Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:06 PM,
#21
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -16 
गतान्क से आगे... 

“ देवी आप इन सबके सामने अपनी इच्छा जाहिर करो. जिससे किसी को किसी तरह का संदेह नही रहे.” स्वामी जी ने उँची आवाज़ मे कहा. 



“ मैं आज से आपकी छत्र छाया मे रहना चाहती हूँ. आप मुझे अपनी शिष्या के रूप मे स्वीकार करें.” मैने अपने चेहरे को उनकी छाती मे छिपाते हुए कहा. मैं किसी की बीवी होकर इतने सारे मर्द के सामने इतनी देर से पूरी तरह नंगी खड़ी थी मगर या तो वहाँ का महॉल या मेरी पी हुई वो शरबत या फिर नहाने के पानी मे मिले इत्र का नशा जिसकी वजह से मेरा जिस्म सेक्स की आग मे तप रहा था. मेरा हर अंग मर्द के संपर्क केलिए तड़प रहा था. मुझे कोई परवाह नही थी कि मैं किससे संभोग करवा रही हूँ. मुझे तो सिर्फ़ इतनी इच्च्छा हो रही थी कि मेरे साथ जम कर सेक्स हो. कोई मेरे एक एक अंग को रगड़ कर रख दे. मैं सेक्स की गुलाम बन गयी थी. मैं किसी के लंड के लिए उस वक़्त कुछ भी करने को तैयार थी. कुच्छ भी. 



“ज़ोर से बोलो देवी जिससे हर आदमी सुन सके.” तभी स्वामीजी ने कहा 



“ मैं रश्मि आज से आपको अपना गुरु मानकर आपके इस आश्रम को जाय्न करना चाहती हूँ.” मैने उँची आवाज़ मे कहा. लोगों ने दोबारा तालियाँ बजाई. 

"संस्था मे जाय्न करने के लिए जो जो रस्म होती हैं उन्हे चालू किया जाय" स्वामी जी ने रजनी को कहा. कहकर स्वामीजी जाकर अपनी सीट पर बैठ गये. तभी एक लड़की एक चाँदी का कटोरा लेकर आई. रजनी ने उसे मेरे हाथ मे देते हुए कहा"इसे पी लो" 

उस पात्र मे गाढ़ा गाढ़ा सफेद खीर जैसा कुछ रखा था. मैने अपने होंठों से उसे लगा कर एक घूँट भरा तब पता चला कि वो वीर्य था. इतना वीर्य? इतना वीर्य कहाँ से आया. मैं यही सोच रही थी कि रजनी ने आगे बढ़ कर उस कटोरे को वापस मेरे होंठों से च्छुआ दिया. 

"ये हमारे आश्रम के सारे शिष्यों के द्वारा निकाला हुआ वीर्य है. ये यहा का प्रसाद है इसे पूरा पी लो" रजनी ने कहा. मैने छ्होटे छ्होटे घूँट भर भर कर सारे वीर्य को पी लिया. फिर उसने मुझे कटोरे की दीवार पर लगे वीर्य को चाट कर साफ करने का इशारा किया. मैने बिना किसी प्रश्न किए अपनी जीभ निकाल कर उस कटोरे से सारा वीर्य चाट कर सॉफ किया. 

"आज से तुम संस्था के किसी भी मर्द के साथ सेक्स करने के लिए आज़ाद हो. और यहाँ के हर मर्द को भी ये आज़ादी है कि वो जब चाहे तुम्हे भोग सकता है. ना तो तुम्हारी किसी इच्च्छा को पूरा करने से कोई मर्द इनकार कर सकता है ना ही तुम किसी को इनकार करोगी." स्वामीजी ने कहा. 

अब रजनी ने मुझे बेड के किनारे पैर लटका कर बिठा दिया. तभी एक लड़की एक खाली बड़ा कटोरा लेकर आ गयी. उसे मेरे एक स्तन के नीचे रख कर मेरे निपल्स को 
पकड़ कर खींचा. रजनी की इस हरकत से मेरी उस छाती से दूध निकलने लगा. 



रजनी अब मेरे स्तन को खींच खींच कर उसमे से दूध निकालने लगी. ऐसा लग रहा था मानो मैं कोई औरत नही कोई गाय हूँ जिसका दूध निकाला जा रहा हो. पहले एक फिर दूसरी चूची को मेरी चूचियो को वो तब तक दूहते रहे जब तक आखरी बूँद तक नही 
निकल गया. मेरी दोनो चूचियाँ उनके मसलने के वजह से लाल हो गयी थी और बुरी तरह दुख रही थी. 

दूध की कटोरी लेकर सबसे पहले वो युवती स्वामी जी के पास पहुँची. स्वामी जी ने बैठ बैठ ही अपने बदन को ओढ़े लबादे की रस्सी ढीली कर दी. रजनी ने आगे बढ़ कर उनके सामने से कपड़ा हटा दिया. उनका तगड़ा लिंग वापस खड़ा हो चुक्का था. रजनी ने उस कटोरे से दूध लेकर उनके लिंग को धोया. उस वक़्त उसने एक छ्होरी कटोरी उनके लिंग के नीचे लगाई. लंड धोने के बाद जो दूध नीचे टपका उसे उस छ्होटी कटोरी मे इकट्ठा करके मेरे लिए ले आई. उसने उस कटोरी को मेरे होंठों से लगा दिया. मैने उस दूध को पी लिया. 



दूसरी युवती वहाँ मौजूद एक एक आदमियों के पास जाती और उस बड़ी कटोरी को उसे देती. उसमे काफ़ी सारा दूध बचा हुआ था. हर आदमी उस से कुच्छ दूध पीता गया. ऐसा करके सारे आदमियों ने मेरा दूध चखा. मैं उनके बीच नंगी बैठी उनको अपना दूध पीता देखती रही. 

उस बर्तन को खाली करने के बाद वो युवती बर्तनो को इकट्ठा करके कमरे से चली गयी. अब सारे शिष्यो ने खड़े होकर अपने अपने कपड़े उतार दिए. सिर्फ़ स्वामीजी ही कपड़े पहने हुए थे. मेरी नज़रें जैसे उनके नंगे बदन से चिपक गयी थी. ना चाहते हुए भी मेरी नज़र उनके खड़े मोटे मोटे लंड की तरफ चली जाती. अपने चारों ओर इतने सारे खड़े लंड देख कर मेरा बदन सनसनने लगा. सारे मर्द अपनी अपनी सीट पर वापस बैठ गये. 

अब रजनी ने मुझे बिस्तर पर हाथों और घुटनो के बल झुका दिया. मेरा बदन अब होने वाले संभोग के बारे मे सोच सोच कर गरम हो गया था. इतने सारे मर्दो के साथ एक साथ मेरा ये पहला मौका था. आइ लुक्ड लाइक आ बिच इन हीट. मेरी योनि मे रस छूटने लगा. मेरे नितंब उन मर्दो की ओर उठे हुए थे. नितंबों के बीच मेरा गुदा द्वार साफ साफ दिख रहा था. और नितंबों के नीचे मेरी योनि के दोनो होंठ भी नज़र आ रहे थे.
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12-10-2018, 02:07 PM,
#22
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तभी कुच्छ हुआ कि मेरा बिस्तर धीरे धीरे घूमने लगा. रफ़्तार बहुत धीमी थी लेकिन इससे मैं बारी बारी हर आदमी के सामने से गुजर रही थी. हर आदमी मेरे एक एक अंग को देख और सराह रहा था. कमरे मे सिसकारियों की आवाज़ें गूँज रही थी. कुच्छ चक्कर लगाने के बाद बेड रुक गया. 



तभी दो आदमी उठे और मेरे दोनो तरफ आकर खड़े हो गये. एक ने मेरे पीछे से बिना मुझे किसी तरह उत्तेजित किए अपना लंड एक झतके मे मेरी योनि के अंदर कर दिया. मेरी योनि उस वक़्त सूखी हुई थी इसलिए एक दम हुए हमले से मैं चिहुनक उठी. उसका लंड आधा मेरी योनि मे धँस चुक्का था. अगले झटके मे तो उसका लिंग पूरी तरह मेरी योनि 
मे समा गया और उसके अंडकोष मेरी जांघों से टकरा गये. 

