Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
01-23-2018, 01:02 PM,
#11
RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
सीता --एक गाँव की लड़की--11

कोमल दीदी खुद ही चलकर मेरे पास आ गई।
"सीता,मैं आप लोगों की दिल दुखाना नहीं चाहती थी। मैं तो बस एक दोस्त की तरह जुड़ना चाहती हूँ। अगर आप लोगों को मेरी बातों से ठेस पहुँची हो तो प्लीज माफ कर देना। पर प्लीज दोस्ती मत छोड़ना।"
मैं उन्हें एक टक देखी जा रही थी। उनकी आँखें बोलते-2 नम सी हो गई थी। उनकी हालत देख मैं भी भावुक सी हो गई। फिर वो अपनी आँखें पोँछती बोली,"ये लो मेरी कार्ड, अगर अपनी इस नादान से बात करने की इच्छा हुई तो बेहिचक फोन करना।"
मैं अब उन्हें ज्यादा देर तक ऐसी देख नहीं पा रही थी और जल्द से जल्द निकलना चाहती थी। मैंने कार्ड ली और ओके कहते हुए सीढ़ी से नीचे उतरने लगी।
पूरे रास्ते गुमशुम सी बैठी रही, मानोँ साँप छू गई हो। कई बार बोलने की कोशिश भी की पर उसने कोई जवाब ही नहीं दी। घर आते ही उसने रूम में घुस कमरे लॉक कर ली। मैं भी कुछ देर टाइम पास करने टीवी के सामने बैठ गई।
बैठे-2 नौ कब बज गए, मालूम ही नहीं पड़ी। श्याम भी आ गए थे। जल्दी से खाना बनाई और श्याम को खाना खिला दी। फिर पूजा को आवाज दी तो वो भी आई और चुपचाप खाना खा चली गई। मैं भी सोने चली गई।
अगली सुबह फिर वही कल वाली बात। दूध लेने के बाद उस ऑटो वाले की बेहूदा हरकतेँ देख के भागना। मन ही मन सोचने लगी कि ये ऑटो वाला रोज कैसे हमारी गली में आ जाता है।कहीं वो सिर्फ मुझे ही देखने ही नहीं आता है।
नहीं. नहीं. शायद घर होगा आगे। तभी तो रोज इधर से ही आता है। कल भी तो दोपहर में इधर की तरफ ही तो आ रहा था। पर मुझे देखते ही वापस हो गया था। खैर मैं अपने सिर को झटकते हुए उसकी बातों को दिमाग से निकाल देना चाहती थी।
सुबह भी पूजा कुछ नहीं बोल रही थी। नाश्ता करने के बाद वो कॉलेज निकल गई। श्याम भी कुछ देर में ड्यूटी पर निकल गए। मैं भी सारे काम निपटा आराम करने रूम में चली आई पर दिल में अब बेचैनी सी होने लगी थी। पता नहीं पूजा कुछ क्यों नहीं बोल रही है। अगर उसने नहीं बोली कभी इस बारे में तो पता नहीं मैं खुद को कैसे मना पाऊंगी। कैसे अपने दिल को समझा पाऊंगी। इन्हीं सब बातों में खोती कब सो गई मालूम नहीं।
पूजा कॉलेज से आ गई थी और नाश्ता कर रही थी, तब मेरी नींद खुली। मैं उसकी तरफ एक नजर डाली और बाथरुम की तरफ चली गई। फ्रेश होने के बाद जैसे ही निकली, पूजा बोली,"भाभी, अब आपको क्या हो गया जो मुँह फेर रही हो।"
मैं ठिठकती हुई रुक गई और पूजा की तरफ मुड़ के बोली,"मुझे क्या होगी! खुद ही कल से ऐसे चुप हैं मानोँ जैसे आसमान गिर गई हो तेरे सिर पे।"
मैं शिकायत करते हुए मुस्कुरा दी। पूजा तब तक नाश्ता कर चुकी थी। हाथ साफ करती हुई बोली,"भाभी, मैं उनकी बातों से बिल्कुल नाराज नहीं थी क्योंकि वो झूठ तो नहीं कह रही थी।" मैं भी पूजा की बातों को हाँ में सहमति दी। पूजा मेरे निकट आ गई और बोली," बस थोड़ी सी डर गई थी कि इन शहरी लोगों का पता नहीं पैसों के लिए कब किसे हलाल कर दे।"
"मतलब......!"मैं चौंक कर पूजा को बात समझाने के लिए पूछी।
"मतलब ये कि कहीं वो हमें ब्लैक-मेल तो नहीं करने की सोच रही ये सब बातें कह कर। यहाँ तो रोज ऐसी बातें होती रहती है।"पूजा मुझे समझाते हुए बोली।
मैं तो हैरान सी रह गई पूजा की सोच देख कर। किसी भी बात को तुरंत ही अंत तक ले जाकर सोचती है कि परिणाम क्या होगी इसकी।
मेरी दिमाग में ये बातें आते ही आगे की सोच सिहर गई।तभी पूजा बोली,"पर अब टेँशन लेने की कोई बात नहीं है भाभी।"
"क्यों?"मैं तो पूजा की हर बात सुन परेशान हुई जा रही थी। कभी कुछ कहती, कभी कुछ।
"आज कॉलेज में उसी दोस्त को सारी बात बताई थी। वो तो पहले खूब हँसी फिर बोली कि वो फायदा उठाने वाली लेडिज नहीं हैं। जहाँ तक वो एक दोस्त की तरह हर मुसीबत में हर वक्त साथ देती है।"
मैं भी पूजा की बात से कोमल दीदी को याद कर मुस्कुरा पड़ी।
"वो तो ठीक है पर अगर गाँव की देख उनकी नेचर बाद में बदल गई तो...।"अब मेरे मन में भी थोड़ी शंका हुई।
"भाभी, मैं ये कहाँ कह रही कि उनसे दोस्ती कर ही लो। जस्ट उनके बारे में बता रही हूँ और आप हो कि...."
मेरी बात पर पूजा हैरानी भरी आवाजोँ में बोली। मैं मुस्कुराती हुई बोली,"अच्छा छोड़ ये सब। चलो छत पर थोड़ी लाइव देखते हैं।"
"Wow मेरी जानेमन! कुछ तो बोली। पर अभी तो धूप निकली ही है और लाइव शुरू होने में करीब 30 मिनट बचे हैं।" पूजा तो ऐसे समझाने लगी कि मानो वो तो उनका पूरा टाइम टेबल जानती है।
"अच्छा चलो ना फिर भी। कुछ देर यूँ ही टाइमपास करेंगे।" मैं पुनः जोर देते हुए बोली।
पूजा मुस्कुरा दी और हामी भरते हुए छत की तरफ चल दी। अब पूजा को क्या पता कि मैं तो कुछ और ही देखने जा रही थी। गेट लॉक की और कुछ ही देर में हम दोनों छत पर थे।
मेरी नजर तो सबसे पहले उस छत की तरफ गई जहाँ कल लाइव शो चल रही थी। वहाँ तो अभी एक भी लोग नहीं थे। मैं फिर दूसरी तरफ देखने लगी। मेन रोड की तरफ देखी तो एक से एक बिल्डिँग नजर आ रही थी। यहाँ से मेनरोड नजर तो नहीं आ रही थी पर वहाँ सड़कों पर दौड़ रही गाड़ियों की तेज आवाजें जरूर सुनाई दे रही थी।
दूसरी तरफ नजर दौड़ाई तो गली आगे जा कर बाएँ और दाएँ की मुड़ गई थी। इधर की तरफ घर भी धीरे-धीरे छोटे होते जा रहे थे आगे।
"पूजा,ये सड़क आगे जाकर खत्म हो जाती है क्या?" पूजा को अपनी बगल में खड़ी देख पूछी।
"नहीं भाभी,ये सड़क आगे उस कॉलोनी से होती हुई आगे पुनः मेनरोड पर निकल जाती है।"पूजा हल्के शब्दों में बता दी।
मेरी नजर दोनों कॉलोनी की तरफ गई जहाँ कोई भी घर दो मंजिल से ज्यादा की नहीं थी।कुछ घर तो बिल्कुल गाँवों की झोपड़ी की तरह थी। तभी पूजा आगे बोली,"भाभी, इन दोनों कॉलोनी में सिर्फ कम आय वाले लोग रहते हैं जैसे कि मजदूर,दूधवाला, ऑटोवाला वगैरह-2। यहाँ मेन रोड से जितनी अंदर जाओगी, वैसी ही लोगों की रैंक भी कम होती जाती है।"
पूजा की बात सुन हम दोनों इस वर्गीकरण पर हँस पड़े।

मैं छत पर खड़ी उस कॉलोनी की तरफ देख रही थी या कहो किसी को ढूँढने की कोशिश कर रही थी। पूजा मेरी बगल से निकल दूसरी तरफ चली गई।
मैं मन में सोचे जा रही थी कि कहाँ पर होगी उस ऑटो वाले का घर?
अचानक मैं अपने सिर को झटकी... छिः.. पता नहीं मेरे अंदर उस मामूली ड्राइवर कैसे आ गया। ड्राइवर तो था पर था वो मेरी हुस्न का दीवाना... ड्राइवर तो सब दिन अपनी बीबी या रण्डी को ही चोदता है तो उसकी ऐसी हरकत तो वाजिब थी। अगले ही पल मैं एक बार सोचनी लग गई..
ऑटो ड्राइवर है तो किसी झोपड़ी में ही रहता होगा। घर में उसकी बीबी-बच्चे होंगे। दिन भर कमा कर आता होगा थका हुआ और खाना खा सो जाता होगा। नहीं.. नहीं.. दिखने में तो काफी हिष्ट-पुष्ट है.. जरूर अपनी बीबी को जम के चोदता होगा फिर सोता होगा।घनी-2 मूँछेँ,सिर पर गमछी लपेटे,कमीज की सिर्फ नीचे की एक बटन लगी, लाल-2 आँखें, मुँह में गुटखा चबाए भयानक लग रहा था। और किसी लड़की को देखता तो मानोँ अगर वो लड़की अकेली मिल जाए तो उसी जगह पटक के चोद ले। उसकी तरह उसकी बीबी भी काली होगी पर काफी सेक्सी होगी.. क्योंकि काले लोगों में सेक्स कूट-2 के भरी होती है। दोनों जब सेक्स करते होंगे तो पड़ोसी की निश्चित ही नींद टूट जाती होगी...
और ऐसी बातें सोचते-2 मेरे होंठों पर मुस्कान तैर गई।
"ओ भाभी,कहाँ खोई हुई है? आपके फोन में किसी का मैसेज आया है.."तभी दूसरी तरफ से आई पूजा की आवाज सुन मैं ख्वाबोँ की दुनिया से बाहर निकली। पूजा की तरफ नजर दौड़ा एक छोटी सी स्माइल दी और मैसेज देखने लगी।
"कुछ दोस्त जिंदगी में इस कदर शामिल हो जाते हैं,
अगर भुलाना चाहो तो और याद आते हैं।
बस जाते हैं वो दिल में इस कदर कि,
आँखें बंद करो तो सामने नजर आते हैं।।"
मैसेज पढ़ मेरी होंठों पर मुस्कान आ गई। पूजा मुझे मुस्कुराते देख पास आती हुई बोली,"क्यों मेरी रानी, बड़ी चवनिया मुस्कान दे रही है मैसेज देख कर। जरा हमें भी तो दिखाओ किसके हैं।"
मैं अभी भी मुस्कुराए जा रही थी।पूजा मेरे हाथों से फोन ले पहले नम्बर देखी,फिर हँसते हुए जोर-जोर से मैसेज पढ़ने लगी। मेरी तो हँसी के साथ-2 शर्म भी आने लगी थी। जैसे ही मैसेज खत्म हुई पूजा फोन मेरी तरफ बढ़ाते हुए बोली,"हाय, अपने इस दीवाने को जल्दी से उत्तर दो।"
मैं ना में सिर हिला दी। पूजा चौँकती हुई बोली,"ओ मेरी सती सावित्री, ऐसे कैसे चलेगा। जल्दी से जवाब दे वर्ना तुम जिंदगी भर अंकल के लंड को याद करने में ही गुजार दोगी। समझी कुछ."

पूजा की बात सुनते ही मैं उसके हाथ से फोन ली और बोली,"बड़ी आई मैसेज-2 खेलने वाली.. मैं नहीं खेलने वाली।"
और फोन लेते हुए नम्बर डायल कर फोन कान में लगा ली। ये देखते ही पूजा खुशी से उछल पड़ी और बोली," Woww! भाभी, तुम तो बड़ी कमीनी निकली। मैं कहाँ मैसेज करने की सोच रही और तुम तो सीधी.."
पूजा अपनी बात पूरी भी नहीं कर सकी कि तब तक मैंने उसके मुँह को हाथों से बंद कर दी।
"प्रणाम अंकल.." फोन रिसीव होते ही मैं बोली।
"जीती रहो बेटा, कैसी हो? नई जगह पर मन तो लग रहा है ना।पूजा जब तक कॉलेज रहती तब तक तो अकेली बोर हो जाती होगी।"अंकल एक ही बार में कई सवाल कर गए।
मैं हँसती हुई बोली,"बिल्कुल ठीक हूँ अंकल। और यहाँ हम दोनों काफी मजे में हैं.. हाँ कभी कभी बोर जरूर हो जाती।"
"ओह मेरी बच्ची.. तो तुम फोन क्यों नहीं कर लेती। बात कर लेगी तो थोड़ी रिलेक्स हो जाएगी और बाहर भी घूमने चली जाया करना।"अंकल तरस खाते हुए बोले।इधर पूजा गौर से हम दोनों की बातें सुन रही थी।
"जी अंकल।"मैं अंकल की बातों को समर्थन देते हुए बोली।
"अंकल, आप हमसे मिलने कब आओगे?" पूजा की नाचती नजरों में देखती मुस्कुराती हुई बोली। पूजा मेरी इस सवाल पर Wow कहने की मुद्रा में अपनी होंठ कर ली।
"अरे सीता बेटा, मैं खुद ही आपसे मिलने के लिए कितना तरस रहा हूँ; तुम सोच नहीं सकती। कल तक किसी तरह समय निकाल कर आ जाऊँगा।"अंकल के हर शब्दों में बेकरारी साफ-2 झलक रही थी।
"ठीक है अंकल,मैं इंतजार करूँगी।" मैं अंकल की बेसब्री पर मुस्कुराती हुई थोड़े और जख्म दे दी।
"ओफ्फ.... थैंक्स बेटा.. मन तो नहीं है पर अभी एक जरूरी मीटिंग में जाना है इसलिए रख रहा हूँ। फुर्सत में आराम से बात करेंगे।" अंकल के बुझे हुए शब्द मेरे कानों में पड़ी तो मैं झूम सी गई। अंकल तो सच में पूरे फिदा थे।
"ठीक है अंकल पर...."मैं अंकल को लगभग रोकती हुई बोली। इधर पूजा मेरी तरफ आँखें फाड़ कर देखने लगी कि अब क्या कहने वाली है।
"पर क्या बेटा?"अंकल एक बार फिर जोश में आते हुए बोले।मैं कुछ देर खामोश सी हो गई। पूजा भी मुझे समझने की कोशिश करती देखी जा रही थी।
"हैल्लो.. सीता बेटा.. अरे बोलो ना.. कुछ दिक्कत है या कोई बात है, बेहिचक बोलो।"अंकल की आवाजें एक बार फिर गूँजी। मैं थोड़ी हकलाती हुई बोली,"वो अं..अंकल.. मुझे उस दिन वाला प्यार चाहिए था आपसे.."
मैं अब सच में थोड़ी शर्मा गई कहते हुए और साथ में मेरी चूत भी। पूजा तो अपने दोनों हाथ से मुँह ढँक दबी हुई हँसी हँसने लगी। वो दोनों समझ गए थे कि मैं चुम्मा माँग रही हूँ।मैं अपने चेहरे पर आई पसीने साफ करती हुई पूजा को चुप रहने की इशारा की।
"अम्म..म.. वो पूजा नहीं है क्या घर पर।" अंकल भी थोड़े डर गए और हकलाते हुए बोले। अब हँसी निकालने की बारी मेरी थी अंकल की हालत देख,पर किसी तरह काबू पाते हुए नाराज भरे शब्दों में बोली,"अंकल,पूजा घर पर रहती तो थोड़े ही ना माँगती। वो अपने दोस्त के साथ बाहर गई है..प्लीज अंकलललल..."
पूजा की तो हँसी से हालत खराब हो रही थी। वो वहीं अपनी पेट पकड़ बैठ गई। पूजा घर पर नहीं है सुन अंकल थोड़ी राहत की साँस लिए और नॉर्मल होने की कोशिश करते हुए बोले,"अच्छा बेटा, अभी तो जल्दी में हूँ वर्ना ढेर सारी देता। कहाँ पर दूँ, जल्दी बोलो."
मैं थोड़ी इठलाती हुई बोली,"अंकल..जहाँ पर उस दिन दिए थे।"
"वो तो ठीक है मेरी रानी बिटिया, पर अगर उस जगह की नाम बता देती तो और भी अच्छे ढंग से देता।"अंकल थोड़े से सकुचाते हुए बोले शायद उन्हें झिझक हो रही थी। पर कह तो सही रहे थे। कोई लड़की अगर खुल के सेक्सी बातें बोलती है तो पार्टनर दुगुने उत्साह से मजे दिलाता है।
मैं अब ज्यादा वक्त नहीं लेना चाहती थी क्योंकि अब मेरी भी चूत फव्वारे छोड़ने लगी थी।
अबकी बार तो मैं सच में सिहर गई और शर्माते हुए बोली," ज..जी अंकल वो मेरी होंठों पर..."
इतनी ही कह पाई कि मेरी साँसें तेज होने लगी थी। और पूजा तो हँसते-2 एक तरफ लुढक चुकी थी। दूसरी तरफ अंकल एक मुख से एक आहहह निकली और घबराई हुई शब्दों में बोले," बेटा, होंठ नहीं कहो... प्यारी-2, सुंदर, रसीली और शहद जैसी मीठी होंठ कहो। अच्छा अब जरा आप अपने होंठों पर मोबाइल रखिए.."
मैं हल्की हँसी हँसती हुई बोली.. "जी अंकल, रख दी।"
तभी अंकल की एक जोरदार और लम्बी सी चुम्मी की तेज आवाज मोबाइल से निकली...
और पीछे से अंकल हल्के शब्दों में बोले,"आह मेरी रानी"
मैं समझ गई कि अंकल अब पूरे जोश में आ गए हैं.. मैं हल्की हँसी के साथ मुस्कुराती हुई बोली,"थैंक्स अंकल,अब आप जाइए.. और जल्दी ही मिलने आइएगा। उम्मुआहहहह...." इस बार अंकल को एक झटके देती हुई मैं भी उतावला हो गई थी.. अंकल तो बदहवास से कहीं खो गए। उनकी तरफ से कोई आवाज नहीं सुन मैं हैल्लो की तो अंकल की सिर्फ सिसकारि निकल सकी। मैं तेजी से बाय अंकल कहती हुई फोन रख दी। फोन रखने के साथ ही हम दोनों की 15 मिनट की रुकी हुई हँसी एक साथ गूँज उठी...
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01-23-2018, 01:02 PM,
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हम दोनों की हँसी रुकते नहीं रुक रही थी। वहीं बैठ किसी तरह हँसी रोकने की कोशिश कर रही थी। तभी पूजा की नजर उस तरफ गई जहाँ वही जोड़ा खुली छत पर सेक्स कर रही थी। पूजा देखते ही बोली,"क्या यार, रोज-2 ऐसे करते मन नहीं उबता क्या? कभी तो जगह,पोज बदला करो। इससे अच्छी मस्ती तो हम लोग कर रहे हैं।"पूजा उसकी तरफ देख कहते हुए हँस पड़ी।
कुछ देर यूँ ही छत पर टहलने के बाद हम दोनों नीचे आ गए। फिर रात का खाना खा सो गए।
अगले दिन सुबह दूध ले वापस अपने फ्लैट की तरफ आ रही थी। तभी रोज की तरह वही ऑटो वाला गाना बजाते हुए आ रहा था। पता नहीं मन में क्या सुझी? पहली सीढ़ी पर रखी पैर वापस खींचते हुए बाहर उस ऑटो की तरफ देखने लगी। रोज की तरह ऑटो रुकी और ड्राइवर अपने लंड मसलते हुए जीभ फेरने लगा। बिना किसी शर्म के मैं उसकी आँखों में देखे जा रही थी। तभी उस ड्राइवर ने फ्लाइंग किस मेरी तरफ उछाल दिया। ना चाहते हुए भी मैं मुस्कुरा पड़ी और वापस भागती हुई अपने फ्लैट में चली आई। मेरी साँसें तेज चलने लगी थी.. मैं किचन में खड़ी हँसते हुए साँसें पर काबू पाने की कोशिश करने लगी। मैं तो उसकी हिम्मत की कायल हो गई। कैसे वो बिना डर के पहले लंड मसल रहा था, फिर थोड़ी रिस्पांस मिलते ही फ्लाइंग किस दे बैठा। इसी तरह उसके बारे में सोचते किचन के काम में लग गई। रोज की तरह श्याम ड्यूटी,पूजा कॉलेज और मैं खाना खा के आराम करने चली गई।
दोपहर में करीब 1 बजे डोरबेल की आवाजें से मेरी नींद खुली। मैं तेजी से उठी और गेट खोली। सामने अंकल को देखते ही मैं चौंक पड़ी। अगले ही पल मैं संभलती हुई प्रणाम की। अंकल मेरी दोनों बाँहेँ पकड़ते हुए बोले,"अरे बेटा, दिल में रहने वाले लोग पैर नहीं छूते, बल्कि गले मिलते हैं।" कहते हुए अंकल अपने मजबूत बाँहों में मुझे समेट लिए। मैं भी सिमटती हुई अंकल के बाँहों में सिमट गई। सच अंकल के बाँहों में काफी सुकून मिल रही थी। कुछ देर किसी प्रेमी जोड़े की तरह लिपटी रहने के बाद मैं ऊपर उनकी आँखों में देखते हुए बोली,"यहीं पर से वापस जाएँगे क्या? अंदर चलिए ना....!"
मेरी बात सुन अंकल मेरी होंठों को हल्के से चूमते हुए बोले,"ओके बेटा,जैसी आपकी मर्जी।"
फिर हम दोनों अलग हुए और गेट बंद करते हुए अपने रूम की तरफ चल दी। अंकल भी मेरे पीछे आते हुए रूम में आए और सोफे पर बैठ गए। मैं फ्रिज से पानी की बोतल निकाल उनकी तरफ बढ़ा दी। बोतल पकड़ते हुए अंकल बोले,"सीता, खाना नहीं खाती क्या? कितनी दुबली हो गई। गाँव में थी तब अच्छी लगती थी। और पूजा कॉलेज से नहीं आई क्या?"
अंकल की बात सुन मैं हँसती हुई बोली,"अंकल मैं तो वैसी ही हूँ जैसी गाँव में थी। पूजा भी कुछ देर में आ जाएगी।" कहते हुए मैं किचन में आई और चाय बनाने लगी। जैसी की मुझे उम्मीद थी, अंकल अगले ही पल किचन में मौजूद थे। मैं मन ही मन मुस्कुरा दी और बिना मुड़े चाय बनाने में मग्न रही। पर शरीर में तो अंकल के अगले कदम को सोच झुरझुर्री आ गई थी। तभी अंकल पीछे से अपनी लंड मेरी गांड़ के ऊपर रखते हुए चिपक गए और मेरी बाल एक तरफ करते हुए कान की बाली अपने मुँह में भर लिए। मैं तो जोर से सिहर गई। ओफ्फ करती हुई कसमसाने लगी। उनकी गर्म साँसें सीधे मेरी सुर्ख गालोँ पर पड़ रही थी जिससे मैं कांप सी गई। अगले ही पल अंकल अपने हाथ मेरी साड़ी के नीचे होते हुए नंगी पेट पर रख दिए। मेरी तो हालत जल बिन मछली की तरह हो गई। मैं सिसकती हुई अंकल के सीने पर अपने सर टिका दी। मेरी आँखें मदहोशी में बंद हो चुकी थी और नीचे मेरी चूत रस बहाने लगी थी। तभी अंकल मेरी कान की बाली को मुँह से आजाद कर दिए। मेरी साँसें अब तेज चलने लगी कि पता नहीं अब अंकल क्या करेंगे। तभी अंकल अपना दूसरा हाथ मेरी चूत के ठीक बगल में रख दिए। मैं मस्ती के सागर में डूबती हुई अपने दोनों पैर सिकुड़ कर पीछे को हुई। पर पीछे से अंकल अपने लंड को तैनात किए हुए थे जो किसी काँटे की भाँति मेरी मांसल चूतड़ में धँस गई। अंकल की एक छोटी सी हँसी सुनाई दी जिससे मैं शर्मा गई। तभी अंकल चूत के पास रखे अपने हाथ धीरे-2 ऊपर की तरफ सरकाने लगे। हाथ थी तो साड़ी के ऊपर पर वो अपने जलवे मेरी रूहोँ को तक दिखा रही थी। अंकल बिना रुके अपने कड़क हाथ पेट के ऊपर से गुजारते जा रहे थे। जैसे ही हाथ मेरी चुची के निचले हिस्से को छुई, मैं तड़प के अपने हाथों से उन्हें रोकने की कोशिश की। पर मेरी हाथ क्या पूरे शरीर में थोड़ी भी ताकत नहीं रह गई थी कि अंकल को अब रोक सकूँ। अंकल मेरे हाथ सहित अपने हाथ मेरी चुची पर ऊपर की तरफ ले जाने लगे। मेरी चुची के ठीक बीचोँबीच आते ही उन्होंने अपने हाथ नचा दिए। मैं काम वासना में इतनी जल गई थी कि इसे बर्दाश्त नहीं कर पाई और चीखते हुए झड़ने लगी। मेरी पूरी शरीर कांपने लगी थी, जिसे अंकल तुरंत समझ गए और पेट पर रखे हाथ से मुझे कस के पकड़ लिए ताकि मैं उनके साथ खड़ी रह सकूँ। तब तक अंकल के हाथ मेरी चुची को रगड़ती हुई मेरी गाल तक पहुँच गई। फिर मेरी गालोँ को हल्के से घुमाते हुए अपने तरफ करने लगे। मेरी साँसे उखड़ने लगी। मैं चाह कर भी कुछ करने लायक नहीं बची थी। अगले ही क्षण मेरी कांपती होंठ पर उनके होंठ चिपक गए। उनके होंठ लगते ही मैं जन्नत में पहुँच गई। मैं एक बार झड़ने के बावजूद पुनः गर्म हो गई और आपा खोते हुए किस करने लगी। मेरी तरफ से अनुमति मिलते ही अंकल तेजी से किस करने लगे। अगले ही पल मेरी पेट पर रखे हाथ को सीधा मेरी चुची पर रख दिए। अब मैं सारी दुनिया भूल अपने रसीली होंठ के रस चुसवा रही थी। और अंकल भी बदहवास मेरी चुची मर्दन करते किस किए जा रहे थे और नीचे अपने लंड से हौले-2 धक्का दे रहे थे। गैस पर चढ़ी का तो पता नहीं जल के बची भी होगी या नहीं..
10 मिनट तक लगातार चुसाई के बाद भी हम दोनों अपनी जीभ से जीभ लड़ाते हुए किस किए जा रहे थे कि तभी "Please Open The Door" की आवाज सुनते ही अंकल से छिटकते हुए गेट की तरफ लपकी।

