Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 01:53 PM,
#1
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रश्मि एक सेक्स मशीन -1

"हेलो… रश्मि" मेरे एडिटर की आवाज़ सुनते ही मैं सम्हल गयी.

" हां बोलिए" मैने अपनी ज़ुबान पर मिठास घोलते हुए कहा. मेरा चीफ एडिटर हरीश से मेरा वैसे भी छत्तिस का आँकड़ा था. वो बुरी तरह चिढ़ता था मुझसे.

"तुम्हे जगतपुर जाना है. अभी इसी वक़्त." उसके ऑर्डर करने वाले लहजे को सुन कर दिल मे आया की सामने होता तो दो चार गलियाँ ज़रूर सुनाती. साला अपने आप को मालिक से कम नही समझता.

" क्यों? उसे शायद मुझ से इस तरह के क्वेस्चन की ही उम्मीद थी, आपको मालूम ही है कि मैं कुच्छ दिनो के लिए छुट्टी पर जाना चाहती हूँ. ऐसा कौन सा अर्जेंट काम आ गया जो मेरे सिवा किसी से नही हो सकता?”

" तुम्हे जगतपुर के स्वामी त्रिलोकनंद का इंटरव्यू लेना है. कुच्छ लोक प्रतिनिधियों ने उस आश्रम मे चल रहे कुच्छ गड़बड़ की तरफ इशारा किया है. हम चाहते हैं कि आश्रम मे अगर कुच्छ ग़लत हो रहा है तो हमारे अख़बार मे सबसे पहले छपे." उसके लहजे मे चीनी के दाने के बराबर भी मिठास नही थी. वो मुझे एक जर-खरीद गुलाम की तरह ऑर्डर पर ऑर्डर दिए जा रहा था, “ मैं तो इस काम के लिए रोमीत को लगाना चाहता था मगर मालिकों का हुक्म है तुम्हे लगाने के लिए. पता नही उन को कैसी ग़लत फ़हमी है कि तुम बहुत काम की जर्नलिस्ट हो. हाहाहा…….”

" क्या?.......मैं इस प्रॉजेक्ट के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ." मैं खुशी से उच्छल पड़ी. काफ़ी दिनो से मैं स्वामीजी का इंटरव्यू लेना चाहती थी. बहुत सुन रखा था उनके बारे मे. बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व के आदमी है, उनकी वाणी सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं वग़ैरह…वग़ैरह…... जगतपुर जो कि हमारे शहर से कोई 30किमी दूर एक छ्होटा सा गाओं था वहाँ काफ़ी लंबे चौड़े जगह मे उनका आश्रम बना हुआ था.



उनके भक्त पूरे देश मेफैले हुए थे. उनके आश्रम की देश भर मे कई शाखाए, थी. एक आश्रम तो ज़िंबाब्वे मे भी था. बहुत इनफ़्लुएनसियाल आदमी थे. बहुत दूर दूर तक उनकी पहुँच थी. काफ़ी बड़े बड़े लोग, मिन्सटरस, खिलाड़ी इत्यादि उनसे परामर्श लेने जाते थे. लोग उन्हे स्वामी जी के नाम से ही पुकारते थे.



बीच बीच मे दबी ज़ुबान मे कभी कभी उनके रंगीले स्वाभाव के बारे मे भी कई तरह की अफवाह फैल जाती थी. लोगों को कहते सुना था कि कोई औरत उनसे एक बार मिल ले तो फिर उनसे दूर नही रह सकती थी. औरतें उनका समिप्य पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती थी. उनके साथ एक बार सेक्स का आनंद लेने के लिए वो सब कुच्छ दाँव पर लगा सकती थी. वो जिंदगी भर उनकी छत्र छाया मे रहने को तैयार हो जाती थी. उनके मर्द शिष्यों से ज़्यादा संख्या उनकी महिला शिष्याओं की थी.


"उनके बारे मे डीटेल्ड कवरेज करना है तुम्हे." चीफ एडिटर हरीश ने आगे कहा. "कम से कम चार पाँच वीक का मॅटर हो जिसे हम एवेरी सनडे स्पेशल बुलेटिन मे जगह देंगे. वो जल्दी आदमियों से घुलता मिलता नही है. इसलिए तुम्हे चुना गया है. तुम खूबसूरत और सेक्सी हो साथ ही पूरी टीम मे सबसे समझदार भी हो.” मैं उसे मन ही मन गलियाँ दे रही थी. साले को आज मुझसे काम पड़ा है तो देखो काए तारीफों के पुल बाँधे जा रहा है.



“ये एक दिन का काम नही है. इसके लिए तुम्हे वहाँ कई दिन डिवोट करना होगा. दिस ईज़ अप टू यू वेदर यू स्टे देर ओर विज़िट हिम एवेरी डे. ज़्यादा दूर तो है नही. तुम्हे पेट्रोल का खर्चा मिल जाएगा. बट वी नीड दा होल कवरेज. सुबह से शाम तक. स्वामीजी के बारे मे हर तरह की बातें पता करनी है. कुच्छ प्रवचन भी कवर कर लेना. सुन रही हो ना मेरी बातें? या…." उसने मेरी प्रतिक्रिया देखने के लिए अपनी बात अधूरी ही छ्चोड़ दी.

"यस….यस सर. मैं सुन रही हूँ. मैं आज से ही काम पर लग जाती हूँ."

" आज से ही नही अभी से. युवर टाइम स्टार्ट्स नाउ." कहकर उसने फोन रख दिया.



ज़रूर बुड्ढ़ा गाली निकाल रहा होगा कि मैने उनको मक्खन नही लगाया. लेकिन मैं तो असल मे काफ़ी दिनो से किसी बड़े प्रॉजेक्ट के लिए तरस रही थी. डेस्क वर्क करते करते बोर हो गयी थी. फील्ड वर्क करने का मज़ा ही कुच्छ अलग होता है.



मुझे खुशी से चहकते देख मेरा पति जीवन ने मुझे बाहों मे भर कर चूम लिया. मैने उन्हे सारी बात बताई. वो भी मेरी खुशी मे सरीक हो गये. उनको मालूम था कि मैं कितनी सफल रिपोर्टर हूँ और इस तरह के किसी प्रॉजेक्ट मे काम करके ही मुझे खुशी मिलती है.



अरे मैं तो अपने बारे मे बताना तो भूल ही गयी. मैं हूँ रश्मि. पूरा नाम रश्मि लाल. मैं 26 साल की, शुरू से ही एक खुले विचारो की महिला हूँ. आप मुझे एक सेक्सी और कामुक महिला भी कह सकते हैं. कॉलेज के दिनो मे क्लास मेट्स मुझे सेक्स बॉम्ब कहते थे. केयी बॉय फ्रेंड्स हर वक़्त मेरे इर्द-गिर्द घूमते नज़र आते थे. उनसे अक्सर लिपटना चूमना चलता ही रहता था. मैने कभी भी उनको इतनी लिफ्ट नही दी की इससे आगे वो सोच भी पाते. मैं सुहाग की सेज तक कुँवारी ही थी.



मैं एक नॉर्मल सीधी साधी और चंचल लड़की थी. हां लड़कों से मेलजोल मे शुरू से ही पसंद करती थी. मगर सेक्स के बारे मे मैने शादी से पहले कोई रूचि नही दिखाई थी. मैं शादी के बाद कैसे एक घरेलू काम काजी महिला से सेक्स मशीन मे बदल गयी ये उसी की कहानी है.



मेरी शादी जीवन लाल से आज से चार साल पहले हुई थी. हम दोनो यहाँ लनोव स्टेशन के पास ही रहते है. शादी से कुच्छ दिन पहले ही मैने जर्नलिस्ट की पढ़ाई पूरी कर एक फेमस अख़बार जाय्न किया था. अब मैं उस न्यूज़ पेपर मे सीनियर रिपोर्टर के पद पर हूँ. हमारे न्यूसपेपर की बहुत अच्छि सर्क्युलेशन है. मैं वैसे तो किसी स्पेशल केस को ही हॅंडल करती हूँ. वरना आजकल एडिटिंग का काम भी देख रही हूँ जो की बड़ा ही बोरिंग काम है. घूमना फिरना और नये नये लोगों से मिलना मेरा शुरू से ही एक फॅवुरेट हॉबी रहा है.

मेरे हज़्बेंड एक प्राइवेट फर्म मे मॅनेजर की पोस्ट पर काम करते हैं. हम दोनो के अलावा हमारे साथ हमारी सास रहती हैं. ससुर जी का देहांत मेरी शादी से पहले ही हो चुक्का था. मेरे पति जीवन लाल काफ़ी खुले विचारों के आदमी हैं. सिर्फ़ वो ही नही उनका पूरा परिवार ही काफ़ी मॉडर्न ख़यालों का है. इसलिए मुझे उनके साथ अड्जस्ट करने मे बिल्कुल भी परेशानी नही हुई. शादी से पहले दूसरी लड़कियों की तरह मेरे भी मन मे एक दर सताता था की शादी शादी के बाद मुझे सारी ब्लाउस मे एक टिपिकल इंडियन हाउस वाइफ बन कर रहना पड़ेगा. रिवीलिंग और मॉडर्न कपड़े नही पहन सकूँगी. मगर मेरी शादी के बाद वैसा कुच्छ भी नही हुआ.



जीवन को मेरे किसी भी काम से कोई इत्तेफ़ाक़ नही रहता है. उल्टा मेरे हज़्बेंड खुद ही शादी के बाद से मुझे एक्सपोषर के लिए ज़ोर देते रहे हैं. मेरी सासू जी ने मेरी शादी के बाद ही साफ साफ कह दिया था.



“हमारे घर मे बहू बेटी की तरह रहती है. यहाँ परदा बिल्कुल भी नही चलेगा. तुम्हारा जिस्म बहुत ही खूबसूरत है. और जो सुंदर चीज़ होती है उसे छिपा कर नही रखना चाहिए. देखने दो दूसरों को. वो देख कर मेरे ही बेटे की किस्मेत पर जलेंगे. ”



मैं उनकी बातें सुन कर अश्चर्य से भर गयी. उन्हों ने तो यहा तक कह दिया, “ किसी स्पेशल अकेशन के बिना ये बुढ्डी औरतों की तरह सारी नही पहनॉगी तुम.”



वो मुझे लेकर एक दिन बाजार गयी और मेरे लिए स्कर्ट/ब्लाउस, डीप गले के और छ्होटे छ्होटे कपड़े ले आई. मेरे लिए झीनी नाइटी. ढेर सारे नेट वाले ब्रा और पॅंटी तक ले आई.



“ये सब पहनॉगी तुम. ये दादी-अम्माओं वाले लिबास नही चल्लेंगे. कुच्छ दिनो की जवानी होती है इसे लोगों से छिपाने का क्या फ़ायदा? खूब दिखाओ और मज़े लो. ये जीवन के लिए गर्व की बात ही होगी की उसकी बीवी इतनी खूबसूरत है कि लोगों की लार टपकती है उसे देख कर.” सासू जी ने कहा.



मैं चुप छाप खड़ी रही तो उन्हों ने एक छ्होटी सी फ्रॉक मुझे दी और उसे पहन कर दिखाने को कहा. मैने उसे पहन कर देखा कि वो फ्रॉक मेरी पॅंटी से जस्ट दो अंगुल नीचे ही ख़तम हो जाती थी. उसमे से मेरे बड़े बड़े बूब्स आधे से ज़्यादा बाहर छलक रहे थे. कंधो पर वो दो पतली डोरियों पर टिकी हुई थी. पीठ की तरफ से तो वो लगभग कमर तक कटी हुई थी. मुझे उस ड्रेस मे देख कर उनकी आँखें चमक उठी. और उस ड्रेस को पॅक करवा लिया.



मेरे पति जीवन भी मुझे एक्सपोज़ करने के लिए उकसाते थे. उन्हे किसिको मेरे बदन को घूरते हुए देखना बहुत अच्च्छा लगता है. इसके लिए मुझे हमेशा टाइट फिटिंग के कपड़े पहनने के लिए कहते है. वो खुद टेलर के पास मेरे साथ जाकर ब्लाउस का गला और पीठ इतनी गहरी बनवाते है की आधे बूब्स बाहर लोगों को दिखते रहते हैं.



मैं भी उन लोगों के बीच वैसी ही रहने लगी. अक्सर उनके कहने पर सेमी ट्रॅन्स्परेंट कपड़े पहन कर या बिना ब्रा के ब्लाउस पहन कर भी बाहर चली जाती हूँ.



उनकी पार्टीस और महफ़िलों मे मे काफ़ी एक्सपोसिंग कपड़े पहन कर जाती थी. उनके सारे दोस्तों की तो लार टपकती थी मुझे देख कर. मैं उनकी हरकतें जीवन को बाद मे चटखारे लेकर सुनती थी. अगर कभी नही सुना पति तो वो खोद खोद कर मुझसे पूछ्ते थे. उन मे से कुच्छ दोस्तों का घर मे अक्सर आना जाना था. वो बेहिचक मुझसे गंदे गंदे जोक्स करने से भी नही कतराते थे. उनकी बीवियाँ भी हमारी तरह ही खुले विचारों की थी.



उनके दोस्तों मे एक है रोहन. वो अभी कुँवारा ही है. 35 साल की आस पास उम्र होगी. पता नही शादी करेगा भी या नही. इन लोगों का एक दस आदमियों का ग्रूप था. हफ्ते मे दो दिन शाम को सब एक जगह इकट्ठे हो कर एक गेट टुगेदर किया जाता था. बारी बारी से किसी एक के घर पार्टी अरेंज होती थी और सब रात दो तीन बजे तक नाच गाना चलता रहता था. सारे मर्द ड्रिंक्स मे और कार्ड्स मे बैठ जाते थे. महिलाएँ गुपशप मे बिज़ी हो जाती थी. और ये महाशय मिस्टर. रोहन देशपांडे आदमियों से ज़्यादा महिलाओं मे रूचि लेता था. वो सारी महिलाओं से ही फ्लर्ट करता था. मैं नयी शादी शुदा थी इसलिए मुझमे वो कुच्छ ज़्यादा ही इंटेरेस्ट लेता था. महिलाएँ भी उसका नाम ले ले कर दबी दबी मस्कराहेट देती थी और आँखों के इशारे करती थी.



अक्सर जब हम सब बातें करती वो आकर मेरी बगल मे मुझसे सॅट कर बैठ जाता. फिर कभी कोल्ड ड्रिंक्स के बहाने या कभी स्नॅक्स उठाने के बहाने अपनी कोहनी से मेरे ब्रेस्ट को प्रेस कर देता. कभी मेरी जांघों पर हाथ फेर देता. बाकी महिलाएँ तो उसकी इस तरह की हरकतों का बुरा नही मानती थी. मगर मेरे लिए ये सब नया अनुभव था. किसी गैर मर्द का इस तरह बदन को छ्छूना या उसे मसलना मुझे अजीब सा लगता था. मर्द लोग तो उसकी हरकतों का कोई बुरा नही मानते थे. अगर कोई कुच्छ शिकायत भी करता तो हँसी मे उड़ा दिया जाता था.

