Sex kahani अधूरी हसरतें
04-02-2020, 05:00 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम अपनी बातों की जादू से सुगंधा का मन मोह लिया था और उसे विश्वास दिला दिया था कि जो आवाज वह अपने कानों से सुन रही है उसके पति की ही है,,,, और अब वह उस आवाज को पहचानने लगी थी।,,
दूसरे दिन सुबह का समय का कोमल की मम्मी बेचैन नजर आ रही थी क्योंकि वह जानती थी कि मुसीबत अभी टाइम नहीं है जब तक वह कोमल को पूरी तरह से अपने विश्वास में नहीं ले लेती तब तक उसके गले पर,,, डर की वह तलवार लटकती रहेगी इसलिए वह किसी भी तरीके से कोमल को अपने विश्वास में लेना चाहती थी इसीलिए वह,,, उसके कमरे की तरफ जाने लगी और मन में ढेर सारे सवाल ओर ऊन सवालों के जवाब उमर रहे थे।,,,, कैसे वह अपनी बेटी का सामना करेंगी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि वहां अनजाने में ही अपनी बेटी की आंखों के सामने ही बेशर्मी की सारी हदों को पार कर चुकी थी।,,,
कोमल की मां कोमल के कमरे के बाहर दरवाजे पर खड़ी थी लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि दरवाजे पर दस्तक दे सकें,,, लेकिन आज वह तय करके आई थी कि ऊस बारे में वह कोमल से बात करके रहेगी और उसे अपने विश्वास में लेने की इसलिए दरवाजे पर दस्तक देने के लिए जैसे ही वह किवाड़ से अपना हाथ लगाई,, दरवाजा अंदर से खुला होने की वजह से अपने आप ही खुल गया,,, और सामने उसे कोमल नजर आ गई जोकि अपने कपड़े नाप रही थी,,,, दरवाजे पर अपनी मां को खड़ी देखकर वह बिना कुछ बोले ही अपनी सलवार को नीचे से पैरों के तरफ से खींच खींच कर उसे बड़ा करने की नाकाम कोशिश कर रही थी जो कि उसकी कद से छोटी ही थी।,,, वह बार-बार कोशिश कर रही थी लेकिन सलवार ठीक नहीं हो रही तो मन ही मन में बड़बड़ाते हुए बोली,,,।

क्या करूं अब शादी में क्या पहनुंगी मेरी सलवार तो छोटी पड़ गई,,,( वह मन में बड़बड़ा जरूर रही थी लेकिन वह अपनी मां को ही सुना रही थी,,, तभी मौके की तलाश में खड़ी उसकी मां मौका देखते ही बोली,,,।)

क्या हुआ कोमल?

सलवार छोटी पड़ गई अब मैं शादी में क्या पहनुंगी,,,,
( कोमल बेमन से बोली)

कोई बात नहीं बेटा नया खरीद ले रुक में पेसे लेकर आती हूं,,,,( इतना कहकर वह कमरे से बाहर निकल गई और कोमल बिस्तर पर बैठकर अपनी मां को जाते हुए देखते रहे वह समझ गई थी कि उसकी मां उसे फुश लाने के लिए सब कर रही है वरना उसे वह पैसे देने की बात नहीं करती,,,,,,, वह मन ही मन सोचने लगी कि कैसे अभी वह एक मां होने का फर्ज निभा रही है लेकिन रात को कैसे रंडी बनकर अपने ही भांजे से चुदवा रही थी।,,, एक औरत ने कितने रूप छुपे होते हैं यह उसे अब समझ में आने लगा था,,,,। वह सब सोच ही रही थी कि तभी उसकी मां कमरे में दाखिल होते हुए बोली,,,।

जाने बेटा पूरे ₹5000 हैं तेरी जो मन करे वह खरीद लेना एक नहीं दो ड्रेस खरीद लेना और तो और अपनी सिंगार विंगार का भी सामान खरीद लेना।,,,,,

( कोमल अपनी मां की बातें और ₹5000 को देखकर एक दम से चौंक गई,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां उसे सच में दे रही है कि मजाक कर रही है इसलिए वह रुपयों को बिना लिए ही बोली,,,।)

मम्मी तुम सच कह रही हो कि मजाक कर रही हो यह ₹5000 हैं ₹500 नहीं।,,,

मैं जानती हूं यह ₹5000 हैं और यह मजाक नहीं सच है। शादी के दिन तुम अच्छा कपड़ा पहनोगी तभी तो मेरे दिल को सुकून मिलेगा,,,।

लेकिन अगर पापा को पता चल गया तो,,,,,

कुछ पता नहीं चलेगा यह मेरे पेसे है मेरी बचत के,, मैं उनमें से तुझे दे रही हूं,,,,।


लेकिन मम्मी ये पैसे ढेर सारे नहीं हैं।

तेरी खुशियों से ज्यादा नहीं है,,,,। ले ईसे रख ले और बाजार जाकर आज ही अच्छा सा ड्रेस खरीद ले।
( वह कोमल को पैसे थमाते हुए बोली अब कोमल के सामने कोई विकल्प नहीं था वह अपनी मां के हाथों से पैसे ले ली इस समय उसके मन में खुशी छा गई थी क्योंकि इन 5000 से कुछ भी खरीद सकती थी। इस समय बहुत अपनी मां का वह रूप बिल्कुल भूल चुकी थी जब वह शुभम के साथ अपनी हवस मिटा रही थी इस समय उसके हाथों में ₹5000 थे जिससे वह कुछ भी कर सकती थी वैसे भी कोमल को कपड़ों का बहुत शौक था। वह अपने मनपसंद के कपड़े पहनना ज्यादा पसंद करती थी। मन में वह खरीदी करने के लिए बहुत कुछ सोचने लगी तभी वह बोली,,,।

लेकिन मुझे बाजार में कौन जाएगा सब लोग तो अपने काम में व्यस्त हैं।,,,,,

तू चिंता मत कर शुभम ले जाएगा तुझे,,, मैं उससे कह दूंगी कि तू जोभ़ी खरीदना चाहे वह उसे खरीदवादे,,,,
( शुभम का जिक्र होते ही कोमल की आंखों के सामने फिर से उसकी मां और शुभम के बीच हुए शारीरिक संबंध का चलचित्र किसी फिल्म की तरह आंखों के सामने नाचने लगा,,,,, अगर कोई और से नहीं होता तो वह शुभम के साथ जाने से इनकार भी कर देती लेकिन
इस समय जरूरत कोमल को थी।और वह इंकार नहीं कर सकी,,,, बस इतना ही बोली,,,।)

क्या वह मेरे साथ जाएगा,,,,?

हां क्यों नहीं जाएगा मैं कहूंगी तो जरूर जाएगा,,,
( अपनी मां के मुंह से इतना सुनते ही वह व्यंग्यात्मक तरीके से अपनी मां की तरफ देखने लगी जैसे कि कह रही हो कि हां क्यों नहीं जाएगा जब तुम अपनी उसे किसी भेंट की तरह चोदने के लिए दोगी तो क्यों नहीं जाएगा,,,,, कोमल भी अपनी बेटी को इस तरह से देखते हुए पाकर समझ गई कि वह ऐसे क्यों देख रही है इसलिए वह खामोश होकर बाहर की तरफ जाते हुए बोली,,,।)

तू तैयार हो जा मैं शुभम को भेजती हूं,,,।
( कोमल अपनी मां को जाते हुए देखती रह गई लेकिन वह इतना तो समझ गई थी कि उसकी मां आज उसके ऊपर इतना ज्यादा क्यों मेहरबान है,,,। उसके मन में अजीब सी हलचल हो रही थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह शुभम का सामना किस तरह से करेगी भला एक बेटी उस शख्स के साथ कैसे जा सकती है जो कि वह ऊसकी मां को ही चोदता हो।,,, यह सब ख्याल उसके मन में हलचल मचा रहे हैं थे। खैर अभी तो उसे बाजार जाना था इसलिए वह सब कुछ बोल कर तैयार होने लगी,,,,।
( दूसरी तरफ कोमल की मां ने शुभम को सब कुछ समझा दी थी की यही सही मौका है वह जो भी खरीदना चाहे उसे खरीदवा देना,,, और उसके मनपसंद का खाने को चाय समोसा ठंडा जो कुछ भी हो सब कुछ दे देना,,, तू आज उसे इतना खुश कर देना कि वह सब कुछ भूल जाए,,,, अपनी बड़ी मामी की बात सुनकर शुभम बोला,,,


तुम चिंता मत करो मम्मी यह सुनहरा मौका मैं अपने हाथ से जाने नहीं दूंगा,,,, आज मैं कोमल को इतना खुश कर दूंगा कि वह भूल जाएगी कि मैं तुम्हारी चुदाई किया था,,,,।
( शुभम का हाथ में विश्वास देखकर कोमल की मां को राहत हुई और वह मुस्कुरा दी,,,, क्योंकि वह कुछ और सोच रही थी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा बिल्कुल नहीं था कि,,, शुभम के मन में कुछ और चल रहा है वह उसकी बेटी के लिए कुछ और सोच कर रखा है।,,,,
शुभम अपने बड़े मामा की बाइक पर बैठकर कोमल का इंतजार करने लगा,,,,, उसके मन में लड्डू फूट रहा था वह बार-बार कभी घर की तरफ तो कभी ऊपर आसमान की तरफ देख ले रहा था मौसम बेहद सुहावना हो गया था। आसमान में जगह जगह पर काले बादल उमड़ रहे थे ऐसा लग रहा था कि कभी भी बारिश हो जाएगी धूप का नामोनिशान नहीं था ठंडी ठंडी हवा बह रही थी जोकि तन-बदन में स्फूर्ति का अहसास करा रही थी।,,, शुभम मन ही मन ठान लिया था कि आज यह हाथ में आया हुआ सुनहरा मौका वह ऐसे ही बेकार नहीं जाने देगा,,,। वह भी बहुत कुछ सोच कर रखा था।
सभी तैयार होकर कोमल आती हुई उसे नजर आई शुभम की नजर कोमल पर पड़ी तो उसकी नजरें को मन पर ही टिकी गई,,, बला की खूबसूरत लग रही थी कोमल,,,, बाजार जाने के लिए उसने आज चुस्त कपड़े पहने हुए थे,चुस्त कसी हुई सलवार में से कुश्ती चिकनी जांघे अपने आकार का वर्णन खुद ही कर रही थी। हवा में लहराते बाल गोरे गालों पर नाच रहे थे वह अपने मे ही मस्त चली आ रही थी शुभम तो उसकी खूबसूरती को देखता ही रह गया सीने पर छोटे-छोटे उभार नारंगीयो के आकार से कम नहीं थे,,,,। जोकी चुस्त-कुर्ती मैसे साफ झलक रहे थे।,,।,,, शुभम की प्यासी नजरें जो लड़की खूबसूरत बदन का ऊपर से नीचे तक आंखों ही आंखों में नाप ले रहे थे।,,,, कोमल जेसे ही शुभम के करीब पहुंची उसके दिल की धड़कन और ज्यादा बढ़ने लगी,,,। आज पहली बार कोमल के करीब आते ही शुभम की धड़कनों नैं अपनी गति बढ़ा दी थी,,, वह सोच रहा था कि कोमल बाइक पर बैठने वाली है लेकिन वह 5 कदम और चलकर आगे जाकर खड़ी हो गई,,, लेकिन उसके पांच कदम चलने से शुभम को 5 जन्मों के सुख का एहसास हो गया क्योंकि,,,, कोमल की कसी हुई सलवार में कैद उसकी खूबसूरत गदराई हुई गांड मटकते हुए अपने जलवे बिखेर रही थी,,, उसके हर एक कदम के साथ ताल से ताल मिलाते हुए उसके नितंब की दोनों फांकें आपस में रगड़ खाते हुए ऊपर नीचे हो रही थी। और यह देख कर उसके लंड ने हल्की सी अंगड़ाई ली जो कि यह शुभम के लिए इशारा था कि उसका दमदार लंड कोमल की गदराई हुई रस से भरी हुई नितंबों पर मोहित हो गया है।
शुभम कोमल को देख कर मुस्कुराया और एक्सीलेटर देकर बाइक को उसके करीब ले गया और कोमल भी बाइक पर बैठ गई,,, उसके बेठते ही शुभम ने एेक्सीलेटर बढ़ा कर बाइक को ऊंची नीची पगडंडियों से होकर ले जाने लगा।,,,,
04-02-2020, 05:00 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम के मन में लड्डू फूट रहा था क्योंकि उसके मन में आज कुछ और करने का विचार था। ऊंची नीची पगडंडियों से होते हुए वह बाइक ले जा रहा था,,,। जिसकी वजह से कोमल को झटका सा महसूस हो रहा था और वह बार-बार अपने आप को संभालने के लिए ना चाहते हुए भी शुभम के कंधे पर हाथ रख दे रही थी।
जो कि कोमल के कोमल हाथों का स्पर्श शुभम को उत्तेजित कर दे रहा था उसे यह स्पर्श अच्छा भीं लग रहा था।,,, बाइक बार-बार झटके खा रहे थे और कोमल बार-बार शुभम के कंधों का सहारा ले ले रही थेी कोमल को शुभम पर गुस्सा भी आ रहा था तभी वह गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,,।

