Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
06-13-2017, 11:35 AM,
#11
RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
रानी ने बेझिझक अपने हाथेलियो से रंगा की गोटियों को मसालने लगी.

- धीरे-धीरे, रानी, बहुत नाज़ुक है. आराम से मींजो ज़रा.

रानी हौले-हौले गोटियाँ मीसने लगी.

इस प्रक्रिया में रंगा को अत्यधिक आनंद आ रहा था. गोटियों के मीसने से खुद-बा-खुद उसके चेहरे पे एक नशीली मुस्कान थिरकने लगी. उसने रानी कर सर पीछे से थाम रखा था. 1-2 मिनिट में उसका नशा बढ़ने लगा तो उसने अपना लंड रानी के मूह में 5“ धकेल दिया और धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी.

रानी का फिर से बुररा हाल होने लगा और उसके गाले से गू...गूओ आवाज़ आने लगी. गाल आँसुओं से तर-बतर हो गये.

5 मिनट बाद रंगा का बाँध टूट गया और रानी के मूह में गरम वीर्य का सैलाब आ गया.

इस गर्माहट में यूँ लग रहा था जैसे उसका पूरा अस्तित्वा बह जाएगा. पर फिर भी अपने देवताओं में आस्था ने उसे हिम्मत दी और उसने एक बूँद भी बाहर गिरने ना दिया. आख़िर में उसने जीभ से होठ चाटकर बाकी वीर्य भी ग्रहण कर लिया.

सब होने के बाद दोनो रानी के आजू-बाजू बैठ गये और प्रशानशा भरे स्वर में बोले – वाह गुड़िया!! तू तो सबसे अच्छी पुजारीन है. इतना प्रसाद तो शायद ही किसी भक्त को मिला होगा. याद रखना जितना ज़्यादा प्रसाद निकलॉगी और पीयोगी उतना तुम्हारा रंग निखरेगा, तंदुरुस्त रहोगी, बाल मजबूत रहेंगे और चेहरे पे तेज रहेगा.

दोनो रानी के लंड चूसने से अती प्रसन्न थे. रंगा बोला – तुमने हमको बहुत प्रसन्न किया है तो अब हम तुमको इनाम देंगे.

उन्होने सोच रखा था की अब वो इस नन्ही कली को फूल बना देंगे, पर रानी ने उन्हे इतना खुश कर दिया था की उन्होने सोचा दर्द देने के पहले थोड़ा रानी को और मीठा सुख दे देते हैं.

ये कहते हुए उसने रानी को बिस्तर पर लिटा दिया. अब जग्गा रानी के पावं के तरफ आया और घुटनों से मोडते हुए फैला दिया. इतने में रंगा ने अपने जलते होठ रानी के नरम-नाज़ुक रसीले होठों पे रख दिए. वो रानी के मूह में अपनी जीभ धकेलकर गोल-गोल घुमाने लगा. उसकी ये क्रीड़ा रानी को अच्छी लगी और वो भी जवाब में अपनी जीभ से रंगा के जीभ को चाटने लगी.

रानी के मूह से गुलाब जल और वीर्या की मिली-जुली टेस्ट आ रही थी जो रंगा जी भर कर चूस चाट कर पी रहा था. पर इन सब में रानी को रंगा की घनी मूछों की वजह से चेहरे पर गुदगुदी भी हो रही थी जो सारे क्रीड़ा को और आनंदमयी बना रहा था.

जग्गा ने रानी के घाघरा को कमर तक उपर उठा दिया. जांघों पर ठंडी लहर महसूस कर रानी ने कनखियों से नीचे देखा तो पाया की जग्गा उसके अनछुई चूत के करीब अपने सर घुसाए अधलेटा था. इतने में ही जग्गा की गरम लपलपाति जीभ का एहसास उसे अपने चूत पर हुआ. ठंडी कपकपि से उसका पूरा वजूद हिल गया और रंगा के साथ चुंबन क्रीड़ा थम गयी. रंगा समझ गया और फिर उसने रानी के लबों से अपने होठ हटा दिए ताकि रानी अपनी चूत के साथ होते कलापों को देख सके. अब उसने उसके गर्दन, कान के लाओं, और वाक्स पर चूमना-चाटना शुरू कर दिया.

इधर जग्गा ने पहले चुंबन के बाद रानी की चूत को गौर से निहारा जो किसी नवजात बच्चे के होठों जैसी गुलाबी और फूलों की पंखुड़ी जैसी नाज़ुक दिख रही थी.

कुँवारी होने की वजह से रानी की चूत का दाना (पेशाब की नली) भी नही दिखता था. झाट बिल्कुल नाम मात्र की.

जग्गा ने हौले से दोनो हाथ के अंगूठे से रानी की चूत के फाकों को हल्का सा फैलाया तो दाना दिखने लगा. फिर उसने अपनी लार टपका कर जीभ उस दाने पर रख कर चुभलने लगा.

रानी के पूरे बदन में एक तररतराहट हुई और उसके रोंगटे खड़े हो गये.

1-2 मिनट के बाद जग्गा ने रानी की गहराई नापने की सोची और अपने दाये हाथ की मिड्ल उंगली में लार लगाई और फिर से फाकों को फैलाते हुए चूत के द्वार पर रखा और धीरे से अंदर घुसाने लगा.

अचानक इस क्रीड़ा से रानी को दर्द का आभास हुआ और वो हल्की सी चीक्ख पड़ी. जग्गा समझ गया शायद उसने रानी की झिल्ली टच कर दी है. उसकी उंगली मुस्किल से 2-3“ अंदर ही घुसी होगी. उसने रानी की सील लंड से ही तोड़ने का सोच कर उंगली बाहर निकाल ली और थोड़ा और थूक लगाकर 2“ पेलने लगा.

रानी को अती आनंद आ रहा था. वो कमसिन जवानी आने वाले दर्दनाक पलों से अंजान ये सोचकर आंदोलित थी की क्या यही आनंद का चरम है या अभी और भी कुछ बाकी है.

जग्गा का चूत चूसना और रंगा के चूसने-चाटने से रानी का चेहरा और छाती तो लाल हो ही गया था पर कचौरी जैसी फूली चूत भी सनसना गयी थी.

जग्गा कभी उसके दाने को जीभ से चाट रहा था तो कभी चूत में जीभ डालकर आग लगा रहा था. उंगलियों के पेलने से तो मानो अंदर तूफान सा आ रहा था.

10 मिनट में रानी को लगा उसके बदन की सारी एनर्जी उसकी चूत में आ गयी है और एक बाढ़ (फ्लड) बनकर बाहर निकल जाना चाहती है.

इस अनुभव से अंजान उसके बदन ने एक झटका लिया और सचमुच सारे बाँध तोड़ दिए. जग्गा को रानी के गीलेपन का अहसास अपनी उंगलियों पर हुआ.

अपना सारा रस निकालने के बाद रानी बेड पर निढाल पड़ी रही. करीब 5 मिनट रंगा-जग्गा ने भी उसे डिस्टर्ब नही किया और उस बीच रंगा ने बाहर से कुछ बूटी लाकर बेड के बाजू मैं मेज पर रख दी.

