Sex kahani पेइंग गेस्ट
06-17-2017, 12:19 PM,
#1
Sex kahani पेइंग गेस्ट
पेइंग गेस्ट 
मैं पेइंग गेस्ट बनकर एक हफ़्ते पहले ही आया था. घर की मालकिन सुधा जोशी नाम की एक विधवा महिला थीं. करीब चालीस साल उम्र होगी. कद औसत से थोड़ा कम, गेहुआं रंग, काले लम्बे जूड़े में बन्धे बाल जिसमें कई सफ़ेद लटें दिखने लगी थीं और आंखों पर चश्मा. शरीर मझोले किस्म का था याने ज्यादा मोटा भी नहीं और ज्यादा पतला भी नहीं.
उनकी दो लड़कियां थीं. बड़ी मीनल बीस साल की एक सांवली लम्बी दुबली पतली लड़की थी. चेहरा बार बार मुंहासे होने से थोड़ा खुरदरा हो गया था और होंठ भी काले काले थे. पर फ़िर भी मीनल के चेहरे पर बुद्धिमत्ता की साफ़ झलक दिखती थी. छोटी लड़की सोलह साल की सीमा नाटे कद की थी इसलिये उम्र में और छोटी लगती थी. वह भी सांवली थी पर अच्छी चिकनी त्वचा होने से काफ़ी आकर्षक दिखती थी.
सुधा भाभी काफ़ी पैसेवाली थी. मुझे पेइंग गेस्ट सिर्फ़ इसलिये रखा था कि घर में एक पुरुष हो. बड़ा घर था, हरेक को अलग बेडरूम था, साथ में दो तीन बड़े कमरे भी खाली थे. मैं तब पैंतीस वर्ष का था और काफ़ी औरतों के साथ (और कुछ किशोरों के साथ भी) बहुत कामकर्म कर चुका था. यहां पूना में अपना खुद का घर खरीदने तक यहां रुका था. छोटी लड़की सीमा को देखकर कभी कभी मेरा लन्ड खड़ा होता था पर कभी यह नहीं सोचा था कि इस घर में इतने मस्त कामुक दिन मेरे भाग्य में लिखे हैं. लड़कियां मुझे अंकल कहती थीं और सुधा भाभी भी मुझे मेरे पहले नाम अनिल से पुकारने लगी थीं.
मस्ती की शुरुवात एक सोमवार को हुई. दोनो लड़कियां स्कूल और कालेज गई थीं. सुधा भाभी किचन में कुछ काम कर रही थीं. मैं उस दिन छुट्टी लेकर घर में ही था. मेरी एक चुदाई की किताब कल से गायब थी और मैं परेशान था कि कहीं इन लोगों के हाथ न लग जाये. किताब ढूम्डता मैं किचन तक आया तो दरवाजा लगा था. अन्दर से सिटकनी बन्द थी. लौटने ही वाला था कि अन्दर से मुझे सिसकने की हल्की आवाज आयी. मैने झुककर एक चीर में से देखा तो देखता ही रह गया. मेरा लन्ड एकदम कस के खड़ा हो गया.
सुधा भाभी टेबल के सामने कुर्सी पर बैठी थीं. सामने थाली में लम्बे वाले बैंगन पड़े थे जिन्हे काट के वह सब्जी बना रही थी. पर इस समय अपनी साड़ी ऊपर कर के वह एक बैंगन अपनी चूत में घुसेड़ कर मुट्ठ मार रही थी. एक हाथ में मेरी गुमी हुई किताब थी और उसे चश्मा लगा कर पढ़ते हुए सुधा भाभी के चेहरे से तीव्र वासना छलक रही थी. चश्मा पहने हुए हस्तमैथुन करती हुई उस अधेड़ नारी को इस हालत में देख कर मैं काफ़ी उत्तेजित हो गया. आखिर कभी सोचा नहीं था कि ऐसी सीधी साधी दिखने वाली औरत ऐसी मस्त चुदैल होगी.

पहली बार मैने गौर किया कि सुधा भाभी की नंगी जांघें बड़ी गोरी गोरी और मांसल थीं और बहुत आकर्षक लग रही थीं. चूत पर घनी झांटें थीं और लाल लाल बुर में वह बैंगन तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था. मुझे यकीन हो गया कि ऊपर से अधेड़ अनाकर्षक दिखने वाली सुधा भाभी असल में बड़ी मादक नारी है जिसे चोदने में बड़ा मजा आएगा. भाभी जिस तरह से इतने मोटे बैंगन से अपनी बुर चोद रही थी उससे साफ़ था कि उसकी चूत मस्त चुदी हुई और खूब रस छोड़ने वाले थी.
सुधा भाभी अब झड़ने के करीब थी और सिसक सिसक कर तड़प रही थी. मेरा मन हुआ कि उसी समय जाकर अपना लन्ड उसकी चूत में डाल दूम पर दरवाजा अंदर से बंद था. आखिर भाभी हलके से चीखी और झड़ गई. लस्त पड़ कर वह कुर्सी में ही ढेर हो गयी और बैंगन उनके हाथ से छूट गया. कपकपाती चूत ने बैंगन करीब करीब पूरा निगल लिया और एक इंच का डंठल छोड़ वह आठ-नौ इम्च का बैंगन पूरा अंदर समा गया. मुझे बड़ा अच्छा लगा क्योकि गहरी और लम्बी चूत वाली औरतें मुझे बहुत अच्छी लगती हैं. उनकी चूत में पीने के लिये खूब रस होता है.
सुस्ताने के बाद सुधा भाभी ने बैंगन चूत से निकाला. उनके चेहरे पर अब शांति थी. साड़ी ठीक कर के जब उन्होंने चिपचिपे बैंगन को देखा तो वह मम्द मम्द मुस्कराने लगीं. मुझे लगा कि उठ कर उसे धोएंगी या फ़ेक देंगी पर वैसा ही उसे काट के उन्होंने बाकी सब्जी में मिला दिया. सोचा होगा कि उनकी चूत का थोड़ा रस अगर उनका परिवार खा भी लेगा तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. इस बात ने मुझे पक्का इशारा कर दिया कि वह महा कामुक औरत है. मैने तो निश्चय कर लिया कि आज खूब सब्जी खाऊंगा.
अब मैं सुधा भाभी को फ़ांस कर चोदने के चक्कर में था. मुझे मालूम था कि मेरे कहने भर की देर है और चुदाई की प्यासी वह नारी मेरी बांहों में आ लिपटेगी. मैने कुछ और तस्वीरों वाली किताबें लाईं और उन्हे जान बूझ कर मेरे कमरे में टेबल पर रखा. मुझे पता था कि मेरी अनुपस्थिति में कमरा ठीक करने के लिये सुधा भाभी रोज मेरे कमरे में आती थी. दूसरे ही दिन मौका देखकर मैं बाहर जाने का बहाना करके वहीं बाथरूम में छुप गया. कुछ ही देर में भाभी वहां आई और इधर उधर देखकर कि घर में कोई नहीं है, कमरे का दरवाजा लगा लिया. फ़िर वहीं कुरसी में बैठकर चश्मा लगाया और किताबें देखने लगी.
इस बार मैं जान बूझकर और गंदी किताबें लाया था. उनमें हर तरह के चित्र थे, मर्द-औरत, मर्द-मर्द, औरत-औरत, जानवरों के साथ रति करते स्त्री पुरुष, कमसिन किशोर और किशोरियों को भोगते स्त्री पुरुष इत्यादि. देखकर भाभी का चेहरा शर्म और वासना से लाल हो गया और वह जांघें रगड़ने लगी. कुछ ही देर में सिसक कर उसने साड़ी ऊपर की और किताबें देखती हुई बुर में उंगली डाल कर हस्तमैथुन करने लगी.
यही मौका था, मैने ज़िप खोल कर अपना तन्नाया हुआ लन्ड बाहर निकाल लिया और उसे हाथ में लेकर बाहर निकल आया. सुधा भाभी मुझे देखकर डर से पथरा गई, उसकी उंगली चलना बन्द हो गई, हाथ से किताब गिर पड़ी और सहमी हुई वह मेरी तरफ़ देखने लगी.”अनिल भैया, तुम? ”
मैं कुछ न कहकर उसके पास गया, प्यार से झुककर भाभी को चूमा और अपनी मोटा लौड़ा उसके हाथ में दे दिया. पास से पता चलता था कि भाभी असल में कितनी सुम्दर थी. चिकना चेहरा, गुलाबी कोमल होंठ और मुलायम रेशम से बाल. मैने भाभी के कपकपाते गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रखे और चूमने लगा. कुछ देर वह डरी रही पर फ़िर उसका साहस बन्धा.
Reply
06-17-2017, 12:19 PM,
#2
RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
जब उनका ध्यान अपने हाथ में पकड़े मस्त ९ इम्च के मोटे ताजे लन्ड पर गया तो मानो उसके शरीर में बिजली दौड़ गयी. वह भी मुझे चूमने लगी और देखते ही देखते उसकी वासना ने अब तीव्र रूप ले लिया. वह चश्मे के नीचे से अपनी आंखें मेरी आंखों में डाल के देखने लगी और अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसेड़ दी. जल्द ही सुधा भाभी अपना नरम मुंह खोल कर मेरा मुंह चूसने लगी और अपने हाथों से मेरे लन्ड को मुठियाने लगी. उसका हाथ फ़िर अपनी बुर में चलने लगा.
