Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
05-29-2018, 11:48 AM,
#1
Wink  Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
सबाना और ताजीन की चुदाई -1 
हेल्लो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो आप तो जानते ही होंगे की एक मर्द से ज़्यादा सेक्स एक औरत मे होता है जब मर्द औरत की गर्मी शांत नही कर पाता है तो औरत पर क्या गुजरती है और यही से एक औरत का पतन होना शुरू हो जाता है ये कहानी एक भी कामातुर हसीना सबाना की है जो अपने पति से संतुष्ट ना हो पाने की वजह से बाहर की दुनिया मे अपने कदम बढ़ा देती हैअब आप कहानी का मज़ा लीजिए और रेप्लाई ज़रूर दे 
सुबह के आठ बज रहे थे. परवेज़ ने जल्दी से अपना पिजामा पहना और बाहर निकल गया. शबाना अभी बिस्तर पर लेटी हुई ही थी, बिल्कुल नंगी. उसकी चूत पर अब भी पठान का पानी नज़र आ रहा था, और मायूसी मे उसकी टांगे फैली हुई थी. आज फिर पठान उसे प्यासा छ्चोड़ कर चला गया था. 

"हरामजाड़ा छक्का" पठान को गाली देते हुए शबाना ने अपनी चूत में उंगली डाली और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगी. फिर एक भारी सिसकारी के साथ वो शिथिल पड़ने लगी, उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया. लेकिन चूत में अब भी आग लगी हुई थी, लंड की प्यासी चूत को उंगली से शांत करना मुश्किल था. 

नहाने के बाद अपना शरीर पोंच्छ कर वो बाथरूम से बाहर निकली और नंगी ही आईने के सामने खड़ी हो गई. आईने में अपने जिस्म को देखकर वो मुस्कुराने लगी, उसे खुद अपनी जवानी से जलन हो रही थी. शानदार गुलाबी चुचियाँ, भरे हुए मम्मे पतली कमर, क्लीन शेव चूत जिसके उपरी हिस्से पर बालों की एक पतली सी लकीर जैसे रास्ता बता रही हो - जन्नत का. 

उसने एक ठंडी आह भरी, अपनी चूत को थपथपाया और चड्डी पहन ली. फिर अपने गदराए हुए एकदम गोल और कसे हुए मम्मों को ब्रा में लपेटकर उसने हुक बंद कर लिया. अपने उरोजो को ठीक से सेट किया, वो तो जैसे उच्छल कर ब्रा से बाहर आ रहे थे. ब्रा का हुक बंद करने के बाद उसने अलमारी खोली और सलवार कमीज़ निकाली, लेकिन फिर कुच्छ सोचकर उसने कपड़े वापस अलमारी में रख दिए और बुर्क़ा निकाल लिया. 

अब वो बिल्कुल तैयार थी, सिर्फ़ एक ही बदलाव था, आज उसने बुर्क़े में सिर्फ़ चड्डी और ब्रा पहनी थी. फिर अपना छ्होटा सा पर्स जो कि मुट्ठी में आ सके और जिसमें 10-50 रुपये के 4-5 नोट रख सके, लेकर निकल गई. अब वो बस स्टॉप पर आकर बस का इंतेज़ार करने लगी, उसे पता था इस वक़्त बस में भीड़ होगी और उसे बैठने की क्या, खड़े होने की भी जगह नहीं मिलेगी. यही चाहती थी वो. शबाना सर से पैर तक बुर्क़े में धकि हुई थी, सिर्फ़ आँखें नज़र आ रही थी. किसी के भी उसे पहचान पाने की कोई गुंजाइश नहीं थी. 

जैसे ही बस आई, वो धक्का मुक्की करके चढ़ गई, किसी तरह टिकेट ली और बीच में पहुँच गई और इंतेज़ार करने लगी. किसी मर्द का जो उसे छुए, उसके प्यासे जिस्म को राहत पहुँचाए. उसे ज़्यादा इंतेज़ार नहीं करना पड़ा. उसकी जाँघ पर कुच्छ गरम गरम लगा. वो समझ गई कि यह लंड है. सोचते ही उसकी धड़कनें तेज़ हो गई, और उसने अपने आपको थोड़ा अड्जस्ट किया. अब वो लंड बिल्कुल उसकी गंद में सेट हो चुका था. उसने धीरे से अपनी गांद को पीछे की तरफ दबाया. उसके पीछे खड़ा था प्रताप सिंग, जो बस में ऐसे ही मौकों की तलाश में रहता था. प्रताप समझ गया कि लाइन क्लियर है. उसने अपना हाथ नीचे किया और अपने लंड को सीधा करके शबाना की गंद पर फिट कर दिया. अब प्रताप ने अपना हाथ शबाना की गंद पर रखा और दबाने लगा. हाथ लगाते ही प्रताप चौंक गया, वो समझ गया कि बुर्क़े के नीचे सिर्फ़ चड्डी है. उसने धीरे धीरे शबाना की मुलायम गोल गोल उठी हुई गंद की मसाज करना शुरू कर दिया. अब शबाना एकदम गरम होने लगी थी. प्रताप ने अपना हाथ अब उपर किया और शबाना की कमर पर से होता हुआ उसका हाथ उसकी बगल में पहुँच गया. वो शबाना की हल्की हल्की मालिश कर रहा था, उसकी पीठ पर से होता हुआ उसका हाथ शबाना की कमर और गंद को बराबर दबा रहा था. और नीचे प्रताप का लंड शबाना की गंद की दरार में धंसा हुआ धक्के लगा रहा था. फिर प्रताप ने हाथ नीचे लिया और उसके बुर्क़े को पीछे से उठाने लगा. शबाना ने कोई विरोध नहीं किया और अब प्रताप का हाथ शबाना की चड्डी पर था. वो उसकी जाँघ और गंद को अपने हाथों से आटे की तरह गूँथ रहा था. फिर प्रताप ने शबाना की दोनों जांघों के बीच हाथ डाला और उंगलियों से दबाया. शबाना समझ गई और उसने अपनी टाँगें फैला दी. अब प्रताप ने बड़े आराम से अपनी उंगलियाँ शबाना की चूत पर रखी और उसे चड्डी के उपर से सहलाने लगा. शबाना मस्त हो चुकी थी और उसकी साँसें तेज़ चलने लगी थी. उसने नज़रें उठाई और इतमीनान किया कि किसी की नज़र तो नहीं, यकीन होने के बाद उसने अपनी आँखें बंद की और मज़े लेने लगी. अब प्रताप की उंगली चड्डी के किनारे से अंदर चली गई थी. शबाना की भीगी हुई चूत पर प्रताप की उंगलियाँ जैसे कहर बरपा रही थी. ऊपर नीचे, अंदर-बाहर - शबाना की चूत जैसे तार-तार हो रही थी और प्रताप की उंगलिया खेत में चल रहे हल की तरह उसकी लंबाई, चौड़ाई और गहराई नाप रही थी. प्रताप का पूरा हाथ शबाना की चूत के पानी से भीग चुका था - फिर उसने अपनी दो उंगलियाँ एक साथ चूत में घुसा और दो तीन ज़ोर के झटके दिए - शबाना ऊपर से नीचे तक हिल गई और उसके पैर उखड़ गये, वो प्रताप पर एकदम से निढाल होकर गिर पड़ी. वो झाड़ चुकी थी. आज तक इतना शानदार स्खलन नहीं हुआ था उसका. उसने अपना हाथ पीछे किया और प्रताप के लंड को पकड़ लिया. इतने में झटके के साथ बस रुकी और बहोत से लोग उतर गये. बस तकरीबन खाली हो गयी. शबाना ने अपना बुर्क़ा झट से नीचे किया और सीधी नीचे उतर गई. आज उसे भरपूर मज़ा मिला था, रोज़ तो सिर्फ़ कोई पीछे से लंड रगड़ कर छ्चोड़ देते थे. आज जो हुआ वो पहले कभी नहीं हुआ था. आप ठीक समझे शबाना यही करके मज़े लूट रही थी. क्योंकि पठान उसे कभी खुश नहीं कर पाया था. 
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05-29-2018, 11:48 AM,
#2
RE: Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
उसने नीचे उतरकर रोड क्रॉस की और रिक्क्षा पकड़ ली. ऐसा मज़ा ज़िंदगी में पहली बार आया था. वो बार बार अपना हाथ देख रही थी, उसकी मुट्ठी बनाकर प्रताप के लंड के बारे में सोच रही थी. उसने घर से थोड़ी दूर ही रिक्क्षा छ्चोड़ दिया ताकि किसी को पता ना चले कि वो रिक्कशे से आई है. वो पैदल चलकर अपने मकान में पहुँची और ताला खोलकर अंदर चली गई. 

