Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
09-16-2018, 01:07 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
हम घर के अंदर गये, तो मोम लॉन में ही खड़ी थी, घर को देख रही थी बाहर से... उनके साथ डॅड, शन्नो और विजय भी थे...



"अरे बेटे आओ... और ललिता, तुम यहाँ कैसे.." शन्नो ने उसे गले लगाते हुए पूछा...



"मोम, सामान तो लिया ही नहीं था अपना ज़रूरी मैने.. इसलिए अभी लेके, कल शाम तक वहाँ जाउन्गि.." ललिता ने शन्नो से अलग होते हुए कहा



"बेटे कल वहाँ जाएगी फिर 17थ को इधर, अब इधर ही रह जा... पायल और माया उधर गये हैं ना, तो एनफ हैं" मोम ने ललिता को अपने पास खींचते हुए कहा



"माया और पायल उधर... क्यूँ भला, ये कब हुआ, मुझे बताया क्यूँ नहीं पहले" डॅड ने मोम से कहा



"भाई साब, मैने माया से कहा, कि वो वहाँ चली जाए, क्या है कि उनके घर में कोई है नहीं उनकी मदद के लिए, अब हमने उन्हे वक़्त ही इतना कम दिया कि तैयारियों के लिए उन्हे किसी की तो ज़रूरत होगी... इसलिए मैने उन्हे कहा, वरना वो तो मना ही कर रहे थे.." विजय ने पापा को बोला



(हां भोसड़ी के.. तेरी साली की चूत जो मिलती है लंड के बाल साले... उसकी गान्ड में ही घुस जा पूरा जा.) मैं मन में सोचने लगा



"ठीक है, बट माया को बताना चाहिए था मुझे.. एनीवेस, और .. कपड़े लिए कि नहीं... चलो दिखाओ मुझे क्या लिया है" कहके डॅड मुझे वहाँ से लिविंग रूम में लाए और मेरे कपड़े देखने लगे



"प्राउड ऑफ यू माइ बॉय.. दिस ईज़ कॉल्ड चाय्स, सटल आंड रिच... ग्रेट" डॅड ने मेरे सूट को देखते हुए कहा


"डॅड, आपके और मोम के कपड़े कहाँ है..." मैने रूम में नज़र घूमाते हुए पूछा



" बॉय, वी हॅव नो टाइम.. आज पूरा दिन गेस्ट्स में निकला, उन्हे सामान देना था शगुन का, मिठाइयाँ, पूरा दिन उसमे ही निकला है..." डॅड ने थकि हुई आवाज़ में कहा



"नतिंग डूयिंग डॅड..कल आप और मोम और हम सब शॉपिंग पे चलेंगे ओके.. ललिता विल ड्राइव अस देअर.." मैने डॅड को कहा



"ओके बॉय.. अब तुम ही हो सब कुछ भाई.. कल चलेंगे, डन, कितने बजे पर" डॅड ने पूछा



"उः.. नून, अट 1, ओके वित यू ?" मैने कन्फर्म किया डॅड से..



"ओके जी.. पर ललिता क्यूँ ड्राइव करेगी, कल हमारी न्यू कार में चलेंगे, आपके बर्तडे गिफ्ट में जो दी थी... ड्राइवर ले चलेगा आंड वी ऑल विल सीट बॅक आंड रिलॅक्स ओके.. चलो गुड नाइट नाउ..." कहके डॅड वहाँ से उठके फिर लॉन में गये और बाकी सब को भी चलने के लिए बोला



जैसे ही मैं और ललिता उपर जा रहे थे, 



".. ललिता, कम हियर बेटा..." डॅड ने हमे बुलाया



"यस अंकल.... क्या हुआ डॅड" ललिता और मैने एक साथ उन्हे बोला



"बेटा आगे से स्कॉच के बाद मिंट ले लिया करो... वैसे कौनसी ब्रांड थी" डॅड ने हमे मस्ती में पूछा



ललिता जवाब देने से रही, मैने कहा



"जॅक डॅनियल्ज़ डॅड... 16 यियर्ज़"



"देअर यू गो... यू हॅव आ ग्रेट टेस्ट सन.. कल का लंच भी फिक्स अपना" आँख मारके डॅड चले गये अपने रूम में



डॅड के जाने के बाद ललिता को मैने हमारा कल का प्रोग्राम बताया..



"वाउ... बट नाउ शो माइ सर्प्राइज़.. जल्दी से" कहके ललिता दौड़ दौड़ के रूम में चलने लगी

"ललिता तेरा सर्प्राइज़ कुछ ऐसा है..." मैं ललिता को फोटो दिखाते हुए कहा...







"वाउ भाई.. लव्ली वन पीस.. आइ वांटेड दिस बॅड्ली, अब आक्चुयल तो दिखाओ"



"थॅंक गॉड तुझे मेरी चाय्स पसंद आई.. हियर इट ईज़.." मैने ड्रेस देते हुए कहा



"थॅंक्स भाई... वाउ... सेम कलर, सेम डिज़ाइन... थॅंक्स आ लॉट भाई.. आइ लव यू.. म्व्वहाह्हह्ह" ललिता ने मेरे गालों पे एक किस दी



"भाई, ट्राइ करके दिखाऊ.. वेट हाँ," कहके ललिता मेरे कमरे बने बाथरूम में चली गयी.
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09-16-2018, 01:07 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
तब तक मैने भी अपनी जीन्स उतार के, शॉर्ट्स पहन लिए और बेड पे बैठ के सुस्ताने लगा थोड़ा... बहुत थकान हो रही थी, पूरा दिन भाग दौड़, होप सो जो भी सोचा है वो हो... नहीं तो पता नहीं क्या होगा.. ये सब सोच ही रहा था कि डोर अनलॉक होने की आवाज़ से मेरी आँख खुली और कुछ सेकेंड्स में ललिता मेरे सामने खड़ी हुई


"हाउ डू आइ लुक भाई.." ललिता ने कहा



"एंजल.. स्वीट हार्ट, प्रिन्सेस लग रही है डियर... ये देख" कहके मैने ललिता को शीशे के सामने खड़ा किया



"लव्ली गिफ्ट भाई... थॅंक्स आ लॉट... बट वन मोर थिंग.... इतनी एक्सपेन्सिव क्यूँ ली.. " ललिता ने अपना चेहरा मेरी तरफ घुमा के पूछा



"अरे इसमे क्या हुआ, आंड ज़रूरी थोड़ी है कि शादी में पहने, शादी के अलावा भी पहन सकती है तू...." कहके मैं भी अपने बेड पे आ गया और ललिता अब सामने खड़ी थी..



"ओके भाई... अब फाइनल थिंग, सब डन है ना अपने एंड से.. वी आर नोट फर्गएटिंग एनितिंग राइट" ललिता ने बेड पे बैठ के कहा



"ललिता... येस, वी आर फोरगेट्टिंग वन पर्सन...." मैने ललिता की आँखों में देखते हुए कहा



"कौन भाई.. सब तो हैं.. किसको भूल गये , गिव मी सम क्लू" ललिता ने अपनी उंगलियों पे काउंट करना चालू किया


कुछ सेकेंड्स के बाद मैने उसे कहा



"यू, यू हेट हिम दा मोस्ट ललिता..." 