मैं भी कांओत्तेजना से पागल हो गया था. भाभी के मीठे मुंह को चूम कर मुझे लगा कि इस मुंह से क्यों न अपना लन्ड चुसवाऊम. “भाभी, लन्ड चूसेंगी?” मैने धीरे से पूछा. भाभी ने सिर्फ़ सिर हिलाया और मैने उठ कर खड़े होकर अपना लन्ड उसके हाथ से निकालकर अपने हाथ में ले लिया. बैठी हुई भाभी का मुंह मेरे लन्ड के ठीक सामने था. लन्ड का सूजा हुआ सुपाड़ा सुधा भाभी के गाल पर रगड़ता हुआ मैं बोला. “भाभी, मुंह खोलिये”. उसने चुपचाप अपना मुंह खोल दिया और मैने सुपाड़ा सीधा उसके मुंह में घुसेड़ दिया. भाभी के गाल फ़ूल गये जैसे कोई सेब मुंह में पूरा भर लिया हो.
“चूसिये भाभी, लन्ड चूसिये और मुट्ठ मारना बन्द मत कीजिये, मजा लेती रहिये” भाभी ने मेरी बात मान कर मेरे लन्ड को चूसना शुरू कर दिया. जोर जोर से दो उंगलियों से मुट्ठ मारती हुई वह अब मेरे लन्ड को निगलने की कोशिश करने लगी. मैने भी लन्ड उसके मुंह में धीरे धीरे गहरा पेलना शुरू किया. “लन्ड पूरा निगलिये भाभी, गले तक उतर जाने दीजिये, मैं अब आपके मुंह को चोदना शुरू करने वाला हूं, देखिये क्या मजा आयेगा.” मैने धक्के लगाने शुरू किये और किसी तरह मेरा आधे से ज्यादा लन्ड भाभी के गले तक घुस गया. अब मैने हाथ से उसका सिर पकड़ा और लन्ड जोर से पेलना शुरू किया. एक दो धक्कों में ही लन्ड जड़ तक उसके हलक में उतर गया.
सुधा भाभी का दम घुटने लगा और वह थोड़ी कसमसाई पर मैने उनके गोंगियाने की परवाह न करके उनका सिर पकड़ कर जोर जोर से उनके गले को चोदना शुरू कर दिया. “डरिये नहीं भाभी, कुछ नहीं होगा, चूसती रहिये और मुट्ठ मारती रहिये, मुझे अपने गले को चोदने दीजिये, अभी आपको मस्त मलाई खिलाता हूं.” दोनों हाथों में भाभी का सिर किसी फ़ुटबाल की तरह पकड़ कर मैं खड़ा खड़ा उसका मुंह चोदने लगा.
लन्ड अब भाभी की जीभ और तालू को रगड़ता हुआ उसके गले में अन्दर बाहर हो रहा था. मुंह बन्द करके भाभी भी उसे भरसक चूस रही थी. जिस आसानी से अब भाभीने मेरा पूरा लन्ड निगल लिया था उससे स्पष्ट था कि भाभी को लन्ड चूसने का काफ़ी अनुभव था. अभी भी भाभीने चश्मा पहन रखा था और धक्के मारते समय मेरा पेट उससे टकरा जाता था. मुझे बहुत मजा आया और दस मिनट उस मतवाली नारी का मुंह चोदने के बाद मैं झड़ गया.
मैने तुरंत लन्ड आधा बाहर खींच कर सिर्फ़ सुपाड़ा भाभी के मुंह में रहने दिया. “सुधा भाभी, जीभ पर मेरा वीर्य लीजिये और स्वाद ले लेकर खाइये, आपको मजा आ जायेगा, मेरे लन्ड की मलाई खाने को तो लौंडियां तरसती हैं, आपको खुद ही खिला रहा हूं” कहकर लन्ड को मैने खूब मुठियाया और गाढे सफ़ेद वीर्य का फ़ुहारा भाभी की जीभ पर बरसने लगा. भाभी ने वह चुपचाप निगल लिया, हां उसका हाथ अपनी बुर में और तेज चलने लगा. मेरा लन्ड जब सिमट कर शांत हो गया तो मैने उसे भाभी के होंठों से खींच कर बाहर निकाल लिया.
बुर में उंगली चलने की पुच – पुच – पुच आवाज निकल रही थी. मचली हुई उस बुर की महक भी कमरे मैं फ़ैल गई थी. मेरा दिल उस माल को चाटने के लिये मचल उठा. भाभी का हाथ पकड़ कर मैने खींच लिया और पास से देखा. उंगलियों पर गीला चिपचिपा सफ़ेद शहद सा लगा था. मैने अपने मुंह में लेकर भाभी की उंगलियां चाट लीं.
भाभी अपनी वासना से भरी आंखों से मेरे इस कर्म को देखती रह गई. भाभी की बुर का स्वाद जैसा मैने सोचा था, वैसा ही मादक निकला, थोड़ा कसैला और खटमिट्ठा. “भाभी, आपकी चूत चूसूंगा, आप अपनी जांघें पसार कर आराम से बैठ जाइये.” कामवासना में तड़पती सुधा भाभी तुरंत अपनी टांगें फ़ैला कर बैठ गई. “चूस लो अनिल भैया, मुझे अब यह चुदासी सहन नहीं होती” उसने सिसक कर कराहते हुए कहा.
मैं फ़र्श पर भाभी के पैरोम के बीच बैठ गया. आगे सरक कर अपना मुंह उस रसीली चूत पर जमाने के पहले उसे मन भर कर बिलकुल पास से देखा. पास से तो उस बुर का जो नजारा था वह देख कर मेरा अभी अभी झड़ा लन्ड भी फ़िर तन्नाने लगा. मैने ऐसी रसीली और बड़े बड़े भगोष्ठों वाली बुर बहुत कम देखी थीं क्योंकि ऐसी चूत सिर्फ़ उम्र में बड़ी और खूब चुदी हुई औरतों की ही होती है. सुधा भाभी की घनी झांटें भी बिलकुल काली और घुंघराली थी, मानो किसी छोकरी के सिर के बाल हों. बुर के लाल लाल होंठों को ठीक से चूमने के लिये मुझे वह जुल्फ़ें बाजू में करनी पड़ी. चूत के ढीले ढाले गहरे छेद में से सफ़ेद चिपचिपा पानी रिस रहा था.
Reply
06-17-2017, 12:19 PM,
#3
RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
मैने और न रुक कर सीधे अपने होंठ जमाकर उस रसीले माल को चूसना शुरू कर दिया. उधर वह महकता गाढा सफ़ेद शहद मेरे मुंह में गया और उधर मेरा लौड़ा फ़िर कस कर खड़ा हो गया. जीभ डाल कर मैने भाभी की बुर चाटी और जीभ से ही बुर के ऊपरी कोने में उभरे लाल बेर जैसे क्लिटोरिस को भी गुदगुदाया. बेरी पर जीभ का लगना था और मानों भाभी पागल हो गईं और मेरा सिर अपनी चूत पर दबा कर धक्के मारने लगी. “हाय, हाय, क्या कर रहे हो अनिल, मर जाऊंगी रे, रहा नहीं जाता, जीभ डाल डाल कर चूसो ना, झड़ा दो मुझे प्लीज़.”

मैने मन भर के बुर के उस शहद का पान किया. भाभी को बस झड़ाता नहीं था और कगार पर लाकर फ़िर छोड़ देता था क्योंकि जब तक वह मतवाली थी तब तक उसकी चूत रस छोड़ती रहेगी, यह मुझे मालूम था. अन्त में जब सुधा भाभी असहनीय वासना से रोने लगीं, तो उनपर तरस खा कर मैने अपनी जीभ भाभी के भोसड़े में डाली और सपासप उस चूती बुर को अपनी जीभ से चोदने लगा. साथ ही अपने ऊपर के होंठ को उसके क्लिटोरिस पर रगड़ने लगा. दो ही मिनट में भाभी एक चीख मारकर ढेर हो गई. “हा ऽ य उई ऽ मां ऽ ऽ मर गई ऽ ऽ”. अब उसकी बुर ने ऐसा पानी मेरे मुंह में फ़ेंका जैसे शहद की शीशी टूट गई हो. पूरा महकता कसैला पानी मैने पिया और चाट चाट कर पूरी चूत और जांघें साफ़ कीं.
जब उठा तो सुधा भाभी शरमा कर नीचे देख रही थी. “क्यों भाभीजी, अपने इस भैया की सेवा पसंद आई?” “तुम तो बड़े मझे हुए चोदू निकले, अनिल, मुझे ऐसा झड़ाया कि सालों में इतना आनन्द किसी ने नहीं दिया था.” “भाभी, बोलिये, चुदाएंगी? अभी एक घंटा है सीमा को स्कूल से आने में.” “हां, अनिल, चल जल्दी से चोद डाल, बहुत दिनों की प्यासी हूं लन्ड के लिये”.
