Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
06-19-2018, 12:35 PM,
#1
Thumbs Up  Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मेरे ह्ज्बेंड ने मुझे रण्डी बना दिया

दोस्तो वैसे तो मैने काफ़ी कहानियाँ इस फोरम पर पोस्ट की है और आज एक और कहानी पोस्ट मिनी की रिकवेस्ट पर करने जा रहा हूँ दोस्तो ये कहानी एक ऐसी कामातुर औरत की कहानी है जिसे उसके पति ने रंडी बना दिया था आशा करता हूँ कि आपको ये कहानी पसंद आएगी दोस्तो इस कहानी को नेहा ने लिखा है मैं सिर्फ़ कॉपी पेस्ट कर रहा हूँ असली क्रेडिट नेहा रानी को जाता है मित्रो मैने इस कहानी के करेक्टर चेज कर दिए है चलिए अब बातें बहुत हो गई अब कहानी पोस्ट करना शुरू करता हूँ 


अब कहानी डॉली की ज़ुबानी.......................
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06-19-2018, 12:35 PM,
#2
RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मेरी कहानी बड़ी अजीब है। आज से 4 साल पहले की बात है मेरी शादी हुई, शादी के बाद मेरे ह्ज्बेंड की पारिवारिक आर्थिक हालत खराब चलने लगी।
उस वक्त मेरे ह्ज्बेंड का काम-धन्धा नहीं चल रहा था। मैं एक नई-नवेली दुल्हन थी, पर ह्ज्बेंड को परेशान देखती तो मुझे दु:ख होता।
मैं पूछती तो वे टाल जाते, मुझसे कहते- सब ठीक हो जाएगा.. तुम चिंता मत करो !
पर उनकी परेशानी बढ़ती ही जा रही थी, रात देर से आना, मेरी चुदाई कभी करते, कभी नहीं..! मैं चुदाने के लिए बेकरार रहती।
एक दिन मैं रात में जिद कर के पूछने लगी, तो बोले- मुझे घाटा हो गया है !
तो मैं बोली- सब ठीक हो जाएगा !
तो वो बोले- कुछ ठीक नहीं होगा… मेरे पास पूंजी नहीं है..!
मैं बोली- गहने बेच दो..!
तो बोले- नहीं.. कुछ उपाय करूँगा… तुम चिंता मत करो..!
मैं बोली- चिंता क्यूँ न करूँ.. नई-नवेली दुल्हन हूँ.. आप मुझे छोड़ कर गायब रहते हो, मुझे आपकी बाँहों का सहारा चाहिए…. मैं रातभर आपके साथ रहना चाहती हूँ..!
तो बोले- सब ठीक हो जाएगा..!
वो मेरी बात पर ध्यान ही नहीं दे रहे थे, तो मैं गुस्से से बोली- मेरी जवानी को बर्बाद मत करो… मुझे सुख चाहिए…!
तो उस समय तो वे मुझे प्यार करके सो गए पर उनके दिमाग में कुछ कीड़ा कुलबुलाने लगा।
कुछ दिन बाद वे बोले- चलो, मथुरा चलना है… तुम पैकिंग कर लो…!
तो मैंने सोची कि शादी के बाद तो परेशान थे, शायद मेरा और अपना दिल बहलाने के लिए मथुरा मुझे भी ले चल रहे होंगे।
मुझे लगा मेरे गुस्से की वजह से तो नहीं ऐसा कह रहे हैं…!
तो मैं बोली- तुम परेशान हो.. मथुरा जाओगे, पैसा खर्च होगा… रहने दो… मैं यहीं खुश हूँ..!
तो वो बोले- नहीं.. बस मथुरा पहुँचना है… सब इंतज़ाम हो जाएगा..!
मैं बोली- कैसे…! मथुरा में कोई जादू होगा..!
तो बोले- ऐसा ही कुछ समझो…!
उनकी बात मेरी समझ में नहीं आई।
फिर मैं तैयार हो गई।
इतनी जल्दी प्रोग्राम बना था कि वगैर ट्रेन के रिजर्वेशन ही मथुरा जाना पड़ा।
स्टेशन के रास्ते में बोले- मथुरा में मैं एक दोस्त जय के बुलाने पर जा रहा हूँ… उसने बोला है कि भाभी को लेकर मथुरा आ जाओ… पैसा मैं कमवा दूँगा…!
मैं बोली- मेरे जाने से क्यों… तुम भी जाते तो भी पैदा हो जाता…!
तो बोले- दोस्त बोला है… भाभी को जरूर लाना है…!
इतने में रेलव स्टेशन आ गया। प्लेटफार्म पर भीड़ थी। वाराणसी के प्लेटफार्म नम्बर 9 से मरुधर एक्सप्रेस से जाना था। ह्ज्बेंड टिकट लेकर आए, हम लोग ट्रेन में बैठ गए।
देखते ही देखते ट्रेन में भीड़ हो गई। एक लड़का जो मेरे पास बैठा था, वो मुझे लगातार घूर रहा था, मुझे उसका घूरना अच्छा लग रहा था।
ट्रेन में भीड़ बढ़ती जा रही थी, मैं तो सेक्स के मामले मे बहुत तेज हूँ। मैं निगाह बचा कर मुस्कुरा कर उसको मूक निगाहों से आमंत्रित कर रही थी। मेरी इस अदा से वो मेरे चूतड़ों को बगल से छू रहा था।
मुझे मज़ा आने लगा।
मेरे ह्ज्बेंड ने कहा- तुम ऊपर बैठ जाओ..!
उन्होंने मुझे ऊपर वाली बर्थ पर भेज दिया।
तभी ऊपर एक आदमी मेरे ह्ज्बेंड से बोला- तुम भी ऊपर आ जाओ..! मैं नीचे आ जाता हूँ।
तो मेरे ह्ज्बेंड बोले- नहीं.. ठीक है, तब तक जो मेरे बगल मे लड़का नीचे था।
वो बोला- भाई साहब आप आ जाओ… मैं ऊपर आ जाता हूँ।
वो लड़का ऊपर आ गया। मैंने एक चादर बिछा ली और आराम से बैठी थी। रात के 9 बज चुके थे। एकाएक उस लड़के ने मेरी चूत को सहला दिया।
मैं फुसफुसाई- कोई देख लेगा..
तो बोला- कोई नहीं देखेगा !
इतना कहते ही वो भी समझ गया कि मैं राज़ी हूँ। वैसे भी मैं कई दिन से चुदी नहीं थी।
वो धीमे से एक उंगली मेरे चूत में डाल कर आगे-पीछे करने लगा और मैं गर्म होती जा रही थी। फिर वो एक रुमाल की आड़ देकर लण्ड निकाल कर दिखाया, तो मैं मस्त हो गई। उसका ‘छानू’ बहुत मोटा था।
मैंने सब की निगाह बचा कर एक बार पकड़ कर छोड़ दिया पर अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
वो फुसफुसाया- चुदोगी..!
मैं बोली- यहाँ कहाँ..!
तो बोला- चलो बाथरूम..!
मैं बोली- बाथरूम नहीं.. कोई देख लेगा ऐसे ही ठीक है..!
मैंने अपने ऊपर कंट्रोल किया, फिर मज़ा लेती रही। ट्रेन तेज रफ्तार से चली जा रही थी। उसने मेरी चूत को पानी-पानी कर दिया।
मैं उसके लण्ड को मुठिया रही थी। तभी उसके लण्ड ने पानी फेंक दिया, वो शान्त हो गया।
मैं भी ठीक से बैठ गई। वो लड़का लखनऊ में उतर गया, मैं देखती रह गई… उससे ना चुदाने का मलाल था।
खैर हम मथुरा स्टेशन पर उतरे, ह्ज्बेंड से बोली- अब कहाँ चलना है?
तो बोले- फोन लगाता हूँ..!
ह्ज्बेंड ने फोन लगा कर बात की, उस आदमी ने एक पता बताया कि यहाँ आ जाओ।
ह्ज्बेंड ने फोन काट दिया, तो मैं बोली- यह कैसा दोस्त है, जो बुला कर लेने नहीं आया… और मैं आप के सभी दोस्तों को जानती हूँ। मथुरा में आप के इस दोस्त को मैंने पहले कभी नहीं देखा है।
तो ह्ज्बेंड बोले- यह नेट के थ्रू मिला है…
फिर मुझे कुछ शक हुआ, मैं भी पढ़ी-लिखी हूँ, एमए (इंग्लिश) हूँ।
मैं बोली- तो वो मुझे कैसे जानता है..!
वे बोले- तुम्हारे चाहने से ही अब सब ठीक होगा..!
मैं बोली- मेरे चाहने से कैसे..!
तो बोले- सब तुम्हारे हाथ में है..!
यह कह कर मेरे ह्ज्बेंड रोने लगे।
मैं बोली- मैं आप की पत्नी हूँ.. मुझसे जो बन पड़ेगा मैं करूँगी..!
तो बहुत पूछने पर बोले- वो आदमी, जिसने मुझे बुलाया है, वह ‘फ्रेंडशिप-क्लब’ चलाता है, वो मुझसे बोला है कि एक महीने में तुमको बहुत पैसा पैदा करवा देगा, वो बोला था कि आप अपनी वाइफ को ले कर आओ.. बस तुम्हारी वाइफ को फ्रेंडशिप करनी होगी। कुछ लोगों के साथ कुछ पल अकेले रहना पड़ेगा और कुछ नहीं..!
