Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
08-19-2018, 02:49 PM,
#11
RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
कामुक-कहानियाँ

महँगी चूत सस्ता पानी--5

गतान्क से आगे…………………………….

मैं भी मस्ती में चूसे जा रहा था दीदी की गदराई चूची और मसल रहा भी रहा था ......

दीदी सिसकारियाँ लिए जा रही थी ..मस्ती में सराबोर थी ..मैं उनके उपर था ....मेरा लंड कड़क होता हुआ उनकी जांघों से , कभी उनकी योनि से रगड़ती जा रही थी ....मेरे लंड और उनकी योनि से भी लगातार पानी निकले जा रहा था

"दीदी आप की योनि बहुत गीली लग रही है ....उफफफफफ्फ़ ..मेरे लंड को और भी गीला कर रही है....."

" अरे बाबा मेरी योनि को चूत बोल ना रे ...उफफफफफफ्फ़ तू भी ना ......."

" हां दीदी आप की चूत ...कितनी गीली है ..."

मेरे मुँह से " चूत " सुन के दीदी मस्त हो गयीं ..हां देख इस शब्द में कितनी जान है..सुनते ही मेरी चूत फदक रही है

और सही में मैने अपने लंड में उनकी चूत का फड़कना महसूस किया .....

औरत और मर्द के मिलन की गहराइयों में दीदी मुझे लिए जा रही थी और मैं चूप चाप उनके साथ चलता जा रहा था .....

फिर दीदी ने अपना कमाल दिखाया ..उन्होने कहा " तू मेरी चूचियाँ चूस्ता रह .......जितनी ज़ोर से तू चूस सकता है ..बस चूस .." और अपने हाथ से मेरे लंड को थाम लिया ..दूसरे हाथ की उंगलियों से अपनी चूत की फाँक खोल लीं और मेरे लंड का सूपड़ा अपनी चूत की फाँक पर रख उसे घिसने लगी जोरों से अपनी चूत पर.....उपर नीचे ..उपर नीचे , चूत के फाँक की पूरी लंबाई तक ....

पहले दौर की घिसाई में मेरा लंड उनकी चूत के उपर ही उपर रगड़ खा रहा था ..पर इस बार तो बिल्कुल चूत के अंदर , चूत के दोनों होंठों के बीचो बीच ...उफ्फ कितनी गर्मी थी अंदर और कितना गीला भी था .......कितना मुलायम .....जब लंड उपर आता , चूत की उपरी छोर पर ..कुछ हल्की सी चूभन महसूस होती मुझे वहाँ ....और लंड गुदगुदी से भर उठ ता .....बाद में पता चला वो उनके चूत की घुंडी थी ......

उफफफफफफफ्फ़ मुझे इतनी जोरों की सिहरन हुई ..... पूरा बदन कांप उठा ..और मेरा उनकी चूची चूसने की लपलपाहट ने ज़ोर पकड़ ली ,,मैने अपने होंठों से भींच लिया ..

मेरे लंड की उनकी चूत में घिसाई से दीदी भी उछल पड़ीं ..उनका चूतड़ उछल रहा था ..पर वो मेरा लंड थामे घिसे जा रही थी अपनी चूत ..और मैं दबा रहा था ..चूस रहा था उनकी चूचियाँ

"हां रे चूस ..चूस ..मेरा सारा रस आज निकाल दे ....उफफफफफफ्फ़ ..उईईईईईईईई..माआाआआनन्न ...उफफफफफफ्फ़ किशू ये क्या हो रहा है रे ....इतना मज़ाआआ ...आआआ ...."

इस मस्ती के झोंके ने मुझे झकझोर दिया था ..दीदी भी कांप रही थी ..और मैं भी

"दीदी ..डीडीिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उफफफफफफफफ्फ़ क्या हो रहा है ...आआआआआआहह " और मैं झाड़ रहा था बूरी तरह ....बार बार लंड झटके खा रहा था ..पिचकारी छूटे जा रही थी ...दीदी भी उछल उछल रही थी ..उनका चूतड़ मेरे लंड सहित मुझे उपर उछल रहा था

"हाई ...ऊवूऊवूयूयुयूवयू आआआआआआअ कीश्यूवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊयूयुयूवयू .." और वो भी चूत से जोरदार पानी छोड़ते हुए ढेर हो गयीं

आआज दूसरी बार हम साथ झाड़ते हुए एक दूसरे पर लेटे थे ..हाँफ रहे थे ..

पर इस बार मुझे लगा जैसे मेरा पूरा बदन खाली हो गया हो

और दीदी भी इस बार हाथ फैलाए मेरे नीचे सुस्त पड़ी थी ......

दोनों आँखें बंद किए एक दूसरे से चिपके हुए , एक दूसरे की मस्ती से मस्त पड़े थे ......

कुछ देर बाद मेरे सांस में सांस आई ... मैं दीदी का मुलायम और मांसल शरीर पर अभी भी पड़ा था ..उनकी बाहें अभी भी मेरी पीठ पर थी , पर अब पकड़ ज़रा ढीली थी , उनकी आँखें बंद थी पर चेहरे पे शुकून और सन्तूश्ति थी.......मेरे लंड के नीचे काफ़ी चिप चिपा सा महसूस हो रहा था....
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08-19-2018, 02:49 PM,
#12
RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
मैं उनके उपर से उठा ...और वहाँ देखा ..उनकी चूत के बाहर मेरे लंड से निकली सफेद पानी और कुछ और उनकी चूत से निकला रस का मिला जुला बड़ा ही चमकीला सा गाढ़ा गाढ़ा लगा था , उनकी चूत की फाके जो पहले , जब मैने उन्हें खड़े और नंगी देखा था, एक दूसरे से काफ़ी चिपकी थी, पर अभी दोनों फाँकें अलग थीं ..जैसे दोनों होंठ ख़ूले हों ....अंदर बिल्कुल गुलाबी लिए रस से सराबोर था ......उफ़फ्फ़ क्या नज़ारा था ..मन किया के चाट जाऊ उनकी पूरी की पूरी चूत..फिर मैने अपना चेहरा उनकी चूत के बिल्कुल करीब ले गया और अंदर देखा ,कितनी मस्त थी , अभी भी अंदर उनकी मांसल और गुलाबी चूत थोड़ी फदक रहीं थी..अभी अभी घिसाई की मस्ती पूरी तरह ख़तम नहीं हुई थी शायद ....

मुझ से रहा नहीं गया ...मैं उनके पैरों के बीच बैठ गया ..अपने उंगलियों से उनकी चूत की फाँकें और भी फैला लिया ...उफफफफफफफफफफ्फ़ अंदर मुझे एक छेद दिखाई पड़ा ..वहाँ भी काफ़ी गीला था ....और मैं अपनी जीभ उनकी चूत की फांकों में लगा दी और लगा उसे सटा सत , लपा लॅप चाटने ..दीदी एक दम से उछल पड़ीं ..जैसे उन्हें करेंट लगा हो ...

उनकी आँखें पूरी तरह खुल गयीं " अरे किशू ....क्या कर रहा है रे......उफफफफफफ्फ़ बड़ाअ अच्छा लग रहा है रे ...."

" दीदी , मैं आपकी चूत चाट रहा हूँ ..मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा है..मैं और चातू ..दीदी..?????"

:" हां रे चाट चाट अच्छे से चाट......पर दाँत मत लगाना...... सिर्फ़ अपने होंठ और जीभ लगाना...."

उनकी चूत का रस और मेरे गाढ़े पानी का मिला जूला टेस्ट भी बड़ा मस्त था ..एक दम सोंधा सोंधा .....

मैने उनकी चूतड़ नीचे से जाकड़ लिया और उपर उठाया , मेरे मुँह में उनकी चूत बूरी तरह चिपकी थी ..मेरे होंठ , नाक के नीचे , नाक पर सभी जागेह रस लगा था.. मैं बस आँखें बंद किए..दीदी की बात रखते हुए अपने होंठ और जीभ से चाट ता जा रहा था ..चाट ता जा रहा था और दीदी मस्ती में सिसकारियाँ ले ले कराह रहीं थी ...उनका सारा बदन सिहर रहा था ..कांप रहा थाअ .....

" अरे वाह रे मेला बच्छााआ ...कहाँ से सीखा रे ...उफफफफफफफफफ्फ़ ......."

मैने कोई जवाब नहीं दिया ..मैं अपना मुँह वहाँ से हटाना नहीं चाहता था और भला क्यूँ ..मैं तो बस उस आनंद में विभोर उन्हे चाटता जा रहा था ...उनको क्या मालूम के हर बात बताई नहीं जाती ..कुछ बातें बस अपने आप हो जाती है .....

" हाई रीइ...ले रे किशू , और ले मेरा रस ..चूस ..चूवस ........आआआआआआआआ " और उनका चूतड़ जोरों से मेरे मुँह पर उछला और उनकी चूत से फिर से रस निकलना शुरू हो गया ..मेरे मुँह में ..मैं मुँह खोले उनकी चूतड़ जकड़े रहा और सारा का सारा रस अंदर लेता रहा ..वो पानी

छोड़ती रही..मैं पीता रहा .........जब वो शांत हुईं ..मैने चाट चाट कर पूरी चूत सॉफ कर दी

और उनके पेट पर अपनी तंग रखे उनके बगल लेट गया ....

मेरे गाल उनकी गाल से चिपके थी ,,,और उनकी दूसरी ओर की गाल मैं अपनी उंगलियों से सहला रहा था ...बड़ी मस्ती का आलम था ..दीदी आँखें बंद किए सूस्त पड़ी थी ...

"दीदी...."

"क्या है ...??" उन्होने आँखें बंद किए ही मुझ से कहा ....उनकी आवाज़ बहुत धीमी थी ,,जैसे उनकी मस्ती मेने खलल डाल दी हो....

" दीदी आप का एक एक अंग इतना टेस्टी है ...इतना मजेदार है.....उफ़फ्फ़ मन करता है पूरे का पूरा खा जाऊं.."

" तेरा भी तो किशू ....अभी तेरे शरीर में ज़्यादा बाल नहीं उगे ..इतना चिकना है ....मेरा भी मन करता है किशू उन्हें चाट जाऊं ..."

और इतना कहते ही उन्होने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और अपनी मुट्ठी में भर कर निचोड़ने लगीं ......उफफफफ्फ़ क्या मस्त अंदाज़ था ...मेरा लंड अभी तक सिकूडा था..मुलायम था ..उनकी मुट्ठी में धीरे धीरे कड़क होने लगा ... उनके हाथ हौले हौले उसे दबा रही थी , निचोड़ रही थी .....और जब काफ़ी कड़ा हो गया मेरा लंड ..उसकी चॅम्डी धीरे धीरे उपर नीचे करना शुरू कर दिया ....मैं सिहर रहा था ....

अब उन्होने फिर कमाल दिखाया ....मुझे सीधा लिटा दिया ...मेरी ओर अपनी पीठ कर अपने हाथों को मेरे जांघों और पेट के बीच रखते हुए मेरा लंड अपनी हथेलियों के बीच ले लिया और चॅम्डी उपर नीचे करते करते एक दम से अपने मुँह के अंदर ले लिया , अपने होंठों को गोल करते हुए मेरे लंड के उपर नीचे करने लगी ....ऊऊऊऊऊऊऊऊओ , मेरे शरीर में जैसे गुदगुदी का करेंट जैसा दौड़ गया ...मैं कांप उठा ..फिर कभी जीभ चलाती लंड पर ..कभी लंड के सूपदे पर जीभ फिराती और हथेली से उसकी चॅम्डी भी उपर नीचे करती जाती ..मैं पागल हो उठा था ...

और अपनी कमर से उपर अपने आप को उपर उठा लेता झटके से मस्ती में . बार बार मैं उछल रहा था , उन्हें जाकड़ लिया उनकी पीठ से और पीठ चूमने लगा ....चाटने लगा ..चूचियाँ पीछे से जाकड़ कर दबाना शुरू कर दिया . वो मेरे लंड से खेल रही थी ..मैं उनकी शरीर से ......

दीदी अब मस्ती में मेरे लंड को अपने होंठों से और भी जोरों से दबा ते हुए चूस रही थी ..चाट रही थी ..मेरा लंड उनके मुँह के अंदर ही अंदर कड़ा और कड़ा होता जा रहा था .......

"उफफफफफफफ्फ़ दीदी आप बताती क्यो नहीं आप ने ये सब सीखा कहाँ से ..????"

उन्होने कुछ नहीं कहा ..बस उनका चाटना और चूसना और ज़ोर पकड़ लिया था ......मेरे बाल रहित लंड चूसना उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था

अचानक उन्हे महसूस हुआ के मैं झड़ने के करीब हूँ ..उन्होने अपना मुँह वहाँ से हटा लिया और अपने हाथों से जोरों से चॅम्डी उपर नीचे करने लगीं .....उपर नीचे ..उपर नीचे ....और मैं बार बार कमर उपर नीचे करता हुआ झड़ने लगा ...पिचकारी दीदी के पेट पर , चूचियों पर ..सारे बदन पर छूट रही थी ..वो बस मेरे बगल बैठीं सारे का सारा गाढ़ा पानी अपने बदन पर पैचकारी से छूट ते हुए देख रहे थीं ..मैने उन्हें पेट से जाकड़ लिया , और फिर उनके कंधों पर सर रख उनसे लिपट ते हुए ढेर हो गया .........
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08-19-2018, 02:49 PM,
#13
RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
उस रात हम दोनों तीन -तीन बार झाडे ..और हर बार ऐसे के जैसे अंदर से बिल्कुल खाली हो गये हों . उस रात दीदी का एक बिल्लकुल ही नया रूप मेरे सामने आया ...जिसके बारे मैं बिल्कुल अंजान था....उफफफ्फ़ क्या रूप था ये उनका ...मुझे ऐसा महसूस होता हर बार के मैं अपने आप को उनके हवाले कर दूं ..उनमें समा जाऊ ..खो जाऊं उनमें .....

ऐसे ऐसे तरीके उस रात उन्होने मुझ पर आज़माए , मेरे लिए तो पहली बार था ....मुझे पहला स्वाद मिल चुका था .....ये अनुभव बताया नहीं जा सकता ....एक ऐसा अनुभव , कभी ना भुलाया जानेवाला , याद करते ही सारे बदन में रोमांच हो उठता था ....और मेरी किस्मेत कितनी अच्छी थी के किसी की जिंदगी के इतने अहम पड़ाव में मुझे अपनी प्यारी प्यारी दीदी का साथ मिला .....

उस रात हम दोनों इतनी गहरी नींद में सोए थे की कब सुबेह हुई कुछ पता ही नहीं चला ...

मैं दीदी के कमरे में ही सोया था ...सुबेह दीदी ने मुझे झकझोरते हुए उठाया ..मैं आँख मलते हुए उठा ...."क्या दीदी इतनी अच्छी नींद आ रही थी ..आप ने जगा दिया .."

" किशू ..ज़रा अपना हाल तो देख....अगर कोई इधर आ गया ..तो बस समझ क्या हाल होगा ...जल्दी उठ ..कपड़े पहेन और अपने कमरे में जा .."

मैने अपनी हालत पर नज़र डाली ......नंगा ...लंड सिकूडा ...जांघों , पेट और चेहरे पे हल्की सी पपड़ी जमी थी ..मेरे और दीदी के रस का मिश्रण ..मैं झेंप गया ..फ़ौरन उठा ..कपड़े पहने ..दीदी को फिर से जकड़ते हुए उनके होंठों को जोरदार चूमते हुए भागता हुआ निकला और अपने रूम के अंदर घूस गया ..और पलंग पर लेट गया .

