Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
11-29-2019, 12:58 PM,
#91
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 90

उन्होंने शर्माकर गर्दन नीचे की और गर्दन हिलाकर अपनी सहमति दी उनकी इस शर्मीली अदा पर मैं मर मिटा अब क्यों देर करना मैं उन्हें हाथ पकड़ कर बेडरूम की और ले चला तो उन्होंने मेरा हाथ खींचकर मुझे रोका मैने सवालिया निगाहोसे उनकी तरफ देखा तो उन्होंने शर्माकर नीची नजरोसे होठो पर मुस्कुराहट लाकर कहा
“आप कुछ भूल तो नही रहे”
मैंने कहा “क्या मेरी जान”
उनके चेहरे पर प्यारी हसि खिल गईं पर कहा कुछ नही मेरी भी कुछ समझ नही आ रहा था कुछ देर सोचने के बाद मेरी समझ मे आया और मेरे होठो पर हसी आगई और मैंने कुछ ना बोलकर करना ठीक समझा मैंने माँ को अपने दोनों हाथों से उठाकर अपनी छाती से लगाकर बेडरूम की और चला माँ की यही इच्छा थी कि मैं उन्हें उठाकर ले चलू उठाने से उनकी स्तन मेरे मुँह के पास आई थी और मैं यह मौका कैसे छोड़ता मैन एक स्तन अपने मुंह मे लि और कपड़े के ऊपर से उसे चुसने लगा माँ के मुँह से फिर सिसकारियां शुरू हो गई उन्हें किस करते करते बेडरूम में पहुंच गये वहा के गर्म माहौल से हम दोनों और ज्यादा गर्म हो गये उन्हें बेड के पास खड़ा करके मैं खुद बेडपर बैठ गया और अपना शर्ट निकाल दिया माँ बहोत शर्मा रही थी मै उन्हें मसलते मसलते उनके गाउन के बटन निकलता रहा ओ गाउन ढीला होकर उनके पैरों में गिर गया गाउन नीचे गिरते ही मैंने उन्हें देखा तो मैं देखता ही रह गया जैसे कोई संगेमरमर में तराशी हुई अजन्ता की मूरत अपनी पूरी शान के साथ मेरे सामने खड़ी हो उनकी दूध सी गोरी बेदाग मखमली त्वचा,जैसे दूध में चुटकीभर केसर मिलाई हो हेल्दी भरा हुआ मांसल बदन, रसीले होंठ, नशीली आँखे,ऐसी जवानी से भरपूरजैसे कोई प्रणय देवता मेरे सामने खड़ी थी उन्हें इस रूप में देखकर मैं तो जैसे पागल हो गया था उनके इस रूप की मैंने कभी कल्पना भी नही की थी रूप और सौंदर्य का थाठे मारता समंदर मेरे सामने खड़ा था उनके पूर्ण गोलाई लिए हुये पुष्ट बेल शेप स्तन काले ब्रा में बहोत खूबसूरत दिख रहे थे सपाट पेट जो हमेशा से मेरी कमजोरी रहा है काली पेन्टी में छुपा हुआ वह खजाना जिसपर न जाने कब से मेरी नजर थी मेरे जैसे मर्द को जैसे वह चैलेंज दे रही थी कुदरत ने उसे सबकुछ भरपूर मात्रा में दे रखा था ऐसा बनाया था कि आप उसे सिर्फ प्यार ही करते रहे ज़िंदगी भर फिर भी मन न भरे मैं उनके सामने खड़े होकर धीरे धीरे उपरसे किस करना चालू किया तो उन्होंने सिसकिया लेना चालू किया वह गरम गरम सांसे छोडने लगी उनके होंठ,गाल,गर्दन करते करते मैं उनके क्लीवेज एरिया चूमना चालू किया दोनो पहाड़ो की चोटिया और गहराइयों में चूमता रहा
ब्रा की ऊपर की खाई में कुछ ज्यादा ही चूमने चाटने लगा तो वह जैसे पागल होकर मेरे सर को पकड़कर अपने छाती पे दबाने लगी फिर मैं बेड पर बैठ कर उन्हें अपनी तरफ खीचकर उनके ब्रा को एक साइड से नीचे से खींचा “वॉव”उनके निप्पल इतने खूबसूरत होंगे यह मैने सपने में भी नही सोचा था डार्क गुलाबी रंग के निप्पल अकड़ कर कठोर हो चुके थे गुलाबी रंगत लिए हुये थोडेसे स्तन के बाहर झुके हुये जैसे चुसने में आसानी हो ऐसा कुदरत ने ही प्लान बनाया आकर में वह थोड़े बड़े ही थे उसपर वह निप्पल बिल्कुल सीधे खड़े थे ब्रा में से उतना ही भाग खुला करके प्यार भरी नजरोसे देखता रहा फिर प्यार से दबाकर हाथ घुमाकर धीरेसे मुँह में लेकर चुसने लगा जैसे उनका दूध पी रहा हु ऐसी आवाज मेरे मुह से आने लगी बीच बीच मे उनके पीठ पर हाथ का दबाव देकर उन्हें अपनी और खींचकर जोर से चुसने लगा अब दोनों भी सेक्स में पूरी तरह खो गये “चुसो मेरे प्रियतम अपनी माँ के स्तन और जोरसे चुसो”ऐसे जरूर माँ अपने मन मे सोच रही होगी.वह पूरी तरह सेक्स में डूब गई थी देखते देखते मैंने पीछे से ब्रा के हुक्स निकाल दिये मेरी नज़र अपनी माँ के स्तन से हट नहीं रही थी . उनकी दूध सी रंगत, उनकी मोटाई, उन पर गहरे गुलाबी रंग का घेरा और डार्क गुलाबी रंग के निप्पल और निप्पल कैसे अकड़े हुए थे . मैंने धडकते दिल के साथ अपना हाथ अपनी माँ के स्तन की और बढ़ाया तो . माँ के दिल की धडकने भी बढ़ने लगी हैं .
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11-29-2019, 12:58 PM,
#92
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अपडेट 91

और वह भरे हुये बेल शेप उन्नत स्तन मेरे सामने खुले हुये उनकी वह जानलेवा थिरकन इतने साल माँ के जिन स्तन को मैं कपड़ो के अंदर देखते आया था आज वह मेरे सामने अपनी पूरी सुंदरता आन बान और शान और घमंड के साथ खड़े थे माँ के चेहरे पे शर्मीली मुस्कुराहट थी वह बहोत शर्मा रही थी अपने हाथों से अपने जानलेवा स्तनोको उन्होंने छुपा लिया मानो पहाड़ो पर बादल आगये हो मैन उनके हाथों पे आपने होंठ रखकर चुम लिया और उनके हाथ हटा दिये और वह दो रसभरे दो कपोत मेरे सामने खुले हुये उन्हें मैं हाथ मे लेकर दबाने लगा देखते देखते उनके निप्पल कड़क हो गये उन्हें एक एक करके मुह में लेकर चुसने लगा उन्हें अपने हाथ का सहारा देकर उन puffy निप्पलको पागलो की तरह चुसने में बहोत मजा आ रहा था वह अपने मुह से सससस आवाज करके मेरे सर को अपने स्तन पर दबा रही थी
“उन्न्न्नग्ग्गह्ह्ह्हह” माँ के गले से घुटी सी आवाज़ निकलती है .

“उफ्फ्फ्फ़....” मैं भी अपनी माँ के स्तन को छूते ही सिसक पड़ता हु . नर्म मुलायम स्तन और सख्त निप्पल से जैसे ही मेरा हाथ टकराता है तो हम दोनों माँ दोनो के बदन में झुरझुरी दौड़ जाती . मेरी एक ऊँगली निप्पल को छेड़ती है, उसे सहलाती है, फिर मैंने पूरी स्तन को अपनी हथेली में भर लिया . कितना नर्म, कितना मुलायम, कितना कोमल एहसास था . मैन स्तन को अपनी हथेली में समेट हल्के से दबाया तो

“उन्न्न्नग्गग्घ्ह्ह.....” माँ फिर से सीत्कार भर उठती है . वह अपना सीना उठाकर अपना स्तन अपने बेटे के हाथ में धकेलती है .

मैं स्तन की भारी कोमलता से हैरान था . वहीँ उसको दबाने से उनकि कठोरता से स्तब्ध रह जाता हु . तने हुए गुलाबी निप्पल को घूरते हुए मैंने अपना चेहरा नीचे लाते ही . माँ मेरे चेहरे को अपनी स्तन पर झुकते देखती है तो एक तीखी सांस लेती है .

“आअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .......” मेरे होंठ जैसे ही माँ के निप्पल को छूते हैं, माँ एक लम्बी सिसकी लेती है .

मैं माँ के निप्पल को चूमने लगता हु . कुछ देर चूमने के बाद मैने अपना चेहरा हटाकर निप्पल को घूरता रहा और फिर से अपना चेहरा स्तन पर झुका दिया. इस बार मेरी जिव्हा बाहर आती है और माँ के निप्पल को चाटती है .

