Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
12-30-2018, 01:31 PM,
#1
Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
पड़ोसन का प्यार – भाग 1

(लेखक – कथा प्रेमी)

"तुम तो मुझसे कितनी ज़्यादा बड़ी हो उम्र मे शोभा दीदी. अच्छि ख़ासी ऊँची पूरी भी हो. मुझसे तीन चार इंच हाइट भी ज़्यादा है, वजन मुझसे दस बारह किलो ज़्यादा होगा. फिर भी तुम्हारा फिगर देखो कितना आकर्षक है" प्राची शोभा के भरे पूरे मासल शरीर की ओर प्रशंसा के भाव से देखते हुए बोली.

"वैसा कुछ नही है प्राची, हां मैं टिप टॉप रहती हूँ, कपड़े और ख़ासकर अंदर के कपड़े याने लिंगरी ठीक से चुनती हूँ, आधा काम बस ईसीसे हो जाता है" शोभा मुस्करा कर बोली.

दोनो औरतें दोपहर को प्राची के घर मे बैठ कर गप्पें लड़ा रही थी. शोभा को प्राची के बाजू वाले फ्लट मे रहने को आकर बस चाह महीने हुए थे. शोभा के पति दुबई मे काम पर थे. शोभा और उसकी सौतेली लड़की नेहा दोनो अकेले यहाँ रहते थे. यह फ्लॅट ख़ासकर नेहा के पापा ने इसी लिए लिया था कि अच्छि सोसाइटी थी और उन दोनो औरतों को अकेले वहाँ रहने मे कोई परेशानी नही होगी ऐसा उन्होने सोचा था.

प्राची ने अभी तीन महीने पहले अपनी बॅंक की नौकरी से इस्तीफ़ा दिया था, उसे अच्छ वीआरएस मिल गया था. प्राची के पति भी बॅंक मे थे और उनकी पोस्टिंग कानपुर मे हो गयी थी. इसलिए उनका यहाँ मुंबई आना बस साल मे तीन चार
बार होता था. उनके पुत्र दर्शन ने अभी अभी इंजिनियरिंग के पहले साल मे प्रवेश लिया था. प्राची बेचारी इसलिए दिन भर अकेली रहती थी. नयी सोसायटि होने के कारण उनके फ्लोर पर और कोई नही था, सब फ्लॅट खाली थे. प्राची को खाली समय काटने को दौड़ता था.


इसलिए शोभा जब से उसके पड़ोस मे रहने आई थी, तब से वह खुश थी. दोपहर को गप्पें मारने को कोई साथ तो मिल गया था. नेहा सुबह कॉलेज को निकल जाती थी तब शोभा भी अकेली रहती थी. इसलिए अब दोनो पड़ोसनों की अच्छि पटने लगी थी.


प्राची सैंतीस साल की थी. दिखने मे साधारण मझली उम्र की स्त्रियों जैसी ठीक ठाक थी. हां काफ़ी गोरी थी. शरीर मझोले किस्म का था, ना ज़्यादा मोटा ना पतला. असल मे प्राची काफ़ी स्लिम थी, पर उसके कूल्हे काफ़ी चौड़े थे. अपने स्थूल भारी भरकम नितंबों की वजह से वह थोड़ी मोटि दिखती थी, उसके बाकी के छरहरे बदन का इस वजह से पता नही चलता था.
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12-30-2018, 01:31 PM,
#2
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
प्राची इसलिए जब शोभा के नपे तुले शरीर को देखती तो उसके मन मे आता कि मैं ऐसी क्यों नही हूँ! शोभा उससे सात आठ साल बड़ी होगी, रंग भी सांवला था, काफ़ी गहरा सांवला. बदन मोटा नही था फिर भी अच्छ ख़ासा बड़ा और ऊँचा पूरा था, फिर भी शोभा दिखने मे एकदम आकर्षक लगती थी.


उस दिन दोनो मे यही चर्चा हो रही थी. टिप टॉप कपड़ों के महत्व के बारे मे जब शोभा बोली तो प्राची को बात जच गयी. उसकी निगाह फिर से शोभा के पूरे बदन पर घूमने लगी. शोभा हमेशा बड़े अच्छे कपड़े पहनती थी और खुद का बहुत ख़याल
रखती थी. एकदम सलीकेसे बाँधी हुई नाभि दर्शन साड़ी, बहुत करके स्लीवलेस ब्लाउस जिसमे से मरमरि बाँहें सॉफ दिखें और पल्लू के पतले कपड़े मे से दिखता हुआ उन्नत उरोजो का उभार, ऐसा रूप था शोभा का.


