Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
09-04-2018, 11:19 PM,
#1
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सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी


फ्रेंड्स ये कहानी कई कहानियों को मिलाकर है वैसे मेन तो ये कहानी मेरी सहेली और उसकी मम्मी की मस्तियों की कहानी है पर थोड़ी सी मस्ती मेरी भी शामिल है चलिए कहानी की शुरुआत मेरी सहेली फ़ातिमा की मम्मी शाजिया के द्वारा शुरू करते हैं


जो मुझे नहीं जानते, उनको अपना छोटा सा परिचय दे दूँ, मेरा नाम शाज़िया है, मैं शादीशुदा औरत हूँ, उम्र 38 साल है, मैं एक प्राइवेट कॉलेज में इंग्लिश की टीचर हूँ, हमारे परिवार में मेरी बेटी फ़ातिमा जो कि अब होस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थी।

मेरे पुरखों का ताल्लुक उज्बेकिस्तान से रहा है इसलिए खुदा ने हम दोनों माँ बेटी को बेपनाह हुस्न से नवाजा है। मेरा रंग दूध की तरह गोरा है, हल्की भूरी आँखें, तीखे नयन नक्श और मेरा फिगर 36-सी की उभरी हुई चूचियाँ, 28 की मस्तानी कमर 36 की मचलती हुई बम्प यानि गांड!

मैं अक्सर सलवार कमीज़ पहन कर ही बाहर जाती हूँ लेकिन मेरे देसी कपड़े भी फैशनेबल टाइप और डिज़ाइनदार होते हैं। पति के दुबई में रहने के कारण मैंने अपनी प्यासी जवानी उनके दोस्त वसीम को सौंप दी थी। फिर एक दिन उन्होंने मुझे अपने एक दोस्त जय से भी शराब पिला कर चुदवाया था। पति के दूर रहने के कारण मुझे चुत चुदाई का चस्का लग गया था। धीरे धीरे मैं उनके कई दोस्तों से जमकर अपनी चुत चुदवाने लगी थी।

लेकिन एक दिन मुझे वसीम और जय के साथ मेरी मासूम बेटी फ़ातिमा ने भी देख लिया। दरअसल शराब के नशे में धुत्त मैं अपना लाल जालीदार गाउन सरकाए हुए वसीम के ऊपर नंगी पसरी हुई थी उसका लंड मेरी चुत में था, उसके कंधों को अपने हाथों से पकड़े हुए मैं खन खन चूड़ियाँ करती ऊपर नीचे हो रही थी ताकि उसका लंड मेरी चुत की जड़ तक पेवस्त हो सके,

मेरे ऊपर पीछे से जय था। वह मेरे भरे हुए मोटे चूतड़ों को खोलते हुए अपना लंड मेरी गुलाबी गांड में पेवस्त कर रहा था, उसका टोपा मेरी गांड में जाते ही मैं बिलबिला उठी, दर्द से मैं इतनी जोर से चीखी कि मेरी बेटी ने मेरी आवाज़ सुन ली, वह कमरे में आ गई।

अपनी अम्मी की एक साथ दो मर्दों से चुदाई कराती देख वह हक्की बक्की रह गई लेकिन हमारा राज़, राज़ ही बना रहे इस लिए मैंने जय और वसीम के कहने पर अपनी बेटी को भी इसमें शामिल कर लिया था, मेरे पति के दोस्त मिल कर मेरी और मेरी मासूम बेटी फ़ातिमा की जम कर चुदाई करने लगे।
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09-04-2018, 11:19 PM,
#2
RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
मैं ऐसी क्यों बनी इस घटना को जानने के लिए कुछ समय पहले जाना पड़ेगा ये घटना मेरी बेटी फ़ातिमा की ज़ुबानी शुरू होगी

मेरा नाम फ़ातिमा है.. मैं 18 साल की हूँ। यह बात उन दिनों की है.. जब मैं स्कूल में पढ़ती थी। मेरी अम्मी शाज़िया एक प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश की टीचर हैं और मेरे पापा दुबई की एक कंपनी में हैं। वह साल दो साल में इंडिया आया करते हैं और 25-30 दिनों के लिए ही आते हैं। जब वे घर आते थे.. तब अम्मी बहुत खुश रहती थीं.. लेकिन उनके जाने के बाद अम्मी बहुत उदास हो जाती थीं।

हमारा घर शहर की आबादी से दूर था, हम किराये के मकान में रहते थे, यह घर पापा के दोस्त राज अंकल का था। राज अंकल पापा के दोस्त थे। यही वजह थी कि वह हम लोगों से किराया नहीं लिया करते थे। राज अंकल हमारे घर अक्सर आया करते थे। उनके आने पर अम्मी बहुत खुश रहती थीं। उनके आने से अम्मी का अकेलापन दूर हो जाता था।

कभी-कभी हम लोग राज अंकल के साथ बाहर उनकी कार से आउटिंग पर भी जाते थे। धीरे-धीरे वह हमारे साथ बेहद घुल-मिल गए थे।

एक दिन मैं स्कूल से घर आई तो देखा कि मेरे पापा के दोस्त राज अंकल आए हुए हैं।

अम्मी दोपहर का खाना बना रही थीं। मैंने अपना स्कूल बैग कमरे में रखा और किचन की तरफ बढ़ गई.. लेकिन अन्दर का नज़ारा देख कर मेरे पाँव ठिठक गए थे।

मैंने चुपके से किचन में झांक कर देखा.. राज अंकल ने अम्मी को अपने आगोश में लिया हुआ था। वह अपने हाथों को अम्मी के बदन पर घुमा रहे थे। अम्मी अंकल की कमर पर हाथ फिरा रही थीं.. फिर गर्दन पर.. और फिर सर पर.. उधर अंकल अम्मी के होंठों को छोड़ कर उनके गालों को चूमने लगे और फिर गर्दन पर अपने होंठ फिराने लगे।

अम्मी लगातार उनका साथ दे रही थीं और अंकल भी उनके गुदाज स्तन लगातार दबा रहे थे। अंकल ने अम्मी का जालीदार सफ़ेद कुरता ऊपर उठा दिया था। अम्मी ने नीले रंग की ब्रा पहनी थी। राज अंकल अब अपने होंठों को उनकी गर्दन पर लेकर आए और फिर उनके कंधों पर चूमने लगे।

यह सब देख कर मैं पागल हुए जा रही थी, मैंने ऐसा पहली बार देखा था। मेरे जिस्म में आग सी लग गई थी। मैं यह समझ चुकी थी कि एक शादीशुदा औरत को पूरे-पूरे साल बिना शौहर के रहना बेहद मुश्किल होता है। पेट की भूख तो खाने से मिटाई जा सकती है.. लेकिन जिस्म की भूख का क्या?

यही वजह थी कि अम्मी ने अपना जिस्म राज अंकल को सौप दिया था।

वैसे भी मेरी अम्मी एक कॉलेज में टीचर थीं। वह खुले विचारों वाली महिला थीं। लेकिन मुझे फिर भी अपनी अम्मी से यह उम्मीद नहीं थी कि राज अंकल अम्मी को चोदेंगे।

किशोरावस्था में होने के कारण मेरी इसमें दिलचस्पी और बढ़ गई थी, मैं न चाहते हुए भी उन दोनों को देखे जा रही थी।

अभी कॉलेज से आकर मैंने अपना ड्रेस भी नहीं बदला था। मैं अपनी चूचियों को शर्ट के ऊपर से ही मसलने लगी। अंकल और अम्मी को बड़ा मजा आ रहा था।
अम्मी ने अंकल की पैंट में अपना हाथ डाला हुआ था। वह अंकल के लण्ड को सहलाने लगीं.. जिससे अंकल का लण्ड खड़ा होकर 6 इंच का हो चुका था।

अंकल ने अपना एक हाथ अम्मी की सलवार में डाल दिया.. शायद उनकी चूत गीली हो चुकी थी और थोड़ा-थोड़ा चिपचिपा पानी निकल रहा था।

अंकल ने अम्मी की सलवार का इज़ारबंद खोलना चाहा.. तो अम्मी ने हाथ पकड़ कर रोक दिया- अभी नहीं, फ़ातिमा आ गई है स्कूल से.. रात को..
अम्मी अपने कपड़े सम्हालते हुए किचन से बाहर आ गई थी। उन्होंने खाना लगाया और मुझे आवाज़ दी। हम तीनों ने मिलकर लंच किया।

फिर मैं टीवी देखने लगी अम्मी और अंकल आराम करने लगे। मैं यह समझ चुकी थी कि आज रात को मेरी अम्मी राज अंकल से चुदवायेंगी।
मैं यही सोच-सोच कर खुश हो रही थी कि आज मुझे अंकल-अम्मी की चुदाई देखने को मिलेगी।

