Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
05-18-2019, 01:03 PM,
#11
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
"धत बड़े मामा, आप तो बहुत ही गंदे ..... ऊंह आप भी ना कैसी कैसी ....," मैं शर्मा रही थी। मेरा दिल बड़े मामा की वासनामयी विचित्र इच्छायों से उत्तेजित हो कर तेज़ी से धक्-धक् कर रहा था।


"बेटा, आपका मूत्र तो अमृत की तरह मीठा और सुन्धित है। आज तो मैंने बस चखा है मैं तो दिल खोल कर अपनी बेटी का मूत्र्पान करने के दिन का इंतज़ार कर रहा हूँ।" बड़े मामा ने प्यार से मेरी चूत को फिर से चूमा उन्होंने मेरी दोनों जांघें उठा कर अपने कन्धों पर रख ली। मैं कुछ भी न समझने के कारण बड़े मामा को सिर्फ प्यार से निहारती रही।


बड़े मामा मेरी पूरी खुली जांघों की बीच मेर्रे गीली चूत के ऊपर मुंह रख कर उसे ज़ोर* से चूमने लगे। मेरे गले से ऊंची सिसकारी निकल पड़ी।

"बड़े मामा ... आह आप क्या कर रहें हैं?" मैं बड़ी मुश्किल से बोल पाई।


बड़े मामा ने मुझे नज़रंदाज़ कर मेरी कुंवारी छूट के गुलाबी अविकसित भगोष्ठों को अपनी जीभे से खोल कर मेरी चूत के संकरी दरार को जोर से अपनी जीभ से चाटने लगे।

"बड़े मामा, मेरी चूत जल रही है। ओह ... आह ... ओह .. बड़े मामा .. आ ...आ ... उन्न .. उन्न ...अं।" मेरे गले से वासना भरी सिसकारी निकलने लगीं।


बड़े मामा ने मेरी चूत को अपनी खुरदुरी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उनकी जीभ मेरी चूत के निचले कोने से शुरू हो कर मेरे भग-शिश्न पर रुकती थी। उन्होंने कुछ ही क्षड़ों में मेरी चूत को वासना के अग्नि से प्रज्ज्वलित कर दिया।


मेरे दोनों हाथ स्वतः ही उनके घुंघराले घने बालों में समा गए। मैंने उनके घने बालों को मुठी में कस कर पकड़ लिया और उनका* मुंह अपनी चूत में दबाने लगी।

"बड़े मामा, मेरी चूत आह ... आह ... ओह .. कितना अच्छा लग रहा है, बड़े मामा आह ..ऊंह .. ऊंह ....आन्न्ह ...आन्नंह ....और चाटिये प्लीज़।" मैं अब वासना की आग में जल रही थी और अनर्गल बोलने लगी।


बड़े मामा अपनी जीभ से अब मेरे सख्त अविकसित किशमिश के दाने के आकार के अति-संवेदनशील क्लिटोरिस को चाटने लगे। उनकी भारी खुरदुरी जीभ ने जैसे हे मेरे भग-शिश्न को जोर से चाटा मेरा रत-निष्पात शुरू हो गया।


"बड़े मामा मैं झड़ रही हूँ। आह .. आन्नंह ....ओह .. ओह ... मा ...मा ..... जी ...ई ... ई .... ऊउन्न्न्न्न्ह्ह्ह," मैं जोर से चीख कर झड़ने लगी। मेरा प्रचुर रति-रस ने मेरी चूत से झरने की तरह बह कर बड़े मामा के मुंह को भर दिया। बड़े मामा मेरे चूत के रस को प्यार से पी कर मेरी कुंवारी चूत को फिर से चाटना शुरू कर दिया।


मैं अब बिलकुल पागल हो गयी। मेरा कमसिन अविकसित शरीर इतनी तीव्र प्रचंड वासना को सम्भालने के लिए अत्यंत अपरिपक्व था। दूसरी और बड़े मामा सम्भोग के खेल में अत्यंत अनुभवी थे। मेरे शरीर को उन्होंने अपने प्रभुत्व में ले कर मेरी छूट को अपनी जीभ से एक बार फिर से गर्म कर दिया।

मेरी सीत्कारी बार बार स्नानगृह में गूँज रहीं थीं।


मैं सिसकते हुए बड़े मामा के सर को अपने जांघों के बीच में जोर से दबा रही थी। बड़े मामा ने मेरी जांघों को और ऊपर कर मेरे नितिम्बों को और खोल दिया। उनकी जीभ अचानक मेरे मलाशय के छिद्र पर पहुँच गयी। मेरी सांस बंद हो चली मुझे तो सपने में भी सोच नही आता की कोई किसी दुसरे के गुदा-छिद्र को चाटने की इच्छा कर सकता था।


बड़े मामा मेरे सामने संसर्ग के नए द्वार खोल रहे थे।


बड़े मामा ने अब अपनी जीभ की नोक से मेरी गुदा को करोदने लगे। मेरी गांड का छेद स्वतः फड़कने लगा। बड़े मामा ने थोड़ी देर ही में उसे चाट कर शिथिल कर दिया। अचानक उनकी जीभ की नोक मेरी गांड के छेड़ के अंदर प्रविष्ट हो गयी।


"बड़े मामा आप क्या कर रहें हैं? ओह .. ओह .. आन्न्ह ... मेरी गा .. आंड ... ओह ... आन्न्न्ह्ह्ह .... ऒओन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह।" मेरे जलते हुए शरीर पर अब बड़े मामा का पूरा अधिकार था। मैंने अपने आप को बड़े मामा के हाथों पर छोड़ दिया।


बड़े मामा की जीभ मेरी गांड के छेद से लेकर चूत के ऊपरी कोने तक चाटने लगी। हर बार उनकी खुरदुरी जीभ मेरे संवेदनशील भग-शिश्न को जोर से रगड़ देती थी। मैं एक बार फिर से झड़ने के द्वार पर खड़ी थी। मेरी चूत में एक विचित्र से दर्द उठ चला। उस दर्द ने एक अजीब सी जलन भी थी।


"बड़े मामा मुझे झाड़ दीजिये, " मैं हलक फाड़ कर चीखी।


बड़े मामा ने तुरंत अपनी मोटी तर्जनी [इंडेक्स फिंगर] मेरी गांड में डाल केर मेरे जलते हुए भाग-शिश्न को अपने होंठों में कास कर पकड़ कर उसे झंझोंड़ने लगे। मैं चीख कर झड़ने लगी।


मेरा सारा शरीर अकड़ गया। मेरे पेट में दर्द भरी एंथन ने मेरी सांस रोक दी। मेरी चूत के बहुत भीतर एक नई दर्द भरी मरोड़ पैदा हो गयी थी।

मेरे कमसिन अपरिपक्व शरीर के अंदर उठे सारे दर्द एक जगह में मिल गए। वो जगह मेरी चूत थी।


मेरी ऊंची चीख से स्नानगृह की दीवारें गूँज उठीं। जब मेरा रत-निष्पति शुरू हुई तो मेरे सारे शरीर की मांस-पेशियाँ शिथिल पड़ गयीं। मेरा अकड़ा हुआ कमसिन शरीर बिलकुल ढीला हो कर बड़े मामा के ऊपर गिर गया। मेरे लम्बी साँसें मेरे सीने को जोर से ऊपर-नीचे कर रहीं थें।


मेरी चूत में से रस बह कर बड़े मामा के मुंह में समा गया। मुझे लगा जैसे मेरी चूत में कोई पानी की नली खुल गयी थी।


मुझे पता नहीं मैं कितनी देर तक गहरी साँसे लेती शिथिल बड़े मामा की बाँहों में पड़ी रही। जब ममुझे होश आया तो मैं मुकुर कर बड़े मामा से लिपट गयी। बड़े मामा ने मेरे मुस्कुराते हुए मुंह पैर मेरे रस से भीगा अपने मुंह को लगा दिया। मेरे होंठों ने उनके होंठो पे लगे मेरे मीठे-नमकीन*रति-रस को चखने लगे।

बड़ी देर तक बड़े मामा और मैं खुले मुंह से एक दुसरे के मुंह के अंदर का स्वाद अपनी जीभ से लेते रहे।


अंत मे बड़े मामा धीरे से मुझसे अलग हुए और खड़े हो गए। उनका सफ़ेद कुरता किसी तम्बू की तरह ऊंचा उठा हुआ था।

"बड़े मामा, आपके पजामे में कुछ है?" मैंने शर्माते हुए कहा।


बड़े मामा ने मेरा छोटा नाजुक हाथ लेकर उसे अपने पजामे के ऊपर रख दिया। मेरा हाथ थरथराते एक मोटे खम्बे के ऊपर लगा था।

"नेहा बेटा, इस लंड को छू कर देख लो। एक दिन में यह आपकी चूत के अंदर जाने वाला है," बड़े मामा ने धीरे से कहा और मुड़ कर मेरे स्नानगृह से बहर चले गए।


मैं गहरे वासनामयी सोंचों में डूबी कमोड पर बैठी रही। तब मुझे पता नहीं था की पुरुष के लंड कितने बड़े होते थे। मनु भैया का लंड जितना भी दिखा था मुझे तो बहुत मोटा लगा था। अंजू भाभी ने तो बताया था की मेरे परिवार के पुरुषों के लंड बहुत विशाल थे। मैं सोच में पड़ गयी की अंजू भाभी को सबके लंडों के बारे में कैसे पता चला?


मेरे हाथ ने बड़े मामा के पजामे में छुपे उनके लिंग को छुआ था वो तो मुझे बहुत ही भारी और मोटा लगा था।

मैं अब घबराने लगी। पर मेरी बड़े मामा के अश्लील शब्दों से जागृत वासना में कैसी भी कमी नहीं हुई। मैं अब बेचैनी से बड़े मामा के साथ संसर्ग के सपने देखने लगी।


मैंने अपने शयन-कक्ष सुइट में पहुच कर जल्दी से बैग में कुछ कपड़े, जूते, अन्त्वस्त्र डाल लिए. मैं केवल लम्बी टी शर्ट पहन कर बिस्तर में रज़ाई के अंदर घुस गयी.

मुझे सारी रात ठीक से नींद नहीं आयी. मैं बिस्तर में उलट-पलट कर सोने के कोशिश कर रही थी, घड़ी में बारह बजे थे.मेरे शयन-कक्ष के दरवाज़े खोल कर अंजू भाभी जल्दी से मेरे बिस्तर में कूद कर रज़ाई में घुस कर मेरे से लिपट गयीं. अंजू भाभी ने सिर्फ एक झीना सा रेशम का साया पहना हुआ था.
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05-18-2019, 01:04 PM,
#12
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
"अंजू भाभी, आप को तो सुबह जाने की तय्यारी करनी थी," मैं भी अंजू भाभी के साथ ज़ोर से लिपट गयी.

