Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
08-19-2018, 03:11 PM,
#51
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
निशा के जिस्म मे दो बार झड़ने से बिल्कुल जान नही बची थी. वो तो करण के झड़ने का इंतेज़ार कर रही थी. उसने अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया और करण को अपनी चूत चोदने के लिए आगे कर दिया.

“ओह्ह डार्लिंग अब मैं भी और ज़्यादा नही रुक सकता...”

फ़चा फॅक......फ़चा फॅक......फ़चा फॅक

“तुम्हारी इस चिकनी टाइट चूत ने मेरे मोटे लौडे का कचूमर निकल दिया है..”

फ़चा फॅक......फ़चा फॅक......फ़चा फॅक

“डार्लिंग..बोलो कहाँ निकालु अपना वीर्य...”

फ़चा फॅक......फ़चा फॅक......फ़चा फॅक

“प्लीज़ करण मेरी चूत मे ही निकाल दो अपना वीर्य...”

फ़चा फॅक......फ़चा फॅक......फ़चा फॅक

“पर तुम प्रेग्नेंट हो गयी तो...”

फ़चा फॅक......फ़चा फॅक......फ़चा फॅक

“मैं तुम्हारी बच्चे की मान बन ना चाहती हू...मुझे यह सोभाग्य दे दो...मेरी कोख को अपने बीज से भर दो ताकि मैं माँ बन सकूँ..”

फ़चा फॅक......फ़चा फॅक......फ़चा फॅक

“ओह्ह निशा..मैं अब झड रहा हू.....आआहह..”

फ़चा फॅक......फ़चा फॅक......फ़चा फॅक आख़िरी झटका मार कर करण का तगड़ा लंड वापस निशा की चूत की गहराई मे समा कर सीधे बच्चेदानि से टकरा गया और अपना गरम गरम वीर्य चूत की गहराई मे उगलने लगा.
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08-19-2018, 03:12 PM,
#52
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
निशा अपनी चूत मे करण के लंड से गिरते वीर्य की हर बूँद अपने अंदर समा लेना चाहती थी, इसीलिए वो उसे पूरी तरह चिपक गयी और गरम वीर्य को अपने अंदर गिरते महसूस करने लगी.

करण ना जाने कितने देर तक हद से ज़्यादा वीर्य निकालता रहा और निशा की चूत लबालब भरता रहा. निशा उसके अंडकोषो को मसल्ते हुए वीर्य की हर बूँद निचोड़ने लगी. जब उसका लंड खाली होकर सिकुड गया तो ‘प्लॉप’ की आवाज़ के साथ चूत से बाहर आ गया और करण निशा के बगल मे बिस्तर पर लेट गया. 

लंड के बाहर आते ही लबालब भरी चूत से वीर्य की एक पतली धार बह निकली. “ओह्ह माइ गॉड करण तुम्हारे लंड से कितना वीर्य निकलता है...देखो मेरी पूरी चूत को तुमने अपने वीर्य से भर दिया है...” निशा वीर्य की उस धार को उंगली पर लेकर अपने मूह मे डाल कर चूस्ते हुए बोली. 

“यह वीर्य ना जाने कितने सालो से तुम्हारी चूत मे खाली होने के इंतेज़ार मे था...इसीलिए इतना सारा इकट्ठा हो गया..”

निशा करण की बातो पर मुस्कुराने लगी. आज वो पहली बात इतनी तृप्त लग रही थी. इतनी संतुष्टि मानो उसे कभी महसूस नही हुई थी. उसने पलट कर करण के होन्ट चूम लिए. फिर वो दोनो नंगे बदन ही एक दूसरे से चिपक कर सो गये.

चुदाई के इस तूफान मे दोनो को पता ही नही चला कि कब रात के बारह बज गये. वो दोनो करीब एक घंटे से सो रहे थे. निशा की आँख खुली तो उसने खुदको करण की बाँहो मे नंगी पाया. करण उसके बगल मे नंगा सोया हुआ था. करण के हॅंडसम चेहरे पर कितनी संतुष्टि थी यह देख कर निशा ने उसके होंठो को एक बार चूम लिया. इससे करण जाग गया और निशा को अपनी बाँहो मे भर कर उसके दूध मसल्ने लगा.

“अभी मन नही भरा क्या....” अपने दूध मसले जाने निशा सीसीया गयी.

“जब कोई पत्नी अपने पति की बाँहो मे नंगी सोती है तो क्या कभी पति का मन भर सकता है...” करण ने ज़ोर से निशा के निपल को खीचते हुए कहा.

“ओउच....दर्द होता है..” निशा अपनी चुचि की निपल खींचे जाने से चिहुक पड़ी.

करण लगातार निशा के मोटे मोटे दूध मसल रहा था जिससे निशा दोबारा गरम होने लगी थी. “ओह्ह माइ गॉड हम चुदाई मे इतने खो गये थे कि मैं तो भूल ही गयी कि तुम्हे भूक भी लगी होगी...” निशा अपने नग्न योवन को चादर से छुपाते हुए बोली.

करण उठ के बैठते हुए बोला, “मेरी जान तुमने अपनी चूत से आज मुझे इतना रस पिलाया है कि मेरा पेट भर गया है...” करण हौले से निशा की चुचि मसल्ते हुए बोला.

