kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
08-17-2018, 02:32 PM,
#11
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
"और उसी रात दुबारा जब तुम्हारे भैया ने लिया तो दर्द थोड़ा कम हुआ और मज़ा ज़्यादा और सुबह होते होते कॅन यू बिलीव वी इट, तीसरी बार चोदा उन्होने, इतना मज़ा आया कि मैं बता नही सकती. और अब तक रेकॉर्ड है ये. मेरी किसी सहेली, भाभी, परिचिता के पति ने, 2 बार से ज़्यादा नही ज़्यादा तर मर्द तो बस एक बार और वो भी 10-5 मिनिट मे और बस कोई कोई बहोत किया तो 2 बार." बात करते करते भाभी का एक हाथ तो मेरे उरोजो पे था और दूसरा मेरी पैंटी के उपर.

उत्तेजना से मेरी भी हालत खराब हो रही थी. बात बदलने के लिए मेने पूछा, "भाभी वो आपने उनसे क्या कहा था जब उन्होने कहा था कि चोर की दाढ़ी मे तिनका तो अपने कहा था दाढ़ी मे या और उनके कान मे कुछ बोला था और आप दोनो ज़ोर ज़ोर से हंस पड़े थे"

"वो!!" भाभी फिर हँसने लगी. "मेने बोला था दाढ़ी या झांते. और फिर उससे पूच्छ भी लिया कि तुम्हे कैसी पसंद है केसर क्यारी या.. साफ चिकनी चुपड़ी? तो वो हंस के बोला, भाभी साफ चिकनी सफ़ा चट" और फिर भाभी ने मेरी पैंटी मे हाथ डाल के मेरी केसर क्यारी को छू के बोला, "अर्रे ये क्या तुमने इसे साफ कर के नही रखा है. चल घर चल के सबसे पहले यही काम करना, मैं तेरे लिए एन-फ्रेंच ले आती हू और बाकी जगहों पर भी दिल्ली मे तेरे लिए एक एपीलेटर खरीद लेंगे बाँहो के नीचे कहीं एक भी बाल नही होना चाहिए और घर पहुँच के मैं चेक करूँगी और ना हो कहो तो मैं ही साफ सूफ कर दूँगी."मुस्करा के भाभी ने अफार दिया.

"नही भाभी नही मैं ही साफ कर लूँगी, घर पहुँच के "जल्दी से मेने कहा क्योंकि मुझे मालूम था कि साफ करने के बहाने भाभी और ना जाने क्या क्या करती. भाभी का हाथ अभी भी मेरी पैंटी मे था मेरी कोमल गुलाबी पंखुड़ियों, लाबिया को सहलाते.

"तुम्हे वो कैसा लगा बस तीन शब्दों मे बताओ" भाभी ने हल्के से मेरी पंखुड़ियों को मसल के पूछा.

"इनकॉरिजिब्ली रोमॅंटिक, पससिओनेटे और पवर्फ्ली स्ट्रॉंग"

भाभी ने मुझे कस के भींच लिया और कहा एकदम सही. मुझे पकड़े पकड़े वो सो गयी. मेरे मन मे ढेर सारे चित्र उभरते रहे. मिल्स न बून मे पढ़े, टी. डी. एच., (सिर्फ़ डार्क की जगह वो फेर था), गिरते समय जो उसने पकड़ा था और मेरे उरोज कैसे उनके सीने से दब गये थे और झरने के नीचे कैसे उनकी उंगली का प्रथम स्पर्श मेरे बूब्स पे साइड से और उनकी गथि कसरती देह.

यह सब सोचते मैं सपनो की दुनिया मे खो गयी और मेरे सपनो का राज कुमार वहाँ भी मेरे साथ था.

सुबह मेरी नींद खुली तो मम्मी और भाभी जाग चुकी थी. भाभी ने तुरंत छेड़ा, "अर्रे सपने मे कितनी राउंड कुश्ती हुई राज कुमार से जो इतनी देर तक सोती रही? लगता है बहोत तंग किया मेरी ननद रानी को"

"धत्त भाभी आप को तो बस एक ही चीज़ सूझती है"

"शादी हो जाने दो तो पुछून्गि - तुझे भी बस एक ही चीज़ सुझेगी. जोड़ी का पहलवान तो तगड़ा लगता है बस मेरी ननद ही थोड़ी कच्ची कली और शर्मीली है." मम्मी से वो मुखातिब थी.

"अर्रे तो तुम किस मर्ज की दवा हो इसको भी पक्का बना दो." मम्मी ने हंस के कहा

"मम्मी आप भी" मेने शिकायत की तो वो बोली, "अर्रे क्या हुआ. अब तो तुम भी हम लोगों के ग्रूप मे आ गयी हो".

देल्ही स्टेशन पे पापा हम लोगों को रिसेव करने आए थे. दिन भर हम लोगों ने खूब शॉपिंग की, अजमल ख़ान रोड से पहले तो ढेर सारी साड़ियाँ, खूब भारी भारी, टांचुई, बानेरसी, जरी और फिर चाँदनी चौंक से भी सिल्क, और कुछ रोज के पहनने के लिए, कुछ देने के लिए वहीं पे जयमाला के लिए लहँगे का भी ओरडर दिया. 24 कली का और फिर साउत इंडियन साड़ियाँ साउत एक्स मे नेली की दुकान से कन्जिवरम, साउत सिल्क जब तक मम्मी कपड़े देख रही थी भाभी मुझे एक कॉसमेटिक की शॉप पे ले गयी. मेने उनसे कहा कि मैं मेकप करती कहाँ हूँ. मेरी बात काट के वो बोली. तू बहोत काम अब तक नही करती थी, अभ जल्द ही शुरू कर देगी. एप्पीलेटर, वॅक्सिंग क्रीम, हेर रिमूविंग क्रीम ढेर सारे शेड्स की लिपस्टिक, नेल पोलिश.. और भी बहोत सारी चीज़े.
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08-17-2018, 02:32 PM,
#12
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भाभी की एक सहेली बहुत अच्छी डिज़ाइनर थी, वहीं पास मे. तय हुआ कि मेरी कुछ ड्रेसस वहाँ से ले और वहीं पे नाप भी दे दे. भाभी ने, जो लड़की नाप ले रही थी, उससे कहा कि एकदम टाइट नाप लेना और मेरे लाख मना करने पर भी उन्होने लो कट, और कयि स्लीवेलेस भी. तब तक भाभी को कुछ याद आया और उन्होने मम्मी से कहा लहंगा एक और ले लेते है. मम्मी बोली, "वो तो ऑर्डर दे दिया है", तो उन्होने उनके कान मे कुछ कहा. मम्मी ने हंस के कहा एकदम सही लेकिन मैं सब तुम्हारे उपर छोड़ रही हू. भाभी और उनकी उस डिज़ाइनर सहेली ने मिल के एक हल्के गुलाबी, प्याजी रंग का बड़ा ही प्यारे लहँगे की डिज़ाइन तय की, लेकिन नाप लेते समय जब उसने पूछा कि कितना नीचे, तो भाभी बोली जितने नीचे आप बना सके. उसने कम से कम नाभि से 4-5 अंगुली नीचे का नाप लिया तो मैं चिल्ला उठी, "अर्रे इतने नीचे, ये तो..", भाभी हंस के बोली अर्रे बन्नो ये रहेगा कितनी देर तेरी देह पे. और उसके साथ की चोली भी पूरी बॅकलेस कच्ची कढ़ाई के साथ खूब भारी, लेकिन लो कट, स्लीवेलेस्स और स्ट्रिंग टाइड सिर्फ़ मेरे उभारों की ढकति.

रात की गाड़ी से हम वापस घर लौटे.

