Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
08-03-2019, 02:53 PM,
#51
RE: Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
अपडेट 51


मैं ख़ुशी और थोड़ी शर्म से नानी जी को देखा. वह बस मुस्कुराके उनके मन की ख़ुशी ज़ाहिर कर रही है. तभी नाना जीने मेरी पीठ पे हाथ रखा. मैं उनकी तरफ देखते ही वह ममतामई नजर से मुझे आस्वासन देणे लगे. सब के सामने, पूजा और मंत्र के बीच, पवित्र अग्नि के सामने में और माँ एक दूसरे को वरमाला पहनाकर इस पवित्र रिश्ते में हम दोनों की सम्मति जताया. पण्डितजी हमे बैठने को कहा. मैं मेरे आसन में बैठ गया. माँ धीरे धीरे मेरी बगल में रखे हुये आसन पे बैठने के लिए मेरे पास आयी. मैं बैठे बैठे उनकी तरफ थोड़ा नीचे मेरी नज़र घुमाया. वह बस बैठने के लिए अपने कदम बढायी और तभी मुझे उनके लेहेंगा के नीचे से उनकी मेहँदी किया हुआ सुन्दर मुलायम छोटी छोटी सेक्सी गुलाबी पैर नज़र आया. उनके पैर में भी रेड नेल पोलिश लगी हुई है. जिससे उनके पैर और सेक्सी लगने लगे और मुझे बस वहि झुक के उनके वह पैरों को अपने होठो से चूमने का मन करने लगा. फिर मुझे नज़र आया की वह आज उनके पैरों में पायल भी पहनी हुई है. मैं उनके वह सुन्दर गोल गोल पैर में पायल पहनाने के लिए एक पायल खरीद के अलमारी में रख के आया. पर वह मेरे मन की मुराद पूरी करके आज दुल्हन के भेष के साथ पायल भी पहनली. मैं मेहसुस करने लगा की बस यह सुन्दर, खूबसूरत सेक्सी लड़की बस आज से मेरी ही हो गयी. मेरा मन एक गेहराई में डूबने लगा और अंदर से उनको पाने की चाहत बढ़ते गया.
और सब कुछ मिलके एक सिरसिरानी अनुभुति मेरे स्पाइन कपड़े के नीचे की तरफ जाने लगा और मेरे कुर्ते के अंदर पेनिस में उसका असर पड़ रहा है. मेरा पेनिस सख्त होने लगा. मैं बस इस माहोल में मेरे ओर्गिनेस्स को दबा रखकर बाकि चीज़ों में ध्यान देणे लगा. नानाजी जाकर माँ के पास आसन में बैठे और नानीजी आकर मेरे पास वाले आसन में बैठि. पण्डितजी पूजा शुरू किया फिर से. शादी की रसम अब चालू होगई. नानाजी पण्डितजी के साथ मिलकर मंत्र पढकर सारे रस्म और रीवाज़ के अनुसार अपना कर्त्तव्य करने लगे. वह उनकी बेटी का कन्या दान करने लगे. माँ वहां बैठकर सर झुका के रखी है नयी दुल्हन की तरह. नज़र नीचे करके रखी है. मैं सब कुछ के बीच रहकर भी एक एक बार माँ को चुराके देखने लगा दुल्हन के पिता का फ़र्ज़ नानाजी पालन कर रहे है. वह शाश्त्र सम्मत तरीकेसे उनकी बेटी को उनके होनेवाले दामाद के पास कन्या दान करके उनके घर की लक्ष्मी को उनके दामाद के पास सोंप दी. इस्स बीच में नानाजी मेरी तरफ एक बार देखे. मैं उनके साथ नज़र मिलाकर उनको देखा. उनकी आँखों में उनकी बेटी रुपी घर की लक्ष्मी को मेरे पास समर्पण करके, उनकी बेटी को प्यार से सम्भालके रखने की बिनती साफ़ झलक आई. मैं भी अपनी आँखों की भाषा और होठो की स्माइल से उनको वह भरोसा दिया की में उनकी बेटी को ज़िन्दगी भर बहुत सारा प्यार और ख़ुशी देकर संभालके रखुंगा.
तभी पण्डितजी का एक आदमी आके मेरी शेरवानी के स्कार्फ़ के साथ माँ के दुपट्टे का कोना बांध दिये. और साथ साथ पण्डितजी मंत्र पढ़कर पूजा कर रहे है. वहाँ के सारे लोग उस मंत्र उच्चारण के बीच मेरे और माँ के ऊपर गुलाब की पंखुड़िया और राइस की वर्षाव करके अपना अशीर्वाद और शुभकामनायें देते रहे. फिर पण्डितजी हमे ऐसे ही दोनों का कपडा बंदा रख के वहां शादी स्थल में उस अग्नि के चारो तरफ परिक्रमा लगाने को कहे. मैं खड़ा होने लगा तो देखा की में अगर पहले जल्दी से खड़ा हो जाउँगा तो माँ की चुनरी उनके सर के घूँघट को हिला देगि, इस लिए में झुक के धीरे धीरे खड़ा होते गया , ताकि माँ को वक़्त मिले मेरे साथ एक साथ खड़ा होने को. मैं ऐसे झुक के थोड़ा टाइम रहा और फिर माँ खडी हो गयी. इस्स बीच में हमारी यह अनकंफर्टबिलिटी को देख के वहां की सारी लेडीज हस पडी और आपस में बातें करने लगी. मैं और माँ दोनों अब खडे हो गये. पण्डितजी मंत्र पड़ते रहे और हम चक्कर लगाने के लिए कदम उठाये. उस अग्नि के चारो तरफ चक्कर लगाके हम अपनी आगे के जीवन को एक साथ जीने की सारी कसम खानी सुरु कि. तभी फिर से चारों तरफ से गुलाब की पंखुड़ियों और राइस की बारिश फिर से होने लगी मेरे और माँ के उपर. मैं आगे आगे चलने लगा और माँ मेरे पीछे धीरे धीरे मुझे फॉलो करती रहि. ऐसे फूलों की और राइस की बारिश के अंदर हम उस पवित्र अग्नि परिक्रमा करते रहे. मुझे माँ का चेहरा दिखाइ नहीं दे रहा है. वह बस सर झुकाके मुझे फॉलो करती जा रही है. मुझे अपना पति मानकर मन और तन सोंप के मुझे पति का अधिकार देकर ज़िन्दगी ख़ुशी और आनंद से जीने की कसम खाते रहि. मेरी नाना और नानी से एक बार नज़र मिली. वह लोग बस अपनी एक लौती प्यारी बेटी को मुझे सौंप कर एक चैन की नज़र से हमारी जोड़ी को देख रहे है और अशीर्वाद दे रहे है हमारे ऊपर फूल और राइस फ़ेक के.
अग्नि परिक्रमा ख़तम होते ही पण्डितजी का कहा मान के में और माँ फिर से अपनेअपने आसन के ऊपर बैठ गये. हमारे कपड़े बंधे होने के कारन अब मुझे और माँ को एक दूसरे का साथ देके चलना पड़ रहा है, जिस तरह अब से हमे एक दूसरे का साथ देके ज़िन्दगी की राहों में चलना पडेगा. एक दूसरे की ज़िन्दगी का ख्याल रख के हर पल एक साथ रहना है. पण्डितजी का पूजा और हवन अभी भी चल रहा है. तभी उन्होंने नानीजी से धीरे से कुछ पूछा तो नानी जी उनको जबाब दिया बहुत धीरे से. पण्डितजी वहां पूजा के पास रखी हुई एक थाली से मंगलसूत्र उठाये और मुझे देदिये. मैं अपना हाथ निकाल के उनसे वह लिया. अब मंगल सूत्र पकड़ के भी मेरा हाथ थोड़ा थोड़ा काँप ना सुरु किया. मन के अंदर की खुशी, एक्ससिटेमेंट और न जाने क्या एक अद्भुत अनुभुति से मेरा मन पागल होने लगा. मैं माँ की तरफ देखा. वह बस अपने होटों पे मुस्कराहट बरक़रार रख़कर, अपनी नज़र झुका के बैठि है. पण्डितजीने मंत्र पड़ना सुरु किया और मुझे अपनी हाथ के इशारे से वह मंगलसूत्र दुल्हन के गले में बाँधने को कहे. मैं थोड़ा घूम के माँ के तरफ हो गया. मैं धीरे धीरे अपने दोनों हाथ में पकड़ी हुई मंगलसूत्र को माँ की गले के पास लेकर गया. मैं बस और कहीं न देख के केवल माँ को देख रहा हु. मेरे हाथ उनकी गले के पास जाते ही वह समझ गयी और वह अपनी झुकि हुई नज़र के साथ अपनी सर को मेरे तरफ थोड़ा घुमायी, मुझे मंगलसूत्र बाँधने में असां हो इस लिये. मैं धीरे धीरे उनके गले में मंगलसूत्र डालकर पीछे दोनों हाथ ले गया बाँधने के लिये. तभी एक लेडी माँ का दुपट्टा को थोड़ा गर्दन के पास से उठाके मुझे उनकी गले में मंगलसूत्र पहनाने में मदत करने लगी. मैं मेरा हाथ माँ की गर्दन के पास एक साथ होने के बाद धीरे धीरे बाँधने लगा. मेरा हाथ थोड़ा थोड़ा उनको टच कर रहा है. मेरी बॉडी एकदम उनके बॉडी के पास है. मेरे मन में अब जो अनुभुति खेल रहा है, शायद माँ के मन में भी शेम अनुभुति दौड रहा होगा. मंत्र पड़ने के बीच में मंगलसूत्र बांध के मेरा हाथ खीच लिया, और में फिर से सीधा बैठ गया. माँ भी अपने सर को घुमाके पहले जैसे बैठ गयी.उनके गले में मंगलसूत्र कैसे लगता है, यह पहली बार देख रहा हु. उनको साइड से देखते देखते उनकी लिए मेरे अंदर एक प्यार जागने लगा.
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पण्डितजी उनके एक आदमी को कुछ बोले और वह आदमी हमारे पास आगया. और मेरे पास आतेहि वह वहां बैठके वहां रखा हुआ एक डिब्बा खोला और एक मेटल के कॉइन से डिब्बे से थोड़ा सिन्दूर उठाके मेरे हाथ में थमा दिया. मैं बस शादी की आखरी रस्म पूरी करके माँ को अपनी पत्नी के रूप में पूरी तरह ग्रहण करने जारहा हु. मैं नानी को देखा , वह बस आँखों में ख़ुशी लेकर एक इशारा कि. और में पण्डितजी का मंत्र उच्चारण के बीच ही वह सिन्दूर धीरे धीरे माँ के सर के पास ले गया. फिर वह लेडी माँ के सर के घूँघट को थोड़ा हटाकर, मांग से सोने का बिंदी साइड करके मुझे हेल्प करने लगी. फिर मेंने मेरा एक हाथ माँ के सर के पीछे छु क़र, दूसरे हाथ से उनकी मांग में सिन्दूर भर दिया. मेरा एक हाथ उनको छूकर रखा है, उसमे से पता चला सिन्दूर डालते टाइम माँ थोड़ा काँप उठि और में भी अंदर से एक कम्पन मेहसुस करने लगा. अब हम शास्त्र सम्मति से पति पत्नी बन गये हमारा एक नया रिश्ता जुड़ गया. आज से हम दोनों माँ बेटा नहीं रहे. पति पत्नी के पवित्र बंधन में बंध गये माँ के गले में मंगलसूत्र और मांग में सिन्दूर के साथ उनका एक अलग रूप निकल के आया. साथ ही साथ वह अब इतनी प्यारी और खूबसूरत लगने लगी की में यह कभी कल्पना नहीं किया था. मैं बस अगले सात जनम तक इस खूबसूरत और प्यारी लड़की को, मेरी माँ को अपनी पत्नी के रूप में पाना चाहता हु. शादी की रस्म पूरी हो गयी. और तब सात मैरिड लेडी माँ के पास आकर उनके कान में फिस्फीसाके गुड विशेस देणे लगी. माँ का चेहरा ख़ुशी से झलक उठ रहा है. माँ तभी भी अपनी नज़र उठायी नहि. पण्डितजीने अब हम दूल्हा दुल्हन को उठके अपने अपने बढो को प्रणाम करके अशीर्वाद लेने को कहा. मैं माँ के साथ ताल मिलाके धीरे धीरे उठा और एक साथ नानाजी के पास आकर उनका पैर छुआ. वह बस उनके दोनों हाथ मेरे और माँ के सर पर रख के हमे अशीर्वाद देणे लगे. फिर हम नानी के पास जाकर उनके पैर छुये. नानीजी हमे अशीर्वाद दी और हम खड़े होतेहि हम दोनों को वह एक साथ गले में मिला लिये. नाना नानी के आँख थोड़ा गिला हो रहा था. जैसे की उनका लड़की शादी करके दूसरे एक घर पर, अपने पति के घर पे जा रही है. पर अब तो माँ का माइका और ससुराल एक ही है. हमने पण्डितजी को प्रणाम किया और वहां के बाकि सबसे शुभकामनायें और गुड विशेस ग्रहण करते रहे
.दूसरे एक हॉल में रिसोर्ट वालों ने शादी में प्रेजेंट सब का लंच का इन्तेज़ाम करके रखा है. हम सब वहां गये. सब लोग बुफे सिस्टम से लंच करने लगे. में, माँ और नाना नानी एक टेबल पे बैठे. मैनेजर साहब हमारे लंच का देखभाल कर रहे है. हमारे टेबल पे दोनों आदमी लंच सर्व करने लगे. नाना और नानी का अलग अलग प्लेट है पर मेरी और माँ की एक ही प्लेट है. शादी के रस्म के अनुसार नये नये शादी शुदा दूल्हा दुल्हन को पहला खाना एक ही प्लेट में शेयर करके खाना है. सो में और माँ आस पास चेयर में नज़्दीक बैठे है. वह अभी भी सीधे तरीके से मुझे नहीं देख रही है. एक दो बार हमारी चुपके से नज़र मिल चुकी है. अब उनके अंदर भी एक शर्म है और मेरे अंदर भी. वह हम दोनों मेहसुस कर रहे थे. इसलिए हम एक दूसरे को स्ट्रैट नज़र मिलाके देख नहीं पा रहे है. पर उनको इस नयी दुल्हन के रूप में देखने के लिए मेरा मन हर पल उनकी तरफ जा रहा है. हम एक ही प्लेट से पहले एक दूसरे को खिलाने के बाद, धीरे धीरे हम खाने लगे. हमारा हाथ प्लेट के ऊपर टच हो रहा है. हमारे कंधे एक दूसरे से टकरा रहे है. एक दूसरे के शरीर की गर्मी आस पास रहकर भी केवल हम दोनों ही मेहसुस कर रहे है. उससे मेरा पूरा बदन माँ की तरह बीच बीच में ख़ुशी और एक्ससिटेमेंट के वजह से काँप रहा है. सब के बीच बैठे बैठे भी में केवल मेरी दुल्हन रुपी माँ को , जो अब मेरी धरम पत्नी भी है, उनको देखे जा रहा था और मन ही मन में उनको एकांत में मेरी बाँहों में पाने के वक़्त का इंतज़ार करने लगा
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08-03-2019, 02:54 PM,