मेरे दिमाग़ में रात में दीदी के साथ बिताए पल घूम रहे थे ....एक एक सीन आता , मेरे शरीर में गुदगुदी , रोमांच और मस्ती के झोंके एक के बाद एक आते जाते ...मैं उन्हें याद करता हुआ मस्ती में अपने लंड को सहला रहा था ....

पर आख़िर दीदी को इतनी सब बातें मालूम कहाँ से हुई..??? सिर्फ़ किताबों से ..?? नहीं ऐसा नहीं हो सकता .... किताबों से आप सिर्फ़ जान सकते हैं ..पर इस तरह करना ...?? उनके हाथों में जादू था ..मेरे लंड को इस तरह हिलना के मेरा पूरा बदन झंझणा उठे ..इस उसे चूसना जैसे लंड से मेरे शरीर का पूरा रस बाहर निकलने को मचल उठे ....आख़िर क्या बात है....कहाँ से सीखा उन्होने ..???

और इस बात का जवाब मिला हमें दूसरे दिन .....

उस दिन मैं शाम को जब स्कूल से आया ...घर में सन्नाटा था ..कहीं कोई दिखाई नहीं दे रहा था ....मुझे याद आया उस दिन पड़ोस में किसी के यहाँ कोई पूजा थी ..माँ और मामी वहाँ जाने की बात कर रहे थे ....शायद वो लोग वहीं गये थे ..पर दीदी ..??? उनको तो यहाँ होना चाहिए ..???

मैं उनके कमरे की ओर बढ़ा ....

क्रमशः……………………
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08-19-2018, 02:50 PM,
#14
RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--6

गतान्क से आगे…………………………….

दरवाज़ा भिड़ा था ....थोड़ी सी फाँक थी दोनों पल्लों के बीच , मैने कान लगाया ..अंदर हल्की हल्की हँसी की आवाज़ आ रही थी ....फुसफुसाहट की आवाज़ आ रही थी ..जैसे दो लड़कियाँ आपस में बातें कर रहीं हो ....बीच बीच में खीखिलाने की भी आवाज़ आती ....और कभी मस्ती में सिसकारियों की भी आवाज़ शामिल हो जाती ...

मैने दरवाज़े के पल्लों की फाँक से अंदर झाँका ...

अंदर की हालत देख मैं चौंक गया .... ये उनका एक और ही रूप था ....अंदर स्वेता दीदी और दीदी दोनों लगभग नंगे एक दूसरे की शरीर से खेल रहे थे ....एक दूसरे की चूचियाँ मसल रहे थे ..बातें भी कर रहे थे ..कभी एक दूसरे को चूम भी लेते .... ...दोनों की साड़ियाँ अस्त व्यस्त ..ब्लाउस और ब्रा से चूचियाँ बाहर निकलीं ..जांघों से उपर तक साड़ी .....

बस एक दूसरे में खोए .....दुनिया से बेख़बर ....

स्वेता दीदी , दीदी की बहुत अच्छी सहेली थीं ..उनकी शादी दो साल पहले हुई थी ..पर पता नहीं क्यूँ , अभी काफ़ी दिनों से अपनी माँ के साथ ही रहती हैं ..अपने पति के यहाँ नहीं जातीं ...

दीदी से काफ़ी घुल मिल गयीं थीं और शायद पुर मोहल्ले में दीदी की स्वेता दीदी ही एकमात्र सहेली थीं ..दिखने में ठीक ठाक थीं ..काफ़ी आकर्षक ...मीडियम शरीर ..सांवला पर चमकता चेहरा ....भारी भारी चूचियाँ और सब से आकर्षक थे उनके मचलती चूतड़ ....

उन से (स्वेता दीदी से ) मेरी कोई खास बात चीत नहीं थी ..बस ऐसे ही हाई ..हेलो ...

मैने उन दोनों को उनके खेल में डिस्टर्ब करना नहीं चाहा ... वापस लौट गया ... मुँह हाथ धो लिया ..पर मुझे जोरों की भूख लगी थी ....और दीदी थी के अपने कमरे में स्वेता दीदी के साथ अपनी भूख मिटा रहीं थीं..मेरी भूख की उन्हें परवाह ही नही थी ..

मैने वहीं बाहर से आवाज़ दी " दीदी आप कहाँ हो.....मुझे जोरो की भूख लगी है ....."

मेरी आवाज़ उन तक पहून्च गयी ..और थोड़ी देर बाद उनके कमरे का दरवाज़ा ख़ूला ...दीदी बाहर आईं ...पर अब तक उन्होने अपने आप को दुरुस्त कर लिया था ....स्वेता दीदी अंदर ही थी ..

बाहर आते ही दीदी ने मुझे गले लगाया " अले ..अले मेला बच्चा ..कब आया रे तू स्कूल से ..मुझे आवाज़ क्यूँ नहीं दी ???"

मन में तो आया के कहूँ " आआप आवाज़ कहाँ सुनती दीदी ..अंदर आप दोनों तो अपनी ही आवाज़ निकालने में मस्त जो थीं....." पर मैने कहा " नहीं दीदी बस अभी अभी आया हूँ ..पर देखा आपके कमरे का दरवाज़ा भिड़ा था ..इसलिए आवाज़ दी ....आप शायद सो रही होंगी इसलिए उठाया नहीं.."

" हां रे वो हैं ना स्वेता ..मेरी सहेली उसी के साथ मैं लेटी थी ..बेचारी बहुत दिनों के बाद तो आज आई थी ..हम लोग गप्पें मार रहे थे ....चलो मैं तुम्हारा नाश्ता लाती हूँ .."

कुछ ही देर बाद पायल दीदी हाथ में नाश्ते से भरी थाली लिए आ गयीं और रोज की तरह बैठ कर मुझे गोद में खींच कर बिठा लिया ..पर मैं उनकी गोद से उठ गया और उनके सामने ही बैठ गया ..दीदी चौंक पड़ीं ..

"ये क्या किशू ..???क्या हुआ ..क्यूँ उठ गया.....मैने नाश्ते में देर की इस वजेह से गुस्सा है मेरे से ..??? ""

"नहीं दीदी ...मैं गुस्सा नहीं हूँ..!" मैने कहा

" फिर क्या बात है ..??"

" अब ऐसे गोद में बैठ मुझे खाना अच्छा नहीं लगता ..." मैने अपनी नज़रें झूकाते हुए कहा ...

" पर क्यूँ ..?? अभी तक तो तुझे बड़ा अच्छा लगता था...आज क्या हुआ ..??"

" मुझे शर्म आती है .." मेरी नज़रें अभी भी झूकि थीं

ये सून कर दीदी जोरों से हंस पड़ीं ....

" ह्म्‍म्म्म तो ये बात है..अब मैं समझी ..कल रात के बाद से तू काफ़ी बड़ा हो गया है ....हाँ रे बड़ा तो तू हो ही गया है .. काफ़ी बड़ा ....."मेरे लंड की ओर देखते हुए उन्होने कहा ..और हँसने लगीं...मैं झेंप गया .....

"पर जब रात में मेरे सामने नंगा पड़ा था तो शर्म नहीं आई ..???" उनके चेहरे पर एक बहुत ही शरारत भरी मुस्कान थी ..

" उस समय की बात और थी दीदी..आप भी तो नंगी थी ..हिसाब किताब बराबर थी.." मैने भी उनको आँखों में देखते हुए कहा .

" वाह रे मेरे भोले राजा ..एक ही दिन में तो तू बहुत बड़ा हो गया है..बातें भी बड़ी बड़ी कर लेता है ...ठीक है बाबा ..चल मेरे हाथ से नाश्ता तो करेगा ना ...???" उन्होने बड़े प्यार से अपने हाथ में नीवाला ले मेरी ओर बढ़ाया ..

मैने झट मुँह खोल नीवाला मुँह में ले लिया , और कहा

" दीदी ..मेरा वश चले तो आप के हाथों से जिंदगी भर ऐसे ही ख़ाता रहूं ...हां दीदी ..जिंदगी भर ..." और मैं उनकी ओर एक टक देख रहा था

उनकी आँखें भर आई ..मेरी बात सुन कर ...

उनका गला भर आया

"जिंदगी भर कहाँ रे.....अब तो मैं बस और कुछ ही दिनों की मेहमान हूँ यहाँ ..फिर किसके हाथ से खाएगा .." दीदी अब रो रहीं थी ...और मुझे खिलाए भी जा रही थी..

" दीदी प्ल्ज़्ज़ रो मत ...नहीं तो मैं नहीं खाऊंगा ...जब जाओगी तब देखी जाएगी..अभी तो हम साथ हैं ना ..??"

" हां रे ..तू शायद ठीक कह रहा है...अब मेला बच्चा सही में बड़ा हो गया है...."

मैने उनकी आँखो से आँसू पोंछे ..और उनके हाथ से नीवाला ले खाता रहा.....

तभी उनके कमरे से स्वेता दीदी निकलीं ..दरवाज़ा एक दम से खोलते हुए .....

"वाह वाह ..क्या प्यार है भाई बहन में .... अरे पायल मैं भी हूँ , यहाँ ...कब से अंदर इंतेज़ार कर रही थी तेरा ..पर तू तो बस ....खोई है भाई के साथ ."

मेरी नज़र उन पर पड़ी ....आलमास्त जवानी का नमूना थी स्वेता दीदी ..उनके बोलने का लहज़ा ऐसा कि मानो सारा कमरा खिलखिला उठा हो.......बहुत हँसमुख और खूली खूली .... जो अंदर था ..वो बाहर भी ....हर जागेह सही उभार ...बलके थोड़ा ज़्यादा ही ..लगता था जैसे मेरे जीजू ने काफ़ी इस्तेमाल किया था उनकी उभारों का .साड़ी से बाहर निकलने को बस तैयार ....

मैं उन्हें घूरे जा रहा था ....

तभी उन्होने कहा " अरे क्या घूर रहा है मुझे ..अपनी पायल दीदी को घूर ना ....अपनी आँखों में बसा ले अछी तरह ........" और हँसने लगीं ....

" तू भी ना स्वेता .. चूप कर ..थोड़ी देर रुक ..किशू का खाना हो गया है ... तू अंदर बैठ मैं बस आई ...." दीदी ने स्वेता दीदी की तरफ घूरते हुए कहा ....

" ठीक है बाबा जाती हूँ ..जाती हूँ ...मैं भला तुम दोनों के बीच कबाब में हड्डी क्यूँ बनूँ ....है ना किशू..???" और फिर मेरी तरफ बड़े प्यार से देखते हुए जैसे आई वैसे ही दरवाज़ा जोरों से बंद करते हुए अंदर चली गयीं ..

" उफफफफफफफफफ्फ़.. एक दम तूफान है ये लड़की .....अच्छा किशू अब तू हाथ मुँह धो ले और अगर बाहर खेलने जाना है तो जा ..मैं ज़रा स्वेता से बातें कर लूँ ...." और फिर मेरी तरफ भेद भरी निगाहें डालते हुए कहा " तू पूछता है ना हमेशा , मैने वो सब बातें कहाँ से सीखीं? तो सून ये ही हैं मेरी गुरु.........." और फिर मुस्कुराते हुए अंदर चली गयीं .

मैं सोचता रहा जब चेली इतनी मस्त हैं तो फिर गुरु का क्या हाल होगा ...अल्मस्त .....!!!

मैने हाथ मुँह धोया और बाहर निकल गया दोस्तों के साथ खेलने...

खेल कूद कर शाम को वापस घर आया ..तब तक माँ और मामी भी पड़ोस से वापस आ गये थे ....और दीदी उनके साथ बातें कर रही थी....

मैं चूप चाप अपने कमरे में चला गया और फ्रेश हो कर पढ़ाई में लग गया ..

उस दिन होम वर्क काफ़ी ज़्यादा मिला था .और कुछ डिफिकल्ट सम्स भी मुझे सॉल्व करने थे जिन्हें मैं क्लास में नहीं कर पाया था ......मैं काफ़ी देर तक इन्ही सब में जुटा रहा ...

तभी दीदी अंदर आईं और बहुत खुश थीं मुझे पढ़ाई में इतना तल्लीन देख ....

"हां किशू .... बस ऐसे ही मन लगा कर पढ़ .....अच्छा चल अब खाना खा ले ..देख अभी वहाँ बुआ और माँ भी हैं ..कुछ ऐसी वैसी हरकत मत कर बैठना ..... "

" कैसी हरकत दीदी ..???" और मैं हरकत में आ गया ... उन्हें अपने से चिपकाते हुए उनकी चूचियाँ मसल्ने लगा और उनके होंठ पे अपने होंठ लगाए जोरों से चूसना शुरू कर दिया .

दीदी ने भी मुझे अपनी बाहों से लगा लिया ..दोनों एक दूसरे से चिपके रहे इसी तरह ..की दीदी ने मुझे झट अपने से अल्ग किया ...वो हाँफ रही थी ..उनकी सांस उखड़ी थी ..पर फिर भी उन्होने कहा

" ह्म्‍म्म्मम..तू अब सही में बड़ा हो गया है रे ......

बस येई ..जो तू अभी कर रहा था...वहाँ ज़रा शांत रहना ...." और अपना हाथ नीचे करते हुए मेरे लंड को जोरों से मसल दिया ..मेरे मुँह से "आआआआआआआह्ह्ह्ह डीडीिईईई ..." निकला

" बस जल्दी एयेए ..मैं टेबल पर तेरा इंतेज़ार कर रही हूँ ..." और हंसते हुए बाहर चली गयी....दीदी के अंदाज़ भी निराले थे .....

मैं रूम से बाहर निकला ..दीदी डाइनिंग टेबल पर मेरा इंतेज़ार कर रहीं थी ....पर साथ में माँ और मामी भी बैठीं थी ..

मैने दीदी की ओर एक शुक्रिया से भरी नज़रों से देखा ...इसलिए कि उन्हें मेरे उनके गोद में ना बैठने की बात याद थी ..और उन्होने खाना टेबल पर लगाया था. मैं उनकी बगल वाली कुर्सी पर बैठ गया..

मैने देखा दोनों माओं के आँखों में अश्चर्य था ....

"अरे क्या बात है पायल....आज किशू तेरी गोद के बजे कुर्सी पर बैठा है ..???" मेरी माँ ने दीदी से पूछा..

" हां बुआ ...अब हमारा किशू बड़ा हो गया है..उसे गोद में बैठना अच्छा नहीं लगता ..." दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा ..

दोनों माएँ ज़ोर से हंस पड़ी और मामी ने कहा " हां पर तू भी तो अब ज़रा इन बातों का ख़याल रख ...अब तू ससुराल जानेवाली है ...देखो किशू को तेरा कितना ख़याल है...तू तो बस बच्ची बनी है अभी तक ....."

" चलो अच्छा है दोनों अब बड़े हो रहे हैं .." माँ ने जवाब दिया ....

तभी दीदी ने अपना कमाल दिखा ही दिया ..टेबल के नीचे एक हाथ डाल कर मेरे लंड को जोरों से दबा दिया .....इस एक दम से हमले से मैं उछल पड़ा ......

पर माँ और मामी को कोई शक़ ना हो ...इसलिए हालात पर क़ाबू रखते हुए मैने कहा " अरे माँ नीचे लगता है कोक्रोच मेरे पैर पर चल रहा था.....ज़रा टेबल के अंदर नीचे से कल फ्लिट डाल देना ...."