"भाई.. फर्गेट इट, आइ आम इन नो मूड टू डिसकस हिम ऑलराइट... इट्स बीन 6 मंत्स, मैने उसके साथ बात की हो.. " ललिता ने अपना मूह फेरते हुए कहा



"बट बेब, कम ऑन आफ्टर ऑल ही ईज़ युवर...." मैने इतना ही कहा, कि ललिता ने अपना चेहरा मेरी तरफ घुमाया और कहा



"वॉच इट भाई.. ही डज़ नोट डिज़र्व्स टू बी अटॅच्ड टू मी ऑर एनी पार्ट ऑफ माइ फॅमिली..." कहके ललिता बाथरूम में फिर चेंज करने चली गयी



ललिता के जाते ही, मैं फटाफट ललिता के रूम में गया, और उसका वॉर्डरोब ड्रॉयर सर्च करने लगा... फाइनली उसके वॉर्डरोब से मुझे कुछ मिला जो मुझे चाहिए थे....



"सो यू आर हियर..." मैने उस चीज़ को पकड़ के अपने पॉकेट में रखा और अपने रूम में गया



"कहाँ गये थे, " ललिता बाहर आ चुकी थी



"पानी पीने, " मैने कहा



"बट हियर ईज़ दा बॉटल.." ललिता ने मुझे बॉटल पकड़ते हुए कहा



"इसलिए आधी सीडीयों से वापस आया.." मैने पानी पीके कहा



"अच्छा, आइ फर्गॉट टू अस्क, एरिसटॉटल से क्या बात हुई तेरी..." मैने ललिता से पूछा



"कुछ नहीं भाई.. बात नहीं की, फोन ही नहीं किया तो" ललिता ने डिसपायंटेड लुक्स देके कहा



"तो अभी कर ले ना स्वीट हार्ट..." मैने उसको मेरा फोन देते हुए कहा



"नहीं, भाई क्या कहूँगी उसको.. अजीब लगेगा, ऐसे अचानक फोन करना.. हां बट सच्ची में दिल से बहुत इच्छा थी कि बात करूँ उसके साथ, बट कर नहीं पाई" ललिता ने इस बार एक स्माइल से कहा



"अरे वाह मेरी जान... तो लड़का फाइनल कर दूं बोल तो" मैने सीधे पूछ डाला..



"बट वो क्या चाहता है, उसकी क्या फीलिंग्स हैं वो कैसे पता करूँ..." ललिता ने अपने नाख़ून चबाते हुए कहा



"रुक..." मैने ललिता से कहा, और उसके फोन पे कॉल किया



"मेरे ही सेल पे क्यूँ कॉल कर रहे हो भाई.." उसने अपना फोन देखते हुए कहा



"तू आन्सर तो कर जानेमन.." मैने उसे इन्सिस्ट किया



"ओके.. हेलो अब बोलो" ललिता ने कॉल आन्सर किया
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09-16-2018, 01:07 PM,
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"अब रुक, कुछ मत बोलना, सिर्फ़ सुनना" कहके मैने एरिसटॉटल को कान्फरेन्स कॉल किया



कुछ सेकेंड्स की रिंग के बाद एरिसटॉटल ने कॉल आन्सर किया



"हां , बताओ.." एरिसटॉटल ने पूछा



"अरे तू बता, कैसा है, और सब ठीक है ना... यू आर सेफ राइट" मैने बातें स्टार्ट की



"हां , आइ आम सेफ, तू बता, हाउ आर यू.. और घर पे सब ठीक.. "



"हां भाई, मोम डॅड ठीक हैं, अंकल आंटी ठीक हैं"



"अच्छा... और....."



"और क्या बे, बस तू बता, ज़ुरी कैसा है, कैसी रही आज की कान्फरेन्स"



"इट वाज़ गुड, ज़ुरी बहुत सुंदर है.. यहाँ तो बीवी के साथ आने का, बहुत ही बढ़िया जगह हैं"



"तो तू क्यूँ अकेला गया, बीवी को ले जाता"



"नहीं यार, शादी नहीं हुई तो कैसे लाउ... अच्छा, उः... वैसे, उः हुहन.... ललिता जी कैसी हैं"



(फाइनली यू ब्रोक दा आइस ड्यूड... मैने सोचा)



"शी ईज़ फाइन.. वाइ डू यू आस्क"



"नहीं, उस दिन तो वो बहुत चिंता में थी, सो यू नो.. जस्ट कॅष्यूयली आस्क्ड"



"उह हुह साले.. अच्छे से जानता हूँ तुझे, पर मेरी बहेन है.. अब क्या करेगा तू"



"वो तो है भाई, मैने जस्ट पूछा"



"हां तो ये क्यूँ पूछा.. सीधा सीधा पूछ लेता ना कि वो तुझसे शादी करेगी कि नहीं"



"हां वोई तो पूछना था पर...." इतना कहके एरिसटॉटल रुक गया



"नहीं , नतिंग लाइक दट, तू मज़ाक मत कर अब"



"अबे , रहने दे, आइ नो यू... आजा ज़ुरी से , आइ विल अरेंज सम थिंग फॉर यू.. आंड मेक शुवर तू अपने साले को भी खुश रखे.. चल बाय.." कहके मैने फोन कट कर दिया



फोन के बाद ललिता का चेहरा एक दम लाल हो चुका था, वो शर्मा रही थी या उसके बारे में सोच रही थी समझ नही आया



"हॅपी माइ डार्लिंग" मैने स्नॅप करते हुए पूछा



"ओह्ह्ह.... येस्स्स्स.. वेरी वेरी हॅपी भैया...लव यू वेरी मच" कहके ललिता फिर मेरे साथ गले लगी और आज फिर मेरे रूम में सोई.. हम दोनो आज बेड पे ही सोए थे, बट डिस्टेन्स था....





सुबह सुबह ललिता ने जल्दी उठा लिया मुझे



"भाई, गेट अप... जल्दी जाना है हमे, प्रसाद के पास टाइम बहुत कम है चलो" कहके ललिता मिरर के सामने बाल बनाने लगी...



"हां यार, सोने दे प्लीज़, अभी 8 ही बजे हैं" मैने घड़ी देखते हुए कहा



"वो बंद है, 9 बजे हैं, चलो, अंकल के साथ भी 1 बजे जाना है ना" ललिता वहीं से चिल्लाने लगी




"व्हाट !!!" कहके मैं उठा और नहाने चला गया सीधा.. जल्दी से नहा के और फ्रेश होके, मैं कपड़े पहन के नीचे चला गया जहाँ कुछ रिश्तेदार बैठे थे.. सब से इंट्रो और बातें करने में 1 घंटा और निकल गया, सुबह के 10.30 बजे और हम अभी तक घर में



"व्हाट आ लव्ली स्टार्ट टू दा डे" मैने ललिता को एसएमएस किया



"यू स्लीप सो मच.. बीअर इट नाउ, आइ कॅंट हेल्प इट" ललिता ने रिश्तेदारों के नाम पे कहा
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09-16-2018, 01:08 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
करीब आधे घंटे में रिश्तेदारों से फ्री होके, नाश्ता किया और ललिता और मैं बाहर चले गया.. 11.15 को हमने गाड़ी स्टार्ट की और सीधा दौड़ा दी प्रसाद की ऑफीस की तरफ.. प्रसाद की ऑफीस के नीचे पहुँचे, और हमने 15थ फ्लोर की लिफ्ट ले ली... उसकी ऑफीस के बाहर पहुँचे