अंजू भाभी ने मुझे पलट कर पीठ पर सीधा लिटा दिया और मेरे ऊपर लेट गयीं. उन्होंने ने मेरे होठों पर अपने गरम कोमल होंठ रख कर धीरे से फुसफुसाईं,"मेरी प्यारी और अत्यंत सुंदर नन्दरानी, तुम्हे प्यार से विदा किये बिना तो मैं नहीं जा सकती थी."


अंजू भाभी ने अपने जीभ से मेरे होंठों को खोलकर मेरे मूंह में अपनी जीभ डाल कर मेरे मसूड़ों को प्यार से सहलाया.उनका मीठा थूक मेरे मूंह में बह रहा था. मैंने भी अपनी जीभ उनकी जीभ से भिड़ा दी.


अंजू भाभी ने मेरी टीशर्ट ऊपर कर मेरे फड़कते हुए मोटे पर अभी भी पूर्ण तरह से अविकसित स्तनों को उज्जागर कर दिया। उनका हाथ मेरे दोनों उरोजों को बारी बारी से लगा। मेरी सिसकारी भाभी के मुंह में समा गयी। उन्होंने मेरा एक स्तन अपने हाथ से मसलना शुरू कर दिया औए अपनी जीभ ज़ोर से मेरे मुंह में घुसेड़ने लगीं।

मेरी चूत मेरे रस से भर गयी और मेरा रस चूत से बहार निकल कर मेरी जांघों को भिगोना लगा।


अंजू भाभी के काफी लम्बे चुम्बन से मेरी सांस कामोन्माद से रुक-रुक कर आ रही थी. अंजू भाभी ने अंत में मुझे मुक्त कर दिया. मैंने भाभी की मीठी लार निगल कर नटखटपने से कहा, "आज क्या बात है, अप्सरा से भी सुंदर मेरी भाभी इस वक़्त नरेश भैया से नहीं चुद रहीं?" मैंने अपनी छोटी सी किशोर-उम्र में पहली बार अश्लील शब्द का उपयोग किया.


अंजू भाभी खिलखिला कर हंसी और मुझे जोर से चूमने के बाद बोलीं, "मेरी छोटी सी, गुड़िया जैसी प्यारी नन्द. आपके भैया मेरी चूत और गांड दोनों मारने के बाद सो गएँ हैं. मैंने उनसे तुम्हारे बारे में पूछ लिया है. तुम्हारे भैया ने सन्देश भेजा है की जब तुम्हारा मन चाहे वो अत्यंत खुशी से तुम्हारी चुदाई के लए तैयार हैं. मैं तुम्हे यह अकेले में बताना चाहती थी. तुम बस हमें फ़ोन कर देना. तुम्हारे भैया और मैं कुछ भी बहाना बना कर तुम्हे अपने पास बुला लेंगे."


मेरी चूत बिलकुल गीली हो गयी. मैंने भाभी को प्यार से चूमा, "अंजू भाभी, क्या मैं आपकी ताज़ी चुदी हुई चूत और गांड देख सकती हूँ?" मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं अब कामेच्छा से इतनी प्रभावित हो चुकी थी कि अब मुझे भाभी से इस तरह की बातें करते हुए कोई शर्म नहीं आ रही थी.


भाभी ने हंसते हुए अपना साया ऊपर किया और दोनों घुटने मेरे सिर के दोनों तरफ रख कर अपनी घने घुंघराले झांटों से भरी सुगन्धित चूत को मेरे मूंह के ठीक ऊपर रख दिया. भाभी ने अपने हाथों से अपनी यौनी के फ़लकों को खोल कर मेरे सामने अपनी चूत का गुलाबी प्रवेश-मार्ग मेरे सामने कर दिया, "नेहा, यदी चाहो तो अपनी जीभ से अपने भैया के वीर्य का स्वाद चख सकती हो."


भाभी की चूत की नैसर्गिक सुगंध से मेरे होश गुम हो गए.

मेरी जीभ अपनी मर्ज़ी से भाभी की चूत के प्रवेश को धीरे से चाटने लगी. मुझे भाभी की चूत से तेज़, तीखा-मीठा स्वाद मिला. भाभी ने नीचे की तरफ ज़ोर लगाया मानो पखाना करना करना चाहतीं हों. उनकी खुशबू भरी चूत से धीरे-धीरे सफ़ेद, चिपचिपा लसदार पदार्थ बह कर मेरी जीभ पर ढलक गया. मैंने जल्दी से अपना मूंह बंद कर लिया. मेरे नरेश भैया का वीर्य, भाभी के रति-रस से मिलकर विचित्र पर मदहोश करने वाले स्वाद से मेरा मूंह भर गया.


भाभी बोलीं, "नेहा मैं तुम्हरे भैया के वीर्य के स्वाद की दासी बन चुकी हूँ. मैं कोशिश करती हूँ शायद मेरी गांड में से भी थोड़ा सा निकल जाये."

इससे पहले कि मैं कुछ भी बोल पाऊँ भाभी कि कोमल हल्की-भूरी गांड का छोटा सा छेद मेरे खुले मूंह पर था. भाभी ने अपने दोनों नाज़ुक छोटे-छोटे हाथों से अपने भारी, मुलायम, गुदाज़ नितिम्बों को फैला दिया. भाभी बड़ी सी सांस भर कर ज़ोर से अपनी गांड का छेद खोलने की कोशिश करने लगीं. उनकी गांड का छल्ला धीरे-धीरे खुलने लगा. मुझे उनके गांड के भीतर की सुगंध से मदहोशी होने लगी. कुछ देर में ही भैया का लसलसा वीर्य की एक छोटी सी धार भाभी की गांड से बह कर मेरे मूंह में गिर पडी. इस बार भैया के वीर्य में भाभी की गांड का स्वाद शामिल था. मैंने लोभी की तरह भैया का वीर्य सटक लिया.



अंजू भाभी की गांड का छल्ला मेरे मुंह के ऊपर खुल-बंद हो रहा था। उनकी गांड के अंदर की गुलाबी परत जब भाभी जोर लगा कर अपनी गांड खोलती थीं तो मुझे दिखने लगती थी। मेरे बिना सोचे समझे और किये मेरी जीभ स्वतः मेरे मुंह से निकल भाभी की गांड के फूले छल्ले को चूमने लगी अंजू भाभी की सितकारी निकल गयी, "आह, नेहा, तुमने ...... आह, .... नेहा फिर से मेरी गांड को अपनी जीभ से चाटो।"


मैं गर्व से फूल गयी। मेरी जीभ ने अंजू भाभी को आनंद दिया इस बात से मैं उत्तेजित हो गयी। मैंने दोनों हाथों से भाभी के फूले बड़े मुलायम चौड़े चूतड़ पकड़ कर उनकी गांड को अपने मुंह के पास खींच लिया। मेरी जीभ ने उनके गांड के छिद्र को चाटना शुरू कर दिया।

अंजू भाभी की सिस्कारियां अब ऊंची होने लगीं।


मैंने उनकी फड़कती हुई गांड के छेड़ में अपनी जीभ की नोक अंदर डालने कोशिश शुरू कर दी। मेरी महनत का मुझे शीघ्र ही इनाम मिल गया। भाभी ने कराह कर अपनी गांड को ज़ोर लगा कर खोलनी की कोशिश की और मेरी तैयार जीभ उनकी गांड के अंदर समा गयी। मुझे उनकी गांड की मादक सुगंध तो पहले ही लुभा गयी थी अब उनकी गांड के अंदर का विचित्र स्वाद भी मुझे लुभाने लगा।


भाभी ने अपनी गांड धीरे धीरे मेरी जीभ के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया।

उनकी हर सिसकारी मुझे प्रोत्साहन दे रही थी। थोड़ी देर में अंजू भाभी करह आकर घुटी घुटी आवाज़ में बोलीं, "नेहा अब मेरी चूत चाटो। मुझे अपने मीठे मुंह से चूस कर झाड़ दो।"


भाभी के आदेश ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया। भाभी ने अपने चूतड़ हिला कर अपनी गीले घुंघराले रेशमी झांटों से ढकी योनी को मेरे मुंह के ऊपर सटा दिया। मैंने नादानी में उनकी सुगन्धित प्यारी चूत को अपने मुंह में भर कर कस कर चूम लिया। भाभी के गले से धीमी सी चीख निकल पड़ी। पहले तो मुझे लगा कि मैंने अपनी प्यारी सुंदर भाभी की चूत को चोट पहुंचा दी थी। पर जल्दी ही भाभी ने धीरे से कहा, " नेहा, तुम तो बहुत अच्छी चूत चूस रही हो। और ज़ोर से मेरी चूत चूसो। मेरी छूट को काट खाओ।


मैंने हिम्मत कर उनके मोटे, मुलायम ढीले लटके हुए गुलाबी भगोष्ठों को अपने मुंह में भर पहले तो धीरे धीरे से चूसा फिर भाभी की सिस्कारियां सुन कर मेरा साहस बड़ गया और मैंने भाभी के दोनों मोटे मुलायम भागोश्थों को अपने होंठों में दबा कर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया।

अंजू भाभी की सिस्कारियां अब कराहट में बदल गयीं, "आह .. ने .. एहा ...ऐसे ही चूसो। और ज़ोर से नेहा। और ज़ोर चूस कर दर्द करो।मैं जल्दी से झड़ने वाली हूँ।"


अंजू भाभी की गांड का छल्ला मेरे मुंह के ऊपर खुल-बंद हो रहा था। उनकी गांड के अंदर की गुलाबी परत जब भाभी जोर लगा कर अपनी गांड खोलती थीं तो मुझे दिखने लगती थी। मेरे बिना सोचे समझे और किये मेरी जीभ स्वतः मेरे मुंह से निकल भाभी की गांड के फूले छल्ले को चूमने लगी अंजू भाभी की सितकारी निकल गयी, "आह, नेहा, तुमने ...... आह, .... नेहा फिर से मेरी गांड को अपनी जीभ से चाटो।"


मैं गर्व से फूल गयी। मेरी जीभ ने अंजू भाभी को आनंद दिया इस बात से मैं उत्तेजित हो गयी। मैंने दोनों हाथों से भाभी के फूले बड़े मुलायम चौड़े चूतड़ पकड़ कर उनकी गांड को अपने मुंह के पास खींच लिया। मेरी जीभ ने उनके गांड के छिद्र को चाटना शुरू कर दिया।

अंजू भाभी की सिस्कारियां अब ऊंची होने लगीं।


मैंने उनकी फड़कती हुई गांड के छेड़ में अपनी जीभ की नोक अंदर डालने कोशिश शुरू कर दी। मेरी महनत का मुझे शीघ्र ही इनाम मिल गया। भाभी ने कराह कर अपनी गांड को ज़ोर लगा कर खोलनी की कोशिश की और मेरी तैयार जीभ उनकी गांड के अंदर समा गयी। मुझे उनकी गांड की मादक सुगंध तो पहले ही लुभा गयी थी अब उनकी गांड के अंदर का विचित्र स्वाद भी मुझे लुभाने लगा।