दीदी मेरी बात से हैरान थी ...और आँखों ही आँखों में उहोने मुझे शाबाशी दे दी और अपने हाथ की पकड़ और भी मजबूत कर ली ..और दूसरे हाथ से मुझे खिलाना शुरू कर दिया ..उनके हाथ के कमाल से मैं सिहर रहा था ....

" हां बेटा ..हो सकता है ...फ्लिट डाले भी काफ़ी दिन हो गये हैं ..मैं कल ही इसकी सफाई कर दूँगी ...तुम दोनों खाओ इतमीनान से ..मैं गरम रोटियाँ लाती हूँ ."

और दोनों औरतें चली गयीं किचन के अंदर .

"उफफफफफफ्फ़ दीदी आप भी ना ......अगर कहीं किसी ने देख लिया होता..????"

" ऐसे कैसे देख लेती ....और अब तू तो बड़ा हो गया है ना ....देख कैसे सब संभाल लिया तू ने .." अब मेरे लंड को अच्छी तरह दबा दबा के सहला रही थी और खाना भी खिलाए जा रही थी .....

मैने भी मौके का फ़ायदा उठाया और अपना हाथ भी टेबल के नीचे से उनकी जांघों के बीच ले जाते हुए उनकी चूत को उंगलियों से दबाना शुरू कर दिया .....अब उछलने की बारी उनकी थी ....पर वहाँ हम दोनों के अलावा और कोई नहीं था .....

हम मज़े लेते हुए खा रहे थे .....

तभी मामी गरम रोटियाँ लिए किचन से बाहर आईं ...टेबल पर रख दी और अंदर चली गयीं ..

हम दोनों अब सम्भल कर बैठ गये थे और जल्दी ही खाना हो हो गया ..मैं उठ गया

दीदी भी उठ गयी और उन्होने फुसफूसाया " मेरा दरवाज़ा भिड़ा रहेगा ..तू आ जाना ..रात में .."

मैने हां में सर हिला दिया .....

अपने कमरे में मैने अपनी बाकी की पढ़ाई पूरी कर ली ..10 बज चूके थे ....

मैं दीदी के कमरे की ओर चल पड़ा....... आज मन में बहुत गुदगुदी सी हो रही थी .... सोचते ही मेरा लंड खड़ा हो रहा था ..मैने हाथ से हल्के हल्के लंड पॅंट के उपर से ही सहला रहा था ..बड़ा मज़ा आ रहा था ..अंदर झाँका तो देखा मामी और दीदी बैठे बातें कर रहे थे ...मैं भी उनके साथ बैठ गया ...

बातें दीदी की शादी के गहनों के बारे हो रही थी ..... थोड़ी देर मैं सुनता रहा ..पर ना जानें क्यूँ आज मुझे उनकी शादी की बात अछी नहीं लगी ..इसलिए नहीं के वो मुझ से दूर हो जाएँगी ..पर शायद इसलिए के वो अब वो सब जो मेरे साथ करती हैं ...किसी और के साथ करेंगी ...मेरा मन जाने क्यूँ गुस्से से भर उठा ..और मैं वहाँ से अचानक उठ गया .

दीदी ने कहा "किशू ..बैठ ना कहाँ जा रहा है ....."

पर मैं उनकी बात अनसुनी करते हुए सीधा अपने कमरे में आ गया ....

थोड़ी देर बाद दीदी मेरे कमरे में आईं ....मैं लेटा था ....उन्होने पहले तो मेरे कमरे के दरवाज़ों को बंद किया ..और फिर मेरे बगल मे आ कर लेट गयीं ...और मेरे बालों को सहलाते हुए पूछा ..

"क्या हुआ किशू ..? तू वहाँ से क्यूँ वापस आ गया..क्या मेरी माँ वहाँ थी इसलिए ..???"

" नहीं दीदी....!"

"फिर क्या बात है ..बता ना ..प्लज़्ज़्ज़ ...मुझ से कुछ मत छुपा किशू ..मैं खुद इतनी परेशान हूँ अपनी शादी की बात से , और तू ये सब क्या कर रहा है..??"

" हां दीदी मैं भी परेशान हूँ आपकी शादी से ...."

" पर तू क्यूँ परेशान है..? तू तो खुश था मेरी शादी की बात से ....??"

" दीदी ........"

"हां हां किशू बोल ना ..."

"दीदी शादी के बाद आप जीजा जी के साथ भी तो वोई सब करेंगी ना ....जो मेरे साथ करती हैं ..???"

दीदी ने अपनी भवें सिकोडते हुए कहा

"हां रे करूँगी तो ज़रूर .."

" आप के शादी के गहनों की बात से मुझे अब ये लगा के आप की शादी सही में हो रही है ..... और आप किसी और के साथ ये सब करेंगी......मुझे अच्छा नहीं लगा ...मुझे बहुत गुस्सा भी आया ......." मैने दीदी से सारी बात कह दी ..ना जाने क्यूँ मैं उन से कुछ छुपा नहीं सकता था ...

" ह्म्‍म्म तो ये बात है ..... तू मुझे इतना प्यार करता है रे किशू ..??? तू मुझे किसी और के साथ नहीं देख सकता ..?? "

" हां दीदी .....मैं आप से बहुत प्यार करता हूँ ..बहुत ..."

" मैं भी तो उतना ही प्यार करती हूँ किशू ....."

और मैं उन से लिपट गया , उन्होने भी मुझे अपनी बाहों में भर लिया ..हम दोनों हिचकियाँ ले ले कर रो रहे थे ....एक दूसरे को चूमे जा रहे थे ..बार बार बाहों में जकड़े जा रहे थे ..मानों कभी अलग ना हों ...... दोनों के आँसू मिल कर एक हो रहे थे .....दोनों का गम एक था .....

काफ़ी देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे एक दूसरे को चूमते रहे ..... सुबक्ते रहे ....

क्रमशः……………………
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08-19-2018, 02:50 PM,
#15
RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--7

गतान्क से आगे…………………………….

हम दोनों एक दूसरे को बार बार चिपकते , गाल चूमते ...होंठ चूमते ..एक दूसरे के पैरों से पैर मिला जाकड़ लेते ..मानों कभी अलग नहीं होना चाहते ....

दीदी सिसकते सिसकते कहती जातीं " हां रे शादी के बाद मेरा सब कुछ तेरे जीजा जी का होगा ..पर मेरा मन तो तेरा ही रहेगा ना किशू ..बिल्कुल तेरा ......हमेशा ..सारी जिंदगी .....तू ही तो मेरा सब कुछ है ...मेरी जिंदगी है रे..."

और फिर दीदी ने झट अपनी ब्लाउस और ब्रा उतार दी , मेरे सर अपने हाथों से थामते हुए अपने सीने से चिपका लिया ..मेरा चेहरा उनकी गुदाज , कड़ी पर फिर भी मुलायम चूचियों में धँस गया ......

अपनी चूची अपने हाथ से थामते हुए उसे मेरे मुँह में डाल दिया "ले ..मेला बच्चा ..पी ...देख कितनी गर्मी है तेरे लिए मेरे अंदर ....."

मैने भी अपना मुँह खोलते हुए होंतों के बीच उनकी चूची थामते हुए बूरी तरह चूसने लगा ......" हां दीदी बहुत गर्मी है यहाँ ..लग रहा है जैसे तुम मेरे अंदर आती जा रही हो ....." और सही में मुझे ऐसा महसूस हुआ उनकी चूची नहीं मैं उनकी जान , उनके दिल की धड़कन ..उनका पूरा अस्तित्व सब कूछ अपने अंदर समाए जा रहा हूँ .....एक अद्भुत अनुभव था ...

मैं लगातार चूसे जा रहा था ...चूसे जा रहा था , पूरे कमरे में चप चप की आवाज़ आ रही थी ..

" हां रे किशू बस चूस ..चूस ..मुझे पूरा चूस ले , निचोड़ ले ..भर ले अपने अंदर ....."

फिर उन्होने अपनी दूसरी चूची भी मेरे मुँह में लगा दी ......उफफफफफफफ्फ़ हम दोनों जैसे एक दूसरे के लिए पागल थे ..

इसी दौरान पता नहीं कब और कैसे दीदी ने अपनी साड़ी और पेटिकोट भी उतार दी थी और मेरे पॅंट के बटन भी खोल रही थी ..एक झटके में ही उन्होने मुझे भी नंगा कर दिया और मुझे अपने उपर करते हुए चिपका लिया बूरी तरह .......

हम दोनों के बीच अब हवा भी नहीं जा सकती ....उन्होने अपनी टाँगें भी मेरे जांघों पर रखते हुए वहाँ भी जाकड़ लिया ..मेरा कड़ा लंड उनकी चूत की दीवारों में रगड़ खा रहा था .....

एक एक अंग एक दूसरे से चिपका एक दूसरे को महसूस कर रहा था ...एक दूसरे को अपने में समा रहा था ......

अब दीदी ने मेरा चेहरा अपनी हाथों से थाम लिया .....अपनी जीभ मेरे मुँह के अंदर डाल दी और मुझ से कहा

" ले ले ......किशू ..तू ने छाती का रस तो पी लिया ना ..अब ले मेरे मुँह का रस भी ले ले ......चूस मेरी जीभ ..अच्छे से चूसना ..मेरा पूरा लार ..मेरा पूरा थूक ....सब कूछ ले ले ..कुछ मत छोड़ना ..है ना .....??"

"हां दीदी ..आज मैं आप का सब कुछ अंदर ले लूँगा ...सब कुछ ...आख़िर ये सब तो मेरा ही है ना दीदी ......"

और दीदी की जीभ चूसने लगा ... दीदी अपनी जीभ गीली करती जातीं और मैं चूस्ता जाता ...उफफफफफफफफफ्फ़ मैं मस्ती में था ..उनके लार का स्वाद अमृत जैसा था ..मैं पिता जा रहा था ..चूस्ता रहा था ......मैने अपनी जीभ भी उनके गालों के अंदर , उनके तालू , उनके कंठ तक ले जाता और चाट ता जाता ..हम एक दूसरे की हर चीज़ अपने अंदर ले रहे थे..

"हां हाआँ किशू ...चाट ले ...चाट ले ......अच्छा लग रहा है ना ..??? "

"हां दीदी बहुत अच्छा लग रहा है ...."

फिर दीदी ने अपना हाथ मेरे कड़क लंड पर ले गयीं ......उसे जाकड़ लिया ..उनकी चूत से तो बस लगातार पानी रिस रहा था ..अपनी गीली ऊट में अपने हाथों से मेरा लंड घिस रही थी ...... उनका चूतड़ उछल रहे थे .....अंग अंग कांप रहा था ..सिहर रहा था ..

मस्ती में वो कुछ भी बोले जा रही थी ..मैं भी आनंद और मस्ती में सराबोर था ......

मैं लगातार उनके मुँह के अंदर चाट रहा था उनकी जीभ चूस रहा था ...फिर मैने महसूस किया मेरा लंड उनके चूत की रस से बूरी तरह भीग गया था .....पूरी तरह गीला था .....

" दीदी ....आपकी चूत चाटने का मन कर रहा है ..देखिए ना कितना गीला है ..उसका रस भी अंदर लेना है.."

" अरे तो रोका किस ने है किशू ..??"

और उन्होने अपनी टाँगें फैला दी और अपनी उंगलियों से अपनी चूत की फांके भी चौड़ी कर दी

" आ जा ..मेला बच्चा .....चूस ...जो जी में आए चाट ले ..जहाँ जी में आए चूस ले ....ले एयेए "

मैं अपनी जीभ उनकी चूत में ले जाते हुए उनकी खूली , गुलाबी फांकों के अंदर डाल दी और लपा लॅप..सटा सॅट चाटने लगा ...... पूरी गीली चूत का रस अब मेरे मुँह के अंदर जा रहा था .....दीदी ने भी अपने चूतड़ को उपर कर लिया था और मेरे सर को थामते हुए चूत में धंसा लिया था..

मैं कभी चूस्ता , कभी चाट ता कभी अपने होंठों से उनकी चूत की पंखुड़ीयाँ दबा लेता ....

" हां ..हां किशू ..तू अब काफ़ी कुछ सीख गया है .....बस ऐसे ही करता रह ...उफफफफफफ्फ़ ....तू सही में मेरी जिंदगी है रे ....सही में ...देख ना तेरे जीजा मुझे चोद के भी इतना मज़ा नहीं दे सकते ..जितना तू सिर्फ़ चूस चूस के दे रहा है ....है....उूउउइईई माआआं .....आआआआः ....हां ..."

उनके मुँह से चोद्ना शब्द सुन ते मेरा लॉडा एक दम से फॅन फ़ना उठा ..और मैं काफ़ी उत्तेजित हो गया , मेरे उनकी चूत को चाटने की स्पीड बढ़ गयी ....

दीदी चूतड़ उछाल रही थी ....मेरे सर को जकड़ी थी अपनी टाँगें मेरी पीठ पर रखे मुझे अपनी ओर खींच रही थी .....मेरे में समान जाना चाह रही थी ..... सिसकारियाँ और आहों से कमरा गूँज रहा था ......

और फिर " हाइईइ रीईईईईई.....उफफफफफफफफफफफफ्फ़ किशुउऊुुुुुुुुुुुुुुुुउउ ले ले मेरी पूरी चूत ले ले ......आआआआआआआआआअ...." और जोरों से चूतड़ उछलते हुए एक जोरदार रस की फुहार मेरे मुँह पर छोड़ दिया उन्होने ...दो तीन जोरदार उछाल मारी उनकी चूतड़ ने , मेरा पूरा मुँह उनके रस से भर गया , और वह शांत हो कर पड़ गयीं ....

मेरा लंड पूरी तरह आकड़ा था ....

मैं हाथ चला रहा था , दीदी ने देखा ...वो झट से उठीं और मेरे लौडे को अपने हाथों में ले लिया ..उनकी गरम गरम हथेलियों के छूने से मेरा लॉडा और भी अकड़ गया ...लॉडा हाथ में थामे पहले उन्होने जीभ चलाते हुए मेरे मुँह में लगे अपनी चूत रस को चाटा और फिर मेरे लौडे को मुँह में डालते हुए कहा " वाह रे मेरा रस तो तू पी गया ...और अपना रस ऐसे ही हाथ से बाहर गिराएगा और वो भी मेरे सामने ........?????"

और उन्होने अपने होंठों से जकड़ते हुए बूरी तरह मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया ...अपने हाथ से सहलाती भी जातीं .......मैं तो वैसे ही काफ़ी एग्ज़ाइटेड था ..और दीदी के होंठ और जीभ के कमाल के सामने टिक नहीं पाया ...और मैने भी अपनी पिचकारी उनके मुँह मेी छ्चोड़ दी .......

उनका पूरा मुँह भर गया ...उन्होने एक भी बूँद बाहर नहीं गिरने दी ..पूरे का पूरा गटक गयीं ..और जो भी मेरे लंड में लगा था ..जीभ से सॉफ कर दी ....
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08-19-2018, 02:50 PM,
#16
RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
हम फिर एक दूसरे से चिपके थे .....आँसू ने रस का रूप ले एक दूसरे को अंदर और बाहर से पूरी तरह सराबोर कर दिया था ....

हम उसी रस की मिठास , मधुरता और मादकता एक दूसरे की बाहों में महसूस किए जा रहे थे ..एक ऐसे सूख और आनंद में डूबे थे ..जिसे बताया नहीं जा सकता ..सिर्फ़ महसूस किया जा सकता था ..और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में इसे महसूस कर रहे थे ....

