Porn Kahani भोली-भाली शीला
01-07-2018, 02:09 PM,
#41
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--40

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गतांक से आगे ......................

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शिप्रा के साथ -२ पंडित जी भी आँखे सेंक रहे थे , शिप्रा ने एक मादक सी अंगडाई लेते हुए अपनी बाथ रॉब अपने जिस्म से निकाल कर नीचे फेंक दी ..



पंडित जी की तो जैसे दिल की धड़कन ही रुक गयी ..एक साथ दो नंगी लड़कियां उनके सामने थी , जिन्हें आज तक उन्होंने नहीं चोदा था ..


शिप्रा थोड़ी सांवली जरुर थी, पर उसका भरा हुआ जिस्म , बिलकुल विद्या बालन जैसा था , भरी हुई गांड , मोटे चुचे , मोटे और रसीले होंठ , गोल चेहरा , वो एक तरह से सेक्स बम जैसी लग रही थी, और नंगी होने के बाद तो उसकी खूबसूरती में चार चाँद लग गए थे.
(वैसे दोस्तों औरत चाहे जैसी भी हो, नंगी होने के बाद वो और भी खुबसूरत हो जाती है ..)


और दूसरी तरफ, प्रियंका भी कम नहीं थी, अपने पतले बदन और घुंघराले बालों की वजह से वो भी सिने अभिनेत्री कंगना रानावत जैसी लगती थी ..बस कद थोडा कम था उसका ..


पंडित जी ने उसे पार्क में लगभग नंगा देखा तो था, पर वहां अँधेरा भी था और वो थोडा दूर भी थी, पर आज अपनी आँखों के इतने करीब उसके नंगे शरीर को देखकर उसकी सही मायने में तारीफ करने का मन कर रहा था उनका ..


पंडित जी खड़े हुए थे और उनका लंड भी ..और दोनों खड़े होकर उन दोनों लड़कियों का तमाशा देख रहे थे ..


प्रियंका ने शिप्रा के सर को धक्का देते हुए नीचे जाने का मूक निर्देश दिया ..जिसे वो समझ गयी और अपनी जीभ से लार की लकीर छोडती हुई वो नीचे की तरफ जाने लगी ..और अंत में जैसे ही उसकी उबलती हुई चूत के ऊपर उसके होंठ पहुंचे , प्रियंका ने अपने दोनों पैरों का दबाव उसकी पीठ पर डालते हुए उसे अपनी चूत के अन्दर खींच लिया ..और शिप्रा जो अभी तक उसकी चूत की महक सूंघने में लगी हुई थी, अपने होंठों के बल उसके नीचे वाले होंठों पर जा गिरी ..


''आय्य्यीईई ............ .....ईईईइ ....... अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..... अह्ह्ह्ह्ह्ह ...म्म्म्म्म्म्म्म ....येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स. .....सक ......बेबी ...सक ....अह्ह्ह्ह्ह ''


प्रियंका के हाथ अपनी सहेली को उत्साहित करने के लिए उसके बालों में उँगलियाँ फेर रहे थे और उसके कानों की भी मसाज कर रहे थे ..




अगले पांच मिनट तक अपनी चूत की मसाज शिप्रा के होंठों से कराने के बाद प्रियंका के मुंह से निकलते हुए शब्दों में तेजी आ गयी ..


''अह्ह्ह्ह्ह .......शिप्पी .....अह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म्म ...डार्लिंग ......आई एम् कमिंग .......अह्ह्ह्ह्ह .... सक ...मी .....हार्र्ड ..............''


और उसने एक जोरदार झटके के साथ अपनी चूत से निकले गाड़े पानी का प्रेशर शिप्रा के होंठों के अन्दर निकाल दिया ...जिसे वो किसी एनेर्जी ड्रिंक की तरह पी गयी ..


अब बारी थी शिप्रा की, वो बेड पर बड़ी तेजी से चडी और सीधा जाकर उसके मुंह पर ऐसे बैठ गयी जैसे वो कोई कुर्सी हो ..और अपनी चूत को सही जगह फिट करने के बाद उसने सियार की तरह ऊपर गर्दन करके -हलकी २ सिस्कारियां मारनी शुरू कर दी ..


''उम्म्म्म्म्म्म्म्म .........येस्स ........अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....''


पंडित जी ने इतना उत्तेजक दृश्य आज तक न तो देखा था, वो तो उस घडी को कोस रहे थे जब उन्होंने प्रियंका को मना कर दिया था, और अब उन दोनों को आपस में मस्ती करते देखकर लग ही नहीं रहा था की उन्हें किसी लंड की भी जरुरत है, वो तो एक दुसरे की चूतें अपनी जीभ से चोदकर ही संतुष्ट होने में लगी हुई थी ..पर पंडित जी भी मंझे हुए खिलाडी थे, उन्हें मालुम था की ये सब तो केवल चूत को थोड़ी देर तक शांत करने के उपाय है, जो मजा लंड में है, उसका कोई मुकाबला ही नहीं है ..इसलिए उन्होंने भी अपनी चाल चलते हुए धीरे से अपनी धोती को खोलकर नीचे गिरा दिया ..अपने कुर्ते को उतार दिया, और अपने अंडरवीयर को भी निकाल फेंका ..और जैसे ही उनका लंड उन दोनों लड़कियों की आँखों के सामने आया वो तो अपने आपे से बाहर हो गयी ..


प्रियंका हालाँकि पहले भी पंडित जी का हथियार देख चुकी थी, पर आज इतने करीब से और साफ़ तरीके से अपने सामने उसे लहराते देखकर वो सम्मोहित सी होकर शिप्रा की चूत को अपनी जीभ से चोदना भूलकर सिर्फ वहीँ देखती रह गयी ..और शिप्रा भी मुंह पर उछलना भूलकर सिर्फ बैठी ही रह गयी, और धीरे -२ आगे पीछे होकर अपनी चूत के तितली जैसे होंठों को उसकी बाहर निकली जीभ पर रगड़ने लगी ..

उसने आजतक सिर्फ 3 - 4 बार ही लंड लिया था अपनी चूत में ..पर कोई भी इतना लम्बा और मोटा नहीं था ..इतना शानदार लंड देखकर उसके मुंह से पानी निकल कर प्रियंका के मुंह पर जा गिरा ..और अगले ही पल उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुंचकर उसकी चूत का पानी भी उसके मुंह के अन्दर जा गिरा ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........प्रियंका ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....मैं तो गयी ..... अह्ह्ह्ह्ह्ह ... उम्म्म्म्म्म्म ..... ''


और वो वहीँ निढाल सी होकर साइड में लुडक गयी ..उसकी चूत से अभी भी रस की धार निकल कर नीचे बेड पर गिर रही थी ..


प्रियंका तो पहले झड चुकी थी, और अब पंडित जी के लंड के दर्शन पाकर उसकी चूत के अन्दर से फिर से आवाजें आने लगी थी, पर वो शिप्रा की वजह से खुलकर पंडित जी की तरफ नहीं जा पा रही थी, उन्होंने पहले ही डिसाईड कर लिया था की अगर पंडित जी नहीं माने तो उनके सामने उत्तेजना का नंगा नाच करके उन्हें विवश कर देंगे , पर पंडित जी भी अपनी जगह अडीग थे, वो तैयार तो हो गए थे चुदाई के लिए, पर अपनी तरफ से पहल करना नहीं चाहते थे वो भी ..जिस तरह से उन दोनों ने अपने नंगे जिस्म दिखाकर उन्हें ललचाया था, तडपाया था , उसी तरह से वो अपने लम्बे और मोटे लंड का नंगा नाच उन दोनों को दिखाकर उन्हें तडपाना चाहते थे, और तब तक तडपाना चाहते थे, जब तक दोनों किसी पालतू कुतिया की तरह उनके सामने आकर उनके लंड की भीख ना मांगे ..


पंडित जी ने अपने हाथ में अपने लम्बे लंड को पकड़ा और उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया ..उनके गठीले शरीर और उतने ही गठीले लंड को अपने सामने इस तरह से देखकर उन दोनों की चूतें बुरी तरह से कुलबुला रही थी ..पंडित जी का निशान सही बैठा था ..वो दोनों लालसा और लालच भरी निगाहों से पंडित जी के लंड को देखे जा रही थी ..


आखिर प्रियंका से सहन नहीं हुआ, और अपनी चूत के हाथों मजबूर होकर उसने निर्णय लिया की पंडित जी के लंड को वो लेकर ही रहेगी ..इसके लिए चाहे झुकना ही क्यों न पड़े .


दोस्तों, सेक्स एक ऐसी क्रिया है जिसमे अपनी इगो को ताक पर रखकर मजा लेना चाहिए , दुसरे के बुलावे का इन्तजार करने से अच्छा खुद इनिसिएटिव लो और मजे लो ..


और यही किया प्रियंका ने, और सीधा जाकर वो पंडित जी के लंड के सामने बैठ गयी और ऊपर मुंह करके बड़े प्यार से उन्हें देखने लगी, जैसे अपनी गलती मान रही हो वो ..


पंडित जी ने भी उसे माफ़ करते हुए अपनी दरियादिली दिखाई और अपने लंड का कंट्रोल
उसके हवाले कर दिया ..


प्रियंका ने पंडित जी वहीँ बेड ऊपर धक्का देकर लिटा दिया और अगले ही पल उनके मोटे और लम्बे लिंग को अपने मुंह के अन्दर डालकर जोर -२ से चूसने लगी ..





साथ में लेटी हुई शिप्रा को भी अपनी गलती का एहसास हो चुका था ..


वो थोड़ी देर तक तो पंडित जी की तरफ देखती रही और फिर धीरे से खिसक कर उनकी तरफ आ गयी ..और जाकर सीधा उनके गले में अपनी बाहें डाल दी और उनके कान में फुसफुसाई ..


''आप जीत गए पंडित जी ...सच में ..आपका लंड काफी बड़ा और आकर्षक है ..ऐसा तो मैंने आज तक कभी नहीं लिया ..क्या आप मुझे भी इसकी सेवा का अवसर देंगे ..''


आप तो जानते ही है, पंडित जी अपनी शरण में आई हुई किसी भी चूत को मना नहीं करते ..उन्होंने आँखे बंद करके उसे इशारा किया और वो झट से उनके पट के ऊपर सवार होकर उनके होंठों को चूसने लगी ..


उसकी गीली चूत से निकल रहा पानी पंडित जी की नाभि के अन्दर इकठ्ठा होने लगा ..


और उसके थोड़ी ही नीचे , प्रियंका पूरी लगन से पंडित जी के लंड को अपने मुंह में डालकर उसका स्वाद ले रही थी ..


शिप्रा ने अपनी चूत को पंडित जी के पेट से रगड़ते हुए उनके होंठों को अपने गीले होंठो से चूसना शुरू कर दिया ..

पंडित जी ने सोच लिया था की अपनी पूरी ताकत आज इनकी चुदाई में लगा देंगे ..आखिर इन्हें भी तो पता चले की उनका लंड सिर्फ देखने में ही नहीं लेने में भी जानदार है .


शिप्रा की चूत से तो पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ..आखिर इतने दिनों के बाद उसकी चूत में लंड जो जाने वाला था और वो भी इतना बड़ा ..


पंडित जी ने शिप्रा को अपने पेट के ऊपर बिठा लिया और अपने हाथ ऊपर करके उसके मोटे और रसीले आमों को निचोड़कर उसके अन्दर भरा हुआ गुदाजपन अपने हाथों से महसूस कर रहे थे ..उनका मन कर रहा था की इन मोटे मुम्मों को ऐसे ही अपनी उँगलियों से सहलाते रहे ..






शिप्रा से पंडित जी के हाथ अपनी ब्रेस्ट पर सहन नहीं हुए ..उसने उत्तेनाजवश उनकी उँगलियों को पकड़कर अपने मुंह में ठूस लिया और उन्हें किसी लंड की तरह से चूसने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी ...........उम्म्म्म्म्म्म्म .....पुच्च्च्छ्ह्ह्ह .......अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''


और दूसरी तरफ प्रियंका भी पीछे नहीं थी ..उसने पंडित जी के लम्बे लंड के लिए अपने मुंह में काफी जगह बना ली थी और उसे अन्दर लेकर ऐसे चूस रही थी जैसे पंडित जी के लंड का असली घर वही है ..


उसे तो पंडित का लंड किसी लोलीपोप की तरह से लग रहा था ..जिसे अपने मुंह के पूरा अन्दर लाकर वो चूसती और उसके रस को पी जाती और फिर बाहर निकालते हुए एक अजीब से 'पॉप' की आवाज निकालती ..और उनका लंड चूसते हुए उसकी नजरें पूरी तरह से पंडित जी और शिप्रा पर थी , और उसकी खुद की उँगलियाँ अपनी चूत पर ..






अब पंडित जी से रहा नहीं जा रहा था , वो जल्द से जल्द अपने लंड से उन दोनों की चूत की सेवा करना चाहते थे ..वो खड़े हो गए और उन दोनों ने पंडित जी जिस्म को चूमना और चूसना जारी रखा ..

पंडित जी बेड के साईड में खड़े हो गए और उन्होंने शिप्रा को अपनी तरफ खींचकर उसके रसीले होंठों को फिर से चूसना शुरू कर दिया .


प्रियंका अभी तक उनके लंड का पानी ही पीने में लगी हुई थी ..






पंडित जी ने उसके बालों को पकड़कर अपने लंड का ठुमका उसके मुंह में ऐसा लगाया की प्रियंका को लगा की पंडित जी आज उसके गले के आर पार पहुंचा देंगे अपने लंड को ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह ...पंडित जी ... धीरे .....अह्ह्ह ....इतनी तेज नहीं .....उम्म्म्म्म ....एक तो आपका लंड पहले ही इतना बड़ा है ...अह्ह्ह्ह्ह ...मेरा मुंह दुख रहा है ..उम्म्म्म्म ....और ऊपर से आपके ये धक्के ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......मत करो न .....ऐसे मत सताओ ....''


पर सताने के लिए सिर्फ वोही नहीं थी ..पंडित जी शिप्रा के साथ भी इसी तरह के जंगलीपन से पेश आ रहे थे ..उन्होंने बेड पर अपने घुटनों के बल खड़ी हुई शिप्रा की चूत पर अपना पंजा जोर से दे मारा ..और दो चार चांटे लगाने के बाद उसके लटक रहे चूत के होंठों को अपनी उँगलियों में फंसा कर नीचे तक खींचा और फिर एक झटके से छोड़ दिया ..




वो बेचारी दर्द से बिलबिला उठी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह ........धीरे .....पंडित जी ....धीरे .....ये हमारा सबसे कोमल अंग होता है ...थोडा प्यार से पेश आइये न ...स्स्स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......''


उसकी गीली चूत से बरस रहा जलजीरा पंडित जी के हाथों में लग गया , जिसे उन्होंने अपने लंड के ऊपर मल दिया ..और फिर उस रस से भीगे क्रीम रोल को उन्होंने फिर से प्रियंका के मुंह में अन्दर तक ठूस दिया ..


आज पंडित जी कुछ ज्यादा ही जंगली तरीके से पेश आ रहे थे इन दोनों हिरनियों के साथ ..आखिर उन्होंने पंडित जी को तरसाने की गुस्ताखी जो की थी ..इसका दंड तो उन्हें देना ही था पंडित जी ने ..


शिप्रा : "अब डाल भी दो पंडित जी ...और कितना तरसाओगे ....देखिये न ...कैसे आग निकल रही है मेरे अन्दर से ...''


उसने पंडित जी का हाथ पकड़ कर फिर से अपनी चूत पर लगा दिया .. जहाँ से चूत की गर्मी के थपेड़े निकल रहे थे ..


पंडित जी जान गए की अब सही समय है ..चुदाई का .


उन्होंने शिप्रा को बेड पर लिटाया और उसकी दोनों टांगो को फेला कर उसके चेहरे की तरफ देखा ...जो बड़े ही उत्तेजक तरीके से उनकी आँखों में देख रही थी .
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01-07-2018, 02:09 PM,
#42
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पंडित & शीला पार्ट--41

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गतांक से आगे ......................

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वो बोली : "अब डालो भीssssssssssssssssssssss ........''


उसकी आवाज में आग्रह से ज्यादा आदेश था ..जो ऐसी अवस्था में अपने आप आ जाता है ..


पंडित जी ने अपने लंड को उसकी गुलाबी चूत के होंठों के अन्दर फंसाया और एक तेज झटका देकर उसके अन्दर दाखिल हो गए .






''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ़्फ़्फ़ॊओ पंडित ........जी ........अय्य्यीईई ........धीरे करो .....एक ही बार .....में नहीं .....आअह्ह्ह्ह्ह्ह ......''


पर पंडित जी कहाँ मानने वाले थे ...उन्होंने तो अपना पूरा लंड एक ही बार में उसकी चूत के अन्दर उतार कर सांस ली ...और फिर हर सांस के साथ उन्होंने अपने लंड को खींचा और डाला ..खींचा और डाला ...धपधप ...खचाखच ....की आवाजों से पूरा कमरा गूंजने लगा ..


''अह्ह्ह्ह्ह .....पंडित ....जी ....अह्ह्ह ....,एह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म ......क्या .....लंड .....है आपका ...अह्ह्ह्ह .....ऐसी ....फकिंग ....तो आज तक किसी ने नहीं की ...अह्ह्ह्ह ...''


उसकी बातों और चेहरे से उसके अन्दर की ख़ुशी साफ़ झलक रही थी ..

प्रियंका साईड में होकर बैठ गयी थी और अपनी 'बारी' की प्रतीक्षा करते हुए अपनी चूत को मसलने लगी ..


पंडित जी खड़े होकर बेड पर नंगी बिछी हुई शिप्रा को पूरी ताकत से चोदने में लगे हुए थे ..उनके हर झटके से शिप्रा का पूरा जिस्म ऊपर तक उछल जाता और लंड के बाहर आते समय फिर से नीचे आ गिरता ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित ...जी ......उम्म्म्म…...प्रियंका ने सही कहा था .....आप सच में जोरदार तरीके से चुदाई करते हो ...उम्म्म्म्म्म ......और जोर से चोदो मुझे ......ओये ....पंडित जोर से कर ....ना ......साले ....चोद मुझे ....अह्ह्ह्ह ..''


आवेश के मारे उसके मुंह से पंडित जी के खिलाफ निरादर भरे शब्द निकलने लगे ..


पंडित जी भी आवेश में भर कर उसके हिलते हुए मुम्मों पर चांटे मारने लगे ..उनके हाथ की उँगलियाँ उसके गोरे मुम्मों पर छप सी गयी थी ..और जिसके दर्द के मारे वो चीख भी रही थी ..




पंडित : "ले साली .....भेन की चूत तेरी ....बड़ी अकड़ है ना तेरे में ...अब तेरी अकड़ निकालूँगा ...ले साली ....रंडी ....भेन चोद ....आज से तू मेरी रंडी है ...समझी ...रंडी है तू ...''


शिप्रा : "अह्ह्ह्ह्ह ......येस्स्स्स ......मैं हु .....तुम्हारी रंडी .....पंडित जी ....अह्ह्ह्ह ......ओह्ह्ह्ह्ह्ह पंडित जी .........मैं तो आई .....अह्ह्ह्ह्ह ........आई एम् कमिंगssssssssssssssssssssssss ''


और एक जोरदार विस्फोट के साथ उसकी चूत के अन्दर एक परमाणु बम फट गया और ढेर सार रस बाहर निकलने लगा ....

पंडित जी ने अपना लंड बहार खींच लिया ...और वो गहरी साँसे लेती हुई, निढाल सी होकर बेड से उतर गयी और सोफे पर जाकर लेट गयी ..और पंडित जी के आगे के कार्यकर्म को देखने लगी .


अब बारी थी प्रियंका की ..


उन्होंने उसे बेड पर लिटाया और उसके ऊपर आकर उसके मोटे स्तनों को मलने लगे ..उसके मोटे निप्पल के ऊपर अपनी उँगलियाँ फेराकर उसे और उत्तेजित करने लगे ...






वो तो पहले से ही तैयार थी ..पंडित जी की इस हरकत से वो और भी ज्यादा गर्म हो गयी और उसने पंडित जी को अपने ऊपर खींच लिया ..


पंडित जी ने अपना मुंह सीधा लेजाकर उसकी मदर डायरी पर लगा दिया और उसके इरेक्ट हो चुके निप्पल को अपने दांतों के बीच भींचकर कर जोर से काट लिया ...






''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....आप तो उसे काट कर अलग ही कर दोगे .....उम्म्म्म्म ....धीरे करो .......इसे ....चुसो ........चाटो .....निचोड़ो ......बस काटो नहीं ...''


और इतना कहकर उसने पंडित जी के चेहरे को ऊपर खींच लिया और वो भी अपने होंठों के निशाँ उसकी गर्दन और गालों पर छोड़ते हुए आये और सीधा आकर उसके सन्तरे की फांकों जैसे होंठ अपने मुंह में दबा लिए और जोर -२ से चूसकर उनमे से रस निकालने लगे ..


''उम्म्म्म्म्म्म्म ......उम्म्म्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......अब डाल भी दो न ....तरसाओ मत ....''


पंडित जी के सामने अब प्रियंका ने भी गिडगिडाकर उनके लंड की भीख मांग ली थी ..जैसा पंडित जी चाहते थे ..


उन्होंने उसे घोड़ी बनने को कहा और उसकी चोडी गांड पकड़ कर अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और एक जोरदार शॉट मारकर अपने लंड का सुपाडा अन्दर धकेल दिया ...


प्रियंका का मुंह खुला का खुला रह गया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........उम्म्म्म्म्म्म्म्म .......क्या चीज ....कटपीस ...उम्म्म्म्म्म ....''





अब तो पंडित जी रुके ही नहीं ..उन्होंने उसकी चूत का बेंड ही बजा दिया ...हर झटके के साथ उसके अन्दर तक घुस जाते और बच्चेदानी से अपने लंड को टच करवाकर फिर से बाहर आ जाते ..


उन्होंने उसके पेट के नीचे एक तकीया लगा दिया और उसकी गांड को और ऊपर उठा कर हवा में लहरा दिया ..और पीछे से पूरी ताकत से उसकी चूत का हलवा पीटने लगे अपने लंड से ..







