01-01-2019, 12:07 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--7
गतान्क से आगे.................
“मुझे नही लगता कि इस वक्त तुम्हारा घर जाना ठीक होगा.” मोहित ने कहा
“पर मैं यहा हाथ पर हाथ रख कर तो नही बैठ सकती. इस से तो साबित हो जाएगा कि मैं ही कातिल हूँ.”
'मेरे साथ जो कुछ भी हो रहा है उसके लिए मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी' पद्मिनी ने कहा
'देखो मुझे नही पता था कि बात इतनी बढ़ जाएगी'
'तुम्हारी बेवकूफी की सज़ा मुझे मिल रही है'
'शायद किस्मत हमे साथ रखना चाहती है इसीलिए ये सब खेल हो रहा है. तुम्हारे आने से इस घर में रोनक सी है. मुझे तुम्हारा साथ बहुत अच्छा लग रहा है'
'यहा मेरी जान पर बन आई है और तुम्हे ये बेहूदा फ्लर्ट सूझ रहा है, शरम नही आती तुम्हे ऐसी बाते करते हुए'
तुम मुझे ग़लत समझ रही हो, मेरा कहने का मतलब ये था कि हमे मिल कर इस मुसीबत का सामना करना होगा'
'मैं जब तक तुम्हारे साथ रहूंगी किसी ना किसी मुसीबत में फँसी रहूंगी. मुझे जल्द से जल्द यहा से निकलना होगा' पद्मिनी धीरे से बड़बड़ाई.
'कुछ कहा तुमने'
'हां यही की मैं जा रही हूँ'
'तुमने सुना नही चारो तरफ पोलीस ढूँढ रही है तुम्हे. ऐसे में कैसे बाहर निकलोगी'
'कुछ भी हो मुझे जाना ही होगा'
तभी फिर से दरवाजा खड़कने लगा.
'राज ही होगा...चाय लाया होगा मेरे लिए' मोहित ने कहा.
'ठीक है उसे जल्दी रफ़ा दफ़ा करना...मुझे घर के लिए निकलना है' पद्मिनी ये कह कर टाय्लेट में आ गयी.
मोहित ने दरवाजा खोला. राज ही था. उसके हाथ में 2 कप चाय थी.
'गुरु आज मस्त चाय बनाई है'
'अच्छा ऐसा क्या कर दिया'
'इलायची डाली है गुरु...नगमा लाई थी कल'
'ठीक है तू जा...मैं चाय पी लूँगा'
'गुरु बात क्या है...बार-बार मुझे यहा से निकाल देते हो'
'कुछ नही राज...तू नही समझेगा'
'तुम्हारा मूड ठीक करने के लिए कुछ दिलचस्प बात करूँ'
'बाद में बताना नगमा की बात, अभी नही'
'पर मैं तो कुछ और ही कह रहा था...हां नगमा की बात से याद आया...गुरु कर ली फ़तह मैने उसकी गान्ड. बहुत मज़ा आया गान्ड मार के, सच में. तुम सच कहते थे मस्त गान्ड है उसकी. एक-एक धक्के में वो मज़ा था कि कह नही सकता...'
टाय्लेट में पद्मिनी को सब सुन रहा था. 'इन कामीनो को और कोई काम नही है, हर वक्त यही सब' पद्मिनी ने सोचा.
'वैसे तू कुछ और क्या कहने वाला था?' मोहित ने पूछा.
'वो हां...गुरु देखी तुमने न्यूज़ पूरी'
'हां देख ली'
'विस्वास नही होता ना की इतनी हसीन लड़की कातिल भी हो सकती है'
'हां यार यकीन नही होता पर टीवी पर दीखा तो रहे हैं' मोहित को पता था कि पद्मिनी सुन रही होगी इसलिए उसने यू ही चुस्की ली.
'मेरा तो दिल आ गया इस कातिल हसीना पर'
चुप कर दीवारो के भी कान होते हैं' मोहित ने कहा.
'सुनो तो सही...मैं जब न्यूज़ देख रहा था पहले तो डर लग रहा था. फिर बार-बार उसे देख कर लंड खड़ा हो गया. काश मिल जाए उसकी एक बार.'
'अबे चुप कर मरवाएगा क्या' मोहित ने कहा.
पद्मिनी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया.
'सच कह रहा हूँ गुरु अगर एक बार मैने उसकी मार ली ना तो वो सारी रात मुझसे मरवाती रहेगी और ये रातो को खून करना बंद कर देगी.' राज ने कहा.
'बहुत हो गया तू जा अब'
'गुरु रात भर नगमा से करने के बाद भी सुबह टीवी पर इस हसीना को देख कर वो दिल मचला कि रुका नही गया...मूठ मार ली मैने'
'अबे पागल हो गया है क्या चल निकल यहा से'
'क्या हुआ गुरु गुस्सा क्यों होते हो, मैं तो बस...'
'इसे कहीं मत जाने देना अभी बताती हूँ इसे मैं' टाय्लेट के अंदर से पद्मिनी चिल्लाई.
'ये कौन चिल्लाया गुरु' राज हैरत में बोला.
'मैने कहा था ना दीवारो के भी कान होते हैं' मोहित ने कहा.
'हां पर दीवारो के पास मूह कब से आ गया, चिल्लाने के लिए' राज ने कहा.
तभी टाय्लेट का दरवाजा खोल कर पद्मिनी बाहर निकली.
पद्मिनी को देखते ही राज की उपर की साँस उपर और नीचे की साँस नीचे रह गयी. उसके हाथ से चाय का कप गिर गया और उसकी टांगे थर थर काँपने लगी.
'हां तो फिर से कहो क्या कह रहे थे मेरे बारे में'
'ग...गुरु ये...' राज से कुछ भी बोले नही बन रहा था.
'अबे क्या कर रहा है, तेरा तो मूत निकल गया...'
पद्मिनी बहुत गुस्से में थी लेकिन फिर भी राज की ऐसी हालत देख कर हँसे बिना ना रह सकी.
'बस निकल गयी सारी हेकड़ी...बहुत बाते करता है...हुह' पद्मिनी ने कहा.
...................................
सुबह के 7 बजने को हैं. होटेल ग्रीन पॅलेस में एक खूबसूरत लड़की रूम नो 201 की बेल बजाती है. दरवाजा खुलता है.
'गुड मॉर्निंग सर' लड़की हंस कर कहती है.
'गुड मॉर्निंग...आओ-आओ मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था, मेरा नाम संजय है, वॉट'स युवर नेम?'
'जी मुस्कान'
'बहुत सुंदर नाम है...बिल्कुल तुम्हारी तरह...कुछ चाय-कॉफी लोगि' संजय ने पूछा.
'जी शुक्रिया...मैं घर से पी कर आई हूँ'
'क्या पी कर आई हो'
'चाय पी कर आई हूँ'
'मुझे तो यकीन नही था कि इतनी सुबह मिस्टर कुमार किसी को भेज देगा. आक्च्युयली मेरे पास अभी वक्त था और शाम को मुझे निकलना है. बहुत मन हो रहा था. इतनी सुंदर लड़की भेजेगा कुमार मुझे यकीन नही था.'
'शुक्रिया' लड़की ने कहा.
'किस बात के लिए?'
'मेरी तारीफ़ के लिए'
संजय ने मुस्कान को उपर से नीचे तक देखा और अपने बेग से 50,000 निकाल कर मुस्कान के हाथ में रख दिए और बोला,'ये लो तुम्हारी फीस'
मुस्कान ने पैसे चुपचाप पर्स में रख लिए.
'तुम कॉलेज गर्ल हो ना, मैने मिस्टर कुमार को कॉलेज गर्ल के लिए बोला था'
'जी हां मैं कॉलेज गर्ल हूँ'
'क्या करती हो कॉलेज में'
'क्या मतलब पढ़ती हूँ'
'मेरा मतलब बी.ए कर रही हो या बी.कॉम या कुछ और'
'मैं बी.ए फाइनल में हूँ'
'कब से हो इस लाइन में'
'ये मेरा पहला असाइनमेंट है' मुस्कान ने कहा.
'जो भी मुझे मिलती है यही कहती है' संजय ने हंसते हुए कहा.
'सर, मैं दूसरो का नही जानती लेकिन ये मेरा पहला है'
'तो क्या वर्जिन हो तुम'
'नही मेरा बॉय फ़्रेंड है'
'इस लाइन में मजबूरी से हो या फिर शौक से'
'जिंदगी है...मैं इस बारे में कुछ नही कहना चाहती' कहते कहते मुस्कान की आँखे नम हो गयी थी. पर जल्दी ही उसने खुद को संभाल लिया. ये वाकई में उसका फर्स्ट टाइम था.
संजय खड़ा हो कर मुस्कान के सामने आ गया और बोला,'अच्छा छोड़ो ये सब...चलो मेरे गन्ने को बाहर निकाल कर चूसना शुरू करो...बहुत मच्चल रहा है तुम्हारे मूह में जाने के लिए'
मुस्कान ने संजय की जीन्स का बॉटन खोल कर चैन नीचे सरका दी.
क्रमशः..............................
|
|
01-01-2019, 12:08 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
8
गतान्क से आगे.................
'आअहह जल्दी करो वेट नही होता'
मुस्कान ने एक हाथ से संजय के लंड को पकड़ कर बाहर खींच लिया. एक पल के लिए वो लंड को निहारती रही.
'कैसा है मेरा लोड्ा मेरी जान, तेरे बॉय फ़्रेंड के लंड से बड़ा है क्या जो ऐसे देख रही हो'
'नही बड़ा तो नही है...हां पर इसका मूह थोड़ा मोटा है'
'देखो भाई 50,000 दिए हैं मैने इसका-उसका मत करो इसे नाम से पुकारो.'
'आपके लंड का मूह थोडा मोटा है'
'ध्यान से देख साली...ये तेरे बॉय फ़्रेंड की मूँगफली से बड़ा है'
मुस्कान समझ गयी कि ये आदमी थोड़ा सनकी है वो तुरंत बोली,'हां-हां ठीक कहा बहुत बड़ा लंड है ये. मैने ठीक से नही देखा था.'
संजय ने मुस्कान के बाल मुति में भींच कर कहा,'आगे से ध्यान रखना समझी'
'आहह जी बिल्कुल' मुस्कान ने कराह कर कहा.
'चल अब चूस इस गन्ने को और बता ये मीठा है कि नही'
'जी अभी चख कर बताती हूँ'
'मुस्कान ने मूह खोला और संजय के लंड को मूह में आधा ले लिया.