मैने लेटे लेटे ही दीदी की टाँगों पर अपने पैर रख लिए ..दीदी आँखें बंद किए सूस्त पड़ी थी ...

मैं बस उन्हें निहारे जा रहा था ....मेरे लिए अगर कोई सुंदरता की छवि थी तो दीदी की छवि थी ,सुंदरता की देवी थी मेरे लिए ...... मैं उनको अपनी आँखों में ..अपने दिल में , अपने रोम रोम में बसा लेना चाहता था ..इतना के फिर कभी जिंदगी में मुझ से अलग ना हो पायें ...हर वक़्त मैं उनको महसूस करता रहूं...........

मैं बिना पलक झपकाए उन्हें ताक रहा था..

फिर मैं अपने सर को उठाता हुआ अपने होंठ उनके होंठों से लगाया और लगा बेतहाशा चूसने .......

दीदी ने आँखें खोल दी और मेरी तरफ देख रही थी.....वो समझती थी सब कुछ,

जैसे मेरे मन के अंदर झाँक रही थी ......मेरी ललक .मेरी तड़प , मेरी चाहत अपने लिए , वे सब समझती थी ....उन्होने चूपचाप अपने होंठ और फैला दिए ..मुँह और खोल दिया

"हाआँ किशू चूस ले .....जी भर ले अपना.......जब तक मैं हूँ यहाँ मुझे निच्चोड़ ले , समा ले अपने अंदर ....मैं हमेशा तेरे अंदर रहूंगी ....."

और मैं उनके उपर आ गया उनसे फिर बूरी तरह लिपट गया , टाँगों से टाँगे ..हाथों से हाथ , छाती से छाती , होंठों से होंठ ..एक एक अंग एक दूसरे को अपने में समा लेने की पुरजोर कोशिश में जूटा था..

हम सिसक रहे थे ..कराह रहे थे ..तड़प रहे थे एक दूसरे की बाहों में , एक अभुत्पूर्व आनंद में डूबे थे....

मैं अपने एक हाथ से दीदी की हथेली को जोरों से थामे था , मसलता जा रहा था ....इसमें भी एक अजीब ही आनंद था.....दीदी मुँह के अंदर ही अंदर सिसकारियाँ भर रही थी..तभी मेरा हाथ नीचे उनकी चूत पर पहून्च गया ..और मैं उसे सहलाने लगा और मेरी उंगलियाँ उनकी चूत के काँपते और थरथराते होंठों से होती हुई उनकी बिल्कुल गीली चूत के होल पर पहून्च गयी,

मैने कौतूहलवश दीदी से पूछा " दीदी ये होल क्या है..क्या इसी के अंदर लंड जाता है ???"

" उफफफफफफफफफ्फ़.........." वहाँ मेरी उंगली के स्पर्श से ही दीदी मचल उठीं " अरे भोले राजा येई तो सब कुछ है रे.......येई तो हमारा सब से बड़ा खजाना है .....तुम्हारे जीजू इसी होल के अंदर अपना लंड डालेंगे और मेरी सील तोड़ेंगे ....."

" ये सील का क्या मतलब दीदी..??"

दीदी ने अपनी उंगलियों से अपनी टाइट चूत फैला दी....और टाँगें भी ..देख ले अंदर ..."हर कुँवारी लड़की की चूत के अंदर एक पतली झिल्ली होती है ......उसे ही मैने सील कहा ....जो पहली बार लंड अंदर जाने से टूट ती है ..और लड़की का कुँवारापन टूट जाता है ...."

मैने अंदर झाँका ..मुझे कोई सील तो नहीं दिखाई दी पर जो दिखाई दी , उतने से ही मेरा लॉडा तंन हो गया था...

अंदर कितना मुलायम था...गुलाबी , पानी रिस रहा था, गुलाबी दीवारों पर रस ऐसे दिखते जैसे चमकते हुए मोतियों के दाने ...दीदी भी बातें करते इतनी मस्त हो गयीं थी के उनकी चूत की दीवारें अंदर फडक रही थी....

मेरा मन किया की मैं अपना लंड अंदर डाल दूँ .....पर मैं तो दीदी से बहुत प्यार करता था ना ..मैं कैसे उनका ये अनमोल खजाना ले सकता था..ये तो उनके पति के लिए ही था ....मेरा उस पर अधिकार नहीं था....मैं उनके सुहागरात का मज़ा कम नहीं करना चाहता..

"दीदी ये अनमोल ख़ज़ाना तो आप जीजा जी के लिए ही संभाल के रखो ...मेरा तो बहुत मन करता है अपना लंड अंदर डाल दूँ....मैं तड़प रहा हूँ दीदी ...."

"हां रे मैं समझती हूँ ..पर तू नहीं जानता मैं कितनी खुश हूँ तेरी बातों से ..मेला बच्चा सही में कितना समझदार है ..और मुझ से इतना प्यार और कोई नहीं कर सकता ....किशू ...पर तू निराश मत होना ..मेरे राजा ......तुम्हारे जीजा जी के बाद सिर्फ़ तुम्हीं ऐसे इंसान रहोगे जिसे मैं अपनी चूत का मज़ा दूँगी और ऐसा मज़ा दूँगी के बस ......तू जिंदगी भर याद रखेगा ........"

"हां दीदी मैं भी अपना एक एक पल उस दिन के इंतेज़ार में गुज़ार दूँगा ....हां दीदी..आप देखना मैं अपनी शादी भी जब तक आपकी चूत में अपना लंड नहीं डाल लेता..नहीं करूँगा.."

और मैने अपना हाथ उनकी चूत से हटा लिया और उस हाथ से उनकी दूसरी हथेली भी जाकड़ ली..और उनसे फिर से चिपक गया और उनकी चूची मुँह में भर चूसने लगा ....... मेरा लॉडा एक दम कड़क हो कर उन के जांघों और पेट से रगड़ खा रहा था.....मचल रहा था अंदर जाने को...

दीदी ने मेरी बेचैनी भाँप ली थी..

"अले अले मेला बच्चा ..इतनी बेचैनी..? अरे मेरे पास चूत के सिवा भी बहुत कुछ है किशू .तेरे लंड की बेचैनी मिटाने के लिए .....आख़िर तेरी स्वेता दीदी की ही तो चेली हूँ ना ....."

और वह पलंग के सिरहाने तकिया रख , उस पर अपनी पीठ टिकाए अपनी दोनों चूचियाँ हाथों से थामते हुए मुझ से कहा

" ले किशू चोद मेरी चूचियों के बीच..दोनों चूचियों के बीच अपना लंड पेल दे और ऐसे चोद जैसे तेरा लंड मेरी चूत के अंदर हो ...चल जल्दी कर आ जा .."

और मैं अपने घूटनों के बाल बैठ अपने हाथ से लंड थामते हुए उनकी चूचियों के बीच डाल कर लगा ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा ....

उनकी मुलायम गुदाज चूचियों के बीच लंड से चोदे जा रहा था ..मुझे नहीं मालूम था चूत की चुदाई कैसी होती है ..पर ये चुदाई उस से कम नहीं होगी इतना मुझे मालूम हो गया था

मेरा लंड चूचियों को चोद्ता हुआ उनके मुँह तक पहून्च जाता और दीदी ने फिर अपना कमाल दिखा दिया ..उन्होने मेरे सुपाडे को अपनी लप्लपाति जीभ से चाटना भी शुरू कर दिया ..

उफफफफफफफफफ्फ़ ये कैसी चुदाई थी..जिसमें चोद्ने और जीभ से चटाने ..दोनों का मज़ा मिल रहा था

मैं लगातार उनकी चूचियाँ चोद रहा था ....दीदी अपने हाथों से चूचियों को ज़ोर ..और ज़ोर और जोरों से दबाती जाती और मेरा लंड जैसे जैसे अंदर जाता मैं सिहर उठ ता , कांप उठता ..और जीभ की चटाई से मज़ा और भी बढ़ जाता ....

"हां ...हां ...किशू...हाआँ ..बस ऐसे ही धक्के लगा...उफफफफफफफफफफ्फ़ ..आआआआ......आ ज़ाआाआ....अपना पूरा रस मुझ पर छ्चोड़ दे.......आ जाआ........एयेए जाआ...मेला बच्चा ..."

दीदी की ऐसी बातों से मैं और भी एग्ज़ाइटेड होता जा रहा था.......

मेरा चोद्ना और भी तेज़ हो जाता ........

और फिर मैं टिक नहीं सका ..मेरी पिचकारी छूटने लगी ..दीदी की छाती पर..उनकी चूचियों पर , उनके मुँह पर ..मैं झटके पे झटका देते झाड़ रहा था ..मेरा पूरा बदन अकड़ता हुआ खाली होता जा रहा था

दीदी ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया...."हां हां मेला बच्चा .....आ जा ..आ जा " मेरे सर को अपने सीने से चिपका लिया, मेरे बाल सहलाने लगी ....."अच्छा लगा ना ....???."

"हां दीदी बहुत अच्छा लगा"..मैं हाफते हुए कहा और उनके सीने पर सर रखे अपने आप को उनके हवाले कर दिया .......

"किशू..किशू .....मैं तेरी कर्ज़दार हूँ रे ...मैं अपना क़र्ज़ ज़रूर चूकाऊँगी एक दिन ..ज़रूर ..मेला बच्चा ..मेला बच्चा ...." वो मुझे चूमती जातीं ...मेरे बाल सहलाए जाती और प्यार और, आभार के आँसू बहाए जा रही थी..मैं उन आँसुओ से सराबोर ....एक असीम आनंद में डूबता जा रहा था .....

हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे , एक दूसरे को महसूस कर रहे थे ....पता नहीं कब दोनों एक दूसरे की बाहों में ही नींद की बाहों में खो गये ...

जब नींद अच्छी आती है तो खूल भी जल्दी ही जाती है......मैं सुबेह तड़के ही जाग गया ....दीदी अभी भी मेरी बाहों में सो रही थी...चेहरे पर ज़रा भी शिकन नहीं ....जैसे कितनी शांत हों...........उनकी चूचियों, छाती और चेहरे पर अभी भी मेरा रस लगा था..मैं अपने हाथ उनकी पीठ से लगाता हुआ उन्हें अपनी ओर उपर खींच लिया और अपनी लप्लपाति जीभ से चाट चाट कर सफाई करने लगा..क्या सोंधा सोंधा टेस्ट , और साथ में दीदी के शरीर का अपना एक अलग टेस्ट , उनके हल्के हल्के पसीने का स्वाद ..उनके बदन की खूशबू ...उफफफफफफफफफ्फ़ एक अजीब ही नशा सा छा गया...... ..मैं जोरों से चाट रहा था...दीदी की आँखें खूल गयीं, एक नज़र मेरी तरफ डाला..और फिर मुस्कुराते हुए आँखें बंद कर लीं और लेटे लेटे मेरे चाटने का मज़ा ले रही थी.........मेरा लॉडा सुबेह सुबेह तो ऐसे ही कड़क रहता है और आज जब पायल दीदी मेरी बाहों में थी मेरा लंड और भी कड़क हो गया........अब तक दीदी भी जाग गयीं ......उन्होने मंद मंद मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और चूप चाप लेटी रहीं ....... मेरी हरकतों का मज़ा ले रहीं थी...

मैने उनकी जांघों को आपस में मिला दिया ..अपना लॉडा उनकी जांघों के बीच , पेल दिया और लगा उनकी जांघों के बीच उनको चोद्ने .......उफफफफफफफफ्फ़ .........क्या मस्त जंघें थी उनकी...मांसल , सॉफ्ट , गुदाज ...और साथ में उनकी चूचियाँ , उनके होंठ , उनका पेट ...उनकी नाभि ..चाट ता जाता ......

दीदी कितनी अंडरस्टॅंडिंग थीं ...मेरी हालत वह समझ रही थी ..उन्होने अपनी जांघों को और भी टाइट कर लिया .......उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ...मैं पागल हो उठा था ..मैने उन्हें अपने से बूरी तरह चिपका लिया और जोरदार धक्के पे धक्का लगाए जा रहा था..जैसे आज के बाद और कुछ नहीं .....

क्रमशः……………………
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08-19-2018, 02:50 PM,
#17
RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--8

गतान्क से आगे…………………………….

दीदी अपनी अलसाई आवाज़ में कहती जातीं .."वाह रे वाह ..तू भी कितना कुछ सीख लिया ...मेरी हर जागेह चुदाइ कर रहा है .. देख ना एक चूत के ना मिलने से तुझे और कितनी नयी नयी जागेह मिल रही है मुझे चोद्ने को...........हाां चोद रे किशू ...चोद ले रे ..जहाँ जी चाहे चोद ..सब कुछ तेरा ही तो है ....हाआँ अपनी ख्वाहिश पूरी कर ले..मैं भी तुझे खुश देखना चाहती हूँ ..... आआआहह चाट और चाट ..और चूस ....उईईईईईईई .....हाआँ मेरी नाभि के अंदर जीभ घूसा ...हाआँ ........जीभ से वहाँ भी चोद .....उफफफफफफफफफफ्फ़ ...........आाआऐययईईई.....हाँ हां ऐसे ही ....." वह अपना पेट और उपर कर लेती ..जिस से मेरी जीभ और भी अंदर घूस जाती उनकी नाभि में ....

और मेरा चाटना , चूसना , जांघों को चोद्ना ज़ोर और ज़ोर पकड़ता गया ..उनकी जंघें टाइट और टाइट होती गयी....उनकी जंघें मेरे लौडे के रस से इतनी गीली थीं के मुझे लंड पेलने में कोई दिक्कत नहीं होती ..एक दम मक्खन जैसा था

दीदी की चूत से भी लगातार पानी रिस रहा था, उन्हें अपनी नाभि में मेरे जीभ का चलाना बहुत ही एग्ज़ाइट कर रहा था .....

अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर मस्ती में डूबी थीं ..और मैं उन्हें उनके पेट से उनको जकड़ा था , मुलायम और सपाट पेट ....जीभ नाभि के अंदर डाल देता ..और लंड जांघों के बीच एक अजीब मस्ती के सफ़र का आनंद ले रहा था..

"आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह......हाईईईईईईईईई..हाां किशू.........मेला बच्छााआआ ....आआआआअहह ....."

" दिदीइ.....आआआआआ ......बस और नहीं .......ऊऊऊऊऊऊ ..." और मैं उनके जांघों पर जोरदार पिचकारी चोद्ना शुरू कर दिया ...जांघों पर ..उनके पेट पर ...उनकी छाती पर ..लॉडा हाथ से थामे झटके पर झटका देता जाता ..मेरे रस की गर्मी..उसकी तेज़ फूहार से दीदी का सारा बदन झुरजुरी से कांप उठा और वह भी चूतड़ उछाल उछाल कर अपनी चूत से पानी छ्चोड़े जा रही थी ........

हम दोनों के अंदर की सारी मस्ती , सारी खूषी , सारी ललक बाहर आ रही थी ..एक दूसरे पर हम छिड़के जा रहे थे ....

कुछ देर तक हम ऐसे एक दूसरे की बाहों में पड़े थे......

अब तक सुबेह काफ़ी निकल चूकि थी ..बाहर चिड़ियों का चहचाहना और सूरज की किरणों ने हमारी आँखें खोलीं ....