भाभी ने अपनी गांड धीरे धीरे मेरी जीभ के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया।

उनकी हर सिसकारी मुझे प्रोत्साहन दे रही थी। थोड़ी देर में अंजू भाभी करह आकर घुटी घुटी आवाज़ में बोलीं, "नेहा अब मेरी चूत चाटो। मुझे अपने मीठे मुंह से चूस कर झाड़ दो।"


भाभी के आदेश ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया। भाभी ने अपने चूतड़ हिला कर अपनी गीले घुंघराले रेशमी झांटों से ढकी योनी को मेरे मुंह के ऊपर सटा दिया। मैंने नादानी में उनकी सुगन्धित प्यारी चूत को अपने मुंह में भर कर कस कर चूम लिया। भाभी के गले से धीमी सी चीख निकल पड़ी। पहले तो मुझे लगा कि मैंने अपनी प्यारी सुंदर भाभी की चूत को चोट पहुंचा दी थी। पर जल्दी ही भाभी ने धीरे से कहा, " नेहा, तुम तो बहुत अच्छी चूत चूस रही हो। और ज़ोर से मेरी चूत चूसो। मेरी छूट को काट खाओ।
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05-18-2019, 01:04 PM,
#13
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
मैंने हिम्मत कर उनके मोटे, मुलायम ढीले लटके हुए गुलाबी भगोष्ठों को अपने मुंह में भर पहले तो धीरे धीरे से चूसा फिर भाभी की सिस्कारियां सुन कर मेरा साहस बड़ गया और मैंने भाभी के दोनों मोटे मुलायम भागोश्थों को अपने होंठों में दबा कर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया।

अंजू भाभी की सिस्कारियां अब कराहट में बदल गयीं, "आह .. ने .. एहा ...ऐसे ही चूसो। और ज़ोर से नेहा। और ज़ोर चूस कर दर्द करो।मैं जल्दी से झड़ने वाली हूँ।"


मैं अब भाभी की वासना की आग में शामिल हो गयी। मैंने अपनी पहले एक उंगली उनकी गांड में डाली फिर उनकी कसी हुई गांड में एक और उंगली डाल दी। मैं उसी समय उनके भगोष्ठों को अपने दांतों में हलके से भींच कर अपने मुंह के अंदर खींचने लगी।


अंजू भाभी का सारा शरीर कांपने लगा। उनकी ऊंची चीख कमरे में गूँज उठी। उन्होंने अपने गांड मेरी उंगलीयों पर और अपनी चूत मेरे मुंह पर कास कर दबा दी। मेरी सांस भाभी के भारी चूतडों के नीचे दबकर घुट रही थी। पर भाभी का तड़पता शरीर चरमोत्कर्ष के लिए उत्सुक था। उनकी चूत ने अचानक मेरे मुंह में मीठा रस की मानो नाली खोल दी।


मेरा मुंह भाभी के रति-रस से बार बार भर गया। मैंने जल्दी जल्दी उसे पीने लगी पर फिर भी भाभी की चूत से झड़ते रस ने मेरे मुंह को पूरा भिगो दिया।

भाभी का कम्पित शरीर बड़ी देर में संतुलित हुआ। उन्होंने लपक कर पलती ली और मुझे अपनी बाँहों में भर लिया, "नेहा, ऐसे तो मैं किसी और स्त्री के चूसने से कभी भी नहीं आयी। तुम्हारे मीठे मुंह में तो जादू है। अब मुझे अपनी सुंदर ननद का एहसान चुकाना होगा।"


उन्होंने ने अपना साया अतार कर फैंक दिया।

इससे पहले कि मैं समझ पाती अंजू भाभी फिर से पलट कर मेरे ऊपर लेट गयी। उन्होंने मेरी भरी गुदाज़ जांघों को मोड़ कर पूरा फैला दिया। मेरी गीली चूत पूरी खुल कर भाभी के सामने थी। मेरी टीशर्ट मेरे पेट के ऊपर इकठ्ठी हो गयी थी।


उनके मोटी मादक जांघों ने मेरे चेहरे को कस कर जकड़ कर एक बार फिर से मेरे मुंह के ऊपर अपनी मीठी रस भरी चूत को लगा दिया।

भाभी ने मेरी चूत को जोर से चूम कर अपनी जीभ से मेरे संकरी चूत के दरार को चाटने लगीं। एक रात में मेरी चूत दूसरी बार चूस रही थी।


मेरी सिसकारी भाभी की चूत के अंदर दफ़न हो गयी। मैंने भी ज़ोरों से भाभी की चूत के ऊपर अपने जीभ, होंठ और दांतों से आक्रमण कर दिया।

भाभी ने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाट कर मेरे भग-शिश्न को रगड़ने लगीं। मेरी गांड स्वतः उनके मुंह के ऊपर मेरी चूत को दबाने लगीं।

मैंने भाभी का मोटा, तनतनाया हुआ भाग-शिश्न अपने मुंह में ले कर चूसते हुए अपने दो उंगलियाँ उनकी कोमल छूट में घुसेड़ दीं।


मैंने अपनी उँगलियों से भाभी की चूत मारते हुए उनके क्लिटोरिस को बेदर्दी सी चूसना, रगड़ना और कभी कभी हलके से काटना शुरू कर दिया।

भाभी मेरी चूत चाटते हुए मेरी तरह सिस्कारिया भर रहीं थी।

भाभी अपनी एक उंगली से मेरी गांड के छिद्र को सहलाने लगीं। मैं बिदक कर अपने चूतड़ बिस्तर से ऊपर उठा कर उनके मुंह में अपनी चूत घुसाने की कोशिश करने लगी।


मुझे पता नहीं कितनी देर तक हम ननद-भाभी एक दुसरे के साथ सैम-लैंगिक प्यार में डूबे रहे। अचानक मेरी चूत में ज़ोर से जलन होने लगी। मैं समझ गयी कि मैं अब जल्दी झड़ने वाली हूँ। मैंने भाभी के भाग-शिश्न को फिर से अपने होंठों से खींचना उमेठना शुरू कर उनकी चूत को अपनी उंगलियाँ से तेज़ी से मारने लगी।

भाभी और मैं लगभग एक साथ झड़ने लगीं। मारी चूत से मानों कि रस का झड़ना फुट उठा। भाभी की चूत ने एक बार फिर से इतना रस मेरे मुंह में निकाला कि मैं मुश्किल से बिना व्यर्थ किये पी पायी।


हम दोनों बहुत देर तक एक दुसरे की जांघों के बीच अपना मुंह दबा कर हांफती हुई साँसों को काबू में करने का प्रयास कर रहीं थीं।

आखिकार थकी हुई सी भाभी पलटीं और मुझे बाँहों में लेकर अनेकों बार चूमने लगीं। मैंने भी भाभी के चुम्बनों का जवाब अपने चुम्बनों से देना प्रारंभ कर दिया।

कुछ देर बाद भाभी मेरे ऊपर से फिसल कर मेरे साथ लेट गयीं और मेरे होंठों पर अनेकों चुम्बन दिए.


कुछ देर बाद मैंने भाभी के साथ हुए सैम-लैंगिक अगम्यागमन को नज़रंदाज़ करने के लिए शरारत से भाभी के दोनों निप्पलों को कास कर दबा दिया और नटखटपन से बोली, "अब तो मुझे भैया से चुवाना ही पड़ेगा. उनका ताज़ा मीठा-नमकीन वीर्य तो मुझे हमेशा के लिए याद रहेगा."

मेरी भाभी ने मेरा चेहरा हाथों में ले कर धीरे से बोलीं,"नेहा, तुम्हारी स्वार्गिक सौन्दर्य के लए तो भगवान् भी लालची बन जायेंगे. नेहा, तुम्हें शायद पता न हो पर इस घर में सारे पुरुष तुम्हे प्यार से चोदने से पीछे नहीं हटेंगें. कभी तुमने अपने पापा को ध्यान से देखा है. उनके जैसा पुरुष तो किसी भी स्त्री का संयम भंग कर सकता है. मुझे तो पता नहीं कि तुम कैसे एक घर में रह कर भी उनसे चदवा कर उनकी दीवानी नहीं बन गयीं. मैं तो अबतक अपना कौमार्य उनको सम्पर्पित कर देती."


अब मैं बिलकुल शर्म से तड़प उठी. ममेरे भई से चुदवाने की अश्लील बात एक तरफ थी पर अपने प्यारे पापा के साथ...[ऊफ पापा के साथ कौटुम्बिक-व्यभिचार...भगवान् नहीं..नहीं]... मेरा दिमाग पागल हो गया.

"भाभी प्लीज़ आप ऐसे नहीं बोलिए. मुझे बहुत शर्म और परेशानी हो रही है,"


भाभी ने प्यार से मुझे पकड़ के एक लम्बा सा चुम्बन दिया और मुझसे विदा ली, “नेहा, तुम कल बड़े बाबूजी [बड़े मामा] के साथ मछली पकड़ने जा रही हो। यह अच्छा मौक़ा है अपने बड़े मामा से अपनी कुंवारी चूत फड़वाने का। उन्हें पटाने में तुम्हें ज़्यादा मेहनत भी नहीं करनी होगी।”

मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। क्या अंजू भाभी को शक हो गया था की मेरे और बड़े मामा के बीच में कुछ चल रहा था?


मैंने बड़ी बहादुरी से अपना डर छुपा कर मुस्करा कर बोली, "भाभी, आप को कैसे पता की बड़े मामा को पटाने में कम मेहनत लगेगी? क्या अपने ससुरजी के साथ भी चुदाई की हुई है?"