जब मैं गेट खोली तो सामने देखते ही चौंक पडी़ ... सामने पूजा खड़ी थी और उसके पीछे ऑटो ड्राइवर खड़ा मुस्कुरा रहा था... मैं एक बारगी तो सकपका गई... अगले ही पल मेरी नजर अंकल की तरफ पहुँच गई.. अंकल भी किचन से निकल आ गए और ड्राइवर पर नजर पड़ते ही बोले,"क्या हुआ पूजा?"
पूजा अंकल की तरफ हँसती हुई बोली,"कुछ नहीं अंकल, आज रास्ते में मेरी पर्स पता नहीं कहाँ गुम हो गई.. ये ऑटो वाले हैं, किराया लेने के लिए आए हैं.."
कहते हुए पूजा अंदर चली आई.. अंकल भी घूरते हुए ड्राइवर की तरफ देखते पूजा के पीछे चल दिए.. शायद अब वे पूजा को भी...
तभी मेरी नजर ड्राइवर पर पड़ी जो बेशर्मी से अपना लंड मसलने लगा... मेरी तो डर के मारे कांप सी गई.. मैं पलटती हुई तेजी से अपने रूम की तरफ भागी..
रूम में जाते ही मेरी नजर पूजा और अंकल पर पड़ी जो कि आते ही चिपक कर किस कर रहे थे..
मैं चौंकती हुई वापस मुड़ी कि पूजा किस रोकती हुई बोली,"भाभी, वो ड्राइवर को प्लीज किराया दे देना.. " और फिर वो दोनों अपने काम में जुट गए..
मैं मुस्काती हुई उनके बगल से होती हुई अपने पर्स लेने गई.. पैसे निकाल वापस आ रही थी कि अंकल किस करते हुए अपने हाथ बढ़ा मेरी चुची पकड़ लिए.
मैं अंकल की इस हरकत के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी.. मैं जोर से चीख पड़ी.. चीख इतनी तेज थी कि बाहर खड़े ड्राइवर स्पष्ट सुना होगा.. पूजा मेरी चीख सुन अंकल के हाथों पर एक चपत लगा दी.. अंकल बिना किस तोड़े हँसते हुए अपने हाथ हटा लिए..
मौं साड़ी ठीक करती हुई ड्राइवर के पास आई और पैसे बढ़ा दी..
वो मुस्कुराता हुआ पैसे लेने के लिए हाथ बढ़ा मेरी केहुनी को सहलाता नीचे मेरी हाथ तक आया और पैसे लेते हुए मेरी हाथ दबा दी ..
मैं इस्ससस करती हुई सिसक पड़ी.. तभी वो आगे बढ़ते हुए काफी निकट आते हुए बोला,"मैडम, आप तो खूब मजे लेती हैं.. एक बार हमका भी मजा दे के देखो ना़.. आप मुझे काफी अच्छी लगती हो.."
मैं पहले से ही काफी गर्म थी ही, अब उसकी बात हमें पिघलाए जा रही थी.. मैं वासना की आग में जलती कुछ बोल नहीं पा रही थी..फिर वो आगे बोला,"मैडम, अभी तो आप इन साहब को मजे दे दो, बाकी कुछ बचा तो अपने इस दिवाने का ख्याल रखना.."
और कहते हुए वापस नीचे की तरफ बढ़ गया...मैं अचानक ही धीरे से आवाज लगाती हुई उसे रूकने बोली.. वो फौरन वापस मेरे पास आ खड़ा हो गया..
"तुम ना वो जो मुझे देख गंदी हरकत करते रहते हो वो प्लीज आगे से मत करना.. अच्छी नहीं लगती हमें.. ठीक है अब तुम जाओ.."
मेरी बात सुनते ही वो मुस्कुराता हुआ हामी भर चल दिया.. उसके जाते ही मैं गेट बंद की .. तभी अंकल और पूजा भी रूम से निकलते हुए आए.. मेरे पास आते ही अंकल मूझे अपनी बाँहों में कसते हुए बोले," थैंक्स मेरी रानी, आज तो आपका आधे प्यार पा मैं गदगद हो गया.. मैं बहुत जल्द ही आपके पूरे प्यार को पाने आउंगा.."
"मतलब अभी आप जा रहे हैं.."मैं उनके सीने से चिपकते हुए बोली..
बगल में खड़ी पूजा मुस्कुरा रही थी..अब पूजा के सामने अब शर्म करने से कोई फायदे की बात तो थी नहीं जो शर्म करती...
"मन तो तनिक भी नहीं है आपसे हटने की पर क्या करूँ इन 1 घंटे भी सैकड़ों फोन आ चुके हैं..वो तो शुक्र है कि फोन साइलेंट थी वर्ना ....."
अंकल कहते हुए अपना लंड मेरी चुत पर रगड़ते हुए मेरी नंगी पीठ पर पर हाथ चलाने लगे.. तभी बीच में पूजा बोल पड़ी," अंकल, मेरी समझ में नहीं आ रही है कि भाभी आपको आधे प्यार कैसे दे दी.."
पूजा की बात सुनते ही अंकल झुकते हुए मेरी उभारों को चूमते हुए बोले," यहाँ से पूजा.."
अंकल के चूमते ही मैं सिसक पड़ी..और शर्म से नजरें छुपाती हुई मुस्कुराने लगी...
"वाह अंकल, भाभी को तो अभी भी शर्म आ रही है.. अच्छा बाकी के प्यार कब लेने आओगे?"पूजा मेरे कंधों पर हाथ रखती हुई पूछी..
"बहुत जल्द आउंगा साहिबा..अब तो रूक पाना मेरे बस की बात नहीं है..अगर विश्वास नहीं हो तो सीता से पुछ लो"अंकल अपने लंड की हालत बयान करते हुए बोले जो कि मेरी चूत में घुसी जा रही थी..
पूजा अंकल की बात सुन हँसती हुई बोली,"ओहो अंकल, मगर थोड़ा आराम से,, कहीं भाभी की साड़ी मत फाड़ देना.."
मेरी हालत पूजा की बात से और खराब होने लगी..
"वो सब छोड़ो अंकल, अब आप जल्दी जाओ वर्ना आपको जाने भी नहीं दूँगी.."मैं अंकल को थोड़ी ढ़ीली करते हुए बोली..
"हाँ हाँ अंकल, अब आप जाओ नहीं तो मेरी गरम भाभी आपका रेप कर देगी.." पूजा अंकल को हमसे अलग करती हुई हँसती हुई बोली.. मैं और अंकल भी साथ में हँस पड़े..
"जैसी आज्ञा मेरी रानी, रात में फोन करूँगा."अंकल गेट खोलते हुए बोले..
पूजा हाँ में सिर हिला दी..फिर अंकल को छोड़ने बाहर तक चली गई.. फिर वापस आते ही जल्दी से गेट लॉक की और अपनी चूत की गरमी निकालने के लिए पूजा को दबोच पलंग पर कूद गई...

पूजा के साथ झड़ने के बाद कुछ देर खुली छत पर हवा खाई.. फिर वापस नीचे आ घर के काम में लग गई..

रोज की तरह अगली सुबह भी दूध लेने के बाद कुछ देर रूक उस ड्राइवर का इंतजार करने लगी...

इंतजार तो ऐसे कर रही थी कि मानों मैं उसकी प्रेमिका ही हूँ.. ज्यादा देर तक इंतजार करनी नहीं पड़ी..

आज वो काफी अच्छे से साफ-सुथरा लग रहा था.. हम दोनों की नजर टकराते ही याथ मुस्कुरा दिए और वापस अंदर आ गई..

आज वो कोई गंदी हरकत किए बिना ही चला गया, जिससे मैं काफी खुश लग रही थी..

घर के कामों से फ्री हो आराम करने लगी..आज पता नहीं अकेली काफी बोर क्यों हो रही थी...

फोन उठाई और नम्बर डायल करने लगी.. कुछ ही पल में भैया फोन रिसीव कर लिए..

भैया: "हैल्लो सीता, कैसी है तू और फोन क्यों नहीं करती.."

"मैं तो मस्त हूँ भैया, आप कैसे हैं?"

भैया: " मैं भी ठीक हूँ सीता, तुम तो वहां जाते ही हमें भूल गई.."

"नहीं भैया, भला अपने प्यारे भैया को कैसे भूल सकती हूँ.. अच्छा भैया भाभी कहां है.."

भैया: "वो तो घर पर है.. घर जाते ही बात करवा दूंगा.."

"ठीक है करवा देना, और आप कब आ रहे हैं हमें वो वाली दर्द देने......" मैं थोड़ी सकुचाती हुई बोली..

"ओहो मतलब मेरी रानी अभी अकेली है.. आउंगा जान, मौका मिलते ही तुम्हारी चूत मारने आ टपकूंगा" कहते हुए भैया हंस पड़े..

मैं भी भैया से चुदने की बात सुन शर्म से लाल हो गई..

"जल्दी आना भैया,, आपकी याद में काफी गीली हो जाती हूँ.." मैं अपनी हालत बयां करने की कोशिश की..

भैया: " जरूर रानी, और हाँ रानी जरा अपनी चूत को मजबूत बना कर रखना..अब तुझे प्यार से चोदने वाला नहीं हूँ.."

मेरी चूत ऐसी कामुक बातें सुन पानी छोड़नी शुरू कर दी थी..मैं बोली,"कोई बात नहीं भैया, जब एक बार ले ली तो डरने की क्या जरूरत अब.."

भैया: "अच्छा, वो तो तब पूछूंगा ना जब तू चिल्ला के छोड़ने की भीख मांगेगी और मैं तुझे किसी रंडी की तरह पेलता रहूँगा.."

भैया के मुँह से रंडी शब्द सुन मैं काफी रोमांचित हो उठी.. कैसे भैया मुझे बाजारू रंडी की तरह मसलेंगे..

"मैं इंतजार करूंगी भैया, मुझे सब मंजूर है.." मैं अपने भैया से एक रंडी की चुदने की हामी भर दी.

भैया: "आहहहह मेरी रंडी बहना, अब सब्र नहीं हो रहा.. अगली बार आएगी तो तुझे रंडी की तरह पूरे गांव वाले से चुदवाउंगा..."

भैया की बात से मेरी उंगली कब मेरी चूत में समा गई, रामजाने....मैं तेज तेज उंगली चलाती हुई बोली,"पहले आप तो पहले ठीक से कर लो भैया, फिर औरों की सोचना..हीहीहीही..

तभी भैया जोर से चीख पड़े...

"आहहहहहहह मेरी रंडी सीता.आ.आ.आ.आ.आ...."

भैया झड़ रहे थे... तभी मेरी चूत की भी नली खुल गई और आहहहहहहहह भैया कहते हुए मैं भी झड़ने लगी..

कुछ देर तक हम दोनों बिना कुछ बोले झड़ते रहे...फिर भैया बिना कुछ कहे फोन काट दिए..शायद वो फ्रेश होने चले गए थे...

मैं भी उठी और बाथरूम में फ्रेश होने घुस गई...फ्रेश हो रूम में आई और बेड पर लेट गई.. मेरी नजर घड़ी की तरफ गई जिसमें अभी 11:30 बज रहे थे... पूजा तो 2 बजे से पहले आती नहीं थी..

मन विचलित सी हो रही थी.. झड़ने के बावजूद प्यास कम नहीं हो रही थी... अकेली घर में काफी बोर फील कर रही थी..

अगले ही पल उठी और ब्लैक कलर की साड़ी निकाली.. साथ में मैच करती हुई एक लो कट ब्लाउज भी निकाली..

फिर साड़ी पहन हल्की मेकअप की... बालों को खुली छोड़ दी जो कि पीठ पर लहरा रही थी...और गेट लॉक कर बाहर निकल गई...

मेन रोड तक पैदल ही पहुंच गई..इतनी देर में ना जाने कितने मर्द मुझे देख अपना लंड मसल चुके थे... मेन रोड पर तो काफी गाड़ी दौड़ रही थी पर मैं तो किसी और की इंतजार कर रही थी..

सड़क पर सभी की नजर मेरी आधी नंगी चुची पर टिक के थम जाती जो कि ब्लाउज से साफ दिख रही थी...

पल्लू तो जान बूझकर सिर्फ एक चुची पर रखी थी... तभी धड़धड़ाती हुई एक ऑटो मेरे आगे आ रूक गई...जिसमें पहले ही काफी लोग बैठे थे सिवाए एक सीट के...

मैं एक नजर ड्राइवर पर डाली.. उसे देखते ही मैं चुपचाप बैठ गई... और अगले ही पल झटके लेती हुई ऑटो चल पड़ी..

ज्यों ज्यों ऑटो आगे बढ़ रही थी, सभी पैसेंजर अपनी मंजिल के पास उतर रहे थे.. सिवाए हमके, क्योंकि मैं कहां जा रही थी खुद नहीं जानती थी....

और वो ड्राइवर मिरर में मुझे देख मुस्कुराता हुआ बढ़ा जा रहा था...कोई 10 मिनट बाद सभी यात्री उतर चुके थे... बस मैं ही बची थी ऑटो में...;

जब से मैं बैठी थी तब से गौर कर रही थी कि अब वो सिर्फ लोगों को उतार रहा है,, कोई चढ़ने के लिए इशारे भी करता तो वो बिना देखे चला जा रहा था...

इस हरकत पर मैं मुस्कुराते हुए पूछी," इन लोगों को बिठा क्यों नहीं रहे हो..?"

वो मिरर में झाँकते हुए बोला,"मैडम, कमा तो मैं बाद में भी लूँगा पर आप से बातें करने का मौका थोड़े ही हरदम मिलेगा."


उसकी बातें सुन मैं मुस्कुराती हुई बोली," अच्छा, मैं बातें करने के लिए थोड़े ही बैठी हूँ...मैं तो कोमल दीदी की पॉर्लर पर जाने के लिए बैठी हूँ..."

पर सच तो यही थी कि मैं ईसी से बातें करने आई थी.. कोमल दीदी तो एक बहाना है...

"क्यााा? पॉर्लर जाएगी आप? अरे अभी भी तो काफी सुंदर लग रही हैं फिर पॉर्लर जा के करेगी क्या?"ड्राइवर चौंकते हुए बोला.

"नहीं मेरे बाल कुछ गड़बड़ सी लग रही है,उसी को ठीक करवाउंगी.."मैं उसकी बात का जवाब देती हुई बोली.. पर सच में मेरे बाल ठीक ही थी..

"पता नहीं मैडम, इतने अच्छे बाल में आपको कहां गड़बड़ लग रही है.." उसने पीछे पलट एक नजर डाली और फिर आगे देखने लगा...

उसकी बात सुन मेरी हल्की हंसी आ गई, फिर मैं बिना कुछ कहे दूसरी तरफ देखने लगी...

कुछ ही देर में मैं पॉर्लर के पास पहुँच गई थी..मैं ऑटो से उतर पैसे दी और पॉर्लर की तरफ बढ़ गई....
[...कहानी जारी है]
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01-23-2018, 01:02 PM,
#13
RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
सीता --एक गाँव की लड़की--13

कोमल दीदी की पॉर्लर में नजर पड़ते ही मेरी नजर कोमल दीदी पर पड़ी.. जो कि बैठी अपने साथ काम करने वाली लेडिज से बात कर रही थी..

मुझे देखते ही उन्होंने अपनी बात बंद कर मुस्कुरा दी और बोली,"आओ सीता, कैसी हो और इधर कैसे भटक गई...

"नहीं दीदी. भटक के नहीं , बस आपसे मिलने आई हूँ.. घर पर अकेली बोर हो रही थी तो सोची कहीं घूम आऊँ.."मैं आगे बढ़ती हुई हँसते हुए बोली..

"जरूर सीता,, हमारी इस छोटी सी कुटिया में हर वक्त स्वागत है... अच्छा वो पूजा नहीं आई क्या?"कोमल दीदी हमें बैठने के लिए इशारा करती हुई बोली.

मैं पास में पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए बोली,"पूजा कॉलेज गई है दीदी, वर्ना वो भी आती.."

तब तक उनकी सहकर्मी उठ गई और कोने में पड़ी फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक ले आई..

"पूजा तो हमसे नाराज ही हो गई तो कैसे आएगी मिलने?"दीदी ड्रिंक की एक घूँट लेती हुई बोली..

"नहीं दीदी, वो नाराज नहीं है बस थोड़ी सी डर गई थी.."

"क्यों?"कोमल दीदी चौंकती सी पूछी..

"दीदी वो क्या कहते हैं उसको ब्लैकमेल करना.. बस इसी से डरती है कि कहीं आप भी....."मैं थोड़ी सकुचाती हुई बोली..

मेरी बात सुनते ही वो आश्चर्य और गंभीर नजरों से हमें देखने लगी...मैं भी डर गई कि शायद इन्हें मेरी बात अच्छी नहीं लगी..

कमरें में पूरी तरह सन्नाटा छा गई थी..हम तीनों की नजरें आपस में टकरा रही थी..

अचानक ही कोमल दीदी और उनकी दोस्त सहकर्मी ठहाका लगा जोर से हँसने लगी..

मैं उनकी इस हँसी को समझने की कोशिश करती मुस्कुराते हुए देखने लगी.. फिर वो बोतल में बची सारी ड्रिंक एक ही घूँट में खत्म कर दी...

फिर वो चेयर से उठी और मेरी तरफ देख बोली,"चलो इधर आओ.. तुम्हें कुछ दिखाती हूँ."

मैं तुरंत ही उठ गई और उनके पीछे चली गई..वो कमरे के एक तरफ लगी बड़ी सी दर्पण के पास गई और वहाँ लगी एक बटन दबा दी...

बटन दबते ही वो दर्पण बिना चूँ किए एक तरफ साइड हो गई.. ये तो अदंर जाने की गेट थी..वो आगे बढ़ती हुई बोली,"अंदर आओ सीता, ये हमारा सीक्रेट रूम है."

मैं उनके पीछे अंदर आ गई..अंदरआते ही कोमल दीदी गेट लॉक कर दी.. कमरे में सोफे लगी हुई थी.. और एक तरफ मेकअप की सारी सामग्री सजी हुई थी...

और साथ में बाथरूम अटैच थी..तभी कोमल दीदी आगे बढ़ एक दीवार की तरफ गई और वहाँ दीवार पर अपने हाथ रख दी.

गौर से देखी तो मालूल पड़ी कि जहाँ वो हाथ रखी थी वहाँ 4 वर्गाकार डॉट बिंदु थी जो नहीं के बराबर मालूम पड़ती थी..

तभी उस दीवार की ठीक विपरीत वाली दीवार से हल्की सी आवाज आई..नजर घुमाई तो वहाँ दीवार पर से बिल्कुल पतली सी परत हट गई जो कि दीवार के रंग की थी..

मैं एक एक चीजों को गौर से देखी जा रही थी.. और कोमल दीदी मुस्कुराती हुई अपने कामों में लगी हुई थी...

उस खुली परत के अंर देखी तो वहाँ ढ़़ेर सारी लॉकर थी.. वैसी लॉकर तो मैं सिर्फ फिल्मों में ही देखती थी.. बड़े बड़े लोग अपनी कीमती वस्तुओं की सुरक्षा में इसका उपयोग करते हैं.

कोमल दीदी उस लॉकर की बटन दबाने लगी..अगले ही पल एक लॉकर खुल गई...

कोमल दीदी उसमें हाथ बढ़ा रखी एक मोटी सी एलबम निकाली...फिर वो मेरी तरफ देख बोली,"इधर सोफे पर बैठते हैं..." और वो एलबम ले सोफे की तरफ बढ़ गई...