दीदी ने अंगडायाँ लेते हुए मुझे अपने उपर से हटाया ......उफ़फ्फ़ दीदी की अंगड़ाई ने फिर से मेरे अंदर हलचल मचानी शुरू कर दी....

पर इसके पहले के मैं कुछ कर पाता , "बस किशू ....देख अब सब लोग जाग गये हैं ..कोई आ जाए तो मुश्किल हो जाएगी..मैं जा रही हूँ " और वो मेरे लौडे को कस के दबाती हुई बाहर निकल गयी ....

मैं दीदी को देखता रहा.......और फिर मैं भी बाथरूम के अंदर चला गया ...

उस दिन नाश्ते के टेबल पर जब दीदी ने मुझे खिलाना शुरू किया ..मेरी माँ ने दीदी के हाथ थामते हुए कहा "अरे पायल ..अब तो तू इसे अपने हाथ से खाने दे...तू जब चली जाएगी तो किस के हाथ से खाएगा ..क्या भूखा ही रहेगा ..??" और फिर मेरी तरफ देखते हुए कहा "किशू तू भी खुद से खाना शुरू कर दे ..दीदी का लाड़ प्यार बहुत हो गया..!"

मैं जानता था एक दिन ये होनेवाला ही है ..मैं चूप रहा.....मुझे अंदर से जैसे किसी ने झकझोर दिया था..मैं आसमान से सीधे ज़मीन पर आ टपका था..वास्तविकता और सचाई मेरे सामने खड़ी थी.....

दीदी समझ गयीं मुझे गहरा धक्का लगा था ....." ठीक है बुआ ..पर आज तो खिलाने दे ..कल से किशू खुद ही खाएगा ..है ना किशू .....?"

मैं क्या बोलता ??? ..एक बहुत ही आभार से भरी नज़रों से दीदी की ओर देखा ..दीदी अपने आँचल से अपनी आँखें पोंछते हुए मुझे खिलाने लगीं.

शाम को जब स्कूल से आया ..दीदी ने दरवाज़ा खोला ...... आज फिर घर में सन्नाटा था ..

" कहाँ हैं सब लोग दीदी ..???" मैने पूछा ..

'' माँ और बुआ शादी की शॉपिंग को गये हैं और पापा ( मामा) और फूफा ऑफीस से कब तक आएँगे किसे मालूम..????"

मेरे चेहरे पे चमक आ गयी ..मेरा मन गुदगुदी से खिल उठा

मैने दीदी को अपनी बाहों में जाकड़ लिया , अपने सीने से लगाता हुआ उन्हें चूमने लगा

" ओओओओओओह्ह दीदी यानी के हम दोनों अकेले .....??????"

" अरे बाबा अभी तो छ्चोड़ ना किशू ..चल हाथ मुँह धो ले साथ में नाश्ता करते हैं ....फिर कुछ और .." और मुस्कुराते हुए मुझे अपने से अलग किया .

तभी कॉल बेल की तीखी आवाज़ आई........

" अभी कौन आ गया.." मैने झुंझलाते हुए बड़बड़ाता हुआ दरवाज़ा खोला..

बाहर स्वेता दीदी खड़ी थीं.........

मैं एक टक उन को(स्वेता दीदी) देखता रहा....मेरी आँखें चौंधिया गयीं , पालक झपकने को तैयार ही नहीं ....

उन्होने कपड़े इस तरह पहेन रखे थे.....कपड़े बदन ढँकने के बजाए उन्हें और उभार रहे थे...मानों एक एक अंग कपड़ों को चीरता हुआ बाहर आ जाए ...पतली और तंग टाइट ब्लाउस ......उनकी चूचियों की उभार छुपाने की नाकामयाब कोशिश में जुटी थीं ....गले से नीचे नंगा सीना ........साड़ी नाभि से नीचे ....पेट उघ्ड़ा ......आँचल कंधों से फिसलता हुआ .........

" अरे क्या देख रहा है किशू ..मुझे अंदर तो आने दे..क्या बाहर ही खड़ी रहूं..???" स्वेता दीदी की आवाज़ से मेरा ध्यान उनके शरीर से उनकी आवाज़ पर आया....

"ओह..अरे हां आइए ना .." और मैं दरवाज़े से हट ता हुआ उन्हें अंदर आने का इशारा किया....

मटकती हुई चाल से स्वेता दीदी अंदर आईं .....मैं उनके पिछे था ...उनकी मटकती चाल से उनके दोनों चूतड़ साड़ी से उछल बाहर आने को मचल रहे थे.... उधर उनके चूतड़ उछल रहे थे और इधर मेरे पॅंट के अंदर भी उछल कूद मची थी.......

" पायल कहाँ है किशू..?" उन्होने हंसते हुए पूछा .

"दीदी शायद किचन में हैं ...आप जाइए ना ..देख लीजिए .." मेरा गला सूख रहा था .....स्वेता दीदी की मटकती चाल से , उनकी अजीब मुस्कान से ..उनकी तीखी और पैनी नज़रों से ..मानों वह मुझे खा जाना चाहती हों .....

थोड़ी देर बाद दोनों दीदी किचन से बाहर निकलीं ..

पायल दीदी ने कहा " चल किशू मेरे रूम में ...हम तीनों नाश्ता करते हैं ....."

स्वेता दीदी हाआँ में हां मिलाते हुए मुझे अपनी बाहों से अपने बगल भींच लिया , मैं झिझकता हुआ उनके करीब हो गया

" अरे झिझक क्यूँ रहा है किशू ..मैं भी तो तेरे लिए पायल जैसी ही हूँ ना ..बस तू जैसे अपनी पायल दीदी के साथ खूल कर रहता है ना ......मेरे साथ भी ऐसे ही रहना ..क्यूँ पायल मैने ठीक कहा ना ..??" और मुझे अपने से और भी करीब चिपका लिया ...मैं उनके गुदाज और मुलायम शरीर के स्पर्श , उनके बालों की सुगंध , उनके साँसों के झोंकों से मदहोश हुआ जा रहा था

" अरे हां किशू तू ज़रा भी मत हिचकिचा..स्वेता दीदी बहुत अच्छी हैं , तुम्हारे लिए मेरे से कुछ भी कम नहीं ........." और पायल दीदी की इस बात पर दोनों जोरों से हँसने लगी और हम दीदी के कमरे के अंदर आ गये थे ..

मेरी समझ में कुछ कुछ तो आ ही रहा था ..लगता है दीदी ने अपने और मेरे बारे स्वेता दीदी को सब कुछ बता दिया था ......

मुझे स्वेता दीदी ने अपनी गोद में बिठा लिया ...मैने पायल दीदी की ओर देखा ....मानो मैं कह रहा हूँ...." दीदी मैं जब आप की गोद में नहीं बैठ ता इनके गोद में कैसे बैठूं ..??"

दीदी ने मेरी नज़रों की बात समझ ली और कहा " मेरा राजा भाय्या ..आज पहली बार है ना स्वेता दीदी के लिए ..तू उनकी गोद में आज बैठा रह .." और फिर स्वेता दीदी की तरफ देखते हुए कहा .." स्वेता ..किशू अब बहुत बड़ा हो गया है ..... " और फिर दोनों हँसने लगे ..

" हां रे पायल सही कह रही है तू ..मैं भी देख रही हूँ ना .." और उन्होने मेरे पॅंट के अंदर बने तंबू की तरफ इशारा किया .......जो काफ़ी उँचा हो गया था ..मेरे चूतड़ उनकी गद्दे जैसी मुलायम और गर्म जांघों के उपर था और मुझे अच्छा लग रहा था ...

फिर उन्होने झट अपनी उंगलियों से पॅंट के बटन खोल दिए और कहा " देखें तो ज़रा कितना बड़ा हो गया है ...????"

बटन खुलते ही मेरा लंड उछलता हुआ बाहर आ गया.........अभी भी 4-5 इंच के बराबर तो था ही पर काफ़ी मोटा था ...........

स्वेता दीदी ने झट उसे अपनी मुट्ठी से पकड़ लिया और सहलाने लगीं जैसे उसे महसूस कर मेरे बड़े होने का सबूत देख रही हों ..

पायल दीदी ने मुझे खिलते हुए स्वेता दीदी से पूछा.." क्यूँ दीदी ..अब हो गयी ना तस्सली .? कितना बड़ा है अब मेरा किशू ...??"

उनकी पूरी हथेली मेरे मोटे लंड से भरी थी ...स्वेता दीदी उसे हल्के हल्के दबाते हुए कहा "हां री पायल बहुत बड़ा हो गया है " और धीरे से मेरे लंड की चॅम्डी उपर नीचे करने लगीं ..

मेरे पूरे बदन में झुरजुरी होती जा रही थी ...उन दोनों की बातों से स्वेता दीदी से मेरी झिझक भी दूर हो गयी थी.........

दीदी का हाथ मुझे खिला रहा था और स्वेता के हाथ मेरा लंड सहला रहे थे .दोनों दीदी के बीच मैं मस्ती और आनंद के लहरो में हिचकोले ले रहा था..मैने अपने आप को उनके हवाले कर दिया था...

मेरा खाना ख़त्म हो चूका था दीदी ने थाली उठाई और किचन में रख घर के दरवाज़े को अच्छी तरह बोल्ट कर दिया , वापस आईं और हमारे बगल बैठ गयीं

मैं अभी भी स्वेता दीदी की गोद में ही था ........और मेरा लंड उनके हाथ में ...स्वेता दीदी को मेरा चिकना लंड सहलाने में बड़ा मज़ा आ रहा था...... शायद जितना मज़ा मुझे आ रहा था उस से कहीं ज़्यादा उन्हें ..उनकी आँखें बंद थी और अब एक हाथ से मेरा लंड सहला रही थी और दूसरा हाथ अपनी साड़ी के अंदर डालते हुए अपनी चूत सहला रही थी......

दीदी ने स्वेता की हालत देखी.उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा था......पतली और तंग ब्लाउस के अंदर चूचियाँ कड़क हो गयीं थीए , नंगा सीना दिल की तेज़ धड़कनों से उपर नीचे हो रहा था........

उन्होने चूपचाप उनके ब्लाउस के बटन खोल दिए ..ब्लाउस उनके सीने से अलग कर दिया और ब्रा के स्ट्रॅप्स एक झटके में ही खोल दी...उनकी कड़क चूचियाँ मेरे चेहरे पर उछलती हुई लगी.....मैं उनकी चूचियाँ देखता रहा...गोल गोल ..भारी भारी , नुकीली पर गोल घुंडिया एक दम टाइट ........

" अरे देख क्या रहा है मेरे भोले राजा...मेरी चूचियाँ तो ऐसे चूसता है जैसे आम चूसता है.........चल इन्हें भी चूस ..." दीदी ने मुझे बड़े प्यार से फटकारा और स्वेता की एक चूची अपने हाथ से थामते हुए मेरे मुँह में ठूंस दी....

मैं अपनी लप्लपाति जीभ और चुभलाते होंठों से स्वेता की चूची पर टूट पड़ा ...होंठों से दबाते हुए और जीभ से चाट ते हुए ...स्वेता कांप उठी ..उनकी मेरे लंड पर पकड़ और मजबूत हो गयी.........और अपनी चूत का सहलाना भी तेज़ हो गया .......उनके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी.........आँखें मस्ती में बंद थीं

तभी दीदी उनकी दूसरी जाँघ पर बैठते हुए अपना मुँह उनकी दूसरी चूची पर लगा दिया और लगीं उसे चूसने ...

एक साथ दोनों चूचियों की चूसाई ......स्वेता कांप उठी..उनका सारा बदन सिहर उठा...

"हाइईईईई रे हाइईइ...दोनों भाई बहन ...उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ..हाआँ हाां चूसो ..मेरा पूरा रस चूस लो ..उफफफफ्फ़ "

दीदी का चेहरा मेरे चेहरे से बिल्कुल सटा था ........उनकी साँसें और मेरी साँसें टकरा रही थी...मैं बीच बीच उनके होंठों को भी चूस लेता .........

हम तीनों एक दूसरे से चिपके अपनी अपनी हरकतों में डूबे थे ..

तीनों बदहावाश थे ........ना कपड़ों का ध्यान ना अपने होश का ख़याल .....

मस्ती का आलम छाया था..इसी मस्ती में हम एक दूसरे के कपड़े उतारते जा रहे थे ..जब जिसका मूड हुआ किसी के कपड़े खींच देता ........

थोड़ी ही देर में तीनों नंगे एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे ..एक दूसरे से लिपटे थे ..

मैं कभी स्वेता दीदी की चूची चूसता , कभी दीदी की चूचियाँ मसल देता .....कभी उनके पेट सहलाता ..कभी स्वेता दीदी की नाभि के अंदर अपनी उंगली डाल देता .....अब मैने भी स्वेता दीदी की चूत में अपनी उंगली लगाई.......उनके खुद की उंगली चलाने से पूरी तरह गीली थी उनकी चूत...मेरी उंगली लगते ही उन्होने अपनी उंगली हटा दी और अपनी उंगली पायल की चूत में लगाते हुए घिसना चालू कर दिया .......

स्वेता दीदी एक हाथ से मेरा लंड सहला रही थी , दूसरे से पायल दीदी की चूत .......मेरा लंड कड़क और कड़क होता जा रहा था , मेरी मस्ती बढ़ती जा रही थी..मैं जितनी मस्ती मेी आता जाता..स्वेता दीदी की चूत उतनी ज़ोर से सहलाता जाता ..मेरी उंगलियाँ उनकी चूत की फांकों पर फिसल रही थी...और इधर स्वेता जितनी मस्ती में आती पायल की चूत उतनी ही तेज़ी से मसल्ति जाती.....

और पायल दीदी तो उनकी चूचियों पर ही टूट पड़ी थीं .............

चप..चप.....पच ..पुच...लॅप लप ...आआआ....उईईईईईई.......हाइईईईईई...की आवाज़ लगातार आ रही थी

और इसी मस्ती की दौर में स्वेता का बदन अकड़ गया ..झटके खाने लगा ....उनके हाथ ढीले पड़ गये ..और उन्होने बूरी तरह अपने चूतड़ उठाए चूत से पानी छोड़ना शुरू कर दिया ...मैं हैरान था .......उनकी चूत से धार इतनी तेज़ निकल रही थी ..मानों वह पेशाब कर रही हों ......

शायद इस तरह एक साथ दोनों चूचियों की चुसाइ , और उनके बदन का एक साथ मेरे और दीदी के सहलाने का असर था...... काफ़ी दिनों से उनकी चुदाइ भी नहीं हुई थी.......अपने पति से अलग थीं .....काफ़ी दिनों से ...इसका मिला जुला असर था ...... उनका इस तरह झड़ना

तभी दीदी ने मेरा कड़क लंड देखा ...इतना कड़ा था के हिल रहा था ,,उन्होने झट अपनी हथेली से उसे जकड़ते हुए जोरों से मुझे मूठ मारने लगीं " हाई रे मेला बच्चा ...ले अब जल्दी आ जा ...हां मेरे हाथ में ही छ्चोड़ दे ..आ ज्जा .."

मैं तो पहले ही से तड़प रहा था दीदी के दो चार बार हाथ उपर नीचे होते ही उनके हाथ में मैने पिचकारी छ्चोड़ दी ...

मैं" दीदी ..दीदी ......." की चीख मारते हुए उन से बूरी तरह लिपट गया....और उनकी चूत में उंगली घिसने लगा ...जो अब तक बूरी तरह गीली हो चूकि थी .......उनकी चूत की फाँक में दो चार बार उंगली उपर नीचे होते ही दीदी भी मुझ से लिपट गयीं और चूतड़ उछालते हुए अपनी चूत से रस की बौछार कर दी.........

