और एक लहगा जोकि उपर से नीचे तक एक जैसा था वो काले रंग की कछि पे पहन्के घर का दरवाजा बाहर से बंद करके नीचे राज अंकल के घर मे चली गयी. उनके घर का दरवाजा बंद था तो मेने घंटी बजानी चाही लेकिन मुझे याद आया कि अंकल ने मुझे उनकी घर की एक चावी मुझे दी है. सो मे वापस अपने घर मे आके मेरी कॉलेज बेग मे से वो चावी निकाल के वापस आ रही थी और मेने देखा कि मेरे मम्मी पापा का दरवाजा बंद था और अंदर से कोई आवाज़ नही आ रही थी. सो मे राज अंकल के घर के पास जाके अपनी चावी से घर को खोला और अंदर जाके वापस बंद कर दिया. में अंदर जाते ही राज अंकल को ढूँढ रही थी वो कही दिख नही रहे थे, मेने उनको आवाज़ लगाई “ राज अंकल आप कहा हो”. तब एक रूम (उनका मास्टर बेडरूम) का दरवाजा खुला और वो बाहर आ गये. मेने देखा के उनके जिस्म पे सिर्फ़ एक कछि जैसा ही था जोकि काले रंग का था. राज अंकल ने मेरे पास आके मेरे माथे को चूम के मुझे कहा “ गुड मॉर्निंग जया”. मेने भी उनको कहा “ गुड मॉर्निंग राज अंकल”. फिर वो मुझे एक बंद कमरे मे ले गये. वाहा पर मखमल की एक बड़ी लाल रंग की गद्दे जैसा बड़ा सा आसान था. राज अंकल मुझे उसके बिछे मे लेके गये और बैठ ने का इशारा किया. मे दो नो पैरो की चौकड़ी बनाते हुए बैठ गयी. राज अंकल ने हल्का सा धीमा संगीत अपने टॅप मे बजा दिया. वो अब बिल्कुल मेरे सामने आके बैठ गये. में उनकी ओर देख रही थी और मेरे मन मे चल रहे सवाल को उन्होने पहचान लिया और कहा “ जया रानी तुम यही सोच रही हो के मेने तुम्हे जो इनाम दिया था वैसा ही इनाम मेने पहना हुवा है. तुम ने जो पहना है उसे बाहर के लोग पहनते है और उसे पेंटी कहते है, मेने जो पहना है उसे लंगोट कहते है, ये दोनो वस्त्रा कसरत ओर कोई भी आसन करने मे आसानी हो इस लिए पहनते है.” मेने हा मे सिर हिला दिया. फिर उन्होने मुझे पहला आसन कैसे करते है दिखाया. उन्होने अपने दोनो हाथ आगे किए, उपर किए और सिर के उपर से पीछे ले जाके उसे देखना भी था. मेने पहले हाथ आगे किए, फिर उपर किए और जैसे ही में उन्हे पीछे ले जाने लगी कि रुक गयी और वो मुझसे नही हो रहा था मेरे हाथो, कंधो मे दर्द सा होने लगा. मे जब कई बार की कोशिश के बाद भी नही कर सकी तब राज अंकल उठ के मेरे पीछे बैठ गये और उन्होने अपने दोनो पैरो को फैलाते हुए मुझे उनके बीच मे खिच लिया, उससे मेरी पीठ का भाग उनकी छाती से लग गया, मेरे बाल जो के उनकी छाती लग रहे थे तो उन्होने कहा “ जया अपने बालो को अपने माथे के उपर बाँध लो ताकि वो मेरी छाती को गुद गुडी ना करे”. उनके मुहसे ऐसा सुनते ही मे ज़ोर से हंस पड़ी और तभी अंकल मेरे बालो को पीछे से ज़ोर से पकड़ के मेरे चहरे को अपनी और करते हुए मेरे होंठो को चूमने लगे. मे उनके इस अचंक से हुए वार को समझ नही पाई और जैसे माफी माँग रही हू वैसे उनके जिस्म से लग गयी और कह रही थी मुझे माफ़ कर दो. फिर राज अंकल ने मेरे बालो को ढीला करते हुए और सहलाते हुए कहा “ जया डरो मत मे तुम पे गुस्सा नही हू, बस मेने पहली बार तुम्हे इतना खुलके हस्ते देखा तो मेने सोचा कि तुम्हे तुरंत इनाम दिया जाए और मेने तुम्हे बालो से पकड़ के तुम्हारे होंठो को चूम लिया.” मेने हल्के से हस्ते हुए उनकी ओर देखा और शर्मा गयी और अपने बालो को अपने सिर के उपर की ओर बाँध दिया. राज अंकल नेमुझे कमर से पकड़ के उनके जिस्म से पूरी तरह लड़ा दिया. पहले उन्होने मेरे दोनो हाथो को कंधे से पकड़ के सीधा किया और सहायता के लिए अपने हाथ भी सीधे कर दिए और मेरे हाथो की उंगलियो को अपने हाथो की उंगलियो से पकड़ लिया, ऐसा करते ही उनका लेफ्ट गाल मेरे राइट गाल से लग गया मानो गाल का भी आसन साथ मे हो रहा था, उन्होने मेरी हाथ की हथेली को मुट्ठी बना दिया, और फिर वो दोनो हाथो को सिर के उपर ले गये, और अब जो मे नही कर पा रही थी वो उन्होने मेरे हाथो के उनके सिर के पीछे ले जाते हुए एक जगह पर रोक दिया, इस समय मेरा कमर के उपर का पूरा बदन खिच रहा था और मेरे स्तन भी बाहर आ रहे थे लेकिन ढीला कपड़ा पहनने से वो बाहर नही आ रहे थे. राज अंकल ने मेरे हाथो को वापस मेरे सिर के उपर लाते हुए अपने हाथ मेरे हाथ मे से निकल दिया और मेरे हाथ अभी भी उपर ही थे. राज अंकल ने अपने दोनो हाथ मेरी कमर पे लगाते हुए मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और मेरे राइट गाल पे चूम लिया और फिर वाहा से मेरी गर्दन पे चूमते हुए लेफ्ट गाल को भी चूम लिया. मे समझ गयी कि ये मेरा इनाम है. मेरा दिल ज़ोरो से धड़क रहा था. राज अंकल ने मुझे करीब 15 मिनट तक वो आसन करवाया और हर बार उनके सिर के पीछे जाने के बाद वो मेरे दोनो गालो को और मेरी गर्दन पर चूम लिया करते थे. फिर वो उठ खड़े हुए और मेरे सामने आके बैठ गये. फिर उन्होने मुझे दूसरा आसन दिखाया. उस आसन मे पहले अपने दोनो पैरो को सामने की ओर ले जाते है, फिर कमर के उपर के भाग को ज़मीन पे पीठ के बाजू लेट जाते है, और फिर धीरे से दोनो पैरो को उपर की ओर अपनी जाँघो के बल पर उठाते हुए 1 मिनट तक रख ने के बाद उसे वापस नीचे लाते है. मेने सुरू किया और पीठ के बल लेट गयी और मेने धीरे से उपने पैर उपर उठाए, लेकिन मे ज़्यादा देर तक उन्हे उपर नही रख सकी, तो अंकल मेरे पैरो के आए और मेरे पैरो को हाथो से पकड़ के उपर की ओर ले गये और वैसे ही 1 मिनट तक पकड़ के रखा. मेरी गंद भी थोड़ी सी हवा मे उठ गयी थी, मुझे पैरो की आसन काफ़ी अच्छी लग रही थी. फिर करीब 15 मिनट तक पैरो के आसन के करने के बाद अंकल ने मुझे सीधा लिटा दिया. मे काफ़ी थकान महसूस कर रही थी और अपने दोनो हाथो और पैरो को ढीला छोड़ के आराम से लेट गयी. राज अंकल जो मुझे इस तरह से देख रहे थे मानो मे उनकी हर बात का सही तरह से पालन कर रही हू और वो मुझे कोई इनाम देना चाहते हो. अंकल मेरे लेटे