मैं भी उनके पीछे चलती उस सोफे पर दीदी के बगल में बैठ गई...दीदी मेरी तरफ एलबम बढाते हुए बोली,"लो पहले एलबम देखो.."

मैं सोच में पड़ गई कि आखिर ये कैसी एलबम है जिसे ईतनी सुरक्षा में रखी जाती है.. अगर इतनी सीक्रेट है तो फिर हमें क्यों दिखा रही है.. मैं तो आज तक सिर्फ दो ही बार मिली हूँ इनसे...इसी तरह की ढ़ेर सारी बातें सोचती एलबम पकड़ ली..

मैं एलबम के कवर पलट दी.. सामने एक बहुत ही खूबसूरत लेडिज की फोटो थी..

फोटो में उसकी चेहरे थी जो कि देखने से काफी आकर्षक लग रही थी.. साथ में उस फोटो की एक तरफ उसकी पूरी फोटो भ एडिट कर डाली हुई थी..

दिखने से ये काफी अमीरजादी लग रही थी.. रंग- रूप और बनावट से भी काफी धनी लग रही थी...

"फोटो की पीठ पर इनके बारे में थोड़ी सी जानकारी लिखी हुई है.."तभी दीदी की आवाज मेरी कानों गूँजी... मैं उनकी बातों को सुन फोटो की पीठ पर देखी...

जूली सिन्हा
पति- Mr. रॉबिन सिन्हा(Gov. judge of Patna high court)
उम्र- 30
पता- मजिस्ट्रेट कॉलोनी, आशियाना नगर, पटना
फोन - +9194300#####


मैं पूरी पढ़ने के बाद एक बार फिर वापस उसकी तस्वीर देखने लगी... मतलब ये एक जज की बीवी है..

फिर मैं अगली तस्वीर देखने लगी.. आगे भी इसी तरह की ढ़ेर सारी तस्वीरें थी.... जिसमें कोई जज की बीवी, कोई वकील की बीवी, किसी नामी नेता की बहू, तो कोई बड़े डॉक्टर की बेटी है..

मैं एक-2 कर सभी तस्वीरें देख रही थी.. कोई 30 मिनट तक लगातार देखती रही तब जाकर समाप्त हुई कहीं... इनमें एक भी ऐसी औरत या लड़की नहीं थी जो निम्न वर्ग की थी... सभी ऊंचे और अमीर परिवार की थी... 200 के करीब सारी तस्वीरें थी..

फिर मैं एलबम को बंद करती हुई बोली,"दीदी ,आपकी दोस्ती तो काफी अच्छे-2 से हैं..."

मेरी बात सुनते ही दीदी मुस्कुराती हुई बोली,"हाँ, ये सब मेरी बेस्ट फ्रेंड हैं...अच्छा ये एलबम तुम्हें क्यों दिखाई, पता है क्या?"

मैं कुछ सोच में पड़ गई जीदी की सवालों से..फिर बोली,"शायद आप अपने दोस्तों के बारें में बताना चाहती हो."

कोमल दीदी कुटीली सी हँसी हँसते हुए बोली," हाँ पर साथ में तुम्हारी डर दूर करने के लिए भी.."

"मतलब???"मैं एक बार फिर दीदी की बात को समझ नहीं पाई.

"मतलब ये कि तुम जितनी फोटो देखी, सब की सब सेक्स रैकेट से जुड़ी है.. यानी ये सब धंधे करती है.. और आज तक ये सभी सुरक्षित हैं.. कुछ तो अपनी शरीर की प्यास बुझाने करती है और कुछ शौक से.."कोमल दीदी एक बारगी से बेहिचक बता रह थी..

मुझे तो जैसे शॉक लग गई..मैं एकटक दीदी को निहारती उनकी बातें सुन रही थी.. बार बार मेरी नजर एलबम की तरफ जा रही थी..

"और तुम शायद ये सोच रही होगी कि कहीं मैं इन्हें ब्लैकमेल तो नहीं कर रही.. तो तुम किसी को फोन पर पूछ सकती हो कि ये अपनी मर्जी से आई या जबरदस्ती..."

मैं क्या जवाब देती..? मेरी तो ऐसी बातें सुन के ही आवाजें बंद हो गई थी..तभी दीदी दूसरी तरफ दिवाल में लगी बटन दबा दी जिससे एक और गेट खुली... मेरी तो दिमाग अब काम करना लगभग छोड़ चुकी थी..

गेट खुलते ही दीदी मेरी तरफ पलट के मुझे आँखों से ही बुलाई.. मैं चुपचाप उठी और दीदी के पास पहुँच गई.. दीदी आगे उस गेट में प्रवेश कर गई..

ये एक संकरी गली थी जो कि आगे जा के खत्म हो गई थी.. इसमें आने से पहले ये एक किसी गुफा की तरह अंधकारमय थी..

पर कोमल दीदी जैसे ही अपना एक पैर रखी, पूरी की पूरी गली प्रकीश से नहा गई.. मैं तो चकरा सी गई ऐसी व्यवस्था को देखकर..

कुछ ही पल में हम इस तंग गली की अंतिम छोर पर थी जहाँ पर लिफ्ट लगी थी.. दीदी ने बटन दबा दी लिफ्ट की जिससे क्षण भर में ही लिफ्ट पहुँग गई..

दीदी मुस्कुराती लिफ्ट के अंदर दाखिल हो गई.. मैं भी उनके पीछे लिफ्ट में घुस गई.. चंद सेकंड में लिफ्ट रूक गई...

लिफ्ट के रूकते ही हम दोनों बाहर निकले..
नजर दौड़ाई तो मैं किसी आलीशान भवन के कॉरिडोर में खड़ी थी.. सामने दोनों तरफ कई कमरे बने थे जो दूर तक जाती दिख रही थी..

यहाँ से बाहर देखने की कोई व्यवस्था नहीं थी जिससे मैं अनुमान लगाती कि आखिर मैं कहाँ हूँ...

तभी कोमल दीदी सामने उस कमरे की तरफ देखती हुई बोली,"तुम्हें पता है अभी तुम कहाँ हो"

दीदी के सवाल मेरे कानों में पड़ते ही मैं ना में सिर हिला दी..

"अभी तुम पटना की नामी 3 स्टार होटल के कॉरिडोर में खड़ी हो...और ये जो सामने जितने रूम देख रही हो ना... यही हमारी हाई प्रोफाईल लेडिज की रंडीखाना है.."

"यहाँ आने के सिर्फ दो रास्ते हैं.. एक जहां से हम लोग आए हैं.. सभी लेडिज भी इसी होकर ही आती है.. जबकि दूसरा रास्ता नीचे 3री मंजिल पर एक सीक्रेट रूम से होते हुए है.. उधर से सिर्फ कस्टमर ही आते हैं.."

मैं तो हैरत भरी नजरों से सिर्फ दीदी की बातों को सुने जा रही थी..

"दीदी फिर आप इन होटल वालों से मैनेज कैसे???"मैं कुछ होश में आती अपनी बेतुका सवाल कर गई..

दीदी मेरी बात सुन हँस पड़ी और आगे की तरफ बढ़ गई..मैं भी कोमल दीदी के साथ धीरे-2 आगे बढ़ी..

"ये होटल मेरे पति के हैं.. और सभी कस्टमर से सीक्रेटली वही बात करते हैं तो किसी तरह की प्रोबलम की बात ही नहीं है..और यहाँ तो बड़े से बड़े लोग किसी कुत्ते की तरह दुम दबाते मजे के लिए आते हैं..."

मैं दीदी की की बात सुनते ही ठिठक पड़ी.. ये दोनों पति पत्नी तो सेक्स रैकेट बड़े ही आसानी से चला रहे हैं... इन पर किसी का शक करना आसान नहीं सिवाए इनके ग्रुप में शामिल लेडिज और कस्टमर के....

कॉरिडोर पूरी तरह से रोशनी से जगमगा रही थी और लाईट से नहाई हुई थी.... कॉरिडोर में पूरी AC लगी हुई थी जिसकी सनसनाती हुई हवा हमें ठंडक देने की कोशिश कर रही थी...

पर मैं तो दीदी के हर एक विस्फोट से लगातार पसीने छूट रहे थे.. मैं दीदी के साथ आहिस्ते-2 चलती बातें सुन रही थी..

तभी सामने एक गेट खुली और एक मोटा सा काला आदमी कमर पर तौलिया लपेटे निकला.. वो पसीने से तरबतर हो हाँफ रहा था मानों काफी लम्बी दौड़ लगा कर आया हो..

दीदी उसे देखते ही मुस्कुराती हुई बोली,"क्यों पांडे जी, आज कुछ ज्यादा ही मेहनत हो गई क्या?"

पांडे मेरी तरफ बड़ी बड़ी आँखें नचाते हुए भूखे भेड़िये की तरह देख रहा था.. मैं तो डर के मारे दीदी के पीछे हो गई..

"हा" मैडम ,पिछले 2 दिनों से इस लौंडिया का भाई नाक में दम कर रखा था.. सारा गुस्सा इसके अंदर डाल दिया शाली के.." कहते हुए उसने अपना लंड बाहर से ही मसल दिया और हल्की हंसी हँस दिया..

उसकी इस हरकत से दीदी जहां नॉर्मल थी, वहीं मैं शर्म से मरी जा रही थी..दीदी हंसती हुई उसकी बात सुन कमरे की तरफ बढ़ गई जहाँ से वो आदमी निकला था..

मैं भी तेज कदमों से दीदी के पीछे जल्दी से अंदर आ गई.. सामने बेड पर एक नंगी लड़की पड़ी हुई थी जिसकी चूत से ताजी वीर्य बह रही थी.. उसकी चुची पर कई जगह दांत के निशान थे.. वो आंखें बंद किए तेज सांस ले रही थी..

कोमल दीदी उस लड़की के पास बैठती हुई उसके सर पर हाथ रखती प्यार से बोली," रश्मि, तुम ठीक तो हो ना?"

रश्मि दीदी की आवाज सुनते ही मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला दी.. दीदी फिर बेड से उठती हुई बोली,"अब उठ को फ्रेश हो जाओ, फिर आराम करना.."

और दीदी वापस रूम के बाहर की तरफ चल दी..रूम के बाहर निकलते ही वो आदमी दीदी से पूछा,"मैडम, इनको कभी देखा नहीं.. परिचय नहीं करवाइएगा?"

कोमल दीदी उसकी बात सुनते ही मुस्कुरा के मेरी तरफ देखती हुई बोली," ये मेरी नई दोस्त है.. आज बस घूमने आई हैं.. फिर कभी आपकी मुलाकात अच्छे से करवा दूंगी.. आज इसे जल्दी जाना है.."कहते हुए कोमल दीदी वापस लिफ्ट की तरफ बढ़ गई...

मैं अपनी मुलाकात सुनते ही समझ गई कि दीदी कैसी मुलाकात करवानी वाली है.. तेज कदमों से भागती मैं तुरंत ही लिफ्ट तक पहुँच गई..

लिफ्ट में घुसते ही दीदी बोली,"ये पांडे जी यहां के इंस्पेक्टर हैं.. ये अक्सर ही यहां आते रहते हैं"

तब तक लिफ्ट रुक चुकी थी..मैं दीदी की तरफ कान लगाए बाहर उसी तंग गली में घुस गई..

"और ये लड़की S.P. की छोटी बहन है.. SP अपने काम के प्रति काफी सक्रिय हैं जिससे सभी इंस्पेक्टर परेशान हो जाते हैं.. हर वक्त काम-2 की रट लगाए रहता है.."
अब हम दोनों रूम में आ गए थे और कोमल दीदी एलबम को लॉकर में रखती हुई बोली,"पांडे जी भी इसके भाई से कैफी परेशान रहता है.. इसे तो उसके घर के काम भा करने पड़ते हैं.. बस इसी का गुस्सा उसकी बहन को चोद कर निकालने अक्सर आते हैं..और इस रश्मि को भी हॉर्ड सेक्स की आदत लग गई है..वो भी दौड़ती हुई आ जाती है.."

हम दोनों वहीं सोफे पर बैठ गई.. मैं अब यहां से जाना चाहती थी पर जब कोमल दीदी बैठ गई तो मैं कैसे निकल सकती थी..

मुझे कुछ परेशान देख दीदी सीधी प्वाइंट पर आ गई..कोमल दीदी मेरे हाथों को अपने हाथों से दबाती हुई बोली,"मैं जानती हूं कि अभी तुम मुझे या मेरे इस काम को लेकर बिल्कुल भी सहज नहीं हो..सो ज्यादा कुछ नहीं कहूंगी.. बस मैं यही कहूंगी कि अगर कभी मेरी जरूरत पड़े तो बेहिचक चली आना."

आखिर मैं इसी बात का इंतजार कर रही थी कि अब तक दीदी बोली क्यों नहीं..मैं एक टक दीदी को देखे जा रही थी..

"घर में बैठी बोर होने से बेहतर है कि जिंदगी के ये मजे भी उठा लो..और मस्ती के साथ कुछ पैसे भी मिल जाएंगे..पूजा से भी बात कर लेना.."

और इपनी बात खत्म कर दीदी बाहर की तरफ चल दी..मैं भी उनके पीछे पॉर्लर तक आ गई..

"दीदी, मैं अब निकलती हूँ,"मैं गेट की तरफ नजर दौड़ती हुई बोली..

दीदी हहं कहते हुए बोली,"ठीक है. निकलो तुम.. इसी तरह घूमते हुए आती रहना.."

मैं हां में सिर हिला अपने पसीने पोंछती निकल गई.. आज मैं औरों दिन की भांति उतनी परेशान नहीं थी.. शायद आदत लग रही थी ऐसी बातों को नॉर्मल की तरह सुनने की..

मैं बाहर सड़क के साइड खड़ी किसी ऑटो का इंतजार करने लगी..तभी तेज रफ्तार से एक बाइक सवार हेलमेट लगाए मेरे करीब आ रूक गई...
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[...कहानी जारी है]
Reply
01-23-2018, 01:02 PM,
#14
RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
सीता --एक गाँव की लड़की--14

"लिफ्ट?"उस बाइक सवार ने अपने हेलमेट के कांच को ऊपर करते हुए पूछा..

मैं एक बार तो चौंक पड़ी पर जल्द ही संभल गई कि ये गांव नहीं शहर है और यहां तो ऐसी बातें होती रहती है..

मगर मैं फिर भी सहज महसूस नहीं कर रही थी. मैं ना में सिर हिला दी..वो अगले ही पल बोला,"मैडम, मैंने देखा कि आप अकेली हैं तो पूछ लिया, आगे आपकी मर्जी..."

कहते हुए उसने अपने गाड़ी की सेल्फ लगा दी..मैं बिना कुछ कहे उसकी तरफ देख रही थी..फिर एक नजर चारों तरफ दौड़ाई कि कोई मेरी तरफ.... मगर यहां कौन इतना फ्री रहता है कि.....

अगले ही पल मैं आगे बढ़ उसके साथ बैठ गई.. जैसे ही मैं बैठी उसने बाइक बढ़ा दिया..

बाईक की सीट काफी ऊंची थी जिससे मैं साड़ी में काफी डर भी महसूस कर रही थी..कुछ ही दूर चलने के बाद उसने पूछा,"मैडम, किधर जाओगी?"

बाइक वाले का चेहरा तो अभी तक नहीं देखी थी पर कद-काठी से काफी स्मॉर्ट लग रहा था.. रंग भी साफ था..

हालांकि उसने अभी तक कोई ऐसी वैसी हरकत नहीं की थी कि जिससे हमें कोई परेशानी होती...बस हम दोनों आगे की तरफ बाइक से जा रहे थे....

मैं उसे अपने घर की तरफ चलने बोल दी..मेरी बात सुन वो ओके कह बाइक दौड़ाने लगा.

आगे चौराहा थी जहां पहले से रेड लाइट जल रही थी..उसने भी बाइक रोक ली.. मैं बैठी आगे सड़क पर क्रॉस करती गाड़ी देख रही थी..

अचानक से मुझे पूजा एक बाइक पर चिपकी दिखी.. मैं गौर से देखी पर वो किसके साथ बैठी थी उसे पहचान नहीं सकी..

वो कुछ ही पल में आँखों से ओझल हो गई..मैं सोचने लगी कि क्या करूं..उसके पीछे जा के देखूं कि वो किसके साथ है..

तब तक इधर भी हरी लाइट जल गई.. तभी अचानक से मुझे क्या सूझी, बोली,"वो जरा इधर चलिएगा.."

वो मेरी बात सुन उधर बाइक मोड़ दी जिधर पूजा गई थी..कुछ देर चलने के बाद भी मुझे पूजा कहीं नजर नहीं आई..

तभी मैंने अपने एक हाथ उसके कंधे पर रख दिए और दूसरी हाथ से मोबाइल निकाल के पूजा को फोन करने लगी...

ऐसी अवस्था में मैं सटी थी कि मेरी दोनों चुची उसकी पीठ को दबा रही थी और मेरी गर्म सांसें उसके सीधे गर्दन पर पड़ रही थी...

पूजा कुछ देर बाद फोन रिसीव कर ली..उसके फोन रिसीव करते ही मैं बोली," हैलो पूजा, कहां हो तुम?"

मेरी बात सुनते ही पूजा थोड़ी घबराई हुई आवाज में बोली,"क्यों, क्या हुआ आपको... ठीक तो हो ना?"

शायद पूजा को लगा कि मुझे कुछ दिक्कत आई है..मैं थोड़ी हंसती हुई बोली,"अरे नहीं, मैं बिल्कुल ठीक हूं..दरअसल घर पर बोर हो रही थी अकेली तो सोची घूमने चली जाउं...वैसे तुम्हारा कॉलेज टाइम भी खत्म हो गया तो फोन कर ली.."

मेरी बात सुन पूजा राहत की सांस लेती हुई बोली,"क्या बात है ... मैं मॉल की तरफ जा रही हूँ,,आ जाओ इधर..मैं रूकती हूं..."

पूजा के फोन रखते ही मैं पूजा के बताए जगह पर चलने बोली.. वो भी अब तेजी से बाइक दौड़ता चला जा रहा था क्योंकि अब मैं उससे चिपक के बैठी जो थी...

कुछ ही देर में मैं पूजा के पास थी.. पूजा हमें बाइक पर देख आश्चर्य भरी नजरों से देखे जा रही थी..

"क्या हुआ पूजा? अब चलो ना? "मैं चोरी से पूजा को आंख मारते हुए पूछी..

पर पूजा तो अभी भी घूरे रह रही थी मानों वो जानना चाहती थी कि तुम किसके साथ आई...मैं जल्द ही पूजा को इन बातों से बाहर लाने की सोच बोली,"लो मैं आ रही थी तो रास्ते में इनसे लिफ्ट ले ली थी.. अब आप भी तो इनका परिचय करवा दो.."

पूजा मेरी बात सुन मुस्कुराती हुइ बोली,"हम दोनों एक ही कॉलेज में हैं तो इनसे दोस्ती हो गई है.."

"ओके अब तो चलो.."मैं हंसती हुई पूजा से बोली जिसे सुन पूजा मुस्कुराती हुई बाइक पर बैठ गई..

"आप फ्री तो हैं ना अभी, वर्ना बेवजह आपको तकलीफ नहीं दूँगी.."मैं अपने बाइक वाले से पूछी..

मेरी बात शायद पूजा और उसके दोस्त भी सुन चुके थे जिस वजह से पूजा के दोस्त तपाक से बोले,"अरे इसकी टेंशन आप क्यों ले रही हो.. ये पूरे दिन फ्री ही रहता है.. इसका बाप इतना कमाता है कि इसे कोई काम करने की जरूरत ही नहीं."

उसकी बात सुनते ही मैं और पूजा एक साथ चौंक पड़ी..क्या ये दोनों एक दूसरे को जानते हैं? पूजा को भी शायद ये बात नहीं मालूम पड़ी थी..वो उससे पूछी," तुम दोनों दोस्त हो क्या?"

"हाँ पूजा जी हम दोनों दोस्त हैं और आपके बारे में ये बता चुका है बस मिलना बाकी था जो कि आज इनकी वजह से संभव हो गया.."

मेरे बाइक वाले ने पूजा को उत्तर देते हुए कहा..जिसे सुन पूजा का दोस्त हां में सहमति कर दिया..

"अच्छा पूजा, ये कौन हैं, इनसे तो परिचय करवाओ.. पहले तो कभी नहीं बताई इनके बारे में?" पूजा का दोस्त धीरे-2 बाइक बढ़ाते हुए पूछा..

पूजा हंसती हुई बोली,"कभी पूछे हो क्या जो नहीं बताई हूँ..तुम तो बस हर वक्त मेरे बारे में ही पूछते रहते.."

"पूजा, ये शाला है ही चुतिया..जब से तुम इसकी दोस्त बनी हो ना तब से हमें भी भूल गया है तो औरों के बारे मों खाक पूछेगा"मेरे बाइक वाले ने हंसते हुए पूजा को कहा..

जिसे सुन हम सब की हँसी निकल गई..पूजा का दोस्त हँसते हुए बोला,"पूजा, अब बता भी दो कि ये कौन हैं..वैसे अगर बात जम तो शायद इन दोनों की भी दोस्ती हो जाएगी..इसे मैरिड गर्ल्स से दोस्ती काफी पसंद है"

उसकी बात सुन मैं झेंप सी गई और मुंह दूसरी तरफ कर ली..तभी पूजा आगे बोली,"ये मेरी सीता भाभी हैं पर रहते हम दोनों बहन की तरह.. अकेली होती हूँ तो दीदी ही कह के बुलाती हूँ इन्हें.."

मैं पूजा की बात सुन हंस पड़ी.तब तक हम सब मॉल पहुँच चुके थे..गाड़ी पॉर्क करने वो दोनों दूसरी तरफ चले गए..पूजा आगे आती हुई बोली,"क्यों दीदी, मस्त है आपका बाइक वाला.. दोस्ती कर ले .खूब मजे देगा.."

"अच्छा, तुम्हें कैसे पता?"मैं मुस्कुरा के बोली..

"बॉडी से.." पूजा एक ही शब्दों में उत्तर देती हुई बोली..

"तुम कितनी बार मजे ले चुकी हो अब तक इससे.." मैं हंसती हुई पूछी..

"अभी तक तो नहीं.. काफी दिनों से पीछे पड़ा था तो आज ही हाँ बोली हूं.."पूजा अपनी सफाई देते हुए बोली..

तभी सामने से वो दोनों दोस्त काफी खुश होते हुए आ रहा था..

पूजा भी ये देख जल्दी से बोली,"अगर प्रपोज करे तो प्लीज हां कह देना.. काफी मजा आएगा.."

पूजा की बात सुन मैं मुस्कुरा पड़ी..तब तक दोनों पास आ चुके थे.. उसे आते ही पूजा और मैं मॉल की तरफ बढ़ गई..

पीछे से वो दोनों भी मुस्कुराते हुए हम दोनों की गांड़ पर नजर गड़ाए आ रहे थे...

हम सब मॉल में कुछ देर घूमे.. फिर पूजा अपने लिए कुछ ड्रेस देखने लगी.. तभी उसका दोस्त आगे पूजा के पास गया और पूछा,"क्या लेगी?"

"तुम कहो अभी तो कुछ सोची नहीं, बस देख रही हूँ.."पूजा मुस्कुराती हुई जवाब दी..

"अच्छा,, फिर तो मेरी मानो सिर्फ अंडर गारमेंट्स के सेट ले लो... मस्त लगोगी..."हंसता हुआ उसने जवाब दिया..

