Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
06-16-2018, 12:11 PM,
#11
RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
हुआ ये था कि जैसे ही अंकल अपना लंड दीदी की चूत मे डालने वाला था तभी

दीदी का हाथ साइड मे रखी शराब की बॉटल पर आ गया और उन्होने वो बॉटल अंकल

के सर पर दे मारी थी…दीदी फटाफट अपनी पाजामी पहनने लगी…मैं भी अब वकाई मे

घबरा गया था..सो मैं भी अपने छुपी हुई जगह से बाहर आगेया और दीदी की तरफ़

बढ़ा. मैं जैसे ही झुगी के गेट पर पहुचा..दीदी बाहर आ रही थी फिर वो मेरे

पास आई और बोली अनुज ज़ल्दी चल यहा से…मैने कुछ और नही पूछा और फिर फटाफट

हम वाहा से निकल कर अपने घर आ गये..पर घर आते आते भी मेरे दिमाग़ मे एक

सवाल चल रहा था..कि..आख़िर वो कोन था जो दरवाजे से अंदर झाक कर ये सब देख

रहा था….

"अरे अंजलि तुम्हारा सरवे कैसा रहा आज" चाचा जी रोटी का टुकड़ा तोड़ते

हुए बोले. हम सब रात का खाने खा रहे थे.

"जीई…जी अच्छा था" दीदी हकलाती ज़बान से बोली.

"अरे बेटा तुम इतनी परेशान क्यू लग रही हो..तबीयत तो ठीक है ना तुम्हरी'

चाचा जी दीदी की तरफ़ देखते हुए बोले.

"हाँ..हॅंजी..पापा..जी.. बस मुझे थोड़ा सा सर मे दर्द है" दीदी नज़रे

नीची करती हुई बोली.

" और तुम्हारी गर्दन पर ये निशान कैसा है" चाचा जी दीदी की गर्दन के

निचले हिस्से पर पड़े निशान की तरफ़ इशारा करते हुए बोले. आप लोग तो अब

समझ ही गये होंगे के वो निशान किसने दीदी को दिया था. दीदी तो मानो सुन्न

ही पड़ गयी थी.

"जी वो एयेए…वाहा काफ़ी गंदगी थी इसी वजह से कोई कीड़ा काट गया था" दीदी

निशान को अपने हाथो से छुपाते हुए बोली.

मैं ये सब चुप चाप देख रहा था और खाना खा रहा था.

" भाई. मैने ये भी सुना है तुम्हरे छोटे भाई ने तुम्हारी बहुत मदद की आज

सरवे मे ' चाचा जी मुस्कुराते हुए मेरी तरफ़ देखते हुए बोल रहे थे.

"हा.. बहुत मुदद की मैने ..उस शराबी गंदे बुढ्ढे को अपने जवान बहन थाली

मे परोस कर दे दी थी आज…बलात्कार होता होता बचा था आज दीदी का.."…मैने मन

मन मे अपने आप से कहा.और फिर मैं हल्का सा मुस्कुरा दिया. दीदी सूप पीते

पीते मुझे देख रही थी. मानो कि जान ना चाहती हो कि मैं क्या जवाब दूँगा..

"पापा मेरे सर मे बहुत दर्द हो रहा है मैं दवाई ले कर सोने जा रही हू"

दीदी नॅपकिन से अपना हाथ पोछ्ते हुए बोली और उठी कर उपर रूम मे चली गयी

कुछ देर बाद मैं भी सोने के लिए रूम मे आ गया.

"अनुज तुझसे एक बात पूछूँ..प्ल्स सच सच बताना" दीदी की आवाज़ मेरे कानो मे आई.

रूम की लाइट्स बंद थी और रात के शायद 11 बज रहे थे. मैं डर गया और सोचने

लगा कही दीदी जानती तो नही है कि मैने उनका वो नंगा नाच देखा है.

"आ..हा हाजी दीदी पूछो" मैं झिझकते हुए बोला.

"तूने इतनी देर क्यो लगाई थी वाहा आने मे..और तू कब वापस आया था" दीदी भी

थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली

"मैं तभी तभी ही आया था दीदी"मैने फटाक से जवाब दिया.

"पर तेरे पास कोल्ड ड्रिंक तो नही थी" दीदी बोली

अब मैं फस गया ….मैने अपने आप से कहा . पर फिर मैने समय की गंभीरता को

समझते हुए जवाब दिया " दीदी सभी दुकाने बंद थी ..मैं बहुत घुमा पर कही भी

कोल्ड ड्रिंक नही मिली थी. सो खाली हाथ वापस आ गया ."

दीदी को अब शायद यकीन हो गया था कि मैने वो सब नही देखा था क्योंकि फिर

दोबारा उन्होने कोई सवाल नही किया. और दिन की बात याद करते करते मुझे ना

जाने कब नींद आ गयी पता ही ना चला.

क्रमशः.......................
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06-16-2018, 12:11 PM,
#12
RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अंजाना रास्ता --6

गतान्क से आगे................

अगली सुबह मेरी आँख 9 बजे खुली.मैं बेड पर उठ कर बैठा ही था कि मेरी नज़र

दीदी के बॅड पर पड़े न्यूज़ पेपर पर गयी..हालाकी मैं ज़्यादा न्यूज़ पेपर

पढ़ने का शॉकिन नही था पर फिर भी ना जाने क्यो आज मेरा मन पेपर पढ़ने का

होने लगा. मैं उठा और पेपर लेने के लिए दीदी के बिस्तर की तरफ़ गया और

जैसे ही मैने पेपर की हाइडलाइन पढ़ी तो मेरा सर चकरा गया… मुझे लगा कि

जैसे मैं बेहोश हो जाउंगा.. न्यूज़ पेपर की हाइडलाइन थी " दिन दहाड़े एक

बुढ्ढे आदमी की हत्या.." साथ मे एक फोटो भी छपी हुई थी. फोटो देखते ही

मैं समझ गया कि ये वोही अंकल था जिसके साथ हम कल थे..फिर मैने अख़बार वही

फेक नीचे डाइनिंग रूम की तरफ़ बढ़ चला . और जैसा मैने एक्सपेक्ट किया था

अंजलि दीदी टी.वी मे आती न्यूज़ को बड़े गोर से देख रही थी..उनके

खूबसुर्रत चेहरे का रंग उड़ा हुआ था और पसीने की हल्की हल्की बूंदे उनके

चेहरे पर आई हुई थी..मैं भी दीदी के पास बैठ गया..दीदी तो मानो रोने ही

वाली थी…

"अ..अनुज ये क्या होगया..मैने एक खून कर दिया…" दीदी मेरी तरफ़ देखते हुए बोली

"छ्ह्ह…ऐसे मत बोलो आप.." मैं दीदी के पास सोफे पर बैठता हुआ बोला.

अंजलि दीदी बहुत इमोशनल हो गयी थी.

'अनुज मुझे बहुत डर लग रहा है" दीदी मेरी तरफ़ झुकते हुए बोली मानो कह

रही हो कि मुझे अपनी बाँहो मे ले लो. और मैं ऐसा सुनेहरा मौका कैसे हाथ

से जाने देता.मैने भी अपनी बाँहे खोल डी ..अब अंजलि दीदी मेरी बाहो मे

थी. हालाकी मैं सेक्षुयली एग्ज़ाइटेड नही होना चाह रहा था.पर ऐसा मौका भी

तो बार बार नही आता दीदी अपने नाइट ड्रेस मे ही थी ( लूज़ टी-शर्ट और

पाजामा ) बालो का जुड़ा बना हुआ था.पर मन पर किसका ज़ोर चलता है दीदी के

बदन की गर्मी महसूस करते ही मेरे दिमाग़ मे कल वाला सीन दौड़ गया और मैने

थोड़ी सी हिम्मत कर कर अपना उल्टा हाथ फेलाकर दीदी की पीठ (बेक) पर रख

दिया. मेरा हाथ काप रहा था..पर दीदी को तो मानो कुछ होश ही ना था उनकी

नज़र अब भी टीवी स्क्रीन पर ही थी..मेरा जोश बढ़ने लगा ..मेरे अंदर छुपा

शैतान मुझे बार बार बोल रहा था कि "अनुज तुझे ऐसा मौका दोबारा नही

मिलेगा..फ़ायदा उठा ले इसका…" पर जैसे कि सिक्के के दो पहलू होते है उस

तरह मेरे अंदर भी एक अच्छी आत्मा थी वो मुझे बोल रही थी " नही..ये सब

ग़लत है..ये तेरी बड़ी बहन है..और तेरी बहन कितनी परेशान है ..क्या तू

मदद करने के बजाय उसकी मजबूरी का फ़ायदा उठाएगा " .कुछ मिनिट्स तक मेरे

दिमाग़ मे कस्माकस होती रही.

और जैसा हर बार होता था शैतान जीत गया और मेरी हवस मुझ पर हावी हो

गयी.मैने धीरे से अपना हाथ दीदी की टी-शर्ट के उपर से उनकी पीठ पर फेरना

शुरू कर दिया. इस हरकत का सीधा असर मेरे लंड पर पड़ा और वो खड़ा होने लगा

. मैं अब दीदी की ब्रा स्ट्रॅप्स को उनकी टी-शर्ट्स के उपर से फील कर

सकता था. दीदी का ध्यान तो टीवी पर आ रही न्यूज़ पर था पर अगर कोई तीसरा

आदमी ये सब देख लेता तो उसको पूरा यकीन हो जाता के मैं जिस तरह से दीदी

की कमर को सहला रहा हू उसका मतलब क्या है. सो मैने दीदी से पूछा " चाची

जी नज़र नही आ रही "

"वो..पड़ोस वाली शर्मा आंटी के यहा गयी है..अगले हफ्ते उनके यहा शादी है

ना.." दीदी बोली

अब जब मुझे पता चल गया था कि दीदी और मैं अकेले है तो मेरी हिम्मत बढ़ने

लगी..दीदी का सर मेरे सीने पर रखा हुआ था ..तो मैने अपना मूह थोड़ा नीचे

किया और उनके बालो से आती खुसबु को सूंघने लगा…मेरा राइट हॅंड जो कि दीदी

के बॅक पर था वो अब उनकी लोवर बेक तक पहूच चुका था..दीदी का ध्यान तो

टीवी पर केंद्रित था पर उनका बदन मेरे हाथ की हरकत बखूबी समझ रहा

था..इसका पता मुझे तब लगा जब लोवर बेक से मैने दीदी की टी-शर्ट के छोर (

कॉर्नर) को थोड़ा उठा या और अपना हाथ उनकी नंगी कमर पर रखा. एक हाइ टच मे

दीदी का बदन थोड़ा आकड़ा और उन्होने हल्का सा झटका खाया.मैं डर गया और

मुझे लगा कि शायद अब मेरी चोरी पकड़ी जाएगी पर ऐसा कुछ ना हुआ दीदी थोड़ा

कसमासाई और दोबारा मेरे सीने पर सर रख कर टीवी देखने लगी..इसी दौरान मेरे

हाथ की कोहनी पर मुझे कुछ बहुत नरम नरम महसूस होने लगा. मानो कि कोई

स्पंज मेरी कोहनी से लगा हो. मैने चुपके से नज़रे नीची की तो देखा कि

दीदी की लेफ्ट चूची मेरी कोहनी से लग गयी है..दोस्तो अब आप खुद ही इमॅजिन

कर सकते है मेरी हालत को …ये पहली बार था जब मैने अंजलि दीदी की चूचियो

की नर्माहट महसूस की थी..मैं अब होश और हवास खोने लगा था..दिल कर रहा था

अभी दीदी को अपने बाहो मे कस लू और उनकी इन मदमस्त चुचियो को दबा दबा कर

उनसे रस निकाल लू और फिर उस रस को पी जाऊ. पर दोस्तो आपको तो पता ही है

मेरी किस्मत तो गधे( डोंकी ) के लंड से लिखी है..बेहन की लोदी हमेशा एन

मोके पर धोका दे देती है.