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.शाम होने जा रही है. हम चार लोग मुंबई में बांद्रा टर्मिनस पे एक प्लेटफार्म बेंच में बैठे हुए है. नानाजी बेंच के एक दम एन्ड में बैठे है, उनके बाद नानीजि, नानीजी की बगल में माँ और में दूसरी एन्ड पे बैठा हु. नानी माँ को अपने पास ही पकड़के बैठि है. हम कुछ टाइम कोई कुछ भी नहीं बोल रहे है. मुंबई सिटी की ब्यस्तता के अंदर हम चारो लोग एक अलग परिस्थिति लेकर बैठे हुए है. सब लोग बहुत ब्यस्त है चारो तरफ. सब अपना अपना सुख, दुख, खुशी, ग़म, आनंद, हसि, रोना लेकर चले जा रहे है अपनी अपनी शान्ति की जगह पर. सब के मन में कुछ न कुछ पैशन, इमोशन का खेल चल रहा है. लेकिन फिर भी कोई किसी दूसरे की उस भावना को छु नहीं पा रहा है. सब अलग अलग आइलैंड जैसे जीते है यहाँ. जीवन संग्राम में यह लोग खुद ही अपना पैशन , इमोशन को ठीक से ब्यक्त करने का तरीका ही शायद भूल गये है. हमारे सामने से कितने सारे लोग चले जा रहे है. पर किसी को भी यह पता नहीं है, शायद पता करने की जरुरत भी नहीं पड़ रहा है की हम अब किस इमोशनल बेन्डिंग के थ्रू गुजर रहे है. हमारे मन में अब क्या चल रहा है. एक माँ उनका एक लौती बेटी को अपने ही पोते के हाथ में उनको सोंप दिया है. अपने ही पोते को आज दामाद बनाकर अपनी बेटी और पोते की खुश हॉल ज़िन्दगी की उम्मीद करके ऊपरवाले से प्रार्थना कर रही है मन ही मन. एक पिता अपने परिवार की सबकी भलाई के लिए आज खुद के पोते के ससुर बन गये. और वह इस नये रिश्ते को जी जान से मान ने भी लगे है. एक माँ अपनी ज़िन्दगी का अब तक का प्यार और ममता देकर जिस को पाला, बड़ा किया, माँ का स्नेह दि, आज खुद को उसकी पत्नी बनके अपना तन मन सोंप दि और उसको अपने पति का अधिकार दे दि. एक बेटा जो बचपन से अपने नाना नानी के साथ रहकर, उनका प्यर, स्नेह, ममता पाकर उनके छत्र छाया में बड़ा हुआ है, आज उन्ही नाना नानी को अपना साँस और ससुर मान लीया मन से जिस औरत के ममता भरे प्यार और देखभाल में बड़ा हुआ, जिसको दुनियामे सबसे ज़ादा प्यार करते आया, जिसको अपने दिल के हर कोने में उनका ही चित्रण करके रखते आया, उस औरत को शास्त्र सम्मत तरीके से अपनि धरम पत्नी, अपनी जीवनसाथी, अपनी प्यारी बीवी बनाकर आज सारे रिश्तों को दोबारा नये तरह से लिख दिया. ऐसी जटिल परिस्थिति के अंदर सब रह रहा है, फिर भी बाहर वालों को कुछ भी भनक नहि. समाज आज यह सब कुछ नहीं जान पाया. इस लिए सब अपनी अपनी रेस्पेक्ट से हम चारो को देख रहे है. और हम हमारे आनेवाले कल के बारे में सोच रहे है. हमे पूरी ज़िन्दगी ऐसे ही रहना पडेगा. हमारा पुराने रिश्ते को भूल कर, सब के सामने इस नये रिश्ते को ही अपनाकर रखना पडेगा. शायद हमे अपनी पुराणी पहचान, पुराणी जगह से हमेशा दूर रहना पड़ेगा हमारे सब के भलाई के लिये. जितना टाइम जाने लगा, नानी की आँख उतनाही गिला होने लगा माँ भी उनके साथ, उनके स्पर्श में रहकर थोड़ा उदास होने लगी. थोड़ी देर बाद अहमदाबाद जाने का ट्रैन लगनेवाली है. नाना नानी अपनी बेटी को पहली बार घर से दूर भेज रहे है. पहली बार अपनी बेटी को उनके पति के साथ ज़िन्दगी बिताने के लिए अपनों से दूर जाने दे रहे है. नाना नानी का मन भारी हो रहा है यह में महसुस कर पा रहा हु. उनके मन में यह भी है की उनका बेटी अब जिसके साथ रहने जा रही है, वह उसको दुनियाका सारा प्यार, सारी खुशी, सारा आनंद देगा. पर अपनी एकलौती बेटी को इतने दिन बाद अपनों से दूर करने का दर्द में मेहसुस कर सकता हु.
मा नानी के पास चिपक के बैठि है. उनके हाथ में नानी का एक हाथ पकड़कर रखी है. माँ बेटी का प्यार साफ़ दिखाइ दे रहा है. माँ को नाना नानी से दूर जानेका दर्द तो है, पर उनके मन में उससे ज़ादा ख़ुशी है. क्यूँ की वह अपने बेटे के साथ , जो अब उनका पति है, उसके साथ नयी ज़िन्दगी बिताने जा रही है. उनको यह भी मालूम है की दुनियामे कुछ भी हो जाए, पर उनका बेटा, उनका पति कभी भी किसी भी हालत में उनका हाथ नहीं छोड़ेगा, और नाहीं उनको कभी कुछ कस्ट होने देगा. वह अपने पति के प्यार को अब धीरे धीरे महसुस कर सकती है. उनकी आँख में गीलापन तो है, फिर भी होठो पे एक ख़ुशी की आभा दिखाइ देती है. और वह देख के नाना नानी भी चैन की सांस ले पा रहे है. माँ के गले में मंगलसूत्र है. मांग में सिन्दूर है. माथे पे एक लाल बिन्दी. हाथ पैर में मेहँदी लगी है. दोनों हाथ में कुछ बँगलस के साथ और भी कुछ सिंपल ज्वेल्लरी में माँ एक नयी दुल्हन ही लग रही है. पहली बार शादी के बाद एक जवान कुंवारी लड़की जैसे दीखती है, माँ वैसे लगने लगी. उनकी स्लिम बॉडी में आज एक अलग सा आभा लगी हुई है. एक मरुण, ग्रीन और येलो कलर के रंग से सुन्दर डिजाइन और मीनाकारी कि हुई एक साड़ी पहनी हुई है. साथ में मैच किआ हुआ ब्लाउस. उनके गोरे रंग और मख़्खन जैसे मुलायम स्किन में वह कपडा उनको बहुत जच रहा है. यह सब चीज़ों से उनकी उम्र अब २० साल के जैसे लग रही है. मैं वहां से उठकर थोड़ा आगे जाकर साइड में खड़े होकर रिलैक्स जैसा करने लगा. नानी माँ से कुछ बातें कर रही है. नाना जी भी वहां नानी और माँ को कुछ बोल रहे है. अब उनके अंदर का दुःख और मायुस भाव धीरे धीरे कम हो रहा है. मैं बस चारो तरफ नज़र फिरा ते फिराते सबसे ज़ादा केवल माँ को ही देख रहा हु. आज इस रूप में माँ को वास्तव में देख के मुझे एह्सास हुआ की कल्पना कभी कभी वास्तव से भी हार मान लेती है. माँ को पिछले दो हप्ते से मेरी पत्नी के रूप में कैसे दिखेगी, वह कल्पना करते आया. वह है तो खूबसूरत. नयी दुल्हन बन्ने के बाद और खूबसूरत हो जायेगी यह सोचकर उनकी एक तस्वीर मन के अंदर कल्पना किया था. पर आज मेरे सामने बैठि उनको देख के मेहसुस किया की इस अपरूप सुंदरता के वास्तवीक छोरको कभी देख नहीं पाऊंगा. और अभी इस पल वह दिदार करके मेरे मन में एक अनिर्बाचनीय ख़ुशी और संतुष्टि का भाव छाने लगा. मैं सच मुच उनको बीवी के रूप में पाकर अब एक सैटिस्फाइड मैन जैसा फील कर रहा हु. उनकी यह सुंदरता , यह खुबसुरति, यह रूप में ज़िन्दगी भर अपना करके पाऊंगा.
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08-03-2019, 02:54 PM,
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पहले से किये हुये प्लान के मुताबिक नाना नानी अभी अहमदाबाद चले जाएंगे. और में माँ को लेकर एमपी चला जाऊंगा. टिकट भी ऐसे ही बुक किया था मैने. इस्स लिए शादी के बाद हम सब लंच करके अपने अपने कॉटेज में पहुच गये थे. हमे शादी का जोड़ा वगेरा खोल के तैयार होना था. माँ नानीजी के रूम में ही चले गई. उनके सारा सामान वहि रखा हुआ था. और में नानाजी के रूम में आगया था मैं आपनी शेरवानी खोल के बाथरूम में जाकर मुह हाथ पैर धोने लगा. सर पे घी चंदन और गुलाल की लगी हुई सारी तिलक को साबून से साफ़ करके फ्रेश होने लगा. फिर आके मेरे सूटकेस से एक जीन्स और पोलो टी शर्ट निकाल के पहन लिया. मैंने सोचा की सूटकेस में रखा एक नया कुरता और पाजामा है तोह वह पहन लू. पर फिर लगा की वह पहन ने में एक दम नया दूल्हा टाइप लगुंगा. और शर्म अने लगी. तब मैंने यह जीन्स पहन के क्यजुअल होने की कोशिश करने लगा. माँ और मेरी शादी हो गई. फिर भी दोनों के अंदर नाना नानी के सामने एक शर्म अभी भी है. मैं मेरे बाकि कपड़े और सामान पैक करने लगा. नानाजी रूम में आये और वह भी अपने कपड़े बदल ने के लिए बाथरूम में चलेगये हम दो लोग तो फ़टाफ़ट तैयार हो गये पर वहां दूसरे कॉटेज में वह दो लोग हमारे जैसे नार्मल बन्ने में टाइम लेगी. नानीजी तो बस अपने साड़ी चेंज कर लेंगी पर माँ दुल्हन का लेहेंगा चोली चेंज करेंगी, फिर अपने चेहरे से सारा मेक अप साफ़ करके मांग में भरी सिन्दूर को ठीक तरीके से लगाएगी उसमे टाइम तो जाएगा ऐसे करके पूरा दो घंटा लग गया और फिर जब हम अपने अपने कॉटेज से अपना सामान लेकर निकले तब में माँ को इसी ड्रेस और इसी रूप में तब पहली बार देखा था. उनके हाथ की मेहंदी, हाथों का बँगलेस देख के सब समझ जायेंगे की उनकी नयी नयी शादी हुई है.उनको इस रूप में देख कर, मेरे अंदर ही अंदर उनके लिए एक तीब्र चाहत होने लगी और में बहुत हॉर्नी फील करने लगा. मेरे शरीर के अंदर एक अनुभुति दौड रहा है. मैं माँ की तरफ जब भी देख रहा हु, तभी उनके जिस्म के हर कोने कोने में मेरे प्यार भरे गरम होठो का स्पर्श देकर उनको प्यार करने के लिए मेरा मन पागल हो रहा था. वह मेरी माँ है. मैं उनको बहुत ज़ादा प्यार करता हु. उनको दिल से चाहता हु. वह अब मेरी बीवी है. मेरी जीवन साथि है. उनके साथ ज़िन्दगी का हर पल जीना चाहता हु. ज़िन्दगी का हर सांस उनके साथ ही लेना चाहता हु. मेरे प्यार से उनकी ज़िन्दगी का अब तक का सारा ग़म, सारा कष्ट, सारी क़ुर्बानि, बहुत सारी चीज़ें न पाने का दुःख --सब सब कुछ भुला देना चाहता हु और ज़िन्दगी भर बहुत सारी ख़ुशी और आनंद के साथ उनको मेरे बाँहों में भरके संभालके रखना चाहता हु.
माँ ने कॉटेज से निकल नेके बाद से अब तक एक भी बार मुझे नहीं देखा है. मैं बहुत बार कोशिश कर रहा हु. पर नज़र नहीं मिला. वह और नानी बस एक साथ एकदूसरे को पकड़के सारे रास्ते टैक्सी में आई. आज सब थोड़ा अपने अपने में मग्न थे. ज़ादा बात नहीं कर रहे थे. नाना नानी अपने बेटि, जो आज तक उनके साथ ही रहती थी उसको अब जाने देना पड़ रहा है. उसी ग़म में सब कम बोल रहे थे. फिर भी बात चित होने लगी. और बीच बीच में कोई मज़ाकिया बातों से सब हस रहे थे. पर फिर भी वह पहले दिन जैसे नहीं रहे. बात कम होने के कारन में बार बार पीछे मुड नहीं पा रहा था और माँ को देख नहीं पा रहा था. फिर भी इतना नज़्दीक रहकर , में उनको मेरे दिल के अंदर और शरीर में मेहसुस कर पा रहा था. मेरी इसी तरह की फीलिंग्स के लिए मेरा पेनिस बार बार सख्त होता रहां. वह अब केवल सुहागरात के इंतज़ार में ही है. फिर भी में अभी भी माँ को देख रहा हु, हर बार उनकी खुबसुरती और सुंदरता देखके में खुद को भाग्यवाण समझ रहा था. ऐसी एक प्यारी लड़की मेरी बीवी बनेगी में सोचा नहीं था. पर आज वैसे ही एक लडकि, जो मेरी माँ है, आज मेरी पत्नी बन गयी है. जो अब मेरे नाम का सिन्दूर लगा के मेरे सामने, उनके मम्मी पापा के साथ बैठि हुई है.
नाना नानी ट्रैन में चड़ने से पहले मुझे और माँ को बार बार गले लगा ते रहे. मैं और माँ एक साथ झुक के पति पत्नी का कपल बन के नाना और नानी का पैर छू के उनके अशीर्वाद लेने लगे. नानाजी मुझे एक बार अलग से गले लगाये और कुछ टाइम पकड़ के रखा. वह जैसे की यह कह रहे है की मेरे घर की लक्ष्मी में तुमको दिया बेटा. अब तुम ही इसका ध्यान रखो फिर नानाजी माँ को गले लगाके चेहरे पे एक मायूसीपन लेकर एक स्माइल दिया. नानी माँ को फिर से गले लगायी और उनके चेहरा दोनों हाथ से थामकर उनकी आँखों में देखि और उनकी गीली आँखों से स्माइल करके माँ को बोली" सदा सुहागन रहो बेटि". नाना नानी के आँखों में साफ़ साफ़ दिख रहा है जैसे की वह लोग अपने बेटी को विदाई दे रहे है. इस समय में और माँ एकसाथ रहकर केवल उनलोगों को ठीक से , अपना ख़याल ठीक से रखने के लिए कहने लगे.
आज तक माँ थी साथ मे. पर अब वह दोनों बिलकुल अकेले हो जाएंगे. यह सोचके मेरा मन थोड़ा भारी भी हो गया था. पर क्या करे. ज़िन्दगी का असली रंग ही ऐसा है.मै और माँ एक साथ आस पास प्लेटफार्म पे खड़े है. ट्रेन चलने लगी. नाना नानी खिड़की से हमे देख के हाथ हिलाई. और दोनों ही परम ममता और प्यार से हमे एक स्माइल देकर अपनापन जताने लगे. ट्रेन रफ़्तार पकड़ने लगी और माँ की आँख गिला होने लगी. ट्रेन धीरे धीरे प्लेटफार्म छोड़कर दूर जाने लगी. और तभी में मेहसुस किया की मेरे एकदम नजदीक खड़ी माँ उनके दोनों हाथ उठाके मेरा बाजु पकड़ रही है. मैं घूमके उनको देखा. वह तभी भी जाते हुई ट्रैन की तरफ नज़र रख के गीली आँखों से उसी तरफ देखे जा रही है.
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08-03-2019, 02:55 PM,
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RE: Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
अपडेट 55

