Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
09-16-2018, 01:01 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
‘ओह शट अप भाई… ये बात कहाँ से आई.. और वैसे भी अभी मेरी शादी में टाइम है…. फिलहाल मैने इसके लिए पूछा के शायद वहाँ से ज़्यादा इन्फ़ॉर्मेशन निकाल सकूँ मैं..:


“नहीं डियर, एरिसटॉटल को तो इंटररपोल के नाम से वीसा जल्दी मिलेगा, पर तेरे तो रेग्युलर टाइम लगेगा ना, आंड बिसाइड्स एरिसटॉटल एक इंटेलिजेंट बंदा है.. वो अकेला हॅंडल कर लेगा ये सब, आंड तेरी मोम को पता चला तो फिर तेरे साथ कुछ ग़लत ना हो.. मैं रिस्क नहीं लूँगा अब कुछ.. शायद डॉली से भी मुझे सब बातें कर लेनी चाहिए थी, पर किस्मत ही खराब है शायद अपनी… बट फाइनल नाउ , तू नहीं जा रही कहीं. यहीं पे रह तू..”



“पर मुझे एक बात बता, तुझे कैसे पता चला इतना कुछ उस वाच के बारे में.. आइ मीन, हमने तो कभी नहीं सोचा के इतनी एक्सपेन्सिव वाच हो भी सकती है, मेरे हिसाब से राडो आंड रोलेक्स आर दा एक्सपेन्सिव वॉचस, पर ये कौन कंपनी है” मैने आश्चर्य दिखा के पूछा


“ आइ डॉन’ट नो भाई… अभी एक या दो महीने पहले की बात है, मैं एक पार्टी में गयी थी, याद नहीं फॅमिली फंक्षन था या कुछ और, पर वहाँ किसी के हाथ में देखी थी… मैने उस वाच की डीटेल्स पूछ के उसके बारे में नेट पे ज़्यादा पढ़ लिया..” ललिता ने सवालिया नज़रों से ये कहा..


“ललिता, याद कर, किसके हाथ में देखी थी ये ... थोड़ा ज़ोर डाल, शायद इससे कुछ क्लू मिले, इससे बहुत हेल्प होगी हमे..” अब मैं ललिता के उपर नाचने लगा था..


“वेट भाई… याद तो करने दो, आंड याद आएगा तो आपको ही बताऊँगी, फिलहाल मुझे कुछ ख़याल नहीं आ रहा…. ये भी याद नहीं आ रहा कि वो फॅमिली फंक्षन था या कुछ और.. और वैसे भी सेम वाच दो अलग अलग आदमियों की हो सकती है ना.. इसलिए चिल, एरिसटॉटल को जाने दो ज़ुरी, वहाँ से वी विल गेट ऑल दा इन्फ़ॉर्मेशन..” ललिता ने इतना ही कहा कि नीचे से कुछ जानी पहचानी आवाज़ें आने लगी…

"बहेन जी.. नमस्ते, क्या हाल है आपका..." नीचे आई अंशु ने मोम से कहा.. अंशु के साथ पूजा भी थी... इन दोनो के लिए मेरे दिमाग़ में जो भी नफ़रत थी, पूजा को देख के एक सेकेंड के लिए सब गायब हो जाती थी.. पूजा लग ही ऐसी रही थी, वाइट चूड़ीदार में एक दम परी की तरह. उसके बाल बँधे हुए थे इस बार बट लूज छोड़ रखे थे, कान में झुमके लटकते हुए, उसकी गर्दन, उसका फिगर.. हाए भगवान... इसे दुश्मन क्यूँ बनाया तूने, ये सब सोचते हुए ललिता और मैं सीडीयाँ ही उतर रहे थे कि मैने एक स्टेप मिस कर दिया जिसकी वजह से स्लिप होते होते रह गया....


"उः ओह भाई... ध्यान से, क्या कर रहे हो.." ललिता ने मुझे संभालते हुए कहा..


"सॉरी.. वो यार.." मैं इतना ही कहा कि फिर ललिता ने आँखें दिखा के कहा


"दिमाग़ ठीक है आपका, वो ऐसा निकली है, फिर भी आप उसके लिए पागल हो... ध्यान से चलो अब, नहीं तो मैं आपको छोड़ दूँगी, फिर करते रहना ये सब अकेले, समझे" ललिता ने गुस्सा दिखाते कहा


'अरे बेटे ध्यान से.. मोच तो नहीं आई तुम्हे..." मोम ने हमे देखते हुए कहा


"नहीं मोम... आइ अम फाइन... आंड तुम गुस्सा कम करो समझी, मैं कंट्रोल करता हूँ.." मैने ललिता से कहा और हम नीचे लिविंग रूम में आ गये जहाँ मोम के साथ शन्नो, अंशु और पूजा बैठे थे...


"और दीदी... आप कैसे हो, " अंशु ने शन्नो से पूछा...


"ह्म्म्म ... ठीक हूँ..." शन्नो ने बस यही जवाब दिया


"ललिता बेटी, इधर आओ.. तुम ठीक हो ना, " अंशु ने ललिता को देखते हुए कहा..


"आइ अम फाइन मासी... आप बहुत दिनो बाद आए, जिस वक़्त मोम को सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी आपकी, आप उसी वक़्त चले गये, दिस ईज़ नोट फेर मासी..." ललिता ने गुस्से में अंशु को जवाब दिया


"बेटे, आइ नो, इसलिए तो यहाँ आई हूँ.. मैं दीदी को अपने साथ अपने घर ले जाना चाहती हूँ... इनफॅक्ट तुम भी हमारे साथ चलो तो बहुत अच्छा लगेगा हमे.. बहेन जी, आप की पर्मिशन हो तो मैं दीदी को अपने साथ ले जाउ कुछ दिन..." अंशु ने ललिता के साथ मोम से भी कहा


"जी इसमे इजाज़त कैसी... बेशक आप इन्हे ले जाइए, शायद शन्नो को माहॉल बदलने से कुछ फ़ायदा मिले... और ललिता बेटे, तुम भी जाओ मोम के साथ, उनको ज़रूरत पड़ेगी..." मोम ने ललिता से कहा...


ललिता अब भी कन्फ्यूषन में थी कि वो जाए कि नहीं, मैने तुरंत बाथरूम जाने के बहाने दूर जाके ललिता को एसएमएस किया


"प्लीज़ डोंट गो... आइ नो व्हाट विल हॅपन देअर.." 


ललिता ने जवाब दिया


" आइ नो.. विल नोट गो देअर.. आंड मोम, शी हैज वेरी मच बिकम आ पार्ट ऑफ इट नाउ.. " 


कुछ सेकेंड्स में फिर मैं वहीं जाके बैठ गया, जहाँ मोम और अंशु बातें कर रहे थे, ललिता और अंशु ललिता के कमरे में जा चुके थे, और शन्नो भी अपने कमरे में निकल गयी थी...
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09-16-2018, 01:01 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
"अच्छा बहेन जी.. एक और काम की बात है आपसे, ये वक़्त ठीक नहीं है उसके लिए शायद, पर मैं राज और पूजा की शादी की तारीख के बारे में सोच रही थी.. आपको कोई दिक्कत नहीं हो तो" अंशु ने अपना पासा फेंका


"अंशु जी, मुझे कोई दिक्कत नहीं है, पर घर का माहॉल ऐसा है, राज के पापा भी नहीं मानेंगे, और पूजा के पापा भी तो बाहर हैं, उनके बिना हम तारीख कैसे तय कर सकते हैं.." मोम ने पापा का नाम यूज़ करके बात को टालना चाहा


"बहेन जी, मैं कब बोल रही हूँ कि शादी अभी करनी है... पूजा के पापा कुछ दिनो में आ जाएँगे, और मैने उन्हे कहा हुआ इस रिश्ते के बारे में, उन्हे कोई दिक्कत नहीं है, इनफॅक्ट इसकी वजह से तो वो अपनी बिज़्नेस ट्रिप आधे में छोड़ के आने वाले हैं ... और भाई साहब की बात रही तो मुझे यकीन है घर में खुशियाँ आएँगी तो वो भी मना नहीं करेंगे..." अंशु अपनी बात पे ज़ोर डालने लगी...


"वो ठीक है, पर हमने रिंग सेरेमनी भी नहीं की अब तक.. डाइरेक्ट शादी कैसे करेंगे.."


"रिंग सेरेमनी तो हम शादी के दो दिन पहले ही कर लेंगे.... उसमे कोई परेशानी नहीं है.. बहेन जी, हम लड़की वाले हैं, आपसे ज़्यादा तैयारियाँ हमे करनी हैं, साथ ही लड़की का भी ख़याल रखना है.. अभी राज और पूजा इंडोनेषिया होके आए, अगर देरी करेंगे तो आप समझ सकती हैं ना कि कैसी कैसी बातें हो सकती हैं.. इसलिए हम चाहते हैं जल्द से जल्द शादी हो..."


अंशु के इस मास्टर स्ट्रोक से मोम भी बीट हो गयी, और उन्होने जवाब दिया... " जी बिल्कुल, पूजा अब हमारी भी बेटी है, उसका ध्यान हमे भी रखना है, आप फिकर ना करें, मैं आज ही राज के पापा से बात करती हूँ, और डेट डिसाइड कर लेते हैं..


जहाँ मेरी गान्ड फट रही थी, वहीं अंशु अपनी गान्ड मटकाती हुई शन्नो के पास चली गयी, खुश खबरी सुनाने... क्या घंटा खुश खबरी, मैं इन सब के बीच में ऐसे फसा हुआ था और अब शादी, शादी की डेट ईज़ लाइक हिट्टिंग दा नहिल ऑन दा हेड... मेरी उमीदों पे, इट वाज़ लीके "हिट्टिंग थे लास्ट नहिल ओं थे कॉफ्फिंन..... मुझे इन सब विचारों में देख मों बोली..


" बेटे.. तुम खुश तो हो ना पूजा के साथ, तुम पसंद करते हो ना उसे..."


मेरे मूह से जवाब ही नहीं निकल रहा था... करीब 1 मिनट तक मैं खामोश ही रहा, मोम मुझे घुरे जा रही थी.... मेरा मोबाइल फिर से बजा और ललिता ने एसएमएस किया था...


"हां बोल दो.. मेरी गॅरेंटी है पूजा तुम्हारी बीवी नहीं बनेगी..."


मैने नज़र उठा कि देखा तो पूजा और ललिता सामने सीडीयों से नीचे उतर रहे थे.... ललिता को देख मेरी स्माइल निकल गयी और मैने जवाब दिया..