दोस्तो अभी तो शुरू आत है अगले पार्ट मैं रानी की कमसिन चूत और रंगा और जग्गा के 10" लंबे लंड क्या क्या गुल खिलाते है तो दोस्तो फिर मिलेंगे अगले पार्ट मैं रानी की पहली चुदाई के साथ तब तक के लिए विदा आपको कहानी कैसी लगी बताना मत भूलना आपका दोस्त राज शर्मा
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06-13-2017, 11:37 AM,
#12
RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
कलयुग की द्रौपदी--3

( गतान्क से आगे)

हेल्लो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा कलयुग की द्रौपदी का पार्ट--3 लेकर आपकी अदालत मैं हाजिर हूँ .ओर आशा करता हूँ कि पहले दोनों पार्ट की तरह आपको ये पार्ट भी पसंद आएगा .दोस्तो कहानी के बारे मैं अपनी राय ज़रूर दें . आप लोगो की राय मिलने मेरा उत्साह बढ़ जाता है . ओर मैं ओर जोश के साथ आपके लिए कहानियाँ लिखता हूँ. अभी तक आपने पढ़ा था कैसे रंगा और जग्गा कमसिन कली रानी को उठा लाए थे ओर किस तरह उन्होने मासूम रानी को शादी के सपने दिखाकर झूठ मूठ की शादी करके उसके यौवन का रस पान करने के लिए बेताब हो रहे थे . अब आगे --------

मस्ती और थकान से निढाल रानी 5 मिनट बाद उठके बैठी तो देखा उसका घांघरा कमर तक उठा हुआ था और बदन पर गहनों को छ्चोड़ कुछ भी नही था. अपनी इस अवस्था को भाप रानी शरम से लाल हो गयी और घान्घरे को नीचे तक सरका अपनी चूचियों को हाथों से ढक लिया.

ये देख रंगा हँसते हुए बोला – अभी भी शरमावत है गुड़िया रानी!! अब तो बस आखरी काम बाकी है – तुमको पूरा जवान करने का काम!

ये कहते हुए दोनो बिस्तर पे आ गये और रानी के हाथों को छाती पर से हटके उसे लिटा दिया.

जग्गा ने फिर से रानी के पैर घुटनो से मॉड्कर अपने घुटनों के बल चलता हुआ जांगों के बीच आ गया. रानी ने उसे ऐसा करता देख आने वाले ख़तरे को भापके सहम गयी. माला की सिखाई हुई बातें उसे फिर याद आने लगी और वो जग्गा के मोटे-लंबे लंड को भयभीत नज़रों से देखते हुए सोचने लगी की ये तो उसके कलाई जितना मोटा है कैसे उसके नन्ही सी चूत में समा पाएगा????

इन्ही ख़यालों में खोई हुई थी जब जग्गा ने डब्बी से वॅसलीन निकाला और अपने लंड पे ढेर सारा लगा लिया और अपने दाए हाथ से लंड पकड़कर सूपड़ा रानी के चूत पर रखके सहलाने लगा.

रानी डारी हुई थी पर इस घर्षण से वो फिर से मस्त हो गयी. जग्गा ने दूसरे हाथ की दो उंगलियों से चूत के फाकों को फैलाया और सूपड़ा हल्के दबाव से उसके चूत में ½ “ घुसा दिया. रानी को अभी कुछ ख़ास एहसास नही हुआ.

रंगा ने रानी के सर के तरफ से आकर जग्गा की तरफ फेस कर अपना लंड रानी के मूह में घुसेड दिया. इतने में लंड निशाने पे रख जग्गा ने 1“ और घुसेड दिया.

इस बार रानी को गहरे दर्द का आभास हुआ पर मूह लंड से भरा होने से घुटि-घुटि चीख निकली.

जग्गा ने उतने पे ही रुक कर 1 ½ “ लंड हौले-हौले पेलने लगा.

रानी का दर्द कुछ कम हुआ ही था की 2 मिनट बाद उसने एक करारा झटका दिया और लंड सारी अड़चने पार करता हुआ 5” अंदर समा गया. फ़चक की आवाज़ के साथ रानी की चूत ने खून का कुल्ला किया और लंड के साइड से रीसने लगा. झिल्ली फॅट ते ही रानी की घुटि चीख फिर निकली. तभी रंगा ने लंड मूह से निकाल लिया और रानी की दर्द भरी चीखें उस कमरे में गूंजने लगी.

निका…..काल लीजिए प्लीईईईईईसए हम मर जाएँगे आ.आ.आ…………….आ.आआआ.

फॅट गया मेरा बूर.............प्लीईईईईईसए.

रो-रोकर रानी का बुरा हाल था और दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था.

जग्गा बोला – रोवे से कोई फाय्दा नही है गुड़िया, ई तो होना ही था. 5 मिनट में सब ठीक हो जाएगा और तुमको आनंद आएगा.

रानी बकरी जैसी मिमियाते हुए बोली – हम मर जाएँगे. प्लीज़ निकाल लीजिए.

जग्गा ने उसकी बात अनसुनी कर रानी की दोनो जंघें अपने हाथ से थामकर लंड 4” बाहर निकाला और हौले-हौले 5” तक पेलता रहा. रानी दर्द से बिलबिला रही थी और मूह से ऐसी आवाज़ें आ रही थी जैसे बकरे के गर्देन पर कसाई के चाकू के रेतने पर निकलती है.

2 मिनट बाद जग्गा के हल्के धक्कों से रानी थोडा सामानया हुई पर दर्द अभी भी था.

रंगा अभी भी रुका हुआ था. तब जग्गा एक सेकेंड के लिए ठीठका और फिर एक और जोरदार धक्का दिया. रानी की आँखें बाहर की तरफ उबल पड़ी. उसका मूह खुला का खुला रह गया पर आवाज़ ना निकल पाई.

इस बार करीब 9” अंदर पैठ चुका था जग्गा का लंड. रानी के खुले मुँह में झट से रंगा ने अपना लंड घुसा दिया. अब रानी सिर्फ़ अंदर से दर्द महसूस कर रोती जा रही थी. 5 सेकेंड के पॉज़ के बाद जग्गा ने धीरे-धीरे 9“ पेलने लगा. रानी को ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसे पैरों के बीच से दो टुकड़ों में काट रहा हो. रंगा के टटटे रानी के नाक पर चोट कर रहे थे जिससे उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी. पर शायद उसके देवता यही चाहते थे.

5 मिनट धीरे पेलने के बाद जग्गा ने महसूस किया की रानी का रोना अब गरम आहों में बदल गया था. तब उसने पेलने की रफ़्तार बढ़ा दी और उसका खून से रंगा लंड रानी के घायल चूत में रेल केइंजन के पिस्टन जैसे अंदर-बाहर करने लगा.

गहरा दर्द अब हल्का मीठा सा लगने लगा था रानी को परजब भी जग्गा का लंड 10” अंदर जाकर उसके गर्भ तक चोट करता तो रानी का बदन झटके लेता था.

रानी ने अब अपनी टाँगें जग्गा के कमर पर लपेटने की कोशिश की जो उसके विशालकाय जिस्म को लपेट भी नही पा रही थी.

कुछ ही समय में रानी ने अपनी कमर उचकाके जग्गा के धक्कों का साथ देने लगी.

पूरे कमरा मैं रानी के पायल की छमछमाहट भर गयी थी. रंगा-जग्गा-रानी की गरम साँसें और चूत पे पड़ रहे लंड की थपथपाहट से रूम गूँज उठा.

उन दोनो सांड जैसे विशालकाय दानवों के बीच में रानी जैसे 4.5’ की नन्ही-मुन्नी गुड़िया पीसती जा रही थी. दूर से कोई देखे तो रानी की जग्गा के जांगों के मुक़ाबले नन्ही टाँगें ही नज़र आ रही थी. मूह तो रंगा के लंड से ढका था और बाकी पूरा जिस्म जग्गा से.
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06-13-2017, 11:37 AM,
#13
RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
जग्गा अब रानी पर थोडा झुक गया और उसकी घुंडीयों को मसल्ने लगा. रानी का मीठा दर्द और बढ़ गया और उसे फिर से एक बाँध के टूटने का एहसास हुआ.

यही समय था जब जग्गा ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और फिर एक झटके साथ अपनी कमर रानी की चूत पर चिपकाते हुए अंदर एक लंबी वीर्या की पिचकारी छ्चोड़ी जो रानी के गर्भ को गरम कर गयी.

रानी छटपटा उठी. इतने में रंगा ने भी अपना वीर्य का फव्वारा रानी के गले में छ्चोड़ दिया.