'तू सुंदर तो है पर तुझे लंड चूसना नही आता. इतनी बुरी तरह से किसी ने आज तक मूह में नही लिया मेरा लंड.'
'जी ये मेरा पहली बार है'
'क्यों नही चूस्ति क्या अपने बॉय फ़्रेंड का लंड तू.'
'नही.....'
'देखो मैने पूरे पैसे दिए हैं मुझे एक दम मस्त ब्लो जॉब चाहिए. मैं अभी अपने लॅपटॉप में एक पॉर्न मूवी लगाता हूँ...उसमें जैसे लड़की चूस्ति है वैसे ही चूसना मेरा लंड...ओके.'
'जी...ओके'
............................
'सर हमने पूरे सहर की नाकेबंदी कर रखी है...वो जल्दी पकड़ी जाएगी'
'मुझे पल-पल की रिपोर्ट देते रहना विजय...बहुत प्रेशर है उपर से इस केस में'
'आप चिंता ना करें सर...केस तो सॉल्व हो ही चुका है...वो भी पकड़ी ही जाएगी'
'विटनेस के घर पर कितनी प्रोटेक्षन भेजी है'
'सर 2 हवलदार भेजे हैं'
'ह्म्म...उस नकाब पोश का कुछ पता चला कि वो कौन है.'
'नही सर अभी कुछ पता नही चला...पर जल्द पता चल जाएगा'
'ठीक है मेरी जीप लग्वाओ, मैं पूरे सहर का एक राउंड लूँगा'
'ओके सर...अभी लगवाता हूँ'
विजय सब इनस्पेक्टर है और जिसे वो सर-सर कह रहा है वो है रंजीत चौहान, इंस्पेकोर. सीरियल किल्लर का केस उसी के पास है.
अचानक विजय का फोन बजने लगता है. वो फोन उठाता है.....फोन पर बात करने के बाद वो कहता है,' सर 100 नो पर अभी-अभी किसी ने फोन करके बताया है कि होटेल ग्रीन पॅलेस के रूम नंबर 201 में छुपी है पद्मिनी अरोरा'
'ह्म्म मैं खुद चलूँगा वाहा...फ़ौरन जीप लग्वाओ'
'ओके सर' कह कर विजय कमरे से बाहर आ जाता है.
15 मिनट बाद होटेल ग्रीन पॅलेस का बाहर पोलीस की जीप रुकती है. इंस्पेक्टर चौहान, सब इनस्पेक्टर, विजय को साथ ले कर होटेल में घुसता है.
'रूम नो 201 किधर है' इनस्पेक्टर चौहान ने रिसेप्षनिस्ट से पूछा.
'क्या बात है सर?' रिसेप्षनिस्ट ने पूछा.
'साले अभी अंदर कर दूँगा...रूम दिखा कहा है' एक तो इनस्पेक्टर दीखने में ही भयानक था उपर से ये रोब...रिसेप्षनिस्ट की तो हालत खराब हो गयी.
'आओ सर मैं खुद आपको रूम तक ले चलता हूँ'
'हां जल्दी ले चल' चौहान ने कहा.
कुछ देर बाद इनस्पेक्टर चौहान विजय के साथ रूम नो 201 के बाहर था.
रूम के अंदर लॅपटॉप पर पॉर्न मूवी चल रही है और माहॉल गरम है.
'देखो कैसे चूस रही है ये ब्लोंड हप्सी का मोटा लंड...देखी है ऐसी मूवी कभी'
'नही सर...'
'साली देखा कर...जब अपनी गान्ड तूने बाजार में उतार दी है तो कुछ स्किल तो सीख...बहुत कमाएगी अगर मेरी बात मानेगी तो.'
'ओके सर... मैं सीख लूँगी'
'अभी सीखा कुछ...'
'हां-हां बिल्कुल.'
'चल फिर चूस मेरे लंड को...बिल्कुल उसी तरह जैसे मूवी में वो हप्सी का चूस रही है'
लड़की ने बड़ी सावधानी से संजय के लंड को पकड़ा और जैसे मूवी में दिखाया था वैसे मूह में लेने की कोशिस की.
'आअहह..... तू तो सीख गयी...पक्की रंडी बन जाएगी तू आज'
तभी रूम की बेल बज उठी.
'कौन आ गया इस वक्त...मैने मना किया था कि डिस्टर्ब मत करना' संजय बड़बड़ाया.
"कोई गड़बड़ तो नही" लड़की ने पूछा.
"चिंता मत कर, ये होटेल बिल्कुल सेफ है...ज़रूर कोई बेवकूफ़ वेटर होगा...तू मूवी पर ध्यान लगा...मैं अभी आता हूँ"
वो दरवाजा खोलता है लेकिन पोलीस को वाहा पाकर उसके पसीने छूट जाते हैं.
"क्या हुआ जनाब...चेहरे का रंग क्यों उड़ गया हमे देख कर" इनस्पेक्टर चौहान ने कहा.
"क्या बात है सर?"
"तुम्हारे साथ और कौन-कौन है!" चौहान ने पूछा.
"मेरी फियान्से है साथ मेरे"
"क्या नाम है उसका"
"जी मुस्कान"
"ह्म्म मुस्कान, ठीक है मुझे तुम्हारा रूम चेक करना है" चौहान ने रूम में घुसते हुए कहा.
"पर इनस्पेक्टर साहब बताए तो सही कि बात क्या है"
"थोड़ी देर में सब पता चल जाएगा ज़ुबान बंद रख" चौहान ने रोब से कहा.
इनस्पेक्टर कमरे में आ गया. लड़की ने तब तक चेहरे पर दुपपता लपेट लिया था.
"हे लड़की चेहरा दिखा अपना" चौहान ने पूछा.
"क्या बात है सर!"
"सुना नही...दुपपता हटा मूह से और थोबड़ा दिखा अपना"
लड़की ने दुपपता मूह से हटा लिया.
"अरे पूजा जी आप यहा...आप यहा क्या कर रही हैं?"
"जी मैं अपने फियान्से से मिलने आई थी"
इनस्पेक्टर का माथा ठनका. उसने लॅपटॉप में झाँक कर देखा. उसमें अभी भी पॉर्न मूवी चल रही थी. "हे तुम मेरे साथ बाहर आओ एक मिनट" चौहान ने संजय से कहा.
"पर बात क्या है इनस्पेक्टर साहब" संजय ने कहा
कमरे से बाहर आ कर चौहान ने कहा,"सच-सच बता क्या रिस्ता है तेरा इस लड़की से"
"सर...वो मेरी फियान्से है"
"अच्छा क्या करती है तेरी फियान्से"
"वो बी.ए फाइनल में है"
"कौन से कॉलेज में"
"भूल गया सर पता नही"
"अच्छा...चल ये बता कहा रहती है तेरी फियान्से काअड्रेस तो पता होगा तुझे उसका"
"आप ये सब क्यों पूछ रहे हैं"
तभी चौहान ने एक थप्पड़ रसीद कर दिया संजय के मूह पर. थप्पड़ इतनी ज़ोर का था कि संजय का सर घूम गया.
"अब सच बताता है या के एक और दूं कान के नीचे"
"बताता हूँ-बताता हूँ सर...वो एस्कॉर्ट है"
"क्या कहा?" चौहान को इस सच की उम्मीद नही थी. वो तो सोच रहा था कि उनका कोई इल्लिसिट अफेर है.
"सच कह रहा हूँ सर...वो लड़की एस्कॉर्ट है"
"तुम कहाँ से आए हो"
"सर मैं देल्ही से आया हूँ"
"कब आए थे यहा"
"मैं रात 12 बजे आया था यहा"
"विजय..." चौहान ने विजय को आवाज़ लगाई जो कि कमरे में था.
"जी सर" विजय फ़ौरन हाजिर हो गया.
"ये लड़की तो वो नही है जिसकी हमे तलास थी...कमरा अच्छे से चेक किया और कोई तो नही है अंदर" चौहान ने कहा.
"नही सर कमरे में और कोई नही है...हां पर कमरे में बेड के तकिये के नीचे से ये चाकू मिला है" विजय ने कहा.
"इतने बड़े चाकू को तकिये के नीचे रख कर क्या कर रहे थे तुम"
"जी वो मैं...मैं" संजय ने हकलाते हुए कहा.
"क्या मैं-मैं लगा रखा है...क्या मतलब है ऐसा चाकू रखने का"
"सर मेरे ग्रह-नक्षत्र खराब चल रहे है उसी के उपाए के लिए मैं रोज अपने तकिये के नीचे ये चाकू रखता हूँ. ज्योतिसी ने बताया था."
क्रमशः..............................
|
|
01-01-2019, 12:08 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--9
गतान्क से आगे.................
"छोटे-मोटे चाकू से काम नही चलता था तुम्हारा जो इतना बड़ा चाकू रख लिया" चौहान ने कहा.
"सर मुझे यही पसंद आया...मैने रख लिया"
"ह्म्म....विजय एक मिनट इधर आओ" चौहान ने विजय को कहा.
"जी सर" विजय ने कहा.
"तुम इसे थाने ले जाओ और डरा धमका कर छोड़ देना. और हां 1 पेटी से कम मत लेना. ज़्यादा तीन-पाँच करे तो अंदर डाल देना" चौहान ने कहा.
"सर एक बात कहूँ अगर बुरा ना माने तो" विजय ने कहा.
"हां-हां बोलो"
"जिस कॉलेज गर्ल का कतल हुआ था उसकी फ़्रेंड है ना ये लड़की"
"हां ठीक कहा वही है ये...तुम इसे ले कर जाओ मैं यही रूम में रुकुंगा" चौहान ने कहा.
"जी सर समझ गया...सर सुंदर लड़की है... थोड़ा हमारा भी ध्यान...."
"पहले मुझे तो घोड़ी चढ़ने दे..."
"ओके सर समझ गया...मैं फ़ौरन इस लफंगे को लेकर थाने पहुँचता हूँ" विजय ने कहा.
"और हां...उस पद्मिनी का कुछ भी पता चले तो फ़ौरन मुझे फोन करना" चौहान ने कहा.
सब इनस्पेक्टर विजय को भेज कर इनस्पेक्टर चौहान वापिस कमरे में घुसता है और कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है.
“हां तो पूजा जी...क्या आप अब सच बताएँगी कि आप यहा क्या कर रही हैं,” चौहान ने रोब से पूछा.
“सर मैने बताया ना कि मैं अपने फियान्से से मिलने आई हूँ.”
“वो तो आपका नाम मुस्कान बता रहा था.”
