09-04-2018, 11:19 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
फ्रेंड्स ये कहानी कई कहानियों को मिलाकर है वैसे मेन तो ये कहानी मेरी सहेली और उसकी मम्मी की मस्तियों की कहानी है पर थोड़ी सी मस्ती मेरी भी शामिल है चलिए कहानी की शुरुआत मेरी सहेली फ़ातिमा की मम्मी शाजिया के द्वारा शुरू करते हैं
जो मुझे नहीं जानते, उनको अपना छोटा सा परिचय दे दूँ, मेरा नाम शाज़िया है, मैं शादीशुदा औरत हूँ, उम्र 38 साल है, मैं एक प्राइवेट कॉलेज में इंग्लिश की टीचर हूँ, हमारे परिवार में मेरी बेटी फ़ातिमा जो कि अब होस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थी।
मेरे पुरखों का ताल्लुक उज्बेकिस्तान से रहा है इसलिए खुदा ने हम दोनों माँ बेटी को बेपनाह हुस्न से नवाजा है। मेरा रंग दूध की तरह गोरा है, हल्की भूरी आँखें, तीखे नयन नक्श और मेरा फिगर 36-सी की उभरी हुई चूचियाँ, 28 की मस्तानी कमर 36 की मचलती हुई बम्प यानि गांड!
मैं अक्सर सलवार कमीज़ पहन कर ही बाहर जाती हूँ लेकिन मेरे देसी कपड़े भी फैशनेबल टाइप और डिज़ाइनदार होते हैं। पति के दुबई में रहने के कारण मैंने अपनी प्यासी जवानी उनके दोस्त वसीम को सौंप दी थी। फिर एक दिन उन्होंने मुझे अपने एक दोस्त जय से भी शराब पिला कर चुदवाया था। पति के दूर रहने के कारण मुझे चुत चुदाई का चस्का लग गया था। धीरे धीरे मैं उनके कई दोस्तों से जमकर अपनी चुत चुदवाने लगी थी।
लेकिन एक दिन मुझे वसीम और जय के साथ मेरी मासूम बेटी फ़ातिमा ने भी देख लिया। दरअसल शराब के नशे में धुत्त मैं अपना लाल जालीदार गाउन सरकाए हुए वसीम के ऊपर नंगी पसरी हुई थी उसका लंड मेरी चुत में था, उसके कंधों को अपने हाथों से पकड़े हुए मैं खन खन चूड़ियाँ करती ऊपर नीचे हो रही थी ताकि उसका लंड मेरी चुत की जड़ तक पेवस्त हो सके,
मेरे ऊपर पीछे से जय था। वह मेरे भरे हुए मोटे चूतड़ों को खोलते हुए अपना लंड मेरी गुलाबी गांड में पेवस्त कर रहा था, उसका टोपा मेरी गांड में जाते ही मैं बिलबिला उठी, दर्द से मैं इतनी जोर से चीखी कि मेरी बेटी ने मेरी आवाज़ सुन ली, वह कमरे में आ गई।
अपनी अम्मी की एक साथ दो मर्दों से चुदाई कराती देख वह हक्की बक्की रह गई लेकिन हमारा राज़, राज़ ही बना रहे इस लिए मैंने जय और वसीम के कहने पर अपनी बेटी को भी इसमें शामिल कर लिया था, मेरे पति के दोस्त मिल कर मेरी और मेरी मासूम बेटी फ़ातिमा की जम कर चुदाई करने लगे।
|
|
09-04-2018, 11:19 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
मैं ऐसी क्यों बनी इस घटना को जानने के लिए कुछ समय पहले जाना पड़ेगा ये घटना मेरी बेटी फ़ातिमा की ज़ुबानी शुरू होगी
मेरा नाम फ़ातिमा है.. मैं 18 साल की हूँ। यह बात उन दिनों की है.. जब मैं स्कूल में पढ़ती थी। मेरी अम्मी शाज़िया एक प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश की टीचर हैं और मेरे पापा दुबई की एक कंपनी में हैं। वह साल दो साल में इंडिया आया करते हैं और 25-30 दिनों के लिए ही आते हैं। जब वे घर आते थे.. तब अम्मी बहुत खुश रहती थीं.. लेकिन उनके जाने के बाद अम्मी बहुत उदास हो जाती थीं।