1-1 ग्लास वीर्य अपने दोनो च्छेदों से पीने के बाद रानी थक कर चूर हो गयी थी. जग्गा ने यक्कीन कर लिया की सारा वीर्य गर्भ में समा गया है तो 2-3 मिनट बाद अपना लंड चूत से निकाल लिया. ‘प्लुप्प’ की आवाज़ क साथ उसका खून से सना लंड बाहर निकल गया.

लंड निकला तो रानी की फूलती-पिचकति चूत के दर्शन हुए जो 1” खुली हुई दिख रही थी. आस पास खून जम गया था जो जांघों तक रीस कर भी आ गया था.

रानी तो ऐसा लग रहा था बेहोश हो चुकी हो पर तभी रंगा ने वो बूटी रानी को सूँघाई तो सपकपाते हुए उठ बैठी. अपनी चूत को निहारते हुए उसने बिल्कुल मासूमियत से बोला – आख़िर फॅट ही गया ना मेरा योनि?? पर ठीक है अब बार बार तो नही फटेगा ना??

तभी उसे एहसास हुआ की होठों के साइड से वीर्य की एक धार नीचे गिर रही है तो उसने झट से उसे उंगली में लपेट चाट लिया.

नही फटेगा गुड़िया रानी, अब तो तुमको हमेशा स्वर्ग का आनंद आएगा – रंगा बोला.

जग्गा ने रानी के चुनरी से अपने लंड को सॉफ किया फिर रानी के खून से सने चूत और जांघों को साफ किया.

दो बार हल्का होकर वो भी फिलहाल थक गये थे. रानी को बीच में सुला दोनो उसके आजू-बाजू नगनवस्था में सो गये.

करीब 3-4 बजे सुबह की बात होगी जब रानी ने अलसाते हुए एक मादक अंगड़ाई ली जैसे ही बेड से उठना चाहा, छाती पे एक दबाव की वजह से फिर से बेड पर गिर गयी. ठीक से आँखें कोला तो देखा रंगा जो उसके दाए साइड था मूह दूसरी तरफ करवट कर सोया हुआ था और जग्गा जो उसकी तरफ करवट किए था, उसका लेफ्ट हाथ रानी के सीने पे था और लेफ्ट जाँघ उसके पैरों पे.

रानी को बड़े ज़ोरों से सूसू लगी थी और उसकी कमर टूट रही थी. लंबी चुदाई से उसका चूत का रेशा-रेशा ढीला हो गया था. उसने जग्गा के हाथ को तो उठा कर साइड कर दिया पर उसकी जाँघ बेहद भारी थी. अब वो उठ बैठी थी और किसी तरह जाँघ उठाने का प्रयास कर रही थी. इस चहल-पहल में जग्गा की नींद भी उचट गयी और वो आँखें मीचता हुआ उठ बैठा.

रानी की ठुड्डी पे हाथ रख पुचकारते हुए उसने पूछा – का बात है गुड़िया रानी, का हो गया आधी रात को??

रानी ने अल्साते हुए भोलेपन से बोली – नीचे बहुत दुख रहा है और जल भी रहा है. उसपे से बहुत ज़ोर से पेसाब आया है.

उसके भोलेपन पर जग्गा मुस्कुराया और अपने पैर हटाके बोला – जाओ बूछिया जाओ! जाओ जाके मूत आओ.

रानी बेड से उठी तो एक बार को लड़खड़ा गयी क्यूंकी उसकी थॅकी टाँग और बहाल कमर ने जवाब दे दिया. जैसे तैसे करती वो दरवाजे तक पहुँची तो बाहर देखा काफ़ी अंधेरा था.

वो काफ़ी डर गयी. उसने धीरे से मिन्नत भरे स्वर में आवाज़ दी – आए जी सुनते हैं??

ज़रा हुमको गुसलखाने तक राह दिखा दीजीएना, यहाँ बहुत अंधेरा है!

जग्गा मुस्कुराते हुए उठा और बरामदे की लाइट ऑन कर रानी को गोद में उठा लिया और गुसलखाने तक ले आया.

उनका टाय्लेट-कम-बाथ था जो काफ़ी बड़ा था. बाथ टब भी था.

अंदर घुसकर उसने रानी को उतारा और बोला – मूत ले गुड़िया!

रानी को ज़ोर की लगी थी पर जग्गा की उपस्थिति से वो मूतने में शर्मा रही थी. वो मिन्नंत भरी निगाहों से बोली – आप बाहर तो जाइएना!

जग्गा हंस पड़ा और बोला – चुड़वे के बाद भी शर्मा रही है? चल मूत हमारे सामने फिर हमको भी मूतना है!

मजबूरी में रानी ने अपना घांघरा दोनो हाथों से कमर तक उठाया और कॅमोर्ड की तरफ बढ़ गयी. पर गाओं की उस नादान अनपढ़ लड़की को समझ नही आ रहा था की वो इस बकेट जैसी चीज़ में मूतेगि कैसे.

जग्गा उसकी पशोपेश को समझ गया और बोला – उसपे बैठ जाओ और मूतो.

बैठने से जाने रानी ने क्या समझा, वो कमोर्ड की सीट पर अपनी दोनो पैर रखकर बैठ गयी और मूतने लगी. ऐसा करने से उसकी लाल चुदी हुई बूर के दर्शानजगगा को हो गये और उसका लंड फिर टनटना गया. रानी ने अपने पेसाब की सुनेहरी धार निकालनी चालू की तो उसकी जलती चूत उस गर्माहट से और जलने लगी और वो सीसीया के रह गयी.
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06-13-2017, 11:37 AM,
#14
RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
जग्गा हमदर्दी दिखाते हुए बोला – बहुत दरद हो रहा है हमारी रानी??

रानी जो अब खाली हो चुकी थी बोली – जल रहा है बहुत और दरद भी हो रहा है.

ये कहके वो कमोर्ड से उतरने लगी तो जग्गा जल्दी से बोला – अर्रे अरे बैठे रहो! हम अभी एक दवाई लगा देते है जलन दूर हो जाएगा.

ये कहके वो पास आया और अपने लपलपाते लंड का निशाना रानी की चुदासी चूत की तरफ कर के अपने पेसाब की सुनेहरी धार पूरे ज़ोर से निकाल दिया.

उसकी मूत की धार सीधे रानी की चूत पे टकराई तो रानी सीसीया उठी. पर 3-4 सेकेंड में ही उसकी चूत पर बड़ी राहत महसूस हुई. जग्गा के ब्लॅडर में तो मानो पूरा सागर समाया हुआ था. करीब 1 मिनट तक वो रानी की चूत पर मूत ता रहा.

रानी को सचमुच अब काफ़ी अच्छा लग रहा था. वो चहकते हुए बोली – अरे वा ई तो बहुत अच्छा दवाई है. रोज लगाइएएगा मेरी योनि पे. एकद्ूम ठीक हो जाएगा.

जग्गा उसके भोलेपन पर मुस्कुरा दिया और रानी के होठ पे अपने होठ रख चूसने लगा और उसे गोद में उठा कर रूम में आ गया.

बेड पे लेटते ही रानी रंगा के तरफ करवट कर लेट गयी और सोने का प्रयास करने लगी.

जग्गा, जिसका हल्का होने के बाद लंड फिर से तन गया था, उसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी.

वो भी रानी के तरफ करवटसे हो गया और उसे अपने करीब खीच कर उसकी नंगी पीठ अपनी छाती से चिपका दिया.

जग्गा ने जो ट्रीटमेंट दिया था उसकी वजह से रानी को भी उसपर बहुत प्यार आ रहा था. और फिर वो भी हल्का होने के बाद रूम की ए/सी की ठंडक महसूस करने लगी थी इसलिए जग्गा के गरम बदन का स्पर्श उसे अच्छा लगा.

वो और भी जग्गा से चिपेट गयी.

जग्गा ने अपना लेफ्ट हाथ रानी के उपर से ले जाकर उसके चूची पे रख दिया और हल्के-हल्के घुंडी को मीसने लगा. रानी के आँखों में लाल डोरे तैरने लगे और उसकी आँखें अपने आप ही बूँद होने लगी. मीठी गुदगुदी फिर से उसके पुर बदन में दौड़ने लगी.