"हां मोम... शी ईज़ पर्फेक्ट.. " ये सुनके मोम मुझसे गले लग गयी और एमोशनल होके फिर अपने कमरे में चली गयी...


"आहें आहें... क्या हुआ, शादी मुबारक हो आप दोनो को..." ललिता ने मुझे और पूजा को साथ खड़े करते हुए कहा..


"क्या ललिता, चल पागल.. " पूजा ने शरमाने का नाटक करते हुए कहा..


"आप बातें करो, आइ विल बी बॅक.." ये कहके ललिता चली गयी और पूजा और मुझे अकेला छोड़ के चली गयी...


ललिता के जाते ही पूजा ने मुझे देखते हुए कहा


"क्या हुआ है ... कितने दिन से ना आपने एसएमएस किया है, ना कॉल किया है, कुछ नाराज़गी है क्या आपको मुझसे.. मैने कोई ग़लती कर ली हो तो प्लीज़ बताइए.."


"नहीं पूजा... नतिंग लाइक दट.. बट घर पे ऐसा अट्मॉस्फियर रहता है, इन सब में मज़ा नहीं आता यार.. आंड मैं तुम्हारे साथ टेन्स्ड होके बात नहीं कर सकता... इसलिए कुछ दिन थोड़ा दूर रहा... सोचा, शायद सब जल्दी से नॉर्मल होगा और फिर वोई माहॉल बन जाएगा घर का


"समझ सकती हूँ मैं ... पर मेरा भी तो आप सोचिए ना प्लीज़.. इतने दिन मैं कैसे रही हूँ, सिर्फ़ मैं ही जानती हूँ.. आपको अब फॅमिली के साथ मेरा भी सोचना है" पूजा ने शिकायत करते हुए कहा..


"नहीं स्वीट हार्ट... डोंट वरी, आइ विल टेक एनफ केर ऑफ यू.. आंड आज रात को इसका सबूत भी दे दूँगा मैं तुम्हे.. तैयार रहना फॉर आ सूपर टाइम." मैने पूजा को अपने पास खींचते हुए कहा.. पूजा किसी पतंग की तरह मेरे पास आ गयी, मैने जैसे ही उसकी कमर में हाथ डाला, शन्नो के रूम से आवाज़ आई और हम दोनो अलग हो गये..


"दीदी.. चलो ना प्लीज़.. क्या हुआ है , ऐसा मत करो प्लीज़.." अंशु शन्नो के पीछे आती हुई बोली...


"देख पूजी, तेरी मासी नहीं आ रही. तू ही समझा अब इसे..." अंशु ने अपनी गान्ड सोफे पे पटकते हुए कहा


"मासी, प्लीज़ चलिए ना, ऐसा मत कीजिए. आपको वहाँ बहुत अच्छा लगेगा प्लीज़..." पूजा भी ज़िद्द करने लगी


"नहीं, मैं नहीं जाउन्गि कहीं... तुम लोग ललिता को ले जाओ... प्लीज़ ज़िद्द मत करो.." शन्नो ने तंग होते हुए कहा..


"रहने दीजिए मोम.. मासी ना आए तो ओके, मैं ललिता को ले आती हूँ. उसको ले चलते हैं.." कहके पूजा ललिता के कमरे में चली गयी
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09-16-2018, 01:01 PM,
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पूजा के जाते ही मैने अंशु को देखा, तो उसके चुचे ड्रेस में एक दम टाइट फिट थे... अंशु ने मुझे नोटीस किया पर कोई रियेक्शन नहीं दिया, मैं थोड़ा मज़ा लेने के लिए भी अपने होंठ पे जीभ फेरने लगा.. अंशु शन्नो के आगे कोई रियेक्शन नहीं दे रही थी पर तिरछी नज़रों से मुझे देख के मुस्कुरा रही थी... उसने तुरंत मुझे अपने मोबाइल से एसएमएस किया


"दामाद जी.... घर तो आइए, कभी हमारे लिए भी वक़्त निकालिए.. अपनी सेवा करने का मौका हमे भी तो दीजिए"


अंशु के इस एसएमएस से शन्नो को शक हुआ क्यूँ कि अंशु भी अपने मोबाइल में ही देख रही थी और उसी वक़्त मेरे मोबाइल में भी रिंग बजी... शन्नो ने जैसे ही मेरी तरफ देखा, मैने स्मस पढ़ के फोन अपने पॉकेट में रख दिया और वहाँ से उठ के टीवी ऑन करके देखने लगा.. शन्नो अभी भी हमे ही घूर रही थी.... ललिता और पूजा भी नीचे आ गये, ललिता को मजबूरी में उनके घर जाना पड़ रहा था....


"विल कम टुमॉरो... आंड प्लीज़ टेक मी आउट टुनाइट, आइ डोंट वान्ट टू बी आ पार्ट ऑफ दिस मेसेज.." ललिता ने जाते जाते एसएमएस किया...


"चलिए सम्धन जी... आप भी प्लीज़ आइए घर कभी, और दामाद जी... आप कब आएँगे, हमारी सेवा में कोई कमी नहीं होगी आपको... चिंता ना करें.. " अंशु ने अपने चुचों को बाहर निकालते हुए कहा...


ललिता और अंशु तो चले गये पूजा के साथ... मैं और मोम अंदर आ गये जहाँ शन्नो अकेली बैठी हुई थी... मोम ने मुझे इशारे से शन्नो के साथ बात करने को कहा... बहुत अजीब फीलिंग आ रही थी, पर मजबूरन मुझे उनके साथ बात करने जाना पड़ा..


"आंटी... क्या देखेंगे आप टीवी पे..." कुछ और सूझा नहीं तो येई पूछ लिया मैने शन्नो से...


"कुछ नहीं.. तुम मेरे रूम में आओ अभी...." ये कहके शन्नो अपने रूम में चली गयी..

शन्नो अपने रूम में जाने लगी, और मुझे भी बुला लिया था... एक पल के लिए तो मैं डर गया था शायद अंशु के लिए कुछ ना बोले, पर दूसरे ही पल में मुझे ख़याल आया.. ये भी तो शामिल है इस प्लान में, इसको भी तो चोद के बदला लेना पड़ेगा.. मैने एक नज़र मोम को देखा तो वो अपने रूम में थी और अपने वॉर्डरोब में कपड़े बिखेर के खड़ी हुई थी... मैं ये देख तुरंत शन्नो के रूम में चला गया..


"आंटी... आपने बुलाया मुझे..." मैं शन्नो के रूम में जाके बोला


शन्नो मेरे सामने बैठी हुई थी, सफेद ड्रेस में उसके बाल खुले हुए थे.. काफ़ी दिन से उसके चुचों को नहीं देख पाया था, आज जाके देखा तो उसके चुचे काफ़ी बड़े लग रहे थे.. सफेद ड्रेस से सॉफ दिख रहा था उसने अंदर ब्लॅक ब्रा पहनी थी.. उसके चुचों का उभार मुझे पागल बना रहा था, मेरी नज़र वहाँ से हट ही नहीं रही थी.. शन्नो ने ये नोटीस किया, और मुझे कहा


"आओ... अंदर आओ पहले और बैठो..." उसने बेड पे इशारा करते हुए कहा..


मैं अंदर जाके बैठ गया, और शन्नो बोली..


"मुझे तुम्हारा मोबाइल दो, काम है कुछ.."


"ये लीजिए, क्या काम है आपको इसमे.." मैने मोबाइल देते हुए कहा


मुझे शन्नो ने कुछ जवाब नहीं दिया और मेरे मोबाइल को स्कॅन करने लगी...


"ये क्या है.. मुझे समझाओ ज़रा.." शन्नो ने अंशु का एसएमएस दिखाते हुए मुझे कहा..


"मुझसे क्यूँ पूछ रहे हो, अपनी बहेन से पूछो ना.. एसएमएस तो उसी ने किया मुझे..


"देखो ... रिश्ते को खराब मत करो तुम, वो तुम्हारी सास होने वाली है, तुम्हे शरम नहीं आती इन सब में..." शन्नो ने अपनी आवाज़ उँची करते हुए कहा


"आंटी.. ऐसा तो क्या किया, एसएमएस तो उन्होने ही मुझे भेजा"


"पूजा को पता चला ये सब तो, सोच भी नहीं सकते कितनी अच्छी लड़की है वो"


"क्या पता चलेगा आंटी.. सीधे बोलिए ना... मेरा क्या जवाब है उसको कोई, आपके सामने ही है मोबाइल"


", मुझे सब पता है... ज़्यादा बनने की नो नीड ओके..."


"आंटी, ठीक है... आप जानते हो मैने आपकी बहेन को और पूजा को एक साथ चोदा है.. और कसम से बोलता हूँ बहुत मज़ा आया था... आप सीधे सीधे पॉइंट पे आइए.. क्या कहना चाहते हो..." मैने सीधे सीधे शन्नो को बोला...


मेरा जवाब सुनके शन्नो कुछ सेकेंड्स यूही खड़ी मुझे देखती रही, पर कुछ बोली नहीं... शन्नो बेड पर से खड़ी हुई और मेरे सामने आके खड़ी हो गयी..


" और रही पूजा की अच्छाई की बात, तो उसी ने अपनी मा को मुझसे चुदवाया... आपको और कुछ कहना है मुझे... या मैं जाउ..."
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09-16-2018, 01:02 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
मेरी ये बातें सुनके शन्नो वहीं खड़ी रही.. पहली बार मैं शन्नो से ऐसे बात कर रहा था, क्यूँ कि मुझे अब बस उसको चोदना ही था.. बदला, प्लान, ऐसा कुछ भी दिमाग़ में नहीं था... मुझे बस उस दिन की याद आई जब शन्नो मुझे सिड्यूस कर रही थी और मैने उसकी ख्वाहिश पूरी नहीं की थी...


", तुम्हारा दिमाग़ ठीक है, बेटे ऐसा मत करो प्लीज़... सब रिश्ते खराब होंगे..." शन्नो अब नाटक बढ़ाने लगी थी


"अच्छा.... तो उस दिन आप मुझे सिड्यूस क्यूँ कर रहे थे हाँ... आपको भी तो मुझसे चुदवाना ही था ना... और अगर ऐसा कुछ नहीं है तो फिर मुझे जाने दीजिए अब.. ज़्यादा नाटक मत कीजिए..." मैं ये कहके जैसे ही बेड से उठा, शन्नो ने मुझे धक्का देके बेड पे लेटा दिया, और खुद मेरे उपर आ गयी


"जब सब समझ चुके हो तो फिर क्यूँ ऐसा कर रहे हो.. अपनी सास के साथ अब अपनी चाची का भी ख़याल रखो ना..." 