अभी उसने दरवाज़ा बंद किया ही था कि घंटी की आवाज़ सुनकर उसने फिर दरवाज़ा खोला. सामने प्रताप खड़ा था. वो समझ गई की प्रताप उसका पीछा कर रहा था, इस डर से की कोई और ना देख ले उसने प्रताप का हाथ पकड़ कर उसे अंदर खींच लिया. दरवाज़ा बंद करके उसने प्रताप की तरफ देखा, वो हैरान थी प्रताप कि इस हरकत से. "क्यों आए हो यहाँ ?" "यह तो तुम अच्छि तरह जानती हो." "देखो कोई आ जाएगा" "कोई आनेवाला होता तो तुम इस तरह बस में मज़े लेने के लिए नहीं घूम रही होती". "में तुम्हें जानती भी नहीं हूँ" "मेरा नाम प्रताप है, अपना नाम तो बताओ" "मेरा नाम शबाना है, अब तुम जाओ यहाँ से". बातें करते करते प्रताप शबाना के जिस्म पर हाथ फिरा रहा था. प्रताप के हाथ उसकी चुचियो से लेकर उसकी कमर और पेट और जांघों को सहला रहे थे. शबाना बार बार उसका हाथ झटक रही थी और प्रताप बार बार उन्हें फिर शबाना के जिस्म पर रख रहा था. लेकिन प्रताप समझ गया था कि शबाना की ना में हां है 

अब प्रताप ने शबाना को अपनी बाहों भर लिया और बुर्क़े से झाँकति आँखों पर चुंबन जड़ दिया. शबाना की आँखें बंद हो गई और उसके हाथ अपने आप प्रताप के कंधों पर पहुँच गये. प्रताप ने उसके बुर्क़े को उठाया, जैसे कोई घूँघट उठा रहा हो. चेहरा देखकर प्रताप को अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं हो रहा था. गजब की खूबसूरत थी शबाना - गुलाबी रंग के पतले होंठ, बड़ी आँखें, गोरा चिटा रंग और होंठों के ठीक नीचे दाईं तरफ एक छ्होटा सा तिल. प्रताप ने अब धीरे धीरे उसके गालों को चूमना और चाटना शुरू कर दिया. शबाना ने आँखें बंद कर ली और प्रताप उसे चूमे जा रहा था. उसके गालों को चाट रहा था, उसके होंठों को चूस रहा था. अब शबाना भी अच्च्छा साथ दे रही थी और उसकी जीभ प्रताप की जीभ से कुश्ती कर रही थी. प्रताप ने हाथ नीचे किया और उसके बुर्क़े को उठा दिया, शबाना ने अपने दोनों हाथ ऊपर कर दिए और प्रताप ने बुर्क़ा उतार फेंका. प्रताप शबाना को देखता रह गया, इतना शानदार जिस्म जैसे किसीने ने तराश कर बनाया हो. 

"दरवाज़े पर ही करना है सबकुच्छ ?" - प्रताप मुस्कुरा दिया और उसने शबाना को अपनी बाहों में उठा लिया और गोद में लेकर बिस्तर की तरफ चल पड़ा. उसने शबाना को बेड के पास ले जाकर गोद से उतार दिया और बाहों में भर लिया. शबाना की ब्रा खोलते ही जैसे दो परिंदे पिंजरे से छ्छूट कर उड़े हों. बड़े बड़े मम्मे और उनपर छ्होटी छ्होटी गुलाबी चुचियाँ और उठे हुए निपल्स. प्रताप तो देखता ही रह गया, जैसे की हर कपड़ा उतरने के बाद कोई ख़ज़ाना सामने आ रहा था. प्रताप ने अपना मुँह नीचे लिया और शबाना की चूचियों को चूसता चला गया और चूस्ते हुए ही उसने शबाना को बिस्तर पर लिटा दिया. शबाना के मुँह से सिसकारिया निकल रही थी और वो प्रताप के बालों में हाथ फिरा रही थी, उसे दबा रही थी और अपनी चूचियों को उसके मुँह में धकेल रही थी. शबाना मस्त हो चुकी थी. अब प्रताप उसके पेट को चूस रहा था और प्रताप का हाथ शबाना की चड्डी पर से उसकी चूत की मसाज कर रहा था. शबाना मस्त हो चुकी थी, उसकी चूत की लंड की प्यास उसे मदहोश कर रही थी. उसकी सिसकारियाँ बंद नहीं हो रही थी और टाँगें अपनेआप फैलकर लंड को चूत में घुसने का निमंत्रण दे रही थी. प्रताप उसके पेट को चूमते हुए उसकी जांघों के बीच पहुँच चुका था. शबाना बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसकी टाँगें बेड से नीचे लटक रही थी. प्रताप उसके पैरों के बीच से होता हुआ बेड के नीचे बैठ गया और शबाना के पैर फैला दिए. वो शबाना की गोरी गोरी, गदराई हुई भारी भारी सुडौल जांघों को बेतहाशा चूम रहा था और उसकी उंगलिया चड्डी पर से उसकी चूत सहला रही थी. प्रताप के नथुनो में शबाना की चूत से रिस्ते हुए पानी की खुश्बू आ रही थी और वो मदहोश हो रहा था. शबाना पर तो जैसे नशा चढ़ गया था और वो अपनी गांद उठा उठा कर अपनी चूत को प्रताप की उंगलियों पर रगड़ रही थी.
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05-29-2018, 11:48 AM,
#3
RE: Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
अब प्रताप चड्डी के ऊपर से ही शबाना की चूत को चूमने लगा, हल्के हल्के दाँत गढ़ा रहा था शबाना की चूत पर. और शबाना प्रताप के सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी, गांद उठा उठा कर चूत को प्रताप के मुँह में घुसा रही थी. फिर प्रताप ने शबाना की चड्डी उतार दी. अब उसके सामने सबसे हसीन चूत थी एकदम गुलाबी एकदम प्यारी. एकदम सफाई से रखी हुई कोई सीप जैसी. प्रताप उसकी खुश्बू से मदहोश हो रहा था और उसने अपनी जीभ शबाना की चूत पर रख दी. शबाना उच्छल पड़ी और उसके शरीर में जैसे करेंट दौड़ गया, उसने प्रताप के सिर को पकड़ा और अपनी गंद उचका कर चूत को प्रताप के मुँह पर रगड़ दी. प्रताप की जीभ शबाना की चूत में धँस गई और प्रताप ने अपने होंठों से शबाना की चूत को ढँक लिया और एक उंगली भी शबाना की चूत में घुसा दी - अब शबाना की चूत में प्रताप की जीभ और उंगली घमासान मचा रही थी. शबाना रह रह कर अपनी गांद उठा उठा कर प्रताप के मुँह में चूत दबा रही थी. उसकी चूत से निकल रहा पानी उसकी गांद तक पहुँच गया था. प्रताप ने अब उंगली चूत से निकाली और शबाना की गंद पर उंगली फिराने लगा. चूत के पानी की वजह से गंद में उंगली फिसल कर जा रही थी. शबाना को कुच्छ होश नहीं था - वो तो चुदाई के नशे से मदहोश हो चुकी थी, आज तक उसे इतना मज़ा नहीं आया था. उसकी सिसकारिया बंद नहीं हो रही थी. उसकी गंद में उंगली और चूत में जीभ घुसी हुई थी और वो नशे में धुत्त शराबी की तरह बिस्तर पर इधर उधर हो रही थी. उसकी आँखें बंद थी और वो जन्नत की सैर कर रही थी. किसी तेज़ खुश्बू की वजह से उसने आँखें खोली, तो सामने प्रताप का लंड था. उसे पता ही नहीं चला कब प्रताप ने अपने कपड़े उतार दिए और 69 की पोज़िशन में आ गया. शबाना ने प्रताप के लंड को पकड़ा और ऊपर नीचे करने लगी, प्रताप के लंड से पानी गिर रहा था और वो चिपचिप हो रहा था - शबाना ने लंड को अच्छि तरह सूँघा, उसे अपने चेहरे पर लगाया और उसका अच्छि तरह जायज़ा लेने के बाद उसे चूम लिया. फिर अपना मुँह खोला और लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. वो एक लॉलिपोप की तरह लंड चूस रही थी, लंड के सुपरे को अपने मुँह में लेकर अंदर ही उसे जीभ से लपेटकर अच्छि तरह चूस रही थी. और प्रताप उसकी चूत अब भी चूस रहा था. 

अचानक जैसे ज्वालामुखी फटा और लावा बहने लगा. शबाना का जिस्म बुरी तरह अकड़ गया और उसकी टाँगें सिकुड गई, प्रताप का मुँह जैसे शबाना की जांघों में पिस रहा था, शबाना बुरी तरह झाड़ गई और उसकी चूत ने एकदम से पानी छ्चोड़ दिया, और वो एकदम निढाल गई. आज एक घंटे में वो दो बार झाड़ चुकी थी जबकि अब तक उसकी चूत में लंड गया भी नहीं था. 
क्रमशः................
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05-29-2018, 11:48 AM,
#4
RE: Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
सबाना और ताजीन की चुदाई -2
गतान्क से आगे............ 
अब प्रताप ने अपना लंड शबाना के मुँह से निकाला और शबाना की चूत छ्चोड़कर उसके होंठों को चूसने लगा. शबाना झाड़ चुकी थी लेकिन लंड की प्यास उसे बराबर पागल किए हुए थी. अब वो बिल्कुल नंगी प्रताप के नीचे लेटी हुई थी, और प्रताप भी एकदम नंगा उसके ऊपर लेटा हुआ था, प्रताप का लंड उसकी चूत पर ठोकर मार रहा था और शबाना अपनी गांद उठा उठा कर प्रताप के लंड को खाने की फिराक में थी. प्रताप अब उसके टाँगों के बीच बैठ गया और उसकी टाँगों को उठा कर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा. शबाना आहें भर रही थी, अपने सर के नीचे रखे तकिये को अपने हाथों में पकड़ कर मसल रही थी. उसकी गंद रह रह कर उठ जाती थी, प्रताप के लंड को खा जाने के लिए, मगर प्रताप तो जैसे उसे तडपा तडपा कर चोदना चाहता था, वो उसकी चूत पर अपने लंड को रगडे जा रहा था ऊपर से नीचे. अब शबाना से रहा नहीं जा रहा था - असीम आनंद की वजह से उसकी आँखें बंद हो चुकी थी और मुँह से सिसकारियाँ छ्छूट रही थी. प्रताप का लंड धीरे धीरे फिसल रहा था, फिसलता हुआ वो शबाना की चूत में घुस जाता और बाहर निकल जाता - अब प्रताप उसे चोदना शुरू कर चुका था. हल्के हल्के धक्के लग रहे थे और शबाना भी अपनी गांद उठा उठा कर लंड खा रही थी. धीरे धीरे धक्कों की रफ़्तार बढ़ रही थी और शबाना की सिसकारियों से सारा कमरा गूँज रहा था...प्रताप का लंड कोयले के एंजिन के टाइयर पर लगी पट्टी की तरह शबाना की चूत की गहराई नाप रहा था. प्रताप की चुदाई में एक लय थी और अब धक्कों ने रफ़्तार पकड़ ली थी. प्रताप का लंड तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था और शबाना भी पागल हो चुकी थी, वो अपनी गंद उठा उठा कर प्रताप के लंड को अपनी चूत में दबाकर पीस रही थी - अचानक शबाना ने प्रताप को कसकर पकड़ लिया और अपने दोनों पैर प्रताप की कमर पर बाँध कर झूल गई, प्रताप समझ गया कि यह फिर झड़ने वाली है - प्रताप ने अपने धक्के और तेज़ कर दिए - उसका लंड शबाना की चूत में एकदम धंसता चला जाता, और, बाहर आकर और तेज़ी से घुस जाता. शबाना की चूत से फव्वारा छ्छूट गया और प्रताप के लंड ने भी शबाना की चूत में पूरा पानी उडेल दिया... 