घर लौट ते ही इतने खुशी का आलम, मम्मी ने अपनी किटी पार्टी के फ्रेंड्स से ले के ऑफीस की सर्कल के सभी सहेलियों को, जिन रिश्तेदारों से मिले बरसों हो गये थे, उनके यहाँ भी फोन करके. यहाँ तक कि मेरी छोटी बेहन रीमा भी अपनी सारी सहेलियों के यहाँ जाके ये खबर बाँट आई. लेकिन भाभी को अपना काम याद था. मेरे कमरे मे एन-फ्रेंच की शीशी थी. शाम को उन को सिर्फ़ पूच्छ के ही भरोसा नही हुआ, बल्कि फ्रॉक उठा के उन्होने 'चेक' भी किया और बोली कि इस पे हल्की सी क्रीम लगा लेना. फिर उन्होने बैठ के मुझे एपीलेटर का इस्तेमाल करना सिखाया. वो बोली कि हर हफ्ते इसे पूरी तरह साफ करना. सिर्फ़ आगे ही नही पीछे भी और हॅंड मिरर से देख लेना कि एक भी बाल बचना नही चाहिए.

साफ करने के बाद बेबी आयिल या कोई माय्स्चुरिज़र और फिर ज़रा सा बेबी पाउडर छिड़क लेना. जो किताबें कभी छुप के भाभी के 'संग्रह' से कभी कभी मैं थोडा बहोत पढ़ लेती थी, मालूम हुआ उसमे से कई, स्त्री-पुरुष से ले के 'हाउ टू बेकोने आ सेंसुवस वुमन और काम सुत्र तक मेरी अलमारी मे रखी थी. यही नही रात मे सोते समय भाभी ने एक किताब लेके चूत के बारे मे सब कुछ समझाया, क्लिट से लेके जी-स्पॉट तक. उन्होने ये भी बताया कि इसकी देख बाल कैसे की जाय. मैं शरमा रही थी तो उन्होने मुझे हड़काया कि अब तेरे शरमाने के दिन गये अच्छी तरह समझ ले. और फिर उन्होने मुझे पी.सी. एक्सर्साइज़ के बारे मे भी बताया और बोला कि कल से मैं उन्हे शुरू कर दू. इससे वेजिनेल मसल्स टोंड हो जाती है और बहोत अच्छा कंट्रोल रहता है.

मम्मी ने राजीव के घर वालों से भी बात की - कि जल्द ही रस्म हो जाए. वो लोग भी उत्सुक थे देखने के लिए और 10-12 दिनों मे झार मार के ढेर सारे लोग मेरी होने वाली ससुराल से आए, मेरे होने वाले जेठ, जेठानी, दो बड़ी शादी शुदा उनकी बहने और एक छोटी कज़िन सिस्टर्स जो उनके घर के पास मे ही रहती थी (उनके यहाँ भी हम लोगों की तरह एक प्रकार का जॉइंट फॅमिली सिस्टम ही था, इसलिए कज़िन कहना बेमानी था.) जब मेने सुना तो मैं तो घबरा ही गयी कि इतने लोग रहते है उनके यहाँ, पर मम्मी बोली, अर्रे उसकी बड़ी बहने तो शादी शुदा है, कभी काम काज पे आती होंगी. वहाँ तो सिर्फ़ तेरी जेठानी और सास रहेंगी, और कौन तुझे जिंदगी भर ससुराल मे रहना है, तू तो दामाद जी के साथ रहेगी. रीमा भी दुष्ट, मुझे चिढ़ाती थी कि दीदी आप चाय की ट्रे ले जाने से बच गयी. जैसे लड़ाई के पहले दोनो ओर की सेनाए इकट्ठी होती है ना,

मम्मी ने भी बुआ, मेरे एक दो कज़िन भाइयों, गाँव से भी भाभी को बुला भेजा.

देखने तो अब सिर्फ़ रस्म भर था क्योंकि उन्होने तो पसंद कर ही लिया था,

उनकी जेठानी ने हां कर दी थी और मसूरी मे मम्मी ने रिंग सेरेमनी भी कर दी थी. थोड़ी बहोत बस रस्मे होनी थी वो हो गयी. सबने मुझे बहोत पसंद किया ख़ासकर मेरी जेठानी ने. थोड़ी देर के बाद ये हुआ कि अगर किसी को अलग से मुझसे बात करनी हो तो जेठानी ने कहा कि अंजलि तुम इकलौती छोटी ननद हो चाहो तो..और वह चाहकती हुई तैयार हो गयी.

क्रमशः…………………………

शादी सुहागरात और हनीमून--5
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08-17-2018, 02:32 PM,
#13
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शादी सुहागरात और हनीमून--6

गतान्क से आगे…………………………………..

हम दोनो थोड़ा दूर ड्रॉयिंग रूम मे ही एक कोने मे बैठ गये. और वो चालू हो गयी. वो अभी दसवीं मे पढ़ती थी, मेरी छोटी बेहन रीमा की हम उमर, घर का नाम गुड़िया था. देखने मे बुरी नही थी, बल्कि अच्छी ही थी. लेकिन बोलती थोड़ी ज़्यादा थी, और टीनएजर की तरह. वो चालू हो गयी. मेरे भैया को ये अच्छा लगता है, वो अच्छा लगता है, वो ये खाते है, ये चीज़े एकदम नही खाते, छु भी नही सकते, नोन-वेज तो एक दम नही. तब तक भाभी और रीमा को लगा कि मैं घबरा रही हू तो वो दोनो मेरी सहायता के लिए आ गयी. भाभी तो एकदम अपने 'स्टॅंडर्ड' पे आ गयी. वो बोली, "तुम अपने भैया के बारे मे सब कुछ जानती हो", तो वो मटक के बोली, हां एकदम मुझसे ज़्यादा कोई नही जानता.

तो भाभी ने पलट के सवाल किया कि अच्छा बताओ कि उनका हथियार कितना बड़ा है. वो बेचारी चुप पर भाभी कहाँ छोड़ने वाली थी,

"अच्छा ये बताओ, कभी पकड़ा है, छुआ है, कितने मोटा लंबा है. अर्रे अभी नही तो बचपन मे उनके साथ डॉक्टर नर्स तो खेला होगा ना", वो बेचारी उठने लगी तो रीमा ने उसका कंधा पकड़ के फिर बैठा दिया और बोली,

"अर्रे अब अपने भैया का चक्कर छोड़ दो अब वो मेरे जीजू है.. उन्हे दीदी पसंद है और दीदी को वो. हाँ तुम्हारे पास ऑप्षन है, ये मेरे तीनो भाई है बता दो तुम्हे उसमे से कौन पसंद है"

और भाभी बोली "हां ये ठीक रहेगा और अगर चुन नही सकती तो तीनो को पसंद कर लो चाहे बारी बारी से या समय कम हो तो एक साथ."

"तीनो एक साथ ये कैसे भाभी" मैं और रीमा एक साथ बोल पड़े.

"अर्रे क्यों नही एक आगे से, एक पीछे से और एक मूह मे" गाँव वाली भाभी ने, जो वहाँ आ गयी थीउसने जोड़ा.

अब तो बेचारी की हालत खराब हो गयी और जा के अपनी बहनों के पास बैठ गयी.

"अब आएगा मज़ा, अब तक तो मैं अकेली थी, तो ये सारी ननदे मिल के मुझे छेड़ती थी. और अब तो" मेरी होने वाली जेठानी, नीरा भाभी ने कहा.

"अर्रे क्या होगा आप लोग तो अभी भी 2 ही है और हम लोग तीन." मेरी बड़ी ननद बोल पड़ी.

"अर्रे दो नही, एक और एक मिल के ग्यारह है" मेरी पीठ पे प्यार से हाथ फेर के मेरी जेठानी बोली.