ये कहके शन्नो और मैं एक दूसरे को चूमने लगे


"उम्म्म.. मवाहाहहहहः... आहम्म्म्म म..... उम्म्म्मम...आहहहाहा ज़ोर से चूसो ना आहहाहहहा....... हाआँ मेरे भतीजे आहहह सीईईई... उम्म्म..........और चूसो आहह... म्म्मममवाहह..." शन्नो और मैं जन्गलियो की तरह एक दूसरे को चूमने लगे...


"आहह मेरी चाच्ची.. ह्म्म्म्म मज़ा दो ना आहाहह... अहहहामम्म मवाहह यूम्मम आहहहहहहः..... उम्म्म्म...... आपके ये चुचे आअहह सीईईई..... मुझे पागल आहमम्म बनाते आअहह हैईयांन्णणन्..." मैं शन्नो की ड्रेस से ही उसके चुचे दबाते हुए बोल रहा था और होंठ चूस रहा था...


"आहहः मेरे भतीजे, आहहह ले ले ना इन्हे,,, तुझे ये चाहिए ना आहह....ले ले ना...." कहके शन्नो खड़ी हुई और कुछ ही सेकेंड्स में अपना कुर्ता और पायजामा नीचे उतार दिया और ब्रा और पैंटी उतार कमरे के एक कोने में फेंकी... नंगी होके मेरे सामने शन्नो किसी पॉर्न स्टार की तरह खड़ी थी






हवा में आम जैसे झूलते हुए उसके चुचे, उसकी चूत पे हल्के हल्के बाल मुझे पागल बना रहे थे... अपनी चूत के उपर उंगली फिराते हुए मुझे टीज़ करती हुई शन्नो बोली... "उम्म्म आओ ना.. आहहह तुम्हारा ही है ये सब भतीजे आहह....."


मैं वहाँ से उठके शन्नो के पास गया और उसके एक चुचे को मूह में लेके चूसने लगा और एक उंगली चूत के अंदर बाहर करने लगा...


"उम्म्म्म आहह.... सीईईईईईई हां चूस लो इस आम को मेरे भतीजे आहह.... इस चूत की खुजली भी मिटाओ ना आहह.....उम्म्म आहह आहह....." शन्नो मेरे मूह को अपने चुचों में धसाने लगी....


'आअहह.. चाच्ची तेरे चुचे तो मस्त हैं उम्म्म्म आहह... सस्ककककककस्सहह.... केसर आम से भी मीठे हैं आहह सीईइ....और ये चूत तो और भी मज़ेदार है आहहह......" मैं अब बारी बारी शन्नो के चुचों को मसल्ने लगा था और नीचे से शन्नो की चूत पे तेज़ी से उंगलियों के वार करने लगा था..


"उम्म्म्म आहहहह और ज़ोर से चोदो इस चूत को आअहह सीईइ मैं गयी आहह...." ये कहके शन्नो ने अपना पूरा पानी मेरी उंगलियों पे छोड़ दिया और मैने वो सब उंगलियाँ उसको चाटने के लिए दे दी....


"आहह... अब चोद भी डाल ना भतीजे... आहह.. चल ना अब और देर मत कर मेरे राजा आज्झहह.... सीईईई..." ये कहके शन्नो और मैं बेड पे आ गये और उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया...


"उम्म्म आआहहहः क्या लंड है तेरा आ अहहहह.. तभी अंशु जैसी बड़ी रंडी भी तेरी दीवानी हो गयी है आहह.. ज़रा चख के तो देखूं इसे मेरे भतीजे आहह...." कहके शन्नो ने मेरे लंड को मूह में ले लिया और चूसने लगी





"उम्म अहहह गुणन्ं गुणन्ं आहह..... क्या लंड है मेरे भतीजे आहह.... पूजा की चूत तो फट गयी होगी उम्म्म आहह...... मुझे भी दे ना आहह... क्या मिठास है इसमे आआहसीईईईई...." शन्नो मेरे लंड को चूसे जा रही थी, और पीछे से जाके मैं भी उसकी चूत को उंगलियों से चोदने लगा...


"आअहह मेरी चाची आहह... तुम बहनें तो एक नंबर की रंडिया हो आहह सीईइ... तेरी भांजी भी तो रांड़ है एक नंबर की उम्म्म.... आह होंठ दे अपने भडवि आहह,.., उम्म्म्मम उःम्म्म्म आहह,,,मवाहाहह आहह... उम्म्म्मममम मेरी रांड़ चाची, मेरी रांड़ सास.. आहह सीईईईई..उम्म्म्ममम ममवाहह... पत्नी भी रांड़ मिली है आहह रंडियों साली कहीं की उम्म्म आहह....." मैं जंगली बनके होंठ चूसे जा रहा था और उंगलियों से शन्नो की चूत चोदने लगा था


"अहहहाहा मेरे भडवे भतीजे साले आहह... कुत्ते कहीं के उम्म्म्म... तू ही तो हमारा मालिक है आहह... उम्म्म्म लंड दे भडवे साले.... आहह.. उम्म्म्म फक फक गुउन्ण गुउन्ण आअहह,म्म्म्मचम हेहहहे आह क्या लंड है मेरा राजा आहह... ससीई आहह... उम्म्म्मम.... " शन्नो मेरे लंड की मूठ मारने लगी अब....


"आअहह मेरी रंडी चाची... ह्म्म्म अऔुहह... और मज़ा दे ना मदरजात कहीं की आहह...... आहह और मज़ा ले साले बेहेन्चोद कहीं के आहहह... ये ले.... कहके शन्नो अब अपनी जीभ मेरे लंड के टोपे पे घुमाने लगी, और मेरे टट्टों को सहलाने लगी


"अहहहहहा भडवे कहीं के आहह सीईईई.. यही लंड है ना जिसपे अंशु उछल उछल के चुद रही थी मेरे भडवे आहहह... रुक जा साला बहेन चोद कहीं के आहह....." कहके शन्नो उठ गयी और मेरे लंड को अपनी चूत पे सेट करके मेरे लंड पे उछलने लगी..


"आहह... आहहाहहहहा फ़च फ़च आफूक्क फक आहहाहह और ज़ोर से यआःः आहह हार्डर आहह.. उम्म उम्म्म आअहह ऑश...... आअहह हाआंन्णचणन् और फाड़ ना मेरी चूत को आहह.... यआः येआः आहहहहहाः..... मेरे चुचों को क्या देख रहा है भडवे आहाहहहा...." शन्नो उछल के बोले जा रही थी..


" अहहहहः मेरी रांड़ चाची, तेरे चुचे ही तो हैं जिसकी वजह से तू चुद रही है साली आअहह..... उम्म्म ये दे ना मुझे आहहहहहह...." ये कहके शन्नो को मैने अपने उपर लिटाया और लंड से चुदाई चालू रखी
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09-16-2018, 01:02 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
"उम्म्म आहह ... खंजर चल रहा है जैसे मेरे राज आहह...... बहुत मज़ा आ रहा है उम्म्म आहह... और चोद ना मेरे राजा आहह.... उम्म्म...." 




मैं झड़ने के करीब था..


"आहहः मैं निकल रहा हूँ मेरी रांड़ आहहः.. कहाँ छोड़ूं आहह...."


"मेरे अंदर ही डाल दे मेरे राजा आहह.... मैं भी आ रही हूँ अहहिसीईईई...." ये कहके मैं और शन्नो एक साथ झड़ने लगे... हमारा पानी पूरे बेड पे गिरने लगा..... कुछ सेकेंड में शन्नो थक हार के मेरे उपर से उतरी और पास में आके लेट गयी....


"अहहह... थॅंक यू आहम्म्म ..... जब से डॉली गयी है, तुम्हारे अंकल ने मुझे चोदा ही नहीं था... आधा दुख तो इस बात का था.... थॅंक यू..." कहके शन्नो ज़ोर की साँसे ले रही थी..... मैने उसका कोई जवाब नहीं दिया, और बिना कुछ बोले कपड़े पहन के वहाँ से निकल गया... शायद शन्नो भी जानती थी कि ये सब क्यूँ हुआ.. मेरी वासना ही थी ये और कुछ नहीं... मैं बस शन्नो को चोदना चाहता था, कोई वजह नहीं थी... शन्नो के रूम से निकल के मैं अपने रूम में आया, और आके ललिता को एसएमएस किया


" आइ आम सॉरी... आइ फक्ड युवर मोम ऐज वेल... प्लीज़ फर्गिव मी..."


ललिता का रिप्लाइ आया...


"रिवेंज और व्हाट एवर.. दिस ईज़ रॉंग... प्लीज़ मीट मी इन दा नाइट, आइ वान्ट टू गेट आउट ऑफ हियर..."

ज़िंदगी में पहली बार किसी को चोदने के बाद, दिल में कोई फीलिंग नहीं थी.. ना तो खुशी थी, ना तो दुख... शन्नो आंटी को चोद के ऐसा लग रहा था जैसे मैने किसी रांड़ को पैसे देके सेक्स किया हो.. लंड डालने को चूत तो मिली, पर वो भाव नहीं थे जो मज़ा दे... येई सब सोचते सोचते मैं अपने रूम में गेम खेलने बैठा... गेम खेलते खेलते शाम हुई और मैं ऑफीस के मेल्स चेक करने लगा... ऑफीस के मेल्स चेक कर रहा था, कि डॅड आए रूम में


दाद:- बेटे.. प्लीज़ नीचे आओ, वान्ट टू टॉक टू यू..


ये कहके डॅड नीचे चले गये, ना तो मेरे जवाब का वेट किया, ना तो मेरे रियेक्शन का.. कमाल है यार मैने सोचा, अचानक क्या हुआ डॅड को... मैं जल्दी से मेलबॉक्स बंद करके नीचे चला गया


"हां डॅड.. बताइए, " मैं डॅड के रूम में जाके बोला


डॅड:- , दीज़ आर दा पेपर्स, जिसमे तुम और पूजा आर अफीशियल ओनर्स ऑफ और बिज़्नेस... एक एक पेज ध्यान से पढ़ो, बिकॉज़ मैं नहीं चाहता कोई पॉइंट तुम्हारे दिमाग़ से निकल जाए.. तुम शार्प हो आइ नो, बट फिर भी..


मैं:- डॅड जब आपने पढ़े हैं तो मैं दोबारा क्यूँ पढ़ु...


