Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
07-17-2018, 12:25 PM,
#21
RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
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अब आगे
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उनके सिर जैसे ही नीचे आए, मालविना ने दोनो के सिर पकड़े और अपने शराब से भीगे हुए निप्पल्स उन दोनो के मुँह मे घुसेड कर उन्हे अपनी छाती से चिपका लिया..

दोनो भूखे बच्चों की तरह उसका दूध पीने लगे..उसके स्तनों पर लगी मदिरा को चखने लगे....मालविना के सेक्सी निप्पल्स से लगकर वो शराब और भी नशीली हो गयी थी..

गंगू ने उसकी गांड पर हाथ रखकर ज़ोर से दबा दिया...इतनी मुलायम डबलरोटी उसने आज तक नही मसली थी...विदेशी जो थी.

भूरे ने उसकी स्कर्ट खोल दी और वो नीचे लहरा गयी...और अब उसकी रसीली , मखमली और गोरी चिट्टी चूत उन दोनो की भूखी आँखों के सामने थी..

मालविना ने अपना एक पैर उपर उठाया और गंगू के सिर को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ झुकाने लगी...गंगू ने भी पूरी उत्तेजना के साथ अपनी जीभ निकाली और उसकी बरफी जैसी मीठी चूत पर दे मारी..

उसके चेहरे पर उगी दाढ़ी और मूँछे उसकी चिकनी चूत पर चुभी और वो एक रोमांच भरे स्वर मे सिसक उठी....

''अहह.....येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......''

उसने शायद ऐसे जंगली लुक वाले जानवर के साथ पहले कभी चुदाई नही करवाई थी...

भूरे भी पहले गंगू को मौका देकर उसकी मर्दानगी का टेस्ट लेना चाहता था...उसके हिसाब से तो गंगू के बस का कुछ भी नही था..जो भी करना था उसको खुद ही करना था बाद मे...इसलिए वो साइड मे हो गया..

गंगू ने उसके मांसल जिस्म को पकड़ा और उसे हर जगह से नींबू की तरह निचोड़ने लगा..वो जैसे पागल हो गया था इतना कोरा माल देखकर..

वो भी सेक्सी आवाज़ें निकाल रही थी, जैसे पॉर्न मूवीस मे लड़कियाँ निकालती है..पूरा कमरा गंगू की गर्म साँसों की आवाज़ और मालविना की सेक्सी सिसकारियों से गूँज रहा था..

मालविना गंगू के सामने घुटनों के बल बैठ गयी..और उसकी नई पेंट की जीप खोल दी...फिर जैसे ही उसका अजगर बाहर आया, उसके मुँह से एक सिसकारी निकल गयी..शायद ये सोचकर की जब वो रेंगता हुआ उसके बिल मे जाएगा तो कितना मज़ा आएगा..

वहीं दूसरी तरफ भूरे ने जब उसके खड़े हुए लंड को देखा तो वो भी हैरान रह गया...उसने तो आशा भी नहीं की थी की गंगू के पास इतना बड़ा लंड होगा...और वो भी खड़ा हुआ..ये कैसे हो सकता है.

वो हैरानी से उसे देखने लगा.

मालविना ने अपना मुँह खोला और उसके लंड को मुँह मे भरकर उसे प्यार करने लगी.

गंगू भी उसके सुनहेरे बालों को पकड़कर अपने लंड के उपर ज़ोर-2 से मारने लगा.

कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद वो खड़ी हुई और गंगू का हाथ पकड़कर दूसरे कमरे मे ले गयी..भूरे वहीं बैठा रहा..क्योंकि वहाँ से भी अंदर का नज़ारा साफ़ दिख रहा था..उसने अपने लिए एक लार्ज पेग बनाया और उन्हे देखते हुए उसे पीने लगा..

अंदर जाकर गंगू ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए..और अब वो जंगली भालू की तरह नंगा उसके सामने खड़ा था..

मालविना हाइ क्लास की रंडी थी..इसलिए शायद उसने इतना भद्दा सा दिखने वाला इंसान अपनी लाइफ मे अभी तक नही देखा था..पर जो पैसे उसको मिल रहे थे और जो लंड उसको सामने दिख रहा था, वो बहुत था उसकी सोच को रोकने के लिए.

गंगू ने मालविना को अपनी बाहों मे भरा और उसके स्ट्रॉबेरी जैसे होंठों पर टूट पड़ा...उसके गुलाबी होंठों को उसने चूस-2 कर लाल कर दिया...और फिर यही हाल उसने उसकी दोनो ब्रेस्ट का भी किया..

मालविना भी उसके जंगलीपन को देखकर अपनी उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चुकी थी...वो अँग्रेज़ी मे बड़बडाए जा रही थी .. "बाइट मी.......सक मी.....क़िस्स्स मी. ..अहह ....एससस्स .....उम्म्म्मममम ''

और फिर उसके शरीर के हर हिस्से को अपनी लार से भिगोता हुआ गंगू दक्षिण दिशा की तरफ बड़ा..और जैसे ही उसके सपाट पेट के बाद उसकी उभरी हुई चूत की दरारें उसके मुँह के सामने आई, वो उनपर टूट पड़ा...और फिर से अपनी दाढ़ी -मूँछ से भरा मुँह उसकी चूत पर फिराने लगा..

वो बिस्तर पर किसी जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी...गंगू अपनी लंबी जीभ से सड़प -2 करता हुआ उसकी चूत से निकल रहा विदेशी शहद सॉफ कर रहा था..

अब मालविना की हालत खराब होने लगी थी...उसने उसके बालों को पकड़कर उपर खींचा और ज़ोर से चिल्लाई : "अहह.....फकककक मीsssssssssssssssss .....फककक मी ....यू बास्टर्ड ........''

गंगू उसको अच्छी तरह से तडपा चुका था...इसलिए अब मालविना से बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था..

और बाहर बैठा हुआ भूरे अपनी साँस रोककर बैठ गया, वो अभी भी ये आस लगा कर बैठा था की गंगू उसकी चूत नही मार पाएगा..

गंगू उसके उपर आया और अपने स्टील रोड जैसे लंड को अपने हाथ मे पकड़कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा...पर अंदर नही डाला..उसकी ये हरकत से मालविना पागल सी होकर हुंकारने लगी..

''फकककक मीssssssssssssssssssss ....यू बास्टर्ड......फक्क मीीssssss ....कुत्ते....''

उसने हिन्दी वर्ड कुत्ते बोला, शायद इतना तो वो सीख ही चुकी थी इंडिया आकर..

अपने लिए कुत्ता शब्द एक विदेशी के मुँह से सुनते ही जैसे गंगू के अंदर एक देशभक्ति की भावना आ गयी ...वो ज़ोर से चिल्लाया : "साली .....मुझे कुत्ता बोलती है....तेरी माँ की चूत .....अभी तेरी चूत के परखच्चे उड़ाता हू, गली की कुतिया की तरह चुदाई ना करी तो मेरा भी नाम गंगू नही...''

और उसने अपने लौड़े को बिना किसी वॉर्निंग के उसकी चूत के अंदर धकेल दिया...इतना मोटा लंड उसकी छोटी सी चूत के अंदर जाते हुए फँस गया ..पर गंगू उसके उपर अपने पूरे भार के साथ लेट गया..और उसका पहलवान उसकी चूत को ककड़ी की तरह चीरता हुआ अंदर तक घुस गया और उसके अखाड़े मे जाकर ही दम लिया उसने..

मालविना की आँखों से आँसू निकल आए, इतना मोटा लंड अपने अंदर लेकर..ये उसका पहला मौका था जब उसके अंदर इतना मोटा गया था...उसको दर्द तो हो रहा था, पर वो उसके लंड की कायल हो उठी..उसने अपनी टांगे थोड़ी देर के लिए गंगू की कमर मे लपेटी और उसे अपने उपर खींचकर उसे फ्रेंच किस करने लगी..

पर गंगू अब पागल हो चुका था..वो उपर उठा और उसने मालविना की टाँगो को दोनो दिशाओं मे फैलाकर चोडा किया और अपने लंड को किसी पिस्टन की तरह अंदर-बाहर करने लगा..

कुछ ही देर मे मालविना का दर्द भी गायब हो गया...और वो मस्ती मे भरकर चीखे मारने लगी..

''आहह आअहह उम्म्म्ममम...येसस्स्सस्स....फककक मी...लाइक दिस ...याsssssssssssssssss अ...ऑश याअ.... आई एम लविंग इट .....ह ...एसस्स...... ओफफफफ्फ़ ...... उम्म्म्मममम .......आई एम कमिंग....''

और वो झड़ गयी..

पर अपना हीरो हिन्दुस्तानी कहाँ हारने वाला था...वैसे भी वो अभी-2 झड़ा था, इसलिए वो देर तक चलने वाला था इस बार...वो लगा रहा..

फिर वो आसान बदल-2 कर उसको चोदने लगा...कभी उसको अपने उपर खींच कर उसके मुम्मे चूसता हुआ धक्के मारता, कभी उसको पेट के बल लिटा कर उसकी चूत मे पीछे से लंड डालता..और आख़िर मे जब वो झड़ने के करीब आया तो उसने उसको कुतिया वाले पोज़ मे लाकर उसकी भरी हुई गांड को मसल-2 कर चोदा ..और अंत मे उसने अपना सारा माल उसके विदेशी बॅंक मे जमा करा दिया और उसके उपर गिरकर सांड की तरह हाँफने लगा..

ये पूरा कार्यकरम लगभग 40 मिनट तक चला था..

और बाहर बैठा हुआ भूरे सिंग उसकी चुदाई की कला को देखकर हैरान और परेशान हुए जा रहा था...

मालविना में और चुदवाने की हिम्मत नही बची थी, गंगू ने उसकी हालत इतनी बुरी जो कर दी थी.

कुछ देर बाद वो भूरे को किसी तरह से समझा बुझा कर चली गयी...भूरे का मन भी अब चुदाई करने का नही कर रहा था...दोनो ने मिलकर बची हुई शराब की बोतल ख़त्म की और फिर दोनो वापिस अपनी झुग्गी की तरफ चल दिए.

गंगू अपने आप को दुनिया का सबसे भाग्यशाली इंसान समझ रहा था...पर आज पूरे दिन की मेहनत और चुदाई के बाद उसके शरीर मे कुछ भी करने की हालत नही बची थी..उपर से वो नशे मे धुत्त था...वो बस जाकर सोना चाहता था..

पर उसको नही पता था की उसका इंतजार कर रही नेहा के मन मे आज क्या प्रोग्राम चल रहा है.

भूरे ने अपनी जीप कॉलोनी के बाहर ही रोक दी, क्योंकि अंदर तक गाड़ी के जाने का रास्ता नही था..काफ़ी रात हो चुकी थी..भूरे ने किसी तरह से गंगू को अपने कंधे का सहारा दिया और उसको लेकर झुग्गी की तरफ चल दिया.

उसके घर पहुँच कर भूरे ने दरवाजा खड़काया, और कुछ ही देर मे नेहा ने दरवाजा खोल दिया, भूरे ने जैसे ही नेहा को देखा तो वो उसको देखता ही रह गया..

उसने सिर्फ़ एक ब्लाउस और पेटीकोट पहना हुआ था..जिसमे से उसके मोटे-2 उरोज किसी फूटबाल की तरह फँसे हुए थे..गंगू को नशे की हालत मे देखते ही वो जल्दी से दूसरी तरफ आई और उसे अपने कंधे का सहारा देते हुए दोनो अंदर ले आए..

नेहा : "ये क्या हुआ इन्हे....शराब पे है क्या..?"

भूरे : "हाँ भाभी...आप तो ऐसे बोल रही है, जैसे जानती ही नही की ये शराब पीता है..''

अब वो क्या बोलती, वो अपने कमजोर दिमाग़ को दोष देने लगी की क्यो उसको कुछ याद नही है..
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07-17-2018, 12:25 PM,
#22
RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
वो सोच मे डूबी हुई थी और भूरे उसके गुदाज जिस्म को घूर रहा था..पेटीकोट मे उसकी थाई की शेप साफ़ दिख रही थी..और साथ ही साथ उसके उठते बैठते सीने पर भी उसकी गंदी नज़र थी

और उसकी कुत्ते जैसी नज़र को अपने जिस्म पर चुभता हुआ नेहा भी महसूस कर रही थी..वो तो आज पहले से ही मूड मे थी की कब गंगू आए और कब वो उसके साथ मज़े ले..पर वो नशे की हालत मे क्या कर पाएगा और क्या नही ये तो तभी पता चलेगा जब भूरे सिंह वहाँ से वापिस जाएगा...वो तो गंगू की चारपाई पर ऐसे बैठ गया जैसे वहीं रहने का प्लान हो उसका..

भूरे मन मे सोच रहा था की आख़िर क्या करे की नेहा की जवानी चखने के लिए मिल जाए...पर उसको अपनी बात शुरू करने का कोई उपाय नही सूझ रहा था..और तभी जैसे उपर वाले ने उसकी सुन ली, बिजली चली गयी पूरी कॉलोनी की..और झुग्गी के अंदर घुपप अंधेरा हो गया..

नेहा एकदम से परेशान सी हो गयी...वो अपने हाथों को आगे करती हुई किचन वाले हिस्से मे गयी और माचिस ढूढ़ने लगी..भूरे अपनी जगह से उठा और अपनी उल्लू जैसी आँखों से अंधेरे मे जाकर नेहा से जा टकराया..

नेहा : "ओह्ह्ह्ह .....आप क्यो तकलीफ़ कर रहे हैं....आप बैठिए..मैं माचिस ढूँढती हू...''

भूरे : "कोई बात नही भाभी जी...मैं भी आपकी मदद करता हू..''