क्रमशः....
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12-10-2018, 01:53 PM,
#2
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रश्मि एक सेक्स मशीन -2
गतान्क से आगे.....
मैने भी एक दो बार जीवन से शिकायत की थी मगर वो उल्टे मुझसे मज़ाक करने लगता. मैं झेंप सी जाती. धीरे धीरे मुझे भी उसकी हरकतों मे मज़ा आने लगा. जब डिन्नर से पहले डॅन्स होता तो वो अक्सर मुझे अपना पार्टनर चुनता और मेरे बदन से डॅन्स की आड़ मे बुरी तरह चिपक जाता. कई बार मेरे उरजों को एवं मेरे पेट मेरे इंतंबों को डॅन्स करते हुए मसल चुक्का था. मगर इससे ज़्यादा कभी उसने आगे बढ़ने की कोशिश नही की.



मैं अपने न्यूज़ पेपर की ओर से दी हुई पार्टीस की तो जान ही रहती थी. उन पार्टीस मे तो अक्सर मैं अकेली ही जाती थी इसलिए जी भर कर एंजाय करती थी. मगर मैने कभी किसी और के साथ शारीरिक संबंध नही बनाए थे.



मेरा एक बच्चा है जो कि अभी एक साल का ही हुआ है. कामकाजी महिला होने के बावजूद मैं जब भी घर पर होती हूँ अपने बच्च्चे को ब्रेस्ट फीड ही कराती हूँ. इससे मैं बहुत एग्ज़ाइट हो जाती हूँ. मेरे निपल्स काफ़ी बड़े और सेन्सिटिव हैं. जब कोई इनसे खेलता है या छेड़ता है तो मेरे पूरे बदन मे आग लग जाती है. और फिर तो आप समझ ही गये होंगे की जीवन साहिब का क्या हाल होता होगा.

मेरे ब्रेस्ट 38 साइज़ के हैं और दूध आने के बाद तो ये 40 के हो गये हैं. दूध भरे होने के बावजूद एकदम तने रहते हैं. मैं अपने इन असेट्स पर गर्व करती हूँ. इनकी एक झलक पाने के लिए कितने ही आशिक़ क़ुरबान हो जाते हैं. कभी कभी टी शर्ट के नीच कुच्छ भी नही पहन कर जब मैं अपनी बाल्कनी मे निकलती हूँ तो आस पास के कुंवारे लड़के किसी ना किसी बहाने से तक झाँक करने लगते हैं. मैं उनके दिल की दशा समझ कर मुस्कुरा कर रह जाती हूँ.



हम दोनो सेक्स के मामले मे भी बहुत तरह के एक्सपेरिमेंट कर चुके हैं. लेकिन सेक्स के मामले मे मैं काफ़ी सेलेक्टिव थी. मैने अपने आप को बहुत ही बचाया मगर शादी के कुच्छ ही महीनो के भीतर मेरी जिंदगी मे ऐसा तूफान आया कि मैं एक कामुक औरत मे तब्दील हो गयी. इस मे किसी की ग़लती भी नही थी. मैं अपने बदन को एक्सपोज़ करके और उनके साथ छेड़ छाड़ कर खुद मौका देती थी कि आओ और मुझे अपने जिस्म की गर्मी से पिघला दो. मर्दों को तो ऐसी ही महिलाओं की खोज रहती है जिसके साथ अपनी जिस्मानी भूख मिटा सके.



लेकिन आज तक मैने जिस से भी जिस्मानी ताल्लुक़ात बनाए वो सब बहुत ही सेलेक्टिव लोग थे. मैने कुच्छ एक लोगों के अलावा आज तक किसी को अपना जिस्म नही सॉन्पा था. वो भी कुच्छ एक मौकों पर ही. लेकिन ये सारे संबंध जीवन से छिप कर बनाए थे. जीवन को मेरे इन संबंधों के बारे मे कोई जानकारी नही थी. मैं मानती हूँ कि वो और उनका परिवार बहुत ही खुले विचारों का है मगर जब किसी पराए मर्द से जिस्मानी ताल्लुक़ात की बात आती है तो मैने अच्छे अच्छे मॉडर्न बनने का दावा करते लोगों के वैवाहिक संबंधों मे दरार आते देखा है.



उनकी नालेज मे मैने अभी तक उनके अलावा किसी और से संभोग नही किया है. वो एक दो बार स्वापिंग के लिए भी कह चुके हैं लेकिन मेरे मना करने पर उन्हों ने आगे कुच्छ नही कहा. हां मैने एक्सपोषर के मामले मे उनका मन रख लिया था.



जो बात मैने अब तक किसी को नही बताई वो आप से शेर करती हूँ. मेरी जिंदगी मे किस तरह एक के बाद एक मर्द आते चले गये उनके बारे मे सब बताती हूँ.



मैं पहले ऐसी नही थी. शादी के पहले सेक्स बॉम्ब हो कर भी शुरू शुरू मे काफ़ी ऑर्तोडॉक्स विचारों की थी. क्योंकि मेरे मैके का महॉल काफ़ी पुराने किस्म का था.



मगर मेरी सारी झिझक मेरे एक असाइनमेंट ने हवा कर दी. मैं किसी भी मर्द के साथ कहीं भी सेक्स करने को तयार रहने लगी.



ये सब तब हुआ जब मेरी शादी हुए अभी मुश्किल से छह महीने ही हुए थे. अचानक एक प्रॉजेक्ट हाथ मे आया. इनाम इतना अट्रॅक्टिव था कि मैं ना नही कर पाई.



आंध्रा प्रदेश के घने जंगल वाले इलाक़े मे वरुण शुक्ला को एक नॅडलाइट के चीफ तंगराजन के बारे मे कवरेज करने भेजा था. तंगराजन की तूती पूरे इलाक़े मे बोलती थी. वो वहाँ का बेताज बादशाह था. उसके नाम से वहाँ की पोलीस भी कांपती थी.



वरुण हमारे अख़बार का एक होनहार जर्नलिस्ट था. वारंगल के पास जंगलों मे घूमते हुए अभी कुच्छ ही दिन हुए थे कि अचानक उसका अफ़रन हो गया और उसके बाद उसकी लाश ही पोलीस को मिली. ये हमारे मालिक के लिए एक तमाचा था. उन्हों ने मुझे वरुण का अधूरा काम देते हुए कहा,



“रश्मि वरुण ने जो कम अधूरा छ्चोड़ा है वो तुम्हे पूरा करना है. तुम अगर इनकार करो तो मुझे किसी दूसरे को ढूँढना पड़ेगा. मगर मुझे मालूम है तुम कितनी साहसी महिला हो. खर्चे की बिल्कुल चिंता मत करना. मगर तंगराजन की तस्वीर और उसके बारे मे एक एक छ्होटी से छ्होटी चीज़ बाहर आनी चाहिए. तुम मनोगी नही पोलीस उसे पिच्छले दस सालो से ढूँढ रही है मगर आज तक उसकी कोई तस्वीर किसी को नही मिली. कोई नही जानता वो दिखने मे कैसा है?”



“मैं आपको निराश नही करूँगी.” मैने कहा.



“देखो रश्मि बेटी. वरुण आदमी था और तुम औरत. औरत होने के नाते पास तुम्हारे रूप और सुंदरता नाम का एक हथियार अधिक होगा. जिसे तुम चाहो तो ज़रूरत के हिसाब से यूज़ कर सकती हो.” कहकर उन्हों ने एक लाख की गॅडी मेरे हाथ मे दी,” ये तुम्हारे लिए हैं.”



मैं उन्हे थॅंक्स कह कर घर चली आए. हज़ारों माइल दूर की यात्रा की तैयारी करनी थी. जीवन ने जब सुना तो वो बहुत खुश हुए. लेकिन उनके मन की हालत तो मैं समझ सकती थी. कोई भी मर्द शादी के छह महीनो मे अपनी वाइफ को हफ्ते दस दिनो के लिए तो दूर पल भर को छ्चोड़ने को राज़ी नही होता है. लेकिन उन्हों ने अपने चेहरे पर कोई शिकन नज़र नही आने दी. सासू जी मेरे इस तरह अकेले ऐसे ख़तरनाक मिशन पर जाने की सुन कर विद्रोह कर उठी मगर. जीवन ने उन्हे समझा बुझा कर चुप कर दिया. मैं अगले दिन फ्लाइट पकड़ कर हयदेराबाद पहुँची वहाँ से ट्रेन और बस से होते हुए उस स्थान पर पहुँची जहाँ से आबादी कम होने लगती थी और जंगल का इलाक़ा शुरू होता था. सैकड़ों किलोमेटेर घना जंगल था. जहाँ पर ख़तरनाक नॅडलाइट्स रहते थे. वहाँ उनका होकुम चलता था. किसी की क्या मज़ाल की कोई उनके आग्या की अवहेलना करे.



लेकिन उन्हों ने कभी किसी का बुरा नही किया. वो गाओं वालो के लिए लड़ते थे और इसलिए कोई गाओं वाला उनके खिलाफ जाने की सोच भी नही सकता था.



मैं कंधे पर एक बॅग लेकर अपने इस अंजान यात्रा पर निकल पड़ी. मैं उनकी भाषा से बिल्कुल अपरिचित थी. इसलिए इशारों के सहारे बात करना पड़ता था. इधर उधर घूम कर मैं तंगराजन के बारे मे जानकारी इकट्ठा करने लगी. लोगों ने चेताया की मैं लड़की हूँ इसलिए मुझे उससे दूर ही रहना चाहिए. क्यों की वो बहुत ही ख़ूँख़ार आदमी है.



अभी मुझे घूमते हुए कुच्छ ही दिन हुए थे कि तभी एक दिन मैं अपने आप को इन डकैतों से घिरे हुए पाया. वो दस आदमी थे. मैं उन्हे देख कर पहले घबरा गयी. लेकिन उनके हाव भाव से पता चला कि वो नॅडलाइट्स थे तो मेरी जान मे जान आइ. इनके हाथों मे बंदूक थी. मैने उनके सामने किसी तरह का विरोध नही किया. मैं भी तो यही चाहती थी. तंगराजन से मिलने का यही एक मात्र तरीका था.



उन्हों ने मेरे हाथों को पीठ की ओर करके रस्से से बाँधा. मेरे मुँह मे एक कपड़ा ठूंस कर उसे भी कस कर बाँध दिया. अब मैं कोई आवाज़ निकल सकती थीं ना ही मैं अपने हाथों से अपना बचाव कर सकती थी. मुझे एक घोड़े पर बिठा कर जंगल की दिशा मे दौड़ते चले गये. काफ़ी देर चलने के बाद जिस जगह पर जाकर वो रुके वो जगह एक पहाड़ियों से घिरी हुई जगह थी. पास ही एक झरना बह रहा था और काफ़ी लंबे चौड़े एक घास के मैदान के एक ओर काफ़ी सारे टेंट लगा रखे थे. उनमे से एक मकान बाँस से बना हुआ था. बाकी सब कपड़े से बने हुए टेंट्स थे.



मुझे लगभग खींचते हुए दो आदमी एक टेंट मे ले गये. वहाँ मुझे ज़मीन पर पटक दिया गया. मेरे दोनो हाथ पीछे की ओर बँधे हुए थे. मुझे दो आदमी हाथों मे बंदूक लिए हुए कवर कर रहे थे. तभी एक आदमी टेंट के अंदर आया. वो काफ़ी हॅटा कॅटा आदमी था. पूरा बदन किसी नीग्रो की तरह काला था. पहले उसने मेरे समान की अच्छि तरह तलाशी ली. एक एक समान को उलट पलट कर देखा. फिर सारा समान वहीं ज़मीन पर बिखेर कर वो मेरी तरफ घूमा. मैं समझ गयी की अब मेरी तलाशी होनी है. वो भी एक मर्द के द्वारा. मैं उसकी नज़र का आशय समझ कर अपने आप मे सिमट गयी. मगर इससे कोई बच थोड़ी सकता है.



उस दिन मैने एक शर्ट और घाघरा पहने थे. वो मेरी तरफ बढ़ा मैं उसे आगे बढ़ते देख पीछे सरकने लगी. हँसने से उसके दाँत रात अंधेरे मे चमकते सितारों से लग रहे थे. उसने मुझे बालों से पकड़ कर एक झटका दिया. मुझे लगा मेरे बाल सिर से उखड़ जाएँगे. मैं उसके सामने आ गिरी. उसने बिना किसी सूचना के एक दम से मेरी दोनो चूचियो को शर्ट के उपर से मसल दिया. मैं दर्द से कराह उठी.
क्रमशः....
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12-10-2018, 01:53 PM,
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रश्मि एक सेक्स मशीन -3
गतान्क से आगे.....


उसने अपने दोनो खुरदुरे हाथ मेरे गिरहबान से मेरी ब्रा के अंदर डाल दिए और मेरे स्तनो को बड़े ही बेरहमी से मसल्ने लगा. उसने दोनो निपल्स को बुरी तरह नोच डाला. दोनो स्तनो को खींच कर ब्रा के बाहर निकाल लिया. शर्ट के उपर के दो बटन्स खोल कर उन दोनो दूध के डिब्बों की अच्छि तरह से जाँच पड़ताल की. जब पूरी तरह तसल्ली हो गयी कि मेरे दोनो उँचे उँचे गोले कोई हथियार नही मेरे नरम नरम बूब्स हैं तब जा कर उसने अपने हाथ बाहर निकाले.



उसने मेरे पूरे बदन पर अच्छि तरह से हाथ फिरा कर मुआयना किया. फिर उसने मेरे घाघरे को खींच कर उतार दिया. नीचे मैं सिर्फ़ एक पॅंटी पहने थी. उसने मेरी टाँगों को पकड़ कर अलग किया और बिना किसी रहम के मेरी पॅंटी के निचले जोड़ को एक ओर हटा कर अपनी तीन मोटी मोटी उंगलियाँ एक झटके मे मेरी योनि मे डाल दी. मैं एक दम से उच्छल पड़ी.इस हमले के लिए मैं पहले से तैयार नही थी. वो कुच्छ देर तक अपनी मोटी मोटी उंगलियाँ मेरी योनि के अंदर यहाँ वहाँ घुमाता रहा. वो इस तरह की अमानुषी हरकतें बिना मेरी इजाज़त के कर रहा था. अगर हाथ खुले होते तो सही जवाब देती उसे मैं. मगर मेरा बदन मेरे दिमाग़ की बातें नही मान रहा था और उसकी इन हरकतों पर मेरी योनि गीली होने लगी. मुझे अपने आप से इतनी शर्म आइ कि क्या बताऊ. कुच्छ देर तक मेरे बदन को मसल मसल कर चेक करने के बाद वो उठा और बाहर चला गया.