काफ़ी देर तक बाते होती रही और फिर उन लोगों के चलने का समय आया. मेरे मन मे बड़ी उत्सुकता थी कि वो क्यों नही आए पर पूछती कैसे. अंत मे अंजलि ने ही बताया कि उनका कोई ट्रेकिंग की ट्रैनिंग चल रही है और वो 10 दिन बाद ही मसूरी लौट पाएँगे, इसलिए यहाँ आने का सवाल ही नही उठता. मेरी नंदोई और जेठानी के लिए तो मम्मी ने साड़ी ब्लाउस और जेठ और नेंदोई के लिए भी कपड़े रखे थे, पर अंजलि का अंदाज़ा नही था इसलिए मम्मी ने उसे 500 रुपये देने चाहे, लेकिन वो नखरे ही कर रही थी कि मैं इतने ज़्यादा पैसे नही लूँगी बस सगुण के दे दीजिए. जब बहोत हो गया तो भाभी को एक शरारत सूझी. उन्होने मम्मी के हाथ से पैसे लेके, मेरे उपर न्यौछावर किए और फिर उसे लेके अंजलि के पास पहुँची और आराम से उसके टॉप के उपर के दो बटन खोल के जब तक वो समझे उसके सीने के बीच डाल दिए, और बोली,

"ठीक है तुम शादी मे तो आओगी ना तो इसे सट्टे के पैसे समझ के रख लो, मेरे नेंदोई की शादी मे नाचने के लिए." (उस समय तक अक्सर पुराने लोग शादियों मे नाच के लिए रंडी ले जाया करते थे और उन्हे अड्वान्स मे बुक करने के लिए जो पैसे देते थे उसे सट्टे के पैसे कहते थे.) सबकी हँसी से घर गूँज गया. जब मैं अपनी जेठानी के पैर छुने के लिए झुकी तो उन्होने उठा के सीने से लगा लिया और बोली, बस अब तुम जल्दी से हमारे घर आ जाओ तो भाभी बोली अर्रे ये तो आज ही जाने के लिए उतावली है बस आप लोग जल्द आके ले जाइए इसे. और यही परेशानी सता रही थी, सबको. शादी की तारीख नही तय हो पा रही थी.

जाड़े मे लगन तो थी, पर उनको छुट्टिया नही मिल पा रही थी. मम्मी ने कई बार फोन किए उनके घर वाले भी चाहते थे लेकिन बस छुट्टी की बात और छुट्टी भी सब लोग चाहते थे कि लंबी हो बहोत दिनों के बाद घर मे शादी पड़ने वाली थी तो सारे रस्म रिवाज के साथ और खूब धूम के साथ. मेरे मन मे भी बार बार उनकी यादे उमड़ती घूमड़ती अक्सर जो उन्होने किताबे दी थी..उसे खोल के मैं पढ़ती तो बस उन की शकल सामने आ जाती बस मन करता कि एक बार और देखने को मिल जाए उनकी प्यारी आवाज़, शकल वो स्पर्श जब भाभी और रीमा छेड़ती तो बुरा लगता और ना छेड़ती तो बुरा लगता. एक दिन मेरे कमरे की खिड़की पे सुबह से कौवा बोल रहा था, बस क्या था उन दोनो को छेड़ने का बहाना मिल गया. रीमा चालू हो गयी, दीदी आज सुबह से कौआ बोल रहा है लगता है कोई आएगा. या हो सकता है कोई संदेश, चिट्ठी मेने अपना गुस्सा कौए पे निकाला और उसे ज़ोर से डाँट के भगाया पर वो फिर भी थोड़ी मे फिर मेरी खिड़की पे 'काव काव'. करने लगा अबकी भाभी की बारी थी, वो गुनगुनाने लगी,

"मोरी अटरिया पे काग़ा बोले मोरा जिया डोले कोई आ रहा है"

, और कौवे से बोली "अर्रे अगर आज कोई आया ना जिसका ये बेचारी इंतेजर कर रही है, तो ये मेरी ननद रानी तुम्हे सोने के कटोरे मे दूध भात खिलाएँगी". तिज़ाहरिया हो रही थी. मैं एक पुराना छोटा सा टॉप और बरमूडा पहने स्कूल का काम कर रही थी. रीमा उपर मेरे कमरे मे आई और बोली, "मम्मी बुला रही है". मेने बोला कि "कह दे काम कर रही हू थोड़ी देर बाद आउन्गि". पर उस ने कहा, "अभी तुरंत बुलाया है, आप के लिए एक सर्प्राइज़ गिफ्ट है". मैं अनमने मन से उठी और बोल चल लेकिन अगर कुछ नही हुआ ना तो गिन के तुझे पाँच लगाउन्गि". धड़ाधड़ती हुई जब मैं नीचे उतरी तो सीढ़ियों से नीचे उतरते ही मेरा जी धक से रह गया.
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08-17-2018, 02:32 PM,
#14
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सामने 'वो' बैठे हंस हंस के मम्मी से बाते कर रहे थे. और जैसे उन्होने मेरी ओर देखा बस लगा एक साथ चाँद सूरज खिल गये हो. "बैठो ना"जिस इसरार और अधिकार से उन्होने कहा लेकिन बैठने की जगह सिर्फ़ उनके बगल मे बची थी, शरारत से खाली सोफे पे रीमा धम्म से बैठ गयी थी और एक पे मम्मी.

सिकुड़ते सिमटते मैं बैठी, और जब मेने अपने उपर ध्यान दिया तो मेरी तो सांस ही जैसे रुक गयी.. टाप पुराना होने से छोटा तो था ही टाइट भी बहोत हो गया था और मेरे दोनो उभार एकदम खुल के जैसे छलक रहे थे और बैठने से बरमूडा भी उपर चढ़ गया था, और मेरी गोरी चिकनी जांघे लेकिन अब मैं कर भी क्या सकती थी. और वो भी बाते मम्मी से कर रहे थे लेकिन उनकी शैतान लालची निगाहे, चोरी चोरी चुपके चुपके सीधे वहीं तभी रीमा बोल उठी "दीदी आप को बहोत याद करती थी हमेशा"मेने जब उसे तरेर कर देखा तो वो शांत हुई.

पता ये चला कि, इनकी एक विलेज ट्रैनिंग होती है, 10-12 दिनो की, संयोग से वो पास के गाँव मे ही है. दो तीन दिन पहले शुरू हुई है और वीकेंड मे वो यहाँ आ गये. (बाद मे पता चला कि जनाब ने जान बुझ के अपनी ट्रैनिंग यहाँ लगवाई थी, जुगाड़ कर के). मम्मी ने मुझसे कहा कि मैं उनको उपर ले जाउ, अपने कमरे मे.

जब मैं उपर पहुँची तो साथ मे रीमा भी थी, और भाभी भी. पर कुछ बहाने कर के दोनो लोग कट लिए और फिर बचे हम दोनो. कितनी बाते मैं करने चाहती थी, कितने सवाल. पर सब के सब खिड़की से बाहर उड़ गये लेकिन वो सन्नाटा भी, इतना अच्छा लग रहा था. बस मन कर रहा था हम दोनो ऐसे ही बैठे रहे चुप चाप, देखा करें एक दूसरे को, बिना कुछ बोले. तभी रीमा आई. नीचे पापा आए थे और वो उन्हे बुला रहे थे, मिलने को. अब हम सब नीचे चले आए. मैं एक पल के लिए उन्हे छोड़ना नही चाह रही थी.