"टिंग टॉंग" दरवाजे की घंटी बज गयी.

दीदी को एकदम से झटका सा लगा और वो फॉरन मुझसे अलग होने के लिए उठी..पर

किसी ने सही कहा है कि बंद घड़ी (क्लॉक) भी दिन मे एक बार सही टाइम बताती

है सो उठते हुए अचानक ही दीदी का हाथ मेरे पाजामे मे खड़े लंड पर लग गया

उनको तो पता नही पर मुझे वो स्प्रश कमौतेजित कर गया.

चाची घर आ गयी थी.

"ये क्या सुबह सुबह मर्डर की ख़बरे सुन रहे हो…..कुछ और काम नही है तुम

भाई बेहन के पास….जब से तुम लोगो की छुट्टियाँ (हॉलिडेज़) पड़ी है ..सारा

दिन टीवी ही देखते रहते हो" चाची सोफे पर बैठते हुए बोली

दीदी किचिन से पानी का ग्लास ले आई थी चाची के लिए. तभी न्यूज़ रिपोर्टर

ने बोला कि खून की वजह धार दार चाकू है . चाकू दिल के आरपार होने की वजह

से ही मौत हुई है" ये न्यूज़ सुनते ही अंजलि दीदी के आँखे चमक उठी थी..और

एक हल्की सी मुस्कुराहट उनके खूबसुर्रत चेहरे पर आ गयी थी. पर इस हादसे

की वजह से दीदी अब काफ़ी चोकस हो गयी थी .जिस खिड़की की वजह से दीदी बहक

गयी थी अब दीदी उस खिड़की को कभी नही खोलती थी चाहे कितनी ही गर्मी हो…और

इसका रीज़न मैं अच्छी से समझता था.
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06-16-2018, 12:11 PM,
#13
RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अगले दो दिन नॉर्मल रहे और कुछ ख़ास्स नही हुआ..तीसरे दिन मैं स्कूल से

घर आया तो मुझे किसी के ज़ोर ज़ोर से हस्ने की आवाज़ आई. आवाज़ उपर रूम

से आ रही थी..मैं उपर जाने लगा . रूम मे पहूच कर मैने देखा की चाची ,

दीदी और रेखा भाभी रूम मे बैठी है और किसी बात पर हसी मज़ाक चल रहा है.

रेखा भाभी हमारे पड़ोस मे ही रहती थी. रूप रंग उनका भी कुछ कम ना था उनकी

उम्र 30-32 के आस पास होगी. उनके पति जतिन किसी MणC कंपनी मे काम करते थे

और अक्सर वो काम के सिलसिले मे बाहर जाते रहते थे. मैने रेखा भाभी के

बारे मे कुछ बाते सुनी थी कि उनका चाल चलन अच्छा नही है पर मुझे ऐसा कुछ

नही लगता था क्योंकि वो मुझसे बड़े अच्छे से बात करती थी और कभी कभी हसी

मज़ाक भी कर लेती थी. उनके रूप रंग को देख कई औरते उनसे जलती थी शायद

उन्होने ही ये अफवाह फैलाई थी. खैर हमारे घर पर कोई भी इन अफवाहॉ पर

ध्यान नही देता था सो हमारे घर भाभी का आना जाना लगा ही रहता था.

"आओ जी मिस्टर शर्मीले कैसे हो…" रेखा भाभी मुझे चिड़ाते हुए बोली.

अब तीन्नो लोग मेरी तरफ़ देख कर हस्ने लगे. मैं शर्मा गया और अपना स्कूल

बॅग अपने बॅड पर रखने लगा..

"भाभी आप मेरे भाई को ऐसे मत चिड़ाया करो…देखो उसका मूह टमाटर की तारह

लाल हो गया है " दीदी मुस्कुराते हुए मेरी वकालत करते हुए बोली.

"ओह..हो क्या प्यार है भाई बेहन का..देखो जी कही मेरी नज़र ना लग जाय"

रेखा भाभी अपने आँखे मतकाते हुए बोली.

"अरे भाई मैं चलती हू ….. अनुज का खाना लगा दो..बेचारा कितना भूका लग रहा

है…." चाची वाहा से उठती हुई बोली.

फिर चाची नीचे चली गयी और मैं भी नीचे बाथरूम मे फ्रेश होने के लिए चला

गया. मैं खाना खा रहा था . दीदी और भाभी उप्पर रूम मे ही थी. तभी चाची

मेरे पास आई और मेरे सर को प्यारसे सहलाते हुए बोली .."बेटा अनुज मैं

शर्मा आंटी के साथ शॉपिंग पर जा रही हू..उनकी बेटी की शादी है ना अगले

हफ्ते" फिर चाची चली गयी. मैं खाना खाकर टीवी देखने लगा फिर तकरीबान 10

मिनट बाद ब्रेक हुआ तो मुझे याद आया कि मुझे कुछ नोट्स की फोटोकॉपी कराना

है सो मैं फटा फॅट उपर रूम की तरफ़ बढ़ चला. रूम का दरवाजा थोड़ा झुका

हुआ था. रूम से आती धीमी धीमी आवाजो ने मेरा ध्यान खिचा

"अरे उसका बहुत लंबा है.." भाभी की आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी.

"सच मे …कितना ..लंबा हाई" दीदी की आवाज़ धीरे से आई.

अब मैं वही रुक गया और कान लगाकर कर सुनने लगा.

"तेरी कभी थुकाइ हुई है .." भाभी दीदी की तरफ़ देखते हुए बोली

. "थुकाइ …कहा पर " दीदी कन्फ्यूज़ होती बोली

तभी रेखा भाभी मुस्कुराइ और उन्होने पाजामी के उपर से दीदी की चूत को

अपने हाथो से दबा दिया और बोली " यहा पर "

दीदी को तो मानो करेंट लग गया अपनी इज़्ज़त पर इसतरह से हमला होते देख वो

सकपका गयी और भाभी का हाथ अपनी चूत से हटाती हुई बोली " क्या करती हो

भाभी….नीचे मम्मी और अनुज है"

"अरे नीचे ही तो है ना …तू डरती बहुत है..अरी मैं जब तेरी उम्र की थी तो

मुहल्ले के सारे मर्दो का लंड खड़ा करवा कर रखती थी. इतनी भरी जवानी को

ऐसे मत बर्बाद कर अंजलि…"

"अच्छा अपनी फिगर बता तू.." भाभी अपने सूट पर से चुननी को हटा साइड मे

रखते हुए बोली.

"जी..34-26-36…" दीदी बोली

"वाह वाह…तुझे मेरी फिगर पता है क्या है…." भाभी बोली

"जीई..नही..और मुझे जाननी भी नही है.." दीदी थोड़ा घबराती हुई बोली

"अरे तू डरती क्यू है मैं तेरी बड़ी बहन की तरह हू…मुझसे तू बाते शेर नही

करेगी तो किससे करेगी पग्ली.."रेखा भाभी दीदी को कन्विन्स करने के कोशिश

करते हुए बोली. मुझसे अब रहा नही जा रहा था और मैने अंदर झाँकना शुरू कर

दिया था साइड से चुपके चुप्पके. रेखा भाभी और अंजलि दीदी आमने सामने बैठी

थी बेड पर .

"तेरे इन्न आमो को किसी ने दबा दबा कर इनका रस पीया है क्या" भाभी ने

अपने दोनो हाथो को टी-सीर्ट के उप्पर से दीदी की तन्नी हुई दोनो चुचियो

पर रख दिया . घबराहट और शर्म से अपने आप ही दीदी के दोनो हाथ अपने खाजने

की रक्षा करने के लिए उठ गये और दीदी ने भाभी का हाथ पक्कड़ लिया..

"अब ये मत बोलना कि तूने इनको अभी तक नही मसलवाया है" भाभी ताना सा मारते हुए बोली.

दीदी को शायद अब जलन होने लगी थी रेखा भाभी की इस बात पर और उनके दिमाग़

मे वो बॅंक वाली और उस बुढ्ढे अंकल वाली बात आ गयी. पर वो ये बात भाभी को

कैसे बताती सो कसमसाकर चुप हो गयी. रेखा भाभी के हाथ अब भी अंजलि दीदी की

दोनो चूचियो पर रखे थे.

"चल कोई बात नही मैं तो हू ना तेरी हिल्प के लिए" और भाभी ने दीदी की

चुचियो को टी-शर्ट के उप्पर से सहलाना शुरू कर दिया. दीदी का गोरा चेहरा

फिर से लाल पड़ने लगा था. हलाकी दूसरी लड़की का हाथ अपने बदन पर ईस्तरह

से चलते देख उनको बड़ा आजीब लग रहा था पर इस से मस्ती की जो लहर पैदा हो

रही थी वो सीधा उनकी टाँगो के बीच छिपी उनकी योनि मे खलबली मचाने लगी थी.

"भाभी..बस करो…नीचे सब है…आहह.इसस्स्शह..…" दीदी की आँखे तो मस्ती मे बंद

होने लगी थी पर उनका दिमाग़ उनको बार बार ये बता रहा था कि वो लोग अकेले

नही है.

"रुक मैं दरवाजा बंद करते हू" भाभी बेड से उठती हुई बोली.

मुझमे भी मस्ती छाने लगी थी और इस मस्ती की खुमारी थोड़ी अलग थी क्योंकि

इस बार दीदी के साथ कोई आदमी ना होकर एक औरत थी..रूम का दरवाजा बंद हो

गया..पर वो कहते है ना जहा चाह वाहा राह..मुझे भी अंदर देखने के लिए के

होल मिल गया था.मैने फटाफट अपना लंड बाहर निकाला और उस पर अपना हाथ

फिराते हुए अंदर झाँकने लगा…अंदर का सीन देखते ही मेरा आधा खड़ा लंड पूरा

खड़ा हो गया..भाभी ने दीदी के दोनो हाथ अपने खरबूजे के आकार वाली चूचियो

पर रखे हुए थे और खुद के हाथ दीदी के आम के आकार वाली चुचियो पर..

"दबा इन्हे.." भाभी बोली

"ये कितनी बड़ी और नरम है भाभी" दीदी भाभी की चूचियो को दबाती हुई बोली

"अरे इन पर ही तो आदमी लोग मरते है ….औरत के बदन पर यही तो आदमी को सबसे

ज़्यादा उत्तेजित करती है " भाभी दीदी की अब तक मस्ती मे आकर फूल चुकी

चूचियो को थोड़ा ज़ोर से दबाते हुए बोली

"आपके पति तो बाहर रहते है…तो….एयेए..आप…" दीदी शायद कुछ बोलन चाहती थी

पर चूप हो गयी.

"शर्मा मत ….तो मैं किस से चुदवाती हू…यही पूछना चाहती है ना तू.." भाभी

के चेहरे पर हवस की मस्ती छाने लगी थी.

चुदाई का नाम सुनते ही दीदी के बदन मे एक झुरजुरी सी हुई..और उनकी चूत

पन्याने लगी..

"हा जीई…" दीदी शरमाती हुई बोली

"देख किसी को बताना मत.. वो हमारी गली के कोने मे जो बिजली की दुक्कान है

ना....जो आदमी वाहा बैठता है…क्या नाम है उसका….हा …जावेद…उससे करवाती

हू…साला बहुत लाइन मारता था मुझ पर…" भाभी बोली

"क्याअ…पर .पर वो तो मुस्लिम है…और आप ब्रामिन" दीदी चोकते हुए बोली.