फिर मैं खुल कर गुस्से से बोली- और तुम तैयार हो गए…! जानते हो क्या होगा..! फ्रेंडशिप की आड़ में मेरी चुदाई होगी… पता है?
ह्ज्बेंड नीचे सर कर के बोले- हाँ.. पता है…!
इतना कहते मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई। मैं ज़्यादा गुस्सा करने लगी।
वह रोने लगे मुझे मनाने लगे और बोले- इसके सिवा कोई चारा नहीं..!
तो मैं बोली- तुम बर्दाश्त कर लोगे?
वे बोले- बस कुछ दिनों की ही बात है… मान जाओ…!
मैं कुछ देर चुप रही, फिर सोचने लगी कि जब इसको बुरा नहीं लग रहा… तो मुझे क्या…! फिर पैसे की ज़रूरत भी पूरी हो जाएगी और ट्रेन की बात याद आई, उस लड़के के साथ भी तो ग़लत कर रही थी।
सब सोच कर मैंने कहा- चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी..!
फिर हम लोग उसके बताए पते पर पहुँचे, वो पहले मेरे ह्ज्बेंड से मिला, फिर मुझसे बोला- मैडम थोड़ा अन्दर चलो… कुछ बात बतानी है। मैंने ह्ज्बेंड की तरफ देखा, ह्ज्बेंड ने जाने का इशारा किया, मैं उसके साथ अन्दर रूम में चली गई।
उसने पूछा- तुमको सब पता है ना..!
मैंने सर हिला दिया- हाँ..!
फिर वह मेरे चुचों को छूते हुए बोला- 34 के हैं न… मस्त हैं !
मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
बोला- खड़ी हो ज़ा…
वो मेरी चूत में उंगली डाल कर सहलाने लगा, मैं गरम हो गई, चूत से पानी आने लगा।
वो बोला- मस्त चूत है तेरी… खूब चुदेगी..!
फिर हाथ बाहर निकाल लिया और ह्ज्बेंड को आवाज़ देकर अन्दर बुलाया और उससे बोला- एक कस्टमर आने वाला है, अपनी बीवी को समझा दो, नखरे न करे..!
ह्ज्बेंड ने हामी भर दी।
वो फिर मेरे ह्ज्बेंड से बोला- तुमको मेरे साथ चलना होगा, कस्टमर जब मीटिंग करके चला जाएगा तो हम लोग आ जाएँगे।
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06-19-2018, 12:35 PM,
#3
RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मुझे डर लगा, मैं बोली- आप लोग बाहर ही रहो.. कहीं और मत जाओ.. मुझे डर लग रहा है।
वह बोला- डरो नहीं.. वो बहुत बड़ा आदमी है बहुत प्यार से तेरी चूत मारेगा…!
फिर ह्ज्बेंड से बोला- तुम एक महीना रूकोगे तो एक लाख रुपया दूँगा। रोज इसको 4-5 ग्राहकों से चुदाना होगा।
वो साला मेरे ह्ज्बेंड के सामने खुल कर बोल रहा था।
फिर उसने मेरी तरफ मुँह कर के मुझसे बोला- चुद लेगी न… रोज 4-5 लोगों से?
मैं कुछ ना बोली। फिर वह मोबाइल निकाल कर किसी से बात करने लगा- सेठ, मेरे फ्लैट पर आ जाओ… मेरे पास वाराणसी एक मस्त माल आया है, आपका दिल खुश हो जाएगा !
उधर से सेठ बोला- आधा घंटे में आता हूँ।
बात कर फोन रख कर बोला- तू नहा-धोकर फ्रेश हो जा..!
कह कर बाहर गया, ह्ज्बेंड भी उसके साथ दूसरे कमरे में चले गए। मैं अच्छे से नहा धोकर फ्रेश होने लगी और पहली बार कपड़े उतार अपने नंगे बदन को देखने लगी, मैंने अपनी चूत सहला दी, चूत पर हल्के-हल्के रोयें थे। मैंने सोचा कि आज चूत को चिकनी कर दूँ… आज दिल खोल कर चुदूँगी.. जब ह्ज्बेंड को कोई फ़र्क नहीं, तो मैं क्यूँ चिंता करूँ…!
फिर मैंने चूत के बाल साफ कर दिए, मेरी चूत बाबूराव लेने के लिए खिल उठी। फिर मैं फ्रेश हो ली। तब तक शायद कोई आया था, क्यूँ कि बाहर बात होने की आवाज़ आ रही थी। फिर मैं जल्दी से बाहर आकर तैयार हुई।
तभी ह्ज्बेंड अन्दर आए, बोले- तुम मुझसे नाराज़ मत होना..!
मैं बनावटी क्रोध से बोली- कोई पत्नी से यह सब करवाता है..!
‘प्लीज़ साहस रखो… मैं हूँ ना…!” फिर चुटीले अंदाज में बोले- क्या मस्त तैयार हुई हो… क्या तुम भी चुदाना चाहती हो..!’
मैं फिर थोड़ी बनावटी गुस्से से बोली- बिल्कुल नहीं.. बस तुम्हारी खातिर कर रही हूँ… जाओ अब मैं कुछ नहीं करूँगी।
फिर ह्ज्बेंड मिमयाने लगे- अरे तुम मेरी जान हो… मज़ाक किया यार… सॉरी !
मैं बोली- चलो, बात मत बनाओ..!
हमारी बात हो ही रही थी कि तब तक जय अन्दर आ गया। अन्दर आते ही मेरे ह्ज्बेंड से बोला- यार बड़ी देर कर दी?
फिर मुझसे बोला- तू तैयार हो गई?
मैंने ‘हाँ’ में सिर हिलाया।
फिर वो बोला- वाह…. खूब मस्त लग रही हो..!
और मेरे पास आया और ह्ज्बेंड से बोला- रंगीला थोड़ा उधर घूम जाओ… मुझे चैक करना पड़ेगा ताकि सेठ नाराज़ ना हो जाए।
मेरे ह्ज्बेंड घूम गए, जय ने तुरंत मुझे बाँहों में ले कर चुम्बन करने लगा और एक हाथ मेरी पैन्टी में डाल कर चूत पर रखा और चौंक कर बोला- वाह… नाइस एंड स्मूद चूत… आज सेठ तो गया काम से…!
मैं तनिक शरमाई तो जय मुझसे बोला- तू सेठ को खुश कर देना..!
मैं बोली- ठीक है..!
फिर जय ने हाथ निकाल मुझे छोड़ दिया और बोला- रंगीला, सेठ को अन्दर ले कर आओ..!
कुछ ही देर में सेठ अन्दर आ गया।
सेठ मुझे देखते ही बोला- वाह… क्या ‘पटाका-आइटम’ है..!
जय बोला- बस सेठ जी, आपकी सेवा करने के लिए आई है।
फिर जय ने मेरा परिचय कराया और बोला- तुम लोग बात करो… हम लोग आते हैं… वैसे भी हम लोगों का यहाँ क्या काम… क्यूँ रंगीला?
ह्ज्बेंड भी मरता क्या ना करता… उसने मुंडी ‘हाँ’ में हिला दी।
जय बोला- डॉली, सेठ का ख्याल रखना… हम लोगों को कुछ काम है, अभी करके आते हैं..!
मैं भी बोली- आप लोग बेफिक्र हो कर जाओ और मुझे एक बार सेठ जी की सेवा का मौका तो दीजिए, फिर बाद में सेठजी से पूछ लेना कि सेवा मे कोई त्रुटि तो नहीं हुई और अगर सेठ जी को कुछ कमी लगे तो नाचीज़ का सर कलम कर देना !
मैंने भी पहली बार खुल कर मज़ाक कर दिया।
जय बोला- चलो रंगीला भाई.. अब हम लोग इधर से चलते हैं।
यह कह कर दोनों चले गए।
फिर सेठ ने उठ कर दरवाजा बंद किया और मेरे पास आकर बैठ गया कुछ इधर-उधर की बातें करते-करते मुझे सहलाने लगा और मुझे चुम्बन करते-करते बेड पर लेट गया।
मैं भी उसका साथ देने लगी, पर सेठ जैसे टूट पड़ना चाहता था, जैसे मुझे खा जाएगा।
मैं बोली- थोड़ा प्यार से करो सेठ..!
बोला- तेरे जैसे माल को पाकर सब्र नहीं होता रानी…!
मैं उस समय कुरती-जींस पहने हुई थी। सेठ ने कुरती उतार फेंकी, जींस भी निकाल दिया।
मैं केवल ब्रा-पैन्टी में रह गई थी। लाल ब्रा-पैन्टी में मेरे हुस्न को देखा कर सेठ बोला- तू तो सेक्स की देवी है… आज मैं अपने बाबूराव से चूत पेल कर फाड़ दूँगा…!