और उनके हाथ धीरे धीरे मेरे बाजु को ठीक से पकड़ने लगे. मेरे मन में यह भावनाएं आयी की माँ अब तक उनके मम्मी पापा के संग जी रही थी. और वह लोग उनकी बेटी की अच्छी तरह से देखभाल करके अपना कर्त्तव्य सही तरीके से पालन कर रहे थे. लेकिन अब से माँ मेरे संग मेरी पत्नी बनके जीने जा रही है. और मुझे मेरी पत्नी की रक्षा करके उनकी हर तरहा से देखभाल करनी है. शायद वह उनके अनजाने में मेरा बाजु पकड़ के मुझे मेरा कर्त्तव्य याद दिलाने लगी. शादी के टाइम में कसम खाकर यह कहा की में पूरी ज़िन्दगी उनके ख्याल रख़कर, उनकी हर इच्छा को पूरा करके, उनकी हर तरह की चाहत , मेरा प्यार, केअर, लॉयलटी, आनेस्टी देकर उनको हर झंझट से बचाकर मेरी बाँहों में सुकून की नींद लेने दूंगा. और इस वक़्त से मेरा वह कर्त्तव्य पालन करना सुरु हो गया है.
मै उनकी तरफ देख रहा था. और मेरे मन में एक नये तरह की अनुभुति और प्यार आया माँ के उपर. एक पति का उसकी पत्नी के ऊपर जो प्यार आता है, में पहली बार माँ के साथ हमारे नये रिश्ते में कदम रख के, इसी प्लेटफार्म में खड़े होकर वह प्यार महसुस करने लगा. मुझे इस तरह प्यार और भावनाएं पहले कभी मेहसुस नहीं हुई थी. तभी माँ अपना सर उठाके मेरी तरफ देखि. उनकी उस नम्म आँखों में अपनों से दूर जाने के ग़म के साथ साथ एक अद्भुत ख़ुशी भी झलक दे रहा है. वह अपने मम्मी पापा से दूर रहके भी अपने दिल से जुड़े हुए किसी के साथ, आपने बेटे के साथ, जो अब उनके पति है, उनके साथ जीवन बिताने जा रही है. उस की ख़ुशी और एक एक्ससाइटमेंट उनके मन में जो मिश्र अनुभुति कर रहा है, वह उनकी आँखों में मुझे दिख रहा है. मेरे साथ नज़र मिलाकर ऐसे ही हम दोनों उस भीड़ भरे प्लेटफार्म पे कुछ पल खड़े रहे, फिर माँ के अंदर एक शर्म खेल गया और वह अपने आँखे झुका ली . और शर्म के साथ उनके हाथ मेरे बाजु को छोड़ के अपने तरफ खीच ली. लेकिन वह उनके होठ पे एक मुस्कान लेकर मुझे यह संमझा दी की कितना भी ग़म और कितना भी कस्ट आये क्यूं,न आये वह मेरे साथ, मेरे पास , मेरे दिल में रहके अपने सारे ग़मों को भूलके चेहरे पे हसि लेके जी सकती है. मैं बस अपने ज़िन्दगी का एक नया अध्याय में प्रवेश करके मेरी माँ को साथ में लेके एक नये रस्ते में चलना सुरु किया. जहाँ केवल में और मेरी माँ यानि की मेरी बीवी है.
नाना नानी शाम की ट्रैन लेकर चले गये वह लोग बस सुबह होने से पहले ही घर पहुच जाएंगे. लेकिन हम लोगों को एमपी पहुँचते पहुचते कल शाम हो जाएगा. हम बांद्रा से छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पे पहुच गये हमारे साथ तीन सूटकेस है. हम एक कुलि लेके सामान उसको देके में और माँ मुंबई की उस भीड़ में चल्ने लगे एक दूसरे के साथ , एकदम पास रह्के. माँने और मेरा हाथ नहीं पक़डा. वह बस एक नयी दुल्हन की तरह उनके पति के साथ धीरे कदमों से चलते आरही है. मैं उनके साथ उनके कदमों से अपने कदम मिलाकर चलने लगा. मुझे पूरी ज़िन्दगी बस उनको ऐसे ही साथ देना है. और में यह चाहता भी हु मन से, दिल से. चलते वक़्त भीड़ में कभी कभी माँ का बाजु मेरे बाजु से, और माँ का कन्धा मेरे कंधो से टच हो रहा है. और हर बार मुझे एक नरम और कोमल स्पर्श मेहसुस हो रहा है. माँ कितनी कोमल और नरम है हमारे शादी से पहले उसकी एक झलक मुझे मिली थी. और अब उन कोमल और नरम शरीर के स्पर्श से मेरे अंदर एक कंपकपी आने लगी. माँ के एक दम पास रहने के लिए मुझे उनके शरीर से एक खुशबू भी मिल रही थी . उनके बालों की वह मीठी महक में मेहसुस कर रहा हु. इतनी भीड़ में भी मुझे बस उनको मेरी बाँहों में लेने का मन किया. पर में चाहके भी उनके हाथ पकड़ नहीं पाया. न जाने क्यों शादी के बाद मेरे अंदर भी एक तरह की शर्म आगई. मैं कितना कुछ सोचके रखा था. पर आज माँ को एक अन्जान जगह पे हमारे परिचित समाज के बाहर अकेली पाकर भी , इस प्लेटफार्म की भीड़ की अंदर भी उनको छु नहीं पा रहा हु. माँ भी शायद मेरे जैसा इमोशन और सोच के थ्रू गुजर रही है. वह न मुझे देख रही है आँख उठाकर, न मेरे से सहज होकर बात कर रही है, न मुझे छु पा रही है. बस हम मन ही मन एक दूसरे को चाहकर भी इतना करीब रहके भी , कोई पहला कदम उठा नहीं पा रहे है.
हमारी ट्रैन आने में थोड़ा टाइम है. हम प्लेटफार्म के एक कोने वाले बेंच में बैठे है. हमारा लगेज सामने रखा हुआ है.
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08-03-2019, 02:55 PM,
#56
RE: Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
अपडेट 56

