10-07-2021, 06:49 PM,
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RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
"देख मुन्ना माकी चूचियाँ एक दम गोल और कितनी बड़ी बड़ी है. हम दोनो इन्हिका दूध पीकर बड़े हुए हैं. अभी भी इतनी भारी दिख रही है की जैसे दूध से भारी हुई है." यह कह कर मेने माकी एक चूची ब्रा के उपर से ही अपने हाथ में लेली और उसे हल्के हल्के दबाने लगा. फिर मेने माकी ब्रा का भी स्ट्रॅप खोल दिया और ब्रा भी बाँहों से निकाल दी. माकी सुडोल चूचियाँ अब हम दोनो भाइयों के सामने नंगी थी. में बारी बारी से माकी चूची दबाने लगा. उसके निपल को चींटी में भर मसालने लगा.
"ले मुन्ना तू भी छ्छू कर देख, कितनी मुलायम है. यह देख माका बड़ा सा निपल. इसे मुख में ले चूस. बचपन में तो तूने इसको बहुत चूसा होगा, अभी जवानी में चूस के देख तुझे मज़ा आ जाएगा. ऐसी मस्त औरत की चूचियाँ दबा दबा धीरे धीरे मस्ती ली जाती है. क्यों मा अपना दूध हम दोनो भाइयों को पिलाओगी ना." मेरी बात सुन अजय ने गप्प से माका एक निपल अपने मुख में ले लिया और उसे चुभलाते हुए चूसने लगा. मेने भी दूसरा निपल अपने मुख में ले लिया और में भी उसे ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा मानो उसके भीतर का सारा दूध निचोड़ रहा हूँ. तभी माने अपने दोनो हाथ हम दोनो भाइयों के सर के पिच्चे लगा दिए और हमारे सर अपनी चूचियों पर दबाने लगी. हम दोनो भाई भी माकी चूचियाँ मस्त होके कई देर तक चूस्टे रहे.
अजय: "भैया, माकी चूची पीने में जो मज़ा है वा ओर कोई चीज़ पीने में नहीं है. हम दोनो कितने खुश नसीब है की इस जवानी में माकी चूचियाँ एक साथ पीने को मिल रही है और मा भी कितने प्यार से अपनी चूची हमारे मुख में तेल तेल पीला रही है. मा तुम्हारी चूचियाँ अभी भी पूरी टाइट है. बहुत जान है इन में. मा तुम मस्त हो कर हम से अपनी चूचियाँ मसालवाया करो, हम से डबवाया करो, हम से चुस्वाया करो. हमें जब भी भूख लगे हमारे मुख में अपनी चूची ठूंस दिया करो."
मा: "अरे अब ये मेरी दूध पिलानेवाली चूची नहीं है बल्कि तुम दोनो के खेलने के लिए बड़ी बड़ी गेंदें हैं. खूब जी भर के इनसे खेला करो. तुम लोगों की जब भी इच्छा हो मेरी चूची मसल दिया करो, मेरी चूची पीनी हो तो उस में मुख लगा दिया करो में खुद तुम लोगों को अपने आँचल में धक प्यार से दूधु पिलावँगी."
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10-07-2021, 06:51 PM,
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RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-27
मेने माँ की गान्ड अपनी गोद में रख रखी थी और अपने छोटे भाई अजय को माँ की चूत पूरी फैला कर दिखा रहा था. चूत का गहरा
और बिल्कुल लाल सुराख ठीक अजय की आँखों के सामने था. वह बड़े चाव से चूत पर झुका हुआ उसे देख रहा था.