उसने अपने लेफ्ट हाथ को जग्गा के हथेली पर रखा और प्यार से सहलाने लगी.

जग्गा के लिए तो बस इतना इशारा ही काफ़ी था. उसने अपना लेफ्ट हाट हटाया और दूसरे हाथ को रानी के गर्देन के नीचे से ले जाते हुए रानी के चूचियों पे रख दिया और सेम खेल खेलने लगा.

हालाकी रानी को समझा नही की जग्गा ने ऐसा क्यूँ किया पर उसे अच्छा लग रहा था की ऐसे पकड़ने से उनके जिस्म पूरी तरह से एक-आकार हो गये थे. अब वो जग्गा के राइट कंधे पर सर रख कर मज़े ले रही थी.

जग्गा ने अपने फ्री लेफ्ट हाथ को रानी के जांघों पे रखा और घांघरा खिसकाते हुए कमर तक ले आया.

तभी रानी को अपनी गांद पर जग्गा का गरम सरसराते लंड का एहसास हुआ तो वो समझ गयी की जग्गा ने अपनी अवस्था क्यूँ बदली थी.

पर वो श्योर नही थी की वो जग्गा के लंड को फिर से झेल पाएगी या नही इसलिए वो सवालिए स्वर में पूछी – आए जी सुनिएना! फिर से कीजिएगा क्या??

जग्गा उसके कान में फुसफुसाते हुए बोला – डरो मत, अब तुमको दरद नही होगा. जो होना था वो तो हो गया है. अब तो खाली मज़ा आएगा.

रानी सहम्ते हुए बोली – देख लीजिए, आप ही का गुड़िया हैं, कहीं कुछ हो गया तो आपलोग का सेवा नही कर पाएँगे!

जग्गा ने श्योर करते हुए कहा – कुछ नही होगा, अब तो तुम दो-दो लंड लेने के लिए तैयार हो चुकी हो मेरी रानी! एक चूत में और एक गांद में.

रानी ने उसकी धूर्त बातें सुनकर ‘धात’ कहके शर्मा गयी.

जग्गा ने अपनी बीच की उंगली पर ढेर सारा थूक लगाया और पीछे से रानी के चूत पर फिराते हुए आधा अंदर घुसा के पेलने लगा. फिर से चूत में कुछ महसूस कर पहले तो रानी को हल्का सा दर्द हुआ पर फिर मज़ा आने लगा.

अब उसे माला और जग्गा की बात सही लग रही थी की ‘पहली बार सज़ा, बाद में फिर मज़ा’.

5 मिनट में रानी की चूत गीली हो गयी और वो उखड़ी साँसों से सीसीयाने लगी.

अया ............. धीरे कीजीएना...........अच्छा लग रहा है...........हाआआअन हां.....और थोडा अंदर डालिएना.........आआआआआआः.............सीईईई...........सीईईईईईईईईईईईईई......सी....सी.

जग्गा ने महसूस किया की रानी के चूची और घुंडी टाइट हो गये थे तो उसने सही वक़्त जान अपने लंड को चूत के मुहाने पर लाया और हल्के से एक दबाव से 3” अंदर घुसा दिया.

हल्के दर्द से रानी के मूह से एक हल्की ‘आह’ निकली और वो आगे की तरफ सरकी पर जग्गा ने उसे थामे रखा. उसने रानी के दोनो पैर घुटनो से मॉड्कर छाती तक उपर उठा दिया था जिससे चोदने में आसानी हो रही थी. उसने रानी को अब यूँ जाकड़ रखा था जैसे वो रब्बर की एक गुड़िया हो और रुई की तरह हल्की. सक-सक करता हुआ वो रानी के चूत की गहराई अपने लंड से मापता जा रहा था.

8” तक पेलने के बाद रानी को थोड़ा दर्द हुआ तो वो उसके गर्दन और कान की लाओं पर चूमने-चाटने लगा. रानी झट से मस्ता गयी और धीरे-धीरे अपनी कमर को जग्गा के धक्कों के साथ मेल करती हुई आगे-पीछे करने लगी. उसकी आँखें बूँद थी और उसे लग रहा था की वो सातवे आसमान में उड़ रही हो. चेहरे पर मस्ती से मुस्कुराहट छाइ हुई थी और लबों से कुछ भी आंट-शॅंट निकल रहा था.... हाआन.........ऐसे ही उड़ना है हमको..........एकदम हलका लग रहा है..................बहुत बादल है यहाँ.................अहह........माआआअ..........ज़ोर उड़ाएना हमको............
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06-13-2017, 11:38 AM,
#15
RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
जग्गा उसकी भोली बुदबुदाहट सुनकर और मस्त हो गया और उसने एक हाथ से रानी की चूचियों को कस्के जकड़ा और दूसरे से उसकी मुड़े पैरो को उठा लिया और धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी. अब उसका पूरा 10” रानी के गर्भ पर दस्तक कर रहा था. च्चप्प्प्प्प..........ठप्प्प्प....ठप्प्प्प्प्प्प्प.........सट-सटासट आवाज़ के साथ पिस्टन गाड़ी की रफ़्तार बढ़ाए जा रही था. इसके साथ रानी के पायल की चमचमाहट भी माहौल में रंग भर रही थी.

10 मिनट में रानी के बदन ने 2 बार झटके लेकर ये सूचित कर दिया था की उसके खेत में बाढ़ आ गयी थी.

पर जग्गा तो 15 मिनट तक अपने 2” मोटे लंड से रानी की गुलाबी चूत को पेलता रहा और फिर अपने कमर को एक करारा झटका देकर रानी की गांद पर दबा दिया और रानी के बगीचे में पानी से सीचाई कर दी. ये पानी खाद का काम कर एक दिन मोहक फूलों को जनम देंगे.

गरमागरम वीर्य की धार गर्भ में महसूस करते ही रानी के मुँह से एक ठंडी आआआआअहह निकल गयी.

और 5 मिनट तक ये तसल्ली होने पर की सारा वीर्या रानी की क्यारी में जब्त हो गया है तो जग्गा ने धीरे से अपना लंड नहर से निकाल लिया.

इस चुदाई से रानी को बहुत आनंद आया था. पहले अनुभव के बाद उसने सोचा भी नही था की ये क्रीड़ा इतना सुख देगी.

उसे जग्गा पर बहुत प्यार आया और वो उसकी तरफ करवट कर खुद से उसके होठों को चूमने लगी. जग्गा ने उसे अपने बाहों में भर कर अपनी छाती से चिपका लिया और उसे प्रगाढ़ चुंबन लेने लगा. रानी की लार जी भर पीने एके बाद उसने रानी को अलग किया. फिर रानी ने जग्गा के विशाल छाती में अपना सर च्छुपाया और अपनी एक जाँघ उसके उपर रख नन्ही गुड़िया जैसे सिकुड़कर सो गयी.

सुबह करीब 9 बजे रंगा-जग्गा की नींद खुल गयी. रानी अभी भी सो रही थी. उसके दोनो पैर वी-शेप में फैले हुए थे और एक हाथ सर के उपर और दूसरा बॉडी के साइड में. पूरी बेफिक्री से सो रही थी वो. उसके चेहरे की मासूमियत और दुल्हन जैसा सज़ा-धज़ा बदन देख दोनो सोचने लगे की अच्छा हुआ जो इसने उनके बहकावे में आकर अपना सब-कुच्छ लुटाने को तैयार हो गयी नही तो उन्हे भी रानी का रेप करना पसंद नही आता.

रंगा ने एक 10“ के हाइट और 3 फीट चौड़ाई वाले टब में ढेर सारा रूम डालकर रख दिया और रानी के उठने का इंतेज़ार करने लगा.