माँ और में क़रीब, बहुत करीब रह रहे थे. दोनों ही शायद प्लेटफार्म की इस विचित्र आवाज़ के बीच भी एक दूसरे की दिल की धड़कनें सुन पा रहे थे, फिर भी हम एक दूरि में रह गये मैं थोडे टाइम बाद माँ को देखते हुए पुछा" पानी पियोगी?"मा बस मुझे एक नज़र देखकर फिर नज़र दूसरी तरफ घुमाके सर हिलके हाँ कहा. वह बस सारे पुराने रिश्तों को भूल क़र, मेरी बीवी की जगह लेकर खुद को मेरे साथ सहज करने की कोशिश कर रही है. मैं भी माँ को अपने बीवी की नज़र से पूरी तरह ग्रहण करने की कोशिश मन ही मन करते जा रहा हु. इस लिए दोनों ही आज एक असहज सिचुएशन में एक दूसरे के साथ रहके भी, एक दूसरे से मिल घुल ने में वक़्त ले रहे है. मैं उठकर जाकर सामने वाले स्टाल से पानी लेकर माँ को बोतल खोलके पीने दिया. वह मेरे हाथ से बोतल लेली, पर पीने में झिझक रही है, क्यों की बोतल पूरा भरा था. पीने जायेंगे तो कपड़े में पानी गिरके कपड़े गीला कर देगी. सो में हसके उनसे बोतल लेकर मुह लगाके थोड़ा पाणी पी लिया. फिर में उनको बोतल दिया तो वह मुझे एक स्माइल देकर बोतल में मुह लगाके धीरे धीरे पानी पीने लगी. आज तक हमारे अहमदाबाद घर में बचपन से देख के आरहा हु की कोई किसीका जूठा पाणी नहीं पिता. पर आज माँ मेरा जूठा पाणी पीने में कोई दुविधा नहीं रखि. मैं उनके गले में मंगलसूत्र और मांग में सिन्दूर और हाथ में मेहँदी लेकर नयी दुल्हन की तरह शर्मा के मेरे सामने उनके इस तरह परिवर्तन को दिल से मेहसुस करने लगा. और उनको मेरे दिल की सारी जगह देणे में कोई कसर नहीं छोड़ी .मै एक दो बार उठके इधर उधर जा रहा था. मुझे भी थोड़ा असहज फील हो रहा था. बस सिचुएशन को सहज करने के लिए खुद पहले सहज होने की कोशिश कर रहा था. और जब में थोड़ा इधर उधर घूमके वापस माँ के पास आता था तब माँ केवल मेरे आने का इंतज़ार लेकर वहां बैठे रहती थी. और में वापस अने के बाद मुझे शर्म लगा एक स्माइल देकर नज़र झुका लेती थी. उनकी उस स्माइल में एक राहत की फीलिंग्स दिखाइ देता था. मैं बस कुछ पलों के लिए उनसे दूर होते ही वह मेरे लिए ऐसे सोच्ने लग गई मेरे लौटने के इंतज़ार में ऑखों में एक चाहत लेकर बैठि रहती थी. ट्रेन का टाइम हो गया था. प्लेटफार्म में अब भीड़ थोड़ा बढ़ गयी है. मैं और माँ खड़े हुए है. मैं मेरा सामान उठाने के लिए एक कुलि को ढूंढ रहा था. मैं बस वहां से आगे जाकर देखने के लिए जैसे ही कदम बढाया तोह माँ पीछे से बोली" सुनिये ना....."मै माँ की आवाज़ सुनतेही दिल में एक ख़ुशी की लहर के साथ पीछे मुड़के देखा. वह बस नज़रों से मुझे देखे जा रही है. मैं उनके पास आकर उनको देखते हुए मेरा शरीर की भाषा से पुछने लगा की क्या हुआ है. वह बस मेरि आँखों में देखते हुए धीरे धीरे बोली" आप मेरे पास रहिये"ओर फिर नज़र झुका के उनके हाथों से धीरे धीरे मेरा बाजु पकड़के मेरे और करीब आने लगी. और वैसे ही नज़र झुकि रखके एक दम फिसफिसा के बोली" मुझे डर लगता है"बोलकर उनके सर को मेरे हाथ से टच करवायी. मेरे अंदर बस प्यार का धारा बहने लगी. मैं एक अन्जानी ख़ुशी से चुप होकर बस वहां खड़े खड़े उनके वह टच और प्यार को मेहसुस करने लगा सामान वगेरा लेकर कुली के साथ नीचे उतर गया. फिर माँ पीछे आके दरवाजे के सामने खड़ी होकर उतरने जा रही थी. मैं दौड के जाकर उनके हाथ पकड़ के उनको उतरने में हेल्प करने के लिए उनके पास पहुंचा. मांग में सिन्दूर और गले में मंगलसूत्र के साथ माँ एक दम नयी नवेली दुल्हन की तरह लग रही है जिसकी पहली बार शादी हुई है. मैं उनकी तरफ देख के दिल में प्यार और चेहरे पे स्माइल लेकर मेरा लेफ्ट हैंड बढा दिया उनकी तरफ. वह मेरी तरफ देखके स्माइल करके उनके चेहरे पे एक प्यारी मुस्कान और आँखों में नयी शादी हुई लड़की के जैसे उसके पति के लिए बहुत सारा प्यार लेकर मेरी तरफ एक बार देखा. और ब्लश करके स्माइल थोड़ी चौड़ी करके नज़र घुमा लिया और उनके मेहँदी किया हुआ राईट हैंड बढाके मेरा हाथ पकड़ लिया. फिर उनके लेफ्ट हैंड से उनकी साड़ी को थोड़ा ऊपर की तरफ पकड़ के ट्रैन से नीचे उतरने लगी. वह एक मध्यम हील वाली स्लिपर पहनी हुई थी. वह जैसे ही उतरने गयी, उनके मेहँदी लगा हुये पैर का कुछ हिस्सा साड़ी के नीचे से मुझे दिखाइ दिया. गोरी गोरी और गोल गोल मुलायम स्किन वाला पैर. उसमे पहनी हुई पायल उनके सुन्दर गुलाबी ऐड़ी को और खूबसूरत और सेक्सी बना दिया है. मुझे एक झलक यह देख के मेरे अंदर अचानक एक ओर्गिनेस्स आगया. अचानक मेरे शरीर में खून दौडने लगा और मेरे पेनिस के अंदर जाकर भरने लगा. माँ के नरम हाथ का स्पर्श में आज एक नयी तरह अनुभुति शरीर में मेहसुस करने लगा. उनके मेहँदी किया हुआ सेक्सी पैर और नयी दुल्हन की तरह शर्माना--सब कुछ मिलाकर मेरे अंदर एक तूफ़ान चलने लगा. और मेरा पेनिस अचानक एक अद्भुत सुखानुभूति से उछल के सख्त होने लगा. मैं बस मेरी अनुभुति को मन ही मन क़ाबू करके उनको उतरने में पूरी मदत किया और फिर वह उतरनेके बाद मेरी तरफ नज़र उठाके देखि. मुझे उस नज़रों में मेरे लिए उनका जो लव और लॉयलटी, मेरे ऊपर उनकी जो डेपेंडेंसी, मेरे पास उनकी जो कम्पलीट सरेंडर , मेरे प्रति उनकी जो केयरिंग भाव और मेरे लिए उनके दिल में जो चाहत नज़र आया वह देख के उस्सी पल में मेरा दिल उस प्लेटफार्म पे खड़े खड़े बस पिघलने लगा.
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08-03-2019, 02:57 PM,
#57
RE: Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
अपडेट 57