और जल्द ही उसके ओर्गास्म की किलकारियां गूंजने लगी पुरे कमरे में ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी .......उम्म्म्म्म्म .....मजा आस्स्स्स गया .....उम्म्म्म्म्म .....मैं तो गयी ....रे ....अह्ह्ह्ह ....मैं तो गयी ......''


वो झड चुकी थी ...और पंडित जी भी इतनी देर से अपने लंड के अन्दर एक ज्वालामुखी लिए बैठे थे ..जो अब कभी भी फट सकता था ..


उन्होंने शिप्रा की तरफ देखा जो बड़ी उत्सुकतता के साथ उनकी तरफ देख रही थी ..पंडित जी ने उसे इशारे से अपनी तरफ आने को कहा ..वो किसी पालतू कुतिया की तरह एक ही छलांग में पंडित जी के सामने आकर जमीन पर बैठ गयी ..


पंडित जी ने भी अपना लंड प्रियंका की चूत से बाहर खींच लिया और नीचे उतर आये ..उनका इशारा समझ कर वो भी शिप्रा के साथ ही जमीन पर उसके साथ आकर बैठ गयी और पंडित जी ने अपने लंड को उन दोनों के सामने लहरा दिया ..जिसे वो दोनों भूखी पिशाचिनियों की तरह से चूसने लगी ..


और कुछ ही देर में पंडित जी के लंड का प्रसाद बाहर निकलकर उनके चेहरों पर गिरने लगा ..


पंडित : "अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म्म ...उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......''


और प्रियंका ने थोडा प्रसाद शिप्रा के चेहरे पर गिरा दिया और बाकी का अपने ऊपर ...


दोनों के चेहरे सफ़ेद चादर से ढक गए, जैसे वहां बर्फ गिरी हो ..

उनको अच्छी तरह से संतुष्ट करने के बाद पंडित जी ने अपने कपडे पहनने शुरू किये .



शिप्रा : "पंडित जी ...सच कहु ..आप जैसा मर्द मैंने अपनी लाइफ में पहली बार देखा है ..जो जानता है की औरत को क्या चाहिए और उसे कैसे सेटिस्फाई करना है ..मुझे ऐसे मजे आज तक नहीं मिले थे ..में तो आपकी फेन हो गयी ..और आपके इस छोटे सिपाही की भी ..जिसने मेरे किले के अन्दर जाकर आज ऐसी तबाही मचाई है की अभी तक फील हो रहा है सब ..''


अपनी चूत के ऊपर उँगलियाँ फेरती हुई वो बोले जा रही थी ..और प्रियंका भी उसकी हाँ में हाँ मिला कर उसका साथ दे रही थी .


पंडित जी मंद -२ मुस्कुराते रहे और अपने कपडे पहन कर तैयार हो गए ..अब उन्होंने 4 दिनों के बाद दोबारा मिलना था क्योंकि बद्री के वकील ने 4 दिनों के बाद पैसे भिजवाने थे ..और पंडित जी को उनका हिस्सा देने के लिए शिप्रा ने दोबारा बुलाया था और साथ ही कुछ और भी मजे लेने के लिए ..


पंडित जी घर की तरफ वापिस चल दिए ..


अपने कमरे में पहुँचते -२ उन्हें शाम हो गयी ..नहा - धोकर मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद वो अपने कमरे में गए और सो गए ..वो काफी थक चुके थे .


पर आराम करना पंडित जी की किस्मत में कहाँ ...एक घंटे में ही बाहर से किसी ने उन्हें पुकारा ..दरवाजा थपथपाया ..वो उठे और दरवाजा खोल दिया , और एक साया तेजी से अन्दर आ गया और दरवाजा बंद कर लिया .. पंडित जी हेरान थे की इतनी रात को ये कौन है जो इस तरह से छुप कर उनके कमरे में आ रहा है ..और जैसे ही उन्होंने लाइट जलाई तो उसके चेहरे को देखकर वो हेरान रह गए


"नूरी ....तुम ...और यहाँ ...''


उन्हें उम्मीद भी नहीं थी की नूरी उनके मंदिर में बने हुए कमरे तक आ सकती है ..


नूरी : "अब बात ही कुछ ऐसी थी ..मैं सुबह से आपको फ़ोन कर रही थी ..पर वो बंद था ..दरअसल मैंने वो प्रेग्नेंट वाली बात अपने शोहर को बता दी ..जिसे सुनकर वो इतना खुश हुआ की मुझे कल सुबह ही लेने के लिए आ रहे हैं ..और मैं बिना आपसे मिले कैसे जा सकती थी ..एक आखिरी चुदाई तो बनती ही है न ..''


उसने धीरे से मुस्कुराते हुए पंडित जी के गले में अपनी बाहें डाल दी ..


वैसे तो पंडित जी में इतनी हिम्मत नहीं बची थी की वो नूरी के साथ कुछ कर पाए , उनके शरीर से आज का कोटा तो शिप्रा और प्रियंका पहले ही चूस चुकी थी ..और दूसरी तरफ उन्हें डर था की कही किसी ने नूरी को उनके मंदिर या घर से निकलते हुए देख लिया तो कोई गड़बड़ न हो जाएँ ..तभी उन्हें गिरधर का ध्यान आया ..और उसको दिए हुए वादे का भी ..जिसमे उन्होंने नूरी की चूत उसे दिलवाने की बात कही थी ..


पंडित : "देखो ..तुम्हारा यहाँ आना खतरे से खाली नहीं है ..हमें कहीं और चलना होगा ..''


नूरी : "कहीं भी ले चलो पंडित जी ..बस आज की रात मुझे जी भर कर चोदो ...किसी और के लंड में वो बात नहीं है जो आपमे हैं ..''


पंडित : "चलो , आज मैं तुम्हारी डबल ठुकाई करवाता हु ..मैं और मेरा दोस्त तुम्हारी अच्छे से खातिरदारी करेंगे ..''


नूरी : "आपका दोस्त ...मतलब आप मुझे किसी और से भी चुदवाना चाहते हैं ..वाव पंडित जी ....आप मेरे बारे में कितना सोचते हैं ..''


उसके दिमाग में तो एक साथ 2 -2 लंड आने भी शुरू हो गए थे ..जैसे केडबरी शॉट्स की ऐड में होता है ..मन में लड्डू फूटा , अब दूसरा लड्डू फूटा ...


पंडित जी को आशा भी नहीं थी की वो इतनी जल्दी मान जायेगी ..उन्होंने जल्दी से गिरधर को फ़ोन मिलाया और उसे सारी बात सुनाई ..जिसे सुनकर वो ख़ुशी से पागल ही हो गया ..वो इस वक़्त मार्किट में था, पर पंडित जी ने उसे अपनी मज़बूरी बताई की वो उसकी चुदाई अपने कमरे में नहीं कर सकते ,इसलिए उन्होंने उसके घर पर आने को पुछा, जिसे वो झट से मान गया, क्योंकि अब माधवी और रितु भी जानती थी की सभी के बीच क्या चल रहा है ..और वैसे भी गिरधर रितु से आधे मजे तो ले ही चुका था , उसकी चूत को खिड़की में चूसकर ...हो सकता है इसी बहाने आज रितु की चूत भी मिल जाए .. , माधवी भी ये सब जानती थी ..इसलिए उसे पूरा विशवास था की माधवी के सामने वो नूरी की चुदाई करेगा तो भी वो कुछ नहीं कहेगी ..


पंडित जी नूरी को लेकर गिरधर के घर की तरफ चल दिए ..दरवाजा रितु ने खोला


रितु : "ओहो ...पंडित जी ..क्या बात है ..आज हमारी याद कैसे आ गयी ..''


वो तो ख़ुशी के मारे उनसे लिपटने जा रही थी, तभी उसने नूरी को देखा ..और एकदम से पीछे हट गयी ..


पंडित जी नूरी को लेकर अन्दर आ गए ..


पंडित : "तुम्हारी मम्मी कहाँ है ..दिखाई नहीं दे रही ..''


रितु : "जी ..वो दरजी के पास गयी है ..दस मिनट तक आ जाएँगी ..पर ..ये कौन है ..पंडित जी ..''


पंडित जी कुछ बोल पाते इससे पहले ही नूरी बोल पड़ी : "मेरा नाम नूरी है ..और तुम मुझे अपनी सहेली समझो ..सुभानअल्लाह ..कितनी खूबसूरत हो तुम ..कायनात की सारी सुन्दरता तुम्हारे अन्दर समां गयी है जैसे ...''


अपनी तारीफ सुनकर रितु शरमा गयी ..पिंक कलर की टी शर्ट पहनी हुई थी और खुले बालों में वो क़यामत लग रही थी ..
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01-07-2018, 02:09 PM,
#43
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--42

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गतांक से आगे ......................

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सभी लोग अन्दर आ गए और फिर तो नूरी ने रितु की तारीफों के पुल बांध दिए ..अचानक पंडित जी को लगा की नूरी, रितु में कुछ ज्यादा ही रूचि ले रही है ..वो कुछ -२ समझ तो रहे थे पर पूरा कन्फर्म नहीं थे, उन्होंने मन ही मन कुछ सोचा और अचानक उन्होंने रितु से कहा : "रितु ...तुम ये अपनी टी शर्ट उतारो जरा ..और मेरे पास आओ ...''


रितु को अपने कानों पर विशवास ही नहीं हुआ, पंडित जी किसी और लड़की के सामने उसे कपडे उतारने को कह रहे हैं ..वैसे तो पंडित जी को देखते ही उसकी चूत में रसीला रसायन निकलना शुरू हो गया था, पर पंडित जी के साथ आई नूरी की वजह से वो अब तक चुप थी ..पर पंडित जी के आदेश को वो मना भी नहीं कर सकती थी ..इसलिए उसने अपना सर नीचे झुका लिया और शर्माते हुए अपनी टी शर्ट को उतार कर नीचे फेंक दिया ..


नूरी तो ये देखकर अपनी आँखे फाड़े पंडित जी को देखती रह गयी ..वो अब तक समझ चुकी थी की पंडित जी ने कहाँ -२ रायता फैला रखा है ..पर रितु की तरफ देखते ही उसके अन्दर की शैतान जाग उठी ..दरअसल जब से उसने रितु को देखा था उसे अपनी कजिन यास्मिन की याद आ रही थी, जिसके साथ उसने शादी से पहले काफी मजे लिए थे , वो दोनों अक्सर एक दुसरे के साथ 69 की पोजीशन में मजे लेते थे ..उसका रंग रूप , मुम्मों का साईज बिलकुल रितु जैसा ही था ..और अब तो रितु के अपनी टी शर्ट भी उतार दी थी, उसके ब्रा में कैद मुम्में और तने हुए निप्पलस को देखकर उसका भी बुरा हाल था ..


पंडित जी जानते थे की वो क्या कर रहे हैं ..गिरधर को अभी आने में टाईम था और माधवी भी थोड़ी देर से ही आएगी , और वैसे भी गिरधर के आने के बाद चुदाई तो होनी ही थी, इसलिए वो पहले सभी को तैयार करना चाहते थे ..


रितु की टी शर्ट उतारते ही नूरी ने भी बिना बोले अपनी टी शर्ट और फिर ब्रा भी एक ही झटके में उतार फेंकी ..उसकी भरवाँ छातियाँ देखकर रितु की चूत का रसायन बाहर निकलकर टपकने जैसी हालत में हो गया ..


पंडित : "शरमाओ नहीं रितु ...आगे आओ ..और मजे लो ...''


रितु जानती थी की पंडित जी के रहते हुए उसे अपने मम्मी पापा से डरने की जरुरत नहीं है ..वो सकुचाते हुए आगे आई और नूरी के सामने आकर खड़ी हो गयी ..नूरी ने अपने हाथ ऊपर किये और रितु की ब्रा के स्ट्रेप को नीचे गिरा दिया ..उसके संतरे अपनी लालिमा बिखेरते हुए उसके सामने निकल आये ..


''ओहो .......कितने सुन्दर है ये ...सिंदूरी आम ..''


और रितु कुछ कह पाती , इससे पहले ही नूरी ने नीचे झुककर उसकी दांयी चूची को मुंह में भरा और उसे केवेंडर के स्ट्रोबेरी दूध की तरह पीने लगी ..


रितु ने उसके सर को पकड़ा और अपनी छाती से जोर से दबा लिया ..और अपने आपको उसके हवाले कर दिया ..


पंडित जी के सामने 4 गेंदे थी और वो भी भरी हुई और नंगी ..उनका तो एक मिनट के अन्दर ही खड़ा हो गया ..

अपनी धोती को खोलकर उन्होंने नीचे गिरा दिया और अपनी सिपाही को आजाद कर दिया ..और उसके ऊपर अपनी उँगलियाँ लपेट कर उसे आने वाली जंग के लिए खड़ा तैयार करने लगे ....


नूरी ने पलक झपकते ही अपनी जींस भी उतार कर नीचे खिसका दी और अपने हाथों से रितु की जींस खोलकर उसे भी मज्झू नंगा कर दिया ..


अपने हाथ की उँगलियों को उसके ग्लोबस पर फेराते हुए नूरी बड़े ही चाव से उसके दानो को चबा रही थी ..अब तक रितु भी गर्म हो चुकी थी ..नूरी ने एक ही झटके से रितु को पकड़ा और उसके होंठों को चूसने लगी ..और स्मूच करते - २ वो उसे अपने बेड तक ले आई और उसे वहां लिटा कर उसके ऊपर सवार हो गयी ..


दो नंगे जिस्म एक दुसरे से गुत्थम गुत्था कर रहे थे ...


नूरी ने रितु की टांग उठाकर ऊपर की और अपनी दो उँगलियाँ एक साथ उसकी लबाबदार चूत के अन्दर घुसा डाली ..और तेजी से अन्दर बाहर करने लगी ...


रितु का तो मुंह खुला का खुला रह गया ..



कहने को तो ये दोनों आज पहली बार मिली थी ..पर अब इन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे ये दोनों एक दुसरे को बरसों से जानती हो ..सेक्स का रिश्ता है ही ऐसा ..अनजान इंसान को भी एक दुसरे में डुबो सा देता है ..

रितु को आज तक उसे ऐसी फील नहीं मिली थी ..संगीता ने भी पहले ये सब किया था उसके साथ ..पर नूरी के हाथों में तो जैसे जादू था ..वो उसकी चूत पर उँगलियाँ फेराकर उसके अन्दर का तूफ़ान बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी ..


और तूफ़ान को जल्दी निकालने के लिए उसे मालुम था क्या करना है ..


नूरी ने अपना सर नीचे किया और झुककर रितु के नन्हे मुन्ने निप्पल को अपने मुंह में डाल लिया और उसे चूसने लगी ..



''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ......अह्ह्ह्ह्ह्ह ......नूरी .......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ो ऒ। ........जोर से चुसो .....इसे .....अह्ह्ह्ह ... ''


रितु का हाथ अपने आप अपनी चूत के ऊपर चला गया और उसे मसलने लगी ..चूत के अन्दर तो पहले से ही नूरी की उँगलियाँ अपना कमाल दिखा रही थी ..


अब तो रितु से सहन करना मुश्किल सा हो गया ...उसका मुंह सूखने सा लगा ..उसे अजीब से प्यार लगने लगी थी ..चूत के रस की प्यास ..उसने अपने हाथ की वो ऊँगली जिन्हें वो चूत पर मसल रही थी, ऊपर की और उन्हें चाट लिया ...


''सड़प ......सड़प . ......उम्म्म्म्म्म्म .....''


उसने एक मिनट भी नहीं लगाया अपनी गीली उँगलियों को सुखाने में ..


पर उसके नथुनों में नूरी की चूत के रस की मादकता भी टकरा रही थी ..एक नशा सा तैर रहा था वहां के माहोल में ..उसकी चूत से निकल रहा रूह अफजा और नूरी की चूत की फ्रूटी मिलकर एक अजीब ही गंध पैदा कर रहे थे ..


वो बदहवास सी हो गयी ..और उसने एक ही पल में नूरी को धोपी छाप पटकनी दी और उसके ऊपर सवार होकर 69 की पोजीशन में आ गयी और अगले ही पल अपने थरथराते हुए होंठ उसने नूरी की दहकती हुई चूत पर रख दिए और गरमा गरम व्यंजन खाने लगी ...



नूरी का अब बुरा हाल होने लगा था उसकी चूत को आज तक इतनी बेदर्दी से किसी ने नहीं चूसा था ..ऐसा लग रहा था जैसे रितु बरसों की प्यासी है और उसके अन्दर का सार जूस पी जायेगी वो ..


उसने बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू पाया और अपने खुले हुए मुंह को ऊपर लटकी हुई चूत से लगा कर वहां से निकल रहा कामरस पीने लगी ..


''उम्म्म्म्म्म .......येस्सस्सस्स .......पी ओ .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म ....उह्ह्ह्ह ......माय .....गॉड .....येस्स्स्स ....''


दोनों ने एक दुसरे की चूतों को चूसकर ओर्गास्म के निकट पहुंचा दिया ..और अगले ही पल दोनों की चूतों के अन्दर से ऐसा बाँध टूटा की सामने की तरफ लगा हुआ मुंह पूरा भर गया ..दोनों के मुंह पुरे गीले हो गए ..मीठे पानी को जितना पी सकते थे , पी गए और बाकी नीचे बह गया ..


तभी बाहर से डोर बेल बजी ...पंडित जी ने उन्हें इशारे से ऐसे ही लेटे रहने को कहा और खुद दरवाजा खोलने चल दिए ..

पंडित ने दरवाजा खोला , बाहर माधुरी खड़ी थी ..पंडित जी को अपने घर का दरवाजा खोलते देख वो हैरान रह गयी ...


माधवी : " अरे ...पंडित जी ..आप ...और हमारे घर पर ..''


उसके मन में डर बैठ गया की कहीं पंडित जी उसकी बेटी रितु को तो नहीं चोद रहे थे उसकी अनुपस्थिति में ..माँ कुछ भी सहन कर सकती है पर अपनी बेटी की चुदाई की बात सहन नहीं कर सकती ..और यही कारण था की आज तक इतना कुछ हो जाने के बाद भी उसने अपने पति की इच्छा (रितु को चोदने की) कभी पूरी नहीं होने दी ....पर वो शायद आज नहीं जानती थी की पंडित जी ने क्या प्रोग्राम बनाया है ..


पंडित : "हाँ ..मैं ...आओ अन्दर आओ ..सब बताता हु .."


माधवी अन्दर आ गयी और पंडित जी ने फिर से दरवाजा बंद कर दिया ..


अन्दर आकर पंडित जी ने माधवी को पीछे से पकड़ लिया और उसके मुम्मों को दबाने लगे ..


माधवी के पुरे शरीर में तरंगे सी उठने लगी ..


माधवी : "ओह्ह ..पंडित जी ...ये क्या कर रहे हो ..रितु घर पर ही है ...उम्म्म्म्म "


पंडित उसके कान में फुसफुसाया : "पता है ..पर अभी वो बिजी है ..''


और इतना कहकर पंडित जी उसे खिड़की के पास ले गए , जहाँ से बेडरूम का नजारा साफ़ दिख रहा था ..और वहां उसने देखा की उसकी बेटी रितु नंगी पड़ी हुई है ..और नूरी उसकी चूत से निकल रहा हलवा अपनी उँगलियों से खा रही है ..और उसे चूम भी रही थी ..


माधवी के पुरे शरीर में करंट सा दौड़ गया ..अपनी बेटी के नंगे शरीर को देखकर उसके मुंह से कुछ निकल ही नहीं रहा था ..उसे थोडा -२ शक सा तो था की उसकी बेटी के साथ भी पंडित जी वो सब कर चुके हैं, पर अपनी हवस को शांत करने की चाहत में उसने कभी इस बात के लिए सीधे शब्दों में पंडित जी से कुछ नहीं पूछा था ..और अभी भी अन्दर आते हुए उसने यही सोचा था की पंडित जी और रितु कुछ कर रहे होंगे ..पर यहाँ तो उसकी बेटी किसी और लड़की के साथ नंगी पड़ी हुई मजे ले रही है ..


पंडित जी उसके शरीर से पूरी तरह से लिपट गए और उसके कानों में उसके प्रश्नों का निवारण करना शुरू किया


"तुम यही सोच रही हो न की ये लड़की कौन है ..और मैं और ये यहाँ क्या कर रहे हैं ..तो सुनो ..इसका नाम नूरी है ..और ये उसी मुल्लाजी की लड़की है, जिन्होंने तुम्हे बीच सड़क पर चोदा था ..वैसे तो मैं इस लड़की को यहाँ लाया था गिरधर के लिए, क्योंकि उसकी वजह से इस लड़की की एक इच्छा पूरी हुई थी इसलिए उसके इनाम स्वरुप आज गिरधर इसकी चुदाई करेगा ..''


पंडित जी ने इरफ़ान और गिरधर की मिलीभगत से उसकी चुदाई का किस्सा भी साफ़ कर दिया ..


माधवी पंडित जी की बात सुनकर हैरानी से उन्हें देखने लगी ..


पंडित जी आगे बोले : "और वैसे भी, मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी ..दो दिनों से तुम्हारी चूत के लिए तड़प रहा हु मैं ..''


पंडित जी ने माधवी को खुश करने के लिए चारा फेंका ..और माधवी उनकी ये बात सुनकर अन्दर ही अन्दर तड़प सी गयी ..


पंडित : "और मैं इसे आज यहाँ इसलिए लाया था की जब गिरधर इसकी चुदाई करेगा तो उसके सामने ही मैं तुम्हे भी चोदुंगा ..ताकि आगे के लिए भी हमें कोई परेशानी न हो ..''


माधवी : "पर ...पर ..ये रितु भी तो है यहाँ ...अभी बच्ची है वो ..''


पंडित : "ये तुम्हे बच्ची लग रही है ..बच्चे पैदा करने की उम्र हो गयी है इसकी ..और तुम्हारी जानकारी के लिए बता दू की ये अब कुंवारी नहीं रही ..तुम्हारी तरह ये भी मेरे लंड के मजे ले चुकी है ..''


माधवी ने कुछ नहीं कहा ..जैसे वो जानती थी की उसकी बेटी चुद चुकी है ..पंडित जी से ..