थोड़ी देर हाल चाल और इधर उधर की बात करने के बाद, पापा ने उनसे उनके ट्रैनिंग प्रोग्राम और छुट्टियों के बारे मे पूछा. वो बोले कि, डिसेंबर के शुरू मे फाउंडेशन प्रोग्राम ख़तम हो जाएगा, और उसके बाद दो ढाई महीने का भारत दर्शन का प्रोग्राम है और फिर होली के बाद से फेज़ ट्रैनिंग शुरू हो जाएगी. पापा ने कुछ सोचा और फिर पूछा कि ये ट्रैनिंग तो डी.ओ.पी के अंदर होती होगी तो राजीव ने हामी भरी. पापा बोले चलो मैं वर्मा से बात करता हों, आज कल तो वो डी.ओ.पी मे सेक्रेटरी है. वर्मा अंकल को मैं भी अच्छी तरह जानती थी, पापा के साथ यूनीवर्सिटी मे थे और उनके बहोत अच्छे दोस्त थे. अक्सर हम लोग दिल्ली मे उन्ही के यहाँ रुकते थे. पापा ने उन्हे फोन लगाया और बताया कि मेरी शादी तय हो गयी है. वर्मा अंकल बहुत खुश हुए,

लेकिन जब पापा ने उन्हे प्राब्लम बताई तो वो बोले कि कोई बात नही भारत दर्शन के पीरियड मे छुट्टी मिल जाएगी, बाकी बचा भारत दर्शन वो अगले बॅच के साथ, शादी के बाद कर लेगा. उन्होने कहा कि वो पूरी, जो अकॅडमी के डाइरेक्टर थे, उनसे बोल देंगे. फिर उन्होने पापा से पूछा कि ज़रा पूच्छ के बताओ कि उसके कोर्स डाइरेक्टर कौन है. पापा ने राजीव से पूछा तो उन्होने बताया कि सिन्हा सर है. जब पापा ने वर्मा अंकल को ये बात बताई तो वो बोले कि अर्रे उसे तो मैं अच्छी तरह जानता हू, मेरे साथ काम कर चुका है, यू.पी सेंटर का ही है.

वो उनेको भी बोल देंगे. राजीव कल ही सिन्हा जी से फोन पे बात कर ले, और पहुँच के छुट्टी की अप्लिकेशन भी दे दे, कोई प्राब्लम नही होगी. बल्कि उन्होने ये भी कहा कि वो बोल देंगे कि जो उनकी फील्ड ट्रैनिंग हो वो हमारे ही शहर मे लग जाय. फोन रख के पापा ने उनको सब बाते समझा दी और कहा कि कल सुबह ही वो अकॅडमी मे बात कर ले. पापा से कुछ लोग मिलने आए थे और वो बाहर चले गये.
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08-17-2018, 02:33 PM,
#15
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
पापा के बाहर निकलते ही खुशी के मारे हंगामा हो गया. और सभी लोग मम्मी ने तुरंत फोन पे मोर्चा संभाला और पंडित जी जिन्होने हमारी कुंडली देखी थी उनको, शादी की सायत डिसेंबर जन्वरी मे जल्द से जल्द देखने को कहा. फिर उन्होने राजीव की भाभी को भी फोन कर के कहा कि वो अपने पंडित से लगन चेक करा ले. रीमा तो मारे खुशी के उनसे चिपक ही गयी और बोलने लगी कि जीजू, अब ट्रीट हो जानी चाहिए. वो बोले अपने दीदी से कहो कि मूह मीठा कराए. भाभी अपने फॉर्म मे आ गयी थी. वो बोली, अर्रे वो तो अब रोज आपका मूह मीठा कराएगी. अब वो दोनो लोग चुहुल के मूड मे आ गये थे.

भाभी उनसे हंस के बोली, अच्छा पंडित तो बाद मे बताएगा, आप बताइए आप कि लिए शादी की सबसे अच्छी डेट कौन सी होगी, वो हंस के बोले 20 डिसेंबर.

रीमा, भोली, पूछ बैठी क्यों.

वो हंस के बोले कि इस लिए कि 21 डिसेंबर की रात सबसे लंबी होती है. 14 घंटे से भी उपर, लंबी. भाभी ने मुझे छेड़ा,

बन्नो सोच ले अभी से ये प्लॅनिंग है, क्या हालत होगी तेरी. मेने अपनी खुशी और मुस्कराहट दबाते हुए उन्हे घूरा पर वो बेशर्म, और ज़ोर से मुस्कराने लगे. और ये सब बाते बिना ये लिहाज किए हो रही थी कि मम्मी भी वहीं बैठी थी. वो अपनी मुस्कराहट दबा के पंडितों को जल्द डेट निकालने के लिए बार बार रिंग कर रही थी.

उनकी मुराद पूरी तो नही पूरी हुई लेकिन ऑलमोस्ट पूरी हो गयी. पंडित जी ने जन्वरी के शुरू मे शादी की डेट निकाल दी. अब तो सब उन के पीछे पड़ गये. तय ये हुआ कि खाने के बाद सबको वो 9 से 12 पिक्चर दिखाने ले चलेंगे. जब मैं तैयार होने लगी तो सोच नही पा रही थी कि क्या पहनु. फिर मेने गुलाबी शलवार सूट निकाला , थोड़ा टाइट था लेकिन अब तक मुझे उनकी निगाहों का अंदाज़ा हो चुका था. पहन कर मेने जब शीशे मे देखा तो एक बार मैं भी मेरे उभारों को देखने लगी वो थोड़ा ज़्यादा ही टाइट थी और नीचे हिप्स पे भी . मेरे कटाव और गोलाइयाँ साफ दिख रहे थे. लेकिन अब चेंज करने का टाइम भी नही था. मेने हल्की सी लिपस्टिक लगाई और अपनी बड़ी बड़ी आँखों मे हल्का सा काजल भी. मैं जब निकली तो भाभी और रीमा अभी तैयार ही हो रहे थे. मैं उनका इंतजार ही कर रहे थी कि मुझे गुनेगुनाने की आवाज़ सुनाई दी,

"कजरा मुहब्बत वाला अँखियों मे ऐसे डाला, कजरे ने ले ली मेरी जान, हाय "

मेने मूड के देखा तो जनाब थे. बड़े अंदाज से मुझे देख रहे थे. मुझसे रहा नही गया. मेने भी छेड़ा, बड़े रोमांटिक हो रहे है. वो बोले तुम्हारी इन आँखों ने बना दिया है, लेकिन यार अब ये इंतजार बर्दास्त नही होता और पास आ गये. मैं बोली कि अब कहाँ अब तो दो महीने भी नही बचे है. वो बोले यार यहाँ दो पल भी पहाड़ हो रहे है. मेने कुछ नही कहा लेकिन आँखो ने मेरी चुगली कर दी कि हालत मेरी भी यही हो रही है. थी तभी सीढ़ियों पे भाभी और रीमा की आने की आवाज़ सुनाई पड़ी और हम लोग अलग हो गये.

हम बाहर निकले तो रीमा ने पूछा,

"कौन सी पिक्चर चलेंगे "जिसमे कॉर्नर सीट मिल जाए"भाभी ने छेड़ा.

"और अगर कोने वाली सीट ना मिली तो" रीमा ने बन के भोलेपन से पूछा.

"तो फिर पिक्चर देख लेंगे." वो भी उसी अंदाज मे बोले.

खैर पहले ही हॉल मे. लास्ट रो मे, कोने वाली सीट भी मिल गयी और हॉल भी अच्छा था.