मैंने देखा की कुछ क्षणों के लिए अंजू भाभी भाभी सकपका गयीं। पर वो मुझे बहुत परिपक्व थीं। उन्होंने संभल कर बात सम्भाल ली, "अरे, मेरी छोटी सी नन्द रानी तो बड़ी तड़ाके से बोलना सीख गयी है।"


उन्होंने झुक कर मेरी नाक की नोक को प्यार से काट कर मेरे खिलखिला कर हँसते हुए मुंह को उतने प्यार से ही चूम लिया, " नेहा, मुझे बेटी पैदा करने का सौभाग्य हुआ तो मैं प्रार्थना करूंगी की वो तुम्हारे जितनी प्यारी और सुंदर हो।" उन्होंने मेरे मुंह पर से अपने मीठे होंठ लगा कर चूम लिया। मैं उनके प्यार से अभिभूत हो गयी।


अंजू भाभी ने मुझे मुक्त किया और द्वार की तरफ चल दीं। पर अंजू भाभी भी अंजू भाभी थीं। उन्होंने दरवाज़े के पास मुड़ कर मुझे मुस्करा कर देखा और मीठी सी आवाज़ में बोलीं, "नेहा, तुम्हारे बड़े मामा मेरे ससुर हैं और मैं उनके बेटे की अर्धांग्नी हूँ। मुझे अपने ससुर जी के सोचने के तरीके के बारे में काफी-कुछ पता है। सो मेरी बात भूलना नहीं। यदि बड़े मामा तुम्हारे इशारों को ना समझें तो तुम्हारे नरेश भैया तो तैयार हैं हीं।"



मेरा मन तो हुआ कि मैं अंजू भाभी को वापिस बुला कर सब बता दूं। हो सकता है की वो मुझे कुछ बड़े मामा से चुदवाने में मदद करने की कोई सलाह देदें। पर फिर मुझे तुरंत विचार आया कि बड़े मामा भी तो इस प्रसंग में शामिल हैं और उनकी आज्ञा के मुझे किसी को भी बताने का अधिकार नहीं है।

मैं इस उहापोह में पड़ी रही पर कुछ ही देर में मैंने अपने मस्तिष्क को समझा दिया। आखिरकार मैं निद्रादेवी की गोद में गिरकर गहरी नींद में शांति से सो गयी.
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05-18-2019, 01:04 PM,
#14
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
हमारा छोटा सा परिवार--4


सुबह मैंने जल्दी से नहाने के बाद अपने बालों को खुला छोड़ दिया. मैंने सफ़ेद कॉटन की ब्रा और जांघिया चुनकर हलके गुलाबी रंग का कुरता और सफ़ेद सलवार पहनी. उसके ऊपर मैंने सफ़ेद झीनी सी चुन्नी गले पर लपेट ली. दुपट्टे के नीचे मेरे बड़े उरोज़ और भी उभरे हुए प्रतीत होते थे. मैंने अपने गोरे छोटे-छोटे पैरों पर हलके भूरे मुलायम चमड़े की फ्लैट हील की रोमन सैंडल डाल ली.


नौकर ने मेरा बैग बड़े मामा की मर्सिडीज़ ४x४ में रख दिया. मुझे पता था की इस गाड़ी में भी हमारे परिवार की दसियों गाड़ियों की तरह काले शीशे का एकांत या प्राइवेसी विभाजन था.


बाहर सब लोग नरेश भैया और अंजू भाभी को विदा करने के लिए इकट्ठा थे. नरेश भैया ने मुझे दूर से देखकर तेज़ी से मेरी तरफ आये और अपने बाँहों में भर लिया. भैया ने मुझे दोनों गालों पर चूमा और मेरे कान में धीरे से फुसफुसाए, "नेहा, भाभी ने मुझे सब समझा दिया है. मैं तुम्हारे फोने का बेसब्री से इंतज़ार करूंगा." मैं शर्मा कर उनसे लिपट गयी.


अंजू भाभी भी नज़दीक आ कर मुझसे गले मिली और मेरे चुपके से मेरे नितिम्बों को दबा दिया.

भैया-भाभी के जाने के बाद बड़े मामा और मैं भी रवाना हो गए. पीछे हमारा परिवार एक दुसरे को गोल्फ में हराने की बातें में व्यस्त हो गया.


"नेहा बेटा, आप बहुत ही सुंदर लग रही हो," बड़े मामा की प्रशंसा ने मुझे शर्म से लाल कर दिया.

बड़े मामा ने खाकी पतलून, आसमानी रंग की कमीज़ और गहरे नीले रंग का [नेवी ब्लू]कोट पहना था. वृहत्काय बड़े मामा अत्यंत हैंडसम और सुन्दर लग रहे थे.


"बड़े मामा आप ने ड्राईवर को क्यों नहीं लिया? हमें रास्ते में भी आपके साथ समय मिल जाता." मैंने शर्मा कर बड़े मामा के साथ किसी पत्नी जैसे अंदाज़ शिकायत की.

बड़े मामा खूब ज़ोर से हंसें, "नेहा बेटा. आप भूल गए ड्राईवर होता तो वो भी बंगले में ही रहता. आप फ़िक्र नहीं करो, हम वहां पहुच कर आपकी सारी शिकायत मिटा देंगें."


मैंने शर्म से अपना सिर झुका लिया. मैं अपने अक्षत-यौन को नष्ट करने के लिए कितनी बेशर्मी से बड़े मामा के साथ समरक्त-रतिसंयोग के लए उत्सुक थी.

बड़े मामा ने प्यार से मेरे खुले बालों को सहलाया.


बड़े मामा ने मुझे सारे रास्ते अपने मज़ाकों से हंसा-हंसा के मेरे पेट में दर्द कर दिया. हमने रास्ते में एक ढाबे में रुक कर नाश्ता किया. बड़े मामा को पता था कि मुझे सड़क के साथ के ढाबों में खाना खाना बहुत पसंद था. मुझे आलू के परांठे, अचार, अंडे के भुजिया किसी पांच सितारा होटल के खाने से भी अच्छी लगे. बड़े मामा मुझे लालचपने से खाते हुए पिताव्रत प्यारभरी आँखों से देखते रहे.


मैंने उनकी आँखों में भरे प्यार को अस्सानी से महसूस किया और उनका ध्यान बटाने के लिए बोली, "बड़े मामा, प्लीज़ थोडा खाइए ना. बेचारे ढाबे वाला समझेगा कि आपको उसका खाना अच्छा नहीं लगा."

बड़े मामा ने धीरे से कहा,"नेहा बेटा, काश तुम मेरी बेटी होतीं. तुम्हारे जैसी बेटी पाने के लिए मैं दुनिया का हर धन त्याग देता." जबसे मुझे याद है मेरे जन्म के बाद वो इस बात को कई बार कह चुके थे.


जब मनू भैया सिर्फ एक साल के थे तभी बड़ी मामी का देहांत हो गया था. उन्नीस साल तक मामा ने अपनी अर्धांग्नी की क्षति का दर्द सीने में छुपा कर अपने दोनों बेटों के लिए पूरा समय दे दिया.


मैंने अपना छोटा सा हाथ बड़े मामा के बड़े मज़बूत हाथ पर रखा, "बड़े मामा, आप मेरे पित-तुल्य हैं. मैं आपकी बेटी के तरह ही तो हूँ. इसका मतलब है कि आप मुझे अपनी बेटी नहीं समझते?"


बड़े मामा ने मेरा छोटा सा हाथ अपने बड़े हाथ में लेकर प्यार से अपने होंठों से चूम कर बोले, "आइ ऍम सॉरी,बेटा. मैं बुड़ापे में थोडा बुद्धू हो चला हूँ. तुम तो मेरी बेटी ही नहीं हमारे पूरे खानदान के अकेली अनमोल हीरा बेटी हो."


बड़े मामा सही कह रहे थे. मैं अपने पूरे परिवार में इकलौती बेटी थी. छोटे मामा और बुआ के कोई भी बच्चा नहीं था. बड़े मामा कभी दूसरी शादी का विचार भी मन में नहीं लाये थे. मेरे मम्मी पापा ने पता नहीं क्यों दूसरे बच्चे के लए प्रयास नहीं किया. मुझे हमेशा छोटे बहन-भाई ना होने का अहसास होता रहता था.


मैंने बड़े मामा का ध्यान इस दर्द भरी स्थिती से हटाने के लिए कृत्रिम रूप से इठला कर बोली, "बड़े मामा आप अभी बूढ़े नहीं हो सकते. अभी तो आपको अपनी बेटी जैसी भांजी का कौमर्यभंग करने के बाद ज़ोर से चुदाई करनी है."


बड़े मामा अपनी भारी आवाज़ में ज़ोर से हंस पड़े, "नेहा बेटा, बंगले में पहुच कर आपकी चूत और गांड की आज शामत आ जायेगी. मेरा लंड आपकी चूत और गांड बार बार चोद कर उनकी धज्जीयां उड़ा देगा." बड़े मामा ने अश्लील बातों से मुझे रोमांचित कर दिया.


बड़े मामा और मैं दो घंटे की यात्रा में कभी पिता-बेटी की तरह बात करते तो कभी अत्यंत अश्लील और वासनामयी वक्रोक्ती से एक दूसरे की कामंग्नी को और भी भड़का देते थे.


"मामाजी यदि किसी ने सुरेश अंकल या नम्रता आंटी से पूछ लिया तो क्या होगा?" मुझे बड़े मामा की इज्ज़त की बहुत फिक्र थी.

"नेहा बेटा, मैंने सुरेश को बताया कि मैं एक बहुत खूबसूरत, अत्यंत विशेष नवयुवक स्त्री को परिवार की परिधी से दूर मिलने के लए आ रहा हूँ. दोनों ने समझ लिया कि ये विशेष स्त्री हो सकता है कि एक बार के बाद मुझसे मिलना न चाहे. मुझे झूठ नहीं बोलना पड़ा पर पूरी बात भी नहीं बतानी पडी."
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05-18-2019, 01:04 PM,
#15
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
"ओहो, मुझे आपके ऊपर तरस आ रहा है बड़े मामा. कहाँ तो आपकी कहानी की विशेष नवयुवती और कहाँ आपकी लड़कों जैसी नटखट भांजी." मुझे बड़े मामा को चिड़ाने में मज़ा आ रहा था.


बड़े मामा ने जोरकर हंस कर मेरी ओर प्यार से देखा.


हम दोनों के निरंतर वार्तालाप में बाकी यात्रा यूँ ही समाप्त हो गयी.

हम परिवार का झील वाला बंगला एक पहाड़ी पर था. सिर्फ एक सड़क ही थी और वो सड़क सिर्फ हमारी जायदात पर ही ख़त्म हो जाती थी.


बड़े मामा ने बंगले के सामने बड़े खुले पार्किंग दालान में कार रोक दी. बँगला लगबघ ५० एकड़ के बीच में था. परिघी के बाद सब तरफ वादी थी. ४-५ एकड़ की घास भरी ज़मीन के बाद सारी तरफ घने पेड़ों का जंगल था. उसके बीच में ६ एकड़ की झील थी.


बँगला टीक लकड़ी और और पहाड़ी पत्थरों से बना था. उसमे दस शयन-कक्ष, ४ बैठक, २ रसोई और दो परिवार के खेलने और सिनेमा देखने के कमरे थे.

बड़े मामा ने मुझे गाड़ी से निकलते ही अपनी बाँहों में उठा लिया, "नेहा बेटा, आज तो मुझे आपसे आपकी सुहागरात जैसे ही व्यवहार करना चाहिये."


मैंने अपनी बाहें मामाजी कि गर्दन के इर्दगिर्द डाल दीं.

बड़े मामा ने मुझे तीसरे बड़े शयन-कक्ष में ले गए. दरवाज़े के अंदर जाते ही मेरी आँखे खुली की खुली रह गयीं.


पूरा कमरा फूलों से सजा हुआ था.बिस्तर पर भी गुलाब की कोमल पंखुड़ियां बिखरी हुई थीं. सफ़ेद बिस्तर पर लाल और गुलाबी ग़ुलाब की पंखुड़ियां किसी भी स्त्री के दिल को प्यार से झंझोड़ देने के लिये पर्याप्त थीं.