“आआह्ह्ह्ह...........उन्न्नन्न्गग्ग्गह्ह्ह्हह ...” माँ का बदन तेज़ झटका खाता है . जिस तरह मेरी खुरदरी जीभ ने माँ को सिसकने पर मजबूर कर दिया अपने बेटे के जीभ के प्रहार से वो सिसकने पर मजबूर थी . मैं निप्पल को चाटता जा रहा था . निप्पल चाटते हुए उनके निप्पल को अपने होंठो में दबोच कर उसे बच्चे की तरह चुसना शुरु कर दिया है . माँ ने अपना सीना ऊपर उठाकर बेटे के मुंह में स्तन धकेल रही थी . उनके मुंह से फूटने वाली सिसकियाँ और भी तेज़ और गहरी हो गई जब मैंने एक स्तन को चूसते हुए, दुसरे पर अपना हाथ रख दिया और उसे हल्के हल्के दबाने लगा, सहलाने लगा, उनके निप्पल को अंगूठे और ऊँगली के बीच लेकर मसलने लगा .

निप्पल चूसते चूसते मैं उसे धीरे धीरे दांतों से हल्का हल्का सा काट भी रहा था . जब भी मेरे दांत निप्पल को भींचते, माँ सर को जोर से झटकती . माँ मेरे सर पर हाथ रख देती है और मुझसे स्तन चुसवाते हुए मेरे बालों में उँगलियाँ फेरने लगती है . मैं उत्साहित होकर और भी जोर जोर से स्तन को चूसता हु . कभी कभी मैं पूरी स्तन को मुंह में भरने की कोशिश कर रहा हु जिसमे स्पष्ट तौर पर मैं सफल नहीं हो सकता था क्योंकि माँ की मोटी स्तन मेरे मुंह में पूरे समाने से तो रहे .

“दुसरे को भी...दुसरे को भी चुसिये ....” माँ मेरा मुंह अपने एक स्तन से हटाकर दुसरे की तरफ ले जाती है और मैं झट से उनके निप्पल को होंठो में भरकर चुसना शुरु कर देता हु . उनका हाथ मेरे बालो को सहलाने लगता है .

“उन्न्नन्न्गग्ग्गह्ह्ह्हह ... आआह्ह्ह्ह...........” माँ की सिसकियाँ कुछ ज्यादा ही ऊँची हो रही थी . मैं कुछ ज्यादा ही जोर से निप्पल को चूस रहा था . माँ मेरे सर को अपन स्तन पर दबा रही थी . मैं अपनी माँ के स्तन से मुंह हटाता हु और दोनों स्तन को उनकी जड़ से दोनों हाथों में भर लेता हु . इससे उनके निप्पल और स्तन का ऊपरी हिस्सा उभर कर सामने आ जाता है .मैं फिर से मुंह नीचे करके अपनी माँ के स्तन को चूसने लगता हु . मगर इस बार थोडा सा चूसने के बाद मैंने अपना मुंह उठाकर दुसरे स्तन पर ले गया. हाथ से स्तन को दबाते हुए मैंने बदल बदल कर स्तन को चूसने लगा .
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11-29-2019, 12:58 PM,
#93
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 93

“मेरी....जान....ऊऊफ़्फ़्फ़...आप क्या कर रहे है ओह.”
माँ सेक्स में पूरी तरह डूब चुकी थी पूरे बीस साल बाद उन्हें वह लज्जत मिल रहि थि जो वह लगभग भूल चुकी थी
आज इतने सालों बाद वही प्यार वह फिर से पा रही थी जो उनके नसीब में बहुत कम समय के लिए लिखा था
वह अपने आप को बहुत भाग्यशाली मान रही थी वह फिरसे ना सिर्फ सुहागन बनी थी
उन्हें पति भी बहोत खूबसूरत मिला था जो न सिर्फ उन्हें सबसे ज्याद प्यार करता है उनकी केअर भी करता है
वह उन्हें सारी जिंदगी प्यार करता रहेगा
एक बीवी की तरह ही नही एक माँ की तरह भी
मेरे सर पर उत्तेजना का भूत सवार था .
मैं दोनों स्तन को बारी बारी से चूस रहा था,
चाट रहा था, अपनी जीभ की नोंक से चुभला रहा था .
मेरा मुंह अब दोनों स्तन के बीच की घाटी में घूमने लगा .
मैं स्तन के बीच की घाटी को चूमता, चाटता, अपना मुंह धीरे धीरे नीचे ले जाने लगा .
स्तन से होकर नीचे की और जाते हुए मेरा मुह उनके गोरे पेट पर घुमने लगा . मेरी जिव्हा माँ के पूरे पेट पर घुमती उसे चाट रही थी .
मेरे होंठ अपनी माँ के दुधिया पेट के हर हिस्से को चूम रहे थे .
हर बीतते लम्हे के साथ माँ की आहें ऊँची होती जा रही थीं .
जिस्म की आग उसे जला रही थी और उनका बेटा था जो उस आग को बुझाने की बजाए उसमें तेल डालकर उसे और तेज़ भड़का रहा था.मेरी जिव्हा अब माँ की नाभि तक पहुँच गई थी .
मैंने जिव्हा को नाभि के आखरी छल्ले पर घुमाया. नाभि के दस बारह चक्कर काटने के बाद मैने अपनी जिव्हा नाभि में घुसा दी और मेरे होंठ नाभि के ऊपर जम जाते हैं .
मैं नाभि में जीभ घुमाता उसे चाटता और चूसता रहा .
माँ कमर को कमान की तरह तान रही थी . कमरे में बस उनकि सिसकियों और मेरी भारी साँसों की आवाज़ आ रही थी .
मैने पेट पर होंठ सटाए अपना मुंह नाभि से नीचे, और नीचे, और नीचे लाता गया और मेरा मुंह माँ की काली पेन्टी की इलास्टिक को छूता है .
माँ का बदन कांपने लगता है .
उनके बेटे के होंठ उनकि योनि से मात्र कुछ इंच की दूरी पर थे .
मैंने पहले अपनी जिव्हा कच्छी की इलास्टिक में घुसाई और उसे माँ की कमर पर एक सीरे से दुसरे तक इलास्टिक में घुसाए रगड़ी .
फिर मैंने अपना चेहरा हटा लिया और माँ के स्तन पर से भी हाथ हटा लिया
माँ के स्तन की दुधिया रंगत मैंने ने स्तन को चूस, चुम्म, चाट, मसलकर गहरे लाल रंग में तब्दील कर दी थी .
मगर मेरा ध्यान अब अपनी माँ के स्तन की और नहीं था .
मेरी नज़र माँ की भीगी काली कच्छी में से झांकती उनकि योनि पर था .
मेरी हरकतों से माँ इतनी गर्म हो चुकी थी कि उनकि योनि ने पानी बहा बहाकर सामने से पूरी पेन्टी गीली कर दी थी .
मुझे अपनी योनि घूरते पाकर माँ की बैचेनी और भी बढ़ गई थी जिनसे भीगी पेन्टी इस प्रकार चिपक गई थी कि माँ की योनि के साथ साथ उनके बीच की हल्की सी दरार भी साफ़ नज़र आ रही थी .
माँ बहुत बेताबी से मेरे आगे बढ़ने का इंतज़ार कर रही थी .
उस पर एक एक पल अब भारी गुज़र रहा था .
मैंने अपनी माँ के बदन में छाये तनाव से उनकि बेताबी को भांप लिया .
मैंने अपना चेहरा नीचे लाया .
माँ गहरी और तीखी सांस लेती है .
मैं तब तक चेहरा नीचे करता रहा जब तक मेरा चेहरा लगभग अपनी माँ की योनि को छूने नहीं लग जाता .
मैं अपनी माँ की योनि से आती खुशबू को सूंघ सकता था .
मैने योनि से नाक सटाकर गहरी सांस अन्दर खींची जैसे योनि को सूंघ रहा हु .
मैने शादी से पहले इंटरनेट पर सेक्स के विषय मे जितना पढ़ा हु वह सब अब आजमा रहा हु की किसी भी औरत को सेक्स के टाइम क्या क्या अच्छा लगता है
कोई भी औरत हो उसे सीधे चुदाई पसंद नही होती वह चुदाई से पहले अपने साथी के साथ फोरप्ले करना चाहती है
फिर वह जवान लड़की हो या कोई भी बड़े उम्र की लेडी सब चाहती है उनका साथी उसे प्यार से धीरे धीरे आखरी मंजिल तक ले जाये मैं वही सब ज्ञान अपनी माँ कम बीवी पर आजमा रहा हु
नजाने मुझे भी अब सब कुछ अच्छा लग रहा है प्राइवेट पार्ट को चाटना चुसना सूंघना मेरी जिस तरह से परवरिश की गई थी जिस माहौल में मैं पढ़ा लिखा था बडा हुआ था उस परिवेश में मैं इस तरह के सेक्स के बारे में सोच ही नही पाता
पर जब माँ और मेरी शादी फिक्स हुई तब मुझे सेक्स के बारे में जानना जरूरी हो गया तब मैंने इंटरनेट पर राजशर्मा की बहोत सी माँ बेटे की सेक्सी स्टोरीस पढ़ी
बहोत सारी पोर्न मूवीस देखी जिनमे ज्यादातर बड़ी उम्र की औरतों की मूवीज देखता ताकि मैं भी समझ सकू की उन्हें किस तरह संतुष्ट किया जाता है आज उसीका परिणाम है
कि मैं अपनी माँ के साथ वह सब कर रहा हु जो मैंने इंटरनेट से जाना था और अब मुझे वह सब अच्छा भी लगने लगा
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11-29-2019, 12:59 PM,
#94
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अपडेट 94

“उन्न्न्नग्ग्गह्ह्ह्हह्ह .....” माँ कराह उठती है .
योनि की खुशबू में बसी मादकता और कामुकता से मेरा अंग अंग उत्तेजना से भर उठता है
अपना चेहरा झुकाकर अपने होंठ अपनी माँ की योनि पर लगा देता हु .