मुझे अंदर ही अंदर यह मेहसुस हुआ की में सच में बहुत खुश नसीब हु.
मुझे ऐसी एक लड़की मेरी बीवी के रूप में मिलि,
जो मुझे बचपन से आज तक इतना प्यार करती आयी, और आज भी इतना प्यार कर रही है,
और में जानता हु की ज़िन्दगी भर मुझे इतना ही प्यार करते रहेगी.
बचपन से वह मुझे हमेशा ज़ादा प्यार करती थी सिंगल परेंट्स के वजह से.
उनके दिल में हमेशा में रहता था.
उनके सारे सुख दुःख मुझे लेकर और मेरे चारों तरफ घुमते थे.
और आज नसीब ने हमे ज़िन्दगी के इस मोड़ पे लाया की जहाँ हम माँ बेटा होने पर भी हम दोनों को दुनियाका सबसे मजबुत और महत्पूर्ण एक बंधन में बांध दिया.

हमारे माँ बेटे का जो बंधन था उस मजबुत बंधन में तोह हम पहले से ही जुड़े है.
लेकिन आज इस नये रिश्ते का नये बंधन में अचानक हम दोनों और भी बहुत ज़ादा मजबूती से एक दूसरे से जुड़ गये मेरी माँ के प्रति जो प्यार है,
उसके साथ बीवी के लिए प्यार भी दिलसे निचोड़के सब उनको ही दे दिया.
और वह भी उनके ज़िन्दगी का जमा हुआ सारा प्यार उनके पति के लिए दे दिया.
अपने बेटे के लिए जो प्यार था, उसके साथ एक पत्नी का प्यार मिलाकर उनका दिल अपने बेटे के पास ओपन कर दिया.
और वह अपने दिल को आज एक मजबुत बंधन से उनके बेटे के दिल के साथ बाँध लिये.
और वह खुद को पूरी तरह, अपना तन्न मन सब कुछ अपने बेटे के पास,
अपने पति के पास समर्पण कर दिया. मुझे सब कुछ मेहसुस होने लगा उनके सामने खड़े होकर उनके आँखों में देखते हुए.
कुछ पल हम ऐसे नज़र मिलाकर हमारे दिल की बहुत सारी बातें उस भीड़ भरे प्लेटफार्म के विचित्र आवाज़ के बीच खड़े होकर एक दूसरे को जताने लगे.
माँ बस अपनी स्माइल बरक़रार रखके अचानक कुछ याद करके मेरे हाथ में उनकी ग्रिप ढीला कर लिया और शर्मा के मेरा हाथ छोड़के अपने हाथ खीच लिये.

फिर अपने नज़र प्लेटफार्म के दूसरी तरफ घुमाके देखने लगी.
मैं तभी भी उनको देख रहा था.
माँ को आज बहुत खुश देख रहा था.
उनके अंदर एक नवजवान लड़की की अनुभुति वापस आगयी. उनके होठो पे जो मुस्कान लगी हुई है,
वह में ज़िन्दगी भर देखने के लिए कुछ भी कर सकता हु.
मैं हमेशा उनको इसी तरह खुश देखना चाहता हु, खुश रखना चाहता हु.
हम टैक्सी में हमारा लगेज लोड करके मेरे घर की तरफ, जो आज से हमारा घर होगा, उस तरफ जाने लगा.
प्लेटफार्म में माँ जो मेरा हाथ छोडा,
उसके बाद और मेरा हाथ पकड़ी नहि.
मैं दिल से चाह रहा था की वह मेरे बाजु पकड़के मेरे एकदम पास रहके चले.
पर वह बस मेरे पास तो थि, लेकिन मेरे स्पर्श से दूर रह रही थी.
शायद उनके मन में भी मेरे जैसी एक अनुभुति हो रही होगी.
मेरे जैसी एक चाहत उनके भी शरीर में तूफ़ान लायी होगी.
एक अध्भुत सुख, जो न में कभी पाया और जो वह पाकर भी उसका आनंद ज़िन्दगी में ठीक से ले नहीं पाई, वह आनंद,
वह सुख पाने के लिए उनका भी शरीर तरस रहा होगा.
और शायद इसी लिए वह भी खुद को अपने क़ाबू में रख रही है मेरे से दूर रहकर टैक्सी के पीछे बैठे थे हम्.
माँ खिड़की के पास बैठके बाहर की तरफ देख रही है.
नयी जगह और नयी ज़िन्दगी में खुद को मिला के नये रिश्ते को और भी अपने दिल में मजबूती से बसा रही है.
मैं रस्ते में जाते जाते बताते रहा की हम को कितना दूर जाना है,
वहां से मार्किट किस तरफ है,
मेरा ऑफिस किधर से जाना पडता है वगेरा वग़ैरा.
वह बस बीच बीच में मेरे तरफ एक स्माइल लेकर देखति है और फिर बाहर नज़र घुमा लेती है.
खिड़की के तरफ उनके लेफ्ट हैंड उनके गोद में रखा हुआ है और राईट हैंड मेरे और उनके बीच में जो गप है वहां सीट के ऊपर रखा हुआ है.
मुझे बहुत मन कर रहा था की में उनका वह हाथ मेरे हाथ में लु.
बातों बातों में मन में यह सोच तो रहा था पर कर नहीं पा रहा था.
हम अब पति पत्नी है, फिर भी एक संकोच अंदर अभी भी काम कर रहा है.
इतने दिन जिस औरत को मेरी माँ की नज़र से देखा और छुआ,
आज उनको मेरी बीवी के रूप में देख रहा हु लेकिन छुने में वह संकोच आ रहा है.
शायद उनके अंदर भी उनके बेटे को अब पति के रूप में छूने में शर्म आ रही होगी.
अब मुझे महसुस हो रहा है की पिछले ६ साल से मन की कल्पना में उनके साथ मिलन का जो सपना देखता था,
आज असली ज़िन्दगी के इस मोड़ में आकर सब कुछ उस जैसा करना इतना सहज और आसान नहीं हो रहा है.