ठीक से नहीं चला सकते बाइक,,,

क्यों क्या हुआ?

इतने झटके क्यों खिला रहे हो बाइक को,,,

अब मैं इसमें क्या कर सकता हूं तुम्हारे गांव की सड़क ही कुछ ऐसी है।

सड़क तो बिल्कुल ठीक है मेरे गांव की बस तुम्हारी निगाह ठीक नहीं है। ( कोमल व्यंग्यात्मक तरीके से बोली,,,।)

मेरी निगाहे भी ठीक है कोमल,,, बस तुम्हें ही नहीं समझ पा रही हो,,,,।

मैं खूब अच्छे से समझती हूं तभी कह रही हूं,,,, मैं तो तुम्हारे साथ ही नहीं आना चाहती थी वह तो मेरी मजबूरी है तो आना पड़ रहा है,,,।
( कोमल गुस्सा दिखाते हुए बोल रही थी शुभम उसकी बातों के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था अब उसका मन भी होने लगा कि कोमल के साथ थोड़ा खुल कर बात किया जाए ताकि,,, अपनी बातों से वहां उसे उत्तेजित कर सके क्योंकि धीरे-धीरे वह लोग गांव से काफी दूर निकल आए थे मौसम भी बड़ा सुहावना था इक्का-दुक्का लोग आते-जाते नजर आ रहे थे बाकी पूरी सड़क पर जानवर तक नजर नहीं आता था। पगडंडियों के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ों की छांव में शुभम अपनी बाइक दौड़ा रहा था और कोमल अपने आप को संभाले हुए उस पर बैठी थी तभी कोमल की बात सुनकर वह बोला,,,,)

अच्छा क्यों नहीं आना चाहती थी मेरे साथ ऐसा क्या हो गया कि मेरे से नफरत होने लगी,,,,( शुभम अच्छी तरह से जानता था कि कोमल ऊसकी मां की चुदाई को लेकर परेशान थी और इसी वजह से बात उस पर नाराजगी थी लेकिन फिर भी वह उसके मुंह से सुनना चाह रहा था।)

अब मेरे सामने बनने की जरूरत नहीं है शुभम तुम अच्छी तरह से जानते हो कि मैं क्या कहना चाह रही हूं।


सच कोमल मुझे कुछ भी पता नहीं है तुम मुझसे नाराज क्यों हो,,,। ( शुभम एक्सीलेटर हल्के से बढ़ाते हुए बोला)

चलो इतना तो पता चल गया ना तुमको कि मैं तुमसे नाराज हूं,,।


हां लेकिन यह नहीं पता चल रहा है ना कि तुम मुझसे नाराज क्यों हो,,,,।
( शुभम कोमल को अपनी बातों के जाल में फंसा रहा था वह जानता था कि औरतों को बातोसे ही बहलाया फुसलाया जा सकता है।,,,,)

तुम सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनने की कोशिश कर रहे हो,,,,।


सच कोमल मैं बिल्कुल नहीं जानता कि तुम मुझसे नाराज क्यों हो,,,। देखो जो भी हो लेकिन एक बात कहूं लेकिन दिल से कह रहा हूं,,। तुम आज बहुत खूबसूरत लग रही हो,,,। कसम से मैं झूठ नहीं कह रहा,,,।
( शुभम जानबूझकर खूबसूरती वाला जिक्र छेड़ दिया था,,, औरतों को अपने बस में करने का यह सबसे आसान तरीका होता है यह अच्छी तरह से जानता था कोमल शुभम की यह बात सुनकर कुछ देर तक खामोश रही,,, वह कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि शुभम की यह बात उससे भी क्रोधित होने के बावजूद भी उसे कहीं ना कहीं अच्छी लगी थी,,, उसे खामोश देखकर शुभम फिर से बोला।)

लगता है तुम कुछ ज्यादा ही नाराज हो तभी कुछ बोल नहीं रही हो,,,

मैं तुमसे बहुत नाराज हूं,,,,

लेकिन क्यों यह तो बता दो,,,

तुम्हारी हरकत की वजह से,,,,

हरकत कौन सी हरकत मुझे तो ऐसा कुछ भी याद नहीं कि मैंने कुछ ऐसी हरकत किया हूं जिससे तुम्हें दुख पहुंचा हो,,,,।
( शुभम जानबूझकर कोमल को अपनी बातों में गोल गोल घुमा रहा था,,, और बातों के दरमियान जानबूझकर रह-रहकर ब्रेक मार दे रहा था,,, जिससे कोमल अपने आप को संभाल नहीं पाती थी और सीधे जाकर शुभम के बदन से सट जा रही थी। और साथ में उसकी एक चूची भी उसकी पीठ से सट जा रही थी जिसका कोमल एहसास उसे अच्छी तरह से हो रहा था और वह एहसास उसे अंदर तक उत्तेजना से भर दे रहा था।,,,)

तुमने कौन सी गंदी हरकत किए हो यह तो तुम भी जानते हो शुभम,,।

सच कोमल मुझे बिल्कुल भी याद नहीं है कसम से,,।

कल रात वाली हरकत,,,,


रात वाली हरकत मैं कुछ समझा नहीं,,,,,, (शुभम जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए बोला)

घर के पीछे,,,,, ( कोमल गुस्से में बोली)

पर मैं रात को घर के पीछे तो गया नहीं था और उधर जाऊंगा क्यों,,,,।,,,,


मेरी मम्मी के पीछे-पीछे गए थे जो कि मैं अच्छी तरह से देख रही थी और तुम्हारे पीछे पीछे आई भी थी,,,।
( कोमल गुस्से में बोली कोमल की यह बात सुनकर शुभम समझ गया कि धीरे-धीरे कोमल सब कुछ बता देगी और वह यह देखना चाहता था कि कोमल कैसे अपने मुंह से अपनी मां की चुदाई की बात बताती है।,,,)


तुम किसी और को देखी होगी कोमल,,,,

मैं अंधी नहीं हूं शुभम,,,, मैं अच्छी तरह से देखी थी पहले मेरी मां घर के पीछे की तरफ गई मैं उसके पीछे ही जाना चाहती थी उसे कुछ राज की बात बताना था लेकिन तभी मैं देखेी कि तुम उसके पीछे पीछे जाने लगे,,, और मैं भी तुम्हारे पीछे चल दी,,,,।

चलो ठीक है मैं मान लिया कि मैं घर के पीछे गया था। पर मैं तुम्हारी मम्मी के पीछे नहीं गया था मुझे जोरों से पेशाब लगी थी इसलिए गया था।


तो वहां जाकर पेशाब करना चाहिए था ना लेकिन तुम तो कुछ और ही कर रहे थे,,,,।

क्या कर रहा था मैं,,,? ( शुभम जानबूझकर बोला)

तुम मेरी मम्मी को देख रहे थे और किस हाल में देख रहे थे यह तुम अच्छी तरह से जानते हो,,,,
( बातों ही बातों में शुभम और कोमल काफी दूर निकल आए थे और उन लोगों की बाइक मुख्य सड़क पर भाग रही थी।)
04-02-2020, 05:01 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
हां मैं जानता हूं कि मैं क्या देख रहा था,,,,। मे यह देख रहा था कि तुम्हारी मम्मी जल्दी से वहां से चली जाए ताकि मैं पेशाब कर सकूं,,,,।

झूठ बिल्कुल झूठ,,,,, तुम यह नहीं बल्की कुछ और देख रहे थे,,,,।


तुम कैसी बातें करती हो कोमल मैं भला और क्या देख रहा था मैं तो उनको वहां से चले जाने का इंतजार कर रहा था,,,।

तुम मेरी मम्मी की गांड देख रहे थे जब वह साड़ी उठाकर खड़ी थी तब,,,,( कोमल आवेश में आकर शटाक से बोल गई,,, लेकिन उसके मुंह से यह शब्द कैसे निकल गई है उसे भी नहीं समझ में आया भले ही आवाज में निकले थे लेकिन इन शब्दों का उपयोग उसने आज तक नहीं की थी इसलिए थोड़ा सा झेंप गई,,,, और यह शब्द सुनकर शुभम मन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि उसे लगने लगा कि उसकी गाड़ी धीरे धीरे पटरी पर जरूर आ जाएगी।,,, मन में यह सोचते हुए वह कोमल की बात पर एतराज जताते हुए बोला,,,।


यह क्या कह रही हो कोमल तुमसे कोई गलतफहमी हुई है मैं बना ऐसी हरकत क्यों करूंगा,,,,


अगर मुझे कोई और कहता तो शायद मुझे भी इस बात पर यकीन नहीं होता लेकिन यह तो मैंने खुद अपनी आंखों से देखी हुं तो भला इसे कैसे झूठला सकती हूं।,,,


हां कोमल मैं मानता हूं कि तुम्हारी मां की गांड मैं देख लिया था लेकिन वह अनजाने में ही हुआ था।( शुभम अब खुलकर बोलने लगा क्योंकि वह जानता था कि अगर वह इस तरह से खुलकर बोलेगा तभी कुछ बात बन पाएगी वह तो मन में ठान लिया था कि ऐसी ऐसी बातें करेगा कि कोमल की बुर अपने आप ही पानी छोड़ने लगे गी।,,, कोमल शुभम के मुंह से ऐसे खुले शब्द सुनकर सन्न रह गई, लेकिन बोली कुछ नहीं बस उसकी गलती बताते हुए बोली,,,।)