“मुस्कान…नही नही आपको कोई ग़लत फ़हमी हुई है…मेरा नाम तो पूजा है आप भी जानते हैं.”
“ह्म्म हो सकता है कि ग़लतफहमी हुई हो.”
“जी बिल्कुल आप से सुन-ने में ग़लती लगी है.”
“वो तो ये भी कह रहा था कि तुम एस्कॉर्ट हो…”
“क्या…?” लड़की के चेहरे का रंग उड़ गया.
“हां-हां और उसने ये भी बताया कि उसने 50,000/- दिए हैं तुम्हे.”
“ये सब झूठ है.”
“पर्स दिखाओ अपना.”
“सर प्लीज़ मेरा यकीन कीजिए…आप तो जानते हैं ना कि मैं ऐसी लड़की नही हूँ.”
“तभी इतनी नर्मी से पेश आ रहा हूँ…वरना अब तक वो हो जाता यहा जो तुम सोच भी नही सकती…दीखाओ पर्स अपना”
“सर प्लीज़…ऐसा कुछ नही है जैसा आप सोच रहे हैं.”
चौहान ने उसके हाथ से पर्स छीन लिया और उसे खोल कर देखा. 50,000 की गद्दी बाहर निकाल कर बोला, “ये क्या है…एक दिन का किराया तुम्हारा.”
“सर मुझे छ्चोड़ दीजिए मैं अपनी ग़लती मानती हूँ.”
“मुझ से झूठ बोल कर कोई बच नही सकता. कब बनी तुम एस्कॉर्ट?”
“ये मेरा पहला असाइनमेंट था…अभी बस एक हफ़्ता पहले ही जाय्न किया था”
“कौन सी एस्कॉर्ट एजेन्सी में जाय्न किया तुमने?”
“मिस्टर कुमार इस एजेन्सी को चलाता है.”
“अच्छा मिस्टर कुमार…कमिने ने नयी चिड़िया भरती कर ली और हमे बताया भी नही.”
“सर…मैं अभी ये सब छ्चोड़ दूँगी प्लीज़ मुझे जाने दीजिए.”
“देखो हमारी रेजिस्ट्रेशन फीस तो तुम्हे देनी ही पड़ेगी.” चौहान ने कहा.
“मैं समझी नही सर.”
“देखो इस सहर में हर क्राइम करने वाले को पोलीस को रेजिस्ट्रेशन फीस देनी होती है.”
“ठीक है…आप ये 50,000 रख लीजिए”
“हर जगह पैसा नही चलता पूजा जी”
“फिर और क्या दूं आपको.”
“कैसी बात करती हैं आप भी…इतना सुंदर मुखड़ा दिया है और इतना सुंदर शरीर दिया है भगवान ने आपको…ये कब काम आएगा”
“सर मैं ये काम आज ही अभी से छ्चोड़ रही हूँ. वैसे भी मैं अपनी ख़ुसी से नही आई थी इस लाइन में.”
“वो सब मुझे नही पता…तुमने कदम तो रखा है ना इस लाइन में फीस तो लगेगी ही. और अगर फीस नही देना चाहती तो जैल जाकर चक्की पीसो…चाय्स तुम्हारी है…मैं तुम्हे मजबूर नही करूँगा”
“क्या करना होगा मुझे?”
“उस नालयक के साथ जो करने वाली थी वही हमारे साथ करो”
“ ठीक है सर…उसके बाद तो मुझे छ्चोड़ देंगे ना आप?”
“हां-हां अगर तुम इस लाइन में आज के बाद नही रहोगी तो तुम्हे कोई परेशान नही करेगा. वैसे मैं यहा पद्मिनी की तलाश में आया था.”
“कौन पद्मिनी?”
“वही जिसने तुम्हारी फ्रेंड को मारा था.”
“क्या?...तो क्या सीरियल किल्लर एक लड़की है.”
“हां…वैसे तुमने इंक्वाइरी में कोई ज़्यादा सपोर्ट नही किया था. ”
“सर…मुझे जितना पता था…मैने बता दिया था.”
“दरवाजा पटक दिया था आपने मेरे मूह पर…ये कह कर कि मुझे परेशान मत करो में कुछ और नही जानती”
“सर उस वक्त…बार-बार मुझसे सवाल किए जा रहे थे…मैं परेशान हो चुकी थी.”
“वैसे तुमने तो किसी आदमी का जिकर किया था, लेकिन कातिल तो एक लड़की निकली”
“मैं और रागिनी जब सिनिमा से निकले तो कोई आदमी हमारा लगातार पीछा कर रहा था…मैने उसकी शकल भी देखी थी. अगले दिन रागिनी का खून हो गया. इतना ही मैं जानती थी और ये सब मैने पोलीस को बता दिया था…इस से ज़्यादा और क्या बताती मैं.”
“हो सकता है वही आदमी नकाब पोश हो, क्या तुम्हे अभी भी याद है उसका चेहरा?”
“अब तो वो शकल मेमोरी में धुंधली हो चुकी है. वैसे भी शाम का वक्त था उस वक्त. वो आदमी सामने आए तो शायद पहचान लू. वैसे ये नकाब पोश कौन है?”
तभी अच्छानक चौहान का फोन बज उठा. “न्यूज़ नही देखती क्या…एक मिनट…किसका फोन है?” चौहान ने पॅंट की जेब से फोन निकालते हुए कहा.
चौहान ने फोन उठाया और बोला, “परवीन कहा है तू यार…काईं बार फोन किया…उठाता ही नही है”
परवीन चौहान का कॉलेज के दिनो का दोस्त था.
“यार फोन दराज में पड़ा था…सुनाई नही दिया.” परवीन ने कहा.
“पर तू तो घर पर भी नही था…रात 2 बजे निकला था मैं तेरे घर के आगे से…कहा था तू इतनी रात को.”
“वो यार रात ज़्यादा पी ली थी…बार में ही पड़ा रहा. अभी घर आया हूँ.”
“तुझे डर नही लगता सहर में सीरियल किल्लर घूम रहा है.”
“तेरे रहते मुझे किस बात का डर दोस्त”
“वो तो ठीक है…एक बात सुन बर्तडे बॉय…तेरे लिए बहुत सुंदर तौफा है मेरे पास.”
“क्या बात कर रहा है…कैसा तोहफा है?”
“तू ऐसा कर अपने फार्म हाउस पे पहुँच बहुत दिन हो गये साथ में मस्ती किए आज हो ही जाए.”
“अच्छा समझ गया ये तोहफा है…कॉलेज के दिनो की यादे ताज़ा करना चाहता है हूँ”
“ये ही समझ ले…तेरा जनम दिन भी है…ऐसा कर तू फार्म हाउस पहुँच और हरी-हरी घास में खुले आसमान के नीचे अच्छा इंटेज़ाम कर”
“ये सब खुले में करेगा तू.”
“तो क्या हुआ…तेरे नौकर रामू के अलावा वाहा और कौन होगा. खूब मस्ती करेंगे…अब देर मत कर जल्दी पहुँच.”
“ठीक है…मैं अभी के अभी निकलता हूँ.”
“ठीक है मैं भी निकल ही रहा हूँ.”
फोन कॉन्वर्सेशन ख़तम हो जाती है.
“सर मैं चालू फिर…आप तो बर्तडे मनाने जा रहे हैं”
“नही मेरे दोस्त की बर्तडे पार्टी में तुम भी शामिल होगी…चलो”
जब पूजा को इनस्पेक्टर की बात समझ में आई तो उसके रोंगटे खड़े हो गये. “हे भगवान कहा फँस गयी मैं…अब क्या करूँ?” पूजा ने खुद से कहा.
कुछ ही देर में इनस्पेक्टर अपनी जीप में पूजा को बीठा कर परवीन के फार्म हाउस की तरफ बढ़ रहा था.
“सर में बर्तडे पार्टी में क्या करूँगी…प्लीज़ मुझे जाने दीजिए” पूजा गिदगड़ाई.
“पार्टी में हसीन लोग साथ हो तो रोनक बढ़ जाती है…तुम चिंता मत करो खूब एंजाय करोगी तुम.”
“सर प्लीज़ मुझे जाने दीजिए…मैं एस्कॉर्ट एजेन्सी से आज ही नाता तौड लूँगी…”
“पूजा जी घबराओ मत…जन्नत दीखाएगे हम आपको आज…आप बेवजह परेशान हो रही हैं.” चौहान ने कहा और एक विकेड स्माइल उसके चेहरे पर उभर आई.
“मेरी एक ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा…कहा तक जायज़ है.”
“अब शैतानी कीजिएगा तो सज़ा तो मिलेगी ना…वैसे हम सच कह रहे है…जन्नत की सैर कराएँगे आपको…आप बस अपने दिल से डर को दूर भगा दीजिए...वैसे एक बात बताओ…क्यों बनी तुम एस्कॉर्ट ?”
“इस सब के लिए मेरा बॉय फ्रेंड ज़िम्मेदार है.”
“वो कैसे?”
“मैं उसे प्यार करती थी…अँधा प्यार और उसने मेरी वीडियोज बना ली. मुझे कभी शक नही हुआ. हर मुलाकात की चुपचाप रेकॉर्डिंग की उसने.”
“तो ये ब्लॅकमेलिंग का मामला है”
“हां उसने मुझे ज़बरदस्ती एस्कॉर्ट बनाया. अब मुझे पता चला कि मिस्टर कुमार का पार्ट्नर है वो.”
“ह्म्म इंट्रेस्टिंग स्टोरी है”
“ये स्टोरी नही हक़ीकत है…मेरे जैसे हज़ारो शायद यू ही बर्बाद हुई होंगी.”
“छोड़ो ये सब जो होना था हो गया…”
“ये सब सुन-ने के बाद भी आप मुझे पार्टी में ले जाएँगे.”
“बिल्कुल…घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या…हां तेरे बॉय फ्रेंड को सीधा करने की ज़िम्मेदारी मेरी” चौहान ने घिनोनी हँसी के साथ कहा.
“शुक्र है कुछ तो राहत मिली मुझे. उसो तो मैं जैल में देखना चाहती हूँ.”
“सब हो जाएगा पूजा जी…आप बस मुझे खुस कर दो.”
“ये ख़ुसी मुझे रोज तो नही देनी होगी ना?”
“अगर लत पड़ गयी तुम्हारी तो कह नही सकता…वैसे मैं रोज नया शिकार पसंद करता हूँ. अपनी नौकरी भी कुछ ऐसी है…नया-नया माल मिलता रहता है.”
कुछ ही देर में जीप सुनसान सड़क पर आ गयी.
क्रमशः..............................
|
|
01-01-2019, 12:08 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--10
गतान्क से आगे.................
