Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
01-13-2019, 11:41 PM,
#21
RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
कमरे का माहौल बिल्कुल शान्त था | जहाँ कुछ पल पहले पुरे कमरे में तूफान मचा हुआ था | वहीं अब वहाँ पूरी तरह से शांति थी | बस माँ-बेटे की सांसो की हल्की हल्की आवाज़ गूँज रही थी | दोनो जाग रहे थे और पुरे होशो हवाश में थे मगर दोनो के जिस्म पूरी तरह स्थिल थे | राहुल ने आज पहली बार एक नारी की देह को भोगा था वहीं सलोनी ने बहुत समय बाद आज ऐसे जबरदस्त सखलन को प्राप्त किया था | दोनो माँ-बेटा ऐसे महसूस कर रहे थे जैसे उनके जलते हुए जिस्मो पर किसी ने शीतल जल डाल दिया था | सखलन के परम सुख को प्राप्त करने के बाद अभी उनके जिस्मो में उस जबरदस्त आनंद की लहरें दौड़ रही थी और वो आराम से चुपचाप लेटे उस आनंद का एहसास ले रहे थे | दोनो सुबह से तीन बार झड़ चुके थे मगर वो थके हुए नही थे |

आख़िरकार सलोनी के बदन में ही कुछ हरकत होती है और वो अपने हाथों से अपने बेटे की पीठ सहलाने लगती है जो उसके बदन पर लेटा हुआ था और वो उसकी धीमी साँसे अपनी गर्दन पर महसूस कर रही थी | हालाँकि राहुल का वजन सलोनी से कहीं अधिक था मगर उसे वो किसी फूल की तरह हल्का लग रहा था | 

"राहुल......... बेटा......." वो कोमलता से उसकी पीठ सहलाती धीमे से उसे पुकारती है |

"हुं........." राहुल अपनी माँ की गर्दन पर चेहरा दबाए धीमी सी आवाज़ में बोलता है |

"मुझे लगा शायद तुम सो गए..........." स्लोनी कोमल स्वर में उसकी पीठ सहलाती उसी स्वर में बोलती है, "कैसा महसूस हो रहा है मेरे बेटे को" 

"उम्म्म्ममममम.........उउम्म्म्ममम" राहुल अपनी माँ की गर्दन पर चुंबन अंकित करता बोलता है, "बहुत अच्छा मम्मी............ऐसा महसूस हो रहा है मम्मी जैसे मेरे उपर से कोई वजन उतर गया है......जैसे मै हवा से हल्का हो गया हूँ.........जैसे जैसे........उफफफफफफफ्फ़ मुझे नही माँलूम मम्मी मैं आपको कैसे बतायूं मगर मुझे बहुत- बहुत अच्छा महसूस हो रहा है" राहुल के होंठ अब अपनी मम्मी के कंधे को चूम रहे थे | 

"गुड.........वैरी गुड.... इतना अच्छा महसूस होना भी चाहिए आख़िर तुमने अपनी मम्मी चोदी है"

"म्म्मम्म्मी........." राहुल शिकायत भरे स्वर में अपनी माँ के कंधे पर कोमलता से होंठ रगड़ता बोलता है |

"क्या मम्मी............... मैं कुछ ग़लत कह रही हूँ? अभी अभी अपनी मम्मी की चूत में लंड नही पेल रहे थे?.... अभी भी तुम्हारा लंड मेरी चूत में है .... अगर जबरदस्त मज़ा नही आया तो फिर क्या फ़ायदा अपनी मम्मी को चोदने का!....... हाए... मुझे देखो......... उउउफफफफफफफ्फ़... अभी तक बदन के अंग अंग में रोमांच छाया हुआ है........ नस नस में आनंद की लहरें उठ रही हैं"


"मम्मी आप भी ना.........." अपनी माँ की अश्लील भाषा से राहुल थोडा शर्मा जाता है | मगर उसकी मम्मी के वो अल्फ़ाज़ उसके अंदर आग भर रहे थे | उसके लंड में सुरसूराहट होने लगी थी | सलोनी राहुल की शर्म से हंस पढ़ती है | वो उसके कंधे से उसकी गर्दन को चूमता हुआ धीरे धीरे उसके मुख की और बढ़ता जा रहा था | 

सलोनी के हाथ राहुल की पीठ पर घूम रहे थे और अब उनकी सीमाँ बढ़ती जा रही थी | उसके हाथ उसके कंधो से लेकर उसके नितम्बो तक को सहा रहे थे | सलोनी का कोमल स्पर्श राहुल को बेहद्द सुखद लग रहा था | वो उसकी गर्दन से चेहरा उपर उठाकर उसके कान की लौ को अपने होंठो में भर लेता है और उसे अपनी जीभ की नोंक से सहलाने लगता है | 

"उउउम्म्म्ममममम.........." सलोनी के मुख से मीठी सिसकी फूट पड़ती है | 

राहुल उस सिसकी से उत्साहित होकर अपनी मम्मी के कान को चुभलाता है | सलोनी बेटे के मधुर प्यार को महसूस कर अपने जिस्म में छाए उस आनंद को बड़ता हुआ महसूस करती है | उसके हाथ राहुल की पीठ से नीचे जाते हुए उसके कूल्हों को सहलाने लगते हैं | राहुल की जिव्हा अपनी मम्मी की कान की लौ से फिर से उसकी गर्दन और वहाँ से उसकी गाल को चाटने लगती है |

"उउउम्म्म्ममममममममममम......." सलोनी के होंठो से एक और मधुर सी सिसकी फूट पड़ती है | 

सलोनी अपने अंगो में फिर से हल्का हल्का तनाव छाते महसूस कर रही थी | उसके हाथ राहुल के कुल्हों को सहलाते हुए उसके कुल्हों की घाटी के बीच चले जाते हैं | राहुल जो अपनी मम्मी के गाल चूम चूस रहा था उसके गालों को और भी तेज़ी से चूसने लगता है | उसके जिस्म में झुरझुरी सी छाने लगी थी जब उसे अपनी माँ के हाथ अपनी गांड के छेद के इतने नज़दीक महसूस हुए | स्लोनी की उंगलियाँ राहुल के छेद को स्पर्श करती हैं तो उसका जिसम हल्का सा झटका ख़ाता है | वो अपनी माँ के गाल को हल्का सा काटता है | उसका लंड अपनी माँ की चूत के अंदर जागने लगा था | सलोनी राहुल की गांड के छेद से खेलती उसे अपनी उंगलियों से सहला रही थी, धीरे धीरे रगड़ रही थी | फिर वो अपनी बड़ी उंगली उसकी गांड के छेद पर दबाती है | 

"उउउन्न्नहहह..........." राहुल अचानक चिंहूक उठता है | वो अपना चेहरा उठाकर अपनी मम्मी के चेहरे को देखता है | सलोनी का चेहरा उत्तेजना और माँदकता से चमक रहा था | दोनो माँ बेटा एक दूसरे की आँखो में देखते हैं | सलोनी अपना एक हाथ उसकी गांड से हटाकर अपने मुँह के पास लाती है और फिर अपनी एक उंगली वो अपने मुँह में डालती है | उसकी नज़रें राहुल के चेहरे पर ज़मी हुई थीं | सलोनी अपने मुँह से उंगली बाहर निकालती है तो वो उसके मुखरस से चमक रही थी | राहुल अपनी माँ को जिज्ञासा से देख रहा था | सलोनी का हाथ फिर से राहुल की गांड पर जाता है वो अपनी उंगली राहुल की गांड पर दबाती है | अब जाकर राहुल समझा था उसकी माँ ने अपनी उंगली थूक से गीली क्यों की थी | सलोनी उंगली दबाना चालू रखती है | राहुल की गांड बेहद्द कसी हुई थी मगर सलोनी की उंगली के लगातार दवाब के बाद वो धीरे धीरे थोड़ा थोड़ा सा खुल रही थी, जितना गांड खुल रही थी उतना ही उंगल दबा बनाती जाती और आख़िरकार सलोनी की मुखरस से गीली उंगली का ऊपरी सिर उसके बेटे की गांड में हल्का सा घुस जाता है |

"मम्म्मममी...........मम्म्ममय्यययी" राहुल पीड़ा और सनसनी से कराह उठता है | वो अपनी माँ के चेहरे को हाथों में थाम अपना चेहरा उसके चेहरे पर झुकाता है और दोनो माँ-बेटे के होंठ आपस में मिल जाते हैं | सलोनी तुरंत अपने बेटे के मुख में अपनी जिव्हा धकेल उसके मुख को चूमने चूसने लगती है | उसकी उंगली लगतार दवाब बनाते अपने बेटे की गांड में घुसती चली जा रही थी | राहुल उत्तेजना से भडकता हुआ अपनी मम्मी की जिव्हा अपने होंठो के बीच दबा लेता है और उसे ज़ोरों से चूसने लगता है | दोनो एक दूसरे के मुँह में सिसक रहे थे | 

राहुल को अपनी गांड के छेद में हल्की हल्की चुभन महसूस हो रही थी | मगर वो चुभन उसकी उत्तेजना को बढ़ाती जा रही थी | वो अपनी माँ के होंठो पर होंठ दबाए उसकी जिव्हा चूस रहा था, उसके मुखरस को पी रहा था | आख़िरकार दोनो के मुँह अलग होते हैं और दोनो खांसने लगते हैं | दोनो की साँसे बुरी तरह से उखड़ी हुई थी | दोनो गहरी गहरी साँस लेते खुद को संभाल रहे थे | 


"आहह...........राहुल.....बेटा देखो मेरी चूत में कुछ हिल डुल रहा है....हाएएए............यह तो झटके मारने लगा है बेटा..........हाए कितना लंबा मोटा है.........देखो तो बेटा तुम्हारी मम्मी की चूत में क्या घुस आया है......." सलोनी गहरी गहरी साँस लेती बहुत ही कामुक अंदाज़ में कुछ इस तरह बोलती है कि उन लफ़्ज़ों की अश्लीलता और भी बढ़ जाती है | राहुल का लंड और भी ज़ोर से झटके मारने लगता है |

"हे भगवान.........राहुल बेटा ..........आआअहह.........देखो ना तुम्हारी मम्मी की चूत को...............हाए तुम्हे अपनी मम्मी की ज़रा भी फ़िक्र नही है......... उउउफफफफफफ्फ़ इतना लंबा मोटा मेरी चूत में क्या घुस..........."

सलोनी अपनी बात पूरी नही कर पाई थी कि राहुल ने बीच में ही उसके होंठो पर अपने होंठ चिपका दिए और उसका मुँह बंद कर दिया | वो और भी ज़ोर शोर से अपनी माँ के होंठो को चूसने लगता है, उत्तेजना में उन्हे काटने लगता है | राहुल का पूरा ध्यान अपनी माँ की उंगली पर था जो उसकी गांड में घुसती चली जा रही थी | उसे खुद माँलूम नही चला था कब उसका लंड पूरा अकड़ गया था और कब उसने झटके मारने शुरू कर दिए थे |
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01-13-2019, 11:41 PM,
#22
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सलोनी की उंगली इस समय आधी से ज़्यादा राहुल की गांड में जा चुकी थी | वो अपनी उंगली को वहीं रोक कर उसे आगे पीछे करने लगती है | मगर गांड बहुत तंग होने के कारण वो बहुत ज़्यादा आगे पीछे नही हो रही थी | मगर जितना भी राहुल की तंग गांड उंगली को अंदर बाहर होने दे सकती थी, सलोनी कर रही थी | उधर जब सलोनी ने राहुल की गांड अपनी उंगली से चोदनी शुरू की तो उसकी उत्तेजना अपने चरम पर पहुँच गयी | सलोनी की गरम चूत जो फिर से पूरी तरह बहक चुकी थी उसके बेटे के लंड को कस कर चूम चाट रही थी, उसे सहला रही थी | राहुल से रहा नही गया और वो अपनी मम्मी के होंठ को काटता हुया अपनी कमर हिलना शुरू कर देता है | 

माँ अपने बेटे की गांड अपनी उंगली से चोद रही थी और बेटा उंगली से ताल मिलाते हुए अपनी माँ को चोद रहा था | जैसे जैसे माँ की उंगली रफ़्तार पकड़ती वैसे वैसे बेटा अपनी कमर की रफ़्तार तेज़ कर रहा था | अपनी माँ की सिल्की भीगी चूत में लंड पेलने से बड़ा आनंद उसे कहाँ मिलने वाला था | 

इस बार जब दोनो के होंठ जुदा होते हैं तो दोनो की हालत पहले से भी बुरी थी | खुले मुँह से साँस संभालते सलोनी अपनी उंगली को तेज़ तेज़ राहुल की गांड में आगे पीछे करने लगी |

"ओह......मम्म्ममी ..........मम्म्ममममी....." राहुल सिसक रहा था | राहुल की गांड के पट्ठे अब कुछ ढीले पढ़ने लगे थे जिससे सलोनी को उसकी गांड में उंगली आगे पीछे करने में आसानी होने लगी थी |

सलोनी अपनी टाँगे बेटे की कमर पर लपेट उन्हे कस देती है | वो अपने चेहरे से राहुल के हाथ हटा उन्हे अपने मुम्मो पर रखते हुए बोलती है |

"मेरे मुम्मे पकड़ो........हाए.......मेरे मुम्मे मस्ल मसल कर चोदो मुझे|" कहते हुए सलोनी फिर से राहुल के होंठो को अपने होंठो में दबोच लेती है |
राहुल अपनी मम्मी के मुम्मो को हाथों में समेटता अपनी कमर उछालनी शुरू कर देता है | मुम्मो को दबाते दबाते वो कुछ ज़्यादा ही जोश में आ जाता है और खींच खींच कर ज़ोरदार धक्के मारने शुरू कर देता है | 

"आआईईईईईईई.........आाईईईईए........धीरे......धीरे.........उउफफफफफ्फ़....." सलोनी अकस्मात के ज़ोरदार हमले को झेल नही पाती और हर धक्के पर चीखती है | मगर राहुल सलोनी के चीखने चिल्लाने की कोई परवाह नही करता और अपने धक्के जारी रखता है बलकि और भी ज़ोर से अपनी माँ की चूत में लंड पेलने लगता है |

"उउउक्चकचह..........ऊउक्ककचह.....रूको......धीरे....बेटाआआ..... हायययययईई....." सलोनी चिल्लाती हुई अपनी टाँगे राहुल की कमर से नीचे उसकी जाँघो पर कस्ती चली जाती है | राहुल की स्पीड कम होती होती खुद बा खुद रुक जाती है | सलोनी ने अपनी जांघें कस कर उसकी जाँघो पर जैसे लॉक लगा दिया था और वो अपनी कमर पीछे नही खींच सकता था, इसलिए धक्का भी नही मार सकता था | राहुल ज़ोर लगाकर अपनी कमर पीछे को खींचने की कोशिश करता है मगर उसके हाथ निराशा ही लगती है | अपनी माँ की जाँघो की ताक़त देखकर वो आश्च्र्यचकित हो गया था |