इतना कहते हुए भूरे उसके जिस्म से रग़ड़ लगाता हुआ आगे की तरफ आ गया...और फिर अचानक नेहा की तरफ पलट कर खड़ा हो गया..अंधेरा इतना था की नेहा उसकी चाल समझ नही पाई और ना ही देख पाई और सीधा उससे जा टकराई...भूरे ने एकदम से उसको अपनी बाहों मे भर लिया और उसके सेक्सी शरीर को निचोड़ कर रख दिया..

भूरे : "ओफफफफ्फ़ .....सॉरी भाभी ....ये अंधेरा इतना है....ओह्ह्ह्ह्ह ...सम्भालो ...आप गिर ना जाओ...''

उसने जान बूझकर उसका बेलेंस बिगाड़ दिया और नीचे गिरती हुई नेहा को अपनी बाहों मे जकड़कर उपर उठा लिया..उसके मोटे-2 खरबूजे उसकी छाती से बुरी तरह से पिस गये..और हड़बड़ाहट मे उसका हाथ एक बार के लिए भूरे के खड़े हुए लंड से भी छू गया..

एक पल के लिए जैसे वक़्त रुक सा गया...दोनो की गर्म साँसे कमरे मे सुनाई दे रही थी...और साथ ही गंगू के खर्राटे..

नेहा का हाथ उसके लंड से लगकर वहीं जाम सा हो गया..उसका फायेदा उठाकर भूरे ने अपने लंड को एक-दो ठुमके देकर और बड़ा कर लिया..नेहा की हथेली से जैसे आग निकल रही थी..जो उसके लंड को झुलसा देना चाहती हो..

पर अपनी तरफ से पहल करके वो कोई परेशानी खड़ी नही करना चाहता था...एक तो वो जानता नही था की अगर वो अपनी तरफ से पहल करेगा तो नेहा भी उसका साथ देगी या नही और अगर गंगू को बोल दिया तो वो उसको छोड़ेगा नही..गंगू काफ़ी काम का बंदा था अब उसके लिए..जिस तरह से उसने आज करोड़ो रूपए डूबने से बचा लिए वो उसका फायदा आगे भी लेना चाहता था..

वो बिना हीले डुले वहीँ खड़ा रहा..

पर नेहा की हालत खराब थी...उसके लिए तो सारे लंड एक ही समान थे...थोड़ी बहुत बातें उसकी समझ मे आने लगी थी..पर सेक्स अपने पति के साथ ही करना है, ऐसी कोई पाबंदी वो नही जानती थी..

एक तो पहले से ही वो सुलग रही थी..और अब भूरे के खड़े लंड का सहारा मिलने से उसकी भावनाए उमड़ने लगी थी...और उन्ही भावनाओ मे बहते हुए उसने भूरे के लंड को उमेठ दिया..

अब वो भी समझ गया की चिड़िया जाल मे फँस गयी है..वो अपने हाथ उसके मुम्मे पर रखना ही चाहता था की एकदम से लाइट आ गयी..

और गंगू जहाँ सो रहा था, उसके सिर के बिल्कुल उपर बल्ब लगा हुआ था,और एकदम से अपनी आँखों मे रोशनी पड़ते ही वो जाग गया और हड़बड़ा कर उठ बैठा..

पर वो कुछ देख पाता, उससे पहले ही भूरे और नेहा अलग हो गये..

भूरे की तो के एल पी डी हो गयी...उसका लंड मुरझा कर बैठ गया.

गंगू ने अपनी आँखे खोली और उन्हे मलते हुए दोनो की तरफ देखा..

भूरे : "गंगू, तू तो पीने के बाद लूड़क गया था, मैं बस अभी-2 तुझे लेकर आया हू.."

उसने अपने लिए जैसे सफाई दी 

गंगू कुछ ना बोला, वो नशे की हालत मे अपने आप को संभालने की कोशिश करने लगा..

पर अब भूरे ने वहाँ से निकलने मे ही भलाई समझी..उसने दोनो से विदा ली और बाहर निकल आया.

पर जाते हुए उसके मन मे एक बात तो पक्की हो चुकी थी की अगर नेहा को ढंग से हेंडल किया जाए तो उसको चोदना काफ़ी आसान काम है.

उसके जाते ही नेहा ने दरवाजा बंद कर दिया और लपककर गंगू के पास आई..पर तब तक वो फिर से सो चुका था..

नेहा को गुस्सा तो काफ़ी आया पर वो कुछ बोल नही पाई..पर आज उसने भी ठान लिया था की मज़े लेकर ही रहेगी...उसने जल्दी-2 अपने कपड़े उतार फेंके और पूरी नंगी हो गयी..

अगर गंगू होश मे होता तो उसे पता चलता की जिसे इतने दीनो से नंगा देखने की चाहत थी वो उसके कमरे मे नंगी खड़ी है और चुदने के लिए पूरी तरह से तय्यार है, पर उसकी किस्मत जैसी आज सुबह से थी शायद रात होते-2 पलट चुकी थी, इसलिए उसके हाथ से इतना सुनहरा मौका निकल गया था.

नेहा का तराशा हुआ बदन बल्ब की रोशनी मे चमक रहा था..वो चलती हुई गंगू के पास आई और उसकी पेंट खोल कर नीचे कर दी..फिर उसने धड़कते दिल से उसके अंडरवीयर को भी नीचे खिसका दिया..

एक पल के लिए तो वो भी डर गयी, उसके सोए हुए नाग को देखकर..सोया हुआ काला लंड इतना ख़तरनाक लग रहा था की अगर कोई पहली बार उसको देख ले तो मर ही जाए..पर नेहा के दिमाग़ मे तो उत्तेजना का बुखार चड़ा हुआ था..उसने काँपते हुए हाथों से उसे अपने हाथ मे लिया..

एक पल के लिए तो उसका शरीर काँप सा उठा, इतना मुलायम लंड था उसका, जैसे कोई जेली से बना हुआ खिलोना हो..वो आगे की तरफ झुकी और अपनी जीभ निकाल कर उसके लंड पर घुमा दी..

उसके लंड से इतनी बुरी बदबू आ रही थी की एक पल के लिए तो उसने अपना मुँह पीछे कर लिया...पर हाथ मे पकड़े हुए लंड मे अचानक जान सी आने लगी तो अपनी चूत के कहने पर वो फिर से गंगू के लंड के करीब गयी और अपनी साँस रोककर एक ही बार मे उसके अकड़ रहे लंड को अपने मुँह मे लेकर ज़ोर-2 से चूसने लगी..

जितना पानी उसकी चूत से निकल रहा था उससे ज़्यादा उसकी लार निकल कर गंगू के लंड को नहला रही थी..

अब नेहा को भी मज़ा आने लगा था उसे चूसते हुए...लंड जितना काला होता है उसका स्वाद उतना ही उत्तेजना से भरा होता है,ये बात आज उसने जान ली थी.

वो गंगू के काले भूसंड लंड को अपने मुँह मे लेकर ज़ोर -2 से चूस रही थी.. जैसे कोई लोलीपोप हो

उसके दिमाग़ मे उस दिन का सीन चल रहा था जब गंगू और रज्जो ने अस्तबल मे चुदाई की थी...काश वो होश मे होता तो वो सारे आसन कर लेती उसके साथ..

पर गंगू होश मे भले ही नही था, पर अपने सपनों मे वो पूरे मज़े ले रहा था..

उसको तो लग रहा था की उसका लंड अभी भी वो रशियन लड़की मालविना ही चूस रही है..उसने अपना हाथ नेहा के सिर पर रख दिया और नशे की हालत मे बड़बड़ाने लगा : "अहहssssssssssssssss ....मालविना .....मेरी जान ....चूस इसको.....खा जा साली, मेरे लौड़े को ...''

गंगू के मुँह से मालविना का नाम सुनकर नेहा की समझ मे कुछ नही आया...अगर कोई समझदार पत्नी होती तो ऐसी हालत मे अपने पति के मुँह से किसी दूसरी लड़की का नाम सुनकर उसकी माँ ही चोद देती, पर नेहा का मामला थोड़ा अलग था...वो बेचारी अपने अधिकारों के बारे मे कुछ भी नही जानती थी...उसकी बला से वो मालविना का नाम ले या रज्जो की चुदाई करे, उसे कोई फ़र्क नही पड़ता था..

वो चारपाई पर चढ़ गयी..वो 69 पोसिशन के बारे मे नही जानती थी, वरना उस वक़्त वो घूमकर गंगू को अपनी चूत खिला देती और खुद उसके लंड की पार्टी उड़ाती..उस बेचारी की चूत मे काफ़ी खुजली हो रही थी...जिसे बुझाना ज़रूरी था...वो गंगू के लंड को जल्द से जल्द अपनी चूत मे लेना चाहती थी...पर गंगू उसके सिर को अपने लंड पर दबाए हुए उसे उपर उठने ही नही दे रहा था..बेचारी अकड़ू सी होकर उसकी टाँगो के बीच बैठी हुई उसके लंड को चूसती रही..

अचानक उसने गंगू की टाँग को अपनी दोनों टांगो के बीच ले लिया , जिसकी वजह से उसके पैर का अंगूठा उसकी चूत से जा टकराया, और अपनी चूत पर उसके पैर का घिस्सा लगते ही वो तड़प सी उठी और दुगने जोश के साथ उसके लंड को चूसने लगी..

पर गंगू ने अपनी तरफ से कुछ नही किया, जिसकी वजह से वो तड़प सी उठी और उसने अपनी चूत को थोड़ा एडजस्ट करते हुए सीधा उसके पैर के अंगूठे पर रखा और उसे अपने अंदर लेकर सिसक उठी..

''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म। …। अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

भले ही वो पैर का अंगूठा था, पर काफ़ी मोटा और लंबा था...देखा जाए तो वो एक छोटे-मोटे लंड के जैसा ही था..जिसे अपनी चूत मे लेकर नेहा मज़े ले रही थी..अभी के लिए तो उसे जितना मिल रहा था वो उसमे ही खुश हो रही थी...क्योंकि उसे अपनी चूत की आग को बुझाने का इससे अच्छा कोई और उपाय नही सूझ रहा था...

गंगू का अंगूठा अंदर जाकर उसकी क्लिट की मसाज कर रहा था और उसकी बाकी की उंगलियाँ उसकी चूत के होंठों की रगडाई करते हुए उसे दोहरा मज़ा दे रही थी..

और दूसरी तरफ अपनी सुनहरी परी मालविना के सपने लेते हुए गंगू के लंड ने अचानक ज़ोर-2 से पिचकारियाँ निकालनी शुरू कर दी...

नेहा ने इसके बारे मे तो कुछ भी सोचा नही था...उसने अपने मुँह को पीछे करने की काफ़ी कोशिश की पर गंगू ने उसे अपने लंड पर बुरी तरह से दबा रखा था..वो उसके रस नो निगलने के सिवा और कुछ कर ही नही पाई...

और जैसे ही उसके रस का स्वाद उसे अच्छा लगने लगा, बाकी की मलाई वो खुद ही चूस चूसकर उसके लंड की नसों से निकालने लगी...

और साथ ही साथ उसके अंगूठे से घिसाई करते हुए उसकी चूत ने भी गरमा गरम चाशनी उसके पैरों के उपर निकालनी शुरू कर दी..

और बुरी तरह से पस्त होकर वो उपर की तरफ आई और गंगू के गले से लिपट कर लेट गयी...और लेटने के कुछ देर बाद ही उसे गहरी नींद भी आ गयी..

अब वो पूरी नंगी होकर उसके जिस्म से चिपक कर सो रही थी..गंगू भी आधा नंगा था..अब एक बात तो पक्की थी, सुबह उठकर गंगू को अपनी जिंदगी का सबसे हसीन दृश्य देखने को मिलने वाला था ...और उसके बाद क्या होगा ये तो आप सोच भी नही सकते..
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07-17-2018, 12:25 PM,
#23
RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
भिखारी की हवस-12

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अब आगे
*********** सुबह के 9 बज गये थे...गंगू ने कसमसाते हुए अपनी आँखे खोली..उसका सिर बुरी तरह से दर्द कर रहा था..एक पल मे ही उसके दिमाग़ मे कल के सारे द्रिश्य घूम गये..कैसे उसने मुम्मैथ ख़ान की बजाई, उसके बाद होटल मे जाकर रशियन की..और फिर जमकर शराब पी..पर उसके बाद क्या हुआ वो उसे याद नही आ रहा था..और वो घर कैसे आया ये भी उसकी समझ मे नही आ रहा था.

शायद भूरे सिंह उसको लेकर आया होगा..उसने उठना चाहा तो उसे अपना कंधा भारी सा लगा..उसने अपने उपर पड़ी हुई चादर हटाई तो वहाँ का नज़ारा देखकर वो एक पल के लिए तो साँस लेना भी भूल गया..उसके कंधे पर सिर रखकर नेहा गहरी नींद मे सो रही थी..

और वो भी पूरी नंगी.

उसके मोटे-2 मुम्मे उसकी छाती पर चिपके हुए थे..और उसकी मोटी जाँघो ने उसके लंड के उपर कब्जा जमाया हुआ था..वो भी लगभग नंगा ही था..

उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था..ये कब हुआ और कैसे हुआ...

उसने लाख कोशिश की पर उसे कल रात का कोई भी वाक़या याद नही आ रहा था..बस हल्का-2 इतना याद आया की वो शराब पीने के बाद मालविना ने उसका लंड चूसकर उसे खल्लास किया था..

पर जब उसने मालविना की चुदाई की थी तो उसके बाद तो वो चली गयी थी ...और फिर भूरे के साथ मिलकर उसने काफ़ी शराब पी थी..उसे ये भी याद आ गया की भूरे उसको उठाकर लिफ्ट से होते हुए गाड़ी तक आया था...पर उसके बाद का कुछ भी याद नही था उसको..