"ए के प्रसाद..... लीगल काउनसेलर" उसकी ऑफीस के दरवाज़े पे बड़ा बोर्ड लगा था, सुनहेरे अक्षरों में लिखा हुआ



"मिस्टर प्रसाद, कॅन वी कम इन प्लीज़" मैने उसकी ऑफीस को नॉक करके पूछा



"ओह.. यस प्लीज़ कम गाइस.... वॉट विल यू हॅव" प्रसाद ने हमारा स्वागत किया



"नतिंग सर , थॅंक यू वेरी मच.." ललिता ने कहा



"टेल मी चिल्ड्रेन , हाउ कॅन आइ हेल्प यू"



"सर, आफ्टर ऑल दा थिंग्स व्हिच वी हॅव टोल्ड यू, वी हॅव दा पेपर्स व्हिच यू वान्ट... वी वुड रिक्वेस्ट यू टू प्लीज़ कम इन अट दिस अड्रेस ऑन 19थ जुलाइ.. वी विल हॅंड ओवर दा पेपर्स टू यू आंड यू विल बी टेस्टिफाइड ऐज विटनेस इन फ्रंट ऑफ दा पोलीस.. होप यू डोंट हॅव एनी प्राब्लम विद दट" ललिता ने उसे मेरा कार्ड पकड़ाते हुए कहा



"मिस्टर वीरानी... दा सन ऑफ वीरानी मॅनीयूफेकचॅरिंग प्राइवेटलिमिटेड..." प्रसाद ने कार्ड देखा, और फिर मुझे देखा



"राइट सर..." मैने हंस के कहा



"ओह माइ लॉर्ड... हाउ डिड आइ नोट नो दिस... गोद ब्लेस्स यू माइ बॉय, आंड यू गर्ल.... युवर डूयिंग आ वेरी नोबल कॉस... गिव माइ रीगार्ड्स टू मिस्टर वीरानी, ही हॅज़ डन फ्यू केसस वित मी इन हिज़ बिज़्नेस.. आम शुवर ही रिमेंबर्ज़ माइ नेम" 



"ओफ़कौर्स सर.. आइ विल डू तट.. जस्ट मेक शुवर यू रीच हियर बाइ 1 PM प्लीज़..."



"डोंट वरी गाइस... आइ विल बी देअर" प्रसाद ने हमे आश्वासन दिया


हम प्रसाद के वहाँ से निकले और तुरंत हमारे ट्रॅवेल एजेंट के पास गये...



"मिस्टर वीरानी.. आइए, हाउ वाज़ युवर इंडोनेषिया ट्रिप.." ट्रॅवेल एजेंट ने मुझे पूछा



"वंडरफुल... अभी ये पासपोर्ट्स हैं मेरे भाई और पेरेंट्स के... 20थ को ऑस्ट्रेलिया, एनितिंग पासिबल"



"ओफ़कौर्स, वीसा जल्दी लगवा दूँगा मैं.. आप फ़िक्र ना करें, वीरानी के नाम से तो भला कौन मना करेगा हमे" ट्रॅवेल एजेंट ने पासपोर्ट लेते हुए कहा



"ओके सर.. मेरे पास आपकी बॅंक डीटेल्स हैं, मैं उसमे 50,000 के स्लॉट्स में पैसे ट्रान्स्फर कर देता हूँ... अलग अलग बॅंक अकाउंट से आएँगे, सिन्स देअर् ईज़ आ लिमिट फॉर नेफ़्ट"



"नो प्राब्लम जी... आपके पापा घूम के आए आप पैसा बाद में दीजिए, उसकी फ़िक्र ही नहीं है"



"जी नहीं , उसकी नो नीड.. हमे चलना चाहिए" कहके मैं और ललिता बाहर आ गये



"ओह नो... वेट, मैं अभी आया.." मैने बाहर आके कहा



"नाउ व्हाट भाई.. वी आर ऑलरेडी लेट" ललिता पीछे चिल्ला रही थी



मैं दौड़ के वापस ट्रॅवेल एजेंट के पास आया



"सुनिए, ये एक और पासपोर्ट है, इसका भी ऑस्ट्रेलिया ट्रिप कीजिए प्लीज़" मैने ललिता का पासपोर्ट देते हुए कहा, और जल्दी से बाहर आ गया



"अब चलें..." ललिता ने गाड़ी में बैठे हुए मुझसे सवाल पूछा



हम जल्दी से गाड़ी में घर की तरफ निकले, 1 बजे के टाइम पे हम 1.20 को पहुँचे... शुक्र है मोम अब तक तैयार नहीं थी... हम 10 मिनट में निकले, पूरा दिन हमने शॉपिंग लंच, गेम्स भी खेले... इन शॉर्ट हमने बहुत एंजाय किया.. मोम डॅड के साथ विजय और शन्नो ने भी शॉपिंग की.. ललिता ने भी अपने लिए कुछ कॅषुयल कपड़े लिए.. कॅषुयल क्यूँ



"भाई.. सेम सवाल करोगे तो सेम जवाब मिलेगा ओके" कहके ललिता फिर अपने कपड़ों के सेलेक्षन में लग गयी..



दिन के अंत में हम थक हार के घर वापस आए.. आके जल्दी से सब लोग अपने कमरे में सो गये, और फिर मैं और ललिता मेरे रूम में ही बैठे थे..



"भाई, मज़ा आ गया ना आज तो बहुत" ललिता ने अपने कपड़े दिखाते हुए कहा



"भाई.. भाई.. व्हेअर आर यू लॉस्ट" ललिता ने मुझे कंधे से हिला के पूछा



"ललिता.... व्हाई डू यू हेट हिम... इट्स बिन आ एअर नाउ ऑलमोस्ट..." मैने फिर ललिता से पूछा



"भाई, वन मोर टाइम यू टेक हिज़ नेम, आंड ई विल बी आउट ऑफ हियर" ललिता ने अपने कपड़े फेंक के कहा



"ललिता.. चिल... मेरा सवाल सुनेगी अब प्लीज़..." 



"बोलो"



"व्हाट इफ़ ही ईज़ बिहाइंड ऑल दिस... ईवन ही ईज़ आ फॅमिली........ राइट ?????"
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09-16-2018, 01:08 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
दोस्तो एक और भेद खुलने वाला है यहाँ से कुछ देर कहानी फ्लेश बॅक मे जाएगी


फ्लश बॅक............................................


ललिता रोज़ की तरह सुबह को तैयार हो रही थी... वो सुबह को जल्दी नहा लेती और पूरा दिन फिर आराम से बैठती और मज़े लेती दोस्तों और फॅमिली के साथ... एक सुबह जब ललिता नहाने गयी, नहाते नहाते उसे लगा कि शायद कोई उसे देख रहा है.. उसे पिछले 10 दिनो से ऐसा लग रहा था, पर वहाँ है ऐसा सोच के उसने इग्नोर किया और किसी से शेअर् नहीं किया... आज भी उसने ऐसा ही किया... नहा के वो जैसे ही बाहर की तरफ बढ़ी, उसे किसी के कदमो की आहट सुनाई दी.. कदम पीछे जा रहे थे... बाहर आके उसने देखा तो उसे कोई नहीं दिखा.. उसने केर्फुली अपने रूम की खिड़की बंद की और कपड़े पहनने लगी.. कपड़े पहन के वो उछलती गाती हुई नीचे लिविंग रूम में आई और नाश्ते के लिए चिल्लाने लगी...