उसके जाने के कुच्छ देर बाद एक दूसरा आदमी अंदर आया. जो कि उसका सीनियर लग रहा था. उसके साथ दो और आदमी भी अंदर आए. उन्हों ने मेरे मुँह पर से कपड़ा हटा दिया. मेरे जबड़े दुखने लगे थे. मेरे लंबे बालों को अपनी मुट्ठी मे पकड़ कर मेरे सिर को एक झटके से उठाया और कुच्छ देसी भाषा मे बोला जो मेरी समझ से परे था.



तभी उनका सीनियर ने मेरे पास आकर पूछा, “ यू नो इंग्लीश? या हिन्दी समझता है?”



“दोनो मे मुझे कोई परेशानी नही है.” मैने उसे घूरते हुए कहा.



“मुझे इस तरह बाँध कर लाने का मतलब? मैं कोई मुखबिर या पोलीस वाली तो हूँ नही.” मैने उससे कहा.



“वही तो हम जानना चाहते है की तू है कौन?” उसने टूटी फूटी भाषा मे पूछा.



“मैं एक रिपोर्टर हूँ और मैं तंगराजन जी का इंटरव्यू लेना चाहती हूँ. मुझे ग़लत मत समझो मुझे आपके ग्रूप से कुच्छ भी लेना देना नही है.”



इतना कहना था कि एक ज़ोर दार तमाचा मेरे गाल्लों पर पड़ा और मैं फर्श पर गिर पड़ी. इतना जोरदार झापड़ था कि मुझे दिन मे तारे नज़र आ गये. मुझे लगा कि मेरा जबड़ा टूट कर बाहर ना आ जाए. मेरा निचला होंठ फट गया था और खून चॉक आया था.



“रंडी वो चीज़ बता जो हमे पहले से नही मालूम हो.” उस आदमी ने अपनी लाल लाल आँखों से मुझे घूरते हुए पूछा “किस के लिए काम कर रही है. किसने तुझे भेजा है. बता नही तो तेरे जिस्म के छ्होटे छ्होटे टुकड़े करके फेंक देंगे.”



उसका दूसरा हाथ पड़ते ही मेरी आँखें छलक आईं. मैं सुबकने लगी और सुबक्ते हुए कहा,” मुझे मार डालो लेकिन जो सच है वही सच रहेगा. मुझे इससे ज़्यादा कुच्छ नही मालूम”



उस आदमी ने अपने पास खड़े दोनो आदमियों को इशारा किया.



“चल इसको नंगी कर दे…साली ऐसे नही मानेगी.” उसने गुर्राते हुए कहा.



दोनो मुझ पर झपट पड़े पहले मुझे खड़ा करके मेरे सारे बंधन खोल दिए फिर मेरे एक एक कपड़े को बदन से उतार कर कोने मे उच्छलते चले गये. दो मिनिट के भीतर मैं उन मर्दों के बीच बिल्कुल नंगी खड़ी थी. सब मुझे सकुचाते शरमाते देख कर हो हो करके हंस रहे थे. मैं ने शरमाते हुए अपने गुप्तांगों को अपनी हथेली से छिपाना चाहा तो उस आदमी ने मेरे हाथ को झटक कर अलग कर दिया.
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#4
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“फिर से ऐसी हरकत कर के देख तेरे बाजुओं को जिस्म से अलग कर दूँगा. साली टाँगें फैला कर अपने हाथों को सर के उपर उठा कर खड़ी हो देखें कैसी माल है तू.”



मैने वैसा ही किया जैसा उसने चाहा था. मैं नंगी हालत मे अपने पैरों को फैला कर और हाथ उपर करके उनके सामने अपने बदन की नुमाइश कर रही थी. तीनो ने मुझे जी भर कर हर अंदाज से देखा.



“तू सच बता कि तू क्यों सरदार से मिलना चाहती है. हम लोग 50 आदमी हैं यहा अगर तू ने चालाकी करने की कोशिश की तो तुझे इतनी बुरी तरह चोदेन्गे कि तू रहम की भीख माँगने लगे गी.” कह कर उसने मेरे दोनो निपल्स को सख्ती से पकड़ कर बुरी तरह उमेथ्ने लगा. मैने उससे बचने के लिए अपने हाथ नीचे किए तो सटाक से नितंबों पर एक च्छड़ी की मार पड़ी मैं इस अचानक हुए हमले से लगभग उच्छल पड़ी.



“तुझे हाथ उपर उठा कर रखने को कहा था. “ मैने हर कर अपने हाथ वापस उपर उठा दिए. अब वो आदमी बिना रोक टोक के मेरे स्तनो को बुरी तरह मसल रहा था. और मैं दर्द से चीख रही थी. कुच्छ देर बाद वो आदमी पीछे हटा. बाकी दोनो आदमियों ने मुझे सम्हाल लिया.



“मुझे छ्चोड़ दो…. मैं बिल्कुल निर्दोष हूँ. मुझे किसी से कुच्छ लेना देना नही है.” मैं रोए जा रही थी.



वो आदमी पीछे रखी एक कुर्सी पर बैठ गया. और उन दोनो को इशारा किया. उन दोनो ने मुझे लगभग घसीट ते हुए लाकर उसकी गोद मे गिरा दिया. उस आदमी ने मुझे अपनी गोद मे कुच्छ इस तरह लिटाया कि मेरा मुँह ज़मीन की ओर था उसकी गोद मे मेरे कमर का हिस्सा था. उसके चेहरे के सामने मेरे नितंब थे. मेरे घुटने मुड़े हुए थे.



तभी एक आदमी ने एक च्छड़ी लाकर उसे दी. मैं कुच्छ समझ पति तभी ”सटाक” से उस च्छड़ी की मार मेरे नितंबों पर पड़ी.



“उईईई माआआआ…” मैं उसकी मार से चिहुनक उठी. फिर एक के बाद एक मार पड़ती चली गयी जब तक ना मेरे दोनो नितंब सुर्ख लाल हो गये.



“आअहह……माआआ…..नहियीईईई……” मैं चीखे जा रही थी मगर मेरी आवाज़ सुनने और मुझ पर रहम करने वाला वहाँ कोई भी नही था. वो मारता जा रहा था और मुझसे मेरे बारे मे पूछ्ता जा रहा था. जब उसे कुच्छ ज़्यादा जानकारी नही मिली तो उसने मेरे नितंबों को अलग कर मेरे गुदा मे वो स्टिक काफ़ी अंदर तक डाल दी. मैं च्चटपटाने लगी.



जब उसका हाथ शांत हुआ तो बाकी दोनो ने मुझे बाहों से पकड़ कर उठाया.



“ आब बता सब कुच्छ वरना तेरी इस नाज़ुक चमड़ी को तेरे बदन से नोच कर अलग कर दूँगा.” उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था.



“ मैं…आपको किस तरह यकीन दिलाऊ की आप जो समझ रहे हो मैं वो नही हूँ.” मैं उसके पैरों के पास घुटने के बल बैठ कर उससे रहम की भीख माँगने लगी.



“ चल बे दोनो वापस शुरू हो जाओ. साली बहुत बड़े जिगर वाली है तो क्या हुआ मैं भी पत्थर से पसीना निकाल देने का बल रखता हूँ.”



फिर उन लोगों ने मेरे गुदा से वो च्छड़ी निकाली. मेरे पैर लड़खड़ा रहे थे. मैं अपने पैरों पर खड़ी होने की कोशिश कर रही थी मगर मेरे कमर का हिस्सा सुन्न सा हो गया था. मेरे नितंब इतनी बुरी तरह जल रहे थे कि मैं उन दोनो का सहारा लेकर ही खड़ी रही.



फिर दोनो मुझे बालों से खींचते हुए एक कोने मे रखे एक लकड़ी के घोड़े के पास ले गये. लकड़ी का वो घोड़ा देखने मे वैसा ही था जैसे घोड़े की सवारी छ्होटे बच्चे करते हैं मगर इस घोड़े की उँचाई तीन फुट की आस पास थी और सबसे अजीबो ग़रीब जो चीज़ था वो था कि घोड़े के पीठ पर लगा एक तीन इंच घेर का और एक फुट से कुच्छ लंबा बेलनकार लकड़ी का टुकड़ा. घोड़े के कुच्छ उपर छत से दो रस्सियाँ लटक रही थी. दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा 
क्रमशः....
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12-10-2018, 01:53 PM,
#5
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
raj sharma stories

रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -4
गतान्क से आगे.....


मैं ठिठक कर उस घोड़े को अस्चर्य से देखने लगी. मुझे असमंजस मे देख कर दोनो बहूदे तरीके से हँसने लगे.



“ तूने पहले कभी घुड़सवारी की है? आअज तुझे इस घोड़े की सवारी कराएँगे. जिंदगी भर कभी ऐसी घोड़े की सवारी दोबारा करने को नही मिलेगी तुझे. खूब जम कर सवारी करना. जिससे तेरी चूत की भूख ख़त्म हो जाए”



उन्हों ने छत से लटकती रस्सियों से मेरे दोनो हाथ बाँध दिए. दोनो रस्सियों के बीच एक डंडा बँधा था जिससे रस्सियाँ एक दूसरे से लगभग तीन फुट की दूरी पर रहें.



उन रस्सियो के दूसरे सिरे एक गिरारी से होकर दूसरी ओर एक खूँटे से बँधे थे. तीसरा आदमी जो उन दोनो का बॉस लग रहा था उठ कर उन रस्सियों को खींचने लगा फल स्वरूप मेरे हाथ छत की ओर उठ गये और मैं पंजो पर खड़ी हो गयी. कुच्छ और खींचते ही मेरे पैर ज़मीन से उपर उठ गये.



“छ्चोड़ दो ऊवू क्या कर रहे हो. ऊऊहह…….” वो आदमी रस्सियों को लगातार खींचता रहा और मेरा जिस्म उपर उठता चला गया. मेरे पास खड़े दोनो ने मेरी टॅंगो को पकड़ कर अलग कर दिया. मैं उनकी हरकतों का मतलब समझ कर बुरी तरह से काँप उठी. मुझे लगा शायद कल का सवेरा मेरे नसीब मे नही है.



दोनो मुझे खींचते हुए उस घोड़े के पास ले आए.



“हे भगवाअन मुझे बचाओ. मैं मर जौन्गीईई……..ऊऊओ नहियीई ऐसा मत करना. प्लीईएज मैं सबको खुश कर दूँगी. मुझे माआफ़ कार दो.” मैं रोने लगी.



उन लोगों ने मेरी परवाह किए बिना मेरी दोनो टाँगों को फैला कर मुझे घोड़े के उपर स्थित कर के छत से बँधी रस्सी को धीरे धीरे ढीला करने लगे. मैं नीचे आती जा रही थी. कुच्छ देर बाद उन्हों ने मुझे हवा मे ही रोक कर उस घोड़े को मेरे नीचे इस तरह सेट किया कि उसकी पीठ पर लगा वो लकड़ी का टुकड़ा मेरी दोनो जांघों के बीच था.



मेरा जिस्म वापस नीचे आने लगा. मैने घबराहट मे अपनी आँखें बंद कर ली और आगे होने वाले दरिंदगी की पराकाष्ठा का इंतेज़ार करने लगी. मैं अपनी टाँगो को सिकोड़ने की पूरी ताक़त से कोशिश कर रही थी. मगर दो मजबूत मर्द के सामने मेरी क्या चलती?



कुच्छ ही देर मे मेरी योनि को किसी ठंडी चीज़ ने च्छुआ. मैं बुरी तरह डर गयी थी. कुच्छ उंगलियों ने मेरी योनि की फांकों को अलग कर के मेरी योनि को चौड़ा किया. मेरे झूलते बदन को इस तरह सेट किया की वो लकड़ी का टुकड़ा मेरी योनि की खुली फांकों के बीच था. अब वो मुझे इस अवस्था मे रख कर एक दूसरे को पल भर के लिए देखे फिर तीनो ने अपने हाथों मे थमी चीजोंको छ्चोड़ दिया. मेरी दोनो टाँगे फ्री होते ही मैने उन्हे सिकोड़ने की कोशिश कि मगर तब तक देर हो चुकी थी. तीसरे आदमी के द्वारा मुझे हवा मे लटकाए हुए रस्सियों को छ्चोड़ देने की वजह से मेरे जिस्म का पूरा वजन नीचे की ओर पड़ा और मैं उस लकड़ी के उपर के सिरे पर दो पल टिकी रही . तीसरे ही पल वो लकड़ी का खंबा मेरी चूत को चीरता हुया अंदर घुसता चला गया. मेरे जिस्म अपने वजन से नीचे आने लगा और मैं दर्द से चीखने लगी. चीखते चीखते मुझ पर बेहोशी छाने लगी तो पास खड़े आदमियों मे पानी के झपके देकर मुझे होश मे ला दिया.



मेरा जिस्म तभी रुका जब वो लकड़ी का गुल्ला पूरी तरह मेरी चूत मे धँस नही गया. मेरे पैर अब भी ज़मीन्को नही छ्छू पाए थे. काश मेरे पैर ज़मीन को छ्छू जाते तो पैरों का सहारा पाकर मैं अपनी योनि को उस गुल्ले से निकाल पाती.



ऐसा लग रहा था मानो मेरी योनि को फाड़ कर रख दिया हो. खून की एक पतली धार मेरी योनि से रिस्ते हुए घुटने की तरफ बढ़ रही थी और मैं दोबारा बेहोश होने लगी मगर एक आदमी ने लाकर एक बाल्टी पानी मेरे सिर पर उधेल दी. पानी इतना ठंडा था की मेरे दाँत बजने लगे.



मैं उस पल को कोस रही थी जब मैने उच्छल उच्छल कर इस प्रॉजेक्ट को अपने हाथ मे लिया. अगर पहले इस टॉर्चर के दसवें हिस्से का भी पता होता तो मैं सपने मे भी यहाँ नही आती. ये तो नॅडलाइट्स नही आदमी की खाल मे छिपे दरिंदे थे.



तीनो मुझे उस अवस्था मे खड़ा रख कर आगे क्या किया जाय ये सोच रहे थे कि एक आदमी अंदर आया और बैठे हुए आदमी के कानो मे कुच्छ कहा.



“चल इसे छ्चोड़… “ दोनो ने एक पल अस्चर्य से उसकी तरफ देखा. “ साले जो बोलता हूँ जल्दी कर वरना इस घोड़े की अगली सवारी तुम दोनो करोगे.” उसके इतना कहते ही दोनो किसी कठपुतली की तरह मेरी ओर बढ़े, “ उतार इसे घोड़े पर से.” दोनो ने मुझे सहारा देकर उस घोड़े से उतार दिया. मेरी टाँगे मेरे जिस्म का बोझ सम्हाले नही रख सकी और मैं वहीं फर्श पर ढेर हो गयी. मेरे जिस्म मे कोई हलचूल नही थी. दोनो आदमी उस टेंट से निकल गये



मैं ज़मीन पर पड़े पड़े सूबक रही थी. तीसरा आदमी अब भी उसी तरह मेरे सामने खड़ा हुया था. उसने अपने बूट की एक लटजोरदार ठोकर मेरे नितंबो पर मारी. मैं दर्द से बिल्बिलाते हुए चित हो गयी जिससे मेरे नितंब ज़मीन की तरफ हो कर उसके मार से बच जाएँ. मगर अगले ही पल उसके बूट की एक और ठोकार मेरे जांघों के बीच मेरी योनि के उपर पड़ी. मैं दर्द से दोहरी हो गयी.



