Kamukta Sex अमेरिका रिटर्न बंदा
06-29-2017, 11:08 AM,
#1
Kamukta Sex अमेरिका रिटर्न बंदा
आज पंकज अमेरिका से 4 साल बाद घर वापस आ रहा था. पंकज की बड़ी भाभी नीता और उस'की छोटी बहन प्रिया फूली नहीं समा रही थी. नीता और प्रिया दोनों एरपोर्ट उसे लाने गये थे. पंकज का भैया दूसरे शहर में एक प्राइवेट कंपनी. में ऊँचे पोस्ट पर काम कर'ता है और काम की व्यस्त'ता की वजह से वह अभी नहीं आ सका. पंकज की उम्र अभी 26 साल है. पिच्छ'ले 4 साल से वह अमेरिका में पढाइ भी कर रहा है और साथ में जॉब भी कर रहा है. मा बाप बच'पन में ही गुजर चुके थे. पर नीता भाभी ने कभी मा की कमी महसूस नहीं होने दी. पंकज और प्रिया दोनों भाई बहनों को उस'ने अप'ने बच्चों की तरह पाला था.

पंकज जब अमेरिका गया था तब वह भाभी की मा सी इज़्ज़त कर'ता था. पर पश्चिम के खुले और रंगीन माहॉल ने इन चार वर्षों में उसे पूरा लम्पट बना दिया था. अब उस'के लिए औरतों और लड'कियों का बदन सिर्फ़ चिप'काने के लिए और उस'से खिल'वाड कर'ने के लिए थे, चाहे वह बदन किसी का भी क्यों ना हो. अमेरिका के खुलेपन के कारण वह भी बहुत स्वच्च्छन्द हो गया था.

उस'की भाभी, हां उसका नाम नीता है. उसकी उमर 40 साल है और अच्छे ख़ासे भरे शरीर की मलिका है. 40 साल की भाभी का मांसल बदन पंकज को बहुत रास आया. पर नीता में जो ख़ास बात थी वह थी उस'के सुडोल और विशाल मटक'ते, थर'थराते नितंब. नीता की जगह उस'का नाम नितंबा-देवी ज़्यादा सटीक बैठ'ता.

घर पहून्च'ते ही नीता ने प्रिया को कहा के लगेज पंकज के कम'रे मैं पहूंचा दो तो प्रियाने कहा.

"भाभी आप ठहरिए मैं समान भैया के कम'रे मैं सेट करवा कर आती हूँ." ऑर नीता सिर हिला कर जाने लगी. इसी दोरान प्रिया आर'ती की थाली ले कर आ गयी ओर नीता ने आगे बढ़ कर उस'से थाली ली ऑर पंकज को खामोश नज़रों से बुलाया, उसकी आर'ती उतारने के लिए. पर पंकज भोंचक्का सा खड़ा रहा तो प्रिया जो उस'के साथ ही खडी थी, उसकी पसली में कूह'नी से टो'का दिया तो पंकज ने हड़बड़ाते हुए प्रिया को देखा ऑर आंखाईं उचकाई तो प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा,

आगे जाओ ओर आशीर्वाद लो भाभी से भैया. आर'ती उतारते हुए भी नीता के चह'रे ऑर आँखों में गुस्सा हावी था. आर'ती जैसे ही ख़तम हुई तो एक बार फिर प्रिया ने दूर से ही आँखो से इशारा किया के आशिरबाद लो भाभी का. तो वो नीचे झुक गया ऑर पाँव छूये.

एरपोर्ट पर जो घटा था. इतना पुराना नहीं हुवा था के नीता भूल जाती कि पंकज के हाथों ने उस'की गान्ड की दरार को छुआ था सो वो थोड़ा केर्फुल थी, अब की बार पर आशिर्बाद तो देना ही था सो उसके सिर पर हाथ रखा ओर कांधो से पकड़ कर उसे खड़ा किया. आख़िर मा समान भाभी थी सो प्यार तो आना ही था सो आगे बढ़ कर उस'के माथे पर चुम्मा देना चाहा, पर पंकज तो ऐसे मौके तलाश कर रहा था सो जैसे ही नीता आगे को हो कर उस'के माथे का चुम्मा लेने आगे बढि, पंकज ने अपनी दोनो हथेल'याँ एक बार फिर नीता की चौड़ी गान्ड के कोने पर रख दी. दिल तो पंकज का अपने हाथ नीता के गान्ड की दरार पर पूरी तरह से घुसाने का कर रहा था पर वो जानता था के यह चीज़ महसूस कर ली जाएगी ऑर वो भाभी और बहन को अलग अलग सिड्यूस करना चाहता था सो सिर्फ़ कर्व पर ही हाथ रखे.

पंकज के हाथ अपनी गान्ड पर महसूस करते ही उसे एक झटका सा लगा पर अब वो पीछे नहीं हट सकती थी. चूँके पंकज उस'से कद मे लंबा-था सो उसे थोड़ा उचकना पड़ा ऑर पंकज को थोड़ा झुकना पऱ. इस प्रोसेस मैं पंकज ज़्यादा देर तक अपने दिल पर काबू ना कर सका ऑर साइड से अपने हाथ फिस'लाते हुए नीता की गान्ड पर पूरी तरह रख दिए. यह महसूस करते ही के पंकज के हाथ अब ज़्यादा खतर'नाक होना शुरू हो गये हैं, नीता ने तेज़ी से उस'के माथे पर अपने होन्ठ रखे ऑर पीछे हटी. पर पंकज इसी चीज़ का तो इंत'ज़ार कर रहा था. उस'के माथे पर जैसे ही नीता के होन्ठ छूये वैसे ही पंकज ने अपनी फैली हुई हथैल'यों को कस लिया ओर एक टाइट स्क्वीज़ देनी चाही, नीता के गान्ड की दरार पर. पर एक तो नीता की सिल्क की साऱी दूसरा नीता के चुत्तडो का बहुत भारी होना; जिसकी वजह से वो एक ना'काम सी कोशिश कर के रह गया ऑर इसी दोरान नीता एक झटके से पीछे हट चुकी थी.

प्रिया जो कि हैरत के मारे मूँ'ह फाडे खडी यह सब देखती रह गयी थी. प्रिया उस वक़्त अपनी भाभी के बिल्कुल पीछे ही खडी थी. पंकज ने अपनी बहन को तब देखा जब झटके के साथ नीता चुम्मा ले कर पीछे हुई. नीता के हट'ते ही प्रिया का मूँ'ह फाडे चेह'रा साम'ने आ गया जो के हैरत से अपने भाई ओर अपनी भाभी को देखे जा रही थी. पंकज प्रिया का चेह'रा देख कर मुस्कुरा दिया ऑर शरा'रत से आँख मार दी. पंकज का ध्यान पीछे की तरफ देख कर नीता ने सक'पका कर रुख़ बदला ओर उस'का दिल धक से रह सा गया अपनी छोटि ननद को देख कर. एक दम ढेर सारी शरम जैसे उसे आ गयी यह सोच कर के सब कुच्छ प्रिया ने देख लिया है. उस'से अब दो कदम चल'ना भी मुश्'किल हो रहा था, प्रिया के साम'ने.

"चलो यार! कितनी ऑर रस्मै निभाई जाएँगी. यहाँ के लोग तो ताज़ा माल हैं पर यह अमेरिका रिटर्न बंदा काफ़ी थक चुका है भाई" उकता'हट का प्रदर्शन करते हुए पंकज ने कहा पर उसकी नज़रे अपनी मस्त भाभी की चौड़ी गान्ड पर ही टिकी हुई थी ऑर वो एक बार फिर इस नरम जगह पर हाथ सॉफ करना चाहता था. 

"चलो भाई चलो, हां हम लोग भी थक चुके हैं" प्रिया नीचे नज़रे किए नीता के चलने का इंत'ज़ार कर रही थी. लेकिन यहाँ तो नीता से कदम ही नहीं उठाये जा रहे थे शरम के मारे. पर जब प्रिया को वहीं खड़े पाया तो नीता ने खुद ही हिम्मत कर के आगे कदम बढ़ाए ओर तेज तेज क़दमों के साथ आगे बढ़ गयी ओर तेज़ी से अपने बेडरूम का डोर ओपन कर के अंदर दाखिल हो गयी.

एरपोर्ट के हाद'से ने उसे एक दम बोखला दिया था ओर अब वो सिर थामे सोचे जा रही थी कि एर पोर्ट से अब तक क्या हुवा, ओर पंकज के हाथों का वो लॅम'हा याद कर के उसे गुस्सा भी आए जा रहा था ओर शरम भी, "वो कैसे यह सब उस'के साथ कर सकता है. उस'ने मा जैसी भाभी की गान्ड मैं पूरा हाथ चढ़ा दिया ओर वो भी बिल्कुल प्रिया के साम'ने ही, " नीता जैसे अपने आप से बरबराते हुए सवाल कर रही थी. सोचों का रेला उसके दिमाग़ मैं आए जा रहा था ओर वो सोच सोच कर परेशान हो रही थी कि उस'से कहाँ ग़लती हुई, क्या पंकज को बाहर भेजना उसकी ग़लती थी. लेकिन अपनी ग़लती के अहसास से ज़्यादा उसे यह चीज़ फिकर मैं डाले जा रही थी कि अब पंकज को नियंत्रण कैसे किया जाए ऑर उसे इन सब चीज़ों से बाज़ कैसे रखा जाए.

यह फ़ैसला कर के वो थोड़ी बहुत आश्वस्त तो हो गयी थी. पर एक डर सा यह लगा था के तुरंत परिवर्तन तो वो फिर भी नहीं ला सकैगि. इस बीच पंकज को कैसे फेस किया जाए, "वो तो लिहाज़ भी नहीं करता, वो मंज़र याद कर के ही नीता का चेह'रा शरम ऑर गुस्से से लाल हो गया. जब पंकज के हाथ उसके चुतडो पर मचल रहे थे. इन्ही ख़यालात मैं मगन नीता नींद की वादियों मैं खो गयी. कुच्छ दिन यूँही गुजर गये. नीता के साथ कोई और ख़ास बात नहीं हुई. पर यह सोच के वह ज़रूर दुखी थी कि अब पह'ले वाला पंकज नहीं रहा. उसे बड़े छोटे का लिहाज ज़रा भी नहीं था.

