थकान की वजह से मेरी आँख लग गयी, कुछ देर बाद मा ने मुझे उठाया शाम करीबन 4.00 - 4.30 बजे थे, मा ने मुझे कहा हाथ मूह धोले और नीचे आके चाइ पी ले, में फ्रेश होके नीचे चला गया, मा ताइजी और दीदी बैठे थे, तभी ताइजी ने कहा के वो आज शाम की आरती के लिए पास ही के एक प्रसिद्ध मंदिर में जाना चाहती है, मा ने कहा ताइजी से, दीदी में भी चलूंगी और दीदी भी जाना चाहती थी, ताइजी ने कहा के में उन्हे मंदिर ले चलूं, और ताइजी ने मुझ से कहा के जाके पार्वती और भोला को बुला आओ ताकि घर में ताउजी का ध्यान रख सके, और पार्वती घर का काम और खाना बना सके, में तुरंत पंप हाउस की ओर चल पड़ा, वहाँ देखा पार्वती और भोला खेतों में काम कर रहे हैं, मेने उन्हे बताया के ताइजी ने घर बुलवाया है, वो दोनो तुरंत मेरे साथ घर की ओर चल पड़े, भोला आगे चल रहा था उसके पीछे पार्वती और उसके पीछे में, मेरा ध्यान पार्वती की गांद पे पड़ा, वो एक दम गोल थी और सारी के अंडर नाच रही थी जब वो चल रही थी, फिर वो पीछे मूडी और देखा में उसकी गांद को देख रहा हूँ, एक कातिल मुस्कान देके पूछने लगी क्या देख रहे हो साहेब, भोला हमारी बात नही सुन सकता था, मेने कहा तुम्हारी गांद बड़ी लाजवाब है, अगली बार इससे ज़रूर मारूँगा वो कहने लगी, के ना बाबा आपका वो बोहत बड़ा है, मुझे अभी भी दर्द हो रहा है, बातें करते करते हम कुछ देर में घर पोहच् गये देखा ताइजी दीदी और मा तैयार थी, मा ने क्रीम कलर की सारी और मॅचिंग ब्लाउस पहना था, और ताइजी ने पीले रंग की सारी पहनी थी और दीदी ने गुलाबी कलर का सूट पहना था, तीनो ही कातिल लग रही थी, और पार्वती की गांद ने मेरी भूख और बढ़ा दी थी, हम मंदिर के लिए चल पड़े, मंदिर करीबन आधे घंटे की दूरी पे था और मैं रोड से रिक्शा या बस मिल जाती थी, में जान बुझ के तीनो के पीछे चल रहा था, मुझे तीनो की मतवाली गांद को देखने मिल रही थी, सबसे बड़ी ताइजी की थी फिर मा और दीदी की उन दोनो से छोटी थी, ताइजी ने पीछे मूड के देखा, और इशारे से पूछा क्या हुआ, मेने इशारे में उनसे कहा किस दो, वो इशारे में बोली बाद में, कुछ देर चलने के बाद हम मैं रोड पे आगाये और हमे एक रिक्शा भी मिल गयी, अब हम 4 लोग थे और किसी एक को किसी ना किसी की गोदी में बैठना था, पहले ताइजी बैठी और फिर दीदी ताइजी की गोद में बैठ गयी फिर मा और में, मा मेरे राइट साइड बैठ थी, और हमारा बदन एक दूसरे से चिपका हुआ था, और मा के बदन का स्पर्श मुझे उत्तेजित कर रहा था, मा के शरीर से एक भीनी भीनी खुश्बू आराही थी, में थोड़ी थोड़ी देर में अपने आप को मा से चिपका लिया करता था, और ऐसे बिहेव करता जैसे रोड खराब होने की वजह से ऐसा हो रहा है, मा मेरे राइट में होने की वजह से में जान बूझकर किसी ना किसी कारण मा के बूब्स को अपनी कोहनी से टच कर रहा था, कुछ देर ऐसा करने पे जब मा ने कोई रिक्षन नही दिया तो में कोनी मा की चुचियों पे घिसने लगा, मा ने कुछ रिक्षन नही दिया, और वैसे ही बैठी रही, में