“म्‍म्माआअ……मुझे मत मरूऊओ….प्लीईएसस” मैं रोने लगी थी.



“चल अब नाटक बंद कर और उठ कर कपड़े पहन ले. या इसी लिबास मे जाना है तंगराजन जी के पास.”



इतना सुनना था कि मेरे निढाल जिस्म मे एक अजीब सी स्फूर्ति भर गयी. मैं उठी और उठ कर अपने कपड़े ढूँढने लगी. कपड़े उस टेंट के एक कोने पर पड़े हुए मिले. मैं अपने कपड़े पहन कर उस आदमी के सामने आकर खड़ी हुई. सारे कपड़े मिल गये नही मिला तो मेरी पॅंटी. मेरी पॅंटी को पूरे टेंट मे छान मारा मगर वो कहीं नही मिला. शायद किसीने उसे उठा कर अपने पास रख ली हो किसी यादगार के रूप मे. मैने बिना पॅंटी के ही घाघरा पहन लिया.



“आ मेरे साथ.” कह कर वो आदमी उस टेंट से बाहर निकाला. मैं भी उसके पीछे पीछे हो ली. उसने अलग थलग बने एक टेंट की ओर इशारा किया.



“वहाँ बाथरूम है. जा और जाकर अपना हुलिया ठीक कर. बॉस के सामने जाना है तो कुछ बन संवर के तो जा. नही तो वो तुझे कोई ऐसी वैसी महिला समझ बैठेगा.” वो आदमी जो इतनी देर से मुझसे इतनी बुरी तरह पेश आ रहा था. जिसके हावभाव से लग रहा था कि आज मुझे जिंदा नही छ्चोड़ेगा. अब वो एक दम ही शांत नज़र आ रहा था.



मैने अंदर जा कर देखा की फर्र्स की जगह वहाँ एक पत्थर का स्लॅब बिच्छा हुआ था और पास मे कुच्छ बल्टियों मे पानी रखा था. टेंट की एक दीवार पर रस्सी से एक टूटा फूटा आईना लगा था. मैने उस आईने मे अपने अक्स को देख कर पहले पानी से मुँह धोया फिर अपने बॉल संवारे. अपने सामानो से निकाल कर चेहरे पर हल्का सा मेकप किया और फिर के साथ लाई एक स्किन कलर की लिपस्टिक को होंठों पर फेरा. उसके बाद एक नज़र अपने कपड़ों पर दौड़ाई. वैसे तो सब ठीक ही था बस कुच्छ सलवटें पड़ गयी थी. मैने अपने बदन पर नज़र डाली. कई जगह मसले जाने से नीले नीले निशान पड़ गये थे. स्पेशली मेरी चूचियो को तो इन लोगों ने बड़ी बुरी तरह मसला था. ब्रा के कप्स ठीक करते हुए भी दर्द हो रहा था.



मैं जब वहाँ से बाहर निकली तो उस आदमी को तब भी मेरा इंतेज़ार करते हुए पाया. तब शाम हो रही थी. इस घने जंगल मे रात को यही रुकना पड़ेगा. तंगराजन कब मिलेगा क्या पता. और मिलने के बाद भी उसका इंटरव्यू लेना है. पता नही वो इसके लिए राज़ी भी होगा या नही. यही सब सोचते सोचते हुए मैं उस आदमी के पीछे पीछे चल दी. वो मुझे लेकर बीच मे बने उस मकान के अंदर घुसा. बाँस के बने उस मकान मे सारी आधुनकि सुविधाएँ उपलब्ध थी.



सामने एक बैठक था. मुझे लेकर वो वहीं रुक गया. कुच्छ देर बाद अंदर का दरवाजा खुला और एक आदमी बाहर आया. वो मुझे भीतर ले गया. मेरे साथ आया वो आदमी बाहर ही रह गया.



“ बॉस डिन्नर ले रहे हैं. आपको भी इन्वाइट किया है. खाना ख़तम होने तक कोई आवाज़ मत करना. और जो भी कहे सिर झुका कर सुन लेना. नही तो इस जंगल के जानवरों की आज दावत हो जाएगी. हड्डिया भी सारी मिल जाए तो गनीमत है. ” उसने मुझे हिदायत दी और मुझे लेकर एक कमरे मे प्रवेश किया. सामने एक डाइनिंग टेबल लगी थी उसके सिरहाने वाली कुर्सी पर एक आदमी सरीखा कोई बैठा था.



उसको आदमी सरीखा ही कहना बेहतर होगा. तंगराजन छह फीट 4” कद का काफ़ी बलिशट आदमी था. उसका वजन 130 किलो से क्या कम रहा होगा. रंगत एक दम काले काजल की तरह कहने से भी कोई ग़लत नही होगा. पूरे जिस्म पर भालू की तरह लंबे लंबे बाल सिर पर घुंघराले बाल और चेहरे पर एक घनी मूछ किसी डाकू की तरह लगता था.

उसने नंगे बदन पर एक तहमद बाँध रखी थी. मुझे अपने सामने वाली सीट की ओर इशारा किया.



मैने झुक कर उसका अभिवादन किया जिसका उसने कोई जवाब नही दिया. मैं कुर्सी पर बैठ गयी. सामने केले के पत्ते पर चावल और दाल परोसा गया. तंगराजन भी वही खा रहा था. हम चुपचाप खाना खाने लगे. खाना ख़त्म होने पर तंगराजन उठा और मुझे पहले हाथ मुँह धोने का इशारा किया. जब हम दोनो हाथ मुँह धो लिए तो वो बिना कुच्छ कहे उस कमरे से निकल गया. मैं कुच्छ देर तक चुप चाप खड़ी रही. तभी जो आदमी हमे खाना परोस रहा था उसने मुझे उस दरवाजे की तरफ इशारा किया.



“जाओ अंदर….पो…रा..” उसने मुझे तंगराजन के पीछे जाने को कहा. मैं घबराती शरमाती कमरे मे घुसी. मैने देखा तंगराजन उस वक़्त कुच्छ पढ़ने मे व्यस्त था. मुझे देखते ही उसने उस किताब को एक ओर रख दिया.



“कम इन.” मैने पहली बार उसकी आवाज़ सुनी. ऐसा लगा मानो जंगल मे कोई शेर दहाड़ रहा हो. मैने आँखें उठाकर उसकी लाल लाल आँखों मे देखा. ऐसा लगता था मानो आँखों मे खून उतर आया हो. दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा 
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12-10-2018, 01:54 PM,
#6
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -5
गतान्क से आगे.....


“वॉट डू यू वॉंट? तुम मुझसे मिलना क्यों चाहती थी.” उसने गुर्राते हुए पूछा.



“मैं एक इंटरव्यू लेना चाहती हूँ आपका. आपकी कुच्छ तस्वीरें लेना चाहती हूँ.” मैने डरते डरते हुए कहा.



उसने ज़ोर ज़ोर से तीन बार ताली बजाई, “गुड…यू आर आ ब्रेव गर्ल. तुमने सोच कैसे लिया कि तुम मेरा इंटरव्यू लेना चाहोगी और मैं तैयार हो जाउन्गा? आज तक मुझसे इतना पूछ्ने की भी किसी ने हिम्मत नही दिखाई.”



“मैं अपने पेपर मे आपका इंटरव्यू छपून्गि.”



“ मेरा इंटरव्यू और फोटो लेने के लिए शेर का कलेजा चाहिए. है तेरे पास? उसने मेरे स्तनो की ओर देखते हुए पूछा.



“ मैं किसी से नही डरती कह कर मैने अपने स्तनो को और उसकी ओर तान दिया.”



“बड़े थन और बड़े जिगर मे अंतर होता है लड़की.” कह कर उसने मेरे स्तनो को इशारा किया “ इनमे दूध भरता है आग नही.”



“ मैं लड़की हूँ मगर अपने इन से अच्छे अच्छो के दिल मे आग लगा सकती हूँ.” मैने अपने स्तनो की ओर इशारा करते हुए कहा



“ अच्छा बहुत बोलती है. देखूं तो कैसा है तेरा….बदन” कह कर उसने मेरे शर्ट को कोल्लेर से दोनो हाथों से पकड़ कर अलग कर दिया. बटन्स गोलियों की तरह शर्ट से टूट कर पूरे कमरे मे फैल गये.



मैने अपने हाथों से अपनी नग्नता च्चिपाने की व्यर्थ कोशिश की. मगर उस दानव के सामने तो मैं एक छ्होटी चिड़िया की तरह थी, जिसकी वो जब चाहे गर्देन मरोड़ सकता था. मैने भी देख लिया इन ख़तरनाक लोगों के बीच मेरी ओर से कोई छ्होटी सी हरकत की कीमत मुझे अपनी जान देकर चुकानी पड़ सकती थी. लेकिन फिर भी मैने अपने आप को बचाने की एक आधी अधूरी कोशिश की.



“मैं…मैं शादी शुदा हूँ. किसी की बीवी तुम्हे मुझसे इस तरह का व्यवहार नही करना चाहिए.” मैने कहा,



“शादी शुदा है तो क्या हुआ. यहाँ से जायगी तो कुच्छ सीख कर ही जाएगी. अपने हज़्बेंड को जब यहाँ से सीखे हुए दाव पेंच दिखयगी तो तेरा हज़्बेंड भी खुश होगा.”



“मैं अपने हज़्बेंड से कैसे कहूँगी कि मैं किसी और के साथ रात गुज़ार कर आई हूँ. मेरे बदन के ये दाग बिना कुच्छ कहे ही सब बता देंगे कि मेरे साथ क्या क्या हुआ.”



“ठीक है मैं तुझे छ्चोड़ता हूँ तू जा….तुझे मेरा इंटरव्यू भी नही मिलेगा.” उसने कह कर मुझे एक दम से छ्चोड़ दिया.



“नही मैं तो आपका इंटरव्यू लेकर ही जाउन्गि. ये मेरे प्रेस्टीज का सवाल है.” मैने उसके करीब जा कर कहा.



“तू पहली लड़की है जो यहाँ आकर भी मेरे सामने खड़ी है. आज तक यहाँ पर जो भी आया है. उसे जानवर बहुत चाव से खा गये. “ उसने मुझसे कहा,” यहाँ मेरी जानकारी के बिना कोई पत्ता भी नही हिल सकता. तो फिर तेरी क्या मज़ाल है. तू क्या सोचती है तू अपनी कोशिशों से यहाँ तक पहुँची है? हाहाहा…तू जब गाओं मे मेरे बारे मे पूछ्ती फिर रही थी तब से मुझे तेरे बारे मे मालूम है. मुझे पता चल गया था की तू खूबसूरत और कसा हुआ माल है इसलिए मैं खुद ही तेरे लिए रास्ता बनाता गया.”



मैं उसकी बातें सुन कर हैरान रह गयी.

“तू अब नखरे दिखाना छ्चोड़. मैं इस हाथ ले उस हाथ दे पर विस्वास करता हूँ.” उसने मुझे वापस अपनी बाहों मे लेते हुए कहा,” पहले तू ये सोच ले कि तुझे मेरा इंटरव्यू लेना है या नही.”



“ मैं तुम्हारा इंटरव्यू लिए बिना यहाँ से न आयी जाउन्गी.” मैं भी अपनी बात पर आड़ गयी.



“ तो फिर एक शर्त है.” उसने मुझे गहरी नज़रों से देखते हुए कहा. जब मैं चुप ही रही तो उसने आगे कहा,” तुम मेरा इंटरव्यू ले सकती हो बदले मे तुम्हे दो दिन तक मेरा गुलाम बन कर रहना पड़ेगा.”



मैने कोई जवाब नही दिया. उसने मुझे चुप देख कर मेरी आधी मर्ज़ी समझ कर आगे बोलने लगा, “ मैं जो भी कहूँगा तुझे बिना किसी सवाल के करना पड़ेगा. एक भी बार विरोध किया या कोई सवाल पूछा तो दो हंटर पड़ेंगे. बोलो तैयार हो?”



मैने बिना कुच्छ कहे अपना सिर सहमति मे झुका दिया. वो कुच्छ देर तक मेरी दशा देख कर मुस्कुराता रहा.



“अगर तुम मेरी शर्त मान गयी तो…..” उसने मेरे चेहरे को अपनी हथेली से उठाकर मुझे एक किस किया, “ तुम पहली लड़की होगी जो यहाँ से बच कर जिंदा वापस लौटेगी.” उसने मुझे खींच कर अपने सीने से लगा लिया. उसके दोनो हाथ मेरी पीठ पर फिरते हुए मेरे नितंबों को मसल्ने लगे. मैं कसमसा कर उससे अलग हुई.



इनके किसी भी हरकत पर विरोध दिखाना मूर्खता भरा काम था. मैने एक बार अपने हाथों से अपने ब्रा के कप्स ढकने की कोशिश की मगर तंगराजन के मेरे हाथ को झटक देने के बाद मैने किसी तरह की कोई कोशिश नही की. तब भी नही जब तंगराजन ने मेरे स्तनो को ब्रा के उपर से मसल्ते हुए उसके दोनो कप्स के बीच की पट्टी पर अपनी उंगलियाँ फँसा कर एक झटका दिया और मेरा ब्रा सारे बंधन तोड़ता हुया उसके हाथ मे आ गया. उसका झटका इतना ज़ोर का था कि मैं खुद लड़खड़ा कर तंगराजन के सीने से चिपक गयी. ऐसा लगा मानो मेरा नग्न बदन किसी चट्टान से जा टकराया हो.



तंगराजन ने मेरे दो टुकड़े हुए ब्रा को एक ओर फेंक कर मेरे नग्न बदन को निहारा.

मैने शर्म से अपनी आँखें बंद कर ली.



“ह्म्‍म्म्म अच्च्छा माल है. मुत्थु ने लगता है तुम्हारे इन दोनो फूलों को बुरी तरह मसला है.” उसने अपने दोनो हाथों से मेरे स्तनो को उठाते हुए कहा, “च्च्च…..इन मक्खन से गेंदों पर कैसी नीले नीले निशान पड़ गये हैं. ठहर जा छिनाल तू अब मेरी गुलाम है, मेरी दासी समझी”



मैने हामी मे सिर हिलाया. मैं अब इसके रहमो करम पर थी उसकी मर्ज़ी के बिना कुच्छ कर भी नही सकती थी.