हुए जिस्म को देख रहे थे और वो मेरे पैरो के पास आकर अपने घुटनो के बल बैठ के मेरे दोनो पैरो को फेलाते हुए जगह बनाते हुए घुटनो के बल चलते हुए मेरी जाँघो के बीच मे आ गये, और मेरे पैरो को अपनी कमर पे रखते हुए मुझे देख रहे थे. मे उनका सू सू वाला भाग अपनी चूत पे महसूस कर रही थी, वो काफ़ी बड़ा था, मेने अभी तक अपने रिस्तेदार के बच्चो के छोटे सू सू ही देखे थे, मेने सोचा जैसे आदमी बड़ा होता है वो भी बड़ा होता होगा. अंकल के दो दिन से जिस्म लगाने के वक़्त मुझे वो महसूस नही हो रहा था आज अचानक उस लंगोट की बजह से मुझे वो महसूस हो रहा था. मे काफ़ी शर्मा रही थी ये सब सोच के. फिर राज अंकल मेरी कमर से सुरू करते मेरी शर्ट के उपर से ही मुझे चूमने लगे, धीरे धीरे वो उपर आ रहे थे और मेरी दिल की धड़कन और मेरी साँसे तेज चल रही थी, उन्होने मेरे लेफ्ट स्तन के पास आके मेरे निपल जो उनका दिल था उसे चूमने के बाद वो मेरी गले पे चूमते हुए मेरे होंठो को चूमने लगे. मे भी उनको चूमने लगी वो दोनो होंठो से मेरे उपर के होठ को चूम रहे थे और मे मेरे दोनो होंठो से उनके नीचे के होठ को चूम रही थी, मे मदहोसी मे पागल हो रही थी, तभी मुझे हसास हुवा राज अंकल जब उपर आ रहे थे तब मेरा शर्ट थोड़ा मेरी नाभि के पास आ गया था मेरे उस नंगी पेट पे उनका सू सू वाला भाग मुझे लग रहा था. मुझे लग रहा था कि मेरे उपर आते समय उनकी लंगोट थोड़ी सी खुल गयी होगी उसी बजह से उनका सू सू वाला भाग मुझे मेरे पेट पे लग रहा था. उनका सू सू वाला भाग काफ़ी गरम था और वो मेरे पेट पे दबाव बना रहा था क्यूंकी अंकल के पूरे जिस्म का बोझ मुझ पर था मे उनके वजन से दबी जा रही थी यहा तक की मेरी छाती भी उनकी छाती से दब रही थी. मुझे पेट पे लगा हुवा उनका सू सू धीरे धीरे और गरम लग रहा था. इस तरफ राज अंकल मुझे गालो, होंठो और गर्दन पे बहुत ज़ोर से चूम रहे थे और कभी कभी काट भी लेते थे. राज अंकल के हाथ मेरे बालो को खोलने की कोशिश कर रहे थे मेने अपने बालो को खोलके आज़ाद कर दिया, अंकल मेरे बालो मे हाथ डाल के मेरे बालो को ज़ोर से अपनी मुट्ठी मे लेके उपर की ओर खिच ने लगे. मे भी मेरे हाथो से उनके वाइट बालो को खिच रही थी. हम दोनो एक दूसरे को काफ़ी देर से चूम रहे थे. में कई बार मेरे पैर जो के बाजू मे फेले हुए थे अंकल की कमर पे रख दिया करती थी. इन बीच मे मुझे अपने सू सू वाली जगह जिसे मुझे पता था चूत कहते थे उसमे से कुछ सू सू जैसा निकल ने का ऐएहसास हो रहा था और मेरा पूरा जिस्म अकड़ रहा था, सो मेने अंकल को ज़ोर से पकड़ लिया था. ये मेरा पहला अनुभव था और मुझे इसके बारे मे कुछ मालूम नही था. काफ़ी ज़ोरो से मेरे होंठो, गालो, गर्दन पर चूमते और मेरे बालो को खिचते हुए अंकल थोड़ा रुक गये और तभी मेरे पेट पे कुछ गरम गाढ़ा सा पानी(लिक्विड) गिर रहा था, वो मेरी नाभि के चारो ओर गिरा हुवा था और कुछ तो मेरी नाभि मे चला गया था. अंकल मेरे उपर लेटे हुए थे सो उनके पेट पर भी थोड़ा सा वो पानी लगा हुवा था, हम दोनो के पेट लगे उस गाढ़े पानी की बजाह से वो एक दूसरे से चिपक गये थे. राज अंकल मेरी आँखो मे देख रहे थे और फिर उन्होने कहा “ जया रानी ये है तुम्हारा आज का खास इनाम इसे कल सुबह तक ऐसे हीरहने देना पानी से धोना मत.” मेने राज अंकल से कहा “ अंकल मेरे भी सू सू वाली जगह पे कुछ निकला है” अंकल ने मेरा पेंट जो के इलास्टिक का था उसे नीचे करते मेरी चड्डी के कपड़े को बाजू मे करते हुए उन्होने वाहा देखा और कहा “ जया रानी आज से तुम जवान हो रही हो और मेने जो तुम्हे जिस्म की प्यास के बारे बात की थी उसकी शरुआत हो गयी है. मे तुम्हे चूमने के नसे मे था वरना मुझे मालूम हो जाता. चलो कुछ बात नही हैं आज से तुम नीचे अपनी सू सू वाली जगह याने के उसे चूत कहते है उसे कुछ भी हो मुझे बताना और ग़लती से वाहा हाथ नही लगाना.” मेने हा मे सिर हिलाते हुए अंकल से कहा “ अंकल आपकी सू सू वाली जगह को क्या कहते है वो मेरे पेट पे लग रहा था, और मुझे गरम सा लग रहा था.” अंकल ने कहा “ उसे लंड कहते है लेकिन तुम उसे सू सू वाली जगह ही कहो गी क्यूंकी मुझे वो सुन ने मे अच्छा लगता है.” मेने फिर खड़ी होके हर बार की तरह अंकल के पसीने को रुमाल से साफ कर दिया, इस बार उन्होने वो लनगोट भी निकाल दिया था वो मेरे सामने बिल्कुल नंगे थे और मेरे हाथ को पकड़ के उनकी सू सू वाली जगह पे साफ करने को इशारा किया, में उसे साफ करके जा रही थी कि अंकल ने मुझे अपनी और खिच लिया और उनके नंगे जिस्म से लगा दिया और मेरे होंठो को चूमने लगे, मेभी उनके होंठो चूमने लगी. फिर अंकल ने मुझे कहा “ जया अब कॉलेज का समय हो रहा है तुम घर जाके कॉलेज चली जाओ”. मे सीधे ही अपने घर पे आ गयी और बाहर से बंद दरवाजे को खोलके अंदर अपने कमरे मे जाके अपना शर्ट निकाल के मेरे पेट पे लगे हुए उस पानी को छू ने लगी, जो काफ़ी चिकना था और गाढ़ा भी और सफेद रंग था, मेने उसे अपनी नाक के पास लाके सूँघा तो मुझे उस की खुसबु अच्छी लगी. फिर मेने मेरा पेंट निकाल के चड्डी को वही रहने दे ते हुए मेरी कॉलेज की ड्रेस पहन ली. मे मम्मी को बाइ बोल के कॉलेज जाने लगी, नीचे राज अंकल खड़े थे, मैं उनके पास गयी और उनके होंठो को चूमने लगी, थोरी देर बाद अंकल ने कहा “ जया मेने तेरे लिए नाश्ता बनाया है उसे रिसेस मे खा लेना” मे उन्हे बाइ करके वाहा से कॉलेज चली गयी. कॉलेज जाते ही मुझे दो पीरियड के बाद जोरो सी भूख लगने लगी और मेने अंकल के दिए हुए नाश्ते को खोल दिया, उसमे ब्रेड और ओमलेट थी, मैं वो ख़ाके बहुत खुस थी. मे सोच रही थी राज अंकल का अहसान मेरे उपर और ज़्यादा बढ़ रहा था, वो मेरी हर इच्छा को पूरी कर रहे थे. सो मेने भी फेसला कर दिया था मे अंकल को कभी सीकायत का मौका नही दूँगी. 

क्रमशः........