हमारा घर शहर की आबादी से दूर था, हम किराये के मकान में रहते थे, यह घर पापा के दोस्त राज अंकल का था। राज अंकल पापा के दोस्त थे। यही वजह थी कि वह हम लोगों से किराया नहीं लिया करते थे। राज अंकल हमारे घर अक्सर आया करते थे। उनके आने पर अम्मी बहुत खुश रहती थीं। उनके आने से अम्मी का अकेलापन दूर हो जाता था।
कभी-कभी हम लोग राज अंकल के साथ बाहर उनकी कार से आउटिंग पर भी जाते थे। धीरे-धीरे वह हमारे साथ बेहद घुल-मिल गए थे।
एक दिन मैं स्कूल से घर आई तो देखा कि मेरे पापा के दोस्त राज अंकल आए हुए हैं।
अम्मी दोपहर का खाना बना रही थीं। मैंने अपना स्कूल बैग कमरे में रखा और किचन की तरफ बढ़ गई.. लेकिन अन्दर का नज़ारा देख कर मेरे पाँव ठिठक गए थे।
मैंने चुपके से किचन में झांक कर देखा.. राज अंकल ने अम्मी को अपने आगोश में लिया हुआ था। वह अपने हाथों को अम्मी के बदन पर घुमा रहे थे। अम्मी अंकल की कमर पर हाथ फिरा रही थीं.. फिर गर्दन पर.. और फिर सर पर.. उधर अंकल अम्मी के होंठों को छोड़ कर उनके गालों को चूमने लगे और फिर गर्दन पर अपने होंठ फिराने लगे।
अम्मी लगातार उनका साथ दे रही थीं और अंकल भी उनके गुदाज स्तन लगातार दबा रहे थे। अंकल ने अम्मी का जालीदार सफ़ेद कुरता ऊपर उठा दिया था। अम्मी ने नीले रंग की ब्रा पहनी थी। राज अंकल अब अपने होंठों को उनकी गर्दन पर लेकर आए और फिर उनके कंधों पर चूमने लगे।
यह सब देख कर मैं पागल हुए जा रही थी, मैंने ऐसा पहली बार देखा था। मेरे जिस्म में आग सी लग गई थी। मैं यह समझ चुकी थी कि एक शादीशुदा औरत को पूरे-पूरे साल बिना शौहर के रहना बेहद मुश्किल होता है। पेट की भूख तो खाने से मिटाई जा सकती है.. लेकिन जिस्म की भूख का क्या?
यही वजह थी कि अम्मी ने अपना जिस्म राज अंकल को सौप दिया था।
वैसे भी मेरी अम्मी एक कॉलेज में टीचर थीं। वह खुले विचारों वाली महिला थीं। लेकिन मुझे फिर भी अपनी अम्मी से यह उम्मीद नहीं थी कि राज अंकल अम्मी को चोदेंगे।
किशोरावस्था में होने के कारण मेरी इसमें दिलचस्पी और बढ़ गई थी, मैं न चाहते हुए भी उन दोनों को देखे जा रही थी।
अभी कॉलेज से आकर मैंने अपना ड्रेस भी नहीं बदला था। मैं अपनी चूचियों को शर्ट के ऊपर से ही मसलने लगी। अंकल और अम्मी को बड़ा मजा आ रहा था।
अम्मी ने अंकल की पैंट में अपना हाथ डाला हुआ था। वह अंकल के लण्ड को सहलाने लगीं.. जिससे अंकल का लण्ड खड़ा होकर 6 इंच का हो चुका था।
अंकल ने अपना एक हाथ अम्मी की सलवार में डाल दिया.. शायद उनकी चूत गीली हो चुकी थी और थोड़ा-थोड़ा चिपचिपा पानी निकल रहा था।
अंकल ने अम्मी की सलवार का इज़ारबंद खोलना चाहा.. तो अम्मी ने हाथ पकड़ कर रोक दिया- अभी नहीं, फ़ातिमा आ गई है स्कूल से.. रात को..