समझ नही पाया के उन्हे एहसास हुआ के नही, के में अपनी कोनी से उनकी चुचियों से खेल रहा हूँ, मा की चुचियाँ कोमल और मुलायम थी, मुझे रास्ता कैसे कटा पता नही चला और हम मंदिर पोहच् गये, वहाँ बोहत भीड़ थी, और वो एक बोहत पुराना मंदिर था, और बोहत से लोग दर्शन के लिए आए हुए थे, और बड़ी लंबी लाइन थी दर्शन की, स्टील के पाइप्स से लाइन बनाई हुई थी, खैर हमने पूजा की थाली ली और लाइन में खड़े हो गये, भीड़ को देख के लग रहा था के कम से कम 1 से 1-1.30 घंटा लग जाएगा, ताइजी सबसे आगे खड़ी हुई थी और फिर दीदी और फिर मा और में लास्ट में खड़ा हुआ था, हम लाइन में घुसे तो भीड़ कम थी पर धीरे धीरे जैसे जैसे आरती का समय नज़दीक आ रहा था, भीड़ बोहत बढ़ गयी और खड़े रहने को खाली जगह नही थे, अब मा और मेरे बीच में एक इंच का फासला था, कुछ देर आगे बढ़ने के बाद, भीड़ बोहत ज़्यादा होने लगी, और लोग धक्का मुक्की करने लगे, और गर्मी भी हो रही थी, अब में ना चाहते हुए भी मा से जुड़ गया, और इसमे मेरा कोई हाथ नही था, यह भीड़ की वजह से हो रहा था, अब धीरे धीरे पीछे से धक्के बढ़ने लगे और भीड़ भी बोहत बढ़ गयी, अब मेरा शरीर मा से चिपक हुआ था, अचानक देखा मेरे लंड में हुलचूल हो रही है, और उसका कारण था मा की गांद, मेरा लंड मा की गांद से जुड़ा हुआ था, और धीरे धीरे बड़ा हो रहा था, मा की गांद मुलायम थी, और मेरे लंड को बड़ा मज़ा आरहा था, अब जब भी पीछे से धक्का आता में अपने आप को मा से और सटा लेता और अपना लंड उनकी गांद पे घिस देता, मुझे डर था के इस हरकत शायद मा नाराज़ होगी और शायद मुझे डाँट भी पड़ने वाली है, पर ऐसा कुछ नही हुआ, और मा भी कुछ नही बोल रही थी शायद उन्हे लग रहा होगा यह सब भीड़ की वजह से हो रहा है, धीरे धीरे भीड़ और बढ़ गयी और धक्के बोहत ज़्यादा आने लगे थे, अब मा की गांद और मेरा लंड एक दम सटा हुआ था, हवा तक के जाने की जगह नही थी, में भी भीड़ का फयडा उठा के मा की गांद से अपना लंड घिस रहा था, और उस स्तिति का आनंद ले रहा था, कुछ समय बाद मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया था और अब में जानता था मा उसको महसूस भी कर रही होगी, में उनके रिक्षन का इंतज़ार करने लगा, कुछ देर बाद मा पीछे मूडी और मुझे देखा, उस वक़्त ना मा के चेहरे पे स्माइल थी ना गुस्सा था, में समझ नही पा रहा था के वो क्या सोच रही है, अब जैसे जैसे हम मंदिर के अंडर दाखिल हुए भीड़ के धक्के और बढ़ गये, मंदिर की एंट्रेन्स पे सीडी थी, मा दो सीडी चढ़ गयी और में नही चढ़ पाया क्यूँ की जगह नही थी, और अब धक्का लगने पे मेरे मूह मा की पीठ से टच हो जाता, मेरा मूह मा के ब्लाउस के नीचे वाले हिस्से पे लग रहा था, मा का पसीना मेरे लिप्स पे टच हुआ और उनके पसीने से एक अजीब से खुश्बू आरहि थी, मेने उनके पसीने का स्वाद पहली बार चखा था और मुझे बड़ा अछा लगा, मेने भी स्तिति का फयडा उठा के उनके पीठ से अपना मूह हर धक्के पे चिपका दे देता है, और