"अरे पगली तुझे क्या पता ..अरे मुस्लिम आदमी का लंड बहुत तगड़ा होता

है…बड़ा मस्त कर कर चुदाई करते है वो... " और भाभी ने इसी के साथ अपना एक

हाथ नीचे कर अंजलि दीदी के पाजामे मे छुपी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे

वो उसको सहलाने लगी. दीदी की फिर से आँख बंद हो चुकी थी और अचानक ही उनके

मूह से निकल गया.."कितना लंबा है जावेद का….."

दीदी की ये बात सुनते ही रेखा भाभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी और

उन्होने अपना हाथ जो कि दीदी की चूत के साथ खेल रहा था पाजामे के उप्पर

से अपनी मुथि मे कस कर पकड़ लिया और बोली "पूरा गधे (डोंकी) के जितना है

…9 इंच का ".

क्रमशः.......................
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06-16-2018, 12:11 PM,
#14
RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अंजाना रास्ता --7

गतान्क से आगे................

घोड़ी बन-ना अंजलि दीदी को रोमांचित भी कर रहा था और आगे भाभी क्या करने

वाली है उसको सोच सोच कर उनकी लटकती चुचिया सख़्त हो गयी थी और निपल्स

खड़े होने लगे थे…रेखा भाभी मन ही मन खुश हो रही थी कि वो दीदी को

सिड्यूस करने मे कामयाब हो रही है. अंजलि दीदी घोड़ी बनी अपनी चूत को

रेखा भाभी के मुट्ठी मे दबा होने से दीदी के मूह से कराह निकल

गयी''अहह….इस्सह"

"तुझे बटाऊ वो मुझे कैसे चोदता है ". रेखा भाभी भी मस्ती मे आ गयी थी.

दीदी ने कोई जवाब नही दिया और देती भी कैसे उन पर तो सेक्स की खुमारी

छाने लगी थी.तब रेखा भाभी खड़ी हुई और उन्होने अंजलि दीदी को घोड़ी(फीमेल

हॉर्स ) बना दिया . अब रेखा भाभी दीदी के साथ क्या करेंगी ये सब सोचते

सोचते मैं अपने फूल कर सख़्त होते लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने

लगा..दोस्तो मैं जो मस्ती फील कर रहा था उस वक्त मे आपको शब्दो मे बता

नही सकता…. बहुत ही ज़्यादा सेक्सी लग रही थी. उनके उभरे हुए कूल्हे मेरे

खड़े लंड को पागल कर रहे थे. मेरा मन कर रहा था कि अभी अंदर जाकर उनकी

गांद मे लंड डाल कर उनकी सेक्सी गांद मार लू. अब रूम का सीन्न कुछ ऐसा था

कि दीदी झुकी हुई घोड़ी बनी खड़ी थी बॅड पर और रेखा भाभी दीदी की सेक्सी

बॉडी को निहारती निहारती अपने हाथ को अपनी सलवार के उपर से अपनी चूत पर

रख उसको सहला रही थी..मुझे भाभी को ये सब करते देख यकीन हो गया था कि

दीदी का बदन अदमिओ को ही नही बल्कि औरतो को भी उत्तेजित करता है.

"इतनी सेक्सी है तू …ना जाने अब तक तू चूदी क्यो नही….क्या तेरा कोई बॉय

फ्रेंड नही है.." भाभी अपनी चूत को थोड़ा ज़ोर से दबाते हुए बोली

"नही ..भाभी.." दीदी बंद दरवाजे की तरफ देखते हुए बोली..मानो कि ये पक्का

करना चाहती हो कि वाहा कोई उन्हे देख तो नही रहा है. पर उनको क्या पता था

कि कोई और नही बल्कि उनका छोटा भाई ही उनके ये कारनामे देख देख कर मूठ

मार रहा है.

"ज़…ज़ल्दी..बताओ भाभी…जावेद कैसे करता है.." दीदी घोड़ी बने बने ही पीछे

मूड कर देखती हुई बोली.

"बड़ी बेचैन हो रही है…रानी..सच मे अगर मैं कोई मर्द होती तो तुझे आज जम

कर चोदती" भाभी दीदी की तरफ बढ़ती हुई बोली.

फिर वो दीदी के पास बेड पर चढ़ कर घुटनो के बल खड़ी हुई और दीदी की कमर

को सहलाते हुए बोली. " जावेद मुझे घोड़ी बना कर ऐसे मेरी कमर सहलाता है…"

"फिर ऐसे वो मेरे चूतड़ को दबाता है" भाभी अब दीदी के उभरे हुए चुतदो को

दबाने लगी..

दीदी की तो मज़े मे आँखे बंद हो गयी उनके चूतड़ अपने आप ही आगे पीछे

हिलने लगे.. "आअहह..इसस्शह..भाभी….फिर क्या करता है वो…" दीदी अपने बदन

मे करेंट महसूस करते हुए बोली.

फिर रेखा भाभी दीदी के ठीक पीछे आ गयी .

"फिर वो इसको अपने हाथो से सहला सहला कर मसलता है " भाभी दीदी की चूत को

पाजामा के उपर से सहलाते हुए बोली..

रेखा भाभी अब कभी कभी अंजलि दीदी की चूत को अपने मुथि मे भर कर कस कर दबा

भी देती थी..

"और फिर वो पता है क्या करता है.." रेखा भाभी दीदी को तड़पाती बोली

"हाई…रेखा भाभी अब बोलो भी…." दीदी बदहवासी मे अपने झुके बदन को हिलाती बोली.

इसके के साथ भाभी ने पीछी से दीदी के मस्ती मे थिराक्ते चुतदो को उनके

कपड़ो के उपर से ही चाटना शुरू कर दिया और अपने हाथो से वो अपनी चूत को

अपने सलवार के उप्पर से ही सहलाने लेगिइ.

"आहह…भब…भाभी…इष्ह" भाभी की ज़बान अपने चूतड़ की दरारो पर महसूस करते ही

दीदी के होठ खुल गये और एक तेज सिसकारी उनके खुले मूह से निकल गयी.

दोस्तो जितना ये नया अनुभव अंजलि दीदी के लिए अनोखा था उसी तारह मेरे लिए

भी. एक औरत एक लड़की की चूत चाट रही थी हलाकी वो सिर्फ़ कपड़ो के उपर से

ही चाट रही थी फिर भी..मेरे लिए ये नज़ारा बहुत अनोखा था. दोनो हसिनाओ को

सेक्स की ये अनोखी मस्ती चढ़ चुकी थी..और फिर अचानक मैने देखा कि रेखा

भाभी अब दीदी को कमर से पकड़ कर खड़ी हुई और फिर अपने अगले हिस्से ( यानी

अपनी चूत को ) अंजलि दीदी की गांद पर रगड़ने लगी..

"फिर जावेद मेरे साथ ऐसे करता है.." और भाभी अपनी चूत को जोरो से दीदी की

गांद पर रगड़ने लगी'
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06-16-2018, 12:11 PM,
#15
RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अंजलि दीदी तो मस्ती भी खो कर किसी और ही दुनिया मे चली गयी थी..रेखा

भाभी दीदी के बदन को अब बिना हिचाक यूज़ करने लगी.

"सच मे अंजलि तू एक बार उसका लंड ले ले अपने चूत मे ….तेरी ज़िंदगी बन

जाएगी…" कहते हुए रेखा भाभी दीदी के बदन पर झुक गयी ( जैसे की कुत्ता

कुतेया को अपने अगले पेरो से पक्कड़ ता है ..कुतिया की चुदाई के वक्त ).

"आहह..इससस्स….भाभिइ…..ऊहह..मा….भाभी…मे मर जाउन्गी…ऐशह….श्ह्ह्ह्ह" दीदी

मस्ती मे बोली

"फिर वो मेरी चुचियो को ऐस्से कस कस्स कर दबाता है कि मानो की उनका रस

निकालना चाहता हो" भाभी अब झुकी हुई दीदी की लाटकी चुचिओ को टी=शर्ट के

अंदर हाथ डाल कर उतनी ही तेज दबाने लगी..और अब उन्होने घोड़ी बनी दीदी के

चुतदो पर धक्के मारना भी शुरू कर दिया था…..

" क्या तुझे चुदाई के वक्त गंदी गंदी गालिया सुनना अच्छा लगता है…बोल

रांड़..अससह…" भाभी की भी अब आँखे बंद थी पर उनके धक्के अब बहुत तेज होने

लगे थे..

दीदी ने कोई जवाब नही दिया..बस अपना मूह बूँद कर .मस्ती मे आती अपनी आहो

को रोकने की नाकामयाब कोशिस करने लगी. दीदी को जवाब ना देता देख रेखा

भाभी को थोड़ा गुस्सा आया और उन्होने दीदी की चूचियो पर तन चुके निपल्स

को कस्स कर अपनी उंगली से दबा दिया..और बोली…" बेहन की लोदी बोल

नाअ……मज़ा आता है तुझे मर्द से गंदी गंदी गालिया सुनकर "

इस हरकत ने दीदी की चुप्पी तोड़ दी और दर्द और मज़े मे वो बोल उठी."

आहह..भाभी….इतनी ज़ोर से मत दबाओ…हा. हा ..मुझे गंदी गंदी गलिया सुनना

अच्छा लगता है……जब कोई मर्द मुझे गंदी गंदी गालिया देता है तो मेरी चूत

मे एक आजीब सी कसाक उठ जाती है और चूत से पानी आने लगता है "

"चार..चररर .".बेड की आवाज़ के साथ साथ रेखा और अंजलि दीदी की मस्ती मे

आती आवाजो ने रूम को भर दिया था..ये सब देखता एख़्ता मे पागलो की तरह

अपना लंड मसल रहा था…जिस तेज़ी से भाभी अब दीदी को घोड़ी बना कर चोद रही

थी उन झटको से अंजलि दीदी के रेशमी बालो से बना जुड़ा भी खुल गया था और

बॉल एक साइड से होते हुए नीचे बेड पर गिरे गिरे लहरा रहे थे..तभी दीदी के

मूह से एक तीव्र आवाज़ निकली और उनकी टाँगे कापने लगी. दीदी को ऑर्गॅज़म

हो गया था और वो निढाल हो कर बेड पर पीठ के बाल गिर पड़ी थी ..पर भाभी अब

भी नही मान रही थी वो लगातार पीठ के बाल पड़ी दीदी के उपर चढ़ि अब भी

दीदी के चूतादो पर अपनी चूत रगड़ रही थी…दीदी का बदन निर्जीव सा हो गया

था..रुक रुक कर उनके मुहह से बुसस्स 'उः..उः.." की आवाज़ ही आ रही

थी..तभी इतनी भारी रगड़ान से भाभी की फूल चुकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया

और रेखा भाभी ने अंजलि दीदी के बदन को कस कर दबोच लिया….दोस्तो अब इसको

आप मेरी बाद किस्मती कहे या खुशकिस्मती की इस दौरान ये सब देखते देखते

मैं मज़े मे इतना खो गया था कि मुझे ये भी ध्यान नही रहा कि कब मैं

दरवाजा खोल रूम के थोड़ा अंदर घुस गया हू…मुझे अपनी इस नादानी का पता तब

चला जब मेरी नज़र रेखा भाभी की हैरत मे फैली नज़रों से मिली. हालाकी

अंजलि दीदी का चेहरा अब भी नीचे तकिये मे कही छिपा था. मुझे तो मानो ऐसा

लगा कि मेरा शरीर एक पत्थर की मूर्ति बन गया है मैं चाहकर भी हिल नही पा

रहा था ..मेरे पैर वही फर्श पर जाम हो गये थे..अब इसका कारण डर और शाराम

थी या कुछ और….. तभी भाभी की नज़र मेरे चहरे से होती हुई सीधा नीचे मेरे

फूले हुए लंड पर गयी..ना जाने क्यो पर मेरे लंड ने रेखा भाभी को अपनी

तरफ़ इस तारह देखते हुए पाकर एक ज़ोर से झटका मारा . मेरे मूह से तो

मस्ती मे आवाज़ ही निकली पर तभी रेखा भाभी ने अपने होटो पर एक उंगली रख

ली मानो मुझे बोल रही हो कि अभी चूप रहो कोई शोर मत करो

स्थिति की गंभीरता समझते हुए मैने अपनी भावनाओ पर काबोए रखने मे ही

समझदारी समझी. ये सबकुछ इतना ज़ल्दी हो गया था कि मुझे कुछ सुझाई नही आ

रहा था उपर से ये जान कर कि भाभी मेरे नंगे खड़े लंड को देख रही है..एक

आजीब से कसाक मेरे बदन मे फैल्ल रही थी…तभी दीदी का बदन थोड़ा हिला मानो

कि वो होश मे आ रही है…ये सब देख भाभी जो कि अभी भी दीदी के उप्पर लेटी

थी मुझे इशारे से वाहा से जाने के लिए बोलने लगी..डर तो मे भी गया था सो

मैं फटाफट अपनी पॅंट उठा कर उस रूम से बाहर आ गया . मेरा दिल तो मानो

फटने ही वाला था पछले 10 मिनट के दोरान जो कुछ भी हुआ था वो सोच सोच कर.