फिर रात को राज अंकल अम्मी और मैं खाना खाकर रात साढ़े दस बजे सोने लगे, मुझे नींद तो आ नहीं रही थी।

तकरीबन दो घंटे ऐसे ही बीत गए। मेरी आँख हल्की सी लगने लगी थी। तकरीबन 15 मिनट बाद मेरे कानों में चूड़ियों के खनकने की आवाज सुनाई पड़ी। मेरी नींद खुल चुकी थी.. मैंने धीरे से अपने कमरे की खिड़की खोली.. जो कि अम्मी के कमरे की तरफ खुलती थी।

राज अंकल मेरी अम्मी के बदन पर अपना हाथ फेर रहे थे, वो शरमा रही थीं, अंकल ने उनका सफ़ेद दुपट्टा निकल कर अलग कर दिया था और उनके कन्धे पर हाथ रख दिया।
वो वहाँ से उठकर जाने लगीं.. अंकल ने अम्मी को पीछे से कस कर पकड़ कर अपने होंठ उनकी गर्दन पर रख दिए।

वो थोड़ा छूटने के लिए कसमसाईं.. उनके चहरे पर एक घबराहट सी थी- राज.. है तो यह गलत ना..
कुछ गलत नहीं है शाज़िया.. तुम्हारे शौहर मेरे दोस्त हैं.. और फिर तुम्हारी भी तो कुछ ज़रूरतें हैं।
राज अंकल ने अम्मी की गर्दन पर अपने होंठ फिराते हुए कहा।

अम्मी ने एक लम्बी सी सांस लेते हुए आँखें बंद कर ली थीं- मुझे डर लगता है.. किसी को मालूम पड़ गया तो?
अम्मी थोड़ा झिझक रही थीं.. लेकिन फिर धीरे-धीरे उनका विरोध कम हो गया और अम्मी ने खुद को ढीला छोड़ दिया।
अंकल ने उन्हें अपने पास खींचा और अम्मी के गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

वो थोड़ा ना-नुकर करते हुए बोलीं- तुम्हें नहीं लगता कि हम जो कर रहे हैं, ये सब गलत है.. मुझे अपने शौहर को धोखा नहीं देना चाहिए।
अंकल ने कहा- शाज़िया.. हम दोनों जो कर रहे हैं.. वो दो जिस्मों की जरुरत है.. तुम्हारे शौहर अल्ताफ मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं.. दुबई जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं आपका और आपकी बेटी फ़ातिमा का ख्याल रखूँ.. यदि तुम्हारा शौहर तुम्हारी इस जरूरत को पूरा करता है.. तो तुम बेशक जा सकती हो.. इस उम्र में ये सब सामान्य बात है। इसे धोखा नहीं कहते हैं.. यह तुम्हारी ज़रूरत है।

राज अंकल ने अपनी बात को जोर देते हुए अम्मी को समझाया था।

अम्मी मन ही मन में अंकल साथ देना चाहती थीं.. पर सीधा कह न सकीं। अंकल भी उसके मन की बात समझ गए और उसे चूमने लगा। धीरे-धीरे अम्मी ने खुद को समर्पित कर दिया था और अब उनका विरोध समाप्त हो चुका था।

मैं खिड़की से झांकते हुए अपनी अम्मी को अपने पापा के दोस्त से चुदते हुए देख रही थी।

उन दोनों ने तकरीबन दस मिनट तक किस किया। अब अम्मी की शर्म खत्म हो गई थी.. वह भी खुल गई थीं और अंकल का भरपूर साथ दे रही थीं।

अंकल उनके गाल के बाद उनके वक्ष स्थल पर चुम्बन करने लगे, इससे वो उत्तेजित हो गईं। वह उनके स्तनों को सहला रहे थे.. और उनके चूचुकों को अपनी उँगलियों से दबा कर मसल रहे थे.. अम्मी पूरी तरह गर्म हो गई थीं।

यह सब देख कर मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी थी। मेरा हाथ खिड़की पर खड़े हुए ही अपनी सलवार के अन्दर न चाहते हुए भी चला गया था।

उधर अंकल ने अपना हाथ अम्मी के पेट के ऊपर से सहलाते हुए उनकी सलवार में सरका दिया था.. शायद उनका हाथ अम्मी की चूत पर था।
‘आह्ह्ह.. राज..’

अम्मी मचल उठी थीं.. फिर अंकल अम्मी को अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गए। उनको बिस्तर पर लेटा कर पीछे से उनकी कुर्ती की डोरियाँ खोलने लगे।
अम्मी ने फिर से थोड़ी ना-नुकुर की..
पर अंकल ने कहा- अब मुझे मत रोको.. जब भी मैं तुम्हारे जिस्म को मज़ा देता हूँ, हर बार तुम ऐसे करती हो कि जैसे मैं पहली बार तुम्हारे साथ ऐसा कर रहा होऊँ? हर बार तुम ना नुकुर करती हो?
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09-04-2018, 11:20 PM,
#3
RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
प्यासी अम्मी की चूत पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी.. इसलिए राज अंकल को भी कोई दिक्कत नहीं हुई। पाँच मिनट बाद राज अंकल बिस्तर पर अम्मी के ऊपर जा पहुँचे और अम्मी के पीठ की चुम्मियाँ लेने लगे।

मैं यह सब देख रही थी.. लेकिन मैंने अपनी खिड़की अधखुली कर रखी थी इसलिए अम्मी.. अंकल को कोई शंका नहीं हुई।

राज अंकल धीरे अम्मी के दूध दबाने लगे.. अम्मी के मुँह से आवाजें निकलनी शुरू हो गई थीं। राज अंकल ने धीरे से अम्मी की गुलाबी सलवार का इजारबंद खोल दिया और धीरे से कुर्ती भी ऊपर सरका दी। अम्मी अब अधनंगी हो चुकी थीं। उन्होंने अपनी कमर पर एक काली डोरी बांधी हुई थी। राज अंकल के द्वारा अम्मी की चुदाई को देख कर मैं पागल हो रही थी।

राज अंकल ने इतनी जोर से अम्मी के दूध दबाए और चूसे कि अम्मी ‘आ.. आहा.. अआ.. हह्हा..आआह्ह.. धीरे से..’ करने लगीं।

राज अंकल ने धीरे-धीरे अम्मी की सलवार घुटनों तक सरका दी और उनकी काली चड्डी के ऊपर से ही अम्मी के चूतड़ दबाने और चूमने लगे। अम्मी ने करवट बदली और खुद ही अपने जम्पर को उतार कर फेंक दिया। अम्मी अब ब्रा और पैंटी में थीं।

मैंने आज पहली बार अपनी अम्मी का गोरा जिस्म देखा था। ब्रा-पैंटी में वो मुझे उस समय बहुत ही कामुक.. सुन्दर और मासूम लग रही थीं, वे 34 साल की होने के बावजूद इस वक़्त जवान लड़की लग रही थीं।
अंकल अम्मी को अपनी बाँहों में लेकर.. उनके होंठों को चूसने लगे, अब वो भी अंकल का साथ दे रही थीं।

मेरे लिए यह अनुभव जन्नत से कम नहीं था। राज अंकल ने उठकर अम्मी के पाँव सहलाने शुरू कर दिए और उसमें गुदगुदी करने लगे। अम्मी अपना पाँव हटाने लगीं।
वह दोनों किसी प्रेमी जोड़े की तरह एक-दूसरे से खेल रहे थे, उनके अन्दर कोई जल्दबाजी नहीं थी, दोनों एक-दूसरे को प्यार कर रहे थे।


राज अंकल उनकी पायल को चूमने लगे और हाथ से पाँव पर मालिश करने लगे। राज अंकल धीरे से अम्मी की पैंटी की तरफ पहुँचे और उसे उतार कर किनारे रख दी।

उनका लण्ड जो इतना खड़ा हो चुका था कि चड्डी फाड़ रहा था। अंकल पूरे नंगे हुए और अम्मी की टांगें ऊपर करके अपना सात इंच का लण्ड अम्मी की फूली हुई चूत में डाल दिया।
अम्मी सिसकार उठीं- अअह आआ.. आआह.. अहह..हाहा आआहह्ह..हा राज धीरे-धीरे.. फ़ातिमा उठ जाएगी.. अहह्ह..सिइइइ..