कहते हुए ब्रा से मेरी चुचों को निकाल कर बारी-बारी से चूसने लगा और मुझे चूमते हुए नाभि तक आया और पैन्टी के ऊपर से चूत को चूमा तो मेरी चूत रोने लगी और मैं सेठ का सर पकड़ कर चूत पर दबाने लगी।
फिर सेठ ने धीमे-धीमे चूमते-चाटते पैन्टी को मेरे पैरों से निकाल दिया और सीधे मेरी चूत पर मुँह रख दिया।
मैं एकदम से कांप गई।
सेठ चूत चाटने लगा, एक हाथ से चूची मसकने लगा।
सेठ की उमर 55 के आस-पास की थी, पर गजब का प्यार कर रहा था।
उसने मेरी चूत में जीभ पेल दी, चूसते-चाटते मेरी जाँघों को चूमते, चूत को चाटते मुझे पागल कर दिया।
मुझे लगा कि कुछ देर और चाटता रहा तो मैं झड़ जाऊँगी, मेरी सिसकारी फूट रही थीं।
सेठ मंजा हुआ खिलाड़ी था, उसने भांप लिया कि मैं एकदम से गर्म हो गई हूँ, उसने चूमना बंद कर दिया और खड़ा हो कर अपने कपड़े उतारने लगा।
जब उसने जांघिया उतारा, तो मैं देख कर पागल हो गई।
क्या मर्द था…!
उसका बाबूराव करीब 8 इंच लम्बा और मोटा 4 इंच का था, देखने में पूरा गदहे के लण्ड जैसा था।
मैं पहले डरी, फिर सोचने लगी कि आज किस्मत मेहरबान है तो फिर क्या डरना…!
सेठ लण्ड को मेरे मुँह के पास लाकर बोला- चूस…!
मैंने कभी भी ह्ज्बेंड को छोड़ कर किसी और का लंड नहीं चूसा था, मैं बोली- नहीं सेठ मैं नहीं चूसूँगी..!
तो सेठ बोला- नखरे मत कर… चूस न..!
सेठ जबरदस्ती मेरे मुँह में बाबूराव डालने लगा। मैं ना-नुकुर करती रही, पर वो नहीं माना। उसने लण्ड ठूँस दिया।
मेरी सांस रुक गई, मेरा मुँह पूरा भर गया था, दर्द के मारे आँसू आ गए, पर सेठ ने मजबूर कर के बाबूराव चुसाया और बोला- साली बाबूराव चूस… तुझे खुश कर दूँगा… बस तू मुझे खुश कर…!
इतना बोल कर वह अपने हाथ से एक सोने की अंगूठी मेरे हाथ में देकर बोला- ले तू मेरे को पसन्द आ गई है, ले रख ले… पर उन लोगों से कुछ मत कहना।
अंगूठी पाते ही मेरा मन उछल पड़ा और मैं सेठ की हर बात को मानने और खुश करने के लिए बाबूराव चाटने लगी।
सेठ भी खुश होकर बोला- चाट कुतिया… खा जा मेरे बाबूराव को… कुतिया साली.. तेरी चूत भी पनिया गई है… साली बाबूराव खाने को… रो रही है…!
मैं मजे से उसका लण्ड चाटने लगी।
फिर सेठ बोला- चल अब तुझे चोदूँगा।
उसने बाबूराव मुँह से निकाल कर मुझे बेड के किनारे कर दिया। मेरे पैर नीचे कर के सारा शरीर ऊपर कर दिया और मेरे पैर उठा कर चूत चाटने लगा। मैं सोचने लगी कि ये तो फिर से चूत चाट रहा है पता नहीं जीभ से ही चोद कर छोड़ देगा..!
पर वो मेरी सोच को समझ गया और बोला- तू चिंता मत कर… मुझे चूत का पानी पीकर चुदाई करने में मज़ा आता है…!
फिर सेठ ने मेरी चिकनी और पनियाई चूत पर बाबूराव लगाया, चूत खूब रसीली थी सो जरा से धक्के में ही उसका सुपारा ‘फक्क’ की आवाज़ के साथ चूत की दरार में फंस गया।
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06-19-2018, 12:36 PM,
#4
RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मुझे दर्द होने लगा, चूत पनियाई तो थी, पर लण्ड चूत के हिसाब से अधिक मोटा था, अब सेठ बाबूराव अन्दर पेलने लगा। मैं छटपटाने लगी, पर सेठ ने पूरा बाबूराव चूत में बेदर्दी से पेल दिया, मैं दर्द से चिल्लाने लगी तो सेठ को मजा आने लगा कि उसको मस्त चूत मिली और वो मेरे दर्द को घटाने के लिए मेरी छातियों को चूसने लगा। तो कुछ राहत मिली।
आज तक तो ह्ज्बेंड का 5 इंच लंबा 2 इंच मोटा बाबूराव ही खाया था, पर आज मेरी चूत दुगुना मोटा बाबूराव से खा रही थी।
कुछ ही पलों बाद मुझे भी मज़ा आने लगा।
सेठ बाबूराव अन्दर-बाहर करने लगा, मेरे मुँह से सिसकारियाँ आने लगीं तो सेठ समझ गया कि अब मुझे अच्छा लग रहा है।
फिर सेठ ज़ोर-ज़ोर से हुमच कर चोदने लगा, पैर ऊपर उठा होने के कारण मेरे पेड़ू में दर्द हो रहा था।
मैं सेठ से बोली- मेरे पैर नीचे कर दो..!
फिर सेठ पैर नीचे कर कस-कस कर मेरी चूत को चोद कर निहाल कर दिया।
फिर चूत से बाबूराव निकाल कर बोला- जान एक बार अपने बाबूराव को चाट ले…. फिर चूत चोदूँगा।
मैं अंगूठी के लालच में बाबूराव चाटने लगी।
लण्ड में चूत का पानी लगा था, मैंने सब चाट कर साफ कर दिया।
सेठ ने मुझे घोड़ी बना कर पीछे से चूत में लण्ड ठोक कर चोदने लगा। मैं एकदम से पानी-पानी हो कर सीत्कारें ले लेकर चिल्लाने लगी- चोद राजा… मेरी चूत को मेरे राजा… आज से चूत तुम्हारे नाम कर दी.. चोद साले मेरी चूत…!
सेठ ने मेरी बात सुन कर मस्त होकर चोदने की रफ्तार बढ़ा दी और बोलने लगा- ले साली… रंडी खा… मेरा बाबूराव… अपनी चूत में.. बड़ी मस्त है रे तेरी चूत… तुझे तो चोद कर अपनी रखैल बनाऊँगा..!
फिर सेठ लेट कर आगे से चूत में लण्ड डाल कर चोदने लगा। मैं भी हर धक्के पर सिसिया कर जबाब देती- हाँ… राजा तेरी रखैल बनूँगी… इसी बाबूराव से चूत चुदवाऊँगी… मेरे राजा आ..स..सन्न..हस्सीए..!
मैं झड़ने लगी, “मैं गई आह…हसीए… आसहसीस…. मैं गई… राजा.. झड़ गई… !
कस कर सेठ से चिपक कर झड़ने लगी, ऐसा लगा कि मैं बरसों की प्यासी थी, मेरा पानी निकलने के बाद भी सेठ मुझे चोदे जा रहा था।
अब मुझे चूत में जलन होने लगी थी, मैं सेठ से बोली पर सेठ कहाँ मानने वाला था, सेठ तो बस चोदने में लगा था।
तभी जय का फोन आ गया, सेठ झुँझला कर बोला- साला मूड खराब कर दिया.. कहते हुए फोन उठाया, बोला- क्या है बे…!
जय बोला- सेठ खुश हुए..!
मानो सेठ के जले पर नमक छिड़क दिया, यह बात सुन कर सेठ झुंझला कर बोला- अबे साले… लण्ड तो अभी इसकी चूत में है.. फोन रखो… मैं तुझे बाद में कॉल करूँगा।
फिर सेठ बोला- रानी थोड़ा बाबूराव चाट और चूत से बाबूराव बाहर कर के चटाया।
बोला- अब तेरा पिछवाड़ा मारूँगा..!
मैं डर गई, पर सेठ ने एक न सुनी… ढेर सारा थूक लगा कर बाबूराव पिछवाड़े के छेद पर लगा कर एक ही झटके में बाबूराव डालना चाहा, पर सुपारा जाते ही मुझे बहुत दर्द हुआ, मैं छटपटाने लगी।
शायद सेठ को पता था दर्द होगा, तभी सेठ अपनी बाँहों में मुझे जकड़ लिया था। मैं चिल्लाती रही, रोती रही, पर सेठ ने पूरा लण्ड डाल कर ही माना और मेरी गाण्ड मारता रहा।
उसे ज़रा भी दया नहीं आई, वो मेरी गाण्ड की जड़ तक हुमच-हुमच के ठोकर मारता रहा फिर मेरी गाण्ड में झड़ने लगा।
‘लो जान गया मैं…!’ और सेठ का पानी से गाण्ड भर गई।
कुछ देर वो मेरे ऊपर ही पड़ा रहा, फिर उसने अपना ‘हलब्बी-छानू’ निकाल लिया, उसका बाबूराव देख कर मैं डर गई।
मैं उठी, मुझसे चला नहीं जा रहा था बाथरूम में जब पेशाब करने बैठी, तो गाण्ड से खून और सेठ का वीर्य फर्श पर फैल गया।
किसी तरह धोकर बाहर आई, तो सेठ जय को फोन पर बोला- आ जाओ डॉली जान ने मुझे खुश कर दिया है भाई…!