मैं चुपचाप खड़ी रही. उसने मेरे सिर के पीछे बँधे बलों को खोल दिया जिससे मेरे सिल्की बालो ने मेरी पीठ को धक लिया था. मेरे बाल कमर तक लंबे थे. उनके खुल जाने से मैं और सेक्सी लगने लगी थी. तभी तगराजन ने किसी को आवाज़ दी. एक आदमी अंदर आया. उसके हाथ मे एक जानवरों के गले पर बाँधने वाला पट्टा था और उस पर चैन लगी थी. उसने वो पट्टा मेरे गले पर बाँध दिया. मैं कुच्छ भी नही कर सकी. उसने चैन तंगराजन के हाथ मे दे दी. तंगराजन ने चैन को हाथ मे लेकर एक झटका दिया. मैं उसके झटका देने पर लड़ खड़ा गयी.



मैं किसी पालतू जानवर की तरह उसके सामने खड़ी थी. मुझे सदियों पुराने गुलामो को दर्शाती हुई तस्वीरें याद हो आइ जिसमे गुलामों मे और जानवरों मे कोई अंतर नही दिखता था.



मुझे किसी अंजान आदमी के सामने इस तरह खड़े अगर मेरी फॅमिली वाले देखते तो क्या सोचते. मेरे हज़्बेंड को मेरे उस असाइनमेंट पानी की बधाई के बारे मे दोबारा सोचना पड़ता. मेरी सास तो शायद शर्म से ही मर जाती और मेरे कॉलीग्स उनकी तो लंड अपनी बारी का इंतेज़ार कर रहे होते. अभी कुच्छ ही महीने पहले घूँघट के पीछे छिपी उस छुइ मुई सी लड़की एक वासना की गुलाम के रूप मे इसकी कोई कल्पना भी नही कर सकता था.



“अब देखूं नीचे क्या छिपा हुया है.” कह कर उसने मेरे घाघरा को भी फाड़ कर टुकड़े टुकड़े कर दिया. नीच कुच्छ नही पहने होने की वजह से अब मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी.



“वाआह…..बहुत चिकनी है. मज़ा आ जाएगा. मैने तेरे कपड़े खोल दिए अब तू भी मेरे कपड़े हटा कर मेरे बदन को देख.” उसने कहा. मैं चुप चाप खड़ी रही. उसने अपने हाथ से मेरी कलाई पकड़ ली और उसे अपने तहमद के उपर रखा. उसकी पकड़ इतनी सख़्त थी कि एक बार पकड़ने पर ही कलाई दुखने लगी. मैने भी उसके तहमद की गाँठ को खोल कर उसके बदन से हटा दिया. दोस्तो कहानी अभी बाकी है
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12-10-2018, 01:54 PM,
#7
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
raj sharma stories

रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -6
गतान्क से आगे.....


वो मेरे सामने अब नंगा खड़ा था. अब बिना कपड़ों के तो वो पूरा ही भालू लग रहा था. उसके पूरे बदन को काले बालों ने इस बुरी तरह ढक रखा था की चेहरे और हथेली के अलावा उसकी चॅम्डी कहीं भी दिखाई नही देती थी.



जांघों के बीच घने काले जंगल के बीच बिल्कुल काला उसका लंड झटके खा रहा था. जैसा ओवर साइज़ वो खुद था वैसा ही विसालकाय उसका लंड था. उसके नीचे लटकती गेंदों का ही साइज़ टेन्निस बॉल की तरह था. उस मूसल लंड से अपनी चुदाई की कल्पना भी बदन मे झुरजुरी पैदा कर देने मे काफ़ी था. हम दोनो एक दूसरे से लिपटे एकदम ब्लॅक आंड वाइट जोड़ी लग रहे थे. उसके लिंग के सामने का टोपा भी काले रंग का था.



“चल इसे प्यार कर. इसे मुँह मे ले कर चाट. तुझे मेरा इंटरव्यू चाहिए ना?”



मैने हां कह कर सिर हिलाया. “ तू इसके लिए बहुत ज़्यादा उतावली है. है ना?”



मैं दोबारा चुपचाप खड़ी रह गयी. उसने आगे बढ़ कर मेरे कंधों पर अपने हाथ रख दिए. मैने अपनी नज़र उसकी नज़र से मिलाई. उसकी नज़रों मे एक आदिम वासना की ज्वाला चमक रही थी. मैने अपने बदन को बिल्कुल ढीला छ्चोड़ दिया और उसके हाथों के दबाव से मेरे घुटने मुड़ते चले गये और उसके सामने मैं घुटनो के बल बैठ गयी.



मेरे चेहरे से दो चार इंच दूर उसका मोटा घोड़े जैसा लंड खड़ा हुया था. उसका लंड इतना काला और भद्दा था की मुझे घिंन आने लगी. मैं बड़ी मुश्किल से अपने जज्बातों को कंट्रोल कर रही थी. उसने मेरे बालों को पकड़ ऐसा झटका दिया की मुझे लगा मेरे बाल टूट कर उसके हाथ मे रह जाएँगे. उसने अपने लंड की एक ज़ोर दार ठोकर मेरे होंठों पर मारी. एक तो उसका लंड पत्थर की तरह सख़्त था उपर से ठोकर इतनी ज़ोर दार थी की मेरा निचला होंठ फट गया और मेरे जीभ ने हल्के से खून का स्वाद चखा. मैने शिकायत भरी नज़रों से उसे देखा.



“मैं मना कब कर रही हूँ. ऐसे जानवरों सी हरकत मत करो.” मैने बनावटी भाव चेहरे पर लाते हुए कहा. ये लोग ख़ूँख़ार बहुत होते हैं लेकिन भगवान ने इनको अव्वल दर्जे का मूर्ख भी बनाया है. जिससे मुझ जैसी कोई भी उन को अपने काबू मे कर सके.



एक पल को लगा कि उसकी आँखों मे खून उतरा आया हो मगर अगले ही पल वो मुस्कुरा दिया. मैने उसके लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया और उसे मुट्ठी मे लेकर सहलाने लगी. एक के बाद दूसरा हाथ भी उस काम पर लगा दिया. दोनो हाथ लगाने के बाद भी लंड का आधा हिस्सा बाहर ही था. मैं उसके लिंग के उपर की चॅम्डी को नीचे की ओर सरका कर अपनी उंगलियों से उसके लिंग को छेड़ रही थी.



मैने अपने होंठ खोले और उसकी नज़रों मे झाँकते हुए उसके लिंग को धीरे धीरे अपने मुँह के अंदर डाल लिया. उसकी नज़रों मे उसके चहरे पर अपनी मुराद पूरी होने की खुशी थी. बाप रे बाप क्या लंड था उसका. उसके टोपे को लेने मे ही मेरा मुँह भर गया. मैं उससे ज़्यादा मुँह के अंदर नही कर पा रही थी



मैं उसके लिंग के आगे के बॉल को अपने मुँह मे डाल कर चूसने लगी. मैं किसी तरह उसके लिंग के टोपे पर अपनी जीभ फिरा रही थी. उसका लिंग इतना मोटा था कि मेरे जबड़े दुख गये. मुझे लगा की मेरे होंठों के किनारे उसके लिंग को लेने के चक्कर मे ना फट जाए.



बहुत कोशिश करने पर भी उसका लिंग आधा भी अंदर नही जा पा रहा था. मैं उसी अवस्था मे अपनी जीभ से उसे चाट चाट कर उसको सन्तुस्ति देने लगी.



वो मेरे कंधों को सहला रहा था. उसने मेरे बालों को बिखेर दिया ओए अपनी उंगलियों से मेरे बालों मे हाथ फेरने लगा. मैं उसके लिंग को एक हाथ से पकड़ कर उसे अपने मुँह मे अंदर बाहर कर रही थी. हाथ से इसलिए थाम रखा था जिससे वो अपने लंड को एक उतना ही अंदर कर सके जितना मैं चाहूं.



कुच्छ देर तक उसके लंड को चूसने के बाद उसका बदन अकड़ने लगा. और लगा की बस अब उसका वीर्य निकलने वाला ही है. मैं भी चाहती थी की उसका निकल जाए जिससे कुच्छ पलों के लिए मुझे राहत मिल सकती है. मगर उसने भी शायद मेरे इरादे को भाँप लिया था. उसने मेरे सिर को बालों से पकड़ कर एक झटका दिया और मैं पीछे की ओर गिर पड़ी. मैं ज़मीन पर पड़े पड़े हाँफ रही थी और उसकी निस्तुरता से घबरा रही थी.



वो मेरे पास ज़मीन पर घुटने मोड़ कर बैठ गया. फिर उसने झपट कर मुझे कमर से पकड़ कर किसी खिलोने की तरह उपर उठाया. मेरी कमर ज़मीन से डेढ़ फुट उपर उठ गयी. अब सिर्फ़ मेरा सिर ज़मीन पर टीका हुया था. मेरी टॅनजेंट उसके कंधे पर रखी हुई थी. उसने मेरी योनि को अपने चेहरे के सामने करके उसे किसी कुत्ते की तरह चाटने लगा. उसके खुरदुरे होंठ मेरी नरम योनि के उपर खलबली मचा रहे थे.



“स्लूर्र्रप…स्लर्प” की आवाज़ के साथ वो मेरी योनि से बह रहे रस को चाट कर सॉफ कर रहा था. उसके किसी भूखे की तरह मेरी योनि पर टूट पड़ने के कारण मेरा बदन बुरी तरह हिल रहा था. बीच बीच मे मेरा सिर ज़मीन से रगड़ ख़ाता. मैं उसके सिर को अपनी गिरफ़्त मे लेकर अपने बदन को उसका सहारा देना चाहती थी मगर वो मुझे इस तरह करने ही नही दे रहा था. बार बार मेरे उठे हाथों को झटक देता. उसकी लाल ला आँखों से डरकर मैने अपनी कोशिशों पर रोक लगा दी. मगर मैं चाह कर भी अपने जिस्म मे बढ़ती उत्तेजा को रोक नही पा रही थी. मैं जानती थी की मेरा अपने जिस्म के उपर से कंट्रोल ख़तम होता जा रहा है. और बहुत जल्दी ही मेरी उत्तेजना रस के रूप मे बह निकलने वाली है.



वो अपनी जीभ को जितना हो सकता था उतना अंदर करने लगा. उसकी बड़ी बड़ी मूच्छें मेरी झांतों के उपर चिपक सी गयी थी.



“ऊऊओफफफफफफ्फ़….हा..हा….म्‍म्म्मम….हा” मैं उत्तेजना मे च्चटपटाने लगी और उसके सिर को अपने हाथों से अपनी योनि पर दबा दिया. मेरी उंगलियाँ उसके बालो मे धँस गयी और टाँगें छत की ओर उठ गयी थी.



“लो….ले लो इसमे से जो भी ले सकते हो ले लो. मैं तो तुम्हारी रांड़ बन ही गयी हूँ अब किसी बात पर क्या सोचना…” मैं उत्तेजना मे बड़बड़ाती जा रही थी.



वो जितना अंदर हो सकता था अपना जीभ डाल कर मेरे उस अमृत कुंड को माथे दे रहा था. मैं उत्तेना से च्चटपटा रही थी. कभी अपनी चूचियो को मसल्ने लगती तो कभी अपनी कमर को उचकाने लगती, कभी उसके सिर को अपनी जांघों के बीच दबा कर उसको पूरा अपने अंदर समा लेने की कोशिश करती तो कभी उत्तेजना मे अपनी टाँगों को हवा मे फेंकने लगती. वो मेरी हालत से बेख़बर अपने काम मे लगा हुआ था. बस अब मुझसे और अधिक उत्तेजना सहन नही हुई और मेरी सारी गर्मी लावा के रूप मे मेरी योनि के अंदर बह निकली. वो इस पर भी रुका नही अब तो उसकी हरकतों मे उसकी दो उंगलियाँ भी शामिल हो गयी जिनसे वो मेरी योनि के उपर मेरी क्लिट को कुरेद रहा था.



वो किसी औरत को किस तरह अपने काबू मे किया जा सकता है बहुत अच्छि तरह जानता था. वो जानता था कि कैसे और क्या करने से औरत अपनी भावनाओ को त्याग कर किसी की गुलाम बनने को भी तयार हो सकती है.



मैं वापस उत्तेजित हो गयी थी. वो तो जैसे भूल ही चुक्का था कि आगे भी कुच्छ करना है. मैने उसके बालों मे अपनी उंगलियाँ पिरो दी और बालों से पकड़ कर उसके सिर को पीछे धकेला. उसका काला चेहरा मेरे योनि रस से सना हुआ और भी डरावना लग रहा था.



“ऊओह अब बस करो. मैं और बर्दस्त नही कर सकती. मेरे जिस्म से आग निकल रही है. प्लीईएज इसे अपने पानी से बुझा दो.” मैने उसके बलों को पकड़ कर अपनी ओर खींचा तो वो मेरे पास आ गया. मैने कोहनी के बल ज़मीन से उठते हुए अपनी जीभ से उसके चेहरे को चाट चाट कर साफ करने लगी. मैं अपनी जीभ से उसके चेहरे को स्लर्प स्लर्प करके चाट रही थी. वो मेरे दोनो ब्रेस्ट को थामे उन्हे अपने हाथों से सहला रहा था. वो मेरे निपल्स को अपनी उंगलियों से कुरेद रहा था. मैने कुच्छ देर बाद अपने होंठ उसके मोटे भद्दे होंठों पर रख दिए और पूरी तरह समर्पित भाव से उससे लिपट गयी. मैने अपनी एक टांग उपर मोड़ कर उपर उठाया और उससे तंगराजन के खड़े लंड को सहलाने लगी.



तंगराजन की लंबाई काफ़ी होन्ट की वजह से उसका लिंग मेरी नाभि के पास ठोकरें मार रहा था. वो मेरे सिर को पकड़ कर मेरे होंठों को अपने खुरदुरे होठों पर रगड़ रहा था. मैने अपने होंठों को फटने से रोकने के लिए अपनी जीभ निकाल कर उसके मुँह मे डाल दिया और उसके जीभ को अपनी जीभ से सहलाने लगी.



“ तो फिर शुरू करें इंटरव्यू?” तंगराजन ने मुझसे हंसते हुए पूछा.



“मैं आपको पूरी तरह जानने की ही तो कोशिश कर रही हूँ. देखना है इस पहाड़ जैसे बदन मे ताक़त कितनी है. किसी कोमल सी औरत को कितना मसल सकता है? जीत आपकी होती है या मुझ जैसी नाज़ुक महिला की.” मैने उसके लिंग को थामते हुए कहा.



“अच्च्छा तो मुझे चॅलेंज कर रही हो? आज तक कोई भी औरत मेरे लंड को पूरी तरह अंदर समा कर मेरा वीर्य अपनी चूत मे नही भर पाई. चल तुझे भी आजमा कर देखते हैं कितनी बड़ी छिनाल बन सकती है तू.” उसने अपने लिंग को आगे पीछे खींचते हुए कहा.