मेरी आश्चर्य से चीख निकल गयी. मैंने बड़े मामा के मूंह को बार-बार चूम कर गीला कर दिया.

मामा ने मुझे धीरे से ज़मीन पर खडा कर दिया मानो मैं अत्यंत नाज़ुक थी. मेरी दृष्टी मुलायम तकियों के ऊपर एक बड़े से शलीन के बक्से पर पडी. मैंने बड़े मामा की तरफ देखा और उन्होंने मुस्करा कर सिर हिलाया.


मैंने सुंदर बक्सा खोला तो उसमे तीन विभाग थे. एक में हीरों का हार, दूसरे में वैसे ही हीरों का कंगन था और तीसरे में मिलती हुई हीरों की पैंजनी [एंकलेट] थी. मैं मामा से लिपट गयी. बड़े मामा ने मेरे साथ सहवास के लिये कितनी तय्यारियाँ की थीं. उनके उपहार कीमत से नहीं उनके दिल की चाहत की वज़ह से मेरे लिये बेशकीमती थे. मैंने होले से बक्सा बंद किया और बिस्तर के पास की मेज़ पर रख दिया.


फिर मैं शर्माती हुई अपने वृहत्काय बड़े मामा की बाँहों में समा गयी. बड़े मामा ने मुझे अपने बाँहों में भर कर कस के अपने भारी-भरकम शरीर से जकड़ लिया. बड़े मामा मुझसे एक फुट से भी ज़्यादा लम्बे थे. मैंने अपना शर्म से लाल चेहरा उनकी सीने में झुपा लिया. बड़े मामा ने मेरी थोड़ी को अपनी उंगली से ऊपर उठाया और नीचे सर झुका कर मेरे नर्म, कोमल होठों पर अपने होंठ रख दिए.


मेरी साँस तेज़ हो गयी. मेरा मुंह सांस की तेज़ी के कारण अपने आप ही खुल गया. मामाजी की मोटी जीभ मेरे मुंह में समा गयी. बड़े मामा ने मेरे पूरे मुंह के अंदर अपनी जीभ को सब तरफ अच्छे से फिराया.मेरे मुंह में उनकी जीभ ने मुझे पागल कर दिया. मेरी जीभ स्वतः ही मामाजी की जीभ से खेलने लगी.


बड़े मामा ने अपने खुले मुंह से मेरे मुंह में अपनी लार टपकाने लगे. मेरा मुंह उनके मीठे थूक से भर गया. मैंने जल्दी से उसको निगल कर बड़े मामा के साथ खुले मुंह के चुम्बन में पूरी तरह से शामिल हो गयी. बड़े मामा ने अपने हाथ मेरे पीठ पर फिरा कर मेरे दोनों गुदाज़ नितिम्बों पर रख दिए.


मामाजी ने अपने होंठों को जोर से मेरे मुंह पर दबा कर मेरे दोनों चूतड़ों को मसल दिया. मैं कामुकता की मदहोशी के प्रभाव से झूम उठी. मैंने अपने पैर की उंगलियों पर खड़ी हो कर थोड़ा ऊंची हो गयी जिस से मामा जी को मुझे चूमने के लिए कम झुकना पड़े. बड़े मामा ने मुझे अपने दोनों हाथों को मेरे नितिम्बों के नीचे रख कर ऊपर उठा लिया और बिस्तर की तरफ ले गए.


बड़े मामा बिस्तर के कगार पर बैठ गए. मैं उनकी फ़ैली हुई जांघों के बीच मे खड़ी थी. मामाजी ने मुझे खींच कर अपनी बाँहों मे भर कर मेरे मुंह से अपना


मुंह लगा कर मेरी साँसों को रोकने वाला चुम्बन लेने लगे. उनके दोनों हाथ मेरे गुदाज़ चूतड़ों को प्यार से सहला रहे थे, जब मामाजी मेरे नितिम्बों को ज़ोर से


मसल देते तो मेरी सिसकारी निकल जाती और मैं अपना मुंह और भी ज़ोर से मामाजी के खुले मुंह से चिपका देती.


मामाजी ने धीरे-धीरे मेरा कुरता ऊपर उठा दिया. उनके हाथ जैसे मेरी नंगी कमर को सहलाने लगे तो मेरी मानो जान ही निकल गयी. मुझे अब आगे के


सहवास के बारे में आशंका होने लगी. मेरी कमसिन किशोर अवस्था ने मुझे मामाजी के अनुभवी आत्मविश्वास के सामने अपने अनुभव शून्यता और अनाड़ीपन का


अहसास करा दिया. मुझे फ़िक्र होने लगी की मैं कहीं बड़े मामा को सहवास में खुश न कर पाई तो उन्हें कितनी निराशा होगी. बड़े मामा ने मेरे साथ चुदाई के लिए


कितने दिनों से मन लगाया हुआ था. मैं कुछ कहने ही वाली थी पर बड़े मामा के हाथों के जादू ने मुझे सब-कुछ भुला दिया.



बड़े मामा ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और मेरी सलवार नीचे सरक कर पैरों पर इकट्ठी हो गयी. मामाजी ने मेरे छोटे से सफ़ेद झांगिये के अंदर


अपने दोनों हाथ डाल दिए और मेरे नग्न चूतड़ों को सहलाने लगे. मेरी सांस अब रुक-रुक कर आ रही थी.मेरे मस्तिष्क में अब कोइ भी विचार नहीं रह गया था.


मेरा सारा दिमाग सिर्फ मेरे शरीर की भड़की आग पर लगा था. उस आग को बड़े मामा ने अपने अनुभवी हाथों से और भी उकसा दिया.



मेरे मूंह से सिसकारी निकल गयी, "मामाजी, हाय मुझे ..अह," मैंने अपने दोनों बाँहों को मामाजी की गर्दन के चारों और ज़ोर से डाल कर उनसे लिपट


गयी. बड़े मामा ने ने बड़ी सहूलियत और चुपचाप से मेरी जांघिया नीचे कर दी. बड़े मामा ने मेरा कुर्ता और भी ऊपर कर मेरे ब्रा में से फट कर बाहर आने को


तड़प रहे उरोज़ों को अपने हाथों से ढक कर धीरे से दबाया. मेरी मूंह से दूसरी सिसकारी निकल गयी.


मेरी सिस्कारियों से बड़े मामा को अपनी बेटी-समान भांजी के भीतर जलती प्रचंड वासना की अग्नि का अहसास दिला दिया.


मामा जी ने मेरे मुंह को चुम्बन से मुक्त कर मेरे कुरते को उतार दिया.मैं अब सिर्फ ब्रा के अलावा लगभग वस्त्रहीन थी. एक तरफ मुझे लज्जा से मामाजी से आँखे


मिलाने में हिचक हो रही थी और दूसरी तरफ मामा जी के हाथ, जो मेरे गुदाज़ बदन पर हौले-हौले फिर रहे थे, मेरी कौमार्य-भंग की मनोकामना को उत्साहित कर


रहे थे. बड़े मामा ने मेरी ब्रा के हुक खोल कर मेरे उरोज़ों को नग्न कर दिया. मेरे स्तन मेरी किशोर उम्र के लिहाज़ से काफी बड़े थे. बड़े मामा ने पहली बार मेरी


नग्न चूचियों को अपने हाथों में भर किया. उनके हाथों ने दोनों उरोज़ों को हलके से सहालाया और धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया. मेरी मुंह कामंगना और शर्म से


दमक रहा था. मेरे मामा ने मेरा चेहरा अपने हाथों में ले कर बड़े प्यार से चूम कर कहा, "नेहा बेटा, तुम जैसी अप्सरा के समान सुंदर मैंने अपनी ज़िंदगी सिर्फ एक


और लड़की को ही जानता हूँ."



बड़े मामा की प्रशंसा से मेरा दिल चहक उठा और मुझे सांत्वना मिली की मामाजी मुझे अपनी भांजी के अलावा स्त्री की तरह भी चाहते हैं.


बड़े मामा ने आहिस्ता से गोद में उठाकर कर मुझे बिस्तर पर सीधे लिटा दिया. मैंने शर्मा कर अपना एक हाथ से अपने बड़े उरोज़ों और दूसरा हाथ अपनी जांघों के


बीच, गुप्तांग को ढक लिया.
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05-18-2019, 01:05 PM,
#16
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
बड़े मामा मुझे शर्माते देख कर मुस्कराए और अपने कपडे उतारने लगे. उन्होंने पहले अपने जूते और मोज़े उतार कर पतलून निकाल दी. बड़े मामा की जांघें


किसी मोटे पेड़ के तने की तरह विशाल और घने बालों से भरी हुईं थीं. बड़े मामा ने बौक्सर-जांघिया पहना हुआ था.बड़े मामा ने अपने कमीज़ खोल कर अपने


बदन से दूर कर ज़मीन पर फ़ेंक दी. बड़े मामा का भीमकाय शरीर ने मुझे ने मेरी वासना को और भी उत्तेजित कर दिया. बड़े मामा का सीना घने घुंगराले बालों से


आवृत था. उनका पेट अब कुछ सालों से बाहर निकल आया था. पर फिर भी उसे अभी तोंद नहीं कह सकते थे. उनके सीने के बाल पेट पर भी पूरी तरह फ़ैल गए


थे.



मैंने सांस रोक कर बड़े मामा को अपना जांघिया उतारते गौर से देख रही थी. बड़े मामा जब जांघिये को अलग कर खड़े हुए तो उनका गुप्तांग मेरी आँखों


के सामने था. बड़े मामा का लंड अभी बिकुल भी खड़ा नहीं था फिर भी वो मेरी भुजा के जितना लंबा था. बड़े मामा के लंड का मोटाई मेरी बाजू से भी ज़्यादा


थी. मेरी सांस मानों बंद हो गयी. मुझे बड़े मामा के लंड को देख कर अंदर ही अंदर बहुत डर सा लगा.



बड़े मामा बिस्तर पर मेरी तरफ को करवट लेकर मेरे साथ लेट गए. बड़े मामा ने मेरे होंठो पर अपने होंठ रख कर धीरे से मेरे होंठों को अलग कर


दिया. उनकी जीभ मेरे मूंह में समा गयी. मेरे दोनों बाँहों ने स्वतः मामाजी के गर्दन को जकड़ लिया. बड़े मामा ने मेरे उरोज़ों को सहलाना शुरू कर दिया. मैं अब


मामाजी के मुंह से अपना मुंह ज़ोर से लगा रही थी. हम दोनों के विलास भरे चुम्बन ने और मामा जी के मेरी चूचियों के मंथन मेरी चूत को गरम कर दिया, मेरी


चूत में से पानी बहने लगा.


