Porn Kahani लला… फिर खेलन आइयो होरी
07-23-2018, 11:57 AM,
#11
RE: Porn Kahani लला… फिर खेलन आइयो होरी
होली हो ली 



तब तक किसी की आवाज आयी- “हे लाला जल्दी करो बस निकल जायेगी…”
रास्ते भर कच्ची पक्की झूमती गेंहूं की बालियों, पीली-पीली सरसों के बीच उसकी मुश्कान… 
,,,,,



घर पहुंच के होली की तैयारियां… भाभी की ससुराल में पहली होली… 

ढेर सारी चीजें बनी। दसों चक्कर बाजार के मैंने लगाये… कभी खोया कम तो कभी मैदा। घर में हमी दो तो थे, भैया अपने काम में मशगूल। वो गोझिया बेलतीं तो मैं काटता, मैं भरता तो वो गोंठती। साथ में कभी वो मैदा ही मुझे लगा के होली की शुरुआत कर देती तो मैं भी क्यों छोड़ता… 



कभी उनका आंचल जाने अनजाने ढलक जाता तो मैं जानबूझ के वहां घूरता… तो वो बोलती- “लगता है तेरे लिये परमानेंट इंतजाम करना पड़ेगा…” 


“एकदम भाभी… बड़ी परेशानी होती है… लेकिन तब तक…” मैं उनकी ओर उम्मीद लगा के देखता। 


तो वो भी उसी अंदाज में बोलतीं- “सोचती हूं… ये मेरी ननद कैसी रहेगी… उसका भी काम चल जायेगा और तुम्हारा भी घर का माल घर के काम में भी आ जायेगा…” 

मैं उन्हें मेडिकल कालेज में सीखे खुले गाने बिना सेंसर के सुनाता और वो भी एक से एक गालियां… शाम को मैंने पूछा की भाभी रंग कितना लाऊँ? 

तो वो बोली- “एक पाव तो तेरे पिछवाड़े में समा जायेगा, और उतना ही तेरी छिनाल बहन के अगवाड़े…” 

जब मैं रंग ले के आया तो बड़े द्विअथी अंदाज में बोला- “क्यों भाभी डालूं…” 

वो पूड़ी बेल रही थीं। बेलन के हैंडल को सहलाते हुए बोलीं- “देख रहे हो कितना लंबा और मोटा है” एक बार में अंदर कर दूंगी अगर होली के पहले तंग किया तो…” 

मैं किचेन में बैठा था की वो हाथ धोने के लिये बाहर गयी और लौट के पीछे से मेरा ही रंग मेरे चेहरे पे… बोलीं- “जरा टेस्ट कर रही थी की कैसा चढ़ता है…” 

फिर मैं क्यों छोड़ता। 


होली के पहले ही हम लोगों की जम के होली हो गयी। खाना खाने के बाद मैं हाथ धो रहा था की वो पीछे से आयीं और सीधे पीछे से पजामे के अंदर मेरे नितंबों पे… और बोलीं- “गाल पे तो तुम्हारे टेस्ट कर लिया था जरा देखूं यहां रंग कैसे चढ़ता है…”


भैया पहले सोने चले गये थे। 

भाभी किचेन में काम खतम कर रही थीं हम दोनों का प्लान ये था की सब कुछ आज ही बन जाय जिससे अगले दिन सिर्फ होली ही हो एकदम सुबह से। 

काम खतम करके वो कड़ाही और सारे बरतनों की कालिख समेटने लगीं। 
मैंने पूछा- “भाभी ये क्या सुबह आयेगी तो बरतन वाली…” 


वो हँस के बोली- “लाला अभी सब ट्रिक मैंने थोड़े ही सिखाई है। बस देखते जाओ इनका क्या इश्तेमाल होता है…” 

सोने के जाने के पहले वो रोज मुझे दूध दे के जाती थीं। वो आज आयीं तो मैंने चिढ़ाया- “अरे भाभी जल्दी जाइये शेर इंतजार कर रहा होगा…”

उन्होंने एक मुट्ठी भर गुलाल सीधे मेरे थोड़े-थोड़े तने टेंटपोल पे डाल के बोला- 

“अरे उस शेर को तो रोज देखती हूं अब जरा इस शेर को भी देख लूंगी कि सिर्फ चिघ्घाड़ता ही है या कुछ शिकार विकार भी करना आता है…” तकिये के पास एक वैसलीन की शीशी रख के बोलीं- “जरा ठीक से लगा वगा लेना कल डलवाने में आसानी होगी…”