"हाययइईई.......हाअयययययईए.........." सलोनी अभी भी सिसक रही थी | "क्या कर रहा है?.....क्यों इतनी ज़ोर ज़ोर से ठोक रहा है......उउफफ़फ़गगग......जान निकाल कर रख दी मेरी....... बेटा अभी मेरी चूत तुम्हारे मोटे लंड के लिए इतनी ज़्यादा नही खुली है.....तुम इतने ज़ोर ज़ोर से पेलोगे तो जानते हो मेरा क्या हाल होगा....." सलोनी राहुल को झिड़कती है जो अभी भी चाहता था कि उसकी मम्मी अपनी जांघें ढीली छोड़ दे ताकि वो खुल कर उसकी चूत चोद सके |

"हाए मम्मी कितना मज़ा आ रहा था.....प्लीज़ मम्मी करने दीजिए ना... ज़ोर ज़ोर से" राहुल मिन्नत के अंदाज़ में बोलता है |
सलोनी बेटे की बात के ज्वाब में अपनी एक उंगली जो उसकी गांड में थी बाहर निकाल कर उसमे अपना अंगूठा दबाती है | अंगूठा अंदर नही जा पाता क्योंकि उंगली से काफ़ी मोटा था | सलोनी खूब ज़ोर से अंगूठे को अंदर को धकेलती है तो धीरे धीरे गांड का छल्ला चोडा करता उसका अंगूठा उसके बेटे की गांड में घुसता चला जाता है | 

"मम्म्मममममी.... यू..उ...मम्म...ऊऊउ...म्म्म्ममी.....निकालो....निकालो.....प्लीज़ मम्मय्यययी......उउउफफफफफ्फ़.....बहुत दर्द हो रहा है...." राहुल का बदन झटके खा रहा था | मगर सलोनी कुछ पलों तक अंगूठे को उसकी गांड में डाले रखती है | राहुल अपनी कमर ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था ताकि वो अंगूठा उसकी गांड से निकल सके मगर सलोनी पूरी ताक़त से उसकी जाँघो को अपनी जाँघो में कस कर उसे रोके हुए थी | आख़िरकार सलोनी उसकी गांड से अपना अंगूठा बाहर निकाल लेती है| 
"उउफफफफफफ्फ़......ऊओह गॉड!" राहुल चैन की गहरी साँस लेता है | "आप मेरी मम्मी नही मेरी दुश्मन हो, कोई अपने बेटे को इस तरह से तकलीफ़ देता है क्या?" राहुल रुआंसे स्वर में बोला | 

"अब पता चला कितनी तकलीफ़ होती है जब कुछ अंदर घुसता है तो? ........ मम्मी कितना मज़ा आ रहा था तेज़ तेज़ करने में.... अब मालूम चला ....... अरे तुझसे यह अंगूठा बर्दाश्त नही हुआ और तूने मेरी चूत में पूरा मूसल घुसेड़ा हुआ है.....” सलोनी बेटे से नाराज़गी जाहिर करती है | वो अपनी टाँगे ढीली छोड़ देती है | मगर राहुल उसे चोदना शुरू नही करता | बल्कि उसका तो मुँह लटका हुआ था | नज़र झुकी हुई थी | चेहरे पर शर्मिंदगी थी |

सलोनी बेटे के चेहरे को अपने हाथों में थाम लेती है और उसके होंठो पर प्यार के कई मीठे और कोमल चुंबन अंकित करती है |

"जानते हो तुम्हारा लौड़ा कितना लंबा मोटा है... खास कर तुम्हारे पिता की तुलना में...... और मेरी इस चूत में तुम्हारे पिता के अलावा और किसी का लौड़ा नही घुसा, इसलिए अब जब तुम इतना लंबा मोटा मेरी नाज़ुक सी चूत में घुसाओगे तो मुझे तकलीफ़ होगी ना और उपर से तुम ताबड़तोड़ धक्के मारने चालू कर देते हो" सलोनी बेटे को समझाने के अंदाज़ में बोल रही थी और राहुल समझ भी रहा था, मगर बेचारा करता भी तो क्या| सलोनी की जालिम ज्वानी तो बड़े बड़ों के होश उड़ा सकती थी तो उसका बेटा कैसे बच सकता था | बहरहाल बेटे के चेहरे पर पछतावे और शर्मिंदगी के भाव देख सलोनी को उस पर बेहद प्यार आता है | वो फिर से उसके कोमल होंठो पर कई चुंबन अंकित करती है |

"मेरे लाल मैं तेरे पास हूँ....... बस एक बार मेरी टाइट चूत को थोडा सा खुल जाने दे फिर चाहे पूरी रात अपनी मम्मी पर चढ़े रहना और जैसा तेरा दिल में आए मेरी चूत मारना .......... " सलोनी की बात पर राहुल हल्का सा सर हिलाकर सहमति प्रकट करता है | वो तो इतने से ही खुश था कि उसे अपनी मम्मी चोदने को मिल रही थी |

"तो चलो अब शुरू हो जायो..... लेकिन आराम आराम से ...... बिल्कुल प्यार प्यार से ....... मैं चाहती हूँ तू खूब लंबे समय तक मेरी चुदाई करे ....... आआअहह ......... और ..... और ऐसा तभी होगा ..... जब तू धीरे धीरे छोड़ेगा ..... ऊऊहह .......... हाए तू नही जानता कितने दिनों से तरस रही हूँ चुदवाने के लिए ........... आआहह ............ आज जाकर तूने जो मेरी चुदाई की तो कुछ राहत मिली है नही तो मेरी चूत तो भट्टी की तरह जल रही थी .......... उउफफफ़फ़गग बस ऐसे ही ........." सलोनी फिर से अपनी टाँगे राहुल की कमर पर लपेट कस देती है और उसका हाथ फिर से राहुल की गांड पर पहुँच जाता है | उसकी उंगली जल्द ही फिर से राहुल की गांड के अंदर घुस जाती है | वो जानती थी कि इससे राहुल की सनसनी और भी बढ़ेगी और उसे और भी अधिक मज़ा आएगा | सलोनी का सोचना बिल्कुल सही था, उंगली गांड में घुसते ही राहुल के मुँह से ‘आअहह’ करके एक तीखी सिसकी निकलती है और वो अपनी मम्मी के मुम्मो को कस कस कर मसलने लगता है |

"बस ऐसे ही .......... ऐसे ही बेटा ...... आआहह ..... आराम आराम से ......... आराम आराम से चोद मेरे लाल अपनी मम्मी को ......... हाए तेरी मम्मी की चूत .............. आहह ........... उउउफफफफ़फ्ग ........ बहुत नाज़ुक है ........ और ....... और तेरा लंड बहुत मोटा है ........ उफफफफफफफफ्फ़ ...... सच में बहुत मोटा है तेरा ...... देख कैसे फँस रहा है ......... देख कैसे तेरी मम्मी की चूत रगड़ रहा है ....... " 

राहुल जितना खुद पर कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था, स्लोनी की भड़कायु बातें उसकी कामौत्तेजना को उतना ही बढ़ा देती थी | वो काई बार अपनी कमर को पीछे खींचता ताकि कस कर अपनी माँ की सिल्क सी मुलायम चूत में अपना लंड पेल सके मगर फिर वो किसी तरह खुद को काबू में करता | सलोनी भी यही चाहती थी | वो सॉफ तौर पर बेटे के चेहरे पर देख सकती थी कि खुद को काबू में रखना उसके लिए कितना मुश्किल था मगर वो जानती थी अगर वो इस परीक्षा में सफल हो गया और खुद को काबू में रखना सिख गया तो किसी भी औरत को चुदाई में संपूर्णतया शान्त करना उसके लिए बेहद आसान हो जाएगा | उसे इतनी पीड़ा नही हो रही थी जितना वो नाटक कर रही थी | शायद इसलिए कि उसकी चूत बेहद्द गीली थी और राहुल का लंड आराम से फिसल रहा था | मगर फिर भी जब राहुल स्पीड से धक्के लगाने लगता था तो उसे बेहद्द पीड़ा होती थी |

"मज़ा आ रहा है बेटा ......... अपनी मम्मी को चोदने में मज़ा आ रहा है ना मेरे लाल" 

"आ रहा है मम्मी ........ हाए बहुत मज़ा आ रहा है मम्मी ......... उफफफफफ़फ्ग कितनी नरम है आपकी ......... कितनी मुलायम ......... हाए बिल्कुल मक्खन की तरह ..... और कितनी टाइट है आपकी मम्मी ......... सच में बहुत मज़ा आ रहा है मम्मी" राहुल उत्तेजना में सिसक सिसक कर बोलता है | सलोनी बेटे के मुँह से अपनी चूत की तारीफ सुन कर खुश हो जाती है |

"आआहह...... आराम से ..... तेज़ नही ........ आराम से ......... उउफफफफफफ्फ़ ............ हाए मुझे नही मालूम मेरी चूत इतनी टाइट है ........ उउउन्न्नज्ग्घह .......... मुझे तो लगता है तेरा लौड़ा ही इतना मोटा है कि मेरी चूत को पूरा भर दिया है .... "

"नही मम्मी आपकी चूत ...... आपकी चूत सच में बहुत टाइट है ......"

"हाए तो मज़े ले ले अपनी मम्मी की टाइट चूत के ........ लूट ले मज़े ......... उउफफफफफफ्फ़ .......... अराम से कम्बखत ........ मुझे अभी देर तक चुदवाना है ....... आआआहह धीरे धीरे चोद मेरे लाल अपनी मम्मी को ......... जितना देर तक चोद सकता है चोद ... ऐसे ही मेरे मुम्मे मसल मसल कर चोद मुझे ...... ऐसे ही पेलता रह अपना लौड़ा मेरी चूत में ....... तेरा लौड़ा सच में बहुत मज़ा दे रहा है ....... उउफफफफफफ्फ़ ........ हाए तूने मुझे पहले क्यों नही चोदा मेरे लाल" सलोनी बेटे की गांड में उंगली पेलती अपनी गांड हल्के हल्के उछाल कर बेटे के लंड को चूत में ले रही थी | 

उस रात माँ-बेटे ने चुदाई में वो आनंद हासिल किया जो ज़िंदगी भर उन्हे नही मिला था | सलोनी राहुल को पूरी तरह अपने काबू में रखते हुए उससे चुद्वाती रही | पुरे दो घंटे ........ पुरे दो घंटे राहुल अपनी माँ के उपर चढ़ा उसकी चूत में अपना लंड पेलता रहा | इस बीच सलोनी तीन बार और झढ़ चुकी थी ......... मगर उसने राहुल को ना झड़ने दिया ......... जब भी वो स्खलन के करीब पहुँचता, सलोनी चुदाई को रोक देती और दोनो एक दूसरे को चूमने चूसने लगते | अंत उसे अपने बेटे पर रहम आया जो झड़ने के लिए बहुत बैचेन हो रहा था, कामौन्माद से उसका अंग अंग कांप रहा था | सलोनी ने आख़िर दो घंटे की चुदाई के बाद जब राहुल झड़ने के करीब आया | उसने उसे रोका नही ..... उसने उसे तब भी नही रोका जब राहुल की स्पीड बढ़ने लगी ......... तब भी नही जब वो पूरा पूरा लंड बाहर निकाल कर वापस उसकी चूत में ठोक रहा था .... तब भी नही जब वो झड़ते हुए उसके मुम्मो को मुँह में भर चूस्ते हुए उसके निप्पलों को काट रहा था ...... हालांकि राहुल के झड़ने के पुरे समय वो खुद उन्माद में शोर मचा रही थी, चीख रही थी मगर राहुल ने खुद को इस हद तक और इतने समय तक रोके रखा था कि उसे उस समय बिल्कुल भी होश नही था कि वो कितनी बेरहमी से अपनी मम्मी की ठोकते हुए उसकी बुरी गत बना रहा था | 

माँ-बेटे उस आनंद में डूबे इतने थक चुके थे, दोनो इतने पस्त हो चुके थे कि झड़ने के फ़ौरन बाद ही दोनो को नींद आ गयी थी | दोनो पूरी दुनिया से बेख़बर एक दूसरे की बाहों में समाए किसी और ही दुनिया में विचर रहे थे |
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01-13-2019, 11:41 PM,
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
सुबह आँखे मलते जब राहुल जागा तो उसे बेहद्द आनंदायक अनुभूति हो रही थी | वो धीरे से करवट लेता है और गद्दे पर अपनी बाँह फैलाता है मगर उसका हाथ जैसे वो उम्मीद कर रहा था अपनी मम्मी को नही ढूँढ पाता | वो आँखे खोल देता है | बेड पर वो अकेला लेटा हुआ था | मतलब सलोनी कब की जाग चुकी थी | वो या तो बाथरूम में होगी या फिर नीचे रसोई में, राहुल सोचता है | उसे थोड़ी निराशा होती है क्योंकि वो इतनी खूबसूरत सुबह में अपनी मम्मी के नंगे जिस्म से लिपटना चाहता था, उससे प्यार करना चाहता था, उसके अंग अंग को चूमना चाहता था, चूसना चाहता था | ठंढी आह भरता राहुल बेड से उठ जाता है और अपने बदन से चादर हटा देता है | ‘उफफफफफ्फ़’ उसका लौड़ा पूरा तना हुआ था, एकदम पत्थर के समान, जैसे वो चुदाई करने के लिए नही बल्कि तबाही के लिए ईजाद किया कोई भयानक हथियार था | राहुल अपने लंड को छूता है और रात की पूरी दास्तान उसकी आँखो के सामने से गुज़र जाती है | उसका यही लौड़ा उसकी मम्मी की चूत में था | उसने कल रात अपनी मम्मी की चूत मारी थी, एक बार नही बल्कि दो-दो बार | उसके मोटे मोटे मुम्मे चूसे थे, उन्हे मसला था....उूउउफफफफफफ्फ़ कहीं वो एक सपना तो नही था.......नही वो सपना नही था | बेड पर अस्त व्यसत चादर, और उसके उपर पढ़े दाग धब्बे, बंद कमरे में समाई एक खास खुशबु उस मस्तानी रात में माँ-बेटे की जबरदस्त चुदाई की चीख चीख कर हामी भर रहे थे | राहुल को रात की घटनाएँ याद आने लगती हैं तो ना चाहते हुए भी उसका हाथ अपने लौड़े पर चला जाता है | उसका लौड़ा उसके हाथ का स्पर्श पाते ही एक ज़ोरदार झटका मारता है | तभी रसोई से बर्तनो का शोर सुनाई देता है, जैसे कोई सींक में बर्तन डाल रहा था | 'तो इसका मतलब वो रसोई में है' राहुल सोचता है | यह जानकार कि उसकी मम्मी रसोई में है राहुल को लंड कुछ और सख्त होता महसूस हो रहा था | अब उसके लिए इंतज़ार करना मुश्किल होता जा रहा था | राहुल झटके से बेड से उतर जाता है | वो एकदम से अपनी मम्मी के लिए बेचैन हो उठा था जैसे कोई छोटा बच्चा माँ को ना देखने पर बेचैन हो जाता है | मगर उसे मम्मी के पास जाने से पहले बाथरूम जाना था, ब्रश करना था और अपनी हालत को सुधारना था |