बड़े मामा ने अपना मुंह मेरे से अलग कर मेरे दायीं चूची के ऊपर रख दिया. मेरे दोनों उरोज़ों में एक अजीब सा दर्द हो रहा था. बड़े मामा एक हाथ से


मेरी दूसरी चूची को हलके हलके मसल रहे थे. मेरी सांस बड़ी तेज़ी से अंदर बाहर हो रही थी. मेरे दोनों हाथ अपने आप बड़े मामा के सर के ऊपर पहुँच गए. मैं


मामाजी का मुंह अपने चूची के ऊपर दबाने लगी. मामा मेरी चूची की घुंडी को अंगूठे और उंगली के बीच में पकड़ कर मसलने लगे और होंठों के बीच में मेरा दूसरा


चूचुक ले कर उसको ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया.


मेरे सारे शरीर में अजीब सी एंठन फ़ैल गयी. बड़े मामा के हाथों ने मेरे दोनों संवेदनशील उरोज़ों से खेल कर मेरे चूत में तूफ़ान उठा दिया. मेरी चूत में


जलन जैसी खुजली हो रही थी. बड़े मामा का दूसरा हाथ मेरी चूत के ऊपर जा लगा. मामाजी अपने बड़े हाथ से मेरी पूरी चूत ढक कर सहलाने लगे. मैं अब ज़ोरों


से सिस्कारियां भर रही थी. मामा ने मेरे उरोज़ों का उत्तेजन और भी तेज़ कर दिया और दुसरे हाथ की हथेली से उन्होंने मेरी पूरी चूत को दृढ़ता से मसलने लगे.



"आह, अह..अह..मामाजी, मुझे अजीब सा लग रहा है, ऊं.. ऊं अम्म..बड़े मामा ...आ ..आ ... उफ़, " मैं सीत्कारिया मार कर अपनी शरीर में


दोड़ती विद्युत धारा से विचलित हो चली थी. मेरे कुल्हे अपने आप बिस्तर से ऊपर उठ-उठ कर बड़े मामा के हाथ को और भी ज़ोर से सहलाने को उत्साहित करने


लगे.


बड़े मामा ने मेरी एक चूचुक को अपने दातों के बीच में दबा कर नरमी से काटा, दुसरे चूचुक को अंगूठे और उंगली में हलके भींच कर अहिस्ता से मेरे


चूची से अलग खींचने का प्रयास के साथ-साथ अपने चूत के ऊपर वाले हाथ के अंगूठे को मेरे भागंकुर के ऊपर रख उसे मसलने लगे.


बड़े मामा ने मेरे वासना से लिप्त अल्पव्यस्क नाबालिग किशोर शरीर के ऊपर तीन तरह के आक्रमण से मेरी कामुकता की आग को प्रज्जवलित कर दिया.
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05-18-2019, 01:05 PM,
#17
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
मेरे पेट में अजीब सा दर्द होने लगा, वैसा दर्द मेरी दोनों चूचियों में भी समा गया. कुछ ही क्षणों में वह दर्द मेरी चूत के बहुत अंदर से मुझे तड़पाने लगा.


मेरे सारे शरीर की मांसपेशियां संकुचित हो गयीं.


"बड़े मामा .. आ.. आ.. मेरी चूत जल रही है. बड़े मामा आह आह अँ ..अँ अँ अँ ऊओह ऊह ," मेरे मूंह से चीख सी निकल पडी. बड़े मामा ने यदि मेरी


पुकार सुनी भी हो तो उसकी उपेक्षा कर दी और मेरी चूचियों की घुंडियों को अपने मुंह और हाथ से तड़पाने लगे. मेरी चूत और भगशिश्निका को बड़े मामा और


भी तेज़ी से मसलने लगे.


"बड़े मामा मैं झड़ने वाले हूँ. मेरी चूत झाड़ दीजिये माम जी ..ई. ई...आह." मेरा शरीर निकट आ रहे यौन-चमोत्कर्ष के प्रभाव से असंतुलित हो गया.


मैं यदि बड़े मामा के ताकतवर बदन से नहीं दबी होती तो बिस्तर से कुछ फुट ऊपर उठ जाती. मेरे गले से एक लम्बी घुटी-घुटी सी चीख के साथ मेरा


यौन-स्खलन हो गया. मेरे कामोन्माद के तीव्र प्रहार से मेरा तना हुआ बदन ढीला ढाला हो कर बिस्तर पर लस्त रूप से पसर गया. बड़े मामा ने मेरी तीनो,


कामुकता को पैदा करने वाले, अंगों को थोड़ी देर और उत्तेजित कर मेरे निढाल बदन को अपनी वासनामयी यंत्रणा से मुक्त कर दिया.


बड़े मामा मुझे अपनी बाँहों में भर कर प्यार से चूमने लगे. मैं थके हुए अंदाज़ में मुस्करा दी. मेरी अल्पव्यस्क किशोर शरीर को प्रचण्ड यौन-स्खलन के बाद की थकावन


से अरक्षित देख बड़े मामा का वात्सल्य उनके चुम्बनों में व्यक्त हो रहा था.


"बड़े मामा, मैं तो ऐसे कभी भी नहीं झड़ी," मैंने भी प्यार से मामाजी को वापस चूमा.


"नेहा बेटा, अभी तो यह शुरूवात है," बड़े मामा ने मेरी नाक को प्यार से चूमा. उनका एक हाथ मेरे उरोज़ों को हलके-हलके सहला रहा था.


बड़े मामा और मैं अगले कई क्षण वात्सल्यपूर्ण भावना से एक दुसरे को चूमते रहे. बड़े मामा ने कुछ देर बाद उठ कर मेरी टागों के बीच में लेट गए.




बड़े मामा ने मेरी दोनों घुटनों को मोड़ कर मेरी जांघे फैला दीं. उनका मूंह मेरी बहुत गीली चूत के ऊपर था.


मेरी सांस बड़े मामा के अगले मंतव्य से मेरे गले में फँस गयी. बड़े मामा ने मेरे भीगी झांटों को अपने जीभ से चाटने के बाद मेरे चूत के दोनों भगोष्ठों को अलग कर मेरी गुलाबी


कोमल कुंवारी चूत के प्रविष्ट -छिद्र को अपनी जीभ से चाटने लगे. मेरी वासना फिर पूर्ण रूप से तीव्र हो गयी.



बड़े मामा ने अपने हाथों को मेरी टांगों के बाहर से लाकर मेरे दोनों फड़कते उरोज़ों को अपने काबू में ले लिया. बड़े मामा ने मेरी चूत अपने मोटी खुरदुरी जीभ से चाटना


शुरू कर दिया. मामा ने दोनों चूचियों का मंथन के साथ साथ मेरे भागान्कुन का मंथन भी अपने दातों से कर रहे थे.


मामाजी के भग-चूषण ने मेरी सिस्कारियों का सिलसिला फिर से शुरू कर दिया.



बड़े मामा ने अपना मूंह मेरी चूत से अचानक हटा लिया. मैं बड़ी ज़ोर से आपत्ती करने के लिए कुनमुनाई, तभी मामा ने अपनी जीभ से मेरी गांड के छोटे से छेद को चाटने लगे.


मेरे होशोअवास उड़ गए. मेरी छोटी सी ज़िंदगी में इतना वासना का जूनून कभी भी महसूस नहीं किया था. मामाजी ने अपना थूक मेरी गांड पर लगा दिया. मेरी गांड का छल्ला


फड़कने लगा. बड़े मामा की बदस्तूर कोशिश से उनकी जीभ की नोक मेरी गांड के छिद्र में प्रविष्ट हो गयी. मेरे मूंह से बड़ी ज़ोर से सिसकारी निकल गयी. बड़े मामा ने अपने एक


हाथ से मेरे उरोंज़ को मुक्त कर मेरी चूत की घुंडी का मंथन करने लगे. मैं हलक फाड़ कर चीखी,"बड़े मामा, मैं झड़ने वाली हूँ. मेरी चूत झाड़ दीजिये...आह ..आह."



बड़े मामा ने आपनी जीभ मेरी गांड से निकाल कर मेरी भागान्ग्कुर को अपने दातों में नरमी से ले कर अहिस्ता से उसे झझोंड़ने लगे, जैसे कोई वहशी जानवर अपने शिकार


के मांस को चीड़ फाड़ता है. मेरी चूत की जलन मेरी बर्दाश्त की ताकत से बाहर थी. मैंने अपने दोनों हाथों से मामाजी का सर पीछे पकड़ कर अपनी चूत में दबा लिया. मामा जी ने


अपने खाली हाथ की अनामिका मेरी गांड में उंगली के जोड़ तक दाल दी.



मेरे चूतड़ मेरी अविश्वसनीय यौन-चरमोत्कर्ष के मीठे दर्द के प्रभाव में बिस्तर से उठ कर मामा के मूंह के और भी क़रीब जाने के लिए बेताब होने लगे. मामा ने मेरे थरथराते


शरीर को अपने मज़बूत हाथ से नीचे बिस्तर पर दबा कर मेरी रति रस से भरी हुई चूत का रसास्वादन तब तक करते रहे जब तक मेरे आनंद की पराकाष्ठा शांत नहीं होने लगी.



मेरी चूत अब नहुत संवेदनशील थी और बड़े मामा के चुम्बन करीब-करीब दर्दभरे से लगने लगे. मैं कुनमुना कर मामा का सर अपनी चूत से हटाने के लिए संकेत दिया. बड़े


मामा उठ कर मेरी खुली पसरी गुदाज़ जांघों के बीच बैठे तो उनके मूंह पर मेरी चूत का सहवास-रस लगा हुआ था. बड़े मामा ने खूब स्वाद से मेरी चूत और गांड में डाली


उँगलियों को प्यार चूसा. मेरी वासना उनकी इस हरकत से बड़ी प्रभावित हुई पर मैंने उन्हें झूठी डांट पिला दी, "बड़े मामा आप ने मेरी गांड की गंदी उंगली को मूंह में ले लिया,


उफ,कैसे हैं आप...छी-छी." पर मेरा दिल अंदर से बहुत प्रसन्न हुआ.



मैंने बड़े मामा के हाथ को अपने तरफ खींचा. बड़े मामा अपने भीमकाय शरीर के पूरे भार से मेरे कमसिन, किशोर गुदाज़ शरीर को दबा कर मेरे ऊपर लेट गए. मैंने अपने


दोनों नाज़ुक, छोटे-छोटे हाथों से मामाजी का बड़ा चेहरा पकड़ कर उनका मूंह अपने जीभ से चाट-चाट कर साफ़ कर दिया. मैंने शैतानी में उनकी मर्दान्ग्नी के मुनासिब खूबसूरत नाक


को अपनी जीभ की नोक से सब तरफ से चाटा. जब मामाजी का मूंह, नाक मैंने अपने चूत के पानी को चाट कर साफ़ कर दिया तो उनकी नाक की नोक पर प्यार से चुम्बन रख


दिया. उन्होंने मेरे नाबालिग, कमसिन, किशोर लड़की के अंदर की औरत को जगा दिया. मुझे बड़े मामा के ऊपर वात्सल्य प्रेम आ रहा था. उन्होंने मेरी वासना की आग दो बार


अविस्वस्नीय प्रकार से बुझा दी थी. आगे पता नहीं और क्या-क्या उनके दिमाग में था.
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05-18-2019, 01:05 PM,
#18
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
हमारा छोटा सा परिवार--5


"बड़े मामा, क्या मैं आपका लंड चूसूं?" मैंने हलके से पूछा. बड़े मामा के चेहरे पर खुली मुस्कान मेरा जवाब था.