निशा करण की बातो से शरमा भी रही थी और गरम भी हो रही थी. “चलो मैं तुम्हारे लिए मिल्क शेक बना देती हू...” कहते वो बिस्तर से उठ गयी और पास मे पड़ी अपनी हाफ नाइटी को बिना ब्रा या पैंटी को अपने जिस्म पर डाल के नीचे किचन की तरफ चली गयी.
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08-19-2018, 03:12 PM,
#53
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
करण किसी फूल का पीछा करते भंवरे की तरह नंगा ही निशा के पीछे चल पड़ा. नीचे निशा कुछ सन्तरो को छील कर उनका जूस निकालने मे व्यस्त थी. करण चुपके से जाकर पीछे से निशा के मोटे मोटे दूध को दबोच लिया और उन्हे बेदर्दी से मसल्ने लगा और बोला, “जानेमन मुझे तो तुम्हारे ये वाला मिल्क चाहिए...” उसने निशा की नंगी पीठ पर होठ रख दिए और उन्हे अपनी थूक से गीला करने लगा.

इतनी बेरहमी से चुचि मसले जाने से निशा कराह उठी पर वो भी अब गरम होने लगी थी. “मेरी चुचियो के दूध पीने के लिए तो तुम्हे 9 महीने इंतेज़ार करना पड़ेगा जब मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बानूँगी..” उसने अपने सर को पीछे झटकते हुए कहा.

करण धीरे धीरे अपना हाथ को नीचे ले जाकर नाइटी के अंदर से निशा के नंगे गोरे गोरे गदराए चूतड़ को दबोच लिया और बेरहमी से उन्हे मसल्ने लगा. उसके तगड़ा लॉडा खड़ा हो कर निशा की चूतड़ के दरार मे घुस कर उसे दस्तक दे रहा था.

“करण अभी अभी तो तुमने मुझे पेला था....पर देखो तुम्हारा लॉडा फिर खड़ा हो गया है...आख़िर तुम्हारा लॉडा कितनी बार मेरी चूत का पानी पिएगा...” निशा ने मादकता के कहा और हाथ पीछे ले जाकर करण का हलब्बी को सहलाने लगी.

“तुम्हारी चूत भी तो पानी छोड़ रही है जानू...क्या इसे भी मेरा मोटा लंड अपने अंदर चाहिए...” करण हाथ नीचे ले जाकर नाइटी के अंदर से निशा की चूत मे उंगली पेलने लगा. चूत से पिच्छली चुदाई के कारण का वीर्य अभी भी टपक रहा था. अभी अभी निशा की कुवारि चूत करण के मोटे लौडे से चुदि थी लेकिन वो अभी भी इतनी टाइट थी कि करण की कन्नी उंगली ही अंदर जा पा रही थी.

“प्लीज़ करण अभी मत करो और मुझे मिल्क शेक बनाने दो...” निशा झूठ मूठ का विरोध कर रही थी क्यूकी उसकी हथेलिया अभी अभी करण के मोटे लंड को सहलाए जा रही थी.

करण सब समझ रहा था, उसने तुरंत हाथ आगे बढ़ा कर निशा की नाइटी खोल दी जो उसके चिकने जिस्म पर सरक्ति हुई नीचे जा गिरी.

“लो...तुमने तो मुझे फिर नंगी कर दिया...अब क्या मुझे दोबारा पेलने का इरादा है..” निशा अब ज़ोर ज़ोर से करण के लंड को मुठिया रही थी.

निशा ने करण का सख़्त खड़ा हुआ लॉडा अपनी पनियाई बर सेट कर दिया. फिर करण ने निशा को किचन के शेल्फ पर झुका दिया और एक तगड़ा झटका मारा, उसका मोटा लंड जैसे गरम चाकू मक्खन को चीरता है वैसे ही गच्च से अंदर घुस गया और तब तक घुसता रहा जब तक कि उसकी झान्टो का मिलन निशा की झान्टो से ना हो गया. 

“अहह.....उम्म्म....मज़ा आ गया....” निशा सिसकिया लेती हुए बोली. उसने किचन के शेल्फ पर हाथ रख लिए और पीछे से उसकी चूत मे घुसते करण के लंड का मज़ा लेने लगी.

पहले से ही निशा की चूत, करण के वीर्य से भरी हुई थी इसलिए अब सटा सॅट लंड चूत की गहराइयो मे घुस रहा था. करण ने हाथ आगे बढ़ा कर निशा की झूलती हुई चूचियो को थाम लिया और किसी गाय की तरह उसके स्तन को दूह ने लगा. फॅक फॅक की आवाज़ें पूरे किचन मे गूँज रही थी.

करीब आधा घंटा करण निशा को उसी आसन मे रोन्द्ता रहा और फिर अपने अंडकोष मे जमे वीर्य से निशा की चूत फिर से भर दी. इस बीच निशा चार बार अपने चूत से पानी निकाल चुकी थी. दोनो इतनी घमासान चुदाई के बाद थकान से चूर पसीने पसीने हो गये थे.

दोनो वापस उपर बेडरूम मे जाकर नंगे ही एक दूसरे की बाँहो मे लेट गये. निशा ने अपनी चूत पर नज़र डाली तो वो पूरा सूज चुकी थी. “देखो तुम्हारे इस हलब्बी लंड ने मेरी प्यारी सी कुवारि चूत की क्या हालत बना दी है....दो चुदाई मे ही यह सौ बार चुदे हुए भोस्डे की तरह लग रही है...” निशा अपनी चूत की फांके फैलाते हुए बोली.

