Sex kamukta पिकनिक का प्रोग्राम
06-27-2017, 11:36 AM,
#1
Sex kamukta पिकनिक का प्रोग्राम
पिकनिक का प्रोग्राम 

मेरा नाम इमरान है। एक बार ट्यूशन में पिकनिक का प्रोग्राम बना। हमारे ट्यूशन में दो लड़के, पांच लड़कियां थीं, और मेडम। उनमें से ठीक पिकनिक के एक दिन पहले एक भाई और एक बहन ने ना जाने का बता दिया। क्योंकी उनके अब्बू की तबीयत खराब हो गयी थी। अब 4 लड़कियां और मैं और मेडम। पिकनिक का प्रोग्राम कैंसिल भी नहीं किया जा सकता था, सारी तैयारी हो चुकी थी। समुंदर किनारे का जाना था, शहर से 10 किलोमीटर के फासले पर। हम सब तैयार होकर बस स्टैंड तक पहुँचे।

बस में बैठे तो एक सीट पर मेडम और दो लड़कियां बैठ गयीं। मेरे साथ दो लड़कियां बैठी, खिड़की के लिए दोनों में झगड़ा हुआ। एक खिड़की के पास बैठी। दूसरी उससे नाराज थी, इसलिए मुझे बीच में बिठाया और खुद रोड साइड पे बैठ गयी। अब दोनों मुझसे उमर में बड़ी थीं। शायद क्लास में कई-कई बार फेल होकर आगे आई थी। हम 10वीं में थे। मेरी उमर जब की *** साल थी तो वो 18-19 साल की होंगी। भरपूर जवान बदन, चौड़े चूतड़ बड़ी-बड़ी छातियों के बीच, मैं दबकर रह गया।

दोनों की छातियां मेरे दोनों कंधों से सटी हुई थीं। मुझे कहने की जरूरत नहीं की मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था। मैं जानबूझ कर उनकी छातियों पर दबाओ डाल रहा था, कभी एक तो कभी दूसरी के। मेरा चेहरा बड़ा ही भोला मासूम सा था, ऐसा सभी कहते थे। इस तरह मंजिल आ गई। हम बस से उतरे और सामान उठाने लगे। मेरे जिम्मे लकड़ी का गट्ठर और एक बाल्टी आई। मैं लकड़ी कंधे पे और एक हाथ में बाल्टी लेकर चलने लगा। मेरा लण्ड खड़ा था पैंट में जरा साइड हो गया था। जिससे उसका उभार साफ दिख रहा था। मुझे अहसास नहीं था।

तभी एक लड़की जीनत की निगाह उसपर पड़ गयी। उसने अपने मुँह में एक हाथ रख लिया और दौड़कर आगे गयी। और दूसरी लड़की सोमन को बताया और उसने भी मुड़कर देखा, तब मुझे एहसास हुआ। मैंने फौरन हाथ से बाल्टी को नीचे रखा और लण्ड को अड्जस्ट करने लगा। उन दोनों को हँसता देखकर पीछे मेडम के साथ चलने वाली लड़की पिरी और कोमल उनके पास पहुँची और उनसे पूछने लगीं। फिर सब मुड़-मुड़कर मुझे देखने लगीं, और हँसने लगीं। उनमें पिरी सबसे गोरी और उसकी चूचियां सबसे बड़ी थीं। मुझे उसकी चूचियां देखने में बड़ा मजा आता था।

उसके बाद जीनत हसीन थी। उसकी भी चूचियां पिरी के ही सामान बड़ी थीं। लेकिन वो उतनी गोरी नहीं थी। हम चलते-चलते समुंदर के किनारे झाड़ियों के अंदर गये। मेडम ने कहा की लड़कियां हैं, कपड़े वगैरह बदलने के लिए एकांत चाहिए। लोगों की भीड़ से जरा दूर ही डेरा जमाना है। फिर हमें एक बढ़िया जगह मिल गयी। आज भीड़ बहुत कम थी। चारों तरफ झाड़ियां थी, बीच में थोड़ा साफ जगह थी। शायद यहाँ हाल ही में किसी ने सफाई करके पिकनिक की होगी।
हमने वहीं जमने का फासला किया। फिर मैं पेशाब करने चला गया। जब पेशाब कर रहा था तो मुझे झाड़ी के पीछे से कुछ खुसुर फुसुर की आवाज आई। मैं डर गया, मैंने समझा कोई जानवर तो नहीं। मैंने जितनी जल्दी पेशाब करने की कोशिश की उतना ही पेशाब निकलता रहा। मैं लौटा तो मेरे पीछे-पीछे जीनत और सोनम भी झाड़ी के पीछे से निकलकर आई। मैं समझ गया की यही दोनों थीं।

मेरे नजदीक आकर जीनत बोली- “तुम बैठकर पेशाब नहीं करते…”

मैंने कहा- “तुमने देखा क्या…”

उसने कहा- “और नहीं तो क्या…”

मैंने पूछा- “तुम वहाँ क्यों गयी थी…”

उसने कहा- “अरे वो हमें नहीं लगती क्या… तुम्हारी अम्मी को बोल दूँगी की मुसलमान होकर खड़ा-खड़ा पेशाब करता है…”

“यह बात ठीक नहीं, पिकनिक की बात घर तक नहीं जानी चाहिए…” मैंने कहा।

हमारी बहस को सुनकर मेडम पूछी- क्या हुआ।

मैंने कहा- मेडम, मैं खड़ा होकर पेशाब कर रहा था। जीनत बोल रही है अम्मी को बोल देगी।

मेडम ने सबको बुलाया की इधर आओ, पिरी, कोमल, सोनम, जीनत और हम सब उनके सामने खड़े थे। उन्होंने कहा- “सब कान खोलकर सुन लो, यहाँ तुम पिकनिक में मस्ती करने आए हो, जो चाहो करो। यहाँ की बात यहीं छोड़कर जाना। घर तक कोई बात नहीं पहुँचनी चाहिए। बोलो मंजूर है तो पिकनिक करो वरना अभी वापस चलो। मुझे कोई लफड़ा नहीं चाहिए…”

सबने कहा- ठीक है मेडम। जीनत ने भी कहा।

फिर मेडम के कहने पर उसने मुझसे सारी कहा। फिर अपनी चुलबुली अंदाज में मुझे कमर में गुदगुदी करते हुए कहा- इमरान जरा हँस ना।

मैंने भी उसकी कमर पे गुदगुदी कर दी। वो नीचे रेत में लोटपोट होने लगी, मैं उसे गुदगुदाने के लिए नीचे बैठा और उसे गुदगुदाने के लिए हाथ बढ़ाया तो वो घूम गयी। ऐसे की मेरे हाथ ने उसकी चूचियां को पकड़ लिया, यह सबने देखा। और सबके मुँह खुले के खुले रह गये। मैंने हड़बड़ा कर हाथ हटा लिया। मैंने सबसे कहा की मैंने जानबूझ कर नहीं किया।

“हम तुम्हें बड़ा शरीफ समझते थे, तुम क्या निकले…” जीनत ने पूरी ड्रामेबाज की तरह कहा- “अब दूसरा भी दबा दो वरना छोटा बड़ा हो जाएगा…”

हमारे यहाँ एक कहावत है- “एक हाथ या एक कान कोई छू दे तो वो दुख़ता रहेगा। या फूल जाएगा जब तक वोही आदमी दूसरा हाथ या कान ना छू दे तो…”

मेरी हिम्मत नहीं हुई की दूसरा दबाऊँ। अब जीनत खड़ी हो गयी। मैं भी खड़ा हो गया लेकिन अब भी जीनत की निगाह मेरे लण्ड के उभार पर थी। और वो बार-बार इसके बारे में दूसरी लड़कियों से बात कर रही थी, और खिलखिला रही थी। फिर हम खेलने लगे। मुझको पोलिस बनाया गया। मुझसे 10 कदम की दूरी पर चारों लड़कियां खड़ी थी। जैसे ही “जाओ” कहा जाना था मुझे दौड़ाकर उनमें से किसी एक को पकड़ना था।

“जाओ” बोला गया। मैं उनको दौड़ाने लगा, मेरी टारगेट थी पिरी, सबसे गोरी, सबसे भारी बदन वाली। दौड़ते हुए मैंने उसे कमर के पीछे से पकड़ा वो लड़खड़ा कर गिरी।

क्योंकी रेत पे दौड़ना आसान नहीं था, और गिरने में कोई हर्ज नहीं था। मैं उसके ऊपर गिरा मेरे दोनों हाथों में उसकी दोनों चूचियां थी, और मेरा लण्ड उसकी गाण्ड पे था। कुछ ही सेकेंड में हम खड़े हो गये, लेकिन मेरे लण्ड को बड़ा मजा आया।

फिर पिरी हमें दौड़ाने लगी। उसने जीनत को पकड़ा। जीनत भी भारी बदन की थी वो भी तेज दौड़ नहीं पा रही थी। जीनत ने दौड़ाना शुरू किया, उसका टारगेट मैं था। उसने सबको छोड़कर मुझे दौड़ाना शुरू किया। मैं समझ गया। मैंने भी ज्यादा परेशान ना करके उसे पकड़ने दिया।

उसने भी मुझे पीछे से पकड़ा लेकिन, उसका हाथ ठीक मेरे लण्ड पर था। उसने कपड़े के ऊपर से उसे पकड़ रखा था। मैं गिर गया वो मेरे ऊपर गिरी, और हाँफने लगी। वो दिखा ऐसे रही थी की उसने मेरे लण्ड को जानबूझ कर नहीं पकड़ा। लेकिन मुझे लग रहा था की वो मेरे लण्ड की लंबाई और मोटाई नाप रही है। हम जब उठे तो वो दौड़कर दूसरी लड़कियों के पास गयी।

वो इशारे से मेरे लण्ड की लंबाई और मोटाई बताने लगी।

पिरी उसे डाँट रही थी- तू बिल्कुल बेशरम हो गयी है।

जीनत ने कहा- सिर्फ़ आज के दिन जरा बेशरमी कर लेने दे ना यार।

बाकी दोनों मजा ले रही थी। और हैरत कर रही थीं। फिर मैं दौड़ाने लगा, सोचा सबको एक-एक बार पकड़ूं। इस बार मैंने कोमल को निशाना बनाया, वो काफी तेज थी। मैं उसे दौड़ाते हुए काफी दूर ले गया और उसे दबोच लिया। वो भी मेरे साथ रेत पर गिरी। मैंने उसकी चूचियां पकड़ रखी थी।

वो हँस रही थी, फिर बोली- उठो ना।

मैं उठ गया। वो सीधी होकर लेट गयी और इशारे से मुझे अपने ऊपर चढ़ने को कहा। मैं उसके ऊपर लेट गया उसने जल्दी से मेरे गाल पे किस कर दिया, और एक हाथ से मेरे लण्ड को टटोलने लगी। उतने में बाकी लड़कियां भी पहुँच गयीं।
और जीनत ने कहा- “हाय क्या सीन है…”

कोमल ने कहा- “खाली क्या तू ही मजा लेगी। प्राइवेट माल है क्या…”

मैं हैरत में पड़ गया। सोचने लगा- “यार लड़किया भी लड़कों को माल कहती हैं क्या…”

जीनत ने बिल्कुल बेशरमी की हद कर दी। बोली- मजा लेना है तो कपड़े उतार के ले ना। हाहाहा…”

सब हँसने लगीं। कोमल और मैं खड़े हो गये। मेरा लण्ड अब पूरी तरह खड़ा था, पैंट से साफ दिख रहा था।

पिरी बोली- सब तो दिख रहा है पैंट पहनने का फायदा क्या है। निकाल भी दो।

मैं नाराज होने का नाटक करने लगा और दूसरी तरफ देखने लगा।

पिरी दौड़कर मुझसे पीछे से लिपट गयी, और कहने लगी- “बुरा मान गये…”

मैंने रोनी सी सूरत बनाकर कहा- “मेरा बड़ा है तो मैं क्या करूँ… जिसने बनाया है उसको बोलो। अभी मैं मेडम के पास नहीं जाऊँगा…”

पिरी ने कहा- पेशाब कर लो।

जीनत ने कहा- पेशाब करने से नहीं होगा मुट्ठी मारनी पड़ेगी हाहाहा…

सोनम बोली- यार तुझे क्या-क्या नहीं मालूम।

जीनत ने कहा- मैंने एक किताब में पढ़ा है। लड़के मुट्ठी मारते हैं।

मैं जाकर उससे पीछे से लिपट गया और कहा- बता किताब में क्या लिखा है, मुट्ठी कैसे मरते हैं।

जीनत ने हाथ से इशारा करके बताया ऐसे। फिर मुझसे कहा- तू ने तो जैसे कभी मारा नहीं होगा।

मैं शर्मा कर रह गया। फिर खेल शुरू हुआ। अब सोनम पकड़ी गयी। उसने भी मुझे ही टारगेट बनाया।

मैं उसे दौड़ाते हुए काफी दूर ले गया। वो मुझे एक झाड़ी के पीछे ले गयी और मेरे लण्ड को सहलाते हुए कहा- “दिखाओ ना…”

मुझे समझ में नहीं आ रहा था क्या करूँ। किसी लड़की को पहले कभी दिखाया नहीं था। मेरी शरम अभी टूटी नहीं थी। मैं वर्जिन था।

सोनम ने कहा- “जल्दी करो, नहीं तो वो लोग आ जाएंगे…” वो मेरे सामने घुटनों पर बैठ गयी। मेरे पैंट की चैन खोलकर अंदर हाथ डालकर लण्ड को पकड़ लिया और लण्ड को खींचकर बाहर निकाल लिया। उसके मुँह से निकला- “बाप रे… इतना लंबा और इतना मोटा…” और हाथ में लेकर सहलाने लगी, यानी मुट्ठी मारने लगी। वो जितना सहलाती लण्ड उतना तगड़ा और सख़्त होता गया।

मैं आँखें बंद करके सिसकारी भर रहा था। वो मूठ मारती गयी। कब बाकी लड़कियां आ गईं हमें पता नहीं चला।

“वाह सोनम तू तो सबसे चालू निकली…” जीनत बोली।

सोनम शर्मा के बोली- “सबसे पहले मैंने छुआ है, ये मेरा है…” फिर बोली- “यार जीनत मैं कब से मुट्ठी मार रही हूँ। यह तो और सख़्त हो गया है। नरम कैसे होगा…”

जीनत बोली- “तू हट मुझे देखने दे। सब तुझे थोड़े बता दूँगी। तू मेरा ही ज्ञान मुझसे पहले आजमाने चली थी…” जीनत ने घुटनों के बल बैठकर लण्ड को मुँह में डाल लिया और चूसने लगी। बाकी लड़कियां खुले मुँह से देखने लगी।

“यार जीनत तू पहले यह सब कर चुकी है ना…” पिरी बोली।

जीनत के मुँह में मेरा लण्ड था, वो वैसे ही नहीं नहीं कहने लगी। कुछ देर चूसने के बाद उसने मुँह से लण्ड निकाला, मैं कराह रहा था।

पिरी बोली- “क्या हुआ… दर्द हो रहा है…”

मैंने कहा- “हाँ…”
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फिर कोमल बैठ गयी और वो तो किसी पक्की खिलाड़ी की तरह लण्ड से लेकर अंडों तक चाटने लगी, फिर चूसने लगी। बोली- “मुसलमान लड़कों का लण्ड कितना साफ होता है। कोई गंध मैल नहीं…”

फिर सबने पिरी को चूसने को कहा तो वो शर्माते हुए बोली- “मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता…”

जीनत बोली- पहले पहल सब ऐसा ही कहती हैं, मुफ़्त का माल है चख ले।

वो मुट्ठी में लेकर हिलाने लगी। मेरी तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी। मेरे बदन में ऐंठन शुरू हुई। मैंने अपने हाथ में लण्ड पकड़ लिया और कराहते हुए मेरे लण्ड से पिचकारी छूटने लगी। लड़कियां हैरत से नजारा देखने लगीं। पिचकारी कम से कम 5-6 फीट दूर तक जा रही थी। कई बार पिचकारी की धार छूटी फिर बंद हो गई। अब लण्ड आहिस्ता-आहिस्ता नरम होने लगा। मैंने सबको थैंक्स कहा। एक-एक को गले लगाकर गालों पर किस किया।

जब जीनत की बारी आई तो उसने होंठ चुसा दिया। फिर सबने हैरत का इजहार किया। जीनत ने कहा- “फिल्मों में नहीं देखा क्या… बोल दो नहीं देखा…”

सब हँसने लगे। हम मेडम के पास आए। मेडम गुस्से से आग बबूला हो रही थी- “खाना नहीं बनाना क्या… नहाने नहीं जाना क्या…”

“वो मेडम…” जीनत मेरे और सोनम की तरफ इशारा करके बोली- “इन दोनों को लेटरीन लगी थी इसलिए…”

मेडम बोली- तू चुप तेरी किसी बात पर मुझे यकीन नहीं।

पिरी झट से बोली- “हाँ मेडम…”

मेडम बोली- “मुझे बच्चा समझ रखा है। ठीक है तुम मस्ती करो। एक ही लड़का पे हो, उसके साथ जो चाहो करो लेकिन काम भी तो करना है ना…”

“हाँ मेडम…” कहकर सब काम पर लग गयीं।

मुझे और पिरी को पानी लाने का जिम्मा दिया गया। हम पानी लाने निकल गये। जीनत मेरे साथ जाना चाहती थी, लेकिन मेडम ने उसे जाने नहीं दिया। वो समझ गयी थी की मेरे और जीनत के बीच कुछ खास है। जबकी ऐसा कुछ नहीं था। बल्कि मुझे पिरी ही ज्यादा अच्छी लगती थी।

हम जब मेडम से कुछ दूर हो गये, तो पिरी बोली- “तुम जीनत को चाहते हो…”

मैंने कहा- “नहीं तो…”

“वो तो ऐसा दिखाती है जैसे वो तुम्हें चाहती है…”

मैंने कहा- मुझे उसकी नहीं मालूम।

“फिर तुम किसको…” कहकर रुक गयी।

मैंने कहा- “मैं सच बता दूँ… तुम किसी को बोलोगी तो नहीं…”

पिरी बोली- बताओ ना मैं वादा करती हूँ नहीं बताऊँगी।

मैंने कहा- मैं सिर्फ़ तुम्हारे लिए पिकनिक में आया हूँ।

पिरी बोली- मैं तो तुमसे बहुत बड़ी हूँ।

मैंने कहा- प्यार में उम्र की कोई सीमा नहीं होती। वो तो शादी के लिए होती है।

पिरी बोली- तो तुम प्यार किसी और से शादी किसी और से करोगे।

मैंने कहा- करना पड़ेगा। सभी ऐसा करते हैं। सब प्यार करने वाले शादी थोड़े कर पाते हैं।

फिर हम ऐसे चुप हुए की पानी लेकर आने तक चुप ही रहे। काफी संजीदा भी हो गये थे।

मेडम ने हमें देखकर कहा- तुम लोगों के मुँह ऐसे लटके हुए क्यों हैं…

जीनत ने कहा- हमारी सीरियस देवी जो साथ गयी थीं कुछ डाँट-वाँट दिया होगा।



पिरी बोली- मैंने कुछ नहीं कहा। वो खुद अपने घर की याद करके उदास हो रहा था।

“अरे वाह… घर से 10 किलोमीटर दूर घर की याद आ गई…” मेडम बोली।

सब हँसने लगी। हाहाहाहा…

मैं भी हँसने लगा, बोला- पिरी तुम्हें बहाना भी करना नहीं आया।

फिर सब हँसी मजाक करते हुए खाना बनाने लगे। खाना बन गया तो सब नहाने की तैयारी करने लगे। सब लड़कियों ने सिर्फ़ दुपट्टे अपने बदन से बाँधे। किसी की चूचियां आधा दिख रही थीं तो किसी की गाण्ड आधा दिख रही थी। हमारे बीच में शरम नाम की कोई चीज रही नहीं थी। जैसे मैं लड़का ही नहीं था। या सबने मुझे अपना बदन दिखाने का ठान लिया था।

जब हम समुंदर की तरफ जाने लगे तो मेडम बोली- कोई एक जरा जल्दी आ जाना, फिर मैं नहाने जाऊँगी।
सबसे बुरा हाल पिरी का था। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। मुझे देखकर अजीब सी मुश्कुराहट आ रही थी उसे। उसका दुपट्टा सबसे छोटा था। वो खींच-खींचकर अपनी बुर छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। मुझे इशारा कर रही थी की उसकी बुर देख लूँ।

मैं आगे आगे चल रहा था जब मैं घूमता, वो दुपट्टा हटाकर बुर दिखाती। मैंने तौलिया बाँधा था मेरा लण्ड फनफना उठा था। मैंने भी एक बार बाकी लड़कियों की नजर बचाकर लण्ड उसे दिखा दिया। हम पानी के अंदर घुसे, पानी ठंडा था और लहरें बड़ी-बड़ी थी। मुझे भी डर लग रहा था।