माधवी : "पर पंडित जी ..समझने की कोशिश करिए ..रितु के सामने जब गिरधर और नूरी , मैं और आप चुदाई करेंगे तो वो क्या सोचेगी ..अपने माँ बाप के बारे में ..और अगर गिरधर ने अपनी बेटी के साथ कुछ करना चाहा तो मैं कैसे रोक सकुंगी उसको ..''


पंडित : "देखो ..माधवी ..जो होना है,उसको होने दो ..और तुम भी जानती हो की एक न एक दिन वो होकर ही है ..और वैसे भी ..वो दोनों आधा काम तो कर ही चुके हैं ..''

इतना कहकर पंडित जी ने रितु और गिरधर का खिड़की वाला उसे सुना दिया ..जिसे सुनकर माधवी को भी लगा की पंडित जी शायद सही कह रहे हैं ..वो भी तो खुल कर मजे ले रही है अब अपनी जिन्दगी के ..पहले पंडित जी से लिए और फिर उस रात रंडी की तरह सड़क पर चुदकर मुल्लाजी (इरफ़ान) से भी .. अब तो सिर्फ थोड़े बहुत परदे ही रह गए हैं ..जो जितनी जल्दी हो सके, गिर जाएँ तो ही अच्छा है ..


पंडित जी अपनी बात कहते भी जा रहे थे और माधवी की चूत की मालिश भी कर रहे थे ..उसकी सलवार का कपडा गिला हो चूका था ..


पंडित : "चलो ..अन्दर चलो ..पहले अपनी बेटी के सामने तो अपनी शरम उतार लो ..''


वो चुपचाप उनके साथ अन्दर की तरफ चल दी ..


अपनी माँ को पंडित जी के साथ अन्दर आते देखकर रितु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा ..वो आराम से वैसे ही पड़ी रही और नूरी से अपनी चूत चुसवाती रही ..


रितु (नूरी से) : "नूरी ...ये मेरी माँ है ..''


नूरी ने अपना गिला चेहरा बाहर निकाला और माधवी की तरफ देखकर बोली :"हाय आंटी ..मेरा नाम नूरी है ..''
माधवी ने मुस्कुरा कर उसकी हाय का जवाब दिया ..और उसके बाद नूरी फिर से रितु की चूत का खजाना ढूंढने उसके अन्दर घुस गयी ..


माधवी को पंडित जी ने अपने सामने बिठाया और अपनी धोती खोल कर उसके सामने अपना लंड पेश कर दिया ..माधवी ने एक नजर रितु की तरफ डाली ..जिसने इशारे से पंडित जी का लंड चूसने के लिए कहा ..उसने बिना आवाज निकाले अपने होंठ हिला कर कहा : "कम ओन माँ ..सक इट ...''


और फिर हुए माधवी ने पंडित जी के नागराज को अपनी गिरफ्त में लिया और अपने मुंह की बाबी में डाल कर उसे चूसने लगी ..




''उम्म्म्म्म्म्म्म ...........माधवी ......अह्ह्ह्ह्ह ..... ..तुमसे अच्छा मेरा लंड कोई नहीं
चूसता .....अह्ह्ह्ह ....''


पंडित जी का इतना बोलना था की नूरी और रितु ने एक साथ बोला : "अच्छा जी ..''


रितु : "हम भी तो देखे की ऐसा क्या ख़ास तरीका है मम्मी का ..''


और वो उछल कर बेड से नीचे आ गयी और अपनी माँ की बगल में आकर बैठ गयी ..उसके पीछे-२ नूरी भी आ गयी और माधवी के दूसरी तरफ आकर बैठ गयी ..
Reply
01-07-2018, 02:10 PM,
#44
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--43

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गतांक से आगे ......................

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पंडित जी (हँसते हुए ) : "लो माधवी ..अब जरा इन लड़कियों को भी बताओ ..की ऐसा क्या तरीका है तुम्हारे पास ..सिखाओ इन्हें भी कुछ ..ताकि इन्हें आगे वो सब काम आये ..''


पंडित जी की बात सुनकर माधवी का चेहरा लाल सुर्ख हो उठा ..उसने शर्माते हुए पंडित जी के लंड की खाल को वापिस ऊपर चडाया और फिर अपने मुंह में लेकर उसे अपने होंठों से नीचे तक ले गयी ..


नूरी : "वाव ...आंटी . यु आर टू गुड ....''


अपनी तारीफ सुनकर वो काफी खुश हुई और दुगनी तेजी से पंडित जी के लंड को चूसने लगी ..


पंडित जी ने आगे हाथ करके माधवी के मोटे मुम्मों को पकड़ लिया ..पर उसने जो सूट पहना हुआ था उसमे से वो निकल नहीं रहे थे ..पंडित जी ने रितु को इशारा करके उसे उतारने को कहा ..और रितु ने ख़ुशी - २ उनकी बात मानते हुए अपनी माँ के सूट को नीचे से पकड़ा और उसे ऊपर से घुमा कर उतार दिया ..और फिर पीछे जाकर उसने अपनी माँ की ब्रा भी खोल दी ..


ब्रा के उतारते ही माधवी की मोटी छातियाँ तीर की तरह निकल कर बाहर आई ..

नूरी : "वाव आंटी ..क्या ब्रेस्ट है आपकी ...इतनी मोटी ...और कड़क ..''


इतना कहकर वो नीचे झुकी और उसने माधवी के एक स्तन को अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया ..दूसरी तरफ से रितु से भी नहीं रहा गया और वो भी अपनी माँ की दूसरी ब्रैस्ट को पकड़कर चूसने लगी और जैसे बचपन में उसका दूध पीती थी, वैसे ही आज फिर से पीने लगी ..


और थोड़ी देर बाद जब उन दोनों का पेट भर गया तो उन्होंने माधवी को छोड़ दिया और रितु ने पंडित जजी के लंड को पकड़कर फिर से अपनी माँ के मुंह में डाल दिया ..पंडित जी ने दांयी तरफ हाथ करके नूरी के मुम्मे पकडे और उन्हें दबाने लगे ..और फिर बांयी और बैठी रितु के मुम्मों को भी उन्होंने निचोड़ डाला ..उनके सामने 3 जोड़े मोटे और भरे हुए मुम्मे थे , जिन्हें वो एक-२ करके दबा रहे थे ..


आज उन्होंने प्रियंका और शिप्रा की बुरी तरह से चुदाई की थी, उन्हें पहले तो लग रहा था की उनके अन्दर अब कुछ नहीं बचा है ..पर माधवी के चूसने के बाद उन्हें ऐसा लगने लगा की अगली चुदाई वो ज्यादा देर तक और ज्यादा भयंकर तरीके से कर सकते हैं ..


वैसे दोस्तों, ये बात तो आप भी मानेंगे ..अगर आपका अपनी बीबी या गर्लफ्रेंड के साथ रात की चुदाई का कोई प्लान है तो सुबह ही अपने लंड को मास्टरबेट करके एक बार शांत कर लो ..फिर देखना आप ..रात की चुदाई ज्यादा देर तक और मजेदार हो जायेगी ..आपका पार्टनर भी खुश और आप भी ..


खेर ..पंडित जी का स्टेमिना तो वैसे भी सबसे अलग है ..उनके ऊपर हमारी लाइफ की ये बातें लागू ही नहीं होती ..


और सुबह 2 की चूत मारने के बाद अब तो पंडित जी का ओर्गास्म होने में भी टाइम लगना था ..

पंडित (रितु से): "अब तुमने देख लिया न की किस तरह से तुम्हारी माँ चूस रही थी मेरा लंड ..अब तुम दोनों दिखाओ ..क्या सीखा तुमने .."


रितु और नूरी दोनों एक साथ आगे आई और पंडित जी के खड़े हुए लंड को दोनों तरफ से अपने होंठों के बीच लेकर उसे जोर -२ से चूसने लगी ..साथ ही साथ दोनों आपस में फ्रेंच किस भी कर रही थी ..और उस किस्स के अन्दर पंडित जी का लंड भी पिस रहा था ..

अब उनके लंड की फटने वाली हालत हो रही थी ..वो सोचने लगे, अगर इन जंगली बिल्लियों को नहीं हटाया तो वो दोनों मिलकर उनके लंड की बोटियाँ तक गटक जायेंगी ..उन्होंने बड़ी मुश्किल से अपने लंड को उनके चुंगल से छुड़ाया और बिना कोई देरी किये माधवी को लेकर बेड की तरफ चल दिए और वहां जाकर लेट गए ..नूरी और रितु ने माधवी को खड़ा किया और उसके नीचे के कपडे भी उतार डाले ..और फिर उसको नंगा करने के बाद दोनों ने माधवी की बाहें पकड़ी और उसे किसी दुल्हन की तरह से 'नंगे दुल्हे' के पास ले जाने लगे ..


एक साथ 3-3 नंगे जिस्म पंडित जी की तरफ आ रहे थे ..उन्होंने अपने लंड पर थूक से भरा हुआ हाथ फेरा और माधवी को ऊँगली के इशारे से जल्दी से अपनी तरफ आने को कहा ..


बेड पर माधवी को चडाने के बाद, रितु और नूरी सोफे पर जाकर बैठ गए और पंडित जी और माधवी की चुदाई का इन्तजार करने लगे ..


पंडित जी ने माधवी को अपने ऊपर खींचा और उसके होंठों को जोर -२ से चूसने लगे ..फिर उन्होंने उसे घोड़ी बनाया और उन्होंने अपना हाथ नीचे किया और अपने लंड को उसकी चूत के ऊपर लगा कर धीरे से उसकी चूत से निकल रहे रस का प्रयोग करते हुए अपना लंड उसके अन्दर खिसका दिया ..




और तेजी से झटके मारने लगा ..




''ओह्ह्ह्ह पंडित जी ........उम्म्म्म्म ...जोर से ....अह्ह्ह्ह ......और जोर से .....''


पंडित : "साली ......अपनी बेटी के सामने चुद रही है ....तेरी जैसी रांड तो आज तक नहीं देखि ....अह्ह्ह ....ये ले .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''


माधवी : "उम्म्म्म्म .....आपका लंड है ही इतना मस्त .....बेटी हो या पति ...किसी से भी शरम नहीं रह गयी अब तो ...अह्ह्ह्ह ....आप तो बस चोदो मुझे ...बोलो कम ..और ..चोदो ज्यादा ...अह्ह्ह्ह्ह .... उम्म्म्म्म्म्म्म्म ..... येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स .....''


और अगले ही पल उसकी चूत का तूफ़ान एक जोरदार धमाके के साथ बाहर की तरफ उछल आया ..और पंडित जी के लंड को बाहर की तरफ धकेल कर उसकी चूत से एक जोरदार फव्वारा निकला ..जिसमे था उसकी चूत का रस और ढेर सार पेशाब ...जिसे इतनी देर से अपने अन्दर दबा कर रखने की वजह से वो अब एक ज्वालामुखी की तरह चूत के रस के साथ बाहर की तरफ निकल रहा था ..


और गहरी साँसे लेती हुई माधवी वहीँ पर निढाल सी होकर लेट गयी ..पंडित जी के लंड का झंडा अभी भी लहरा रहा था ..


तभी दोबारा से बेल बजी ..और सभी जानते थे की इस बार गिरधर होगा बाहर ..


सभी नंगे पड़े थे वहां ..


जैसे ही माधवी एक चादर से अपने शरीर को ढककर उठकर जाने लगी दरवाजा खोलने ..पंडित जी ने उसे रोक दिया और उसकी चादर उतार कर फेंक दी और उसे फिर से नंगा करके अपने साथ लिटा लिया ..और रितु से बोले : "जाओ ..तुम्हारे पापा आये हैं ..उन्हें अन्दर लेकर आओ ..ऐसे ही जाना ..नंगी ''


उनकी बात सुनकर रितु की साँसे तेजी से चलने लगी ..और वो धीरे से उठकर बाहर की तरफ चल दी .


अपने पापा को लेने .

बेडरूम से निकल कर रितु बाहर ड्राइंगरूम तक आई और दरवाजे तक जाते हुए उसकी साँसे उखड सी रही थी ..चाल में एक अजीब सा नशीलापन आ चूका था ..आँखे में लाल डोरे तैर रहे थे , चूत से रिस रहे पानी में ज्यादा चिपचिपापन आ चूका था , गांड की मांसपेशियां कुछ ज्यादा ही थिरक रही थी ..हर कदम से मुम्मों में थरथराहट और भी ज्यादा हो रही थी ..इतनी उत्तेजना तो उसे पहली बार पंडित जी से चुदवाने में भी नहीं हुई थी ..शायद वो भी अन्दर से जानती थी की आज उसकी और उसके पापा दोनों की इच्छा पूरी होकर रहेगी ..


रितु ने ड्राइंगरूम की लाइट बंद कर दी , क्योंकि वो पूरी नंगी थी और उसे रौशनी में शर्म आ रही थी ..पूरा अँधेरा हो जाने के बाद उसने धीरे से दरवाजा खोल दिया .


बाहर गिरधर ही था , वो जल्दी से अन्दर आया पर अँधेरा होने की वजह से कोई दिखाई नहीं दिया, उसने पलट कर जैसे ही दरवाजा बंद किया , रितु झट से जाकर उसकी पीठ से जाकर चिपक गयी ..और अपने पापा की बाजुओं के नीचे से हाथ निकालते हुए उसके कंधो को अपने हाथों से पकड़ लिया ..और गहरी साँसे लेने लगी .


अँधेरा होने की वजह से गिरधर को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था ..उसने हाथ पीछे करके टटोला की कौन है ..और जैसे ही उसके हाथ रितु की नंगी गांड से टकराए , उसका लंड पागल सांड की तरह हुंकारने लगा . वो तो पुरे रास्ते सिर्फ नूरी के बारे में सोचता हुआ आ रहा था , इसलिए अब भी उसके जहन में सिर्फ नूरी ही घूम रही थी ..और उसे लगा की पंडित जी के कहने पर ही नूरी इस तरह से आकर लिपटी है ..रितु के बारे में तो उसका दिमाग सोच ही नहीं रहा था . वो भी कुछ ना बोला ..और उसके गुदाज शरीर को दबोचने का मजा लेने लगा .


गिरधर अपने हाथ पीछे करके उसके मोटे चूतड मसल रहा था ..और रितु अपनी नुकीली छातियाँ उसकी कमर में चुभा कर उसे तडपा रही थी. रितु ने हाथ आगे करके गिरधर के कुर्ते के बटन खोल दिए और उसे ऊपर खींचकर उतारने लगी ..और जैसे ही गिरधर ने अपने हाथ ऊपर करके कुर्ते को उतारा वो झट से आगे की तरफ आ गयी और अपने पापा के पसीने से भीगे शरीर से चिपक गयी ..


अब हुआ था असली मिलन ..नंगे जिस्मो का .. अंगो का ..आत्माओ का ..


रितु के मोटे मुम्मों का लरजता हुआ मांस गिरधर की चोडी और कसी हुई छाती पर पिस्स रहा था ..गिरधर को अब तक पता नहीं चल पाया था की वो नूरी नहीं उसकी बेटी रितु है ..उसने रितु के नंगे शरीर पर अपने खुरदुरे हाथ फेराने शुरू करे और जैसे ही उसने अपने हाथों में उसके दोनों मुम्मों को पकड़कर जोर से भींचा ..रितु का पूरा शरीर ऐंठ सा गया ..और वो अपने पंजों के बल खड़ी होकर ऊपर की तरफ लहरा गयी ..और अपने होंठों के करीब आते ही गिरधर ने उसके होंठों को दबोचा और उनका रस पीने लगा ..


''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म .....उम्म्म्म्म्म्म्म ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पुच्च्छ्ह्ह्ह ....''


रितु को तो ऐसा लगा की उसकी चूत का रस ऊपर की तरफ जा रहा है और उसके मुंह से होता हुआ गिरधर के मुंह में पहुँच रहा है ..जिसे गिरधर ऐसे पी रहा था जैसे बरसों का प्यासा हो वो ..


इसी बीच रितु के पेट पर उसके पापा के लंड ने दस्तक दी ..और अपने छोटे भाई की पुकार
सुनकर रितु के हाथ भी उसे टटोलने के लिए निकल पड़े ..और जैसे ही रितु ने गिरधर की धोती खोलकर, उसके कच्छे को नीचे खिसका कर, उसके कड़क लंड को अपने हाथों में पकड़ा , गिरधर के किस्स करने की स्पीड और भी बढ गयी ..रितु को ऐसा लगा की आज तो उसके होंठों को नोचकर ही खा जायेंगे उसके पापाजी ..


अँधेरा कमरा सिर्फ दोनों की सिस्कारियों से गूँज रहा था ..गिरधर ने अपने हाथों के रितु की गांड के दोनों तरबूजों को पकड़ रखा था और उनके गुदाजपन को अपनी उँगलियों से मसल कर मजे ले रहा था ..


अचानक गिरधर ने अपना मुंह नीचे किया और अपनी बेटी के दांये मुम्मे को अपने मुंह में डाल कर जोर से चुप्पा मारा ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..... स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स .....उम्म्म्म्म्म्म्म्म .......''


उसकी सकिंग पावर इतनी तेज थी की रितु का पूरा शरीर झनझना सा गया, जैसे किसी ने उसके शरीर पर बिजली की नंगी तार छुआ दी हो ..वो किसी बंदरिया की तरह उछल कर गिरधर की गोद में चढ़ गयी और अपनी टाँगे उसकी कमर से लपेट कर उसके सर को अपनी छाती पर जोर से दबा दिया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म .....येस्स्स्स .........सक्क्क्क्क .......मीई .....................''


गिरधर के सर पर तो वासना का ऐसा भूत चड़ा हुआ था की उसे अपनी बेटी की आवाज भी नहीं पहचानी गयी ..वैसे भी चुदाई के समय निकली आवाजें अलग ही तरह की होती है , आसानी से पहचानी नहीं जाती .


अपना आधा किलो से ज्यादा दूध अपने पापा को पिलाने के बाद रितु ने अपना दूसरा मुम्मा भी उनके मुंह में ठूस दिया ..और वहां का कोटा भी खाली कराने लगी .

गिरधर का लंड उसकी गांड से टकरा रहा था ..और मूक भाषा में एक सन्देश उसे पहुंचा रहा था , गिरधर ने रितु की गांड के दोनों पाटों को पकड़कर दोनों तरफ फेला दिया और अपने लंड को वहां की गली में फंसा कर उसके पाट वापिस बंद कर दिए ..
Reply
01-07-2018, 02:10 PM,
#45
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--44

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गतांक से आगे ......................

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''उम्म्म्म्म्म्म्म ........अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......''


गिरधर का लंबा लंड , रितु की चूत से टकराता हुआ, उसकी गांड के छेद को अपनी गर्मी का एहसास कराता हुआ , दोनों छेदों पर सिर्फ बाहर से ही धस्से लगा रहा था ..जिन्हें महसूस करके रितु पागल सी होती जा रही थी ..अब उससे सहन करना भी मुश्किल गो गया, उसके मुंह से मार्मिक सी चीत्कार निकली ...


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पापा .......डाल भी दो न .....डालो अपना मोटा लंड मेरी चूत में ....चोद डालो आज अपनी रितु को ....''


अपनी बेटी की आवाज सुनकर गिरधर मानो नींद से जागा ..और उसने जल्दी से कमरे की बत्ती जलाई ..


और रौशनी में दोनों के नंगे शरीर नहा उठे ..अपनी बेटी को नंगी अवस्था में देखकर गिरधर की समझ में कुछ नहीं आ रहा था ..जिसे वो इतनी देर से नूरी समझ रहा था वो उसकी खुद की बेटी थी ..जिसके होंठों को और स्तनों को वो इतनी देर से चूस रहा था, जिसके शरीर को वो अपने हाथों से रोंद रहा था, वो नूरी नहीं बल्कि रितु थी ..


और तभी पंडित जी की आवाज आई : "अरे रितु ....इतनी देर लगती है क्या दरवाजा खोलने में ..सब तुम्हारा अन्दर इन्तजार कर रहे हैं ..''


गिरधर और रितु ने वहां देखा तो पाया की पंडित जी के साथ -२ माधवी भी खड़ी है ..वैसे तो वो दोनों को नग्न अवस्था में देखकर कुछ नहीं बोल रही थी , पर उसकी आँखों से निकल रहे शोले उसका गुस्सा जरुर बयान कर रहे थे ..गिरधर ने चुपचाप अपना कच्छा उठाया और उसे पहन कर अन्दर की तरफ चल दिया ..रितु भी धीरे-२ अन्दर की तरफ चल दी ..


गिरधर ने अन्दर आकर देखा की वहां तो सब ही नंगे हैं ..उसकी पत्नी माधवी, बेटी रितु और साथ ही बिस्तर पर राजकुमारी की तरह विराजमान नूरी भी ..


वैसे तो नूरी को चोदने का ख़याल गिरधर के मन में कब से था, और आज वो मौका भी आ चुका था, जब वो उसके सामने नंगी बैठी हुई थी ..पर अब गिरधर का ध्यान सिर्फ और सिर्फ अपनी बेटी रितु के ऊपर था ..पर साथ ही साथ माधवी की कोप भरी नजरें भी उसे घूर रही थी ..


और पंडित जी भी ये सब नोट कर रहे थे ..वो समझ चुके थे की वहां क्या चल रहा है ..


पंडित जी (नूरी से ) : "नूरी ..यही है मेरा दोस्त ..चलो जरा दिखाओ अपना कमाल ..''


नूरी किसी नागिन की तरह से लहराती हुई बेड के किनारे तक आई ..और पेट के बल आकर गिरधर के सामने लेट गयी ..और एक ही झटके से उसने उसका कच्छा नीचे कर दिया ..और अगले ही पल गिरधर का नागराज किसी स्प्रिंग की तरह उछल कर उसके मुंह से आ टकराया ..जिसका साईज देखकर नूरी का मुंह खुला का खुला रह गया ..


अपनी आँखों के सामने अपने पापा के लंड को किसी और के हाथों में देखकर रितु का खून खोलने लगा ..


नूरी ने गिरधर के लंड को अपने हाथों की उँगलियों में कैद किया और उसे जोर से मसल कर अपने मुंह के पास ले गयी और एक तेज झटके के साथ ही उसने गिरधर के लंड को अपने मुंह में दाखिल करा दिया ..


'' अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......धीरे ....साली ....कुतिया .....काट मत ...''