"हां हां बेटा, ले तेरा फॅवुरेट नाश्ता, स्क्रंबल्ड एग्स आंड स्पॅनिश ओम्लीट" मोम ने ललिता को नाश्ता देते हुए कहा



"लव्ली आंटी.. थॅंक्यू सो मच.... मोम कहाँ है" ललिता ने अपना ओम्लीट खाते हुए कहा



"बेटा वो आज तेरे पापा के साथ कहीं बाहर गयी है, डॉली भी उनके साथ गयी है, रात को देर होगी उन्हे आने में"



"डॉली भी गयी.. नो प्राब्लम, मैं आपके साथ टाइम पास कर लूँगी आज" ललिता ने ओम्लीट मोम को खिलाते हुए कहा



"ओह हो... बट दट विल टेक सम टाइम बेटे, मैं और तुम्हारे अंकल कहीं बाहर जा रहे हैं, वी विल टेक अन अवर टू कम बॅक, फिर आके मस्ती, ओके ना..." मोम ने ललिता को चूमते हुए कहा



ललिता की उमर भले 24 की थी, पर घर की जान थी वो... सब उससे बहुत प्यार करते थे.. इनफॅक्ट मोम डॅड मुझसे ज़्यादा ललिता और डॉली दोनो से प्यार करते थे... शायद मेरी कोई सग़ी बहेन नहीं थी तभी.... 



"व्हाट आंटी.. जल्दी आना आप, भाई भी नहीं है, बोर हो जाउन्गि मैं" ललिता ने फिर मोम को स्क्रंबल्ड एग्स खिलाते हुए कहा



"यूँ गये और यूँ आए बेटा" मोम ने फिर ललिता को गले लगा के कहा



"अरे अब चलो भी, देर हो रही है.. और ललिता बेटा, कम हियर माइ जान" डॅड ने ललिता को अपने पास बुलाया



"अंकल, जल्दी आना प्लीज़ हाँ" ललिता ने डॅड को हग करके कहा



"डोंट वरी बेटा.. टेक केअर ओके..." कहके डॅड और मोम बाहर चले गये...


घर पे सुबह के 10 ही बज रहे थे, डॉली शन्नो और विजय, बाहर थे, मैं ऑफीस में था, और मोम डॅड भी अभी कहीं काम से गये.. लेकिन ललिता अभी अकेली नहीं थी.. ललिता के साथ वहाँ कोई और भी था..... ललिता मज़े से अपना नाश्ता खा रही थी और टीवी देख रही थी.. नाश्ता फिनिश करके ललिता ने प्लेट्स किचन सींक में डाली और वापस टीवी देखने बैठी... टीवी देखते वक़्त भी कोई उसे छुप छुप के देख रहा था.. शायद ललिता को उस वक़्त ये एहसास नहीं हुआ, , क्यूँ कि टीवी पे उसकी फेव दीपिका पादुकों की मूवी आ रही थी.. वो जल्दी से बच्चो की तरह टीवी के सामने बैठ के मूवी को देखने लगी... कुछ देर में टीवी देखते देखते उसे पता ही नहीं चला कि कोई उसके पीछे आके खड़ा भी है.. धीरे धीरे उस शक़्स ने पीछे से ललिता के कंधों पे हाथ रखा, जिससे ललिता चौंक के पीछे मूडी



"ओह माइ गॉड... यू स्केर्ड दा हेल आउट ऑफ मी..." ललिता के माथे पे पसीना आ चुका था ऐसे करने से...



"ये क्या तरीका है, कोई ऐसे डराता है क्या..." ललिता ने सामने वाले शक़्स को प्यार से मुक्का मारते हुए कहा



"सॉरी डियर.... यू कंटिन्यू वाचिंग दा मूवी, आइ विल नोट डिस्टर्ब यू नाउ..."


कहके उस शक़्स ने ललिता को अपनी गोद में लेटा दिया और उसके बाल सहलाने लगा... कुछ ही देर में बाल सहलाते सहलाते उस शक़्स ने अपने हाथ को थोड़ा नीचे किया और ललिता के गालों को सहलाने लगा.. कुछ देर तो ललिता ने इग्नोर किया, पर काफ़ी देर के बाद ललिता बोली


"ओफफो.. प्लीज़ ऐसा मत करो, " कहके ललिता ने उस शक़स के हाथ वापस अपने बालों में रख दिया..



5 मिनट के बाद अब वो शक़्स गालों पे वापस आ गया और उन्हे सहलाने के बदले उन्हे ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा.... 



"बोला ना, अच्छा नहीं लग रहा, हटो यहाँ से" कहके ललिता ने अपना सर उसकी गोद से उठाया ही था, तभी उस शॅक्स ने ललिता के सर को कस के पकड़ा और उसे अपनी गोद में वापस ले आया



"किस मी नाउ प्लीज़..." उस शक़्स ने अपनी सहमति हुई आवाज़ में कहा



"व्हाट.. यू आर क्रेज़ी, लेट मी गो नाउ.." कहके ललिता अपना ज़ोर आज़माने लगी, पर उस शक़्स ने काफ़ी ताक़त से उसे दबोचा हुआ था...



"यस... आइ आम क्रेज़ी, क्रेज़ी फॉर युवर बॉडी, युवर लव.....युवर स्मेल.... प्लीज़ लेट मी किस यू..... लेट मी फक यू... मेरे साथ बिस्तर पे आओ चलो...." कहके वो शक़्स ललिता को उठा के ललिता के रूम में ले जाने लगा..... मौका पाते ही ललिता ने उसके कलाई पे काटा और उससे दूर होके दौड़ने लगी.. दौड़ते दौड़ते ललिता पीछे की दीवार से जा टकराई.. उस शक़्स ने मौका पाके ललिता की तरफ छलाँग लगा ली...



ललिता वाज़ कॉर्नेरेड नाउ... उस शक़्स ने ललिता के हाथों को दबोच रखा था, और धीरे धीरे उसके गालों को चूमने लगा था...



"उम्म्म.. आइ लव युवर स्मेल.. अहाहा.... प्लीज़ लेट मी किस यू"



जैसे ही वो शक़्स ललिता के करीब पहुँच रहा था, तभी डॅड और मोम दरवाज़ा खोलके अंदर आए.. वो कुछ चीज़ ले जाना भूल गये थे..



"तुम हमेशा भूल जाती हो.. रूको मैं लाता हू" कहके डॅड जैसे ही लिविंग रूम में गये, उनकी नज़र उस दृश्य पर पड़ी



"ये क्या हो रहा है.. रूको, ये क्या है" कहके डॅड ललिता की तरफ दौड़े और मोम को आवाज़ दी... डॅड के चिल्लाने की आवाज़ सुनके मोम अंदर आई 



"ओह गॉड... व्हाट हॅपंड..." मोम ने ललिता को बाहों में लेते हुए पूछा



उधर डॅड उस शक़स को तमाचे पे तमाचे मारे जा रहे थे



"बोल साले.. ये सब क्या है हाँ.. साले गंदी नाली के कीड़े... रुक अभी तेरी खबर लेता हूँ, कहके डॅड ने अपना बेल्ट निकाला और सतसट सतसट उस शक़्स को उससे मारने लगे.....