इसलिए वह हमेशा अच्छि लगती थी. उसके ब्लाउस आगे और पीछे से लो कट होते थे जिसमे से उसकी चिकनी पीठ और उरोजो के ऊपरी भाग का उभार दिखता था. ब्लाउस के बारीक कपड़े मे से शोभा की कस कर बाँधी हुई ब्रा के स्ट्रैप दिखते थे, जो उसकी पीठ के मास मे गढ़े होते थे. शोभा हल्की लिपस्टिक लगाती थी और बाल अक्सर एक जूडे मे बाँधती थी जिसमे वह मोगरे की वेणि भी लगा लेती. उसके साँवले रंग के कारण उसकी लाल लिप्स्टिक अक्सर जामुनी दिखती थी पर सब मिलाकर शोभा का रूप ऐसा मादक होता था कि काफ़ी मर्द उसे नज़र गढ़ाकर देखते थे, यह प्राची ने अक्सर गौर किया था. शोभा के उस रूप पर उसे बड़ी ईर्ष्य होती थी.

ठीक इसके विपरीत प्राची अपने रहन सहन और पहनावे पर ज़रा भी ध्यान नही देती थी. ढीली ढाली लपेटी हुई साड़ी, एकदम ढीला और बिना नाप का ब्लाउस और बहनजी जैसी दो चोटियाँ! इनमे वह कितनी अनाकर्षक दिखती थी इसका उसे एहसास हो चला था. मन मे एक न्यूनता की भावना, इन्फीरियारिटी कॉंप्लेक्स, आ गया था. एक अजीब उदासी उसके मन मे घर कर गयी थी.


प्राची की आँखों मे झलकती उदासी देखकर शोभा उसे प्यार से बोली "सुन प्राची, तू असल मे दिखने मे बहुत सुंदर है. गोरी है, तेरी त्वचा पर अब भी जवानी की चमक है. बुरा मत मानना अगर मैं सॉफ सॉफ बताऊं तो. कितने ढीले ढाले कपड़े पहनती है तू, वह ब्लाउस देख, कैसा अजीब सा है, बिना नाप का. और तेरी ब्रेसियार भी बहुत ढीली है, पीछे से स्ट्रप लटक रहे हैं. मेरी मानो तो अच्छि मॅचिंग ब्लाउस सिला लो, साड़ियाँ एक दो बहुत अच्छि हैं तेरे पास, जैसे कल पहनी थी. ब्लाउस मेरे दर्जी से सिला लो चाहिए तो. और नयी ब्रेसियार खरीद लो, नाप की. ज़रा अच्छे नये फॅशन की. बालों की स्टाइल बदल लो. फिर देखना कैसे रूप खिल उठता है तेरा. अगर तू चाहे तो मैं चलूंगी तेरे साथ शॉपिंग को."


प्राची को बात जच गयी. मन मे अच्छ भी लगा कि शोभा कितनी आत्मीयता से बात कर रही है. उसके स्वर मे अब थोड़ा उत्साह था "आज ही जाती हूँ, सच मे तुम चलोगि शोभा? याने मेरे साथ चलने को टाइम है ना तुम्हारे पास?"
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12-30-2018, 01:32 PM,
#3
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"आरे, टाइम ही टाइम है. नेहा हफ्ते भर को अपनी सहेली के साथ गयी है. उसकी सहेली की बहन की शादी है पूना मे. मैं अकेली ही हूँ. उसकी चिंता मत करो. और अगर तू बुरा ना माने तो मैं अभी तुझे सिखाती हूँ कि साड़ी ठीक से कैसे बाँधी जाती है" कहकर शोभा ने बड़ी आत्मीयता से प्राची को तरीके से साड़ी पहनना सिखाया. कैसे चुन्नटे फोल्ड की जाती हैं, कितनी ऊँचाई पर बाँधी जाती है, पल्लू कितना छोड़ना चाहिए ये सब उसने बताया. साथ ही खुद उसे साड़ी पहना दी और एक दो बार प्रॅक्टीस भी करवाई. उसके बाद शोभा ने खुद प्राची की दो चोटियाँ खोल कर उन्हे एक जूडे मे बाँध दिया. प्राची को यह भी समझाया कि उसे या तो जूड़ा बाँधना चाहिए या एक मोटि खुली खुली सी वेणि ना कि बहनजी जैसी दो कस के बँधी चोटिया. उसने इतने प्यार से यह किया कि प्राची भाव विभोर हो गयी. इतने दिनों मे पहली बार कोई उससे इतने प्यार
से पेश आया था. शोभा स्मार्ट होने के साथ साथ दिल की कितनी अच्छि है, उसके मन मे यह ख़याल आया.