अनजाने में ही नहीं हुआ था सुभम यह सब जानबूझकर हुआ था,,,। मैं तुम्हारी हरकत को अपनी आंखों से देख रही थी।,,,

तुम कुछ नहीं जानती कोमल तुम बेवजह मुझ पर सिर्फ इल्जाम लगा रही हो कुछ जानती होती तो जरूर बता देती,,,, वैसे कोमल,,, तुम पर यह सलवार सुट जच रहा है,,,, मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तुम कोमल हो,,
( शुभम जानबूझकर उसे उकसाते हुए उसकी तारीफ कर रहा था यह शुभम की बहुत ही गहरी चाल थी जिसमें,,,, कॉमल आसानी से गिरफ्तार हुए जा रही थी,,, उसके मुंह से अपनी तारीफ सुनकर वह मन ही मन प्रसन्न हुए जा रही थी क्योंकि पहली बार कोई लड़का भले ही वह रिश्ते में उसका चचेरा भाई था,,, उसके मुंह से अपनी तारीफ सुनकर उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था कुछ पल के लिए वह शुभम और उसकी मां के बीच हुए संबंध को भूल जा रही थी, वह सुभम की बात सुनकर बोली,,,।)

अब बेवजह बात को बदलने की जरूरत नहीं है जो सच है वह हमें बता रहे हो और तुम जान बूझकर उसे अनजान बनने की कोशिश कर रहे हो,,,।


मैं भला बात को क्यों बदलने लगा लेकिन जो कुछ भी तुम कह रही हो वह सरासर गलत है और वैसे भी मैं तो सिर्फ तुम्हारी तारीफ कर रहा हूं कि तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो,,,।

रहने दो तारीफ करने को तुम्हारे मुंह से तारीफ अच्छी नहीं लगती,,।

ऐसा क्यों क्या मेरे मुंह से अंगारे बरसते हैं,,,,।


जो भी हो मैं नहीं जानती बस इतना जानती हो कि तुम बहुत ही गंदे हो,,, तुम मेरी मां को चो,,,,,,,,,,,,,,( वह इतना कहकर एकाएक खामोश हो गई,,, वह अंदर ही अंदर शरमा गई,,,, शुभम समझ गया कि कोमल क्या कहने जा रही थी और यह जानते ही उसके लंड में हलचल होने लगी,,,, वह तुरंत बोला।


क्या क्या क्या क्या कहा तुमने,,,,।

कुछ नहीं और मैं कुछ कहना भी नहीं चाहती बस इतना जान लो कि मैं तुम्हारे साथ आई हूं यह मेरी मजबूरी है वरना मैं तुम्हारे साथ जिंदगी में कभी नहीं आती,,,।

आखिर इतनी भी बेरुखी किस काम की कोमल,,, तुम मेरे बड़े मामा की लड़की होै इस लिहाज से तुम मेरी बहन हुई,,,,, ( शुभम इतना ही कहा था कि कोमल उसकी बात को बीच में काटते हुए बोली,,,।)

और मेरी मां तुम्हारी बड़ी मामी हुई लेकिन तुम अपनी बड़ी मामी के साथ क्या कर रहे थे,,,,,? ( कोमल प्रश्न सूचक शब्दों में बोली,,,।)
शुभम जानता था कि कोमल क्या कहना चाह रही है और क्या सुनना चाह रही है। बाइक अपनी रफ्तार से आगे बढ़ती चली जा रही थी शुभम समझ गया था कि अब बात को गोल गोल घुमाने से कोई फायदा नहीं है सीधे मुद्दे पर आने की जरूरत हो गई थी क्योंकि अगर यूं ही क्या हुआ क्या नहीं हुआ,,, यही गिनाने लगा तो इसी में समय गुजर जाएगा,,, और हाथ में आया या सुनहरा मौका भी ज्यादा रहेगा इसलिए शुभम मन ही मन में विचार करके बोला,,,।

हां कोमल मैं जानता हूं कि मुझसे गलती हो गई लेकिन क्या करूं मेरी आंखो के सामने नजारा ही कुछ ऐसा था कि मैं अपने आप को रोक नहीं सका,,,,।

तुम रोक सकते थे शुभम अपने आपको लेकिन तुम रुकना नहीं चाहते थे,,,, तुम आगे बढ़ना चाहते थे मैं साफ-साफ देख रही थी तुम्हारे चेहरे के भाव को जब मेरी मां अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुई थी।
( शुभम कोमल के मुंह यह सब सुनकर उत्तेजित हुआ जा रहा था उसे अच्छा लग रहा था कमल के मुंह से यह सब सुनना,,, बात को और ज्यादा नमक मिर्च लगाते हुए शुभम बोला,,,।)

कोमल ईसमे भला मेरी कौन सी गलती है मेरी जगह अगर कोई भी होता तो शायद वह भी वही करता जो मैं किया था,,,, अपनी आंखों के सामने नजारा ही कुछ ऐसा मादक हो तो इंसान क्या करें,,,
( शुभम की बातें सुनकर कोमल के तन बदन में भी अजीब थी हरकत हो रही थी मन ही मन सोचने लगी कि,,, देखु शुभम क्या बोलता है इसलिए वह बोली,,,।)

शुभम एक औरत पेशाब करते हुए तुम्हें भला उसमें ऐसा क्या दिख जाता है कि तुम अपने आपको संभाल नहीं पाए,,,।
( कोमल के बदन में भी जवानी का सुरूर चढ़ रहा था इसलिए तो उसके मुंह से भी पेशाब साड़ी उठाना यह सब जैसी बातें निकल रही थी।)

सच बताऊं तो कोमल में वहां कुछ करने नहीं गया था लेकिन मेरी आंखों ने जो देखा मुझसे रहा नहीं गया अब तुम ही बताओ जब इतनी खूबसूरत औरत अपनी साड़ी उठाकर अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड दिखाती हो तो भला कौन अपने आपको संभाल पाएगा,,,।
( शुभम कोमल को उकसाने के उद्देश्य से ऐसी बातें कर रहा था और इस बातों का कोमल पर असर भी हो रहा था गुस्सा के साथ-साथ उसे शुभम की यह बातें ना जाने क्यों अच्छी लगने लगी थी यह उम्र का ही दोष था,, तभी तो कोमल बातचीत को और ज्यादा बढ़ा रही थी वरना वह इस बारे में कुछ बोलती ही नहीं,,,। लेकिन वह बातों का दौर बढ़ाते जा रही थी इसलिए वह शुभम की बात सुनकर बोली,,,,।)

तुम अपने आपको रोक सकते थे शुभम एक औरत अगर साड़ी उठाकर पेशाब करने की तैयारी करती है तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं हो जाती कि तुम से रहा नहीं जा रहा हो,,, तुम वहां से जा सकते थे अपनी नजरें हटा सकते थे लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया क्योंकि तुम पूरी तरह से वासना से लिप्त हो चुके हो,,,, इसलिए तुम्हें औरत मैं सिर्फ अपना ही फायदा नजर आता है।
( शुभम बड़े आराम से कोमल की बातों को सुन रहा था लेकिन उसकी बातों का बिल्कुल भी बुरा नहीं मान रहा था क्योंकि वह जानता था कि कोमल अभी,,, नादान तो नहीं लेकिन फिर भी कुछ नहीं जानती उसे क्या मालूम की औरतों की हर एक लाछणिक अदाएं मर्दों के लंड पर ही वार करती हैं,,, उसे क्या पता कि औरतों का हल्का सा मुस्कुरा देने से भी लंड करवट बदलनेे लगता है,,,,। शुभम कुछ बोल नहीं रहा था बस मुस्कुराते हुए कोमल की बातों को सुन रहा था और, बाइक के शीशे में उतर खूबसूरत चेहरा देखकर मन ही मन प्रसन्नता के साथ साथ उत्तेजित हुअा जा रहा था। मोटरसाइकिल के शीशे में उसे साफ साफ नजर आ रहा था,, कोमल बार बार हवा से उड़ रही अपनी जुल्फों को संभाल रही थी और साथ ही अपने दुपट्टे को भी,,,, कोमल की यह अदा बेहद खूबसूरत लग रही थी। शुभम कोमल की मदहोश कर देने वाली जवानी की खुशबू में पूरी तरह से मदहोश हो चुका था। कोमल बोले जा रही थी और वहं बस सुने जा रहा था,,, सफर बड़ी मस्ती से कट रहा था। मौसम बड़ा सुहावना होता जा रहा था ऐसा लग रहा था कि कभी भी बारिश गिरने लगेगी और शुभम को बारिश का इंतजार था वह तो मन ही मन भगवान से मना रहा था कि बारिश हो जाए तभी शुभम कोमल की बात पर गौर करते हुए बोला,,,,।)
04-02-2020, 05:01 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
हां कोमल मैं अपनी नजरें हटा सकता था वहां से जा सकता था लेकिन एक मर्द के लिए यह नजारा बेहद मादक होता है भला वह औरतों के इस नग्नता के मादकता से कैसे बच सकता है मैं अपने आपको बहुत संभालने की कोशिश किया लेकिन मैं अपने आप को संभाल नहीं पाया,,,।

फिर झूठ तुम थोड़ा सा भी अपने आप को संभालने की कोशिश नहीं किए बल्कि तुम तो, मेरी मां की गांड देखकर अपना वह निकाल लिए थे,,,।
( शुभम कोमल के मुंह से इतना सुनते ही उत्तेजना से भर गया क्योंकि वह जानता था कि कोमल क्या निकालने के लिए बात कर रही थी उसे उम्मीद नहीं थी कि कोमल इतनी जल्दी यहां तक पहुंच जाएगी,,, उसे कोमल की यह बात बेहद सुकून भरी लग रही थी कोमल भी हैरान थी कि उसके मुंह से ऐसा क्यों निकल जा रहा है,,, कोमल की बात को समझने के बावजूद भी अनजान बनते हुए शुभम बोला,,।)

क्या निकाल लिए थे,,,?