"रहने दो.. मरना नहीं हमें अभी."पूजा चिढ़ती सी बोली.

तब तक पूजा अपने लिए एक शॉर्ट्स और काफी पतली सी टी-शर्ट चूज कर ली और मेरी तरफ दिखाती हूई बोली,"दीदी, ये अच्छी है?"

मैं कुछ बोलती इससे पहले ही उसका दोस्त बोल पड़ा,"वॉव,, कयामत लगेगी मेरी जान.. प्लीज जल्दी से पहन के दिखाओ.."

उसकी बातें सुन हम सब की हंसी निकल गई.. पूजा भी हल्की हंसी हंसते हुए ट्रायल रूम की तरफ बढ़ गई..

पूजा के जाते ही पूजा के साथ वाला लड़का अपने दोस्त को बोला,"ओए घोंचू, बाप का पैसा बचा के क्या करेगा? अपने दोस्त को को भी कोई अच्छी ड्रेस ले लो"

उसकी बात सुन मेरी बाईक वाला मेरे निकट आ बोला,"अभी तो ठीक से जाने भी नहीं है फिर भी मैं आपसे दोस्ती करना चाहता हूँ..अगर आपको पसंद है हमारी दोस्ती तो प्लीज मेरी तरफ से कुछ ले लीजिए.."

उसकी बात सुन मैं अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी कि ये सच में इतना अच्छा नेचर का है फिर बस यूँ ही...

फिर मुझे कुछ शरारत सूझी.. उसके सीधे में आते हुए बोली,"अभी तक आपने अपना नाम तो बताया नहीं और गिफ्ट देने तक पहुँच गए.."

मेरी बात सुनते ही वो झेंप गया.. और पूजा का दोस्त अच्छी वाली गाली देने लगा उसे...

"सॉरी जी, आपसे जब से साथ हूँ खुद को ही भूल गया हूँ.. वैसे मेरा नाम सन्नी है.." वो अपनी गलती स्वीकारते हुए बोला..जिससे मेरी हंसी निकल गई..

"और मैं बंटी.. बाद में मत कहना कि मैंने अपना नाम नहीं बताया.." पूजा का दोस्त भी खुद को बचाते हुए बोल दिया जिससे हम सब एक साथ हंस पड़े...

तभी पूजा ट्रायल रूम से निकली.. वो छोटी सी शॉर्टस और V-shep की टी- शर्ट में काफी सेक्सी लग रही थी..

शॉर्टस जो कि आधी जांघें तक ही आ रही थी, जबकि टी-शर्ट में उसकी आधी चुची निकली सभी के हाथों को बुला रही थी...

और टी-शर्टस इतनी पतली थी कि अंदर की ब्रॉ की shape साफ-2 नजर आ रही थी..इधर बंटी के साथ-2 सन्नी भी पूजा को ऐसे देखे जा रहा था; मानों आँखों से ही चोद रहा हो...

पूजा पास आते ही हम तीनों से एक-मुश्त ही पूछी," हैलो....अच्छी नहीं लग रही हूँ क्या?"

बंटी हड़बड़ाते हुए बोला,"वॉव पूजा,मुझे नहीं पता था कि तुम छोटे कपड़ों में तो और धांसू लगती हो...अगर कोई कह दे कि अच्छी नहीं लगती तो शाले का मुंह तोड़ दूं..क्यों भाभी जी??"

उसकी बाते सुन मैं हामी भर दी और शिकायत भरी लब्जों में बोली,"बंटी, मेरा नाम सीता है...आगे से याद रखना.. मैं भाभी हूं तो सिर्फ पूजा की, वो भी थोड़ी सी.. बाकी तो उसकी बेस्ट फ्रेंड हैं ही.."

मेरी शिकायत सुनते ही बंटी ओहहह करते हुए सॉरी बोलने लगा..तभी सन्नी बोल पड़ा," हे सीता, प्लीज अब तो मत तरसाओ.. देखो पूजा कितनी बवाल की लग रही है..अब जल्दी से तुम भी..."

सन्नी की बात को बीच में ही काटते हुए बोली," नो सन्नी, मुझे नहीं पसंद..मैं ऐसे ही ठीक दिखती हूं.."

"अरे तुम तो साड़ी में भी मस्त लगती हो पर बस हम सब की इच्छा है कि तुम भी अगर वेस्टर्न ड्रेसेज ले लोगी तो..."

तभी पूजा बीच में टपकती हुई बोली,"..तो बाइक पर आराम से चिपक के बैठ सकती है..."

पूजा की बात पूरी होते ही सब जोर से हंस पड़े जबकि मैं शर्म से लाल हो मुंह दूसरी तरफ कर मुस्कुराने लगी...

तभी पूजा हमें साथ लेती आगे बढ़ी और एक काले रंग की कैप्री और टी-शर्ट चूज कर मेरे हाथों देती बोली,"लो मेरी जान और जल्दी से इसे पहन के जरा अपने जलवे तो दिखा दो.."

अब जब पूजा कह रही है तो ना कहने की हिम्मत कैसे करती,,क्योंकि वो मानने वाली थोड़े ही थी..

मैं दबी हुई हंसी के साथ ट्रायल रूम की तरफ शर्माती हुई बढ़ गई...वो दोनों बंटी व सन्नी भी मुस्कुरा रहे थे...

अंदर घुसते ही मैंने जल्दी से साड़ी को अलग फेंक दी...बेशब्री तो हमें भी थी पर कुछ तो नाटक करनी ही थी ना...

चंद घड़ी बाद ही मैं सिर्फ ब्रॉ और पेन्टी में खड़ी थी...खुद को एक बार सामने मिरर में देखी तो खुद ही शर्मा गई...

फिर मुस्कुराते हुए कैप्री पहन ली...जो कि घुटने से थोड़ी ऊपर ही आ रही थी..कुछ कैप्री तो नीचे तक रहती है पर ये कुछ ज्यादा ही छोटी थी...शायद सेक्सी दिखने के लिए ही थी इतनी छोटी...

फिर टी-शर्ट पहन लो जो कि काफी तंग आ रही थी..मेरी चुची की पूरी shape साफ साफ नजर आ रही थी...

साथ में ब्रॉ भी हल्की-2 नजर आ रही थी.. कुल मिला काफी हॉट बना रही थी जो किसी भी मर्द के पानी यूँ निकलवा सके...

मैंने अपने साड़ी- पेटिकोट व ब्लॉउज समेट बाहर निकलन मुड़ी ही थी कि मिरर में मेरी गांड़ की उभार दिखी...

ओह गॉड,, ये तो काफी कसी और बाहर की तरफ निकल रही थी...खुद की गांड़ देख मेरी मुँह में पानी आ गई कि इतनी कामुक और विशाल गांड़....

अभी सिर्फ चूत चुदवाई तो ये हालत है, आगे गांड़ में ली तो पता नहीं क्या हालत होगी???

फिर हल्की सी सेक्सी पोज देती मुस्कुराती हुई सभी लंड के पानी छुड़वाने गेट खोल बाहर निकल गई...

बाहर तीनों गोल-मटोल हो गुटर-गूं कर रहे थे..उन सब की नजर हमारी तरफ नहीं थी...हाँ, मॉल में और सब लंड की नजर जरूर टिक गई थी हम पर..

उनके निकट पहुंच हाय कहती हुई सबका ध्यान अपनी तरफ की..मुझे देखते ही उन सब की आवाजें ही गुम हो गई...

सन्नी की नजरें तो मेरी उठी हुई चुची से हट ही नहीं रही थी, जबकि बंटी मेरी पूरी फिगर को ऊपर से नीचे देख शायद पछता रहा था कि शाला, कहां मैं पूजा को फंसा के गलती कर दिया...

पूजा आंखें निपोरती हुई बोली,"वॉव भाभी,, क्या मस्त आइटम लग रही हो... पता नहीं बेचारा सन्नी कैसे बर्दाश्त करेगा?"

कहते हुए पूजा खिलखला कर हँस पड़ी.. मैं अपनी आंखें निकालती हुई पूजा को नजरों से ही डांट दी...

उधर वो दोनों तो अभी भी बेखबर हो देखे जा रहे थे.. पूजा क्या बोली, वो तो सुना भी नहीं वर्ना उसका सीना फूल के 72इंच हो जाता...

तभी पूजा को भी आभास हुआ कि दोनों अब इस दुनिया से सपनों की दुनिया में पहुँच गए हैं...तो पूजा बंटी के गालों पर हल्की चपत लगाती हुई बोली,"ऐ मिस्टर, भाभी अगर अच्छी नहीं लग रही है तो अपनी मुंह खोलते हुए कोई दुसरी ड्रेस चूज करो.."

शायद पूजा उसकी प्रतिक्रया देखना चाहती थी कि दोनों कैसा रिएक्ट करते हैं...पूजा की बात सुनते ही सन्नी हड़बड़ाता हुआ बोला,"नहीं नहीं पूजा,, हम दोनों की आँखों पर तो विश्वास ही नहीं हो रही है कि साड़ी में सिम्पल सी सीता ऐसी ड्रेस में इतनी बलाल मचा देगी मेरे अंदर...amazingggg ...."

"सीता,प्लीज.. इसमें तुम काफी सुंदर लग रही हो और तुम्हारी फिगर...उफ्फफफ...साड़ी में तो मालूम ही नहीं पड़ती थी कि तुम इतनी हॉट हो...कसम से..."बंटी भी कुछ बोले रह नहीं सका...अब तो मेरी अनुमान भी सटीक हो गई थी कि बंटी सच में पछता रहा है...

और बंटी की ऐसी सेक्सी तारीफ सुन मैं अंदर ही अंदर शर्मा गई थी...पर अपनी शर्म को साइड करती हुई बोली,"थैंक्स, अब 2 मिनट रूको मैं चेंज कर आती हूँ.. फिर चलेंगे.."

सच ये तो मैं खुद नहीं चाहती थी पर कुछ तो फॉर्मिलीटी करनी थी ना....

मेरी बातें सुनते ही तीनों गिड़गिड़ाने लगे...प्लीज सीता,मेरे लिए.....प्लीज भाभी.....आदि आदि...

मेरी तो हंसी रूक नहीं सकी और हँसते हुए ओके बोली...मेरी हाँ सुनते ही तीनों ऐसे चियर्स किए मानों कोई बड़ी बाजी जीत गए...

फिर हम सब काउन्टर पर थोड़ी देर रूके.. पेमेन्ट दोनों कर बाहर की तरफ चल दिए...इस दौरान वहां मौजूद सारे मर्द आँखों से ही हम दोनों हॉट माल को चोदे जा रहे थे... पर अब तो हमें भी आदत सी हो गई थी...

फिर मैं सन्नी की बाइक पर और पूजा बंटी की बाइक पर चिपक के बैठी थी... अब तो शायद सन्नी भी समझ गया था कि मुझे उसकी दोस्ती ही नहीं,लंड भी चाहिए...

अगले ही पल बाइक तेज गति से सड़कों पर दौड़ने लगी थी... अभी कुछ ही देर चली थी कि ओहहहह नो...
Reply
01-23-2018, 01:03 PM,
#15
RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
सीता --एक गाँव की लड़की--15

...बारिश की धीमी धीमी बूंदें पड़ने शुरू हो गई...मेरी होंठों पर पड़ रही हर एक बूंद से बरसाती मुस्कान रेंगने लगी थी..बगल में बाइक पर पूजा खुशी से झूमती अपने बंटी की पीठ पर कई चुम्मे जड़ चुकी थी..

उसे ऐसा करते पा बंटी अपनी बाइक और स्टाइल से चला रहा था..और सन्नी दोनों को आशा भरी नजरों से मुड़ मुड़ के देखे जा रहा थाकि काश, मेरी पीठ को कोई प्यार से चूमे...

तभी अचानक से बारिश तेज पड़ने लगी थी..मेरी पतली सी टी-शर्ट ज्यादा पानी बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरी चुची पर लगी सफेद रंग की ब्रॉ को स्पष्ट कर दी..

सड़क पर के लोग तो पानी से बचने इधर उधर भाग रहे थे, पर जो सुरक्षित खड़े थे,, उनकी नजर मुझ पर पड़ते ही खुल जाती..

इन सब को नजरअंदाज करती मैं एक अलग दुनिया में खो जाना चाहती थी..हम अपनी घरों की तरफ बढ़े जा रहे थे..तभी सन्नी बोला,"सीता,तुम्हें बारिश से एलर्जी तो नहीं है ना.."

अब तक जो मैं सिर्फ सट के बैठी थी, उसकी बात सुनने के बहाने अपने दोनों हाथ उसके सीने में लिपटाती अपने होंठों को सन्नी के कान में सटाती बोली,"एलर्जी तो नहीं है पर जनाब को और भींगाने का इरादा है क्या?"

"हाँ.. पर आपकी इजाजत के बिना नहीं..."

मैं उसकी बात सुन हल्की सी मुस्कुरा दी और बोली,"पूजा से पूछ लेती हूँ.. अगर वो हाँ कह दी तो ठीक है..."

तभी पल भर में ही सन्नी पूजा के काफी करीब पहूंचते हुए बोला,"ए बंटी, चल ना रूम पर चलते हैं.." सन्नी की बात सुनते ही मुस्काता हुआ पूजा से बोला,"डॉर्लिंग, अब तो अपना काम बन गया..."

फिर हम दोनों की तरफ देखता हुआ बोला,"चल..." और तेजी से बाइक बढ़ा दिया..बंटी के आगे बढ़ते ही मैं सन्नी से पूछ बैठी,"कौन सा काम बना बंटी का?"

"चलोगी तब तो देखोगी कि कौन सा काम बन गया.." सन्नी हंसता हुआ बोला.. मेरी जेहन में तुरंत ही ये बात समा गई कि कहीं ये दोनों सेक्स तो नहीं....

मैं एक तरफ रोमांच से भर गई थी तो दूसरी तरफ ये सोच के मरी जा रही थी कि इन दोनों के बीच मैं क्या करूंगी?? कहीं सन्नी जोश में आ मेरे साथ जबरदस्ती तो नहीं करेगा...

इसी तरह की कई ख्यालात में डूबी कब मैं उसके रूम पर पहुंच गई, मालूम ही नहीं पड़ी...

पूजा और बंटी बाइक से उतर अंदर की तरफ चले गए.. मैं अभी भी सन्नी के साथ बारिश में भींग रही थी..मुझे सोच में डूबी देख सन्नी बोला,"हे सीता,, तुम क्या सोचने लग गई.."

मैं अपनी निंद्रा से बाहर निकल फीकी मुस्कान देती हुई बोली," कुछ नहीं.. बस ज्यादा देर मत रूकना..घर भी जाना है.."

सच में मैं डर रही थी.. अगर ये दोनों जबरदस्ती ही करते तो मैं क्या कर सकती..पूजा तो खैर अपने मन से आई तो उसे कोई फिक्र नहीं थी पर मैं तो नहीं रेड्डी थी..

मेरी डर को सन्नी जल्द ही भापं गया..वो मेरे सामने होते हुए बोला,"देखो सीता,तुम जिस बात की डर है वो अपने दिमाग से निकाल दो..हाँ ये सच है कि वो दोनों यहां सेक्स करने आए हैं, पर हम तुम्हारे साथ किसी तरह की ऐसी वैसी बात नहीं करेंगे..सच कहूं तो आज मैं ऑफर जरूर करूंगा पर जब तक तुम हाँ नहीं कहोगी तब तक मैं छूऊंगा भी नहीं...अब चलो अंदर, ज्यादा देर तक भींग गई तो सर्दी लग जाएगी.."

मैं उसकी पूरी बात ध्यान से सुनी जा रही थी..अब तक मैं पूरी भींग गई थी..थोड़ी-2 ठंड भी लग रही थी..मैं जड़बुत बनीं वहीं पर खड़ी उसकी तरफ निहारे जा रही थी...

तभी वो मेरी कलाई पकड़ अंदर की तरफ चल दिया..मैं खिंचती हुई उसके पीछे चलने लगी...कुछ ही पलों में मैं रूम के अंदर थी जहां दो अलग-2 रूम लॉक थी और हम दोनों रूम के बाहर छोटी सी बरामदे में थी..उतनी छोटी भी नहीं थी..

पूजा बाहर नहीं थी..एक रूम की तरफ इशारा करते हुए सन्नी बोला," वो दोनों इसमें काम बना रहे हैं..चलो हम दोनों अपने रूम में काम बनाने..."

उसकी बात खत्म होते ही मैं उसकी तरफ आंखें निकाल कर देखने लगी...वो मुझे इस तरह देख हंसता हुआ बोला,"अरे तुम तो मजाक को भी सच मान बैठती हो..चलो रूम में शरीर साफ कर लेना..."

मैं उसकी बात पर हल्की सी मुस्काती रूम की तरफ बढ़ गई..सन्नी भी मेरे पीछे-2 रूम में दाखिल होते हुए एक तौलिया मेरी तरफ बढ़ा दिया...मैं तौलिया से शरीर सुखाने की कोशिश करने लगी..

"अच्छा सीता, तुम्हारे रहते भी पूजा चली गई उधर..तुम्हे बुरा नहीं लगा?" सन्नी पास में पड़ी चेयर पर बैठते हुए पूछा..जो कि एक कमप्यूटर डेस्क के साथ लगी थी..

मैं उसकी तरफ देख हंसती हुई बोली," बिल्कुल नहीं..क्योंकि पूजा खुद चाहती है..अगर वो नहीं चाहती तो मैं बर्दाश्त नहीं कर पाती.."

सन्नी हामी भरता हुआ मेरी बदन को अब निहार भी रहा था..कब तक बेचारा आग के सामने रह उसकी ज्वाला को नजरअंदाज करता...मैं भी हालात समझती ज्यादा ध्यान नहीं देने की कोशिश की..

फिर वो कुर्सी से उठा और अपने कपड़े खोलने लगा..मैं क्षण भर तो सकपका गई, पर जल्द ही समझ गई कि ये भी तो भींग चुका है...मैं अपने शरीर से कुछ गीलापन जा चुकी थी पर कपड़े अभी भी भींगी ही थी...

"ये भी खोल के पानी सुखा लो ना,,अंदर ब्रॉ तो पहनी ही हो.." सन्नी अपनी टी-शर्ट खोल चौड़ी छाती दिखाते हुए मुझे टी-शर्ट खोलने कह रहा था..

उसकी बात सुनते ही मैं गुस्से से आंखें दिखाने लगी...जिस पर वो हंसता हुआ हुआ मेरे पास आया और मेरी कमर पकड़ कर जोर से अपने शरीर से सटाता हुआ बोला," मैडम,हमसे दोस्ती की हो तो कुछ तो बेशर्म बनना पड़ेगा ही..वैसे तुम्हारी ब्रॉ साफ-2 दिख रही है इसलिए बोला.. और सिर्फ ऊपर के कपड़े ही खोलने हैं,पूरी नहीं.."

मैं तो उसके शरीर से चिपकते ही चिहुंक उठी थी..उसके सीने की घनी बालें मेरी छाती से रगड़ खा रही थी और नीचे तो उफ्फफ उसका पूरा तना हुआ लंड सीधा मेरी चूत पर जा टिका था...साथ में उसकी मर्दाना खुशबू,, हमें उत्तेजित करने के लिए काफी थी.. मैं कसमसा कर रह गई क्योंकि उसकी पकड़ काफी जोर से थी जिससे निकल पाना लगभग असंभव थी....

और मैं ज्यादा जोर भी नहीं कर रही थी निकलने की,,क्योंकि लंड का आभास होते ही मेरी चूत मुझ पर कंट्रोल करने जो लग जाती थी...तभ सन्नी मेरी कमर से हाथहटा मेरी टीशर्ट के दोनों बगलें पकड़ ली...मैं अब अंदर ही अंदर काफी उत्तेजित हो गई थी...पर उसे अंदर ही दबा दी थी..

फिर सन्नी आहिस्ते-2 टीशर्ट ऊपर की तरफ खींचने लगा...मेरे होंठ अब कंपकपाने लगे थे जिसे मैं पूरी ताकत से रोकने की कोशिश कर रही थी...

कुछ ही पल में मेरी टी-शर्ट खोलते उसकी हाथ मेरे बूब्स के निकट पहुंच गई..अब मैं बर्दाश्त करने लायक नहीं रह गई थी..तभी उसने मेरी बूब्स को टी-शर्ट पकड़े ही अपने अंगूठे से रगड़ता हुआ ऊपर कर लिया...

अब मेरी टी-शर्ट दोनों बूब्स से ऊपर आ चुकी थी...ब्रॉ में कैद मेरी बूब्स उसके सीने से सट-हट रही थी...

मैं अब बिल्कुल ही होश गंवा बैठी थी...एक बार तो सोची कि अब वो टी-शर्ट निकालने को लिए मेरे हाथ ऊपर करेगा पर नहीं...उसने तो टी-शर्ट को ही थोड़ी जोर से ऊपर किया जिससे मैं खुद ही हाथ ऊपर उठा उसे मदद कर दी...ये मैं कैसे कर दी या उसकी कला थी, पता नही.....

मेरी टी-शर्ट अब बेड पर फेंकी हुई थी...और मैं अपनी आँखें बंद की उससे चिपक के खड़ी थी...तभी उसने हाथ मेरी पीठ पर ले जाते हुए मेरी ब्रॉ की हुक खोल दी...

मैं उफ्फ्फ करती हुई सिसक पड़ी...उसके सीने से चिपकी थी इसलिएनहीं तो मेरी ब्रॉ जमीन पर पड़ी होती अब तक....

तभी सन्नी ने अपने एक हाथ से तौलिया बेड से उठाया और मेरे सीने पर आगे से रख वो थोड़ी सी पीछे हो गया...उसके पीछे हटते ही तौलिया मेरी बूब्स को कवर करती नीचे जांघ तक गिर गई...मैं तो उसकी हर एक अदा की दीवानी हो गई थी...कितनी शालीनता से कर रहा था ये सब...

फिर वो तौलिया मेरे शरीर पर बांध दिया और अपने हाथ नीचे बढ़ा मेरी कैप्री के हुक यूं खोल दिया, जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकती...

अगले ही पल उसने मुझे कुर्सी पर बिठा दिया और खुद नीचे बैठते हुए कैप्री को खींच बेड की तरफ उछाल दिया...कुर्सी पर मैं पीछे की तरफ सिर झुकाए तेज-2 सांसें ले रही थी..मैं कुछ सोच ही नहीं पा रही थी कि अब क्या करेगा?

तभी उसकी उंगली मेरी जांघ के पास तौलिया के अंदर महसूस हुई..मैं सिहर उठी..उसने अपनी दोनों उंगली से मेरी पेन्टी की बगल पकड़ा और तेजी से घुटने तक खींच दिया...

मैं काम वासना से लबालब भरी चिहुंकती हुई उठ खड़ी हुई..वो शायद समझ चुका था कि अब मैं क्या चाहती हूँ..वो भी उतनी ही तेजी से खड़ा हो मुझे अपने बांहों में कस लिया..मैं गरम तो थी ही उसके बांहों में आते ही चीख पड़ी

और कांपती हुई चूत से पानी निकालती घुटने पर टिकी पेन्टी भिंगो रही थी...वो मेरे बालों पर धीरे से हाथ फेरता हुआ सहला रहा था..जब मैं पूरी तरह झड़ गई तो उसने अपने पैरों से ही मेरी गीली पेन्टी को पकड़ा और बाहर कर दिया...