"नो नो बॉय... बिज़्नेस का सबसे पहले और अहेम कायदा... जब भी कोई पेपर साइन करो, उसे ध्यान से पढ़ो, बिज़्नेस में देरी सह सकता हूँ मैं, लेकिन घाटा नहीं.. ये तुमसे अच्छी तरह कौन जानता होगा, तुमने तो अभी से मेरे पर्सनल इनकम . और फॅक्टरीस के स्टेट्मेंट्स देखना चालू कर दिया है ना" डॅड ने एक नर्म आवाज़ में कहा.. ना तो मुझे वो ताना लगा, ना तो मुझे वो ऑर्डर लगा... एक सीधी बात कही थी, आज पहली बार मुझे लग रहा था मैं एक बिज़्नेसमॅन के साथ बात कर रहा हूँ...


"डॅड, वो मैने बस इसलिए मँगवाए थे ताकि जाने से पहले थोड़ा बिज़्नेस स्टडी कर लूँ" मैं हकलाते हुए कहने लगा


"नहीं बेटे, इट्स टोटली ओके.. आइ आम हॅपी कि तुम सीरीयस हो इस बारे में... अप्रीशियेटेड" डॅड ने एक छोटी सी फोर्स्ड स्माइल के साथ कहा


"बट डॅड, आप बोल रहे हैं कि मैने मँगवाए, बट विजय अंकल को तो पता ही होगा ना... आइ मीन वो भी तो आपके साथ रहते हैं हर टाइम, वो भी तो देखते होंगे ना ये सब" मैने सवाल किया


"नहीं बेटा, आइ डोंट थिंक सो... बट हो सकता है देखता भी हो.. उससे क्या फरक पड़ता है, इन पेपर्स के आ जाने से युवर दा अफीशियल आंड आक्टिव मेंबर ऑफ दा कंपनी... तुम्हारे साइन के अलावा कंपनी में पत्ता भी नहीं हिलेगा... यू हॅव दा पवर नाउ..." डॅड एक दम जोश में आ गये थे, आज उनके अंदर का बिज़्नेसमॅन कूद कूद के बाहर आ रहा था..


"ऊह हुह... वी हॅव दा पवर नाउ डॅड... आप भूल रहे हैं, पूजा भी इसमे हिस्सा रखती है.." मैं सोफे पे बैठ गया था अब


"ओफ़कौर्स.. , आइ एम ग्लॅड कि तुमने सही चाय्स ली है... दट कॉल्स फॉर पार्टी नाउ... रूको...." ये कहके डॅड अपने क्लॉज़ेट के पास गये और उसमे से एक इंपोर्टेड स्कॉच की बॉटल निकाली..


"डॅड.. ये क्या है... मैं नहीं पीता.." दिल तो बहुत हां बोल रहा था , पर मैं डॅड के आगे अपनी ये इंप्रेशन नहीं बनाना चाहता था..


"हाहहहहाहा बॉय... रिश्ते में मैं तेरा बाप हूँ... तू कब कहाँ जाता है, किसके साथ पीता है, सब जानता हूँ मैं.. आंड इट्स नोट हार्मफुल बॉय.. गुड फॉर हेल्त, आगे जाके तुम ऐसे लोगों के साथ उठोगे बैठोगे जहाँ ये स्टेटस सिंबल है... इसलिए डोंट डिनाइ ऑलराइट.." कहके डॅड ने दो फाल्ट बॉटम ग्लासस में विस्की पोर कर दी...
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09-16-2018, 01:02 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
"सोडा या वॉटर बेटा.." डॅड ने पूछा


"ऊह.. डॅड, ऑन दा रॉक्स... नो वॉटर, नो सोडा..." मैने आँख मारते हुए कहा...


"ओह... बॉय ईज़ ग्रोयिंग अप.. थ्ट्स माइ मॅन.. चियर्स टू तट.." कहके डॅड ने दो पेग बनाए और हमने नीट ही उतार दिए अपने गले के नीचे..



काफ़ी सारी बातें करके हमने आधी बॉटल ख़तम कर दी थी... शायद इंपोर्टेड शराब का येई फ़ायदा है, जल्दी चढ़ती नहीं, पर जब साली चढ़ती है, तब उतरती नहीं...



"डॅड... एक बात बताइए.. ऑफीस में वर्कर्स का प्राब्लम, और फिर आपके कॉंपिटिटर्स के आप पे हमले... आपने कभी शेअर नहीं किया..." मैं हमारे पेग्स बनाने लगा था...



"हर चीज़ का वक़्त होता है बॉय.. अभी तुम जाय्न करोगे, सब पता चलेगा.... अभी से डोंट टेक स्ट्रेस प्लीज़... " डॅड रिलेक्स होके अपना पेग पीने लगे..


"चियर्स टू दट डॅड..." मैने ग्लास आगे बढ़ाते कहा, और हमने फिर एक एक पेग ख़तम कर दिया...



"चलिए डॅड... अभी थोड़ा फ्रेश हो जाउ, ललिता के साथ बाहर जाना है खाने पे.." मैं वहाँ से उठते हुए बोलने लगा


"अरे ललिता, व्हेअर ईज़ शी... डॉली के बाद शी ईज़ अलोन, यू प्लीज़ बी आ गुड ब्रदर ओके.. आंड टेक गुड केर ऑफ हर..." डॅड मेरे पास आते हुए बोले


"श्योर डॅड.. आप फिकर ना करें.. कोई शिकायत नहीं मिलेगी आपको..." मैने हँसी के साथ कहा, और मूड कर जाने लगा तभी डॅड ने फिर मुझे पीछे से आवाज़ दी...




" बॉय... याद रखना, ज़िंदगी में तुम्हे हर चीज़ पाने के लिए दो रास्ते दिखेंगे.. ये तुम्हारी मर्ज़ी है तुम किस रास्ते पे जाते हो.. लेकिन जिस रास्ते पे चलो, ज़िंदगी में फिर कभी पीछे मूड के मत देखना...."



मैने उनकी कोई बात का जवाब नहीं दिया और अपने कमरे में जाके फ्रेश होने लगा... हर पल में मुझे बस येई ख्याल आ रहा था.. अब क्या मुडुन्गा डॅड, इस चीज़ पे मैं इतना आगे आ गया हूँ, अब पीछे देखना चाहूं तो भी नहीं देख सकता... अब या तो इस पार, या तो उस पार..



"चलिए मोम.. आइ एम गोयिंग आउट..." मैं चिल्लाके बाहर की तरफ जाने लगा तभी पीछे से शन्नो ने आवाज़ दी...


" बेटे... हमे प्लीज़ अंशु के घर ड्रॉप कर दे.."


"हमे... आप और कौन है ?" मैने आस पास देखते हुए कहा


"अरे तेरे अंकल भी तो हैं.." शन्नो ने जवाब दिया


"आंटी आप दूसरी गाड़ी ले जाइए ना.. मैं कहीं और भी जाउन्गा प्लीज़.." मैं शन्नो के साथ नहीं जाना चाहता था..


तभी पीछे से विजय आया


"अरे बेटे, तुम प्लीज़ आंटी को ले जाओ, अभी मैं और तुम्हारे पापा कहीं बाहर जाएँगे, तो वो मुझे वहीं ड्रॉप कर देंगे.. और एक गाड़ी घर पे पड़ी हो, शायद भाभी के काम आए"


"चलिए आंटी.. मैं आपका गाड़ी में वेट कर रहा हूँ" मैं बाहर निकलते बोलने लगा


मैं गाड़ी में जाके वेट करने लगा... करीब 5 मिनट बाद शन्नो सामने आती दिखाई दी, उसने उपर से नीचे तक खुद को ढक के रखा था, एक लंबा सा ओवरकोट पहना था, और हाथ में पर्स और कपड़ों का बॅग.. गर्मियाँ निकल चुकी थी, पर बारिश ना होने की वजह से गर्मी कम नहीं थी, इसमे शन्नो ने ये ओवरकोट क्यूँ पहना है... बाहर निकलते निकलते वो मोम डॅड से मिली और मेरी गाड़ी में आके बैठ गयी...


"चलें.." मैने उसकी आँखों को इग्नोर करते हुए कहा


"ह्म्म्मो चलो..."


हम घर से अंशु के घर की तरफ निकल गये... अंशु के घर का रास्ता करीब 1.30 घंटे का था... हम जैसे ही थोड़ा आगे आए, शन्नो ने अपना ओवरकोट उतार दिया, और पीछे की सीट पे फेंक दिया... लग ही नहीं रहा था ये वो औरत है जो कितने टाइम से गुम्सुम सी रहती थी, शन्नो अपने रंग ढंग, अपने ताव में वापस आ चुकी थी...




उसने कॉपर कलर का क्रॉप्ड ड्रेस पहना हुआ था, जो सिर्फ़ उसकी जांघों तक आ रहा था. चुचे उसके ढके हुए थे, पर उसने अंदर कोई ब्रा नहीं पहना था.. साइड में से वो एक हाथ उपर करती और उसकी नंगी कमर एक्सपोज़ हो जाती.. पीछे की सीट पे अपना कोट फेंक के, जान बुझ के अंगड़ाई ली जिससे उसकी पूरी ड्रेस उपर उठ गयी और उसकी नंगी जांघे मेरी आँखों के आगे आ गई.. मैं उसके प्रति अपनी कोई फीलिंग नहीं दिखाना चाहता था, इसलिए मैने पूरा ध्यान सिर्फ़ गाड़ी चलाने में ही रखा....


"उम्म्म.... कितनी गर्मी है बेटा... एसी चलाओ ना.." ये कहके शन्नो ने खिड़कियाँ बंद करके एसी ऑन की और पूरी सीट को रिक्लाइन करके उसपे लेट सी गयी... लेटने से उसकी ड्रेस और उपर उठी , अब उसकी चूत का हिस्सा सॉफ देख सकता था मैं... देखने से पता लग रहा था, ब्रा के अलावा पैंटी भी नहीं है...