“हाएएएएएएएएएएह्ह्ह्ह ...ओह्ह्ह्हह्ह.......”
माँ के पूरे बदन में झुरझुरी दौड़ जाती है
मेरी उंगलियों को माँ की योनि के आसपास गीलापन गरमाहट महसूस होती है “ओह माय गॉड”
मैं अपनी माँ की योनि को छू रहा था अपनी माँ की योनि यह वही जगह है जहासे मैं इस दुनिया मे आया मेरी जन्मस्थली.
वह अभी भी काली पेन्टी में थी छोटी सी नाजुक कोमल उनकी पेन्टी में उंगलिया डालकर एक साइड से बाजू करके उनकी योनि पर उंगली से टच किया वॉव क्या योनि थी स्मॉल लिप्स अंदर की ओर, छोटी सी लाइन नीचे से ऊपर गई हुई माँ बहोत गोरी होने की वजह से उनकी योनि पिंकिस थि
एकदम सफाचट योनि की खुशबू में बसी मादकता और कामुकता से अंग अंग उत्तेजना से भर उठता है
और मैं अपना चेहरा झुकाकर अपने होंठ अपनी माँ के योनि पर लगा देता हु .

“हाएएएएएएएएएएह्ह्ह्ह ...ओह्ह्ह्हह्ह.......”
माँ के पूरे बदन में झुरझुरी दौड़ जाती है .आअह्ह्ह्ह..........”
माँ नंगी योनि पर बेटे की जीभ से सिहर उठती है .
मैं कई बार अपनी जिव्हा को लकीर पर ऊपर से निचे और निचे से ऊपर फेरता हु और फिर अपनी जिव्हा दरार में घुसा देता हु और घुसाए हुए उसे फिर से ऊपर से निचे और निचे से ऊपर फेरने लगता हु .
“हितेश यह क्या कर रहे है क्या वहा ऐसा भी किया जाता है कितनी गंदी जगह होती है फिर भी वह जबान लगा रहे है
पर अच्छा भी लग रहा है ऐसा सुख जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नही की थी वह सुख मेरा बेटा जो अब मेरे पति है मुझे दे रहे है”
माँ से बर्दाश्त नहीं हुआ और वो चीखने लग जाती है .
माँ अपने सर पर हाथों का दवाब देकर खुद को कण्ट्रोल करने की कोशिश करती है .

मैं अपनी माँ की प्रतिकिर्या से खुश और उत्साहित होकर अपना मुंह अपनी माँ की योनि पर दबाकर .
मेरे होंठ योनि के होंठो पर दबाकर योनि के अन्दर गहराई तक जीभ घुमाने लगा .

“आआअह्ह्ह्हहए ......आआअह्ह्ह्ह....”
माँ ने ऐसा एहसास ज़िन्दगी में पहले कभी नहीं किया था .
मैं जितनी गहराई तक जीभ घुसा सकता था, घुसा रहा था और योनि को जीभ से चाट रहा था .
अपने होंठो से वो योनि से बहकर आने वाले रस को लगातार चाटता जा रहा हु .
उधर माँ से योनि की नर्म और कोमल त्वचा पर मेरी जीभ की रगड़ बर्दाश्त नहीं हो रही थी .
योनि को जीभ से चाटते चाटते मैंने अपनी माँ के घुटने पकड़ उनकि टांगें पूरी चौड़ी कर दी है . अब योनि थोड़ी खुल गई थी .
मेरी नजर के सामने योनि का क्लिट थरथरा रहा था .
मैं अपने होंठ योनि के अन्दर तक घुसाते हुए योनि को चूसने चाटने की कोशिश कर रहा था .

माँ बेड की चादर को मुट्ठियों में भर चीख चिल्ला रही थी .
योनि को अन्दर तक जिव्हा से चूस चूस कर, चाट चाटकर मैं अपना ध्यान सामने छोटे से योनि के दाने की और करता हु और झट से उसे अपने होंठो में दबोच लेता हु .
उस पर अपनी जीभ रगड़ने लगता हु .

“....नहीईई..नहीईईईईईईईईईईईईईईइ...आपआअह्ह्ह्ह.....उफफ्फ्फ्फ़.......
आआआअह्हह्हह्ह...” माँ का पूरा बदन कांपने लगा . उनका पूरा बदन झटके मार रहा था . मैं अपनी माँ की हालत देखकर और जोश में आ गया था . उनके दाने को अपने होंठो में दबा जोर जोर से चुसना शुरु कर दिया .

“आआअह्ह्ह्ह..... नहीईईईईईईईईईईईईईईइ...प्ली.....ज....उफ्फ्फ्फ़...मेरा....”
माँ दायें बाएं जोरो से सर पटकने लगी . उनके बदन में तेज़ कम्कम्पी होने लगी . वो अपने हिप्स हवा में उठाकर अपनी योनि मेरे होंठो पर दबा देती है और अपने हाथ अपने स्तन पर रखकर खुद ही अपने स्तन मसलने लगती है
मैं अपनी माँ का यह रूप पहली बार देख रहा था वह जीसतरह उत्तेजित होकर जो कर रही थी

मुझ को नहीं मालूम था मेरी माँ को क्या हो रहा था मगर मैं इतना ज़रूर जानता था कि उनकि इस हालत का दोषी मैं खुद हु
और मैं यह भी जान चूका हु कि माँ के जिस्म का सबसे संवेदनशील बिंदु जो उसे तडपने पर मजबूर कर सकता था वही योनि के ऊपर की और वो क्लिट था जिसे मैं जिव्हा से सहला रहा था .
जब भी मेरी जिव्हा दाने से टकराती थी मेरी माँ खुद पर पूरा नियंत्रण खो देती थी .
इसीलिए मैंने पूरे मुंह का दवाब उनकी योनि के दाने पर केन्द्रित कर दिया . उसे जीभ से सहलाते, दबाते, रगड़ते मैं उसे होंठो में भरकर चूसता रहा . अचानक माँ के बदन में तनाव भरने लगा .
वो अपनी कमर को कमान की तरह तान लेती है और अपनी टांगें मेरी गर्दन पर लपेट देती है .
वो जोर जोर से सर पटक रही थी .
मैं अपनी माँ की योनि में संकुचन को देख रहा था .
मैं एक पल के लिए भी नहीं रुका और ना ही मैंने अपने होंठो और जीभ का दवाब कम किया .
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11-29-2019, 12:59 PM,
#95
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“उन्न्न्नग्ग्गह्ह्ह्हह्ह .....” माँ कराह उठती है . योनि की खुशबू में बसी मादकता और कामुकता से मेरा अंग अंग उत्तेजना से भर उठता है अपना चेहरा झुकाकर अपने होंठ अपनी माँ की योनि पर लगा देता हु .

“हाएएएएएएएएएएह्ह्ह्ह ...ओह्ह्ह्हह्ह.......” माँ के पूरे बदन में झुरझुरी दौड़ जाती है .
मेरी उंगलियों को माँ की योनि के आसपास गीलापन गरमाहट महसूस होती है “ओह माय गॉड”
मैं अपनी माँ की योनि को छू रहा था अपनी माँ की योनि यह वही जगह है जहासे मैं इस दुनिया मे आया मेरी जन्मस्थली.
वह अभी भी काली पेन्टी में थी छोटी सी नाजुक कोमल उनकी पेन्टी में उंगलिया डालकर एक साइड से बाजू करके उनकी योनि पर उंगली से टच किया वॉव क्या योनि थी स्मॉल लिप्स अंदर की ओर,
छोटी सी लाइन नीचे से ऊपर गई हुई माँ बहोत गोरी होने की वजह से उनकी योनि पिंकिस थि एकदम सफाचट योनि की खुशबू में बसी मादकता और कामुकता से अंग अंग उत्तेजना से भर उठता है
और मैं अपना चेहरा झुकाकर अपने होंठ अपनी माँ के योनि पर लगा देता हु .