मैं अभी तक नही ज़्यादा (डिचांज) था सो लंड मे हलचल मोजूद थी. मुझे अब लग

रहा था कि अगर मैने मूठ नही मारा तो मेरे अंदर इकट्ठी हो चुकी

एग्ज़ाइट्मेंट से मे पागल हो जाउन्गा सो मे फटाफट नीचे बाथरूम की तरफ़

भागा मेरा लंड अब भी नंगा लटक रहा था. मेरे ज़ोर ज़ोर से चलने की वजा से

वो काफ़ी जोरो से हिल हिल कर मेरी जाँघो पर लग रहा था. अगले कुछ मिनिट ही

मे मैं बाथरूम मे नगा खड़ा अपने लंड की खाल (स्किन ) को जोरो से आगे पीछे

कर रहा था..ये सोच सोच कर मे रेखा भाभी ने मेरा नंगा लंड देख लिया है मे

पता नही मस्ती मे मैं पागल सा हो रहा था. तभी मैने पायल की छान छान सुनी

..वो पायलो की आवाज़ धीरे धीरे बाथरूम की तरफ़ आ रही थी..और इससे पहले के

मैं कुछ समझ पाता बाथरूम का दरवाजा खुल गया . अब सीन कुछ ऐसा था की मैं

नंगा खड़ा था मेर हाथ मे मेरा मस्ती मे फूला लंड था और गेट पर रेखा भाभी

आ खड़ी हुई थी..

अगले 2 मिंट्स ताक कोई कुछ नही बोला . हम दोनो एक दूसरे की आँखो मे देख

रहे थे. दोस्तो मुझमे तो पता नही कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी थी. तभी भाभी

ने अपना दुपट्टा उतार कर बाथरूम पर लगी खुट्टी (नेल ) पर टाँग दिया और

बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया.. अब रेखा भाभी और मैं अकेले थे

बाथरूम के अंदर रेखा भाभी भी मस्ती मे लग रही थी उनकी मोटी मोटी चुचिया

उपर नीचे होने लगी थी..तभी भाभी आगे बढ़ी और अपने एक हाथ को सीधा मेरे

मस्ती मे पागल हो चुके लंड पर रख दिया..

"थोड़ी देर भी सबर नही हुआ तुझे..है रे कितना गर्म है तेरा..पर छोटा है..

" रेखा भाभी अपनी पतली उंगलियो से मेरा लंड शहलाति हुई बोली.

दोस्तो भाभी के नरम नरम हाथो को स्पर्श अपने गरम लंड पर पाकर तो मैं क्या

बताऊ…बिकुल मस्त हो गया था. और इस मस्ती मे मेरे मॅन से एक आआह भी निकल

गयी'आह..इशह…"

भाभी अब झुक कर नीचे बैठ गयी थी और उनके लो कट सूट से मुझे उनकी गोरी

गोरी मोटी चुचिया नज़र आने लगी.

"मज़ा आया था तुझे वो सब देख कर..बोल ना.." भाभी मेरे लंड पर उपर से नीचे

मालिश करती बोली.

इस मस्ती मे मैं पागल सा हो गया और मेरे मूह से निकला " हा..भाभी" .

मस्ती मे मेरी आँखे बंद हो चुकी थी . मैं तो बस भाभी के नरम नरम हाथो का

जादू अपने लंड पर महसूस कर कर मज़े लेना चाहता था.

"किसी को अपनी बड़ी बहन के बदन से खेलता देखना तुझे अच्छा लगता है

ना….बोल मेरे राजा" भाभी अब एक हाथ को मेरे लंड पर उपर से नीचे घुमाती और

दूसरे हाथ की उंगलियो से मेरे लटके हुए आंडो को मसलती बोली.

" कभी किसी लड़की ने तेरे लंड को पकड़ा है…तूने चोदा है किसी को अभी

तक.." भाभी अपना मूह उपर मेरी तरफ कर मुझे देखते हुए बोली .

मुझसे अब कंट्रोल नही हो रहा था और रेखा भाभी मुझे चिड़ा चिड़ा कर मस्त

कर रही थी.मेरा शैतानी मन मुझे बार बार बोलने लगा कि ऐसा मौका तुझे अब

कभी नही मिलेगा एक मस्त जवान औरत तेरे पास है फ़ायदा उठा ले इसका.. अब

मैं पूरा मस्ती मे आ गया और मुझ मे नज़ाने कहा से ताक़त आई और मैने भाभी

के फटाफट बाल पकड़ कर खड़ा किया और उनको धक्का देकर बाथरूम की दीवार से

लगाया और पागलो की तरह उनसे लिपट कर उनकी मोटी मोटी चूचियो को दबा दबा

भाभी के मूह मे अपनी ज़बान डाल कर उनको स्मूच करने लगा.

मेरी इस हरकत से भाभी पूरी तरह से घबरा गयी थी..वो तो मुझे एक नादान

…शर्मिला सा लड़का समझती थी ..पर मेरे अंदर छुपे हवस के शैतान से वो

अंजान थी. शिकारी अब खुद शिकार बनने वाला था.रेखा भाभी अपने हाथो से मुझे

अपने बदन से हटाने की कोशिस करने लगी पर मेरे अंदर के हवस के शैतान की

ताक़त का सामने उस बेचारी औरत की कहा चलने वाली थी.. ये पहला वक्त था जब

मैने किसी औरत के मदमस्त जिस्म को अपने कवारे बदन पर महसूस किया था…इस कश

म कश मे कभी मेरा लंड रेखा भाभी के पेट पर लगता तो कभी उनकी जाँघो पर

..एक बार तो वो भाभी की जाँघो के बीच घुस कर उनकी सलवार के अंदर छुपी

उनकी चूत पर भी लगा. हवस के चलते मैं भाभी को यहा वाहा काटने भी लगा

था..तभी भाभी मूड गयी और अब उनका मूह बाथरूम के दरवाजे की तरफ था..मुझे

गुस्सा तो आया था क्योंकि मैं भाभी की चूची चूसना चाहता था पर तभी मेरी

नज़र नीचे झुकी और मुझे भाभी की उभरी हुई गांद दिखाई दी ..मेरे मूह मे

पानी आ गया और मैने भाभी के बदन को पीछे से अपनी गिरफ़्त मे ले लिया और

अपने दोनो हाथो को आगे बढ़ा कर भाभी की उछलती चूचिओ पर रख कर उन्हे मसलने

लगा और नीचे से मैं अपना खड़ा लंड सलवार के उपर से ही भाभी की गांद की

दरार मे घुसा कर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा..दोस्तो क्या मज़ा आ रहा था

मुझे ऐसा मज़ा तो मुझे मूठ मारने पर भी नही आया था…मैं मस्ती मे भाभी की

कमर पर पीछे से काटने लगा…

क्रमशः.......................
Reply
06-16-2018, 12:12 PM,
#16
RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अंजाना रास्ता --8

गतान्क से आगे................

"एयेए.हह …मा…काटो मत " भाभी दर्द से कराहती बोली.

मैं कुछ नही बोल रहा था बस मन मे सिर्फ़ एक ही बात चल रही थी कि आज पहली

बार एक औरत का जिस्म मिला है जितना फ़ायदा हो सके उठा लू. तभी मेरे कानो

मे किसी के सीढ़ियो से उतरने की आवाज़ पड़ी.

"भाभी.?"

ये आवाज़ अंजलि दीदी की थी वो नीचे आ गयी थी . आवाज़ सुनते ही भाभी बहुत

परेशान हो गयी और बोली .."

एयेए..अनुज..छोड़ दे अब तो…देख ले दोनो पकड़े गये तो बहुत बदनामी होगी"

पर मे तो जोश मैं पागल था भाभी की नरम नरम चूतादो की गर्माहट से मेरे लंड

मे मस्ती फैली हुई थी और मेरा पानी बस निकलने ही वाला था..

"देख अंजलि बाथरूम की तरफ़ ही आ रही है..आहह..इशह…..मान जा..अनुज" भाभी

डरते हुए बाथरूम के दरवाजे मे बनी एक छोटी सी दरार से बाहर झाँकते हुए

बोली.

डर तो मुझे भी लग रहा था पर रेखा भाभी की उभरी हुई नरम गांद पर लंड

रगड़ने मे जो मज़ा मिल रहा था उसने मेरा डर ख़तम कर दिया था..और मैं और

ज़ोर से धक्के मारने लगा.मैं अब जल्दी से जल्दी लंड का पानी निकालना

चाहता था.

"भाभी क्या आप बाथरूम मे है" अंजलि दीदी अब बाथरूम के दरवाजे के ठीक बाहर आ चुकी थी

" छोड़ दे ..मुझे ..कुत्ते..आ…इश्ह्ह..अंजलि बाहर खड़ी है..आहह…."भाभी

बोली और उन्होने अपने चूतड़ थोड़े और पीछे किए .मेरे फूले हुए लंड के लिए

इतना काफ़ी था और लंड ने पानी की बोछर शुरू कर दी..मैं रेखा भाभी से कस

कर चिपक गया …लंड रुक रुक कर पानी छोड़ रहा था ..ऐसा शानदार ऑर्गॅज़म

मुझे आज तक नही हुआ था.. तकरीबन 5 मिनट तक मे पीछे से भाभी के बदन से

चिपका रहा भाभी भी समझ चुकी थी कि मैने क्या किया है सो वो भी चुप

रही..अंजलि दीदी बाहर खड़ी है..क्या उनको पता है कि मैं भाभी के साथ अंदर

बाथरूम मे हू ?ये सोच सोच कर मेरा लंड लगातार पानी छोड़ रहा था..मुझे कुछ

होश नही था मेरे लंड से आज तक इतना पानी कभी नही निकला था और अब तो मेरी

टाँगे भी थक चुकी थी ..मैं अपनी पूरी बॉडी मे थकान महसूस कर सकता था.

"भाभी जल्दी बाहर आ जाओ मुझे भी वॉशरूम जाना है..और ये अनुज पता नही कहा

चला गया है" दीदी ड्रॉयिंग रूम की तरफ जाती हुई बोली.