पँद्रह मिनट बाद जब राहुल ने रसोई में कदम रखा तो सलोनी गैस पर सैंडविच बना रही थी | उसके एक हाथ में चाय का कप था | वो रात वाली नाइटी पहने हुए थी | राहुल अपनी माँ के नितम्बो पर कोई भी पेंटी नही देख पा रहा था | उसकी नाइटी उसके गोल मटोल नितम्बों को चूमते हुए सहला रही थी | 'अगर उसने पेंटी नही पहनी है तो हो सकता है उसने ब्रा भी ना पहनी हो' शायद वो नाइटी के अंदर पूरी नंगी थी | 

"अभी वहीं खड़े घूरते रहोगे जा अंदर भी आओगे?" सलोनी की मधुर मादक आवाज़ राहुल की तन्द्रा भंग करती है | वो बिना राहुल की और देखे बोली थी | बिना दरवाजे को देखे उसे मालूम चल गया था कि राहुल वहाँ खड़ा उसकी गांड को अपनी आँखो से चूम रहा था | राहुल आगे बढ़ता है और काउंटर के पास चला जाता है | 

"नींद कैसी आई. जब मैं जागी थी तब तो बहुत गहरी नींद में थे!" सलोनी अब भी उसकी और ना देखते हुए बोली | 

"अच्छी आई मम्मी.... बहुत अच्छी आई" राहुल की आँख अभी भी अपनी मम्मी के नितम्बो पर जमी हुई थी जो उसकी नाइटी के अंदर उसके खाना बनाने के कारण दाएँ-बाएँ, आगे-पीछे हिल डुल कर एक बहुत दिलचस्प मंज़र पैदा कर रहे थे | राहुल अपना हाथ धीरे से अपनी मम्मी के दाएँ कूल्हे पर रख उसे दबाता है |

"उउउन्न्नह.......तू सुबह सुबह ही शुरू हो गया" सलोनी चिहुंक पड़ती है मगर राहुल अपना हाथ नही हटाता | बल्कि वो सलोनी के पीछे खड़ा होकर उसके दोनो नितम्बो को अपने दोनो हाथों से सहलाने दबाने लगता है | नाइटी के मुलायम कपड़े में सलोनी के नितंब और भी मुलायम प्रतीत हो रहे थे | सलोनी राहुल के हाथ झटकने के लिए अपनी गांड हिलाती है मगर राहुल उसके नितम्बो को हाथों में दबोचे उन पर अपनी पकड़ मजबूत कर देता है | ‘एक रात में इसकी हिम्मत कितनी बढ़ गयी है’ सलोनी सोचती है |

"आआहह...........क्या कर रहा है.......इतने ज़ोरों से क्यों दबा रहा है" सलोनी नखरा दिखाती बोलती है जबकि बेटे की मर्दाना शक्ति देख अंदर ही अंदर उसे खुशी महसूस होती है | राहुल आगे बढ़कर अपनी मम्मी की पीठ से चिपक जाता है और अपना लंड अपनी मम्मी की गांड की घाटी में धकेलेते हुए अपने हाथ आगे लेजाकर उसके सख्त मुम्मे पकड़ लेता है | मुम्मो को नाइटी के ऊपर से हाथ लगाते ही वो समझ जाता है कि उसकी मम्मी ने ब्रा नही पहनी है | वो अंदर से पूरी नंगी है!

"हाययययईएए........हाययइईई.........उउफफफफ़फ़गगग.....मा...र डाला जालिम.........उउफफफफफ्फ़........" सलोनी के हाथों चाय का मग गिरते गिरते बचा था | उसमे से कुछ चाय छलक कर काउंटर पर जा गिरी थी | राहुल ने पहली बार अपनी मम्मी के मुम्मे इतनी ज़ोर से मसले थे कि उसके मुँह से चीख निकल गयी थी और नीचे उसकी चूत सिसक पड़ी थी | बेटे का लंबा चौड़ा बम्बू अपने नितम्बों में घुसते पाकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था | बेटे के हाथों का स्पर्श पाते ही उसके मुम्मे तन गये थे, उसके निप्पल अकड़ गये थे | राहुल भी नरम मुलायम मुम्मो को दबाने पर उनकी अंदरूनी सख्ती देखकर स्तब्ध हो गया था | वो और भी ज़ोर से उसके मुम्मो को दबाता है और अपना लंड उसकी गरम गांड में दबाता है |

"आआईयईईईईए.......आाआईईईईईई.....उखाड़ डालेगा क्या.........रुक ज़रा बताती हूँ तुझे" कहकर सलोनी गैस बंद कर देती है | सैंडविच तैयार हो चुके थे | वो राहुल के हाथों पर अपने हाथ रखकर उन्हे ज़ोर से हटाती है | राहुल हाथ नही हटाना चाहता था मगर जब सलोनी बलपूर्वक उसके हाथ मुम्मो से हटा देती है तो वो थोड़ा सा मायूस होकर पीछे हट जाता है | 

“उधर बैठ कुर्सी पर अभी खबर लेती हूँ तेरी” सलोनी राहुल को कुर्सी पर बैठने का इशारा करते हुए थोडा गुस्से से बोलती है | राहुल डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठ जाता है | सलोनी टेबल पर कुर्सी के पास सैंडविचस की प्लेट रखती है और एक ग्लास में चाय डालती है | फिर वो राहुल के बिल्कुल सामने खड़ी हो जाती है अपनी कमर पर हाथ रखे | राहुल कुछ पलों तक अपनी मम्मी की आँखो में झांकता है मगर फिर शर्म और घबराहट से अपनी नज़र नीची कर लेता है | उसे समझ नही आ रहा था रात को दो बार चुदवाने के बाद अब उसकी मम्मी क्यों उसे भाव नही दे रही थी | 

“उठ कर खड़े हो जाओ” राहुल किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह कुर्सी से उठ कर खड़ा हो जाता है. “इसे घुमाकर इधर मेरी तरफ करो” सलोनी राहुल को कुर्सी टेबल की वजाए बाहर की और करने के लिए बोलती है | राहुल कुर्सी को घुमा देता है | “अब अपनी शर्ट और पयज़ामा उतार दो” सलोनी अपने बेटे को नंगा होने के लिए ऐसे बोलती है जैसे उसे कोई आम सी बात बोल रही थी | राहुल अपनी माँ के चेहरे की तरफ देखता है | एक पल के लिए उसे लगा जैसे उसके दिल की मुराद पूरी होने वाली है मगर सलोनी का प्लेन चेहरा देख उसका मन आशंका से भर उठता है | वो नाज़ाने क्या करना चाह रही थी | राहुल कपड़े उतारने में हिचकिचाता है |

“तुमने सुना नही मैने क्या कहा?” सलोनी बिल्कुल आराम से मगर अपनी बात पर ज़ोर डालते हुए बोलती है | राहुल के पास अब कोई चारा नही था | वो नंगा हो जाता है | उसकी नज़र झुकी हुई थी और उसे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी | उसकी शर्मिंदगी उसके तने हुए लंड ने और बढ़ा दी थी जो ऐसे झटके मार रहा था जैसे सलोनी को प्रणाम कर रहा हो | सलोनी भरसक कोशिश कर रही थी कि उसकी हँसी ना निकल जाए मगर फिर भी होंठो पर मुस्कान आने से वो रोक ना पाई | गनीमत थी राहुल उसे नही देख रहा था | राहुल के चेहरे पर वो मासूमियत, शर्मिंदगी के वो भाव कि वो अपनी मम्मी के सामने नंगा खड़ा था सलोनी का दिल मोह लेते हैं |
“चलो कुर्सी पर बैठ जाओ” राहुल नज़र झुकाए आराम से कुर्सी पर बैठ जाता है | उसका लौड़ा अब 70 डिग्री के एंगल पर उपर को खड़ा था | “ज़रा अपनी टाँगे तो चौड़ी कर” सलोनी का नया हुकम आता है | राहुल अपनी टाँगे थोड़ी सी खोल देता है | 

सलोनी राहुल से कुछ कदमों की दूरी पर खड़ी थी | राहुल की नज़र झुकी होने के कारण वो अपनी मम्मी को घुटनो तक देख रहा था | अचानक सलोनी घूम जाती है | एक दो पल बीतने के बाद उसे सलोनी की नाईटी का सिरा जो उसके घुटनो तक पहुँच रहा था हिलते दिखाई देता है | एक दो पल और बितते हैं और फिर राहुल की आँखो के सामने सलोनी की नाइटी गिर कर उसके पाँव के पास फर्श पर पड़ी होती दिखाई देती है | राहुल का दिल ज़ोरों से धड़क उठता है | नाइटी अगर फर्श पर थी तो इसका मतलब…………वो नंगी थी………….उसकी मम्मी नंगी थी……… |
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01-13-2019, 11:41 PM,
#24
RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
राहुल धीरे से धड़कते दिल के साथ हिम्मत करके नज़र उठाता है | उसकी नज़र सलोनी के घुटनो से होते हुए ऊपर उसकी जाँघो, उसके नितम्बों, उसकी पीठ जिस पर उसके रेशमी बाल बिखरे हुए थे और अंत में उसके सर के पिछले हिस्से पर जाकर ठहर जाती है | वो नंगी थी! वो सर से पाँव तक पूरी नंगी थी | राहुल का लंड और भी सख्त हो जाता है जब उसकी नज़र अपनी मम्मी के गोल मटोल नितम्बों पर जाती है | एकदम गोल, उभरे हुए नितंब थे | बिल्कुल किसी जवान लड़की की तरह कसी करारी गांड थी उसकी मम्मी की | राहुल अब गहरी साँसे ले रहा था |

सलोनी जो अपने बेटे की तरफ पीठ किए खड़ी थी अचानक किसी कारणवश नीचे झुकने लगती है | धीरे धीरे वो झुकती जाती है, झुकती जाती है | वो इतना झुक चुकी थी कि उसे अब सहारे के लिए अपने हाथ अपने घुटनो पर रखने पड़े थे | उसकी गांड उसकी पीठ से उँची हवा में उभरी हुई थी और बिल्कुल राहुल की नज़र के सामने थी | राहुल का हाथ खुद बा खुद अपने लंड पर चला जाता है | उसकी गहरी भारी साँसे शोर मचा रही थीं | 

मगर सलोनी ने यहीं बस नही की | वो धीरे धीरे अपनी टाँगे खोलती है | अब राहुल के सामने नज़ारा बेहद ख़तरनाक था | उसने अपनी ज़िंदगी में इतनी सेक्सी, इतनी कामोत्तेजित तस्वीर को कभी नही देखा था | इंटरनेट पर लाखों तस्वीरों और हज़ारों सेक्स फिल्म्स में भी उस दृशय को उसने नही देखा था जो उसके सामने था | सलोनी के गोल चूतडों के बीच से झँकता उसकी गांड का छेद और उसकी गुलाबी चूत बिल्कुल स्पशट नज़र आ रहे थे | टाँगे चौड़ी होने के कारण चूत के होंठ हल्के से खुल गये थे और उनके अंदर से गहरा गुलाबीपन झाँक रहा था | इतना ही नही टांगों के बीच में से वो अपनी माँ के भारी मुम्मो को लटकते हुए भी देख पा रहा था जबकि उसके लंबे सयाह बाल फर्श पर विखरे हुए थे |

राहुल की नज़र कभी अपनी मम्मी की गांड के छेद तो कभी उसकी गुलाबी चूत तो कभी उसके मुम्मो पर घूम रही थी | वो अपना लौड़ा मसल रहा था जो पत्थर के समान सख्त हो चूका था | तभी सलोनी वापस सीधी होने लगती है | राहुल का दिल जैसे चीख पड़ता है कि वो उसे एहसास करने से रोके मगर राहुल की दशा ऐसी हो चुकी थी कि ना वो ठीक से कुछ सोच पा रहा था और ना ही कुछ कर पा रहा था | सलोनी सीधी खड़ी होकर धीरे धीरे वापस उसकी और घूम जाती है |

राहुल के हाथ अभी भी अपने लौड़े को मसल रहे थे | उसका जिस्म उत्तेजना से कांप रहा था | चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था | सलोनी सर हिलाकर अपने बालों को झटकती है और उन्हे अपनी पीठ पर अपनी उंगलियों से संवारती है | उसकी बाहें ऊपर उठाने से उसके भारी तने हुए मुम्मे और भी उपर उठकर तन जाते हैं | राहुल कभी अपनी मम्मी के मुम्मो को तो कभी उसकी टांगों के बीच गुलाबी चूत को देख रहा था | उसका लंड बुरी तरह से झटके मार रहा था | सलोनी बाल संवारकर अपनी कमर पर हाथ रखकर कुछ पल राहुल की आँखो में देखती है | उसके चेहरे से उसे अंदाज़ा हो जाता है कि उसकी हरकतों ने उसे किस हद तक उत्तेजित कर दिया था | उसे यह देखकर खुद पर गौरव होता है कि वो अपना जलवा दिखाकर किसी ज्वान लड़के की ऐसी गत बना सकती थी | 

“तो तुमसे सब्र नही होता…..हुं…….क्या…..कहते हो?” राहुल कोई ज्वाब नही देता | उसका हाथ अब भी उसके लौड़े को धीरे धीरे मसल रहा था और इसकी खबर शायद खुद उसे भी नही थी |

“कल रात तूने दो बार मारी ना मेरी………….दो बार चोदा तुमने मुझे………….रात कितने बजे तक मेरे उपर चड़े रहे थे…..और अब इसे फिर से खड़ा करके ले आए……………कि चलो मम्मी की चूत में घुसा दूँगा………………कोई नाश्ता नही कुछ नही बस सुबह सुबह लौड़ा खड़ा किया और चढ़ गए अपनी मम्मी के उपर………हुं….” राहुल अब भी कुछ नही बोलता |

“अरे मैं तुमसे बात कर रही हूँ, किसी और से नही…………..उउउफफफ्फ़……….हे भगवान कैसा लड़का है…….बस अपने लंड को खड़ा करना जानता है …………….चलो पहले खाना खाना है…..बाकी सब उसके बाद……….” राहुल अभी भी चुप था |