मेने कई बार मा की पीठ को किस किया और एक बार तो अपनी जीभ से लीक भी किया, मुझे ऐसा करने में बड़ा मज़ा आरहा था, अब धीरे धीरे हम मंदिर के अंडर आगाये, और आरती शुरू हो चुकी थी, सब का ध्यान आरती पे था और मेरे ध्यान मा पे था, मेने हिम्मत करके अपना एक हाथ मा की कमर पे रखा और ऐसे जताया जैसे धक्के की वजह से में अपना बॅलेन्स बनाने के लिए उनकी कमर का सहारा लिया वो कुछ नही बोली, और आरती में अपना ध्यान दे रही थी, मा की कमर की स्किन बोहत मुलायम थी, में धीरे धीरे अपना हाथ उनकी कमर पे घुमा रहा था, फिर जब आरती ख़तम हुई हम सब बाहर आए, हम बोहत थक चुके थे, मेने देखा मा मेरी तरफ देख नही रही है ना मुझ से बात कर रही है, और जब हमने घर के लिए लौटने के लिए रिक्क्षा पकड़ ली, मा मेरे पास ही बैठी हुई थी, में घबरा गया था, इसलिए लौट ते वक़्त मेने कुछ भी नही किया, कुछ देर में हम घर पोहच् गये और वहाँ पूजा पार्वती दोनो थे, पार्वती ने बताया के भोला सब काम करके घर चला गया क्यूँ की उस की तबीयत ठीक नही है, खैर हम सब ने हाथ मूह धोया और खाना खाने बैठ गये, खाना खाते वक़्त मेने देखा मा मेरी तरफ अभी भी देख नही रही थी, और मुझे बोहत चिंता हो रही थी के आगे क्या होने वाला है,
खाना खाने के बाद ताइजी ने पार्वती से कहा के तुम खाना खलो और भोला के लिए बाँध लो फिर में तुम्हे छोड़ आती हूँ, मेने कहा ताइजी में छोड़ आता हूँ आप थक गयी होंगी आप आराम कर लीजिए, कहने लगी कोई बात नही, अगर तू चलना चाहे तो तू भी चल मेरे साथ, जब पार्वती ने खा लिया फिर हम उससे छोड़ ने निकल गये, ताइजी और मेरे पास दोनो के हाथ में टॉर्च थी, में ताइजी के पीछे चल रहा था, ताइजी और पार्वती साथ साथ चल रहे थे, में बारी बारी उन दोनो की गांद पे टॉर्च की लाइट रखता, ताइजी की गांद पार्वती से बड़ी थी, और चलते हुए ताइजी की गांद सारी में मदमस्त होके नाच रही थी, पार्वती की गांद ताइजी से छोटी थी पर उसकी गांद टाइट थी और जवान होने के कारण कसी हुई भी थी, खैर हम पंप हाउस आगाये, भोला बाहर खाट पे सो रहा था, फिर हमारे आने की आहट से उठ गया, और फिर ताइजी का धन्यवाद किया के वो पार्वती को छोड़ने यहाँ तक आई, फिर ताइजी ने उससे इधेर उधेर की बात की और हम घर की ओर लौट चले, चारों ओर उंधेरा छाया हुआ था, और टॉर्च के सिवाय चाँद की रोशनी थी, पंप हाउस से कुछ दूर आते ही मेने ताइजी की गांद पे हाथ रखा और उसपे छुट्टी काटी, वो चौक गयी और प्यार से मेरी छाती पे मारते हुए कहने लगी तू बाज नही आएगा ना अपनी हरकतों से, मेने अब भी अपना हाथ गांद से हटाया नही और उसे सहला रहा था, मेने उनसे कहा के अब आप हो ही इतनी सुन्दर के में अपने आप को रोक नही पाता हूँ, वो कहने लगी चल रहने दे, फिर मेने ताइजी का हाथ पकड़ा और अपनी ओर खिचते हुए उनके होंठों पे होंठ रख दिए, वो कुछ कहना चाह रही थी, पर मैं मा की गांद के स्पर्श के बाद चुदाई के लिए बेताब था, ताई भी कुछ ही देर में मेरा पूरा साथ दे रही थी, हम