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#7
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
रिसेस होते ही मे ख़ुसी के मारे अंकल के पास जाने लगी. अंकल मेरा ही इंतेज़ार कर रहे थे. मेरे अंदर आते ही मेने अपना बेग और छाता बाजू मे रख के अंकल की बाहो मे जाके उनके होंठो को चूमने लगी अंकल भी मेरे होंठो को चूमने लगे. हम अपनी मस्ती मे खो गये. फिर उन्होने मुझे उस पुतले के पास ले जाके उसी तरह खड़े रहने का इशारा किया. मे उसके बाजू मे जाके खड़ी रही उस पुतले की तरह. फिर अंकल ने कहा “ जया सुबह का आसन फिरसे करना पड़ेगा, तुम्हारे जिस्म मे कुछ कमी है” मेने ये सुनते ही कहा “ राज अंकल आप नाराज़ मत होइए , मे आपको खुस और इस घर के अकेलपन को दूर करने के लिए कुछ भी करूँगी”. फिर अंकल ने मुझे अपने पास बुलाते हुए कहा “ जया सुबह का आसन अब हम सिर्फ़ अपने कमर के नीचे एक वस्त्र पहन्के करेंगे, मे लंगोट पहनुगा और तुम वो काले रंग की चड्डी पहनना और अभी तुम बालो को खुला ही रहने दोगि”. अंकल मुझे उस आसन वाले कमरे मे ले गये. उन्होने अपना पेंट उतार दिया और वो पहले से ही लंगोट मे थे, अंकल मेरे पास आए और मेरी शर्ट का पहला बटन ही खुला था कि मे शर्मा गयी और अपनी पीठ अंकल की आगे कर दी और कहा “ अंकल मुझे बहुत शरम आ रही है, आपके सामने बिना शर्ट के” अंकल ने मेरे कंधो पे हाथ रखते हुए कहा “ जया जब से तुमने मुझे देखा है मेने कभी कभी अपने उपर वाले भाग मे कुछ नही पहना था और आगे भी नही पहनुगा, क्यूंकी मे एक मर्द आदमी हू और मेरे घर मे जैसे रहना चाहू वैसे रह सकता हू, हा मे भी कभी खुली छाती लेके बाहर नही गया, उसी तरह तुम अभी छोटी हो तुम ब्रा भी नही पहनती इस लिए तुम भी अपने घर मे अपने स्तन को खुला कर सकती हो, लेकिन तुम इस घर को अपना घर नही मानती इसलिए ..” अंकल के मूह से इतना सुनते ही मेने उनके होंठो पर हाथ रख दिया और कहा “ अंकल मुझे माफ़ कर दीजिए, मेरी मम्मी ने कहा था इन्हे कभी खुला मत रहने देना हमेशा उस पे कुछ रखना” अंकल ने मेरे होंठो को चूमते हुए कहा “ जया तुम सबसे प्यारी हो मेरी इस घर की मालकिन भी हो, फिर काहे का शरमाना और रही बात तुम्हारे स्तन को खुला छोड़ ने की तो मे तुम्हे अपनी बाहो मे भर लूँगा तो तुम्हारे स्तन मेरी छाती से लग जाएँगे तो वो खुले थोड़ी ही रहेंगे” अंकल की इस बात पे मेने उन्हे अपने शर्ट के सारे बटन खोल देने दिए. अब मे उनके सामने कमर के उपर से नंगी खड़ी थी. फिर अंकल ने मेरा पेंट भी निकाल दिया और अब मेरे पूरे जिस्म पे सिर्फ़ अंकल की दी हुई काले रंग की चड्डी ही थी. फिर उन्होने मुझे अपनी छाती से लगा दिया या कहो कि मुझे उनके अंदर समा दिया. मेरे दोनो पैरो को अपनी कमर पे लाते हुए मुझे कमर से उठा लिया और उस रूम मे रखे गये लाल मखमली गद्दे जेसे आसन पे बैठ गये. अंकल की गोद मे बैठी हुई थी और अंकल के होंठो को चूम रही थी और अपने हाथ अंकल के बालो मे घुमा रही थी. अंकल ने मेरा चुंबन चालू रखते हुए मेरे हाथ अपने हाथो से पकड़ के बाजू पे जितना हो सके उतना खिच रहे थे, इस दोरान मेरे नंगे स्तन अंकल की छाती से दब रहे थे और वो लॉकेट हम दोनो के बीच की खाली जगह पर लटक रहा था, फिर अंकल हाथो को उपर करने लगे, और फिर मेरे हाथ को उनके सिर के उपर की ओर खिच रहे थे, मेरा चुंबन टूट गया और मेरा मूह उनकी छाती मे समा गया, उनके छाती के बाल मेरे पूरे चेहरे पे लग रहे थे और मुझे हल्का सा नशा च्छा रहा था. फिर अंकल ने हाथो को उपर की ओर सीधे करते हुए मुझे से कहा “ जया अब तुम मेरे हाथो को अपने सिर के उपर से खिचो”. मेने ऐसा ही किया और अंकल का मूह मेरे स्तनो के बिचमे जहा उनका लॉकेट था वाहा आ गया, वो मुझे वाहा चूमने लगे और अपने हाथो से मेरे हाथो को छोड़ के मेरे कंधो से नीचे से अपने हाथ उपर ले जा के मेरे हाथो को मेरी पीठ की ओर खिच ने लगे, जिस से मेरे स्तन और भी हवा मे आगाये और उनके मूह के पास भी आए. अंकल ने पहले मेरे लेफ्ट स्तन को चूमा, क्यूंकी वाहा मेरा दिल था , वाहा पर चूमते उन्होने मेरे स्तन के आगे के पॉइंट को भी चूम लिया जिसे निपल कहते है. मे इस अत्यंत नये अनुभव से काफ़ी लाल हो रही थी मेरी चूत मे भी कुछ हो रहा था. फिर अंकल ने मेरा राइट स्तन भी उसी तरह चूम लिया. और आख़िर मे मेरे होंठो को चूम के मुझे अपनी बाहो मे जाकड़ लिया. फिर हम थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहे और एक दूसरे की आँखो मे देखते रहे. फिर अंकल ने मुझे पीठ के बल लिटा दिया और खुद भी मेरे उपर लेट गये. हम ने लेती हुए एक दूसरे को बहुत ही ज्यदा वक़्त लेके चूम रहे थे. उसी दोरान उनका सू सू वाला भाग मेरी चूत के पास लग रहा था. फिर अंकल खड़े हुए और अपनी लंगोट निकाल दी. उस समय उनकी पीठ मेरी ओर थी सो मेने अंकल की गन्ड देख रही थी, उसपे हल्के सफेद रंग के बाल थे, फिर अंकल वैसे ही नीचे घुटनो पे बैठ गये और मेरी तरफ मूह करके मेरे पैरो के बिचमे आ ये. फिर उन्होने मेरे पैरो को हवा मे उपर की ओर खीच दिया और सू सू वाला भाग मेरी चूत के पास रख दिया और मेरे पैरो की उंगलियो को अपने होंठो से चूमने लगे मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा था, और वाहा मेरी चूत की योनि से कुछ निकल रहा था, सो मेने उनके सू सू वाले भाग से अपनी चूत और नज़दीक रख दी और मेरी चूत मे से कुछ गीला सा निकल गया. अंकल के सू सू वाले भाग को पता चला कि मेरी चूत से कुछ निकला है. अंकल ने मुझे कहा “ जया शाबाश आज तुम्हे कुछ स्पेशल इनाम मिलेगा” और मे हल्का सा हंस दी. अंकल ने मेरे पैरो को अपनी कमर पे रख के मेरे पेट पे अपना सू सू वाला भाग लगा के, मेरे स्तन को अपनी छाती से दबाते हुए, मेरे होंठो को चूमने लगे, और अपने दोनो हाथो की मुट्ठी मे मेरे घने बालो को पकड़ के पागल की तरह खीच रहे थे, मेरे बालो की जान निकली जा रही थी कई बार तो ज़ोर से खिच ने के साथ मेरे बाल टूट भी जाते थे. लेकिन मे उन्हे खुश देखना चाहती थी इस लिए मे ने कोई विरोध नही किया. अंकल कई बार तो हल्का सा या फिर ज़ोर्से कही भी मेरे होंठो, गालो, गर्दन और स्तन पर काट लेते थे. 