सबने कहा- सब एक जगह हाथ पकड़कर नहाएंगे।

पानी में डूबकर उठने के बाद मैं पागल हो गया। सभी लड़कियों के दुपट्टे उनके बदन से चिपक गये थे, ऐसा लग रहा था वो नंगी थीं। मैं सबसे लिपटता और उनकी चूंचियां जी भरके दबाता वो भी मेरा लण्ड पकड़ती।

फिर मैं पिरी के पीछे से गया और उसे पकड़ा। तो उसने खुद मेरे लण्ड को अपने पीछे से अपनी बुर में डाल लिया। पानी की वजह से या उसकी बुर गीली होने की वजह से लण्ड आधा घुस गया। मैं हैरान था, और जोर से उससे चिपक गया। मैं अंदर-बाहर तो नहीं कर पा रहा था, ना ही मुझे चोदने का कोई अनुभव था। मैं चिपक कर खड़ा रहा।

उधर से जीनत आई और मुझे खींच लिया, और मुझसे लिपट गयी। मुझे लगा वो मेरे और पिरी पर नजर रख रही थी। उसके बर्ताओ से जलन तो नहीं दिख रही थी। लेकिन मुझे लग रहा था की वो मुझ पर सिर्फ़ अपना हक समझ रही थी। वो सामने से मेरे गले में बाहें डालकर खड़ी हो गयी। फिर एक हाथ से मेरे लण्ड को अपनी बुर में डाल लिया। और गले में बाहें डालकर अपने पैर मेरी कमर पे बाँधकर लटक गयी। मेरा लण्ड उसकी बुर में अंदर तक घुस गया। पानी छाती से ऊपर था इसलिए कुछ दिखने वाला नहीं था। वो आँखें बंद करके मेरे लण्ड को महसूस कर रही थी।

सोनम आई और कहा- क्या बच्चों की तरह गोद में लटकी हुई है।

जीनत बोली- “तू लटक के तो देख कितना मजा आता है…” जीनत उतर गई।

और सोनम लटक गयी लेकिन लण्ड को बुर में लिए बगैर ही। जीनत ने नीचे हाथ लेजाकर मेरे लण्ड को उसकी बुर के छेद में डालने लगी। वो आ आ करने लगी लेकिन जीनत ने अंदर डाल ही दिया। अब वो किसी की परवाह किए बिना ऊपर-नीचे होने लगी। मैं बेहोश सा हुआ जा रहा था।

फिर कोमल भी पास आ गयी, बोली- क्या चल रहा है।

सोनम उतर गयी।

जीनत ने कहा- “कोमल तू चित लेट पानी की सतह पर…” तीनों ने उसे पानी पे तैरते रहने के लिए सहारा दिया। और मुझसे कहा की मैं लण्ड उसकी बुर में डालूं।

मैंने वक़्त गँवाए बिना ही लण्ड उसकी बुर में घुसा दिया और बिना कुछ सोचे चोदने लगा।

पिरी बोली- जीनत तेरे पास कमाल के आईडिया हैं।

जीनत बोली- मानती हो ना गुरु।

सब हँसने लगे। कुछ ही देर में मेरा बदन अकड़ने लगा। जीनत समझ गयी और कोमल को मुझसे अलग कर दिया। मैं कराहते हुए पानी में आपना पानी छोड़ने लगा। शायद पहले से ज्यादा मेरा पानी निकला था।

फिर पिरी ने कहा- “मेडम ने कहा था कोई जल्दी आ जाना मैं चलती हूँ…” मुझे भी कहा- “इमरान तुम भी चलो…"

जीनत ने मना किया- “नहीं… इमरान नहीं। सोनम तू जा…”

सोनम बोली- मैं नहीं जाती, कोमल को भेज दो।

फिर कुछ सोचकर जीनत ने ही कहा- “ठीक है इमरान को ले जाओ। लड़का साथ में रहना चाहिए।

मैं और पिरी यही चाहते थे। हम खुशी-खुशी वापस झाड़ियों की तरफ चलने लगे।

जब हम पहुँचे तो मेडम बोली- “आ गये…” फिर वो समुंदर की ओर चली गयीं।

मेडम के जाते ही पिरी मुझसे लिपट गयी। और बुरी तरह मुझे चूमने लगी। उसकी सांस उखड़ रही थी। फिर मुझसे अलग हुई और मेरे सामने अपना दुपट्टा उतारकर अलग कर दिया। कहने लगी- इमरान तुम मुझसे प्यार करते हो ना…”

मैंने हाँ में सर हिलाया।

पिरी- “तो मैं चाहती हूँ की तुम मेरा सब कुछ देख लो। और जी भरके प्यार कर लो क्योंकी हमारी शादी तो नहीं हो सकती। लेकिन मैं तुम्हें शादी के सभी शुख देना चाहती हूँ। तुम मुझे भूलोगे तो नहीं ना…”
मैंने कहा- ज़िंदगी भर नहीं।

पिरी ने मेरा तौलिया भी खोल दिया। और उसे निचोड़कर उसी से मेरा बदन पोंछा, और खुद का बदन भी सुखाया। मैं उसकी शख्त, सुडौल, बड़ी-बड़ी, गोरी-गोरी छातियों को देख रहा था। फिर उसके पेट, नाभि और बुर पर नजर गयी। तो मेरे बदन में झुरझुरी सी होने लगी। मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा था। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और चूसने लगा। वो सर पीछे करके आ आ करने लगी। फिर उसने मेरे एक हाथ को अपनी बुर पे रखा और कहा उंगली घुसाओ।

मैंने एक उंगली घुसाया।

पिरी ने कहा- इमरान दो उंगली।

मैंने दो उंगली घुसाया।

पिरी- “इमरान जोर-जोर से अंदर-बाहर करो। उम्म्मह… आअहह…”

मैं करने लगा। उसका बदन अकड़ने लगा और उसकी बुर से लावा निकलने लगा। मेरी हथेली भर गयी। मैंने उसे अपने लण्ड पर मल लिया। फिर पिरी ने अपनी सांस को काबू करते हुये एक चादर नीचे बिछाई। और खुद चित होकर लेट गयी।

पिरी ने कहा- “इमरान मेरी बुर में लण्ड घुसाओ। जल्दी मुझे चोदो… जल्दी… नहीं तो जीनत आ जाएगी। वो बड़ी हरामी है। हमें जानबूझ कर पहले भेजी है। पीछे-पीछे खुद भी आ जाएगी…”

मैं जल्दी से बैठा और लण्ड को बुर में घुसा दिया। इस तरह मुझे पहली बार किसी बिल्कुल नंगी लड़की को चोदने का मौका मिल रहा था। मैंने दो चार धक्के ही लगाए थे की जीनत आ गईं, और हमें चुदाई करते हुए देखने लगी।

जीनत हमारे पास बैठ गयी और बोली- “पिरी मुझे मौका मिलेगा क्या…”

पिरी बिल्कुल गिड़गिड़ाते हुए बोली- “प्लीज जीनत अभी-अभी लण्ड अंदर गया है। जरा सा इंतेजार कर ना यार… तू ने आग लगाई है जरा सा ठंडा तो करने दे…”

जीनत ने कहा- तुम तो बहुत देर से आई हो।

पिरी बोली- उसका खड़ा करने में देर हो गयी ना।

जीनत- अच्छा अच्छा तू रो मत, चोदती रह… लेकिन मेरे लिए भी छोड़ना।

पिरी बोली- मेरा पानी निकल जाए तो तुझे दे दूँगी।

मैं पिरी की चूचियां को दोनों हाथों से पकड़कर चूस रहा था और लण्ड अंदर-बाहर कर रहा था।

10 मिनट के बाद ही जीनत बेचैन होने लगी, बोली- “यार पिरी छोड़ ना…” वो भी अब गिड़गिड़ा रही थी की मेडम आ जाएंगी।

जीनत की रोनी आवाज पर पिरी को तरस आ गया। उसने कहा- “ठीक है ले ले…” और मेरे कानों में कहा- “हम फिर कभी मौका निकालेंगे…”

जीनत खुश हो गयी और लेट गयी। और मुझे जल्दी से उसकी बुर में लण्ड डालने को कहने लगी।

मैंने एक बुर से लण्ड निकाला और दूसरी बुर में घुसा दिया। मुझे जीनत पर बड़ा गुस्सा आ रहा था। इसलिए मैं जीनत को गुस्से के साथ धक्के दे रहा था। जबरदस्त धक्के से उसकी आँखों में घबराहट नजर आ रही थी। मैं समझ गया और बोला- यार जीनत तुम्हारी बुर में लण्ड जाते ही मुझे जोश बढ़ गया।

वो खुश हो गयी। मैं चोदता रहा, उसने पानी छोड़ दिया और ढीली पड़ गयी। उतने में हमने देखा की मेडम सामने खड़ी थी।

मेडम- “जीनत यह तुम क्या कर रही हो…”

जीनत ने हड़बड़ा कर कहा- मेडम मैं जब आई तो पिरी चुदवा रही थी, मुझसे रहा नहीं गया।

पिरी सर झुकाए खड़ी थी।

मेडम- “मैं सब समझ गयी। तुम चारों ही मेरी आँखों में धूल झोंक रही हो। अब तुम दोनों क्यों खड़ी हो तुम भी चुदवा लो…”

सोनम जैसे खुश हो गयी और मेरे सामने आकर लेट गयी। मैंने लण्ड झट से उसकी बुर में घुसा दिया और चोदने लगा।

मेडम मेरी पीठ पर हाथ फेर कर कह रही थीं- मारो धक्का।

मैं धक्के पे धक्का मारता गया।

सोनम आ आ करके धक्के पर चीख रही थी।

मेडम ने उसे डाँटा- “चुदवाने का शौक भी है, और चिल्लती भी है। चुप…”

वो चुप हो गई। फिर अचानक वो मुझसे लिपट गयी। उसके नाखून मेरे कंधे में गड़ गये, और उसकी बुर ने पानी छोड़ना शुरू किया।

वो ढीली पड़ी तो कोमल को लिटाया गया। मैं उसे चोदने लगा, मेरी स्पीड अब बहुत तेज होने लगी। कोमल तड़पती रही। अब वो भी कराह रही थी और मैं भी। मुझे लग रहा था की मेरा पानी निकलने वाला है। वैसे ही मेडम ने हाथ बढ़ाकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया, और कोमल की बुर से खींचकर बाहर निकाला।

मेरे लण्ड ने पिचकारी मारी और पिचकारी सामने बैठी पिरी के मुँह में गिरी। पिरी ने दुपट्टा से साफ कर लिया।
मेडम ने लण्ड की ट्यूब को दबाकर पकड़ लिया, जिससे लण्ड से पानी ना निकल सके। ऐसा करने से मुझे दर्द होने लगा।

मैंने कहा- “मेडम छोड़िए, मुझे दर्द हो रहा है…”

उन्होंने अपना मुँह खोला और लण्ड को उसमें डालने ही वाली थीं की उनकी पकड़ ढीली हुई और मेरे लण्ड ने एक और पिचकारी मारी जो मेडम के हलाक तक चली गयी होगी। उन्होंने मुँह बंद किया, वो मनी की धार निकलती गयी मेडम का पूरा मुँह भर गया उन्होंने गटागट गटक लिया।

जीनत उनके पास बैठी थी उसने मुँह खोलकर कहा- मेडम मेरे मुँह में दीजिए ना।

मेडम ने लण्ड उसके मुँह में डाल दिया। मेरे लण्ड ने फिर पिचकारी मारी। जीनत ने उसे पी लिया। फिर लण्ड पिरी ने लिया। और दोनों हाथों में पकड़कर लण्ड चूसने लगी, सारा पानी पी गयी। फिर जीभ से लण्ड को चाटा, और अंडों को भी चाटने लगी। मेरे दिल में उसके लिए जो फीलिंग्स थी उससे मुझे लगा की लण्ड फिर से खड़ा हो जाएगा। मैं अब थक चुका था, लण्ड ढीला पड़ने लगा।

मेडम ने कहा- चलो खाना खाते हैं।

सबने कपड़े पहने। खाने बैठे।

खाने के बाद मैंने कहा- “मेरा सर दर्द कर रहा है…” सब डर गये।

जीनत को फिर भी मजाक सूझ रहा था, बोली- अकेला लड़का इतना मेहनत करेगा तो तबीयत खराब नहीं होगी…”

सब पहले हँसे फिर पिरी ने उसे डाँटा- तुम्हें हर वक़्त मजाक ही करना है।

जीनत बोली- इसमें मजाक क्या है… सच तो है, चलो उसे आराम करने दो।

पिरी ने चादर बिछाई और मुझसे कहा- तुम यहाँ लेट जाओ।

अब सब लोग पिरी की मुझमें दिलचस्पी साफ देख सकते थे। मैं सो गया। नींद भी आ गई पर कुछ ही देर बाद मुझे लगा की मेरे लण्ड को कोई सहला रहा है। मैंने आहिस्ता से एक आँख खोलकर देखा तो मेडम मेरे लण्ड को सहला रही थी, और कह रही थी- “बच्चों किसी को बोलना मत प्लीज…”

सबने कहा- नहीं बोलेंगे।

मैंने आँख फिर बंद कर लिया और मेरे जागते ही मेरा लण्ड भी जागने लगा, फनफनाता हुआ खड़ा हो गया।
मेडम बोली- “बाप रे… बच्चे का लण्ड इतना बड़ा… यह जवान होगा तो इसका क्या हाल होगा। तुम लोगों ने लिया कैसे…”

जीनत बोली- मेडम पहले चूसिये।

मेडम चूसने लगी। थूक से सान दिया।

फिर जीनत बोली- फिर अपनी बुर में रगड़िए।

मेडम बोली- मैं जानती हूँ।

जीनत बोली- आप पूछ रही थी की कैसे लिया… तो इसलिए बता रही थी।

सब हँसने लगे और जीनत को मारने लगे। और इधर मेडम मेरे लण्ड को अपनी बुर में रगड़ रही थी फिर उसपर सावर हो गयीं। और ऊपर-नीचे होने लगीं। वो भारी बदन की थी, बड़ा आहिस्ता-आहिस्ता ऊपर-नीचे हो रही थीं। मुझे मजा नहीं आ रहा था।

मेरे जेहन में तो सिर्फ़ पिरी की गोरी बुर चमक रही थी। पिरी ने मेरे हाथ में पानी छोड़ा था मेरे लण्ड पर नहीं छोड़ा था, और कोमल के पानी छोड़ने के पहले ही मैंने पानी छोड़ दिया था।

कुछ ही देर में मेडम ने पानी छोड़ दिया। उनकी बुर से भी काफी पानी निकला। वो अभी तक कुँवारी थीं। उनके साथ किसी ने बेवफाई की थी इसलिए उन्होंने शादी ना करने का फैसला ले रखा था। अब उनकी उम्र 36 साल की थी। मेरी पैंट घुटनों तक खिंचा गयी था। इसलिए गीला होने का डर नहीं था।

मेडम उतरी और बोली- “बाप रे… क्या लण्ड है… छाती तक घुस जाता है। लो किसे लेना है…”

पिरी लपकी।

जीनत उसे पीछे से खींच रही थी। बोली- तू हर बार पहले क्यों लेगी।

पिरी उसका हाथ झटकते हुए मेरे पास आ गयी और कहा- “मेरा पानी भी नहीं निकला था की तू ने छीन लिया। अभी मैं और कोमल पहले अपना पानी निकालेंगे। फिर तुम दोनों को जितना गाण्ड मरवाना चाहो मरवा लेना।
जीनत बोली- “वाह पिरी… गुड आइडिया, हम सबने चूत तो मरवा लिया लेकिन गाण्ड तो नहीं मरवाया…”

पिरी मेरे ऊपर आकर बैठ गयी, लण्ड को अपनी बुर में डाला और मुझ पर झुक कर मेरे होंठों को चूमने लगी, फिर चूसने लगी, अपनी जीभ मेरे मुँह में डालने लगी। मैं भी उसके होंठ को चूसने लगा।

जीनत बोली- उसे उठा क्यों रही है।

कहानी ज़ारी है… …
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06-27-2017, 11:36 AM,
#3
RE: Sex kamukta पिकनिक का प्रोग्राम
पिरी बोली- “बड़ी पंडित बनती है। इतना भी नहीं जानती की किसी के ऊपर कोई बैठ जाय और वो सोता रहे, ऐसा कहीं होता है। वो तो बहुत पहले से जाग रहा है। मेडम को देखकर चुप था…”

मैं दिल ही दिल सोचने लगा- “पिरी तो बिल्कुल मुझे समझने लगी है…”

पिरी ने कुर्ता भी उतार दिया और मुझे उसकी चूचियां दबाने को बोली।

मैं चूचिया दबाने लगा, चूचुकों को चुटकी में लेकर मसलने लगा। वो लगातार कमर ऊपर-नीचे कर रही थी। आँखें बंद करके आहहाहह… उम्मह… सस्स्शह… करके कूद रही थी। मैं चूचुकों को खींच रहा था जैसे बकरी के चूचुक दुहे जाते हैं।

पिरी मस्ती के साथ कमर हिला रही थी। जैसे वहाँ हम दोनों के सिवा कोई नहीं हो। कभी थोड़ा बदन उठाती, कभी मुझ पर पूरा लेट जाती, लिपट जाती। फिर उसने अपने पैर पे बैठकर दोनों हाथ मेरे सीने में रखकर इस तरह कमर उपर-नीचे करने लगी की मेडम ताली बजाने लगीं।

फिर सभी लड़कियां ताली बजाने लगीं।

पिरी जोश में आ चुकी थी, स्पीड बढ़ती गयी। पशीने से लथफथ हो गई थी। उसका पशीना मेरे बदन पे गिर रहा था और आअनः… आनहा… की आवाज निकाल रही थी। फिर वो मेरे लण्ड पर दबाओ देकर बैठ गयी। और मुँह से हुऊँ… हुऊँ… की आवाज निकालती हुई बुर से पानी छोड़ने लगी। और मुझपर गिर गयी जैसे उसका दम निकल गया हो। मुझे चूमने लगी।

फिर कोमल ने आकर उसे मुझसे अलग किया, और मुझ पर चढ़ गयी। उसने चढ़ते ही स्पीड पकड़ लिया। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और बुरी तरह दबाने लगा, चूचुकों को मसला। वो किसी शेरनी की तरह फूँकारती हुई हूओन्न्नह… हूओन्न्नह… करती हुई चोदने लगी।

अब मैं भी जोश में आने लगा और नीचे से कमर उछालने लगा। 10 मिनट में वो फारिग हुई।

जीनत आने को थी की मैं पिचकारी मारने लगा। हवा में 4-5 फीट ऊपर तक मेरी पिचकारी उछली और मेरे ऊपर ही गिरने लगी। वो नजारा देखकर सब फिर से तालियां बजाने लगीं।

जीनत उदास हो गई और मेरे ढीले होते लण्ड को बुर में डालने लगी।

मेडम बोली- आधा घंटा इंतेजार करो फिर खड़ा हो जायेगा।

जीनत बोली- मैं इंतेजार नहीं कर सकती और बुर में मेरा ढीला लण्ड ही घुसा लिया, मुझ पर सावर हो गयी। उसने भी कुरती उतार दी, और अपनी चूचियां मेरे छाती पर रगड़ने लगी, मेरे होंठ चूसने लगी।

मैं जीनत से ना जाने क्यों नफरत करने लगा था। मैं उसके चूचियां बड़े बेदर्दी से दबा रहा था जैसे किसी बात की सजा दे रहा हूँ। वो मुझे मारऩे लगी।

सब उसपर बिगड़े- “अरे वाह… चुदक्कड़ क्वीन मारेगी…”

जीनत बोली- “ये बड़ी जोर से चूचियां दबा रहा है…”

पिरी बोली- “मेरे तो चूचुकों को दुह रहा था। मेरी तो जान ही निकल रही थी। लेकिन मैंने उफ भी नहीं किया। हम मजा ले रहे हैं तो उसे भी जिस तरह वो चाहे मजा लेने दे। चिल्लाकर मजा किरकिरा क्यों करती हो…” और मुझे इशारे से उसके चूचुकों को दुहने के लिए कहा।

मैं जीनत की निपलस को चुटकी में पकड़कर बड़ी बेदर्दी से पीसने लगा। वो आ आ करने लगी मैं उसके चूचुकों को दुहने लगा।

वो फिर से चिल्लाने लगी- “ओह्ह माँ मर गई… मर गई…”

सोनम बोली- तू उतर… तुझसे नहीं होगा।

जीनत बोली- मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ, बैठ चुप होके।

मैंने उसकी चूचुकों को खींचकर अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगा। तब जीनत आहह… आह्ह करके मजा लेने लगी।

मैंने दाँत से काट लिया।

फिर वो चिल्लाई- मर गई।

अब मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। अब मैं नीचे से कमर उठाकर चोदने लगा। वो भी मजे से चोदने लगी।

पिरी बोली- तू तो गाण्ड मराने वाली थी। चुदवा रही है।

जीनत बोली- हाँ ठीक याद दिलाया। मेरे गाण्ड में घुसा दे ना।

पिरी बोली- नहीं बाबा तू इल्ज़ाम देगी की गाण्ड फट गयी।

जीनत ने सोनम से कहा- सोनम तू घुसा दे।

सोनम आई और लण्ड को बुर से निकालकर गाण्ड के सुराख में ठूँसने लगी। बड़ी मुश्किल से लण्ड थोड़ा अंदर गया। वो जोर लगाने लगी, मैं भी जोर लगा रहा था। लेकिन लण्ड अंदर नहीं जा रहा था।