करीब 10 बजे रानी की नींद उचट गयी और वो पलंग पर उठ बैठी. अपनी नगनवस्था पर उसके गाल लाल हो गये और वो झॅट से अपनी चोली पहन ली और घांघरा नीचे सरकाते हुई बेड से उतरी.

चूत और कमर तो अभी भी टूट रहा था इसलिए वो थोड़ा लड़खड़ा गयी. खुद को संभालते हुए वो नीचे रसोई में आ गयी. दोनो उसे कहीं नज़र नही आ रहे थे. इतने में रंगा उसे बाथरूम से निकलता नज़र आया तो उसकी तरफ लपकी और सर पे पल्लू लेते हुए झुक कर उसके पैर छू लिए.

रंगा ने उसे आशीर्वाद देते हुए बोला – गुड़िया! रात ठीक से नींद आया रहे की ना? हमरे सोने के बाद कुच्छ आवाज़ हो रहा था और पलंग हिल भी रहा था. वो मुस्कुराते हुए बोला.

उसे मालूम था की जग्गा ने रात में दूसरी पारी खेली थी.

उसके इस सवाल पे रानी झहेप गयी और लजा कर मूह फेर कर किचन में आ गयी.

रंगा उसके पीछे आया और बोला – नही बताना चाहती तो ना बताओ, पर ई तो बताओ की हमरे प्रसाद का कब भोग करोगी बाकी जगह.

चुहलबाज़ी करते हुए रंगा ने रानी के कमर पर चुटकी काटी.

रानी को जग्गा के लंड का अपनी चूत पर हुए क्रूर प्रहार याद आ गये और उससे पैदा होने वाली मस्ती की सोच वो मस्ता गयी.

वो रसोई के बरनर वाले प्लॅटफॉर्म से सट के खड़ी थी और उसकी पीठ रंगा की तरफ थी.

रंगा ने इस बार निरुत्तरर रानी के घान्घरे में हाथ डालके उसकी चूत पकड़ ली.

उसकी इस उनपरत्याशित हरकत से रानी सपकपा गयी और उसके तरफ मूह करके रंगा के छाती में सर छुपा के उसके बदन से लिपट गयी.

रंगा अब अपने दोनो हाथ रानी के नितंबों पर सरसरने लगा और एक हाथेलि से उसकी चूत फिर से दबाकर पूछा – बोलोना गुड़िया रानी, ई भगवान को भोग कब चढ़ाओगी और प्रसाद कब ग्रहण करोगी????

ये कहके उसने लेफ्ट हाथ से रानी का च्चेहरा उठाया तो देखा की उसके गाल लाल हो गये हैं. शरम से उसने आँखें बंद कर रखी थी.

रानी धीरे से शरमाते हुए बोली – आप ही की तो गुड़िया हैं! जैसे चाहे खेल लीजिए!

वो रंगा की छाती तक भी पूरा नही पहुचती थी.

रंगा ने अपना सर झुका कर रानी के जलते होठों पे अपने होठ रख दिए और अपनी जीभ अंदर घुसाके रानी का लार पीने लगा.

रानी को जैसे मालूम था की ऐसा होने वाला है, शायद इसलिए उसने अपने आधार खोल दिए थे ताकि रंगा पूरी तरह उस कली का रस-पान कर सके.

रानी के मूह से अभी भी गुलाब की हल्की खुश्बू आ रही थी. पर टेस्ट उनके वीर्य और शहद का मिक्स आ रहा था.
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06-13-2017, 11:38 AM,
#16
RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
रानी को अपने नंगे पेट पर रंगा के साप का एहसास हो रहा था जो इस वक़्त लूँगी में था.

रंगा ने 2 मिनट तक तन्मयता से रानी का रस पीया और उससे अलग हट के बोला – बहुत रसीली है हम. लुगाई. पर हमारे में भी रस कम थोड़ी है.

अच्छा सुनो, जग्गा बाहर गया है शाम तक लौटेगा. नाश्ता टेबल पे रखा है. पहले नहा-धो लो फिर खा लेना. आज तुमको कोई काम करने की ज़रूरत नही है.

ये सुनकर रानी को अच्छा लगा की रसोई से तो कमसे कम छुट्टी है.

वो बाथरूम में आई और ब्रश से मूह धोने लगी.

रंगा उसके पीछे-पीछे आया और इशारे से टब दिखाते हुए बोला – मेरी चिड़िया, सुनो, ये टब में दवाई है जिसमे नंगा होके 20 मिनट बैठ लेना और चूत के अंदर बाहर अच्छे से मल लेना. इससे तुम्हारा दरद और थकान दूर हो जाएगा. और जब हो जाए तो हुमको बुला लेना.

रानी ज़मीन में नज़रें गड़ाई हुई “हां” में सर हिला दिया.

रंगा जानता था की चूत को रसदार और टाइट बनाए रखने के लिए ये ज़रूरी है.

आधे घंटे बाद रानी बाथरूम से चूत धोकर और नाहकार एक टवल लपेटा और दरवाज़ा खोलकर रंगा को आवाज़ दी – आए जी, सुनते हो? हमारा हो गया है.

रंगा झट से वहाँ पहुँचा और अंदर घुसकर दरवाज़ा बंद कर लिया.

उसने अपनी लूँगी निकाल ली और बोला – सुनो बूछिया! अब हम तुम्हारा दूसरा द्वार खोलेंगे और पूजा करेंगे.

रानी पलके झहापकती हुई असमंजस से उसे देखती रही.

रंगा ने बाथरूम के एक छ्होटे आल्मिरा में से एक तरल पदार्थ की बॉटल निकाली और बोला – ई 2 चम्मच पीने से तुम्हारा दूसरा दरवाज़ा खुल जाएगा और फिर हम अपने लंड से वहाँ पूजा करेंगे. इससे तुम्हारा पूरा पेट सॉफ हो जाएगा और मलद्वार यानी गांद का छेद अ भी.समझी!! पूजा करने के पहले पूजा स्थान साफ तो करना होगा ना???

रानी उसके बातों का मतलब समझ अंदर से थरतर्रा गयी. पर उसने तो अब अपना तन-मंन सब उनको समर्पित कर दिया था तो पूरे आस्था के साथ बोली - हमको तो भगवान के मूर्ति पूजने से ज़्यादा प्रताप आपको पूज के मिलेगा. अब तो आप ही मेरे मंदिर हैं और हम आपके भक्त जिसको अपपका प्रसाद प्राप्त होता है! आप जैसी पूजा चाहते है वैसे ही होगा.

ये सुनकर रंगा गदगद हो गया और दो स्पून लिक्विड रानी को पीला दिया. वो काफ़ी कड़वी थी इसलिए रानी ने मूह बनाते हुए पी लिया. करीब 1 मिनट में ही उसे प्रेशर बिल्ट-उप होता हुआ महसूस हुआ और वो झट से अपनी टवल उतार कमोर्ड पे बैठ गयी.

उसके पेट में दाने का अगर एक भी अंश होगा तो वो पूरा पानी बनकर बह गया.

जब उसका पेट पूरा सॉफ हो गया तो रंगा ने प्लास्टिक पीपे को नल से लगाया और उसके एंड पर एक प्लास्टिक टोटी लगाई जो 4” लंबी थी. उसने रानी को बाथ टब का सहारा लेकर झुकने को कहा.

रानी के झुकते ही उसका गोल नितंब उभर गया जिसमे वो डार्क ब्राउन गांद का च्छेद ऐसा लग रहा था मानो चेररी ओन ए केक.

रंगा ने एक हाथ की उंगली पर बेबी आयिल लगाते हुए रानी के च्छेद पर सुरसुराने लगा. रानी को गुदगुदी होने लगी. धीरे-धीरे उसने च्छेद के अंदर करीब 1“ उंगली घुसा कर पेलने लगा. ऐसा करने से रानी की गांद स्लिपरी होती जा रही थी पर उसे दर्द भी हो रहा था.

अब उस 1“ में रंगा ने टोटी घुसा दी और नाल ऑन कर दिया.