मैने भाभी को उठकर पलंग पर लेटने को कहा. “भाभीजी, आपको नंगा करने के लिये समय नहीं है, अभी ऐसे ही चोद डालता हूं, बाद में आपके इस मांसल शरीर को मन भर कर देखूंगा.” सुधा भाभी अब तक चुदाई की आशा से अपनी साड़ी ऊपर कर के एक तकिया अपने नितम्बों के नीचे रख कर लेट गई थी. अपनी जांघें फ़ैला कर मुझे अपनी बाहों में खींच कर मुझे बेतहाशा चूमती हुई वह बोली.”बस अब चोद डाल मेरे राजा, इतना चोद कि मैं बेहोश हो जाऊम”
भाभी की चूत में मैने अपना तन्नाया हुआ लन्ड घुसेड़ दिया. उस गीले चिकने ढीले ढाले भोसड़े में लन्ड ऐसा गया जैसे मक्खन में छुरी. भाभी पर लेट कर उन्हें चूमता हुआ मैं मस्त सटा सट चोदने लगा. मैं एक बार झड़ चुका था इसलिये अपनी वासना पर काबू रखकर आराम से भाभी को मजा ले ले कर चोद सकता था. भाभी के गुलाबी होंठों को दांत में पकड़ कर चूसते हुए मैने ऐसे हचक हचक के चोदा कि पांच ही मिनट में वह झड़ गई और अपने बन्द मुंह से मस्ती में गुनगुनाने लगी. मैने उसे पूरा झड़ जाने दिया और फ़िर जब वह थोड़ी शांत हुई तो उसका मुंह छोड़ा. गहरी सांस लेते हुए भाभी तृप्त भावना से मेरी आंखों में आंखें डालके मुझे चूमने लगीं.
“भाभी, थोड़ी चुदासी की प्यास बुझी ना? अब गप्पें मारते हुए आराम से घंटे भर तक चोदेंगे” मैं अब उसे हौले हौले लम्बे जोरदार धक्के लगा लगा कर एक धीमी लय से चोदने लगा. बुर में से मस्त फचाक-फचाक-फचाक ऐसी चुदने की आवाज निकलने लगी. “भाभी, यह बताइये कि आप की चूत का ऐसा मस्त रसीला भोसड़ा कैसे बना? ऐसा तो मैने सिर्फ़ रंडियों का या पचास साठ साल की चुदक्कड़ महिलाओं में ही देखा है.”
भाभी मुस्करायी और फ़िर शरमाते शरमाते पर बड़े गर्व के साथ उन्होंने अपनी पूरी कहानी सुनाई.
भाभी को पहली बार १२ साल की आयु में उनके मामाजी ने चोदा, जिन्होंने पाल पोस कर भाभी को बड़ा किया था. उसके बाद मामाजी रोज कई बार कमसिन सुधा भाभी को चोदते थे. सोलह साल की आयु में मामा के लड़के के साथ उनकी शादी कर दी गई और फ़िर अगले कई साल उनकी दिन रात चुदाई हुई. रात को पति और दिन में मामाजी या ससुर उनपर चढे रहते थे. कुछ दिन बाद यह चुदाई बहुत बढ गई क्योंकि सुधा भाभी का पति, याने उसका ममेरा भाई अपना बिज़िनेस चलाने के चक्कर में भाभी को कई लोगों से चुदाने लगा.
फ़िर उसके पति को समलिंग सम्भोग का चसका लगा. उसके बाद भाभी की गांड पर उसका ज्यादा ध्यान जाने लगा. खूबसूरत जवान लड़कों और युवकों को वह भाभी की चूत का लालच देकर घर लाता और गांड मारता और मरवाता. साथ साथ भाभी की भी खूब चुदाई होती. अगर कोई जवान न मिले तो उसका पति भाभी की ही गांड मार लेता.

कई बार तो एक रात में भाभी को दस दस लड़कों ने चोदा. बच्चियां हो जाने के बाद घर में यह क्रीड़ा बन्द हो गयी पर अक्सर उसके पति अपने साथ सुधा भाभी को बाहर ले जाते और भाभी को अपने मित्रों से चुदवाकर खुद मजा लेते. इस निरन्तर चुदाई का ही यह नतीजा था कि भाभी की चूत का मस्त ढीला रसीला भोसड़ा हो गया था. दो साल पहले पति की मृत्यु के बाद भाभी ने चुदाई छोड़ दी थी. पर अपनी कामवासना शांत करने का सिर्फ़ एक तरीका था उनके पास और वह था मुट्ठ मारना. इसलिये गाजर, मूली, बैंगन, केले आदि से भाभी खूब मुट्ठ मारतीं थी. और चूत को बराबर ढीला करती रहतीं थीं.
अपनी कहानी सुनाने के बाद भाभी ने मेरे चोदने का मजा लेते हुआ पूछा. “अनिल, तुम्हें आखिर मेरी जैसी ढीली भोसड़े वाली चूतें क्यों पसंद हैं? नौजवानों को तो टाइट सकरी चूतें ज्यादा पसम्द आती हैं.”
Reply
06-17-2017, 12:19 PM,
#4
RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
मैने हचक हचक कर चोदते हुए कहा. “दो कारण हैं सुधा भाभी, एक यह कि ढीली चूत आराम से काफ़ी देर चोदी जा सकती है, लन्ड जल्दी झड़ता नहीं इसलिये ज्यादा देर मजा आता है, साली सकरी बुर हो तो दो मिनट में लौड़े को अपने घर्षण से झड़ा देती है. दूसरा कारण यह है कि ढीली चूतें बहुत रसीली होती हैं, जरा से मजे में चूने लगती हैं, और जो बुर के पानी के शौकीन हैं मेरी तरह, उन्हें खूब रस चाटने को मिलता है.”
हमारी इन बातों से हम दोनों अब मस्त गरम हो गये थे. एक घंटा भी होने को आया था. चुदाई का बहुत आनंद हम ले चुके थे. मैने अब हचक हचक कर उछल उछल कर कस के सुधा भाभी को चोदना शुरू कर दिया. दस मिनट में जब मैं मस्ती से चिल्लाते हुए झड़ा तो भाभी करीब सात आठ बार स्खलित हो चुकीं थीं. मजा लेने और सुस्ताने के बाद भाभी ने उठकर कपड़े ठीक किये. “अनिल भैया, अब रोज चोदोगे ना मुझे? प्लीज़? बच्चियों के बाहर जाते ही दोपहर को मैं तुंहारे कमरे में आ जाया करूंगी.” मेरा लन्ड आप के ही लिये है भाभी, पर रात को भी आप चुदाएं तो मुझे बड़ी प्रसन्नता होगी आपकी सेवा करने में.” “ठीक है, बच्चियों के सो जाने के बाद मैं आ जाया करूंगी, पर चुपचाप अंधेरे में ही चोदना पड़ेगा.”
उस दिन से हमारा कामकर्म मस्त चलने लगा. रोज दिन में जब सीमा और मीनल बाहर जाते तो मैं भाभी की चूत चूसता और चोदता. रात को जाग कर मैं भाभी की राह देखता. करीब एक बजे वे आतीं थी क्योंकि लड़कियां कभी कभी सोने में बाराह बजा देतीं थीं. शनिवार और रविवार को बड़ी तकलीफ़ होती थी क्योंकि दोनो लड़कियां घर में रहती थीं. कभी अगर वे सहेलियों के साथ घूमने जातीं, तब हम मौका देख कर फ़टाफ़ट चुदाई कर लेते.
भाभी के पूरे नग्न शरीर को मैने दूसरे ही दिन देख लिया था. भाभी सफ़ेद काटन की ब्रा और चड्डी पहनतीं थीं. शरीर बड़ा गदराया हुआ और मांसल था. झांटों के बाल छोड़ दिये जाएम तो भाभी का बाकी पूरा शरीर बड़ा कोमल और चिकना था. फ़ूले हुए मम्मे मुलायम और गुदाज थे. बहुत बड़े भी नहीं और छोटे भी नहीं, करीब करीब आमों जितने थे. नरम और पिलपिले होकर थोड़े लटकने लगे थे. निपल खूब बड़े बड़े थे, काले जामुनों जैसे. भाभी के अनुसार छोटी सीमा बहुत दिनों तक, करीब चार वर्ष की होने तक उनका दूध पीती थी, छोड़ने के लिये तैयार ही नहीं होती थी. उसीके चूसने से निपल बड़े हो गये थे.

रात को भाभी सिर्फ़ गाउन पहन कर आती थी ताकि जल्दी से उतारा जा सके. रात के अम्धेरे में कुछ दिखता तो नहीं था, पर मैं टटोल उनकी टांगों के बीच लेट जाता था और पहले घंटे भर उनकी चूत चूसता था. मन भर के बुर का रस पीने के बाद मैं फ़िर घंटे भर उन्हें चोदता. सुबह तीन के करीब भाभी तृप्त होकर अपना गाउन पहनती और अपने कमरे में लौट जातीं. बीच में जब भाभी की मासिक पारी शुरू हुई तो मुझे लगा था कि अब दो-तीन दिन नहीं आयेगी. पर बराबर आकर भाभी मेरा लन्ड चूसतीं और मुझे तीन चार बार झड़ा कर ही वापस जाती.