15 मिनट के बाद उन्होने मुझे छोड़ दिया और मेरी चूत के पास बैठ गये. फिर उन्होने मेरी चड्डी के लेफ्ट बाजू से उसे थोड़ा सा खोल दिया और अपना सू सू वाला भाग वाहा से लगाते हुए मेरी चड्डी के अंदर डाल दिया, उनका सू सू वाला भाग मेरी चड्डी मे उपर की ओर अटक गया. मानो ऐसा लग रहा था कि उनका सू सू वाला भाग मेरी चड्डी के अंदर ही है. और मे उनके इस बर्ताव से काफ़ी डरी हुई थी. अंकल ने देखते ही कहा “ जया आज से तुम इसे लंड कह सकती हो. क्यूंकी आज तुमने अपनी चूत से कई बार पानी निकाला है ये उसका इनाम है. रही बात स्पेशल इनाम की तो आज के बाद हम जब भी मिलेंगे तो मेरे जिस्म पे कुछ नही होगा और तुम्हारे जिस्म पे ये चड्डी हो गी जो के मेरे लंड को अपने अंदर रखेगी, मानो मुझे अब कोई ऐसे वस्त्र नही पहनने पड़े गे जिस से मे अपने लंड को ढक सकु. आज से ये मेरा लंड तुम्हारा हुवा और तुम हमेशा इसका ख़याल रखो गी कही ये तुम्हारी चड्डी से निकल ना जाए.” मेने कहा “ जैसा आप कहो “. राज अंकल मुझे अपनी गोद मे बैठाते हुए मेरे होंठो को चूम रहे थे, अचानक उन्होने मेरे बालो को ज़ोर से पकड़ लिया और मेरे नीचे के होठ को काट दिया, उस के साथ ही सुबह जैसा गाढ़ा और गरम रस वापस निकला लेकिन अबकी बार वो मेरी चड्डी मे ही समा गया, कुछ मेरी चूत के पास भी गया. राज अंकल मुझे अपनी गोद मे उठाते हुए किचन मे ले गये वाहा मुझे ज़मीन पे खड़ा किया और इसके साथ ही मेने ख़याल रखा कि उनका लंड कही मेरी चड्डी से बाहर निकल ना जाए. फिर अंकल ने जूस बनाया और हम दोनो ने उसे एक ही ग्लास से पी लिया. राज अंकल काफ़ी हत्ते कत्ते थे जो मुझे उठा के चल रहे थे और उन्होने मुझे किचन से हॉल मे सोफे पे अपनी गोद मे बिठा दिया. वो मुझे फिरसे चूमने लगे, और चूमते हुए मुझे पूछा “ जया तुम मेरे पास क्यू आती हो, तुम्हे डर नही लगता के कोई देख लेगा तो, या फिर कोई और बजह जो तुम मुजसे दोस्ती कर रही हो”. मेने उनकी ओर देख के कहा “ मेरा अब तक कोई फ्रेंड नही बना है मेरे मम्मी पापा की लव मेर्रिज है, वो दोनो हर वक़्त झगड़ते रहते है, जिससे मेरा मन भी इन सभी रिस्तो से भर आया था, जब आपने मुझे ये सुख दिया तो मे आपकी ऐएहसान मंद हो गयी और हर वक़्त आपके साथ होने का ऐएहसास करने लगी.” राज अंकल ने मुझे घर जाते समय मेरे होंठो को प्यार से चूमते हुए कहा “जया अब तुम घर जाओ और कल सुबह आ जा ना नये आसन करेंगे.”
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06-25-2017, 12:30 PM,
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डेट 21-जून-2000. मे 4:45 को नहा के बाहर आई, मेने कल तो राज अंकल की दी हुई काले रंग की चड्डी पहनी थी, वो तो मेने धो दी थी और अपने बाथरूम रख दी थी, मे सोच रही थी अब क्या पहनु, मेने मेरी पुरानी लाल रंग की चड्डी पहनी और उसके उपर ढीला पेंट और उपर टी-शर्ट पहनी थी, मुझे पता था के अंकल के घर जाते ही मेरे जिस्म पर सिर्फ़ ये चड्डी ही रहने वाली है तो मेने सोचा की क्यू ना मे सिर्फ़ अपनी लाल चड्डी ही पहनु और अपने पूरे जिस्म पर को एक सॉल से लप्पेट लू, ये सोच ते ही मेने अपने जिस्म पे सिर्फ़ चड्डी ही रहने दी और मेरी सोने रंग की सॉल अपने जिस्म से लप्पेट के अंकल के घर चली गयी. राज अंकल का दरवाजा अपनी चावी से खोलके मे अंदर चली गयी. अंकल किचन मे कुछ नाश्ता बना रहे थे, में बिना आवाज़ लगाए उनको पीछे से पकड़ ने वाली थी के उन्होने मुझे किचन मे आते देख लिया, और मेरे सामने आके मुझे देख ते हुए कहा “ जया क्या मे सही सोच रहाहू कि तुमने इस सॉल के अलावा अपने जिस्म पे सिर्फ़ चड्डी ही पहनी है” मेने आश्चर्य से कहा “ हा अंकल”. फिर अंकल मेरे नज़दीक आए और सॉल हटाते ही मेरा जिस्म उनके सामने था और मे शरम से नीचे देख रही थी. अंकल ने कहा “ जया तुम मुझे खुस रखने के लिए इतना कुच्छ कर रही तो मे भी तूमे हमेशा खुस रखूँगा”. राज अंकल किचन मे से एक ग्लास का दूध लेके आए जो हम दोनो ने पी लिया. अंकल ने कहा “ जया रानी इस दूध मे कुच्छ खास शक्ति है जिससे हमे आसन करने मे कोई तकलीफ़ नही होगी”. फिर हम दोनो आसन वाले कमरे मे आ गये. अंकल ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मेरी चड्डी को भी निकाल दिया, मे शरम से लाल हो रही थी, तो अंकल ने कहा “ जया इस चड्डी मे हम आसान नही कर पाएँगे, तुम्हे मे मेरी लंगोट देता हू जो तुम अपनी कमर पे बाँध देना”. अंकल ने मुझे अपनी पीले रंग की लंगोट दी, मेने उसे अपने कमर से बाँध दिया, मेरी चूत के नीचे काफ़ी जगह थी. फिर अंकल मेरे पीछे आए और मुझे पीछे से पकड़ के अपना लंड मेरी लंगोट मे डाल के उसे मेरी चूत को छूते हुए आगे लाके रख दिया, और मुझे याद आया कि मुझे अंकल का लंड अपने चड्डी मे रख ना था, मेने अंकल से माफी माँगते हुए कहा “ अंकल मुझे माफ़ कर दीजिए मे भूल गयी थी”, अंकल ने कहा “ जया रानी हर भूल की सज़ा होती है, ताकि उस सज़ा को याद करके तुम उस भूल को दुबारा ना करो”. फिर अंकल ने मेरे बालो को ज़ोर से पकड़ के पीछे से मेरे केफ़्ट कंधो के पास से मेरे दिल के उपर के भाग को ज़ोर से काट दिया. अंकल ने इतनी ज़ोर से काटा था के उनके दांतो के निशान पड़ गये थे और मुझे दर्द भी हो रहा था. फिर अंकल मुझे उस लाल मखमली गद्दे पे ले गये. अंकल मेरी कमर पे हाथ रख के हम दोनो एक साथ उठक बैठक करने लगे, अंकल का लंड जो के मेरी चूत के पास था बैठ ते वक़्त मेरी चूत के छेद के पास आ जाया करता था, और उठ ते वक़्त मानो मेरी चूत के अंदर जाने वाला है ऐसा लग रहा था, लेकिन अंकल समझदार थे सो ऐसा नही होने दिया. हम दोनो जब उठक बैठक कर रहे थे तब अंकल के जिस्म की गर्मी मेरे पूरे जिस्म को गरम कर रही थी, उनके पसीने से और उनकी गरम सांसो से, अंकल ने देखा के मेरे स्तन खुले थे तो उन्होने मेरे बालो को बीच मे से मेरे दोनो कंधो से आगे लाते हुए मेरे स्तन के उपर फेला दिया. फिर अंकल की साँसे तेज हो रही थी और उनका लंड भी बहुत ज़ोर्से कड़क हो रहा था, यहा मेरी चूत भी गीली होने वाली थी और मेरा जिस्म भी कड़क हो रहा था. अंकल थोड़ा रुक गये और उनके लंड ने पानी छोड़ दिया और मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया, मेरी चूत अंदर की ओर खिच ने के बजह से अंकल के लंड का नीचे का भाग मेरी चूत के मुह के पास आ गया था. सो मेरी लंगोट हम दोनो के पानी से गीली हो गयी थी. फिर अंकल ने बिना लंड मेरी लंगोट मे से निकले नीचे बैठ गये और मुझे उनकी गोद मे बिठा दिया. अंकल ने पैरो को आगे की ओर सीधा कर दिया, मेने भी अपने पैरो को अंकल के पैरो के उपर सीधा कर दिया. अंकल मेरे हाथो को पकड़ के मेरे पैरो की उंगलियो की ओर ले जाने लगे और वापिस बैठे बैठे ही मेरे हाथो को सिर के उपर ले जाने लगे. जब हम झुकते थे तो अंकल का लंड मेरी चूत से रगड़ रहा था और मेरी चूत के मूह के पास कुछ खुजली जैसा हो रहा था. फिर अंकल ने मेरे हाथो को छोड़ दिया और मे खुद वो आसन कर रही थी. अंकल ने अपने हाथ को मेरे स्तन पे रख दिया और हल्के से दबाने लगे, ये पहली बार था जब कोई मेरे स्तन को हाथो से दबा रहा था और मेरे स्तन मे गुद गुडी हो रही थी, वो कभी कभी मेरे निपल्स को भी पकड़ के उसे खिच ते थे, उन्होने मेरे बालो को पकड़ के अपने पीठ पे रख दिया और मे भी खुद देख रही थी के कैसे अंकल मेरे स्तन पे अपने हाथ घुमा रहे थे, मेरे स्तन छोटे थे इस लिए उनकी हाथ की हथेली मे वो छोटे आम की तरह लग रहे थे. फिर अंकल मे मुझे रोक दिया और हम दोनो खड़े हो गये, हम दोनो के जिस्म पसीने सेपूरी तरह से पानी पानी हो गये थे. अंकल ने अपना लंड मेरी लंगोट मे से निकाल के मुझे लेट जाने का इशारा किया और मे पीठ के बल लेट गयी और वो मेरे साथ कल जो किया था वैसे ही मेरे साथ मेरे उपर लेट गये. मेरी लंगोट भीगी हुई थी सो उन्होने उसे निकाल दिया और मेरी चूत को खुला कर दिया और मेरे उपर लेट गये. अंकल का लंड मेरे पेट की नाभि के पास था, मेरे पैर अंकल की कमर पे थे, मेरी चूत आज पहली बार खुली थी जिस पर अंकल के लंड की गोतिया लग रही थी, अंकल मुझे बेरहमी से चूम रहे थे और काट भी रहे थे और मे उनके बालो को नोच रही थी. अंकल के जिस्म का पसीना मेरे मूह, गर्दन, स्तन, पेट पे लग रहा था, मानो मे उनके पसीने से नहा रही हू. जब हम दोनो के जिस्म ने पानी छोड़ दिया तब अंकल के लंड का पानी मेरी नाभि के पास था और मेरी चूत का पानी अंकल के लंड की गोतिए से लग गया और पानी से भीनी हो गयी. में रुमाल से अंकल को साफ कर रही थी, मे जब लंड के अपना हाथ ले गयी यो अंकल ने मुझे रोका और कहा “ जया कभी इस पानी को साफ नही करना ये हमारी जीत की निशानी है”. आज मे पूरी तरह से नगी थी, मेरे जिस्म पे कोई कपड़ा नही था. तभी हम दोनो बाहर जाने लगे तो मेने अंकल को रोक दिया और बड़े रुमाल को मेरी कमर पे लपेट के अंकल के पास गयी और उनका लंड मेरी छूट के पास रख दिया, तब अंकल ने उस रुमाल को मेरी कमर से निकाल के हम दोनो की कमर पे बाँध दिया और मुझे कमर से उठा के किचन मे ले गये. हम दोनो ने नाश्ता किया और जूस पीके आके सोफे पे बैठ गये. फिर अंकल ने कहा “ जया आज से तुम आज़ाद हो मेरा लंड अपनी चूत के पास रख ने से, क्यूंकी आज से तुम कभी भी चड्डी नही पहानोगी, कही भी नही मतलब अब तुम चड्डी तभी पहानोगी जब मे तुम्हे अपने हाथो से चड्डी पहनाउंगा, समझी” मेने शरमाते हुए कहा “ मेरे दोनो घर और कॉलेज मे भी नही” अंकल ने मेरे सिर पे हाथ फिराते कहा “ नही मतलब नही”. फिर मे उनसे बिचॅड के उपने घर चली आई. मेने जब बिना चड्डी के कॉलेज ड्रेस पहना मुझे थोड़ा सा अजीब लगा, हालाकी मेने 6थ मे ही चड्डी पहन सीखा था. लेकिन अंकल की जिस्म की प्यास ने मेरी चूत मे से पानी निकाल दिया था इस लिए मे बहुत शर्मा रही थी. मे जब नीचे उतरी तो अंकल नाश्ता लेके खड़े थे और मुझे किस देने के बाद कहा “ जया जल्दी आना मे तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हू”. मे उन्हे हवा मे किस देते हुए कॉलेज चली गयी. कॉलेज जाते ही मुझे पता चला के आज दो ही पीरियड है तो मेने अंकल की बात याद की और समझ गयी कि अंकल को पहले से ही मालूम था के आज जल्दी छुट्टी मिलने वाली है. मे कॉलेज से सीधा अंकल के घर गयी और मेरे अंदर आते ही अंकल दरवाजा बंद करते हुए मुझ पे टूट पड़े और मुझे चूमने लगे और मेरी शर्ट और पेंट को निकाल दिया. मे उनके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी. फिर हम दोनो आसन वाले कमरे गये, अंकल ने मुझे गद्दे पे लेट जाने का इशारा किया और मे अपनी पीठ के बल लेट के पैरो के फेलाते हुए अंकल के अपने उपर लेट ने का मार्ग बना रही थी, अंकल ये देख अभूत खुस हुए और अपना लंड मेरे पेट के पास लाके और मेरी चूत के पास उनके लंड की गोतिया रख के मेरे उपर लेट गये. हम दोनो एक दूसरे को बहुत ही बहरेहमी से चूम रहे थे, इस बार अंकल ने मेरे हाथो को अपनी पीठ पे रख दिया और अपने हाथ मेरी गर्दन के पीछे लेते हुए ज़ोर से मेरे होंठो को चूमने लगे, वो बहुत ही ज़ालिम तरीके से मुझे नोच रहे थे और मे छट पटा रही थी , सो में अपने हाथो को उनकी पीठ पे घुमाने लगी और कभी कभी उनकी पीठ अपनी उंगलियो के नाख़ून से ज़ोर से पकड़ लिया करती थी और उनकी पीठ मे से खून भी निकल रहा था, वो इन सब से काफ़ी रोमांचित हो रहे थे और मुझे बहुत ही बहरहमी से कई बार काट भी लिया करते थे. हम दोनो ने एक साथ ही अपना पानी निकाला. अंकल मेरे उपर से उठ के मेरे पैरो मे जाके उन्हे चूमे ने लगे और धीरे धीरे वो उपर आ रहे थे, वो जब मेरी जाँघो के पास आए तो मेने आँखे बंद कर ली तो उन्होने वाहा एक ज़ोर से चुटकी लगाते हुए उसे लाल कर दिया और मैने दर्द से आँखे खोल दी और वो मेरी जाँघो को चूमते मेरे चूत के पास भी चूमने लगे और मेरे जिस्म मे मीठी सी लहर दौड़ गयी क्यूंकी अंकल नेअपनी जीभ मेरी चूत के मूह के पास रख दी थी और उसे वाहा घुमा रहे थे. फिर अंकल मेरी चूत को चूमने के बाद और उपर आके मेरी नाभि जोकि उनके पानी सी भीगी हुई थी उसे चाटने लगे अपनी जीभ को अंदर घुमा के. आगे बढ़ते हुए अंकल ने मेरे दोनो स्तनो को भी बहुत अच्छी तरह से चूमा था. फिर अंकल मेरे उपर लेट के मेरी आँखो मे देख के बोले “ जया अब तुम मेरे पूरे जिस्म को चूम के उसे प्यार करोगी जैसे मेने तुम्हारे जिस्म को किया है”. 

क्रमशः........ 