अगले दिन सुबह मैं उठा तो शीशे में देख के चिल्ला पड़ा। 

सारी की सारी कालिख मेरे चेहरे पे… माथे पे बिंदी और मांग में खूब चौड़ा सिंदूर… जितना साफ करने की कोशिश करता उतनी ही कालिख और फैलती। तब तक पीछे से खिलखिलाने की आवाज आयी। भाभी थीं- 

“क्यों लाला कल रात किसके साथ मुँह काला किया… जरूर वो मेरी छिनाल ननद रही होगी…” 


मैंने उन्हें पकड़ने की कोशिश की लेकिन वो ये जा वो जा। जबरदस्त होली हुई उस दिन।




जितना मैंने सोचा था उससे कहीं ज्यादा… पहले तो भाभी ने मुझे दो-दो भांग वाली गुझिया खिला के टुन्न कर दिया तो मैं क्यों छोड़ता… मैंने उन्हें डबल डोज वाली ठंडाइ अपनी कसम दिला के पिला दी। 

जो झिझक भांग से नहीं गयी वो भाभी की हरकतों से… अगर मेरा हाथ कहीं ठिठकता भी तो भाभी का हाथ… फिर तो एकदम खुल के और फिर भैया अपने दोस्तों के साथ बाहर चले गये तो फिर तो और… 


शुरू में मेरा पलड़ा भारी रहा लेकिन कुछ देर में मोहल्ले की औरतें आ गयी, वो भाभी के साथ खेलने के लिये। मैं कमरे में घुस गया।


5-6 औरतें और दो तीन लड़कियां, सबकी नेता थीं दूबे भाभी, स्थूल थोड़ी, खूब गोरी, दीर्घ नितंबा। भाभी भी कम तगड़ी नहीं थी लेकिन एक साथ दो मोहल्ले की भाभियों ने एक हाथ पकड़ा और दो ने दूसरा। शर्मा भाभी जो दूबे भाभी की तरह मुँहफट थी कस के कमर पकड़ ली, और बोलीं- 






“अरे ज्यादा छटको नहीं देवर जी से तो रोज दिन रात डलवाती हो आज हमसे भी डलवा लो खुल के…”


बेचारी भाभी, अब वो अच्छी तरह पकड़ी गयी थीं। दूबे भाभी ने पहले तो गाल लाल किये फिर अपने हाथ में बैंगनी रंग लगा के, गाल से हाथ सरक के सीधे ब्लाउज के भीतर जाने की कोशिश करने लगा। भाभी बहुत छ्टपटायीं लेकिन सारी औरतों ने मिल के उन्हें कस के पकड़ रखा था। 


आंचल छलक चुका था और झपटा-झपटी में उनके दो हुक भी टूट गये। गोरे उरोजों के ऊपर का हिस्सा अब साफ-साफ दिख रहा था। 

भाभी छुड़ाने की कोशिश करतें बोलीं- “अरे नहीं बैगनी रंग नहीं ये बड़ा पक्का…” 

उनकी बात काट के दूबे भाभी बोलीं- “अरे मोटे बैंगन घोंटने में कोई सरम नहीं है और… पक्का रंग तो इसीलिये लगा रही हूं कि रात भर जब मरद कस-कस के रगड़े तेरी ये मस्त…” उनकी आगे की बात औरतों के ठहाके में गूंज गयी। 






अब उनका एक हाथ पूरा अच्छी तरह घुस गया था। नीचे से शर्मा भाभी ने भी पेट से हाथ सरका के सीधे ऊपर ब्लाउज के अंदर… दूबे भाभी बोलीं- 

“अरे जरा देखूं तो क्या रखा है इस चोली के अंदर जो सारे मुहल्ले के मर्दों की निगाहें यहीं चिपकी रहती हैं…”




खूब देर तक वो… तब तक बाकी औरतें जो हाथ पकड़े थीं बोली- 
“अरे दूबे भाभी, जरा हम लोगों को भी तो की अकेले…” 


दूबे भाभी ने हाथ निकाल के बैगनी रंग फिर से लगाते हुए कहा- “हां हां लो… और जरा मैं नीचे के खजाने का भी तो हाल चाल लूं। वो पहले पेट पे फिर…” 

तब तक दो औरतों ने जिन्होंने हाथ थाम रखा था भाभी के ब्लाउज में… भाभी को थोड़ा मौका मिल गया, वे मुड़ीं तो अब मैं जो सामने का सीन देख रहा था वो बंद हो गया। लेकिन जिस तरह से उनकी सिसकी निकली ये साफ था की दूबे भाभी का हाथ अंदर धंस गया था। 