प्रताप और शबाना अब जब भी मौका मिलता एक दूसरे के जिस्म की भूख मिटा देते थे. 

शबाना बहोत दिनों से प्रताप का लंड नहीं ले पाई थी. परवेज़ की बेहन ताज़ीन घर आई हुई थी. वो पूरे दिन घर पर ही रहती थी, जिस वजह से ना तो शबाना कहीं जा पाती थी और ना ही प्रताप को बुला सकती थी. 

"शबाना में दो दिनों के लिए बाहर जा रहा हूँ, कुच्छ ज़रूरी काम है, ताज़ीन घर पर नहीं होती तो तुम्हें भी ले चलता". "कोई बात नहीं, आप अपना काम निपटा कर आइए". शबाना को परवेज़ के जाने की कोई परवाह नहीं थी, और उसके साथ जाने की इच्च्छा भी नहीं थी. वो तो ताज़ीन को भी भगा देना चाहती थी, जिसकी वजह से उसे प्रताप का साथ नहीं मिल पा रहा था, पूरे पंद्रह दिन से. और ताज़ीन अभी और 15 दिन रुकने वाली थी. 

रात को ताज़ीन और शबाना बेडरूम में बिस्तर पर लेटे हुए फिल्म देख रहे थे. शबाना को नींद आने लगी थी, और वो गाउन पहन कर सो गई. सोने से पहले शबाना ने लाइट बंद करके डिम लाइट चालू कर दी थी. ताज़ीन किसी चॅनेल पर इंग्लीश फिल्म देख रही थी. फिल्म में काफ़ी खुलापन और सेक्स के सीन्स थे.

नींद में शबाना ने एक घुटना उपर उठाया तो अनायास ही उसका गाउन फिसल कर घुटने के उपर तक सरक गया. टीवी और डिम लाइट की रोशनी में उसकी दूधिया रंग की जाँघ चमक रही थी. अब ताज़ीन का ध्यान फिल्म में ना होकर शबाना के जिस्म पर था, और रह रह कर उसकी नज़र शबाना के गोरे जिस्म पर टिक जाती थी. शबाना की खूबसूरत जांघें उसे मादक लग रही थी. कुच्छ तो फिल्म के सेक्स सीन्स का असर था और कुच्छ शबाना की खूबसूरती का. ताज़ीन ने टीवी बंद किया और वहीं शबाना के पास सो गई. थोड़ी देर तक बिना कोई हरकत किए सोई रही, फिर उसने अपना हाथ शबाना के उठे हुए घुटने वाली जाँघ पर रख दिया. हाथ रख कर वो ऐसे ही लेटी रही, एकदम स्थिर. जब शबाना ने कोई हरकत नही की, तो ताज़ीन ने अपने हाथ को शबाना की जाँघ पर फिराना शुरू कर दिया. हाथ भी इतना हल्का कि सिर्फ़ उंगलियाँ ही शबाना को च्छू रही थी, हथेली बिल्कुल भी नहीं. फिर उसने हल्के हाथों से शबाना के गाउन को पूरा नीचे कर दिया, अब शबाना की पॅंटी भी सॉफ नज़र आ रही थी. ताज़ीन की उंगलियाँ अब शबाना के घुटनों से होती हुई उसकी पॅंटी तक जाती और फिर वापस ऊपर घुटनों पर आ जाती. यही सब तकरीबन 2-3 मिनिट तक चलता रहा. जब शबाना ने कोई हरकत नहीं की, तो ताज़ीन ने शबाना की पॅंटी को छुना शुरू कर दिया, लेकिन तरीका वोही था. घुटनों से पॅंटी तक उंगलियाँ परदे कर रही थी. अब ताज़ीन धीरे से उठी और उसने अपना गाउन और ब्रा उतार दिया, और सिर्फ़ पॅंटी में शबाना के पास बैठ गई. शबाना के गाउन में आगे की तरफ बटन लगे हुए थे, ताज़ीन ने बिल्कुल हल्के हाथों से बटन खोल दिए. फिर गाउन को हटाया तो शबाना के गोरे चिट मम्मे नज़र आने लगे. अब ताज़ीन के दोनों हाथ व्यस्त हो गये थे, उसके एक हाथ की उंगलियाँ शबाना की जाँघ और दूसरे हाथ की उंगलियाँ शबाना के मम्मों को सहला रही थी. उसकी उंगलियाँ अब शबाना को किसी मोर-पंख की तरह लग रही थी. जी हाँ दोस्तो, शबाना उठ चुकी थी, लेकिन उसे अच्च्छा लग रहा था इसलिए बिना हरकत लेटी रही. वो इस खेल को रोकना नहीं चाहती थी. 



अब ताज़ीन की हिम्मत बढ़ गई थी, उसने झुककर शबाना की चुचि को किस किया. फिर उठी, और शबाना के पैरों के बीच जाकर बैठ गई. शबाना को अपनी जाँघ पर गर्म हवा महसूस हो रही थी, वो समझ गई ताज़ीन की साँसें हैं. वो शबाना की जाँघ को अपने होंठों से च्छू रही थी, बिल्कुल उसी तरह जैसे वो अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी. अब वोही साँसें शबाना को अपनी चड्डी पर महसूस हो रही थी, लेकिन उसे नीचे दिखाई नहीं दे रहा था. वैसे भी उसने अभी तक आँखें नहीं खोली थी. अब ताज़ीन ने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसे शबाना की पॅंटी में से झाँक रही गरमागरम चूत की दरार पर टिका दी. कुच्छ देर ऐसे ही उसने अपनी जीभ को पॅंटी पर ऊपर नीचे फिराया. शबाना की चड्डी ताज़ीन के थूक से और, चूत से निकल रहे पानी से भीगने लगी थी. अचानक ताज़ीन ने शबाना की पॅंटी को साइड में किया और शबाना की नंगी चूत पर अपने होंठ रख दिए. शबाना से और बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपनी गंद उठा दी, और दोनों हाथों से ताज़ीन के सिर को पकड़ कर उसका मुँह अपनी चूत से चिपका लिया. ताज़ीन की तो मन की मुराद पूरी हो गई थी !! अब कोई डर नहीं था, वो जानती थी कि अब शबाना सबकुच्छ करने को तैयार है - और आज की रात रंगीन होने वाली थी.
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05-29-2018, 11:49 AM,
#5
RE: Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
ताज़ीन ने अपना मुँह उठाया और शबाना की चड्डी को दोनों हाथों में पकड़ कर खींचने लगी, शबाना ने भी अपनी गांद उठा कर उसकी मदद की. फिर शबाना ने अपना गाउन भी उतार फेंका और ताज़ीन से लिपट गई. ताज़ीन ने भी अपनी पॅंटी उतारी और अब दोनों बिल्कुल नंगी एक दूसरे के होंठ चूस रही थी. दोनों के मम्मे एक दूसरे से उलझ रहे थे, ताज़ीन अपनी कमर को झटका देकर शबाना की चूत पर अपनी चूत लगा रही थी, जैसे की उसे चोद रही हो. शबाना भी सेक्स के नशे में चूर हो चुकी थी और उसने ताज़ीन की चूत में एक उंगली घुसा दी. अब ताज़ीन ने शबाना को नीचे गिरा दिया और उसके ऊपर चढ़ गई. ताज़ीन ने शबाना के मम्मों को चूसना शुरू किया, उसके हाथ शबाना के जिस्म से खेल रहे थे. शबाना अपने मम्मे चुसवाने के बाद ताज़ीन के ऊपर आ गयी और नीचे उतरती चली गई, ताज़ीन के मुम्मों को चूस्कर उसकी नाभि से होते हुए उसकी जीभ ताज़ीन की चूत में घुस गई. ताज़ीन भी अपनी गांद उठा उठा कर शबाना का साथ दे रही थी. काफ़ी देर तक ताज़ीन की चूत चूसने के बाद शबाना ताज़ीन के पास आ कर लेट गई और उसके होंठ चूसने लगी अब ताज़ीन ने शबाना के मम्मों को दबाया और उन्हें अपने मुँह में ले लिया - ताज़ीन का एक हाथ शबाना के मम्मों पर और दूसरा उसकी चूत पर था. उसकी उंगलियाँ शबाना की चूत के अंदर खलबली मचा रही थी, शबाना एकदम निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ी और उसके मुँह से अजीब अजीब आवाज़ें आने लगी. तभी ताज़ीन नीचे की तरफ गई और शबाना की चूत को चूसना शुरू कर दिया, अपने दोनों हाथों से उसने चूत को फैलाया और उसमें दिख रहे दाने को मुँह में ले लिया और उसपर जीभ रगड़ रगड़ कर चूसने लगी. शबाना तो जैसे पागल हो रही थी, उसकी गांद ज़ोर ज़ोर से ऊपर उठाती और एक आवाज़ के साथ बेड पर गिर जाती, जैसे की वो अपनी गांद को बिस्तर पर पटक रही हो. फिर उसने अचानक ताज़ीन के सिर को पकड़ा और अपनी चूत में और अंदर धकेल दिया, उसकी गांद जैसे हवा में तार रही थी और ताज़ीन लगभग बैठी हुई उसकी चूत खा रही थी - वो समझ गई अब शबाना झड़ने वाली है और उसने तेज़ी से अपना मुँह निकाला और दो उंगलियाँ शबाना की चूत के एकदम भीतर तक घुसेड दी, उंगलियों के दो तीन ज़बरदस्त झटकों के बाद शबाना की चूत से जैसे पर्नाला बह निकला. पूरा बिस्तर उसके पानी से गीला हो गया. फिर ताज़ीन ने अपनी चूत को शबाना की चूत पर रख दिया और ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी, जैसे की वो शबाना को चोद रही हो. दोनों की चूत एक दूसरे से रगड़ रही थी और ताज़ीन शबाना के ऊपर चढ़ कर उसकी चुदाई कर रही थी, शबाना का भी बुरा हाल था और वो अपनी गंद उठा उठा कर ताज़ीन का सहयोग कर रही थी. तभी ताज़ीन ने ज़ोर से आवाज़ निकाली और शबाना की चूत पर दबाव बढ़ा दिया - फिर तीन चार ज़ोरदार भारी भरकम धक्के देकर वो शांत हो गयी. उसकी चूत का सारा पानी अब शबाना की चूत को नहला रहा था. 

