01-04-2019, 01:27 AM,
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
अनिल: मैं इधर हूँ दीदी! आह! सर दर्द से फट रहा है!
संगीता समझ चुकी थी की अनिल ने शराब पी रखी है|
दीदी: तूने शराब पी?
अनिल: Sorry दीदी...ये मेरा और दिषु भैया का प्लान था| जीजू ने मन किया था पर हमारे जोर देने पे वो हमारे साथ Bachelor's पार्टी के लिए गए थे| पर उन्होंने एक बूँद भी शराब नहीं पी! उनकी कोई गलती नहीं!
संगीता: तूने शराब कब से पीनी शुरू की?
अनिल: वो roomies के साथ कभी-कभी पी लेता था!
संगीता: देखा पिताजी...!
पिताजी: बेटा आज की young Generation ऐसी ही है| खेर छोडो इस बात को ..आज तुम दोनों की शादी है! मानु की माँ ...अनिल को चाय दो...इसका सर दर्द बंद हो तो ...आगे का काम संभाले|
अनिल: पिताजी...बस एक कप चाय और मेरा इंजन स्टार्ट हो जाएगा|
सुमन: पिताजी: मैं चाय बनाती हूँ|
मैं उठा और अपने कमरे में जाके चेंज करने लगा और फ्रेश होने लगा| तभी पीछे से संगीता आ गईं;
संगीता: Sorry
मैं: Its ओके जानू! Now gimme a kiss and smile!
संगीता: कोई Kiss Wiss नहीं ...जो मिलेगी सब रात को?
मैं: यार... that's not fair! कम से कम सुबह के गुस्से के हर्जाने के लिए एक Kiss दे दो!
उन्होंने ना में गर्दन हिलाई| और मैं बाथरूम जाने को मुदा की तभी उन्होंने अचानक से मुझे अपनी तरफ घुमाया और अपने पंजों पे खड़े हो के मुझे Kiss किया| मेरे दोनों हाथ उनके पीठ पे लॉक हो गए थे और उनके हाथ मेरी पीठ पे लॉक थे| मैं उनके होठों को चूसने में लगा था और उनके बदन की महक मुझे पागल कर रही थी| इतने में सुमन चाय ले के आ गई, हम ये भूल ही गए की दरवाजा खुला है|
सुमना: (खांसते हुए) ahem ! चाय for the love birds!
हम अलग हुए, और सुमन को मुस्कुराता हुआ देख संगीता ने मेरे सीने में अपना मुँह छुपा लिया| सुमन ने चाय टेबल पे रख दी और हमें देखने के लिए खड़ी हो गई| मैंने सुमन को जाने का इशारा किया..पर वो मस्ती में जानबूझ के खड़ी रही और मुस्कुराती रही| इतने में अनिल वहाँ आ गया और संगीता और मुझे इस तरह गले लगे हुए देख वो समझ गया और उसने सुमन का हाथ पकड़ा और खींच के बाहर ले गया|
मैं: Hey ...they're gone!
संगीता: They?
मैं: हाँ अनिल और सुमन|
संगीता: हे राम!
मैं: चलो जल्दी से Kiss निपटाओ और ....
संगीता: न बाबा ना ...बस अब नहीं...अगर माँ आ गईं तो डाँट पड़ेगी!
खेर मुहूर्त नौ बजे का था ... हमें यहाँ से बरात लेके छतरपुर जाना था| वहीँ का एक फार्महाउस पिताजी ने बुक किया था| संगीता, सुमन, अनिल, दिषु के माता-पीता और हमारे कुछ जानने वाले भौजी की तरफ थे| बरात लेके हम समय से पहुसंह गए और जो भी रस्में निभाईं जाती हैं वो निभाई गईं| अब बारी थी कन्यादान की! जब पंडित जी ने कन्यादान के लिए कहा तो पिताजी स्वयं आगे आये और पूरे आशीर्वाद के साथ उन्होंने कन्यादान पूरा किया| संगीता की आँखों से आंसूं की एक बूँद गिरी| मैंने देख लिया था पर उस समय रस्म चल रही थी तो मैं कुछ नहीं बोला| जैसे ही कन्यादान की रस्म समाप्त हुई मैंने उनके आंसूं पोछे और मेरे ऐसा करने से सब को पता चल गया की वो रो रहीं हैं| माँ उनके पीछे ही बैठी थीं, उन्होंने संगीता को थोड़ा प्यार से पुचकारा और उन्हें शांत किया| खेर इस तरह सारी रस्में पूरी हुईं और हम रात एक बजे के आस-पास घर पहुँचे|
ग्रह प्रवेश की रस्म हुई ... उसके बाद सब बैठक में बैठे थे...मैं और संगीता भी| बच्चे हँस-खेल रहे थे; मैंने उन्हें अपने पास बुलाया और बोला;
मैं: नेहा...आयुष....बेटा अब से आप मुझे सब के सामने पापा "कह" सकते हो!