फिर एक दिन भाभी कहीं काम से गयी हुई थी. घर में प्रिया अकेली थी. वहीं पंकज भी था. पंकज की हवस भरी निगाहे प्रिया की मस्त जवानी का जाय'का ले रही थी. पंकज जब अमेरिका गया था तब प्रिया केवल 14 साल की थी. छ्होटे छोटे नींबू उभर रहे थे. पर इन 4 चार सालों में प्रिया 18 साल की मस्त लौंडिया हो चुकी थी जो पंकज की नज़र में केवल चोद'ने लायक थी. अब वह कॉलेज में 1स्ट्रीट एअर में पढ़ रही थी. पंकज की नज़रों की गुस्ताखियों को महसूस कर के प्रिया कुच्छ बोखला सी गयी ऑर वहाँ से भाग जाने के चक्कर मे थी. जिसे पंकज भी महसूस कर चुका था पर इतनी आसानी से वो यह मौका गँवा देने के लिए तैयार नहीं था.

"आई प्रिया तुम तो इन चार साल में पूरी जवान हो गई हो. " कहते हुए पंकज प्रिया के क़रीब आगेया ऑर जवाब मे प्रिया सिर्फ़ मूँ'ह चला कर रह गयी. उस'से कुच्छ कहा ही नहीं गया ओर जब पंकज को अपनी तरफ आते देखा तो बोख'लाते हुए बेतुके अंदाज़ मे कह दिया के,

भाई! चलें अब कुच्छ पढाइ सढाइ भी करें, यह कह कर मूडी ही थी कि पंकज ने उस'से से ज़्यादा तेज़ी दिखाई.

"अरे ठहरो प्रिया." प्रिया यूँही अपनी पीठ किए साँस रोके खडी थी कि किसी तरह यह घड़ी टल जाए ओर भाभी जल्द घर वापस आजाए लेकिन ऐसा कुच्छ भी ना हुवा , पंकज की कामुक नज़रे अप'नी बहन के टाइट पॅंट मे से उभरे हुए उन गोल गोल चुतडो पर केंद्रित थी और वो धीरे धीरे कदम उठाता हुवा प्रिया की तरफ बढ्ने लगा. बिल्कुल पास पहून्च कर अब वो ऊपर से नीचे तक बहन की मस्त जवानी का जायेज़ा लेने लगा ऑर जब नज़रे एक बार फिर गान्ड पर पहून्ची तो वहीं ठहर गयी. प्रिया अपनी आँखे किसी कबूतरी की तरह बंद की हुई थी. पंकज ने अपने बे-क़ाबू हाथ बढाये ओर उस'के बाएँ नितंब पर रख कर खुद प्रिया के कंधे से कंधा मिला कर खड़ा हो गया. प्रिया ने पंकज का हाथ जैसे ही अपनी गान्ड पर महसूस किया तो बिदक कर आँखे खोल दी ओर कुच्छ कहना चाहा पर पंकज ने यहाँ भी पहल की.

"अरे प्यारी बहाना इतना घब'रा क्यों रही हो!! हां?" यह कहते हुए पंकज ने हल'के से नितंब को दबाया ओर प्रिया कसमसाई सी बोल पऱी.

"भैया!! क्क्किया कर रहे हैं आप यह, आप ने एर पोर्ट पर भी कुच्छ इसी तरह. . , " इस'से आगे प्रिया से कुच्छ कहा ना गया हया के मारे.

"क्या किया था भाई मैने ऐसा , हां?" यह कहते हुए पंकज ने अपने हाथों का दबाव कुच्छ ओर बढ़ाया जैसे कि डॉक्टर लोग ब्लड प्रेशर लेते समय पंप कर'ते हैं.

"पल्लज़्ज़, भैया यह मत करो. मैं आप'की छोटी बहन हूँ." अपने एक हाथ से पंकज के हाथ को धकैलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली. अब वो रुआंसी सी होने लगी थी.

"ओके. ओके, छोड़ देता हूँ पर पहले यह बताओ के मस्त बहन का कोई बॉय फ्रेंड भी है या नहीं" अपना हाथ उसके कूल्हो से उठाते हुए कहा. पर अब स्थिति कुच्छ इस तरह रुख़ ली के प्रिया को धकैल कर उसे दीवार से टेक दिया ओर अपनी एक उंगली उसकी झाँक'ती हुई नाभी मे डाल कर होले होले घुमाने लगा. कूल्हों से हाथ हटाने के बाद प्रिया को कुच्छ सकून सा हुवा था पर अब नाभी मे पंकज की उंगली उस'के अंदर एक नयी सन'सनाहट पैदा कर रही थी.

"नही. भैया, " बिखरती साँसों के साथ कहा.

"अरे!! तुम्हारा अभी तक कोई बॉय फ्रेंड ही नहीं है. यहाँ के लोग कैसे हैं यार, तुम बहन हो उसके बावजूद तुम्हारी जवानी देख कर लंड तन गया है, देखो यह" कहते हुए पंकज ने प्रिया का हाथ जाबर'दस्ती अपने लंड पर रख दिया.

"प्ल्ज़ भाई, मुझे जाने दीजिए, यह. . यह सब सही नहीं हो रहा. " उखरती सांसो के साथ प्रिया मून'मुनाई ओर अपना हाथ लंड से हटाने की कोशिश की पर पंकज ने हाथ हटाने नहीं दिया ओर मज़बूती से गिरफ़्त किए रहा.

"कभी किसी ने तुम्हारे इन सुलगते होन्टो का जाम पिया है प्रिया?" जो हाथ नाभी मे घूम रहा था वो अब वहाँ से होन्टो पर पहून्च गया ओर अंगूठा और एक अंगुल से निचले होन्ठ को होले से मसला.
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06-29-2017, 11:08 AM,
#2
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"भैया. प्लज़्ज़्ज़, क्या कर रहे हैं आप. कैसी बातें कर रहे हैं, अब छोड़िए प्ल्ज़.बहुत हो गया. कहीं भाभी आ गई तो मेरे लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी. प्ल्ज़ भाई, अब छोड़ो ये सब कर'ना." रुआंसी होते हुए प्रिया ने कहा.

"पहले उस बात का जवाब दो मेरी जानेमन फिर जाने दूँगा." होन्टो से हाथ हटा कर वो हाथ बाएँ कंधे पर रखा ओर आहिस्ता से टी-शर्ट को नीचे खींच कर बाएँ कंधे को नंगा कर दिया.

"कोन्सि बात." कहते हुए अपनी टी-शर्ट को फिर अपनी जगह लाने की कोशिश की पर यह कोशिश महँगी पड़ गयी के पंकज ने फिर टी-शर्ट को ज़ोर से खींचा. जवाब मे जिस'से सफेद रंग की ब्रा का कप एक पल के लिए झलका ओर गायब हो गया.

"वाह यार प्रिया क्या चीज़ छुपा रखी है, तुम ने भाभी मा से एक चीज़ ज़बरदस्त ली है. तुम्हे पता है वह क्या है? भाभी के ये मम्मे, एक उंगली उसके उभारों पर रख कर पिंच करते हुए कहा, इस दोरान वो अपना हाथ प्रिया के हाथ से उठ चुका था जिस'से प्रिया ने उसका लंड थाम रखा था ऑर प्रिया अंजाने में अब भी उसे थामे खड़ी थी और हल्की हल्की स्क्वीज़ दे रही थी. . "पर तुम्हारी गान्ड भाभी की तरह फूली फूली नहीं है. ज़बरदस्त है तुम्हारी भी पर भाभी की तो क्या बात है. जब साली मट'का के चल'ती है तो जी कर'ता है की. . " अब गुस्से के बजाए प्रिया को शरम सी आगयी. उसे कहीं ना कहीं से यह सब अच्च्छा भी लग रहा था पर वो समझ नहीं पा रही थी. उन भाव'नाओं को, "भैया, प्लज़्ज़्ज़्ज़, अब कुच्छ ज़्यादा ही होने लगा है यह. आप जाने दें अब मुझे, शरमाते हुए प्रिया ने बे-इख्तियार अपना सिर पंकज के सीने मे छुपा लिया. उसका हाथ अभी तक उस'के लौडे पर था ओर बेखायाली मे हाथ की गिरफ़्त लंड पर सख़्त हो चुकी थी. " बात का जवाब दो ओर फिर चली जाओ , " कहते हुए पंकज ने प्रिया के दूसरे कंधे को भी नंगा कर दिया, "कोन्सि बात" शरमाते हुए प्रिया ने सिर उठा कर पंकज को देखा, "वही के कभी इन सुलगते होन्टो का रस किसी ने पिया है? अब अपने दोनो हाथ प्रिया की गान्ड पर रख दिए. एक हाथ से उभरे हुए चूतड़ को दबाने की कोशिश की ओर दूसरे हाथ को दरार मे फिराने लगा, ओर इस अचानक हुए हम'ले पर प्रिया को झूर'झुरी सी आगयी. "न्‍न्न्नाहिी, " तेज होती सांसो के साथ शरमाते हुए कहा, "ओर कभी किसी के लौडे को पक'डा है जैसे कि मेरा थामा हुवा है, " शरारत से पंकज ने कहा, ओर जैसे ही प्रिया को होश आगया ओर झटके से हाथ हट दिया. अब उस'से नज़रे नहीं मिलाई जा रही थी, "भाई अब मैं जाऊं, आप की बात का जवाब दे दिया. " प्रिया ने नर्वस होते हुए कहा. "एक शर्त पर, " "क्या?"

"चूँके अभी तक तुम्हारे होन्टो को किसी ने चूसा नहीं है, ओर मैं वो पहला शख्स हूँ जिस'ने एरपोर्ट पर इनका थोड़ा सा सीप लिया है ओर अब तुम्हारे इस बेसबरे भाई से रहा नहीं जाता, सो इन मद भरे जामों का रस पिलाओ ओर चली जाओ, " "जी. कैसी बात कर रहे हैं भैया. कभी बहन के होन्टो पर भी चूम'ता है कोई, " बोख'लाते हुए प्रिया ने कहा, "क्यों, किस ने कहा है के सिर्फ़ गाल पर चुम्मा लिया जा सकता है, खैर चुम्मा दो अपने इन होन्टो का अन्यथा इसी तरह तुम्हे अपने हाथों मे लिए खड़ा रहूँगा, ओर इस दोरान समझ सकती हो के कुच्छ भी कर सकता हूँ, " शरारत से कहते हुए एक टाइट स्क्वीज़ दी प्रिया की गान्ड पर, "उउउहह. हल्की सी सिसकारी निकल गयी प्रिया के होन्टो से, प्ल्ज़्ज़, भाई अब जाने दें, " "पहले चुम्मा" अब की बार जो हाथ दरार मे घुसा हुवा था वो नीचे से काफ़ी अंदर गया ओर लग'भाग चूत को रगड़ता हुवा वापिस दरार मे घुसा दिया,

क्रमशः…………………………….
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06-29-2017, 11:08 AM,
#3
RE: Kamukta Sex अमेरिका रिटर्न बंदा
अमेरिका रिटर्न बंदा--2

गतान्क से आगे…………………………..