यह देखकर मेडम बोली- “ऐसे नहीं जाएगा… किसी के पास क्रीम है…”

सोनम ने कहा- “हाँ…”

मेडम बोली- तो लाओ।

सोनम ने क्रीम दिया। तो मेडम ने मेरे लण्ड में क्रीम लगाया और फिर लण्ड को गाण्ड के सुराख में धकेल दिया। अब लण्ड घुसता ही चला गया और जीनत तड़पने लगी।

मैं कमर उछालकर धक्के देने लगा।

जीनत बोली- बस बस और अंदर नहीं… लग रहा है…

लेकिन मैं तो सिर्फ़ उसे तकलीफ देने के लिए ही चोद रहा था। मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया और गाण्ड में पूरा लण्ड घुसा दिया।

वो आ आ करती रही।

मैं उसकी गाण्ड मारने लगा। कुछ ही देर में वो फारिग हो गयी। फिर वो आ आ करती मुझ पर गिर गयी।
यह देखकर सोनम आगे बढ़ी और उसे मुझसे अलग किया।

अब जीनत ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी।

पिरी को जैसे बहुत मजा आ रहा था। मैं उसकी आँखों में चमक देख रहा था। जैसे मुझे शाबासी दे रही हो।
अब सोनम मुझ पर चढ़ी और मुझे अपने चूचुकों को चुसवाने लगी। और लण्ड को बुर में अंदर कर लिया।
मैं देख रहा था की जीनत अब भी बैठी कराह रही थी।

अब मैं सोनम को चोद रहा था, उसकी चूची पी रहा था। कुछ देर बाद मेरी स्पीड तेज हो गयी और सोनम पूरी तरह मेरा साथ दे रही थी। उसने पानी छोड़ दिया। और मैंने उसे अपने से दूर धकेलकर अलग किया। और खुद भी पिचकारी मारने लगा। अबकी मुझे भी तकलीफ हो रही थी। पानी भी बहुत कम निकला। मेरे लण्ड के अंदर जलन महसूस हो रही थी। सब फारिग हो चुके थे।

मैं उठा और अपनी पैंट पहनी, और सभी ने कपड़े ठीक किए। और घर वापसी की तैयारी करने लगे। सबने आने से पहले आज की बात किसी से ना कहने की कसम खाई।

दूसरे दिन जीनत ट्यूशन नहीं आई। सबको पता था उसकी हालत खराब थी। जब हम पिकनिक से घर वापस आ रहे थे तो वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। गाण्ड निकालकर बड़ी मुश्किल से चल रही थी। कोई भी देखता तो जान जाता की अभी-अभी गाण्ड मरवाकर आई है।

तीसरे दिन सोनम ने ट्यूशन में कहा- “जीनत की हालत बहुत खराब हो गयी थी। वो ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी। अब ठीक है कल से ट्यूशन आएगी…”

जब वो चौथे दिन ट्यूशन में आई तो वो बिलकुल पहले जैसी चुलबुली थी। उसके मुँह में किसी के लिए कोई शिकायत नहीं थी। उसने आते ही खुसुर-फुसुर करना शुरू कर दिया। मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था।
जेबा जो पिकनिक नहीं जा पाई थी। उससे कुछ ज्यादा ही खुसुर-फुसुर होने लगी। 5वें दिन जेबा हम सबको बड़ी अजीब नजरों से देखने लगी। मुझसे बात करने से कतराने लगी।

तो मैंने पूछ लिया- “क्या हुआ… तुम ऐसे क्यों बर्ताओ कर रही हो…”

तो जेबा ने कहा- तुम इतने बुरे हो मैं सोच भी नहीं सकती थी।

मैंने क्या किया…

जेबा- “मैं सब जान गयी हूँ जीनत ने सब बता दिया है।

मैंने यह बात सबको बता दी।

सबने जीनत से झगड़ा किया। लेकिन वो फिर एक प्लान बनाकर लाई और हम सबसे माफी माँगी। और कहा- “इस जेबा की बच्ची को एक बार चुदवा देते हैं। फिर उसका मुँह बंद रहेगा। नहीं तो यह हम सबको बदनाम कर देगी…”

सबने मना किया तो जीनत समझ गई। फिर हम सबसे माफी माँगने लगी- “दोस्तों मुझसे गलती हो गयी, मुझे ही सुधारना होगा। जेबा को चोदना ही होगा। दूसरा कोई रास्ता नहीं है। वो तो हमें ज़नखा वगैरा कहने लगी है। पता नहीं कब उसकी जबान खुल जाए…”

पिरी बोली- “उसके अब्बू तो मोलवी हैं ना। वो स्कूल भी बुर्क़े में आती है वो कैसे चुदवाने को तैयार होगी। असंभव…”

जीनत ने कहा- वो सब तुम लोग मुझ पर छोड़ दो।

मैंने एक दिन जीनत से जब साथ में सिर्फ़ पिरी थी, कहा- “इतने लोगों के रहते नहीं होंगा। सिर्फ़ तुम पिरी और जेबा होगी तब होगा…”

जीनत बोली- “क्यों इतने सबको एक साथ चोद नहीं सकते। हाहाहा…”

मैं फिर लाजवाब हो गया। उसने वादा किया की सिर्फ़ हम तीनों ही होंगे। एक दिन जीनत ने कहा- “आज रात मैंने उसे अपने घर बुलाया है। पिरी तू भी आना। और इमरान तुम रात के 9:00 बजे के बाद आना…”

प्लान के मुताबिक पिरी और जेबा शाम को जीनत के घर पहुँच गये, और जेबा से पिकनिक के बारे में एक-एक डिटेल उसे बताने लगे। और यह भी कहा की उसके ना जाने पर मैं कितना दुखी था। मैं सिर्फ़ उसकी खातिर ही पिकनिक गया था। मैं उससे बहुत मुहब्बत करता हूँ। फिर एक ब्लू फिल्म भी उसे दिखाया, उसे पूरी तरह गरम कर दिया। बताया की लण्ड जब बुर में अंदर-बाहर होता है तो कितना मजा आता है। इस शुख से बढ़कर दुनियां में और कोई शुख है ही नहीं।

अब जेबा खुद मेरे आने की राह देखने लगी। और कहा- अगर मैं नहीं आया तो…”

मैं ठीक 9:00 बजे जीनत के घर पहुँच गया। दरवाजा जीनत ने खोला। उसके घर में कोई नहीं था। सबलोग आउट आफ स्टेशन शादी में गये थे। उसने घर वालों से कह रखा था की उसके दोस्त आ जाएंगे। उसे पढ़ाई करनी है। सब इतमीनान से चले गये। मैं अंदर गया सबने मिलकर रोटी खाया। फिर जेबा के हाथों से दूध भेजा गया। जैसे सुहागरात में दुल्हन के हाथ से दूध भेजा जाता है।
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06-27-2017, 11:36 AM,
#4
RE: Sex kamukta पिकनिक का प्रोग्राम
जेबा के हाथ कांप रहे थे, उसका रंग लाल हो रहा था। वो बुर्क़ा तो नहीं पहने थी। लेकिन स्कार्फ लपेटे हुई थी। काले स्कार्फ में उसका दूध सा सफेद चेहरा, काली रात में चाँद के जैसा चमक रहा था। मैंने उसके हाथ से ग्लास लिया और पीने लगा। और वो उल्टे पाँव ही भाग गयी।

उधर से जीनत और पिरी बोल रही थीं- “तुझे कहा था उसके पास बैठने को। तू चली क्यों आई…”
जेबा बोली- मुझे बहुत डर लग रहा है।

“चल हमारे साथ…” कहकर वो दोनों उसे पकड़कर कमरे में ले आईं। और मेरी तरफ उसे धकेलते हुए कहा- “तुम कितना तड़प रहे थे पिकनिक में की जेबा क्यों नहीं आई… दिन भर में 40 बार उसके बारे में पूछते रहे। अब संभालो अपनी जेबा को…”

मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। और कहा- “यार जीनत, यह तो रूई से बनी है क्या… कितनी साफ्ट है…” कहकर अपनी बाहों में भींचने लगा।

“छोड़ो ना…” जेबा बोली।

फिर मैंने उसे बेड पर बिठाया। उसने अपने हाथों में चेहरा छुपा रखा था। मैं उसके साइड में सटकर बैठा। मेरे दाहिने बाजू जीनत मुझसे सटकर बैठी थी। जेबा के बाएं बाजू पिरी थी।

जीनत बोली- “जेबा शरम छोड़ो, कोई ना कोई मर्द हमारा सब कुछ देखेगा। चाहे हम उसे पसंद करें या न करें। उससे पहले क्यों ना जो हमें चाहता है या हम जिसे चाहते हैं अपनी मर्ज़ी से दिखाएं। ज़िंदगी में अफसोस तो नहीं रहेगा… जेबा, ऐसा मौका फिर आए या ना आए। और मैं गारंटी के साथ कह रही हूँ की इमरान के जैसा लड़का तुम्हें दुनियां में नहीं मिलेगा।

फिर जीनत मुझसे बोली- “इमरान, जेबा शर्मा रही है तुम तो उसे किस करो…”
मैंने उसका एक हाथ गाल से हटाया और गाल में किस कर दिया। और पीछे से एक हाथ उसकी बगल में डाल रखा था, उसे अपने साथ चिपकाए रखने के लिए। अब वो हाथ उसकी एक चूची को छू रहा था। फिर मैंने उसके पेट पर भी एक हाथ लपेट दिया। अब वो मेरी बाहों में थी, मेरे बाजू उसकी चूचियों को दबा रहे थे। मैं उसके चेहरे पे रखे हाथ पर किस करने लगा।

और कहा- “जेबा तुम मेरे खयालों में छाई रहती हो। सोते जागते सिर्फ़ तुम ही दिखाई देती हो…” मैं पागलों की तरह उसके हाथों को चूम रहा था। फिर मैंने उसके एक हाथ को हटाया और उसके दूसरे गाल पर चुम्मा दे दिया। फिर मैंने उसके दोनों हाथ हटाए और उसके दोनों हाथों को चूम लिया।

बस क्या था… जेबा ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और मेरे होंठ चूमने लगी।

मैं उसकी पीठ सहला रहा था और वो मेरी पीठ। मैंने उसका स्कार्फ खोलना चाहा लेकिन उसने मना किया। फिर मैं उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूचियों को दबाने लगा। वो मेरा साथ दे रही थी। मैं बारी-बारी से उसकी चूचियां दबाने लगा। मुझे लग रहा था उसकी चूचियां पिरी से भी बड़ी थीं। उसकी साँसें तेज होने लगी थी। मैंने उसकी कुरती की चैन जो उसकी पीठ पर थी खोलने चाहे तो उसने रोक दिया, और बेड पर सीधी लेट गयी। और मेरा हाथ अपनी नाभि के नीचे और बुर से जरा ऊपर रख दिया।

मैं इशारा समझ गया और झट से उसकी सलवार के अंदर हाथ डालकर उसकी बुर को सहलाने लगा और मुट्ठी में पकड़ने लगा। बुर में काफी गोस्त था। जो आसानी से मुट्ठी में पकड़ा जा रहा था। बुर गीली भी लग रही थी। फिर मैंने उसकी कुरती ऊपर किया, सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार नीचे खींचने लगा। उसने खुद गाण्ड ऊपर उठाकर सलवार निकालने में मदद की।

उसने बुर को कुरती से ढांप लिया। मैंने उसके हाथ हटाकर कुरती को ऊपर किया, और उसकी बुर देखकर पिरी की बुर भी भूल गया। क्या जबरदस्त बुर थी… इस तरह फूली हुई थी की जैसे गाण्ड के नीचे तकिया लगा हो। मैं उसकी बुर पे चूमा और चाटने लगा।

तब तक पिरी और जीनत अपने कपड़े उतारकर पूरी तरह नंगी हो चुकी थीं। और मेरे बदन से अपने बदन को रगड़ रही थीं। मैंने जेबा की कुरती ऊपर उठाते हुए उसकी दोनों चूचियों को बाहर निकाला।

सिर्फ़ मैं ही नहीं पिरी और जीनत भी बोल पड़ी- “क्या चूचियां हैं यार… तू तो बड़ी छूपी रुस्तम निकली। तेरी तो हमारी से भी बड़ी हैं यार… कैसे उठाकर फिरती हो…” और दोनों ने उसके एक-एक हाथ में अपनी एक-एक चूची को पकड़ा दिया। फिर बोली- “देखो हमारी तुमसे छोटी है ना… फिर भी हमें भारी लगता है, दिल करता है किसी को कहूँ पकड़कर चले…”

मैं तब तक उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर चुका था। अब वो आँख खोलकर कभी मुझे तो कभी उन दोनों को देख रही थी। मैंने जैसे ही मुँह उसके चूचुकों पर रखा उसने मेरे सर को पकड़ लिया, और जोर से अपनी चूचियों पर दबाने लगी। और इसस्स… सस्शह… की आवाज निकालने लगी।

फिर जीनत ने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए, पिरी ने मेरी पैंट उतारा। और मेरे खड़े लण्ड को मुँह में डालकर चूसने लगी।

जीनत ने कहा- पिरी आज जेबा को सारा मजा लेने दो।

पिरी ने कहा- “मैं तो उसे सिखा रही थी…” फिर जेबा से कहा- “इसे चूसो…”

जेबा पहले हिचकिचाई। फिर अपना मुँह मेर लण्ड से लगा दिया और चूसने लगी। फिर क्या था पूरे लण्ड को चाटने लगी। अंडों तक को चाट डाला।

जीनत ने जेबा की स्कार्फ और कुरती उतार दिया। अब जेबा बिल्कुल नंगी थी। मैं उसके बदन को उन दोनों के बदन से तुलना करने लगा। जेबा हर हाल में उन दोनों से ज्यादा खूबसूरत थी।

लेकिन मुझे पिरी से पता नहीं कैसी लगाव थी की वोही मुझे सबसे अच्छी लगती थी। मैं साफ देख रहा था की पिरी को यह सब बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। वो सिर्फ़ मुझे अपना मान चुकी थी।

फिर जेबा को लिटाया गया और मैं उसकी बुर को चाटने लगा। फिर वो घड़ी आई जब मुझे उसकी बुर में लण्ड घुसाना पड़ा। वो मेरे पेट पर हाथ देकर रोकती रही मैं दबाता गया और पूरा लण्ड उसकी बुर के अंदर था। उसे कोई तकलीफ नहीं हुई। या उसने बर्दस्त कर लिया।

सबको ताज्जुब हुआ की इतना लंबा लण्ड कुँवारी लड़की कैसे झेल गयी। जीनत ने पूछ ही लिया- “जेबा तुझे दर्द नहीं हुआ…”

उसने भोलेपन से कहा- नहीं तो…”

“नहीं…” जीनत ने कहा- “तू पहले भी कर चुकी है ना…”

जेबा ने कहा- “तुम्हारा दिमाग खराब है…” और उसकी बोली से लग रहा था वो सच बोल रही है।

मैं चोदने लगा धक्के पे धक्का और वो मस्ती से मुझसे लिपट रही थी। मैंने उसकी चूचियों को दबोच रखा था और चूचियों को पी रहा था। मैं चोदते-चोदते पशीने से तरबतर हो गया। क्या लड़की थी यार… पानी ही नहीं छोड़ रही थी। लगभग आधे घंटे के बाद मेरा पानी निकलने लगा। तो मैंने बुर से लण्ड बाहर निकाल लिया और पानी उसके बदन पर निकालने लगा।

जेबा को घिन आ रही थी लेकिन पिरी और जीनत ने मेरे पानी को उसके बदन से चाट-चाट कर साफ कर दिया। जब जीनत जेबा के बदन को चाट रही थी, पिरी ने मुझे लिटा दिया और मेरे लण्ड को चाटना शुरू कर दिया और अपने दुपट्टे से मेरे चेहरे को साफ करने लगी।

यह देखकर जीनत जेबा से बोली- जरा उधर देख इमरान का उसकी बीवी कितना खयाल रखती है।

पिरी झट से बोली- “शुक्रिया… तुमने मुझे इमरान की बीवी कहा। काश मैं इमरान की बीवी बन सकती। लेकिन जब तक दूसरे किसी की बीवी नहीं बनी हूँ इमरान को ही अपना पति मानती रहूंगी। अब जरा यह भी बताओ की तुम इमरान की क्या लगती हो…”

इस सवाल ने जीनत जैसी हाजिर जवाब को भी सोचने पर मजबूर कर दिया।

तब जेबा ने कहा- “वो भी बीवी ही हुई…”

पिरी ने कहा- वो कैसे…

जेबा ने कहा- इमरान चार शादी कर सकता है।

जीनत ने कहा- वाह जेबा… तू ने मेरा दिल खुश कर दिया। क्या जवाब दिया है, और उसे चूम लिया।

पिरी अब जैसे मेरे ऊपर अपनी चूचियां से मसाज दे रही थी। पैर से अपनी चूचियां को रगड़ती हुई छाती तक लाती, फिर छाती से रगड़ते हुए पैर तक। बीच में रुक कर चूचियों को मेरे लण्ड पर रगड़ देती। मेरा लण्ड जागने लगा।

पिरी ने कहा- इमरान तुम चुपचाप लेटे रहो। आज मैं तुम्हें सारा मजा खुद दूँगी…” फिर चूचियां को मेरे मुँह में डालने लगी। मैं उसे चूसने लगा। वो बारी-बारी से अपने दोनों चूचुकों चूसवाने लगी। फिर सरकती हुई लण्ड चूसने लगी। अब लण्ड पूरी तरह खड़ा था।

मैंने महसूस किया की जब पिरी को चोदना होता है तो लण्ड कुछ ज्यादा ही मस्ती में आ जाता है। मैंने पिरी को इशारे से कहा की अपनी चूत को मेरे मुँह के पास लाए, और जीभ दिखाकर बताया की मैं चूत को चाटना चाहता हूँ। उसने खुशी से मेरे मुँह पर चूत रख दी। मैंने इससे पहले किसी की चूत नहीं चाटा था। इससे यह साबित होता है की कुछ बातें सीखने की जरूरत ही नहीं होती, अपने आप आ जाती हैं।

पिरी- “आहहाहा… कितना मजा आ रहा है। मैं बता नहीं सकती। इमरान, तुमने मुझे अपना दीवाना बना दिया है। मैं ज़िंदगी भर तुम्हें नहीं भूलूंगी। दूसरे किसी से शादी कैसे करूँगी। आह्ह… तुम्हारी जीभ बुर में गुदगुदी कर रही है। आअहह… आअहह… सस्स्शह…”

यह सब वो सिर्फ़ जीनत को जलाने के लिए कह रही थी। बोली “ये जीनत, देख ना मेरा खसम क्या कर रहा है…”

जीनत जलकर बोली- मूत मत देना मुँह में।

पिरी बोली- “तुम जलती क्यों हो, तुम्हें भी मौका दूँगी। जरा शौहर बीवी का प्यार भी देखो…” फिर वो बोली- “इमरान और बर्दस्त नहीं होता मुझे लण्ड लेना है…”

मैंने पकड़ ढीली की तो वो उठकर मेरे लण्ड पे बैठ गयी। और फिर मुझ पर झुक गयी। और कमर हिलाने लगी। लण्ड बुर में अंदर-बाहर होने लगा। वो मुश्कुराते हुए जीभ बाहर निकालकर मेरे मुँह की तरफ दिखाने लगी। मैं समझ गया और मैंने भी जीभ बाहर निकाल दी और हम दोनों जीभ लड़ाई खेलने लगे। उधर मेरी कमर भी हिल रही थी, ताल-मेल बढ़िया थी। पिरी गाण्ड दबाती मैं कमर उठाता, जिससे एक ठप-ठप की आवाज निकलती। टक्कर जोर से जोरदार होने लगी।

पिरी बोली- “जीनत, जरा ठप-ठप की आवाज सुन, तू इतने में रो देती…” पिरी तू कुछ ज्यादा ही चहक रही है।
जीनत- “जरा गाण्ड में लेके दिखा। तेरे गाण्ड में कितना दम है मैं भी जरा देखूं…”

पिरी ताओ में आ गयी, बोली- “ठीक है। गाण्ड मिली है तो मरवाने से कैसा डर…” वो उठी और घोड़ी बन गयी।
मैं समझ गया। मैंने इस पोजिशन से अभी तक किसी को नहीं देखा था। मैं औरत की गाण्ड की खूबसूरती पहली बार देख रहा था। मुझे तो यह हिस्सा सामने वाले हिस्से से ज्यादा खूबसूरत दिख रहा था। मैं पिरी से बोलना भी चाहटा था की तुम्हारी गाण्ड तो बहुत खूबसूरत है। लेकिन दूसरी लड़कियों की वजह से चुप रह गया।

पिरी- “इमरान, मेरी गाण्ड हाजिर है, मारो मेरी जान…”