“ये तो हम सहर से बाहर ही आ गये.”
“फार्म हाउस है पूजा जी…सहर से दूर तो होगा ही.”
“कितना टाइम रुकना पड़ेगा मुझे….पार्टी में” पूजा ने पूछा.
“पार्टी है…देर भी हो सकती है….हहहे.”
कुछ ही देर में जीप एक बड़े से फार्म हाउस पर आ कर रुक गयी. परवीन वही खड़ा था.
जीप से उतरते ही चौहान ने परवीन को गले लगाया और बोला, “हॅपी बर्तडे यार…देख ध्यान से पटाखा लाया हूँ तेरे लिए.”
परवीन ने पूजा को उपर से नीचे तक देखा और एक अजीब सी हँसी उसके चेहरे पर उभर आई जिसे देख कर पूजा ने फ़ौरन अपनी नज़रे झुका ली.
“बोल ना कैसा लगा बर्तडे गिफ्ट?” चौहान ने कहा.
“कुछ बोलने लायक छोड़ा है तूने जो बोलूं मैं. एक तो ये लड़की वैसे ही बहुत सुंदर है उपर से ये इसका चूड़ीदार शूट सितम ढा रहा है…तेरे हाथ कैसे लगी ये” परवीन ने कहा.
“वो सब छोड़ तू आम खा गुठलिया मत गिन.” चौहान ने कहा.
पूजा चुपचाप सर झुकाए सब सुनती रही.
परवीन पूजा के पास आया और बोला, “क्या नाम है तेरा?”
“जी पूजा?”
“क्या करती हो?”
“जी कॉलेज में पढ़ती हूँ.”
“तुझे अंदाज़ा भी है कि आज तेरे साथ क्या होगा.”
“जी क्या मतलब”
“मतलब कभी एक साथ 2 आदमियों को दी है तूने या नही…”
पूजा ने चौहान की तरफ देखा और बोली, “सर……”
“अरे परवीन चल अंदर डरा मत बेचारी को ये बाजारू लड़की नही है…समझा कर”
“क्या बात है…फिर तो सच में नायाब तोहफा है ये…सच बता कहा मिली ये तुझे.”
“छोड़ यार ये सब और ये बता कि सारा इंतज़ाम किया कि नही.”
“सब इंतज़ाम पूरा है. खुली हवा में धूप कर नीचे बिस्तर लगवा दिए हैं. बोतल-सोटल पानी-वानी सब रखवा दिया है.”
“नौकर को कहना वाहा से दूर ही रहे…डिस्टर्ब ना करे हमे.”
“तुम तो जानते ही हो उसे वो वाहा फटकेगा भी नही. हम तीनो बिल्कुल अकेले रहेंगे.”
चलते-चलते परवीन ने पूजा के पिछवाड़े पर हाथ रखा और उन्हे मसल्ते हुए बोला, “बहुत सॉफ्ट हैं…मज़ा आएगा दोस्त ये गान्ड मारने में…तू भी हाथ लगा के देख.”
चौहान ने भी पूजा की गान्ड पर हाथ रखा और उसे मसल्ने लगा, “बिल्कुल सही कहा यार एक दम मस्त गान्ड है. इसकी गान्ड ऐसी है तो चूत कैसी होगी.”
पूजा ने घूम कर चौहान को घूरा. चौहान के चेहरे पर घिनोनी हँसी उभर आई.
“चूत भी अभी सामने आ जाएगी…क्यों पूजा क्या कहती हो?” परवीन ने गान्ड पर थप्पड़ मार कर पूछा.
पूजा ने कोई जवाब नही दिया. “हे भगवान ये वक्त बीत जाए मेरा…” पूजा ने मन ही मन कहा.
कुछ ही देर में वो वाहा पहुँच गये जहाँ परवीन ने सारा इंतज़ाम कर रखा था.
“दोस्त इंतज़ाम तो सारा कर रखा है मैने पर मुझे नही लगता कि इस शराब के आगे वो बोतल की शराब टिक पाएगी.”
“तो क्या कहता है…मन गया ना बर्त डे तेरा”
“हां यार उम्मीद से बढ़कर…इसे कहते है सच्ची दोस्ती…इसे मैं नंगी करूँगा समझे… तू बीच में नही आएगा.”
“तेरा गिफ्ट है…रॅपर तू ही तो खोलेगा…हहहे.”
“हहा….हहे….” दौनो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे. पूजा एक खिलोने की तरह खड़ी रही.
परवीन पूजा के पास आया और उसका चेहरा पकड़ कर उसके होंटो को कश के अपने होंटो में दबा लिया. पूजा छटपटा कर रह गयी. पागलो की तरह किस कर रहा था परवीन उसे. ऐसा लग रहा था जैसे कि पहली बार लड़की के होन्ट मिले हैं उसे चूमने को
पूरे 5 मिनट बाद छोड़ा परवीन ने पूजा को.
“वाह रसमलाई है…तू भी चख कर देख” परवीन ने चौहान से कहा.
चौहान ने पूजा को बाहों में लिया और बोला, “पूजा जी थोड़ा रस मुझे भी पीला दो”
चौहान ने भी पूजा के होंटो को कश के चूसा और बोला. "सच कहा यार…एक दम रस मलाई है."
“चल पीछे हट अब मुझे अपना गिफ्ट खोलने दे.”
“बिल्कुल जनाब ये लो” चौहान ने पीछे हट-ते हुए कहा.
परवीन ने पूजा की चुन्नी पकड़ी और डोर फेंक दी. पूजा ने उसे घास पर गिरते हुए देखा. परवीन ने पूजा की कमीज़ को पकड़ा और बोला, “चल हाथ उपर कर.”
पूजा ने चौहान की तरफ देखा. वो पागलो की तरह हँसे जा रहा था.
पूजा की कमीज़ भी परवीन ने दूर उछाल दी. वो भी एक तरफ घास पर जा कर गिरी. परवीन ने पूजा की ब्रा पर गीदड़ की तरह झप्पता मारा और उसके बूब्स को खुले आसमान के नीचे नंगा कर दिया.
“वाउ क्या बूब्स हैं…देख यार दूध से भी सफेद हैं” परवीन ने कहा.
“ये तो पूरी की पूरी मस्त है.” चौहान ने कहा.
“अब इसकी चूत देखी जाए.” परवीन ने कहा.
“जल्दी खोल नाडा यार सबर नही होता…तूने थोड़ी भी देर की तो तेरा गिफ्ट मैं खोल दूँगा.”
“धीरज रख यार…मज़ा तो लेने दे.” परवीन ने कहा और पूजा के बाए बूब को मूह में ले कर सक करने लगा. उसके दाँत पूजा को चुभे तो वो कराह उठी, “आअहह”
“क्या हुआ मेरी जान…मज़ा आया ना” परवीन ने पूछा.
“दाँत लग रहे थे आपके.”
“अब मूह में दाँत हैं तो लगेंगे भी…बुड्ढ़ा तो मैं हूँ नही क्यों भाई रंजीत.”
“सही कहा…थोड़ा दर्द तो प्यार में होता ही है.”
पूजा कुछ नही बोली.
परवीन ने पूजा का नाडा खोलना शुरू किया. पूजा ने आँखे बंद कर ली. पहली बार वो 2 आदमियों के आगे नंगी होने जा रही थी.
कुछ ही देर में पूजा हरी-हरी घास में खिलखिलाती धूप में नंगी खड़ी थी.
“इसे कहते हैं चूत…एक भी बॉल नही है.” परवीन ने कहा.
“आ जाउ नज़दीक अब मैं. अब तो तुमने अपना गिफ्ट खोल लिया है.” चौहान ने कहा.
“हां-हां आओ यार देख क्या रहे हो देखो तो इसकी कितनी चिकनी चूत है, लंड रखते ही फिसल जाएगा” परवीन ने कहा.
“लगता है आज-कल में बाल सॉफ किए हैं…हैं ना?” चौहान ने पूजा की तरफ देख कर कहा.
पूजा ने हां में सर हिलाया.
“पहले मैं मारूँगा” परवीन ने कहा.
“तेरा बर्तडे है इसलिए मान लेता हूँ तेरी बात वरना पहले मैं ही मारता”
“थन्क यू यार.” परवीन ने कहा और फटा-फॅट कपड़े उतारने लगा.
जब परवीन सिर्फ़ अंडरवेर में रह गया तो पूजा की निगाह परवीन के अंडरवेर में उभरे भारी-भरकम तनाव पर पड़ी. वो समझ गयी कि अंडरवेर के पीछे भारी-भरकम हथियार है.
“देख कैसे देख रही है. रुक मेरी जान अभी मारता हूँ तेरी गान्ड मैं” परवीन ने कहा और अपना कच्छा नीचे सरका दिया और टाँग से निकाल कर दूर फेंक दिया.
पूजा ने अपनी नज़रे झुका ली. लेकिन अगले ही पल क्यूरीयासिटी के कारण उसने आँखे उठा कर परवीन के लंड को देखा.
“ओह माइ गॉड?” पूजा के मूह से निकला.
“देख रंजीत डर गयी बेचारी मेरा लंड देख के.” परवीन बोला
“कौन सी लड़की नही डरी हमारे लंड देख के.” चौहान ने कहा और दोनो हस्ने लगे.
“मुझसे नही रुका जा रहा मैं तो सीधे चूत मारूँगा…फॉरपले को मारो गोली.” परवीन ने कहा.
“जैसी तेरी मर्ज़ी… पर थूक लगा लेना लंड पे…इसे भारी पड़ेगा ये…देखा नही कैसे आँखे फाड़ कर देख रही है…शायद इतना बड़ा नही लिया इसने अंदर.”
“तो अब घुस्सा देते हैं…क्यों पूजा…चलो बिस्तर का सहारा ले कर झुक जाओ पीछे से डालूँगा तुम्हारी चूत में.”
पूजा झीजकते हुए घूम कर झुक गयी.
वो अभी झुकी ही थी कि परवीन ने लंड को चूत पे रख कर ज़ोर का धक्का मारा.
“ऊऊऊययययययीीईईईईई माआआआआ मर गयी”
परवीन का आधा लंड पूजा की चूत में घुस्स गया था.
परवीन ने एक जोरदार धक्का और मारा और उसका पूरा लंड पूजा की चूत में उतर गया. इस बार पूजा और ज़ोर से चिल्लाई.
पूजा साँस भी नही लेने पाई थी कि उसकी चूत में परवीन ने धक्का पेल शुरू कर दी. अपने बॉय फ्रेंड से कयि बार किया था पूजा ने पर ऐसी चुदाई पहली बार हो रही थी.
