Porn Hindi Kahani जाल
11-03-2018, 02:12 AM,
#91
RE: Porn Hindi Kahani जाल
जाल पार्ट--92

गतान्क से आगे......

"बपत साहब,अब मच्चली पकड़नी हो तो चारा डालना ही पड़ेगा ना & लगता है मच्चली ने चारा खा भी लिया है."

"क्या?!",देवेन ने उसे सारी बात बताई,"हूँ..मामला ख़तरनाक लगता है पर भाई,तुम निकल जाओगे तो वो साला पकड़ मे कैसे आएगा?”

“आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे मैं को पोलिसेवला हू.”,देवेन ने उसी के अंदाज़ मे जवाब दिया तो बपत ने ठहाका लगाया,”..बपत साहिब,मुझे अपनी परवाह नही पर कुच्छ लोग हैं जिनकी ज़िम्मेदारी मेरे सर है & मैं उन्हे तकलीफ़ मे नही डाल सकता इसीलिए तो आपको फोन किया है कि किसी तरह डेवाले पोलीस को उसके बारे मे सुराग दे दीजिए की वो यहा आ सकता है.

“हूँ..करता हूँ कुच्छ.”,दोनो की बात ख़त्म हो गयी.

“महादेव डार्लिंग.”,रंभा अपने आशिक़ के सीने पे सर रखे उसकी झांतो मे बाए हाथ को फिरा रही थी.

“बोलो जानेमन.”,शाह उसकी ज़ुल्फो की खुश्बू मे मदहोश रहा था.

“उस कामीने के मारने के बाद हम शादी कब करेंगे?”

“1 महीने का इंतेज़ार करना होगा हमे.”

“इतना लंबा!”,रंभा बाई कोहनी पे उचकी.उसके चेहरे पे नाखुशी सॉफ दिख रही थी.

“मेरी जान,इतना इंतेज़ार तो ज़रूरी है वरना किसी को शक़ सकता है.”

“पर मैं कैसे रहूंगी इतने दिनो तक आपके बिना.”,वो किसी बच्चे की तरह मचल रही थी.

“अरे!बस चंद दिनो की तो बात है.”

“नही!मैं नही जानती कुच्छ वो मरेगा & मैं आपके पास आ जाऊंगी.”,शाह उसकी बचकानी ज़िद सुनके थोड़ा घबरा गया था.रंभा ने भी भाँप लिया कि उसने कुच्छ ज़्यादा नाटक कर दिया है,”..मैं क्या करू!जानती हू आप सही कह रहे हैं..”वो फिर उसके सीने पे लेट गयी,”..पर अब सब्र नही होता ना!”

“मैं समझता हू,रंभा.ऐसा ही कुच्छ तो मेरा भी हाल है.”

“अच्छा छ्चोड़िए उस बात को..”,रंभा ने बात बदली,”..हम शादी करेंगे कहा & कैसे?”

“यही तो मैं भी सोच रहा था.किसी मंदिर मे शादी कर के मॅरेज रिजिस्ट्रार के ऑफीस से सर्टिफिकेट निकलवा लेंगे.”

“हां,पर किस मंदिर मे शादी करेंगे?इस शहर मे तो हमे कोई भी पहचान सकता है.”

“हां,यहा से दूर जाना होगा पर ज़्यादा दूर नही जा सकते.वरना किसी को शक़ हो सकता है कि पति की मौत के महीने भर बाद ही तुम कहा चल दी.”,शाह सोचने लगा.रंभा के ज़हन मे फ़ौरन ही इस काम के लिए सही जगह आ गयी थी पर वो चुप रही & थोड़ी देर सोचने का नाटक करती रही.

“1 जगह है.”,वो किसी बच्ची की तरह उच्छली जिसने होमवर्क मे मिले मुश्किल सवाल का सही जवाब ढूंड लिया हो.

“कौन सी?”

“क्लेवर्त.”,शाह उसे गौर से देखने लगा.रंभा का दिल धड़क उठा पर उसने बड़ी मासूमियत से पुछा,”क्या हुआ?..वो जगह ठीक नही रहेगी क्या?”

“नही मेरी रानी,वो बिल्कुल सही जगह है!”,शाह का संजीदा चेहरा अचानक हंसते चेहरे मे तब्दील हो गया & वो रंभा को बाँहो मे भर चूमने लगा,कैसे सोचा तुमने उस जगह के बारे मे?”

“आपको याद होगा जब समीर लापता हुआ था तो मैं उसके डॅडी के साथ उसे ढूँदने के चक्कर मे वाहा गयी थी.वाहा जो हुआ बहुत बुरा हुआ पर उस जगह की खूबसूरती & सैलानियो की पसंदीदा जगह होने के बावजूद वाहा की शान्ती ने मेरे दिल मे घर कर लिया.हम बड़ी आसानी से वाहा जाके चुपचाप शादी कर सकते हैं.”

“अच्छा ये बताइए..”,रंभा ने सवाल किया,”..समीर की मौत के बाद ट्रस्ट ग्रूप की मीटिंग कब होगी?”

“मुझे लगता है कि उसकी मौत के बाद क्रिया-कर्म & फिर क़ानूनी फॉरमॅलिटीस निपटाते हुए 1 महीने का वक़्त गुज़र जाएगा.मीटिंग भी तब ही होगी.”

“अच्छा,तो फिर 1 काम करते हैं ना!हम उसकी मौत के 15-20 दिन बाद ही वाहा चले जाते हैं & शादी कर लेते हैं फिर वापस आ जाएँगे & फिर जब सही मौका आएगा तब दुनिया को बताएँगे की आप & मैं पति-पत्नी हैं.”

“हूँ.बात तो ठीक लगती है तुम्हारी.”,शाह सोच रहा था.

“अच्छा,अब जब भी उसकी मौत का इंतेज़ाम करें तब मुझे बुला लीजिएगा.”,रंभा बिस्तर से उतरी & सोच मे पड़ गयी.उसका ब्लाउस तो शाह लगभग फाड़ ही चुका था.शाह उसकी उलझन समझ गया & मुस्कुराता हुआ बिस्तर से उठा & अलमारी खोल 1 पॅकेट रंभा को थमाया जिसमे 1 ड्रेस थी.

“ये किसकी है?”,रंभा ने उसे छेड़ा.

“जिसकी भी हो,अब तो तुम्हारी है.”,शाह ने भी वैसे ही जवाब दिया तो दोनो खिलखिला उठे.

देवेन विजयंत मेहरा को लेके उस घर से निकला & डेवाले की सड़को पे घूमने लगा.रंभा ने महादेव शाह के घर से निकलते ही उसे फोन किया तो उसने रंभा को सारी बात बताई.रंभा फ़ौरन उनके पास पहुँची & तीनो देवेन के साथ उसकी कार मे बैठ आगे के बारे मे सोचने लगे.

"रंभा,इस वक़्त हमे दयाल को छ्चोड़ सिर्फ़ शाह पे ध्यान देना चाहिए.मुझे लगता है कि जैसे ही हम उसकी पोल खोल विजयंत को दुनिया के सामने लाएँगे,विजयंत के इस हाल का राज़ भी खुद बा खुद खुल जाएगा."

"हां,आपकी बात ठीक है पर अभी आप जाएँगे कहा?"

"तुम्हारी बात से मुझे आइडिया आया है."

"क्या?"

"हम क्लेवर्त जाते हैं."

"क्या?!पर वाहा रहेंगे कहा?"

"अरे!उसके पास वो गाँव भूल गयी,हराड.",रंभा के गाल उस गाँव मे उसकी & देवेन की पहली रात को याद कर सुर्ख हो गये.

"वाहा उसी बुड्ढे की मदद लेंगे?"

"हां."

"ठीक है.पर फिर समीर का काम."

"उसकी फ़िक्र मत करो.बस तुम मुझे फोन से सब बताती रहना."

"ओके.",रंभा दोनो मर्दो से गले मिली & उन्हे अलविदा कह के वाहा से सोनम से मिलने चली गयी.सोनम के साथ उसके घर पे बैठी वो काफ़ी देर तक गप्पे लड़ाती रही फिर उसकी दी गयी समीर के शेड्यूल की कॉपी ले वाहा से चली आई.घर आके उसने देखा की सोनम के दिए गये & समीर की ब्लॅकबेरी से निकले शेड्यूल बिल्कुल 1 जैसे थे.

अगले दिन देवेन हराड पहुँचा & उसे फोन किया तो रंभा ने उसे समीर के शेड्यूल के गॅप के बारे मे बता दिया.देवेन ने उसे ये बात शाह को बताने को कहा.रंभा ने ऐसा ही किया तो शाह ने उसे अगले दिन मिलने को कहा.

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इधर देवेन हराड गया उधर दयाल उसके घर के सामने वाले मकान पर गया उसकी तलाश मे.उसने भी उस काली कार की ही तरह पूरे इलाक़े का चक्कर लगाया पर उसे कुच्छ ना मिला.काली कार के ड्राइवर ने उसे बताया था कि वाहा कुच्छ भी गड़बड़ नही दिखी थी.दयाल वापस लौट गया पर उसने सोच लिया था कि उस पते पे नज़र तो रखनी ही पड़ेगी.