मैं सांड़ की तरह उसकी गाण्ड में अपना लण्ड घुसाने लगा। और ताज्जुब हुआ की लण्ड थोड़ा टाइट पर आराम से घुसता चला गया। यहाँ तक की पूरा लण्ड घुस गया

पिरी इससस्स… करने लगी।

जीनत ने कहा- क्यों पिरी नानी याद आई।

पिरी- “नहीं जीनत, यह तो मजे का एहसास है जो तुमने नहीं ली…”

फिर मैंने अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया जितना टाइट जा रहा था मुझे लग रहा था की पिरी को तकलीफ तो जरूर हो रही होगी। लेकिन वो जीनत को दिखाना नहीं चाहती थी।

जीनत ने कहा- “पिरी जल्दी छोड़ो, आज का दिन जेबा के लिए था। तुम सारी रात ले लोगी तो जेबा को क्या मिलेगा…”

पिरी ने पूछा- “तुम्हें नहीं लेना…”

जीनत ने कहा- “नहीं… मैंने अपना हिस्सा जेबा को दे दिया…”

पिरी को जैसे मुँह माँगी मुराद मिल गयी थी। उसने जल्दी-जल्दी गाण्ड पीछे धकेलना शुरू किया। मैं रुक गया और पिरी आगे पीछे होकर खुद ही गाण्ड मरवाने लगी।

जीनत ने कहा- “इमरान, तुम मारो ना रुक क्यों गये…” फिर मैं तेज-तेज धक्के मारने लगा। कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने पिरी की गाण्ड में पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

जीनत बोली- “अच्छा… इमरान थक गया होगा चलो एक खेल खेलते हैं…”

पिरी ने कहा- “इतनी रात को क्या खेल…”

जीनत बोली- “रात वाला ही खेल… इमरान हम तीनों को देखा भी है, छुआ और मसला, और चोदा भी है। हम उसकी आँखों में पट्टी बाँधेंगे। और वो हमारे अंगों को छूकर बताएगा की कौन है। मैं देखना चाहती हूँ की वो कितना पहचान पाता है…”

पिरी बोली- “वाह जीनत… तेरा जवाब नहीं, क्या-क्या आइडिया निकलता है तेरे दिमाग से यार…”

मेरेी आँखों में पट्टी, वो भी पिरी ने अपना दुपट्टा बांधा।

फिर जीनत बोली- “पहले हम इमरान के होंठ पर किस करेंगे। और इमरान बताएगा की किसने किस किया…”
मैंने कहा- ठीक है।

किसी ने आकर मुझे किस किया। मैंने उसके मुँह में जबान डालना चाहा तो उसने नहीं लिया। मैं समझ गया की यह जेबा है।

वो अलग हुई मैंने कहा- जेबा थी।

सबने कहा- बिल्कुल सही।

फिर किसी ने किस किया। किस का तरीका जंगली था।

वो अलग हुई तो मैंने कहा- जीनत।

बिल्कुल ठीक।
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06-27-2017, 11:37 AM,
#5
RE: Sex kamukta पिकनिक का प्रोग्राम
फिर किसीने किस किया। मैंने कहा- “जेबा…” फिर सही था।

फिर किसी ने किस किया। अब इसकी खुशबू और प्यारे अंदाज से मैंने कह दिया- “यह पिरी है…”

जीनत ने कहा- “तुम बिल्कुल सही बोले… अब तुम हमारे दूध यानी छाती को अपने हाथों से मसलोगे और बोलोगे किसका है। कंधा या चेहरे को नहीं छुओगे…”

किसी ने मेरे हाथ को अपनी छाती पर रखा। मैं सहलाने लगा और कह दिया- “पिरी है…” सही…

फिर कोई आया और मेरे हाथों को छाती पर रखा। मैंने कहा- “पिरी है…”

इस बार मैं गलत था, वो जीनत थी।

जीनत ने कहा- कितनी बार और मसलने से जानोगे।

फिर कोई आई। मैंने छातियों को मसलकर कहा- “पिरी है…” इस बार मैं सही था।

फिर कोई आई। मैंने इस बार कहा- “जीनत…” इस बार मैं सही था।

फिर कोई आई। मैंने कहा- “जेबा…” इस बार भी मैं सही था।

जीनत बोली- अब तुम सिर्फ़ हमारे चूचुकों को चूसोगे और कहोगे की किसका है हाथ नहीं लगाओगे… ठीक है…”
मैंने कहा- “हाँ ठीक है…”

फिर किसी ने मेरे होंठ पर अपने चूचुकों को रगड़ा तो मैंने उसे होंठ से पकड़ लिया। अब मेरे लिए मुश्किल था मैं चूसता रहा फिर बोला- “दूसरा दो…” उसने दूसरा दिया तो मैंने कहा- “जेबा…”

लेकिन वो जीनत थी। गलत…

फिर किसी ने चूचुकों को दिया। मैंने कहा- “जीनत…” अब भी गलत, वो जेबा थी।

फिर किसी ने दिया। उसके बदन की खुशबू मुझे बहुत पसंद थी। मैंने कहा- “पिरी…” जो सही था।

अब जीनत ने कहा- अब हम तुम्हारे हथियार को अपने मुट्ठी में लेंगे और तुम बताओगे किसका हाथ है।

फिर मेरे लण्ड को कोई मुट्ठी में लेकर सहलाने लगा। ऊपर से सहलाते हुए अंडों तक आती और वहाँ दबा देती। जब दो बार ऐसा ही हुआ तो मैं समझ गया यह पिरी है। मैंने कहा- “पिरी…”

फिर कोई आई और सहलाने लगी तो उसके कांपते हाथ से मैं समझ गया की वो जेबा है। मैंने कहा- “जेबा…” सही निकला।

फिर किसी ने सहलाया और उसके बेतकल्लुफ अंदाज से मैं समझ गया की वो जीनत है। और वो भी सही था।

अब वो बोली- “इमरान तुम चित होकर लेट जाओ, हम तुम्हारा डंडा चूसेंगे और तुम बताओगे कौन है…”

पहले किसी ने चूसना शुरू किया। चूसने के अंदाज में अनाड़ीपन था मैंने फौरन कहा- “जेबा…”

फिर किसी ने चूसा उसके अंदाज में जाना पहचाना प्यरापन था। मैंने कह दिया- “पिरी…”

फिर जेबा को भेजा गया। मैंने कहा- “जीनत…” जो गलत था।

फिर कोई आया। मैंने कहा- “पिरी…” वो जीनत थी।

जीनत बोली- “अब तुम हमारी चूत चाटोगे और बताओगे की कौन है…”

एक ने चूत मुँह में रखा तो मैंने तुक्का मारा- “जेबा…” जो सही लग गया।

फिर किसी ने चूत दिया तो मैंने बड़ी आसानी से कह दिया- “पिरी है…”

फिर मैंने कहा- “जीनत…” लेकिन वो जेबा थी।

फिर जीनत आई। मैंने ठीक बता दिया।

जीनत ने कहा- “अब तुम्हारा लण्ड भी तैयार है और हमारी बुर भी। अब हम तुम्हारे लण्ड की सवारी करेंगे, और तुम बताओगे की किसने अपनी बुर में लण्ड लिया है…”

फिर कोई आई लण्ड की सवारी करने लगी और अंडों के पास जाकर बुर को कस लिया। फिर ऊपर किया और टट्टों के पास जाकर कस लिया। मैं इशारा समझ गया। मैंने कह दिया- “पिरी है…”

फिर कोई आई लण्ड की सवारी करने लगी। मैंने कहा- “जेबा…” जो ठीक निकला।

फिर कोई आई और लण्ड पर सवार होते ही दे दनादन… मैंने कहा- “जीनत…”

जीनत बोली- “मेरी चूत को ठीक पहचानते हो…”

जेबा ने कहा- “आज अगर सोनम और कोमल भी होती तो कितना मजा आता…”

जीनत बोली- “मैं तैयार हूँ… तू पिरी से पूछ, अगर वो चाहेगी तो फिर कल भी यह खेल खेला जा सकता है। कल भी मेरे अम्मी पापा नहीं रहेंगे…”
पिरी बोली- मुझे भी आज का यह खेल बड़ा अच्छा लगा। लेकिन रोज इमरान को अकेले चार पाँच लड़कियों को चोदना, क्या उसे तकलीफ नहीं होगी…”

जीनत- “तो ठीक है किसी और लड़के को बुला लेंगे। लड़कों की कमी है क्या…”

पिरी बोली- “खबरदार… जो किसी दूसरे लड़के को बताया भी। मैं तेरा खून कर दूँगी। सब लड़के इमरान के जैसे नहीं होते। जरा सा अगर कंधे से धक्का लगेगा तो बढ़ा चढ़ाकर दोस्तों को बताते फिरते हैं की मैंने धक्का मारा। मुझे किसी पर बिल्कुल भरोसा नहीं। कितनी बदनामी होगी जानती भी है…”

जीनत बैठकर चूत में लण्ड अंदर-बाहर करती रही।

तो पिरी ने कहा- “चोदती ही रहेगी क्या…”

जीनत ने कहा- तुम दोनों ने तो चुदवा लिया दिल भरके अब मेरी बारी है।

पिरी बोली- तू तो कहती थी की अपना हिस्सा जेबा को देगी।
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06-27-2017, 11:37 AM,
#6
RE: Sex kamukta पिकनिक का प्रोग्राम
जीनत हँसते हुए बोली- “कहने और करने में फर्क़ होता है…” फिर जीनत ने मेरे गले में बाहें डालकर मुझे ऊपर उठाया। मैं बैठ गया। वो मेरी गोद में बैठी थी, मेरा लण्ड उसकी बुर में घुसा हुआ था। यह एक नया अंदाज था। मैंने उसे पीठ से बाहें डालकर पकड़ लिया था। मेरा मुँह उसके एक चूचुक पर था, और मैं उसे चूस रहा था। वो मेरे सर को सहला रही थी।

पिरी बोली- “जेबा जरा देख कैसे माँ अपने बच्चे को दूध पिला रही है…”

जीनत बोली- “हाँ बेटा, तू दूध पी, इधर का भी पी…”

मुझे भी मजाक सूझी- “मुम्मी तुम उछल क्यों रही हो…”

जीनत बोली- क्या करूँ बेटा, तुम्हारे पापा नीचे से मेरे पेशाब-खाने में डंडा घुसा रहे है ना।

मैं बोला- मुम्मी, पापा बड़े गंदे हैं ना।

जीनत- नहीं बेटा, पापा को गंदा नहीं कहते। पापा ने डंडा-घुसा घुसाके रास्ता बड़ा किया, तभी तो तुम उधर से निकले ना।

मैं बोला- “अच्छा मुम्मी, मैं उधर से निकला हूँ…”

जीनत- हाँ बेटा, और जो तू अमृत पी रहा है ना। यह भी तेरे पापा की मेहनतों का नतीजा है। मैं 18 साल तक लटकाए घूमती रही, एक बूँद भी नहीं निकला। और तेरे पापा ने चूस-चूसकर 9 महीने में इस पत्थर से अमृत की धारा बहा दी। तू पी जी भरके।

पिरी बोली- वाह जीनत, तेरी हाजिर जवाबी का जवाब नहीं। कितनी गहरी बातें कितने गंदे अंदाज से समझा दी। मुझे चोद ना… जरा मुझे भी आक्टिंग करनी है।

मैं समझ गया की एक नया खेल शुरू हो गया है।

जीनत ने दो मिनट माँगा और पानी छोड़कर उतर गयी।

फिर मेरी गोद में पिरी बैठी। लण्ड को बुर में डालकर ऊपर-नीचे होने लगी। मुझे तो उसे गोद में बिठाते ही दिल खुशी से झूम उठा। उसके बड़े-बड़े दूध मेरे मुँह से रगड़ रहे थे। मैंने चूचुकों को चूसना चाहा। तो उसने कहा- “पहले मेरी होंठ को चूसो।

जीनत ने कहा- “तू दूसरी बीवी का रोल कर…”

पिरी बोली- “क्यों… पहली क्यों नहीं…”

जीनत बोली- “पहली में मजा नहीं आएगा। लोग दूसरी पर ज्यादा मरते हैं…”

पिरी बोली- “ठीक है…”

जीनत मन ही मन खुश हुई।

लेकिन पिरी के दिल में कुछ और ही था। वो बोली- “जानू मेरे होंठ कैसे है…”

मैंने कहा- “बहुत मीठे, रसीले…”

पिरी- मैं किस कैसा करती हूँ।

मैंने कहा- गरम बहुत खूब।

पिरी ने पूछा- जानू मैं लण्ड कैसा चूसती हूँ।

मैंने कहा- लाजवाब।

पिरी- “मेरे दूध कैसे दिखते हैं…”

मैंने कहा- गुंबद की तरह बहुत ही खूबसूरत।

पिरी- “तुम इन्हें दबाते हो तो तुम्हें कैसा लगता है…”

मैंने कहा- “बता नहीं सकता कितना मजा आता है।

पिरी- “मैंने तुम्हें जोर-जोर से दबाने से कभी रोका, कहीं लगता है या कुछ कहा…”

मैंने कहा- “नहीं तो…”

पिरी- “तुम इन्हें चूसो फिर बताओ चूसने में कैसे लगते हैं…”

मैंने चूसना शुरू किया वो सिसकारी भरने लगी।

पिरी बोली- “कुछ ज्यादा ही मस्ती में चुटकी में लेकर मसलो, दाँत लगाकर काटो, मैं कुछ नहीं कहूँगी…” उधर लण्ड बुर में अंदर-बाहर होता ही रहा। फिर कहा- “तुमने मुझे कितनी बार चोदा, तुम्हें कैसा लगा…”

मैंने कहा- “बहुत बहुत अच्छा… जितना सोचा था उससे भी अच्छा…”

पिरी बोली- “फिर तुमने आज मेरी गाण्ड भी मारी कैसा लगा…”

मैंने कहा- “बे-इंतेहा मजा आया। मेरे पास अल्फ़ाज नहीं हैं…”

पिरी- “तो फिर उस चुड़ैल के पास क्यों जाते हो, मुँह काला करने…”

अब जीनत की हालत देखने जैसी थी।
मैंने कहा- “तुम जानती हो वो चुड़ैल है। अगर मैं उसके पास ना जाऊँ तो वो हमें बदनाम कर देगी। मैं फँस गया हूँ। बचने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा…”

मेरी बात पिरी समझ रही थी। उसने कहा- “तुम फिक्र ना करो मैं तुम्हें चुड़ैल से बचा लूँगी…” फिर उसने भी पानी छोड़ दिया और उतर गयी।

फिर जेबा बैठी, लण्ड उसकी बुर में घुसा। वो पूछी- “जीनत मैं क्या रोल करूँ…”
जीनत ने कहा- तू बहन का रोल कर।
जेबा ने कहा- सुरुआत कैसे…
जीनत- “तुम दोनों को एक साथ स्कूल जाना है। इमरान तुम बोलो जेबा जल्दी आ। स्कूल बस चली जाएगी…”
मैंने कह दिया।
जीनत- जेबा तू बोल कि भैया मेरी शर्ट का बटन नहीं लग रहा।
मैंने कहा- आ इधर आ देखूं
जेबा- यह देखो भैया, इस तरह मैं स्कूल कैसे जा सकती हूँ।
मैंने कहा- ला मैं लगा देता हूँ। अरे यह तो नहीं लग रहा दूसरी पहन ले।
जेबा- सब धो दिए थे गीली हैं।
मैंने कहा- जेबा तू अपने दूध को दबा मैं कोशिश करता हूँ।
जेबा- भैया मेरी दूध को दबाओ मैं कोशिश करती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है।
जेबा- “भैया जोर से दबाओ ना डरते हो क्या…”
मैंने कहा- जोर से दबाऊँ तुझे लगेगा नहीं। मैं उसकी दूध को दबाने लगा।
जेबा बोली- बटन लग गया।
मैंने कहा- तो मैं छोड़ दूँ।
जेबा- भैया दबाओ ना अच्छा लगता है।
मैंने कहा- “तू लड़कों से दबवाती है क्या… मैंने सुना है लड़कों के हाथ लगने से दूध जल्दी बड़े होते हैं…”
जेबा- छीः भैया, तुमने पहली बार छुआ है।
मैंने कहा- अब पता चला की लड़कों के दबाने से कितना अच्छा लगता है।
जेबा- भैया देखो बटन टूट गया। अब मैं स्कूल नहीं जा पाऊँगी।
मैंने कहा- मेरा भी दिल नहीं करता स्कूल जाने का।
जेबा बोली- “तो क्या करने का दिल करता है…”
मैंने कहा- “तेरा दूध दबने का…” और मैंने उसके दूध दबाने शुरू कर दिए। फिर कहा- “शर्ट निकाल ना…”
जेबा- तुम निकाल दो।
मैंने बटन खोले और शर्ट निकाल दिए, और कहा- “बाप रे बाप… जेबा तेरा इतना बड़ा हो गया… मैंने गौर ही नहीं किया। घर में तरबूज का पेड़, और मैं दूसरों के खेत में ताँक-झाँक करता रहा…” और मैं दूध दबाते-दबाते उसके चूचुकों को पीसने लगा।
जेबा सिसकारी भरने लगी- “भैया जल रही है चूसो…”
मैंने झट से चूचुकों में मुँह लगा दिया और बारी-बारी से दोनों चूचियों को चूसने लगा। वो मेरे पैंट के ऊपर से मेरे लण्ड को सहलाने लगी।
जेबा- भैया तुम्हारा केला भी तो बहुत बड़ा हो गया है।
मैंने कहा- “खाएगी क्या…”
जेबा- हाँ खाऊँगी। जानते हो भैया मेरी सभी सहेलियां अपने-अपने भाइयों का केला खा चुकी हैं।
मैंने कहा- मम्मी आ जाएंगी तो।
जेबा- भैया भूल जाओ मुम्मी को, मुम्मी खालू से चुदवाये बिना नहीं आती।
मैं- छीः मुम्मी के बारे में ऐसा बोलती है तुझे शरम नहीं आती।
जेबा- भैया तुम मुम्मी के बारे में नहीं जानते वो खालू, फूफा और दोनों चाचा से और कई बार मेरे ट्यूशन मास्टर से भी चुदवा चुकी हैं।
मैं- “क्या बकती है…”
जेबा- बकती नहीं मैंने देखा है। जब मैं 6 साल की थी, मुझे लेकर एक दिन खाला के घर गयी थी। रात में हम सोए थे पलंग अजीब तरह से हिलने लगा, तो मेरी आँख खुल गयी। मैंने पहले सोए-सोए देखा तो खालू मुम्मी के ऊपर चढ़े हुए थे और मुम्मी का दूध चूस रहे थे, कमर ऊपर-नीचे कर रहे थे। मैं उठकर बैठ गयी और खालू को धकेलने लगी।