अम्मी अपने कपड़े सम्हालते हुए किचन से बाहर आ गई थी। उन्होंने खाना लगाया और मुझे आवाज़ दी। हम तीनों ने मिलकर लंच किया।
फिर मैं टीवी देखने लगी अम्मी और अंकल आराम करने लगे। मैं यह समझ चुकी थी कि आज रात को मेरी अम्मी राज अंकल से चुदवायेंगी।
मैं यही सोच-सोच कर खुश हो रही थी कि आज मुझे अंकल-अम्मी की चुदाई देखने को मिलेगी।
फिर रात को राज अंकल अम्मी और मैं खाना खाकर रात साढ़े दस बजे सोने लगे, मुझे नींद तो आ नहीं रही थी।
तकरीबन दो घंटे ऐसे ही बीत गए। मेरी आँख हल्की सी लगने लगी थी। तकरीबन 15 मिनट बाद मेरे कानों में चूड़ियों के खनकने की आवाज सुनाई पड़ी। मेरी नींद खुल चुकी थी.. मैंने धीरे से अपने कमरे की खिड़की खोली.. जो कि अम्मी के कमरे की तरफ खुलती थी।
राज अंकल मेरी अम्मी के बदन पर अपना हाथ फेर रहे थे, वो शरमा रही थीं, अंकल ने उनका सफ़ेद दुपट्टा निकल कर अलग कर दिया था और उनके कन्धे पर हाथ रख दिया।
वो वहाँ से उठकर जाने लगीं.. अंकल ने अम्मी को पीछे से कस कर पकड़ कर अपने होंठ उनकी गर्दन पर रख दिए।
वो थोड़ा छूटने के लिए कसमसाईं.. उनके चहरे पर एक घबराहट सी थी- राज.. है तो यह गलत ना..
कुछ गलत नहीं है शाज़िया.. तुम्हारे शौहर मेरे दोस्त हैं.. और फिर तुम्हारी भी तो कुछ ज़रूरतें हैं।
राज अंकल ने अम्मी की गर्दन पर अपने होंठ फिराते हुए कहा।
अम्मी ने एक लम्बी सी सांस लेते हुए आँखें बंद कर ली थीं- मुझे डर लगता है.. किसी को मालूम पड़ गया तो?
अम्मी थोड़ा झिझक रही थीं.. लेकिन फिर धीरे-धीरे उनका विरोध कम हो गया और अम्मी ने खुद को ढीला छोड़ दिया।
अंकल ने उन्हें अपने पास खींचा और अम्मी के गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो थोड़ा ना-नुकर करते हुए बोलीं- तुम्हें नहीं लगता कि हम जो कर रहे हैं, ये सब गलत है.. मुझे अपने शौहर को धोखा नहीं देना चाहिए।
अंकल ने कहा- शाज़िया.. हम दोनों जो कर रहे हैं.. वो दो जिस्मों की जरुरत है.. तुम्हारे शौहर अल्ताफ मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं.. दुबई जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं आपका और आपकी बेटी फ़ातिमा का ख्याल रखूँ.. यदि तुम्हारा शौहर तुम्हारी इस जरूरत को पूरा करता है.. तो तुम बेशक जा सकती हो.. इस उम्र में ये सब सामान्य बात है। इसे धोखा नहीं कहते हैं.. यह तुम्हारी ज़रूरत है।
राज अंकल ने अपनी बात को जोर देते हुए अम्मी को समझाया था।
अम्मी मन ही मन में अंकल साथ देना चाहती थीं.. पर सीधा कह न सकीं। अंकल भी उसके मन की बात समझ गए और उसे चूमने लगा। धीरे-धीरे अम्मी ने खुद को समर्पित कर दिया था और अब उनका विरोध समाप्त हो चुका था।
मैं खिड़की से झांकते हुए अपनी अम्मी को अपने पापा के दोस्त से चुदते हुए देख रही थी।
उन दोनों ने तकरीबन दस मिनट तक किस किया। अब अम्मी की शर्म खत्म हो गई थी.. वह भी खुल गई थीं और अंकल का भरपूर साथ दे रही थीं।
अंकल उनके गाल के बाद उनके वक्ष स्थल पर चुम्बन करने लगे, इससे वो उत्तेजित हो गईं। वह उनके स्तनों को सहला रहे थे.. और उनके चूचुकों को अपनी उँगलियों से दबा कर मसल रहे थे.. अम्मी पूरी तरह गर्म हो गई थीं।
यह सब देख कर मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी थी। मेरा हाथ खिड़की पर खड़े हुए ही अपनी सलवार के अन्दर न चाहते हुए भी चला गया था।
उधर अंकल ने अपना हाथ अम्मी के पेट के ऊपर से सहलाते हुए उनकी सलवार में सरका दिया था.. शायद उनका हाथ अम्मी की चूत पर था।
‘आह्ह्ह.. राज..’