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06-25-2017, 12:30 PM,
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RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
मे अंकल की पैरो के पास जाके उनको चूमने लगी, मे जैसे जैसे उपर की ओर आगे बढ़ रही थी आज मे पहली बार अंकल का लंड देख रही थी, वो बहुत लंबा और मोटा था, वो 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था, उनके लंड के आस पास हल्के सफेद बाल थे, उनकी लंड की गोतिया भी बड़ी थी जिसे मेने अपनी चूत के पास महसूस किया था. मे जब उनके लंड के पास आई तो अंकल अपने हाथो के सहारे अपना कमर का भाग उठा के मुझे देख रहे थे और अंकल ने कहा “ जया ये मेरा लंड है, जिसके उपर के भाग को टोपी कहते है और उसके नीचे के चॅम्डी वाले भाग को टोपी को उपर नीचे करने के लिए इस्तेमाल करते है, तुम मेरा लंड अपने हाथ मे लो और इसे बीच से पकड़ के उपर नीचे करो”. मैने ऐसा ही करने के लिए उनके लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और उपर नीचे करने लगी, मेने देखा की अंकल की टोपी वाला भाग एक दम गोरा था और उसमे एक च्छेद भी था और उनकी टोपी की जैसे ही मे चॅम्डी उपर करती तो पूरा अंदर चला जाता और नीचे करते समय वो बाहर आ जाता. अंकल ने कहा ” जया रानी ये लंड ही है जो तुम्हे बहुत खुस रखेगा और तुम्हारे जिस्म की प्यास को भी बुझा ये गा. वक़्त आने पर मे तुम्हे लंड कैसे इतेमाल केरते है जिस्म की प्यास बुजाने के लिए ये बताउन्गा”. फिर में काफ़ी देर तक लंड से खेलती रही, तब अंकल ने कहा “ जया मेरे वाले टोपी भाग को अपने होंठो से चुमलो” मेने अंकल के लंड की टोपी को अपने नाज़ुक होंठो से हल्का सा चूम लिया और फिर धीरे धीरे पूरी टोपी को को चूमने लगी, ऐसा करते मे बहुत शर्मा रही थी और मेरी चूत मे हलकीसी खुजली हो रही थी. अंकल ने अपने हाथ मेरे सिर पे रख दिए और मेरे बालो से खेलने लगे. फिर मेरे सिर को वाहा से हटा के अपने पेट पे ले गये और मेने उनकी नाभि जोकि उनके पानी से भी गी हुई थी, उसमे जीभ घुमा के उसे चाटने लगी, उसका स्वाद उनके पसीने से मिलने के बाद खट्टा और खारा सा लग रहा था. मेने अंकल की छाती को चूमते हुए उनके होंठो को चूमने लगी. हम दोनो काफ़ी मदहोस हो गये थे और एक साथ पानी छोड़ दिया. हम दोनो अपने कपड़े पहनेके सोफे पे बैठ गये. अंकल ने मुझे कहा “ जया कल सुबह तुम मेरे घर पे नही आ ना बलके मे तुम्हारे घर पे आउन्गा, क्यूंकी कल सॅटर्डे है और तुम्हारी कॉलेज दोपहर की होगी तो हम दोनो कॉलेज जाने के समय तक साथ रहेंगे तुम्हारे कमरे मे, तुम अपने मम्मी पापा की चिंता मत करना मे सब संभाल लूँगा, हा और तुम बिना कपड़ो के ही सोना और मैं ठीक 4:45 को तुम्हारे घर पे आजाउन्गा और तुम सिर्फ़ ब्रश ही करना. “ मैं अंकल की बात सुनके उन्हे चुंबन देके अपने घर चली गयी. 



डेट 22-जून-2000. 4:45 को कोल्गेट से ब्रश करके नंगी ही अपने घर के दरवाजे पे अंकल का इंतेज़ार करने लगी. मेने देखा अंकल भी पूरे नंगे थे और सीढ़ियो से उपर आ रहे थे. अंकल ने घर मे आते ही मुझे दबोच लिया और मुझे चूमने लगे. मेने कहा “ राज अंकल दरवाजा तो बंद कर ने दो” तो अंकल ने उसे बंद करके मुझे अपनी बाँहो से उठा ते हुए मेरे कमरे मे ले गये. मेने अपने कमरे को अंकल के पहली बार आने की ख़ुसी मे थोड़ा सा सजाया था. बेड के दोनो ओर फ़ॉल रखे थे और दीवालो पे उनका नाम लिखा था “ राज अंकल माइ लव”. मेने गुलदस्ता से उनका स्वागत किया, अंकल काफ़ी खुस थे. वो मुझे बेड पे लिटा के मेरे पूरे जिस्म को अपने हाथ और होंठो से नोच रहे थे. अंकल मुझे बेड से उठा के बाथरूम ले गये. वाहा हम दोनो नंगे ही खड़े थे. फिर अंकल ने शवर को चालू करके पूरे जिस्म को पानी से भिगो दिया और मेरे हाथ को एक झटका देते हुए मुझे भी पानी के नीचे खड़ा कर दिया. अंकल मेरे होंठो को चूम रहे थे और अपने हाथ मेरी पीठ और गन्ड पे घुमा रहे थे. फिर अंकल ने शवर को बंद करते हुए कहा “ जया अब अपने हाथो से मुझे साबुन लगा के मेरे पूरे जिस्म को साफ करो” मेने ऐसा ही किया और उनका पूरा जिस्म साफ कर दिया. अब उनकी बारी थी मेरे जिस्म को साफ करने की. अंकल ने पहले मेरे हाथो पे साबुन लगाया, फिर मेरे स्तनो को, कमर को, पीठ को, गन्ड को, पैरो को और मूह को साबुन से साफ किया. फिर मेने रुमाल से उन्हे साफ किया और उन्होने मुझे साफ किया. उन्होने मेरे बालो को साफ नही करने दिया. मेरे बालो से मेरे जिस्म पे हल्की सी पानी की बूँद आ रही थी. फिर अंकल ने मुझे बेड पे जाके लेटा दिया और मेरे पूरे जिस्म को अपने होंठो से चूमा, मेरे जिस्म की एक भी ऐसी जगह नही थी जो उनके होंठो से चूमि ना गई हो. फिर मेने उनके सारे जिस्म को चूमा, मेरे भीगे बालो की बजह से उनके जिस्म पे कई जगह पे पानी गिर रहा था और उन्हे वो अच्छा लग रहा था. फिर उन्होने मुझे पीठ के बल लेटा दिया और मेरे उपर लेट गये. उनका लेफ्ट पैर मेरे दोनो पैरो के बिचमे रख के वाहा जगह बनाने लगे, मेने अपने लेफ्ट पैर को थोड़ा सा हवा मे उठा ते ही अंकल ने अपने पैर को मेरी गन्ड की ओर आगे बढ़ाया और मेने अपना पैर उनके पैर के उपर रख दिया, इस तरह से उनका लंड मेरी चूत के पास आने लगा. उन्होने अपने हाथो को मेरे भीगे बालो मे डाल दिया और मुझे अपने जिस्म से दबाते हुए मेरे होंठो, गर्दन, गालो पर चूम ने लगे. उस वक़्त मेरे हाथ अंकल की पीठ पे थे और मैं नाख़ून से उन्हे नोच रही थी. फिर अंकल अपना ज़ोर ढीला करते हुए मेरे बालो को सहलाते रहे और धीरे धीरे मेरे होंठो को चूमने लगे और मुझसे कहा “ जया आजे ये हमारे लिए खास दिन है के हम तुम्हारे घर मे तुम्हारे ही बेड पे नंगा लेटे हुए है और एक दूसरे के जिस्म की प्यास बुझा रहे है, जया हम ये जो कर रहे है वो एक सुरुआत है अपने जिस्म की प्यास बुझाने की, हमे और आगे जाना है, बस तुम वो ही करना जो मे तुम्हे कहु और हा कभी तुम्हे कुछ करनेका मन हो तो मुझे ज़रूर बताना.”. अंकल मेरे होंठो को चूमते हुए आज अपनी जीभ मेरे होंठो के अंदर डाल ना चाहते थे, मेने अपने होंठो और दांतो को थोड़ा सा खोल दिया और अंकल ने जीभ मेरे मुहमे अंदर डाल दी, अंदर जीभ आते ही मे अंकल के जिस्म से ज़ोर से लिपट गयी, अंकल ने मेरे भीगे बालो को मुट्ठी पे लेते हुए कस के पकड़ लिया, अंकल की जीभ मेरे मुहमे आते ही मेरी जीभ से टकरा गयी और हम दोनो की जीभ एक दूसरे को चाटने लगी और अंदर ही अंदर लड़ाई हो रही थी कौन सामने वाले की जीभ पे काबू पाए. अंकल ने अपना दबाव मेरे जिस्म पे और बढ़ाते हुए और मेरे बालो को ज़ालिमो की तरह नोचते हुए ये ऐएहसास जाता रहे थे कि मुझे हर हाल मे जीतना है और मेने अपनी जीभ उन्हे समर्पित करके उनको जिता दिया. अंकल मेरी जीभ को बड़े प्यारे से चूम रहे थे और अपनी जीभ से मुहके हर जगह पे ले जाके अपनी जीत की ख़ुसी जाहिर कर रहे थे. हम दोनो अपना जिस्म ढीला करके एक दूसरे को देख रहे थे. फिर में अंकल को बाजू मे करते हुए उनके उपर लेट गयी और उनके होंठो को चूमने लगी. अंकल थोड़ा उठे और बेड पे ही मुझे अपनी गोद मे बैठा के मेरी कमर को हाथो से ज़ोर से दबोच लिया. इधर मेने अंकल के मुहमे अपनी जीभ डाल दी और अंकल समझ गये कि अब जया भी मेरी जीभ पे जीत हासिल करना चाहती है तो, अंकल ने मेरी जीभ को अपने मुहमे अंदर मे आने दिया और जैसे वो हार चुके थे वैसे मेरी जीभ को जो करना चाहा वो केरने दिया, 