कह कर उसने फोन रख दिया और मुझसे बोला- डॉली मैं तुमसे बहुत खुश हूँ… लो यह 2000 रूपए…!
फिर उसने मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर माँगा और अपना दिया।
तब तक जय व रंगीला आ गए थे।

मेरे ह्ज्बेंड खाना लेकर आ गए फिर हम दोनों ने खाना खा सोने के लिए बिस्तर पर गए तो मेरे ह्ज्बेंड ने पूछा- क्यों.. बड़ी चुप हो डॉली..? 
तो मैं थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली- बीवी को किसी और को देकर चले गए इतना भी ना सोचा कि वह जोर-जबरदस्ती करता तो मैं क्या करती, मुझे डर लग रहा था।
ह्ज्बेंड बोले- यार डरने की कोई बात नहीं है, हम तो थे ना और जय भी तो मेरे साथ ही था।
ये सब बात करते-करते हम दोनों सो गए।
सुबह जय कब आया.. पता ही नहीं चला, जय के जगाने पर ही नींद खुली।
फिर मैं फ्रेश होने बाथरूम में चली गई।
मैं बाथरूम से निकली तो जय बोला- रंगीला तुम फ्रेश हो लो भाई.. मैं आप लोगों के लिए चाय लाता हूँ।
जय के चाय लेकर आते ही रंगीला यानि मेरा ह्ज्बेंड भी फ्रेश हो चुका था।
जय चाय लेकर भी आ गए फिर हम तीनों ने साथ बैठ कर चाय पी। 
जय बोला- करीब एक घंटे में मेरे एक मित्र आने वाले हैं, डॉली तुम तैयार हो जाओ। 
यह बोलकर जय चला गया, फिर मैंने तैयार हो कर जीन्स-टॉप पहन लिया।
जय के कहे अनुसार करीब एक घंटे में एक आदमी के साथ जय आ गया।
हम लोगों से परिचय करवाते हुए जय बोले- यह मेरे खास मेहमान राज शर्मा हैं और राज यह रंगीला है और यह डॉली है। 
मैं बोली- प्यार से रानी।
सभी हँस दिए।
जय बोले- डॉली.. राज भाई का थोड़ा मूड फ्रेश करो… यह तुमको देखने के लिए बेताब थे।
मैं बोली- राज जी.. आपका स्वागत है।
तभी जय बोले- आप लोग एन्जॉय करो मैं और रंगीला चलते हैं। 
उन लोगों के जाने के बाद दरवाजा अन्दर से बंद करके मैं राज के पास आ गई।
राज जी बोले- डॉली तुम्हारी चर्चा जब से सुनी है.. तभी से तुमको पाने की चाहत थी.. आज तुम इन चार घंटों के लिए मेरी रानी बन जाओ।
मैं राज से बोली- जो हुकुम मेरे आका।
राज हँस दिए और उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा। मैं कटी पतंग की तरह राज की गोद में जा गिरी।
राज मेरी तरफ एकटक देखने लगे और मैंने कातिल अदा से कहा- कभी आपने लौंडिया नहीं देखी। 
वो मुस्कुराने लगे और बोले- बहुत देखी हैं लेकिन आपके जैसी मस्त परी नहीं देखी.. जिसको भी आपका ये रसीला जिस्म मिला होगा वो मर्द भी कितना खुशनसीब होगा।
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06-19-2018, 12:36 PM,
#5
RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मैं भी चुटकी लेते हुए बोली- चलिए आज आपको भी मैं नसीब वाला बना देती हूँ।
मैंने देखा कि उनका पजामा तना हुआ था और वो एकटक मेरी फूली हुई चूचियों को निहार रहे थे। मेरी चूत की प्यास भी तेज होने लगी और मेरे मम्मे मसलवाने के लिए मचलने लगे।
मैंने जानबूझ कर एक भरपूर अंगड़ाई ली और उनके बिस्तर से उठने का नाटक करने लगी।
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया।
वो बिस्तर पर लेटे हुए थे और मैं जानबूझ कर उनके ऊपर गिर पड़ी।
मेरे बड़े-बड़े मम्मे उनकी मजबूत चौड़ी छाती में दब गए और उन्होंने मुझे ऊपर से जकड़ लिया।
अपने तप्त होंठों को मेरे नाजुक होंठों पर कसकर रसपान करने लगे। 
मैं उनकी मजबूत बाँहों में कसमसाते हुए बोली- मैं आपकी बीवी नहीं हूँ। 
तो वो मेरा टॉप उतारते हुए बोले- बन जाओ न.. कुछ समय के लिए। 
मैं बोली- बीवी बनूँगी तो मजा नहीं आएगा। 
मैं उनके ऊपर अपना सारा बोझ डाले हुए थी, उनका लंड मेरी दोनों जाँघों के बीच गड़ रहा था।
मैं अपनी दोनों चूचियों को उनके सीने पे रगड़ने लगी, मु्झ पर भी चुदाई की खुमारी छाने लगी थी और मेरी दोनों चूचियाँ कठोर होने लगीं।
मैंने कहा- आज मुझे जी भर करके चोदो, मेरी चूत बहुत दिनों से लंड का दीदार करने के लिए तड़प रही है.. इसकी तड़प शान्त कर दो प्लीज।
राज ने मेरे चूचुकों को अपनी चुटकी में भर कर मसल दिया। 
मैंने सिसकारी लेते हुए पूछा- क्या आप की बीवी अच्छे से नहीं चुदती? 
तो बोले- एक ही चूत में पेलते-पेलते बोर हो गया हूँ और वैसे भी आपकी तुलना में तो वो जीरो है।
मुझ पर नशा छा रहा था और मैं अपनी फूली हुई बड़ी-बड़ी छातियों को उनके छाती पर रगड़ने लगी। 
मैंने कहा- आज आप मुझे इतना चोदो कि मुझे आपकी चुदाई हमेशा याद रहे।
तो वो बोले- आपके इस गदराए जिस्म को मैं भी कहाँ भूल पाऊँगा.. आपको कौन मर्द नहीं चोदना चाहेगा.. आपको चोदकर तो मैं निहाल हो जाऊँगा।
उन्होंने अपनी हाथों का दबाव और बढ़ा दिया और मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
अब हम दोनों ही अपने आपे में नहीं थे। उन्होंने मेरी ब्रा को भी खोल दिया और फिर मेरे दोनों चुचों को अपने हाथों में लेकर मसलने लगे।
मेरे चुचों को मसलते-मसलते कहने लगे- रानी, आज तो मैं इन्हें पूरी तरह चबा जाऊँगा।
वो मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेकर उसका दूध पीने लगे और मेरी मक्खनी चूचियों में अपने दांत गड़ाने लगे।
उन्होंने मेरी जीन्स निकाल दी और अब मेरे शरीर पर केवल एक पैन्टी थी।
मैंने भी उनके बदन से सारे कपड़े उतार दिए और उनका अंडरवियर भी उतार कर उनके काले फ़नफ़नाते लंड को आजाद कर दिया।
बाहर आते ही उनका मोटा लंड तन कर खड़ा हो गया और उसे मैं अपने दोनों हाथों से पकड़ कर सहलाने लगी।
उनके मुँह से सिसकारी निकलने लगी।
करीब दो मिनट तक सहलाने के बाद मैंने उनका लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
उनका लंड बहुत बड़ा था और जितने लौड़ों से मैं अभी तक चुदवा चुकी हूँ उन सबसे शायद अब तक का सबसे बड़ा बाबूराव था। 
मैंने कहा- इतने बड़े लंड को मेरी मुलायम सी चूत कैसे झेलेगी.. पता नहीं दीदी की चूत का क्या हाल हुआ होगा। 
तो उन्होंने कहा- जरा सब्र करो रानी, एक बार चुदवाने के बाद आपको कोइ दूसरा लंड पसन्द नहीं आएगा। 
काफी देर तक लंड को चूसने के बाद मैंने अपने चूचियों को उनके मुँह के हवाले कर दिया और वो बेकरारी से उन्हें चूसने लगे और हौले-हौले कट्टू करने लगे और उँगलियों को मेरी पैन्टी के अन्दर डालकर ऊपर-नीचे करने लगे।
मैं अब बहुत गरम हो चुकी थी मैंने उनसे जल्दी चोदने के लिए कहा।
मैं उनके नीचे आ गई और वो मेरे ऊपर चढ़ गए और फिर मेरी पैंटी उतार फेंकी।
मैंने उनके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर टिकाया, उन्होंने एक झटका दिया और मेरी चिकनी बुर में उन्होंने अपने बड़े से लण्ड का सुपारा पेल दिया और झटके पे झटके देने लगे।
मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ क्योंकि मेरी चूत चुदवाते-चुदवाते काफी फ़ैल चुकी थी।
उन्होंने मेरी दोनों जाँघों को उठाकर चोदना शुरु कर दिया। उनका काला मोटा लंड मेरी बुर में घुसने-निकलने लगा और मुझे अपूर्व आनन्द की प्राप्ति होने लगी।
सचमुच चुदवाने में कितना आनन्द आता है, मैं बता नहीं सकती और अगर आपको मोटा-ताजा, लम्बा और कठोर लण्ड मिल जाए तो वो आनन्द दुगुना हो जाता है।
उनके लण्ड में ये सारी खूबियां थीं।
मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं आप सबको बता नहीं सकती।
मैं उनसे कहने लगी- राज आपके इस मोटे काले लंड का सचमुच कोई जबाब नहीं।
उन्होंने मुझे नए-नए आसनों में चोदना शुरु किया और मैं आनन्द के मारे ‘उई-उई’ करने लगी।
एक साथ बुर और चूची का मजा लेने के लिए वो मेरे ऊपर छा गए, उनका लण्ड मेरी बुर में धंसा हुआ था, वो एक हाथ मेरे एक मम्मे को नोंच रहे थे और मेरे दूसरे मम्मे को मुँह लेकर से चूसे जा रहे थे, साथ ही अपने चूतड़ को उछाल-उछाल कर बुर को पेले भी जा रहे थे।
मैंने कहा- वाह राज जी.. आपको तो लड़की चोदने का पूरा अनुभव है… मैं तो आपकी चुदाई की कायल हो गई। 
तो उन्होंने कहा- मैं भी आपकी बुर और इन मुलायम रस भरी चूचियों का दीवाना हो चुका हूँ… अब बिना आपको चोदे बिना कैसे रहूँगा।
‘मेरी चूत चोदने आते रहिएगा…’ मैं हँसने लगी।
वो भी हँसने लगे।
वो फिर से मेरी चुदाई पर ध्यान देने लगे।
मैंने कहा- जोर-जोर से चोदिए न राज जी.. मेरी बुर बहुत प्यासी है इसकी आग ऐसे शान्त नहीं होगी।
उन्होंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी और जोर-जोर से बाबूराव को अन्दर-बाहर करने के साथ ही अपने लंड को मेरी प्यासी चूत में धकेलने लगे और मैं चिल्लाने लगी- हाँ.. ऐसे ही.. आह..आह उई.. माँ.. मर गई.. आह चोदते रहिए.. बिल्कुल ऐसे ही आह.. राज जी आह..।
अपने दोनों हाथों से मैं अपनी चूचियाँ मसलने लगी और वो मेरी चुदाई करते रहे।
मुझे चुदवाने में इतना मजा पहले कभी नहीं आया था।
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06-19-2018, 12:36 PM,
#6
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उन्होंने मुझे जी भरके चोदा और अन्त में अपना सारा वीर्य मेरी चूत में डाल दिया।
कहने लगे- शायद आज मेरा लंड इतनी मस्त बुर को चोद कर पहली बार संतुष्ट हुआ है।
यह कहते राज मेरे ऊपर से उठ गए फिर मैं उठकर बाथरूम गई और जब वहाँ से निकली तो राज जी नंगे ही बैठे थे।
मैं बोली- क्या इरादा है जनाब का?