“क्यू तुम्हे मज़ा नही आया...” करण निशा की चूत मे उंगली करते हुए बोला.

“अब प्लीज़ और उंगली मत करो...मेरे जिस्म मे अब और चुदाई करने की जान नही बची है....अब देखो तुमने मेरी चूत को अपने वीर्य से इतना भर दिया है कि वो ओवरफ्लो होकर मेरी गान्ड मे घुस रहा है....इतने वीर्य से तो मैण पक्का प्रेग्नेंट हो जाउन्गि...” निशा अपनी चूत से बहती करण के वीर्य की धार को किसी भी तरह वापस अपनी चूत मे भरने की कोशिश कर रही थी पर चूत पहले से ही पूरी लबालब वीर्य से भरी थी इसलिए उसने बाहर टपकती हुई वीर्य की धार को अपने मूह मे लेकर पी गयी.
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08-19-2018, 03:12 PM,
#54
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
“तुम्हारे पीरियड्स कब आए थे...” करण ने पूछा.

“दस दिन पहले....इसका मतलब है कि अब मैं ज़रूर प्रेग्नेंट हो जाउन्गि...”

“क्या तुम यह बच्चा नही रखना चाहती...”

“पागल हो गये हो क्या...मैं तो इस बच्चे को ज़रूर जन्म देना चाहूँगी...अक्खिर यह मेरे और तुम्हारे संभोग की पहली निशानी है...” निशा करण के चौड़े सीने पर अपना सर रखती हुई बोली.

तभी निशा की नज़र घड़ी पर गयी. यह सब के चक्कर मे सुबह के तीन बज चुके थे. निशा हड़बड़ाते हुए बोली, “ओह्ह माइ गॉड करण...मेरे मम्मी पापा 6 बजे की फ्लाइट से वापस आ जाएँगे....अब मैं क्या करू...अब मैं क्या करू...”

“प्लीज़ निशा डॉन’ट पॅनिक...सब कुछ ठीक हो जाएगा...” 

एक पल के लिए निशा करण की आँखो मे देखते हुए बोली, “प्लीज़ करण मैं यह शादी नही करना चाहती...”

करण को निशा की आँखो मे आँसू और साथ ही साथ उम्मीद की नज़र दिखाई दी. उसने प्यार से निशा के आँखो से आँसू पोछे और बोला, “तुम सिर्फ़ मेरी हो निशा...तुम्हे मुझसे कोई जुदा नही कर सकता...ना भगवान...ना शैतान....और ना ही इंसान..” कहते हुए करण खड़ा हुआ और जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहन ने लगा.

निशा उसे हैरान नज़र से देख रही थी, तभी करण ने उसे कहा, “निशा चलो तय्यार हो जाओ...अपनी कुछ ज़रूरत का समान और कुछ कपड़े जल्दी जल्दी पॅक कर लो..”

निशा की कुछ समझ मे नही आया, “पर यह सब क्यू करण...क्या हम कही जा रहे है...?”

“हां....मैं तुम्हे यहा से हमेशा के लिए भगा कर ले जा रहा हू...”



निशा उसकी बात सुन कर सन्न रह गयी. निशा को ऐसे हैरान परेशान देख कर करण बोला, “देखो निशा तुम्हारे पापा मुझे सिर्फ़ इसलिए पसंद नही करते क्यूकी तुम पंडित हो और मैं राजपूताना ठाकुर हू और वो भी अनाथ....इसलिए वो हमारी इंटरकॅस्ट शादी के लिए कभी तय्यार नही होंगे....इसलिए आज तुम्हे फ़ैसला करना होगा कि तुम्हे उनके साथ रहना है कि मेरे साथ.” कहते हुए करण वापस अपनी शर्ट और पॅंट पहन ने लगा.

“पर मैं अपने मम्मी पापा को अचानक कैसे छोड़ दूं...” निशा की आँखो मे आँसू आ गये. उसे आज वो करना पड़ रहा था जिस से वो सबसे ज़्यादा डरती थी और वो था अपने माँ बाप और अपने प्रेम के बीच चुनाव.

करण निशा के पास बैठ कर उसके कंधो पर हाथ फेरता हुआ बोला, “निशा अगर तुम मुझे छोड़ कर अपने माँ बाप को चुनती हो तो मुझे ज़रा सा भी बुरा नही लगेगा....आख़िर माँ बाप को खोने का दर्द मुझ जैसे अनाथ से ज़्यादा और कॉन समझ सकता है...”

“नही करण मैं तुम्हे नही छोड़ सकती....पर मैं अपने माँ बाप को भी नही छोड़ सकती....हे भगवान अब मैं क्या करू..”

“कोई बात नही निशा...अगर तुम कहो तो मैं यहाँ से चला जाता हू...पर मैं हमेशा ज़िंदगी भर तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा, कुँवारा बैठा रहूँगा और कभी भी शादी नही करूँगा...क्यूकी शादी तो कल रात हो ही गयी है मेरी...”