यानी भूरे उसको घर ले आया था..और यहा पहुँचकर शायद उसने नशे की हालत मे नेहा के साथ कोई ज़ोर ज़बरदस्ती करके उसकी मार ली थी..

''नही...ऐसा नही हो सकता...मैं किसी पर कैसे ज़ोर ज़बरदस्ती कर सकता हू....नही...ऐसा नही हो सकता..'' वो बड़बड़ाने लगा...उसको आत्मग्लानि सी हो रही थी..

पर तभी उसके दिमाग़ मे एक विचार कौंधा..

अगर मैने कोई ज़ोर ज़बरदस्ती की होती तो मुझे कुछ तो याद होता..और ये नेहा भी इतने प्यार से मुझसे लिपट कर ना सो रही होती..यानी..जो कुछ भी हुआ..वो नेहा की मर्ज़ी से हुआ...

शुक्र है उपर वाले का..

पर रात को क्या -2 हुआ और किस हद तक हुआ, ये जानने के लिए नेहा को उठाना ज़रूरी था..

उसने धड़कते दिल से नेहा के चेहरे को उपर किया..वो अब भी गहरी नींद मे थी..

उसके चेहरे का नूर देखकर और उसके लाल सुर्ख होंठ अपने इतने करीब पाकर उसके लंड की धड़कने तेज हो गयी और वो मॉर्निंग वॉक पर निकल पड़ा..और धीरे-2 बड़ा होने लगा.

गंगू ने उसकी पतली कमर को पकड़कर उपर की तरफ खींचा तो वो और उपर आ गयी..और उसके मुम्मे जो पहले गंगू की छाती पर आ रहे थे वो लगभग उसकी गर्दन तक पहुँच गये..

एक दम से झटका मिलते ही नेहा की आँख खुल गयी..और गंगू का चेहरा इतने करीब देखकर वो एकदम से घबरा गयी..पर अगले ही पल रात की बात याद आते ही उसकी आँखों मे गुलाबीपन उतार आया और उसने नज़रें नीचे झुका ली..

गंगू : "नेहा...मेरी तरफ देखो...''

उसने शरमाते हुए अपनी नज़रें उपर उठाई..

वो गंगू के लंड को अपनी जांघों के बीच फड़कता हुआ महसूस कर पा रही थी और उसे महसूस करते हुए उसकी चूत मे भी गीलापन आ गया.

गंगू : "मैं कल काफ़ी नशे मे था...मुझे तो कुछ याद भी नही की मैं इस तरह तुम्हारे पास कैसे आया..क्या किया मैने..बोलो ना''

उसकी बात सुनकर नेहा का चेहरा लाल हो उठा..उसने शरमाते हुए कहा : "आपने कुछ नही किया...जो भी किया बस मैने ही किया...पता है मेरी क्या हालत हो रही थी 2 दीनो से...मैं बस किसी भी तरह से अपनी प्यास बुझाना चाहती थी..इसलिए कल जब आप नशे मे वापिस आए तो मुझसे रहा नही गया और मैने वो सब करना शुरू कर दिया...आप तो किसी मालविना के सपनो मे खोए हुए थे...और आपने अपना ''वो'' बड़ी ही ज़बरदस्ती से मेरे मुँह मे डालकर मुझे बहुत परेशान किया...पर वो सब मुझे अच्छा भी लगा..''

ओ हो ...यानी रात को वो मालविना का सपना देख रहा था...और असली मे वो नेहा को अपना लंड चुसवा रहा था..

पर नेहा उसका लंड लेने के लिए इतना तड़प रही थी, ये बात सुनकर उसे बहुत खुशी हुई..

उसने नेहा के चेहरे को अपनी तरफ बढाया और उसके लरजते हुए होंठों को अपने मुँह मे लेकर ज़ोर से चूसने लगा..

नेहा तो पिघल गयी गंगू के इस वार से...उसका पूरा शरीर सूखे पत्ते की तरह काँपने लगा और अगले ही पल वो उछलकर गंगू के उपर सवार हो गयी और अपनी घनी ज़ुल्फो के जाल मे अपने और गंगू के चेहरे को छुपा कर उसके स्मूच का जवाब अपने स्मूच से देने लगी.

जिस आग मे वो कल रात तड़प रही थी उसकी आँच फिर से बाहर निकलने लगी..नेहा ने गंगू के हाथों को पकड़कर अपनी छातियों पर रखा और उन्हे ज़ोर से दबा दिया..

गंगू ने भी अपना ज़ोर उनपर जैसे ही लगाया वो दर्द से बिलबिला उठी ...

''अहह ....................... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ......उम्म्म्ममममममममम.....काटो इन्हे.....बहुत दर्द है.....चबा जाओ....आओ ना...''

गंगू के लिए इससे अच्छी बात और क्या हो सकती थी...वो थोड़ा सा उठा और उसने अपना मुँह उसकी गोल मटोल छाती पर रखकर उसके आधे से ज़्यादा मुम्मे को अपने मुँह मे ले लिया और अपनी जीभ और दाँत का इस्तेमाल करते हुए उसके पिंक निप्पल को ज़ोर-2 से सक्क करने लगा...

''आआययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई .....मररररर गयी .................... अहह......हााआअन्न ऐसे ही.......''

और वो गंगू के सिर को पकड़ कर कभी अपनी दाँयी और कभी बाँयी चुचि पर ले जाती और बारी-2 से दोनो पकवान उसे टैस्ट करवाती.

गंगू ने कल मुम्मैथ ख़ान को और रात को मालविना की जमकर चुदाई की थी...पर जितना मखमली बदन नेहा का था उतना उन दोनो मे से किसी का भी नही था...और नेहा के कोरे मुम्मो की कसावट महसूस करते हुए उसके पसीने छूट रहे थे..वो जानता था की ऐसी लड़की उसकी जिंदगी मे नही है, पर किस्मत ने जिस तरह से उसको गंगू के पास भेजा है और वो जिस तरह से तड़प कर उसके लंड की दीवानी हुई बैठी है, ये सब एक सपने जैसा ही लग रहा था..

वैसे भी उसने नेहा के लिए इतना कुछ किया था...अब इतना तो हक बनता ही था उसपर..और वैसे भी वो कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नही कर रहा था...भले ही उसकी यादश्त गुम हो चुकी थी..पर अपने जिस्म की बत मानकर वो खुद ही उससे चुदने को तैयार थी..

ये सब बातें गंगू के दिमाग़ मे चल रही थी..जैसे वो किसी कोर्ट मे खड़ा होकर अपनी पैरवी कर रहा हो.

खैर..गंगू ने अब सोच लिया था की नेहा को असली चुदाई का एहसास करवाने का टाइम आ चुका है..पर पहली चुदाई से पहले वो हर तरह के मज़े लेना चाहता था उसके साथ..सबसे पहले तो वो उसकी कुँवारी चूत को चूसना चाहता था...जिसके लिए वो ना जाने कब से तड़प रहा था..

वैसे दोस्तों, अगर किसी इंसान को लड़की की कुँवारी चूत चूसने को मिल जाए तो उससे बड़ा इनाम उसको जिंदगी से मिल ही नही सकता..ऐसे लोग जिनके सामने उनकी कुँवारी गर्लफ्रेंड या बीबी पहली बार नंगी हुई हो और वो सीधा चुदाई करनी शुरू कर दे तो उनसे बड़ा बेवकूफ़ कोई और हो ही नही सकता..पहली धार का माल जब तक चूसा ना जाए तब तक जवानी का नशा पूरा ही नही होता..

गंगू ने उसको अपने उपर से नीचे उतारा और बेड पर पीठ के बाल लिटा दिया..और खुद ज़मीन पर खड़ा हो गया...और अपने बचे-खुचे कपड़े भी उतार दिए..
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07-17-2018, 12:25 PM,
#24
RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
अब उसकी नंगी आँखो के सामने थी अपने उफन रहे योवन को संभाल रही नंगी नेहा...उसका नंगा जिस्म किसी नागिन की तरह मचल रहा था..उसकी जांघों के बीच इतनी चिकनाई आ चुकी थी की वो उन्हे आपस मे रगड़कर अजीब सी आवाज़ें निकल रही थी..गंगू ने एक बार फिर से उपर वाले का धन्यवाद दिया की उसकी जिंदगी मे इतनी खूबसूरत लड़की आई..

और फिर वो नीचे बैठ गया और नेहा की दोनो टाँगो को खोलकर अपने कंधे पर रख लिया..जैसे-2 उसका मुँह उसकी उफनती चूत के करीब पहुँच रहा था ,वहाँ से निकल रही मादकता से भरी खुश्बू उसे पागल कर रही थी..

उसकी आँखों के सामने दुनिया की सबसे टाइट चूत थी...बिल्कुल चिकनी चूत ,बिना बालों के..नीचे से उपर की तरफ छोटा सा चीरा...जैसे मिट्टी की गुल्लक मे होता है..उतना ही लंबा और उतना ही छोटा और टाइट...

नेहा भी अपनी साँस रोके अपनी चूत की पहली चुसाई का आनंद लेने के लिए तैयार थी..और जैसे ही गंगू की गर्म जीभ ने उसकी चूत को छुआ, वो उछल सी पड़ी..पर गंगू ने उसकी जांघों को बड़ी ज़ोर से पकड़ रखा था इसलिए वो अलग ना हो पाई..और बिना कोई और देर किए गंगू ने अपना बड़ा सा मुँह खोला और उसकी गुल्लक को मुँह मे भर लिया और अपनी जीभ को सिक्का बनाकर उसे अंदर डाल दिया...छेद छोटा और सिक्का बड़ा..यानी उसकी जीभ अंदर घुस नही रही थी..गंगू सोचने लगा की जब उसकी जीभ अंदर नही जा रही तो उसका लंड कैसे जाएगा..

खूब मेहनत करनी पड़ेगी उसको आज...और उसकी चीखों को भी दबाना पड़ेगा..वरना पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो जाएगा..

गंगू ने अपनी उंगली को उसके अंदर डाला..नेहा सिसक उठी..क्योंकि वो एक ही बार मे अंदर तक जाकर उसकी झिल्ली से जा टकराई..गंगू ने धीरे से अपनी दूसरी उंगली भी अंदर डाल दी..अब नेहा को दर्द होना महसूस हो गया...पर वो अपनी साँस रोके लेती रही..गंगू काफ़ी देर तक अपनी दोनो उंगलियों को अंदर बाहर करता रहा और साथ ही साथ उसकी चूत के तितली जैसे होंठों को अपने मुँह मे लेकर उसका रस चूसता रहा ...फिर उसने अपनी तीसरी उंगली भी अंदर डालनी चाही..इस बार तो नेहा चीख उठी ..

''अहह....... नहियीईईईईईईईईईईईईई ......मत करो....... मुझे दर्द हो रहा है...''

गंगू रुक गया...उसकी तीन उंगलियो की मोटाई तो उसके लंड से आधी ही थी...जब वो नही ले पा रही तो लंड कैसे लेगी..अभी काफ़ी चिकनाई की ज़रूरत थी उसको..और साथ ही नेहा को और ज़्यादा उत्तेजित करने की भी..

वो थोड़ा और नीचे झुका और अपनी जीभ से उसकी गांड के छेद को कुरेदा ...ऐसा करते ही नेहा के पूरे शरीर मे जैसे करंट सा लगा...पर साथ ही साथ उसकी उत्तेजना भी अपने पूरे शिखर पर पहुँच गयी...और उसने अपनी रेशमी टाँगो के फंदे मे गंगू की गर्दन दबोची और अपनी कसावट वाली गांड को उसके चेहरे पर रगड़ने लगी..गंगू को ऐसा लगा जैसे उसके चेहरे की मसाज की जा रही है...

अब गंगू ने अपनी तीन उंगलियाँ एक साथ अंदर डाल दी उसकी चूत के...और वो चली भी गयी...इस बार वो चिल्लाई भी नही...बल्कि ज़ोर-2 से बड़बड़ाने लगी

"आहह............... मैं मर गयी................ इतना मज़ा आ रहा है ...............अहह ...ओफफफफफ्फ़ खा जाओ ......सब कुछ .........चाटो मुझे...............खाओ ........इसको .............अहह ...''

अब वो पूरी बावली हो चुकी थी...गंगू ने महसूस किया की अब उसकी चूत पहले से ज़्यादा चिकनी हो गयी है...यानी अब वक़्त आ गया था सील तोड़ने का..

वो उठा और उसने नेहा की दोनो टाँगो को फेला कर अलग-2 दिशा मे कर दिया..और फिर उसकी गीली चूत के उपर लंड रखकर उसकी आँखों मे देखा..

नेहा बेचारी को पता नही था की उसके साथ क्या होने वाला है...वो तो बस अपनी मस्ती मे मचलती हुई अपनी चूत की खुजली को मिटा देना चाहती थी.

गंगू ने धीरे-2 अपना भार उसके उपर डाला..और सिर्फ़ एक इंच अंदर जाकर उसका लंड अटक गया...पर अब इस पार या उस पार...ये सोचते हुए उसने अपने घोड़े को जोरदार झटका दिया और वो हिनहिनाता हुआ नेहा की चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया.

''आआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ........ नहियीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ........मैं मर गयी .........................अहह .......''

उसकी आँखो से आँसू निकल आए..खून निकल कर बाहर रिसने लगा..गंगू कुछ देर के लिए रुका और फिर एक और झटके से और अंदर और फिर आख़िरी झटके मे पूरा अंदर समा गया उसके..

नेहा के मुँह से अब कोई आवाज़ ही नही निकल रही थी...दर्द के मारे उसका बुरा हाल था..पर अंदर फँसे लंड को महसूस करते हुए एक अजीब सी तरंग भी उठ रही थी ...