माँ जितनी बार मेरी तरफ देख रही थी , उतनी बार मेरे छाती के अंदर एक झनझन आवाज़ सी होने लगी.
खिड़की से हवा आने के वजह से वह अब मेरी तरफ देखति है तब उनकी वह सुन्दर आँखें थोडी छोटी हो रही है.
फिर भी उनके चेहरे पे मुस्कान के साथ आँखों में एक गहरा प्यार साफ़ साफ़ झलक दे रहा था.
मैं मन ही मन थोड़ा हिम्मत जुटाके सामने की तरफ देखते हुए मेरा लेफ्ट हैंड बढा के उनके राईट हैंड के ऊपर रखा.
मेरी उँगलियाँ बस उनकी उँगलियाँ को छु रही थीं.
तभी माँ बाहर देखते हुए उनके हाथ को थोड़ा अपनी तरफ खीच लि.
मैं वैसे ही बैठे बैठे फिर हाथ को आगे बढाके उनकी उँगलियाँ पकड़ी.
अब वह हाथ हटायी नहीं लेकिन उँगलियाँ को मुठ्ठी करके मेरे स्पर्श से दूर जाना चाह रही है.
मेरे मन में एक जिद्द आया की हम्मारे बीच में पति पत्नी बनने के बाद जो संकोच चल रहा है वह अभी ख़तम हो जाए.
मैं अब मेरे हाथ को उनके हाथ के ऊपर रख के बस मेरी ग्रिप से उनका हाथ पकड़ लिया.
वह धीरे से छुडाने की कोशिश की पर छुडा के लेकर नहीं गई मैं घूमके उनकी तरफ देखा.
वह बस होठो पे स्माइल लेकर बाहर देख रही है. मैं धीरे धीरे उनकी उँगलियाँ में मेरी उँगलियाँ इंटरटवीनेड करने लगा. वह तभी मेरी तरफ देखि और चेहरे पे एक शरम, एक्ससिटेमेंट और चाहत लेकर मुझे आँखों से इशारा करके ड्राइवर की तरफ दिखाया.

फिर एक फेक ग़ुस्से का चेहरा बनाके जैसे की वह यह कहना चाहती है की "क्य कर रहे हो आप. आगे ड्राइवर है. मिरर में देख रहा होगा. छोडिये मुझे शर्म आरही है".
मुझे उनके इस तरह शर्मा जाने में मुझे मज़ा आने लगा.
मैं उनका हाथ तो छोड़ा नहि, ऊपर से मेरा ग्रिप और स्ट्रांग करके उनकी उँगलियाँ को मुठ्ठी करके पक़डा.
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08-03-2019, 02:57 PM,
#58
RE: Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
अपडेट 58



वह तभी अपनी नज़र घुमा के बाहर देखने लगी.
मैं चेहरे पे एक बदमाश हसि लेकर उनको देखने लगा.
फिर में उनका हाथ वैसे पकड़के रख के फिर सामने की तरफ नज़र घुमाया.
और तभी में मेहसुस किया की माँ अपनी उँगलियाँ को धीरे धीरे मुठ्ठी करके मेरे उँगलियाँ को पकड़ रही है.
मैं हाथ की तरफ देखा की हम दोनों की उँगलियाँ इंटेरटवीनेड होकर मुठ्ठी करके एक दूसरे को पकड़ी हुई है.
मैं उनको देखा. वह बाहर में नज़र रखते हुए भी समझ गए की में उनको देख रहा हु.
वह उसमे और शर्मा के हँसने लगी और होठो में उनके हसि को दबाने लगी.
वह उनके लेफ्ट हैंड की एल्बो को खिड़की के ऊपर रखा के लेफ्ट हैंड की एक ऊँगली फोल्ड करके बार बार अपने होठ को टच कर रही है.
मैं समझ गया की माँ के अंदर शर्म के साथ साथ उनके बेटे के साथ इस नये रिश्ते में धीरे धीरे खुद को खोलना सुरु हो गया है.
खुद को एक पत्नी की तरह मेहसुस करके उनके दिल की सारी ख़ुशी ज़ाहिर कर रही है.
मेरा मन एक अत्यंत सुन्दर ख़ुशी में उछल उछल के नाच ने लगा.
मेरा मन भी उनको पत्नी के रूप में स्वीकार करके एक अद्भुत भाव से बहने लगा.
टैक्सी में बैठके हम दोनों अलग अलग तरफ देख के, एक दूसरे का हाथ पकड़के एक दूसरे को जैसे की यह बता दे रहे है की ज़िन्दगी में कभी किसी भी परिस्थिति में यह हाथ हम छोड़ेंगे नहि.
मैं उनको जितना देख रहा हु, उनको नये तरह से स्वीकार कर रहा हु.
उनकी इस तरह की अदायें में कभी नहीं देखा था. मैं जितनी बार उनको देख रहा हु,
बार बार लग रहा है की यह पल, इस अनुभुति का कभी अंत न हो. उनके कुछ बाल हवा में उड़के मेरे चेहरे पे आके टच करते हुए जा रहै है. मेरा गाल ,
नाक, आंख, सर सब जगह पे उनके बालों के स्पर्श से में बस एक उत्तेजना मेहसुस करने लगा. उनको बाँहों में लेकर प्यार करने की चाहत में मन छट पट कर रहा है.
एकान्त में केवल माँ और में एक दूसरे को अपना बनाके पाने की चाहत में अंदर ही अंदर उबल ने लगे.
पर मेरा मन अचानक एक बात सोचके थोड़ा मायुस हो गया.कल ट्रैन में चड़ने के बाद ,
रात में भी ऐसा मेहसुस हुआ था.
और मन भारी हो गया था. माँ कुछ अंदाजा किया था और मुझे बस प्यार के नज़र से देख के जैसे की यह बोल रहे थे की " अब आप अकेले क्यों दुखी होंगे.
आज से तो सारे सुख, दुःख हम दोनों शेयर करके एक दूसरे की ज़िन्दगी को जीने में और आसन कर देंगे,
और ख़ुशी से भर देंगे. मैं हु न आपके पास, आप के साथ हमेशा के लिये".
मा की आँखों में वह भाषा पड़के मेरा मन तो ठीक हो गया था पर अभी फिर से शेम चिंता घिर ने लगी.
हम नाना नानी के प्रयत्न से और हमारे नसीब के फेरे में आज हम शास्त्र सम्मति से पति पत्नी तो बन गए और माँ भी पत्नी के रूप में खुद को लेजाकर एक नयी खुशहाल ज़िन्दगी का सपना देख रही है.
पर क्या में उनके एक्सपेक्टेशन पे खरा उतार पाउँगा!! मुझे मालूम है माँ एक आदर्ष पत्नी बन जाएगी,
लेकिन क्या में एक आदर्ष पति बन पाउँगा!! क्या में एक पत्नी के दिल में जितनी सारी इच्छा और ख्वाब रहता है,
क्या में वह सब ठीक से पूरा कर पाउँगा!! यह सब चिंता कभी कभी दिल में आजाता है.
मैं जानता हु में माँ को सब से ज़ादा प्यार करता हु और करुँगा,
कभी किसी और लड़की के तरफ देखूँगा भी नहीं उनको छोडकर.
मेरी ज़िन्दगी में वही एक मात्र लड़की बनके रहेगी.
हमारी उम्र का जो फरक है, उसको हम हर तरीके से ओवर कर लेंगे पर जब पति पत्नी के सामान्य लाइफ के बारे में सोचता हु तब ऐसे मायुश हो जाता हु.
मैं जानता हु उनके साथ मेरा हर पति पत्नी की तरह शारीरिक संपर्क होनेवाला है.
हम माँ बेटे के रिश्ते को दिल के अंदर रख के पति पत्नी के रिष्ते में जीएंगे.
वह भी जानती है शादी के बाद उनका बेटा पति के अधिकार से उनके तन्न मन को प्यार करेगा और वह इसके लिए खुद को तैयार भी की है जरुर.
लेकिन में जब सोचता हु मेरा पेनिस के बारे तब मन में एक डर सा मेहसुस होता है.
मेरा पेनिस थोड़ा बड़ा और मोटा तो है हि,
पर जब उत्तेजना से फूल जाता है, तब उनका कैप एक दम बड़ा सा एक बॉल जैसा बन जाता है.
क्या में माँ के साथ ठीक तरह से शारीरिक सम्बन्ध बना पाउँगा!! क्या में उनको बिना दर्द देकर वह प्यार कर पाउँगा जो हर पत्नी अपने पति से चाहती है!!
क्या में उनको एक परिपूर्ण सन्तुष्टि दे पाउँगा!! मैं उनसे बहुत बहुत प्यार करता हु.
मैं उनके साथ छोड़के और किसी के साथ मिलन की कल्पना न कभी किया है, न कभी करुन्गा.
मुझे उनको हर तरीके से खुश करके, ज़िन्दगी का सारा आनंद उनके कदमों के पास लेकर देना चाहता हु.
कल ट्रैन में जब चढ़े तब फुल लोग थे उस कम्पार्टमेंट मे.
सो सारे लोग जल्दी जल्दी डिनर करके सोगये. मेरा और माँ का बर्थ ऊपर नीचे था.
मैं ऊपर जाकर सो गया था.
और माँ नीचे चद्दर ओढकर सो गये शादी के बाद एक पति पत्नी पहली रात एक साथ एक ही जगह रात गुजर रही है,
फिर भी वह अब पति पत्नी जैसे रह नहीं पा रहे थे. ऐसा शायद होता नहीं कभी.
हमारे साथ हो रहा है.
हमारे साथ असल में तो बहुत कुछ हो रहा है जो और कहीं कभी नहीं हुआ.
मैं एक बार नीचे झुक के माँ को देखा.
वह बस मेरे बर्थ की तरफ देखते हुए सो रही थी.
हमारी नज़र मिलते ही वह स्माइल कि. मैं उनको देखते रहा.
वह उनके चद्दर को थोड़ा गले के पास खिचके और गर्मी फील करने लगी और अपनी आँख बंध कर ली.
फिर थोडी देर बाद जब आँख खुली ,
फिर से हमारी नज़र मिली. उनके चेहरे पे एक लाल बिंदी और होंठो पे प्यारी मुस्कराहट उनके रूप को पूरा बदल दिया है.
बस एक कुंवारी लड़की की तरह जिसकी बस पहली बार शादी हुई है,
उस तरह अपने पति को देख रही थी.
फिर वह उनका चेहरा उनके राईट साइड में घुमाके आंख बंध करके सोने की कोशिश कि.
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08-03-2019, 02:59 PM,
#59
RE: Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
अपडेट 59