करण की इस बात पर निशा मर मिटी. वो झट से करण के गले लग गयी और बोली, “करण तुम मुझे मेरे मम्मी पापा से भी ज़्यादा समझते हो...ग़लती तुम मे नही उनमे है जो जात बिरादरी के नाम पर अपनी बेटी की खुशियो का गला घोटना चाहते है...मैने फ़ैसला कर लिया है...मैं तुम्हे चुनती हू और अपने मम्मी पापा को ठुकराती हू..”

“तो क्या तुम मेरे साथ चलोगि....?” करण निशा के सर पर हाथ फेरता हुआ बोला.

“हाँ मैं तुम्हारे साथ चालूंगी....जहाँ भी तुम ले चलो मैं वहाँ तुम्हारे साथ जाने को तय्यार हू....बस मुझे इस जिंदगी मे धोका मत देना वरना मैं मर जाउन्गि...” निशा करण के सीने से चिपकते हुए बोली.

“तो चलो ठीक है तय्यार हो जाओ...मैं तुम्हे अपने अपार्टमेंट ले चलूँगा...और आख़िर मैं भी एक सक्सेस्फुल डॉक्टर हू...अपनी बीवी की हर ख्वाइश को पूरा कर सकने मे समर्थ हू...” करण ने प्यार से निशा के गोरे गालो को चूमते हुए बोला.

“नही करण हम तुम्हारे अपार्टमेंट नही जाएँगे क्यूकी मेरे पापा को तुम्हारे अपार्टमेंट का पता मालूम है....और तुम तो जानते हो कि उनके कितने पोलिटिकल और पोलीस कनेक्षन्स है....वो हमे चैन से जीने नही देंगे..” निशा अपना डर जाहिर करते हुए बोली.
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08-19-2018, 03:12 PM,
#55
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
कुछ देर सोचने के बाद करण बोला, “मुझे एक जगह पता है जहाँ हम कुछ महीनो के लिए आराम से रुक सकते है...फिर हम किसी दूर शहर मे अपना एक मकान लेकर सारी जिंदगी एक दूसरे की बाँहो मे बिताएँगे...”

“वो सब तो ठीक है करण...पर मुझे ना जाने क्यू बहुत डर लग रहा है....ऐसा लग रहा है जैसे कोई अनहोनी होने वाली है....मेरा जी तो बहुत घबरा रहा है...” 

“निशा तुम अपने दिमाग़ से यह भ्रम निकाल दो...सब कुछ ठीक हो जाएगा...बस तुम अभी जल्दी से समान पॅक करो ताकि हम तुम्हारे पेरेंट्स के आने से पहले यहाँ से निकल सके....” बोलते हुए करण निशा की पॅकिंग मे मदद करने लगा. निशा ने भी कपड़े पहने और निकलने की तय्यारी करने लगी.

निकलते निकलते निशा ने अपने कमरे को एक आख़िरी बार देखा, उसकी आँखे नम थी, उसे पता था वो घर से करण के साथ भाग रही है इसलिए उसे आज के बाद अपना घर, अपना कमरा और शायद अपने माँ बाप कभी देखने को ना मिले. इसी वजह से उसकी आँखे भर आई लेकिन उसने अपनी आँसू पोछ लिए.

तभी निकलते निकलते करण की नज़र बेडशीट पर पड़ती है जिसपे खून और वीर्य के बड़े बड़े धब्बे थे, “निशा जल्दी से यह बेडशीट हटा कर धोने मे डाल दो वरना तुम्हारे पेरेंट्स को सब पता चल जाएगा...”

इसे सुन कर झट से निशा ने वो बेडशीट हटा के धोने मे डालने की बजाए उसे अपने सूटकेस मे रखने लगी, “पता चलता है तो चलने दो...बेडशीट पर लगे हमारे प्रेमरस, हमारी सुहागरात की पहली शरीरक संभोग की दास्तान सुना रहे है...इस बेडशीट पर पड़े मेरी चूत के खून के धब्बे और और तुम्हारे लंड का वीर्य इस बात के सबूत है कि हमारा प्यार सिर्फ़ मन का नही शारीरिक भी था..” बोलकर निशा ने बेडशीट सूटकेस मे डालकर करण के साथ अपने घर को हमेशा के लिए छोड़ कर चली गयी. 

कार को छोड़ कर दोनो ने ऑटो बुक कर लिया क्यूकी निशा के पापा निशा की कार को आसानी से खोज सकते थे. “पर हम जाएँगे कहाँ...?” निशा घबराते हुए ऑटो मे करण के साथ बैठते हुए बोली.

“है एक जगह....बस तुम चिंता मत करो सब मुझ पर छोड़ दो...” करण ने निशा का हाथ थामते हुए कहा. बेचारी निशा ने अपनी किस्मत को भगवान पर और खुद को करण के हाथो सौंप दिया था.

करण रास्ता बताते जा रहा था और ऑटो वाला उसके बताए रास्ते पर चलता जा रहा था. आधे घंटे के सफ़र के बाद दोनो बांद्रा पहुचे.

“यहा कॉन रहता है...?” निशा ने अपने सामने एक आलीशान फ्लॅट देखा और ऑटो से उतर गयी.

“बस अभी पता चल जाएगा....” करण ऑटो वाले को पैसे देता हुआ बोला और निशा को लेकर अपार्टमेंट मे घुस गया. वो एक फ्लॅट के सामने रुका और कॉल बेल बजाई.