में; "ले मुन्ना अब ठीक से देख. तेरे भैया इसीके दीवाने थे. असली मज़ा तो इसी में है. देख अपनी माँ की चूत कितनी मस्त है. ठीक से अंदर तक देख. इसे छू, इसे सहला, इसे प्यार कर, इसे चाट, इसमें अंगुल घुसा कर देख. देख माँ की चूत कितनी गदराई हुई है. इसे एक बार चोदेगा तो फिर गान्ड मरवाना भूल जाएगा. देख तेरे लिए मेने माँ की चूत छोड़ी कर दी है. अब पूरी मस्ती ले इसकी." तभी अजय ने अपनी लंबी सी जीभ निकाल कर चूत के अंदर डाल दी और वह अपनी जीभ चूत के छेद में चारों ओर फिराने लगा. उसने अपने दोनो हाथ चूत
पर रख दिए और चूत को फैलाते हुए मस्त हो उसे चाटने लगा. अजय बार बार उस विशाल चूत को पूरी अपने मुख में भरने की कोशिश कर रहा था.तभी मेने माँ को खींच कर अपनी गोद में सीधा बैठा लिया और माँ की दोनो चूचियाँ अपने हाथों में भर ली. माँ के होंठ अपने होंठों
में ले लिए और चूचियाँ दबाते हुए उसके होंठ चूसने लगा. उधर मुन्ना चूत का रस पान कर रहा था.
में: "माँ आज तो तू एक साथ दोनो भाइयों की बीवी बन गई हो और देखो तुम्हारे साथ तेरे 6 फुट दो दो बेटे एक साथ सुहागरात मना रहे हैं. तेरी तो इस उमर में आ कर तक़दीर खुल गई है. अब से तुझे दो दो जवान लंड का एक साथ मज़ा मिलेगा. अब तेरी चूत और गान्ड को
लंड की कमी नहीं खलेगी. देखो तुम कैसे एक बेटे की गोद में बैठ अपनी चूची मसलवा रही हो और दूसरे बेटे से अपनी चूत चटवा रही हो.
" में गोद में बैठी माँ की टाँगें कुच्छ उपर उठा अजय के लिए माँ की चूत फैला रहा था, जिससे कि वह भीतर तक चाट कर मज़ा ले सके.
माँ: "जब मेरे दो दो जवान गान्डू बेटे मेरे लिए बहुएँ लाने की वजाय आपस में ही गान्ड मारा मारी करने लगे तो में क्या करती. जब तुम दोनो को ही आपस में शरम नहीं है तो में फिर शरम क्यों करूँ? जब तुम दोनो खुल के गान्ड मारा मारी और लंड चूसा चूसी का खेल खेलते हो तो में फिर चूत और गान्ड वाली होकर तुम दोनों गान्डूओ और चूतियों से मज़ा क्यों ना लूँ. छोटे वाले को देखो कैसा भुक्कड़ की तरह मेरी चूत पर पिला हुआ है और जब तू अपनी माँ को नंगी करके अपनी गोद में खड़े लंड पर बैठा सकता है तो मुझे तुम से चुदने में और मराने में
कैसा परहेज? बड़ा वाला मादरचोद चूतिया है तो छोटे वाला भोसड़ी का गान्डु."
में: "मुन्ना तूने माँ की बात सुनी, हम दोनो को गान्डू और चूतिया बोल रही है. देख बहन की लोडी हमें कैसी गालियाँ दे रही है. आज इसकी सारी गर्मी निकाल देनी है. इसकी चूत और गान्ड में बहुत गर्मी है. इसे आज एक रंडी की तरह चोदना है. साली बहुत नमकीन है." फिर मेने माँ की ठुड्डी पकड़ उसका चेहरा उपर उठा लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा, "अरे माँ में तो तेरे जैसी बेशरम और खुल के बात करनेवाली औरत का पक्का रसिया हूँ. तभी तो मेने तुझे पटाया है. तेरे लिए मुन्ना को भी राज़ी किया है. अब हम दोनो भाई तेरी मस्त जवानी को खुल के भोगेंगे. अबसे तुम हमारी साझे की बीवी हो. हम दोनो तुम्हारे पति हैं." यह कह मेने माँ को गोद से उतार दिया और खड़ा
हो गया. फिर मेने अजय को खड़ा किया और उसके सारे कपड़े उतारने शुरू किए साथ ही अजय भी मेरे कपड़े उतारने लगा. देखते
देखते हम दोनो भाइयों ने एक दूसरे को पूरा नंगा कर दिया. अब हम तीनों के शरीर पर वस्त्र नामकी कोई चीज़ नहीं थी. अजय का 10"
का लंड पूरा तना हुआ था. मेने अजय का लंड पकड़ माँ को दिखाते हुए कहा, "माँ अपने छोटे बेटे का लंड देख. मुन्ना का देख कितना
प्यारा 'मुन्ना' है. जब इससे चुदायेगि ना पूरी मस्त हो जाएगी." तभी अजय ने भी मेरा लंड पकड़ लिया.