उसने 1 आदमी को इस काम पे लगाया भी पर कुच्छ नतीजा नही निकला.वो तारीख भी आके चली गयी जो इशतहार मे लिखी थी पर उस दिन भी दयाल के आदमी को वाहा कोई नही दिखा.

इस सब से पहले कुच्छ & हुआ जिस से चारो तरफ सनसनी फैल गयी.

जिस रोज़ देवेन & विजयंत डेवाले से निकले उसके ठीक 4 दिन बाद मानपुर प्रॉजेक्ट का टेंडर खुला & जैसी की उमीद थी वो ट्रस्ट ग्रूप को ही मिला.समीर इस बात का जश्न मानने के लिए शहर के बाहर बने मेहरा परिवार के फार्महाउस के लिए रवाना हो गया.कामिनी वाहा पहले से ही पहुँच चुकी थी.

डेवाले से बाहर निकलते हाइवे पे 5 किमी के सफ़र के बाद 1 रास्ता बाई तरफ चला जाता है जिसके दोनो तरफ खाली झाड़-झंखाड़ से भरी ज़मीन है.इस रास्ते पे कोई 2किमी चलने के बाद बड़े ही आलीशान & खूबसूरत फार्म्हाउसस दिखने लगते हैं.इन्ही मे से 1 फार्महाउस मेहरा परिवार का था.समीर खुशी मे डूबा सीटी बजाता उस सड़क पे बढ़ा जा रहा था कि पीछे से 1 ट्रक ने हॉर्न बजाया.उसने उसे आगे जाने देने के लिए कार थोड़ी किनारे की.वो ट्रक बगल से आगे जाने लगा पर जब उस ट्रक का पिच्छला हिस्सा समीर की ड्राइविंग सीट के बराबर आया तो ट्रक ड्राइवर ने अचानक ट्रक को बाई तरफ मोड़ा.ट्रक का पिच्छला हिस्सा समीर की कार से टकराया जो अपना बॅलेन्स खोती सड़क के किनारे की कच्ची ज़मीन पे चली गयी & 1 पेड़ से टकराई.

शाम 5 बजते-2 कामया बहुत घबरा गयी.समीर ना तो अपना फोन उठा रहा था ना ही वो दफ़्तर मे था.2 बजे मिलने की बात तय हुई थी & अब 3 घंटे बीट चुके थे.उसकी समझ मे नही आ रहा था कि क्या करे.उसने 5 बजे फिर समीर के दफ़्तर फोन किया & सोनम को सारी बात बताई.सोनम ने सबसे पहले ये खबर प्रणव को दी & उसके बाद अपने मोबाइल से अपनी सहेली को.

प्रणव ने भी समीर को ढूंडना शुरू किया पर जब उसे भी समीर कही नही मिला तो उसने पोलीस कमिशनर के दफ़्तर फोन करने की सोची पर वो फोन मिलाता उस से पहले ही घबराई & बौखलाई सोनम उसके कॅबिन मे घुसी,"सर.."

"क्या हुआ सोनम?"

"सर,पोलीस आई है."

"हां तो.",प्रणव खड़ा हुआ.

"समीर सर की कार मिली है."

"क्या?!..कहा?!",प्रणव तेज़ी से उसकी तरफ बढ़ा..शाह ने उसे तो कुच्छ नही बताया था फिर क्या उसने उसे बिना बताए सब कर दिया?

"उनकी लाश मिली है,सर."

"क्या बकती हो?!",प्रणव की आँखे हैरत से फॅट गयी.तभी 1 पोलीस वाला उसके कॅबिन के खुले दरवाज़े से अंदर घुसा.

"ये सही कह रही है,मिस्टर.प्रणव.हमे समीर जी की कार मिली है.उसका आक्सिडेंट हुआ लगता है पर साथ ही 1 लाश भी मिली है उस कार मे जिसका चेहरा बुरी तरह ज़ख़्मी है.मैं इसीलिए यहा आया हू ताकि आप या फिर कोई ऐसा शख्स जो उन्हे करीब से जानता हो,वो चल के उस लाश की शिनाख्त कर ले."

"मिस्टर.समीर मेहरा की वसीयत मे कही भी ये ज़िक्र नही है कि ट्रस्ट ग्रूप के उनके शेर्स का क्या किया जाए.इस सूरते हाल मे ये शेर्स उनकी बीवी रंभा मेहरा को जाने चाहिए..",समीर की मौत के 10 दिन बाद मेहरा परिवार के बुंगले के हॉल मे वकील समीर की वसीयत पढ़ने के बाद बोल रहा था जिसे सारे परिवार वाले सुन रहे थे,"..पर अगर आप मे से किसी को भी इस बात से ऐतराज़ हो तो आप अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं.",वकील ने सभी की ओर देखा.

तीनो औरतें सफेद सारी मे बैठी थी.रंभा सर झुकाए थी & ऐसे बैठे थी जैसे उसे किसी बात से कोई मतलब नही पर हक़ीक़त ये थी कि वो सब कुच्छ बड़े ध्यान से सुन-देख रही थी.

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क्रमशः.......
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11-03-2018, 02:12 AM,
#92
RE: Porn Hindi Kahani जाल
जाल पार्ट--93

गतान्क से आगे...... 