भाभी कभी कभी मेरी फ़रमाइश पर गाजर या ककड़ी से मुट्ठ मार कर दिखातीं. हस्तमैथुन का नजारा दिखकर मुझे पूरा दीवाना करके फ़िर वह रसभरी चिपचिपी गाजर या ककड़ी मुझे खिलाई जाती. एक बार रात को भाभी की चूत चूसी तो उसमें से मीठा चिपचिपा केला निकला. हम्सते हुए भाभी ने बताया कि उसने मेरे कमरे में आने के पहले छिले केले से आधा घंटा मुट्ठ मारी और फ़िर उसे वैसे ही बुर में घुसेड़ कर मुझे चखाने को चली आई. केले और चूतरस का वह मिश्रण मुझे इतना उत्तेजित कर गया कि उस रात मैने लगातार तीन घम्टे तक सुधा भाभीका भोसड़ा चोदा और आखिर सुबह पांच बजे अपने कमरे में जाने दिया.
सिर्फ़ एक मामले में सुधा भाभी ने मेरी एक न सुनी. उनको नंगा देखते समय मैने कई बार उनके मोटे भरे पूरे चूतड़ देखे थे. उस नरम चिकनी गांड को मारने के लिये मैं मरा जा रहा था पर जब भी भाभी से पूछता तो वह साफ़ मना कर देती. सिर्फ़ यह बात छोड़ कर बाकी सब भोग मुझे भाभी करातीं थीं. धीरे धीरे मैं सुधा भाभी के अधेड़ मांसल शरीर का पूरा दीवाना बन चुका था और वह खुद मेरे मस्त लन्ड की आदी हो गई थी.
एक महीना इसी मस्ती में गुजर गया. लड़कियों को भी खुछ भनक पड़ गयी क्योंकि एक दो बार हम पकड़े ही जाने वाले थे. एक बार भाभी किचन में टेबल के सामने बैठ कर पापड़ बेल रही थी. टेबल पूरा चादर से ढका था. मुझे भाभी के चूतरस की प्यास लगी और मैं सीधा टेबल के नीचे घुस कर उनकी साड़ी उठाकर उस में घुस गया और बुर चूसने लगा. भाभी ने साड़ी मेरे शरीर पर डाल दी और मुझे अन्दर छुपा लिया.
सहसा मीनल वहां आ गयी, वह कालेज से जल्दी लौट आयी थी. दरवाजे में खड़ी होकर अपनी मां से वह बात करती रही, साड़ी और चादर से छुपा होने से मैं उसे दिखा नहीं. “ममी तुम हांफ़ क्यों रही हो, चेहरा भी तमतमाया हुआ है?” उसने पूछा. मैने बुर चूसना चालू रखा और चुदासी की मारी बिचारी भाभी भी अपनी जांघों में मेरा सिर दबा मेरे मुंह को हौले हौले चोदती रही और मीनल से बातें भी करती रही. किसी तरह उसने मीनल को वहां से भगाया और फ़िर मेरे मुंह में अपना पानी झड़ाकर मेरी प्यास बुझाई.
Reply
06-17-2017, 12:19 PM,
#5
RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
भाभी को भोगना मुझे बहुत अच्छा लगता था और अक्सर मैं आफ़िस से छुट्टी लेकर जल्दी घर आ जाता था जिससे लड़कियों के घर आने से पहले भाभी को चोद सकूम. असल में अब मुझे दोनों लड़कियां भी बहुत अच्छी लगने लगी थीं. मीनल का दुबला पतला सांवला शरीर और नन्ही किशोरी सीमा की कमसिन जवानी मुझे तड़पाने लगी थी. मैं सोचने लगा कि अगर इन्हें भी चुदासी के जाल में फ़ंसा लूम तो बस तीन तीन मस्त शरीर भोगने को मिलेंगे दिन रात,

इसलिये मैने सुधा भाभी को चुपचाप लड़कियों को भी इस काम क्रीड़ा में शामिल करने के लिये अनकहे तरीके से उकसाना शुरू कर दिया. उन्हें मैं अक्सर मां-बेटी के सम्भोग की कहानियां और चित्र लाकर देता. उन्हे एक दो बार ऐसी ब्लू फ़िल्में भी दिखायीं जिनमे सिर्फ़ मां और बेटियों की आपसी चुदाई और बुर चूसने को दिखाया गया था. एक बार तो मैने मजाक में कह भी दिया कि मेरे आने के पहले भी इस घर में भाभी के लिये बड़ी मस्ती की रातें होना चाहियी थीं क्योंकि जहां दो जवान बेटियां और उनकी चुदैल मां हो वहां उनके भूखे रहने का प्रश्न ही नहीं उठता था.
मां-बेटियों के काम सम्बन्धों के चित्र देख कर भाभी उत्तेजित होने लगी थीं. अब काफ़ी बार वे जब प्यार से अपनी बेटियों को गले लगाती तो बहुत देर तक छोड़ती नही थी और गालों के साथ साथ कभी कभी जल्दी से उनके होंठ भी चूम लेती थी. मैने देखा कि लड़कियों को भी यह अच्छा लगने लगा था.
आखिर एक दिन एक शुक्रवार को भांडा फ़ूट ही गया. हुआ यों कि मीनल और सीमा सुबह से ही पिकनिक को गयी थीं. देर रात आने वाली थीं. भाभीने फ़ोन करके मुझे आफ़िस से बुला लिया और दोपहर को जब मैं घर पहुंचा तो चुदासी से तड़पती सुधा भाभी बिलकुल तैयार थी. घर की चाबी मेरे पास थी इसलिये जैसे ही में दरवाजा खोल कर अन्दर पहुंचा, भाभी के बुलाने की आवाज आई और मैं उनके कमरे की ओर चल दिया. “अनिल भैया, जल्दी आओ, अब रहा नहीं जाता.”
मैं अन्दर गया तो देखता हूं कि भाभी मादरजात नंगी होकर पलंग पर पड़ी थी और अपनी तीन उंगलियां बुर में घुसेड़ कर हस्त मैथुन कर रही थी. “अनिल जल्दी आओ, चोद डालो मुझे, आज दिन भर मालूम नहीं कैसी चुदासी लगी है, मुट्ठ मारने से शांत ही नहीं होती. मीनल और सीमा भी अब रात को ही आएंगी तो मुझे आज दिन भर हचक हचक कर पूरे जोर से चोद डालो”
मैं भी अपने कपड़े उतार कर पलंग पर चढ गया और पहले तो भाभी की उंगलियां चाटने लगा. फ़िर लेट कर उस रिसती चूत पर मुंह लगाता हुआ बोला “भाभी, अभी तो चूसने दीजिये, मन भर के इस बुर रानी का प्रसाद पा लूम, फ़िर आपको आपकी इच्छानुसार चोद डालूंगा.” करीब आधा घंटा पैने उस चिपचिपी बुर को चाटा और चूसा और फ़िर क्लिटोरिस को मुंह में लेकर तब तक चूसा जब तक भाभी मस्ती से चीखती हुई ढेर नहीं हो गई.
झड़ने पर भी उसकी चुदाने की प्यास नहीं गयी और वह बार बार मुझसे चोदने को कहती रही. मै भी काफ़ी बुर का पानी पी चुका था, अपना लोहे जैसा कड़ा लन्ड लेकर भाभी पर चढ गया और एक ही बार में पूरा अन्दर उतार दिया. फ़िर भाभी के शरीर पर लेट कर उन्हें चूमता हुआ चोदने लगा. “झड़ना नहीं मेरे राजा भैया, शाम तक लगातार चोदना.” भाभी सिसकते हुए बोली.
अचानक दरवाजा खुला और सीमा और मीनल अन्दर आईं. पिकनिक कैंसल होने से वे जल्दी लौट आयीं थी. हमें पलन्ग पर कुश्ती लड़ते देखकर पहले तो स्तब्ध रह गईं और एक दूसरे की ओर देखने लगीं. फ़िर सीमा चहक कर बोली “हाय दीदी, तू ठीक कहती थी, अम्मा चुदा रही है अंकल से”. मुझे लगा कि दोनों अब हल्ला मचाएंगी पर मुझे और भाभी दोनों को चुदाई का इतना मजा आ रहा था कि हमने लड़कियों की परवाह न करके चोदना चालू रखा. कुछ देर तक तो दोनों दूर खड़ी देखती रहीं, फ़िर चुपचाप पास आकर पलन्ग पर बैठ गयीं और तमाशा देखने लगीं. दोनो के चेहरे अब धीरे धीरे कामवासना में डूबते दिख रहे थे.
Reply
06-17-2017, 12:19 PM,
#6
RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
भाभी की सिस्कारियों को सुनकर बड़ी मीनल ने, जो मां की लाड़ली थी, पूछा “अम्मा, दर्द हो रहा है क्या, अनिल अंकल को उठने के लिये कहूम?” भाभी ने सिर हिला कर मना किया “नहीं बेटी, बहुत मजा आ रहा है, हा ऽ य, कितने जोर से मन लगा कर चोद रहे हैं मुझे तेरे अंकल” और उसने लाड़ में मीनल को पास खींच किया. मीनल का चेहरा अपनी हथेलियों में भर कर भाभी उसका मुंह चूमने लगीं. मीनल ने भी बड़े प्यार से भाभी की आंखों और गालों को चूमा और कहा “मेरी प्यारी अम्मा, कितने दिनों के बाद तुझे इतना खुश देखा है, मन भर के चुदा लो मां, हमारी फ़िक्र मत करो” और फ़िर वह भाभी को बड़े प्यार से चूमने में लग गई.