फिर दोनों उसी हालत में सो गये. 

अगले दिन शबाना और ताज़ीन नाश्ते के बाद बातें करने लगे. "भाभी सच कहूँ तो बहोत मज़ा आया कल रात" "मुझे भी" "लेकिन अगर असली चीज़ मिलती तो शायद और भी मज़ा आता" "क्यों दीदी, जीजाजी को बुलायें ?" आँख मारते हुए कहा शबाना ने. "उनको छ्चोड़ो, उन्हें तो महीने में एक बार जोश आता है और वो भी मेरे ठंडे होने से पहले बह जाता है. और जहाँ तक में परवेज़ को जानती हूँ, वो किसी औरत को खुश नहीं कर सकता. तुमने भी तो इंतज़ाम किया होगा अपने लिए" यह सुनकर शबाना चौंक गई, लेकिन कुच्छ कहा नहीं. 


ताज़ीन ने चुप्पी तोड़ी "भाभी, अगर आपकी पहचान का कोई है तो उसे बुलाए ना." सुनकर शबाना मन ही मन खुश हो गई. "ठीक है में बुलाती हूँ, लेकिन तुम छुप कर देखना फिर मौका देख कर आ जाना" 

शबाना के दरवाज़ा खोलते ही प्रताप उसपर टूट पड़ा. उसने शबाना को गोद में उठाया और उसके होंठों को चूस्ते हुए उसे बिस्तर पर ले गया. शबाना ने सिर्फ़ गाउन पहन रखा था. वो प्रताप का ही इंतेज़ार रही थी और पिच्छले पंद्रह दिनों से सेक्स ना करने की वजह से जल्दी में भी थी..चुदाई करवाने की जल्दी. 

प्रताप ने उसे बिस्तर पर लिटाया और सीधे उसके गाउन में घुस गया, नीचे से. अब शबाना आहें भर रही थी..उसकी चूत पर जैसे चींटियाँ चल रही हो...उसे अपना गाउन उठा हुआ दिख रहा था और वो प्रताप के सर और हाथों के हिसाब से उपर नीचे हो रहा था. प्रताप ने उसकी चूत को अपने मुँह में दबा रखा था और उसकी जीभ ने जैसे शबाना की चूत में घमासान मचा दिया था. एकाएक शाना की गंद ऊपर उठ गई, और उसने अपने गाउन को खींचा और अपने सर पर से उसे निकाल कर फर्श पर फेंक दिया. उसके पैर अब भी बेड से नीच लटक रहे थे और प्रताप बेड से नीचे बैठा हुआ उसकी चूत खा रहा था... शबाना उठा कर बैठ गई और प्रताप ने अब उसकी चूत में उंगली घुसाइ - जैसे वो शबाना की चूत को खाली रहने ही नहीं देना चाहता था. और शबाना के मम्मों को बेतहसह चूमने और चूसने लगा. शबाना की आँखें बंद थी और वो मज़े ले रही थी..उसकी गंद रह रह कर हिल जाती जैसे प्रताप की उंगली को अपनी चूत से खा जाना चाहती थी. 

फिर उसने प्रताप के मुँह को उपर उठाया और अपने होंठ प्रताप के होंठों पर रख दिए. उसे प्रताप के मुँह का स्वाद बहोत अच्छा लग रहा था. उसकी जीभ को अपने मुँह में दबाकर वो उसे चूसे जा रही थी. प्रताप खड़ा हो गया. अब शबाना की बारी थी, उसने बेड पर बैठे हुए ही प्रताप की बेल्ट उतारी, प्रताप की पॅंट पर उसके लंड का उभार सॉफ नज़र आ रहा था. शबाना ने उस उभार को मुँह में ले लिया और पॅंट की हुक खोल दी, फिर जैसे ही ज़िप खोली प्रताप की पॅंट सीधे ज़मीन पर आ गिरी जिसे प्रताप ने अपने पैरों से निकाल कर दूर धकेल दिया. प्रताप ने वी कट वाली अंडरवेर पहन रखी थी. शबाना ने अंडरवेर नहीं निकाली, उसने प्रताप की अंडरवेर के साइड में से अंदर हाथ डाल कर उसके लंड को अंडरवेर के बाहर खींच लिया. फिर उसने हमेशा की तरह अपनी आँखें बंद की और लंड को अपने चेहरे पर सब जगह घुमाया फिराया और उसे अच्छि तरह अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघने लगी. उसे प्रताप के लंड की महक मादक कर रही थी और वो मदहोश हुए जा रही थी. उसके चेहरे पर सब जगह प्रताप के लंड से निकल रहा "प्रेकुं" (पानी) लग रहा था. शबाना को ऐसा करना अच्च्छा लगता था. फिर उसने अपना मुँह खोला और लंड को अंदर ले लिया. फिर बाहर निकाला और अपने चेहरे पर एकबार फिर उसे घुमाया. शबाना ने अपने मुँह में काफ़ी थूक भर लिया था, और फिर उसने लंड के सुपरे पर से चमड़ी पीछे की और उसे मुँह में ले लिया. प्रताप का लंड शबाना के मुँह में था और शबाना अपनी जीभ में लपेट लपेट कर उसे चूसे जा रही थी...ऊपर से नीचे तक, सुपरे से जड़ तक..उसके होंठों से लेकर गले तक सिर्फ़ एक ही चीज़ थी, लंड. और वो मस्त हो चुकी थी..उसके एक हाथ की उंगलियाँ उसकी चूत पर थिरक रही थी और दूसरा हाथ प्रताप के लंड को पकड़ कर उसे मुँह में खींच रहा था. फिर शबाना ने प्रताप की गोटियों को खींचा, जो कि अंदर घुस गई थी एक्सेयैटमेंट की वजह से. आह गोतिया बाहर आ गई थी और शबाना ने अपने मुँह से लंड को निकाला और उसे ऊपर कर दिया. फिर प्रताप की गोटियों को मुँह में लिया और बेतहाशा चूसने लगी. प्रताप की सिसकारिया पूरे कमरे में गूँज रही थी और अब उसके लंड को घुसना था, शबाना की चूत में. दोस्तो कैसी लग रही है कहानी आप सबको ज़रूर बताना आगे की कहानी जानने के लिए इस कहानी अगले पार्ट ज़रूर पढ़े आपका दोस्त राज शर्मा क्रमशः................
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05-29-2018, 11:50 AM,
#6
RE: Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
सबाना और ताजीन की चुदाई -3

गतान्क से आगे............ 

उसने अब शबाना का मुँह अपने लंड पर से हटाया और उसे बेड पर लिटा दिया. फिर उसने शबाना के दोनों पैरों को पकड़ा और ऊपर उठा दिया. अब प्रताप ने उसकी दोनों जांघों को पकड़ कर फैलाया और उठा दिया. अब प्रताप का लंड उसकी चूत पर था और धीरे धीरे अपनी जगह बना रहा था. शबाना ने अपनी आँखें बंद की और लेट गई..यही अंदाज़ था उसका. आराम से लेटो और सेक्स मा मज़ा लो - जन्नत की सैर करो - लंड को खा जाओ - अपनी चूत में अंदर बाहर होते हुए लंड को अच्छि तरह महसूस करो - कुच्छ मत सोचो, दुनिया भुला दो - कुच्छ रहे दिमाग़ में तो सिर्फ़ सेक्स, लंड, चूत - और जोरदार ज़बरदस्त चुदाई. प्रताप की सबसे अच्छि बात यह थी कि वो जानता था कि कौनसी औरत कैसे चुदाई करवाना पसंद करती है..और उसके पास वो सबकुच्छ था जो किसी भी औरत को खुश कर सकता था. 