"नही,वकील साहब हमे कोई ऐतराज़ नही.",वकील की बात पे प्रणव,रीता & शिप्रा ने 1 दूसरे को देखा & फिर रीता ने जवाब दिया. "अच्छी बात है.तो मेरा काम ख़त्म होता है.मिस्टर.प्रणव,समीर के बाद दे फॅक्टो Cएओ तो आप ही हैं.अब आप ही कि ये ज़िम्मेदारी बनती है कि जल्द से जल्द शेर्होल्डर्स की मीटिंग बुलाएँ & फिर ग्रूप के मालिकाना हक़ की बाते सॉफ करे." "जी,वकील साहब.",वकील ने सब से विदा ली तो प्रणव उसे बाहर तक छ्चोड़ने आया.उसे यकीन नही हो रहा था कि उसका सपना सच होने वाला था.उसके ज़हन मे पिच्छले 10 दिनो की बाते घूम रही थी.वो यक़ीनन समीर की ही लाश थी.उसने भी पहचाना था & रंभा ने भी.उसे महादेव शाह पे बहुत गुस्सा आया था कि उसने उसे बिना बताए ये काम कर दिया.वो शाह को चाह कर भी फोन नही कर सकता था क्यूकी मामला अभी पोलीस के हाथ से निकला नही था. समीर की लाश 1 ताबूत मे बंद कर मेहरा परिवार के बंगल के 1 हाल मे रखी गयी थी जहा सभी उसे श्रद्धांजलि देने आ रहे थे.शाह भी आया & वही सबकी नज़र बचा समीर ने उस से ये सवाल किया. "पर प्रणव,मैने कुच्छ नही किया.मैं तो बस सोच ही रहा था इस बारे मे & ये हादसा हो गया." "मतलब आपने नही कराया ये सब?",प्रणव की आँखे हैरत से फॅट गयी थी..तो क्या तक़दीर उसपे मेहेरबान थी?..अब उसे सारी ज़िंदगी इस राज़ को सीने मे दबाए रखने की भी ज़रूरत नही थी. समीर की मौत की खबर सुनते ही रीता ने उसका गिरेबान पकड़ लिया था & उसपे इल्ज़ाम लगाया था कि समीर का आक्सिडेंट करवा उसे लाचार बनाने के चक्कर मे प्रणव ने ही ये सब कराया था.बड़ी मुश्किल से प्रणव अपनी सास को समझा पाया था.वो सच बोल रहा था & रीता को उसपे यकीन करना ही पड़ा था..बस अब 15 दिन बाद सब कुच्छ उसका होगा..रंभा तो बस नाम की मालकिन होगी. "प्रणव..",वो अपना नाम सुन ख़यालो से बाहर आया. "ह-हां..अरे रंभा.बोलो?" "मैं कुच्छ दिन के लिए यहा से बाहर जाना चाहती हू." "बाहर?कहा?.. क्यू?" "बस प्रणव यहा रहने मे अब मेरा जी घबराता है." "मैं तुम्हारी हालत समझता हू,रंभा पर बस मीटिंग हो जाने दो फिर चली जाना." "मीटिंग कब तक होगी?" "देखो,जल्द से जल्द भी कर्वाऊं तो भी 15-20 दिन तो लग ही जाएँगे." "तो प्लीज़ प्रणव मुझे जाने दो,मैं मीटिंग के लिए आ जाऊंगी." "पर जाओगी कहा?" "क्लेवर्त." "क्लेवर्त?" "हां,प्रणव.मैं यहा से दूर जाना चाहती हू & वो जगह मुझे पसंद है." "ओक,मैं वाहा होटेल वाय्लेट मे इत्तिला कर देता हू." "थॅंक्स,प्रणव.",रंभा बड़ी शालीनता से उसके गले लगी,"..तुम मेरा कितना बड़ा सहारा हो ये तुम्हे पता नही." "प्लीज़,रंभा.ऐसी बाते कर मुझे शर्मिंदा ना करो.",दोनो पूरी तरह से नाटक कर रहे थे पर जहा रंभा प्रणव की हक़ीक़त से वाकिफ़ थी वही प्रणव अभी भी अंधेरे मे था. रंभा & शाह की देवेन & विजयंत मेहरा के हराड जाने के बाद 1 मुलाकात हुई थी जिसमे उन्होने समीर की मौत की सारी प्लॅनिंग की थी.शाह ने पर्दे के पीछे रह के 1 ट्रक ड्राइवर को ये काम सौंपा था.रंभा उसके साथ हर वक़्त मौजूद रही थी.दोनो ने उसी दिन तय कर लिया था की किस दिन रंभा क्लेवर्त जाएगी & उसके बाद किस दिन दोनो शादी करेंगे. रंभा अगले दिन क्लेवर्त के होटेल वाय्लेट पहुँची.अगले 3 दिनो तक वो 1 दुखी विधवा का नाटक करती रही & चौथे दिन उसने उसी बुंगले मे जाने की बात कही जहा वो & विजयंत ठहरे थे & देवेन चोरी से घुसा था.अब होटेल वालो को क्या करना था इस से.वो मालकिन थी जहा मर्ज़ी जाए,जो मर्ज़ी करे! रंभा ने विजयंत के उस दोस्त से पहले ही बात कर ली थी & उसने खुशी-2 उसे वाहा की चाभी दी थी.रंभा 1 रात वाहा रही & अगली सुबह 1 बॅग लेके 1 कार खुद चलके उस मंदिर पे पहुँची जहा उसे महादेव शाह से शादी करनी थी. उस मंदिर के 1 कमरे मे उसने कपड़े बदले.शाह अपनी होने वाली दुल्हन के लिए गहने लाया था जिन्हे रंभा ने अपने बदन पे सजाया.इस मौके के लिए उसने खुद ही 1 सारी चुनी थी.उसी सारी मे 2 घंटे बाद वो शाह की बीवी बन चुकी थी.पति की मौत के 15 दिनो बाद ही रंभा ने दूसरी शादी कर ली थी. मंदिर से निकलते-2 शाम ढल चुकी थी.रंभा ने अपनी कार महादेव शाह के ड्राइवर के सुपुर्द की & खुद उसकी कार मे बैठ उसके साथ उसके बंगल को चल दी.शाह ने उसे इस बारे मे भी पहले ही बता दिया था.शाह बहुत खुश था.उसे तो लग रहा था की वो दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान है.वो कार चलते हुए बार-2 अपनी नयी-नवेली दुल्हन को देखे जा रहा था.अपनी खुशी मे उसका ध्यान उस कार पे नही गया जो मंदिर से ही उसके पीछे लगी थी. मंदिर क्लेवर्त के बाहर था & शाह का घर भी वाहा से दूर था.घर जाने से पहले रास्ते मे शाह ने खाना पॅक करवाया जिसे घर पहुँचते ही दोनो ने खाया.ये सब निबटते रात के 10 बज गये. "ओह!रुकिये ना!",शाह ने खाना ख़त्म होते ही अपनी दुल्हन को बाहो मे भर लिया था,"ऐसे नही.",रंभा उसे खुद से दूर करती शोखी से मुस्कुराइ,"..आज हमारी सुहागरात है & वो ऐसे नही मानूँगी मैं.मेरा कमरा सज़ा है या नही?",कमर पे हाथ रख उसने अपने शौहर से सवाल किया. "उपर जाके देख लो.",शाह की आँखो मे उसकी बात से वासना के लाल डोरे तैरने लगे थे. "ठीक है.आपको जब बुलाऊं तब आईएगा.",रंभा साथ लाया बाग उठा मुस्कुराती सीढ़िया चढ़ने लगी.शाह वही हॉल मे बैठ गया & टीवी देख वक़्त काटने लगा.45 मिनिट बाद उसके कानो मे रंभा के बुलाने की आवाज़ आई तो वो किसी जवान लड़के की तरह सीढ़िया फलंगता उपर कमरे तक पहुँचा. महादेव शाह कमरे मे दाखिल हुआ तो सामने का नज़ारा देख उसका दिल खुशी & रोमांच से भर गया.फूलो से भारी सेज के बीचोबीच गहरे लाल रंग के लहँगे मे लाल ओढनी मे चेहरा छिपाए रंभा बैठी थी.मद्धम रोशनी माहौल को & रोमानी बना रही थी.शाह मुस्कुराता बिस्तर की ओर बढ़ा & अपनी दुल्हन के पास बैठ उसका घूँघट उठाया.रंभा की माँग मे टीका चमक रहा था & नाक मे नाथ.उसकी आँखे हया के मारे बंद थी.रंभा ने ये सारा नाटक शाह को अपने जाल मे फँसाए रखने के लिए किया था पर सच्चाई ये थी की माहौल ने उसपे भी असर किया था & उसकी शर्म पूरी तरह से नाटक नही थी. शाह ने रंभा की ठुड्डी पकड़ उसका चेहरा उपर किया.उसे यकीन नही हो रहा था की उसने शादी कर ली थी.जिस चीज़ को वो सारी उम्र फ़िज़ूल समझता रहा,आज इस लड़की की वजह से वो उसकी ज़िंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन गयी थी.रंभा की धड़कने तेज़ हो गयी थी..ऐसा तो उसे समीर के साथ अपनी पहली सुहागरात के वक़्त भी महसूस नही हुआ था..शाह उसके रूप को निहारे जा रहा था..वो इस चेहरे को चूम चुका था,इस नशीले जिस्म के रोम-2 से अच्छी तरह वाकिफ़ था..उसे बाहो मे भर जी भर के प्यार किया था उसने..मगर फिर भी आज वो उसे नयी लग रही थी,आनच्छुई लग रही थी. शाह आगे झुका & रंभा के सुर्ख लाबो को हल्के से चूम लिया.रंभा ने शर्मा के मुँह फेर लिया.शाह मुस्कुराया & उसके सर से ओढनी को नीचे सरका दिया.ऐसा करते ही उसकी सांस तेज़ हो गयी & उसका हलक सूख गया.रंभा ने चोली ही ऐसी पहनी थी.स्ट्रिंग बिकिनी के टॉप की तरह गले मे माला की तरह 1 डोरी & पीठ पे2 पतली बँधी डोरियो के सहारे उसके सीने को ढँकी चोली के गले से उसका क्लीवेज नज़र आ रहा था.शाह ने पीछे देखा & रंभा की नंगी पीठ देख उसका लंड खड़ा हो गया.रंभा ने बहुत ढूँदने के बाद ये चोली पसंद की थी क्यूकी उसे पता था कि उसे इसमे देख उसका दूसरा शौहर जोश मे पागल हो जाएगा. रंभा के मेहंदी लगे हाथ उसके घुटनो पे थे.शाह झुका & उसके हाथो को चूम लिया.रंभा ने शर्मा के हाथ पीछे खिचने चाहे तो शाह ने उसका बाया हाथ पकड़ लिया & उसकी हथेली चूम ली.रंभा उसके होंठो की च्छुअन से सिहर उठी.शाह उसकी कलाई से कंगन & चूड़िया उतारते हुए चूमने लगा.कुच्छ ही पॅलो मे बिस्तर के 1 कोने मे उसकी दोनो कलाईयो से उतरे कंगन & चूड़िया पड़ी थी & शाह उसके दोनो हाथो को बेतहाशा चूमे जा रहा था.रंभा शर्म से मुस्कुराते हुए हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी पर शाह की पकड़ मज़बूत थी. उसके हाथो को पकड़े हुए शाह उसके चेहरे पे झुका & उसके बाए गाल को चूमने लगा.