10 मिनट तक परवीन पूजा को उसी पोज़िशन में ठोकता रहा. चौहान परवीन के पास आया और बोला. इसे अपने उपर ले आओ और नीचे से मारो.”
“ठीक है” परवीन ने कहा.
पूजा ने भी ये सुन लिया पर उसे समझ नही आया कि इस से क्या फरक पड़ेगा.
परवीन बिस्तर पर लेट गया और पूजा को अपने उपर लिटा कर उसकी चूत में लंड पेलने लगा. अगले ही पल पूजा की नज़र चौहान पर पड़ी. वो भी अपने कपड़े उतार रहा था.
क्रमशः..............................
|
|
01-01-2019, 12:09 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--11
गतान्क से आगे.................
जब चौहान पूरा नंगा हो गया तो पूजा ने सरसरी नज़र से चौहान के लंड को देखा. वो भी भीमकाय था.
पूजा ने अपनी आँखे बंद कर ली. परवीन लगातार उसकी चूत में लंड रगडे जा रहा था. पूजा को भी मज़ा आ रहा था अब, जिसे वो झुटला नही सकती थी…इसीलिए उन पॅलो में खोने के लिए उसने अपनी आँखे बंद कर ली थी.
कुछ देर बाद पूजा को अपनी गान्ड पर 2 हाथ महसूस हुए. उसने मूड कर देखा तो पाया कि चौहान उसकी गान्ड पर लंड ताने खड़ा है. लेकिन वो परवीन के धक्को के कारण इतनी मदहोश अवस्था में थी कि कुछ नही बोल पाई.
चौहान ने अपने लंड को चिकना करके पूजा की गान्ड पर रख दिया और परवीन से बोला, “थोड़ी देर रुक यार मुझे गान्ड में डालने दे.”
“ठीक है” परवीन ने कहा और रुक गया.’
जैसे ही परवीन के धक्के रुके पूजा को होश आया. पर अब कुछ नही हो सकता था लंड ने उसके होल पर पोज़िशन ले ली थी. लेकिन वो फिर फाइ चिल्लाई, “नही वाहा नही जाएगा ये.”
“जाएगा क्यों नही पूजा जी…बिल्कुल जाएगा आप धीरज रखें.” चौहान ने कहा.
पूजा ने अपनी साँसे रोक ली. चौहान ने ज़ोर का धक्का मारा और लंड का मूह पूजा की गान्ड में उतार गया.
“ऊऊओह…….म्म्म्ममम….नूऊओ” पूजा कराह उठी.
“थोड़ी देर की बात है पूजा…सब ठीक हो जाएगा.” चौहान ने हंसते हुए कहा.
चौहान ने पूजा की गान्ड के पुतो को पकड़ कर फैलाया और लंड को और अंदर धकेलने लगा. लंड का कुछ और हिस्सा गान्ड में उतर गया.
“म्म्म्ममम….नूऊ….नही जाएगा ये…मेरे बॉय फ्रेंड का नही गया तो ये कैसे जाएगा.” पूजा ज़ोर से बोली.
“तेरे बॉय फ्रेंड को गान्ड मारनी नही आती होगी…मुझे आती है…देख अभी कैसे जाता है ये.” चौहान ने कहा और पूरा ज़ोर लगा कर एक और धक्का मारा.
“उउऊयईी मर गयी…..” पूजा फिर से चिल्लाई.
“ले देख अपना हाथ लगा कर…पूरा उतर चुका है मेरा तेरी गान्ड में.” चौहान ने कहा
पूजा ने हैरत में हाथ लगा कर देखा. उसके होल के उपर चौहान के आँड थे और उसका पूरा लंड उसकी गान्ड में उतरा हुआ था. “हे राम” पूजा बड़बड़ाई.
“देखा है ना तेरा बॉय फ्रेंड चूतिया.”
“वो कुत्ता भी है आप तो जानते ही हैं.” पूजा ने कहा.
“अरे यार शुरू करें अब अगर तुम लोगो की बात-चीत ख़तम हो गयी हो तो.” पूजा के नीचे पड़ा परवीन बोला.
“हां यार चल एक साथ रिदम से मारते
हैं…एक…दो…तीन….चल शुरू हो जा.”
फिर पूजा की चूत और गान्ड में एक साथ धक्का पेल शुरू हो गयी और पूजा सातवे आसमान पे पहुँच गयी. उसकी दर्द भरी चीन्खो की जगह अब लस्टफुल आहें थी.
“आअहह…..नो…..आअहह …म्म्म्मम”
"क्या हुआ पूजा जी…दीखा दी ना जन्नत आपको मैने" चौहान ने कहा
“ऐसी जन्नत तो ये रंडी रोज देखेगी अब” परवीन ने कहा.
पूजा को ये बात बिल्कुल अछी नही लगी और उसने परवीन को घूर कर देखा. एक अजीब सी हँसी परवीन के चेहरे पर उभर आई. पहली बार पूजा ने परवीन के चेहरे को गौर से देखा.
तभी अचानक पूजा को एक ख्याल आया.
“मैने देखा है इस परवीन को पर कहाँ याद नही आ रहा.” पूजा ने मन ही मन कहा. वो गहरी सोच में डूब गयी.
चौहान और परवीन अभी भी लगातार उसकी मारे जा रहे थे.
“अरे हां याद आया…यही तो है वो जो उस दिन मेरा और रागिनी का पीछा कर रहा था.” पूजा ये बात फ़ौरन चौहान को बताना चाहती थी पर वो तो उसके उपर था.
“ सर आप क्या मेरे आगे से नही डालेंगे” पूजा ने चौहान से कहा.
“हां यार मेरा मन इसकी मुलायम गान्ड मारने का कर रहा है…चल तू नीचे आजा मैं इसके उपर आता हूँ.” परवीन ने कहा
जब उन्होने पोज़िशन चेंज कर ली तो पूजा ने धीरे से चौहान के कान में कहा, “यही है वो आदमी जो उस दिन मेरा और रागिनी का पीछा कर रहा था.”
“क्या मतलब” चौहान हैरानी में बोला.
“मतलब कि परवीन ही वो आदमी है.”
“क्या बकवास कर रही है…तुझे कुछ भूल हुई है.”
“मुझे भूल नही हुई है…वो आदमी परवीन ही था” पूजा ये शब्द ज़ोर से बोल गयी. फिर उसे अफ़सोस हुआ.
परवीन जैसे सब कुछ समझ गया.
वो पूजा की गान्ड में बहुत ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा.
“ऊहह नो…प्लीज़ सर रोको इसे मैं मर जाउन्गि.” पूजा गिड़गिडाई.
“साली मुझ पर इल्ज़ाम लगाती है हा तेरी गान्ड ना फाड़ दी तो मेरा नाम परवीन नही.” परवीन ने कहा.
“परवीन कोई बात नही... इसे कोई ग़लत फ़हमी हुई है तू आराम से कर.” चौहान ने कहा.
“पर इल्ज़ाम तो लगा दिया ना साली ने मैं इसकी गान्ड लाल कर दूँगा” परवीन ने कहा.
उसने उसके बाल पकड़े और पूरे ज़ोर लगा कर अपने लंड को पूजा की गान्ड में अंदर बाहर करने लगा.
पूजा ने अपनी आँखे बंद कर ली. जो भी हो उसे मज़े का अहसास तो हो ही रहा था. पूजा को शांत देख कर चौहान ने भी नीचे से पूजा की चूत में रगडे लगाने शुरू कर दिए. कुछ ही पॅलो में पूजा सब कुछ भूल कर आनंद के सागर में गोते लगा रही थी.
जब दोनो ने अपना अपना पानी उसके अंदर छ्चोड़ा और वो रुके तो उसे होश आया.
“कातिल मेरे उपर है और पोलीस वाला नीचे…वाह री किस्मत.” पूजा ने कहा
"ओह गॉड...मज़ा आ गया...क्यों परवीन कैसी रही ?" चौहान ने कहा.
परवीन किन्ही ख़यालो में खोया था. उसने कोई जवाब नही दिया. परवीन का लंड अभी भी पूजा की गान्ड में फँसा था. चौहान का लंड आधा पूजा की चूत से बाहर था और आधा अंदर.
"कहा खोए हो जनाब...कहीं तुम सच में वो आदमी तो नही....हे..हे" चौहान ने हंसते हुए कहा.
"मज़ाक मत कर यार मैं अभी मदहोश हूँ...क्या गान्ड है साली की"
गाली पूजा के दिल पर फिर से चोट कर गयी और वो बोली, "सर मैं अब जाउ?"
"तू कही नही जाएगी अभी मुझे और मारनी है तेरी" परवीन ने कहा.
"सर प्लीज़...मैं थक गयी हूँ...मुझे जाने दीजिए अब."
"भाई तेरे जाने का फ़ैसला तो बर्तडे बॉय ही करेगा...मैं इस में कुछ नही कर सकता...और सच कहूँ तो मेरा मन भी है तुझे फिर से चोद्ने का." चौहान ने कहा और पूजा के होन्ट चूम लिए.
"बाहर तो निकाल लीजिए मैं सच में थक गयी हूँ."
"चल परवीन इसे थोड़ा आराम देते हैं. जब तक ये अपनी थकान उतारती है, हम दारू का मज़ा लेते हैं."
"ह्म ठीक है" परवीन ने कहा.
परवीन ने पूजा की गान्ड की गहराई से अपने लंड को ज़ोर से खींचा.
"आहह" पूजा कराह उठी.
"इसे कहते हैं गान्ड...लंड बाहर निकालने पर भी आवाज़ करती है ये...जबरदस्त गान्ड है" परवीन ने कहा.
जब दौनो ने अपने लंड बाहर निकाल लिए तो पूजा बोली, "वॉशरूम कहा है."
"रामू!" परवीन ने आवाज़ लगाई.
"जी मालिक."
"इसे वॉश रूम का रास्ता बता दे." परवीन ने कहा.
रामू ने पूजा को उपर से नीचे तक देखा और घिनोनी हँसी के साथ बोला, "मेरे पीछे-पीछे आ जाओ"
पूजा ने उसकी हँसी देख कर अपनी नज़रे झुका ली और मन ही मन कहा, "किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान"
पूजा रामू के साथ चल दी
"कितने में बिकी तुम?" रामू ने कहा.
"हे ज़ुबान संभाल कर बात करो ऐसा कुछ नही है जो तुम समझ रहे हो." पूजा गुर्राई.
"तो क्या फ्री में कर रही हो ये तमासा?"