कुछ देर मैं यूं ही उसकी बांहों में पड़ी रही, फिर उसने मुझे आहिस्ते से कुर्सी पर बिठा दिया...मैं ना चाहते हुए भी बैठ गई..इस वक्त अगर सन्नी की जगह कोई और होता तो कब का चोद चुका होता, पर सन्नी में कुछ इंसानियत तो थी जिसकी मैं दिवानी हो गई थी...फिर वो मेरे चेहरे के सामने अपना चेहरा झुका मुस्कुराते हुए बोला," अगर तुम खुद कपड़े निकाल लेती तो तुम्हारी ये हालत नहीं होती ना.."

वो झड़ने की बातें कर रहा था जिसे सुन मैं शर्म से मुस्काती नजरें चुरा ली..अगले ही पल उसने भी अपनी जींस खोल कर अलग कर दी और दूसरी तौलिया लपेट वो भी अंदर से पूरा नंगा हो गया...

फिर उसने मेरे और खुद के भींगे कपड़े से पानी निचोड़ सुखने के लिए कमरे में ही लगी तार पर रख दिया...

फिर वो एक दूसरी कुर्सी बाहर से ला मेरी बगल में लगाता हुआ बैठ गया और सामने कमप्यूटर ऑन कर दिया...मेरी नजर कमप्यूटर की स्क्रीन की तरफ चली गई....

कमप्यूटर स्क्रीन ऑन होते ही मेरी शरीर में झुरझर्री सी दौड़ गई...सामने स्क्रीन पर पूजा कुतिया की तरह मादरजात नंगी झुकी मुंह खोले चिल्लाए जा रही थी और बंटी उसकी कमर पकड़ दनादन अपना लंड उसकी गांड़ में पेले जा रहा था...

पूरी तरह से छिनाल की तरह चुद रही थी हमारी पूजा..इसे देख मैं थोड़ी सी शर्मा गई पर अब सन्नी पर इतनी विश्वास तो थी ही कि वो बिना इजाजत टच भी नहीं करेगा...

हम दोनों एक- दूसरे की तरफ देखे बिना पूजा की लाइव चुदाई देखने लगे...मैं अपनी आंखों को तिरछी कर सन्नी की तरफ देखी तो वो तौलिया के भीतर अपना हाथ घुसा लंड मसल रहा था..

तभी सन्नी की-बोर्ड पर एक बटन दबा दी जिससे पिक्चर जूम हो गई..अब पूजा की गांड़ में जाती लंड काफी निकट से दिखाई दे रही थी...

तभी मेरी नजर पूजा की चूत पर गई जो बंटी के लंड से ठीक नीचे थी..गौर से देखी तो उसकी चूत सूजी हुई थी और कुछ गाढ़ा रस टपक रही थी...मतलब इतनी देर में उसकी चूत का कबाड़ा करने के बाद बंटी उसकी गांड़ के पीछे पड़ गया था...

अब मेरी भी चूत रोने लग गई थी...शरीर में अंदर से काफी ऐंठन हो रही थी..ये सन्नी अब भोंदू दिखने लगा था कि मैं सिर्फ टॉवेल में बैठी चुदाई देख रही हूं और ये सन्नी कुछ नहीं कर रहा है..

तभी बंटी पूजा की बाल पकड़ जोर से खींचते हुए घुरसवार की तरह तेज धक्के लगाने लगा...पूजा की आँखों से आंसू बह रहे थे...तभी सन्नी टेबल के नीचे से हेडफोन निकाल कान में लगा लिया, मतलब वो अब आवाज भी सुनेगा..

मैं उसकी तरफ देखी तो वो हल्की मुस्कान दे दिया..मैं भी मुस्कुराती उसकी तरफ देखी..उसने एक और हेडफोन ले मेरे कानों में लगा दिया...

पूजा और बंटी की एक- एक शब्द अब स्पष्ट सुनाई पड़ रही थी...

"आहहहह मादरचोद ये ले......ओफ्फफफ शाली रंडी आज तेरी मां चोद चोद के भोसड़ा कर दूँगा कुतिया....."

"आउउउउउउउ शाबास मेरे राजा...कमीनी चूत हर वक्त तंग करती है हमें..याहहहह याहहहहह..कस के चोदो अपनी इस कुतिया की चूत और रंडी बना डालो मेरे चोदू..."

"जरूर बनाऊंगा तुझे और साथ में तेरी भाभी को भी शाली,,, आहहह क्या फिगर है उस रंडी के भी यूहहह यूह आह ले और ले.."

मैं अपने बारे में सुन गुस्से से सन्नी की तरफ देखने लगी..जिसे देख सन्नी होंठो पर हंसी लाता मेरी कानों से हेडफोन हटाते हुए बोला,"देखो जान, सेक्स में थोड़ी बहुत गाली ना हो तो मजा नहीं आता सो प्लीज माइंड मत करना.."

"और मेरे बारे में जो बोल रहा है उसका क्या?" मैं झूठी ही सही गुस्से में आती हुई बोली...

"ओहो डॉर्लिंग, जोश में बोल दिया, तुम बेकार में गुस्सा कर रही हो..छोड़ो उसे और मजे से देखो.." कहते हुए सन्नी हेडफोन वापस लगा अपने हाथ मेरे कंधों पर रखते हुए मेरे गाल सहलाने लगा..

मैं उसकी तरफ पलटी तो मुझे नजरअंदाज कर लाइव चुदाई के मजे लेने लगा..उसकी ये हरकत देख मैं अंदर ही अंदर मुस्कुरा पड़ी..और मैं भी सीधी हो पूजा की लाइव देखने लगी...

बंटी अब काफी तेज तेज शॉट मार रहा था...शायद झड़ने वाला था...जबकि पूजा भी अब जोर से चिल्ला और चीखती हुई अपनी गांड़ पीछे धकेल रही थी..

तभी अचानक से बंटी ठप्प की आवाज के साथ अपना लंड खींचा और वो पूजा को बेरहमी की तरह बाल खींचता हुआ बैठा दिया और तेजी से अपना लंड उसके मुंह में ठेल दिया...

पूजा बालों के दर्द से हल्की चीख निकल पड़ी पर लंड मुंह में जाते ही वो दर्द भूल चूप्पे लगाने लगी..

इधर सन्नी की उंगली कब मेरे मुंह में चली गई, पता नहीं..और तो और सन्नी की उंगली को मैं भी पूजा के माफिक ही चूसे जा रही थी..


सन्नी के साथ अब मेरी भी उंगली अपनी चूत पर रगड़ रही थी..उधर बंटी चुदाई के बाद हो रही गहरी- गहरी चुसाई को सह नहीं पाया..और पूजा के सिर को जोरों से दबाता हुआ चीख पड़ा..

बंटी अपने लंड के पवित्र जल को झटके के साथ पूजा के गले में उतार रहा था..पूजा का चेहरा प्रसन्नचित्त हो सारा रस मुंह में लेने लगी..

बंटी और पूजा को देख मेरी सब्र की बाँध टूट गई और मैं लपकती सी कुर्सी से उठी और सन्नी के होठों पर अपन दहकते होंठ रख दिए..सन्नी भी एक भूखे शेर की भांति मेरे होंठो को निचोड़ने लगा..

कुर्सी पर बैठे सन्नी के शरीर पर लदी मस्ती में अपने रस निकलवा रही थी..सन्नी कुछ
सहज महसूस नहीं कर रहा था ऐसी अवस्था में...वो मुझे अपने होंठो से अलग करता हुआ खड़ा हुआ...

पल भर अलग होते ही मेरी नजर वापस स्क्रीन पर गई जहाँ पूजा सारा वीर्य किसी रांड की तरह गटकने के बाद चुप-चुप करती बंटी के लंड को जीभ से चाटकर साफ कर रही थी...

तभी सन्नी एक झटके से मुझे बेड की ओर धक्का देते हुए मेरे तन की तौलिया का एक सिरा पकड़ लिया...जिससे मैं नंगी होती हुई बेड पर धम्म से गिरी...सन्नी भी पीछे से मेरे शरीर पर गिरा और गिरते के साथ ही मेरे होंठो को कैद कर चूसने लगा..

अब जब हरी झंडी मिल गई उसे तो भला अपने लंड को क्यों तकलीफ देता..वो एक हाथ से मेरी बूब्स मसलते हुए मस्ती के सागर में डुबकी लगाए जा रहा था..

मैं भी वासना से मरी जा रही थी तो उसे पूरी आजादी देते हुए आनंद ले रही थी..कुछ देर में ही वो अपनी उंगली से मेरी चूत भी रगड़ने लगा..मैं मस्ती से लबालब होती अपने चूत ऊपर की उछाल कर उंगली को गहराई तक पहुंचाना चाहती थी...

मेरी इस हरकत को देख सन्नी तुरंत समझ गया कि मैं कितनी गरम हूं...वो मेरे होंठ को आजाद किया और अगले ही पल उसके होंठ मेरी चूत में उतर गई..मैं तड़प के उछल पड़ी और उसके बाल नोचने लगी...मैं लाख कोशिश की उसे हटाने की पर वो उतनी ही जोरों से मेरी चूत को खाए जा रहा था...

मैं ज्यादा देर तक खुद पर काबू नहीं रख सकी और सन्नी के बाल नोंचते हुए पैर पटकने लगी...तभी मेरे अंदर के बादल फटी और सारा पानी सन्नी के चेहरे को धोने लगी..जितना उससे संभव हुआ.उतना पानी वो अंदर गटक लिया,बाकी बेडसीट और उसके चेहरे को भिंगो दिया..मैं झड़ते हुए जोरों से हांफ रही थी...इस दौरान सन्नी भी नंगा हो गया था..

अगले ही क्षण वो उठा और अपना 7 इंची लंड से मेरे होंठो पर मारते हुए बोला," आहहह मेरी रानी, अपने मुंह तो खोल" मैं इससे पहले एक-दो बार लंड मुंह में ली जरूर थी, पर अभी तक आदत नहीं पड़ी थी इसकी..थोड़ी सी हिचकिचाती हुई अपने होंठ थोड़े खोले कि सन्नी पूरी ताकत से अपना लंड ठूस दिया..मैं उबकाई लेती हुई कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी पर मुश्किल लग रही थी मेरे लिए..मेरे चेहरे की उड़ती रंग देख वो समझ गया कि मैं मुंह में नहीं लेती..

उसने लंड के दबाव को थोड़ा कम किया और बोला,"अब आदत डाल ले मेरी रानी,क्योंकि रोज लेने होंगे चुदाई से पहले.."

मैं उसकी तरफ आंखें उठा के देखी और आंखों से हामी भरती धीरे -2 अंदर बाहर करने लगी..पूजा की तरह ढ़ंग से तो नहीं कर पा रही थी जिससे सन्नी को उतना मजा आता..पर पहली बार की वजह से वो आहें भरते हुए मजा ले रहा था...

कुछ मिनटों में ही वो जोर से चीखते हुए "नहीईईईई" किया और अपना लंड को जोर से आखिरी धक्का मेरी मुंह में मार खींच लिया...शुक्र है वो झड़ा नहीं था वर्ना मैं कैसे उसके पानी को मुंह में ले पाती..

फिर वो बेड से नीचे उतरा और मुझे अपनी दिशा में लाते हुए मेरे पैरों को अपने कमर में लिपटा लिया..जिससे मेरी गर्म चूत ठीक उसके लंड से टकराई..मैं सिहरती हुई कराह उठी..और सांस रोके उसके लंड का इंजार करने लगी..

अगले ही पल दनदनाता हुआ उसका पूरा लंड जड़ तक मेरी चूत में उतर गया था..मेरी सांसें तो ऊपर ही अटक गई थी क्योंकि ऐसा करारी शॉट ना ही श्याम मारे थे और ना मेरे भैया....

वो अपने लंड को वहीं रोक नीचे झुक मेरी बूब्स को बारी- बारी चूसने लगा..कुछ ही पल में मेरी दर्र भाग गई और मस्ती आने लगी..जिससे मैं अपनी चूत ऊपर की तरफ मारने लगी...

वो मेरी ओर देखते हुए बूब्स से अपना मुंह हटाया और मुस्कुराते हुए अपना लंड आगे-पीछे करने लगा...साथ ही मेरी बूब्स को मसलने लगा...

मेरी मुंह से अब सेक्स वाली आवाजें निकलनी शुरू हो गई थी..जिससे वो और उत्तेजित हो तेज-2 धक्के लगा रहा था..

पूरे कमरे में हम दोनों की सेक्सी आवाजें और फच-फच की धुन गूंज रही थी..मेरी शरीर तो ऐसे हिचकोलें खा रही थी मानों कोई लोकल ट्रेन हो..जिसे मेरी दोनों भोंपू दबाए सन्नी ड्राइवर चला रहा था...

हम दोनों की पहली चुदाई की वजह से सन्नी और मैं ज्यादा दूरी तक इस ट्रेन को नहीं ले जा सके...

मैं चीखती हुई सन्नी के साथ 3री बार झड़ गई..जिसे देखा देखी सन्नी भी चिल्लाते हुए अपना गरम लावा मेरी चूत के अंदर उड़ेल दिया.. मेरी चूत की सारी गर्मी को सन्नी के वीर्य ने शांत कर दिया...

सन्नी हांफता हुआ बेड पर मेरे बगल गिर पड़ा..जिसे मैं अपनी बांहों में लेती हुई उसके बाल सहलाती खुद पर भी काबू पाने की कोशिश कर रही थी...
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01-23-2018, 01:03 PM,
#16
RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
सीता --एक गाँव की लड़की--16

काफी देर तक हम दोनों चिपक के सोते रहे...फिर सन्नी उठा और बाथरूम में फ्रेश होने घुस गया..मैं उसे जाते ही गीली तौलिया से बदन को ढ़क ली..और कमप्यूटर स्क्रीन पर नजर डाली तो दोनों कपड़े पहन रहे थे..

मतलब वो दोनों कभी भी इधर आ सकते थे...मैंने तेजी से उसी तौलिये से खुद को साफ की..और कपड़े पहन ली..

तभी बंटी बाहर आया और हमें कपड़े में देख आश्चर्य से देखने लगा तो मैंने उसे कमप्यूटर की तरफ इशारा कर दी..वो स्क्रीन की तरफ देखते ही मुस्कराता हुआ अपने कपड़े पहन लिए और कमप्यूटर पर कोई नई गाने प्ले कर दिया...

मैं भी अपनी नजर चल रही संगीत की तरफ कर दी मानों जब से आईहूं, गाने ही देख रही हूँ..तभी मैंने सन्नी से पूछी,"तुम पूजा की फिल्म क्यों बनाए हो?"

" बस यादगार के लिए ताकि जब किसी वजह से ये सब नहीं हो पाता तो वही सब देख के खुद को शांत कर लेता हूँ" सन्नी मेरी तरफ देख बेहिचक बोल दिया...उसके बोलने से ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था ये मेरी इस सवाल से थोड़ी भी नर्वस है...

मतलब आदमी जब ऐसे कुछ कहता है तो लगता नहीं कि ये कुछ गलत करेगा..मैंने उसकी बातों को सुन चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट लाती हुई बोली," अच्छा तो तुमने मेरी भी बना ली है?"

उसने हंसते हुए हां में सिर हिला दिया..मैं बेड से हंसते हुए उठी और उसके गोद में जाकर बैठती हुई उसके होंठो के पास अपने होंठ ले जाती हुई बोली," फिर तुम्हें बताना चाहिए था ना ताकि मैं और अच्छी से परफॉमेंस करती जिससे मूवी और बेस्ट लगती.."

वो एक बार तो सोच में पड़ गया कि पता नहीं मैं कैसा बिहेव करूंगी पर शायद उसे इतना जरूर विश्वास था कि मैं ज्यादा गुस्से नहीं करूंगी..पर अब तो वो शायद ये सोच रहा होगा कि या तो इसे काफी मजा आ रहा है या पहले से ही रंडी है....

मेरी बात सुनते ही उसने अपने होंठ मेरे होंठ पर चिपका दिया..कुछ देर चूसने के बाद वो हटा और बोला,"चिंता मत करो जान, अभी तो शुरूआत है..अगली बार से मैं और भी बहुत कुछ करूंगा जो शायद तुम सोच भी नहीं सकती.."

"अच्छा...." और मैं उसके गालों पर अपने दांत लगा दी..वो कसमसा गया दर्द से... तभी गेट धड़ाम से खुली और पूजा मुझे सन्नी की गोद में देख वॉव करती हुई अपने होंठ गोल कर देखने लगी..

पीछे से बंटी भी आया और मुझे देखते ही बोला,"सीता, अब अगर तुम्हारी ये तोता-मैना का प्यार खत्म हुआ हो तो घर चलने का कष्ट करेंगे क्योंकि बारिश बंद हो चुकी है.."

ओह गॉड! मैं भी कितनी पागल थी, अब तक सन्नी की गोद से उठी नहीं थी..मैं झेंपते हुए तेजी से उठी और खड़ी हो गई..सब मेरी इस हरकत से हँस पड़े..

"भाभी, चलेंगे या और रूकेंगे.." पूजा मेरी तरफ हंसती हुई बोली..मैं उसकी बात सुनते ही बिना कुछ कहे बाहर की तरफ चल दी..

फिर वो तीनों भी पीछे से हंसते हुए आए..फिर हम सब बाइक पर बैठे और घर की तरफ चल दी..सच, काफी मजा आया आज सन्नी के साथ..सन्नी कितना केयर करता था मेरी...मैं बाईक पर ही सन्नी के कंधे पर सर टिकाती चिपक के सो गई थी...एक तो सन्नी जैसा केयरिंग बॉयफ्रेंड पा कर और दूसरी बारिश के बाद लग रही ठंड की वजह से...

कुछ कुछ अंधेरा घिरने लगी थी तो मैंने उसे घर तक चलने बोली वर्ना मेन रोड पर उतरनी पड़ती..5 मिनट में ही हम घर पहुंच गए..हम दोनों गुड बाय किस किए और फिर वो दोनों चला गया...

अंदर आते ही हम दोनों कपड़े चेंज किए और किचन में घुस गए..कुछ घंटों में श्याम भी आ गए थे..फिर खाना खा एक चरण जम के श्याम से चुदी और सो गई...

सुबह रोज की भांति मेरी नींद खुली तो देखी मैं सिर्फ पेंटी में अपने पति की बांहों में सोई थी..चेहरे पर मुस्कान लाते हुए मैं आहिस्ते से उठी ताकि श्याम की नींद ना खुले..फिर नंगी शीशे के पास खड़ी हो जोर की अंगड़ाई ली..ऐसी अवस्था में देख मैं खुद शर्मा गई..

फिर मेरी गंदी दिमाग एक्टिव हो मुझे एक आइडिया दे गई जिसे सोच मैं पानी-2 हो गई..फिर मैं अपने होंठो पर हंसी लाते चल दी...

अब मै सिर्फ पेंटी में या यूं कहिए पूरी नंगी..अपने फ्लैट के बालकनी में खड़ी थी..सुबह की ताजी हवा सीधी मेरे अंदर प्रवेश कर रही थी जिससे मैं तेजी से तरोताजा हो रही थी.. एक नजर दूसरे घरों पर नजर डाली जहां कुछ पक्षी के अलावा कोई नहीं था..

अब मैं निश्चिंत हो कर खड़ी हो गई और अपनी दोनों बांहें दोनों तरफ फैला दी..सूरज की हल्की किरणों के साथ ताजी हवा का आनंद लिए जा रही थी..अगली कुछ ही पलों में मेरी आँखें अनायास ही बंद हो गई..और सिर ऊपर की तरफ कर तन के खड़ी थी...मेरी दोनों कबूतर पर पड़ रही लाल रोशनी से काफी चमक रही थी..और मेरी तरह उसकी निप्पल भी सुबह का आनंद कड़क हो ले रही थी...

अचानक मेरे कानों में डोरबेल की आवाज गनगनाती हुई घुसी..मैं चौंकती सी आंख खोल के सामने देखी तो...ओहहह मर गईई...दूधवाले अंकल घंटी बजा कर मुंह खोल मेरी तरफ ताके जा रहे थे..

मैं तेजी से मुड़ भागती हुई अंदर दौड़ पड़ी..अंदर आते ही मैं हांफ रही थी..ये मैं दौड़ने से नहीं बल्कि खुद को नंगी दूधवाले के सामने दिखने से हो रही थी...

फिर मैं हंसती हुई शांत हुई और कपड़े पहनने के लिए आगे बढ़ी...सामने मेरी कल वाली कैप्री और टी-शर्ट टंगी थी जो रात भर में सूख गई थी..मैं आगे बढ़ी और कैप्री टीशर्ट पहन ली..अंदर ब्रॉ नहीं पहनी जिससे मोरी कड़क निप्पल अभी भी खड़ी थी..फिर मैं किचन से बर्तन ले बाहर की तरफ चल दी...

बाहर मेन गेट खोलते ही मेरी नजर दूधवाले से टकरा गई..मैं अगले ही पल नजरे नीची करती बर्त्तन आगे कर दी..वो चुपचाप अपने खड़े लंड पर काबू करते हुए बर्त्तन ले दूध डालने लगा..मैं दूध ले वापस जाने मुड़ी ही थी कि वो बोला,"मैडम जी, मैं तो यहां रोज कई घरों में ऐसे देखता हूं..और यहां तो अपने देह को नंगी करना एक फैशन है..कुछ तो पूरी नंगी दूध लेने भी आ जाती..आप यहां नई हो और शायद पहली बार ऐसा कीतो शर्म आ रही है,,पर जल्द ही आदत पड़ जाएगी.."

मैं अभी भी उसकी तरफ गांड़ किए खड़ी उसकी बातें सुन रही थी..और वो अपनी बात कहते हुए ठीक मेरे पीछे आ गया..फिर अपने एक हाथ मेरी टीशर्ट को उठा पेट पर रख हल्के से पीछे खींच मेरी गांड़ में अपना लंड फंसाते हुए बोला,"वैसे आप मस्त लग रही थी नंगी..काश ये मेन गेट लॉक नहीं रहता...पर कोई बात नहीं, अगली बार गेट खोल के रखना मैडम,,आपको मैं इस दूध के साथ वो दूध भी दे दूंगा.."

और उसने एक झटका मार मुझे छोड़ वापस अपने साइकिल की तरफ चला गया; बिना मेरी जवाब सुने...मैं भी उसकी हरकत से काफी गरम हो गई और पेंटी को भिंगोने लगी थी..

तेज कदमों से चलती मैं अपने रूम में घुस गई...उसकी इस हिम्मत की तो दाद देनी होगी..कैसे वो एक ही पल में अपना बड़ा सा लंड मेरी गांड़ पर अड़ा दिया...ओफ्फफ..मेरी चूत भी पानी छोड़ रही थी जब उसका लंड सटा था...तभी मुझे बाहर तेज आवाज की गानों के साथ ऑटो की आवाज सुनाई दी...

पर मैं अब बहती चूत लेकर वापस उस ऑटो वाले को लाईन देने नहीं जाने वाली थी..मैंने दूध किचन में रखी और दूधवाले के नाम पर अपनी चूत रगड़ने बाथरूम में घुस गई..

बॉथरूम से निकल मैं किचन में घुस गई जहाँ पहले चाय बनानी शुरू की...चाय बनाते वक्त भी मेरे जेहन में दूधवाले की बातें दिमाग में नाच रही थी...किसी तरह चाय बनाई और श्याम को जगाने बेडरूम की तरफ चाय ले चल दी...