सबसे कोने वाली सीट पे मैं बैठ गयी तो भाभी ने छेड़ा अर्रे बन्नो, हम लोग तुम्हे यही बैठाते, क्यों जल्दी कर रही हो. जब मेने शरमा के उठने की कोशिश की तो भाभी ने मुझे दबा के बैठा दिया और कहा कि अर्रे बैठो, हाँ गोद मे बैठने की जल्दी हो रही हो तो बात अलग है. राजीव मेरे बगल मे बैठ गये और उनके बगल मे रीमा और फिर भाभी. हल्की रोशनी मे मैं देख रही थी कि उनकी निगाहे किस तरह से मेरे बदन को सहला रही थी. एक सिहरन सी दौड़ गयी मेरे तन मन मे. मेरे उभार पत्थर की तरह सख़्त हो गये. बस किसी तरह मैं आँखे पर्दे पे गढ़ाने की कोशिश कर रही थी. पिक्चर बड़ी ही रोमांटिक थी. थोड़ी ही देर मे ही हीरो की जगह मुझे उनका चेहरा नज़र आने लगता. एक सीन मे जब हीरो ने हेरोइन को किस करने की कोशिश की तो मेरे होंठ दहकने लगे. और तभी सीट के ह्थ्थे पे उनका हाथ छू गया. मुझे लगा जैसे मेरे जिस्म पे कोई लोहे की सलाख लग गयी हो और मैं पिघल गयी हू और मेने झट से हाथ हटा लिया. लेकिन उसी पल मुझे अहसास हुआ कि मुझे हाथ नही हटाना चाहिए था. और जब मेने सीट पे हाथ रखा तो उन्होने हाथ हटा लिया. पिक्चर और गर्म होती जा रही थी. बेडरूम सीन चल रहा था और हेरोइन हीरो से कस के चिपकी थी. हीरो का एक हाथ उसकी पीठ पे और दूसरा सारे बदन पे और अबकी बार जब उन्होने अंजाने मे अपना हाथ रखा तो ना सिर्फ़ मेने अपने हाथ नही हटाया बल्कि हिम्मत कर के अपना दूसरा हाथ भी उनके हाथ पे रख दिया. मेरे सारे बदन मे चींतिया दौड़ रही थी. एक अजब सा अहसास बस मन कर रहा था सामने पर्दे की तरह मैं उनकी बाहों मे घुल जाउ कॅलंडर के पन्ने उड़ जाए और जल्दी से जन्वरी के वो दिन. तब तक इंटेरवाल हो गया.

क्रमशः…………………………

शादी सुहागरात और हनीमून--6
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08-17-2018, 02:33 PM,
#16
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--7

गतान्क से आगे…………………………………..

पिक्चर ख़तम होने के बाद जब हम घर पहुँचे तो साढ़े 12 हो गये थे, लेकिन हम तब भी चारों बैठ के देर तक बाते करते रहे. रीमा के कमरे मे उनके सोने का इताज़ाम किया गया था और मैं और रीमा साथ सो रहे थे.

सुबह उठ के मैं स्कूल के लिए तैयार हो के निकली, नेवी ब्लू स्कर्ट और वाइट ब्लाउस मे, रोज की तरह. लेकिन जब मेने अपने को शीशे मे देखा तो मुझे अचानक लगा कि मैं बड़ी हो गयी हू और स्कूल ड्रेस मे मेरे उभार और मेरी गोरी गोरी जांघे.. मैं खुद से एक पल के लिए शर्मा गयी.

अचानक मुझे लगा कि कहीं वो ना उठ गये हो और मुझे इस ड्रेस मे देख ना ले.. दबे पाव मेने दरवाजा खोला, और सामने वो ही खड़े थे.

"गुड मॉर्निंग"मुस्करा के वो बोले. "बड़े सबेरे है तुम्हारा स्कूल"मुझे निहाराते हुए उन्होने कहा.

"हां असल मे मॉर्निंग स्कूल मे आज टेस्ट है" मेरी समझ मे नही आ रहा था क्या बोलू. सारा घर सो रहा था.

"कब तक आओगी"उनकी लरजति हुई आवाज़ जैसे हाथ पकड़ के मेरा रास्ता रोक रही थी. जाना तो मैं भी नही चाह रही थी पर अगर मैं ये कहती तो भाभी कितना चिढ़ाती और वो रीमा भी.. अब शरीर हो गई थी.

"जल्द ही 12 बजे तक छुट्टी हो जाएगी"

"एक बात बोलू बुरा तो नही मनोगी" पास आके, ऑलमोस्ट सॅट के वो बोले.. पूरा सन्नाटा था.

"बुरा क्यों मानूँगी"मेरे मन मे तो उनच्चासो पवन चलने लगे थे.

"तुम बहोत क्यूट लग रही हो."मेरे गाल पे उंगली रख के वो बोले. मेरे कपोल जैसे दहक उठे.

मैं चुप चाप जैसे मूर्ति बन गयी. थी तक मेरे स्कूल की बस का हॉर्न बजा और मैं चल पड़ी, लेकिन शरारत से मेने मूड के उनकी ओर देखा तो वो बोल पड़े, हे अपनी ये यूनिफॉर्म शादी के बाद साथ ले आना.

"धत्त" कह के मैं चल दी लेकिन मुझे लगा उनकी निगाहे मेरे साथ आ रही है.

स्कूल मे एकदम मन नही लग रहा था, बार बार उनका चेहरा, उनकी बाते मन मे घूम रही थी और जाने अनजाने मेरी उंगलिया गाल पे वहीं जा पड़ती थी जहा उन्होने छुआ था.

जब मैं स्कूल से घर पहुँची तो उनके और भाभी के बीच खूब चुहल बाजिया चल रही थी. उन लोगो ने शॉपिंग का प्रोग्राम बना रखा था. और खाने खा के हम लोग निकल लिए. रीमा स्कूल गयी थी. उसकी छुट्टी शाम को होती थी, इसलिए हम तीनो ही गये.

पहले कपड़ों की शॉपिंग से शुरुआत हुई. उनके लिए शर्ट पॅंट खरीदी जानी थी. और इसके बाद भाभी एक बड़ी सी इनेर वियर की दुकान मे घुसी. वहाँ लेटेस्ट फॅशन की नाइटी, स्लिप, ब्रा और पैंटी मिलती थी. उस दुकान के ओनर से लेकर सारी सेल्स गर्ल तक उन की परिचित थी. भाभी ने मेरे लिए ब्रा और पैंटी देखना शुरू की. मैं थोड़ा शर्मा रही थी पर वो और ज़्यादा. भाभी ने उनसे पूछा कि उन्हे मेरे लिए किस रंग की ब्रा पसंद है और कैसे बेचारे ज़मीन मे गढ़े जा रहे थे. साल्स गर्ल भी मज़े ले रही थी. वो और खुली लेसी स्टाइलिश ब्रा ले आई और दिखाने लगी कि ये कैसे बंद होती है, खुलती है. भाभी ने उनसे कहा कि आप ठीक से समझ लीजिए तो वो बोले मैं क्यों भाभी जिसे पहनानी हो वो समझे और मेरी ओर देख के मुस्करा दिए. भाभी बोली, अर्रे, जिसे खोलना हो उसे समझना ज़्यादा ज़रूरी है वरना सारी रात इसी मे गुजर जाएगी. अब उनकी शरमाने की बारी थी. उस के बाद हम लोग साड़ी की दुकान पे गये. थोड़ी ढेर बैठने के बाद भाभी से बोले कि , भाभी अगर आपकी इजाज़त हो तो थोड़ी देर के लिए इनको ले जाउ. भाभी हंस के बोली, अर्रे तेरी चीज़ है जहा चाहे वहाँ ले जा, जो चाहे वो करो. मुझे ले के पास के ज्यूयेलर्स की दुकान मे गये. जब मेने पूछा कि हे, क्या काम है मुझसे तो हंस के बोले काम तो सिर्फ़ तुम्हारी उंगली से था लेकिन साथ मे तुमको भी ले आना पड़ा. एक डाइमंड की प्यारी सी रिंग मेरे मना करने पे भी उन्होने मुझे ले दी. फिर वहाँ से निकले तो भाभी भी शॉपिंग ख़तम कर के निकल चुकी थी. फिर हम तीनो ने खूब मस्ती की, चाट, गोलगप्पे खाए, आइस्क्रीम खाई और खूब घूमे.