“ओह तो जनाब को नाश्ते में भी मम्मी की चूत चाहिए……………बिना मेरी लिए मनोगे नही………..” सलोनी अपनी कमर पर हाथ रखे उसे बोल रही थी | “उउउफफफ्फ़ कैसा कम्बख़त लड़का है…….जाने मुझसे क्या क्या करवाएगा….” कहते हुए सलोनी बेटे के पास जाती है | उसकी कुर्सी के पास पहुँचकर वो अपना एक हाथ राहुल के कंधे पर रख देती है | राहुल की नज़र के बिल्कुल सामने अपनी माँ की चूत थी और वो उसकी महक कुछ दूर से भी आराम से भी सूंघ सकता था | सलोनी एक टांग राहुल की कमर के पास रखती है और फिर उसके कंधे का सहारा लेकर अपनी दूसरी टांग कुर्सी के उपर से घूमाकर कुर्सी की दूसरी तरफ टेबल और कुर्सी के बीच रख देती है | अब वो कुर्सी पर बैठे राहुल के दोनो तरफ टाँगे करके खड़ी थी, राहुल की नज़र अब भी अपनी मम्मी की चूत पर ज़मी हुई थी जो उसके लौड़े के एन बिल्कुल उपर थी | चूत को अपने इतने नज़दीक पाकर लौड़ा कुछ और फुल गया लगता था |

“चल तू भी क्या याद करेगा…………….आज तुझे ऐसा ब्रेकफास्ट मिलेगा जो मैने आज तक तेरे पिता को भी नही दिया” सलोनी राहुल के दोनो कंधे थाम नीचे को होने लगती है | धीरे धीरे नीचे आती उसकी चूत लगभग राहुल के लंड के पास पहुँच चुकी थी | राहुल अपने लौड़े से अपना हाथ हटा लेता है | उसका दिल दुगनी रफ़्तार से दौड़ रहा था | सलोनी और थोड़ा सा नीचे होती है |

“आआहह………….मम्ममी……..” राहुल सिसक पड़ता है |

“उउउन्नगगह….बेटा……..उउउफफफफफफ्फ़………” सलोनी अपना होंठ काटते सिसकती है | चूत पर लंड का स्पर्श होते ही माँ-बेटा कांप उठे थे | सलोनी थोडा नीचे को होती है | अब उससे खुद सब्र नही हो रहा था | राहुल को गरम करने के चक्कर में वो खुद बहुत ज़यादा गरम हो चुकी थी | सलोनी नीचे को लंड पर अपनी भीगी चूत का दवाब डालती है | लंड थोड़ा सा पीछे को था और चूत थोड़ी आगे को थी इसलिए लंड चूत पर रगड़ खा रहा था मगर अंदर नही जा रहा था | सलोनी अपना एक हाथ नीचे लाती है और लंड को हाथ से पकड़ लेती है | राहुल की नज़र अपने लौड़े पर थी जिस पर वो अपनी माँ का हाथ कसा हुआ देख रहा था | सलोनी अपने निचले होंठ को दांतों से दबाए फिर से नीचे होती है | राहुल लंड का सुपाड़ा अपनी मम्मी की चूत के होंठो के बीच घुसता हुआ देख रहा था | इस बार जब लंड फिसलने लगा तो सलोनी ने अपने हाथ की पकड़ से उसे वहीं रोके रखा और नीचे को होते हुए उस पर दवाब डालती गई | 

“आआहह………आआअहह……………” लंड का सुपाड़ा चूत में घुसते ही सलोनी एक लंबी सिसकी भरती है |

“मम्मी…….म्म्मम्म्मी……………..” राहुल भी भीगी गरम चूत में अपने लंड को महसूस कर कराह उठता है | 

सलोनी लगातार होंठ भिंचे धीरे धीरे नीचे होती जा रही थी और लंड उसकी चूत में घुसता चला जा रहा था | राहुल अधमुंदी आँखो से अपने लौड़े को अपनी मम्मी की चूत में घुसते देख रहा था | आख़िरकार पूरा लंड सलोनी की चूत में घुस जाता है | सलोनी अब अपने बेटे की गोद में बैठ चुकी थी और उसका वजन उसकी जाँघो पर था | वो बेटे के कंधे थामे कुछ देर आँखे बंद किए लौड़े को अपनी चूत में उस जबरदस्त आनंद को महसूस करती है और फिर अपनी आँखे खोल देती है | राहुल दुनिया भर की उत्तेजना अपने चेहरे पर लिए उसे ही देख रहा था | सलोनी अपना चेहरा बेटे के चेहरे पर झुकाती है और दोनो के होंठ आपस में मिल जाते हैं | सलोनी बेटे के मुँह में जीभ घुसा उसे खूब ज़ोर से चूमती चाटती है | एक लंबे चुंबन के बाद जब दोनो के होंठ जुदा होते हैं तो दोनो की साँसे फूली हुई होती हैं |

“बस अब खुश है ना……..यही चाहता था ना तू……. जल्द से जल्द तेरा लौड़ा तेरी मम्मी की चूत में घुस जाए…………………उउउफफफफफफ्फ़……एक तो इतना लंबा मोटा है ……….. हाअयययययई मेरी चूत तो तू किसी काम की नही छोड़ेगा……………” सलोनी उखड़ी सांसो के बीच बोलती है | राहुल कुछ ज्वाब नही देता | ज्वाब देने की बजाए वो अपना चेहरा नीचे झुकाता है और सलोनी के एक निप्पल को मुँह में भर लेता है |

“उउउन्न्नन……आआहह…………धीरे धीरे चूस……………………आराम से…..उफफफफफ्फ़” सलोनी सिसक पड़ती है | कुछ देर राहुल एक निप्पल को चूस्ता रहता है और फिर जब होंठ हटाकर दूसरे मुम्मे की और मुँह ले जाता है तो सलोनी उसका चेहरा अपने हाथों में थाम उसे रोक लेती है | वो टेबल पर पड़ी प्लेट पास खींचती है और उसमें से एक सॅंडविच निकालकर राहुल के होंठो के करीब करती है मगर राहुल का उस समय सॅंडविच खाने का कोई मूड नही था वो इनकार में सर हिलाता है |

“मुझे माँलूम है तुझे अब मम्मी चोदनी है लेकिन जब तक खाएगा नही मैं तुझे नही दूँगी ... अगर मेरी लेनी है तो खाना खाना पड़ेगा.” राहुल की खीझ उसके चेहरे से सॉफ जाहिर हो रही थी कि उसे अपनी मम्मी की यह शर्त बिल्कुल भी पसंद नही थी | मगर वो जानता था उसे उसकी बात माननी ही पड़ेगी, इसके सिवा उसके पास कोई चारा नही था | वो अपना मुँह आगे करता है तो सलोनी उसके खुले मुँह में सॅंडविच डालती है |

“यह हुई ना बात... अगर मेरा कहना मानेगा तो सब कुछ मिलेगा, आगे से भी दूँगी और पीछे से भी... कहना नही मानेगा तो फिर कुछ नही मिलेगा….समझ गया ना” सलोनी अपनी कमर को गोलाई में हल्के हल्के हिलाते बोलती है | पीछे से देने वाली बात सुनकर राहुल का लंड और भी भड़क उठा था | वो अपनी मम्मी की गांड का तभी दीवाना हो गया था जब उसने बाथरूम में कपड़े देने के समय उसकी गांड के पहली बार दर्शन किए थे | राहुल जल्दी जल्दी खाने लगता है | वो फटाफट खाना खत्म कर अपनी मम्मी की चूत का आनंद लेना चाहता था | उसकी जल्दबाज़ी देख सलोनी के होंठो पर मुस्कराहट फैल गयी थी |

“अरे धीरे धीरे……क्या कर रहा है……उउउफफफ्फ़……..यह लड़का भी ना……तेरा लंड मेरी चूत में तो घुसा हुआ है…………अभी दो मिनिट का सब्र भी नही कर सकता” सलोनी उसे छेड़ती है | मगर राहुल जितना फास्ट हो सकता था ख़ाता रहा और सलोनी उसके लंड को चूत में लिए अपनी कमर घूमाती रही. जैसे ही आख़िरी बाईट ख़तम होती है राहुल अपनी मम्मी के एक मुम्मे को मुँह में भर लेता है और दूसरे को मसलने लगता है | अब तक सलोनी के लिए भी बर्दाशत करना मुश्किल हो चूका था | वो बेटे के कंधे थामे उपर को उठती है, लंड चूत से बाहर निकलने लगता है, अंत में केवल सुपाड़ा अंदर रह जाता है | सलोनी होंठ भींचती है और धम्म से लंड पर अपना वजन डाल देती है |
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01-13-2019, 11:41 PM,
#25
RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
“आ…ईईईईईईईई……………….आ…आई..ईईईईईए……..” उसके मुख से चीख निकल जाती है | उसे तेज़ दर्द हुआ था | उधर राहुल को नरम मुलायम तंग चूत में अपने लंड की रगड़ से इतना मज़ा आया था कि वो पुरे मुम्मे को मुँह में भरने की कोशिश करता है | सलोनी फिर से उपर उठती है और फिर धम्म से लंड पर बैठ जाती है | 

“उउउन्न्नह………….हे भगवान………………..आआआआहह मेरी चूत…………..उउउफफफफफफ्फ़” सलोनी को मोटे लंड की पीड़ा और मज़े का मिला जुला अनोखा आनंद महसूस हो रहा था | वो रुकती नही और लगातार लंड पर उठक बैठक करने लगती है | उसकी चीखो पुकार के साथ साथ उसकी रफ़्तार भी बढ़ती जाती है | जोश में राहुल अपनी माँ के मुम्मो को पुरे ज़ोर से निचोड़ने लगता है | सलोनी अपना मुँह नीचे करके उसके मुँह से अपना मुँह चिपका देती है और चुदाई और मुम्मो के मसलने के साथ साथ दोनो चूमने चाटने भी लगते हैं | सलोनी लगातार बिना रुके बेटे को चोदती जा रही थी |
जब दोनो के होंठ अलग होते हैं तो सलोनी अपनी कमर को जितना ज़ोर से हो सकता था अपने बेटे के लौड़े पर पटकती है | हर धक्के पर लौड़ा उसकी नाज़ुक चूत को रगड़ता, उसे किसी भाले की तरह छेदता हुआ सलोनी की बच्चेरदानी से टकरा रहा था | सलोनी बेटे के हाथ अपने मुम्मो से हटा अपनी कमर पर रख देती है | राहुल इशारा समझ जाता है और अपनी माँ की कमर को उठा उठा अपने लंड पर पटकाने लगता है | सलोनी के लंड पर अपना वजन डाल कर धम्म से बैठने के साथ साथ जब राहुल भी ज़ोर लगाता है तो हर धक्के के साथ धप……धप की उँची आवाज़ आने लगती है | लंड के प्रहार इतने ज़ोरदार थे कि सलोनी होशो हवास खोकर चीखने चिल्लाने लग जाती है |

“आईयईईई……………आाआईईईईईईईई……..उउन्न्ननन्ग्घह……………….बेटा ... आआअ……….उउउफफफफ्फ़….मेरी चूत…………हाए मेरी चूत……………….आ...आईयईईईईए…………..आआआअहह………….हायययययई…………….मेरे लाल…………लगा दे ज़ोर………………. और ज़ोर…….और ज़ोर से मार मेरी……………..हाययययईई…………..मार मार ऐसे ही …………….. आआईयईईईईए …………… हाययइईईईईईईई” एक लंबी सिसकी के साथ सलोनी अपने बेटे के उपर ढह जाती है और झड़ने लगती है | राहुल उसे अपनी बाहों में कस लेता है वरना वो पीछे को गिर जाती | राहुल पूरी ताक़त का इस्तेमाल कर अपनी मम्मी को गोद में थामे उठता है और सलोनी को डाइनिंग टेबल पर लिटा देता है जिसका बदन अभी झटके खा रहा था | राहुल अपनी मम्मी की टाँगे पकड़ उन्हे उसके मुम्मो पर दबाता है और फिर पुरे जोश से उसकी चूत में लंड पेलने लगता है |

“बेटा…….बेटा….बेटा……..ऊऊहह मेरे लालल्ल्ल्ल्ल……..” सलोनी के मुख से लगातार वही शब्द निकल रहे थे | राहुल होंठ भींचे खींच खींच कर अपना लौड़ा अपनी मम्मी की चूत में पेलता है | कुछ ही पलों बाद उसका लौड़ा भी अपनी माँ की चूत को अपने रस से भरने लगता है | राहुल एक लंबी हिचकी लेकर अपनी मम्मी के उपर ढह जाता है | सलोनी अब तक अपने सखलन से उबर चुकी थी | वो प्यार से बेटे की पीठ सहलाती है जब वो एक के बाद एक वीर्य की पिचकारियाँ मारता उसकी चूत को भर रहा था | 

“मुम्ममी……..मम्मय्यययी………..मम्मय्ययमी” अब उस मंतर का जाप राहुल कर रहा था | 

“मेरा बच्चा …मेरा लाल………मेरा बेटा…….”सलोनी बेटे को ममता से सहला रही थी | उसके चेहरे को हाथों में थामे चूम रही थी | आख़िरकार राहुल का सखलन भी बंद हो जाता है | सलोनी कुछ पलों तक उसे चूमती रहती है | फिर उसे धीरे से अपने उपर से उठाती है | राहुल सलोनी के उपर से उठकर थोड़ा पीछे खड़ा हो जाता है | उसका लंड अपनी मम्मी की चूत से निकलता है तो पूरा चूत रस से और उसके खुद के वीर्य से भीगा हुआ होता है | सलोनी टेबल से उठती है और फर्श पर खड़ी हो जाती है | उसकी नज़र सामने राहुल के नरम पढ़ते जा रहे लंड पर जाती है तो वो तुरंत अपने घुटने फर्श पर टिका नीचे बैठ जाती है और उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ उसे उपर उठाती है और अगले ही पल उसे अपने मुँह में भर लेती है | 

“मम्ममी………..मम्मय्ययी……………” राहुल फिर से सिसक पड़ता है | लंड के थोड़ा सिकुड जाने के कारण सलोनी के लिए उसे मुँह में भरना आसान हो गया था | वो उसे चूस्ते हुए चाटती जा रही थी | उसकी जिव्हा उसकी जड़ से सिरे तक फैले रस को अपने ऊपर समेट सलोनी के गले तक पहुँचा रही थी | लंड को सॉफ करने के पशचात सलोनी राहुल के अंडकोषों को मुँह में भर लेती है और फिर उसकी जाँघो का नंबर आता है | कुछ ही पलों में वो पूरा चूत रस और वीर्य चाट कर साफ कर देती है | एक बार जब लंड पूरा साफ हो जाता है तो सलोनी लंड को घूरती है और फिर दोबारा सुपाड़े को मुँह में भर लेती है | उसकी जिव्हा कभी सुपाड़े के छेद के साथ खेलती है, सुपाड़े को सहलाती है, रगडती है | सलोनी का कमाल था कि कुछ ही पलों में लंड सख्त होने लगता है | सुपाड़ा फूल कर उसका मुँह भरने लगता है | आख़िर जब लंड लगभग चुदाई के लिए तैयार हो चूका होता है तो सलोनी उसे अपने मुँह से निकाल देती है और सीधी खड़ी हो जाती है | राहुल उसके मुम्मो को पकड़ने के लिए हाथ आगे बढ़ाता है तो वो उसका हाथ झटक देती है |