तो मुम्मी बोली- जेबा तुम सो जाओ।
मैंने कहा- मुम्मी, खालू तुम पर क्यों चढ़े हैं।
मुम्मी बोली- चढ़े नहीं हैं, मेरा बदन दर्द कर रहा था ना। इसलिए दबा रहे है।
जेबा- “दूध क्यों पी रहे हैं…”
मुम्मी- देख मेरे दुधू कितने बड़े-बड़े हैं। जब मैं चलती हूँ, काम करती हूँ तो हिल-हिल कर दर्द कर जाते हैं। इसलिए उसे दबाकर चूसने से दर्द भी चूस लेते हैं।
खालू बोले- जब तेरा दुधू बड़ा हो जायेगा तो तेरा दूल्हा भी इसी तरह दुधू दबाकर चूसेगा। तुझे बड़ा मजा आएगा। और जानती हो खाला को सब पता है।
मैंने कहा- मुझे पेशाब जाना है।
तो खाला दूसरे पलंग से उठकर आ गयी, बोली- “चल मैं ले जाती हूँ…” पेशाब करके आने के बाद उन्होंने मुझे अपने पास सुला लिया, और खालू के ऊपर चादर डाल लिया।
मैं- फिर फूफा से किस तरह चोदाया मुम्मी ने। वो तो दाढ़ी वाले पक्के मुसलमान हैं।
जेबा- तो क्या हुआ… मुम्मी के हुश्न के सामने वो भी बोल्ड हो गये। हाँ उन्हें मनाने के लिए मुम्मी को काफी मेहनत करनी पड़ी। एक बार फूफा दिन के दस बजे घर आए। मुम्मी देखते ही चहक उठी। उन्हें अंदर लाकर बिठाया।
फूफा बोले- “बेबी ने कुछ दिया है, आप लोगों के लिए। मैं एक काम के सिलसिले में आया था। काम हो गया बस दूसरी बस पकड़कर निकलूंगा…”
मुम्मी बोली- ऐसे कैसे निकल जाएंगे। इतनी गर्मी में बेबी क्या बोलेगी की हमने रोका नहीं… आप नहा लीजिए फिर आराम करिए खाना खाकर फिर चले जाइएगा।
फूफा नहीं नहीं कहते रहे।
पर मुम्मी तौलिया लेकर उनके पास खड़ी हो गयी- “आप कपड़े बदलिए, मुझे कुछ नहीं सुनना। आप खाना खाए बगैर नहीं जा सकते…”
फूफा मजबूरन कपड़े बदलकर तौलिया लपेट लिए। तौलिया भी बहुत छोटा था। जिससे उनके घुटनों के ऊपर तक ही छुपता था।
फिर मुम्मी एक क्रीम लेकर आईं और बोली- “आप स्टूल पर बैठिए। मैं क्रीम लगा देती हूँ। जब आप नहाकर आइएगा तो देखिएगा कितना आराम मिलता है। और क्रीम हथेलियों में मलकर फूफा को लगाने बढ़ीं।
तो फूफा बोले- मुझे दीजिए ना, मैं लगा लूँगा।
मुम्मी बोली- “आपका हाथ सारे बदन में नहीं पहुँचेगा। हम औरतों का काम है सेवा करना, करने दीजिए ना…” फिर मुम्मी ने उनकी पीठ पर क्रीम लगाई। उनके कंधों को मसाज करने लगीं और कमर तक आ गईं, और कहा भाई साहब कितने ऊपर से तौलिया बाँधे हो जरा ढीला तो करो।
फूफा को मजबूरन ढीला करना पड़ा। मुम्मी उनकी कमर और फिर उससे नीचे तक क्रीम लगाने लगीं। जिससे फूफा अब गरम होने लगे थे, फिर खड़ी होकर उनकी एक बाजू को अपने कंधे पर रखकर बाजू पर क्रीम लगाई। जब बाजू नीचे उतारा तो फूफा का हाथ उनकी चूचियां को छू गया। फिर दूसरा बाजू उठाया तो चूचियों को रगड़कर उठाया। फिर उसे भी क्रीम लगाकर चूचियां से रगड़कर उतारा।
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06-27-2017, 11:37 AM,
#7
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फूफा मस्ती में आ चुके थे। मुम्मी अंजान बनी हुई थी। वो बैठी और फूफा की जांघों में इस तरह क्रीम लगाने लगी, की चूचियां को फूफा के घुटनों में सटा दिया था। और खुद दबा रही थी। दूसरी जाँघ में क्रीम लगाया, तौलिया हटाया तो मुम्मी को फूफा का लण्ड दिख गया। जो अब खड़ा हो ही रहा था।
फूफा ने झट तौलिया ठीक किया।
तो मुम्मी अदा के साथ शर्माते हुए बोली- “भाई साहब, हमसे शरम कैसा हम तो शादीशुदा हैं। यह सब देख चुके हैं। हमें भी तो देखने दीजिए की हमारी ननद का शौहर कैसा है…”
अब फूफा भी बेशरम हो गये और कहा- “सिर्फ़ देखने से काम नहीं चलेगा। इस पर भी क्रीम लगाइए…”
मुम्मी ने कहा- “भाई साहब, मुझे चैलेंज मत दीजिए। मैंने छः महीने से अपने शौहर को नहीं देखा है…”।
फूफा बोले- अच्छा तो यह बात है। ठीक है क्रीम लगाइए।
मुम्मी अब जान गयीं की अब फूफा उन्हें चोदे बिना नहीं छोड़ेंगे। मुम्मी ने क्रीम लिया और फूफा के लण्ड पर लगाने लगीं। फूफा आँखें बंद करके अयाया… अया… करने लगे।
मुम्मी बोली- भाई सब आपका तो बहुत बड़ा है जी।
फूफा बोले- क्यों डर गयीं।
मुम्मी ने कहा- नहीं मैं सोच रही थी की बेबी तो बड़ी नाजुक है, इतना बड़ा कैसे झेलती होगी।
फूफा बोले- छोड़िए ना उसे। अब तक आधा भी नहीं लिया है।
मुम्मी बोली- “क्या आपने अभी तक उसे छोड़ रखा है। वाकई आप बहुत नेक इंसान हैं। कोई और होता तो कब का फाड़ डालता…”
“आप लोगी…” फूफा मुम्मी के चेहरे को अपने हाथों में लेकर बोले।
मुम्मी आँखें बंद करके बोली- बहुत बड़ा अहसान होगा।
फूफा को ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। वो बोले- “इसमें अहसान की क्या बात है। हम रिश्तेदार हैं एक दूसरे के काम आ तो सकते ही हैं…” और उन्होंने तौलिया फेंका और मुम्मी को कंधों से पकड़कर गले लगा लिया। और उनकी गालों को चूमने लगे। पीछे हाथ लेजाकर मुम्मी के कुर्ते की जीप खोली, कुर्ता उतार दिया और मुम्मी की चूचियों को देखने लगे और दोनों हाथों में भर लिया, दबाते हुए चूसने लगे। इतनी जल्दी-जल्दी एक को छोड़ते दूसरे को चूसते की लगता था वो पागल हो गये थे। मुम्मी की चूचियां को देखकर फिर फूफा ने मुम्मी की सलवार का नाड़ा खोलकर मुम्मी को गोद में उठा लिया, और पलंग पर लिटा दिया और चढ़ गये। और मुम्मी की चूचियों को मसलते हुए चूसने लगे।
उनका 9” इंच का लण्ड मुम्मी की बुर से टकरा रहा था। मुम्मी को चुभ भी रहा था। फूफा उठे और मुम्मी की बुर में लण्ड घुसाने लगे।
मुम्मी ने कहा- “अरे अरे क्या कर रहे हैं…”
फूफा घबरा गये- “क्यों… नहीं करना…”
मुम्मी- “जी, करना तो है लेकिन आप तो बिल्कुल अनाड़ी हैं। पहले मुझे अपना लण्ड चुसवाइए तो सही। सूखा लण्ड कैसे जाएगा…”
वो सामने आए और लण्ड का सुपाड़ा मुम्मी के मुँह में डाल दिया और मुम्मी के मुँह को चोदने लगे। मुम्मी की साँस उखड़ने लगी लण्ड हलाक तक जा रहा था।
फूफा अनाड़ी थे उन्हें पता नहीं था की लण्ड कितना मुँह में डाला जाए। मुम्मी ने उन्हें रोका और इशारा किया। फूफा लण्ड निकालकर बुर के पास गये।
तो मुम्मी ने कहा- “बुर को उंगली से फाड़कर थूकिए…”
फूफा ने वैसा ही किया। बुर को फाड़कर थूका जैसे किसी थूकदान में थूक रहे हों। फिर अपने लण्ड को मुम्मी की बुर पे रखकर पेलने लगे। लण्ड घुसता चला गया। मुम्मी एक हाथ फूफा के पेट पर रखकर रोक रही थी। फूफा रुके और पूछा- “और पेलूँ…”
मुम्मी पूछी- “और भी है क्या…”
फूफा बोले- और थोड़ा सा है।
मुम्मी बोली- पेलिए आहिस्ता से।
फूफा ने पूरा लण्ड पेल दिया। मैं पहली बार मुम्मी को डरते हुए देख रही थी। फूफा बिल्कुल अनाड़ी थे मुम्मी ने ही कहा- “मेरी टाँगों को अपने कंधे पर रखिए। और चोदिए मुझे…”
फूफा ने मुम्मी के टाँगों को अपने कंधे पर रखा, और एक बार लण्ड को बाहर निकलकर धक्का दिया। मुम्मी चीख पड़ी अया… फूफा घबरा गये बोले- “क्या हुआ…”
मुम्मी बोली- “बाप रे बाप… आपका लण्ड तो छाती तक आ गया है। आप परवाह मत करिए मारिए धक्का…”
फिर फूफा धक्के मारने लगे। मुम्मी हर धक्के में अयाया… अया… कर रही थी। हर धक्के के साथ उनका पूरा बदन दहल उठता था। पलंग हिल रहा था, लेकिन फूफा जब जोश में आ गये तो फिर नहीं रुके। मुम्मी की आँखों से आँसू के धारा बह रही थी। फूफा चोदते रहे। फिर वो मुम्मी पर गिर गये। और दोनों ने एक दूसरे को चूमना शुरू किया।
मुम्मी बोली- “भाई सब आप तो मस्त चुदाई करते हैं…”
फूफा बोले- “भाभीजान आपकी बुर भी जबरदस्त है। आपकी ननद तो रोना शुरू कर देती है…”
जीनत ताली बजाती हुई बोली- “जेबा यह सच्ची घटना है क्या…”
जेबा बोली- “छीः नहीं…”
और हम सब एक ही बेड पर सटकर सो गये।

एक दिन पिरी ने मुझे ट्यूशन में एक खत सबकी नजरों से बचाकर दिया। मैंने सबकी नजरें बचाकर पढ़ लिया। लिखा था की कल घर के सब लोग मेरे लिए लड़का देखने कोलकाता जा रहे हैं। तुम कल रात मेरे घर रहोगे, अपने घर में कोई बहाना करके आना। मैं परेशान हो गया। इतनी जल्दी पिरी की शादी हो जायेगी। मैंने अपने जज़्बात पे काबू रखा और कल का इंतेजार करने लगा। दूसरे दिन पिरी ट्यूशन नहीं आई। मैं रात के 9:00 बजे पिरी के घर पहुँचा। दरवाजा खटखटाया तो अंदर से एक बहुत ही सेक्सी औरत ने दरवाजा खोला। मैं उन्हें पहचानता था वो पिरी की छोटी भाभी थी। साड़ी में गजब की सुंदर दिखती थी। उन्होंने मुझे अंदर बुलाया
मैंने पूछा- “पिरी है…” मैं दिल ही दिल सोच रहा था की पिरी तो बोली थी घर में कोई नहीं है पर…
उन्होंने एक कमरे की तरफ इशारा करके बताया- “उस कमरे में जाइए जनाब…”
मैं अंदर गया तो देखा एक खातून बुर्क़े में सोफे पर बैठी थी। काले बुर्क़े में उनके गोरे-गोरे हाथ ही दिख रहे थे। मुझे देखकर आदब कहा।
कहने का अंदाज अलग था मैंने जवाब दिया। और फौरन आवाज पहचान लिया यह तो पिरी है। मैंने कहा- “पिरी तुम हो…”
वो उठकर आई और मेरे गले से लिपट गयी।
मैंने कहा- तुम्हारी भाभी।
पिरी ने कहा- डरो मत सेट्टिंग है।
मैंने अब खुलकर उसे अपने सीने से चिपका लिया। उसकी बड़े-बड़े चूचियां मेरी छाती से पिसी जा रही थीं। अनोखा अहसास था बुर्क़े में। किसी को गले लगाना क्या होता है, मैं पहली बार महसूस कर रहा था। मैंने उसके नकाब को उलट दिए, उसकी होंठ चूमने, फिर चूसने लगा और हाथ उसकी पीठ पर फेरने लगा। मुझे महसूस हुआ बुर्क़े के अंदर पिरी ने कुछ नहीं पहना।
मैंने पुख़्ता करने के लिए पीछे से बुर्क़ा उठाना शुरू किया और उसकी गाण्ड के ऊपर करके नंगी गाण्ड को सहलाते हुए कहा- “पिरी तुम अंदर कुछ नहीं पहना…”
उसने शरारत भारी मुश्कुराहट के साथ कहा- “जरूरत है क्या…”
मैंने कहा- “नहीं, बिल्कुल नहीं। जब मैं आने वाला हूँ तो बिल्कुल नहीं…” और हम किस्सिंग करने लगे।
उसने कहा- तुम सोफे पे बैठो। मैं चाहती हूँ की तुम मुझे देखकर मुट्ठी मारो। देखना है मैं अपनी अदाओं से तुम्हारा पानी निकाल पाती हूँ की नहीं।
मैं सोफे पे बैठ गया। उसने म्यूजिक लगा दिया। हल्की आवाज में वो बुर्क़ा पहने हुए लहराने लगी। कभी कूल्हे मटकाती तो कभी छातियां हिलाती।
मैंने कहा- जरा कबूतरों को आजाद तो करो।
पिरी ने बुर्क़े के चार बटन खोल दिये, अपनी छातियों को बाहर निकाल दिया और हिलाने लगी, बड़ी महारत के साथ हिला रही थी। मेरा पूरा बदन थरथरा रहा था। मैं पैंट के ऊपर से लण्ड को सहलाने लगा। मैंने कहा- “जरा पीछे घूमो, और गाण्ड दिखाओ…”
पिरी घूम गयी, गाण्ड के ऊपर तक बुर्क़े के दामन को उठा दिया और हिलाने लगी। अब मेरा लौड़ा बिल्कुल खड़ा हो गया। वो सामने घूमी और बुर्क़े का आखिरी बटन भी खोल दिया। अब उसकी बुर दिखने लगी। मैं अब लौड़े को पैंट के अंदर नहीं रख सकता था। मैंने जैसे ही पैंट की जीप खोलना चाहा।
पिरी बोली- अभी नहीं… भाभी को आने दो, उनसे खुलवाएंगे। भाभी कहती हैं की सबका एक जैसा होता है। मुझे शादी के लिए मना रही थीं। मैंने कहा इमरान का स्पेशल है। तो उन्होंने कहा दिखना फिर…”
इतने में भाभी ट्रे में तीन ग्लास शरबत लेकर आ गईं और कहा- “सारी… जरा देर हो गयी। चीनी बड़े दाने की थी घुल ही नहीं रही थी…”
पिरी बोली- भाभी अब जरा आप जो देखना चाहती थीं देख लीजिए।
उन्होंने मेरे हाथ में एक ग्लास शरबत का दिया और दोनों ने एक-एक ग्लास ले लिया और पीने लगीं। पिरी खड़ी-खड़ी लहराते हुए पी रही थी। भाभी मेरे करीब सोफे पे बैठी पी रही थीं।
मैंने ही कहा- “भाभी मेरे चीज को आजाद कराईए ना अंदर उसे जगह नहीं हो रही।
भाभी- “अच्छा देखूं तो…” कहकर उन्होंने मेरे पैंट का जिप खोल दिया। और चड्डी को साइड करके लण्ड को बाहर निकाला। और मुँह पे हाथ रखकर हैरत से बोली- “पिरी यह क्या है यार… घोड़े के लण्ड से भी मोटा। इसे तू कैसे लेती है…”
पिरी- अभी लेके दिखाऊगी जरा सब्र तो करो।
भाभी बोली- सच में पिरी तेरी पसंद की दाद देती हूँ। क्या माल फाँसा है। मजा आ गया देख के।
पिरी- भाभी देख के मजा आता है तो सोचो चुदवा के कितना मजा आएगा।
भाभी बोली- मुझे भी मौका मिलेगा क्या…”
पिरी बोली- क्यों नहीं आपके लिए ही तो बुलाया है।
“सच…” कहकर भाभी लण्ड को सहलाने लगीं।
मैं सोफे पर सर के पीछे हाथ करके पिरी के नंगे डान्स का मजा ले रहा था। मुझे भाभी की हरकतों की कोई परवाह नहीं थी। मैं तो पिरी की खूबसूरती को पी जाना चाहता था। जितने दिन वो यहाँ है। मैं उसे हर तरह से एंजाय कर लेना चाहता था। और पिरी भी यही चाहती थी। भाभी अब मेरे पैंट के हुक खोल चुकी थीं। पैंट को मुझसे अलग कर रही थीं। मैं उनकी मदद कर रहा था। पैंट अलग हुआ फिर टी-शर्ट। मैं अब बिल्कुल नंगा था। पिरी भी बुर्क़ा बदन से अलग कर चुकी थी। और अब भी म्यूजिक की धुन में लहरा रही थी। वो अपने बदन की हर एक खूबसूरती को मुझ पर उजागर करने पे तुली थी।
अब पिरी ने मुझसे कहा- इमरान अब जरा मेरी भाभी को अपना हुनर दिख दो। ऐसा की वो ज़िंदगी भर भूल ना पाएं।
तब मैंने भाभी पर तवज्जो दिया, उन्हें अपनी बाहों में जकड़ लिया और उनकी होंठ चूमने लगा फिर चूसने लगा। मेरी बाहों की पकड़ बहुत मजबूत थी। भाभी कसमसने लगी। मैंने और कसकर पकड़ लिया। फिर उनकी छातियों को ब्लाउज़ के उपर से मसलने लगा। भाभी सोफे पर लेट गयीं। मैंने बटन खोले और ब्लाउज़ उतार दिया। फिर ब्रा बिना हुक खोले उठा दिया। छातियां बाहर आ गईं। भाभी की छातियां भी कुछ कम नहीं थीं। पिरी से बड़ी थी लेकिन पिरी की तरह गोल नहीं थी। थोड़ा ढीली और लटकी हुई थीं। मैंने सीधे चूचुक पकड़ लिए और मसल दिया। भाभी तड़प गयी। मैंने फौरन मुँह लगा दिया और दोनों छातियों को मसलता रहा, चूसता रहा।



पिरी चाहे जितनी खूबसूरत हो मुझे मानने में कोई शरम नहीं की अलग-अलग औरत का अलग ही मजा होता है। मैं अब उनकी साड़ी और पेटीकोट खोलने लगा, जो एक मिनट में बदन से अलग हो गयी। मैंने अपनी से दो उंगलियों में थूक लगाया और सीधे भाभी की बुर में घुसाकर आगे पीछे पूरी रफ़्तार में करने लगा। मुझे भाभी को चोदने में कोई इंटेरेस्ट नहीं था। सिर्फ़ जल्द से जल्द उन्हें निपटाना चाहता था।
भाभी तड़पने लगीं। मैं उनकी बुर पर आ गया।, और मुँह लगाकर चाटने लगा। दो मिनट बाद मैंने लण्ड को भाभी की बुर पर रखा और धक्का दिया। मुझे मालूम था शादीशुदा हैं। मैंने एक ही बार में पूरा लण्ड घुसा दिया। भाभी हड़बड़ा कर उठने लगी की भाग जाएंगी। लेकिन मैं उनपर चढ़ गया और चोदने लगा, जैसे किसी दुश्मन को सजा दे रहा हूँ। मैं बहुत ही जंगली अंदाज में चुदाई कर रहा था।
भाभी- “पिरी बचा मुझे… मेरी बुर फट चुकी है। लण्ड छाती तक घुस गया है। तेरी बुर को सलाम करती हूँ। कैसे सहती है तू…”
पिरी- भाभी एंजाय करो।
भाभी- एंजाय क्या करना ज़िंदा बचूँ तो बहुत है।
मैंने कुछ नर्मी बरती और आराम से चोदने लगा।
भाभी भी अब मजा लेने लगीं- “वाह पिरी, आज तूने मुझे औरत होने का शुख दिया।
पिरी- शुख तो कोई और दे रहा है। आप मेरा शुक्रिया क्यों कह रही हो।
भाभी ने मेरी तरफ मुश्कुराते हुए कहा- तेरी वजह से ही तो जनाब मिले हैं। अच्छा बता पिरी, इनका लण्ड खाने के बाद तेरे भैया की पेंसिल को मैं ज़िंदगी भर कैसे लूँगी।
पिरी- वो आप समझें। मुझे यह साबित करना था की सबका एक जैसा नहीं होता।
भाभी- पिरी कह देना कभी-कभी घर आते रहें।
मैं चोदते हुए उनकी बड़ी-बड़ी छातियों को नाचते हुए देख रहा था। सच कहता हूँ ऐसा नजारा अब तक किसी कुँवारी लड़की से नहीं मिला था। मैंने अपने दोनों हाथों में दोनों छातियों को पकड़ लिया और चूचुकों को चुटकी में लेकर मसलने लगा।
भाभी तड़पने लगीं और कहा- मत करो ना, बहुत सरसराहट होती है।
मैंने कहा- आप चुपचाप पड़ी हैं गाण्ड उछालकर चुदिए।
भाभी गाण्ड उछलने लगी। मैंने धक्के बंद कर दिए और भाभी गाण्ड उछालकर खुद ही लण्ड लेने लगीं। मैं उनके चूचुकों को चूसने लगा। फिर मैं भी धक्के मारने लगा। भाभी का बदन अकड़ने लगा, वो मुझसे लिपट गयी और उनकी बुर से पानी बहने लगा।
आअहह… आअहह… उम्म्म्मह… और वो सर्द पड़ गयी।
लेकिन मेरा लण्ड उनकी बुर को बदस्तूर चोद रहा था। पिरी जान चुकी थी भाभी पानी छोड़ चुकी हैं।
पिरी ने कहा- “क्या यार पोजिशन चेंज करो ना।
मैंने लण्ड बुर से बाहर निकाला, भाभी को घोड़ी बनने को कहा।
भाभी बोली- नहीं और नहीं फिर कभी।
पिरी बोली- ऐसा कैसे, आपने उसके लण्ड का साइज देखा, जरा टाइमिंग भी देख लो।
भाभी का भी दिल था वो फिर तैयार हो गयीं, और सोफे पे सर रखकर पैर जमीन पर रखकर गाण्ड ऊपर उठा दिया। मैं खड़ा होकर झट से उनकी बुर में लण्ड धकेल दिया। भाभी की गाण्ड बहुत खूबसूरत थी। मैंने फौरन स्पीड पकड़ लिया। मुझे पिरी पर गुस्सा आ रहा था, और मैं गुस्सा भाभी की गाण्ड पर उतार रहा था। भाभी आ आ करती रही। लेकिन मैं बेदर्दी से धक्के मार रहा था।
पिरी फिर बोली- इमरान जरा भाभी की गाण्ड भी मार ले ना।
भाभी रोने वाली आवाज में बोली- नहीं पिरी मैं मर जाऊँगी, गाण्ड में नहीं। मैंने कभी गाण्ड नहीं मरवाई।
पिरी- तो अब मरवा लो।
भाभी मना तो कर रही थीं लेकिन गाण्ड उठाई हुई थीं। मैंने बुर से लण्ड निकाला और गाण्ड के सुराख में धकेलने लगा। लण्ड बुर के रस में गीला था। फिर भी बड़ी मुश्किल से अंदर जाने लगा।
भाभी- “आह्ह… मर गयी… मर गयी…” कहती रहीं मैं गाण्ड मारने लगा।
फिर पिरी बोली- “इमरान, अपना पानी भाभी की बुर में छोड़ना। मैं चाहती हूँ की भाभी तेरे बच्चे की माँ बनें…”
भाभी चौंकते हुये- क्या… तू अपने घर में दूसरे का बच्चा पैदा करवाना चाहती है।
पिरी बोली- मैं अपने घर में इमरान की कोई निशानी चाहती हूँ।
भाभी बोली- तो तू खुद पैदा कर।
पिरी बोली- मैं भी कोशिश करूँगी। लेकिन दो जने कोशिश करें तो ज्यादा बेहतर होगा।
इतने में मुझे लगा मेरा पानी आने वाला है। मैंने गाण्ड से लण्ड निकाला और भाभी की बुर में डाला और बुर के अंदर पानी छोड़ने लगा। पानी छोड़ने का मजा ही कुछ और होता है। जैसे सारा बदन का रस निचोड़ा जा रहा हो। और उसे लण्ड के सुराख से बुर में डाला जा रहा हो। मैं सोफे पर बैठ गया।
पिरी फौरन मेरे पास आई और मेरे लण्ड को चूसने लगी। लण्ड पर लगे रस को चाट-चाट कर साफ कर दिया। उसे चोदने की खाहिश या उसके हुश्न की जादू से मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा। पिरी सोफे पर मेरे अगल बगल पैर रखकर खड़ी हो गयी, जिससे उसकी बुर मेरे मुँह के सामने थी। मैं समझ गया वो क्या चाहती है। मैं फौरन उसकी बुर जबान से चाटने लगा। वो बुर को मेरे मुँह में दबाने लगी। मैं उसकी बुर में जबान घुसा-घुसाकर चाटने लगा। वो पहले से गरम थी। अब मस्त हो गयी, और मेरे लण्ड पर बैठ गयी। लण्ड पूरा बुर के अंदर चला गया। मेरे कंधे पर बाहें डालकर कमर ऊपर-नीचे करते हुए लण्ड लेने लगी।
मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे गालों को किसी बच्चे की तरह चूमते हुए बोली- “तुम थक गये होगे ना… मैंने रेस्ट भी नहीं दिया और चढ़ गयी। क्या करूँ तुम्हें देखकर सब्र करना मुमकिन ही नहीं होता। तुम आराम से बैठो। मैं तुम्हें जैसा कहोगे, वैसा मजा देने की कोशिश करूँगी…”
वो अपनी कमर को इतने आराम से ऊपर-नीचे कर रही थी, जैसे कोई मेरे लण्ड को मलमल के रुमाल से पकड़कर सहला रहा हो।