“ ठीक है. लेकिन तसल्ली से करोगे जिससे मुझे भी मज़ा आए. मैं भी संभोग करना चाहती हूँ रेप नही. तुम्हारा लंड किसी घोड़े के जैसा है.”



“ किसी गुलाम को अपनी राय देने की कोई छूट नही है. कोई और होती ना तो अब तक उसकी चूत मे गरम सरिया डाल कर आर पार कर चुक्का होता. मगर तुझमे कुच्छ है जो मुझे किसी भी तरह की ज़्यादती करने से रोक रहा है. शायद मेरा दिल तुझ पर आ गया है.” फिर मेरी योनि को अपनी मुट्ठी मे भर कर मसल्ते हुए कहा,” चल खोल अपनी चूत को…..हां और खोल…..हाँ हाँ उसे अपने हाथों से खोल कर दिखा कि कैसी है.” दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा 
क्रमशः....
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12-10-2018, 01:54 PM,
#8
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
raj sharma stories

रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -7
गतान्क से आगे....


मैने वहीं लेट कर अपनी टाँगों को जितना हो सकता था उतना फैला दिया. फिर अपनी उंगलियों से अपनी योनि के मुँह को खोल दिया. उसकी आँखों के सामने मेरी योनि फैली हुई थी. मैने अपनी टाँगों को मोड़ कर अपनी कमर को कुच्छ उपर उठा लिया.



“लो ये देखो मेरी चूत. पसंद आई?” मैं पूरी तरह किसी छिनाल की तरह हरकतें कर रही थी. अच्च्छा हुआ की मेरी जान पहचान का कोई आस पास नही था वरना उसको विस्वास करना मुश्किल हो जाता कि मैं एक इतनी पढ़ी लिखी इतने अच्छी फॅमिली की ब्यहता इस तरह की दो टके की किसी रांड़ की तरह भी हरकतें कर सकती हूँ. वो मेरी दोनो जांघों के पास घुटने मोड़ कर बैठ गया.



“एम्म्म बहुत सुंदर. तुझे क्या चाहिए मेरी रांड़?” उसने मुझे किसी वेश्या की तरह संबोधन किया,” बता अपने मालिक से तुझे क्या चाहिए?”



“मंमुझे…..मुझे अपना लंड दे दो. आआअहह एम्म्म एयेए मुझे चोदो…कस कस कर चोदो……मेरी चूत को अपने लंड से छिल कर उधेड़ कर रख दो. इतना चोदो कि मैं अपने पैरों पर भी खड़ी ना हो सकूँ.” मैने उसके सामने अपनी उंगलियों को अपनी योनि मे अंदर बाहर करते हुए कहा. मैं उसके सामने बहुत दिलेर बन रही थी मगर असल मे मे उसके लंड को देख कर मन ही मन दर से काँप रही थी. उसका लिंग मैने नाप कर भी देखा था. उसका लिंग मेरी नाभि तक आ रहा था. पता नही आज मेरी क्या हालत होने वाली थी. मैं बुरी तरह फँस गयी थी अब बचने का कोई रास्ता नही था. मुझे जो बचा सकते थे वो सब मुझसे हज़ारों मिले दूर थे और मैं इस पहाड़ सरीखे आदमी से बेकार ही पंगे ले रही थी.



“देखा है इसका साइज़? तेरे मुँह से तो नही निकल आएगा ना?” उसने अपने उस घोड़े समान लंड पर हाथ फेरते हुए कहा.



“अच्च्छा होगा कल सबको पता चल जाएगा कि तंगराजन ने मुझे चोद चोद कर मार डाला. वैसे घबराओ नही. अगर तुम्हारा लंड घोड़े के जैसा है तो मेरी योनि भी कम नही. अगर मैने तुम्हारा सारा रस चूस कर इन कटोरों को खाली नही कर दिया तो कहना.” कहते हुए मैने उसके लंड के नीचे लटकती गेंदों को सहलाया.



“इनमे जितना माल भरा है पूरा खाली करके ही जाउन्गि यहाँ से.” मैने उसकी गेंदों को मुट्ठी मे भर कर दबाते हुए कहा.



“ तीन दिन मे तो पता नही अपने कदमो पर भी जाएगी या नही.” कह कर उसने मेरी टाँगों को छत की ओर उठा कर अपने हाथों से पकड़ा. उसने मेरी टाँगों को फैला दिया. जब उसने उन्हे छ्चोड़ा तो मैं अपनी टाँगों को उसी अवस्था मे फैलाए रही. उसने एक हाथ से मेरी योनि के होंठों को दो बार सहलाया फिर उनके बीच अपनी उन मोटी मोटी उंगलियाँ डाल कर मेरी योनि को फैलाया. दूसरे हाथ से अपने लंड के सूपदे को मेरी योनि के बीच रख कर मेरी ओर देखा. मैने उसे देखता पा कर एक घबराई हुई मुस्कुराहट दी. उसने अपने बेस बॉल के बाट के समान तने लिंग को मेरी योनि के मुँह पर टीका कर अपने हाथ वहाँ से हटा दिए. वो मुझ पर झुकने लगा तो मैने अपने हाथ उठा कर उसके सीने पर रख कर उसके इरादों को रोका. उसने अपने दोनो हाथों से मेरे निपल्स पकड़ लिए और उन्हे अपनी उंगलियों मे किसी चिमटे की तरह पकड़ कर इतनी ज़ोर से उमेटा की मेरी जान ही निकल गयी. मैं ना चाहते हुए भी गला फाड़ कर चीख उठी और उसी के साथ उसने एक धक्के मे अपने लिंग का सूपड़ा मेरी चूत मे डाल दिया.



अभी मुझे शादी की हुए ही कितने दिन हुए थे. मेरी योनि किसी कुँवारी लड़की की तरह टाइट थी. जैसे ही उसके लिंग का टोपा मेरी योनि की दीवारों को चीरता हुआ अंदर गया तो मुझे अपने निपल्स से उठता दर्द कुच्छ भी नही लगा. मैं दुगनी ज़ोर से चीख उठी “ ऊऊऊओह….म्‍म्माआआअ…….मररररर गइईई……. आआआआअहह …..माआआआ”



वो हँसने लगा, “ क्या हुआ अभी तो बस दरवाजा ही खोला है अभी तो पूरा अंदर घुसना है.”



“बस बस मैं नही ले सकतिईईई….बाआअप्रीई……क्याआ सीईईज़े हाईईईई……चीरकर रख दिया लगता है. बुसस्स्स्स बाबाआअ……मुझीईए माआफ़ करूऊऊ”



उसने अपने दोनो हाथ दंड पेलने की मुद्रा मे मेरे सीने के दोनो ओर बिस्तर पर रखा और मेरी नज़रों मे नज़रें डाले हुए एक धक्का और मारा.



“ऊऊऊओह…….क्याआआ……करतीईए हूऊऊ……..मुहीईए छ्छूद डूऊऊ…..माआआ……….मेरिइईई माआआ मुझीईए बचाअऊऊ….” मैं दर्द से तड़पने लगी. ऐसा लग रहा था मानो मेरे सीने मे किसीने खंजर भोंक दिया हो. मैं अपनी एडियाँ रगड़ने लगी. उसके सीने को पीछे धकेलने लगी. मगर वो मुझसे हर मामले मे दुगुना से भी ज़्यादा था. मैं कमजोर, नाज़ुक सी लड़की. तब मेरा वजन मुश्किल से पचास-बावन किलो था और वो 130 किलो से भी उपर पहाड़ सा दिख रहा था. उसने मेरे पूरे वजूद को धक लिया था. मुझे सॉफ लग रहा था कि इस बोझ को मैं अपने मे समा नही सकूँगी और मेरे प्राण निकल जाएँगे.



अभी तो सिर्फ़ आधे के करीब ही उनका लंड अंदर तक प्रवेश पा सका था. मेरी योनि की दीवारें चीरती हुई लग रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा खंभा मेरी योनि मे घुसेड़ा जा रहा हो.



वो हँसे जा रहा था. “क्या हुआ मेरी छिनाल. तू तो बड़ा अकड़ रही थी कुच्छ देर पहले अब क्या हुआ हवा निकल गयी सारी? अब क्यों रो पीट रही है.”



“ आअहह…..मंमुझसीई ग़लतीीइ हो गाईए हाीइ. माआफ़ काअर दो. उस्स समाअय येयी पूओरररीि तराआाः खड़ाअ नहिी हुआअ थाअ इसलिईए पटाआ नहिी थाअ कीईईईई कितनाअ भयानाक हाईईइ.”मैने गिड गीडाते हुए कहा” प्लीईईससस्स मुझीईए छ्ूऊऊद डूऊऊ. मैईईईईईई तुम्हाआराअ राअस्स मूओं सीए चूऊवस चूवस काअर निकाअल डूंगगीइिईईई. प्लीईईआसए चचोड़ दूऊव मुझीई. प्लीईएआसीए….”



वो तो रुकने के मूड मे नही था उसने उसी मुद्रा मे अपने बदन को हवा मे टिकाए हुए अपनी कमर को उपर की तरफ खींचा. ऐसा लगा की मेरी योनि भी उसके लिंग से चिपकी हुई उपर खींचती जा रही है और मेरी कमर बिस्तर छ्चोड़ कर उसकी कमर से चिपकी हुई उपर उठ गयी. फिर “पक” की आवाज़ के साथ उसका लिंग मेरी योनि से बाहर निकल आया और मैं बिस्तर पर गिर पड़ी. ऐसा लगा जैसे मेरी योनि एक दम खाली हो गयी थी.



“बस…बस….तंगराजनजी……बस..और नही” मैं अपने हाथों को उनकी छाती पर रख कर रुकने के लिए इशारा किया. मगर उसने उस मूसल लंड को मेरी योनि पर टीका कर मेरी मन्नतो की परवाह किए बगैर एक ज़ोर दार झटके मे तीन चौथाई लंड मेरी योनि मे थोक दिया. उसे रोकने के लिए खुले मेरे होंठ जैसे खुले के खुले रह गये. मेरी आँखें उलट गयी. और मैं बेहोशी की आगोश मे जाते जाते रह गयी. इतना जबरदस्त दर्द हुआ मानो मेरे बदन मे कोई कील ठोकी जा रही हो. मुँह से गर्र्र गर्र्रर के आवाज़ें निकली और मेरा बदन शिथिल पड़ गया था. कुच्छ देर बाद बदन मे खून का संचार हुआ और मैं रो पड़ी. मैं चीखने चिल्लाने लगी. उसे दुहाई देने लगी और छ्चोड़ दें छूटने लिए गिड़गिदाने लगी. मगर वो पूरा राक्षस बन चुक्का था. मेरी चीख पुकार की परवाह किए बगैर वो वापस अपने लंड को बाहर की ओर खींचा. उसका लंड अब बाहर निकलते समय भी मेरी योनि को इतना छील रहा था कि मैं दर्द से दोहरी हुई जा रही थी. अब मुँह से सिर्फ़ कराहें ही निकल रही थी.



“आआआहमम्म्ममाआआअ…ऊऊओफफफफफफफफ्फ़…..उईईईईईईईईई…अममाआआअ….म्‍म्

म्मम्मूऊऊ……..” पता नही क्या बड़बदाए जा रही थी.



अब उसने मेरी टाँगों को वापस फैलाया और अपने लिंग को योनि के मुहाने पर रखा. मैने देखा की मेरी योनि का मुँह भी खुला का खुला रह गया है. अंदर से लाल गुफा साफ दिखने लगी थी. उसके मुँह को अपने लिंग से ठोक कर चौड़ा कर दिया था. पता नही वापस मेरी योनि पहले जैसी हो भी पाएगी या नही. पता नही जीवन मेरी इस फटी हुई योनि को देख कर क्या सोचे. वो इस बात को किस तरह ले कि उसकी नयी नवेली बीवी बुरी तरह चुद कर वापस आइ है. मैं गहरी गहरी साँसे लेती हुई पड़ी रही. इस बार मैने किसी तरह की कोई हरकत नही की. मेरी आँखों के कोरों से आँसू बहते हुए ज़मीन पर गिर रहे थे.



उसने मुझे अपनी ओर खींचा. मेरी पीठ खुरदूरी ज़मीन पर रगड़ खा कर कई जगह से छिल गयी. अब मुझे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था. बहुत तीस मार ख़ान समझ रही थी अपने आपको. जब ये असाइनमेंट मिला तो फूली नही समा रही थी. आज मुझे अपने इरादों पर पछतावा हो रहा था. सारी हेकड़ी ख़तम हो गयी थी. अब तो मैं यही मना रही थी कि अगर यहाँ से जिंदा लौट गयी तो फिर कभी इस तरह के मामलों मे अपने आप को इन्वॉल्व नही करूँगी.



उसकी हरकतें देख कर कोई भी नही कह सकता था कि वो कि नॉर्मल इंसान है. उसने मेरे गाल्लों पर बहते अन्सूओ को चॅटा और मेरी बेबसी पर हँसने लगा.



“हाहाहा…..तंगराजन से मिलेगी….हाहाहा…..उसका इंटरव्यू लेगी……हाहाहा….. उसके बारे मे दुनिया को बताएगी……. पोलीस को इनफॉर्म करेगी……हाहहहाहा…..क्या हुआ मेरी चिड़िया अब क्यों रो रही है. अब कहाँ गया तेरी हिम्मत…तेरा साहस…….. तू क्या सोच कर आए थी? कि होगा कोई मरियल सा आदमी जिसे अपने रूप योवन के जाल मे फाँस कर बेदम कर देगी और तू जैसा चाहेगी वैसा उसे नचा लेगी. लेकिन यहाँ तो उल्टा हो रहा है. ले अब इसे झेल देखता हूँ कितना दम है तुझमे.”



मैने अपने बदन को ढीला छ्चोड़ दिया और सख्ती से आँखें बंद कर उसके आक्रमण का इंतेज़ार करने लगी. मेरे जबड़ों के बीच मैने अपने होंठों को सख्ती से दाब लिया. उसने अपने लिंग को वापस वहीं लगाया और अगला धक्का इतना जबरदस्त था कि मुझे अपने अंदर कुच्छ फटता हुया लगा. ऐसा लगा की लंड ने अंदर कोई घाव कर दिया है. मैं बेहोशी की अंधेरी गलियों मे भटक गयी. मेरे दाँत दर्द से होंठों पर कस गये. मैं बेहोश हो चुकी थी. पता नही कितनी देर तक मैं बेहोश रही.



जब होश आया तो मैने तंगराजन को अपने लंड से मेरी बुरी तरह चुदाई करते हुए पाया. मेरा पूरा जिस्म उसके हर धक्के से काँप जाता. मैने सामने दीवार पर लगी घड़ी पर देखा करीब पाँच मिनिट तक मैं बेहोश रही थी.