तो बोले- यार तुम साथ दो.. तो एक बार फिर महफिल जमाएँ!
मैं बोली- आपकी इच्छा है।
बोले- यार तू चीज ही ऐसी है कि मन मानता ही नहीं.. यह लो 1000 का नोट रख लो.. मेरी तरफ से अलग से…
मैं उनकी बात मान कर बोली- आज तो आप भी मुझे खुश कर दिया है, इस लिए मैं ये पैसे नहीं लूँगी। 
फिर राज ने जबरन मुझे रूपए दे दिए और अगले दिन आने के लिए कहा फिर वे बाथरूम में चले गए।
तब तक मैं कपड़े पहन तैयार हो गई।
राज बाथरूम से निकले और तैयार हुए फिर उन्होंने जय को फ़ोन लगा कर बोला- यार कहाँ चले गए.. आ जाओ।
फ़िर राज मुझसे बात करने लगे।
जय जी आ गए और बोले- डॉली जी आज शाम सात बजे आपको मेरे साथ यहीं पास के एक होटल में चलना है, वहाँ आपकी मुलाकात होटल मालिक से करानी है। अगर उन्हें तुम पसंद आ गईं तो आपकी आज की मीटिंग होटल मालिक के साथ होगी। 
मैं बोली- ओके।
फिर जय बोले- अभी तो 12:30 बज रहे हैं। तब तक तुम लोग चाहो तो मथुरा घूम लो।
मेरे ह्ज्बेंड रंगीला बोले- हाँ…यह ठीक है हम घूम आते हैं।
जय बोले- पर वक्त का ध्यान रखना, शाम को जाना है और ये लो 15000 रुपए.. कुछ खरीददारी भी कर लेना, अब मैं चलता हूँ..
6:30 पर आऊँगा, डॉली तुम तैयार रहना। 
मैं बोली- ठीक है। 
जय चले गए, हम लोग भी थोड़ा घूमने निकल गए।
घूम कर हम लोग आए तो सोचा कि कुछ देर आराम कर लें। 
फिर ठीक वक्त पर जय आ गए।
शाम सात बजे हम होटल के लिए रवाना हुए।
आज मैंने जीन्स और कुर्ती पहनी थी, मैं बहुत सुंदर लग रही थी।
होटल पहुँचते मैं सीधे होटल के अन्दर चली गई और जय जी के साथ कुर्सी पर बैठ गई।
थोड़ी देर जिन साहब से मीटिंग करनी थी, वो (होटल मलिक) अन्दर आ गए और जय से हाथ मिला कर बैठ गए।
तब जय जी ने मेरा परिचय दिया और वे बातें करने लगा।
कुछ देर बात करने के बाद जय जी बोले- डॉली जी.. आप साहब जी को पसंद आ गई हो, तुम्हारा क्या कहना है? 
मैं बोली- जो आप लोगों की सोच है, वही मेरी भी है।
जय जी ने बोला- सर जी बात पक्की, अब आप इजाजत दो, तो हम चलें।
होटल मालिक बोले- खाना वगैरह खा के जाओ.. क्यों डॉली? 
मैं बोली- जो आप ठीक समझो। 
‘क्या आप नहीं खाओगी?’
मैं बोली- क्यों नहीं..
सभी हँस दिए।
फिर हम सब खाना खाने बैठे।
होटल मालिक भी हमारे साथ ही खाना खाने लगा।
खाना खाने के बाद होटल मालिक ने एक वेटर को बुलाया और बोला- मैडम आज हमारी मेहमान हैं, इनको कमरा नंबर 201 में ले जाओ और इनको जो भी जरूरत हो, तुरंत हाजिर कर देना। 
वेटर बोला- जी मालिक। 
फिर सर बोले- डॉली, तुम चलो आराम करो।
मैं वेटर के पीछे-पीछे चल दी।
वेटर घूम कर देखे जा रहा था, मैं भी कुछ शरारत करने के मूड में आ गई।
मैं वेटर को देख मुस्कुरा देती, तभी मेरा कमरा आ गया। 
मैं कमरे में पहुँची, अरे बाप रे.. यह कमरा नहीं यह तो जन्नत था। 
मै बिस्तर पर जा बैठी, वेटर बोला- मैम, कुछ चाहिए? 
मैं बोली- हाँ.. पर वो चीज तुम नहीं तुम्हारे सर जी देंगे। 
वेटर सकपका गया, मैं मजा लेटी हुई बोली- जाओ जरूरत होगी तो बुला लूँगी।
उसके जाने के बाद में गुसलखाने में गई अपनी पैन्टी सरका कर मूतने बैठी, बड़ी जोर की पेशाब लगी थी, स्शी..स्शी.. की आवाज करते मेरी चूत से धार निकल पड़ी।
मैं आपको बता दूँ कि मैं पतली वाली चाइनीज पैन्टी पहनती हूँ जो पीछे से सिर्फ एक डोरी वाली होती है जो कि मेरी गाण्ड की दरार में घुस जाती है और आगे से सिर्फ दो इंच चौड़ी पट्टी मेरी चूत को ढकने में नाकाम सी होती है। 
खैर.. मैं मूत कर बाहर आई और शीशे में खुद को देखने लगी। मैं आज बहुत सुंदर लग रही थी। 
तभी होटल के कमरे का फोन बजा फोन उठाया, ‘हैलो’ कहने से पहले ही उधर से आवाज आई- मैं होटल मालिक जयदीप हूँ.. आधे घंटे में आ रहा हूँ.. जान जब से तुम्हें देखा है, रह नहीं पा रहा हूँ तुम्हारी चूत चोदने को बेताब हूँ।
मैं बोली- मैं भी चुदने को तैयार हूँ.. आ जाओ। 
बोले- कुछ लोग हैं पहले इनकी छुट्टी कर दूँ फिर आता हूँ मेरी जान.. और सुनो नाईटी लाई हो? या एक ले आऊँ। 
मैं बोली- है.. आप चिन्ता ना करो। 
तो वो बोले- पहन लो.. बाकी कपड़े उतार दो.. मगर पैन्टी-ब्रा नहीं.. वो मैं उतारूँगा। 
उसने फोन रख दिया। मैंने कपड़े निकाल कर नाईटी पहन ली और बिस्तर पर जा लेटी और होटल मालिक के विषय में सोचते हुए पैन्टी के अन्दर हाथ डाल कर चूत सहलाने लगी।
मैं यहाँ जयदीप कहना चाहूँगी, जयदीप को जब से देखा है, मैं भी उससे चुदना चाहती थी, जय का जिस्म मुझे उत्तेजित कर रहा था।
मैं सोच रही थी कि कैसे वो मुझे अपनी बांहों में लेकर, मेरी चूत अपने हाथों से सहलाएगा।
यही सोचते-सोचते मेरी चूत पनिया गई।
तभी कमरे की घन्टी बजी, मेरा ध्यान टूटा, मैं झट से जाकर दरवाजा खोला, सामने होटल मालिक जयदीप था।
मैं बोली- आईए आप ही का इन्तजार कर रही थी..