अम्मी ने मेरे जाग जाने के डर से अपनी आवाजें बंद कर लीं। राज अंकल धीरे-धीरे चुदाई की गति तेज करने लगे। अम्मी की चूड़ियाँ खन-खन कर रहीं थीं।
अंकल उनको तेज-तेज चोदने लगे।

अम्मी भी अंकल के कंधे को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रही थीं.. वैसे ही राज अंकल भी तेज स्पीड में उनकी चूत में धक्के लगा रहे थे। उनका सात इंच का लण्ड अम्मी की चूत में पूरा पेवस्त हो रहा था। अम्मी अपनी टांगें ऊपर किए हुए बिस्तर पर पड़ी लम्बी-लम्बी साँसें भर रहीं थीं।

तकरीबन आधे घंटे तक राज अंकल अम्मी को लण्ड डालकर चोदते रहे.. उसके बाद वे दोनों शांत हो गए। इसी के साथ उनकी पायलों की ‘छुन-छुन’ भी बंद हो गई थी। शायद राज अंकल झड़ चुके थे।

वह दोनों काफ़ी देर बिस्तर पर नंगे ही पड़े रहे.. उसके बाद फिर वो दूसरी बार के लिए तैयार हुए।

कुछ देर बाद उन्होंने अम्मी को फिर से चूमना-चाटना शुरू कर दिया। अम्मी ने भी राज अंकल के लण्ड को मुँह में लेकर उनके लौड़े को चूसना शुरू किया। पहली ठोकर के सारे वीर्य साफ़ को किया।

राज अंकल अम्मी को फिर से प्यार करने लगे। उनके दूध दबाने शुरू कर दिए। अब राज अंकल का लौड़ा फिर से हाहाकारी हो गया था। इस बार उन्होंने अम्मी को उल्टा किया.. मतलब अंकल ने अम्मी को कुतिया बना दिया।

‘ऐसे पीछे नहीं राज…’
‘तुम जानती हो मुझे कुतिया बना कर तुम्हारी गाण्ड मारना बहुत अच्छा लगता है.. शाज़िया..’
राज अंकल ने अपना मूसल अम्मी की गाण्ड के छेद में लगाया और उनके चूतड़ों पर एक थपकी दी।
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09-04-2018, 11:20 PM,
#4
RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
मैं सोच भी नहीं सकती थी कि मेरी अम्मी आज पूरी रंडी बनी हुई थीं।
अम्मी समझ गईं कि अब ये थपकी देने का मतलब है कि उनकी गाण्ड में लौड़े की शंटिंग शुरू होने वाली है। उन्होंने खुद को गाण्ड मराने के लिए तैयार कर लिया था।

राज अंकल ने अम्मी की गाण्ड में शॉट मारा.. ‘आआह्ह्ह.. धीरे-धीरे राज..’
‘बस बस शाज़िया.. हो गया..’
अम्मी के हलक से एक घुटी सी चीख निकली.. राज अंकल का हाहाकारी लण्ड अम्मी की मुनिया की सहेली उनकी गाण्ड में पूरा घुस चुका था।

शाज़िया- प्लीज राज.. धीरे-धीरे दर्द हो रहा है..
अम्मी के चेहरे पर दर्द साफ़ झलक रहा था।
‘क्यों.. क्या अल्ताफ तुम्हारी गाण्ड नहीं मारता था?’
‘नहीं.. वह गाण्ड मारने के शौक़ीन नहीं हैं.. मुझे इन्हीं धक्कों का और तुम्हारे लण्ड का बड़ी बेसब्री से इन्तजार था। मुझे नहीं मालूम था राज कि तुम्हारा लौड़ा इतना बड़ा है.. आह्ह.. चोदो मुझे और जोर से चोदो..’

राज अंकल अम्मी के ऊपर कुत्ते जैसे चढ़े थे.. अम्मी की गाण्ड पर जैसे ही चोट पड़ती.. उनके दोनों चूचे बड़ी तेजी से हिलते। राज अंकल ने उनके हिलते हुए दुद्धुओं को अपने हाथों से पकड़ लिया.. जैसे राज अंकल ने अम्मी की चूचियों का भुरता बनाने की ठान ली हो।

उनकी गाण्ड को करीब दस मिनट तक ठोकने के बाद वे अम्मी की पीठ से उतरे और फिर उन्होंने अम्मी को चित्त लेटा दिया। अब उन्होंने अम्मी की कमर के नीचे तकिया लगाया और उनके पैर फैला कर उनकी चूत में अपने मूसल जैसे लौड़े को घुसेड़ दिया।

अम्मी भी नीचे से अपनी कमर उठा कर थाप दे रही थीं, अम्मी के मुँह से अजीब सी आवाजें निकलने लगीं थीं- चो..द.. राज.. और..ज्जोर.. स्से..धक्के.. मारर.. मेरेरेरे.. राज्ज्ज्ज..जा !
और फिर वो अचानक शिथिल पड़ गईं.. अम्मी झड़ चुकी थीं।

राज अंकल ने भी तूफानी गति से धक्के मारते हुए उनकी चूत में अपने लण्ड का लावा छोड़ दिया।

उन दोनों की चुदाई देखकर मेरी भी चूत गीली हो गई थी.. मैंने अपनी उंगली से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया था।
मुझे मालूम था कि आज राज अंकल अम्मी को देर तक चोदेंगे.. मैंने महसूस किया था कि जब चुदाई होती है.. तो फिर उन दोनों को.. मेरी तो जैसे सुध ही नहीं रहती है।

राज अंकल का इंजन अभी अम्मी की चूत में शंटिंग कर रहा था। मेरी आँखें मुंदने लगी थीं.. कुछ देर बाद मैं सो गई।

अब तो अंकल और अम्मी के बीच के सभी परदे मेरे सामने खुल चुके थे.. अम्मी भी अपनी पूरी मस्ती से अपनी चूत कि चीथड़े उड़वाने में लग चुकी थीं।
राज अंकल अम्मी को जब चाहते तब चोदते थे। धीरे-धीरे वह दोनों मेरे सामने ही एक कमरे में चले जाते और कई-कई घंटे बाद निकलते थे। मैं भी हमेशा अम्मी और अंकल की चुदास लीला देखती थी रात को जाग जाग कर…
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09-04-2018, 11:20 PM,
#5
RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
एक दिन मैं जब सुबह उठी.. तो देखा कि राज अंकल मेरे साथ ही लेटे थे। वह मुझे पूरी तरह से चिपटाए हुए थे।
मैंने अंकल से पूछा- अम्मी कहाँ हैं?
अंकल- वह तो अपने कॉलेज चली गईं।
‘ठीक है.. मैं आपके लिए चाय बना दूँ?’

अंकल ने सिगरेट सुलगाते हुए ‘हाँ’ में सिर हिला दिया था। थोड़ी देर बाद मैं चाय लेकर आ गई थी। अंकल में मुझे पास में बैठने के लिए इशारा किया।
मैं वहीं उनके पास बैठ गई।

‘कल रात को तुम सो रहीं थी या जाग रही थीं?’ अंकल ने प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए सवाल किया।

अचानक इस तरह के सवाल से मैं सकपका गई थी। अंकल को शायद ये मालूम पड़ गया था कि अम्मी और उनकी चुदाई का मैंने पूरा नजारा देखा है।

‘देखो फ़ातिमा.. मैं तुम्हारा अंकल हूँ.. तुम्हारी अम्मी का ख्याल रखना मेरा फ़र्ज़ है.. तुम बड़ी हो गई हो.. समझदार हो.. इस बात को समझ सकती हो।’
मैंने बिना कोई जवाब दिए अपना सिर शर्म से नीचे झुका लिया था।

‘वैसे कितने साल की हो गई हो तुम?’
‘पिछले महीने में 18 साल की..’ मैंने धीरे से शरमाते हुए जवाब दिया था।
अंकल ने मुझे अपने सीने से लगा लिया- बड़ी हो गई है मेरी बच्ची.. तू फ़िक्र मत कर.. तेरे लिए मैं तेरी अम्मी से बात करता हूँ..

अंकल ने मुझे गले लगाये हुए ही मेरी पीठ पर सहलाते हुए कहा था। मैं किसी मासूम बच्चे की तरह उनसे चिपकी हुई थी।
अंकल ने मुझे अपनी ओर खींचा और अपनी गोद में झटके से खींच लिया.. हम दोनों बिस्तर पर गिर गए।
मैं बुरी तरह घबरा गई.. मैं हल्की सी आवाज में बोली- अंकल प्लीज मुझे जाने दो..
‘कुछ नहीं होगा तुझे मेरी गुड़िया रानी..’