“बस अब चाय का ग्लास भरो और उपर जाकर अपनी पढ़ाई शुरू करो .... कम से कम पाँच घंटे पढ़ना है तुम्हे” सलोनी फर्श पर पड़ी अपनी नाइटी उठाती है और पहनने लगती है |
“मम्म्ममी” राहुल अपने खड़े लंड की और देखता है |

“मम्मी... मम्मी... कुछ नही.... ऊपर जाओ और पढ़ाई करो” सलोनी राहुल को उसके कपड़े पकडाती बोलती है |

“मम्मी….मम्मी…” राहुल बच्चे के स्वर में मिन्नत के अंदाज़ में बोलता है | 

“मैने कहा ना जाकर पढ़ाई करो…..कम से कम पुरे पाँच घंटे……..जितना तुम माँग सकते थे उससे कहीं अधिक मिला है तुम्हे... इसलिए अब नखरे छोड़ो और ऊपर जाकर पढ़ाई करो…..और हाँ कल की तरह इंटरनेट पर सेक्स का ज्ञान ना हासिल करने लग जाना .... मैं बीच बीच में देखने आती रहूंगी... तुम क्या पढ़ रहे हो………..तुम्हे कहा था ना अगर मेरा कहना मानोगे तो सब कुछ मिलेगा………….आगे से भी दूँगी………और पीछे से भी दूँगी………….लेकिन अगर कहना मानोगे तो……………” सलोनी बेटे को चाय का कप भरकर देते बोलती है | राहुल के पास अब कोई चारा नही था अगर उसे अपनी माँ चोदनी थी तो उसका हुक्म मानना ही था | वो आगे होकर चाय का कप पकड़ लेता है और दूसरे हाथ में अपने कपड़े थामे रसोई के दरवाजे की और कदम बढ़ाता है |

“हाए कितनी सुंदर गांड है…… सेक्सी…….सेक्सी…………..” सलोनी राहुल के पीछे सीटी मारकर बोलती है | राहुल तेज़ कदमो से बाहर निकल जाता है | सलोनी की हँसी छूट जाती है |
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01-13-2019, 11:42 PM,
#26
RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
राहुल कमरे में जाकर अपना पयज़ामा पहनता है | कंप्यूटर टेबल पर चेहरा हाथों में लिए बैठा वो कुछ समय तक सोचता रहता है | अंत में वो चेहरे से हाथ हटाता है और वो ठंडी आह भरकर अपनी बुक्स खोलने लग जाता है | राहुल को खड़े लंड के साथ पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में बहुत परेशानी हो रही थी | आख़िरकार कोई पँद्रह मिनिट बाद उसका लंड नीचे बैठने लग जाता है और वो अपना ध्यान पढ़ाई पर लगा पता है |

सलोनी के लिए आज बहुत सारा काम था | घर में झाड़ू पोंछा करना था | कपड़े धोने थे और दोपहर का खाना भी बनाना था और उपर से किचन में खाना बनाने के समान की खरीदारी करने के लिए बाज़ार भी जाना था |

सलोनी ने जैसे राहुल से कहा था वो वाकई घर के काम करती हर आधे पौने घंटे बाद उसके कमरे में जाती थी | उसने राहुल को सख्ती से कहा था कि वो अपना दरवाजा खुला रखे ताकि वो कभी भी आकर चेक कर सके कि वो क्या कर रहा है | हर बार जब भी सलोनी राहुल के कमरे में आती तो उसके हाथ में कुछ ना कुछ होता | कभी दूध कभी चाय तो कभी जूस | सलोनी जब भी राहुल के कमरे में जाती तो उसे पाँच मिनिट का ब्रेक मिल जाता और वहाँ से आने से पहले वो राहुल को चेता देती कि वो कभी भी आकर उसे चेक कर सकती है और अगर उसने उसे पढ़ाई के इलावा कुछ और करते पाया तो वो उसे अपनी चूत नही मारने देगी | खैर राहुल के लिए मुश्किल ज़रूर था मगर वो पढ़ाई में मन लगा लेता है | उसे बाद में मिलने वाले बड़े इनाम का लालच था | अपनी माँ की चूत मारने से हाथ धो बैठना उसे कतई गंवारा नही था | लेकिन स्लोनी के हर आधे पोने घंटे के बाद चक्कर मारने के कारण उसके लिए वक़त काटना बहुत आसान हो गया | वो पढ़ाई करता वेट करता कि कब उसकी मम्मी आए और देखे कि उसने कितना काम कर लिया है | धीरे धीरे उसे इसमे भी मज़ा आने लगा था | आख़िरकार तीन बज गये थे | सलोनी अबकी बार पिछले एक घंटे से उसके कमरे में नही आई थी | किचन से आती आवाज़ से वो जान गया था कि उसकी मम्मी खाना बनाने में व्यस्त है | जिस तरह घड़ी की सूईयां तीन बजने के करीब होती जा रही थी उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी |

आख़िरकार घड़ी पर तीन बज गये | राहुल के होंठो पर मुस्कान दौड जाती है | अब उसकी सख्त मेहनत का फल मिलने का वक़्त आ गया था | अब कल सुबह तक उसे सिर्फ एक ही काम था, मौका मिलते ही मम्मी को चोद देना | उसकी पेंट में उसका लंड सुखद कल्पनायों से खड़ा होने लगा था | राहुल कमरे से बाहर निकल सीढ़ियां उतरने लगता है | 

उसकी उम्मीद के मुताबिक सलोनी उसे किचन में नही मिलती | किचन से ताज़ा खाने की महक आ रही थी | लगता था वो अभी अभी खाना तैयार करके किचन से निकली थी | 
राहुल अपने पेरेंट्स के बेडरूम में जाता है | वो धीरे से हैंडल घुमा कर दरवाजा खोलता है | सामने स्लोनी तकिये पर सर रखे पेट के बल बेड पर उल्टी लेटी हुई थी | उसने सर दूसरी तरफ को मोड रखा था और उसके बदन पर एक पतली सी चादर थी जो उसके घुटनो से लेकर कंधो के नीचे तक उसके बदन को ढँके हुए थी | उसके कंधे पूरी तरह नंगे थे और उन्हे देखकर लगता था जैसे उसने नीचे कुछ भी नही पहना था | शायद उसने कुछ पहना हो मगर वो चादर के नीचे हो | मगर उसकी कोई ऐसी ड्रेस नही थी जिसमे उसके कंधे नंगे रहते थे | उसकी टांगों को देखकर भी ऐसा ही आभास हो रहा था | उसकी एक टांग सीधी थी और दूसरी उसने घुटने से मोडकर उपर को उठाई हुई थी | शायद उसने ब्रा और कच्छी पहनी हुई थी | मगर जिस तरह चादर उसके नितंबो पर चिपकी हुई थी और वो उनके अकार को सहजता से देख पा रहा था उसे नही लगता था कि उसने कोई कच्छी पहनी हुई थी | कच्छी की कोई भी बाहरी लाइन वो नही देख पा रहा था | इसी तरह उसकी पीठ पर चादर से कोई भी ब्रा का स्ट्रेप नज़र नही आ रहा था |

राहुल सोच में पड़ जाता है | उसे अपनी मम्मी को जगाना चाहिए जा नही | आख़िर वो अपने खड़े लंड की सुनता है और आगे बढ़ता है | वो धीमे से बेड पर चडता है | वो सलोनी की टांगों के पास बैठ धीरे से उसे छूता है | अपनी मम्मी की नग्न त्वचा को छूने पर से उसके अंदर सनसनी सी दौड़ जाती है | पयज़ामे में उसका लंड ज़ोरदार झटका मारता है | वो सलोनी की टांग पर कोमलता से हाथ फेरता उसे सहलाता है और उसके चेहरे पर नज़र डालता है | सलोनी आँखे खोले उसे ही देख रही थी | 

राहुल वहीं जड़ हो जाता है | सलोनी की टांग पर उसका हाथ जहाँ का तहाँ ठहर जाता है | वो कुछ बोल नही पाता | बस अपनी मम्मी की आँखो में देखता है | सलोनी शांति से लेटी उसकी और देख रही थी | उसके चेहरे से थकान और नींद का एहसास होता था | 

"मैं अभी अभी आई थी.... सोचा तुम्हे आने में कुछ वक़्त लगेगा तब तक मैं थोडा सा आराम कर लेती हूँ" सलोनी सुस्त स्वर में बोलती है, "उउउफफफफफ्फ़ पूरा बदन दर्द कर रहा है.... मगर मेरी टाँगे कुछ ज्यादा ही दर्द कर रही हैं.... सुबह से आठ दस बार सीडियाँ चढ़ कर उपर तुम्हारे रूम में गयी, पुरे घर की सफाई और फिर खाना बनाया..... बहुत थक गयी हूँ बेटा.... तुम जब मेरी टाँगे सहला रहे थे तो मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था..... सच में" |

"तुम्हे किसने कहा था, बार बार सीढ़ियाँ चढ़कर मेरे कमरे में आने के लिए.... मैं पढ़ तो रहा था.... अब भुगतो" राहुल अपनी मम्मी को सख्त स्वर में बोलता है मगर उसका हाथ फिर से बहुत कोमलता से अपनी मम्मी की टांगों पर घूमने लग जाता है |
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01-13-2019, 11:42 PM,
#27
RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
"आती नही तो क्या करती? तुम्हारा क्या भरोसा, तुम उपर कामसूत्र पर अध्याय करने लग जाते और फिर अपने ज्ञान को मेरे उपर ही इस्तेमाल करते......कल शाम को भी तुम्हे पढ़ने के लिए भेजा था ना और तुमने क्या किया? जाकर चूत कैसे मारनी है वो सीखने लगे" 

सलोनी की बात से राहुल लाल हो गया था. उसे समझ नही आ रहा था वो क्या ज्वाब दे | वो चुपचाप अपनी उसकी टांग को एक हाथ से कोमलता से सहलाता रहता है | उसका हाथ स्लोनी के घुटने से लेकर उसके पाँव तक फिर रहा था | 

"म्‍म्म्मममम्म्मी........उउउम्म्म्मममम" सलोनी को बेटे का स्पर्श बहुत आरामदायक लग रहा था | उसके उस स्पर्श से जैसे उसके तन मन में सकुन फैलता जा रहा था | "उउउम्म.... दोनो को सहलायो ना" सलोनी बेटे को बहुत ही प्यार भरे स्वर में बोलती है |

राहुल सलोनी की बात से खुश हो जाता है | वो उठकर पीछे को होता है और सलोनी की टांगों के बीच उसके घुटनो के पास में बैठ जाता है | वो अपने हाथ और भी कोमलता से स्लोनी की नरम मुलायम टांगों पर रख उन्हे सहलाना शुरू कर देता है | राहुल के हाथों का स्पर्श अपनी टांगों पर पाकर सलोनी अपने बदन को ढीला छोड देती है और वो उस आनंदायक एहसास को महसूस करने लगती है |

"उउउम्म्म्म......म्‍म्म्ममम्म्मम...." स्लोनी के उपर मदहोशी सी छाती जा रही थी | वो धीरे से राहुल की आँखो में देखती अपनी आँखे बंद कर लेती है | राहुल अपनी माँ की प्रतिकिरिया से और भी खुश हो जाता है | पयज़ामे में उसका लंड तंबू बना चुका था | राहुल टांगों को सहलाता धीरे धीरे उपर को बढ़ने लगता है | मगर घुटनो से उपर चादर थी | हर बार जब राहुल के हाथ सलोनी के घुटनो से उपर जाते चादर से टकराते और वो वहाँ से फिर अपने हाथ नीचे को लाने लगता | मगर हर बार जब उसके हाथ उपर जाते थे तो वो चादर को थोड़ा सा उपर को कर देते थे | राहुल बड़े धर्य से धीरे धीरे चादर को घुटनो तक ले गया था |

"नीचे ही सहलाते रहोगे क्या... उपर भी करो ना… असली दर्द तो मेरी जाँघो में है...." अचानक स्लोनी राहुल को आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी दिखाती है | राहुल के हाथ चादर के नीचे अब अपनी मम्मी की जाँघो के उपरी हिस्से तक पहुँचने लगे थे | चादर के अंदर से उसके हाथ सलोनी के घुटनो से उसके नितंबो के हल्का सा नीचे तक सहला रहे थे | बस थोड़ा सा और उपर जाते ही वो उसके नितंबो को उसकी गांड को छू सकता था | मगर वो उसे देखना चाहता था | अपनी आँखो से अपनी मम्मी के गोल गोल नितंबो को सहलाना चाहता था | चादर के अंदर से अपनी मम्मी की जांघें सहलाता वो उसके नितंबो को घूर रहा था | सलोनी की पीठ पर उसकी कमर के पास से एक बेहद्द नाज़ुक सी कर्व के रूप में उसके नितंबो का उभार शुरू होता था जो उपर को और होता हुआ बिल्कुल गोलाई में बाद में नीचे को ढालाव की कर्व में बदल जाता था | चादर उसके नितंबो के उठान, उनकी ढलान, बाहर से उनकी उपर को गोलाई और दोनो नितंबो के बीच की घाटी को चूमती सी उसे आलिंगन करती हुई उनका पूरा रूप दिखा रही थी | चादर दोनो नितंबो के बीच हल्की सी अंदर को बैठी हुई थी | 

"उउउम्म्म्मम......म्‍म्म्मममममम......म्‍म्म्ममम्म......और उपर करो ना" सलोनी मदहोश से स्वर में बोली | राहुल का दिल धम्म धम्म धड़क रहा था जब उसने अपने हाथ चादर के अंदर से उन मुलायम नरम गोल मटोल उभरे हुए नितंबो पर रख दिए थे | उसका शक बिल्कुल सही था | सलोनी ने कच्छी नही पहनी थी | वो चादर के अंदर पूरी नंगी थी | सलोनी के भी रोंगटे खड़े हो गये थे | उसकी मदहोशी में और भी बढ़ोतरी हो गयी थी |

"म्‍म्म्ममममम........म्‍म्म्मममममम........चादर निकाल दो बेटा" सलोनी के थरथराते बोल राहुल के कानो में शहद घोल गये थे | सलोनी टांगों को थोड़ा सा खोल देती है और तकिये पर दोनो बाहें रखकर उनपर अपना सर रख लेती है | अब वो पाँव से लेकर सर तक उल्टी थी |