"आआअहह. .......ऊऊऊऊः हह" बस यही निकला मेरे मुँह से. मैं उसके लंड के झटके से बिस्तर पर मुँह के बल गिरते गिरते बची. इतने लोगों के सामने मेरी ठुकाई शुरू हो चुकी थी. सब मेरी चुदाई का मज़ा ले रहे थे और उत्तेजना मे अपनी जगह पर बैठे बैठे कसमसा रहे थे. मैने सिर उठा कर देखा सब मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे. मैने अपना एक हाथ पीछे ले जाकर उसके लंड का जयजा लिया. मैने देखा कि अब बिल्कुल भी जगह नही बची थी हम दोनो के बीच मे. उसका लिंग पूरी तरह मेरी योनि के अंदर घुस चुक्का था. उसने अगले ही पल अपने लिंग को बाहर खींचना शुरू किया. योनि सूखी होने की वजह से ऐसा लग रहा था मानो उसका लंड मेरी योनि को छील रहा हो. अपने लंड को लगभग पूरा बाहर निकाल कर अगले ही पल पूरे वेग से उसे दोबारा अंदर कर दिया. फिर वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. उसके हर झटके से मेरा पूरा बदन हिल रहा था. मेरे बड़े बड़े स्तन उसके हर धक्के से बुरी तरह उछल रहे थे. 



तभी दूसरे ने मेरे सामने आकर मेरे बालो को पकड़ कर मेरे चेहरे को उपर उठाया. उसने पहले मेरे चेहरे पर फैले हुए मेरे बालों को हटा कर नीचे झुक कर मेरे होंठों को एक बार छ्होमा. फिर वो मेरे सिर के सामने खड़ा हो गया. मेरी नज़रें अगले कदम के इंतेजर मे उसके चेहरे पर जमी हुई थी. 

" लो बहन इसे अपने मुँह मे लो. इसे अपनी जीभ से प्यार करो." उसने अपने लिंग की तरफ इशारा किया. मैने देखा उसका तगड़ा लिंग मेरे होंठों से बस कुच्छ ही इंच दूरी पर है. मेरे होंठ अपने आप खुलते चले गये. मैने अपना मुँह पूरा खोल दिया और जीभ थोड़ी सी बाहर आ गयी. मैं उसके लिंग के स्वागत मे तैयार थी. उसने धीरे से मेरे सिर को थामते हुए अपने लिंग को मेरे मुँह मे डाल दिया. मैने देखा जहाँ कुच्छ लोगों के लिंग से अगर सॉफ सफाई नही रखे तो एक बदबू आती है, उसके लिंग से बदबू की जगह एक भीनी भीनी सुगंध आ रही थी. उसका लिंग आधे के करीब मेरे मुँह मे समा गया था. अब और अंदर जाने की जगह नही थी. वो अब अपने लिंग को मेरे मुँह मे आगे पीछे करने लगा. 

अब दोनो तरफ से मेरी ठुकाई चालू हो गयी. दोनो ज़ोर ज़ोर से मुझे ठोक रहे थे. दोनो हत्ते कत्ते मर्द अपनी पूरी ताक़त मेरे जिस्म को मथने मे झोंक रहे थे. एक धक्का लगाता तो मेरा पूरा बदन आगे की ओर झुक जाता तो वहाँ खड़े दूसरे आदमी का धक्का पाकर मैं वापस पीछे की ओर सरक जाती. 



वहाँ मौजूद सारे आदमी अपनी अपनी जगह पर नग्न बैठे हुए मेरी चुदाई देख रहे थे. सबके हाथ अपने अपने लिंग को सहला रहे थे. 

मैने देखा रजनी आकर स्वामी जी के पास खड़ी हो गयी. स्वामी जी बिना उसकी ओर कोई ध्यान दिए मेरी चुदाई देखने मे व्यस्त थे. रजनी आकर उनके लबादे को सामने की ओर से खोल दी. गाउन के दोनो पल्लो को अलग कर उनके जिस्म को सामने से नग्न कर दिया. फिर वो उनके दोनो टाँगों के बीच घुटनो के बल बैठ गयी और उनके लिंग को सहलाने लगी. ऐसा लग रहा था मानो स्वामीजी रजनी की हरकतों से बेख़बर हों. उन्हों ने एक बार छन भर के लिए भी अपनी नज़रें मेरी ओर से नही हटाईं. रजनी उनके लिंग को उपर से लेकर उसकी जड़ तक अपनी जीभ से चाट रही थी. स्वामी जी का लिंग पूरी तरह तना हुआ था. रजनी उसे अपने मुँह के अंदर लेने लगी. इधर मेरी दोनो ओर से जबरदस्त चुदाई चल रही थी और उधर स्वामी जी का लंड किसी योनि की तलाश मे निकल पड़ा था. रजनी अपने एक हाथ से उनके लिंग के नीचे लटकती गेंदों को थाम रखी थी और दूसरे हाथ से उनके लिंग को पकड़ रखा था. स्वामी जी ने उसके हाथ को अपने लिंग पर से हटा दिया. रजनी ने उनका संकेत पाकर अपने मुँह को पूरा खोल लिया और मैने देखा की आधे से ज़्यादा अपने मुँह मे लेने लगी. स्वामी जी का लिंग अब उसके गले तक उतरने लगा. जिसके लिए वो हर धक्के से पहले अपनी सांसो को व्यवस्थित कर लेती थी फिर साँस को रोक कर उनके लिंग को जितना हो सकता है अपने मुँह के अंदर ले लेती. स्वामी जी ने अब उसका सिर अपने हाथों से थाम लिया था. बार बार मेरे चेहरे के सामने बाल आ जाने से उन दोनो का खेल देखने मे दिक्कत हो रही थी. तभी सामने से ठोकने वाला भी मेरी इच्छा जान कर मेरे बालों को समेत कर कंधे के दूसरी ओर कर दिया. 



इधर मेरी दमदार चुदाई चल रही थी उधर रजनी स्वामी जी के लिंग से प्रसाद ग्रहण करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही थी. मुझे ठोकने वाले दोनो मर्द काफ़ी दम दार थे और मुझे बुरी तरह चोद कर रख दिया था. दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा 

क्रमशः............
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12-10-2018, 02:07 PM,
#23
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रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -17 
गतान्क से आगे... 

जो मेरी योनि मे ठोक रहा था वो कोई 20-25 मिनिट्स तक मुझे चोद कर अपना लिंग एक दम से अंदर तक डाल दिया और उसके लिंग से वीर्य की धारा मेरी योनि को भरने लगी. उसके इस तरह ज़ोर से धक्का मारने के कारण सामने वाले का लिंग मुँह मे अंदर तक घुस गया. साथ ही उसका लिंग भी झटके मारने लगा. वो भी अपने वीर्य से मेरे मुँह को 
भरने लगा. उसने मेरा सिर पकड़ रखा था इसलिए मैं अपने सिर को हिला भी नही पा रही थी. उसके वीर्य की फुहार मेरे मुँह से होती हुआ मेरे पेट के अंदर जा रही थी. मैं भी उनके साथ ही झाड़ गयी. दोनोने अपना वीर्य मेरे अंदर खाली करने के बाद ही जाकर अपना अपना लिंग बाहर निकाले. 

लेकिन इतने मे ही नही छ्चोड़ा दोनो ने मुझे. मुझे उन दोनो के लिंग को चाट चाट कर बिल्कुल सॉफ भी करना पड़ा. मेरे मुँह नाक सब जगह उनके वीर्य लगा हुआ था. 

फिर दोनो अपनी अपनी सीट पर जा कर बैठ गये. मैं उनसे चुद कर ज़ोर ज़ोर से हाँफ रही थी. फिर दो और आदमी उठ कर मेरे पास आ गये. वो आकर उन दोनो की जगह ले लिए और वापस 
मेरी चूत को चौड़ा कर उसमे एक ने अपना लिंग पेल दिया. दूसरा मेरे मुँह मे अपना लिंग डाल दिया. वापस मेरी चुदाई शुरू हो गयी. दोनो काफ़ी देर तक ठोक-ठोक कर मेरी हालत बिगाड़ दी. मैं पसीने और वीर्य से पूरी तरह भीग चुकी थी. पूरा बदन गीला होकर लटपथ कर रहा था. कुच्छ देर बाद जो आदमी मेरे मुँह मे ठोक रहा था उसने अपने लिंग को मुँह से निकाल कर मेरे सीने के पास बैठ गया और मेरी दोनो छातियो को थाम कर उनके बीच अपने लंड को रख कर धक्के मारने लगा. कुच्छ ही देर मे उसके लिंग से पिचकारी के रूप मे गाढ़ा गाढ़ा रस निकाल कर मेरे चेहरे पर मेरे बालों पर और मेरी छातियो पर गिरने लगा. जब सारा वीर्य निकल गया तब जा कर वो मेरे सीने पर से हटा. 