"उहह, प्पल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लज़्ज़्ज़. भाई" "चुम्मा लिए बगैर तो नहीं जाने दूँगा" कहते हुए पंकज झुका ओर उसके होन्टो को चूम लिया. "बोलो! दे रही हो चुम्मा, या यूँ ही हाथ फेरता रहूं अपनी सेक्सी बहन के बदन पर, " "आप ने ले तो लिया" प्रिया की निगाहे झुकी जा रही थी. एरपोर्ट का चुम्मा तो भाई के प्यार जताने का तरीका था लेकिन यह चुम्मा उसकी ज़िंद'जी का पहला चुम्मा था ओर वो उसकी सर'सराहट को महसूस कर रही थी. वो ना चाहते हुए भी इसे एंजाय कर रही थी. . "यह भी कोई चुम्मा था. चुम्मा तो वो होगा जो तुम खुद अपनी मर्ज़ी से दोगि ओर मैं जब तक जाम खाली ना कर दूं इन लबों को छोड़ने वाला तो नहीं" शरारत से कहते हुए दूसरा हाथ भी दरार से उठ कर चुतडो पर रखा ओर दोनो हाथों से टाइट स्क्वीज़ दी. प्रिया ने निकलती सिसकारी को होन्ठ दबा-कर रोका ओर कुच्छ कहने की कोशिश की लेकिन पंकज ने फिर बाधा दी. "प्यारी बहना! दे दो वरना यूँही हाथ फेरता रहूँगा ओर जहाँ दिल चाहा चुम्मा भी करूँगा, " यह कहते हुए एक कातिलाना मुस्कुराहट पंकज के चह'रे पर सज गयी थी और एक हाथ चुतड से हटा कर साम'ने की तरफ लाया ओर सीधा आगे से दोनो टाँगों के बीच मे पहूंचा दिया. अपनी चूत को बचाने के लिए प्रिया कुच्छ भी ना कर पाई सिवाए आउच कहने के. प्रिया ने पीछे हट'ना चाहा पर पीछे दीवार ही थी. जाती कहाँ सो कस मसा कर रह गयी. उसे इस खैल मैं अब मज़ा आने लगा था लेकिन साथ साथ डर भी लग रहा था के कोई आना निकले यहाँ. "ठीककक है. सिर्फ़ एक, " होल से शरमाते हुए कहा, "गुड. यह हुई ना बात!!" कहते हुए पंकज ने अपने दोनो हाथों के प्याले मे प्रिया का चेह'रा थाम लिया ओर उसके होन्टो पर झुक गया. पंकज अप'नी बहन के मस्ताने होन्ठो को ना जाने कित'नी देर चूस'ता रहा. प्रिया ने भी आँखें बंद कर ली थी. फिर अचानक प्रिया हड'बड़ा के पंकज से हटी और भाग कर अप'ने कम'रे में चली गई. इस घट'ना के बाद प्रिया पंकज के साम'ने अकेली पड़'ने से कत'राने लगी.

कुच्छ दिन फिर यूँही बीत गये. पर प्रिया के साथ जो भी पंकज ने किया था उस'से उस'की हिम्मत और बढ़ गयी. एक दिन पंकज जैसे ही अपने बेडरूम का दरवाज़ा खोल कर अंदर घुसा नीता को अंदर ही पा कर अपनी आँखे गोल गोल घुमाने लगा. नीता बेड पर झुकी झुकी पंकज के सूट केस को खाली कर रही थी. उसे यह अहसास ही ना हो सका के उसका अमेरिका में बिग'ड़ा हुवा देवर अंदर आन पहूंचा है. पंकज कुच्छ देर खड़ा खड़ा अप'नी मस्त भाभी की सुडोल गान्ड का नयन सुख लेता रहा. फिर वा अपने कदम भाभी की ओर बढ़ाने लगा. बाज़ाहिर तो नीता सूट केस से कप'ड़े निकालने मे ही मगन थी लेकिन उसका ज़हन पंकज मे ही खोया हुवा था और होन्टो पर हल्की सी मुस्कुराहट जमी हुई थी. चुतडो ओर चूचियों पर पंकज के हाथ की शैतानियत उसके दिल को गुद गुदाये दे रही थी ओर इसी दोरान पंकज उसके पीछे आ खड़ा हुवा ओर उसे पता ही ना चला के कब पंकज कम'रे मे अंदर आया ओर कब उसके पीछे आकर खड़ा हो गया. झुकने की वजह से नीता की गान्ड कुच्छ आगे को बाहर निकल आई थी और यह देख कर पंकज के हाथ बे-क़ाबू से हो गये ओर सीधे हाथ से फूले हुए चुतडो पर एक धप सी रसीद कर दी ओर नीता सहमी हुई आवाज़ के साथ उच्छल सी पड़ी. और हड'बड़ा कर जैसे ही पलटी पंकज को अपने साम'ने पा कर उसके हाथों के तोते उड़ गये. आख़िर हिम्मत बटोर के उस'ने कहा,"यहाँ क्यों आए हो, बाहर जाओ. अभी मैं काम कर रही हूँ. " "नोप!!! मैं नहीं जाऊँगा, यहीं बैठा हूँ आप अपनी सफाई जारी रखिए" शरारत से पंकज ने कहा ओर नीता की साइड से निकल कर वहीं बिस्तर पर सीधा लेट गया ऑर शरा'रत से नीता को देखते हुए सीटी बजाने लगा. अचानक पंकज एक दम से उठा ओर लपक कर दरवाज़ा बंद कर दिया. "यह क्या बद-तमीज़ी है ओर अभी तुम ने यह पीछे से क्या किया था" झूट मूट का गुस्सा दिखाते हुए नीता ने कहा, "बद-तमीज़ी?, बद-तमीज़ी कहाँ थी. मेरी मस्तानी भाभी, मैने तो प्यार किया था. " पंकज ने दाँत निकाले ओर कदम नीता की तरफ बढान शुरू कर दिए, "देखो!!! बद-तमीज़ी की नहीं हो रही है, हां, शराफ़त से यहाँ बगल में बैठ जाओ मैं तुम्हारे सूट केस से कपड़े निकाल कर हॅंगर मे सेट कर देती हूँ." बोखलाते हुए नीता ने पीछे खिसकना शुरू किया. "ओके, ओके, बैठ जाता हूँ भाई साइड पे. डर क्यों रही हैं. " यह कहते हुए पंकज सूट केस के बरा बर मे ही बैठ गया.

"थोड़ा उधर हो कर बैठो या वहाँ चेर पर जा कर बैठो, " मून-मूनाते हुए नीता ने कहा. "अब हर बात नहीं मानूँगा भाभी वैसे भी आप ने कुच्छ दिखाने का कहा था अपनी. " अपनी आँखे नीता की चूत की तरफ फोकस करते हुए कहा, हाय रे मैने ककब कहा बेशरम, मारूंगी एक हाथ" नीता एक दम बोखला सी गयी."बेशरम थोड़ी सी भी लज्जा नहीं आती इस तरह से बात करते हुए" गुस्सा दिखाते हुए वो एक बार फिर सूट केस पर झुक गयी ओर पंकज उसे सिर से पैर तक खा जाने वाली निगाहों से घूर्ने लगा ओर इन निगाहो की तपिश नीता अपने पूरे जिश्म पर महसूस कर रही थी और बोख'लाहट मे जो कपड़े निकाल चुकी थी; उन्हे फिर सूट केस मे ठूँसने लगी ओर जब अहसास हुवा तो झुँ'झला सी गयी. "क्या है पंकज, काम क्यों नहीं करने दे रहे" गुस्सा दिखाते हुए नीता ने सीधे हो कर कहा, "कुच्छ दिखा दें. चला जाऊँगा, " यह कहते हुए पंकज ने जीभ निकाल दी. "बेशरम, ठहरो तुम एक मिनिट, अभी बताती हूँ तुम्हें" यह कहते हुए नीता उसे झूट मूट मारने के लिए झुकी ओर पंकज जैसे इसी मोक़े की तलाश मे था. एक झटका ही देना था ओर नीता चारों खाने उसकी छाती पर चित थी. पंकज का एक हाथ फॉरन नीता के चुतडो पर गया ओर दूसरा हाथ ब्लाउस के खुल्ले हिस्से पर, "ककक्किया कर रहे हो, छोड़ो, लोफेर कहीं के. " एक दम से कस'मसाते हुए नीता ने बा-मुश्किल कहा, ओर पंकज की गिरफ़्त से आज़ाद होने के लिए मचलने लगी. किसी चिकनी मछलि की तरह. भाभी को हाथों से निकलते देख कर पंकज ने बाँहों मे लिए लिए ही एक करवट ली ओर अब नीता पंकज के नीचे आचुकी थी और कस'मसाहट मे उस'में पहले जैसी ज़िद-ओ-जहद बाकी ना रही. "कुच्छ नहीं करूँगा मेरी गरमा गरम भाभी, सिर्फ़ प्यार करूँगा ओर आपकी यह रसीली सी चूत देखूँगा. " साऱी के ऊपर से ही चूत को अपने लौडे से रगर्ते हुए कहा. लौडे की चुभन नीता ने भी फॉरन महसूस कर ली ओर उस पर पंकज की सॉफ इशारा कर'ती बाते, जिस'से नीता एक दम लाल सी हो गयी. हट जाओ हां देवर जी, अब चीखूँगी ना तो देवर जी इतने जूते पड़ेंगे ना , सारी चू. . . " ओर एक दम से अपनी जीभ दाँतों तले दाब ली, पंकज भी समझ चुका था के यह 'चू' सिर्फ़ चू नहीं था बलके चूत की तरफ इशारा किया जा रहा था. "चीखैंगी तो आप बिल्कुल भाभी, अमेरिका मे काफ़ी लौन्डियो की ली है ओर जिसे भी चोदा वो चीखती ज़रूर थी. , " यह कह'ते ही पंकज झुका ओर नीता के दहक'ते लबों पर अपने होन्ठ रख दिए ओर मज़ा ही आगया, सीधे दोनो हाथ अपनी भाभी के जोबन पर थे ओर होन्ठ अपनी प्यास बुझा रहे थे. नीता के अंदर एक तूफान सा बरपा हो रहा था. पंकज के हाथ ओर होन्ठ दोनो अपना कमाल दिखा रहे थे. "वंडरफुल!! आह भाभी क्या रसीले होन्ठ हैं आप के. दिल चाहता है यह जम पीता ही रहूं" एक हाथ से उनकी चूची को दबाते हुए कहा. "जी तो दिखाएँ अब अपनी प्यारी प्यारी चूत." गालों को चूमते हुए पंकज ने कहा. "बेशरम ना हो तो." शरम से लाल होते हुए नीता सिर्फ़ यही कह पाई. "मैं कल ही तुम्हारे भैया से कककहती हूँ के तुम्हारे लिए कोई लड़की देखे, बब्बेशरररम. आहह, " मम्मो पर पंकज के हाथों का दबाव कुच्छ ज़्यादा बढ़ गया तो सिसकारियों को नीता रोक ना पाई.
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06-29-2017, 11:08 AM,
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RE: Kamukta Sex अमेरिका रिटर्न बंदा
"हुह!!, आप होती तो शादी का फॉरन हां कर देता, हां अलबत्ता आप की कोई बहन हो आप जैसी तो मोस्ट वेलकम" कहते हुए अपना एक हाथ चूची से हटा कर नॅफ की तरफ ले गया, अंघूठे को नाभी मे घुसा कर दबाते हुए थोड़ा नीचे की तरफ खींचा तो नीता के होन्ठ ओ शेप मे खुल से गये जिसे पंकज देख कर मुस्कुरा दिया. हाथ की हरकत को जारी रखते हुए कुच्छ और नीचे ले गया. साऱी 2 इंच नाभी के नीचे थी और उसकी यह सेट्टिंग मुनासिब नहीं लग रही थी. एक उंगली साऱी ओर पेटिकोट दोनो के कोनों मे घुसा कर हाथ के सफ़र को फिर जारी रखा ओर नाभी से नीचे की तरफ साऱी को खींचा .