अपना वो,,,,( कोमल नजरें नीचे झुकाते हुए बोली,,।)

अपना वो मैं कुछ समझा नहीं तुम क्या कह रही हो,,,

देखो शुभम जान कर भी अनजान बनने की कोशिश मत करो,,,।

मैं कहां इंसान बनने की कोशिश कर रहा हूं तुम्ह़ी मुझे बात को गोल-गोल घुमाते हुए बोल रही हो,,,, सीधे-सीधे क्यों नहीं बता देती कि मैंने क्या गलती किया हुं।
( शुभम की बात सुनकर कोमल खामोश हो गई वह सब कुछ बोल देना चाह रही थी लेकिन उसे बोलते हुए शर्म सी आ रही थी,,, मुख्य सड़क पर बाइक अपनी गति से चली जा रही थी। बाजार आने वाला था शुभम को यह नहीं मालूम था कि बाजार कब आएगा इसलिए वह बात को आगे बढ़ातै हुए बोला,,,।)

खैर छोड़ो खामखा तुम मुझ पर इल्जाम लगा रही हो अच्छा यह बताओ बाजार कितनी दूर है अभी,,,,।

बस आने ही वाला है और मैं खामखा तुम पर इल्जाम नहीं लगा रहे हैं मैं जो देखी वही बता रही हूं,,,।

देखो कोमल तुमने कुछ नहीं देखी जो देखी सब अधूरा देखी हो और अपने मन से ही मनगढ़ंत कहानी बना रही हो,,,,।


मैं मनगढ़ंत कहानी नहीं बना रही हूं मैं जो कह रही हूं सब सच कह रही हूं तुमने मेरी मां की गांड को देखकर अपना लंड बाहर निकाल कर उसे हिलाने लगे थे,,,।
( कोमल आवेश में आकर बोल गई लेकिन लंड शब्द बोलते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके मुंह से ऐसे शब्द निकल गए,,, और शुभम कोमल के मुंह से यह सुनकर मंद मंद मुस्कुराने लगा और उसकी मुस्कुराहट इस बात का सबूत था कि जैसा वह चाह रहा था वैसा ही हो रहा है।,,, शुभम जानबूझकर इस बात का एहसास कोमल को बिल्कुल भी नहीं दिला रहा था कि उसके मुंह से क्या निकल गया इसलिए वह खुद ही जल्दी से बोला।)

कोमल इसमें क्या मेरी गलती है मेरे जैसा जवान लड़का अगर किसी खूबसूरत औरत को इस हाल में देखेगा तो क्या करेगा,,।( अब शुभम कोमल को बहकाने के लिए उसकी मां के बारे में बढ़ा चढ़ाकर बोलने लगा।) और कोमल तुम्हारी मम्मी कितनी ज्यादा खूबसूरत हैं लंबी तंबी है,, चौड़ा सीना, और छातियों की शोभा बढ़ाते हुए उनकी बड़ी बड़ी चूचियां,,,।

यह क्या कह रहे हो शुभम,,,( कोमल शुभम को ठोकते हुए बोली लेकिन शुभम बिना रुके ही बोला,,,।)

अरे पहले सुनो तो,,, मैं सच कह रहा हूं तुम्हारी मम्मी बहुत खूबसूरत है तुम्हें पता है तुम्हारी मम्मी की चुचिया इतनी बड़ी-बड़ी है कि ठीक तरह से ब्लाउज में भी नहीं समा पाती,,,, और उनकी गांड कितनी गोल-गोल और बड़ी है कि साड़ी के ऊपर से भी सब कुछ साफ साफ नजर आता है,,।( शुभम जानबूझकर खुले शब्दों में कोमल की मां की तारीफ करते हुए उनकी नग्नता को अपने शब्दों में ढालते हुए कोमल को बता रहा था,,, कोमल की चढ़ती जवानी भी,, ऊबाल मार रही थी,,, इसलिए तो अब वह शुभम को रोक नहीं रही थी बल्कि उसकी बातों का मजा ले रही थी उसे भी अपनी मां की ही सही और इस तरह की बातें अच्छी लग रही थी,,, शुभम तो अब एकदम बेशर्मी पर उतर आया था इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)
और जरा सोचो जब तुम्हारी मां की मदमस्त गांड साड़ी के ऊपर कितनी खूबसूरत लगती है तो जब वह साड़ी उठा देती तो कितनी खूबसूरत लगती और यही उस दिन भी मेरे साथ हुआ जिसकी गांड को मैं साड़ी के ऊपर से देख देख कर ना जाने कैसी खुमारी में मदहोश होने लगा था,,, और वही गांड जब मैं पूरी तरह से नंगी देखा तो मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपना लंड निकाल कर हिलाने लगा,,,,,। ( शुभम पूरी तरह से बेशर्म बनकर अपनी चचेरी बहन के सामने खुले शब्दों में उस दिन के वाक्ये को बंया कर रहा था। जिसे सुनकर कोमल के तन-बदन में भी खुमारी छाने लगी,,,,।)
कोमल यही मेरी गलती है जो कि इसमें भी मेरी कोई गलती नहीं है यह सब उम्र का दोष है।,,,,

बात अगर इतने से रुक जाती शुभम तो शायद में तुम्हें माफ कर देती लेकिन तुमने तो बात को और ज्यादा बढ़ा दिया,,,,

मैंने कहा बात को आगे बढ़ा दिया,,,,।

चलो बनो मत,, तुम उसी तरह से अपने उसको,,,, हिलाते हुए मेरी मां के पीछे चले गए जब वह बैठकर पेशाब कर रही थी,,, और फिर,,, (इतना कहकर कोमल खामोश हो गई क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि इसके आगे वह अपनी बात कहने के लिए उन शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकती थी क्योंकि यह उसके संस्कार के खिलाफ थे लेकिन उम्र का पड़ाव उसे वह शब्द बोलने के लिए मजबूर कर रहे थे लेकिन कोमल की खामोशी को देखकर शुभम बोला ।)
04-02-2020, 05:01 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
और फिर,,,, और फिर क्या,,,,?
( शुभम जानता था कि कोमल इसके आगे क्या कहने वाली है और वह उसके मुंह से सुनना चाहता था,,,। कोमल मन ही मन में सोच रही थी ईतना कुछ तो बोल गई है यह भी बोल दे,,, वैसे भी उसकी चढ़ती जवानी यह सब गंदी बातों के चलते मदहोश होने लगी थी और उसे भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी इसलिए वह भी अश्लील शब्दों को बोलकर उन शब्दों के एहसास का मजा लेना चाहती थी इसलिए वह बोली,,,।)

फिर क्या,,,,,,, तुम ,,,, अपने उसको हिलाते हुए मेरी मां के उस में डाल दिए,,,,,( कोमल शरमाते हुए और घबराते हुए बोल गई,,,,, लेकिन इतना बोलते ही उसके जांघों के बीच हलचल सी होने लगी,,,, उसकी कुंवारी बुर में नमकीन पानी का सैलाब उठने लगा,,,। शुभम तो कोमल के मुंह से सुनने के लिए बेकरार सा बैठा था और जैसे ही उसके मुंह से इतना सुना वह झट से बोला,,,।


किसमे,,, बुर मे,,,, ( शुभम बुर शब्द एकदम बेशर्मों की तरह बोला था,,,।)


जब जानते हो तो फिर क्यों बोलते हो,,,,।
( कोमल शुभम की बातों पर एतराज जताते हुए बोली लेकिन उसके मुंह से बुर शब्द सुनकर उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,,।)

हां ऐसा ही हुआ कोमल लेकिन इसमें क्या मेरा दोष था। तुम सब कुछ देख रही थी तो यह भी देखी होगी कि किस तरह से तुम्हारी मां अपनी बड़ी बड़ी गांड और अपनी रसीली बुर दिखाते हुए मूत रही थी,,,,( शुभम अपनी बेशर्मी का ग्राफ और ज्यादा नीचे गिराते जा रहा था,,,) और तुम ही सोचो जब एक जवान लड़का और लड़की बहुत मस्त गांड और उसकी रसीली बुर देखेगा तो उससे भला कैसे रहा जाएगा,,, यह तो एक तरह से औरत की तरफ से मर्दों के लिए निमंत्रण हो गया और मैं भी तुम्हारी मां के दिए गए इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए वही किया जो एक मर्द को करना चाहिए था मैंने भी अपने लिंग को तुम्हारी मां की बुर में डालकर उन्हें चोदने लगा,,,,
( शुभम उत्तेजनात्मक स्वर में गाड़ी को एक्सीलेटर देते हुए बोल रहा था,,, उसे मालूम था कि वह जिन शब्दों का प्रयोग कर रहा है वह शब्द कोमल के कोमल मन पर बहुत भारी पड़ने वाले हैं और उसकी सोच बिल्कुल सही थे कोमल एकदम उत्तेजना ग्रस्त हो़ चुकी थी,,, चोदना शब्द सुनकर तो उसके तन-बदन में आग लग सी गई थी,,, शुभम के द्वारा कामुक शब्दों में वर्णन सुनकर कोमल की आंखों के सामने रात वाली घटना संपूर्ण रूप से किसी फिल्म के चलचित्र की तरह घूमने लगी,,, वह पल भर में ही सोचने लगी कि कैसे उसकी मां अपनी साड़ी उठाकर मुतने के लिए तैयार थी और शुभम उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड को देख कर एकदम से चुदवासा हो गया था पीछे से जाकर उसकी मां की बुर में लंड डालकर चोदने लगा था,,,,।,, यह सब सोचकर कोमल का गोरा चेहरा उत्तेजना के मारे लाल टमाटर की तरह हो गया,, जोकी मोटरसाइकिल के शीशे में शुभम को साफ साफ नजर आ रहा था,,,, तभी वह शरमाते हुए धीमे स्वर में शुभम से बोली,,,।)

लेकिन तुम्हें यह नहीं करना चाहिए था तुम अपने आपको रोक सकते थे,,,।

रोक तो मुझे तुम्हारी मम्मी मतलब की मामी भी सकती थी।,,,, लेकिन उन्होंने भी मुझे नहीं रोका यह भी तुम अच्छी तरह से देख रही होगी,,,,।
( शुभम की यह बात सुनकर कोमल सोचने लगी कि शुभम सच ही कह रहा है क्योंकि वह भी अच्छी तरह से देखी थी की,,, शुभम द्वारा इतनी है गंदी हरकत के बावजूद भी उसकी मां उसे बिल्कुल भी रोकने की कोशिश नहीं की थी वह सब सोच ही रही थी कि तभी सुभम बोला,,,।)
तुम बेकार में बात का बतंगड़ बना रही हो अगर मेरी हरकत ऊन्हे गंदी लगती तो वह खुद ही मुझे रोक दी होती,,,, लेकिन उन्होंने मुझे बिल्कुल भी नहीं रोकी बाकी तुम अच्छी तरह से देख रही होगी कि वह खुद ही मुझे झोपड़ी में चलने के लिए कह रही थी,,,,
( शुभम की यह बातों ने कोमल को एकदम खामोश कर दिया क्योंकि जो कुछ भी शुभम कह रहा था वह बिल्कुल सच कह रहा था कोमल मन में सोचने लगे कि अगर उसकी मां को एतराज होता तो उसे थप्पड़ मारकर उसे रोक देती लेकिन वह तो खुद ही उसे पास की झोपड़ी में जाने के लिए कह रही थी,,,, तभी कोमल बोली,,,।)

यही बात तो मुझे भी समझ में नहीं आ रही है अगर तुम इतना आगे बढ़ गए फिर तो मम्मी तुम्हें रोक सकती थी तुम्हें मार सकती थी लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया तभी तो मैं मम्मी से भी नाराज हो लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आता कि मम्मी ने आखिर ऐसा किया क्यों नहीं तुम्हें आगे क्यों बढ़ने दिया,,,, मम्मी के हाव भाव से ऐसा लग रहा था कि तुम दोनों के बीच पहले से ही,,,,,,।
( इतना कहकर कोमल खामोश हो गई और कोमल की बात को शुभम आगे बढ़ाते हुए बोला।)

तुम सही सोच रही हो कोमल मैं तुमसे कुछ भी नहीं छुपाऊंगा,,,,

शुभम सोच रहा था कि अब सही मौका आ गया है सब कुछ बताने का और वह जानता था कि उसकी नमक मिर्ची लगी गंदी बातों को सुनकर कोमल का कोमल मन मदहोश होने लगेगा और वह मदहोश हो रही कोमल के साथ वह सब आसानी से कर लेगा जो वह उसकी मां के साथ कर दे एकदम मस्त हो गया था,,,, इसलिए वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,,।

तुम सही सोच रही हो कि मेरी हरकत के बावजूद भी तुम्हारी मम्मी कुछ बोली थी वही मुझे रोकी क्यों नहीं क्योंकि हम दोनों के बीच पहले भी शारीरिक संबंध बन चुका था।
(