पीछे से भी दो औरतों ने अंदर हाथ डाल रखा था। गाल पे लड़कियां कस-कस के रगड़ रही थी। खूब देर तक जम के भाभी की रगड़ाई हुई। 


और क्या खुल के हरकतें, बातें… देख के मेरा तंबू पाजामे में तन गया।
Reply
07-23-2018, 11:57 AM,
#12
RE: Porn Kahani लला… फिर खेलन आइयो होरी
होरी ,... भाभी संग 



और क्या खुल के हरकतें, बातें… देख के मेरा तंबू पाजामे में तन गया।
…..



लेकिन भाभी ने भी छोड़ा नहीं किसी को। एक-एक को पकड़ के… फिर उन्होंने सबको भांग वाली गुझिया भी खिला दी थी। (दूबे और शर्मा भाभी तो पहले से ही भांग खायी लग रही थीं)। 


यहां तक की सलिला को भी जो शायद नवें या दसवें में पढ़ रही थी। एक हाथ से उन्होंने पीछे से जाके उसके दोनों हाथों को पकड़ा, वो बेचारी छटपटाती रही लेकिन फिर उन्होंने धीरे-धीरे आराम से उसकी फ्राक के सारे बटन खोले। और पीछे से फ्राक के ऊपर से ही ब्रा के स्ट्रैप पकड़ के खींचा और हल्के से हुक खोल दिया।


वो बेचारी बोली की- “भाभी अभी तो मैं छोटी हूं…” 


तो वो हँस के बोलीं- “अरे यही तो देखना है मुझे…” 

और आगे से फ्राक के अंदर हाथ डाल के कस-कस के रगड़ना मसलना… 

सारी औरतें हँस-हँस के मजे ले रही थीं। 

भाभी ने दबोच के पूछा- “क्यों दबवाना शुरू कर दिया है क्या? बड़े तो हो रहे हैं…” 

एक ने कहा- “अरे फ्राक के नीचे… जरा…” 




तो दूसरी बोली- “और क्या? अरे ननद लगती है तो फिर होली के दिन…” 

भाभी ने सलिला के हाथ छोड़ दिये और जब तक वो कुछ समझे उनका दूसरा हाथ फ्राक के अंदर दोनों जांघों के…

लेकिन सबसे ज्यादा दुर्गति हुई दूबे भाभी की। सब औरतों ने मिल के उन्हें आंगन में पटक दिया और गिरे हुए रंगों में खूब घसीटा। शर्मा भाभी ने तो एकदम… उनका साया साड़ी सब उठा दिया और फिर भाभी ने पूरी एक बाल्टी भर के गाढ़ा रंग झपाक से… सीधे वहीं और बोलीं- “क्यों ठंडक मिली…”




मैं छुप के सब देख रहा था की…


लेकिन भाभी ने उन्हें चुपके से इशारा कर दिया और फिर तो… सब मिल के…
Reply
07-23-2018, 11:58 AM,
#13
RE: Porn Kahani लला… फिर खेलन आइयो होरी
मैं छुप के सब देख रहा था की…
लेकिन भाभी ने उन्हें चुपके से इशारा कर दिया और फिर तो… सब मिल के… 



दूबे भाभी ने अपना ट्रेड मार्क बैगनी रंग मेरे गाल पे लगाते बोला- “बड़ा चिकना मस्त है तेरा देवर…” 
तो शर्मा भाभी ने जबर्दस्त कालिख सा पेंट लगाते छेड़ा- “अरे ये तो बड़ा नमकीन लौंडा है…”


पहले तो मेरी रंगाई हुई फिर कपड़े फटे… भाभी के गांव की होली की याद आ गयी। 


बल्की ये सब उनसे भी दो हाथ आगे थीं। थोड़ी देर तो मैं लगवाता रहा लेकिन भाभी ने मुझे ललकारा की-


“हे देवरजी… मेरा नाम मत डुबाओ…” 





फिर मैं क्यों छोड़ता उन सबको… थोड़ी देर खेल के हम रुक जाते कुछ खाते पीते और फिर रंग पेंट वार्निश… और कोई अंग नहीं छोड़ा हम दोनों ने। 


रंग छुड़ाने का भी जिम्मा भाभी का था, उन्होंने बेसन तेल सब ला के रखा। पहले आंगन में बैठ के हम दोनों रंग छुड़ा रहे थे। मैंने चिढ़ाते हुए छेड़ा- “क्यों दूबे भाभी ने कहां-कहां रंग लगाया भाभी…” 