उसी शाम को शोभा के साथ जाकर उसने ब्लाउस पीस खरीदे और अर्जेंट सिलाई को दे दिए. दर्शन के कॉलेज से आने का समय हो गया था इसलिए बाकी शॉपिंग उसी दिन नही की. दूसरे दिन सुबह ही दर्जी का नौकर ब्लाउस दे गया. दोपहर को दर्शन के कॉलेज जाने के बाद प्राची ने नया ब्लाउस पहनकर शोभा को अपने घर बुलाया.

"शोभा दीदी देखो, कैसा लगता है!"

"अच्छ है प्राची पर फिटिंग अब भी थोड़ी गड़बड़ है. अरे पर ये तो बता, तूने ब्रा कौनसी पहनी है? वही पुरानी वाली लगती है, मुझे लगा तू नयी ले आई होगी" शोभा ने कहा.

"नही ला पाई. असल मे मैं तुझे पूछन चाहती थी कि अच्छि ब्रा कहाँ से लाउ." थोड़ा शरमाते हुए प्राची बोली.

"ऐसा कर पहले नाप ले ले, फिर अपन दोनो जाकर ले आएँगे. स्टेशन के पास एक अच्छ शॉप है, कंचुकी नाम का." शोभा बोली. 

प्राची के चेहरे पर असमंजस के भाव थे. शोभा ने उसे मुस्कराते हुए समझाया "अरे प्राची, नाप नही लेगी तो ब्रा फिट कैसे होगी? वहाँ दुकान पर पहन कर थोड़े देखते हैं! ऐसा कर. ज़रा इंच टेप ले आ, मैं सिखाती हूँ कि नाप कैसे लिया जाता है"


प्राची थोड़ी शरमा कर बोली. "शोभा, यहाँ ड्रॉयिंग रूमा मे अटपट सा लगता है. मेरे बेडरूम मे चलो ना, वहाँ ठीक रहेगा, मैं खिड़की बंद करती हूँ"

अंदर जाकर प्राची ने खिड़की बंद की और शोभा को टेप दी. शोभा ने कहा "प्राची, ब्लाउस निकालना पड़ेगा. ब्रा भी निकाल दो तो और अच्छा है. ऐसे कपड़ों के ऊपर से नाप ठीक नही आएगा."

प्राची का चेहरा लाल हो गया. "शोभा दीदी, मुझे शरम लग रही है, ब्लाउस और ब्रा कैसे निकालु?"
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12-30-2018, 01:32 PM,
#4
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शोभा मुस्काराकर बोली "प्राची, तुम बहुत ही शरमीली हो. यह भी ठीक करना पड़ेगा, अरे स्मार्ट दिखाने के लिए अपना कॉन्फिडेन्स भी बढ़ाना चाहिए. चलो निकालो. तब तक मैं तुझे सिखाती हूँ कि नाप कैसे लेते हैं.

मैं पहले अपना ब्लाउस निकाल कर अपना नाप ले कर बताती हूँ, फिर तेरी शरम शायद कम हो जाए" शोभा ने पल्लू नीचे किया और ब्लाउस निकालने लगी. उसके लो कट ब्लाउस के आगे के करीब करीब आधे खुले भाग मे से उसके विशाल स्तनों के बीच की गहरी खाई प्राची को दिखी. क्या सेक्सी दिखती है यह औरत, ऐसा एक मीठा नटखट विचार प्राची के मन मे कौंध गया. 