“हाएएएएएएएएएएह्ह्ह्ह ...ओह्ह्ह्हह्ह.......”
माँ के पूरे बदन में झुरझुरी दौड़ जाती है .
आअह्ह्ह्ह..........” माँ नंगी योनि पर बेटे की जीभ से सिहर उठती है .
मैं कई बार अपनी जिव्हा को लकीर पर ऊपर से निचे और निचे से ऊपर फेरता हु और फिर अपनी जिव्हा दरार में घुसा देता हु और घुसाए हुए उसे फिर से ऊपर से निचे और निचे से ऊपर फेरने लगता हु .
“हितेश यह क्या कर रहे है क्या वहा ऐसा भी किया जाता है कितनी गंदी जगह होती है फिर भी वह जबान लगा रहे है पर अच्छा भी लग रहा है ऐसा सुख जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नही की थी वह सुख मेरा बेटा जो अब मेरे पति है मुझे दे रहे है”

माँ से बर्दाश्त नहीं हुआ और वो चीखने लग जाती है .
माँ अपने सर पर हाथों का दवाब देकर खुद को कण्ट्रोल करने की कोशिश करती है .

मैं अपनी माँ की प्रतिकिर्या से खुश और उत्साहित होकर अपना मुंह अपनी माँ की योनि पर दबाकर .
मेरे होंठ योनि के होंठो पर दबाकर योनि के अन्दर गहराई तक जीभ घुमाने लगा .

“आआअह्ह्ह्हहए ......आआअह्ह्ह्ह....” माँ ने ऐसा एहसास ज़िन्दगी में पहले कभी नहीं किया था .
मैं जितनी गहराई तक जीभ घुसा सकता था, घुसा रहा था और योनि को जीभ से चाट रहा था .
अपने होंठो से वो योनि से बहकर आने वाले रस को लगातार चाटता जा रहा हु . उधर माँ से योनि की नर्म और कोमल त्वचा पर मेरी जीभ की रगड़ बर्दाश्त नहीं हो रही थी .
योनि को जीभ से चाटते चाटते मैंने अपनी माँ के घुटने पकड़ उनकि टांगें पूरी चौड़ी कर दी है .
अब योनि थोड़ी खुल गई थी . मेरी नजर के सामने योनि का क्लिट थरथरा रहा था . मैं अपने होंठ योनि के अन्दर तक घुसाते हुए योनि को चूसने चाटने की कोशिश कर रहा था .

माँ बेड की चादर को मुट्ठियों में भर चीख चिल्ला रही थी .
योनि को अन्दर तक जिव्हा से चूस चूस कर,
चाट चाटकर मैं अपना ध्यान सामने छोटे से योनि के दाने की और करता हु और झट से उसे अपने होंठो में दबोच लेता हु .
उस पर अपनी जीभ रगड़ने लगता हु .

“....नहीईई..नहीईईईईईईईईईईईईईईइ...आपआअह्ह्ह्ह.....उफफ्फ्फ्फ़.......आआआअह्हह्हह्ह...”
माँ का पूरा बदन कांपने लगा .
उनका पूरा बदन झटके मार रहा था .
मैं अपनी माँ की हालत देखकर और जोश में आ गया था .
उनके दाने को अपने होंठो में दबा जोर जोर से चुसना शुरु कर दिया .
“आआअह्ह्ह्ह..... नहीईईईईईईईईईईईईईईइ...प्ली.....ज....उफ्फ्फ्फ़...मेरा....”
माँ दायें बाएं जोरो से सर पटकने लगी .
उनके बदन में तेज़ कम्कम्पी होने लगी .
वो अपने हिप्स हवा में उठाकर अपनी योनि मेरे होंठो पर दबा देती है और अपने हाथ अपने स्तन पर रखकर खुद ही अपने स्तन मसलने लगती है .
मैं अपनी माँ का यह रूप पहली बार देख रहा था वह जीसतरह उत्तेजित होकर जो कर रही थी

मुझ को नहीं मालूम था मेरी माँ को क्या हो रहा था मगर मैं इतना ज़रूर जानता था कि उनकि इस हालत का दोषी मैं खुद हु और मैं यह भी जान चूका हु कि माँ के जिस्म का सबसे संवेदनशील बिंदु जो उसे तडपने पर मजबूर कर सकता था वही योनि के ऊपर की और वो क्लिट था जिसे मैं जिव्हा से सहला रहा था .
जब भी मेरी जिव्हा दाने से टकराती थी मेरी माँ खुद पर पूरा नियंत्रण खो देती थी .
इसीलिए मैंने पूरे मुंह का दवाब उनकी योनि के दाने पर केन्द्रित कर दिया .
उसे जीभ से सहलाते,
दबाते, रगड़ते मैं उसे होंठो में भरकर चूसता रहा .
अचानक माँ के बदन में तनाव भरने लगा .
वो अपनी कमर को कमान की तरह तान लेती है और अपनी टांगें मेरी गर्दन पर लपेट देती है .
वो जोर जोर से सर पटक रही थी .
मैं अपनी माँ की योनि में संकुचन को देख रहा था .
मैं एक पल के लिए भी नहीं रुका और ना ही मैंने अपने होंठो और जीभ का दवाब कम किया .

“..उन्न्ग्गग्घ्ह ........ऊह्ह्हह्ह....” अचानक माँ की योनि रस उगलने लगती है . माँ की देह और भी तेज़ झटके खाने लगती है .
मैं योनि से बाहर आ रहे रस को चुसना चालू कर देता हु .
मैंने उनकी पूरी योनि को अपने मुंह में भर लिया और उसे चूसता रहा .
अब जाकर मुझे समझ आया कि माँ झड रही थी .
मैंने अपनी माँ की योनि को चाट चाट कर झाड दिया था .
ओह आह.......एएएएए.........हाएएएए....भगवान......आअह्ह्ह्ह....”
माँ की योनि लगातार रस बहाए जा रही थी और मैं उसे पीता जा रहा था .
मैं एक बूँद भी जाया नहीं होने देना चाहता था .
माँ के बदन के झटके अब कम होते जा रहे थे .
उनके मुख से निकलने वाली सिसकियों की तीव्रता अब कम पड़ने लगी थी . उनके जिस्म की ऐंठन कम होने लगी थी और उनकी कमर वापिस बेड पर लौट आई थी .
माँ के हाथ अपने स्तन पर ढीले पड चुके थे और उनकी जांघें अपने बेटे की गर्दन पर ढीली हो चुकी थी .

“आह सीसीसी...”
माँ के मुख से धीमी धीमी सिसकियाँ अभी भी फूट रही थी .
एक बार जब माँ शान्त पड गई और उसने अपना जिस्म पूरी तरह ढीला छोड़ दिया तो मैंने ने अपनी माँ के नितंबों के निचे हाथ डालकर उसे ऊपर को उठाया ताकि उनकि योनि उभरकर मेरे सामने आ जाये और मैं उसे अच्छी तरह चाट चाट कर साफ़ करने लगता हु .
योनि के अंदरूनी हिस्से को साफ करके मैने उनके बाहर चाटने चूसने लगता हु
अपनी माँ की योनि को अच्छी तरह चाट चाट कर साफ़ करने के बाद मैं उनकि गोरी जांघें चूमने लगा .

“....ओह्ह्ह्हह...ओह....” माँ के होंठ धीरे धीरे बुदबुदा रहे थे .
जाँघों को अच्छी तरह चूमने के पश्चात मैं माँ की कमर को चुमते हुये ऊपर की ओर जाने लगा .
जिस तरह मैं उनके पेट को चुमते हुए निचे आया था .
अब ठीक बिलकुल वैसे ही वापिस ऊपर की तरफ जा रहा हु .
नाभि से सीधा ऊपर की और जाते हुए मैं जल्द ही वापिस अपनी माँ के स्तन पर पहुँच गया .
यहाँ पर अभी भी माँ के हाथ थे .
मेरा चेहरा जैसे ही माँ के स्तन के ऊपर रखे हाथों से टकराता है तो वो अपने हाथ हटा लेती है और मुझे अपने स्तन चूमने देती है .
मैं फिर से माँ के निप्पल बदल बदल कर चूस रहा था .
माँ मेरे बालों में उँगलियाँ घुमा रही थी .
उस जबरदस्त सख्लन के पश्चात बिलकुल सुस्त पड चुकी माँ अब अपने जिस्म में कुछ हरकत महसूस कर रही थी .
तकरीबन बिस सालो के बाद माँ ने यह परम संतुष्टी प्राप्त की थी इतना मजा माँ को पहली बार मिल रहा था इस आनंद को तो वह भूल ही चुकी थी मगर इतने सालों बाद उनके बेटे ने जो अब उनका पति भी है उसने यह सुख उसे दिया.
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11-29-2019, 01:00 PM,
#96
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 94

“उन्न्न्नग्ग्गह्ह्ह्हह्ह .....” माँ कराह उठती है . योनि की खुशबू में बसी मादकता और कामुकता से मेरा अंग अंग उत्तेजना से भर उठता है अपना चेहरा झुकाकर अपने होंठ अपनी माँ की योनि पर लगा देता हु .