रंभा अब मस्त हो रही थी.शाह उसके दाए गाल को चूमने लगा पर उसकी नाथ आड़े आने लगी.शाह ने उसकी नाथ उतारी & उसे बाहो मे भर लिया.नंगी पीठ पे उसके आतूरता से फिरते हाथो ने रंभा को मस्ती मे सिहरा दिया & वो उसकी बाहो मे पिघलने लगी.शाह उसके चेहरे को अपने होंठो की गर्माहट से लाल किए जा रहा था.शाह उसके बाए गाल को चूमते हुए उसके बाए कान तक पहुँचा जहा लटका झुमका उसे चुभ गया.झुमका बस कान के छेद मे लटका हुआ था.शाह ने उसे दन्तो से पकड़ा & उतार दिया & फिर उसकी कान की लौ को जीभ से हल्के से चटा & फिर काट लिया.रंभा मस्ती मे करही & जब उसके शौहर ने यही हरकत दाए कान के साथ दोहराई तो उसने भी उसे बाहो मे कस लिया. शाह उसके माथे को चूम रहा था.उसने उसकी माँग से टीका हटाया & अपने नाम का सिंदूर देख उसका दिल रंभा के लिए मोहब्बत & जोश से भर गया.उसने उसकी माँग चूमि & दाया हाथ पीछे ले जा उसके जुड़े को खोल दिया.रंभा की गोरी पीठ पे काली ज़ूलफे बिखर गयी.शाह उसकी रेशमी ज़ुल्फो को उसकी पीठ पे सहलाने लगा तो रंभा के जिस्म मे झुरजुरी दौड़ गयी.शाह उसे बाहो मे भर चूमते हुए लिटा रहा था.फूलो से भरे बिस्तर पे दोनो लेट गये & 1 दूसरे को चूमने लगे.दोनो के हाथ 1 दूसरे के जिस्म पे फिसल रहे थे & होठ सिले हुए थे.ज़ुबाने आपस मे गुत्थमगुत्था थी & जिस्म 1 दूसरे से मिलने को बेताब थे. रंभा इस वक़्त सब भूल चुकी थी.उसे उस कमरे के रोमानी माहौल के सिवा & किसी बात का होश नही था.पाजामे मे क़ैद शाह का लंड उसकी चूत पे दबा था,उसकी चूचियाँ वो अपने सीने से पीस रहा था & उसकी मज़बूत बाहे उसकी कमर को जकड़े हुई थी.शाह के मर्दाना जिस्म की नज़दीकी से रंभा की चूत अब बहुत मस्त हो गयी थी.शाह उसके होंठो को छ्चोड़ चूमता हुआ उसकी गर्देन पे आ गया.रंभा उसके बालो को सहला रही थी.शाह उसके क्लीवेज को चूम रहा था & उसका दाया हाथ उसके पेट पे घूम रहा था.वो उसकी नाभि को कुरेदता & फिर उसके चिकने पेट को सहलाने लगता.रंभा की चूत की कसक अब बहुत बढ़ गयी थी & वो अपनी जंघे आपस मे रगड़ने लगी थी.शाह को अब उसके जिस्म का तजुर्बा हो चुका था & वो अपनी दुल्हन की हालत बखूबी समझ रहा था. वो उसके सीने को चूमते हुए नीचे उतरा & उसके पेट को चूमने लगा.रंभा आहे भरने लगी.शाह अपनी ज़ुबान उसके पेट पे घुमाता & फिर पेट के हिस्से को मुँह मे भर चूस लेता.रंभा बिस्तर पे कसमसा रही थी & उसके बालो को नोच रही थी.शाह ने ज़ुबान उसकी नाभि मे उतार दी & घुमाने लगा.अब बात रंभा की बर्दाश्त के बाहर हो गयी.वो शाह के सर पकड़ उसकी ज़ुबान को अपनी नाभि से अलग करने की कोशिश करने लगी,उस से ये एहसास सहा नही जा रहा था.पर शाह ने उसकी कोशिश नाकाम कर दी & उसकी नाभि को & शिद्दत से चाटने लगा & तब तक चाटता रहा जब तक रंभा झाड़ नही गयी & सुबकने लगी. शाह उसके पैरो के पास चला गया & उन्हे चूमने लगा.ऐसा करने से उसके पैरो की पायल बजने लगी & उसकी रुनझुन ने माहौल को & रोमानी बना दिया.शाह उसके पैरो की उंगलियो को चूमने के बाद उपर बढ़ने लगा.जैसे-2 वो उपर बढ़ रहा था,वैसे-2 उसका लहंगा भी उपर सरकने लगा.ज्यो-2 उसकी गोरी टाँगे नुमाया हो रही थी,शाह का जोश भी बढ़ रहा था.रंभा अभी भी अपनी भारी-भरकम जंघे मस्ती मे आहत हो रगड़ रही थी.शाह उसकी टाँगो को चूमते हुए उसके घुटनो तक आ गया था & उन्हे चूम रहा था.उसके हाथ लहँगे को रंभा की कमर तक उठा चुके थे & उसकी मखमली जाँघो पे बेसब्री से घूम रहे थे.रंभा की आहें अब & तेज़ी से कमरे मे गूँज रही थी. शाह उसके घुटनो के बाद उसकी जाँघो पे आया & उन्हे ना केवल चूमने लगा बल्कि चूसने भी लगा.रंभा मस्ती मे बिस्तर की चादर & सर के नीचे के तकिये को भींच रही थी & ऐसा करने मे उसके हाथो तले बिस्तर पे बिछि फूलो की पंखुड़िया पिस रही थी.शाह उसकी चूत तक पहुँच गया था.लाल रंग की छ्होटी सी सॅटिन पॅंटी मे ढँकी चूत की नशीली खुश्बू नाक से टकराते ही शाह उसे चोदने को आतुर हो उठा पर वो जानता था की थोड़ा सब्र रखने से मज़ा भी दोगुना हो जाएगा. ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ क्रमशः......
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#93
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जाल पार्ट--94 गतान्क से आगे...... उसके हाथ रंभा की बगल मे गये & लहँगे को खोल उसके जिस्म से उतार दिया.अब रंभा केवल चोली & पॅंटी मे थी.शाह उसके हुस्न को देख दीवाना हो रहा था.वो झुका & अपनी दुल्हन को बाहो मे भरा तो उसकी मस्ती मे डूबी बीवी ने भी उसे बाहो मे कस लिया.रंभा के हाथ उसके कुर्ते मे घुस गये & उसकी पीठ पे घूमने लगे.रंभा उसकी पीठ को वैसे ही भींच रही थी जैसे बिस्तर की चादर को.वो भी शाह को नंगा देखना चाहती थी & उसने उसका कुर्ता खींच दिया. कुर्ता निकालने के बाद उसने शाह को पलट के बिस्तर पे लिटाया & उसके चेहरे पे किस्सस की झड़ी लगा दी.उसके हाथ शाह के सीन एके बालो को खींच रहे थे & कुच्छ ही देर बाद उसके होंठ भी उन्ही बालो मे थे.वो शाह के सीने को चूमती & फिर उसके निपल्स को चूस लेती.शाह आँखे बंद करके आह भरता तो वो सीने पे काट लेती.शाह जोश मे पागल हो रहा था.रंभा चूमते हुए उसके पेट तक आ पहुँची थी.उसने शाह की नाभि मे जीभ फिराई & फिर वाहा के बालो को दाँत मे पकड़ के खींचा.शाह का लंड अब पाजामे की क़ैद से बाहर आने को बिल्कुल बहाल हो गया. रंभा ने पाजामे की डोर को दाँत से पकड़ उसकी गाँठ खोली & उसे नीचे सरका दिया.शाह अब पूरा नंगा था.रंभा ने लंड की फोर्सकीन को दन्तो मे बहुत हल्के से पकड़ के नीचे की तरफ खींचा तो शाह दर्द & अंसती के मिलेजुले एहसास से कराहा.रंभा मुस्कुराइ & उसकी फॉरेस्किन को नीचे कर उसके प्रेकुं से गीले सूपदे को चूसने लगी.अब कसमसाने की बारी शाह की थी.रंभा उसके आंडो को दबाती उसके सूपदे को चुस्ती रही.उसके बाद उसने लंड को हिलाते हुए चूसना & चाटना शुरू कर दिया.जीभ की नोक को लंड की लंबाई पे चलाते हुए जब उसने आंडो को मुँह मे भरा तो शाह मस्ती से आहत हो उठ बैठा & रंभा को पकड़ के अपनी बाहो मे भर लिया. दोनो बिस्तर पे घुटनो पे खड़े 1 दूसरे से लिपटे चूम रहे थे.शाह उसकी नंगी कमर को मसल रहा था & वो शाह की उपरी बाहो & कंधो पे अपने हाथ गर्मजोशी से घुमा रही थी.शाह के हाथ उसकी कमर से फिसल उसकी पॅंटी मे घुस गये.रंभा को कोमल गंद पे उसके हाथो का सख़्त एहसास बहुत अच्छा लग रहा था.उसकी चूत मे सनसनाहट होने लगी थी.शाह उसकी गंद की फांको को कभी आपस मे दबाता तो कभी बिल्कुल फैला देता.रंभा ने मस्ती मे सर पीछे झुका लिया था & अब उसके हाथ शाह की पीठ पे थे.शाह उसके क्लीवेज को चूम रहा था. शाह ने रंभा की पॅंटी नीचे सर्काई & घुटनो पे ही उसके पीछे आ गया & उसकी ज़ुल्फो को उसके बाए कंधे के उपर से आगे कर दिया & उसकी गर्दन & पीठ को चूमने लगा.उसकी चोली की गाँठ के पास पहुँचते ही उसने उसे दन्तो से खींच के खोल दिया.वो चूमता वो नीचे बढ़ा & उसकी कमर के मांसल हिस्सो को जम के चूमा. रंभा की गंद शाह के होंठो का अगला निशाना थी & हर बार की तरह इस बार भी वो उसे देख पागल हो गया & उसकी फांको को चूमने ,चूसने के साथ-2 काटने भी लगा.उसने रंभा की पॅंटी को उसके जिस्म से पूरी तरह अलग किया & फिर घुटनो पे ही उसके पीछे आ खड़ा हुआ.रंभा के गले से चोली को निकाल उसने उसकी बाहे उपर कर दी & उन्हे सहलाने लगा.रंभा पीछे झुक गयी & उसके बाए गाल को चूमने लगी.गंद मे चुभता लंड अब उसके जिस्म की आग को बहुत भड़का चुका था.शाह के हाथ उसकी मुलायम चूचियो से आ लगे थे & उन्हे मसल रहे थे.रंभा के हाथ अपने शौहर के हाथो के उपर आ लगे & उन्हे बढ़ावा देने लगे.शाह का लंड गंद की दरार मे अटक चुक्का था & रंभा अब गंद पीछे धकेल अपने दिल की हसरत जता रही थी.शाह का बाया हाथ उसकी चूचियो से ही चिपका रहा & दाया नीचे आया & उसकी चूत मे घुस गया.रंभा ने पीछे सर झटकते हुए आह भरी & टाँगे फैला दी.काफ़ी देर तक उसकी गर्दन & गाल चूमते हुए शाह उसकी चूचियो & चूत से खेलता रहा.