शोभा ने ब्लाउस के बटन खोले और हाथ ऊपर करके ब्लाउस निकाल दिया. उसकी कांखे एकदम चिकनी थी. "रोज शेव करती है लगता है, या हेयर रिमूवर् से निकाल दिए हैं. पर अच्छि लग रही हैं कांखे, नही तो मेरी कैसी बेकार लगती हैं. आज ही कांख के बाल काट डालूंगी" ऐसा विचार प्राची के मन मे आया.

ब्लाउस निकलते ही शोभा के लेस वाली एक खूबसूरत ब्रा मे कसे हुए बड़े बड़े स्तन दिखने लगे. ब्रेसियार काफ़ी टाइट थी और उसके स्ट्रप्स शोभा के मांसल बदन मे गाढ़ने से बाजू का मास बड़े मादक तरीके से उभर आया था. शोभा के वे मदमस्त उरोज मानों उस ब्रा मे समा नही पा रहे थे और उफान के साथ बाहर आने की कोशिश कर रहे थे.


प्राची स्तब्ध होकर शोभा का वह मादक रूप देखती ही रह गई. शोभा स्मार्ट थी पर उसका रूप ऐसा होगा इसकी उसने कल्पना भी नही की थी. धीरे धीरे प्राची ने भी अपने ब्लाउस के बटन खोलना शुरू कर दिया. आख़िर उससे ना रह गया और वह बोली "अरी शोभा, कितनी अच्छि है तेरी ब्रा! कहाँ से ली? कांचुकी से? पर ज़रा टाइट नही है? तुझे तकलीफ़ नही होती?"


अपने सीने पर टेप लपेटते हुए शोभा बोली "प्राची, जान बूझ कर टाइट ब्रा मैं प्रिफर करती हूँ. उससे स्तन अच्छे कस कर बाँधे जाते हैं और ज़रा तन के खड़े होते हैं. मेरी उम्र मे यह करना पड़ता है नही तो लटक जाएँगे लौकी की तरह. वैसे मेरे ज़रा बड़े ही हैं, अपना ही वजन नही सह पाते बेचारे" उसने टेप पहले अपने स्तनों के नीचे छाती पर लपेटा और बोली "देख यह पहला नाप है, इसमे पाँच जोड़ कर ब्रा की बेसिक साइज़ मिलती है. देख कितने इंच है?"
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12-30-2018, 01:32 PM,
#5
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प्राची ने काँपते हाथों से टेप पकड़ा. उसकी उंगलियाँ शोभा के बदन को लगी और उसके बदन मे एक रोमांच सा हो आया. झुक कर उसने नाप देखा और बोली पैंतीस इंच"

"याने पैंतीस और पाँच मिलाकर हुए चालीस. तो मेरी ब्रा का नाप है चालीस. " शोभा बोली.

"काफ़ी बड़ी ब्रा है तुम्हारी दीदी, बहुत अच्छि लगती है" प्राची ने कहा.

"अब कपों की साइज़ नापना पड़ेगी. उसके लिए ऐसे पूरा नाप लेना पड़ता है, निपलों के ऊपर टेप लगाकर" कहते हुए शोभा ने टेप अपनी ब्रा के कपों के नोक पर रखकर नाप लिया.

"चवालीस" प्राची बोली.

"याने चवालीस माइनस ब्रा की साइज़ चालीस चार का फरक हुआ. इसका मतलब है कि मेरे कप की साइज़ डी है. असल मे यह ब्रा बहुत टाइट है, ठीक नाप के लिए उतारकर नाप लेना चाहिए. मैं दिखाती हूँ तुझे. ब्रा निकालनी पड़ेगी. प्राची ज़रा हेल्प करो ना प्लीज़. मेरे हुक खोल दो, टाइट हैं ना इसलिए मुझे तकलीफ़ होती है. नेहा को मैं कहती हूँ अक्सर हुक खोलने को. वह यहाँ होती है तो हुक लगाने और निकालने का काम उसी का है" शोभा ने प्राची की ओर देखते हुए मुस्करा कर कहा.
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12-30-2018, 01:32 PM,
#6
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प्राची शोभा के पीछे खड़े होकर उसकी ब्रा का हुक खोलने लगी. पास से शोभा की पीठ कितनी चिकनी और मुलायम दिख रही थी! उंगलियों पर शोभा की पीठ का स्पर्ष होते ही प्राची को फिर से रोमाच सा हो आया. उसे वह मासल पीठ इतनी मोहक लगी कि सहसा उसका मन हुआ कि उसे चूम ले. फिर उसने अपने आप को संभाला. छी छी! क्या गंदे विचार आ रहे हैं मन मे! शोभा को पता चला तो बेचारी क्या सोचेगी.