जब हम लौटे तो रीमा स्कूल से आ चुकी थी और खूब नाराज़, एकदम अलफ्फ.

मारे गुस्से के किसी से बोल ही नही रही थी. खास तौर से राजीव से. उपर से हमने और भाभी ने उसे चिढ़ा भी दिया, कि हम लोगो ने बाजार मे क्या मौज की. अब वो और नाराज़. मेने 'उनसे' कहा कि अब आप इस को घुमा के ले आइए और शॉपिंग भी कराईए.. वो बोले एकदम, चलो ना. थोड़ा मुस्करा के, थोड़ा गुस्से से वो बोली
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08-17-2018, 02:33 PM,
#17
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
ठीक है, लेकिन अब आप लोग नही जाएँगे, सिर्फ़ मैं जाउन्गि. हम सब ने समवेत स्वर मे कहा ठीक है. जब वो तैयार हो के थोड़ी देर मे आई तो भाभी ने फिर छेड़ा, जीजा की जेब खाली करा लेना. और वो भी मूड मे थे. उसके कंधे पे हाथ रख के बोले, अर्रे मेरी छोटी साली है. दो ढाई घंटे बाद वो लोग लौटे. रीमा तो पहचानी नही जा रही थी, गुलाबी खूब टाइट पिंक टांक टॉप मे उसके टेन्निस बॉल साइज़ के बूब्स फटे पड़ रहे थे. और नई हिप हॅंगिंग जीन्स..हम लोगों को दिखा के बोली, क्यों कैसी लग रही है, जीजू ने दिलवाई है. भाभी क्यों मौका छोड़ती, सीधे उसके बूब्स पे चिकोटी काटती बोली, न्यू पिंच और उनको भी आमंत्रित किया कि न्यू पिंच कर ले. बेचारे झेंप गये. ड्रेस के साथ ढेर सारी चाकलेट, और गिफ्ट और ये भी पता चला कि उसने चाट पार्टी मे अपनी तीनो क्लोज़ सहेलियों, नीरा , नीतू और रंभा को भी ( वो बहोत क्लोज़ थी और नट खाट भी.) और मेरे भी क्लोज़ थी, उन्हे हम चंडाल चौकड़ी बुलाते थे) बुला लिया था और उन सबो ने मिल के जम के पार्टी की. तभी हमारी नज़र रीमा के चेहरे पे भी पड़ी. एक बहोत छोटी सी नथ (जैसी आज कल सानिया मिर्ज़ा पहनती है), उस की नाक मे दमक रही थी. भाभी ने रीमा से पूछा,

"हे नथ तो तुमने पहन ली, अब इसे उतारेगा कौन "

"जिसने पहनाई है" बड़ी अदा से रीमा बोली.

"मैं तैयार हू" हंस के वो बोले. और जब हम सब लोग हँसने लगे थी उसका मतलब समझ वो बेचारी शर्म से लाल हो गयी. झेंप मिटाने के लिए वो बोली चलिए अंताक्षरी खेलते है. टीमे बन गयी. वो और रीमा एक तरफ और मैं और भाभी एक तरफ. वो कहने लगे आप लोग शुरू करिए और हम लोग कहते नही आप. रीमा बोली जीजू हमी लोग शुरू करते है गाइए ना, और वो फिर मेरी ओर देख के चालू हो गये,

हमने देखी है इन आँखो की महकती खुश्बू, हाथ से छु के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम ना दो

बस जैसे लग रहा था सिर्फ़ हम दोनो हो और वो मुझसे कह रहे हो. गाना ख़तम हो गया और मैं वैसे ही गुम्सुम बैठी रही. जब रीमा बोली 123 तब मुझे होश आया. रीमा कह रही थी 'दी' सुनाए और बिना सोचे मेने शुरू कर दिया,

"दीवाना मस्ताना हुआ दिल...जाने कहाँ होके बाहर आई."

और भाभी ने कान मे बोला अर्रे अगर यार सामने हो तो दिल तो दीवाना हो ही जाता है. गाना ख़तम होते ही अबकी बार रीमा चालू हो गई, ईना मीना डीका और वो भी झूम के साथ दे रहे थे. अबकी बार हमारी ओर से भाभी ने जवाब दिया. उन लोगों को 'ज' से गाना था. और दोनो गाने सोचने की कोशिश कर रहे थे. अब मेने और भाभी ने चिढ़ाना शुरू कर दिया..1..2..3..रीमा बोली, जीजू कुछ करिए ना. वो तो बस बना रहे थे, चालू हो गये,

"ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक ना जाए ज़रा नज़रों से "और मेरे बड़ी बड़ी रतनेरी आँखों को निहाराते, बस छेड़ रहे थे.

"'य' से पड़ा है तुम जवाब दो "भाभी ने मुझे उकसाया,

"ये दिल दीवाना है दिल तो दीवाना है, दीवाना दिल है ये दिल आकाश बहारों मे चुपके चनेरो मे दिल दीवाना है"

मेने देखा साथ साथ वो भी गुन गुना रहे थे. अब के फिर से मेरी कजरारी आँखो को देख के वो बोले,

"हम आपकी आँखो मे इस दिल को बसा ले तो"मेरे मूह से अगली लाइन निकल गयी,

"हम मूंद के पलकों को इस दिल को सज़ा दे तो"और अगली लाइन उनकी थी.

"इन ज़ुल्फो मे गुन्थेगे हम फॉल मुहब्बत के "और उसी तरह शरारत और अदा से मैं बोली,

"ज़ुल्फो को झटक के हम ये फ़ॉल गिरा दे तो"

और फिर हम साथ साथ ये दोनो गाने लगे. मेने भाभी से इशारा किया तो वो बोली, अर्रे आँखो पे बहोत गाने हो गये अब किसी और बात पे. और उनके पास तो जैसे रोनेंटिक गानों का खजाना था, एक से एक,

फूलों के रंग से, दिल के कलाम से..गुनेगुना रहे है भंवरे खिल रही है कली कली बस मुझे लग रहा था कमरे मे सिर्फ़ हम दोनो है और उनका हर शब्द सिर्फ़ मेरे लिए है. जो ढेर सारी बातें हम कहना चाहते थे, कह नही सकते थे वो गानों के ज़रिए लग रहा था जैसे ढेर सारे कमल एक साथ खिल गये हो.

"अर्रे सब काम हम लोग ही करेंगे. अर्रे तंग हम लोग कर रहे है तो भूख सासू मा ही मिटा दे."बड़े द्विअर्थि ढंग से मुस्करा के भाभी ने उनकी ओर देख के कहा. और मम्मी कौन मेरी कम थी. वो उनके पास आ के उनके बालों को सहला के बोली,
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08-17-2018, 02:33 PM,
#18
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
"अर्रे अगर साली सलहज के रहते हुए भी दामाद भूखा रहे तो सास को ही उसकी भूख मिटानी पड़ेगी. क्यों" उनके गाल सहला के उन्होने पूछा. शरम से उनके गाल लाल हो गये, लेकिन शायद इतना काफ़ी नही था.

"अर्रे ये क्या लौंडिया की तरह शर्मा रहे है." पीछे से कटोरी मे दाल परोसते आवाज़ आई.

वो बसंती थी, मेरी नाहिन की बहू. मुझसे थोड़ी ही बड़ी रही होगी. पाँच-छे महीने पहले ही शादी हुई थी. गोरा गदराया गठा बदन.. मज़ाक के मामले मे एक नंबर की और वो भी गाली गाने के मामले मे तो.. जब वो हम लोगों के पीछे पड़ जाती तो कान मे उंगली डालनी पड़ती. अक्सर काम मे हाथ बटाने के लिए मम्मी उसे बुला लेती.