अंकल मेरे कंधों पर किस करने लगे.. मुझे अच्छा लग रहा था.. परन्तु शर्म भी आ रही थी.. क्यूंकि वे मेरे अंकल थे।
मैं छूटने की कोशिश करने लगी.. परन्तु अंकल ने मुझे पीछे से जकड़ रखा था।

अचानक उनका हाथ मुझे अपनी टांगों के बीच महसूस हुआ। अंकल मेरी नन्हीं सी मासूम योनि को मसल रहे थे। मुझे अच्छा लग रहा था.. परन्तु थोड़ा अजीब भी.. क्यूंकि यह सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था।


अंकल ने मुझे मुँह के बल बिस्तर पर लिटा लिया और मेरे ऊपर लेट कर मेरी पीली जालीदार कुर्ती की ज़िप खोल कर मेरी पीठ पर चुम्बन करने लगे। मैं चुपचाप सिसकारियाँ भर रही थी।

अंकल ने मेरे अधखिले उभार मसलने शुरू कर दिए.. मेरे पीछे उभारों पर मुझे उनके लौड़ा का दबाव साफ़ महसूस हो रहा था। नीचे मेरी योनि में कुलबुलाहट सी होने लगी थी। योनि को और साथ में भगांकुर को मसलवाने को मन कर रहा था।

फिर अंकल ने मेरी काली चूड़ीदार पजामी नीचे खिसका दी और मेरी गुलाबी रंग की चड्डी की एक झटके में नीचे खिसका लिया। मुझे शर्म सी महसूस हो रही थी परन्तु आनन्द भरी सनसनाहट में लिपटी.. मैं चुपचाप लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी। मुझे लग रहा था कि मेरी योनि कुछ रीतापन है.. उसे भरने के लिए मैं कुछ अन्दर लेने को मचल रही थी।

मुझे सीधा करके अंकल की अब उंगली आसानी से मेरी गुलाबी चूत में जा रही थी। मैं बहुत जोर से सिसकारियाँ ले रही थी ‘उन्नन्नह्हह.. आअह्हह.. ऊऊह्ह. आहन्न.. आहऊर चूसो..’

फिर राज अंकल ने मेरे छोटे-छोटे चूचों को चूसना छोड़ कर होंठों का किस लेना शुरू कर दिया- तू तो मेरी गुड़िया रही है फ़ातिमा.. मैं तो कब से तेरे पकने का इंतज़ार कर रहा था.. मूआआह्ह्ह..
अंकल ने मुझे चूमते हुए ख़ुशी ज़ाहिर की।
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09-04-2018, 11:20 PM,
#6
RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
कुछ देर के बाद मैं पूरी तरह से गर्म हो गई। फिर अंकल ने अपना लोअर खोला और अपना लण्ड मेरे हाथ में थमा दिया। उनका लण्ड अब तन कर पूरा 90 डिग्री का हो गया था।
मैं पहले तो शरमाई.. लेकिन कुछ देर के बाद जब उन्होंने फिर से लण्ड पकड़ाया.. तो मैं थोड़ा खुल गई।
अंकल ने बोला- इसे सहलाओ और आगे-पीछे करो।

मैं वैसा ही करने लगी।

अंकल ने फिर मेरी नन्हीं सी मासूम चूत में एक उंगली डाल दी। मैं जोर से ‘आह्ह्ह..’ करके सिस्कार उठी। कुछ देर के बाद मैंने अपनी चूड़ीदार पजामी खुद उतार दी।



‘वाह.. क्या नन्हीं सी पिंक.. बिना बाल की चूत है.. आज तो मैं तुझे कली से फूल बनाऊंगा.. मेरी गुड़िया रानी..’
अंकल ने हाँफते हुए कहा।

मेरी चूत पूरी भीगी हुई थी। मेरी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. हल्का सा रोंया ही अब तक आया था। मेरी चूत पूरी पावरोटी की तरह फूली हुई थी।


फिर अंकल ने मुझे अपना लण्ड चूसने के लिए बोला.. मैंने मना कर दिया।
अंकल ने बोला- कुछ नहीं होता..
मैं बोलने लगी- नहीं.. मुझे घिन आ रही है..
‘देखो इस तरह से चूसो..’

यह कहते हुए राज अंकल ने मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया।
मैं चिल्लाने लगी- आह्हह्हह्हह.. अंकल नहीं.. बस करो..
अंकल अपनी जीभ से मुझे चोद रहे थे.. मेरे मुँह से सिसकारियाँ फूट रही थीं ‘अंकल आह्ह.. मेरी चूत में आग लग रही है.. अहह्ह्ह.. कुछ करो..’

वे लगातार मेरी चूत को चूसते रहे।
मैं जोर से चिल्ला रही थी- और जोर से.. आह्ह..
मैं अपने हाथ से उनके सिर को अपनी चूत के ऊपर खींच रही थी। अपने पैरों को कभी ऊपर तो कभी दोनों जांघों को जोर से दबा रही थी.. कभी-कभी मेरी साँसें फूल जाती थीं।

कुछ देर के बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.. अंकल ने सारा का सारा पानी पी लिया।
मैं बिस्तर पर नंगी निढाल पड़ी थी। वो मेरे गोर दुबले-पतले नाज़ुक जिस्म को देख रहे थे। मैं जोर से हाँफ़ रही थी.. जैसे कोई कई मील से दौड़ कर आई होऊँ।

‘डरती है मेरी गुड़िया रानी.. अंकल से डरती है? कुछ हुआ मेरी बेबी.. मज़ा आया ना?’
अंकल ने मुझे सीधे लिटा कर प्यार से कहा।
मैंने हाँ में सिर हिलाया।

अब अंकल का मुँह मेरे सामने था.. उनका चेहरा लाल हो चुका था। वो मेरे चेहरे की तरफ देख भी नहीं रहे थे। उन्होंने अपने इनर को उठाया.. लोअर नीचे सरका कर अपने लौड़े को बाहर निकाला।

उस वक्त तो मुझे पता नहीं था कि मेरा यौनांग कुछ छोटा था।

मुझे थोड़ा अजीब जरूर लग रहा था.. पर कामोत्तेजना बहुत हो रही थी। अंकल ने मेरी टांगें फैला दीं और खुद टांगों के बीचों-बीच आ गए।

उन्होंने लौड़े पर थूक लगाया और योनिद्वार के ठीक बीचों-बीच मुझे उनका लौड़ा महसूस हुआ। उन्होंने मेरे दोनों घुटनों को अपने हाथों से थामा और जोर का एक धक्का लगाया ‘आआआ.. ईईई आश्स्श्श्श.. अम्मी….

मेरी तो जैसे जान ही निकल गई.. मैं छूटने के लिए तड़पने लगी। नीचे मेरी चूत में जलन सी हो रही थी।
‘धीरे से.. धीरे से.. कुछ नहीं होगा मेरी गुड़िया रानी को..’

यह कहते हुए अंकल मेरे मासूम नन्हें अधखिले वक्ष-उभार मसलने लगे और मुझे चूमने लगे।

पहली बार मेरी चूत में कोई लण्ड गया था। कॉलेज में मुझे कई सारे लड़के मुझे लाइन मारते थे.. लेकिन मैंने सोचा नहीं था कि यह सौभाग्य राज अंकल को मिलेगा।
लगभग 5 मिनट में मेरा दर्द कुछ कम हुआ.. तो मुझे अच्छा लगने लगा और मैं खुद ही कमर हिलाने लगी और कूल्हे उठाने लगी।

अंकल ने मेरी कमर के नीचे तकिया लगाया और हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए और लगभग दो मिनट में उनकी रफ्तार बहुत तेज हो गई।
अब मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.. मेरी योनि में मीठी सी चुभन मुझे आनन्द भरी टीस दे रही थी।

लगभग 7-8 मिनट तक धक्के लगाने के बाद मुझे चरमोत्कर्ष प्राप्त होने लगा और मुझे योनि के अन्दर संकुचन सा महसूस हुआ। मुझे योनि के अन्दर कुछ रिसता हुआ सा महसूस हुआ.. अंकल ने लौड़ा झटके से बाहर निकाला और सारा वीर्य मेरे योनि मुख और मेरे पेट पर गिरा दिया.. और मेरे ऊपर गिर गए।
वे झड़ चुके थे और लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगे।

मुझे चूत में दर्द महसूस हो रहा था.. मेरी चूत खून से लथपथ हो गई थी.. मैं डर गई थी।
तब अंकल ने बताया- पहली बार में ऐसा होता है..
मैंने चड्डी चूत पर चढ़ा ली।

कुछ देर बाद अंकल मेरे छोटे-छोटे चूतड़ों को मसलने लगे और फिर से मेरी चड्डी को कमर तक खिसका दिया। मैं आँखें बंद करके चुपचाप लेटी हुई थी।

अंकल मेरे ऊपर छा गए थे। उनका लौड़ा मेरी चूत में दुबारा घुस गया था.. मैं एकदम से थक कर चूर हो गई थी। ऐसा लग रहा था कि न जाने कितनी दूर से दौड़ लगा कर आई होऊँ।

कुछ देर अंकल का लण्ड मेरी चूत में ही पड़ा रहा.. अंकल ने अपनी आँखें खोलीं और मेरे सुनहरे घने बालों में अपना दुलार भरा हाथ फिराया। हम दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।

उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर खींचा..
फिर अंकल ने लोअर पहना और बाथरूम में घुस गए..