गंगू काफ़ी तजुर्बे वाला था...उसने धीरे-2 अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया...और दस मिनट तक ऐसे ही करता रहा..

धीरे-2 नेहा की दर्द भारी चीखो की जगह मस्ती भरी सिसकारियों ने ले ली...

गंगू भी सोच रहा था की ये चुदाई भी कैसी चीज़ है, हर कोई डरता भी है, दर्द भी होता है...पर बाद मे मज़े भी पूरे मिलते हैं..

अब तो नेहा पागल कुतिया की तरह अपनी टांगे उसकी कमर मे लपेट कर उसके लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर ले रही थी...उसे पूरी तरह से महसूस कर रही थी..

उसकी मस्ती भरी चीखों से वो छोटी सी झोपड़ी गूँज रही थी..

''आअहह ह ओगगगग ओह ओह हाआँ ऐसे ही..... उम्म्म्ममम .....अब दर्द नही है......हन ......मज़ा मिल रहा है .......अहह एसस्सस्स ..एसस्स ........उम्म्म्मममममम अहह ''

और ऐसे ही सिसकते-2 नेहा की चूत से ढेर सारी क्रीम निकल गयी...जिसे गंगू ने भी महसूस किया.

गंगू भी इतनी टाइट चूत मे जाकर अपने लंड को ज़्यादा देर तक नही रोक पाया , वो उसके अंदर झड़कर कोई रिस्क नही लेना चाहता था..कुँवारी लड़की के साथ चुदाई करते हुए वो सेफ रहना चाहता था..

उसने लास्ट मूमेंट पर अपना लंड बाहर खींच लिया..नेहा तो जैसे इसी इंतजार मे थी..वो उठकर उपर आई और उसके लंड को निगल कर ज़ोर-2 से चूसने लगी..

और अगले ही पल उसके अंदर से अलग-2 साइज़ की पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी...जिसे नेहा ने अपने चेहरे और मुँह के अंदर निगल कर पूरी तृप्ति पा ली और उसकी सारी मायोनीज खा गयी

गंगू उसके बाद हांफता हुआ उसके उपर ही गिर पड़ा..

ऐसी चुदाई उसने अपनी जिंदगी मे आज तक नही की थी..

पर ये तो अभी शुरूवात थी..वो उसके साथ हर तरीके से मज़े लेना चाहता था जो उसने सोच रखे थे..

कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद वो बोला : "चलो....नदी पर नहाने चलते हैं...''

नेहा ने हाँ मे सिर हिला दिया और उठकर कपड़े पहनने लगी..

गंगू ने उसके हाथ से ब्रा खींच लि और बोला : "बिना ब्रा-पेंटी के ही चलो...''

नेहा के चेहरे पर भी शरारत भरी मुस्कान फैल गयी...वो शायद समझ चुकी थी की गंगू उसके साथ क्या-2 करने वाला है..
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07-17-2018, 12:26 PM,
#25
RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
***********
अब आगे
*********** आज नदी पर ज़्यादा भीड़ नही थी..शायद वो लोग ही लेट पहुँचे थे...गंगू तो अभी तक कल के नशे से सही तरह से उभर भी नही पाया था, और आज सुबह -2 उसको अपनी जिंदगी की सबसे हसीन और कुँवारी चूत भी मिल चुकी थी, इसलिए वो तो सांतवे आसमान पर था..आज तो वो मर भी जाए तो भी उसको अपनी जिंदगी से कोई गम नही होता..

पिछले दो दीनो मे किस्मत ने जिस तरह से उसका साथ दिया था, वो अपने आपको किस्मतवाला समझने लगा था, वो तो बस यही सोच रहा था की अब उसकी जिंदगी मे कुछ भी बुरा हो ही नही सकता..

पर बेचारा ये नही जानता था की उपर वाले ने सब कुछ नाप तोल कर ही लिखा है सबकी किस्मत मे..

पर आज के लिए तो उसकी जिंदगी खुशहाल ही थी.

वो अपने कपड़े उतार कर नदी के अंदर आ गया..सिर्फ़ एक अंडरवीयर ही पहना हुआ था.

नेहा भी अंदर आ गयी, और अंदर आते ही उसके कपड़े उसके बदन से ऐसे चिपक गये जैसे फेविकोल लगी हो उसके बदन पर...और उसका संगमरमरी बदन अपने जलवे बिखेरने लगा..

गंगू मस्ती मे डूबा हुआ उसकी तरफ आया और उसके लगभग नंगे बदन से बुरी तरह से लिपट कर उसे चूमने लगा.

दूर खड़ी लक्ष्मी ये सब देखकर मुस्कुरा रही थी...वो थी केशव हलवाई की लड़की, जिसकी उम्र थी ** और वो वही सरकारी स्कूल मे 12th में पड़ती थी, पर आज उसकी छुट्टी थी,शायद कोई सरकारी होलिडे था..इसलिए नदी मे आकर वो मल-मलकर नहा रही थी..उसके उभार अभी आने शुरू ही हुए थे,पर वो उनकी परवाह किए बिना उपर से नंगी होकर ही नहाती थी, सिर्फ़ कच्छी पहन कर..जैसा ज्यादातर झुग्गी में रहने वाली लड़कियां नहाती थी

सब उसको लच्छो कहते थे,वो थी एकदम साँवले रंग की पर उसके नैन नक्श काफ़ी अच्छे थे, हमेशा सब से अलग ही रहती थी, पर ऐसे जवान होते बच्चे ही सबसे ज़्यादा सेक्स के प्रति रूचि रखते हैं...

आज भी लच्छो ने जब गंगू और नेहा को एक दूसरे को चूमते हुए देखा तो वो झट से उसी चट्टान की औट मे जाकर खड़ी हो गयी ,जहाँ उस दिन गंगू ने रज्जो को चोदा था..

गंगू ने नेहा के मुम्मे पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए ...और उसके होंठों पर होंठ रखकर ज़ोर से चूसने लगा..

साथ ही नहा रही दो औरतें भी उन्हे देख कर हँसने लगी..

पहली : "हाए दैया, देख तो इस गंगू को, अपनी ही जोरू को खुले मे ऐसे चूम रहा है जैसे घर पर मौका ही नही मिलता...''

दूसरी : "ही ही .... ये मर्द साले होते ही ऐसे हैं, जहाँ मौका मिल जाए, अपना हथियार उठा कर चले आते हैं, मीटिंग करने को... हा हा''

फिर दोनो ज़ोर-2 से हँसने लगी..

पर उनकी बातों और हँसी से गंगू को कोई फ़र्क नही पड़ता था, वो उसकी असली बीबी तो थी नही, जो इतना पोस्सेसिव होता, वो हर उस तरीके से नेहा के साथ मज़े लेना चाहता था जो उसने सोचे हुए थे..

आज भी वो अपनी अधूरी इच्छा लेकर ही आया था नदी मे नहाने के लिए...पिछली बार तो नेहा ने काफ़ी तरसाया था उसके लंड को...पर आज चुदने के बाद वो पूरी तरह से खुल चुकी थी और उसका पूरा साथ भी दे रही थी...अब तो उसकी खुले मे चुदाई करने मे काफी मजा आएगा.

गंगू ने अपना हाथ नीचे किया और अपने लंड को बाहर निकाल लिया..और नेहा का हाथ पकड़कर उसके उपर लगा दिया.

ठंडे पानी मे गर्म रोड पकड़कर नेहा एकदम से सिहर उठी..हालाँकि अभी कुछ देर पहले ही उसकी जिंदगी की पहली चुदाई हुई थी, पर गंगू के लंड मे ना जाने क्या जादू था, वो फिर से गर्म होने लगी..शायद दूसरी चुदाई के ख़याल से उसकी बुर ने फिर से पानी देना शुरू कर दिया था.

उसकी आँखों मे नशीलापन तैरने लगा..और वो भी पूरी तरह से मदहोश सी होने लगी.

ये एक ऐसी परिस्थिति होती है जब औरत को मज़े के आगे कुछ भी नही दिखता, वो कहाँ पर है और क्या कर रही है, उससे ज़्यादा सेक्स का मज़ा मेटर करता है..

नेहा को अपने शरीर के कपड़े बोझ से लगने लगे...उसका तो मन कर रहा था की अभी के अभी सारे कपड़े फाड़ डाले और पूरी नंगी होकर गंगू की शक्तिशाली बुझाओं से लिपट जाए...उसको छोड़े ही नही,....उसकी गोद मे चड़कर उसको चूस डाले...

ये ख़याल आते ही उसने अपने गाउन के बटन खोलकर अपने मुम्मे बाहर निकाल लिए और ज़बरदस्ती गंगू के मुँह मे पूरा का पूरा मुम्मा ठूस दिया...

''खा इसको........चबा जा....मिटा दे इनकी खुजली......दाँत से काट इन्हे....'' वो बड़बडाए जा रही थी..

और उन्हे ऐसा करता देखकर वो दोनो औरतें तो शर्म से पानी-2 होकर वहाँ से निकल गयी..पर चट्टान की औट मे खड़ी हुई लच्छो का बदन जल उठा...वो अपने नन्हे-2 उभारों को सहलाते हुए खुद ही बड़बड़ाने लगी

"हाँ ....काट इन्हे गंगू....खा जा....चबा जा ....ज़ोर से दबा....और ज़ोर से ....''

वो खड़ी -2 अपने निप्पल को खींच कर ऐसा महसूस कर रही थी जैसे वो गंगू के मुँह मे हो और वो ही उन्हे चूस रहा हो..

अपनी पतली उंगलियों से वो अपने छोटे-2 अमरूदों को दबा रही थी...ऐसा उसने कई बार किया था, पर आज जो मज़ा उसे मिल रहा था, वैसा उसने कभी भी फील नही किया था.

उसने जो कच्छी पहनी हुई थी, वो भी उसने नीचे खिसका दी..उसकी चूत पर अभी बाल आने शुरू ही हुए थे , पर वो जानती नही थी की वहाँ क्या करना है, पर अंदर से ही उसे पता नही क्यों ये फील हो रहा था की वहाँ हाथ लगाया जाए..उसने अपनी अनछुई चूत को अपने पंजे मे दबोच लिया..पर वहाँ से उठ रही खुजली कम हो ही नही रही थी.

वो लगातार गंगू और नेहा को ही देख रही थी..गंगू तो मदमस्त सांड की तरह खुले मे ही नेहा को चोदने की फिराक मे था..पर उसके दिमाग मे भी ख़याल आया की ऐसे ही अगर उसने नेहा को खुले मे चोद दिया तो कोई भी आकर नेहा को चोद देगा, कुछ परदा तो होना ही चाहिए..

उसे फिर से उसी चट्टान की याद आ गयी, जहाँ उसने पहले भी कई बार चुदाई की थी..और जहाँ इस वक़्त लच्छो लगभग नंगी होकर उन्हे ही देख रही थी.

गंगू ने नेहा का हाथ पकड़ा और उसे दूसरी तरफ ले जाने लगा, चट्टान के पीछे..उन दोनो को अपनी तरफ आता हुआ देखकर लच्छो तो एकदम से सकपका गयी..वहाँ से भागने का कोई और रास्ता भी नही था..पीछे की तरफ उँची दीवार थी और बाँयी तरफ दूर तक नदी का पानी...इसलिए वो वहीं खड़ी रही..उसने जल्दी से अपनी कच्छी उपर कर ली.

वहाँ पहूचकर गंगू ने देखा की लच्छो वहाँ खड़ी हुई है...उसका चेहरा लाल सुर्ख था, वो समझ गया की या तो वो उन्हे छुप कर देख रही थी या फिर खुद ही छुपकर अपनी चूत मल रही थी..

गंगू : "आए लच्छो , तू यहाँ क्या कर रही है...चल भाग यहाँ से...''

लच्छो पर भी अपनी उभरती जवानी का नशा चड़ा हुआ था, वो बोली : "क्यो, ये नदी क्या तेरे बाप की है...तू जा ना बाहर...मैं तो यहीं नहाऊँगी ..तू बाहर जाकर चाट इसके दूध ...जैसा अभी कर रहा था..''

गंगू समझ गया की वो वहाँ छुपकर उन्हे ही देख रही थी..वैसे तो उसने आज से पहले भी कई बार उसको नहाते हुए देखा था, पर एक छोटी बच्ची समझकर उसकी तरफ ख़ास ध्यान नही दिया था...उसकी अर्धविक्सित छातियाँ आम लड़कियों की तरह ही थी जो वहाँ नदी मे नहाने के लिए आती थी..पर उसकी आँखों मे एक अजीब सी कसक थी..जल्दी जवान होने की...गंदे काम करने की...किसी का लंड लेने की..

गंगू ने भी घाट-2 का पानी पिया था..ऐसी चिड़िया को अपने हाथों से कैसे जाने देता वो..इसलिए अगले ही पल उसने वो किया जिसकी लच्छो ने कल्पना भी नही की थी..उसने एक ही झटके मे अपना अंडरवीयर उतार कर चट्टान पर रख दिया..और पूरा नंगा होकर खड़ा हो गया..

नेहा को तो ऐसी बातों से कोई फ़र्क नही पड़ता था, पर लच्छो ने आज पहली बार किसी का पूरा लंड देखा था और वो भी इतना बड़ा..उसे तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नही हुआ..उसके साथ की लड़कियों के साथ उसने कई बार लंड के बारे मे बात की थी..पर किसी के पास भी कोई ब्योरा नही था..उन्होने तो सिर्फ़ झुग्गी के बच्चो की लुल्लिया ही देखी थी आज तक..पर आज लच्छो ने साक्षात काला लंड देख लिया था..और वो उसे देखकर पलकें झपकना भी भूल गई...उसकी छाती की घुंडीयां उत्तेजना मे भरकर पूरी तरह से बाहर निकल आई.
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07-17-2018, 12:26 PM,
#26
RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
गंगू : "तेरी मर्ज़ी...मैं तो तेरे भले के लिए ही कह रहा था...ऐसी चीज़ें बच्चे नही देखते...''