रोज की भांति आज भी मैंने मॉर्निंग किस करते हुए श्याम को जगाई.. उनकी नींद भी मेरे लब सटते ही खुल गई पर आँखें बंद ही थी..वे बंद आँखों में ही जोरदार किस किए, फिर आँखें खोलते हुए जम्हाई सहित उठ बैठे...

उनकी आँखें खुलते ही चौंक से गए मुझे ऐसे कपड़ो में देख..फिर वो एक बार अपने सिर को झटक पूरी तरह से जगते हुए देखने लगे..अब तो उन्हें पूरी यकीं हो गई थी कि वे किसी सपने में नहीं बल्कि सचमुच मैं चुस्त टीशर्ट और कैप्री में खड़ी हूँ...सच कहूँ तो मैं बस उनकी रजामंदी लेने के लिए पहनी थी कि अगर इन्हें ठीक लगे तो पहनूंगी वर्ना नहीं..अगर ये खुश रहेंगे तभी तो मैं भी अपनी जिंदगी के मजे उठा सकती हूँ...

"वॉव सीता, मुझे नहीं मालूम नहीं था कि ऐसे ड्रेस में मेरी पत्नी नहीं, एक टंच माल लगोगी..कब ली ये ड्रेस?"अपनी राय और मुझे आगे पहनने की हां कहते हुए वे बेड से उतर मेरी तरफ आने लगे..मैं जल्द ही भांप गई कि इनको माल दिख रही हूं मतलब सुबह-2 ये अब हमें छोड़ने वाले नहीं हैं..

"कल खरीदी हूं और हाँ आप पहले फ्रेश हो लीजिए फिर मेरे निकट आइएगा.." कहते हुए मैं तेजी से पीछे पलट किचन की तरफ भाग खड़ी हुई..अपने मनसूबे पर पानी फिरता देख ये भी "भागती किधर है, रूक पहले..." कहते हुए मेरी तरफ लपके..मैं तब तक किचन में घुस गई थी और किचन का गेट बंद करनी चाही, तब तक ये पहुंच गए और हल्का धक्का देते हुए हंसते हुए अंदर घुस गए..

"प्लीज, अभी कुछ मत करिएगा वर्ना आपको भूखा ही ऑफिस जाना होगा.." मैं भी इनकी शरारत के मजे लेती कुछ मस्ती और बढ़ाते हुए बोली..वैसे पति- पत्नी में रोज हल्की- फुल्की नोंक-झोंक हो तो जिंदगी कितनी रंगीन हो जाती, आप अंदाजा नहीं लगा सकते...

"भांड़ में जाए ऑफिय और खाना..पहले जो मस्त पीस सामने मौजूद है,उसे तो खाने दो.." कहते हुए श्याम मुझ पर झपट्टा मारते हुए दबोच लिए और सीधा अपने दांत से मेरी चुची को मुंह में भर लिए..मैं किकयाती हुई छटपटाते हुए छूटने की पूरी कोशिश की पर नाकाम रही...मेरी टीशर्ट इतनी पतली और चुस्त थी कि उनके दांत मुझे अपनी नंगी चुची पर महसूस हो रही थी..मेरी आँखें गीली हो गई थी दर्द से...

जब लगा कि मेरी चुची के कुछ अंश कट जाएंगे तो किसी तरह इनसे बोली,"आहहहह प्लीज, धीरे करिए ना...काफी दर्द कर रही है ओहहहहहह मम्मीईईईईईई..."मेरी दर्द भरी स्वर इनके कानों पड़ते ही चुची को छोड़ मेरे गले पर किस करते हुए बोले,"सॉरी जानू, तुम इतनी कयामत लग रही हो कि मैं बेकाबू हो गया था.." और फिर वे अपने काम में भिड़ गए मतलब कभी गर्दन पर कभी गालों पर,कभी उरेजों पर किसे की बौछार करने लगे..मैं थोड़ी नाराजगी दिखाते हुए शिकायत की,"भागी थोड़े ही जा रही थी जो ऐसे काट लिए..चलिए हटिए अब, कैसे खून बहा दिए है.."

मेरी बात सुनते ही किस करना रोक दिए और एक ही झटके में मेरी टीशर्ट ऊपर करते हुए मेरी चुची आजाद कर दिए...फिर निहारते हुए बोले,"जान, खून तो नहीं निकला पर हमारे प्यार की निशानी जरूर पड़ गई है..." और उन्होंने फिर अपने होंठ उसी चुची पर लगाते हुए दर्द मिटाने की कोशिश करने लगे..मैंने उनके गाल पर प्यार वाली थप्पड़ जड़ते हुए बोली,"अब क्या,सच्ची की खून निकालोगे?"

वे मुस्कुराते हुए ऊपर मुंह किए और बिना कुछ कहे मेरे होंठों को अपने होंठों से मिला दिए...

मॉर्निंग स्मूच कितनी मस्त होती है, आज मालूम पड़ी..हल्की दुर्गंध आती हुई लब, पल भर में मदमोहक हो गई...मैं अपने सारे दर्द भूला उनके गर्दन को जोर से भींचती कस ली और इस स्मूच को और गहरी कर दी..हम दोनों के लार ट्रांसफर हो रहे थे वो भी रॉकेट की गति से..उनका हाथ मेरी नंगी चुची को धीमे-2 मसल रहा था..

ऊपर से आनंदमयी स्मूच और नीचे रोमांटिक अंदाज में चुची की सेंकाई...ओफ्फ्फ्फ..मैं और मेरी वो बर्दाश्त नहीं कर पाई और पेंटी को लगातार दूसरी बार नहलानी शुरू कर दी..अगली ही पल मेरी हाथ उनके तौलिये के अंदर घुसी और अंडरवियर के ऊपर से ही अपने प्राण को मसलने लगी...अब उफ्फ करने की बारी इनकी थी...ज्यादा देर तक ये मेरे स्पर्श को सह नहीं सके और "आहहहह सीताआआआआ" कहते हुए स्मूच तोड़े और तौलिया नीचे करते हुए अपने लंड को आजादवकर दिए..उफ्फ..पूरी तरह गर्म जलती कोयले वाली ताप निकल रही थी..ऐसा महसूस कर रही थी कि मेरी नाजूक हाथ अब इस गरमी में जल जाएगी...

और ये भी देख ली कि सुबह के पल लंड में कितनी तनाव,गर्मी,जोश और खतरनाक रहती है...सुबह के वक्त मर्द की स्टेमिना भी काफी बढ़ जाती है..मैं अपने ठंडे और कोमल हाथों से उनके लंड को आगे पीछे करने लगी..वे सिसकारी भरते हुए अपने मुंह ऊपर की तरफ कर लिए..उनका हाथ मेरी नंगी चुची पर जरूर था पर कोई हरकत नहीं कर रहा था..

हम दोनों की हालत खराब होने लगी थी..इस हालत को और खराब करने के ख्याल से मैं सेकंड भर के अंदर ही बैठी और गप्प से गर्म रॉकेट को मुंह में भर ली...आदी तो नहीं हुई थी पर अब उतनी बुरी भी नहीं लगती थी..श्याम तो मेरी इस अदा पर झूम उठे और मस्ती की सेकेंड लास्ट वाली गेट पर पहुंच गए...उन्हें उम्मीद भी नहीं थी मैं बिना कहे ऐसे मुँह में ले लूंगी..

कुछ मिनटों की चुसाई में ही उत्तेजना से हांफने लगे..उनका लंड इन चंद घड़ी में बढ़ के 6.5 से 7.5 इंच हो गई..ये सब सुबह की ताकत के परिणाम थे...वे अब बर्दाश्त नहीं कर सकते थे मेरी और चुसाई को तो एक झटके से मेरी खुली बाल को समेटते हुए पकड़े और अगले ही क्षण मेरी थूक से तरबतर उनका लंड मेरी आँखों के सामने ठुमके लगाने लगा..

अगले ही पल वो मेरी बालों को पकड़े ही ऊपर उठा दिए हमें...उनकी इस पहली बार की वहशी देख मैं फूला नहीं समा रही थी..दर्द में हर औरत कितनी जोश में आ जाती है, ये बात काश दुनिया के सारे मर्द समझ पाते...मैं दर्द की मुस्कान देते हुए उठ गई और अपने पति की अगली आज्ञा का इंतजार करने लगी..श्याम अगले ही पल मेरी कैप्री में उंगली डाले और जोर से नीचे कर दिए..टाइट तो थी पूरी, ताकत लगते ही छोटी सी बटन छिटकती हुई दूर जा गिरी और मैं सिर्फ पेंटी में रह गई...

अब इतनी कामुक घड़ी में मेरी चूत कब तक पेंटी के सहारे खुद को बचा पाती..उफ्फफफ...मैं चूत की सलामती ढंग से सोची भी नहीं थी कि तब तक मेरी पेंटी चर्रर्रर्रर्रर्र की आवाज के साथ दो टुकड़ो में बंट गए...और मैं कुछ सोचने की सोचती, तब तक श्याम के मुंह मेरी द्वार में समा गई...ओहहहहह मम्मीई,,,श्याम तो पहले मेरी चूत को चूसने के बारे में कभी बोले भी नहीं थे,, पर आज पता नहीं क्या हो गया इन्हें...शायद मैं बिना बोले इनका लंड मुंह में ली तो ये भी....

मैं दीवाल के सहारे लग गई और अपनी चूत पर हो रही जीभ के हमले को सहने की कोशिश करने लगी..वे मेरी चूत के दाने को दांतों से पकड़ खींचने लगे..मैं तड़पती हुई उनके बालों को जोर से पकड़ी और नोंचने लगी..मेरी सिसकारी अब किचन में गूंजने लगी.और मेरी चूत लगातार रस बहाए जा रही थी जो श्याम के पूरे चेहरे को भिंगोती नीचे गिर रही थी...
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01-23-2018, 01:03 PM,
#17
RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
सीता --एक गाँव की लड़की--17

मैं चीखती हुई "श्याम्म्म्म्म्म्म प्लीईईईईज" बोली जिसे सुन श्याम मेरी चूत से हटे और मेरी कैप्री को मेरे पैरों से निकाल खड़े हो गए..मैं हांफती हुई श्याम की तरफ नशीली आँखों से देखने लगी..बदले में श्याम भी मेरी इन नशीली नयन को अपनी आँखों से पीते हुए मेरी एक पैर उठा दिए..मैं अपनी मुंह खोली उनकी तरफ देखे जा रही थी..

तभी उनका गर्म काका मेरी धुली हुई काकी से टच करने लगी..फिर मेरी आँखों में झांकते हुए पोजीशन लिए और एक वहशीपूर्ण धक्का दे दिए..धक्का इतनी तीव्र थी कि मैं दीवाल में पूरी तरह चिपक गई...हम दोनों के मुख से आहहहह निकल पड़ी..उनका लंड अंदर पड़ते ही मेरे जेहन में अपने भैया का लंड याद आ गया जो 8 इंची था और इसी तरह मेरी नाजुक चूत को चीरा था...

अचानक से पड़े दूसरी धक्के ने मुझे वापस किचन में अपने पति के लंड के नीचे पटक दिया..फिर चल पड़ा एक धुंआधार काका-काकी की लड़ाई..जिसमें हम दोनों पति-पत्नी सुरीली कामुक धुनें बिखेरते मजे ले रहे थे..मेरी तन की गर्मी झरने की तरह बहती हुई नीचे आ रही थी..

पर साथ ही ये भी जानती थी कि झरना नीचे आ और खूबसूरत तरीके से उग्र हो जाती है,वही हालत मेरी भी होगी अब कि और चाहिए लंड...

काफी देर तक सुबह की ताकत से मेरी चूत बजाने के बाद श्याम मेरे कंधों पर दांत गड़ाते हुए दबी आवाज में चीखने लगे, जिसे मैं सह नहीं पाई और अपने तेज नाखून से उनकी पीठ छलनी करती रोती हुई झड़ने लगी..पर हम दोनों को इस स्खलन में दर्द कहीं भी नजर नहीं आई..बस एक अलग दुनिया में खोई रही..

झड़ने के पश्चात ही हम दोनों एक-दूसरे से लिपटे ही धम्म से नीचे बैठ गए..करीब 5 मिनट तक यूं ही बैठे रहने के बाद श्याम मेरे होंठों पर किस दिए और बोले,"शुक्रिया जानू, अब उठो, जब तक मैं फ्रेश होता हूँ तुम नाश्ता तैयार कर दो."

मैं मुस्काती हुई कैप्री पहनती हुई बोली,"मस्त चीज खा ही लिए, अब नाश्ता नहीं बनेगा.."मेरी बात को सुनते ही मेरे गालों को चूमे और हंसते हुए बाथरूम की तरफ चल दिए..पीछे मैं भी कपड़े पहन किचन के ही बेशिन में हाथ मुँह धोई और नाश्ता तैयार करने लगी..

नाश्ता करने के बाद श्याम ऑफिस चले गए..पूजा भी कॉलेज के लिए निकल गई..

मैं भी स्नान आदि से सम्पन्न हो आराम करने चली गई..बेड पर अभी लेटी ही थी कि मेरी फोन बजने लगी..

मैंने बेड के एक कोने में पड़ी फोन लेते हुए स्क्रीन पर नजर डाली कि कौन हैं इस वक्त याद करने वाले?

नागेश्वर अंकल का फोन था..मैं फिर से बेड पर लेटी और होंठो पर हल्की मुस्कान लाते हुए फोन रिसीव की..

"प्रणाम अंकल,आज गलती से कैसे नम्बर इधर आ गई.." मैंने शिकायत भरी लब्जों में पूछी..

"प्रणाम मोहतर्मा, फोन गलती से नहीं बल्कि पूरे होशोहवास में किया हूँ..समझी.."अंकल रौब के साथ अपनी सफाई देते हुए हंस पड़े..

मैं भी खुद पर काबू नहीं रख सकी और हंसते हुए बात को आगे बढ़ाई,"अच्छा, फिर तो जरूर फुर्सत में लग रहे हैं."

"हाँ,बस दो दिन और..आज वोटिंग हो रही है और परसों रिजल्ट..फिर तो फुर्सत ही फुर्सत.."अंकल अपने आने वाले दिनों के बारे में छोटी सी नमूना आगे रख दिए..

"मतलब जीतने के बाद घोड़े बेच के सोने का इरादा है क्या?"मैं थोड़ी सी मजाकिया लहजे में चुटकी ली..

"मैं वैसा नहीं हूँ मैडम, अगर होता तो जनता हमें मुखिया पद में हैट्रिक नहीं लगाने देती..अब विधायक में तो और काम करने का मूड है..बस आप साथ देती रहना.."अंकल अपनी इमानदारी और कर्मनिष्ठ का परिचय देते बोले..साथ में बड़ी ही सफाई से बातचीत की ट्रैक को चेंज कर दिए..

मैं उनकी इस अदा पर हँसती हुई बोली,"मैं,...विधायक बनने के बाद आप तो खुद पावर में रहेंगे तो भला मैं क्या साथ दूंगी.."

"हाँ पर उस पावर को लागू करने में हमारी जो एनर्जी खर्च होगी तो उसे रिचार्ज तो तुम्हें ही करनी होगी ना.."अंकल सीधे मुँह तो नहीं पर द्विअर्थी शब्दों में कह डाले जिसे मैं क्या सब समझ जाए..

"मिलने तो ढ़ंग से आते नहीं फिर रिचार्ज कैसे होंगे?"मैं हल्की आवाजों में शिकायत की मानों पड़ोसी ना सुन ले कहीं..

"ओह मेरी जान, अब नहीं होगी ऐसी गलती..बस दो दिन की बात है..वैसे जीतने के बाद मैं भी पटना में ही रहूँगा." अंकल गलती स्वीकारते हुए बोले..

"सच में.."मैं उनके पटना रहने वाली बात सुन चहकती सी बोली..

"शत-प्रतिशत सच मेरी जान.."अंकल अपनी बात को पूरे विश्वसनीय करते हुए बोले..

मैं उन्हें पटना रहने की बात सुन भविष्य में होनी वाली अंकल से हर वक्त मुलाकात की दुनिया में खो गई..कैसे जब मन होगी तब मैं चली जाउंगी मिलने और अंकल की इच्छा हुई तो वे आ जाएंगे..

"हैल्लो साहिबा, कहां खो गई आप.."अंकल मेरी तरफ से कोई जवाब ना पाकर बोले..

मैं उनकी बात से झेंपती हुई मुस्कुराते हुए बोली,"कुछ नहीं अंकल."

"अच्छा, काफी बातचीत हो चुकी है, अब जल्दी से एक चुम्मा दे दो.."अंकल इस बात को खत्म कर नई बातें शुरू कर दी..

मैं अंकल की अचानक सी कही बात पर चौंक सी गई..फिर हँसते हुए बोली,"यहाँ से...?"

"हाँ, क्यों फोन पर श्याम को कभी नहीं दी क्या..अब बहाने मत बनाओ और जल्दी से दो..अभी घर पर ही हूँ तो ज्यादा देर बात करना ठीक नहीं होगा.."

मैं अंकल की बात और उनकी हालात समझ हल्की सी हँसी और फोन को अपने होंठो से सटाती हुई एक चुम्मी दे दी,"मुअअआआआह.."

"मिली ?"किस देने के बाद शर्माते हुए पूछी..

"क्या, तुम दे दी..उफ्फ..कितनी धीमी देती हो..कुछ सुनाई नहीं दिया..फिर से दो.."अंकल बिल्कुल ही नकारते हुए बोल पड़े..

मैं तो अंदर ही अंदर गुस्से से भर गई पर क्या कहती..

ठीक पहले वाली तरीके से पर ज्यादा जोर से एक और किस दे दी और बोली,"अब आप भी दो एक.."

जल्दी से मैं भी मांग ली ताकि फिर ना कहें कि नहीं मिली..मेरी किस मिलते ही आहें भरते हुए बोले,"आहह मेरी रानी..कितनी गरम थी किस.."

और उन्होंने फिर एक के बाद एक कई किस देते हुए बोलने लगे," ये होंठों पर, ये गालों पर...ये गर्दन पर...ये चुची पर...ये पेट पर...ये नाभि पर...

उनकी किस के क्रम को जल्द ही भांप गई और बीच में रोकती हुई बोली," बस,..बस.. अंकल..एक किस कब की हो चुकी."और हँस पड़ी जिससे अंकल भी हँस पड़े..

फिर हम दोनों बॉय कर फोन रख दिए..इस फोन के दौरान हुई किस से ही मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी..

मैंने जल्दी से साड़ी उतार फेंकी और चूत में एक साथ तीन उंगली घसेड़ दी..मुंह से एक आह निकल गई..

फिर तेज तेज चूत को चोदने की कोशिश करने लगी..

मैं काफी देर तक उंगली चलाती रही पर मेरी चूत झड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी..इसे तो अब लण्ड की आदत पड़ गई थी..

अगर लंड को मेरी चूत स्पर्श भी कर लेती तो शायद झड़ जाती पर क्या करती..इस वक्त कहां से लाती लंड..पूजा के आने में भी अभी 3 घंटे बाकी थी..

तो क्या तब तक मैं तड़पूं..ये कुत्ते अंकल बेवजह हमें फंसा दिए..कितनी आराम से सोने वाली थी..

तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया कौंधी..गांव में हमारी भाभी एक बार बहुत ही सुंदर और बड़ी सी ककड़ी हमें दिखाती हुई बोली थी," सीतीजी, ये चाहिए क्या?"

मैं तो समझी कि भाभी शायद खाने के लिए दे रही है..जैसे ही मैं लेने के लिए बढ़ी तो भाभी पीछे हटती बोली,"खाने के लिए नहीं दूँगी.."

मैं चौंकती हुई अपनी भौंहे खड़ी करती प्रश्नवाचक मुद्रा में देखने लगी..तो भाभी बड़ी ही बेशर्मी के साथ ककडी को अपनी चूत पर सटाई और बोली,"यहां डालने के लिए लीजीएगा तो बोलो.."

मैं चूत लंड जानती थी पर कभी कुछ की नहीं थी.. और भाभी की ऐसी बातें सुन मैं शर्म से लाल हो गई और गुस्से में "कमीनी" कहती भाग गई थी..पीछे भाभी जोर-2 से हंसने लगी..

मैं तेजी से उठी और किचन की तरफ भागी..सामने टोकरी में पड़ी ककड़ी जैसे ही दिखी मैं उठाई और एक ही झटके में अंदर कर ली..

फिर बेडरूम में ककड़ी डाले आई और बैठते हुए ककड़ी से चुदने लगी..कुछेक देर तक चलाने के बाद मेरी हाथ ऐंठने लगी..उफ्फ..अब ये कौन सी मुसीबत है..

मैं जल्द से जल्द झड़ना चाहती थी..हाथ में दर्द के बावजूद ककड़ी धकेलने लगी..पर जिस चूत की खुजली लंड से ही बुझती हो उसे ककड़ी से कैसे शांत करती..

मैं अब रोती हुई चीखती जा रही थी..अपनी ही चूत से रहम की भीख मांग रही थी कि मुझ पर तरस खाओ प्लीज...

पर ये कमीनी लंड की जिद किए जा रही थी..काफी देर बाद मेरी हालत देख थोड़ी सी रहम कर दी..

और मैं चीख पड़ी.. चूत अपनी सिर्फ छोटी नल खोली..मतलब झड़ तो रही थी पर खुजली नहीं मिटी थी..मैं सोची ककड़ी और डालती हूँ संतुष्ट भी हो जाऊं..

पर शाली चूत तो लॉक कर रखी थी बड़ी नल..बस धीमी-2 पानी बह रही थी..कुछ देर बाद तो वो पानी भी कम होती नजर आने लगी..

मैं गुस्से से खीझ उठी और ककड़ी को झटके से चूत से निकालती मुंह मेमं लेती जोरों से खच्च करती आधी काट ली..

कटे ककड़ी को धीमी गति से चबाए जा रही थी जो मेरी चूतरस से भींगी थी और सोचे जा रही थी कि अब क्या करूं..

अगर जल्द से जल्द कोई लंड की सूरत नहीं दिखाई तो से कमीनी हमें तड़पा-2 के जान लेगी..वो तो शुक्र है कि थोड़ी सी रहम कर दी..

झड़ तो गई थी पर खुजली कैसे मिटाऊँ...??
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01-23-2018, 01:03 PM,
#18
RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
सीता --एक गाँव की लड़की--18

कुछ देर तक यूँ ही बैठी रहने के बाद भी समझ नहीं आई कि क्या करूँ इस चूत की? फिर उठी और कपड़े पहने...

कपड़े पहनने के बाद हल्की मेकअप जल्दी वाली की..बालों को केवल झाड़ी ताकि सीधी रहे बाल..फिर चेहरे पर क्रीम लगाने के बाद होंठो पर गहरी लाल रंग की लिपिस्टिक लगाई..आँखों में हल्की काजल तो थी ही..

फिर घर से निकल गेट लॉक की और चल पड़ी सड़को पर..मंजिल तो अभी तक सोची नहीं थी..बस चली जा रही थी..

इधर मेरी चूत भी घंटी बजानी शुरू कर चुकी थी कि जल्द से जल्द कोई लंड दिखाओ..मैं अब मेन रोड तक आ साइड में खड़ी सोचने लगी..काश ऑटो वाला आ जाए या सन्नी..

ऑटो वाले का नं0 तो जानती भी नहीं तो कैसे बुलाऊं..फिर सन्नी को फोन करने की सोची..ओह गॉड..मोबाइल तो ली ही नहीं..इस चूत ने तो सब कुछ गड़बड़ किए जा रही है..