मैं चुपचाप हल्की सी आँख खोलकर उनको देख रही थी.. जैसे ही वो अन्दर घुसे.. मैंने जल्दी-जल्दी अपनी पजामी ऊपर खींची.. कपड़े और बाल ठीक-ठाक किए और जल्दी से वहाँ से बाहर निकल आई.. क्यूंकि मेरा मन अंकल से नजर मिलाने को नहीं हो रहा था।

मेरे ख्याल से इस सारे प्रकरण में अंकल का कोई दोष नहीं था। मैं जानती थी कि मेरी अम्मी शाज़िया जो 34 साल की जवान और खूबसूरत औरत हैं.. उनके साथ जो हो रहा था.. वह मेरे साथ भी कभी भी हो सकता है.. लेकिन आज ही के दिन यह सब हो जाएगा.. मैं नहीं जानती थी।
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09-04-2018, 11:20 PM,
#7
RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
कुछ देर बाद राज अंकल मेरे नजदीक आए और उन्होंने मेरे गालों पर एक ज़ोरदार पप्पी ली और 2 दिन बाद वापस आने का वादा करके चले गए।

फिर एक दिन वह हुआ.. जिसकी मैंने कभी उम्मीद भी नहीं की थी। शाम के 9 बज रहे थे.. राज अंकल की कार दरवाजे पर आकर रुकी थी। अंकल का रात को इस तरह आना.. कोई नई बात नहीं थी.. लेकिन मैंने दरवाजे पर जाकर देखा कि आज अंकल के साथ एक और आदमी भी था।

राज अंकल- हाय शाज़िया कैसी हो? इससे मिलो, यह मेरा दोस्त जय है!

अम्मी ने धीरे से ‘हाय’ करके अपना हाथ आगे बढ़ाया था।
‘और जय यह है मेरी प्यारी सी नन्हीं सी भतीजी फ़ातिमा..’
राज अंकल ने मेरे गाल खींचते हुए.. जय को मेरी तरफ इशारा किया।

जय ने ललचाई हुई नज़रों से मुझे नीचे से ऊपर तक देखा था.. उस वक़्त मैंने रेड स्कर्ट और ब्लैक टॉप पहना हुआ था। मैं बिना जवाब दिए अपने कमरे में चली गई थी।

मैं अपने कमरे में चली गई थी और खिड़की से उनकी बातें सुनने लगी थी।
राज अंकल अम्मी को कमरे में ले कर गए थे.. जय बरामदे में ही रुका था।
‘शाज़िया यह मेरा दोस्त जय है.. आज रात यह हमारे साथ रुकेगा..।’

अंकल अम्मी को समझा-बुझा रहे थे.. लेकिन अम्मी मानने को तैयार नहीं थीं।
‘अरे.. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.. बस मैं तुम और जय.. एक रात की तो बात है..’
मैं समझ चुकी थी कि राज अंकल अम्मी को जय से चुदवाने के लिए राजी कर रहे थे।

शाज़िया- तुम्हारी बात अलग है राज.. तुम मेरे शौहर के दोस्त हो.. लेकिन एक गैर मर्द के साथ मैं नहीं कर सकती।
अम्मी परेशानी से अपना सिर पकड़े सोफे पर बैठी थीं।

राज अंकल- मैं और जय बचपन के दोस्त हैं.. यहाँ तक कि मैंने उसकी पत्नी की भी ली है.. अब अगर वह कुछ माँगता है.. तो मैं कैसे मना कर दूँ.. और फिर यह बात इस कमरे से बाहर थोड़े ही जाने वाली है? मैंने जय को बोला है कि तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त अल्ताफ की बीवी हो।
‘तुमने मुझसे पूछ कर बोला था क्या..? मैं ऐसा नहीं कर सकती राज..’
राज अंकल ने अम्मी के गालों को अपने दोनों हाथों में लेते हुए अपनी बात पर जोर देकर कहा।

‘लेकिन घर में मेरी बेटी फ़ातिमा भी है.. वह क्या सोचेगी.. अब वह छोटी नहीं रही है..?’
अम्मी ने अपनी शंका ज़ाहिर करते हुए जवाब दिया था.. जबकि जय अंकल बाहर बरामदे में बैठे सिगरेट पी रहे थे।

‘हाँ मुझे बहुत अच्छी तरह से मालूम है कि वो ‘बड़ी’ हो गई है.. उसकी तुम फ़िक्र मत करो.. मैं उसको सम्हाल लूँगा।

फिर अम्मी धीरे-धीरे राजी हो गई थीं। राज अंकल अम्मी को अपनी गोद में लिए हुए थे और उनके कुरते में हाथ डाल कर उनके चूचों को मसल रहे थे। जिससे उनका विरोध अब कम हो गया था।

रात होने को थी.. मेरा दिल धड़कने लगा था.. मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था कि मेरी अम्मी मेरे सामने ही दो-दो मर्दों से चुदेगीं.. कैसे चुदेगीं.. आह्ह्ह चाचा का और उनके दोस्त का कड़क लण्ड भला अन्दर कैसे घुसेगा..? यह सोच कर तो मेरी चूत में भी पानी उतारने लगा था।

रात को अम्मी मेरे कमरे में आईं और मुझे ठीक से सुला दिया और चादर ओढ़ा कर लाईट बन्द करके कमरे बन्द करके चली गईं।
मैंने धीरे से चादर हटा दी और उछल कर खिड़की पर आ गई।

जय अंकल शायद शराब पी रहे थे.. उसका यह रूप भी मेरे सामने आने लगा था। अपना लण्ड मसलते हुए वो धीरे-धीरे शराब पी रहे थे।
‘उसे चादर उढ़ा दी है.. वो गहरी नींद में सो गई है..’
यह सुनते ही राज अंकल ने अम्मी को अपनी बाँहों में भरते हुए चूम लिया।

मुझे उनके कमरे से अब जय अंकल की भी आवाज सुनाई दे रही थी..
मेरा दिल धड़क रहा था कि अम्मी की आज दो मर्दों से चुदाई होगी।
राज ने अम्मी को जय के पास जाने को कहा।

अम्मी धीरे-धीरे शरमाते हुए अंकल की तरफ़ बढ़ रही थीं.. उनके पास आकर वो रुक गईं.. और अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से उन्हें निहारने लगीं।

तभी अम्मी मेरे सामने मुँह करके आ गईं.. मैंने देखा कि उन्होंने आज बेहद ही कीमती ड्रेस पहना हुआ था.. छोटी सी ब्लैक रंग की बैकलेस कुर्ती और उसके साथ लाल रंग की जालीदार सलवार.. यह ड्रेस शायद जय अंकल अम्मी के लिए लाए थे।

मैं सोचने लगी कि अरे.. वाह अम्मी ऐसी ड्रेस में..
मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा था, ये दोनों हरामजादे आज रात को मेरी अम्मी की चुदाई करेंगे।

अम्मी का तराशा हुआ गुदाज गोरा जिस्म.. ट्यूबलाईट की रोशनी में जैसे चांदी की तरह चमक उठा। उनकी ताजी शेव की हुई चूत की फ़ांकें.. सच में किसी धारदार हथियार से कम नहीं थीं। कैसी सुन्दर सी दरार थी.. चिकनी शेव की हुई रसीली चूत।

‘उफ़्फ़्फ़.. शाज़िया.. आप भी ना.. अभी किसी मॉडल से कम नहीं हो।’ जय अंकल ने अम्मी के गोरे सफ़ेद जिस्म को चूमते हुए कहा था।
‘हा.. हा.. हा.. अच्छा जी.. राज भाईजान की मेहरबानी है.. यह जो तुम्हारे सामने हूँ।’
अम्मी उनसे लिपट कर बातें कर रही थीं। कभी तो वो मेरी नजरों के सामने आ जातीं.. और कभी आँखों से ओझल हो जाती थीं।

तभी जय अंकल ने अम्मी का हाथ पकड़ कर अपने सामने सामने खींच लिया और कुर्ती के ऊपर से ही उनके सुडौल चूतड़ों को दबाने लगे। अम्मी की लम्बाई चाचा के बराबर ही थी..

उफ़्फ़.. अम्मी ने गजब कर दिया.. उन्होंने जय अंकल की जीन्स की ज़िप धीरे से खोल दी।
‘क्यूं आपको.. मेरे सामने शर्म आ रही है क्या? अपने लण्ड को क्यूं छुपा रखा है.. जानेमन?’

तभी मेरी धड़कन तेज हो गईं.. अंकल ने अम्मी की सलवार के नीचे से अम्मी की गाण्ड को दबा दिया। अम्मी ने अपनी टांग कुर्सी पर रख दी.. ओह्ह्ह तो जनाब ने अम्मी की गाण्ड में उंगली ही घुसेड़ दी है।
वो अपनी उंगली गाण्ड में घुमाने लगा.. अम्मी भी अपनी गाण्ड घुमा-घुमा कर आनन्द लेने लगीं।
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09-04-2018, 11:21 PM,
#8
RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
कमरबंद खींचते ही अम्मी की सलवार उनके शरीर से खिसक कर सरसराती हुई नीचे फ़र्श पर आ गिरी। अम्मी की सफ़ेद दूधिया माँसल टांगें नंगी हो चुकी थीं।
‘शाज़िया.. तुम कितनी सुन्दर हो..’