लाकचो : "मैं भी कोई बच्ची नही हू अब...ये देख...''

और इतना कहते हुए उसने भी बेशर्मी से अपनी कच्छी नीचे कर दी..और उसकी छोटी सी रोँये वाली चूत देखकर गंगू के लंड ने नाचना शुरू कर दिया...

वो सोचने लगा की काश इसकी भी चूत मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए..पर ऐसा करने मे कितना खून ख़राबा होगा ये वो अच्छी तरह से जानता था.

लच्छो : "देख क्या रहा है तू....अगले साल मैं भी 18 की हो जाउंगी ...मैं कोई बच्ची नही हू ...''

गंगू ने उसको पूरी तरह से उकसा दिया था..

अचानक उसके दिमाग़ मे एक प्लान आया..वो नेहा की तरफ मुड़ा और बोला : "चलो ...जल्दी से अपने कपड़े उतार दो...''

वो तो जैसे इसी की प्रतीक्षा कर रही थी...उसने झट से अपना गाउन उतार कर चट्टान पर रख दिया और वो भी नंगी हो गयी..

फिर गंगू ने नेहा को उसी छोटी वाली चट्टान पर बिठाया और अपने लंड पर झुकाते हुए उसके मुँह के अंदर अपना लंड डाल दिया..

और लच्छो की तरफ मुड़कर बोला : "ये किया है क्या तूने कभी ...''

लच्छो बेचारी क्या बोलती, उसने तो सोचा भी नही था की लंड को चूसा भी जाता है...उसने ये तो सुना हुआ था की लड़कियाँ अपनी चूत मे लेती है लंड को..पर उसको चूसती भी है, ये वो आज ही जान पा रही थी.

पर फिर भी अपने आप को सयानी बताने का नाटक करते हुए वो बोली : "हाँ हाँ ...कई बार किया है...तू समझता क्या है मुझे...ये सब तो मैं दो सालों से करती आ रही हू...''

गंगू समझ गया की उसका तीर निशाने पर लगा है..उसने दूसरी तरफ देखा की कोई उस तरफ तो नही आ रहा ...पर बाहर की तरफ कोई भी नही था..

फिर वो लच्छो की तरफ मुड़ा और बोला : "चल इधर आ फिर...मैं भी तो देखु की 2 सालों मे तूने क्या सीखा है..''

लच्छो : "पर ये....तेरी जोरू....''

वो शायद डर रही थी की गंगू कैसे अपनी ही बीबी के सामने उसको बुला रहा है..

गंगू : "तू इसकी फ़िक्र मत कर ...ये कुछ नही कहेगी...''

अब तो वो बुरी तरह से फँस चुकी थी, ऐसी शेखी बघारी थी उसने की अब पीछे भी नहीं हट सकती थी..और वैसे भी अंदर ही अंदर वो खुद भी तो ये एक्सपीरियन्स लेना चाहती थी..इसलिए गंगू के कहने पर वो चुपचाप पानी मे चलती हुई उसके पास पहुँची और वहाँ पहुँच कर खड़ी हो गयी.

लच्छो : "बोल...क्या करू...''

उसने तो जैसे आत्मसमर्पण कर दिया था...गंगू ने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा और अगले ही पल उसके नंगे बदन को अपनी बाहों मे भरकर उसे हवा में उठा लिया...उसकी छोटी-2 ब्रेस्ट गंगू की बालों वाली छाती से पीसकर टूट सी गयी...और फिर गंगू ने उसके गोल मटोल चेहरे को अपने करीब किया और उसके होंठों को अपने मुँह मे लेकर कुलफी की तरह चूसने लगा...

ये था लच्छो की जिंदगी का पहला चुंबन...और वो भी इतने रफ़ तरीके से...

गंगू ने बिना कोई रहम करते हुए उसके होंठों को ऐसे चबाना शुरू किया जैसे वो रबड़ के बने हो...और उसके अंदर से आ रही मीठास को महसूस करते ही उसके लंड ने झटके देने शुरू कर दिए नेहा के मुँह के अंदर..जो बड़े ही मज़े ले-लेकर नंगी बैठी हुई उसके लंड को चूस रही थी.

लच्छो की चड्डी तो उसके घुटने मे फंसी थी..और उसकी नयी चूत गंगू की कमर पर घिस्से लगा रही थी..गंगू ने एक हाथ से उसके निप्पल को पकड़कर ज़ोर से उमेठ दिया...और अगले ही पल लच्छो पर भी उत्तेजना का वही ज्वर चड गया जो कुछ देर पहले नेहा पर चड़ा था...और वो बुदबुदाने लगी..

"खा जा इन्हे...ज़ोर से दबा....चबा जा.....मिटा दे इनकी खुजली...''

उसकी बड़बड़ाहट सुनकर गंगू के साथ-2 नेहा भी मुस्कुरा दी...वो दोनो समझ गये की वो छुपकर उन्हे ही देख रही थी..उनकी बातें भी सुन रही थी...

गंगू ने भी उसको निराश नही किया...उसने उस फूल जैसी लड़की के जिस्म को थोड़ा और उपर उठाया और उसके निप्पल को अपने मुँह मे डाल कर उस बछिया का दूध पीने लगा..

''आहह........ ओह ......गंगू ssssssssssssssssssss''

ये शायद सबसे छोटी उम्र की लड़की थी, जिसके शरीर के साथ गंगू मज़े ले रहा था...वरना ज़्यादातर की उम्र तो 20 से उपर ही थी, जिनकी चुदाई उसने आज तक की थी.

इतनी आसानी से एक और चूत का इंतज़ाम होता देखकर गंगू को फिर से अपनी किस्मत पर फक्र होने लगा...पर वो लच्छो को आराम से मज़े ले-लेकर भोगना चाहता था...और वैसे भी इतनी कच्ची कली को फूल बनाने के लिए ये जगह भी सही नही थी..पर आज वो उसको पूरी तरह से उत्तेजित करते हुए, उपर-2 से मज़े लेकर, उसको आगे के लिए तैयार ज़रूर करना चाहता था.

गंगू ने कुछ देर तक उसके दोनो निप्पल एक-एक करते हुए चूसे , फिर उसके होंठ दोबारा चूसे और फिर अचानक ही बिना किसी वॉर्निंग के अपनी मोटी सी उंगली को उसकी चूत की फांकों के बीच डाल दिया..

लच्छो की आँखे एकदम से फैल सी गयी...दर्द की एक तेज लहर उसके बदन मे उठ गयी..पर एक मीठी सी कसक और वहाँ से उठ रही खुजली मिटने की आस भी उसको महसूस हुई.

गंगू ने उसको भी नेहा के साथ चट्टान पर टीका दिया...और उसके घुटनो मे फंसी हुई कच्छी को उसने निकाल कर साइड मे रख दिया.

नेहा बड़े ही मज़े ले लेकर गंगू के लंड को चूस रही थी...अपनी जीभ से चाट रही थी...उसके टट्टों को अपनी उंगलियों से सहला रही थी...और लच्छो उसको देखते हुए जैसे वो सब सीखने की कोशिश कर रही थी..गंगू भी समझ चुका था की आज जो भी लच्छो के साथ हो रहा था, वो पहली बार ही हो रहा था, उसे पहले से ऐसी बातों का कोई भी तजुर्बा नही था.

और ऐसी ही नयी नवेली मछलियों को सेक्स का मज़ा देने के लिए गंगू महाराज ने जन्म लिया था..वो मंद -मंद मुस्कुराते हुए उसको कसमसाते हुए देखने लगा...वो अपने होंठों पर जीभ फेरा रही थी, जैसे वो लंड चाटने के लिए तैयारी कर रही हो..

गंगू ने उसके सिर को पकड़कर अपने लंड की तरफ झुकाया और नेहा को पीछे करते हुए अपना खोफ़नाक लंड लच्छो के सामने लहरा दिया..वो तो उसके चेहरे से भी बड़ा था...पर फिर भी उसने डरते-2 उसे अपने नन्हे हाथों मे पकड़ा और अपनी जीभ लगा कर पहले तो उसको चेक किया की उसका स्वाद कैसा है...फिर धीरे से अपना पूरा मुँह खोलकर उसके सुपाडे को अंदर लिया...और फिर अपनी जीभ और होंठों का इस्तेमाल करते हुए धीरे-2 दो इंच लंड अंदर ले लिया...और इतना करते ही उसे ऐसे लगा की उसकी साँस बंद हो रही है...उसका गला और मुँह पूरी तरह से बंद हो चुके थे..

गंगू : "शाबाश....ऐसे ही...थोड़ा और खोलो मुँह...अंदर बाहर करो..चूसो इसको...चाटो अपनी जीभ से...''

और फिर धीरे-2 करते हुए लच्छो ने लंड को चूसना सीख ही लिया....उसको अंदर से ऐसी खुशी हुई जैसे उसने 12th पास कर ली हो...

नेहा की चूत अब बुरी तरह से सुलग रही थी...वो तो बस चाहती थी की गंगू जल्द से जल्द अपनी नयी सहेली को छोड़कर उसकी टांगे फेलाए और लंड पेल दे उसके अंदर..

उसने गंगू की जाँघ पर अपने मोटे मम्मे रगड़ने शुरू कर दिए...गंगू भी समझ गया की वो चुदाई के लिए तड़प रही है..उसने अपना लंड बड़ी मुश्किल से लच्छो के मुँह से बाहर खींचा, क्योंकि मज़े मिलने के बाद वो उसको छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी.

फिर उसने उस सपाट चट्टान पर नेहा को लिटाया और उसकी टांगे उपर हवा मे थाम ली...लच्छो बड़े ही गौर से वो सब देख रही थी..

और फिर गंगू ने अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और दबाव डालकर उसको अंदर डालना शुरू किया..

नेहा का भी ये सिर्फ़ दूसरी बार था...पर चूत गीली होने की वजह से वो बड़ी ही आसानी से अंदर चला गया...इतने बड़े लंड को छोटी सी चूत मे पूरा समाता हुआ देखकर वो हैरान रह गयी...और उसी हैरानी मे आकर वो अपनी चूत को निहारने लगी..जैसे समझने की कोशिश कर रही हो की आख़िर ये सब होगा कैसे.

नेहा की आहें गूंजने लगी वहाँ

''अहह .... ओह ....उ हह अहह ....और अंदर .....ज़ोर से ......अहह ...ऐसे ही ......उम्म्म्ममम ......आहह ...''

और एक जोरदार चीख के साथ वो झड़ने लगी..

गंगू ने भी पाँच मिनट तक और चोदा उसको और फिर जब वो झड़ने को हुआ तो उसने अपनी पिचकारी बाहर निकाल कर नेहा और लच्छो के चेहरे सफेद रंग से रंग दिए..

नेहा ने वो सारी मलाई खा ली..और उसकी देखा देखी लच्छो ने भी अपना चेहरा साफ़ करते हुए उसे समेट कर निगल लिया...जिसमे उसको मज़ा भी बहुत आया..

फिर अच्छी तरह से नहाने के बाद दोनो ने अपने-2 कपड़े पहने और घर की तरफ निकल गये..

लच्छो भी नये एक्सपीरियेन्स को फील करती हुई घर चली गयी...पर जाने से पहले गंगू से ये वादा भी किया की वो जब भी कहेगा,वो वहाँ हाजिर हो जाएगी..

घर पहुँच कर उसने देखा की भूरे सिंह का आदमी उसका वेट कर रहा था..

उसने गंगू से कहा की भूरे ने उसको अपने साथ लाने के लिए कहा है..

गंगू जल्दी से तैयार हुआ और उसके साथ चल पड़ा.

शायद आज कुछ और ख़ास होने वाला था उसके साथ..
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07-17-2018, 12:26 PM,
#27
RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
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अब आगे
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भूरे का आदमी गंगू को लेकर एक आलीशान बार कम केसीनो मे पहुँचा....वो बार कम केसीनो आज तक गंगू ने बाहर से ही देखा था, अक्सर वो वहाँ बैठकर भीख माँगा करता था, भूरे के आदमी के साथ गंगू को अंदर जाता हुआ देखकर वहाँ का दरबान भी चोंक गया, वो गंगू को अच्छी तरह से जानता था,पर भूरे के आदमी के साथ उसको अंदर जाता हुआ देखकर वो भी उसको सिर्फ़ सलाम ठोकने के अलावा कुछ नही कर सकता था..

गंगू भी अपने आप को मिल रहे ऐसे ट्रीटमेंट से काफ़ी खुश था..

अंदर पहुँचकर उसने जो नज़ारा देखा,उसकी तो गंगू ने कल्पना भी नही की थी...चारों तरफ गोल टेबल पर जुआ चल रहा था, लाखों की बाजिया चल रही थी...दारू और बियर के ग्लास हर टेबल पर थे...आधी नंगी लड़किया सर्व कर रही थी...ऐसा माहौल तो उसने एक फिल्म मे देखा था..पर असल जिंदगी मे ऐसा देखने को मिलेगा, ये उसने सोचा भी नही था.

भूरे का आदमी उसको एक झालर वाले केबिन मे ले गया..कोने मे एक बड़े से टेबल पर भूरे बैठ हुआ था...और उसके साथ ही एक मोटा सा आदमी, जिसकी घनी मूंछे थी,वो सिगार पीता हुआ अपनी गोद मे बैठी लड़की के मुम्मे दबा रहा था,जो उपर से पूरी नंगी थी..

भूरे : "भाई, ये है वो गंगू...और गंगू, ये है नेहाल भाई...''