कहानी ज़ारी है… …
Reply
06-27-2017, 11:37 AM,
#8
RE: Sex kamukta पिकनिक का प्रोग्राम
पिरी बोली- इमरान, पिछले 6 महीने में तुम्हारा लण्ड तरह-तरह की बुर का पानी पीकर अब और तगड़ा हो चुका है। मेरे खयाल से भाभी को जोड़कर 6 लड़कियां होगीं, या इसके इलावा भी कोई है…”
मैंने कहा- तुम लोगों ने मेरा करेक्टर तो बर्बाद कर ही दिया है। अब तो मुझे जो भी औरत दिखती है उसे चोदने को दिल करता है।
पिरी- “इसका मतलब हमारे इलावा भी…”
मैंने कहा- सिर्फ़ एक।
पिरी- बताओ वो कौन है।
मैं- मेरी मामी।
मामी कि दास्तान
पिरी- “कैसे किया पूरा डीटेल बताओ…” अब वो जोश में आ चुकी थी और जोर-जोर कमर हिला रही थी।
मैंने कहा- “मैं अपने मामा के घर गया था। देखा मामी अकेली हैं। उनकी पाँच साल की एक बेटी है। मामी बड़ी सेक्सी हैं। मेरी नीयत खराब हो गयी। मैंने शाम तक रुकने का फैसला कर लिया। सब जानकारी ले ली। बेटी 1:00 बजे स्कूल से आएगी फिर 3:00 बजे ट्यूशन के लिए चली जाएगी। मामा रात को 10:00 बजे घर आएंगे। हमने रूबी के स्कूल से आने के बाद खाना खाया और उनके बेडरूम में खेलने लगे।
मेरी नीयत की वजह से मेरा लण्ड फूलने लगा था। मैं मामी को दिखाकर अंजन बनते हुए लण्ड को बार-बार अड्जस्ट कर रहा था। 3:00 बजे रूबी ट्यूशन के लिए निकली और मुझसे कहा उसके आने तक रुकूं। उसके जाने के बाद बेड पर आकर लेट गया और लण्ड को जरा सा सहलाकर सख़्त किया। और जरा तिरछा करके लेट गया इस तरह की लण्ड का उभार पैंट के ऊपर से साफ दिखने लगा। मैंने आँख बंद कर लिया, मैं इंतेजार करने लगा। मामी रूबी को दरवाजे पर छोड़कर शायद बाथरूम गयीं। फिर वो कमरे में आ गयीं। मैंने सोने का आक्टिंग किया। मामी अंदर आकर मेरे पास आई, कुछ देर सन्नाटा रहा।
फिर उन्होंने हाथ मेरे माथे पर फेरते हुए कहा- इमरान, सो गये क्या।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया। फिर उनका कांपता हुआ एक हाथ मेरे लण्ड पर गया। मैंने दम साध लिया। वो उसे कपड़े के ऊपर से सहलाने लगीं। लण्ड फौरन खड़ा हो गया। अब पैंट फाड़ने को तैयार था। मामी ने चैन खोला और लण्ड को चड्डी के अंदर से खींचना चाहा। लेकिन मेरे खड़े लण्ड को पैंट का हुक खोले बिना बाहर निकालना मुश्किल था। उन्होंने हुक खोल डाला और लण्ड को बाहर निकाल लिया। और झट से उसपर मुँह लगा दिया और चूसने लगीं। एक मिनट बाद मैंने आँखे खोल दी और देखने लगा। उन्हें होश नहीं था वो पागलों की तरह चूस रही थीं।
मैंने कहा- “मामी…”
उनकी हालत देखने वाली थी। मुँह के अंदर लण्ड था, मेरी तरफ नजरें उठी और शर्म से मुँह मेरी गोद में गाड़ दिए। फिर उठीं और भागने लगीं। मैंने दौड़कर पीछे से पकड़ लिया। मेरा लण्ड उनकी गाण्ड पर दबा हुआ था। मैंने कहा- “मामी प्लीज चूसो ना। बहुत मजा आ रहा था…” मैं लगातार प्लीज प्लीज कर रहा था।
आखिर मामी बोली- अच्छा करती हूँ। किसी को कहोगे तो नहीं।
मैंने कहा- “नहीं करोगी तो कह दूँगा अम्मी से। करोगी तो नहीं कहता…” फिर मैं आकर बेड पर चित लेट गया, लण्ड आसमान की तरफ सर उठाए खड़ा था।

मामी अब मजे ले लेकर बिना डरे चूसने लगीं। कुछ देर बाद मैंने उनकी एक छाती को छूने की कोशिश की तो उन्होंने ने डाँटा- यह क्या कर रहे हो।
मैंने कहा- “आप मेरे सामान से खेल रही हो। मैंने भी आपके सामान से खेलना है…” और उनकी एक छाती को पकड़ लिया और दबाने लगा। दूसरी छाती तक मेरा हाथ नहीं जा रहा था। मैंने उन्हें खींचकर अपनी छाती पर लिटा लिया और पलट गया। अब वो मेरे नीचे थीं। मैं ब्लाउज़ के बटन खोलने लगा।
मामी माना करने लगीं।
मैंने कहा- “मामी, मत रोको… मैं नहीं रुक सकता। मैंने दोस्तों से सुना है की लण्ड खड़ा हो जाए तो लड़की का दूध चूसते हैं…”
मामी फिर भी रोकती रहीं।
तो मुझे कहना पड़ा- “मामी आपने मेरा लण्ड चूसना शुरू किया था। यह बात मैं अम्मी से ना बताऊँ तो आप मेरे लण्ड को पहले जैसा नरम कर दीजिए। और नहीं तो मुझे जो करना है करने दीजिए…”
मामी को मेरा इरादा पता चल गया वो ढीली पड़ गयी। मैंने मौका देखा और ब्लाउज़ के बटन खोल दिए। और चूचियां चूसने लगा। मैं बोला- मामी, आपका दूध बहुत मीठा है। मामी सर एक तरफ किए नाराजगी की आक्टिंग कर रही थीं। मैं लण्ड को उनकी बुर पर रगड़ रहा था, जिससे उन्हें तकलीफ हो रही थी। उन्होंने खुद ही टाँगों को खोल दिए। ताकि लण्ड उनकी टाँगों के बीच में रहे।
मैं मामी की साड़ी उठाने लगा तो मामी फिर एतेराज करने लगीं।
मैंने कहा- मामी मुझे मालूम है अगर दूध चूसने पर लण्ड नरम ना हो तो बुर में घुसते ही दो मिनट में नरम हो जाएगा। बोलो, रूबी के आने से पहले खेल खतम करना है की नहीं।
मामी चुप रही।
मैंने झट उनकी टाँगों के बीच बैठकर साड़ी नाभि के ऊपर उठा दिया। वो टाँगों को जोड़ने की कोशिश करने लगीं। लेकिन मैं बीच में बैठा था फिर उन्होंने अपना एक हाथ बुर पर रख दिया, आँखें बंद थीं, मैंने उनका हाथ हटाया और मुँह लगाकर बुर को चाटने लगा।
मामी ने आँखें खोल दी और कहा- “इमरान तुम यह काम पहले कर चुके हो ना…”
मैंने कहा- नहीं मामी, दोस्तों से सुना है।
मामी- ऐसा हो ही नहीं सकता।
मैं अब उनकी बातों का जवाब ना देकर बुर के अंदर जबान घुसाने लगा और कहा- “मामी आपकी बुर लाजवाब है…” फिर मैं बैठा और लण्ड मामी की बुर के मुँह में रखा।
मामी ने फिर एतेराज किया। बोली- “इमरान, यह तो मत करो ना। बहुत गुनाह होगा…”
मैंने कहा- आप जो लण्ड चूस रही थीं वो क्या सवाब का काम था…” कहकर मैंने लण्ड पर दबाओ डाला और लण्ड घुसता चला गया। एक बच्ची की माँ होने के बावजूद उनकी बुर काफी टाइट थी। मुझे मालूम था उन्हें बड़े प्यार से चोदना है। मैंने वैसा ही किया। पूरा लण्ड अंदर ना घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। मामी ने आँखें बंद कर ली। मैं उनके ऊपर झुक गया और दूध चूसते हुए आहिस्ता-आहिस्ता कमर हिला रहा था।
मामी बोली- इमरान जल्दी-जल्दी मारो, जल्दी खतम करो। रूबी आ जाएगी।
मैंने कहा- आपको तकलीफ होगी। इसलिए आहिस्ता कर रहा था।
मामी बोली- मैं कोई कुँवारी बच्ची हूँ की तकलीफ होगी। बच्चा जन चुकी हूँ। मेरी परवाह मत कर, बस जल्दी खतम कर नहीं तो कोई आ जाएगा।

मैंने स्पीड बढ़ाई, दो मिनट बाद मैं पूरी ताकत से चोद रहा था। मामी तड़प रही थी, वो अब अपना असली रंग दिखा रही थी। मेरे सर को अपनी छाती पर दबा रही थी। दाँत भींच रही थीं, बोली- “राजा चोदो राजा बड़ा मजा आ रहा है…”
मैंने कहा- यह राजा कौन है…”
मामी बोली- मैं रूबी के पापा को राजा कहती हूँ।
मैं- “मामी मजा आ रहा है ना…”
मामी बोली- पूछ मत, बस चोदता रह।
मैंने पूछा- “मामी, मामा से भी इसी तरह मजा आता है…”
मामी बोली- “तोबा करो, उनका पतला छोटा सा और तेरा इतना बड़ा, इतना मोटा। बड़ा मजा आ रहा है…”
इतने में किसी ने दरवाजा खतखटाया।
मामी झट से मुझे एक तरफ धकेलकर बोली- रूबी आ गईं। बाथरूम भागो अपना लण्ड लेकर।
मैं बाथरूम भागा, वो दरवाजा की तरफ। कुछ देर में मामी बाथरूम का दरवाजा खटखटा रही थी- इमरान, दरवाजा खोलो।
मैंने दरवाजा खोल दिया। वो आकर मुझसे लिपट गयी। मेरे लण्ड को पकड़ लिया और सहलाने लगीं, एक टांग उठाकर कमोड पर रख दिया और साड़ी उठाकर बोली- लण्ड बुर में डालो।
मैंने बुर में लण्ड घुसा दिया और खड़े-खड़े चोदने लगा। इस पोजिशन में पहली बार चोद रहा था।
मामी बोली- तुम्हारे मामा के दफ़्तर का पेवन था। कहने आया था की मामा दो दिन के लिए काम से बाहर गये हैं। दो दिन बाद घर आएंगे। रूबी को आने में अभी 15 मिनट देर है, तब तक तुम चोदो मुझे। आज रात तुम ठहर जाओ। कल जाना। रात में जी भरके चोदना…”
5 मिनट बाद मामी का बदन अकड़ने लगा- “उम्म्मह… आअहह… उम्म्म्ममह… आआहह… उनकी बुर ने पानी छोड़ना शुरू किया उम्म्मह… वो मुझसे लिपट गयी, बुर मेरे लण्ड पर दबाती जा रही थीं। उम्म्म्ममह… आआहह… उनकी बदन में लहरें उठ रही थीं। उउउम्म्म्ममह… आआहह…
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
“आअहह… इमरान, बाप रे बाप… कितना पानी निकला है आज। उंह…” वो मुझे चूमने लगीं। मेरे गाल होंठ चूम-चूम के भर डाला। फिर बोली- “इमरान, आज जितना पानी मेरी बुर ने कभी नहीं छोड़ा था। मुझे लग रहा था मेरे बदन का सारा पानी निचुड़कर निकल रहा है। पानी निकलने का शुख भी क्या शुख है… उंह…” फिर चूमा और बोली- “मजा आ गया। बड़ा मजा है रे तेरे लण्ड में…”
अब मैं भी क्लाइमक्स की ओर बढ़ रहा था, मेरी बाहें उनकी कमर के गिर्द जकड़ती जा रही थीं। वो समझती थीं की उन्होंने अपने आपको मेरे हवाले कर दिया था और मेरे सर के बालों पे हाथ फेर रही थीं। मैं घुटने मोड़ करके नीचे से ऊपर की ओर धक्के दे रहा था, जबरदस्त धक्के। फिर मैं भी मामी की बुर के अंदर पिचकारी मारने लगा।
मैंने भी आवाज़ें निकालकर पानी छोड़ा- “हूओंम्म… हूओंम्म… हूंम्म…” इस तरह 7-8 पिचकारी मारी होगी। फिर लड़खड़ा कर खड़ा हुआ। और उनकी कमर छोड़ दी।
मामी मेरे सर पे हाथ फेर कर फिर होंठ चूमकर बोली- मेरा बच्चा, कितना दिल लगाकर चोदता है।
तभी दरवाजा पे किसी ने दस्तक दी।
तभी दरवाजा पे किसी ने दस्तक दी।
मामी बोली- “लगता है की रूबी आ गयी।
मुझे भी लग रहा था। जैसे ही मेरी पकड़ ढीली हुई मामी भागी। दरवाजा खोला तो रूबी थी।
रूबी बोली- “कितना टाइम लगाती हो दरवाजा खोलने में।
मामी- मैं बाथरूम में थी।
रूबी- “भैया हैं…”
मामी बोली- “हाँ… मैं निकली वो बाथरूम में घुसा…” मामी ने रूबी से कहा- “तुम्हारे पापा दो दिन के लिए बाहर गये हैं। मैं इमरान से बोल रही हूँ की रुक जाए। वो नहीं मान रहा। तुम कहो तो शायद मान जाए…”
रूबी जिद करने लगी।
मैंने कहा- अम्मी इंतेजार करेंगी।
मामी ने कहा- हम बाजार चलेंगे पी॰सी॰ओ॰ फोन से काल कर देंगे।
फिर हमारा बाजार और पार्क जाने का प्रोग्राम बना। हम पार्क गये। वहाँ रूबी ने मेरे साथ खूब खेला। मामी को जब भी मौका मिलता, पूछती- “तुमने कहाँ से सीखा। कितनी लड़कियों को अब तक चोद चुके हो…”
मैं टालता रहा। फिर हमने बाहर ही खाना खाया और घर आते ही रूबी सोने चली गई और मुझे उसके पास सोने को जिद करने लगी। मामी ने समझाकर मुझे ड्राइंग रूम में सुलाया। कुछ ही देर में मामी नाइटी पहनकर मेरे कमरे में आ गईं। आते ही रूम का दरवाजा अंदर से बंद किया। और मेरे ऊपर चढ़ गयीं। उनपर मेरे लण्ड ने जादू कर दिया था।
मामी- “इमरान, बताओ ना इतना अच्छा चोदना कैसे सीखा…”
मैंने पिकनिक का सारा वाकिया बता दिया।
मामी बोली- “चार-चार लड़कियों को तीन तीन बार चोदे वो भी एक दिन में… मुझे आज रात कितनी बार चोद सकोगे…”
मैंने कहा- “तीन बार तो जरूर…”
मामी- “ठीक है तीन बार तुम्हारी तरफ से एक बार मेरी तरफ से 4 बार…” मामी ने अपना नाइटी उतार फेंका और कहा- “अब देख लो…”
मैंने कहा- नाइट बल्ब में कुछ दिखता है क्या।
उन्होंने कहा- ठीक है, ट्यूब जला लो।
मैं उठा और ट्यूब जला दिया। मामी चित पड़ी थीं। हाथ फैलाये टांगें फैलाये। यानी सारी खूबसूरती एक साथ दिखाती हुईं। उनके चेहरे पे मुश्कुराहट थी, यानी उन्हें अपने हुश्न पर नाज था। वो सच में खूबसूरत थीं। मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और उनके पैर पकड़के पलंग के किनारे पे खींच लिया। ऐसा की उनकी कमर पलंग के किनारे पे थी। उनकि टाँगों को उन्हें पकड़ा दिया और खुद बैठकर बुर को चाटने लगा। बुर की गहराई तक जबान डालकर चाटने लगा। मामी की दोनों टाँगें छत की तरफ उठी हुई थी। मेरा लण्ड अब और बाहर रहने के लिए राजी नहीं था।
उधर मामी कह रही थी- इमरान, मुझे लण्ड दो जबान नहीं। लण्ड डालो इमरान तुम्हारी जबान भी अच्छी है। लेकिन लण्ड की बात कुछ और है।
मैं भी तैयार था लण्ड बुर में घुसा दिया और शुरू से ही स्पीड बढ़ा दी।
मामी किसी शायर के शेर पे दाद देने जैसा बोल रही थीं- “वाह इमरान वाह… मजा आ गया। मुझे एक शादीशुदा अच्छी तरह चुदी हुई औरत बना दो। सब मुझसे कहते हैं तू चुदती है की नहीं। एक बच्चे की माँ बन गयी लेकिन तेरा बदन तो कुँवारियों जैसा है, गाण्ड फैली नहीं, छाती टाइट की टाइट है। आज सब कुछ ढीला कर दो। जी भरके चोदो…”
मैं ठाप पे ठाप लगा रहा। मैं पलंग के नीचे खड़ा होकर मार रहा था। फिर मैंने मामी से कहा- मामी मेरी कमर पर पैर लपेटिए। और उन्हें खींच कर उठाया और उन्हें अपनी बाहें मेरे गले में डालने को कहा। मैंने उन्हें उठा लिया अब वो मेरे गले में झूल रही थी।
मेरा लण्ड उनकी बुर के अंदर था। मैं उनकी गाण्ड के नीचे हाथ देकर ऊपर-नीचे करने लगा। मामी प्यार से मेरा मुँह चूम रही थी। मामी ने कहा- “मेरा बच्चा मुझे गोद में ले रहा है। कितना प्यारा बच्चा है। इमरान, तुमने मेरा दिल खुश कर दिया।
मैंने शरारत से कहा- मैं सेवा तो आपकी बुर की कर रहा हूँ। दिल कैसे खुश हो गया।
मामी ने कहा- गलती हो गयी बाबा। तुमने मेरी बुर को खुश कर दिया। और कितने पैंतरे जानते हो।
मैंने कहा- मामी यह तो अभी-अभी दिमाग में आया।
उनके ना चाहते भी उनकी पीठ एक दीवार से टकरा गयी। मैंने उन्हें दीवार से सटा दिया। कुछ वजन हल्का लगा। मैं उन्हें उसी तरह दीवार पे सटाकर धक्के मारने लगा। अब धक्के मारना ज्यादा आसान हो गया। और जोरदार पड़ने लगा।
मामी बोली- दीवार गिराने का इरादा है क्या…
मैंने कहा- “नहीं… आपकी गाण्ड को फैलाना है, आप चाहती हैं ना…” मैंने उन्हें दीवार से अलग किया और फिर जोर से दीवार में धक्का दिया, पीछे से दीवार का धक्का सामने से मेरा धक्का।
चार पाँच धक्के के बाद मामी बोली- “आह्ह… इमरान, ऐसे नहीं। ऐसे तो तकलीफ होती है। नीचे घोड़ी बनाके पीछे से चोदते हैं। तभी गाण्ड फैलती है…” दोनों अब तक पशीने से तरबतर थे। पंखा चल तो रहा था लेकिन बदन जल रहा था।
इतने में मामी मुझसे चिपक गयीं- “उउउन्ममम्ममम… उउउम्म्मह… की आवाज के साथ बुर से पानी छोड़ने लगी। मैं भी थक गया था, उन्हें लेकर नीचे फर्श पर चित लेट गया। वो मेरे ऊपर थीं, लण्ड उनकी बुर के अंदर था। वो हाथ से मेरे पशीने पोंछने लगीं, मुझे प्यार करने लगीं।
मामी- “इमरान, मेरा बच्चा कितना खुशी देगा रे मुझे। ले दुधू पी…” कहकर मेरे होंठ में चूचुकों को सटा दिया।
मैं चूचुकों को चूसने लगा, फिर शरारत से कहा- मामी, दुधू नहीं निकल रहा।
मामी बोली- “घूंसे मार, जैसे बकरी का दूध दुहते हैं। वेसे ही दुह…”
मैं दोनों छातियों हल्के-हल्के घूंसे मारने लगा फिर दुहने लगा।
मामी बोल रही थी- “अब चूचुकों को खींच, जैसे बकरी के खींचे जाते हैं…”
मैं वेसे ही खींचने लगा। मुझे पता था ऐसे में मामी को तकलीफ होगी। उनके चेहरे से तकलीफ जाहिर भी थी। वो कमर को गोल-गोल घुमा रही थी लण्ड पर।
मामी- “इमरान, तुझे तकलीफ तो नहीं हो रही है ना। मैं अपना सब कुछ ढीला करवाना चाहती हूँ। चुदी हुई दिखना चाहती हूँ। और सुन किसी से बोलना मत। इस बेहतरीन चुदाई से मैं तेरा बच्चा इसी बुर से पैदा करना चाहती हूँ। बिल्कुल तेरे जैसा बेटा। तेरे मामा अब एक और बच्चा के लिए कह रहे हैं। हम एक साल से किसी एहतियात के बिना चुदाई कर रहे हैं लेकिन अभी तक बच्चा नही ठहरा। मेरी एक सहेली है ना शादी के वक़्त पतली थी। शादी के दो साल बाद दो बच्चों की माँ बन गयी, और चालीस इंच कमर। मैंने पूछा तो उसने बताया की उसका शौहर रोजाना दो बार कूटता है। एक बार आगे से एक बार पीछे से। ऐसे गाण्ड मटका कर चलती है जैसे अभी-अभी चुदवा कर आई है…”
मैं लगातार उनका दूध दुह रहा था। अचानक मुझे लगा मेरे गाल पर एक बूँद पानी का गिरा। मैंने गौर किया तो चूचुकों के मुँह पर सफेद पानी टपक रहा। था मैंने चूचुकों को मुँह में लिया तो वाह… क्या मीठा दूध था… मैंने मामी को बताया तो उन्हें भी ताज्जुब हुआ।
मामी- “वाह इमरान, तू तो पत्थर से भी रस निकाल सकता है रे। निचोड़ डाल सारा रस इससे, अब तेरे सिवा कोई पीने वाला नहीं। मुझे तो लगने लगा है तेरे मामा अब मुझे चोदने से डरने लगें हैं। मुझे एक बार और माँ बनना है, एक लड़के को जनम देना है…” वो अब गाण्ड उछल-उछल के मुझे चोद रही थी।
मेरा बदन अकड़ने लगा मैंने उनकी कमर को पकड़ लिया और उन्हें उठा-उठाकर अपने लण्ड पर धक्के मारने लगा। फिर मेरे लण्ड ने मामी की बुर के अंदर उल्टी करना शुरू कर दिया। फिर सब कुछ थम सा गया। मामी मेरे ऊपर लेटी हुई थी, लण्ड उनकी बुर के अंदर ही था।
मामी बोली- अबकी बार मैं गधी बनूँगी, तुम गधे की तरह चोदना।
मैंने पूछा- गधा ही क्यों…
मामी बोली- क्योंकी गधे का लण्ड दुनियां में सबसे लंबा होता है। एक हाथ से भी लंबा।
मैंने पूछा- “आपने देखा है…”
उन्होंने कहा- हाँ… उसी ने तो 15 साल की उम्र में चुदने के लिए मजबूर किया था।
मैंने कहा- “वो कैसे…”
हमारे गॉव में एक आदमी ने गधे पाले हुये थे, तीन गधी एक गधा। एक बार स्कूल से आते वक़्त एक तालाब के पास मैं और मेरी एक सहेली पेशाब करने बैठीं थीं की उस गधे ने हमारे सामने अपना लण्ड खड़ा कर लिया। पहले हम समझ नहीं पाए की यह क्या है… लेकिन जब वो हमारे बिल्कुल सामने गधी पर चढ़ गया। और उसका लण्ड गधी की चूत में घुस गया। तो हमारी समझ में सब कुछ आ गया की क्या हो रहा है। हम दम साधे देखते रहे।
गधा 4-5 मिनट तक गधी पर चढ़ा रहा। फिर उतर गया। उसका लण्ड बाहर आ गया, लण्ड से रस टपक रहा था। फिर आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड सिकुड़ता चला गया और पूरा खोल के अंदर समा गया। तब हम दोनों की साँस चली। हम दोनों के मुँह से निकला- “इतना लंबा… पूरा अंदर चला गया था…”
हम खिलखिलाती हुई उठीं और घर चलने लगी। रास्ते भर सिर्फ़ उसी की बात होती रही।