जब उसने देखा की रंभा की गंद लंड पे कुच्छ ज़्यादा ही ध्यान दे रही है तब उसने चूत से हाथ को अलग किया & उसकी जगह अपने लंड को उसमे उतार दिया.रंभा ने बाई बाँह शाह की गर्देन मे डाल दी & दाए हाथ को अपनी कमर को जकड़े शाह की दाई बाँह पे रख दिया & उसकी चुदाई का मज़ा लेने लगी. शाह जब धक्का लगता तो उसके लंड की आस-पास का हिस्सा रंभा की मोटी गंद से टकराता & उसके आंडो मे अजीब सा मज़ा पैदा होता जिसकी तासीर वो पूरे जिस्म मे महसूस करता.शाह रंभा के कंधो & चेहरे को चूमता हुआ धक्के लगाए जा रहा था.रंभा अपनी चूत के अंदर-बाहर होते शाह के मोटे लंड की रगड़ से पागल हो रही थी.उसकी चूत अब शाह के लंड पे & कसने लगी तो वो समझ गया कि रंभा झड़ने के करीब है.उसने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी & रंभा के दाए कंधे पे अपने होंठ दबा दिए & उसकी चूचियो को बहुत ज़ोर से भींचा.शाह का लंड चूत मे कुच्छ & अंदर जाने लगा & रंभा की चूत ने उसे अपनी क़ातिल गिरफ़्त मे कस लिया.रंभा अपने शौहर की बाहो मे झाड़ रही थी. वो निढाल हो आगे झुक गयी & बिस्तर पे घुटनो & हाथो पे हो गयी.शाह उसकी कमर पकड़े उसकी गंद की फांको को मसलता धक्के लगाए जा रहा था.रंभा मस्ती की 1 लहर से उतार दूसरी पे सवार हो गयी थी.वो & आगे झुकी & बिस्तर पे लेट गयी.शाह भी उसके उपर लेट गया & उसके जिस्म के नीचे हाथ ले जाके 1 बार फिर उसकी चूचियो को जाकड़ लिया.दोनो को जिस्मो के भर तले फूलो की पंखुड़िया पिस रही थी & उनकी खुश्बू कमरे मे फैल रही थी.रंभा शाह के नीचे मदहोशी मे आहे भरती छॅट्पाटा रही थी.शाह के लंड की रगड़ ने उसे फिर से झाड़वा दिया. शाह उसके जिस्म से उपर उठा & बिना लंड बाहर खींचे रंभा को घुमा के सीधा लिटा दिया.उसने उसकी बाई टांग को उठा के अपने दाए कंधे पे रखा & उसे चूमते हुए चोदने लगा.रंभा अब पूरी तरह मदहोश थी & अपने हाथो से अपने चेहरे & जिस्म को बेसरबरी से सहला रही थी. महादेव शाह के हर धक्के पे रंभा के पैरो की पायल बजती & उसकी छन-2 सुन रंभा को हया & मस्ती का मिलाजुला अजब मदहोश करने वाला एहसास होता.शाह तो उसकी बाई टांग को चूमते हुए पायल की खनक से मतवाला हो रहा था.रंभा पानी से निकली मच्चली की तरह बिस्तर पे छॅट्पाटा रही थी.शाह का लंड उसकी कोख पे छोटे पे चोट कर रहा था & वो मस्ती मे बावली हुई जा रही थी.उसके होंठो से आहो के साथ मस्तानी आवाज़ें निकल रही थी.शाह ने उसकी दूसरी टांग भी अपने दूसरे कंधे पे चढ़ा ली & आगे झुका. ऐसा करने से रंभा की गंद हवा मे उठ गयी & शाह का लंड उसकी चूत के & अंदर जा उसकी कोख पे थोड़ा और ज़ोर से चोट करने लगा.उसकी जंघे उसकी छातियो पे दबी थी & उसका शौहर उसके चेहरे को थाम उसे चूम रहा था.रंभा के हाथ शाह की बाहो से लेके कंधे & सर के बालो से लेके जाँघो तक घूम रहे थे.जब से शाह ने उसे सीधा करके चोदना शुरू किया था तब से रंभा कितनी बार झाड़ चुकी थी ये उसे पता नही था. वो शाह को बाहो मे भरना चाहती थी,अपनी कमर उचका उसकी ताल से ताल मिला चुदाई मे उसका भरपूर साथ देना चाहती थी पर शाह के कंधो पे चढ़ि उसकी टाँगे इस काम मे आड़े आ रही थी.शाह भी उसके जिस्म के साथ अपने जिस्म को पूरी तरह से मिलाना चाहता था.उसने उसकी टांगको कंधो से उतारा & दोनो प्रेमियो ने 1 दूसरे को आगोश मे भर लिया.रंभा ने अपनी टाँगे शाह की टाँगो पे चढ़ा फँसा दी & उनके सहारे कमर उचका उसके हर धक्के का जवाब देने लगी.शाह के हाथ उसके कंधो के नीचे से फिसल उसकी गंद के नीचे जा पहुँचे थे & उसकी फांको को मसल रहे थे.रंभा के हाथ शाह की पीठ & गंद को छल्नी करने मे जुटे थे. शाह भी बहुत तेज़ धक्के लगा रहा था & रंभा की कमर भी उतनी ही तेज़ी से उचक रही थी.दोनो के बेसब्र जिस्म अब बस चैन पा जाना चाहते थे.दोनो 1 दूसरे को ऐसे पकड़े हुए थे मानो छ्चोड़ने पे क़यामत आ जाएगी!कमरे मे जिस्मो के टकराने की आवाज़ के साथ-2 रंभा की आहें गूँज रही थी की तभी रंभा की तेज़ आह के साथ 1 और आह भी गूँजी.ये आह शाह ने भरी थी जोकि इस बात का एलान थी कि अपनी दुल्हन के साथ-2 वो भी झाड़ गया है.रंभा की कोख मे जैसे ही शाह का गर्म,गाढ़ा वीर्य गिरा उसके जिस्म मे दौड़ती बिजली और भी तेज़ हो गयी.वो झड़ने की ऐसी शिद्दत से बिल्कुल मदहोश हो गयी.शाह का जिस्म भी झटके पे झटके खाए जा रहा था.रंभा की चूत उसके लंड पे ऐसे कसी हुई थी मानो उसके सारे वीर्य को निचोड़ लेना चाहती हो.दोनो लंबी-2 साँसे ले रहे थे.शाह का सर रंभा की छातियो पे था & वो आँखे बंद किए अपनी दुनिया मे खोई हुई थी.कुच्छ पल बाद जब मदहोशी थोड़ी कम हुई तो दोनो मस्ती मे सराबोर प्रेमी 1 दूसरे को चूम 1 दूसरे को इतनी खुशी महसूस करने का शुक्रिया अदा करने लगे. "वाह!बहुत अच्छे!शाह जी विधवा से शादी कर आप तो आज समाज सेवक भी बन गये!",कमरे का दरवाज़ा धड़ाक से खुला & 1 खिल्ली उड़ाती आवाज़ आई तो दोनो चौंक के घूमे और सामने खड़े शख्स को देख हैरत से उनकी आँखे फॅट गयी. रंभा ने जल्दी से पैरो के पास रखी चादर खींच अपने नंगे बदन को ढँका. "वाह!बहूरानी..",कमर पे हाथ रखे रीता उसे देख मुस्कुरा रही थी,"..जवानी ने इतना परेशान कर दिया तुम्हे!", "रीता..",महादेव शाह अपने कपड़े पहनता उसकी ओर बढ़ा. "चुप,कामीने!",रीता गुस्से से चीखी,"..वही खड़ा रह धोखेबाज़!",शाह और रंभा ने देखा की रीता के दोनो तरफ प्रणव और शिप्रा आ खड़े हुए थे और प्रणव के हाथ मे 1 पिस्टल थी.बंदूक देख रंभा के होश फाख्ता हो गये.उसका दिल बहुत ज़ोरो से धड़कने लगा.उसने सपने मे भी नही सोचा था कि खुद रीता वाहा आ जाएगी & वो भी इस रूप मे,"प्रणव,बांधो दोनो को." रीता ने उस से पिस्टल ले दोनो की ओर तान दी.प्रणव 1 छ्होटे से बॅग को लेके आगे बढ़ा.रंभा ने देखा की शाह बिल्कुल खामोश खड़ा था.प्रणव ने बॅग खोल 1 डक्ट टेप का रोल और 2 हथकड़िया निकाली & शाह के हाथ उसके बदन के पीछे बाँधने लगा.रंभा अपने कपड़े पहनने लगी.उसकी समझ मे नही आ रहा था कि आख़िर वो लोग उन्हे बाँध क्यू रहे हैं?..पोलीस बुलाके उन्हे उसके हवाले क्यू नही करते!..ऐसी सूरते हाल मे तो पोलीस को शक़ नही पूरा यकीन होगा कि समीर की मौत मे शाह और रंभा का ही हाथ है. "ले चलो दोनो को.",रीता का रूप देख रंभा को सबसे ज़्यादा हैरानी थी.तीनो ने दोनो बंधको को बाहर निकाल 1 कार मे डाला & चल दिए.दोनो के मुँह पे टेप लगा था & मुँह से आवाज़ निकाल मदद के लिए चिल्लाना नामुमकिन था.रंभा बाहर देख रही थी & उसकी समझ मे आ रहा था कि वो कहा जा रहे हैं. "उतरो!",रीता की कड़कदार आवाज़ गूँजी.रंभा ने बिल्कुल सही सोचा था,सब कंधार फॉल्स पे आ गये थे,"..महादेव शाह,बहुत शौक है ना तुम्हे ट्रस्ट ग्रूप का मालिक बनने का.तो आज तुम वही जाओगे जहा इस ग्रूप का पहला मालिक गया है.",रंभा चौंक गयी..तो क्या रीता ही विजयंत मेहरा के इस हाल की ज़िम्मेदार है. "चलो,प्रणव.फेंको दोनो को झरने मे.बहुत शौक है दोनो को रंगरेलिया मनाने का.अब दूसरी दुनिया मे जाके करना जितनी चुदाई करनी है!",रीता के होंठो पे शैतानी मुस्कान थी.ऐसा लगता था जैसे की वो रीता नही उसकी कोई हमशक्ल हो जो रीता होने का नाटक कर रही हो. "मुझे धोखा देने की सोच अच्छा नही किया,शाह.",प्रणव मुस्कुरा रहा था & शाह को झरने के पास बने बॅरियर की ओर ले जा रहा था.शाह अभी भी खामोश था.उसे यकीन नही हो रहा था कि उस से चूक कहा हुई..आज तक वो अपनी ज़िंदगी मे बस 1 उसूल मानता आया था वो ये कि किसी भी लड़की को ज़रूरत से ज़्यादा करीब नही आने दो.उसने वो उसूल तोड़ा & आज देखो उसका खेल ख़त्म होने वाला है.प्रणव ने उसके मुँह से टेप निकाला. "1 सवाल का जवाब मिलेगा?",शाह ने पुछा तो प्रणव ने अपनी सास को देखा. "पुछो.",रीता कमर पे हाथ रखे खड़ी थी. "तुम्हे हम दोनो के बारे मे पता कैसे चला?" ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------
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11-03-2018, 02:12 AM,
#94
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जाल पार्ट--95