“हाएएएएएएएएएएह्ह्ह्ह ...ओह्ह्ह्हह्ह.......” माँ के पूरे बदन में झुरझुरी दौड़ जाती है .
मेरी उंगलियों को माँ की योनि के आसपास गीलापन गरमाहट महसूस होती है “ओह माय गॉड” मैं अपनी माँ की योनि को छू रहा था अपनी माँ की योनि यह वही जगह है जहासे मैं इस दुनिया मे आया मेरी जन्मस्थली.
वह अभी भी काली पेन्टी में थी छोटी सी नाजुक कोमल उनकी पेन्टी में उंगलिया डालकर एक साइड से बाजू करके उनकी योनि पर उंगली से टच किया वॉव क्या योनि थी स्मॉल लिप्स अंदर की ओर, छोटी सी लाइन नीचे से ऊपर गई हुई माँ बहोत गोरी होने की वजह से उनकी योनि पिंकिस थि एकदम सफाचट योनि की खुशबू में बसी मादकता और कामुकता से अंग अंग उत्तेजना से भर उठता है और मैं अपना चेहरा झुकाकर अपने होंठ अपनी माँ के योनि पर लगा देता हु .

“हाएएएएएएएएएएह्ह्ह्ह ...ओह्ह्ह्हह्ह.......” माँ के पूरे बदन में झुरझुरी दौड़ जाती है .आअह्ह्ह्ह..........” माँ नंगी योनि पर बेटे की जीभ से सिहर उठती है . मैं कई बार अपनी जिव्हा को लकीर पर ऊपर से निचे और निचे से ऊपर फेरता हु और फिर अपनी जिव्हा दरार में घुसा देता हु और घुसाए हुए उसे फिर से ऊपर से निचे और निचे से ऊपर फेरने लगता हु .
“हितेश यह क्या कर रहे है क्या वहा ऐसा भी किया जाता है कितनी गंदी जगह होती है फिर भी वह जबान लगा रहे है पर अच्छा भी लग रहा है ऐसा सुख जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नही की थी वह सुख मेरा बेटा जो अब मेरे पति है मुझे दे रहे है”
माँ से बर्दाश्त नहीं हुआ और वो चीखने लग जाती है .
माँ अपने सर पर हाथों का दवाब देकर खुद को कण्ट्रोल करने की कोशिश करती है .

मैं अपनी माँ की प्रतिकिर्या से खुश और उत्साहित होकर अपना मुंह अपनी माँ की योनि पर दबाकर .
मेरे होंठ योनि के होंठो पर दबाकर योनि के अन्दर गहराई तक जीभ घुमाने लगा .

“आआअह्ह्ह्हहए ......आआअह्ह्ह्ह....” माँ ने ऐसा एहसास ज़िन्दगी में पहले कभी नहीं किया था . मैं जितनी गहराई तक जीभ घुसा सकता था, घुसा रहा था और योनि को जीभ से चाट रहा था .
अपने होंठो से वो योनि से बहकर आने वाले रस को लगातार चाटता जा रहा हु
उधर माँ से योनि की नर्म और कोमल त्वचा पर मेरी जीभ की रगड़ बर्दाश्त नहीं हो रही थी .
योनि को जीभ से चाटते चाटते मैंने अपनी माँ के घुटने पकड़ उनकि टांगें पूरी चौड़ी कर दी है . अब योनि थोड़ी खुल गई थी . मेरी नजर के सामने योनि का क्लिट थरथरा रहा था . मैं अपने होंठ योनि के अन्दर तक घुसाते हुए योनि को चूसने चाटने की कोशिश कर रहा था .

माँ बेड की चादर को मुट्ठियों में भर चीख चिल्ला रही थी .
योनि को अन्दर तक जिव्हा से चूस चूस कर, चाट चाटकर मैं अपना ध्यान सामने छोटे से योनि के दाने की और करता हु और झट से उसे अपने होंठो में दबोच लेता हु . उस पर अपनी जीभ रगड़ने लगता हु .

“....नहीईई..नहीईईईईईईईईईईईईईईइ...आपआअह्ह्ह्ह.....उफफ्फ्फ्फ़.......आआआअह्हह्हह्ह...” माँ का पूरा बदन कांपने लगा .
उनका पूरा बदन झटके मार रहा था . मैं अपनी माँ की हालत देखकर और जोश में आ गया था . उनके दाने को अपने होंठो में दबा जोर जोर से चुसना शुरु कर दिया .

“आआअह्ह्ह्ह..... नहीईईईईईईईईईईईईईईइ...प्ली.....ज....उफ्फ्फ्फ़...मेरा....” माँ दायें बाएं जोरो से सर पटकने लगी . उनके बदन में तेज़ कम्कम्पी होने लगी . वो अपने हिप्स हवा में उठाकर अपनी योनि मेरे होंठो पर दबा देती है और अपने हाथ अपने स्तन पर रखकर खुद ही अपने स्तन मसलने लगती है .
मैं अपनी माँ का यह रूप पहली बार देख रहा था वह जीसतरह उत्तेजित होकर जो कर रही थी

मुझ को नहीं मालूम था मेरी माँ को क्या हो रहा था मगर मैं इतना ज़रूर जानता था कि उनकि इस हालत का दोषी मैं खुद हु और मैं यह भी जान चूका हु कि माँ के जिस्म का सबसे संवेदनशील बिंदु जो उसे तडपने पर मजबूर कर सकता था वही योनि के ऊपर की और वो क्लिट था जिसे मैं जिव्हा से सहला रहा था . जब भी मेरी जिव्हा दाने से टकराती थी मेरी माँ खुद पर पूरा नियंत्रण खो देती थी . इसीलिए मैंने पूरे मुंह का दवाब उनकी योनि के दाने पर केन्द्रित कर दिया . उसे जीभ से सहलाते, दबाते, रगड़ते मैं उसे होंठो में भरकर चूसता रहा . अचानक माँ के बदन में तनाव भरने लगा .
वो अपनी कमर को कमान की तरह तान लेती है और अपनी टांगें मेरी गर्दन पर लपेट देती है . वो जोर जोर से सर पटक रही थी . मैं अपनी माँ की योनि में संकुचन को देख रहा था . मैं एक पल के लिए भी नहीं रुका और ना ही मैंने अपने होंठो और जीभ का दवाब कम किया .
“..उन्न्ग्गग्घ्ह ........ऊह्ह्हह्ह....” अचानक माँ की योनि रस उगलने लगती है . माँ की देह और भी तेज़ झटके खाने लगती है .
मैं योनि से बाहर आ रहे रस को चुसना चालू कर देता हु .
मैंने उनकी पूरी योनि को अपने मुंह में भर लिया और उसे चूसता रहा .
अब जाकर मुझे समझ आया कि माँ झड रही थी .
मैंने अपनी माँ की योनि को चाट चाट कर झाड दिया था .
.ओह आह.......एएएएए.........हाएएएए....भगवान......आअह्ह्ह्ह....” माँ की योनि लगातार रस बहाए जा रही थी और मैं उसे पीता जा रहा था .
मैं एक बूँद भी जाया नहीं होने देना चाहता था .
माँ के बदन के झटके अब कम होते जा रहे थे .
उनके मुख से निकलने वाली सिसकियों की तीव्रता अब कम पड़ने लगी थी . उनके जिस्म की ऐंठन कम होने लगी थी और उनकी कमर वापिस बेड पर लौट आई थी .
माँ के हाथ अपने स्तन पर ढीले पड चुके थे और उनकी जांघें अपने बेटे की गर्दन पर ढीली हो चुकी थी .

“आह सीसीसी...” माँ के मुख से धीमी धीमी सिसकियाँ अभी भी फूट रही थी . एक बार जब माँ शान्त पड गई और उसने अपना जिस्म पूरी तरह ढीला छोड़ दिया तो मैंने ने अपनी माँ के नितंबों के निचे हाथ डालकर उसे ऊपर को उठाया ताकि उनकि योनि उभरकर मेरे सामने आ जाये और मैं उसे अच्छी तरह चाट चाट कर साफ़ करने लगता हु .
योनि के अंदरूनी हिस्से को साफ करके मैने उनके बाहर चाटने चूसने लगता हु
अपनी माँ की योनि को अच्छी तरह चाट चाट कर साफ़ करने के बाद मैं उनकि गोरी जांघें चूमने लगा .
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11-29-2019, 01:00 PM,
#97
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 95