जो मेरी योनि मे धक्के मार रहा था वो भी ज़्यादा देर और टिक नही पाया. उसने मेरे दोनो सीने को अपनी मुट्ठी मे भर कर उस पर फैले वीर्य को उन पर मलने लगा. उसने मेरे दोनो चूचियो को बुरी तरह मसल कर रख दिया. कुच्छ देर बाद वो भी मेरे अंदर खाली हो गया. उसके बाद वो भी मेरे पास से हट कर अपनी जगह जा कर बैठ गया. 



उनके बैठने पर स्वामी जी ने दो और शिष्यों को इशारा किया. वो दोनो अपनी जगह छ्चोड़ कर उठ खड़े हुए और मेरे बदन से पसीना छ्छूटने लगा. उन दोनो ने आकर मुझे उठा कर घोड़ी बनाया और एक आगे से तो दूसरा पीछे से मुझ से चिपक गये. उनके लंड वापस मेरे मुँह मे और मेरी योनि की हालत खराब करने मे जुट गये. मैं तीसरे दौर के ख़तम होते होते थक कर चूर हो चुकी थी. तीसरा दौर ख़त्म होते होते मेरे हाथों मे और अपना बोझ सम्हाले रखने की ताक़त नही बची और मैं मुँह के बल बिस्तर पर गिर पड़ी. मैने गिना अभी भी छह आदमी बचे थे. मैं बिस्तर पर नंग धड़ंग पैरों को फैलाए लेटी हुई थी. मेरी योनि और मुँह से वीर्य बूँद बूँद कर बिस्तर की चादर पर गिर रहा था. 


अगली बार तीन आदमी उठ कर मेरे पास आए. मैने चौंक कर स्वामीजी की तरफ देखा. उनके चेहरे पर वही चिरपरिचित मुस्कान थी. मानो उन्हे भी मुझे सताने मे मज़ा आ रहा हो. 

तीनो ने मुझे बिस्तर से किसी गुड़िया की तरह उठा लिया. एक मेरी बगल मे आकर लेट गया. उसका लंड काफ़ी मोटा था. उसे देख कर मुझे झुरजुरी सी आने लगी. उसका खड़ा लिंग उपर की तरफ खड़ा हुआ था. बाकी दोनो ने मुझे बाहों से पकड़ कर उठाया और मेरी 
टाँगों को चौड़ा कर के उसके लिंग पर बिठाने की कोशिश करने लगे. वो अपने हाथों से मेरी टाँगों को और मेरी बाँहो को थाम रखे थे. मेरा पूरा बदन हवा मे था. मैं अपनी बाँहों को उनके गले के इर्दगिर्द पिरो कर उनका सहारा लिए हुए थी. उन्हों ने उसके लंड पर मेरी योनि को टीकाया. मेरी योनि से रस टपक कर उसके लंड पर बूँद बूँद गिर रहा था. एक पतली सी धार उसके लिंग को भिगोति हुई नीचे जा रही थी. मेरी योनि को उसके खड़े लंड के टिप पर टीका कर वो मेरे बदन को हवा मे थम रखे थे. मेरी टाँगे जितना फैल सकती थी फैला रखा था. कुच्छ देर तक मैं उस अवस्था मे रही फिर उन्हों ने मेरे बदन का बोझ अपने कंधों पर से हटाना शुरू किया. मैने अपने बदन का बोझ उसके लिंग पर डाल दिया. उसका तगड़ा लिंग मेरी योनि को चीरता हुया अंदर घुसता चला गया. मैने अपने हाथ उसके सीने पर रख कर कर अपनी योनि के अंदर घुस रहे उसके लिंग की गति को कम किया. 



मैने अपने हाथों के सहारे उसके लिंग को आधे मे रोक कर दो पल रुकी फिर मैने अपने हाथों को एक दम से उसके सीने पर से हटा लिया और धम्म से मैं उसके लिंग पर बैठ गयी,”आआआआआहह….हहुउूऊहह” की एक आवाज़ मेरे मुँह से निकली और मैने उसके लिंग को पूरा अपनी योनि के अंदर समा लिया. ऐसा लग रहा था मानो उसका लिंग मुँह से बाहर निकल आएगा. मैं उसके सीने पर लेट कर अपने स्तनो को उसके चौड़े पत्थर से सीने पर रगड़ने लगी.
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12-10-2018, 02:07 PM,
#24
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
कुच्छ देर इस तरह लेटे रहने के बाद मैं उठी और अपने हाथ उसके सीने पर रख कर उसके लिंग के उपर बैठ गयी. मैं अपनी कमर को धीरे धीरे उपर नीचे करने लगी. मगर उसका तो इरादा ही कुच्छ और था. उसने मेरे निपल्स को पकड़ कर अपनी ओर खींचा. एक तेज दर्द की लहर उठी. मैं उस दर्द से बचने के लिए उसके सीने से वापस सॅट गयी. उसने इस बार मेरे बदन को अपनी बाहों मे जाकड़ कर सख्ती से अपने सीने पर दबोच लिया. मेरी मोटी मोटी चूचियाँ उसके सीने पर पिसी जा रही थी. तभी एक लड़की एक कटोरे मे कुच्छ लेकर आई. बाद मे पता चला वो कोई तेल था. 

रजनी ने उसके हाथ से वो कटोरी लेकर मेरे दोनो नितंबों को अलग करते हुए मेरे आस होल पर कुच्छ आयिल गिराया फिर अपनी उंगलियों से उसे मेरे गुदा द्वार पर रगड़ने लगी. उसने एक उंगली से मेरे गुदा के अंदर तक अच्छि तरह से तेल लगा दिया. मैं उसकी हरकतों पर कसमसा रही थी, मगर नीचे लेटे आदमी ने मुझे हिलने तक नही दिया. 

"नहियीईई.. ..प्लस्सस्सस्स. ..ईए..मुझसीए ए...नहियीई. ..होगाआ. " मैं कसमसा रही थी. उनको रोकने के लिए तड़प रही थी" मेरी फॅट्ट जयेगीईई. प्लस्ससस्स... मैं सबको खुशह कर दोन्गीई मगर आईसीई नही. मैंईए कीसीईईई काअम के लिईए मानाआ नही कियाअ..वाहाआँ नहियिइ……गुरुजिइइईई मुझीई बचऊऊओ" 

मगर वहाँ मेरी विनती सुनने वाला कोई नही था. फिर एक लिंग का अहसास मेरे गुदा द्वार पर हुआ. मैने अपने नितंबों को इधर उधर हटा कर उससे बचने की कोशिश की मगर सफल नही हो सकी. फिर उसने अपने हाथ मेरी पीठ पर रखे. कोई दूसरा, शायद रजनी मेरे नितंबों को चौड़ा कर रखी थी. फिर एक ज़ोर के धक्के से उस आदमी ने अपने लिंग का सूपड़ा मेरे आस होल मे डाल दिया. 

"आआआआआआआअहह हह. ......म्माआआआ " मैं चीख उठी. ऐसा लगा कि मेरा गुदा फट जाएगा. उसने दो और ज़ोर ज़ोर के झटके से अपना पूरा लिंग मेरे आस होल मे डाल दिया. वहाँ मौजूद सबने तालियाँ बजाई. मैं विस्वास नही कर पा रही थी कि उसका लिंग मैने अपने अंदर पूरा समा लिया है. मैने हाथ से उसे छ्छू कर खुद को विस्वास दिलाया कि जिससे मैं डर रही थी वैसा कुच्छ भी नही है. उसका लंड बड़े आराम से अंदर चला गया है. 

लेकिन मैं दर्द से दोहरी हुई जा रही थी. रजनी पास आकर मेरे चेहरे को सहला रही थी और धैर्या रखने को कह रही थी. मैने भी अपने जबड़े सख्ती से भींच लिए थे. ऐसा लग रहा था मानो दोनो लंड मेरे बदन के अंदर एक दूसरे को सहला रहे हों. 