''ही ही ...काटूँगी नहीं तो मजा कैसे आएगा साले ...'' नूरी ने अपनी चूत को चादर पर मसलते हुए कहा ..


और दूसरी तरफ, माधवी के निप्पल भी फिर से खड़े होने लगे ...उसके पति का लंड कोई इतनी अच्छी तरह से चूस रहा था, उसकी चूत में फिर से खुजली भरी लहरें उठने लगी ..उसने पंडित जी की तरफ देखा , पर उन्होंने कोई रिस्पोंस नहीं दिया ..सिर्फ अपने लंड को मसलते हुए गिरधर और नूरी का खेल देख रहे थे ..


रितु भी पंडित जी की बगल में बैठी हुई अपने पापा के लंड को किसी और का होता हुआ देख रही थी . पंडित जी के हाथ उसकी जाँघों पर आये और उसे सहलाकर सांत्वना देने लगे, जैसे उन्हें पता था की रितु के मन में क्या चल रहा है .


दूसरी तरफ से माधवी भी मटकती हुई पंडित जी के दूसरी तरफ आकर बैठ गयी और अपने हाथ को बड़ा कर उनके लंड को मसलने लगी ..पंडित जी ने रितु के हाथ को भी पकड़ा और अपने लंड पर ले आये, अब दोनों माँ बेटियां पंडित जी के लंड की मालिश करने में लगी हुई थी ..


अचानक माधवी ने अपने मुंह नीचे किया और पंडित जी के लंड को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसने लगी ..रितु ने अपना हाथ वहां से हटा लिया .


पंडित जी का हाथ माधवी के पीछे से होकर उसकी चूत तक पहुंचा और अपनी दो उँगलियों को एक साथ अन्दर पेल कर उसकी चूत का बुरादा बाहर निकालने लगे .


दूसरी तरफ नूरी ने गिरधर के लंड के साथ -२ उसके टट्टे भी अपने मुंह में भर लिए और उन्हें चूसकर बाहर निकालने लगी ..उसने गिरधर के लंड वाले हिस्से को पूरी तरह से मालिश करके चमका दिया था .


अब तो नूरी की सहनशीलता की सीमा ही नहीं रही ..वो बिस्तर पर बिछ गयी ..और अपनी टाँगे खोल कर गिरधर की तरफ फेला दी ..और उसकी आँखों में देखकर बोली : "अब और मत तडपाओ ...जल्दी से डालो ये मुसल मेरी चूत में ...और रगड़ डालो मुझे ...''

उसकी आवाज सुनकर माधवी ने पंडित जी का लंड चूसना छोड़ दिया ..और जैसे खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है, वैसे ही नूरी की चूत को चुदने के लिए तेयार देखकर माधवी की चूत भी भड़क उठी चुदने के लिए ..और वो उछल कर पंडित जी की गोद में चढ़ गयी ..


पर गिरधर की नजरें अभी भी रितु की तरफ ही थी ... हाथ में लंड तो था, पर निशाने पर रितु की चूत थी ..


माधवी ने जैसे ही पंडित जी के लंड को अन्दर लेना चाहा पंडित जी ने रोक दिया ..


माधवी ने उनकी तरफ सवालिया नजरों से देखा ..


पंडित : "तुम तो अपने मजे ले रही हो ..पर जरा अपनी बच्ची की तरफ देखो ..जैसे तुम्हारी ख़ुशी है, वैसे उसकी ख़ुशी का भी तो ध्यान रखो ..अब बात सिर्फ गिरधर की बुरी नजर की नहीं रह गयी है, तुम्हारी बेटी भी यही चाहती है ..देख लो चाहे ..''


माधवी ने रितु के चेहरे की तरफ देखा ..रितु ने हाँ में सर हिला कर पंडित जी की बात में सहमति जताई ..


अब माधवी की चूत में भी खुजली हो रही थी, वो जानती थी की पंडित जी जान बुझकर ऐसे मौके पर ही रितु को गिरधर से चुदवाने की परमिशन मांग रहे हैं, जब उसकी चूत में उनका लंड जाने को तैयार है ..और ऐसे मौके पर ना नहीं निकलती ..


माधवी : "मुझे क्या ...जो चाहे करे ये ..जिसे चाहे चोदे ..चाहे अपनी बेटी की चूत मारे ...मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ...आप बस मेरी चूत की प्यास बुझाओ अभी ...डालो अपना पठानी लंड ...मेरे अन्दर ...पंडित जी ...''


उसकी बात सुनते ही सभी के चेहरों पर हंसी आ गयी ..पंडित जी ने इशारा करके नूरी को अपने पास बुलाया ..वो भी ख़ुशी -२ उनकी तरफ आ गयी ..क्योंकि वो जानती थी की आज पंडित जी ने उसे डबल चुदाई का वादा किया है ..वो तो होकर ही रहेगी ..


उसके आते ही रितु किसी हिरनी की तरह छलांगे भारती हुई अपने पापा के पास पहुँच गयी और उनसे ऐसे लिपटी जैसे पकिस्तान की जेल में सजा काटकर आये हो वो ...


अब होना था , महासंग्राम ....

अपने तने हुए सीने से अपने पापा को चिपका कर रितु ने उनके कान में चिल्ला कर
कहा : "चल मेरी पापड़ी ....शरू हो जा ...आज दिखा दो अपनी बेटी को ..कितनी जान है आपके घोड़े में ..''


गिरधर का लंड तो पहले ही तैयार था जब से उसने नूरी की चूत देखि थी ..पर अब अपनी खुद की बेटी को अपने लंड के लिए तड़पता हुआ पाकर उस लंड की अकड़ में और भी कड़कपन आ चुका था ..आज तो उसे ऐसा महसूस हो रहा था की उसका लंड ख़ुशी के मारे फट ही ना जाए ..


रितु भी अपने पुरे शरीर को गिरधर पर ऐसे रगड़ रही थी जैसे वो खुद कोई साबुन की टिकिया हो ..अपने जिस्म की भीनी खुशबु को वो रगड़ -२ कर अपने पापा को अर्पित कर रही थी ..अपने नरम होंठों की अगुवाई में गर्म साँसों की तपन से वो जैसे स्टीम बाथ करवा रही थी गिरधर को .


अब गिरधर को भी बिना माधवी के डर के अपनी बेटी को चोदने की आजादी तो मिल ही चुकी थी ..


और दूसरी तरफ तड़पती हुई माधवी ने बिना देरी किये पंडित जी के होंठों को पकड़ा और उन्हें चूस कर अपनी प्यास का एहसास करवाया ..और अपना दूसरा हाथ नीचे लेजाकर उनके लिंग को अपनी योनि के द्वार पर लगाकर उनकी आँखों में देखा ...और फिर अपने शरीर का भार अपनी गांड के ऊपर डालकर उसने पंडित जी के लंड को अपने अन्दर विलीन कर लिया ...


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......पंडित जी .................कितना तड़पाते हो .... अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....''


और फिर धीरे-२ ऊपर नीचे होकर वो उनके लंड को अपनी गुफा की गहराईयों में ले जाने लगी ..




पंडित जी भी उसके हिलते हुए स्तनों को अपनी जीभ निकाल चाट रहे थे , उन्होंने अपने हाथों में उसके दोनों चूतडों को जोर से भींच रखा था ..और उनकी उँगलियाँ धीरे-२ सरकती हुई उसकी गांड के छेद पर भी पहुँच रही थी ..


नूरी बड़े आराम से बैठकर उनके ये खेल देख रही थी ..क्योंकि अगला नंबर उसका ही था ..


और बिस्तर पर अपनी बेटी रितु को पटक कर जैसे ही गिरधर खड़ा हुआ, वो झट से आकर उसके लंड के आगे आकर बैठ गयी और किसी पालतू कुतिया की तरह बड़े ही प्यार से अपने पापा की आँखों में देखने लगी ..जैसे लंड चूसने की परमिशन मांग रही हो ..गिरधर ने हाँ में सर हिला कर उसे आज्ञा दे दी ..और एक जोरदार झटके के साथ उसने गिरधर के लंड को अपने हाथों में पकड़ा और मुली की तरह से चूसना शुरू कर दिया ..


उसके चूसने की गति इतनी तेज थी की गिरधर से खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा था ..उसकी टाँगे अपने आप टेडी सी होने लगी ..रितु ने गिरधर की गांड के ऊपर अपने हाथों का दबाव डाला और उसे अपनी तरफ खींचा और अपना पूरा मुंह खोलकर उसके लंड के साथ -२ उसकी गोटियाँ भी अपने मुंह में भर ली ..


गिरधर अपनी बेटी की कलाकारी देखकर आश्चर्य चकित था ..इतने छोटे से मुंह में उसने पुरे आठ इंच का लंड और साथ ही उसके टट्टे भी निगल लिए थे ..ऐसा लग रहा था जैसे उसका मुंह हलवे से ठूस कर भर दिया गया हो ..और वो अपने पापा को डीप थ्रोट फकिंग करवा रही थी ..

गिरधर आनद के मारे चीत्कार उठा


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........मेरी बेटी ......मेरी लाडो ....उम्म्म्म्म्म .....चूस अपने पापा का लोड़ा ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .....क्या चूसती है ......मजा आ गया ..अह्ह्ह्ह .....''


अपने पापा के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर वो और भी खुश हो गयी और अपनी गति में और तेजी लाकर उनके लंड को और अन्दर ले जाने लगी ..


गिरधर के लंड का सिरा रितु के गले के अन्दर और नीचे तक जा रहा था ..






और जैसे ही गिरधर को लगने लगा की अब उसके लंड का पानी निकलने वाला है, उसने जल्दी से अपना लंड वापिस खींच लिया ..



इसी बीच पंडित जी ने शांत बैठी हुई नूरी की तरफ देखा और उसे अपनी तरफ आने का इशारा किया ..वो मटकती हुई उनके पास आई ..उसकी चूत और मुंह से पानी टपक रहा था.


उन्होंने दुसरे बेड पर लेजाकर दोनों को लिटा दिया ..और अपने हाथों से दोनों की चूतों को मसलने लगे ..




नूरी और माधवी ऐसे तड़पने लगी जैसे बिन पानी मछली ...इतनी थिरकन थी पंडित जी की उँगलियों में की उनकी नानी याद दिला दी उन्होंने मसल - २ कर ..


अग्ग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ॊऒऒ ......पंडीत जी ....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हॊऒऒऒ ....मत तडपाओ ....अह्ह्ह्ह्ह .......करो भी .....चोदो न….......''


अब एक साथ दो-२ गर्म औरतों को ठंडा करना हर किसी के बस की बात नहीं होती ..पंडित जी इतने ज्ञानी थे फिर भी उनके पसीने छूट रहे थे ऐसी स्थिति को काबू में करने के लिए .


पंडित जी ने माधवी की टाँगे चोडी करी और खुद उसके सामने आ गए और अपने लंड को उसकी चूत पर रख दिया ..और नूरी को सामने लाकर माधवी के चेहरे पर बिठा दिया ..जैसे ही माधवी की जीभ नूरी की रसीली चूत के अन्दर घुसी वो आवेश में आकर अपनी चूत को माधवी के मुंह पर रगड़ने लगी ...


इसी बीच पंडित जी ने अपने लंड को माधवी की चूत के अन्दर धकेल दिया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म .....पंडित जि………क्या चोदते हो ..आप ...अह्ह्ह ...क्या लंड है आपका ...''


और माधवी की इस बात से तो कमरे में मोजूद हर चूत सहमत थी ..

पर पंडित जी के बारे में तो आप सभी जानते ही है न ..उन्हें तो ऐसी तड़प देने में ज्यादा मजा आता है ..


पंडित जी ने माधवी की टाँगे ऊपर उठाई और उन्हें नूरी के हाथों में पकड़ा दिया ..और खुद उसके अन्दर धीरे -२ धक्के मारकर उसकी चुदाई करने लगे ..


नूरी बड़े ही प्यार से पंडित जी के चेहरे को देख रही थी ...क्योंकि वो जानती थी की थोड़ी देर में ही उसे भी ऐसी ही चुदाई मिलेगी .

अपनी पत्नी को पंडित जी के लंड से चुद्ता देखकर गिरधर के चेहरे पर एक अजीब सा सकून था ..वैसे तो वो भी माधवी की चूत बुरी तरह से मारता था, पर आज जब वो पंडित जी के लंड से चुद रही थी तो उसके चेहरे के भाव और ख़ुशी अलग ही थे ..जैसे उसके अन्दर भी एक ख़ुशी का तूफ़ान उमड़ रहा था अपनी बेटी को चोदते हुए ..


और रितु भी अपनी माँ को पंडित जी के लंड से चुदते देखकर मचलने लगी ..और उसने तड़पते हुए पंडित जी से कहा : "पापा .....उम्म्म्म ....अब आ भी जाओ ....कितना तद्पाओगे ..''


गिरधर ने घूम कर रितु को बेड पर पटका और उसकी टाँगे खोल कर उसकी चूत पर अपना मुंह लगा दिया ..और चूसने लगे वहां से रिस रहा अमृत ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......मर्रर्रर्र .....गयी रे ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......म्म्म्म्म्म्म्म ......सक्क्क ....माय क्लिट पापा ....अह्ह्ह्ह ''


अब पापा जी को भला इंग्लिश कहाँ आती थी ..पर उसकी तड़प देखकर वो समझ गए की वो क्या चाहती है ..उन्होंने अपनी उँगलियों से उसकी चोंच की तरह निकली हुई क्लिट को उभारा और उसपर अपनी जीभ लगा कर उसे चुभलाने लगे ..


जीभ के प्रहार से रितु की चूत का दाना ऐसे नाच रहा था जैसे बीन पर सांप ..


गिरधर ने अपने होंठों के अन्दर समेत कर जब उस दाने को जोर से भींचा तो रितु का मुंह खुला का खुला रह गया ..वो कुछ बोलना चाहती थी ..चीखना चाहती थी ..पर उसके मुंह से कुछ भी नहीं निकल रहा था ..उत्तीजना को अन्दर दबाने की वजह से उसके पेट में दर्द होने लगा ..और उसने एक जोरदार झटके के साथ गिरधर को जोर से धक्का देककर अपनी क्लिट को उनके होंठों के चुंगल से निकलवाया ..


गिरधर ने भी पीछे होकर एक -दो गहरी साँसे ली और फिर से कूद पड़े उसकी चूत के मैदान में उधम मचाने ..


और इस बार उन्होंने उसकी चूत के दोनों होंठों को अपने मुंह के अन्दर फंसा लिया और जोर -२ से सक करके उसकी चूत को पीने लगे ..


''उम्म्म्म्म्म्म पापा .......स्स्स्स ...येस्स्स्स ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....जोर से चुसो उम्म्म्म्म .....पी जाओ सारा अमृत .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....सक्क्क्क मी हार्डssssssss ....''


उसने एक टांग उठा कर गिरधर की पीठ पर रख दी और उसके सर को सहला कर अपनी चूत को और तेजी से चूसने के लिए उकसाने लगी .




और वहां पंडित जी की रेलगाड़ी में बैठकर माधवी ना जाने कितने स्टेशन आगे निकल चुकी थी ..वो उन्हें रोकना चाहती थी ..उतरना चाहती थी ..पर ट्रेन की गति इतनी तेज थी की वो सिवाए थिरकने के कुछ कर ही नहीं पा रही थी ..ऊपर से नूरी की चूत ने उसके मुंह पर ताला लगा रखा था ..


पंडित जी को उसपर थोड़ी सी दया आ गयी ..उन्होंने अपने लंड को बाहर निकाला और नूरी को अपने आगे आकर घोड़ी बनने को कहा ..और जैसे वो घोड़ी बनकर आगे झुकी , पंडित जी के बलशाली धक्के ने उनके लंड को उसकी चूत में उतार दिया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......... येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ......उम्म्म्म्म्म्म्म ....''


सामने अपनी टाँगे फेला कर पड़ी हुई माधवी ने चिल्लाती हुई नूरी के चेहरे को पकड़ा और अपनी चूत पर दबा कर उसे बड़ी मुश्किल से चुप करवाया .


अब नूरी पंडित जी के धक्को के साथ लय मिला कर चल रही थी ..पंडित जी के धक्के से वो आगे होती और अपनी लम्बी जीभ से माधवी की चूत के ऊपर आया पानी चट कर जाती ..
Reply
01-07-2018, 02:10 PM,
#46
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--45

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गतांक से आगे ......................

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रितु की चूत को पूरी तरह से साफ़ सुथरा करने के बाद गिरधर ने उसे भी ऊपर उठाया और उसे घोड़ी बना कर उसके गोरे चूतड़ों पर एक बार हाथ फेरकर चेक किया की वो चुदाई के लिए तैयार है या नहीं ..उसने अपनी गांड को पीछे की तरफ धक्का देकर अपनी सहमती जताई..


और अगले ही पल उसने अपने लंड को रितु की चूत की सीमा के अन्दर दाखिल कर दिया ..गिरधर ने तो सिर्फ अपने लंड को लगाया था वहां ..बाकी का काम रितु ने कर दिया ..अपनी गांड को पीछे करके उसने अपना ''हक'' अपनी चूत में निगल लिया .


''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पापा ....उम्म्म्म्म्म .....आज हो गई मैं पूरी तुम्हारी ......अह्ह्ह्ह्ह ''



और उसके बाद तो गिरधर ने उसपर रहम ही नहीं लिया ..अपनी फूल जैसी बच्ची को उसने इतनी निर्दयिता से चोदना शुरू किया मानो इतने दिनों के बाद उसे चोदने का गुस्सा निकाल रहा हो .
गिरधर ने रितु के दोनों हाथ पीछे की तरफ खींचे और उसकी चूत का बेंड जोरों से बजाना शुरू कर दिया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ....पापा .......धीरे ....अह्ह्ह्ह्ह .....गोश्ह्ह्ह्ह्ह .... ....उह्ह्ह ...अहह अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह ओग्ग्ग्ग ओ ........पापा ...मार डाला ....अह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म .....''


वो दूसरी बार झड़ने लगी ..




और जैसे ही गिरधर को महसुस हुआ की उसका रस निकलने वाला है ..उसने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाला और रितु को सीधा करके लिटा दिया ..वो अपने पहले वीर्य से उसे नहलाना चाहता था ..और ये इच्छा उसके मन में तब से थी जब से उसने रितु को चोदने के बारे में सोचना शुरू किया था ..
और अपने पापा की नजरों में देखते हुए अपनी चूत को मसलना जारी रखा ..


और गिरधर ने भी रितु की आँखों में देखते हुए अपने लंड की पिचकारी सीधा उसके मुंह पर दे मारी ..



''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....ले बेटी ........उम्म्म्म्म्म .........सारा रस पी ले पापा का ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ...''


अपने पापा के प्यार को अपने चेहरे पर महसूस करते हुए वो इमोशनल सी हो गयी ..


ऐसा प्यार हर बाप बेटी में देखने को नहीं मिलता ..

गिरधर के लंड से निकला पानी रितु के गर्म शरीर पर गिरकर ऐसे पिघलने लगा जैसे गर्म जमीन पर पानी की बोछार पड़ने से वो भाप बनने लगता है.


अपने पापा की आँखों में प्यार से देखते हुए रितु ने उस पानी को अपने पुरे शरीर पर मलना शुरू कर दिया ..वो उनके वीर्य को पुरे शरीर पर मलकर अपने आपको उनके प्यार के अन्दर छुपा लेना चाहती थी .


अपने पुरे शरीर को गिरधर के वीर्य से ढकने के बाद उसकी आत्मा अन्दर तक तृप्त हो गयी.


और दूसरी तरफ माधवी की हालत खराब हो रही थी ..पंडित जी तो नूरी की चूत मार रहे थे घोड़ी बना कर ..और घोड़ी बनी हुई नूरी, माधवी की चूत में मुंह डालकर, चारा खा रही थी.


और माधवी की चूत का चारा ऐसा था की जितना खाओ उतना और निकल आता था अन्दर से..और आखिरकार उसकी चूत के अन्दर फंसा हुआ एक चक्रवात पुरे जोश के साथ बाहर की तरफ निकला और नूरी के चेहरे को बारिश की पहली फुहार की तरह भिगोता हुआ बाहर तक आया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..........स्म्म्म्म्म्म उम्म्म्म्म्म्म ......मैं तो गयी ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........उम्म्म्म्म्म्म्म ...''


अपनी चूत में पंडित जी के लंड का प्रहार और मुंह पर माधवी की चूत की बोछार महसूस करके नूरी भी बावली सी होकर गुनगुनाने लगी ...



''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... ..उम्म्म्म्म्म्म्म्म ......सुडुपsssssssssssssss ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....क्या मखन जैसा स्वाद है ....उम्म्म्म्म्म .......''


पर पंडित जी के धक्के उसकी जीभ को माधवी की चूत पर टिकने नहीं दे रहे थे ..
वो पीछे मुंह करके पंडित जी से बोली : "क्या करते हो ..पंडित जी ...अह्ह्ह्ह्ह ......चूसने तो दो ...कितनी स्वाद है .......''


पंडित जी ने उसकी बात मान ली और धीरे -२ धक्के मारने लगे ..


फिर नूरी ने आराम से माधवी की चूत को साफ़ सुथरा बना दिया . पर पंडित जी के धक्को की स्पीड धीरे होने से उसका मजा खराब हो गया था ..माधवी की चूत को साफ़ करके उसने फिर से पंडित जी की तरफ देखा और बोली : "अब हर बात बोलनी पड़ेगी क्या ..स्पीड बढाओ अब फिर से ..''


पंडित जी मुस्कुरा दिए और फिर से 100 की स्पीड पर अपनी बाईक चला दी उसकी चूत के हाईवे पर ..


इसी बीच नूरी ने जब देखा की गिरधर गहरी साँसे लेता हुआ बिस्तर पर पड़ा है और उसकी नजरें अब उसकी और पंडित जी की चुदाई पर ही है तो वो बड़ी ही शोख अदा के साथ गिरधर से बोली : "अरे मियां ..दूर से ही देखते रहोगे क्या ..बेटी को सामने देखकर आप तो भूल ही गए थे की किसकी मारने आये थे ..जरा हमारे सामने भी तशरीफ़ लाइए ..''


गिरधर उसकी रसीली बातें सुनकर अपने मरे हुए लंड की तरफ देखने लगा ..