नेहाल भाई को अपने सामने बैठा देखकर गंगू की तो हिम्मत ही नही हुई कुछ कहने की...कहाँ वो झुग्गी मे रहने वाला एक अपाहिज भिखारी और कहाँ अंडरवर्ल्ड का डॉन नेहाल भाई..

नेहाल ने उसको उपर से नीचे तक देखा और बोला : "अच्छा काम किया तूने कल...तेरी वजह से आज मेरा सिर उँचा हो गया...अगर वो माल पकड़ा जाता तो करोड़ो का नुकसान तो होता ही, मेरा नाम भी खराब होता मार्केट मे..इसलिए तुझे यहाँ बुलवाया,अच्छे आदमियों की कद्र करता है ये निहाल..''

उसका एक हाथ लगातार उस लड़की का मुम्मा दबाता रहा , और वो लड़की भी बड़े मज़े-ले लेकर अपने मुम्मे दबवा रही थी.

गंगू की नज़रें उसके उभरे हुए निप्पल्स को घूर रही थी..जो इतने लंबे थे की उन्हे मुँह मे लेकर चूसने मे मज़ा ही आ जाए कसम से.

गंगू को लड़की की तरफ घूरते देखकर नेहाल समझ गया की उसके मन मे क्या चल रहा है...उसने धीरे से उस लड़की के कान मे कुछ कहा और वो उठ खड़ी हुई, उसने एक छोटी सी स्कर्ट पहनी हुई थी...और शायद अंदर कच्छी भी नही थी...और वो मटकती हुई गंगू के पास आई और उसका हाथ पकड़कर एक कुर्सी पर बिठाया...और खुद उसकी गोद मे बैठ गयी.

नेहाल : "आज पहली बार नेहाल अपनी लड़की को किसी के साथ शेयर कर रहा है...आज की रात तू मज़े कर इसके साथ..''

और इतना कहकर वो उठ खड़ा हुआ और भूरे सिंह के कान मे कुछ फुसफुसाया....और फिर अपने आदमियो के साथ बाहर निकल गया.

उसके जाने के बाद भूरे ने गंगू को देखा और ज़ोर-2 से हँसने लगा.

भूरे : "साले ...तूने तो भाई पर जादू चला दिया है...इस छमिया पर तो मेरी नज़र थी इतने दिनों से...और देख , ये तेरी गोद मे बैठी हुई है...हा हा...मज़े है तेरे..''

गंगू सच मे अपने आप को किसी रियासत का राजा समझ रहा था...नेहाल भाई का खास आदमी, जिसे उन्होने अपनी रखैल दे डाली...

उसने अपनी छाती फुलाई और अपने खुरदुरे हाथ उस गोरी लड़की की ब्रेस्ट पर जमा कर ज़ोर से दबा दिया..

ऐसा लगा जैसे किसी मक्खन के गोले को हाथ मे पकड़ लिया हो उसने...उसकी उंगलियाँ अंदर तक धँसती चली गयी..ऐसी चिकनी त्वचा तो उसने आज तक नही देखी थी..और उसके शरीर से उठ रही महक भी काफ़ी नशीली थी...जैसे पूरी रात शराब मे डुबो कर रखा हो उसको...नशा सा छा रहा था गंगू के सिर पर.

भूरे ने ये तो सोचा भी नही था की नेहाल भाई गंगू को हिनल जैसी लड़की दे देंगे..

हिनल पर उसकी काफ़ी समय से नज़र थी..पर नेहाल भाई के डर से उसकी तरफ कोई आँख उठा कर भी नही देखता था...और नेहाल भाई भी काफ़ी ऐय्याश टाइप का आदमी था, उसको दूसरो के सामने सेक्स करने मे काफ़ी मज़ा आता था, या ये कह लो की अपना लंबा लंड और मर्दानगी सबके सामने दिखाने मे वो फक्र महसूस करता था.

और हिनल को भी कुछ ऐसी ही आदत पड़ चुकी थी, नेहाल के लंबे लंड से चुदाई करवाने मे उसको काफ़ी आनंद मिलता था, ख़ासकर जब उसके चमचे और बॉडीगार्ड उसकी चुदाई होते हुए साफ़ देख रहे हो...उनके खड़े होते लॅंड देखकर वो और भी ज़्यादा उत्तेजित हो जाती थी..और खूब उछल-2 कर चुदाई करवाती थी.

गंगू को देखकर एक बार तो उसने भी नाक सिकोडी, क्योंकि उसका हुलिया था ही फकिरों जैसा...पर वो नही जानती थी की वो सच मे एक भिखारी है..जब नेहाल भाई के कहने पर वो उसकी गोद मे आकर बैठी, तो उसकी बलिष्ट बाजुओं और सख़्त छाती को महसूस करके वो जान गयी की बंदे मे काफ़ी दम है...और वो खुली आँखों से ही उसके लंड को अपने अंदर लेने के सपने देखने लगी.

उधर भूरे मन मे सोच रहा था की कैसे गंगू को आज ज़मीन पर लाया जाए, साला दो दिन में एकदम से उड़ने लगा है..

उधर भूरे मन मे सोच रहा था की कैसे गंगू को आज ज़मीन पर लाया जाए, साला दो दिन में एकदम से उड़ने लगा है..

वैसे दोस्तो, देखा जाए तो हमारे आस-पास वाले लोग ही हमारी तरक्की से जलते हैं, उन्हे ये बात हरगिज़ हजम नही होती की उनके सामने पैदा हुआ इंसान उनसे भी उपर निकल जाए...ऐसी जलन की भावना ही इंसान को एक दूसरे का दुश्मन भी बना देती है..

और यही सब इस वक़्त भूरे सोच रहा था गंगू के बारे मे.

गंगू तो बिजी था हिनल के हुस्न को सूंघने मे, भूरे ने सबके लिए शराब और चिकन मँगवाया और साथ ही ताश के पत्ते भी..

वो जुआ खेलने मे एक नंबर का उस्ताद था...और गंगू को जो एकदम से इतने पैसे मिले थे,उनकी गर्मी उतारकर ही उसको उसके भिखारीपन का एहसास करवाया जा सकता था.

गंगू ने शराब के दो गिलास पी लिए , अब तक हिनल ने उसके लॅंलंड को बाहर निकालकर चूसना शुरू कर दिया था, पहले तो गंगू को बड़ा ताज्जुब हुआ , पर जब वो आधी नंगी होकर बैठ सकती है तो ये काम भी आसान है उसके लिए...वो मज़े से अपने लंड की चुसाई का आनंद लेने लगा.

इतने मे भूरे ने ताश के पत्ते बाँटने शुरू कर दिए.

गंगू को कोई खास तजुर्बा नही था खेलने का, पर फिर भी शराब का नशा और जेब मे पड़े पैसों की गर्मी की वजह से उसने खेलना शुरू कर दिया.

कुल बीस हज़ार रुपय थे गंगू के पास,घर पर तो रखने की कोई जगह नही थी, इसलिए वो पैसे साथ ही उठा लाया था...10 भूरे ने ही दिए थे और 10 मुम्मेथ ख़ान ने.

4 बाजियों के बाद वो लगभग 10 हज़ार रुपय हार गया भूरे से..

अब उसका माथा ठनका ...वो तो सही से खेलना भी नही जानता था, इसलिए हार रहा था..और ऐसे ही चलता रहा तो उसके सारे पैसे ख़त्म हो जाएँगे, जिनकी गर्मी को महसूस करके वो ये भी भूल चुका था की वो एक भिखारी है.

अब तक उसका लंड भी खड़ा हो चुका था..वो सीधा तो मना करना नही चाहता था भूरे को, वरना वो उसको फट्टू समझता..इसलिए उसने बहाना किया और एकदम से हिनल को अपनी गोद मे उठा कर सेंट्रल टेबल पर लिटा दिया और उसकी टाँगो को फैला कर उसकी बुर चाटने लगा.

हिनल तो वैसे भी एक नंबर की चुड़दक़्कड़ थी, उसको तो ऐसे कामो मे मज़ा मिलता था..अपनी जवानी को सबके सामने दिखा कर वो तृप्त सी हो जाती थी..और आज उसका टेस्ट भी तो बदल दिया था नेहाल भाई ने, उसको गंगू के हवाले करके...

काफ़ी समय से सिर्फ़ नेहाल से चुदाई करवाते हुए वो भी बोर हो चुकी थी और आज ऐसे गठीले इंसान के सामने अपने आपको नंगा बिछाकर वो भी मस्ती मे झूम रही थी.

भूरे भी समझ गया की थोड़ी देर के ब्रेक की ज़रूरत है शायद गंगू को...वैसे भी खड़े लंड को जल्द से जल्द काम पर लगा देना चाहिए,वरना सही नही होता.

वो भी आराम से अपने साथियों के साथ बैठकर गंगू की चुदाई के तरीके देखने लगा..उसके और उसके साथियो ने पहले भी कई बार हिनल को नेहाल के लंबे लंड के नीचे मचलता देखा था, पर आज गंगू के लंड का स्वाद लेते हुए पहली बार देखना था सभी को.

गंगू ने हिनल की टांगे अपनी गर्दन पर लेपेटी और अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया..और उठ खड़ा हुआ..हिनल का नंगा शरीर उसकी गर्दन से लटककर झूल गया...पर बेचारी चीखने के अलावा कुछ नही कर सकती थी..उसकी मोटी-2 ब्रेस्ट हवा मे ऐसे उछल रही थी जैसे बाहर ही निकल आएँगी..

''आआयययययययययययययययययययययययययीीई साले, खा जा मेरी चूत को.............अहह .......हहााआ....''
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07-17-2018, 12:26 PM,
#28
RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
गंगू तो उसकी चूत के होंठ ऐसे नोच रहा था जैसे उसको बरसो से खाना नही मिला....वो अपनी जीभ से उसकी चूत की सफाई भी कर रहा था, जिसमे से लगातार मीठा रस बाहर निकल रहा था...और उसकी गर्दन से उल्टी लटके होने की वजह से कुछ रस फिसल कर उसके पेट से होता हुआ उसके उरोजों तक भी जा रहा था...

वहाँ खड़े सारे गुंडों की हालत खराब थी...ख़ासकर भूरे की, उसका मन तो कर रहा था की उसकी चूत के रस से भीगे मुम्मे चूस कर वो भी मज़े ले , पर नेहाल के बारे मे वो अच्छी तरह से जानता था, अगर उन्हे पता चल गया तो उसका क्या हश्र होगा, ये वो जानता था.

वो सभी लोग सिर्फ़ जीभ लपलपा कर देखने के अलावा कुछ भी नही कर सकते थे..

गंगू ने उसको आराम से टेबल पर लिटाया और उसकी गर्म चूत को गोर से देखा, जो ज़्यादा चूसने की वजह से लाल सुर्ख हो चुकी थी..

हिनल की आँखो मे सेक्स का नशा पूरी तरहा से उमड़ चुका था....वो जल्द से जल्द गंगू के लंड को अपने अंदर लेना चाहती थी..

गंगू ने उसकी टाँगो को चोडा करते हुए उसकी चूत के मुहाने पर अपना लंड रखा और धीरे से धक्का देकर अंदर दाखिल हो गया...

''उम्म्म्मममम....... सस्स्स्सिईईईईई......अहह''

उसकी चुदते टाइम ऐसी आवाज़ सुनने की वहाँ के लोगो को आदत थी....पर गंगू का लंड नेहाल के मुक़ाबले थोड़ा थिक था...और शायद लंबा भी...इसलिए आज हिनल की सिसकारियों मे एक गर्माहट भी थी...

वो अपने ही रस से भीगे स्तनों को हाथ मे लेकर निचोड़ने लगी...और उसपर लगे रस से उसने गंगू के चेहरे को पोत दिया....

अगले ही पल गंगू उसके उपर धम्म से गिर पड़ा और अपना पूरा लंड अंदर तक पेल दिया, और साथ ही साथ उसके नर्म मुलायम होंठों को बुरी तरह से चूसने लगा...

अब तो गंगू ने स्पीड से चुदाई करनी शुरू कर दी...वो खड़ा हुआ था और हिनल की टांगे उसकी कमर से बँधी हुई थी और वो ढका धक उसको पेले जा रहा था....शायद हिनल की जिंदगी की ये सबसे यादगार चुदाई बनने वाली थी....उसके मुँह से लार निकल कर साईड मे गिर रही थी....हर झटके से उसकी बड़ी-2 चुचियाँ उपर तक जाकर उसकी ठोड़ी को छूती ..और फिर नीचे आकर गंगू के चेहरे को...

ऐसे ही थपेड़ों के बीच एक जोरदार आवाज़ के साथ हिनल की चूत का ज्वालामुखी फट पड़ा...और वो कल-कल करती हुई बहने लगी..

''अहहssssssssssssssssssssssssss ...... ओह माय गॉड ....... अहहssssssssssssssssssssssssssssss ......''

पर हमारा हिन्दुस्तानी शेर अभी तक थका नही था, वो उसकी चूत का कीमा बनाने मे लगा था अपने मूसल जैसे लंड से....वो धक्के दे-देकर पूरा अंदर तक जा रहा था और उसकी हिलती हुई जवानी के कलशो को पीने की कोशिश भी कर रहा था...

और जब 10 मिनट के बाद गंगू के लंड ने सफेद सोना उगलना शुरू किया तो उसकी बोछार के तले दबकर हिनल का शरीर तो गायब ही हो गया...गंगू ने उसके उपर जैसे सफेद रंग का स्प्रे कर दिया हो...वो उसके गाड़े रस से भीगकर पूरी ढक गयी...

और फिर अपने बिखरे हुए कपड़ो को समेटकर उठी और गंगू को एक प्यारी सी किस्स देकर पिछले दरवाजे से उपर के कमरे मे चली गयी.