"सॉरी.. सॉरी... वो ऐसा हुआ" वो शक़्स बस येई बोल पा रहा था...
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09-16-2018, 01:08 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
डॅड तो जैसे पागल से हो गये थे... उन्होने खुद अब वक़्त नहीं देखा... लगातार 15 मिनट तक उन्होने उस शक़्स को बेल्ट मारना चालू रखा



"उठ साले... ये सब करते शरम नहीं आती तुझे हाँ.. चल साले अंदर, भडवे कहीं के... येई सब सीखा है तूने, साले हरामी.. " कहके डॅड उस शक़्स को उसके हाथ से घसीट के रूम में ले गये और उसे बाहर से लॉक कर दिया



"ललिता बेटे... प्लीज़ कूल डाउन... कम डाउन ओके... डॉक्टर को बुलाओ जल्दी" डॅड ने ललिता को सोफे पे ले जाके मोम से कहा



ललिता रो रो के चिल्ला रही थी.. उसका रोना और बढ़ता जा रहा था....



"ललिता, डार्लिंग प्लीज़ काम डाउन.. हम हैं इधर ओके.. यू आर सेफ माइ जान.... डोंट वरी" कहके डॅड ने उसे गले लगा लिया



"पानी लाओ प्लीज़, और एलेक्ट्रल लाओ, विद आ पिंच ऑफ लाइम.. फास्ट" डॅड ,मोम को चिल्ला के बोले



कुछ ही सेकेंड्स में मोम एलेक्ट्रल लाई और उसमे नींबू निचोड़ के ललिता को पिलाया.. लिक्विड पीके ललिता को थोड़ी राहत मिली.. उसके आँसू बंद थे, पर उसका सुबकना अब तक बंद नहीं हुआ था... उसके माथे से अभी तक खून बह रहा था, हाला कि बहुत कम था.. पर डॅड ललिता को लेके बहुत ही प्रोटेक्टिव थे...



"बेटे.. काम डाउन, युवर अंकल ईज़ हियर ओके.. ना मेरी बेटी ना,, नहीं रोते ओके.. अरे मेरी बच्ची, प्लीज़ बेटा , नहीं रो" डॅड की आँखों में भी आँसू आने लगे थे



कुछ ही देर में डॉक्टर आए, उन्होने ललिता को थोड़ा टिंचर लगाया और पट्टी कर दी...



"डोंट वरी मिस्टर वीरानी.. नतिंग हॅज़ हॅपंड, जस्ट आ स्माल इंजुरी... बट उसका रोना देख के लग रहा है, कुछ ग़लत हुआ है.. अगर हुआ है तो उसका माहॉल चेंज कीजिए, नहीं तो ये डर उसके दिलो दिमाग़ में बैठ जाएगा" कहके डॉक्टर वहाँ से निकल गया



"तुम अभी ललिता को लेके कहीं चली जाओ.. आइ डोंट केअर व्हेअर, बट नाउ... उसका माहॉल बदलना है ओके.. ये लो पैसे, और टॅक्सी लेके एरपोर्ट जाओ.. एक काम करो, हमारे लोनवाला वाले फार्म हाउस में जाओ, गाड़ी के ड्राइवर को बोलो, ही विल टेक यू देअर ओके" डॅड ने मोम से ऑर्डर किया... मोम ने वक़्त की नज़ाकत को समझा और ललिता को अपने साथ गाड़ी में लेके वहाँ से रवाना हो गयी



मोम के जाते ही



"विजय.. घर पे आओ जल्दी" डॅड ने अंकल से फोन पे कहा



"भाईसाब, क्या हुआ, कुछ अर्जेंट है क्या" अंकल को पता नहीं था इन सब के बारे में



"विजय, डू ऐज आइ से" पापा ने फिर ज़ोर लगाया



"भाई साब, बताइए तो क्या हुआ प्लीज़" अंकल फिर रेज़िस्ट करने लगे



"घर आओ समझे... अभी के अभी... मुझे तुम्हारी मोजूदगी चाहिए यहाँ एक घंटे में... आइ डोंट केअर कैसे आओगे बट आओ" कहके पापा ने अपना फोन ज़मीन पे फेंक दिया



विजय से बात करके पापा लिविंग रूम में ही बैठ गये अपनी रॉकिंग चेअर् पे और उस कमरे में नज़रें गाढ दी जिसमे वो शक़्स बंद था.. हर एक मिनट पापा को एक एक घंटे की तरह लग रहा था... 50 मिनट हो चुकी थी,पापा ने ना तो पानी पिया था, ना ही उन्होने वहाँ से नज़रें हटाई थी... कुछ ही सेकेंड्स में उन्हे बाहर गाड़ी के ब्रेक की आवाज़ आई.. स्क्रीचैंग साउंड था टाइयर्स का, जैसे किसी ने फुल स्पीड में ब्रेक लगाए हो...



"भाई साब बोलिए, सब ख़ैरियत..." विजय ने अंदर आते हुए पूछा



"इधर आओ मेरे साथ.. इधर आके देखो" पापा विजय को पकड़ के उस रूम के पास ले गये.. शन्नो और डॉली डर चुके थे पापा का ऐसा बिहेवियर देख के



"ये देखो..." पापा ने वो रूम को अनलॉक किया और अंदर बैठे शक़्स की तरफ इशारा किया



"ये ऐसे क्यूँ बैठा है..." विजय ने बस इतना ही कहा कि पापा ने ज़ोर से कहा



"इसने ललिता के साथ ज़बरदस्ती की है आज... ये उसका रेप कर रहा था.. हम वक़्त पे ना आते तो अनर्थ हो जाता आज.." पापा फिर रोने लगे ये कहते कहते



"क्या..... ऐसा नहीं हो सकता..." विजय के नीचे से ज़मीन खिसकने लगी.... वहीं शन्नो और डॉली ने शरम के मारे अपने हाथ अपने मूह पे रख दिए थे




"नहीं भाई साब... ये ऐसा नही कर सकता.. मेरा बेटा ऐसा नहीं करेगा कभी.. कह दीजिए कि ये ग़लत है" विजय फुट फुट के रोने लगा था

"नहीं भाई साब ये नहीं हो सकता... संजय ऐसा कभी नहीं कर सकता..." विजय आगे बढ़ते हुए कोने में गया जहाँ जय अपना माथा नीचे करके रो रहा था..



विजय :- संजय बेटे, उपर देखो.. मेरी तरफ देखो... संजय बेटे देखो उपर, मैं कुछ नहीं करूँगा


संजय रोते हुए उपर देखने लगा... उसके होंठों से बहता हुआ खून, उसकी आँखों के नीचे पड़े हुए नखुनो के निशान, सॉफ बयान कर रहे थे कि उसे कितना मारा गया है.... 



"बोल बेटा, तूने किया ऐसा... बेटा बोल, मैं कुछ नहीं करूँगा....." विजय उसके सर पे हाथ फेरने लगा



"डॅड...उहह अहहहुहह ओह्ह्ह.... सॉरी डॅड.." संजय बस इतना ही कह पाया, कि विजय की आँखों में खून दौड़ने लगा... 



"साले हरामी कुत्ते.... अपनी बहेन पे नज़र रखता है ऐसी" कहके विजय ने उसे और मारना चालू किया... इस बार विजय उसे बाहर लाया घसीट के और उसे झापड़, अपने बेल्ट से, और ना जाने क्या क्या गालियाँ देने लगा...