इस दौरान कई ऑटो आई और चलने की बात पूछी, पर मैं सबको ना कह दी..कहीं जाने की तो थी नहीं, बस लंड को ढ़ूँढ़ने आई हूँ..जो एक बार ऊपर से ही सही पर स्पर्श करा दे..

अब मैं वापस घर फोन के लिए लौटने के सिवाए कोई रास्ता नहीं सूझ रही थी..मैं वापसी के कदम बढ़ाने ही वाली थी कि सामने से आदमी से कचाकच भरी नगर बस आती दिखाई दी..बस के गेट पर करीब 5-7 आदमी थे तो अंदर कितने होंगे..

फिर जितने आदमी, उतने लण्ड...मेरी शरीर में झरझुर्री दौड़ गई..मैं वहीं खड़ी बस को आती देख रही थी, और उस बस में मुझे सिर्फ लंड ही नजर आ रही थी..तभी बस ठीक मेरे सामने आ रूकी..

"स्टेशनऽ...गाँधी मैदानऽ..." और ढ़ेर सारे जगह के नाम बोलता बस का उपचालक चिल्लाने लगा..मैं सरसरी नजर से बस के अंदर झांकी, जिसमें एक-दो लेडिज आगे केबिन में बैठी थी और एक-दो पीछे बैठी थी...बाकी सब मर्द भरे थे..

बस के रूकते हीदो आदमी उतरे..तभी वो खलासी मेरी तरफ देख बोला,"आइए मैडम, आगे सीट खाली होगी तो बैठ जाना..ऽ"मैं उसकी बात सुन जैसे ही पहली कदम बढ़ाई कि उसने मेरी बाँह पकड़ अपनी तरफ खींच लिया...

शुक्र थी कि मेरे पांव तेजी से बस पर चढ़ गए वर्ना गिर ही जाती..फिर वो मुझे अंदर की तरफ करते हुए मेरी बगलों से हाथ घुसा आगे वाले को जगह देने कहने लगा..जिससे उसके हाथ पूरी तरह मेरी चुची को दबा रही थी..

चंद घड़ी में ही थोड़ी सी जगह बन गई तो वो उसने हाथ पीछे खींचने लगा और अंत तक आते-2 अपनी चुटकी से मेरी निप्पल को मसल तेजी से हाथ खींच लिया...मैं चीख को किसी तरह अंदर दबा दी पर आह नहीं रोक पाई..

मेरी आहह कुछ तेज थी जिसे वहां पर खड़े सभी पैसेंजर सुन के मुस्कुराने लगे..और सभी की नजर मेरी तरफ दौड़ गई..मैं झेंपती हुई सिर नीचे की और आगे बढ़ने के लिए पैर आगे की..उफ्फ..अभी तो इतनी जगह थी और अभी मेरे पैर रखने की भी जगह नहीं है..मैं थोड़ी सी बेशर्म बनने की सोच ली कि अब जब लंड खोजने निकली तो शर्म क्यों..

मैं एक नजर सामने खड़े लोगों पर डाली तो दो साँवले एक-दूसरे की तरफ मुँह किए घूरे जा रहा था , फिर उनके आगे भी दो काले लोग इसी मुद्रा में थे..उनका लंड आपस में टच कर रहा था..मुझे इसी होकर आगे बढ़नी थी..

मैं सीधी तो किसी कीमत पर नहीं जा सकती थी इस बीच से..तभी बस हल्की धीमी हुई और एक जवान लड़का तेजी से घुसा और उसने मेरी गांड़ पर जोरदार धक्का दे दिया..ओहहह गॉड..मैं आगे दोनों मर्दों के बीच झुक गई..

इसी मौके का फायदा उठा दोनों मर्द अपने हाथ से मेरी चुची पकड़ मुझे उठाने के बहाने रगड़ने लगे..पीछे वो लड़का अभी भी लंड मेरी गांड़ पर जमाए ही था..मैं सीधी होती हुई पीछे मुड़ी तो वो लड़का एक शब्द "सॉरी" बोला और फिर अपने फोन कान में लगा लिया..भीड़ ज्यादा थी तो मैं उसे हटने भी नहीं बोल सकती थी..

"ओऽ मैडम..आगे बढ़िए ना..आगे कितनी जगह है और आप यहां जाम कर रखे हैं.." पीछे से उस खलासी की आवाज पूरे बस में गूँज उठी..तत्पश्चात सभी लंडों की नजर एक बार फिर मेरी तरफ गड़ गई..

मैं नजरे नीची की और तिरछी होती उन दोनों मर्दों के बीच घुस गई..ओहहहह...मैं जैसे ही उन दोनों के ठीक बीच पहुँची कि दोनों और जोर से चिपका गए..मैं कसमसा सी गई..नीचे उनका लण्ड फनफनाता हुआ खड़ा हुआ और मेरी चूत-गांड़ पर ठोकरें मारने लगा...

मेरी चूत पलक झपकते ही रोनी शुरू कर दी, आखिर उसे अपना यार जो काफी देर बाद मिला था..मैं कुछ ही पलों में पसीने से भींग गई..तभी पीछे वाला लड़का आया और अपना लंड सीधा मेरी कमर चिपकाते हुए बोला,"भाभीजी, और आगे बढ़िए.."

उसकी बात सुनते ही दोनों उस लड़के की तरफ ऐसे घूरने लगे मानों उसने बम फोड़ दिया हो..मैं आगे की तरफ की तरफ देखी तो आगे दो मर्द दोनों बगल से, जबकि एक थोड़ी तिरछी मेरी तरफ खड़ा था..और जगह भी इतनी सी ही थी..

सोची थोड़ी इसके भी लंड को अनुभव कर लूँ..मैं इस जकड़न से छूट अगली लंड
की कैद की तरफ बढ़ी..मगर दोनों मर्द तो चुम्बक की तरह चिपके थे..उनका लंड पूरी तरह मेरी साड़ी के ऊपर से ही पर धंसी हुई थी...मैंने पूरी ताकत लगा दी निकलने में तब जाकर निकल पाई..

और निकलते ही मैं अगली कैद में फंस गई...ये तो और बेशर्मी से पेश आ रहा था..मैंने आस पास नजर दौड़ाई तो सब अपनेआप में मशगूल था...जिसके सामने थाली मिली वो खाना शुरू., दूसरे से मतलब नहीं...पर हाँ कुछ अपनी नजरों से जरूर मजे ले रहे थे...

इसी बात का फायदा उठा सामने वाला अपना मुँह ठीक मेरे माथे के पास ले आया, जबकि पीछे वाला मेरी गर्दन पर झुक गया और दोनों तेज-2 साँसे छोड़ने लगा...तभी तिरछा वाला आदमी सीधा हुआ और अपना लंड मेरी कमर पर ठोकता हुआ बोला,"आगे और जगह नहीं है, आप यहीं पर रहो.."जिसे सुन बाकी दोनों मर्द मुस्कुरा दिया..

तभी मेरी छाती पर जोर से फूँक पड़ी..मैं चौंकती हुई नीची देखी तो ओह गॉडडडड..मेरी पल्लू तो थी ही नहीं...और ब्लॉउज में कैद बड़ी सी चुची पसीने से लथपथ उसके सीने से दबी जा रही थी...मैंने तुरंत ही पल्लू का पीछा की...

पर तब तक वो लड़का आ धमका और मेरी खाली दूसरी कमर पर भी अपना कठोर लिंग गाड़ दिया..और पल्लू उसकी बगल से गुजरती हुई दिख रही थी..मैंने एक हाथ से खींचने की कोशिश की पर नहीं आई...

"मैडम, अब वो तभी आपके पास आएगा जब आप नीचे उतरिएगा..कोई कमीना पैर से दबाए होगा..आप निश्चिंत हो सफर का मजा लीजिए." पीछे वाला आदमी मेरे कानों में बोला और अंत में अपनी जीभ मेरी कानों के नीचे फेर दिया..

मैं कांप सी गई इस छोटी सी चुसाई से और मेरे कांपते होंठो से इसससस निकल पड़ी..जिसे मेरे तरफ के चारों मर्द सुने और मुस्कुराते हुए और जोरों से कस दिए मुझे...मेरी हड्डियां तो लग रही थी मानों अब टूट जाएगी..

अचानक से दो हाथ नीचे से मेरी चुची पर जम गए..मेरी आँखें मदहोशी में बंद की कगार पर थी पर किसी तरह देखी तो ये हाथ उस लड़के और तिरछे वाले मर्द के थे...मैं कुछ बोलनी चाही कि तभी वो मेरी चुची मसलनी शुरू कर दी..

मैं जो भी कहना चाहती थी वो अगले ही पल मेरी आहहह में तब्दील हो बाहर निकल गई.. और मेरी आँखों के सामने अँधेरा छा गई...मैं आँखें बंद किए इस चतुर्मुखी लंड और द्विमुखी चुची-मर्दन के मजे लेने लगी...

पीछे वाला तो बीच बीच में अपनी जीभ भी फेर रहा था...तभी खट्ट की आवाज आई..मैं तुरंत आँखें खोली तो देखी आगे वाला आदमी अपना हाथ नीचे कर रहा था...मेरी नजर उसके हाथ से हटी तो ये क्या? मेरी चार बटन की ब्लाउज अब दो बटन की हो गई थी..और मेरी आधी चुची बाहर छलक गई...

आज ब्रॉ भी नहीं पहनी थी...आगे वाले मर्द की तरफ देखी तो वो बड़े ही बेशर्मी से अपने होंठ पर जीभ फिरा रहा था..तभी मेरी निप्पल को उस लड़के ने जोर से उमेठ दिया..मेरी चीख निकलते-2 बची पर चूत को नहीं बचा पाई...

मेरी चूत से झरने गिरने लगी..शुक्र है पेन्टी रानी की वरना पूरी बस में पानी फैल जाती...और मैं हल्की सिसकारी लेती आगे वाले के सीने पर लद गई...पीछे वाला मेरी हालत पर बोला,"लगता है शाली का सिग्नल गिर गया.." जिसे सुन चारों हँस पड़े..

झड़ने के बाद जब थोड़ी होश आई तो मैं सीधी हुई और अपनी दोनों चुची पर से हाथ हटाते हुए निकलने की कोशिश की..अब जब काम पूरी हो गई तो भला रूकने से क्या फायदा...मैं जोर लगाई निकलने की पर नहीं निकल पाई...

"चलो ना रूम पर, 2000 दूँगा.."आगे वाला आदमी मेरे होंठो के पास अपना होंठ लगभग सटाते हुए बोला...अब मेरी हालत सच में खराब होने लगी थी..खुद पर काफी गुस्सा भी कर रही थी और पछता भी रही थी कि काश घर पर ही थोड़ी सब्र कर लेती..

ये सब तो मुझे रंडी समझ बैठे..वैसे गलती इनमें नहीं, मुझमें थी..कैसे इनके लंड के मजे ले रही थी तब से...अब झड़ गई तो सोचने लगी कि गलत हो रही है मेरे साथ...पर अब खुद को शरीफ कहती तो और इज्जत जाती मेरी इन पब्लिक बस में...क्योंकि इस मैं लग भी रही थी रंडी की तरह...

मैं सोच में पड़ गई कि क्या करूँ? तभी एक युक्ति सूझी...मैंने जोर की साँसें ली और चिल्लाते हुए बोली,"कंडक्टर साब, बस रोकिए" मेरी तेज आवाज बस से बाहर तक गूँज पड़ी..जिसे सुनते ही चारों मर्द पीछे की तरफ हो गए...

बस इतनी वक्त काफी थी मेरे लिए..अगले ही पल बस रूक गई थी...मैं फुर्ती दिखाती हुई अपने पल्लू समेटते गेट की तरफ लपकी...और फिर मैं बस से बाहर खड़ी थी...मेरे उतरते ही बस चल पड़ी आगे की ओर..

मैं सोचने लगी कि पैसे क्यों नहीं मांगे इसने...तभी बस से वो कंडक्टर फ्लाइंग किस मेरी ओर उछाल रहा था..मैं उसे देख अपनी हँसी रोक नहीं पाई..

अब मैं नजर घुमा देखी कि इस वक्त कहाँ हूँ..सामने बड़ी सी हरी भरी मैदान दिखी जिसके बीच में एक स्टैचू थी और वो मैदान चारों तरफ से लम्बे वृक्षों से घिरी थी..साथ में लोहे की छोटी चारदीवारी भी थी सभी ओर...

मतलब मैं गाँधी मैदान आ गई थी...आज पहली बार यहाँ आई हूँ तो थोड़ी घूमने की सोची अंदर जा कर...करीब 12 - 12:30 बज रहे होंगे अभी तभी तो पूरा मैदान खाली पड़ा था..पर उससे हमें क्या? पूजा भी 2 बजे के बाद ही आएगी..अगर पहले आ गई तो रहेगी अकेली बोर होती...

तभी मुझे अपनी भींगी चूत की तरफ ध्यान गई जिससे मुझे फ्रेश होने की जरूरत और बढ़ गई..सामने कहीं शौचालय नजर नहीं आ रही थी..सोची आगे बढ़ के देखती हूँ और मेरे पांव चल दिए...
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01-23-2018, 01:03 PM,
#19
RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
सीता --एक गाँव की लड़की--19

सड़कों पर सभी आने-जाने वाले की आँखें मुझे ही घूर रही थी..पसीने से लथपथ शरीर, ब्लाउज के ऊपरी दो बटन टूटी जिसे अपने पल्लू से ढ़ंकने की कोशिश..आँखें पूरी चुदासी सी लग रही थी...मैं सूरज की खड़ी धूप के नीचे बढ़ी जा रही थी..

तभी मेरी नजरें मैदान के अंदर हमसे कुछ ही दूरी पर एक कुतिया अपने कुत्ते का लंड फंसा रखी थी; चली गई..वहीं पर 4-5 आवारा किस्म के लड़के खड़े हो इसका मजा ले रहा था...मेरी नजर उस कुत्ते के लंड पर चली गई जो चूत के अंदर कैद थी..

"देखऽ ना भऊजी..कइसन हाल कऽ देले बारऽन ईऽ कुतिया केऽ"ये शब्द जैसे ही मेरे कानों में पड़ी, मेरी नजर उठती उस लड़के पर चली गई..सब मुझे ही घूरते हुए हँसे जा रहे थे...मचलब सब मुझे ही कह रहे थे..

मैं मुंह नहीं लगना चाहती थी..चुपचाप एक आखिरी नजर कुत्ते के लऩ्ड पर डाली और तेजी से आगे बढ़ने लगी..तभी मुझे सामने कुछ ही दूरी पर शौचालय दिखी..मैं उस तरफ बढ़ गई..यहां अंदर जाने वाली मेनगेट पर ही रेट-तालिका की बोर्ड टंगी थी..

मेरी तो हंसी निकल सी गई कि इन सब के लिए भी पैसे...वैसे शहर होती ही है इतनी तंग कि मजबूरन ये सब कदम उठाने पड़ते हैं...

गेट के अंदर घुसते ही सामने कुर्सी पर बैठा एक मोटा सा आदमी पेपर पढ़ रहा था..उसके आगे टेबल लगी थी और पूरा शौचालय खाली पड़ा था सिवाए एक साफ सफाई करने वाली औरत को छोड़कर..वो औरत फर्श को पानी से धुल रही थी..

मैं समझ गई कि ये आदमी पैसे लेने के लिए ही बैठा है...मैं पैसे निकालने पर्स ब्लॉउज में ढ़ूढने की कोशिश की...पर अब मेरी होश ही गुम हो गई थी..वैसे मैं छोटी सी पर्स रखती हूँ वो भी हाथ में ही...पर कभी-2 जरूरत होने पर अंदर डाल लेती हूँ..

अंदर से कब पर्स गायब हुई, मालूम नहीं..कहीं गिर गई या बस में कोई खींच लिया जब ये बटन टूटे थे और आँखें मेरी बंद थी..या फिर चढ़ते वक्त ही उस कंडक्टर ने हाथ लगाया था तब...उसी ने लिया होगा तभी तो किराये भी नहीं मांगे...पर अब क्या करूँ..

आसपास तो क्या, यहां किसी को जानती तक नहीं...पर फ्रेश जल्द होना चाहती थी क्योंकि अंदर से अब गर्मी की वजह से घुटन सी हो रही थी और ऊपर कपड़े तो भींगे तो थी ही...मैं खड़ी खड़ी सोची पहले बाथरूम से आ जाती हूँ,फिर देखी जाएगी...

यही सोच मैं बिना कुछ पूछे उस आदमी को क्रॉस करती आगे की तरफ बढ़ी..कि उस आदमी ने रॉबीले तरीके से बरस पड़ा,"ऐ मैडम...उधर कहाँ...सरकारी है क्या जो आई और धड़धड़ती अंदर चली जा रही हो...पहले फीस दो इधर,,फिर जाना..."

उसके तेवर देख मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई..अंदर से अचानक तेज प्रेशर पेशाब की जोर मारने लगी..अब क्या कहती इसे कि पैसे तो गुम हो गए हैं..आप बाद में ले लेना..फिर भी हिम्मत कर एक कोशिश की..

"भाग थोड़ी ही जाऊंगी..जल्दी है इसलिए प्लीज जाने दो अभी.."मैं भी कड़क लहजों में बोलनी चाही पर शायद बोल नहीं पाई...जिसे सुनते ही वो आँखें बड़ी बड़ी किए उठा और मेरे निकट आने लगा..मैं डर सी गई कि पता नहीं क्यों आ रहा है..

"देख, वापसी में भी देनी ही है और अभी भी देनी ही है तो अभी ही क्यों नहीं दे देती...बेकार की क्यों प्रेशर बनवा रही होे.." उसने थोड़ा सा झुक अपना चेहरा मेरे चेहरे के निकट लाते बोला...

कह सही रहा था वो पर उसे क्या पता कि मेरे साथ कैसी प्रॉब्लम है इस वक्त...अब कुछ सूझ नहीं रही थी कि क्या जवाब दूँ...

"दरअसल बस में मेरे पर्स चोरी हो गए हैं जिसमें सारे पैसे थे..अब मेरे पास एक भी पैसे नहीं हैं..पर आप टेंशन मत लो मैं कल सुबह 10 बजे तक आपके पैसे लौटा दूँगी.पर अभी प्लीज जाने दो अंदर..."मैं अब सोच ली कि सच कह देती हूँ, थोड़ी नानुकर के बाद तो मान ही जाएगा..

पर शायद मैं गलत थी..उसने मेरी बाँह पकड़ी और सड़क के उस पार मैदान की तरफ दिखाते हुए बोला,"वो जो कचरा है ना जमा, वहां जा और आराम से सूसू कर...कल वापस इधर नहीं भी आएगी ना तो चलेगा...कोई पैसे नहीं लगते हैं ना वहां...भाग इधर से.." कहता हुआ वो बाहर की तरफ धक्का दे दिया...

मैं बाहर की तरफ हल्की सी दौड़ पड़ी ताकि गिरूं नहीं...और अपनी इस तरह की बेइज्जती देख रूआँसी सी हो गई...आँखों से अब लगती कि आँसूं छलक पड़ेगी...काफी घृणा हो रही थी खुद पर कि सब मुसीबत की जड़ तो मौैं खुद ही हूँ...

अब क्या करती..वापस फिर लटके हुए चेहरे ले अंदर घुसी और रिक्वेस्ट करने लगी..तभी वो जोर से चिल्लाया,"विमला, इधर आ..इस शाली की दिमाग मे मेरी बात नहीं जा रही है..समझा के बाहर का रास्ता दिखा नहीं तो...."

मैं उसकी चिल्लाहट सुन घबरा सी गई..मन ही मन कोई और जगह चलने की सोच ली थी..तब तक वो सफाई वाली औरत विमला आई और मुझे बाहर कर बोली,"इतना बुरा नहीं है मेरे साब पर वो क्या है कि धंधे के टाइम, कोई हमदर्दी नहीं..वही बात है...तू यहीं रूक, मैं कहती हूँ.."

मैं नम आँखों से हाँ में सिर हिला दी और इस विमला के वापस आने का इंतजार करने लगी..

कुछ ही पलों बाद विमला वापस आई और बोली,"आ जा अंदर.." मैं खुशी से फूला नहीं समाई और तेज कदम से अंदर घुस गई...

"ऐ...उधर कोने वाली में जा और हाँ पानी लेती जाना..उसका नल खराब है आज.."पीछे से वो आदमी चिल्लाते हुए बोला..मैं आगे बढ़ते हुए उसकी बात सुनी और कोने में बने बाथरूम में पानी की बाल्टी लिए घुस गई...

अंदर घुसते ही बाल्टी पटकी और धम्म से साड़ी उठा पेशाब करने बैठ गई..मेरी चूत हेलीकॉप्टर माफिक तेज साउण्ड करती पानी की नदी बहाने लगी..मेरे होंठ से रिलेक्स की आँहें निकल पड़ी..ढ़ेर सारी पानी बाहर करने के बाद मैंने कपड़े सारे खोल अच्छी से चूत साफ की और जांघ पर लगे पानी भी साफ की..

फिर सारे कपड़े पहनी और बाहर निकल गई..मुझे बाहर देख वो आदमी वहीं से गुर्राते हुए बोला,"ऐ, पानी मारी कि नहीं अच्छी से...रूक वहीं मैं आ रहा हूँ देखने..एक तो फोकट का उपयोग करने दो, दूसरी ढ़ंग से पानी भी नहीं मारेगा" इसी तरह भनभनाता वो उठा और मेरे निकट आ गया..

मेरी तरफ घूरा ,फिर बाथरूम में झाँका...तभी वो मेरी तरफ मुड़ते हुए बोला,"ऐ...ये क्या है??..."मैं सोच में पड़ गई कि क्या है वो जो वो बता रहा है...बस यही सोचती उसके बगल में से अंदर झाँकने लगी..पर कुछ नहीं था..मैं आश्चर्य से उसकी तरफ देखी तो बड़ी बड़ी आँखों से मेरी तरफ ही देखे जा रहा था...

अचानक से वो मेरी बाँह पकड़ा और अंदर करते हुए मुझे बाँहों में जकड़ लिया...मैं तो डर से थरथर कांपने लगी कि अब मैं तो गई...बड़ी शौक थी ना चूत मरवाने की ना...अब भुगत....

तभी उसने मेरे बाल पकड़े और नीचे खींचते हुए मेरे चेहरे को ऊपर करते हुए बोला,"देख शाली, मैं रंडी कभी नहीं चोदता हूँ...पर तेरी फिगर देख मैं खुद को रोक नहीं पाया और सोचा साथ में पैसे भी वसूल कर लूँ...अब चुपचाप मेरे लंड को शांत कर और हाँ...खबरदार जो अपनी बुर में डालने की कोशिश की तो...समझी...."

मैं उसके इस बर्ताव से तुरंत ही हामी भर दी क्योंकि मेरी चूत जो बच गई थी...अगर वो चोदने की कहता तो शायद कुछ जबरदस्ती भी करता..पर हां सुनते ही मेरे बाल को छोड़ मेरे कंधे पर जोर दे दिया...

जिससे मैं अपने घुटने पर उसके उसके लंड के सामने बैठी थी...फिर वो तेजी से अपना जिप खोला और काला नाग को बाहरमेरे होंठ के सामने कर दिया...उफ्फ...पेशाब की बू आ रही थी उसके लंड से..और काफी गंदा भी था...

अचानक से उसने लंड को पकड़ा और मेरे होंठो पर सटा अंदर करने की कोशिश करने लगा...मैं चाहती तो नहीं थी पर मेरे होंठ अनायास ही खुल गए...होंठ के खुलते ही बदबूदार और काला लंड मेरी गुलाबी होंठ को चीरती अंदर धँस गई..