"उम्म्म आहह.... कैसी लग रही हूँ मैं बेटे.." शन्नो अपनी बाज़ू दिखाती बोली


"हुह... कोई बोल ही नहीं सकता कि अभी कुछ दिन पहले तुम्हारी बेटी का खून हुआ है... एक दम ग्रांट रोड की टॉप प्रोफाइल रांड़ लग रही हो.... कोई भी एक रात के कम से कम 10,000 तो दे ही देगा...ऐसी लग रही हो शन्नो आंटी...." मैने गुस्से में कहा
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09-16-2018, 01:03 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
मेरा ये जवाब सुनके शन्नो की आँखों से एक दम खून टपकने लगा था, पर वो अपना गुस्सा दबाती हुई बोली


"क्या हुआ मेरे बेटे.. नाराज़ है आंटी से... आजा मेरी बाहों में मेरा बच्चा..." कहके शन्नो मेरे पास आने लगी और अपने चुचे मेरे मूह के पास लाने लगी.... मुझसे रहा नहीं गया, और मैने एक ज़ोर का धक्का उसके कंधों पे मारा जिससे वो सीट से नीचे गिरने लगी....



"हुआ क्या है तुझे.. अभी जब चोद रहा था तब तो बड़ा प्यार से बोल रहा था, अब क्या हुआ..." शन्नो तिलमिला उठी



"कोई प्यार नहीं था वो समझी... उसमे कोई भावना नहीं थी, ना तो वो प्यार था , ना तो वो नफ़रत.... मैं बस तुम्हे चोदना चाहता था एक बार... भूख लगती है ना, उस वक़्त एक मिनट के लिए कुछ भी खा लेता हूँ मैं... बस, वोई भावना थी उस वक़्त.. और हां, आगे से कभी मेरे नज़दीक आई, तो ऐसी गान्ड लगाउन्गा तुम्हारी, कहीं की भी नहीं रहोगी तुम.. समझी....." मैं गुस्से में आके बोला


मेरा गुस्सा देख के शन्नो शायद ठंडी तो नहीं हुई, पर उसको पता चल गया कि ये सही वक़्त नहीं था.. इसलिए वो शांति से बैठ गयी, पर वो बार बार मेरी तरफ देखती और नज़रें मोड़ लेती.... मैं गाड़ी तेज़ चला रहा था , जल्द से जल्द शन्नो को अपनी आखों से दूर करना चाहता था.. 1.30 घंटे के रास्ते को मैने जैसे तैसे 25 मिनट पहले ही ख़तम कर लिया.. जैसे ही हम अंशु के घर के बाहर पहुँचे, मैने ललिता को फोन लगाया..


"हाई... आजा नीचे जल्दी..." मैने ललिता का फोन रखने से पहले कहा...


एक नज़र शन्नो की तरफ देखा जो अभी भी मुझे ही देख रही थी, उसने अपना ओवरकोट हाथ में उठाया हुआ था अब..


"गेट आउट................. प्लीज़...." मैने शन्नो से कहा..


मेरे ये तेवर देख के शन्नो उतर के घर की तरफ अंदर बढ़ने लगी जहाँ उसको ललिता वापस आती दिखाई दी..


"मोम आप यहाँ..." ललिता ने इतना ही कहा, के शन्नो उसे इग्नोर करके अंदर चली गयी


ललिता गाड़ी में बैठी और बोली


"भाई... सम्तिंग'स नोट गुड क्या.. क्या हुआ मोम को..?"


"चल, खाने पे..." मैने सिर्फ़ इतना ही कहा और हम खाने चले गये..


पूरे रास्ते में हमने कोई बात नहीं की.. मैने गाड़ी 'शिप ग्रिल आंड बार" की तरफ मोड़ दी... हम जैसे ही वहाँ पहुँचे , ललिता फिर बोली


"भाई, व्हाट हॅपंड...बोलो तो"


"नहीं, कुछ नहीं, चल मुझे भूख लगी है..." इतना कहके मैं गाड़ी से उतरा और अंदर जाने लगा.. ये भी परवाह नहीं कि मेरे साथ ललिता आई या नहीं.... मैं अंदर जाके बैठ गया, और 2 मिनट में ललिता आके सामने बैठी


ललिता के लिए खाना, और अपने लिए सिर्फ़ विस्की ऑर्डर कर के, मैं नीट पे नीट पीने लगा था.... मेरा ऐसा बिहेवियर देखके आस पास की टेबल के लोग भी मुझे घुरे जा रहे थे...



"भाई.. बस करो, क्या हो गया है आपको..."


"कुछ नहीं.. तूने खाना खाया, और कुछ खाएगी बहेन... " मैं अभी भी अंदर ही अंदर जल रहा था



"नहीं भाई... लेट्स गो... आइ आम स्केर्ड नाउ..." कहके ललिता वहाँ से चली गयी.. मैं बिल भर के वहाँ से गाड़ी की तरफ बढ़ा जहाँ ललिता ऑलरेडी मेरा वेट कर रही थी... हम गाड़ी में बैठ गये और खामोशी के साथ बढ़ने लगे... मैं कहाँ जा रहा था, किस तरफ बढ़ रहा था, कुछ होश नहीं था.. ये दारू का नशा नहीं था, पर शन्नो को चोदने के बाद दिल का एक सैलाब था... समझ नहीं आ रहा था मैने जो किया सही था या नहीं... ललिता को बताया वो सही था कि नहीं.... बस हर गली, हर रोड को नाप रहा हूँ जैसे... घूमते घूमते मैं एक ओवर ब्रिड्ज पे जाके रुका और गाड़ी से उतरके बाहर निकला... रात के करीब 11 बज रहे थे, धीमी धीमी सी हवा चल रही थी, दारू का नशा अब मीठा मीठा सा चढ़ने लगा था....


"भाई... बोल दो जो बोलना है प्लीज़.." ललिता मेरे साथ आके खड़ी हुई

"भाई बोल दो... ऐसी तो आज तक कोई बात नहीं जो मुझसे छुपाई है तुमने... फिर वो चाहे आपके जॉब की हो, या वो पेपर्स जो आपने...."



ललिता ने बस इतना ही कहा, कि मैं उसको घूर्ने लगा और आँखों से बंद होने के लिए कहा..


हम काफ़ी देर तक यूही ब्रिज पे खड़े रहे.. कुछ बोल नहीं रहे थे, धीरे धीरे हवा की तेज़ी बढ़ी, हवा ठंडी होने लगी.... कुछ सेकेंड्स में हल्की बूंदा बाँदी भी होने लगी... सीज़न की पहली बारिश, मेरे होंठों को छू रही थी... मैं बस आँखें बंद करके उस वक़्त को महसूस कर रहा था.. मैं हल्का महसूस करना चाहता था, एक भोज था दिल पे.. पता नहीं क्यूँ शन्नो के साथ उस हादसे के बाद, दिल स्थिर नहीं रहा... मैं आँखें बंद करके बारिश का मज़ा लेने लगा.. कुछ सेकेंड्स में ललिता ने मेरे कंधे पे हाथ रखा और मुझे देख के बोली


"भाई.. नहीं बताना चाहते तो इट्स ओके... बुत आप प्लीज़ मायूस ना हो.. हमने जो सोच रखा है, अंत वैसा हुआ तो मुझे आपके साथ ही ज़िंदगी निकालनी है, मैं आपको इस हालत में नहीं देख सकती.. और अगर अंत वैसा ना हुआ जो हमने सोचा है, तो मैं फिर आपको कभी देख नहीं पाउन्गि, आज नहीं तो कल, इन्हे सब पता चलने ही वाला है..."


ललिता के ये शब्द सुनके मेरा मन काफ़ी भारी हुआ और मैं उसे हल्का करने के लिए रोने लगा... करीब 5 मिनट तक मैं सिर्फ़ रोता ही रहा... कहते हैं रोने से मन हल्का हो जाता है.. मैं वहीं खड़ा खड़ा ललिता को देखता रहा, और आगे बढ़के उसके फोर्हेड पे किस करके कहा


"डोंट वरी.. जैसे हमने सोचा है वोई होगा.. डॉली को खो चुके हैं, तुझे कुछ नहीं होगा.. और आगे से ये शब्द कभी नहीं बोलेगी, समझी तू..." मैने ललिता को आँखों में देखते कहा


"ठीक है भाई.. अब चलें या यहीं भीगते रहना है" ललिता ने धीरे से मुझे मारते हुए कहा...


हम वापस अपनी कार में आ गये. जैसे ही मैने गाड़ी स्टार्ट की..


"भाई, ये लो... इससे शायद मन हल्का हो आपका.." ललिता ने सिगर्रेट आगे बढ़ाते हुए कहा.


"नहीं ललिता.. नहीं चाहिए मुझे अभी..."


"छोड़ दी है, कि ब्रांड नहीं है आपकी..." ललिता ने अपनी सिगर्रेट सुलगाते हुए कहा


"हेहहे.. चल दे , मैने उसके हाथ से दूसरी सिगर्रेट लेते हुए कहा...


सिगर्रेट के एक काश से ही मानो सब कुछ हल्का लगने लगा हो.. दिमाग़ में आया हुआ तूफान शायद थम सा गया था.. दो तीन कश और, मैं हवा में उड़ाने लगा था... धीरे धीरे रिलॅक्स होके, मैं सीट रिक्लाइन करके वहीं लेट गया और सिगर्रेट फूकने लगा..



'आइ टोल्ड यू... मुझे पता है आपको किस वक़्त क्या चाहिए..." ललिता अपने बाल खोलते हुए बोली


"यार.... बस एक बात है, आज जो तेरी मम्मी के साथ किया.. सच्ची कहूँ, मुझे समझ नहीं आ रहा क्यूँ किया... ना तो वो कोई बदला है, ना तो वो नफ़रत.. मैं ना चाहते हुए भी वो कर बैठा..." मैं बस इतना ही कह पाया कि ललिता बीच में बोली



" आइ नो भाई.. जब आपने मुझे बताया, तब मुझे भी गुस्सा आया..पर इसमे कसूर आपका नहीं है... अंशु का है.."
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09-16-2018, 01:03 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
"व्हाट डू यू मीन अंशु का है.." मैने चोन्क्ते हुए कहा..


"हां भाई...क्यूँ कि जब मैं आपका रिप्लाइ करके वापस पूजा के पास जा रही थी तब अंशु किसी से अपने फोन पे बतिया रही थी... वो अपने कॉर्डलेस के स्पीकर पे बात कर रही थी, उसकी कॉन्वर्सेशन थी .... 



"दीदी... चूत की आग मिटी या नहीं आपकी.." अंशु सामने शन्नो से फोन पे बोली


शन्नो:- नहीं छोटी, कहाँ... साला आया और पागल सांड़ की तरह चोद के चला गया.. समझ ही नहीं आया उसे अच्छा लगा के नहीं..


अंशु:- देखो दीदी, मैने उसमें आग लगाई थी मसेज करके, और अपने चुचे दिखा के, अब उससे ज़्यादा क्या करती.. और आपको सही टाइम पे मसेज किया मैने कि आप राज को फ़सा लो. अब इससे ज़्यादा क्या करूँ...