दोनों ने मुझे सब के सामने पापा कहा और मेरे गले लग गए| दोस्तों मैं बता नहीं सकता मेरी हालत उस समय क्या थी? गाला भर आया था और मैं रो पड़ा| पिताजी उठे और मेरे कंधे पे हाथ रख के मुझे शांत करने लगे|
मैं: पिताजी......मुझे....सात साल लगे....सात साल से मैं आज के दिन का इन्तेजार कर रहा था|
पिताजी: बस बेटा...शांत हो जा...अब सब ठीक हो गया ना! अब तुम दोनों पति-पत्नी हो! बस-बस!
माँ: (मेरे आंसूं पोंछते हुए) बेटा.... तू बड़े surprise प्लान करता है ना? आज मैं तुझे पहला सरप्राइज देती हूँ? ये ले... (उन्होंने एक envolope दिया)
मैं: ये क्या है?
माँ: खोल के तो देख?
मैंने उस envelope को लिया तो वो भारी लगा...उसे खोला तो उसमें से चाभी निकली! इससे पहले मैं कुछ कहता माँ बोलीं;
माँ: तेरी नई गाडी! क्या नाम है उसका?
पिताजी: Hyundai i10!
मैं: Awwwwwwww thanks माँ! मैं उठ के माँ के गले लग गया| Thank You Thank You Thank You Thank You Thank You Thank You !!!
पिताजी: O बस कर thank you ...अब मेरी बारी ये ले... (उन्होंने भी मुझे एक चाभी का गुच्छा दिया|)
मैं: अब ये किस लिए? एक साथ कितनी गाड़ियाँ दे रहे हो आप?
पिताजी: ये तेरे फ्लैट की चाभी है!
मैं: मेरा फ्लैट? पर किस लिए? और मैं क्या करूँ इसका? Wait ...wait ....Wait .... आप मुझे अलग settle कर रहे हो! Sorry पिताजी.... मैं ये नहीं लेने वाला|
पिताजी: बेटा...तुम लोग अपनी अलग जिंदगी शुरू करो| कब तक हमसे यूँ बंधे रहोगे|
संगीता उठी और मेरे हाथ से चाभी ली और पिताजी को वापस देते हुए बोली;
संगीता: Sorry पिताजी! हम आपके साथ ही रहेंगे...एक ही शहर में होते हुए आपसे अलग नहीं रह सकते| मुझे भी तो माँ-बाप का प्यार चाहिए! और आप मुझे इस सुख से वंचिंत करना चाहते हो?
माँ: देख लिया जी...मैंने कहा था न दोनों कभी नहीं मानेंगे| मुझे अपने खून पे पूरा भरोसा है| अच्छा बहु ये चाभी तू अपने पास ही रख|
मैं: (संगीता से चाभी लेते हुए) ये आप ही रखो... हमें नहीं चाहिए|
पिताजी: अच्छा भई...ये बाद में decide करेंगे| अभी बच्चों को सुहागरात तो मनाने दो|
अनिल और सुमन जो अभी तक चुप-चाप बैठे थे और हमारा पारिवारिक प्यार देख रहे थे वो आखिर बोले;
अनिल: जीजू...आप का कमरा तैयार है? चलिए !