"ओह ओह, ककक्किया , क्या करर्र रहे हो यह, हटो. " हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन जिस क़दर साऱी खीच सकती थी, वो खिच चुकी थी और इस क़दर खिच चुकी थी कि पंकज अगर अंघूठे के सहारे साऱी को थोड़ा ऊपर उठाता तो चूत बिल्कुल नीचे ही होती.

पंकज जवाब मे नीता के होन्टो पर फिर झुक गया ओर एक भरपूर चूम्मा लिया. साथ ही अपने हाथ की हरकत को जारी रखते हुए एक अंगूठा तो साऱी मे घुसाए रखा ओर हाथ को बलिश्त नापने के अंदाज़ मे शेप दी. चूके साऱी इस क़दर नीचे थी तो वो बलिश्त कुच्छ इस तरह आई के पूरी चूत को ओक्कुपी कर लिया. नीता हाथ को हटाने की नाकाम कोशिश कर रही थी; चुम्मे के दोरान भी लेकिन हाथ की शैतानियत जारी थी.

अब पंकज सिर उठा कर नीता के पूरे बदन को भूकि निगाहों से देखने लगा. जब के नीता अपनी साँसों को काबू करने के साथ साथ पंकज को हटाने की कोशिश भी करने लगी.

"सस्शह, कुच्छ नहीं सुनूँगा, चूत देखे बगैर नहीं जाऊँगा प्यारी सेक्सी भाभी जान" ओर अपने हाथ को जो बलिश्त नापने के अंदाज़ मे चूत पर फैला हुवा था वो हाथ एक दम मुट्ठी की शकल मे बना ओर इतनी टाइट स्क्वीज़ दी के नीता खुद पर काबू ना रख सकी ओर दोनों हाथों से पंकज के कंधे को भींच लिया.

"ओह्ह्ह्ह, औचह." हाथ कुच्छ इस स्थिति मे था के चार उंगलियाँ चूत को नीचे से ऊपर की तरफ भींचने की कोशिश कर रही थी जब के अंगूठा जो के साऱी मे अडसा हुवा था वो ऐंगल दे कर कुच्छ इस तरह शेप मे आया के अंगूठा जहाँ फँसा हुवा था वहाँ से साऱी कुच्छ ऊपर को उठ गयी. अंदर का नज़ारा कर के ही पंकज मस्त हो गया ओर पंकज ने झुक कर अपने होन्ठ मम्मो पर रखने चाहे. तभी पंकज की गिरफ़्त कुच्छ हल्की पड़ी ओर नीता ने पंकज को ऊपर से धकैला ओर जैसे ही उठ कर भागने की कोशिश की पंकज ने जल्दी से नीता का एक हाथ पकड़ कर एक लहर सी जो उसे दी तो घूमती हुई वो अपने ही ज़ोर मे आकर पंकज की गोद मे धम से गिरी. "औकचह!!आह मार डाला.

"क्या छीना झपटी लगाई हुई है भाभी. कहा ना चूत देखे बगैर तो बिल्कुल भी नहीं जाने दूँगा" शरारत भरे अंदाज़ मे पंकज ने कहा. नीता के सीने से साऱी हट चुकी थी; घूमने के दोरान ओर पंकज का एक हाथ नीता के बाएँ मम्मे पर था जब के दूसरा हाथ से उस'ने फिर साऱी को नीचे सरकाने की कोशिश की थी. लेकिन बैठे होने की वजह से अब वो पहले जितनी नीचे ना जा सकी. यह महसूस कर के पंकज ने नीता की नाभी मे अपना अंगूठा ओर एक उंगली डाल दी ओर उसे मुख्तलिफ तरीक़ों से मसल रहा था. कभी नाभी के दोनो कॉर्नर्स अंगूठा ओर उंगली रख कर इस तरह मसल'ता के गहरी नाभी बंद सी हो जाती ओर कभी अपनी उंगली डाल कर ड्रोलिंग सी कर देता.

"छोड़ो" अपने नाज़ुक हाथों से पंकज के हाथों की शैतानियाँ रोकने की कोशिश करते हुए नीता मून'मुनाई. "चूत" पंकज चूची से हाथ हट कर साऱी के ऊपर से ही चूत पर रखते हुए कहा ओर होले होले सहलाने लगा. "बिल्कुल नहीं" नीता ने शरम से लाल होते हुए कहा ओर पंकज के हाथों को हटाने की नाकाम कोशिश जारी रखी. "ह्म तो भाभी आप को भी मज़ा आरहा है इस छेड़'खानी मे हां, वरना अब तक तो अपनी रसीली चूत दिखा कर जान छुड़ा चुकी होतीं" गालों को चूमते हुए पंकज ने शरारत से कहा.

"बद-तमीज़!!, " नीता बुरी तरह से शर्मा गयी. "बेशरम! तुम्हारे भाई को पता चला ना के तुम मेरे साथ क्या क्या कर रहे हो ओर क्या माँग रहे हो तो इतनी मार लगाएँगे के सारी मस्तियाँ अंदर रह जाएँगी, "एक भरपूर कोशिश कर के नीता उठ्ने मे कामयाब हुई थी कि पंकज ने फिर गोद मे गिरा लिया. "अरे, भाई को क्या प्राब्लम होगी भाभी, जो चीज़ वो देख चुके है मैं भी तो वही देखने को कह रहा हूँ" यह कहते हुए पंकज ने अपनी गिरफ़्त कुच्छ हल्की छोड़ी ओर नीता मोक़ा गनीमत जानते हुए फॉरन उठि. लेकिन पंकज ने गिरफ़्त हल्की की ही इसी लिए थी कि वो उसे सिड्यूस करना चाह रहा था. जैसे ही वो उठि पंकज भी उठ खड़ा हुवा ओर लपक कर नीचे झुकते हुए नीता को अपनी बाँहों मे उठा लिया. चूके साऱी पहले ही अपनी जगह से हट कर नीचे आन पाहूंची थी सो नाभी पंकज के होन्टो के बिल्कुल साम'ने ही अपने जोबन पर थी. पंकज अपने सुलगते होन्ठ अपनी भाभी की नॅफ पर होले से अभी रख ही पाया था के नीता को जैसे एक करेंट सा लगा ओर अजीब अंदाज़ मे निकलने की कोशिश की जिस'से स्थिति कुच्छ इस तरह बनी की नीता का पेट तो होन्टो से हट गया लेकिन नितंब पीछे को हो कर पंकज के हाथों को मज़ा देने लगे. पंकज नीता को ऐसे ही उठाए हुए घूम कर बेड पर खड़ा कर दिया ओर खुद नीचे ही खड़ा रहा. एक हाथ नीता की कमर के बॅक पर दूसरा चुतडो पर रखते हुए. जब के नीता उसे सिर से थामे उसे दूर करने की कोशिश कर रही थी. वो समझ चुकी थी कि पंकज उसकी नाभी को चूम'ना चाहता है ओर नीता अच्छी तरह जानती थी कि यह उसकी काफ़ी सेनसटिव जगह है. वो अपने जज़्बात पर नियंत्रण नहीं कर पाएगी. लेकिन पंकज एक मूँ'ह ज़ोर तूफान था. आख़िर उस'ने अपने होन्ठ नीता की नॅफ पर रख दिए.
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06-29-2017, 11:08 AM,
#5
RE: Kamukta Sex अमेरिका रिटर्न बंदा
"उम्म.पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़, देवरररर जी." उसकी साँस जैसे अंदर ही कहीं रुक गयी थी और टूट्ति, बिखरती सांसो से बेतरतीब यह अल्फ़ाज़ पंकज को मज़ीद उकसा रहे थे. "ब्स्स्स. आब्ब्ब, छोड़ो पंकज" वो उसे छोड़ने का कह रही थी. लेकिन अपने हाथों से पंकज के सिर को अंदर की तरफ दबाए जा रही थी, जज़्बात के मारे. "उम, क्या मस्त माल हो भाभी, मज़ा आगेया." पंकज ने अपना सिर उठाया ओर जीभ फेरते हुए कहा ओर गान्ड पर रखे हाथ को चूत एरिया पर लाते हुए एक बार फिर साऱी को पेटिकोट के साथ नीचे को खींचा. साऱी पहले से भी ज़्यादा नीचे आगयी ओर नीता अचानक होश मे आगयी. अल'ता के गहरी नाभी बा "क्यों, जी दिखा रही हैं चूत अपनी, अपने देवर को .भाई जब साली आधी घर वाली हो सकती है तो देवर क्यों नहीं, हां. ?, भैया आप की चूत देख सकते हैं तो हमें भी कुच्छ हक़ मिलना चाहिए ना जी." नीता की गान्ड को पिंच करते हुए पंकज ने कहा. बहुत कुच्छ हो चुका था. अब नीता को डर लग रहा था के कोई अंदर ना आजाए. पंकज काबू मे ही नहीं आरहा था ओर उसे लग रहा था के वो चूत देखे बगैर उसे जाने भी नहीं देगा, लेकिन इस ख़याल से ही उसे शरम आरहि थी कि वो अपने देवर को खुद चूत का नज़ारा करवाए. तभी डोर बेल बजी और नीता हड'बड़ा के उठी. दरवाजा खोला तो काम कर'ने वाली बाई थी. उस दिन तो भाभी की पंकज से जान छुट गई. दूस'रे ही दिन की बात है. पंकज रोज की तरह नहाने वाला था. भाभी ने आवाज़ दी और बोली .