उसकी दुविधा देखकर नूरी फिर बोली : "इसकी चिंता छोडिये आप ..बस यहाँ तशरीफ़ लाइए ...''


नूरी ने उसे अपने सामने आकर बैठने का निमंत्रण दिया ..जहाँ माधवी अपनी चूत पसारे अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पा रही थी ..जैसे ही गिरधर उठकर वहां आया दोनों की नजरें एक पल के लिए मिली , और अगले ही पल उन्होंने अपनी -२ नजरें नीचे कर ली और एक दुसरे के बाजू से निकल कर दूसरी तरफ निकल गए .


गिरधर जाकर बैठ गया झटके खा रही नूरी के मुंह के सामने ..


नूरी (गिरधर की आँखों में देखकर ) : "क्या अंकल ...आप तो मेरे लिए आये थे और मेरे हिस्से की खीर आपने रितु को खिला दी ..ये गलत बात है ..''


उसकी पतली उँगलियाँ गिरधर के लंड के ऊपर चलने लगी ..उसका शरीर ऐंठने लगा ..

पंडित जी उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगे , उन्होंने गिरधर को आँख मारकर उसकी बात में साथ देने को कहा ..


गिरधर भी समझ गया ..और उसी अंदाज में बोला : "लंड से निकली खीर पर पहला हक तो बेटी का ही होता है ..ये तुमसे अच्छा कौन जानता है ..तुम भी तो ऐसे ही तरस रही थी इरफ़ान भाई की खीर खाने के लिए ..''


नूरी के पास उसकी बात का कोई जवाब नहीं था ..वो तो खुद उस दौर से निकल चुकी थी ..जहाँ वो अपने अब्बा के लंड के लिए तरसती थी ..और जब उसे वो मिल गया था तभी उसकी प्यास सही मायने में बुझी थी .


उसने अपनी पलकें झुका कर गिरधर की बात से सहमति जताई ..और पलकों के साथ - 2 उसका मुंह भी झुक गया उसके लंड के ऊपर ..और अपनी सांप जैसी जीभ निकाल कर वो उसके लंड को सहलाने लगी ..


गिरधर के मोटे लंड पर चमक रही नसों पर अपनी जीभ की नोक चुभा कर वो उसके अन्दर उत्तेजना का संचार कर रही थी ..


और गिरधर भी बड़े ही प्यार से उसके रसीले होंठों से बाहर निकल रही जीभ को अपने लंड की दीवारों पर रेंगता हुआ महसूस करके उसके अन्दर फिर से रक्त का संचार होने लगा ..और ना चाहते हुए भी उसके मुंह से एक तीखी सी सिसकारी निकल ही गयी ...


''उम्म्म्म्म्म्म्म्म ....स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स .........अह्ह्ह्ह्ह्ह ''


जिसे सुनकर उसकी बेटी और पत्नी ने एक साथ उसकी तरफ देखा , जिसे उसने नरंदाज कर दिया .


पंडित जी ने अचानक ही नूरी की गांड के अन्दर अपना अंगूठा फंसा दिया जिसे महसूस करके नूरी के पुरे शरीर में जलतरंग सी उठने लगी ..


'उम्म्म्म्म्म्म ......पंडित जी ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......... बस .....ऐसे ही .....अह्ह्ह्ह ...धीरे ....धीरे ...अह्ह्ह .....स्स्स्स ...''


पंडित जी तो उसे पीछे वाले छेद से भी तेयार कर रहे थे .


पंडित जी नूरी के दोनों चूतड़ों पर अपने हाथ फेरते हुए वो उन्हें दबा भी रहे थे .


और दूसरी तरफ नूरी के होंठों ने जैसे ही गिरधर के पुरे लंड को अपने मुंह में भरकर एक चुप्पा मारा ..वो बेड पर लेट ही गया ..और नूरी पूरी लगन के साथ उसके लंड को चूसने में लग गयी ..


नूरी : "उम्म्म .....मुंह में ...इतना ...बड़ा लग रहा है .....चूत में जाकर ...तो ये तबाही ...मचा देगा ...''


गिरधर का लंड अब फिर से उम्मीदवार की तरह खड़ा हो गया था .


और जब पंडित जी को लगा की सही वक़्त आ चुका है तो उन्होंने एक जोरदार धक्का देकर नूरी को गिरधर के ऊपर लिटा दिया ..और अपने हर धक्के से उसे तिनका-तिनका ऊपर की तरफ खिसकाने लगे ..और जैसे ही नूरी की चूत गिरधर के लंड के पास पहुंची , पंडित जी ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया ..और अपने अंगूठे को भी उसकी गांड के छेद से बाहर निकालकर अपने लंड को वहां पर ठूस दिया ..लंड पर लगे हुए घी की मदद से नूरी की गांड के घुसने में उन्हें ज्यादा मुशक्कत नहीं करनी पड़ी ..और नीचे से जैसे ही गिरधर के लंड को खाली छेद मिला वो खुले सांड की तरह वहां दाखिल हो गया ..


अपने दोनों छेदों में एक साथ लंड की हुकूमत महसूस करके नूरी झूम - २ कर चुदवाने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....हाअन्न्न्न्न्न .......ऐसे ही .............उम्म्म्म्म्म्म ....यही तो चाहती थी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......इतने दिनों से ......यही तमन्ना थी .....अह्ह्ह ...एक साथ ..दोनों ...जगह ...अह्ह्ह्ह .......बस ऐसे ही ....चोदो ...मुझे .....

फिर क्या था ...गिरधर ने अपने हाथों से उसकी कमर को लपेटा और उसके दांये मुम्मे को मुंह में ठूसकर नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए ..


पंडित जी ने नूरी की गांड के छल्ले में अपने लंड का पाईप पुरे प्रेशर से उतारना चालु रखा ..


दोनों के तेज धक्को से उसकी माँ - बहन एक कर दी .


''उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह .....अह्ह्ह्ह्ह ....येस्स्स…''


गिरधर उसके कानों को अपने मुंह में भरकर बुदबुदाया : "ले ....भेन की ड़ी ...अह्ह्ह ....ले .....तेरी चूत का बेन्ड बजा दूंगा आज .....अह्ह्ह ....ले साली ...कुतिया .....बड़ी आग है न तेरे अन्दर ...अह्ह्ह्ह्ह .....ले ...साली ...और ले ....और ले ....''


और उसके झटकों ने नूरी को अन्तरिक्ष की तरफ उछाल दिया ..ये तो भला हो पंडित जी का जिन्होंने नूरी की गांड में लंड डालकर उसे ऊपर जाने से रोका हुआ था ..वर्ना गिरधर के झटकों से उछलकर वो पता नहीं कहा उड़ गयी होती ..


पंडित जी ने नूरी के बालों को पकड़ कर उसकी कुतिया बना रखी थी ..जिसे वो इतनी बेदर्दी से चोद रहे थे जैसे किसी बात की खुन्दक निकाल रहे हो ..पंडित और गिरधर अपने -२ झटके ऐसी ले में एक साथ मार रहे थे की बीच में नूरी का शरीर पिस्स कर रह गया .दोनों एक साथ अपनी -२ तलवारें नूरी की चूत और गांड रूपी म्यान में से बाहर निकालते और उतनी ही तेजी से अन्दर भी घुसा डालते ..


नूरी की आँखे बंद थी ..सर हवा में घूम रहा था ..शरीर दोनों के बीच पिस्स कर जल रहा था ..ऐसा एहसास तो आज तक उसे कहीं नहीं मिला था ..बिना टिकट के वो अन्तरिक्ष की यात्रा कर रही थी .


और जल्दी ही उसकी हालत बिगड़ने लगी ..अपनी चूत के साथ-२ उसकी गांड के अन्दर भी ओर्गास्म बनने लगा ...सबसे पहले चूत का नंबर आया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........गिरधर ....अंकल .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......स्स्स्स्म्म्म्म्म्म .......मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''


गिरधर भी उसकी सेक्सी अंदाज को देखकर उसके होंठों को चबाते हुए उसकी चूत के गोदाम में अपना माल उतारने लगा ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ...नूरी .......क्या माल है तू .......उम्म्म्म्म ...ये ले .....सारा रस ले ले मेरा ......अह्ह्ह्ह्ह ....''


और फिर नंबर था पंडित जी का ..जो मेराथन के घोड़े की तरह भागते चले जा रहे थे उसकी गांड को मारते हुए ..और आखिरकार उनके घोड़े के मुंह से भी झाग निकलने लगी ..और नूरी की गांड के छल्ले को उन्होंने पूरा भर दिया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...नूरी .......ये ले ........मेरा प्रसाद भी ले .....अपनी गांड में ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......''


अपनी गांड के रास्ते एक मिनट के अन्दर ही अपने दुसरे ओर्गास्म को महसूस करके नूरी तो जैसे मरने के कगार पर पहुँच गयी ..वो बेहोश हो गयी ..पर पंडित जी को उसपर कोई दया नहीं आई ..वो उसकी गांड मारते ही रहे ..


और पंडित जी ने भी अपना पूरा रस उसकी गांड के अन्दर उतारने के बाद घोड़ी से नीचे उतरे और बेड के किनारे पर लेटकर अपनी साँसों पर काबू पाने लगे ..


पुरे कमरे में सेक्स की भीनी खुशबु तेर रही थी ...माधवी तो कब की उठकर जा चुकी थी नहाने के लिए ..


रितु अभी तक अपने पापा के रस को अपनी बॉडी पर किसी लोशन की तरह मॉल रही थी ..


पंडित जी ने नूरी को उठाकर उसे पानी पिलाया और फिर उसे कपडे पहनने को कहा ..काफी देर हो चुकी थी ..अपने-२ कपडे पहन कर दोनों बाहर निकल गए .


गिरधर धीरे से उठा और रितु को अपनी गोद में उठाकर बाथरूम की तरफ चल दिया ..जहाँ माधवी पहले से ही नंगी होकर नहा रही थी ..


बाप - बेटी को आता देखकर पहले तो माधवी वहां से जाने लगी, पर गिरधर ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा : "अब तो ये सब तुम्हारे सामने होता ही रहेगा ..यही रुको ..और तुम भी मजे लो ..''


माधवी भी जानती थी की अब तो ये रोज का खेल होगा वो भागती रहेगी तो उसका ही नुक्सान है ..इसलिए उसने सहमति जताते हुए गिरधर की बात मान ली और नीचे झुककर उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी ..और गिरधर भी खुश होते हुए अपनी फूल सी बेटी के पंखुड़ियों जैसे होंठों को चूसने लगा .
Reply
01-07-2018, 02:10 PM,
#47
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--46

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गतांक से आगे ......................

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गिरधर के घर से निकल कर पंडित जी ने नूरी को उसके घर के बाहर तक छोड़ा और फिर अपने घर की तरफ चल दिए ..

अगले दिन नूरी अपने शोहर के घर के लिए रवाना हो गयी .

पंडित जी भी जानते थे की अब उनकी दिनचर्या पहले जैसी व्यस्त नहीं रहेगी ..क्योंकि नूरी अपने ससुराल जा चुकी थी और माधवी और रितु को घर पर ही खुलकर चुदाई करने को मिल रही थी .

पंडित जी का अगला दिन बिना चूत मारे बीता ..जो इतने दिनों के बाद पहला मौका था ... पर इतने दिनों तक की लगातार चुदाई के बाद उनका जिस्म चूत मारने की एक मशीन बन चुका था, और चूत ना मिलने से उनके अन्दर एक अजीब सी बेचैनी होने लगी ..ये कैसा केमिकल रिएक्शन हुआ था उनके जिस्म का इतनी चूतें मारकर ..रात भर उन्हें नींद नहीं आई ...आखिरकार उन्हें अपना पहला शिकार शीला ही याद आई पर वो भी कई दिनों से मंदिर नहीं आई थी . उन्होंने निश्चय कर लिया की कल सुबह सब काम मिप्ता कर सबसे पहले उसके घर जायेंगे ..आखिर पता तो चले की वो इतने दिनों से आ क्यों नहीं रही .

सुबह मंदिर के काम निपटा कर पंडित जी शीला के घर की तरफ चल दिए. दरवाजा उसकी माँ ने खोला ..

माँ : "अरे पंडित जी ...आप ..हमारे अहोभाग्य ...आइये ..पधारिये ..''

पंडित जी अन्दर आ गए ..और बैठ गए , शीला कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी .

माँ : "पंडित जी ..आपने तो हमारी बेटी को एक नया जीवन दिया है ...पहले वो इतनी बुझी - २ सी रहती थी, पर जब से आपने पूजा - पाठ करके उसके अन्दर की सोयी हुई आत्मा को जगाया है, वो फिर से जीने लगी है ..आपका धन्यवाद देने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं है ..''

पंडित : "अरे नहीं मांजी ..आप ऐसा मत कहिये ..ये तो मेरा फ़र्ज़ था ..उसकी आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाकर मैंने उसके अन्दर सिर्फ चेतना जगाई है ..बाकी तो उसकी खुद की करनी है ..वैसे कई दिनों से वो मंदिर भी नहीं आई ..उसको एक विधि बतानी थी मैंने ..बस उसी के लिए आया था ..''

माँ : "ओहो ...दरअसल ..उसकी तबीयत ठीक नहीं है दो दिनों से ..मैं भी रोज -२ छुट्टी नहीं ले सकती थी स्कूल से ..उसकी छोटी बहन को भी आना था गाँव से ..इसलिए नहीं आई वो ..''

पंडित : "छोटी बहन ...?? पर उसके बारे में कभी बताया नहीं पहले ..वो तो हमेशा कहती है की वो अकेली बेटी है आपकी ." पंडित जी हेरान थे ..

माँ : "अब क्या बताऊ पंडित जी ...वो ...वो ...दरअसल ...''

कहते -२ उसकी माँ का चेहरा लाल सुर्ख होने लगा ..

माँ : "दरअसल ...उसका जन्म शीला के जन्म के 9 सालों के बाद हुआ था ..और घर पर जवान बेटी के रहते हुए मैं फिर से माँ बनने जा रही थी ..इसलिए मैं अपने गाँव चली गयी थी और उसकी डिलीवरी वहीँ करवा कर, उसे अपनी बहन की झोली में डालकर आ गयी थी ..यहाँ शहर में कोई बातें न बनाए , इसलिए किसी को पता नहीं है ..आपसे भी विनती है की आप किसी को मत बताइयेगा ..आपसे तो मैं ये सब छुपा नहीं सकती ..आप तो मन की बातें भी जान लेते हैं ..''

शीला ने शायद पंडित जी की मन की बात जानने वाली बात बता रखी थी अपनी माँ को ..

पंडित जी मन ही मन उसकी उम्र की केलकुलेशन करने लगे ..

अभी शीला लगभग 25 साल की है ..और उसकी बहन 9 साल छोटी है ...यानी ...वाह ..जवानी की देहलीज पर पाँव रख रही योवना होगी वो ..उसको तो देखना ही पड़ेगा ..

पंडित : "अच्छा ...कोई बात नहीं ..आप निश्चिंत रहिये ..मैं किसी से भी इस बात का
नहीं करूँगा ..वैसे शीला है कहाँ ...क्या मैं उसको देख सकता हु ..''

माँ : "हाँ ..हाँ ...क्यों नहीं ..मैं अभी हु उसको ...तब तक मैं आपके लिए पानी भिजवाती हु ..''

और इतना कहकर वो उठी और जोर से आवाज देकर बोली : "अरी कोमल .....ओ कोमल ...जल्दी से एक ठंडा गिलास पानी लेकर आ ...पंडित जी आयें हैं ..''

पंडित मन ही मन उसका नाम सुनकर खुश होने लगे ...नाम कोमल है ..वो भी कोमल होगी ..शीला भी कम नहीं है ..उसकी छोटी बहन तो कमाल होनी चाहिए ..

वो सोच ही रहे थे की ऊपर से भागते हुए क़दमों की आहट सुनकर वो चोकन्ने हो गए ..और उधर ही देखने लगे ..उन्हें पक्का विशवास था की कोमल ही होगी ..

वो कोमल ही थी ..

और जैसे ही वो नीचे आई, पंडित जी की आँखें खुली की खुली रह गयी ...इतनी गोरी चिट्टी लड़की उन्होंने आज तक नहीं देखि थी ..टीके नैन नक्श ..छोटे- २ बूब्स ..टी शर्ट और जींस पहनी हुई थी उसने ...पतले होंठों पर हलकी लिपस्टिक ..शराबी आँखों में काला काजल ..

वो तो किसी भी एंगल से अपनी माँ की बेटी नहीं लग रही थी ..पर हां ...शीला की छोटी बहन जरुर लग रही थी ..

और उसके पीछे -२ शीला भी भागती हुई नीचे आई ..और उसने आते ही कोमल को वापिस ऊपर जाने को कहा ..वो बिना कुछ कहे ऊपर चली गयी .

माँ : "अरे शीला ...तू क्यों आई नीचे ..कोमल को बुलाया था मैंने तो ..तेरी तबीयत ठीक नहीं है ...''

शीला पंडित जी को देखकर हडबडा सी रही थी ...
वो बोली : "जी ..जी ... माँ ...वो ...अब ठीक है ...इसलिए आई .....वो कोमल किचन के काम नहीं करती ...आपको तो पता ही है ..''

इतना कहकर वो जल्दी से किचन में गयी और पानी ले आई .

पंडित जी को उसका व्यवहार अजीब सा लगा ..उसके चेहरे को देखकर लग नहीं रहा था की वो बीमार है ..जरुर कुछ गड़बड़ है ...

माँ : "ये कोमल भी ना ...जैसे - २ जवान हो रही है, आलसी होती जा रही है ..पता नहीं क्या होगा इसका ..मैं देखती हु ..''

इतना कहकर वो ऊपर जाने लगी ..तो शीला ने टोक दिया : "अरे नहीं माँ ...तुम रहने दो ...मैं कर रही हु न ....''

पंडित जी को तो ऐसा प्रतीत हुआ जैसे शीला खुद ये नहीं चाहती की कोमल पंडित जी के सामने आये . पर वो ऐसा क्यों कर रही थी .

उसकी माँ बुदबुदाती हुई अन्दर चली गयी ..

उसके जाते ही शीला पंडित जी के पास आकर बैठ गयी ..वो पंडित जी से नजरें नहीं मिला रही थी ..

पंडित जी भी बड़े चालाक थे ..उन्होंने शीला से कहा : "क्या बात है शीला ..तुम इतने दिनों से आई नहीं मंदिर में ..तुम्हारी तबीयत तो ठीक लग रही है ...''

शीला : "वो ...बस ....ऐसे ही ....पंडित जी ....''

पंडित : "देखो ...मुझसे कोई बात छुपाने का कोई फायेदा नहीं है ..जलदो बताओ ...क्या चल रहा है तुम्हारे अन्दर ...''

पर शीला भी कम नहीं थी ...वो बोली : "कक्क ...कुछ नहीं पंडित जी ....वो मेरी तबीयत भी ठीक नहीं थी ..और वो छोटी भी आई हुई थी ..इसलिए ..''

पंडित : "ह्म्म्म ...पर इस छोटी के बारे में तुमने पहले कभी नहीं बताया ...मुझसे छुपा कर रखना चाहती हो क्या ...''

पंडित जी की बात सुनकर वो ऐसे चोंकी जैसे पंडित जी ने उसकी चोरी पकड़ ली हो ..वो फटी हुई आँखों से पंडित जी को देखती रह गयी, उसके मुंह से कुछ नहीं निकला ..

पंडित जी समझ गए उसकी दुविधा और उसके मंदिर ना आने का कारण ..वो अपनी बहन को पंडित जी के साए से भी बचा कर रखना चाहती थी ..और बचाए भी क्यों ना , वो पंडित जी को पूरी तरह से जान चुकी थी, उनकी चुदाई कई बार देख चुकी थी ..और उनके हुनर से वो अच्छी तरह से वाकीफ थी ..वो जानती थी की पंडित जी की नजरों में अगर उसकी बहन आ गयी तो कहीं पंडित जी उसके साथ भी .....इसलिए जब से कोमल आई थी, वो पंडित जी से मिलने भी नहीं गयी थी ..घर पर भी बीमारी का बहाना बना दिया था ..ताकि उसके घर पर भी कोई ना बोले की कहाँ तो रोज , दिन - रात मंदिर के चक्कर लगाती थी और कहाँ बहन के आते ही सब दिनचर्या बदल गयी .

पर उसे क्या पता था की पंडित जी घर ही आ जायेंगे ..और कोमल को देख भी लेंगे अचानक ..पर पंडित जी तो जैसे अपने मन में कोमल को चोदने का प्लान बना चुके थे ..

पंडित जी की आँखों में छिपे इरादों को भांपकर शीला एक दम से पंडित जी के पैरों में गिर पड़ी : "पंडित जी ....आप जो सोच रहे हैं ..वो भूल जाइये ...वो बच्ची है अभी ...उसे कुछ भी पता नहीं है इन चीजों के बारे में ..आप ....आप ...चिंता मत करिए ..मैं आउंगी अभी ...बस थोड़ी देर में ...आप चलिए ...मैं आती हु आपके कमरे में ....आप जो कहेंगे मैं करुँगी ..जिसके साथ कहेंगे मैं करुँगी ...पर ....पर आप ....कोमल ....के बारे में ....प्लीस ...कुछ न सोचिये ...''

अपनी बहन को बचाने के लिए शीला भावुक सी होकर रोने लगी ....उसके दिल में छुपे बहन के प्रति प्यार को देखकर पंडित जी भी जान गए की अगर जबरदस्ती करी तो शीला भी हाथ से निकल जायेगी ..

वो सोचने लगे ...अपने मन में योजनायें बनाने लगे ...बात अब उनकी आन पर आ गयी थी ..

पंडित जी वहां से निकलकर अपने घर की तरफ चल दिए .

एक बात तो पंडित जी जान ही चुके थे की शीला अपनी छोटी बहन को उनसे बचाना चाहती है ..और उसकी हडबडाहट और रवैय्या देखकर वो सब साफ़ महसूस हो रहा था .

वो घर पहुंचकर नहा धोकर बैठ गए और शीला का इन्तजार करने लगे और उन्हें ज्यादा इन्तजार भी नहीं करना पड़ा शीला लगभग भागती हुई वहां पहुंची और जल्दी से दरवाजा बंद करके अपनी साडी खोलने लगी ..