दरवाज़ा खुला तो अर्जुन सामने खड़ा था. यह उसी का फ्लॅट था. करण को अपने सामने देख कर वो हैरान हो गया. कुछ दिन पहले तक तो उसके रिश्ते अपने सौतेले भाई से बहुत कड़वे थे पर इन्ही कुछ दिनो मे उसकी जिंदगी मे तूफान आ गया था, जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया. आज पहली बार करण को अपने सामने देख कर उसे खराब नही बल्कि बहुत अच्च्छा लग रहा था.
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08-19-2018, 03:12 PM,
#56
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
“मेरे भाई....इतनी सुबह!!!” कहते हुए खुशी से अर्जुन दरवाज़े पर खड़े करण के गले लग गया. उसकी आँखो मे करण से मिलने पर ख़ुसी के आँसू आ गये थे. 

तभी उसने करण की पीछे एक अतिसुंदर अप्सरा को ब्लू साड़ी और मॅचिंग ब्लू ब्लाउस पहने और हाथ मे बॅग और सूटकेस लिए खड़ा देखा.

“क्या यह मोह्तर्मा तुम्हारे साथ है..?” अर्जुन ने करण से पूछा.

“हां....” 

“पर कॉन है ये...?” अर्जुन ने फिर सवाल किया.

“अभी सब समझाता हू पहले अंदर तो बुला....” मुस्कुराते हुए करण ने कहा.

“ओह्ह सॉरी सॉरी आप दोनो प्लीज़ अंदर आइए...” अर्जुन दोनो का स्वागत करते हुए बोला.

निशा ने देखा कि फ्लॅट अंदर से बहुत आलीशान और खूबसूरत है. पर उसे थोड़ी हैरानी हो रही थी कि करण उसे कहाँ ले आया था और यह कॉन है जो करण को भाई बोल रहा है जबकि करण ने कभी उसे अपने किसी भाई का ज़िक्र नही किया था.

“तुम दोनो लोग बैठो मैं कॉफी बना के लाता हू...” कहते हुए अर्जुन किचन मे घुस गया. पीछे से करण ने चिल्लाते हुए उसका शुक्रिया किया.

“अब बता...यह मोह्तर्मा कॉन है...?” अर्जुन थोड़ी देर बाद अपने हाथो मे कॉफी के तीन मग लेकर लौटा.

"ये तेरी भाभी है...इनका नाम निशा है." करण बोला. इसे सुनकर अर्जुन खुश भी हुआ और हैरान भी.

बाहर आज भी घने बादल लगे थे और तेज़ बारिश के पूरे आसार थे. मुंबई मे बारिश पड़ती ही इतनी ज़्यादा थी. तब करण ने कॉफी पीते पीते अपनी और निशा के बारे मे शुरू से कॉलेज के समय से कल रात उनके शादी तक की बात सुना दी.

“क्या काजल तुम दोनो के रिश्ते के बारे मे जानती थी...?” अर्जुन ने हैरानी से पूछा.

“हाँ...वो तो काई बार निशा से मिल भी चुकी है...” करण ने कॉफी ख़तम करते करते कहा

“पर काजल ने मुझे कभी बताया नही...” अर्जुन फिर हैरान होकर बोला.

“काजल को तेरे और मेरे बीच की दूरिया के बारे मे पता था इसीलिए उसने तुझे यह बात बताना ज़रूरी नही समझा होगा...” करण बोला.

“पर भाई तुझे भी अभी इस समय ही इश्क़ लड़ाना था जब हमारी माँ और बहन इतनी बड़ी मुसीबत मे फँसी है...” अर्जुन ने गुस्से से कहा.

“मुझे पता है मेरे भाई पर ज़रा सोच अगर मैं निशा को भगा कर नही लाता तो उसके पापा उसकी शादी ज़बरदस्ती किसी और से कर देते....अपने प्यार को खोने का यह दर्द मैं बर्दास्त नही कर सकता था...” करण ने कहा.

अर्जुन को करण की यह बात सुनकर सलमा की याद आ गयी. सच्चे प्यार को उसने खो दिया था, वो करण का दर्द समझ सकता था इसलिए उसका गुस्से तुरंत ठंडा हो गया.

इतनी देर से पास मे बैठी निशा दोनो की बातें सुन रही थी जब उसने अचानक सवाल किया, “क्या हुआ काजल को....?”

दोनो यह सवाल सुनकर सकपका गये. दोनो मे से किसी को जवाब दिए नही बन रहा था. 

“अरे कुछ तो बोलो....और करण तुमने तो हमारी कहानी इन्हे बता दी पर तुमने यह नही बताया कि तुम्हारा भाई अचानक कहाँ से पैदा हो गया...” निशा फिर से बोली.
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08-19-2018, 03:13 PM,
#57
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
करण ने फिर अपने अर्जुन और काजल की कहानी बचपन से अभी तक की सुना दी पर तांत्रिक और काजल के अपहरण वाली घटना को छोड़ कर. वो फालतू निशा को टेन्षन नही देना चाहता था.

“वो सब तो ठीक है पर तुमने यह नही बताया कि काजल और तुम्हारी माँ के कॉन सी मुसीबत मे फसे होने की बात तुम दोनो कर रहे हो...” निशा ने पूछा.