“....ओह्ह्ह्हह...ओह....” माँ के होंठ धीरे धीरे बुदबुदा रहे थे . जाँघों को अच्छी तरह चूमने के पश्चात मैं माँ की कमर को चुमते हुये ऊपर की ओर जाने लगा . जिस तरह मैं उनके पेट को चुमते हुए निचे आया था . अब ठीक बिलकुल वैसे ही वापिस ऊपर की तरफ जा रहा हु . नाभि से सीधा ऊपर की और जाते हुए मैं जल्द ही वापिस अपनी माँ के स्तन पर पहुँच गया . यहाँ पर अभी भी माँ के हाथ थे . मेरा चेहरा जैसे ही माँ के स्तन के ऊपर रखे हाथों से टकराता है तो वो अपने हाथ हटा लेती है और मुझे अपने स्तन चूमने देती है . मैं फिर से माँ के निप्पल बदल बदल कर चूस रहा था . माँ मेरे बालों में उँगलियाँ घुमा रही थी . उस जबरदस्त सख्लन के पश्चात बिलकुल सुस्त पड चुकी माँ अब अपने जिस्म में कुछ हरकत महसूस कर रही थी . तकरीबन बिस सालो के बाद माँ ने यह परम संतुष्टी प्राप्त की थी इतना मजा माँ को पहली बार मिल रहा था इस आनंद को तो वह भूल ही चुकी थी मगर इतने सालों बाद उनके बेटे ने जो अब उनका पति भी है उसने यह सुख उसे दिया.
निप्पलों को चूसते चूसते मैंने अपनी नज़र अपनी माँ पर डाली जो मेरे बालों में उँगलियाँ फेरते हुए मुझे बेहद प्यार, स्नेह और ममतामई नज़र से देख रही थी.
हम दोनों माँ बेटे की नज़रें मिलती हैं और मैं आगे अपनी माँ के चेहरे की और बड़ता हु .
माँ भी मेरा चेहरा अपने हाथों में थाम अपने मुंह पर खींचती है .
मेरा चेहरा सीधा अपनी माँ के चेहरे पर झुक जाता है
और हमदोनों के होंठ आपस में जुड़ जाते हैं .
दोनों प्रेमियों की तरह एक दुसरे को चूम रहे थे . कभी माँ मेरे तो कभी मैं माँ के होंठों को चूस रहा था .
उधर माँ को अपनी जांघों पर मेरा पेनिस ठोकरें मारता महसूस होता है .
बेटे के पेनिस को अपनी योनि के इतने नजदीक पाकर उनके बदन में कामौत्तेजना लौटने लगती है
और उसकी साँसों की गहराई बढ़ने लगती है .
माँ की जिव्हा मेरे होंठो को चाटने लगती है और वो उसे मेरे मुंह में धकेलती है .
मैं अपना मुंह खोल देता हु और माँ की जिव्हा मेरे मुख में प्रवेश कर जाती है .

माँ मेरी जीभ को अपनी जीभ से सहलाती है .
मगर मैंने एकदम से उसकी जीभ को अपने होंठो में दबाकर उसे चूसने लगा क्या शहद के जैसा स्वाद था.

“उन्न्न्गग्घ्ह्ह......” माँ मेरे मुंह में सिसकने लगी और वो अपनी कमर इधर उधर हिलाने लगी.
मैं यह समझकर कि माँ क्या चाहती है अपनी कमर को थोडा सा हिलाता डुलाता हु और फिर हम दोनों एकदम से सिसक उठते हैं .

माँ योनि में पेनिस के एहसास को पाकर ठिठक गई थी वो मेरे चेहरे की और देखती है मैं उसी की और देख रहा था मैं सोच मैं पड गया इतनी छोटी योनि में मेरा पेनिस कैसे जाएगा जो ना सिर्फ नौ इंचलम्बा था बल्कि चार इंच मोटा भी था और उनका आगे का टोपा बहोत बडा किसी जंगली आलू की तरह.
वह इस संकरी जगह में कैसे जाएगा.
माँ को बहोत दर्द होगा क्या वह झेल पाएगी मैं अपनी माँ को कोई दर्द नही देना चाहता.
अब मैं गहरे सोच मैं पड़ गया
माँ ने मेरी तरफ देखा मुझे किसी सोच में पड़ा देखकर मुझे हिलाकर नजरोसे कहा
“क्या हुआ”?
मैने उन्हें सब बताया तब वह हस पड़ी और उन्होंने कहा
“कुछ नही होता आप कुछ मत सोचिये, जो होता है वह हो जाने दीजिए”
पर मैन कहा “आपको बहुत दर्द होगा कैसे सह पाओगी तुम”
तब माँ ने कहा “हर पत्नी यही चाहती है की उनका पति उसे बहोत सारा प्यार करे, हर नारी को यह दर्द सहना ही पड़ता है, जीवन मे सिर्फ एक बार, इसलिए आप कोई चिंता मत करिए”
मैंने उनकी और देखा तो माँ धीरे से हल्के से सर हिलाती है जैसे मेरे किसी सवाल का जवाब दे रही हो .
मैं माँ के इशारे को पाकर वापिस उठ गया


मैं ने माँ के पैरो पे किस करना शुरू किया.किस करते हुए धीरे धीरे उपर जाने लगा .

जब मैं ने माँ की जाँघो पर किस करना शुरू किया तब धीरे धीरे माँ अपने पैर को अलग कर रही थी.

जैसे मैं उपर जाता वैसे उनके पैर एक दूसरे से अलग हो रहे थे.
अब माँ की योनि मेरे सामने थी. माँ की स्मॉल योनि जिसके लिप्स अंदर की तरफ थे सिर्फ एक लकीर दिख रही थी किसी छोटी बच्ची की योनि की तरह थी बिना बालो की गुलाबी रंगत लिए हुये मैंने उँगलिसे लिप्स अलग करके देख तो अंदर से पूरी लाल थी मानो अंदर लिपस्टिक लगाई हो बहोत छोटा सा होल था इसमें मेरा इतना बड़ा लिंग कैसे जाएगा मेरा लिंग तो पूरी तबाही मचाएगा
माँ की योनि पूरी गीली हो चुकी थी. माँ की योनि चमक रही थी.
वो चमक मेरे आँखो को अपनी तरफ अट्रॅक्ट कर रही थी.
...मैं तो आँखो से माँ की चुदाई करने लगा.
माँ की योनि गीली थी जिस से मुझे पहले माँ की योनि को साफ करना था .
मैं ने अपनी जीभ से माँ की योनि को साफ करना शुरू किया.
जब भी मैं माँ के किसी पार्ट को अपने जीभ से टच करता तब मुझे क्या हो जाता
मैं अपने होश खो बैठता. मुझे ऐसा लगता कि इस दुनिया मे माँ और मैं,सिर्फ़ हम दोनो ही हो ,जो सिर्फ़ प्यार करना जानते है.
मैं अपनी जीभ से माँ की योनि चाटने लगा. माँ बस एक काम कर रही थी वो था सिसकिया लेना .
एक पत्नी जैसे सुहागरात के दिन अपने पति के साथ चुदाई करते हुए शरमा कर खुल कर सिसकिया नही लेती उसी तरह माँ भी मुझसे शरमा कर शीष्कारियो पर कंट्रोल रख रही थी.
पर जो भी था उसमे मुझे एक अलग ही आनंद मिल रहा था.
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11-29-2019, 01:00 PM,
#98
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 96

माँ की बिना बालो वाली गुलाबी योनि अब मैं ने चाट कर साफ कर दी थी.
फिर मैं ने अपनी जीभ को माँ की योनि मे डाल कर माँ को भी आनंद देने लगा. माँ भी अपना पानी छोड़ कर मेरी प्यास बुज़ा रही थी.
मैं ने हाथो से माँ की योनि के होंठ खोल दिए.
फिर मैं आराम से अपनी जीभ माँ की योनि मे डाल कर चाटने लगा
खेलने लगा .

माँ की योनि मे मैं जितनी ज़ोर से अपनी जीभ अंदर डालता उतनी ज़ोर से माँ की योनि जीभ को बाहर फेक देती .

जैसे कह रही थी कि मुझे जीभ नही तुम्हारा पेनिस चाहिए.

देना है तो पेनिस दो जीभ से मेरा क्या होगा.
जीभ से तो मेरी आग भड़क जाएगी.

पर मैं भी कहा हार मानने वाला था ,मैं ने भी उसकी योनि मे जीभ डालना जारी रखा.
उसकी टाइट योनि मेरी जीभ को बाहर धकेल देती

इस खेल मे मुझे अपना ही आनंद मिल रहा था. साथ मे माँ को भी.

माँ तो अपनी सिसकिया अपनी भूक पर कंट्रोल रखे हुए थी.

माँ की योनि के साथ अपनी जीभ से खेलने से माँ की योनि ने पानी छोड़ दिया .मैं ने वो सारा अमृत पी लिया. और जीभ से योनि को साफ कर दिया.

माँ इतनी गरम हो चुकी थी की उसको कुछ भी करना बर्दास्त नही हो रहा था .और वो अपना पानी छोड़ देती

उसकी अमृत को पीने के बाद मैं ने उसकी योनि को एक बार चाट कर साफ किया.

मैं ने टाइम देखा ,एक घंटे से मैं माँ के साथ सिर्फ़ उपर उपर से प्यार कर रहा था.

मतलब मुझे माँ के साथ प्यार करते हुए समय का भी ध्यान नही रहा.

फिर ज़्यादा देर करना ठीक नही होता.
मैं ने अपने कपड़े निकाल दिए.और माँ को आँखो खोलने के लिए कहा .