हुक निकलते ही ब्रा लटक गयी. शोभा की पीठ पर टाइट स्ट्रप्स के हल्के से निशान पड़े थे. शोभा ब्रा को अपनी बाहों मे से निकालकर घूम कर खड़ी हो गयी और फिर से टेप लपेटते हुए बोली "अब फिर देखो नाप. छयालीस होगा. याने असल मे डिफ़रेंस पाँच का है. पाँच इंच फरक याने कप हुआ डीडी. इसका मतलब है कि मेरी ब्रा की साइज़ है चालीस कप डी डी. पर मैं एक साइज़ कम लेती हूँ. उनतालीस. थर्टि नाइन कप डी. उससे ब्रा टाइट बैठती है और स्तनों को अच्छा सपोर्ट मिलता है. देख ना टेप पकड़कर, नाप ठीक है यह देख ले"


प्राची के होंठों से शब्द नही फुट रहे थे. शोभा के मासल उरोज अब ब्रा से आज़ाद होकर दो बड़े पपीतों जैसे लटक रहे थे. स्तनों के बीच की गहरी खाई उनकी मादकता और बढ़ा रही थी. स्तनों के बीच फँसा मम्गलसूत्र उनकी सुंदरता को मानों चार चाँद लगा रह था. स्तनों की तुलना मे निपल छोटे थे, अंगूर जैसे, उनके चारों ओर पुराने रुपये के आकार के भूरे गोल थे.

प्राची को सहसा महसूस हुआ कि उसकी जांघें गीली हो गयी है! वह उत्तेजित हो गयी थी. इसका अहसास होते ही वह थोड़ी चौंकी. आज तक ऐसा नही हुआ था कि किसी स्त्री को देखकर उसे कामोत्तेजना हुई हो. इस बारे मे उसने कभी सोचा तक नही था. उसने किसी तरह से पास मे आकर टेप का नाप देखा पर उसकी आँखे शोभा के उन मतवाले गोलों पर गढ़ी हुई थी.


शोभा प्राची की मनस्थिति से पूरी तरह से वाकिफ़ थी पर उसने अपने चेहरे पर शिकन तक ना आने दी. बोली "अब तुम ब्लाउस निकालो प्राची, अभी तक बटन खोल कर बैठी हो. चलो तेरा नाप लेते हैं."

प्राची ने किसी तरह से अपना ब्लाउस निकाला. अंदर सादी ढीली काटन की ब्रा थी. शोभा ने उसके स्तनों के नीच छाती पर टेप लपेट और बोली "तीस. याने ब्रा साइज़ हुई तीस प्लस पाँच याने पैंतीस. अब कप का साइज़ लेंगे" उसने टेप अब प्राची की ब्रा की नोक पर से लपेटा और मूह बना दिया. ब्रा की नोक भी ढीली थी और एक्सट्र कपड़ा वहाँ लटक रह था. "अरी प्राची, ब्रा निकाल ना प्लीज़, नाप ठीक नही आएगा. बहुत ढीली ब्रा है, फिटिंग भी ठीक नही है"
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12-30-2018, 01:32 PM,
#7
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शोभा के कहने पर प्राची ने शरमाते हुए अपनी ब्रा निकाल दी. अब उसका ऊपरी गोरा शरीर नग्न था. उसके गोल मुलायम स्तन शोभा से काफ़ी छोटे थे पर सुडौल थे. अब तक उनमे ज़्यादा ढिलाई नही आई थी, बस ज़रा से लटक रहे थे. पर उसके गहरे भूरे रंग के निप्पल एकदम लंबे थे. करीब करीब एक छोटि मूँगफली जितने. निपलों के चारों बाजू के गोल भी काफ़ी बड़े थे, टी कोस्टर जैसे. 