करण और अर्जुन उस को यह बात कैसे बताए कुछ समझ मे नही आ रहा था. “हम तुम्हे कुछ नही बता सकते निशा बस इतना जान लो कि मेरा उस दिन तुम्हारे घर ना आना, मेरी पीठ और छाती पर छिल्ने और काटने के घाव और काजल और मेरी माँ का मुसीबत मे फसना एक ही कहानी के अलग अलग दृश्य है...” करण ने गोल मोल जवाब दिया.



इतनी देर से पास मे बैठी निशा दोनो की बातें सुन रही थी जब उसने अचानक सवाल किया, “क्या हुआ काजल को....?”

दोनो यह सवाल सुनकर सकपका गये. दोनो मे से किसी को जवाब दिए नही बन रहा था. 

“अरे कुछ तो बोलो....और कारण तुमने तो हमारी कहानी इन्हे बता दी पर तुमने यह नही बताया कि तुम्हारा भाई अचानक कहाँ से पैदा हो गया...” निशा फिर से बोली.

करण ने फिर अपने अर्जुन और काजल की कहानी बचपन से अभी तक की सुना दी पर तांत्रिक और काजल के अपहरण वाली घटना को छोड़ कर. वो फालतू निशा को टेन्षन नही देना चाहता था.

“वो सब तो ठीक है पर तुमने यह नही बताया कि काजल और तुम्हारी माँ के कॉन सी मुसीबत मे फसे होने की बात तुम दोनो कर रहे हो...” निशा ने पूछा.

करण और अर्जुन को यह बात कैसे बताए कुछ समझ मे नही आ रहा था. “हम तुम्हे कुछ नही बता सकते निशा बस इतना जान लो कि मेरा उस दिन तुम्हारे घर ना आना, मेरी पीठ और छाती पर छिल्ने और काटने के घाव और काजल और मेरी माँ का मुसीबत मे फँसना एक ही कहानी के अलग अलग दृश्य है...” करण ने गोल मोल जवाब दिया.

रात भर की चुदाई कार्यक्रम से निशा बहुत थक गयी थी. उसमे अब इतनी ताक़त नही थी कि करण और अर्जुन से खोद खोद कर उनकी बहन के बारे मे पूछे. उसकी आँखो मे नींद देख कर अर्जुन तुरंत बोला, “निशा भाभी आप कमरे मे सो जाइए...पहले यह मेरा था पर आज से यह कमरा आपका और करण का है....” अर्जुन ने निशा को कमरा दिखाते हुए कहा.

निशा जमहाई लेते हुए कमरे मे चली गयी और सीधे बिस्तर पर गिर गयी. उसे तुरंत नींद आ गयी और वो नींद की दुनिया मे खो गयी.
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08-19-2018, 03:13 PM,
#58
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
बाहर लिविंग रूम मे अभी भी करण और अर्जुन बैठे हुए थे. दोनो खामोश थे. अपनी बहन को याद करके दोनो बहुत मायूस भी थे. पर आचार्य कल से पहले लौटने वाले नही थे इसलिए उनके हाथ बँधे हुए थे.

“अर्जुन...मैं कुछ कहूँ.” करण ने शांति भंग करते हुए कहा.

“हाँ भाई बोलो ना....”

“मैं निशा को अपने साथ तुम्हारे घर लेकर आया हू...कही तुझे कोई प्राब्लम तो नही है ना...”

“ऐसी बातें बोलकर क्यू पराया कर रहे हो भैया....मैं आज तक अपनी फॅमिली को मिस करते आया हू...जबकि आज तो मेरा परिवार बढ़ा है...आज मेरे परिवार मे मेरी माँ, मेरी बहन और मेरे भैया के साथ मेरी भाभी भी जुड़ गयी है....मेरी भाभी समान माँ मेरे घर पहली बार आई है तो क्या मुझे कोई प्राब्लम होगी..” 

आज पहली बार करण ने ध्यान दिया की अर्जुन ने उसे सिर्फ़ ‘भाई’ के बजाए आज पहली बार उसे ‘भैया’ बोला था. करण को लगा वो आज रो पड़ेगा. आज उसे उसकी प्रेमिका और उसका भाई दोनो मिल गये थे.

“पर भैया....अभी तक आप दोनो की शादी क़ानूनी तौर से मान्य नही है...घर पर सिंदूर और मन्गल्सुत्र पहनने से क़ानून आपक दोनो को पति पत्नी नही मानेगा....” अर्जुन ने कहा.

“तो हम क्या करे....”

“भाई तुम और भाभी कोर्ट मॅरेज कर लो....बाद मे कभी रीति रिवाज़ के साथ धूम धाम से शादी हो जाएगी...”

“अर्जुन तुमने ठीक कहा...आज कोर्ट मॅरेज कर लेते है और बाद मे धूम धाम से शादी करेंगे पर सिर्फ़ उस दिन जिस दिन काजल और माँ भी हमारे साथ होंगी...”

“हाँ भाई उस दुष्ट तांत्रिक का हम अंत करके ही रहेंगे....पर पहले तुम भी जाकर आराम कर लो...शाम तक हम कोर्ट पहुच जाएँगे...” अर्जुन के बोलने पर करण भी आराम करने एक कमरे मे चला गया.

वो भी रात के चुदाई समारोह से बहुत थक गया था. अर्जुन का फ्लॅट बॅचलर टाइप 1बीएचके का था. अर्जुन के कमरे मे निशा और करण सो गये और दूसरा लिविंग रूम था जिसपे अर्जुन सोफा लगाकर लेट गया.