उधर छोटी सीमा मेरे गालों से अपना गाल सटा कर बैठ गयी और पूछा “क्यों अंकल, कैसी है हमारी अम्मा?” मैं हचक हचक कर उस बच्ची की मां को चोदता रहा और बोला “सीमा बेटी, तेरी अम्मा की चूत इतनी मादक है कि शराब भी क्या होगी. अभी चोद रहा हूं तो लगता है कि मखमल की म्यान को चोद रहा हूं.” सीमा ने मेरे होंठों पर अपने प्यारे नाजुक होंठ रख दिये और मुझे चूमने लगी. मैने धीरे से भाभी की ओर देखा कि वह इसपर क्या कहती है. पर उसे इसमें कुछ गैर नहीं लगा और हमारी ओर प्यार से मुस्कराकर वह फ़िर अपनी बड़ी बेटी का चुम्बन लेने लगी. मैने भी अपने होंठों में सीमा के मुलायम होंठों को दबा लिया और चूसने लगा.
चुदाई अब पूरे जोरों में थी और कस के फ़चाक-फ़चाक-फ़चाक कर मेरा लन्ड अन्दर बाहर हो रहा था. बड़ी बेटी अम्मा के साथ चूमाचाटी कर रही थी और छोटी बेटी अपनी अम्मा को चोदते मर्द से याने मुझसे चुम्बनों का आदान प्रदान कर रही थी. मैने चुम्बन थमा कर कहा “लड़कियों, देखो तुम्हारी मम्मी की चूचियां कैसी खड़ी होकर थिरक रही हैं. इसका मतलब यह है कि मां को बहुत आनन्द हो रहा है और ये स्तन भी खड़े होकर मांग कर रहे हैं कि हमें दबाओ. अगर इन्हे अपने नाजुक हाथों से सहलाओ और मसलो तो मम्मी को बड़ा मजा आयेगा.”
मीनल ने सीमा से कहा. “चल छोटी, देर मत कर, तू दाहिनी चूची पकड़, मैं बायीं दबाती हूं.” दोनों ने एक एक स्तन को हाथ में लिया और बड़े प्यार से वे अपनी मां के स्तन दबाने लगीं. मेरे साथ सीमा की और भाभी के साथ मीनल की चूमा चाटी चलती ही रही. मैं अब हचक हचक कर पूरे जोर से सुधा भाभी को चोद रहा था. “भाभी, अब नहीं रहा जाता, आप मन भर के चुद चुकी हैं ना, तो मै भी झड़ लूम”
भाभी मस्ती से कराह कर बोली “बस एक बार और अनिल, फ़िर तुम मार लेना मेरी बुर जैसे चाहो.” मेरे कहने पर लड़कियां जोर जोर से भाभी के निपल मसलने लगीं और इस मीठी हरकत को भाभी सह न सकीं और तृप्ति की एक किलकारी मार कर झड़ गईं. मैने अब घचा घच लन्ड चलाना शुरू कर दिया और दो मिनट में मस्त मुठिया कर भाभी की चूत में झड़ गया. मैं पूरा लस्त होकर भाभी के शरीर पर पड़ा पड़ा और सीमा को चूमता हुआ इस मीठे स्खलन का लुत्फ़ उठाता रहा जब तक पूरा नहीं झड़ गया.
लन्ड बाहर निकालकर मैने रूमाल से पोंछा. दोनों लड़कियां बड़ी ललचायी निगाह से उसकी तरफ़ देख रही थीं. रूमाल से मैने भाभी की गीली चू रही बुर भी पोंछी. भाभी ने अब अपनी दोनों बेटियों को बाहों में भर लिया था और बारी बारी से प्यार से चूम रही थीं. चूमते हुए भाभी ने उनसे कहा “मेरी प्यारी बच्चियों, अनिल अंकल इतना अच्छा चोदते हैं कि मुझे लगता है इनसे रात दिन चुदाऊ.”

सीमा ने शैतानी से कहा. “अम्मा, तो कितने दिनों से चुदा रही हो, हमें भी तो बताओ?” भाभी ने पूरी कहानी बताई कि कैसे वह पिछले कई दिनों से मुझसे दिन रात चुदा रही थी. जब उन्होंने बताया कि चोदने के अलावा कैसे हम एक दूसरे के गुप्तांगों को चूस चूस कर रसपान भी करते हैं तो लड़कियों की आंखों में छाई मादकता और गहरी हो गयी और उनकी सांसें जोर जोर से चलने लगीं.
छोटी सीमा भाभी की चूची दबाती हुई बोली. “वाह मम्मी, अकेले अकेले ही मजा लोगी, हमें भी तो चुदने दो.” सीमा की इस बेशर्म हरकत पर मीनल शरमा गई. “चुप कर सीमा, अम्मा को चुदाने दो, हम सिर्फ़ देखा करेंगे” सीमा ने झपट कर अपनी बड़ी बहन के उरोजों को हाथ लगाया और दबा कर देखा. “तो दीदी चुदाने के नाम से तेरे निपल क्यों कड़े हो गये, बिलकुल कंचे जैसे कड़क लग रहे हैं ?” मीनल और शरमा गयी और इधर उधर झांकने लगी. सुधा भाभी पड़े पड़े अपनी बेटियों की नोक झोंक देख कर हंस रही थी. मुझसे बोली “ठीक ही तो है, अनिल, बच्चियों को भी मजा मिलना चाहिये.”
मैंने कहा “इतनी प्यारी सुकुमार लड़कियां हैं भाभी, इन्हें तो मैं बड़े प्यार से रस ले लेकर भोगूंगा.” सीमा तो खुशी से उछल पड़ी “चलिये अंकल, पहले मुझे चोदिये” और अपने कपड़े उतरने लगी. भाभी ने उसे रोका और कहा “अभी नहीं बेटी, दिन है, कोई आ जायेगा तो तकलीफ़ होगी, बीच में ही कामकर्म बन्द करना पड़ेगा. सब लोग आराम कर लो, रात के खाने के बाद सब बड़े वाले कमरे में, जहां वह बड़ा पलन्ग है, मिलते हैं, फ़िर खूब प्यार करेंगे.”
Reply
06-17-2017, 12:20 PM,
#7
RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
लड़कियां अब इतनी गरम हो गई थीं कि मान ही नहीं रही थी. सीमा तो गुस्से में पैर पटक पटक कर रोने लगी. मैने बीच बचाव करते हुए कहा “भाभी, बड़ी तड़प रही हैं दोनों, ऐसे करते हैं कि मैं इन दोनों की जल्दी जल्दी चूत चूस देता हूं. ये भी झड़ जायेंगी और मुझे भी इन नन्ही कलियों का रस पीने मिल जायेगा.
भाभी ने हां कर दी. छोटी सीमा ज्यादा मस्ती में थी इसलिये मैने उससे शुरू किया. सीमा को चूमता हुआ मैं एक कुर्सी तक ले गया और उस पर बिठा कर बोला “सीमा बेटी, कपड़े निकालने का समय नहीं है, बस अपनी चड्डी उतार दो और आराम से पैर फ़ैला कर बैठ जाओ.” सीमा ने तपाक से अपनी स्कर्ट ऊपर की और चड्डी उतार दी. अपने पैर फ़ैला कर अपनी ही बुर को उंगली से सहलाते हुए वह बोली “हाय अनिल अंकल, रहा नहीं जाता, जल्दी मेरी बुर चूसिये ना प्लीज़”
मैने उसके सामने बैठ कर उसकी चिकनी जांघों में सिर घुसाया तो उस कमसिन बुर का नजारा देख कर मुंह में पानी भर आया. बड़ी छोटी छोटी रेशमी झांटें थीं और बुर की लाल लकीर बिलकुल गीली थी. मैने उंगलियों से बुर फ़ैलायी और उस जरा से नन्हे छेद पर मुंह जमा कर चूसने लगा. बड़ा मस्त मीठा रस था सीमा की बुर में. समय न होने से मैने ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की और सीधा अपनी जीभ से उस कोमल गुप्तांग को चाटता हुआ मैं कस के उस बच्ची की बुर चूसने लगा.
सीमा तो मानों पागल हो गयी. अपनी जांघें खोलने और बन्द करने लगी और मेरे सिर को पकड़कर धक्के मारते हुए वह सीत्कारने लगी. “ऊ ऽ मां ऽ, मर गयी मैं, कितना अच्छा लग रहा है, हाय अंकल चूसिये ना, और कस के चूसिये, मां ऽ ऽ, अंकल कैसा कर रहे हैं, मैं खुशी से मर जाऊंगी, उई मां ऽ ऽ मैं गयी ऽ ऽ” और वह किशोरी एकदम से झड़ गयी. सिसक सिसक कर वह अपनी बुर मेरे मुंह पर रगड़ती रही और मैने मन भर कर उस कुंवारी चूत का पानी पिया. आखिर जब वह लस्त हो गयी तब मैंने उसे छोड़ा और पीछे हट कर फ़र्श पर अपने होंठ चाटते हुए बैठ गया.