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06-25-2017, 12:30 PM,
#10
RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
मैने उनकी जीभ को अपनी जीभ से खूब प्यार किया, में उनके मुहके अंदर हर जगह पे उनकी जीभ ले गयी. फिर उतने मे ही मम्मी की आवाज़ आई “ जया उठो 7 बज ने वाले है” मेने नींद मे से उठ ने के अंदाज मे कहा “ हा मम्मी मे उठ रही हू”. फिर मेने अंकल की ओर देखा वो मुस्कुरा रहे थे और कहा “ जया मेरी जान आज मे तुम्हे दोपहर तक बहुत बार चूमना चाहा ता हू” मेने शरमाते हुए कहा “ अंकल मेने आपको कभी रोका नही , आप मेरे साथ जो चाहे करिए” इतना बोलते ही अंकल मुझे बेड पे लिटा के मुझ पे टूट पड़े और मेरे पैरो से लेके माथे तक मुझे अपने होंठो से और हाथो से नोचने लगे. फिर अंकल ने मुझे उठा के मेरे बेड की बाजू वाली जगह पे ज़मीन पे बिठा दिया और खुद बेड के किनारे आके बैठ गये. उन्होने मेरे बालो मे हाथ डाल के मेरे सिर को उपर की ओर उठाया, जिस से मेरे बालो मे दर्द हो रहा था और मेरे चेहरे पे मेरी मायूसी दिखाई दे रही थी, अंकल मेरी आँखो मे आँख डालते हुए मुस्कुराए और मैने भी हल्की सी दर्द भरी हसी देदी वो अपने हाथो पे और ज़ोर दे ते हुए मेरे सिर को अपने लंड के ले जाने लगे और मेरे मुहके पास अपना लंड रख दिया, मेने उसे चूमना सुरू कर दिया और मैं हाथो को उनके लंड के पास ले जाने लगी तो अंकल ने मेरे हाथो को पकड़ लिया और बाजू मे रख दिया और बोले “ जया रानी आज सिर्फ़ अपने मूह से प्यार करो और लंड की टोपी को अपने मुहमे जितना हो सके उतना अंदर ले जाना” में अंकल की बात सुनके थोड़ा सा सोचने लगी कि चूमने तक तो ठीक था लेकिन मुहके अंदर ले जाना. मे लंड को उपर से नीचे चूम रही थी, अंकल ने मेरे बालो को और ज़ोर से पकड़ लिया और मेरे मुहमे अपना लंड डालने लगे. मुझे अजीब सा लग रहा था कि कैसे कोई सू सू वाला भाग मेरे मुहमे डाल सकता है, क्यूंकी मे सोच रही थी कही अंकल मेरे मुहमे सू सू ना कर्दे, में उनका लंड अपने मुहसे निकाल ने की कोशिस कर रही थी के अंकल ने कहा “ जया रानी मे तुम्हारे मुहमे सू सू नही करूँगा, ये तो जिस्म की प्यास मिटाने की एक क्रिया है, जया रानी लड़की के पूरे जिस्म को बहुत सारे तरीक़ो से प्यार किया जाता है, ये उसमे से एक है, कल मेने जब तुम्हारी चूत को चॅटा था और अपनी जीभ भी उसमे डाली थी तो हम दोनो को बहुत मज़ा आया था, वैसे ही लंड मुहमे लेने से हम दोनो को बहुत मज़ा आएगा, क्यूंकी तुम छोटी हो तो तुम्हे पता नही है, और तुम्ही कह रही थी तुम मेरी सारी बात मनोगी” मेने अंकल से माफी माँगते हुए कहा “ सॉरी अंकल अगली बार ऐसा नही होगा” तो उहोने कहा “ जया लेकिन अब तुम्हे मज़ा के साथ सज़ा भी मिलेगी “ और हम दोनो हंस दिए.उन्होने लंड को मेरे मुहमे डाल दिया और में उसे अपनी जीभ से चाटने लगी, लंड के चाटने की बजह से मेरा थूक निकल रहा था, वो अंकल के लंड की गर्मी से गरम हो रहा था मेने उसे बाहर निकाल ना चाहा लेकिन अंकल ने मेरे बालो के ज़रिए मेरे सिर को अपनी जाँघो के बिचमे और करीब ले जाते हुए उनका लंड थोड़ा और अंदर जाने लगा और वो मेरे गले तक पहुच गया, इसके साथ मुझे अपना थूक गले से नीचे उतार के पी जाना पड़ा. उधर अंकल का लंड भी गरम हो रहा था और उन्होने उसे मेरे मुहसे बाहर निकालते हुए मेरे मुहपे अपना सारा सफेद गाढ़ा पानी गिरा दिया, मेने देखा कि वो गाढ़ा पानी अंकल की सू सू वाली जगह से निकल रहा था, क्यूंकी मेने छोटे बच्चो को सू सू करते हुए देखा था. मेरे होंठो, आँखो, नाक और गालो पे उनका पानी गिरा हुवा था. अंकल ने कहा “ जया इसे वीर्य कहते है, जो बच्चे पैदा करने के काम आता है, वो मे तुम्हे बाद मे बताउँगा.” फिर मेने कहा “ अंकल ये आपकी सू सू वाली जगहा से निकलता है, क्यूंकी मेरा पानी तो मेरी चूत मे से निकलता है” तो अंकल बोले “ जया ऐसे कई सारे जिस्म के भाग है जो एक आदमी को लड़की से अलग करते है”. मेने कुछ नही कहा और बाथरूम मे जाके मुहपे साबुन लगा के धोने लगी, वो पानी काफ़ी चिकना था जो मेरे चेहरे से निकल नही रहा था, दो तीन बार साबुन से धोने के बाद वो निकला. उधर मम्मी मुझे आवाज़ लगती हुई कहने लगी “ जया तुम ना धोके चाइ और नाश्ता कर लेना, मे अपने रिस्तेदार के यहा जा रही हू और तुम दोपहर को कॉलेज चली जाना, और हा तुम्हारे पापा भी बाहर जा रहे, तुम अभी आके दरवाजा अंदर से बंद कर लो, कही कोई अंजान आदमी अंदर ना आ जाए.” मेने अपने कपड़े पहनने चाहे लेकिन अंकल ने इशारे से कहा के रुमाल लपेट के चली जाओ. मे सिर्फ़ रुमाल अपने जिस्म पे डाल के मम्मी के पास चली गयी और मम्मी ने देखा कि मेरे बाल भीगे हुए थे तो वो समझ गयी के मे नहा कर निकली हू तो मुझे बाइ करके चली गयी और में दरवाजा बंद करके अंदर जा ने लगी. अंकल मेरे पीछे ही आगये थे और मेरे जिस्म से रुमाल खिच के मुझे मेरे ही घर मे नंगा कर दिया. मे भी अपना जिस्म छुपाने के लिए अंकल के पास जाके उनके जिस्म से लिपट गयी. अंकल मेरे बालो मे हाथ घुमा रहे थे और मेरे सिर को उपर करके मुझे चूमने लगे. फिर अंकल मुझे उठा के मेरे मम्मी पापा के बेडरूम मे ले गये और मुझे बेड पे लिटा दिया और खुद भी मेरे उपर लेट गये और मेरे जिस्म को बेरहमी से नोचने लगे. अंकल ने कहा “ जया ये वही बेड है जहा पे तुम्हारे जनम का राज़ छुपा है” और पागलो की तरह मुझे चूमने लगे और मेभी उन्हे साथ देने लगी और अंकल से पुछा “ अंकल ये आप क्या कहे रहे हो मुझे कुछ पता नही चल रहा “ अंकल ने कहा “ मैने तुम्हे बताया था कि जिस्म की प्यास से ही सब होता है , तुम अपने मम्मी पापा की जिस्म की प्यास की ही देन हो, इसलिए तुम्हारे जिस्म की प्यास काफ़ी बड़ी है जो सिर्फ़ मे ही बुझा सकता हू.” हम दोनो ने उस बेड पे जाके अपना पानी छोड़ दिया और बेड की चदडार को गीली कर दिया. फिर अंकल ने खड़े हो के मुझे मेरे बालो मे हाथ डाल के खिच ते हुए उनके जिस्म से लगा दिया और हम दोनो उस कमरे मे से निकल के किचन मे आगये. किचन मे आते ही अंकल मुझे अपने घुटनो के बल बैठा दिया और मैं समझ गयी कि अब उनका लंड मेरे मुहमे आने वाला है. अंकल ने मेरे बालो को पकड़ ते हुए मेरे मुहमे लंड डाल दिया और मैं उसे चूमने लगी. फिर कुछ देर बाद लंड को मेरे मुहमे अंदर बाहर करके वो रुक गये और उन्होने किचन मे जॅम की डिब्बी देख ली और वो लेके मेरे पास आए और उसमे से थोड़ा सा जॅम निकाल के अपने लंड पे लगा दिया. 