कुछ देर बाद मैं भाभी की बदन से अलग हुआ .मैने देखा की मेरे वीर्य से

उनकी सारी सलवार पीछे से भीग चुकी है..उनकी सलवार देख कर लगता था कि मानो

किसी ने उन पर बाल्टी भर के पानी डाल दिया हो…अपनी सलवार की ये हालत देख

भाभी भी हैरान थी…पर अब वो क्या कर सकती थी ….उनके चेहरे पर जहा पहले

मुझे देख कर शरारत वाली मुस्कान आती थी वाहा अब एक डर फैला हुआ था..एक पल

के लिए उन्होने मुझे देखा और फिर फटाफट अपने दुपट्टे को उठा बाहर चली

गयी.

आज पूरा एक हफ़्ता हो गया था रेखा भाभी और मेरे बीच हुई उस घटना को. उस

दिन के बाद एक दो बार ही भाभी हमारे घर आई थी. शरम का जो परदा मेरे और

भाभी के बीच था वो अब ख़तम सा ही हो गया था उस घटना के बाद . शर्म तो

ख़तम हो गयी थी पर हिम्मत नही आ पाई थी मुझ मे कि मैं कुछ कर सकू.अब मैं

क्या करू मेरा स्वाभाव ही कुछ ऐसा था . हर रात या जब भी मैं घर पर अकेला

होता तो मुझे भाभी के साथ बिताए वो हवस भरे पल याद आ जाते थे. दीदी कुछ

दिनो के लिए बुआ जी के यहा गयी हुई थी क्योंकि बुआ जी की तबीयत खराब थी .

अब घर पर मैं चाचा और चाची ही थे. रूम मे अकेला होने की वजह से मैं काफ़ी

बोल्ड भी हो गया था और कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म लगा उसमे चुदवाती लड़की को

देख देख कर खूब मूठ मारता था. पर दोस्तो जैसा अक्सर होता है अगर कोई चीज़

लगातार देखी गयी और करी गयी तो उससे मन हट जाता है और ऐसा मेरे साथ भी

हुआ . मुझे अब भी भाभी का वो गरम और नरम बदन याद आता था…काश एक बार वो

मुझे मिल जाय तो इस बार तो बस उनको चोदे बिना नही छोड़ूँगा.. मैं रात को

बॅड पर लेटा हुआ अपना खड़ा लंड सहलाता सहलाता सोच रहा था. दोस्तो अगर कोई

काम दिल से किया जाए तो वो ज़रूर होता है और अगले दिन भगवान ने मेरी सुन

ली . हुआ ये था कि दोपहर को जब मैं स्कूल से आया तो चाची ने मुझे एक साडी

दी और बोली कि वो साडी मैं रेखा भाभी को दे आऊ. " मुझे एक मौका और मिला

है …हे भगवान इस बार काम बनवा देना " मैं मन मन मे बोला और भाभी के घर की

तरफ चल पड़ा. " घर पर अगर रेखा भाभी अकेली हुई तो मैं उनके साथ क्या क्या

करूँगा ये सब सोच सोच कर मेरा लंड पागल होता जा रहा था..जैसे जैसे मे

रेखा भाभी के घर के पास आता जा रहा था वैसे वैसे मेरे लोड्‍े मे हरकत

बढ़ती जा रही थी. तकरीबन 10 मिनट मे मैं रेखा भाभी के घर की दरवाजे पर

पहोच गया था. दोस्तो इससे पहले कि आगे क्या हुआ आ मैं आपको रेखा भाभी के

घर के मेंबर्स के बारे मे बता दू…रेखा भाभी और उनके पति के अलावा उस घर

पर भाभी की सास और उनकी ननंद (सिस्टर इन लॉ) सोनाली रहती थी. सोनाली

मुझसे 2 साल बड़ी थी और वो बी.कॉम 2न्ड एअर मे पढ़ती थी. रंग तो उसका

ज़्यादा सॉफ नही था ( पर सावला भी ना था ) पर बंदन गजब का था . सोनाली की

हिगत लगभग 5'3" के आस पास थी पर जो चीज़ सबसे ज़्यादा आकर्षक थी वो थी

उसके 36 इंच के बूब्स . मैने भी कई बार उसकी बूब्स को सोच सोच कर मूठ

मारा था. खैर मे अब स्टोरी पर वापिस आता हू. मैने उनके घर का दरवाजा खाट

खटाया. मुझे इस बात का पूरा यकीन था कि रेखा भाभी ही दरवाजा खोलेगी मेरे

दिल ये सोच सोच कर धड़ाक रहा था .कुछ देर बाद दरवाजा खुला . " अरे अनुज

बेटा कैसे आना हुआ..आओ अंदर आओ" दरवाजा भाभी की सास ने खोला था. मेरा तो

दिल पर च्छुरी चल गयी थी .
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06-16-2018, 12:12 PM,
#17
RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
मैं बहुत ही बेसबरा हो रहा था और मैने उनकी

सास से पूछा " रेखा भाभी कहाँ है मुझे उनको साडी देनी है" मैं रूम के हर

कोने के तरफ़ नेहारता हुआ बोला. मानो की जैसे भाभी वही कही छुपी है. "

अरे रेखा तो मार्केट गयी हुई है 1 घंटे मे वापिस आएगी बेटा तू अंदर तो

आ.." बुधिया बोली. मेरा सारा प्लान चोपट हो गया था..पता नही किस्मत मेरे

पीछे उंगली लेकर क्यो पड़ी है..मैने मन मन मे सोचा.

"आप ये साडी भाभी को दे देना मैं अब जाता हू" मैं उदास होता हुआ बोला.

"अरे बेटा थोड़ा वेट तो कर ले..रेखा आ जायगी….और हा अब तू आया है तो एक

काम भी कर दे..." बुढ़िया बोली

"आहह..ठीक है बोलिए क्या करना है" मैं बोला और अब मैं बोल भी क्या सकता

था..मेरा तो लंड भी ठंडा पड़ गया था ये जानकर की भाभी घर पर नही है.

बुढ़िया फिर मुझे द्रवाईंग रूम के साथ वाले रूम मे ले गयी . रूम के अंदर

पहुच कर मुझे पता चला कि वो रूम सोनाली का है. सोनाली करवट लेकर लेटी हुई

थी..मेरी नज़र जैसे ही सोनाली पर पड़ी मेरी उदासी फ़ॉर्रन रफूचक्कर हो

गयी . मैं सोनाली के बदन को अपनी आखो से नाप रहा था तभी अम्मा जी बोल उठी

" अरे आज इसकी तबीयत थोड़ी खराब है…सो नींद की गोली खाकर सोई है" अम्मा

जी बोली

पता नही क्यू पर ये बात सुनकर मेरे लंड मे एक कसक उठी और मेरे आँखो मे चमक आने लगी

"अरे बेटा वो जो बेग रखा है उपर टांड पर उसको ज़रा उतार देना" बुढ़िया

टांड की तरफ इशारा करते हुए बोली.

"अच्छा अम्मा जी आप थोड़ा पीछे हो जाओ…" मे बॅड पर चढ़ता हुआ बोला

मैं बॅड पर चढ़ उस काले से बॅग को उतारने लगा . दोस्तो मैं सोनाली के बदन

के पास ही खड़ा था तभी मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आया और मैने नीचे से

अपने उल्टे पाव के तलवे को सोनाली के उभरे हुए कुल्हो के पास सरका

दिया..मेरे पैरो की उंगलियो पर जैसे ही मुझे सोनाली की गांद की गर्मी

महसूस हुई मेरे अंदर का शैतान जागने लगा..और मुझसे बोलने लगा कि " एक दम

कोरा माल है ये सोनाली तो…आज भाभी को छोड़ और इसकी चूत का मज़ा उठा ले…"

मैं ये सब सोच ही रहा था कि नीचे खड़े अम्मा जी बोल उठी..

" क्या ज़्यादा भारी है बॅग…इतना समय क्यो लगा रहा है बेटा"

अब मैं बुढ़िया को क्या बोलू कि मैं उसकी लड़की के बदन की गर्मी ले रहा

हू.मुझे फिर लगा कि कही बुढ़िया को शक ना हो जाय सो मैने बॅग उतार दिया

और फिर पलंग से उतर कर नीचे खड़ा हो गया.

"बेटा अब अगर तुझे जाना है तो चला जा.." अम्मा जी उस बॅग की चैन खोलते हुए बोली

."नही…मैंम्…म..मे… थोड़ा रुक कर ही जाउन्गा अब..वैसे भी बाहर बारिश का

मोसाम हो रहा है" मैने अम्मा जी की बात काटते हुए उनको ज़ल्दी से जवाब दे

दिया.

" चल ठीक है ..एक काम कर बेटा तू बाहर टीवी देख ले तब तक मुझे तो नींद आ

रही है मैं थोड़ा सो लेती हू"

फिर हम दोनो सोनालीके कमरे से बाहर आ गये. मुझे अब ऐसा सुनहिरा मौका नही

छोड़ना है..बस थोड़ी सी हिम्मत दिखा अनुज…." मैं अपने आप को हिम्मत

दिलाता हुआ बोला.

मैं टीवी ज़रूर देख रहा था पर मेरा दिमाग़ आगे की प्लानिंग मे मशगूल था.

मैने घड़ी देखी तो पाया कि 10 मिनट गुजर चुके है बुढ़िया को अपने रूम मे

गये..

"क्या बुढ़िया सो चुकी होगी..क्या यही सही मॉका है" मैने अपने आप से सवाल किया.

और फिर आख़िर वो पल आया और मैं हिम्मत जुटा सोनाली के रूम की तरफ बढ़ा

मेरा दिल अब बहुत ज़ोर से धड़कने लगा था दोस्तो ये सब करते हुए मुझे

जितना रॉंमांच हो रहा था उसको मैं शब्दो मे बया नही कर सकता. सोनाली के

रूम तक पहोच्ते पहोच्ते ही मेरा लोड्‍ा आधा (हाफ) खड़ा हो चुका था

मेरे हाथ ना जाने क्यू काप से रहे थे और इन्ही कपते हाथो से मैने सोनाली

के रूम का दरवाजा खोला. सोनाली सोती हुई किसी अप्सरा से कम नही लग रही

थी..अब वो पेट के बल सोई हुई थी..ना जाने लड़कियो को पेट के बल सोना क्यो

अच्छा लगता है..सोनाली ने बादामी रंग का सूट और उसी रंग की पाज़ामी पहनी

हुई थी..उल्टे लेटने से सोनाली की गांद काफ़ी उभर गयी थी..ये सब देखते

देखते मैं पागल सा होने लगा था.फिर मैं ज़्यादा समय गवाए बिना कमरे मे

घुस गया और फटाफट से अपने कपड़े उतार पूरा नंगा हो गया..किसी अंजाने घर

मे किसी जवान लड़की के साथ उसी के रूम मे नंगा होने पर मस्ती की लहर जो

मेरे बंदन मे उठी मैं उसको आपसे कैसे बयान करू दोस्तो..