अब उसकी चूत में लंड घुस चुका था. प्रताप ने धक्कों की शुरुआत कर दी थी. बिल्कुल धीरे धीरे. कुच्छ इस तरह की लंड की हर हरकत शबाना अच्छि तरह महसूस कर सके. लंड उसकी चूत के आखरी सिरे तक जाता और बहोत धीरे धीरे वापस उसकी चूत के मुँह तक आ जाता. जैसे की वो चूत में सैर कर रहा हो. हल्के हल्के धीरे धीरे. प्रताप को शबाना की चूत के भीतर का एक-एक हिस्सा महसूस हो रहा था. चूत का पानी, उसके भीतर की नर्म, मुलायम मांसपेशियाँ. और शबाना - वो तो बस अपनी आँखें बंद किए मज़े लूट रही थी, उसकी गंद ने भी अब ऊपर उठाना शुरू कर दिया था. यानी की अब शबाना को रफ़्तार चाहिए थी और अब प्रताप को अपनी स्पीड बढ़ाते जानी थी..और बिना रुके तब तक चोदना था जब तक कि शबाना की चूत उसके लंड को अपने रस में नहीं डूबा दे. प्रताप ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अब वो तेज़ धक्के लगा रहा था. शबाना की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी थी, उसके पैर सीधे हो रहे थे और अब उसने प्रताप को कसकर पकड़ लिया और गंद उठा दी. इसका मतलब अब उसका काम होने वाला था. जब भी उसका स्खलन होने वाला होता था वो बिल्कुल मदमस्त होकर अपनी गंद उठा देती थी, जैसे वो लंड को खा जाना चाहती हो फिर जब उसकी चूत बरसात कर देती तो वो धम से बेड पर गंद पटक देती. आज भी ऐसा ही हुआ...शबाना बिल्कुल मदमस्त होकर पड़ी थी. उसकी चूत पानी छ्चोड़ चुकी थी. प्रताप को पता था, शबाना को पूरा मज़ा देने के लिए अपने लंड का सारा पानी उसकी चूत में अडेलना होगा..यानी अभी और एक बार चोदना होगा और अपने लंड के पानी में भिगो देना होगा, शबाना की चूत को. 

प्रताप ने अपना लंड बाहर निकाला और बेड से नीचे आ गया, नीचे बैठ कर उसने शबाना की टाँगों को उठाया और उसकी चूत का पानी चाटने लगा. तभी प्रताप को अपने लंड पर गीलापन महसूस हुआ जैसे किसीने उसके लंड को मुँह में ले लिया हो. उसने चौंक कर नीचे देखा, जाने कब ताज़ीन कमरे में आ गई थी और उसने प्रताप का लंड मुँह में ले लिया था. ताज़ीन पूरी नंगी थी उसने कुच्छ नहीं पहन रखा था. प्रताप को कुच्छ समझ नहीं आ रहा था. शबाना तब तक बैठ चुकी थी और वो मुस्कुरा रही थी "आज तुम्हें इसे भी खुश करना है प्रताप, यह मेरी ननद है ताज़ीन".
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05-29-2018, 11:50 AM,
#7
RE: Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
अब तक प्रताप भी संभाल चुका था और ताज़ीन को गौर से देख रहा था. शबाना जितनी खूबसूरत नहीं थी, मगर अच्छि थी. उसका शरीर थोड़ा ज़्यादा भरा हुआ. उसके मम्मे छ्होटे लेकिन शानदार थे. एकदम गुलाबी चूचियाँ. गंद एकदम भरी हुई और चौड़ी थी. उसके घुंघराले बाल कंधों से थोड़े नीचे तक आ रहे थे, जिन्हें उसने एक बकल में बाँध कर रखा था. प्रताप अब भी ज़मीन पर बैठा था और उसका लंड ताज़ीन के मुँह में था. प्रताप अब तक सिर्फ़ लेटा हुआ था और जो कुच्छ भी हो रहा था ताज़ीन कर रही थी. वो शबाना के बिल्कुल उलट थी - उसके मज़े लेने का मतलब था "मर्द को चोद कर रख दो". कुच्छ वैसा ही हो रहा था प्रताप के साथ. ताज़ीन जैसे उसका बलात्कार कर रही थी. 

तभी ताज़ीन ने उसे धक्का दिया और उसे ज़मीन पर लिटा कर उसके ऊपर आ गई. अपने हाथों से उसने प्रताप के लंड को पकड़ा और अपनी चूत में घुसा लिया. वो प्रताप के ऊपर चढ़ बैठी. अब वो ज़ोर ज़ोर से प्रताप के लंड पर उच्छल रही थी. उसके मम्मे किसी रब्बर की गैन्द की तरह प्रताप की आँखों के सामने लहरा रहे थे. फिर ताज़ीन झुकी और उसने प्रताप के मुँह को चूमना शुरू कर दिया. प्रताप के लंड को अपनी चूत में दबाए वो अब भी बुरी तरह उसे चोदे जा रही थी. फिर अचानक वो उठी और प्रताप के मुँह पर बैठ गई और अपनी चूत प्रताप के मुँह पर रगड़ने लगी जैसे की प्रताप के मुँह में खाना ठूंस रही हो, अब तक प्रताप भी संभाल चुका था. उसने ताज़ीन को उठाया और वहीं ज़मीन पर गिरा लिया - और उसकी चूत में उंगली घुसा कर उसपर अपना मुँह रख दिया. अब प्रताप की जीभ और उंगली ताज़ीन की चूत को बहाल कर रही थी. ताज़ीन भी मस्त होने लगी थी उसने प्रताप के बालों को पकड़ा और ज़ोर से उसे अपनी चूत में घुसाने लगी, साथ ही अपनी गंद भी पूरी उठा दी. प्रताप ने अब अपनी उंगली उसकी चूत से निकाल ली. ताज़ीन की चूत के पानी से भीगी हुई उस उंगली को उसने ताज़ीन की गंद में घुसा दिया. ताज़ीन को तेज़ दर्द हुआ, पहली बार उसकी गंद में कोई चीज़ घुसी थी. 


अब प्रताप ने अपनी उंगली उसकी गंद के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और चूत को चूसना जारी रखा. फिर उसने ताज़ीन की चूत को छ्चोड़ दिया और सिर्फ़ गंद में तेज़ी के साथ उंगली चलाने लगा. अब गंद थोड़ी खुल चुकी थी और ताज़ीन भी चुपचाप लेटी थी. फिर ताज़ीन ने उसके हाथ को एक झटके से हटाया और उठ कर प्रताप को बेड पर खींच लिया. प्रताप ने उसकी दोनों टाँगें फैला दी और उसकी चूत में लंड डाल दिया जैसे ही लंड अंदर घुसा ताज़ीन ने प्रताप को कसकर पकड़ा और नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए, प्रताप ने भी धक्के लगाने शुरू कर दिए. तभी ताज़ीन ने प्रताप को एक झटके से नीचे गिरा लिया और उसपर चढ़ बैठी. इस बार उसका एक पैर बेड पर था और दूसरा ज़मीन पर. और दोनों पैरों के बीच उसकी चूत ने प्रताप के लंड को जाकड़ रखा था. फिर वो प्रताप से लिपट गई और ज़ोर ज़ोर से प्रताप की चुदाई करने लगी...और फिर उसके मुँह से अजीब आवाज़ें निकालने लगी, वो झड़ने वाली थी. और प्रताप भी नीचे से अपना लंड उसकी चूत में धकेल रहा था. तभी प्रताप के लंड का फव्वारा छ्छूट गया और उसने अपने पानी से ताज़ीन की चूत को भर दिया - उधर ताज़ीन भी शांत हो चुकी थी. उसकी चूत भी प्रताप के लंड को नहला चुकी थी. 

अब ताज़ीन खड़ी हुई. प्रताप ने पहली बार उसे ऊपर से नीचे तक देखा. ताज़ीन ने झुक कर उसे चूम लिया. उसके होंठों को अपनी जीभ से चटा और मुस्कुरा कर बाहर निकल गई. प्रताप ने इधर उधर देखा शबाना भी कमरे में नहीं थी. बाथरूम से पानी की आवाज़ आ रही थी. शबाना नहा रही थी. 


"क्यों प्रताप कैसी रही ?" "मज़ा आ गया, एक के साथ एक फ्री" प्रताप ने हंसते हुए कहा. शबाना भी मुस्कुरा दी. 
ताज़ीन वहीं बैठी हुई थी, उसने चुटकी ली "साली तेरे तो मज़े हैं, प्रताप जैसा लंड मिल गया है चुदाई के लिए. मन तो करता है मैं भी यहीं रह जाऊं और रोज चुदाई करवाउ. बहुत दिनों के बाद कोई असली लंड मिला है". "अभी पंद्रह दिन और हैं ताज़ीन जितने चाहे मज़े लेले, फिर तो तुझे जाना ही है. हां कल तुम्हारे भैया आ जाएँगे तो थोड़ा सावधान रहना होगा." 

तभी ताज़ीन ने कहा "प्रताप तुम्हारा कोई दोस्त है तो उसे भी ले आओ. दोनो तरफ दो-दो होंगे तो मज़ा भी ज़्यादा आएगा" 
"यह क्या बक रही हो ताज़ीन तुम तो चली जाओगी मुझे तो यहीं रहना है, किसी को पता चल गया तो में तो गई काम से." 
"आज तक किसी को पता चला क्या ? और प्रताप का दोस्त होगा तो भरोसेमंद ही होगा, उसपर तो भरोसा है ना तुम्हें ? और मुझे मौका है तो में दो तीन के साथ मज़े करना चाहती हूँ. प्लीज़ शबाना मान जाओ ना, मज़ा आएगा" 
थोड़ी ना-नुकर के बाद शबाना मान गई. 