पानी पुर प्रेशर के साथ रानी को अपनी गांद में महसूस हुआ. वो ज़ोर से सीसीया उठी.

इसी प्रकार टोटी को धीरे-धीरे रंगा उसकी गांद में धकेलटा गया. 4” घुसने के बाद रानी को पानी अपने अंतडियों तक आता महसूस हुआ. हालाकी पानी उसकी गांद से बाहर भी निकल जा रहा था पर फिर भी उसे लग रहा था जैसे उसके अंदर कोई सागर बन रहा हो.

जब 3-4 मिनट बाद रंगा को तसल्ली हो गया की रानी का मलद्वार पूरी तरह खाली और क्लीन हो गया है तो उसने नल बूँद कर टोटी उसके गांद से निकाल ली. टोटी के निकलते ही रानी के गांद का च्छेद 1” साइज़ के ‘ओ’ सा दिख रहा था. अंदर अंधकार और च्छेद धीरे-धीरे फूल-पिच्छक रहा था.

थोड़ी देर में रानी का गांद सामान्या अवस्था में आ गयी.

अब रंगा ने अपनी लूँगी उतार दी और बाथ टब में बबल बाथ के लिए उतर गया और रानी को भी बुला लिया.

टब में रंगा ने रानी को अपनी ओर मूह करके जांघों पर बैठा लिया. रानी के चूतड़ रंगा के लंड के उपर थे और उसके दोनो पैर रंगा के कमर के दोनो तरफ.

रानी को रंगा का मोटा डंडा अपने गांद के दरारों में महसूस हो रहा था की इतने में रंगा के राइट हॅंड की मिड्ल उंगली रानी गांद पर सरसरने लगी. उसने रानी के होठों पे अपने होठ रख दिए और चूमने-चूसने लगा. हर पल उसकी उंगली रानी के च्छेद में आगे की ओर पेलते हुए बढ़ती जा रही थी. पानी साबुन से भरा था इसलिए उंगली और गांद की च्छेद में अच्छा फ्रिक्षन हो रहा था. कभी उंगली के दबाव से रानी को ऐसा लगता की उसका कलेजा मूह को आ रहा है तो रंगा उसकी चूची की घुंडीयों को मीस देता.
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06-13-2017, 11:38 AM,
#17
RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
5 मिनट तक ये खेल चलता रहा जब तक रंगा का 1” चौड़ा और 4” लंबी उंगली पूरी की पूरी रानी के च्छेद में समा गयी. खेल में बदलाओ आया और रंगा ने दूसरी उंगली घुसाने का प्रयास किया. रानी को ऐसा लगा जैसे कोई उसे दो टुकड़ो में काट रहा हो. उसके मूह से हल्की चीख निकली और उसने मिमियाते हुए गुहार लगाई – सुनिएना! प्लीज़ कुच्छ और तैल लगा के कीजीएना. बहुत दुख़्ता है. लगता है हमरा दिल निकल के मूह से गिर जाएगा!!!

रंगा ने थोड़ा रहम किया और आयिल की प्लास्टिक बॉटल को रानी के च्छेद पर रखके ज़ोर से दबाया जिससे टेल की पिचकारी निकली और उसके गांद में समा गयी. रंगा ने झत्ट से फिर अपनी दो उंगली अंदर घुसा दी. तैल की लिसलसाहट से अब दोनो उंगलियाँ आराम से पेल रही थी.

5 मिनट बाद रंगा ने रानी के दोनो नितंब थाम्के उसे थोड़ा उपर उठाया और उसके च्छेद पर अपना 10” लंबा लंड का सूपड़ा टीका दिया.

रानी ने उसे महसूस कर आने वाले हमले के लिए खुद को अंदर से तैयार कर लिया.

उसने धीरे से रानी के चूतडो को अपने लंड पे दबाया तो रानी उचक कर उपर उठ गयी.

अंजानी नर्वुसनेस की वजह से वो हर बार खुद को लंड पर से खीच ले रही थी.

3 बार ऐसा होने पर रंगा रानी के डर को महसूस किया और फिर उसने एक हाथ रानी के इर्द-गिर्द लपेटकर खुद से च्चिपका लिया और दूसरे से अपने लंड को पकड़ कर उसके च्छेद पर रखकर हल्का सा दबा दिया. इस बार सूपड़ा अंदर समा गया. फ्रिक्षन अच्छा होने की वजह से रानी को कुच्छ महसूस ना हुआ. दूसरी बार रंगा ने रानी को दोनो बाजुओं से जाकड़ कर ज़ोर से नीचे दबाया और साथ ही अपनी कमर को भी उपर उच्छाल दिया. ऐसा करते ही 5” लॉडा गुफा में सरसरता हुआ प्रवेश कर गया. रानी की आँखें उबल पड़ी. उसके कंठ से एक दबी-घुटि चीख निकल गयी जिसे रंगा ने अपने होठों से दबा दिया. उसके होठ रानी हो बेतहाशा चूम-चाट-चूस रहे थे.

जब भी रानी के लब आज़ाद होते तो उसकी आहें निकल जाती.

आआआआआआआआआआआआआआआआह……………..ओओओओओओओओओओओओओह………बस……..फॅट गआय्ाआअ…..आआआअननह.

रंगा को ये आवाज़ें और उत्तेजित कर रही थी. उसने 5” लंड को ही धीरे-धीरे पेलना चालू कर दिया.

दूर से देखने पर ऐसा लग रहा था जैसे उस नन्ही सी जान की गांद में किसी लड़के ने अपना हाथ ही घुसा दिया हो इतना मोटा था रंगा का लंड.

2 मिनट बाद रंगा ने फिर से रानी को उपर से पकड़ा और ज़ोर से नीचे की ओर दबा दिया. इस बार तीर सारी रुकावट चीरता हुआ 10” रानी की गांद में प्रविष्ट कर गया.

आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ……………………….माआआआआआऐययईईईईईईईईईईई……………..बचाई ले हमको………………………ऊऊऊओ………..माआआआआआआईयईईईईईईईई……….बस करिए मालिक…………….सब फॅट गया……….आआआआआआआहह.

रानी की दर्दभरी चीखें बंद बाथरूम में गूंजने लगी पर भला इस बियाबान में कौन उस दुखियारी की सुन ने आता.

उसकी चीखें दर्दभरी सिसकियों में तब्दील हो गयी और आँसू आँखों का साथ नही छ्चोड़ पा रहे थे.

सही मायने में गांद फटना क्या होता है ये आज रानी ने जान लिया था. और इस प्रकार के संभोग में कोई मज़ा नही होता यह भी उसके समझ में आ गया था. फिर भी वो अपने देवता की उपासना में कोई खलल नही डालना चाहती थी इसलिए ये क्रूरता झेल रही थी.

रंगा ने उसका दर्द कम करने के लिए उसकी चूची मूह में भर के चूसने-चाटने लगा. इससे कुच्छ मिनटों बाद रानी का दर्द थोड़ा कम हुआ और वो अपनी छाती पर फैली मस्ती का आनंद उठाने लगी.

रंगा ने धक्के की रफ़्तार बहा दी.

जब उसका लंबा-मोटा लंड रानी की नन्ही गांद को चीरता हुआ पेले जा रहा था तो पूरे बाथरूम में च्चप्प-च्चप्प टब के पानी की आवाज़ आ रही थी और साथ ही बेसूध और मस्तायि रानी के मूह से उउउउउउउउउउउउन्न्न्न........उउउउउन्न्न्न्न्न्न्न्न...........ऊवूऊवूयूवूयूयुवयन्न्न की सिसकारी. रानी ने इस हमले को झेलने के लिए रंगा के पीछे टब के किनारों को अपने दोनो हाथों से मजबूती से पकड़ रखा था और अपने गांद को उसके धक्कों से मॅच करते हुए उपर-नीचे कर रही थी.