मुझे अपने नितंबो के बीच चिपचिपा वीर्य महसूस हुआ. मैने अपनी उंगली से उस जगह को च्छुआ और जब उस उंगली को सामने लाकर देखा तो मेरे होश उड़ गये. जिसे मैं चिपचिपा वीर्य समझ रही थी वो मेरा खून था. मेरी झिल्ली तो सुहाग रात को ही टूट चुकी थी तो फिर ये? क्या कोई जख्म हो गया है. क्या सच मे मेरी चूत को तंगराजन ने फाड़ कर रख दिया है. मैं डर कर बिलख बिलख कर रोने लगी.



“ क्या हुआ?” तंगराजन दो पल के लिए रुका, “ क्या हुआ? क्यों रो रही है?” मैने रोते हुए अपनी उंगली उसे दिखाई. तो वो हँसने लगा.



“ तेरी चुदाई पूरी हो जाए फिर डॉक्टर को दिखा देंगे. ऐसा मेरे साथ संभोग करती हर लड़की के साथ होता है.” कह कर वो वापस मेरी चुदाई मे लग गया. वो बड़े ही ज़ोर से धक्के लगा रहा था. उसके हर धक्के से मैं कई इंच उपर खिसक जाती. ज़मीन पर रगड़ खाते रहने से मेरी पीठ भी बुरी तरह जल रही थी. कोई पंद्रह मिनिट तक इस तरह चोदने के बाद उसने मेरे अंदर से अपना लिंग खींच कर बाहर निकाला.



उसने मुझे एक झटके मे उल्टा कर दिया. फिर उसी अवस्था मे घुटने के बल बैठे बैठे उसने मेरी कमर के इर्द गिर्द अपनी बाँहें डाल कर मेरी कमर को अपनी ओर खींचा. मेरे नितंब किसी टेंट की तरह उपर उठ गये. मैने अपनी बाँहे बिस्तर पर टीका दी. अब उसने पीछे से कुच्छ पल मेरे नितंबों को सहलाया. फिर मेरे गुदा को अपनी जीभ से चटा. उसके बाद उसने अपने लिंग को मेरी योनि पर फिराया. मैं उत्तेजना मे फूँक रही थी. मैने खुद अपने हाथों से अपनी योनि की फांकों को अलग कर के उसके लंड के लिए रास्ता साफ किया. अब मुझे उसकी चुदाई मे मज़ा आ रहा था. अब मैं खुद भी उसकी ठुकाई खूब एंजाय कर रही थी. दोस्तो कहानी अभी बाकी आपका दोस्त राज शर्मा 
क्रमशः....
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12-10-2018, 01:54 PM,
#9
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -8
गतान्क से आगे....


“लो….डाल दो मेरी इस फटी चूत मे अपना लंड. मुझे चोद चोद कर मार डालो. अब ये गर्मी सहन नही हो रही है. उफफफफ्फ़ मेरी चूत मे जबरदस्त खुजली हो रही है. इसे अपने लंड से रगड़ रगड़ कर शांत करो.” मैने उसके लंड को अपनी चूत के मुँह पर रख कर अपने नितंबों को पीछे धकेला. उसके लिंग का टोपा वापस मेरी योनि मे घुस गया. अब हम दोनो इतने गीले हो गये थे कि इस बार जब उसका लंड पूरा अंदर तक घुसा तो मुझे दर्द नही हुआ.



अब वो मुझे पीछे की ओर से ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा. हर धक्के के साथ मेरे दोनो स्तन बुरी तरह हिल रहे थे. मैने आगे खिसक कर सामने लगे उसके बिस्तर के उपर अपना आधा बदन रख दिया. अब भी मेरे घुटने ज़मीन पर ही टिके हुए थे मगर अब मेरे स्तन बिस्तर से चिपके हुए थे. वो उसी अवस्था मे मेरी चूत मे बिना किसी रुकावट, बिना किसी थकान के धक्के पर धक्के मारे जा रहा था.



डूस मिनिट से उपर मुझे इसी तरह चोदा फिर मुझे किसी बिना हाड़ मास की गुड़िया की तरह उठा कर बिस्तर पर पटक दिया. उसने वापस मुझे मुँह के बल बिस्तर पर गिरा कर सिर्फ़ मेरे नितंबों को हवा मे उँचा कर दिया और अपने घुटनो को कुच्छ मोड़ कर पीछे से मेरी योनि पर इतनी ज़ोर का झटका मारा कि मैं “ऊऊओह” कर उठी और बिस्तर चरमरा कर टूट गया. हम वापस ज़मीन पर थे मगर उसने एक पल को भी मुझे साँस लेने नही दिया. वो भूखे शेर की तरह मेरी चुदाई मे ही व्यस्त था. मेरा अनगिनत बार रस छ्छूट चुका था. अब मेरा पूरा बदन दुखने लगा था. जी कर रहा था जितनी जल्दी हो सके उसका वीर्य निकल जाए.



पंद्रह मिनूट बाद जब वो अचानक रुका तो मैं बिस्तर पर वैसी हुई पड़ी हुई थी.



“चल…. अब तू मुझे चोद….मेरे उपर आ जा.” उसने अपना लंड बाहर निकालते हुए कहा.



“नही….नही….मुझे माफ़ करो….मेरे जिस्म मे अब ताक़त नही बची कि तुम्हारे उपर आकर तुम्हे चोद सकूँ.” मैने उससे हारते हुए कहा, “तुम्हारी जैसी मर्ज़ी उसी तरह चोद कर खल्लास हो जाओ. मगर मुझे माफ़ करो.”



उसने वापस मुझे बिस्तर पर पीठ के बल पटक दिया और मेरे टाँगों को अपने कंधे पर रख कर मेरी टाँगों के बीच आ गया. उसका लंड वापस मेरी योनि मे घुसा कर मेरी खाल खींचने लगा. कुच्छ देर तक मुझे इस तरह चोदने के बाद मेरी टाँगों को अपने कंधे पर से उतार दिया और मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदते हुए मेरे स्तनो को अपनी मुट्ठी मे थाम लिया और मेरे उपर पसर गया. उस पहाड़ सरीखे आदमी का वजन अपने उपर आया तो मेरे फेफड़ों से सारी हवा निकल गयी. मुझे लगा कि वजन से मेरी एक दो पसलियां आज ज़रूर चटक जाएँगी. तभी उसने मेरे एक स्तन को बुरी तरह से काट लिया. मैं दर्द से च्चटपटाने लगी. और उसी वक़्त इसके लंड से पिचकारी के रूप मे रस की धारा बह निकली. मेरी चूत मे गर्म गर्म लावा बहने लगा.



जब तक उसका सारा वीर्य निकलने के बाद लंड सिकुड कर मेरी चूत से बाहर नही निकल आया तब तक वो मेरे उपर ही पसरा रहा. मैं दुआएँ दे रही थी कि अब वो मुझे छ्चोड़ दे. एक घंटे से उपर की चुदाई मे मेरा एक एक अंग टूट रहा था.



मैं निढाल हो कर वहीं लेट गयी. मैने अपनी आँखें बंद कर ली और अपनी सांसो को नियंत्रित करने लगी. पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था. बदन पर कुच्छ जगह वीर्य भी लगा था. मेरी खुली चूत से वीर्य बाहर रिस रहा था. मेरे नितंब, जंघें सब तंगराजन के वीर्य से गीली थी.



मैं कुच्छ देर बाद उठ कर नाहकार अपने बदन को सॉफ करना चाहती थी की तभी अचानक किसी ने गले पर लगे पट्टे की चैन को खींच कर एक झटका दिया. मैने हड़बड़ा कर अपनी आँखें खोली. सामने किसी दैत्य की तरह तंगराजन खड़ा था.



“चल उठ यहाँ से मेरे सोने का वक़्त हो गया है.” कह कर वो मुझे लगभग खींचता हुआ ले जा कर कमरे की एक दीवार पर बने खूँटे से बाँध दिया. तभी एक आदमी कमरे मे आया.



“डॉक्टर चलो इसको दवाई दे दो.” तंगराजन ने उससे कहा. मैं समझ गयी कि वो वहाँ का कोई डॉक्टर है.



वो मेरी टाँगों के पास घुटने मोड़ कर बैठ गया. उसने एक हाथ से मेरी एक नंगी टांग पकड़ी तो मैने शर्मा कर अपनी टाँग को सिकोड ली.



“घबराओ मत ये अक्सर होता है. जो भी औरत पहली बार तंगराजन से सेक्स करती उसकी योनि फट ही जाती है. इसका है ही इतना मोटा. मैने कई बार इसको कहा भी कि थोड़ा सम्हल कर किया करो मगर ये मानता ही नही. इसलिए जब भी कोई औरत इसके बेडरूम मे घुसती है तो मैं दरवाजे के बाहर संभोग ख़तम होने का इंतेज़ार करता हूँ.” कह कर उसने मेरी टाँगों को फैला कर मेरी योनि का मुआयना किया. मैं शर्म से लाल हो रही थी. उसने अपने हाथ मे ग्लव्स पहन कर मेरी योनि को दो उंगलियों से खोला फिर दोनो उंगलियाँ अंदर डाल कर उन्हे अंदर अच्छि तरह फिराया. दोनो उंगलियों को जब बाहर निकाला और उन्हे अच्छि तरह देखा. उंगलियों पर खून के कुच्छ कतरे लगे हुए थे.



“घबराओ नही…..जखम ज़्यादा नही है. दवाई लगा देता हूँ और खाने के लिए भी कुच्छ दवाई दे दूँगा सुबह तक दम चुस्त हो जाओगी. और दोबारा तांगा के साथ सेक्स के लिए तैयार हो जाओगी.” कहते कहते वो मुस्कुरा दिया तो मैं भी एक दर्दीली मुस्कान को होंठों पर आने से नही रोक सकी.



डॉक्टर ने अपनी उंगलियों से चूत के अंदर कुच्छ दवा लगाई और फिर दो टॅबलेट मुझे खाने को दी. मैने वो खा ली. डॉक्टर उठ कर बाहर चला गया. जाते जाते मेरे एक नग्न स्तन को मुट्ठी मे पकड़ कर दबाता हुया कह गया,



“नाउ यू आर रेडी बेब फॉर अनदर हार्ड फक. एंजाय युवर स्टे.”



तंगराजन ने दरवाजा बंद कर दिया और टूटे बेड को ठीक कर उस पर पसर गया. वो लेटा हुआ भी किसी पहाड़ से कम नही लग रहा था. मैं कुच्छ देर तो यही सोचती रही कि महिलाएँ कितनी पॉवेरफ़ुल्ल होती हैं जो ऐसे राक्षासो को भी अपनी नाक रगड़ने पर मजबूर कर देती हैं.



अगले ही पल उसकी नाक बजने लगी. मैं अपने आप को किसी पालतू जानवर की तरह चैन से बँधा हुआ पा रही थी. वहीं दीवार से सॅट कर लेट जाने के अलावा और कोई चारा नही था. मैं इतनी थॅकी हुई थी की लेटते ही नींद लग गयी. मैं वहीं ठंडी ज़मीन पर नंगी ही सो गयी.



सुबह तंगराजन के उठाने पर आँख खुली. वो मुझे उसी तरह चैन थामे हुए उन मकानो के एक साइड पर बने एक तालाब तक ले गया. उसने वहाँ मेरी जंजीर छ्चोड़ दी. उसका इशारा समझ कर मैं उस तलब मे प्रवेश कर अपने बदन को रगड़ रगड़ कर नहाई.



“मुझे कुच्छ तो पहनने दो. मुझे इस हालत मे इतने आदमियों मे शर्म आती है.” मैने तालाब के अंदर से ही उससे विनती की.



“ तू मेरी गुलाम बनने को राज़ी हुई है. अब तो तीन दिन बाद ही कुच्छ पहनने को मिलेगा तुझे. तू ऐसे ही अच्छि लगती है. और इस हालत मे तू यहाँ से भागने का भी नही सोचेगी. वैसे तुझे शरमाने की ज़रूरत नही है. मेरे आदमियों मे इतनी जुर्रत नही है कि मेरी पर्मिशन के बिना एक बार तुझे आँख उठा कर भी देख लें.”



बाहर आने के बाद वो मुझे उसी हालत मे साथ लेकर उन लोगों मे घूमता रहा. वो हर जगह मुझे किसी गुलाम की तरह नंगी हालत मे घूमता रहा. चाहे वो उनका शूटिंग रंगे हो या व्यायामशाला. वो किसी मीटिंग मे भी जाता तो मुझे नंगी हालत मे सब लोगों के बीच ले जाता. जब वो सबके साथ कोई मीटिंग कर रहा होता तो मेरा काम होता कि उसके पैरों के पास बैठ कर उसके लंड को चूसना. लेकिन ये बात तो मैने अच्छि तरह महसूस कि की वहाँ के लोग उसे किसी देवता से कम नही मानते थे और किसी की क्या जुर्रत जो मुझे नज़र भर भी देख ले.



मैने अपनी शर्म हया बिल्कुल छ्चोड़ दी थी. अख़बार मे च्चापने के लिए तंगराजन ने अपनी कई तस्वीर मुझसे खिंचवाई और मेरी कुच्छ नंगी तस्वीरे अपने पास रखने के लिए खींची. मुझे अपने साथ वॉकमॅन ले जाने की छ्छूट थी. जिसमे मैं उसके साथ अपने कॉन्वर्सेशन टेप करती. जिसे बाद मे कलम बद्ध करने का इरादा था. मैं तीन दिन उनके साथ थी. उनके काम उनके तौर तरीके और उनके मीटिंग्स सब मे मैं बे रोकटोक जाती थी. मैने काफ़ी कुच्छ समझा उनके और उनके संगठन के बारे मे. मैं ये जान कर हैरान थी कि ये जंगली जानवरों से दिखने वाले असल जिंदगी मे कितने बुद्धिमान और सॉफ विचारों वाले थे.



उसके बाद उसने कई बार मुझे चोदा. तीन दिन मे मैं उसके लिंग की आदि बन गयी थी. हर वक़्त मेरी योनि मे उसके लंड को पाने के लिए खुजली मचती रहती थी. मैने भी उससे जम कर चुडवाया. यहाँ तक की तीन दिन बाद जब मैं अपने शहर वापस लौटी तो मैं प्रेग्नेंट थी. मेरे पेट मे तंगराजन का बीज था.



टीन दिन बाद जब तंगराजन ने आकर मेरे कपड़े मुझे दिए और मेरे गले पर बँधे पट्टे को खोल दिया तो मेरी आँखों मे आँसू आ गये. सच तो ये था की इन तीन दिनो मे मैं तंगराजन की मर्दानगी पर मर मिटी थी. मैं तंगराजन के चौड़े सीने से लिपट कर रोने लगी. उसने मेरे आँसुओं से भरे चेहरे को उठाया और मेरे होंठों पर एक प्यारी सी किस दी.



“ नही मैं इतनी जल्दी यहाँ से नही जाना चाहती. मैं यहीं कुच्छ दिन और रहना चाहती हूँ.” मैने रोते हुए उससे कहा.