गतान्क से आगे...... 


"सब तुम्हारी ग़लती थी,दयाल.",रंभा की आँखे हैरत से फॅट गयी..दयाल!..उसकी मा की ज़िंदगी बेनूर करने वाला,देवेन को जैल भिजवाने वाला दयाल,"..तुमने मुझे भेजा था ना वो पता चेक करने के लिए.उस पते को चेक कर मैं किसी काम से ट्रस्ट फिल्म्स के दफ़्तर जा रही थी.वाहा के बेसमेंट मे मैने तुम्हारी कार देखी.पहले तो मैने सोचा कि तुम्हे रोकू पर फिर ना जाने क्यू सोचा कि देखु तुम यहा क्या कर रहे हो.उसके बाद तुम्हारा पीछा किया & उस दिन से पीछा ही कर रही हू." "..और ये सोच रहे हो ना कि मेरी कार तुम कैसे नही पहचान पाए तो मेरे धोखेबाज़ आशिक़ मेरी कार मे कुच्छ गड़बड़ थी और मैं अपनी बेटी की कार लेके आई थी.",रंभा टेप के पीछे से चिल्लाना चाह रही थी.उसकी आँखो मे आँसू छलक आए थे.वो इस वक़्त बहुत असहाय महसूस कर रही थी.इतने दिन वो अपने दुश्मन के साथ हमबिस्तर होती रही और उसका भरपूर मज़ा उठाती रही..उसे खुद से घिन हो गयी..क्यू है वो ऐसी?..अपने जिस्म की गुलाम! प्रणव शाह को झरने के किनारे तक ले गया था & धक्का देने ही वाला था की सारा इलाक़ा रोशनी से नहा गया और 1 कड़कदार आवाज़ गूँजी,"रुक जाओ!" रंभा,रीता,प्रणव & शिप्रा सभी उस आवाज़ के मालिक से अच्छी तरह वाकिफ़ थे.रंभा के कानो मे जैसे ही वो आवाज़ पड़ी उसका दिल खुशी से भर गया & राहत महसूस करते ही उसकी रुलाई छूट गयी.रीता & उसके बेटी-दामाद उस आवाज़ को सुन जहा के तहा जम गये थे.उन्हे यकीन नही हो रहा था.उन्होने देखा तो 4 पोर्टबल फ्लडलाइट्स की रोशनी से उनकी आँखे चुन्धिया गयी & रोशनी के पीछे से 1 लंबा-चौड़ा शख्स सामने आया जिसे देख हैरानी और ख़ौफ्फ ने उन्हे आ घेरा. "नही..!",रीता बस इतना ही बोल पाई कि उस शख्स के पीछे 1 और इंसान आ खड़ा हुआ..ऐसा नही हो सकता था..2 मरे इंसान ऐसे कैसे वापस आ सकते थे.विजयंत मेहरा अपने बेटे के साथ उनके सामने खड़ा था. किसी ने रीता के हाथ से पिस्टल ली तो उसने देखा 1 अंजान शख्स उसकी पिस्टल ले उसे 1 किनारे ले जा रहा था.अचानक वाहा बहुत सारे लोग आ गये थे और 1 बूढ़ा सा शख्स जिसके गाल पे निशान था शाह और प्रणव की ओर बढ़ रहा था.उस शख्स ने बॅरियर पार किया और उस घबराहट मे भी रीता ने देखा कि दयाल उसे देख बौखला गया था..दयाल..शातिर दयाल बौखला गया था! "आज मेरी तलाश ख़त्म हुई कमिने!",देवेन ने प्रणव को किनारे धकेला & शाह/दयाल का गिरेबान पकड़ लिया,"..बहुत चालाक है तू पर मेरे मामूली से जाल मे फँस गया.हैं!",देवेन मुस्कुरा रहा था.1 आदमी रंभा की हथकड़ी खोल रहा था & उसके मुँह से टेप हटा रहा था. "देवेन..",रंभा रोती हुई उसके करीब आई. "आओ,रंभा.यही है वो कमीना जिसने मेरी & सुमित्रा की ज़िंदगी उजाड़ दी थी." "देवेन,मैं इसके.." "कोई बात नही.उसका ज़िम्मेदार भी मैं ही हू.मुझे पता चल गया था कि ये कौन है फिर भी मैने तुम्हे नही बताया क्यूकी मुझे इसके बच निकलने का डर था.इसके लिए तुम मुझे जो भी सज़ा दोगि,मुझे मंज़ूर है.",रंभा बिलखती उसके सीने से लग गयी & उसके सीने पे मुक्के मारने लगी.1 आदमी दयाल को वाहा से ले जा रहा था तो देवेन ने उसे रोका,"..बस थोड़ी के लिए देर इसके हाथ खोल इसे मेरे हवाले कर दो.",उस आदमी ने दयाल की हथकड़ी खोल दी. देवेन ने दयाल का गिरेबान पकड़ा और उसे पीटने लगा.उस आदमी ने देवेन को रोकने की कोशिश की पर तभी दूर खड़े 1 शख्स ने अपना हाथ उठा उसे ऐसा करने से रोका.देवेन दयाल को बुरी तरह मार रहा था. "देवेन..इतनी नफ़रत है तो मुझे धकेल दे ना इस झरने मे.",दयाल मुस्कुराया तो देवेन ने उसके पेट मे 1 घूँसा जडा. "साले!तू खुद को बहुत शातिर समझता है ना!",उसने उसके जबड़े पे करारा वार किया,"..मैं तुझे यहा से धकेल दू ताकि तू फ़ौरन मर जाए.नही,दयाल..जैसे मैं जैल मे सड़ा हू वैसे तू भी उन सलाखो के पीछे सड़ेगा..हर वक़्त खुद को कॉसेगा & 1 रोज़ सलाखो से सर पीट-2 के अपनी जान दे देगा.",देवेन ने उसे पकड़ के उसी शख्स की ओर धकेल दिया जो उसे पकड़ने आया था.उसने दयाल को हथकड़ी बँधी और उसे ले गया. "हो गया भाई देवेन तुम्हारा.",अमोल बपत वाहा आया तो देवेन मुस्कुरा दिया. "इसे तो क़यामत तक पीटता रहू तो भी मेरा जी नही भरेगा,बपत साहब." "तो चलो यार,शर्मा साहब इंतेज़ार कर रहे हैं & फिर ज़रा मेहरा परिवार के लोगो के चेहरे तो देखो.सबको असल बात तो बताई जाए." "चलिए.",देवेन हंसा और रंभा के कंधे पे हाथ रख 1 कार की तरफ बढ़ गया. सवेरे के 3 बज रहे थे जब वो क्लेवर्त पोलीस के हेडक्वॉर्टर पहुँचे.रीता,प्रणव & शिप्रा अभी भी हैरत और शायद शॉक मे थे. "देवेन जी..",1 करीब 45 बरस के मून्छो वाले शख्स ने देवेन को इशारा किया,"..सारी बात बताने के लिए आपसे बेहतर कोई शख्स नही है.तो शुरू कीजिए.",सभी 1 कमरे मे बैठे थे. "थॅंक यू,शर्मा साहब,"..ये मिस्टर.एस.के.शर्मा हैं,क्बाइ के स्पेशल क्राइम्स डिविषन मे स्प हैं और ये हैं मिस्टर.अमोल बपत,गोआ के फॉरिनर्स रेजिस्ट्रेशन ऑफीस के हेड & झरने पे जो बाकी लोग थे,वो सभी CBई या लोकल पोलीस के आदमी हैं." "..मैने जब अख़बार मे इश्तेहार दिया तो दयाल ने किसी को उस पते को चेक करने के लिए भेजा तो मुझे विजयंत मेहरा की फ़िक्र हो गयी..अरे-2 मैने रीता जी को तो बताया ही नही कि उनके शौहर हमे कैसे मिले.",सभी हंस पड़े सिवाय रीता & उसके बच्चो के.देवेन ने विजयंत के मिलने का किस्सा बताया. "तो मैं यहा से हराड चला गया पर जाने से पहले मैने बपत साहब को सारी बात बताई.बपत साहब ने बहुत सोचने के बाद शर्मा साहब से कॉंटॅक्ट किया.आप दोनो की जितनी तारीफ की जाए कम है..",वो दोनो अफसरो से मुखातिब हुआ,"..कहा जाता है कि पोलीस हमेशा देर से पहुँचती है पर उस दिन आपकी वजह से पोलीस वक़्त से पहले पहुँची.." "..दयाल ने शाम को फिर किसी पैसे लेके काम करने वाले गुंडे को वाहा भेजा & वो पोलीस के हाथ लग गया.शर्मा साहब ने सूझ-बूझ दिखाते हुए उस गुंडे के ज़रिए महादेव शाह का पता लगा लिया & जब मुझे शाह की तस्वीर दिखाई गयी तो मैने अपने दुश्मन को फ़ौरन पहचान लिया.बपत साहब तो धोखा खा गये थे." "अरे यार!..बीसेसर गोबिंद का मेकप इतना ज़बरदस्त किया था इसने कि मुझे दोनो की शक्ल मे कोई समानता दिखी ही नही!",कमरे मे फिर हल्की हँसी गूँजी,"..वो तो हमने 1 फेस डिटेक्षन & आइडेंटिफिकेशन सॉफ़्टवर्रे के ज़रिए इस आदमी के नक़ली नामो वाले पासपोर्ट्स की फोटोस से शाह के फोटो मिलाए & फिर हमे इसी के दयाल होने का यकीन हो गया." "तो ये थी दयाल की कहानी.CBई ने इसकी निगरानी शुरू कर दी.ये चाहते तो पहले ही दिन दयाल को गिरफ्तार कर सकते थे पर मेरे कहने पे ना केवल इन्होने विजयंत की गुत्थी सुलझाने की गरज से इसे गिरफ्तार नही किया बल्कि उस काम मे भी हमारी मदद की." "..समीर का आक्सिडेंट हुआ पर उसे बस मामूली खरॉच आई थी.दयाल ने जिस ट्रक ड्राइवर को ये काम सौंपा था उसे हमने गिरफ्तार किया & फिर उसने हमारी देख-रेख मे आक्सिडेंट करने के बाद दयाल से वही बोला जो हमने उस से कहवाया.मॉर्चुवरी से 1 समीर के हुलिए से मिलती-जुलती लाश पहले ही तैय्यार थी.उसे समीर के कपड़े पहना के हमने कार मे डाला.चेहरा ज़ख़्मी था & किसी को शुबहा नही हुआ की लाश समीर की नही जबकि असली समीर सीबीआई के पास था.." "..समीर को हमने विजयंत के सामने किया & कमाल हो गया!" "हां..",विजयंत खड़ा हो गया,"..आगे की कहानी मैं सुनाता हू.शर्मा साहब ने 1 बहुत उम्दा डॉक्टर से मेरी जाँच करवाई थी & उसी के कहे मुताबिक समीर और मेरी मुलाकात कंधार पे करवाई गयी.उस वक़्त मैनेक्या महसूस किया ये मैं बयान नही कर सकता..लगा जैसे दिमाग़ मे 1 धमाका हुआ..अनगिनत तस्वीरे 1 साथ उभरने & गायब होने लगी & मेरा सरदर्द से फटने लगा & मैं बेहोश हो गया & जब होश आया तो मुझे सब याद आ गया था.." "..उस रात फोन आने के बाद मैं सोनिया के साथ कंधार पहुँचा.सोनिया को मैने ब्रिज कोठारी को जज़्बाती चोट पहुचाने की गरज से अपने इश्क़ के जाल मे फँसाया था.जब मैं वाहा पहुँचा तो मुझे समीर झरने के पास बँधा दिखा.मैं भागता उसके पास गया कि ब्रिज भी वाहा आ गया और मुझपे टूट पड़ा.हम गुत्थमगुत्था थे जब मैने देखा कि समीर अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ.उसके हाथ बँधे नही थे बस उसकी कलाईयो पे रस्सी लिपटी थी.मैने सोचा कि मेरा बेटा मुझे बचाएगा..",विजयंत समीर को घूर रहा था,".पर उसने मुझे ब्रिज सहित किनारे से धकेल दिया & मेरे पीछे-2 उस मासूम सोनिया को भी.",कमरे मे बिल्कुल खामोशी थी. "क्यू किया तुमने ऐसा समीर?",विजयंत ने बहुत हल्की आवाज़ मे पुछा. ""क्यूकी आपने कामया को अपनी हवस का शिकार बनाया था.",समीर की आंखो मे पानी था & साथ ही अँगारे भी. "शिप्रे ने मेरे गुजरात से लौटने पे जो पार्टी दी थी,उसमे मैने आप दोनो को कमरे से बाहर आते देख लिया था.कामया मेरा पहला प्यार थी & मैं गुस्से से बौखला उठा था.उसी ने मुझे बताया कि आप उसे बलcक्मैल करते हैं कि अगर वो आपके साथ नही सोई तो आप उसका करियर तबाह कर देंगे." "झूठ बक रही थी वो.अपनी मर्ज़ी से सोती थी वो मेरे साथ.मेरी बात पे यकीन नही होगा पर पोलीस की बात पे होगा ना!",विजयंत ने अभी तक समीर से उस से ये सारी बाते नही की थी.शर्मा के इशारे पे 1 इनस्पेक्टर कमरे से बाहर गया & जब लौटा तो कामया उसके साथ थी,"..अब बताओ आगे की कहानी." "हरपाल सिंग पैसो और कामया के जिस्म के लालच मे मेरे साथ मिल गया.उसका पार्टी मे नशे मे बकना,मेरे खिलाफ बात करना सब प्लान का हिस्सा था.रंभा से शादी और आपसे झगड़ा & फिर पंचमहल आना सब मैने सोच रखा था.मैं जानता था की गायब हुआ तो आप मेरी तलाश मे ज़रूर आएँगे." "पर मैं ही क्यू?",रंभा गुस्से मे थी. "क्यूकी तुम ही सामने थी और तुमसे इश्क़ का नाटक करना भी आसान था." "हरपाल का क्या हुआ?" "मुझे नही पता.वो पैसे लेके गायब हो गया." "अच्छा और कोई नही था तुम्हारे साथ?",विजयंत की मुस्कान मे गुस्से से भी ज़्यादा दर्द था. "मोम थी.ये बदला मैने मोम के लिए भी लिया था.आप बस अयस्शिया करते रहते & वो बेचारी अकेली बैठी रहती.मोम ने मेरा पूरा साथ दिया इस बात मे." ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ क्रमशः....... 
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11-03-2018, 02:13 AM,
#95
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जाल पार्ट--96 