रंगा इस तरह उस अनछुई कमसिन कुँवारी लड़की को अपने दूसरे च्छेद का ऐसे मज़ा लेते देख मस्ती से बौरा गया और 9-10 मिनट एक लंबी आहह भर वीरगति को प्राप्त हो गया.

अपना गाढ़ा वीर्या करीब एक मीं तक उसने रानी के गांद में छ्चोड़ा और रानी के चेहरे को हथेलियों में भरके उसके होठ चूसने लगा. रानी को अब तक तो ऐसा लग रहा था जैसे किसीने उसकी गांद में जलता हुआ लोहे की छड़ पायबस्त कर दी हो पर वीर्य के छ्छूटने पर ऐसा लगा जैसे वो छड़ गल कर उसकी ही गांद में बह गया.

रंगा का लंड सिकुड़कर 6” का होगआया करीब 2 मिनट में. उसने धीरे से रानी के गांद को अपने लॉड से आज़ाद किया तो देखा कुच्छ वीर्या रानी के फूलती-पिचकति गांद से बहता हुआ पानी में गिर रहा था. उसने जल्दी से अपनी हथेली को च्छेद के नीचे रख सारा वीर्या कलेक्ट किया और रानी के होठों के करीब लाता हुआ बोला – लो गुड़िया रानी, अपनी पूजा का प्रसाद!!

रानी ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी जीभ से रंगा की हथेली चाट ते हुए सारा वीर्य पी लिया.

रंगा ये देख कर बहुत प्रसन्न हुआ की रानी एक बहुत ही अच्छी लंड-चूसक बनती जा रही थी.

दोनो फिर टब से निकलकर झरने के नीचे नहाए और टॉवेल लपेटकर बाहर आ गये.

रंगा ने रानी को अपने जांघों पर बैठाके खाना खिलाया और बिस्तर पे लाकर लिटा दिया.

12 घंटे के अंदर 3 बार रंगा-जग्गा के मूसलों से पस्त रानी को 15 मिनट में ही फिर से नींद आ गयी.

दोस्तो इस पार्ट अब य्यहीं बंद कर रहा हूँ आगे कहानी के साथ फिर मिलेंगे लकिन बताना मत भूलना कहानी कैसी लगी

अब तो आपने देख ही लिया है अपनी रानी यानी कलयुग की द्रौपदी अपने दोनो छेदों से लंड लेने लग गयी है

और मज़े भी लेने लग गयी है बाकी कहानी के साथ अगले भाग मे फिर मिलेंगे
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06-13-2017, 11:38 AM,
#18
RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
कलयुग की द्रोपदी--4

दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा पार्ट -४ लेकर आपकी अदालत मैं हाजिर हूँ

रानी को इतनी गहरी नींद आई की वो शाम के 6 बजे तक सोती ही रही.

जग्गा इसी समय घर लौटा तो उसके बुलेट की आवाज़ से रानी की नींद उच्छा. गयी.

उसने आल्मिराह खोली तो देखा कई सारे ड्रेस उसके साइज़ के भरे पड़े थे. यह ड्रेस रंगा-जग्गा ने स्पेशली रानी और उस जैसी और लड़कियों के लिए ला कर रखे थे.

रानी ने एक नेवी ब्लू कलर का सलवार-सूट निकाल कर पहन लिया और बाहर आ गयी.

ड्रॉयिंग रूम में रंगा-जग्गा कुच्छ बातें कर रहे थे जो उन्होने रानी के आने पर बंद कर दी.

जग्गा ने शरारत से पूछा – का रे गुड़िया!! इतना देर सो रही थी? इतना कौन सा थकने वाला काम किया था?

रानी उसके इस सवाल पर झहेप. गयी और गाल शरम से लाल हो गये. उसका सारा बदन टूट रहा था और एक मीठा सा दर्द हो रहा था. . का छेद पर अभी भी दुख रहा था.

रंगा बोला – अरे कुच्छ नही भाई, हम. तो बस थोड़ी पूजा की और दूसरे मंदिर की घंटी बजाई!

यह सुन जग्गा हस्ने लगा और बोला – अकेले-अकेले पूजा कर लिए. हुमको भजन-कीर्तन में बैठने का मौका ही नही दिया? का रे रानी, ये दूसरा वाला पूजा का प्रसाद एक ही भवाँ. का क्यूँ खाया?

रानी उनकी इस ठिठोली से शरम से ज़मीन में गाड़े जा रही थी.

रंगा बोला – जाओ रानी, जाके रसोई में रात का खाना बना लो. पाँच आदमी का खाना बनाना. कुच्छ मेहमान आने वाले है.

रानी के चेहरे पर 5 लोगों का खाना बनाना सुनकर जिग्यासा जाग उठी तो रंगा बोला – आज हमारे एक पुराने मित्रा अपनी लुगाई को लेके आ रहा है. उसकी लुगाई आजकल उसकी पूजा नही करती है ना ही उसका प्रसाद ग्रहण करती है. गाओं के मंदिर के पुजारी ने कहा की उसे हुमारे पास ले जाने से हम उसका अच्छा से इलाज करेंगे और कट्टर पुजारीन बना देंगे.

रानी असमंजस से बोली – कैसी लुगाई है? अपने पति परमेश्वर का तन-मॅन से पूजा अर्चना करना ही तो उसका फ़र्ज़ है. ई भी नही करेगी तो उसका जीवन व्यर्थ है.

जग्गा ये सुन गड़.-गड़ हो गया और बोला – एक्दुम सही बोली मेरी गुड़िया. पर सब तुम्रे जैसी आस्तवान नही होती है ना!! इसलिए आज हम उसका इलाज करेंगे. तुम भी हमारे साथ शामिल होके हमारी मदद करना!

रानी खुश थी की दोनो उससे इतना प्यार और इज़्ज़त करते है की 1 ही दिन में उसे इतना मान दे रहे है. वाज़ शी राइट???

बिहार का ये इलाक़ा नॅडलाइट्स के लिए बहुत बदनाम था. इन्ही का सारगाना था राका. 7 फीट का वो दैत्या घानी. धाड़ी और बड़े बालों वाला एक दानव था. रंगा-जग्गा जैसा ही रंगीन और खूब पियाक्कड़. 2 लीटर रूम तो वो एक दिन में पीटा ही होगा. आँखें हमेशा लाल रहती थी.

उसका लंड 7-8“ ही होगा पर लॉड की चौड़ाई कम-से-कम 3“. ये जालिम रंगा-जग्गा जैसा किसी भी लड़कियों पर नरम नही था. जिसे भी उठाता उसकी मौत पक्की थी. इसका फौलादी लंड तो रंडियों के भी चूत से खून निकाल देता था.

गाओं के सबसे रईस साहूकार से उसने फिरौती माँगी थी करीब 15 लाख जो ना अदा करने की सूरत पे उसकी बेटी बिंदिया को उठा लेने की धमकी दी थी.

साहूकार अव्वल दर्जे का लालची था. वैसे भी उसकी दाल अब उस गाओं में नही ग़ालती थी इसलिए वो सहर जाने की सोच रहा था. राका की धमकी से उसकी और भी फॅट गयी और मियाद की तारीख के पहले वाली रात उसने बोरिया-बिस्तर समेत परिवार के साथ भागने की सोच ली.

बिंदिया 17-18 बरस की गोरी-चिटी गद्रायि जवानी थी. जावानी ने अपनी सारी बहार शायद उसपर ही लुटाई थी. कमसिन उमर में भी उसके चूची पाके पपीतों जैसा था. बॉल उसके भरे-भरे नितंबों तक आते थे और उसकी गोलाई की सुंदरता बढ़ाते थे. आँखें गोल-गोल और बड़ी-बड़ी, होठ मोटे और रसीले. गर्दन बिल्कुल सुरहीदार और छति और कमर एक समान.