दोनो ही बोहत गरम हो चुके थे, ताइजी ने मेरे मूह में अपनी जीभ डाल के मेरी जीभ से खेलना शुरू कर दिया, में भी एक हाथ से ताइजी की गांद सहला रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूत को सारी के उपर से ही घिस रहा था, ताइजी भी बोहत गरम हो रही थी, उम्म्म्म आआअहह उूउउफफफफफफफ्फ़ कर रही थी, फिर मेने गांद से हटाया और उनकी चुचियों को सारी के उपर से दबाने लगा, वो अब बोहत ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी, कहने लगी, ज्ज्ज्जाअल्ददिईइ कारूव घर्ररर लातीए हूओ गाईए तो साआबब्ब परेशाआं हूओ जाआईनगीए, उनकी साँसे फूल रही थी, फिर मेने उन्हे एक पेड़ के सहारे खड़ा किया, उनकी सारी उठा के कमर तक चड़ा के, उनकी पॅंटी निकाल ली और अपनी जेब में डाल दी, और अपनी पॅंट भी खोल के अंडरवेर नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाला, उन्होने तुरंत मुझे अपने से चिपकाया और मेरा लंड पकड़ के अपनी चूत के छेद के यहाँ रखा, में हल्का सा नीचे हुआ और फिर लंड उनकी चूत में अंडर डाल दिया, ताइजी की चूत एक दम गीली और गरम हो चुकी थी, उन्होने मेरा लंड अपनी चूत में अंडर तक लेने के लिए अपना एक पाँव मेरी कमर के यहाँ रख दिया, मेने एक हाथ से उनके पाँव को घुटनो से पकड़ा जो मेरी कमर पे था और दूसरा उनके कंधो पे रख के धक्के मारने लगा, ताइजी खड़े खड़े छटपटा रही थी और कहने लगी, ऊओह बीएटाअ कित्न्न्न्नीए डीननूओ बाद्द्ड़ यहह अनानन्न्ँद्दद्ड मिलाआ हाईईईई, अयाया आौरर्र करूऊओ आआआहह, आआहह बोाआतत्त अककचहाा लागगग राआहहाा हाईईइ, उफफफफ्फ़ उईईइइंमाम्माआअ, में भी धक्के लगा रहा था, और कहने लगा, कबब्ब्बबसीई आअप्प्प्पक्कक्कीिई राआह डीएक राअहहाअ थाअ के कबब्ब्ब आप्प्प्प मौऊउकाअ ढूनडड़ड़ के मईएरीए पाअससस्स आाू, पाआररर आआप्प्प्प टूऊ आअपन्ंनईए हिी काअम मेंन्न्न् व्ययययाससस्त त्ीईीईई, वो बोली आआहह बीएटाअ आअनना तूओ मेंन्न भीईीई चाआहहतिई त्ीईिइ पाअर क्याअ कर्ररूउन्न्ञन् क़िस्स्स्सिईई कूओ शाआक्ककक करन्ननईए काअ मौकाअ नह्ह्हीइ डेन्न्नाअ चाआहहति थी, हम दोनो बोहत उत्तेजित हो गये थे, वो कहने लगी, बेटाअ जूऊओररर सीए काआरूऊ मेंन्न्न् झाआदन्न्न्णनईए वलल्ल्लीइी हुन्न्ञणन्, आआअहह उईईइमाआअ, मेराअ बसस्स चलीए तूओ मेंन्न्न् तेरीए स्ाआतह हीईिइ राहहूनन्ं औरर्र तेरीए सातह इसस्स सुख(चुदाई) का आन्न्न्नाद ल्ल्लीए सक्ककुउउन्ण, आआहह, ऊऊओह हाआनन्न बीताआ और्र्रर जोर्र्र्र से ऊओह मेंन्न्न् एयेए रहिी हुन्न्ञन्, में भी झाआद ने वाला था, और अपने होंठ उनके होंठ पे रख के ज़ोर ज़ोर से धक्के माआरन्नन्नईए लगाअ तकीइ वो ज़्यादा आवाज़ ना कर सके, वो भी बोहत गरम हो चुकी थी और ग्रोन कर रही थी, ह्म्म्म्मममम हमम्म, फिर मेने अपने होंठ उनके होंठ से हटाए तो वो कहने लगी ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से झटके मारो, जल्दी करो में आने वाली हूँ आआअहह, मेने भी झटके तेज कर दिए, और मेने कुछ तेज तेज झटके लगाए, सन्नाटे में