बड़े मामा मेरे सीने के दोनों तरफ घुटने रख कर अपना लगभग पूरा तनतनाया हुए लंड को मेरे मूंह की तरफ बड़ा दिया. बड़े मामा का लंड उसकी मुरझाई स्तिथी से अब लगभग


दुगना लंबा और मोटा हो गया था. उनका लंड मेरे चूचियों के ऊपर से लेकर मेरे माथे से भी ऊपर पहुँच रहा था.



मेरे छोटे-छोटे नाज़ुक हाथ बड़े मामा के लंड की पूरी परिधी को पकड़ने के लिए अपर्याप्त थे. मैंने दोनों हाथों से मामाजी का लौहे जैसा सख्त, पर रेशम जैसा


चिकना, लंड संभाल कर उनके लंड का सुपाड़ा अपने पूरे खुले मुंह में ले लिया. मेरा मुंह मामाजी के लंड के सिर्फ सुपाड़े से ही भर गया. मुझे लंड को चूसने का कोई भी अभ्यास


नहीं था. मैंने जैसे भी मैं कर सकती थी वैसे ही बड़े मामा के लंड को कभी मुंह में लेकर, कभी जीभ से चाट कर अपने प्यारे मामाजी को शिश्न-चूषण के आनंद देने का भरपूर


प्रयास किया.



मैंने बड़े मामा के अत्यंत मोटे भारी लंड को अपने अगरम मूंह से जितना भी सुख देने की मेरा सामर्थ्य था उतना प्रयास मैंने दिल लगा


कर किया। उनके मोटे लंड ने मेरे गले को बिलकुल भर दिया था। मेरे मूंह के किनारे इतने खिंच रहे थे कि मुझे थोड़ा थोड़ा दर्द होने लगा।


पांच मिनट के बाद बड़े मामा ने अपना लंड मेरे थूक से भरे मुंह से निकाल लिया और फिर से मेरी जांघों के बीच में चले गए, "नेहा बेटा


अब आपकी चूत मारने का समय आ गयाहै."


मेरा हलक रोमांच से सूख गया. मेरी आवाज़ नहीं निकली, मैंने सिर्फ अपना सिर हिला कर मामाजी के निश्चय को अपना समर्थन दे दिया.


बड़े मामा ने मेरी गुदाज़ जांघें अपनी शक्तीशाली बाज़ुओं पर डाल लीं. उन्हीने अपना लंड मेरी गीली कुंवारी चूत के प्रविष्टी-द्वार पर ऊपर-नीचे रगड़ा. फिर मुझे उनके, छोटे


सेब के बराबर के आकार के लंड का सुपाड़ा अपनी छोटी सी कुंवारे चूत के छिद्र पर महसूस हुआ.


"नेहा बेटा, पहली चुदाई में थोड़ा दर्द तो ज़रूर होगा. आपने नीलू बेटी की चुदाई तो देखी थी. एक बार तुम्हारी चूत के अंदर लंड घुसड़ने के बाद चूत लंड के आकार


से अनुकूलन कर लेगी."


बड़े मामा के मेरे कौमार्य-भंग की चुदाई के पहले का आश्वासन से मेरा दिल में और भी डर बैठ गया.



************************************************************


बड़े मामाजी ने एक हल्की सी ठोकड़ लगाई और उनके विशाल लंड का बेहंत मोटा सुपाड़ा मेरी चूत के प्रवेश-द्वार के छल्ले को फैला कर मेरी कुंवारी चूत के अंदर


दाखिल हो गया.


"बड़े मामा, धीरे, प्लीज़.आपका लंड बहुत बड़ा और मोटा है. मुझे दर्द हो रहा है," मैं बिलबिलायी. मेरी चूत मामाजी के वृहत्काय लंड के ऊपर*अप्राकृतिक आकार में फ़ैल


गयी थी. मेरे सारे शरीर में दर्द की लहर दौड़ गयी. मैं छटपटाई और मामाजी को धक्का देकर अपने से दूर करने के लिए हाथ फैंकने लगी.


मामाजी का लंड अब मेरी चूत में फँस गया था. बड़े मामा ने मेरी दोनों कलाई अपने एक विशाल हाथ में पकड़ कर मेरे सिर के ऊपर स्थिरता से दबा दी और अपना भारी विशाल


बदन का पूरा वज़न डाल मेरे ऊपर लेट गए. मैं अब बड़े मामा के नीचे बिलकुल निस्सहाय लेटने के कुछ और नहीं कर सकती थी. बड़े मामा का महाकाय शरीर मुझे अब और भी दानवीय आकार का लग रहा था.


मैंने अपने नीचे के होंठ को दातों से दबा कर आने वाले दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश के लिए तैयार होने का प्रयास करने लगी.



बड़े मामा ने अपनी शक्तिशाली कमर और कूल्हों की मांसपेशियों की सहायता से अपने असुर के समान महाकाय लंड को मेरी असहाय कुंवारी चूत में दो-तीन


इंच और अंदर धकेल दिया. मैं दर्द के मारे छटपटा कर ज़ोर से चीखी, "नहीं, नहीं , मामाजी, आपने मेरी चूत फाड़ दी. मेरी चूत से अपना लंड निकाल लीजिये. मुझे


आपसे नहीं चुदवाना. मैं मर गयी, बड़े मामा ...आह मेरी चू...ऊ ..ऊ ..त फ..अ..आ..त ग...यी."


मैं पानी के बिना मछली के समान कपकपा रही थी.


बड़े मामा ने मेरी दयनीय स्तिथी और रिरियाने को बिलकुल नज़रंदाज़ कर दिया. मैं बिस्तर में बड़े मामा के अमानवीय शक्तिशाली शरीर के


नीचे असहाय थी. बड़े मामा ने मेरी चूत में अपने दानवाकारी लंड को पूरा अंदर डाल कर मेरी चुदाई का निश्चय कर रखा था.


मेरी आँखों से आंसू बहने लगे. बड़े मामा ने "चुप बेटा..शुष.." की आवाज़ों से मुझे *असहनीय पीढ़ा को बर्दाश्त करने की सलाह सी दी.


बड़े मामा ने मेरी चूत के अंदर अपना लौहे समान सख्त लंड और भी अंदर घुसेड़ दिया. उनका लंड मेरी कौमार्य की सांकेतिक योनिद्वार की झिल्ली


को फाड़ कर और भी अंदर तक चला गया.


मेरी दर्द से भरी चीख से सारा कमरा गूँज उठा. मैं रिरिया कर मामा से अपना लंड बाहर निकलने की प्रार्थना कर रही थी. मेरे आंसूओं की अविरल धारा


मेरे दोनों गालों को तर करके मेरी गर्दन और उरोज़ों तक पहुँच रही थी. मैंने सुबक सुबक कर रोना शुरू कर दिया.


बड़े मामा कठोड़ हृदय से मेरी सुबकाई और छटपटाहट की उपेक्षा कर अपने यंत्रणा के हथियार को मेरी दर्द से भरी चूत में कुछ इंच और भीतर धकेल


दिया. मुझे अपनी चूत से एक गरम तरल द्रव की अविरल धारा बह कर मेरी गांड के ऊपर से बिस्तर पर इकट्ठी होती महसूस हुई.
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05-18-2019, 01:05 PM,
#19
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
मेरे प्रचुर आंसू मेरी नाक में से बहने लगे. मेरा सुबकता चेहरा मेरे आंसूओं और मेरी बहती नाक से मलिन ही गया था. मैं हिचकियाँ मार कर ज़ोर


से रो रही थी. बड़े मामा ने मेरे रोते लार टपकाते हुए मुंह पर अपना मुंह रख कर मेरी चीखों को काफी हद तक दबा दिया. मुझे लगा की मेरी चूत के


दर्द से बड़ा कोई और दर्द नहीं हो सकता. मुझे किसी भी तरह विष्वास नहीं हो रहा था कि सिर्फ मामाजी का लंड अंदर जाने के इस दर्द के बाद कैसे


मामाजी मुझे चोद पायेंगे. मैं दिल में निश्चित थी की मैं दर्द के मारे बेहोश हो जाऊंगी.



मेरा सुबकना हिचकी मार-मार कर रोना जारी रहा, पर बड़े मामा अपने मुंह से मेरा मुंह बंद कर मेरे रोने की ध्वनि की मात्रा कम कर दी थी. बड़े


मामा कस कर मुझे अपने नीचे दबाया और अपना लंड मेरी थरथराती हुई चूत में से थोड़ा बाहर निकाल कर अपने शक्तिवान कमर और कूल्हों को भींच


कर अपना लंड पूरी ताकत से से मेरी तड़पती कुंवारी चूत में बेदर्दी से ठोक दिया. मेरा सारा बदन अत्यंत पीड़ा से तन गया.



बड़े मामा ने अपने भारी वज़न से मेरे छटपटाते हुए नाबालिग शरीर को कस कर दबाकर काबू में रखा. मेरे गले से घुटी-घुटी एक लम्बी चीख


निकल पड़ी. मैं 'गौं-गौं' की आवाज़ निकालने के सिवाय, निस्सहाय बड़े मामा के वृहत्काय शरीर के नीचे दबी, रोने चीखने के सिवाय कुछ और नहीं कर


सकती थी. मेरी कुंवारी चूत की मामाजी ने अपने, किसी असुर के लंड के समान बड़े लंड से, धज्जियां उड़ा दी.



मैं दर्द से बिलबिला रही थी पर मेरी आवाज़ मामाजी ने अपने मुंह से घोंट दी थी. मेरे नाखून मामाजी की पीठ की खाल में गड़ गए. मैंने बड़े


मामा की पीठ को अपने नाखूनों से खरोंच दिया.


मैं उनसे अपनी फटी चूत में से मामाजी का महाकाय लंड बाहर निकालने की याचना भी नहीं कर सकती थी. यदि इसको ही चुदाई कहते हैं


तो मैंने मन में गांठ मार ली कि जब मामाजी ने मुझे इस यंत्रणा से मुक्त कर देंगे तो उसके बाद सारा जीवन मैं चूत नहीं मरवाऊंगी.