क्रमशः……………………
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08-19-2018, 02:51 PM,
#18
RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--9

गतान्क से आगे…………………………….

हम दोनों एक दूसरे से चिपके थे..और हम दोनों को स्वेता दीदी अपनी बाहों में भरते हुए चूमे जा रही थी......

"वाह रे वा किशू ..तू तो कमाल का हाथ और मुँह चलाता है .......पायल की ट्रैनिंग अच्छी है......" वो बोलती जाती और चूमती जाती.....

"अरे स्वेता अभी तो शो चालू हुआ है ..चल पलंग पर तीनों साथ लेट ते हैं फिर शो का असली मज़ा शुरू होगा...."

और स्वेता दीदी हंसते हुए हम दोनों भाई बहन को अपने से लगाते हुए पलंग की ओर खींचते हुए चल पड़ीं ..........

स्वेता दीदी ने हमें पलंग पर लिटा दिया ..दोनों दीदियो ने अपने भाई को बीच में कर ..मेरे अगल बगल लेट गयीं ..

मैने दोनों की तरफ देखा ..पायल दीदी अधखिली फूल थीं तो स्वेता दीदी पूरी तरह खिली हुई फूल .....

कोई किसी से कम नहीं .....पायल दीदी के शरीर में एक अजीब मादक सुगंध थी ...और स्वेता दीदी का शरीर मुलायम और रस से भरपूर .उन्हें चूसने का मन करता था और पायल दीदी को काट खाने का .......

तभी स्वेता दीदी ने पायल को कहा " पायल ज़रा टाइम का भी ख़याल रखना ..कहीं कोई आ ना जाए .."

" अभी बहुत टाइम है स्वेता ..अभी तो सिर्फ़ 530 बजे हैं .....और शादी की शॉपिंग से वो लोग सात-आठ बजे के पहले नहीं आ सकते ...चल जल्दी कर ना , सोच क्या रही है..???? देख ना किशू कितना मस्त हो कर लेटा है हमारे बीच ......" पायल दीदी ने कहते कहते अपनी टाँगें मेरे पैरों पर रखते हुए मुझे अपनी तरफ खींच लिया ......और मेरे बाल रहित सीने पर अपनी लॅप लपाति जीभ रख दी और लगी चाटने

मैं उनके इस अचानक हमले से चिहूंक उठा ..मेरा सारा शरीर सिहर उठा.....

मैं भी उनकी चूचियाँ अपने हाथों में ले दबाने लगा .........

इधर स्वेता दीदी अपनी चूत मेरे चूतड़ से लगाते हुए घिसने लगीं और मेरा लंड अपने हाथ में भर लिया और हल्के हल्के मसलना शुरू कर दिया ..

मेरे चूतड़ काफ़ी मस्क्युलर और टाइट थे , ये मेरे क्रिकेट खेलने का असर था, भाग दौड़ करने के चलते मेरा शरीर काफ़ी मस्क्युलर था .........और अब तक पूरे बाल नहीं आए थे इसलिए चिकने भी थे....स्वेता दीदी की चूत जैसे मेरे चूतड़ पर फिसल रही थी.........मैने अपनी चूतडो की मसल और भी टाइट कर ली...उन्हें अपनी चूत मेरे गतीले चूतड़ पर घिसने में और भी मज़ा आने लगा..उनके घिसने की स्पीड बढ़ती जा रही थी ...और मेरी चूतड़ उनकी चूतरस से सराबोर हो रहा था....

दीदी मेरे सीने पर ..मेरे सीने की घूंदियो पर जीभ चलाती जातीं ..मेरा पूरा बदन कांप उठ ता..और मैं उतने ही जोरों से उनकी चूचियाँ मसल देता ......जैसे आटा गून्ध्ते हैं ...दीदी की मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी .......मैं उनके आर्म्पाइट पर भी टूट पड़ा........एक अजीब सूगांध थी वहाँ ..मैने अपनी नाक वहाँ लगाई ..और लंबी साँस ले कर सूंघ रहा था, और फिर उसे चाटने लगा ..दीदी ने अपना हाथ और उपर कर दिया .....आहह पूरा आर्म्पाइट मेरे कब्ज़े में था

तीनों फिर से एक दूसरे से चिपके थे और अपनी अपनी हरकतों में मस्त ..

एक दूसरे की शरीर से मनमानी किए जा रहे थे..कोई रोक टोक नहीं , जिसे जहाँ मन आता चाट लेता ..चूस लेता .......

मेरा लॉडा स्वेता दीदी के हाथो में जकड़ा फन्फना रहा था ...कड़क और कड़क होता जाता

दीदी मुझे बूरी तरह चाटे जा रही थीं ..मेरे होंठ चूसे जा रही थी..

अब मैने अपना एक हाथ दीदी की जांघों के बीच ले गया दीदी ने झट अपनी टाँगें फैला दी.उनकी चूत खूल गयी ,,मेरी उंगलियाँ चूत की फाँक में दौड़ रही थी ..

और स्वेता दीदी अपनी एक टाँग मेरे जाँघ पर रख अपनी फैली चूत को और भी फैला ..मेरे चूतड़ से घिसे जा रही थी

उफफफफफफफफफफ्फ़ ...इस दो तरफे हमले से मैं मदहोश था ..मेरा दीदी के आर्म्पाइट चाटने की स्पीड बढ़ गयी और उनकी चूत पर उंगलियाँ भी और तेज़ चलने लगीं

तीनों कराह रहे थे...सिसकारियाँ ले रहे थे .....एक दूसरे को मसल रहे थे , चूस रहे थे चाट रहे थे......

'उफफफ्फ़.. किशू तेरा लॉडा कितना हसीन है रे ..कितना चिकना और कड़क ........" स्वेता ने कहा

" तो फिर रोका किसने है स्वेता ..ले ले ना अपने मुँह में .." पायल दीदी ने कहा

और मुझे दीदी ने सीधा लिटा दिया..मेरा लॉडा तननाया हवा से बातें कर रहा था....स्वेता दीदी मेरे पैरों के बीच आ गयीं और लॉडा अपने हाथों से थामते हुए मुँह अंदर कर घूसा दिया ..मेरा लॉडा उनके गरम गरम मुँह के अंदर था ...जीभ . होंठ और हाथों का कमाल मेरे लौडे पर चल रहा था ..मैं मस्ती में भरा था ,,मेरी आँखें बंद थीं....

स्वेता दीदी की शादी का एक्सपीरियेन्स यहाँ काम आ रहा था उनके हाथों की जाकड़, होंठों की पकड़ और जीभ के फेरने से मेरा बूरा हाल था.........लंड अकड़ रहा था ..मेरे पूरे शरीर से सारी सिहरन और मस्ती लंड में बिजली की करेंट की तरह दौड़ रही थी...सब कुछ वहाँ जमा होता जा रहा था , किसी भी समय फॅट पड़ने को तैयार.....

और फिर जैसे बादल फॅट ता है ..मुझे भी ऐसा ही महसूस हुआ......मेरा लंड फॅट पड़ा और मेरा चूतड़ उछाल मारता हुआ स्वेता दी के मुँह में लंड से गरम गरम लावा फूट पड़ा....

मैं झटके पे झटका ख़ाता रहा ..स्वेता दीदी मुँह खोले मेरा रस अंदर लेती रही ..उनका मुँह भर गया......गाल पर भी छींटे थे.....होंठों पर भी फैले थे ....

दीदी उठ कर बैठ गयी ...स्वेता का चेहरा अपने हाथों में ले मेरा रस चाट चाट कर उनका पूरा चेहरा सॉफ कर दिया ......

" उफफफफफफ्फ़ कितना टेस्टी है रे किशू का लंड और उसका रस..." स्वेता दीदी ने मुँह के अंदर का रस निगलते हुई बोल उठीं ..

" तभी तो मैने कहा था ना चूस मेरे भाई का लंड....."

पायल दीदी ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मुझे अपने सीने से चिपका लिया , मैं सूस्त उनकी चूचियों के उपर सर रखे आँखें बंद किए पड़ा रहा .....

थोड़ी देर बाद मैने आँखें खोलीं ..दोनों मेरे अगल बगल लेती थीं ..टाँगें फैलाए ..चूत फैलाए अपनी अपनी उंगलियों से सहलाती हुई ......

उनकी उंगलियाँ मैने हटाते हुए अपनी उंगलियों से दोनों ओर की दोनों चूतो को सहलाने लगा....

दोनों चूतो का अपना ही मज़ा था .....स्वेता दीदी की चूत फैली थी , मुलायम थी और दीदी की चूत मुलायम पर टाइट ...

मैं मज़े ले ले कर उन्हें सहलाए जा रहा था .. पहले से ही दोनों काफ़ी गरम थीं , मस्त थी और मेरे द्वारा फिर से उनकी चूत सहलाने से वह और भी मस्ती में आ गयीं ..

दोनों ने मुझे जाकड़ लिया ..........और फिर मेरे जाँघ पर अपनी अपनी जाँघ रखे चूतड़ उछाल उछाल अपनी अपनी चूत का रस छोड़ने लगी .......

मैने अपने हाथ दोनों तरफ फैलाए उन्हें अपने से और भी चिपका लिया .......

हम तीनों अब एक थे

दोनों मेरे सीने पर अपना सर रखे हाँफ रहे थे .....और फिर शांत हो कर पड़े रहे .....

तीनों एक दूसरे की बाहों में पस्त हो कर ..अपने अंदर का सारा रस खाली कर ..;एक निचोड़े हुए नींबू की तरह बिल्कुल खाली हो गये थे ......

तभी स्वेता दीदी की नज़र दीवाल पर लगी घड़ी की तरफ गयी....."ऊऊऊओ माअं ,,अरे बाबा 730 बज रहें है री पायल....कुछ होश भी है......" और वह हड़बड़ाती हुई उठ गयी ..जल्दी से कपड़े पहने ..मुझे और दीदी को चूमते हुए कमरे से बाहर निकल पड़ीं

मैने उनकी तरफ देखा ...उन्होने मुड़ते हुए मेरी तरफ ऐसे देखा मानों कह रही हों...."थॅंक यू किशू ..."

मैने एक फ्लाइयिंग किस दी उनको और दीदी को फिर से चिपकता हुआ उन्हें चूम रहा था..

दीदी ने बड़े प्यार से मुझे धकेलते हुए ...मेरे लौडे को मसल्ते हुए , मुस्करती हुई उठ गयी ...और झट कपड़े पहन रूम से बाहर निकल गयीं ...

मैं उनकी मटकती चूतड़ देखता रहा....

और इसी तरह हमारे दिन बीत ते गये ... स्वेता दीदी हम से इतनी घूल मिल गयीं ..जैसे हम तीनों एक हों.....हम एक दूसरे की भावनाओं , इच्छाओं से इस कदर वाक़िफ़ हो गये .किसी को कुछ कहने की ज़रूरत नहीं होती .....मेरे दीदी की चूत को उनकी शादी तक महफूज़ रखने की बात से स्वेता दीदी बहुत प्रभावित थीं .....मेरे भावनाओं की कद्र करती थीं ..और इसलिए उन्होने भी कभी मुझे अपनी चूत में लंड अंदर डालने को मजबूर नहीं किया .....

स्वेता दीदी की भी हम बहुत कद्र करते थे..उनकी भावनाओं को ठेस ना लगे , इसलिए उनके अपने पति से अलग रहने की बात उन से ना कभी दीदी करती ना मैं .

एक दिन खुद उन्होने ही बताया ..

शादी के दो साल बाद भी उन्हें बच्चे नहीं हुए ..जैसा के हमारे समाज में होता है..सारा दोष स्वेता दीदी पर डाल उन के ससूरल वाले दिन रात उन्हें ताना देते रहते .....पति का भी उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिलता ..और कैसे मिलता ..वो खुद नपून्सक था ...... ये बात स्वेता दीदी के अलावा और किसी को नहीं मालूम थी.....

स्वेता दीदी का आभार मान ना तो दूर ..वो अपनी मर्दानगी साबित करने को मार पीट पर भी उतर आया ....ये बात स्वेता दीदी सहेन नहीं कर पाईं ..उनका स्वाभिमान उन्हें एक दिन सब कुछ छ्चोड़ अपनी माँ के यहाँ ले आया ...... उन्होने पास के सरकारी स्कूल में टीचर का काम शुरू कर दिया ..और दुबारा अपनी ससूराल की तरफ मुँह उठा कर भी नहीं देखा...

मैं और दीदी उनके इस साहस भरे कदम से उन की और भी इज़्ज़त करने लगे .. उन दिनों ये माना जाता था के लड़की की डोली ससुराल जाती है और अर्थी ही उसे वहाँ से हटाती है.... स्वेता दीदी का वहाँ से निकल आना एक बहुत बड़ा कदम था .......

हम तीनों तीन शरीर पर एक जान थे....मस्ती के दिन गुज़र रहे थे.....

और फिर आख़िर वो दिन आ ही गया .....पायल दीदी की शादी......

मेरे मामा की एकलौती संतान थी वो..बड़े धूम धाम से उन्होने पायल दीदी को विदा किया ......

मेरी जिंदगी चली गयी........मेरा रोम रोम चीत्कार रहा था..तड़प रहा था.......बिलख रहा था, मेरे हाथ पैर कट गये थे......

मेरा दिल रो रहा था..पर दीदी को हंसते हुए विदा किया ......दीदी मुझे अपने सीने से लगाए फूट पड़ीं ..उनके आंसूओ- का बाँध फूट पड़ा........पर फिर उन्होने अपने आप को संभाला,

" स्वेता ..तू मेले बच्चे का ख़याल रखना ......" और इस से पहले की उनकी छाती फाट पड़ती..उन्होने मुझे अलग किया और कार के अंदर वेट कर रहे जीजा जी के साथ बैठ गयीं ..नये साथी..नयी दुनिया और नये जीवन की शुरुआत की ओर चल पड़ीं ..

मैं खड़ा था ..जब तक के कार मेरी आँखों से ओझल ना हुई.......

कार के धुएँ ने जैसे मेरे जीवन के आहें , सब से खूबसूरत हिस्से को पूरी तरह ढँक दिया ......

स्वेता दीदी मुझे अपने सीने से लगाते हुए घर के अंदर ले गयीं .....

"किशू...मैं पायल तो नहीं बन सकती...पर कभी भी तू मुझे कम नहीं समझना ....."

और फिर मेरे सब्र का बाँध टूट गया.......मैं उनके सीने से लगा फूट फूट कर रो रहा था..बिलख रहा था......एक नन्हें बच्चे की तरह ......स्वेता दीदी चूप थीं .....मेरे बाल सहला रही थीं और ..मैं आँसू बहाए जा रहा था............

जाने कब रोते रोते मैं उनकी गोद में ही सो गया.....

नींद खूली तो देखा मैं पलंग पर अकेला लेटा था .........

मुझे ऐसा महसू हुआ जैसे मेरी पिछली जिंदगी ...पायल दीदी के साथ की जिंदगी ..एक सुखद सपना था .....और मैं अभी अभी ही उस मीठे सपने की नींद से जगा हूँ...

और मैं उस सुखद सपने को अपने मानो-मश्तिश्क में संजोए ...उन सुनहरे यादों का सहारा लिए अपनी नयी जिंदगी की ओर चल पड़ा

एक नया सवेरा ..एक नये दिन की शुरुआत की ओर .............