अन्दर आकर दरवाजा बन्द करके उसने मुझे पकड़ लिया और मेरे गुलाबी होंठों को चूमने लगा।
वो मुझे अपनी बांहों में भर कर चूम रहे थे और अपने एक हाथ को मेरी नाईटी के अन्दर डाल कर, मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे स्तनों को दबाने लगा।
फिर उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर ले गया और मुझे बिस्तर पर लुढ़का दिया।
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06-19-2018, 12:36 PM,
#7
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फिर एकदम से वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे होंठों को चूसने लगा और बोलने लगा- जब से जय ने तुम्हारे बारे में बोला, तभी से तुम्हें देखना और पाना चाहता था। आज देखते ही तुम मुझे पसन्द आ गईं।
फिर मुझे चूमने लगा और बोला- नाईटी में तुम गजब की लग रही हो, अब जरा अन्दर के भी दीदार करा दो मेरी जान!
मैं बोली- हुजूर.. आज मैं आपकी हूँ.. जो चाहो करो.. आपके स्वागत में मेरा हुस्न हाजिर है।
जय ने चूमते हुए मेरे नाईटी को निकाल दिया।
अब मैं उसके सामने सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में थी, जयदीप मुझे आँखें फाड़े मुझे देखते हुए बोला- तुम ऐसे में कयामत लग रही हो.. मेरा बस चले तो तुमको सदा ऐसे ही रखूँ।
फिर उसने मेरी पैन्टी के ऊपर से चूम लिया, बोला- मैं चुदाई से पहले पैन्टी-ब्रा को निकालता नहीं.. फाड़ देता हूँ, तुम बुरा तो नहीं मानोगी?
मैं बोली- जैसा आपको अच्छा लगा.. करो। 
इतना बोलते ही जय ने ब्रा को जोर से पकड़ कर एक झटके में फाड़ दिया और मेरी चूचियाँ छलक कर बाहर आ गईं।
जय भींच कर मेरी चूची चूसने लगा।
फिर पैन्टी पकड़ा और जोर से खींच कर फाड़ दिया, जिससे मेरी गुलाबी चूत उसके सामने आ गई।
अब मैं उसके सामने पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी, मेरे बड़े-बड़े स्तन उसके सामने सख्त आम की तरह तने हुए थरथरा रहे थे।
मेरे स्तनों को देख कर वो पागल हो गया, एक मम्मा मुँह में लेकर चूसने लगा, मुझ पर तो जैसे चुदाई का नशा सवार होने लगा। मैं अपनी आँखें बँद करके पड़ी हुई थी।
करीब 15-20 मिनट तक वो ऐसे ही मेरे बदन को चूमता रहा, फ़िर वो उठा और अपने कपड़े निकालने लगा।
जब उसने अपना बाबूराव निकाला तो मैं देखती रह गई। वो करीब 8 इंच बड़ा और 4 इंच मोटा था।
मुझसे रहा नहीं गया, मैं लपकी और उसका मोटा बाबूराव मुँह में लेकर चूसने लगी।
वो हैरान रह गया.. शायद जय यह नहीं सोच रहा था। 
वो बोला- साली तू तो रन्डी निकली। 
मैं भी अब बेशर्म हो गई थी और उसका लन्ड चूसने लगी।
वो बोला- साली कुतिया.. आज तो तेरे दोनों छेदों को मैं फ़ाड़ दूँगा।
मैं बोली- हाँ.. मेरे राजा.. आज तो मुझे अपनी रन्डी बना दे.. फ़ाड़ डाल मेरे छेदों को.. आह्ह..
उसने अपना लन्ड मेरे मुँह में से निकाला और बोला- बोल साली पहले रन्डी किधर डालूँ?
मैं बोली- आज तक मैंने अपनी गाण्ड एक ही बार मरवाई है, आज तू इसको दुबारा चोद दे।
वो बोला- चल मेरी रानी.. कुतिया बन जा।
तो मैं कुतिया की तरह उसके सामने अपनी गाण्ड खोल कर बैठ गई।
उसने ढेर सारा थूक लिया और मेरी गाण्ड के छेद पर लगा दिया, फिर उसने अपना सुपारा मेरी गाण्ड के छेद पर टिकाया और एक जोर का धक्का मारा।
‘आईईइ..’ मैं जोर से चिल्लाई।
एक ही झटके में उसने अपना पूरा लन्ड मेरी गाण्ड के अन्दर डाल दिया।
मैं रोने लगी,’छोड़ दो मुझे.. आह्ह्ह्ह प्लीज़ उईईईइ.. मैं मर गई।’
वो मेरे चूतड़ों को धीरे-धीरे सहला रहा था।
फिर उसने अपना लन्ड बाहर निकाला और फिर एक और जोर का धक्का दे दिया।
मैं फिर चिल्लाई लेकिन इस बार वो नहीं रुका और धक्के पे धक्का मारने लगा।
मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं रो रही थी, लेकिन वो कमीना नहीं रुका और धक्के पे धक्का लगाता ही गया।
करीब 10 मिनट के बाद मेरा दर्द दूर हुआ।
मेरी गाण्ड में से ‘फ़चक… फ़चक…’ की आवाज आ रही थी।
आख़िरकार दुबारा मुझे मोटे लण्ड से गाण्ड मरवाने का सपना पूरा हुआ था।
अब मेरा दर्द पूरा गायब हो गया था और मुझे बड़ा मजा आने लगा था। 
अब मैं मस्ती में चिल्ला रही थी- आह्ह्ह्ह्ह.. मेरे राजा.. फाड़ दे मेरी गाण्ड को.. आहहहह और जोर से आहहहह… मुझे अपनी रन्डी की तरह चोद..उईईईईईई…
तभी उसने अपना लन्ड मेरी गाण्ड में से निकाला और मेरे नीचे आ गया।
मैं समझ गई और उसके ऊपर चढ़ गई, मैंने उसका लन्ड पकड़ लिया और अपनी गाण्ड के छेद पे सैट कर लिया और धक्का दिया।
इस बार उसका बाबूराव बड़े आराम से मेरी गाण्ड के अन्दर चला गया।
अब मैं उसके लन्ड के ऊपर मेरी गाण्ड पटक-पटक कर चुदने लगी। वो भी नीचे से धक्के मार रहा था। 
‘फ़चक… फ़चक’ पूरे कमरे में यही आवाज आ रही थी।
मुझे उसकी रन्डी बन कर बहुत मजा आ रहा था।
वो मेरी गाण्ड फाड़ता रहा। 
फिर जय बोला- रानी मैं झड़ने वाला हूँ.. कहाँ निकालूँ?
मैंने कहा- मेरी गाण्ड में ही छोड़ दो। 
तो वो जोर-जोर से धक्के मारते-मारते मेरी गाण्ड के अन्दर ही झड़ गया।
फिर मैं उठी और जय के लण्ड को रूमाल से साफ किया फिर अपनी चूत पोंछी। जय के वीर्य से रूमाल पूरा भीग गया था। 
वो बोला- तुम थोड़ा आराम कर लो। उसके बाद चूत मारूँगा.. चुदोगी न। 
मैं बोली- ऐसे लवड़े से कौन नहीं चुदना चाहेगा.. मेरे जयदीप आज में तेरी रन्डी हूँ.. तू जैसे चाहे मुझे चोद ले। 
मेरी ब्रा-पैन्टी तो पहले ही फट चुकी थी। मै वैसे ही नाईटी पहन कर जय के बगल में जा लेटी। 
जय भी कपड़े पहन चुका था और उसने फोन करके काफी के लिए बोला।
फिर हम दोनों बातें कर ही रहे थे कि दरवाजे पर घन्टी बजी।
जय ने दरवाजा खोला, वेटर काफी ले आया था। 
काफी और सिगरेट रख बोला- सर कुछ और? जय बोला- नहीं.. जाओ। 
वो चला गया।
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06-19-2018, 12:36 PM,
#8
RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
जय सोफे पर बैठ कर सिगरेट पीने लगा और मुझे भी सोफे पर बुला लिया। 
मैं जय से सट कर बैठ काफी पीने लगी। कुछ देर बाद जय बोला- चुदोगी.. तैयार हो? 