"तुम्हे इस से क्या लेना देना अपना काम करो."
"लो आ गया टाय्लेट...वो सामने है."
"ठीक है...तुम जाओ यहा से"
रामू ने पूजा की गान्ड पर हाथ रखा और बोला, "अगर फ्री में कर रही हो तो मुझे भी कुछ...."
रामू अपने शब्द पूरे नही कर पाया क्योंकि अगले ही पल पूजा की पाँचो उंगलिया उसके चेहरे पर पड़ चुकी थी.
क्रमशः..............................
|
|
01-01-2019, 12:09 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--12
गतान्क से आगे.................
थप्पड़ लगते ही रामू पागल हो गया और जाने कहा से उसने एक बड़ा सा चाकू उठाया और बोला, "साली तुझे पता नही मैं कौन हूँ...काट डालूँगा तुझे"
पूजा भाग कर टाय्लेट में घुस गयी और फ़ौरन चटकनी चढ़ा ली. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी.
"बाहर तो आएगी ना?"
"मैं तुम्हारे मालिक को सब कुछ बता दूँगी...तुम्हारी खाल उधेड़ देंगे वो" पूजा अंदर से बोली.
"तू जानती ही कितना है मालिक को हहे..हो..हो" रामू हँसने लगा.
"मैं अच्छे से जानती हूँ कि वही खूनी है और हो ना हो ये नौकर भी उसके साथ सामिल है...कैसे चाकू दीखा रहा था...हे भगवान मेरा ये दिन कब बीतेगा." पूजा ने मन ही मन कहा.
जब पूजा को यकीन हो गया कि वो रामू उसके टाय्लेट के बाहर नही है तो वो फ़ौरन दरवाजा खोल कर भागी.
"अरे क्या हुआ इसे...क्या चमगादड़ ने काट लिया जो की ऐसे भागी आ रही है." चौहान ने कहा.
परवीन ने रामू की तरफ देखा. रामू के चेहरे पर एक अजीब सी हँसी उभर आई, "मालिक डर गयी होगी अकेली...मैने कुछ नही किया."
"ठीक है-ठीक है तू जा यहा से" चौहान ने कहा.
पूजा भाग कर चौहान के पास आई और बोली, "इसने मुझे चाकू दीखा कर डराया."
"लगता है हर किसी पर सीरियल किल्लर का भूत सवार है" चौहान ने कहा.
"ह्म छोड़ ये सब...मज़ाक किया होगा उसने ये यू ही बात का बतंगड़ बना रही है."
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
"तूने तो बेज़्जती करा दी मेरी राज ये सब क्या है, पूरा फर्श गीला कर दिया" मोहित ने कहा.
"गुरु य.य..ये यहा कैसे."
"मैं बताती हूँ...तेरा खून करने आई हूँ मैं यहा." पद्मिनी ने कहा.
"गुरु ये सब क्या है?"
"समझाया था ना मैने कि दीवारो के भी कान होते हैं...भुगत अब"
"नही गुरु ऐसा मत कहो."
"क्यों कर रहे थे इतनी बकवास तुम?" पद्मिनी ने कहा
"मुझे क्या पता था कि आप यहा हो."
"तो क्या पीठ पीछे किसी लड़की के बारे में कुछ भी बोलॉगे."
"ग़लती हो गयी...माफ़ कर दो मुझे" राज गिड़गिदाया
"बस बहुत हो गया...छोड़ो मेरे दोस्त को" मोहित ने कहा.
"तुम्हारे दोस्त से कहो ज़ुबान पर लगाम रखा करे वरना किसी दिन भारी पड़ेगा इसे"
राज चुपचाप खड़ा सुन रहा था. उसकी समझ में कुछ नही आ रहा था.
मोहित राज को सारी बात बताता है और बोलता है, "ये कहानी है सारी...पद्मिनी को फँसाने की चाल है ये उस कातिल की, वो बौखलाया हुआ है कि हम उसके हाथ से बच गये."
"ह्म...मुझे तो पहले से ही यकीन था कि इतनी हस....."
"खबरदार जो आगे बोले तो." पद्मिनी बोली.
"म..मेरा मतलब आप कैसे खून कर सकते हो...आप को तो चाकू चलाना भी नही आएगा" राज बोला.
राज जाओ और बाहर ध्यान से देख कर आओ कि कही पोलीस तो नही है. और हां पोछा उठा कर पहले ये फर्श सॉफ कर्दे बदबू हो जाएगी वरना.
राज ने पहली बार फ़राश पर देखा. "सॉरी गुरु पता नही कैसे हो गया."
"मैं समझ सकता हूँ." मोहित ने कहा.
राज ने कमरे को सॉफ किया और बाहर चला गया. 15 मिनट बाद वो नये कपड़े पहन कर आया. पद्मिनी उसे नये कपड़ो में देख कर हँसे बिना ना रह सकी.
"पहले तो डराती हो फिर हँसती हो...अच्छा नही किया आपने मेरे साथ."
"तुमने बड़ा अच्छा किया था मेरे साथ...क्या-क्या बक रहे थे." पद्मिनी ने कहा.
"छोड़ो ये सब...राज कैसा माहॉल है बाहर" मोहित ने कहा
"गुरु नुक्कड़ पर पोलीस की जिप्सी खड़ी है"
"पर मुझे हर हाल में अपने घर वालो से बात करनी है."
"ऐसी बेवकूफी मत करना...पोलीस फ़ौरन तुम्हारी लोकेशन ढूँढ कर तुम्हे पकड़ लेगी."
"पर मैने किसी का खून नही किया मैं क्यों डर के बैठी रहू यहा."
"देखो पोलीस को इस बात से कोई मतलब नही होगा कि तुम वाकाई में कातिल हो की नही...उनका केस सॉल्व हो गया बस...ऐसे ही काम करती है पोलीस"
"हां पद्मिनी जी गुरु ठीक कह रहा है...पहले हमे ये पता लगाना होगा कि वो विटनेस कौन है"
"ठीक कहा राज...उसका पता लगाना बहुत ज़रूरी है. इसके साथ-साथ ये भी पता करना होगा कि इसके पीछे उसका प्लान क्या है."
"सीधी से बात है पद्मिनी जी ने उसे देखा है...और वो उसके चंगुल से बच गयी है...अब वो एक तीर से 2 निसाने कर रहा है. तुम लोगो को समझ नही आता क्या ये सब करके वो सॉफ बच जाएगा."
"मुझे लगा था कि तुम सिर्फ़ बेहूदा बाते ही कर सकते हो." पद्मिनी.
"पद्मिनी जी वो तो मैं गुरु के साथ रह कर बिगड़ गया वरना मैं अच्छा लड़का हूँ."
"क्या बोला साले...मैने बिगाड़ा है तुझे...एक दूँगा कान के नीचे."
"सॉरी गुरु ज़ुबान फिसल गयी...माफ़ करदो...पर मेरे पास एक धांसु आइडिया है सुनो."
"जल्दी बोलो" पद्मिनी ने उत्सुकता से कहा.
"हमे इस विटनेस के खिलाफ सबूत सबूत इकट्ठे करने होंगे."
"इतना आसान नही है ये" मोहित ने कहा.
"हां ठीक कहा." पद्मिनी ने हामी भरी.
"सुनो तो...विटनेस के घर में कुछ ना कुछ तो मिल ही जाएगा जिससे कि हम साबित कर पायें कि वही कातिल है...जैसे कि चाकू. न्यूज़ के मुताबिक, हर कतल में एक जैसे चाकू का इस्तेमाल हुआ है. मुझे यकीन है कि कहीं तो रखता होगा वो चाकू."
"मुझे ये आइडिया बिल्कुल पसंद नही आया." मोहित ने कहा.
"लेकिन हमे कुछ तो करना होगा...यू हाथ पर हाथ रख कर बैठने से कुछ हाँसिल नही होगा." पद्मिनी ने कहा.
"पर ये विटनेस मतलब कि कातिल कहाँ रहता है...हमे कुछ नही पता."
"भोलू हवलदार कब काम आएगा गुरु." राज ने कहा.
"वो निकम्मा किसी काम का नही."
"एक बार ट्राइ करने में क्या हर्ज है." राज ने कहा.
"हां बिल्कुल कोई ना कोई रास्ता निकल ही जाएगा...वैसे भी इस कातिल को सज़ा दिलवाना हमारा फर्ज़ बनता है. जो होगा देखा जाएगा." पद्मिनी ने कहा.
"ह्म...तुम दौनो का जोश देख कर मुझे भी जोश आ रहा है. ठीक है इस कातिल को उसके अंजाम तक हम ले जाएँगे."
"गुरु ने कह दिया तो समझो काम हो गया...पद्मिनी जी आप अब बिल्कुल चिंता मत करो...वो नही बच्चेगा अब." राज ने कहा.
"कितनी देर हो गई राज को गये हुए, पता नही कहा रह गया" मोहित ने कहा.
"तुम्हे क्या लगता है उसे पता होगा इस विटनेस के बारे में"
"उसे पता तो होना चाहिए, वैसे वो बहुत निकम्मा है, अगर उसे ना भी पता हो तो मुझे हैरानी नही होगी"
"फिर कैसे पता चलेगा उसके बारे में"
"पहले राज को आ जाने दो, फिर देखते हैं कि आगे क्या करना है"
"पर वो राज को क्यों बताएगा" पद्मिनी ने पूछा.
"वो सब राज संभाल लेगा" मोहित ने जवाब दिया.
तभी कमरे का दरवाजा खड़का. जैसे ही मोहित ने दरवाजा खोला राज सरपट अंदर आ गया.
"गुरु पता चल गया उस विटनेस का मतलब कि कातिल का" राज ने कहा.
पद्मिनी चुपचाप खड़ी सब सुन रही थी
"कौन है कहाँ रहता है जल्दी बता" मोहित ने कहा.
"सुरिंदर नाम है उसका और बस स्टॅंड के पीछे जो कॉलोनी है वाहा रहता है. पूरा अड्रेस लिख के लाया हूँ मैं" राज ने कहा
" इतना कुछ कैसे बता दिया उसने" मोहित ने पूछा.
राज ने पद्मिनी की तरफ देखा और बोला, "छ्चोड़ो ना गुरु पता तो चल गया. मैने उसे कहा था कि मेरे एक रिपोर्टर फ़्रेंड को इंटरव्यू लेना है उसका"
"फिर भी वो इतनी जल्दी बताने वाला नही था" मोहित ने कहा.
"नगमा की गान्ड चाहिए उसे, पद्मिनी जी के सामने कैसे बोलू" राज ने मोहित के कान में कहा.