अजय: "और माँ यह देख भैया का मूसल सा हल्लबि लॉडा. में तो इसे आराम से पूरा का पूरा ले लेता हूँ पर तू तो भीतर जाते ही हाय हाय करने लगेगी. तेरी तो चूत को फाड़ कर भैया भोसड़ी बना देंगे. हम चूतिए हैं तो तेरी मस्त चूत के लिए हैं और गान्डू हैं तो तेरी फूली फूली गान्ड के लिए हैं. में तो भैया के हल्लाबी लौडे से आराम से गान्ड मरा लेता हूँ पर तू अपनी सोच. भैया जब हुमच कर तेरे में पेलेंगे तब
तेरी यह कतरनी सी ज़ुबान बाहर आ जाएगी." तभी में माँ के पिछे चिपक गया और अजय माँ के आगे चिपक गया. हम दोनो मर्दाने भाइयों के बीच माँ पिसी जा रही थी. मेने माँ की चूचियाँ हाथों में समा ली और अजय माँ के होंठ चूसने लगा. में माँ की गान्ड की गर्मी लेते हुए
उसकी गान्ड पर लंड रगड़ रहा था और अजय उसकी चूत से अपना लंड टकरा रहा था.
में: "माँ अब बता पहले किससे चुदवायेगी, अपने बड़े बेटे से या छोटे बेटे से." तभी अजय बोल पड़ा,
अजय: "नहीं भैया माँ पर पहला हक़ आपका है. माँ से व्याह आपने किया है, सुहागरात आपकी है में पहले कहाँ से आ गया? चलिए
अब अपनी चुदासी माँ की चूत की प्यास बुझाइये." मेने माँ की चूत में अंगुल डालते हुए कहा,
में: "क्यों माँ तैयार होना अपनी इस मस्त चीज़ का स्वाद चखाने के लिए?"
माँ: "मेरे लिए तो तुम दोनो एक जैसे हो कोई भी पहले आ जाओ मुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है, तुम लोग चाहो तो दोनो एक साथ आ जाओ, दोनो को भी झेल लूँगी. विजय बेटे, मेरी चूत का तुम लोगों को स्वाद चखाने के लिए ही तो नंगी हुई हूँ. मुझे जी भर के चोदो, मेरे से जी भरके मस्ती करो. दो दो नंगे बेटों के बीच नंगी होने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. दो दो खड़े लंड एक साथ देख में वासना से जल रही हूँ, मुझे खुल
के भोगो मेरे प्यारों, में बिल्कुल तैयार हूँ." माँ की बात सुन में माँ को बिस्तर पर खींच लाया और उसे चित लेटा दिया. उसकी गान्ड के
नीचे एक बड़ा सा तकिया लगा दिया और उसके घुटने मोड़ चूत को उभार दिया.
में: "मुन्ना माँ की झान्ट भरी मस्त चूत देख कैसी खुल के मुझे दावत दे रही है. देख भीतर से कैसी चिकनी है. इस में तो तेरी गान्ड जैसे वॅसलीन लगाने की भी दरकार नहीं है." में माँ की चूत पर झुक गया और उसे चाटने लगा. मुन्ना ने मेरे लंड को अपने मुख में लेलिया और उसे अपने थूक से तर करते हुए चूसने लगा. कुच्छ देर चूत चाटने के बाद मेने माँ की टाँगों के बीच अपना आसन जमा लिया. मेरा लंड माँ की चूत के ठीक सामने था. अजय मेरे सामने माँ के ठीक बगल में बैठा हुआ था. उसने मेरा लंड पकड़ा और माँ की चूत के छेद से भिड़ा दिया.