अम्मी मचल उठी थीं.. फिर अंकल अम्मी को अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गए। उनको बिस्तर पर लेटा कर पीछे से उनकी कुर्ती की डोरियाँ खोलने लगे।
अम्मी ने फिर से थोड़ी ना-नुकुर की..
पर अंकल ने कहा- अब मुझे मत रोको.. जब भी मैं तुम्हारे जिस्म को मज़ा देता हूँ, हर बार तुम ऐसे करती हो कि जैसे मैं पहली बार तुम्हारे साथ ऐसा कर रहा होऊँ? हर बार तुम ना नुकुर करती हो?
|
|
09-04-2018, 11:21 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
उस दिन के बाद मैं तीन रातों तक अम्मी के चुदने का इंतज़ार करती रही लेकिन राज अंकल नहीं आए, उनकी चुदाई नहीं हुई।
अब मैं अम्मी की हमराज़ हो ही गई थी, मैंने अम्मी से पूछा- क्यों अम्मी.. आजकल अंकल रात को क्यों नहीं आ रहे हैं?
अम्मी ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा- तुमको क्या दिक्कत हो रही है?
इधर मेरा भी तो राज के बिना बुरा हाल था, मुझे भी अंकल से चुदे कई दिन हो चुके थे। अम्मी के साथ-साथ मेरी चूत को भी लण्ड की ज़रूरत सताने लगी थी।
जिसका नतीजा यह हुआ कि मैंने बेअदबी के साथ अम्मी से कह दिया- अम्मी मुझे भी वही चाहिए.. जो तुम रोजाना रात को अपनी चूत में डलवाती हो।
अम्मी तो बिल्कुल सन्न रह गईं, उन्हें मुझसे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी- देखो फ़ातिमा, तुम अभी बच्ची हो।
‘अम्मी मैंने आपको बताया नहीं.. राज अंकल मेरे साथ भी वो सब कर चुके हैं।’
‘क्या..???’
मेरे जवाब से अम्मी के पैरों तले जैसे ज़मीन खिसक गई थी।
‘अम्मी प्लीज़..’ मैंने अम्मी के गले लगते हुए कहा।
मेरी जिद के आगे अम्मी मजबूर हो गई थीं, उन्होंने कहा- ठीक है.. तुम्हारी चूत में भी लण्ड पेलवा दूँगी.. लेकिन ध्यान रहे पापा को ये सब बातें मालूम नहीं होनी चाहिए।
मैंने ख़ुशी से उछलते हुए कहा- ओके अम्मी.. तुम कितनी अच्छी हो।
दोस्तो.. जब मेरी अम्मी ने मुझसे कहा कि वे मेरी चूत में लण्ड पेलवा देंगी.. तो मैं बहुत खुश हुई कि मैंने अम्मी को मजबूर कर दिया था।
वैसे तो राज अंकल मुझे कई बार चोद चुके थे.. लेकिन अब मैं यह सब बिना डरे करना चाहती थी।
उसी दिन जब मैं नहाने जा रही थी तो अम्मी बाथरूम में आ गईं और दरवाजा बंद कर लिया।
वे बोलीं- अपने कपड़े उतारो।
मैंने अम्मी से कहा- अम्मी.. मुझे शर्म आएगी।
अम्मी ने मुझे डांटते हुए कहा- छिनाल कहीं की.. चूत और लण्ड का खेल देखकर पेलवाने की तुम्हारी हवस जाग उठी.. लेकिन यह नहीं जानती हो कि मर्द को क्या पसंद आता है? मर्द को चिकनी चूत चाहिए.. देखूं तुम्हारी झांटें साफ़ हैं या नहीं?