वो अपना पूरा लिंग अंदर डाल कर कुच्छ देर रुका फिर दोनो आगे और पीछे से मुझे चोदने लगे. अब तीसरे ने मेरे पास आकर मेरे चेहरे को साइड मे घुमा कर अपना लिंग मेरे मुँह मे डाल दिया. इस तरह का सेक्स सिर्फ़ मैने ब्फ मे देखा था या सुना था. तीन तीन आदमियों के साथ एक साथ संभोग भी किया जा सकता है ऐसा मैने कभी सोचा भी नही था. मगर आज यही मेरे साथ हो रहा था. 



तीनो ज़ोर ज़ोर से मुझे ठोक रहे थे. तीनो एक साथ अपने अपने लिंग मेरे बदन से बाहर की ओर खींचते फिर एक साथ वापस तीनो लंड मेरे बदन मे समा जाते. कुच्छ देर की चुदाई के बाद उन तीनो ने मेरे तीनो च्छेदों पर अपने अपने गर्म वीर्य डाल दिए. जब उनके लंड सिकुड गये तब उन लोगों ने अपने अपने लंड बाहर निकल लिए और मेरे खुले बालों से अपने अपने लंड को पोन्छ्ते हुए अपनी अपनी जगह जाकर बैठ गये. 



उनके बाद बाकी बचे तीनों ने भी मुझे उसी तरह चोदा. कोई दो -ढाई घंटों की चुदाई के बाद मुझमे तो उठकर खड़े होने की भी ताक़त नही बची थी. पूरा बदन 
बुरी तरह दुख रहा था. रजनी और एक युवती ने आकर मुझे उठाकर मुझे उसी नंगी हालत मे स्वामीजी के कदमों पर बिठा दिया. स्वामीजी ने अपना लिंग निकाल कर मेरे सिर पर रखा. फिर उसे नीचे सरकाते हुए मेरे मुँह मे डाल दिया. 

मेरा मुँह इतनी चुदाई के बाद बुरी तरह से दुख रहा था. मगर मैने बिना कुच्छ कहे उनके लिंग को अपने मुँह मे डाल लिया. मैने चूस चूस कर उनको खल्लास किया. फिर सब उठ कर उस कमरे से निकल गये. वहाँ सिर्फ़ मैं रजनी और एक लड़की बचे थे. मैं वहाँ ज़मीन पर ही लेटी हुई थी. 

रजनी ने फिर मुझे उठाकर मेरे बदन को सहारा दिया और दूसरी तरफ वहाँ मौजूद दूसरी युवती ने मुझे पकड़ा. दोनो मुझे थामे बाथरूम तक ले गये. वहाँ गीले टवल से मेरे बदन को सॉफ किया. पूरे बदन पर लगे मर्दों के रस को सॉफ किया फिर मुझे नंगी हालत मे बेडरूम तक ले गये. एक दूसरी युवती वही पहले जैसा शरबत ले कर आइ. जो मैने एक साँस मे ख़तम कर दिया. रजनी ने मुझे बिस्तर पर लिटा कर कमरे मे अंधेरा कर दिया. हल्की आवाज़ मे कमरे मे लगे माइक्रोफॉन से मंत्रोच्चारण की आवाज़ आ रही थी. 



“कुच्छ देर आराम कर लो एक दम तरोताजा हो जाओगी.” मुझे वहाँ छ्चोड़ कर सब बाहर चले गये. मैं गहरी नींद मे डूब गयी. पता नही कितने घंटे सोती रही. जब उठी तब मैने अपने बिस्तर के सिरहाने पर जो कपड़े घर से पहन कर आइ थी वो तह और प्रेस किए हुए रखे थे. पास मे एक गाउन जो यहाँ की युवतियों की ड्रेस थी वो रखी थी. दोनो की मौजूदगी ये दिखा रही थी कि मैं दोनो मे से जो चाहे पहन सकती हूँ. अगर घर जाना हो तो अपनी ड्रेस पहन लूँ और अगर रुकना हो तो आश्रम की ड्रेस उठा लूँ. दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा 
क्रमशः............
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12-10-2018, 02:07 PM,
#25
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रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -18 
गतान्क से आगे... 

वैसे मेरा काम पूरा हो चुक्का था. स्वामी जी का इंटरव्यू मेरे डाइयरी मे और मेरे साथ लाए कमेरे मे बंद था. मगर मैं और कुच्छ वक़्त वहाँ गुज़ारना चाहती थी. वहाँ का उन्मुक्त वातावरण मुझे अच्च्छा लगा. और सबसे बड़ा कारण तो स्वामी जी थे. अब जब सब बता ही दिया तो इस बात को छिपाने से क्या फायडा की मैं जाने से पहले एक बार और स्वामी जी के साथ सेक्स करना चाहती थी. मैं एक बार उनके नग्न बदन से लिपटना चाहती थी. मैं उनका प्रसाद अपनी योनि मे भर लेना चाहती थी. मैने गाउन उठा कर बदन पर ओढ़ लिया. मैं कमरे से निकली तो रजनी आती हुई दिखी. वो मुझे आश्रम के ड्रेस मे देख कर मुस्कुरा उठी. 



उसने मुझे अपने पीछे आने का इशारा किया. असराम के हॉल मे तब स्वामी जी का प्रवचन चल रहा था. पूरा हॉल श्रद्धालुओं से खचा खच भरा था. जब स्वामी जी बोलते तो वहाँ मौजूद समस्त लोग खुशी से भर उठते थे. सब भाव विभोर हो कर झूम रहे थे. उस रूप मे स्वामी जी साक्षात भगवान के रूप लग रहे थे. मगर वहाँ मौजूद लोगों को क्या पता था कि जो स्वामी जी की बातें सुन कर वो मंत्रमुग्ध हो उठते हैं उनका एक और रूप उनके शिष्यों को ही पता था. कोई युवती जो एक बार उनके संपर्क मे आ जाती वो कभी मुँह नही खोलती क्योंकि वो पहले संभोग के बाद अपनी खुशी से ही उनकी गुलाम बन जाती. 



मैं खुद कायल हो चुकी थी उनके संभोग की. उनकी झलक पाते ही अब मेरा बदन तड़पने लगता था. मेरी योनि के अंदर खलबली मच जाती और उस जगह जागी सिहरन खुजली का रूप ले लेती. योनि के अंदर से अपने आप श्राव होने लगता. ऐसा मेरे साथ पहली बार हो रहा था कि मैं किसी मर्द से इतनी ज़्यादा प्रभावित हो गयी थी. 



रजनी मुझे अपने कमरे मे लेकर गयी. उसने मुझे अपने बिस्तर पर बिठाया. 



“ये लो शरबत पियो. इसे यहाँ रहने वाला हर व्यक्ति पीता है. इसमे मौजूद कुच्छ तत्व जिस्म मे सेक्स की भूख बढ़ा देते हैं.” रजनी ने कहा. 



“तभी इसके पीते ही मेरा बदन हल्का हो जाता है और पूरे बदन पर चींटियाँ चलने लगती हैं.” मैने उस ग्लास को लेकर उससे घूँट भरते हुए कहा. 



“बहन रश्मि यहाँ हर ओर सेक्स का उन्मुक्त वातावरण है. यहाँ की हवा मे भी सेक्स घुली हुई है. यहाँ आकर कोई भी चाहे वो पुरुष हो या महिला सेक्स से अछूता नही रह सकता.” रजनी ने मेरे हाथ से खाली ग्लास लेकर साइड टेबल पर रखते हुए कहा. 



“मुझे यहाँ का वातावरण पसंद आया.” मैने कहा 



“यहाँ किसी पर कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नही है. स्वामी जी कहते हैं कि मन को मार कर कोई काम करना पाप कहलाता है. आप यहाँ किसी से भी सेक्स करने के लिए फ्री हो. कभी भी कहीं भी किसी के भी साथ आप सेक्स कर सकती हो. उसी तरह आपके साथ भी कोई भी जब चाहे संभोग करने के लिए फ्री है. दिन के वक़्त बंद कमरों मे और शाम के वक़्त कही भी कोई सेक्स करने के लिए स्वतंत्र है.” 



“अगर किसी बाहर वाले को पता चल गया तो?” मैने उससे पूछा. 



“इस बात का बहुत ध्यान रखा जाता है. सुबह दो घंटे जब स्वामी जी का प्रवचन होता है तब एवं शाम को जब पूजा होती है उसके अलावा किसी बाहर वाली का आना वर्जित है.” रजनी ने कहा “आश्रम के अलग क़ायदे क़ानून हैं जिसका बड़ी कड़ाई से पालन किया जाता है. और इसी लिए यहाँ के वातावरण मे शक़ और बदनामी की गंदगी घुस नही पाती. तुम एक पत्रकार हो तुमसे भी यही रिक्वेस्ट है कि इस बारे मे तुम कुच्छ मत लिखना.” रजनी ने मुझसे रिक्वेस्ट की. 