उसने आँखो खोल दी.मैं ने पेनिस को माँ के हाथो मे दिया.
माँ ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर पेनिस की तरफ .
फिर पेनिस पे एक किस कर के पेनिस को छोड़ दिया और ना मे गर्दन हिला दी.
मतलब वो पेनिस को मुँह मे लेना नही चाहती थी.
मैंने भी उसे ज़्यादा फोर्स नही किया.
उसने पेनिस नही चूसा मतलब अब बस एक काम बाकी था.
वो था ...

फिर मैं ने माँ के नितम्बो के नीचे पिल्लो रख दिया.
फिर मैं माँ के टाँगो के बीच मे आ गया.

मैं ने पेनिस पे थूक लगा दी.
और पेनिस को योनि पर रख दिया.

मेरा पेनिस माँ की योनि को प्यार करना चाहता था.
उसको फील करना चाहता था.

मैं ने पेनिस वैसे ही रहने दिया .

पेनिस और योनि का मिलन होने वाला था.
उस मिलन मे दर्द होने वाला था पर मेरा पेनिस योनि को दर्द देने से पहले उसको प्यार कर रहा था.

दर्द से पहले प्यार...

मुझे कुछ ना करते हुए देख कर माँ ने आँखें खोल कर मुझे आगे बढ़ने को कहा.

मैं ने फिर से पेनिस पर थूक लगाया और पेनिस को योनि पर रखा .
और माँ के उपर आ गया.

मैं ने पहले माँ के होंठो पर एक किस किया और फिर मैं ने एक झटका मारा पर कुछ नही हुआ, मेरा पेनिस फिसल गया.

मैं ने फिर से पेनिस को योनि पर रखा और एक ज़ोर का झटका मारा कि पेनिस का टोपा माँ की योनि मे चला गया .

माँ के मुँह से चीख निकल गयी .
माँ की दर्द भरी चीख सुनकर मुझे ऐसा लग रहा था कि दर्द माँ को नही बल्कि मुझे हो रहा हो.

दर्द माँ को हो रहा था और मेरी आँखो मे पानी आ रहा था.

माँ ने जब मेरी आँखो मे पानी देखा तो उन्होने चीखना बंद किया. और दर्द को बर्दास्त करना शुरू किया.

माँ अपने होंठो को दबा कर अपनी चीख को रोकने लगी.
पर माँ को दर्द हो रहा था.

माँ का दर्द कम करने के लिए मैं अपने होंठ माँ के होंठो पर रख कर चूसने लगा.
जिस से माँ दर्द को भूल कर किस पर फोकस कर सके ताकि दर्द कम होज़ाये.

अभी तो सिर्फ़ टोपा अंदर गया था.
मेरा टोपा बहुत बड़ा था किसी जंगली आलू की तरह और इतने सालों से माँ ने सेक्स नही किया था शायद कभी उंगली भी न कि हो
इसलिए उनकी योनि किसी कुँवारी लड़की की तरह हो गई थी अभी तो सिर्फ टोपा अंदर गया था पूरा पेनिस अभी अंदर जाना बाकी था.
पर मुझे क्या हुआ था कि मैं माँ को दर्द होता हुआ देख नही पा रहा था.
पर माँ को प्यार भी करना था.
उपर से मेरा पेनिस माँ की योनि मे जाने के लिए बेताब हो रहा था.
थोड़ी देर मे माँ शांत हो गयी फिर भी मैं हाथो से स्तन को दबाने लगा. थोड़ी देर मे माँ को पूरी तरह से अच्छा लगने लगा .

मैं ने माँ को इशारे मे पूछा कि अंदर डालु उसने हाँ मे गर्दन हिला दी.

फिर मैं ने एक जोरदार झटका मारा,वो झटका जिसे कोई पत्नी अपनी ज़िंदगी भर भूल नही सकती झटका मार कर पेनिस माँ की योनि में अपना रास्ता बनाता हुआ पांच इंच तक अंदर चला गया.

माँ ने बहुत कोशिस की चीख ना निकले पर ये ऐसा झटका था जिस के मारते ही हर औरत की चीख निकल जाती है.

माँ की भी चीख निकल गयी.पर मेरे किस करने से उसकी दबी हुई चीख मेरे मुँह मे दब गयी.
माँ और मेरे भी आँखो से पानी निकलने लगा क्यों कि मैं अपने माँ को कोई भी तकलीफ होते हुए नही देख सकता
उसको सासे लेने की ज़्यादा ज़रूरत थी जिस से मैं ने उनके होंठो को अपने होंठो से आज़ाद किया. पर मैं स्तन को दबाता रहा.

माँ के मुँह से दर्द भरे शब्द निकले.
पर माँ ने कंट्रोल करते हुए उन शब्दो को बीच मे रोख दिया.

मुझे पता था कि माँ को दर्द हो रहा है.
फिर भी माँ ने मुझे पेनिस बाहर निकालने को नही कहा और अंदर डालने को भी नही कहा.
वो बस मेरे नीचे लेटी हुई अपने दर्द को मुझ पर जाहिर नही होने देना चाहती थी.

माँ मुझसे इतना प्यार करती थी कि उसने आँखो को खोल कर मुझे आँखो से इशारा करके थोड़ी देर रुकने को कहा.
उसे लगा कि अगर मैं भी उस से प्यार करता हू तो मैं उनका इशारा समझ जाउन्गा .
और हुआ भी ऐसा ही मैं समझ गया कि वो क्या कहना चाहती है.
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11-29-2019, 01:00 PM,
#99
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 97

मैं ऐसे ही रुका रहा. मुझे ऐसे देख कर उसकी आँखो मे एक चमक आ गयी.

मैं ने अपने पेनिस को ऐसे ही रखा .और फिर से माँ के होंठो को चूसने लगा. स्तन को दबाने लगा.कुछ समय के बाद माँ को अच्छा लगने लगा.
उनका दर्द कम हो गया. मैं ने माँ के होंठो को छोड़ दिया .और स्तन को भी ...
माँ के चेहरे पर अब दर्द नही था बस प्यार ही प्यार दिख रहा था.
मैं ने पिल्लो की तरफ देखा उस पे खून लगा हुआ था.मैं पेनिस को धीरे से बाहर निकाल कर अंदर डालने लगा .धीरे धीरे पेनिस को अंदर बाहर करने लगा. अभी तक पांच इंच पेनिस अंदर था.मैं आराम से दो मिनट तक पेनिस को हिलाता रहा.

माँ बस बिना पलके झुकाए मुझे देख रही थी. क्या पता क्या देख रही थी.

मैं जो प्यार से पेनिस अंदर बाहर कर रहा था .मैं उसे ज़्यादा दर्द नही होने दे रहा था. शायद माँ यही देख रही थी.
मैं पेनिस को बड़े प्यार से माँ की योनि मे डाल रहा था. शायद माँ मेरा यही प्यार देख रही थी.
फिर धीरे धीरे गति बढ़ाने लगा .अब माँ का कुछ दर्द कम हुआ था. पर मैं ने अभी तक पूरा पेनिस अंदर नही डाला था.मैं इंतज़ार करने लगा कि कब माँ की योनि पानी छोड़ेगी.
पांच मिनट तक ऐसे ही चुदाई करने से माँ की योनि ने पानी छोड़ दिया.
माँ की योनि के पानी के साथ खून भी बाहर आ गया था. योनि अब गीली हो गयी थी. पेनिस के लिए जगह बन रही थी. माँ कुँवारी नही थी पर मेरा पेनिस ही बहोत बडा था नौ इंच लंबा और चार इंच चौड़ा और उसका सुपडा किसी जंगली आलू की तरह बडा था और माँ की योनि बहुत छोटी थी किसी छोटी बच्ची की तरह माँ की योनि और मेरे लिंग का कोई मेल ही नही था तो रिझल्ट तो ऐसे ही आना था मेरे लिंग ने माँ की योनि का बहोत बुरा हाल कर दिया था
फिर मैं ने आख़िरी झटका मारा और पूरा पेनिस अंदर चला गया. माँ की दबी हुई दर्द भरी चीख निकल गयी.
मैं माँ का बचा हुआ दर्द स्तन को दबा कर कम करने लगा.

मैं ने माँ से कहा बस हो गया .अब दर्द नही होगा... जितना दर्द होना तो हो गया ...पूरा पेनिस अंदर चला गया है..,बस थोड़ी देर रूको सब ठीक हो जाएगा
माँ ने कहा., मुझे दर्द नही हो रहा है.
मुझे पता था कि माँ झूठ बोल रही थी.
मेरे पेनिस से दर्द ना हो ये हो ही नही सकता.

माँ की स्मॉल योनि मे दर्द ना हो ये हो ही नही सकता.