झटको की आवाज़्ज़ ताप्प्प ठप्प्प आ रही थी, और ताइजी के मूह से ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ निकल रही थी, और वो सुन के में और गरम हो गया, वो कह रही थी, आआहह बएटाा अओउउर्र्र जूऊर्रर हाआअन्णन्न् आआईीससीए हीई आआअहह मीईईँन्न आआरहियिइ हुन्न्ञन्, ऊऊऊहह म्माआअ आआहह ककक्कीत्ट्तांन्न्नाअ मज्ज़ज़जाअ आआअरर्रााहहाअ हाऐईयईई आआआअ ऊऊऊऊहह उउउइइइइम्म्म्ममाआआ और्र्रर वो झाआद गाइइ, में भी कुछ देर बाद झाड़ गया और अपना सारा पानी ताइजी की चूत में ही निकाल दिया, हम ऐसे ही एक दूसरे का सहारा लेकर खड़े रहे, जब जान में जान आई तो अलग हुए, ताइजी ने मुझे माथे पे एक किस दी और कहने लगी के तुमने मुझे बोहत खुशी दी है, और फिर हम दोनो घर की ओर चल पड़े, ताइजी चलते हुए कहने लगी के मेरी टांगे गीली हो गयी है, तब मेने उन्हे याद दिलाया के उनकी पॅंटी मेरे पास है, उन्होने फिर मुझे प्यार से कंधे पे मारते हुआ कहा नलायक चल अब जल्दी दे मुझे घर आने वाला है, मेने ताइजी की पॅंटी जेब से निकाली और उसे सूंघते हुए उनको दे दी वो हंस ते हुए बोली पागल, फिर उन्होने वो पॅंटी पहनी और हम घर आगाये, मा उपर रूम में थी पूजा अपने कमरे में और दीदी हमारी राह देख रही थी, ताइजी ने दीदी को सारा काम बताया और अपने रूम में चली गयी, दीदी भी अंडर चली गयी, में भी उपर रूम में आगेया,
अब मेने अपने दोनो हाथ मा की नाभि के यहाँ रख दिए और अपने शरीर के नीचे के हिस्से को उनके चूतड़ के थोडा और नज़दीक ले आया, उनकी कमर की स्किन एक दम मुलायम थी, और वो हिस्सा थोड़ा मोटा और चब्बी था, मा ने अब आटा गुन्दना शुरू किया, इस काम के शुरू करने से मा के शरीर का नीचे का हिस्सा मेरे लंड से च्छुने लगा था, मेने हल्के हल्के मा की कमर पे हाथ फिराने लगा, उन्हे गुदगुदी होने लगी, कहने लगी बेटा मुझे गुदगुदी हो रही है, मेने कहा मा मुझे आपकी कमर पे हाथ घूमना अछा लग रहा है, वो कुछ नही बोली और अपना काम करने लगी, फिर कुछ देर बाद मया पीछे मूडी और हल्की सी स्माइल दी और फिर अपना काम करने लगी, मेरे लिए यह ग्रीन सिग्नल था, धीरे धीरे धीरे में अपने शरीर का नीचे का भाग मा के करीब लाने लगा, मुझे डर भी लग रहा था और एग्ज़ाइट्मेंट भी हो रहा था, पर में आगे बढ़ता चला गया, फिर मा ने मुझसे कहा बेटा भूख नही लगी है क्या?, मेने कहा भूख तो लगी है मा पर आप होके मेरा ध्यान ही नही रखती वो बोली नही बेटा में तो तुम्हारी हर बात का ख़याल रखती हूँ इसलिए तो तुम्हारे लिए पराठे बना रही हूँ, यह सुन के में मा से चिपक गया और ऐसे जताया जैसे में अपनी फेव डिश सुन के खुश हुआ हूँ, मेने मा की कमर से हाथ हटा के उनके पेट पे रख दिया और अपने लंड को मा की गांद से टच किया, अब में उनकी सारी का फॅब्रिक फील कर रहा था, मेरे दिल जोरो से धड़क रहा था, पर मा कुछ नही बोली और अपना काम करती रही, धीरे धीरे में मा के करीब आता गया, और अब मुझे अपने लंड पे मा की मोटी मुनसल गांद का हल्का सा स्पर्श