“तुम घबराओ नही. मैं इस वातावरण का एक हिस्सा बन चुकी हूँ और आज के बाद इसे साफ रखना मेरी भी ज़िम्मेदारी है.” मैने कहा “मेरा इंटरव्यू इस तरह छपेगा की लोगों मे स्वामी जी की तारीफ ही तारीफ होगी और स्वामी जी का नाम चमकने लगेगा.”
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12-10-2018, 02:07 PM,
#26
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रजनी ने प्यार से मुझे चूम लिया. उस शरबत की वजह से मेरे बदन मे वापस उत्तेजना का प्रवाह शुरू हो गया था. उसने मेरे कमर पर कसी डोर की गाँठ को खींच कर खोल दिया और मेरे गाउन के पल्लों को सामने से हटा कर मेरे नग्न बदन को निहारने लगी. 



“तुम वाक़ई खूबसूरत हो. एक एक अंग मानो साँचे मे ढला हुआ है. स्वामी जी ने लिए तुम्हे अपने आश्रम मे लेने के लिए इतनी तयारि की.” रजनी ने आगे बढ़ कर मेरे होंठ चूम लिए. मैं भी अपनी जीभ उसके मुँह मे डाल कर उसकी जीभ से खेलने लगी. मैने भी उसके गाउन को बदन से उतार दिया. वो भी कम खूबसूरत नही थी. हल्का गेहुंआ रंग था लेकिन बदन कसा हुआ था. उसके उरोज तो सबसे खूबसूरत थे. मुझे उसके उरोज देख कर मज़ा आ गया. वैसे मैं समलंगिक नही हूँ. लेकिन सुंदर चीज़ों से परहेज भी नही है. उस दिन तो मुझे समलंगिक बनना भी अच्च्छा लग रहा था. बदन की आग मिटनी चाहिए तरीका कुच्छ भी हो. दोनो एक दूसरे से लिपट गये. हम दोनो अपने स्तानो को एक दूसरे से रगड़ने लगे. निपल इतने कड़े हो गये थे की रगड़ते वक़्त दूसरे के निपल बदन मे चुभ रहे थे. 



वो मुझे लेकर बिस्तर पर लेट गयी. हम दोनो ने अपने अपने कपड़े त्याग दिए थे. फिर एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे. रजनी मेरे निपल को मुँह मे भर कर चूसने लगी. मैं एक हाथ से उसके स्तानो को मसल रही थी तो दूसरे हाथ से उसकी जंघें सहला रही थी. रजनी के हाथ मेरे नितंबों पर फिर रहे थे. 



रजनी ने मुझे चित लिटा दिया और मेरे बदन पर चढ़ गयी. वो मेरे उपर चढ़ कर योनि की ओर मुँह कर उसपर झुक गयी. उसने अपनी जीभ मेरे जांघों पर फेरनी शुरू कर दी. उसके नितंबों को खींच कर मैने भी उसकी योनि के होंठों को अपनी उंगलियों से छेड़ना शुरू कर दिया. रजनी मेरे जांघों पर अपने दाँत गढ़ाने लगी थी बीच बीच मे वो अपनी जीभ नीचे झुक कर मेरी नाभि मे भी डाल देती थी. मैं उसकी जांघों के बीच उगे रेशमी बालों को अपने दाँतों से दबा कर खींच रही थी. रजनी ने मेरी योनि मे अपनी जीभ डाल दी और मेरी योनि को अपनी जीभ से सहलाने लगी. मैने भी रजनी के साथ वैसा ही शुरू कर दिया. कुच्छ देर मे ही दोनो की योनि से रस बह निकला. 



हम दोनो ने ही एक दूसरे के रस को चाट चाट कर साफ किया. फिर रजनी घूम कर मेरी बगल मे लेट गयी. हम दोनो एक दूसरे के नग्न बदन को सहलाने चूमने लगे. 



“तुम….तुम लाजवाब औरत हो.” रजनी ने मुझसे कहा. 



“तुम भी कुच्छ कम नही हो. आज पहली बार मैने किसी औरत के साथ सेक्स किया. मैं इसे एक गंदी चीज़ समझती थी. लेकिन तुम्हारे साथ मस्ती करने के बाद लगता है कभी कभी टेस्ट चेंज मे कोई बुराई नही है.” 



रजनी मेरी बात सुन कर हँसने लगी. 



“तुम आ गयी हो आश्रम मे तो इस तरह के मौके अक्सर मिल जाया करेंगे. वैसे मुझे भी बहुत मज़ा आया तुम्हारे साथ.” रजनी ने कहा. 



“ एक बात पूच्छू? रजनी जी आप कैसे आइ आश्रम मे?” मैने झिझकते हुए पूछा. 



“ हा…..बहुत लंबी कहानी है. कभी वक़्त मिला तो सुनाउन्गी. वैसे बता दूं. मैं मुंबई की रहने वाली हूँ. आज से पाँच साल पहले मेरी शादी हुई थी. मैं गुजरात के एक गाओं की सीधी साधी लड़की थी. मेरा पति एक छ्होटी सी कंपनी का सूपरवाइज़र था. हम मुंबई के एक झोपड़पट्टी मे रहते थे. मुंबई मे लोवर क्लास आदमियों को सिर छिपाने के लिए असरा ढूँढना एक बड़ी बात होती. बड़ी मुश्किल से एक रहने को जगह मिली. धारावी के एक चाव्ल मे रहने को जगह मिली थी. चारों तरफ गंदगी और बदबू भरे वातावरण के बीच भी मैं खुश थी. लेकिन मेरी खूबसूरती मेरा दुश्मन बन गयी. 



रतन एक सीधा साधा अड्मिट हा. उसे दुनिया के लोगों की टेढ़ी चाल के बारे मे कुच्छ नही पाता था. हम दोनो अपने इस छ्होटी सी दुनिया मे खुश थे. हम ने अपने बूढ़े सास और ससुर को भी वहाँ बुला लिया था. हम अपनी इस छ्होटी सी दुनिया मे बहुत खुश थे. लेकिन लालची लोगों की गिद्ध दृष्टि मुझ पर पड़ चुकी थी. उस बस्ती के गुंडे मुझे आते जाते परेशान करने लगे थे. मेरा घर से निकलना मुश्किल हो गया था. मैं अपने पति से उनकी शिकायत करती तो वो उन बदमाशों के डर से चुप रह जाते थे. 



मार्च का महीना था मैं एक दिन रात मे दस बजे के आसपास किराने के दुकान से कुच्छ ज़रूरी समान लेकर आ रही थी तभी उन मवालियों का झुंड उल्टी तरफ से आता हुआ दिखा. मैं उन लोगों को देख कर डर गयी. वो पाँच थे और मैं अकेली. उनकी नज़र जैसे ही मुझ पर पड़ी उनकी आँखों मे लाल डोरे तैरने लगे. वो पाँचों पिए हुए थे. दामु उर्फ दमले टपोरी उनका उस्ताद था. मैं जैसे ही उनसे कतरा कर उनके पास से गुजरने लगी तभी एक झटके मे उनके सरदार ने मेरी कलाई पकड़ ली. मैं घबरा कर उनसे अपनी कलाई छुड़ा कर वहाँ से भागने की कोशिश करने लगी मगर तब तक देर हो चुकी थी. मेरी कलाई सख्ती से दमले की मुट्ठी मे बंद थी और बाकी चारों मुझे घेर लिए थे जिससे मैं अगर भागने की कोशिश भी करती तो भी उनकी गिरफ़्त से बच कर नही निकल सकती थी. दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा 

क्रमशः............
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12-10-2018, 02:07 PM,
#27
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -19 
गतान्क से आगे... 