राहुल अपनी मम्मी की खुली टांगों के बीच आगे को होकर उसकी जाँघो के पास बैठ जाता है और काँपते हाथों से चादर को थाम अपनी मम्मी को नंगी करने लग जाता है |
जैसे जैसे राहुल चादर को खींच रहा था वो स्लोनी की पीठ से सरकती जाती थी | उसकी पीठ हर पल के साथ नुमाया और नुमाया होती जा रही थी | चादर जब सलोनी के कंधो से खिसक कर उसकी कमर के निचले हिस्से की और जाने लगी तो राहुल ने देखा कि वाकई उसकी पीठ पर ब्रा के स्ट्रेप्स नही थे, उसका अंदाज़ा सही था | वो नंगी थी, पूरी नंगी | वो चादर खींचता गया | उसके दिल की धड़कने और भी तेज़ होती जा रही थी | चादर कमर के बिल्कुल निचले हिस्से तक पहुँच गई थी जहाँ से सलोनी के नितंबो का उभार शुरू होता था | राहुल अपने सूखे होंठो पर जीभ फेरता चादर को खींचता है | सलोनी की कमर पर वो बाहर की और उभरती कर्व दिखाई देने लगी थी | फिर वो कर्व धीरे धीरे एक बड़ी सीधी उठान में परिवर्तित होने लगी | वो उठान अब सलोनी के कुल्हों के रूप में दिखाई दे रही थी | दोनो नितंबो के बीच की घाटी की और राहुल का खास ध्यान था | चादर नितंबो के उठान को चूमती सहलाती उन्हे विदा कह रही थी | अब चादर नितंबो के बिल्कुल उभरे सिरे पर उनकी चोटी पर थी जहाँ से आगे उनकी ढलान शुरू हो जाती थी | राहुल घाटी में नज़र दौड़ता चादर को खींचने की रफ़्तार और भी कम कर देता है | सलोनी के मोटे कसे हुए नितंब आपस में भिड़े हुए थे हालांकि उसने थोड़ी टाँगे भी खोली हुई थी | राहुल कोशिश करने के बावजूद भी अपनी माँ की गांड का छेद नही देख पाता |

चादर अब ढलान से उतरती सलोनी की गांड को लगभग पूरी नंगी कर चुकी थी | मगर अभी वो उसकी त्वचा को आलिंगन करती, चूमती सहलाती उसे छोड़ नही रही थी | राहुल चादर को अपने हाथों में भर लेता है और उठाकर उसे दूर बेड से नीचे फेंक देता है | 

"उउउम्म्म्मम......उुउउन्न्ञणनह......." सलोनी अपने नितंबो पर बेटे के लंड का स्पर्श होते ही मादक सी सिसकी भरती है | राहुल के हाथ उसके नितंबो पर घूमते उसकी जाँघो के उपरी हिस्से को सहला रहे थे | नितंबो पर वो कुछ ज़्यादा ही ध्यान दे रहा था | उपर से नीचे दाएँ से बाएँ, उसके हाथ अपनी मम्मी की गांड पर थिरक रहे थे | जब राहुल सलोनी की दरार में हल्के से अपनी उंगली रख कर उसे उपर से नीचे लाता है |

"आआआअहह........राहुउऊउल्ल्ल.......बेटा..." सलोनी एक उँची सिसकी भरती है | हालांकि अभी तक उसने उसकी गांड को नही छुआ था और ना ही उसके नितंबो को चौड़ा किया था |

राहुल नितंबो को सहलाता अपने हाथ अब उपर सलोनी की पीठ पर घूमाने लगता है | मगर सलोनी की जाँघो के बीच पीछे की और बैठे होने के कारण वो ज़्यादा दूर तक उसकी पीठ नही सहला सकता था | राहुल कुछ देर यूँ ही नितंबो से लेकर उसकी पीठ तक सहलाता है और फिर आगे बढ़कर अपने घुटनो के बल हो जाता है | उसके घुटने लगभग सलोनी के नितंबो को छू रहे थे | फिर वो आगे को सलोनी की पीठ पर झुकता चला जाता है | उसके हाथ सलोनी की पीठ से आगे उसके कंधो की तरफ बढ़ने लगते हैं | सलोनी की सिसकियाँ और भी मादक होती जा रही थी | राहुल के हाथ उसकी पीठ को सहलाते जैसे जैसे आगे बढ़ रहे थे वैसे वैसे उसका पयज़ामे में तना लंड सलोनी की गांड के करीब पहुँचता जा रहा था | राहुल सलोनी की पीठ पर झुकता और झुकता अपने हाथ अपनी मम्मी के कंधो तक पहुँचा देता है | 

"उउम्म्म्ममममम.........उनन्नज्ग्घह...........राहुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल....... मेरे लाअलल्ल्ल्ल्ल्ल........" राहुल का पयज़ामे में तना लंड उसकी मम्मी के नितंबो को छूते ही उनकी गर्माहट पाकर झटका मारता है और सलोनी सिसकने लग जाती है | अब उसके मुख से निकलने वाली सिसकियाँ सकूँ और आनंद की नही बल्कि के कमौन्माद में आँधी हो चुकी और वासना में जल रही एक औरत की सिसकियाँ बन चुकी थी | राहुल अपनी मम्मी के कंधो को सहलाता उन्हे कोमलता से दबाता है और अपनी टाँगे हिलाकर थोड़ा सा लंड को सेट करता है कि वो उसकी मम्मी के नितंबो की दरार में जाकर घुस जाए | मगर उसके बैठने की पोजीशन कुछ ऐसी थी कि लंड दरार में नही जा रहा था बल्कि दरार को उपर से सहला रहा था | उसका लंड कभी दरार के दाएँ नितंब को ठोकर मारता तो कभी बाएँ नितंब को | लंड दरार से रिसती गर्माहट और दोनो नितंबो के कोमल और मुलायम एहसास के कारण बेकाबू होता जा रहा था |

राहुल वापस धीरे धीरे उपर उठता अपनी मम्मी की पीठ को सहलाता वापस नीचे की और जाने लगता है | सलोनी की पीठ से होते उसके हाथ उसकी बगलों तक जा रहे थे और वो साइड से अपनी मम्मी के मुम्मो को भी सहला रहा था | कुछ देर बाद वो और उपर उठता है और उसके हाथ वापस सलोनी की कमर पर पहुँच जाते हैं | वो कुछ लम्हे फिर से अपनी मम्मी की कोमल गांड को सहलाता है और फिर से नीचे झुकता उसके कंधो की और आगे बढ़ने लगता है | इस बार वो बहुत जल्दी उसके कंधो तक पहुँच गया था और उसका लंड फिर से अपनी मम्मी की गांड पर चुभने लगा था | राहुल इस बार और नीचे को झुकता है और धीरे धीरे लगभग अपनी मम्मी के उपर लेट सा जाता है | उसका लंड अब सलोनी के नितंबो की दरार में चुभने लगा था | 

राहुल अपना चेहरा नीचे लाता है और सलोनी के कंधो को चूमता है |

"उउम्म्म्ममममममम.........उम्म्म्ममममम......." राहुल के होंठ अपनी मम्मी की गर्दन से होते हुए दूसरे कंधे पर पहुँच गये थे | चुंबनो की बौछार करता वो और आगे को बढ़ता है और अपनी माँ के कान की लौ को अपने होंठो में भर लेता है | मगर इस तरह और आगे जाने से उसका लंड अबकी बार सलोनी के नितंबो को फैलाता उसकी गांड का छेद रगड़ता दरार में आगे पीछे होता है | राहुल सलोनी के कान की लौ चुभलाता है और सलोनी सिसकियाँ लेती धीरे से अपना सर उठाती है और उसे उसी और मोड़ लेती है जिस तरफ का कान राहुल चुभला रहा था | राहुल का मुँह नीचे होता है और वो अपनी मम्मी के गाल को चूमने लग जाता है | और आगे वो उसके साइड से जीतने होंठ चूम सकता था, चूमता है और फिर उसके होंठ उसकी नाक की बाली को चूमने लग जाते हैं | नाक की बाली से उसके होंठ उपर जाते हैं और सलोनी की आँख पर राहुल प्यारा सा चुंबन अंकित करता है | फिर से उसके होंठ सलोनी के होंठो की साइड को चूमते हैं | राहुल की जिव्हा बाहर आती है और होंठो को चाटने लग जाती है | वो धीरे से अपनी जिव्हा उसके होंठो की दरार में घुसाकर कुछ पल सलोनी के मुँह के अंदरूनी हिस्से को चाटता है | सलोनी अपने हाथों पर अपना गाल टिकाए आँखे बंद किए उन उत्तेजित पलों का मज़ा ले रही थी | राहुल की जिव्हा अब उसके गाल को चाटती वापस उसकी गर्दन की और बढ़ चली थी | धीरे धीरे वो उसकी गर्दन को कुछ देर चूमता अपनी जिव्हा वापस नीचे की और लेजाने लगता है |
वो अपनी जिव्हा को अपनी मम्मी की पीठ पर गोल गोल घूमाता उसे कुछ देर यूँ ही चाटता रहता है | फिर वो उठ कर घुटनो के बल बैठ जाता है और कुछ देर नग्न नितंबो को घूरता है | फिर वो थोड़ा सा पीछे को हटता है और अपने दोनो हाथ सलोनी की जाँघो के बाहर रख अपने दहकते होंठ उसके दाएँ नितम्ब पर रख देता है, एन टॉप पर |

"उउउम्म्म्ममम.....उउउम्म्म्मममम......" सलोनी इस पल का जैसे बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी | उसकी चूत से उसका रस रिस रिस कर बाहर आने लगा था | राहुल बहुत कोमल कोमल चुंबन लेता दोनो नितंबो को चूमता है | उसके होंठ उसके नितंबो की घाटी को चूमते सहलाते हैं |

"म्‍म्म्मममममम्म्म.........म्‍म्म्मममममाआहमम्म्मम...." सलोनी की सिसकियाँ राहुल को जैसे बता रही थी कि उसे कितना आनंद आ रहा था |

राहुल नितंबो को जी भर कर चूमने के बाद अपने होंठो को सलोनी की पीठ पर थोड़ा सा नितंबो के उपर लेट जाता है | वहाँ वो अपनी मम्मी की पीठ के सेंटर में रीढ़ पर एक बड़ा सा चुम्मा लेता है | फिर राहुल की जिव्हा बाहर आती है और इस बार वो पूरी जिव्हा का इस्तेमाल करता सलोनी की रीढ़ की हड्डी को चाटता नीचे उसके नितंबो की और जाता है | जैसे जैसे राहुल की जीभ सलोनी की रीढ़ पर उसे रगडती नीचे आ रही थी वैसे वैसे सलोनी के मुख से फूटने वाली सिसकियाँ उँची होती जा रही थी | राहुल की जीभ नितंबो के बिल्कुल पास पहुँच चुकी थी और वो उसे उसकी रीड पर रगडता उसे चाटता नीचे बढ़ता जा रहा था | दोनो माँ बेटे के दिल जोर से धड़क उठते हैं | सलोनी आँखें खोल लेती है और अपनी सिसकी रोक उस लम्हे का इंतज़ार करती है | राहुल की जिव्हा बिलकुल सीधी लाइन में आगे बढ़ती जाती है और दोनो नितंबो की दरार के शुरुआती हिस्से में परवेश कर जाती है | सलोनी अपने होंठ काटती है | राहुल की जिव्हा उसी तरह रगड खाती नितंबो की लगातार गहरी होती जा रही घाटी में पहुच जाती है | राहुल नितंबो की दरार में बिना दबाए अपनी जीभ उपर से नीचे तक रगडता है |
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01-13-2019, 11:42 PM,
#28
RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
"उउउफफफफफफफफफ्फ़...........राहहुउऊउल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल.........बेटाटत्त्ताआआ.........हहााययईईए.........." सलोनी कराह उठती है | राहुल को अपनी जिव्हा पर नितंबो की घाटी में बसी गर्माहट का एहसास होता है तो सलोनी बेटे की खुरदरी जिव्हा की गर्माहट अपने नितंबो की घाटी में महसूस करती है | राहुल बिना जीभ को दबाए पूरी दरार में उपर से नीचे तक चाटता रहता है | जब भी उसकी जिव्हा गांड के छेद के पास पहुँचती है यह मस्त कहानी आप राज्शार्मास्टोरीज डाट कॉम पे पड़ रहे हैं सलोनी और उँचे कराहने लगती है | तो नितम्बो के भरे होने और आपस में जुड़े होने के कारण उसकी जिव्हा गांड तक नही पहुँच रही थी | अगर राहुल अपनी जिव्हा को हल्का सा भी दबाता तो उसकी जिव्हा उसकी मम्मी की गांड को छू लेती मगर राहुल अपनी जिव्हा नही दबाता | वो बस जब तक उसका दिल करता है घाटी में अपनी जिव्हा को उपर नीचे कोमलता से घूमाता रहता है | आख़िरकार राहुल कुछ समय के पशचात रुक जाता है | 

राहुल अपने घुटनो को थोड़ा सा पीछे करके सलोनी के दोनो नितंबो को कस कर दबोच लेता है और उन्हे विपरीत दिशा में फैलाता है | 'उउउननह.....' सलोनी सिसक पडती है जब उसे एहसास होता है कि उसकी गांड का छेद अब उसके बेटे की आँखो के सामने था, सिर्फ गांड ही नही उसकी चूत भी | राहुल का चेहरा नीचे होता है उसकी गरम साँसे अपनी मम्मी की गांड के छेद पर पड़ती हैं तो सलोनी फिर से सिसक पड़ती है | उसकी गांड और चूत में संकुचन बढ़ जाता है | उससे सहन नही हो रहा था, वो यह देखने के लिए बैचेन हो रही थी कि वो क्या करता है |

राहुल सलोनी को ज़्यादा नही तरसाता और अपने जलते हुए होंठ अपनी मम्मी की गांड के छेद पर रख देता है | 

"आआहह......राहुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल....बेटा........" सलोनी कराह उठती है | राहुल के जलते होंठ पहली दफ़ा उसकी गांड से छुए थे | बल्कि पहली दफ़ा किसी मर्द ने उसकी गांड को चूमा था | उसकी उत्तेजना अपने चरम पर पहुँचने लगी थी | राहुल के होंठ गांड से नीचे होते हुए सलोनी की रस टपकाती चूत को चूमते हैं | चूत से रस टपक टपक कर बेड पर गिर रहा था | राहुल के होंठ फिर से गांड पर जाते हैं | वो अपने हाथों से सलोनी के नितम्बों को और भी चौड़ा करता है और अपनी जीभ बाहर निकाल गांड पर रगड़ता है |