हम कमरे में घुसे तो अनिल और सुमन दोनों ने कमरे को सजा रखा था| सुहाग की सेज सजी हुई थी और मैं देख के हैरान था...की wow ....!!! इतने मैं आयुष और नेहा भागते हुए आये और जगह बनाते हुए मेरी टांगों में लिपट गए|
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01-04-2019, 01:31 AM,
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
ट्रैन से रास्ता बड़ा शांतिपूर्वक कटा, माँ और संगीता लोअर birth पे थे| पिताजी middle birth पे थे और मैं top birth पे था| नेहा और आयुष मेरे पास ही लेटे हुए थे, हालाँकि मुझे थोड़ा डर था की कहीं वो गिर न जाएं इसलिए मैं निचे आ गया और दोनों को अपने साथ नीचे ले आया| अभी कोई सोया नहीं था ...बातों में समय कट रहा था| मैं माँ के पास बैठा था और आयुष संगीता के गोद में सर रख के लेट गया| बातों-बातों में सोने का समय हो गया| पिताजी तो ट्रैन के झटके सहते हुए सो गए थे| माँ की भी आँख लग चुकी थी आयुष भी संगीता के पास ही सो चूका था| नेहा मेरी गोद में सर रख के सो चुकी थी...पर मुझे और संगीता को नींद नहीं आ रही थी| पर ये ओपन कम्पार्टमेंट था...तो कुछ भी करना नामुमकिन था| कुछ भी करने से मेरा मतलब है .... बात करना ...या साथ बैठना....!!!
संगीता ने मुझे इशारे से कहा की मैं आयुष को middle birth पे लिटा दूँ| मैंने बड़ी सावधानी से आयुष को उठा के middle birth पे लिटा दिया और एक बार चेक किया की पिताजी सो रहे हैं या नहीं| मुझे उनके खरांटें सुनाई दिए...मतलब वो सो रहे हैं| उन्होंने दूसरी तरफ करवट ले राखी थी, बस माँ थीं जो हमारी तरफ करवट लेके लेटीं थीं| संगीता उठ के बैठीं और मैंने नेहा को भी middle birth पे, आयसुह के साथ ही लिटा दिया| मैं आके संगीता की बगल में बैठ गया और ऊपर से हमने जयपुरी रजाई ले ली ,अंदर गर्माहट बानी हुई थी| माँ-पिताजी भी जयपुरी रजाई लेके लेटे हुए थे, बच्चों ने कम्बल ले रखा था| संगीता को बहुत हँसी आ रही थी...
मैं: क्या हुआ?
संगीता: कुछ भी तो नहीं....!!! ही..ही...ही...
अब एक तो मिडिल बिरथ खुले होने से ठीक से बैठा नहीं जा रहा था ऊपर से उनकी हँसी ....
संगीता: आप ऐसा करो अपना सर मेरी गोद में रख लो|
मैं: माँ-पिताजी ने देख लिया तो?
संगीता: Hwwwwwww ..... तो मैं रख लेती हूँ?
मैं: Cool
और संगीता ने मेरी गोद में सर रख लिया...अब मुझसे बैठा तो नहीं जा रहा था पर किसी तरह मुड़ी हुई गर्दन का दर्द बर्दाश्त करते हुए बैठा रहा| माँ की आँख खुली तो उन्होंने हमें ऐसे बैठे और लेटे देखा तो मुस्कुराईं और दूसरी तरफ करवट कर के लेट गईं| आधी रात को एक-एक करके नेहा और आयुष को बाथरूम ले गया और वापस आके संगीता के सिरहाने बैठ गया|
संगीता: आप भी ऊपर जाके सो जाओ|.
मैं: बाबू अगर ऊपर ही सोना होता तो आपके पास क्यों बैठता?
संगीता: I like it when you call me बाबू!!!
मैं: I know ....इसीलिए तो बाबू कहता हूँ आपको!