शोभा भी अब बहुत उत्तेजित थी पर किसी तरह से अपने मन की भावना दबा कर रखी थी. उसकी योनि एकदम गीली हो गयी थी. जांघों पर बह आए पानी का गीलापन उसे महसूस हो रह था. कितने दिनों से शोभा को इस क्षण की प्रतीक्षा थी. आज शायद मन की मुराद पूरी होने वाली थी!


असल मे उसने जब से प्राची को तीन महने पहले देखा था तभी से प्राची उसे बहुत भा गयी थी. उन ढीले ढाले कपड़ों और बहनजी जैसे पहनावे के नीचे छुपी प्राची की सुंदरता उसने कब से परख ली थी. प्राची को बाहों मे लेकर उससे रति करने की उसकी प्रबल इच्छा थी. जब वह कल्पना करती कि प्राची उसकी बाहों मे है तब उसकी बुर गीली होने लगती. कब से वह इसी ताक मे थी कि कैसे अपनी इस आकर्षक पड़ोसन को फँसाया जाए.


अब जब शिकार हाथ मे आने को था वह बहुत उत्तेजित थी. उसका पूरा प्लान था कि क्या करना है. पर जल्दबाजी मे कही हाथ आया यह खजाना ना छूट जाए, यह सोच कर उसने अपना चेहरा निर्विकार रखा और टेप प्राची के स्तनागरों पर लगाकर फिर से नाप लिया. नाप लेते लेते उसकी उंगलियाँ प्राची के निपालों को छू रही थी. प्राची की उत्तेजना और बढ़ने लगी.
"सैंतीस. याने चौंतीस से तीन इंच ज़्यादा. याने तेरा कप हुआ सी. पैंतीस कप सी. मेरी मान तो इस हिसाब से तुझे एक साइज़ छोटि, चौंतीस कप ब़ी ब्रा पहनना चाहिए, एकदम टाइट बैठेगि और बहुत सुंदर दिखेगी. पर प्राची एक बात पूछूँ, पर्सनल, बुरा तो नही मानेगी?"


"नही दीदी, तुम्हारी किसी बात का मैं बुरा नही मानूँगी, तुम तो मेरी दोस्त हो" प्राची बोली.

"तेरे निपल बहुत लंबे हैं. खूबसूरत दिखते हैं. लगता है तेरे पतिदेव की ख़ास मेहरबानी है इनपर, खूब खींचते होंगे. या चूसते होंगे? है ना? देख मज़ाक कर रही हूँ, बुरा मत मानना" शोभा ने हँसते हुए कहा. वह प्राची के सामने बिलकुल पास खड़ी थी, प्राची की निगाहें अब भी बार बार उसके उरोजो पर जा रही थी.
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12-30-2018, 01:32 PM,
#8
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प्राची शरमा कर बोली "इसमे बुरा क्या मानना! वैसे लंबे हैं ये मुझे मालूम है. असल मे पहले से ही थोड़े बड़े थे, फिर दर्शन जब छोटा था तो दो साल का होने तक दूध पीता था, मानता ही नही था. और उसकी आदत थी दूध पीने के बाद भी नही छोड़ता था, चूसता रहता था. बड़ी मुश्किल से उसकी यह आदत छुड़ाई, तब से लंबे हो गये हैं."

"खड़े भी हैं तन के देख! मैं अगर तेरे पति की जगह होती तो चूस चूस कर और डबल कर देती" शोभा ने तीर छोड़ा और सहज भाव से अपना हाथ बढ़ाकर प्राची का एक निपल अपनी उंगलियों मे पकड़कर दबा दिया. यह निर्णायक क्षण था इसलिए शोभा धड़कते दिल से देख रही थी कि प्राची की क्या प्रतिक्रिया होती है. अगर वह बिचक गयी तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा. पर उसकी शंका निराधार थी, क्योंकि अब तक प्राची उत्तेजित हो चुकी थी. अब तक उसे कभी स्त्रियों के प्रति आकर्षण नही हुआ था. पर पिछले कई सालों से वह बहुत प्यासी थी. उसके पति की अब उसमे ज़्यादा रूचि नही थी, ऊपर से वे बाहर कानपुर मे रहते थे. प्राची का स्वाभाव काफ़ी कामुक था जैसा अक्सर सीधे सादे दब कर रहने वाले लोगों का होता है, बस उसे वे खुल कर प्रकट नही कर पाते हैं. 