"उउउन्न्ननगगगगगगह...........उनघ्ह्ह्हह...." सलोनी की गांड और भी ज़्यादा तेज़ी से संकुचित होने लगती है | पहली बार उसकी गांड पर किसी की जीभ ने दस्तक दी थी | गांड के नरम कोमल छेद पर राहुल की जिव्हा की रगड़ उससे बर्दाशत नही हो रही थी | उस लुत्फ़ को महसूस करती वो बुरी तरह सिसक रही थी | राहुल गांड के छेद को रगड़ता सलोनी के नितंबो को और भी फैला देता है | उसकी गांड का छेद हल्का सा खुल जाता है | राहुल जिव्हा को गोल करके उसकी गांड में घुसाता है | लेकिन सलोनी की गांड बेहद टाइट होने के कारण उसकी जिव्हा बहुत अंदर तक तो नही जा पाती मगर इतनी अंदर ज़रूर जाती है कि वो उसे अंदर बाहर करता उसकी गांड को चाटता हुआ चोद सकता था |

"आआआअहह..........बेटा.......बेटा.........हे भगवान...........उउन्न्नज्ग्घह........" सलोनी का जिसम झटके खा रहा था | वो झड़ने के बिल्कुल नज़दीक पहुँच चुकी थी | राहुल अपनी मम्मी के बदन में हो रहे कंपन को महसूस कर चुका था और अब तक उसे एहसास हो चुका था कि आगे क्या होने वाला है | वो गांड के उस छेद को अपने होंठो में भर उस पर कभी जीभ रगड़ता और कभी उसके अंदर जीभ घुसा हल्के हल्के चोदने लगता है |

"बेटा.......बे…टा...........आआहह...." सलोनी का बदन और भी तेज़ झटके खाने लगता है | अचानक राहुल उसके नितंब से अपना हाथ हटा कर अपना अंगूठा उसकी चूत पर बिलकुल उसके दाने पर रख कर सहलाता है | सलोनी और बर्दाशत नही कर पाती |

"हाए.......हहाययएए...................उउउन्न्ञनननननगगगगग............हहाअययईई..." सलोनी के मुँह से तेज़ चीख निकलती है और वो झड़ने लगती है | सलोनी का बदन इतने ज़ोरों से झटके मार रहा था कि राहुल को उसकी गांड पर मुँह जमाए रखने में दिक्कत हो रही थी | वो अपने हाथ उसकी जाँघो पर रख देता है और उन्हे दबोच कर अपनी जिव्हा से फिर से उसकी गांड चोदता रहता है | सलोनी का बदन धीरे धीरे मंद पड़ने लगता है और अंत में वो पूरी तरह शान्त पड़ जाती है | उसका बदन एकदम ढीला पड़ जाता है और वो बस गहरी साँस लेती आनंद के उस सागर में गोते खाने लगती है | राहुल अपनी माँ की गांड चटाई से खुद काफ़ी उत्तेजित हो गया था और अगर कोई कसर बाकी थी तो वो सलोनी की सिसकियों और आहों कराहों ने पूरी कर दी थी | मगर राहुल को देखकर लगता था जैसे उसके दिल पर कोई और ही धुन सवार थी |

वो अपने हाथ अपनी माँ के जाँघो के बीच रखता और उन्हे उसके पेट के नीचे की तरफ ले जाता है, सलोनी की नाभि के पास से वो अपने हाथ बाहर की तरफ निकलाता है और दोनो तरफ से उसकी कमर पर अपने हाथ लेजाकर उन्हे उसकी पीठ पर बाँध देता है | अब सलोनी की कमर राहुल की बाहों के शिकंजे में थी | राहुल अपनी बाहों को उपर उठाता है और साथ ही सलोनी की कमर भी हवा में उँची होने लगती है | सखलन के बाद सुस्त पड़ चुकी सलोनी में इतनी हिम्मत नही थी कि वो उसका साथ दे सकती | उसकी कमर बेटे की बाहों में झूल रही थी |

राहुल अपने कुल्हो के बल बैठ जाता है और अपनी टाँगे सामने को पसारता है | वो सलोनी की कमर को उँचा उठाता अपने पैर आगे को पसारता है तो उसके पैर सलोनी के मुम्मो के नीचे तक चले जाते है | राहुल के घुटने थोड़े मुड़े हुए थे और बेड से कुछ उँचे थे जिन पर वो अपनी बाहें रखकर अपनी मम्मी की कमर का वजन डालता है | अब हालत यह थी कि राहुल के जाँघो के अंदर से हाथ डाल कर उपर उठाने से सलोनी की टाँगे खुद बा खुद चौड़ी हो गयी थी और राहुल ने जिस तरह जाँघो के निचे से हाथ निकालकर उसकी कमर को अपनी बाहों के शिकंजे में लिया था वो अब हिल डुल नही सकती थी | वो अब पूरी तरह से राहुल की दया पर निर्भर थी और वैसे भी सलोनी का सखलन इतना ज़ोरदार था कि वो अब कुछ कर पाने की स्थिति में नही थी | एक बार जब राहुल ने सलोनी को अपनी ज़रूरत के हिसाब से सेट कर लिया तो उसने उसकी कमर को पीछे की और खिंचा | अब सलोनी की चूत राहुल के होंठो के पास थी | राहुल अपने होंठ आगे बढ़ाता है और सखलन के पशचात सलोनी की भीगी जाँघो को चाटने लगता है | दोनो जाँघो को खुल कर चाटने के बाद वो चूत के उपर अपनी जीभ रगड़ता है और उसे अंदर नही जाने देता |

"बेटा.......बेटा.......बेटा......." सलोनी फुसफुसा रही थी | सखलन का असर उस पर अभी तक छाया हुया था | 

राहुल जब दिल भर कर चूत को बाहर से चाट लेता है तो वो अपनी जिभ की सिर्फ नोंक चूत की दरार में हल्की सी घुसाता है और उसे उपर से नीचे तक घूमाता है | 

"उउम्म्म्मम.......राहुल...........राहुल......." सलोनी लगातार मदहोशी में पुकारती जा रही थी |

राहुल की जिव्हा अब चूत के अंदर तक गहराई में घुसने लगी थी | जीभ को गहराई तक घुसा कर वो चूत को खूब रगड़ता है और फिर उसकी जिव्हा अंदर बाहर होने लगती है | राहुल मम्मी की चूत को अपनी जीभ से चोदते हुए उसके रस को चाटने लगता है |

"आह बेटा....बे..... टा...." सलोनी की हल्की हल्की सिसकियाँ लगातार जारी थी | राहुल जीभ की गति बढ़ाता जाता है | वो सलोनी की कमर को अपने मुँह पर खींच कर अपनी जीभ जितना अंदर तक हो सकता था डालता है | सलोनी की चूत में फिर से संकुचन होने लगा था | राहुल अपनी बाहों में अपनी मम्मी के जिस्म में कसाव बढ़ता महसूस कर सकता था | वो अपनी जिव्हा चूत से निकाल गांड के छेद पर रगड़ता है | फिर से चूत के बाहर रगड़ता है | इस तरह वो बार बार गांड और चूत के उपर नरम कोमल त्वचा अपनी खुरदरी जीभ से रगड़ता उपर नीचे होता है | सलोनी का बदन अब फिर से हिलने डुलने लगा था | हालांकि उसके मुख से फूटती सिसकियाँ इस बार धीमी थी | राहुल ने इस बार जब गांड से जीभ हटाकर चूत पर रखी तो उसने उसकी चूत को उपर से नही रगड़ा बल्कि अपनी जीभ उसकी चूत में पेल देता है और उसके भंगूर को अपने होंठो में दबोच लेता है | जैसे ही राहुल सलोनी की चूत के दाने को अपने होंठो में दबाकर चूस्ता है वो भड़क उठती है और उसका जिस्म बेटे की मज़बूत पकड़ में छटपटाने लगता है | राहुल अपने पंजो से अपनी माँ के मुम्मो को दबाता है, उसके नाख़ून मुम्मो की कोमल त्वचा को और उसके निपल को कुरेदते हैं |

"नही...बेटा....नही ........मत करो..............प्लीस और नही सह सकती .........आआअहह....." मगर राहुल उसकी बिनती की और कोई ध्यान नही देता | चूत के दाने को चूस्ता वो कभी अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदता है तो कभी उसके दाने पे रगड़ता है | सलोनी की हालत पहले ही पतली हो चुकी थी | वो चूत के दाने की अतिसंवेदनशील त्वचा पर जीभ का खुरदारपन बर्दाशत नही कर पाती | वो काँपने लगती है | उसकी चूत से रस बाहर आने लगता है | राहुल दाने को और भी कस कर होंठो में दबाता उस पर अपनी जीभ का दबाब बढ़ाता उसे सहलाता है, रगड़ता है |

"नही राहुल.......रुक जाओ....रुक जाओ बेटा..........प्लीज़ राहुल.........." सलोनी का बदन झटके खा रहा था | राहुल के इस हमले को बर्दाशत करना उसके लिए हर पल मुश्किल हो रहा था और राहुल था जैसे उसने ठान रखी थी कि आज अपनी मम्मी की बिल्कुल नही सुनेगा | राहुल अगला हमला करता है और दाने को होंठो में दबाए वो उस पर अपने दाँत से बिल्कुल हल्के से काटता है | सलोनी इस हमले को झेल नही पाती |

"राहुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल,................ओह गॉ...ड...........आअहह..." इस बार सलोनी के मुँह से तीखी सिसकी निकली थी | उसका बदन अपने बेटे की बाहों में झटके खा रहा था और वो सिसकती हुई झड़ रही थी | सलोनी को आज ऐसा आनंद आया था जैसा उसने पहले कभी महसूस नही किया था | उसे यकीन नही हो रहा था कि वो इतने बड़े स्खलन के बाद फिर से कुछ ही मिंटो के अंतराल के बाद इतनी जल्दी दोबारा सखलित हो सकती थी वो भी मात्र चूत चुसाई से |

जब तक सलोनी बिल्कुल शान्त नही पड़ गयी राहुल उसे अपनी बाहों के सिकंजे में कसे उसकी चूत से बहते अमृत की एक एक बूँद को पीता रहा | सखलन के बाद भी जब तक उसने चूत को चूस चाट कर पूरी तरह सॉफ नही कर दिया उसने चूत से मुँह नही हटाया | सलोनी का जिस्म शान्त पड़ चुका था | वो बेटे की बाहों में एकदम बेहोश सी होकर गिर गयी थी | राहुल ने उसके पेट के नीचे से अपने पाँव निकाले और उसकी कमर को वापस बेड पर रखकर उसे अपनी क़ैद से आज़ाद कर दिया | सलोनी के बदन में कोई हरकत नही थी | राहुल उठकर अपनी मम्मी के सर के पास चला जाता है | 

राहुल सलोनी के कंधे और कमर पर हाथ रखकर उसे धीरे धीरे करवट दिलाकर पीठ के बल कर देता है | सलोनी की आँखे बंद थी | उसके चेहरे पर जबर्दस्त शांति और संतुष्टि थी और उसका चेहरा इतना प्यारा लग रहा था कि राहुल अपना चेहरा उसके चेहरे पर झुका कर उसके चेहरे पर चुंबनो की बौछार करने लग जाता है | सलोनी धीरे से अपनी पलके खोलती है और अधमुंदी आँखो से बेटे को देखती है | वो कुछ बोलने के लिए होंठ खोलती है मगर उसके होंठो से लफ्ज़ निकल नही पाते | वो अपनी बाहें उपर को उठाती है | राहुल सलोनी की बाहें थाम लेता है और उसे उठाकर अपनी गोद में बिठा लेता है | वो दीवानो की तरह अपनी माँ को बहुत ही कोमलता से चूमता रहता है | सलोनी की आशा के विपरीत इस बार वो अपने बदन में कुछ उर्जा महसूस करने लगी थी, शायद राहुल के चुम्बनों का कमाल था | आखिरकार जब वो अपनी बाहें उसके गले में डाल उसके चुंबनो का ज्वाब देने लगती है तब राहुल उसके मुँह में अपनी जीभ घुसा देता है | कुछ देर चुमाचाटी का यह दौर चलता रहता है | अचानक राहुल अपनी मम्मी को चूमना बंद कर देता है और बेड पर उठ कर खड़ा हो जाता है | वो अपना पयज़ामा नीचे करता है | उसका लोहे की तरह सख्त लंड हवा में सीधा तना खड़ा था और वाकई में बहुत भयानक जान पड़ता था | 

उधर राहुल अपना पयज़ामा नीचे करता है उधर सलोनी बेड के सिरहने पड़े अपने पयज़ामे को उठाती है | राहुल एक टांग अपने पयज़ामे से निकाल चुका था जब वो देखता है कि उसकी मम्मी अपना पयज़ामा पहन रही है | राहुल एक पाँव पयज़ामे से निकलाता है जबकि सलोनी एक पाँव पयज़ामे में डाल चुकी थी | राहुल ज़माने भर की हैरत लिए अपनी मम्मी के चेहरे की और देखता है |

"हुन्न्नह......बहुत भूख लगी है..... सच में बहुत भूख लगी है... टाइम भी कितना हो चुका है... चलो कुछ खाते हैं और फिर बाज़ार भी जाना है... कुछ शॉपिंग करनी है...." सलोनी बेटे की स्वालिया नज़रो को पढ़ कर उसे ज्वाब देती है |
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01-13-2019, 11:43 PM,
#29
RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
राहुल को अपने कानो पर विश्वास नही हुआ | वो कभी अपनी मम्मी को तो कभी अपने लोहे के जैसे सख्त लौड़े को देख रहा था |

"मम्मी मगर मेरा........मेरा......मम्मी आप ने कहा था........सुबह ...अगर मैं पढ़ुंगा तो.........आपने प्रॉमिस किया था...." राहुल रुआंसी आवाज़ में बोलता है | 

"हाँ वायदा किया था तो........मैं मुकरी हूँ अपने वायदे से...........अभी तुमने मज़ा किया ना........." सलोनी अपनी शर्ट पहनते बोलती है |

"अब कहाँ........अभी तो सिर्फ़ आप.......मैने तो अंदर डाल कर.......मम्मी प्लीज़ करने दो ना..." राहुल हकलाती सी आवाज़ में बोला |

"अभी बिल्कुल भी टाइम नही है बेटा........जल्दी कपड़े पहनो......... बाद में अंदर डाल कर मज़ा ले लेना......मैं मना थोड़े कर रही हूँ........"

"मम्मी प्लीज़........प्लीज़......बस थोड़ा सा....." राहुल मिन्नत कर रहा था |

"कहा ना अभी नही........बाद में.....तू तो ऐसे कर रहा है जैसे मैं बाद में तुझे दूँगी नही.......भूल गया कल रात को.....आज सुबह को.......... तीन बार ले चुका है मेरी ...... बस अब चल खाना खाना है और फिर बाज़ार जाना है........" 