मैं अपनी नाक-भौं सिकुराने लगी थी..तभी वो मेरे बाल को पकड़ मेरे सिर को कसते हुए स्थिर किया और दनादन करते हुए धक्के लगाने लगा...मैं तो चौंक सी गई कि ये क्या?इसने तो मेरी मुँह चूत समझ चोदना चालू कर दिया...

पर वो तो ताबड़तोड़ अपने लंड को मेरे गले में उतारे जा रहा था..वो तो समझ रहा था कि मुझे इन सब की तो आदत है...मैं गूं गूं करती हुई बैठी अंदर बाहर करती लंड को देखे जा रही थी..अंदर ही अंदर उबकाई हो रही थी...

इधर मेरी चूत एक बार और पानी छोड़ने लगी थी...मै एक हाथ चूत पर ले जाकर रगड़ने लगी और दुसरे हाथ जमीं पर रख अपनी मुँह चुदवाए जा रही थी...

अचानक से उसने कस के धक्के लगाने शुरू कर दिए और भद्दी गाली बके जा रहा था ..और फिर वो अपना अंतिम शॉट मेरे गले में उतारते हुए चीखने लगा...मैं हक्की बक्की सी छूटने की कोशिश कर रही थी पर....

वो अपने लंड का एक एक कतरा मेरे पेट तक पहुँचा कर ही छोड़ना चाहता था...उसके लंड से गर्म-2 पानी मेरे गले में उतर रही थी..ऊपर गर्म पानी की गरमी से मेरी चूत कुनबुनाई और वो भी नीचे फर्श को भिंगोने लगी...

जब वो पूरी तरह झड़ गया तो अपना लण्ड बाहर खींच लिया..झड़ने के बाद वो सिकुड़ गई थी..मैं अपने मुंह में आज मिली इस सौगात को अंदर करती खड़ी हुई...

"ये नीचे देख...क्या है?" उसने नीचे फर्श की तरफ इशारा करते हुए बोला...मैं जब नीचे देखी तो चूतरस को देख वापस उसकी तरफ गुस्से में आँख नचाती हुई देखी...

थैंक्स गॉड...कम से कम उसके होंठो पर हंसी तो आई...वो हँसता हुआ बाहर चला गया...पीछे मैं भी हंसती हुई पानी से भरी बाल्टी बाथरूम में उड़ेल दी...

फिर कपड़े ढ़ंग से ठीक की और बाहर निकल गई...
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01-23-2018, 01:03 PM,
#20
RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
सीता --एक गाँव की लड़की--20

घर से बाहर आज पहली बार किसी अन्जाने का लंड चूसने से मेरे शरीर में एक अलग ही उमंग थी...खुद पर एक वेश्या जैसी सलूक से मैं इस नई मोहजाल में लगभग फंस चुकी थी...काफी आनंदचित्त मुद्रा में बाहर निकल सोचने लगी कि अब घर कैसे जाऊँ...

अगर सच की वेश्या रहती तो इस लंड चुसाई के भी पैसे ले लेती..पर अगर चुप नहीं रहती तो शायद वो बिना चोदे छोड़ता भी नहीं..अच्छी भी लगी थी हमें उसकी भद्दी गाली सुनते...एक अलग ही नशा चढ़ जाती सेक्स की...

वो सब तो ठीक है पर अब घर कैसे जाऊं..क्या करूं...चलो वापस उस मोटे से ही मांगती हूँ..दो- चार और गाली ही देगा ना..सुन लूँगी..नहीं दिया तो लंड चुसाई के एवज में ही मांग लूँगी...तब तो देगा ना...

भला किसी की कमाई कैसे मार सकता है...मैं यही सोच जैसे ही पीछे मुड़ी कि विमला गेट से बाहर निकल मेरे निकट आ धमकी....

मैं कुछ कहती इससे पहले ही उसने मेरे हाथों में एक पाँच सौ नोट थमाते हुए बोली,"नई लगती है इस धंधे में वरना इस तरह पैसे के लिए बाहर रूक कर इंतजार नहीं करती.."

मैं उसकी बात सुनते ही मंद मुस्कान अपने होंठों पर बिखेर हां में सिर हिला दी...मुझे मुस्काते देख उसने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों में लेती हुई धीमे स्वर में बोली...

"देख, तू इधर आ जाया कर रोज...मैं तेरे वास्ते ग्राहक फिट कर के रखूंगी...मैंने और भी कई लड़कियो को यहां से काम दिलवाती हूं..तुझे भी दिलवा दूँगी...समझी ना...कल से आ जाना.."विमला एकसुर में ही बोले जा रही थी..

"और हां कल सुबह ही आना यहीं..फिर तुम्हें सब चीज समझा दूंगी...ठीक है ना...ऐसे सड़क पर ग्राहक नहीं मिलने वाली...सीधी घर चली जा.."विमला मुझे अपनी टिप्स देती हुई विदा कर दी...

मैं मन ही मन हँसती हां में सिर हिलाई...तभी सामने आती ऑटो को रोकती मैं उसमेम बैठ गई...कोई आधे घंटे बाद मैं अपनी गली के मेन रोड पर खड़ी थी...

मैं अभी कुछ ही दूर बढ़ी थी कि पीछे से एक ऑटो आ रूकी...मैं नजर घुमाई तो ऑटोवाले को देखते ही मैं मुस्कुराते हुए ऑटो में घुस गई...

आज ये कुछ अलग जैसी ऑटो चला रहा था...एकदम धीमी धीमी...मानो किसी की मैय्यत में जा रहा हो...फिर मैं सोचने लगी कि ऐसा क्यों?

अचानक से मेरी नजर मिरर पर गई जिसमें अधढ़ँकी चुची बाहर निकलने को आतुर हो रही थी..दो बटन तो थे ही नहीं, तीसरी भी आधी टूट गई थी...अगर ठीक से सीधी होती तो वो भी टूट जाती...

वो मिरर में ही आँखें गड़ाए हुए था तो ऑटो खाक चलाता..मैं पल्लू से पूरी ढ़ँकने की सोची पर इरादे बदल दिए..फिर आगे की तरफ हल्की झुकती उससे बोली,"ऐ..कुछ देर आगे भी देख लो...कहीं ऐसा ना हो कि पीछे देखने के कारण आगे किसी से भिड़ जाओ..."

मेरी बात सुनते ही वो सकपका सा गया..फिर गौर किया तो पाया मैं उसकी इस हरकत से नाराज तनिक नहीं हूँ..वो अपने चेहरे पर हँसी लाते हुए पीछे मेरी तरफ पलटा...

"मेम साब,, आप इस वक्त इतनी कातिल लग रही हो कि मैं अपना ड्राइवरी करना भूल गया...कसम से किसी फिल्मी हिरोइन से कम नहीं लग रही हो." वो अपने दां दिखाते हुए तारीफ करने लगा...

मैं उसकी बात सुन हँसती हुई बोली,"अच्छा -2 ठीक है...फिलहाल तो हमें जल्दी से घर पहुँचा दो वरना ये बंद कर ली तो देखने से रहे.."

"नहीं नहीं मेमसाब...मैं अभी पहुँचाए दिए देता हूँ...पता नहीं फिर कभी दर्शन नसीब में है भी या नहीं." वो आगे मुड़ते ऑटो थोड़ी तेजी से चलाते हुए बोला..मैं अपनी बाहर आती चुची को थोड़ी और साड़ी से बाहर लाती हुई बोली..

"जैसे आज हो गए वैसे ही फिर कभी हो जाएंगे. बस थोड़े सब्र की जरूरत है .....वैसे तुम्हारा नाम नहीं पता मुझे...क्या नाम है?"

"केतन नाम है मेमसाब..मेमसाब आप से एक रिक्वेस्ट करूँ..प्लीज मना मत करना...मैं आपका कितना बड़ा दिवाना हूँ आपको यकीन नहीं होगा.."अपना नाम बताने के साथ गुजारिश भी करने लगा पर पता नहीं किसलिए...

मैं हाँ कहती हुई हँसते हुए पूछी कि कैसी रिक्वेस्ट है?अचानक से उसने ऑटो रोक दिया और पीछे पलटते हुए बोला,"मेम साब..मुझे गलत मत समझना...पर क्या करूं...बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हूँ.."

मैं सोच में पड़ गई कि आखिर बात क्या है जो इसने ऑटो रोक दिया..और जहाँ पर रूकी थी वहाँ एक बड़ी गोदाम थी, जबकि दूसरी तरफ एक बड़ी सी बिल्डिंग बन रही थी..मतलब एक छोटी सी विरान जगह थी...

मैंने फिर से पूछी,"अब बोलोगे भी या बस ऐसे ही घुमाते रहोगे..?" डर तो अब होने वाली थी नहीं जो डरती...और खास कर उससे जिसे मैं खुद देखने की आजादी दे रही हूँ..

"मेमसाब, बस एक बार ये निप्पल दिखा दो..प्लीज मना मत करना..मैं सिर्फ देखूंगा.."उसने अपनी आँखें मेरी चुची की ओर करते हुए तेजी से बोल पड़ा..

मैं तो जानती थी कि कुछ इस तरह की ही बात होगी पर इस तरह यहां सड़को पर ऐसी रिक्वेस्ट की उम्मीद नहीं थी..मैं मना तो नहीं की कि नहीं दिखाऊंगी...वैसे भी कुछ देर पहले बस में मसलवा आई थी...

"पागल हो...यहां बीच सड़क पर वो भी इस खुली ऑटो में.." मैं राजी तो थी दिखाने की पर यहां मेरी गली की खुली सड़को पर...वो भी दिन में...साफ मना कर दी..

"प्लीज मेमसाब, अभी कुछ देर तक कोई नहीं यहां तक आने वाला है..जल्दी से दिखा दो..ताकि हमें कुछ शांति मिल जाएगी.."केतन गिड़गिड़ाते हुए सड़कों पक दिखाने लगा कि देखो, इस वक्त कोई नहीं आ रहा है...

मैं उसकी बेसब्री देख हंस पड़ी..फिर सड़को पर देखने लगी कि अगर सच में कोई नहीं है तो दिखा दूँगी...वरना बेचारा रात में सो भी नहीं पाएगा..सच में दूर तक कोई नहीं था...

मैं वापस उसकी तरफ सीधी हुई और बोली,"ओके पर सिर्फ एक का...और जल्दी से देखना होगा...अगर नहीं देख पाए तो दुबारा मत कहना क्योंकि मैं दुबारा नहीं दिखाऊंगी.."

मेरी बात सुनते ही वो चहकते हुए सीधे मेरी चुची पर नजर गड़ा दिया और हाँ-2 कह दिया कि मुझे मंजूर है एक का देखना और वो भी एक बार...इस दृश्य के एक पल भी खो ना दे कहीं..इस डर से उसने पलक भी झपकना बंद कर दिया और बगुले की तरह ध्यान लगा दिया....

मैं मुस्काती हुई साड़ी को ऑटो की सीट पर बगल में उतार कर रख दी..केतन की साँसें तो मेरी साड़ी के उतरने के साथ-2 उतरने लगी थी..उसकी आँखों के आगे डेढ़ बटन की ब्लॉउज में बड़ी सी चुची उभर आई...

मैंने उसे बोनस देने के इरादे से चुची को बाहर ना निकाल ब्लॉउज के बचे दो बटन ही खोलनी शुरू कर दी..अब तो उसकी साँसें थम सी गई और उसके मुँह खुल गए...

जैसे ही मेरी दोनों बटन खुली, उसके खुले मुँह से लार टपक कर नीचे गिर गई...मेरी तो हँसी निकल पड़ी...पर वो तो दूसरी दुनिया की सैर कर रहा था...एक बार मैंने फिर से तसल्ली के लिए सड़को पर नजर डाली तो दूर दो छोटे-2 बच्चे आते हुए दिखे...

ज्यादा टेंशन वाली बात नहीं थी..मैं उसकी तरफ देखते हुए ब्लॉउज के दोनों तरफ पकड़ अपनी बांहे फैला दी...इसके साथ दी मेरी लाल हुई चुची पर गहरी भूरी रंग की निप्पल केतन के आँखों के सामने छलक गई....

वो साँस रोक बड़ी बड़ी आँखें किए इस पल का आनंद लेने लगा..तभी मैंने ब्लॉउज को वापस बंद कर लिया..उसका चेहरा लटक सा गया किसी मुरझे हुए लंड की तरह...

पर वो कर भी क्या सकता था..वो मुँह बिचकाते हुए मेरी तरफ देखा...पर कुछ बोला नहीं...मैं जल्दी से बटन लगाई और साड़ी ठीक कर ली...

वापस उस आते हुए बच्चे की तरफ नजर दौड़ाई तो वो कहीं नजर नहीं आया..शायद उधर ही उसका घर होगा..

"मेमसाब, एक बार ऊपर से छूने दो ना...देखा दिखते वक्त सिर्फ देखा ही.."केतन अपनी दूसरी मांग करते हुए अपनी इमानदारी का सबूत याद दिलाने लगा...

"बिल्कुल नहीं...अगली बार अगर मौका मिला तो छू लेना...पर इस तरह सड़क पर नहीं"मैं मुस्कुराती हुई साफ मना करती हुई न्यौता भी दे डाली..

वो इतने में ही खुश होता हुआ सीधा हुआ और ऑटो स्टॉर्ट कर दिया..मैं भी मुस्काती हुई एक नजर मिरर पर डाली तो इस बार मैं कुछ तिरछी लग रही थी...

मैंने खुद को सीधी करती हुई अपनी चुची को मिरर के ठीक सामने कर दी...जिसे देख केतन पीछे मुड़ कर मुस्कुरा दिया जिससे मैं भी मुस्कुरा दी...

"मेमसाब, आज हमारी गली में एक बारात आने वाली है..अगर आपको शादी देखना पसंद है तो शाम 8 बजे तक आ जाना...और शायद मौका भी मिल जाएगा छूने का.."केतन बात को कहते हुए हँस पड़ा..

"नहीं..मुझे कोई निमंत्रण भी नहीं है और किसी को जानती तक नहीं हूं तो कैसे आ सकती.." मैं अंदर से जाना चाहती थी इस मौके के लिए पर पहले जो समस्या थी उसे सामने रख दी...

"अरे मेमसाब..जिनकी बेटी की शादी हो रही है वो कोई बड़ी हस्ती नहीं है..वैसा तो बड़े हस्तियों में ही होता है कि बिना कॉर्ड दिखाए
आप शादी में नहीं जा सकती...इसे बस एक गाँव की शादी समझ आ जाना..आगे मैं हूँ ना, आपकी सेवा के लिए.."केतन एक ही सुर में समस्या का निदान कर डाला...

तब तक मैं अपने घर तक पहुँच गई..मैं ऑटो से उतरती हुई हँसती हुई बोली,"ओके ओके...सब तो ठीक है पर मैं नहीं आने वाली क्योंकि मेरे साहब कभी अनुमति नहीं देंगे.." और मैं उसके जाने का इंतजार करने लगी खड़ी होकर..

वो बोला कुछ नहीं पर मंद मंद मुस्काता हुआ अपनी जीभ से गाल को ऊंची करते हुए देख रहा था..पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा था..फिर वो अपनी बांईं आंख दबाते हुए हँसता हुआ आगे बढ़ गया...

मैं भी हँसती हुई अपने रूम की तरफ चल दी और सीढ़ी चढ़ने लगी...पता नहीं आज पूजा कितनी गुस्सा करेगी मुझपर...एक तो बता कर नहीं गई थी...ऊपर से फोन भी नहीं ले गई थी...

गेट अंदर से लॉक थी..पूजा द्वारा पड़ने वाली गाली को ख्याल करते हुए बेल बजाई...दो-तीन बार बजाने के बावजूद भी पूजा नहीं आई...

काफी गुस्से में है शायद...तभी खटाक की आवाज से गेट खुली..सामने पूजा थी..उसकी हालत देख मैं सोचने पर मजबूर हो गई...मेरी हालत तो बस और पब्लिक बाथरूम में ऐसी हुई पर इसकी हालत घर में ही किसी रंडी से भी बदतर लग रही थी..

बदन पर सिर्फ तौलिया लपेटी थी..बाल अस्त व्यस्त..चेहरे पर दातं के कई निशान..मुख पर असीम सुख..उसके हालात बता रही थी कि इसकी दमदार चुदाई हुई है अभी-अभी...वो मुझे देखते ही मुस्कुराती हुई अंदर आने की जगह दे दी...

मेरी हैरान नजर उससे पूछ रही थी कि अंदर कौन है जिसने तेरी ये हालत की है..बंटी की चुदाई तो देखी थी उस दिन पर तुम्हारी ऐसी हालत नहीं हुई थी...

पर वो बिना कुछ बोले मेरे बेडरूम की तरफ इशारा कर दी...शाली अपने यार से चुदवाती है वो भी मेरे बेडरूम में...रूक पहले देखती हूँ कहाँ का साँड़ है जिसने तबीयत से तेरी खबर ली है, फिर तुझे बताती हूँ...

मैं तेजी से अपने बेडरूम की तरफ बढ़ गई..

मैं टिमटिमाती हुई जैसे ही बेडरूम में घुसी, मेरे चेहरे की सारी रंगत ही उड़ गई...मुझे तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रही थी..

सामने बेड पर भैया सिर्फ तौलिया लपेटे बैठे सिगरेट के कश लगा रहे थे..(वैधानिक चेतावनी: धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है..) मुझे देखते ही बेड से उतर गए...

और मुस्कुराते हुए मेरे पास आए..फिर एक लंबी कश लेते हुए मेरी आँखों में देखते हुए सारा धुआँ मेरे चेहरे पर छोड़ दिए..मैं धुएँ को बर्दाश्त नहीं कर पाई और मुँह दूसरी तरफ कर खाँसने लगी...

भैया : "क्या हुआ डार्लिंग, ऐसे क्या घूर रही हो..."

भैया के इस तरह के बर्ताव को बिल्कुल भी अंदर नहीं कर पा रही थी..कितने सलीके से पेश आने भैया को पता नहीं क्या हो गया...और आते ही पूजा के साथ....

मैं एकटक उन्हें निहारे ही जा रही थी...आखिर ये सब कैसे?भैया मेरी हालत को पढ़ते हुए कुछ बोलने से पहले अपनी सिगरेट बुझाई और बाहर कचरे के डिब्बे में फेंकने रूम से निकल गए...

मैं बुत बनी वहीं पर खड़ी थी..तभी पूजा अंदर आई मेरे पास आते हुए बोली,"अब समझी कि मेरी ऐसी हालत करने वाला कौन था..भाभी प्लीज बुरा मत मानना..कॉलेज से आई तो आप नहीं थी तो सोची कहीं गई होगी...सो मैं सारे कपड़े खोल कर नंगी आपका इंतजार कर रही थी कि आप जैसे ही आओगे एक राउण्ड कर लूँगी.."

तब तक भैया अंदर आ गए थे..आते ही वो पूजा के बगल में खड़े हो पूजा की बात सुनते हुए मुस्कुरा रहे थे...

"कुछ ही देर बाद आपके भैया बेल बजाई तो मैं समझी आप ही हो तो नंगी ही गेट खोली और बिना कुछ देखे लिपट गई..मुझे 1000 वोल्ट के झटके पड़े पर तब तक देर हो चुकी थी और ये मुझे स्मूच करते हुए आहहह सीता करने लगे...ये भी नहीं देखे कि मैं सीता नहीं, पूजा हूँ..जब किस रूकी तो इनका चेहरा देखने लायक था..गलती तो कर दिए थे आपका नाम लेकर..फिर क्या..आपकी सारी कहानी इन्हें शेयर करनी पड़ी और मुझसे भी आपकी पूरी कहानी उगलवा लिए...बस आज की मस्ती बची है आपकी कहनी..वो आप कह दो कि कहां से ब्लॉउज फड़वा के आ गई.."

मैं तो हैरान,परेशान दोनों को बारी-2 घूरे ही जा रही थी..ऊपर से पूजा के कमेंट..गाली से भी कहीं ज्यादा चुभ गई..तभी भैया मुझे अपने सीने से चिपकाते हुए बोले..

भैया : "देखो सीता,, जो हुआ अच्छा ही हुआ..प्लीज, गुस्सा मत करना... ये सब अचानक हो गया..और रही बात तुम्हारी मस्ती की तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है इन सब से..पर हाँ आगे से ऐसे बाहर किसी से भी कपड़े मत फड़वाना वर्ना जीना मुश्किल हो जाएगा..किसी सुरक्षित जगह और जिम्मेदार मर्द के साथ जो मन हो करना...समझी.."

भैया की बातें सुनते ही मेरी आँखें छलक पड़ी..सॉरी कहते हुए मैं रोने लगी...जिसे देख भैया हंसते हुए मुझे और कस के भींच लिए..पूजा भी हँसते हुए नम आँखों से मेरी बगल से चिपक गई...

कुछ देर बाद जब मेरी रोनी बंद हुई तो भैया मेरे होंठ पर किस करते हुए बोले,"अब जाओ...पहले फ्रेश हो के आ जाओ, फिर बात करते हैं और वो भी..."

भैया की वो भी सुनते ही मेरी मुस्कान शर्म के साथ बाहर आ गई..और मैं भैया से अलग हो बाथरूम में घुस गई...पीछे पूजा भैया से चिपकते हुए बोली,"भाभी, तब तक मैं एक राउण्ड कर लेती हूँ इनसे...पता नहीं बाद में इन्हें आप छोड़ोगे भी नहीं..."

"हाँ कर ले...वो तो आधी रात के बाद मालूम पड़ेगी कि कितना मजा आता है..."मैं कहते हुए बाथरूम में घुस गई..पीछे पूजा चौंकती हुई "आधी रात के बाद" को समझने की कोशिश करने लगी...

बाथरूम में मैं सभी कपड़े खोल नहाने लगी मल मल के...आज भैया के लिए साफ कर रबी थी रगड़ रगड़ के...कुछ ही पल में मुझे पूजा और भैया की सेक्सी आवाजें सुनाई पड़ने लगी...

मैं मुस्कुराते हुए खुद से बोली,"चुदवा ले रंडी..जब आधी रात को चूत में दर्द शुरू होगी ना देहाती लंड की, तब मालूम पड़ेगा..फिर आगे से चुदने के ख्याल से तू डर नहीं जाएगी तो मेरा नाम बदल देना..."

फिर मैं स्नान कर बाहर निकली और बेडरूम में आ गई...पूजा चुदाई का काम पूरा कर बेड पर नंगी ही पड़ी हुई थी..मैं पूजा को देख मुस्कुराते हुए भैया की तरफ मुड़ी तो भैया मेरी तरफ ही देख मुस्कुरा रहे थे...

फिर मैं अपने कपड़े एक-2 कर पहनने लगी..और इस दौरान हल्की फुल्की घर की बातें भैया से पूछे जा रही थी..कपड़े पहनने के बाद मैं पूजा को उठाती हुई बोली,"कॉफी लाती हूँ पूजा, तब तक कपड़े पहन के फ्रेश हो लो..फिर थोड़ी देर छत पर चलेंगे.."

कहते हुए मैं किचन की तरफ चल दी..पूजा कुनमुनाती हुई उठ के बैठ गई..कॉफी लेकर अंदर आई तो पूजा फ्रेश हो बैठी भैया से बातें कर रही थी..मैं मुस्काते हुए कॉफी बढ़ा दी दोनों को...

और खुद भी वहीं बैठ कॉफी पीने लगी..फिर हम तीनों बाहर निकल छत की तरफ बढ़ गए...
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