दमले ने मेरी कलाई को एक्ज़ोर से झटका दिया तो मैं लड़खड़ा कर गिरने लगी. इससे पहले की मैं सम्हल पाती मैने अपने आप को दमले की बाँहों मे पाया. बाकी चारों मेरी च्चटपटाहत का मज़ा ले कर हंस रहे थे. मैं किसी जाल मे फँसी चिड़िया की तरह फड़फदा रही थी. पूरी ताक़त से अपने हाथ पैर चला कर उनसे छूटने की कोशिश कर रही थी. मगर उनके सामने मैं सफल नही हो पा रही थी. दमऊ ने मेरे बदन से नोच कर मेरी चुनरी फेंक दी और मुझे पीछे की ओर से अपनी बाँहों मे भर कर ज़मीन से उपर उठा लिया. मैं अपने पैरों को फेंक रही थी मगर एक भी वॉर उसके बदन पर सही जगह पर नही पड़ रहे थे. उसने मेरे बगलों के नीचे से अपने हाथ डाल कर मेरे दोनो स्तनो को थाम लिया था और उनको बेरहमी से मसल रहा था. आस पास के बने मकानो के लोग उन गुण्डों के डर से अपने अपने दरवाजे बंद कर चुके थे. मेरी चीख पुकार मेरे मुँह मे ही दब गयी थी क्योंकि मेरे मुँह पर एक भारी हाथ पड़ा हुया था. 



तभी दमऊ ने एक हाथ से मुझे तामते हुए अपना दूसरा हाथ मेरी गिरेबान के अंदर डाल कर मेरी ब्रा को बीच से पकड़ कर एक झटका दिया तो ब्रा टूट कर हाथ मे आ गयी. दूसरे झटके के साथ ब्रा ने मेरे बदन का साथ छ्चोड़ दिया. मेरी कमीज़ के अंदर से खींच कर मेरी टूटी ब्रा को बाहर निकाल कर उसने सबके सामने लहराया. लोग उसे लपकने के लिए हाथ बढ़ा दिए थे. दमऊ ने उस टूटी ब्रा को एक बार अपने होंठों तक ले जाकर किस किया और फिर उसे उनके बीच उच्छाल दिया. उसने दोबारा अपने हाथ मेरी गिरहबान से डाल कर मेरे नंगे बूब्स को मसल्ने लगा. मैं जल बिन मच्चली की तरह तड़प रही थी उसके बंधन से छ्छूटने के लिए. मगर उसके हाथ लोहे के सांकॅल की तरह मजबूत थे और मैं उनके सामने बेबस थी. तभी उसका एक हाथ एक झटके से मेरी सलवार के अंदर घुस गया और सीधी जा कर मेरी योनि के उपर जा कर रुका. मैं उसकी इस हरकत पर बज़ुबान रह गयी. मैं फटी फटी आँखों से उसको देख रही थी. जैसे ही उसकी उंगलियाँ जगह बनाती हुई मेरी योनि के अंदर घुसी मैं एक दम से जैसे होश मे आइ. मेरी आँखों मे आँसू आ गये. मैने उसके हाथ को अपनी सलवार के उपर से पकड़ लिया और मुझे छ्चोड़ देने के लिए गिड गिदाने लगी. 



उसने अपना हाथ बाहर निकाल कर मेरी कमीज़ को फाड़ कर दो टुकड़ों मे अलग कर दिया. फिर उसने और उसके चम्चो ने मेरे बदन से कमीज़ को नोच कर अलग कर दिया. तब रात के सिर्फ़ दस बज रहे थे. मगर जैसे मोहल्ले वालों को साँप सूंघ गया था. कोई आगे नही आया मुझे बचाने के लिए. मैं उन भूखे भेड़ियों के सामने अर्धनग्न अवस्था मे अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए एक आख़िरी कोशिश कर रही थी. मगर मेरी फरियाद सुनने का ना तो किसी के पास टाइम था और ना ही हिम्मत. 



तभी एक साथ कयी घटनाएँ हुई. मेरे बदन से उतरी कमीज़ के चीथदों को लपकने के लिए चारों टूट पड़े. उसी समय वहाँ से वर्दी मे कोई पोलीस वाला गश्त लगाता हुया पहुँचा. उसे देख कर दमऊ की पकड़ ढीली पड़ गयी. और मैं उसके बंधन से अपने को छुड़ा कर भाग निकली. मैने अपने दोनो हथेली से अपने नग्न स्तनो को ढकने की असफल कोशिश करते हुए मैं लगभग दौड़ते हुए घर पहुँची. मुझे इस तरह सिर्फ़ एक सलवार मे अपने उच्छलते स्तनो को हाथ से ढंपे भागते हुए देख कर लोग मज़े ले रहे थे. 



मैं जितना तेज दौड़ते हुए घर तक पहुँची. मैने दरवाजा खटखटाया. मुझे कुच्छ होश नही कि किसने दरवाजा खोला. मैने अंदर घुस कर दरवाजे को मजबूती से अपने पीछे बंद कर दिया. मेरी साँसे धोन्क्नि की तरह चल रही थी. मैं अभी हुए हादसे से डर कर थर थर काँप रही थी. मेरी दोनो छातियाँ हर साँस के साथ उपर नीचे हो रही थी. मेरी आँखें बंद थी और गला सूख रहा था. अपने काँपते हुए जिस्म को सहारा देने के लिए मैने अपनी पीठ दरवाजे पर टीका दी थी. जब आँख खुली तो देखा सास, ससुर और रतन तीनो मूह फाडे मुझे देख रहे थे. मैने झट अपने नंगे बूब्स को अपनी हथेलियों से ढँका और फफक कर रोने लगी. मेरे ससुर जी झट से एक चादर लाकर मेरे बदन को ढँक दिए. मैं अपने पति के गले लग गयी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी. 



“क्या हुआ? कैसे हुआ ये सब?” तीनो मुझसे पूछ रहे थे. मैने रोते हुए पूरी घटना उनको सुना दी. 



“ दााँ……दामले……” मैं इससे आगे और कुच्छ नही बोल पाई. मैं बुरी तरह रोए जा रही थी. 



“ हां…हाआंन्न….. क्या हुआ? क्या किया दमले ने?’ रतन मुझसे पूच्छे जा रहा था. 



“ मैने आप से कितनी बार कहा था कि उस गुंडे….उस हरम्जदे दमले की नीयत ठीक नही है. मगर आप ने नही माना. देख लो आज मैं गॅंगरेप से बच कर आ रही हूँ.”
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12-10-2018, 02:08 PM,
#28
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रतन को गुस्सा आ गया और वो सीधा थाने जा कर उनके खिलाफ रपट लिखा आया. मगर हुया क्या. अगले दिन हमने देखा की थानेदार की महफ़िल दमले के साथ जमी है. सब एक ढाबे के बाहर बैठे शराब पी रहे हैं. ये सब रतन ने देखा. रतन को देखते ही दमले ने मुस्कुरा कर कहा, “ किसे रपट लिखवाएगा भोंसले को? अबे भद्वे भोंसले मेरा पक्का यार है यार क्या समझे. अगर ज़्यादा उच्छल कूद की तो बस्ती मे जीना हराम कर दूँगा.” 



उसकी धमकी सुन कर रतन डर कर चुप चाप घर चला आया. उसने अगले दिन थाने जाकर अपनी शिकायत खारिज कर दी. और हम सबको हिदायत दी कि हम उसके खिलाफ कोई शिकायत ना करें. बल्कि जितना हो सके अपने को बचा कर रखें. 



अगले दो हफ्ते साब ठीक चलता रहा. धीरे धीरे दमले के बर्ताव मे बदलाव दिखा. हम भी कुच्छ आश्वस्त होने लगे. वो रतन को बुला कर उसके साथ बातें करता और मेरी ओर भूल कर भी आँखें उठा कर नही देखता. हमे समझ मे नही आ रहा था उसमे अचानक आए इस तरह के बर्ताव की वजह क्या थी. 



मैने कई बार रतन को दमले की तरफ से सावधान रहने की हिदायत दी लेकिन मैने देखा की मेरा कहा ज़्यादा असर नही छ्चोड़ पा रहा है. साँप अपने जहरीले दाँत कितने दिन तक छिपा कर रख सकता है. बहुत जल्दी ही उसकी असलियत सामने आ गयी. 



दो हफ्ते बाद आई होली. मैं तो पहले से ही कुच्छ शंकित थी. मगर रतन पूरी तरह दमले की तरफ से आश्वस्त था. उस दिन सुबह सवेरे दमले आकर रतन को बुला कर ले गया. घंटे भर जब वो वापस आए तो रतन नशे मे धुत था. वो लड़खड़ते हुए घर लौटा. पीछे पीछे दमले की पूरी टोली थी. वो सब हल्ला करते और नाचते हुए साथ चल रहे थे. कुच्छ कुच्छ देर बाद “बुरा ना मानो होली है” की आवाज़ें लगा रहे थे. रतन उनके बीच लड़खड़ते कदमो से चल रहा था. 