"मुझे तो कुछ शक लग रहा है, इनके शरमाने से लगता है खोल कर चेक करने पड़ेगा." पानी डालते हुए भी वो चालू रही.

"अर्रे तेरे तो ननदेऊ लगिगे चाहे खोल कर चेक कर या पकड़ कर" भाभी ने और आग लगाई.

बसंती ने कहा बिना गाली के खाना कैसा और हम लोगों के मना करने पर भी वो चालू हो गई. फिर तो उनकी बहने अम्मा किसी को नही छोड़ा उसने, सबको न्योता दे डाला.

और वे बिचारे सर झुकाए गालियाँ सुनते रहे, खाना खाते रहे. और आज मम्मी और मूड मे थी. कह कह कर एक रसगुल्ला और लो अर्रे एक मेरे हाथ से पूरे चार रसगुल्ले खिलाए. जब बसंती किसी काम से अंदर चली गई तो धीरे से मेरे कान मे बोले, ये गाना बड़ा जबरदस्त सुनाती है. रीमा क्यों चुप रहती,

बोली, ये मालिश भी बहोत अच्छी करती है. जैसे ही वो उठे बसंती वापस आ गयी. भाभी ने फिर छेड़ा, क्यों करवानी है मालिश,.और बसंती से कहा,

क्यों कहाँ मालिश करोगी,

"अर्रे कर दूँगी सारी टाँगो पर, सांड़े का तेल लगा के ."बसंती बोली.

अब तो बेचारे चुप चाप उपर अपने कमरे मे भागे. लेकिन भाभी वहाँ भी कहा उन्हे छोड़ने वाली थी. मुझसे कहा कि तुम्हे बुला रहे है. ज़रा चल के बाते कर लो, सुबह चले जाएँगे..फिर तो कब मिलना होगा. मे भाभी के साथ उनके कमरे मे गई और पूछा कि बुलाया था तो वो बोले कि नही. जब तक मे कुछ समझती भाभी दरवाजे पर थी और मुस्करा के बोली,

"आज की रात मेरी ननद आपके हवाले है चाहे बात करनी हो या जो कुछ पूरी छूट है मेरी ओर से और ये दरवाजा अब सुबेह ही खुलेगा."और जब तक मे उन्हे पहुँच के रोकती, वो बाहर और कुण्डी बंद होने की आवाज़ आई. सीढ़ियों पर भाभी के पैरों की आवाज़ बता रही थी, वो नीचे जा रही थी. कुछ देर तो हम चुप बैठे रहे फिर बाते करने लगे. लेकिन कुछ देर बाद मुझे लगा कि उन्हे नींद आ रही है. अब क्या करें, पलंग सिर्फ़ एक . मेने खिड़की खोल के देखा,

सारे घर की लाइट्स बुझी, किसी को बुला भी नही सकती. मेने उनसे कहा कि वो सो जाए, मुझे नींद नही आ रही. तो बोले नही कोई परेशानी की बात नही है, वो सोफे पर सो लेंगे और तकिया लेके वो सोफे पर लेट गये. तब तक हम लोगों के लिए मुक्ति दूत बन कर रीमा आ गयी. कमरा उसी का था और वो कोई किताब लेने आई थी.

सुबह उन्हे जाना था. मम्मी ने उन्हे बताया कि अभी उनके घर से फोन आया था. जन्वरी के शुरू की, जो शादी की तारीख यहाँ के पंडित जी ने सजेस्ट की थी वो वहाँ के पंडित ने भी सही बताई है, और अब वो तारीख पक्की हो गयी है. वो बोले कि मम्मी ज़रा मे, मसूरी से एक बार बात कर लूँ , छुट्टी के बारे मे.
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08-17-2018, 02:33 PM,
#19
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
मम्मी ऐसे छोड़ने वाली नही थी. उन्होने कहा अभी कर लो ना बात. उन्होने फोन लगाया और वो सिर्फ़ 'हां' 'हू' 'थॅंक्स सर' 'बहोत अच्छा सर' थॅंक्स सर' कह रहे थे लेकिन उनके चेहरे से खुशी छिपाए नही छिप रही थी. फोन रख के मेरी ओर देखते हुए बोले, डेढ़ महीने की छुट्टी सॅंक्षन हो गयी है, शादी के एक हफ्ते पहले से, होली तक की. मम्मी की खुशी तो पूच्छो नही. वो अपने दामाद के लिए रसगुल्ले लाने गयी तो राजीव ने मेरे कान मे कहा,

"सब कुछ कर्टसी तेरे पापा की है, पर्फेक्ट प्राब्लम सॉलवर है उनके बिना कुछ नही हो सकता था"

"तेरे पापा के और तुम्हारे"और मेने कस के उस की ओर आँख तरेरि.

"सॉरी आइ मीन पापा की"थी तक मम्मी उस के पास पहुँच गयी थी रसगुल्ले ले के. और भाभी मेरे कान मे कह रही थी,

"शादी के बाद सवा महीने की छुट्टी लंबा प्रोग्राम बनाओ हनिमून का"

नाश्ते के बाद वो चले गये.

पर अब शादी की डेट तय होने और उनकी छुट्टी तय होने के बाद से शादी की तैयारिया पूरे चरम पर पहुँच गयी. पहले तो इन्विटेशन, कार्ड कहाँ छपेगा,

और इन्विटेशन लिस्ट, रिश्तेदार, पापा के दोस्त, मम्मी की मेरी सहेलिया, शहेर के लोग. फिर भाभी ने याद दिलाया, उस दिन बड़ी तगड़ी लगन है इस लिए पहले से सब कुछ बुक करना होगा. डेकरेटर, केटरर, शादी का वेन्यू और उसके बाद शॉपिंग मेरे लिए घर के सब लोगों के लिए राजीव और उनके रिश्तेदारों के लिए, मेहमानो, रिश्तेदारों और काम करने वालों को देने के लिए, फिर गिफ्ट आइटम्स राजीव की क्या पसंद है. पचासों काम और करने वाले मुख्य रूप से मम्मी और भाभी. दोनो ने पहला फ़ैसला यही किया कि मेरे लिए जो भी होगा बेस्ट होगा, और उसके लिए चाहे जो कुछ करना पड़े. फिर भाभी ने सजेस्ट किया कि शादी की थीम रेड आंड गोलडेन, रखते है. मेरा जयमाला का लहंगा भी, उसी रंग का था, स्कार्लेट रेड और सोने के तारों का काम. फिर तो इन्विटेशन कार्ड से ले के गिफ्ट पॅक तक सब 'रेड आंड गोल्ड' मे ही प्लान किया गया.

भाभी ने मुझे ट्रैंड और ग्रूम करने का भी काम अपने ज़िम्मे ले रखा था,

और उसमे सबसे पहला काम था मुझे सारी पहनना सिखाने का जिसमे मुझे बड़ी उलझन होती थी, और उनके इस काम मे मम्मी, और आंटी लोग यहाँ तक कि बसंती भी एक दिन मे सारी बाँधने की कोशिश कर रही थी. भाभी मुझे समझा रही थी कि सारी का ये मतलब थोड़ी कि तुम सारी देह छुपा के रखो और उन्होने मुझे फिर नाभि दर्शन सारी बाँधना सिखाया और ये भी कि अगर खुल के झलक दिखलानी हो तो कैसे आँचल को सीने के बीच से ला सकते है और ढालका सकते है, जोबन का जलवा दिखाने के लिए. बसंती बोली,

"अर्रे इन्हे सारी का असली फ़ायदा तो बताइए". भाभी हंस के बोली, "अर्रे तेरी भी तो ननद ही है, सब मे ही सीखू". मेने उस की ओर देखा तो वो बोली,

"अर्रे सैयाँ के संग रजैईया मे, बड़ा मज़ा आए चुदैया मे"

मेने उसे हड़काने की कोशिश की तो वो पास आ के बोली,

"अर्रे बीबी जी, अब क्यों शर्मा रही है आख़िर शादी तो होती ही है, चुदाई के लिए.