करण भी कमरे मे जाके सो गया. निशा थकान की वजह से घोड़े बेच कर सो रही थी जब दोपहर को करण जगा तो निशा की खुली जुल्फे जो उसके गोरे खूबसूरत चेहरे पर छाई हुई थी, देख कर उसके सौंदर्य की निहारने लगा.

“उठो स्वीटहार्ट....देखो लंच का समय हो गया है...” करण हौले से निशा के होंटो को चूमते हुए बोला.

निशा एक अंगड़ाई लेकर उठी और समय देखा तो दोपहर के एक बज रहे थे. तीनो फ्रेश होकर पास के एक हाइ क्लास रेस्टोरेंट मे जाकर खाने चले गये. वहाँ से खाकर तीनो अर्जुन की स्कॉर्पियो मे बैठ गये और अर्जुन ने गाड़ी भगा दी.

“पर यह हम कहाँ जा रहे है....अर्जुन का अपार्टमेंट तो दूसरी तरफ है ना...” निशा चौंक्ति हुई बोली.

“सब्र करो डार्लिंग....” करण उसके होन्ट चूमते हुए बोला. अर्जुन शीशे मे सब देख रहा था और मुस्कुराए जा रहा था. निशा ने भी करण को आँख दिखा कर आगे बढ़ने से मना कर दिया.

गाड़ी थोड़ी देर बाद कोर्ट के सामने रुकी. तीनो उतर के अंदर चले गये.
“तुम मुझे यहाँ क्यू लाए हो...” निशा ने करण से पूछा.

“हम ने घर पर तो शादी कर ली...अब क़ानूनी तौर पर भी कर लेते है...” करण ने मुस्कुरा के कहा.

“ओह्ह हाँ मैं तो यह भूल ही गयी थी...” निशा ने झेम्प्ते हुए कहा. पर उसका मन उदास लग रहा था यह सोचकर कि अब तक तो उसके घरवालो को उसके भाग जाने का पता चल चुका होगा और उन पर क्या बीत रही होगी.

करण ने यह बात समझ ली और निशा के हाथ को पकड़ते हुए बोला, “सब ठीक हो जाएगा जान...” और उसने निशा को कोर्ट के कॅंपस मे लगे पीसीओ फोन पे ले गया और बोला, “अपने पेरेंट्स को फोन करके बोल दो कि तुम ठीक हो और करण के साथ हो...”

“पर वो तुम्हारा नाम जानकार बहुत बाधक जाएँगे....मुझे तो बहुत डर लग रहा है...” निशा घबराते हुए बोली.
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08-19-2018, 03:13 PM,
#59
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
अपना बिंदास अर्जुन यह पीछे से सुन रहा था जब उसने फोन उठाया और निशा के मोबाइल से उसके पापा का नंबर लेकर डाइयल कर दिया. करण ने उसको रोकना चाहा पर तब तक निशा के पापा के पास घंटी जाने लगी.

“हेलो...हेमंत शर्मा बोल रहा हू...” उधर से निशा के पापा की आवाज़ आई.

“और मैं आपके दामाद का भाई बोल रहा हू...” अर्जुन ने इधर से कहा.

“व्हाट नॉनसेन्स....हू आर यू...???”

“आपकी बेटी निशा हमारे कब्ज़े मे है....मेरा मतलब है हमारे साथ है...”

“कॉन बोल रहा है...तुम्हे हमारी बेटी के बारे मे कैसे पता चला...”

“देखो अंकल ज़्यादा टाइम नही है मेरे पास....अभी अपने भाई की शादी आपकी बेटी निशा से करवाने जा रहा हू कोर्ट मे....अगर रोक सकते हो तो रोक लो...” और कहते हुए अर्जुन ने फोन काट दिया.

“अबे यह क्या किया तुमने....???” करण भौचक्का रह गया.

“अब यही खड़े खड़े गप्पे मारते रहोगे या जल्दी से जाकर शादी करोगे....कही भाभी के पिताजी यहा पहुच गये तो मेरी और तुम्हारी दोनो की खैर नही...” अर्जुन ने बोलते हुए करण को आँख मार दी.

निशा अपने इस नये प्यारे से देवर की हरकत पर मुस्कुरा बैठी. तीनो जल्दी से कोर्ट मे गये और अर्जुन को शादी का गवाह मानते हुए जज ने करण और निशा को हमेशा के लिए क़ानूनी तौर से पति पत्नी घोषित कर दिया. तीनो इससे पहले हेमंत शर्मा आता, पतली गली से अपने अपार्टमेंट निकल गये.

शाम को सिद्धि विनायक मंदिर के दर्शन करने बाद तीनो अर्जुन के अपार्टमेंट आ गये. अपने मे ही तीनो ने एक छोटी सी पार्टी रखी थी. जो भी थोड़ी बहुत खुशिया थी वो तीनो मिल बाँट कर मनाना चाहते थे.

निशा इस ख़ुसी मे अपनी मम्मी पापा को तो मिस कर ही रही थी इसलिए करण के कहने पर उसने अपने फोन से अपने पापा का नंबर डाइयल किया और उनको अपनी शादी की बात बता दी. लेकिन उसके पापा ने रूखा बर्ताव कर के यह कह दिया कि आज के बाद उनके लिए वो मर गयी है और वो दुबारा कभी उन्हे फोन ना करे.