मैं दरवाजा नही खोलना चाहती थी. सास ससुर ने भी मुझे दरवाजा खोलने से मना कर दिया. मगर रतन को दरवाजे पर लुढ़कते देख कर मैं अपने आप को नही रोक सकी. मैने दरवाजा खोल दिया और रतन को सम्हलने की कोशिश करने लगी. 



“ क्या हुआ?..... आअप…?” मैं उन्हे सम्हाल रही थी. 



“ इसने कुच्छ ज़्यादा चढ़ा ली.” दमले गंदी हँसी हंसता हुया बोला. मैने झटक कर गुस्से से जलती निगाहों से उसे देखा. मगर उस पर मेरे गुस्से का कोई असर नही पड़ा था. 



“भाभी जी ऐसी भी क्या नाराज़गी है हम देवरों से. आज तो दुश्मन भी गले मिलते हैं फिर हम तो आपके देवर ठहरे. हमसे होली नही खेलोगी.” 



“ देखो मुझे ये सब पसंद नही है. मुझे हाथ भी मत लगाना.” मैने उनको झिड़कते हुए कहा. मगर किसी डाँट या झिड़की का असर तो आदमियों पर होता है वो तो पूरे जानवर थे जानवर. 



“ अरे अपनी भाभी तो नाराज़ हो रही है. हम तो अपनी सुंदर भाभी से होली खेलने आए है और ये हमे ऐसे दुतकार रही है मानो हम गली के कुत्ते हों. अरे थाम तो ज़रा इसे. आज अगर इसके साथ होली नही खेली तो लानत है ऐसी दादागिरी से.” दमले मेरे विरोध से नाराज़ हो गया था. 



एक ने मुझे पीछे से पकड़ कर ज़मीन से उठा लिया और घर के अंदर ले आए. फिर वो आदमी मुझे पीछे से पकड़ कर खड़ा हो गया. मेरी दोनो बाँहें उसने अपने बाजुओं से थाम रखी थी जिससे मेरी ओर से कोई ग़लत हरकत ना हो सके. मेरी सारी का पल्लू मेरे सीने पर से हट कर ज़मीन पर लोट रहा था. मैं ब्लाउस मे अपने मोटे मोटे उरजों को छिपाये खड़ी थी. 



दमले हंसते हुए तसल्ली से चलता हुआ मेरे सामने आया. उसने अपनी जेब से एक बॉटल निकाली और उसमे से लाल गाढ़ा रंग निकाल कर अपने दोनो हाथों पर मला. 



“ इस लाल रंग मे तेरा रूप और खिल उठेगा.” 



मैं चुपचाप उसकी हरकतों को देख रही थी. मेरे सास ससुर मेरे साथ होती ये ज़बरदस्ती डर से चुपचाप खड़े देख रहे थे. मेरे ससुर ने एक बार उनका विरोध किया तो एक ने जेब से एक लंबा सा चाकू निकाल लिया. जिसे देख कर मेरे ससुर जी ने अपने होंठ सी लिए. मेरे पति देव मेरे पास ज़मीन पर बैठे मुझे तुकर तुकर देख रहे थे. नशे की अधिकता की वजह से उनका दिमाग़ काम नही कर रहा था और अगर काम भी कर रहा हो तो भी उनका जिस्म साथ नही दे रहा था. 



दमले ने सामने आकर अपने दोनो हाथों मे लाल रंग को अच्छि तरह मला फिर मुझे अपनी दोनो हथेलिया खोल कर दिखाया. फिर उसने मेरे एक गाल पर अपने होंठ रख कर एक बार चूमा फिर अपने रंगे हुए हाथों से मेरे पूरे चेहरे को अच्छे से रंग दिया. सब हंस रहे थे. मैं कसमसा रही थी. मेरा पूरा चेहरा लाल हो गया था. 

फिर उसने अपने दोनो हाथों को वापस रंग कर मेरे दोनो हाथों को रंगा. 



“क्या चिकना माल है यारों. ऐसा लग रहा किसी मक्खन की डली पर हाथ फिरा रहा हूँ. रतन तू साला बहुत किस्मेत वाला है.” कहकर वो मेरे नंगे चिकने पेट पर रंग लगाने लगा. पूरे पेट पर अपने खुरदुरे हाथों को फेर रहा था. जब पेट पूरा रंग दिया तो मेरी पीठ की बारी आई. मेरा जो जो अंग कपड़ों से बाहर था सबको उसने लाल रंग मे रंग दिया. मैं पीछे वाले आदमी की पकड़ मे मचल रही थी. मगर उसके बंधन से अपने आपको छुड़ाना मुश्किल लग रहा थ.दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा 

क्रमशः............ 
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12-10-2018, 02:08 PM,
#29
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -20 
गाटांक से आगे... 

“ बहुत दिनो से इच्छा थी की तेरे साथ मैं देवर भाभी वाली होली खेलूँ मगर मौका ही नही मिल रहा था. आज मैं अपने मन की करके ही रहूँगा. ओये करीम, कस के पकड़ कर रख साली को. बहुत नखरे दिखा रही है आज तो इसके साथ जम कर होली खेलेंगे. फिर वो आज के बाद कभी हमे प्यार करने से नही रोका करेगी. ” मैने अपने आप को बचाने के लिए उस आदमी की गिरफ़्त मे एक आख़िरी कोशिश की मगर मेरा जिस्म उसकी बाँहों मे मचल कर ही रह गया. 



“अबे रतन तेरी बीवी बड़ी केटीली चीज़ है. उफ़फ्फ़ कहाँ से लाया है रे इसे उठाकर?”उसने रतन की ओर देख कर भद्दी तरह से आँख मारी. मेरे ससुर जी ने मुझे बचाने के लिए दमले पर झपते मगर उन्हे बीच मे ही थाम लिया गया. दो आदमियों ने उन्हे थाम कर पहले घूँसो और लातों से उनको मारा फिर जब वो निढाल हो गये तो पास पड़ी एक कुर्सी पर धक्का दिया. ससुरजी लड़खड़ा कर कुर्सी पर गिर गये. तभी एक आदमी कहीं से एक नाइलॉन की रस्सी ढूँढ लाया. उन लोगों ने सास और ससुर को कुर्सियों पर बिठा कर उनके हाथ पैर बाँध दिए. उसके बाद रत्तन के हाथ पैर भी आपस मे बाँध दिए. उनके मुँह मे कपड़े ठूंस दिए जिससे वो चिल्ला नही सकें. मैं उनका मकसद समझ कर छ्छूटने के लिए च्चटपटा रही थी मगर मुझे उस आदमी ने इतनी बुरी तरह जाकड़ रखा था कि मेरी एक नही चल रही थी. मैं समझ गयी थी कि आज मेरा इनके हाथों से बच पाना ना मुमकिन था. 



जब तक ये सब होता रहा तब तक मुझे रंगना रुका रहा. एक बार जब तीनो को जाकड़ कर बाँध दिया गया तो दमले वापस मेरी ओर घूमा. उसकी आँखों मे वासना की आग जल रही थी. वो मेरे पूरे जिस्म को निहार रहा था. 



“भाभी जी अपने घर वालों को समझाती क्यों नही हो. हम कितने शौक से आपके साथ होली खेलने आए हैं और ये हैं की हमे रोकने मे लगे हुए हैं.” दमले भद्दी तरह से हंसते हुए कहा. वो अपनी उंगलियों से मेरे नाज़ुक होंठों को मसल रहा था. मैं अपने दाँतों से उसकी उंगलियों को काट खाना चाहती थी मगर वो मेरा इरादा भाँप गया और मेरे मुँह खोलते ही उसने अपनी उंगलियाँ हटा ली. 



“मेरी प्यारी रजनी भाभी अब तक तो हम अपरिचितों कि तरह होली खेल रहे थे अब हम देवर भाभी की तरह गरम होली खेलेंगे. बुरा ना मानो…….” 



“ होली है….” बाकी मुस्टांडों ने नारा लगाया. 



इस बार उसने अपने हाथों मे वापस ढेर सारा रंग लगाया. फिर हंसते हुए मेरी ओर बढ़ा. मैं उससे बचने के चक्कर मे अपने बदन को सिकोड़ने लगी. मगर पीछे से उस आदमी की जाकड़ इतनी मजबूत थी कि लाख कोशिशों के बाद भी मैं अपने आप को बचाने मे सफल नही हो पा रही थी. 