शन्नो:- हां छोटी... चल कोई नही, आज रात को आती हूँ तेरे पास, इतने दिन के ड्रामे से मैं भी थक गई हूँ... वहाँ आके बात करती हूँ, बाइ



"व्हाट !!! यू मीन.." 

मुझे फिर टोकती हुई ललिता बोली"हां भाई... शायद मा को अंशु ने मसेज किया था कि उसने आपको भड़काया है अपने अंग प्रदर्शन से, इसलिए मा ने आपको अपने कमरे में बुलाया.. वो तो आपसे ये सब करना ही चाहती थी..." ललिता ने उदास होके कहा


"उदास मत हो यार प्लीज़.... आइ आम वेरी सॉरी यार.." मैने ललिता को अपनी बाहों में लेते हुए कहा


ललिता जैसे फ्री एर बेलून की तरह मेरी बाहों में गिर गयी और सिसकने लगी...


"डॉली की मौत , भाई ... मम्मी ये सब ड्रामा कर रही थी... मतलब इनस्पेक्टर सही था, शायद घर वाला ही कोई है... डॉली जानती थी कि वो.... और वो कुछ ना कर सकी.... नो भाई नो आहुऊहह ह्मम्मुंम्म्म..." ललिता सिसकते हुए बोल रही थी....



मैने ललिता को कस्के अपने से गले लगाया और उसके माथे को चूमते हुए कहा


"नो नो.... प्लीज़ बेबी, डोंट क्राइ... ये सब ही हमे सुलझाना है ना.. तू रोएगी तो कैसे होगा ये पूरा हाँ.. चलो अब प्लीज़ रोना बंद करो..."



कुछ देर तक ललिता वहीं बैठे बैठे रोती रही.. अपने आँसू सुखा के, ललिता ने फिर अपने लिए एक सिगर्रेट सुलगा दी...


"मुझे नहीं देगी अब... ऐसा क्यूँ..." मैने अपनी आँखें मटकाते हुए पूछा , शायद ये देख के उसे अच्छा लगता


"लो भाई.. मेरी में से ही...." कहके ललिता ने अपनी सिगर्रेट मुझे दे दी....


हम दोनो एक सिगर्रेट शेअर करने लगे... वहाँ बैठे हमे आधे घंटे से उपर हो गया था... इस बीच हमने 6 सिगर्रेट्स भी फुक डाली.. कुछ भी है, लेकिन लड़की के साथ सिगर्रेट शेअर करके स्मोक करने का मज़ा ही अलग है. चाहे वो बहेन हो या बीवी या गर्लफ्रेंड.... ललिता मेरी बहेन थी, पर इन दिनो हुए हादसों की वजह से हम भाई बहेन से कहीं ज़्यादा आगे निकल गये थे..


"चलें.. " मैने ललिता से पूछा


"हां भाई चलो.. देर हो गयी है.." ललिता ने सीट पे सीधे होके कहा



हम गाड़ी में घर की ओर बढ़ने लगे, कि अचानक ललिता ने मुझसे सवाल पूछा


"भाई... कभी मेरे साथ तो ऐसा नहीं करोगे ना..."


ललिता का मतलब, जो आज शन्नो के साथ किया वो


"नहीं डियर... मैं अब और किसी को खोना अफोर्ड नहीं कर सकता.." मैने फर्म जवाब दिया... उसकी आँखों में देखे बिना




मेरा जवाब सुनके ललिता ने कुछ देर कोई जवाब नहीं दिया.. फिर कुछ देर बाद, ललिता वापस बोली



"अगर मैं सामने से इन्वाइट करूँ तो भी...."



उसके ये शब्द सुनके मुझे कुछ सूझा नहीं कि क्या कहूँ... कुछ सेकेंड्स की खामोशी के बाद मैने गाड़ी साइड में रोकी, और उसकी आँखों में देखते हुए कहा



"बिल्कुल नहीं ललिता.. हमे इस दलदल से निकलना है, निकलने की कोशिश में हम खुद अंदर ना चले जायें.. प्लीज़ तुम खुद को काबू में रखो, और अगर मैं बहक जाउ तो प्लीज़ मुझे रोक देना... एक तेरा रिश्ता ही मुझे अच्छा लग रहा है... कुछ ग़लत करके मैं इसे बिगाड़ना नहीं चाहता...."



मेरा जवाब सुनके ललिता ने एक हल्की सी स्माइल दी...



"लव यू ब्रदर.... मैं बस चेक कर रही थी... आंड हम में से कोई नहीं भटकेगा रास्ता.." कहके ललिता ने मेरे गालों पे हल्की से किस दी और हम फिर घर की तरफ निकल गये.. जैसे हम आधे रास्ते पे पहुँचे, ललिता ने कहा



"भाई... आगे से राइट लेना.."



"फिर क्यूँ.. तुझे वहीं जाना है अब" मैने अंशु के घर के लिए पूछा



"नहीं भाई.. मुझे नहीं हम चलेंगे अंदर.... आपको कुछ दिखाना है..." ललिता ने रहस्यमय तरीके से कहा..


"मैं कैसे चलूँगा यार...कोई देख लेगा तो.. जमाई हूँ दट डज़ नोट मीन कि रात को 1 बजे उनके घर जाउ" मैं सहमत नहीं था ललिता की बात से



"ओफफो !!! आप चलो तो, बड़े आए जमाई वाले, उस साली से शादी करोगे ही नहीं तो... आप बस गाड़ी मोडो अब" ललिता ने हुकुम चलाते हुए कहा



मैने ज़्यादा ज़िद्द ना करते हुए , गाड़ी अंशु के घर की तरफ मोड़ दी.. करीब आधे घंटे में हम अंशु के घर के बाहर पहुँचे... उसकी सोसाइटी थी बहुत हाई फाइ, लेकिन रात के करीब 1.30 बजे कोई घर में लाइट नहीं जल रही थी...


"स्ट्रेंज.." मैने खुद से थोड़े उँचे स्वर में कहा


"वेट्स स्ट्रेंज भाई..." ललिता ने शायद मेरी बात सुन ली



"नतिंग... इतनी हाई फाइ सोसाइटी है, फिर भी लोग जल्दी सोते हैं.. कमाल है ना" मैं आस पास देखने लगा



"कोई नहीं सो रहा.. अंधेरे मे राज़ दफ़न होते हैं यहाँ.. जो शायद हम जानना भी ना चाहें... खैर, आपकी होने वाली बीवी जाग रही होगी... देखना चाहोगे उसे ?" ललिता ने मुझे टीज़ करते हुए कहा..



"नहीं.." मैने सिर्फ़ एक ही शब्द कहा....



"ओके.. आपकी प्यारी सासू को भी नहीं. वो भी जाग रही होगी.." ललिता ने फिर मुझे चिढ़ाने के लिए पूछा


"नहीं.. नो इंटेरेस्ट यार..." मैं चिढ़ने लगा था अभी



"ओके.... मेरी मोम को भी नहीं...." ललिता इस बार मेरे करीब आने लगी



"व्हाट्स रॉंग यार... क्यूँ मस्ती कर रही है..नहीं देखना , ना तो अंशु को, ना तो पूजा को, ना तो आंटी को.." मैं थोड़ा उँची आवाज़ में बोला..



"हहेहहे.... चलो, तीनो को एक साथ देखो आप... कहीं अलग अलग जाने की नो नीड भाई..." ललिता ने मस्ती भरे अंदाज़ में कहा



"व्हाट डू यू मीन बाइ एक साथ..." मैने ललिता का हाथ पकड़ के उसे रोक लिया



"बहुत जल्द पता चल जाएगा इनका बॉस कौन है भाई..." ललिता ने केवल इतना ही कहा कि मैने उसे बीच में टोक दिया




"यू मीन उनकी मीटिंग है क्या, या कुछ और..." मैं जिगयासा में आके कहा



"मीटिंग नहीं... फक फेस्ट भाई..."

"फक्फेस्ट..." कहके मैं चोन्का तो नहीं, बट मुझे ये एक्सपेक्टेड नहीं था..
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09-16-2018, 01:04 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
"हां, चोंक क्यूँ रहे हो.." ललिता ने सवाल पूछा


"यार, अभी तो घर पे माहॉल अच्छा होने लगा है, उसमे ये लोग कैसा ऐसे कर सकते हैं" मैने डॉली के संधर्ब में कहा


"भाई... आइ हेट टू से दिस, बट सही में मेरी मासी और मेरी मा.. एक नंबर की रंडिया हैं, और पूजा तो उनसे भी बड़ी.. उनको कोई फरक नहीं पड़ता... मुझे दुख तो है, बट लाइफ नीड्स टू मूव ऑन ना..." ललिता ने मेरे हाथ से गाड़ी की चाबी ली, और ऑटो लॉक करके उपर चलने को कहा.. 


क्यूँ कि मैं इससे पहले अंशु के घर नहीं आया था, मैं ललिता के पीछे पीछे चलने लगा... अंशु का घर एक दम आलीशान तरीके से बना हुआ था.. मैं गेट के अंदर जाते ही एक आलीशान गार्डन जिसके बीच में एक फाउंटन लगा हुआ था.. थोड़ा अंदर जाते ही गाड़ियों की पार्किंग. एक नज़र मैने गाड़ियों पे घुमाई, एक से एक फॉरिन ब्रॅंड्स थी.. आस्टन मार्टिन , बेंट्ली, जगुआर, वोल्वो.... गाड़ियों की पार्किंग क्रॉस करके मैं हॉल जाने का दरवाज़ा... इतनी बड़ी गाड़ियाँ मैने पहली बार नहीं देखी थी, पर मेरा दिमाग़ खराब हो रहा था... मैं वहीं रुक सा गया था...