तो वो हँस के बात बदल के बोलीं- “जहां-जहां उन्होंने लगाया था वहां-वहां मैंने भी उन्हें लगा दिया…” 


बाथरूम एक ही था, पहले भाभी नहाने गयी और उनके निकलने के बाद मैं। 


कपड़े उतारने के बाद मैंने देखा की टब में भाभी की रंग से भीगी साड़ी रखी है।


मैंने उसे उठाया तो उसके नीचे उनका पेटीकोट और ब्लाउज दोनों ही लाल पीले नीले रंगों में सराबोर और सबसे नीचे उनकी ब्रा और पैंटी।


ब्रा उठा के मैंने देखा तो ऊपर तो रंग लगा ही था अंदर भी… ढेर सारा नीचे की ओर तक बैंगनी रंग और काही दूबे और शर्मा भाभी जो रंग लगा रही… और पैंटी की तो हालत तो और खराब, रोज तो भाभी लेसी या सिलिकोन पैंटी (लाने वाला तो मैं ही था) लेकीन आज उन्होंने मोटी काटन की… लेकिन उससे भी कोई बचत नहीं थी। 

अंदर की ओर खूब सारा रंग बैगनी, काही और पीछे की ओर भी कालिख सी पैंटी के नीचे भी ढेर सारा सूखा रंग।


ये सोच-सोच के की भाभी लोगों ने कैसी होली खेली, मेरी हालत खराब हो रही थी। 


तब तक वो बोलीं की- “लाला कहीं मेरी ननद की याद में बाथरूम में ही तो पिचकारी नहीं चला रहे हो? अरे शाम को चले जाना उसके यहां, अपना सफेद रंग बचा के रखो उसके लिये… मैं खाना लगा रही हूं…”



भाभी मेरे लिये सिल्क के डिजाइनर कुर्ते पाजामे लाई थीं वो मैंने शाम को पहना। शाम को तो सूखी होली थी।
Reply
07-23-2018, 11:58 AM,
#14
RE: Porn Kahani लला… फिर खेलन आइयो होरी
होली की शाम 



भाभी मेरे लिये सिल्क के डिजाइनर कुर्ते पाजामे लाई थीं वो मैंने शाम को पहना। 



शाम को तो सूखी होली थी।
…….
मैंने पहले भाभी को थोड़ा सा गुलाल लगाया तो वो बोलीं- “देवर इतना थोड़ा सा डालोगे तो क्या मजा आयेगा…” और फिर पूरी की पूरी गुलाल की प्लेट मेरे ऊपर उलट दी। 

वो थोड़ा सा गाढ़ा गुलाल लायी थीं, उसे मेरे गाल पे कस के रगड़ते बोलीं- 


“ये मेरे देवर के गालों के लिये स्पेशल गुलाल है…” 
मैं बोला- “भाभी आपने लगाया है तो छुड़ाइये भी आप…” 

वो हँस के बोलीं- “एकदम…” और गीले रुमाल से छुड़ाने लगीं। वो रंग फैल के और पक्का हो गया। 

उन्होंने गुलाल में सूखा पक्का रंग मिला रखा था। 


लड़कों की तो ऐसी की तैसी वो कर ही रहीं थी, लड़कियों को भी… चाहे जिस उमर की हो।




माथे पे अबीर का टिका लगाते-लगाते मांग भर देतीं और गाल पे लगातेलगाते उनका हाथ सरक के… सीधे टाप के अंदर और फिर जम के रगड़ मसल के ही छोड़तीं। 



एक जरा ज्यादा नखड़े दिखा रही तो उसके सफेद टाप के अंदर पूरा प्लेट भरकर वो ‘स्पेशल’ वाला गुलाल… और जब वो चलने लगी तो एक ग्लास पानी सीधा अंदर… पूरा लाल लाल। 

उसकी चूचियों को कस के पिंच करके बोलीं- “बिन्नो अब जरा बाहर जाके अपने भाइयों को झलक दिखाना…”


अगले दिन भी जो भी मिलने आता, गुलाल लगाने के साथ होली शुरू हो जाती लेकिन अंत में वो मेरे साथ होली में बदल जाती। 


पूरा दिन मस्ती में बीता। 
Reply
07-23-2018, 11:58 AM,
#15
RE: Porn Kahani लला… फिर खेलन आइयो होरी
उर्मी : एक सुखान्त 