मै बोली- बिल्कुल.. आप का साथ देने को तैयार हूँ। 
मुझे बाँहों में लेकर बोला- बहुत हसीन दिख रही हो रानी।
मैंने उसके गले में बाहें डालते हुए उसके होंठों पर होंठ रखते हुए जयदीप के होंठ पीने लगी।
तभी जय ने मेरी नाईटी खोल दी और मेरे मम्मे दबाने लगा।
मैं ‘सी..सी’ कर रही थी।
वो मेरा निप्पल चूसने लगा और मैं गर्म होने लगी।
फिर जय ने नाईटी उतार फेंकी, मैं जयदीप के सामने नंगी होकर बिस्तर पर लहराने लगी।
‘हाय मेरी जान डॉली.. बहुत मस्त माल हो.. जी चाहता है.. कच्चा खा जाऊँ’ मेरी चूची चूसते और चाटते हुए नीचे की तरफ जाने लगा।
मेरा बदन वासना से जलने लगा। ऐसे कामुक अंदाज़ कभी नहीं अपनाए थे, किसी ने मेरे बदन पर ऐसे खेल नहीं खेला था।
जब जय ने मेरी नाभि चाटी, मैं कूल्हे उठाने लगी।
उसने मेरी चूत के पास अपनी जीभ घुमाई और बोला- वाह.. कितनी प्यारी फ़ुद्दी है.. कितनी चिकनी की हुई है।
वो मेरी फ़ुद्दी चाटने लगा तो मुझे लगा कि मैं वैसे ही झड़ जाऊँगी, पर मैंने उसको नहीं रोका।
वो मुझे उल्टा लिटा कर मेरे पीठ कमर और चूतड़ों को चाटने लगा।
मैं वासना से सिसकार उठी, ऐसे मर्द के साथ पहली बार थी जो औरत को इतना सुख देता हो।
अब वो अपना मोटा लंड मेरे होंठों पर फिरा कर बोला- चल अब लौड़ा चाट। 
मैं भी पूरी रंडी बन कर दिखाना चाहती थी।
उसकी आँखों में देखते हुए मैं नीचे से उसके लौड़े को जुबान से चाटते हुए सुपारे तक गई, वहाँ से जीभ घुमा कर लौड़ा चूसा।
‘हाय मेरी रानी.. मजे से चाट-चूम.. जो तेरा दिल आए कर.. इसके साथ।’
उसका आठ इंची लौड़ा सलामी दे देकर मेरे अरमान जगा रहा था। मैं खूब खेल रही थी।
फ़िर बोला- चल एक साथ करते हैं।
69 में आकर मैं उसके लौड़े को चूसने लगी, वो मेरी फ़ुद्दी को चाटने लगा।
उंगली से फैला कर दाने को रगड़ते हुए बोला- वैसे काफी ठुकवाई है तुमने।
‘आपको किसने कह दिया जनाब?’
‘तेरी फ़ुद्दी बोल रही है..हम भी बहुत बड़े शिकारी हैं डॉली रानी।’ 
मैं कुछ बोलने के बजाय मुस्कुरा दी, कुछ देर एक-दूजे के अंगों को चूमते रहे।
फिर जय ने मेरी टांगें उठा दीं और अपने मोटे लौड़े को धीरे-धीरे से चूत में घुसेड़ने लगा।
मुझे सच में दर्द हुआ, काफी मोटा था।
‘कैसी लगी फ़ुद्दी? खुली या सही?’
‘नहीं.. नहीं..सही है रानी।’
उसने एकदम से पूरा झटका दिया, मेरी सिसकारी निकल गई- आ आऊ ऊऊऊउ छ्हह्ह्ह।
वो जोर जोर से पेलने लगा, मैं सिसक सिसक कर उसका पूरा साथ दे रही थी।
जयदीप ने मेरी टांगों को हाथों में पकड़ लिया और वार पर वार करने लगा। इससे पूरा लौड़ा घुसता था। कभी मुझे घोड़ी बनाता, कभी टांगें उठा-उठा कर मेरी लेता रहा।
बहुत देर बाद जब उसका निकलने वाला था तो उसने पूछा- कहाँ निकालूँ रानी.. जल्दी बोलो? 
मैं बोली- रुको मत.. जो करना है..करो मेरे राजा.. हाय.. जोर-जोर से करो ना..।
उसने अपना पूरा बीज मेरे पेट में बो दिया, मैंने उसका गीला लौड़ा चाट-चाट कर पूरा साफ़ कर डाला।
‘मजा आया..?’ 
‘हाँ.. बहुत मुझे आज तक किसी ने नहीं ऐसा नहीं चोदा था।’
‘बहुत मस्त माल है तू.. डॉली मुझे बहुत पसंद आई.. तेरे चूतड़ बहुत मस्त हैं।’ मेरी गाण्ड पर थपकी लगाते हुए बोला।
एकदम से दोनों चूतड़ फैला कर गाण्ड देखने लगा, ‘इसमें भी एक बार फिर से करने का मन है।’ 
‘आपको जो ठीक लगा.. करो, आज मैं सिर्फ आप की हूँ।’
उसने मेरे चूतड़ों को थपकी देते हुए फैलाया, छेद पर थूका और पकड़ कर मुझे घोड़ी बना दिया। 
उसका लौड़ा फिर से खड़ा था।
उसने जोर से लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और पेलने लगा।
‘हाय फट गई मेरी.. मत करो।’
लेकिन उसने पूरी मर्दानगी मेरी गाण्ड पर उतार दी.. जोर-जोर से गाण्ड मारी और झड़ गया।
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06-19-2018, 12:36 PM,
#9
RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
पूरी रात जयदीप ने मुझे जम कर चोदा और मेरे बदन का पोर-पोर हिला दिया, मेरा अंग-अंग ढीला कर दिया।
फिर मुझे नींद आ गई।
मुझे पता ही न चला कि कब सुबह के 6:30 बज गए।
जय मुझे लेने आया था, तब पता चला। मैं उठी गुसलखाने जाकर फ्रेश हो कर बाहर आई।
जय ने पूछा- रात कैसी थी? 
मैं क्या कहती.. बस ‘हँस’ दी। 
जय से बातें करते-करते कब कमरे पर पहुँची, मुझे पता ही नहीं चला।
जय ने बाइक रोकी, तब पता चला कि हम लोग कमरे पर पहुँच गए।
मैं बाइक से उतर कर सीधे कमरे के अन्दर गई, वहाँ देखा कि रंगीला बैठा था।
वो मुझे देख कर बोला- जान.. कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना?
मैं कुछ बोलती इससे पहले जय पीछे से बोला- मेरे रहते क्या दिक्कत होती।
तब रंगीला बोले- सही बोले.. जय भाई आप हो, तो मुझे कोई परवाह नहीं।
जय थोड़ा मुस्कुराया।
फिर मेरे ह्ज्बेंड बोले- जय भाई, आज कोई मीटिंग मत रखना, आज मैं चाहता हूँ कि डॉली को कहीं घुमा लाऊँ।
तो जय बोले- ठीक है.. वैसे आज मुझे कुछ काम से मथुरा जाना था.. चलो आज आप लोग भी मौज-मस्ती करो, फिर शाम को मुलाकात होगी। मैं जाते वक्त नीचे चाय बोलता जाऊँगा।
जय के जाने के बाद हम लोग फ्रेश हुए तभी चाय वाला आया, हम दोनों ने चाय पी और फिर मेरे ह्ज्बेंड ने मुझसे पूछा- रात कैसी रही?
मैंने अपनी चुदाई की पूरी कहानी अपने ह्ज्बेंड रंगीला को बताई कि रात क्या हुआ और मैं खूब चुदी।
मुझसे इस बातचीत के दौरान मेरे ह्ज्बेंड मेरे मम्मे दबा रहे थे और एक हाथ से चूत सहला रहे थे।
मेरा तो मन तो था ही नहीं…. क्योंकि पूरी रात की चुदाई से बिल्कुल थकी हुई थी, मेरी चूत भी सूखी थी, पर ह्ज्बेंड की इच्छा थी, सो मैं भी साथ दे रही थी।
ह्ज्बेंड रात की बात सुन इतना गर्म हो गए कि उन्होंने मेरी सूखी बुर में लंड पेल दिया और 10-15 धक्के लगा कर ‘पुल्ल-पुल्ल’ की और झड़ गए।
फिर मैं नहाने चली गई। 
जब बाहर आई तो रंगीला बोले- लग रहा कि मेरी तबियत ठीक नहीं है.. बुखार सा है। 
जब मैंने देखा तो वाकयी बुखार था, मैं बोली- चलो डॉक्टर को दिखा कर दवा ले लो..
डाक्टर के पास जा दवा ली और दवा खा रंगीला को आराम करने को बोली।
कुछ देर बाद जब दवाई ने असर किया तो रंगीला बोले- अब कुछ ठीक है चलो, कहीं घूमने चलते हैं।
पर मैंने मना कर दिया- नहीं.. फिर कभी चलेंगे.. जब तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगे। अभी अच्छा भी नहीं लगेगा कि तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है और मैं इसी वक्त घूमने जाऊँ।
तभी जय का फोन आया- रंगीला जी मैं निकल रहा था.. सोचा कि एक बार पूछ लूँ.. कोई काम तो नहीं?