फिर उसने दोनो हाथों से चूत फैला दी ताकि मेरा विशाल लंड उसमें आराम से जा सके. मेने धीरे से धक्का दिया तो माँ की लस्लसि चूत में लंड का सुपाड़ा ढुक गया. फिर धीरे धीरे लंड अंदर ठेलने लगा और कुच्छ देर में मेरा आधा लंड माँ की चूत में समा गया. अब में आधे लंड से ही माँ को चोदने लगा.
अजय: "भैया अभी तो आपका आधा ही भीतर गया है. क्या आपका पूरा इसमें नहीं जाएगा? ज़ोर लगा के ठेलिये. आज इसकी चूत फाड़ कर भाड़ सा भोसड़ा बना दीजिए." अजय की बात सुन मेने तीन चार करारे शॉट माँ की चूत में मारे और मेरा लंड जड़ तक चूत में समा गया. अब में माँ पर झुक गया और उसके होंठ चूसने लगा. उधर तीन चोथाई लंड बाहर निकालता और एक धक्के में वापस पूरा पेल देता. अभी धक्कों की स्पीड बहुत धीमी थी.
माँ: "अजय यह माँ की चूत है. ऐसे तो दो लंड एक साथ भीतर ले लूँ. ठीक से देख भैया का मूसल मेरी चूत में कितने आराम से जा रहा है. देख औरत की चूत को मरद कैसे चोदते हैं. ठीक से देखले और सीखले, आख़िर तुझे भी तो चोदनी है. तेरे भैया को मेरी जैसी बड़ी सी चूत चाहिए तो मुझे भी तेरे भैया के जैसा हल्लाबी लॉडा चाहिए. छोटी मोटी नूनी तो किसी कोने में ही अटक के रह जाएगी. ऐसे मस्ताने लंड की ही तो में पूरी शौकीन हूँ. इसीलिए जब तूने मेरी भैया से शादी की बात छेड़ी तो में फ़ौरन तैयार हो गई. में बहुत खुश हूँ कि तूने मुझे ऐसे लंड की दुल्हन बना दिया है. तेरा यह अहसान में कभी नहीं भूलूंगी. आ तेरा लंड चूस देती हूँ. ला इसे मेरे मुख में देदे." माँ की बात सुन में पूरा गरम हो गया था और अब चूत में लंड दनादन पेल रहा था. मेरे धक्कों की स्पीड बहुत ज़्यादा बढ़ गई थी और चूत फ़चा फच्च चुद रही थी
. इधर अजय ने माँ की छाती के दोनो ओर अपने घुटने जमा दिए और माँ के मुख के सामने उसका लंड लहराने लगा. माँ अजय के लंड
के सुपाडे पर अपनी जीभ फिराने लगी.
माँ: "वाह मेरे छोटे बेटे का लंड तो उसके जैसा ही मक्खन सा चिकना और प्यारा है. यह सुपाड़ा तो रसगुल्ले जैसा है. इसे तो अब रोज आइस क्रीम की कॅंडी की तरह चूसुन्गि. बड़ा बेटा तो मुझे बाज़ार की कॅंडी खिला के लाता है पर अब से में तो यह घर की ही कॅंडी चूसुन्गि."
यह कह माँ मुन्ने का लंड अपने मुख में लेने लगी. उसने आधा लंड अपने मुख में ले लिया और बाहर भीतर करते हुए थूक से तर करने लगी
. माँ अजय की गोटियों को हाथों से धीरे धीरे दबा रही थी. मेने माँ की दोनो चूचियाँ हाथों में लेली और माँ को कस के चोदने लगा.