कहानी ज़ारी है… …
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06-27-2017, 11:38 AM,
#9
RE: Sex kamukta पिकनिक का प्रोग्राम
फ्लैशबैक से वापस
पिरी ने एक दिन मुझसे कहा- “मैंने घर वालों से कह दिया है की मैं पहले तुम्हारे साथ हनीमून के लिए जाऊँगी फिर किसी से भी शादी कर लूँगी। किसी से भी जहाँ वो चाहें, वरना शादी के दिन मना कर दूँगी। घर वाले डरकर राजी हो गये हैं। हमें सटर्डे को जाना है। तुम अपने घर में कोई अच्छा सा बहाना बना लेना…”
मैं हिचकिचाते हुए राजी हो गया। गोआ में एक होटेल में हमारा कमरा बुक करवा दिया, पिरी के घर वालों ने। वो पिरी के पागलपन के सामने लाचार थे। हम दोनों गोआ पहुँच गये। रात में मस्ती की कमरे के अंदर। सुबह-सुबह समुंदर की तरफ चल दिए नहाने के लिए। पिरी ने बिकिनी पहन रखा था। ऊपर से दुपट्टा डाल लिया था। क्या लग रही थी बिकिनी में… खूबसूरत चेहरा, गोरा रंग, बड़ी-बड़ी चूचियां तनी हुई, गोल-गोल गाण्ड पीछे को उभरी हुई।
मैं उसके सामने बच्चा लग रहा था। खाशकर उसकी गाण्ड का साइज किसी को भी पागल कर देता। हम जिधर से भी गुजरते। मर्द घूम घूमकर उसे घूरते थे। जबकि उनके साथ औरतें थीं। वहाँ विदेशी भी थे। मैंने नजर दौड़ाया तो पूरे बीच में उससे ज्यादा खूबसूरत लड़की कोई नहीं थी, कम से कम मुझे नहीं दिखी। विदेशी भी उसके सामने फीके दिख रहे थे। उसे देखकर कुछ विदेशी काम्प्लीमेंटस भी दे गये “सो ब्यूटीफुल इंडियन” पिरी ने थैंक्स भी कह दिया।
वो इन सब बातों के लिए बिल्कुल तैयार होकर आई थी। हमने समुंदर में घंटो नाहया। हमने पानी में सबके सामने किस किया। मैंने उसकी चूचियां दबाईम चड्डी को साइड करके बुर में उंगली भी डाला। उसे किसी की परवाह नहीं थी। जब हम बुरी तरह थक गये तो अपने होटेल के कमरे में आए।
वो मुझसे लिपट गयी और कहा- आज मैं तुम्हारा रेप करना चाहती हूँ।
हम दोनों बिलकुल नंगे थे। और मुझे बेड पर धक्का दे दिया। और मुझ पर जंप कर दिया। वो मेरे सीने पर सवार हो गयी। मेरे दोनों हाथों को जैसे फिल्मों में औरतों को विलेन पकड़कर खोल देते हैं। फिर उसे किस करने की कोशिश करते हैं। उसी अंदाज में मेरे दोनों हाथ खोलके पकड़ लिए। और मेरे होंठों पर किस करने की कोशिश की।
मैंने भी अपना चेहरा घुमा लिया। उसके होंठ मेरे गाल पर पड़े। मैं खिलखिलाकर हँसने लगा।
उसने कहा- ये लड़के, सीधी तरह से मान जा वरना मुझे और भी पैंतरे आते हैं।
मैंने कहा- तुम्हें जो करना हो कर लो। लेकिन तुम अपने मकसद में कभी कामयाब नहीं होगी।
उसने पीछे हाथ लिया और मेरे अंडों को कसकर पकड़ लिया।
मैं बोला- “आ… अया… लगता है…”
उसने कहा- अब बोल सीधे-सीधे मुझे करने देगा या फोड़ दूं तेरे दोनों अंडे…”
मैं- अया… अया… कर लो जो मर्ज़ी।
वो बोली- “इतनी जल्दी हार मान गये…”
मैंने कहा- हार किसने मानी। खरबूजा अगर खुद छुरी पे गिरना चाहता है तो छुरी का क्या जाता है।
उसने कहा- खरबूजा तो जरूर कटेगा। लेकिन मेरे पास एक जूसर भी है। जिससे केले का जूस निकाला जाता है।
मैं उसकी बात पर हाहाहा हँसने लगा।
वो मुझ पर झुकी और मेरे होंठ पर इतनी जोर से कटा की खून निकल आए। वो बोली- आज मैं तेरा खून पी जाऊँगी। चोदने का बड़ा शौक है ना। आज मैं तुझे इसके लायक ही नहीं छोड़ूंगी…” फिर मेरे होंठ के खून को चाट-चाट कर साफ किया। फिर बोली- अगर तू मेरा नहीं हुआ तो किसी का नहीं हो सकता।
मैं अंदर तक सिहर गया। मेरे चेहरे से हँसी गएब हो गयी। मैं चकित रह गया। वो मेरे पूरे चेहरे को चाट रही थी। बुरी तरह आवाज़ें निकालकर उम्मह… छाप… आँह… छाप… मैं सहम गया था पता नहीं उसकी बातों में कितनी सच्चाई है, कितनी आक्टिंग। मैं कोई हरकत नहीं कर रहा था।
वो समझ गयी कुछ गड़बड़ है। उसने पूछा- “तुम इस तरह खामोश क्यों हो गये…”
मैंने कहा- तुम क्या-क्या बोल गयी, मेरी समझ में कुछ नहीं आया।
उसने मेरी आँखों में देखा जहाँ खौफ नजर आ गया। वो हँसने लगी- हाहाहा… तुम मेरी बातों से डर गये।
मैंने कहा- हाँ बुरी तरह।
वो हाहाहा हँसते हुए- कुछ मेरी आक्टिंग, पूरी हकीकत नहीं…
मैंने कहा- “यह आक्टिंग थी…”
उसने कहा- “और नहीं तो क्या… मैं तुम्हें नुकसान पहुँचाऊँगी, तुमने सोचा भी कैसे…” वो मुझे मारने लगी। तुम्हें नुकसान पहुँचने से पहले मैं अपनी जान ना दे दूँ…”
फिर हमने बड़े प्यार से चुदाई की फिर कपड़े बदलकर खाना खाया। रेस्ट करने के बाद 4:00 बजे बीच पर टहलने के लिए निकले। पिरी ने उस वक़्त सलवार-कमीज, सर में दुपट्टा लिए हुए थी। पानी पूरी खाये और जैसे ही फारिग हुए।
एक अधेड़ उम्र का आदमी मेरे पास आया। और मुझे पिरी से दूर लेजाकर मुझसे कहा- यह लड़की तुम्हारी गर्लफ्रेंड है।
मैंने कहा- “हाँ…”
उसने कहा- बहुत खूबसूरत है।
मैंने कहा- शुक्रिया।
उसने कहा- “एक बार के लिए दस हजार लोगे…”
मैंने कहा- मैं समझा नहीं।
उसने कहा- मेरे मालिक को यह लड़की बहुत पसंद आ गयी है।
मैंने कहा- तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। भागो यहाँ से।
उसने कहा- प्लीज मुझ पर नाराज मत होइए, मैं नौकर हूँ। बीस ले लो।
मैंने झिड़कते हुए कहा- “जाओ यहाँ से। दुबारा कुछ कहा तो इतना मारूँगा की…”
उसने कहा- प्लीज़्ज़ पचास ले लो।
मैं तमाशा बनना नहीं चाहता था। मैं खूद ही उसके पास से चला आया।
पिरी मुझे गुस्से में देखकर पूछी- क्या बोल रहा था वो।
मैं- अरे छोड़ो ना, वो तुम्हें खरीदने को बोल रहा था। मैं हैरत में पड़ गया।
पिरी को गुस्सा आने के बजाए हँसने लगी। पूछा- कितना देगा।
मैंने कहा- पचास हजार देगा।
वो बोली- अरे वाह… मेरी बुर की कीमत पचास हजार।
इतने में वो आदमी हमरे पास मंडराने लगा बोला- एक लाख ले लो।
मैंने उसे फटकारते हुए कहा- तुम जाते हो की।
वो चला गया फिर कुछ देर में आ गया और बोला- दो लाख।
मैंने उसके कालर पकड़ लिए।
उसने हाथ जोड़ लिए और रोनी सी सूरत करके बोला- मेरी पूरी बात सुन लीजिए।
पिरी बोली- ठीक है, जरा भीड़ से अलग चलिए।
मैं मना करता रहा लेकिन पिरी बोली- बात सुनने में क्या हर्ज है।
मैंने कहा- मुझे मालूम है।
लेकिन पिरी ने बात काटते हुए कहा- मुझे जानना है की पूरी बात क्या है। ठीक है।
हम थोड़ी दूर आ गये तो वो बोला- बहन जी मेरे मलिक को आप पसंद आ गई हो।
पिरी ने चौंकने की आक्टिंग करते हुए कहा- क्या मतलब।
बहन जी नाराज मत होइए मेरी पूरी बात सुन लीजिए। फिर मुझे मार डालिए। मुझे तो आज मारना ही है। मुझे सिर्फ़ आप बचा सकती हैं।
पिरी ने कहा- बोलो।
मेरे मलिक को आप किसी भी कीमत पर चाहिए। वरना वो मुझे मार डालेगा। मैं दलाल नहीं हूँ और मेरे मलिक ने मुझसे ऐसा काम कभी नहीं कराया। लेकिन जब आप लोग नहा रहे थे उन्होंने आपको देख लिया, और बेइंतेहा पीने लगे और मुझे बुलाकर कहा की मुझे वो लड़की किसी भी कीमत पर चाहिए।
पिरी ने कहा- किसी भी कीमत का मतलब।
उस आदमी ने कहा- एक लाख, दो लाख, पांच लाख, दस लाख किसी भी कीमत पर।
पिरी को यह मजाक लगा उसने कह दिया- तो ठीक है तुम दस लाख लाओ। मैं तुम्हारी मदद करती हूँ।
उसने कहा- ठीक है, मैं 10 लाख के लिए बात करता हूँ। लेकिन जवान देने के बाद पलट नहीं सकते।
पिरी ने कहा- लेकिन इमरान मेरे साथ रहेंगे।
मैंने कहा- मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगा रहकर। यह तुम क्या कर रही हो।
पिरी ने मेरे गाल पे चुटकी काटते हुए कहा- अरे उसके मलिक का नशा उतार जाएगी 10 लाख सुनकर।
मैंने कहा- “अगर मान गया तो…”
पिरी ने कहा- “थोड़ा नया अनुभव भी लो। कल जब मैं बराबर के लिए दूसरे की हो जाऊँगी तो क्या करोगे…” इसी से पता चल जाएगा। अभी से आदत डाल लो।
फिर उस सख्स ने कहा- मेडम एक साथ सभी नहीं मिलेंगे पहले 5 लाख फिर काम के बाद 5 लाख।
पिरी ने कहा- ठीक है, तुम पैसा हमारे होटेल के कमरे में लेकर आओ।
हम अपने होटेल चले आए वो मुझे चूमने लगी, मुझे मानने लगी और कहा- तुम नाराज हो गये। देखें तो सही एक साथ 10 लाख कैसा होता है।
मेरे भी दिल में 10 लाख एक साथ देखने की लालच जाग उठी थी। मैंने कहा- ठीक है तुम्हारी मर्ज़ी।
उसने मुँह फुलाते हुए कहा- तुम्हारा कुछ नहीं। मैं एक नौकर की मदद कर रही हूँ। कुछ बुराई के साथ कुछ अच्छा भी तो होगा।
इतने में वो सख्स आ गया और हमें एक बैग देकर कहा- मैं रात 8:00 बजे आऊँगा और आप लोगों को ले जाऊँगा।
इतने में वो सख्स आ गया और हमें एक बैग देकर कहा- मैं रात 8:00 बजे आऊँगा और आप लोगों को ले जाऊँगा।

फिर वो 8:00 बजे रात में आया। और हमको सामने वाले 5 स्टार होटेल में ले गया। हमें सीधे डाइनिंग हाल में ले गया। एक टेबल पर एक अरबी शेख बैठा था। उसने हमें खड़े होकर इसतेकबाल किया। हाल में हल्की रोशनी थी, सामने स्टेज पर दो बिल्कुल नंगी लड़कियां पोल डान्स कर रही थीं। अरबी ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। हम डान्स में मगन थे। हमने खाश कर मैंने ऐसा डान्स कभी नहीं देखा था। खाना लगाया गया, हम खाना खा रहे थे। अरबी पी रहा था। फिर खाना खत्म हुआ।

हम अरबी के रूम में आ गये। उसने इशारे से हम दोनों को प्यार करने को कहा।

हम अच्छे बच्चों की तरह किस करने लगे।

फिर उसने कहा कपड़े उतारो। हम एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। जब बिल्कुल नंगे हो गये तो वो खुद पलंग पर सीधा लेट गया। और पिरी से बोला उसके कपड़े उतारे। मैं जल कर रह गया। पिरी फौरन उसके पास गयी। और उसके कपड़े उतारने लगी। उसे पूरा नंगा कर दिया। उसका लण्ड मुझसे थोड़ा छोटा था। लेकिन मोटा था।

उसने कहा लण्ड चूसो पिरी लण्ड चूसने आगी। चाटने लगी। उसके अंडों को भी चाट डाला।

अब उसने कहा पिरी से की उसके लण्ड पर बैठ जाए। पिरी लण्ड पर बैठ गयी जब लण्ड पूरा उसकी बुर में घुस गया तो वो मेरी तरफ देखकर मुश्कुराने लगी।

अरबी ने उसकी दोनों चूचियां को पकड़ लिया और अपने और खींच लिया और चूचुकों चूसने लगा। और इशारे से मुझे पिरी की गाण्ड मारने का हुक्म दिया।

मैं खुश हुआ की चलो मुझे भी मौका मिल रहा है। मैं पिरी के गाण्ड में लण्ड घुसाने लगा। अब पिरी को जोश आने लगा, वो बुर के अंदर के लण्ड को भूलकर मेरे लण्ड का मजा लेने लगी। और जोर-जोर से कमर हिलाने लगी। इससे अरबी बड़ा खुश हुआ। मुझसे कहा बिस्तर पे लेटो, मैं लेट गया।

फिर उसने पिरी को मेरी तरफ पीठ करके मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड में डालने को कहा। पिरी ने मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड में घुसा लिया। फिर उसने पिरी को मेरे ऊपर लिटा दिया जिससे उसकी बुर सामने थी। अरबी ने अपना लण्ड पिरी की बुर में घुसाकर बुरी तरह चोदने लगा।