क्या मुझे यकीन नहीं हो रहा है,,,, ।( कोमल आश्चर्य से बोली।)

यही सच है कोमल,,,,।


तुम तो इतने गंदे हो वह हमें समझ सकती हूं लेकिन मेरी मां ऐसी नहीं हो सकती क्योंकि आज तक मैंने उनके बारे में कहीं भी किसी के भी मुंह से ऐसी बातें नहीं सुनी हुं की उन पर इस तरह का सक कर सकूं।,,,,,


देखो कोमल मैं जानता हूं कि तुम्हारी मम्मी बहुत अच्छी हैं लेकिन यह सब अनजाने में ही हो गया,,,,।
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04-02-2020, 05:01 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अनजाने में नहीं यह सब तुम दोनों का किया कराया है अब तो मुझे अपनी मां पर भी नफरत होने लगी है मुझे यकीन नहीं होता है कि मैं उनकी बेटी हूं तुम दोनों अपने रिश्तो का लिहाज बोलकर एक दूसरे के साथ इस तरह के संबंध बनाते आ रहे हो और तुम दोनों को जरा भी शर्म भी नहीं आई,,,,, ।( कोमल गुस्से में बोली जा रही थी, उसे अब अपनी मां पर भी बेहद क्रोध आ रहा था उसे अब तक सिर्फ शक हो रहा था कि उस रात के पहले भी उसकी मां का संबंध शुभम के साथ था लेकिन शुभम के मुंह से सुन लेने के बाद उसका शक यकीन में और सच्चाई से वाकिफ हो चुका था उसे अपनी मां से यह बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी इसलिए उसे अपनी मां से नफरत सी होने लगी थी और वह शुभम को भी भला बुरा कहे जा रही थी,,,, शुभम उसे समझाने की बहुत कोशिश कर रहा था लेकिन कोमल अब कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी जिस रिश्ते को याद करके उसके बदन में काम उत्तेजना का अनुभव हो रहा था अब उसकी जगह आवेश और क्रोध में ले लिया था अब कोमल उस दृश्य को याद करके जब उसकी मां साड़ी उठाकर पेशाब करने की तैयारी कर रही थी और शुभम अपना लंड पैंट से बाहर निकालकर मसल रहा था,,, यह सब दृश्य उसे दोनों की साजिश के तहत लगने लगी,,,, पीछे से जाकर उसकी मां की बुर में शुभम का युं लंड डालना,, कोमल के क्रोध को और भी ज्यादा बढ़ा रहा था,,, बार-बार उसे वह दृश्य याद आ रहा था जब,,,, शुभम उसकी मां की बुर में लंड डाला था तब उसकी मां हैरान परेशान और क्रोधित होने की वजह यह जानकर कि उसकी बुर में लंड डालने वाला दूसरा कोई नहीं सुभम है तो वह मुस्कुराने लगी थी,,,, और तब तक शुभम भी दो तीन बार उसकी बुर में लंड को अंदर बाहर कर चुका था और यह हरकत कोई और ना देख ले इसलिए खुद ही उसे झोपड़ी में चलने का इशारा की थी ताकि वहां खुलकर चुदाई का मजा ले सकें,,, यह सब याद करके उसके बदन में क्रोध की ज्वाला फूट रही थी वह दोनों के प्रति एकदम आवेश में आ चुकी थी,,,।

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शुभम और उसकी मां के बीच चुदाई का पल पल का दृश्य उसकी आंखों के सामने नाच रहा था लेकिन इस समय उस दृश्य को याद करके उसके बदन में किसी भी प्रकार की उत्तेजना का अनुभव नहीं बल्कि क्रोध का एहसास हो रहा था। शुभम लाख समझाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह सुनने को तैयार ही नहीं थी शुभम को लगने लगा कि उसका खेल उल्टा पड़ने लगा है। अब कोमल को समझाना नामुमकिन सा होता जा रहा था और उसके हाथ में आई बाजी उसे उसके हाथ से निकलती हुई लगने लगी थी इस सुनहरे मौके पर उसे पूरा विश्वास था कि वह आज कोमल के खूबसूरत जिस्म को हासिल करके रहेगा और उसके बदन के मदन रस को अपने होठों से पिएगा लेकिन कोमल के गुस्से को देखते हुए उसे यह सब नामुमकिन सा लगने लगा वह कैसे कोमल को मनाए कैसे उसके बदन अपनी बाहों में भर पाए यह सब सोच ही रहा था कि तब तक बाजार आ गया।
04-02-2020, 05:02 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
बाजार आ चुका था,, गांव का बाजार होने की वजह से बाजार कुछ खास बड़ा नहीं था लेकिन जरूरत का सामान मिल ही जाता था। शुभम के चेहरे पर हाथ में आया मौका खो जाने का डर साफ नजर आ रहा था। उसने यहां आने से पहले ना जाने कितने ख्वाब देख चुका था कोमल को लेकर,,, वाह सोच रहा था कि उसकी कामुक बातों की वजह से कोमल कामोत्तेजित हो जाएगी और वो उसके साथ संभोग सुख भोग सकेगा और उसे ऐसा होता नजर भी आने लगा था लेकिन ऐन मौके पर कोमल का रवैया बदलने लगा,,,, और उसका बदला हुआ मोड़ देखकर शुभम को अपने किए कराए पर पानी फिरता नजर आने लगा,,,,,, शुभम बाइक खड़ी किया ही था कि कोमल खुद ही कपड़े की दुकान में चली गई और वहां जाकर कपड़े पसंद करने लगी,,, शुभम भी तिनकों को सहारा समझकर मन में आग जगाए हुए कोमल के पीछे पीछे वह भी दुकान में प्रवेश कर गया,,, कोमल काउंटर पर अपने लिए कपड़े निकलवा रही थी,,, काउंटर पर खड़ी लड़की भी मुस्कुरा मुस्कुरा कर कोमल को कपड़े दिखा रहीे थी। कोमल के पास आज पर्याप्त मात्रा में पैसे थे जिसकी वजह से वह अपने मनपसंद किसी भी तरह के कपड़े को खरीद सकती थी इसलिए उसे और भी अच्छे कपड़े चाहिए थे और अपने मनपसंद के कपड़े लेकर के,,वह बहुत खुश नजर आ रही थी,,, लेकिन कपड़ों को पसंद करने में शुभम भी उसकी मदद कर रहा था जिसका वह बिल्कुल भी विरोध नहीं कर रही थी क्योंकि उसे यकीन था कि जो कपड़े लड़कों को अच्छे लगते हैं वह लड़कियों को जरूर पहनने में अच्छे लगेंगे इसलिए कोमल की पसंद में शुभम की भी पसंद शामिल थी,,, हालांकि कोमल शुभम से ज्यादा बातें नहीं कर रही थी बस हां, ना में ही जवाब दे रही थी।,,,, शुभम कोमल से ज्यादा से ज्यादा नजदीकी बनाने की कोशिश कर रहा था इसलिए साए की तरह उसके पीछे पीछे लगा हुआ था क्योंकि आज वह अपना इरादा पूरा करना चाहता था लेकिन जिस तरह से कोमल का मूड उखड़ गया था उसे देखते हुए शुभम के लिए यह काफी मुश्किल होता जा रहा था लेकिन फिर भी शुभम हार ना मानकर अपनी कोशिश जारी रखा था।,,,,, आगे आगे चल रही कोमल की खूबसूरती को वह पीछे से नजर भर कर देख रहा था उसके हिलते डुलते गोल गोल नितंबों पर उसकी निगाहें टिकी हुई थी,,,। कोमल की मदमस्त कसी हुई गांड को देखकर शुभम का लंड हिलेारे ले रहा था। बार-बार शुभम का मन उस पर हाथ फेरने को कर रहा था लेकिन अभी कोमल का मिजाज कुछ ज्यादा ही गर्म था इसलिए वहां यह गुस्ताखी करना ठीक नहीं समझ रहा था।,,, कुछ ही देर में कोमल ने अपने जरूरत की सारी खरीदी कर चुकी थी अब लगभग उसके पास पैसे भी नहीं बचे थे,,,,। इसलिए वह शुभम को चलने के लिए बोली लेकिन शुभम उसके मन में कामोत्तेजना के बीज बोना चाहता था,, इसलिए उसके मन को बहलाने के लिए वह बोला,,,,।

कोमल इतनी दूर आए हैं तो कुछ खा पी लेते हैं वैसे भी मुझे भूख भी लगी है चलो किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में चलते हैं,,।

यह तुम्हारे शहर का बाजार नहीं है यह गांव का बाजार है यहां कोई बड़ा रेस्टोरेंट नहीं है लेकिन हां,,, चलो मैं अच्छी जगह ले चलती हुं।,,,
( इतना कहकर वह आगे आगे चलने लगी सुभम ऊसे आगे जाते हुए देखने लगा,,, उसे किस समय कोमल के बदले हुए रवैये को देखकर आश्चर्य होने लगा,,, क्योंकि ईस समय उसके चेहरे पर नाराजगी के भाव बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहे थे,,, यह देखकर शुभम का चेहरा खिल उठा,,,, वह आगे आगे चले जा रही थी और सुभम भी उसके पीछे हो लिया,,, क्योंकि वह जानता था कि गांव के बाजार के बारे में उससे बेहतर कोमल ही जान सकती है। दो-चार दुकान छोड़ने के बाद ही एक नाश्ते की दुकान थी और कोमल दुकान के आगे खड़ी हो गई,,, ऊसके खड़ी होते ही शुभम समझ गया कि इसी दुकान की शायद कोमल बात कर रही है,,,, इसलिए वह कोमल के करीब जाकर बोला,,।

यही दुकान है?