अम्मी ने मुस्कुराते हुए नजर नीची कर ली.. अंकल ने आगे बढ़ कर अम्मी को प्यार से गले लगा लिया। उनका दुपट्टा अलग करके उनके होंठों पर अपने होंठ लगा दिए थे, अम्मी तो जैसे उनसे चिपट सी गई थीं, दोनों के लब एक-दूसरे से मिल गए।

गहरे चुम्बनों का आदान-प्रदान होने लगा। अब जय अंकल अम्मी के नंगे भारी-भारी चूतड़ों को चीर कर उनकी गुदा द्वार में उंगली डाल रहे थे।
‘आउच…’

अम्मी के मुख से एक प्यारी सी ‘आह’ निकल पड़ी। पजामे में से अंकल का लण्ड उभर कर बाहर निकलने हो रहा था। अम्मी ने एक बार नीचे उनके लण्ड को देखा और अपनी चड्डी से ढकी चूत उनके लण्ड से टकरा दी। अब वो अपनी चूत वाला भाग लण्ड पर दबा रही थीं।

अंकल ने अपने दोनों हाथों से अम्मी की चूचियों को सहला कर दबा दिया.. तो अम्मी सिमट सी गईं।
‘शाज़िया.. मेरे लण्ड को भी प्यार करो..न..?’
अंकल ने अम्मी की गर्दन को चूमते हुए कहा।

मुस्कुराते हुए अम्मी धीरे से नीचे बैठ गईं और उनकी जीन्स को नीचे खिसका दिया.. फिर उसे धीरे से नीचे उतार दिया। अंकल का सात इंच का लण्ड बाहर आ गया.. उनका सुपाड़ा पहले से ही खुला हुआ था.. अम्मी ने मुस्करा कर ऊपर देखा और लण्ड को अपने मुख में डाल लिया। अंकल ने मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली।

अब जय अंकल के हाथ अम्मी की ब्रा को खोलने में लगे थे.. अम्मी ने उनका लण्ड चूसना छोड़ कर पहले अपनी ब्रा को उतार दिया..
हाय रे… अम्मी के उरोज तो सच में बहुत सधे हुए थे.. हल्का सा झुकाव लिए.. चिकने और अति सुन्दर..

अम्मी ने फिर से उनका लण्ड अपने मुख में ले लिया और चूसने लगीं। अंकल के हाथ अम्मी के बालों में चल रहे थे.. उनके बाल खुल गए थे।

अब उन्होंने अम्मी को उठा कर खड़ा कर लिया- शाज़िया.. मुझे भी आप अपनी चूत को प्यार करने की इजाजत देंगी?’
जय की इस बात पर पहले तो अम्मी शरमा गईं.. फिर वो बिस्तर पर चित्त लेट गईं और उन्होंने अपनी दोनों टांगें ऊपर को खोलते हुए अपनी चूत पसार ली।

‘हाय.. शाज़िया.. इतनी चिकनी.. इतनी प्यारी.. लण्ड लगते ही भीतर फ़िसल जाए.. 34 साल की होकर भी तुम किसी कुंवारी लड़की से कम नहीं हो।’

‘ऐसे मत बोलो.. मेरी जान.. बस इसे चूम लो.. फिर चाहे जो करो.. भले ही उसमें अपना अन्दर उतार दो..’
जय- थैंक्स यार राज.. तेरे दोस्त की बीवी तो मस्त माल है.. मैं तो कहता हूँ कि परमानेंट बदल ले इसे मेरी बीवी से.. तू मेरी बीवी आयशा को जब चाहे.. जहाँ चाहे.. ले जाया कर.. और जैसे चाहे चोदा कर।
‘अरे यार.. तू भी शाज़िया को जब चाहे ले जा सकता है.. अब शाज़िया हम दोनों की दोस्त है।’

राज अंकल ने जय की इस बात का हँस कर जवाब दिया था।

‘अच्छा जी थोड़ा कम मस्का लगाओ..’

अम्मी को चुदने की बहुत लग रही थी.. इस पर अंकल ने अपना मुँह अम्मी की चूत पर लगा दिया.. और उनके दाने को उनके होंठों ने मसल दिया।

‘सीईईए..’ करते हुए अम्मी ने आँखें बंद कर लीं और अपनी चूत उछालने लगीं।

मेरी चूत में भी यह देख कर पानी उतर आया.. इधर मैं अपनी चूत को दबाने लगी।

अम्मी तो खुशी के मारे जैसे उछल रही थीं.. पर अंकल चूत से चिपके हुए उसका रस चूसने में लगे थे।

‘अब तड़पाओ मत.. जैसा मैं कहूँ वैसा करो..’
‘शाज़िया.. पीछे घूम कर कुतिया बन जाओ.. पहले तुम्हारी चिकनी गाण्ड मारूंगा..’
‘ओह.. तुम्हें भी गाण्ड मारना अच्छा लगता है.. कोई बात नहीं.. मेरे दोनों तरफ़ छेद हैं.. किसी को भी चोद दो.. पर पहले अपना ये लण्ड मुझे मुँह से चूसने दो ना..’
‘ओह.. जैसी शाज़िया जी की इच्छा..’

जय अंकल ने एक बार फिर बिस्तर पर बैठ गए और अम्मी को मुँह में अपना लण्ड दे दिया। अम्मी के मुँह से बीच-बीच में सिसकारी भी निकल जाती थी। वो अपने कठोर लण्ड को अम्मी के मुँह में मारते रहे और अम्मी ने अपनी चूत घिसवाना चालू कर दिया।

मुँह से लौड़ा चुसवाते हुए जैसे ही अंकल का वीर्य छलका.. अम्मी के मुँह से भी सीत्कार निकल पड़ी। अम्मी अंकल का सारा वीर्य गटक गई थीं.. और अब वे उनके लण्ड को चाट-चाट कर साफ़ करने लगी थीं।

‘इसमें आपको बहुत मजा आता है ना?’

‘हाँ’ कहते हुए उनके लण्ड को अम्मी ने हिलाया.. फिर अम्मी ने अंकल के लौड़े को अपने चिकने बोबे से लगा दिया और उसे अपनी छाती पर घिसने लगी।

अम्मी अब बिस्तर पर बैठ गईं और अपनी चिकनी चूत को उंगली से पहले सहलाने लगीं.. फिर चूत की फांक को मसलने सी लगीं। फिर अम्मी ने अपना दाना उभार कर देखा और उसे मसलने लगीं.. उन्होंने अपनी गीली चूत में अपनी उंगली घुसा ली और ‘आह’ भरते हुए हस्तमैथुन करने लगीं।

अम्मी जल्दी ही झड़ गईं.. वो शायद पहले से ही बहुत उत्तेजित थीं।

अम्मी के झड़ते ही जय अंकल अम्मी की चूत का रस चूसने लगे.. अम्मी ने उन्हें सिसकारी लेते हुए अपनी जांघों के बीच दबा लिया।

‘अब देखो.. मैं फ़िर तैयार हूँ.. अब मैं तुम्हारी जम कर गाण्ड चोदूँगा.. मजा आ जाएगा..’

अम्मी ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की और उभार दी.. जय अंकल को गाण्ड मारने का शौक था, उन्होंने धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और अम्मी मस्त हो गईं..
ये सब देखने में मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।

अम्मी की गाण्ड को अंकल ने बहुत देर तक बजाया, अम्मी भी अंकल के स्खलित होने तक गाण्ड चुदाती रहीं।

अम्मी की गाण्ड मार कर अंकल सुस्ताने लगे।
‘जूस पियोगे या दूध लाऊँ?’
‘अभी तो दूध ही पियूँगा.. फिर जूस..’
‘ही ही ही..’

अम्मी जैसे ही दूध लाने के लिए उठीं.. अंकल ने उन्हें फिर से गोदी में खींच लिया और उनकी चूचियों को अपने मुँह से दबा लिया।
‘शाज़िया.. मेरी जान कहाँ जा रही हो.. अपने दूध नहीं पिलाओगी क्या?’
अंकल अम्मी को गुदगुदाते हुए दूध पीने लगे।
‘हुंह..’

मैं अपनी बुर में उंगली करते हुए सोच रही थी कि अंकल अम्मी के दूध तो खूब चूस-चूस कर पी रहे हैं.. मेरे तो चूसते ही नहीं हैं..
अम्मी गुदगुदी के मारे सिसकारियाँ भरने लगीं।
‘बहुत प्यारे हो तुम दोनों.. कैसी-कैसी शरारतें करते हो..’