गतान्क से आगे......

"रीता,अपने बेटे को इस्तेमाल किया तुमने मुझे रास्ते से हटाने के लिए.क्यू?" "केवल तुम्हे नही इसे भी.",रीता ने समीर की ओर इशारा किया. "क्या?!",ये सवाल लगभग कमरे मे मौजूद हर शख्स की ज़ुबान से निकला. "हाँ!तुम्हारी अयस्शिओ का नतीजा था ये जिसे तुमने मेरी गोद मे पटक दिया पालने के लिए.इसके चलते मेरी अपनी बेटी कंपनी से महरूम रही और चलो,उसे कोई शौक नही था कोम्पनी मे जाने का.उसके पति का तो हक़ बनता था उसकी जगह!",रीता चीखी.समीर के उपर जैसे पहाड़ गिर गया था.उसे कानो पे यकीन नही हो रहा था..इतनी नफ़रत करती थी मोम उस से! "हां,ये मेरे और इसकी मा के रिश्ते का नतीजा था.वो अचानक चल बसी & इस मासूम को अनाथालय मे छ्चोड़ने को मेरा दिल नही माना.पर रीता,इतने सालो तक तुम इस नफ़रत को अपने दिल मे पालती रही?" "नही.मैने अपना लिया था समीर को पर जब ये मेरी बेटी और उसके शौहर का हक़ मारने लगा तो इसे कैसे छ्चोड़ देती मैं.पहले मैने इसके ज़रिए तुम्हे हटवाया & फिर दयाल के ज़रिए मैं इसे हटाना चाहती थी पर दयाल इस चुड़ैल..",उसका इशारा रंभा की ओर था,"..के चक्कर मे पड़ गया & हमे ही धोखा देने लगा.",रीता के दिल मे इतना ज़हर था,ये किसी ने सोचा भी नही था & सभी बिल्कुल खामोश थे. "मुझे फोने कर कौन झरने पे बुलाता था?",विजयंत ने चुप्पी तोड़ी. ".ब्रिज को भी मैं ही फोन करता था.कामया ने मुझे आपके & सोनिया के रिश्ते के बारे मे बता दिया था.ब्रिज & आपकी तनातनी के बारे मे सभी को पता था तो मैने उसी को इस्तेमाल कर सारा शक़ उसकी तरफ करवा दिया.",समीर बोला,"..उस रोज़ हरपाल वाहा से भागा पर कामया वही थी.आप लोगो को धक्का देने के बाद उसी ने मेरी आँखो पे पट्टी लगाई & हाथ बाँधे.सारा खेल बिगड़ जाता उस रोज़ क्यूकी पोलीस भी जल्द ही आ गयी थी पर इसकी किस्मत अच्छी थी जो ये च्छूप के बच निकली." "आप दयाल को कैसे जानती हैं?",शर्मा ने सवाल किया. "मैं कोलकाता से हू.वही मेरी मुलाकात इस से हुई थी.ये मेरा पहला प्यार था & मैने इस से शादी करने की सोची थी पर ये बिना कुच्छ बताए ना जाने कहा गायब हो गया.",पहली बार रीता की आँखो मे नमी दिखी,"..फिर विजयंत मेरी ज़िंदगी मे आया & हमारी शादी हो गयी.ये शादी मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल थी.मैं तो दयाल को भूल विजयंत को अपना चुकी थी पर इसका मन 1 लड़की से कहा भरने वाला था.मेरी शादीशुदा ज़िंदगी के हर पल इस आदमी ने मुझसे बेवफ़ाई की है.",रीता सूबक रही थी.रंभा ने सर झुका लिया.वो रीता के दर्द को समझ रही थी. "..& फिर कुच्छ महीनो पहले अचानक 1 दिन ये मेरे सामने आ खड़ा हुआ..",रीता का इशारा दयाल की ओर था,"..मैने इसे दुतकारा,लताड़ा यहा तक की 2-3 चांट भी रसीद कर दिए पर ये बस सर झुकाए सब सहता रहा.कुच्छ भी हो ये मेरा पहला प्यार था & मेरे सामने अपना गुनाह कबूल कर रहा था..मैं भी कितनी देर इस से खफा रहती..मैं इसकी बाहो मे चली गयी & फिर हम मिलने लगे.मैं इस से अपने सारे दर्द,सारी खुशिया बाँटती..वो सब एहसास जिन्हे मेरे साथ बाँटने को मेरे पति के पास वक़्त नही था.",विजयंत अपनी बीवी से निगाहे नही मिला पा रहा था. "..ऑफीसर,ये शक्ष जिसका असली नाम पता नही दयाल है भी या नही,1 साँप है..1 ऐसा साँप जो डंस्ता है तो पता भी नही चलता पर उसका ज़हर आपके दिलोदिमाग पे चढ़ने लगता है..मैने जो भी किया उसका मुझसे ज़्यादा नही तो मेरे बराबर का ज़िम्मेदार ये भी है!",देवेन जानता था कि रीता सही कह रही है.दयाल की बातो की वजह से ही उसकी ज़िंदगी बर्बाद हुई थी. कमरे मे काफ़ी देर तक खामोशी फैली रही फिर बाहर से चिड़ियो के चाचहने की आवाज़ आई तो सबको पता चला की सवेरा हो गया है.पोलिसेवाले अपनी करवाई मे जुट गये.रीता,प्रणव,समीर,कामया & दयाल गिरफ्तार किए जा रहे थे. देवेन रंभा के साथ खड़ा था & विजयंत अपनी बेटी के साथ.इस सबमे शिप्रा ही थी जोकि मासूम थी & उसे बिना किसी ग़लती के सज़ा मिल रही थी. बपत & शर्मा खुश थे.उन्होने 1 ऐसे शख्स को पकड़ा था जिसने इंटररपोल तक को चकमा दे दिया था.उनकी तरक्की तो अब पक्की थी. 2 घंटे बाद मुजरिम पोलीस हिरासत मे थे & बाकी लोग अपने-2 घर जाने की तैय्यारि कर रहे थे. -------------------------------------------------------------------------------