हां यही है।,,
( कोमल का जवाब सुनते ही शुभम दुकान में प्रवेश कर गया और उसके पीछे पीछे कोमल भी,,, शुभम कुर्सी पर बैठ चुका था और उसके बगल में कोमल भी जाकर बैठ गई,,,, )

देखो कोमल यहां के बारे में मुझे कुछ ज्यादा मालूम नहीं है इसलिए क्या खाना है यह तुम्ही बताओ,,,
( कोमल यह सुनकर खुश हो गई वह जब भी बाजार आती थी तो गरमा गरम समोसे और उसके साथ ठंडा पीती थी,,,। इसलिए वह झट से गरमा गरम समोसे और Pepsi की बोतल के बारे में शुभम से बोल दी,,, शुभम को भी कोमल की बात से तसल्ली हुई क्योंकि वह बेझिझक बोल रही थी,,, शुभम को लगने लगा कि शायद उसका गुस्सा कम आने लगा है और इस बात पर शुभम को राहत मिल रही थी। शुभम ने भी दुकान वाले को जो कि गरमा गरम समोसे छान रहा था,,, उसे दो दो समोसे और 2 पेप्सी लाने के लिए बोल दिया,,,।,,,, कोमल से बात करना चाह रहा था लेकिन इस समय दुकान में और भी लोग मौजूद थे इसलिए कुछ बोल नहीं पा रहा था,,,, कुछ ही देर में दुकान वाला उनके टेबल पर समोसे और पेप्सी लेकर आ गया बातों का दौर शुरू करने के लिए शुभम बोला,,,।)

लगता है तुम्हें Pepsi बहुत ज्यादा पसंद है,,।

हां लेकिन समोसे के साथ ही मैं जब भी बाजार आती हूं समोसे और पेप्सी जरूर लेती हूं,,,। क्यों तुम्हें पसंद नहीं है क्या,,,।

मुझे भी पसंद है तभी तो मैं यह कह रहा हूं मेरी और तुम्हारी पसंद मिलती जुलती है,,,।
( इतना सुनकर कोमल मुस्कुरा दी,,,, और समोसे खाने लगी शुभम भी समोसे खाने लगा कोमल के मन में अभी भी शुभम ने जो किया उसको लेकर घृणा और क्रोध आ रहा था,,, लेकिन वह एक बात समझ नहीं पा रही थी की इतना गुस्सा करने के बावजूद भी उसका मन ना जाने क्यों शुभम के प्रति खींचा चला जा रहा था,,,। वह समोसे खाते हुए कनखियों से शुभम की तरफ देख रही थी लेकिन जब जब उसे वह दृश्य याद आता है जब शुभम,,,, उसकी मां की टांगों के बीच जगह बनाकर अपने लंड को ऊसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे चोद रहा था तब वह उसके चेहरे से अपनी नजरें हटा लेती थी,,, लेकिन पल भर में फिर से उसका मन शुभम के प्रति आकर्षित होने लगता यह बात उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही थी कि जिस लड़के से उसे नफरत करनी चाहिए थी उसके लिए प्रति उसका मन क्यों आकर्षित हुए जा रहा था,,,। यह बात कोमल की समझकर बिल्कुल परे थी लेकिन यही जवानी का दस्तूर भी था जवानी में कब किसके प्रति मन आकर्षित हो जाए यह कोई भी नहीं कह सकता भले ही वाह कितना भी नफरत के लायक क्यों ना हो।,,, और यही कोमल के साथ भी हो रहा था शुभम इस बात को नोटिस कर रहा था कि कोमल समोसे खाते हुए उसे कनखियों में देख रही है,,,, उसे यह सब अच्छा भी लग रहा था,,,,
कोमल को शुभम अच्छा लगने लगा था यह है उसकी सोच के बिल्कुल विपरीत था क्योंकि उसके मन में उसके प्रति नफ़रत भी हो रही थी उत्तर को भी आ रहा था लेकिन अपने मन पर उसका बस बिल्कुल भी नहीं चल पा रहा था। इसमें कोमल का दोस्त बिल्कुल भी नहीं था शुभम था ह़ी इतना खूबसूरत कि किसी का भी मन उस पर मोहित हो जाए,,,,, इसका ताजा उदाहरण खुद उसकी मां उसकी चाची और शहर में उसकी शिक्षिका शीतल थी जो कि बहुत ही परिपकव थी,,, अपने आप को संभाल पाने में बिल्कुल समर्थ थी लेकिन इसके बावजूद भी शुभम के प्रति इन औरतों का मन बहक चुका था,,,तो भला कोमल की क्या विषाद थी वह तो इस उम्र से गुजर रही थी कि कहीं भी किसी भी वक्त पांव फिसल जाए।
दोनों समोसे और पेप्सी की ठंडक लेकर दुकान से बाहर निकल चुके थे,,,, अब ऊन्हे गांव की तरफ जाना था,,, शुभम के हाथों से समय धीरे-धीरे रेती की तरह फिसलता जा रहा था,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कोमल को वह कैसे पटाए,,, शुभम कोमल के हाथों से कपड़ों को लेकर बाइक की डिक्की में रख दिया,,, शुभम बाइक पर बैठ चुका था और बाइक को स्टार्ट कर दिया था,,, कोमल जैसे ही बाइक पर बेठनें चली वैसे ही शुभम उसे रोकते हुए बोला,,,।

ऐसे मत बैठो कोमल दोनों तरफ अपने पांव करके बैठो एक तरफ पांव करके बैठती हो तो एक तरफ वजन लगने लगता है और गाड़ी चलाने में मुझे दिक्कत होती है,,,,
( शुभम की बात सुनकर कोमल उसकी बात मान गई और दोनों तरफ पांव करके बैठ गई,,, शुभम अपने चाल पर मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,, वह जानबूझकर कोमल को इस तरह से देखने के लिए बोला था ताकि वह जब भी ब्रेक मारे तो उसकी नरम नरम चुचिया उसकी पीठ से चिपक जाएं,,,, और शुभम उसे इस तरह से गर्म करना चाहता था बाइक चालू करके वह एक्सीलेटर देते हुए घर की तरफ लौटने लगा उसे समझ नहीं आ रहा था कि बात की शुरुआत कैसे करें उसके पास समय बहुत कम था अगर वह इस सफर के दौरान उसके साथ कुछ नहीं कर पाया तो हो सकता है कि कोमल यह बात सबको बता दें और उसकी बदनामी हो जाए,,,, ऐसा ना हो इसके लिए कोमल के साथ शारीरिक संबंध बनाना बेहद जरूरी हो रहा था शुभम के लिए इसलिए वह इसी जुगाड़ में लगा हुआ था वह जानबूझकर अपनी बातों से कोमल की बुर को गिली करना चाहता था इसलिए वह बात की शुरुआत करते हुए बोला,,,।

कोमल तुम मुझ से अब भी नाराज हो,,


तुमने कोई महान काम नहीं किया हो कि मैं तुमसे नाराज ना होऊ,,,

देखो कोमल तुम अपने नजरिए से देख रही हो इसलिए तुम्हें यह खराब लग रहा है लेकिन एक औरत के नजरिए से देखोगी तो तुम्हें भी यह सब अच्छा लगेगा,,,


क्या अच्छा लगेगा सुभम,,, मुझे ये अच्छा लगेगा,,,की तुम मेरी मां को चोदते हो,,
( कोमल गुस्से में खुले शब्दों में बोल रही थी, और कोमल के मुंह से 14 शब्द सुनकर शुभम को आशा की किरण नजर आने लगी उसे लगने लगा कि यह चिंगारी को अगर सही हवा मिले तो यह ज्वाला का रूप धारण कर लेंगे और यह से ज्वाला का रूप देने के लिए शुभम अपनी बातो मैं कामुकता की आग भरने लगा।,,, )

कोमल मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि बेटी होने के नाते तुमसे तुम्हारी मां और मेरे बीच का रिश्ता यह बर्दाश्त नहीं हो पा रहा है लेकिन कोमल इसमें तुम्हारी मां की कोई गलती नहीं है और ना ही मेरी कोई गलती है,,,।

हां इसमें तुम दोनों की गलती नहीं है तुम दोनों तो बिल्कुल नादान थे बच्चे थे इसके लिए ऐसा हो गया अपनी हवस को नादानी का नाम देकर निकलने की कोशिशमत करो
04-02-2020, 05:02 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
मैं इस में से निकलने की कोशिश नहीं कर रहा हूं करके तुम्हें सच्चाई बता रहा हूं,, कोमल,,, जैसे इंसान को भुख प्यास लगती है वैसे ही उनके जिस्म में इस तरह की भी जिस्मानी भूख पैदा होती है,,, और क्या उनकी याद भूख घर मै नहीं मिटती तो वह लोग अपनी भूख मिटाने के लिए बाहर का रास्ता इख्तियार करते हैं,,,।

तुम्हारी बात मेरे को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही है।,,
( कोमल आश्चर्य से बोली,,, शुभम बड़ी चालाकी से अपनी बाइक को कम रफ्तार से लिए जा रहा था क्योंकि वह सफर के दरमियां हीं अपनी मन की इच्छा को पूरी करना चाहता था इसलिए वह कोमल को ठीक से समझाते हुए बोला।)

देखो कमाल जो काम तुम्हारी मम्मी के साथ तुमने मुझे करते हुए देखी यही काम तुम्हारे पापा को करना चाहिए था लेकिन मुझे बताते हुए दुख हो रहा है कि तुम्हारे पापा तुम्हारी मम्मी पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते,,,

मतलब मैं कुछ समझी नहीं,,,।

देखो कोमल तुम्हारी मम्मी अभी बहुत जवान है तो उनके अंदर चुदवाने की भी भुख पेदा होती है।,,,
( शुभम के मुंह से अपनी मां के प्रति इतनी गंदी बात को सुनकर जहां पर उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन मन ही मन उसे अच्छा भी लग रहा था इस तरह से खुली भाषा में अपनी मां की चुदाई की बात सुनकर कोमल पूरी तरह से उत्तेजना की राह पकड़ ली थी,,, उसे शुभम की यह बात अच्छी लग रही थी और मैं नहीं मानता यह इच्छा भी रख रही थी कि शुभम इससे भी ज्यादा गंदी भाषा का प्रयोग करें,,,।)
और कोमल यह चुदाई की भूख एक मजबूत और तगड़े लंड से ही मिटती है। और इस उम्र में तुम्हारी मां को मोटा तगड़ा और लंबा लंड की जरूरत पड़ रही थी,,, जो कि चुदाई की यह भूख तुम्हारे पापा मिटा नहीं पा रहे थे,,, जो काम में तुम्हारी मम्मी के साथ कर रहा था वही काम तुम्हारे पापा को करना चाहिए था उन्हें चाहिए था कि तुम्हारी मम्मी को जी भर कर चोदे ताकि उन्हें किसी दूसरे मर्द की ज़रूरत ही ना पड़ सके,,,।( शुभम खुले शब्दो मे उसकी मां के बारे में बेहद गंदी बातें कर रहा था जो कि कोमल के तन-बदन में उत्तेजना के अंकुर को पानी देकर सींचने का काम कर रहा था,, उत्तेजना के मारे कोमल का गला सुर्ख होने लगा था,,, उसके चेहरे पर शर्म ओ हया की लाली खीेलने लगी थी,,,, ना चाहते हुए भी कोमल को यह सब बातें अच्छी लगने लगी थी,, कोमल पूरी तरह से खामोश हो चुकी थी और उसकी खामोशी देखकर सुभम को लगने लगा था कि उसकी गंदी बातें कोमल के बदन में कामोत्तेजना की लहर पैदा कर रही है,,,, शुभम के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला।)
और जब कोमल तुम्हारी मम्मी को तुम्हारे पापा की बेहद आवश्यकता होने लगी ऐसे में तुम्हारे पापा तुम्हारी मम्मी पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे पाए और तुम्हारी मम्मी मेरे साथ बहक गई,,,,।

बहक गई ऐसे कैसे बहक गई आज तक तो ऐसा कभी भी नहीं होगा पूरा गांव मेरी मां की इज्जत करता है और उनके संस्कार के बारे में आए दिन मुझे अच्छी-अच्छी बातें सुनने को मिलती है तो अब ऐसा कैसे हो गया कि मेरी मां बहक गई यह बात मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही,,,,।( कोमल एतराज जताते हुए बोली)

कोमल मैं समझ सकता हूं तुम्हारी भावनाओं को किसी भी लड़की के लिए उसकी मां का इस तरह से किसी गैर से चुदवाने अच्छा नहीं लगेगा और इसीलिए तुम्हें भी मुझ पर और तुम्हारी मां पर क्रोध आ रहा होगा लेकिन मैं जो कह रहा हूं सच कह रहा हूं ईसमें भी तुम्हारी मां का कोई भी कसूर नहीं है।,,,

नहीं इसमें तुम दोनों का ही कसूर है,,,।

देखो कोमल अगर तुम्हारे पापा तुम्हारी मम्मी की जरूरतों को पूरा करते तो उनके कदम कभी भी नहीं बहकते,,,,


तुम कहना क्या चाहते हो शुभम,,,?