तेरे नहाने का पानी तैयार है" पंकज बाथ रूम में गया. तभी भाभी को याद आया के उसने पंकज को बहुत ही गरम पानी दिया है. भाभी ने कहा " अरे, थोड़ी देर रुक में तुझे ठंडा पानी परोसती हूँ". भाभी ने साऱी पहनी थी. बाथरूम बहुत छोटा था. दो आदमियों से भी वह भर जाता है. पंकज अंदर था और भाभी बाथरूम में आगाई. पंकज नंगा ही नहाता था पर भाभी आने वाली थी इस'लिए टवल बाँध के रखा था. भाभी अंदर आई, पंकज भाभी के पीछे खड़ा था. भाभी पंकज के साम'ने झुकी. उसका मूँ'ह दूस'री तरफ था और उसकी गान्ड पंकज की तरफ थी. वह ठंडा पानी गरम पानी में डाल रही तही. तभी उसकी गान्ड पंकज के लंड को लगी. पंकज को करेंट सा लगा और लंड 180 डिग्री खड़ा हो गया. भाभी को भी चुभन महसूस हुई. भाभी ने पानी डाला और वह फ़ौरन कुच्छ मुस'कराती सी बाहर चली गई. उसी रात पंकज भाभी के कम'रे में पहूंचा और आश्चर्य की भाभी का कम'रा अंदर से बंद नहीं था. भाभी दूस'री तरफ मूँ'ह कर'के सोई हुई थी. पंकज पलंग पर बैठ गया और भाभी की कमर पर हल'के से हाथ रख दिया. भाभी जब हिली भी नहीं तो पंकज भी नीता के पीछे लेट गया और भाभी को चिपका लिया. अब लंड भाभी की गान्ड को छूने लगा. धीरे धीरे पंकज ने हाथ भाभी की चूचियों पर रखे और उन्हे सहलाने लगा. उसे लगा भाभी सो गई है लेकिन वह सोने का नाटक कर रही थी. पंकज ने धीरे धीरे हाथ भाभी के पेट से घुमा के भाभी की साऱी में डाला. अचानक, भाभी ने हाथ पकड़ा और बोली.

क्रमशः..........................
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06-29-2017, 11:09 AM,
#6
RE: Kamukta Sex अमेरिका रिटर्न बंदा
अमेरिका रिटर्न बंदा--3

गतान्क से आगे…………………………..

" क्या कर रहा है तू? अब तू इट'ना बिगड़ गया है कि यहाँ भी आ पहूंचा है. और वह सीधी होके बैठ गई . एक'बार तो पंकज बहुत घबरा गया लेकिन तुरंत बोल पड़ा,भाभी कल तो तू बिना दिखाए भाग गई थी पर आज देखे बिना नहीं छोड़ूँगा. कल ही आप दिखा देती तो यह नोबत ही नहीं आती. नीता कई देर खामोश रही. वह जान'ती थी कि डान्ट डपट से यहाँ काम चल'ने वाला नहीं है. आख़िर उस'ने मन ही मन कुच्छ निर्णय किया और खुद ही मुस्कुरा उठी और कहा. " अभी तू जवान हो गया है, मैं तेरे भैया से कह के तेरी शादी करा दूँगी. कोई लड़की देखी है के नहीं? पंकज ने कहा," में अनुभव लिए बगैर शादी नहीं करूँगा. मैने तो अभी कुच्छ भी अनुभव अप'ने देशी माल का लिया नहीं है'. भाभी ने कहा. मैं तेरे ही बारे में सोच'ती रही हूँ और तुम ऐसे ही मान'ने वाले भी नहीं हो. देख मेरी एक छोटी बहन है जो घर से आज से सात साल पह'ले 17 साल की उमर में ही भाग गई थी. इन 7 सालों में उस'ने क्या क्या पापड बेले होंगे यह तो मैं नहीं जान'ती पर आज वह एक फिल्म अभिनेत्री, चरुलाता है. अभी दो महीने पह'ले मेरा 17 साल का छोट भाई चिक्कू भी उस'के पास चला गया है. मैं तुम्हें उस'का मुंबई का पता ठिकाना दे देती हूँ और तुम अमेरिका रिटर्न बंदा हो, स्मार्ट हो. तुम उसे पटा लो और अप'नी बीवी बना लो. तुम कहो तो मैं उस'से फोन पर बात कर'के उसे तुम्हारे मुंबई आने की बात बता दूँ.

भाभी देखो दिखाने वाली बात को यूँ मत टालो नहीं तो..... पंकज ने नीता की एक चूची पर हाथ रख'ते हुए कहा.

ठीक है, यदि तुम्हें मेरी बात मंजूर है तो शनिवार तक जब तक तुम्हारे भैया यहाँ नहीं आ जाते मैं तुम्हारे लिए कुच्छ करूँगी. लेकिन उस'के बाद कभी नहीं. और हां दो दिन भैया के पास गुज़ार के तुम्हें सोमवार को मुंबई जाना है. भाभी ने कहा.यह सुन'ते ही पंकज शुरू हो गया. उस'ने भाभी के माथे पे चुम्मा किया, धीरे धीरे भाभी के गालों पर, भाभी के होन्ठो पर और फिर भाभी के गले पर. धीरे धीरे पंकज नीचे आया और भाभी का ब्लाउस खोला और चूचियों को चूसने लगा, चाट'ने लगा और काटने लगा. उस'ने एक हाथ भाभी की साऱी में डाला और भाभी की पैंटी में हाथ डाल कर भाभी की चूत तक ले गया और भाभी की चूत में उंगली डाल कर उसे सहलाने लगा. भाभी को भी अच्छा लग रहा था. उस के मूँ'ह से आवाज़े आ रही थी. एयेए.ऊओच...आ एयेए और्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर " उसकी साँसें बढ़'ने लगी और आवाज़े भी .

ऊऊऊ म्‍मा अहह. ईीइसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स. आ भाभी, हाई. ऊओ अयू" अचानक वह बोली. आब्ब्ब्ब तो डालल्ल्ल्ल्ल ना रीईए आई"

लेकिन पंकज नहीं. मान रहा था. पंकज वही कर रहा था. उस वक़्त भाभी एक " कामदेवी" लग रही थी. पंकज भाभी के पास गया और उसको चूमने लगा और चाटने लगा. चूमते- चूमते पंकज नीचे आया और भाभी की नाभि ( नवल) चाटने लगा. पंकज फिर से खड़ा हुआ और भाभी के चूचियाँ दबाने लगा और एक हाथ भाभी के नीचे डालकर भाभी की बूर में उंगली डालने लगा, पहेले एक और बाद में दो और तीन उंगलियाँ उस'ने भाभी की चूत में डाली.

" आ उउउंमा बस कर. आ आब्ब्ब्ब चल लगा मुझे. आब्ब्ब्ब्बबब रहा नहिी जाताअ आईम्म" लेकिन पंकज नहीं मान रहा था. भाभी की चूत से पानी निकल रहा था. भाभी और भी तड़प'ने लगी, "आब्ब्ब्बब लगा रीए. "

तभी पंकज ने भाभी को पूछा. " भाभी, क्या मैं आप'को नाम से पुकार सकता हूँ?' भाभी ने भी कहा, " हां, तू मुझे नाम से पुकार सकता है और मैं तुझे रेस्पेक्ट दे के पुकारूँगी." ( यानी एक औरत अपने पति को पुकारती है वैसे) फिर पंकज ने जब भाभी के चूचियाँ दाबी और उसकी बुर में उंगली डाली तब भाभी बोली. . "एजी, आब्ब्ब्ब्बबब बस भी किजीए, , आप मुझे आइसे मत तरसाऊ, अब्ब डालल्ल्ल्ल्ल भी दो और्र्र्ररर कितना तरसाओ गे, क्या बुर्र्र्र्र्ररर का पॅनीयियी ऐसे ही नीईकालोगे." पंकज उठा. भाभी के दोनों पैर अप'ने कंधे पर लिए और उसे पेट के बल सोने को कहा. उस'ने लंड निकाला, भाभी की चूत पर लगाया और ज़ोर से भाभी के अंदर ठेला. " ऊ आम्म्मी, आ, एम्म माइ अओ. आप का बहुत बड़ा हाई. , अओउू" पंकज के धक्के और बढ़ने लगे और भाभी और चिलाती रही अहह , अहह. अहह अम्मी. ऊओ तकलीफ़ हूओ रहीए है.लेकिन, अच्छा लग रहा है आम, ईएसससा". वह भाभी भी नीचे से कमर हिला कर साथ दे रही थी. पंकज और धक्के मार ने लगा, तभी भाभी ने कहा. "पंकज तुम छोटी का दिल ज़रूर जीत लोगे. तुम्हारा हथियार बहुत बड़ा है. पंकज ज़ोर के धक्के दे रहा था और बोला." और, क्या भैया ऐसा नहीं करते. ?" तभी भाभी बोली, "आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तेरे भैया यहाँ हर'दम तो रह'ते नहीं, पंकज धक्के दे रहा था और फिर एक आखरी जबर'दस्त झटका दिया और पानी भाभी में गिर गया. भाभी बोली "आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह. आब्ब्ब्बब, ठीक लग रहा हाीइ. आज से हर रात आप मेरे पति और मैं आप की नीता. सालों बाद आज मुझे तृप्ति मिली है" और वे दोनों एक दूसेरे से चिपक कर सो गये. करीब 1 घंटे बाद भाभी की नींद खुली, पंकज सोया था. तभी एक हाथ पंकज को चड्डी में जाता महसूस हुआ और पंकज की हल्की सी आँखे खुली. तभी देखा तो भाभी का हाथ पंकज की चड्डी में था. पंकज उठा तो भाभी से कहा. "नीता चल, पलंग पर पसर जा" भाभी पलंग पर पसर गई. पंकज भाभी को पलंग के कोने में ले गया. पंकज ने नीता के हाथ दीवार पर टिकाए और पलंग पर घुटने पर बैठने को भी बोला. अब भाभी का मूँ'ह दीवार की तरफ और भाभी की गान्ड पंकज की तरफ थी. पंकज भी भाभी के पीछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह घुट'ने पर बैठ गया. भाभी बोली. 