"क्या बात है कुछ प्राब्लम है क्या" पद्मिनी ने पूछा.
"कुछ नही यू ही" मोहित ने कहा.
"नही कुछ तो बात ज़रूर है, राज तुम बताओ क्या प्राब्लम है" पद्मिनी ने कहा.
"वो भोलू हवलदार को नगमा....." राज ने कहा पर पद्मिनी ने उसकी बात बीच में ही काट दी. "ठीक है-ठीक है जाने दो"
"चल गुरु चलते हैं और असली कातिल का परदा-फास करते हैं"
"क्या मतलब... क्या मैं तुम दौनो के साथ नही चलूंगी"
"तुम क्या करोगी...पोलीस ढूँढ रही है तुम्हे...और वाहा ख़तरा भी हो सकता है" मोहित ने कहा.
"नही मुझे जाना ही होगा...तुम कैसे पहचानोगे कातिल को...उसे मैने बहुत नज़दीक से देखा है"
"हां गुरु बात तो ठीक है, पद्मिनी जी का साथ होना ज़रूरी है"
"पर ये बाहर निकली तो पोलीस का ख़तरा है" मोहित ने कहा.
"अगर पद्मिनी जी हुलिया बदल के जाए तो"
"वो कैसे होगा" पद्मिनी ने पूछा.
क्रमशः..............................
|
|
01-01-2019, 12:09 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
raj sharma stories
बात एक रात की--13
गतान्क से आगे.................
"नगमा ये काम अच्छे से कर सकती है, ब्यूटी पार्लर में काम करती है वो. वो पूरा लुक चेंज कर देगी आपका" राज ने कहा.
"ये ठीक रहेगा" मोहित ने कहा
"ठीक है...लेकिन उसके लिए भी तो बाहर तो जाना ही पड़ेगा" पद्मिनी ने कहा.
"मैं उसे यही बुला लाउन्गा...उसका बापू यहा नही है...उसे आने में कोई दिक्कत नही होगी"
"ह्म.....जल्दी करो फिर" पद्मिनी ने कहा.
राज ने नगमा को पूरी कहानी बताई और उसे उनकी मदद करने के लिए मना लिया.
"तू ये सब क्यों कर रहा है, तेरा दिल तो नही आ गया उस लड़की पर"
"ऐसा कुछ नही है...मुसीबत में फँसी लड़की की कौन मदद नही करेगा" राज ने कहा.
"तेरे जैसा दिल फेंक ऐसी बाते करता है हा" नगमा ने कहा.
"जब से तुझ से काँटा भिड़ा है कसम से कहीं और नही घुसाया मैने अपना लंड" राज ने कहा.
"तो फिर कहा घुसाया है" नगमा ने पूछा.
"अभी कल रात ही तो तेरी गान्ड मारी थी, दुबारा घुस्सा के दिखाउ क्या" राज ने नगमा के बूब्स को मसल्ते हुए कहा.
"चल छ्चोड़ हर वक्त तुझे यही सूझता है"
"अरे हां नगमा एक बात और कहनी थी" राज ने कहा.
"अब क्या है?"
"एक और मदद करनी होगी तुझे मेरी"
"बताओ और क्या करूँ अपने राज के लिए मैं."
"तुझे एक रात के लिए भोलू हवलदार के पास रुकना होगा"
"अपने गुरु के आगे तो पारोष चुके हो मुझे, शरम नही आती तुम्हे मैं क्या कोई रंडी हूँ"
"पागल हो क्या बस एक बार की बात है, तुझे ये काम करना ही होगा"
"मैं ऐसा कुछ नही करूँगी"
"गुरु को भी तो दी थी तूने, और एक बार की ही तो बात है"
"शकल देखी है तूने उसकी उसके साथ तो कोई कुतिया भी ना करे, मेरी तो बात ही दूर है"
"अब उस से कुछ काम निकलवाया है तो कीमत तो उसे चुकानी ही पड़ेगी"
"मैं सोच कर बताउन्गि, पहले तू मुझे तेरा पहला काम करने दे"
"ठीक है सोच लो...करना तो तुझे पड़ेगा ही...तू मज़े करना...उसकी शकल देखना ही मत आँखे बंद रखना"
"ह्म्म तू बहुत कमीना है"
"क्यों गुरु जे जब तेरी मारी थी मज़ा नही आया था क्या तुझे"
"हां तो मज़े के लिए किसी के भी आगे झुक जाउ मैं...मेरा भी स्टॅंडर्ड है"
"क्या बात है, वो तो है...बस एक बार मेरी बात मान ले फिर कभी ऐसा करने को नही
कहूँगा"
"ठीक है, कब करना होगा मुझे काम ये. सिर्फ़ आज का दिन और रात है मेरे पास, कल बापू आ जाएगा"
"भोलू भी आज के लिए ही बोल रहा था, तू रात 9 बजे पहुँच जाना उसके पास"
"चल ठीक है, तेरे लिए एक बार और सही"
"वाह-वाह जैसे तुझे तो मज़ा लेना ही नही"
"भोलू से मज़ा लेने का मैं सोच भी नही सकती ओके...ये काम मैं बस तुम्हारे लिए करूँगी"
"चल ठीक है अब सारा समान उठा ले और जल्दी चल मेरे साथ."
"ठीक है...बस 10 मिनट में चलते हैं."
"तेरी सेक्सी बहन कहा है आज"
"कॉलेज गयी है वो"
"बड़ी जल्दी चली गयी आज"
"तुम्हे क्या करना उसका"
"जवानी फूट रही है उसकी, इस से पहले कि कोई और हाथ मार जाए मुझे कुछ करना होगा"
"चुप कर और चल अब"
"तुम दौनो बहनो की एक साथ लूँगा कभी"
"ज़्यादा सपने मत देख और चल अब, मैं तैयार हूँ."
नगमा अपना सारा समान ले कर राज के साथ मोहित के कमरे पर आ जाती है. मोहित और राज नगमा को पद्मिनी के पास छोड़ कर बाहर आ जाते हैं.
"ह्म्म तो आप हो पद्मिनी, बहुत सुंदर हो" नगमा ने पद्मिनी को देख कर कहा.
"तुम भी कम नही हो तभी तो......" पद्मिनी ने हंस कर कहा.
"तभी तो मतलब!"
"कुछ नही तुम अपना काम सुरू करो" पद्मिनी ने कहा
"ये सब मैं राज के लिए कर रही हूँ वरना यहा कभी नही आती मैं"
"राज के लिए तुम कुछ भी कर लेती हो" पद्मिनी ने पूछा.
"हां तो मेरा बहुत अच्छा दोस्त है वो"
"मैं अच्छे से जानती हूँ की कितना अच्छा दोस्त है वो तुम्हारा, शोषण कर रहा है वो तुम्हारा"
"हा...हा...हे..हे मेरा सोसन और राज...हो ही नही सकता"
"उसने तुम्हे अपने गुरु मतलब मोहित के साथ.....तुम जानती हो मैं क्या कह रही हूँ"
"राज की बात बताउ"
"हां बोलो" पद्मिनी ने कहा
"बहुत मज़े किए थे मैने मोहित के साथ. राज की तरह उसका भी मोटा तगड़ा लंड है...बहुत अच्छे से मारी थी उसने मेरी गान्ड, हां बस थोड़ी देर बहुत दर्द हुआ था पर बाद में तो मज़ा ही मज़ा था"
"छी... तुम्हे शरम नही आती ऐसी बाते करते हुए" पद्मिनी ने कहा.
"शरम तो लड़को से की जाती है तुझ से क्या शरम क्या तुम मज़ा नही लेती लंड का"
"मैं शादी शुदा हूँ, मुझे तेरे जैसी लत नही है"
"ह्म्म तो क्या हुआ तेरा मर्द तो अच्छे से मारता होगा ना तेरी"
"मैं अपने पति को छोड़ चुकी हूँ, अपने मायके में हूँ" पद्मिनी ने कहा.
"फिर कैसे काम चलता है तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड तो होगा ही"
"नही कोई नही है, तुम अपना काम करो अब"
"काम भी हो जाएगा, अच्छा ये तो बता कि कितना बड़ा था तेरे मर्द का"
"तुझे उस से क्या मतलब? तू जल्दी काम शुरू कर हमे देर हो रही है"
"मुझे आदमियों के लंड के बारे में सुन-ना अच्छा लगता है"
"तो मैं क्या करूँ?"
"आप तो नाराज़ हो गयी...मैं तो बस यू ही मज़ाक कर रही हूँ"
"सादे पाँच इंच था उनका...अब काम शुरू करें"
"बस सादे पाँच इंच, उतने से तेरा क्या होता होगा" नगमा ने हंस कर कहा.
"मेरे लिए बहुत था वो....हँसो मत"
"हां पर सादे पाँच इंच गहराई तक नही पहुँच पाएगा" नगमा ने चुटकी ली.
"साइज़ डज़ नोट मॅटर ओके"
"अँग्रेज़ी मुझे नही आती सिर्फ़ सातवी तक पढ़ी हूँ, हां मेरी छोटी बहन कॉलेज में है वो खूब सीख गयी है अँग्रेज़ी" नगमा ने कहा.
मैने कहा छोटे बड़े से कुछ फरक नही पड़ता"
"तुम्हे कैसे पता तुमने क्या दौनो तरह के लिए है चूत में"
"हे भगवान तू लड़की है विस्वास नही होता"
"बता तो क्या तूने दोनो लिए है अंदर"
"नही मैने बस अपने पति से किया है मैं तुम्हारे जैसी नही हूँ" पद्मिनी ने कहा.
"फिर तुम कैसे इतने विस्वास से कह सकती हो" नगमा ने कहा.
"मैं इस बारे में और बात नही करना चाहती" पद्मिनी ने कहा.
"एक बात तो सुन" नगमा ने हंसते हुए कहा.
"अब क्या है?"
"मैने दोनो ट्राइ किए है. राज से पहले मेरा टांका दिनेश से था. तेरे पति जितना ही था उसका. जब तक मैने राज का नही लिया तब तक मुझे भी नही पता था कि बड़े लंड का क्या मज़ा है."
"ये सब बकवास है...अब तुम काम शुरू करती हो या नही" पद्मिनी ने कहा.
"करती हूँ बाबा करती हूँ....."
नगमा आख़िर अपना काम शुरू कर देती है. पर बीच बीच में कुछ ना कुछ बोलती रहती है.
"देखो मैं तो अपना काम कर दूँगी, पर जो तुम्हे बहुत अच्छे से जानता है वो तुम्हे हर हाल में पहचान लेगा" नगमा ने कहा.