देखो बुरा मत मानना मैं यही कहना चाहता हूं कि,, तुम्हारे पापा इस लायक है ही नहीं कि तुम्हारी मम्मी के जिस्म की प्यास बुझा सके,,,।
( अपने पापा की शुभम के मुंह से इस तरह से बेइज्जती भरे शब्द सुनकर कोमल से रहा नहीं गया और वह गुस्से में बोली,,,,।)

तब तो तुम्हारे पापा भी इस लायक नहीं होंगे कि तुम्हारी मम्मी के जिस्म की प्यास बुझा सके,,,।

क्या मतलब? ( शुभम आश्चर्य के साथ बोला)

मेरा मतलब यही है कि तब तो तुम्हारे पापा भी तुम्हारी मम्मी की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते होंगे तभी तो तुम अपनी मां को भी चोदते हो,,,,।
( कोमल की यह बात सुनकर शुभम एकदम से सन्न रह गया,,, उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वह क्या सुन रहा है,,, उसने एकाएक गाड़ी को ब्रेक लगा कर वहीं रोक दिया और कोमल की तरफ देखने लगा,,)
कुछ देर के लिए तो सुभम को अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हुआ कि कोमल क्या कह रही है,,, वह एकाएक बाइक को ब्रेक लगाकर कोमल को ही घूरने लगा,,, उसे यू घूरता हुआ देखकर कोमल बोली,,,।

क्यों क्या हुआ झटका लगा ना,,,,।( कोमल व्यंग्यात्मक स्वर में बोली। शुभम को कुछ समझ ही नहीं अा रहा था कि वह क्या बोले बस एक टक कोमल को ही देखे जा रहा था,,, तभी कुछ पल तक कोमल की तरफ देखने के बाद वह बोला,,,।)


कोमल तुम यह क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,।( इतना कहते हुए,,, वह नजरें चुराकर बाईक को किक मारने लगा क्योंकि बाईक बंद पड़ गई थी,,, शुभम के मन में अजीब सा डर पैदा हो गया क्योंकि जिस तरह से वह बोल रही थी उसे शंका सी होने लगी कि कहीं उसे उसके और उसकी मां के बीच के संबंध के बारे में पता तो नहीं चल गया,,,, शुभम को यूं नजरें चुराता हुआ देखकर कोमल बोली,,,,।


क्यों अभी क्या हुआ अभी तुम्हारा दिमाग काम करना क्यों बंद कर दिया क्यों तुम्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है अभी कुछ देर पहले तो तुम औरतों के सुख उनकी खुशी और मर्दों की नाकामयाबी के बारे में बहुत ज्यादा लेक्चर झाड़ रहे थे अब क्या हो गया,,,,,।
( कोमल के यह शब्द सुनकर शुभम बुरी तरह से सकपका गया था,,,,, बाइक स्टार्ट हो चुकी थी वह बाइक को एक्सीलेटर देते हुए बाइक आगे बढ़ा दिया और बोला,,।)

तुम बेवजह मुझ पर इल्जाम लगा रहे हो ऐसा कुछ भी नहीं है मैं जानता हूं कि मेरा संबंध है तुम्हारी मां के साथ होने की वजह से तुम मनगढ़ंत कहानी बना रही हो।


मैं कोई कहानी नहीं बना रही हूं बस तुम्हारा पाप तुम्हें याद दिला रही हूं,,,।

बस करो कोमल बेवजह की बातें बनाने की जरूरत नहीं है मैं जानता हूं कि तुम्हारी मां के साथ जो कुछ भी हुआ वह अनजाने में हुआ लेकिन यूं बेवजह मुझ पर कोई इल्जाम मत लगाओ,,,।

मैं अपनी आंखों से देखी हूं शुभम,,,।

आंखों से क्या मतलब है कि तुम अपनी आंखों से देखी हो तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम कुछ भी बोलोगेी और मैं विश्वास कर लूंगा जरा थोड़ा तो शर्म करो तुम किस पर इल्जाम लगा रही हो खुद मेरी मां पर,,, वह मेरी मां है मैं भला ऐसा कैसे कर सकता हूं तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो,,

इल्जाम नहीं हकीकत है,, और वह देखने के बाद ही तो मैं समझ गई कि तुम्हारे लिए रिश्ते कुछ भी मायने नहीं रखते, जो इंसान खुद अपने ही मां को चोद सकता है तो उसके लिए भला मामी चाची कौन सी बड़ी बात है।
( शुभम कोमल की बातें सुनकर मन ही मन घबराने लगा उसे यकीन हो चला था कि कोमल उसे कहीं ना कहीं देख चुकी है मैं समझ नहीं पा रहा था कि आज तक उसकी और उसके मां की रिश्ते के बारे में किसी को भी नहीं पता चला तो कोमल कैसे जान गई यह तो गजब हो गया है अगर यह बात किसी और को पता चल गया तब तो वह किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगा उसके मन में यही सब गढ़ मतलब चल रहा था।)
04-02-2020, 05:03 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
देखो कमल मैं रिश्तो की बहुत कदर करता हूं हां तुम्हारी मम्मी के साथ मतलब कि मेरी मामी के साथ मैंने जो कुछ भी किया वह अनजाने में और बहकने की वजह से हो गया,,, यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो लेकिन यह झूठा इल्जाम तो मत लगाओ कि मेरे और मेरी मां के बीच संबंध है,,,।

याद नहीं आ रहा है ना सुभम, चलो मैं ही याद दिला देती हूं।,,,( हवा से उड़ रही अपने बालों की लट को कान के पीछे ले जाते हुए बोली यह नजारा शुभम बाइक के शीशे में देख रहा था लेकिन इस समय अब उसकी खूबसूरती से ज्यादा उसका ध्यान उसकी बातों पर था)
याद है सुबह मैं दोपहर में बुआ को बुलाने आए थे मैं बार-बार दरवाजा खटखटाती रही लेकिन दरवाजा जल्दी नहीं खुला और जब खुला भी तो तुम्हारी मां को जिस हाल में मैं देखी थी मैं कल्पना भी नहीं कर सकती थी,, ( शुभम बाइक चलाते हुए बड़े ध्यान से कोमल की बातों को सुन रहा था।) बुआ जब दरवाजा खोली तो,,, मेरी नजर सीधे उनकी बड़ी बड़ी चूचियां पर पड़ गई जो कि एक दम नंगी थी और जिसे छुपाने के लिए ऊपर से साड़ी डाल रखी थी,,,,( शुभम यह सुनते ही एक दम से चौंक गया वह समझ गया कि कोमल सही कह रही है।)
मुझे यह देखकर बड़ा अजीब लगा,,, ना जाने क्यों मेरे मन में ऐसा लगने लगा कि कुछ गड़बड़ जरूर है क्योंकि तुम भी चादर ओढ़ के दूसरी तरफ मुंह फेर कर लेटे हुए थे,,,,। मैं बातें तो बुआ से कर रही थी लेकिन कमरे के अंदर का जायजा भी ले रही थी तभी मेरी नजर बिस्तर के नीचे फेंकी हुई ब्लाउज पर पड़ी और मेरा शंका थोड़ा बहुत यकीन की तरफ जाने लगा,,,, बुआ भी थके होने का बहाना बना रही थी और मेरे साथ नहीं आई,,, और मैं वहां से चली गई,,,,।
( शुभम कोमल की हर एक बात को सुनकर पूरी तरह से घबरा चुका था पर समझ गया कि जो नहीं होना था वही हुआ है,, लेकिन फिर भी अपना बचाव करते हुए बोला।)

तुम पागल हो कोमल,, सिर्फ इतना देखकर तुम कैसे अंदाजा लगा ली की मेरे और मेरी मां के बीच गलत संबंध है,,,। तुम तो अच्छी तरह से जानते हो कि कि गर्मी के मौसम में औरतें हमेशा गर्मी की वजह से अपनीे ब्लाउज निकाल कर ही सोती हैं,,,,। और रही बात ब्लाउज फेकने की तो वह फेकी नहीं होगी बल्कि बिस्तर से नीचे गिर गई होगी,,,,।,,, बस इतने से तुम कैसे अंदाजा लगा ले कि हम दोनों के बीच गलत संबंध है तुम्हें शर्म तक नहीं आई ऐसा इल्जाम लगाते हुए,,,
( शुभम गाड़ी एेक्सी लेटर बढ़ाते हुए बोला,,,,)

मुझे भी यही लगा था सुभम,,, मैं बार-बार अपने मन को समझाने की कोशिश कर रही थी कि जो मैं देख रही हूं और समझ रही हूं भगवान करे ऐसा ना हो,,, मेरे मन में यही ख्याल आ रहे थे कि हो सकता है कि जो मैं देखी हूं सब गलत होता है गर्मी की वजह से ही बुआ अपनी ब्लाउज निकालकर फेकी हो,,, लेकिन यह भी समझ में नहीं आ रहा था कि तुम इतनी गर्मी में भी और खुद ही कह रहे हो कि घर में में वह अपने ब्लाउज निकाल कर बिस्तर पर रख दी होंगी,,, और तुम ऐसे ही गर्मी में चादर ओढ़ कर पड़े थे,,,,।
( इतना सुनकर शुभम सकते में आ गया क्योंकि जो वह कह रहा था गर्मी के कारण तो उसके विरोधाभास वह भी चादर ओढ़ कर ही लेटा था,,। फिर भी वह अपना बचाव करने के लिए पूरा कसर करने पर आतुर था इसलिए वह बोला,,।)

चलो मान लिया कि तुम जो देखी उसे गलत समझ ली लेकिन फिर भी तो तुम ने हम दोनों के बीच ऐसा कुछ नहीं देखी जो कि गलत हो फिर भी तुम ऐसे तुम यह नहीं कह सकती कोमल कि हम दोनों गलत है,,,।


तुम ठीक कह रहे हो शुभम,,, बुआ के इनकार करने के बाद भी वहां से चली गई लेकिन मेरा मन नहीं माना क्योंकि मेरे मन में शंका पैदा हो चुकी थी कि तुम दोनों के बीच जरूर कुछ गलत हो रहा है और मैं यही अपनी शंका को मिटाने के लिए वापस कमरे की तरफ आई,,,,
अंदर से तुम दोनों की खुशर फुसर की आवाज बाहर आ रही थी,,,, मुझसे रहा नहीं गया और मैं दरवाजे में बने छेद से अंदर कमरे में झांकने लगी,,,( कोमल के मुंह से इतना सुनकर शुभम का दिल जोर से धड़कने लगा,, और कोमल अपने शब्दों का बार किसी हथौड़े की मानिंद उसके कानों पर करते हुए बोली) और अंदर का नजारा देखकर तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरकने लगी मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि मैं इस तरह का नजारा देखूंगी,,,,( शुभम का दिल भय से जमने लगा था,, क्योंकि अब वह भी जानता था कि कोमल क्या कहने वाली है।) मैं तो वह नजारा देखकर एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि एक मां बेटे आपस में इस तरह से गलत संबंध बनाएंगे,,,यह भी मे देख पा रही थी कि तुम्हारी मां को, तुमसे चुदवाने में जरा भी शर्म महसूस नहीं हो रही थी बल्कि वह तो खूब मजे ले रही थी और तुम भी कितने मजे के साथ,, अपनी मां की दोनों टांगो को फैला कर उनके ऊपर चढ़ कर उन्हें चोद रहे थे,,,,।
यह सब मैं अगर अपनी आंखों से नहीं देखती तो जिंदगी में कभी भी यकीन नहीं कर पाती,,,
( शुभम कोमल की बातें सुनकर एकदम से सन्न रह गया,,,) तुम इतने गंदे हो तुम्हारा भोला चेहरा देखकर कोई भी यकीन नहीं कर पाएगा,,,, अब क्या कहते हो शुभम तुम्हारे पापा भी तुम्हारी मम्मी की प्यास बुझाने में सक्षम नहीं है यह सच है?
( शुभम क्या बोलता है उसके पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था वह तो एकदम आवाक सा रह गया था, उसके सामने अब कोई भी रास्ता नहीं था कोमल जो कुछ भी बोल रही थी वह सनातन सत्य था,, जिसे झूठ लाने के लिए उसके पास कोई भी बहाना नहीं था।,, वह खामोश ही रहा,, पल भर में ही उसके चेहरे की रंगत उड़ गई थी,,, उसे यूं खामोश देखकर कोमल बोली,,)