पेटीकोट और कसे हुए ब्लाउस में वो कमाल की लग रही थी ..पर पंडित जी का इरादा कुछ और था ..वो आराम से बैठे रहे .

शीला ने उनकी तरफ देखा ..और धीरे-२ अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी ..पंडित जी किसी राजा की तरह से बैठकर उसे बेपर्दा होते हुए देख रहे थे ..

ब्लाउस के निकलते ही उसकी ब्लेक और रेड कलर की ब्रा सामने आ गयी ..ये कोई नयी ब्रा थी, पंडित जी ने आजतक नहीं देखि थी ..पर उसे देखकर भी पंडित जी अपनी जगह से हिले नहीं ..वो चुपचाप बैठकर देखते रहे .

उसके बाद जैसे ही शीला ने अपना पेटीकोट नीचे गिराया , पंडित जी खुद गिरते-२ बचे ..उसकी मेचिंग पेंटी थी ....उसकी चूत जिसे उन्होंने ना जाने कितनी बार चूसा था, मारा था ,उसकी पतली सी पेंटी के अन्दर से भी उभर कर ऐसे लश्कारे मार रही थी जैसे हीरे की खान हो अन्दर ..उसकी चूत के बोर्डर पर गाड़े पानी का झरना रुका हुआ सा प्रतीत हो रहा था ..पंडित का मन तो कर रहा था की जाए और उस झरने में नहा ले ..पर अभी उसे थोड़ी अकड़ दिखानी थी ..

सिर्फ ब्रा-पेंटी पहनी हुई शीला किसी सेक्स बम जैसी लग रही थी ...जब से वो आई थी, दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी ..और अब ये बात शीला को खटक रही थी ..वो लगभग नंगी होने के कगार पर थी और पंडित जी अपनी जगह से हिले भी नहीं थे ..उसे तो लगा था की पंडित जी उसे ऐसी हालत में देखकर भूखे शेर की तरह उसपर टूट पड़ेंगे ..पर ऐसा हुआ नहीं .

वो धीरे से मुस्कुराती हुई आई और पंडित जी के सामने बेड पर आकर बैठ गयी .


शीला : "क्या हुआ पंडित जी ..आज आप मुझे ऐसी हालत में देखकर भी आराम से बैठे हुए हैं ..''

उसने अपने मोटे-२ मुम्मों की तरफ इशारा करते हुए पंडित जी से कहा ..

पंडित : "तुमने आते ही अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए ..मैंने कब कहा की आज मैं तुम्हारी चूत मारने के मूड में हु ..''

पंडित जी ने अपनी ईगो दिखाई ..

शीला समझ गयी की पंडित जी कोमल वाली बात को लेकर अभी तक उससे नाराज है ..

शीला : "पंडित जी ..आप समझने की कोशिश करिए ..उसे मैंने अपनी बेटी की तरह पाला है .. और उसकी उम्र ही क्या है अभी ..इसलिए मैंने ये सब किया ...''

पंडित : "पर मैंने तो तुम्हारी बहन का जिक्र भी नहीं किया ..तुम अगर उसकी हिफाजत माँ बनकर करना चाहती हो तो मुझे क्या प्रॉब्लम हो सकती है ..मुझे तो बस इस बात की शिकायत है की तुम इतने दिनों तक आई नहीं मेरे पास ..''

पंडित जी ने बड़ी चालाकी से बात पलटी ..

शीला भी अब निश्चिन्त सी हो गयी ..और मुस्कुराते हुए बोली : "मुझे तो बस उसी बात की चिंता थी ..वर्ना जब से आपसे मिलन हुआ है, उस दिन से रोज मुझे आपका महाराज मेरी रानी के अन्दर चाहिए ..''

वो किसी रंडी की तरह से अपनी टांगो को फेला कर अपनी चूत को पेंटी के ऊपर से ही रगड़ने लगी ..

अब पंडित जी का मनोबल भी टूटता सा दिख रहा था ..

पंडित : "पर फिर भी ..तुम्हे आकर मुझे बताना तो चाहिए था ना ..''

पंडित अभी भी भाव खा रहा था .

शीला ने अपनी ब्रा के दोनों स्ट्रेप अपने कंधे से गिरा दिए ..और पंडित जी की तरफ खिसक आई ..और बोली : " तो मेरी गलती की सजा इन्हें क्यों दे रहे हो आप ...इनका क्या कसूर है इसमें ..''

उसके दोनों सफ़ेद और मोटे मुम्मे छलक कर बाहर निकल आये ..और उनपर लगे हुए भूरे निप्पल अपने हाथों में पकड़कर जैसे ही शीला ने मसला ..वो खुद ही कराह उठी ..शायद आवेश में आकर थोड़े जोर से मसल दिया था उन्हें ..

शीला ने अपनी पेंटी के कपडे को ऊपर से पकड़कर जोर से खींचा तो वो पतला सा होकर चूत की दरार के अन्दर घुस गया ..और चूत के दोनों होंठ पतले कपडे के दोनों तरफ फेलकर फुफकारने लगे ..और वो बोली : "और इसका भी क्या कसूर है ..मेरी नासमझी की सजा इसको पहले से ही मिल रही है ..अब तो ये बर्दाशत नहीं कर पाएगी ..देखिये ..देखिये न ...कैसे आपको देखते ही इसके मुंह में पानी आ गया है ..''

उसकी साँसे तेजी से चलने लगी ..चार दिन का गुबार अन्दर इकठ्ठा हुआ पड़ा था ..वो उसके मुंह की गर्म साँसों और चूत के गाड़े पानी के रूप में बाहर निकलने लगा ..

शीला : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म ...पंडित जी ......अब और कितना तरसाओगे ....निकालो अपना नाग ...निकालो ना ....''

पंडित जी ने कुछ नहीं कहा और अपनी टाँगे फेला दी शीला के सामने ..

वो किसी बिल्ली की तरह वहां झपटी और आनन् फानन में उनकी धोती और कच्छे को निकाल फेंका ..और जैसे ही उसे सामने पंडित जी का नाग आया, वो उसे अपने मुंह के अन्दर ऐसे ले गयी जैसे ऑक्सीजन का पाईप हो ..और अन्दर लेते ही जोर-२ से साँसे लेते हुए वो उसे चूसने लगी ..

''उम्म्म्म्म्म। ....स्स्स्स्स्स्स ......कितना मिस्स किया है मैंने ये सब .....ये मुझे ही पता है ...पुच्च्छ्ह्ह ....''

पंडित जी की तो जैसे शामत आ गयी थी ..उत्तेजना के ज्वार भाटे में बहकर वो अपने दांतों का भी इस्तेमाल कर रही थी ..जिसकी वजह से पंडित जी को परेशानी हो रही थी ..
Reply
01-07-2018, 02:11 PM,
#48
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--47

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गतांक से आगे ......................

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पंडित : "उम्म्म्म्म .....धीरे .......दांत मत मारो ....शीला .....अग्ग्ग्ग्ग्ग ह्ह्ह्ह ,,,,,,''

पर वो जंगली बिल्ली कहाँ मानने वाली थी ...उसने अपने प्रहार जारी रखे ..

पंडित जी ने सामने लेटी हुई शीला की चूत की तरफ हाथ बड़ाया और जैसे ही अपनी उँगलियाँ वहां डाली वो पूरी गीली हो गयी ..ऐसा लगा जैसे वो झड गयी हो ..पर ऐसा हुआ नहीं था ..

इतने दिनों के बाद की चुदाई वैसे भी मजेदार होती है ..शीला ने जल्दी से अपनी ब्रा-पेंटी निकाली और उन्हें नीचे फेंक कर वो पंडित जी पर सवार हो गयी ...

और उनके खड़े हुए लंड को जैसे ही उसने अपने हाथों में लेकर अपनी चूत पर लगाया ..उसकी धड़कन इतनी तेजी से चलने लगी की उसकी आवाज पंडित जी को बाहर तक सुनाई दे रही थी ..और एक जोरदार चीख के साथ वो उनके लंड को निगल गयी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .......पंडित ......जीईईईई .............. अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...... चोदो .......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....मुझे .......''

पंडित जी ने अपने हाथ ऊपर किये और उसके दोनों खरबूजे अपने हाथों में पकड़कर मसल डाले और जोर-२ से धक्के मारकर उसकी चूत मारने लगे ...

''अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ उम्म्म उम्म्म ........अह्ह्ह्ह ...ऐसे ही .....और तेज .....और तेज .....अह्ह्ह्ह ....और तेज ....''
पंडित जी का रोकेट उसकी चूत में झटके मार रहा था ..और वो अपना मुंह फाड़े उसे अन्दर जाते हुए देख रही थी ..

और तेज धक्के मारने के चक्कर में आज पंडित जी का भी झड़ना शीला के साथ-२ हो गया. ..और दोनों एक साथ चीखते हुए अपने -२ ओर्गास्म को महसूस करके अपने दांत किटकिटाते हुए झड़ने लगे ...

''अह्ह्ह्ह्ह ,,......पंडित जी .......उम्म्म्म्म्म्म .....मजा आ गया ......अह्ह्ह्ह्ह ....''
पंडित जी के लंड की पिचकारी उसकी चूत में चल गयी थी ..उन्होंने अपना लंड बाहर खींचा और बची हुई एक-दो पिचकारियाँ बाहर भी निकली जो उसकी गांड के केनवास पर बिखर कर एक नयी कलाकृति का निर्माण कर गयी ..

पंडित जी भी बेचारे कुछ बोलने के काबिल नहीं बचे थे ..
उन्होंने अपने लंड को दोबारा अन्दर डाला पर वो फिसलकर बाहर निकल आया और पीछे -२ आया शीला की चूत से ढेर सारा गाडा और सफ़ेद रस ..

उसके बाद शीला ने अपने कपडे समेटे और पहनकर अपने घर की तरफ निकल गयी ..

शाम को पंडित जी अपने कार्यों से निपट कर बाजार की तरफ निकले ..उन्हें कुछ सामान भी लेना था ..

एक बड़े सिनेमाघर के सामने से निकलते हुए उन्हें अचानक वहां कोमल दिखाई दी ..

वो चोंक गए ..वो अकेली थी ..जींस और टी शर्ट में ..सर पर स्कार्फ लपेटा हुआ था ..जो उसके चेहरे को भी छुपा रहा था ..पर पंडित जी उसे देखते ही पहचान गए ..वो छुपकर देखने लगे की वो वहां कर क्या रही है .

वो जहाँ खड़ी थी वहां काफी अन्धेरा था ..और वो दिवार पर लगे हुए पोस्टर को देख रही थी ..शायद किसी मूवी का था जो उस सिनेमाघर में लगी हुई थी ..


पहले तो उन्होंने सोचा की हर जवान लड़के / लड़की की तरह इसे भी शायद फिल्मों का शोंक है ..इसलिए शायद बाजार जाते हुए पोस्टर देखकर रुक गयी होगी ..पर जैसे ही पंडित जी का ध्यान उस पोस्टर पर गया उनकी आँखे फटी की फटी रह गयी ..वो एक एडल्ट फिल्म का पोस्टर था ..''जवानी का नशा'' जिसमे हीरो ने हीरोइन को अपनी बाहों में लपेटा हुआ था ..और उसे लिप्स पर किस्स कर रहा था ..दोनों ऊपर से नंगे थे ..

ओहो ...तो ये बात है ...जवान हो रही कोमल को जवानी का नशा चढ़ रहा है ..और वो पोस्टर को देखकर अपने अन्दर की आग और जिज्ञासा शांत कर रही है ..

पंडित जी मन ही मन मुस्कुराने लगे ..उन्हें कोमल को पटाने का आईडिया मिल चुका था ..और वो बाहर निकल आये और कोमल की तरफ चल दिए ..

और उसके पीछे जाकर उन्होंने उसे पुकारा : "कोमल ......''

पंडित जी की आवाज सुनते ही कोमल ने पलटकर देखा ..और पंडित जी को अपने सामने देखकर उसके चेहरे का रंग पीला पड़ गया ..उसे तो शायद आशा भी नहीं थी की इस शहर में कोई उसे पहचान लेगा ..वो हडबडा उठी .

कोमल : "आप .....य ....यहाँ ......''

पंडित : "हाँ ...मैं ..यहाँ ...पर तुम यहाँ क्या कर रही हो ..''

कोमल : "जी ....जी ...वो ....मैं .....मैं तो .....बस ...मार्किट आई थी ...''

वो शायद जानती थी की पंडित जी ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया है ..गन्दी मूवी का पोस्टर देखते हुए ..

पंडित जी उसके चेहरे को देखते हुए उसके मन में चल रहे अंतरद्वंद को पड़ने की कोशिश कर रहे थे, वो अपने हाथों की उँगलियों को मसल रही थी ..और अपनी आँखे पंडित जी से नहीं मिला पा रही थी .

पंडित : "ये देख रही थी ...''

उन्होंने पोस्टर की तरफ इशारा किया ..वो मना करने की स्थिति में नहीं थी ..उसने अपना सर झुका लिया .

पंडित : "चलो मेरे साथ ..!"

उसने एक दम से अपना चेहरा ऊपर उठाया ..उसमे डर के भाव थे ..

पंडित : "घबराओ मत ...मैं तुम्हारी दीदी को नहीं बोलूँगा ..चलो मेरे साथ ..यहाँ खड़ा होना सही नहीं है ..''

वो दोनों आगे चल दिए ..और एक बड़े से पेड़ के नीचे जाकर पंडित जी खड़े हो गए और कोमल से बोले : "मैं जानता हु की तुम्हारी उम्र में ये सब स्वाभाविक है ..ऐसी बातें मन को लुभाती है ..अगर तुम चाहो तो मुझसे ये सब बातें खुलकर कर सकती हो ..हो सकता है की मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकू ..''

वो धीरे से बोली : "पर ....पर ...दीदी ने आपसे ज्यादा बात करने से मना किया है ..''

पंडित जी की तो झांटे ब्राउन हो गयी कोमल की बात सुनकर ..शीला ने अपनी बहन को ऐसा कैसे बोल दिया ..

पर वो भी सही थी अपनी जगह, शीला अच्छी तरह से जानती थी की पंडित जी की नजर पड़ने के बाद उसकी मासूम सी बहन का क्या हश्र होगा ..अब पंडित जी को भी चालाकी से काम लेना होगा ..कुछ इस तरह से की उनकी हरकतों की खबर शीला तक ना पहुंचे वर्ना कोमल के साथ-२ शीला भी हाथ से निकल जायेगी .

पंडित : "वो इसलिए की तुम अभी छोटी हो ना ..ये सब बातों के लिए तुम्हारी उम्र अभी कम है ..वो तुम्हे बच्चा समझती है अभी ..''

कोमल (थोडा ऊँचे स्वर में) : "ऐसा कुछ नहीं है ...मेरे गाँव में भी मुझसे समझदार कोई नहीं है ..माँ और दीदी तो बस मेरे पीछे ऐसे ही पड़ी रहती हैं ..उन्हें अभी पता नहीं है की मुझमे इन बातों की कितनी समझ है ..''

पंडित जी ने जैसा सोचा था , वैसा ही हुआ था, चोट सही जगह पर लगी थी ..और कोमल आखिरकार पंडित जी के बहकावे में आकर बोलती चली गयी ..

पंडित : "अच्छा ...पर जिस तरह से तुम वो पोस्टर देख रही थी ..लग तो नहीं रहा था की तुम्हे इन सब के बारे में कुछ मालुम भी है ..''

कोमल का गोरा रंग गुलाबी हो गया ..वो बोली : "ये मूवीज में तो कुछ ज्यादा ही दिखाते हैं ..वैसे मेरी सहेलियों ने जो बताया है ..और मैंने जो देखा है किताबो में ..ये शायद उनसे अलग होता होगा ...बस यही देख रही थी ..और ..और ...''

पंडित : "हाँ ...हाँ ..बोलो, शरमाओ मत ...मैं कोई भी बात तुम्हारी दीदी से नहीं कहूंगा ..''

वो थोडा आश्वस्त हो गयी ..और बोली : "मैंने अपनी क्लास की लड़कियों से शर्त लगायी है इस बार ..की यहाँ शहर में आकर मैं हर वो चीज करुँगी ..जिसकी हम सभी बातें करते हैं ..''

पंडित : "अच्छा ...क्या बातें करती हो तुम सभी ..''

वो फिर से शरमा गयी ..और धीरे से बोली : "वो मैं आपको नहीं बता सकती ..''

वो पंडित जी से नजरें नहीं मिला रही थी ..और मुस्कुराती जा रही थी ..

पंडित : "चलो कोई बात नहीं ...मत बताओ ..पर एक बात तो मैं जान ही चूका हु उनमे से ..''

कोमल ने एकदम से चोंक कर पंडित जी की आँखों में देखा ..वो धीरे से बोले : "तुम ये गन्दी वाली मूवी देखना चाहते हो ना ..''

उसकी आँखों में आई चमक को देखकर और फिर उसके शर्माने के अंदाज से पंडित जी समझ गए की उनका ये तीर भी निशाने पर लगा है .

पंडित : "तुम अगर चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हु इसमें ...ये मूवी देखने में ..''

कोमल : "पर कैसे ...मैंने अभी देखा वहां कोई भी लड़की नहीं थी ..सब गंदे-२ लड़के थे बस ..''

पंडित : तुम चाहो तो मेरे साथ चल कर तुम भी वो मूवी देख सकती हो ..बस हमें अपना हुलिया बदल कर जाना होगा वहां ..तुम्हे इसलिए की तुम लड़की हो ..तुम्हे लड़का बनकर चलना होगा ..और मुझे यहाँ ज्यादातर लोग जानते हैं ..कोई मुझे ना पहचान ले इसलिए मुझे भी अपना भेष बदल कर जाना होगा ..''

वो कुछ देर तक सोचती रही ..और फिर चहक कर बोली : "वाव ...ऐसा तो मूवीज में होता है ...मजा आएगा ...मैं तैयार हु ...बोलो कब चलना है ..''

उसके चेहरे की ख़ुशी देखकर पंडित का मन तो कर रहा था की उसे वहीँ पकड़ कर रगड़ डाले और उसके गुलाबी होंठों को चूसकर उनका रस पी जाए ..और जो मूवी में देखना चाहती है, वो यहीं उसे दिखा दे ..पर वो कोमल को पूरी तरह से अपने शीशे में उतारना चाहते थे ..

पंडित : "कल दोपहर का शो देखने आते हैं यहाँ ..उस वक़्त ज्यादा भीड़ नहीं होती ..ठीक है ..''

कोमल : "ठीक है ..कल मिलते हैं ...पर आप प्लीस दीदी से इस बारे में कोई जिक्र मत करना ..मैं उनसे कहकर आउंगी की एक कोर्स के बारे में पता करने जाना है ..ठीक है ..''

अब उस पगली को ये बात कौन समझाए की ये बात तो पंडित जी को बोलनी चाहिए थी की अपनी शीला दीदी से इस बारे में कोई बात ना करे .

अब अगले दिन मंदिर में मिलने का समय निर्धारित करने के बाद वो दोनों अपने-२ रास्ते चले गए ..

पंडित जी ने रास्ते से कल के मेकअप के लिए जरुरी सामान और कपडे ले लिए ..उन्हें भी अन्दर से रोमांच का एहसास हो रहा था ये सब करते हुए ..

अगले दिन कोमल ठीक 11 बजे पंडित जी के मंदिर में पहुँच गयी ..उस वक़्त मंदिर में 4 -5 लोग थे, पंडित जी ने उसे बैठने का इशारा किया और उनसे निपटने के बाद वो उसे अपने कमरे में ले आये ..जहाँ उन्होंने उसकी शीला दीदी के अलावा ना जाने कितनी चूतों का उद्धार किया था ..

कोमल : "वह पंडित जी ..आपका कमरा तो बड़ा सही है ..अकेले रहते हो आप यहाँ ...''

वो शायद कुछ कन्फर्म कर रही थी ..

पंडित : "हाँ ..अकेला रहता हु ..कभी भी मेरी जरुरत हो तो बेझिझक आ सकती हो ..''

वो मुस्कुरा दी ..कुछ न बोली ..

आज वो टी शर्ट और जींस पहन कर आई थी ..

पंडित जी ने एक थेला उसे दिया और बोले : "इसमें एक टी शर्ट है ...और ..और एक कपडा ...भी ...वो अन्दर पहन लेना ..''

वो कुछ समझी नहीं ...उसने थेले के अन्दर से टी शर्ट निकाली ...वो लडको वाली टी शर्ट थी .. और फिर उसने अन्दर हाथ डालकर वो कपडा भी निकाला ..वो स्पोर्ट्स ब्रा थी ..बिलकुल छोटी सी ...जिसे देखकर वो शरमाने के साथ-२ चोंक भी गयी ..

पंडित : "ये नीचे पहन लो ...ताकि तुम्हारी ...ये ....ये ...छातियाँ देखकर कोई समझ ना सके की तुम लड़की हो ..''

पंडित ने अपने हाथ की उँगलियों से उसकी ब्रेस्ट की तरफ इशारा किया ..

कोमल ने जल्दी से दोनों कपडे वापिस अन्दर डाले और भागकर बाथरूम में चली गयी ..

पंडित जी मन ही मन मुस्कुराने लगे ..

उन्होंने भी जल्दी से अपने लिए लाये हुए टी शर्ट और जींस को निकाल और पहन लिया ..

ऐसे कपडे उन्होंने करीब दस सालों के बाद पहने थे ...वर्ना हमेशा धोती कुरता ही पहनते थे वो ..

फिर उन्होंने एक नकली मूंछ निकाली और लगा ली ..अब वो बिलकुल भी पहचाने नहीं जा रहे थे ..

तभी कोमल भी बाहर निकली ..पंडित जी की नजर सीधा उसकी छाती पर गयी ..जो अब लगभग ना के बराबर दिख रही थी ..

वो अपनी नजरें नीची करके सामने आकर खड़ी हो गयी ..

स्पोर्ट्स ब्रा पहनने की वजह से उसकी 32 नंबर की छातियाँ बिलकुल सपाट हो गयी थी ..उन्होंने एक और मूंछ निकाली और उसके होंठों के ऊपर लगा दी ..और फिर एक लाल रंग की स्पोर्ट्स केप भी निकाल कर उसे पहना दी ..अब वो एक जवान लड़के जैसा दिख रही थी ..