इसी के साथ अम्मी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी तरह नंगी हो गईं, उनकी चूत के बाल एकदम साफ़ थे।
सच में क्या शानदार चूत थी अम्मी की.. मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं इसी चूत के रास्ते बाहर निकली हूँ।
मैं भी फटाफट अपनी सलवार कुर्ती उतार कर नंगी हो गई। अम्मी ने मेरी चूत को सहलाया और बोली- आज तुम्हारे अंकल इसमें अपना लण्ड पेलकर बहुत खुश होंगे। एक बात बता दूँ.. उन्होंने मुझसे एक बार कहा था कि शाज़िया.. एकाध नए माल का इंतज़ाम करो.. पैसों की फ़िक्र मत करना।
अम्मी ने मुझे रगड़-रगड़ कर अच्छी तरह नहलाया.. मेरी चूत के बाल साफ़ किए और तब बोलीं- अब तुम्हारी चूत लण्ड लेने के लिए एकदम तैयार है।
शाम को जय अंकल आए तो मैं उनको निहारती रह गई। क्या बलिष्ठ गठा हुआ बदन पाया था अंकल ने..! मैं समझी कि अम्मी राज अंकल की बात कर रहीं हैं लेकिन मेरी चुदाई का प्रोग्राम जय अंकल के साथ था।
हम लोग खाना खाकर लेटने की तैयारी करने लगे। आज हम तीन लोग एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर आ गए।
अम्मी ने अंकल से कहा- क्यों जी.. आप किसी नए माल के बारे में कह रहे थे.. आज मैं अपनी मासूम बच्ची को आपके हवाले कर रही हूँ.. लेकिन ध्यान रखिएगा.. कि बेचारी की चूत एकदम कोरी है बहुत आराम से पेलिएगा..
‘फ़िक्र मत करो शाज़िया.. बस तुम देखो कैसे आज मैं तुम्हारी इस बच्ची को मासूम कच्ची कली से पूरी औरत बनाता हूँ।’
‘हम्म..’
अंकल बोले- शाज़िया.. तुम भी तो साथ ही रहोगी.. जब मैं इसकी बुर में अपना डंडा पेलूँगा.. तो तुम देखती रहना।
अम्मी ने कहा- हाँ मेरा रहना ज़रूरी है.. क्या पता तुम क्या हाल करोगे मेरी बच्ची का..
अम्मी ने हँसते हुए जवाब दिया।
मैं बोली- अम्मी मैं बच्ची नहीं हूँ.. आप ऐसे ही डर रही हो..
इस दौरान अम्मी ने कुर्ती और सलवार निकाल दी, मेरी बुर को सहलाकर अंकल को दिखाकर बोलीं- देखो जी कितनी चिकनी गुलाबी चूत है.. मेरी रानी बिटिया की..
मैंने अंकल के पजामे पर हाथ फ़ेरते हुए कहा- अंकल इस उम्र में भी आपका लण्ड भी कोई कम नहीं है..
अम्मी ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए, अंकल भी अपने कपड़े उतार चुके थे, अब हम तीनों मादरजाद नंगे थे। अंकल मेरे होंठों को चूसते हुए एक हाथ से मेरी चूत को सहला रहे थे.. तथा दूसरे हाथ से अम्मी की गाण्ड सहला रहे थे।
मैं तो गर्म होने लगी.. लेकिन अम्मी अभी गरम नहीं हुई थीं।
अम्मी ने मुझसे पूछा- क्यों बेटी.. लण्ड चूसोगी?