"साले, बेहेन्चोद बनेगा, सुअर साले..." विजय मारे जा रहा था उसे और शन्नो और डॉली से ये दृश्य देखा नहीं जा रहा था.. डॉली अपने बाप को नहीं रोक सकती थी, पर शन्नो माँ थी.... वो उसे रोकने बीच में गयी


"रुक जाइए मैं कहती हूँ.. उसकी हालत देखिए..." कहके शन्नो ने विजय का हाथ रोक लिया.. लेकिन विजय के अंदर मानो जैसे किसी शैतान ने घर कर लिया था... उसने शन्नो का हाथ पटका , और उसे भी 2 तमाचे मारके साइड में फेंक दिया



"हट जा भेन की लौडि.... बीच में आएगी तो काट डालूँगा आज तुझे भी...." विजय ने शन्नो को धक्का देके कहा...
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09-16-2018, 01:08 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
अपनी माँ के पास जाके डॉली उसको अपने रूम में ले जाने लगी... दोनो माँ बेटी बहुत रो रही थी... माँ का दिल शायद बेटे के लिए रो रहा था, और डॉली का बहेन के लिए... विजय ने संजय को इतना मारा, इतना मारा, वो खुद थक के ज़मीन पे बैठ गया और बेहोश सा होने लगा.. पापा ने डॉक्टर को एक बार फिर बुलाया.. डॉक्टर के आते ही, शन्नो और डॉली नीचे आए, सबके लिए पानी लाए.... ठंडा पानी पीके शायद डॅड का गुस्सा कम हुआ, पर विजय का नहीं.. डॉक्टर की मौजूदगी मे विजय वहाँ से उठके कहीं दूसरे रूम में चला गया... जब तक डॉक्टर संजय को देखते, डॅड नीचे ही बैठे थे उसके पास...



"मैने ज़ख़्मों पे दवाई तो लगा दी है... पर मिस्टर वीरानी... आप लोगों को इतना नहीं मारना चाहिए था... आइ आम युवर फॅमिली डॉक्टर... अगर मेरी सलाह माने तो एक बात कहूँ" डॉक्टर घर के बाहर डॅड को ले गया और उनसे बातें करने लगा.. डॉक्टर के जाते ही, डॅड जल्दी से अंदर आए और शन्नो से कहा संजय को उसके रूम में ले जाने के लिए.. शन्नो के जाते ही डॅड ने विजय से बात की



"विजय.. मुझे बिल्कुल उमीद नहीं थी कि घर में ऐसा भी कुछ होगा.. घर का वातावरण ऐसा होगा, बच्चे क्या करते हैं उसमे ज़िम्मेदारी माँ बाप की भी होती है..." डॅड ने विजय से एक ही लाइन में सब कह डाला.. शायद विजय समझ गया हो पर उसने डॅड को जवाब नहीं दिया



"भाईसाब.. संजय ऐसा नहीं कर सकता, मैं नही मानती आपकी इस बात को.." शन्नो सीडीयों से नीचे आती बोली



"वो तुम लोगों की सोच को मैं बदल नहीं सकता... तुमने खुद संजय से बात की होगी, विजय के सामने भी उसने कबूला... इससे ज़्यादा मैं कुछ नहीं कर सकता.. आगे ऐसा कुछ ना हो मुझे उसकी चिंता है... ललिता और डॉली मेरी बेटियाँ हैं, मैं उनके साथ ऐसा कुछ होते नहीं देख सकता... बेहतर है उसे शहर से बाहर भेज दो पढ़ाई के लिए.. इधर रहेगा तो ना तो मेरी बेटियाँ सेफ हैं , ना तो तुम लोग.. ये मेरा आखरी फ़ैसला है, और अगर मंज़ूर नहीं है, तो संजय के लिए इस घर में कोई जगह नहीं है... आगे तुम्हारी मर्ज़ी..." कहके डॅड अपने कमरे में चले गये



डॅड के कमरे में जाते ही विजय और शन्नो में आर्ग्युमेंट चालू हो गयी... दोनो असमंजस में थे, विजय संजय से काफ़ी गुस्सा तो था, पर साथ ही उसे घर से बाहर भी नहीं निकालना था.. उसने दिल पे पत्थर रख के फ़ैसला किया कि वो डॅड की बात मानेगा, पर उससे पहले वो अपनी फॅमिली के साथ कुछ टाइम अकेले बिताना चाहेगा.. सुबह जब उसने अपना फ़ैसला डॅड को सुनाया,



"मुझे कोई प्राब्लम नहीं है.. मैं टॉप कॉलेज में इसकी अड्मिशन करवा देता हूँ, तुम लोग होके आओ जहाँ जाना है.. मुझे कोई दिक्कत नहीं है, पर एक बात.. बेटे डॉली, क्या तुम जाना चाहोगी संजय के साथ" डॅड ने विजय से बात कहके डॉली पे फ़ैसला छोड़ा



काफ़ी देर तक डॉली सोच में पड़ गयी... एक तरफ उसका भाई था, एक तरफ उसकी बहेन ललिता... 



"अंकल.. मैं संजय और ललिता से समान प्यार करती हूँ.. पर वक़्त ऐसा है, ललिता को मेरी ज़्यादा ज़रूरत है.. इसलिए मैं उसके पास जाना चाहूँगी" डॉली ने अपना फ़ैसला सुनाया... विजय को इस फ़ैसले से कोई दिक्कत नहीं थी, पर शन्नो को उसका फ़ैसला बिल्कुल ग़लत लगा



"ठीक है भाई साब.. आप डॉली को भेजिए लोनवाला, और हम लोग कुछ दिन अंशु के घर चले जाते हैं.. शन्नो भी उनसे मिल लेगी, और शायद संजय को भी वहाँ अच्छा लगे.." विजय कहके वहाँ से अपने रूम में चला गया और जाने की तैयारी करने लगा.. कुछ ही देर में डॅड ने डॉली के लिए गाड़ी मँगवाई और उसे रवाना कर दिया, ये कहके के सेफ पहुँच के सबसे पहले वो उन्हे फोन करे.. डॉली के जाते ही विजय शन्नो और संजय भी नीचे आ गये



"चलिए भाई साब, हम निकलते हैं.. कुछ दिन में आ जाएँगे..." ये कहके विजय वहाँ से निकल गया.. जाते जाते संजय ने डॅड को एक बार देखा... उसके ज़ख़्म अभी भरे नहीं थे, वो शायद ठीक से चल भी नहीं पा रहा था.... विजय और शन्नो वहाँ से निकल गये और गाड़ी में जाके बैठ गये, पर संजय वहीं खड़े खड़े डॅड को घूर्ने लगा.... कुछ सेकेंड्स में डॅड भी वहाँ से वापस अपने कमरे चले गये, संजयअकेला रह गया



"ये तुझे बहुत भारी पड़ेगा.. बहुत भारी पड़ेगा वीरानी...." संजय घर में आखरी शब्द बोलके वहाँ से चला गया.. शन्नो को अपने घर देख के अंशु बहुत खुश हुई.. वहीं पूजा और उसका बाप संजय को देख के बहुत नाराज़ थे... पूजा संजय को अपने कमरे में ले गयी



संजय क्या हुआ... " पूजा संजय से बातें करने लगी
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09-16-2018, 01:08 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
एक एक कर संजय ने पूजा को सब कुछ बताया.. पूजा संजय से बहुत प्यार करती थी, पर शायद ये भाई बहेन के प्यार से ज़्यादा था...