इतने में पिताजी उठे और मुझे कहा;
पिताजी: बेटा सो जा....कल का दिन भी इसी ट्रैन में गुजारना है|
मैं: जी
पिताजी बाथरूम चले गए और मैं बेमन से ऊपर जा के सोने लगा तो आयुष उठ गया और मेरे साथ सोने की जिद्द करने लगा| आखिर मैं उसे अपने साथ ले के सो गया| अगले दिन भी उसी ट्रैन में...उसी जगह बैठे-बैठे ऊब गए! Maybe I should have booke an airplane ticket! Danm!!!! Thank God I had my Laptop through which I was connected to you guys. उसी पे हम फिल्म वगेरह देख लिया करते थे...पर बच्चे थे की शैतानी करने से बाज नहीं आ रहे थे| अगले दिन दोपहर की बात है...पिताजी दरवाजे पे खड़े थे और सिगरेट पी रहे थे, माँ और संगीता अपनी-अपनी खिड़की पे बैठे थे| मैं जान बुझ के संगीता के पास बैठा था, आयुष Middle वाली birth पे था और लैपटॉप पे गेम खेल रहा था, नेहा माँ के पास बैठी थी और उसने माँ के साथ कंबल ले रखा था| तभी एक आदमी चिप्स वगेरह बेचने आया| मैंने उस आदमी को रोका;
मैं: भाई चार चिप्स के पैकेट और दो चॉकलेट और हाँ एक कोका कोला और एक thumbsup|
मैंने एक पैकेट नेहा को दिया दिया, एक माको एक संगीता को और एक आयुष को| करीब पांच मिनट बाद नेहा बोली;
नेहा: पापा आपको अब भी याद है की मुझे चिप्स पसंद हैं? आप कभी नहीं भूले?
मैं: इधर आओ...
मैंने नेहा को अपनी गोद में बिठाया और उसे कहा;
मैं: बेटा मैं आपको कैसे भूल सकता हूँ? आपकी हर एक पसंद न पसंद मुझे याद है|
आयुष: (ऊपर से झँकते हुए) और मेरी?
मैं: आपकी भी बेटा... अब आप भी नीचे आ जाओ..बहुत हो गई gaming ....वरना चॉकलेट नहीं मिलेगी|
आयुष नीचे आ गया और हम चारों एक ही सीट पे बैठे थे| पिताजी भी आ गए और चिप्स खाने लगे| संगीता अब पहले की तरह डेढ़ हाथ का घूँघट नहीं करती थी| डेढ़ हाथ का घूँघट मुझे गंवारों की निशानी लगती थी इसलिए मैंने उन्हीने मन किया था| पर शर्म और लाज के चलते वो सर पे पल्ला रखती थीं| पिताजी से कभी भी नजर मिलके कुछ नहीं कहती थी, हाँ माँ के साथ उसकी chemistry बिलकुल वैसी थी जैसी मैं चाहता था| खेर आयुष ने बड़ा Naughty टॉपिक छेड़ दिया;
आयुष: पापा मेरा छोटा भाई आएगा या छोटी बहन?
मैं संगीता की तरफ देखने लगा और वो इस कदर झेंप गई की पूछो मत! पर मुझे इसमें भी रास लेना आता था और मैंने संगीता को सताने के लिए बात लम्बी खींच दी;
मैं: बेटा ऐसा करते हैं vote कर लेते हैं? ठीक है पिताजी?
पिताजी कुछ नहीं बोले! मैंने उनकी चुप्पी को हाँ समझा;
मैं: जो लड़के के support में हैं वो हाथ उठाओ?
नेहा ने सबसे पहले हाथ उठाया बस और किसी ने हाथ नहीं उठाया|
मैं: तो सिर्फ एक वोट? तो जो लड़की चाहते हैं वो हाथ उठाओ?
इस बार मेरा हाथ उठा और आयुष ने भी हाथ उठाया ...पर सबसे ज्यादा जोश में वही था| माँ-पिताजी ने दोनों बारी हाथ नहीं उठाया!
मैं: माँ...पिताजी...आप लोग किसकी तरफ हैं?
पिताजी: किसी की भी तरफ नहीं....बच्चे भगवान की देन होते हैं| जो किस्मत में होता है वही मिलता है...लड़का या लड़की से कोई फरक नहीं पड़ता|
माँ: हाँ पर ये (आयुष) ये तो अपनी छोटी बहन को बहुत तंग करेगा...है ना?
आयुष ने हाँ में सर हिलाया और सब हंसने लगे;
नेहा: ऐसे कैसे करेगा तंग? मैं हूँ ना....मैं अपनी छोटी बहन को इससे बचाऊँगी!
नेहा की बात सुन के सब हंसने लगे ...सामने वाली सीट पे एक आंटी बैठी थीं..वो भी हंसने लगी|
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