आज शोभा के स्पर्ष से मानों उसके सब्र का बाँध टूट गया. शोभा की उंगली से निपल दबाते ही उसने आँखे बंद कर ली और एक सिसकारी उसके होंठों से निकल पड़ी.

प्राची का रियेक्शन देखकर शोभा आनंद से झूम उठि. कब से वह इस लम्हे की राह देख रही थी. उसने प्राची का दूसरा निपल भी पकड़ लिया और हल्के हल्के दोनो निपलों को अपनी उंगलियों मे मसलते हुए बोली. "अच्छ लग रह है क्या प्राची? तेरे निपल कितने कड़े हो गये हैं देख! वैसे ऐसा होना एक्साइट होने की निशानी है. देख प्राची, सम्भल जा नही तो मुझे लगेगा कि मेरे छूने से तू गरम हो गयी है! या ये मेरी इन भारी भरकम चून्चियो को देख कर हुआ है! आगे मैं नही जानती बाबा!"


प्राची चुप रही. लज्जा से उसका चेहरा गुलाबी हो गया. पर उसने शोभा की उंगलियों से अपने निपल छुड़ाने की कोई कोशिश नही की. बस सिर झुकाए आँखे बंद करके खड़ी रही और लंबी लंबी सिसकारियाँ लेने लगी. शोभा ने आगे कदम उठाया. शिकार उसके चंगुल मे था. झुक कर उसने प्राची के गाल को चूम लिया.
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12-30-2018, 01:33 PM,
#9
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प्राची ने आँखे खोल कर शोभा की आँखों मे देखा. शोभा की आँखों मे झलक रहे प्रेम और उत्कट वासना के भाव देख कर उसकी रही सही हिचक भी जाती रही. उससे ना रह गया और अपने पैरों के पंजों के बल खड़े होकर मूह ऊपर करके उसने अपने होंठ शोभा के होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगी. शोभा ने चुंबन का उत्तर एक गहरे चुंबन से दिया तो प्राची
अपनी सहेली की गर्दन मे बाँहें डालकर उससे लिपट गयी. शोभा ने अपने हाथ प्राची के स्तनों पर से हट लिए और उसे बाहों मे कस कर भरकर प्राची के चुम्मे पर चुम्मे लेने लगी.

"
चल आराम से पलंग पर बैठते हैं" दो मिनिट बाद शोभा ने कहा. दोनो पड़ोसन एक दूसरे के चुंबन लेते हुए पलंग पर बैठ गयीं. प्राची को अब अपनी चूत मे से टपक रहे पानी से अपनी पैंटी भीग जाने का अहसास हो रहा था. इतनी उत्तेजित वह बरसों मे नही हुई थी. अब उसकी शरम भी धीरे धीरे कम हो रही थी. शोभा की बड़ी बड़ी चून्चियो को उसने अपने हाथों मे पकड़ा और झुक कर उन्हे चूमने लगी. 

शोभा ने बड़े लाड से उसके बालों पर हाथ फेरते हुए अपनी एक घून्डि प्राची के मूह मे दे दी और प्यार से उसका सिर अपनी छाती पर दबा लिया. निपल चुसते चूसते प्राची के मूह से और सिसकारियाँ निकलने लगी और वह अपनी जांघें आपस मे घिसने लगी. उसकी हालत देखकर शोभा ने अपना निपल चुसाती प्राची को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके बाजू मे लेट गयी. अपने हाथ से उसने प्राची की साड़ी ऊपर की और प्राची की चिकनी जांघों को प्यार से सहलाता हुआ उसका हाथ जल्द ही प्राची की पैंटी तक पहून्च गया. पैंटी की क्राच एकदम गीली थी. पैंटी मे से प्राची की फूली मुलायम बुर का गुदाज मास उसके हाथ को लग रहा था.