दूसरे दिन मेरी छुट्टीयां खतम हो गयी थीं, मुझे मेडिकल कालेज वापस जाना था। 


मैं भाभी के पास पहुंचा तो वो थोड़ी उदास बैठीं थी। 


मैं कुछ देर खड़ा रहा फिर छेड़ते हुये मैंने बोला- “क्यों भाभी मुझे जाना है इसलिये आप इतनी उदास हैं। सेमेस्टर इम्तहान के तुरंत बाद आ जाऊँगा…”


“नहीं ये बात नहीं है…” वो हल्के से मुश्का के बोलीं।




“तो फिर क्या बात है? मुझसे अब क्या छुपा रही हैं?” गाल पे अभी भी लगे लाल रंग को छूकर मैं बोला।


“क्या बताऊँ…” ठंडी सांस लेके वो बोलीं- “उर्मी का गौना था ना…”
“हाँ वो तो कल ही होना था…” मैं बोला।


“वो… वो नहीं हुआ…” उन लोगों ने मना कर दिया।

मैं एकदम सहम गया। चुपचाप मैं उनके पास बैठ गया। थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे। 


फिर वो बोलीं- 


मैंने तुम्हें बताया नहीं था। उसकी शादी जिससे हुई है वो दुआह है। तुम्हें मालूम ही है उसके घर की हालत… चाचा के साथ रहती है अपने। दुबारा शादी हुई है। 

पहली वाली से कोई बच्चा नहीं हुआ। 15-16 साल हो गये। उसकी उमर भी 40-45 साल है।

तो अब बच्चे के लिये… लेकिन लोग कहते हैं… कमी उस आदमी में ही हैं, इस लिये…”


मेरी सांस नीचे की नीचे ऊपर की ऊपर रह गयी। 

बार-बार आंख के सामने उर्मी का हँसता हुआ चेहरा नाच जाता था।

अब मुझे समझ में आया कि वो क्यों मुझसे कह रही थी-

“फांसी की सजा पाने वाले को भी एक आखिरी मुराद मांगने का हक होता है ना… तो मैंने दीदी से वही कहा की यही समझ के मेरे जाने से पहले एक बार तुम्हें जरूर बुला लें। फिर पता नहीं…”


मुझसे बोला नहीं जा रहा था। मुझे लगा की अगर पिछली होली को मैं जा पाता… 

लेकिन… कुछ रुक करके हिम्मत जुटा के मेरे मुँह से निकला- 

“लेकिन… वो लोग आये क्यों नहीं…”


“जब शादी हुई तो पहली बीबी को पता नहीं था। इन लोगों को ये बताया था की उससे तलाक हो रहा है उसकी मंजूरी से… लेकिन अब पहली वाली के मायके वालों ने बहुत हंगामा किया। 

यहां तक कहा की कोर्ट में वो मेडिकल करायेंगे और ये… की उसके मर्द से कुछ हो ही नहीं सकता। बस… 

बदनामी के डर से और उसकी पहली बीबी के मायके वाले थोड़े बदमाश टाइप के भी हैं… अब उस बेचारी की तो जिंदगी ही बरबाद हो गयी…” ठंडी सांस भर के वो बोलीं।


हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे। मेरे तो कुछ… बस सब सीन… उससे पहली मुलाकात भाभी की शादी… 




उसके साथ हर पल… बस फिल्म की तरह मेरी आंखों के सामने घूम रह थे।




फिर अचानक मैंने भाभी से कहा- “भाभी उसके घर वाले तो आपकी बात मानेंगें ना…”


वो बोलीं- “एकदम मेरी छोटी बहन की तरह है वो…”
“और भैया तो आपकी बात टाल ही नहीं सकते…”

“पहेलियां मत बुझाओ कहना क्या चाहते हो…”
मैंने कह दिया। 


वो चुप रहीं, फिर बोलीं- 

“लाला ये… सोच लो, तुम्हें एक से एक मिल जायेंगी दान दहेज के साथ… फिर… बाद में…”

“प्लीज भाभी…” मैंने फिर कहा- “आज तक मैंने आपसे कुछ मांगा नहीं हैं…”

“सोच लो लाला…” वो बोलीं।

मैंने बस उनके दोनों हाथ पकड़ लिये। मेरे दोनों आँखें उनसे गुहार कर रही थीं।
वो मुश्कुरा दीं।





उर्मी आज मेरी भाभी की देवरानी है।
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,472,732 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 541,296 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,220,790 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 923,000 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,637,467 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,067,353 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,928,444 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,983,242 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,003,456 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 282,209 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)