मैं धीरे धीरे सोनाली के बॅड की तरफ़ बढ़ा . जैसे जैसे मैं आगे बढ़ रहा

था वैसे वैसे ही मेरे दिल की धड़ कन तेज हो ती जा रही थी. मेरे लिए तो

मानो वक्त जैसे थम सा गया था मुझे ना तो कोई शोर ना कोई और चीज़ सुनाई दे

रही थी बस सिर्फ़ सोनाली की वो उभरी हुई गांद नज़र आ रही थी. और फिर वो

वक्त आया जब मैने अपने काँपते हाथो को सोनाली की गांद पर रखा . अपनी कोरी

गांद पर मेरा हाथ लगते ही सोनाली का बदन हल्का सा कपा पर फिर दोबारा शांत

हो गया. एक लड़के का हाथ अपने गुप्तांगो पर लगने पर सोनाली का बदन अपने

आप ही हरकत कर रहा था. पर दोस्तो सोनाली के चूतादो का वो नर्म अहसास पाते

ही मानो मेरी पूरी बॉडी का खून मेरे लंड मे आ कर बहने लगा था और वो फूल

कर इतना मोटा हो गया था कि अगर मैं उसे बाहर ना निकालता तो मानो वो फाट

ही जाता .. मैने फटाफट अपनी पॅंट और अंडरवेार उतारे और एक हाथ से अपना

लंड मसल्ने लगा और दूसरे से सोनाली के चूतद्ड . कपड़ो के उप्पर से सोनाली

की पॅंटी को महसूस कर रहा था..मैं धीरे धीरे अपने आप पर काबू खोने लगा

..पर मन मे कही ये चल रहा था कि कही सोनाली जाग ना जाए ….पर वो जागे जी

कैसे उसने तो नींद की गोली ली हुई है…मेरे अंदर का शैतान बोला..ये जानने

के लिए कि सोनाली गहरी नींद मे है मैने उसका राइट चूतड़ को ज़ोर से दबाया

पर सोनाली ने कोई प्रतिक्रिया नही दी अब मुझे यकीन हो चला था कि वो गोली

के नसे मे है और उठेगी नही ..फिर क्या था मैने फाटाक से उसकी गांद को

नंगा किया और उसके नंगे चुतदो कस कस कर दबाने लगा..मेरा जोश इतना बढ़ गया

था कि कई बार तो मैने उसके गोरे चूतादो पर काट भी खाया ..अब सीन ये था कि

सोनाली की सलवार और पॅंटी उसके घुटनो मे थी और मैं ..उस हसीना को फूली

हुई चूत को चाट रहा था…वा क्या स्वाद था ..दोस्तो एक कवारी चूत का रस जो

नशा करता है वैसा नशा दुनिया की किसी शराब मे नही होता..जिन लोगो ने

कुँवारी चूत का रस पिया है वो ये बात अच्छे से जानते होंगे..मैं हवस मे

इतना पागल हो गया था कि मुझे ये समझ नही आ रहा था कि आगे मे क्या करू…समय

बीतता जा रहा था बुढ़िया कभी भी सो कर उठ सकती थी और ये भी हो सकता था कि

कोई और भी उनके घर पर आ जाय..इसी कशमकस मे पेट के बल लेती सोनाली के बदन

पर चढ़ गया और अपना लंड उसके चूतादो के दरार मे फसा उनको अपने लंड से

रगड़ने लगा..नशे मे मेरी आँखे आधी खुली थी और आधी बंद ..आज मैं पहली बार

एक लड़की के बदन पर लेटा था..और लड़की भी जवान और खूबसूरत . अब मैने

सोनाली की गर्देन को पीछे से चाटना शुरू कर दिया था और दोनो हाथो को नीचे

कर उसकी चुचियो को सूट के उप्पर से ही मसलने लगा था. हालाकी ज़्यादा जगह

नही मिली थी क्योंकि सोनाली पेट के बल लेटी हुई थी पर फिर भी मैं उसकी

चुचियो की नर्मी महसूस कर रहा था और जितना हो सके उनको दबा रहा था. मेरा

लंड तो सोनाली की चूत मे नही गया था पर उप्पर से धक्के लगाने से उसकी चूत

ज़रूर फूलने लगी थी.. जोश मे सोनाली के बदन को अपने बदन से इतना रगड़ रहा

था कि कमरे मे सोनाली के पलंग की आवाज़े गूंजने लगी थी..पर मुझे इस बात

की कोई परवाह नही थी अगर उस वक्त कोई भी वाहा आ जाता तो भी मैं रुकने

वाला नही था..तभी अचानक मेरा बंदन आकड़ा और लंड ने पानी छोड़ दिया ..मुझे

ओरगाम हो रहा था और मैने सोनाली के बदन को इतना जोरो से जाकड़ लिया था कि

नींद मे भी सोनाली के मूह से एक कराह निकल गयी थी.. अब मैं उसके बदन पर

मुर्दो के तारह पड़ा था और मेरे लंड से निकला पानी सोनाली के चूतादो से

होता हुआ उसकी कुँवारी चूत को गीला करता हुआ नीचे चादर पर गिर रहा

था..मुझे कुछ होश नही था ..पर तभी दीवार पर लगी घड़ी से आवाज़ हुई और

मुझे पता चला कि शाम के 4 बज चुके है .कही इस आवाज़ से बुधिया ना जाग जाय

मैं फटाफट सोनाली के बदन पर से उठा और अपनी पॅंट और अंडरवेार पहन

लिया..तभी मेरी नज़र सोनाली की नंगी गांद पर पड़ी .मेरे ज़ोर दार रगड़ने

और मेरे धक्को से उसके गोरे गोरे चूतड़ कई जगह से लाल हो गये थे ..उसका

सूट पर भी कई झुरिया पड़ गये थी ..थोड़ा और करीब जाने पर मैने देखा कि

सोनाली की गर्देन पर दांतो के निशान है जो के शायद मैने ही जोश मे आकर

दिए थे..खैर मैने फटा फट उसके कपड़े ठीक किए और उसकी सलवार उसको दोबारा

पहना दी ..और फिर मैं जल्दी से नीचे आ कर बैठ गया….

क्रमशः.......................
Reply
06-16-2018, 12:12 PM,
#18
RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अंजान रास्ता-9 

गतान्क से आगे................ 

ऐसे ही दिन बीतने लगे और मेरे अंदर का शैतान हर बीतते दिन और ज़्यादा प्रबल होता गया. एक दिन मैं साइबर केफे मे बैठा सेक्सी क्लिप्स देखने मे मग्न था. तभी अचानक किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा . 

“अच्छा बेटा अकेले अकेले…” एक आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी. डर से तो मेरे होश ही उड़ गये थे .मेने झाट से उपर देखा तो पाया कि वो राज था. मैं हिचकिचा गया पर शर्म से मेने उसको कुछ नही बोला. राज दोसरा स्टोल ले कर मेरे साइड मे बैठ गया और कंप्यूटर स्क्रीन को घूर्ने लगा. 

“अरे अपने गुरु से क्यो शर्मा रहा है ,……भूल गया मेने ही तो तुझे इन चीज़ो के बारे मे बताया था….पर मुझे तुझसे एक शिकायत है” राज बोला 

“क..क्या शिकायत है बोल” मैं हकलाते हुए बोला. 

राज की हर्कतो से मुझे अब उससे नफ़रत सी हो गयी थी. उसके इन गंदे रवैये से स्कूल मे उसका सेक्षन भी चेंज हो गया था. इसलिए मेरी और उसकी मुलाकात कम हीहोती थी. 

“आबे साले फ्री मे गुरु की दीक्षा ले ली तूने….गुरु दाक्षिणा भी तो दे” राज अपना लंड को पॅंट के उपर से खुजलाता हुआ बोला. 

मेने कोई जवाब नही दिया.तभी उसने मेरे हाथो से माउस लिया और कोई सेक्स वेबसाइट खोल कर वाहा एक क्लिप पर क्लिक कर दिया. थोड़ी ही देर मे क्लिप चालू हो गयी..ये ठीक वैसी ही क्लिप थी जैसी मुझे पसंद थी ..यानी इसमे एक जवान लड़की एक उसी की उमर की जवान लड़की से घोड़ी बनी चुद रही थी.. 

मेरा लंड खड़ा होने लगा. राज ये सब देख कर खुश हुआ और बोला” देख क्या मस्त लड़की है..” 

“ देख बेहन चोद कैसे रंडी बन कर चुद रही है…” ये कहते हुए अचानक उसने अपना सीधा हाथ मेरी लेफ्ट थाइ पर रख दिया . मेने उसका हाथ हटाने की कोशिस की पर उसने हाथ नही हटाया . “ साली की हिलती हुई चूचिया देख …कितनी गोल गोल है ..पता है किसकी तरह लग रही है….” 

पता नही पर राज के हाथो को धीरे धीरे मेरी जाँघो को सहलाने से मुझे मानो नशा सा हो गया था. औ उसी नशे मे मेरे मूह से यकायक निकल गया; “ ..कि..किसकी ..तारह….लगती है..” 

“ तेरी बड़ी बहन अंजली के तारह…..उसकी भी ऐसी ही होंगी नाअ…वो भी तो ऐसी ही दिखती होगी नंगी हो कर..है ना…..बोल बेहन चोद” राज मेरे चेहरे के भाव को पढ़ता हुआ बोला. 

अपवी दीदी का नाम सुनते ही मुझे ना जाने क्यो एक करेंट सा लगा.पर राज ने तो ना जाने क्या मुझ पर जादू ही कर दिया था… 

“ उस लड़के का लंड देख ..मेरे लंड जैसा लग रहा है ना….” अब राज का दोसरा हाथ अपनी पॅंट मे खड़े हो चुके लंड को मसल रहा था. 

“सोच वो लड़का मैं हू और वो लड़की तेरी बहन …आह…देख कैसे चोद रहा हू मैं तेरी बहन को…तेरे सामने..” उसी के साथ राज ने मेरे अब तक खड़े हो चुके लंड को अपने मूठ मे भर कर दबाया और बोला.” बोल देखना चाहता है अपनी बहन को मुझसे चुदते हुए..आहह..बोल….बहन चोद…आहह” दोस्तो उस वक्त मे इतना एग्ज़ाइटेड हो चुका था के मेरे मूह से जोश मे निकल गया. “हा…हा..मैं दे..देखना चाहता हू..” मैं मस्ती मे बहकता हुआ बोला. 

“ देगा ना अपनी बेहन की कुँवारी चूत मुझे गुरु दक्षिणा मे..” 

“हा…दूँगा..आह…अहीश्ह…”मैने जैसे हे ऐसे बोला राज ने मेरे लंड को इतनी ज़ोर से दबाया के उसमे से पानी निकल गया ..जिस तारह से राज ने ये बाते बोली थी उस एक्सिटमेंट मे मैं साइबर केफे मे ही बैठे बैठे झाड़ गया था. 

करीब 5 मिनट तक मे पीछे दीवार से सर लगाए बैठा रहा और इस दोरान राज ने कुछ और क्लिप्स देखी और मुझे भी देखाई. 

“ तेरे घर पर कंप्यूटर है ना..” राज ख़तम हो चुकी क्लिप को बंद करता हुआ बोला. 

“हा है..पर उसमे नेट नही है” मेरी नज़र अब भी स्क्रीन पर आती नगी लड़कियो की पिक्स पर थी. 

“तो बता कहा चोदू उसे..एक काम कर क्या तू उसको हमारे दूसरे घर पर ला सकता है” 

“नही…नही…..मैं तुम्हे बता दूँगा बाद मे फोन कर के.” 

हमारी बाते चल ही रही थी कि साइबर केफे मे लाइट चली गयी और कंप्यूटर्स बंद हो गये . फिर हम दोनो वाहा से बाहर आ गये और ये तय हुआ कि मैं फोन कर के राज को बताउन्गा कि कब उसको घर आना है. फिर मैं अपने घर आ गया. 