में: "मुन्ना इस लंड खोरनी माँ के मुख में अपना पूरा लॉडा पेल दे. पूरा भीतर ठेल दे जिससे कि इसे ठीक से साँस भी नहीं आए. इसे भी थोड़ा पता तो चले कि दो दो लंड की क्या ताक़त होती है. देख में इसे कैसे कस कस के चोद रहा हूँ और यह गान्ड उछाल उछाल कर चुदा रही है. अपनी माँ पक्की चुद्दकड है. इसकी चूत में बहुत खाज है पर में इसकी चुदाई की आज सारी खाज मिटा दूँगा." मेरी बात सुन अजय माँ के मुख में लंड ठेलने लगा और उधर माँ भी पूरा मुख खोल अपने छोटे बेटे का लंड मुख में लेने लगी. थोड़ी ही देर में मुन्ना ने अपना लंड
जड़ तक माँ के मुख में दे दिया. अब वह लंड बाहर भीतर करते हुए माँ के मुख को चोदने लगा. माँ भी मुख आगे पिछे करते हुए पूरी तन्मय होकर लंड चूस रही थी. माँ ने अजय के दोनो चुतड़ों पर अपने हाथ जमा दिए और वह उन्हें अपनी ओर दबाने लगी. अब वह पूरा लंड मुख में भर बड़े आराम से चूस रही थी.
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RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-29
में: "देखा मुन्ना माके साथ मस्ती करने का मज़ा. देखो, मा कितनी खुल के मस्ती करवाती है. चलो हम तीनों साथ साथ नहाते हैं. आइस्क्रीम से बदन चिपचिपा हो गया है." यह कह हम सब मेरे बड़े बातरूम में आ गये. हम तीनों शवर के नीचे थे तभी मेने फुल फोर्स में शवर खोल दिया. ठंडे पानी की तेज़ धार हम तीनों के नंगे बदन पर पड़ने लगी. हम दोनों भाइयों ने माको हमारे बीच में लेकर बाँहों में जाकड़ लिया. मेने अपना लंड माकी गांद से भिड़ा रखा था और अजय ने झांतदार छूट से. हम कसमसाते हुए शवर में नहा रहे थे. तभी मेने एक बड़ी सी शॅमपू की बॉटल ली और ढेर सारा शॅमपू माके, अजय के और मेरे माथे पर गिरा दिया और शवर बंद कर दिया. में माके घने बालों को रग़ाद रग़ाद शॅमपू का झाग पैदा करने लगा, मा अजय के सर पर और अजय मेरे सर पर. यह बहुत ही फोम पैदा करनेवाला शांपू था इसलिए हम तीनों के सर, चेहरा और पूरा बदन फोम से भर गया. अब हम तीनों आपस में एक दूसरे के बदन रग़ाद रहे थे. मा मेरा लंड, गोतियाँ और झाँटेन रग़ाद रही थी, में अजय का लंड और उसकी गांद रग़ाद रहा था और अजय माकी छूट, चूचियाँ और गांद रग़ाद रहा था. हम एक दूसरे को रग़ाद रग़ाद कई देर नहलाते रहे. फिर मेने वापस शवर खोल दिया और कई देर फिर शवर के नीचे गुत्थम गुत्था होते हुए नहाते रहे.
कुच्छ देर बाद मेने शवर बंद कर दिया. हमारे बदन से पानी चू रहा था. अजय बातरूम के टीले लगे फ्लोर पर बैठ गया और मेरे खड़े लंड को मुख में ले चूसने लगा. उसकी देखादेखी मा भी नीचे बैठ गई और मेरी गोटियों से खेलने लगी. माने भी मेरे लंड पर मुख लगा दिया. कभी अजय उसे मुख में ले लेता और कभी मा. मा मेरी गांद दबा रही थी. तभी मुझे पेशाब करने की शंका महसूस हुई और मान में एक शरारत भरा ख़याल आया. माके मूतने का दृश्या मेरी आँखों के आयेज आने लगा. मेने सोचा की क्यों ना आज माके मुख में मूट की धार छ्चोड़ दूं. अभी यह पूरी मस्त है और एक बार इसके मुख में मेरे मूट की धार चली गई तो यह भी बिना हिचक के अपना मूत्रपान हम दोनो भाइयों को करवाएगी. यह सोच मेने अपना लंड माके मुख में पूरा तेल दिया और मूतने के लिए ज़ोर लगाया. ज़ोर लगाते ही हल्के हल्के मुत्रा धार निकल माके हलाक में गिरने लगी. पहले तो पूरी भीगी हुई माके समझ में ही नहीं आया की क्या हो रहा है पर फिर उसने मेरा लंड मुख से बाहर निकाल दिया. अब मेरे मुत्रा का वेग बढ़ गया था और मोटी धार के रूप में लंड से फोर्स के साथ निकल रहा था. माने ओर अजय दोनोने देखा की में मूट रहा हूँ. अजय यह देख पुर जोश में आ गया और उसने मेरे लंड को झट से अपने मुख में ले लिया और वा मेरा मूट गतगत पीने लगा. तोड़ा मूट अजय को पीला मेने लंड अजय के मुख से निकाल लिया और मुत्रा धार छ्चोड़ते हुए लंड को माके बंद होंठों से च्छुवा लंड मुख में देने के लिए ज़ोर लगाने लगा. मेरा मूट माके होंठों और पुर चेहरे को तार कर रहा था. मेने मा का चेहरा पकड़ उसे अपने लंड पर दबा दिया और माने मुख खोल दिया. मेने माके मुख में लंड दे दिया और तब तक माके मुख में मूटता रहा तब तक की मेरे मूट रुक नहीं गया और माने भी मेरे मूट की एक भी बूँद व्यर्थ नहीं जाने दी.