“नही रश्मि तुम यहाँ नही रह सकती. ये हमारी ऑर्गनाइज़ेशन के नियमो के खिलाफ है. तुम्हे जो चाहिए था मिल गया. मुझे जो चाहिए था मिल गया. अब बाइ कह देने मे ही हमारी भलाई है.” तंगराजन ने मेरे पूरे बदन पर अपना हाथ फिराते हुए कहा.



“मैं तुम्हे नही भूल सकती. अब दोबारा कब मिलोगे? वादा करो दोबारा मुझसे मिलोगे.” मैने उसके हाथ को अपनी हथेलियों मे थाम लिया. उसने धीरे से अपने हाथ मेरी पकड़ से आज़ाद कर लिए.



“ अब हम कभी नही मिलेंगे. मैं भी तुम्हे कभी नही भूलूंगा. मगर तुमसे भी पहले मेरे लिए कुच्छ है जो मैं नही छ्चोड़ सकता.” तंगराजन के आवाज़ मे पहले तो काफ़ी नर्मी थी मगर अपनी बात ख़तम करते करते उसमे सख्ती आ गयी.



“ठीक है मुझे अलविदा कहने से पहले प्लीज़ एक बार अच्छे से प्यार करो.” वो मेरे निवेदन को सुन कर मुस्कुरा दिया. मैं उसके सीने से लिपट गयी. दोस्तो कहानी अभी बाकी आपका दोस्त राज शर्मा 
क्रमशः....
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12-10-2018, 01:54 PM,
#10
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
raj sharma stories

रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -9
गतान्क से आगे....


वो आख़िरी संभोग घंटे भर तक चला. मेरे बदन का एक इंच भी हिस्सा कहीं ऐसा नही होगा जिस पर तंगराजन के होंठ ना फिरे हों. उसने मुझे इतना प्यार किया की मेरा बदन उत्तेजना मे आकड़े हुए दुखने लगा था. जब तक संभोग पूरा नही हो गया तब तक मेरे सारे रोएँ खड़े रहे. मैने भी उसे खूब मज़ा दिया. उसकी छाती पर पीठ और कंधे पर अपने दन्तो से काट काट कर अपने निशान छ्चोड़ दिए. उसने भी मेरे दोनो स्तनो पर अपने दाँत गढ़ा दिए.



उनके आदमी मुझे शहर तक छ्चोड़ गये. मैने वहाँ कुच्छ दिन रुकने का प्लान किया. किसी को बताए बिना मैने वहाँ एक नूर्षिंग होम मे बुकिंग करवा ली. वहाँ मैं गयी तो थी अपनी चूत का इलाज करवाने मगर जब पता चला कि मेरी कोख मे उसका स्पर्म रह गया है तो मैने चुप चाप अपने जानकारों और अपने सहर से दूर वहाँ किसी को बताए बिना अपना वॉश भी करवा लिया था. मेरी योनि के अंदर जख्म हो गया था जिसका भी इलाज किया गया. एक हफ़्ता मुझे वहाँ रहना पड़ा जब मैं बिल्कुल ठीक हो गयी तो मैने हयदेराबाद जाकर वहाँ से फ्लाइट पकड़ ली.



मैं जब वापस लौटी तो पूरे ऑफीस मे कोई ऐसा नही बचा जो मुझे बधाई नही दिया होगा. अख़बार के मालिक ने तो मुझे तुरंत प्रमोशन का लेटर हाथ मे देकर बधाई दी.

लेकिन उस वक़्त तक किसी को भी नही पता चला कि इन सबके लिए मुझे कितनी बड़ी कुर्बानी देनी पड़ी थी. मेरे स्वागत मे अख़बार के मालिक ने एक ग्रांड पार्टी दी.



लेकिन पार्टी के दिन सुबह अचानक राकेश जी का मुझे बुलावा आया. अख़बार के मालिक दो भाई हैं मुकेश और राकेश जोशी. दोनो 50 – 55 साल के बीच उम्र के थे दोनो ही बिल्कुल गंजे. राकेश का पेट काफ़ी बाहर निकला हुआ था और मुकेश छर्हरे बदन के मालिक थे. दोनो को मैं आज तक काफ़ी रेस्पेक्ट देती आइ थी. दोनो मुझे बेटी कहते थे. मगर आज वो संबोधन बदल गया.



मैं जैसे ही उनकी कॅबिन मे पहुँची तो राकेश जी ने मुझे अपने सामने बैठने का इशारा किया.



“तुम बहुत बहादुर लड़की हो.” उन्हों ने कुच्छ पेपर्स देखते हुए कहा.



“थॅंक्स.” मैने जवाब दिया.



“ तुम्हारी रिपोर्ट मैने पूरी पढ़ी थी. बहुत अच्छा लिखा है तुमने. मगर क्या तुम्हारी उससे मुलाकात की एक एक घटना उसमे लिखी गयी है?”



मैं उनकी बातें सुन कर चौंक उठी,”मतलब? आप क्या कहना चाहते हैं?”



“नही मुझे लगता है कि तुमने अपनी रिपोर्ट मे कुच्छ बातें च्चिपाई हैं.”



“ मैने? क्या बातें?” मैं हिचकिचा गयी.



“ जैसा कि मैने उसके बारे मे सुन रखा है वो आदमी इतना सीधा साधा है नही जैसा तुमने उस रिपोर्ट मे लिखा है.”



मैं चुपचाप उनको देखती रही. ऐसा लग रहा था मानो उनकी नज़रें मेरे कपड़ों के को चीरती हुई मेरे जिस्म मे गढ़ती जा रही हों.



“ वो बहुत ही कामुक और बलात्कारी आदमी भी है. औरतें उसके नाम से कांपति हैं. कई औरतें तो उसके द्वारा बलात्कार किए जाने के बाद दुनिया छ्चोड़ चुकी हैं. वो तुम्हे इस तरह बिना कुच्छ किए बिना कुच्छ कहे सही सलामत छ्चोड़ दे मैं ये मान ही नही सकता.”



मैं क्या कहती. मैने अपनी नज़रें झुका ली. उन्हों ने मेरे मन के चोर को पकड़ लिया था. मैं अपने निचले होंठ को दन्तो से काट रही थी.



“ मैं जानता हूँ कि तुम्हारी अभी अभी ही शादी हुई है और तुम कभी नही चाहोगी की तुम्हारे पति को तुम्हारे उन जंगल मे तंगराजन के साथ बिताए उन पलों के बारे मे कुच्छ पता लगे. इससे तुम्हरिवावाहिक जिंदगी मे दरार पड़ सकती है और जिसका अंत क्या हो सकता है तुम अच्छि तरह जानती हो.” उन्हों ने पल भर मेरे चेहरे की ओर देखा.



“ एक बात गाँठ बाँध के रख लो. किसी पत्रकार के लिए जुनूनी होना ज़रूरी है. मगर जुनून इस हद तक नही होना चाहिए कि उसकी आग पर्सनल जिंदगी को जला कर राख कर दे. माब् उस तरह का आदमी या अख़बार वाला नही हूँ कि चंद मुनाफ़े के लिए अपने किसी होनहार आदमी की जिंदगी मे जहर घोल दे.”



“तुम बेफ़िक्र होकर मुझे सारी घटना का ज़िक्र कर सकती हो और निश्चिंत रहना ये दो कानो के बीच ही दफ़न रहेगा. वैसे मैं जानता हूँ की तुम एक रोमॅंटिक किस्म की औरत हो. मैने कई पार्टीस मे तुम्हे गौर किया है. तुम्हारा पहनावा, तुम्हारी स्वच्च्छन्द हरकतों को मैने हमेशा सराहा है. तुम्हारे पति भी खुले विचारों के हैं. वो भी तुम्हे इन सब के लिए उकसाते हैं. बूढ़ी आँखें मन के अंदर तक झाँक सकती हैं. हाहाहा..” मैं भी उनके साथ मुस्कुरा उठी.



“अच्छा बताओ तंगराजन के साथ तुम्हारे जिस्मानी ताल्लुक़ात हो चुके हैं या नही? मुझसे मत च्चिपाओ. मुझे सब पता है. मैं तो बस तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ.” मैं उनके प्रश्न का कोई जवाब नही दे सकी. मैने सिर झुका लिया.



“मैं समझ गया हूँ. तुम प्रज्नेन्ट भी हो गयी थी. हां या ना? घबराओ नही तुम्हारे बारे मे नर्सिंग होम वालों ने मुझ से ही पूछ्ताच की थी. तुम तो जानती ही हो कि ये एक इल्लीगल और रेप का केस था. मैने ही उनका मुँह बंद कर दिया था.” वो उठा और अपनी कुर्सी से उठ कर मेरी कुर्सी के पास आया.



“ तुम मुझ पाए विश्वास रख सकती हो. मेरे सारे कर्मचारी मेरे लिए एक परिवार की तरह है और अपने परिवार पर किसी तरह की विपत्ति आए तो मुखिया का फ़र्ज़ होता है कि उसका मुकाबला करे. मैने कुच्छ भी ऐसा नही किया जो मुझे नही करना चाहिए था.” कहकर उसने मेरे कंधों पर अपनी हथेली रख कर खड़ा हो गया.



फिर धीरे से मेरे बगल मे झुक कर मेरे कानो मे आहिस्ता से बोला, ”अगर तुम अपने काम के साथ थोड़ी मौज मस्ती भी कर लेती हो तो किसी का क्या जाएगा. एक बात और……सेक्सी जिस्म की मालकिन होना तो उन्नति की निशानी है. बस इसको कॅश करना आना चाहिए. सेक्स के मामले मे बहुत सेलेक्टिव रहना और किसी अल्तु फालतू आदमी को अपने बदन को छ्छूने भी नही देना.” मैं सिर झुकाए चुपचाप उनकी बातें सुन रही थी. मैने अपनी ओर से कुच्छ भी नही कहा.



“तुम्हारे बारे मे काफ़ी सुन रखा है. बहुत बोल्ड लड़की हो. और कपड़े भी बहुत सेक्सी पहनती हो. चलो आज तुम्हे पार्टी मे परख लेंगे लोग कितना पहचानते हैं तुम्हे.” कह कर उसने अपने हाथ को मेरे कंधे से फिसल जाने दिया. नीच गिरते वक़्त वो हल्के से मेरे उरजों को छ्छू कर बहुत कुच्छ कह गया. मैने अपने बॉस को इस मूड मे पहली बार देखा था. अफवाहें तो दोनो बुद्धों के बारे मे काफ़ी सुन रखी थी. मगर आज से पहले मई उन अफवाहों पर ज़्यादा ध्यान नही देती थी.



“ तुम जा सकती हो. आज शाम पार्टी मे कुच्छ माइंड ब्लोयिंग पहन कर आना. आख़िर पार्टी की रौनक तुम ही तो रहोगी.” कह कर वो मेरे पास से हट कर वापस अपनी कुर्सी पर जा बैठे. मैं उठी और उनको दोबारा विश करके कॅबिन से बाहर निकल गयी.



शाम को जबरदस्त पार्टी अरेंज हुई जिसमे मैं और जीवन दोनो शामिल हुए. मैं एक छ्होटी सी फ्रोक पहन कर गयी थी जिसमे से मेरा जिस्म काफ़ी एक्सपोज़ होता था. आख़िर अपने बॉसस को परखना भी था कि वो किस हद तक आगे जा सकते हैं.



खूब नाच गाना हुया पार्टी मे मैं भी खूब नाची. जीवन तो बार काउंटर से ही चिपक गया था.



डॅन्स का प्रोग्राम चल रहा था. दोनो भाई एक टेबल पर बैठे हुए थे. आज से पहले मैं भी उन्हे किसी बुजुर्ग के नाते उनका आदर करती थी और उन्हों ने भी कभी मेरे प्रति कोई इंटेरेस्ट शो नही किया था. मगर उस पार्टी मे उनकी असलियत मेरे सामने खुल कर आ गयी.



मैं एक सोफे पर अपने कुच्छ सहकर्मियों के साथ बैठी बातें करते हुए ग्लास से ऑरेंज जूस सीप कर रही थी. अचानक एक वेटर मुझे आकर धीरे से कहा, “साहिब वहाँ टेबल पर आपका इंतेज़ार कर रहे हैं. मैने उधर देखा तो राकेश ने मुझे हाथ से अपनी ओर बुलाया. मैं उनके पास पहुँची. दोनो एक लंबे सोफे पर बैठे हुए थे. मुझे देख कर दोनो ने अपने बीच मे जगह बना कर मुझे बैठने का इशारा किया. मैं दोनो बुद्धों के बीच बैठ गयी.



“ आज की इस पार्टी की चीफ गेस्ट तुम हो. इसलिए आज हमारा ड्रिंक्स तुम तैयार करोगी.” उसने एक बॉटल मुझे थमाते हुए कहा.



मैने आज तक कभी किसी के लिए ये काम नही किया था. मैं झिझक रही थी तो मुकेश ने मेरे कंधे पर अपनी बाँह रख कर मुझे धाँढस बँधाया. मैने दोनो ग्लास मे ड्रिंक्स तैयार कर उन दोनो को दी.



“चियर्स टू दा सेक्सीयेस्ट लेडी ऑफ और ऑफीस.” दोनो ने चियर्स कहा और अपने अपने ग्लास मेरे होंठों से छुआये. फिर एक एक घूँट लिया. उन्हों ने अपने अपने ग्लास खाली करते हुए अपनी अपनी बाहें मेरे कंधों पर रख दी थी और मेरे जिस्म से सॅट गये थे. उन्हों ने एक वेटर को इशारा कर मेरे लिए एक ग्लास कोल्ड ड्रिंक मँगवाया. मैं दोनो के बीच सॅंडविच बनी कोल्ड ड्रिंक्स सीप कर रही थी.



मैने उनकी हरकतों के लिए कोई विरोध नही किया. जिसे उन्हों ने मेरी मौन स्वीकृति मानी और हद को पार करते चले गये. उनकी उंगलियाँ मेरे गले पर मेरे गाल्लों पर थिरकने लगी.



दोनो दो दो पेग लेने के बाद अपनी अपनी जगह से उठ खड़े हुए. उन्हों ने मुझे खींच कर खड़ा कर दिया. फिर मुझे लेकर डॅन्स फ्लोर पर पहुँचे. शायद उन्हों ने कोई इशारा कर दिया था क्योंकि उनके डॅन्स फ्लोर पर चढ़ते ही लाइट्स काफ़ी कम हो गयी थी. चारों ओर अंधेरा अंधेरा हो गया था.



राकेश ने मुझे अपनी बाँहों मे लेकर थिरकना शुरू किया. राकेश मोटा होने के बावजूद उसके हाथ पैरों का थिरकना कोई देखता तो दाँतों तले उंगली दबा लेता. मुकेश

पास खड़ा हमे देख रहा था. बाकी लोग भी धीरे धीरे अपनी अपनी जगह से उठ खड़े होकर हमारे चारों ओर आ गये.
क्रमशः....
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