5 फीट की हाइट और फिगर पूरी 36-26-36. जाँघ केले के ताने के समान चिकनी और मांसल थी. बानिए की बेटी को पढ़ाई से क्या करना इसलिए 4थ क्लास के बाद च्छुत गयी थी. वो बिल्कुल अनपढ़ और गवार थी पर हुस्न ऐसा पाया था की लॉंड भंवरों की तरह उसके इर्द-गिर्द घूमते रहते थे पर वो उनमे से किसी को घास नही डल्लती थी.

अपने बड़े भाई और भाभी को उसने 2-3 बार सेक्स करते हुए देखा था इसलिए कांगञान तो हो ही चुका था. कभी उंगली तो कभी पेन्सिल डालकर अपनी प्यास शांत कर लेती थी. एक दिन तो इसी क्रीड़ा में उसकी झिल्ली भी फॅट गयी ती. अब उसकी जवानी लूटने के लिए तैयार थी.
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06-13-2017, 11:38 AM,
#19
RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
राका को साहूकार के रातों रात फरार होने की बात की भनक लग गयी थी. वो लाव-लश्कर लेकर उसके घर पहुँचा तो देखा की घर लॉक था और सब नदारद थे.

गुस्से से आग बाबूला राका बस-स्टॅंड और रेल स्ट्न पर अपने आदमी दौड़ा दिए.

½ घंटे में ही उसे पता लगा की शेठ अपने परिवार के साथ पटना कोलकाता जाने वाली बस में अपने परिवार के साथ 1 घंटे पहले रवाना हुआ है.

राका ने ट्रक भरकर नॅडलाइट्स के साथ रास्ते में उस बस पर हुम्ला कर दिया.

शेठ को तो उसने लूटा ही पर साथ में पूरे बस के लोगों को भी नही बक्शा. बिंदिया के हाथ पैर बाँधा और मूह में कपड़ा थूस कर अपने जीप में डाला और च्चल पड़ा.

रंगा-जग्गा से उसने वादा किया था की इस बार के शिकार को वो उनके साथ बाट कर खाएगा. उसने जीप जंगल के तरफ घुमा दी.

1 घंटे में उसकी जीप रंगा-जग्गा के दरवाज़े पर थी.

रात के करीब 10 बज रहे होंगे जब बाहर गाड़ी के एंजिन की आवाज़ सुन रंगा बाहर आ गया.

राका को देख वो आती प्रसन्न हो गया और गाले से लगा लिया. जीप की दूसरी सीट पर गठरी जैसी बँधी पड़ी बिंदिया को देख वो आनंदित हो गया और बोला – वाह दोस्त, खूब वादा निभाया तुमने.

इतने में जग्गा भी बाहर आ गया और राका के गाले लग गया. रंगा ने बिंदिया को उठाकर उपर वाले कमरे में ले गया और बिस्तर पर पटक दिया. वो अभी भी बेहोश थी.

रानी बाहर कमरे में जग्गा-राका की आवाज़ें सुन बेडरूम से निकल आई. राका को देख वो एक बार जग्गा की तरफ देखी और दुपट्टा अपने सर पर डाल राक के पाव छूने के लिए झुक गयी. राका जग्गा को देख मुस्कुराया और रानी के कंधे पकड़ उठाता हुआ बोला – दूधो नहाओ, पूतों फलो. का नाम है तोहार?

रानी नज़रें नीचे किए बोली – रानी!

अरे वाह, एकद्ूम सही नाम है! हुमरे दोस्तों की लुगाई का इससे अच्छा नाम हो ही नही सकता है? – राका बोला.

जग्गा ने रानी से कहा – जाओ जाके बॉटल और चखना बाहर बरामदे में लगा दो. थोड़ा देर वहीं यार लोग जसन मनाएँगे फिर पूजा करेंगे इसकी लुगाई का!

रानी ने मूक हामी भारी और रसोई की तरफ बढ़ गयी.

रानी बहुत गर्व महसूस कर रही थी की उसके पति का इतना सम्मान है की लोग उनसे अपने बीवियों का इलाज करने आते हैं.

बाहर दारू-चखना लगान एके बाद रानी ने खाना बनाया और टीवी देखने लगी.

कोई 1 घंटे के बाद जब 10 बजे होंगे, तीनो अंदर आ गये और रंगा ने रानी से कहा- चलो गुड़िया रानी थोड़ा खाना खिला दो फिर पूजा करेंगे.

रानी ने खाना परोसते हुए राका से पूछा – आपकी लुगाई खाना नही खाएँगी क्या?

राका हस्ते हुए बोला – अरे वो? वो तो थोड़ी देर में हम सबका प्रसाद ग्रहण करेगी तो अपने आप ही पेट भर जाएगा.
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06-13-2017, 11:38 AM,
#20
RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
उनके खाने के बाद रानी ने भी थोड़ा खा लिया और सॉफ-सफाई के लिए किचन में चली गयी.

तीनो उपर आ गये और बेड पे सोती हुई बिंदिया को देखने लगे. उस मदमस्त जवानी को देख उनके मूह से लार टपकने लगा.

राका बेड के करीब आया और झींझोर कर बिंदिया को उठाने लगा. रंगा ने इतने में 1 ग्लास पानी उठाकर बिंदिया के मूह पर दे मारा. बिंदिया हड़बड़ा कर उठ बैठी. तीन दानवों को अपने इर्द-गिर्द देख अनायास ही उसके मूह से चीख निकल पड़ी. राका की शकल पहचान उसे सारा वाक़या याद आया और व्हो बकरी की तरह मिन्मीनाते हुए राका को हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगी – प्लीज़ हुमको जाने दीजिए,…….उउउउ….मा-बाबूजी के पास जाना है…….उ लोग हमारा इंतेजार करते होंगे……….आपको हुम्से क्या मिलेगा……..हम बाबूजी को बोलेंगे, वो आपको खूब पैसा देंगे. हुमको जाने दो प्लीएzzzzzz!

उसके आँसू भारी आँखें और दर्द भारी गिड़गिडाहट का राका पर कोई असर ना हुआ और वो हस्ते हुए बोला – अरे तोहार बाप को पैसा ही देना होता तो उ गाओं छ्चोड़ के भागता थोड़े. और शाम को तो हम उसका सारा धन लूट ही लिए तो अब पैसा का कौनो चिंता नही. अब तो जसन मनाने की घड़ी है. और उ जसन में तुमको तो शामिल होना ही पड़ेगा!!!!

राका के इरादों को भाप बिंदिया सर-से-पाव तक सिहर गयी. उन दानव का आकर-विकार और बदनीयती का अंजाम उसे दिखाई देने लगा. शहम्ते और रोते हुए उसने पूछा – ह.ह..हुमरे साथ कककाअ करोगे आपलोग. ज्ज्ज्ज्ज्जने दीजीएना. हहूम तो आआअपके बेटी जैसे हैं???

तीनों एक साथ हस्ने लगे और जग्गा बोला – सच बोली तू, और हम सब हैं बेटीचोड़!!!!

ये कहके तीनों फिर से अट्टहास करने लगे.

बिंदिया इस वक़्त एक पीले कलर के सलवार कुर्ते में थी. बॉल बिखरे हुए और चेहरा सफेद फक़्क़ पड़ा हुआ था.

राका लपक कर बिंदिया के बाजू में बैठ गया और उसके इर्द-गिर्द अपनी बाहें डालने लगा. बिंदिया छटपटा उठी. दूसरे तरफ से रंगा ने हुम्ला किया और उसे बिस्तर पे लिटा दिया और अपने एक पैर से बिंदिया को जाट दिया.

बिंदिया उनके चंगुल में सिर्फ़ चीख और छॅट्पाटा ही पा रही थी.

जग्गा दूर खड़ा अपनी धोती ढीली कर रहा था. बिस्तर के करीब आते तक उसके बदन पर कपड़े का एक भी रेशा ना था. बिंदिया कसमसाते हुए जब कनखियों से जग्गा को देखा तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी. भालू जैसे बॉल भरे विशालकाय नंगे बदन पे मोटे सोट जैसा लंड ने बिंदिया के होश उड़ा दिए.
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