“चलो मीनल, अब तुंहारी बारी है.” भाभी ने आकर हाथ पकड़कर सीमा को उठाया जो जाकर हांफ़ते हुए पलन्ग पर लेट गयी और अपनी दीदी की बुर चूसने का तमाशा देखने लगी. मीनल चुप थी पर उसकी सांस जोर जोर से चल रही थी. अपनी जांघें वह कस कर एक दूसरे से रगड़ रही थी. मैं समझ गया कि लड़की झड़ने के करीब है. “भाभी, मीनल की चड्डी उतारिये और उसे यहां लाइये.” भाभी ने प्यार से उसे डांटा “अरे पगली, उतारती है अपनी चड्डी खुद या मै आऊं?” लज्जा से लाल अपने मुंह को झुका कर मीनल ने धीरे से अपनी सलवार नीचे की और चड्डी उतारी. फ़िर सलवार को अपने घुटनों में ही फ़ंसाये हुए वह चुपचाप आकर कुर्सी पर बैठ गयी.
मैं उसकी चूत पर टूट पड़ा. मीनल की चूत सीमा के बिलकुल विपरीत थी. खूब घनी काली झांटें थीं और सांवली जांघों पर और पिम्डलियों पर भी काफ़ी बाल थे. मैने झांटें बाजू में कीं तो उसके सांवले पपोटों के बीच गुलाबी बुर दिखी जिसमें से चिपचिपा घी जैसा पानी चू रहा था. महक बड़ी मतवाली थी. मैने देर न करते हुए अपने होंठ उस गरमागरम बुर पर जमाये और चूसने लगा. रस थोड़ा कसैला और खारा था पर बड़ा ही मादक था. मैने जीभ से रगड रगड़ कर बुर चूसना शुरू कर दिया.
मेरा अंदाजा ठीक निकला. मीनल अपनी छोटी बहन सीमा की चूत चुसती देख कर इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि एक मिनट भी न ठहर सकी और एक हल्की चीख के साथ ढेर हो गयी. बुर से मानो रस का फ़ुहारा छूट पड़ा और मैं उसे पीने में जुट गया. उधर अति आनन्द से मीनल रो पड़ी और भाभी ने आकर अपनी लाड़ली बेटी को बांहों में भर लिया और चूम चूम कर उसे सांत्वना देने लगीं. “बहुत अच्छा लगा ना बेटी? अब तो अनिल अंकल हम तीनों को ऐसा ही मजा देंगे.”
सीमा फ़िर चुसवाने की जिद करने लगी पर अब भाभी ने एक ना सुनी और उन्हें जाकर रात की तैयारी करने को कहा. भाभी की बात बड़ी मुश्किल से उन दोनों लड़कियों ने मानी, फ़िर हमें एक चुम्बन दे कर दोनों खुशी से अपने कमरे में भाग गयीं. भाभी ने पीछे से आवाज दे कर कहा. “नंगी नहीं चली आना, अच्छे कपड़े पहनकर आना, अनिल अंकल को भी तो तुंहारे कपड़े धीरे धीरे निकालने का मौका मिले. वो नई वाली ब्रेसियर और पैंटी पहन लेना बेटी”
रात का इम्तजार सबको था. जल्दी जल्दी खाना खाकर मां बेटियां तैयार होने को चले गये और सुधा भाभी ने मुझ से कहा कि आधे घम्टे में आऊम. मैने समझाया कि ज्यादा नटने की जरूरत नहीं है क्योंकि कपड़े तो उतारे ही जाने वाले हैं पर लड़कियों ने एक न मानी. मैं नहाकर सिर्फ़ जांघिया पहना हुआ जांघिये के इलास्टिक में हाथ डाल कर अपने खड़े लन्ड को सहलाता हुआ इम्तजार करने लगा. आधे घम्टे बाद मैं बड़े कमरे में दाखिल हुआ.
Reply
06-17-2017, 12:20 PM,
#8
RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
भाभी और उनकी दोनों कमसिन बेटियां सज धज कर मेरा इम्तजार कर रही थीं. मैं उन्हें देखता ही रह गया. भाभी ने काली साड़ी और काला ब्लाउज. पहना था. उनके गोरे अंग पर वह बड़ा फ़ब रहा था. काली पतली चोली में से सफ़ेद ब्रेसियर की झलक दिख रही थी. मीनल ने भी हल्के गुलाबी रंग की साड़ी और चोली पहनी थी. सादे रूप की वह जवान लड़की आज बड़ी आकर्षक लग रही थी. उसने गाढे लाल रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी जो उसके सांवले होंठों पर जामुनी दिख रही थी. मेकप से उसने अपने चेहरे के खुरदरे भाग को छिपाने की काफ़ी कोशिश की थी और बड़ी प्यारी लग रही थी. छोटी सीमा तो एक लाल मिनिस्कर्ट में थी. उसकी कमसिन चिकनी टांगें गजब ढा रही थीं.
मैने उन्हें बारी बारी से प्यार से चूमा. इतना मीठा चुम्बन मुझे शायद ही पहले कभी मिला हो. तीनों जोश में थीं और थोड़ा शरमा भी रही थीं. मेरे नंगे गठे बदन को और जांघिये में उठे तम्बू को वे ललचा कर देख रही थीं. “अंकल, चड्डी उतार के लन्ड दिखाइये ना.” छोटी ने फ़रमाइश की. मैने कहा “लन्ड अब काम के समय ही निकलेगा, तब तक वह और मस्त होकर मोटा होता जायेगा जिससे तीन चूतों को खुश कर सके.” फ़िर मैने भाभी से कहा “चलिये भाभी, अब कपड़े निकालने का समय आ गया है, पर ब्रेसियर और चड्डी अभी रहने देते हैं क्योंकि सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में लिपटी अर्धनग्न औरत जैसी मतवाली चीज़ और कोई नहीं है.”
लड़कियों का हौसला बढाने के लिये पहले मैने उनकी मां को नंगा करना शुरू किया. भाभी को बांहों में लेकर चूमता हुआ मैं उनके कपड़े उतारने लगा. जल्दी ही भाभी सिर्फ़ अपने सफ़ेद ब्रेसियर और पैंटी में मेरे सामने थीं. मैने उनकी चूचियां ब्रा के ऊपर से ही दबायीं और तब तक दबाता रहा जब तक मस्ती से उनके मुंह से एक आह न निकल गयी.
फ़िर मैं मीनल की ओर मुड़ा. वह बेहद शरमा रही थी. उसे मैने खूब चूमा और बांहों में उसके छरहरे शरीर को भींच लिया. साड़ी और चोली निकालने के बाद मैने उसे हाथ भर दूर किया और उसका रूप देखने लगा. दुबली पतली सांवली काया एकदम सफ़ेद ब्रेसियर और पैंटी में बड़ी मस्त लग रही थी. छोटे पर कड़े तन्ना कर खड़े उरोज ब्रा के कपोम में दो नुकीले शम्कु बन गये थे. “मीनल रनी, तुझे तो चबा चबा कर खा जाने को जी करता है” मैने कहा तो वह आनन्द और लाज से बगलेम झांकने लगी.
अम्त में मैं नन्ही सीमा के पास आया. सीधा उसका स्कर्ट उठा कर मैने उसकी छोटी सफ़ेद पैंटी को देखा. उसकी कमसिन बुर चड्डी में से ही फ़ूली फ़ूली और बड़ी रसीली लग रही थी. सीमा बिल्कुल नहीं शरमायी बल्कि खुद ही अधीर हो कर उसने अपने हाथ उठा दिये जिससे मैं उसका स्कर्ट खींच कर आसानी से सिर में से निकाल सकूम.
उसे अधनंगा करके मैं उसकी कच्ची जवानी को भूखी नजरों से देखता रहा और फ़िर उसे जोर से चूमकर भाभी को बोला. “ये बच्ची सबसे चुदक्कड़ है भाभी, आपका खूब नाम रोशन करेगी” एक सफ़ेद लेस की ब्रेसियर में कसे सीमा के उरोज अभी छोटे थे पर फ़िर भी मीनल से बड़े थे. “भाभी, इस उम्र में ऐसी चूचियां हैं सीमा की, बड़ी होने तक तो मस्त मोटे पपीते हो जायेंगे आप से भी बड़े”
सीमा को बाहों में भर कर चूमते हुए मैने भाभी से कहा. “भाभी, अब जोड़ियां बनाकर आधा घम्टे तक सिर्फ़ अपने साथी को गोद में बिठा कर प्यार करेंगे. देखिये क्या मजा आयेगा इन जवान कलियों को बांहों में भरकर, उनके मीठे मुखरस का पान करके और उनके कसे जवान शरीर को मसल कर. आप मीनल को गोद में लेकर उस कुर्सी मैं बैठ जाइये और मैं सीमा को यहां खिलाता हूं.”

सीमा को गोद में लेकर मैं बैठ गया और उसे लन्ड पर बिठा लिया. सामने आइने में उस कमसिन गुड़िया का ब्रेसियर और पैंटी में कसा मादक शरीर मेरी बाहों में देखकर मेरा लन्ड और खड़ा हो गया और सीमा को आराम से साइकिल के डम्डे जैसा संहालता हुआ ऊपर नीचे होने लगा. सीमा ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दीं और अपना गुलाब जैसा मुंह आधा खोलकर मेरी तरफ़ बढा दिया जैसे कि कह रही हो कि लीजिये अंकल, चूमिये इस रसीली चीज़ को.