गंगू ने भी अपने कपड़े पहन लिए..उसकी आज की चुदाई देखकर भूरे को पूरा विश्वास हो गया की वो अपनी बीबी को भी ऐसे ही चोदता होगा...फिर वो ऐसी प्यासी सी बनकर क्यों घूमती रहती है...ज़रूर कोई गड़बड़ है...

और ये सब जानने के लिए उसके दिमाग़ मे एक प्लान बन ही चुका था..

उसने ज़िद करते हुए गंगू को और शराब पिलाई और साथ ही दोबारा जुआ खेलने के लिए उकसाया, एक दो बार जान बूझकर हारने के बाद वो फिर से जीतने लगा और आख़िर मे उसने गंगू को पूरा खोखला कर दिया, उसके सारे पैसे जुए मे जीतकर..

फिर शराब के नशे मे धुत्त गंगू को उसने घर तक भी छोड़ दिया..

आज भी वो नेहा को खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था..पर वो गंगू को ऐसी हालत मे देखकर आज कुछ ज़्यादा ही चिंता मे आ गयी थी...इसलिए उसके लिए कोई जुगाड़ हो पाना संभव नही हो सका..

पर उसको भी पता था की उसकी योजना अगर सही काम कर गयी तो ये खुद ही उसकी गोद मे आकर बैठेगी...जैसे हिनल आ गयी थी आज गंगू की गोद मे.

भूरे के जाते ही नेहा ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और गंगू के पास पहुँची, नयी नवेली दुल्हन की तरह उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी, वो तो कब से गंगू के वापिस आने की प्रतीक्षा कर रही थी, उसकी चूत गाड़े पानी से भरकर बाहर रिसने को हो रही थी, पर गंगू को ऐसी हालत मे फिर से देखकर वो घबरा गयी, वो समझ गयी की शायद आज भी गंगू उसको संतुष्ट नही करेगा, क्योंकि उसने शराब पी रखी थी, वो अपने होश मे नही था..

पर जिस लड़की के सिर पर चुदाई का भूत सवार हो जाए, वो इतनी जल्दी हार नही मानती, उसने गंगू की पेंट खोलकर उसे नीचे उतार दिया, और उसके अंडरवीयर को भी खींच कर बाहर कर दिया...

गंगू का सोया हुआ अजगर उसकी टाँगो के बीच आराम कर रहा था..उसके देखते ही नेहा की साँसे तेज हो गयी...और उसके हाथ अपने आप ही चूत पर पहुँच गये और वो उसे कुरेदने लगी..अभी लाइट नही आ रही थी, नेहा ने एक लेम्प जलाकर उसको टांगा हुआ था, जिसकी मद्धम रोशनी मे वो नशे मे सोए हुए गंगू को प्यासी नज़रों से देख रही थी..

उसकी उंगलियो ने हरकत की और अगले ही पल उसके ब्लाउस के हुक खुलने शुरू हो गये..अपनी ब्रा को भी उसने नोच कर अपने शरीर से ऐसे अलग किया जैसे उसमे काँटे लगे हो...खुली हवा मे आते ही उसके गोल मटोल उरोजो ने गहरी साँस ली और वो अपनी शेप मे आ गये..उसके निप्पल उबलकर उठ खड़े हुए और उसकी मांसल छातियाँ पहले से कई ज़्यादा बड़ी दिखने लगी..

वो खिसककर गंगू के करीब पहुँची और अपने मुँह से गर्म साँसे छोड़ती हुई वो गंगू की टाँगो के बीच लेट गयी, उसके दोनो मुम्मे उसके घुटनो की कटोरियों पर पिसकर अंदर की तरफ घुस गये..और उसने अपनी लपलपाती हुई जीभ को सीधा लेजाकर गंगू के लंड के उपर रख दिया और उसको नीचे से उपर की तरफ ऐसे चाटना शुरू कर दिया जैसे वो लंड नही कोई आइस्क्रीम हो..

इंसान भले ही होश मे ना हो पर उसके शरीर के साथ जो कुछ भी हो रहा होता है, वो उसका दिमाग़ तुरंत महसूस कर लेता है और उसके अनुसार ही प्रतिक्रिया करता है.. गंगू के साथ भी यही हुआ, वो अपने नशे की दुनिया मे डूबा हुआ था और उसके लंड ने नेहा की गर्म जीभ के साथ मिलकर गाने गाना शुरू कर दिया, एक मिनट के अंदर ही अंदर गंगू का घोड़ा बेलगाम सा होकर नेहा के मुँह मे रेस लगा रहा था..

नेहा बड़े ही चाव से उसके लंड को चूस रही थी, उसको चाट रही थी, अपने होंठों के बीच उसकी बॉल्स को लेकर अपने दांतो से चुभला रही थी..गंगू भी बीच-2 मे कसमसा कर नशे से उभरने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि बेहोशी मे ही सही, उसको ये एहसास हो ही चुका था की उसके लंड को कोई चूस रहा है, और उसके सपनो मे इस वक़्त लच्छो थी, जो उसके लंड को नहाते हुए चूस रही थी..

नेहा ने जल्दी से अपना घाघरा भी उतार कर अपने जिस्म से अलग कर दिया, नीचे उसने कच्छी भी नहीं पहनी थी, जिस वजह से ऐसा लग रहा था जैसे उसकी टाँगो के बीच की टंकी खुली रह गयी है और उसमे से ढेर सारा पानी बहकर बाहर आ रहा है...उसने अपनी चूत से रिस रहे पानी को अपनी हथेली मे भरा और उसको गंगू के लंड से चोपड़ कर उसको चिकना बना दिया और फिर थोड़ा उपर होकर उसने अपनी ब्रेस्ट को उसके लंड के चारों तरफ लपेटा और उसको टिट फक्क करने लगी..ऐसा उसने उस दिन अस्तबल मे रज्जो को करते हुए देखा था..हर बार वो गंगू के उपर निकल रहे लंड के सिरे को चाट लेती और फिर वो उसकी छातियों की गहराई मे खो जाता..

उसकी चूत मे फिर से पानी इकट्ठा होकर बहने लगा..वो घूम कर 69 की पोजिशन मे आ गयी..और जैसे ही उसने अपनी गीली चूत को गंगू के मुँह के उपर रखकर दबाया, गंगू की गर्म जीभ निकलकर उसके अंदर दाखिल हो गयी और वो बड़े ही मज़े से उसे चाटने लगा...

उसके मुँह से एकदम से निकला : "अहह ....... लच्छो ....''

नेहा समझ गयी की वो इस वक़्त उस छोटी लड़की के बारे मे सोच रहा है...और कोई बीबी होती तो उसका अभी के अभी रिमांड ले लेती, पर ये नेहा थी, जो अपनी यादश्त भूलकर ये भी भूल चुकी थी की एक पत्नी की जिंदगी मे किसी दूसरी औरत की बात करना भी कितना बड़ा जुर्म है..पर वो इस वक़्त अपनी ही मस्ती मे डूबकर अपनी चूत चटवा रही थी और उसका लंड चूस रही थी.
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07-17-2018, 12:27 PM,
#29
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भूरे के जाते ही नेहा ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और गंगू के पास पहुँची, नयी नवेली दुल्हन की तरह उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी, वो तो कब से गंगू के वापिस आने की प्रतीक्षा कर रही थी, उसकी चूत गाड़े पानी से भरकर बाहर रिसने को हो रही थी, पर गंगू को ऐसी हालत मे फिर से देखकर वो घबरा गयी, वो समझ गयी की शायद आज भी गंगू उसको संतुष्ट नही करेगा, क्योंकि उसने शराब पी रखी थी, वो अपने होश मे नही था..

पर जिस लड़की के सिर पर चुदाई का भूत सवार हो जाए, वो इतनी जल्दी हार नही मानती, उसने गंगू की पेंट खोलकर उसे नीचे उतार दिया, और उसके अंडरवीयर को भी खींच कर बाहर कर दिया...

गंगू का सोया हुआ अजगर उसकी टाँगो के बीच आराम कर रहा था..उसके देखते ही नेहा की साँसे तेज हो गयी...और उसके हाथ अपने आप ही चूत पर पहुँच गये और वो उसे कुरेदने लगी..अभी लाइट नही आ रही थी, नेहा ने एक लेम्प जलाकर उसको टांगा हुआ था, जिसकी मद्धम रोशनी मे वो नशे मे सोए हुए गंगू को प्यासी नज़रों से देख रही थी..

उसकी उंगलियो ने हरकत की और अगले ही पल उसके ब्लाउस के हुक खुलने शुरू हो गये..अपनी ब्रा को भी उसने नोच कर अपने शरीर से ऐसे अलग किया जैसे उसमे काँटे लगे हो...खुली हवा मे आते ही उसके गोल मटोल उरोजो ने गहरी साँस ली और वो अपनी शेप मे आ गये..उसके निप्पल उबलकर उठ खड़े हुए और उसकी मांसल छातियाँ पहले से कई ज़्यादा बड़ी दिखने लगी..

वो खिसककर गंगू के करीब पहुँची और अपने मुँह से गर्म साँसे छोड़ती हुई वो गंगू की टाँगो के बीच लेट गयी, उसके दोनो मुम्मे उसके घुटनो की कटोरियों पर पिसकर अंदर की तरफ घुस गये..और उसने अपनी लपलपाती हुई जीभ को सीधा लेजाकर गंगू के लंड के उपर रख दिया और उसको नीचे से उपर की तरफ ऐसे चाटना शुरू कर दिया जैसे वो लंड नही कोई आइस्क्रीम हो..

इंसान भले ही होश मे ना हो पर उसके शरीर के साथ जो कुछ भी हो रहा होता है, वो उसका दिमाग़ तुरंत महसूस कर लेता है और उसके अनुसार ही प्रतिक्रिया करता है.. गंगू के साथ भी यही हुआ, वो अपने नशे की दुनिया मे डूबा हुआ था और उसके लंड ने नेहा की गर्म जीभ के साथ मिलकर गाने गाना शुर
कर दिया, एक मिनट के अंदर ही अंदर गंगू का घोड़ा बेलगाम सा होकर नेहा के मुँह मे रेस लगा रहा था..



नेहा बड़े ही चाव से उसके लंड को चूस रही थी, उसको चाट रही थी, अपने होंठों के बीच उसकी बॉल्स को लेकर अपने दांतो से चुभला रही थी..गंगू भी बीच-2 मे कसमसा कर नशे से उभरने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि बेहोशी मे ही सही, उसको ये एहसास हो ही चुका था की उसके लंड को कोई चूस रहा है, और उसके सपनो मे इस वक़्त लच्छो थी, जो उसके लंड को नहाते हुए चूस रही थी..



नेहा ने जल्दी से अपना घाघरा भी उतार कर अपने जिस्म से अलग कर दिया, नीचे उसने कच्छी भी नहीं पहनी थी, जिस वजह से ऐसा लग रहा था जैसे उसकी टाँगो के बीच की टंकी खुली रह गयी है और उसमे से ढेर सारा पानी बहकर बाहर आ रहा है...उसने अपनी चूत से रिस रहे पानी को अपनी हथेली मे भरा और उसको गंगू के लंड से चोपड़ कर उसको चिकना बना दिया और फिर थोड़ा उपर होकर उसने अपनी ब्रेस्ट को उसके लंड के चारों तरफ लपेटा और उसको टिट फक्क करने लगी..ऐसा उसने उस दिन अस्तबल मे रज्जो को करते हुए देखा था..हर बार वो गंगू के उपर निकल रहे लंड के सिरे को चाट लेती और फिर वो उसकी छातियों की गहराई मे खो जाता..



उसकी चूत मे फिर से पानी इकट्ठा होकर बहने लगा..वो घूम कर 69 की पोजिशन मे आ गयी..और जैसे ही उसने अपनी गीली चूत को गंगू के मुँह के उपर रखकर दबाया, गंगू की गर्म जीभ निकलकर उसके अंदर दाखिल हो गयी और वो बड़े ही मज़े से उसे चाटने लगा...



उसके मुँह से एकदम से निकला : "अहह ....... लच्छो ....''


नेहा समझ गयी की वो इस वक़्त उस छोटी लड़की के बारे मे सोच रहा है...और कोई बीबी होती तो उसका अभी के अभी रिमांड ले लेती, पर ये नेहा थी, जो अपनी यादश्त भूलकर ये भी भूल चुकी थी की एक पत्नी की जिंदगी मे किसी दूसरी औरत की बात करना भी कितना बड़ा जुर्म है..पर वो इस वक़्त अपनी ही मस्ती मे डूबकर अपनी चूत चटवा रही थी और उसका लंड चूस रही थी.
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07-17-2018, 12:27 PM,
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भूरे के जाते ही नेहा ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और गंगू के पास पहुँची, नयी नवेली दुल्हन की तरह उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी, वो तो कब से गंगू के वापिस आने की प्रतीक्षा कर रही थी, उसकी चूत गाड़े पानी से भरकर बाहर रिसने को हो रही थी, पर गंगू को ऐसी हालत मे फिर से देखकर वो घबरा गयी, वो समझ गयी की शायद आज भी गंगू उसको संतुष्ट नही करेगा, क्योंकि उसने शराब पी रखी थी, वो अपने होश मे नही था..

पर जिस लड़की के सिर पर चुदाई का भूत सवार हो जाए, वो इतनी जल्दी हार नही मानती, उसने गंगू की पेंट खोलकर उसे नीचे उतार दिया, और उसके अंडरवीयर को भी खींच कर बाहर कर दिया...