पर आगे का रास्ता उतना आसान नहीं था ..जिस रास्ते पर मेरे साथ हमेशा ..हर पल .हर वक़्त पायल दीदी मेरे हाथ थामे मेरे साथ रहती ...आज मैं उस रास्ते पर अकेला था ... बेहद अकेला....

दीदी की एक एक बात ..उनका खिलखिलाना..उनका हँसना ..उनकी प्यारी , मुलायम और गर्म गोद...उनका मुझे इतने प्यार से खिलाना ....कुछ भी तो मैं भूल नहीं पाता .....मैं बेचैन हो उठ ता ...पढ़ने बैठ ता तो वो सामने आ जाती...किताबों के हर पन्ने पर जैसे उनकी तस्वीर थी ....

मैं बस चूप चाप किताब खोले देखता रहता ....

मैं एक बेजान च्चाभी वाले खिलोने की तरह बेकार सा हो गया था ,,जैसे उस खिलोने के स्प्रिंग का तनाव ख़त्म हो चूका था ..मेरी जिंदगी के खिलोने की चाभी का तनाव ख़त्म हो चूका था ..

मैं उस शाम भी ऐसे ही टेबल पर सूस्त सा खोया खोया बैठा था .... मेरे सामने किताब खूली थी , पर आँखों में कुछ और ही था..

तभी मुझे किसी के आने की आहट हुई...देखा तो स्वेता दीदी मेरे बगल खड़ी थीं...

वो मेरे सर पर हाथ फेरते हुए मेरे बगल बैठ गयीं ..मुझे अपने सीने से लगा लिया ..मैं उनकी मुलायम , गर्म और गुदज चूचियों के महसूस से थोड़ा आश्वस्त हुआ ..मुझे अच्छा लगा ..

" देख किशू , पायल की याद तो आएगी ही...इतनी जल्दी जानेवाली नहीं ....और उनकी याद तो हमारे साथ हमेशा रहेगी ...मरते दम तक...पर इस तरह उनकी याद को तुम अपनी बर्बादी का कारण क्यूँ बना रहे हो किशू..उनकी याद को तो अपना सहारा बना ले मेरे प्यारे भाय्या ... उन्हें भी कितनी खुशी होगी ..." .

मैं थोड़ी देर तक बिल्कुल चूप उनकी ओर देखता रहा ....मुझे एक दम से उनकी बात ने झकझोर दिया ,,जैसे गहरी नींद से जगा दिया गया हो....स्वेता दीदी ने कितनी बड़ी बात कह दी""उनकी यादों को अपना सहारा बना लो..""

" स्वेता दीदी ,,आप ने सही कहा .....आज के बाद पायल दीदी की याद मुझे हर पल , हर वक़्त रहेगी ..वो मेरे रोम रोम में हमेशा रहेंगी. मैं उन्ही के सहारे आगे और आगे बढ़ूंगा ..काफ़ी आगे .."

इतना सुनते ही स्वेता दीदी ने मुझे अपने सीने से बिल्कुल चिपका लिया .....मुझे चूमने लगीं , मेरे होंठ चूसने लगीं

" हाँ हाँ किशू ......" और अपनी हथेली से मेरे लौडे को पॅंट के उपर से ही सहलाने लगीं .. मेरे कान में फूफूसाते हुए कहा..." तभी तो मैं भी तेरा पूरा ख़याल रख पाऊँगी....वरना पायल जब आएगी मैं क्या जवाब दूँगी...???"

"हाँ स्वेता दीदी ..मुझे भी तो आप का ख़याल रखना पड़ेगा ...." मैने भी मुस्कुराते हुए उन से कहा .....दीदी के जाने के बाद ये मेरी पहली मुस्कान थी ....

क्रमशः……………………
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08-19-2018, 02:51 PM,
#19
RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--10

गतान्क से आगे…………………………….

मैं उन के होंठ चूसने लगा ..उनके होंठ कुछ मोटे मोटे थे..मैने अपने होंठों से उन्हें दबाया और बूरी तरह चूसने लगा ..स्वेता दीदी तड़प उठीं ..उन्होने मुझे और भी जोरों से चिपका लिया .....और अब उन्होने पॅंट के बटन खोल मेरे लौडे को अपनी मुट्ठी में भर लिया था.

उसे बड़े प्यार से हल्के हल्के दबाती , निचोड़ती...जैसे गाय के थन से दूध निचोड़ते हैं ....उफफफफफफफफ्फ़ ..उन्हें मेरा ककड़ी की तरह कड़ा लंड थामने में बड़ा अच्छा लगता था ......बीच बीच सिर्फ़ अंगूठे और उंगली से चॅम्डी भी उपर नीचे करती जाती .....

मैं पागल हो उठा ..उनकी ब्लाउस के अंदर हाथ डाल उनकी चूचियाँ हाथ में भर लिया और जितनी मस्ती में आती उतने ही जोरों से दबाता जाता ......

स्वेता दीदी ने देखा दरवाज़ा बंद था .....

उन्होने ब्लाउस और ब्रा एक झटके में खोल दिया ...और अपनी साड़ी को भी घूटनों तक उठा लिया ..

मेरा दूसरा हाथ उन्होने अपनी चूत पर रख दिया .....

मैं उनकी अब तक गीली चूत पर अपनी हथेली फेरना चालू कर दिया ...वो कराह उठीं ....

मेरा लॉडा सहलाना तेज़ पकड़ता जाता ..और साथ में मेरा उनके होंठ चूसना , चूचियाँ दबाना और चूत का सहलाना भी तेज़ होता जाता ....उनकी चूत काफ़ी फूली फूली ...थोड़ी चौड़ी फाँक और थोड़ी ढीली थी ....हाथ चलाने में उंगलियाँ ऐसी चलती मानों फिसल रही हों .....

मैं भी सिसकारियाँ ले रहा था ...उन्हें अपने से और चिपकाता जाता ...

स्वेता दीदी भी मंद मंद करहती जातीं ......

"उईईई माअं ..हाँ किशू ऐसे ही ..हाआँ ..और तेज़ '....हाआँ मेरे भाइय्या .....आआआआआआआआआहह......"

मेरी हथेली उनके चूत रस से पूरी तरह गीली थी ..बीच बीच में उन्हें चाट जाता ...

स्वेता दीदी अपनी चूतरस का चाटना देख काफ़ी मस्ती में आ जातीं ....

तब तक उनके हाथ में मेरा लॉडा भी अपनी पूरी लंबाई में आ गया था ..इतने दिनों के बाद आज पहली बार इस तजुर्बे का मज़ा कुछ और ही था .......

मैने उन्हें अपने से और भी बूरी तरह चिपका लिया और ...".दीदी दीदी ..." का चीत्कार करते हुए उनके हाथ में अपनी पिचकारी छ्चोड़ दी....

मैं झटके देता जाता अपने लंड से और इधर मेरी उंगलियाँ भी और तेज़ हो गयीं उनकी चूत पर ...इतनी फिसलन थी वहाँ .......

" हाआँ ..हाां मेला बच्चा..पायल का बचा .....आ जा ..आ जाआअ " और उन्होने अपने हाथ मेरे लौडे रख पूरे का पूरा पानी अपने हाथों में भर लिया और फिर उसी ले में अपनी चूतड़ उछाल उछाल मेरी हथेली में अपना रस छ्चोड़ने लगी...

थोड़ी देर बाद जब हम अपने अपने रस पूरी तरह एक दूसरे की हथेलियों में खाली कर चूके ....एक दूसरे की आँखों में देखते हुए अपने हथेलिया चाट चाट पूरी तरह सफाई कर लिए.....

"किशू ...कैसा लगा ..?" स्वेता दीदी ने पूछा .

" बहुत अच्छा दीदी ....आज मुझे बहुत हल्का लग रहा है....."

" हाँ किशू मुझे मालूम था ..तुझे इसकी ज़रूरत है.....अच्छा अब मैं जाती हूँ ...और तू अपनी पढ़ाई में मन लगाना .."

"हाँ स्वेता दी..,,,,"

उस दिन के बाद मैं फिर कभी दीदी की यादों से उदास नहीं होता ...वरन उनकी याद से मुझ में और भी कुछ अच्छा करने का हौसला बढ़ जाता ..मेरे मन में ये बात घर कर गयी ...... ........ दीदी मेरी प्रेरणा हैं ,,मेरी कमज़ोरी नहीं .....दीदी ..दीदी...आइ लव यू ..आइ लव यू दीदी .....आइ लव यू सूऊऊ मुचह......

तीन चार दिनों केबाद दीदी की चिट्ठी आई..उन दिनों ना मोबाइल था ना इंटरनेट ..बस चिट्ठि का ही सहारा रहता था ...

मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था चिट्ठि देख.....मुझे ऐसा लगा मानो दीदी की चिट्ठी नहीं वो खुद मेरे सामने हैं और मुझ से बातें कर रही हैं ....

मैं काफ़ी एग्ज़ाइटेड था ...चिट्ठि खोली ..काफ़ी लंबी थी ...वाह ससुराल में भी उन्हें इतनी लंबी चिट्ठि लिखने का मौका मिल गया .....

चिट्ठि पढ़ के मुझे काफ़ी अच्छा लगा ..उस दिन स्वेता दीदी के साथ बात चीत और उनका मेरा लंड सहलाना ..और आज दीदी की चिट्ठि ..मुझे बहुत हल्का महसूस हो रहा था ..दीदी ने चिट्ठि में अपना पूरा दिल खोल दिया था ...यहाँ से जाने के बाद का पूरा डीटेल लिखा था उन्होने ...

धड़कते दिल से मैने लिफहफ्हा खोला ..जाने क्या बीत रही होगी पायल दीदी पर ..आख़िर इतनी लंबी चिट्ठि में उन्होने क्या लिखा है..??? ..चिट्ठी निकाली....चिट्ठि क्या थी , पूरा पोथा ही था....मैने पढ़ना शुरू किया और बस पढ़ता ही गया ....एक बार ..दो बार ...बार बार पढ़ता रहा ......

मैं कितना खुश था ......

दीदी की चिट्ठि

किशू ..

कैसा है रे .....तू बहुत रो रहा था ना....मैं भी बहुत रोई ....बहुत आँसू बहाई रे .....पर क्या करें ये दिन तो एक ना एक दिन आना ही था ....पर तेरे जीजा .... मैं उनको गौरव पुकारती हूँ ..येई है उनका नाम ...इतने अच्छे हैं और इतने अंडरस्टॅंडिंग ..मुझे बहुत अच्छे से संभाल लिया किशू...मुझे ज़रा भी महसूस नहीं होने दिया के मैं किसी पराए मर्द के साथ हूँ ....

और किशू खास कर तो पहली बार जब उन्होने मुझे चोदा ..क्या बताऊं किशू ..उन्होने तुम्हारी पायल दीदी को ज़रा भी तकलीफ़ महसूस नहीं होने दी ..तुम्हारी चूत (हाँ किशू ये तो तुम्हारी ही अमानत है ना मेरे पास जब तक के तू इसे चोद नहीं लेता ) को इतने संभाल संभाल कर चोदा है....मानों ये गुलाब की पंखुड़ीयाँ हों और छूने से इसकी पंखुड़ीयाँ बिखर ना जायें ....

तुम खुश होगे के तुम्हारी दीदी को इतना प्यार करने वाला पति मिला ...

देख ना किशू ...पहली रात जब वो हमारे कमरे में आए ..उन्होने सिर्फ़ प्यार किया ..मुझे खूब चूमा ...चुचियाँ भी हल्के हल्के दबाई ...और मुझ से कहा " पायल मैं जानता हूँ शादी के रस्मों रिवाज़ को पूरा करने में तुम कितनी थक गयी होगी ..मैं भी थका हूँ ..आओ हम एक दूसरे की बाहों में आराम करते हैं ...एक दूसरे को महसूस करते हैं .. बाकी काम कल करेंगे ..."

सही में किशू उन्होने जैसे मेरे दिल की बात कह दी हो ..एक तो मैं थकि थी ..दूसरी तुम्हारी याद भी बहुत आ रही थी ...चुदाई का बिल्कुल मूड नहीं था ....

मैने खुश होते हुए कहा " जैसी आप की मर्ज़ी...."

पर गौरव का आराम करने का भी अपना ही अंदाज़ था ..

उन्होने अपने सारे कपड़े उतार दिए ..और धीरे धीरे मुझे भी नंगा कर दिया किशू..हाई मैने अपनी आँखें बंद कर लीं शर्म से ....

उन्होने मेरा हाथ चेहरे से हटाया ..मेरी ओर बस एक तक निगाहों से देखते रहे , मुझे अपनी बाहों में लिए , मुझे अपने से चिपकाए ..अपने बगल में लिटा लिया ....मेरी कमर के उपर अपनी टाँगें रख दी ...और हम दोनों आमने सामने मुँह किए बातें करते रहे .....मैने तुम्हारे बारे भी उनको बताया ...अरे नहीं नहीं वो सब बातें नहीं रे ..सिर्फ़ अपने भाई बहन वाले प्यार की बातें ....

फिर बातें करते हम दोनों कब सो गये कुछ पता ही नहीं चला ..सुबेह उठी तो देखा वो मेरे गले में बाहें डाले एक बच्चे की तरह , बिल्कुल तुम्हारी तरह मुझ से लिपटे सो रहे थे

मैने गौरव को उठाया ...पर वो तो किसी और ही मूड में थे..उन्होने मुझे फिर से जाकड़ लिया और लगे चूमने ..." आज रात तैयार रहना पायल ..आज तो बस मैं रहूँगा और तेरी बेशक़ीमती चूत ...." और ये कहते ही उन्होने मेरी चूत को अपनी मुट्ठी में लेते हुए मसल दिया ....अफ मैं सर से पावं तक सिहर उठी किशू .....मेरी चूत से गंगा बह रही थी .....

फिर वो उठ गये ..और लेटे रहे ..मैं बाथ रूम चली गयी ..तैयार होने ...

दिन भर मैं अपनी पहली चुदाई के बारे सोचती रही ..कभी डर लगता ...पर गुदगुदी भी होती ...कभी मज़े में सिहर उठ ती.....दिन भर मैं एक अजीब ही ख़यालों में थी ...

जैसे तैसे रात हुई ..

मैने उस रात खाना भी कम ही खाया .....स्वेता ने मुझे बताया था .. चुदाई के पहले पेट पूरा भरा नहीं होना चाहिए वरना मज़ा नहीं आता ....

किशू तू मेरी बातों से नाराज़ तो नहीं है ना रे.....तू ही तो मेरा अपना है रे ..जिस से मैं सब बातें खूल कर कर सकती हूँ .....

किशू ...मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ ...बहुत ...

हाँ तो रात हुई ...मैं पलंग के एक कोने में घूँघट निकाल .....नयी नवेली दुल्हन बनी....गौरव का इंतेज़ार कर रही थी .......

वे आए ..दरवाज़ा अच्छी तरह बंद कर दिया .....मेरी ओर ताकते हुवे .....धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए मेरे बगल आ कर बैठ गये .....

मैने अपनी घूँघट के अंदर से ही सर उठा कर देखा ..बहुत बेसब्री थी उनके चेहरे पर..उन्होने फ़ौरन मेरी घूँघट उठाया ....मेरे चेहरे को अपने हाथों से थामते हुए लगे मेरे होंठ चूसने .......