क्यों क्या हुआ शुभम बोलती बंद हो गई अब नहीं बोलोगे कुछ,,,,, तुम और तुम्हारी मां दोनों गंदे हैं दोनों मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते को तार तार करते हुए एक मर्द और औरत के बीच का वासना का रिश्ता जोड़ लिए हो,,, तुम अपनी मां के साथ,,,चुदाई का खेल खेलकर यह साबित कर दिया कि तुम दुनिया के सबसे गंदे लड़के हो और तुम्हारी मां सबसे गंदी औरत है जो कि समझदार होने के बावजूद भी इस पवित्र रिश्ते को रोकने की वजाए बढ़ाते जा रही है,,,,।
सच कहूं तो तुम दोनों के बीच के यह अपवित्र रिश्ते को मैं अपनी मां से बताना चाहती थी,,, और इसीलिए उस दिन मौका देखकर उनके पीछे-पीछे जाने वाली थी लेकिन मुझसे पहले तुम उसके पीछे चलने लगे और मैं वहीं खड़ी हो गई यह देखने के लिए कि तुम क्या करती हो और जब तुम ऐसी वैसी हरकत करोगे तो मैं तुरंत आ जाऊंगी और गुस्से में सब कुछ बता दूंगी लेकिन वहां का नजारा देखकर मे दंग रह गई,,, मुझे लगा था कि तुम्हारी हरकत की वजह से मम्मी तुझे डांटेगी और मैं सब कुछ बता दूंगी,,, लेकिन तुम्हारी गंदी हरकत के बावजूद भी मम्मी तुमसे हंस कर बातें करने लगी और खुद ही झोपड़ी में जाने के लिए बोली तो मैं हैरान रह गई,,,,। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है तुम नहीं जानते शुभम कि मुझे अभी भी कितना ज्यादा क्रोध आ रहा है।,,,
( कोमल की बातें सुनकर वैसे तो शुभम के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था।

अपनी सच्चाई के बारे में क्योंकि आज तक किसी को भी कानों-कान भनक तक नहीं हुई थी उस हक़ीकत को कोमल जान चुकी थी यह जानकर शुभम को बहुत बड़ा झटका सा लगा था उसे लगने लगा था कि अगर कोमल कभी भी आवेश में आकर किसी को भी उसके और उसकी मां के बीच के गंदे रिश्ते को बता देगी तब क्या होगा अब तो वह दोनों पूरे परिवार की नजरों से नीचे गिर जाएगे। यह सोचकर शुभम काफी परेशान हुए जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कोमल को कैसे समझाएं कैसे मनाए कि इस राज को वह अपने अंदर ही राज बनाकर रखें,,, लेकिन वह जानता था कि कोमल कभी भी नहीं समझेगी क्योंकि वह गुस्से में थी,,, वह काफी सोचने के बाद उसे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था लेकिन तभी उसके दिमाग में घंटी बजने लगी उसे उम्मीद की किरण नजर आने लगी उसके पास एक ही रास्ता था जिसको अपने मन में सोच कर उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई,,,, लेकिन यह उम्मीद भी काफी ना उम्मीद कहीं बराबर थी लेकिन नामुमकिन बिल्कुल भी नहीं थी वह मन में यह सोच रहा था कि अगर कोमल का मुंह बंद रखना है तो जिस तरह से उसने उसकी मां कि चुदाई किया है उसी तरह से कोमल को भी अगर वह चोद दे,,, तब कोमल उसकी और उसके मां के बीच के संबंध को राज ही रखेगी क्योंकि तब वह किसी से भी बताने लायक नहीं रह जाएगी,,,,,, लेकिन कैसे मनाए यह उसे समझ में नहीं आ रहा था,, दोनों के बीच काफी लंबी खामोशी छाई हुई थी वह कम रफ्तार से अपनी बाइक को आगे बढ़ा रहा है ताकि उसके पास पर्याप्त मात्रा में समय बचे और वैसे अभी भी उसके पास काफी समय था आसमान में बादलों का झुंड तिरकट कर रहा था जो कि कभी भी बरस सकता था,,,,। और वास्तव में सुभम यहीं चाहता था कि बारिश हो जाए,,,,,, कोमल खामोश थी क्योंकि क्रोध में आकर उसने शुभम को लंबा चौड़ा भाषण सुना दी थी और तो और शुभम के गहरे राज को भी जान चुकी थी,,,, शुभम कोमल को मनाना चाहता था लेकिन कोमल का गुस्सा देखते हुए उसे यह नामुमकिन सा लग रहा था,,, लेकिन इस सफर के दौरान उसे मनाना भी बेहद जरूरी था लेकिन कैसे शुभम को कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था तभी उसके मन में ख्याल आया कि कोमल जिस तरह से चुदाई की बातों को खुलकर कर रही थी,,,, जरूर उन बातों को करते हुए उसके तन-बदन में चुदास की लहर फैल गई होगी,,, और उसे मनाने का यही रास्ता भीं था शुभम जानता था कि औरतें और लड़कियां गंदी बातें को सुनकर धीरे-धीरे मस्त होने लगती है और अगर उन्हें गंदी बातें अच्छी लगने लगती है तो इसका मतलब है कि वह अपने आप ही अपना सब कुछ समर्पण करने के लिए तैयार हो जाती हैं। शुभम भी यही करना चाहता था,,, वह अपनी रसीली बातों से कोमल को पूरी तरह से प्रभावित और उत्तेजित करके अपना काम निकालना चाहता था और यह सब उसे बहुत जल्दी करना था इसलिए वह कोमल से बातों की शुरुआत करते हुए बोला,,,।

मैं जानता हूं कमल कि मेरे पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन जैसा कि मैं तुम्हें बोला कि तुम्हारे पापा तुम्हारी मम्मी के जिस्म की प्यास को नहीं बुझा सकते और तुम्हारी मम्मी कि ठीक ढंग से चुदाई भी नहीं कर सकते ठीक उसी तरह जो तुम कह रही हो वह बिल्कुल ठीक है कि मेरे पापा भी मेरी मम्मी को ढंग से चुदाई का सुख नहीं दे सकते,,,, ।( शुभम अपनी कामुकता भरी बातों का ध्यान कोमल के ईर्द गिर्द फेलाने लगा,,, कोमल उसकी बात को सुनने लगी,,, क्योंकि भले वह गुस्से में थी लेकिन शुभम की गंदी बातें उसे अच्छी लगती थी,,, शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)
देखो कोमल जैसा कि मैं तुम्हें पहले भी बता चुका हूं कि औरतों को जिस तरह से पेट के लिए भूख लगती है उसी तरह से उन्हें,,, चुदवाने की भी भूख लगती है और ऊनकी रसीली बुर भी मोटे लंबे लंड के लिए तड़पती है,,,( शुभम जानबूझकर एकदम खुले शब्दों में बोल रहा था और उसी से मेरी तरह कोमल के चेहरे की तरफ देख ले रहा था वह उसके हाव-भाव को देखना चाह रहा था कि उसके गंदे शब्दों को सुनकर उसके चेहरे के हाव-भाव कैसे बदलते हैं,,, और शुभम की खुल़ी गंदी बातों को सुनकर कोमल के चेहरे का हाव भाव बदल रहा था जो कि शुभम को शीशे में साफ साफ नजर आ रहा था और उसके बदलते हुए चेहरे को देखकर उसके भी चेहरे पर मुस्कुराहट आने लगी थी,,,, वह अपनी बातों को और भी ज्यादा गंदा करते हुए बोला,,,,।) मेरी मां भी मोटे तगड़े और लंबे लंड के लिए तड़प रही थी वह भी अपनी बुर में मोटा लंड डलवाकर जबरदस्त धक्कों के साथ चुदवाना चाहती थी,,, वह चाहती थी कि कोई जवान मर्द उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपने मोटा लंड को उसकी रसीली बुर में डालकर तेज धक्को के साथ उसे चोदे,,, ताकि उसकी बुर भलभलाकर पानी फेंकने लगे,,,,
04-02-2020, 05:03 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( शुभम जानबूझकर इस समय कोमल की मां के बारे में ना बोल कर खुद अपनी मां के बारे में गंदी बातें कर रहा था ताकि उसकी मां की गंदी बातें सुनकर कोमल की बुर में भी पानी का सैलाब उठने लगे और शायद ऐसा हो भी रहा था,, वह बाइक पर बैठे-बैठे कसमसा रही थी,, जो कि दोनों तरफ एक एक पैर करके बैठने की वजह से उसकी बुर हलके से खुल गई थी जो की खुला तो बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता था क्योंकि वह अभी तक पूरी तरह से कुंवारी थी,,, लेकिन जिस तरह से उसने अपनी जांघों के बीच हाथ ले जाकर शायद अपनी पेंटी को एडजस्ट करने की कोशिश की थी और यह हरकत शुभम शीशे में देख लिया था और वह समझ गया था कि उसकी गरम बातों का असर कोमल पर होने लगा था। यह पक्के तौर पर अब यकीन हो गया जब कोमल ने सुभम से उसकी गरम बातों को सुनकर बोली,,)

तुम्हें कैसे मालूम कि तुम्हारी मम्मी को जो तुम कह रहे हो उसकी जरूरत है,,,,।( कोमल कसमसाहट भरी आवाज में बोली और उसकी यह बात सुनकर उसे बम के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव खेीलने लगे,, क्योंकि वह समझ गया कि कोमल को भी उसकी बात अच्छी लगने लगी है और यही उसके पास मौका था वह बेहद खुश नजर आने लगा पलभर में ही उसे लगने लगा के पास उसके पीछे बैठी कोमल इस समय कमर के नीचे बिल्कुल नंगी होती तो उसे पकड़ कर बैठी होती और तब उसे कितना मज़ा आता जब ऊसकी नंगी बुर उसके नितंबों से सटी होती और उसकी नरम नरम चिकनी जांगे उसकी जांघों से रगड़ खा रही होती,,,, पल भर में वह कल्पना के सागर में खोने लगा,, तो कोमल फिर से उसे दोबारा अपना सवाल दोहराते हुए बोली,,,,

बोलो ना सुभम तुम्हें कैसे पता चला कि तुम्हारी मां जो तुम कह रहे हो उसके लिए तड़प रही है,,,?


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