"पोलीस तो मुझे अच्छे से नही जानती...बस वो ना पहचान पाए"
"उनकी चिंता नही है, जिसने तुम्हे बहुत बार देखा हो वही तुम्हे पहचान पाएगा किसी और के बस की बात नही. वैसे भी पोलीस के पास तुम्हारी फोटो है जो कि टीवी पर दीखाई जा रही है. उस फोटो को देख कर कोई नही पहचान पाएगा तुम्हे"
"ह्म्म फिर ठीक है" पद्मिनी ने कहा
"अरे मुझे याद आया, मुझे भी एक पोलीस वाले के पास जाना है आज, काश मैं भी बच पाती"
"क्यों तुम्हे तो मज़ा लेने का शौक है, बचना क्यों चाहती हो" पद्मिनी ने कहा.
"तो क्या तुम्हे सब पता है कि मैं भोलू के पास जाउन्गि आज?" नगमा ने पूछा.
"हां" पद्मिनी ने जवाब दिया.
क्रमशः..............................
|
|
01-01-2019, 12:10 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
raj sharma stories
बात एक रात की--14
गतान्क से आगे.................
"बहुत खराब है ये राज मुझे बदनाम करने पे तुला है...वैसे तुम्हारे कारण करना होगा मुझे उसके साथ" नगमा ने कहा.
"तो क्या हुआ एक और साइज़ आजमा लेना, तेरा क्या बिगड़ेगा...तुझे तो लत है इस सब की""
"तुम अगर भोलू को देखोगी तो तुम्हे पता चलेगा कि इतना आसान नही है ये काम"
"तो रहने दे" पद्मिनी ने कहा
"मैं राज के लिए करूँगी"
"वाह-वाह ये खूब रही...यकीन नही होता"
"देखो बहुत भद्दा है वो भोलू, मेरा बिल्कुल मन नही है उसे देने का"
"ह्म्म फिर रहने दो ना."
"नही मुझे राज के लिए जाना होगा. और क्या पता उसका लंड भी तगड़ा हो. आँखे मीच कर कर लूँगी"
"आ गयी ना हक़ीकत ज़ुबान पे"
"देखो जब मुझे ये काम करना ही है तो थोड़ा अपने मज़े के बारे में तो सोचूँगी ही"
"अभी फिलहाल अपने यहा के काम पे ध्यान दे" पद्मिनी ने कहा.
"मेरा पूरा ध्यान है यहा, थोड़ा मूह उपर करो...वैसे एक बात है"
"अब क्या है?"
"तुम्हारी चुचियाँ मुझ से बड़ी हैं, आदमी तो मरते होंगे इन चुचियों पर"
"चुप कर" पद्मिनी ने गुस्से में कहा
"पर मैं सच कह रही हूँ, अगर मैं लड़का होती तो अभी इन्हे बाहर निकाल कर खूब चूस्ति"
"हे भगवान यू आर टू मच..." पद्मिनी ने कहा.
"क्या कहा आपने"
"कुछ नही यही की मुझे देर हो रही है"
"बस हो गया काम, 15 मिनट और लगेंगे इन बालो को ध्यान से करना होगा"
"ह्म्म जल्दी करो"
थोड़ी देर नगमा चुप रही फिर अचानक बोली, "राज बहुत अच्छे से चूस्ता है मेरे निपल"
"तो मैं क्या करूँ, मैं भी चुस्वा लूँ क्या जाकर उस से"
"नही-नही मैने ऐसा तो नही कहा...आप ऐसा सोचना भी मत राज सिर्फ़ मेरा है"
"अपने राज को अपने पास रख मुझे कोई शौक नही है"
"मोहित आपके लिए ठीक रहेगा बहुत मोटा लंड है उसका भी, बिल्कुल राज की तरह पर मुझे पता नही कि उसे चुचियाँ चूसनी आती है की नही, अभी तक एक बार ही मिली हूँ उस से. उसने बिना कुछ किए मेरी गान्ड में डाल दिया था. दुबारा कोई मोका नही मिला उस से मिलने का"
"तुम्हे कोई और बात भी सूझती है इन बातो के अलावा"
"मुझे बस अपने राज की चिंता है, उस से दूर रहना, बहुत सुंदर हो तुम कहीं मेरा राज बहक जाए."
"अरे मेरी मा मुझे तेरे राज से कुछ लेना देना नही है और ना ही मोहित से कुछ लेना देना है. मैं यहा मजबूरी में फँसी हूँ और तुम ऐसी बाते कर रही हो"
"फिर ठीक है"
उसके बाद नगमा ने कोई बात नही की और चुपचाप अपने काम में लगी रही. जब काम ख़तम हो गया तो वो बोली, " लो हो गया तुम्हारा हुलिया चेंज, कोई नही पहचान पाएगा तुम्हे अब"
पद्मिनी ने खुद को शीसे में देखा और बोली, "बहुत बढ़िया, मैं तो खुद को पहचान ही नही पा रही हूँ"
"सब मेरा कमाल है"
"थॅंक यू नगमा इस सबके लिए"
"कोई बात नही...मुझे माफ़ करना मैं बात बहुत करती हूँ"
"वो तो ठीक है पर तुम्हारी बाते बहुत गंदी थी...मुझे अच्छा नही लगा"
ये सुन कर नगमा का चेहरा उतर गया और बोली, "ठीक है मैं चलती हूँ. भगवान आपको जल्द से जल्द आपको इस मुसीबत से निकाले"
"थॅंक यू" पद्मिनी ने कहा
नगमा के जाने के बाद मोहित और राज कमरे में वापिस आ जाते हैं. मोहित पद्मिनी को देख कर कहता है, "बहुत खूब, तेरी नगमा ने तो सच में हुलिया चेंज कर दिया"
"मुझे यकीन था कि नगमा ये काम कर सकती है" राज ने कहा.
"चला जाए फिर अब"
"हां बिल्कुल, मैने कार अरेंज कर ली है" मोहित ने कहा.
कुछ देर बाद पद्मिनी, मोहित और राज कार में थे, मोहित ड्राइव कर रहा था, राज उसके बगल में बैठा था और पद्मिनी पिछली सीट पर बैठी थी. कार अपनी मंज़िल की ओर बढ़े जा रही थी.
"तुझे पता है ना रास्ता" मोहित ने राज से पूछा.
"हां गुरु अभी सीधा चलो आगे जो गली आएगी उसी में है उसका घर" राज ने कहा.
"ह्म्म कॅटा कहा है" मोहित ने पूछा.
"मेरे पास है, चिंता मत करो" राज ने कहा.
"ध्यान रखना कहीं चल जाए ये देसी बंदूक बहुत ख़तरनाक होती है" मोहित ने कहा.
"तुम लोग बंदूक साथ लाए हो!" पद्मिनी ने हैरानी मे पूछा.
"हां मेडम ख़तरनाक कातिल है वो, हमे भी तो कुछ रखना होगा, क्या पता ज़रूरत पड़ जाए"
"हां पद्मिनी जी गुरु ठीक कह रहा है, ये देसी कॅटा बहुत काम आएगा"
"ठीक है जैसा तुम ठीक समझो" पद्मिनी ने कहा.
"गुरु बस मोड़ लो इस गली में" राज ने कहा.
जैसे ही मोहित ने कार को गली में मोड़ा राज बोला, "वो रहा उसका घर जहा 2 आदमी खड़े हैं"
"ये दोनो पोलीस वाले लगते हैं मुझे"
"ठीक कहा गुरु ये पोलीस वाले ही हैं"
"अब हम क्या करेंगे" पद्मिनी ने कहा.
"मैं ये लेटर लाया हूँ, मैं कौरीएर वाला बन कर जाउन्गा और उसे बाहर बुलाउन्गा साइन के लिए आप पहचान-ने की कोशिस करना कि वो वही है की नही"
"ये विटनेस उस के अलावा और कौन हो सकता है ये बिल्कुल वही है" पद्मिनी ने कहा
"वो तो है फिर भी एक बार उसे देख तो ले" मोहित ने कहा.
"अगर वो बाहर नही आया तो" पद्मिनी ने कहा.
"अपना लेटर रिसेव करने तो वो आएगा ही, राज जैसे मैने समझाया है वैसे ही करना"
"ठीक है गुरु" राज ने कहा.
राज कार से उतर कर एक लेटर हाथ में लेकर उस घर की तरफ बढ़ता है.
"श्री सुरिंदर जी यही रहते हैं?" राज ने सिविल कपड़े पहने पोलीस वाले से पूछा.
"हां यही रहते हैं वो, क्या काम है?"
"उनका कौरीएर है बुला दीजिए उन्हे रिसेव करना होगा ये"
पोलीस वाले ने घर की बेल बजाई. थोड़ी देर बाद एक आदमी बाहर निकला.
"आप ही सुरिंदर हो?" राज ने पूछा.
"हां बोलो क्या बात है?"
"आपका करियर है यहा साइन कर दीजिए" राज ने एक कागज उसकी ओर बढ़ा कर कहा.
दूर से पद्मिनी ने उस आदमी को देखा और तुरंत बोली, "ये वो नही है"
"क्या! ऐसा कैसे हो सकता है ध्यान से देखो" मोहित ने कहा.
"कार थोड़ी आगे लो" पद्मिनी ने कहा.
"ठीक है मैं कार उसके घर के आगे से निकालता हूँ फिर देख कर बताना" मोहित ने कहा.
कार को अपनी और आते देख राज ने मन ही मन कहा, "ये गुरु कार आगे क्यों ला रहा है मरवाएगा क्या"
कार उस घर के आगे से निकल गयी. पद्मिनी ने बड़े गौर से उस आदमी को देखा.
"ये वो नही है, आइ आम 100 पर्सेंट शुवर" पद्मिनी ने कहा.
"फिर इसने क्यों झुटि गवाही दी" मोहित ने कहा.
"इसका जवाब तो यही दे सकता है." पद्मिनी ने कहा.
मोहित ने कार गली के बाहर निकाल कर रोक ली ताकि राज को पिक कर सके.
राज ने आते ही पूछा, "वही था ना वो"
"नही, ये वो नही है" पद्मिनी ने कहा.
"क्या!" राज भी हैरान रह गया.
"अब क्या करें" राज ने कहा.
"पहले घर वापिस चलते हैं, मुझे तो ये कोई बहुत बड़ी सोची समझी साजिस लगती है. घर पर बैठ कर आराम से सोचेंगे कि आगे क्या करें"
क्रमशः..............................
|
|
|