प्राची के मूह से उसने अपना निपल निकाल दिया. प्राची ने मूह ही मूह मे बुदबुदाते हुए "दीदी, प्लीज़ ... चूसने दो ना ..." विरोध किया पर शोभा ने अपने मूह से उसका मूह बंद कर दिया. अपनी जीभ से प्राची के होंठ अलग करके शोभा ने प्राची के मूह मे अपनी जीभ डाल दी और अपनी उंगली पैंटी के ऊपर से ही प्राची की बुर की लकीर मे घुसा कर रगड़ने लगी. फिर पलटकर उसने प्राची को नीचे किया और खुद उसपर सो गयी. अपनी सहली पर चढ़ कर शोभा ने उसकी एक टाँग अपनी जांघों मे दबा ली और उसपर अपनी चूत रगड़ने लगी.


प्राची ने शोभा के स्तन अपने हाथों मे पकड़े और उन्हे दबाते हुए वह शोभा की जीभ चूसने लगी. शोभने प्राची के लंबे लंबे निपल मसलना शुरू कर दिया. दोनो की चूमा चाटी अब तेज़ी से चल रही थी. कभी शोभा प्राची की जीभ चूसति और कभी प्राची उसकी जीभ अपने मूह मे खींच लेती. स्तन मर्दन बराबर जारी था, शोभा अब तेज़ी से प्राची की चूत अपनी उंगली से
अपने ख़ास अंदाज मे घिस रही थी और खुद प्राची की जाँघ का घोड़ा बनाकर अपनी बुर उसपर रगड़ रगड़ कर स्वमैथुन कर रही थी. चुम्मो की 'पुच' पुच' आवाज़ से और 'आह' 'ओह' 'उई' की किलकारियों से बेडरूम भर गया था.
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12-30-2018, 01:33 PM,
#10
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
दोनो औरते इतनी गरम चुकी थी कि वे कुछ मिनिटो मे स्खलित हो गयीं. प्राची का स्खलन तो इतना तीव्र था कि उसकी एक हल्की चीख निकल पड़ी जो शोभा के मूह मे दब कर रह गयी. शोभा का शरीर भी अचानक तन गया और उसने झड़ते झड़ते प्राची को और ज़ोर से बाहों मे भींच लिया.


दोनो सहेलियाँ कुछ देर तक इस सुख का आनंद उठाति हुई एक दूसरे को प्यार से . हुए पड़ी रहीं. शोभा पहले उठि और अपने कपड़े ठीक करने लगी. उसने ब्रा पहनी और ब्लाउस चढ़ा लिया. वासना शांत होने के बाद जब प्राची ने अपने आप को अर्धनग्न अवस्था मे पलंग पर पाया तो शरम से वह पानी पानी हो गयी. अपने स्तनों को अपने पल्लू मे छुपा कर वह चुप चाप बैठी रही. उस बेचारी को यह कल्पना भी नही थी कि शोभा ने बड़ी चालाकी से उसके कपड़ों पर हुई बातचीत का फ़ायदा उठाकर उसे आज फँसाया था.


कपड़े पहनते पहनते शोभा ने पूछा "क्यों री प्राची, ऐसे मूह लटकाए क्यों बैठी हो? हमने जो किया वह अच्छा नही लगा? अपनी यह सहेली, अपनी दीदी नही पसंद आई तुझे?"

प्राची सिहर कर बोली "शोभा, आज जो सुख तुमने दिया है, वैसा सुख मुझे कभी नही मिला, अपने पति के साथ भी. पर थोड़ा अटपटा लग रह है, हमने जो किया वह ठीक है ना? ग़लत तो नही है? किसी को पता चल गया तो?"

शोभा प्राची के पास आई और उसकी ठुड्डि पकड़कर उसका चेहरा ऊपर किया. उसे प्यार से चूम कर उसकी आँखों मे आँखे डाल कर बोली "किसी को पता नही चलेगा. यहाँ है ही कौन? हम दिन भर अकेली रहती हैं. और हमने जो किया है अपने सुख के लिए है. कुदरत ने हमे यह शरीर दिया है और इच्छाएँ दी हैं, अगर बिना किसी को नुकसान पहूंचाए हम अपने
शरीर की भूख को शांत करते हैं तो इसमे कोई बुराई नही है, यह बात अपने दिमाग़ मे से निकाल दे कि हम ग़लत कर रहे हैं. अब भी अगर तुझे लगता है कि यह ग़लत है तो हम इस बात को यही खतम कर देंगे"
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