पेनिस अंदर जाने के बाद चीख निकली और दर्द ना हो ये हो ही नही सकता.
फिर भी माँ ने मेरे लिए कहा कि उन्हें दर्द नही हो रहा.
माँ की बात सुन ने के बाद मैं ने पेनिस को बाहर निकाल लिया. और पेनिस पर जो खून था वो ये बता रहा था कि माँ को कितना दर्द हो रहा है.
मैं समझ गया कि वो मेरे लिए ,अपने प्यार के लिए दर्द बर्दास्त कर रही है.
मैं ने पेनिस को धीरे से फिर से अंदर डाल दिया और माँ के स्तन दबाते हुए पेनिस को धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू किया.

पेनिस के हिलने से माँ को दर्द हो रहा था .उन्होने अपने हाथ मेरी पीठ पे रख दिए. जैसे उनको दर्द होता वो अपने नाख़ून मेरे पीठ मे गाढ देती.और कहती कि मुझे दर्द नही हो रहा
एक तरफ दर्द के वजह से नाख़ून से मेरे पीठ को खरॉच रही थी और दूसरी तरफ कह रही थी कि मुझे दर्द नही हो रहा.

माँ के साथ चुदाई करते हुए मुझे कोई जल्दी नही थी.
मैं हर एक धक्के को महसूस करना चाहता था. मैं ऐसा क्यू कर रहा था मुझे पता नही था.
पर हर एक धक्के के साथ मुझे एक अलग ही आनंद मिल रहा था.
माँ भी अब मेरे धक्को को महसूस करके अपने दिलो दिमाग़ मे ये चुदाई फिट कर रही थी.
मैं बड़े प्यार से माँ की चुदाई कर रहा था.
आज मुझे क्या हुआ था कुछ समझ नही आरहा था.
ना माँ को जल्दी थी और ना मुझे जल्दी थी
ना माँ मुझसे अलग होना चाहती थी. और ना मैं माँ को अलग होने देना चाहता था
मैं पेनिस को माँ की योनि की गहराई तक अंदर डाल कर धक्के मारता गया. फिर भी उनका दर्द कम नही हुआ.पर मुझे लग रहा था कि उनका प्यार बढ़ रहा है.

चुदाई के बाद मैं माँ को क्या कहूँगा ,उनका सामना कैसे करूँगा ,इसकी मुझे कोई फिकर नही थी.
बस मैं धक्के मार कर अपने जीवन को सफल कर रहा था.
मैं पेनिस को धीरे से पूरा बाहर निकाल लेता फिर अंदर कर लेता. ऐसा कुछ देर करने के बाद माँ की योनि ने मेरे पेनिस के लिए जगह बना दी.और पेनिस आराम से अंदर जाने लगा.
योनि मे पेनिस के लिए जगह बनने से माँ का दर्द ख़तम हो गया. मैं धक्के लगाता रहा .
माँ भी अपने हिप्स उपर करके मेरा साथ दे रही थी माँ अब सिसकिया ले रही थी पर खुल कर नही ले रही थी. वो मुझसे शरमा रही थी.

बस बीच बीच मे आहह आहह कर रही थी.दस मिनट तक मैं ने दिमाग़ को सेक्स से अलग रख कर दिल को माँ की चुदाई फील करने दे रहा था.

मैं माँ की ऐसे ही चुदाई करता रहा.फिर से माँ ने पानी छोड़ दिया.

फिर मैं ने माँ के पैरो को थोड़ा ज़्यादा फैला दिया और धक्के बहुत धीमी गति से मैं माँ की योनि मे धक्के मार रहा था.

मैं माँ को हर धक्के का मज़ा दे रहा था और ले भी रहा था. कमरे मे हमारे चुदाई का म्यूज़िक गूँज रहा था.
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11-29-2019, 01:01 PM,
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 98

म्यूज़िक कब से बज रहा था ये ना माँ को पता था और ना मुझे पता था.
माँ ने ज़्यादा तर समय अपनी आँखो को बंद रखा था.पर माँ बीच बीच मे अपनी आँखो खोल कर मुझे धक्के मारते हुए देख कर फिर से अपनी आँखो बंद कर लेती.
माँ ने फिर एक बार पानी छोड़ दिया.इस लंबी चुदाई मे मुझे भी लग रहा था कि अब मेरा भी होने वाला है.
अब मुझे अपनी धक्के मारने की गति बढ़ानी थी.पर माँ को दर्द ना हो,इसके लिए दिल मुझे इसकी इजाज़त नही दे रहा था. अगर दिल की जगह दिमाग़ होता तो अब तक मैं ने अपनी गति बढ़ा दी होती और मेरा वीर्य माँ की योनि मे होता.
मैं बड़े प्यार के साथ आख़िरी झटके भी धीरे धीरे मार रहा था.
आख़िरी झटके वो भी धीरे धीरे मारने के लिए मुझे मेरे दिल ने बहुत मदद की.
मेरे धक्के की गति थोड़ी बढ़ गयी थी शायद उस से माँ ने पता लगा लिया होगा कि मेरा होने वाला .
इस लिए वो अपने हिप्स उठाकर मेरा साथ देने लगी.

फिर एक आखरी धक्के के साथ मेरा वीर्य निकल गया.
मैं ने अपना वीर्य माँ की योनि मे डाल दिया.
मेरा वीर्य योनि मे महसूस कर के माँ ने आँखो खोल दी और मैं माँ के उपर गिर गया.
थोड़ी देर मैं माँ के उपर ही रहा.
फिर माँ नॉर्मल हो गयी.

अब माँ को अपने बदन मे दर्द महसूस हो रहा था.
क्यू कि मैं अभी तक माँ के उपर था

मुझे इस बात का अहसास हुआ .मैं माँ के उपर से अलग हो गया.
मैं ने अपने पेनिस को माँ की योनि से बाहर निकाल लिया.

मेरा पेनिस तो माँ की योनि से बाहर आने को तैय्यार नही था.
उसे हमेशा के लिए आखिर एक घर मिल गया था और वो वही रहना चाहता था.
दिल पर पत्थर रख कर पेनिस को बाहर निकाल लिया.

मेरे पेनिस पे खून लगा हुआ था.
माँ के योनि पर भी खून लगा हुआ था.
तब माँ ने कहा “अंदर ही रहने दीजिये कुछ देर अच्छा लग रहा था” और शर्मा गई फिर मैंने फिर मेरा लिंग अंदर डालकर उनके ऊपर पडा रहा उनको किस करता रहा
और साथ मे उनके स्तन के साथ प्यार से खेलता रहा हम एक दूसरे की तरफ देखकर हस रहे थे माँ को अब उतना दर्द नही हो रहा था
उनके बदन के पसीने की गंद से मेरा पेनिस फिर हार्ड होने लगा माँ मेरे पेनिस का कड़ापन महसूस करके हैरत से बोली
“ये क्या फिर से”कहते हुए मेरी तरफ हैरत और अभिमान से देखने लगी उनकी उस नजर से मुझे फिर से ताकत मिली और मैं फिर धीरे धीरे अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा अभी कुछ देर पहले मैं अंदर झड़ा था इसलीए मेरे वीर्य से पूरी योनि अछि तरह चिकनाई युक्त हो गई थी माँ ने प्यार भरे गुस्से में मुझे देखा और धीरे से कहा
“ये क्या आप फिर शरू हुये, क्या अब भी दिल नही भरा”
माँ के ऐसे कहते ही मुझे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया कि माँ को कितना दर्द हुआ था और मैं उन्हें आराम देने के बदले फिर सेक्स के बारे में सोचने लगा मैने झटसे अपना लिंग बाहर निकाला और माँ के ऊपर से उतर के अलग हुआ
मुझे यू अपने उपरसे हटते हुए देखकर माँ को हैरत का झटका लगा
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर कहा
" क्या हुआ आप हट क्यों गये"
मैंने कहा "सॉरी जान मुझसे गलती हुई तुम्हे इतना दर्द था और मैं सिर्फ सेक्स के बारे में सोच रहा था मुझे माफ़ करो मुझसे गलती हुई"
माँ ने हस कर मेरी तरफ देखा और कहा
“आप मुझसे इतना प्यार करते है, मैं आज बहुत खुश हूं अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझती हूं जो मुझे आप पति के रूप में मिले, और मुझे इतना दर्द नही हो रहा है, मैं तो मजाक कर रही थी, मेरी भी इच्छा थी आप मुझे प्यार करते रहे, तो मुझे यू छोड़ कर मत जाइये”
मैने माँ की आंखों में अपने लिए बेइंतहा प्यार देखा मेरी आँखों मे खुशी के आंसू आगये मैं माँ लिपटकर उन्हें पागलो की तरह चुमने लगा माँ भी मेरा साथ देने लगी मेरा ढीला पड़ा लिंग फिर हार्ड हो गया माँ की दोनो थाइस मेरी कमर से लिपट गई मैने अपना लिंग माँ की रसभरी योनि में फिर से घुसा दिया माँ के मुह से आनंददायक सिसकारी निकल गई मैं फिरसे माँ की चुदाई करने लगा माँ और मैंने का सेक्सुअल पार्ट्स एकदम चिपक चुका था... पूरा पेनिस माँ की योनि में घूसा बैठा था...
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