राहुल बुझे मन से कपड़े पहनता है जबकि सलोनी किचन में खाना गरम करने लगती है | रहल चुपचाप, निराश, किचन में आकर बैठ जाता है | सलोनी टेबल पर खाना लगाती है और राहुल के सामने वाली कुर्सी पर टेबल के दूसरी तरफ बैठ कर खाना खाने लगती है | राहुल की रही सही उम्मीद भी टूट जाती है | उसे लगा था शायद वो सुबह की तरह किचन में उसके लौड़े पर स्वारी करेगी मगर नही, सलोनी ने ऐसा कुछ भी नही किया | दोनो ने चुपचाप खाना खाया | राहुल की तो जैसे भूख ही मर गयी थी मगर वो अपनी मम्मी को जानता था कि अगर वो नही खाएगा तो उसे शायद बाद में कुछ नही मिलने वाला था | अभी कम से कम उसे इतनी उम्मीद तो थी कि बाद में उसे मौका मिल जाएगा |

"जाओ जाकर नहा धोकर तैयार हो जाओ...शौपिंग के बाद कहीं घूमने चलेंगे" सलोनी खाना खत्म होते ही टेबल से प्लेट्स उठाती राहुल को बोलती है | राहुल जिसका सर खाने के पुरे समय झुका रहा था, वैसे ही सर झुकाए जी मम्मी बोलकर सीढ़ियाँ चढ़ता अपने कमरे की और लौट जाता है | सलोनी प्लेट धोती कुछ गुनगुनाने लगती है | बेटे के चेहरे पर इतनी निराशा देखकर जहाँ एक तरफ़ उसे उस पर, उसकी मासूमियत पर दया आती थी, प्यार आता था, वहीं उसे राहुल को परेशान करने में अत्यधिक मज़ा भी आता था |
राहुल तैयार होकर नीचे अपनी मम्मी डैडी के बेडरूम में आता है | सलोनी अभी बाथरूम में नहा रही थी | राहुल टीवी का स्विच ओंन कर कुछ देर ऐसे ही चैनल चेंज करने लगता है | तभी बाथरूम का दरवाजा खुलता है और सलोनी अपने बदन पर तौलिया लपेटे बाहर आती है |

"हाययययययय................ सेक्सी.....सेक्सी..........क्या बात है.....आज तो बहुत सेक्सी सेक्सी दिख रहा है...... क्या इरादा है जानेमन........." सलोनी राहुल से मज़ाक करती है मगर राहुल का चेहरा लाल हो गया | वो शरमाता सा मुँह दूसरी तरफ फेर लेता है | सलोनी उसके पास आती है और उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम उपर उठाती है |
"हायय.... ईई......मर जायूं तेरी इस कातिल अदा पर..... क्या बात है......... आज तो लगता है मेरी जान ही निकाल लोगे......." सलोनी राहुल को आँख मारती बोलती है |
"मम्मय्ययययययी.........." राहुल का चेहरा और भी सुरख हो गया था | "अगर आप इस तरह से पेश आएँगी तो मैं कहीं नही जा रहा आपके साथ .... कह देता हूँ आपको अभी से...." राहुल अपनी मम्मी के मज़ाक से तंग होकर बोलता है | मगर असल में वो मदहोश सा हो रहा था | सलोनी अभी अभी नहाकर बाथरूम से निकली थी | वो उसके इतने पास खड़ी थी कि राहुल को उसके मादक बदन की सुगंध दीवाना बना रही थी | उसका लंड पेंट में सर उठाने लगा था |

सलोनी बेटे की बात पर हँसती है मगर फिर वो वहाँ से ड्रेसिंग टेबल की और रुख़ करती है | आईने के सामने हेयर ड्रायर से बाल सुखाती सलोनी कुछ देर चुप रहने के पश्चात राहुल की और देखती है और उसे कहती है |

"बेटा ज़रा दराज में से मेरी ब्रा और कच्छी तो निकाल दे, इतनी तो हेल्प करदे अपनी मम्मी की" |

राहुल अपनी मम्मी को घूरता है | उसे लगता है जैसे उसने कुछ ग़लत सुना है |

"मैने कहा दराज़ में से मेरी ब्रा और कच्छी तो निकाल दे" सलोनी हेर ड्रायर बंद करके बोलती है | राहुल ने ठीक सुना था | वो धड़कते दिल के साथ बेड की विपरीत दिशा में पूरी दीवार पर बनी अलमारी की और बढ़ता है | 

"राईट साइड से दूसरा डोर खोलो और नीचे से तीसरा दराज़ है" सलोनी राहुल को आईने से देखते बोलती है जो सोच रहा था कौनसा डोर खोले | वो मेकअप कर रही थी | राहुल दराज़ खोलता है | काफ़ी बड़ा दराज़ था और पूरा सलोनी की ब्रा और कच्छीयों से भरा पड़ा था | उनमे से कुछ सस्ती तो कुछ बेहद्द महँगी थी जो उसके पति ने ख़ास ख़ास मौकों पर उसे उपहार के रूप में ख़रीदकर दी थी | अलग अलग डिज़ाइन्स, अलग अलग कलर्स |

"कौनसी मम्मी......." राहुल खुश्क गले से पूछता है | पेंट में उसका लौड़ा तंबू बनने की शुरुआत कर चुका था |

"जो तुझे पसंद है वो निकाल ले" सलोनी की बात सुन राहुल कुछ देर दराज़ में ऐसे ही देखता रहता है फिर धीरे धीरे उसमें से ब्रा और कछियाँ चेक करने लग जाता है | उनका कलर और डिज़ाइन ही अलग अलग नही था, शेप भी अलग थी | कईओं का कपड़ा मोटा था और लगता था वो मुम्मो को कस कर रखती होंगी जबकि कईओं का कपड़ा ऐसा महीन था जिसमें से काफ़ी कुछ दिखाई पड़ता था | एक वाइट कलर की ब्रा पेंटी तो इतनी पतली थी कि उसमें से आर पार सब कुछ देखा जा सकता था और एक ब्रा कच्छी को उसने देखा तो वो दंग रह गया | कच्छी में चूत के स्थान पर एक बड़ा सा कट था | ब्रा में भी निपल्स के स्थान पर छोटे छोटे कट थे | वो एक पल के लिए उसे सेलेक्ट करता है मगर फिर वो शरमिंदा महसूस करता है | वो कैसे अपनी माँ को वैसी ब्रा पहनने को दे सकता है वो क्या कहेगी | उधर आईने से बेटे की उधेड़बुन को देखती और मेकअप करती सलोनी मुस्करा रही थी | आख़िरकार राहुल एक काले रंग की ब्रा और कच्छी निकाल लेता है और दरवाजा बंद करके सलोनी की और बड़ता है | सलोनी हल्का सा मेकअप कर चुकी थी | राहुल अपनी माँ के पास जाकर वो ब्रा पेंटी उसकी और बढ़ा देता है | सलोनी आईने के सामने से उठती है और राहुल के सामने खड़ी हो जाती है | राहूल का चेहरा उत्तेजना से तमतमाया हुआ था | 
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01-13-2019, 11:43 PM,
#30
RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
"थैंक यू बेटा" सलोनी आगे बढ़कर राहुल को होंठो पर चूमा लेती है | मगर अगले ही पल उसे झटका सा लगता है | "हाए राम यह क्या!" वो झटके से पीछे हटती है | वो नज़र नीची करके राहुल की पेंट में बने टेंट की और देखती है और ऐसे मुँह बनाती है जैसे उसने दुनिया का आठवां अजूबा देख लिया हो |

"बेशरम कहीं का, यह क्या है, मम्मी की ब्रा कच्छी देखकर इसे फिर से खड़ा कर लिया" सलोनी झूठ मूठ का नाटक सा करती है | राहुल कुछ नही बोलता | अभी भी उसका एक हाथ सलोनी की काली ब्रा कच्छी थामे सामने को फैला हुआ था | सलोनी उसके हाथ से कच्छी और ब्रा लेकर बेड पर फेंक देती है | 

"राहुल तू सच में बहुत बेशरम हो गया है", स्लोनी इतना बोलकर अपने जिस्म से तौलिए की गाँठ खोल देती है | गिरते हुए तौलिए को वो पकड़ने की कोई कोशिश नही करती | तौलिया उसके पाँव में गिर जाता है |

"सच कहती हूँ राहुल, तुझे तो रत्ती भर भी शर्म नही है" सलोनी बेटे के सामने पूरी नंगी होकर कमर पर हाथ रखे बोलती है | राहुल कुछ नही बोलता | उसकी ज़ुबान तो बंद हो चुकी थी | उसकी नज़र सामने अपनी मम्मी के मोटे तने हुए मुम्मो पर ज़मी हुई थी, उसके गुलाबी निपल अकड़े हुए थे जैसे चुसवाने के लिए तड़फ रहे हों | उसकी पतली सी कमर और नीचे उसकी चूत और चूत के उपर छोटे छोटे बाल जो तिकोने आकार में कटे हुए थे | राहुल की नज़र अपनी मम्मी के मुम्मो से उसकी चूत पर उपर नीचे होने लगती है | कभी मुम्मो और और कभी चूत को देखता जब वो काफ़ी समय बाद अपनी नज़र उपर करता है तो सलोनी को अपनी और घूरते हुए देखता है | सलोनी कमर पर हाथ रखे अपने बेटे की आँखो में देखती सर हिलाती है | 

"हे भगवान..... क्या होगा इसका......... क्या करू मैं ....... जब देखो अपना लौड़ा खड़ा कर लेता है........ ना कोई जगह देखता है ना कोई मौका", सलोनी राहुल की पेंट में उभार को देखते बोलती है | जिसके अंदर राहुल के लंड ने तूफान खड़ा किया हुआ था | राहुल का चेहरा शर्म और उत्तेजना से तपा हुआ था | सलोनी बेड से ब्रा उठाती है और राहुल की और देखते उसे बाहों में डालती है और फिर कप्स को अपने मुम्मो पर रखकर राहुल की और पीठ करके खड़ी हो जाती है |

राहुल इशारा समझ अपने काँपते हाथों से उसकी पीठ पर उसकी ब्रा के हुक लगाता है | उसे दोनो हुक लगाने में कई कई बार कोशिश करनी पडती है | उसके काँपते हाथ उसके लिए मुश्किल का सबब बने हुए थे | ब्रा की हुक लगने के बाद स्लोनी फिर से राहुल की और मुँह कर लेती है और उसके सामने अपने मुम्मो के उपर ब्रा के कप्स को खींच खींच कर सेट करने लग जाती है | सलोनी को कम से कम पाँच मिनिट लगते है अपने मुम्मो पर अपनी ब्रा को सेट करने में और इस कोशिश में वो कई बार अपने मुम्मो को कप से बाहर निकाल लेती थी, कभी उन्हे दबाती थी, कभी ब्रा के उपर से अपने निप्पल को खींचती थी | आख़िरकार उसकी ब्रा उसके मुम्मो को उसकी पसंद के अनुसार ढँकने में कामयाब हो गयी थी |

"हूँ अब ठीक है.......अब ठीक है ना राहुल बेटा......" सलोनी अपने मुम्मो पर ब्रा के उपर से हाथ फेरते हुए बोली |

"आ..... ह.....हन...हन मम्मी अब ठीक है" सलोनी के पुकारने पर राहुल जैसे नींद से जगा | उसका पूरा ध्यान अपनी मम्मी पर था | उसकी नज़र सलोनी को ब्रा में मुम्मे ठीक करने की एक एक हरकत को गौर से देख रही थी | जिस तरह वो बार बार कप से मुम्मे बाहर निकाल लेती थी और उन्हे दबाती थी जा फिर अपने निप्पल को खींची थी | राहुल बार बार अपने होंठों पर जीभ फेर रहा था | उसके होंठ उसकी जिभ उन अमृत के प्यालों को पीने के लिए तरस रहे थे | सलोनी बेड से कच्छी उठाती है और उसे राहुल को देती है | राहुल उसे कंपकँपाते हाथों से पकड़ अपनी मम्मी की और देखता है |

"चलो अब पहना भी दो कि ऐसे ही देखते रहोगे ... तुम्हारे इस देखने के चक्कर में पहले ही बहुत लेट हो चुके हैं" | राहुल अपनी मम्मी के सामने घुटनो के बल बैठ जाता है | सलोनी थोड़ा सा झुक कर राहुल के कंधे पर हाथ रखकर एक टांग उपर उठाती है | राहुल कच्छी के एक हिस्से में उसका पाँव डालता है | पाँव उठाने के कारण सामने उसे अपनी आँखो के बिल्कुल पास अपनी मम्मी की सुगंधित चूत पूरी तरह दिखाई दे रही थी | सलोनी दूसरा पाँव उठाती है | राहुल वो पाँव भी पकड़ कर कच्छी में डालता है मगर उसकी नज़र अपनी मम्मी की चूत पर ज़मी हुई थी | सलोनी वापस सीधी हो जाती है मगर इस बार वो अपनी टाँगे थोड़ी सी चौड़ी कर लेती है | टाँगे खुलने से चूत हल्की सी खुल गयी थी और अंदर से हल्का सा गुलाबीपन झाँक रहा था | राहुल कच्छी को उपर चढ़ाता है | कच्छी उसकी जाँघों पर टाइट होने लगती है | गहरी साँस लेता राहुल कच्छी को उपर करता जाता है | धीरे धीरे कच्छी उसकी चूत को ढक देती है | राहुल एलास्टिक को थोड़ा सा उपर को ज़्यादा चढ़ा देता है इससे सलोनी जब वापस टाँगे बंद करती है तो सामने से उसकी चूत के होंटो की दरार में कच्छी का हल्का सा सिरा घुसा हुआ था | 

"इसे सही तो करो, देखो ना मेरी चूत में घुसी पड़ी है" सलोनी बड़े ही नखरीले स्वर में बोलती है | राहुल का काँपता हुआ हाथ नीचे आता है और वो उसकी चूत पर हाथ रखकर कपड़े को पकड़ने की कोशिश करता है मगर इस कोशिश में कपड़े के साथ साथ उसकी चूत का मोटा होंठ भी उसके अंगूठे और उंगली में समा जाता है | सलोनी अपने होंठ भींचकर अपनी सिसकी रोकती है | राहुल होंठ को मसलता हुआ धीरे से कपड़ा पकड़ लेता है और उसे खींच कर दरार से निकाल देता है | मगर इसके बाद भी उसकी चूत को कच्छी के उपर से दो तीन बार सहला देता है जो टाइट काली कच्छी से झाँक रही थी | वो उपर को अपनी मम्मी की और देखता है जो होंठ भींचे खुद को सिसकने से रोक रही थी | सलोनी राहुल को देखती है जो उसकी और देखता हुआ जैसे पूछ रहा था "अब क्या" | 
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