गंगू का सोया हुआ अजगर उसकी टाँगो के बीच आराम कर रहा था..उसके देखते ही नेहा की साँसे तेज हो गयी...और उसके हाथ अपने आप ही चूत पर पहुँच गये और वो उसे कुरेदने लगी..अभी लाइट नही आ रही थी, नेहा ने एक लेम्प जलाकर उसको टांगा हुआ था, जिसकी मद्धम रोशनी मे वो नशे मे सोए हुए गंगू को प्यासी नज़रों से देख रही थी..

उसकी उंगलियो ने हरकत की और अगले ही पल उसके ब्लाउस के हुक खुलने शुरू हो गये..अपनी ब्रा को भी उसने नोच कर अपने शरीर से ऐसे अलग किया जैसे उसमे काँटे लगे हो...खुली हवा मे आते ही उसके गोल मटोल उरोजो ने गहरी साँस ली और वो अपनी शेप मे आ गये..उसके निप्पल उबलकर उठ खड़े हुए और उसकी मांसल छातियाँ पहले से कई ज़्यादा बड़ी दिखने लगी..

वो खिसककर गंगू के करीब पहुँची और अपने मुँह से गर्म साँसे छोड़ती हुई वो गंगू की टाँगो के बीच लेट गयी, उसके दोनो मुम्मे उसके घुटनो की कटोरियों पर पिसकर अंदर की तरफ घुस गये..और उसने अपनी लपलपाती हुई जीभ को सीधा लेजाकर गंगू के लंड के उपर रख दिया और उसको नीचे से उपर की तरफ ऐसे चाटना शुरू कर दिया जैसे वो लंड नही कोई आइस्क्रीम हो..

इंसान भले ही होश मे ना हो पर उसके शरीर के साथ जो कुछ भी हो रहा होता है, वो उसका दिमाग़ तुरंत महसूस कर लेता है और उसके अनुसार ही प्रतिक्रिया करता है.. गंगू के साथ भी यही हुआ, वो अपने नशे की दुनिया मे डूबा हुआ था और उसके लंड ने नेहा की गर्म जीभ के साथ मिलकर गाने गाना शुरू कर दिया, एक मिनट के अंदर ही अंदर गंगू का घोड़ा बेलगाम सा होकर नेहा के मुँह मे रेस लगा रहा था..

नेहा बड़े ही चाव से उसके लंड को चूस रही थी, उसको चाट रही थी, अपने होंठों के बीच उसकी बॉल्स को लेकर अपने दांतो से चुभला रही थी..गंगू भी बीच-2 मे कसमसा कर नशे से उभरने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि बेहोशी मे ही सही, उसको ये एहसास हो ही चुका था की उसके लंड को कोई चूस रहा है, और उसके सपनो मे इस वक़्त लच्छो थी, जो उसके लंड को नहाते हुए चूस रही थी..

नेहा ने जल्दी से अपना घाघरा भी उतार कर अपने जिस्म से अलग कर दिया, नीचे उसने कच्छी भी नहीं पहनी थी, जिस वजह से ऐसा लग रहा था जैसे उसकी टाँगो के बीच की टंकी खुली रह गयी है और उसमे से ढेर सारा पानी बहकर बाहर आ रहा है...उसने अपनी चूत से रिस रहे पानी को अपनी हथेली मे भरा और उसको गंगू के लंड से चोपड़ कर उसको चिकना बना दिया और फिर थोड़ा उपर होकर उसने अपनी ब्रेस्ट को उसके लंड के चारों तरफ लपेटा और उसको टिट फक्क करने लगी..ऐसा उसने उस दिन अस्तबल मे रज्जो को करते हुए देखा था..हर बार वो गंगू के उपर निकल रहे लंड के सिरे को चाट लेती और फिर वो उसकी छातियों की गहराई मे खो जाता..

उसकी चूत मे फिर से पानी इकट्ठा होकर बहने लगा..वो घूम कर 69 की पोजिशन मे आ गयी..और जैसे ही उसने अपनी गीली चूत को गंगू के मुँह के उपर रखकर दबाया, गंगू की गर्म जीभ निकलकर उसके अंदर दाखिल हो गयी और वो बड़े ही मज़े से उसे चाटने लगा...

उसके मुँह से एकदम से निकला : "अहह ....... लच्छो ....''

नेहा समझ गयी की वो इस वक़्त उस छोटी लड़की के बारे मे सोच रहा है...और कोई बीबी होती तो उसका अभी के अभी रिमांड ले लेती, पर ये नेहा थी, जो अपनी यादश्त भूलकर ये भी भूल चुकी थी की एक पत्नी की जिंदगी मे किसी दूसरी औरत की बात करना भी कितना बड़ा जुर्म है..पर वो इस वक़्त अपनी ही मस्ती मे डूबकर अपनी चूत चटवा रही थी और उसका लंड चूस रही थी.

और कुछ देर तक ऐसे ही करते रहने के बाद वो अचानक पलटी और उसने झुककर अपने ही रस मे सने गंगू के चेहरे को बिल्ली की तरह चाटना शुरू कर दिया...और साथ ही साथ उसकी चूत ने भी नीचे होते हुए उसके उबलते हुए लंड को अंदर लेने की तैयारी शुरू कर दी...

और जैसे ही गंगू का लंड नेहा की गर्म चूत से टकराया, नेहा की साँसे एक पल के लिए रुक गयी..और फिर अगले ही पल उसने एक जोरदार झटका देते हुए अपने आप को पूरा का पूरा उसके लंड पर धराशायी करवा दिया और गंगू का रॉकेट उसकी चूत की परतों को भेदता हुआ अंदर तक विलीन हो गया..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म। ''

नेहा के मुंह से एक आनंदमयी सिसकारी निकल गयी

और इसके साथ ही गंगू की आँखे खुल गयी...अब तक तो उसके सपने मे लच्छो ही घूम रही थी, पर ऐसा जोरदार झटका लगते ही उसकी खुली आँखो के सामने एकदम से नेहा का चेहरा झूमता हुआ देखकर वो भी एक पल के लिए सकते मे आ गया...वो सोचने लगा की ये एकदम से कैसे हो गया...अभी कुछ देर पहले तो वो बार मे था...फिर पता नही कहा से लच्छो आ गयी और वो उसके लंड को चूसती रही और अब ये नेहा, जो उसके लंड पर किसी फिल्मी गाने की तरह थिरक रही है...

उसने अपने हाथ उपर करते हुए नेहा के मुम्मे पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए और खुद नीचे से धक्के मारकर उसकी लय से लय मिलाने लगा..

''ओह गंगू...... कितना नशा करते हो तुम भी ...... ये भी नही सोचते की घर पर मैं अकेली हू......तुम्हारे लिए ........चुदने के लिए ......''

नेहा ने बड़े ही प्यार से अपनी शिकायत करते हुए नीचे झुककर फिर से गंगू को चूम लिया...

गंगू ने भी उसके चुम्बन का जवाब अपने ताकतवर धक्को से दिया और अगले दस मिनट तक लगातार आसन बदल-2 कर उसने नेहा की चूत की सारी गर्मी निकाल दी...उसके बाद तो नेहा मे इतनी भी हिम्मत नही बची की वो उठकर अपनी चूत को धोने के लिए चली जाए...गंगू ने लगातार धक्के मारकर उसे करीब 3 बार झाड़ा था..

फिर दोनो ऐसे ही एक दूसरे से नंगे लिपट कर सो गये.

अगली सुबह गंगू और नेहा फिर से नदी पर जाकर नहाए, पर ज़्यादा भीड़ होने की वजह से वो कुछ ज़्यादा नही कर पाए वहां ...और वैसे भी अब उन्हे खुलकर बाहर कुछ भी करने की आवशयक्ता नही थी, नेहा अब खुलकर घर मे ही उससे चुदवा सकती थी. वहां गंगू को लच्छो भी दिखाई दी, पर उसको वो अभी कुछ और दीनो तक तरसाना चाहता था, ताकि आराम से उसकी कच्ची जवानी का मज़ा ले सके.

अब गंगू के सामने फिर से एक समस्या थी, वो अपने सारे पैसे कल जुए मे हार चुका था, और अब उसके पास कुछ भी नही बचा था, वो फिर से अपने फटे पुराने कपड़े पहन कर भीख माँगने के लिए निकल पड़ा..

पूरा दिन घूमते रहने के बाद वो शाम को घर की तरफ चल दिया, आज उसके पास भीख के करीब 160 रुपय आए थे, वो उनसे अपने और नेहा के लिए कुछ खाने के लिए खरीदने लगा..

और खाना लेते हुए वो सोच रहा था की ये भी क्या दिन है, कल तक उसके पास इतने पैसे थे की वो एक-दो महीने तक बिना भीख माँगे आराम से खा-पी सकते थे, पर जुए ने सब गड़बड़ कर दिया...उसने मन ही मन सोच लिया की वो अब कभी भी जुआ नही खेलेगा..

वो अपनी सोच मे डूबा ही हुआ था की पीछे से भूरे ने आकर उसे पुकारा : "अरे गंगू....यार कहा है तू सुबह से...मैं तेरे घर गया था..पर तू पहले ही निकल चुका था..''

गंगू ने उसकी तरफ गुस्से मे देखा, भूरे समझ गया की वो कल वाली बात से नाराज़ है..पर अगले ही पल वो बोला : " अच्छा सुन, तुझे नेहाल भाई ने बुलाया है...चल जल्दी से...वहाँ इक़बाल भाई भी आए हुए हैं, उन्होने बोला है की मैं तुझे लेकर वहाँ जल्दी से पहँचु ''

गंगू की आँखो के सामने फिर से नोटो की गड्डियां तैरने लगी...वो बोला : "पर काम क्या है...''

उसकी रूचि बनते देखकर भूरे बोला : "भाई, ये तो मुझे भी नही बताया उन्होने, पर नेहाल भाई बोले की काफ़ी बड़ा काम है और पैसे भी काफ़ी ज़्यादा मिलेंगे...और ख़ासकर तुझे बुलाया है, कह रहे थे की ऐसा काम गंगू भिखारी ही कर सकता है..''

गंगू ने सोचा की ऐसा क्या काम है जो उसके गुंडों की फौज नही बल्कि वो कर सकता है...वो मन ही मन फिर से अपनी किस्मत को सराहता हुआ भूरे के साथ निकल पड़ा..

पर वो ये नही जानता था की आज जो उसके साथ होने वाला है वो उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल देगा...

भूरे और गंगू एक कार मे बैठकर शहर के एक 5 स्टार होटल मे पहुँचे, इतना आलीशान होटल था वो की उसके फर्श पर गंगू के पैर भी फिसल रहे थे..वो काफ़ी संभाल-2 कर चल रहा था, भूरे उसको लेकर लिफ्ट से 15वें माले पर गया और एक कमरे के सामने पहुँच कर उसने बेल बजाई..

कुछ ही देर मे दरवाजा खुल गया और दरवाजा खोलने वाले को देखकर उसकी आँखे चमक उठी..


वो मुम्मैथ ख़ान थी..वो भी गंगू को देखकर मुस्कुरा दी...उसकी मोटी-2 छातियों पर लगे निप्पल गंगू को देखने के साथ ही चमकने लगे..शायद उसको भी वो सब एक ही पल मे याद आ गया था, जिसके बारे मे सोचकर गंगू का भी लंड खड़ा हो चुका था, वो बड़ी ही मुश्किल से उसको अपने हाथ से छुपाता हुआ अंदर आ गया.

वो एक आलीशान सुइट था...जिसमे बाहर सोफा लगा हुआ था और अंदर की तरफ 3 बड़े-2 बेडरूम थे..मुम्मेथ ने उन दोनों को सोफे पर बिठाया और खुद अंदर कमरे मे चली गयी.

वहाँ पहले से ही 5 लोग बैठे थे...वो देखने मे काफ़ी ख़तरनाक लग रहे थे..भूरे भी शायद उन्हे नही जानता था, इसलिए वो एक दूसरे से बोल भी नही रहे थे...बस घूर-घूरकर एक दूसरे को देखने मे लगे थे.

थोड़ी ही देर मे मुम्मैथ बाहर आई और उसने गंगू से कहा : "तुम चलो अंदर, बॉस ने बुलाया है ...''

भूरे भी साथ ही उठ खड़ा हुआ तो मुम्मैथ बोली : "तुम यही बैठो...सिर्फ़ गंगू को बुलाया है..''

उसकी बात सुनकर तो भूरे की झाँटे सुलग उठी..ऐसे अपमान की उम्मीद नही थी उसको...और वो भी एक रंडी के हाथों..

पर वो कुछ नही कर सकता था, जलता भुनता सा वो वहीं बैठ गया.

गंगू अंदर गया..वहाँ एक बड़े से सोफे पर इक़बाल और नेहाल बैठे थे..गंगू को अंदर आता देखकर नेहाल भाई बोले : " आजा मेरे शेर....तुझसे मिलने को तो कब से तरस रहा था मैं ...आ जा ...''

नेहाल भाई से पहली बार मे ही अपने को इतना मान मिलता देखकर गंगू भी खुश हो गया...वो लंगड़ाता हुआ आगे आया और दोनो से हाथ मिलाकर वहीं उनके सामने वाले सोफे पर बैठ गया

नेहाल : "गंगू, ये है इक़बाल भाई...जिनके यहाँ से तूने उस दिन माल निकलवाया था..काफ़ी खुश हुए ये तेरे कारनामे से...वो मुम्मैथ भी काफ़ी तारीफ कर रही थी इनसे तेरे काम की...इसलिए ये तुझसे मिलना चाह रहे थे...''

गंगू ने उन्हे देखा...और ना जाने क्यो उसको लगा की उसने इक़बाल भाई को पहले भी कहीं देखा है..भारी भरकम सा शरीर था उनका..रोबीला चेहरा...घनी मूँछे...देखने मे ही गेंगस्टर लगता था वो..काफ़ी सोचने की कोशिश की उसने, पर याद नही आया गंगू को..
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