"क्या हुआ भाई... रुक क्यूँ गये..." ललिता ने मुझे वहीं रुक देख सवाल पूछा


"ललिता.. कम हियर प्लीज़... मुझे एक बात बता, इतना बड़ा घर है, तो सेक्यूरिटी गार्ड, ड्राइवर.. कोई नहीं है यहाँ आस पास.." मैने कुछ और पूछना चाहा, बट ये मूह से निकल गया


"ओफफो भाई... नहीं, वो लोगों को छुट्टी मिली है... अब कुछ दिन तक वो लोग नहीं रहेंगे, क्यूँ कि यहाँ जब भी फक फेस्ट होता है, वो लोग जलसे मारते हैं काम से.. और पूजा ने मुझे बताया, जो इनका मैन बॉस है, वो आएगा, इसलिए सब नौकरों को छुट्टी है.. और एक और बात, इतनी बड़ी गाड़ियाँ आपके लिए कोई बड़ी बात नहीं, पर अंशु के घर पे हैं, इसमे कोई बड़ी बात नहीं... अंशु भी बड़ी पार्टी है, आप जानते नहीं हो... पर आप फिकर ना करो, ये सब आपका ही होने वाला है ना.." ललिता ने आखरी लाइन मुझे आँख मारते हुए कहा


"और एक बात बता तू ललिता... पूजा से पूछती क्यूँ नहीं है कि बॉस कौन है.. हम डाइरेक्ट खेल ख़तम करते हैं.." मैने जोश में आके कहा


"पूछा भाई, बट इन लोगों ने डॉली को बताया था, और उस बेचारी को कुछ किए बिना भी ये सज़ा मिली... मुझे बताने में वो लोग अब बहुत हिचकिचा रहे हैं... और क्यूँ कि इन सब को शक ना हो, मैने हमेशा इन्हे दिखाया है कि मैं आपसे बिल्कुल बात नही करती, और उनसे भी थोड़ी दूरी बनाए रखती हूँ. क्यूँ कि अगर मैं उनके ज़्यादा नज़दीक गयी तो मैं भी उन लोगों की वाच लिस्ट में आ जाउन्गि.. तो अगर बिज़्नेस की लॅंग्वेज में बोलूं, तो आइ आम आक्टिंग जस्ट लाइक आ स्लीपिंग पार्ट्नर... जो काम तो करता है, बट डिसिशन्स नहीं लेता.... समझे मेरे स्वीट हार्ट भैया.. अब चलो आगे" कहके 
ललिता आगे बढ़ने लगी, और मैं फिर उसके पीछ चलने लगा...


चलते चलते मैं यही सोच रहा था, एक बार इन सब झमेलों से निकल जाउ, डॅड को कन्विन्स करूँगा कि अब वो भी ऐसा बंगलो ले लें... कब तक हम उस पुराने घर में रहेंगे.. आख़िर मेरे बाप का भी नेटवर्त कम नहीं है... 

ये सब सोचते सोचते हम लोग अंशु के बंगले के हॉल में आ गये... अंशु के घर का हॉल, किसी कुमार फिल्म का सेट लग रहा था.. राउंड लंबी स्टेर्स, उसपे लाल कलर का कार्पेट बिछा हुआ... हॉल के बीच में एक बड़ा सा झूमर लगा हुआ था..मैं ये सब देख के अंदर ही अंदर जल रहा था... 

मन से सब कुछ निकाल के बस अब एक लिस्ट बना रहा था, कि हमारा बंगलो कैसा होगा, कौनसी गाड़ियाँ होंगी.. कौनसा झूमर, कर्टन्स.... मैं ये सब सोच ही रहा था, तभी ललिता ने कहा


"भाई... यहाँ, धीरे से ओके.. कुछ मत बोलना अब.. यहाँ आओ..."


"ह्म्म्मछ...." इतना कहके हम नीचे बने एक लंबे कॉरिडर में चलने लगे.. जूतों की आवाज़ ना हो इसलिए हम जूते गाड़ी में रख आए थे.. कॉरिडर के एक कोने में एक रूम था, जिसकी खिड़की के पास जाके ललिता खड़ी हो गयी...


"भाई... इधर से देखो, और सुनो सब ओके... मुझे बताना सब गाड़ी में फिर ओके..." कहके ललिता जाने लगी, तभी मैने उसका हाथ पकड़ के अपने तरफ मोड़ लिया


"क्या बताऊं तुझे... यहाँ खड़ी रहके शांति से सुन और देख.. अगर मैं पकड़ा गया तो तू मुझे बचाएगी ना.. घर की चाबी तेरे पास है , मैं अंदर कैसे आया , क्या जवाब दूँगा.... और मैं कुछ नहीं करूँगा ये सब देख के , ट्रस्ट मी ऑलराइट... नाउ रिमेन हियर.."


"ओके..." ललिता ने अपनी धीमी सी आवाज़ में कहा..



"वैसे ये रूम किसका है...." मैने ललिता से अपनी धीमी आवाज़ में पूछा



"आपकी होने वाली बीवी का भाई.. मैं यहीं थी आपके साथ बाहर जाने से पहले, जब अंशु और मोम की कॉन्वर्सेशन से पता चला यहाँ आज ये सब मिलने वाले हैं, तो मैने जान बुझ के खिड़की बंद की, पर अंदर से स्टॉपर नही लगाया.. अब अंदर देखो भी..." कहके ललिता ने मेरा चेहरा अंदर की तरफ किया



"अरे क्या देखूं...अंदर कोई हो तो.." मैने इतना कहा ही के सामने से तीन देवियाँ आती दिखाई दी... त्रिमूर्ति एक साथ कदम से कदम मिला के चल रही थी... अचानक उनके पीछे दो आदमी और दिखाई दिए मुझे... एक तो मेरा अंकल था विजय, दूसरे को मैं पहचान नहीं पाया... ललिता ने कहा वो पूजा का बाप है... सब लोग उस रूम में बने सोफे और बेड पे सेट हो गये... शन्नो और अंशु क़हर सा ढा रही थी.. उनके चुचे इतने बड़े हैं कि किसी भी आदमी का लिंग खड़ा हो जाए उन्हे देख के... उपर से आज कुछ ज़्यादा ही उछल रहे थे... पूजा रंडी की तरह विजय और अपने बाप के बीच में बैठी हुई थी..


पूजा:- उम्म्म.... आज तो मोम ने बहुत बड़ा काम सेट कर दिया है... वाह मोम, क्या सही तीर फेंका है, इंडोनेषिया की वजह से ये डेट जल्दी निकल जाएगी अब...


अंशु:- हां बिल्कुल, पर आज उस चूतिए राज को इन्वाइट भी दिया था, देख ना साला आया ही नहीं..,,, चूत की खुजली का क्या करूँगी अब...


पूजा:- अरे मोम, क्यूँ गुस्सा हो रही हो.. आपका यार भी तो यहीं है ना, उसको संतुष्ट करो अब तो.. राज को भूल जाओ, राज का लंड क्या, राज की उंगलियाँ भी नहीं बचेंगी अब.. एक बार मैं उस घर में जाउ, फिर देखना, राज के मा बाप के साथ राज को भी ख़तम कर दूँगी... इतना सताउन्गि, इतना सताउन्गि, कि साला पछताएगा और भगवान से कहता फ़िरेगा. "हे भगवान , तूने मुझे इस धरती पे क्यूँ भेजा भगवान.."


आज पूजा की आवाज़ में हरामीपन सॉफ झलक रहा था... पूजा की ये बात सुनके विजय ने कहा



"हहहाहा... बस कर मेरी रानी पूजा.. कहाँ उस मादरचोद का नाम ले लिया तुमने.. छोड़ो उसको, हम दोनो के लंड काफ़ी नहीं है क्या तुम लोगों के लिए हाँ.." कहके उसने पूजा के बाप को ही फाइव दिया..



"मादरचोद नहीं... आज तो वो आंटी चोद बन गया है.. आज उसने मुझे जी भर के चोदा... पर भोसड़ी का चुदाई पूरी करके बस निकल गया... आज उसने मुझे एक रंडी की तरह ट्रीट किया है... सच्ची में, जब उसकी सारी जायदाद पूजा के नाम होगी, तब उसको उसी औकात दिखाउन्गि..." कहके शन्नो ने सिगर्रेट जलाई और कुछ ही सेकेंड्स में पूरे रूम में धुआँ सा फेलने लगा
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09-16-2018, 01:04 PM,
RE: Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें
"आए पूजा... काम होने के बाद अगर तूने अपनी मा चुदवायि और हमारे साथ धोखा किया, याद रखना तेरा हश्र भी वोई होगा जो डॉली का हुआ था.. समझी ना.." कहके पूजा के बाप ने भी शन्नो की सिगर्रेट लेके उसके पफ लेने लगा


"हां मेरी बेटीचोद पापा... आप चिंता ना करें, दादा दादी ने ये सब दौलत मेरे नाम की है ना, फिर भी आप अपनी रंडियों के साथ घूम रहे हो ना... ये घर, ये गाड़ियाँ, बॅंक बॅलेन्स, सब मेरा ही है ना.. आप यूज़ कर रहे हो ना,... मैने कभी हिसाब माँगा है क्या... और वैसे भी डॅड, 35 करोड़ में एक पुराना सा घर ही है और कुछ गाड़ियाँ और स्टॉक्स.... हम 7 हिस्सेदार हैं, 5 करोड़ में क्या होगा.. आप तो 4 ट्रिप मारोगे अपनी रखैल के साथ, और 5 करोड़ ख़तम.. 5 करोड़ मेरे लिए कोई बड़ी रकम नहीं है, बट ये तो बॉस ने स्पेशल कहा है मुझे, मैं उनका मान रखती हूँ तभी मैं इस काम में आप लोगों का साथ दे रही हूँ " पूजा विजय के लंड को उसकी पॅंट के उपर से सहलाती हुई बोली



'क्यूँ री मेरी रांड़ भांजी... फॅक्टरी में भी तो साली तू हिस्सेदार बन गयी है... उसका हिस्सा कौन देगा भेन की लौडी... अभी से चीटिंग करने लगी, साली कुतिया याद रखना, मेरी बेटी की बलि इस काम में लगी है..." कहके शन्नो गुस्सा होने लगी पूजा पे


"हां मासी.. आप क्यूँ फिकर कर रहे हो... रूको, सुनो ओह मेरे प्यारे अंकल.. फॅक्टरी का मन्थलि रेवेन्यू कितना है.. तो उसके बारे में भी बॉस से बात कर लेंगे... उसका हिस्सा भी तो डिसाइड करना है.." पूजा विजय की तरफ देखती बोली



"मन्थली रेवेन्यू का पता नहीं पूजा.. मैं फॅक्टरी काम करने नहीं जाता, मैं वहाँ वर्कर्स को बस भड़काने जाता हूँ, और भाई साहब के कॉंपिटिटर्स तक उनकी सब खबरें पहुँचाता हूँ... ताकि वो दिमागी तोर से अभी प्रेशर में आ जायें... काम तो करने दो मेरे सोतेले भाई को, 

वो साला मेहनत करेगा तभी तो हमे उसका फल मिलेगा, पर साले की किस्मत अच्छी है, आज तक वर्कर्स उसके खिलाफ गये पर ज़्यादा देर ना रहे, और उसके कॉंपिटिटर्स भी कुछ ख़ास दम के नहीं हैं..." विजय पूजा के चुचों को सहला रहा था


"ये लो.... भोसड़ी के, एक बार तो कंपनी के काग़ज़ देख लेता, लंड जैसा दिमाग़ है चूतिए का.." पूजा के बाप ने विजय को गालियाँ देते हुए कहा..