उसी दिन रात के करीब 8 बज रहे थे.मैं और अंजली दीदी दोनो रूम मे थे ..मैं स्कूल का होमे वर्क कर रहा था और दीदी अपने कॉलेज के असाइनमेंट पर काम कर रही थी. वो ठीक मेरे सामने अपने बिस्तर पर बैठी थी. मैं चुपके चुपके उन्हे देख भी रहा था. मेरे मन मे कई ख्याल दौड़ रहे थे उस वक्त. मेरे दिल का सॉफ और पवित्र हिस्सा मुझे बता रहा था कि ..कितनी सुंदर है मेरी अंजली दीदी ..एक दम मासूम ..एक गुड़िया की तरह..कितना प्यार करती है वो मुझसे ..और वगेरह वगेरह..पर दूसरी तरफ मेरे दिल का काला हिस्सा मुझे दिखा रहा था कि…देख कितना हसीन बदन है तेरी बड़ी बेहन का…बिल्कुल भरा भरा बदन..चूचिया देख कैसी कसी और खड़ी हुई है…ये लंबे रेशमी बॉल कैसे सेक्सी लग रहे है..होंठ देख कैसे रस से भरे है…..और ये उभरे हुए चूतड़ तो मानो जान ले लें किसी भी मर्द की…बदन का कटाव देख…और भी ने जाने कितनी सेक्सी बाते बोल रहा था मेरे दिल का काला हिस्सा… 

मैं ये सब सोच ही रहा था कि तभी ना जाने कहाँ से एक कोक्करॉच आया और अंजली दीदी के बॅड पर चढ़ गया उसको देखते ही दीदी चिल्लाई और भाग कर मेरे बॅड पर आ गयी . 

“एयेए….अनुज….कोक्करॉच….” दीदी अपने बिष्तर पर चलते कॉकरोच की तरफ़ इशारा करते हुए बोली.दीदी का गोरा चेहरा डर से लाल हो गया था. मे फटाफट उठा कोक्करॉच को मारने के लिए तो वो उड़ कर दीदी की टी-शर्ट पर चिपक गया. बस फिर क्या था दीदी ज़ोर से चीखी और मुझसे आगे से लिपट गयी.
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06-16-2018, 12:12 PM,
#19
RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
“आहह….आन..अनुज..मार इसे…है मा….ओकचझहह” 

दोस्तो मैं क्या बताऊ जब दीदी की तनी हुई चुचिया मेरे सीने पर लगी तो जो फिलिंग मुझे आई..उसको मैं बया नही कर सकता.. 

“आ….मम्मी…अनुज..वो मेरी टी-शर्ट मे घुस रहा है…” दीदी चिल्लाति हुई बोली. 

ऐसा मौका मुझे बार बार नही मिलने वाला था ..ना जाने क्यो ये सोच ते हुए मेने दीदी को कस्स कर अपने बदन से चिपका लिया . मेरा लंड दीदी के बदन की चुअन से तन चुका था और वो ठीक दीदी के पाजामे के अंदर से उनकी चूत पर लग रहा था..मे तो ये सब महसूस करने मे लगा था पर दीदी का पूरा ध्यान कॉकरोच पर ही केंद्रित था. इस लिपटा लिपटी मे कॉकरोच नीचे गिर कर भागने लगा पर ये बात सिर्फ़ मुझे पता थी अंजली दीदी को नही…. वो अब भी मुझसे लिपटी हुई थी और इसी हड़बड़ाहट का फयडा उठाते हुए मेने अचानक अपने एक हाथ को उईपर लाकर दीदी की एक चूची पर रख दिया..जब मेरा हाथ अंजलि दीदी की लेफ्ट चूची के उपर था तब मेरे हाथो की उंगलियो को ये पता चला कि दीदी ने अंदर ब्रा नही पहनी है.वाह..क्या गोलाई लिए हुई थी वो चूची .इतनी नर्म नर्म चीज़ पर हाथ रखते ही मुझसे कंट्रोल ना हुआ और मेने उनको कस कर दबा दिया.. 

“अहिस्स्स्शह..…..” दीदी के मूह से एक सीत्कार निकल गयी.. 

मैं डर गया कही दीदी को मेरी चालाकी का पता तो नही चल गया..पर दीदी अब भी मेरे बदन से उसी तरह चिपकी खड़ी थी…उन्होने शायद सोचा था कि कॉकरोच को भागाते हुए मेरा हाथ ग़लती से उनके उभारो पर लग गया होगा. तभी अचानक मुझे लगा कि कोई उपर रूम मे आ रहा है..मैं स्थिति की गंभीरता समझते हुए दीदी से बोला कि दीदी कॉकरोच भाग गया है. और फिर दीदी मुझसे अलॅग हुई . 

तकरीबन ½ घंटे बाद मे बाथरूम मे खड़ा था मेरा अंडरावर और पाजामा मेरे गुटनो मे था ..और मेरी आँखे बंद..मेरा हाथ तेज़ी से मेरे तने हुए लंड पर चल रहा था…और आज जो भी हुआ था वो सारी बाते मुझे याद आ रही थी…राज की वो दीदी के साथ सेक्स करने वाली बात…क्या वो सच बोल रहा था? क्या वो वाकई मेरी बड़ी बेहन के साथ सेक्स करना चाहता है ?..दीदी की चूचियो की नर्माहट मेने आज महसूस कर ली थी….तब कैसा लगेगा जब राज अपने कड़े हाथो से अंजली दीदी की इन नरम नरम और सुडोल चुचियो को कस कस कर दबाएगा..क्या अंजली दीदी उसका साथ देंगी ? इन्न सब सवालो ने मुझे इतना एक्सिट कर दिया था कि मेरे लंड से एक ज़ोर दार धार निकल सामने पड़े दीदी के सूट पर जा गिरी.. 

उस रात मैं इसी कसमा-कस मे था कि मुझे राज की बात माननी चाहिए या नही. पर जो भी हो एक बात तो पक्की थी कि जब जब भी मैं राज को दीदी के साथ सोचता था ना जाने क्यो मेरे अंडर एक अजीब तरह की तरंगे उमड़ने लग जाती थी और दिल मे एक कसक सी उठी थी कि क्या अंजली दीदी भी राज का साथ देंगी.? मुझे भगवान ना जाने क्यो दीदी को किसी और मर्द के साथ छुप छुप कर देखने मे एक अल्लग ही मज़ा आने लगा था…पता नही वो फीलिंग क्या थी पर जब भी ऐसा हुआ था उस वक्त पेदा हुई एक्सिटमेंट को मैं शब्दो मे बया नही कर सकता. मेने राज का लंड देखा था कितना बड़ा और सख़्त था वो ऐसा मोटा और मांसल लंड जब अंजली दीदी की गोरी और कुँवारी चूत का मांथान करेगा तो कैसा लगेगा.. इन सब बातो को सोचते सोचते ही मेरा लंड आधा खड़ा हो चला था और फिर मेने डिसाइड कर लिया कि मैं राज की बात मानूँगा. 

मैं अब बस मोके की तलाश मे था और मोका मुझे दो दिन के बाद मिल भी गया. हुआ ये था कि चाचा जी की तबेयात थोड़ी खराब हो गयी थी और उनको दोसरे शहर एक बड़े हॉस्पिटल मे अड्मिट करना पड़ गया था. दीदी और मेरी तो पढ़ाई चल रही थी सो चाचा जी के साथ चाची का हॉस्पिटल मे रहना तय हुआ. और इतेफ्फाक से उस्दिन सनडे था. मॉर्निंग मे ही चाची जी हॉस्पिटल की तरफ़ रवाना हो गयी. अब घर पर रह गये मे और अंजली दीदी. यही मोका है मेरे दिल ने मुझे कहा मैं फटाफट फोन के पास गया और राज का नंबर डायल करने ही वाला था कि तभी मेरे हाथ एक बार फिर रूके और मेने सोचा के क्या मैं सही कर रहा हू..पर अगले ही पाल मेरे अंदर छुपे शैतान ने मेरे दिमाग़ पर काबू कर लिया और मेने राज को फोन मिला दिया. दो बार बॅल बाजी और तभी दोसरे तरफ़ से राज के आवाज़ आई. 

“हेलो” 

“राज..मे..मे अनुज बोल रहा हू” मैं कपकपाति आवाज़ मे बोला मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. 

मेरी आवाज़ सुनते ही राज खुश हो गया और सीधा बोला..” मैं 10 बजे तेरे घर आ रहा हू..” 

“नही 10 बजे तो ज़्यादा जल्दी हो जाएगा” मे बोला 

“अबे कोई जल्दी नही होगा....मैं अब रुक नही सकता…” 

वो शायद सब कुछ समझ चुका था.उसकी खुशी का तो ठिकाना ही नही था क्योकि उसके मन के मुराद पूरी होने जा रही थी.. 

मेने धड़कते दिल के साथ फोन नीचे रखा ही था कि तभी पीछे से आवाज़ आई.” किसको जल्दी हो जाएगी..अनुज तू कही जा रहा है क्या” दीदी रूम मे आते हुए बोली. 

अब मे उन्हे क्या बताता कि उनका प्यारा छोटा भाई उनका शरीर लुटवाने की तैयारी कर रहा है. 

“दीदी वो राज आने के लिए बोल रहा था..उसको आक्च्युयली मेद्स के कुछ नोट्स लेने है” मैं बात संभाल ता हुआ बोला. 

“अनुज मुझे वो लड़का कुछ सही नही लगता ..तूने उसे घर पर क्यो बुलाया..” दीदी बोली 

“नही नही दीदी ऐसी कुछ बात नही ..हा वो थोड़ा आवारा है पर दिल का बहोत अच्छा है.” मे बोला 

“चल कुछ भी हो उसको ज़ल्दी से चलता कर ना “ बोल कर दीदी नीचे किचन की तरफ़ चली गयी. 

दीदी को तो राज मे ज़रा भी इंटेरिस्ट नही है..तो बात आगे कैसे बढ़ेगी….ये सारी बाते मेरे दिमाग़ मे चल रही थी. कुछ देर मे दीदी और मेने नीचे डाइनिंग टेबल पर नाश्ता किया ..फिर दीदी टीवी देखने लगी और मे उपर रूम मे आ गया..मेने घड़ी पर नज़र डाली तो पाया कि 10 बजने मे 10 मिनिट्स बाकी थी..जैसे जैसे टाइम बीत रहा था वैसे वैसे ही मेरी नेरवीऔस नेस्स बढ़ती जा रही थी..तभी अचानक डोर बेल बजी ..मे फटा फॅट डोर खोलने के लिए रूम से बाहर आया ही था कि मेने देखा कि दीदी ने डोर खोल दिया है और जैसे मेने सोचा था सामने राज खड़ा था..दीदी अभी भी अपने नाइट ड्रेस याने लूज टी-शर्ट ओर पयज़ामे मे ही थी.रात को दीदी ब्रा नही पहनती थी सो उनके बूब्स टी-शर्ट के उपर से बेहद ही ज़्यादा सेक्सी लग रहे थे.. 

“ नमस्ते दीदी…” राज सीधा टी-शर्ट मे तनी खड़ी दीदी की चूचियो को देखता हुआ बोला. 

“नमस्ते…” दीदी ने भी राज को अपनी खड़ी चूचियो की तरफ़ ऐसे देखता हुआ पाकर थोड़ा सकपका सी गये थी..फिर वो जल्दी से बोली.” वो अनुज उप्पर रूम मे है”. 

“आप तो नाराज़ सी लग रही हो..शायद आपको मेरा यह आना अच्छा नही लगा..”राज दीदी के मासूम चेहरे की तरफ़ देखता हुआ बोला. 

“नही..नही..ऐसी कोई बात नही.” दीदी थोड़ा शरमाती हुई बोली. 

“ तो बताइए ना आप कैसी हो..” राज बोला 

“मे ठीक हू…अंदर आ जाओ”दीदी बोली. 