इस ख़ुसी मे यह एक छोटा सा गम ज़रूर था जिसे करण और अर्जुन ने हंस गा कर दूर कर दिया.



आधी रात हो चली थी. निशा अपने कमरे मे जाकर कारण का इंतेज़ार कर रही थी. पर करण इधर अर्जुन के साथ बैठ कर कुछ ज़रूरी बातें कर रहा था.

“कल आचार्य सत्या प्रकाश वापस लौट आएँगे....हमे उनसे कल किसी भी हाल मे मिलना होगा...” अर्जुन ने करण को याद दिलाते हुए कहा.

“तुम सही कह रहे हो भाई....लेकिन हम निशा को क्या बताएँगे...”

“भाभी को कुछ मत बताना...खमखा वो परेशान हो जाएँगी...अभी तुम दोनो की नयी नयी शादी हुई है....कही इस चक्कर मे तुम दोनो के रिश्ते मे दरार ना पड़ जाए...” अर्जुन बोला.

“पर मेरा अपनी माँ और बहन के प्रति भी तो कुछ कर्तव्य है....मैं उन्हे अकेले ऐसे ही उस तांत्रिक के हाथो मरने के लिए नही छोड़ सकता..” करण गुस्से मे आकर बोला.

“भाई एक काम करो....तुम निशा भाभी को यही मेरे अपार्टमेंट मे रहने दो और हम दोनो अपना कर्तव्य निभाते है....निशा भाभी यहा बिल्कुल सेफ रहेंगी और उन्हे यहा किसी चीज़ की कमी भी नही होगी..”

“अर्जुन वो सब तो ठीक है...पर मैं ऐसा कॉन सा बहाना बनाऊ कि मेरी बातो पर यकीन कर के हम दोनो को कुछ दिनो के लिए जाने दे...”

“मेरे पास एक बहाना है....” और अर्जुन करण की कानो मे कुछ कहने लगा.
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08-19-2018, 03:13 PM,
#60
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
कमरे का दरवाज़ा खुला और करण निशा के कमरे के अंदर आ गया. उसके दिमाग़ मे अपनी माँ और बहन की बातें ही चल रही थी, इसीलिए वो काफ़ी गंभीर था.

“कहाँ रह गये थे इतनी देर....मैं कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हू...” निशा ने करण का हाथ पकड़ कर अपने मोटे मोटे स्तनो पर रख दिया.

करण ने बेमन से उसके चुचिया दबाने लगा. निशा इस बात को ताड़ गयी और बोली, “क्यू आज मेरी चूत मारने का मन नही है...?”

करण का आज बिल्कुल मूड नही था. “नही डार्लिंग आज मैं बहुत थक गया हू....आज मेरा मूड नही है...”

“क्यू बस एक रात मे ही मुझसे मन भर गया....” निशा व्यंग कसते हुए बोली.

“प्लीज़ जान ऐसे मत बोलो...तुम तो मेरी पत्नी हो...और भला पत्नी से कभी किसी का मन भर सकता है क्या...” करण ने प्यार से निशा का माथा चूमते हुए कहा.

“तो फिर मेरी प्यास बुझा दो मेरे राजा....” निशा फिर अपने रंग मे आ गयी और करण का हाथ फिर से अपने चुचियो पर रख कर दबाने लगी.

करण ने झल्लाते हुए अपना हाथ खीच लिया, “कितनी प्यास लगती है तुमको...कल ही दो बार चोद चुका हू...फिर से आज तुम्हारी चूत गीली हो गयी....अब मैं क्या करू..दो दो लंड उगा लूँ क्या...” करण ने गुस्से मे आकर कह तो दिया लेकिन उसे अगले ही पल अपनी ग़लती का एहसास हो गया.

निशा को यह बात एकदम से चुभ गयी. उसको लगा कि वो किसी रंडी की तरह करण के सामने अपनी इज़्ज़त लूटा रही है. करण ने निशा के साथ ऐसा बर्ताव कभी नही किया था. निशा की आँखो से आँसू छलक आए. 

“आइ..आइ आम सॉरी निशा...मेरे कहने का वो मतलब नही था....प्लीज़ बात को समझा करो...आज मेरा मूड नही था....प्लीज़ आइ आम सॉरी निशा...”

निशा ने कुछ नही कहा बस उसके आँखो से आँसू बहते रहे. करण को लग रहा था कि वो अपनी जीभ चाकू से काट ले क्यूकी इसी जीभ ने ग़लत समय पर ग़लत शब्द निशा से कह दिए थे.

“सुनो एक और बात कल सुबह ही मुझे और अर्जुन को कुछ ज़रूरी काम के सिलसिले मे एक हफ्ते के लिए बाहर जाना पड़ेगा....तुम यहाँ आराम से रह सकती हो..”

इससे ज़्यादा निशा को दर्द देने वाली चीज़ क्या हो सकती थी. उसे अचानक अपने घर से इतनी दूर आकर अपने मम्मी पापा की याद आने लगी थी. अचानक वो अपने आपको बड़ी तन्हा मान ने लगी थी.

“आइ आम सॉरी निशा बहुत ज़रूरी काम है नही तो मैं कभी भी तुम्हे छोड़ कर नही जाता...” करण ने समझाते हुए कहा.
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