दोनों नंगे ही एक-दूसरे के साथ खेल रहे थे.. खेलते हुए उन दोनों में फिर से आग भरने लगी थी। राज अंकल का लण्ड फुंफकारने लगा था।
‘अब देरी किस बात की है..’ अम्मी ने चुदासे स्वर में कहा।
‘नहीं मुझे अभी दूध पीने दो.. न..’
‘पहले बस एक बार.. मेरे ऊपर चढ़ जाओ.. मुझे शांत कर दो..’

अम्मी ने अपनी दोनों खूबसूरत सी टांगें उठा लीं.. अंकल उन टांगों के बीच में समा गए। कुछ ही पलों में अंकल का मोटा लण्ड अम्मी की चूत को चूम रहा था। चाचा का लण्ड अम्मी की चूत में घुसता चला गया।
अम्मी आनन्द से झूम उठी थीं।

इधर मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया.. मुझे भी एक मीठी सी गुदगुदी हुई।

मेरी अम्मी अपनी टांगें ऊपर उठा कर उछल-उछल कर चुदवा रही थीं और जय अंकल का लण्ड चूस रही थीं।
मेरा हाल इधर खराब होता जा रहा थ, अम्मी की मधुर चीखें मेरे कानों में रस घोल रही थीं।

दोनों गुत्थम-गुत्था हो गए थे.. कभी अंकल ऊपर तो कभी अम्मी ऊपर..! खूब जम कर चुदाई हो रही थी।
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09-04-2018, 11:21 PM,
#9
RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
अम्मी को इस रूप में मैंने पहली बार देखा था.. वो एकदम रांड बनी हुई थीं। लगता था जिन्दगी भर की चुदाई वो तीनों आज ही कर डालेंगे।

तभी तीनों का जोश ठण्डा पड़ता दिखाई देने लगा..
अरे..!
क्या दोनों झड़ चुके थे?
सफ़र की इति हो चुकी थी.. हाँ सच में वो दोनों झड़ चुके थे।

जय अंकल ने मुस्करा कर अम्मी कर चूचे अपने मुँह में भर लिए और ‘पुच्च.. पुच्च..’ करके चूसने लगे।

अम्मी धीरे से नीचे बैठ गईं और जय का लण्ड पकड़ कर सहलाने लगीं, उसका लण्ड अपने मुँह में लेकर उसे चूसने लगीं।

जय कभी तो अम्मी की जांघें चूमता और कभी उनके बालों को सहलाता- जोर से चूसो शाज़िया डार्लिंग.. उफ़्फ़ बहुत मजा आ रहा है.. और कस कर जरा..
अब अम्मी जोर-जोर से ‘पुच्च.. पुच्च..’ की आवाजें निकालने लग गई थीं, जय की तड़प साफ़ नजर आने लगी थी।

फिर अम्मी ने गजब कर डाला.. अम्मी ने अपनी एक टांग उसके दायें और एक टांग जय के बायें डाल दी। जय का सख्त लण्ड सीधा खड़ा हुआ था, दोनों प्यार से एक-दूसरे को निहार रहे थे।

अम्मी उसके तने हुए लण्ड पर बैठने ही वाली थीं.. मेरे दिल से एक ‘आह..’ निकल पड़ी ‘अम्मी प्लीज ये मत करो.. प्लीज नहीं ना..’
पर अम्मी तो बेशर्मी से किसी रंडी की तरह उसके लण्ड पर बैठ गईं।
‘अम्मी घुस जायेगा ना.. ओह्हो समझती ही नहीं है..’

पर मैं उनके लण्ड को किसी खूँटा की तरह अम्मी की चूत में घुसता हुआ देखती ही रह गई.. कैसा चीरता हुआ अम्मी की चूत में घुसता ही जा रहा था।

फिर अम्मी के मुँह से एक आनन्द भरी चीख निकल गई।

‘उफ़्फ़्फ़.. कहा था ना जड़ तक घुस जाएगा.. पर ये क्या..? अम्मी तो जय से जोर से अपनी चूत का पूरा जोर लगा कर उससे लिपट गईं और अपनी चूत में लण्ड घुसवा कर ऊपर-नीचे हिलने लगीं।

अह्ह्ह.. खुदा वो तो मस्त चुद रही थीं.. सामने से जय अम्मी की गोल-गोल कठोर चूचियाँ मसल-मसल कर दबा रहा था। उसका लण्ड बाहर आता हुआ और फिर ‘सररर..’ करके अन्दर घुसता हुआ मेरे दिल को भी चीरने लगा था।

मेरी चूत का पानी निकल कर मेरी टांगों पर बहने लगा था। पूरी रात राज अंकल और उनके दोस्त जय ने मेरी अम्मी को किसी रांड की तरह चोदा था।

मुझे अपनी बारी का इंतज़ार था.. जो कि जल्द ही आने वाली थी।

मैं अपने बिस्तर पर आ गई और चूत में उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगी।

संयोग से एक रात को अम्मी को चुदवाते हुए देखकर मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी कि मेरे मुँह से सीत्कार निकल गई जिसको अम्मी ने सुन लिया। मैं जान नहीं पाई कि क्या हुआ लेकिन अगले दिन अम्मी का व्यवहार कुछ बदला-बदला सा था।
मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने अम्मी से पूछा- क्या बात है अम्मी.. आज बहुत उदास हो?
अम्मी ने कहा- नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है।

कुछ देर के बाद अम्मी ने मुझे अकेले में बुलाया और बोलीं- कल रात..
इतना सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए.. मेरा चेहरा लाल हो गया।
तब अम्मी ने कहा- देखो बेटी मेरी उम्र इस वक़्त 32 साल है.. और तुम जानती हो कि तुम्हारे पापा बाहर रहते हैं.. उनको दुबई गए हुए दो साल से ऊपर हो गया।

ये सब कहते हुए अम्मी का गला भर आया.. उनकी आँखों से आंसू छलक पड़े। मैंने अम्मी को दिलासा दिया और कहा- मैं समझती हूँ.. कोई बात नहीं है अम्मी।
मेरी इस बात से उनका दिल कुछ हल्का हुआ और वो बोलीं- बेटी तुम नाराज़ नहीं हो न मुझसे?
मैंने कहा- नहीं अम्मी.. इसमें नाराज़ होने वाली कौन सी बात है.. ऐसा तो सबके साथ होता होगा?
अम्मी के चहरे पर कुछ मुस्कान आई।

मैं उस वक़्त कुछ और नहीं बोली।
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09-04-2018, 11:21 PM,
#10
RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
उस दिन के बाद मैं तीन रातों तक अम्मी के चुदने का इंतज़ार करती रही लेकिन राज अंकल नहीं आए, उनकी चुदाई नहीं हुई।
अब मैं अम्मी की हमराज़ हो ही गई थी, मैंने अम्मी से पूछा- क्यों अम्मी.. आजकल अंकल रात को क्यों नहीं आ रहे हैं?
अम्मी ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा- तुमको क्या दिक्कत हो रही है?

इधर मेरा भी तो राज के बिना बुरा हाल था, मुझे भी अंकल से चुदे कई दिन हो चुके थे। अम्मी के साथ-साथ मेरी चूत को भी लण्ड की ज़रूरत सताने लगी थी।
जिसका नतीजा यह हुआ कि मैंने बेअदबी के साथ अम्मी से कह दिया- अम्मी मुझे भी वही चाहिए.. जो तुम रोजाना रात को अपनी चूत में डलवाती हो।

अम्मी तो बिल्कुल सन्न रह गईं, उन्हें मुझसे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी- देखो फ़ातिमा, तुम अभी बच्ची हो।
‘अम्मी मैंने आपको बताया नहीं.. राज अंकल मेरे साथ भी वो सब कर चुके हैं।’
‘क्या..???’
मेरे जवाब से अम्मी के पैरों तले जैसे ज़मीन खिसक गई थी।
‘अम्मी प्लीज़..’ मैंने अम्मी के गले लगते हुए कहा।

मेरी जिद के आगे अम्मी मजबूर हो गई थीं, उन्होंने कहा- ठीक है.. तुम्हारी चूत में भी लण्ड पेलवा दूँगी.. लेकिन ध्यान रहे पापा को ये सब बातें मालूम नहीं होनी चाहिए।
मैंने ख़ुशी से उछलते हुए कहा- ओके अम्मी.. तुम कितनी अच्छी हो।


दोस्तो.. जब मेरी अम्मी ने मुझसे कहा कि वे मेरी चूत में लण्ड पेलवा देंगी.. तो मैं बहुत खुश हुई कि मैंने अम्मी को मजबूर कर दिया था।
वैसे तो राज अंकल मुझे कई बार चोद चुके थे.. लेकिन अब मैं यह सब बिना डरे करना चाहती थी।

उसी दिन जब मैं नहाने जा रही थी तो अम्मी बाथरूम में आ गईं और दरवाजा बंद कर लिया।

वे बोलीं- अपने कपड़े उतारो।
मैंने अम्मी से कहा- अम्मी.. मुझे शर्म आएगी।
अम्मी ने मुझे डांटते हुए कहा- छिनाल कहीं की.. चूत और लण्ड का खेल देखकर पेलवाने की तुम्हारी हवस जाग उठी.. लेकिन यह नहीं जानती हो कि मर्द को क्या पसंद आता है? मर्द को चिकनी चूत चाहिए.. देखूं तुम्हारी झांटें साफ़ हैं या नहीं?