"संजय, तुम चिंता मत करो... उस वीरानी को तो हम मिलके देख लेंगे, रही बात ललिता की, उसके बदले मैं तुम्हारा ख़याल रखूँगी" कहके पूजा एक एक कर अपने कपड़े उतारने लगी, और नग्न अवस्था में संजय के पास लेट गयी....संजय और पूजा काफ़ी देर तक जब रूम में ही रहे, शन्नो और अंशु उपर गये उन्हे देखने , उन्हे इस हालत में देख दोनो का दिमाग़ तो खराब हुआ, पर कुछ नहीं कहके वहाँ से निकल गये...



"दीदी... ये ग़लत तो है, पर मुझे इसमे कोई दुख नहीं है.." कहके अंशु ने शन्नो के लिए दारू बनाई और उसे ज़बरदस्ती पिलाने लगी...



दोनो बहने, और उनके पति.. रात को काफ़ी देर तक दारू पीते रहे... चारो काफ़ी नशे में आ चुके थे, तभी पूजा और संजय निर्वस्त्र ही उनके सामने आ गये... पूजा को इस हाल में देख विजय से काबू नहीं हुआ और वो उसपे जन्गलियो की तरह टूट पड़ा... इस रात से चालू हुआ उनका ग्रूप सेक्स का मेला... जितने दिन वो लग वहाँ रहे, पार्ट्नर्स की अदला बदली करके चुदाई का संग्राम चलता रहा.. कभी बंद कमरे में, कभी खुले में... कभी थ्रीसम, कभी फोरसम, कभी लेज़्बीयन... पूजा के घर में हो रहे ऐसे कांड देख के उसके दादा दादी के अलावा घर के नौकरों को भी शरम आने लगी थी.... कुछ दिन बाद शन्नो और विजय घर वापस आए, और संजय वहीं से अपनी पढ़ाई करने देल्ही चला गया.. डॅड ने साउत कॅंपस में उसकी अड्मिशन करवा ली... डॅड को इतनी नफ़रत हो चुकी थी कि उन्होने संजय की डीटेल्स, पैसे सब अंशु के घर भिजवाया और उसे वहीं से चले जाने के लिए कहा.. ये एक और चोट थी संजय के लिए.. संजय अब ठान चुका था कि वो इस बात का बदला डॅड से लेके रहेगा...




संजय के जाते ही, कुछ दिनो में मोम, ललिता और डॉली को लेके लोनवाला से लौट आए... ललिता अब काफ़ी खुश लग रही थी.. शायद उसके दिमाग़ में डर ने घर नहीं किया... डॅड ये देख के बहुत खुश थे... ललिता को बार बार इस बात की याद ना आए इसलिए उन्होने ललिता और डॉली को एक ही रूम दे दिया, और संजय का रूम तुडवा दिया... घर का रेनवेशन हुआ, और जो चीज़ जैसी थी, वैसी नहीं रही... सब डाइरेक्षन्स चेंज, इंटीरियर चेंज... डॅड एक भी चीज़ ऐसी नहीं रखना चाहते थे घर पे जिसकी वजह से ललिता को उस इन्सिडेंट की याद आए... कुछ दिनो के बाद घर में हवन करवाया और ललिता को एक बार फिर खुश देख उनको तसल्ली हुई, के उन्होने सही किया जो भी किया...

जहाँ डॅड ललिता को देख खुश थे, वहीं शन्नो बहुत नाराज़ थी.. संजय का उससे दूर होना उसको पसंद नही आया.. वो संजय को बुला नहीं सकती थी, पर रोज़ संजय से फोन पे बात कर लेती.. उधर विजय अब अंशु की चूत का दीवाना बन बैठा था.. दिन रात बस उसे चुदाई ही चाहिए थी... 



"अरे मेरी जान, चोदने दे ना, कितना टाइम हो गया तेरी चूत खाए" विजय एक रात शन्नो से बोलने लगा


"छोड़ो भी... अब कितनी बार चोदोगे, सुबह ही तो किया, और फिर दोपहर को खाना खाने के बहाने से आए उस वक़्त भी किया.. थोड़ा बिज़्नेस में ध्यान दो, पैसा रहेगा तो चूतें भी बहुत मिलेंगी आपको.." शन्नो की ये बात थी तो बिल्कुल सही, पर विजय का दिमाग़ अब बंद हो चुका था.. बिज़्नेस में उसका ध्यान पहले से ही कम था, अब उसको ऑफीस जाने का बिल्कुल मन नही करता था... फॅक्टरी टाइम में बीच में से ही निकल जाना, बार बार घर आके शन्नो को चोदना, फिर जिस रात शन्नो उसे चूत ना दे, वो अंशु और पूजा के पास चला जाता... अंशु और पूजा ने उसे अपनी चूत का गुलाम बना दिया था... धीरे धीरे शन्नो में उसकी रूचि ख़तम होती गयी, और वो अंशु और पूजा की चूत में पड़ा रहता...


एक सुबह की बात है, जब डॅड और विजय ऑफीस के लिए गाड़ी में निकल रहे थे..



"विजय, आज ऑफीस छोड़के कहीं मत जाना प्लीज़.. मैं एक मीटिंग के लिए जा रहा हूँ, पीछे हमारे पुराने क्लाइंट्स आने वाले हैं, उन्हे हॅंडल करना तुम प्लीज़... ओके" डॅड ने निर्देश देते हुए कहा



ऑफीस पहुँचते ही पापा ने विजय को ड्रॉप किया और खुद मीटिंग के लिए निकल गये... विजय ने सुबह सुबह अपना काम शुरू किया, लेकिन जैसे जैसे वक़्त बढ़ता गया उसकी वासना जागने लगी.. दोपहर को करीब 12 बजे वो अपनी कॅबिन में बैठा था, जब डॅड की असिस्टेंट विजय से कुछ डॉक्युमेंट्स पे साइन लेने आई.. जैसे ही डॉक्युमेंट्स साइन करवा कर वो पलटी, उसकी टाइट पॅंट में उसकी गान्ड देख के विजय से रुका नहीं गया और उसके बारे में सोचने लगा.. करीब 1 बजे, उसने असिस्टेंट को एक गॉडाउन में बुलाया जो बिल्कुल खाली था... 



"सर आपने बुलाया मुझे" आसिटेंट अंदर जाती हुई बोली



"हां रीना... एक नोट बनाओ प्लीज़, डिकटेट करता हूँ मैं तुमको.."
Reply
09-16-2018, 01:08 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
डिक्टेशन देने के बहाने, विजय काजल के चारो और घूमने लगा और उसके शरीर को निहारने लगा.. आगे से पीछे से... डिकटेट करते करते विजय से काबू नहीं हुआ और उसने काजल पे पीछे से हमला किया.. पीछे से काजल को पकड़ के वो उसके कपड़े फाड़ने लगा... काजल उससे पीछा छुड़ा के भाग ही रही थी..



"कहाँ भाग रही है साली मदर्जात...गंद उछाल उछाल के हमारे लंड खड़े करती है और अब नाटक करती है हाँ" कहके विजय ने एक तमाच्चा मारा और काजल के उपर आ गया... ज़बरदस्ती में विजय ये भी भूल गया कि गॉडाउन खुला है...