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10-07-2021, 06:52 PM,
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RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
में: "मा कैसा लगा अपने बेटे के मूट का स्वाद? मा चलो अब तुम खड़ी हो जाओ और आज हम दोनो बेटों के सामने खड़ी खड़ी मूटो. मा में तेरी झांतदार छूट से मूट की धार बहती हुई देखना चाहता हूँ. मुन्नने तो कई बार तुझे मूटते हुए देखा है पर मेने तो आज तक किसी औरत को ही मूटते हुए नहीं देखा."
मा: "तुम बहुत शरारती हो. माको छोड़ तो तूने कल ही लिया था और आज अपना मूट पीला उसे अपनी रंडी बना लिया. जब तुम लोगों ने मुझे अपनी रंडी बना ही लिया है तो में खुद भी रंडी बन पूरा मज़ा क्यों ना लून. मुझे तुम दोनो से प्यार है, तुम दोनों के लुंडों से प्यार है, तुम्हारे वीर्या को छूट में झदाने से प्यार है और सच कहूँ तो तेरा मूट भी मुझे बहुत मजेदार लगा. उसे पी कर तो में पूरी मस्त हो गई हूँ. में एक रंडी बन गई हूँ, एक ऐसी रंडी जो पूरी बेशरम हो कर छुड़वाना चाहती है, तुम लोगों से गांद मरवाना चाहती है, तुम लोगों का मूट पीना चाहती है. तो तू मुझे मूटते हुए देखना चाहता है. अब में मूट के खाली दिखावँगी नहीं बल्कि तुम दोनों के खुले मुख में मूतुँगी. यह सोच कर ही मुझे पेशाब करने की बहुत ज़ोर से हाज़त लग गई है." यह कह मा खड़ी हो गई. में और अजय फ्लोर पर घुटनों के बाल बैठ गये और माकी छूट पर अपनी आँखें गाड़ा दी. मेने माकी छूट थोड़ी छोड़ी कर ली और छूट के च्छेद के उपर बने पेशाब के च्छेद को अजय को दिखा हुए कहा,
में: "मुन्ना देख यह माका पेशाब करने का च्छेद है. माके मूट का झरना यहीं से बहेगा."
अजय: "भैया में तो सोचता था की जैसे हम लोगों के लंड में झड़ने का और मूतने का एक ही च्छेद है वैसे ही माका भी छोड़ने का और मूतने का एक ही च्छेद होगा पर माके तो अलग अलग हैं."