मैं उस कोमल मुंह को अपने होठों में दबाकर मिठाई जैसा चूसने लगा. अपने हाथों में मैने ब्रेसियर के कपोम में ढके हुए उन कमसिन उरोजोम को पकड़ा और दबाते हुए मसल मसल कर उनका मजा मेने लगा. ऐसा लग रहा था कि अभी सीमा को पकड़ कर उसे पटक कर उसपर चढ जाऊम और चोद डालूम या गांड मार लूम. पर यही स्वर्गिक सुख तो मुझे घम्टे भर भोगना था इसलिये सीमा को बेतहाशा चूमता हुआ और बाहों में मसलता हुआ उसकी कमसिन जवानी का मजा मैं लेने लगा.
उधर भाभी की और देखा तो एक और स्वर्गिक द्रुश्य दिखा. अर्धनग्न भाभी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पहने हुए कुर्सी पर बैठी थी और अपनी लाड़ली बेटी मीनल को गोद में बिठा कर उसके बड़े प्यार से चुम्बन ले रही थी. मीनल का सांवला छरहरा शरीर कस कर बांधी हुई ब्रेसियर में और सफ़ेद टाइट पैंटी में बड़ा मोहक लग रहा था. मीनल अभी भी शरमा रही थी पर उसके चेहरे पर एक मादक प्यास झलक रही थी. कुछ ही देर में उसने अपनी बांहें अपनी मां के गले में डाल दीं और चुम्बनों का प्रतिसाद देने लगी.
मैने भाभी को कहा. “क्यों भाभी, मजा आ रहा है ना अपनी बेटी की जवानी का स्वाद लेते हुए? अब ऐसा कीजिये कि अपनी जीभ मीनल को चूसने दीजिये और खुद उसकी रसीली जीभ चूसिये. और जरा देखिये उस जवान लड़की के कसे मम्मे कैसे मस्त तने हैं उस ब्रेसियर में भिच कर. और चूचुक भी खड़े हो गये हैं. जरा इन कपों को प्यार से मसलिये, धीरे नहीं, जोर लगा कर जैसे आप आटा गूंधती हैं, देखिये कैसे हुमकती है यह चिड़िया.”
भाभी ने अब अपनी बेटी की चूचियां दबाते हुए उसके मुंह का चुम्बन लेते हुए उसका पूरा भोग करना शुरू कर दिया. मीनल अपने बन्द मुंह से सिसकने लगी. उसे यह मस्ती सहन नहीं हो रही थी. जब वह अपनी जांघें रगड़ने लगी तो भाभी ने बड़े वात्सल्य से एक हाथ उसकी चूची पर से हटाया और चड्डी के ऊपर से ही उसकी बुर रगड़ने लगी. भाभी ने उसे इतना मस्त रगड़ा कि हल्की दबी चीख के साथ मीनल झड़ गई और अपनी मां को चूमती हुई उससे बुरी तरह चिपट गयी.
Reply
06-17-2017, 12:20 PM,
#9
RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
“शाबास भाभी” मैने उनकी दाद दी. “खूब मुठ्ठ मारिये अपनी बेटी की क्योंकि इतनी मेहनत के बाद इनकी बुर से रस निकाला है, अब यह रस बन्द नहीं होना चाहिये. यह रिसता अंऋत भी हमें ही चखना है. बड़ी बेटी का रस निकालना तो अपने शुरू कर दिया, अब मै इस छोटी बच्ची की चूत को मस्त करता हूं”

और मैने अपने हाथों में लेकर उस मांसल फ़ूली बुर को चड्डी के ऊपर से ही मसलना और उंगली से उसकी चीर रगड़ना शुरू कर दिया. सीमा मस्ती से हुमकी तो मैने उसकी जीभ अपने मुंह में खींच ली और फ़िर हाथ उसकी पैंटी की इलास्टिक में से अन्दर डाल उंगली से उसकी मुठ्ठ मारने लगा. बड़ी मुलायम गीली बुर थी और जरा सा मक्के के दाने जैसा कड़ा चिकना क्लिटोरिस भी मेरी फ़िरती उंगली को महसूस हो रहा था.
मैने उस हीरे को मस्त हौले हौले सहलाया तो मचल मचल कर सीमा मेरी गोद में उछलने लगी और हाथ पैर पटकने लगी. मैने उसे जकड़े रखा और उसका मुंह चूसता रहा. मैं तब तक सीमा की बुर मसलता रहा जब तक वह किशोरी भी मेरी बांहों में ढेर न हो गयी. मुंह मेरे होंठों में दबा होने से वह एक जरा सी चीं के अलावा कोई आवाज भी नहीं निकाल पायी.
मैने भाभी से कहा “चलिये भाभी, दोनों चूतें अब रस छोड़ने के लिये तैयार हैं, इनकी चड्डी निकाल कर एक बार और झड़ाते हैं और फ़िर हमारे लिये इस रस का खजाना तैयार है. आप भी चूसिये और मैं भी पीता हूं. कुछ देर बाद चूतें बदल कर चूस लेंगे.”
गरमायी हुई भाभी ने तत्काल मीनल की चड्डी खींच कर निकाल दी. आंखें भर के वे अपनी बेटी की नंगी चूत को देखती रहीं और फ़िर सीधा अपनी उंगली उसकी बुर की गहरी लकीर में चलाती हुए उसे उंगली से चोदने लगीं. “अनिल, तूने बिलकुल सही कहा था. मां बेटी की रतिक्रीड़ा से बढ कर मादक और कुछ नहीं हो सकता.” मीनल अब पूरी तरह से उत्तेजित होकर कसमसा रही थी. “मां, बहुत अच्छा लगता है. और करो ना मां.”
मैं भी अब सीमा की चड्डी उतार चुका था. उस कोमल फ़ूली हुई कुंवारी मासूम बुर को जब मैने पास से देखा तो दीवाना हो गया. बुर पर बस छोटे छोटे रेशमी बाल थे और गहरी लकीर में से मानों शहद चू रहा था. मैने उस लकीर में उंगली डाल दी और उस चिपचिपे छेद को प्यार से रगड़ कर उसमें से और रस निकालने लगा.
“हा ऽ य ऽ अनिल अंकल, आप कितना अच्छा करते हैं, इतना मजा तो मुझे खुद करने में भी नहीं आता है.” “तो हमारी प्यारी गुड़िया रोज अपनी ही उंगली से हस्तमैथुन करती है, शाब्बास, बड़ी हो गयी है अब, बच्ची नहीं रही.” मैने कहा.
अपने चूतड़ उचका कर मेरी उंगली का दबाव बढाने की भरसक कोशिश करते हुए सीमा आगे चहकी. “हां अंकल, दीदी भी तो रोज मुट्ठ मारती है, मेरे पास वाले पलन्ग पर सोती है ना, मुझे सब सुनाई देता है.”

उंगली पर लगा रस मैने चख कर देखा तो मजा आ गया. अब मुझसे न रहा गया. उठ कर सीमा को मैने कुर्सी में बिठाया और खुद उसके सांअने उसकी टांगों को फ़ैला कर उनके बीच में बैठ गया. फ़िर सीधा की बुर पर मुंह जमा कर चूसने लगा. उस कुम्वारे रस की बात ही और थी. पूरा गाढा मेवा था. सीमा भी चहक चहक कर मेरे सिर को पकड़कर आगे पीछे होती हुई मेरे मुंह को ही चोदने लगी. “दीदी, इतना मजा आ रहा है बुर चुसवाने मेम, तू भी मां से चुसवा ले, मम्मी, दीदी की बुर चूसो ना जैसे अंकल मेरी चूस रहे हैं.”
भाभी ने उठकर मीनल को कुर्सी में बिठाया और उसकी सांवली टांगेम फ़ैलाकर मीनल की चूत चूसने लगी. भाभी के चूसने की आवाज ऐसी आ रही थी जैसे कोई आंअ चूस रहा हो. मीनल अपने सिर को इधर उधर हिलाते हुए छटपटाने लगी, उसे यह कांअसुख सहन नहीं हो रहा था. “उई ऽ मां, ओ ऽ मां ऽ” के सिवाय वह कुछ नहीं कह पा रही थी.
दस मिनट तक हम दोनों ने भरपूर अपने अपने शिकार को भोगा और मन लगा कर रसपान किया. सीमा जब चुसवा चुसवा कर लस्त हो गयी और चिल्लाने लगी “बस अंकल, अब छोड़िये, अब नहीं सहन होता” तब उठ कर मैं भाभी के पास गया और उन्हें भी उठाया. भाभी अपनी बड़ी बेटी की बुर चूसने में इतनी मस्त थीं कि मुझे उन्हें जबरदस्ती उठाना पड़ा. मीनल भी अभी तक मस्त थी और कई बार झड़ने के बावजूद अभी भी चुसवाने को तैयार थी. “मां, और चूसो ना, अभी मत जाओ” वह याचना करने लगी.
मैने उसकी काली चिकनी दुबली पतली टांगों के बीच स्थान लेते हुए कहा. “मीनल रानी, तड़पो मत, मैं हूं ना, देख ऐसा चूसता हूं कि सारा रस निचोड़ लूंगा तेरी गीली बुर से” और मैं अब मीनल की रसीली बुर चूसने लगा. नया स्वाद, नई छोकरी, नई बुर, मजे का क्या कहना. मैने सीधे अपनी जीभ मीनल की सकरी कुम्वारी चूत में घुसेड़ी और चोदते हुए चूसने लगा. मीनल ने आवेश में आकर अपनी छरहरी टांगेम मेरे सिर के इर्द गिर्द कस लीं और एक चीख के साथ ढेर हो गयी. ” आ ऽ ई ऽ मां ऽ, मर गयी मैम” मैं उसके सिसकने की परवाह न करके चूसता रहा.