सुबह जब हमारी नीद टुटी तब कुछ पैसेंजर आलरेडी उतार गए पिछ्ली स्टेशन मे.
इस लिए कमरा थोड़ा खली था.
केवल एक मिडिल एज्ड अंकल हमारे सामने वाले बर्थ में थे.
सुबह ट्रैन में चाय देकर गया.
गरम पाणी का फ्लास्क और पैकेट शुगर, मिल्क पाउडर और ती बैग .
मैं चाय बनाना शुरु किया तो माँ मुझे धीरे से बोली" मुझे दीजिये.
मैं बनाती हु"ओर माँ चाय बनाने लगी.
मेरी पत्नी बनने के बाद भी वह बचपन से मुझे जैसी केयर और प्यार करते आयी,
वैसे ही मुझे केयर और प्यार कर रही है
और ज़िन्दगी भर करेगी मुझे पता है.
मैं उनका पति बनने के बाद भी उनको वह रेस्पेक्ट और केयर करूँगा ज़िन्दगी भर,
जैसा में माँ को करता था.
हम चाय पीते पीते एक दूसरे को देख के स्माइल कर रहे थे.
यह है वह पहली सुबह जो हर कपल की लाइफ में बस एक बार आती है.
शादी के अगले दिन की सुबह.
हम इन पलों को हमारे दिल में कैद करते रहे
एक दूसरे को प्यार से देखते देखते.
हमारे सामने वाले अंकल हम से परिचय किये और जब उनको पता चला की हम नई नई शादी करके मेरा जॉब की जगह पे जा रहा है,
तब वह हमे बताये की हमारी जोड़ी बहुत खूबसूरत जोड़ी बना है.
हमे पूछा हमारा यह लव मैरिज है या अरेंज्ड मैरेज.
यह सुनके माँ और में दोनों कुछ पल खामोश रहै.
उनको कैसे हमारे रिश्ते के बारे में बताये.
तो में तुरंत बोला की अरेंज मैरिज है,
तब वह आदमी बोला की बहुत कम लोगों के अंदर अरेंज मैरिज में इतना प्यार झलक ता है
जितना हमारे जोड़ी को देख के लग रहा है.
मैं और माँ इस बात को सुनके एक दूसरे को देखा और मन में सोचे की उस्को यह नहीं पता की हम
कैसे हमारे नसीब के फेरे आज ऐसे एक कपल बने है जो कपल दुनियामे ढूँढ़ने में शायद मिलेगा भी नहीं
और हमारे बीच जो प्यार है वह दुनियाका सब से ज़ादा प्यार का बंधन है.

टैक्सी आके घरके एक दम सामने रुक गई मैं उतरके घूम के जाकर माँ की तरफ का डोर खोला और माँ उतरी.
फिर हम अपना सामान वगेरा नीचे उतारके ड्राइवर को टैक्सी फेर मिटा दिया और वह टैक्सी लेके चला गया माँ घर के आस पास इधर उधर की तरफ देख रही थी.
मैं उनको देखते देखते दो सूटकेस खिचके डोर के पास लेकर गया.
और माँ तभी तीसरा सूटकेस को लेन की कोशिश कर रही है.
मैं उनको मना किया और जाकर एक हाथ में वह सूटकेस खीचते हुए दूसरी हाथ से आराम से माँ का हाथ पकड़के धीरे से बोला.
चलो..मा बस एक प्यारी सी स्माइल देकर शर्मा के नज़र झुका के मेरे साथ चल्ने लगी.

और में उनका हाथ पकड़के डोर के तरफ जाने लगा.
हम कोई कुछ बोल नहीं रहे है.
केवल जब भी नज़र मिल रहा है तभी एक दूसरे को मुस्कुराके अपना प्यार जताने लगे.
माँ जब चल रही थी उनके पायल की मीठी आवाज़ होने लगी.
मैंने की निकाल के डोर खोला.
फिर मेंने माँ की तरफ देखा.
और धीरे से बोला.
नयी बहु के घर में कदम रखने से पहले यहाँ उनका स्वागत करने के लिए तो कोई नहीं है..
फिर में रुक गया. माँ मेरे तरफ देखके मीठी मीठी हस् रही है.
और फिर घूम के खुद ही अंदर जाने के लिए कदम उठाने गयी की में उनको रोका.
“रुक जाइये..”
मा मेरी तरफ नज़र घुमायी तो में उनके आँखों में आंख दाल के उनके मन के अंदर जाकर उनके मन को छुना चाहा.
और फिर फुसफुसाकर कहा
“कोई नहीं तो क्या हुआ, मैं स्वागत करूँगा..”

माँ अस्चर्य नज़र से मुझे देखते रही और फिर हास् के मेरे पागलपन को साथ देणे लगी.
वह हस्ते ही उनके मोती जैसे दाँत उनके गुलाबी होठो के अंदर से दिखे और वह बहुत खूबसूरत लगने लगी.
मेरा दिल बस पिघल के उनके कदमो के नीचे आगया.
मै आगे बढ़ के घर के अंदर गया और घूम के माँ के सामने खड़ा हो गया.
माँ समझ नहीं पा रही है की में क्या करने जा रहा हु.
कैसे स्वागत करना चाहता हु.
मैं तभी मेरे राईट घुटने को फ्लोर पे टीकाकर, लेफ्ट पैर को फोल्ड करके वहि दरवाजे के सामने बैठ गया.
फिर मेरे राईट हैंड को आगे ले जाकर हथेली की उल्टी साइड को फ्लोर टच करवाके रख दिया और लेफ्ट हैंड को ऊपर माँ के तरफ बढा दिया.
मैं आँखों में प्यार लेकर स्माइल करते हुए उनको देखा.
वह बस उनकी बडी बडी आँखों से एक सरप्राइज्ड लुक लेकर मुझे देखे जा रही है.
मैं कुछ नहीं बोल रहा था.
तभी अचानक माँ की आँखे नम हो गई और वह होठो पे एक प्यार भरी स्माइल लेकर वह बस मुझे ऐसे ही देखे जा रही थी.
धीरे धीरे उनकी आंखे गिली होने लगी और उनके होठ काँपने लगे.
मुझे समझ में आगया की उनके मन में भावनाओं की बारिश शुरु हो गई है.
और बाहर उनकी नज़र और होठो पर काँपती हुई स्माइल मुझे यह बता रही है.
मैं तभी धीरे एक दम प्यार से बोला.

”आओ”
वह उनके राईट हैंड को उठाके उनके होठ के पास ले जाकर होठ के ऊपर रख के उनके ख़ुशी के रोने को छुपा ने की कोशिश करने लगी.
पर मेरी नज़रों से वह चीज़ छुपा नहीं पाई.
मैं एक चौड़ी स्माइल देकर सिचुएशन को सहज करके फिरसे बोला.
“आओ”
तभी माँ ने उसी राईट हैंड को मेरे लेफ्ट हैंड की तरफ बढा दिया और मेरा हाथ पकड़ लिया.
उनके उस स्पर्श में जो प्यार था,
वह में ज़िन्दगी भर नहीं भूल सकता.
मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और माँ तभी उनकी स्लिपर से अपने दोनों पैर निकाल के लेफ्ट पैर को आगे बढा के मेरी राईट हथेली के ऊपर रख दिया.
मैं इस तरह उनके ज़िन्दगी में कभी भी उनके कदमों के नीचे कोई काँटा आने नहीं दूँगा.
हमेशा मेरे प्यार से उनका वह रास्ता गुलाब की पंखुड़ी से भर दूँगा.
यह कसम खाकर उनका घर के अंदर स्वागत किया.
माँ घर के अंदर आते ही में खड़ा हो गया. और उनका हाथ छोड़ दिया.
माँ तभी भी मुझे देखे जा रही है एक अद्भुत प्यार की नज़र से.

मैं उनको इजी फील करवाने के लिए हसकर उनको बोला.

”वेलकम मिसेस मंजु हीतेश पटेल”.

मेरे बोलने के इस ढंग से वह बस उस गिली आँखों से हस पड़ी और अपनी नज़र नीचे झुका ली.
Reply
08-03-2019, 03:00 PM,
#60
RE: Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
अपडेट 60


मैं बस बाहर जाकर सारे लगेज अंदर लाया और डोर बंध कर दिया.
येही है आज से हमारा घर, हमारा संसार.
उनके पति का घर है यह.
माँ मुझे यह सब करते हुए देख रही थी.
वह और कुछ नहीं देख रही है, केवल साइड में खड़े होकर मेरे ऊपर नज़र टिकाके रखे है.