उधर डॅड मीटिंग करके वापस आए ही थे, कि उन्हे काजल दिखी नहीं.... इंक्वाइरी करने पे पता चला कि किसी ने उसे गॉडाउन में आते हुए देखा है.. डॅड कन्फ्यूज़्ड थे कि काजल का गॉडाउन में क्या काम.. ये सोच के डॅड जैसे ही गॉडाउन में पहुँचे, उन्होने अपनी आँखों से देखा, शेफाली ज़मीन पे लेटी हुई थी, उसके आँसू थम नहीं रहे थे, और विजय अपने कपड़े पहन रहा था...



"चल चल उठ अब... रो मत इतना, तेरी पगार डबल कर दूँगा समझी, रोज़ मेरा बिस्तर गरम करने का बस.." कहके विजय जैसे ही पलटा, डॅड ने उसके गाल पे तमाचा मारा.... ये वो वक़्त था जब डॅड गवरमेंट कांट्रॅक्ट में लगे हुए थे... वो नहीं चाहते थे कि ये बात का इश्यू बने... इसलिए उन्होने एचआर से बात की और वर्कर्स और सभी स्टाफ मेंबर्ज़ को यकीन दिलाया कि जो हुआ वैसा कभी नहीं होगा.. फॅक्टरी के हर एक कोने में सीक्ट्व कॅमरा लगे... हर कोने में सेक्यूरिटी तैनात थी, विद ऑर्डर्स के आगे से ऐसा कुछ हो टू दे हॅव ऑल दा राइट्स टू डीटेन दा कॉन्विक्ट.. लेकिन डॅड विजय को इसकी सज़ा भी देना चाहते थे. वो ये नहीं चाहते थे कि विजय ये समझे कि डॅड ने उसे माफ़ किया... 



"कुछ ऐसा कीजिए कमिशनर साब, कि मेरा सौतेला भाई ये ना समझे के वो बच गया.. लेकिन मैं नहीं चाहता कि ये रेप वाली बात बाहर निकले.." डॅड ने कमिशनर के साथ ड्रिंक लेते हुए कहा



"उससे पहले वीरानी जी, आप इन्हे सेट्ल कीजिए" कमिशनर ने काजल को अंदर बुलाते हुए कहा



"हमने इनकी एफआइआर नोट नहीं की है, क्यूँ कि आप इन्वॉल्व्ड हैं" कमिशनर ने काजल को बिठाते हुए कहा



"काजल... मैं बहुत शर्मिंदा हूँ जो भी हुआ उसके लिए.." उन्होने काजल के मोम डॅड को बिठाने के लिए कहा



"देखिए, मैं आपसे ये नहीं कहूँगा कि आप इस बात को भूल जाओ.. पर हां, मैं सिर्फ़ ये कहूँगा, के ये ज़िंदगी का अंत नहीं है.. मैं आपसे गुज़ारिश करूँगा कि आप एक नयी शुरुआत करें... मैं आपको एक बंगलो, और हमारी कंपनी में डबल प्रमोशन विद डबल सॅलरी दे रहा हूँ.. और आप ये ना समझें कि ये आपके मूह बंद रखने की कीमत है.. अगर आप इसके बाद भी कंप्लेंट करना चाहेंगी तो भी मुझे कोई प्राब्लम नहीं है.." डॅड ने कमिशनर को देखते हुआ कहा काजल से



"काजल जी... ये मिस्टर वीरानी हैं जो आपको ये ऑफर दे रहे हैं.. लेकिन अगर मैं आपसे सच कहूँ तो आपको कंप्लेंट करके कुछ हासिल नहीं होगा.. ये हमारे देश की ब्युरॉक्रसी है जिसकी वजह से केस कभी ख़तम नहीं होगा.. उल्टा बाहर 10 लोगों को बात पता चलेगी तो बदनामी और बढ़ेगी... मेरी आपसे ये सलाह है कि आप इनकी ऑफर स्वीकारें, और एक नयी शुरुआत कीजिए.." कमिशनर ने काजल के सर पे हाथ घूमाते हुए कहा



"पर साहब... हमारी बेटी पे तो दाग लग गया ना, उससे कौन करेगा शादी.. हम तो लूट गये ना" काजल के माँ बाप ने मिलके डॅड और कमिशनर से कहा



"आप उसकी फिकर ना करें... हमारी ऑफीस में एचआर मॅनेजर हैं, वो काजल से शादी करने के लिए तैयार हैं.. और मेरे कहने पे नहीं, वो तो इसको दो दिन में प्रपोज़ करने वाले थे" डॅड ने काजल को खुश करने के लिए कहा.. बात ये थी कि जिस दिन ये किस्सा हुआ, उस दिन डॅड को ये ख़याल आया ही था कि ऐसा सवाल ज़रूर उठेगा, इसलिए उन्होने एचआर मॅनेजर को बुला के निर्देश दिए कि काजल से शादी करने पर उसको भी प्रमोशन मिलेगा और एचआर वाला मान गया...
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09-16-2018, 01:08 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
डॅड की ये बात सुनके, काजल के माँ बाप खुश हुए, पर काजल अभी भी सहमी बैठी हुई थी...



"काजल, तुम चलो घर, मैं सब डॉक्युमेंट्स लेके तुम्हारे घर पहुँचा देता हूँ... आंड बी स्ट्रॉंग.. ओके बेटे" डॅड ने काजल को वहाँ से जाने के लिए कहा..



4 दिन में काजल की शादी हुई और उसकी सब तैयारियाँ डॅड ने करवाई कंपनी एक्सपेन्सस से.. शादी के बाद उन्होने कपल को हनिमून पे भी भेजा सिंगपुर... सब खुश थे, डॅड खुश थे क्यूँ कि बात बाहर जाती तो उन्हे गवरमेंट कांट्रॅक्ट नहीं मिलता, कमिशनर खुश था क्यूँ कि डॅड ने उसे भी खुश किया था ताकि एफआइआर नोट ना हो और बात दब जाय... लेकिन सबसे ज़्यादा खुश विजय था क्यूँ कि उसे लगा वो बच गया... पर उसकी खुशी ज़्यादा देर नहीं टिकी.. 



"विजय, तुम फॅक्टरी पहुँचो मैं दूसरी गाड़ी में आता हूँ.." डॅड ने एक सुबह विजय को कहा



विजय गाड़ी लेके फॅक्टरी की ओर निकला, जहाँ रास्ते में उसे पोलीस ने रोका...



"सर दिक्क़ी खोलिए, रुटीन चेकिंग है" चेक पोस्ट पे पोलीस ने कहा



जैसे ही विजय ने डिकी खोली



"सर... सर... इधर आइए , ये बॅग देखिए , हवलदार चिल्लाया" ये आवाज़ सुनके विजय बाहर निकला और इनस्पेक्टर भी पहुँच गया



विजय को पोलीस ने गिरफ्तार किया, और पोलीस ने मीडीया में स्टेट्मेंट रिलीस किया.. दूसरे दिन की लोकल न्यूसपेपर की हेडलाइन्स थी..



"विजय वीरानी, जॉइंट चेर्मन ऑफ वीरानी मॅन्यूफॅक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड कॉट विद ड्रग्स वर्त 10 लॅक्स.. ही ईज़ टिप्ड टू बी असोसीयेटेड विद लोकल ड्रग माफिया"
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