राज ने आते ही अपना काम शुरू कर दिया था. तभी दीदी की नज़र मुझ पर गयी..और वो बोली “ अनुज तुम्हारा दोस्त आ गया है” उनकी बॉडी लानुगएज से मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो वो बोलना चाहती हो कि “ फटा फॅट इसको नोट्स देकेर चलता करो” 

कुछ मिनिट्स बाद राज और मे उपर रूम मे थे ..दीदी नीचे टीवी देख रही थी. 

“ राज कुछ ब्लू फिल्म्स की सीडी भी लाया था. वो सीडी कंप्यूटर मे लगाने लगा तो मैने उसको मना किया 

“ नही यार नीचे दीदी है..कही वो आ गयी तो मारे जाएँगे” मे बोला 

“अबे बेहन्चोद तू डरता बहोत है ..आज तो तुझको मैं लाइव ब्लू फिल्म दिखाउन्गा..” 

उसकी ये बात सुनकेर मेरे बदन मे करेंट दौड़ गया. 

हम कुछ 5 मिनट तक मूवी देखते रहे फिर राज बोला तू यही बैठ मेरा मन टीवी देखने का कर रहा है. मुझे उसकी बातो से पता चल रहा था कि उसका क्या मतलब है. 

“नही अभी नही यार..प्ल्स रुक तो सही” मे बोलता ही रह गया और राज नीचे चला गया . 

राज को नीचे गये हुए10 मिनट से ज़्यादा हो चुके थे मेरा ध्यान अब उस ब्लू फिल्म मे नही था जिसको मे देख रहा था. राज को ऐसे अंजली दीदी के साथ अकेला सोच सोच कर मेरे अंदर एक अज्जीब सी हालचाल मची हुई थी.. जब मुझसे सबर ना हुआ तो मे चुप चाप रूम से बाहर आया और नीचे जहा वो दोनो बैठे थे .छुप कर उधर देखने लगा .. राज सोफे पर बैठा था और दीदी उसके एक साइड मे रखे बड़े सोफे पर 

वो दीदी से कुछ बाते कर रहा था और दीदी कभी कभी उसके बातो पर हंस भी देती थी..दीदी की नज़र तो टीवी पर थी मगर राज रह रह कर दीदी के बदन को घूर रहा था और कयी कयी बार तो वो ओपन्ली अपने लंड को पॅंट के उप्पर से ही खुजा देता था…दीदी भी शायद उसकी इस हरकत से वाकिफ्फ थी उनकी भी नज़र कयी बार राज के पॅंट मे बने तंबू पर चली जाती थी..दीदी का जवान बदन भी शायद अब राज के लंबे लंड से निकलती गर्मी को महसूस करने लगा था…किसी ने सही कहा है मोटा और लंबा लंड हर औरत और लड़की को दीवाना बना देता है..अंजली दीदी को अपनी पॅंट मे बने तंबू की तरफ़ देखती हुई पाकर …राज का जोश भी बढ़ने लगा था..अब वो दीदी केतरफ़ देखता हुआ ओपन्ली अपने पॅंट मे बने उस उभरे हुए हिस्स्से को धीरे धीरे सहलाने लगा..और फिर उसने अंजली दीदी को कुछ बोला और उठ कर दीदी के पास उनके सोफे पर बैठ गया..दीदी का चेहरा शर्म से लाल होने लगा था और उनकी साँसे तेज़ी से चल रही थी जिसका बयान उनकी अब तक तन चुकी चुचिया टी-शर्ट्स के अंदर से ऊपर नीचे होकेर दे रही थी… 

क्रमशः.....................
Reply
06-16-2018, 12:12 PM,
#20
RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अंजाना रास्ता --10end

गतान्क से आगे................

दीदी तो टीवी स्क्रीन की तरफ़ देख रही थी और राज उनके चेहरे की तरफ़ पर

दोनो रुक रुक कर बाते ज़रूर कर रहे थे..पता नही क्या बाते थी..पर दीदी की

बॉडी लॅंग्वेज बता रही थी कि वो बाते ज़रा कुछ हट कर थी. अब तक तो राज की

चाल काम कर रही थी..मैं वाकई राज की दाद दूँगा कि उसको लड़कियो को पटाना

अच्छी से आता था…मेरी दीदी जो उसको बिल्कुल भी पसंद नही करती थी उनको 15

मिनिट्स मे ही उसने अपने जाल मे फ़सा लिया था.(लग भग). मुझे अब उन्दोनो

के बीच क्या बाते हो रही है उनको सुनने के तलब हुई तो मैं कोई दूसरी जगह

तलाश करने लगा . मैं धीरे से उत्तर कर दूसरे रूम मे चला गया वाहा से मैं

उनको देख तो नही पा रहा था पर आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी.

.राज अंजलि दीदी से बोल रहा था " आपके बाल बहुत खूबसूरत है बिकुल आप की तरह "

दीदी मुस्कुराते हुए " अच्छा जी..लगता है तुम्हे मेरे बाल बहुत पसंद है"

राज " अरे मेरी पसंद ना पूछो मुझे तो और भी बहुत कुछ पसंद है ….."

दीदी: " अच्छा तो बताओ क्या क्या पसंद है"

राज: " आपके बाल..आपकी आँखे…आपके सेक्सी होठ….."

राज की आवाज़ से लग रहा था कि मानो उस पर नशा हो गया है. दोनो की आवाजो

का अगर अप कंपेरिषन करो तो सॉफ साफ पता चल रहा था कि राज की आवाज़

बिल्कुल आवारो जैसे और दीदी की एक पढ़ी लिखी लड़की जैसी .

तभी दीदी की धीरे से एक आवाज़ आई " ..आ..इषस्स्सस्स…इस्शह..आअह..राज मेरे

बालो को क्यो खोल रहे हो…"

"क्यू मेरे हाथो मे आकर क्या इनकी खोबसूरती कम हो गाएगी " तभी राजकी साँस

खिचने की आवाज़ आई शायद वो अंजलि के बालो से आती खुशुबू को सूंघ रहा था"

वाह क्या खुश्बू है"

मैं ये जान कर और ज़्यादा बेचैन हो गया कि वू दीदी के रेस्मी बालो को

ओपन्ली सूंघ रहा है. जबकि मैने इतने दिनो मे एक दो बार ही दीदी के रेशमी

बालो को छुआ था और वो सिर्फ़ 15 मिनट मे ही यहा तक पहोच गया.

" अच्छा एक बात पूछूँ अगर तुम बुरा ना मानो तो" राज की आवाज़ मेरे कानो मे आई.

"ऐसा क्या पून्छोगे ..प्ल्स आहह..तुम मेरे बालो को इतना मत खिचो

दर्द..होता है..आह...."दीदी बोली

"साइज़ क्या है तेरे कबूतरो का" राज बोला

"क्या…कबूतर क्या" दीदी परेशान होते हुए बोली

यहा पर मैने ये गोर किया कि वो अब दीदी को " तू " ओर " तेरे " कह कर बुला

रहा था…कहा पहले वो आप आप कर कर बात कर रहा था और कहाँ अब "तू " …या तो

दीदी ने राज की इस बात पर ध्यान नही दिया..या फिर……

" तेरी चुचियो का साइज़ " राज बोला

"पागल हो गये हो क्या..मैं तुम्हारी बड़ी बहन की तारह हू..प्लीज़ बी इन

लिमिट..तुमने फ्रेंडशिप करने के लिए बोला है तो सिर्फ़ फ्रेंड ही बनो…. "

दीदी थोड़ा गुस्से से बोली.

"अरे ज़्यादा नाटक मट कर …मुझे पता है तेरा बदन चुदाई माँग रहा है" राज

भी थोड़ा कड़क होता हुआ बोला.

तभी कुछ कुछ गुथा गुथि सी हुई और दीदी की हल्की सिसकारी मेरे कानो मे

पड़ी. " आहह..इशह…छोड़ो मुझे"

मैं ये देखने के लिए पागल सा हो गया कि आख़िर हो क्या रहा है सो मैं वापस

पहले वाली जगह पर आ गया.

मैने देखा कि अंजलि दीदी सोफे की साइड मे खड़ी है और राज के हाथ से अपनी

टी-शर्ट का एक कोना छुड़ाने की कोशिस कर रही है . उनके लंबे बाल प्युरे

तारह से खुले हुए है..राज थोड़ा गुस्से मे लग रहा था और दीदी के चेहरे पर

डर साफ झलक रहा था.

तभी राज उठा और उसने दीदी को अपनी बाँहो मे भर लिया और ज़ोर से उनके होटो

को चूसने लगा..दीदी अपने आप को छुड़ाने की पूरी कोशिस कर रही थी..राज तो

अंजलि दीदी के होटो को ऐसे चूस रहा था कि मानो उनको खा ही जाएगा..रह रह

कर वो दीदी की चूचियो को भी कस्स कस्स कर दबा रहा था…दीदी के मूह से आती

दर्द भरी आवाज़ ये बता रही थी कि राजके सख़्त पत्थर जैसे हाथ दीदी की तनी

हुई मुलायम चूचियो का बुरा हाल कर रहे है..तभी दीदी ने राज को एक तरफ़

धक्का दिया और वो भाग कर किचिन मे चली गयी पर राज कोई कच्चा खिलाड़ी तो

नही था वो लपक कर किचिन मे जा घुसा..एक्षसितेंन्ट तो मुझे भी बहुत हो गयी

थी ..पर राज का ये रवैया देख मुझे डर भिलगने लगा था. अंदर किचिन से

बर्तनो के गिरने की आवाजो के साथ साथ दीदी की सिसकारिया भी आ रही

थी.."आहह…राज….प्ल्स छोड़ो मुझे..आहही…इश्ह्ह…मा…इतनी ज़ोर से मत

दबाओ…..प्लस्सस्स्मुझे…इस्शह…आ.

ममीईई….."दीदी के रोने की आवाज़े मुझे

परेशान कर रही थी..आख़िर वो मेरी बड़ी बेहन ही तो थी कोई अजानी नही और आज

राजमेरे होते हुए भी उनका बलात्कार करने की कोशिस कर रहा था..अब मेरा मन

मुझे धिक्कार रहा था…मन से सिर्फ़ ये ही आवाज़ आ रही थी कि अपनी बड़ी

बेहन को बचा उस दरिंदे से ..अनुज …कही ऐसा ना हो की तू अपनी नज़रो मे ही

गिर जाय " ये आवाज़े मेरे दिल के अंदर से आ रही थी..समय बीतता जा रहा था

.फिर वो वक्त आया जब मैं सीधा भागता हुआ नीचे किचिन की तरफ़ गया ..अंदर

जाते ही मैने देखा कि राज ने दीदी को पीछे से पकड़ा हुआ है और दीदी का

पाजामा और उनकी पॅंटी उनके पेरो मे फसी है और दीदी की टी-शर्ट दूर किचिन

के फर्श पर फटी हुई पड़ी है..दीदी का रो रो कर बुरा हाल था और राज अपना

लंड पीछे से दीदी की छूट पर लगा रहा था.तभी उन्दोनो की नज़र किचिन के गेट

पर खड़े मुझ पर पड़ी . मुझे देखते ही राज ज़ोर से बोला

" देख आज अपनी जवान बहन का बलात्कार ..आज इसको मैं अपनी रंडी बना कर रहूँगा…."

दीदी लाचार नज़रो से मुझे देख रही थी. और उनकी खोबसुर्रत आँखो से निकलते

आँसू मानो मुझे बोल रहे हो कि अनुज अब क्या सोच रहा है..बचा अपने बड़ी

बहन को ..मार डाल इस हरामी को.

"राज …छोड़ मेरी दीदी को.." मैं ज़ोर से गरजा ना जाने मुझ मे इतनी जान

कहा से आ गयी थी.
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