" आप, क्या सोच रहे हो जी?"

पंकज भाभी के गान्ड पर हाथ घुमा रहा था. उसे सहला रहा था और बोला. " नीता, मैं जब से यहाँ आया हूँ तब से र्तेरी गान्ड का दीवाना हो गया हूँ. पह'ले मैं तेरी गान्ड मारूगा, उस'के बाद ही कुच्छ और सोचूँगा.",

भाभी ने कहा

" हांजी मुझे मालूम है, लेकिन थोड़ा धीरे से . नहीं तो आप की बड़ी तलवार से गान्ड फट जाएगी"

यह सुन कर पंकज ने भाभी के पिछे के छेद में अंगुल डाली, लंड निकाला और भाभी के गान्ड के होल पर रख कर झटका दिया लेकिन वह नहीं जा रहा था.

भाभी ने कहा. "अजी , आप तेल लगाओ और फिर करो" पंकज नीचे के रूम में गया और तेल ले के आया. तेल पह'ले लंड में लगाया और भाभी की गान्ड में भी डाला. इतना डाला के भाभी की गान्ड पूरी तेल से भर गई.

पंकज बोला. " नीता, मेरी जान अब तैयार हो जा. हाय रानी तेरी गान्ड क्या मस्त है?"

भाभी बोली. " प्लीज़ थोड़ा धीरे धीरे कर'ना, डर लग रहा है. " तभी पंकज'ने ज़ोर से लंड का धक्का गान्ड में दिया. भाभी चिल्लई,

"ऊऊ आए फत्त्त्त गाययययययया आह्ह्ह्ह, आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकाल एयेए. " पंकज नहीं माना और ज़ोर से धक्के देने लगा लेकिन पहले ही धक्के से लंड भाभी की गान्ड में आधा घुस गया. भाभी चिल्लाई. "आह्ह्ह्ह्ह्ह. ईए तेरे लंड का अगला हिस्सा बड्डा ही मोटा हाई, , साले मॅदर चोद निकाल नहीं तो फट जाएगीइइ"

तब पंकज बोला, , " नीता अभी क्या बोला तूने?"

तभी भाभी सम'झी. मैने आप को 'साले और मॅदर चोद' बोला और बोली. " आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माफ़ करना . मुझसे ग़लती हो गई. .मैने अप्प्प्प्प कू तुऊउ बोला, गाली दी. प्लीज़ लेकिन थोड़ा धीरे करोना. मैं कहीं भागे थोड़े ही जा रही हूँ. शनिवार तक अब त्तुम ही मेरे पती हो और सब छूट है. आह्ह्ह्ह्ह्ह एक तो आप का 8 इंच का मूसल और ऊपर से मेरी सन्कऱी गान्ड. तभी बाहर तूफ़ानी बारिश शुरू हो गई और पंकज अंदर तूफान बन गया था. पंकज अब मस्त भाभी की भारी भर'कम गान्ड ताबड तोड़ मार रहा था और भाभी चिल्ला रही थी. " आहह उआ, प्ल'सस्स्स्स्स्स्सस्स. धीरे. पंकज मर गई. आहह और धीरे रे. अम्ज़ी, मुझे दर्द हो रहा है, आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह धीरे धीरे मज़े लेके मार ना" पंकज के धक्के बढ़'ते गये और लंड आधे से भी ज़्यादा भाभी की गान्ड में घुस गया. पंकज ने धक्के थोड़े धीरे किए.

भाभी ने कहा " क्या हुआ. रुक क्यों गये? अरे मेरे कह'ने की परवाह ना करो."

पंकज बोला,तुझे तकलीफ़ हो रही है.

भाभी ने कहा. " लेकिन मज़ा आ रहा है", उस'ने फिर धक्के बढ़ाए. भाभी फिर चिल्लाने लगी. पंकज का लंड भाभी की गान्ड में पूरा घुस गया. वह फिर चिल्लाने लगी. 'आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, आब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब डालल्ल्ल्ल्ल, मेरी जनंननननणणन्, आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उउउम्माम, अब नहीं सह सकती, , आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मत रुक. अभीयी अओ, तभी पंकजने भाभी को ज़ोर से पकड़ा और ज़ोर का आखरी झटका मारा और सफेद पानी भाभी की गान्ड में रिस रिस के गिर'ने लगा. " भाभी बोली. 'आह्ह्ह्ह्ह्ह क्या तेरे मे गर्मीी हाीइ. आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत अच्छा लगा. दो दिन भैया के साथ रह नीता भाभी से किए गये वादे के अनुसार पंकज मुंबई के लिए रवाना हुआ. उस'ने चरुलाता की फिल्में देख रखी थी. वह बहुत खुश हुआ क्योंकि चरुलाता उस'के ख्वाबों की शहज़ादी बन गई थी और वह कयी बार चारू को सपनों मैं चोद चुका था. चारू घर मे अपने 17यियर्ज़ ओल्ड छ्होटे भाई चिक्कू के साथ ही थी. पंकज सीधे चरुलाता के घर पहून्च गया. दरवाजा चिक्कू ने खोला. चिक्कू 17 साल का फूला फूला मस्त गद'राया लौंडा था. पंकज अप'नी हर'कत से बाज नहीं आया और चिक्कू की फूली गान्ड के दरार पर हाथ रख'ते हुए पूछा, क्यों चिक'ने तुम चिक्कू ही हो ना? चिक्कू ने उसे घूर'ते हुए पूछा, लेकिन आप कौन है और यहाँ क्या काम है? भाई हम तो तुम्हारी दीदी के देवर राजा हैं. ओह! पंकज भैया आप. और दीदी और जीजाजी कैसे हैं. चिक्कू ने चहक के कहा. पंकज ने फिर पूछा, भाई हमारी होने वाली माशुका नहीं दिखाई पड़ रही. चिक्कू ने अर्थ पूर्ण निगाहों से पंकज की तरफ देखा तो पंकज बोला. अरे भाई जवान दिलों की धड'कन तुम्हारी चारू दीदी. पंकज ने दीदी शब्द पर जान'बूझ कर ज़्यादा ज़ोर दिया. दीदी अभी सो रही है. ठहरिए मैं दीदी को जगाता हूँ. नहीं रह'ने दो. मैं उसे सर्प्राइज़ देना चाह'ता हूँ. तभी पंकज ने फिर चिक्कू की गान्ड की दरार पर हाथ रखा और इस बार उस'ने अंगुल भी चला दी. छोकरा बिल्कुल लाल हो उठा पर बोला कुच्छ नहीं. यार चिक्कू तुम बड़े मस्त हो. मेरी मदद करोगे. चिक्कू बोला पऱ,कैसी भैया. मैं जो कहू तुम कर'ते जाना फिर देख'ना तुम्हें कित'ना मज़ा देता हूँ. दोनों में कुच्छ देर ख़ुसर पुसर होते रही और चिक्कू नहीं, नहीं कहे जा रहा था पर अंत में उस'ने पंकज के आगे हथियार डाल दिए. पंकज ने उसे पूरा विश्वास दिला दिया था कि वही उस'का होने वाला जीजा है.

सामने दो रूम थे जिन'में एक खुला था और दूसरा बंद. पंकज बंद रूम के दरवाजे पर पहून्च गया और दरवाजे को भीतर हल्का सा झट'का दिया. बंद दरवाजा खुल चुका था और पंकज अंदर घुस गया. ड्रीम गर्ल चरुलाता एक आलीशान पलंग पर ब्लंकेट लिए सो रही थी. पंकज ने चरुलाता के चुत्तऱ पर ब्लंकेट के ऊपर से एक थाप दी. चरुलाता हड'बड़ा के उठ गई.

कौन है? तभी उस'की नज़र अप'ने भाई पर पड़ी और साथ ही पंकज पर भी.

चिक्कू तुम लोगों की यहाँ ऐसे आने की हिम्मत कैसे हुई और तुम्हारे साथ यह कौन है? गुस्से मे पंकज को घूर'ते हुए चरुलाता बोली,

कौन हो तुम और क्या चाह'ते हो.

तुम्हारा दीवाना हूँ नाम पंकज है और तुम्हारे साथ मस्ती कर'ना चाह'ता हूँ. अगर प्यार से राज़ी नहीं हुई तो ज़बेरदस्ती भी करूँगा और तुम्हारे भाई को भी जान से मार दूंगा . तभी पंकज ने अप'नी बॅग से एक गन निकाली जो चिक्कू ने ही उसे दी थी. यह ऐसे ही खेल'ने वाली गन थी. चरुलाता की घिग्गी बँध गई.

प्लीज़ मेरे भाई को छोड़ दो और मेरे साथ ऐसा मत करो.

तुम्हारा भाई सिर्फ़ इसी सूरत मे ज़िंदा बच सकता है जब कि तुम मेरी बात आराम से मान लो वरना. . . . पंकज ने चिक्कू के माथे से गन लगा दी.

कुच्छ देर खामोशी छ्चाई रही. चरुलाता थर थर काँप रही थी पर चिक्कू वैसे ही शांत खड़ा था. उसे होने वाले जीजा की अदाएँ प्यारी लग रही थी. जिस दीदी का वह ख़ौफ़ खाते रह'ता था अब वह खडी काँप रही थी.

तो तुम दोनों भाई बहन अब पूरे तैयार होना. अगर राज़ी राज़ी सब कर'ने दिया तो मैं तुम दोनों का बाल भी बांका नहीं होने दूँगा और थोड़ी मस्ती कर'के चला जाउन्गा. उस'के बाद पंकज ने चिक्कू को हुकुम दिया कि चारू को नंगा करो. चरुलाता बूरी तरह से घब'रा गई थी और बोल पडी,

मैं खुद कप'ड़े उतारती हूँ. चिक्कू को दूसरे रूम मे भेज दो.
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06-29-2017, 11:09 AM,
#7
RE: Kamukta Sex अमेरिका रिटर्न बंदा
चिक्कू ही तुम्हारे कप'ड़े उतारे गा और फिर तुम मेरे और चिक्कू के कप'ड़े उतारो गी. चिक्कू यह सुन'ते ही लाल हो गया पर डर'ने की आक्टिंग कर'ते हुवे चारू को देखा तो चारू बोली,

मेरे भाई जान है तो जहाँ है. जो यह कह रहा है वह करो वेर्ना यह तुम को मार देगा. चिक्कू आगे बढ़ा और चारू की पोशाक उतारने लगा. चारू ने एक नाइट सूट पह'ना हुवा था. चिक्कू ने चारू की पोशाक उतारी तो अब साम'ने चारू के गोरे चिट 36 के सुडोल मम्मे ब्रा मे क़ैद से बाहर निकल्ने को बैक़रार लग रहे थे.