प्रताप ने अपना फोन निकाला और उन लोंगों को फोन में अपने दोस्तों के साथ की कुच्छ तस्वीरें दिखाई. इरादा पक्का हुआ जगबीर सिंग पर. वो एक सरदार था, यह भी एक प्लस पॉइंट था. क्योंकि सरदार भरोसे के काबिल होते ही हैं. फिर उसकी खुद की भी शादी हो चुकी थी, तो वो किसी को क्यों बताने लगा, वो खुद मुसीबत में आ जाता अगर किसी को पता चल जाता तो. 

"हाई जगबीर प्रताप बोल रहा हूँ" "बोल प्रताप आज कैसे याद कर लिया ?" एक रौबदार आवाज़ ने जवाब दिया. 
इधर उधर की बातें करने के बाद प्रताप सीधे मुद्दे पर आ गया. "आज रात क्या कर रहा है ?" "कुच्छ नहीं यार बीवी तो मैके गई है, घर पर ही हूँ, पार्टी दे रहा है क्या ? " 
"पार्टी ही समझ ले, शराब और शबाब दोनों की " 
"यार तू तो जानता है में इन रंडियों के चक्कर में नहीं पड़ता, बीमारियाँ फैली हुई है" 
"अबे रंडियों के पास तो में भी नहीं जाता, भाभी हैं. इंटेरेस्ट है तो बोल. वो आज रात घर पर अकेली हैं, उनके घर पर ही जाना है. बोल क्या बोलता है ?"
"नेकी और पूच्छ पूछ, बता कहाँ आना है" 

प्रताप ने अड्रेस वग़ैरह कन्फर्म कर दिया. 

रात के नौ बजे डोर बेल बजी. शबाना ने दरवाज़ा खोला, प्रताप और जगबीर ही थे. जगबीर के हाथ में एक बॉटल थी, विस्की की. शबाना ने दरवाज़ा बंद किया और दोनों को ड्रॉयिंग रूम में बैठा दिया. जगबीर ने शबाना को देखा तो देखता ही रह गया - उसने सारी पहन रखी थी. 

तभी ताज़ीन भी बाहर आ गई, उसने मिनी स्कर्ट पहन रखी थी और शॉर्ट टी-शर्ट उसका जिस्म च्छूपा कम आंड दिखा ज़्यादा था. जगबीर फोटो में जितना दिख रहा था उससे कहीं ज़्यादा आकर्षक था. पक्का सरदार - कसरती बदन और पूरा मर्दाना था, काफ़ी बाल थे उसके शरीर पर. वहीं दूसरी ओर प्रताप भी बिकुल वैसा ही था - सिर्फ़ पगड़ी नहीं बँधी थी और क्लीन शेव था. कौन ज़्यादा आकर्षक है कहना मुश्किल था. 
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05-29-2018, 11:50 AM,
#8
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शबाना तब तक ग्लास में बर्फ और पानी ले आई. प्रताप ने बता दिया था कि जगबीर 2-3 पेग ज़रूर मारेगा. 

जब वो पीने लगा तो ताज़ीन उसके पास आकर बैठ गई और उसकी जांघों पर हाथ फिराने लगी, अंदर की तरफ. जगबीर का भी लंड उठने लगा था, और ताज़ीन बराबर उसके घुटनों से लेकर उसकी ज़िप तक अपने हाथ घुमा रही थी. जगबीर ने अपना दूसरा पेग बनाया "अकेले ही पियोगे क्या ?" शबाना ने अपना पैर जगबीर की जाँघ पर रखते हुए पूचछा. "यह क्या कह रही हो ताज़ीन तुम शराब पिओगी ?" शबाना ने जगबीर के कुच्छ बोलने से पहले ही पूच्छ लिया - वो किचन से बाहर आई. "शबाना यह तो चलता है, में कभी कभी पी लेती हूं, जब किसी मर्द का साथ होता है और वो हिजड़ा जावेद बाहर होता है" ऐसा कहकर उसने जगबीर का पेग उठाया और सीधे एक साँस में अपने मुँह में उडेल लिया. जहाँ शबाना थोड़ा संकोच करती थी - वहीं ताज़ीन काफ़ी खुली हुई और ज़िंदगी का मज़ा लेने वालों में थी. उसने काफ़ी लंड खाए थे. 

अब जगबीर ने दूसरा पेग बनाया और दूसरे ग्लास में भी शराब उदेलने लगा तो ताज़ीन ने रोक दिया "एक से ही पी लेंगे, तुम अपने मुँह से पिलाओ मुझे". वो उठ कर जगबीर की गोद में बैठ गई उसकी स्कर्ट और ऊपर हो गई, उसने अपनी चूत जगबीर के लंड के उभार पर रगडी और उसके गले में बाहें डालकर उसके होंठों को चूम लिया "पहली बार कोई सरदार मिला है, मज़ा आ जाएगा" उसने ग्लास उठाया और जगबीर को पिलाया - फिर जगबीर के होंठो को चूमने लगी. जगबीर ने अपने मुँह की शराब उसके मुँह में डाल दी. इस तरह दोनों 3-4 पेग पेग पी गये. अब ताज़ीन नशे में धुत्त थी और उसके असली रंग बाहर आने वाले थे. जी हाँ, नशे में ही सही सोच बाहर आती है. 

अब जगबीर की उंगलियाँ ताज़ीन की स्कर्ट में घुस कर उसकी चूत का जायज़ा ले रही थी. उसके होंठ ताज़ीन के होंठो से जैसे चिपक गये थे और उसकी जीभ ताज़ीन की जीभ को जैसे मसल कर रख देना चाहती थी. ताज़ीन भी बेकाबू हो रही थी और उसने जगबीर की शर्ट के सारे बटन खोल दिए थे. जगबीर ने उसकी टी-शर्ट में हाथ घुसा दिए, और उसके मम्मों को रौंदना शुरू कर दिया. उसके निपल्स को अपनी उंगलियों में दबाकर उनको कड़क कर रहा था. ताज़ीन ने ब्रा नहीं पहनी थी. फिर ताज़ीन ने अपने हाथ ऊपर उठा दिए, और जगबीर ने उसकी टी-शर्ट को निकाल फेंका. 

प्रताप और शबाना उठ कर बेडरूम में चले गये. दोस्तो कहानी अपने पूरे शब्बाब पर आने वाली है अब दोनो हसीनाए मस्त हो चुकी है उनकी चूत लंड खाने को बेताब हो चुकी है आगे की कहानी अगले भाग मे पढ़ते रहे आपका दोस्त राज शर्मा क्रमशः................

गतान्क से आगे............ 

अब जगबीर ने उसके गोरे मुलायम मम्मों को चूमना चाटना और काटना शुरू कर दिया. "और काटो जग्गू बहोत दिनों से आग लगी हुई है. मज़ा आ गया." जगबीर ने अपना हाथ उसकी स्कर्ट में घुसाकर पॅंटी को साइड में किया और चूत पर उंगली रगड़ने लगा. ताज़ीन मदहोश हो रही थी उसने जगबीर के होंठों को कस कर अपने होंठों में दबा लिया और अपनी जीभ घुसा दी. फिर जगबीर ने उसे वहीं सोफे पर लिटा दिया और उसकी स्कर्ट और चड्डी एक झटके से खींच कर नीचे फेंक दी. ताज़ीन के दोनों टाँगों के बीच जगबीर की उंगलियों में रेस लगी हुई थी, चूत में घुसने और बाहर निकालने की. सीधी चूत में घुसती और बाहर निकल जाती. जगबीर की उंगली एकदम भीतर तक जाकर ताज़ीन को पागल कर रही थी. "अब उंगली ही करोगे या चूसोगे भी, आग लगी है चूत में, जग्गू खा लो इसे. मेरी चूत को आज फाड़ कर रख दो जग्गू" तभी जगबीर ने उसकी चूत को फैलाया और उसके दाने को अपने मुँह में भर लिया, नीचे से अंगूठा घुसा दिया. ऊपर जीभ घुसा कर चूत को अपनी जीभ से मसलकर रख दिया. पागल हो गई ताज़ीन उसने अपनी टाँगें जगबीर की गर्दन से लपेट ली और अपनी गंद उठाकर चूत उसके मुँह में ठूंस दी. जगबीर भी पक्का सयाना था, उसने चूत चूसना जारी रखा और अब अंगूठा चूत से निकालकर उसके गंद में घुसा दिया, जिससे ताज़ीन की पकड़ थोड़ी ढीली हो गई. और जगबीर फिर चूत का रस पीने लगा - और ताज़ीन की गंद फिर उच्छलने लगी. उसकी गंद में जगबीर का अंगूठा आराम से जा रहा था. फिर जगबीर ने उसकी चूत को छ्चोड़ा और ताज़ीन को सोफे पर बैठा दिया और उसके सामने खड़ा हो गया. ताज़ीन ने जल्दी से उसकी पॅंट की ज़िप खोली और पॅंट निकाल दी, फिर अंडरवेर भी. अब जगबीर बिल्कुल नंगा खड़ा था ताज़ीन के सामने. "यार इस पूरे लंड का मज़ा ही कुच्छ और है." ताज़ीन ने जगबीर के लंड को आगेपीच्चे करते हुए कहा. जैसे जैसे वो उसे आगे पीछे करती उसके ऊपर की चमड़ी आगे आकर सूपदे को ढँक देती फिर उसे फिर से खोल देती, जैसे कोई साँप अंदर बाहर हो रहा हो. "मज़ा आ जाएगा लंड खाने में." तभी जगबीर ने उसके सर को पकड़ा और अपना लंड ज़ोर से उसके मुँह पर हर जगह रगड़ने लगा. 