'ओफफो.... अब बंद भी करो, कुल मिलाके बात ये है के अभी 2 दिन में राज और इस रांड़ की शादी फिक्स हो जाएगी... मैं दबाव बनाउन्गि कि शादी 10 दिन में हो... फिर हमारा काम पूरा,.... अब इस बात पे जश्न मनाते हैं जी.. चलो दारू तो लाओ...." अंशु ने विजय से कहा, विजय वहाँ से उठके थोड़ी देर के लिए गायब हो गया.. कुछ देर में वो दारू की बॉटल और 2 ग्लासस लाया., और आके वापस अपनी जगह पे बैठ गया...



"ये 2 ग्लासस क्यूँ.. हम नहीं पिएँगे क्या.." कहके अंशु और शन्नो उस सोफे के पीछे आई जहाँ पूजा विजय और उसका बाप बैठे हुए थे..



"अरे इन ग्लासस में हम पिएँगे, और हमारे लबों से तुम पीयो हमारी रंडियों... " कहके विजय ने ग्लासस भरे और सब लोग ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे...


(बहनचोद... इतने पैसे, फिर भी दारू कौनसी, रॉयल स्टॅग... किसी ने सच ही कहा है, मनी कन्नोट बाइ क्लास...) मैने सोचते सोचते नज़र घुमा ली खिड़की से, तब ललिता ने कहा



"ज़्यादा मत सोचो.. सामने देखो, और सुनो..." 


मैं फिर सामने देखने लगा, वो लोग अब ज़ोर ज़ोर से हँस हँस के दारू पीने लगे... पोज़िशन ये थी, पूजा विजय और उसके बाप के बीच में बैठी थी और पीछे अंशु और शन्नो खड़ी थी... सब लोग खुश लग रहे थे और दारू पे दारू पीए जा रहे थे... जहाँ विजय एक सीप लेता, तभी पूजा उसके होंठों से अपने होंठ चिपका लेती और दारू के घूँट को अपने अंदर उतार देती.. जब पूजा का बाप सीप लेता, तब पीछे से शन्नो उसके होंठ चुस्ती, और अपनी जगह पे जाके फिर अंशु के होंठ चुस्ती जिससे उसके होंठ भी गीले होते... ऐसा करते करते सब ने एक एक ग्लास ख़तम किया और फिर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे..





धीरे धीरे कर, दारू का नशा उन सब पे चढ़ने लगा... जब विजय ने पूजा के होंठों से होंठ लगा के उसे घूँट पिलाया, तब अंशु मदहोश सी होने लगी



"उम्म्म्म आहह... मौसा मेरे आहह हेहहहे...क्या होंठ चूस्ते हो अहहह...उम्म्म्म और काटो ना अओमम्म्मम" कहके पूजा विजय के होंठों चूसने लगी, और उसका बाप उसके ड्रेस के उपर से ही उसके चुचे सहलाने लगा... ये देख अंशु और शन्नो भी गरम होने लगी और सिसकारियाँ लेने लगी...


"आहह उम्म दीदी आहह... मेरी इस रांड़ ने तो आग लगा रखी है मेरे शरीर में उम्म्म...अहहहहा" कहके अंशु अपने एक हाथ से अपनी चूत और दूसरे हाथ से शन्नो की चूत को सहलाने लगी



"आहहहह मेरी बहना तो दे दे ना तेरा बदन आहहह.. मैं आग भुजाति हूँ इसकी उम्म्म आहह...." कहके शन्नो और अंशु के होंठ जुड़ गये और वो लोग एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे..

शन्नो और अंशु एक दूसरे को बेतहाशा चूमने में बिज़ी हो गये थे, वहीं पूजा को विजय और उसके बाप ने मिलके नंगा करना चालू कर दिया था.. जहाँ शन्नो और अंशु अब सिर्फ़ ब्रा पैंटी में आ गये थे, पूजा अब नग्न अवस्था में आ चुकी थी.. विजय और उसका बाप अब दारू उसके चुचे पे बहाने लगे.. विजय दारू उसके चुचों पे बहाता और नीचे पूजा का बाप उसके निपल्स पे लगा हुआ जैसे दारू उसके निपल्स से निकल रहा हो.. विजय एक हाथ से दारू गिराता और दूसरे हाथ से उसके चुचे मसल्ने लगता... पूजा को ये दोहरा मज़ा आने लगा था.. वहीं अंशु और शन्नो ने अब अपने कपड़े उतार 
लिए थे, और दोनो एक दूसरे को चूसने में लगी हुई थी..



"अहहहहहा.... यॅ डॅडी आहहह बाइट मी, आहहहहा सक मी उफफफफ्फ़ उम्म्म्ममम हाहहान्ंननणणन् हाआन्नान मौसा और मस्लो ना इन चुचों को आहहहामम्म्मम... येआः डॅडी माइ डॅडी उहह सक देम हार्ड उउईइ आहह...एम्म्म , मौसा और मस्लो ना इन्हे आअहह......" पूजा मस्ती में आके बड़बड़ाने लगी



"अहहहहहः मेरी बिटिया रानी उम्म्म यूंममाहहह सिक अहहहः...उम्म उम्म्माहह पिछच्छ पिचह...उम्म्म्म आहाहहा टेस्टी दूध है मेरी बिटिया रानी का अहहह..... अहहहः ज़रा इधर भी तो देखो, मेरी रांड़ बेटी की गुफफा अहहहहहा..." पूजा का बाप उसके निपल्स को चूस्ते चूस्ते उसकी चूत में भी दो उंगलियाँ अंदर बाहर करने लगा..


"आहहहाः डॅडी यॅ फक मी हार्ड आहहाहा... और तेज़ी से कीजिए आहहहहा यॅ ओह हाहहहा फक माइ पुसी उम्म्म अहहहहाः... और चोदिये ना 

अहहहहा.. येआः डॅडी आइ आम कमिंग उम्म्म्म अहहहहहहः.... ओह्ह अहहहहहा... मेरे मौसा आहहहहहा. और मस्लो इन चुचों को अहहहः... डॅडी और तेज़ और तेज़ आहह... यॅ हार्डर डॅडी अहहहहहा..... और हानननना हाानान आइ आम कमिंग अहहाहा.. ओह नो शिट मम्मी आहाहहाहहा मुंम्म यय्या अहहहहहहा... मैं गई अहहहहहा ओह्ह्ह्ह..... ओूवह अहहहहाहा...." कहके पूजा ने अपनी चूत का पूरा पानी उसके बाप की उंगलियों पे छोड़ दिया... पूजा के बाप ने झट से उंगलियों को अपने मूह में डाला और उन्हे चूसने लगा


"अहहहम्म... यम्मी है मेरी रांड़ का पानी तो उम्म्म्म..." पूजा का बाप अपनी उंगलियाँ चाटने लगा जिनमे पूजा का पानी लगा हुआ था


विजय अब भी पूजा के चुचों को मसल रहा था.. उसके निपल्स एक दम कड़क और लाल हो चुके थे.... पूजा से और बर्दाश्त नहीं हो रहा था..


"उम्म अहहहः... आजा ने मेरे रंडवे मौसा... इन्हे चूस भी ले अब भडवे उम्म्म्म...." कहके पूजा ने विजय के मूह में अपने चुचे दे दिए और विजय एक बच्चे की तरह उसके निपल्स चूसने लगा....



'चलो अब हमे भी तो दो ये रंडी चूसने को अहहहाः... हम भी तो चखें इसका पानी अब..." अंशु शन्नो को छोड़ के आगे आई और पूजा को उठा के बेड पे ले गयी... शन्नो ने उन्हे जाय्न किया और तीनो एक दूसरे को चूमने लगी.... ये देख पूजा के बाप ने कहा


"उम्म्म्म कितना खुश नसीब हूँ मैं आह... चलो रंडियों, अब लेज़्बीयन मूवी दिखाओ हमे...." पूजा का बाप अपना लंड हिलाते हुए बोला और विजय भी अब सोफे पे अपनी टाँगें चौड़ी करके अपने लंड और टट्टों को मसल्ने लगा... ऐसा लग रहा था मानो कोई लाइव लेज़्बीयन शो देखने बैठा हो



"हां जी मेरे हुज़ूर... हम तो पैदा ही हुए हैं आपके लंड की गुलामी के लिए.... आजा मेरी बेटी, बाप को खुश कर दे अपने... ये चुचे दे ना मुझे आहह.. उम्म्म्म आहहहहहा केसर आम से भी मीठे तेरे चुचे अहहहहा... उम्म्म्मम.... दीदी आप भी तो मज़ा लो इस भडवि का औहमम्म...." कहके अंशु शन्नो के पास गयी और उसका एक हाथ पूजा के चुचों पे रखवाया और एक हाथ उसकी चूत पे रखवाया.. और खुद फिर से उसके लेफ्ट चुचे को मूह में लेके चूसने लगी.. शन्नो भी अब तेज़ी से पूजा की चूत को रगड़ने लगी थी और उसका दूसरा चुचा चूसने लगी थी... पूजा के दोनो चुचे अब उसकी मा और मासी के मूह में थे , और दोनो के हाथों की उंगलियाँ तेज़ी से उसकी चूत रगड़ रही थी... इन तीनो को देख के उधर विजय और पूजा का बाप तेज़ी से अपने लंड को हिलाने में लगे हुए थे.. दोनो को देख के ऐसा लग रहा था कि दोनो अपनी चरम सीमा पे पहुँच चुके हैं... 



"आहहहहा माअममम आहहाहहा मासीई आहहहा... और रागडो ना आहहहहा, मैं आने वाली हूँ अहहहहा और रागडो उम्म्म्मम अहहहहहा...ुआहहहा हाआंनाना और तेज़ चोदो ना अहहहाहा..... हननाना माई गयी माआ उफ़फ्फ़ उईईई आहहाहहहः....." चिल्लाके पूजा दूसरी बार झाड़ गयी



"ऊहंब अहहहहहा..... ओह्ह्ह्ह अहहहह... आअहह " इन आवाज़ों के साथ पूजा का बाप और विजय भी झड़ने लगे....
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