अब चिक्कू ने चारू के पाजामे का नाडा खोला तो रेशमी पाजामा कमर से स्लिप हो कर चुत्तऱ से अटकता हुआ पैरों मे आ गया तो चारू ने खुद ही पाँव से पाजामा निकाल दिया. चारू अब ब्लॅक ब्रा और पैंटी मे 36-24-36 के फिगर के साथ साम'ने खड़ी थी. अपनी दीदी का खूबसूरत बदन देख कर चिक्कू का लंड उस की पॅंट मे खड़ा सॉफ नज़र आ रहा था. अब चिक्कू चारू की ब्रा का हुक खोलने के लिए उस के पीछे गया तो हुक खोलते हुवे चिक्कू का लंड चारू की गांद से टकराया तो चारू ने उसे घूर कर देखा तो चिक्कू शर्मिंदा हो गया और थोड़ा पीछे हट कर ब्रा का हुक खोल दिया.

ब्रा का हुक खुलते ही चारू ने ब्रा उतार फैंकी. अब चारू की 36 की चूचियों पर लाइट ब्राउन कलर के छ्होटे से सर्कल पर पिंक कलर के निपल्स नज़र आ रहे थे जो कि शरम की वजह से अकडे हुए थे. चिक्कू ने अब पैंटी उतारनि शुरू की तो चारू ऐक बार फिर बोली.

प्लीज़ चिक्कू को दूसरे रूम मे भेज दो. पंकज कुच्छ कह'ने ही वाला था कि चिक्कू बोल पड़ा.

दीदी मैं तुम को अक़ेला इस आदमी के साथ छोड़ कर कहीं नहीं जाउन्गा, मालूम नहीं यह तुम्हारे साथ क्या करे, मैं तुम्हारी हिफ़ाज़त के लिए इसी रूम मे रहूं गा. मैरी तर'ह आप सब भी समझ गये होंगे कि चिक्कू चारू की हिफ़ाज़त के लिए रुकना चाह'ता था या अप'नी बहन को नंगा देखने के लिए रुकना चाह'ता था. चिक्कू ने अब चारू की पैंटी थोड़ी नीचे की तो वह टाइट होने की वजह से गान्ड पर फँस रही थी. चिक्कू ने अब चारू के साम'ने खड़े होकेर दोनो हाथ साइड्स से पीछे किए और गान्ड को थोड़ा दबाते हुए पैंटी नीचे कर'ने लगा. इस तर'ह खड़े होने से उस की छाती से चारू की चूचियाँ दब रही थी और नीचे से चिक्कू का लंड चारू की चूत से टकरा रहा था.

चारू लगातार चिक्कू को गुस्से मे घूर रही थी लेकिन चिक्कू अब शर्मिन्दा तो था मगेर वह पीछे नहीं हट रहा था. जब पैंटी घुटनों तक उतर गयी तो चारू की तिकोनी उभरी हुई चूत पर काले घूंघ'राले बाल भर'ती थे. चिक्कू अब नीचे बैठ कर चारू की ऐक टाँग उठा कर उस मे से पैंटी निकालने लगा (चिक्कू का चह'रा चारू की चूत के बुलकुल साम'ने था). चारू ने चिक्कू के कंधे का सहारा लेते हुए ऐक टाँग उठाई तो उस की चूत पहली बार साफ नज़र आई. चूत के अंदर के लिप्स हल'का गुलाबी कलर के थे और लिप्स के सेंटर मे ऐक छोटा सा दाना भी नज़र आ रहा था. चिक्कू पैंटी उतार कर साइड पर खड़ा हो गया और अपनी दीदी के खूबसूरत बदन को लालचाई हुई नज़रों से देखने लगा. अब चरुलाता सिर से पाँव तक नंगी खऱी थी.

चारू अब तुम चिक्कू को नंगा करो. पंकज ने हुकम सुनाया. चारू आगे बढ़ी और अपने भाई की बन्यान उतार दी और फिर पैरों के बल बैठ कर चिक्कू की पॅंट की ज़िप खोलने लगी. चारू के बैठ्ने से उस की गान्ड का दरार थोड़ा खुल गया और उस मे से उस की गान्ड का छोटा सा हल'का गुलाबी छेद नज़र आने लगा. यह सब देख कर पंकज का खुद बुरा हाल था. पंकज का लंड पूरी लंबाई से पॅंट मे खड़ा हुआ था. चारू ने चिक्कू की पॅंट और अंडरवेर खोली तो चिक्कू का करीब 6" इंच लंबा-लंड खड़ा हुआ था. चारू की नज़र भाई के खड़े लंड पर पड़ी तो वह शर्मिंदा हो गयी. तभी पंकज ने कहा,

चारू अब तुम मेरे पास आओ और मेरे कप'ड़े उतारो. चारू उस'के पास आई तो पंकज ने उस का हाथ पकड़ कर पॅंट के ऊपर से ही अपना लंड पक'ड़ा दिया. लंड पर हाथ पड़'ते ही चारू के बदन ने ऐक झुरजुरी ली और पॅंट के ऊपर से ही उस'के लंड को मसल्ने लगी. फिर उस'की पॅंट को जल्दी से उतार कर उस'के नंगे लोडे पर हाथ फैरने लगी. पंकज का 8 इंच लंबा-लंड किंग कोब्रा की तर'ह खड़ा हुआ था. चारू की आँखों मे पंकज का लंड देखते और पकड़ते ही लाल डोरे आ गये थे. पंकज समझ गया कि अब चारू के जज़्बात जाग रहे हैं और वह आहिस्ता आहिस्ता गरम हो रही है.

यह देख पंकज ने चारू को उठ कर बेड पर लिटाया और उस की चूचियों को प्यार कर'ने लगा और दबाने लगा, कभी कभी वह निपल्स को दाँतों मे लैकेर मसलता तो उस की सिसकारी निकल जाती. चारू लगातार पंकज के लंड पर ऊपर नीचे हाथ फेर रही थी. कुच्छ देर बाद पंकज और चारू 69 की स्थिति मे आ गये अब चारू के मूँ'ह मे पंकज का 8 इंच का लंड था जो वह मज़े मे चूस रही थी और अपने हाथ से उस'के बॉल्स से खैल रही थी. दूसरी तरफ पंकज अपनी जीभ से चारू की चूत चाट रहा था और कभी कभी ऐक उंगली उस की चूत के छेद मे अंदर कर देता तो वह मज़े मे अहह, ओईए कर'ने लगती. कुच्छ देर बाद पंकज सीधा लेट गया. पंकज का लंड क़ूताब मीनार की तर'ह सीधा खड़ा हुआ था.

चारू तुम मेरे ऊपर आओ. चारू ऐक टाँग इधर ऐक टाँग उधर कर के उस'के ऊपर आई तो उस की चूत लंड के बुलकुल साम'ने आ गयी. चारू ने लंड को अपनी चूत के क़रीब देखा तो डर कर बोली.

पंकज इतना बड़ा लंड मैरी इतनी छ्होटी सी चूत मे कैसे जाए गा यह तो मैरी चूत ही फाड़ देगा. तब पंकज ने रहम दिखाते हुए कहा,

चिक्कू वेसिलिन लाओ और अपनी बहन की चूत पर और मेरे लंड पर अच्छी तर'ह वेसिलिन लगाओ. चिक्कू जो इतनी देर से बेड के पास खड़ा अप'नी बहन और होने वाले जीजा दोनो को देख देख कर अप'नी नज़रों को ठन्डक पहूंचा रहा था, हुकुम मिलते ही वेसिलिन ले आया और उंगलिओ से वेसिलिन लैकेर चूत के लबों को चीर कर अंदर लगाने लगा. चिक्कू बहुत ही कोमल हाथों से बहन की चूत पर वासेलीन मल'ने लगा. चारू सिसकारियाँ लैने लगी.

भाई वेसिलिन ज़्यादा अंदर तक लगाना वेर्ना यह लंबा-लंड मैरी चूत का सत्यानास कर देगा. यह सुनते ही चिक्कू ने वेसिलिन बीच की अंगुल मैं लैकेर अंदर तक घुस्सा दी. अंगुल अंदर जाते ही चारू की सिस'कारियाँ और तेज हो गयीं. फिर लंड पर वेसिलिन लगा कर चिक्कू हट गया.

तब पंकज लंड को चारू की चूत के दाने पर मलने लगा और ऊपर नीचे रगड़ना शुरू किया तो चारू बिल्कुल ही मस्त हो गयी.

पंकज अब जल्दी से अंदर डाल दो अपने डंडे को मैरी चूत मे. आग लगी हुई हे. पंकज ने लोहा गरम देखते ही लंड की टोपी चूत के छेद पर रख कर आहिस्ता से धक्का दिया तो टोपी अंदर चली गयी. चारू के मूँ'ह से अजीब सी आवाज़े निकलने लगी.

म्‍मन्‍ंननणणन् आहह ओह पंकज ने अब की दफ़ा नीचे से ज़रा ज़ोर से झटका मारा तो ..............................

क्रमशः…………………………….
Reply
06-29-2017, 11:09 AM,
#8
RE: Kamukta Sex अमेरिका रिटर्न बंदा
अमेरिका रिटर्न बंदा--4

गतान्क से आगे…………………………..

आधा लंड चूत को चीर'ता हुआ अंदर घुस गया. चारू ने ऐक चीख मारी. पंकज ने चीख सुनी अनसुनी केरते हुवे दोनों हाथों से उस की चूचियाँ पकड़ कर ऐक और धक्का मारा तो लंड पूरा का पूरा जड़ तक चूत मे घुस गया. चारू की ऐक और चीख निकली जो पहले से भी ज़्यादा ज़ोरदार थी. चारू का तकलीफ़ से बुरा हाल था और उस की आँखों मे आँसू भी आ गये थे.