मैने उनके लंड पे लगे जॅम को अपने जीभ से चाट के साफ कर दिया मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, उन्होने थोड़ा और जॅम निकाल के लंड की टोपी पर लगा दिया और मुझे उसे अपने मुहमे लेके चूसने का इशारा किया. मेने लंड की टोपी लगे जाम को मेरे मुहके अंदर जीभ से चाटने लगी कि तभी अंकल के लंड से थोड़ा पानी निकला जोकि उस जॅम मे मिक्स हो गया और मेने उसे खा लिया. अंकल मेरे इस प्यार से बहुत खुस हो रहे थे. फिर हम जब आगे हॉल मे आए तो मेने अंकल से कहा “ अंकल कुछ खेलते है “ तो उन्होने कहा “ चलो पकड़ा पकड़ी खेलते है, जो जिसे पकड़ लेगा वो उसके जिस्म को पागलो की तरह नोच लेगा.” मेने कहा “ हा अंकल बहुत मज़ा आएगा, क्यूकी मैं तो जवान हू और बहुत तेज़ी से भाग लूँगी, और आप तो” मैं कहते हुए रुक गयी और हंस पड़ी. फिर हमने खेल चालू किया पहला दाव मेरा था सो मेने अंकल को जल्दी पकड़ के उनके पूरे जिस्म को अपने हाथो से सहला दिया. अब अंकल की बारी थी मुझे पकड़ ने की मैं जल्दी से भाग रही थी और अंकल मेरे पीछे धीरे धीरे भाग रहे थे. लेकिन अंकल चालाक थे मैं जब अपने कमरे मे जा पहोचि तो उन्होने मेरे रूम का दरवाजा बंद कर दिया और अपनी सारी शक्ति को मेरे पीछे लगा के मुझे पीछे से पकड़ लिया. फिर जो अंकल ने मेरे साथ किया वो मेरे लिए बहुत दर्द भरा था. अंकल ने मुझे पीछे से पकड़ के दीवाल से मेरे पीठ सटा के मुझे चूमने लगे और उन्होने मेरे बालो को दोनो हाथो से पीछे से पकड़ के ज़ोर से खिच ने लगे, वो मेरे उपर के होठ को ज़ोर से काट रहे थे, मुझे बहुत दर्द हो रहा था मेरी आँखो मे आसू आने वाले थे, फिर वो मेरे नीचे के होठ को काट ने लगे, मे पागलो की तरह छट पटा रही थी उनसे छूटने के लिए, मेरे दोनो होंठो को बहुत बुरी तरह से काट कर वो मुझे देख ने लगे और हल्की सी स्माइल कर रहे थे, मानो वो जीत गये हो. फिर उन्होने मुझे बेड के किनारे पे घुटनो बल बिठा के मेरा सिर गद्दे की ओर था मेरी पीठ उनकी ओर थी, वो मेरे पीछे आके मेरे बालो को सिर के उपर से करते हुए मेरी पीछे की गर्दन के नीचे को भाग को काटने लगे, मेरे जिस्म मे बहुत ज़ोर का दर्द हो रहा था, मेरे कोई भी दर्द की परवाह ना करते हुए उन्होने मुझे अपने दांतो से ज़ालिमो की तरह काट दिया. मेरी गर्दन के नीचे का भाग काफ़ी दर्द कर रहा था, उनके दांतो के निशान वाहा पड़ गये थे. मैं बहुत ज़ोरे से रो रही थी. उन्होने अपने आप को बेड के किनारे पे बैठाते हुए मुझे उनकी गोद मे बिठा दिया. मेरी आँखो से आ रहे आसू को वो अपने होंठो से पी रहे थे और मेरे बालो को सहला रहे थे. मुझे उनका मेरे उपर प्यार करने का तरीका बहुत अच्छा लग रहा था, पहले जखम दो और उसपे मलहम लगाओ. मेरी आँखो से आसू बंद ना हुए तब तक वो मुझे मेरे होंठो पर और मेरी आँखो को चूमते रहे. मेने आख़िर मे उन्हे चूम लिया और वो समझ गये की मेने उन्हे माफ़ कर दिया है. हम दोनो बेड पे लेट गये और अंकल ने मुझे कहा “ जया मैं ज़्यादा जोश मे आ गया था, मेने कभी नंगी लड़की को आइसे भागते नही देखा था और तुमने मुझे कमजोर समझा तो मुझे गुस्सा आ गया और मेने तुम्हे काट दिया” मेने कहा “ कुछ नही अंकल, मेने कहा था आप मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो, आपने काट ने के बाद मुझे प्यार भी तो किया वही मेरे लिए बहुत है, वैसे भी मेरी जिस्म की प्यास बहुत ज़्यादा है ऐसा आप ने ही कहा था”. अंकल मेरी इस बात से काफ़ी संतुष्‍ट थे और मुझे धीरे धीरे चूमने लगे. अंकल मेरी चूत मे अपनी जीभ से अंदर बाहर कर रहे थे और हम दोनो ने एक साथ पानी छोड़ दिया और नंगे ही बेड पे लेट गये. अंकल मे मुझे अपनी ओर खिच ते हुए मेरा सिर अपनी छाती के उपर रख दिया, मैं उनकी छाती के बालो पर हाथ फेर रही थी, अंकल ने कहा “ जया कल सनडे है तो हम कल नही मिल पाएँगे” तो मेने कहा “ कुछ नही अंकल मे आज रात को आपके यहा आ जाउन्गी, क्यूंकी मेरे मम्मी पापा सनडे को देर से उठ ते है, तकरीबन 9 बजे के बाद, मैं आपके पास रात को 12 बजे आ जाउन्गि और सुबह 8 बजे चली जाउन्गि, और फिर पूरा सनडे हम अपने अपने घर मे सोते रहेंगे और फिर मंडे को सुबह 5 बजे मे आपके घर मे आ जाउन्गी, ठीक है “. अंकल ने मेरी बात को थोड़ा समझते हुए कहा “ ठीक है, लेकिन आज शाम को तुम अपने हाथो और पैरो मे मेहन्दी ज़रूर लगा ना” मेने कहा “ ठीक है, मैं कॉलेज से आते मम्मी के पास से अपने हाथो और पैरो पर मेहन्दी रचा दूँगी”. 
क्रमशः........ 
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