महसूस हो रहा था, मेने देखा के मा की साँसे तेज हो रही है और वो भी इस का भरपूर आनंद ले रही थी, अचानक मा के हाथ से बेलन गिर गया, और वो उसे उठाने के लिए झुकी में जान बुझ कर पीछे नही हटा अब मा की गांद मेरे लंड से सटी हुई थी, और मेरे हाथ पेट से कमर पे आगाये थे, अगर कोई उस समय हमे देखता तो ऐसा लगता जैसे में मा की चूत पीछे से ले रहा हूँ, खैर मा ने भी आराम से बेलन उठाया और अपनी गांद मेरे लंड पे कुछ देर तक ऐसे ही रहने दी, मा जब खड़ी हुई तो उन्होने पीछे मूड के मुझे देखा और एक स्माइल दी, में जान चुका था, के अब जल्द ही में मा को भी चोदने वाला हूँ, फिर मा ने कहा के चल टेबल पे बैठ और नाश्ता कर ले, मेरा मंन तो नही था, पर में मामला खराब भी नही करना चाहता था, इसलिए में मा से दूर हट गया और टेबल पे जाके बैठ गया, मा आई मुझे नाश्ता दिया और मेरे पास खड़ी हो गयी, मेने मा से कहा तुम भी खा लो, वो बोली नही बेटा में बाद में खा लूँगी, पर मेने उनका हाथ पकड़ के अपने पास की कुर्सी पे बिठा लिया, वो अपने प्रति मेरे इस प्यार को देख के बोहत खुश हुई, और मुझे देखने लगी, फिर मेने एक नीवाला तोड़ा और मा की तरफ अपना हाथ बढ़ाया, मा के लिप्स बड़े सुन्दर और रसदार लग रहे थे, मॅन कर रहा था उनका सारा रस पी लूँ, मा ने मुझे कहा तू खा बेटा में बाद में खा लूँगी, पर में नही माना और अपना हाथ उनके मूह के करीब ले गया और जब उन्होने अपना मूह खोला तो मेने नीवाला उनके मूह में डाल दिया, ऐसा करते हुए मेरे उंगलियों को उनके कोमल होंठों का स्पर्श मिला और वो मुझे बड़ा अछा लगा, फिर उन्होने एक नीवाला तोड़ा और मुझे खिलाने लगी, फिर इसी तरह हमने अपना नाश्ता ख़तम किया, और तब तक ताइजी भी वापस आ चुकी थी, फिर मा और ताइजी आपस में बैठ के बात करने लगी और में उपर अपने कमरे में आगेया और लेट गया, जैसे तैसे दिन निकला, शाम को हम सब नीचे बैठकर यहाँ वहाँ की बातें करने लगे, फिर रात को खाना खाया और अपने अपने कमरो में सोने चले गये, दोस्तो आगे की कहानी कुछ समय बाद पोस्ट करूँगा तब तक कुछ पुरानी कहानियाँ और पोस्ट करूँगा क्रमशः..............................
(06-21-2017, 11:17 AM)sexstories Wrote: अब मेने अपने दोनो हाथ मा की नाभि के यहाँ रख दिए और अपने शरीर के नीचे के हिस्से को उनके चूतड़ के थोडा और नज़दीक ले आया, उनकी कमर की स्किन एक दम मुलायम थी, और वो हिस्सा थोड़ा मोटा और चब्बी था, मा ने अब आटा गुन्दना शुरू किया, इस काम के शुरू करने से मा के शरीर का नीचे का हिस्सा मेरे लंड से च्छुने लगा था, मेने हल्के हल्के मा की कमर पे हाथ फिराने लगा, उन्हे गुदगुदी होने लगी, कहने लगी बेटा मुझे गुदगुदी हो रही है, मेने कहा मा मुझे आपकी कमर पे हाथ घूमना अछा लग रहा है, वो कुछ नही बोली और अपना काम करने लगी, फिर कुछ देर बाद मया पीछे मूडी और हल्की सी स्माइल दी और फिर अपना काम करने लगी, मेरे लिए यह ग्रीन सिग्नल था, धीरे धीरे धीरे में अपने शरीर का नीचे का