ह्ज्बेंड बोले- यार मुझे बुखार हो गया है और डॉली ने भी इसी कारण घूमने जाने से मना कर दिया है, एक बात कहूँ.. तुमको यदि ठीक लगे तो डॉली को अपने साथ ले जाते.. बेचारी तुम्हारे साथ ही घूम लेती।
जय बोला- भाई.. इसमें ठीक लगने की क्या बात.. मैं उधर से ही डॉली को लेते हुए निकल लूँगा।
जय के फोन रखने पर ह्ज्बेंड ने बताया- तुम तैयार हो जाओ.. जय आ रहे हैं तुम जाओ घूम आओ।
मैंने मना कर दिया- मैं आपको इस हालत में छोड़ कर नहीं जा सकती।
पर ह्ज्बेंड के जिद के आगे जाना पड़ा।
कुछ देर में जय आए और रंगीला से बोले- मैं बाइक छोड़ देता हूँ, हो सकता है कि तुमको कोई जरुरत पड़े.. हम लोग बस से जाएंगे। 
मैं और जय बस में चढ़े, पर बस में बहुत भीड़ थी, बड़ी मुश्किल से खड़े होने के लिए जगह बन पाई। 
जय जी बोले- डॉली भीड़ बहुत है, दूसरी बस से चलें। 
मैं बोली- अब बस में चढ़ चुके हैं तो इसी से चलो.. क्या पता दूसरी में भी यही हाल हो। 
तभी बस चल पड़ी। बस में जय मेरे आगे थे, मैं उनके पीछे कुछ दूर थी।
बस चलने के बाद मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे चूतड़ पर हाथ सहला रहा है। मैंने भीड़ के कारण ध्यान नहीं दिया, पर जब मुझे लगा कि कोई सख्त चीज़ मेरी गाण्ड की दरार में चुभ रही है, तो मैंने पीछे हाथ कर देखना चाहा।
तो मेरे पीछे खड़े आदमी के पैंट पर हाथ चला गया और तभी मुझे उसके खड़े लण्ड का अहसास हुआ।
उस आदमी का लंड मोटा था और मैंने उसकी तरफ देख कर शरमा कर झट से अपना हाथ खींच लिया और उसके मोटे लंड के बारे में सोच कर मुझे एक शरारत सूझने लगी, मुझ पर वासना हावी होने लगी।
मैं अपने चूतड़ों को उसके लंड पर दबाने लगी। मैं जताना चाहती थी कि मैं बुरा नहीं मानूंगी।
तभी बस का ब्रेक लगा और अच्छा मौका जान कर उस आदमी ने मेरी कुर्ती के ऊपर से मेरी एक छाती को पकड़ लिया और जोर से मसल दिया।
मेरे मुँह से ‘आह’ निकल गई। 
जय मेरी आह सुनकर पूछने लगे- क्या हुआ.. कोई दिक्कत तो नहीं? 
मैंने ‘ना’ में सर हिला दिया, तब तक बस पुनः चल दी।
वो आदमी ने मेरे चूतड़ों को मसलने लगा, मैंने डर कर बस में इधर-उधर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा, पर भीड़ की वजह से सभी एक दूसरे से सटे हुए थे।
तभी उस आदमी ने मेरे कान में बोला- कोई दिक्कत न हो, तो थोड़ा इधर को आ जा..
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06-19-2018, 12:37 PM,
#10
RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने मुझे अपने से चिपका लिया, शायद वह समझ गया था कि मैं उसकी हरकतों से सहमत हूँ।
मैं एक लैगी पहने थी, उस आदमी ने मेरी लैगी के अन्दर हाथ डाल कर मेरी पैन्टी के बगल से चूत को सहलाते हुए एक ऊँगली मेरी चूत में डाल दी।
मैं चिहुंक उठी और मुँह से सिस्कारते हुए नशीली निगाहों से उसकी तरफ देखने लगी।
वो मेरी चूत में ऊँगली से चोदे जा रहा था।
तभी मैंने पीछे हाथ करके उसका लण्ड पकड़ लिया, फिर धीरे से उसकी जिप नीचे खींच दी और अन्दर हाथ डाला।
वो तो अन्दर कुछ नहीं पहने था.. मेरे हाथ का सीधा सामना उसके बाबूराव से हुआ।
मैंने उस आदमी को देख कर आँख मार दी। 
अब तो वो बिल्कुल समझ गया कि मेरे इरादे क्या हैं। उसके लंड को पकड़ कर मैं आगे-पीछे कर रही थी।
तभी उसने मेरा हाथ बाबूराव से हटा दिया और मेरी लैगी को थोड़ा नीचे खींच मेरी चिकनी गाण्ड और चूत पर बाबूराव को ऊपर-नीचे घिसने लगा।
बस में इतनी भीड़ थी कि कौन क्या कर रहा है, किसी को पता ही नहीं चल सकता था।
आदमी बस के साथ हिल-हिल कर अपना लंड मेरी चूत से रगड़ने लगा।
पैन्टी की वजह से उसका लंड चूत से ठीक से रगड़ नहीं पा रहा था तो मैंने थोड़ा सा झुक कर अपनी पैन्टी साइड में कर दी और उसके लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर लगा दिया।
अब उसका लंड मेरी चूत पर टक्कर मार रहा था और उसका लंड मेरी चूत के मुँह में घुसा हुआ मुझे धीरे-धीरे चोद रहा था।
मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, मुझे लगा कि मैं उससे कह दूँ- डरो मत.. हचक कर चोदो मुझे.. दिल खोल कर चोद.. भूल जा कि मैं बस में हूँ।
वो एक हाथ से मेरी छाती को कुर्ती के अन्दर से मसक रहा था।
मेरी आँखें मुंद गईं.. मैं भूल गई कि मैं बस में हूँ।
उसने कुछ देर बाद एक-दो तेज झटके मारे और मेरी पैन्टी पर पूरा पानी छोड़ दिया।
मैं तो पहले ही अपना पानी छोड़ चुकी थी और मेरी चूत से पानी धीरे-धीरे रिस रहा था।
मेरी सारी पैन्टी ख़राब हो गई और उसने अपना लंड निकाल कर अपने रुमाल से पौंछ कर अन्दर कर लिया। मैंने बेमन से अपना पजामा और पैन्टी खींच कर सही किया।
तभी जय बोले- चलो स्टॉप आ गया..
बस रुकी, मैं और जय बस से उतर कर चल दिए। 
जय बोले- यहाँ से कुछ दूर जाना है एक रिक्शा कर लेते हैं। 
तभी जय की निगाह मेरे पिछवाड़े पर गई। 
जय बोले- डॉली जान ये भीग कैसे गई? 
मैंने नाटक करते हुए चौंकी- अरे…ये कैसे हुआ… मुझे पता ही नहीं चला?
तभी एक रिक्शा मिला जय और मैं उस पर बैठ गए। जय रिक्शे वाले को जहाँ जाना था वहाँ की बोले, फिर बगल से मेरी चूत पर हाथ रख कर गीलेपन को छू कर नाक से सूँघ कर बोले- वाह रानी.. काम निपटा लिया.. लग रहा है कि बस में तुम्हारे पीछे वाले ने चोद कर माल छोड़ा है?
मैं क्या कहती, पर जय से बोली- साले ने अपना रस तो निकाल लिया और मेरी चूत को प्यासी छोड़ दिया।
जय ने मेरी तरफ प्यार से देखा।
फिर जय बोले- रानी, तुम बिल्कुल गर्म हो गई हो, तुम्हारी चूत की सुगंध बता रही है कि साले ने तुम्हारे साथ गलत किया, चोदना नहीं था तो गर्म करके अपना माल क्यों छोड़ दिया।
मैं भी तपाक से बोली- अभी कौन सी देर हुई है, अभी तो दिन की शुरूआत है और आप भी तो हैं। मेरी चूत की गर्मी शान्त ना हो, यह तो हो ही नहीं सकता।
तभी हम लोग एक ऑफिस के सामने रुके, वह एक रियल स्टेट कम्पनी का ऑफिस था, मैं जय के पीछे ऑफिस में दाखिल हुई। 
अन्दर पहुँच कर जय मुझसे बोले- डॉली तुम यहीं सोफे पर बैठो, मैं अन्दर सर जी से मिल कर आता हूँ।
मैं बोली- ओके जय..
वो वहीं बगल के एक केबिन में चले गए, मैं वहीं बैठी रही।
कुछ देर बाद एक लड़का आया और मुझसे बोला- मेम.. आप को सर जी ने अन्दर बुलाया है। 
मैं उठी और उसी केबिन की तरफ चल दी और केबिन के दरवाजे पर दस्तक दी, अन्दर से ‘कम इन’ की आवाज आई और मैंने दरवाजे खोला।
मैं देखती रह गई, सामने एक बहुत ही जवान और आकर्षक युवक बैठा था।
वो एकदम गोरा स्मार्ट था, उसे देख मेरी गरम चूत में पानी आ गया और मैं भूल गई कि वो भी मुझे देख रहा है। 
तभी वो आदमी बोला- आइए डॉली जी.. बैठिए। 
तब मुझे आभास हआ और शर्मिन्दा हो गई। 
जय बोले- डॉली जी, ये मिस्टर सुरेश सिंह हैं। यह रियल स्टेट कम्पनी का ऑफिस इन्हीं का है। 
मैंने नमस्ते की, पर सुरेश जी ने हाथ आगे बढ़ा दिया।
मैंने भी हाथ मिलाया पर मेरी नियत तो खराब थी और चूत गर्म थी, इसलिए हाथ मिलाते ही मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी, मुझे लगा कि मुझे बाँहों में लेकर, मेरी बस की छेड़-छाड़ की गर्मी को उतार दे।
यह सोचते हुए मैं जय के बगल के सोफे पर जा बैठी, सामने सुरेश जी थे और बीच में एक ऑफिस टेबल थी।
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