और फिर दोनों पीछे वाले दरवाजे से निकल कर सिनेमा हाल की तरफ चल दिए ..

जहाँ लगी थी वो मूवी ..''जवानी का नशा''

कमरे से बाहर निकलकर पंडित जी को बस यही चिंता सता रही थी की कहीं कोई उन्हें पहचान तो नहीं जाएगा ..

वो कहते है न, गलत काम करने वाला हमेशा डरता है ..और हो भी यही रहा था , पंडित जी की हालत खराब थी ..पर ये रोमांच भी कुछ कम नहीं था .

अचानक पंडित जी की गांड फट कर उनके हाथ में आ गयी .

सामने से शीला आ रही थी . और वो शायद पंडित जी के कमरे की तरफ ही जा रही थी .

पंडित जी ने धीरे से कोमल से कहा : "अपना मुंह नीचे कर लो ..तुम्हारी दीदी आ रही है ..''

उसकी भी फट कर हाथ में आ गयी ..उसने वैसे तो कपडे ऐसे पहने थे और हुलिया चेंज किया हुआ था, फिर भी उसने अपना सर नीचे झुका लिया ताकि टोपी के पीछे उसका चेहरा पूरा छुप जाए .

शीला तेजी से चलती हुई आई और उनपर एक नजर डाल कर आगे निकल गयी ..

उसने पंडित जी को पहचाना ही नहीं ..पंडित जी की सांस में सांस आई ..उनका मेकअप काम कर गया था .

अब वो बिना किसी डर के चलने लगे ..जब उन्हें शीला ने नहीं पहचाना तो और कोई कैसे पहचानेगा ..

मेन रोड पर पहुंचकर उन्होंने एक ऑटो लिया और उसमे बैठ गए ..उसमे पहले से ही चार लोग बैठे थे ..कोमल ऊपर चढ़ कर बीच में फंस कर बैठ गयी तो पंडित जी के लिए जगह ही नहीं बची ..

ऑटो वाले ने उनसे कहा की वो आगे आकर उसके साथ बैठ जाए ..अक्सर यही करते हैं ये ऑटो वाले ..पंडित जी बिना कुछ बोले आगे आ गए और बैठ गए ..उन्होंने पीछे मुंह करके कोमल को आश्वस्त किया की थोड़ी देर की ही बात है ..एडजस्ट कर लो बस .

पर उन्हें क्या पता था की कोमल जिनके साथ बैठी है उनमे से एक आदमी तो पंडित जी को अच्छी तरह से जानता था ..और पंडित जी जब कोमल को इशारा कर रहे थे तब उन्होंने उसका चेहरा देखा ..वो चुपचाप आगे मुंह करके बैठ गए .

अपने साथ बैठाते ही उस आदमी ने ,जिसका नाम हरिया था , अपना हाथ घुमा कर उसके कंधे पर रख दिया ..

कोमल : "ये क्या बदतमीजी है ..हाथ पीछे करिए ..''

गुस्से में उसकी लड़कियों वाली आवाज ही निकल गयी ..जिसे सुनकर हरिया हंसने लगा ..वो बोला : "साले , लड़कियों जैसा दीखता है और आवाज भी वैसी ही है ..''

पंडित जी ने पीछे मुड़ कर देखा और आँखों ही आँखों में कोमल को चुप रहने को कहा ..कहीं उनकी पोल पट्टी ही ना खुल जाए ..

वो बेचारी करती भी क्या, खून का घूंट पीकर वो चुपचाप बैठ गयी ..

अब हरिया को भी मस्ती सूझ रही थी , उसने अपने हाथ से उसके कंधे को दबाना शुरू कर दिया ..उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर रखा था , और वो सिर्फ उसके कोमल शरीर पर अपने हाथ लगाकर उसके एहसास का मजा ले रहा था ..

कोमल के नथुनों में उसके पसीने की गन्दी स्मेल आ रही थी ..उसे अक्सर ऐसे सपने आते थे जिसमे नीचे तबके के लोग उसके साथ गलत हरकत कर रहे हैं ..और आज उसे वो सपना सच होता दिख रहा था .

हरिया ने सोचा भी नहीं था की किसी लड़के की बॉडी इतनी सॉफ्ट भी हो सकती है ..चेहरा तो इतना चिकना था ..कोमल ने दूसरी तरफ चेहरा किया हुआ था जिसकी वजह से उसकी लम्बी और गोरी गर्दन हरिया के चेहरे से सिर्फ पांच इंच की दुरी पर थी ..हरिया के मन में ना जाने क्या आया की उसने आगे बढकर कोमल की गोरी गर्दन पर अपने खुरदुरे होंठ रख दिए ..और जोर से चूम लिया ..

कोमल का पूरा शरीर झन्ना उठा , उसके शरीर पर किसी ने पहली बार अपने होंठ लगाए थे ..पर वो इतने गंदे और गलत इंसान के होंगे ये उसने नहीं सोचा था, वो लगभग चिल्ला उठी ..

''साले ...कर क्या रहा है तू ..समझ क्या रखा है तूने मुझे ..''

उसकी गुर्राती हुई आवाज सुनकर सभी लोग उनकी तरफ देखने लगे ..और हरिया सकुचा कर अपने आप ऑटो से उतर गया ..उसके उतरते ही पंडित जी पीछे गए और कोमल के साथ जाकर बैठ गए .

और उन्होंने भी कोमल के कंधे से हाथ घुमा कर उसके पीछे रख दिया ..

पर हरिया और पंडित जी में फर्क था ..जिसे कोमल ने महसूस किया ..पंडित जी के शरीर से भीनी -२ महक आ रही थी ..उनके हाथ के स्पर्श में एक नर्म एहसास था ..एक सुरक्षा का एहसास था ..उसने अपना सर पीछे करके पंडित जी की बाजू पर टिका दिया ..और सफ़र ख़त्म होने का इन्तजार करने लगी .
Reply
01-07-2018, 02:11 PM,
#49
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--48

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गतांक से आगे ......................

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पंडित जी की नंगी बाजू पर कोमल की नर्म और ठंडी गर्दन अपना असर छोड़ रही थी ..और उनका एफ्फिल टावर खड़ा होने लगा ..और पेंट पहनने की वजह से उन्हें बैठने में परेशानी भी हो रही थी ..उन्होंने बड़ी मुश्किल से वहां हाथ रखकर अपने उभार को कोमल की नजरों से बचाया ..

खेर, थोड़ी ही देर में उनका स्टेंड आ गया और वो उतर गए ..पंडित जी ने जाकर टिकट ली और वो दोनों अन्दर चल दिए ..

वो एक पुराना सा सिनेमा हाल था, जहाँ सिर्फ बी ग्रेड मूवीज ही लगती थी ...वहां ज्यादातर आदमी ही आये हुए थे ..दो तीन औरतें भी थी ..पर पंडित जी की नजरों ने पहचान लिया की वो सब धंधे वाली औरतें थी , जो सिर्फ थोड़े रूपए और मस्ती के लिए किसी के साथ भी मूवी देखने घुस जाती थी ..

टिकट चेकर ने पंडित जी की तलाशी ली और उन्हें अन्दर जाने दिया ..पीछे-२ कोमल भी थी , उसके शरीर पर भी चेकर ने बड़े ही केसुअल तरीके से हाथ फेरे ..पर उसके गुदाजपन का एहसास होते ही उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी ..उसने एक बार और अपना हाथ फेरना शुरू किया ..खासकर उसके जांघो पर ..जहाँ उसके हाथ चिपक कर रह गए ..और उसकी उँगलियों की चुभन कोमल को अन्दर तक महसूस हुई ..पर वो कुछ न बोली ..फिर उसके हाथ फिसलते हुए ऊपर आये और उसके कुलहो और कमर के बाद उसकी छातियों पर आकर फिर से रुक गए ..और उसने उन्हें दबा दिया ..

तभी पीछे से आवाज आई : "अरे भाई ..इसकी ही तलाशी लेता रहेगा क्या ..जल्दी कर , मूवी शुरू होने वाली है ..''

बेचारे को बेमन से कोमल को छोड़ना पडा ..और वो भागकर अन्दर आ गयी, जहाँ पंडित जी पहले से ही सीट पर जाकर बैठ गए थे, उन्होंने कोमल को हाथ का इशारा करके अपनी तरफ बुलाया, वो वहां जाकर बैठ गयी ..उसके शरीर में अभी तक टिकट चेकर की उँगलियों की चुभन का एहसास हो रहा था , आज तक उसके शरीर को किसी ने इस तरह नहीं छुआ था ..पहले ऑटो में वो आदमी और अब यहाँ ये टिकेट चेकर ने भी उसे जैसे रोंद सा डाला था ..

वो धीरे से पंडित जी के कानो में बोली : "वो ऑटो वाला आदमी भी बदतमीज था और ये चेकिंग वाला भी ..''

पंडित जी के कानो में उसके होंठों का स्पर्श उन्हें मदहोश सा कर गया ..उन्होंने अपना होश संभाला और उसके कानो में बोले : "गलती उनकी नहीं है ...तुम्हारे शरीर की कोमलता है ही ऐसी की वो अपने आप को रोक नहीं पाए ...''

कहते -२ पंडित जी ने अपने हाथ की उंगलिया उसकी नंगी बाजुओं पर फेरा दी ..कोमल के रोंगटे खड़े हो गए उनकी बात और टच को महसूस करके ..

वो कुछ न बोली और चुपचाप बैठकर फिल्म के शुरू होने का इन्तजार करने लगी .

थोड़ी ही देर में पिक्चर शुरू हो गयी ..

कोमल की आँखों में चमक आ गयी, जैसे ही फिल्म का नाम स्क्रीन पर आया ..उसने झट से अपना मोबाइल निकाला और मूवी के नाम की फोटो खींच ली ..

पंडित : "ये किसलिए ..?"

कोमल : "सबूत के लिए ..अपनी सहेलियों को दिखाउंगी न ..नहीं तो वो बोलेंगी की मैं गप्पे मार रही हु .."

पंडित जी मुस्कुरा दिए .

दस मिनट के बाद ही मूवी में एक गर्म सीन आ गया , जिसमे हिरोइन सफ़ेद कपडा पहन कर झरने के नीचे नहाते हुए गाना गा रही थी और एक विलेन उसको छुप कर देख रहा था .. भीगने की वजह से वो कपडा पारदर्शी हो गया और उसके दोनों मुम्मे चमकने लगे ..पंडित जी का भी लंड खड़ा होने लगा वो देखकर ..उन्होंने तिरछी नजरों से कोमल को देखा जो अपनी नजरें झुका कर उस सीन को देख रही थी ..

गाना ख़त्म होते ही विलेन लड़की पर झपट पडा और वो भागती हुई एक गुफा में घुस गयी ..भागने की वजह से उसका कपडा खुल गया और वो पीछे से अपनी गांड के दर्शन कराती हुई अन्दर घुस गयी .उसकी नंगी गांड देखते ही पुरे हाल में सीटियाँ बजने लगी . जिन्हें सुनकर कोमल हंसने लगी ..और वो पंडित जी से बोली : "जैसा सुना था ..ठीक वैसा ही माहोल है ऐसी पिक्चर को देखने का ..मजा आ गया ..कसम से ..''

उसकी भोली बात सुनकर पंडित जी का मन तो करा की उसे वहीँ पकड़ कर चूम ले ..

कोमल की नजरें इधर - उधर कुछ ढूंढने लगी ..और आखिर उसकी नजरों ने वो देख ही लिया जो वो देखना चाहती थी ..

एक जोड़ा कोने वाली सीट पर बैठा था वो दोनों एक दुसरे को बुरी तरह से चूम रहे थे ..कोमल उन्हें देखकर मंद-२ मुस्कुराने लगी ..

पंडित जी ने धीरे से उसके कान में कहा : "उन्हें क्यों देख रही हो अब ..ये गन्दा नहीं लग रहा तुम्हे ..''

कोमल कुछ ना बोली ..और अपनी नजरें झुका कर पंडित जी से धीरे से बोली : "इस्स्श्ह्ह ....चुप करो आप ...''

उसके चेहरे की गुलाबी रंगत पंडित जी की आँखों को अँधेरे में भी दिख रही थी .एक बार तो उन्होंने सोचा की उसके चेहरे को अपनी तरफ करे और उसे भी ऐसे ही चूमने लग जाए ..पर वो जल्दबाजी करके काम बिगाड़ना नहीं चाहते थे .

थोड़ी ही देर में वो लड़की उस आदमी के घुटनों के पास बैठ गयी और उसके लंड को मुंह में डालकर चूसने लगी ..उसे अपने आस-पास बैठे हुए लोगों की भी कोई परवाह नहीं थी ..और वो आदमी तो अपने आप को राजा समझ रहा था जो कुर्सी पर आराम से बैठकर अपना लंड चुसवा रहा था .

कोमल की नजरें भी उधर ही थी ..वो धीरे से बोली : "छि ....कैसी बेशरम औरत है ..खुले आम ऐसा कर रही है ..''

पंडित जी उसके भोलेपन पर हंस दिए और बोले : "वो उसकी बीबी या गर्लफ्रेंड नहीं है ..ऐसी औरतें पांच सो में मिल जाती है ..जो ऐसे काम करने के लिए अन्दर आ जाती है इनके साथ ..''

कोमल ने अपनी एक आई ब्रो ऊपर करके पंडित जी से कहा : "बड़ी नोलेज है आपको ...और क्या -२ पता है ..''

पंडित जी : "मुझे सब पता है ..चाहो तो आजमा कर देख लो ..''

पंडित जी की द्विअर्थी बात शायद कोमल को समझ आ गयी थी ...उसका चेहरा शर्म से लाल हो उठा ..और उसने फिर से अपनी नजरें फिल्म पर लगा दी ..पर उसका मन अब फिल्म में नहीं लग रहा था ..जैसे ही उस औरत ने लंड का माल चूसकर उस आदमी को खल्लास किया , वो अपने पैसे लेकर बाहर निकल गयी ...

कोमल : "चलो अब ...और नहीं देखनी पिक्चर ...चलो यहाँ से ..''

पंडित जी को भी कुछ समझ नहीं आया की एकदम से कोमल को क्या हुआ ..पर उन्होंने कुछ नहीं कहा और वो उठकर बाहर निकल आये .

थोडा दूर निकलने के बाद कोमल पंडित जी की तरफ घूमी और उनके गले लग गयी और धीरे से उनके कान में बोली : "थेंक यू ...''

और एकदम से हट कर वापिस पलटी और आगे निकल गयी ..

पंडित जी बेचारे उसके सीने के एहसास को अपनी छाती पर पूरी तरह से महसूस भी नहीं कर पाए थे ..

वो भी अपनी आँखे उसकी मटकती हुई गांड से चिपका कर उसके पीछे-२ चल दिए .

कोमल ने अपनी मूंछ निकाल दी और अपनी टोपी भी उतार कर हवा में उछाल दी ..और जोर से चीखी : "मजा आ गया ....आज का दिन मेरे लिए बहुत अलग है ..''

और फिर वो चलते-२ पंडित जी की तरफ घुमि और उल्टा चलती हुई उनसे बोली : "और ये सब आपकी वजह से हुआ है पंडित जी ..आप न होते तो मैं ये नहीं कर पाती ..पर अब आप मिल गए हो ना ..तो एक अच्छे दोस्त की तरह मेरे जीवन की वो सभी इच्छाएं पूरी करवा दो, जो मैंने आज तक सोची हुई है ...बोलो करोगे न ..''

उसकी आवाज में एक कशिश थी,एक अल्हड़पन था, एक हुक्म था, जिसे पंडित जी चाह कर भी मना नहीं कर सकते थे ..

वो पंडित जी के पास आई और धीरे से बोली : "मैं आपको अपनी सारी इच्छाएं एक साथ नहीं बता सकती ..पर जैसे ही एक पूरी होगी, तो दूसरी बता दूंगी ..ओके ..''

पंडित जी ने हाँ में सर हिला दिया ..

वो उनके और पास आई और बोली : "आप अपनी आँखे बंद करो प्लीस ..मैं आपके कान में ही बताउंगी ..नहीं तो मुझे शरम आएगी ..''

पंडित जी ने अपनी आँखे बंद कर ली ..और कोमल के होंठों से निकल रही गर्म साँसों के बाद उसके
मुंह से निकलने वाले शब्दों का इन्तजार करने लगे .

कोमल के लाल होंठ फडके और उनमे से शब्द निकलकर पंडित जी के कानों में जाने लगे ..

कोमल : "वो ...मुझे ...गालियाँ देने वाले लोग बहुत पसंद है ...मेरा मतलब, जब कोई गाली देकर बात कर रहा होता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है ..इसलिए ...अगर आप ...मेरे साथ ..गालियों वाली भाषा में .बात करे तो.....खुलेआम ...सबके सामने ..''

पंडित जी भी सोचने लग गए की इसके दिमाग में ये भरा क्या हुआ है ..कितनी अजीब सी ख्वाहिशे है ..साली ये नहीं बोल सकती थी की मुझे चुदवाना अच्छा लगता है ..आप मुझे चोदो ..सबके सामने ..पर ये तो गाली के लिए बोल रही है ..ये सब करके कैसे किसी की कोई इच्छा पूरी हो सकती है ..ये तो बड़ी आम सी बात है ..और अजीब भी.

पंडित : "मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है ..पर ये सब करके तुम्हे मिलेगा क्या ..मतलब ..ये तो बहुत मामूली सी बात है ..''

कोमल (नजरें झुका कर बोली ) : "ये आप मर्दों के लिए मामूली है ..हमारे लिए नहीं ..आप ही बताइए , आपने कितनी लड़कियों को इस तरह से गाली गलोच करते सूना है ..नहीं सुना ना ..''

अब वो उस बेचारी को क्या बताते ..की जब चुदाई होती है तो सामने वाली अपने आप गालियाँ देने लगती है ..जो चुदाई में चार चाँद लगा देती है ..

कोमल : "हम सहेलियां तो एक दुसरे को कभी कभार गालियाँ दे लेती है ..पर ..उतनी गन्दी नहीं ..जितनी मर्द देते हैं ..और सच कहूँ ..जब भी कोई किसी को गालियाँ दे रहा होता है, एक दुसरे की माँ बहन के बारे में गन्दी बाते बोल रहा होता है .. तो ..तो ..मुझे कुछ होता है अन्दर से ..''

पंडित : "क्या होता है ..जरा हमें भी तो बताओ ...''

पंडित ने आगे आकर अपना कन्धा उसके कंधे पर मारकर राजेश खन्ना के अंदाज में कहा ..

कोमल का चेहरा शर्म से लाल हो गया ..वो बोली : "पंडित जी ...आप बड़े वो हैं ..आप जैसे दीखते हैं , वैसे हैं नहीं ..''

पंडित : "अच्छा जी ...फिर कैसा हु मैं ..''

कोमल : "बेशरम ...आप बहुत बेशरम हो ..''

पंडित : "बेशरम मैं नहीं हु ...भेन की लोड़ी .....तू है कुतिया ...''

पंडित जी की बात सुनते ही कोमल का चेहरा पीला पड़ गया ...वो घबरा गयी .

कोमल : "ये ..ये ..क्या बोल रहे है आप ...''

पंडित (गुर्राते हुए ) : "साली ...हरामजादी ...बड़ी भोली बनती है ..तेरी माँ चोदुंगा न जब सबके सामने ...तब तुझे पता चलेगा ..कैसे अपनी इच्छा पूरी करवाते हैं ..''

पंडित जी की बात सुनते ही कोमल को सब समझ आ गया, पंडित जी ने उसकी बात मान ली थी और वो गालियाँ देकर ही बात कर रहे थे ..

पर उसे बताना तो चाहिए था न ..

उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी ..वो धीरे से बोली : "अभी तूने मेरी माँ को देखा ही कहाँ है पंडित ...जो उसे चोदने की बात कर रहा है ..''

कोमल के मुंह से 'चोदना' शाद सुनकर पंडित जी का सच में चोदने का मन करने लगा ..

पंडित : "देखा है ...तेरी माँ को भी देखा है ..और तेरी बहन को भी ...दोनों मस्त माल है ..दोनों की चुदाई एक साथ करूँगा ..और वो भी तेरे ही सामने ...''

दोनों खुले आम चलते हुए जैसे एक दुसरे से लडाई कर रहे थे ..

कोमल (इतराते हुए) : हूँह ...इतना आसान नहीं है पंडित ...मेरी माँ-बहन को चोदना ...तेरे बाप का माल नहीं है वो ..तेरा ....तेरा ....वो ..वो ...काट कर फेंक दूंगी मैं ..''

पंडित : "साली ...बोलते हुए ही घबरा रही है ...काटेगी क्या ....भेन चोद .''

कोमल : "मैं नहीं घबराती ...वो ..वो ...तेरा लंड काट कर फेंक दूंगी ...अगर मेरी माँ बहन के बारे में कुछ कहा तो ..''

हाँ ...ये हुई न बात ...उसके मुंह से लंड शब्द कितना मीठा लग रहा था ..

पंडित : "ये लंड काटने के लिए नहीं होता हरामजादी ...इससे तेरी जैसी रंडियों की चुदाई करी जाती है ..''

कोमल : "रंडी होगी तेरी माँ ..भेन के लोड़े ...कोमल नाम है मेरा ..तेरे जैसो को तो खुले आम नंगा करके गांड मरवा देती हु मैं कुत्तों से ..''

'ओह तेरी ....क्या नोलेज है इसको भी ..सही है ..मजा आएगा ..' पंडित ने मन ही मन सोचा

और जब कोमल ये बात बोल रही थी ..उनके सामने से एक जोड़ा निकला, और कोमल की गालियों से भरी बात शायद उन्होंने सुन ली थी ..और वो दोनों मुंह फाड़े एक दुसरे को और कभी कोमल को देख रहे थे ..की देखने में कितनी मासूम सी लड़की और बातें कितनी गन्दी कर रही है ..वो दोनों रुक गए और पंडित और कोमल की बातें सुनने लगे ..