मैंने कहा- आप लोग जैसा आदेश करें.. मैं तो अनाड़ी हूँ.. मुझे आप लोगों की निगाहबानी में ही चूत चुदवानी है।
अम्मी बोलीं- तब ठीक है..मैं जैसा कहती हूँ.. तुम वैसा करो।
हम तीनों ऐसी पोजीशन में हो गए कि मैं जय अंकल का लण्ड चूस रही थी। अम्मी मेरी चूत चाट रही थीं और अंकल अम्मी की चूत चाट रहे थे.. अर्थात तीनों लोगों ने एक सर्किल बना रखा था।
मैं तो अम्मी द्वारा चूत की चटाई से ही एक बार झड़ गई।
थोड़ी देर बाद मैंने अम्मी से कहा- अम्मी.. मेरी बुर में जल्दी लण्ड डलवा दो नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी।
अम्मी ने कहा- अच्छा.. अपनी टांगें फैलाकर पीठ के बल लेट जाओ.. मैं वैसलीन की शीशी लाती हूँ।
अम्मी ने मेरी चूत के अन्दर वैसलीन लगा दी और अंकल से बोलीं- मेरी रानी बिटिया की कुंवारी चूत को अपने लम्बे लण्ड से आबाद कीजिए।
अम्मी ने अंकल के सुपाड़े पर भी वैसलीन लगा दी। अंकल ने मेरी टांगों को फैलाकर लण्ड को मेरी प्यासी चूत के मुहाने पर रखा और मेरी अम्मी ने अंकल के पीछे से मेरी चूत को फैला रखा था।
अंकल ने धक्का लगाया लेकिन ललिताना चूक गया।
मेरी चूत लौड़े के लिए तड़प रही थी.. कि जल्दी से उसमें लण्ड घुसे, मैं लगभग रोते हुए बोली- अम्मी.. पेलवा दो न.. क्यों देरी हो रही है?
अम्मी ने कहा- इस बार घुस जाएगा बेटी.. घबराओ मत.. मैं भी तो लगी हूँ इसी कोशिश में.. पेलिए जी मेरी बेटी को.. देखो बेचारी तड़प रही है।
जब इस बार अंकल ने अपना सुपाड़ा घुसा दिया तो मुझे लगा कि मेरी जान निकल जाएगी.. लेकिन मैंने अपने दांत भींच लिए।
‘आईईए.. अम्मी.. दर्द हो रहा है..’
मैंने सोचा नहीं था कि जय अंकल का लण्ड राज अंकल से मोटा और लम्बा भी है।
‘बस.. बस.. धीरे धीरे.. जय.. अभी ये कमसिन कुंवारी है..’
अम्मी मेरी चूत को पीछे से सहला रही थीं ताकि दर्द न हो।
अंकल ने थोड़ा और घुसाया तो मुझे लगा कि अब पूरा हो गया.. लेकिन जब मैंने अंकल से कहा- अब धक्का लगाइए.. तो उनके बोलने से पहले अम्मी ने बाहर निकले हुए लण्ड को नापकर कहा- बस बेटी 5 इंच लण्ड अभी बाहर है.. 3 इंच तो तुमने निगल लिया है।
यह सुनकर मेरी तो हालत खराब हो गई.. खैर अंकल ने थोड़ा और जोर लगाया.. तो दो बार में पूरा लण्ड जड़ तक घुस गया। अंकल ने स्पीड तेज़ की तो धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा।
मैं बोलने लगी ‘आह्ह्ह्ह ऊह..ह उह.. पेल दो अंकल.. फाड़ दो मेरी बुर को.. उफ़..’
थोड़ी देर के बाद ‘फच.. फच..’ की आवाज़ आने लगीं।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. अंकल ने मेरी छोटी-छोटी कच्ची गुलाबी चूचियों के निप्पल को दबा-दबा कर लाल कर दिया था।
उधर अम्मी मेरी चूत को सहला रही थीं.. बीच-बीच में वह मेरी चूत और उसमें फंसे हुए लण्ड को चाटने भी लगती थीं।
अम्मी सिर्फ कॉलेज में ही नहीं बल्कि बिस्तर पर भी एक अच्छी टीचर थीं।
कुछ देर के बाद मुझे ऐसा लगा कि मैं आसामान में उड़ रही हूँ। अंकल ने मेरे छोटे से दुबले-पतले जिस्म को अपने कसरती शरीर में खूब जोर से भींच लिया था।
मैं अपनी गाण्ड इस क़दर उचकाने लगी कि लण्ड खूब गहराई तक घुस जाए।
अब मेरा काम-तमाम होने वाला था। मैं बड़बड़ाने लगी- अह.. मेरे राजा उन्ह.. आह औउच.. ओह.. मैं आ गई.. आह..ह ह हह ओह.. ओहोहोह..
|
|
|