में: "अरे माके हर च्छेद का अपना अपना स्वाद है. तू देखता जा तुझे माके एक एक च्छेद की मस्ती करवाता हूँ. मा चलो अब मूतोना." मेरी बात सुन माने ज़ोर लगाया और मुत्रा च्चिद्रा से चुर्र्रर चुर्र्रर की आवाज़ से मुत्रा की तिवरा धार बह निकली. मुत्रा का रंग बिल्कुल पानी जैसा ही था. मेने फ़ौरन पूरा मुख खोल एक कप की तरह वहाँ जड़ दिया और माका वा अमृतमय मूट गतगत पीने लगा. तभी अजय ने कहा की भैया सारा अकेले मत पी जाना तोड़ा मेरे लिए भी छ्चोड़ना. अजय की बात सुनते ही मेने उस बहते झरने से मुख हटा मुन्ना का मुँह वहाँ लगा दिया. मुन्ना भी पूरा मस्त हो माका मूट पीने लगा. फिर मेने अजय का मुख वहाँ से हटा दिया और उस मुत्रा धार को अपने चेहरे पर गिरने दिया बीच बीच में अजय भी उसके सामने अपना चेहरा ले आता. हम दोनो भाई उस मादक मुत्रा स्नान का तब तक मज़ा लेते रहे जब तक मूट की धार पूरी तरह से बंद नहीं हो गई.
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10-07-2021, 06:53 PM,
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RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
माके मूट का स्नान ख़तम होते ही मेने वापस शवर खोल दिया और कई देर हम फिर शवर के नीचे नहाते रहे. इसके बाद मेने किंग साइज़ का टवल एक साथ हम तीनों के शरीर पर लपेट लिए और उस विशाल टवल के अंदर घुसे हुए हम तीनों हिल हिल कर अपनी पीठ, छाती, कमर, गांद उस टवल पर रगड़ते हुए पोंच्छने लगे. अपने बदन से पानी को सूखा कर हम वापस कमरे में आ गये.
मा: "ठंडे पनिसे नहाने के बावजूद भी मेरा शरीर तो जला जा रहा है. पुर शरीर में जैसे आग सी लग गई है. विजय बेटे तेरे मूट में ऐसा क्या मिला हुवा था की जब से उसे पिया है तब से एकाएक मेरे शरीर में जलन होने लगी है. देखोना मेरी छूट में चिंतियाँ सी रेंग रही है. पूरी छूट भीतर से जल रही है. तुम लोग खड़े खड़े देख क्या रहे हो? मेरा कोई इलाज कारोना. नहीं तो में जल के राख हो जवँगी." ऐसा कह माने मेरे होंठ अपने मुख में ले लिए और उन पर हल्के दाँत गादाती हुई अत्यंत कामतूर हो मेरे होंठ चूसने लगी. कई देर मेरे होंठ चूसने के बाद मा अजय के भी होंठ उसी तरह चूसने लगी.
में: "मा वही हालत मेरी हो रही है. तेरे मूट का स्वाद चखने के बाद तो ऐसी मस्ती चढ़ि है जैसी की आज तक नहीं चढ़ि. में तो आज तेरी गांद मारूँगा. आज मुन्ने की बरी है. वा जिंदगी में पहली बार एक औरत की छूट छोड़ेगा और वा भी अपनी माकी. मा मुन्ने को अपनी छूट बहुत मस्त हो कर देना. उसको छूट का ऐसा चस्का लगा दे की छूट का कीड़ा बन जाय. क्यों मुन्ना माकी छूट लेगा ना? खूब मस्त हो कर माको छोड़ना. तू बहुत नसीब वाला है की जिंदगी की पहली छूट तू अपनी माकी छोड़ने जा रहा है."
अजय: "हन भैया आप दोनो का मूट पीने से जो मस्ती चढ़ि है वैसी तो आज तक नहीं चढ़ि. मेरे लंड की नसें फॅट रही है. आज तो खूब मस्ती करते हुए, मज़ा लेते हुए में अपनी इस मस्तानी माको छोड़ूँगा. इसको जब में खेतों में मूटते हुए देखता था तब इसे छोड़ने की इच्छा नहीं हुई लेकिन इस साली का मूट पीकर तो ऐसी इच्छा हो रही है की एक झटके में ही पूरा लंड इसकी छूट में जड़ तक पेल डून, इसे एक रंडी की तरह छोड़ूं और चोद चोद कर इसकी छूट का भोसड़ा बना डून." यह बोल अजय माकी छूट के सामने घुटनों के बाल बैठ गया और उसमें पूरी जीभ घुसा उसे चाटने लगा. माकी छूट का दाना जो पूरा ताना हुवा था, उस पर दाँत गाड़ाने लगा.
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