उसने अपने लाल हाथ मुझे दिखाते हुए मेरे ब्लाउस के नीचे से अंदर डाल दिए. मैं च्चटपटा उठी मगर उसे तो मेरी कसमसाहट मे भी मज़ा ही आ रहा था. 



“छ्चोड़ दे मुझे कुत्ते….छ्चोड़ दे. नही तो मैं शोर मचा मचा कर पूरी बस्ती को इकट्ठा कर लूँगी.” मैं चीख रही थी. 



“ चिल्ला जितना चिल्ला सकती है चिल्ला. तेरे बचाव के लिए कोई नही आने वाला.” 



तभी एक ने आगे बढ़ कर एक कपड़ा मेरे खुले मुँह मे ठूंस दिया. अब मुँह से “गूऊँ गून” के अलावा कोई आवाज़ नही निकाल पा रही थी. 



“एम्म कैसे मचल रही है. लेखु आज तो मज़ा ही आ गया होली खेलने मे. मा कसम ऐसी केटीली चीज़ के साथ होली खेलने की इच्छा कितने दिनो से थी. “ कह कर उसने मेरी ब्रा के अंदर हाथ डाल कर मेरे मम्मो को मसल्ते हुए कहा, “ भाई लोगों बड़े ही मजेदार मम्मे हैं साली के देख क्या साइज़ है. अभी इतने शानदार हैं तो जब इनमे दूध आएगा तो क्या शान दार लगेंगे. बिल्कुल जापानी गुब्बारों की तरह.” 



वो मेरे स्तनो को काफ़ी ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा. मेरे सास ससुर ने आँखें बंद कर ली थी और रतन अपने आप को रस्सियों से छुड़ाने के लिए कसमसा रहा था. 



“ उस्ताद अकेले अकेले मज़े ले रहे हो. हम यारों का भी तो कुच्छ ख्याल रखो. हमे देखने तो दो नज़रों को.” एक ने दमले को कुरेदा.
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12-10-2018, 02:08 PM,
#30
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
“ अच्छा ? मैं तो भूल ही गया था.” फिर मेरी ओर देख कर,” माफ़ करना रजनी इनको भी दिखाओ हमारा होली मिलन. सालों दूर से ही देखना. किसी ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो भेजे मे सुराख कर दूँगा. पहले मुझे निबट लेने दो फिर तो ये तुम लोगों को ना नही करेगी.” 



उसने मेरे ब्लाउस के गिरेबान को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर ज़ोर से झटका दिया और मेरे ब्लाउस के बटन्स टूट कर इधर उधर हवा मे उड़ गये. मेरा ब्लाउस सामने से दो टुकड़ों मे बँट गया था. उसने मेरे ब्लाउस को मेरे बदन से अलग करना चाहा मगर मैं जी जान से उसे रोक रही थी. मेरा विरोध देख कर उसने मेरे ब्लाउस को फाड़ कर हटा दिया. 



“ वाह वाह गुरु….क्या मस्त बोबे हैं साली के. एक दम किसी हेरोयिन की तरह कसे हुए दिख रहे हैं.” एक ने कहा. मैं अपने हाथों से किसी तरह अपने योवनो को लोगों की भूखी नज़र से छिपाने की कोशिश कर रही थी. मगर एक ओर से धकति तो दूसरी ओर से छलक जाते. साइज़ बड़े होने का नुकसान खल रहा था. मैं झुक कर अपने आप को सिकोड भी नही पा रही थी क्योंकि उस आदमी मुझे सख्ती से पीछे से थाम रखा था. 



“ हाहाहा…तेरा उस्ताद ऐसे ही नही रिस्क लिया करता. माल बढ़िया हो तो जान पर भी खेल जाने को दिल करता है.” दमले ने अपने दोनो हाथों मे एक शीशी से हरा रंग उधेला. उसे पूरी तरह अपनी हथेलियों पर फैलाने के बाद उसने अपने पीछे वाले को इशारा किया. उस आदमी ने मेरे दोनो बाजुओं को पीछे से पकड़ लिए. अब मेरे दोनो वक्ष एक दम सामने थे बिना किसी लुकाव ढकाव के. उसने अपनी एक एक हथेली मेरे एक एक स्तन पर रख दी. दो पल वैसे ही रखे रहने के बाद उन्हे वापस पीछे खींच लिया. मैने देखा की मेरे दोनो स्तनो पर निपल्स के चारों ओर उसकी हथेली और पाँचों उंगलियाँ छपि हुई थी. 



“ वाआह उस्ताद क्या लग रही है अब.” सब मेरी मजबूरी पर हंस रहे थे और मेरे घर वाले अपनी बेबसी पर आँसू बहाने के अलावा कुच्छ नही कर पा रहे थे. 



उसने अब मेरे दोनो स्तनो को वापस थाम लिया और पूरे स्तनो को रंगने लगे. मैने झुक का अपना बचाव करने की काफ़ी कोशिश की मगर पीछे से पकड़े आदमी ने मेरी एक नही चलने दी. उसने मसल मसल कर पूरे स्तन पर हरा रंग लगा दिया. मैं पीछे वाले के बाहों मे जकड़ी हुई च्चटपटा रही थी.



“ देख ऱत्तन तेरी बीवी क्या लग रही है. मानो किसी महान कलाकार ने पैंटिंग किया है इसके बदन पर….हाहाहा” दमले हमारी मजबूरी पर हंस रहा था.



“ बॉस. उपर का काम तो ख़तम हो गया है. अब नीचे भी तो रंग दो.” एक ने हंसते हुए कहा. मैं ये सुनकर ही तो फड़फदा उठी. ससुर जी ये सुनते ही अपने आप को नही रोक पाए और अपने बंधानो को खोलने की कोशिश मे मचल उठे. बगल वाले आदमी ने एक जोरदार झापड़ उनके गाल पर मारा. थप्पड़ इतना तेज था कि होंठ से खून निकल गया और वो चकरा कर वापस धम से कुर्सी पर पसर गये. 



“कामीनो छ्चोड़ दो मेरी बहू को और मेरे बेटे को. तुम्हे जो चाहिए ले जाओ मगर हमारी इज़्ज़त से मत खेलो” सास भी उनसे गिड़गिदने लगी तो करीम ने आगे बढ़ कर उन दोनो के मुँह मे कपड़ा ठूंस दिया. 



दमले वापस मेरी ओर घूमा और मेरे कमर मे लिपटी सारी के प्लीट्स पेटिकोट से खींच कर निकाल लिए और सारी को मेरे बदन से अलग कर दिया. अब मेरे बदन पर सिर्फ़ एक पुरानी सी सफेद पेटिकोट थी. नीचे मैने कुच्छ नही पहन रखा था. घर के अंदर पॅंटी की मैने कभी ज़रूरत ही नही महसूस की मगर आज लग रहा था कि काश मैं ढेर सारे कपड़ों मे लिपटी होती और ये गुंडे उन्हे हटाते हटाते थक जाते. 



उसने मेरे पेटिकोट के सामने लटक रही उसकी डोर को अपनी उंगलियों से पकड़ा. 



“प्लीईएज…….मुझे इतना जॅलील मत करो……..प्लीयज मुझीई चचोड़ दूऊ……..” सारे गुंडे मेरी बेबसी पर हंस रहे थे और मैं उनके सामने गिड़गिदा रही थी. मगर मेरी मिन्नतों से किसी का भी मन नही पासीजा. मैने अपनी आँखें सख्ती से बंद कर ली, ” प्लीएज…इस तरह मेरी इज़्ज़त की धज्जियाँ मत उड़ाओ. मुझ पर रहम करो मेरे सास ससुर के सामने मुझीई नंगा मत करूऊ. मैं हाथ जोड़तिीई हूऊं तुम लोगों सीई” 



लेकिन भूखे भेड़ियों का मन किसी की मिन्नतों से कभी पासीजता है भला. और उसने मेरे पेटिकोट की डोर को खींच दिया. पेटिकोट को कमर पर सम्हालने वाली इकलौती गाँठ खुल कर ढीली हो गयी. मैने शर्म से अपनी आँखें बंद कर रखी थी. मेरे घर वालों का भी यही हाल था. मैं अब इन सड़क छाप गुण्डों के सामने पूरी तरह नंगी होने जा रही थी. दमले ने मेरे ढीले हो चुके पेटिकोट को खींच कर नीचे कर दिया. मेरा पेटिकोट टाँगों पर से सर सरता हुआ ज़मीन पर गिर गया. क्रमशः............
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