वह भी मेरी इस तरह अदायें देखते हुए मुझे नये तरह से अविस्कार कर रही होगी.
और शायद उसी लिए वह भी थोड़ा आश्चर्यचकित है और मन में एक अद्भुत आनंद की अनुभुति से उनके अंदर भी एक तूफ़ान चल रहा होगा.
मैं उनसे नज़र मिलाकर स्माइल दिया.
और फिर धीरे कदमों में उनके पास गया.
अब हमारी नज़र टीका हुआ है और एक दूसरे को नये तरह से अविस्कार के ख़ुशी से हम दोनों एक दूसरे के प्यार में खो रहे है.
मैं उनके एकदम पास गया.
वह अभी भी उन बड़े बड़े आँखों से प्यार लेकर मुझे बस देखते रहि.
मैं मन में हिम्मत लेकर मेरा हाथ बढाके उनके दोनों कंधे पक़डे.
और उनको मेरी तरफ खिचके मेरी बाँहों में भर लिया.
माँ ने कोई विरोध नहीं कीया और वह भी उनके शरीर को मेरे शरीर के साथ मिलाकर मुझे कसके पकड़ ली.
वह अपने सर को मेरे छाती के ऊपर रख के उनके दोनों हाथ मेरा पीछे ले जाकर मेरी पीठ को पकड़ के रखी है.
मैंने भी मेरे दोनों हाथ उनके पीठ के ऊपर ले जाकर उनको मेरे शरीर के साथ कसके पकड़के रखा है.
हम एक दूसरे की दिल की तेज धड़कनें मेहसुस करने लगे.
हम कुछ वक़्त ऐसे ही एक दूसरे को बाँहों में भरके फील करते रहे और हमारी सांसे तेज होने लगी.
मैं धिरे से उनके कांन के पास मेरे होठ ले जाकर बोला.
“आई लव यु”.

माँ बस मेरी बाँहों में पिघलते पिघलते धीरे धीरे बोलि.

“आई लव यु टू”.

हम एक दूसरे को कसके एक दूसरे के शरीर के साथ मिलाने लगे. मैं उनके नरम बोब्स को मेरे छाती पे मेहसुस करने लगा. और मेरा पेनिस मेरे जीन्स के अंदर धीरे धीरे सख्त होने लगा. हम एक दूसरे की पीठ को धीरे धीरे सेहलाने लगे. मैं तभी फुसफुसाकर उनके कांन में बोला
"अब टाइम आया की नहीं?
माँ ने शर्मा के मेरे छाती में अपना चेहरा छुपाया और फुसफुसाकर कहा.
“कौनसा”?.
मैने मेरे शरीर के हर कोने में उनके शरीर को मेहसुस करते हुए कहा

"तुम हमेशा हर चीज़ के लिए बोलती थी.. टाइम आने दीजिये..टाइम आने दीजिये...अभी भी वह टाइम नहीं आया क्या?

माँ ने इसका कोई जवाब न देकर मुझे बस और कसके पकड़के अपना शर्माया हुआ चेहरा छुपा रही है.
मैं मेरी आवाज़ में बहुत सारा प्यार और पैशन लेकर कहा
"बोलो ना मंजु"
मा कुछ पल कुछ न बोलके ऐसे ही मुझे पकड़के खड़ी रहि.
फिर कुछ पल बाद वह अपना चेहरा मेरे छाती से थोड़ा अलग कीया.
उनके पूरे शरीर में एक हल्का सा कम्पन हो रहा है और में उसको मेहसुस कर पा रहा हु.
मेरे भी अंदर एक तूफ़ान चल रहा है और मेरा पेनिस अब फुलकर एक दम बड़ा होने लगा.
फिर माँ अपना चेहरा धीरे धीरे ऊपर की तरफ करने लगी.
उनकी सांस तेज हो रही है. आँख बंध करके रखी है.
मैं केवल प्यार से उनको देखे जा रहा हु.
मैं भी उत्तेजना के कारन गरम होने लगा.
माँने अपना चेहरा रुक रुक के ऊपर किया.
उनके होठ काँप रहे है.
गुलाबी पतले होठो में प्यार और शर्म लगा हुआ है.
मेरे सवाल का कोई जवाब न देकर वह बस ऐसे अपना चेहरा ऊपर करके उनके होठ मुझे समर्पण करने के लिए खड़ी है.
मेरे छाती में जैसे कोई हज़ारो हथोडे पीट रहा है.
खूंन दौड रहा है और पेनिस में जाकर जमा होकर उसको और सख्त और खड़ा कर दिया.

पूर्ण समर्पित भाव से मेरे सामने खड़ी मेरी माँ,
जो की अब मेरी शादी कि हुई बीवी है,
उनके पीठ में अपने हाथ से उनको प्यार से पकड़ के मेरे होठो को धीरे धीरे उनके होठो की तरफ झुका ने लगा.
माँ आंख मूंद के रखी है, मेरा चेहरा उनके चेहरे के एकदम पास आते ही हम एक दूसरे की गरम सांस एक दूसरे के चेहरे पे मेहसुस करने लगे.
मेरे भी अंदर का कम्पन मुझे और आगे बढ्ने के लिए मजबूर किया और में मेरे होठ को माँ के होठ के ऊपर मिला दिया.
माँ का होठ टच होते ही उनका पूरा बदन एकदम काँप उठा.
मेरे शरीर में लिप्त हुआ , मेरे हाथ में पकडे हुये उनके नरम और हलके शरीर मे मैं वह कम्पन महसुस किया.
मेरे भी अंदर तूफ़ान सा चलने लगा.
मैं मेरा मुह हल्का सा खोला और माँ के दोनों होठो को हलके से एक बार चुस लिया.
मेरे मुह का गिला पण उनके होठ पे टच हुआ और वह भी धीरे से अपना मुह हल्का सा खोलि.
मैं जैसे दोबारा मेरे होठ उनके ऊपर रखे तो हम एक दूसरे के एक एक होठ को अपने अपने होठो के बीच पाया और धीरे धीरे उसको प्यार से हल्का हल्का चुसने लगा .
हम एक दूसरे के होठो को ऐसे चुस रहे है जैसे की हम मख़्खन की बनी हुई कोई चीज़ पे होठ लगाके चुस रहे है
यह ध्यान में रख के की उस मख़्खन की चीज़ का साइज शेप बरक़रार रख के चुसना है.
जोर से चूसूंगा तो वह पूरा पिघलके मुह में आजायेगा नहीं तो डैमेज होकर उनका शेप बिगड जाएगा.
वैसी सावधानी से हम नये नये लवर्स के जैसे एक दूसरे के होठ को धीरे धीरे चुसके हमारे प्यार को जताने लगे.
माँ का हाथ अब मेरी पीठ से धीरे धीरे ऊपर आकर मेरा कन्धा पकड़ी है.
मैं मेरा लेफ्ट हाथ से उनके पीठ के ऊपर सहलाने लगा.
और राईट हाथ से उनकी कमर को पकड़ के हमारा बैलेंस बनाके रखा है.
मैं धीरे धीरे मेरा मुह और खोलकर उनका पूर होठ मेरे मुह में लेने की कोशिश किया और मेरा जीब से उनके होठ चाटने लगा.
वह भी उनका मुह खोल के मुझे सहज कर दे रही है. माँ जिस तरह मेरे होंटो को किस कर रही थी वो पल मेरे लाइफ के बेस्ट पलो में से एक था
किस मतलब बस होंटो से होंट मिला दो , या सक करो , या जोर से दबा लो ऐसा नहीं होता

आज माँ मुझे जो किस कर रही है उसकी कल्पना में सपनो में भी नहीं कर सकता था

सपना तो अपने हाथों में होता है , जैसे चाहो इमेजिन कर सकते हो जैसे चाहे बेस्ट बना सकते हो , फिर भी सपने माँ के किस के सामने कुछ नहीं थे

मै तो स्टेचू बन गया

किस में इतना प्यार हो सकता है कभी सोचा नहीं था

अगर माँ के किस में इतना जादू है तो आगे आगे तो में सच मच स्वर्ग में न चला जाऊ
माँ के अंदर कितना प्यार छुपा है ये आज देखने को मिला

भले इतने सालो बाद उनको ये मोक्का मिला था फिर भी कोही जल्दबाज़ी नहीं थी किस करने में

आभी भी जिस सॉफ्टनेस से किस कर रही थी उस से वो किसी की भी जान ले लेंगी

जांन लेवा किस था

मेरा दिल तो इस किस को फील करने के लिये अपनी आंखे बंद करने को बोल रहा था

माँ के होंट मेरे होंटो पे मक्खन जैसे मूव हो रहे थे हम दोनों जिस तरह किस करने लगे उस से लग रहा था जैसे हम २ जिस्म एक जान हो

हमारी आत्मा आज एक दूसरे को प्यार कर रही है ऐसा लग रहा था

हमारी आत्माओ का मिलन हो रहा था मैंने मेरी जबान एकबार उनके मुह के अंदर डाली.
उनकी जबान से टकराया, फिर माँ ने अपनी जबान मेरे मुह सरकाई मैने उनकी जबान अपने होठो से पकड़ कर चुसना चालू किया
आह क्या स्वाद था जैसे शहद लगा हो
उनकी जबान बहोत देर चुसने के बाद अपनी जबान उनके मुह में डाली अब माँ की बारी थी माँ भी मेरी जबान पुरी तरह मग्न होकर चुसने लगी
फिर मैं अपनी जीभ निकालके उनके ऊपरवाले होठ को चुस्ने लगा.हमरा किस धीरे धीरे गहरा होते जा रहा है.
दोनों के हाथ के संचालन से एकदूसरे को पता चल रहा है की हम कितने उत्तेजित होगये है.
मेरे ज़िन्दगी का पहला किस है. वह भी अपनी माँ यानि की बीवी के साथ. माँ भी १८ साल बाद किसी पुरुष का स्पर्श पाकर धीरे धीरे मेरे बाँहों में पिघलते जा रही है. हमारे शरीर के बीच एक भी गैप नहीं जहाँ थोडी हवा भी रह पा रही.
दोनों का शरीर एक दूसरे से मिल गया.
मेरा पेनिस उनके शरीर में टकराके यह बताने की कोशिश कर रहा है की अब वह ज़ादा वक़्त ऐसे नहीं रहना चाहता है.
वह उनके पसन्दीदा जगह पे जाना चाहता है. माँ भी मेरा मन की चाहत को समझ रही है.
वह अब उनके तन मन उनके बेटे, जो की अब उनका पति है, उनके पास पूरा समर्पण करने के लिए तैयार हो रही है.
अचानक मोबाइल रिंग होने लगा.
हम बस एक दूसरे में खोये हुए थे तो पहले हम सुने नहि.
फिर थोडे टाइम बाद फ़ोन की घंटी हम दोनों को इस दुनिया में वापस लाई
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