इसी के साथ अम्मी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी तरह नंगी हो गईं, उनकी चूत के बाल एकदम साफ़ थे।
सच में क्या शानदार चूत थी अम्मी की.. मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं इसी चूत के रास्ते बाहर निकली हूँ।

मैं भी फटाफट अपनी सलवार कुर्ती उतार कर नंगी हो गई। अम्मी ने मेरी चूत को सहलाया और बोली- आज तुम्हारे अंकल इसमें अपना लण्ड पेलकर बहुत खुश होंगे। एक बात बता दूँ.. उन्होंने मुझसे एक बार कहा था कि शाज़िया.. एकाध नए माल का इंतज़ाम करो.. पैसों की फ़िक्र मत करना।

अम्मी ने मुझे रगड़-रगड़ कर अच्छी तरह नहलाया.. मेरी चूत के बाल साफ़ किए और तब बोलीं- अब तुम्हारी चूत लण्ड लेने के लिए एकदम तैयार है। 

शाम को जय अंकल आए तो मैं उनको निहारती रह गई। क्या बलिष्ठ गठा हुआ बदन पाया था अंकल ने..! मैं समझी कि अम्मी राज अंकल की बात कर रहीं हैं लेकिन मेरी चुदाई का प्रोग्राम जय अंकल के साथ था।

हम लोग खाना खाकर लेटने की तैयारी करने लगे। आज हम तीन लोग एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर आ गए।

अम्मी ने अंकल से कहा- क्यों जी.. आप किसी नए माल के बारे में कह रहे थे.. आज मैं अपनी मासूम बच्ची को आपके हवाले कर रही हूँ.. लेकिन ध्यान रखिएगा.. कि बेचारी की चूत एकदम कोरी है बहुत आराम से पेलिएगा..
‘फ़िक्र मत करो शाज़िया.. बस तुम देखो कैसे आज मैं तुम्हारी इस बच्ची को मासूम कच्ची कली से पूरी औरत बनाता हूँ।’
‘हम्म..’

अंकल बोले- शाज़िया.. तुम भी तो साथ ही रहोगी.. जब मैं इसकी बुर में अपना डंडा पेलूँगा.. तो तुम देखती रहना।
अम्मी ने कहा- हाँ मेरा रहना ज़रूरी है.. क्या पता तुम क्या हाल करोगे मेरी बच्ची का..
अम्मी ने हँसते हुए जवाब दिया।

मैं बोली- अम्मी मैं बच्ची नहीं हूँ.. आप ऐसे ही डर रही हो..

इस दौरान अम्मी ने कुर्ती और सलवार निकाल दी, मेरी बुर को सहलाकर अंकल को दिखाकर बोलीं- देखो जी कितनी चिकनी गुलाबी चूत है.. मेरी रानी बिटिया की..
मैंने अंकल के पजामे पर हाथ फ़ेरते हुए कहा- अंकल इस उम्र में भी आपका लण्ड भी कोई कम नहीं है..

अम्मी ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए, अंकल भी अपने कपड़े उतार चुके थे, अब हम तीनों मादरजाद नंगे थे। अंकल मेरे होंठों को चूसते हुए एक हाथ से मेरी चूत को सहला रहे थे.. तथा दूसरे हाथ से अम्मी की गाण्ड सहला रहे थे।
मैं तो गर्म होने लगी.. लेकिन अम्मी अभी गरम नहीं हुई थीं।

अम्मी ने मुझसे पूछा- क्यों बेटी.. लण्ड चूसोगी?
मैंने कहा- आप लोग जैसा आदेश करें.. मैं तो अनाड़ी हूँ.. मुझे आप लोगों की निगाहबानी में ही चूत चुदवानी है।
अम्मी बोलीं- तब ठीक है..मैं जैसा कहती हूँ.. तुम वैसा करो।

हम तीनों ऐसी पोजीशन में हो गए कि मैं जय अंकल का लण्ड चूस रही थी। अम्मी मेरी चूत चाट रही थीं और अंकल अम्मी की चूत चाट रहे थे.. अर्थात तीनों लोगों ने एक सर्किल बना रखा था।

मैं तो अम्मी द्वारा चूत की चटाई से ही एक बार झड़ गई।

थोड़ी देर बाद मैंने अम्मी से कहा- अम्मी.. मेरी बुर में जल्दी लण्ड डलवा दो नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी।
अम्मी ने कहा- अच्छा.. अपनी टांगें फैलाकर पीठ के बल लेट जाओ.. मैं वैसलीन की शीशी लाती हूँ।

अम्मी ने मेरी चूत के अन्दर वैसलीन लगा दी और अंकल से बोलीं- मेरी रानी बिटिया की कुंवारी चूत को अपने लम्बे लण्ड से आबाद कीजिए।


अम्मी ने अंकल के सुपाड़े पर भी वैसलीन लगा दी। अंकल ने मेरी टांगों को फैलाकर लण्ड को मेरी प्यासी चूत के मुहाने पर रखा और मेरी अम्मी ने अंकल के पीछे से मेरी चूत को फैला रखा था।
अंकल ने धक्का लगाया लेकिन ललिताना चूक गया।
मेरी चूत लौड़े के लिए तड़प रही थी.. कि जल्दी से उसमें लण्ड घुसे, मैं लगभग रोते हुए बोली- अम्मी.. पेलवा दो न.. क्यों देरी हो रही है?

अम्मी ने कहा- इस बार घुस जाएगा बेटी.. घबराओ मत.. मैं भी तो लगी हूँ इसी कोशिश में.. पेलिए जी मेरी बेटी को.. देखो बेचारी तड़प रही है।
जब इस बार अंकल ने अपना सुपाड़ा घुसा दिया तो मुझे लगा कि मेरी जान निकल जाएगी.. लेकिन मैंने अपने दांत भींच लिए।
‘आईईए.. अम्मी.. दर्द हो रहा है..’
मैंने सोचा नहीं था कि जय अंकल का लण्ड राज अंकल से मोटा और लम्बा भी है।

‘बस.. बस.. धीरे धीरे.. जय.. अभी ये कमसिन कुंवारी है..’
अम्मी मेरी चूत को पीछे से सहला रही थीं ताकि दर्द न हो।

अंकल ने थोड़ा और घुसाया तो मुझे लगा कि अब पूरा हो गया.. लेकिन जब मैंने अंकल से कहा- अब धक्का लगाइए.. तो उनके बोलने से पहले अम्मी ने बाहर निकले हुए लण्ड को नापकर कहा- बस बेटी 5 इंच लण्ड अभी बाहर है.. 3 इंच तो तुमने निगल लिया है।

यह सुनकर मेरी तो हालत खराब हो गई.. खैर अंकल ने थोड़ा और जोर लगाया.. तो दो बार में पूरा लण्ड जड़ तक घुस गया। अंकल ने स्पीड तेज़ की तो धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा।

मैं बोलने लगी ‘आह्ह्ह्ह ऊह..ह उह.. पेल दो अंकल.. फाड़ दो मेरी बुर को.. उफ़..’
थोड़ी देर के बाद ‘फच.. फच..’ की आवाज़ आने लगीं।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. अंकल ने मेरी छोटी-छोटी कच्ची गुलाबी चूचियों के निप्पल को दबा-दबा कर लाल कर दिया था।

उधर अम्मी मेरी चूत को सहला रही थीं.. बीच-बीच में वह मेरी चूत और उसमें फंसे हुए लण्ड को चाटने भी लगती थीं।
अम्मी सिर्फ कॉलेज में ही नहीं बल्कि बिस्तर पर भी एक अच्छी टीचर थीं।

कुछ देर के बाद मुझे ऐसा लगा कि मैं आसामान में उड़ रही हूँ। अंकल ने मेरे छोटे से दुबले-पतले जिस्म को अपने कसरती शरीर में खूब जोर से भींच लिया था।
मैं अपनी गाण्ड इस क़दर उचकाने लगी कि लण्ड खूब गहराई तक घुस जाए।

अब मेरा काम-तमाम होने वाला था। मैं बड़बड़ाने लगी- अह.. मेरे राजा उन्ह.. आह औउच.. ओह.. मैं आ गई.. आह..ह ह हह ओह.. ओहोहोह..
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