भाग मा के करीब लाने लगा, मुझे डर भी लग रहा था और एग्ज़ाइट्मेंट भी हो रहा था, पर में आगे बढ़ता चला गया, फिर मा ने मुझसे कहा बेटा भूख नही लगी है क्या?, मेने कहा भूख तो लगी है मा पर आप होके मेरा ध्यान ही नही रखती वो बोली नही बेटा में तो तुम्हारी हर बात का ख़याल रखती हूँ इसलिए तो तुम्हारे लिए पराठे बना रही हूँ, यह सुन के में मा से चिपक गया और ऐसे जताया जैसे में अपनी फेव डिश सुन के खुश हुआ हूँ, मेने मा की कमर से हाथ हटा के उनके पेट पे रख दिया और अपने लंड को मा की गांद से टच किया, अब में उनकी सारी का फॅब्रिक फील कर रहा था, मेरे दिल जोरो से धड़क रहा था, पर मा कुछ नही बोली और अपना काम करती रही, धीरे धीरे में मा के करीब आता गया, और अब मुझे अपने लंड पे मा की मोटी मुनसल गांद का हल्का सा स्पर्श महसूस हो रहा था, मेने देखा के मा की साँसे तेज हो रही है और वो भी इस का भरपूर आनंद ले रही थी, अचानक मा के हाथ से बेलन गिर गया, और वो उसे उठाने के लिए झुकी में जान बुझ कर पीछे नही हटा अब मा की गांद मेरे लंड से सटी हुई थी, और मेरे हाथ पेट से कमर पे आगाये थे, अगर कोई उस समय हमे देखता तो ऐसा लगता जैसे में मा की चूत पीछे से ले रहा हूँ, खैर मा ने भी आराम से बेलन उठाया और अपनी गांद मेरे लंड पे कुछ देर तक ऐसे ही रहने दी, मा जब खड़ी हुई तो उन्होने पीछे मूड के मुझे देखा और एक स्माइल दी, में जान चुका था, के अब जल्द ही में मा को भी चोदने वाला हूँ, फिर मा ने कहा के चल टेबल पे बैठ और नाश्ता कर ले, मेरा मंन तो नही था, पर में मामला खराब भी नही करना चाहता था, इसलिए में मा से दूर हट गया और टेबल पे जाके बैठ गया, मा आई मुझे नाश्ता दिया और मेरे पास खड़ी हो गयी, मेने मा से कहा तुम भी खा लो, वो बोली नही बेटा में बाद में खा लूँगी, पर मेने उनका हाथ पकड़ के अपने पास की कुर्सी पे बिठा लिया, वो अपने प्रति मेरे इस प्यार को देख के बोहत खुश हुई, और मुझे देखने लगी, फिर मेने एक नीवाला तोड़ा और मा की तरफ अपना हाथ बढ़ाया, मा के लिप्स बड़े सुन्दर और रसदार लग रहे थे, मॅन कर रहा था उनका सारा रस पी लूँ, मा ने मुझे कहा तू खा बेटा में बाद में खा लूँगी, पर में नही माना और अपना हाथ उनके मूह के करीब ले गया और जब उन्होने अपना मूह खोला तो मेने नीवाला उनके मूह में डाल दिया, ऐसा करते हुए मेरे उंगलियों को उनके कोमल होंठों का स्पर्श मिला और वो मुझे बड़ा अछा लगा, फिर उन्होने एक नीवाला तोड़ा और मुझे खिलाने लगी, फिर इसी तरह हमने अपना नाश्ता ख़तम किया, और तब तक ताइजी भी वापस आ चुकी थी, फिर मा और ताइजी आपस में बैठ के बात करने लगी और में उपर अपने कमरे में आगेया और लेट गया, जैसे तैसे दिन निकला, शाम को हम सब नीचे बैठकर यहाँ वहाँ की बातें करने लगे, फिर रात को खाना खाया और अपने अपने कमरो में सोने चले गये, दोस्तो आगे की कहानी कुछ समय बाद पोस्ट करूँगा तब तक कुछ पुरानी कहानियाँ और पोस्ट करूँगा क्रमशः............................