देखिए मे समझती हू."और मेरी सारी हल्की सी उठा के बोली, "बस इसे उपर उठा लीजिए और काम चालू. और लेट के तो और आराम, टाँग उठाते ही अपने आप खुल जाती है. बस दूल्हे राजा उपर, चोली के बटन खोल के जोबन का मसलन रगडन चालू. उसके बाद चुदाई. अगर किसी के आने की आहट भी हुई तो बस बटन बंद और खड़ी हो जाइए, ना कपड़े उतारने का झंझट ना पहनने का और काम चालू"

"धत्त बेशरम. चल हट तुझे तो बस एक ही बात" मे बोली.

लेकिन सारी पहनना मे सीख गयी और वो भी हर तरह से. सीधे पल्ले की, उल्टे पल्ले की, बिंगाली और मराठी स्टाइल मे और आँचल का इस्तेमाल तो भाभी ने खास तौर से सिखाया. लेकिन इतने से छुट्टी थोड़ी ही मिलने वाली थी, हेर केर, हेर स्टाइल, स्किन केर भाभी ने मुझे एक ग्रूमिंग का कोर्स भी जाय्न करवा दिया.

क्रमशः…………………………
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08-17-2018, 02:34 PM,
#20
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--8

गतान्क से आगे…………………………………..

वहाँ मेकप, पार्टी मेकप, पोस्चर और ढेर सारी बाते. एक्सर्साइज़ और थोड़ा बहोत योगा और मेडिटेशन तो मे घर पर ही करती थी पर भाभी ने जिस जिम मे वे जाती थी वहाँ ले जाके अपने ट्रेनर से इंट्रोड्यूस करवा दिया, फिर हफ्ते मे तीन दिन वहाँ भी. भाभी ने उसे पता नही क्या समझाया था बहोत ही सख़्त रेजीम उसने मेरे लिए बनाया, स्ट्रेच, बेंड, एरोबिक और फिर वेट ट्रैनिंग ट्रेड मिल और शेप के लिए..जब मेने एक दिन कंप्लेन किया कि ये जाइमेस्ट सी एक्सर्साइज़स क्यों तो वो ठीक भाभी के अंदाज़ मे बोली, अर्रे बन्नो, रात भर टांगे उठना पड़ेगा, चौड़ी करके रखना पड़ेगा तो थी पता चलेगा कि इसका फ़ायदा. चलो 10 बार और करो. और उधर उसके उल्टा घर पर मम्मी को लग रहा था मे दुबली हू और "वैवाहिक जीवन का भार"कैसे उठा पाउन्गि तो वो मुझे फोर्स करके खजूर, दूध और ना जाने क्या क्या खिलाती थी.

इसका नतीजा तब सामने आया जब हम दिल्ली गये बाकी शॉपिंग और कपड़े की फिटिंग के लिए. जिम और मम्मी के प्रयासों का नतीजा ये निकला कि कमर तो मेरी और पतली हो गयी पर जो भी वजन बढ़ा वो मेरे उभारों पर, सीने और हिप्स दोनो जगह. इस लिए जो ड्रेसस फिट थी अब टाइट फिट हो गयी. चोली की फिटिंग करते समय ड्रेसर ने मुझे कॉंप्लिमेंट किया तो मेने पूछा क्या थोड़ी ढीली करेंगी तो पास मे खड़ी भाभी की सहेली डिज़ाइनर बोली नही और टाइट, और वास्तव मे ड्रेसर ने और टाइट कर दिया. शीशे मे मुझे दिखाती बोली, देख कितना पर्फेक्ट क्लीवेज नज़र आ रहा है. सच मे मेरे दोनो उभार खूब उभर के सामने आ रहे थे. उन्होने मम्मी को एक कुंदन के काम का बस्टियर, कॉरसेट दिखाया. बहोत प्यारा था और मेरे उपर कुंदन खिलता भी बहोत था.

मम्मी ने कहा एकदम. पर मुझे लगा मे घुस नही पाउन्गि इसमे. नीचे से एकदम पतला. ड्रेसर्ज़ ने कहा ये मेरा काम है, आप चिंता मत करो. और उन्होने ब्रा तक उतरवा दी, फिर मुझे खूब गहरी साँस लेने को कहा, उसके बाद भी वो बंद नही हो पा रहा था. लेकिन एक एक कर के उसने सारे बंद बंद कर दिए. मुझे लगा कि मे अगर साँस लूँगी तो ये बर्स्ट हो जाएगा. मे बोली, मुझे नही लग रहा था कि ये अंदर घुस पाएगा. भाभी की सहेली बोली, अर्रे ऐसे ही होता है. लगता है ज़रा भी नही घुस पायेगा, पर देखते देखते पूरा घुस जाता है. मम्मी सहित सब लोग समझ के कस के मुस्कराने लगे. लेकिन जब मेने नीचे देखा तो मेरी कमर तो इतनी पतली लग रही थी जैसे मुट्ठी मे आ जाएगी पर मेरे उभार, एकदम छलक के बाहर आ रहे थे. मेने मना किया पर मम्मी तो उन्होने उसके साथ का मॅचिंग लहँगे का भी ऑर्डर दे दिया. भाभी की सहेली ने साथ मे मॅचिंग स्टॉकिंग्स और पैंटी भी गिफ्ट कर दी. उसके बाद दहेज का बाकी समान मेरे और भाभी के लिए पठानी सारी, जरदोज़ी. ब्रोकेड और लरी और लोगों के लिए.

उसके बाद मम्मी की एक सहेली थी अर्बॅल कॉसमेटिक का उन्होने बिज़्नेस शुरू किया था. आज कल काफ़ी मशहूर थी. हम लोग उनके यहाँ गये. पहले तो दोनो सहेलियों के बीच शिकवा शिकायत और फिर जब मम्मी ने मेरी शादी के बारे मे बताया तो उन्होने मेरी बालाएँ ली और कहा मेकप और बॉडी ट्रीटमेंट का जिम्मा हमारे उपर छोड़ दो. मम्मी को और कयि काम थे इसलिए उन्होने मुझे और भाभी को उनके पास छोड़ दिया. उन्होने पूछा कि शादी मे कितना टाइम है तो भाभी बोली, डेढ़ महीना. वो खुश होके बोली, चलो तुम लोग सही टाइम पर आई. फुल ब्राइडल कोर्स मे एक महीना टाइम लग जाता है, एक अरमॅटिक थेरपी है, चार हफ्ते की, कल से शुरू कर देंगे और मेरी एक ब्रांच आपके शहेर मे भी खुल गयी है. अगली तीन सिट्टिंग वहाँ अरेंज कर देंगे. उसके बाद उन्होने अपने असिस्टेंट्स को बुला के समझाया. उसके बाद तो दो तीन लड़कियाँ चालू हो गयी. जैसे कोई हॉस्पिटल हो, स्किन का स्क्रेप, टेस्ट, दाँत की जाँच, उंगलिओं के बीच, बाल को चेक किया और उसके बाद वो चालू हो गयी.

पूरा बॉडी ट्रीटमेंट, मूड पॅक, शॅमपू, बॉडी मसाज, फेशियल, पेडिक्टीयर, मॅनिक्यूवर सब कुछ. भाभी ने भी साथ साथ फेशियल, मसाज और पेडिक्टीयर, मॅनिक्यूवर करवाया. तय ये हुआ कि अगले दिन मे अकेले उनके यहाँ आ जाउन्गि और भाभी और मम्मी शॉपिंग के बाद वहाँ से मुझे पिक अप कर लेंगे.
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