ताज़ीन की आँखे बंद हो गई और जगबीर अपना लंड उसके मुँह पर यहाँ वहाँ सब जगह रगडे जा रहा था, उसने अपना मुँह खोल दिया लंड मुँह में लेने की लिए. मगर जगबीर ने सीधे अपनी गोतिया उसके मुँह में डाल दी, और वो उन गोटियों को चूसने लगी, उन्हें अपने मुँह में भरकर दाँतों मे दबाकर खींचने लगी, फिर 
गोलियों से होती हुई जगबीर के लंड की जड़ को मुँह मे लेने लगी, फिर जड़ से होती हुई टोपी पर पहुँच गई और लंड को मुँह में खींच लिया. अब वो बेतहाशा लंड चूसे जा रही थी. गजब के एक्सपीरियेन्स था उसे लंड चूसने का, जगबीर की सिसकारियाँ निकल रही थी. फिर ताज़ीन अचानक उठी और सोफे पर खड़ी हो गई और जगबीर के गले में बाहें डालकर झूल गई. उसने अपना हाथ नीचे किया और जगबीर का लंड अपनी चूत में घुसाकर अपने पैर उसकी कमर के चारों ओर लपेट ली. अब वो जगबीर की गोद में थी और जगबीर का लंड उसकी चूत में घुसा हुआ था. जगबीर उसी अंदाज़ में उसे धक्के लगाने लगा ताजीन की चूत पानी छ्चोड़ रही थी जो ज़मीन पर गिर रहा था, जगबीर का लंड पूरी तरह से भीग गया था. फिर जगबीर उसी हालत में उसे बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर पटक दिया. "ओह जग्गू आज मेरी चूत तेरा लंड खा जाएगी, पीस डालेगी तेरे लंड को मेरी जान" ताज़ीन की गंद उच्छाल रही थी और ज़बान फिसल रही थी, कुच्छ शराब और कुच्छ सेक्स का असर था. अचानक जगबीर ने उसकी चूत से लंड को बाहर निकाला और उसकी टाँगें एकदम से उठा दी. और अपना लंड सीधे ताज़ीन की गंद में घुसा दिया. एक बार तो ताज़ीन की चीख निकल गई लेकिन उसने अपने आप को संभाल लिया. फिर जगबीर ने उसकी गंद मारनी शुरू कर दी. कुच्छ देर बाद ताज़ीन की सिसकारिया फिर कमरे में गूंजने लगी "ओह जग्गू मज़ा आ गया गंद मरवाने का, मेरे जिस्म में जितने भी छेद हैं, सब में अपना लंड घुसा दो जग्गू. मेरी चूत तेरे लंड की प्यासी है जग्गू और मेरी गंद तेरा लंड खाने ही बनी है. मेरी जान आज की चुदाई ज़िंदगी भर याद रहनी चाहिए." काफ़ी देर उसकी गंद मारने के बाद जगबीर ने अपना लंड निकाला और ताज़ीन की चूत पर मसल्ने लगा. "और कितना तड़पावगे मेरी जान" ऐसा कहकर ताज़ीन झटके से उठी और जगबीर को नीचे गिरा लिया और उसपर चढ़ बैठी, उसने जगबीर के लंड को अपनी चूत में घुसाया और ज़ोर ज़ोर से उच्छलने लगी. पागल जैसे हो गई थी वो "जग्गू देख मेरी चूत तेरे लंड का क्या हाल करेगी. पीस कर रख देगी वो तेरे लंड को. खा जाएगी तेरा लंड." ऐसा कहते कहते उसकी रफ़्तार तेज़ हो गई और वो एकदम से झुक गई जगबीर पर और अपनी गंद को और जोरों से हिलाने लगी, जगबीर समझ गया की यह जाने वाली है, उसने भी नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए "हां जग्गू ऐसे ही, मेरी चूत के पानी में डूबने वाला है तेरा लंड. बस ऐसे ही और थोड़े झटके लगा, में तेरे लंड को नहला दूँगी अपनी चूत के रस से, मेरी चूत में भी अपने लंड का पानी पिला दे." तभी वो ज़ोर से उच्छली और फिर धीरे धीरे आखरी दो झटके दिए और जगबीर पर गिर पड़ी. उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया था. और जगबीर ने भी. वो ऐसे ही लेटे रहे कुच्छ देर.
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05-29-2018, 11:50 AM,
#9
RE: Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
फिर वो उठी और जगबीर के लंड को चूम चाटकार सॉफ कर दिया. 
"चलो में भी बाथरूम में जाकर सॉफ हो जाती हूँ. तब तक शायद शबाना और प्रताप का भी काम हो जाएगा." यह सुनकर जगबीर को ध्यान आया कि वो दोनों भी दूसरे कमरे में मज़े ले रहे हैं. 

जगबीर उठकर सीधे दूसरे कमरे में गया, दरवाज़ा बंद था. उसने दरवाज़े को धक्का दिया, वो खुल गया. अंदर से बंद करना भूल गयी थी शबाना. 

शबाना की दोनों टाँगें हवा में तार रही थी और प्रताप उसके ऊपर चढ़कर धक्के लगा रहा था शबाना की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थी और प्रताप के धक्के रफ़्तार पकड़ रहे थे, अचानक शबाना ने अपने पैर बेड पर रखे और ज़ोर से अपनी गंद हवा में उठा दी, उसकी मस्ती चरम पर पहुँच रही थी और वो झड़ने वाली थी. उसने नीचे से प्रताप के लंड पर ज़ोरों से झटके देने शुरू कर दिए, जैसे उस लंड को अपनी चूत में दबाकर खा जाएगी. उधर प्रताप के भी धक्के तेज़ होने लगे. 
तभी प्रताप ने धक्के रोके और शबाना को उठाकर अपने ऊपर बिठा लिया, शबाना की चूत में लंड घुसा हुआ था और वो प्रताप के ऊपर बैठी थी, प्रताप ने उसकी गंद के नीचे अपने हाथ रखे और उसे उठाकर उसकी चूत में लंड के धक्के लगाने लगा, शबाना का पूरा वज़न उसके लंड पर था और जैसे उसकी चूत में हथौड़े चल रहे थे, उसकी सिसकारिया और तेज़ हो गयी और अब वो आवाज़ों में बदल गई थी. प्रताप ने उसे ऐसे वक़्त में पलट दिया था जब उसकी चूत में बरसात होने वाली थी, इसलिए उत्तेजना बिल्कुल चरम पर थी उसकी, ऐसा लग रहा था जैसे रेगिस्तान में बारिश वाले बादल आए और अचानक छेंट गये. 

जगबीर का लंड फिर खड़ा हो गया यह सब देख कर और वो सीधे अंदर घुस गया. प्रताप ने उसे देख लिया पर वो रुका नहीं. शबाना को पता नहीं था कि जगबीर अंदर आ चुका है. जगबीर सीधे शबाना के पीछे जाकर खड़ा हो गया, और शबाना के गले को चूमने लगा. शबाना बिल्कुल चौंक गई, मगर उसकी हालत ऐसी नहीं थी कि वो कुच्छ कर पाती, तभी जगबीर ने पीछे से हाथ डालकर उसके मम्मे पकड़ लिए और पीछे से उसकी पीठ को बेतहाशा चूमते हुए उसके मम्मों को दबाने लगा. फिर शबाना को उसने धक्का दिया और वो सीधे प्रताप की छाती से चिपक गई, उसकी चूत में प्रताप का लंड घुसा हुआ था और अब भी प्रताप उसे उच्छाल रहा था, तभी जगबीर नीचे झुका और शबाना की गंद चाटने लगा. शबाना को जैसे करेंट सा लगा, लेकिन एक अजीब सी चमक आ गई उसकी आंघों में. जगबीर उसकी गंद को चाते जा रहा था, शबाना की चूत का पानी गंद तक आ चुका था और जगबीर ने उसकी गंद में उंगली डालना शुरू कर दिया. शबाना तो जैसे एकदम पागल हो गई, अब वो डबल मज़ा लेने के पूरे मूड में आ गयी थी.
यूँ तो प्रताप भी उसकी गंद मार चुका था, लेकिन गंद और चूत दोनों में एक साथ लंड की बात सोचकर ही उसकी उत्तेजना और बढ़ गई. अब जगबीर ने अपना मुँह हटाया और अपना लंड शबाना की गंद पर रख दिया और धीरे धीरे दबाव बढ़ने लगा. शबाना ने प्रताप को रुकने का इशारा किया, वो महसूस करना चाहती थी, जगबीर के लंड को अपनी गंद में घुसते हुए, हर चीज़ का पूरा मज़ा लेती थी वो. आराम से, कोई जल्दी नहीं थी उसे. हर चीज़ का पूरे इतमीनान से इस्तेमाल करती थी. आहा, मज़ा आ रहा था, चूत में लंड घुसा हुआ था, और गंद में भी लंड का प्रवेश होने वाला था. शबाना ने प्रताप को इशारा किया - "जगबीर आराम से धीरे धीरे डालना, पूरा मज़ा लेकर - पूरे इतमीनान से" प्रताप ने कहा. शबाना को चुदाई करवाते वक़्त बोलना पसंद नहीं था, वो सिर्फ़ आँखें बंद करके मज़े लेना चाहती थी. वो भी आराम से, यही वजह थी कि वो काफ़ी देर तक चुदाई करती थी. 