उधर भाभी ने जाकर पहले अपनी छोटी बेटी का प्यार से चुम्बन लिया और उसके कमसिन स्तन मसलने लगी. सीमा खुश थी “हाय मां, अंकल ने इतना चूसा कि सारा रस निकाल दिया, लगता है कि अब चूत में जान ही नहीं है.”
भाभी ने उसकी जांघों के बीच बैठते हुए कहा “ऐसा नहीं कहते बेटी, अभी तो तेरी मां ने तेरा एक बूम्द रस भी नहीं पिया, अभी से तू ढेर हो गयी? अभी तो मुझे अपनी बुर का रस पिलाना है तुझे” और वह सीमा की बुर धीरे धीरे चाटने लगी. जब जब उसकी जीभ उस कमसिन कली के क्लिटोरिस पर से गुजरती, सीमा चिहुक जाती “मम्मी, मत करो ना, रहा नहीं जाता” पर भाभी ने एक न सुनी और चाटती रही. धीरे धीरे सीमा फ़िर गरमायी और हचक हचक कर अपनी मां के मुंह पर धक्के मारने लगी. भाभी ने समझ लिया कि लड़की फ़िर गरमा गयी है और अपना मुंह लगा कर सीमा की बुर का रस पान चालू कर दिया.
आधे घम्टे बाद दोनों लड़कियां लस्त होकर कराहती हुई कुर्सी में टिक कर चुपचाप पड़ी थीं. मैने और भाभी ने चूस चूस कर उनकी जवान बुरेम खाली कर दी थीं. वे करीब करीब बेहोश हो गयी थीं और पड़ी पड़ी सिसक रही थीं. उनके चेहरे पर तृप्ति के इतने सुखद भाव थे जैसे स्वर्ग पहुम्च गयी होम. मैं और भाभी उठ खड़े हुए. हम भी अब पूरी तरह से कांआतुर थे. इतनी देर दो जवान छोकरियों को बिना खुद स्खलित हुए भोगने के बाद हमारी वासना का अम्त ही नहीं था. भाभी तो कांअज्वर से ऐसे तड़प रही थीं जैसे पानी से निकाली मछली.
मैने भाभी को बाहों में लेकर चूमा और उनकी जांघों के बीच हाथ लगाकर टटोला. चड्डी बिल्कुल गीली थी और भाभी की बुर बुरी तरह से चू रही थी. भाभी ने एक मूक प्रार्थना भरी दृष्टि से मेरी ओर देखा. मैं समझ गया “आइये भाभी, आपकी चुदासी की प्यास दूर कर देता हूं और अपनी रस की प्यास भी बुझा लेता हूं”.
Reply
06-17-2017, 12:20 PM,
#10
RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
मैं पलन्ग पर लेट गया और भाभी को अपने ऊपर सुला कर उन्हें खूब चूमा. फ़िर भाभी को बोला “भाभी, अब आप मेरे मुंह पर बैठ कर मेरी जीभ को चोद लीजिये, आप भी झड़ जायेंगी और मुझे भी आपकी पकी हुई रसीली बुर का पानी मिल जायेगा” भाभी ने कांपते हाथों से पैंटी उतारी और मेरे मुंह पर बैठ गयीं. उनकी घनी झांटोम ने मेरे मुंह को ढक लिया और उनकी गीली चूत मानों मेरे खुले होंठों को प्यार से चूमने लगी.
मैने चूत चूसना शुरू किया और उसे अपनी जीभ से भी चोदने लगा. सुधा भाभी भी उछल उछल कर मेरे मुंह को चोदने लगीं. भाभी बहुत देर से मस्त थीं इसलिये पांच ही मिनट में एक सिसकी के साथ झड़ गयीं और मुझे पीने को मानों चिपचिपे गाढे पके हुए रस का खजाना मिल गया. “हाय अनिल भैया, आज तो इतना मजा आ रहा है कि पूछो मत, सच मेरी प्यारी बेटियों का चूत रस तो मानों अमृत है जिसे पीने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि मैं दिन रात चुदाई कर सकती हूं.” भाभी ने मेरे मुंह में स्खलित होते होते सिसकारियां लेते हुए कहा.

पूरा बुर का पानी पिलाने के बाद भाभी उठीं तो मैने उन्हें कहा. “भाभीजी, अब आपको चोदने का मन कर रहा है” भाभी ने मेरा चुम्बन लेते हुए कहा “मुझे चोदोगे या पहले बच्चियों की लोगे?” मैने कहा “चोदना तो मुझे तीनों चूतों को है पर लन्ड इतना मोटा हो गया है कि बच्चियां रो पड़ेंगी. इसलिये आपका मस्त भोसड़ा पहले चोदूंगा, फ़िर मीनल की चूत भोगूंगा और एकदम आखिर में इस नन्ही कली की बुर का मजा लूंगा”
भाभी पलन्ग पर लेटने लगीं तो मैने कहा “ऐसे नहीं भाभी, आप ही चोदिये, मैं ऐसा ही पड़ा रहता हूं, मेरे लन्ड पर बैठ जाइये और प्यार से चोदिये जैसा आपका मन करे”
भाभी जोश में थी हीं, झट से मुझपर चढ गयीं और मेरा लन्ड अपनी बुर में घुसेड़ कर चोदने लगीं. उनके ऊपर नीचे होने से उनकी घनी झांटेम बार बार मेरे पेट पर टिक जाती थीं. लेटे लेटे नीचे से उनके उछलते हुए मम्मे भी मुझे बड़े प्यारे लग रहे थे. मैने हाथ बढाकर उन्हें मसलना शुरू जर दिया.
भाभी अब ताव में आकर मुझे बेतहाशा चोदने लगीं. एक बार झड़ीं और कुछ देर लस्त होकर मेरे ऊपर लेट गईं और मुझे चूमने लगीं. मैं झड़ने के करीब था पर ऐसे ही पड़े पड़े चुदना चाहता था ताकि अपना सारा जोश उन बच्चियों के लिये बचा कर रखूम. मैने पुचकार पुचकार कर भाभी को तैयार किया और दम लेने के बाद वे फ़िर मेरे ऊपर बैठ गयीं और चोदने लगीं. इस बार उन्होंने ऐसा मस्त चोदा कि मुझे झड़ाकर ही रुकीं.
झड़ते ही मैने उन्हें दबोच कर पलट कर अपने नीचे कर लिया जिससे वीर्य बाहर न निकल आये. फ़िर सीमा और मीनल को बुलाया. “आओ बच्चियों, तुम्हरे लिये एक मस्त स्नैक तैयार है” दोनों अब तक संहल चुकी थी और बड़े उत्सुकता से हमारी चुदाई देख रही थीं. सीमा पहले आई और उसे मैने अपना लन्ड चूसने को दे दिया “ले मेरी गुड़िया, लौड़ा चूस, इसमें तुझे तेरी मां की चूत का भी रस लगा मिलेगा” वह खुशी खुशी लन्ड चूसने लगी.
तब तक शरमाती हुई मीनल भी आ पहुंची थी. उसे भाभी ने प्यार से बाहों में भर लिया और फ़िर अपनी जांघें खोल कर मीनल का सिर उनमें घुसेड़ लिया. सीमा के मुंह में अपनी चूत देते हुए भाभी बोलीं “बेटी, पूरा चूस ले, अंकल का रस भी है और मेरा भी, खास मेरी प्यारी बेटी के लिये अमृत बनाया है.”
जब तक दोनों लड़कियां रस चूस रही थीं तब तक भाभी और मैं बातें करके आगे का प्लान बनाने लगे. “अनिल, मैने काफ़ी चुदा लिया, अब बस इन बच्चियों को चोदो, रात भर इनकी बुर मारो, आज बिल्कुल खुल जाना चाहिये क्योंकि कल से इनकी चुदाई जरा कम करना”
मैं समझ रहा था और सहमत था “हां भाभी, इन प्यारी कुम्वारी चूतों को ज्यादा चोद कर फ़ुकला करके कोई फ़ायदा नहीं, आखिर इनकी शादी भी करनी है. मैं तो बस हफ़्ते में दो तीन बार इन्हें चोदूंगा, बाकी समय आपको ही चुदना पड़ेगा” सुनकर सीमा मचल उठी. “अम्मा, अंकल हमें नहीं चोदेंगे तो हम क्या करेंगे?” मैने उन्हें समझाया कि मैं और भाभी मिलकर रोज उनकी बुर चूसा करेंगे तब वह कुछ शांत हुई.

मैं असल में अब उन सब की गांड मारना शुरू करना चाहता था, खास कर बच्चियों की कसी हुई जवान गांड, पर मुझे मालूम था कि भाभी आसानी से नहीं मानेंगी. उन्हें मनाने का भी एक मस्त गम्दा पर बड़ा कांउक नुस्खा मैने सोच लिया था. पर मैने निश्चय किया कि मौका देखकर ही आजमाऊंगा, आज तो बच्चियों को चोदना था.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,302,232 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,502 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,152,029 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 872,547 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,543,444 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,987,819 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,798,532 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,522,462 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,827,895 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,384 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)