मुझे ज्ञात नहीं कि मैं कितनी देर तक रोती बिलखती रही. मेरे आंसू और नाक निरन्तर बह रही थी. काफी देर के बाद मुझे थोडा अपनी


स्तिथी का थोड़ा अहसास हुआ. मैं अब रो तो नहीं रही थी, पर जैसे लम्बे रोने के बाद होता है, वैसे ही कभी-कभी मेरी हिचकी निकल जाती थी. बड़े


मामा का मुंह मेरे मुंह पर सख्ती से चुपका हुआ था. मेरी चूत में अब भी भयंकर दर्द हो रहा था. मुझे लगा कि जैसे कोई मूसल मेरी चूत में घुसड़ा हुआ


था.


बड़े मामा ने धीरे से मेरे मुंह से अपना मुंह ढीला किया, जब मेरे मुंह से कोई दर्दनाक चीख नहीं निकली तो मामाजी अपना मुंह उठा कर बोले,


"नेहा बेटा, आपकी कुंवारी चोट बहुत ही तंग है. सॉरी, यदि बहुत दर्द हुआ तो."


मुझे विष्वास नहीं हुआ कि मेरे पिता-तुल्य मामाजी को मेरे चीखने चिल्लाने के बावज़ूद मेरी पीड़ा का ठीक अंदाज़ा नहीं था, "बड़े मामा," मैंने सुबक


कर बोली, 'आपने मेरी चूत फाड़ दी है. आप बहुत बेदर्द हैं, मामाजी. आप ने अपनी इकलौती भांजी के दर्द का कोई लिहाज़ नहीं किया?"


बड़े मामा ने हल्की सी मुस्कान के साथ मुझे माथे पर चूमा, "पहली बार कुंवारी चूत मरवाने का दर्द है, नेहा बेटा. आगे इतना दर्द नहीं होगा."



मैं अपनी चूत में फंसे मामाजी के *मूसल को अब पूरी तरह से महसूस *करने लगी. मुझे बड़े मामा के अत्यंत मोटे लंड के ऊपर अपनी चूत के


अमानवीय फैलाव की जलन भरे दर्द का पहली बार ठीक से अनुमान हुआ. मेरी कुंवारी चूत में अबतक मेरी एक पतली कोमल उंगली तक नहीं गयी थी,


उसमे बड़े मामा ने अपना घोड़े से भी बड़ा लंड बेदर्दी से मेरी नाज़ुक, कुंवारी चूत में पूरा लंड की जड़ तक घुसेड़ दिया था.


बड़े मामा प्यार से मेरा मुंह साफ करने लगे. बड़े मामा ने प्यार से मेरे सारे मलिन मुंह से सारे आंसू और बहती नाक को चाट कर साफ़ कर


दिया. मैं दर्द के बावज़ूद हंस पड़ी, "मामाजी, मेरे मूंह पर सब तरफ मेरी नाक लगी है, छी आप कितने गंदे हैं." मैंने मामाजी को कृत्रिम रूप से


झिड़कना दी, पर मेरा दिल मेरी मामाजी के लाड़-प्यार से पिघल गया.


मुझे अब अपने, विशाल शरीर और अमानवीय ताकत के, पर फूल जैसे कोमल हृदय के मालिक बड़े मामा पर बहुत प्यार आ रहा था. अब


मुझे उनका बेदर्दी से मेरी चूत फाड़ना उनकी मर्दानगी और मर्द-प्रेमी की सत्ता का प्रतीक लगने लगा. आखिर मेरे सहवास के अनाड़ीपन का भी तो बड़े


मामा को ख़याल रखना पड़ा था?



बड़े मामा ने मेरा पूरा चेहरा अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर, मेरी नाक को अपने मूंह में भर लिया. बड़े मामा की जीभ की नोक ने मेरे दोनों


नथुनों के अंदर समा कर मेरी नाक को प्यार से चाट कर साफ़ कर दिया. मैं खिलखिला कर छोटी बच्ची की तरह हंस पड़ी.


बड़े मामा के ने मेरी नाक को प्यार से चूमा और मेरे हँसते हुए मुंह को अपने मुंह से ढक लिया.


बड़े मामा ने धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकलना. मेरी सांस मेरे गले में फंसने लगी. मामा जी ने बहुत सावधानी से धीरे-धीरे


अपना मूसल लंड मेरी कुंवारी चूत में जड़ तक डाल दिया. मुझे बहुत ही कम दर्द हुआ. इस दर्द को मैं चूत की चुदाई के लिए कभी भी बर्दाश्त कर


सकती थी. बड़े मामा ने उसी तरह अहिस्ता-अहिस्ता मेरी चूत को, अपने महाकाय लंड की अत्यंत मोटी लम्बाई से धीरे-धीरे परिचित कराया. क़रीब


दस मिनट के बाद मेरी सिसकारी छूटने लगीं. इस बार मैं दर्द से नहीं कामवासना की मदहोशी से सिसक रही थी.


"बड़े मामा, अब मेरी चूत में दर्द नहीं हो रहा. हाय,अब तो मुझे अच्छा लग रहा है, "मैं कामुकता से विचलित हो, बड़े मामा से अपनी चूत


की चुदाई की प्रार्थना करने लगी, "बड़े मामा, अब आप मेरी चूत मार सकते हैं. आह..आपका लंड कितना मोटा..आ.. है."


मैं वासना की आग में जलने लगी. बड़े मामा ने उसे प्रकार धीरे-धीरे मेरी चूत अपने लंड से चोदते रहे. पांच मिनट के अंदर मेरे गले में


मानो कोई गोली फँस गयी. मेरे दोनों उरोंज़ दर्द से सख्त हो गए. मेरी चूत में अब जो दर्द उठा उसका इलाज़ मामा का लंड ही था. मैंने बड़े मामा


की गर्दन पर अपने बाहें डाल दीं और अपना चेहरा उनकी घने बालों से ढके सीने में छुपा लिया. मैं अब गहरी-गहरी सांस ले रही थी.



बड़े मामा ने मेरी स्तिथी भांप ली. मेरे यौन-चरमोत्कर्ष के और भी जल्दी परवान चढ़ाने के लिए बड़े मामा अपना लंड थोड़ी तेज़ी से


मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे. बड़े मामा जब अपना विशाल लंड जड़ तक अंदर घुसेड़ कर अपने कुल्हे गोल-गोल घुमाते थे तो उनका सुपाड़ा मेरी


चूत की बहुत भीतर मेरी गर्भाशय की ग्रीवा को मसल देता था. मेरी किशोर शरीर थोड़े दर्द और बहुत तीव्र कामेच्छा से तन जाता था. बड़े मामा का


विशाल लंड मेरी चूत में 'चपक-चपक' की आवाज़ करता हुआ सटासट अंदर बाहर जा रहा था.
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05-18-2019, 01:05 PM,
#20
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
"बड़े मामा, मैं अब आने वाली हूँ. मेरी चूत झड़ने वाले है. मेरी चूत को झाड़िए, मामाजी..ई..ई..अँ अँ..अँ..आह्ह."


मैं जैसे ही मेरा यौन-स्खलन हुआ मैं बड़े मामा के विशाल शरीर से चुपक गयी. मारी सांस रुज-रुक गर मेरी वासना की तड़प को और


भी उन्नत कर रही थी. मेरी चूत मानो आग से जल उठी. अब मेरे चूत की तड़पन मेरी बड़े मामा के महाविशाल लंड की चुदाई के लिए आभारी थी.



मेरे रति-निष्पत्ति से मेरा सारा शरीर थरथरा उठा. मुझे कुछ क्षण संसार की किसी भी वस्तु का आभास नहीं था. मैं कामंगना की देवी


की गोद में कुछ क्षणों के लिए निश्चेत हो गयी.


बड़े मामा ने मेरे मुंह को चुम्बनों से भर दिया. बड़े मामा ने अब अपना लंड सुपाड़े को छोड़ कर पूरा बाहर निकाला और दृढ़ता से एक


लम्बी शक्तिशाली धक्के से पूरा मेरी चूत में जड़ तक पेल दिया. मेरे मुंह से ज़ोर की सित्कारी निकल पड़ी. पर इस बार मेरी चूत में दर्द की कराह के


अलावा उस दर्द से उपजे आनंद की सिसकारी भी मिली हुई थी.


बड़े मामा अपने वृहत्काय लंड की पूरी लम्बाई से मेरी कुंवारी चूत को चोदने लगे. मैं अगले दस मिनटों में फिर से झड़ गयी.


बड़े मामा ने मेरी चूत का मंथन संतुलित पर दृढ़तापूर्वक धक्के लगा कर निरंत्रण करते रहे. बड़े मामा ने मेरी चूत को अगले एक घंटे तक


चोदा. मैं वासना की उत्तेजना में अंट-शंट बक रही थी. मेरी चूत बार-बार मामाजी के लंड के प्रहार के सामने आत्मसमर्पण कर के झड़ रही थी. मेरे


बड़े मामा ने अपने विशाल लंड से मेरी चूत का मंथन कर मेरी नाबालिग, किशोर शरीर के भीतर की स्त्री को जागृत कर दिया.



"बड़े मामा, मेरी चूत को फाड़ दीजिये. मुझे और चोदिये.मुझे आपका लंड कितना दर्द करता है पर और दर्द कीजिये." मेरी बकवास मेरे बड़े


मामा के एक कान में घुस कर दूसरे कान से निकल गयी. बड़े मामा ने हचक-हचक अपने अत्यंत मोटे-लम्बे लौहे की तरह सख्त लंड से मेरी चूत का


लतमर्दन कर के मुझे लगातार आनंद की पराकाष्ठा के द्वार पर ला के पटकते रहे. मैं भूल गयी कि उस दिन मेरी पहली चुदाई के दौरान, मेरी चूत, बड़े


मामा के लंड की चुदाई से कितनी बार झड़ी थी.



बड़े मामा ने ने मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों पर अपने होंठ जमा लिए और उपने मज़बूत चूतड़ों से मेरी चूत को और भी तेज़ी से छोड़ने


लगे, "नेहा बेटी, मुझे अब तुम्हारी चूत में आना है. मेरा लंड तुम्हारी चूत में झड़ने वाला है," बड़े मामा कामोन्माद के प्रभाव में फुसफुसाये.


मैंने अपनी बाँहों से इनकी पीठ सहलायी, "बड़े मामा आप अपना लंड मेरी चूत में खोल दीजिये. मेरी चूत को अपने मोटे लंड के वीर्य से


भर दीजिये."


बड़े मामा ने अपना पूरा लंड बाहर निकल कर पूरे शक्ति से मेरी चूत में जड़ तक घुसेड़ कर मेरे मुंह के अंदर ज़ोर से गुर्राए. उनके लंड ने मेरी


चूत के अंदर थरथरा कर बहुत दबाव के साथ गरम, लसलसे वीर्य की पिचकारी खोल दी. मेरी चूत इतनी उत्तेजना के प्रभाव से फिर झड़ गयी. बड़े


मामा का लंड बार बार मेरी चूत के भीतर बार बार विपुल मात्रा में वीर्य स्खलन कर रहा था. मुझे लगा कि बड़े मामा के लंड का वीर्य स्खलन कभी रुकेगा ही नहीं.
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