अब जगबीर का लंड पूरा शबाना की गंद में घुस चुका था और उसने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए, उसके धक्कों के साथ ही शबाना भी आगे पीछे होने लगी और उसकी चूत में घुसा लंड भी अपने आप अंदर बाहर होने लगा. शबाना जैसे जन्नत में पहुँच गई. उसने कभी नहीं सोचा था वो एक साथ दो लंड खाएगी और उसमें इतना शानदार मज़ा आएगा. प्रताप ने भी धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए. अब शबाना की गंद और लंड दोनों में लंड घुसे हुए थे और वो चुदाई के आसमान पर थी, उसकी आँखें बंद हो गई और उसकी सिसकारियाँ फिर शुरू हो गई, वो अपनी कोहनी का सहारा लेकर झुक गई और अपनी गंद धीरे धीरे हिलने लगी, फिर रुक गई. प्रताप ने उसे रोक लिया "आज बस लेटी रहो, हम तुम्हें ऐसे ही पूरा हिला देंगे जानेमन" - अब प्रताप और जगबीर ने अपने धक्के तेज़ कर दिए और शबाना जैसे दो लंडो पर बैठी उच्छल रही थी. सी-सॉ के गेम की तरह, कभी पलड़ा यहाँ भरी तो कभी वहाँ भरी. प्रताप ने ठीक कहा था, उसे हिलने की भी ज़रूरत नहीं थी. अब उसकी आवाज़ें तेज़ होने लगी और उसकी चूत और गंद में फिर हथोदे चलने लगे. तभी उसकी चीख सी निकली और उसकी चूत से झरने फुट पड़े, और उसकी गंद में जैसे किसी बे गरम गरम चाशनी भर दी हो. जगबीर भी चूत गया था - और प्रताप भी. जगबीर भी शबाना के ऊपर ही सो गया, उसका लंड अब भी शबाना की गंद में था.
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05-29-2018, 11:51 AM,
#10
RE: Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
कुच्छ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद शबाना ने अपने कंधे उचकाय. जगबीर ने अपना लंड उसकी गंद से निकाला और बाथरूम में घुस गया. शबाना ने प्रताप का लंड चाट कर साफ किया और उसके पास ही लेट गई. 

रात के दो बज रहे थे. "कैसा लगा शाब्बो" "एक पर एक तुम्हें नहीं, मुझे मिला है", फिर दोनों हँसने लगे. "लेकिन, जगबीर भरोसे का आदमी तो है ना ?" "जानू, एकदम पक्का भरोसे का है, और वो सरदार है. तुम बिल्कुल बेफ़िक्र रहो, वो उनमें से नहीं है जो तुम्हें परेशान या बदनाम करेगा." "बस में यही चाहती हूँ." 

तभी जगबीर बाहर आ गया. शबाना उठी और बाथरूम में घुस गई. 

"यार यह तो उम्मीद से दुगना हो गया !!" "हां लेकिन ध्यान रहे किसी को पता ना चले, अच्छे घर की हैं यह." "जानता हूँ यार, किसी को बताकर क्या मुझे अपना ही खाना बिगाड़ना है ? और मेरी बीवी को पता चलेगा तो मेरी खुद शामत आ जाएगी. वाहे गुरु की दया है हम क्यों किसी को तकलीफ़ में डालेगे यार ! सबकुच्छ तो है अपने पास". बाथरूम में नहाती हुई शबाना यह सुनकर आश्वस्त भी हुई और खुश भी. 

"क्या कर रहे हो दोनों ? शबाना कहाँ है ? और जगबीर तुमने कपड़े नहीं पहने ? क्या यहाँ भी मज़े किए हैं ?" ताज़ीन की आवाज़ थी यह. 
"दो दो जगह मज़े करें ऐसी किस्मत प्रताप की ही है, हमारी नहीं. जल्दी क्या है डार्लिंग पहन लेंगे, वहाँ तुम बाथरूम में हो, और यहाँ पर शबानाजी - जाएँ तो जाएँ कहाँ ?" 
"अब तो बाथरूम खाली है, जाओ." जगबीर निकल गया. 

शबाना समझ गई, सरदार बात का पक्का है, उसने ताज़ीन को भनक भी नहीं लगने दी कि शबाना ने प्रताप का लंड अपनी चूत में तो जगबीर का लंड अपनी गंद में घुस्वाया था. 

शबाना की गंद और चूत दोनों की खुजली एक साथ शांत हो गयी थी. वो अब भी मस्तिया रही थी और उसे लग रहा था जैसे अब भी उसकी चूत में प्रताप का और गंद में जगबीर का लंड घुसा हुआ है और वो चुदाई करवा रही है. 

उसने झटपट अपनी चूत और गंद की खबर ली, गाउन पहना और बाहर आ गई. ब्रा पॅंटी पहन कर उसे अपना मूड नहीं खराब करना था. और चूत और गंद को भी तो खुला रखना था, आख़िर इतनी मेहनत हो की थी दोनों ने. 

चारों फ्रेश होकर कॉफी पीने बैठे. 

तभी एक तस्वीर देख कर जगबीर ने कहा "तो इन महाशय की बीवी हैं आप" "जी हां. यही परवेज़ हैं. क्या आप जानते हैं इनहें ?". "नहीं बस ऐसे ही पूच्छ लिया, क्या वो शहर से बाहर गये हैं ?" "हां, कल शाम को आ जाएँगे" 

कॉफी का कप रखते हुए जगबीर ने कहा "ठीक है तो हम चलते हैं, फिर मिलेंगे. अगर आपने याद किया तो." 
"अरे इतनी जल्दी क्या है, सुबह के चार बज रहे हैं." ताज़ीन ने कहा "भाईजान तो शाम को आएँगे. सुबह यहीं से नहा धोकर चले जाना" 
"अर्रे भाई जिनकी बीवी इतनी खूबसूरत हो, वो जितनी जल्दी हो घर पहुँचना चाहेगा" कहकर हंस दिया जगबीर. 
"अच्च्छा तो वो क्या काम छ्चोड़ कर आ जाएगा, शहर से बाहर ही नहीं जाएगा ?" शबाना ने बीच में चुटकी ली 
"अर्रे भाई, वो शहर से बाहर जाएगा तो भी यही कहेगा शहर में ही है, हो सकता है परवेज़ सुबह 6 बजे आ जाए, रिस्क क्यों लेना ? " 
"चलो ठीक है, वैसे भी सुबह जल्दी ऑफीस जाना है." प्रताप ने सोफे पर से उठते हुए कहा. 

शबाना और ताज़ीन ने भी ज़्यादा विरोध नहीं किया. 

प्रताप और जगबीर दोनों निकल गये. भाई लोगो कैसी लगी ये मस्ती आपको मुझे ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा 
क्रमशः................ 

सबाना और ताजीन की चुदाई -5


गतान्क से आगे............ 
शबाना और ताज़ीन ने अपने बिस्तर ठीक किए और दोनों एकदम संतुष्ट और खुश होकर सो गयी. 

सुबह 6 बजे घंटी बजने पर शबाना ने दरवाज़ा खोला दूध लेने के लिए. 
"परवेज़ तुम !! ? इतनी जल्दी ? तुम तो शाम को आनेवाले थे ना ?" एकदम चौंक गई थी शबाना. "क्यों मेरा जल्दी आना अच्च्छा नहीं लगा तुम्हें ?" "नहीं ऐसी कोई बात नहीं, यूँही पूच्छ लिया." 

शबाना ने चैन की साँस ली. वो आज मारते मारते बची थी, अगर जगबीर ने फोर्स नहीं किया होता तो प्रताप भी वहीं होता और आज उसकी शामत ही आने वाली थी. यह सोचकर उसका दिमाग़ एकदम घूम गया, उसके कानों में जगबीर के शब्द गूंजने लगे "हो सकता है सुबह 6 बजे ही आ जाएँ" ... उसका दिमाग़ चक्कर घिन्नी की तरह घूम गया. उसे शक होने लगा की जगबीर को पहले ही पता था की परवेज़ सुबह आने वाला है. 

सुबह 6 बजे आने के बावजूद परवेज़ 9 बजे घर से निकल गया. 
"ताज़ीन, तुम्हें जगबीर की बात याद है ?" 
"कौनसी ?" बेफ़िक्र ताज़ीन ने जवाब दिया. 
"वोही जो उसने जाने से पहले कही थी" शबाना ने ताज़ीन की आँखों में झाँकते हुए पूचछा. 
"जिसकी बीवी इतनी सुंदर हो वो वाली ? वो तो उसने सच ही कहा था" 
"वो नहीं. सुबह 6 बजे वाली. तुम्हारे भैया सुबह 6 बजे ही आए थे. ठीक उसी समय जो जगबीर ने बताया था." शबान की आवाज़ में डर और चिंता दोनों सॉफ झलक रही थी. 
"ऐसे ही तुक्का लगा दिया होगा" ताज़ीन अब भी बेफ़िक्र थी. 

"तो इन महाशय की बीवी हैं आप" "जी हां. यही परवेज़ हैं. क्या आप जानते हैं इन्हे ?". "नहीं बस ऐसे ही पूछ लिया, क्या वो शहर से बाहर गये हैं ?" "हां, कल शाम को आ जाएँगे" 

फिर उसने यह क्यों कहा "वो शहर से बाहर जाएगा तो भी यही कहेगा शहर में ही है " तो क्या जगबीर सच्चाई से उल्टा बोल रहा था ? याने की परवेज़ शहर में ही था लेकिन उसे कहकर गया कि वो बाहर जा रहा है ? लेकिन परवेज़ झूठ क्यों बोलेगा ? और जगबीर ने उल्टा क्यों कहा अगर वो जानता था कि परवेज़ शहर में ही है. 

जहाँ तक जगबीर का सवाल है सरदार ना सिर्फ़ चालाक और होशियार था बल्कि काफ़ी सुलझा हुआ और इंटेलिजेंट भी था. जो भी थोड़ा बहोत वो उसे समझी थी, उससे यही ज़ाहिर होता था. वो बिना मतलब के इतनी बातें करने वालों में से नहीं था. कई सवाल शबाना के ज़हन में गूँज रहे थे लेकिन उसके पास कोई जवाब नहीं था. 
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