पंकज अपना लंड मैरी चूत से बाहर निकालो. मेरी चूत फॅट जाए गी. मैं मर जाउन्गि . प्लीज़ बाहर निकालो. मैरी चूत मैं जलन हो रही है. तुम ने मैरी चूत फाड़ दी जिस को देखने के लिए करोड़ो लोग तरसते हैं. आज तुम ने उस चूत मे अपना लंबा-लंड पूरा घुसा दिया है. ज़ालिम छोड़ दो मुझे.

पंकज थोड़ी देर रुका फिर आहिस्ता आहिस्ता नीचे से धक्के लगाने लगा. लंड थोड़ा बाहर निकालता फिर अंदर डालता और उस की चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाने और गान्ड पर हाथ फैरने लग'ता. कुच्छ देर बाद चारू फिर मस्ती मे आने लगी और खुद भी ऊपर नीचे अपने चुत्तऱ हिलाने लगी. चिक्कू पास खड़ा अपनी दीदी को पंकज के लंड पर उठ्ते बैठ्ते देख रहा था. उस को चारू के उभरे हुवे चुत्तऱ बहुत अच्छे लग रहे थे. अब चिक्कू से और सबर नहीं हो रहा था तो वह भी बेड पर आ गया और अप'नी आदर्निय दीदी को पंकज की छाती की तरफ झुका दिया. चारू मज़े मे पंकज की छाती से अपनी चूचियाँ मसल्ते हुवे चुत्तऱ हिला हिला कर लंड अंदर बाहर कर रही थी.

अब चिक्कू ने चारू के और ज़्यादा उभर आए गांद के छेद पर और अपने लंड पर खूब सारी वेसिलिन लगाई. चारू पंकज से चुदाने मे इतनी मस्त थी कि उस को खबर ही नहीं थी कि चिक्कू अब क्या कर'ने वाला हे. चिक्कू ने अपने 6 इंच के लंड को बहन की गान्ड के सुराख पर रखा और दबाव डाला तो वेसिलिन की चिकनाहट से लंड की टोपी गांद मे घुस गयी. गांद मे लंड घुस्सते ही चारू को होश आया. पंकज ने चारू का मूँ'ह अप'ने मूँ'ह में ले लिया और नीचे से झटके मारना रोक दिया. मगेर चिक्कू नेऐक ज़ोरदार झटका मारा और 6 इंच का लंड पूरा गान्ड मे एक ही बार में घुसा दिया. तभी चारू पंकज से अप'ना मूँ'ह छुड़ा बिफर पड़ी,

कुत्ते, हरामी तू अपनी दीदी की गान्ड मार रहा है. जा पहले अपनी बड़ी दीदी को चोद, निकाल अपना लंड, मैरी गान्ड से बहन चोद. चारू दर्द से चीखे जा रही थी मगेर आहिस्ता आहिस्ता उस की चीखै हल्की होती जा रही थी. पंकज ने देखा चिक्कू लगातार लंड गान्ड के अंदर बाहर कर रहा है तो उस ने भी नीचे से चूत मारनी शुरू कर दी. चारू को भी कुच्छ देर तो दर्द रहा फिर दोनो तरफ यानी चूत और गान्ड मे लंड अंदर बाहर होने से मज़ा आने लगा और वह खुद भी आगे पीछे हो हो कर चूत और गान्ड मरवाने लगी. चारू मज़े मे खुद अपनी चूचियाँ दबाने लगी और सिस'कारियाँ लैने लगी.

तुम दोनो अपना लंड और अंदर करो और ज़ोर ज़ोर से झटके मारो मैं हवाओं मे उड़ रही हूँ. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. ज़िंदगी मे पहली बार दो लंड एक साथ लिया है. ऐक भाई का और ऐक दीवाने का. कुच्छ देर तो चारू दोनो तरफ से चुद्ती रही फिर पंकज ने चारू को बेड पर सीधा लिटाया और अपना लंड उस की चूत पर रखा और चूत के लिप्स पर ऊपर नीचे रगड़ने लगा. कभी टोपी चूत के अंदर डाल देता, कभी फिर बाहर निकाल कर रगड़ने लगता. इस से चारू बहुत तडप रही थी और आख़िर बोल ही पड़ी.

पंकज प्लीज़ अपना लंड मैरी चूत मे पूरा डाल दो. मुझे और मत तडपाओ ज़ालिम. मुझे चोदो. मैं भी तुम्हारे लंड की दीवानी बन गयी हूँ. अपने लंड से मैरी चूत की प्यास भुजाओ. पंकज ने उस को और तडपाना मुनासिब नहीं समझा और ऐक ही झटके से पूरा लंड चूत मे घुसा दिया और उस की चूचियाँ पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से झटके मार'ने लगा. दूसरी तरफ चिक्कू ने अपना लंड बहन के मूँ'ह मे डाल दिया जिसे चारू मज़े से कुलफी की तर'हा चूसने लगी और उस के टटटे सहलाने लगी. चारू मस्ती मे अजीब अजीब सी आवाज़े निकालने लगी,

आह बहुत मज़ा आ रहा है. अरे चिक्कू तेरा लंड तो रसगुल्ला है. मुझे पह'ले पता नहीं था साले नहीं तो रोज तुझे साथ लेके सोती. चारू क़रीब पड़ी हुई वेसिलिन हाथ मैं लायकेर पंकज की गान्ड पर मलने लगी. फिर अपनी इंडेक्स अंगुल पंकज की गान्ड मैं डाल डी और अंदर बाहर कर'ने लगी. पंकज को उस की टाइट चूत मे फँस फँस कर जाता हुवा लंड बरा मज़ा दाई रहा था. अचानक चिक्कू बोला.

दीदी लंड छोड़ो मेरा कुच्छ निकल्ने वाला है तुम्हारे मुँह मे निकल जाए गा.

जो भी निकल रहा है मुँह मे ही निकाल दे चिक'ने, चाहे तेरा पेशाब ही क्यों ना हो. मैं पी जाऊं गी. चिक्कू ने चारू के मुँह मे वीर्य की पिचकारी मार दी. चारू का मुँह वीर्य से भर गया और वह मज़े से सारा वीर्य पी गयी. पंकज ने अपने धक्के और तेज कर दिए. चारू का जिस्म अकड़ने लगा और उस ने दोनो टाँगों से पंकज की कमर को पकड़ लिया और बोली.

ओह मैरी चूत के रसिए मेरी चूत मे ज़लज़ला आ रहा है. यह क्या चीज़ निकल रही है मैरी चूत से. ओह ओह इतना मज़ा आहह आहह मुझे बहुत मज़ा आ रहा हे. चारू की चूत ने भी रज छोड़ दी. पंकज के झटकों और धक्कों मे खूब तैज़ी आ गयी और उस'के लंड ने भी चारू की पूरी चूत वीर्य से भर दी.

आह आह यह गरम गरम क्या चीज़ मैरी चूत मे भर दी है. मैं फिर छुट रही हूँ. आह पंकज फिर धक्के लगाओ. पंकज ने फिर धक्के लगाए तो फिर चारू ने उस'की केमर अपनी टाँगों से पकड़ ली. उस की चूत से दूसरी दफ़ा भी राज निकल गयी. फिर पंकज चारू के ऊपर से हट कर उस के साथ ही बेड पर लेट गया और चिक्कू उन दोनो के पैरों की तरफ लेट गया. मालूम नहीं कब वे सब सो गये.

फिर सब से पहले पंकज की आँख खुली तो वह दोनो बहन भाई बेख़बर सो रहे थे.

चारू, चारू उठो. तो वह जाग गयी जब उस ने पंकज को और चिक्कू को और अपने आप को नंगा देखा तो रात की तमाम बाते किसी फिल्म की तर'ह उस की नज़रों मे घूम गयी. चारू अब शरम से नजरे झुका कर बैठी थी. उस की यह अदा पंकज को इतनी अच्छी लगी कि उस'ने आगे बढ़ कर उस के माथे पर चूम लिया.

तुम्हारे इसी शर्मीले पन ने ही तो मुझे तुम्हारा दीवाना बनाया था.

पंकज मैरी ज़िंदगी के तुम पहले मर्द हो जिस'से मुझे प्यार हो गया है. मैं तुम को कभी नहीं भूलूंगी.

चारू मैं वही पंकज हूँ जिस'के बारे में शायद तुम्हारी बड़ी दीदी ने तुम्हें बताया होगा. यह सुन'ते ही चरुलाता का मुख खुला का खुला ही रह गया.

पंकज तुम बहुत ज़ालिम हो. पर तुम्हारे इस व्यव'हार से मैं तुम्हारी दीवानी हो गई हूँ. पर एक बात तो बताओ कि वह गन लेकर यहाँ क्यों आए जब'कि तुम्हारे पास तो ऐसी गन है जिस'से कोई भी लड़'की सदा के लिए मर जाय.

अरे वह तो तेरे इस छोटे भैया ने मुझे दी थी. चारू ने चिक्कू को खा जाने वाली नज़र से देखा तो चिक्कू बोला.

यह सब जीजू का प्लान था. चारू बिफर के बोली,

कौन जीजू किसका जीजू. तभी पंकज ने उसे बाँहों में ले लिया और उस'के दहक'ते लबों को अपने होंठों में समेट लिया. पंकज बोला,

भाई यह अमेरिका रिटर्न बंदे की सोच थी. मैं तो तेरे इस मस्त भाई को पहली नज़र में देख'ते ही इस'का यार बन गया और यारों से कुच्छ भी छुपाना मैने सीखा नहीं. चारू मैं तुम्हारी पिच्छ'ली जिंद'गी के बारे में ना तो कुच्छ जान'ना चाह'ता हूँ और ना कभी पुछून्गा. चारू ने पंकज को कस के भींच लिया और दोनों एक लंबे अंत'हीन चुंबन में लीन हो गये.

दो महीनों में ही पंकज और चरुलाता की धूम'धाम से शादी हो गयी. चिक्कू अब भी दोनों के सारे रति क्रम का राज'दार बना रहा. चरुलाता जैसी सेक्स सिंबल आक्ट्रेस भी दो दो लंड पा कर निहाल थी. बड़ा लंड यानी अप'ने सैंया का चूत में पिल'वाती तो छोटा लंड यानी अप'ने भाई का अप'नी गान्ड में. पंकज बहुत खुश था. उसका यह सर्प्राइज़ आगे चल कर बहुत काम आया. अब वह अपनी मस्त बीवी को जम के चोद्ता तो साथ ही मस्त साले की जम के गान्ड भी मार'ता.

===*** समाप्त***=== 
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