पंडित : "मेरी गांड क्या मरवाएगी तू ...मैं मारूंगा तेरी गांड ..ये है न जो तूने छुपा रखी है ..मक्खन जैसी गांड ..गली की कुतिया को चुदते हुए देखा है न तूने, वैसे ही चोदुंगा तुझे पीछे से ..डोगी स्टाईल में ..कुतिया की तरह , साली चुद्दक्कड़ ....''

पंडित की हर गाली सुनकर कोमल की आँखों की चमक बढती चली जा रही थी ..वैसे भी वो तो ये सब सिर्फ अपनी इच्छा को पूरी करने वाला खेल ही समझ रही थी ..पर वो क्या जानती थी की पंडित की हर बात के पीछे उनकी भी इच्छा है ..जो वो इस तरह से खुलेआम बोलकर जाहिर कर रहे थे .

पर सबसे ज्यादा मजा तो उस जोड़े को देखकर आ रहा था, जो उन दोनों को इस तरह से गालियों की जुबान में बात करते हुए लड़ता देख रहे थे ..और उनके चेहरे के हाव भाव देखकर कोमल का मन झूम रहा था ..

उस जोड़े से इतनी गालियाँ सुनना सहन नहीं हुआ ...और वो दोनों आगे निकल गए ..

उनके जाते ही कोमल और पंडित जी जोर से ठहाका मारकर हंसने लगे ..और हँसते -२ कोमल ने पंडित जी को अपनी बाहों में ले लिया और उनसे लिपट गयी ..

कोमल : "ओह्ह्ह ....पंडित जी ....यु आर सिम्पली ग्रेट ...मुझे मालूम ही नहीं था की मंदिर के पंडित को भी इन सब बातों का ज्ञान हो सकता है ..अब लगता है की आप मेरी बची हुई इच्छाएं भी जल्द ही पूरी कर दोगे ...''

पंडित जी उसकी अगली ''इच्छा'' का इन्तजार करने लगे ..

कोमल : "पर आज के लिए इतना ही काफी है ...बाकी कल ..ओके ...अब चलो जल्दी से ..दीदी और माँ इन्तजार कर रही होंगी ..''

पंडित ने भी ज्यादा जोर नहीं दिया ..क्योंकि उन्हें भी मंदिर की दिनचर्या निभाने के लिए वापिस जाना था ..

वो दोनों वापिस चल दिए ..कोमल अपने घर चली गयी और पंडित जी अपने घर की तरफ .

वहां पहुंचकर उन्होंने मंदिर के कार्य निपटाए और अपने कमरे में जाकर सो गए .

सपने में उन्हें कोमल ही दिखाई दे रही थी ..जो अपनी चुदने की इच्छा लेकर उनके पास आई और उन्होंने उसकी वो इच्छा भी पूरी करने लगे ..वो उनका लंड चूसने लगी ..तभी उनकी नींद खुल गयी .. और सच में कोई उनका लंड चूस रहा था ..उन्होंने उसके चेहरे से बाल हटा कर देखा तो ख़ुशी के मारे उछल ही पड़े ..वो रितु थी ..और वो भी पूरी नंगी .

पंडित : "ओह्ह्ह ....रितु ....तू ...अह्ह्ह्ह ....आज मेरी याद कैसे आ गयी ....''

रितु ने लंड बाहर निकाला और बोली : "पंडित जी ....दो दिनों से पापा ने मेरी चूत को चोदकर उसका बेन्ड बजा रखा है ..पर आप जैसी चुदाई कोई नहीं कर सकता ..इसलिए दौड़ी चली आई आज ...''

पंडित : "घर पर पता है क्या ...की तू यहाँ आई है ..''

रितु : "हाँ ...माँ को बता कर आई हु मैं आज ..की मैं जा रही हु अपने पंडित जी के पास ...''

वो हंसने लगी ...और फिर से उनके लंड को चूसने लगी ..

पंडित जी के लंड को सुबह से कोमल ने वैसे ही खड़ा करके रखा हुआ था ..अच्छा हुआ जो रितु खुद ही आ गयी उनके पास, वर्ना रात तक उन्हें ही उसके घर जाकर माधवी या उसकी चूत मारनी पड़ती ..

वो सुबह से ही प्यासे थे ..उन्होंने रितु को किसी गुडिया की तरह से घुमा कर उल्टा कर दिया और 69 की पोसिशन में आकर उसकी चूत को अपने मुंह से चूसने लगे ..वो भी प्यासी चुड़ैल की तरह उनके लंड के सिरे से रस निकालने लगी ..
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01-07-2018, 02:11 PM,
#50
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--49

***********
गतांक से आगे ......................

***********

आज तो दोनों एक -दुसरे को कच्चा खा जाने के मूड में थे ..रितु बड़ी अजीब सी आवाजें निकालते हुए पंडित जी के लंड को चूस रही थी ..और पंडित जी भी उसकी चूत की परतों को हटा कर अपनी जीभ को अन्दर तक घुसा रहे थे ..

पंडित जी का लंड चूसते -२ रितु ने उनसे कहा : "पता है ..जब मैं यहाँ आ रही थी तो माँ की आँखों में देखकर ये लग रहा था की उनका भी मन है ..पर ना जाने क्यों उन्होंने कुछ कहा नहीं ..''

इतना कहकर वो फिर से इनके लंड को चूसने लगी ..

उसकी बात सुनकर पंडित जी के मन में एक ख्याल आया ..क्यों न दोनों माँ बेटियों को एक साथ चोदा जाए ..वो बोले : "एक काम करना ..कल अपनी माँ को भी लेकर आना इसी वक़्त यहाँ ..बोलना मैंने बुलाया है ..''

उनकी बात सुनकर रितु पलटकर फिर से उनके ऊपर आ गयी और उनके होंठों को चूसते हुए बोली : "आपने तो मेरे मन की बात बोल दी है ...मेरा भी मन है की मैं माँ के साथ वो सब करू ...''

और फिर वो पंडित जी के चेहरे पर टूट पड़ी ..और अपनी गोलाईयां उनके सीने से मसलते हुए अपनी चूत वाले हिस्से को उनके लंड से रगड़ने लगी ..


पंडित जी से भी सहन करना अब मुश्किल हो रहा था ..उनके मुंह में उसकी चूत के रस का स्वाद अभी तक था और उन्हें अभी भी प्यास लग रही थी ..उन्होंने रितु को बेड पर लिटाया और खुद नीचे खिसक कर उसकी चूत अक पहुँच गए और अपनी जीभ से उसकी चूत के अन्दर के खजाने को कुरेद कर बाहर निकालने लगे ..और रितु खुद ही अपने शरीर को ऊपर नीचे करके उनकी जीभ के स्पर्श को चूत के चेहरे पर महसूस करने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...पंडित जी ....बस यही सब मैं मिस कर रही थी ....जैसा आप चूसते है ...वैसा कोई नहीं ....अह्ह्ह ...अब जल्दी से वो भी करो जो आप जैसा कोई और नहीं कर सकता ...चोदो मुझे ..पंडित जी ....चोदो ....बुझा दो मेरी सारी प्यास ...अह्ह्ह्ह्ह .....''

इतना कहकर उसने पंडित जी के चोटी वाले सर को ऊपर खींच लिया और उनके होंठों पर लगे हुए रस को चाटकर अपनी चूत का स्वाद खुद भी चख लिया ..

पंडित जी ने अपने हाथ की दो उँगलियों को उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया और बचा हुआ खजाना उनकी मदद से बाहर निकालने लगे ..

रितु चिल्लाई : "अह्ह्ह्ह्ह .....अब और मत तरसाओ ....जल्दी से अपना लंड डालो ...अन्दर ....और चोदो मुझे ....''

इस बार रितु की आवाज में एक आदेश भी था ..जिसे पंडित जी ने झट से मान लिया ..

उन्होंने अपना लंड उसकी चूत की गुफा के मुहाने पर रखा ..और एक मीठे से धक्के के साथ उसे अन्दर खिसका दिया ...


'म्म्म्म्म्म्म्म्म ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ......ओफ़्फ़्फ़्फ़ .......आप नहीं जानते .....क्या चीज पाल रखी है आपने .....इसने तो दीवाना बना डाला है मुझको .....और मेरी माँ को ....''

उसकी बात सुनकर पंडित जी मुस्कुराये बिना नहीं रह सके ..

और फिर तो पंडित जी ने धक्के मार मार कर उसकी माँ बहन एक कर दी ..

''ओफ़्फ़्फ़्फ़ अह्ह्ह्ह ...उम्म्म ....येस्स ....अह्ह्ह ..और तेज ....उम्म्म्म्म ....हां न…। .....ऐसे ही ...अऒऒओ ...ऒऒऒ .....आ गयी .....अह्ह्ह मैं .....आयीईई .........''

और वो आँखे बंद करके अपने ओर्गास्म को महसूस करके गहरी साँसे लेने लगी ..और उसने झुककर पंडित जी के होंठों को अपने मुंह में भर लिया ..और ऐसा करते ही पंडित जी के लंड से भी ढेर सारी गोलियां निकलकर रितु की चूत में जाने लगी ...



पंडित जी बस आँखे बंद करके वो सुख महसूस करने में लगे हुए थे ..उनके मन में कई विचार एक साथ चल रहे थे ..जैसे कल कैसे रितु और माधवी को एक साथ चोदेंगे ...और कल कोमल अपनी कौनसी इच्छा उनसे पूरी करवाएगी ...

अगले दिन पंडित जी जब फ्री हुए तो थोड़ी देर बैठकर वो सोचने लगे की आखिर कोमल उनसे ही वो सब क्यों करवा रही है ..वो चाहती तो किसी के साथ भी ऐसा एक्सपीरियंस ले सकती थी ..फिर भी उसने उन्हें ही क्यों चुना ..पर काफी सोचने के बाद भी उन्हें कुछ समझ नहीं आया ..

उन्होंने टाइम देखा ...एक बजने वाला था ..कभी भी कोमल का फ़ोन आ सकता था ..

पर अगले आधे घंटे तक भी उसका फ़ोन नहीं आया तो वो इन्तजार करते -२ ऊँघने लगे ..तभी उनके कमरे के पीछे वाले दरवाजे पर दस्तक हुई ..

उन्होंने दरवाजा खोला तो चकित रह गए ..वहां कोमल खड़ी थी ..उसने बड़े अजीब से कपडे पहने हुए थे ...सलवार कुर्ता ...और ऊपर से एक जेकेट भी .

वो जल्दी से अन्दर आई ..पंडित जी कुछ पूछ पाते इससे पहले ही वो उनके बाथरूम में घुस गयी जैसे उसे जोर से पेशाब लगा हो ..और लगभग पांच मिनट के बाद जब वो बाहर निकली तो उसकी वेशभूषा पूरी बदल चुकी थी ..उसने एक स्किन टाइट ब्लेक जींस पहन ली थी जिसमे उसकी टांगो और गांड के पुरे कटाव दिखाई दे रहे थे ...बाल खोल लिए थे ..और ऊपर उसने ब्लेक कलर की ही टाइट टी शर्ट पहनी हुई थी ..जिसमे से उसके गोरे और भरे हुए उभार लगभग पुरे ही दिखाई दे रहे थे .

उसने बड़ी ही अदा से अपने सर के ऊपर हाथ रखा और पंडित जी से बोली : "कैसी लग रही हु पंडित जी मैं ..''

अब येही सवाल पंडित जी के बदले अगर उसने उनके लंड से किया होता तो जवाब कब का मिल चुका होता ..क्योंकि लंड की जुबान नहीं होती ..वो तो बस खड़ा होकर अपनी सहमति प्रकट कर देता है ..

पर यहाँ तो जुबान पंडित जी की गायब हो चुकी थी ..उसने इतनी सेक्सी ड्रेस में लड़की आज तक नहीं देखि थी ..वो धीरे से बोले : "उम्म्म ...ये ..ये सब क्या है ...कोमल ...''

कोमल (घूम कर अपनी पूरी ड्रेस उन्हें दिखाते हुए) : "ये मेरी ड्रेस है ..पंडित जी ..पता है , मैंने लास्ट इयर ली थी , जब मैं दीदी के पास आई थी रहने के लिए ..पर जब घर लेकर आई तो उन्होंने बहुत डांटा था .बोले, मैं ऐसे कपडे नहीं पहन सकती, और गाँव जाकर तो वैसे भी पोस्सीबल नहीं था, इसलिए ये कपडे इस बार भी मैं वापिस ले आई, थोड़े टाईट हो गए है ..पर अभी तक इन्हें पहनने का लालच मेरे अन्दर बना हुआ है ..मैं इन्हें पहन कर बाहर घूमना चाहती हु ...."

पंडित : "और तुम चाहती हो की मैं तुम्हारे साथ चलू ..''

कोमल : "और नहीं तो क्या ...चलिए, आप भी जल्दी से तेयार हो जाओ ..आज मुझे शोपिंग करनी है ..''

पंडित : "पर मुझे एक बात बताओ ....ये सब तुम मुझसे ही क्यों करवा रही हो ...क्या मिल रहा है तुम्हे ..तुम्हारी ऐसी उल जलूल की इच्छाओं की पूर्ति के लिए मैं अपना मान सामान दांव पर नहीं लगा सकता ..यहाँ सब लोग मुझे जानते हैं, मेरी इज्जत करते हैं, उन्होंने मुझे तुम्हारे साथ ऐसे कपडे में देख लिया तो क्या बोलेंगे .. नहीं .. नहीं ..मैं नहीं कर सकता ये सब ...''

कोमल का चेहरा एक दम से उतर गया ..वो रुन्वासी सी होकर बोली : "ये आप क्या कह रहे हैं पंडित जी ...मेरे मन में कोई छल कपट नहीं है ..आप मुझे अच्छे इंसान लगे, इसलिए मैंने अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आपको जरिया बनाया ..वर्ना मेरा इरादा आपके सम्मान को ठेस पहुंचाना नहीं था ..और रही बात आपके फायेदे की तो मेरी जैसी हॉट लड़की आपके साथ ये सब कर रही है ..कुछ तो फायेदा मिल रहा होगा आपको , जो आप भी मेरे साथ हमउम्र बनकर मेरा साथ देने चल पड़ते हो ..''

उसकी मासूम सी बात का पंडित जी के पास कोई जवाब नहीं था ..या तो वो बहुत मासूम थी या फिर हद से ज्यादा चालाक, क्योंकि उसकी बातों का पंडित जी पर ऐसा असर हुआ की अगले ही पल वो बोले : "अच्छा, नाराज मत हो तुम ...मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था ..बोलो ..ऐसी ड्रेस पहन कर कहाँ बिजलियाँ गिराने का इरादा है ..''

कोमल के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी और वो बोली : "बोला न मैंने, शोपिंग के लिए चलना है ..और शोपिंग भी ऐसी वैसी नहीं ..वो वाले कपड़ो की ...''

पंडित जी पहले तो कुछ समझे नहीं ..पर जब कोमल ने अपनी उँगलियों से अपने कंधे पर झाँक रही ब्रा के स्ट्रेप को पकड़कर एक झटका दिया तो उनकी समझ में सब आ गया ..कोमल उन्हें ब्रा-पेंटी खरीदने के लिए ले जाना चाहती थी ..हे भगवान्, ये लड़की के दिमाग में ना जाने कैसे-२ फितूर भरे पड़े हैं ..वो जल्दी से बाथरूम में गए और उन्होंने नकली मूंछ लगा ली ..आज उन्होंने एक शर्ट और पेंट पहनी और सर पर टोपी , और आँखों पर चश्मा ..कल की तरह आज भी वो पहचाने नहीं जा रहे थे .और कल से ज्यादा स्मार्ट ही लग रहे थे वो ..

उनके बाहर आते ही कोमल बोली : "वाव ...पंडित जी ..आज तो आप बड़े कमाल के लग रहे हो ..स्मार्टी ..''

उसने उन्हें छेड़ते हुए एक सीटी भी बजा दी ..पंडित जी उसकी हरकत पर मुस्कुरा दिए ..

उसके बाद दोनों बाहर निकल पड़े ..पुरे रास्ते पंडित जी देखते जा रहे थे की उन्हें कोई पहचान तो नहीं रहा ..एक दो लोग मिले भी उनकी पहचान के पर उनका ध्यान तो कोमल की तरफ था ..जो बड़ी ही अदा से अपनी गांड मटकाते हुए चल रही थी ..और हर आने-जाने वाला उसे ही देखे जा रहा था ..

पंडित जी सोचने लगे की आज तो वो अपने रूप में भी आते, तब भी उनकी तरफ कोई देखने वाला नहीं था ..क्योंकि कोमल को देखने से किसी को फुर्सत ही नहीं थी ..

उन्होंने आगे जाकर एक ऑटो लिया और उसमे बैठकर एक मॉल की तरफ चल दिए ..

अन्दर बैठते ही कोमल की हंसी फुट गयी , वो बोली :"आपने देखा पंडित जी ..सबकी नजरें कैसे घूर रही थी मुझे ...हा हा हा ...मजा आ गया आज तो ..''

खेर, बीस मिनट के बाद जब वो लोग मॉल पहुंचे तो वहां भी यही हाल था ..सभी लोग कोमल को घूर-२ कर देख रहे थे.

पंडित जी ने अपनी टोपी उतार दी थी ..क्योंकि वहां किसी के पहचानने का डर कम ही था ..और वैसे भी उन्होंने मूंछ तो लगा ही रखी थी ..

कुछ देर घूमने के बाद एक बड़ी सी शॉप के बाहर आकर कोमल रुक गयी, वो एक इंटरनेशनल लिंगरी ब्रांड का शोरूम था , ''विक्टोरिया'स सीक्रेट '' जिसके बाहर शो पीस पर छोटी-२ ब्रा पेंटी लगा राखी थी ..जो देखने में ही बड़ी उत्तेजक लग रही थी ..उन्हें पहन कर अगर कोमल उनके सामने आ गयी तो वो उसकी चूत का कीमा बना कर खा जायेंगे ..

कोमल अन्दर घुस गयी और उनके पीछे-२ पंडित जी भी ..

ऐसे किसी माल में और ऐसे शो रूम में आने का पंडित जी का पहला मौका था ..वो तो बस वहां की चमक धमक और सेल्स गर्ल्स को देखकर दंग रह गए ..जिन्होंने टाइट टी शर्ट और शोर्ट स्कर्ट पहनी हुई थी ..जिसमे से उनके जिस्म के कटाव साफ़ दिखाई दे रहे थे ..उनमे से एक लड़की उनके पास आई और बोली : "कहिये सर ...क्या लेंगे आप मेडम के लिए ..''

पंडित : "उम्म्म ....जी वो. ....वो ...''

उन्होंने कोमल की तरफ देखा ..जो उन्हें देखकर मुस्कुरा रही थी ..वो बोली : "जी ..मुझे ब्रा पेंटी का सेट दिखाइए ...लेटेस्ट ...''

वो लड़की मुस्कुरायी और उन्हें अपने साथ चलने को कहा ..और वो उसके साथ चलते हुए एक छोटे से कमरे में पहुँच गए ..जहाँ एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था ..और एक टेबल था बस ..

फिर वो लड़की कुछ बॉक्सेस लेकर आई और उनमे से निकाल कर ब्रा पेंटी कोमल को दिखाने लगी ..कोमल भी बड़ी उत्सुक्तता से सब देख रही थी ..पंडित जी सोच रहे थे की वैसे तो ये गाँव की रहने वाली है पर शोंक इसने अमीरों वाले पाल रखे हैं ..क्योंकि वहां कोई भी ब्रा पेंटी पांच हजार से कम नहीं थी ..इतने में तो दो दर्जन सेट आ जाते हैं ..

कोमल ने तीन जोड़े पसंद कर लिए ..वो लड़की बोली : "मेम .आप ट्राई कर लीजिये ...मैं बाहर ही हु ...''

और इतना कहकर वो बाहर निकल गयी और दरवाजा बंद कर दिया ..

पंडित जी ने नोट किया की वहां कोई अलग से ट्रायल रूम नहीं था ..उन्होंने कोमल की तरफ देखा और बोले : "तुम पहन कर देखो ..मैं बाहर इन्तजार करता हु ...''

वो जैसे ही जाने लगे, कोमल ने उनका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोली : "नहीं ...आप यहीं रुकिए ...आखिर मेरे लिए आप इतना कर रहे हैं , इतना तो आप देख ही सकते हैं ...''

ओह्ह तेरी ...यानी कोमल उनके सामने नंगी होने के लिए तैयार थी ...वो एकदम से उत्साहित हो उठे ..

पर तभी वो बोली : "आप दूसरी तरफ मुंह कर लो ..और जब मैं पहन लू तो आप बताना, मैं कैसी लग रही हु ...''

पंडित जी का उत्साह एक दम से पानी के बुलबुले की तरह फट गया ..

उन्होंने मन मार कर दूसरी तरफ मुंह कर लिया ..और पीछे से कोमल के कपडे उतारने की आवाजें आने लगी ..

कुछ ही देर में उसकी धीमी सी आवाज आई ..: "अब देखो ...आप ...''

पंडित जी तो बस इसी पल का इन्तजार कर रहे थे ..वो घूमे तो उनका मुंह खुला का खुला रह गया ..
उनके सामने कोमल सिर्फ पेंटी ब्रा में खड़ी थी ..और वो इतनी सेक्सी लग रही थी की पंडित जी अपनी पलके झपकाना भी भूल गए ..


वो उसी अंदाज में इतरा कर बोली : "अब बताइए पंडित जी ..मैं कैसी लग रही हु ...''

पंडित : "सेक्सी ......कमाल की लग रही हो तुम ...''

वो उसके करीब आये और उसके चारों तरफ घूम कर उसके हर अंग को निहारने लगे ...जैसे वो कोई इंसान नहीं पुतला हो ..

उसकी भरी हुई जांघे, पतली कमर ..उभर हुआ सीना ..गोरा रंग ...कमाल की लग रही थी वो ..

कोमल : "ठीक है ...अब ज्यादा आँखे मत सको ...मुंह उधर करो, मुझे ये दूसरी भी पहन कर देखनी है ..''

पंडित जी ने मुंह फिर से दूसरी तरफ कर लिया ...शुक्र है उसने उनके लंड की तरफ नहीं देखा ..वर्ना उसे देखकर पता चल जाता की उनके लंड का क्या हाल हो रहा है ..

और पता नहीं कोमल आज उनके लंड का और कितना बुरा हाल करेगी ..
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