पहले तो मैने अपना चेहरा हटाने की नाकाम कोशिश की ....उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी...उन्होने चूमना जारी रखा और चूमते चूमते उन्होने कब चूसना शुरू कर दिया ..मैं बिल्कुल खो गयी उनके साथ ......मुझे लगा मैं भी उनका साथ दूं ..पर मैं तो नयी नवेली दुल्हन थी ना किशू ..शर्मो-हया की मूरत ...मैं बस हल्की सिसकारियाँ लेते हुए मज़ा ले रही थी ..

मेरी साड़ी अस्त व्यस्त हो गयी ...आँचल नीचे गिरा था , पलंग पर..मेरी छाती पर सिर्फ़ ब्लाउस था ..उन्होने मेरे होंठ चूसना जारी रखते हुए ब्लाउस के उपर से ही मेरी चूचियाँ मसलनी शुरू कर दी....उफ्फ किशू ..मैं एक दम से सिहर उठी ..उनका मेरी चूची सहलाना भी ऐसा था मानों किसी बहुत नाज़ुक सी चीज़ को हाथ लगा रहे हों ...कहीं टूट ना जाए ......मेरी सिसकारियाँ बढ़ती गयीं ..मेरे हाथ भी अपने आप उनके कंधों को झिझकते हुए जाकड़ लिया...

"पायल झिझक काहे की ...मुझे अच्छे तरह जकडो ना ......ठीक है मैं तुम्हारी झिझक दूर किए देता हूँ....." और उन्होने एक एक कर मेरे सारे कपड़े उतार दिए .....मैं बिल्कुल नंगी थी ..अपना मुँह छुपाए .....

फिर मेरे सामने पलंग से उतर खड़े हो कर ..अपने भी कपड़े उतार दिए ....

हम दोनों बिल्कुल नंगे थे ..मेरी नज़रें झूकि थी ..पर वे एक टक मुझ देखे जा रहे थे ......

उफ़फ्फ़ किशू ..मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी ....

मेरे पास बैठ ते हुए उन्होने मुझे सीने से लगाया ...मेरी चूचियाँ उनके सीने से चिपकी थीं ...मेरा सर उनके कंधों पर था ..... बार बार मुझे अलग करते मुझे देखते फिर सीने से लगा लेते ......उफ़फ्फ़ मैं पागल हो रही थी ....और मेरी शर्मो-हया भी ख़त्म हो रही थी ......

और जब इस बार उन्होने मुझे अपने सीने से चिपकाया ..मुझ से रहा नही गया ..मैने भी उन्हें अपने हाथों से जाकड़ लिया ..दोनों एक दूसरे की बाहों में एक दूसरे से चिपके , एक दूसरे को महसूस कर रहे थे .....दिल की धड़कनें ...सांस .....शरीर सब कुछ एक दूसरे में समाते जा रहे थे ...मानों हम एक दूसरे का जायज़ा ले रहे हों....

फिर उन्होने मुझे लिटा दिया और मेरे उपर आते हुए मुझे चूमने लगे ..चूसने लगे ..चूचियाँ मसल्ने लगे ...उफफफफफफफ्फ़..किशू मैं कांप रही थी ..सिहर रही थी .....

मेरी टाँगों को अपनी टाँगों से बूरी तरह जाकड़ लिया था उन्होने .......और फिर अचानक उन्होने अपना हाथ मेरी चूत पर रख दिया और सहलाने लगे ...मैं एक दम से चिहूंक उठी .....मेरे चूतड़ उछल पड़े .......

एक हाथ उनका मेरी चूचियाँ बारी बारी से मसलता जाता ...बड़े प्यार से ....दूसरा हाथ चूत सहला रहा था ...मेरे होश ठिकाने नहीं थे .....चूत गीली होती जाती ...जितनी गीली होती उनकी उंगलियाँ और तेज़ और तेज़ मेरी चूत की फांकों के बीच दौड़ती जाती .......उफफफफफफ्फ़ ...और फिर उन्होने मेरे होंठों को भी चूसना शुरू कर दिया ..किशू मैं पागल हो रही थी .....चूत के अंदर खलबली मची थी ....मन करता खुद अपने हाथों से उनका मदमस्त लंड अंदर ले लूँ .....

उन्होने मेरी बेचैनी समझते हुए कहा "पायल रानी इतना बेचैन मत हो मेरी जान .....मैं भी अपना लंड अंदर घूसेड़ने को बेचैन हूँ ..पर तुम्हारी कुँवारी चूत है ना...खूब गीली होने दो .... तभी तो मेरा मोटा लंड अंदर आराम से जाएगा ...

मैं क्या कहती किशू ..बस आँखें बंद किए मस्ती में पड़ी थी ..

काफ़ी देर तक उन्होने मेरी चूत मसली ..फिर मेरी चूत को अपनी उंगलियों से फैलाया ...चूत के होल के अंदर एक उंगली डाली ....उफफफफफफ्फ़ .....मुझे थोड़ा सा दर्द महसूस हुआ ..पर थोड़ी देर अंदर बाहर करने के बाद मुझे मज़ा आने लगा ..मैं सिहर रही थी ..सिसक रही थी ..मेरा पूरा बदन कांप रहा था ...

उन्हें लगा कि मेरी चूत अब काफ़ी गीली और ढीली हो गयी है ....

उन्होने अपने लौडे को ....... तंन और कड़क लौडे को चूत की होल पर रखा और अपने हाथों से घिसने लगे ..मैं मस्ती में उछल पड़ी.....मन किया कि अपनी चूत उछाल कर उनका कड़क लंड अंदर ले लूँ ....पर आज तो मैं नयी नवेली दूल्हन थी ...शर्मो-हया की मूरत .....मैने अपने आप को उनके हवाले कर दिया था ....मैं मंद मंद मुस्कुरा रही थी ....बंद मुँह के अंदर ही सिसकारियाँ ले रही थी ...

वो और भी एग्ज़ाइट हो रहे थे

अब उन्होने लंड को होल के मुँह पर रखा....मेरी टाँगें फैला दी और कच से एक हल्का सा धक्का लगाया ..फॅच से सुपाडा अंदर था ....पर मुझे कोई खास दर्द नहीं हुआ .....शायद उनका मेरे चूत को काफ़ी गीली कर देने का असर था ...

थोड़ी देर ऐसे ही रहे और अब एक और धक्का लगाया और उनका लंड मेरी चूत में आधे से भी ज़्यादा अंदर था ...उफफफफफफफफफफफफफ्फ़...किशू मुझे दर्द भी महसूस हो रहा था और उसे अंदर लेने का भी मन कर रहा था ..उन्होने मुझे अपने से बिल्कुल चिपका लिया था .....और मुझे चूमे जा रहे थे ..चूसे जा रहे थे .......कितना ख़याल था उन्हें मेरा ....मेरे किशू की अमानत का ..हाँ किशू ..

क्रमशः……………………
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08-19-2018, 02:51 PM,
#20
RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--11

गतान्क से आगे…………………………….

अब मेरा दर्द बिल्कुल कम हो गया था .....और मैं अंदर ही अंदर सिहर रही थी ....और तभी उन्होने पूरे जोरों से आखरी बार लंड अंदर घूसेड दिया ..पूरे का पूरा लंड ..जड़ तक ...मेरी चूत में था ..मुझे लगा जैसे किसी ने पिघलता हुआ लोहा मेरी चूत में डाल दिया हो ....मेरे चूतड़ उछल पड़े ...दर्द महसूस हुआ .....मैं कराह उठी

उन्होने लंड अंदर डाले रखा और मुझे और भी चिपका लिया अपने से .... मेरे होंठ ,,मेरी चूचियाँ चूसते रहे ...सहलाते रहे ......

मुझे काफ़ी आराम मिला ..दर्द गायब हो गया .....

अब उन्होने लंड बाहर किया , पर पूरा बाहर नहीं , बस सिर्फ़ इतना की उनके सुपाडे का हिस्सा अंदर ही था ...इस से मेरी चूत फैली रही ..मुझे अंदर ठंडक सी महसूस हुई .... उनका लंड मैने देखा ..मेरे रस और खून से गीला था ...मेरी सील टूट चूकि थी ....

उफफफफफफ्फ़.मुझे कितना अच्छा लगा किशू ....

अब उन्होने बिना रूकी फिर मेरी चूत के अंदर पूरा लॉडा डाल दिया

इस बार दर्द नहीं के बराबर था .... उनका लंड पूरी तरह अंदर था .उनके अंडकोष मेरी चूत को चू रहे थे .....मैं मस्ती में आ चूकि थी ..मेरी चूतड़ उछल पड़ी ...

अब उन्होने मेरी चूतड़ को थामे लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया ...पहले गति धीमी थी ..फिर जब उन्होने महसूस किया के मेरे चूतड़ उनके हाथों में कांप रहे थे ..थर्रत्तरा रहे थे ...उनका धक्का ज़ोर पकड़ता गया ..ज़ोर और ज़ोर और ज़ोर ......

मेरा पूरा बदन कांप रहा था ...मेरी चूत जैसे उनके हर धक्के पर और भी फैलती जाती ..उन्हें और भी मज़ा आता .मेरी चूत तो जैसे एक पहाड़ी नदी की तरह रस की धार छ्चोड़े जा रही थी ....फॅच ..फतच ..पॅच पॅच की आवाज़ आ रही थी ...मैने अपने आप को चीत्कार करने से बड़ी मुश्किल से रोका ..फिर भी मेरे मुँहे से '..घ्टी घूती सिसकारियाँ निकल ही पड़ी ....

हर धक्के पर मेरे चूतड़ बल्लियों उछल रहे थे ...किशू उफफफफफ्फ़ जब तू मुझे चोदेगा तो मैं तो मर ही जाऊंगी ..इतना सिहरन होगा मुझे ..मेरे ऐसा सोचते ही मेरी चूत से जोरदार पानी छूटने लगा ...उनका लंड पूरी तरह गीला हो गया और उनके धक्के लगाने की स्पीड भी बढ़ गयी

"आआआआआआआआआआह ...ऊवू पायल ...उफफफ्फ़ क्या चूत है रे तेरी ..रस से भरपूर ...." उनका धक्का बड़े जोरों पर था ...

मैं समझ गयी गौरव भी अब झड़ने वाले हैं ....

और अगले धक्के में ही उनके लंड से पिचकारी छूट गयी ..उन्होने मुझे बूरी तरह चिपका लिया ..लंड अंदर ही था ...मैं उनके लंड के झटके अंदर ही अंदर महसूस कर रही थी .....तीन चार झटकों के बाद पूरी तरह मेरी चूत में उनका लंड खाली हो गया था ..मैं भी उसी दौरान झाड़ गयी थी .....

दोनों काफ़ी देर तक एक दूसरे से चिपके थे ...

उसके बाद उन्होने एक बार और चोदा मुझे ....और फिर दोनों पस्त हो कर एक दूसरे की बाहों में सो गये.....

हाँ किशू देखा ना गौरव ने कितना ख़याल रखा तेरी अमानत का ..???

मैं जल्दी ही आउन्गि वहाँ ....

मेरी चिंता मत करना किशू मैं खुश हूँ यहाँ ....पर तुम्हारी कमी तो पूरी नहीं हो सकती ना ...

स्वेता को मेरी याद दिला देना ..और तुम लोग मस्ती करना ....खूब

किशू आइ लव यौउउउउउउ .....बहुत प्यार ..बहुत ....

दीदी की चिट्ठि पढ़ने के बाद मैने देखा मेरा लंड फूँफ़कार रहा था .....

मैने बहुत दिनों के बाद उस दिन खूद अपने ही हाथों से मूठ मारी ....मैं शांत हो गया ... काफ़ी खुश था के पायल दीदी वहाँ खुश हैं ..और सब से बड़ी बात थी जीजा जी उनका कितना ख़याल रखते थे....

उस दिन के बाद दीदी की याद तो आती पर मैं परेशान नहीं होता ..वरण मैने अपनी पढ़ाई में और भी ध्यान लगाना शुरू कर दिया ...जब दीदी आएँगी मेरी पढ़ाई से कितनी खुश हो जाएँगी .......

और कुछ ही दिनों के बाद दीदी ससुराल से पहली बार अपने घर आईं ..मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था .......

दीदी को गये सिर्फ़ आठ ..दस दिन ही हुए थे ..पर ये दस दिन मुझे दस सालों से भी ज़्यादा लगा...एक एक दिन जैसे पहाड़ के समान थे ...काट ते नहीं कट ता....सब से मुश्किल होता रात का काटना ...दिन भर तो स्कूल में पढ़ाई लिखाई और दोस्तों में बड़े आराम से बीत जाता था..शाम का वक़्त भी खेल कूद और कभी कभी स्वेता दीदी आ जातीं ...अच्छे से समय कट जाता ..

रात काटना मुश्किल हो जाता ..दीदी के शरीर की गर्मी..उनकी मुलायम चूचियों का दबाव मेरे सीने में ..उनका मेरा लंड सहलाना .....उफफफफ्फ़ .मैं तड़प उठ ता उनके बिना ....रात भर मैं ऐसे तड़प्ता था जैसे बिन पानी मछली ..

पर इसका तो अब कोई इलाज़ नहीं था . उनके ससुराल से घर आने की बात से कुछ तसल्ली हुई और सब से बड़ी बात....उफफफफ्फ़ ..याद करते ही मेरा लंड उछल पड़ता ..हाँ उनकी चूत .....

हाँ उनकी चूत की सील टूट चूकि थी ..मेरे लिए रास्ता बिल्कुल सॉफ था ..उन्हें चोद्ने के ख़याल से ही मैं सिहर उठ ता.... ओह्ह्ह्ह दीदी दीदी ......

और उस दिन दीदी आईं ...

कार से उतरते हुए घर की सीढ़ियों तक बड़े धीमे धीमे कदमों से ..साड़ी संभालते हुए आईं ...

मैं बस देखता ही रहा ...इन दस दिनों में उनमें काफ़ी बदलाव आ गये थे ..चूतड़ थोड़े भारी थ ..पहले ही उनकी चूतड़ इतनी मस्त थी ..और अब लगता था जीजा जी की चुदाई से और भी मस्त हो गये थे ..गोरे चेहरे पर एक लालिमा थी .....हाथ में चूड़ियाँ .....माँग में सिंदूर ...माथे पर बिंदी .....मैं एक तक उन्हें निहार रहा था .....दीदी गयी थी एक अधखिली फूल की तरह ..और आज फूल पूरी तरह खिल उठा था ..अपनी पूरी खूबसूरती , मादकता और सुगंध लिए.....

" अरे क्या देख रहा है किशू ...मुझे कभी देखा नहीं .....???"

मैं आगे बढ़ा ..दीदी को हाथ से थामता हुआ उन्हें सीढ़ियों से उपर बारामदे तक लाया ..

" दीदी देखा तो ज़रूर है ..पर अब आप वो नहीं हैं.......आप कितनी अच्छी लग रही हैं ....."

" तो क्या मैं पहले अछी नहीं थी ..???"

हम घर के अंदर आ गये थे .... मा , मामी और दूसरे रिस्तेदार उन्हें थामते हुए उनके बेड रूम की तरफ चल पड़े ......... .. हमारी बात अधूरी रह गयी ....

और फिर नियती , भाग्य यह समय ने ऐसा खेल खेला,अधूरी बात पूरी होने में .... दीदी के सवाल और मेरे जवाब के बीच एक लंबा अंतराल आ गया .....बहुत लंबा ..तीन साल ......!
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