"रंभा..देवेन..तुम दोनो ने जो किया उसके लिए शुक्रिया अदा कर मैं तुम्हे शर्मिंदा तो नही करूँगा..",एरपोर्ट पे गोआ की फिलगत छूटने से पहले विजयंत देवेन & रंभा के साथ खड़ा था,"..बस इतना कहूँगा कि मैं तुम दोनो को अपना सबसे अच्छा दोस्त मानता हू.वादा करो कि जब भी ज़रूरत पड़े तुम लोग मुझे ही याद करोगे.",पास ही सोनम भी खड़ी थी जो अपनी सहेली को विदा करने आई थी. "वादा.",दोनो हंस दिए. तुम्हारे साथ जो भी वक़्त बिताया वो बहुत खुशनुमा था,देवेन.",विजयंत ने उसे गले लगाया,"..रंभा के साथ नयी ज़िंदगी मुबारक हो!" "शुक्रिया,दोस्त!" "डॅड..",रांभाने समीर से तलाक़ की अर्ज़ी अदालत मे दाखिल कर दी थी पर विजयंत के लिए & कोई नाम उसकी ज़ुबान से निकलता नही था,"..शिप्रा का ख़याल रखिएगा.उस बेचारी को बेवजह ये सब झेलना पड़ा है." "रंभा,उसे सब मेरी वजह से झेलना पड़ रहा है.क़ानून की नज़र मे जो मुजरिम थे वो गिरफ्तार हो गये पर सबसे बड़ा मुजरिम तो मैं हू.जो भी हुआ मेरी आदत & फ़ितरत की वजह से हुआ & देखो,आज मैं दुनिया का सबसे ग़रीब इंसान हू.मेरी कंपनी मेरे हाथ मे है पर ना बीवी है ना बेटा & बेटी की ज़िंदगी तो.." सोनम ने विजयंत का हाथ थाम लिया तो विजयंत ने उसकी तरफ देखा.रंभा & देवेन दोनो को देख मुस्कुराए,"..पर हर रात के बाद सुबह आती है.मैं शिप्रा के ज़ख़्मो पे मरहम लगाउंगा,1 बार फिर से उसकी ज़िंदगी मे बहार लाऊंगा.",विजयंत की बातो मे उसका जाना-पहचाना विश्वास झलक रहा था.तभी गोआ की फ्लाइट की अनाउन्स्मनिट हुई & विजयंत ने उनसे विदा ली.रंभा अपनी सहेली से गले मिली.दोनो लड़कियो की जुदा होते वक़्त आँखे भर आई थी.विजयंत ने अपना रुमाल सोनम को दिया & जब उसने शुक्रिया अदा कर अपनी आँखे पोन्छि तो उसके कंधे पे हाथ रख वो देवेन & रंभा से 1 आख़िर बार विदा ले एरपोर्ट की एग्ज़िट की तरफ बढ़ गया देवेन & रंभा कुच्छ देर सोनम के कंधे पे हाथ रखे उसे अपने साथ ले जाते विजयंत को देखते रहे & फिर 1 दूसरे को देख मुस्कुराए & 1 दूसरे की कमर मे बाहे डाल घूम के चल दिए अपनी नयी ज़िंदगी की तरफ. तो दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ आपका दोस्त राज शर्मा

समाप्त दा एंड 
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