पिरी ने उउउम्म्म्ममह… उम्म्म्मह… करते हुए पानी छोड़ दिया।

अरबी ने हँसते हुए लण्ड को बाहर निकाला और पिरी की चूत चाटने लगा। फिर मेरा लण्ड गाण्ड से खींचकर बाहर निकाला और पिरी की बुर में अपने हाथ से घुसा दिया। हमारी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। मुझसे कहा चोदो। मैं पिरी के बुर में चोदने लगा।
तभी उसका खतरनाक इरादा सामने आया। वो भी पिरी की बुर में अपना लण्ड घुसने की कोशिश करने लगा। इससे पहले की हम कुछ समझ पाते उसने लण्ड आधा घुसा दिया। हम मना करने लगे तो दोनों हाथ की पाँच पाँच उंगलियां दिखाकर धमकाने लगा 10 लाख दिया है। फिर उसने भी पिरी के बुर में अपना पूरा लण्ड घुसा दिया और आगे पीछे होने लगा।

मेरे लण्ड को तो दुगना मजा आ रहा था। बुर का भी उसके लण्ड के रगड़ने का भी। लेकिन मैं सोचने लगा की पिरी का क्या हाल होगा। एक बुर में दो लण्ड घुस भी सकता है। कभी सुना भी नहीं था, जो आज देख रहा था। पिरी तड़प रही थी मुझे उसपे गुस्सा आ रहा था।

कोई हमदर्दी नहीं थी। अरबी जबरदस्त चुदाई कर रहा था। पिरी की चूचियां को दबोच रखा था। फिर अंदर ही पानी छोड़ दिया। लेकिन लण्ड बाहर नहीं निकाला और पिरी पर गिर गया। मैं भी कुछ देर मैं झड़ गया। फिर कुछ देर में अरबी ने पिरी को हम दोनों के लण्ड को बारी-बारी से चूसने को कहा।

पिरी बड़ी महारत से यह काम कर रही थी। मैं दिल ही दिल में उसे गालियां दे रहा था- साली रंडी।

हमारा लण्ड पिरी की महारत के आगे सीधा खड़ा हो गया। फिर अरबी ने पिरी को सीधे लेटने को कहा और मुझे उसे चोदने को कहा। मैं सोच रहा था- साला पागल तो नहीं, इतने पैसे खर्च करके खुद ना मजा लेकर मुझसे चुदवा रहा है।

तभी अरबी मेरे पीछे आ गया और मेरी गाण्ड के छेद में अपना लण्ड रगड़ने लगा। मैं घबरा गया। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वो बड़ी-बड़ी आँखें निकालकर ऐसे देखा की मैं डर गया। उसने उस आदमी को बुलाया जिसने हमें उस तक लाया था, उससे कुछ अरबी में कहा।

वो आदमी कुछ देर में क्रीम लेकर आया। अरबी ने कुछ क्रीम मेरी गाण्ड के सुराख में लगाया और अपना लण्ड पेल दिया। मुझे तकलीफ तो हुई। लेकिन हम फँस चुके थे। वो पहले तो आहिस्ता आहिस्ता पेलने लगा फिर जैसे जुनून सवार हो गया।

मैं पिरी से लिपट गया। पिरी मेरे सर को सहला रही थी। कान में बोली- “नया मजा कैसा है…”

मैंने उसके कान पर काट लिया। मैंने कभी सोचा भी नहीं था की मेरी भी गाण्ड मारी जाएगी। अरबी मेरी गाण्ड से लण्ड पीछे लेता तो मैं भी पिरी की बुर से लण्ड बाहर लेता। फिर अरबी मेरी गाण्ड में धक्का देता तो साथ में मेरा लण्ड भी पिरी की बुर में घुस जाता।

अब मुझे भी इस नये खेल में मजा आने लगा था। फिर कुछ देर के लिए अरबी शायद थक कर रुक गया लेकिन मैं खुद पीछे होता और अरबी का लण्ड मेरी गाण्ड में घुस जाता और मैं धक्का पिरी की बुर में लगाता तो अरबी का लण्ड मेरी गाण्ड से बाहर हो जाता। वाह क्या ही मजेदार खेल था। मैं अपनी गाण्ड में लण्ड ले भी रहा था और पिरी की बुर में पेल भी रहा था।

दोस्तों कभी किसी दोस्त के साथ यह खेल खेलकर जरूर देखिएगा। अरबी ने पिरी को रात भर में पाँच बार चोदा। जब हम सुबह अपने होटेल में आए। तो साथ में वो सख्स भी आया। और पांच लाख और दे गया। हम अपने बेड पर लेटे हुए थे।

पिरी बोली- “नया कुछ सीखा, एक बुर में दो लण्ड कैसे डालते हैं…” पिरी बोल रही थी- “अपनी बीवी को भी कभी खिला देना। इमरान मजा आ गया तुम ना होते तो मैं कभी झेल नहीं पाती…” फिर मेरे चेहरे की ओर देखते हुए- “वूहह मेरी गाण्ड दुख रही है… अब पता चला चोदने में कितना मजा है और चुदवाने में कितना…”
मैं उसकी ओर लपका और उसे अपनी बाहों में ले लिया।

वो मेरी आँखों में देखते हुए बोली- “आज मेरा इरादा पूरा हो गया। मैंने सोच रखा था। की तुम्हारे इलावा अगर किसी को अपना बदन दूँगी तो बुर का बारह बजाकर दूँगी। आज बारह बज गया। आज मेरी बुर 8 इंच चौड़ी हो गयी…” फिर बड़ी इमोशनल अंदाज में कहा- “इमरान यह सारे रूपए तुम्हारे हैं। तुम चाहे इसे जिस तरह खर्च करना चाहो करो। लेकिन दो-तीन गरीब लड़कियों की शादी जरूर करवा देना…”
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06-27-2017, 11:38 AM,
#10
RE: Sex kamukta पिकनिक का प्रोग्राम
मैंने यह खेल पिरी, जीनत, सोनम, कोमल और जेबा के साथ कई बार खेला। फिर एग्ज़ाम आ गये सब एग्ज़ाम की तैयारी में लग गये। एक शाम 4:00 बजे जेबा मेरे घर आ गयी, कुछ नोट लेने के लिए। घर में मैं अकेला था। उसने पूछ लिया मैंने बता दियाया की सब शादी में गये हैं। तो वो नोट लेना भूल गयी और मेरे गले में बाहें डाल दी और कहा- इमरान तुम सच में मुझसे प्यार करते हो ना।
मैं- मुझे हाँ कहना पड़ा, लेकिन तभी तक जब तक तुम बाकी लड़कियों से जलोगी नहीं।

जेबा- ठीक है अभी तुम सिर्फ़ मेरे साथ वोही सब करो ना। सबके सामने मुझे बहुत शरम आती थी। खुलकर प्यार नहीं किया जाता।

मैंने भी बहुत दिनों से किसी को चोदावा नहीं था। उसकी बातों में आ गया और उसके होंठ चूमने लगा। उसने खुद ही सलवार का नाड़ा खोलकर सलवार गिरा दिया। इमरान जल्दी करो मुझे घर जाना है। मैंने भी नीचे बैठकर सीधे उसकी चूत चाटने लगा। फिर खड़ा हुआ और उसकी कुरती उतार दी। वो मना करती रही लेकिन मुझे पूरी तरह नंगा किए बिना मजा नहीं आता था। वाह क्या छातियां थी… उसकी सभी लड़कियों में सबसे बड़ी थी। सफेद रंग पर गुलाबी चूचुकों को मैं चूसने लगा।

वो लिपटती रही, मेरे सर के बालों को सवांरती रही। मैंने उसे उठाकर पलंग पर लिटाया और उसकी बुर चाटी। वो पागलों की तरह उम्म्म्मह… सस्सिसशह… स्शीसशह… करने लगी। मैंने लण्ड पेल दिया। अब मेरे धक्के थे और उसकी उम्मह… उम्मह… की आवाजें। मैं पेलता गया, वो मजा लेती रही। उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और उसने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। उसको पानी भी सबसे ज्यादा निकलता था। उम्मह… उम्म्मह… करती एक झटका खाती फिर पानी छोड़ती। इस तरह कई झटके खाया और पानी ही पानी। अब तो चोदना म्यूजिकल हो गया था, पच-पच पचा-पच।

मैं पलटा और उससे कहा- अब मेरा पानी निकाल।

वो किसी माहिर चुदक्कड़ की तरह गाण्ड हिलाने लगी। मैं उसके दूध हिलते देखता रहा। उसके दूध के नजारे ने मुझे भुला दिया और मेरे लण्ड ने एक पिचकारी उसकी बुर के अंदर छोड़ दिया। मैं उसे अलग करता उससे पहले ही मेरे लण्ड ने दूसरी बार पिचकारी उसकी बुर में छोड़ दिया।

मैंने उसे नीचे उतारा और उससे कहा- जल्दी जाकर बुर को अच्छी तरह धो।

फिर उसने आकर नोट्स लिए और घर चली गयी।

हम सबने एग्ज़ाम दिए।
15 दिन बाद पिरी की शादी हुई हम सब दोस्त एकट्ठे हुए, पिरी को विदा किया। सबसे ज्यादा खुशी जीनत को हुई। उसने इस तरह कहा- चलो एक गयी।

मैंने उसे घूर कर देखा तो उसने बात बदली- मेरा मतलब था एक का घर बसा। हम लोगों का कब होगा। हाआआं… बनावटी अया भरने लगी।

एक महीने बाद रिजल्ट आ गया हम सब अच्छे नंबर से पास हो गये। मैं कालेज जाने की तैयारी करने लगा।

तभी एक रोज जेबा के अब्बू हमारे घर आए और मेरे अब्बू से कुछ कहने लगे। अब्बू ने अम्मी को चिल्लाकर बुलाया, जैसा वो कभी नहीं बुलाते थे। अम्मी दौड़कर अब्बू के सामने गयी। फिर कहा- कहाँ हैं हमारे साहबजादे… बुलाओ उन्हें।

अम्मी ने मुझे आवाज दिया। मैं अब्बू के सामने आया।

अब्बू ने कहा- जेबा के अब्बू क्या बकवास कर रहे हैं।

मेरी तो जान में जान नहीं रही।

अब्बू बोले- उनका कहना है की तुमने उनकी बेटी को माँ बना दिया है।

मैं बेहोश होने लगा। मुझे और कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मेरी खामोशी मेरे लिए कहर बन गयी। अब्बू उठे और अपनी छड़ी से पीटने लगे। मेरे बदन को कुछ अहसास नहीं हो रहा था।

अब्बू कह रहे थे- निकल मेरे घर से। इस घर में तेरे लिए कोई जगह नहीं।

जेबा के अब्बू बोल रहे थे- इस तरह बात बिगड़ जाएगी। सब्र से काम लीजिए।

अब्बू बोले- आपको इसकी फिक्र है। तो इसे मेरी नजरों से दूर ले जाइए। मेरे सामने रहेगा तो मैं उसे ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा।

जेबा के अब्बू मेरे अब्बू को गुस्से को देखकर डर गये और मुझसे कहा- चलो मेरे साथ, और लगभग घसीटते हुए मुझे घर से बाहर ले गये।

मुझे ना तो कुछ सुनाई दे रहा था और ना दिखाई। मेरे बदन से कई जगह से खून बह रहा था। वो मुझे अपने घर ले गये और डाक्टर को बुलाया। मेरे जख़्मों पे मरहम लगाया। मुझे पलंग पे लिटाया। फिर जेबा को गर्दन से पकड़कर लाया और कहा- देख इसका हाल इसके लिए तू जिम्मेदार है।

जेबा- “अब्बू इससे किसने मारा…” जेबा ने रोते हुए पूछा।

उसके अब्बू ने कहा- इसके अब्बू ने।

जेबा दूर खड़ी रोने लगी- बोली इमरान मुझे माफ कर दो। मेरी गलती की सजा तुम्हें मिली। मुझे तुम्हारे अब्बू के पास ले चलो।

उसके अब्बू बोले- उन्होंने इसे घर से निकाल दिया है। अब रख अपने पास।

कुछ ही देर में मेरे घर से किसी ने आकर खबर दी की मेरे अब्बू को दिल का दौरा पड़ा है। मैं दौड़ा, जेबा के अब्बू मेरे साथ गये। हम हास्पिटल पहुँचे उससे पहले ही मेरे अब्बू ने दम तोड़ दिया। उनके तीजे के बाद मैं जेबा के अब्बू के पास गया और उनसे कहा- की मैं जेबा से शादी करूँगा। आप फिक्र ना करें।

अब्बू के चालीस दिन के बाद मैंने अम्मी से कहा- अम्मी मुझे इजाजत दें की मैं एक लड़की को बदनामी से बचा सकूं।

यह बात जीनत और सोनम और कोमल को भी मालूम पड़ चुकी थी।
मैंने अम्मी से इजाजत लेकर सिर्फ़ काजी और दो गवाहों के बीच जेबा से शादी कर ली और उसे अपने घर ले आया। वो बहुत अच्छी बहू थी। अम्मी-अब्बू के अचानक मौत से टूट चुकी थीं। जेबा अम्मी का बहुत खयाल रखती थी। लेकिन दो महीने बाद उनका भी इंतेकाल हो गया। एक दिन मैं अपना स्कूल बैग टटोल रहा था की मेरे हाथ वो 10 लाख की गड्ढी पड़ गयी। मैंने जेबा से यह नहीं बताया। क्योंकी मुझे शरम आ रही थी। पता नहीं जेबा क्या समझे।

मैंने कुछ बिज़नेस करने का सोचा। मेरे एक रिश्तेदार थे वो हर वक़्त अब्बू के पास रूपए लेकर जाते थे और जमीन वगैरह का बिज़नेस करते थे। मेरे पास भी आए तो मैंने उनसे कहा मैं भी यह बिज़नेस करना चाहता हूँ।
तो वो बहुत खुश हुए और कहा- “मैं भी चाहता था की किसी नौजवान को यह बिज़नेस सिखा दूं। चलो मेरे साथ जमीन दिखा लाता हूँ…” उन्होंने कई जमीनें दिखाईं। मुझे एक जमीन पसंद आई। मैंने उसी 10 लाख में से 7 लाख में वो जमीन खरीद ली। उसे प्लाटिंग करके बेचा, ट्रिपल मुनाफा हुआ। मैंने एक दफ़्तर किराए में लिया और अब्बू के नाम पर साहब एंटरप्राइजस रखा।

शहर में मेरे अब्बू को सब बहुत इज़्ज़त की निगाह से देखते थे। मेरे पास जमीन बेचने और खरीदने दोनों के ग्राहक आने लगे। मैंने कार ले ली, मेरा बिज़नेस दिन दूनी रात चौगुनी तरक़्क़ी करने लगा। एक रोज मैं एक माल में कुछ खरीद रहा था तो जीनत से मुलाकात हो गयी।

मैंने उससे बात करनी चाही तो उसने मना कर दिया। मैंने उसे नहीं छोड़ा और एक रेस्टुरेंत के केबिन में ले गया। वो रोने लगी- तुमने मुझे कभी अहमियत ही नहीं दी। मैं भी इंसान हूँ यार। सबको हँसाती रहती हूँ। एक मजाक बनकर रह गयी हूँ।

मैंने कहा- तुमने कभी खुलकर बताया नहीं।

उसने रोते हुए कहा- यह सब बताई नहीं जाती महसूस किया जाता है।

मैंने कहा- “तुम चाहती क्या हो…”

उसने कहा- अब चाहने से क्या होता है।

मैं- क्यों नहीं होता तुम चाहो तो अब भी हो सकता है।

क्या मतलब मैं कुछ समझी नहीं।

मैं- तुम समझ भी नहीं पाती समझा भी नहीं पाती, तो तुम्हें रोना ही चाहिए।

“क्या तुम मुझसे दूसरी शादी करो गे…”

मैंने कहा- मैं तो मुसलमान हूँ चार शादी कर सकता हूँ।

“उसने कहा सच…”

मैंने कहा- बिल्कुल सच। तुम घर वालों से कहो।

उसने कहा- घर वाले नहीं मानेगे।

मैं- तो फिर कोर्ट मैरेज।

उसने कहा- यही ठीक रहेगा। मैं कल कोर्ट में मिलूँगी।

मैं घर गया और बहुत ही परेशान सा चेहरा बनाकर घूमने लगा। जेबा ने पूछा।

तो मैंने कहा- आज जीनत मिली थी। कैसी उदास उजड़ी सी दिख रही थी। पहचानी भी नहीं जा रही थी। मैंने बड़ी मुश्किल से पहचाना। मुझसे बहुत नाराज थी। कह रही थी ज़िंदगी भर कुँवारी रहेगी। मैंने बहुत पूछा तो कहा वो मुझसे शादी करना चाहती थी। लेकिन मैंने तो शादी कर ली तुमसे।

जेबा बोली- तो क्या आप उनसे भी शादी कर लीजिए। उन्होंने तो मुझे तुमसे मिलाया था। जब हम शादी से पहले एक साथ खेल सकते थे तो शादी के बाद क्यों नहीं।

मैंने जेबा को गोद में उठा लिया और उसे चूमते हुए मैंने कहा- “वाह जेबा, दुनियां तुम्हारी जैसी लड़कियों की वजह से खूबसूरत बनी हुई है…” उस रात मैंने जेबा को जमके चोदा।
मैंने जेबा को गोद में उठा लिया और उसे चूमते हुए मैंने कहा- “वाह जेबा, दुनियां तुम्हारी जैसी लड़कियों की वजह से खूबसूरत बनी हुई है…” उस रात मैंने जेबा को जमके चोदा।

दूसरे दिन मैं और जेबा कोर्ट पहुँचे, कोर्ट में मैंने जीनत से शादी कर ली और जीनत को लेकर घर आए और काजी और दो गवाहों के सामने निकाह भी किया। रात को जेबा ने खुद पलंग सजाया। जीनत जेबा का बार-बार शुक्रिया अदा कर रही थी।

जेबा ने कहा- बाजी हमारी सुहागरात नहीं हुई। मैं चाहती हूँ की आपकी सुहागरात बहुत खूबसूरत हो।

जीनत भी दिलदार थी उसने कहा- “ऐसे कैसे हो सकता है की मैं अकेले सुहागरात मनाऊँ अपनी प्यारी सी सौतन को छोड़कर। आज हम दोनों दुल्हन बनेंगी…” उसने हमारे मैनेजर को बोलकर जेबा के लिए भी एक शादी का जोड़ा मँगवाया।

रात में दोनों एक-एक गिलास दूध अपने हाथों में लेकर कमरे में आईं। दोनों दुल्हन के लिबास में थीं। मैं खुशी से फूला नहीं समा रहा था। जेबा ज्यादा खूबसूरत है या जीनत… मैंने जेबा का गिलास पहले लिया और पी गया। फिर जीनत का गिलास लेकर पीने लगा, अब रुक-रुक कर पी रहा था।

जीनत ने कहा- “जनाब मैं जेबा नहीं हूँ की एक सांस में पी जाओगे…” फिर जेबा ने कहा- “बाजी आप पलंग पर जाएं…”

जेबा बोली- और तू।

जीनत ने कहा- मैं दूसरे कमरे में जा रही हूँ।

जेबा- “चल बुद्धू अब हम दोनों इसके दोनों बाजू सोएंगे…” और ऊपर चढ़ गयी। और मेरे एक बाजू बैठ गयी। जेबा मेरे दूसरे बाजू बैठी।

जीनत बोली- भूल गये क्या की अब भी मैं ही बताऊँ।

मैंने कहा- बताओ ना।

जीनत ने मेरे होंठ पर चूमा। और जेबा से कहा- अब तुम किस करो।

जेबा ने भी किस किया।

अब जीनत ने मेरे शर्ट के बटन खोलने शुरू किए। शर्ट निकाला फिर जेबा से कहा- तुम पैंट तो उतारो।

जेबा बोली- हाँ हाँ।

मुझे लग रहा था की जीनत अब भी खेल के ही मूड में थी। उसे दुनियादारी की परवाह नहीं थी। बोली- “इमरान मेरे कपड़े बहुत भारी हैं। उतार दो सिर्फ़ गहने रहने देना। मैं देखना चाहती हूँ की सिर्फ़ गहने में कैसी लगती हूँ…” मैंने वैसा ही किया। वो उठकर आईने के पास चली गयी। और खुद को निहारने लगी फिर पूछा- “इमरान, यह सब असली सोने के हैं…” तुमने इतना पैसा कहाँ से लाया।

मैं पहले तो हकलाया फिर संभलकर हँसने लगा।

जेबा बोली- बहुत मेहनत करते हैं बाजी। दिन में खाने भी नहीं आते।

जीनत बोली- अब ऐसा नहीं चलेगा। मैं आ गईं हूँ ना। सब ठीक कर दूँगी। शौहर को कैसे मुठ्ठी में रखना है। मैंने किताब में पढ़ा है।

जेबा- बाजी आप सब कुछ पहले से ही पढ़ लेती हैं।

जीनत- पढ़ना पड़ता है डियर। ज़िंदगी जो चलानी है।

मैंने कहा- जेबा ने तो बिना पढ़े ही तुमसे पहले बाजी मार ली।
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